Our site can help you find a professional massage girl in Siddharthnagar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Siddharthnagar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Siddharthnagar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Siddharthnagar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Siddharthnagar massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Siddharthnagar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Siddharthnagar who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Siddharthnagar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Siddharthnagar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Siddharthnagar
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Siddharthnagar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
भरी जवानी में मैं Sex Stories अपनी क्लास के एक सुन्दर से लड़के से प्यार कर बैठी। झिझक तो खुलते खुलते ही खुलती है। पहले तो हम क्लास में ही चुपके से प्रेम-पत्र का आदान प्रदान करते रहे। एक दिन प्रतीक ने मुझे वहाँ के एक गार्डन में शाम को बुलाया। मैं असमंजस में थी कि जाऊं अथवा ना जाऊं। फिर सोचा कि इसमें डरने की क्या बात है … वहाँ तो और लोग भी होंगे। पर किसी ने पहचान लिया तो फिर … ? चलो मुँह पर कपड़ा बांध लेंगे।
मैंने हिम्मत की और शाम को बगीचे में पहुंच गई। वो मोटर साईकल स्टेण्ड पर ही मेरा इन्तज़ार कर रहा था। हम दोनों उस शाम को बहुत देर तक घूमे। खूब बातें की, पर प्यार की नहीं, बस यूँ ही इधर उधर की। मेरा डर मन से निकलता गया और अब मुझे उसके साथ घूमना-फ़िरना अच्छा लगने लगा। धीरे धीरे हम प्यार की बातें भी करने लगे।
पहले तो मुझे बहुत शरम आती थी, पर मैं अपना चेहरा हाथों से छिपा कर बहुत कुछ कह जाती थी। वो एक बहुत ही शरीफ़ लडका था, उसने मुझे अकेला पा कर भी कोई भी अश्लील हरकत नहीं की। पर मुझे यह अजीब लगता था। मेरी मन की इच्छा तो यह थी कि हम दोनों अकेले में एक दूसरे के यौन-अंगों से छेड़छाड़ करें, कुछ रूमानी माहौल में जाये। कुछ ऐसा करें कि मन की आग और भड़क जाये …
यानि … यानि …
एक दिन मैंने ही पहल कर दी। एकान्त पा कर मैंने अपना चेहरा हाथों में छिपा कर कह ही दिया,”प्रतीक … एक बात कहूँ … ?”
“हां अंजली … कहो …!”
“बस एक बार … एक बार … यानि कि … ” मैं नहीं कह पाई। पर दिल ने सब कुछ समझ लिया। उसने चेहरे पर से हाथ हटाया और मेरे होंठों को चूम लिया।
“हाय … और करो ना … !”
उसने ज्योंही मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे, मैंने जोर से उसे भींच लिया और बेतहाशा चूमने लगी। प्रतीक ने मेरे बालों में हाथ डाल कर सहला दिया। मेरी गुलाबी आंखें उस एकटक निहारने लगी। मेरी नजरें स्वतः ही झुक गई।
इसी तरह एक दिन मैंने उसके हाथों को मेरे सीने पर रख कर स्तनों को दबाने को कह दिया।
उसने बड़े ही प्यार से मेरे स्तन सहलाये और दाबे … । अब मुझे प्यार में सेक्स का भी मजा आने लगा था। फिर वो घड़ी भी आई जब मैंने उसका हाथ मेरा कुर्ता ऊपर करके अपनी चूत पर रख दिया। वो उसे सहला कर मेरे नक्शे का जायजा लेने लगा। मेरी गीली चूत का भी उसे अहसास हो गया।
मैंने भी हिम्मत करके उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी।
अब अधिकतर यही होने लगा था कि हम किसी कोने या अंधेरी जगह को तलाशते और एक दूसरे के अंगों के साथ खेलते और वासना में लिप्त हो जाते।
एक दिन प्रतीक ने मुझसे चुदवाने को कहा। मैं डर गई, मुझे तो इसी खेल में मजा आने लगा था। पर चुदना, मतलब उसके लण्ड को मेरी चूत में घुसवाना पड़ेगा। जाने क्या होगा … ? मैं उसे टालती रही। यूँ हम सालभर तक ऐसे ही वासना भरा, अंगों की छेड़छाड़ का खेल खेलते रहे। हां अब हम कभी कभी अपना यौवन रस भी निकालने लगे थे। उसका तो वीर्य भी ढेर सारा निकलता था। उसका लण्ड वास्तव में मोटा था। उसका सुपाड़ा भी मैंने देख लिया था, बड़ा सा फ़ूला हुआ लाल टमाटर जैसा था, पर उस समय वो उत्तेजित था।
यूँ ही करते करते मेरी शादी भी पक्की हो गई। शादी का समय भी आ गया और फिर देखते ही देखते शादी भी हो गई। हम दोनों इस बार बहुत ही फ़ूट फ़ूट कर रोये थे। हम में भाग कर शादी करने की भी हिम्मत नहीं थी। हमारी कसमें, वादे सभी कुछ किताबी बातें बन कर रह गये थे। तारे तोड़ कर लाना बस मुहावरा बन कर ही रह गया था।
मेरे पति बंसी लाल की एक बड़ी दुकान थी, जो बहुत अच्छी चलती थी। वो अधिकतर दिल्ली या कलकत्ता आता जाता रहता था। मेरे लिये बहुत सी चीज़ें लाया करता था। मुझे वो बहुत प्यार करता था। चुदाई भी बहुत बढ़िया करता था। हां, गालियां वगैरह नहीं देता था। जब भी बंसी लाल शहर से बाहर जाता तो मैं प्रतीक के कमरे पर चली जाती थी।
उन दिनों मेरी जिन्दगी रंगो से भरी हुई थी। मुझे सब कुछ सुहाना और सुन्दर सा लगता था। मेरा मन खिला खिला सा रहता था। मेरा पति मुझे बहुत प्यार करता था और मेरा प्रेमी मुझ पर अब भी जान छिड़कता था। दोनों ही मुझे बहुत खुश रखते थे। आज भी मैं अपनी स्कूटी से प्रतीक के घर आ गई थी। प्रतीक हमेशा की तरह अपनी पढ़ाई में लगा था। मुझे देखते ही वो खुश हो गया और मुझे अपने आलिंगन में जकड़ लिया। सदा की तरह उसका लण्ड खड़ा हो गया और मेरी गाण्ड की दरार में घुसने लगा। मुझे बस रंगीनियाँ ही रंगीनियाँ नजर आने लगी।
कुछ देर तक तो हम चूमा-चाटी करते रहे … फिर मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी। आज उसने अपना पजामा उतार दिया और अपना नंगा लण्ड मेरे हाथों में थमा दिया। उसका मोटा लण्ड मेरे दिल में पहले ही बसा हुआ था, सो उसे मैंने हौले हौले रगड़ना चालू कर दिया। उसने भी आज पहली बार मेरी साड़ी उतार दी और हाथ ब्लाऊज में घुसा दिया। मुझे इस से थोड़ी तकलीफ़ हुई फिर मैंने उसका हाथ हटा दिया।
“ऐसे मत करो, लगती है … बस अब मैं चलती हूँ !”
