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पिछले भाग की कुछ Antarvasna अन्तिम पंक्तियाँ : लल्लू लाल कहाँ रुकने वाले थे, 5 मिनट बाद उन्होंने अपने पूरा चिकना लण्ड बहू की चूत में पेल ही दिया, अब सिर्फ़ आँड बाहर रह गये। जैसे ही सुषमा का दर्द थोड़ा कम हुआ और वो सामान्य हुई, उन्होने लण्ड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। लल्लू लाल बहू की चूत के खून से रंगा लण्ड अंदर-बाहर करते रहे, सुषमा की चीखे सुनाई देती रहीं।
बेटा तू बापू की गाण्ड चाट ! मैं आँड चाटती हूँ, नहीं तो ये बहू को चोद चोद कर मार डालेंगे ! रुक्मणि बोली।
सुषमा ने देखा कि उसका पति उसके ससुर की गाण्ड चाट रहा था और सास ससुर के मोटे काले अंडकोष चाट रही थी। लल्लू लाल जी उत्तेजना के शिखर पर थे- बहू, भर दूँ तुम्हारी कुँवारी चूत अपने ताक़तवर वीर्य से? उन्होने पूछा।
सुषमा ने कुछ बोलना चाहा ही था कि वो गर्र-गर्र करते हुए झड़ गये।
ओह ! ओह ! आपने तो कोई आधा कप पानी बहू की चूत में छोड़ दिया है, बच्चा होकर रहेगा ! रुक्मणि बोली।
अब आगे :
ससुर जी ऊपर से हट कर बिस्तर के कोने पर बैठ गये और सुषमा को सहलाने लगे। उधर सुरेश नीचे जाकर रुक्मणि की चूत चाट रहा था।
चाट मेरे लाल, चाट ! मेरे बेटे तेरी जीभ तो लण्ड से भी ज़्यादा मज़ा देती है ! रुक्मणि बोल रही थी। उधर लल्लू लाल जी भी नीचे पहुँच गये, उन्होंने सुरेश की गाण्ड में तेल लगा कर उसको उंगली से चोदना शुरू कर दिया।
हाँ बापू ! फ़ाड़ो मेरी गाण्ड ! सुरेश गाण्ड नचाते हुए बोल रहा था।
ससुर ने सुषमा को नीचे खींचा और उसका मुँह से अपने लण्ड को अड़ा दिया- इसको चूस चूस कर बड़ा कर बहूरानी ! ताकि मैं तेरे पति की सेवा कर सकूँ ! उन्होने कहा।
सुषमा ने उनके मोटे काले लण्ड को कस के पकड़ा और जीभ फेरने लगी। धीरे धीरे लल्लू लाल जी का सुपारा चीकू जितना बड़ा हो गया और लण्ड एकदम हथोड़े जैसा !
ससुरजी ने बहू को धन्यवाद दिया और वापस से सुरेश की गाण्ड पर अपना हथियार तान दिया। किसी मंजे हुए खिलाड़ी की तरह सुरेश ने गाण्ड को हिलाया और एक ही झटके में लल्लू लाल जी का आधा लण्ड उसकी गाण्ड में चला गया।
सुरेश ज़ोर से चीखा- मर गया बापू ! अभी पूरा कहाँ मरा है? अभी तो आधा ही मारा है ! लल्लू लाल जी बोले और पूरा लण्ड पेल दिया। सुषमा सोचने लगी कि सुरेश की गाण्ड क्या उतनी बड़ी है?
उधर सुरेश अपनी माँ की चूत चाटे जा रहा था।
रुक्मणि उछल रही थी- बेटा। मैं झड़ने वाली हूँ, पूरी जीभ डाल दे अपनी माँ के भोसड़े में ! वो बोली।
और दो मिनट में हांफ़ते हुए अपना पानी छोड़ दिया। उधर लल्लू लाल जी की रफ़्तार बढ़ गई थी।
रुक्मणि पीछे आ गई, मेरे बेटे की गाण्ड फाड़ दोगे क्या ? अब रहम करो ! वो बोली और सुरेश के नीचे लेट गई। सुषमा ने देखा कि रुक्मणि सुरेश की लुल्ली को चूस रही थी और अपने हाथों से ससुरजी के बड़े बड़े अण्डकोषों को मसल रही थी।
अब अपने बेटे की गाण्ड अपने पानी से भर दो ! रुक्मणि बोली। यह सुनते ही लल्लू लाल जी तेज़ हो गये और बोले- हाँ जान। ये ले तेरे बेटे की गाण्ड में अपना पानी डालता हूँ ! कहकर वो झड़ गये। सुषमा थक कर सो गई।
सुषमा को पता चल गया था कि उसके ससुर उसकी सास को तो माँ नही बना सके मगर ये कसर अब उसके साथ ज़रूर पूरी करेंगे।
सुबह जब उसकी आँख खुली तो ससुर और पति दोनों काम पर जा चुके थे मगर सास नहीं गई थी।
रुक्मणि बोली- आज तेरी सेवा करूँगी बहू !
खून से भरी चादर धुल गई थी और रुक्मणि ने सुषमा से कहा- नहाने से पहले मैं तेरी तेल मालिश करूँगी।
रुक्मणि ने सुषमा के पूरे कपड़े खोल दिए और उसके पूरे बदन पर मालिश करने लगी। फिर उसने रेज़र लेकर सुषमा की झांट साफ की और बोली- बेटा यहाँ हमेशा सफाई रखनी चाहिए। मैं, तुम्हारे ससुर और सुरेश के झांट भी साफ करती हूँ हमेशा !
