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Massage Girl in Gautam Buddha Nagar: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Gautam Buddha Nagar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Gautam Buddha Nagar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Gautam Buddha Nagar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Gautam Buddha Nagar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Gautam Buddha Nagar massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Gautam Buddha Nagar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Gautam Buddha Nagar who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Gautam Buddha Nagar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Gautam Buddha Nagar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Gautam Buddha Nagar

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Gautam Buddha Nagar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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नमस्कार मेरे प्यारे पाठको ! Hindi Sex Stories

मैं एक बार फ़िर से हाज़िर हूं अपनी Hindi Sex Storiesकहानी का अगला भाग लेकर। आपने मेरी पिछली कहानियाँ
टीचर्स डे और ऐन्नुअल डे
तो पढ़ी होंगी। आप वरुण और मुझ से तो वाकिफ़ ही होंगे। यह कहानी ठीक वहीं से शुरू है जहां ‘ऐन्नुअल डे’ खत्म हुई थी।

सभी कहानियों में यह कहानी मेरे दिल के सबसे करीब है। कई बार इस कहानी को लिखते वक्त मुझे शब्दों की कमी महसूस हुई, अपने मन के भावों को शब्दों में ढालना सचमुच एक कठिन कार्य है, फ़िर भी मैंने अपनी पूरी कोशिश की है।

अगर आपका प्यार इसी तरह बना रहा तो मैं अन्तर्वासना के माध्यम से आपको अपनी कहानी के अगले भाग भी पहुंचाती रहूंगी।

उस दिन बस में वरुण के मुंह से इतनी सीरियस बातें सुनने के बाद मैं उससे अपने दिल की बात कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाई और मैंने सोच लिया कि अपने मन की बात उसे कभी नहीं बताऊंगी, क्योंकि मैं वरुण को किसी भी रूप में खोना नहीं चाहती थी। उसके साथ के लिए अगर मुझे उसकी दोस्ती निभानी पड़ती है तो वही सही।

इसीलिए मैंने अपने दिल के अरमान अपने होठों तक कभी ना पहुंचने देने का तय किया, पर नज़रें हमेशा दिल का साथ देती हैं…दिमाग और जुबान चाहे कितनी भी कोशिश करके खुद को जताने से रोक लें… पर दिल की बात कहने के लिए सिर्फ़ एक नज़र ही काफ़ी होती है।

उस दिन शाम को हम होटल पहुंचे। जयपुर वाली ब्रांच ने दो कमरे बुक करा रखे थे, एक बिना ऐ सी डबल बेडरूम दो विद्यार्थियों के लिए और एक ऐ सी सिंगल बेडरूम हमारे अध्यापक के लिए।

सर ने वरुण से कहा- मैं बेड शिफ़्ट करवा देता हूं, तुम मेरे कमरे में मेरे साथ सो जाना और कृति वहां आराम से सो जाएगी। सर को मुझ पर और वरुण पर भरोसा नहीं था और हो भी क्यों??? कच्ची उमर में ही ऐसी गलतियाँहोती हैं, पर वरुण ने सर को भरोसा दिलाते हुए कहा,’आप जैसा सोच रहे हैं, वैसा कभी नहीं होगा, मुझे अपनी मर्यादा और समाज के बंधनों का पूरा ख्याल है, मुझे आपके साथ सोने में कोई दिक्कत नहीं है अगर आपका कमरा भी बिना ऐ सी हो तो। मुझे ऐ सी से अलर्ज़ी है, ऐ सी की हवा में मेरे सर में तेज़ दर्द हो जाता है।’

उसकी वाजिब परेशानी सुनकर सर मान गए और सर और हम अपने अपने बैग लेकर अपने कमरे में चले गए। सर के कमरे का तो पता नहीं पर हमारा कमरा काफ़ी अच्छा था। वहां कमरे के बीचों बीच दो बिस्तर लगे थे। दोनो के बीच का फ़ासला करीबन चार फ़ीट रहा होगा।

जिसपे क्रीम कलर की बेडशीट थी उसपे एक ओढ़ने के लिए कम्बल और एक चादर थी .. अटैच्ड बाथरूम था कमरे में घुसते ही सबसे पहले सामने की तरफ़ एक खिड़की थी, जिस के उस तरफ़ एक खूबसूरत बागीचा था। उस खिड़की पर जाली वाले परदे लगे थे और दरवाजा सरकाने वाला था वहीँ खिड़की के बायीं तरफ़ एक टेबल रखी थी जिस पर एक रूम सर्विस के लिए फोन, इंटर कॉम नम्बर की लिस्ट, एक पानी का जग और दो गिलास पड़े थे।
टेबल के ठीक बायीं तरफ़ कुछ दूरी पे एक टेबल और थी जिस पर टीवी रखा था (पर उसपे सिर्फ़ न्यूज़ चैनल ही आते थे ) टीवी की टेबल के निचले हिस्से में एक कपबोर्ड था, उसमें उस दिन का न्यूज़ पेपर था हिन्दी और इंग्लिश दोनों और एक स्पोर्ट्स मैगजीन थी.

टीवी से दोनों बिस्तर की दूरी एक बराबर थी. दोनों बिस्तर के बीच में एक और साइड टेबल रखी थी जिसपे एक लैंप रखा था जिसके दो स्विच कनेक्शन दोनों बिस्तर की तरफ़ थे. वरुण मेरे से आगे चल रहा था इसीलिए कमरे में भी पहले वोही घुसा था और उसने घुसने के साथ ही खिड़की के पास वाले बिस्तर पर अपना बैग पटक दिया और राक्केट पास वाली मेज़ पर रख दिया.

मेरे पास और कोई चोइस न थी इसीलिए मैंने अपना सामान दूसरे बिस्तर पर रख दिया .. और बाथ रूम देखने चली गई .. बाथ -रूम कमरे के मुकाबले बेहद सुंदर था .. व्हाइट टाईल्स, व्हाइट कमोड, व्हाइट वाश बेसिन, सुंदर सजावटी शीशा .. के साथ सभी टोंटियाँसिल्वर कलर की थी। वहाँ हस्त फव्वारा भी था और सीलिंग फव्वारा भी .. सलैब पर दो व्हाइट टोवेल्स रखे थे साथ में साबुन, शैंपू, कंघा.

खैर मैं वापिस कमरे में आई .. वरुण ने कमेन्ट किया .. अन्दर जाके सो गई थी क्या .. इत्ती देर लगा दी .. कभी किसी होटल में नहीं गई हो क्या .. ऐसे देख रही हो जैसे कभी देखा न हो…

मैंने उसे कहा .. तुम्हे देखूं तो तुम्हे दिक्कत है, होटल को देखूं तो तुम्हे दिक्कत है ..मतलब अब मुझे सब काम तुम्हारे हिसाब से करने होंगे… इसपे उसका मुंह सड़ गया ..और वो अपने बैग से चेंज करने के लिए कपड़े निकलने लगा .. कपड़े निकलने के बाद उसने बाथ रूम में जाकर कपड़े बदल लिए ..और उसके बाद मैंने भी जाकर कपड़े बदल लिए .. हम दोनों ने अपने अपने बैग अपने पलंग के नीचे घुसा दिए ..!!

वो खिड़की से बाहर का नज़ारा देखने लगा .. बगीचे में बहुत सरे पेड़ थे खूब सारे फूल और उन पर मंडराते भँवरे और तितलियाँ…पर मेरे भँवरे का मूड ऑफ़ था वो अपने फूल से नाराज़ था…!!!

मैंने टीवी के नीचे से अखबार उठाया और पलंग पे बैठ के पढ़ने लगी थोड़ी देर बाद फोन की घंटी बजी… वरुण फोन के पास था इसीलिए उसी ने फोन उठाया .. सर का फोन था वो चाए, नाश्ता लेने के लिए हमें होटल के वेटिंग एरिया में बुला रहे थे।

फोन रखते ही उसने कहा- चलो!
मैंने कहा- कहाँ?
.. तो वरुण कहने लगा अब आई हो तो सोच रहा हूँ तुम्हे थोड़ा आस पास घुमा लाऊ .. !!!
मैंने कहा सच ..!!!
कहता ..’ इतनी खुश मत होवो .. सर नीचे बुला रे हैं चलो ..’

ये वरुण की पुरानी आदत थी .. दिल में सपने जगा के तोड़ देना ..!!! पहले भी उसने ऐसा मेरे साथ कई बार किया था…

मैंने थके हुए भाव से कहा चलो .. !! और हम नीचे पहुंचे सर पहले ही तीन चाय का आर्डर दे चुके थे .. सर ने पूछा की कमरे में कोई दिकत तो नहीं है .. हम दोनों ने एक ही स्वर में कहा हाँ .. सर ने फ़िर पूछा क्या दिक्कत है .. हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ़ इशारा करते हुए ऊँगली उसके कहा इस से ..!!

सर हँसने लगे .. कहते अभी से लड़ रहे हो साथ में खेलोगे कैसे .. हम दोनों एक दूसरे की तरफ़ देखने लगे ..

और साथ साथ बोले… हम और साथ में… ना ह ..!!!!

सर फ़िर से मुस्कुरा दिए .. तब तक चाए आ गई और कुछ बढ़िया से पकोड़े भी ..मुझे पकोड़े बेहद पसंद हैं और तब मैंने जाना कि वरुण को भी पकोड़े बहुत पसंद हैं ..!!!

चाय पीने के बाद सर ने हमें बताया कि चूँकि अलग अलग शहरों से स्कूल के बच्चे आए हुए हैं इसीलिए उन सभी के डिनर का इन्तेजाम स्कूल मैंनेजमेंट ने ही किया है .. जिस से बच्चे आपस में घुल मिल सकें और एक दूसरे को जन सकें .. जिस से उनमें खेल भावना जागृत हो… हम दोनों ह्म्म्म स्वर निकला…!!!

