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मैं एक बार फिर आप लोगों को मेरी Antarvasna ज़िन्दगी में हुई असली और सच्ची सेक्स कथा लिखने जा रहा हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं कोलकाता में एक आर्ट कॉलेज में पढ़ता था। मेरे साथ संपा दीदी पढ़ती थी जो मुझसे एक साल सीनियर थी।
अंडमान आइलैंड से हम दोनों ही थे हमारे कॉलेज में, इस लिए संपा दीदी मुझे अपनी भाई की तरह मानती थी। गर्मियों की छुट्टी शुरू होने वाली थी तो दीदी ने कहा- संजय चलो इस बार हम दोनों शिप (जहाज) से अंडमान जायेंगे!
मैंने कहा- ठीक है दीदी, मैं टिकेट ले लूँगा।
और फिर हम लोग निर्धारित दिन में जहाज में चढ़ गए।
कोलकाता से अंडमान आने के लिए 4 दिन लगते है। मैंने एक ही केबिन के टिकेट लिए थे। जहाज में चढ़ कर हमने खिड़की में से देखा कि शाम को 5.00 बजे जहाज बन्दर से छूटा और फिर धीरे धीरे कोलकाता का खिदिरपुर डॉक हमसे दूर होता जा रहा था। शाम के वक्त लाइट बहुत सुंदर दिख रही थी।
तभी दीदी ने कहा- भाई देखो कितनी सुंदर दृश्य नज़र आ रहा है, इस सीन का लैंड स्केप बना सकते है।
मैंने भी हाँ में हामी भरी। वक्त कटता गया, शाम के 7.00 बजे डिनर होता है जहाज में, इसलिए हम 7.30 तक डिनर खाकर अपने केबिन में आ गए। दीदी ने कहा- संजय! इस केबिन में तो चार सीट हैं फिर हम दोनों के अलावा और किसी को इस केबिन का टिकेट नहीं मिला क्या?
मैंने कहा- दीदी शायद जहाज खाली जा रहा है, इसलिए जहाज में लोग भी कम नज़र आ रहे हैं।
थोड़ी देर की खामोशी के बाद दीदी बोली- भाई इतनी जल्दी तो नींद नहीं आने वाली! चलो कपड़े बदल लेते हैं और फिर हम एक दूसरे के स्केच बनाते हैं। मैंने भी हाँ कहा और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक नेक्कर और बनियान पहनकर बेड में बैठ गया।
दीदी ने कहा- दरवाजा बंद कर दो।
और बाथरूम जाकर फ्रेश होकर एक स्कर्ट और हल्का सा टाप पहन कर बाहर आई। मैं देखता रह गया कि दीदी कितनी सुंदर लग रही हैं, इससे पहले दीदी को कभी इन कपड़ो में नहीं देखा था।
दीदी को पता चला तो बोली- संजय! क्या देख रहे हो? तुमको ठीक से मेरी फिगर दिखाई दे इसलिए ही इन कपड़ो को पहना है ताकि तुमको मेरी स्केच बनने कोई परेशानी न हो!
फिर हम दोनों एक दूसरे के स्केच बनाने लगे। मेरी नज़र तो बार बार संपा दीदी की छाती पर जाकर रुक जाती थी और मेरे लिए अपने लण्ड को हाफ पैन्ट में छुपाना मेरे लिए मुश्किल हो रहा था क्योंकि दीदी की उभरी हुयी चुंचियाँ टॉप के भीतर से झाँकने लगी थी। दीदी को शायद पता चला या नहीं अचानक दीदी ने कहा- भाई क्या हुआ तुमको? क्या देख रहे हो? क्या कुछ दिक्कत हो रही है स्केच बनाने में या ठीक से दिख नहीं रही है मेरी फिगर? चलो तुम्हारे लिए और थोड़ी एडजस्ट कर लेती हूँ, लकिन तुम भी अपना बनियान उतार कर बैठो, और फिर दीदी ने अपने स्कर्ट और टाप उतार दी।मेरी तो हालत ख़राब हो रही थी। पर मैं चुपचाप से दीदी की ब्रा में बंद उनके बड़े बड़े बूब्स को ही देख रहा था।
तभी दीदी ने कहा- क्या हुआ संजय? जल्दी से अपनी बनियान उतार दो, मुझे भी तो तुम्हारा स्केच बनाने है। और इस तरह क्या देख रहे हो? ठीक से स्केच बनाओ!
मैंने धीरे से अपने बनियान उतार दिया और फिर स्केच बनने लगा, पर मेरा लण्ड को हाफ-पैन्ट में छुप नहीं पा रहा था और मैं इधर उधर देखने लगा। शायद दीदी को मेरा लण्ड हाफ-पैन्ट में खड़ा होता दिख गया।
दीदी ने कहा- संजय! क्या हुआ? कभी इस तरह किसी लड़की को नहीं देखा क्या? तुम्हारी नियत तो ठीक है न?
मेरा झूठ पकड़ में आ रहा था मेरा लण्ड पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था।
‘क्या बात है… तुम्हारा मुंह लाल क्यूँ हो रहा है…?’
मेरी नजरों के सामने दीदी की ब्रा में उभरी हुयी चुंचियाँ के भीतर से झाँकने लगी। मेरी नजरें उनके स्तनों पर गड़ गयी। दीदी ने नीचे से ही तिरछी नजरों से उसे देखा… और मुझे गर्माते देख कर सीधे चोट की…’संजय… मेरी छाती में क्या देख रहे हो…झांक कर?’
‘हाँ… नही… क्या…?’ मैं बुरी तरह झेंप गया।
‘अच्छा.. अब मैं बताऊँ…कि क्या देख रहे हो तुम…’ मैं एकदम से शरमा गया।
‘दीदी… वो… नही… सो…सॉरी…’
‘क्या सॉरी… एक तो चोरी…फिर सॉरी…’
‘दीदी… अच्छी लग रही है देखने में…सॉरी कहा न ‘
मैं ‘हाँ… नही… क्या…?’ मैं बुरी तरह झेंप गया।
‘अच्छा.. अब मैं बताऊँ…कि क्या देख रहे हो तुम…’ मैं एकदम से शरमा गया।
‘दीदी… वो…नही…सो… सॉरी…’
‘क्या सॉरी… एक तो चोरी…फिर सॉरी…’
‘दीदी… अच्छी लग रही थी… सॉरी कहा न ‘
दीदी मेरे पाइंट पर से लण्ड के उभार को देख रही थी। मैंने ऊपर हाथ रख लिया।
‘नहीं देखो… इधर.. ‘ मैं शरमा गया। दीदी मुस्कुरा उठी।
‘तो कान पकड़ो…’
मैंने अपने कान पकड़ लिए… ‘बस…ना…’
हाथ हटाने पर लण्ड का उभार फिर से दिखने लगा। वो हंस पड़ी।
‘नहीं देखो… इधर.. ‘ मैं शरमा गया। वो मुस्कुरा उठी।
अब मुझे समझ में आ गया था कि खुला निमंत्रण है। मेरा लण्ड का पूरा आकार तक दिखने लगा था। मैं उठ कर दीदी के पास आ गया। मैंने उनके कंधे पर हाथ रखा और कहा-‘दीदी…तुम्हारे भी तो उभार हैं… एक बार दिखा दो…न…प्लीज़!’
मैंने दीदी की पूरे बदन को देखा और फिर अचानक ही… दीदी को बिस्तर पर चित लिटा दिया और उनकी पीठ पर सवार हो गया. वो कुछ कर पाती, उनके पहले मैंने उसको जकड़ लिया. मेरे लण्ड का जोर उनके चूतड़ों पर महसूस होने लगा था।
दीदी हलके से चीखी ‘संजू… ये क्या कर रहे हो…?’
‘दीदी… मुझसे अब नहीं रहा जाता है…!’
मैंने तुंरत ही उनके होंट पर अपने होंट रख दिए। मुझे लगा कि शायद दीदी को मजा आने लगा था।
मैंने उनके भारी स्तनों को पकड़ लिया और स्तनों को मसलना चालू कर दिया। वो सिमटी जा रही थी। पर मैंने हाथों से उनके उभारों को मसलना जारी रखा। वो अपने को बचाती भी रही…पर मुझे रोका भी नहीं। जब मैंने उनके उभारों को अच्छी तरह से दबा लिया तब उसने मुझे पीछे की ओर धक्का दे दिया और कहा -‘बहुत बेशरम हो गए हो…’
उनके हाथ से पेंसिल नीचे गिर गयी। वो जैसे ही उठ कर पेंसिल उठाने को झुकी, मैंने फिर से उनके स्तनों पर कब्जा कर लिया।
‘क्या हुआ… अब बस करो…छोड़ दो न… ये मत करो… संजू…हटो न ..?’
‘ अरे… हट जा न… हटो संजय…’
मना मत करो दीदी!’
‘देखो मैं चिल्ला पडूँगी ..’
‘नहीं नहीं…ऐसा मत करना… दीदी… प्लीज़ एक बार देखने दो न…!’
मैंने दीदी के नरम नरम गोल चूतड़ों को हाथ से सहला दिया। गोलाइयाँ सहलाते हुए अपना हाथ दोनों फाकों की दरार में घुसा दिया और फिर अपनी ऊँगली घुसा कर उनकी गांड के छेद को सहलाने लगा। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। दीदी वैसे ही झुकी रही। अब मेरे हाथ उनकी चूत की तरफ़ बढ गए।
वो सिहर उठी। जैसे ही उनकी चूत पैन्टी के ऊपर से दबी… चूत का गीलापन मेरे हाथ में लग गया। अब मैंने उनकी चूत को भींच दिया पर जल्दी से हाथ हटा दिया। और दीदी सीधी खड़ी हो गयी।
मैं मुस्कुराया ‘दीदी .. मज़ा आ गया… तुम्हें कैसा लगा…?’
‘अब तुम बेशरमी ज्यादा ही दिखा रहे हो… स्केच नहीं बनाने क्या…?’ दीदी भी मुस्कुरा कर कहा।
मैंने कहा- नहीं दीदी प्लीज़ मुझे अभी कुछ और करना है… और मैंने दीदी को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और उनकी पीठ के ऊपर फिर से बैठ गया और मैंने अपना नेक्कर उतार दिया और दीदी की पैन्टी भी उतार दी।
अब मैं और दीदी नीचे से नंगे हो गए थे। मैंने फिर अपने लण्ड को उनके चूतड़ों पर दबाया, दीदी ने भी चूतड़ों को ढीला छोड़ दिया…और मेरा लण्ड उनकी गांड के छेद से टकरा गया।
दीदी ने फिर कहा-‘ अब बस करो…छोड़ दो न… ये मत करो… संजू…हटो न…’
‘आह संजू… मत करो…न… देखो तुमने…क्या किया?’
‘दीदी ..कुछ मत बोलो…आज मैं तुम्हे छोड़ने वाला नहीं… मेरी अपनी इच्छा जरूर पूरी करूँगा!’
मुझे तो आनंद आ रहा था… मैंने अपने लण्ड को दीदी की गांड के छेद से रगड़ना शुरू किया, दीदी चुप रही।
फिर अचानक मैंने दीदी को सीधा कर दिया… और अपना लण्ड उनको दिखाया…’देखो न दीदी… अपनी गांड से इसका क्या हाल किया है तुमने…’
उसने कहा ..’देख संजय…मैं हाथ जोड़ती हूँ… मुझे छोड़ दे अब… प्लीज़ ..’