सफाई के बाद रुक्मणि ने तेल लेकर उसकी चूत पेर लगाया और उंगली से सुषमा की चूत चोदने लगी।
बेटी, इससे तेरा छेद बड़ा हो जाएगा ताकि आज रात तू आसानी से ससुर का लण्ड ले सके ! वो बोली।
उंगली की चुदाई में सुषमा को बहुत मज़ा आ रहा था और वो सास के साथ साथ अपनी गाण्ड हिलाने लगी। कोई पाँच मिनट बाद सास की तीन उंगलियाँ अंदर थी और सुषमा झड़ गई। उसे पहली बार चरमसुख मिला था। सास उसको रात के लिए तैयार कर रही थी।
रात होते ही सुषमा वापस ससुर के कमरे में गई। ससुरजी वैसे ही नंगे लेटे हुए थे, पास जाते ही उन्होंने सुषमा को अपने पास खींच लिया और चूमने लगे। एक ही पल में उन्होंने सुषमा को नंगा कर दिया और उसकी चूत चाटने लगे। कोई पाँच मिनट बाद सुषमा अपने ससुर की जीभ पर झड़ गई। उधर सुरेश अपने पिता का लण्ड कुत्तों की तरह चाट रहा था। सुषमा के झड़ते ही लल्लू लाल जी ने अपना लण्ड उसकी चूत से भिड़ाया और एक ही शॉट में भीतर पेल दिया। सुषमा चीखी मगर उसे आनंद भी आया। अब ससुरजी धीरे-धीरे लण्ड अंदर-बाहर करने लगे। उसको अच्छा लग रहा था, उसने अपने हाथों से ससुरजी की गाण्ड कस कर पकड़ ली और उन्हें अपने ऊपर दबाने लगी।
लल्लू लाल जी ने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से सुषमा को चोदने लगे। उधर सुरेश अपने पिताजी के अमरूद समान आण्डों को तेल लगा कर मसल रहा था और कह रहा था- बापू इन आण्डों का पूरा रस डाल दो इस रांड की चूत में, ताकि इसको आपका बच्चा हो !
हाँ बेटा, पूरा वीर्य खाली कर दूँगा ! लल्लू लाल जी बोले और एक चीख के साथ वो झड़ गये। सुषमा का भी पानी निकल गया। सुषमा को पहली बार चुदाई का मज़ा आया था।
अगले दिन रुक्मणि बोली- बेटी, हालाँकि तेरे ससुर का लण्ड शानदार है लेकिन तू मुझे कहेगी कि मैंने तुझे जवान लण्ड का मज़ा नहीं दिया, इसलिए आज एक जवान लण्ड के लिए तैयार रहना ! वो आँख मारते हुए बोली।
सुषमा कुछ समझती उससे पहले यासीन वहाँ आ गया। यह वही लड़का था जिसको उसने अपने पति सुरेश की गाण्ड मारते हुए देखा था। सुरेश उसको कमरे में लाया और अंदर से बंद कर दिया। सुरेश ने एक मिनट में सुषमा के कपड़े उतार दिये और यासीन को नंगा कर उसका लण्ड चूसने लगा। सुषमा ने देखा कि यासीन का लण्ड भी बहुत बड़ा था हालाँकि वो उसके ससुर के लण्ड से छोटा था मगर मोटाई अच्छी थी और ससुर की तरह उसके लण्ड के आगे चमड़ी नहीं थी।
यासीन तुरंत सुषमा के पास आया और उसके 38 इंच के स्तन दबाने लगा। उधर सुरेश नीचे सुषमा की चूत और यासीन का लण्ड चाट रहा था। यासीन कामोत्तेजना में पागल हो रहा था और उसने झटके से अपने लण्ड का गुलाबी सुपारा सुषमा की चूत में पेल दिया। सुषमा के मुँह से हल्की सी चीख निकली। चीख सुनते ही यासीन ने पूरा सात इंच का लण्ड अंदर घुसा दिया सुषमा की साँस ऊपर चढ़ गई। सुरेश यासीन की गाण्ड चाट रहा था और यासीन गालियाँ बक रहा था- भेन की लौड़ी, आज तेरे हिजड़े पति के सामने तेरी चूत फाड़ दूँगा।
सुषमा को उसके मज़बूत झटको से आनंद आ रहा था। यासीन ज़्यादा देर तक चल नहीं पाया, दो मिनट में उसका फव्वारा सुषमा की चूत में छुट गया। मगर सुरेश कम नहीं था, उसने यासीन का गीला लण्ड बाहर निकाला और उसको चाटने और चूसने लगा। दो मिनट में यासीन फिर तैयार था, उसने सुषमा की गीली चूत में ही अपना लौड़ा पेल दिया।
चोदो मुझे ज़ोर से ! सुषमा बोली।
इस बार कोई 5 मिनट चोदने के बाद यासीन और सुषमा एक साथ झड़ गये। यासीन के जाने के बाद रुक्मणि अंदर आई और बोली- मैने ही इस लड़के को सुरेश की गाण्ड मारने की आदत डलवाई है। इसका चाचा और बाप दोनों मुझे चोद चुके हैं, रात को उन दोनों को बुलाऊंगी ! यह कह कर वो चली गई।
रात में सुषमा ने देखा कि दो बुड्ढे घर आए, दोनो साठ के आसपास होंगे। एक की दाढ़ी थी। उनकी उमर देख कर लग नहीं रहा था कि उनका लण्ड काम भी करता होगा। एक तो हाथ में लाठी लिए हुआ था।
कोई दस बजे रुक्मणि सुषमा को कमरे में ले गई।
बेटा ये यूसुफ चाचा हैं और ये अकरम चाचा ! दोनों तेरे ससुर के दोस्त हैं ! वो बोली।
दोनों आदमी एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। उधर रुक्मणि एकदम नंगी हो गई और सुषमा को भी नंगा कर दिया। यह देख कर लल्लू लाल जी भी नंगे हो गये। सुषमा ने देखा कि दोनों बुड्ढों के औज़ार लटके हुए थे और आंड नीचे झूल रहे थे। दोनों बुड्ढे रुक्मणि के आगे खड़े हो गये और रुक्मणि उनके लौड़े एक एक करके चूसने लगी।
भाभी लण्ड चूसने में तुम्हारा मुक़ाबला नहीं ! बुड्ढों को भी जवानी चढ़ जाए ! यह कह कर अकरम हंसे।
उधर लल्लू लाल जी ने सुषमा के मुँह में अपना मोटा सुपारा ठूंस दिया। सुषमा मज़े से चूसने लगी। सुषमा ने देखा कि कोई 5 मिनट की चूसाई के बाद दोनों बुड्ढों के लण्ड तन गये थे। उसने देखा कि एक बुड्ढे का लण्ड तो 6 इंच था मगर मोटाई उसकी कलाई जितनी थी, दूसरे का पतला था मगर लंबाई पूरी नौ इंच थी।
