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मेरा नाम डा. मीनू वर्मा है। मैं विज्ञान के कोलेज Hindi Sex Stories में रीडर हूं। मेरी उम्र अभी 33 वर्ष की है। मेरी शादी हो चुकी है मेरे दो बेटे भी हैं। मेरे पति एक बिजनेस मैन है। हमारा एक सुखी परिवार है।
शादी के हमें लगभग 12 वर्ष बीत चुके हैं। अब सेक्स का वो पहले जैसा जोश नहीं रह गया है… पर कभी कभी ऐसा लगता है कि कोई मुझे पहले जैसा मजा दे। मन भटकने लगता है … मचलने लगता है… जिस्म टूटने लगता है। फिर नजरें किसी मर्द की ओर उठने लगती है। शायद किसी नये मजे के लिये … नये मोटे और लम्बे लन्ड से नयी चुदाई का मजा लेने के लिये। ऐसे ही एक बार मेरा मन भटक गया था … और फिर मेरा बांध टूट गया। मैं चुदने को आतुर हो उठी।
मेरे कोलेज में विजय नाम का एक सहायक प्रोफ़ेसर था। नया ही आया था। भोपाल में सेमिनार आयोजित की गयी थी। उसमें मेरा भी पेपर था। मुझे और मेरे सहायक रूप में विजय को मेरे साथ जाना था। हम दोनों ने रात की गाड़ी में रिजर्वेशन करवा लिया था। मेरे पति ने मेरा वहां पर एक अच्छे रेस्ट हाऊस में रिजर्वेशन करवा दिया था।
वहीं पर दूसरे वैज्ञानिक भी रुके थे। मुझे पता था कि विजय नया है और उसे रिजर्वेशन के बारे में कोई अनुभव नहीं था। मेरे मन में चूंकि बेईमानी थी इसलिये मैंने चुपचाप से अपने ही कमरे में उसका रिजर्वेशन करवा दिया था। मैंने अपना नाम डा. के. सक्सेना और साथ में विजय का नाम लिखवा दिया था।
सवेरे भोपाल में यूनिवर्सिटी की तरफ़ से गाड़ी आ गयी थी। हम सभी रेस्ट हाऊस में पहुंचे। मैंने जानबूझ कर तुरन्त गाड़ी से उतर कर रेस्ट हाऊस के कमरे की चाबी ले कर कमरे में आ गई। थोडी देर में विजय भी आ पहुंचा। कमरे में मुझे देख कर चौंक गया। मैंने उसे बताया कि डा. के. सक्सेना मैं ही हूँ।
विजय हंस पडा… ‘मैंने सोचा कि जाने ये डा. के. सक्सेना कौन है… ‘
‘क्यों… मेरा नाम नहीं पता था क्या?’
‘नहीं… मुझे किसी पुरुष का नाम लगा… पर ये तो आप ही निकली… लेकिन आप ओर मैं एक ही कमरे में… ?’
‘कोई कमरा खाली नहीं है … इसलिये मैंने मेरे साथ ही आपका नाम लिखवा दिया… ‘
थोड़ी ही देर में चाय नाश्ता आ गया। हम दोनों ने नाश्ता करके थोड़ा आराम किया… विजय इतनी देर में नहा कर आ गया… वो सफ़ेद पाज़ामे और कुर्ते में अच्छा लग रहा था। उसका कसा हुआ शरीर मुझे आकर्षित कर रहा था। मैं भी फ़्रेश हो गयी… और फिर हम दोनों पेपर चेक करने लगे।
सेमिनार में मेरा पेपर 1 बजे पूरा हो गया था। विजय मेरे पेपर सम्हालने के बाद मेरे पास आ कर बैठ गया। 2 बजे लन्च ब्रेक हुआ … हम दोनों वापस कमरे में आ गये।
शाम को खाना खा कर हम बाहर यूं ही टहलने लगे। मैंने धीरे से शुरूआत की… और मै उसके हाथ से हाथ को छूने लगी। बात बात में उसके बाहों में हाथ मारने लगी। मुझे पता चल गया था कि उसे भी छूने में मजा आ रहा था।
मैंने मौका देख कर शादी की बात छेड़ दी… विजय अपनी गर्ल फ़्रेंड की बातें बताने लगा। मैंने उससे उसकी गर्ल फ़्रेंड के साथ सेक्स के बारे में पूछा… तो उसने बताया कि वो उसे कुछ भी नहीं करने देती है। मुझे लगा कि विजय सेक्स की बातों से कुछ उत्तेजित हो गया था। मैं तो यही चाहती थी। अब हम दोनों ऊपर वापस कमरे में आ गये।
मैंने रात को पहनने वाला अपना हल्का सा पज़ामा पहन लिया और उस पर एक छोटा और ऊँचा सा कुर्ता डाल लिया। विजय ने भी अपना सफ़ेद पाज़ामा पहन लिया था। मैंने कमरे की लाईट बन्द कर दी और हम दोनों बाहर बालकनी पर आकर खड़े हो गये। हल्की हल्की हवा चल रही थी।
विजय भी पास में खड़ा था, पर उसका मूड कुछ और ही था। उसके पज़ामे में से उसका जोर मारता हुआ लन्ड नजर आ रहा था। मैं भी बहाने से हाथ हिला कर कभी कभी उसके लन्ड को छू लेती थी । कुछ देर हम बातें करते रहे फिर विजय से रहा नहीं गया… वो अटकते हुये कुछ कहने की कोशिश करने लगा । मै सब समझ रही थी। उसका लन्ड पज़ामे में से उठा हुआ साफ़ दिख रहा था।
‘मैं आपसे कुछ कहूं… बुरा तो नहीं मानेंगी ना… ‘ उसके कहने के अन्दाज़ से ही लग रहा था की अब वो मुझे पटाने की कोशिश करेगा…
‘हां… हां… कहो… ऐसा क्या है… ‘ वो कुछ और मेरे नजदीक आ गया। मुझे भी लगा कि अब कुछ होने वाला है। मैं मन ही मन मुस्करा उठी… लगा कि फ़ंसा… ।
‘वो… आप मुझे बहुत अच्छी लगती है… ।’ मैं सुन कर मन ही मन आनन्द से भर गयी।
‘अच्छा… क्या अच्छा लगता है… ?’ मैंने उसे और उकसाया। मेरे मन की धड़कन बढने लगी। उसने मेरी कमर में हाथ डाल दिया। मुझे लगा कि लोहा गरम है … पिघल रहा है… अभी मौका है… । उसने मुझे थोड़ा सा अपनी ओर खींचा… मैं जान करके उसके पास सट गयी। मेरा दिल धक से रह गया… उसका लन्ड मेरे कूल्हे से टकरा गया, एक दम कड़क और तना हुआ।
मेरी सांसे बढ़ गई… दिल की धड़कने तेज हो गयी। चेहरा लाल होने लगा। उसने मुझे कमर से दबाया… मैं बिना कोई मौका खोये उससे लिपट गयी… विजय के होंठ मेरे नरम होंठों से छूने लगे… और फिर धीरे से दोनों आपस में मिल गये।
मेरी चूत को साथी मिलने वाला था। मैं उसे पीछे धक्का देते हुये बालकनी से कमरे में ले आई। उसने मेरे बोबे दबाने शुरू कर दिये। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी… मेरे उरोज कड़े हो गये … चूत पानी छोड़ने लगी। मेरी हालत उत्तेजना से बुरी हो गयी … तभी उसने मेरी चूत रगड़नी चालू दर दी… अब सब कुछ मेरी सहनशक्ति से बाहर हो गया… मैंने हाथ बढ़ाकर उसका लन्ड पकड़ लिया।
एकबारगी उसका मोटा और लम्बा लन्ड देख कर मेरा मन चुदाने को करने लगा। मैंने उसका पजामा नीचे खींच दिया … अब उसका लन्ड मेरे गिरफ़्त में आ गया। मैं उसका लन्ड जोर जोर से दबाने लगी। वो मेरी चूत को मसले जा रहा था…
‘आऽऽऽह विजय… मैं मर गयी… हाय रे… … धीरे… मेरी छूट जायेगी… ‘ मैं आनन्द के मारे झुकने लग गई।
‘मेरा लन्ड मसल डालो… सीऽऽऽ आआऽऽऽ … मजा आ रहा है… ‘ उसका मैंने मस्ती में जोर से मसल दिया। उसने मेरी गान्ड की गोलाईयां मसल डाली। मेरी चूतड़ों की दरारों को घिस डाला। चूत को अब भी मसले जा रहा था… मेरा दाना पिघल उठा… मेरी चूत ने अब जोर मारना शुरु कर दिया।
मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूं। पर उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी। मैं विजय से चिपकती जा रही थी। हाय रे… मेरा पानी छूटने लगा … मैं झड़ने लगी… । पर ये क्या… अचानक मेरे हाथ भीग गये… विजय के लन्ड ने थोडा जोर लगाया और उसका वीर्य निकल पड़ा। उसके वीर्य की पिचकारी मेरी चूत पर पडी… और फिर मेरे पजामे को गीला कर दिया।
कुछ देर हम दोनो ऐसे ही लिपटे और चिपके रहे… फिर अलग हो गये। मै शरम के मारे वहीं बैठ गयी। मैंने अपना मुँह छुपा लिया। विजय ने तुरन्त अपना तौलिया लपेटा… और मेरा तौलिया मेरे ऊपर डाल दिया।
मैं उठी और भाग कर बाथरूम में चली गयी… मैंने सफ़ाई की और मन ही मन अपनी सफ़लता पर खुश हो उठी। मुझे मालूम था कि इतना कुछ होने के बाद अब चुदने में समय नहीं लगेगा… सबसे पहले मैंने अपनी गान्ड में क्रीम लगा ली… क्योंकि मर्द से गान्ड मरवाने मुझे बहुत मजा आता है। चूत को भी पानी से अच्छी तरह से साफ़ कर लिया।
मैंने तौलिया लपेटा और बाहर आ गयी… विजय भी बाथरूम में साफ़ होने को चला गया। रात के 11 बज रहे थे। मैं बिस्तर पर आकर लेट गयी और तौलिया खोल कर पास में रख लिया। टोप भी उतार दिया और नंगी हो कर सो गयी। चादर ऊपर तक ओढ़ ली। विजय भी सिर्फ़ तौलिया लपेटे हुये बाहर आया और सोफ़े पर लेट गया।
मैंने उसे बडी अदा से मुस्करा कर कहा,’बिस्तर बहुत बड़ा है, यहीं पर सो जाओ।’
उसे तो शायद बुलावे का इन्तेज़ार ही था। वो तुरन्त उठा और लपक कर आ गया। पहले तो वो मेरे पास लेटा रहा… फिर बोला,’थोडी सी चादर मुझे भी दे दो… ‘
‘अच्छा… एक ही चादर में आओगे … इरादे तो नेक है ना… ‘ मुझे तो चुदने की लग रही थी… मैंने अपनी चादर उसके ऊपर डाल दी। उसने अपना तौलिया पता नहीं कब उतार दिया था। हम दोनों के नंगे शरीर का स्पर्श हो गया…
‘विजय… हाय … तुम तो नंगे हो… ‘
‘तुम भी तो नंगी हो… ‘
‘हाय रे … मै मर गयी… विजय… ‘