पर प्रतीक ने मेरी एक ना सुनी। उसने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
“ये मत करो, पति के अलावा दूसरा कोई नहीं … !!” मैं कुछ आगे कहती, प्रतीक ने चुप करा दिया,”मैं दूसरा नहीं हूँ, मैं तुम्हें प्यार करता हूँ, आज मुझे सब करने दो … “
“नहीं प्रतीक, बस ऊपर ही ऊपर से कर लो … “
“प्लीज बस एक बार चुदा लो … देखो मैं तो तुमसे कब से प्यार करता हूँ, मेरी कसम है तुम्हें … देखो तुमने मेरा क्या हाल कर दिया है … प्लीज अंजली … “
उसका यह हाल देख कर मुझे भी ठीक नहीं लगा। सोचा किसको पता मालूम चलेगा, सच है ये कब से तड़प रहा है … मैं पिघलने लगी। मैंने अपनी साड़ी ऊंची कर ली।
“तुम्हारी कसम अंजली … तुमने तो आज मेरा दिल जीत लिया … ” और वो मुझ पर झुक गया, मुझे प्यार से चूमने लगा, उसका लण्ड मेरी चूत में घुसने लगा। मुझे लगा उसका लण्ड मेरे पति से बहुत मोटा है … कसता हुआ सा भीतर जाने लगा।
आनन्द से मेरी आंखें बंद होने लगी। उसने धीरे धीरे अपना लण्ड मेरी चूत में पूरा उतार ही दिया। दूसरा लण्ड, नया लण्ड … अलग ही आनन्द दे रहा था। मैंने प्यार से प्रतीक को देखा और अपनी ओर खींच लिया।
“प्रतीक … बहुत मजा आ रहा है … अब तक क्यों नहीं चोदा तुमने !”
“तुम ही दूर रही मुझसे … तुम तो मेरी जान हो … आह्ह्ह … !”
वो मेरे से प्यार से लिपट गया और उसके चूतड़ मेरी चूत के ऊपर भचाभच चलने लगे। मैं भी उसे प्यार से चूमने चाटने लगी। मैं अब पलट कर उसके ऊपर आ गई और उसके लण्ड पर बैठ कर चुदने लगी। उत्तेजना के मारे मेरा बुरा हाल था।
उसका लण्ड मेरी चूत को मस्ती से चोद रहा था। कितनी खुशी लग रही थी मुझे।
उसका मोटा लण्ड मेरी योनि में अब भी कसता हुआ आ जा रहा था। मीठी सी गुदगुदी तेज हो गई। मुझे लगा कि मैं चरम बिन्दु तक पहुंच गई हूँ और अब मुझे नहीं सहा जायेगा। तभी मेरा रज छूट गया। प्रतीक ने झट से पोज बदला और मुझे घोड़ी बना दिया और देखते ही देखते उसका लण्ड मेरी गाण्ड में फ़ंस चुका था। मेरी गाण्ड खासी चिकनी थी और खुली हुई थी। उसने लण्ड को भीतर घुसा दिया और आगे पीछे करने लगा। मुझे फिर से आनन्द आने लगा। उसका ये सब इतने प्यार से करना मुझे बहुत पसन्द आया। उसका तरीका इतना अच्छा था कि कोई एक बार चुद जाये तो बार बार लण्ड खाने की इच्छा हो !
मैंने उसे कहा,”प्रतीक, एक बार और मेरी चूत चोद डालो, प्लीज !”
उसने जल्दी से लण्ड बाहर निकाल कर चूत में घुसेड़ दिया। मुझे फिर से असीम आनन्द की दुनिया में पहुँचा दिया। सच में कुतिया के पोज में ज्यादा मस्त चुद रही थी। धक्के अन्दर तक ठोक रहे थे। मधुर चुदाई ने फिर रंग दिखाया और मैं फिर से झड़ने के कगार पर थी। मस्त चूत की उसने जम कर ठुकाई की उसने और मेरा रस फिर से चू पड़ा। तभी उसका वीर्य भी निकल पड़ा। मेरी चूत उसके वीर्य से लबालब भर गई और फिर उसका लण्ड सिकुड़ कर बाहर आता प्रतीत हुआ।
उसने जल्दी से अपनी कमीज को मेरी चूत पर लगा दिया और उसे साफ़ करने लगा।
मैने पीछे मुड़ कर उसे प्यार से देखा। वो बड़े अच्छे तरीके से मेरी चूत को साफ़ करने में लगा था।
“प्रतीक, तुमने मुझे ये सुख पहले क्यों नहीं दिया … ?”
“यह तो सब समय की बात है, तुमने मुझे हाथ लगाने दिया तो मेरी किस्मत खुल गई।”
“हाय राम, अपन इतने दिनों तक बेकार ही यूँ ही मसला-मसली करते रहे, चुदाई कर लेते तो कितना आनन्द आता … ! है ना ?… अपन तो अपने आप को वासना की आग में जलाते रहे … मुठ मारते रहे … प्रतीक, साले तुमने मुझे जबरदस्ती क्यों नहीं चोद दिया?”