चाय पीने के बाद सर ने मुझसे पूछा कि अगर तुम प्रक्टिस करना चाहती हो तो में तुम्हे ले चलता हूँ साथ में दोनों मिलके प्रक्टिस कर लेना .. वहां और बच्चे भी होंगे .. और तुम्हारी ट्यूनिंग भी सेट हो जायेगी .. ..!!!

मैंने सर से कहा सर अब तो आ गई हूँ… न भी चाहूँ तो भी खेलना ही पड़ेगा .. अब जो होगा देखा जाएगा .. ये तो आपको मुझे लाने से पहले सोचना चाहिए था. सर कहते तुम नहीं जाना चाहती वो दूसरी बात है… चलो तुम दोनों जा के रेस्ट करो .. थक गए होंगे लंबे सफर में ..

वरुण उठने लगा .. मैंने सर से कहा .. सर इसे समझा लो .. जब देखो मुंह सड़ाये रखता है अब यहाँ कोई और है भी तो नहीं जिस से मैं बात कर सकूँ ।

सर कहते वरुण इसका ख्याल रखो और हाँ जो कहती है सुन लिया करो .. कम से कम सिर्फ़ कहती ही है न .. बीवी की तरह बेलन थोड़े ही मारती है ..!! सर मुस्कुराते हुए बोले ..!!!

इसके जवाब मैं वरुण बोला .. सर हम तो बेलन खाने को भी तैयार हैं पर मरने वाली तो आये…!!! और हंस पड़ा…

फ़िर हम दोनों अपने कमरे की तरफ़ चले गए .. जा ही रहे थे कि सर ने पीछे से वरुण को आवाज लगाई .. ‘कोई तकलीफ हो तो .. मुझे इंटर कॉम से कॉल कर लेना ..और हाँ तुम्हे याद है ना मैंने क्या कहा था ..’

वरुण ने उन्हें आश्वस्त करते हुए हाँ मैं सर हिलाया ..!!

हमारे कमरे में आते ही वरुण भड़कते हुए बोला .. कमसे काम मोका देख के तो बोल लिया करो की क्या बोल रही हो…क्या जरूरत थी ये कहने की सर से .. ये हम दोनों के बीच की बात है ओरों को हमारे बीच मैं क्यूँ लाती हो ..

मुझे अच्छा लगा कि उसने मुझे अपने मन की डांट लगायी .. और हम दोनों के झगडे को अपनी पर्सनल बात मानी और सार्वजनिक करने से मना किया।

मैंने उस से कहा .. अगर यही बात पहले आपके होठों से फूट पड़ती तो मुझे गैरों से आपको सिले हुए होंठो को खुलवाना ना पड़ता…

बस इतना कहने की देर थी उसने कहा .. कृति यू आर टू मच .. यू आर जस्ट इम्पोस्सिब्ल ..!!!

तुम्हारे साथ रहना तो दूर , बात करना ही बेकार है…

उसके बात ख़तम होने से पहले ही मैंने उसे कहा- सो यू डू ..!!

(जाने क्यूँ हम दोनों के दिल में एक दूसरे के लिए बे-इन्तहां प्यार होते हुए भी हमारा ज्यादातर वक्त झगडों और लडाइयों में गुजरता था )

ये सब सुनने के बाद .. वो बिस्तर पर खिड़की की ओर करवट लेके सो गया… ठीक दो घंटे बाद दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी .. मैंने खोलने से पहले अंदर से पूछा .. वो सर थे…

मैंने दरवाजा खोला .. और सर अंदर आये मैंने सर को बैठने के लिए कुर्सी दी… सर वरुण की तरफ़ देख के बोले .. इसे क्या हुआ .. मैंने कहा सर .. इसे कुछ हो भी नहीं सकता .. कुम्भकरण की इस छटी पुश्त को कहाँ से उठा के लाये हो… जब से आया है सो ही रहा है…पिछले दो घंटे से देख रही हूँ .. इस मनहूस टीवी पे भी तो न्यूज़ के अलावा कुछ और नहीं आता .. और फ़िर इन्सान एक दिन की अखबार कितनी बार पढ़ लेगा।

सर ने कहा तुम इतना ही बोरे हो रही हो तो मेरे साथ चलो मैं डिनर के लिए स्कूल कम्पाउंड में जा रहा हूँ ..(मुझे सर से ज्यादा वरुण पे भरोसा था .. इसीलिए मैंने जाने से मना कर दिया) मैंने कहा- नहीं सर मुझे भूख नहीं है, शाम को पकोड़े कुछ ज्यादा ही हो गए थे, अगर पेट ख़राब हो गया तो सुबह खेलना मुश्किल हो जाएगा .. और वैसे भी मैं भी सोने की ही तैयारी कर रही थी .. सर कहते- ठीक है जैसा तुम ठीक समझो .. पर हाँ कल सुबह 8 बजे नीचे मुख्य हॉल में पहुँच जाना .. 9 बजे तुम दोनों का मैच है चंडीगढ़ के साथ ..!! सर ने मुझे गुड नाईट किया

.. और सर के जाने के बाद में अपने बिस्तर पे लैंप जला के अपना नोवेल पढ़ने लगी…पर थोड़ी थोड़ी देर बाद मुझे उसे देखने की इच्छा होती .. जाने मुझे क्या हो रहा था… वो इतना पास होते भी मुझे ख़ुद से दूर जाता हुआ महसूस हो रहा था .. पर मैं उसे चाहकर भी रोक नहीं पा रही थी ..आँखों में उसे देखने की प्यास थी की ख़तम होने का नाम नहीं ले रही थी .. रात के 11 बज चुके थे .. और मैं सोने की नाकाम कोशिश कर रही थी .. परेशां थी .. ख़ुद से या उस से पता नहीं ..!!

बिस्तर पर उठ के बैठी ..तो देखा कि .. खिड़की से आती चाँद कि चंचल चांदनी परदे से छन छन के उसके चेहरे पे पड़ रही है .. उसके रेशमी धागों से बाल उसकी आँखों पे थे .. मैंने खिड़की के पास पड़ी कुर्सी उठाई और उसके चेहरे के ठीक आगे कुर्सी लगा के बैठे बैठे उसे निहारने लगी

..कुछ भी कहो .. उसे जितना देखती थी .. उसे और देखने कि इच्छा होती थी .. मैं उसके मोह जाल मैं फंसती जा रही थी. उसकी दांई हथेली उसके दांए गाल के नीचे ऐसे लग रही थी जैसे पत्ते पर ओस की पहली बूंद होती है… इतनी सौम्य कि बस देखते रहने का मन कर रहा था और वो इतने भोलेपन से सो रहा था जैसे बच्चा अपनी मां की गोद में सिर रख के सोता है…दुनिया से बेखबर, एकदम निश्चिन्त होके।

उसका बायाँहाथ उसके दाएं हाथ के नीचे रखा था और उसकी टांगें सुकड़ी हुई थीं… उसे पंखे की हवा में भी ठण्ड लग रही थी शायद ! मैंने उसे अपनी चादर औढा दी।

उसके रेशम से बाल कभी उसके माथे को चूमते तो कभी उसकी आंखों को हल्के से सहला के चले जाते, मानो उसकी आंखों में सपने भर रहे हों !!

यूं ही देखते देखतेवक्त गुज़र गया, सुबह के चार बज गए, पता ही नहीं चला…!!! इस से पहले वो जागता, मैंने कुर्सी वापिस उसी जगह रख दी जहां पड़ी थी और खिड़की के पास जा के खड़ी हो गई क्योंकि नींद तो मुझे आने वाली थी नहीं… और फ़िर आए भी क्यूं… मैं अपनी जिन्दगी के कुछ यादगार लम्हें गुजार रही थी जिन्हें शायद ही मैं कभी भूल पाऊंगी…!!!

धीरे धीरे रात की कालिमा को भोर के उज़ियारे ने धो दिया। आसमान में चिड़ियाँगश्त लगाने लगी थी, पन्छी हर तरफ़ गाने लगे थे, मानो सभी को उठने का संदेश दे रहे हों… और सबको शुभ-प्रभात कह रहे हो ! तकरीबन साढे पांच बजे वो आंखें मलता हुआ उठा- अरे तुम तो काफ़ी जल्दी उठ गई… मुझे लगा कि अब तक तुम सो रही होगी !

तो मैंने कहा,’कुछ मूर्ख लोग होते हैं जो वक्त को इस तरह सो के बरबाद कर देते हैं पर मैं उन में से नहीं हूं…!!!

कहता- तुम सोई नहीं क्या…

मैंने आश्चर्यचकित होते हुए कहा- हैं…???
वो फ़िर बोला- तुम्हारी आंखें क्यों सूजी हुई हैं, रो रही थी क्या?!?!

मैंने कहा- आंसू पौंछने वाला अगर कोई होता तो शायद जरूर रोती… सहारा देने वाला होता तो शायद ठोकर खाकर जरूर गिरती… कोई हाथ थामने वाला होता तो शायद जरूर बहकती… पर अफ़सोस ऐसा कोई नहीं है…!!!

वो आंखें झुका के सब सुन ध्यान से रहा था.. खड़े होके मेरे पास आया..कन्धे पे हाथ रखके उसने मुझ से पूछा- क्या बात है?..सुबह सुबह शेर-ओ-शायरी ! क्या हुआ मेरी स्वीटी को…इतनी सेन्टी क्यूं हो?? किसी की याद आ गई क्या???

मैंने उसे कहा- याद उसकी आती है जो दूर हो… कोई है जो सब कुछ देखके भी आंखें बंद कर लेता है, सुन कर भी अनसुना कर देता है। वो हर वक्त मेरे पास होता है…पर मेरे साथ नहीं होता… पर पता नहीं मैं भी उसके इतने ही करीब हूँ या नहीं…

उसने मुझे दिलासा देते हुए कहा .. कोई पागल ही होगा जो तुमसे प्यार करना नहीं चाहेगा .. तुम उसे कह के तो देखो शायद कुछ हो जाए ..

