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मैं अपने घर में एकलौती लड़की Hindi Sex Stories हूँ। लाड़ प्यार ने मुझे जिद्दी बना दिया था। बोलने में भी मैं लाड़ के कारण तुतलाती थी। मैं सेक्स के बारे में कम ही जानती थी। पर हां कॉलेज तक आते आते मुझे चूत और लण्ड के बारे में थोड़ा बहुत मालूम हो गया था। मेरी माहवारी के कारण मुझे थोड़ा बहुत चूत के बारे में पता था पर कभी सेक्स की भावना मन में आई ही नहीं। लड़को से भी मैं बातें बेहिचक किया करती थी। पर एक दिन तो मुझे सब मालूम पड़ना ही था।
आज रात को जैसे ही मैंने अपना टीवी बन्द किया, मुझे मम्मी पापा के कमरे से एक अनोखी सी आवाज आई। मैंने बाहर निकल कर अपने से लगे कमरे की तरफ़ देखा तो लाईट जल रही थी पर कमर सब तरफ़ से बन्द था। मैं अपने कमरे में वापस आ गई। मुझे फिर वही आवाज आई। मेरी नजर मेरे कमरे से लगे हुये दरवाजे पर टिक गई। मैंने परदा हटाया तो बन्द दरवाजे में एक छेद नजर आया, जो नीचे था। मैंने झुक के कमरे में देखने की कोशिश की। एक ही नजर में मुझे मम्मी पापा दिख गये। वे नंगे थे और कुछ कर रहे थे।
मैंने तुरन्त कमरे की लाईट बन्द की और फिर उसमें से झांकने लगी। पापा के चमकदार गोल गोल चूतड़ साफ़ नजर आ रहे थे। सामने बड़ी सी उनकी सू सू तनी हुई दिख रही थी। पापा के चूतड़ कितने सुन्दर थे, उनका नंगा शरीर बिल्कुल किसी हीरो … नहीं ही-मैन … नहीं सुपरमैन… की तरह था। मैं तो पहली नजर में ही पापा पर मुग्ध हो गई। पापा की सू सू मम्मी के चूतड़ो में घुसी हुई सी नजर आ रही थी। पापा बार बार मम्मी के बोबे दबा रहे थे, मसल रहे थे। मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया। झुक कर बस देखती रही… हां, मम्मी को इसमें आनन्द आ रहा था और पापा को भी बहुत मजा आ रहा था। कुछ देर तक तो मैं देखती रही फिर मैं बिस्तर पर आ कर लेट गई। सुना तो था कि सू सू तो लड़कियों की सू सू में जाती है… ये तो चूतड़ों के बीच में थी। असमन्जस की स्थिति में मैं सो गई।
दूसरे दिन मेरा चचेरा भाई चीकू आ गया। मेरी ही उम्र का था। उसका पलंग मेरे ही कमरे में दूसरी तरफ़ लगा दिया था। सेक्स के मामले में मैं नासमझ थी। पर चीकू सब समझता था। रात को हम दोनों मोबाईल से खेल रहे थे… कि फिर से वही आवाज मुझे सुनाई दी। चीकू किसी काम से बाहर चला गया था। मैंने भाग कर परदा हटा कर छेद में आंख लगा दी। पापा मम्मी के ऊपर चढ़े हुए थे और अपने चूतड़ को आगे पीछे कर के रगड़ रहे थे। इतने में चीकू आ गया…
“क्या कर रही है गौरी… ?” चीकू ने धीरे से पूछा।
“श श … चुप… आजा ये देख… अन्दर मम्मी पापा क्या कर रहे हैं?” मैंने मासूमियत से कहा।
“हट तो जरा … देखूँ तो !” और चीकू ने छेद पर अपनी आंख लगा दी। उसे बहुत ही मजा आने लगा था।
“गौरी, ये तो मजे कर रहे हैं … !” चीकू उत्सुकता से बोला।
पजामे में भी चीकू के चूतड़ भी पापा जैसे ही दिख रहे थे। अनजाने में ही मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर पहुंच गये और सहलाने लगे।
“अरे हट, ये क्या कर रही है… ?” उसने बिना मुड़े छेद में देखते हुये मेरे हाथ को हटाते हुये कहा।
“ये बिल्कुल पापा की तरह गोल गोल मस्त हैं ना… !” मैंने फिर से उसके चूतड़ों पर हाथ फ़ेरा। मैंने अब हाथ नीचे ले जाते हुये पजामें में से उसका लण्ड पकड़ लिया… वो तो बहुत कड़ा था और तना हुआ था… !
“चीकू ये तो पापा की सू सू की तरह सीधा है… !”
वो एक दम उछल सा पड़ा…
“तू ये क्या करने लगी है … चल हट यहां से… !” उसने मुझे झिड़कते हुये कहा।
पर उसका लण्ड तम्बू की तरह उठा हुआ था। मैंने फिर से भोलेपन में उसका लण्ड पकड़ लिया…
“पापा का भी ऐसा ही है ना मस्त… ?” मैंने जाने किस धुन में कहा। इस बार वो मुस्करा उठा।
“तुझे ये अच्छा लगता है…? ” चीकू का मन भी डोलने लगा था।
“आप तो पापा की तरह सुपरमैन हैं ना… ! देखा नहीं पापा क्या कर रहे थे… मम्मी को कितना मजा आ रहा था… ऐसे करने से मजा आता है क्या… ” मेरा भोलापन देख कर उसका लण्ड और कड़क गया।
“आजा , वहाँ बिस्तर पर चल… एक एक करके सब बताता हूँ !” चीकू ने लुफ़्त उठाने की गरज से कहा। हम दोनों बिस्तर पर बैठ गये… उसका लण्ड तना हुआ था।
“इसे पकड़ कर सहला… !” उसने लण्ड की तरफ़ इशारा किया। मैंने बड़ी आसक्ति से उसे देखा और उसका लण्ड एक बार और पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी। उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी।
“मजा आ रहा है भैया… ?”
उसने सिसकारी भरते हुये हां में सर हिलाया,”आ अब मैं तेरे ये सहलाता हूँ… देख तुझे भी मजा आयेगा… !” उसने मेरी चूंचियों की तरफ़ इशारा किया।
मैंने अपना सीना बाहर उभार दिया। मेरी छोटी छोटी दोनों चूंचियां और निपल बाहर से ही दिखने लगे।
उसने धीरे से अपना हाथ मेरी चूंचियों पर रखा और दबा दिया। मेरे शरीर में एक लहर सी उठी। अब उसके हाथ मेरी पूरी चूंचियों को दबा रहे थे, मसल रहे थे। मेरे शरीर में वासना भरी गुदगुदी भरने लगी। लग रहा था कि बस दबाते ही रहे। ज्योंही उसने मेरे निपल हल्के से घुमाये, मेरे मुँह से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई।
“भैया, इसमें तो बड़ा मजा आता है… !”
“तो मम्मी पापा यूँ ही थोड़े ही कर रहे हैं… ? मजा आयेगा तभी तो करेंगे ना… ?”
“पर पापा मम्मी के साथ पीछे से सू सू घुसा कर कुछ कर रहे थे ना… उसमें भी क्या… ?”
“अरे बहुत मजा आता है … रुक जा… अभी अपन भी करेंगे… देख कैसा मजा आता है !”
“देखो तो पापा ने अपनी सू सू मेरे में नहीं घुसाई… बड़े खराब हैं … !”
“ओह हो… चुप हो जा… पापा तेरे साथ ये सब नहीं कर सकते हैं … हां मैं हूँ ना !”
“क्या… तुझे आता है ये सब… ? फिर ठीक है… !”
“अब मेरे लण्ड को पजामे के अन्दर से पकड़ और फिर जोर से हिला… “
“क्या लण्ड … ये तो सू सू है ना… लण्ड तो गाली होती है ना ?”
“नहीं गाली नहीं … सू सू का नाम लण्ड है… और तेरी सू सू को चूत कहते हैं !”
मैं हंस पड़ी ऐसे अजीब नामों को सुनकर। मैंने उसके पजामे का नाड़ा खोल दिया और पजामा नीचे करके उसका तन्नाया हुआ लण्ड पकड़ लिया और कस कर दबा लिया।
“ऊपर नीचे कर … आह हां … ऐसे ही… जरा जोर से कर… !”
मैं लण्ड उसके कहे अनुसार मसलती रही… और मुठ मारती रही।
“गौरी, मुझे अपने होंठो पर चूमने दे… !”