“मैं तुम्हें प्यार करता हूँ … कोई जानवर तो नहीं हूँ … “
“कसम खाओ, अब रोज ही ये सब करेंगे … तुम्हारा लण्ड मुझे बहुत ही अच्छा लगा !”
“बस जान लो … आज से ये लण्ड तुम्हारा ही है।”
हम दोनों एक बार फिर से लिपट गये और अब मुझे चोदने वाला पति के अलावा प्रतीक भी था। एक बार फिर से हमने मरने जीने की कसमे खाने लगे, चांद तारे तोड़ कर लाने की बातें करने लगे … मरने जीने की कसमें खाने लगे … आह्ह्ह्ह्ह … … Sex Stories
री यानि Antarvasna ॠचा सिंह की तरफ से सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों को प्यार भरी नमस्ते !
मैं भी सबकी तरह ही अन्तर्वासना की नियमित पाठिका हूँ और हर दिन इसमें छपने वाली एक एक कहानी का लुत्फ उठाती हूँ।
आज आप सबके सामने अपनी एक मस्त चुदाई लेकर हाज़िर हूँ उम्मीद है कि सबके लौड़ों पर खरी उतरूंगी।
मेरी उम्र इस वक़्त पच्चीस साल की है। मेरा अपना एक बहुत बड़ा इलेक्ट्रोनिक्स शोरूम है और अब में अपने खड़ूस पति से अलग हो चुकी हूँ क्यूँकि मैं अपनी अब तक की जिंदगी में माशूका से लेकर पत्नी के तौर पर बेवफ़ा ही साबित हुईं हूँ।
लेकिन यह मेरे बस की बात नहीं है, मैं जवानी शुरु होने से पहले से ही गलत माहौल में बड़ी हुई थी।
खैर उसको छोड़ो ! मुझे एक मर्द के साथ संतुष्टि नहीं हो पाती !
पैसे के पीछे भागते हुए मैं शादी तो अपने से बड़ी उम्र के बड़े से कर बैठी, बहुत पैसा था उसके पास और शादी से पहले ही उसने मुझे अमृतसर के सबसे पोश एरिया में मेरे नाम पर बहुत बड़ा घर मेरे जन्मदिन पर उपहार में दिया। महंगे महंगे नेकलेस और बहुत कुछ अपने मदहोश कर देने वाले जिस्म से पाया था मैंने ! मेरा रूप देख हर मर्द मेरा रस पीना चाहेगा। एक साधारण से घर से उठ एक आलिशान घर में चली गई, नौकर-चाकर, पोश कारें घूमने के लिए ! सिर्फ इसलिए कि मैं तब बीस की थी और वो पैंतीस का ! जानती थी कि यह उसकी दूसरी शादी थी।
स्कूल से कॉलेज से आई ही थी कि वो मेरा पीछा करने लगा। ऊपर से मैं गर्भवती हो गई डेट नहीं आई।
अगले दिन में हाँ कह दी और माँ को मालूम हो गया, उसके सामने ही मुझे उलटी हुई, माँ ने मुझे कहा कि जल्दी से उसके साथ संबंध बना ले !
दो दिन बाद ही मैंने उसको कहा- आज अकेली हूँ, घर से निकला नहीं जाएगा, खाली नहीं छोड़ सकती ! यहीं आ जाओ, कार पीछे पार्क करना !
मैं अकेली थी, उसने मुझे बाँहों में लिया। मैंने थोड़ा सा विरोध किया लेकिन फिर ढीली पड़ने लगी। उस दिन उसने मुझे चोद दिया। मेरा प्यार परवान चढ़ा, एक महीने में कई बार चुदी। महीना पूरा होते मैंने उसको कहा- तुमने मुझे पेट से कर दिया है !
उसने मुझे कहा- पढ़ाई की ज़रुरत नहीं ! रानी बनाऊंगा ! अपना बिज़नस खोल के दूंगा !
बाप का साया तो सर पर नहीं था लेकिन न जाने कितने सौतेले बापों का साया था। माँ ने हां करने में एक मिनट नहीं लगाया और उसने मेरे साथ सादी शादी कर ली और बाद में अपने तरफ से बहुत बड़ी रिसेप्शन दी।
मैं छोटी उम्र में उसकी दुल्हन बन गई और डोली में बैठ उसके आलीशान घर पहुँच गई।
बेडरूम में गुलाबों की महक, रेशमी चादर पर रात के ग्यारह बजे मैं उसके नीचे थी। उसके लौड़े में नहीं, पैसे में दम था ! उसका मैं कई बार चूत में ले चुकी थी। उसने मुझे बहुत बड़ा शोरूम तोहफ़े में दिया, बहुत बैंक बैलेंस था अब मेरा क्यूंकि उसे था कि मैं उसके बच्चे की माँ बनने वाली हूँ।
डर यही था कि डिलिवरी एक महीने पहले होनी थी। मैंने अपनी पसंद की गायनी-डॉक्टर को अपना केस दिया, पैसे चढ़ा कर मैंने उसको समय-पूर्व डिलीवरी कहने को मना लिया।
मैंने एक लड़के को जन्म दिया।
लेकिन अब उसका लौड़ा ढीला पड़ने लगा और मेरा बदन जिस्म अभी खिलने लगा, कसने लगा।
अपने ही शोरूम के मैंनेजर और फिर अकाउंटेंट के साथ नाजायज़ संबंध बने। मैं सुबह जाती, लंच करने घर आती, बच्चे के लिए आया रख ली। फिर शाम को जाती और शटर गिरा कर रात को चुदाई करवाती।
उसके बाद मेरी ननद भी अमृतसर शिफ्ट कर गई। उनका संयुक्त परिवार था। काफी मेल जोल बढ़ गया, उसका जेठ बहुत खूबसूरत था ! क्या मर्द था ! कड़की मूछें, दमदार शरीर, चौड़ी छाती, घने बाल, लाल आंखें ! देख किसी भी औरत की चूत गीली हो जाए। उसकी नज़र मुझ पर थी, मेरी उस पर ! लेकिन उसकी बीवी हमारे बीच में थी, हाउस वाइफ थी !