अब देखो तुम्हारे लण्ड तैयार हैं मेरी बहू की चुदाई की लिए ! रुक्मणि बोली।
सुषमा को लल्लू लाल जी ने बिस्तर पर लिटाया और उसके मुँह मे अपना लण्ड डाल दिया। उधर अकरम ने सुषमा की टाँगें चौड़ी की और अपना मोटा लण्ड भीतर डाल कर सुषमा को चुदाई के मज़े देने लगा। सुषमा को मज़ा आ रहा था। ससुर उसके मुँह की चुदाई कर रहे थे और अकरम चूत की।
उधर सुषमा ने देखा कि यूसुफ ने रुक्मणि को घोड़ी बनाया हुआ था। रुक्मणि जितनी बड़ी गाण्ड सुषमा ने ज़िंदगी में नहीं देखी थी। ऐसा लगता था कि जैसे दो बड़े बड़े मटके हों।
यूसुफ रुक्मणि की गाण्ड को उंगली से चोद रहा था, साथ ही थूक भी लगा रहा था।
सुषमा को अब समझ में आया कि उसकी सास पतले और लंबे लण्ड कहां लेती है।
भाभीजान, आपकी गाण्ड है या घड़ा? युसुफ बोले और अपने लण्ड को घुसाने लगे। रुक्मणि दर्द में चिल्ला रही थी- मेरी मटकी आज फोड़ ही दो ! यह कह कर वो अपनी गाण्ड हिलाने लगी। युसुफ धीरे-धीरे रुक्मणि को चोदने लगे। उधर अकरम ने रफ़्तार बढ़ा दी थी।
चाचा इतना जोर से नहीं ! सुषमा बोली।
लल्लू लाल जी ने अपना लण्ड सुषमा के मुँह से निकाला और युसुफ के पीछे पहुँच गये। दो चम्मच तेल उन्होंने युसुफ की गाण्ड में लगाया और एक ही झटके में अपने तगड़ा लण्ड यूसुफ की गाण्ड में पेल दिया। यूसुफ दोनों तरफ से मज़े ले रहा था।
भाभी मैं झड़ने वाला हूँ ! कह कर उन्होंने रुक्मणि की चूत अपने वीर्य से भर दी। उधर लल्लू लाल जी ने स्पीड बढ़ा दी थी और उन्होंने अपनी टंकी यूसुफ की गाण्ड में खाली कर दी।
इधर अकरम का पानी निकलने वाला था। सुषमा दो बार चरमसीमा पर पहुँच चुकी थी और अकरम का गरम फव्वारा उसके अंदर छुट गया।
चुदाई के बाद दोनों बुड्ढे बोले- भाभी, एक बार बहू को हमारे घर लाओ !
रात भर वहाँ जम कर चुदाई चली। दो महीनों बाद सुषमा को उल्टियाँ आने लगी।
लल्लू लाल जी, रुक्मणि, सुरेश भी सभी खुश थे। Antarvasna
मेरा नाम निलेश Antarvasna है, मैं मुंबई में रहता हूँ और मार्केटिंग का काम होने की वजह से मैं हमेशा घूमता रहता हूँ।
सर्दियों के दिन थे, मैं काम से दिल्ली गया था और वहाँ काम पूरा होते ही मुझे तुंरत आगरा जाना पड़ा।
दोस्तो, कहानी अब शुरु होती है।
मैं दिल्ली के सराय काले खां बस स्टैंड पहुँचा, रात के करीब साढ़े दस का समय था। सर्दियों की वजह से सन्नाटा छाया था। दिल्ली से आगरा जाने वाली बस में मैं बीच वाली सीट पर जाकर बैठ गया। बस पूरी खाली पड़ी थी। थोड़ी देर में दो चार लोग आगे आकर बैठ गए। थोड़ी देर में बस निकली, तभी एक महिला बस में चढ़ी, उसने बस में नज़र दौड़ाई और वो भी बीच वाली सीट में आकर बैठ गई।
मेरा ध्यान उस पर ही था, उसने काले रंग की साड़ी पहनी थी, साड़ी में वो क़यामत लग रही थी। उसने सिर्फ एक नज़र मेरी ओर देखा और फिर नज़र हटा ली। एक तो सर्दी का मौसम, बस में अँधेरा और एकांत! मैंने सोचा कि जो अगर यह मौका दे तो बस में ही इसे जमकर चोद डालूँ।
थोड़ी देर में टिकट देकर कंडक्टर चला गया, आगे वाले जो दो चार लोग थे वो सो चुके थे। अब बस की सारी बत्तियाँ बुझ चुकी थी।
मेरा ध्यान उस पर ही था। वो थोड़ी झुककर बैठी थी तो उसके पेट का भाग और चुचियाँ दिख रही थी। और यहाँ मेरा हाल बुरा हो चुका था। उसने एक दो बार मुड़कर देखा तो मेरा ध्यान उस पर ही था तो वो थोड़ा मुस्कुराई। मेरे तो जैसे नसीब ही खुल पड़े, मैं खुश हो गया, मैं भी मुस्कुरा दिया।
उसने कहा- मैं तुम्हारे बगल में बैठ जाऊँ? मुझे नींद नहीं आ रही!
मुझे क्या एतराज़ था, मैंने तो फट से हाँ कह दी। वो मेरे बाजु में ही बैठी थी, सीट छोटी थी इसलिए हमारे जिस्म एक-दूसरे से छू रहे थे।
मैंने बात की शुरुआत की तो पता चला कि उसके किसी रिश्तेदार की तबियत ख़राब होने की वजह से उसे तुंरत आगरा के पास के किसी गांव में जाना पड़ रहा है। वो शादीशुदा थी और उसकी उमर 32 साल थी। उसके बच्चे के स्कूल होने की वजह से उन्हें साथ नहीं लाई थी और उसके पति को छुट्टी नहीं मिली थी।
ठण्ड और बढ़ गई थी उसके पास एक ही शॉल थी और मेरे पास भी हम दोनों ही कांप रहे थे। मैंने उसे कहा- मेरी शॉल ले लो, तुम कांप रही हो!
तो उसने कहा- तुम भी तो कांप रहे हो और ठण्ड तो और बढ़ने वाली है!
मैंने कहा- हाँ, सही बात है, मगर तो क्या किया जाये?
वो मुस्करा दी, मैं समझ गया! उसके मुस्कुराने का तरीका उसकी ओर से खुला न्योता था मेरे लिए और मैं उसे छोड़ता?
उसने अपना मोबाइल निकाला, उसमे एक हॉट क्लिप थी, वो प्ले कर दी। मैं तो चौंक गया, एकदम बिंदास थी वो औरत! वो क्लिप एकदम हॉट थी, दो मर्द मिलकर एक लड़की को चोद रहे थे।
उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और बोली- इतनी सर्दी में भी कितना गरम है!
