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मैं रीता हूँ मेरे पति का नाम Antarvasna अतुल है। मेरे पति चाहते हैं कि मैं उनका लौड़ा चुसूं और पूरी नंगी होकर सेक्स में तरह तरह के खेल करूँ। इस बात को लेकर अक्सर मेरी उनसे लड़ाई हो जाती थी। मुझे लौड़ा चूसने से बड़ी चिढ़ थी मुझे लौड़ा चूसना बहुत गन्दा काम लगता था।
एक बार लड़ाई तेज हो गई, अतुल बोले- कुतिया, तू लौड़ा नहीं चूस सकती तो यहाँ से भाग जा!
मैं भी लड़ कर अपने घर आ गई। मैंने अपनी माँ को बता दिया कि अब मैं घर नहीं जाऊँगी। मेरी माँ ने मुझसे कुछ नहीं कहा। मेरे भैया 3-4 दिन के लिए घर से बाहर थे इसलिए रात में मैं भाभी के कमरे में सोने चली गई।
मैं और भाभी रात को दस बजे बिस्तर पर आ गई। भाभी ने साड़ी उतार दी। वो अब पेटीकोट और ब्लाउज़ में थीं। उन्होंने पेटीकोट उठा कर अपनी चड्डी भी उतार दी। ब्रा वो पहने नहीं थीं। मैं एक मैक्सी और चड्डी पहने थी।
भाभी ने मुझसे पूछा- ब्लू फिल्म देखोगी क्या?
मैं पिछले दस दिन से नहीं चुदी थी, मेरी चूत में खुजली हो रही थी।
मैं बोली- देख लूंगी!
भाभी ने एक सेक्सी हिंदी ब्लू फिल्म लगा दी। फिल्म में कुछ देर बाद लड़कियों ने लड़कों के लंड निकाल कर चूसना शुरू कर दिए।
मैं बोली- भाभी यह काम तो केवल रंडियाँ ही कर सकती हैं!
भाभी मुस्करा कर बोली- शुरू शुरू में तो गन्दा लगता है लेकिन एक बार चूस लो तो फिर बार बार लंड चूसने का मन करता है! तेरे भैया तो दिन में एक बार लंड चुसवाते ही हैं।
मैं बोली- ऊहं! मैं तो कभी नहीं चूस सकती!
कुछ देर बाद लड़की की चूत में लौड़ा घुसा कर लड़के चोदने लगे। कमरे में फिल्म की सेक्सी आवाज़ गूँज रही थी। भाभी पेटीकोट उठा कर अपनी चूत सहलाने लगीं। मेरा हाथ बार बार मेरी चूत पर जा रहा था लेकिन मैं हटा लेती थी।
भाभी मुस्करा कर मेरी तरफ देखती हुई बोलीं- शरमा क्यों रही है? खुजली हो रही है तो खुजा ले! ला, मैं तेरी खुजा देती हूँ और तू मेरी खुजा दे!
भाभी ने मेरी मैक्सी खोल कर मेरी चड्डी में उंगली डाल दी और मेरी चूत खुजानी शुरू कर दी। मेरा हाथ उन्होंने अपनी चूत पर रख दिया। मैं भी उनकी चूत खुजलाने लगी। ब्लू फिल्म अपनी चरम सीमा पर थी। अब दो लड़कियों की चूत उन्हें सीधा लेटाकर 2 लड़के मार रहे थे और एक लड़का उनमें से एक लड़की को अपना लंड चुसवा रहा था। उनकी उहं उहं ओह ओह की आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थीं।
मैं और भाभी बहुत गरम हो रहे थे, भाभी ने अपना पेटीकोट, ब्लाउज़ उतार दिया था। मैं भी सेक्स की गर्मी में नहा रही थी और पूरी नंगी हो गई थी। भाभी की चूत पूरी चिकनी थी। मेरी चूत पर झांटों का जंगल उग रहा था।
भाभी बोली- ननदजी, लगता है रमेश जी को जंगल में घुस कर चोदना अच्छा लगता है!
उन्होंने मेरी चूत में उंगली घुसा दी। मैंने भी उनके चूत के होटों को रगड़ना जारी रखा।
फिल्म ख़त्म हो गई थी। हम दोनों पूरी नंगी एक दूसरे से बुरी तरह से चिपकी हुई थी। मेरी चूत भाभी की चूत से पूरी छुल रही थी और चूचियाँ रगड़ खा रही थीं। हम दोनों ने एक दूसरे के होंठ चूसे और चूचुक उमेठे। थोड़ी देर बाद भाभी और मैंने एक साथ पानी छोड़ दिया उसके बाद हम दोनों सो गए।
अगली रात को हम लोग फिर साथ सोये। आज भाभी मेरे सामने पूरी नंगी हो गई थीं, बोली- तेरे भैया के साथ तो मैं पूरी नंगी ही सोती हूँ! अब कल तो हम लोगों ने मौज की ही थी, आज और मौज करते हैं!
और उन्होंने मुझे भी पूरा नंगा करा दिया। मेरी झांटों के जंगल पर हाथ फिरा कर भाभी बोलीं- चल, इसे साफ कर ले! फिर मजा चखाती हूँ!
और उन्होंने क्रीम लगाकर मेरी चूत पूरी चिकनी कर दी। भाभी बोलीं- आज मैं तुझे असली लंड जैसा मजा देती हूँ!
भाभी अपनी अलमारी की तरफ गईं, उन्होंने एक नकली लंड अपनी अलमारी से निकाला और बोली- यह नकली लंड है! बिल्कुल असली जैसा मजा देता है! तेरे भैया ने अमेरिका से लाकर दिया है। इसे चूत में फिट करके लड़कों की तरह औरतों को चोदा जा सकता है और अपने हाथ से भी चूत में डाल कर मजा ले सकते हैं। अब बता मैं तुझे चोदूँ या तू मुझे चोदेगी?
मैं बुरी तरह शरमा रही थी, भाभी बोली- बहुत शर्माती है? चल लेट! पहले मैं ही तुझे चोदती हूँ!
और उन्होंने अपनी चूत में लंड फिक्स कर लिया। भाभी नकली लंड लगा कर ऐसी लग रहीं थीं जैसे कोई गोरे लंड वाला चिकना लौंडा मुझे चोदने को खड़ा है। मुझे गिरा कर भाभी मेरे ऊपर लेट गईं और मेरी चूत में अपना नकली लौड़ा हाथ से पकड़ कर घुसा दिया। नकली लंड मेरे पति से मोटा था, मेरे मुँह से ऊहऽऽ मर गई! मर गई! की आवाज़ निकल गई, लेकिन मुझे साथ ही साथ मजा भी आया था।
भाभी ने मेरी चूचियाँ मलते हुए करीब दस मिनट तक नकली लंड से मुझे चोदा। उसके बाद उन्होंने मेरी चूत में लंड फिक्स कर दिया और बोली- चल अब तू मुझे चोद!
मैं चोदने में शरमा रही थी, भाभी बोली- साली शरमाती बहुत है!
और वो मेरे ऊपर उछ्ल कर बैठ गईं और ऊपर उछ्ल उछ्ल कर चुदने लगीं। उन्होंने मेरे हाथ अपने बड़े बड़े संतरों पर रख लिए और बोलीं- कुतिया, इन्हें तो दबा दे!
मुझे उनके मोटे मोटे चूचे मसलने में बड़ा मजा आने लगा। थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गई। उसके बाद हम दोनों पहले की तरह चिपक कर सो गई।
रात के 3-4 बजे घर में घंटी बजी, भैया बाहर से आ गए थे। मैं भी जाग गई। भाभी, मैं और भैया बातें करने लगे। थोड़ी देर में मैं सोने लगी। तभी मुझे ऐसा लगा जैसे भाभी उठकर बाथरूम में गई हों। कुछ देर बाद मैंने बाथरूम में झाँककर देखा तो मैं दंग रह गई- भाभी भैया का लंड पैंट से निकाल कर लपालप चूसे जा रही थीं। उसके बाद इंग्लिश टॉयलेट पर बैठकर भैया ने अपने लौड़े पर भाभी को बिठा लिया और कस कस कर उनकी चूचियों को मसलने लगे। भाभी धीरे धीरे चिल्ला रही थी- कुत्ते! चूत में डाल इस लौड़े को! 15 दिन से बिना चुदे पड़ी हूँ! कोई और होती तो रंडी बन गई होती! भैया ने एक झटके में लंड भाभी की चूत में घुसा दिया और भाभी चिल्ला उठीं- उईऽऽ! मर गई! फट गई! मजा आ गया! क्या घुसाया है!
भैया भाभी की घुन्डियाँ मसलते हुए बोले- रंडी, नकली लंड नहीं डाला अपनी चूत में? तुझे अमेरिका से लाकर दिया था!
लौड़े पर उछ्लती हुई भाभी बोली- अरे कुत्ते! तेरे जैसे लंड का मजा नकली में कहाँ! साले को जब तक नहीं चखा था तब तक तो कोई बात नहीं लेकिन अब तो तीन दिन नहीं चुदुं तो मन करने लगता है कि सब्जी वाले को बुलाकर चुदवा लूँ! मेरे कुत्ते, ज्यादा दिन को मत जाया कर! अगर रंडी बन गई तो तू जिम्मेदार होगा..
भाभी उनके लौड़े पर धीरे धीरे उछ्ल रहीं थीं, भैया उनकी चूचियों की घुन्डियाँ मसल रहे थे। भैया बोले- चल जरा हट थोड़ा! तेरे को पीछे से ठोकता हूँ!
भैया ने भाभी को उठा दिया। भैया उठते, इससे पहले ही भाभी ने उन्हें रोका और बोलीं- तेरा शेर बहुत सुंदर लग रहा है! इसको थोड़ा चूस लूं!
यह कह कर उन्होंने भैया का लौड़ा अपने मुँह में ले लिया और तेजी से आगे पीछे करके चूसने लगी। मैं हैरान थी कि मेरी भाभी इतना मस्त होकर लौड़ा चूसती हैं। भाभी इस समय ब्लू फिल्म की हिरोइन लग रही थीं। भैया का सुपाड़ा ऐसे चाट रही थीं जैसे कोई आइसक्रीम चाट रहा हो। भैया भाभी की गांड में उंगली कर रहे थे।
भैया बोले- चल कुतिया लौड़ा छोड़ और अब जरा चूत बजाने दे।
भाभी टॉयलेट की सीट पर हाथ रखकर घोड़ी बन गईं। भैया ने पीछे से उनकी चूत में लंड छुला दिया और धीरे धीरे से उनके संतरे मसलते हुऐ लंड उनकी चूत में घुसा दिया और भाभी को चोदने लगे। भाभी की ऊहं ऊह की आवाजें साफ़ सुनाई दे रही थीं। भैया बीच बीच में जोर से हाथ उनके चूतड़ों पर मार देते थे। कुछ देर बाद भैया ने अपना लंड बाहर निकाल लिया। लंड झड़ चुका था। भाभी खड़ी होकर भैया से चिपक गईं और उन्हें चूमती हुई बोलीं- सच, आज बहुत मजा आया!
इसके बाद मैं बिस्तर पर आकर लेट गई थोड़ी देर में भाभी भी मेरे पास आकर सो गईं। मैं सोच रही थी कि भाभी तो बहुत बदमाश हैं, लंड लपालप ऐसे चूसती हैं जैसे आइसक्रीम खा रही हों! छीः छीः कितना गन्दा काम है लंड चूसना! चुदने में तो मजा आता है लेकिन लंड चूसना? छीः छीः. मैं तो कभी नहीं चूस सकती..
शेष कहानी अगले भाग में!
आपकी उषा रांड
साथियो, कहानी कैसी लगी? Antarvasna
मेरा नाम राहुल है, उम्र २१ साल, मैं Hindi Sex Stories पंजाब का रहने वाला हूँ। मैं काफी स्मार्ट और हैण्डसम हूँ, मेरे व्यक्तित्व पर काफी लड़कियां फ़िदा हैं। मैंने काफी लड़कियों के साथ सेक्स किया है पर मैं आपको सोनिया शील नाम की लड़की के बारे में बताता हूँ।
सोनिया एक बहुत ही सुन्दर और सेक्सी लड़की थी और उसकी फिगर भी मस्त थी। हम एक ही क्लास में पढ़ते थे। जब मैंने स्कूल ज्वाइन किया तभी से मैं उसके हुस्न का दीवाना हो गया। मैंने उस पर काफी लाइन मारी। मैं काफी होशियार भी हूँ इस लिए वो मुझसे गणित के कुछ सवाल पूछ लिया करती थी।
एक दिन मैं लंच-ब्रेक में अकेला बैठा था, वो मेरे पास आई और एक सवाल पूछने लगी।
जब वो जाने लगी तो मैंने हिम्मत करके बोल दिया- आई लव यू !