गर्मी के दिन थे। एक दिन सुबह सुबह अपने बच्चे को ननद के पास छोड़ने गई क्यूंकि उस दिन आया छुट्टी पर थी। वो शेव कर रहा था सिर्फ अंडरवीयर में बाथरूम के बाहर !
उसका मोटा लौड़ा साफ़ दिख रहा था। मैं मुस्कुरा दी, उसने भी मुझे देख कर खुजलाने के बहाने अपना लौड़ा सहला कर मुझे उकसाया। मेरा दिल अब उसकी मजबूत बाँहों में जाने बेताब था। अभी मैं ऑफिस पहुंची ही थी कि उसने मुझे कॉल करके कहा- कैसा लगा मेरा लौड़ा?
उस दिन पहली बार उसने मुझे कॉल किया था।
मैं बोली- बहुत मस्त है !
बोला- कब खाओगी इसको?
मैंने कहा- तेरी बीवी बीच में बैठी है ! तुम ऑफिस आ जाओ !
मेरा केबिन बेसमेंट में था। उसने कुछ पल ही बैठने के बाद मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं उठकर उसकी गोदी में बैठ गई।
खूब चूमा, मेरे मम्मे दबाये उसने ! फ़िर जिप खोल दी। मैंने दरवाज़ा लॉक किया और नीचे मैट पर बैठ उसकी टाँगे खोल उसका लौड़ा पकड़ लिया। वाह, क्या लौड़ा था !
अभी मुँह में लिया ही था कि पति का फ़ोन आ गया कि वो मुझे लेने आ रहा है, किसी दोस्त की पार्टी में जाना है।
मैंने जल्दी से कपड़े ठीक किये, उसको वहाँ से भेज दिया। उसने वादा किया कि जल्दी ही जगह ढूंढ लेगा।
उसके बाद उसने अपने किसी दोस्त के घर मिलने का प्रोग्राम बनाया और फिर मुझे वहाँ लेकर गया और बिस्तर देख हम दोनों रुक ना पाए और दोस्त के सामने ही उसने मुझे नंगी कर दिया। जैसे जैसे वो मुझे नंगी करने लगा, तैसे तैसे उसका जोश बढ़ने लगा और हम दोनों ने एक दूसरे को निर्वस्त्र कर दिया तेज़ साँसों से पागलों की तरह !
उसका लौड़ा किसी हब्शी से कम नहीं था। आज पूरी तरह से आज़ाद देखा था। मैं घोड़ी बन उसका लौड़ा चूस रही थी कि उसके दोस्त ने पीछे से मेरी चूत चाटनी शुरु कर दी। मैंने पलट के देखा तो उसका लौड़ा भी कम नहीं था।
दोस्तो, फिर क्या क्या हुआ और कैसे? यह पढ़ने के लिए अन्तर्वासना डॉट कॉम को रोज़ पढ़ा करो ! इस वेबसाइट को सफल बनाओ ! Antarvasna
मेरा नाम राज है, अन्तर्वासना Antarvasna के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम। मेरी उम्र 28 साल है और मैं रोज जिम जाता हूँ इसलिए मैं काफी फिट रहता हूं। मैं जब मुंबई में नया आया था। मुझे पहले काफी दिक्कत हुई पर अभी मुझे यहाँ अच्छा लगता है। मैं मुंबई के दादर इलाके में रहता हूँ। मुझे सेक्सी औरतें अच्छी लगती हैं।
मेरी जिंदगी की सबसे अच्छी कहानी सुनना चाहता हूँ जिसे मैं आज भी बहुत याद करता हूँ।
मैं एक बार नागपुर से मुंबई आ रहा था, एसी 2 टायर में बैठा था, मेरे सामने एक युगल बैठा था। हम लोगों का एक दूसरे से परिचय हुआ और हम लोग काफी घुलमिल गए। वो बन्दा, उसका नाम था प्रथमेश, सॉफ्टवेयर इंजिनियर था, मुंबई में ही जॉब करता था। काफी सारी बातें की और रात को सो गए।
अगले दिन सुबह जब मैं और वो भी उठ गए तो उसे याद आया कि उसने मेरा सेल नंबर नहीं लिया है, मुझसे सेल नंबर मांगने लगा। उसके याद आया कि उसका सेल तो बैग में है तो उसने अपनी बीवी को कहा कि अपने सेल में स्टोर करके बाद में उसे दे दे।
मैंने उसे अपना नंबर दे दिया। थोड़ी देर में ट्रेन मुंबई स्टेशन पर आ गई और हम लोग अपने अपने घर चले गए।
घर पहुँचते ही मुझे एक संदेश आया जिसमें दोस्ती करने के लिए लिखा था। मुझे ऐसे बहुत मैसेज आते रहते हैं तो मैं इन पर ध्यान नहीं देता। फिर थोड़ी देर में और एक मैसेज आया, लिखा था कि अगर दोस्ती नहीं करनी है तो साफ़ साफ बता दो ! तुम्हारी ट्रेन की दोस्त ! इस बार नाम लिखा था और उसका नाम था शालिनी।
मैं सोच में पड़ गया कि कौन है यह लड़की ? मुझे तो कुछ याद नहीं आ रहा था कि मैं किसी शालिनी से मिला हूँ।
फिर भी मैंने कोई उत्तर नहीं दिया, मुझे ऑफिस जाने की जल्दी थी तो मैंने सोचा कि शाम को बात करूँगा।
शाम को फिर मैंने कॉल किया, सामने से आवाज़ आई,”मैं आपके कॉल का कब से इंतज़ार कर रही हूँ।”
यह सुनकर मुझे अजीब लगा, फिर मैंने पूछा “क्या हम कभी मिले हैं?”
