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हॉट वाइफ की चुदाई का नजारा मैंने देखा जब मेरी पड़ोसन अपने पति से चुद रही थी और मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी. मेरे पति आये तो मैं उनसे चुद कर कुछ शांत हुई.
कहानी के पहले भाग
जवान पड़ोसन की चुदाई देखी
में आपने पढ़ा कि मेरे पड़ोस में रहने वाला युगल अपनी शादी की अर्धवार्षिकी के अवसर पर जम कर चुदाई कर रहा था. मैंने खिड़की से छुप कर उनकी चुदाई देख रही थी.
अलका की बेचैनी बढ़ती जा रही थी, उसका जिस्म मचल रहा था.
तभी सचिन ने दूसरी उंगली भी उसकी चूत में डाल दी.
अलका- अआआ … ह्ह्हह … अ..अ … ओय … दर्द हो रहा है … धीरे … कर … ना … अआआ … ह्ह्हह … अब बस कर … अआआ … ह्ह्हह … सचिन … अआआ आआ..ह्ह
तभी अलका एक तेज चीख के साथ थोड़ी ऊपर उठी और धड़ाम से बिस्तर पर गिर कर लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.
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अब आगे हॉट वाइफ की चुदाई:
अलका का हाल देख कर सचिन रूक गया और चूत से उंगली निकाल कर एक हाथ से अपना जॉकी उतार दिया.
उसका मोटा लण्ड उछल के बाहर आ गया.
‘ओह्ह्ह माई गॉड!’ कितना लम्बा था और कितना मोटा सुपारे की चमड़ी के बीच से गुलाबी सुपारा साफ चमक रहा था.
उसके दमदार लण्ड को देखते ही मेरी चूत से पानी टपकने लगा.
मेरा दिल किया कि अभी अंदर जा कर अलका के सामने ही चुद जाऊं.
तभी सचिन ने अलका को उठाया और बेड के साइड में बैठा दिया और खुद नीचे खड़ा होकर उसके होटों पर लण्ड फिराने लगा.
अलका के चेहरे से लग रहा था कि वह चूसने के मूड में नहीं है.
पर सचिन आज बिल्कुल मूड में था.
फिर भी अलका उसके लण्ड को अपने हाथ से पकड़ कर उस दबा रही थी, उसे चूम रही थी.
सचिन का विकराल लण्ड ठुमक रहा था.
इधर मेरी चूत में खलबली मची थी, चूत का रस बह कर मेरी जांघ को गीला कर चुका था.
तभी सचिन ने उसके बाल पकड़ के जोर से खींचा तो दर्द से अलका का मुँह खुल गया और सचिन ने उसके मुँह में मोटा लण्ड ठूस दिया.
अलका की आंखें बाहर को आ गई- अँगुगुगु … गूऊ गूऊ गूऊऊ … गुं गुं गुं ऊऊ!
उसकी आँखों से पानी के कतरे बहने लगे.
फिर सचिन ने अपने लण्ड से अपनी पत्नी का मुखचोदन करने लगा.
‘गूऊगू ऊगूऊऊ गूऊगू ऊगू ऊऊ उम्म्म गु गुं गुं ऊऊ ऊ ऊ ऊ’ ऐसी आवाजें आ रही थी.
सचिन के चूतड़ रिदम में आगे पीछे हो रहे थे.
थोड़ी ही देर में उसके चूतड़ों की थिरकन बढ़ गई.
साफ समझ में आ रहा था कि वह झड़ने की कगार पे था.
अलका भी समझ गई … वह लण्ड को अपने मुख से निकालने की कोशिश करने लगी.
पर सचिन की पकड़ मजूबत थी, एक जोर से हुंकार लेते हुए सचित ने अपना लंड और जोर से उसके मुँह में ठूँस दिया और भरभरा कर झड़ने लगा.
अलका की आँख लाल हो गई थी, आँखों से पानी बह रहा था, पूरा चेहरा लाल था, होटों की दरार से वीर्य की सफ़ेद धार बहने लगी.
सचिन का लण्ड सिकुड़ के बाहर आ गया, सिकुड़ा हुआ लण्ड भी काफी बड़ा लग रहा था.
और तभी मेरी चूत का भी काम तमाम हो गया.
अलका सचिन की पकड़ से छूटते ही मुँह दबा कर बाथरूम की तरफ भागी.
यह देख कर सचिन लण्ड को सहलाते हुए मुस्कुराने लगा, फिर अपना पैग बनाने लगा.
अलका उसके पास आकर उससे उसकी बेहरमी के लिए गुस्सा कर रही थी.
पर सचिन ने उसको बाँहों में भर कर गिलास मुँह में लगा दिया.
अलका एक बड़ा सिप लेकर वैसे ही बिस्तर पर लेट गई.
सच में उसकी चिकनी चूत इतनी गोरी थी … मुझे भी शर्म आ गई क्योंकि मेरी चूत थो इतनी गोरी ना थी.
सचिन उसकी जांघों पर बैठ गया.
उसका विकराल लण्ड पेंडुलम की भांति झूल रहा था. झड़ा हुआ लण्ड भी काफी बड़ा लग रहा था.
सचिन ने उसके बदन पे व्हिस्की गिरा दी और झुक के चाटने लगा.
मोटी जीभ के स्पर्श और ठंडी व्हिस्की ने अलका के बदन में गर्मी ला दी, वासना भर दी, उसे कामातुर कर दिया.
अलका वासना में डूब कर सचिन का मोटा लण्ड पकड़ कर उसे फैंटने लगी.
कुछ ही पल में लड़ अपने विशाल रूप में आ गया.
अलका बोलने लगी- अब डाल भी दो, तुम बहुत तड़पाते हो!
सचिन भी कामातुर था तो उसने भी उसकी टांगों को अच्छे से फैला दिया और बीच में पोजीशन लेकर उसकी चूत पर लण्ड रगड़ने लगा.
उसने अलका के पैरों को अपने कंधे पे रखा और एक हाथ से लण्ड दूसरे से झुक के कन्धा पकड़ा फिर थोड़ा सा दबाव बनाया तो लण्ड ने चूत को फैलाते हुए प्रवेश कर लिया.
अलका का मुँह खुल सा गया.
तभी सचिन ने अपने चूतड़ पीछे किये और एक जोरदार झटके ने पूरा लण्ड अलका की चूत में डाल दिया.
अलका की एक घुटी घुटी सी चीख निकल गई- अहह्ह ऊईई ओह स्सीईई अआईई उईई माँ मर गई आईई ईई उफ्फ़! आह ह्ह्ह माँ आईई मार दिया तुमने मुझे … इतना मज़ा उफ … धीरे से करो सचिन!
और चीख निकले भी क्यों ना … सचिन का लण्ड था ही इतना मोटा!
अलका अभी भी कमसिन सी लड़की ही लगती थी और शादी को भी छह महीने ही हुए थे.
उसकी चूत सचिन के मोटे लण्ड के हिसाब से और रोज़ चुदने के बावजूद अभी भी छोटी ही थी.
सचिन के भारी चूतड़ रिदम में आगे पीछे होने लगे.
इधर मेरी उंगली लोअर के अंदर चूत में अंदर बाहर हो रही थी, उधर अलका की चूत में लण्ड अंदर बाहर हो रहा था.
अलका बस सिसकारी भर रही थी- आआ आहह आईईइ म्म्म्म म्मम अहहा उम्म … उम्म्ह … अहह … हय … याह … आऽऽह … उम्मम्म … ऊऊहह … अआआआ … अहहन्न न्न्न्न्ना … आआ … आह्ह्ह हईई … ऊओहन नाह्ह्ह्ह्ही ईईइ!
‘फ़च … फ़च … फ़च … फ़च …’ की मधुर और मंद आवाज़ के साथ सचिन लंड को चूत के भीतर-बाहर हो रहा था.
‘इईई … श्शस्शह … अअ … उम्म्ह … अहह … हय … याह … आआआ … ह्ह्ह् … हाहाहा आआआ …’ काम में डूबी अलका अलका की आवाज़ से साफ पता चल रहा था कि वह किस आनंद के सागर में गोते लगा रही थी.