मैंने कहा .. उसे कहने से कुछ फायदा नहीं उस बेदर्द में दिल ही नहीं है .. दिल होता तो शायद अब तक समझ जाता… (उसे अब तक पता नहीं चला था कि मैं उसी की बात कर रही थी .. इडियट कहीं का )

उसने कहा .. और ऐसा भी तो हो सकता है कि वो सब कुछ समझता हो, जानता हो.. वो सब कुछ तुम्हारी आँखों में पढ़ लेता हो, पर शायद तुम्हारे मुँह से सुनना चाहता हो .. शायद उसे लगता हो कि अगर वो कहेगा तो कहीं तुम उसे मना न कर दो .. कहीं उसे ये डर न हो कि उसकी इगो हर्ट हो जायेगी…

उसके शब्द सुन के मेरी आंखें भर आई .. क्यूंकि बस में जिसने मेरे दिल को इतनी चोट पहुंचाई .. क्या ये वरुण वही इन्सान था जो तब मुझसे इतने प्यार से बात कर रहा था…

मैं उसे तब भी कुछ नहीं कह सकी. . बस उसकी आँखों में झांकती रही और कब आखों से आंसू छलक गए पता भी नहीं चला .. उसने कंधे से हाथ हटा के मेरे आंसू पौंछे और मेरे सर पर अपना हाथ रख दिया .. उसने कहा .. थोड़े आंसू बचा लो .. तुम लड़कियों के पास एक यही तो हथियार है… उसे बर्बाद मत ।करो .. और हाँ थोड़े इसीलिए बचा के रखा करो क्यूंकि ये अनमोल हैं. और मैं तुम्हे रोते हुए नहीं देख सकता…

मुझे चुप कराने के बाद उसने कहा मैं मोर्निंग वाक् पे जा रहा हूँ, चलोगी?.. थोडी फ्रेश भी हो जोगी .. और थोड़ा वार्म अप भी कर लोगी .. लेग्स की मस्सल्स भी खुल जाएँगी .. और तुम्हे खेलते वक्त दिक्कत भी नहीं होगी ..मुझे उसकी बात ठीक लगी और मैं उसके साथ ट्रैक सुइट पहन कर मोर्निंग वाक् पे चली गई। वापिस आकर हम दोनों फ्रेश हुए अपने स्पोर्ट्स ड्रेस पहने और अपने अपने बल्ले ले के नीचे हॉल मैं चले गए .. जहाँ सर नाश्ता कर रहे थे…

हमारे पहुँचते ही सर ने कहा- अरे आ गए तुम दोनों .. वैरी गुड ! वरुण ने व्हाइट शोर्ट्स और टी -शर्ट पहनी थी .. और सर पे हेयर-बैंड था ताकि बाल खेलते वक्त उसकी आखों में ना आयें… मैंने चोटी बनाई थी .. एक व्हाइट टी -शर्ट और व्हाइट मिनी स्कर्ट पहनी थी ..हाँ इस बार वरुण ने मेरी स्कर्ट को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई .. क्यूंकि उसे मालूम था टेनिस में कभी कभी एक और से दूसरी और तेज़ और बड़े क़दमों से भागना पड़ता है .. जो कि लम्बी स्कर्ट में नहीं किया जा सकता ..

हम दोनों तैयार थे। नाश्ते में हमने एक एक ग्लास ओरंज़ जूस और कुछ फल लिए ..और पहुँच गए गेम वेन्यु पर ..9 बजे खेल शुरू होना था .. हमारी प्रतिद्वंदी टीम चंडीगढ़ के स्कूल की थी। लड़की सुंदर थी (ज्यादातर सरदारनियाँ सुंदर होती हैं ) उसके नैन नक्श एक दम टिपिकल सरदारनियों जैसे थे और लड़का सरदार था। हमारा खेल शुरू हुआ, हम दोनों को शुरू में तालमेल की वजह से कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ा, पर ब्रेक में वरुण ने मुझे उसके साथ खेलने के कुछ टिप्स सिखाये और नेक्स्ट हाफ में हमने बहुत अच्छा किया और हम मैच जीत गए।

12 बजे खेल ख़तम हुआ। ये हमारा क्वाटर फाईनल था। इसके बाद हमें सेमी फाइनल में जयपुर के स्कूल की टीम के साथ खेलना था और वो मैच उसी दिन 2 बजे होना था। मुकाबला कड़ा था। खेल शुरू होने से पहले हम दोनों ने एक दूसरे को बेस्ट ऑफ़ लक कहा और कड़ी मेहनत के बाद हम वो गेम 6 -4, 5 -4, 6 -5 से जीत गए। गेम 4.30 बजे ख़तम हुआ। निकलते समय मैंने दूसरी टीम की लड़की से हाथ मिलाया और वरुण ने लड़के से .. उसके बाद वरुण ने लड़की से मिलाया और मैंने लड़के से।

सामने वाली टीम के लड़के ने मुझसे हाथ मिलते वक्त कहा कि मैं ये मैच जीत जाता अगर तुम न खेल रही होती, मेरा सारा ध्यान तो तुम्हारी टांगों पर था, सच कहूँ युअर लेग्स आर सो स्टन्निंग .. ये सुनने के बाद मैंने सीधा वरुण के चेहरे पे देखा, उसने बात सुनी थी पर उसने कुछ प्रतिक्रिया नहीं दिखाई, हाथ छुड़ाने पर मुझे अपने हाथ मैं एक पर्ची मिली, जो हाथ मिलाते वक्त उस लड़के ने मेरे हाथ पे रखी थी, उसपे लिखा था .. ‘7 बजे शाम को इसी मैदान की पार्किंग में मिलो.!!!!’

हम सर के साथ वापिस होटल आ गए। उस वक्त 5 .30 बजे थे। सर हमारी बहुत तारीफ़ कर रहे थे, पर मैं अपने मन में यही सोच रही थी कि अभी डेड़ घंटा बाकी है। हम दोनों कमरे में गए, और मैंने वो स्लिप मेज़ पे रख दी। पहले वरुण फ्रेश हो के बाहर आया, और मैं फ्रेश होने बाथ रूम में चली गई। मैं नहा ही रही थी, मुझे लगा कि कमरे का दरवाजा खुला है। मैंने वरुण को अंदर से ही आवाज़ लगाई पर कोई जवाब नहीं मिला। जल्दी जल्दी में मैंने नहाना धोना ख़तम किया और कपड़े पहन के बाहर आई। 6.45 हुए थे, मुझे पता था वरुण कहाँ गया है।

मैं भी उसके पीछे पीछे चल दी। वहां पहुँच के मैंने सिर्फ़ इतना देखा कि वरुण पार्किंग से बाहर आ रहा है, मैं छुप गई और उसके जाने के बाद मैं पार्किंग में गई। वहां वो लड़का एक गाड़ी के पीछे जख्मी पड़ा था। वरुण ने उसे बहुत मारा था, मेरे पहुँचते ही वो रो रो के सॉरी मैडम, सॉरी दीदी कहने लगा और तो और पाँव छूने लगा।

उसने मुझसे कराहती हुई आवाज़ में कहा- वो आपका भाई है क्या?
मैंने कहा- नहीं! उसने फ़िर से पूछा- प्रेमी???

मैंने कहा नहीं ! हम दोनों का रिश्ता इन सब रिश्तों से ऊपर है .. वो तुम नहीं समझोगे .. आज जो तुमने गलती की .. दोबारा किसी के साथ मत करना .. ये कह के मैं वहां से निकल गई .. निकलते समय मैंने…ग्राउंड की अथॉरिटी को इन्फोर्म किया कि पार्किंग मैं कोई लड़का जख्मी पड़ा है और उसे फर्स्ट ऐड की जरूरत है।

उसके बाद मैं होटल पहुँची, करीबन 7 .30 बजे। उसने आते ही पूछा- कहाँ गई थी? मैंने कहा- जहाँ तुम गए थे! कहता- मैं तो कहीं नहीं गया, यहीं था, थोड़ी देर के लिए सर के कमरे में गया था, लौटा तो देखा तुम कमरे में नहीं हो।

मैंने कहा,’ जब तुम्हे झूठ बोलना आता नहीं तो बोलते क्यूँ हो… क्यूँ मारा तुमने उस लड़के को…’ वरुण कहने लगा ..’किस लड़के को .. तुम किसकी बात कर रही हो .. ‘

मैं चुप हो गई मैं उसके जख्मों को कुरेदना नहीं चाहती थी .. और न ही दोबारा झगड़ा करना चाहती थी .. हम दोनों बहुत थक गए थे .. और आज भी कल ही की तरह बिना खाए पिए सो गए .. और उस दिन मुझे चैन की नींद आई .. क्यूंकि मैं आश्वस्त हो चुकी थी की वरुण के दिल में भी मेरे लिए कुछ न कुछ तो जरूर है…

सुबह 10 बजे हमारा फाइनल था मुंबई टीम के साथ .. मैं जल्दी उठ गई .. आज का दिन मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण था .. इसलिए नहा धोकर पूजा की .. तब तक वरुण भी उठ गया .. रोज़ की तरह आज फ़िर से वो मोर्निंग वाक् पे गया ..जाने से पहले उसने मुझसे पूछा ..पर मैंने ही मना कर दिया .. क्यूंकि कमरे पर और भी काम थे करने को .. पैकिंग करनी थी .. चेक आउट करना था…

जब वो मोर्निंग वाक् से आया तब तक मैं दोनो बिस्तर ठीक कर चुकी थी, हम दोनों के बैग पैक कर चुकी थी उसके पहनने वाले कपड़े निकाल के रख दिए थे (बिल्कुल बीवियों की तरह ) आने के बाद उसने पूछा- अरे! ये कमरा इतना व्यवस्थित कैसे हो गया? मैंने कहा- मैंने किया और कौन करेगा? कहता- तुम कबसे इस होटल की सफाई कर्मचारी बन गई… और यह कहके हंसने लगा… मैंने भी उसकी बैटन को मजाक मैं लेते हुए कहा .. जब से तुम जमादार बने हो तभी से…