उसने अपना चेहरा मेरे होंठो से सटा दिया और बेतहाशा चूमने लगा। उसने मेरा पजामा भी नाड़ा खोल कर ढीला कर दिया… और हाथ अन्दर घुसा दिया। उसका हाथ मेरी चूत पर आ गया। मेरा सारा जिस्म पत्ते की तरह कांपने लगा था। सारा शरीर एक अद्भुत मिठास से भर गया था। ऐसा महसूस हो रहा था कि अब मेरे साथ कुछ करे। मेरे में समां जाये… … शायद पापा की तरह लण्ड घुसा दे… ।
उसने जोश में मुझे बिस्तर पर धक्का दे कर लेटा दिया और मेरे शरीर को बुरी तरह से दबाने लगा था। पर मैंने अभी तक उसका लण्ड नहीं छोड़ा था। अब मेरा पजामा भी उतर चुका था। मेरी चूत पानी छोड़ने लगी थी। पर मस्ती में मुझे यह नहीं मालूम था कि चूत चुदने के लिये तैयार हो चुकी थी। मेरा शरीर लण्ड लेने के लिये मचल रहा था।
अचानक चीकू ने मेरे दोनों हाथ दोनों तरफ़ फ़ैला कर पकड़ लिये और बोला,”गौरी, मस्ती लेनी हो तो अपनी टांगें फ़ैला दे… !”
मुझे तो स्वर्ग जैसा मजा आ रहा था। मैंने अपनी दोनों टांगें खोल दी… उससे चूत खुल गई। चीकू मेरे ऊपर झुक गया और मेरे अधरों को अपने अधर से दबा लिया… उसका लण्ड चूत के द्वार पर ठोकरें मार रहा था। उसके चूतड़ों ने जोर लगाया और लण्ड मेरी चूत के द्वार पर ही अटक कर फ़ंस गया। मेरे मुख से चीख सी निकली पर दब गई। उसने और जोर लगाया और लण्ड करीब चार इंच अन्दर घुस गया। मेरा मुख उसके होंठो से दबा हुआ था। उसने मुझे और जोर से दबा लिया और लण्ड का एक बार फिर से जोर लगा कर धक्का मारा … लण्ड सब कुछ चीरता हुआ, झिल्ली को फ़ाड़ता हुआ… अन्दर बैठ गया।
मैं तड़प उठी। आंखों से आंसू निकल पड़े। उसने बिना देरी किये अपना लण्ड चलाना आरम्भ कर दिया। मैं नीचे दबी कसमसाती रही और चुदती रही। कुछ ही देर में चुदते चुदते दर्द कम होने लगा और मीठी मीठी सी कसक शरीर में भरने लगी। चीकू को चोदते चोदते पसीना आ गया था। पर जोश जबरदस्त था। दोनों जवानी के दहलीज़ पर आये ही थे। अब उसके धक्के चलने से मुझे आनन्द आने लगा था। चूत गजब की चिकनी हो उठी थी। अब उसने मेरे हाथ छोड़ दिये थे … और सिसकारियाँ भर रहा था।
मेरा शरीर भी वासना से भर कर चुदासा हो उठा था। एक एक अंग मसले जाने को बेताब होने लगा था। मुझे मालूम हो गया था कि मम्मी पापा यही आनन्द उठाते हैं। पर पापा यह आनन्द मुझे क्यों नहीं देते। मुझे भी इस तरह से लण्ड को घुसा घुसा कर मस्त कर दें … । कुछ देर में चीकू मुझसे चिपक गया और उसका वीर्य छूट गया। उसने तेजी से लण्ड बाहर निकाला और चूत के पास दबा दिया। उसका लण्ड अजीब तरीके से सफ़ेद सफ़ेद कुछ निकाल रहा था। मेरा यह पहला अनुभव था। पर मैं उस समय तक नहीं झड़ी थी। मेरी उत्तेजना बरकरार थी।
“कैसा लगा गौरी…? मजा आता है ना चुदने में…? “
“भैया लगती बहुत है… ! आआआआ… ये क्या…?” बिस्तर पर खून पड़ा था।
“ये तो पहली चुदाई का खून है… अब खून नहीं निकलेगा… बस मजा आयेगा… !”
मैं भाग कर गई और अपनी चूत पानी से धो ली… चादर को पानी में भिगो दी। वो अपने बिस्तर में जाकर सो गया पर मेरे मन में आग लगी रही। वासना की गर्मी मुझसे बर्दाश्त नहीं हुई। रात को मैं उसके बिस्तर पर जाकर उस पर चढ़ गई। उसकी नींद खुल गई…
“भैया मुझे अभी और चोदो… पापा जैसे जोर से चोदो… !”
“मतलब गाण्ड मरवाना है… !”
“छीः भैया, गन्दी बात मत बोलो … चलो… मैंने अपना पजामा फिर से उतार दिया और मम्मी जैसे गाण्ड चौड़ी करके खड़े हो गई। चीकू उठा और तुरंत क्रीम ले कर आया और मेरी गाण्ड में लगा दी।
“गौरी, गाण्ड को खोलने की कोशिश करना … नहीं तो लग जायेगी… ” मैंने हाँ कर दी।
उसने लण्ड को मेरी गाण्ड के छेद पर लगाया और कहा,”गाण्ड भींचना मत … ढीली छोड़ देना… ” और जोर लगाया।
एक बार तो मेरी गाण्ड कस गई, फिर ढीली हो गई। लण्ड जोर लगाने से अन्दर घुस पड़ा। मुझे हल्का सा दर्द हुआ… उसने फिर जोर लगा कर लण्ड को और अन्दर घुसेड़ा। चिकनाई से मुझे आराम था। लण्ड अन्दर बैठता गया।
“हाय… पूरा घुस गया ना, पापा की तरह… ?” मुझे अब अच्छा लगने लगा था।
“हां गौरी … पूरा घुस गया… अब धक्के मारता हूँ… मजा आयेगा अब… !”
उसने धक्के मारने शुरू कर दिये, मुझे दर्द सा हुआ पर चुदने लायक थी। कुछ देर तक तो वो गाण्ड में लण्ड चलाता रहा। मुझे कुछ खास नहीं लगा, पर ये सब कुछ मुझे रोमांचित कर रहा था। पर वासना के मारे मेरी चूत चू रही थी।
“चीकू, मुझे जाने कैसा कैसा लग रहा है… मेरी चूत चोद दे यार… !”
चीकू को मेरी टाईट गाण्ड में मजा आ रहा था। पर मेरी बात मान कर उसने लण्ड मेरी चूत में टिका दिया और इस बार मेरी चूत ने लण्ड का प्यार से स्वागत किया। चिकनी चूत में लण्ड उतरता गया। इस बार कोई दर्द नहीं हुआ पर मजा खूब आया। तेज मीठा मीठा सा कसक भारा अनुभव। अब लगा कि वो मुझे जम कर चोदे। मम्मी इतना मजा लेती हैं और मुझे बताती भी नहीं हैं … सब स्वार्थी होते हैं … सब चुपके चुपके मजे लेते रहते हैं … । मैंने बिस्तर अपने हाथ रख दिये और चूत और उभार दी। अब मैं पीछे से मस्ती से चुद रही थी। मेरी चूत पानी से लबरेज थी। मेरे चूतड़ अपने आप ही उछल उछल कर चुदवाने लगे थे। उसका लण्ड सटासट चल रहा था… और … और… मेरी मां… ये क्या हुआ… चूत में मस्ती भरी उत्तेजना सी आग भरने लगी और फिर मैं उसे सहन नहीं कर पाई… मेरी चूत मचक उठी… और पानी छोड़ने लगी… झड़ना भी बहुत आनन्द दायक था।
तभी चीकू के लण्ड ने भी फ़ुहार छोड़ दी… और उसका वीर्य उछल पड़ा। लण्ड बाहर निकाल कर वो मेरे साथ साथ ही झड़ता रहा। मुझे एक अजीब सा सुकून मिला। हम दोनों शान्त हो चुके थे।
“चीकू… मजा आ गया यार… अब तो रोज ही ऐसा ही करेंगे … !” मैंने अपने दिल की बात कह दी।
“गौरी, मेरी मासूम सी गौरी … कितना मजा आयेगा ना… अपन भी अब ऐसे ही मजे करेंगे… पर किसी को बताना नहीं… वर्ना ये सब बंद तो हो ही जायेगा… पिटाई अलग होगी…!”