वह कई बार शिथिल सी हो जाती थी पर सचिन के शॉट रुकते नहीं थे.
तभी सचिन ने लण्ड निकाल कर उसको घोड़ी बनने का इशारा किया.
तो अलका तुरंत पलट गई.
सचिन ने झुक के उसके चूतड़ को चाटा और चूतड़ पर एक जोर से चांटा मारा.
अलका चीख पड़ी- आअह्ह उफ उईई ईई!
सचिन का लण्ड रोशनी में चूत के रस में भीगा हुआ चमक रहा था.
उसने अलका का कन्धा पकड़ा और एक बार फिर लण्ड को अलका की चूत में उतार दिया.
अलका फिर कराही- उईई माँ … मार डाला!
वह सही कहती थी, काफी देर सचिन उसको चोद रहा था पर अभी तक उसका वीर्य नहीं निकला था.
मेरे अंदर ताकत नहीं थी कि मैंने और खड़ी रह सकूं.
सचिन के चूतड़ हिल रहे थे तो बीच बीच में वो झुक के चूचियां भी मसलने लगता.
तभी सचिन ने एक जोर से हुंकार भरते हुए उसकी चूत में अंदर तक लण्ड घुसा दिया और अलका के जिस्म पर गिर गया.
अलका उसके नीचे दबी हुई थी.
मैं भी वही फर्श में बैठ गई और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.
फिर मैं किसी तरह उठ के अपने घर आ गई.
घड़ी में करीब 12 बजे थे.
मैं उन दोनों की लम्बी चुदाई का एक राउंड देखकर आई थी तो मेरी चूत को लण्ड की जरूरत थी.
पर अखिल अभी आया नहीं था, मुझे उसपर गुस्सा भी आ रहा था कि वह मेरी जगह अपने बॉस के साथ गांड मरा रहा था.
तभी अखिल का कॉल आ गया, बोला कि वह थोड़ी देर में घर आ जायेगा.
मैं तुरंत उठी और फटाफट शावर में जाकर अपनी चूत और गांड को को अच्छे से साफ किया.
मैंने एक ट्रांसपेरेंट मिनी मिडी पहनी और हल्का सा तैयार होकर अपनी चुदाई का इंतज़ार करने लगी.
तभी अखिल भी आ गया.
उसके चेहरे से लग रहा था कि साला बहुत थका है.
पर उसने जब देखा कि मैं बिना ब्रा पैंटी के मिडी में हूँ तो एक अच्छे पति की तरह वह समझ गया कि मैं चुदाई के लिए मचल रही हूँ.
तो वह फटाफट शावर ले बिस्तर पर आ गया.
मैं उसके आते ही उसका लण्ड चूसने लगी.
लण्ड भी तुरंत तैयार हो गया.
मेरी चूत तो सचिन का लण्ड सोच सोच के ही गीली थी.
तो हम दोनों ने एक राऊण्ड धमाकेदार चुदाई की.
मैंने अखिल के लण्ड को अपनी गांड उछाल उछाल के अपनी चूत में लिया.
इस बीच मैं दो बार झड़ भी गई जब अखिल का रस निकला.
हॉट वाइफ की चुदाई हो चुकी थी पर मेरा दिल नहीं भरा था तो अखिल का लण्ड फिर से चूसने लगी और कुछ ही देर में मैं उसके ऊपर आ के अपनी गांड उछाल उछाल कर लण्ड चूत में लेने लगी.
अखिल भी जोश में आ गया, वह दोनों हथेली से चूतड़ को पकड़ कर मुझे उछालने लगा.
कुछ समय में मेरा जोश ठंडा हो गया और मैं उसके सीने पर गिर सी गई.
पर उकसाया तो मैंने था अखिल को … तो उसने वैसी ही मुझे बिस्तर पे गिरा के साइड से चोदना शुरू कर दिया.
‘अआआ … इईई ईई … अआउऊचच … ओय्ययय … अआआ … ह्ह्हह … अ..आउच … अआआहह अआआ … ह्ह्हह!’
और एक बार फिर सचिन ने मेरी चूत में अपना सारा वीर्य उड़ेल दिया.
हम दोनों इतने थक चुके थे कि उसी तरह सो गए.
सुबह होने के साथ एक नए दिन की शुरुआत हुई.
अखिल काम पर चला गया क्योंकि उसके बॉस आये हुए थे.
मुझे अलका से बात करने की जल्दी थी तो मैंने अपना सारा काम फटाफट निपटाया.
मैं नहा कर निकली ही थी कि अलका आ गई.
मैंने हम दोनों के लिए कॉफ़ी बनाई और उससे दूसरी सुहागरात के बारे में पूछने लगी.
अलका ने थोड़ी शरमाते हुए बताया कि पूरी रात सचिन ने उसको चोदा. करीब 4 बजे वे दोनों सोये थे. उसकी चूत में दर्द हो रहा है. दो बार सिकाई कर चुकी है फिर भी दर्द है. निप्पल में जलन हो रही है.
मेरे दिलोदिमाग में सचिन का लण्ड छाया हुआ था … बस उसका लण्ड अपनी चूत में लेने का दिल कर रहा था.
मुझे पता था कि अखिल को अलका की चूत मिलेगी तो वह मुझे सचिन से चुदने के लिए मना नहीं करेगा.
पर कैसे?
एक बात मैंने पक्की कर ली कि पति को बता कर ही सचिन से चुदाई करवाऊंगी और अलका को भी किसी न किसी तरह, किसी भी बहाने से अखिल से चुदने के लिए राज़ी कर लूंगी.
इसलिए मैं अलका से सेक्स के बारे में ज्यादा बात करने लगी थी, पराये मर्द से चुदाई की कहानी, विडियो उसके साथ शेयर करने लगी.
साथ ही साथ मैं उसको यह भी बोलती कि अखिल उसको बहुत पसंद करते हैं.
मैंने उसे बताया- अखिल बोलते हैं कि अलका बहुत खूबसूरत है, उसका मांसल बदन बहुत अच्छा है. चूचियां भी भरी भरी हैं.
ये सब सुन कर अलका शुरू में तो शर्मा जाती थी, कहती- धत दीदी, आप भी ना!
पर धीरे धीरे वह भी उन सब बातों को पसंद करने लगी, उसको इन सब बातों में रस आने लगा.
वह अखिल से भी खुलने लगी, मज़ाक भी करने लगी थी.
अगर कभी मैं अखिल की बात नहीं करती तो वह खुद ही उसकी बात करने लगती.
तो मैं उसको बोलती कि रात को उसने दो बार चुदाई की. देर तक मेरी चूत चाटी.
ये सब सुन कर अलका कसमसाने लगती, उसका चेहरा लाल हो जाता.
मेरी भी समझ में आ जाता कि अलका की पैंटी गीली हो रही है.
फिर एक दिन अलका ने बोला- दीदी, अगर मैं अखिल को सचमुच पटा लूं तो आप क्या करेंगी?
मैं- करना क्या है … तू अखिल को पटायेगी तो मैं सचिन को पटा लूंगी. उसका लण्ड भी तो सख्त और मोटा है. जब तेरे पति मुझे चोदेंगे और मेरा पति तुझे चोदेगा तो हम दोनों की दोस्ती और पक्की हो जाएगी.
तो हंस कर अलका मेरे से लिपट गई.
इधर दूसरी तरफ मैं अखिल को बताती कि अलका उसको पसंद करती है बहुत!
मैं उसको बोलती- तुम सम्भोग में मेरी चूत जम के चूसते हो तो वह काफी उत्तेजित हो जाती है.
ये सब सुन के अखिल भी खुश हो जाते, बोलते- अलका काफी खूबसूरत है. किसी रोज़ लाओ उसको बैडरूम में … तो उसको भी अपनी मर्दानगी स्वाद चखा दूँ.
तो मैंने अखिल से झूठ बोल दिया- अलका तो कब से बेचैन है तुम्हारे से अपनी चूत चुसवाने को … पर मैंने ही हामी नहीं भरी. आखिर तुमसे पूछना भी तो जरूरी था!