वो शरमा गई और बोली- मैंने ऐसा कुछ सोचा नहीं है, सोच कर बताउंगी !
मैं बोला- जब तक मर्जी सोच लो ! मैं तुम्हारे जवाब का इंतज़ार करूँगा।
एक दिन मैंने उससे पूछा- क्या सोचा?
तो उसने हाँ कह दी। मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था। हमारी प्रेम कहानी यूँ ही चलती गई। एक दो हफ्ते में ही हम काफ़ी खुल गए थे आपस में ! और मैंने उससे सेक्स के बारे में पूछ लिया तो वो बोली- अभी तक किसी के साथ किया नहीं है।
मैं और खुश हो गया।
फिर एक दिन हम मूवी देखने गए। अँधेरे में मैंने उसके वक्षों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया, उसने मेरे हाथ पकड़ कर साइड पे रख दिया। मैंने कुछ नहीं कहा और मूवी देखने लगा। मूवी के बाद हम पार्क में घूमने चले गए और उसने मेरी उस हरकत के बारे में पूछा तो मैंने कहा- हमें भी तो करना चाहिए !
तो उसने कहा- जगह भी तो होनी चाहिए !
तो मैंने कहा- उसका इंतजाम हो जाएगा ।
दो दिन बाद मैंने होटल में कमरा बुक करवाया और उसे बुलाया। वो आ गई पर थोड़ी घबराई हुई थी।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- पहली बार है ! कुछ होगा तो नहीं? और अगर किसी को पता चल गया तो?
मैंने कहा- घबरा मत ! कुछ नहीं होगा और किसी को भी पता नहीं चलेगा।
हम बेड पर लेट गए। हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे। हम दोनों इस विषय पर खुल कर बात करने लगे थे, अब उसकी घबराहट दूर हो गई थी। मेरा लंड उसकी टाँगों को छू रहा था। मेरा लंड ९ इंच लम्बा और काफी मोटा है। वह पूरी तरह से अकड़ चुका था। उसे मेरे लंड की गर्मी महसूस हो रही थी। पर उसके मन में घबराहट थी। मैंने उसके हाथ अपने लंड पर रख दिया और थोड़ा सा दबा दिया। उसे भी अच्छा लगा। फिर उसने मेरे लंड को अपने हाथ में मेरी पैन्ट के ऊपर से पकड़ लिया और मसलने लगी। अब मुझे भी मज़ा आने लगा। फिर मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर रख दिया। वो बहुत गरम हो चुकी थी। मैंने उसकी पैन्ट उतार दी, पैन्टी के अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा। वो बिल्कुल साफ थी।
अब मैंने उसकी पैन्टी भी निकाल दी। अब वो नीचे से नंगी थी। मैंने अपना पाँव उसके ऊपर रख दिया और उसकी टॉप उतारने लगा। उसके बाद मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। उसने कई बार मेरा हाथ रोका, पर धीरे-धीरे मज़ा उसे भी आने लगा था। फिर बाद में वह साथ देने लगी। मैंने उसके चुचूकों को चूसना शुरु कर दिया। वो मदहोश हो रही थी और मेरे लंड को और मस्त कर रही थी।
धीरे-धीरे उसकी आँखें बन्द होने लगी थी। मैं नीचे उसकी चूत पर उसके दाने को मसल रहा था। वो एक बार झड़ गई। उसका पानी निकल चुका था। उसकी सिसकियाँ निकल रही थी। फिर उसने मेरी पैन्ट और अन्डरवियर उतार दी और कहने लगी- मेरी जान, मुझे कुछ हो रहा है। कुछ करो। मेरी चूत को फाड़ दो। जल्दी से इस मोटे लण्ड को डाल दो। मुझसे रहा नहीं जा रहा।
ऐसे नहीं, अभी तो बहुत कुछ करना है, मैंने उसकी चूत पर अपना मुँह रख दिया और उसकी चूत पर अपनी जीभ से फिराई और जीभ से उसकी चूत को चोदना शुरु कर दिया। वह बहुत गरम हो गई। मैं कभी उसे अपनी जीभ से तो कभी उँगली से चोद रहा था। वो एक बार फिर से झड़ गई। मैंने उसका सारा रस पी लिया। अब मैंने अपना लंड उसके मुँह की तरफ कर दिया, और उसने झट से उसे अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो ऐसे चूसे जा रही थी, जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप चूस रहा होता है। मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था। मैं भी उसके मुँह को चोद रहा था। मैं भी झड़ गया। मेरा सारा वीर्य उसके मुँह में जा गिरा। पहले उसे अच्छा नहीं लगा, पर जब एक बार उसने स्वाद चखा तो वह सारा वीर्य पी गई।
हम एक-दूसरे के शरीर से खेल रहे थे। वो मेरे लंड को मसल रही थी, और वह फिर से खड़ा हो रहा था। वह चुदवाने के लिए तड़प रही थी, मिन्नतें कर रही थी। मैं झट से उसकी टाँगों के बीच आ गया और अपना लंड उसकी चूत में रगड़ने लगा। अपने लंड से उसके दाने को रगड़ने लगा।
वह बहुत गरम हो गई, बोली- अब ना तड़पाओ, मुझसे रहा नहीं जा रहा। डाल दो मेरे अन्दर।
मैं लंड को उसकी चूत पर रख कर धक्का लगाने लगा। मेरा लंड मोटा होने के कारण अन्दर नहीं जा रहा था और उसकी चूत भी सँकरी थी। पहली बार किसी लंड का स्वाद ले रही थी। मैंने उसकी टाँगों को थोड़ा और खोला और अपने लंड को उसकी चूत पर सेट करके थोड़ा ज़ोर से अन्दर डाला, तो वो कोई दो इंच अन्दर चला गया। उसे मज़ा आया। उसे नहीं मालूम था कि अभी उसकी फटने वाली है। मैंने थोड़ा और ज़ोर लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मेरा लंड लगभग छः इंच अन्दर जा चुका था और उसकी झिल्ली फट चुकी थी। वह कहने लगी- बाहर निकालो मुझे दर्द हो रहा है।
मैंने उससे कहा- जो होना था वो हो चुका है, अब दर्द नहीं होगा, बस मज़ा आएगा।
पर वो मान ही नहीं रही थी। मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रखकर उसे किस करने लगा, और नीचे वहीं पर रुक गया। जब उसका दर्द कम हुआ तो उसने मुझे पीछे से कस लिया और मेरे होंठ चूसने लगी। अब मैं धीरे-धीरे नीचे अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे मजा आने लगा था। कोई पच्चीस-तीस झटकों के बाद वो भी नीचे से कमर उछाल-उछाल कर साथ देने लगी। दोनों को बहुत मज़ा आ रहा था। फिर उसका झड़ने वाला था तो उसने अपनी चूत को टाईट करना शुरु कर दिया और मुझे एक गहरा चुम्मा देकर शांत हो गई।
थोड़ी देर बाद मैं भी झड़ने वाला था, मैंने उसे बताया तो उसने कहा- बाहर मत निकालो, अन्दर ही डाल दो। मैं भी उसका मज़ा लेना चाहती हूँ।
मैंने अन्दर ही सारा डाल दिया। हम दोनों झड़ चुके थे, वो मेरे ऊपर लेट गई। हम ऐसे ही सो गए फिर जागने क बाद हमने फिर से सेक्स किया तीन बार। फिर कपड़े पहन कर मैंने उसे उसके घर तक छोड़ा और मैं अपने घर आ गया।
हम दो साल तक इकट्ठे रहे फिर मैं जालंधर आ गया और हमारा रिश्ता ख़त्म हो गया।
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कमरे में घुसते ही राम Hindi Sex Stories ने कहा, “सिमरन ये मैं क्या देख रहा हूँ?”
“ओह गॉड! मेरे पति कि आवाज़ है! मुझे जाने दो”, सिमरन अपने आपको जय से छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
“चुप हो जाओ रानी, मैं तुम्हें तभी जाने दूँगा जब मेरा काम हो जायेगा”, जय ने हँसते हुए अपने लंड की रफ़्तार और तेज कर दी।
“राम मुझे जाने दो! नहीं…. मैं तुम्हें नहीं करने दूँगी!” अंजू ने विरोध करते हुए कहा, लेकिन ज़मीन पर कार्पेट पे लेट कर अपनी टाँगें फैला दी।
“अंजू तुम्हें क्या हुआ?” जय ने पूछा।
“आहहहह!!! राम ने अपना लौड़ा मेरी चूत में घुसा दिया है और मुझे चोद रहा है”, अंजू ने जवाब दिया।
“चोदने दो! मैं भी तो उसकी बीवी की गाँड मार रहा हूँ”, जय ने हँसते हुए कहा।
“ओहहहहहहह नहीं!!! मुझे नंगा मत करो प्लीज़, नहीं…. तुमने तो अपना लंड मेरी चूत में घुसा दिया है”, मंजू सिसकी।
“अब तुम क्यों चिल्ला रही हो?” विजय ने पूछा।
“श्याम मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोद रहा है”, मंजू ने जवाब दिया।
“चढ़ा रहने दे, मैं भी तो उसकी बीवी पर चढ़ा हुआ हूँ, मजे लो!” विजय ने साक्षी की गाँड में धक्का मारते हुए कहा।
चारों जोड़े चुदाई में मस्त थे। दो बिस्तर पर और दो ज़मीन पर। ऐसा सामुहिक चुदाई का नज़ारा देखने लायक था। थोड़ी देर बाद सब थक कर चूर हो चुके थे। जय और विजय खड़े होने लगे।
“तुम कहाँ जा रहे हो? अभी मुझे और चुदाना है!” साक्षी ने विजय का हाथ पकड़ते हुए कहा।
“नहीं, मैं थक चुका हूँ! अब मुझसे नहीं होगा”, विजय ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“तुम्हें अब मैं चोदूँगा”, राम ने कहा।
“हाँ राम! तुम मुझे चोदो”, साक्षी बोली।
“चोदूँगा जरूर! लेकिन तुम्हें नहीं सिमरन को, तुम्हें श्याम चोदेगा”, राम ने कहा।
“हाँ राम! मुझे चोदो प्लीज़….!” फिर दोनों ने अपने-अपने पति के लंड को मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।
“अब चलो यहाँ से….. मुझसे सहा नहीं जा रहा है, देखो मेरी चूत कितनी गीली हो गयी है”, प्रीती मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेडरूम में ले आयी।
वहाँ वो चुदाई में मस्त थे और मैं अपनी प्रीती की जम कर चुदाई कर रहा था। उसके मुँह से सिसकरियाँ फूट रही थीं, “ओहहहहहह हाँ!!!! जोर से!!! ओहहहह तुम्हारे लंड की तो मैं दीवानी हो गयी हूँ!!!! कितने लौड़ों से चुदवा चुकी हूँ पर तुम्हारे लंड का जवाब नहीं।”
थोड़ी देर में हम झड़ कर अलग हुए ही थे कि चुदाई पार्टी हमारे कमरे में आ गयी।
“कैसे रहा तुम लोगों के साथ?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत अच्छा रहा! सिमरन और साक्षी की चूत और गाँड सही में लाजवाब हैं”, जय बोला।
“और तुम दोनों की चूत की खुजलाहट कैसी है?”