… एक बार मैं फिर उससे चिपकने लगी। उसके हाथ मेरे शरीर पर रेन्गने लगे। मेरे शरीर में उत्तेजना भरने लगी। मेरे अंग कड़े होने लगे… फिर से वासना भड़क उठी। मै उसके जिस्म को सहलाती जा रही थी… और लन्ड को भी मसलती जा रही थी। नंगे बदन एक दूसरे से रगड़ खाने लगे… दो जवान जिस्म सुलग उठे। विजय का लन्ड कठोर होता जा रहा था… उसका उफ़नता हुआ लन्ड मेरे शरीर में घुसने को बेकरार हो उठा।
मेरी चूत पानी छोड़ने लगी। विजय ने करवट बदली। मेरी पीठ से उसका जिस्म सट गया। जैसा सोचा था वही हुआ … मेर मन खुशी से नाच उठा… उसका लन्ड मेरी गान्ड चोदने के लिये बेकरार हो रहा था। मुझे गान्ड चुदवाना बहुत ही अच्छा लगता है… क्योकि देर तक चुदाई कराना मुझे अच्छा लगता है।
उसका लन्ड मेरी चूतड़ों की दरारों में फ़िसल रहा था। शायद गान्ड के छेद को ढूंढ रहा था। मुझे तेज सिरहन होने लगी थी। चूतड़ों की दोनों गोलाईयां खुलने को तैयार थीं… उसके हाथ धीरे से मेरी चून्चियो पर कब्जा जमा चुके थे। मेरी चूंचिया कड़ी हो गयी थी।
उसने मेरी चूंचियो को दबाते हुए लन्ड का दबाव मेरी चूतड़ों कि दरारों में डाला… मेरी चिकनी दरारों के बीच लन्ड सरकता हुआ मेरे गान्ड के द्वार पर आ पहुंचा था। मैंने बेचैनी से उसे देखा। विजय ने प्यार से मेरी चूंचियों को जोर से दबा कर गाण्ड का दरवाजा खोल दिया और सुपाड़ा अन्दर घुसा दिया। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी। मैंने अपने चूतड़ों को और पीछे की ओर उभार दिया और उसके लन्ड के साथ साथ जोर लगाने लगी…
उसका लन्ड मेरी सिस्कारियों के साथ आगे बढ चला। फिर एक और धक्का और लन्ड पूरी गहराईयों तक उतर गया। मैंने अपनी एक टांग उपर उठा दी और उसकी टांगों पर रख कर गान्ड को और खोल दी। अब उसका लन्ड मेरी गान्ड को सरलता से चोद रहा था। उसका हाथ अब चूंचियों पर से हट कर चूत पर आ गया था।
उसने अपनी एक उन्गली चूत में घुसा दी और लन्ड के धक्कों के साथ उंगली भी अन्दर बाहर कर रहा था। उसके धक्के तेज होने लगे। मेरी चिकनी गान्ड में भी मीठा मीठा सा मजा आने लगा था। मेरी चूतड़ भि हिल हिल कर गान्ड चुदाने में मेरा साथ दे रहे थे। मेरा अंग अंग उत्तेजना से भर उठा था। विजय की सिसकारियां बढ गयी।
अचानक उसने अपना लन्ड गान्ड में से निकाल लिया। मुझे उल्टा लेटा कर मेरे नीचे तकिया लगा दिया। मैं अपनी बाहों की कोहनियों पर हो गयी और सामने से ऊपर उठ गयी। तकिया लगाने से मेरी चूत थोड़ी सी ऊपर हो गयी। मेरी टान्गों के बीच में आकर उसने अपना लन्ड मेरी चूत के छेद पर लगा कर उसे दबा दिया।
मैं चिहुंक उठी। लन्ड का स्पर्श पाते ही चूत का द्वार अपने आप ही खुल गया… लन्ड का स्वागत हुआ … और सुपाड़ा फ़क से अन्दर घुस गया। चूत पूरी गीली थी… । एक दम चिकनी … मैंने भी जोश में चूतड़ उछाल दिया। नतीजा ये हुआ कि लन्ड फ़च की आवाज करता हुआ पूरा अन्दर तक पहुंच गया।
खुशी और आनन्द के मारे मैं चीख उठी… ‘मेरे राजा… मजा आ गया … पूरा घुसेड़ दो अपना लन्ड… हाऽऽऽय… ‘
उत्तर में विजय ने मेरी दोनों चूंचिया दोनों हाथों से दबा दी। और अपनी तेजी बढा दी। उसका लन्ड इंजिन के पिस्टन की तरह फ़काफ़क अन्दर बाहर चलने लगा। स्तनो को अच्छी तरह से दबा कर चोद रहा था।
‘मर गयी राजा… चोद दे रे… हाय ओऽऽऽह … मां चोद दे मेरी…’
‘हां… मेरी रानी… तुझे छोड़ूगा नहीं … पूरा चोद डालूंगा… मेरी कुतिया…’
‘हां रे ऽऽऽऽ… मेरी चूत का भोसड़ा बना दे … मेरे राजा… हाय रे… ‘
‘आऽऽऽह्ह्ह… रे… तेरी चूत मारूं… बहन चोद… कुतिया… रन्डी… ले… और ले… लन्ड्… ‘
‘राजा… चूत फ़ाड़ डाल… मां के लौड़े … मार लन्ड को चूत पे… तेरी भोसड़ी… के ‘
दोनो तरफ़ से वासना भरी गालियों की बौछारों के बीच चुदाई चरमसीमा पर पहुन्च रही थी। मेरे से तो अब नहीं रहा जा रहा था … लग रहा था कि अब गयी… अब गयी… मै रोकना चाह रही थी पर… वासना की तेजी… उत्तेजना की तेजी… उबल रही थी… ।
‘मादरचोद… भोसड़ी के … मैं तो गयी रेऽऽऽऽऽ … चोद … चोद… जोर लगा… फ़ाड़ दे… बहनचोद… ‘
‘अभी रुक जा छिनाल … मेरी भी मां चुदने वाली है… मै भी आया… मां की लौड़ी… ‘
‘हाऽऽऽय रे… मरीऽऽऽ … निकला पानी रे… हाय रे चुद गयी… चुद गयी… निकल गया रे… ‘
मैं धीरे धीरे झड़ने लगी… पर उसके झटके चूत में चलते रहे। मैं निढाल होने लगी। मैंने अपनी चूंचियों से उसका हाथ हटा दिया। अब विजय ने भी अपना मोटा और लम्बा लन्ड चूत से बाहर निकाल लिया।
उसने मुझे सीधा किया और अपना लन्ड मेरे मुंह पर रख दिया। मैं हंस पड़ी,’अब एक छेद तो छोड़ दो…’
‘प्लीज… थोड़ा सा रह गया है…’
और उसने अपना लन्ड मेरे मुख में घुसा दिया। पहले मैं उसे चूसती रही पर उसने मेरे मुँह को ही चोदना चालू कर दिया। उसका लन्ड मेरे गले तक को छू रहा था। मैंने तुरन्त उसका लन्ड अपनी मुठ मे ले कर… उसे जोर से भीन्च कर मुठ मारने लगी…
बस इतना तो उसके लिये काफ़ी था… उसके लन्ड ने वीर्य की पिचकारी मेरे मुख में ही छोड़ दी। चूतड़ों और लन्ड के जोर से पिचकारी… जोर से छूट रही थी… मुझे पता नहीं कितना पी गयी और कितना मेरे चेहरे पर बिखर गया। लन्ड पूरा चूस कर साफ़ कर दिया…
अब विजय बिस्तर से उतर गया। हम एक बार फिर बाथरूम में गये… पानी से साफ़ करके बाहर आये… बाथरूम के बाहर हम आपस में एक दूसरे को नंगे निहारने लगे… मुझसे रहा नहीं गया… मुझे उस पर प्यार आने लगा, मैंने अपनी बाहें फ़ैला दी… हम फिर से एक दूसरे के गले लग गये…
रात के 12 बज रहे थे। हम दोनों बिस्तर पर नंगे ही लेट गये। एक दूसरे से लिपट कर प्यार किया और उसकी बाहों पर सर रख कर और उसकी कमर पर अपनी टांगे डाल कर चिपक कर सो गयी।
अचानक रात को मेरी नीन्द फिर खुल गयी… मेरी चूत में विजय का लन्ड घुसा हुआ था… मैं चुपचाप सोने का बहाना करती रही… वो चोदता रहा… मैं अपने आपको ज्यादा देर नहीं रोक सकी… उसके बदन को कसती गयी… उसने मेरी चूंचियां फिर से कस कर दबा दी… अब मैंनें भी उससे लिपट कर चूत के झटके मारने चालू कर दिये… Hindi Sex Stories
मैं उन्नीस साल की लड़की हूँ। मैं अपने घर में मम्मी Indian Sex Stories के साथ रहती हूँ, मेरे पापा एक खाड़ी-देश में हैं। मेरी मम्मी एक निजी विद्यालय में पढ़ाती हैं। हम लोग दूसरी मंज़िल पर रहते हैं और नीचे लड़कियों के रहने के लिए किराए के आवास हैं।
कुछ दिनों पहले यहाँ एक लड़की कोमल रहने आई। वो भी मेरी कक्षा में पढ़ती थी इसलिए हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई।
परीक्षा के दिन थे, मम्मी दिन भर विद्यालय में रहती थी और हम दोनों घर में अकेले रह कर पढ़ते थे। एक दिन वो पढ़ते पढ़ते किसी काम से अपने कमरे में गई और देर तक वापिस नहीं आई। मेरा मन भी पढ़ने में नहीं लग रहा था इसलिए मैंने उसका मोबाईल, जो वो यहीं छोड़ गई थी, उठा लिया और गाने सुनने लगी। फ़िर मैं वीडियो फ़ाइल्स देखने लगी। तभी मुझे उसके मोबाइल में एक ब्लू-फिल्म वीडियो-क्लिप मिला। मैंने ये पहले कभी नहीं देखा था इसलिए मैं गौर से देखने लगी। जैसे जैसे मैं देख रही थी मुझे मज़ा भी आ रहा था और मेरी धड़कने भी बढ़ रही थीं।
तभी कोमल वापस आ गई। मैंने घबरा कर फ़ोन बंद कर दिया।
कोमल ने कहा- तुम इतनी घबराई क्यूँ हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं तो !
लेकिन कोमल को मुझ पर शक हो गया था और जैसे ही उसने मेरे हाथ में मोबाइल देखा वो समझ गई। उसने मुस्कुराते हुए कहा- मैं समझ गई तुमने क्या देखा है ! अरे इसमें शरमाने की क्या बात है? मैंने भी तो देखा है, सब देखते हैं ! क्या तुमने पहले कभी नहीं देखा है?
मैंने कहा- नहीं ! मैंने पहले कभी नहीं देखा है।
तो उसने कहा- चलो दोनों मिल कर देखते हैं।
यह कह कर उसने दरवाज़ा बंद कर दिया और हम दोनों लेट कर ब्लू फिल्म देखने लगे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने हौले से कोमल के हिप पर चिकोटी काट ली। कोमल मुस्कुरा पड़ी और उसने भी अपना हाथ हौले से मेरी पीठ में डाल दिया। उसके हाथ धीरे धीरे मेरी ब्रा के हुक तक पहुँच चुके थे और उसे खोलने की कोशिश कर रहे थे।
मैंने कहा- क्या कर रही हो कोमल?