“चीकू … तुम भी मत बताना … मजा कितना आता है ना, अपन रोज ही मस्ती मारेंगे… “
हम दोनों ही अब आगे का कार्यक्रम बनाने लगे। Hindi Sex Stories
मेरा नाम राज है, अन्तर्वासना Antarvasna के सभी सदस्यों को मेरा प्रणाम। मेरी उम्र 28 साल है और मैं रोज जिम जाता हूँ इसलिए मैं काफी फिट रहता हूं। मैं जब मुंबई में नया आया था। मुझे पहले काफी दिक्कत हुई पर अभी मुझे यहाँ अच्छा लगता है। मैं मुंबई के दादर इलाके में रहता हूँ। मुझे सेक्सी औरतें अच्छी लगती हैं।
मेरी जिंदगी की सबसे अच्छी कहानी सुनना चाहता हूँ जिसे मैं आज भी बहुत याद करता हूँ।
मैं एक बार नागपुर से मुंबई आ रहा था, एसी 2 टायर में बैठा था, मेरे सामने एक युगल बैठा था। हम लोगों का एक दूसरे से परिचय हुआ और हम लोग काफी घुलमिल गए। वो बन्दा, उसका नाम था प्रथमेश, सॉफ्टवेयर इंजिनियर था, मुंबई में ही जॉब करता था। काफी सारी बातें की और रात को सो गए।
अगले दिन सुबह जब मैं और वो भी उठ गए तो उसे याद आया कि उसने मेरा सेल नंबर नहीं लिया है, मुझसे सेल नंबर मांगने लगा। उसके याद आया कि उसका सेल तो बैग में है तो उसने अपनी बीवी को कहा कि अपने सेल में स्टोर करके बाद में उसे दे दे।
मैंने उसे अपना नंबर दे दिया। थोड़ी देर में ट्रेन मुंबई स्टेशन पर आ गई और हम लोग अपने अपने घर चले गए।
घर पहुँचते ही मुझे एक संदेश आया जिसमें दोस्ती करने के लिए लिखा था। मुझे ऐसे बहुत मैसेज आते रहते हैं तो मैं इन पर ध्यान नहीं देता। फिर थोड़ी देर में और एक मैसेज आया, लिखा था कि अगर दोस्ती नहीं करनी है तो साफ़ साफ बता दो ! तुम्हारी ट्रेन की दोस्त ! इस बार नाम लिखा था और उसका नाम था शालिनी।
मैं सोच में पड़ गया कि कौन है यह लड़की ? मुझे तो कुछ याद नहीं आ रहा था कि मैं किसी शालिनी से मिला हूँ।
फिर भी मैंने कोई उत्तर नहीं दिया, मुझे ऑफिस जाने की जल्दी थी तो मैंने सोचा कि शाम को बात करूँगा।
शाम को फिर मैंने कॉल किया, सामने से आवाज़ आई,”मैं आपके कॉल का कब से इंतज़ार कर रही हूँ।”
यह सुनकर मुझे अजीब लगा, फिर मैंने पूछा “क्या हम कभी मिले हैं?”
उसने कहा,”इतने जल्दी भूल गए? मैं दिखने में इतनी बुरी भी नहीं हूँ।”
मैं: मुझे याद नहीं आ रहा है आप कृपा करके अपना नाम बताइए !
उसने कहा कि उसका नाम शालिनी है और हम कल ही ट्रेन में मिले थे और उसने याद दिलाया कि वो सामने वाली सीट पर बैठी थी। फिर मुझे याद आया कि यह प्रथमेश की बीवी है और प्रथमेश ने मेरा नंबर उसे स्टोर करने के लिए कहा था।
मैं: सॉरी शालिनी जी ! मैंने आपका नाम नहीं पूछा था इसलिए मुझे याद नहीं था ! और प्रथमेश कैसा है?
शालिनी: वो ऑफिस चले गए हैं, रात को लेट आयेंगे।”
मैं: चलो छोड़ो, आप मुझसे दोस्ती क्यों करना चाहती हैं?
शालिनी: आप में मुझे अपना बॉयफ़्रेन्ड नजर आता है जो इस दुनिया में अब नहीं है।
मैं: आय एम सॉरी !
शालिनी: कोई बात नहीं ! मैं अपने बॉयफ़्रेन्ड की बात का बुरा नहीं मानती। तुम्हें पता नहीं कैसे नींद आ रही थी, मैं रात भर सो नहीं पाई।
मैं: क्यों ?
शालिनी: तुम्हें ही निहार रही थी, ऐसा लग रहा था कि मैं तुम्हारे पास आ जाऊँ !
मैंने मस्ती में कहा: तो आ जाना था !
शालिनी: कैसे आती? प्रथमेश साथ में था।
मैं: आपकी शादी को कितने साल हुए हैं ?
शालिनी: दो साल हुए हैं।
फिर हमने मिलने की योजना बनाई। उसने कहा कि वो गोरेगांव में रहती है, दो दिन बाद उसके पति जल्दी ही ऑफिस जाने वाले हैं सुबह साढ़े पाँच !
शालिनी का कद साढ़े पाँच फ़ुट है, गोरी, फ़ीगर 35-27-36, बहुत आकर्षक ! कोई भी उसे देखेगा तो उसका लण्ड वहीं खड़ा हो जायेगा। बला की खूबसूरत थी वो !
मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो मेरे बारे में कैसे सोचने लगी क्योंकि वो इतनी सुन्दर थी कि मैं सोच ही नहीं पाया कि वो मुझसे प्रभावित होगी।
दो दिन बाद उसका कॉल आया सुबह 5 बजे, उसने मुझे याद दिलाया कि अभी आधे घंटे में उसका पति ऑफिस जाने वाला है। मेरे दिल की धड़कन तेज हो गई। मैं उठा और तैयार होकर मोटरसाईकल लेकर निकल गया।मैं उसके घर के पास उसके फ़ोन का इन्तज़ार करने लगा।
उसका कॉल आया- अभी आ सकते हो !
मैं: गुड मॉर्निंग डियर !
शालिनी: गुड मोर्निंग ऐसे नहीं करते !
फिर उसने मुझे गाल पर किस किया और गले से लगाया। जैसे ही उसने गले से लगाया मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मैंने भी उसे किस करना शुरू कर दिया। सबसे पहले माथे पर, आंखों पर, गाल पर और अब उसके होंठों की बारी थी। जैसे ही मैंने होंठ चूमने चालू किए, उसने मुझे धक्का दिया और बोली- इतनी भी क्या जल्दी है? थोड़ा सब्र करो !
शालिनी: अभी तो आये हो ! जल्द बाजी क्यों?
मैं: आग लगा कर बोलती हो कि जल्दबाजी क्यों ?
शालिनी: आज का दिन हमें बहुत मस्ती करनी है ! क्यों ना धीरे धीरे मज़ा लें !
मैं: ठीक है ! कहाँ से शुरू करना है ?
शालिनी: नहा कर आये हो ?
मैं: पागल हो गई हो क्या ? इतने सवेरे नहा कर कौन आयेगा ?
शालिनी: मैं भी नहीं नहाई ! चलो फिर साथ में शावर लेते हैं !
मैं बहुत खुश हो गया। जिंदगी में पहली बार किसी के साथ शावर लेने का मौका मिला है, यह सुनकर ही मेरे मन में बहुत से ख्याल आने लगे और फिर हम शावर लेने चले गए।
जैसे ही मैं बाथरूम में गया तो देखा कि बाथरूम बहुत बड़ा था, बाथटब भी था। फिर मैंने उसके गुलाबी फूल की पंखुडियों जैसे होंठों को चूमना शुरू किया। इस बार वो भी मेरा साथ देने लगी। कभी मैं ऊपर का होंठ चूसता तो कभी नीचे का ! पूरी जबान उसके मुंह में डाल दी। वो भी किसी अनुभवी की तरह पूरा साथ दे रही थी। धीरे धीरे मेरे हाथ उसके वक्ष तक गए। ऊपर से ही मैं सहला रहा था उसे बहुत मजा आ रहा था। वो भी मेरा लंड पैन्ट के ऊपर से सहला रही थी। लंड तो मेरा पहले से खड़ा हो गया था।
मैं उसकी गर्दन पर किस करते करते कान के पीछे पहुंचा ही था कि वो बोली- कपड़े तन पर बोझ हैं इन्हें उतार फेंकना चाहिए।
मैंने उसकी नाईटी उतार फेंकी। अब वो मेरे सामने ब्रा और पैन्टी में थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों पर किस कर रहा था। उसने कहा- अब और मत तड़पाओ ! ब्रा खोल दो और चूस लो मेरी चूचियों को !