मैं उसके आने तक तैयार हो चुकी थी, आने के बाद वो भी नहा धो के तैयार हो गया, हम दोनों अपने अपने बैग ले के नीचे पहुंचे। सर हमारा इंतजार कर रहे थे। हम तीनों ने रजिस्टर पर चेक आउट करने के लिए हस्ताक्षर किए और सामान उठा के स्टेडियम चले गए। वहां लॉकर में सामान रख दिया। तब तक 9 .45 हो चुके थे, मैच शुरू होने में सिर्फ़ 15 मिनट बाकी थे।

मैच शुरू हुआ। मुंबई टीम का लड़का बेहद स्मार्ट था, और लड़की सांवली सी थी लेकिन उसके फीचर बहुत अच्छे थे। उनकी टीम बहुत अच्छे खेल के प्रदर्शन के बाद यहाँ तक पहुँची थी। मैं बहुत नर्वस थी (ऐसे मौकों पर मैं अक्सर नर्वस हो जाया करती हूँ ) मुझे ख़ुद पे भरोसा नहीं था कि मैं इन्हे चुनौती दे भी पाऊँगी या नहीं, पर वरुण पे भरोसा था…उनकी टीम ने हमारा खेल पिछले दो मैचों में देखा था।

खैर पहला सेट हम जीत गए, पर दूसरा सेट शुरू होने के साथ बाल बार बार मेरी तरफ़ ही आ रही थी और वरुण बार बार भाग कर बाल अपने बल्ले पर ले रहा था। वो जानता था कि मैं कांफिडेंट नहीं हूँ और ये बात सामने वाली टीम को भी पता थी। इसीलिए वो हमारी कमजोरी का फायदा उठा रहे थे। आखिर कार वही हुआ जिसका डर था- वरुण भी आखिर कब तक अकेले मोर्चा संभालता, वो भी इन्सान है उसे भी थकन होती है, नतीजतन हम दूसरा सेट हार गए और फ़िर एक के बाद एक तीसरा और चौथा भी ..

हम मैच हार गए ..

और सब कुछ हुआ मेरे कारण .. जब ये बात मैंने वरुण से कही .. तो उसने कहा हम मैच तुम्हारी वजह से नहीं हारे .. हम मैच इसलिए हारे क्यूंकि .. मेरी प्रक्टिस वंशिका के साथ हुई थी, तुम्हारे साथ नहीं, ऐसे में दिक्कतें तो आती ही हैं। सर ने भी मुझे दिलासा देते हुए कहा- कोई बात नहीं बेटे ! तुम तीन में से 2 मैच तो जीते न, ये मत देखो कि तुम आखिर में हारे या जीते .. तुम ये देखो कि तुमने खेल भावना से खेले या नहीं .. अगर हाँ तो तुम हारने के बावजूद जीत गए क्यूंकि इस से तुम्हे बहुत कुछ सीखने को मिला और फ़िर हर हार के बाद कोई कुछ न कुछ तो सीखता ही है, तुमने भी सीखा ही होगा .

जब तक खेल में कोई हारेगा नहीं तो सामने वाला जीतेगा कैसे…!! सर की बातों ने मुझ पे और मेरे मूड पे काफी असर किया .. उसके बाद हमने कुछ रेफ्रेश्मेंट्स ली और थोड़ी देर आराम करने के बाद हम वहां से 2 बजे निकल पड़े बस लेने के लिए। बसों की हड़ताल थी इसलिए हमें टैक्सी करनी पड़ी। सर साथ में थे इसलिए रास्ते भर हमने ज्यादा बातचीत नहीं की और सर ने मुझे करीबन 7 बजे और वरुण को मेरे बाद टैक्सी से ही हमारे घर छोड़ा।

इस एक्सपेरिएंस के बाद मुझे तो पूरा यकीन हो गया भले वरुण बाहर से दिखाता न हो .. पर उसके मन में एक सॉफ्ट कार्नर जरूर है मेरे लिए .. शायद इसलिए क्यूंकि .. मैं उसकी सबसे करीबी और अच्छी दोस्त थी .. या फ़िर शायद कुछ और…

ये आपको मेरी आगे वाली कहानियों में पता चलेगा… कि उसके दिल में आखिर क्या था .. और वो मुझ से दूर जाने की कोशिश क्यूँ करता था ….

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे अपने विचार केवल और केवल ईमेल के ज़रिये भेजें .. मुझे आपके फीड बैक का इंतज़ार रहेगा ..

मेरी मेरे पाठकों से तहे दिल से गुजारिश है कि वो मुझसे केवल कहानी से जुड़े सवाल ही करें… अश्लील सवालों के उत्तर नहीं दिए जायेंगे ..
पाठको से ये भी अनुरोध है कि आप अपनी लेखिका कि मजबूरी को समझ कर निजी से ज़िन्दगी से जुड़े सवाल भी न करें… मैंने वरुण और अपनी कहानी अन्तर्वासना पर भेजने से पहले वरुण से ये वायदा किया है कि .. मैं अपनी से जीवन से जुड़ी कोई बात यहाँ नहीं लिखूंगी .. जैसे कि मेरा नाम, शहर, मेरी उमर, मेरी फिगर .. इसलिए आपसे अनुरोध है कि ऐसे सवाल न करें जिनका मैं जवाब न दे सकूँ…
कहानी पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद… Hindi Sex Stories

जैसे ही संजय मेरे लबों पर चुम्बन करने लगे, मैंने मुँह फेर लिया.
वो रुक गये.
पर फिर मैंने खुद को समझाया और फीस के बारे में सोचा तो खुद ही उनकी तरह मुँह किया वो मेरी इस हरकत को देख कर खुश हो गये और मेरे लिप्स पर किस किया.
फिर उन्होंने मुझे स्मूच करना शुरू कर दिया.

अजीब लग रहा था क्योंकि यह सब मेरी लाइफ में पहली बार हो रहा था.
उन्होंने बहुत लंबा समूच किया और समूच करते करके मेरे बूब्स पर छुआ और फिर दबाने लगे. उनकी पकड़ और ज्यादा बढ़ती जा रही थी.

फिर उन्होंने मुझे गले पर किस किया और फिर मेरी पीठ पर चूमते हुए मेरे ब्लाउज का धागा खोल दिया. उन्होंने मेरे ब्लाउज को उतार दिया और फिर अपना भी कुरता भी उतार दिया.

अब वो मेरे पेट पर किस किए जा रहे थे और फिर मुझे घुमा कर मेरे दोनों चूचों को दबाने लगे और ब्रा के ऊपर से ही चूस रहे थे. उन्होंने फिर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और धीरे धीरे ब्रा निकाल दी.
मैंने दोनों हाथ से अपने चूचे छुपा लिए और फिर उन्होंने दोनों हाथों पकड़ के साइड कर दिया और मेरे बूब्स पर किस किया.

फिर उन्होंने मेरा निप्पल अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया. मुझे अजीब सा लग रहा था पर सच बताऊँ तो मजा सा भी आने लग गया था. मेरे हाथ उनके सिर पर चला गया और मैं उन्हें अपने बूब्स पर दबा रही थी.
वो काफ़ी देर तक मेरे निप्पल चूसते रहे, मैं भी अब गर्म हो चुकी थी.

फिर संजय धीरे धीरे मेरे पेट पर किस करने लगे और फिर मेरी नाभि को चूमने लगे. मुझे एक अजीब सा अहसास हो रहा था.

संजय ने फिर नीचे सरका कर मेरे पैर पर किस करना शुरू किया और फिर मेरे टांगों को किस करने लगे. संजय किस करते करते मेरा लहंगा उठाते हुए मेरी जांघों तक आ चुके थे. मेरे शरीर में एक अजीब सी कंपकपी हो रही थी.

संजय ने फिर धीरे से मेरे लहंगे का नाड़ा खोल दिया, लहंगा पूरा ढीला हो गया और फिर संजय ने धीरे धीरे उसे नीचे कर दिया और फिर पूरा का पूरा निकाल दिया.
मैं अब सिर्फ़ पेंटी में थी… मुझे बहुत शर्म भी आ रही थी.

तभी संजय ने दुबारा मेरे पैरों पर किस करते हुए मेरी जांघों को चूमा और फिर पेंटी के ऊपर से चूमना शुरू कर दिया.
संजय ने फिर धीरे से मेरी पेंटी भी उतार दी.

मैं अब खुद को समझा चुकी थी और इसलिए संजय का साथ देने लगी.

संजय ने फिर मेरी टांगों को खोला और मेरी बुर पर किस कर दिया. किस करते ही मैं एकदम से मचल गई, संजय ने फिर मेरी बुर को चाटना शुरू कर दिया.

वो अपनी जीभ मेरी बुर के अंदर तक डाल कर चाट रहे थे. मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी और मुझे बहुत मजा भी आ रहा था. मैं भी संजय के सिर को पकड़ के अपनी बुर में दबाने लगी. वो मेरी बुर के होंठों के साथ समूच कर रहे थे.
मैं खुद को सातवें आसमान पर महसूस कर रही थी.

संजय ने करीब दस मिनट तक अपनी जीभ से मेरी बुर अंदर बाहर से चाट ली थी. मैं अब झरने वाली थी और आख़िरकार मैं संजय के मुँह में ही झर गई, वो भी मेरा सारा पानी पी गए और पागलों की तरह मेरी बुर को चाटते जा रहे थे.

फिर संजय ने अपना पाजामा और अंडरवीयर खोल दिया.

संजय का लंड एकदम तना हुआ 6 इंच लंबा और मोटा लंड देख कर मैं डर गई थी. मुझे पता था की आज मेरी बुर में यह लंड घुसने वाला है.
संजय ने मेरे पास आकर मुझे लंड हाथ में पकड़ कर हिलाने को कहा, मैंने बात मान ली और हाथ से उनका लंड हिलाने लगी.