अखिल- कमाल करती हो जान … ऐसे काम में पूछा नहीं जाता है. अलका जैसी मांसल और गठीली औरत को चोदने को तो मैं आधी रात को भी तैयार हूँ.
“तो ठीक है, फिर मैं अलका को आज ही ग्रीन सिग्नल देती हूँ. पर अगर तुम अलका को चोदोगे तो मैं भी सचिन से चुदवाऊंगी. फिर तुम मुझे मत टोकना!”
अखिल- कैसी बात करती हो जान, यह भी कोई टोकने की बात है. हम लोग पढ़े लिखे नए ज़माने के लोग हैं. मुझे तो अच्छा लगा कि तुमने अपनी दिली इच्छा खुल कर बताई. तुम भी सचिन के साथ खुल कर चुदाई का मज़ा लो. चार दिन की तो जवानी है, इसका खुल के मज़ा लेना चाहिए.
अब मैं बिल्कुल निश्चिन्त थी कि जल्द ही सचिन का लण्ड मेरी चूत में होगा.
और यह भी पता था कि अलका भी अखिल से अपनी चूत चटवाने के लिए मचल रही है.
पर मैं अलका को अखिल से चुदवाने पहले खुद सचिन से चुदना चाहती थी.
तो मैं इंतज़ार कर रही थी कि कब अलका अपने मायके जाये और मैं सचिन से चुदाई करवा लूं.
मेरा नाम तनय Hindi Sex Stories है, मैं इन्दौर का रहने वाला हूँ। मेरी कपडे की दुकान है। र्मैं 32साल का हूँ, दिखने में आम लोगों जैसा हूँ। मेरी बीवी तृष्णा 26 साल की सांवली, सुन्दर और सेक्सी बदन की है। वो बहुत ही कामुक है, हम दोनों बहुत सेक्स करते हैं, सेक्सी बातें, ओरल सेक्स सभी प्रकार के सेक्स का मजा लेते हैं।
मैं नेट पर अश्लील वेब साइट देखता हूँ खासकर अन्तर्वासना की कहानियाँ बहुत पढ़ता हूँ। एक कहानी, जिसमें एक युगल केरल में छुट्टी मनाने जाता है, वहाँ मालिश वाले से उस युवक की बीवी मालिश के साथ साथ सेक्स भी करती है, इस प्रकरण में युवक को अपनी बीवी को किसी और के साथ सेक्स करते देखने में बहुत मजा आता है।
यह कहानी पढ़कर मेरे मन में आया कि क्या मैं भी ऐसा कर सकता हूँ? और यही सोच मुझे नये कार्य को करने के लिए प्रेरित करने लगी।
अपनी बीवी को किसी और के साथ सेक्स करने के लिए प्रेरित कैसे किया जाये, मैं यह सोचने लगा। मैंने उसे सबसे पहले अन्तर्वासना की कहानियाँ पढ़वाई। फिर उसे लम्बे लम्बे लंडों के फोटो दिखाए, सेक्स क्लिप, लंड चूसने वाले चित्र चलचित्र दिखाए।
15 दिनों की मेहनत के बाद एक रात अपने मोबाईल पर उसे खड़े लंड के फोटो दिखा कर सेक्सी बातें करते हुए मैंने उससे मजाक में पूछा- क्या तुम किसी दूसरे लंड के साथ सेक्स करना चाहोगी?
उसने भी मजाक करते हुए कहा- यदि तुम करने दो तो मैं कर लूँगी!
फिर क्या था, मैं उसे रोज रात को सेक्स करते हुए दूसरे के साथ सेक्स करने की बातें करते हुए उसकी प्यास बढ़ाता रहा और दिन में नेट पर अन्तर्वासना फोरम के जरिये एक ऐसे लड़के की तलाश करता रहा जो मेरी बीवी के साथ सेक्स के लिए तैयार हो और वो हमको जानता भी ना हो क्यूंकि हम एक अच्छे परिवार से हैं, यदि किसी ऐसे के साथ सेक्स किया जाये जो हमें जानता है तो इसमें हमारी इज्जत पर आंच आ सकती थी।
करीब 25 लड़कों से मैंने नेट पर बात की। इनमें से एक लड़का विक्रम राज जो इंदौर का ही रहने वाला है, मैंने उससे बात को आगे बढ़ाया। विक्रम एक कॉलेज का छात्र है, वो ऍम.बी.ए. कर रहा है, मेरे घर से लगभग 18 किलोमीटर दूर शहर के दूसरे छोर पर रहता है और हम दोनों में से किसी को भी नहीं जानता था।
मैंने सबसे पहले विक्रम से एक मुलाकात की। विक्रम दिखने में चेहरे से ज्यादा सुन्दर तो नहीं है पर वो एक गठीले शारीर का मालिक है, साथ ही वो एक समझदार लड़का है।
सेक्स करने के लिए जगह को उसी के कमरे को तय किया गया। तारीख 11 फ़रवरी, 2010 दिन गुरुवार, समय दिन के 12 बजे। इस बात को मैंने मेरी बीवी से छिपा कर रखा, मैं उसे चकित कर देना चाहता था।
बुधवार की रात मैंने तृष्णा के बदन की मालिश और नीचे के बाल साफ़ करते हुए कहा- कल सुबह जल्दी गृहकार्य निबटा लेना, मार्केट जाना है!
दूसरे दिन सुबह वह घर के सभी काम समाप्त करके मार्केट जाने के लिए तैयार हो गई। उसने काले सफ़ेद रंग का सलवार सूट पहना था, सूट में वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी। ऐसा नहीं लग रहा था कि उसकी शादी हो गई हो।
हम दोनों मेरी मोटरसाइकल पर नियत स्थान के लिए रवाना हुए। उसे अभी तक नहीं मालूम था कि हम कहाँ जा रहे हैं। शहर को पार करने के बाद वो मुझसे बोली- हम कहाँ जा रहे हैं? मैंने उसे बातों में टाल दिया।
विक्रम एक बहुमंजिली इमारत के तीसरे माले पर रहता है। अपार्टमेन्ट के नीचे पहुँच कर मैंने अपनी बीवी को कहा- आज तुम अपनी दूसरे लंड की प्यास को बुझा लो!