“पहले से ठीक है पर अब भी खुजला रही है”, सिमरन ने जवाब दिया।
“जाओ जा कर स्नान कर लो….. ठीक हो जायेगी”, प्रीती ने कहा, “सब लोग तैयार हो जाओ… फिर पिक्चर देखने चलते हैं।”
हम सब लोग तैयार होकर पिक्चर देखने गये और एक अच्छे रेस्तोरां में खाना खाया। घर पहुँचते हुए काफी देर हो चुकी थी। घर पहुँच कर हम सब ड्रिंक्स पीने बैठ गये। बाद में जब सब सोने की तैयारी करने लगे तो प्रीती बोली, “सिमरन और साक्षी तुम आज रात सुनील के साथ सोओगी, और राम और श्याम, अंजू और मंजू के साथ!” प्रीती ने कहा।
“तो हम लोग किसके साथ सोयेंगे?” जय ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“तुम दोनों आज मेरे साथ सोओगे”, प्रीती बोली। प्रीती की आँखों में वासना भरी थी और उसकी आवाज़ नशे में बहक रही थी।
बेडरूम में मैंने जब अपने कपड़े उतारे तो सिमरन सिसकी, “साक्षी! देख तो जीजाजी का लंड कितना लंबा और मोटा है!”
“हाँ यार! ये तो काफी मोटा और लंबा है, सुना है… मोटा लंड चुदाई में ज्यादा मज़ा देता है”, साक्षी मेरे लंड को पकड़ कर सहलाने लगी, “पहले मैं चुदवाऊँगी।”
“नहीं पहले मैं चुदवाऊँगी, पहले मैंने देखा है”, सिमरन बोली। वो दोनों भी नशे में थीं। उन्होंने पहले कभी शराब पी नहीं थी और आज प्रीती के जोर देने पर दोनों ने एक-एक पैग पिया था और उसमें ही दोनों को अच्छा खासा नशा हो गया था।
“झगड़ा मत करो, पूरी रात पड़ी है”, मैंने दोनों को शाँत करते हुए कहा, “सिमरन बड़ी है इसलिये मैं पहले सिमरन को चोदूँगा।”
पूरी रात मैं दोनों को बारी-बारी से चोदता रहा।
सुबह जब मैं उठा तो दोनों लड़कियाँ गहरी नींद में सोयी पड़ी थी। बिना आवाज़ किये मैं कमरे से बाहर आ गया और देखा कि किचन में प्रीती नंगी ही चाय बना रही थी।
“रात कैसी गयी?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत शानदार, दोनों की चूत वाकय में बहुत टाइट है।”
“हाँ मैं जानती हूँ! उनकी शादी हुए ज्यादा अरसा नहीं हुआ है, और तुम्हारे मोटे लंड के लिये तो चुदी हुई चूत भी टाइट है”, प्रीती बोली।
“गुड मोर्निंग भाभी!” अंजू किचन में आते हुए बोली।
“आप दोनों नंगे क्यों हैं? क्या सुबह-सुबह चुदाई कर रहे थे?” मंजू ने हमें नंगा देख कर कहा।
“नहीं ऐसी कोई बात नहीं है, हमने वैसे आज से फैसला किया है कि घर में सब नंगे ही घूमेंगे, कोई भी कपड़े नहीं पहनेगा”, मैंने कहा।
“अगर ऐसी बात है तो ठीक है”, दोनों ने अपने-अपने गाऊन उतार दिये और नंगी हो गयी।
“हाँ… उम्मीद है कि बाकी भी सब मान जायें”, अंजू ने हँसते हुए कहा, “कितना अच्छा लगेगा जब सब मर्द अपना लंड हवा में उठाये घूमेंगे”, अंजू बोली।
“और हम चूज़ भी कर सकते हैं कि किससे चुदवाना है!” मंजू ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“भाभी! आपने हमारे पतियों के साथ क्या किया है जो अभी तक सो रहे हैं?” अंजू ने पूछा।
“कुछ ज्यादा नहीं किया….. सिर्फ़ उनके लंड से उनके पानी की एक-एक बूँद निचोड़ ली!” प्रीती खिलखिलाती हुई बोली, “अब वो आराम से सो रहे हैं।”
“आओ मंजू देखते हैं, उनका लंड कितना सूखा हुआ है”, अंजू उसे बेडरूम की ओर घसीटती हुई बोली।
आधे घंटे बाद वो दोनों लौटीं, “भाभी! उनके लंड में अभी थोड़ा पानी बचा था जो हमने चूस के निकाल दिया”, मंजू जोर से बोली और बाकी सब को उठाने चली गयी।
हम सब लोग नंगे ही नाश्ता कर रहे थे। “जय और विजय कहाँ हैं?” मैंने पूछा।
“हम यहाँ हैं भैया।” दोनों किचन में नंगे आते हुए बोले। फिर जय और विजय ने राम और श्याम की ओर घूरते हुए कहा, “तो वो तुम दोनों ही हो जिन्होंने हमारी बीवियों का कुँवारापन लूटा था।”
“हाँ लूटा था! तो क्या कर लोगे?” राम भी अकड़ कर बोला। मैं घबरा रहा था कि कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाये। मैंने अंजू और मंजू की ओर देखा।
“सॉरी भैया, भाभी! इन्होंने चालाकी से हमारे मुँह से उगलवा लिया”, मंजू बोली।
इतने में जय बोला, “करेंगे क्या!!! हमने भी तो तुम्हारी बीवियों की चूत और गाँड मारी है”, और हंसने लगा।
माहोल शाँत होते देख मेरी जान में जान आयी। अब तो घर में सब नंगे ही रहते और जो मन में आता उसे पकड़ कर चुदाई करने लगते। सारा दिन शराब और चुदाई चलती…. कौन किसे और कहाँ चोद रहा है कोई परहेज नहीं था। ऑफिस से लौटने के बाद मैं भी शामिल हो जाता था।
एक दिन ऑफिस से लौटा तो देखा कि अंजू के बेडरूम से आवाज़ें आ रही है। सभी लोग वहाँ थे सिवाय राम के।
“प्रीती! राम के साथ बेडरूम में कौन है?” मैंने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“तुम्हारी पहली कुँवारी चूत….. रजनी, आयी थी, टीना की बर्थडे पार्टी के बारे में बात करने, लेकिन इतने सारे खड़े लंड देख कर अपने आप को रोक नहीं सकी और पिछले चार घंटे से सबसे बारी-बारी से चुदवा रही है।” प्रीती ने जवाब दिया। थोड़ी देर बाद राम और रजनी बेडरूम से बाहर आये। “प्रीती! अब मैं चलती हूँ, कल मम्मी के साथ आऊँगी, फिर हम सब फायनल कर लेंगे”, रजनी ने कहा।
“मेरी जान! तुम ऐसे कैसे जा सकती हो? सुनील अभी तो आया है और तुमने उससे चुदवाया भी नहीं है”, प्रीती हँसते हुए बोली।
“सॉरी सुनील… आज नहीं! आज मेरी चूत और गाँड इतनी सुजी हुई है कि अब मैं बर्दाश्त नहीं कर पाऊँगी, फिर कभी!” ये कहकर वो चली गयी।
सभी लोग रजनी और टीना के बारे में जानना चाहते थे। प्रीती ने पूरी डीटेल में सब कुछ उन्हें बता दिया। दो दिन के बाद योगिता और रजनी आयीं। चार नौजवान और खड़े लंडों को देख कर योगिता के मन में चुदवाने की इच्छा जाग उठी।
“मम्मी! जो काम की बात हम करने आये हैं….. पहले वो पूरा कर लेते हैं, बाद में हम दोनों मिलकर इन सबके लंड का पानी निचोड़ लेंगे”, रजनी ने कहा।
मैंने उन दोनों के लिये ड्रिंक्स बनाये और फिर हमने तय किया कि टीना का जन्मदिन कैसे मनाया जाये। तय ये हुआ कि हम लोग एक पार्टी रखेंगे और योगिता की जवाबदारी होगी कि वो टीना और उसके माता-पिता को पार्टी में लेकर आये।
“अगर एम-डी रीना को भी साथ ले आया तो?” मैंने पूछा।
“तुम उसकी चिंता मत करो, रीना नहीं आयेगी! कारण ये कि आज शाम को वो अपनी मौसी से मिलने जा रही है और टीना के जन्मदिन के बाद ही लौटेगी”, प्रीती ने कहा।
“प्रीती! मुझे लगता है कि तुम्हें खुद सुनीलू और मिली को पार्टी में इनवाइट करना चाहिये”, योगिता बोली।
“ठीक है! मैं ही फोन किये देती हूँ!” प्रीती ने फोन उठा कर एम-डी का नंबर मिलाया।
“एम-डी बोल रहा हूँ”, दूसरी तरफ से आवाज़ सुनाई दी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“सर, मैं प्रीती बोल रही हूँ, मैं आपको और मिली को शनिवार की शाम पाँच बजे मेरे घर पर कॉकटेल पार्टी की दावत देने के लिये फोन किया है।”
“शनिवार को हम नहीं आ सकते, उस दिन टीना का जन्मदिन है और मैंने उसे प्रॉमिस किया है कि उसे किसी स्पेशल जगह लेकर जाऊँगा”, एम-डी ने कहा।
“सर! ये तो ठीक नहीं होगा! मेरी दोनों ननदें यहाँ आयी हुई हैं और आपसे मिलना चाहती हैं”, प्रीती ने अपने शब्दों पर जोर देते हुए कहा।
“ये तो बहुत अच्छी बात है, मैं भी एक बार फिर उन्हें चोदना चाहता हूँ, लेकिन तुम ये कैसे कर पाआगी?” एम-डी ने कहा।
“सर! उस दिन की पार्टी को आप टीना की बर्थडे पार्टी समझ लिजिये। इससे एक पंथ दो काज़ पूरे हो जायेंगे”, प्रीती ने सिगरेट का धुँआ छोड़ते हुए कहा।
“हाँ! ये ठीक रहेगा। हम लोग शनिवार की शाम ठीक पाँच बजे पहुँच जायेंगे”, एम-डी दूसरी तरफ से बोला।
“तो ठीक है सर! मैं शनिवार को आपका इंतज़ार करूँगी, और हाँ सर टीना और रीना को लाना मत भूलना”, कहकर प्रीती ने फोन रख दिया।
“प्रीती! तुम तो कमाल की चीज़ हो, अब अंकल जरूर आयेंगे”, रजनी ने कहा।
“अब काम खत्म हो गया है, चलो अब मस्ती की जाये”, योगिता अपना ब्लाऊज़ उतारते हुए बोली।
“हाँ मम्मी, चलो चुदाई की जाये!” रजनी बोली। दोनों माँ बेटियाँ शराब के नशे में चूर थीं और उनकी आँखों में वासना लहरा रही थी।
“चलो लड़कों इनकी कपड़े उतारने में मदद करो, और इन्हें कमरे में ले जाकर इनकी सामुहिक चुदाई करो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा, “ऐसा कम बार होता है कि माँ बेटी साथ में चुदाई करवा रही हों।”
चारों ने मिलकर उनके कपड़े उतारे और दोनों नंगी माँ-बेटी सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहने नशे में झूमति हुईं उन चारों के सहारे बेडरूम में चली गयीं। ।
“क्या सोच रहे हो भैया?” अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“शनिवर का दिन और टीना की कुँवारी चूत के बारे में ही सोच रहा होगा और क्या सोचेगा”, प्रीती ने अपना ग्लास हवा में झुलाते हुए कहा। वो भी नशे में धुत्त थी।
“तुम हमेशा की तरह सही कह रही हो प्रीती”, मैंने कहा और सिमरन और साक्षी को बाँहों में भर लिया। “आओ तुम दोनों मुझे शनिवार की थोड़ी सी प्रैक्टिस करा दो।”