फिर उन्होंने मुझे लंड मुँह में डाल के चूसने को कहा तो मैंने मना कर दिया पर फिर फीस की याद आने के कारण मैंने लंड मुँह में ले लिया. लंड का स्वाद थोड़ा अजीब सा लगा पर बाद में अच्छा लगने लगा. मैं भी पूरे जोश के साथ लंड को चूसने लगी.
करीब 15 मिनट लंड चूसने के बाद संजय मेरे मुँह में ही झर गए और सारा का सारा माल मेरे मुँह में ही छोड़ दिया. मैंने माल बाहर थूक दिया.

मैंने संजय से बाथरूम जाने को कहा तो वो मुझे ले गए. बाथरूम रूम से ही अटॅच्ड था. मैंने बाथरूम में जाकर कुल्ली की और आ गई.
संजय ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और बेड तक ले गए.

संजय और मैं लेट कर समूच कर रहे थे, हम दोनों एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ डाल रहे थे. संजय का लंड फिर से तन चुका था, अब मेरी बुर का उद्घाटन होने वाला था. संजय ने मेरी टांगों को खोला और अपनी उंगली से मेरे बुर को सहलाने लगे. मेरी बुर भी गीली हो चुकी थी.

संजय ने अब अपना लंड मेरी बुर पर रख के रगड़ना शुरू कर दिया और फिर धीरे से अंदर डालना शुरू किया.
मुझे तो संजय की उंगली से ही इतना दर्द हो रहा था तो अब पता नहीं लंड कितना दर्द देने वाला था.

खैर कभी ना कभी तो पहली बार होता ही है…
संजय ने लंड को मेरी बुर पर सेट किया और हल्का सा धक्का लगाया. धक्का लगते ही उसके लंड का टोपा बुर में घुसने के लिए सेट हो गया. अभी सिर्फ़ 1 इंच लंड ही अंदर गया था कि मैं दर्द से पागल हो गई.

फिर संजय थोड़ा और ज़ोर लगाने लगे और साथ ही मेरे निप्पल को मुँह में चूस रहे थे. चूसते चूसते उन्होंने आखिर अपने लंड को एक ज़ोरदार धक्का मारा. संजय का पूरा लंड मेरी बुर को चीरता हुआ अंदर घुस गया.
मैं दर्द से मर ही गई थी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ और मेरी आँख से आँसू निकल आये.

संजय थोड़ी देर से वैसे ही रुके और मेरे दर्द के कम होने का इंतज़ार करने लगे.
संजय मुझे स्मूच कर रहे थे.

2 मिनट बाद दर्द कुछ कम हुआ, संजय बहुत ही धीरे से अपना लंड वापिस निकालने लगे, मैं लंड की तरफ देख रही थी और जैसा सोचा था वही दिखाई पड़ा… लंड खून से लाल हो चुका था. मेरी बुर की सील टूट गई थी.

संजय ने करीब 5 इंच लंड बाहर निकाला होगा और फिर एक झटका अंदर की ओर मारा और फिर से लंड अंदर डाल दिया, संजय का लंड फिर से बुर में घुस गया. मुझे अंदर संजय का लंड अपने बच्चेदानी तक महसूस हो रहा था. संजय धीरे धीरे लंड अंदर बाहर कर रहे थे.

अब मेरा दर्द आनन्द में बदल गया था और अपने आप ही मेरे मुँह से मादक आह आह आह की आवाज़ निकलनी शुरू हो गई थी. मैंने संजय को कस के पकड़ लिया और अब शायद मेरा मन भी यही था कि संजय मुझे चोदते रहें!

संजय काफी देर तक धक्के लगाते रहे, अब मैं झरने वाली थी… मैंने संजय को कस के पकड़ लिया. संजय समझ गए कि मैं झरने वॉली हूँ तो उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.
अगले 2-3 मिनट में ही मैं झर गई. संजय अभी भी नहीं फारिग हुए थे इसलिए उन्होंने धक्के मारने चालू रखे.

करीब 5 मिनट बाद मुझे अपनी बुर में एक गर्म फव्वारा महसूस हुआ. संजय मेरी बुर में झर चुके थे.

संजय सेक्सुअली बहुत ही ताकतवर थे शायद इसलिए झरने के बाद भी वो अगले 2-3 मिनट तक धक्के मारते रहे.
फिर आख़िर वो भी थक कर मेरे साथ लेट गए और मुझे फिर स्मूच करने लगे.

संजय ने वेट टिश्यू पेपर और पानी से मेरी बुर जो अब चूत बन चुकी थी, अच्छे से साफ की और फिर से बुर को चूसने लगे.

20 मिनट तक संजय ने मेरे पूरे शरीर को दुबारा चूमा, चाटा, चूसा… और वो दुबारा मेरी चुदाई करने के लिए तैयार हो गए.
संजय ने फिर मेरी टाँगें खोल कर अपना लंड मेरी बुर में डाल दिया. इस बार मुझे कम दर्द हुआ और साथ ही मजा भी बहुत आने लगा था.

संजय ने अगले राऊंड में मेरी चुदाई काफी देर तक की जिसमें मैं 2 बार झर चुकी थी.
मैं संजय से बहुत खुश हो गई थी शायद और इसलिए उसका पूरी तरह साथ दे रही थी.

हमने उस रात पूरी रात चुदाई की, संजय ने कम से कम 5 बार उस रात में मुझे चोदा.

सुबह करीब 5 बजे हम दोनों तक से सो गये. संजय मेरे साथ एकदम पति की तरह नंगे बदन हग करके सोये हुए थे.

हम लोग करीब 11 बजे उठे, मैं नहाने चली गई. मेरे नहा कर आने के बाद मैंने अपने पहले वाले कपड़े पहन लिए और फिर संजय ने मुझे नाश्ता करने को कहा.

डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लग चुका था, हमने नाश्ता किया और फिर मैं अंशुल के आने का वेट करने लगी.

संजय ने मुझे बाक़ी के पैसे और एक बैग दिया जिसमें मेरे साइज़ के कुछ ब्रांडेड कपड़े थे.

अंशुल 2 बजे वहाँ आ पहुँचा. मैं जैसे ही अंशुल के साथ जाने लगी तभी संजय ने मेरा हाथ पकड़ के रोक लिया और अंशुल को बोले- तुम थोड़ी देर ड्रॉयिंग रूम में बैठ कर टीवी देखो, हम आते हैं!

संजय मुझे अपने रूम में फिर ले गये और फिर से मुझे समूच करने लगे.
उन्होंने मुझे एक और राऊंड के लिए पूछा तो मैंने भी हाँ कर दी और एक राउंड और चुदाई का खेल लिया.

अब मैं जाने लगी, संजय को हग किया और अंशुल के साथ चल दी.

संजय जी की गाड़ी से हम संदीप के पास पहुंच गये. मैं संदीप के साथ मोटरसाइकल पर बैठ गई और हम हॉस्टल की ओर चल दिए.
संदीप ने मुझे हॉस्टल में जाने से पहले एक आई पिल दी ताकि मैं प्रेगनेंट ना हो जाऊँ.
मैंने संदीप को कहा- संदीप जो हुआ, इसका किसी को कुछ पता मत चलने देना!
यह कह कर मैं वहाँ से चली गई और हॉस्टल पहुंच गई.

अगले दिन फीस भरने का आख़िरी दिन था, मैंने 1 लाख 30 हज़ार फीस भर दी और बाक़ी पैसे अपने अकाउंट में डलवा दिए.

इस तरह से मुझे मजबूरी मे सुहागरात मना कर आना पड़ा.

Sex Stories

मेरे घर कुछ दिन Sex Stories पहले मेरी छोटी दादी (पिताजी की चाची) आई। उनके साथ कोई उनके मायके की भतीजी थी। उन्हें मेरे ही कमरे में ठहराया गया।

मेरी पारखी नज़रों ने मुझे बताया कि चांस मारा जा सकता है। फ़िर मुझे पता चला कि उनके पति स्वर्गवासी हैं, तो मैंने कुछ भी ऐसा-वैसा करने का इरादा छोड़ दिया।
पर उन्होंने मेरा हौसला खाने के वक्त बढ़ाया। मेज़ के नीचे बार-बार मेरा पैर अपने पैर से रगड़ती रहीं।
फ़िर मैंने ख्याल किया उनके नीचे गले वाले ब्लाउज से बाहर झांकते स्तनों का। कुछ नहीं तो 36 सी आकार रहा होगा।

मेरा तो कलुआ खुशी से उठ खड़ा हुआ जब पता चला कि उन्हें मेरे कमरे में ठहराया गया है।

वे मेरे बिस्तर पर चैन से सो रहे थे। दादी साइड में थी। सीमा – उनका नाम था- किनारे पर इस तरफ थी। और मैं अपने सिस्टम पर प्रोग्रामिंग का अभ्यास कर रहा था। पर दिमाग अलग ही प्रोग्रामिंग में लगा था।

जब मैंने देख लिया कि अब सब गहरी नींद में हैं तो उठा। अभी मुझे चेक करना था कि क्या सही में सीमाजी और कितनी हद तक एक्सेसिबल हैं।

मैंने कम्बल ओढ़ाने के बहाने उनके एक बेल को मसला। उनकी आंख झट से खुली। मैं डरा, पर उनकी मुस्कान ने मुझे ग्रीन सिग्नल दे दिया।

फिर दादी को कम्बल ओढ़ाने के बाद मैंने उनके कम्बल को पैर से सर तक सही किया, एक बार। वो भी एकदम अच्छे तरीके से। पर देखा दादी अभी करवट ले रही है, इसलिये फ़िर से मशीन पर बैठ गया।

बैठा था मैं जो करने, वहाँ ध्यान ही नहीं था। मैं उन लड़कियों और औरतों के बारे में सोच रहा था, जिनके साथ खेला हुआ था, या मैंने करना चाहा था।

मुझसे रहा नहीं गया। मैं उठ कर बाथरूम चला गया। वहीं हस्तमैथुन करने लगा, एकदम से भीतर जाकर।

तभी मुझे लगा कोई आया बाथरूम में। रात के एक बज रहे थे, सो मैंने बन्द नहीं किया था। पता नहीं कौन होगा, सोचकर मैंने खांसी की। पर देखा कि वो मेरे सामने आकर मुस्कुरा रहीं हैं, सीमाजी!!