वो बोली- पगली ! देखने से ज्यादा करने में मज़ा आता है, तू देख तो सही !
ये कह कर उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और मुझे चित्त लिटा दिया। उसके बाद वो मेरे कपड़े ऊपर करने लगी, मैं बस उसे देख रही थी। अब मेरे स्तन बिलकुल नंगे थे। वो मेरे चूचुकों को हौले हौले मसल रही थी और मेरे मुंह से सिसकारी सी निकल पड़ी। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे। हम करीब दस मिनट तक यूँही होंठ चूसते रहे।
फिर कोमल ने उठ कर मेरी पैंट के बटन खोल दिए और मेरे सारे कपडे निकाल दिए। उसने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए। मैं अपनी याद में पहली बार किसी के सामने नंगी हुई थी। कोमल ने मुझे फिर पीठ के बल लिटा दिया और मेरी टांगों को फैला दिया। फिर उसने अपने होंटों को मेरी चूत पर रख दिया और ज़बान फिराने लगी। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती।
वो मेरी चूत को बुरी तरह चाट रही थी और कभी कभी उसकी उँगलियाँ भी मेरी चूत के अन्दर बाहर हो रही थी। मैंने अपना सारा रस उसके मुंह में छोड़ दिया। अब उसकी बारी थी, वोह टांग फैला कर लेट गई और मैंने उसके चूत को चाटना शुरू किया, ये सचमुच बहुत रोचक काम था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। थोड़ी ही देर में वो भी झड़ गई। हम दोनों ने कपड़े पहने और वो अपने कमरे में चली गई।
मैं सोच रही थी कि जब एक लड़की के साथ इतना मज़ा आया तो लण्ड पाकर कितना मज़ा आएगा!!!!! Indian Sex Stories
मैं २२ साल का कुंवारा हूं। Sex stories मैं ने फर्गुसन कालेज में बी .एस सी . की है। मेरा निक नाम संजू है। मैं हिंदु हूं। मैं पुने का रहने वाला हूं। पुने में चवन नगर पुलिस कोलोनी में रहने वाला हूं। तो मैं आपको मेरी पहली स्टोरी और पहली ही हकीकत मेरे साथ घटी हुई है वो मैं आप को बता रहा हूं। ये कोई झूठ कहानी नहीं बल्कि मेरे साथ घटी हुई घटना है।
हमारे डैडी पुलिस में हेड कांस्टेबल है। पुलिस कोलोनी दो मंजिल की है करीबन उस कोलोनी में ४८ खोलियां है। हमारी खोली २१ की थी और २२ नम्बर में गुप्ता (पुलिस – हमारे पड़ोसी) रहते थे और उनकी पत्नी और उनकी एक ५ महीने की छोटी बेटी, ऐसा परिवार था। उनकी पत्नी बहुत ही सुंदर थी ( उनकी फ़ीगर मानो प्रीति ज़िंटा की तरह थी) और उनका चेहरा काफ़ी गोरा था। उनकी उमर शायद २३-२४ के बीच थी। तो हम सब यानि वहीं के सारे पुलिस और उनकी फ़ैमिली एक दूसरे के सम्बन्धी के तरह थे यानि रिलेशन बहुत अच्छा था।
ये घटी हुई कहानी २ साल पहले की है। जब हमारे पड़ोसी मिस्टर गुप्ता ६ दिन के लिये पंढरपुर बंदोबस्त चले गये थे इसलिये उनके यहां कोई मर्द नहीं था इसलिये उन्होने मेरे मम्मी को मुझको उनके यहां सोने के लिये भेजने को कहा। और हमारे यहां ऐसा ही होता है यानि किसी के घर में से कोई पुलिस (मर्द) किसी बन्दोबस्त या ड्युटी पे जाता है तो किसी के घर में रहने वाला यानि अच्छे कल्चर के उमर में काम वाले लड़के को सोने के लिये बुलाया जाता था। इसी तरह एक दिन (मैं उनको गुप्ता मामी कह कर बुलाया करता था।) गुप्ता मामी ने मेरे मम्मी को मुझे उनके यहां सोने के लिया भेजने को कहा। मम्मी फ़ौरन राजी हो गयी क्योंकि वो भी नेक इरादे की थी इसलिये फ़ौरन तैयार हो गयी। तो मैं कॉलेज से प्रैक्टिकल करके वापस आया और खाना खाकर पढ़ाई करने लगा तो मम्मी ने कहा कि गुप्ता मामी के यहां कोई नहीं है इसलिये वहां तुम्हे सोने के लिये जाना है तो तुम वहीं जाकर पढ़ाई करो, क्योंकि उन्हे सोना होगा तेरे लिये जागना पड़ेगा। तो मैं अपना बेग लेकर उनके घर में चला गया।
तब गुप्ता मामी खाना खा रही थी। तो उन्होने मुझे खाना खाने के लिये बुलाया, लेकिन मैने उन्हे कहा कि मैं अभी अभी खाना खा कर आया हूं और आप खाना खा लीजिये मैं पढ़ाई करता हूं। तो उन्होने कहा ठीक है। फिर उन्होने खाना खा कर अपनी बेटी को कोमप्लैन पिला के उसको पालने में सुलाया। फिर बाद में उन्होने बिस्तर लगाने के लिये मुझे मदद के लिये बुलाया। तो मैं उन्हे मदद करने गया। जब बिस्तर लगाते वक्त वे झुक जाती थी तब उनके ब्रेअस्ट का गैप दिखाई दिया मैं मर्द होने के कारण वो नजारा देख कर प्रेरित हो गया। लेकिन फिर मैने आपने आप को कंट्रोल कर के पढ़ाई करने लगा। पढ़ाई करने के बाद मैं उनके पास सोने गया वो जाग रही थी। मैं सोने के लिये बिस्तर पे लेट गया। तब उन्होने कहा कि हो गयी क्या पढ़ाई तब मैने कहा हो गयी।
कुछ देर तक हम टीवी देखते रहे फ़िर बाद में यानि करीब १२.१५ बजे के वक्त टीवी बंद करके सोने लगे लाइट ओन थी। इसलिये मुझे नींद नहीं आ रही थी। मुझे तो उस वक्त उनकी ब्रेअस्ट के अलावा कुछ भी सूझ नहीं रहा था। फ़िर बड़ी मुश्किल से नींद लग गयी। सुबह होने पर गुप्ता मामी मुझे जगाने लगी थी। जब वे मुझे जगा रही थी उस वक्त जब मैं जाग गया तो फिर से उनके ब्रेअस्ट का गैप दिखाई दिया वो हमेशा की तरह बहुत खूबसूरत नजर आ रही थी। और फिर मैं उठ कर अपने घर जा कर तैयार हो कर कोलेज चला गया।
हमेशा की तरह पहला लेक्चर मथस का था ( मेरा ग्रुप मथस था)। जब मथ्स के टीचर (खान) पढ़ा रहे थे उस वक्त मेरा ध्यान लेक्चर पे लग नहीं रहा था, क्योंकि मेरे सामने सिर्फ़ उनकी तस्वीर नजर आ रही थी। जब खान सर को पता चला कि मेरा ध्यान लेक्चर पे नहीं है तो वे बोले —– तुम्हारा ध्यान आज कहां है तबीयत ठीक नहीं है क्या ? तब मैने कहा हां सर, आप मुझे थोड़ी सी वीकनेस लग रही है। तब सर ने कहा तो तुम घर जाकर आराम क्यों नहीं लेते? मैं कोलेज में होशियार था। इसलिये उन्होने मुझे बेड रेस्ट लेने के लिये कहा। फ़िर मैं मथस का लेक्चर खत्म करके दो दिन की छुट्टी ले कर घर चला गया।
तब मम्मी ने पूछा कि आज जल्दी कैसे घर आ गये तब मैने मम्मी को कहा कि आज मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है इसलिये मैं दो दिन कि छुट्टी लेकर कोलेज से वापस आया हूं। फिर रात को खाना खा लेने के बाद मम्मी ने कहा कि आज तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है तो सोने के लिये मत जाओ। लेकिन मैने मम्मी से कहा कि मैं अब अच्छा महसूस कर रहा हूं और वहां भी तो सोने ही जा रहा तो फिर मैं यहां सो जाउं या फिर वहां सोउं बात तो एक ही है न, और तो और उनके यहां कोई नहीं है इसलिये वो डर जायेंगी। फिर मम्मी ने जाने के लिये कहा तब उनके यहां सोने के लिये गया।
जब मैं उनके यहां सोने के लिये गया था तब उनकी बेटी सो चुकी थी और गुप्ता मामी टीवी देख रही थी जैसे ही मैं अंदर गया, तब मामी ने पूछा क्या तुम्हारी तबीयत ठीक नहीं है न। तब मैने कहा कुछ नहीं थोड़ा सी वीकनेस लग रही थी। तब मामी आगे बढ़कर मेरे सामने आ कर मेरे माथे पर छुआ तो मेरे शरीर में अजीब सी रोशनी जगमगायी। फिर बाद में हमने बेड लगाया तब हमेशा की तरह बेड लगाते वक्त उनकी ब्रेअस्ट की गैप दिखाई दी। और फिर मैं हैरान हो गया। जब हम बेड पर लेट गये तब उनको नींद लग गयी, लेकिन मुझे नींद नहीं लग रही थी।
फिर मैने थोड़ी देर के बाद जान बूझ कर नींद का नाटक करके उनके बूब्स (चूची) पर रख दिये तो मैं अच्छा महसूस कर रहा था। उनकी चूची तो बहुत ही टाइट थी और उनकी चूची का निप्पल तो मुझे खुन्नस दिखा रहा था। थोड़ी देर के बाद मैने अपने पंजे को उनके चूची को कपड़ों के उपर के ही रगड़ रहा था तब वो जाग आ गयी। और मेरे तरफ़ देखा मैं नींद का नाटक कर रहा था। तब उन्होने मेरा हाथ उनके चूची के उपर से हटाया और फिर सोने लगी। जब मैं सुबह उठ गया तब मामी ने मुझे कहा कि कल रात तुम सोते वक्त क्या कर रहे थे? तब मैने कहा मुझे कुछ भी मालूम नहीं है। तब मामी ने कहा कुछ नहीं मुझे लगा कि तुम कहीं बीमारी के वजह से तड़प तो नहीं रहे थे।
क्योंकि तुम नींद में तड़प रहे थे इसलिये पूछा।