सिमरन और साक्षी को चोदने के बाद मैं शनिवार का बेसब्री से इंतज़ार करने लगा। ऐसा लग रहा था कि समय जैसे थम सा गया हो। जैसे तैसे शनिवार का इंतज़ार खत्म हुआ।
शनिवार की सुबह मैं सोकर उठा तो देखता हूँ कि हॉल का सारा फर्निचर फिर से सजाया हुआ था और बीच में एक बेड बिछा दिया गया था। चारों लड़के नंगे उस पर ताश खेल रहे थे।
“प्रीती कहाँ है?” मैंने उनसे पूछा।
“वो किचन में शाम के लिये नश्त बाना रही है”, राम ने जवाब दिया।
मैं किचन में पहुँचा तो देखा कि वो पाँचों भी सिर्फ सैंडल पहने नंगी ही काम कर रही हैं। “क्या हो रहा है?” मैंने पूछा।
“तुम्हारी स्पेशल दवाई से नाश्ता बना रही हूँ, याद है ना आज तुम्हें टीना की कुँवारी चूत फाड़नी है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“वो तो मुझे याद है, पर हॉल के बीच में ये बेड क्यों बिछाया हुआ है, क्या शाम को कोई शो होने वाला है?” मैंने पूछा।
“हाँ! शो ही तो होने वाला है, हम सब तुम्हें टीना की चूत फाड़ते हुए देखना चाहते हैं, तुम्हें अकेले ही मज़ा नहीं लेने देंगे”, प्रीती ने कहा।
“हाँ! हम सब भी देखना चाहते हैं”, सभी ने मिलकर कहा।
“तो तुम सब मुझे टीना की चूत फाड़ते देखना चाहते हो?” मैंने कहा।
“तुम्हें कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना?” प्रीती ने पूछा।
“मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है, पर टीना को शरम आयी और वो ना मानी तो?” मैंने कहा।
“टीना अगर नहीं मानी तो उस समय सोचेंगे, अब तुम जा कर तैयार हो जाओ। रजनी टीना को लेकर आती ही होगी”, प्रीती बोली। मैं नहा धोकर तैयार हो बाहर आया कि दरवाजे पर घंटी बजी। प्रीती ने अपना हाऊज़ कोट पहन कर दरवाजा खोल दिया।
दरवाजे पर रजनी और टीना थी। “थैंक गॉड! तुम लोग आ गये, आओ अंदर आओ…… मैं तो समझी कि कहीं एम-डी को भनक तो नहीं लग गयी”, प्रीती ने रजनी से कहा।
प्रीती उन्हें लेकर हॉल में आयी। टीना बहुत ही सुंदर लग रही थी, उसका चेहरा गुलाब की तरह खिला हुआ था और उसके गुलाबी होंठ…… जी कर रहा था कि अभी आगे बढ़ कर उन्हें चूम लूँ।
टीना ने जब सबको नंगा देखा तो शरमा गयी और अपनी गर्दन झुका कर बोली, “रजनी दीदी! ये सब नंगे क्यों हैं? “
“ये नंगे नहीं हैं, आज ये सब जनब अवस्था में तुम्हारा जन्मदिन स्पेशल तरीके से मनायेंगे”, प्रीती बोली, “आओ आज मैं तुम्हें अपने हाथों से तैयार करती हूँ”, कहकर प्रीती टीना को बेडरूम में ले गयी।
“प्रीती इसकी चूत के बाल साफ करना मत भूलना”, रजनी ने कहा।
“मुझे याद है! नहीं भूलूँगी!” प्रीती बेडरूम में जाते हुए बोली।
“इतनी देर कहाँ लगा दी?” मैंने रजनी से पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“शुक्र करो कि हम लोग पहुँच गये, वर्ना अंकल ने तो सब प्लैन चौपट कर दिया था”, रजनी अपने कपड़े उतारते हुए बोली।
“अच्छा!!! ऐसा क्या हुआ?” मैंने पूछा।
“क्या तुम अपने कपड़े नहीं उतारोगे?” रजनी बोली।
“मैं बाद में उतार दूँगा, मुझे ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। पहले तुम बताओ क्या हुआ?” मैंने फिर पूछा।
हाई पेन्सिल हील के सैंडलों के अलावा अपने सब कपड़े उतार कर रजनी नंगी हो गयी और उसने बताया:
मैं और टीना तैयार हो कर अंकल के कमरे में पहुँचे और उनसे जाने की इजाज़त मांगी तो वो बोले कि “ऐसी भी क्या जल्दी है, तुम लोग रुको और हमारे साथ ही चलना।”
मुझे काटो तो खून नहीं फिर भी मैं हिम्मत कर के बोली कि “लेकिन अंकल क्यों, हम दोनों जाने के लिये तैयार हैं और आपको अभी कम से कम आधा घंटा लगेगा। हमें जाने दीजिये ना।”
इतने में मिली आँटी हमारे बचाव में आ गयी और बोली कि “जब बच्चे तैयार हैं तो तुम क्यों उन्हें रोक रहे हो, रजनी सही कह रही है हमें अभी आधा घंटा लगेगा, इनके जल्दी जाने में बुराई क्या है?”
अंकल ने कहा कि “तुम सुनील को नहीं जानती, वो मौका मिलते ही टीना की कुँवारी चूत चोद देगा।”
टीना बोली कि “पापा…. ऐसे कैसे चोद देगा, मैं क्या बच्ची हूँ कि जिसका मन जब चाहा मुझे चोद देगा।”
अंकल ने कहा कि “मुझे यही तो डर है कि तुम अब बड़ी हो गयी हो।”
मेरी मम्मी बोली कि “तुम बेकार ही सुनील पर शक कर रहे हो….. जब उसका घर उसके मेहमानों से भरा पड़ा है तो वो टीना की चूत कैसे फाड़ेगा? फिर तुम भी तो वहाँ जा ही रहे हो।”
अंकल बोले कि “ठीक है! जाओ बच्चों इंजॉय करो और सुनील से कहना कि हम ठीक पाँच बजे पहुँच जायेंगे।”
मैंने रास्ते में टीना से पूछा कि “क्या तुम अपनी चूत चुदवाने के लिये तैयार हो”, तो उसने हाँ में जवाब दिया।
रजनी की बात सही थी। प्रीती और टीना ने हॉल में कदम रखा। दोनों ने सिर्फ हाई-हील के सैंडल पहन रखे थे, बाकी बिल्कुल ही नंगी थीं। टीना ने अपने हाथों से अपनी सफ़ाचट चूत छुपा रखी थी।
“अपनी गोरी और प्यारी चूत को मत छुपाओ टीना, इन सबको तुम्हारी चूत देखने दो”, रजनी बोली।
उसकी गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड में तनाव आ गया। जैसे ही मैं अपने कपड़े उतार कर नंगा हुआ, मेरा लंड तन कर आसमान की तरफ खड़ा हो गया। मेरे लंड का सुपाड़ा एक नयी चूत की तमन्ना में और ज्यादा फूल कर लाल हो गया।
“वाओ!!!! क्या लंड है”, अंजू बोली।
“ये क्या बुरा है?” जय ने अपने लंड की ओर इशारा करते हुए कहा।
“बुरा तो नहीं है पर छोटा है”, कहकर अंजू ने जय के लौड़े को चूम लिया।
प्रीती टीना को ले कर मेरे पास आयी और उसे मेरी और ढकेल कर बोली, “लो अब…. आज की बर्थडे गर्ल को संभालो और इसका अच्छी तरह से जन्मदिन मनाओ।”
मैं टीना को अपनी बाँहों में भर कर चूमने लगा। मेरे हाथ उसकी चूचियों को भींच रहे थे। मैंने उसे धीरे से गोद में उठा कर बेड पर लिटा दिया और खुद उसके बगल में लेट गया। अब मैं उसके होंठों को चूस रहा था और हाथों से उसके मम्मे सहला रहा था।
कुछ देर तक तो टीना ने साथ नहीं दिया। फिर वो भी साथ देने लगी और वो भी मेरे होंठों का रसपान कर रही थी। वो अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल कर मेरी जीभ से खेलने लगी।
पाँच मिनट बाद मैं उसके ऊपर आ गया और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा। उसने अपनी टाँगें इकट्ठी की हुई थी। मैं जोर-जोर से उसके होंठों को चूसते हुए अपना लंड और जोर से रगड़ने लगा। “आआआआआहहहहहहह” कहकर उसने अपनी टाँगें थोड़ी खोल दी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“सुनील अब प्लीज़!!!! मुझे इस तरह तरसाओ नहीं, मेरी चूत में अब लंड डाल दो ना….. मुझसे नहीं रहा जाता”, कहकर उसने अपनी टाँगें पूरी फैला दीं।
“थोड़ा सब्र करो मेरी जान!!! अभी घुसाता हूँ”, कहकर मैंने चारों तरफ देखा। प्रीती और रजनी हमें देख रही थी और बाकी सब एक दूसरे के शरीर को सहला रहे थे। इतने में दरवाजे की घंटी बजी।
“सब लोग ध्यान दो! अब चूत फटने की घड़ी आ गयी है”, प्रीती बोली और अपना हाऊज़-कोट पहनते हुए दरवाजा खोलने गयी।
मैं देख तो नहीं सकता था पर मुझे सुनाई दिया, “आइये सर, योगिता, मिली जी….. आप सब का हमारे घर में स्वागत है”, प्रीती ने उनका अभिवादन किया।
मैंने अपने लंड को टीना की चूत के छेद पर रख कहा, “थोड़ा सहन कर लेना डार्लिंग! शुरू में थोड़ा दर्द होगा।” उसने हिम्मत दिखते हुए सहमती में ‘हाँ’ कहा।
मैंने अपने लंड का जोर का धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया।
“आआआआआआआआआईईईईईई मर गयीईईई बहुत दर्द हो रहा है…..” टीना दर्द के मारे चींखी। मैंने अपना लंड धीरे- धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया।
“क्या बहुत दर्द हो रहा है?” मैंने उसकी चूचियों को सहलाते हुए कहा।
“हाँ थोड़ा हो रहा है पर तुम रुको मत और मुझे चोदते जाओ”, उसने अपने कुल्हे उठाते हुए कहा।
“ये कौन चींख रहा है?” एम-डी ने पूछा।
“मुझे तो टीना की आवाज़ लग रही है”, मिली बोली।
“हाँ वो टीना की आवाज़ ही है, मुझे लगता है कि सुनील ने टीना को उसके जन्मदिन का तोहफ़ा दे दिया है”, योगिता हँसते हुए बोली।
“ओह गॉड! सुनील ने मेरी टीना की चूत फाड़ दी!!!” कहते हुए एम-डी हॉल की ओर लपका। पीछे तीनों औरतें भी आयी।
मैं टीना की चूत में धीरे-धीरे धक्के मार रहा था और वो कमर उचका कर मेरा साथ दे रही थी।
“सुनील रुक जाओ!!! ये मेरी बेटी है!!!” एम-डी जोर से चिल्लाया।
“सुनील! ये तुम क्या कर रहे हो?” मिली ने बेवजह पूछा।
“मिली! क्या तुम अंधी हो गयी हो? देख नहीं सकती कि सुनील टीना की चुदाई कर रहा है”, योगिता जोर से हँसते हुए बोली।
“योगिता, जिस तरह से तुम हँस कर बोल रही हो उससे तो यही लगता है कि तुम पहले से जानती थी कि क्या होने वाला है?” एम-डी गुस्से में बोला।
“हाँ! मैं जानती ही नहीं थी बल्कि ये सब मैंने ही प्लैन किया था।”
“तुमने ऐसा क्यों किया योगिता, मैंने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?” एम-डी बोला।
“अपनी बे-इज्जती का तुमसे बदला लेने लिये”, योगिता बोली।
“तुम्हारी बे-इज्जती? मैंने कब तुम्हारे साथ दुर्व्यवहार किया?”