मैंने कहा- इसे मुँह में लो तो तुम्हारी सारी ठण्ड दूर हो जाएगी।
हम दोनों ने शॉल ओढ़ ली और पीछे वाली सीट पर चले गए। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। मैं एकदम उत्तेजित हो गया था और उसके बड़े बड़े स्तनों को दबा रहा था।
वो जोर जोर से मेरा लंड चूस रही थी और उसने मेरा पानी निकाल दिया और पूरा पी गई और कहने लगी- अब मुझे गर्मी हो रही है, इतना गर्म पानी था तुम्हारा!
मैंने कहा- मगर मुझे अब भी ठण्ड लग रही है!
कहकर उसे सीट पर लेटा कर उसकी साड़ी ऊपर कर दी। बस की पिछली सीट थी और बस उछल रही थी तो मैंने ज्यादा देर न करते हुए उसकी चूत चाटनी शुरु की और बाद में उसकी चूत में जोर से लंड घुसा दिया और उसके मुँह में रुमाल, ताकि आवाज़ न आये। मगर वैसे कोई चिंता नहीं थी किसी को पता नहीं था कि हम पीछे थे।
मैंने धक्के लगाना चालू किया, वो आहें भर रही थी और पूरा साथ दे रही थी। थोड़ी देर में मैं झड़ गया और पानी उसके अंदर चला गया। इतनी गर्मी में हम दोनों पसीने से भीगे हुए थे। थोड़ी देर हम शांत रहे, फिर हमने कपड़े ठीक किये और बस का ब्रेक लगा, चाय नाश्ते के लिए बस रुकी। हम ने नाश्ता किया और फिर आगरा तक मौज करते चले गए।
उसने अपना मोबाइल नम्बर मुझे दिया और कहा- आगरा में मुझे फ़ोन करना! मैं तुम्हें मिलने आऊँगी।
मगर मुझे आगरा में समय नहीं मिला तो उसे फ़ोन नहीं किया।
आज भी उसका फ़ोन आता है और हम सर्दियों की वो गरम रात को याद कर लेते हैं।
यह था मेरा यादगार अनुभव!
ऐसे कई अनुभव मुझे हुए हैं जो आगे मैं आपको बताऊँगा।
पहले इंतज़ार है आपकी राय का! आप को मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे जरुर बतायें मुझे मेल करके- Antarvasna
दोस्तों, मेरा नाम कोमल है। मैं Antarvasna उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र तेईस साल है, ख़ूबसूरत और एक कसे हुए बद़न की मल्लिका हूँ। शादी से पहले मैंने कई लड़कों से चुदवाया था, पर शादी अपने घरवालों की मर्ज़ी से की। कहते हैं ना कि यह सच्चाई है कि एक लल्लू को ख़ूबसूरत और ख़ूबसूरत को बद़सूरत जीवनसाथी मिलता है। मेरा पति बद़सूरत तो नहीं था, पर हाँ माँ का पिल्ला था। मेरे ससुर फौज में रह चुके थे।
मैं शादी की पहली रात ही निराश हुई, जब पति का लंड मेरे अनुमान से कम निकला। ऊपर से वह ख़ुद तक ही सीमित रहता। पाँच-छः मिनटों तक चोदता और अपना मतलब निकाल, पासा पलट कर सो जाता, और मैं सारी रात मछली की तरह तड़पती रह जाती।
शादी को छः महीने हो गए। सास मुझसे कहती रहती कि तुम लोग बेबी कब करने वाले हो? मुझे जल्दी पोते-पोती का मुँह देखना है। मैं उनसे क्या कहती कि आपका बेटा किसी लायक़ ही नहीं है! बच्चा क्या आसमान से पेट में डलवा लूँ! पति भी कहता कि मैं तो तुम्हें रोज़ चोदता हूँ, फिर तेरे अन्दर ही कोई कसर है।
मैंने कहा, “कभी मेरा पानी निकलवाया है, जिससे बच्चा हो जाए।” इस बात को लेकर बन्द कमरे में हमारी तक़रार होने लगी।
उधर मेरी जवानी देख-देख कर मेरा फौजी ससुर मुझे दूसरी नज़र से देखने लगा। फौजी होते ही ऐसे हैं। एक रात हम दोनों के अलावा घर में ससुर जी ही थे। पति को पहली बार नशे में देखा था, वह बहुत मूड में था। उसने मुझे रोज़ की तरह नंगी कर दिया। मुझे चूम-चाट कर गरम कर डाला।
मैंने भी सोचा कि नशे के कारण शायद उसका आज देर से झड़े, क्योंकि मेरा आशिक दारू पी कर मुझे पूरी रात चोदता था। मैंने जितने भी लड़के फाँसे थे, सभी यह राय रखते थे। पहली बार नशे में पति को बिस्तर मे मूड में देखा, चूमा-चाटी के बाद उसने अन्दर डाला, पहले से कुछ अधिक समय तक टिका, लेकिन वह कुछ अधिक ही उत्तेजना के मारे, रोज़ की तरह मुझे फिर से प्यासी छोड़ कर लुढ़क गया। मैंने ख़ूब खरी-खोटी सुनाई और मेरे मुँह से नामर्द निकल गया। उसने साथ लाई बोतल में से और पी कर मुझे खूब मारा-पीटा और मुझे कमरे से निकाल दिया।
मैंने अभी सलवार पहनी थी, ब्रा हाथ में था कि उसने मुझे बाहर निकाल कर कमरा अन्दर से बन्द कर सो गया। मेरे और सारे कपड़े अन्दर ही थे। मैं ब्रा डाल कर सोफे पर बैठ कर रोने लगी, तभी ससुर जी अपने कमरे से बाहर आ गए। मैं घबरा गई। पास में पड़ी सोफे की गद्दी पकड़ ख़ुद को छुपाने लगी।
“बहू, क्या हुआ? बाहर बैठी हो, वो भी इस तरह? मेरे पास बैठते हुए मुझसे उन्होंने पूछा।
“मुझसे क्या शर्म, क्यों छुपा रही रही हो अपनी जवानी मुझसे? क्या बात है? फिर प्यासी छोड़ दिया बेवकूफ़ ने?”