उसने कहा,”इतने जल्दी भूल गए? मैं दिखने में इतनी बुरी भी नहीं हूँ।”
मैं: मुझे याद नहीं आ रहा है आप कृपा करके अपना नाम बताइए !
उसने कहा कि उसका नाम शालिनी है और हम कल ही ट्रेन में मिले थे और उसने याद दिलाया कि वो सामने वाली सीट पर बैठी थी। फिर मुझे याद आया कि यह प्रथमेश की बीवी है और प्रथमेश ने मेरा नंबर उसे स्टोर करने के लिए कहा था।
मैं: सॉरी शालिनी जी ! मैंने आपका नाम नहीं पूछा था इसलिए मुझे याद नहीं था ! और प्रथमेश कैसा है?
शालिनी: वो ऑफिस चले गए हैं, रात को लेट आयेंगे।”
मैं: चलो छोड़ो, आप मुझसे दोस्ती क्यों करना चाहती हैं?
शालिनी: आप में मुझे अपना बॉयफ़्रेन्ड नजर आता है जो इस दुनिया में अब नहीं है।
मैं: आय एम सॉरी !
शालिनी: कोई बात नहीं ! मैं अपने बॉयफ़्रेन्ड की बात का बुरा नहीं मानती। तुम्हें पता नहीं कैसे नींद आ रही थी, मैं रात भर सो नहीं पाई।
मैं: क्यों ?
शालिनी: तुम्हें ही निहार रही थी, ऐसा लग रहा था कि मैं तुम्हारे पास आ जाऊँ !
मैंने मस्ती में कहा: तो आ जाना था !
शालिनी: कैसे आती? प्रथमेश साथ में था।
मैं: आपकी शादी को कितने साल हुए हैं ?
शालिनी: दो साल हुए हैं।
फिर हमने मिलने की योजना बनाई। उसने कहा कि वो गोरेगांव में रहती है, दो दिन बाद उसके पति जल्दी ही ऑफिस जाने वाले हैं सुबह साढ़े पाँच !
शालिनी का कद साढ़े पाँच फ़ुट है, गोरी, फ़ीगर 35-27-36, बहुत आकर्षक ! कोई भी उसे देखेगा तो उसका लण्ड वहीं खड़ा हो जायेगा। बला की खूबसूरत थी वो !
मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो मेरे बारे में कैसे सोचने लगी क्योंकि वो इतनी सुन्दर थी कि मैं सोच ही नहीं पाया कि वो मुझसे प्रभावित होगी।
दो दिन बाद उसका कॉल आया सुबह 5 बजे, उसने मुझे याद दिलाया कि अभी आधे घंटे में उसका पति ऑफिस जाने वाला है। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैं उठा और तैयार होकर मोटरसाईकल लेकर निकल गया।मैं उसके घर के पास उसके फ़ोन का इन्तज़ार करने लगा।
उसका कॉल आया- अभी आ सकते हो !
मैं: गुड मॉर्निंग डियर !
शालिनी: गुड मोर्निंग ऐसे नहीं करते !
फिर उसने मुझे गाल पर किस किया और गले से लगाया। जैसे ही उसने गले से लगाया मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मैंने भी उसे किस करना शुरू कर दिया। सबसे पहले माथे पर, आंखों पर, गाल पर और अब उसके होंठों की बारी थी। जैसे ही मैंने होंठ चूमने चालू किए, उसने मुझे धक्का दिया और बोली- इतनी भी क्या जल्दी है? थोड़ा सब्र करो !
शालिनी: अभी तो आये हो ! जल्द बाजी क्यों?
मैं: आग लगा कर बोलती हो कि जल्दबाजी क्यों ?
शालिनी: आज का दिन हमें बहुत मस्ती करनी है ! क्यों ना धीरे धीरे मज़ा लें !
मैं: ठीक है ! कहाँ से शुरू करना है ?
शालिनी: नहा कर आये हो ?
मैं: पागल हो गई हो क्या ? इतने सवेरे नहा कर कौन आयेगा ?
शालिनी: मैं भी नहीं नहाई ! चलो फिर साथ में शावर लेते हैं !
मैं बहुत खुश हो गया। जिंदगी में पहली बार किसी के साथ शावर लेने का मौका मिला है, यह सुनकर ही मेरे मन में बहुत से ख्याल आने लगे और फिर हम शावर लेने चले गए।
जैसे ही मैं बाथरूम में गया तो देखा कि बाथरूम बहुत बड़ा था, बाथटब भी था। फिर मैंने उसके गुलाबी फूल की पंखुडियों जैसे होंठों को चूमना शुरू किया। इस बार वो भी मेरा साथ देने लगी। कभी मैं ऊपर का होंठ चूसता तो कभी नीचे का ! पूरी जबान उसके मुंह में डाल दी। वो भी किसी अनुभवी की तरह पूरा साथ दे रही थी। धीरे धीरे मेरे हाथ उसके वक्ष तक गए। ऊपर से ही मैं सहला रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था। वो भी मेरा लंड पैन्ट के ऊपर से सहला रही थी। लंड तो मेरा पहले से खड़ा हो गया था।
मैं उसकी गर्दन पर किस करते करते कान के पीछे पहुंचा ही था कि वो बोली- कपड़े तन पर बोझ हैं इन्हें उतार फेंकना चाहिए।
मैंने उसकी नाईटी उतार फेंकी। अब वो मेरे सामने ब्रा और पैन्टी में थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों पर किस कर रहा था। उसने कहा- अब और मत तड़पाओ ! ब्रा खोल दो और चूस लो मेरी चूचियों को !
मैंने तुरंत ब्रा खोल दी और चूसने लगा। उसका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था। मैंने दोनों स्तन अच्छी तरह से चूस चूस कर और दबा दबा कर लाल कर दिए। धीरे धीरे मैं उसकी नाभि को चाटने लगा। फ़िर मैंने उसकी पैन्टी उतार दी।
वाह ! क्या चूत थी ! पूरी तरह शेव की हुई थी, बहुत ही मनमोहक खुशबू आ रही थी। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने अपनी जबान वहाँ लगा दी।
जैसे ही मैंने जबान लगाई उसने मेरा सर अन्दर धकेला और कराहने लगी, कहा- राज चाटो इसे ! मुझे बहुत मज़ा आ रहा है !