फिर रात को मैं सो गया तो मेरा आज हिम्मत भी नहीं थी कि उनकी चूची पे हाथ रखने को। फिर जब मैं सुबह जल्दी उठ कर मुंह धोने के लिये बाथरूम जाने लगा तब बाथरूम जाते वक्त उनका किचन लगता हुआ तो मैने किचन में मामी को कपड़े पहनते वक्त देख लिया मामी निक्कर पहने हुई थी और ब्रा पहनने वाली थी कि मुझे उनकी चूचियां दिखाई दी। और फिर उनका भी ध्यान मेरे तरफ़ गया तो वो अपने आप को साड़ी में लपेट कर दरवाजे की तरफ़ आने लगी तब मैने अपनी दोनो आंखें बंद कर दी। इसलिये उनको लगा कि मैं बाथरूम जाते वक्त वो मुझे दिखाई दी और मैने जल्दी से अपनी आंखें बंद कर दी होंगी इसलिये वो मुझे बहुत ही भला समझ बैठी। लेकिन मैने तो मन भर कर खूबसूरत नजारा देखा था। फिर अगली रात को हम हमेशा की तरह सोने लगे तो मामी कहने लगी कि तुम्हारे अलावा कोई और होता तो मुझे उस हालत में देख कर जाने क्या कर बैठ जाता, लेकिन तुमने तो अपनी दोनो आंखें बंद कर दी। मुझे माफ कर दो कल जो मैने तुम्हे पूछा था कि तुम नींद में क्या कर रहे थे? तो तुमने कहा था कि मुझे कुछ मालूम नहीं है। तो मैने कहा था कि तुम शायद बीमारी की वजह से तड़प रहे हो। वो सब मैने तुमसे झूठ कहा था क्योंकि कल रात तुम्हारा हाथ मेरे चूची पर था इसलिये मैने ऐसा पूछा था, लेकिन तुम तो बहुत हो नेक इरादे के हो मुझे माफ कर दो। तब उनके मुंह से उनकी ही चूची का शब्द सुनकर मेरे शरीर में एक गुदगुदी सी फ़ैल गयी।
फ़िर हम सो गये, उसके अगले दिन एकदास की छुट्टी थी इसलिये मैं घर में ही था। तब दोपहर के १२.३० बजे मम्मी और मेरा छोटा भाई (उमर में २ साल छोटा) बाज़ार के लिये गये थे और डैडी ड्युटी पे गये थे। उस वक्त घर में कोई भी नहीं था इसलिये मैं कंप्यूटर पे एक स्टोरी पढ़ने लगा (बहन के साथ चूदाई की स्टोरी थी) पढ़ते समय मुझे कुछ खाने का मन किया इसलिये मैं चाय बनाने के लिये अंदर (किचन) चला गया तो उसी वक्त गुप्ता मामी आयी, और उन्होने मम्मी को हांक मारी तो मैने अंदर से ही मम्मी बाज़ार गयी है ऐसा कहकर उन्हे चाय के लिये रुकने को कहा। तब वे मेरे कम्प्यूटर के पास आकर वो कहानी पढ़ने लगी। और जब मैं चाय लेकर आया तो वो हिचकिचा गयी और ऐसा बीहेव किया कि उन्होने उसे पढ़ा ही न हो।
फिर हम ने चाय पी तब मैं टीवी देखने लगे और मामी को टी वी देखने के लिये कहा और मैं कप धोने के लिये अंदर चला गया तब मैने उनके कप में थोड़ी सी बची हुई चाय डालकर पी ली तो मानो चाय नहीं मैं उनके बूब्स का दूध ही पी रहा हूं ऐसा मुझे एहसास हुआ। और मैं जान बुझ कर बाहर जाने के लिये देर करता रहा क्योंकि मामी टीवी नहीं देख रही थी, बल्की वो तो उस कहानी को ध्यान से पढ़ रही थी इसलिये मैं देर करता रहा फिर मैं २५ मिनट के बाद बाहर आया तो उन्होने वो कहानी पढ़कर खत्म कर ली थी। और उनका चेहरा खुश नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था कि उनको ऐसी कहानियां और पढ़नी थी लेकिन उनको कोम्पुटर के बारे में कुछ भी पता नहीं था इसलिये उन्हे दूसरी कहानी ओपन करनी नहीं आयी।
फिर वो अपने घर चली गयी। जब मैं उस रात को उनके घर सोने के लिये चला गया तो हम बिस्तर लगाके सोने लगे तो मामी ने कहा कि तुम मुझे जैसे लगते हो वैसे तो तुम हो नहीं। तो मैंने कहा क्या मतलब तो मामी ने कहा कि तुम कंप्यूटर पे क्या पढ़ रहे थे तो मैं बोला कि वो, वो तो मेरे दोस्त ने मुझे एक वेब साईट बताई और उसमें से उस कहानी को पढ़ने के लिये कही लेकिन मैने तो इसे पढ़ी तक नहीं क्या आपने पढ़ी है क्या? तो मामी बोली तभी तो तुम ऐसे कैसे कर सकते हो फ़िर मैने पूछा कि क्या आपने ये कहानी पढ़ी है तो मामी बोली कि हां लेकिन तुम मत पढ़ना बहुत बेकार कहानियां है ये।
तब मैने कहा अच्छा फिर हम सोने लगे लेकिन मामी को उस कहानी को पढ़ने से नींद नहीं आ रही थी। थोड़ी देर के मैने सोने का नाटक किया क्योंकि मुझे मालुम था कि आज कुछ न कुछ होने वाला है। फिर उसी मुताबिक ही हुआ मामी ने हल्के से मेरे सीने पे हाथ रखा और फिर ५ मिनट के बाद उन्होने अपना हाथ मेरे लंड के पास लाया और चुपचाप रह गयी फिर ५-१०मिनट के बाद उन्होने हल्के से उठ कर मेरे गाल पे किस किया तो मेरा लंड टाइट हो के तैयारी में था अचानक मैं हिल गया क्योंकि उनका हाथ मेरे लंड पे था और मैं हिल नहीं जाता हो मेरा लंड टाइट हो गया है ये उनको मालुम हो जाता और वो समझ जाती कि मैं सो नहीं रहा हूं। फिर थोड़ी देर के बाद मामी ने मेरे लिप्स पे अपने लिप्स रखकर हल्के से किस करने लगी तो मैने अचानक अपनी दोनो आंखें खोली तो मामी शरमा कर बाजु हट गयी। तब मैं मामी के गाल पे मेरा हाथ रखकर उनके गाल पे फेरने लगा।
तो वो गरम होने लगी और मैं भी गरम होने लगा और मेरा लंड पूरा (९ इंच) का टाइट हो गया और फिर मैं उनके गाल पे हाथ फेरते फेरते उनके लिप्स पे आ गया और उनके लिप्स पे मेरा हाथ रगड़ने लगा तो वो सिसकारियां भरने लगी। फिर मैं जरा सा उनके करीब गया और उनके गाल पे किस करने लगा ऐसे करते करते मैं उनके लिप्स पे मेरे लिप्स रख कर किस करने लगा उनके लिप्स तो बहुत ही नरम थे और उनके मुंह से गरम भाप निकल रही थी। फिर थोड़ी देर के बाद मैं उनके गर्दन और पीठ पे जीभ फिराने लगा तब वो बहुत ही गरम हो गयी। फिर मैं जीभ फेरते फेरते एक हाथ उनके ब्लाउज़ के अंदर डाल कर उनके चूची को मसलने लगा तो उन्होने मेरा हाथ बाहर निकलना चाहा तो मैने अंदर की ब्रेसिअर को पकड़ के रखा तो उन्होने मेरा हाथ छोड़ दिया।
थोड़ी देर के बाद मैं फिर से उनकी चूचियां मसलने लगा इस बार उन्होने मेरे हाथ को हटाने की कोशिश नहीं की बल्कि वो तो मजे लेने लगी थी। ऐसे ही हम आधे घंटे तक मजे लेते रहे। फिर थोड़ी देर के बाद मैं उनके ब्लाउज़ के बटन खोलकर ब्लाउज़ उतार डाला और फिर मैने उनका ब्रेसिअर भी उतार डाला। उनकी चूचियां मेरे सामने बिल्कुल नंगी थी इसलिये उन्होने अपने दोनो हाथों को चूचियों पर रखकर चूचियां छिपाने लगी तो मैने २ मिनट के बाद फिर से उनके लिप्स पे किस करना चालु किया तो थोड़ी देर के बाद उन्होने अपना हाथ चूचियों पर से हटा दिया। फिर मैं उनके चूचियों के तरफ़ मुड़कर उनकी चूचियां चूसने लगा। उनकि चूचियां बहुत टाइट और रसीली थी। मैं एक एक करके उनकी चूचियां चूसता रहा। फिर चूचियां चूसते चूसते मैं उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और पेटीकोट खीचने लगा तो उन्होने मुझे मना किया तो मैं रुक गया और उपर से ही उनके चूत को मसलने लगा तब वो गरम होने लगी और खुद ही उन्होने मुझे पेटीकोट उतारने में मदद की अब वे सिर्फ़ निकर में थी फिर थोड़ी देर के बाद वो भी मैने उतार डाली।
अब वे मेरे सामने पूरी नेकेड (नंगी) थी। फिर मैं उनके चूचियों का चूसना बंद करके उनके चूत को चूसने के लिये मैने अपना मुंह उनके चूत पे रखा तो उनके मुंह से इशह्हह्हह्हह्हह्ह अहह्हह्हह्ह ओह्हह्हह्ह इसे शब्द निकलने लगे तो मैं और उत्तेजित हो गया और उनकी चूत को चाटने लगा तो वो सिसकारियां भरने लगी। फिर मैने अपनी उंगली को उनके चूत में घुसायी तो उन्होने अपने दोनो टांगे टाइट कर दी तब मेरी उंगली उनकी चूत में फ़िट हो गयी और मुझे उनके चूत में उंगली को अंदर बाहर करने में दिक्कत हो लगी थी। और दूसरी तरफ़ मामी सिसकारियां भरने लगी थी।
ऐसे आधा घंटा करने के बाद मामी ने मुझे कहा कि अब मुझसे बरदास्त नहीं हो रहा है। जल्दी से कुछ करो तो मैने मामी की चूत चूसने को छोड़ दिया और अपने आप पे कंट्रोल करके बाजू हट गया। तो मामी बोली क्यों, क्या हुआ तब मैं बोला कि मामी आज नहीं कल करते हैं तो मामी बोली कि क्यों कल क्यों आज क्यों नहीं? तो मैं बोला कि मामी हम आज अनसेफ़ है अगर इसी हालत में कुछ किया तो हम दोनो को भी बड़ी बीमारी लग सकती है। तो मामी बोली कि तो हम आगे कुछ नहीं कर सकते क्या? तब मैं बोला कि नहीं हम आगे और भी कुछ कर सकते हैं लेकिन पूरी होशियारी के साथ। मामी बोली मैं तुम्हारा मतलब नहीं समझी तो मैं बोला कि हम जरूर करेंगे पर कल कंडोम पहन कर। तो मामी बोली ऐसा क्या तू तो बहुत ही होशियार है मैने कहा कि मामी हम अभी से ध्यान में रहकर मजे लेते रहे तो हम सेफ़ रहेंगे न और मजे भी मिलेंगे। तो मामी राजी हो गयी और कहा ओके गुड नाईट मेरे हसबंड तो मैं आश्चर्य से उनके मुंह को देखने लगा। और थोड़ी देर के बाद हम दोनो कपड़े पहन कर सो गये।