वह यह बात सुनते ही थोड़ा सहम गई, मैंने उसका हाथ पकड़ा और सीढ़ियों के रास्ते हम तीसरे माले पर जाने लगे। चूंकि मेरे लिए भी यह पहला अवसर था तो डर मुझे भी लग रहा था। कमरे के सामने पहुँच कर मैंने दरवाजा खटखटाया। जैसा मुझे यकीन था कि दरवाजा खोलने वाला विक्रम ही होगा, उसने दरवाजा खोला।
मेरी बीवी ने उसे देखते ही मेरा हाथ कस के पकड़ लिया, उसका गला थोड़ा सूखने लगा, धड़कन तेज हो गई, सांसो में थोड़ी तेजी आ गई।
हम अन्दर आ गये, विक्रम ने हमारा स्वागत हाथ मिला कर किया। विक्रम ने दरवाजा बन्द कर दिया। तृष्णा दरवाजे के बगल में लगे डबलबेड पर बैठ गई। उसने पीने के लिए पानी माँगा जो विक्रम ने उसे दिया। अपने गले को पानी से तर करते हुए उसने अपने आप को थोड़ा संभाला और आगे की प्रक्रिया के लिए आपने आप को तैयार किया। मैंने इशारे से विक्रम को तृष्णा के पास बैठने को कहा।
वो धीरे से तृष्णा के पास बैठ गया, तृष्णा की सांसें और तेज हो गई। मेरे इशारा करते ही विक्रम ने एक हाथ तृष्णा की जाँघ पर रख दिया। हाथ का स्पर्श पाते ही तृष्णा की आँखें बंद हो गई, सांसें और तेज हो गई। वो अपने आप को सामान्य करने की कोशिश कर रही थी पर कर नहीं पा रही थी। उसकी इस हालत को मैं और विक्रम भली प्रकार से समझ सकते थे क्यूंकि हम दोनों की भी कुछ हालत इस प्रकार थी।
विक्रम के हाथ के स्पर्श ने अब तृष्णा के सेक्स करने की चाह को और प्रबल बना दिया था। अब विक्रम को इशारे की जरुरत नहीं थी, उसने एक मंझे हुए खिलाड़ी के समान अपना काम शुरू कर दिया।
पहले उसने बड़े प्यार से तृष्णा के शरीर को छूना शुरू किया, विक्रम के हाथ तृष्णा के स्तनों पर स्पर्श करते ही तृष्णा के मन में काम वासना जागने लगी। विक्रम का हाथ अब तृष्णा के स्तनों की गोलाई नापने लगा। वो अब गर्म सांसें छोड़ने लगी, आँखे बंद, एडी से दूसरे पाँव को दबाते हुए अपने बदन की अंगड़ाई लेते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा था कि अब कामदेव तृष्णा के शरीर में समा गए हों।
अपने दोनों हाथों से विक्रम तृष्णा की कुर्ती को पकड़ कर निकालने लगा तो तृष्णा ने उसके हाथ पकड़ लिए फिर छोड़ दिए। कुर्ती जैसे ही ऊपर हुई तृष्णा की काले रंग की पारदर्शी ब्रा दिखने लगी। ब्रा के अन्दर से दोनों चूचियाँ दिखने लगी। अगले ही पल तृष्णा सलवार और ब्रा में थी। उसकी सुन्दरता देख कर मेरा लंड सख्त हो गया। जब मेरा यह हाल था तो विक्रम का क्या हाल होगा, यह विचार मेरे मन में आया।
मेरी नजर विक्रम की पैंट पर पड़ी, उसका लंड पैंट फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो रहा था। फिर विक्रम ने ज्यादा देर न करते हुए खुद के भी कपड़े बदन से अलग करके केवल अन्डरवीयर में आ गया। अन्डरवीयर से उसका खड़ा लंड अब अच्छे से दिख रहा था। उसने धीरे से मेरी बीवी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके स्तनों का रसपान करने लगा। मेरी बीवी आँखें बंद करके सेक्स का मजा लेने लगी।
दस मिनट तक दुग्धपान करने के बाद विक्रम ने तृष्णा की सलवार उतारी। सलवार के उतरते ही तृष्णा थोड़ा शरमाई पर अब शर्म कम और वासना ज्यादा लग रही थी। पारदर्शी पैंटी में मेरी बीवी अति कामुक दिख रही थी। उसकी ऐसी खूबसूरती मैंने पहले कभी ना देखी थी। वो आज कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही थी, ऐसी दिख रही थी जैसे कामदेव की पत्नी रति हो।
विक्रम ने तृष्णा की पैंटी भी निकाल दी, अब तृष्णा पूर्ण रूप से नग्न अवस्था में दो पुरुषों के सामने लेटी हुई उन्हें कामक्रीड़ा के लिए आमंत्रित कर रही थी। तृष्णा की बाल रहित चूत देख कर विक्रम एक भूखे शेर की तरह तृष्णा पर टूट पड़ा और तृष्णा की चूत को चाटने लगा।
इससे आगे की कहानी दूसरे भाग में! Hindi Sex Stories
इस घटना ने शिल्पा को Antarvasna भी हम लोगों के प्रति बोल्ड कर दिया था. शिल्पा शाम को चली गई, मेरा भाई भी तीन दिन बाद चला गया, कोई दस दिन बाद मेरे पति टूअर से लौटे. इस बार भी वे तरह तरह के प्रसाधन लाये थे, शाम के वक्त घर में घुसे तो घुसते ही मुझ पर टूट पड़े, उन्होंने कपडे भी नहीं बदले और मुझसे लिपट गये. मैंने दरवाजे को जब तक लोंक किया तब तक वे मेरे गाउन को हटा चुके थे और देखते ही देखते मेरी ब्रा को हटा स्तनों से सरका कर मेरे स्तनों को चूसने लगे.
“ओफ्फो… तुम सारे भाई बहन एक जैसे हो! घर में आकर पानी वानी पीने के स्थान पर मेरे स्तनों पर टूट पड़ते हो!” मैंने उनके सिर पर हाथ फ़ेर कर कहा.
वह चौंके और स्तन के निप्पल को मुंह से निकाल कर बोले- क्या मतलब है तुम्हारे कहने का? तुमने मेरे साथ मेरी बहन का जिकर क्यों किया?
“इसलिये किया क्योंकि आपके यहाँ से उस दिन जाते ही आपकी बहन शिल्पा आई थी, वो भी दरवाजा खुलते ही मेरे ब्लाउज को खोलने लग पड़ी थी!” मैंने हंसते हुए कहा.
“क्या!? क्या शिल्पा को भी यह सब पसंद है?” उन्हें आश्चर्य हुआ.
“फिर क्या हुआ?” उन्होंने मुझे अपनी बाजूओं में उठा कर बैडरूम की ओर चलते हुए पूछा.
मैं उनकी टाई की नॉट ढीली करती हुई बोली- जब वह यहाँ पहुंची थी तब मैं अपने भाई के साथ बाथरूम में थी, हम दोनों नहा रहे थे.
“साथ साथ नहा रहे थे… तब तो बड़ा मजा आ रहा होगा! चलो, अपन भी साथ साथ नहाते हैं, नहाते नहाते सुनेंगे पूरा किस्सा! उन्होंने बैडरूम में प्रवेश होते होते अपने कदम बाथरूम की और मोड़ कर कहा.
मजा तो आना ही था…! मेरा भाई मुझे साबुन लगा कर मुझे बुरी तरह गर्म चुका था, वह मेरी योनि को चाट ही रहा था कि तुम्हारी बहन ने कॉल बेल बजा दी, हम दोनों का मूड ऑफ़ हो गया. मैं उसे प्यासा छोड़ बाथरूम से निकली और जल्दी जल्दी साड़ी ब्लाउज पहन कर दरवाजे पर पहुंची. दरवाजा खोला तो पाया कि सामने गहरे गले के टॉप और घुटनों तक की चुस्त स्कर्ट में अपनी उफनती जवानी लिये शिल्पा खड़ी थी.
मेरे इतना कहते कहते मेरे पति ने मुझे बाथरूम में ले जाकर मुझे फर्श पर उतार दिया और मुझे दीवार के सहारे खड़ा कर दिया. फिर मेरे होंठों को चूमने के बाद मेरे स्तनों को चूम कर बोले- फिर… फिर क्या हुआ… कहती रहो और मुझे इन झरनों से अपनी प्यास बुझाने दो!
इतना कह कर उन्होंने फिर मेरे स्तन पर मुंह लगा दिया. मेरे शरीर में आग भरती जा रही थी, मेरे हाथों ने उनकी टाई निकालने के बाद उनके कोट को भी उतार दिया था, अब शर्ट के बटन खुल रहे थे.
शर्ट के बटन खोलते खोलते मैं बोली- उफ… उफ… शिल्पा ने भीतर आते ही रंगीन मजाक आरंभ कर दिये, मेरे महकते रूप की तारीफ़ करने लगी, मैं समझ गई कि लड़की प्यासी है, मेरी बातों को… उफ… उफ… आहिस्ता आहिस्ता चूसिये इन्हें… आप तो पागल हुए जा रहे हैं… उफ… मेरे पति पागलों की भांति ही मेरे स्तनों का दोहन सा कर रहे थे, मेरे होंठों से सिसकारियाँ फूटने लगी थी, ऐसा लग रहा था जैसे नाभि में कोई तूफ़ान अंगडाई लेने लगा है.
मैंने उत्तेजना से उत्पन्न होने वाली सिसकारियों को अपने दांतों तले दबा कर एक लंबी सांस छोड़ी फिर कहना शुरू किया- शिल्पा को मैं चाय बनाने के लिए अपने साथ रसोई में ले गई तो उसने… उफ… ऑफ… ओफ्फो… क्या कर रहे हैं आप…? क्या कोई ट्रेनिंग लेकर आये हैं कहीं से स्तनों के साथ इस तरह पेश आने की… आज तो आप मेरे स्तनों को झिंझोडे डाल रहे हैं आज…
मेरे इस तरह कहने से उन्होंने स्तन से मुँह हटा कर मेरे होंठ चूम कर मनमोहक ढंग से कहा- क्या तुम्हें मजा नहीं आ रहा? अगर मजा नहीं आ रहा है तो मैं इन्हें आहिस्ता आहिस्ता चूसता हूँ.