‘ दीदी…सॉरी… ये मेरे बस में नहीं है अब… मैं अब पूरा ही मजा लूँगा… तुमने मुझे बहुत तड़पाया है ..’
मैंने उनकी ब्रा के हुक खोल दिए, उनके बूब्स को देख कर मेरा लण्ड ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगा तब सबसे पहले मैंने उनके निप्पल को चूपा। उनके निप्पल भी बड़े सख्त हो रखे थे और मुझे भी उन्हें चूपने का बड़ा मज़ा आ रहा था।
फिर मैं उनके बूब्स को दोनों हाथों से ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा मेरे इस तरह करने से वो और ज़्यादा तड़पने लगी। तब मैंने उनकी चूत को देखा, उसकी चूत पर बाल नहीं थे और उनकी चूत बहुत मस्त लग रही थी। उनकी चूत को देख कर मेरे मुंह में पानी आ गया और मैं उनकी चूत को चाटने लगा। दीदी ज़ोर ज़ोर से चीखने लगी- आ आ आ आ ओ ऊ ऊ ओ ओ करने लगी
थोड़ी देर तक उनकी चूत चाटने के बाद मैंने देखा कि वो बहुत गरम हो चुकी थी लेकिन मैं उसको और गरम करना चाहता था इसलिए अब मैं अपने लण्ड को उनके पूरे बदन पर घुमाने लगा, पहले उनके चेहरे पर अपने लण्ड को लगाया फिर उनकी गर्दन पर, फिर उनके बूब्स पर, उनके निप्पल पर, उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह मैं अपने लण्ड को लगा रहा था। मेरे लण्ड से जो पानी निकल रहा था वो भी उनके पूरे बदन पर लग रहा था जिससे वो और ज़्यादा गरम हो रही थी। मैंने अपने लण्ड को उनके बूब्स के बीच में अच्छी तरह दबा दिया वो भी मेरे लण्ड को अपने बूब्स में रख कर ज़ोर ज़ोर से दबाने लगी।
8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड देखते ही उनके होश उड़ गए और वो कहने लगी कि नहीं संजू प्लीज़ मेरे साथ वो मत करना मुझे बहुत दर्द होगा। मैंने कहा- डरो मत दीदी मैं बिल्कुल दर्द नहीं करूँगा।
मगर वो मान ही नहीं रही थी।
तो मैंने उसको कहा कि क्या तुम मेरे इस हथियार को अपने मुंह में ले सकती हो?
उसने पहले तो मना किया पर फ़िर मेरे बार बार प्लीज़ कहने पर वो मान गई। अब वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं मानो जन्नत में था। उससे खूबसूरत लड़की को मैंने अपनी ज़िंदगी में नहीं देखा था और वो मेरा लण्ड चूस रही थी।
थोड़ी देर के बाद वो पूरे मज़े के साथ चुसाई का काम करने लगी और उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। फिर क्या था मैंने अपना सारा माल दीदी की मुँह में ही डाल दिया। दीदी को शायद ख़राब लगा और उन्हें उलटी आने लगी।
मैं जल्दी से उनकी चूत पर झुक गया। मादक सी गंध आ रही थी। मैंने धीरे से अपने होंठ उनकी चूत पर रख दिये। वो तिलमिला उठी मैंने अपनी जीभ उनकी चूत के होठों पर रख दी। वो सिसक पड़ी। होले होले मैं उनकी चूत की पूरी दरार चाटने लगा। वो तिलमिलाने लगी, तड़फ़ने लगी। मैंने अपनी जीभ की नोक उनकी चूत के छेद मे डाली और अन्दर तक ले गया। वो तड़फ़ती रही। मैं जोर जोर से चूत रगड़ने लगा। उनकी सिसकियाँ बढ़ने लगी। अब वो सारे बहाने छोड़ कर दोनों हाथो से मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगी। तभी वो काँपने लगी और उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं उसका सारा पानी पी गया।
मैंने देखा कि वो हाँफ रही है ओर मेरी तरफ़ देख रही है, मैंने उनके कान के पास जाकर फुसफुसा के कहा- दीदी अब बोलो तुम्हे कैसा लगा?
दीदी ने आँख खोली और गहरी साँस ली। मैं उनके ऊपर से नीचे आ गया, दीदी तुंरत बिस्तर पर से नीचे आ गयी। अब दीदी ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर लेट गई और मुस्कराया…उसने मुझे चूमना चालू कर दिया। एक हाथ नीचे ला कर मेरा मुरझाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी, मसलने लगी…
लण्ड ने फिर से अंगडाई ली और जाग उठा. दीदी अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी। कुछ ही देर में मेरा लण्ड चोदने के लिए तैयार था। दीदी मेरे ऊपर लेट गयी, अपनी दोनों टांगे फैला दी, लण्ड का स्पर्श चूत के आस पास लग रहा था। मैंने उनके होंट अपने होटों में दबा लिए। हम दोनों अपने आप को हिला कर लण्ड और चूत को सही जगह पर लेने की कोशिश कर रहे थे। उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ लिया। मैंने अपनी जीभ उनके मुंह में घुसा दी।
अचानक मेरे अन्दर आनंद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी। मेरा लण्ड फिर एक बार और मर्दानगी दिखने के लिए उतावला हो गया। मैंने बाजी पलटी और दीदी को नीचे लिटा दिया और कहा- दीदी एक बार असली खेल भी खेल लेते हैं फ़िर बहुत मज़ा आएगा।
वो फ़िर भी घबरा रही थी लेकिन अब की बार थोड़ा सा ही समझाने पर वो तुरंत मान गई और मैंने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर अपने लण्ड और उनकी चूत पर लगाया और अपना काम धीरे धीरे शुरू किया।
उसे बहुत दर्द हो रहा था और मेर लण्ड उनकी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर घुस गया। उनके मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल पड़ी…’संजू… अ आह हह हह हह… सी ई स स स ई एई…!’
एक धक्का मारा मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया।
वोह चिल्लाई- आआआआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह… संजू… धीरे!
उनके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लण्ड उनकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा, मैंने महसूस किया कि दर्द के मारे उनके आँखों से आंसू निकल आए थे। मैंने उनके गालो को चूम कर पूछा- ज्यादा दर्द हो रहा है..?’
उसने जवाब दिया ‘इस दर्द को पाने के लिए हर लड़की जवान होती है.. इस दर्द को पाए बिना हर यौवन अधूरा है!’
मैं उनके इस जवाब पे बस मुस्कुरा ही पाया क्योंकि मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही..
अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था।
वो मुझ में लिपटी हुई थी…और मैं उसे चूम रहा था…वो मेरे नीचे थी और अपने पैरों को मेरे कमर के इर्द गिर्द लपेटे हुए थी मानो कोई सर्पिनी चंदन के पेड़ को अपने कुंडली से कसी हो..अब मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार तेज कर दी… पूरे केबिन में मादक माहौल था… हमारी सिसकारियाँ ज़हाज के इस केबिन में ऐसे गूंज रही थी मानो जलजला आने से पहले बदल गरज रहे हो…
वो जलजला जल्द ही आया जब मैं अपने कमर की हरकतों की वजह से चरम सीमा पे पहुँचने वाला था .. उधर दीदी भी मुझे बोल रही थी…’.. संजू प्लीज और जोर से..और जोर से…मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही है ‘… मैं समझ गया कि वो भी चरम सीमा पे है…इस पर मैंने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी। देखते ही देखते हम उफान पर थे और सैलाब बस फूटने ही वाला था कि मैंने अपना लण्ड बाहर निकला और मानो मेरे लण्ड से कोई झरना फ़ूट पड़ा हो.. मैं वापस उनके बाँहों में निढाल हो गया ..
बहुत देर बाद जब मैं उठा और देखा कि संपा दीदी की जांघों पर खून गिरा है तब मैं समझ गया कि वो अभी तक अन्छुई थी .. मुझे ये देख कर अपने किस्मत पर गर्व हो रहा था और साथ ही साथ दीदी के बारे में सोचने लगा कि .. ऐसी लड़की नहीं थी कि किसी को भी अपना शरीर सौंप दे .. इतने दिनों से अकेले कोलकाता में रहने के बाद भी वो आज तक अन्छुई थी…
मैंने पास में पड़े तौलिए को उठाया और उनके बूर के ऊपर लगे खून को साफ़ करने लगा। जब खून साफ़ हुआ तो मैंने एक बात गौर की और मुस्कुराने लगा।
दीदी ने मुझ से पूछा कि’… तुम क्या सोच कर मुस्कुरा रहे हो ..?’
मैंने उनके बिल्कुल बिना बाल के गुलाब की पंखुड़ियों सी योनि-लबों को चूम कर के बोला… ‘ दीदी सच बताऊँ तो .. मैंने तुम्हारी बूर अभी तक नहीं देखी थी.. और साफ़ करते वक्त अभी ही देखा…!’
और हम दोनों हंस पड़े..
उस दिन से अगले 4 दिन तक आप समझ ही सकते है कि हमारे सैलाब में कितनी बार उफान आई होगी.. जब तक हम अंडमान नहीं पहुँचे।
दोस्तों आप लोगो को मेरी कहानी कैसी लगी अपनी राय मुझे जरूर भेजे। Antarvasna
वर्जिन गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी में मेरी नजर एक लड़की पर थी पर मेरी दोस्ती उसकी बहन से हो गयी. लेकिन फिर भी मैं उसी लड़की को पसंद करता था.
दोस्तो, मेरा नाम नोनू है. यह नाम मेरी जान ने रखा है.
मैं हापुड़ उत्तर प्रदेश का रहने वाला हूँ.
मैं लॉ पोस्ट ग्रेजुएट हूँ. मेरी हाईट 5 फुट 4 इंच है और रंग साफ है. देखने में भी मैं ठीक ठाक हूँ.
आज मैं आपको एक खुद की सेक्स कहानी बता रहा हूँ, यह वर्जिन गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी बिल्कुल सच है.
दोस्तो, वैसे तो मेरा अफेयर बहुत सारी लड़कियों के साथ रहा है और मैंने कई लड़कियों के साथ सेक्स भी खूब किया है.
लेकिन आज जो मैं आपको बताने जा रहा हूं, वह उस लड़की की है … जिसे आज मैं सच्चे दिल से प्यार करता हूँ.
यह बात उन दिनों की है, जब मैं एलएलबी के पहले साल में था और वह 12वीं में थी.
उसका नाम कशिश था. नाम की तरह उसमें भी बहुत कशिश थी.
वह लगभग 5 फुट हाईट की, एकदम साफ परियों की तरह सफेद रंगत वाली लड़की है, उसकी 32-28-34 की साइज है.
कशिश के बाल बहुत लंबे हैं, जो उसके चूतड़ों से भी नीचे झूलते हैं.
वह देखने में किसी हसीना से कम नहीं लगती है.
शुरूआत में जब मैं उसको देखता था तो देखता ही रह जाता था.