फिर सुबह जल्दी उठकर मैं मामी को लिप्स पे किस किया और मामी को जगाया और हम दोनो बाथरूम गये। फिर मैने मामी को नंगा करके उनके चूत और बूब्स पे पेस्ट लगाके उंगली से घिसने लगा तो वो सिसकारियां भरने लगी। बाद में मैने उन्हे साबुन लगाया और उनकी चूचियों को घिसने लगा तो वो मुझ से लिपट गयी। फिर थोड़ी देर के बाद मैने उनके चूत को साफ़ करने के लिये उनके चूत में उंगली डालते ही उनके मुंह से आईईईईईईईईईईईईईग की आवाज निकली। थोड़ी देर के बाद मैं उनको बाथ करके उन्हे कपड़े पहनाया और फिर मैने अपने घर आ कर स्नान किया और नाश्ता कर के कोलेज चला गया।
कोलेज से आते वक्त मैं मेडिकल जा कर दो कंडोम के पैकट ले लिया और घर आ गया। जब मैं रात को सोने जा रहा था तब मैने धीरे से सग में से कंडोम की दोनो पैकट निकाल कर जेब में रख लिया और सोने चला गया। जब मैं गुप्ता मामी के घर गया तो उनकी छोटी बेटी पालने में सो चुकी थी और गुप्ता मामी सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में ही थी। उनको उस हालत में देख कर मैं उत्तेजित हो गया और उनको गोद में उठा लिया। ऐसे ही मैं उनको बेड पे लिटा दिया और जेब में से कंडोम निकाल कर एक कंडोम मामी के पास दे कर उसे छिपाये रखने के लिये कहा क्योंकि कभी भी जरूरत पड़ सकती है इसलिये। और मैने अपने सारे कपड़े उतार के कंडोम पहन लिया। और मामी को बिस्तर पे लिटा कर उनको नंगा कर के उनके चूचियों को चूसता रहा।
थोड़ी देर के बाद उनके चूत को चाटने के लिये मुंह लगाते ही सिसकारियां भरने लगी। जब मैं उनके चूत चाटता रहा तब मामी ने कहा कि अब मैं प्रेसर में हूं तो मैने अपना मुंह उनकी चूत पर से हटा कर झत से ही उनकी चूत पे मसलने लगा तो मामी झड़ गयी। और फिर थोड़ी देर के बाद मैने अपना रुमाल निकाल कर उसे पानी में भिगोकर मामी की चूत को साफ़ कर दिया। और मैं किचन में जाकर फ़्रिज में से आइस ट्रे निकाल कर उसमे से दो तीन आइस के पीस निकल कर ले आया। और साथ ही फ़्रिज में रखा हुआ आइस-क्रीम ही लेकर आया। और जो मैने फ़्रिज से लाये हुये आइस के तुकड़े मामी के चूत में सरकाया तो मामी चिल्ला उठी उनके मुंह से इशह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्ह की आवाज निकल पड़ी उसके बाद मैने उनकी चूत में आइस-क्रीम घुसेड़ दी तो वो खड़ी हो कर चिल्लायी। और मुझ से कहा कि क्या कर रहे हो ऐसा कोई करता है भला। देख तेरे बजह से मुझे पेशाब आ गयी है मैं अभी जाकर आती हूं। तब मैने कहा कि आप को पेशाब आई है तो आप यहां पोजिशन ले के बैठिये और कर दीजिये। तब मामी बोली यहां कैसे कर सकती हूं सारे कमरे में फ़ैल जायेगी। फ़िर मैं बोला कि आप पोजिशन ले लीजिये और मैं आप के नीचे सो जाता हूं और मैं सो गया फ़िर ओ मेरे मुंह के पास अपनी चूत सेट करके मेरे मुंह में पेशाब करने लगी।
हाय क्या स्वाद था उसका स्वीट के साथ नमकीन भी था। इस से मुझ में स्फ़ूर्ति आ गयी और वहीं पे मैने मामी को लिटाया और उनके चूत पे मेरा टाइट लंड रखकर रगड़ने लगा। और फ़िर ५ मिनट के बाद मैने एक स्ट्रोक लगाते ही मेरा लंड २ इंच अंदर जाते ही मामी चिल्ला उठी आईईईईइग उनके मुंह से सिसकारियां सुनकर मैं और मूड में आ गया। और मैने और जरा जोर का झटका लगाया तो मेरा लंड ३ इंच अंदर जाते ही मामी तड़पने लगी उनके मुंह से आईईइ आईईईई ग्गग्गग्गग ऐसे सुर निकल पड़े। और मुझसे सिसकारियां भरते भरते ही कहने लगी कि मुझसे बरदास्त नहीं हो रहा है प्लीज उसे बाहर निकालो न! फिर मैं २ मिनट रुक गया जब मैं समझ गया कि मामी अब शांत हो गयी हैं तो मैने और एक जोर का झटका लगाते ही उनके चूत से ब्लड (खून) निकलने लगा तो वो दर्द के मारे तड़पने लगी और मेरा विरोध करने लगी। तो मैने मैं उसे कहा कि प्लीज मामी ऐसे मत कीजियेगा वरना कंडोम अंदर ही फस जायेगा और फिर बड़ी मुसीबत हो जायेगी।
तब मामी ने कहा अभी क्या मुझपर कम मुसीबत आई है क्या? मेरा तो हाल बहुत बुरा हो गया है फ़िर भी तुम करो मगर धीरे धीरे करो न! फिर मैने मामी से कहा कि मामी आपकी चूत तो बहुत ही टाइट है इसलिये आपको इतना दर्द हो रहा है और मुझको आप के चूत में मेरा लंड डालने में दिक्कत आ रही है। तो मामी बोली मेरी चूत टाइट नहीं बल्कि तेरा लंड ही बहुत बड़ा है। क्या मैं इस से पहले अपने पति से नहीं चुदवाती थी क्या? तब तो मुझे इतना दर्द नहीं हो पाया था। फिर मैने मामी से कहा अच्छा ठीक है अब आप कुछ देर तक ऐसे धक्के सहन कर लीजियेगा बाद में आपको कोई परेशानी या दर्द नहीं महसूस होगा। तो मामी बोली तू तो मेरे चूत के आर पार लंड डाल के पीछे से ही बाहर निकालेगा।
और जब मैं पेशाब करने लगूंगी तो मेरे आगे से और पीछे से भी फ़ौव्वारे निकालेगा तू। तब मैने मामी से कहा मामी अगर ऐसा हुआ तो आप जब भी पेशाब के लिये जायेंगी तो मुझे बुला लीजियेगा मैं आप के पीछे मेरा लंड डालूँगा फिर आप सही तरह से पेशाब कर सकेंगी। ऐसे कहते ही मैने मामी को और एक झटका लगाया तो मेरा लंड ५ इंच उनकी चूत में चले जाते ही मामी दर्द के मारे चिल्ला उठी। और मुझे अपने शरीर से दूर ढकलने लगी तो मैने मामी को जोर से मेरे सीने से दबोच के रखा और फिर मेरा बैक साइड पीछे लेकर और एक धक्का लगाया तो मेरा लंड ५ इंच अंदर चले जाते ही मामी ने मेरे बाल खीच कर मेरा विरोध करने लगी तो मैने अपने लिप्स उनके लिप्स पे रख कर किस करना शुरु कर दिया और साथ में ही चूचियों को मसलने लगा तो मामी उत्तेजित हो गयी और मेरे बालो को छोड़कर किस करने में मेरा साथ देने लगी तो मैने और एक झटका लगाया तो मेरा पूरा का पूरा लंड अंदर चले जाते ही मामी ने मेरे लिप्स को काटा।
फिर थोड़ी देर के बाद मैने अपना लंड अंदर बाहर करना शुरु किया कुछ ही देर में मामी मुझे साथ देने लगी वो अपना चूतड़ उपर नीचे उठा कर साथ देने लगी। और कुछ ही देर के बाद मामी ने अपना सरा कम निकाल दिया मामी दो-तीन बार झड़ गयी फ़िर बाद में मैं भी झड़ गया कुछ देर तक हम वैसे ही पड़े रहे। फिर आधे घंटे के बाद मैने मामी को उल्टा लिटाके उनके पिछवाड़े पे लंड रखकर रगड़ने लगा फिर बाद में मैने मामी के चूतड़ के गैप में मेरा लंड रखकर एक जोरदार धक्का लगाया तो मेरा २ इंच लंड अंदर चले जाते ही मामी दर्द के मारे चिल्लाने लगी तो मैने मामी का मुंह दबाके रखा तो मेरे हाथ को काटा।
और फिर मुझे बड़बड़ाने लगी कि क्या आदमी है या जानवर ऐसा हाल करते है क्या कोई औरत के साथ। अब फ़ौरन तुम्हारा लंड बाहर निकालो वरना अच्छा नहीं होगा। तो मैं मामी से बोला मामी मुझे माफ कर दीजिये आइंदा मैं ऐसे बेरहमी से आपको नहीं चोदुंगा आपको धीरे धीरे चोदुंगा सिर्फ़ एक मौका और प्लीज। तो मामी तैयार हो गयी फिर मैं मामी को धीरे धीरे धक्के लगाता रहा लेकिन फिर भी मामी को दर्द हो रहा था। परन्तु मामी वो दर्द सहन कर रही थी जब मेरा पूरा लंड उनके चूतड़ के छेद में चला गया तो मामी के छेद में से खून बाहर आने लगा फिर मैं थोड़ी देर तक धीरे धीरे धक्के लगाता रहा। कुछ ही देर में मामी के छेद में से रेड कम (खून कि वजह से) बाहर आने लगा तो मैने थोड़ी सी स्पीड बढ़ा दी और मामी भी मुझे साथ देने लगी इस तरह हमने उस रात को फुक्किंग ( चूदायी) Sex stories का मजा लिया और उसके बाद मैने मामी को २ बार चोदा फिर मुझे पुणे में ही जोब लग गयी
Antarvasna - मेरा नाम दीपक है। मेरी उमर इस समय 24 साल की है। शादी के 3 साल बाद ही एक रोड दुर्घटना में भैया का स्वर्गवास हो गया था। मैं भाभी के साथ अकेला ही रहता था। मेरी भाभी का नाम संध्या है। हमारा अपना खुद का बिजनेस था। भैया के स्वर्गवास होने के बाद मैं ही बिजनेस की देखभाल करता था।
भाभी बहुत ही खूबसूरत थी। वो मुझे दीपक कह कर ही बुलाती थी। पापा और मम्मी का स्वर्गवास बहुत पहले ही हो चुका था। मैं एक दम हट्टा कट्टा नौजवान था और बहुत ही ताकतवर भी था। भाभी उमर में मुझसे 1 साल की छोटी थी। वो मुझे बहुत प्यार करती थी।
भैया के गुजर जने के बाद मैं भाभी की पूरी देखभाल करता था और वो भी मेरा बहुत ख्याल रखती थी। मैं सुबह 10 बजे ही घर से चला जाता था और फिर रात के 8 बजे ही घर वापस आता था।
ये उस समय की बात है जब भैया को गुजरे हुये 6 महीने ही हुये थे। एक दिन मेरी तबियत खराब हो गयी तो मैने मेनेजर से दुकान सम्भालने को कहा और दोपहर के 1 बजे ही घर वापस आ गया।
भाभी ने पूछा- क्या हुआ दीपक?