“मुझे कब बे-इज्जत किया? भूल गये वो होटल शेराटन की शाम…. जब तुमने मेरी चूत को अपने बाप की जायदाद समझ कर सुनील को पेश की थी। मुझसे पहले पूछा भी नहीं और जब मैंने मना किया तो तुमने मुझे रजनी की चूत फाड़ देने की धमकी दी जबकि तुम उसको कुछ दिन पहले ही चोद चुके थे….” योगिता ने नफ़रत भरे शब्दों में कहा।
“क्या?? तुमने अपनी बेटी समान भतीजी को चोदा? मैंने तुमसे ज्यादा बेशर्म इंसान नहीं देखा!” मिली उसे घूरती हुई बोली।
“मिली डार्लिंग! इन लोगों ने मेरे साथ छल किया था, मुझे नहीं मालूम था कि वो रजनी है”, एम-डी ने धीरे से कहा।
“अब तुम कुछ भी कहो….. तुम इतने गिरे हुए इंसान हो कि कल अपनी बेटियों को भी चोदना चाहोगे!” मिली पलटते हुए नफ़रत से बोली।
“मेरा विश्वास करो मिली, ये सब प्रीती और सुनील की चाल थी।”
“ये सही है कि इसे पता नहीं था कि वो रजनी है पर इसे मेरे साथ ऐसा करने का क्या हक है? ” योगिता बोली।
“क्या तुम्हें सुनील के लंड से मज़ा नहीं आया?” एम-डी ऊँची आवाज़ में बोला।
“मज़ा आया तो क्या, सवाल हक का है”, योगिता भी ऊँचे स्वर में बोली।
इससे पहले कि बात झगड़े का रूप ले लेती, प्रीती बीच में बोली, “तुम लोग सब चुप हो जाओ….. प्लीज़ सब शाँत हो जायें।”
जब सब शाँत हो गये तो उसने पूछा, “क्या आप लोगों ने सुना टीना ने क्या कहा?” उन्होंने ना में गर्दन हिलायी।
“टीना! तुमने क्या कहा था…. जरा दोबारा तो कहना!” प्रीती ने टीना से कहा।
“ओह सुनील! तुम रुक क्यों गये, कितना अच्छा लग रहा था, और चोदो ना…..” टीना ने सिसकते हुए कहा।
“सॉरी मेरी जान! मैं थोड़ा भटक गया था”, कहकर मैं अपना लंड फिर अंदर बाहर करने लगा।
“जो होना था सो हो गया….. अब झगड़ने से कोई फ़ायदा नहीं है। टीना की चूत फट चुकी है और वो मज़े से चुदवा रही है। उसे मज़ा लेने दो और आप लोग भी मज़ा लो”, प्रीती ने कहा, “लड़कियों! यहाँ आओ।” जब लड़कियाँ नज़दीक आयीं तो उसने उनका एम-डी से परिचय कराया, “सर! ये सिमरन और साक्षी हैं, अंजू और मंजू से तो आप मिल ही चुके हैं।”
टीना और झगड़े को भूल कर एम-डी ने उनकी चूचियाँ दबाते हुए कहा, “काफी सुंदर और मस्त हैं।”
“ऊऊऊऊहहहह!” वे सिसकी।
“तो मेरी तितलियों….. बताओ तुम्हारी चूत कैसी है?” एम-डी ने उनकी चूत को रगड़ते हुए पूछा।
“भट्टी की तरह गरम!” सिमरन ने अपना पैग पीते हुए कहा।
“और आपके लंड की प्यासी……” साक्षी ने एम-डी के लंड को दबाते हुए कहा। बाकियों की तरह दोनों पर शराब का नशा सवार था।
“तो तुम दोनों में पहले कौन चुदवाना चाहेगा?” एम-डी ने पूछा।
“पहले मैं चुदवाऊँगी”, साक्षी एम-डी को पकड़ बोली।
“नहीं मैं बड़ी हूँ…… पहले मैं!” सिमरन बोली।
“अच्छा झगड़ा मत करो, बेडरूम में चल कर तय करेंगे कि कौन पहले चुदवायेगा”, कहते हुए एम-डी उन्हें ले कर बेडरूम में चला गया। नंगी अंजू और मंजू भी ऊँची ऐड़ी की सैंडल खटखटाती और नशे में झूमती उनके पीछे-पीछे चली गयीं।
“योगिता और मिली! ये चार तने-खड़े लंड तुम लोगों के लिये हैं, चाहे जैसे चुदवा सकती हो”, प्रीती ने चारों लड़कों की ओर इशारा करके कहा।
उनके खड़े लंड को देख कर मिली ये भूल चुकी थी कि उसकी बेटी की चूत अभी-अभी चुदी है और वो मज़े से चुदवा रही है। मैंने देखा कि योगिता और मिली ने मिल कर इतनी सी देर में व्हिस्की की एक पूरी बोतल पी ली थी और बाकी औरतों की तरह अपने हाई हील के सैंडलों के अलावा सारे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थीं।।
जय और श्याम के लंड पकड़ कर मिली बोली, “काफी मोटे और लंबे हैं, योगिता तुम बाकी दो को लेकर बेडरूम में आ जाओ हम दोनों मिलकर इनका सारा रस निचोड़ लेंगे।” मिली की आवाज़ नशे में बहक रही थी।
“ये चार लंड हैं, तुम दोनों भी हमारा साथ क्यों नहीं देती?” योगिता ने प्रीती और रजनी से कहा।
“नहीं हम लोग यहीं ठीक हैं…. सुनील टीना को चोदने के बाद हमारा खयाल रखेगा”, प्रीती ने कहा।
योगिता राम और विजय को लंड से पकड़ कर नशे में लड़खड़ाती हुई मिली के पीछे बेडरूम में चली गयी।
ये सब तो चल ही रहा था और मैंने अब अपने धक्कों की रफ़्तार बढ़ा दी।
“ओहहहह सुनील हाँआंआं आऔर जोर से, चोदो मुझे…..” टीना सिसकी।
मैं और तेजी से धक्के मारने लगा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हाँआआआआ ऐसे ही….ईईई……. कितना अच्छा लग रहा है!!!!” टीना मेरे धक्कों का साथ देते हुए बोली।
मैं उसे चोदते हुए उसके मम्मे दबा रहा था और उसके होंठों को चूस रहा था। “ओहहहहहहह सुनील हाँ!!!!! ऐसे ही!!!!! ओहहहहह मेरा छूटने वाला है….. ओहहहह छूटा…आआआआ।” और इतने में उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया। मुझे लगा जैसे किसी नदी पर बांध को खोल दिया हो।
मैंने अपने स्पीड और तेज कर दी। “ओहहह टीना तुम्हारी चूत कितनी प्यारी है… रानी!!!” कहते हुए मैंने भी अपना वीर्य उसकी चूत में उढ़ेल दिया और उसे कस कर बाँहों में जकड़ लिया। मेरे लंड की पिचकारी ठीक उसकी बच्चे-दानी पर गिर रही थी। मैंने उसे चोदना चालू रखा।
“टीना! जब तुम्हारी चूत से पहली बार पानी छूटा तो तुम्हें कैसा लगा?” रजनी ने पूछा।
“दीदी! बहुत अच्छा लगा, ऐसा लगा कि मैं जन्नत में पहुँच गयी हूँ….” टीना मेरे धक्कों का साथ देते हुए बोली।
“लगता है मेरा फिर छूटने वाला है”, कहते हुए टीना ने अपनी दोनों टाँगें मेरी कमर पे जकड़ दीं। उसके सैंडलों की ऐड़ियाँ मेरी कमर पे खरोंच रही थीं। मुझे भी अपने लंड में तनाव सा महसूस हुआ। वो मुझे बाँहों में जकड़ कर जोर-जोर से चिल्ला रही थी, “हाँ हाँ सुनील!!!! और तेजी से धक्के मारो…..हाँ और जोर से!!!!” और उसकी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया। मेरा भी पानी छूट गया और हम दोनों एक दूसरे को बाँहों में जकड़े अपनी साँसें संभालने लगे।
“ओह सुनील!!!! अब मुझे चोदो”, प्रीती बिस्तर पर धड़ाम से गिरते हुए बोली, “रजनी !अंदर से किसी लड़के को बुलाओ जो टीना की चूत को चोद सके।” प्रीती और रजनी भी नशे में धुत्त थीं।
जैसे ही मैंने अपना लंड प्रीती की चूत में घुसाया तो मैंने देखा कि जय टीना पर चढ़ कर अपना लंड उसकी चूत में घुसा रहा है।
“क्या ये भी मुझे चोदेगा?” टीना ने फूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“ये ही नहीं बाकी सब भी तुम्हें चोदेंगे!” प्रीती बोली।
प्रीती को चोदने के बाद मैंने रजनी को भी चोदा। इतने में मैंने प्रीती को कहते सुना, “राम! तुम ये क्या कर रहो हो।“
“टीना की गाँड मारने की तैयारी कर रहा हूँ”, राम ने जवाब दिया।
“नहीं! टीना की गाँड मारने का पहला हक सिर्फ़ सुनील का है, तुम इसकी चूत चोदो जैसे औरों ने चोदा है….” प्रीती ने नशे में लड़खड़ाते से स्वर में जवाब दिया।
मेरे कहने पर राम ने टीना की चूत की चुदाई शुरू कर दी।
मैंने कमरे में झाँक कर देखा कि एम-डी सिमरन की चुदाई कर रहा था और दूसरे कमरे में श्याम और विजय योगिता और मिली को चोद रहे थे। अंजू और मंजू भी एक दूसरे की चूत चाट रही थीं और कामुक्ता से कराह रही थीं। उन सबकी सिसकरियाँ और मादक चींखें बता रही थी कि उन्हें बहुत मज़ा आ रहा है।
“सुनील! क्या तुम टीना की गाँड मारने को तैयार हो?” प्रीती ने पूछा।
“एक दम डार्लिंग!” मैंने अपने खड़ा लंड दिखाते हुए कहा।
“तो फिर किसका इंतज़ार कर रहे हो? शुरू हो जाओ!” रजनी बोली।
मैं टीना के पास आकर उससे बोला, “चलो टीना! अब घोड़ी बन जाओ….. मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा।”
“नहीं सुनील! गाँड में नहीं!!!” टीना ने याचना भरे स्वर में कहते हुए प्रीती और रजनी की ओर देखा।
“गाँड तो तुम्हें मरवानी पड़ेगी!!!!” प्रीती बोली। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“नहीं दीदी! मैं मर जाऊँगी, सुनील का लंड कितना बड़ा और मोटा है”, टीना बोली।
“क्या मैं और प्रीती मर गये जो तू मर जायेगी, अब जैसा सुनील बोलता है वैसा कर”, रजनी बोली।
टीना घोड़ी बन गयी और मैंने थोड़ा थूक लेकर उसकी गाँड के भूरे छेद पर रगड़ दिया। अपने लंड को छेद पर रख कर थोड़ा जोर लगाया कि वो जोर से चिल्लायी, “ओहहहहह मर गयीईईई….. सुनील मेरी गाँड को बख्श दो!!!!”
“छोड़ो मुझे!!! उठो मेरे ऊपर से…… मुझे सुनील को टीना की गाँड मारने से रोकना है”, एम-डी की चिल्लाने की आवाज़ आयी।
“मारने दो उसकी गाँड!!!! इधर मेरा छूटने वाला है”, सिमरन ने एम-डी को पकड़ते हुए कहा।
एम-डी सिमरन को जबरदस्ती अलग करते हुए हॉल में दाखिल हुआ। उसके पीछे चारों लड़कियाँ भी नशे में झुमती हुई आयी। “रुक जाओ सुनील!!! टीना की गाँड मत मारना, मैं कहता हूँ रुक जाओ?” एम-डी जोर से चिल्लाया।
उसकी चिल्लाहट पर ध्यान ना देते हुए मैंने पूरे जोर से अपना लंड टीना की गाँड में घुसा दिया। जैसे ही लंड उसकी गाँड को चीरता हुआ अंदर तक गया तो टीना दर्द से छटपटाने और जोर से चिल्लाने लगी, “मर गयीईई, सुनील निकाल लो!!!! बहुत दर्द हो रहा है…. ऊऊऊऊईईईई माँआआआआ!”
एम-डी ने जब देखा कि मैं उसकी बातों पे ध्यान नहीं दे रहा तो वो दूसरे में कमरे में भागा, “मिली तू यहाँ चुदवा रही है और दूसरे कमरे में सुनील हमारी बेटी की गाँड मार रहा है।”
“किसे परवाह है….. मारने दो उसे उसकी गाँड, मुझे चुदवाने में मज़ा आ रहा है”, वो अपने कुल्हे उठा कर चुदवाते हुए बोली, “हाँ ऐसे ही…. और जोर से।” साफ ज़ाहिर था कि मिली को शराब और चुदाई के नशे में अपनी मस्ती के अलावा किसी भी बात की परवाह नहीं थी।
“सुनीलू अब कुछ नहीं हो सकता, सुनील का लंड उसकी गाँड को फाड़ चुका है। जाओ और जा कर चूत के मज़े लो… अगर तुम में ताकत बची हो तो….” योगिता जोर से हँसते हुए बोली।
“टीना की गाँड भी इसे चार चूतों को चोदने से नहीं रोक सकती….. जब तक कि इसमें ताकत ना रहे और ताकत के लिये ये अपनी दूसरी बेटी की चूत को भी चुदवा सकता है”, मिली जोर से बोली, “क्यों ठीक बोल रही हूँ ना डार्लिंग! जाओ और अब चुदाई के मज़े लो और हमें भी मज़े लेने दो…।”
एम-डी बिना एक शब्द कहे कमरे से बाहर आ गया और लड़कियाँ उसे लेकर वापस बेडरूम में घुस गयीं। जब मैं टीना की गाँड मार कर अलग हुआ तो रजनी ने उससे पूछा, “टीना! क्या गाँड मरवाने में मज़ा आया?”