मैंने तुरंत ब्रा खोल दी और चूसने लगा। उसका हाथ मेरे लंड को सहला रहा था। मैंने दोनों स्तन अच्छी तरह से चूस चूस कर और दबा दबा कर लाल कर दिए। धीरे धीरे मैं उसकी नाभि को चाटने लगा। फ़िर मैंने उसकी पैन्टी उतार दी।
वाह ! क्या चूत थी ! पूरी तरह शेव की हुई थी, बहुत ही मनमोहक खुशबू आ रही थी। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने अपनी जबान वहाँ लगा दी।
जैसे ही मैंने जबान लगाई उसने मेरा सर अन्दर धकेला और कराहने लगी, कहा- राज चाटो इसे ! मुझे बहुत मज़ा आ रहा है !
दस मिनट चाटने के बाद वो झड़ गई। फिर उसने मुझे चूमना चालू किया। पहले मुझे होंठों पर चूमा, गर्दन से होती हुई निप्पल पर आ गई। बाद में धीरे धीरे नीचे जाने लगी। उस समय मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकता।
मुझे लगा कि वो मेरा लंड चूसने वाली है। उसने मेरी नाभि को भी चाटा और वो घड़ी आ गई जिसका मुझे इंतजार था। मेरा लंड उसने पहले अपनी जबान से पूरी तरह चाट लिया, फिर उसे मुँह में लिया और अन्दर-बाहर करके चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था मानो कि मैं ज़न्नत में हूँ। 10-12 मिनट बाद पूरा वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया जो उसने बड़े प्यार से चाट लिया। फिर हम लोग बाथत्ब में बैठ कर एक दूजे को नहलाने लगे।
हम दोनों नग्न ही पूरे घर में घूम रहे थे। बाद में हमने नाश्ता किया।
शालिनी ने कहा- अभी तो पहला भाग हुआ है ! अभी दूसरा चालू करते हैं !
फिर उसने मुझे चूमना चालू किया। इस बार उसने सीधा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। दो मिनट चूसने के बाद मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने उसे गर्म करने के लिए उसके स्तन चूसना शुरू किया। थोड़ी देर में वो गर्म हो गई। फिर मैंने उसकी चूत चाटनी चालू कर दी। मेरी जुबान पूरी अन्दर तक भ्रमण करके आ रही थी।
शालिनी बोली- अब ज्यादा मत तड़पाओ ! चोद डालो ! और इंतज़ार नहीं होता !
मैंने लंड धीरे से अन्दर डाल दिया और जोर से धक्के मारने लगा।
उसकी आवाज़ निकल रही थी- आऽऽ…हऽऽ… मेरे राजा आई लव यू ! इसी तरह चोदते रहो ! बहुत मज़ा आ रहा है !
15 मिनट बाद मुझे ऐसा लगा कि मेरा गिरने वाला है। मैंने बाहर निकाल दिया और कंट्रोल करने लगा। मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया फिर दो मिनट बाद चूत में डाल दिया। वो बहुत खुश हो गई कि मैं कंट्रोल कर सकता हूँ।
उसने कहा कि उसका पति कंट्रोल नहीं कर पाता और जल्दी ही गिर जाता है। इसलिए वो अधूरी है।
ऐसा मैंने दो बार और किया। मैं योग करता हूँ तो मुझे पता है कि अपनी इन्द्रियों को कैसे वश में करना है।
फिर मैंने उसे पूछा- शालिनी ! ज्ब तुम तृप्त हो जाओ तो मुझे बता देना, मैं बाहर गिरा दूंगा।
उसने कहा- अन्दर ही गिराना ! गर्म गर्म वीर्य जब चूत में पड़ता है तो उसका मज़ा ही कुछ और होता है।
मैंने कहा- बच्चा हो गया तो?
उसने कहा- तुम्हारा प्यार समझ कर अपने सीने से लगा कर रखूंगी।
मैंने फिर अन्दर ही गिरा दिया। हम दोनों निढाल होकर पड़े रहे।
उसके बाद उसने मुझे प्यार से चूमा।
आपको मेरी कहानी कैसे लगी ? मुझे मेल करें ! Antarvasna
अन्तर्वासना/Antarvasna के पाठकों को मेरा प्यार भरा सलाम। मैं नियमित रूप से सारी कहानियां पढ़ती हूँ और बस यही कहूँगी कि मुझे बड़ा मज़ा आता है।
अब मेरे बारे में : मैं तेईस साल की लड़की हूँ, शादीशुदा हूँ और पति भी ठीक ठाक ही है। मेरा रंग सांवला है और मेरी गोलाईयाँ और गहराईयाँ काफी अच्छी हैं। मेरी शादी अभी छः महीने पहले ही हुई है।
मुझे चुदने में बहुत मज़ा आता है, खासकर के जब मैं कुतिया बन कर चुदती हूँ। यह सब मैंने फिल्मों में ही देखा है लेकिन अजय (मेरा पति) यह सब कर नहीं पाता। मुझे लंड चूसना भी बहुत अच्छा लगता है। लेकिन अजय का लंड चूंकि छोटा है मेरे गले तक नहीं जाता। मेरी भी इच्छा है कि ब्लू फिल्मों कि लौंडियों की तरह चुदूँ- खूब गले तक लंड चूसूँ। लेकिन चूंकि अजय का लंड सिर्फ पांच इंच का है मुझे उनसे यह सौभाग्य नहीं मिल पाया।
मगर एक दिन ऊपर वाले ने मेरी सुन ली। मेरे पड़ोस में एक शादी थी। उस शादी में एक बंदा आया था। था तो वो मेरे पापा का दोस्त लेकिन पापा जितने उम्र का नहीं था। चालीस से थोड़ा ही ऊपर का होगा। पता नहीं क्यों वो मुझ पर लट्टू हो गया। हालांकि उम्र में मुझसे काफी बड़ा था लेकिन बार बार वो मुझे ही देखे जा रहा था। परिचय हुआ। उनका नाम शीशपाल था। लोग उन्हें शिशु कहकर बुलाते थे। उन्होंने घर के सारे शादी वाले काम मेरे साथ किये। हम काफी करीब आ गए। एक बार हम एक फूलों की डलिया लेने ऊपर वाले कमरे में गए। वहाँ उन्होंने मुझे भींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मुझे भी काफी मज़ा आया। मैंने भी उन्हें जकड़ लिया। तभी मेरे पति ने आवाज़ लगाई। मैं दौड़कर नीचे चली गई।
शादी हो गई- मैं वापस दिल्ली और वो जनाब पूना। कुछ ही दिनों में मेरी बहन के पति का ट्रान्सफर पूना हो गया। मेरी बहन गर्भवती हो गई और मायके नहीं आ पा रही थी। माँ ने मुझसे पूछा। मैं तैयार हो गई। मेरे पति ने भी इजाज़त दे दी क्योंकि वे भी अपने ऑफिस की तरफ से चार महीनों के लिए लन्दन जा रहे थे। और इसी तरह एक हफ्ते में मैं पूना पहुँच गई। और पूना के पहुँचते ही तीसरे दिन पापा का फोन आया कि शिशु पूना आ रहा है किसी काम से। कुछ सामान भेज रहा हूँ। मैं तो बस लट्टू हो गई उनसे मिलने के लिए।
शिशु जी एक सुबह साढ़े दस बजे के आसपास आये। चूंकि मेरी बहन और जीजू को एक कार्यक्रम में जाना था सो वो दोनों चले गए और मैं रह गई शिशुजी का इन्तजार करते। शिशुजी ने आते ही मुझ पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। फिर वे आकर सोफे पर बैठ गए और मैं उनकी गोद में। उन्होंने मुझे खूब दबाया, नोंचा, चूमा, चाटा, मैं सब कुछ करवा रही थी।
फिर मैंने उनसे कहा- मैं दस मिनट में नहा कर आती हूँ।
उन्होने कहा- मैं नहला दूं?
मेरा मन तो खुश हो गया। मैंने बोला- ना, मैं अभी आती हूँ।
मैं बाथरूम में घुस गई बिना कुण्डी लगाए !