मैं सकपका गया। एकदम सावधान खड़ा हो गया। वो मुस्कुराते हुए चली गईं।

मैं अब आकर सोफ़े पर एक चादर लेकर सो गया। देखा वो करवटें ले रही थी। और उनकी चूचियाँ छलक-छलक के बाहर आ रही थी।
एकबार जब वो शान्त हुई, तो मैंने हिम्मत की। डर मुझे इतना ही था कि ये मेरे पापा की सम्बंधी लगती एक रिश्ते में, बस।

मैं उनके छाती पर धीरे-धीरे ऊँगलियों से हरकत कर रहा था। थोड़ी देर बाद पूरे हाथ से दबाना शुरू किया उनके बेल के आकार के स्तनों को।

उन्होंने अपने दोनों हाथ जांघों के भीतर दबा कर डाल लिये। जगी तो वो थी ही, अब आंखें भी खोल ली उन्होंने और मुझे इशारा किया ब्लाउज खोलने को।

पैकिंग और अनपैकिंग के काम मेरा हाथ तेज है। मैंने झट-पट ब्लाउज के साथ ब्रा भी खोल दिया।

अब उनको मस्ती आने लगी थी। पर मैंने होठों पर हाथ रख कर आवाज ना करने को कहा।

वो हाथ पैर फेंक कर दादी को डिस्टर्ब करे उससे पहले मैंने उनसे सोफे पर चलने को कहा।

सोफे पर जाते ही उन्होंने मेरा सर अपनी तनी हुई चूचियों वाली छाती पे लगा दिया। मैं भी लगा चूसने कस के।
सिसकारी निकलने लगी तो मैंने उनके मुँह पर हाथ रख दिया। वो बड़े-बड़े बोबे, दोनों हाथों से पकड़ो तो हाथ मे आयेंगे। मैं सब कुछ भूल कर दूध पी रहा था उसका।

वो भी जन्नत की हूर थी, कैसे आ गई मेरा रात रंगीन करने!!! जो गठीला बदन था, आजकल पैसा खर्चने पर भी वैसी आइटम नहीं मिलेगी।

जब मेरा मन भर गया ऊपर से तो मैंने नीचे की ओर देखा। उन्होंने सहमति में सर हिलाया।

मैंने धीरे से साड़ी के भीतर हाथ डाला। पूरे पैर को सहलाते हुए जांघों तक पहुँचा। इस बीच उनके हाथ मेरे लुंगी के भीतर मेरे लोहे जैसे गर्म और सख्त टूल को टटोलने लगे थे।
वो मेरे साइज से बेहद खुश थी। एक ही बार में भूखी शेरनी जैसे भेड़िये को खाती है, मेरे तीसरे पैर को डाल लिया अपने मुँह में।

मैं सिहर उठा। आज मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था। मेरे हाथ अब उस चूत की ओर बढ रहे थे जिसे उन्होंने बताया कि 3-4 साल से जल रही थी।

सच में किसी ऑवन से कम गर्मी न थी। पर सारा लव-होल एरिया जंगल से भरा था। वो चाहती थी, मैं चाटूं। पर बालों ने मेरा उत्साह कम कर दिया।
पर उन्होंने मेरा मन खुश किया था, तो मैंने कहा कि आज मैं टेस्टर से चेक कर लूँ कि कितना कर्रेंट है, फिर कल मुँह डालूंगा, इतना गरम है कि क्या पता मुंह जल जाए।

वो मेरे बात से सहमत थी।

मैंने अपना रॉड गाड़ दिया उनके आग के कुंए में। कसम से आज मैं समझा कि जिसको हम चरित्रहीनता कहते हैं, वो उसके अन्तःमन की दबी हुई आग की चिन्गारी भर होती है, अन्तर्वासना होती है।

एक सम्पूर्ण संतुष्टि का भाव था उनके चेहरे पर उस वक्त।

सालों से ना चुदने की वजह से उनके लव-स्पॉट की दीवारें तंग हो गई थी। बड़ी दिक्कत हो रही थी मुझे। मैं उठ कर अपने रसोई से मक्खन ले आया। गर्मी तो इधर इतनी थी कि मक्खन पिघलते देर नहीं लगी।

खैर मैं उत्तेजना की वजह से दस मिनट से ज्यादा सम्हाल न सका। पर वो खुश थी।

उसके बाद 2-3 दिन और रुके वो लोग… Sex Stories

Indian Sex Stories

मेरे मामा Indian Sex Stories जी की पत्नी यानि मेरी मामी का अकस्मात निधन हो गया था। मामाजी अट्ठाईस साल के खूबसूरत वयक्तित्व वाले हैं। उनकी पत्नी भी पढ़ी-लिखी सुंदर औरत थी। निधन के समाचार से मेरी मम्मी और परिवार के सभी सदस्यों को बहुत दुःख हुआ था। मामाजी की एक दो साल की लड़की थी।

थोड़ा अपने बारे में बता दूँ!
मेरी उम्र 18 से कुछ ज्यादा है, बला की खूबसूरत हूँ मैं! मुझे देखते ही आदमी की आह निकल जाती है। बी.कॉम की परीक्षा के बाद गर्मियों की छुट्टियों में मम्मी ने मामाजी की लड़की जॉली को सम्हालने के लिए मुझे इस वर्ष अकेले ही भेज दिया।

मामाजी के यहाँ पूरा परिवार छोटे मामाजी, नानी जी, नानाजी सभी जॉली को बहुत अच्छे से रखते हैं। मामाजी बिलकुल उदास और गमगीन रहते थे। वो अकसर कामकाज के सिलसिले में बाहर जाते थे, रात को देर सवेर घर पर आते थे।

एक रोज रात को मामाजी करीब साढ़े गयारह बजे घर पर आये। मैं जॉली को सुला रही थी, सोते वक्त जोली रोने लगी, मुझे बहुत दया आई और अपनी शर्ट को खोलकर जॉली को अपना चुचूक चुसाने लगी। चुसाते-पिलाते कब जाने नींद लग गई।

जब मेरी नींद उड़ी तो देखा मामाजी के हाथ मेरे स्तनों को धीमे धीमे सहला रहे थे, नींद उड़ते ही एकदम से मैं सन्नाटे में आ गई। पर सोचा कि आज चार माह हो गए मामीजी को मरे हुए, रोजाना सेक्स करने वालों की क्या हालत होती होगी। फिर सबसे बड़ी बात मेर गुलाबी चुचूकों पर मामाजी का हल्का स्पर्श पाकर मैं खुद रोमांचित हो गई। मैं नींद का बहाना करके सोई रही।

मामाजी ने धीरे धीरे शर्ट के चार बटन खोल दिए ब्रा को थोड़ा और ऊपर खिसका कर एक स्तन पर अपने होंठ रगड़ने लगे, दूसरे पर हल्का हल्का हाथ चला रहे थे। मेरे पूरे बदन में चिंगारियाँ फूटने लगी। वक्ष पर मामाजी की चलती हुई जबान से मेरी चूत कुलबुलाने लगी।

इधर मामाजी के पजामे के सामने ऐसा लगा जैसे टेंट खड़ा हो गया हो। धीरे से मामाजी का हाथ मेरी कमर से रेंगते हुए जींस तक पहुँच गया परन्तु तंग जींस होने से हाथ चूत तक नहीं पहुँच सका। फिर मामाजी जो भी हरकत कर रहे थे, बहुत डरते डरते से कर रहे थे। मैं आँख बंद कर आनंद ले रही थी पर डर मुझे भी लग रहा था। थोड़ी देर बाद मामाजी ने चुचूक चूसते चूसते पजामे में से अपना आठ-नौ इंच लम्बा लंड निकाल कर हाथ में ले लिया। वासना के वशीभूत हो के हाथ से लंड को जोर जोर से हिलाने लगे, दूसरे से मेरे स्तन दबाते रहे और मुँह में निप्पल लेकर लॉलीपॉप सरीखे चूसते रहे।

इच्छा तो मेरी भी बहुत हुई पर आंखे मींचे शर्म के मारे लेटी रही। थोड़ी देर बाद मामाजी के लंड ने पिचकारी मारी, जैसे होली पर रंग निकला हो, ढेर सारा वीर्य निकल कर बेडशीट पर जा गिरा। मामाजी जोर जोर से हांफ़ने लगे। सांसों को ठीक कर धीरे धीरे मेरी शर्ट के बटन लगाने लगे। सब कुछ सामान्य हो गया सिवा मेरे बदन के, आग लग गई उसमें!

एक घंटे बाद जब लगा कि मामाजी सो गए, मैं धीरे से उठकर अपने कमरे में चली गई। सीधे बाथरूम में जाकर पूरी नंगी होकर नहाई, नहाते हुए जमकर चूत में ऊँगली डाली, तब जाकर राहत मिली और सो गई।

अगले रोज मामाजी से मैं बराबर निगाह नहीं मिला पा रही थी, पर ऐसा जाहिर किया जैसे रात जो कुछ हुआ उसकी मुझे जानकारी न हो। परन्तु सारे दिन रात के वाकयात मेरी निगाहों से न निकले, रह रह कर रात वाली बात याद आती और कुदरन सेक्स करने की इच्छा होने लगी। इससे पहले हल्का फुल्का वक्ष को स्पर्श करवाना, बन-ठन कर रहना, लड़कों को कुत्ते की तरह पीछे दौड़वाने तक का खेल मैंने किया था पर सेक्स के मामले में विगत रात अब तक का मेरा उच्च स्कोर थी।

जैसे-तैसे दिन कटा, रात होते ही खुद-ब-खुद मेरे कदम मामाजी के कमरे की तरफ बढ़ने लगे, परन्तु आज बहाना न रहा! जॉली नानीजी के पास जो सो गई थी। मन मार कर मैं अपने कमरे में सो रही थी।
नौ बजे के करीब मामाजी आये, उनकी कमर में थोड़ा दर्द हो रहा था। नानीजी ने मुझे आवाज लगाई- बेटी निशा, मामाजी के कमर पर जरा तेल लगा देना!