“दीदी! शुरू में दर्द हुआ था लेकिन बाद में मज़ा आया”, टीना बोली।
“चलो लड़कों! अब तुम सब टीना की गाँड मार सकते हो”, प्रीती ने आवाज़ लगायी। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
सभी ने फिर बारी-बारी से टीना की गाँड मारी। हम सब आराम कर रहे थे कि एम-डी की आवाज़ सुनाई दी, “बस लड़कियों! अब मेरे लंड में और ताकत नहीं है, मैं घर जाऊँगा।” एम-डी कपड़े पहन बाहर आया और मिली के पास पहुँचा।
“मिली! चलो घर चलो।”
“तुम्हें जाना है तो जाओ मेरा अभी हुआ नहीं है।” मिली अपने कुल्हे उछालती हुई बोली, “हाँआआआ राम और जोर से चोदो….. ओहहहह आआआहहह।”
“मैंने कहा ना कि चलो यहाँ से!!!! राम छोड़ो उसे, हमें घर जाना है”, एम-डी ने थोड़ा गुस्से में कहा।
राम ने उसकी बातों पे ध्यान दिये बिना दो चार धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया।
“योगिता! तुम भी हमारे साथ क्यों नहीं चलती? सुनीलू के लंड में तो जान नहीं है…. शायद हम दोनों मिलकर कुछ कर सकें”, मिली लड़खड़ाते स्वर में बोली।
“ठीक है! चलती हूँ पर पहले मुझे खलास तो होने दो…” योगिता बोली, “हाँ श्याम चोदो मुझे जोर से….. और जोर से…… मेरा छूटने वाला है।”
श्याम भी छूटने के करीब था और दो चार धक्कों के बाद वो उसके बदन पर निढाल पड़ गया। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“साथ में मिलकर कुछ करेंगे???” टीना ने पूछा।
“थोड़े दिनों में तुम सब जान जाओगी”, रजनी ने कहा।
थोड़ी देर बाद में योगिता और मिली ने नशे में झूमते हुए जैसे-तैसे अपने कपड़े पहने और एम-डी के साथ जाने के लिये तैयार हो गयीं। “टीना! कपड़े पहनो और हमारे साथ चलो”, एम-डी कड़क कर टीना से बोला। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
टीना सोच में पड़ गयी और चारों तरफ देखाने लगी पर उसकी मदद में कोई कुछ नहीं बोला। वो ही हिम्मत करके बोली, “पापा! आप लोगों को जाना है तो जाओ…. मुझे यहाँ अच्छा लग रहा है।” उसकी बातों को सुन हम सब ने ताली बजा कर स्वागत किया।
“सुनीलू!!! टीना इक्कीस की हो गयी है और वो जो चाहे कर सकती है, और वैसे भी सुनील उसकी गाँड और चूत दोनों फाड़ ही चुका है। वो और चुदवाना चाहती है तो उसे रहने दो”, मिली एम-डी को घसीटती हुई बाहर ले गयी। Hindi Sex Stories
मेरी Hindi sex stories अपने दोस्त की मदद करने का ये सुनहरा मौका मिला कि अपने तो मजे ही मजे हो गए उधर दोस्त की माँ, इधर बुआ और आखिर में दोस्त की बहन की मदमस्त चुदाई का मौका मिला..
दोस्त की माँ को कैसे चोदा
प्यारे पाठकों और पाठिकाओं (चूत वालियों और लण्ड वालों) में रामू सबसे पहले मैं सभी चूत वालियों और लण्ड वालों को धन्यवाद देता हूँ.
मेरी कहानियाँ लोगों को काफ़ी पसन्द आई और मुझे ई-मेल के जरिये सभी का काफ़ी उत्तर मिला.
लोगों ने मुझे और सत्य कथा लिखने का हौसला दिया. इसलिए फिर से आप लोगों के पास एक सच्ची कहानी पेश कर रहा हूँ, आशा है पिछली कहानियों की तरह यह कहानी भी आप लोगों को पसन्द आएगी.
यह कहानी मेरे दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई की है. यह बात आज से 9-10 वर्ष पहले की है जब मेरी उम्र 20-21 साल की थीं. उन दिनों मैं मुम्बई में रहता था.
मेरे मकान के बगल में एक नया किरायेदार प्रदीप रहने आया. वो किराये के मकान में अकेला रहता था. मेरी हमउम्र का था इसलिए हम दोनों में गहरी दोस्ती हो गई. वो मुझ पर अधिक विश्वास रखता था क्योंकि मैं एक सरकारी कर्मचारी था और उससे ज्यादा पढ़ा लिखा था. वो एक निजी फैक्ट्री मे मशीन ऑपरेटर था.
उसके परिवर में केवल 4 सदस्य थे. उसकी विधवा माँ 41 साल की, विधवा बुआ (यानी कि उसकी माँ की सगी ननद) 35 साल की और उसकी कुँवारी बहन 18-19 साल की थीं. वे सब उसके गाँव में रहकर अपनी खेती बाड़ी करते थे.
दीवाली की छुट्टियों में उसकी माँ और बहन मुम्बई में 1 महीने के लिये आए हुए थे. दिसम्बर में उसकी माँ और बहन वापस गाँव जाने की जिद्द करने लगे. लेकिन काम अत्यधिक होने के कारण प्रदीप को 2 महीने तक कोई भी छुट्टी नहीं मिल सकती थीं. इसलिए वो परेशान रहने लगा.
वो चाहता था कि किसी का गाँव तक साथ हो तो वो माँ और बहन को उसके साथ भेज सकता है. लेकिन किसी का भी साथ नहीं मिला.
प्रदीप को परेशानी में देख कर मैंने पूछा, क्या बात है प्रदीप? आज कल तुम ज्यादा परेशान रहते हो!
प्रदीप: क्या करूं यार, काम ज्यादा होने के कारण मेरे ऑफ़िस में मुझे अगले 2 महीने तक छुट्टी नहीं मिल रही है और इधर माँ गाँव जाने की जिद कर रही हैं. मैं चाहता हूँ कि, अगर कोई गाँव तक किसी का साथ रहे तो माँ और बहन अच्छी तरह से गाँव पहुँच जायेंगी और मुझे भी चिन्ता नहीं रहेगी. लेकिन गाँव तक का कोई भी साथ नहीं मिल रहा है ना ही मुझे छुट्टी मिल रही है, इसलिए मैं काफ़ी परेशान हूँ.
रामू: यार अगर तुम्हे ऐतराज ना हो तो, मैं तुम्हारी परेशानी का हल कर सकता हूँ और मेरा भी फ़ायदा हो जायेगा.
प्रदीप: यार, मैं तुम्हारा यह एहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूँगा! अगर तुम मेरी परेशानी हल कर दो तो. लेकिन यार, तुम कैसे मेरी परेशानी हल करोगे और कैसे तुम्हारा फ़ायदा होगा?
यार, सरकारी दफ्तर के अनुसार मुझे साल में 1 महीने की छुट्टी मिलती है. अगर मैं छुट्टी लेता हूँ तो मुझे गाँव या कही भी जाने का, आने जाने का किराया भी मिलता है और एक महीने की पगार भी मिलती है. अगर मैं छुट्टी ना लूँ तो, 1 महीने की छुट्टी समाप्त हो जाती है और कुछ नहीं मिलता है.
प्रदीप: यार, तुम छुट्टी लेकर माँ और बहन को गाँव पहुँचा दो, इस बहाने तुम मेरा गाँव भी घूम आना!
अगले रामू से मैंने छुट्टी के लिए आवेदन पत्र दे दिया, और मेरी छुट्टी मंजूर हो गई.
प्रदीप ने साधारण टिकट लेकर हम दोनों को रेलवे स्टेशन पहुँचाने आया. हमने टीटी से विनती कर के किसी तरह बर्थ की 2 सीट ले ली.
गाड़ी करीब रात 8:40 पर रवाना हुई.
रात करिब 10 बजे हमने खाना खाया और गपशप करने लगे. बहन ने कहा, भैया मुझे नींद आ रही है! और वो उपर के बर्थ पर सो गई.
कुछ देर बाद माँ भी नीचे के बर्थ पर चादर ओढ़ कर सो गई और कहा कि, तुम अगर सोना चाहते हो तो मेरे पैर के पास सिर रख कर सो जाना.
माँ की चूत और झांटों के दर्शन
मुझे भी थोड़ी देर बाद नींद आने लगी, और मैं उनके पैर के पास सिर रख कर सो गया. सोने से पहले मैंने पैंट खोल कर शोर्ट पहन लिया.
माँ अपने बाईं तरफ़ करवट कर के सो गईं. कुछ देर बाद मुझे भी नींद आने लगी और मैं भी उनकी चादर ओढ़ कर सो गया.
अचानक! रात करीब 1:30 मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि, माँ की साड़ी कमर के उपर थीं और उनकी चूत घनी झांटों के बीच छुपी थीं. उनका हाथ मेरे शोर्ट पर लण्ड के करीब था.
यह सब देख कर मेरा लण्ड शोर्ट के अन्दर फड़फड़ाने लगा. मैं कुछ भी समझ नहीं पा रहा था कि, क्या करूँ. मैं उठकर पेशाब करने चला गया.
जब वापस आया मैंने चादर उठा कर देखा कि, माँ अभी तक उसी अवस्था में सोई थीं. मैं भी उनकी तरफ़ करवट कर के सो गया. लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थीं.
मेरे लण्ड से माँ की चूत का मिलन
बार बार मेरी आँखों के सामने उनकी चूत घूम रही थी. थोड़ी देर बाद एक स्टेशन आया. वहाँ 5 मिनट तक ट्रेन रुकी थी और, मैं विचार कर रहा था कि क्या करूँ!
जैसे ही गाड़ी चली मेरे भाग्य ने साथ दिया और हमारे डिब्बे की लाईट चली गई. मैंने सोचा कि, भगवान भी मेरा साथ दे रहा है.
मैंने अपना लण्ड शोर्ट से निकल कर लण्ड के सुपाड़े की टोपी नीचे सरका कर सुपाड़े पर ढेर सारा थूक लगा कर सुपाड़े को चूत के मुख के पास रख कर सोने का नाटक करने लगा.
गाड़ी के धक्के के कारण आधा सुपाड़ा उनकी चूत में चला गया लेकिन, माँ की तरफ़ से कोई भी हरकत ना हुई. या तो वो गहरी नींद में थीं, या वो जानबूझ कर कोई हरकत नहीं कर रही थीं.
मैं समझ नहीं पाया. गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.
एक बार तो मेरा दिल हुआ कि, एक धक्का लगा कर पूरा का पूरा लण्ड चूत में डाल दूँ. लेकिन संकोच और डर के कारण मेरी हिम्मत नहीं हुई.
गाड़ी के धक्के से केवल सुपाड़े का थोड़ा सा हिस्सा चूत में अन्दर बाहर हो रहा था. इस तरह चोदते चोदते मेरे लण्ड ने ढेर सारा फ़व्वारा उनकी चूत और झांटों के ऊपर निकाल दिया.
अब मैं अपना लण्ड शोर्ट में डाल कर सो गया.
करीब सवेरे 7 बजे माँ ने उठाया और कहा कि, चाय पिलो और तैयार हो जाओ क्योंकि 1 घन्टे में हमारा स्टेशन आने वाला है. मैं फ़्रेश हो कर तैयार हो गया.
स्टेशन आने तक माँ बहन और मैं इधर उधर की बातें करने लगे. करीब 09:30 बजे हम प्रदीप के घर पहुँचे.
वहाँ पर प्रदीप की बुआ ने हमारा स्वागत किया और कहा- नहा धोकर नाश्ता कर लो.
हम नहा धोकर आँगन में बैठ कर नाश्ता करने लगे.
करीब 11:00 बजे बुआ ने माँ से कहा- भाभी जी आप लोग थक गए होंगे, आप आराम कीजिये मैं खेत में जा रही हूँ और मैं शाम को लौटूंगी.
माँ ने कहा, ठीक है! और मुझसे बोली, अगर तुम आराम करना चाहो तो आराम कर लो नहीं तो बुआ के साथ जा कर खेत देख लेना.