मैं नंगी शावर के नीचे खड़ी हो गई। अपने जिस्म में खूब साबुन लगाया और पूरा जिस्म में मैं हाथ फेर रही थी। इतने में दो मज़बूत हाथ मेरे हाथों के नीचे से आये और मेरे मम्मों को मसलने लगे। मैं एकदम से चौंकी और देखा तो शिशु मेरे पीछे खड़े थे। उनका कड़क लंड मेरी कमर को मार रहा था। धीरे धीरे उन्होंने मेरे गालों को चूमना शुरू किया और एक हाथ मेरी चूत पर रखकर वहाँ साबुन लगाने लगे। मेरे झांटों पर इतना साबुन लग गया कि उनका पूरा हाथ उसमें समाने लगा। मैं तो उनके हाथ लगते ही झड़ गई। मैं इनकी तरफ मुड़ी और पहली बार मैंने इनका लंड देखा। बाप रे बाप ! लंड था या एक लोहे की छड़। मैंने लंड को पकड़ा और फिर मैं इनको देखने लगी।
शिशु बोले – लवीना खूब खेलो मेरे लंड से मेरी जान।
वे मेरे मम्मों को चूसने लगे। मैं हिल सी गई। फिर उन्होंने मेरे गीले जिस्म पर अपना हाथ फेरना शुरू किया और चूत में अपनी एक ऊँगली घुसेड़ दी। मेरा हाथ यकायक उनके लंड को मसलने लगा। मैं कह नहीं सकती कि उस समय मुझे क्या हो रहा था। मैं घुटनों के बल बैठी और मैंने उनका लंड चूसना शुरू किया।
उन्होंने भी मेरा सर पकड़कर मुझे मेरे लंड पर धक्के मारना शुरु किया। क्या लंड था- खूब मोटा और लम्बा। जब भी मेरे गले से टकराता मेरी साँसें रुक सी जाती थी।
इतने में शिशु बोले- हाँ लवीना ! चूस बेबी चूस ! और चूस ! और चूस।
इतने में एक धमाका सा हुआ और मेरा पूरा मुँह उनके माल से भर गया। एक गटक में मैंने सब अपने अन्दर ले लिया। पूरा होने के बाद भी मैं लंड को चूसती रही। इतने में उन्होंने मेरे सर को अपने लंड से अलग किया। एक बात तो कहूँगी। इनका लटका हुआ लंड भी अजय के लंड से कहीं ज्यादा मोटा और कहीं ज्यादा लम्बा है।
हम फिर शावर के नीचे खड़े हो गए। मैंने अपनी चूत को और इनके लंड को खूब साबुन से धोया और अगले पड़ाव की तैयारी में लग गए। हम दोनों एक ही तौलिये में बाहर आ गए।
बाहर निकलकर शिशु बोले- लवीना, तुम्हारे पापा ने कुछ सामान भेजा है और तुम्हें ढेर सारा प्यार। अभी प्यार कर लूं, सामान बाद में देख लेना।
उन्होने मुझे पलंग पर लेटाया और मेरी चूत को निहारने लगे। उन्होंने मेरी जाँघों को खूब सहलाया और मेरी झांटों में अपनी उंगलियाँ फिराने लगे। मेरी चूत को इन्होंने नोचा और उसके दोनों होंट अलग किये।
फिर मुझसे बोले- चुदेगी लवीना? मेरा लंड लेगी अपनी इस कोमल सी चूत में?
मैं तो कब से बेकरार थी कि शिशु जी मेरी चूत को फाड़ें। उन्होने फिर झुककर मेरी चूत को चूमा और फिर अपना मुँह मेरी झांटों में घुसेड़ दिया। थोड़ी ही देर में उनकी लपलपाती जीभ मेरी चूत के अन्दर घूमने लगी। मैं तो बस उछलती रही और उनका सर पकड़कर और अन्दर करती रही। शिशु जी ने मुझे ऐसे पांच मिनट तक चाटा और मैं झड़ गई। मैं तो इसी से ही थक गई। लेकिन अभी तो सफ़र की शुरूआत थी।
फिर वे घुटनों के बल बैठे और मेरी दोनों टांगों को अलग किया। अपना लंड मेरी झांटों में खूब फिराया और एक झटके से टोप अन्दर डाला। मैं चीख उठी। और दो झटकों में उनका दस इंच का लंड मेरी चूत का ध्वंस करता रहा। मैं बस करो बस करो की रट लगा रही थी।
शिशु जी ने कहा – बेबी, पापा से कहना कि शिशु ने तुम्हें खूब प्यार किया। बोलेगी ना मेरी लौंडिया?
मैं हाँ हाँ करती रही। लेकिन अब उनका इतना बड़ा लंड मुझसे झेला नहीं जा रहा था। कहाँ मैं एक तेईस साल की लड़की जिसकी चूत अभी ढंग से खुली भी नहीं और कहाँ यह पैंतालीस साल का सांड। मेरी चूत का तो इसने भोसड़ा बना कर रख दिया। शिशु जी अब स्पीड से मुझे चोद रहे थे। मेरे दोनों हाथ ऊपर थे और मेरी दोनों टांगें इनके कन्धों पर थी और यह मेरे ऊपर उठक-बैठक लगा रहे थे। पूरे कमरे में फच-फच की आवाज़ आ रही थी। और मैं आःह्ह्ह आआह्ह मम्मीई मम्मीईई रुकोओओओओ करती रही। लेकिन एक बात की दाद देनी पड़ेगी- शिशु जी बहुत कमाल का चोदते हैं।
मैं थोड़ा उठकर देखने लगी कि इतना बड़ा लंड घुस कहाँ रहा है। और मैं देखती रह गई। ऐसे बेदर्दी से ये मेरी चूत को चोद रहे थे कि क्या कहूं। दर्द भी हो रहा था और मज़ा भी। मैं खूब चुदी। इस तरह इन्होने मुझे दस मिनट तक चोदा और फिर झड़ने के समीप पहुंचे। झड़ने से पहले इन्होंने अपना लंड निकाला और मेरी चूत पे रख दिया। कम से कम सौ ग्राम माल निकला और यह मेरी सारी झांटों पर फैलाने लगे। मेरी चूत सूज कर और फूल गई। फिर वो मेरी बगल में लेट गए।
थोड़ी देर के बाद शिशु ने मेरा एक मम्मा अपने मुँह में डाल लिया। मेरे मम्मे काफी छोटे हैं। पूरा मम्मा इनके मुँह में था। खूब चूसा। इन्होने फिर मेरा एक हाथ अपने लंड पर रख दिया। वो साला फिर से उठने लगा। पूरा खड़ा हो गया तो मैं भी उसे हिलाने लगी और दबाने लगी। शिशु ने फिर मुझे कुतिया बन जाने को कहा। मैने सोचा शायद पीछे से लेंगे। लेकिन साब को तो मेरी गांड मारनी थी।
उन्होंने कहा- लवीना, मैं अब तेरी गांड मारूंगा।
हे भगवान् ! ये क्या करने की सोच रहे हैं। एक बार अजय ने डालने की कोशिश की थी तो वे नाकामयाब हो गए थे और सिर्फ उनके टोप से ही मैं चीखने लगी थी और यह तो मूसल है।
मैंने कहा- शिशु जी, आप जो कहेंगे, मैं मानूंगी मगर मेरी गांड को छोड़ दीजिये।
उन्होंने मुझे खूब चूमा और पुचकारा और कहा- दर्द होगा तो अपना लंड गांड से निकाल लूंगा।
खैर मैं तैयार हो गई- कोई और चारा भी तो नहीं था। मैं उल्टी लेट गई। उन्होने मुझे खूब चाटा और फिर मेरे दोनों चूतड़ खूब दबाये। और फिर अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में डाल दी। मैं उचक गई। फिर वो उठे और मेरी अलमारी से एक क्रीम लेकर आये। उन्होने पूरी क्रीम मेरी गांड में डाल दी और फिर अपनी ऊँगली। अब ऊँगली आसानी से जा रही थी।
फिर मेरी दोनों टांगों को फैलाया और मेरी चूत के नीचे एक तकिया रख दिया। अपना लंड पकड़कर उसका टोप मेरी गांड के पास ले आये। फिर धीरे से उन्होने अपने टोप को मेरी गांड में डाला। मैं मर गई। इनका सुपाड़ा इतना मोटा है कि मेरी तो गांड छिल गई। मैं हिली और फिर सामान्य हो गई। शायद इसी का इंतज़ार कर रहे थे शिशु ! उन्होने एक जोर का झटका दिया और उनका आधा लंड मेरी गांड में समा गया। मैं चीख पड़ी लेकिन शिशु जी ने फिर एक और झटका मारा और फिर पूरा लंड मेरे अन्दर। ऐसा लगा जैसे पूरी धरती हिल गई हो।