वह ज़बरदस्ती करने लगे। मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन एक फौजी जितनी जान नहीं थी मुझमें। उनकी फौलाद सी बाँहें देखकर मैं दंग रह गई। उनका पाजाम फूल चुका था। मतलब उनका लंड खड़ा हो चुका था। बेटे से दुगुना दम देखकर अधिक विरोध न कर पाई। वह मुझे बाँहों में उठाकर अपने बिस्तर पर ले गए और पटक दिया।
मेरी सलवार उतार कर बोले, इतनी पटाका बीवी मिली हो तो आदमी कैसे सो जाए? वह मेरी गोरी जाँघों को चूमने लगे। मैंने उनका पाजामा उतार दिया। नीचे कुछ नहीं था, लंड फनफना कर बाहर निकल आया। मैंने आज तक इतना बड़ा लंड नहीं लिया था। उनकी चौड़ी की छाती से अपने मम्मों पर रगड़ खाकर मेरी चूत गीली हो गई। मैंने उनका लंड मुँह में लिया और भूखी सी लंड पर टूट पड़ी।
ससुर जी ने मुझे सीधा लिटा, बीच में आकर पहले मेरी चूत सूँघी, “कितनी मस्त चूत है! कहते हुए उन्होंने अपने होंठ लगा दिए और मैं पागल हो गई। बेटा लल्लू, बाप फौलादी।
“बहू बहुत गरम माल है तू, कितने लौड़े खाए हुए हैं अभी तक?”
मैं शरमा गई, हाय छोड़ो… चोद दो मुझे अभी बस – मैंने सोचा
टाँगे खोलते हुए वह बीच में बैठ गए। लंड को चूत के होंठों पर रगड़ने लगे। मैं जल उठी। नीचे से कूल्हे उठाकर लंड डलवाने की नाकाम कोशिश की। मैं कह रही थी, अब तड़पाओ मत। लेकिन वह जानता था कि किस तरह एक आग जैसी गर्म औरत को ठंडी कैसे करते हैं। उसने धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर डाल दिया। मोटा लंड काफी दिनों के बाद डलवाया, मज़ा आ गया।
ज़बरदस्त झटके लगने लगे। “हाय…. हाय… चोद… ज़ोर से… ज़ोर से… हाय फाड़ डालो पापा… आज अपनी बहू को चित्त कर दो। देखो अपनी बहू को नंगी अपने नीचे लिटा कर चोद रहे हो…”
“साली ठंडी कर दूँगा, सारा माल तेरी कोख में डाल दूँगा…”
“हाय पापा अपना बीज मेरी कोख में डाल दो… सासू माँ ताने देतीं हैं…”
यह सुनकर वह और गरम हो गया।
“पापा अपनी रंडी बहू की चूत आज फाड़ दो। हाय, कुतिया हूँ मैं… मुझे कुत्ते की तरह चोदो… मुझे घोड़ी बना कर पेलो…”
उसके दम के सामने कितने दिनों बाद आज ऊँगली की बजाय लंड से झड़ी थी मैं। मुझे झड़ता देख उसने सीधा लिटा कर ऊपर से आते हुए टांगे कंधों पर रख कर तेज़ झटका दिया। तेज़-तेज़ झटकों से एक दम वो अकड़ने लगे और मेरे शरीर को मज़बूती से थाम अपना सारा पानी निकाल दिया।
“हाय ससुर जी, मज़ा आ गया।”
“बहू तुम बहुत ही सेक्सी माल हो।”
दोस्तों, फिर हम मौक़ा देखकर हमबिस्तर होने लगे। ससुर जी ने अपने दूसरे बेटे के लिए एक और फ्लैट ले रखा था जो पढ़ाई करता था। ससुर से आज्ञा लेकर मैंने एक कम्प्यूटर-क्लास में दाखिला ले लिया। लेकिन वह एक बहाना था। मैं सीधा फ्लैट पर जाती, जहाँ ससुर जी भी आ जाते, और हमारी रोज़ चुदाई के दौर चलते। मुझे अगली माहवारी नहीं आई। स्ट्रिप से जाँच किया तो मैं गर्भवती निकली। सासु माँ बहुत खुश हुईं।
ससुर जी भी जब उस दिन फ्लैट में मिले तो बहुत खुश हुए। पापा और दादा दोनों ने उस दिन मुझे और जोश से ठोंका। पर एक दिन उन्हें दिल का दौरा पड़ा और वह अब घर में रहते हैं, कमज़ोर हो गए हैं। मैं फिर से प्यासी रहने लगी।
एक दिन ननद और ननदोई पापा को मिलने आए। अब वो लगभग रोज़ आने लगे। वह मुझ पर फिदा थे, यह मैं भी जानती थी। एक दिन घर में अकेली थी, ननदोई जी आए, मुझे बाँहों में लेकर बोले, बहुत प्यार करता हूँ आपसे। हमारी बन जाओ रानी। मैं भी उनके आगोश में ढीली पड़ गई और… आगे क्या हुआ… यह अगली बार लिखूँगी… Antarvasna
मेरा नाम अरुण शर्मा है मैं Sex Stories रायपुर में रहता हूँ, मैं रायपुर एक साल पहले ही आया हूँ। इस से पहले मैं उड़ीसा में रहता था उड़ीसा में मेरी एक गर्लफ्रेंड है उसका नाम श्वेता है। मेरा उसके साथ पाँच साल से चक्कर है वो भी मुझे बहुत प्यार करती है। मैं आप को अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई के बारे में बताता हूँ।
बात एक साल पहले की है जब उसका मुझे फ़ोन आया, उसने कहा- जब से तुम गए हो मुझे तुमसे मिलने का बहुत मन कर रहा है तुम मुझ से मिलने आओ ना!