मैने कहा- मेरा सारा बदन दुख रहा है और लग रहा है की कुछ फ़ीवर भी है।
मेरी बात सुनकर वो परेशान हो गयी। उन्होने मुझसे कहा, तुम मेरे साथ डॉक्टर के पास चलो।
मैने कहा, मैने मेडीकल स्टोर से कुछ मेडीसीन ले ली है। मुझे थोड़ा आराम कर लेने दो।
वो बोली, ठीक है, तुम आराम करो। मैं तुम्हारे बदन पर तेल लगा कर मालिश कर देती हूं।
मैने कहा, नहीं, रहने दो, मैं ऐसे ही ठीक हूं।
वो बोली, चुप चाप अपने क्मरे में जा कर लेट जाओ। मैं अभी तेल ले कर आती हूं।
मैं कभी भी भाभी की बात से इन्कार नहीं करता था।
मैं अपने कमरे में आ गया। मैने अपनी शर्ट और पेन्ट उतार दी और केवल बनियान और नेकर पहने हुये ही लेट गया। मेरा नेकर एक दम ढीला था और थोड़ा छोटा नेकर ही पहनता था।
भाभी तेल ले कर आयी। उन्होने मेरे सिर पर तेल लगाया और मेरा सिर दबाने लगी। उसके बाद उन्होने मेरे हाथ, सीने और पीठ पर भी तेल लगा कर मालिश किया। आखिर में वो मेरे पैर पर तेल लगा कर मालिश करने लगी।
आखिर मैं भी आदमी ही था। उनके हाथ लगने से मुझे जोश आने लगा। जोश के मारे मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और मेरा नेकर तम्बू की तरह से उपर उठने लगा। धीरे धीरे मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा हो गया और मेरा नेकर एक दम तम्बू की तरह हो गया। मैं जानता था की नेकर के छोटा होने की वजह से भाभी को मेरा लण्ड थोड़ा सा दिखायी दे रहा होगा।
वो मेरे पैरों की मालिश करते हुये मेरे लण्ड को भी देख रही थी और उनकी आंखे थोड़ा गुलाबी सी होने लगी थी। उनके चेहरे पर हलकी सी मुस्कान भी थी। मालिश करने के बाद वो चली गयी। उसके बाद मैं सो गया।
शाम के 6 बजे मेरी नींद खुली और मैं उठ गया। भाभी चाय लेकर आयी। मैने चाय पी। उसके बाद मैं बाथरूम चला गया। बाथरूम से जब मैं वापस आया तो भाभी ने कहा, अब लेट जाओ, मैं तुम्हारे बदन की फिर से मालिश कर देती हूं।
मैने कहा, अब रहने दो ना, भाभी।
वो बोली, क्या मालिश करने से कुछ आराम नहीं मिला।
मैने कहा, बहुत आराम मिला है। वो बोली, फिर क्यों मना कर रहे हो।
मैने कहा, ठीक है, तुम केवल मेरे पैर की ही मालिश कर दो।
वो खुश हो गयी। उन्होने मेरे पैर की मालिश शुरु कर दी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। इस बार मेरा नेकर थोड़ा पीछे की तरफ़ खिसक गया था जिस से भाभी को मेरा लण्ड इस बार कुछ ज्यादा ही दिखायी दे रहा था। भाभी मेरे लण्ड को देखते हुये मेरे पैरों की मालिश करती रही। मुझे साफ़ पता चल रहा था कि मेरे लण्ड को देख कर वो भी जोश मे अने लगी थी।
थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं जब तेरे पैर की मालिश करती हूं तो तुझे क्या हो जाता है। मैं कहा, कुछ भी तो नहीं हुआ है मुझे। उन्होने मेरे लण्ड पर हलकी सी चपत लगते हुये कहा, फिर ये क्या है।
मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो मुझे गुदगुदी सी होने लगती है, इसी लिये तो मैं मना कर रहा था।
उन्होने जोश मे भर कर मेरे लण्ड पर फिर से चपत लगते हुये कहा, इसे काबू में रखा कर।
मैने कहा, जब तुम मालिश करती हो तो ये मेरे काबू में नहीं रहता।
वो बोली, तुम भी अपने भैया की तरह ही हो। मैं जब उनके पैर की मालिश करती थी तो वो भी इसे काबू में नहीं रख पाते थे।
मैने मजाक करते हुये कहा, फिर वो क्या करते थे।
वो बोली, बदमाश कहीं का।
मैने कहा, बताओ ना भाभी, फिर वो क्या करते थे। भाभी शरमाते हुये बोली, वही जो सभी मर्द अपनी बीवी के साथ करते हैं।
मैने कहा, तब तो तुम्हें भैया के पैरों की मालिश नहीं करनी चाहिये थी। उन्होने पूछा, क्यों। मैने कहा, आखिर बाद में परेशानी भी तुम्हें ही उठानी पड़ती थी। वो बोली, परेशानी किस बात की, आखिर मेरा मन भी तो करता था।
मैने कहा, मेरा भी मन भी काबू में नहीं है, अब तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं।
वो बोली, शादी कर लो।
मैने कहा, मैं अभी शादी नहीं करना चाहता।
उन्होने मुस्कराते हुये कहा, फिर बाथरूम में जा कर मुठ मार लो।
मैने अनजान बनते हुये पूछा, वो क्या होता है।
वो बोली, क्या सच में तुझे नहीं मालूम है कि मुठ मारना किसे कहते हैं।
मैने कहा, नहीं।
उन्होने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा, इसे अपने हाथ में पकड़ कर अपना हाथ तेजी से आगे पीछे करना। थोड़ी ही देर में इस में से ज्यूस निकल जायेगा और ये शान्त हो जायेगा।
मैने कहा, तुम मुझे थोड़ा सा कर के बता दो।
भाभी जोश में तो आ ही चुकी थी। वो बोली, तू बहुत ही बदमाश है। अपने लण्ड को बाहर निकाल, मैं बता देती हूं की कैसे करना है। मैने कहा, तुम खुद ही लण्ड को बाहर निकाल कर बताओ की कैसे करना है। उन्होने शरमाते हुये मेरे लण्ड को पकड़ कर नेकर से बाहर निकाल लिया। जैसे ही मेरा 9″ लम्बा लण्ड बाहर आया तो वो बोली, बाप रे, तेरा तो बहुत ही लम्बा है और मोटा भी।
मैने पूछा, अच्छा नहीं है क्या।
वो शरमाते हुये बोली, बहुत ही अच्छा है। मैने पूछा, भैया का कैसा था। वो बोली, उनका भी अच्छा था लेकिन तेरे जैसा लम्बा और मोटा नहीं था। मैने कहा, अब बताओ की कैसे करना है। उन्होने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपना हाथ आगे पीछे करना शुरु कर दिया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा। वो भी जोश में आने लगी।
2 मिनट मुठ मारने के बाद वो बोली, ऐसे ही कर लेना। अब जा बाथरूम में।
मैने कहा, बाथरूम में क्यों, अगर मैं यहीं कर लेता हूं तो इसमें क्या बुरायी है।
वो बोली, तेरा ज्यूस यहां गिरेगा और मुझे ही साफ़ करना पड़ेगा।
मैने कहा, मैं ही साफ़ कर दूंगा। वो बोली, ठीक है, यहीं कर ले। मैं जाती हूं। मैने उनका हाथ पकड़ कर कहा, तुम यहीं बैठो ना। वो बोली, तेरे लण्ड पर हाथ लगने से मुझे पहले ही थोड़ा सा जोश आ चुका है। अगर मैं तुझे मुठ मारते हुये देखूंगी तो मुझे और ज्यादा जोश आ जायेगा। फिर मेरे लिये बरदाश्त करना मुश्किल हो जायेगा। आखिर मैं भी तो औरत हूं और अभी जवान भी हूं। मैने कहा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं तुम्हारे साथ कुछ भी नहीं करुंगा। वो बोली, मुझे पूरा भरोसा है तभी तो मैने तेरे लण्ड को पकड़ कर तुझे मुठ मारना बताया है। मैने पूछा, नेकर उतार दू या ऐसे ही मुठ मार लू। वो बोली, क्या नेकर भी खराब करेगा। उतार दे इसे।
मैने अपना नेकर उतार दिया और मुठ मारने लगा। भाभी मुझे मुठ मारते हुये देखती रही। मैं भाभी को देखता हुआ मुठ मार रहा था। धीरे धीरे वो और ज्यादा जोश में आ गयी। जोश के मारे मेरे मुह से आह… ऊह… की आवाज़ निकाल रही थी। वो मुझे और कभी मेरे लण्ड को देख रही थी। उन्होने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया और सहलाने लगी। मैने पूछा, क्या हुआ। वो बोली, तू मुझे एक दम पागल कर देगा। मैं जा रही हूं।
मैने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा, बैठो ना मेरे पास। वो चुप चाप बैठ गयी। मैं मुठ मारता रहा। भाभी जोश के मारे पागल सी हो चुकी थी। थोड़ी ही देर में उन्होने मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली, अब रहने दे, अब मुझसे बरदाश्त नहीं हो रहा है।
मैने पूछा, क्या हुआ। उन्होने अपना पेटीकोट उपर कर दिया और बोली, देख मेरी चूत भी एक दम गीली हो गयी। तूने तो मुझे पागल सा कर दिया है। अब मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा है, तू मेरी चूत को सहला दे, मैं तेरा लण्ड सहला देती हूं। मैने कहा, केवल सहलना ही है या कुछ और करना है। वो बोली, अगर तेरा मन करे तो मेरी चूत को थोड़ा सा चाट ले जिस से मुझे भी थोड़ा आराम मिल जायेगा। मैने कहा, कपड़े तो उतार दो। वो बोली, तू खुद ही उतार दे।
मैने भाभी के कपड़े उतार दीये। अब वो एक दम नंगी हो गयी। उनकी चूत एक दम साफ़ थी।
मैने कहा, तुम्हारी चूत तो एक दम साफ़ है।
वो बोली, मुझे चूत पर बाल बिलकुल भी पसन्द नहीं हैं इसी लिये मैं इसे हमेशा ही साफ़ रखती हूं। तेरा भी तो एक दम साफ़ है।
मैने कहा, मुझे भी बाल पसन्द नहीं हैं।
वो लेट गयी तो मैने उनकी चूत पर अपनी जीभ फिरानी शुरु कर दी।
वो बोली, ऐसे नहीं।
मैने कहा, फिर कैसे?