और शिशु जी ने जो पेला मुझे- ऐसा लगा कि मेरी गांड के तो आज दो टुकड़े हो जायेंगे। ताज्जुब की बात तो यह है कि जब अजय कोशिश कर रहे थे तब कुछ भी नहीं हुआ और उसने कहा था कि मेरी गांड बहुत कसी है इसलिए गांड मारना मुश्किल है। अबे अजय जहां चाह वहाँ राह। अब तुझे गांड मारनी नहीं आती तो उसमे मेरी गांड का क्या कसूर। देख शिशु जी कैसे मेरी गांड का फलूदा बना रहे हैं। काश अजय मुझे शिशु के साथ देखते। मैं चीखती रही लेकिन शिशु जी तो अपना माल डालने तक कहाँ रुकने वाले थे।
इतने में वो बोले- शर्मा जी (मेरे पापा), आपकी लौंडिया को बहुत प्यार दे रहा हूँ। क्या लौंडिया पैदा की है- माँ कसम मज़ा आ गया। क्या चूसती है और क्या चुदती है। शर्मा जी देखिये तो सही, मैं कैसे आपकी बेटी की गांड मार रहा हूँ। ऐसा कहते वे और उत्तेजित हो गए और खूब जोर जोर से मेरी बुंड मारने लगे।
शिशु ने मेरी गांड को अच्छे से रौंदा। और तकरीबन बारह मिनट के बाद अपना पूरा माल मेरी गांड के अन्दर डालकर मेरे ही ऊपर गिर पड़े। एक गर्म एहसास हुआ मुझे । मेरी गांड में जो गरम लावा गिरा उससे मेरी गांड की अच्छी तरह से सिंकाई हो गई। उनका लंड अभी भी मेरी गांड में था। मैं पूरी पसीने में नहा चुकी थी। मेरे बालों को एक तरफ करके मेरे गाल को चूमकर बोले- लवीना कैसा लगा।
मैं कसमसाई और बोली- अच्छा तो लगा लेकिन काफी दर्द हो रहा है।
शिशु जी ने मुझे उस दिन तीन बार और चोदा और शाम के तीन बजे चले गए। मैं जब भी मायके जाती हूँ, उनसे ज़रूर मिलती हूँ और खूब चुदती हूँ। यह बात ना तो मेरे पति और ना ही उनकी पत्नी को पता है। जब तक मज़ा ले सको ले लो। क्या कहते हो आप लोग?
आपकी प्यारी लवीना Antarvasna
मेरा नाम अरुण शर्मा है मैं Sex Stories रायपुर में रहता हूँ, मैं रायपुर एक साल पहले ही आया हूँ। इस से पहले मैं उड़ीसा में रहता था उड़ीसा में मेरी एक गर्लफ्रेंड है उसका नाम श्वेता है। मेरा उसके साथ पाँच साल से चक्कर है वो भी मुझे बहुत प्यार करती है। मैं आप को अपनी गर्लफ्रेंड की चुदाई के बारे में बताता हूँ।
बात एक साल पहले की है जब उसका मुझे फ़ोन आया, उसने कहा- जब से तुम गए हो मुझे तुमसे मिलने का बहुत मन कर रहा है तुम मुझ से मिलने आओ ना!
तो मैंने कहा ठीक है मैं रविवार को उड़ीसा आऊँगा, तुम मुझे मेरे दोस्त के घर पे मिलने आ जाना।
तो उसने हामी भर दी- मैं तुम से दोपहर 2:30 को मिलूँगी।’
मैंने कहा- ठीक है।’
वो दोपहर ठीक 2:30 को आ गई। मैंने उसे देखा, वो नीले रंग की टॉप और सफ़ेद रंग की स्कर्ट पहन कर आई थी। मैं तो उसे देखता ही रह गया, क्योंकि आज वो कुछ ज्यादा ही ख़ूबसूरत लग रही थी।
मैंने कहा अन्दर आ जाओ, वो अन्दर आई। वहाँ पर मेरा फ्रेंड भी था, उसने कहा- अरुण मुझे ज़रा काम है, मैं 2 घंटे में आता हूँ।’ कह कर वो चला गया अब कमरे में सिर्फ़ मैं और श्वेता ही थे। मैंने उससे कहा- बैठो श्वेता, मैं तुम्हारे लिए कुछ खाने के लिए लाता हूँ,’ तो उसने कहा- तुम यहाँ बैठो, मैं लेकर आती हूँ।’
पाँच मिनट के बाद वह चाय लेकर आई। चाय पीने के बाद मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसका हाथ पकड़ कर कहा- जान, मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ।’ उसने कहा- जानती हूँ, तभी तो आई हूँ।’
फिर मैंने धीरे से उसके कान में कहा- जान मैं तुम्हें किस करना चाहता हूँ,’ तो उसने कहा- ठीक है, कर लो, लेकिन ज़्यादा कुछ नहीं करना’ तो मैंने ‘ठीक है’ कहते हुए उसके नाज़ुक होठों पर अपने होंठ रख दिए और किस करने लगा।
वह मेरा पूरा साथ दे रही थी। तभी मैंने धीरे से अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा, तो उसने मेरा हाथ हटा दिया। मैंने फिर से अपना हाथ उसकी चूचियों पर रखा, अबकी बार उसने कुछ नहीं किया। मैं समझ गया वह गरम हो रही है।
अब मैंने अपना एक हाथ उसकी पैण्टी में डाल दिया, उसकी पैण्टी गीली थी। मैंने पूछा कि ये गीला क्यों है?
उसने कहा- तुम बस मुझे किस करो, इतने सवाल मत करो।
मैंने कहा- जान मैं तुम्हारा शरीर देखना चाहता हूँ’ तो उसने ना कर दिया। मैंने उसे मनाने की बहुत कोशिश की तब जाकर वह मानी, कहा- सिर्फ देखना, कुछ करना नहीं।’
मैंने कहा- तेरी कसम, कुछ भी नहीं करूँगा। फिर मैंने उसकी टॉप उतारी, उसने नारंगी रंग की ब्रा पहन रखी थी। मैंने उसकी ब्रा भी उतारी, ब्रा खोलते ही उसकी चूची मेरे हाथ में आ गई। मैं उसकी चूचियों को किस करने लगा तो वह पागल होने लगी। फिर मैंने उसकी स्कर्ट भी उतार फेंकी
अब वह सिर्फ नारंगी रंग की पैण्टी में थी, मैंने धीरे से वो भी उतार दी। मैं पहली बार किसी लड़की की नंगी चूत के दर्शन कर रहा था। उसकी चूत में हल्के भूरे रंग के बाल थे। मैंने उसकी चूत पर जैसे ही हाथ रखा, वह सिटपिटा कर उछल पड़ी। फिर मैं उसे किस करने लगा, उसकी चूचियाँ दबाने लगा।
वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी। उसने कहा- आज मुझे मत छोड़ो, आज जो करना है कर लो.
तो मैंने कहा- जान, तुमने ही तो मना किया है।
इस पर वो बोली- उस बात को भूल जाओ, सिर्फ मुझे याद रखो, और जो करना है कर लो।
उसकी बात खत्म होने से पहले ही मैंने उसकी चूत में अपनी एक उँगली डाल दी, वह चिहुँक उठी- दर्द हो रहा है।’
तो मैंने कहा- जान पहली बार ज़रा दर्द होता है तुम अगर मुझसे प्यार करती हो तो आज दर्द सहन करना ही पड़ेगा।’
उसने कहा- ठीक है।
फिर उसने मेरी शर्ट उतार दी और मेरी छाती पर चूमने लगी, और बाद में उसने मेरी पैन्ट भी उतार दी, लगे हाथ अण्डरवियर भी उतार दिया- इतना बड़ा मैं कैसे लूँगी?
मैंने कहा ‘तू बस देखते जा, तुझे तो ये भी कम पड़ेगा।
फिर मैंने उसे अपनी बाँहों में उठाया और पलंग पर ले जाकर उसे लिटा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा, वो मदहोश हो रही थी, और चिल्ला रही थी- अब चोद दो मुझे, घुसाओ ना जल्दी।’
मैंने कहा- अभी नहीं, रानी, पहले तू मेरे लंड को तो मुँह मे ले।’ उसने देर न करते हुए मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। दस मिनट में मेरा माल निकल गया।
मैं उठा और जाकर अपने लंड पर तेल लगा कर आया और पलंग पर आकर बैठ गया, वो मेरे लंड से खेलने लगी। मैंने कहा- अभी खेल ले, थोड़ी देर में तू रोएगी।’
उसने भोलेपन से पूछा- क्यों रोऊँगी?’