तो मैंने कहा ठीक है मैं रविवार को उड़ीसा आऊँगा, तुम मुझे मेरे दोस्त के घर पे मिलने आ जाना।
तो उसने हामी भर दी- मैं तुम से दोपहर 2:30 को मिलूँगी।’
मैंने कहा- ठीक है।’
वो दोपहर ठीक 2:30 को आ गई। मैंने उसे देखा, वो नीले रंग की टॉप और सफ़ेद रंग की स्कर्ट पहन कर आई थी। मैं तो उसे देखता ही रह गया, क्योंकि आज वो कुछ ज्यादा ही ख़ूबसूरत लग रही थी।
मैंने कहा अन्दर आ जाओ, वो अन्दर आई। वहाँ पर मेरा फ्रेंड भी था, उसने कहा- अरुण मुझे ज़रा काम है, मैं 2 घंटे में आता हूँ।’ कह कर वो चला गया अब कमरे में सिर्फ़ मैं और श्वेता ही थे। मैंने उससे कहा- बैठो श्वेता, मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए लाता हूँ,’ तो उसने कहा- तुम यहाँ बैठो, मैं लेकर आती हूँ।’
पाँच मिनट के बाद वह चाय लेकर आई। चाय पीने के बाद मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसका हाथ पकड़ कर कहा- जान, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।’ उसने कहा- जानती हूँ, तभी तो आई हूँ।’
फिर मैंने धीरे से उसके कान में कहा- जान मैं तुम्हें किस करना चाहता हूँ,’ तो उसने कहा- ठीक है, कर लो, लेकिन ज़्यादा कुछ नहीं करना’ तो मैंने ‘ठीक है’ कहते हुए उसके नाज़ुक होठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा।
वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। तभी मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा, तो उसने मेरा हाथ हटा दिया। मैंने फिर से अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा, अबकी बार उसने कुछ नहीं किया। मैं समझ गया वह गरम हो रही है।
अब मैंने अपना एक हाथ उसकी पैण्टी में डाल दिया, उसकी पैण्टी गीली थी। मैंने पूछा कि ये गीला क्यों है?
उसने कहा- तुम बस मुझे किस करो, इतने सवाल मत करो।
मैंने कहा- जान मैं तुम्हारा शरीर देखना चाहता हूँ’ तो उसने ना कर दिया। मैंने उसे मनाने की बहुत कोशिश की तब जाकर वह मानी, कहा- सिर्फ देखना, कुछ करना नहीं।’
मैंने कहा- तेरी कसम, कुछ भी नहीं करूँगा। फिर मैंने उसकी टॉप उतारी, उसने नारंगी रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने उसकी ब्रा भी उतारी, ब्रा खोलते ही उसकी चूची मेरे हाथ में आ गई। मैं उसकी चूचियों को किस करने लगा तो वह पागल होने लगी। फिर मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार फेंकी
अब वह सिर्फ नारंगी रंग की पैण्टी में थी, मैंने धीरे से वो भी उतार दी। मैं पहली बार किसी लड़की की नंगी चूत के दर्शन कर रहा था। उसकी चूत में हल्के भूरे रंग के बाल थे। मैंने उसकी चूत पर जैसे ही हाथ रखा, वह सिटपिटा कर उछल पड़ी। फिर मैं उसे किस करने लगा, उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी। उसने कहा- आज मुझे मत छोड़ो, आज जो करना है कर लो.
तो मैंने कहा- जान, तुमने ही तो मना किया है।
इस पर वो बोली- उस बात को भूल जाओ, सिर्फ मुझे याद रखो, और जो करना है कर लो।
उसकी बात खत्म होने से पहले ही मैंने उसकी चूत में अपनी एक उँगली डाल दी, वह चिहुँक उठी- दर्द हो रहा है।’
तो मैंने कहा- जान पहली बार ज़रा दर्द होता है तुम अगर मुझसे प्यार करती हो तो आज दर्द सहन करना ही पड़ेगा।’
उसने कहा- ठीक है।
फिर उसने मेरी शर्ट उतार दी और मेरी छाती पर चूमने लगी, और बाद में उसने मेरी पैन्ट भी उतार दी, लगे हाथ अण्डरवियर भी उतार दिया- इतना बड़ा मैं कैसे लूँगी?
मैंने कहा ‘तू बस देखते जा, तुझे तो ये भी कम पड़ेगा।
फिर मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाया और पलंग पर ले जाकर उसे लिटा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो मदहोश हो रही थी, और चिल्ला रही थी- अब चोद दो मुझे, घुसाओ ना जल्दी।’
मैंने कहा- अभी नहीं, रानी, पहले तू मेरे लंड को तो मुँह मे ले।’ उसने देर न करते हुए मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। दस मिनट में मेरा माल निकल गया।
मैं उठा और जाकर अपने लंड पर तेल लगा कर आया और पलंग पर आकर बैठ गया, वो मेरे लंड से खेलने लगी। मैंने कहा- अभी खेल ले, थोड़ी देर में तू रोएगी।’
उसने भोलेपन से पूछा- क्यों रोऊँगी?’
मैंने कहा- बस अभी पता चल जाएगा।’ मैं उसकी पाँवों के बीच में आ गया और उसके दोनों पैरों को ऊपर उठा कर अपने कंधे पर रख लिया। मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत के मुहाने पर रखा, जैसे ही घुसाने के लिए आगे बढ़ा तो बोली- दर्द हो रहा है।
मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रखे, क्योंकि अब उसका मुँह बन्द था, मैंने एक ज़ोर का झटका मारा तो उसकी आँखों में आँसू भर आए, वो मुझे धक्का देने लगी।
अबकी बार मैंने और ज़ोर का झटका मारा तो मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में घुसा गया, वो रो रही थी। मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा, वो मुझसे कह रही थी, प्लीज़ मुझे छोड़ दो। मैंने कहा- आज करने दे दिया, फिर पता नहीं तुमसे कब मिलूँगा, कुछ तो तुम्हे याद रहना चाहिए।’