“मजा तो बहुत आ रहा है, इतना आ रहा है कि ऐसा लगता है जैसे मैं आज कण कण होकर बिखर रही हूँ. ठीक है तुम ऐसे ही चूसो!” मैंने उनकी शर्ट को उनकी बाजुओं से निकाल कर कहा.
“तुम शिल्पा वाली बात तो बताओ…” उन्होंने यह कह कर स्तन के निप्पल को फिर मुंह में ले लिया और अपने हाथों को मेरे नितंबों पर ले जाकर नितंबों की मालिश सी करने लगे.
मैं उनकी बेल्ट खोलते हुए बोली- फिर एक ओह्ह.. उफ… ऊई… फिर हाँ मैं..उफ… मैं कह रही थी कि शिल्पा को मैं रसोई में ले गई तो उसने वहाँ पहुँचते पहुँचते ही मेरे ब्लाउज में हाथ डाल दिया और मेरे स्तनों को चूसने की इच्छा जाहिर की और यह भी बताया कि अपनी सहेली के साथ लेस्बियन लव का आनन्द लेती है. मेरी… उफ… ओह… अपने पति के द्वारा अपनी योनि में मौजूद भंगाकुर को मसले जाने से मेरे कंठ से कराह निकल गई- उफ… ये शावर तो खोल लो… नहाना भी साथ साथ हो जायेगा!
मैं इतना कह कर पुनः विषय पर आई- मेरे शरीर में मेरे भाई ने पहले ही कामाग्नि भड़का डाली थी, शिल्पा द्वारा स्तनों को पकड़ने मसलने और उसकी स्तन पान की इच्छा ने मुझे और उत्तेजित कर डाला था. उसे तब तक पता नहीं था… उफ… ओह… ओफ…
मेरे पति अब मेरे स्तनों को छोड़ कर नीचे पहुँच गए थे, उन्होंने मेरी योनि पर मुख लगा दिया था, अब वो मेरे भंगाकुर को चूसने लगे थे.
मैं उनके बालों में अंगुलियाँ फंसा कर मुट्ठियाँ भींचने लगी, उनकी इस क्रिया ने मेरी नस नस में बहते रक्त को उबाल सा दिया था, मुझे अपनी उत्तेजना ज्वालामुखी का सा रूप लेती महसूस हुई, मुझे रोम रोम में फूटते कामानन्द के कई घूंट भरने पड़े.
“सुनाओ न आगे क्या हुआ…?” मेरे पति ने अपना मुख मेरी योनि से पल भर के लिए हटा कर कहा.
“तुम शावर खोलो, मैं आगे बताती हूँ…” अपनी साँसों को संयत करने का असफल प्रयास करती हुई बोली.
“ओफ़्फ़… फिर शिल्पा के सामने मेरा भाई आ गया, वह रसोई के बाहर खड़ा होकर पहले से हम दोनों को देख भी रहा था और हमारी बातें भी सुन रहा था, मेरा भाई सिर्फ अंडरवीयर में था, वह भी पहले से उत्तेजित था इसलिए उसका बृहद आकार में फैला लिंग अंडरवीयर में से भी उभरा उभरा दिखाई दे रहा था. शिल्पा की दृष्टि उसके अंडरवीयर पर टिक गई, मैं समझ गई कि उसने अभी तक लिंग के दर्शन नहीं किए हैं, ओह… उफ आउच… ओह…
इतनी कहानी सुनते सुनते ही मेरे पति ने अपने लिंग का मुंड मेरी योनि में प्रविष्ट करा दिया, वे शावर वह खोल चुके थे.
मैं उनके द्वारा हुए लिंग प्रवेश से आवेशित होने लगी थी, मेरे हाथ उनके कन्धों से पीठ तक बारी बारी से कस रहे थे, मेरी साँसें तीब्र हो रही थी, मादक सिसकियों की अस्फुट ध्वनियाँ रह रह कर मेरे कंठ से उभर रही थी.
मेरे पति ने लिंग का योनि में घर्षण करते हुए कहा- स्टोरी का क्या बना…! आगे क्या तुमने अपने भाई से शिल्पा की प्यास बुझवा दी?… ओह… कितना मजा आ रहा है!
शावर के नीचे मैथुन करने में… उफ… वह लिंग को आगे तक ठोक कर बोले. उनके हाथों में मेरी पतली कमर थी, उनकी जांघें मेरी जाँघों से टकरा कर विचित्र सी आवाज पैदा कर रही थी.
“हाँ… उफ… ओह… ऊई मां… तुम क्या मोटा कर लाये हो अपने लिंग को… इससे आज ज्यादा ही आनन्द मिल रहा है…” मुझे वाकई पहले से ज्यादा मजा आ रहा था, मैं फिर स्टोरी पर आई- बड़ा मजा आया था… शिल्पा को मेरे भाई ने पूरा मजा दिया था… खूब जोर जोर के धक्के मारे थे… मैंने बताया और लिंग प्रहार से उत्त्पन्न आनन्दित कर देने वाली पीड़ा से मेरे शरीर के रोयें रोयें में पुलकन थी, कंठ खुश्क हो गया था, मेरी जीभ बार बार मेरे होठों पर फिर रही थी.
थोड़ी देर में मेरे पति ने मेरी मुद्रा बदलवाई, अब मेरी पीठ उनकी ओर हो गई, मैंने जरा झुक कर दीवार में लगी नल को पकड़ लिया, वह मेरी योनि से लिंग निकाल चुके थे और अब मेरी गुदा(गांड) में प्रवेश करा रहे थे. गुदा में लिंग पहले ही प्रहार में प्रवेश हो गया, उन्होंने मेरी कमर पकड़ कर खूब शक्ति के साथ धक्के मारे और गुदा में ही स्खलित हो गए, मैं भी स्खलित हो चुकी थी.
फिर हम दोनों एक दूसरे से लिपट कर देर तक नहाते रहे.
कहानी जारी है. Antarvasna
मेरी भाभी बहुत ही ख़ूबसूरत व Antarvasna सेक्सी है। उसका नाम रिया है। वह एक पंजाबी है और उसकी उम्र 24 साल है। उसकी फ़िगर तो मस्त है ही साथ में गांड भी लाजबाव है। उसके मम्मे बिल्कुल बड़े-बड़े और भरे-भरे हैं और वे पहाड़ की तरह कसे और खड़े रहते हैं। एक तरह से अब वह मेरी पत्नी है। यह घटना सात महीने पहले घटी थी।
मेरे भैया काम पर हमेशा लम्बे समय के लिए जाते थे, क्योंकि वह एक बड़ी कम्पनी के सेल्स मैनेजर थे, जिसकी वजह से उन्हें काफी यात्रा करनी पड़ती थी। मैं भाभी के साथ बहुत सारा समय अकेले बिताता था। पहले तो मैंने उसे कभी भी सेक्स के नज़रिये से नहीं देखा।
एक बार मेरे दोस्त रोहित, हमारे एक अन्य दोस्त मनीष से कह रहा था- रिया ज़बरदस्त माल है यार। क्या गांड है उसकी। उसका पति साला छक्का है।
मनीष ने कहा- उसे तो देखते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है। समझ में नहीं आता सुनील ख़ुद को कैसे रोक पाता है। ऐसी गांड के लिए तो मैं उसकी पाद भी सूँघने को तैयार हूँ।
उनकी ये अश्लील बातें सुनकर मैं थोड़ा बौखला भी गया, और थोड़ा उत्तेजित भी हो गया। हाँलाकि मैं इस बात से सहमत था कि रिया काफी सेक्सी औरत है। उस दिन के बाद से मैं उसे चोदने के नज़रिये से देखना लगा।
जब भी वह झाड़ू लगा रही होती तो मैं साड़ी के अन्दर उसकी मस्त गांड देखता रहता और उसके साथ चुम्बन करते हुए नहाने की कल्पना कर रहा होता। जब वह नीचे झुकती तो, मुझे उसकी चूचियों और उसके बीच की घाटी को भी देखने का मौक़ा मिलता था। वे शानदार थे, और जब वह झाड़ू लगाती, या फर्श पर से कुछ चीजें जमा कर रही होती तो वे हिलते और उछलते थे। ऐसा करते हुए जब वह मुझे देखती तो मैं झेंप जाता…
धीरे-धीरे हम एक दूसरे से खुलने लगे। वह मेरी गर्लफ्रेण्ड वगैरह के बारे में पूछती। फिर मैं उसे सेक्सी चुटकुलों वाले एस. एम. एस. सुनाता तो वह दिल खोल कर हँसती। मैंने भी उससे कहा कि मुझे कुछ अश्लील चुटकुले सुनाओ, तो उसने भी थोड़े चुटकुले सुनाए।
मैं अपनी भाभी के प्रति आकर्षित होता जा रहा था, उसके प्रति मेरी दीवानगी बढ़ती जा रही थी और मैं उसके नाम से रात को मुट्ठ भी मारता था। पर वह अलग कमरे में सोती थी।
एक दिन ऐसा हुआ कि मैं एक दोपहर उसके साथ लिविंग-रूम में बैठकर टीवी देख रहा था। भैया शहर से बाहर गए हुए थे। अचानक एक सेक्सी और ज़ोरदार पादने की आवाज़ ने शांति भंग कर दी। इसमें एक धमाके जैसी आवाज थी और गैस खत्म होने के साथ ही आवाज़ भी धीरे-धीरे बन्द होती गई।
जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा, वह शरमा गई। उसके बाद एक अजीब सी बू आई। पर मैं उत्तेजित हो रहा था क्योंकि किसी ख़ूबसूरत औरत के हवा छोड़ने का अनुभव असामान्य बात थी।
मैंने मज़ाक में कहा- आपकी तो पाद भी सेक्सी है!