मैं उसे बहुत पसंद करता था और उसे अपनी जीएफ बनाना चाहता था.
लेकिन मेरे दोस्त मुझे बताते थे कि वह मुझसे बहुत जलती है. वह मुझसे कभी बात ही नहीं करेगी.
मैं फिर भी उसके पीछे पड़ा रहता था.
कहानी में एक अजीब सा मोड़ तब आया, जब मेरी बात उसकी चचेरी बहन से हो गई.
वह लड़की ज्यादातर समय कशिश के साथ ही रहती थी.
अब मेरी बातें उसकी बहन से होने लगी थीं तो कशिश भी हमारी बातें सुनती थी.
मेरी बातें तो उसकी बहन से होती थीं लेकिन मेरे मन में हमेशा कशिश ही रहती थी.
मैं हमेशा सोचता था कि कैसे कशिश से अच्छे से बात हो जाए.
काफी समय गुजर गया, मेरी उससे बोलने की हिम्मत नहीं हुई.
उसकी बहन भी उसके बारे में मुझे बताती रहती थी कि कशिश तो उससे कहती है कि तुम उससे बात करो.
जब उसकी बहन मुझे कशिश के मन की बात बता दी थी तो पता नहीं क्यों मुझे अन्दर से कुछ बेताबी सी महसूस होने लगी थी कि क्यों न कशिश से जल्दी से जल्दी बात की जाए.
कशिश की बहन मुझे यह भी बताती थी कि कशिश तीन चार लड़कों से एक साथ बात करती है और सभी को पागल बनाती है.
लेकिन मेरा दिल नहीं मानता था. मैं हमेशा उसी के बारे में सोचता था.
एक दिन जब मुझे मौका मिला तो मैंने किसी तरह से कशिश से अपना नंबर शेयर किया.
मुझे लगा उसने मेरा नंबर ले लिया है.
लेकिन मेरी किस्मत खराब थी.
वह मेरे नंबर के कुछ अंक भूल गई जिस वजह से वह मुझे कॉल ना कर सकी.
जबकि मुझे उसकी कॉल का इंतजार था.
इसी बीच उसकी बहन मेरे एक फ्रेंड से बात करने लगी और उसने उसके साथ सेक्स भी किया.
जब मुझे इस बारे में पता लगा, तो मैंने उसे छोड़ने का फैसला कर लिया.
मैंने निश्चय कर लिया कि अब कुछ भी हो जाए, मुझे उससे बात नहीं करनी.
उसी दौरान मेरे पास कशिश का फोन आया.
वह बोली- अब तुम मेरी बहन से बात क्यों नहीं करते?
मैंने उसे बताया- तुम्हारी बहन फ्रॉड है. वह कई लड़कों से एक साथ बात करती है.
वह कहने लगी- ऐसा नहीं है, वह सिर्फ तुमसे बात करती है.
मैंने उससे साफ-साफ बोल दिया- मुझे तुमसे बात करनी है. अब तुम बताओ तुम मुझसे बात करोगी या नहीं?
लेकिन उसने मुझसे कहा- मैं तुमसे बात नहीं करूंगी क्योंकि मेरे इंटर के एग्जाम आने वाले हैं और मैं इस चक्कर में पड़ना नहीं चाहती.
उसकी बातों से मैं जान चुका था कि उसके मन में भी कुछ चल रहा है.
मैंने उससे कहा- मगर मुझे तुमसे ही बात करनी है.
उसने मना कर दिया.
उसका मना करने का भी एक कारण था.
वह कारण मुझे बाद में पता चला.
जब वह मुझसे बात कर रही थी तो उसकी बहन उसके पास ही बैठी थी, वह मेरे साथ ड्रामा कर रही थी.
पर वह कहते हैं ना कि कभी कभी मजाक भी हकीकत बन जाती है.
ऐसा ही मेरे साथ हुआ.
मेरी उसके साथ बात करने की जिद उस पर असर कर गई.
उसने दो दिन के बाद अपने फोन से मुझे कॉल की और वह मुझसे बात करने लगी.
अब हम दोनों रोज बात करने लगे थे.
बात करने से ऐसा मालूम होता था जैसे यह लड़की रोमांस से अनजान है. सेक्स के बारे में शायद कुछ नहीं जानती है.
वह बहुत ही साधारण तरीके से बात करती थी.
मुझे ऐसा लगता था जैसे कशिश के अन्दर सेक्स वाला हिस्सा है ही नहीं.
हम दोनों ने लगातार दो महीने तक बात की लेकिन उसने कभी भी कोई सेक्सी बात नहीं की … और ना ही मुझे करने दी.
एक बार तो मेरे साथ ऐसा भी हुआ कि रात को उसके घर पर कोई नहीं था तो उसने मुझे अपने घर पर बुला लिया.
मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि आज तो मेरी सारी तमन्ना पूरी हो जाएगी, जो मैं चाहता था … वह मैं सब कुछ करूंगा.
लेकिन दोस्तो मेरी ये खुशी ज्यादा देर तक न टिक सकी.
मैं लगभग 4 घंटे तक उसके साथ रहा.
लेकिन उसने मुझे सेक्स करने से बिल्कुल मना कर दिया.
कशिश ने साफ बोल दिया- मैं अपनी लिमिट पार नहीं करूंगी, केवल किस ही करूंगी और करवाऊंगी.
मैंने काफी कोशिश कर ली पर कशिश टस से मस नहीं हुई.
उस रात हमने बहुत किस की लेकिन आगे कुछ नहीं किया.
उसके बाद मैं घर वापस आ गया.
हम दोनों बात करते रहे और ऐसे ही चलता रहा.
मैं उससे रोज सेक्स करने के लिए मनाता था लेकिन वह हमेशा मना कर देती थी.
ज्यादा जिद करने पर वह बोल देती थी मैं जब भी सेक्स करूंगी तो सिर्फ अपने शौहर के साथ ही करूंगी.
उसकी यह बात मुझे बहुत बुरी लगती थी.
यूं ही 2 साल गुजर गए, उसने मुझे अपने ऊपर हाथ रखने नहीं दिया.
उधर उसका यौवन दिनों दिन खिलता जा रहा था.
वह देखने में एकदम चंचल शोख हसीना लगती थी.
जब भी मैं उसे देखता था तो मेरा मन मचल जाया करता था.
मैं उसे हमेशा अपने सपनों में चोदता रहता था.
लेकिन मुझे उसे चोदने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो रहा था.
मैं हमेशा यही सोचता था कि कैसे कशिश की कशिश मिटाऊं … इसे अपनी बांहों में लाऊं और इसकी सील तोड़ी जाए.
लेकिन वह कभी भी मानने को तैयार नहीं थी.
इस बीच हम दोनों कई बार किस कर चुके थे.
जब जब मैंने उसे किस की थी, तो मैंने उसके मम्मों को भी चूमा था और पेट को भी चूमा था.
इसी वजह से मेरे अन्दर उसे चोदने की आग और ज्यादा बढ़ गई थी.
मैं हमेशा यही जुगाड़ लगाता रहता था कि कैसे भी करके कशिश को चोदना है.
मैंने भी हिम्मत नहीं हारी और उसके साथ कोशिश करता रहा.
एक दिन ना जाने कैसे, उसे मुझ पर रहम आ गया और उसने हां कर दी.
फिर मैंने उसे अपने फ्रेंड के घर पर बुलाया और उससे कहने लगा- आज हम दोनों खुल कर सेक्स करेंगे.
पहले तो उसने मना किया, वह कहने लगी कि मैं सेक्स नहीं करना चाहती हूँ.
मैंने कहा कि अगर कशिश तुम सेक्स करना नहीं चाहती, तो कोई बात नहीं लेकिन तुम मेरे पास तो आओ. हम दोनों एक किस तो कर सकते हैं!
किस करने के लिए वह राजी थी.
किस का नाम लेते ही वह मेरे पास आई और मेरी बांहों में सिमट गई.
वह मुझे हग करके बोली- जान किस तो तुम कितनी ही कर सकते हो, मैं किस के लिए तुमको कभी मना नहीं करती हूँ.
इतना कहकर कशिश ने मेरे होंठों से अपने होंठ लगा दिए और चूमने लगी.
उस दिन वह कहने लगी- मेरी जान मेरे होंठों को तो तुम मन भरके पियो.
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया और उसके रस भरे होंठों को पीने लगा.
उसके होंठ गुलाब की पंखुड़ी की तरह कोमल थे, जिन्हें मैं बहुत मजे लेकर चाट रहा था और पी रहा था.
जैसे ही मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर रखे, वह आउट ऑफ कंट्रोल हो गई और एकदम से ढह गई.
वह मादक भाव से कहने लगी- सोना, यहां किस मत करो, मुझे कुछ कुछ होता है.
अब मुझे उसकी कमजोरी पता चल गई थी.
मैं उसके होंठों जगह उसकी गर्दन को चूमने लगा और उसके अन्दर गर्मी पैदा होने लगी.
वह जल बिन मछली की मचलने लगी और मुझसे चिपकने लगी, मुझे अपने जिस्म में समाने लगी.
मुझे खुलकर खेलने का मौका मिल गया था.
मैं भी आगे बढ़ने लगा.
मेरा एक हाथ उसके मम्मों पर था.
मैं उसके बूब्स को दबाने लगा तो वह और ज्यादा मचलने लगी.
मैं उसकी गर्दन पर किस किस करते करते चूचों पर भी किस करने लगा.
जैसे ही मैंने उसके मम्मों पर अपने होंठ रखे, तो वह मदहोश होकर बोलने लगी- अब कितना तड़पाओगे मेरी जान!
मैंने उसके बूब्स को बहुत पिया, उसके मम्मों को पीने मुझे बहुत मजा आ रहा था.
मैं काफी देर तक उसके मम्मों को पीता रहा और उसे मजे देता रहा.
अब वर्जिन गर्लफ्रेंड सेक्स के लिए आउट ऑफ कंट्रोल हो रही थी.
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए उसकी सफेद रंग की सिलेक्स को अपने हाथों से उतार दिया.
उसने मुझे रोकने की कोशिश की लेकिन वह खुद बहुत मदहोश ही गई थी, चाह कर भी मुझे रोक नहीं पाई.
मैंने मौका पाकर उसकी काली की पैंटी भी उतार दी.
जब मैंने उसकी चूत को पहली बार देखा तो मैं देखता ही रह गया.
यकीन मानना दोस्तों मैंने बहुत चूत देखी थीं, लेकिन मैंने ऐसी चुत आज तक नहीं देखी थी.
उसकी चूत एकदम सफाचट थी. बाल तो मानो उसकी चुत पर उगे ही नहीं थे, शायद वह वैक्स करके आई थी.
उसकी चूत किसी विदेशी लड़की के जैसी गुलाबी थी.
इससे पहले मुझे जितनी भी चुत चोदने का अवसर मिला था, वे सब कहीं न कहीं देसी चुत की तरह जामुनी रंगत वाली चुत थीं.
मैंने कशिश के जैसी चूत आज तक नहीं देखी थी.
मैं तो उसकी चूत को देखकर पगला सा गया था.
मेरा लंड अकड़ गया और उसकी चूत में जाने के लिए उतावला होने लगा था.
अब मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था.
उसका भी यह पहली बार का मामला था, तो मुझे कुछ संभल कर सेक्स करना था.