दस मिनट चाटने के बाद वो झड़ गई। फिर उसने मुझे चूमना चालू किया। पहले मुझे होंठों पर चूमा, गर्दन से होती हुई निप्पल पर आ गई। बाद में धीरे धीरे नीचे जाने लगी। उस समय मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता।
मुझे लगा कि वो मेरा लंड चूसने वाली है। उसने मेरी नाभि को भी चाटा और वो घड़ी आ गई जिसका मुझे इंतजार था। मेरा लंड उसने पहले अपनी जबान से पूरी तरह चाट लिया, फिर उसे मुँह में लिया और अन्दर-बाहर करके चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मानो कि मैं ज़न्नत में हूँ। 10-12 मिनट बाद पूरा वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया जो उसने बड़े प्यार से चाट लिया। फिर हम लोग बाथत्ब में बैठ कर एक दूजे को नहलाने लगे।
हम दोनों नग्न ही पूरे घर में घूम रहे थे। बाद में हमने नाश्ता किया।
शालिनी ने कहा- अभी तो पहला भाग हुआ है ! अभी दूसरा चालू करते हैं !
फिर उसने मुझे चूमना चालू किया। इस बार उसने सीधा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। दो मिनट चूसने के बाद मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उसे गर्म करने के लिए उसके स्तन चूसना शुरू किया। थोड़ी देर में वो गर्म हो गई। फिर मैंने उसकी चूत चाटनी चालू कर दी। मेरी जुबान पूरी अन्दर तक भ्रमण करके आ रही थी।
शालिनी बोली- अब ज्यादा मत तड़पाओ ! चोद डालो ! और इंतज़ार नहीं होता !
मैंने लंड धीरे से अन्दर डाल दिया और जोर से धक्के मारने लगा।
उसकी आवाज़ निकल रही थी- आऽऽ…हऽऽ… मेरे राजा आई लव यू ! इसी तरह चोदते रहो ! बहुत मज़ा आ रहा है !
15 मिनट बाद मुझे ऐसा लगा कि मेरा गिरने वाला है। मैंने बाहर निकाल दिया और कंट्रोल करने लगा। मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया फिर दो मिनट बाद चूत में डाल दिया। वो बहुत खुश हो गई कि मैं कंट्रोल कर सकता हूँ।
उसने कहा कि उसका पति कंट्रोल नहीं कर पाता और जल्दी ही गिर जाता है। इसलिए वो अधूरी है।
ऐसा मैंने दो बार और किया। मैं योग करता हूँ तो मुझे पता है कि अपनी इन्द्रियों को कैसे वश में करना है।
फिर मैंने उसे पूछा- शालिनी ! ज्ब तुम तृप्त हो जाओ तो मुझे बता देना, मैं बाहर गिरा दूंगा।
उसने कहा- अन्दर ही गिराना ! गर्म गर्म वीर्य जब चूत में पड़ता है तो उसका मज़ा ही कुछ और होता है।
मैंने कहा- बच्चा हो गया तो?
उसने कहा- तुम्हारा प्यार समझ कर अपने सीने से लगा कर रखूंगी।
मैंने फिर अन्दर ही गिरा दिया। हम दोनों निढाल होकर पड़े रहे।
उसके बाद उसने मुझे प्यार से चूमा।
आपको मेरी कहानी कैसे लगी ? मुझे मेल करें ! Antarvasna
शाम को मैं और मेरी बहन महजबीं और अम्मी काम से घर जाने लगे.
रास्ते में हाफिज मामा की दुकान पर सामान लेने के लिए मैं और अम्मी रुक गए.
महजबीं घर चली गयी.
हाफिज मामा- आओ आपा बैठो!
अम्मी- आज तो थक गई भाई जान काम पे!
हाफिज मामा इशारों में बात करते हुए- क्यों आज डबल मजदूरी कर ली क्या?
मैं छोटा था तो कुछ समझ नहीं पा रहा था.
अम्मी- हां भाई जान, आज दो दो मिल के मार रहे थे.
हाफिज मामा- फिर तो आज मुझे नहीं मिलेगी क्या?
अम्मी- नहीं भाई जान! आज के लिए तो माफ कर दो, सूज के पाव रोटी हो गयी है!
हाफिज मामा- वो सब मुझे नहीं पता, मुझे तो आज ही चाहिए!
अम्मी- अच्छा बाबा आप जीते में हारी!
फिर हाफिज मामा ने अम्मी को चुम्मा और सामान दे दिया.
मुझे भी आइसक्रीम दे दी.
हम घर आ गए.
घर पर आज अमीरा ने खाना पहले से तैयार रखा था.
अम्मी ने मुझे हाफिज मामा को बुलाने को कहा.
मैं- अम्मी, मैं अकेला नहीं जाऊंगा, अमीरा आपा को भेजो मेरे साथ!
अम्मी- ठीक है, जाओ जल्दी आ जाना!
हाफिज मामा दुकान बंद कर रहे थे.
अमीरा- हाफिज मामा, अम्मी ने खाने के लिए बुलाया है.
हाफिज मामा- तेरी अम्मी तो आज लेने नहीं देगी तो आज तुझे देनी पड़ेगी फिर से!
मैं बीच में बोला- अमीरा आपा को क्या देनी पड़ेगी? और अम्मी क्या नहीं लेने दे रही?
हाफिज मामा- बेटा, रजाई की बात कर रहा हूँ.
मैं- तो क्या हुआ, आज आप मेरी ले लेना!
इस पर अमीरा आपा और हाफिज मामा जोर जोर से हँसने लगे.
हाफिज मामा- नहीं बेटा, तेरी छोटी है, फट जाएगी.
अमीरा- अम्मी की कब से ले रहे हो?