मैंने कहा कि, मैं आराम नहीं करुगा क्योंकि मेरी नींद पूरी हो गई है! मैं बुआ जी के साथ खेत चला जाता हूँ, वहाँ पर मेरा समय भी पास हो जायेगा.
मैं और बुआ खेत की ओर निकल पड़े. रास्ते में हम लोगों ने इधर उधर की काफ़ी बातें की. उनका खेत बहुत बड़ा था. खेत की एक कोने मे एक छोटा सा मकान भी था. दोपहर होने के कारण आजू बाजू के खेत में कोई भी न था.
खेत पहुँच कर बुआ जी काम में लग गईं और कहा कि, तुम्हे अगर गर्मी लग रही हो तो शर्ट निकाल लो उस मकान में लुंगी भी है चाहे तो, लुंगी पहन लो और यहाँ आकर मेरी थोड़ी मदद कर दो.
मैं मकान में जाकर शर्ट उतार दिया और लुंगी बनियान पहनकर बुआ जी के काम में मदद करने लगा. काम करते करते कभी-कभी मेरा हाथ बुआ जी के चूतड़ पर भी टच होता था.
कुछ देर बाद बुआ जी से मैंने पूछा- बुआ जी यहाँ कहीं पेशाब करने की जगह है?
बुआ जी बोली- मकान के पीछे झाड़ियों में जाकर कर लो.
मैं जब पेशाब कर के वापस आया तो देखा बुआ जी अब भी काम कर रही थीं.
थोड़ी देर बाद बुआ जी बोलीं- आओ अब खाना खाते हैं और थोड़ी देर आराम कर के फ़िर काम में लग जाएँगे.
अब हम खेत के कोने वाले मकान में आकर खाना खाने की तैयारी करने लगे. मैं और बुआ दोनों ने पहले हाथ पैर धोये फिर खाना खाने बैठ गए. बुआ जी मेरे सामने ही बैठ कर खाना खा रही थीं.
बुआ की चूचियों और चूत के दर्शन
खाना खाते समय मैंने देखा कि, मेरी लुंगी जरा साईड में हट गई थी. जिस कारण मेरी चड्डी से आधा निकला हुआ लण्ड दिखाई दे रहा था और बुआ जी की नज़र बार बार मेरे लण्ड पर जा रही थी. लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा और, बीच बीच में उनकी नज़र मेरे लण्ड पर ही जा रही थीं.
खाना खाने के बाद बुआ जी बरतन धोने लगीं जब वो झुक कर बरतन धो रही थीं तो मुझे उनके बड़े बड़े बूब्स साफ़ नज़र आ रहे थे. उन्होंने केवल ब्लाऊज़ पहना हुआ था. बरतन धोने के बाद वो कमरे में आकर चटाई बिछा दी और बोलीं चलो थोड़ी देर आराम करते है. मैं चटाई पर आकर लेट गया.
बुआ बोलीं- बेटा! आज तो बड़ी गर्मी है!
कह कर उन्होंने अपनी साड़ी खोल दी और केवल पेटीकोट और ब्लाऊज़ पहन कर मेरे बगल में आकर उस तरफ़ करवट कर के लेट गईं.
अचानक! मेरी नज़र उनके पेटीकोट पर गई. उनकी दाहिनी ओर की कमर पर जहाँ पेटीकोट का नाड़ा बंधा था वहा पर काफ़ी गेप था और, गेप से मैंने उनकी कुछ कुछ झांटे दिखाई दे रही थी.
अब मेरा लण्ड लुंगी के अन्दर हरकत करने लगा. थोड़ी देर बाद बुआ जी ने करवट बदली तो मैंने तुरंत आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा.
थोड़ी देर बाद बुआ जी उठीं और मकान के पीछे चल पड़ीं. मैं उत्साह के कारण मकान की खिड़की पर गया. खिड़की बंद थीं, लेकिन उसमे एक सुराख था.
मैं सुराख पर आँख लगाकर देखा तो मकान का पिछला भाग साफ़ दिखाई दे रहा था. बुआ वहाँ बैठ कर पेशाब करने लगी.
सब करने के बाद बुआ जी थोड़ी देर अपनी चूत सहलाती रही फिर, उठकर मकान के अन्दर आने लगी. फ़िर मैं तुरंत ही अपनी स्थान पर आकर लेट गया.
बुआ जी जब वापस मकान में आईं तो, मैं भी उठकर पिछली तरफ़ पेशाब करने चला गया. मैं जान बूझ कर खिड़की की तरफ़ लण्ड पकड़ कर पेशाब करने लगा.
मैंने महसूस किया कि खिड़की थोड़ी खुली हुई थी और बुआ जी की नज़र मेरे लण्ड पर थी.
मालिश के समय बुआ की चुदाई का विचार
पेशाब करके जब वापस आया तो देखा, बुआ जी चित लेटी हुई थीं. मेरे आने के बाद बुआ बोलीं बेटा आज मेरी कमर बहुत दुख रही है. क्या तुम मेरी कमर की मालिश कर सकते हो?
मैंने कहा- क्यों नहीं!
उसने कहा, ठीक है! सामने तेल की शीशी पड़ी है उसे लगा कर मेरी कमर की मालिश कर देना, और फिर वो पेट के बल लेट गईं. मैं तेल लगा कर उनकी कमर की मालिश करने लगा.
वो बोली- बेटा थोड़ा नीचे मालिश करो.
मैंने कहा- बुआ जी थोड़ा पेटीकोट का नाड़ा ढीला करोगी तो मालिश करने में आसानी होगी और पेटीकोट पर तेल भी नहीं लगेगा.
बुआ जी ने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया. अब मैं उनकी कमर पर मालिश करने लगा. उन्होंने और थोड़ा नीचे मालिश करने को कहा. मैं थोड़ा नीचे की तरफ़ मालिश करने लगा.
थोड़ी देर मालिश करने के बाद वो बोली, बस बेटा और नाड़ा बंद कर लेट गईं. मैं भी बगल में आकर लेट गया. अब मेरे दिल और दिमाग ने बुआ को कैसे चोदा जाए!
यह विचार करने लगा. आधे घण्टे के बाद बुआ जी उठी और साड़ी पहन कर अपने काम में लग गईं.
शाम को करीब 6 बजे हम घर पहुँचे. घर पहुँचकर मैंने कहा- माँ मैं बाजार जा रहा हूँ और 1 घण्टे बाद आ जाऊँगा.
यह कहकर मैं बाजार की ओर निकल पड़ा.
कहानी जारी रहेगी.
कहानी का अगला भाग : दोस्त की माँ, बुआ और बहन की चुदाई-2 Hindi sex stories
मैं सुनील शर्मा इंदौर में रहता हूँ और अन्तर्वासना का Hindi Antarvasna Stories नियमित पाठक हूँ। लगभग सारी प्रकाशित कहानियाँ मैंने पढ़ीं हैं। आज मैं पहली बार अन्तर्वासना में अपने जीवन की एक वास्तविक घटना प्रकाशित करने के लिए भेज रहा हूँ। आशा है आदरणीय गुरूजी इसे प्रकाशित करेंगे।
आज से ठीक 3 माह पहले की घटना है। मुझे एक ईमेल मिला ‘मैं संजना (परिवर्तित नाम) हूँ और आपका यह ईमेल पता मुझे अपनी सहेली मीना से प्राप्त हुआ है और मैं आपसे मिलना चाहती हूँ।’
मैंने भी मेल किया- देखो, मैं एक कॉल-ब्वॉय हूँ और यदि आप मेरी सेवाएँ लेना चाहती हों तभी मुझसे सम्पर्क करें।
दूसरे दिन मुझे पुनः मेल मिला और मिलने का समय दोपहर के बाद 2 बजे ट्रेज़र आयलैंड पर तय हुआ और उसने यह भी लिखा कि मैं नीली जीन्स और पीले टीशर्ट में रहूँगी। टीशर्ट पर ‘कैच मी’ लिखा हुआ है। मैं भी निर्धारित समय पर पहुँच गया।
जैसे ही मैं पहुँचा संजना वहीं खड़ी मिली।
मैं जाते ही कहा- मैं सुनील, आपने मुझे मेल किया था।
‘हाँ आप मेरे साथ चलिए, बाकी बातें हम गाड़ी में करेंगे।’
लिफ्ट से नीचे जाकर हम लाल रंग की स्कोडा कार में बैठ गए। जैसे ही हम वहाँ से बाहर आए, उतने बातें करनी शुरु कीं…
मैं शादीशुदा हूँ। शादी किए हुए मुझे 2 साल हो गए हैं पर मैंने अभी तक अपना कौमार्य नहीं खोया है। क्या आप मुझे वह सुख दे सकते हैं जो मुझे मिलना चाहिए था।
मैंने मन में सोचा कि अभी तक जितनी चूतें मिलीं हैं, सभी तो पहले से ही चुदी-चुदाई ही मिलीं हैं। अगर इसे मुफ़्त में भी चोदने को मिले जाए तो क्या यह सपने से कम है!!!’
‘क्या सोच रहे हो?’
‘नहीं… नहीं… कुछ भी नहीं।’
‘कुछ समस्या है क्या?’
‘नहीं…’
‘आपका शुल्क क्या है?’
‘1500 रुपये में एक स्त्री के साथ सम्भोग… और अगर स्त्रियों का समूह हो तो अलग… पूरी रात का पुनः अलग है…’
‘मैं इससे कहीं अधिक दूँगी… कृपया आप मेरे साथ चलिए, आप मेरी मज़बूरी समझ रहे हैं ना?’
‘हाँ… पर चलना कहाँ हैं?’
‘खंडवा रोड पर हमारा फार्म-हाउस है, हम वहीं चलेंगे।’
‘ठीक है… चलो…’
लगभग 50 मिनट बाद हम फार्म-हाउस पर पहुँचे। मेरे मन में एक ही बात चल रही थी कि आख़िर बात क्या है, जो ये हूर की परी होते हुए भी अभी तक चुदी नहीं?
उसने ताला खोला और उस आलीशान फार्म-हाउस के अन्दर ले जा कर सीधे बेडरूम में ले गई। एसी चालू किया और मुझे पानी पिलाया।
‘सुनील कृपया बताओ, क्या हुआ? जब से तुम मुझे मिले हो, कुछ भी नहीं बोल रहे हो?’
‘नहीं… कुछ नहीं… मैं कम ही बोलता हूँ पर ये बात मुझे अभी तक समझ में नहीं आई कि आपने अभी तक सम्भोग नहीं किया?’
‘हाँ… हाँ… हाँ… मैं सच कह रही हूँ, मैं सब कुछ बताऊँगी, पर अभी मुझे संतुष्ट करो। क्योंकि शाम 8 बजे तक मेरे पति घर आ जाएँगे।’ और यह कहते हुए उसने अपनी टीशर्ट उतारी।
टीशर्ट उतारते ही उसकी फिगर देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। मैंने भी अपने सारे कपड़े उतारे और अपने आप पर क़ाबू करते हुए उसकी जीन्स उतारी, अपनी बाँहों में खींच कर गालों पर चुम्बन लेते हुए बिस्तर पर लिटा दिया। संजना की आँखें अभी भी खुलीं थीं। मैंने उसे सिर से लेकर पाँव तक चूमा और धीरे से ब्रा के हुक भी खोल दिए। पेट पर चूमते हुए उसकी पैन्टी निकाल दी।
उसकी चूत से एक अलग ही महक आ रही थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर अपनी ज़बान घुमानी शुरु की। उसने मेरा सिर पकड़ लिया और कमर उठा कर चूत मेरे मुँह में धकेलने लगी। मैं अब उसकी चूत के काफी अन्दर तक अपनी जीभ को पहुँचा पा रहा था और उसकी चूत से निकलने वाले नमकीन पानी को बहुत अच्छी तरह महसूस कर रहा था। मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत में डाली और अन्दर-बाहर करने लगा।
चूत में जब मैंने गहराई तक अपनी ऊँगली पहुँचाई तो उसके कुँवारेपन को मैं महसूस कर चुका था। संजना अपना आपा खोती जा रही थी और मैं भी। पर मुझे तो स्व-नियंत्रण करना ही था वरना इसे संतुष्ट नहीं कर पाता और ना मुझे पैसे ही मिलते। संजना मुझे खींच कर अपने ऊपर ले आई और मेरे होठों को बुरी तरह से चूसना शुरु कर दिया।
उधर मेरे हाथ संजना के स्तनों को मसल रहे थे। संजना पूर्णतः उत्तेजित हो चुकी थी, साँसे गर्म हो चुकी थी, और उसने मुझे ज़ोर से पकड़ा और अपनी चूत को मेरे लण्ड पर रगड़ने लगी। मैं इस स्थिति में था कि अभी अपने अण्डरवियर से लंड निकाल कर इसकी चूत में डाल दूँ। किन्तु अभी ऐसा नहीं कर सकता था- कॉलब्वॉय जो ठहरा। जब तक पार्टनर कुछ कहे नहीं, अपनी मर्ज़ी से कुछ नहीं कर सकते।
मैं उसके स्तनों का मर्दन करता जा रहा था, और निप्पल को ऊँगलियों से दबा रहा था। संजना से अब रहा नहीं गया, उसने मेरे अण्डरवियर को नीचे किया और निकाल फेंका। मैं संजना के ऊपर नग्नावस्था में था। उसके हाथ में मेरा मोटा लण्ड आ चुका था, उसे जाने क्या सूझी, अचानक उसने एक पलटी मारी और वो मेरे ऊपर आ गई।
जैसे ही उसने मेरे लंड को देखा, ऊपर की चमड़ी हटा कर सुपाड़े को बाहर कर दिया और मेरे लंड को मुट्ठी में ज़ोर से पकड़ कर सुपाड़े को फचाक् करके मुँह में ले लिया। मैंने संजना से पूछा- क्या इसे पहली बार देखा है?