उसने मुँह बनाकर कहा- तो फिर सूँघो।
वह मुझसे नज़रें नहीं मिला पा रही थी, फिर मैंने बात को सँभालने के लिए उससे कहा- कोई बात नहीं। क्यों तुम भैया के सामने कभी नहीं पादती?
उसने कहा- वह घर पर रहते ही कब हैं!
मैंने मुँह बनाते हुए कहा- भाभी, जब भी आपको भैया की ज़रूरत होती है, वह घर पर ही नहीं होते हैं, क्या आपको बुरा नहीं लगता?
वह मुस्कुराई और कहा- तुम हो ना यहाँ पर, फिर मुझे क्या समस्या है?
मैंने उत्तर दिया- या तो अशोक भैया चूतिया है, या फिर उसके पास लण्ड ही नहीं हैं!
वह ज़ोरों से हँस पड़ी फिर गम्भीर चेहरा बना लिया- उसके पास वो चीज़ तो ज़रूर है, पर उनके पास इसे इस्तेमाल करने का समय नहीं है।
मुझे उसके मज़ाक का तरीका पसन्द आया, मैंने उससे कहा- तुम्हारे जैसी सुन्दर बीवी अगर किसी की हो तो वह तो घर छोड़कर ही न निकले। उसकी जगह अगर मैं होता तो फिर तो मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाता। मेरा मतलब काम तो महत्वपूर्ण है, पर फिर भी मैं तु्म्हारे साथ समय बिताता।
उसने प्यार भरी नज़रों से मेरी ओर देखा और कहा- काश! तुम्हारे भैया भी तुम्हारी तरह होते।
मैं उसके पास गया, उसके बालों और चेहरे को सहलाया और पूछा- सप्ताह में कितनी बार भैया तुम्हारे साथ सेक्स करते हैं?
उसने उत्तर दिया- पता नहीं। कभी एक बार तो कभी वह भी नहीं।
मैंने अपना हाथ उसकी गर्दन से लेकर कंधे तक फिराया। मैंने कहा- मैं तो तुम्हे बेइन्तहा प्यार करता।
फिर मैंने उसकी जाँघ को प्यार से सहलाया। उसकी जाँघें काफी बड़ी और मुलायम थी, मेरा लंड खड़ा होने लगा था। मुझे पता था कि मैं इसे चोदना चाहता हूँ, और वह भी सेक्सी मूड में थी। उसने मुझे नहीं रोका। मुझे पता था कि उसकी शादीशुदा चूत में किसी बड़े लंड के लिए खुजली थी।
मैंने साड़ी के ऊपर से ही उसकी दाहिनी चूची को प्यार से दबाया, जैसे ही मैंने दबाया, उसकी आँखें चौड़ी हो गईं। उसके साड़ी की पल्लू गिर गई और मैंने देखा कि उसकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ उसकी कसी हुई ब्लाऊज़ से बाहर आने के लिए बेताब़ हो रहीं हैं। मेरी आँखों की तृप्ति मिल रही थी, और मैं उसकी चूचियों को भूखी नज़रों से देख रहा था।
मैंने अपनी पैन्ट की ज़िप खोल दी, और उसने मेरे अन्डरवियर के अन्दर ही मेरा फन खड़ा किया हुआ नाग देखा जिसका सिर मेरी नीली अन्डरिवयर से बाहर आ रहा था। उसने देखते हुए कहा- तेरा तो बहुत बड़ा लग रहा है।
उसके कहते ही मैंने अपनी शर्ट, पैंट, और अन्डरवियार उतार दी और मैंने उसे अपना हथियार दिखाया। वह उसे ऐसे देख रही थी जैसे कुछ मुआयना कर रही हो। उसने मेरे लंड पर मुट्ठ मारी और प्यार से बोली- यह वाकई में बहुत बड़ा है- तेरा केला तो बहुत मोटा है रे।
मैंने पूछा- तेरी चूचियाँ भी बहुत स्वादिष्ट लग रहीं हैं, रिया!
मैं उसके पास गया और उसके होठों पर चुम्बन लेना शुरू कर दिया। मैं उसकी चूचियाँ ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबा रहा था और हम साथ ही चुम्बन में भी लिप्त थे।
तभी वह थोड़ा किनारे हटी, और अपनी ब्लाऊज उतार दी, और मैंने उसकी सफेद ब्रा देखी। उसकी चूचियों के बीच की घाटी मानो ज़न्नत थी, और ब्रा को फाड़े दे रही थी। मैंने उसकी ब्रा की हुक भी खोल दी, और उसकी चूचियाँ उछल कर बाहर आ गई, जैसे उन्हें मेरा ही इन्तज़ार हो। उसकी चूचियाँ वाकई में बहुत सुन्दर थी, जैसे दो शानदार आम हों।
मैंने उन नरम चूचियों को दबाना शुरू किया, और साथ ही मैं अपनी जीभ उसकी गर्दन पर फिरा रहा था। उसने अपनी आँखें बन्द कर लीं और हल्की आहें भरने लगी। फिर मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी दाईं चूची को दबाने लगा, और बाईं चूची को चूसने लगा। फिर मैंने बारी-बारी से बाईं और दाईं चूचियाँ बदल-बदल कर दबाईं और चूसीं।
रिया आहें भर रही थी- हम्म्म्म्म… ऊम्म्म्म्म!
फिर मैंने उसकी बाईं चूची दबाई और दाहिनी को हल्के से टटोलते हुए दबाया। वह अपना हाथ मेरे लंड पर रखकर उसकी कठोरता का आभास कर रही थी। जैसे ही उसने यह हरक़त की, मैंने उसकी दाईं चूची को पूरे ज़ोरों से चूसना शुरू कर दिया, मानों उसमें से दूध निकाल कर ही छोड़ूँगा। मेरे उत्तेजित होकर चूसने से वह चिल्ला पड़ी।
मैं उसकी चूचियाँ करीब 15 मिनटों तक दबाता और चूसता रहा। जब मैंने चूचियों को छोड़ा तो वह मेरे थूक से चमक रहीं थीं। उनकी घुँडियाँ मेरे मुख-प्रहार से सूज गईं थीं।
वह मुस्कुरा कर बोली- ये मेरी चूचियाँ हैं, आटा नहीं… जो गूँथते जा रहे हो।
मेरा चेहरा लटक गया। वह उठी, और मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और कहा- अरे क्या हुआ?