वो बोली, मुझे भी तो तेरा चूसना है। तू मेरे उपर उल्टा लेट जा और अपना लण्ड मेरे मुह के पास कर दे फिर चाट मेरी चूत को।
मैं भाभी के उपर 69 की पोजीशन में लेट गया। मैने उनकी चूत पर जीभ फिरना शुरु किया तो उन्होने मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुह में ले लिया और चूसने लगी। मुझे खूब मज़ा आने लगा। भाभी भी जोश के मारे सिसकारियां भरने लगी।
मैने उनकी चूत की दरार को अपने होंठो से दबाना शुरु कर दिया तो उन्होने जोर की सिसकारी ली।
मैने पूछा, क्या हुआ।
वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर जोर से दबा।
मैने उनकी चूत की दरार को और ज्यादा जोर से दबाना शुरु कर दिया तो उन्होने मेरा लण्ड अपने मुह में और ज्यादा अन्दर ले लिया और तेजी के साथ चूसने लगी। मैने एक अंगुली उनकी चूत में डाल दी और अन्दर बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर में भाभी की चूत से ज्यूस निकाल आया।
वो बोली, चाट ले इसे। मैने उनकी चूत का सारा ज्यूस चाट लिया। थोड़ी ही देर में मेरे लण्ड का ज्यूस भी निकालने लगा तो भाभी सारा का सारा ज्यूस निगल गयी। उसके बाद मैं हट गया और उनके बगल में लेट गया।
भाभी मेरा लण्ड सहलने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली, आज तो वो हो गया जो कि नहीं होना चाहिये था।
मैने कहा, मैने ऐसा क्या कर दिया।
वो बोली, तूने मुझे अपना लण्ड दिखा कर आज मुझे पागल सा कर दिया।
मैने कहा, मैने तो नहीं दिखाया था।
वो बोली, तेरा नेकर ही इतना छोटा और ढीला था की मुझे तेरा लण्ड दिखायी दे गया। मैं अपने आप को काबू में नहीं रख पायी इसी लिये मैने तुझसे पैर की दोबारा मालिश करने के लिया कहा था। मैं तेरा लण्ड देखना चाह्ती थी क्यों की मुझे तेरा लण्ड बहुत ही लम्बा और मोटा दिख रहा था।
मैने कहा, अब तो देख लिया ना।
वो बोली, हा, देख भी लिया और पसन्द भी कर लिया।
मैने कहा, अब क्या इरादा है।
वो बोली, तू भी वही कर जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे।
मैने कहा, ये ठीक नहीं है।
वो बोली, क्या ठीक है क्या नहीं, मैं कुछ नहीं जानती। अगर तू मेरे साथ नहीं करेगा तो मैं मर जाऊगी।
मैने पूछा, मैं तुम्हारे साथ क्या करूं। वो बोली, जो तेरे भैया मेरे साथ करते थे।
मैने कहा, मैने तो कभी देखा ही नहीं की भैया तुम्हारे साथ क्या करते थे। भाभी ने मेरे गालो को जोर से काट लिया और बोली, अब चोद दे मुझे।
मैने कहा, दर्द होगा।
वो बोली, तो मैं क्या करूं, होने दे। जो होगा देखा जायेगा।
मैने कहा, तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूं?
भाभी का तो जोश के मारे बुरा हाल था। वो बोली, तू मुझे नहीं चोदेगा लेकीन मैं तो तुझे चोद सकती हूं।
मैने कहा, फिर तुम ही चोदो।
मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो चुका था। भाभी मेरे उपर आ गयी। उन्होने मेरे लण्ड के सुपाड़े को अपनी चूत के बीच रखा और दबाने लगी। उनके चेहरे पर दर्द की झलक साफ़ दीख रही थी फिर भी वो रुकी नहीं। मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत में घुसता ही जा रहा था। उनकी चूत बहुत ही टाईट थी। उन्होने दबाना जारी रखा तो थोड़ी ही देर में उनकी आंखो में आंसू भी आ गये।
मैने पूछा, क्या हुआ।
वो बोली, दर्द बहुत हो रहा है।
मैने कहा, फिर रुक जाओ ना, क्यों इतना दर्द बर्दाश्त कर रही हो।
वो बोली, मैं पागल हो गयी हूं।
अब तक मेरा लण्ड भाभी की चूत में 7″ तक घुस चुका था। दर्द के मारे भाभी का बुरा हाल हो रहा था। तभी वो अपने बदन का सारा जोर देते हुये अचनक मेरे लण्ड पर बैठ गयी। मेरा पूरा का पूरा लण्ड उनकी चूत में समा गया। उनके मुह से जोर की चीख निकाली। उनका सारा बदन थर थर कांपने लगा। उनके चेहरे पर पसीना आ गया। उनकी सांसे बहुत तेज चल रही थी।
वो मेरे उपर लेट गयी और मेरे होंठो को चूमने लगी। मैं उनकी कमर और चूतड़ को सहलने लगा।
तभी मुझे बदमाशी सूझी। मैने उनकी गाण्ड के छेद पर अपनी अंगुली फिरानी शुरु कर दी तो उन्हें मज़ा आने लगा।
अचनक मैने अपनी अंगुली उनकी गाण्ड में डाल दी तो उन्होने जोर की सिसकारी ली और बोली, बदमाश कहीं का। पहले तो कह रहा था की तुम मेरी भाभी हो, मैं तुम्हें कैसे चोद सकता हूं। अब मेरी गाण्ड में अंगुली डाल रहा है। क्या मैं अब तेरी भाभी नहीं रह गयी।
मैने कहा, बिलकुल नहीं, अब तो तुमने मेरा लण्ड तुमने अपनी चूत में डाल लिया है। अब तुम मेरी भाभी नहीं रह गयी हो।
वो बोली, फिर मैं अब तेरी क्या लगती हूं।
मैने कहा, बीवी।
वो बोली, फिर चोद दे ना अपनी बीवी को। क्यों तरसा रहा है मुझे।
अब तो मैने तेरा पूरा का पूरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर ले लिया है। मेरी अंगुली अभी भी भाभी की गाण्ड में थी। मैने फिर शरारत की और कहा, मैं तुम्हें एक ही शर्त पर चोद सकाटा हूं।
वो बोली, कैसी शर्त।
मैने कहा, मैं तुम्हारी गाण्ड भी मारुंगा। वो बोली, अपनी बीवी से भी पूछना पड़ता है क्या। मैने कहा, मुझे नहीं मालूम।
वो बोली, तेरे भैया ने तो मुझसे कभी नहीं पूछा, जब भी उनका मन किया उन्होने मेरी चुदायी की और जब उनका मन हुआ तो उन्होने मेरी गाण्ड भी मारी। मैने कहा, इसका मतलब तुम भैया से गाण्ड भी मरवा चुकी हो।
वो बोली, तो क्या हुआ, मज़ा तो दोनो में ही आता है। अब मुझे ज्यादा मत परेशान कर, चोद दे ना।
मैने कहा, थोड़ा सा तुम चोदो फिर थोड़ा सा मैं चोदुंगा। वो बोली, ठीक है, बाबा।
भाभी ने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु कर दिये तो उनके मुह से चीख निकालने लगी।
मैने पूछा, अब क्या हुआ। वो बोली, दर्द हो रहा है। मैने पूछा, क्यों, अब तो पूरा अन्दर ले चुकी हो।
वो बोली, अन्दर लेने से क्या होता है। मेरी चूत अभी तेरे लण्ड के साईज की थोड़े ही हुयी है।
मैने पूछा, मेरे लण्ड की साईज की कैसे होगी।
वो बोली, जब तू मुझे कई बार चोद देगा तब। वो धीरे धीरे धक्के लगाती रही।
मैने पूछा, तुम्हारी चूत को चौड़ा करने के लिये मुझे कितनी बार चोदना पड़ेगा।
वो बोली, ये तो तेरे उपर है की तू किस तरह से मेरी चुदायी करता है। मैने पूछा, क्या एक बार में भी हो सकता है।
वो बोली, बिलकुल हो सकता है, अगर तू मुझे पहली बार में ही कम से कम 1 घन्टे चोद सके तो। लेकीन मैं जनति हूं की तू ऐसा नहीं कर पयेगा।
मैने पूछा, क्यों।
वो बोली, तूने कभी किसी को पहले चोदा है।
मैने कहा, नहीं। वो बोली, तो फिर तू 10 मिनट से ज्यादा रुकेगा ही नहीं।
मैने कहा, रुकुनगा क्यों नहीं। वो बोली, तुझे मेरी चुदायी केरने में जोश ज्यादा आ जायेगा इस लिये।
भाभी को धक्के लगते हुये लगभग 10 मिनट हो चुके थे और वो इस दौरन 1 बार झड़ भी चुकी थी। तभी मेरे लण्ड का ज्यूस निकाल पदा और साथ ही साथ वो भी फिर से झड़ गयी।
वो मुस्कराते हुये बोली, क्या हुआ पहलवान। मैने कहा, वही हुआ जो तुम कह रही थी। वो बोली, मेरी चूत धीली करने के लिये तुझे कम से कम 1 घन्टे तक मेरी चुदायी करनी पदेगि। मैं ये भी जानती हूं की अगली बार तू ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट ही मुझे चोद पयेगा। इस तरह जब तू 3-4 बार मेरी चुदायी कर देगा तब कुल मिलकर 1 घन्टे हो जयेनगे और मेरी चूत ढीली हो जायेगी और तेरे लण्ड के साईज की हो जायेगी, समझ गये बच्चु। मैने कहा, बिलकुल समझ गया, मेडम।
भाभी ने मेरे लण्ड को अपनी चूत के अन्दर ही रखा और मेरे उपर लेट गयी। वो मेरे होंठो को चूमती रही और मैं उनकी चूंचियो को मसलता रहा। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड उनकी चूत में ही फिर से खड़ा होने लगा तो वो बोली, अब तुम मुझे चोदो। मैने कहा, जैसी आप की मरजी। वो मुस्कराते हुये मेरे उपर से हट गयी और लेट गयी। मैं उनके उपर आ गया। मैने उनकी चुदायी शुरु कर दी। मैं पूरे जोश में था और जोर जोर के धक्के लगाते हुये उनको चोद रहा था।
वो बोली, शाबाश बहादुर, बहुत ही अच्छी तरह से चोद रहे हो, चोदते रहो, रुकना मत, थोड़ा और जोर के धक्के लगाओ। मैने और ज्यादा तेजी के साथ धक्के लगने शुरु कर दिये। लगभग 15 मिनट की चुदायी के बाद मैं झड़ गया। भाभी भी इस चुदायी के दौरान 2 बार झड़ चुकी थी।
मैने उन्हें सारी रात खूब जम कर चोदा। वो भी पूरी तरह से मस्त हो गयी थी और मैं भी। सुबह तक मैं उ्न्हे 6 बार चोद चुका था। सुबह को मैने पूछा, तुम्हारी चूत मेरे लण्ड की साईज की हो गयी या नहीं।
वो बोली, जब तुमने मेरी 4 बार चुदायी कर दी फिर उसके बाद मैं चिल्लायी क्या। मैने कहा, बिलकुल नहीं। वो बोली, फिर समझ लो की मेरी चूत तुम्हारे लण्ड की साईज की हो गयी।
थोड़ी देर बाद वो बोली, मैं एक बात तुमसे कहना चाहती हूं।