हाफिज मामा- बहुत वक़्त से … यह आलम मेरा बेटा है.
मैं- हां मामू, मैं आपका ही बेटा हूँ.
अमीरा- ठीक है मामा, कोशिश करूँगी! पर अम्मी जाग गई तो क्या होगा?
हाफिज मामा- क्या होगा … दोनों की ले लूंगा साथ में! आज सोने नहीं दूंगा दोनों को!
अमीरा- ठीक है. अब चलें, खाना ठंडा हो रहा है।
हम घर आ गए तो अम्मी ने खाना लगा दिया.
सब लोग खाना खाकर सोने के लिए चले गए.
महजबीं और अमीरा दूसरे कमरे में सोने चली गई।
मैं अम्मी साथ में सोने चला गया।
हाफिज मामा बाहर सोने चले गए।
मैं- अम्मी, मुझे मामा के पास जाना है उनके पास सोना है.
अम्मी- नहीं बेटा, मुझे अकेले में डर लगेगा.
मैं- तो अम्मी मामा को यहां बुला लूं क्या?
अम्मी- ठीक है बाबा, बुला ले!
मैं मामा को बुलाकर लाया.
अम्मी- भाईजान, आप यहीं सो जाओ. आलम ने जिद पकड़ ली है.
हाफिज मामा- ठीक है आपा.
फिर सब सो गए.
रात को 12 बजे अमीरा मामा के पास आई और वहीं उनको पकड़ कर लेट गई।
हाफिज मामा ने उसको कस के पकड़ लिया और अमीरा के होठों को चूसने लगे।
अमीरा भी उनका पूरा साथ दे रही थी।
मैं ये सब रजाई के अंदर से देख रहा था.
अब मामा ने मेरी बहन की कुर्ती को निकाल अलग कर दिया और उसकी चूचियों से खेलने लगे।
अमीरा भी मामा के लंड को पजामे के अंदर से मसलने लगी।
अब मामा सलवार के अंदर से अमीरा की चूत पे हाथ फेरने लगे।
अमीरा सिसकारियां लेने लगी।
अमीरा फुसफुसाती हुई- अब जल्दी से कर ले! वरना तेरी रंडी उठ जाएगी.
मामा- तू भी तो मेरी रंडी है।
अमीरा- हां मेरे आका, मैं भी आपकी रंडी हूँ। अब जल्दी करो मेरी जान, आग लगी हुई है मेरी चूत में!
मामा- साली हरामखोर, दिन में तो अच्छे से बजा के गया हूँ।
अमीरा- क्या करूँ मेरे राजा, तेरा लंड ही इतना मस्त है कि बार बार लेने का मन करता है।
अब मेरी बहन मामा का पजामा खोलकर उसके लंड को चूसने लगी.
मामा मजे से लंड चुसवाने लगे- आह मेरी रांड, तू तो रंडी की तरह चूस रही है. आह मेरी जान, मजा आ गया।
अब मामा जोर जोर से मेरी बहन का मुंह चोदने लगे.
इतने में अम्मी जाग गई और बहन को मामा के साथ नंगी देखा तो बोली- भाई जान, ये क्या कर रहे हो? ये तो आपकी बेटी जैसी है. आपको शर्म नहीं आती? ये सब कब से चल रहा है?
अम्मी ने अमीरा को एक थप्पड़ मार दिया।
अमीरा रोते हुए अम्मी से- मुझे पता है आप और मामा रोज चुदाई करते हो. मैंने आप दोनों को कई बार चुदाई करते हुए देखा है। आप तो कई लंड खा चुकी हो मुझे सब पता है।
अम्मी रोते हुए- हां मैं तो रंडी हूँ, 100 लंड से ज्यादा खा लिए हैं। पर तू भी कोई पाकसार लड़की नहीं है। मैंने भी तुझे मोहल्ले के कई लड़कों से चुदाई करते हुए देखा है। कल ही तो बबला कारीगर का लंड खा के आई है ना? कम से कम हाफिज को तो छोड़ देती मेरे लिए! तेरे अब्बू के जाने के बाद से यही मेरा खसम है।
अमीरा गुस्से से- तो क्या हुआ? मेरी सील भी मामा ने तोड़ी है। ये मेरे भी खसम हैं।
इस पर अम्मी ने अमीरा को 2 थप्पड़ और लगा दिए।
अमीरा ने भी अम्मी को 1 थप्पड़ लगा दिया।
मामा दोनों को शांत करवाने लगे- आज से तुम दोनों मेरी बीवियां हो, अब मैं तुम दोनों के बिना नहीं रह सकता। अगर मेरी बात दोनों को मंजूर हो तो बोलो. वरना मैं दुकान मकान बेच के कहीं दूर चला जाऊंगा.
इस बात से दोनों घबरा गई और दोनों एक साथ मंजूर बोल पड़ी।
अम्मी- ठीक है, आज से आप हम दोनों के खसम हो. एक रात इसके साथ, एक रात मेरे साथ गुजार लेना।
अमीरा- अम्मी जब हम दोनों का एक ही खसम है तो बारी बारी से क्यों आज से हम दोनों मिल के अपने खसम को मजा देंगी।
अम्मी बहन को गले लगा के रोने लगी- मुझे माफ़ कर दे बेटी, मैंने तुझे मारा!
अमीरा ने भी रोते हुए कहा- अम्मी, मुझे भी माफ कर दे, मैंने भी आप पे हाथ उठाया.
फिर दोनों गले लगकर एक दूसरे को चूमने लगी।
अब दोनों गर्म होने लगी।
बहन तो पहले से नंगी थी, अब वह अम्मी को नंगी करने लगी।
अम्मी- बेटी, मुझे शर्म आ रही है।
अमीरा- ओहोओ आई बड़ी शर्माने वाली … आज से मैं तेरी बेटी नहीं सौतन हूँ।
अम्मी- रांड पहला हक़ तो मेरा है भाई जान पे!