मैंने कहा- हो सकता है, मुझे नहीं पता कि तुम्हें कैसे खुश करूँ।
उसने उत्तर दिया- अभी तक किसी ने मेरी चूचियों को इस तरह चूसा और दबाया नहीं… ले और मजा ले इनके साथ!
उसने फिर से अपनी चूचियाँ मुझे पेश कीं।
मैंने उन्हें फिर से सहलाना शुरू कर दिया और बारी-बारी से चूसने लगा।
वह उत्तेजना में सिसकारियाँ लेते हुए बोली- उईईईईईई, माँ… और दबा ना।
मैं अभी तक अपना लंड उसके क़रीब नहीं ले गया था, ताकि उसे मैं सारा मजा दे सकूँ। फिर मैंने उसके हाथों को ऊपर उठा दिया, और उसकी काँख की गंध लेने लगा। मैंने उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी काँखों को चाटना शुरू कर दिया। उस वक्त उसकी चूचियाँ ऊपर उठी हुईं थीं। मैं औरतों के शरीर के हर भाग से उनको मजा देना जानता हूँ।
फिर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके चेहरे और गर्दन को चाटने लगा। वह मेरे होंठ चबाने के प्रयास में दिखी। जैसे ही मैंने उसकी चूचियों को बड़े ही मादक अंदाज में सहलाया, उसने मेरे होठों को एक लम्बे चुम्बन में कैद कर लिया। हम एक दूसरे को होंठों को चबाते हुए अपने लार का आदान-प्रदान भी कर रहे थे…
उसके बाद मैं थोड़ा नीचे जाते हुए, उसके पेट पर चूमने लगा, फिर उसकी नाभि में अपनी जीभ डाल दी। उसकी नाभि भी बहुत सुन्दर थी, उसकी गोलाई अच्छी थी, और सेक्सी लग रही थी। मैंने उसकी नाभि को जी भरकर चाटा।
फिर मैंने उसकी पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया। रिया ने अपनी गांड थोड़ी ऊपर उठाई और पेटकोट सरका दिया। उसकी जाँघें किसी को भी मदहोश बनाने के लिए काफी थीं, गोरी-गोरी और चमकदार.. रिया ने अपने बालों से क्लिप निकाल दी थी, और वह और भी काफी सेक्सी लग रही थी खुले बालों में।
मैंने उसकी ब्लैक पेंटी भी नीचे खींच दी और उसकी चूत के दर्शन किए।
रिया ने मुझे उसकी चूत को ध्यान से देखते हुए पाया तो पूछा- बहुत बाल हैं ना।
मैंने हल्के से उसकी चूत को सहलाया और अपनी ऊँगलियाँ उसकी झाँटों में फिराईं, और उत्तर दिया- भाभी, चूत में तो बाल रहना ही चाहिए… वरना वो औरत की चूत थोड़ी ही लगती है।’
उसने मेरा कान पकड़ कर खींचा- मुझे नंगी करके भाभी बुलाता है।
मैंने कहा- अभी आप भाभी हो… चोदने के बाद तुम मेरी रिया बन जाओगी।
वह कामोत्तेजक तरीके से मुस्कुराई- ठीक है देवरजी।
मैंने अपनी उंगली उसकी उलझी हुई झाँटों में फिरानी शुरू की। मैं ज्यों ही ऐसा कर रहा था, वह अपनी चूतड़ सेक्सी तरीके से ऊपर ऊठाकर मुझे और भी बढ़ावा दे रही थी। मैंने उसकी जाँघें फैलाईं और उसकी शानदार चूत में अपना मुँह लगा दिया। मैंने उसकी झाँटों को परे हटाया ताकि उसकी चूत देख सकूँ।
ओह! बड़ी रिया चूत थी रिया की। मुझे लगा कि मैं उसे पलटकर ज़रा उसकी गांड भी देखूँ, पर मैंने सोचा पहले चूत तो मार लूँ, बाद में गांड भी मार लूँगा।
रिया शरमा रही थी, क्योंकि कोई उसके गुप्तांगों का मुआयना जो कर रहा था वो भी उसका देवर, सो उसने अपना चेहरा एक ओर घुमा लिया। मैंने उसकी चूत को सूँघा। उसके काफी मादक खुशबू आ रही थी। उसकी चूत और वहाँ से निकले द्रव और पसीने को मिलाकर एक ऐसी खुशबू आ रही थी कि मेरा लंड और भी कड़क होता जा रहा था, और मैं उसे सूँघने ही लग गया, उसकी चूत की सौगंध।
मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसकी चूत टाईट तरीके से बन्द थी। सामान्यतः एक नियमित रूप से चुदने वाली चूत के फ़लक खुले रहते हैं और ये थोड़ा बाहर की ओर निकले होते हैं। पर रिया के साथ ऐसा नहीं था, शादीशुदा होने के बावजूद उसकी चूत एक अनछुई लड़की की तरह थी… उसकी चूत की पंखुड़ियाँ गीले होने के बाद भी पतली दिख रही थीं।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में घुसा दीं… उसने सिसकारी ली… उसकी चूत टाईट थी। मुझे पता था कि अपना लंड अन्दर डालने के लिए पहले मुझे इसकी चूत खानी होगी, और उसके छेद को बड़ा करना होगा। मेरे चूतिये भाई ने उसकी चूत कभी चूसी ही नहीं थी, ऐसा लग रहा था। मैंने उसकी चूत के होंठ फैलाए और उसकी गुलाबी झलक ली।
फिर मैंने अपनी जीभ अन्दर घुसेड़ दी और अच्छी तरह चलाते हुए चाटने लगा, मैं उससे निकले द्रव को भी चाटता जा रहा था। वह मादक आहें भर रही थी… हमम्म्म्म्मम… मैंने उसकी चूत के होठों को थपथपाना शुरू किया, और फिर चूसना शुरू कर दिया। मैंने उसकी चूत को चूमा। मैंने उसकी चूत को फैलाया और छेद में जीभ घुसेड़ कर चूसने लगा।
मैंने इधर अपनी जीभ उसकी चूत में घुसाई, और साथ ही उधर अपनी एक उंगली उसकी गांड में घुसेड़ दी… मैंने देखा उसकी चूत की झिल्ली सूज गईं थीं।
मैंने उसकी चूत की झिल्ली को हटाकर अन्दर तक, और उसकी भग्नासा को भी चूसना शुरू किया। इसी के साथ मैंने ज़बर्दस्ती अपनी दो उँगलियाँ उसकी गांड में डाल दीं। मैं उसे अपनी उंगली से चोदता रहा और चूत को बीच-बीच में थपथपता रहा। रिया ने मेरा सिर उसकी चूत में दबा दिया, और मैं उसकी चूत में डूब गया।
मैं उसकी चूत को तबतक चूसता-चाटता रहा, जबतक कि वह अपनी गांड उचकाते हुए मेरे चेहरे पर झड़ न गई। झड़ते हुए वह आवाजें कर रही थी- ओहह्ह्ह! हम्म्म्म! आआआआ!
मैंने तुरन्त अपना चेहरा वहाँ से हटा लिया और उसकी ओर देखा। मैंने उसकी चूत को चाट-चाट कर सुजा दिया था। उसने मेरे चेहरे की और देखा और अपने रस को मेरे चेहरे से चाटने लगी।
वह पूर्णतः सन्तुष्ट लग रही थी। मैंने उसके चेहरे को सहलाया तो उसने कहा- आज तक उन्होंने कभी ऐसा नहीं किया।
मैं नंगा ही चलता हुआ किचन में गया और अपनी प्यारी सी भाभी के लिए पानी लेकर आया।
मुझे पता था कि पानी लाते वक्त वह मेरे लंड पर नज़रे गड़ा कर देख रही थी… रिया ने कहा- ऐसा लग रहा है… लंड नहीं, कोई काला नाग है।
उसने कहा- रूक जा… आज मैं तुझे बताती हूँ… तेरी भाभी कैसी औरत है।
उसने मेरा कड़ा लंड पकड़ा और ऊपर-नीचे करने लगी, वह मेरे लंड की पूजा कर रही थी- बहुत मोटा है तेरा काला केला। तू चलता कैसे है इसे लेकर?