मैंने कहा- बस अभी पता चल जाएगा।’ मैं उसकी पाँवों के बीच में आ गया और उसके दोनों पैरों को ऊपर उठा कर अपने कंधे पर रख लिया। मैंने अपने लंड का टोपा उसकी चूत के मुहाने पर रखा, जैसे ही घुसाने के लिए आगे बढ़ा तो बोली- दर्द हो रहा है।
मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रखे, क्योंकि अब उसका मुँह बन्द था, मैंने एक ज़ोर का झटका मारा तो उसकी आँखों में आँसू भर आए, वो मुझे धक्का देने लगी।
अबकी बार मैंने और ज़ोर का झटका मारा तो मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में घुसा गया, वो रो रही थी। मैं उसकी चूचियाँ दबाने लगा, वो मुझसे कह रही थी, प्लीज़ मुझे छोड़ दो। मैंने कहा- आज करने दे दिया, फिर पता नहीं तुमसे कब मिलूँगा, कुछ तो तुम्हे याद रहना चाहिए।’
उसने कहा- ठीक है, लेकिन धीरे-धीरे करो न,’ मैं बोला- ठीक है मेरी रानी, धीरे-धीरे करता हूँ। करीब पाँच मिनट तक मैं उसे धीरे-धीरे चोदता रहा, फिर उसने कहा- अच्छा लग रहा है।’
उसे मज़ा आने लगा था। वह और ज़ोर से, और ज़ोर से कहकर चिल्ला रही थी। मैंने अपनी गति बढ़ाई, फिर भी वह ज़ोर से करो! की रट लगा रही थी। मैंने कहा- हाँ जान और ज़ोर से करूँगा। फिर मैंने उसके दोनों पाँव उठाए और काफी तेज़ी से लंड को उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा और थोड़ी ही देर में मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।
उसने कहा- यह क्या कर दिया, मैं तो गर्भवती हो जाऊँगी।’
मैंने कहा- चिन्ता मत कर, मैं तेरे लिए ई-पिल ला दूँगा, उसे खा लेने से कुछ नहीं होगा।’
वो बोली- ठीक है, शाम को ला देना।’
मैंने कहा- मैं एक बार और भी करूँगा।’ तो बोली- नहीं आज लेट हो गया है।’
मैंने कहा- एक बार और जान, मैं कल चला जाऊँगा।’ आग्रह करने पर वह मान गई, बोली- ठीक है, लेकिन जल्दी करना।’
मैंने भी कहा- ‘ठीक है।’
रानी को उस दिन मैंने ती बार चोदा और मैं जब भी उड़ीसा जाता हूँ, उसे ज़रूर चोदता हूँ। और मैंने किस प्रकार उसकी गाँड मारी, ये अगली कहानी में बताऊँगा। Sex Stories
दोस्तों आपको ये तो पता ही होगा Antarvasna कि मैं इन्दौर में रहता हूँ। आपने मेरी इस कहानी का पहला भाग पढ़ा, उसके शीर्षक में थोड़ी गलती हो गई थी, मेरी कहानी का शीर्षक “शबनम और उसकी दो बेटियाँ” हैं।
मेरी कहानी की पात्र शबनम की दो बेटियाँ हैं, बड़ी बेटी शमीम और छोटी बानो। शमीम के साथ मेरी चुदाई का सिनेमा हॉल का किस्सा आपको बता चुका हूँ, उस दिन के बाद मेरा नज़रिया उस परिवार के प्रति बदल चुका था। मैं अब बानो जो छोटी लड़की थी, की चुदाई के बारे में सोचा करता था, क्योंकि उसे बूब्स बहुत बड़े-बड़े थे। मैं अब भी उस परिवार में कभी-कभी ही जाया करता था। इस बीच मैं शमीम की २-३ बार उसके घर में ही चुदाई कर चुका था, जब वह घर पर अकेली थी। पर इस चुदाई में ज्यादा मज़ा नहीं आता था क्योंकि ये डर लगा रहता था कि कहीं कोई आ न जाये। ख़ैर अब आपको छोटी लड़की बानो की चुदाई के बारे में बताता हूँ।
एक बार मैं गर्मी की दोपहर में उनके घर गया, दरवाजा बानो ने खोला, वो उस दिन कुछ ज़्यादा ही सेक्सी लग रही थी, उसको शायद यह भी मालूम हो गया था कि मैं उसकी बड़ी बहन के साथ कुछ कर चुका हूँ। मैं घर में अन्दर गया, उसने दरवाज़ा बन्द कर दिया। मैंने उससे पूछा कि बड़ी बहन कहाँ पर हैं तो उसने कहा कि सब लोग पास के गाँव में गये हुए हैं और करीब ९ बजे तक लौटेंगे। मेरी नीयत उसके ऊपर बिगड़ी तो थी ही, मैंनो सोचा क्यों ना आज इसके ऊपर भी ट्राई किया जाये।
मैं कुर्सी पर बैठ गया और उसे पानी पिलाने को बोला। वो पानी लेकर आई तो जान-बूझकर मैं इस तरह से खड़ा हुआ कि पानी का गिलास उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया। उसने सॉरी बोला और दूसरा गिलास लेने चली गई, दूसरा गिलास लेकर उसने मुझे दिया और फर्श पर गिरा पानी साफ करने लगी। जब वह नीचे झुकी तो उसके कुर्ते में से उसके बड़े-बड़े मम्मे दिखने लगे, उसको शायद महसूस हो गया कि मेरी निगाहें उसके बूब्स पर हैं, फिर भी वो लापरवाही से पानी साफ करती रही, इससे मेरी हिम्मत कुछ बढ़ गई। एक तो अकेलापन और गर्मी की आलस भरी दुपहरी, इससे शायद उसमें भी सेक्स के प्रति कुछ भाव पैदा होने लगा था।
मैंने उससे पूछा कि तुम क्या कर रही थी, तो उसने बताया कि वह अभी कपड़े धोकर आई है, अभी उसको नहाना है। मैंने उसे बताया कि मुझे अभी २-३ घण्टे कोई काम नहीं है, इसलिए मैं यहीं बैठता हूँ, तुम नहा लो। ऐसा कहकर मैं पलंग पर बैठ गया और वो नहाने चली गई, बाथरूम उसी कमरे से अटैच्ड था।
थोड़ी देर में बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आने लगी, मैं समझ गया कि वो नहा रही है। मैंने धीरे से बाथरूम की किवाड़ में एक छेद से देखा तो वो क्या गज़ब लग रही थी! एकदम नंगी चिकना और गोरा बदन, कभी अपने बूब्स मसलती और कभी चूत पर पानी की धार गिराती। मेरा तो लण्ड तनकर खड़ा हो गया और मैं उसकी चूत में लण्ड डालने के बारे में सोचने लगा। मैंने उसे नंगी नहाते हुए करीब बीस मिनट तक देखा।
फिर उसने पानी बन्द कर अपना बन्द तौलिये से पोंछना शुरू कर दिया। वह अपने बूब्स और चूत को ज़्यादा ही मसल रही थी, उसको ऐसा करते देख कर मेरे लण्ड का तो बुरा हाल हो गया पर कुछ तरकीब समझ नहीं आ रही थी कि उसे कैसे चोदूँ। लेकिन आज की तरह मौका फिर नहीं मिलेगा यह सोचकर मैं उपाय खोजने लगा। जब उसने कपड़े पहनने शुरू कर दिये तो मैं बाथरूम से हटकर पलंग पर लेट गया। करीब ३ मिनट के बाद वो आई, उसने मुझे लेटे हुए देखा तो मुझसे पूछा कि क्या हुआ आप लेटे हुए क्यों हो? मैंने कहा कि मेरा सिर दर्द कर रहा है। तो उसने कहा कि मैं आपके लिए चाय बना लाती हूँ, मैंने कहा अगर तुम नहा चुकी हो तो चाय मत बनाओ, यहाँ मेरे पास बैठे और मेरा सिर दबा दो, थोड़ी देर में सिरदर्द कम हो जायेगा तब चाय बना लाना।
उसने मेरी बात मान ली और पलंग के किनारे पर बैठ कर मेरा सिर दबाने लगी। एक तो वो नहाकर आई थी, और उसकी मादक गंध और तनहाई ने मुझे बहुत उतावला बना दिया था, जिससे मेरा लण्ड भयंकर रूप से मुझे परेशान करने लगा था। मैंने उससे कहा कि वो ऊपर पलंग पर बैठ जाये और मेरे सिर को अपने गोद में रख ले, उसने मेरी बात मान ली और पलंग के ऊपर बैठकर मेरा सिर उपनी गोद में रख लिया। अब मुझे लगने लगा था कि मैं इसको आज चोद लूँगा। उसने मेरे सिर पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। मैं धीरे-धीरे उसकी गोद में समाने लगा, जिससे मेरा सिर उसके बूब्स से छूने लगा, उसे भी शायद अच्छा लग रहा था।