मुझे जैसे मुँह मांगी मुराद मिल गई हो। आज मैंने नाईट-सूट पहन रखा था, वो भी बिना ब्रा और पेंटी के! मामाजी चादर ओढ़ कर लेटे थे। मैंने पूछा- मामाजी, कहाँ दर्द हो रहा है?

मामाजी ने कमर की बगल में इशारा किया वहाँ तेल लगाने के लिए मामाजी को पजामा खोलना पड़ता। उन्होंने पजामा और चड्डी खोलकर नग्न होकर चादर डाल ली। मैं चादर के अंदर हाथ डालकर आहिस्ता-आहिस्ता मालिश करती गई। दस मिनट बाद मुझे कंपकपी छूटने लगी। वासना से मेरा बदन जलने लगा।

एकाएक मामाजी जो बगल में होकर लेटे हुए थे, थोड़ा सीधा हो गए। सीधा होते से ही सांप की फुफकारता उनका लंड मेरे हाथ से टकराया। रिश्ते-नाते, उम्र सब भूलकर मैंने लंड को हाथ में पकड़ लिया। मामाजी भी सिसकारियाँ भरने लगे। मुझसे और बर्दाश्त न हुआ, लंड को मुँह में ले लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मामाजी मेरी ब्रा विहीन चूचियों को कस के दबाने लगे, चूसने लगे। बेतहाशा लिपट गए, चिपट गए!

इसके आगे क्या हुआ?
बाकी की कहानियों में आप लोग रोजाना पढ़ते ही हो!
मतलब मामा ने चोदा अपनी भानजी को
मेरी सच्ची कहानी अच्छी लगी हो तो मेल करें! Indian Sex Stories

(Didi Ko Maine Choda)- Hindi sex stories

ये मेरी पहली Hindi sex stories मेरे बड़ा भाई और मेरी कजिन सिस्टर की है मेरे भाई का नाम रवि है, और मेरी कजिन सिस्टर यानि मेरे दीदी रवीना है।

रवि की उमर 35 है और दीदी का भी 35 है। मेरे दीदी कि फिगर तो अल्टीमेट है 40-32-38 साली एकदम सेक्सी लगती है।
अठारह साल की उमर में उसकी शादी हो गई एक पुलिस कांस्टेबल के साथ, मेरे जीजा रिज़र्व पुलिस में थे तो उनको आउट स्टेशन जाना पड़ता था। और मेरे दीदी और जीजाजी के सम्बन्ध उतना क्लोज नहीं था क्योंकि उनकी उमर 25 थी जब वो दीदी को शादी किये थे। मेरे दीदी मेरे घर के बाजु में ही घर लिये थे। पता नहीं कब मेरे दीदी और मेरे भैया के साथ अफैर हो गया।

मुझे पहले पहले कुछ ऐसा लगता था कि मेरे भैया और दीदी के बीच में कुछ है। मैं उन दोनो के ऊपर शक करता था। एक बार दोपहर में मैंने कोलेज से आया तू मेरे दीदी और मेरे भैया रूम में बैठ के जोर जोर से बात कर रहे थे तो में रूम का दरवाज़ा खोलके अंदर चला गया देखा तो दीदी ने उसके बच्चे को दूध पिला रही है वो भी पूरा ब्लाउज़ खोलके और भैया आराम से बैठ के देख रहा है मैंने सोचा कि बच्चा को दूध पिला रही है तो उसमे शक करने कि बात नहीं है। फिर भी मेरे मन मे शांति नहीं था सिर्फ़ उन दोनो का है बात दिमाग में हर वक्त चलता था।

कुछ महीने के बाद रात मे मैं धीरे से घर आया रूम में दीदी, भैया और दीदी का बच्चा सब सो रहे थे तो मैंने डिनर करने के लिये किचन में गया और तभी पावर कट हो गया। तो मैंने खाना लगा के हाल में आया तो रूम के अंदर से कुछ आवाज़ आ रही थी (भैया का रूम तो हाल में अटैच था।

मेरे को शक हो गया कि रूम में शायद हो दोना कुछ कर रहे हैं और मैंने धीरे से रूम के दरवाज़ा पर कान रख के सुना तो पया कि मेरे भैया बड़ी जोर से सांस ले रहा था और दीदी भी कुछ अजीब से आवाज़ कर रही थी। कुछ देर बाद में एक अजीब स्मेल रूम से आने लगा और फच फच कर के बहुत जोर से सांस ले के दोनो आवाज़ मिलकर रूम से आ रहा था मेरे को वो स्मेल और आवाज सुनकर मेरे लौड़ा खड़ा हो गया मैंने बहुत जल्दी में खना खा लिया और बड़ी हिम्मत से रूम का दरवाज़ा खोल के अंदर गया तो खाट के उपर बच्चे को सुला के भैया और दीदी नीचे ज़मीन पर एक के बगल में सो रहे थे। उस रात से मैं उन दोनो का पीछा करना शुरु किया तो मुझे वो दोनो रंगे हाथ पकड़े गये

वो रात मेरे को पता कि आज भैया और दीदी मस्त चोदने वाले है क्योंकि मेरे घर में उस दिन कोई बी नहीं थे सिर्फ़ मैं, भैया, दीदी और उस का बच्चा को छोड़के। तो उस रात मैंने बड़ी जल्दी सोने का नाटक किया और रात 9 बजे तक बेड पर चला गया। और 10 बजे को उठा और रूम की खिड़की के पास जाके बैठ गया।

रूम की खिड़की को मैंने पहले ही थोड़ा सा खोल के रखा था और परदा को पूरा छोड़ दिया था। जैसे मैं खिड़की के पास तो वो दोनो ऐसे ही कुछ बातो में खोये हुए थे। अचानक भैया ने दीदी को समूच किया तो मेरा हार्ट बीट बहुत तेज़ वो गोया। मेरे दिल में थोड़ा सा डर हो रहा था। भैया समूच करने के बाद दीदी को गाली दिया कि वो दूध पिये थी। भैया को दूध से नफ़रत थी। वो दूध या दूध के स्मैल से नफ़रत करता था। दीदी ने तुरंत बाथरूम में जाके ब्रुश करके आयी।

फिर 5-10 मिनट बाथ किया और फिर से भैया दीदी को समूच किया और अपने हाथ को उस के बूब्स पर रख के जोर से दबाना शुरु किया। दीदी भी भैया का लिप्स और जीभ को अपने मुंह में लेके बड़ि मजेदार से किस कर रही थी। भैया ने दीदी की नाइटी को उपर उठाया और उसे निकाल के ज़मीन पर फेंक दी। दीदी अकसर घर में ब्रा नहीं पहनती थी। और वो नंगी हो गयी। भगवान की कसम दीदी की जांघें तो कमाल की चीज़े है।

साली के पैर एक दम बनाना के पेड़ के जैसा है। इतनी बड़ी बड़ी बूब्स थी इसकी कि भैया का पूरा फ़से उस में छुप जा रहा था कि वो बूब्स को चूस रहा था। भैया ने दीदी के दोनो बूब्स को ऐसे चूस रहा था कि कोई आदमी बहुत सालो तक प्यसा हो और उसे पानी मिल गया हो। थोड़ी देर बाद में भैया ने दीदी के दोनो पैरों को फैला दिया और दीदी की चूत दिखने लगी उसके पूरा प्युबिक हेयर से छुपा हुआ था। भैया ने दीदी के चूत को उंगली से फ़ैला दिया और अपने मुंह को चूत में डालकर चूसने लग गया। कुछ 5 मिनट तक वो दीदी के चूत को चूस रहा था तो दीदी ने पूरे मूड में आ चुकी थी और वो बोल ने लगी कि चूस रवि मेरे चूत को और चूस खा जा मेरे चूत को।

आज तो बहुत खुजली हो रही है मेरी चूत मैं चूसले, पूरा पानी मेरे चूत में से अह्ह अह्ह अह्ह आअ… अ… अ अहह कर रही थी।
5 मिनट के बाद भैया ने दीदी कि चूत में से निकाल कर दीदी को उसके होंथों पे किस्स करके दीदी का लिप्स को चूस ने लगा। दीदी ने भैया का टी शर्ट निकाला और भैया को गर्दन के पास किस करने लगी और गर्दन से लेकर ऐसे ही उसके छाती के पास उसके छाती को किस करके उसके शोर्ट्स को निकाल दिया और भैया का 8′ तगड़ा मोटा लौड़ा पूरे तरह से खड़ा हो गया था।

दीदी ने भैया का लौड़ा पकड़ लिया और हाथ से शेक किया और उसके उपर का स्किन को पीछे कर के भैया का लंड को मुंह में ले के चूसना शुरु कर दिया। भैया बोले चूसले जान मेरे लौड़े को चूसले आहाह अह्हह अह्हहह बड़ा मज़ा आ रहा आता है जब तु मेरे लौड़े चूसती है कर के बोलने लगा

5-10 मिनट के बाद भैया ने दीदी का सिर पकड़ के उसके माउथ में धक्का देना शुरु किया और दीदी को उपर उठके उस खाट के उपर में सुला के अपने लंड को हाथ में लेके सम्भालने लगा और दीदी के चूत के उपर रख के एक ही झटके में अपने पूरे लंड को अंदर डाल दिया।