उसने कहा- ठीक है, लेकिन धीरे-धीरे करो न,’ मैं बोला- ठीक है मेरी रानी, धीरे-धीरे करता हूँ। करीब पाँच मिनट तक मैं उसे धीरे-धीरे चोदता रहा, फिर उसने कहा- अच्छा लग रहा है।’
उसे मज़ा आने लगा था। वह और ज़ोर से, और ज़ोर से कहकर चिल्ला रही थी। मैंने अपनी गति बढ़ाई, फिर भी वह ज़ोर से करो! की रट लगा रही थी। मैंने कहा- हाँ जान और ज़ोर से करूँगा। फिर मैंने उसके दोनों पाँव उठाए और काफी तेज़ी से लंड को उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा और थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।
उसने कहा- यह क्या कर दिया, मैं तो गर्भवती हो जाऊँगी।’
मैंने कहा- चिन्ता मत कर, मैं तेरे लिए ई-पिल ला दूँगा, उसे खा लेने से कुछ नहीं होगा।’
वो बोली- ठीक है, शाम को ला देना।’
मैंने कहा- मैं एक बार और भी करूँगा।’ तो बोली- नहीं आज लेट हो गया है।’
मैंने कहा- एक बार और जान, मैं कल चला जाऊँगा।’ आग्रह करने पर वह मान गई, बोली- ठीक है, लेकिन जल्दी करना।’
मैंने भी कहा- ‘ठीक है।’
रानी को उस दिन मैंने ती बार चोदा और मैं जब भी उड़ीसा जाता हूँ, उसे ज़रूर चोदता हूँ। और मैंने किस प्रकार उसकी गाँड मारी, ये अगली कहानी में बताऊँगा। Sex Stories
अगले दिन से मैं Antarvasna अलग कमरे में सोने लगी। भाभी अब भैया के साथ सो रही थीं। मुझे घर में रहते हुए बीस दिन से ज्यादा हो गए थे। भाभी अब मुझसे थोड़ा चिढ़ने लगी थीं।
एक दिन मैं बाज़ार घूमने गई। मुझे बाज़ार में मेरी पुरानी सहेली उमा मिल गई, वो मुझसे बोली कि उसके पति बाहर गए हुए हैं और मुझे अपने साथ रहने को कहा।
उमा मेरी अच्छी दोस्त थी। मेरी दोस्त होने के कारण उसकी भाभी से भी दोस्ती थी लेकिन वो बदमाश टाइप लड़की थी और पैसे के लिए बहुत लालची थी, शादी से पहले वो मेरे साथ हॉस्टल में रहती थी तो उसकी एक कॉल गर्ल के दलाल से दोस्ती थी और महीने में एक दो बार उमा पंच-तारा होटल में चुदने जाती थी। मुझे वो बताती थी कि उसके एक रात के दस हज़ार लगते हैं जिसमें से पाँच उसको मिल जाते थे और ग्राहक टिप अलग से देता था। मुझे भी उसने चुदने के लिए कई बार कहा, लेकिन मैं कभी चुदने नहीं गई। बाद में उमा की शादी एक कम्पनी के मैनेजर से हो गई।
मुझे घर में रहते हुए 20-22 दिन हो गए थे, भाभी मुझसे चिढ़ने सी लगी थीं। मैंने सोचा की दो दिन बाद मैं उमा के पास जाकर रह लूंगी। मेरी मौसी दो दिन के लिए आ रही थीं।
मैंने उमा से कहा- मैं दो दिन बाद तेरे साथ आकर रहूंगी।
अगले दिन मेरी मौसी आ गईं पूरा दिन गपशप में चला गया। रात में मुझे भाभी के कमरे में सोना पड़ा। मैं भाभी के कमरे में भाभी के साथ सोई। आदमी लोग अलग कमरे में सोये। मौसी और माँ एक अलग कमरे में सोई थीं। अगले दिन भैया को सुबह टूर पर जाना था, भाभी भन्ना सी रही थीं क्योंकि आज उन्हें बिना चुदे सोना था। मुझसे एक दो बार बोली भी थीं कि तू बिना चुदे कैसे रह लेती है? मेरी तो चूत एक दिन न चुदे तो खुजियाने लगती है। रात बारह बजे भाभी मुझसे बोली- प्यारी ननद जी, आप एक घंटा छत पर टहल आओ, तब तक मैं इनसे से चुदवा लेती हूँ! फिर तो यह 5 दिन बाद वापस आयेंगे।
मुझे पहले से ही नींद नहीं आ रही थी, मैं बाहर छत पर टहलने चली गई। मौका देखकर भाभी ने भैया को अंदर बुला लिया और अपनी चूत की सेवा करवाने लगीं।
थोड़ी देर बाद मैंने सीढ़ियों के पास मौसी और मौसा को कुछ फुसफुसाते देखा। मैं चुप हो कर बातें सुनने लगी। मौसी मौसा का लंड पैंट से निकाल कर पकड़े हुए थीं और कह रही थीं- कुत्ते, तेरा घोड़ा तो बड़ा टनटना रहा है लेकिन चूत में घुसते ही पिचक जाता है। एक जमाना था कि एक एक घंटे तक मेरी सुरंग में हल्ला मचाता रहता था।
मौसी की दोनों चूचियाँ खुली हुई थीं और पपीते की तरह लटक रही थीं। मौसा मौसी की चूचियाँ मसल रहे थे, मौसी के चूचुक पर चुटकी काटते हुऐ मौसा बोले- कुतिया, बहुत गाली दे रही है? तेरी जवानी की आग भी तो बहुत बुझाई है इसने!
मौसी लंड को मसलते हुए बोलीं- अरे गाली क्यों दूँगी मेरे कुत्ते! तेरे शेर को तो मैं अब भी सबसे जयादा प्यार करती हूँ! इधर ला जरा एक पप्पी तो लेने दे इसकी!
इतना कह कर मौसी ने मौसा का लौड़ा मुँह में रख लिया और पूरी मस्त होकर चूसने लगी। मैं हैरान थी कि पचास साल की मौसी भी लौड़ा चूस सकती हैं। मौसी मौसा की गोदी में सर रखकर मस्ती से 5 मिनट तक लौड़ा चूसती रहीं, 55 साल के मौसा ने 55 मिनट बाद रस छोड़ दिया, मौसी उसे अपने मुँह में गटक गई।
मौसा बोले- चल भाग चलें! किसी बच्चे ने देख लिया तो क्या सोचेगा!
मैं 2-3 मिनट खड़ी यह सोचती रही कि पता नहीं लोग लौड़ा कैसे चूस लेते हैं?
अगले दिन मौसी ने मुझे अकेले में पकड़ लिया और बोली- क्यों? रात को छिप कर क्या देख रही थी? इतनी चूत में आग लग रही है तो आदमी से दूर क्यों रह रही है? घर जा और चुदवा! यह गन्दी बात होती है किसी को छिप कर देखना!