अमीरा ने अब अम्मी का कुर्ता उतार दिया।
तो अम्मी के बड़े बड़े बूब्स आजाद होकर लहराने लगे।
अमीरा अम्मी के बूब्स चूसने लगी.
अम्मी- आह आह हाय बेटी आराम से … दिन को हरामी बबला ने पकड़ पकड़ के सुजा दिए हैं।
अब मामा नीचे से मेरी बहन की चूत चाटने लगा।
अमीरा- हाय्य आह मेरे राजा … और जोर से चाट … मजा आ रहा है। आज तो चूत में आग लगी हुई है।
उधर अम्मी ने भी नीचे आकर मामा का लंड पकड़ा और मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह मजे से चूसने लगी।
अब मामा अमीरा की चूत और अम्मी मामा का लंड चूस रही थी।
अमीरा से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था- साले कुत्ते के बच्चे भड़वे, अब तड़फा मत और फाड़ मेरी चूत को साले … अब नहीं सह सकती … जल्दी से लंड को डाल!
मामा ने अब लंड अम्मी के मुंह से निकाला और अमीरा की चूत में एक झटके से डाल दिया।
अमीरा की चीख निकल गयी- हाय मेरी मआआ आआ … मार दिया कुत्ते ने! फाड़ दी मेरी चूत … आआई ईईया मेरी माँ!
अम्मी मामा को डांटती हुई बोली- भाई जान आराम से करो. फाड़ोगे क्या मेरी सौतन की चूत?
मामा- इसकी चूत तो कब की फाड़ दी थी। ये तो रंडी ऐसे ही नखरे कर रही है। अब तो इस घर में एक और चूत सील पैक है।
अम्मी- वो तो अपने भाई से सील खुलवायेगी।
मैं अपना नाम सुनकर खुश हो गया।
अब मामा धीरे धीरे अमीरा को चोद रहे थे।
अम्मी अब अपनी चूत अमीरा के मुँह पे रख के चटवाने लगी।
अमीरा चूत चाटती हुई- अब जोर जोर से चोद हरामी … दिखा अपना दम! आह और जोर से … एआईई ईई आईई ओआह आह आहह हहह … मैं तो गयी मेरी जाआन!
अम्मी सिईईई ईई आहहहह हहा करती हुई अमीरा के मुंह मे झड़ गई.
हाफिज मामा भी अमीरा की चूत में झड़ गए।
अब सब हाँफ रहे थे।
थोड़ी देर में अम्मी तैयार हो गयी चुदाई के लिए- साली कुतिया तेरे को तो औजार का मजा आ गया. अब इसे दुबारा तैयार कर … मुझे भी औजार चाहिए … वरना शांति नहीं मिलेगी!
अमीरा ने मामा का लंड चूस कर फिर से तैयार कर दिया.
मामा अम्मी की चूत पे हाथ फेर रहे थे।
अम्मी की चूत का रस मामा के हाथ पे लगा तो मामा ने चाट लिया।
मामा- रहमत मेरी जान, घोड़ी बन जा. पहले तेरी गांड मरूँगा. वरना जल्दी से झाड़ेगा नहीं.
अम्मी घोड़ी बन गई।
मामा ने अपना लंड अम्मी की गांड में डाला और घपाघप चोदने लगा और अम्मी की गांड पे जोर जोर से थप्पड़ मारने लगा।
अम्मी आहें भरने लगी।
पूरा कमरा धप धप की आवाज से गूंजने लगा।
अम्मी- आह आहह हह हहआ आआई ईईया … अब आगे की गर्मी शांत कर दो भाई जान!
मामा ने अब अपना लंड निकाल के बहन को चूसने को कहा।
अमीरा- साले, इस पे तो अम्मी का गूं लगा हुआ है।
पर मामा जबरदस्ती अपना लंड बहन के मुंह में डाल दिया।
मामा के लंड को बहन मजबूरी में चाट के साफ कर दिया।
अब मामा अम्मी की टांगें अपने कंधे पर रखकर जोर जोर से चोदने लगे।
अम्मी ज्यादा टिक नहीं पाई और झड़ गई.
मामा ने अम्मी का रस पी लिया और फिर से चोदने के लिए चूत में लंड डालने लगे।
पर अब अम्मी ने मना कर दिया- अब मेरे राजा, मुझे माफ़ करो. मुझे कल काम पे जाना है।
मामा- मेरी जान, मेरा पानी तो निकाल दे।
अम्मी- लाओ हाथ से मुठ मार देती हूं।
मामा- दो दो रंडियाँ हों … फिर भी खसम को मुठ मारनी पड़े … यह तो शर्म की बात है।
अमीरा- अम्मी तुम सो जाओ, मामा के लंड को मैं सुला दूंगी।
अम्मी मामा के लंड को और अमीरा को चूम के नंगी ही मेरे पास सो गई।
उधार अमीरा मामा के लंड पे बैठकर मशीन की तरह ऊपर नीचे उछलने लगी।
मामा माँ बेटी सेक्स का मजा ले रहा था.
इधर मैं भी अम्मी को नंगी देख कर अपना छोटा लंड निकालकर अम्मी की गांड में डालने की कोशिश करने लगा.
पर अम्मी तो गहरी नींद में सो गयी थी।
मेरे लंड से पिचकारी निकल जाती है, वो अम्मी की गांड पे गिर गयी।
उधर मामा भी घपाघप अमीरा को पेल रहे थे.
कुछ देर में अमीरा अकड़ने लगी- आहहह आहहह … जोर से … और जोर से चोद मामा … मेरा होने वाला है।
मामा भी स्पीड बढ़ा दी.
अमीरा- आआई ईईया एआई ईईई आहहह में ईईई!
मामा- आह आह … मैं भी आया आय्य्यया आह!
तभी मामा का लावा अमीरा की चूत में निकल गया।
मेरी बहन भी मामा के साथ झड़ गई।
फिर बहन कपड़े पहन के महजबीं के साथ सो गयी।
मामा भी बाहर सो गए।
मैं भी अपनी पेन्ट में लंड डाल कर सो गया.
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.