मुझे डर था कि कहीं कुछ उलटा सीधा ना हो जाए.
मैंने उसकी चूत को किस करने का सोचा.
तो वह शर्माने लगी और बोली- ऐसा मत करो, मुझे अच्छा नहीं लगता है.
मैंने उसकी बुर पर थोड़ी देर तक किस किया, तो कशिश तड़पने लगी और चुदासी हो गई.
मैं भी ज्यादा देर ना करते हुए उसे चोदने को तैयार हो गया.
मैंने उसको अपने सामने सही पोजीशन में सैट किया, उसकी दोनों टांगों को खोल कर अपने लंड का टोपा उसकी चूत पर लगा दिया.
जब उसकी चूत पर टोपा लगा, तो वह सहम गई और बोली- थोड़ा आराम से करना!
मैंने कहा- चिंता मत करो, सब कुछ ठीक ही होगा.
वह लंड के टोपे की गर्मी से बुर को रगड़ने लगी.
मैंने देर ना करते हुए उसकी चूत के अन्दर अपना लंड डालना शुरू कर दिया.
जैसे ही मेरा लंड उसकी चूत में घुसा तो वह एकदम से तड़फ उठी और रोने लगी.
उसकी चूत बहुत टाइट थी, मेरा लंड अन्दर नहीं जा रहा था.
फिर मैंने एक जोर से धक्का लगाया तब मेरा लंड बड़ी मुश्किल से उसकी चूत में घुस तो गया लेकिन उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
वह छटपटा रही थी और बिलख सी रही थी.
मैंने मजबूरी में अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और देखा तो मेरा सारा लंड खून में लथपथ था.
उसने भी खून देखा, तो वह भी घबरा गई और बोली- ये क्या हो गया?
मैंने उसे बताया- तुम खून की चिंता ना करो, ऐसा पहली बार में होता ही है.
वह भी शायद इस बात को जानती थी कि कुंवारी बुर पहली बार की चुदाई में फटती है तो खून निकलता ही है.
मैंने अब दुबारा से उसकी बुर में अपना लंड डाला, तो वह फिर से रोने लगी.
वह बोली- मुझसे नहीं होगा बाबू, तुम मुझे छोड़ दो … मुझे घर जाने दो!
मैंने कहा- अभी रुको मेरी जान, थोड़ा साथ दो, तुम्हें भी बहुत मजा आएगा. सभी लड़कियों के साथ शुरू शुरू में कुछ देर दिक्कत होती ही है.
वह चुप हो गई.
अब मैंने धीरे धीरे अपने लंड को अन्दर तक पेला और उसे आगे पीछे करने लगा.
वह लंड से होने वाले दर्द से मुक्त हो गई थी तो उसने खुद से कमर को हिलाना शुरू कर दिया.
यह देख कर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी.
अब उसे भी चुदवाने में मजा आने लगा.
वह गांड उठा कर मजे लेती हुई चुत चुदवाने लगी.
मेरा लंड भी अब उसकी चूत में आराम से अन्दर बाहर हो रहा था. मुझे बहुत मजा आ रहा था.
करीब दस मिनट तक चोदने के बाद मेरा लंड झड़ने वाला हो गया था.
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उसे जोर जोर से चोदने लगा.
उसे भी बहुत मजा आ रहा था, तो उसके मुँह से आह आह उह की आवाज निकल रही थी.
मैंने उससे कहा कि अब मैं होने वाला हूँ, तो उसने कहा कि हो जाओ, मैं तो हो गई.
मैं यह सुन कर उसे और ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा और उसी दौरान मैं डिस्चार्ज हो कर उसके ऊपर ही निढाल हो गया.
मैं थक कर उसी के ऊपर गिर गया था.
उसने मुझे अपने ऊपर से उठाते हुए कहा- चलो हटो बाबू, अब मुझे जाने दो … बहुत देर हो चुकी है.
मैं हट गया.
उसने उठ कर जल्दी से कपड़े पहने और बाहर निकल कर अपने घर चली गई.
घर जाकर वह टॉयलेट गई, तो उसकी चूत से खून निकला.
वह घबरा गई और उसने मुझे कॉल करके कहा- तुमने ये क्या कर दिया, मेरी सुसू में से खून आ रहा है.
मैंने कहा कि अभी अभी तुम्हारी सील टूटी है, तो ऐसा होता है. तुम चिंता ना करो … कोई दिक्कत नहीं है.
अगले दिन से वह सामान्य हो गई.
फिर एक बार लंड का चस्का लगता है तो चुत बार बार लंड के लिए तड़फने लगती है.
कशिश के साथ भी यही हुआ.
अब हम दोनों बहुत ज्यादा सेक्स करने लगे हैं … और चुदाई के बहुत मजे लेते हैं.
मेरी उम्र २५ साल है, पेशे Sex Stories से एक डॉक्टर हूँ। कॉलेज ख़तम किये छः महीने ही हुए हैं। मैंने अपनी डिग्री शिमला से की है। मैं कॉलेज से ही उम्र में बड़ी उम्र की औरतों का बहुत शौकीन हूँ।
एक बार मैं घर से शिमला जा रहा था बस में। रास्ते में एक बहुत खूबसूरत लड़की बस में चढ़ी और मेरे सामने वाली सीट पर बैठ गई। रंग एकदम गोरा और भरी भरी काया ! बस फिर क्या था, मैं सोचने लगा कि कैसे उसके साथ बैठूं !
एक स्टाप पर जाकर जब बस रुकी तो मैं कुछ लेने के बहाने बस से उतरा और उसे कहा कि मेरी सीट का ख्याल रखे। पर जब मैं वापिस चढ़ा तो वहाँ कोई मोटा सा अंकल बैठा हुआ था। बस मैं उसे भला बुरा कहता हुआ उस लड़की के साथ बैठ गया।
अब वो मुझे घूर कर देखने लगी। मैं भी चुपचाप उसे अनदेखा करके बैठ गया। फिर धीरे से उसकी तरफ देखा, उसके स्तन उसके बिन बाजू के ब्लाऊज़ से दिख रहे थे। मैं अपने आप पर काबू न कर पाया और मेरा लण्ड झटके मारने लगा।
पर जैसे उसने मुझे घूर कर देखा, मेरी हिम्मत नहीं हुई दोबारा उसकी आँखों में देखने की।
करीब एक घंटे बाद उसने मुझे खुद बोला- मैंने आपको पहले कहीं देखा है !
मैं सकपका गया। मैंने पूछा- कहाँ?
वो बोली- नहीं जानती, पर देखा ज़रूर है।
मेरे दिल में ख़ुशी के लड्डू फूट रहे थे।
मैंने उसे कहा- शायद आपने मुझे मेडिकल कॉलेज में देखा होगा।
तब वो बोली- हाँ ! मैं अपनी बहन को चेक करवाने आई थी।
बस फिर क्या था, बातों का सिलसिला शुरु हो गया। अब मैं समझा कि वो मुझे घूर कर देख नहीं रही थी बल्कि पहचानने की कोशिश कर रही थी।
जब उसने मुझे बताया कि वो दो बच्चों की अम्मा है तो मैं हक्का-बक्का रह गया।
फिर उसने मुझे अपनी सारी कहानी सुनाई कि कैसे उसकी शादी छोटी उम्र में हो गई और उसका अकेलापन।
जैसे कोई मरीज डॉक्टर से कोई बात नहीं छुपाता वैसे ही वो अपनी हर बात बताती गई!
और मैं भी एक अच्छे डॉक्टर की तरह उसकी हर बात सुनता गया।
जब वो बस से उतरी तो उसने मुझे अपना फ़ोन नम्बर दिया और अपने घर की तरफ चली गई और मैं अपने हॉस्टल की तरफ !
तब तक मेरे दिमाग में कुछ भी उल्टा सीधा नहीं था। अब घर से इतने दिनों बाद आया था तो दोस्तों के साथ मिलकर शाम को थोड़ी सी शराब पी ली और फिर अपने कमरे में सोने चला गया। तभी मेरी आँखों के सामने नीरू का चेहरा घूमने लगा (नीरू जो लड़की मुझे बस में मिली) उसके गोल मटोल स्तन, उसकी दिल को चीर देने वाली हँसी, उसका भोला सा चेहरा और उसकी भारी गाण्ड ! यह सब मेरी आँखों के सामने घूमने लगे।
मैंने मोबाइल निकाला और लगा दिया नंबर !
रात के १२ बज रहे थे, मैंने सोचा कि वो सो गई होगी तो मैंने फ़ोन काट दिया।
थोड़ी देर बाद उसका फ़ोन आया और मुझे पूछने लगी कि फ़ोन क्यूँ किया?
मैंने कहा- बस तुम्हारी याद आ रही थी, इसलिए कर लिया। पर सॉरी मुझे समय का ख्याल नहीं रहा !
वो बोली- नहीं ! मैं जाग रही थी !
मैंने पूछा- वो क्यूँ?
वो बोली- बस मुझे भी तुम्हारी याद आ रही थी !
बस मेरा मन खुश हो गया। थोड़ी देर और बातें चली और उसने बताया कि वो अकेली सोती है अपने पति के साथ नहीं।
इस तरह मैंने उसे अगले दिन मिलने के लिए बुला लिया।
वो दूसरे दिन ठीक मेरे बताये हुए समय पर पहुँच गई जब हॉस्पिटल बंद होने का वक़्त होता है।
मैंने उससे पूछा- कहाँ चलें?
वो बोली- तुमने बुलाया है ! तुम हो ले चलो कहीं भी !
मैं अपनी फुद्दुपंथी पे इतना पछताया कि किसी कमरे का इंतजाम भी नहीं किया था मैंने।
मैंने नहीं सोचा था कि वो आते हो मुझसे ऐसे बोलेगी, पर क्या कर सकते थे, मैं उसे हॉस्पिटल के पीछे एक सुनसान जगह पर ले गया और कहा- तुम बहुत खुबसूरत हो नीरू ! मैं तुम्हें चाहने लगा हूँ !
तो वो यह बात सुन कर डर गई और बोली कि उसके दो बच्चे हैं और वो उनसे बहुत प्यार करती है। वो इन बन्धनों से बंधी हुई है।
पर मेरे उसे समझाने पर कि मैं किसी को नहीं पता लगने दूंगा हमारे बारे में, उसने मुझे चूमने दिया। धीरे धीरे मैं उसके वक्ष को चूमने लगा। मुझे पता हो नहीं चला कब मेरा हाथ उसके पिछवाड़े पर चला गया और वहां उंगली करने लगा।
वो बहुत उत्तेजित हो गई थी। वो मुझसे छिटकते हुए बोली- बस, बहुत हो गया ! तुम हद पार कर रहे हो !
वैसे बात भी सही थी, वहां कोई भी आ सकता था। मैंने उसे जाने दिया और वो भागते हुए वहाँ से चली गई।
फिर रात को मैंने उसे फोन किया और अपने किये पर सॉरी बोला। उसे मिलने के लिए बुलाया फिर से !