उसने कहा- अभी बात नहीं, सिर्फ काम।
और उसने पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया, और कुल्फी की तरह चूसने लगी। उसके मुँह की गर्मी मेरी उत्तेजना को चरम तक पहुँचा रही थी।
मुझे लगा कि यदि यह दो मिनट और चूसती रही तो मैं यहीं ढेर हो जाऊँगा। मैंने अपना लंड उसके मुँह से निकालने की असफल कोशिश की, पर उसने दोनों हाथों से पकड़े हुए टूटी पड़ी रही और चूसती रही…
अब मुझसे रुकना सम्भव नहीं था और वो थी कि लंड को मुँह से बाहर निकलने नहीं दे रही थी, और मैंने आँखें बन्द कर लीं, मेरा लावा अन्दर से फूट पड़ा था, उसने गर्म लावे को अपने मुँह में एकत्रित किया और जब पिचकारी का वेग कम हुआ, तो उठकर उसने वॉश-बेसिन में थूक दिया।
जिस जगह उसकी चूत थी, वहाँ पर मलमल बेडशीट भी गीली हो चुकी थी। अब मुझे अपना असली काम शुरु करना था। झड़ने के बाद मेरे लंड की उत्तेजना थोड़ी कम हो गई थी, जो मेरे लिए अच्छी बात थी। वापिस आकर उसने मेरे लंड को फिर से मुँह में ले लिया और चटखारे ले-लेकर चूसना शुरु कर दिया।
मेरा लंड फिर से तन गया। इस बार 69 की मुद्रा थी। वह लंड को पूरा मुँह में लेकर चूस रही थी। मैं अपनी दोनों उँगलियों को उसकी चूत में डाल कर भग्नासा को जीभ से हिला रहा था। संजना की चूत अब तक फूल चुकी थी। मैंने उसे बिस्तर पर सीधा लिटाया और उठकर अपनी जेब में से मूड्स का पैकेट निकाल कर एक कॉण्डोम निकाला…
‘यह क्या कर रहे हो?’
‘कॉण्डोम है… इसे लगा रहा हूँ… मेरी और आपकी सुरक्षा के लिए यह ज़रूरी है।’
‘पर ये नहीं, प्लीज़ जो मैं लाई हूँ उसका प्रयोग करो।’
उसने अपना गुलाबी पर्स उठाया और उसमें से मेन-फोर्स का स्ट्राबेरी खुशबू वाला कॉण्डोम निकाला और मुझे दे दिया। मैंने अपने लंड पर चढ़ाया और उसे सीधा लिटाकर चूत को गहराई तक चाटकर अपनी लार से उसे तर कर दिया। वह अपनी दोनों टाँगों को उठाकर मेरे कंधे पर रख चुकी थी, और मेरे सिर को पकड़ कर अपनी पूरी चूत में मुँह में घुसेड़ने का प्रयास कर रही थी। मैं लगातार उसकी भग्नासा को जीभ से उत्तेजित कर रहा था।
जब मुझे नमकीन स्वाद का अहसास होने लगा, तब उसके पाँव कंधे से उतारकर चौड़े कर दिए, अपने लंड को उसकी चूत के मुहाने पर रख दिया और एक हल्का सा झटका दिया। लंड का कुछ भाग अन्दर गया और मुझे लगा कि किसी ने मेरे लंड को रोक दिया है। संजना ने आँखें बन्द कर रखीं थीं, और मेरी कमर उसके दोनों हाथों में थी। मैं पूर्णतः सन्तुष्ट हो गया था कि शादीशुदा होते हुए भी अभी तक यह कुँवारी है।
आज मैं इस अक्षत चूत को क्षतिग्रस्त करने वाला था। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर के पास रख दिए, और कहा कि अपने पाँव हाथों के बार निकाल कर चौड़े कर दो। उसने ऐसा ही किया। अब मेरे लंड पर चूत का कसाव थोड़ा कम हुआ। मैंने पूरी ताक़त से चूत में लंड डाला… वह अपने होंठ दाँतों तले दबाते हुए मुझे लगातार अपनी ओर खींच रही थी. मैंने बिना देर किए हुए पूरी ताक़त से झटका दिया।
लंड लगभग आधा अन्दर जा चुका था। उसने मेरी कमर ज़ोरों से पकड़ रखी थी, और लगातार अपनी ओर खींचने का प्रयास कर रही थी। मैंने भी उसके मन की बात भाँप कर एक और झटके के साथ पूरा लंड उसकी चूत में पहुँचा दिया। अब उसने दाँतों से अपने लबों को आज़ाद किया और कहा- 2 मिनट रुको।
मैं अपने लंड पर एक अजीब सी गरमाहट महसूस कर रहा था। मेरी आँखें उसकी गोरी बिना बालों वाली चूत पर एकटक देख रहीं थीं। जैसे ही उसने अपने पाँव मेरे हाथों से निकाल कर सीधे किए तब मेरे लंड पर लगा खून देखकर मैं सबकुछ सम्झ गया।
उसके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि ये अपना दर्द छुपा रही है। ख़ैर मुझे तो उसे सन्तुष्ट करना था, सो मैं लम्बे धक्के मारने लगा। संजना ने मुझे अपनी बाँहों में मुझे जकड़ रखा था। मैं लगातार पूरा लंड बाहर करके फिर से अन्दर डाल रहा था।
कुछ समय बाद संजना ने भी नीचे से मुझे सहयोग दिना शुरु कर दिया। वह कमर उछाल-उछाल कर हर धक्के को प्रतिकार दे रही थी। 15 मिनट तक लगातार चोदते हुए मैंने अपनी गति बढ़ा दी। ए. सी. की ठंडक पूरे कमरे में होने के उपरांत भी हम पसीने में भीगे हुए थे।
मैं अपनी पूरी गति से चोदे जा रहा था, और नीचे संजना पागलों की तरह ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थी -सीईईईसीई… आआआ… सुनील और ज़ोर से डालो… बहुत मज़ा आ रहा है… और और और हम्म्म औरररर हाँ हाँ और… यस्स्स्ससस… यस्स्ससस फक्क… फक्क इट यार… यस… यस… ऑऑऑ यस यस यस गीव मी यस यस फक्क इट यार… फक्क इट प्लीज़…
मैं लगातार लम्बे-लम्बे धक्के लगाते जा रहा था। पूरे 15 मिनट तक यह चलता रहा। उसकी चूत से फच्च-फच्च की आवाज़ें आ रहीं थीं। वह 3 बार झड़ चुकी थी और मैं भी अब चरम उत्कर्ष पर आ गया था। उधर कॉण्डोम फटने का भी डर था सो मैंने भी अपनी पूरी रफ्तार बढ़ा कर वीर्य स्खलित कर दिया।
5 मिनट तक मैं संजना के ऊपर ही लेटा रहा। जब मेरा लंड अपने आप बाहर आया तो मैंने पाया कि पूरा कॉण्डोम खून से सना था।
मैंने संजना की ओर देखा, वह मुझे ही देख रही थी। वह मुझे ऐसे देख रही थी जैसे कोई बहुत ही बड़ा क़िला जीत लिया हो। थकान भरी आवाज़ में उसने कहा- आज मैं समझी कि पेट की भूख से अधिक सेक्स की भूख क्यों होती है! आज आपने मुझे वह अहसास दिलाया है जो शादी के बाद आज तक मेरा पति मुझे नहीं दे पाया।
मैंने बिना कुछ कहे अपने लंड से कॉण्डोम उतारा और बाथरूम में जाकर उसे साफ किया। संजना अपने स्कार्फ से चूत और आस-पास लगा खून साफ करने लगी। जैसे ही मैं बाहर आया, देखा संजना मोबाईल पर बातें कर रही थी।
‘हैलो… हाँ मैं… क्या कर रहे हो?… मैं अभी मीना के साथ बाहर हूँ, रात 9:30 तक घर आऊँगी… ओके!
मैं समझ गया कि वह अपने पति से बातें कर रही थी।
मैंने बिस्तर पर पड़ा मूड्स का पैक उठाया, तभी उसने कहा- इसे अन्दर क्यों रख रहे हो? भला कोई तीर को तरकश से निकालने के बाद वापस भी रखता है क्या?’ यह कहते हुए उसने मूड्स का पैकेट मेरे हाथ से ले लिया और घुटने के बल नीचे बैठकर मेरे सोए हुए लण्ड को अपने मुँह में ले लिया और खींच-खींच कर चूसने लगी।
उसके चूसने से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मेरा लंड पूरी तरह से तन गया। उसने कॉण्डोम चढ़ा दिया।
इस बार मैंने उसे कुतिया बना कर चोदा। उसकी गोरी गाँड उठ-उठ कर मुझसे टकरा रही थी। 10 मिनट तक लगातार चोदने के बाद मैंने लंड उसकी चूत ने निकाल कर ऊपर लगा कॉण्डोम निकाल दिया और लंड को उसके हाथ में पकड़ा दिया। उसने लंड को चूस-चूस कर हाथ से मुठ मारी और चूचियों पर सारा वीर्य निकाला, और फिर से मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चाट कर साफ कर दिया।
बिस्तर पर थोड़ा आराम करने के बाद हमने कपड़े पहने। उसने पर्स से 1000 के चार नोट निकाले और मेरी तरफ बढ़ा दिए। मैंने कहा ‘संजना मैडम, मेरी फीस मात्र 1500 रुपये है। मैं ये नहीं ले सकता।’
उसने मेरे गाल पर चुटकी लेते हुए कहा- ‘सुनील 1500 तो तुम्हारी फीस के बदले और बाक़ी दूध-रबड़ी के लिए हैं। 56 दुकान से पेट भर खाना क्योंकि परसों पूरी रात तुम्हें मेरे साथ बितानी है।’
‘अब चलें, क्योंकि मेरी सास घर आ गई होगी।’ उसने जाने के लिए पूछा।
हम ठीक 8:30 पर वहाँ से निकल गए। रास्ते भर मैंने उससे उसकी वास्तविकता जाननी चाही, किन्तु उसने सारी बातें परसों तक टाल दी।
संजना ने मुझसे मेरा मोबाईल नम्बर ले लया और अपना नम्बर भी मुझे देकर मुझे रीगल स्क्वेयर पर उतार कर क़ातिल मुस्कान चेहरे पर लिए हुए कहा- परसों मैं ठीक 7 बजे कॉल करूँगी और कहाँ मिलना है, कैसे मिलना है बताऊँगी।’
दोस्तों यह कहानी नहीं, एक सत्य घटना है। संजना की वास्तविकता क्या है? शादी के 2 वर्षों के बाद भी क्यों वह आज तक कुँवारी थी, मैं आपको अगले अंक में बताऊँगा।
आपको मेरा यह लघु-प्रयास कैसा लगा, कृपया मुझे बताएँ। Hindi Antarvasna Stories
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