दीदी ने एक जोर सी आवाज़ की और बोली- मादरचोद धीरे से कर!
में दीदी के मुंह से वो बात सुनके हैरान हो गया और पता चला कि भैया और दीदी दोनो गंदी तरह से गाली दे के चोदते हैं। और भैया ने दीदीके चूत में अपने लंड को अंदर और बाहर कर रहा था और दीदी धीरे धीरे सिसकार कर रही थी अह्ह्ह अह्ह रा… ज… अह्ह्ह… अझहह्हह कर के सिसकार कर रही थी।
5-10 मिनट के बाद भैया ने अपने स्पीड ज्यादा करने लगा और बोलने लगा कि तेरी मां को चोदु तेरी बहन को चोदु तेरी चूत फ़ाड़ के रख दूंगा साली रंडी चल चोद जोर से चोद हरामज़ादी रंडी साली चोद मुझे चोद कर के गाली देने शुरु किया बहुत जोर जोर से चोदने लगा।
इतना जोर से चोद रहा था कि उन दोनो का चोदने के साउंड इतनी जोर से आ रहा था और दीदी कि चूत में से कुछ व्हाइट कलर में तरल आने लगा और पूरा रूम में फ़चाक फचाक फचाक करके आवाजें आने लगा।
और दीदी बोलने लगी कि मादर चोद और जोश से चोद मुझे मेरी चूत पर दे रविआआ मेरी चूत फाड़ दे बहुत अंदर तक चला गया है तेरा लौड़ा चोद रे साले मादर चोद मुझे और जोसे से चोद मेरी मां बहन को भी चोद ले रवि तेरी लौड़ा को सारी दुनिया की चूत कुर्बानी है रवि चोद आअहहा आआअह्ह्हह अह्हह स्सस्स स्सस्सहू ऊऊओदूऊऊ अह्हहह कर के चिल्लाने लगी और मेरे भैया ने भी गंदी गंदी गालियो से गाली दे के चोद रहा था

मां कसम भैया ने ठीक 45 मिनट तक लगातार दीदी के चूत को चोद के फाड़ दिया और उसने पूरा पानी दीदी के चूत में निकाल दिया और दीदी के चूत से अपने लंड को निकाल दिया और साइड में सो गया यहां दीदी ऐसी सो पड़ी थी जैसे किसी को अपना चुदा हुआ चूत दिखा रही है और दीदी के चूत को बड़ा हो गया था और उसमे से भैया का पानी नीचे गिर थे हुए दिख रहा था।

10 मिनट तक दोनो शांत पड़ गये थे। 10 मिनट के बाद दीदी बोली रवि फिर से करना दूसरे राउंड तो भैया बोला तेरी मां को चोदू साली तेरी प्यास भी जाती नहीं है जा के लकड़ी ले के आ के तेरी चूत में रख के सो जा साली रंडी हरामी कर के बोल के सो गया और

दीदी ने बोला ठीक है तो सुबह 5 बजे को उठी हूं और सुबह मुझे खूब चोद लेना अभी सो जा कर के बोली और सो गयी।
मैंने उसके बाद बाथरूम में गया और लगभग 45 मिनट तक जो देखा था वो पूरा जोश को सिर्फ़ 2 मिनट के हाथ मारने पे पूरे के पूरा पानी निकाल दिया।

ठीक महीने बाद मेरे भैया की शादी हो गयी और हमारे घर के उपर और 2 रूम बना दिया ताकि भैया को शादी के बाद परायिवेसी दिया जाये और कोई मेहमान आये तो भी दूसरे रूम का इस्तेमाल होगा कर के सोच के 2 रूम बना दिया।

भैया की शादी होने के महीने दो महीने के बाद एक रात ऐसा हुआ कि मेरे ज़िन्दगी का आसमान खुल गया।

हर समय के तरह दीदी जब जीजा नहीं वो तो हमारे घर में ही रहती थी।

वो हमारे घर में सोती थी।

उस रात वो रूम में सोने को आई। जैसे भैया उपर रूम में चला गया। में खाट के उपर सो रहा था और दीदी ज़मीन पर बेड लगा के सो गयी। मेरे को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मेरे को रोज़ हाथ मारने का प्रक्टिस है और एक बार अपना पानी गिराने के बाद ही मेरे को नींद आती थी। लेकिन उस रात दीदी थी तो मैन ऐसे ही सोने की कोशिशअ रहा था।

कुछ 12 बजे के आस पास तक मेरे को नींद नहीं आयी थी और मैंने दीदी को घूर घूर के देख रहा था जैसे वो अपना हाथ और पैर हिला रही थी तो उसका नाइटी उपर वो हट रहा था, तो मैं कोशिश कर रहा था कि उसका पैरों को उपर तक देखने की। ऐसे ही देख रहा था तो दीदी ने अचानक बेड शीट को अपने पैर पर लगा के अपनी चूत में उंगली करनी शुरु कर दिये और उनके प्युबिक हेयर में उनका उंगली जैसे मूव वो रहा था आवाज आने लगा।

10-15 मिनट तक दीदी उंगली कर रही थी तो मैन खाट के उपर बैठ गया और सीधे दीदी को घूरने लगा।

जैसे दीदी उंगली करके आंख खोली तो मेरे को देख के हैरान हो गयी और पूछी ऐसे क्यों बैठा है। और मैंने कहा दीदी मैंने देखा कि आप उंगली करते हुये।

दीदी बोली क्या बोलता है तुझे शरम नहीं आती है ऐसे बात करने में।

मैंने बोला दीदी मेरे को पता है कि तुझे भैया रोज़ चोदता था और अब उस का शादी हो गयी तो तुम उंगली करले रही हो।

दीदी बोली क्या उल्लु के जैसा बात करता है तेरे को क्या पता, कैसे पता मलूम है तू क्या कह रहा है। मैंने बोला मैंने सब कुछ देखा है। दीदी थोड़ा सा डरा हुई थी मैंने बोला दीदी डरो मत मैं किसी को नहीं बोलने वाला हूं।

बस मेरे को एक बार तेरे को चोदना है

दीदी बोली हरामज़ादे मेरे को चोदेगा?

मैं खाट से उतरा और सीधा उसके बूब्स पर हाथ रखके उसे किस करने लगा।

शुरु में वो थोड़ी न की और वो भी जोश में आ गयी। मेरे मन में खुशी ही खुशी हो रहा था।

मैं दीदी का मुंह में मेरा मुंह डाल के चूस ने लगा वो भी साथ दे रही थी उसने मेरे पूरे जीभ को अपने अंदर ले लिया। मैंने उसके दोनो बूब्स को दबाने शुरु किया इतने बड़े बड़े बूब्स थे कि मेरे दोनो हाथ में एक नहीं आ रहा था।

मैंने तो बड़े बड़े बूब्स के औरतों को देखा हूं वो सभी लूज़ लगते थे लेकिन दीदी के बूब्स तो एक दम टाइट था और क्या कलर था उसके निप्पल कम से कम 1′ तो था मैंने जी भर के उसका बूब्स को चूसा उसके निप्पल के साथ खेला करता उंगलियों के बीच में उसे जोर से दबाया दीदी धीरे से सिसकार कर रही थी। मैंने उसके नाइटी उतार दिया और उसको मेरे सीधे आंखों के सामने मेरे बाहों में नंगा देख कर मेरे को लगा कि ये तो सपना है।

ऐसे औरत को तो नंगा में मेरे साथ बिठा सकता हूं ये तो में सपनो भी नहीं देखा था। मैंने उसके चूत चाटने लगा पहली बार था न तो उसके लुब्रिकेंट मेरे मुंह में आने लग गया और मेरे पूरा मुंह उसके पानी से गीला हो गया मैंने उसके चूत को चोद के मेरा ट्रैक पैंट उतार के मेरा 8′ के लंड को उस के मुंह में रखने को दिया।

तो दीदी बोली- बहन चोद साले पूरे घर वालों का लौड़ा बड़ा है तेरे भैया का भी और तेरा भी। उधर तेरा भैया मेरे को चोद के उस रंडी साली तेरी भाभी को चोद रहा है। नया चूत मिला है न उसको इसलिये मुझे टच करने को भी नहीं आता है। आज से तू ही मेरे को चोदेगा इस रंडी को तू ही चोदना। अगर वो नया चूत चोद रहा है तो में भी नया लौड़ा से चुदवाउंगी। साला अपने भैया के रंडी को चोदने चाहता है चोद तेरे में कितना दम है उतना भी लगा के चोद इस चूत को। तेरा फर्स्ट नाईट है आज चोद मुझे बोलने लगी।

मैंने कहा साली कितना बोलती है रंडी हरामज़ादी कितने लोग चोदा है इस चूत को साली ऐसा लगता है कि कोई बवडी है चूत नहीं है कर थे मैंने दीदी कि चूत में मेरे लौड़ा घुसा के मार रहा था तो वो बोली तो जा के पूछना अपने मादरचोद भाई को उसने ही बनाया है मुझे रंडी और मेरे चूत को पर के भवडी बना दी है।

ऐसे ही हम दोनो मज़े लूट रहे थे तो 20–25 मिनट के बाद मैंने झाड़ दिया। दीदी बोली साले फर्स्ट टाइम इतना तिमे लेता है तो साले तू भी बड़ा चुदक्कढ़ बनेगा साले। कुछ 10 मिनट के बाद मैंने बोला दीदी में क्या अपका गांड मार सकता हूं।

तो बोली हा हा क्यों नहीं मादरचोद तुम सब भाई लोग एक ही हो सिर्फ़ चूत से थोड़ी तसल्ली होगा मारो गांड मारो मेरी लेकिन इस बार तू अपने पानी मेरे मुंह में गिरना है मेरे को तेरे पानी पीना है करके बोली। उसके बाद मैंने दीदी को खूब गांड मारा और उसके मुंह मैं झाड़ दिया। Hindi sex stories

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