पहले तो उसने ना-नुकुर की पर उसके दिल में जो मेरे लण्ड को चखने की चाह थी, शायद वोही खाज उसे मेरे पास मिलने के लिए ले आई।
इस बार मैं पूरी तरह से तैयार रहना चाहता था। वो बुधवार का दिन था और मैं बुधवार को नॉन-वेज़ खा लेता हूँ। वो आई और चुपचाप मेरे साथ चलने लग पड़ी। हम मेरे दोस्त के कमरे पर पहुंचे, हॉस्टल तो ले जा नहीं सकता था नहीं तो जोर आजमाइश वाला चोदन हो जाता उसका।
कमरे पर पहुँचते हो मैंने उसका पर्स एक कोने में फ़ेंक दिया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया। वो थोड़ा शरमाई।
मैंने पूछा तो बोली- डर लगता है !
मैंने उसे कहा- दो बच्चों की माँ होकर डर लगता है तुझे?
तो बोली- यह बात नहीं है ! डर लगता है कहीं तुमसे प्यार न हो जाए !
मैंने उसे समझाया कि डरने की कोई ज़रूरत नहीं है, देख, मैं ठहरा अकेला लोंडा अभी, और कल को मेरी शादी हो जायेगी, और मैं हूँ डॉक्टर तो सोसाइटी में तो कभी नहीं पता लगने दूंगा। बाकी सब तुम पर है कि तुम सुख चाहती हो या नहीं !
वो यह सब सुनते हो मेरी बाँहों में लिपट गई, मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया और न जाने कब उसके स्तन मेरे हाथों मैंने आ चुके थे, और मैं पहुँच गया स्वर्ग वाटिका में।
धीरे-धीरे मेरा हाथ उसके नाड़े की तरफ बढ़ गया। मैंने हलके से उसका नाड़ा खींच दिया। जिस काले सूट की मैं तारीफ कर रहा था वो अब बेडशीट का काम कर रहा था और उसकी लाल कच्छी आवाज़ दे दे कर मुझे बुला रही थी कि आओ और मुझे उधेड़ दो।
मेरे लण्ड का आकार जो कभी ७ इंच से बड़ा नहीं हुआ था, आज १ इंच ज्यादा होने की दौड़ में था।
वो मेरे ऊपर अपने भारी पिछवाड़े को सटा कर बैठी हुई थी। मैंने उसके नंगे स्तन अपने मुँह में लेकर जैसे हो चबाये कि वो सिस्कारियां भरने लगी, उसकी ऐसी आवाजें सुनकर मेरा बुरा हाल हो गया। मेरा लण्ड तो मानो जैसे सुन्न हो गया। बस मुझे तो उसका भरा हुआ शरीर ऐसे लग रहा था कि एक एक हिस्सा खा जाओ।
उसकी मेमने की तरह गदराई हुई फुदी के सुनहरे बाल !
उन्हें अपनी जीभ से सहलाते हुए मैं फुदी के द्वार पर पहुंचा, पर वहीं पर उसने मुझे रोक लिया और वो सी सी सी करती हुई मुझसे लिपट गई, मेरे कान में धीरे से फुसफुसाती हुई बोली- इतनी ख़ुशी इकट्ठी मत दो कि मैं संभाल न पाऊँ !
इससे पहले वो कुछ और बोल पाती उसकी आँखों से आंसू बह निकले, उधर आँखों से आंसू और इधर फुदी से आंसू !
अब मैं समझ नहीं पा रहा था मैं किन आंसुओं पर ध्यान दू..
फिर मैंने चुने फुदी के आंसू और अपनी दो उँगलियों से उसकी फुदी सहलाने लगा और उसे औंधे मुंह लेटा कर अपना लण्ड-बाबा उसकी फुदी पे लगाया। मेरा लण्ड उसके अंदर जाता गया और वो मेरी तरफ धक्के लगाते हुए और अंदर अंदर, बस थोड़ा और, सी सिस इस सी ,, उईईईम उइंमा बस थोड़ा और बस थोड़ा और,,,, आज मुझे मत छोड़ना अधूरी….
मैं बरसों की प्यासी हूँ ! मुझे भर दो अपने गरम लौड़े से…
इतना कुछ सुनने के बाद भी मेरा लण्ड था कि बस लगा हुआ था बुरी तरह से… तभी नीरू पूरा जोर लगा कर मुझे अपनी और खींचने लगी… मैं समझ गया कि वो झड़ रही है… मैंने सोचा फटाफट अपना काम भी निपटा लो वरना फिर उसे पता नहीं कब इतनी पॉवर आये, पहले तो मैं उसे खाना चाहता था, पर अब शायद वोही मुझे खा रही थी… उसकी सिस्कारियों के दौरान मेरी चमड़ी पे उसने अपने नाखूनों से कई घाव कर दिए थे, बहुत जंगली थी वो…
तो दोस्तो, मैंने कई बार मजे लिए उससे पर मैं उसे आज भी नहीं भूल पाया हूँ….. वो जहाँ भी रहे खुश रहे…हमे मिले हुए पूरा एक साल हो गया है… मैं आज भी उसे याद करता हूँ… और इसी तलाश में हूँ कि वैसी कोई मस्त फुदी फिर मिल जाए …
आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे ज़रूर लिखें… Sex Stories
ठको, यह मेरी पहली कहानी है, जो मैं Antarvasna Sex Stories अपनी सहेलियों की मदद से लिख रही हूँ … इसमें कुछ तो वास्तविक है … और कुछ कहानी को दिलचस्प बनाने के लिये अलग से अंश जोड़े गये हैं।
सर्वविदित है कि जवानी बड़ी जालिम होती है। ये जाने लड़कों और लड़कियों से क्या क्या करवा बैठती है। मुझे भी अपने कॉलेज के समय में एक लड़के से दोस्ती हो गई थी। उसका नाम सुधीर था। हम लोग मिलने के लिये अक्सर एक झील के किनारे आते जाते थे। यूं तो वहा कितने ही जोड़े आते थे। पर वो सभी अपने आप में व्यस्त रहते थे। हम लोग वहां बस चाट और ठण्ड़ा ही लेते थे और बस यूँ ही बतिया कर चले आते थे।
पर हां, मेरे दिल में अब कुछ कुछ होने लगा था। मैं आज से चार साल पहले चुदाई का लुफ़्त उठा चुकी थी, पर फिर मै डर गई थी कि यदि मुझे गर्भ रह जाता तो क्या होता? पर नहीं हुआ। फिर कुछ दिन और चुदाया पर सावधानी रखी। आज फिर दिल में कुछ ऐसा ही हो रहा था। पर आजकल मैं भी औरों की तरह पिल्स के बारे में जानती थी, और साथ में रखती थी।
एक दिन एक अच्छी अंग्रेजी पिक्चर देखने का सुधीर ने प्रोग्राम बनाया । कहता था कि मस्त मूवी है … मजा आ जायेगा। कॉमेडी मूवी थी। मैं उसका मतलब खूब समझ रही थी। वो हॉल में मुझसे खेलना चाहता था। जैसे ही मुझे ये लगा, मेरी चूत में पानी उतर आया। मैं मजे लने के लिये तैयार थी। मेरी चूंचिया मसलवाने के लिये तड़प उठी। मेरी चूत में कोई अंगुली करे … हाय ये सोच कर मेरा शरीर वासना से भर उठा।
हम दोनों हाल में गये और एक कोने में बैठ गये … कम ही लोग थे। सुधीर बहुत ही उत्तेजित लग रहा था। बार बार मूवी की तारीफ़ कर रहा था। मुझे भी लगा कि जरूर मूवी अच्छी ही होगी। मूवी चालू हो चुकी थी। मुझे अंग्रेजी कम ही आती थी सो चुपचाप बैठी रही। सो सब कुछ सर के ऊपर से निकल रहा था। जब सब हंसते तो मै भी हंस देती थी। जोश में सुधीर मुझे हंसते हुये कभी पीठ पर मार देता था कभी कंधे पर। पर अब तो उसने मेरा हाथ भी पकड़ लिया था। मुझे झुरझुरी आने लग गई थी। मैं अपने आप को हर प्रकार से तैयार कर चुकी थी। मुझे लगा कि वो जल्दी से मेरी चूंचियाँ दबा दे … हाय राम … मेरी चूत में अंगुली घुसा कर मस्त कर दे … पर मैंने कुछ कहा नहीं, उसका हाथ और मेरा हाथ आपस में मिले हुये थे। वो कभी कभी मेरा हाथ दबा देता था।
अब धीरे से उसने अपना हाथ मेरे कंधे पर रख लिया। मुझे दिल में गुदगुदी सी हुई। मुझे लगा कि कुछ ही देर में वो मेरी चूंचियो पर आ ही जायेगा। पर्दे पर चूमने का दृष्य चल रहा था। उसने भी मुझे गले से खींच कर अपने पास कर लिया और चुम्मा ले लिया। मै जान कर के उससे चिपक सी गई। हमारे सामने वाला जोड़ा जो साईड में सामने बैठा था, बिना किसी हिचकिचाहट के लड़की के बोबे मसल रहा था और उसे चूम रहा था। मैं तो उन्हीं को देख देख कर उत्तेजित हो रही थी।
अचानक मुझे अब अपनी चूंचियो पर दबाव मह्सूस हुआ। सुधीर का हाथ मेरे स्तन को सहलाने लगा। हाय रे मजा आ गया … मैं झुक कर दोहरी हो गई।
“ना करो, सुधीर … हाय हाथ हटा लो … ” मैंने भी शरीफ़ लड़की की तरह नखरे दिखाये।
“रजनी, कितने कठोर है तुम्हारे बोबे … मस्त है यार … ” सुधीर वासना भरे स्वर में बोला।
“आह … बस करो … ” मेरी सिसकी निकल पड़ी। पर सुधीर कहा मानने वाला था। उसका वो हाथ ऊपर से मेरी ब्रा में घुस गया और मेरी नरम नरम सी चूंचियां मसलने लगा।
उसने दूसरे हाथ से मेरा चेहरा ऊपर कर लिया और अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिये। अब मेरा हाथ भी उसकी जांघो पर रेंगने लगा था। मेरे निपल कड़े हो गये थे और वो उसकी अंगुलियों के बीच में घुमा घुमा कर मसले जा रहे थे।
मेरा शरीर भी वासना से भर उठा। मैंने अपना सीना थोड़ा सा और उभार लिया ताकि वो मेरी चूंचियाँ भली प्रकार से दबा सके। उसका कड़क … मेरे हाथों में आ चुका था। मैंने कोशिश करके उसकी ज़िप खोल दी।
पर अन्दर चड्डी के रूप में एक बाधा और थी। जल्दी ही ये बाधा भी मैंने पार कर ली और उसका मूसल जैसा लण्ड पकड़ ही लिया। गरम गरम कड़ा डण्डा, थोड़ा जोर लगाया तो वो पेण्ट से बाहर आ गया।
“हाय रे … ये तो बहुत मोटा है … देखो तो कैसा हो रहा है … ” मैंने सिसकते हुये कहा।
उसके सुपाड़े के सिरे पर चिकनापन लग रहा था, शायद उत्तेजना में उसमें से चिकनाई बाहर आ गई थी। उसने भी अपना हाथ मेरी छातियों पर से हटा कर मेरी चूत पर रख दिया था। मेरी सलवार के अन्दर हाथ घुसा कर मेरी गीली चूत को रगड़ दिया।
“मैं मर जाऊंगी रे … धीरे से करना … ! ” उसका हाथ जैसे ही मैंने अपनी चूत पर मह्सूस किया, उसे धीरे से समझा दिया। मेरी गीली चूत में उसकी अंगुली उतरी जा रही थी, मैंने भी अपनी चूत को थोड़ा सा ऊपर उठा कर उसे अंगुली घुसाने में सहायता की। मेरा जिस्म अब मीठी मीठी गुदगुदी से भर चुका था।