थोड़ी देर सिर दबाने के बाद मैंने उससे पूछा कि उसका मेरा सिर दबाना कैसा लग रहा है तो उसने कहा कि अच्छा लग रहा है। मैंने उससे कहा कि अब तुम लेटो, मैं तुम्हारा सिर दबा देता हूँ। वो बोली, मेरा तो सिर नहीं दुख रहा है। पर मैंने कहा कि तुमने मेरा सिर दबाया, इसलिए मेरा भी फर्ज़ बनता है कि मैं अब तुम्हारा सिर दबाऊँ। मैंने ज़ोर दिया तो वह लेट गई। मैंने उससे कहा कि तुम मेरी गोद में अपना सिर रख लो, मुझे भी अच्छा लगेगा, उसने वैसा ही किया। मैं उसका सिर दबाने लगा, और धीरे-धीरे उसके गालों को भी सहलाने लगा, वह कुछ नहीं बोली। मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैंने उसका एक हाथ मेरे हाथ में ले लिया। ५ मिनट तक सर दबाने और हाथ सहलाने के बाद, मैंने उसके कंधों पर भी अपने हाथ फेरने शुरू कर दिये, उसे अच्छा लग रहा था, इसलिए वह चुपचाप रही, मेरी हिम्मत और भी बढ़ी, और मेरे हाथ अब उसके कंधे से हटकर उसके बूब्स को भी छूने लगे। वो भी चुपचाप मेरे सहलाने का मज़ा लेने लगी।
अब मुझे अपनी मेहनत सफल होती दिख रही थी, मैंने उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिया और उसकी बगल में लेट गया। धीरे से उसे अपनी ओर किया और उसके होठों पर किस किया। उसने मेरा हाथ झटक दिया, पर वो वहाँ से हटी नहीं। मैंने फिर उसको ज़बर्दस्ती पकड़ा और अपनी बाँहों में कस लिया। दोस्तों स्वर्ग का अनुभव हो रहा था। उसने फिर ज्यादा कसमसाहट नहीं की और मेरी बाँहों में समा गई, बोली आई लव यू।
फिर क्या था, मैं उसके ऊपर सवार हो गया और उसको किस करने लगा। मैंने उसके कपड़े उतार दिये और उसको ब्रा-चड्डी मे ले आया। फिर चड्डी छोड़कर मैंने मेरे कपड़े भी उतार दिये। अब हम एक दूसरे को किस करने लगे। उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया, मैं उसकी चूत में ऊँगली डालने लगा, तो वह चीखने लगी और आआआहहह… ओओओहह करने लगी। मैंने उसकी ब्रा और चड्डी भी उतार दी और खुद भी नंगा हो गया। वो नंगी क्या लग रही थी, उसके बूब्स इतने बड़े-बड़े थे कि देखने में ही ज्यादा मज़ा आ रहा था।
मैंने उसे पलंग पर लिटा दिया और उसके मम्मे पीने लगा, वो मेरे लण्ड से खेलने लगी। काफी देर तक मैं उसके दोनों बूब्स दबाता और पीता रहा, थोड़ी देर बाद उसने मेरे लण्ड को अपनी चूत की तरफ खींचना शूरू कर दिया, मैं समझ गया कि इसको अब मेरा लण्ड चाहिए। मैं उठकर उसके घुटनों के पास बैठ गया और उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल दी, क्या चूत थी, बिल्कुल मुलायम बालों से घिरी हुई। अन्दर से शहद जैसा माल बाहर आ रहा था। जी करता था कि खा जाऊँ, पर उसको मेरा लण्ड लेने की जल्दी लगी हुई थी। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और उसके ऊपर लेट गया और धक्के लगाने शुरू कर दिये।
दो नंगे बदन एक दूसरे में गुँथे हुए थे। उसकी सिसकारी की आवाज़ आ रही थी, मैंने धक्के की स्पीड बढ़ा दी, कुछ ही देर में लगा कि मेरा माल निकल जाएगा तो मैं रूक गया। उसने पूछा कि क्या हुआ, क्यों रूक गये तो मैंने उससे कहा कि अभी तेरे बूब्स दबाने बाकी हैं। मैंने उसे किस्स करना फिर से शुरू कर दिया और दोनों को ऐसे दबाया जैसे कि मैं उनका कचूमर बनाना चाहता हूँ। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसको बताया कि मैंने उसे बाथरूम में नंगी नहाते हुए देखा है, तो वो हँसने लगी, बोली- तुम्हारी नियत तो पहले से ही मुझपर खराब है।
दोस्तों, मैं ऐसे आनन्द में था कि उससे निकलने की इच्छा ही नहीं हो रही थी, पर ऐसा होता नहीं। सेक्स की चरम सीमा अपना माल निकल जाने पर ही होती है। मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिये। वो भी नीचे से कमर उछाल कर मेरा साथ दे रही थी। चूत और लण्ड का संघर्ष चल रहा था। उसकी चूत से निकले पानी से मेरा लण्ड सराबोर था। फच्च-फच्च की आवाजें आ रहीं थीं। ५ मिनट धक्के लगाने के बाद उसने मुझे कुछ ज्यादा जोर से कस लिया, मैं समझ गया कि ये अब जाने वाली है। मैंने भी धक्कों की गति तेज़ कर दी और १५-२० धक्कों के बाद इधर मेरे लण्ड ने अपना माल निकाल और उधर नीचे उसकी चूत भी पानी छोड़ने लगी।
क्या आनन्द था! काफी देर तक हम एक दूसरे की बाहों में समाये किस करते हुए नंगे ही पड़े रहे। उसकी चूचियाँ पीते हुए एक बार फिर मेरा लण्ड खड़ा हो गया। मैंने उससे कहा कि तुम मेरा लण्ड चूसो, मैं तुम्हारी चूत चूसता हूँ। हम ६९ की पोज़ीशन में आ गये। मैं नीचे और वो ऊपर। उसकी इच्छा फिर से होने लगी, वो मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर उसको लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी और मेरे मुँह पर अपनी चूत ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगी।
५ मिनटों तक एक-दूसरे के लण्ड-चूत का स्वाद लेने के बाद वो लेट गई, और बोली कि फिर डाल दो। मैंने पूछा क्या, तो बोली लण्ड डाल दो। फिर मैंने पूछा, किसमें, तो बोली कि मेरी चूत में। मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लण्ड फिर उसकी चूत में डाल दिया। अबकी बार मुझे मेरा माल निकल जाने की बिल्कुल भी टेन्शन नहीं थी। मैंने तेज़-तेज़ धक्के देने शुरू कर दिये, वो अजीब सी आवाज़ें निकालने लगी। करीब २० मिनट की चुदाई के बाद मैंने अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया। उस दौरान उसकी चूत ने दो बार पानी छोड़ा।
हमने थोड़ी देर तक पलंग पर लेटे रहने के बाद, अपने-अपने कपड़े पहने। फिर एक दूसरे की बाहों में काफी देर तक बैठे रहे, चाय भी पी, उसके बाद करीब पाँच बजे मैं उससे फिर आने का वादा करके और एक चुदाई और करके वहाँ से निकला।
तो दोस्तों, कैसा लगा आपको मेरा ये किस्सा? पर ये हकीक़त है और वासना का ऐसा मायाजाल जिसको आप सुनकर ताज्जुब करेंगे। आपको अगली बार बताऊँगा कि कैसा मैंने इन दोनों बेटियों और इनकी माँ शबनम को एक ही बिस्तर पर पूरी रात चोदा। आपके मेल का इन्तज़ार रहेगा। मुझे आज भी नई चुदाई का शौक है। मेरा मेल आई-डी है: Antarvasna
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