भाभी मुझसे चिढ़ी-चिढ़ी सी रह ही रही थीं, ऊपर से मौसी की बात से मेरा दिमाग ख़राब सा हो रहा था। इन सबके बाद एक असली बात यह भी थी कि मेरी चूत में खुजली भी जोरों की हो रही थी क्योंकि मेरे पति चूत तो मेरी रोज़ ही चोदा करते थे और अब भाभी मौसी की चुदाई होते देखकर मेरी चूत रोज़ पानी छोड़ रही थी। मैंने सोचा कुछ दिन उमा के पास जाकर रह आती हूँ।
उमा एक मस्त स्वभाव की लड़की थी कॉलेज के दिनों में उसने काल गर्ल बनकर, बॉय फ्रेंड बनाकर कई बार कई लोगों से अपनी चूत को चुदवाया था। मेरी रूम मेट रही थी, कई बार गर्मी में हम दोनों नंगी होकर सोती थीं इसलिए मुझमें और उसमे शर्म की कोई बात नहीं थी। मेरी उससे अच्छी दोस्ती थी। रात को नौ बजे मैं उमा के घर पहुँच गई। मुझे देखकर उमा खुश हो गई। हम दोनों ने खाना खाया, इसके बाद उमा मेरी साड़ी उतार कर बोली- चल, आज नंगे सोते हैं! तेरी सुहागरात और चुदाई की कहानी भी तो मुझे सुननी है!
चूंकि पहले भी हम नंगी होकर सो चुकी थीं इसलिए रात को हम दोनों नंगी होकर सो गईं।
उमा बोली- अब तो तेरी शर्म छुट गई होगी! तीन महीने हो गए तेरी शादी को! अब तक तो सौ से ज्यादा बार चुद चुकी होगी? बोल, चुदने में मजा आता है या नहीं?
और वो मेरा चूत के होटों से खेलने लगी। मैंने कभी खुल कर अतुल से चूत नहीं चुदवाई थी लेकिन रोज़ रात को अतुल जबरदस्ती मेरी चूत चोद देते थे। अब 20-25 दिन से मैं बाहर थी तो मुझे चूत की खुजली पता चल रही थी। मैं भी उमा की चूत खुजाने लगी। थोड़ी देर में हम दोनों गर्म थीं, उमा बोली- खुजली ज्यादा हो रही हो तो बोल! धंधे पर चलते हैं! नोट भी कमाएंगे और मौज भी लेंगे!
मैं बोली- नहीं बाबा! नहीं! मुझे तो बड़ा डर लगता है! तू क्या शादी के बाद भी धंधा करती है?
उमा बोली- भाई कभी कभी अब भी लगवा लेती हूँ! पटी जब बाहर होते हैं! एक रात के पाँच हज़ार मिल जाते हैं और मजा भी आ जाता है। लेकिन सिर्फ अपने पुराने यारों से लगवाती हूँ नहीं तो बदनाम हो जाऊँगी। मैं तो साली बदनाम हो गई थी इसलिए तो 5000 रुपए कमाने वाले से शादी हुई नहीं तो तेरी तरह सॉफ्टवेयर इंजिनियर से शादी होती! चल यह छोड़, यह बता कितना मोटा लंड है तेरे पति का? अभी नई नई शादी हुई है, 3-4 बार तो चूस ही लेती होगी एक दिन में?
मैं हूँ हाँ करती रही! मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि सब लौड़ा चूसने की बातें क्यों करती हैं!
12 बजे के करीब मैं सो गई। रात को 3 बजे के करीब उमा का मोबाइल बजा। उमा ने तुंरत काट दिया। मैं नींद में थी इसलिए मैंने ध्यान नहीं दिया। लेकिन दस मिनट बाद उमा उठ कर गाउन पहन कर गई तो मैं चौंक गई। दबे पाँव मैंने पीछे जाकर देखा तो मैं हैरान थी। उमा ने अपने फ्लैट का दरवाज़ा खोला, एक जवान सा लड़का अंदर आया, उमा उसे दूसरे कमरे में ले गई और बोली- राजीव जी, पहले फीस निकालिए!
राजीव ने सौ के नोटों की गद्दी उमा के हाथ में रख दी। उमा मुस्करा दी, गद्दी अलमारी में रख दी और राजीव की पैंट की चैन खोल दी। उसके बाद उसका लौड़ा निकाल कर चूसने लगी। राजीव ने अपनी पैंट उतार दी। राजीव का लौड़ा सात इंच लम्बा और तीन इंच मोटा होगा। पूरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह तना हुआ था और उमा लौड़ा लप लप कर के चूस रही थी।
मैं छुप कर देखने लगी। कुछ देर में दोनों नंगे थे। राजीव उमा को पलंग पर लिटा कर उसकी चूत चूसे जा रहा था, उमा की आह ऊह ओह की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। मेरी चूत में जोरों की खुजली हो रही थी। होती भी क्यों नहीं! आज मुझे चुदे हुए पूरा एक महीना हो गया था।
उमा थोड़ी देर बाद चूत फ़ैला कर लेट गई। राजीव ने उसकी चूत में अपना सात इंच लम्बा लंड ठोंक दिया और धक्के मरना शुरू कर दिया। उमा की चुदाई शुरू हो गई थी। उमा जोर जोर से चिल्ला रही थी- उई! बड़ा मजा आ रहा है! और जोर से पेल कुत्ते! क्या चोदता है! क्या मस्त लंड है! महीने में एक बार तो आ जाया कर! अगली बार से 10% छूट दूँगी साले! हरामी क्या मस्त बजाता है! और जोर से पेल कुत्ते!
राजीव ने 15 मिनट तक उमा की चूत बजाई। उसके बाद उसका लंड खाली हो गया और उसने लंड बाहर खींच लिया। उमा की चूत की प्यास शांत नहीं हुई थी, उसने राजीव को जबरदस्ती अपनी तरफ खींच कर एक बार दुबारा उसका लंड अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगी। मैं तो हैरान थी कि भाभी, मौसी उमा सब लंड चूसने में होशियार हैं और मैं लण्ड चूसने को लेकर लड़ कर आ गई। मेरे मन में एक बार लण्ड चूसने का ख्याल आया लेकिन अपने अहं के कारण मैं लंड नहीं चूसना चाहती थी और अतुल के पास वापस नहीं जाना चाहती थी।
मेरी बुर उमा की चुदाई देखकर बुरी तरह गरम हो गई थी। मैं वापस आकर लेट गई कुछ देर और चुदवाने के बाद उमा भी वापस आकर सो गई।
सुबह हम दोनों 12 बजे उठे। उमा बिल्कुल तरो-ताज़ा दिख रही थी। दिन में मुझसे उमा बोली- चुदना हो तो बता दियो! मेरे यारों की संख्या अभी कम नहीं हुई है!
मैंने अनजान बन कर पूछा- उमा, शादी के बाद भी औरों से चुदवाती है क्या?
छोटी मेम आइ लव यू- Antarvasna Storiesआगे की कहानी अगले भाग में! Antarvasna
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