“रजनी, चुदोगी क्या … मेरे लण्ड की हालत खराब हो रही है … ” उसकी सांस फ़ूली सी लगी। उसने मेरे मन की बात कह दी। चूत फ़ड़क उठी।
“हां सुधीर … चुदने के चूत बेताब हो रही है … पर कैसे … ” सिसकती हुई सी बोली।
“मेरे घर चलें क्या ? वहाँ कोई नहीं है … मस्ती से चुदना … “
“हां हां … जल्दी चलो … ” और हम दोनों ने खड़े हो कर अपने आप को ठीक किया और हॉल के बाहर आ गये। सुधीर वहां से सीधे अपने घर ले गया … मैंने चेहरे पर कपड़ा बांध लिया था कि कोई पहचाने ना … । सुधीर ने ताला खोला और हम जल्दी से अन्दर आ गये।
मुझे भी अब लग रहा था कि बस एक बार तबियत से चुद जाऊं तो मेरा जी हल्का हो जायेगा।
उसने मुझे चाय के लिये पूछा पर यहाँ चाय की नहीं चुदाने की लगी हुई थी।
“चाय छोड़ो ना सुधीर, चलो बिस्तर पर चलते हैं … “
“रजनी … लगता है तुम्हारा बुरा हाल है … मेरे लण्ड को तो देखो , साला पेण्ट ही फ़ाड़ कर बाहर आ जायेगा।”
मुझे एकदम से हंसी आ गई। उसने पेन्ट की ज़िप खोल कर अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। पहली बार इतने बड़े लण्ड के दर्शन हुये। मैं जैसे ही आगे बढ़ी, उसने मुझे रोक दिया।
“पहले रजनी तुम अपने कपड़े उतारो … तुम्हारी फ़ुद्दी देखनी है … ” सुधीर ने फ़रमाईश कर दी। मैं शरमा गई।
“धत्त … शरम नहीं आयेगी … ? ” मैंने नारी का धर्म अदा किया।
“शरम नहीं रे … नशा आयेगा तुम्हे नंगी देख कर … लण्ड फ़ड़फ़ड़ायेगा … कड़का कड़क हो जायेगा … “
“हाय रे … ऐसा मत बोलो … तुम्हारा लण्ड देख कर ही मेरी फ़ुद्दी तो वैसे ही लप लप कर रही है … “
“तो प्लीज उतारो ना … ” उसने अपना लण्ड मुझे दिखाते हुये मसला। मुझे हालांकि बड़ी शरम आ रही थी पर इस दिल का क्या करूँ, सो झिझकते हुये मैंने कपड़े उतार ही दिये। पंखे की हवा मेरे नंगे बदन को सहलाने लगी। मैं शरम के मारे नीचे बैठ गई। पर नीचे बैठते ही मेरे चूतड़ उभर कर खिल उठे। दोनों तरबूज सी फ़ांके अलग अलग हो गई। सुधीर भी नंगा हो चुका था। उसका लण्ड मेरी गाण्ड देख कर फ़ूल उठा। उसका तनतनाता हुआ बलिष्ठ लण्ड जैसे मेरी चूत को न्योता दे रहा था।
“रजनी तुम्हारा बदन तराशा हुआ है … जरा दोनो टांगे चौड़ी करो … अपनी फ़ूल जैसी चूत तो दिखा दो … यूँ सिकुड़ कर मत बैठो।”
“हाय … नहीं जी … ऐसे तो सब दिख जायेगा ना … ” फिर भी मैंने हिम्मत करके टांगे चौड़ी करके अपनी गीली चूत खोल दी। सुधीर मचल सा पड़ा।
“रजनी, लड़कियां मुठ कैसे मारती है … मार कर बताओ ना … चूत में अंगुली करती हो ना …? “
“चलो हटो जी … मुझे क्या बेशर्म समझ रखा है … अच्छा तुम मुठ मार कर बताओ … “
सुधीर ने अपने मोटे से लण्ड की सुपाडे पर से चमड़ी ऊपर हटाई और लण्ड को अपनी मुठ्ठी में भर लिया और उसे पकड़ कर हाथ ऊपर नीचे चलाने लगा। उसका सुपाड़ा लाल होने लगा और फ़ूलने लगा। मेरे दिल पर छुरियाँ चलने लगी … हाय चूत की जगह मुठ में उसका लण्ड मसला जा रहा था। उसके सुपाड़े पर चिकनाई की दो बूंदें तक उभर आई थी। मेरा हाथ अपने आप ही चूत की तरफ़ बढ़ गया और दाने पर आ गया। उसे मैं हल्के हल्के सहलाने लगी। मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी। मेरी अंगुली भी चूत में घुसने लगी।
“हां … हां … रजनी, और करो … आपकी चूत कैसी लपलपा रही है … ” उसकी आवाज में वासना भरी हुई थी।
मेरे बाल बिखर गये थे, लटें माथे पर लहराने लगी थी। मेरी दोनों टांगें कांपने लगी थी। चूत में अंगुली सटासट अन्दर बाहर जा रही थी। उधर मेरी नजरें सुधीर पर पड़ी, वो जोर जोर से लण्ड पर हाथ चला रहा था। उसका सुपाड़ा लाल हो गया था, फ़ूल कर मोटा हो चुका था। उसकी आंखे नशे में बंद सी हो गई थी। हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुठ मारे जा रहे थे।
“हाय, सुधीर और जोर से मुठ चलाओ, क्या लण्ड है राम … चला हाथ जोर से … आह्ह्ह्ह्ह”
मैं ज्यों ही उठ कर उसके पास पहुंची,
” रजनी, ऐसे ही मजा आ रहा है … तुम वहीं जाओ … तुम उधर मुठ मारो ! मैं इधर मारता हूँ … चल घुसा दे फिर से अपनी अंगुली … ” उसकी सांस फूल उठी थी।
वो मना करता रहा पर मैंने जाकर उसके लण्ड को अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसके लाल लाल फ़ूले हुये सुपाड़े पर अंगुलियाँ फ़िराने लगी। उसके सुपाड़े को मलने से उसमें से चिकनाई की दो बूंदें और निकल आई। आनन्द में वो डूब रहा था। मुझे ऐसा करते देख उसने मेरी चूंचियों को पकड़ लिया और उसे दबाने लगा और निपल को अंगुलियों से हल्के हल्के दबाने और घुमाने लगा। मेरी मस्ती और वासना, मर्द के हाथों से मसले जाने से और बढ़ती गई।
अब वो मेरे निपल जोर जोर से मलने लगा था। मैं नशे में उसके लण्ड को जोर जोर से मुठ मारने लगी थी। मेरे हाथ बहुत ही तेजी से उसके लण्ड पर ऊपर नीचे हो रहे थे। उसकी सिसकियाँ बढ़ती जा रही थी।
अचानक उसने मेरी फ़ुद्दी में अपनी दो अंगुलियाँ डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। इस से मेरी उत्तेजना तेजी से बढ़ने लगी, लगा कि चुद रही हूँ। मुख से आह की आवाजें निकलने लगी। शायद सुधीर को अहसास हुआ कि यदि ऐसे ही उसका लण्ड मेरे हाथों में फ़िसलता रहा तो उसका वीर्य निकल जायेगा। उसने मुझे नीचे दबा लिया और मुझसे लिपट पड़ा। हमारे नंगे शरीर बिस्तर में आपस में रगड़ खाने लगे।
उसका लण्ड मेरी चूत को ठोकर मारने लगा। मेरा मन सिहर उठा, लौड़ा लेने को आतुर हो उठा। मेरी चूत उसके लण्ड को लपकने की कोशिश कर रही थी, और अन्त में सफ़ल हो ही गई। उसका लण्ड चूत में समाता चला गया। मेरे मुख से खुशी की सीत्कार निकल पड़ी। सुधीर भी तड़प उठा। ऊपर से उसने अपने शरीर का बोझ मेरे पर डालना आरम्भ कर दिया। मैं दबती गई। आनन्द मेरे जिस्म में भरता गया।
सुधीर ने अब अपने चूतड़ ऊपर खींच कर फिर से मेरी चूत पर पटक दिए … उसका लण्ड मेरी चूत में जड़ तक चीरता हुआ घुस गया। मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ पर कसक भरी मिठास का अहसास अधिक हुआ।
“और जोर से चोद दे मेरे राजा … हाय … लण्ड़ पूरा घुसेड़ दे रे … मेरी मांऽऽऽऽऽऽ … ” मैं आनन्द से सिसकने लगी।
“ले … मेरी रजनी … मेरा पूरा लण्ड ले ले … तू तो मजे की खान है रे … ” वो मुझे भींच भींच के चोदने लगा। मेरी चूंचियों की हालत खींच खींच कर खराब कर दी थी। मैं नीचे से जोर से अपने चूतड़ उछल कर लण्ड ले रही थी। साला क्या चूत में गुदगुदी मचा रहा था। उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की दीवारों से रगड़ता हुआ चोद रहा था। अचानक मेरे शरीर में ऐठन सी हुई और मुझे लगा कि मैं तो गई … ।
तेज मीठी सी आग भड़की और फिर जैसे पानी के ठण्डे छींटे पड़े … मेरा रज छूट पड़ा। मेरी चूत पानी से भरने लगी। मेरी चूत लहरा लहरा कर जोर लगा कर पानी छोड़ रही थी। पर उसका लण्ड था कि मेरी चूत को रोंदे जा रहा था।
मेरे मुख से अब मस्ती की सिसकियां की जगह दर्द की कराह निकल रही थी। इतनी कस कर चुदाई मेरी आज तक नहीं हुई थी। पर आह्ह्ह रे … मेरी चूत में उसके लण्ड ने ठण्डक कर दी। मुझसे लिपटते हुये उसने अपना वीर्य मेरी चूत में निकाल दिया। मैंने अपने दोनों हाथ फ़ैला दिये और बिस्तर पर पसर गई। उसका लण्ड मेरी चिकनी चूत में से फ़िसल कर बाहर आने लगा। उसके सिकुड़ कर निकलने से मेरी चूत में गुदगुदी सी हुई और लण्ड बाहर आ गया। चुदने के कारण मैं मस्ती में बस आंखे बंद करके यूँ ही पड़ी थी। सुधीर मेरे ऊपर से हट गया और मेरी चूत पर लगे वीर्य और चिकनाहट को चाटने लगा। उसके चाटने से मुझे चूत में फिर से गुदगुदी उठने लगी … कुछ ही देर में मुझे फिर से तरावट आने लगी। मैंने सुधीर को हटा दिया और उसके लण्ड पर लगे वीर्य का थोड़ा सा रस चाटने के लिये उसका लण्ड मुख में घुसा लिया और उसे चूसने लगी। कुछ ही देर में उसका लण्ड फिर से टनटना उठा। मैंने मुठ मारते हुये उसे और उत्तेजित किया। फिर सीधे खड़ी हो गई।
“बस सुधीर अब चलें … देखो शाम होने को है … “
“अच्छा … बस एक किस … फिर तुम्हें छोड़ आता हूँ।”
पर सुधीर के मन की इच्छा कुछ और ही थी। मैं जैसे ही पलटी, वो मेरी पीठ से चिपक गया। उसका लण्ड मेरी गाण्ड में घुसने के लिये जोर लगाने लगा।
“अरे नहीं करो सुधीर … मुझे लग जायेगी … “
“नही रजनी , तुम्हारी गाण्ड गजब की है … बिना मारे मुझे तो चैन नहीं आयेगा !”