मैने पूछा, अब क्या है। वो बोली, मुझे तो तुम्हारा लण्ड बहुत पसन्द आ गया है। अगर तुम्हें मेरी चूत भी पसन्द आ गयी हो तो तुम मुझसे शादी कर लो। मैं तुमसे 1 साल छोटी भी हूं और जवन भी। मैं तुम्हें पूरा मज़ा दूंगी और एक दम खुश रखूगी। अगर तुम मुझसे शादी नहीं करोगे तो मैं तो तुम्हारी रखैल बन कर रह जाऊगी। जब तुम्हारी शादी हो जायेगी तो मुझे कौन चोदेगा। भाभी खूबसुरत थी ही। मैं उन्हें बहुत प्यार भी करता था और वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी। उनकी बात सही भी थी क्यों की मुहल्ले के लोग बाद में उन्हें मेरी रखैल ही कहते।
मैने मजाक किया, अगर तुम मुझसे शादी करना चाहती हो तुम्हें एक काम करना पड़ेगा। वो बोली, मैं सब कुछ करने के लिये तैयार हूं। मैने कहा, तुमने उस पागल को देखा है ना जो हमारे मुहल्ले में घूमता रहता है। वो बोली, हां देखा है। मैने कहा, तुमने उसका लण्ड भी देखा होगा। वो बोली, देखा है। मैने पूछा, उसका लण्ड कैसा है। वो बोली, उसका तो तुमसे भी ज्यादा लम्बा और मोटा लगता है।
मैने कहा, मैं उसे एक दिन घर ले आता हूं, तुम उस से चुदवा लो।
वो बोली, ठीक है, ले आना। मैं तुमसे शादी करने के लिये कुछ भी कर सकती हूं। मैं उस पागल से भी चुदवा लूंगी।
मैने कहा, मैं तो मजाक कर रहा था।
वो बोली, तो क्या तुम समझी की मैं सच में ही उस पागल से चुदवा लूंगी।
मैने कहा, मैं तुमसे एक ही शर्त पर शादी करुंगा।
वो बोली, मैने कहा ना की मुझे तुम्हारी हर शर्त मनज़ूर है।
मैने कहा, सुन तो लो। वो बोली, फिर सुना ही दो। मैने कहा, मैं तुम्हारी गाण्ड मारुंगा तब ही तुमसे शादी करुंगा।
वो बोली, जब मैने तुम्हारा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लिया तब ही मैं तुम्हारी बीवी बन गयी थी, भले ही हमारी शादी नहीं हुयी थी। अपनी बीवी से ये बात पूछी नहीं जाती। अभी मार लो मेरी गाण्ड।
मैने कहा, फिर सुहागरात के दिन मैं क्या करुंगा।
वो बोली, फिर रहने दो, सुहागरात के दिन तुम मेरी गाण्ड चोद लेना।
मैने कहा, एक दिक्कत और है।
वो बोली- अब क्या है।
मैने कहा, तुमसे शादी करने के बाद मैं सारी जिन्दगी किसी कुवांरी चूत को नहीं चोद पाऊगा।
वो बोली, मैं तुम्हारे लिये कुंवारी चूत का इनतजाम भी कर दूंगी। मैने पूछा, वो कैसे। वो बोली, ये मुझ पर छोड़ दो। मैने कहा, फिर मैं पण्डित से पूछ लेता हूं की हमें शादी कब करनी चाहिये। वो बोली, पूछ लेना। मैने पण्डित से बात की तो उसने 3 दिन बाद का मुहुरत बताया। 3 दिनो तक मैने संध्या की खूब जम कर चुदायी की। अब उसे और ज्यादा मज़ा आने लगा था।
संध्या चुदवाते समय मेरा पूरा साथ देती थी इस लिये मुझे भी खूब मज़ा आता था।
तीसरे दिन हम दोनो ने मन्दिर में शादी कर ली। रात में मैने संध्या की गाण्ड मारी। वो बहुत चीखी और चिल्लायी लेकिन उसने एक बार भी मुझे रोका नहीं। उसकी गाण्ड कई जगह से कट फ़ट गयी थी और उसकी गाण्ड की हालत एक दम खराब हो गयी थी। वो 2 दिनो तक ठीक से चल भी नहीं पा रही थी।
मैने पूछा, मैं जब तुम्हारी गाण्ड मार रहा था और तुम्हें इतनी ज्यादा तकलीफ़ हो रही थी तो तुमने मुझे रोका क्यों नहीं। वो बोली, मैं अपने पति को कैसे मना करती। आखिर बाद में मुझे भी तो गाण्ड मारवने में मज़ा आया। मैने कहा, वो तो आना ही था। अब मेरे लिये कुंवारी चूत का इनतेजाम कब करोगी। वो बोली, बस जल्दी ही हो जायेगा।
शादी के 4 दिन के बाद जब मैं दुकान से घर आया तो घर पर एक लडकी बरतन साफ़ कर रही थी। उसके कपड़े थोड़ा गन्दे थे लेकीन वो थी बहुत ही खूबसुरत। उसकी उमर लगभग 18 साल की रही होगी। मैं सीधा अपने कमारे में चला गया। संध्या भी मेरे पीछे पीछे आ गयी।
मैने संध्या से पूछा, ये कौन है। वो मुस्कराते हुये बोली, मैने इसे घर का काम करने के लिये रखा है। इसका नाम रीना है। पसन्द है ना तुम्हें। मैं इसे तुम्हारे काम के लिये भी जल्दी ही तैयार कर लू्ंगी। मैने कहा, तुम्हारी पसन्द का तो जवाब नहीं है। कहां रहती है ये।
संध्या ने कहा, ये गावँ में रहती थी लेकिन अब यहीं रहेगी। मेरे भैया जब शादी में आये थे तो मैने उन से कहा था की मुझे घर का काम करने के लिये एक लड़की चाहिये। उन्होने ने ही इसे यहां पर भेजा है। ये हमारे साथ ही रहेगी। मैने कहा, जल्दी तैयार करो इसे। मैं इसे जल्दी से जल्दी चोदना चाहता हूं। वो बोली, थोड़ा सबर करो।
रीना बरतन साफ़ कर के कमारे में आ गयी। उसने संध्या से पूछा, मालकिन, मैने घर का सारा काम कर दिया है, और कुछ करना हो तो बता दो। संध्या ने कहा, तू तो मेरे गावँ की है, मुझे मालकिन मत कहा कर।
वो बोली, फिर मैं आप को क्या कह कर बुलाऊ। संध्या ने कहा, तू मुझे दीदी कहा कर और इन्हें जीजू। वो खुश हो गयी और बोली, ठीक है, दीदी। संध्या ने कहा, मेरी तबियत कुछ खराब रहती है इस लिये तू मेरे साथ ही सो जना। वो बोली, फिर जीजू कहन सोयेनगे। संध्या ने कहा, वो भी मेरे पास ही सोयेनगे। वो बोली, फिर मैं आप के पास कैसे सो पौनगि। संध्या ने कहा, मेरे एक तरफ़ तुम सो जाना दूसरी तरफ़ ये सो जायेगे। वो बोली, ये तो ठीक नहीं होगा।
संध्या ने कहा, शहर में सब चलता है। यहां ज्यादा शरम नहीं की जाती।
वो बोली, ठीक है, मैं आप के पास ही सो जाऊगी।
हम सब ने खाना खाया उसके बाद मैं अपने कमरे में सोने के लिये आ गया। मैने केवल लुंगी ही पहन रखी थी। थोड़ी देर बाद संध्या और रीना भी आ गये। संध्या ने बरा और पेन्टी को छोड़ कर अपने बाकी के कपड़े उतार दिये। उसके बाद उसने मैक्सी पहन ली। संध्या ने रीना से कहा, अब तू भी अपने कपड़े उतार दे। मैं तुझे भी एक मैक्सी देती हूं, उसे पहन लेना।
वो बोली, नहीं, मैं ऐसे ही ठीक हूं। संध्या ने कहा, मैं जो कहती हूं, उसे मान लिया कर। सोते समय सारा बदन खुला छोड़ देना चाहिये। वो बोली, जीजू यहां हैं।
संध्या ने कहा, जीजू से कैसी शरम, ये तुझे पकड़ थोड़े ही लेंगे। उतार दे अपने कपड़े। रीना ने शरमाते हुये अपनी शलवर और कमीज़ उतार दी। उसका बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूंचिया अभी बहुत ही छोटी छोटी थी। संध्या ने उसे भी एक मैक्सी दे दी तो उसने वो मैक्सी पहन ली।
संध्या मेरे बगल में लेट गयी। रीना संध्या के बगल में लेट गयी। हम सब कुछ देर तक बातें करते रहे। उसके बाद सोने लगे। थोड़ी ही देर में रीना सो गयी तो संध्या ने मुझसे कहा, अब तुम मेरी चुदायी करो।
मैने कहा, इसके सामने। वो बोली, मैं चाह्ती हूं की ये हम दोनो को देख ले, तभी तो मैं इसे तैयार करुंगी। तुम मुझे खूब जोर जोर से चोदना जिस से ये जाग जाये। मैने कहा, ठीक है।
मैने संध्या को जोर जोर से चोदना शुरु कर दिया। सारा बेड जोर जोर से हिलने लगा। थोड़ी ही देर में रीना की नींद खुल गयी और वो उठ कर बैठ गयी। जैसे ही वो उठी तो मैने अपना लण्ड संध्या की चूत से बाहर निकाल लिया।
रीना ने जब हुम दोनो को देखा तो शरमा गयी। वो बोली, दीदी, मैं बाहर जा रही हूं।
संध्या ने कहा, क्यों, क्या हुआ।
वो बोली, मुझे शरम आती है।
संध्या ने कहा, पागली, इसमें शरमाने की कौन सी बात है। तू अपना मुह दूसरी तरफ़ कर ले और सो जा। रीना उठ कर जाना चाहती थी लेकीन संध्या ने उसका हाथ पकड़ लिया। रीना कुछ नहीं बोली।
वो संध्या के बगल में ही लेट गयी लेकिन उसने अपना मुह दूसरी तरफ़ नहीं किया। संध्या ने मुझसे कहा, अब तुम अपना काम जल्दी से पूरा करो, मुझे नींद आ रही है।
मैने संध्या को चोदना शुरु कर दिया। रीना तिरछी निगाहों से हम दोनो के देख रही थी।
15 मिनट की चुदायी के बाद जब मैं झड़ गया तो मैने अपना लण्ड संध्या की चूत से बाहर निकाला। संध्या उठ कर बैठ गयी और उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। रीना ने शरम के मारे अपनी आखे बन्द कर ली।
संध्या ने अपना मुह रीना की तरफ़ कर लिया और अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया। उसने कहा, दीदी, अपना हाथ हटा लो।
संध्या ने कहा, मुझे तो ऐसे ही सोने की आदत है। अब सो जा।
रीना कुछ नहीं बोली। उसके बाद हम सब सो गये।
सुबह हम सब उठ गये। रीना फ़्रेश होने चली गयी। संध्या ने मुझसे कहा, अब तुम इसे बार बार अपना लण्ड दिखने की कोशिश करना लेकीन इसे हाथ मत लगाने देना। इसे ऐसा लगना चाहिये की जैसे तुम अपना लण्ड इसे दिखाने की कोशिश नहीं कर रहे थे। मैने कहा, ठीक है। रीना फ़्रेश हो कर आ गयी।
संध्या ने कहा- अब तू घर में झाड़ु लगा ले।
वो झाड़ु लगाने चली गयी।
संध्या ने मुझसे कहा- अब तुम जा कर फ़्रेश हो जाओ। आज से अपना टावेल साथ मत ले जना और एकदम नंगे ही नहाना, मैं रीना से तुम्हारा टावेल भेज दूंगी।
मैने कहा, ठीक है।
Antarvasna कहानी जारी रहेगी।
विधवा भाभी की चुदाई-2
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