मेरी गाण्ड के छेद में लण्ड का घर्षण होने लग गया था। मैंने नाटक करते हुये अपनी दोनों टांगे चौड़ी कर दी। मुझे वास्तव में आनन्द आने लगा था। अभी मेरा गाण्ड का छेद तो प्यासा था ही …
“अरे यार फ़ट जायेगी ना तुम्हारे मोटे लण्ड से … हाय रे धीरे से करो …
आआईईईई … मर गई रे … “
उसका सुपाड़ा छेद में दाखिल हो चुका था। मुझे बड़ा सुहाना सा लगा। मैंने मुस्करा कर पीछे सुधीर को देखा, वो भी खुश था कि उसे एक कॉलेज गर्ल की ताजी गाण्ड मारने को मिल रही थी … हम दोनों ही मस्त हो रहे थे …
पीछे से मेरी गाण्ड चुदी जा रही थी … हम दोनों खुशी में किलकारियां मार रहे थे … अपने चूतड़ों को हिला हिला कर चुदाई का मजा ले रहे थे … मस्ती में डूबे जा रहे थे … Antarvasna Sex Stories
आज मैं आपको अपनी एक सहेली की Sex stories सुनाने जा रही हूं। मेरी एक कहानी
सपनों की बारात के नाम से आ चुकी है
लेकिन उस पर किसी ने कोई रिएक्शन नहीं मिला तो बहुत दुख हुआ। प्लीज इस बार अपने रिएक्शन ज़रूर भेजें।
इस कहानी की शुरुआत हम दो दोस्तों से हुई है और आगे जाकर इसमे कई मोड़ आते हैं जिसे आप लोग पसंद करेंगे। मैं क्योंकि एक लड़की हूं इस लिये ये चाहूंगी कि लड़कियां अपनी रिएक्षन ज़रूर लिखें, क्योंकि शायद लड़कियां एक दूसरे को अच्छे से समझ पाती हैं।
मेरी एक बहुत ही प्यारी सहेली है बरखा।
उसकी उमर मेरे बराबर कोई २८ साल, हाइट ५.६, फ़ीगर ३४ सी-२८-३६ , गुलाबी रंग, बड़ी-२ आंखें, गुलाबी होंथ, खूब फूले हुए बूब्स, भरे-२ चूतड़ और उनसे नीचे उतरती सुडौल जांघें। बहुत ही प्यारी और सेक्सी लड़की है वो। हम दोनो कोलेज से एक साथ हैं और कोई बात एक दूसरे से छुपी हुई नहीं है। और हो भी कैसे सकती है क्योंकि कोलेज के ज़माने मैं ही हम दोनो के बीच एक रिश्ता और बन गया।
एक रोज़ मैं उसके साथ उसके घर गयी तो घर मैं कोई नहीं था। हम दोनो मज़े से बातें कर रहे थे और मैं उसे सता रही थी कि संडे को तुम अविनाश से मिली थी तुम दोनो ने क्या किया था बताओ न मुजे और वो शरमा रही थी। अविनाश उसका कजिन था और दोनो एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। दोनो अक्सर घूमने और पिक्चर देखने जाते थे।
मेरे आग्रह करने पर उसने बड़े शरमाते हुए बताया कि उस दिन अविनाश ने उसे किस किया था। मैं ने उसे लिपटा कर उसका गुलाबी गाल चूम लिया, हे बेईमान अब बता रही हो, तो वो शरमा कर हंस दी। हे शालु बता न और क्या किया था तुम दोनो ने।
बस न, सिर्फ़ किस किया था उसने, वो शरमा कर मुस्कराई। ऐ शालु बता न प्लीज कैसे किया था। हट बदतमीज़ वो प्यार से मुझे धक्का दे कर हंस दी। मैं उसकी भरी-२ जांघों पर सिर रख कर लेट गयी उसके गोल गोल दूध मेरे चेहरे के ऊपर थे, मैं ने धीरे से उसके राइट दूध पर उंगली फेरी, क्यों शालु ये नहीं दबाये अविनाश ने? तो उसके चेहरा शरम से लाल हो गया और धीरे से बोली – हां, तो मैं ने उसका खूबसूरत गुलाबी चेहरा अपने दोनो हाथों मैं लेकर गाल चूम लिये। कैसा लगा था शालु, है सुमन क्या बताउं मेरी तो जैसे जान निकल गयी थी जब उनकी गरम-२ ज़बान मेरे मुंह मैं आयी मैं मदहोश हो गयी उन्होंने मुझे अपनी बाहों मैं ले लिया और एक दम से अपना हाथ यहां रख दिया वो सुमन का हाथ अपने राइट दूध पर रख कर सिसकी। मैं तड़प उठी और बहुत मना किया पर वो न माने और दबाते रहे।
फिर शालु?
सुमन बड़ी मुश्किल से उन्होंने मुझे छोड़ा। शालू की बातें सुनकर मेरी हालत अजीब होने लगी ऐसा लग रहा था जैसे पूरे जिस्म मैं चीटियां दौड़ रही हों। मेरा ये हाल देख कर शालू मुस्कुराई और मेरे गाल सहला कर बोली तुमको क्या हो गया सुमन? तो मैंने शरमा कर उसकी जांघों मैं मुं ह छुपा लिया। वो मेरी पीठ सहला रही थी और मेरी हालत खराब हो रही थी क्योंकि मेरा चेहरा बिल्कुल उसकी चूत के ऊपर था जो खूब गरम हो रही थी और महक रही थी।
मैंने धीरे से उसकी चूत पर प्यार कर लिया तो वो सिसक उठी आह आह आह सुमन उफ़ नहीं न प्लीज मत करो और मेरे चेहरा उठाया। हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे। शालु के थे। शालु के गुलाबी होंठ कांप रहे थे, मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर वो सिसकी सुमन, और मैं भी ना रोक सकी और उसके गुलाबी कांपते होंठ चूम लिये।
एक आग सी लगी हुई थी हम दोनो के जिस्मों में। मैं उसके होंठ पर होंठ रख कर सिसक उठी, शालू प्लीज मुझे बताओ न अविनाश ने कैसे चूमे थे ये प्यारे-२ होंठ। तो अपने नाज़ुक गुलाबी होंठ दातों में दबा कर मुस्कुराई, सुमन उसके लिये तो तुमको शालू बनना पड़ेगा। मैं हंस दी उसके गाल तोर कर, चलो ठीक है तुम अविनाश बन जाओ। शालू ने अपनी बाहें फैला दी तो मैं उनमे समा गयी और वो मेरे गाल, होंठ, आंखें, नाक और गर्दन पर प्यार करने लगी तो मैं तड़प उठी आह आआह शा शाआलु ऐए मा नहीं ओह ओह ओह ऐ री उफ़ ये अह ओह ऊओम्म ऊऊम अह अह क्या कर रही हो अह है है बस बस नहीं न ऊफ और उसके होंठ मेरे होंठों से चिपक गये और उसकी गुलाबी ज़बान मेरे होंठों पर मचलने लगी। उसके एक हाथ जैसे ही मेरे दूध पर आया मेरी चीख निकल गयी नाआहि आअह अह शाअलु ऊफ़ मत करो प्लीज ये आअह क्या कर रही हो, तो मेरे होंठ चूसतुइ हुई सिसकिउ वो ही जो अविनाश ने मेरे साथ किया था।
वो मुझ से जूम गयी और उसकी ज़बान मेरे होंठ खोल रही थी धेरे-२ और फिर अंदर घुस गयी तो मैं उसकी ज़बान की गरमी से पागल हो उठी और उस से लिपट गयी, शालू ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे दोनो दूध दबाते हुए मेरे होंठ चूसने लगी ऊफ़ उसकी ज़बान इतनी चिकनी, गरम और इतनी लम्बी थी के मेरे पूरे मुंह में मचल रही थी और मेरे गले तक जा रही थी। हम दोनो के चेहरे पूरे लाल हो रहे थे और थूक से भीग चुके थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था और मैं भी उसका साथ दे रही थी और उसका प्यारा सा गुलाबी चेहरा हाथों में लेकर उसके होंठ और ज़बान चूस रही थी और सिसक रही थी आह अह शालु अह अह हां अह सुमन मेरी जान, ऊफ़ शालु कितनी मज़े की ज़बान है तेरी इतनी लम्बी ऊफ़ सच्ची अविनाश को मज़ा आ गया होगा, आअह ही धीरे सुमन अह आअह सच्ची सुमन बहुत मज़ा आया था क्या बताउं तुझे आह धीरे से मेरे होंठ।
आह सुमन उठो न प्लीज अब, तो हम दोनो उठे तो फिर से मुझे लिपटा कर मेरे होंठ चूसने लगी और मेरे कुरते की ज़िप खोली और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और मेरे मुंह में सिसकी उतारो न सुमन प्लीज और मेरे हाथ ऊपर करके मेरा कुरता अलग कर दिया, आअह शालु ये आह तो मेरे होंठ चूम कर सिसकी कुछ न बोलो सुमन सच्ची बहुत मज़ा आ रहा है मैं उसके सामने टोपलेस बैठी थी शरम से मेरी बुरी हालत थी। मैं ने अपने दोनो हाथों से अपने भरे भरे दूध छुपा लिये और देखा तो शालु ने भी अपना कुरता और ब्रा अलग कर दी और मैं देखती रह गयी। उफ़ कितने प्यारे दूध हैं शालु के खूब बड़े बड़े बिल्कुल गुलाबी रंग, तनी हुई लम्बी चूचियं जिनके आस पास लाल रंग का गोल घेरा उस ने मुझे अपनी तरफ़ देखते हुए पाया और मेरी आंखें चूम लीं और मेरे दोनो हाथ मेरे दूधों पर से हताये और अपने दूधों पर रखे और होंठ चबा कर सिसकी ऊई मां आह आह और फिर मेरे दूध पकड़े तो मेरी जान निकल गयी आऐए आआऐर अह्ह अह आआअह ऊओह ऊऊम आआआआअह नहीं शाल्लल्ललु और मैं ने भी उसके दूध ज़ोर से दबाये तो शालु भी मुझे से लिपट कर सिसक उठी आईईए ऊऊउइ ऊऊउइ अह अह अह धीएरे आह निक्कक्ककि धीएरे आह मेरे दूधु और मेरे होंठों पर होंठ रखे तो एक साथ हम दोनो की ज़बाने मुंह के अंदर घुस पड़ी।
उसकी लम्बी चिकनी और गरम ज़बान ने मुझे पागल कर दिया और फिर मुझे लिटा कर वो भी मेरे ऊपर लेट गयी। हमारे दूध आपस में जैसे ही टकराये तो दोनो की चीखें निकल पड़ी और हम दोनो झूम गये और मेरी चूत रस से भर गयी। मैं ने उसे लिपटा लिया और उसकी पीठ और चिकनी कमर और नरम-२ चूतड़ सहलानी लगी तो वो मेरे जिस्म पर मचलने लगी मैं ने उसका गुलाबी चेहरा उठाया तो उसकी आंखें नहीं खुल पा रही थीं बहुत हसीन लग रही थी शालु मैं उसके गाल और होंठ चूसने लगी उसके गोल नरम नरम दूध मेरे सांसों से टकराते तो जैसे आग लग जाती मैं ने उसको थोड़ा उपर किया तो उसके खूबसूरत चिकने गुलाबी दूध मेरे सामने थे मैं अपने आप को रोक न सकी और उसकी लाल चूची पर ज़बान फेरी वो मस्ती में चिल्ला पड़ी आईईई मा मर जाउंगी मैं आह अह ओह ऊओफ़ अह सुमन आह अह्ह हान ये ये ये भी किया था अश… अह अश्वनि ने।
और मैं ने उसका पूरा का पूरा दूध मुंह में ले लिया तो मज़ा आ गया और शालु ने मेरा चेहरा थाम कर अपने दूधों में घुसा लिया और सिर झटक कर मचलने लगी आआइए सुमन धीरे प्लीज ऊफ़ ऐई री मा धीर से न आअह बहुत अच्छा लग रहा है आह पूरा पूरा चूसो न ऊफ़ मेरा दूध आह सुमन सची ऐईए ऐसे नहीं न काटों मत प्लीज उफ़ तुम तो अह अविनाश से अच्छा चूसती हो आअह आराम से मेरी जान और वो मेरे दूध दबाने लगी है सच्ची कितनी नरम दूध हैं तेरे सुमन मुझे दो न प्लीज सुमन तो मैं ने होंठ अलग किये उसके दूध से और देखा तो उसका दूध मेरे चूसने से लाल और थूक से चिकना हो रहा था तो मैं ने जैसे ही दूसरा दूध मुंह में लेना चाहा वो सिसक उठी आह सुमन प्लीज मुझे दो न अपनी ये प्यारी-२ चूचियां कितनी मुलायम हैं उइ सच्ची मैं और मेरी चूचियां मसलने लगी तो मैं ने उसके गीले लाल होंठ चूम लिये अह आअह शालू आराम से मेरी जान आह और और क्या किया था अविनाश ने बताओ न तो मेरे दूध पर अपने चिकने गुलाबी गाल रख कर मुस्कुरायी और धीरे से बोली और कुछ नहीं करने दिया मैं ने। क्यों शालु दिल नहीं चाहा तुम्हारा।
वो मेरे उपर से उतर कर अपने पैर फैला कर बैठी और मुझे भी अपने से चिपका कर बिठा लिया और मेरे दूधों से खेलते हुए बोली- सुमन सच दिल तो बहुत चाहा लेकिन मैने अपने को बड़ी मुश्किल से रोका। क्योंकि डर लग रहा था। तो मेरे दूधों पर ज़बान फेरने लगी तो मेरी आंखें बंद हो गयी मज़े में और मेरा हाथ उसकी चिकनी मुलायम पेट पर आया और उसकी गोल नाभि में उंगली घुमाने लगी। आह शाल्लु सच्ची कितनी लम्बी ज़बान है तुम्हारी और मैं क्या करूं आह मेरे दूध आऐए मा अह्ह धीरे न इतनि ज़ोर से मत नोचो मेरे दूध आह आह ओह ऊओफ़ शालू प्लीज नहीं न। आअह हन हाअन बस ऐसे ही चूसे जाओ बहुत मज़ा आ रहा है। सुमन मेरी जान सच्ची कहां छुपा रखे थे येह प्यारे-२ दूधु। तो मैं शरम से लाल हो गयी उसकी बात सुनकर और उसकी एक चूची ज़ोर से दबाई तो वो चिल्ला कर हंस पड़ी ऊऊउइ मा सुमन। तो मैं ने उसके होंठ चूम लिये। शालु, हूं, तुम ने बताया नहीं अविनाश और क्या कर रहा था तो वो शरमा कर मुसकराई सुमन वो तो, हां बोलो ना शालु प्लीज तो शालू ने मेरा हाथ अपने शलवार के नाड़े पर रखा और धीरे से बोली वो तो ये खोलने के मूड में थे, फिर शालू, मैं ने रोक दिया उसे। क्यों शालू क्यों रोक दिया बेचारा अविनाश, तो मेरे गाल पर ज़ोर से काट कर हंस दी बड़ी आयी अविनाश वाली। मैं भी ज़ोर से चिल्ला कर हंस दी ऐ शालू बताओ ना क्यों रोक दिया तो वो मुसकराई, मैं ने कह दिया ये सब अभी नहीं, शादी के बाद।
और वो फिर मेरे दूध चूसने लगी ज़ोर ज़ोर से तो मैं पागल हो उठी- आह शालू आराम से मेरी जान
और मैं ने उसकी शलवार खोल दी तो वो चोंक गयी और मेरा हाथ पकड़ कर बोली- ये ये सुमन क्या कर रही हो?
तो मैं ने उसके गीले रस भरे होंठ चूम लिये मेरी शालू जान शादी तो अविनाश से होगी मुझे तो दिखा दो तो वो मुझसे लिपट कर मेरे पूरे चेहरे पर प्यार करने लगी हाय मेरी सुमन कब से सोच रही थी मैं आह मेरी जान और एकदम से उसने मेरी शलवार भी खोल दी और उसक हाथ मेरी चिकनी जांघों पर था मैं मज़े में चिल्ला पड़ी ऊऊउइ शाआलु नाआहि
और वो मेरे होंठ चूस रही थी और मेरी जांघें सहला रही थी और मैं मचल रही थी नहीं शालु प्लीज मत करो आइए ऊऊओफ़ नाआहि न ओह मैं क्या करूं!
उसने एकदुम से मेरी जलती हुई चोर पर हाथ रखा तो मैं उछल पड़ी, हाय रे आह ये ये क्या कर दिया शालु, मुझे कुछ होश न था उसका एक हाथ अब मेरी चूत सहला रहा था जो बुरी तरह गरम हो रही थी दूसरे हाथ से वो मेरा दूध दबा रही थी और उसकी लम्बी गरम ज़बान मेरे मुंह में हलचुल मचा रही थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत झड़ने वाली है.
मैंने उसे लिपटा कर उसके चूतड़ों पर हाथ फेरा तो वो मचल उठी और मैं भी मस्त हो गयी उसकी शलवार भी उतर चुकी थी अब हम दोनो बिल्कुल नंगे थे और बेड पर मचल रहे थे। आह सुमन ऊओफ़ सच्ची बहुत गरम चूत है उफ़ कितनी चिकनी है छोटी सी चूत सच्ची बहुत तरसी हूं इस प्यारी चूत के लिये मैं, दे दो न प्लीज सुमन ये हसीन छोटी सी चूत।
हाय शालू मैं ऐन निकल रही हूं प्लीज आह मैं क्या करूं मेरा पूरा जिस्म जल उठा और मैं ने शालु के नरम गरम चूतड़ दबाए और एकदम से उसकी चूत पर हाथ रखा तो वो तड़प उठी ऊऊउइ नीईइकि और मैं तो जैसे निहाल हो गयी.
उसकी चूत बिल्कुल रेशम की तरह मुलायम और चिकनी थी खूब फूली हुई मैं एकदम से उठी और उसकी चूत पर नज़र पड़ी तो देखती रह गयी बिल्कुल चिकनी चूत जिस पर एक बाल भी नहीं था और शालु की चूत लाल हो रही थी, क्या देख रही हो सुमन ऐसे तो मैं अपने होंठों न पर ज़बान फेर कर सिसकी शालू और एक दम से मैं ने उसकी चूत पर प्यार किया तो वो उछल कर बैठ गयी हम दोनो एक दूसरे की चूत सहला रहे थे। शालू, हूं, अविनाश को नहीं दी ये प्यारी सी चीज़, तो वो शरमा कर मुस्कुराई ऊन हूनह। क्यों? तो वो शरारत से मुस्कुरा कर बोली तुम्हारे लिये जो बचा कर रखी है। तो मैं हंस दी हट बदतमीज़। सच्ची सुमन, वो मेरी चूत धीरे-२ दबा कर सिसकी हमेशा सोचती थी के तुम्हारी ये कैसी होगी। तो मैं अहरमा कर मुसकुराई मेरे बारे मैं क्यों सोचती थीं तुम। पता नहीं बस तुम मुझ बहुत अच्छी लगती हो दिल चाहता है कहां प्यार करूं। तो मैं मुस्कुरा कर उस के होंठ चूम लिये, तो फिर आज से पहले क्यों नहीं किया ये सब। तो मेरे दूधों पर चेहरा रख कर बोली डर लगता था के तुमको खो न दूं कहीं।
मैंने उसे लिपटा कर उसके होंठ चूस लिये और आहिस्ता से उसे लिटा दिया और झुक कर चूत के उभार पर प्यार किया तो वो मचल उठी आअह्ह आआह सुमन मुझे दे दो न अपनी हसीन सी चूत मेरी जान मेरे प्यार और मैं ने घूम कर अपनी चूत उसकी तरफ़ की तो मेरे नरम चूतहर पकड़ कर नीचे किये और चूत पर होंठ रखे तो मैं कांप गयी आह आह आह ऊऊऔइ शालु.
और जैसे ही उसकी ज़बान मेरी चूत पर आयी मैं नशे में उसकी चूत पर गिर पड़ी और उसकी चूत पर प्यार करने लगी और चूसने लगी। हम दोनो की चीखें निकल पड़ी. दोनो के चूतड़ उछल रहे थे.
शालु मेरे चूतड़ दबा रही थी और अचानक उसकी ज़बान मेरी चूत के छेद में घुस पड़ी तो ऐसा लगा जैसे गरम पिघलता हुआ लोहा मेरी चूत में घुस गया हो, मैं चिल्ला पड़ी उसकी चूत से झूम कर आऐईए माअ मर जाआअओनगि नाआअहि शलु अर्रर्र आह ऊओम ऊमफ ऊऊओह्ह ओह ओह ह्हह्है ह्हह्हिअ आआइ मैं निकल रही हूऊऊओन शालु मेरे चूतड़ उछलने लगे और शालु के चूतड़ भी मचले और वो भी मेरी चूत में चिल्लाने लगी सुमन चूसो अ आआइउ अयययो मा अर्रर्रर रीईईए आआआअह ऊऊओमफ आआह्ह ह्हाआआआ आआअह्हह ह्हाआआअ!
मुझे ऐसा लगा जैसे चूत से झड़ना बह निकला हो रोकते-२ मेरे गले से नीचे उतर गया यही हाल शालू का भी था हम दोनो के चेहरे लाल हो रहे थे सांसें तेज़ तेज़ चल रही थीं और हम दोनो एक दूसरे से लिपट कर पता नहीं कब सो गये। Sex stories
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