‘आपके नाम पर हिला-हिलाकर सूज गया है।’
उसने प्यार से इसे सहलाया और कहा- बेचारा! ये अब मेरा हो गया… अब इसको जब भी भूख लगेगी, प्यास लगेगी मेरे पास लाना। वह मेरे लंड से बातें कर रही थी- आज से इसे परेशान मत करना। मैं हूँ ना।
रिया ने फिर से मेरे लंड को सहलाया और बड़े प्यार से चूसने लगी। जैसे ही उसने चूसना शुरू किया, मुझे तो लगा कि मैं ज़न्नत में आ गया हूँ। फिर उसने धीरे से मेरे लंड के आगे की चमड़ी हटाकर गुलाबी टोप देखी। फिर उसने प्यार से टोप को हल्के-हल्के थपथपाने लगी। मेरी आहें निकलने लगीं।
‘ओह यस…’ उसके नर्म-नर्म हाथों का गर्म-गर्म थपथपाने का अहसास मेरे लंड के सुपाड़े पर बड़ा आनन्ददायक प्रतीत हो रहा था। मेरे लंड से हल्का सा वीर्य निकला, जिसे उसने चाट लिया। फिर उसने मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया, और साथ में वह मेरे अंडकोषों को भी सहला रही थी।
इधर मैं उसकी अद्भुत चूचियों को सहला-दबा रहा था। उसने पूरे जोश से मेरे लंड को चूसा, मैं झड़ने ही वाला था। उसे भी यह पता चल गया था और उसने मेरा लंड अपने मुँह से निकाल दिया। मेरा लंड उसकी थूक में नहाया हुआ था… मैंने एक मादक आह भरी…
तभी फोन बजा और उसने फोन उठाया। फोन पर उसकी सहेली रूपाली थी। उसने बिस्तर पर से ही फोन उठाया और बात करनी शुरू की। जब वह फोन पर बात कर रही थी तो उसकी गांड मेरे सामने थी।
मैं उत्तेजना से भर उठा। मैं घुटनों पर बैठ गया और उसके चूतड़ों को चूमने लगा। मैंने हौले से उस पर चपत लगाई, और उसने फोन पर ही मादक आवाज़ निकाली… फिर मैंने उसकी चूतड़ों को फैलाया और अपनी जीभ को उसकी गांड की छेद में घुसा कर मुआयना करने लगा…
वह स्वयं पर नियंत्रण न रख सकी और उसने अपनी सहेली से कहा कि उसे फोन रखना होगा और उसे फोन रख दिया, इधर मैं उसकी गांड को अच्छी तरह से चाट रहा था। उसने मेरी ओर देखा और कहा- गन्दे लड़के हो तुम।’ फिर उसने मेरी ओर देखकर मुस्कुराते हुए अपने चूतड़ किसी रण्डी की तरह फैला दिए ताकि मैं उसकी गांड और ठीक तरीके से चाट सकूँ।
मेरे द्वारा उसकी गांड चाटने से मेरी भाभी रिया उत्तेजना की चरमसीमा पर थी। मैं 15 मिनट तक उसकी गांड चाट रहा था, उसी दौरान वह अपने चूत से खिलवाड़ कर रही थी, और हस्तमैथुन कर रही थी।
फिर मैंने रिया से कुतिया की तरह होने को कहा।
उसने पूछा- क्यों..?
‘मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूँ… मुझे तुम्हारी गांड पसन्द है।’
पर उसने कहा- पर कृपा करके मेरी गांड मत मारना!
मैं राजी हो गया। जैसे ही वह आगे झुकी, मैं उसकी गांड देखकर दीवाना हो गया। मैंने उसकी चूत में पीछे से अपना लंड घुसाया। जैसे ही मैंने अपना मोटा लंड उसकी चूत में डाला, वह चिल्लाई- आआआ आजजज्ज आहहह हहहह…
मैंने उसकी चूचियाँ दबानी शुरू कर दीं और उसके निप्पलों से खेलने लगा ताकि उसे मजा आए।
उसने सिसकारी भरते हुए कहा- और घुसा!
मैं गन्दी बातें करने लगा- ले राँड.. मेरा केला कैसा लग रहा है?
उसने उत्तर दिया- हम्म्… हम्म्म्म!
मैंने अपने झटके लगाने जारी रखे और कई कोणों से चोदा। उसकी चूत वाक़ई में टाईट थी पर गीली थी। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे उसने अपनी चूत से मेरे लण्ड को जकड़ रखा हो। जल्दी ही मैं चीत्कार करता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया।
हमने दो घंटे आराम किया, और कुछ समय के लिए सो भी गए। रिया ने मुझे उठाया और मेरे मुरझाए हुए लंड को देखा। उसने मुझे चूमा और कहा- उठ राजा, चाय पीओगे?
मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा- हाँ मेरी जान।
वह नंगी ही उठकर किचन में चली गई। वह ब्रेड, मक्खन, और दो कप चाय के साथ आई। हमने साथ बैठकर चाय पी। मैं चाय पीने के दौरान भी उसकी चूत में उंगली कर रहा था, और वह मेरे लंड को हाथ में लेकर मुट्ठ मार रही थी, हम दोनों ही सिसकारियाँ ले रहे थे।
मैंने कहा- रिया तेरी गांड इतनी सेक्सी है, मुझे चोदने दे ना।
वह मुस्कुराई और कहा- लेकिन तू मेरी कसम खा कि हमने जो किया, तुम किसी को बताओगे नहीं।
मैंने उससे वादा कि यह हमारे बीच का राज़ रहेगा। पर मैं सबको बताऊँगा कि तुमने आज पादा।
वह शरमा गई और कहा- शटअप, प्लीज़।
मैंने कहा- ठीक है, तो फिर मेरा मुँह तुम्हारे होठों से सिल दो।
हमने एक दूसरे के होठों को चूसना शुरू कर दिया जो पाँच मिनट तक चला। फिर उसने मेरी बेताबी को समझते हुए कुतिया की तरह झुक गई, और अपनी गांड मुझे प्रस्तुत कर दी।
जब उसकी गांड मेरी ओर थी, मैंने उसकी गोलाई का अच्छे से मुआयना किया… फिर अपने हाथों से उसकी चूतड़ों को फैला कर उसके छेद की जाँच भी की। उसकी गांड की छेद एक खुलती-बन्द होती आँख की तरह लग रही थी। मैंने अपनी जीभ अन्दर डाल दी और अपनी रिया की गांड का स्वाद चखा।… रिया मुझे अचरज भरी नज़रों से देख रही थी कि मैं उसकी गांड के साथ क्या-क्या कर रहा हूँ।
मैंने उससे कहा- रिया, मैं तुम्हें आज ऐसा मजा दूँगा, जैसे तुम्हें कभी नहीं मिला होगा।
मैंने थोड़ा सा मक्खन लिया और उसकी गांड की छेद पर लगाया, फिर थोड़ा सा चूतड़ों पर भी लगाया। उसकी गांड काफी चिकनी और चमकदार हो गई।
मैंने अधिक से अधिक मक्खन उसके गांड की छेद में घुसाया। अब मैं रिया का ‘गांड मसका’ खा रहा था जो एक विशेष व्यंजन था। उसकी चूतड़ों पर पिघला हुआ मक्खन मैंने चाट लिया, फिर मक्खन भरे गांड की छेद को भी चूसने लगा…
मैंने उसके गांड के छेद में उंगली की और काफी चाटा, जिससे उसकी छेद थोड़ी बड़ी और गहरी दिखने लगी थी। उसकी छेद छोटी थी, पर मक्खन लगाने से मेरे लंड लेने के लिए तैयार दिख रही थी।
उसे भी इशारा मिल चुका था, तो उसने अपनी गांड थोड़ी और फैलाई, ताकि वह मेरे लंड के लिए जगह बना सके… मैंने उसके गांड में अपना लंड पेलते हुए कहा- इसको कहते हैं, मसका मारना।
वह मेरी तरफ मुड़ी, मुझे चूमा और कहा- ऐसे नहीं, तेरा लंड तो सूखा है, मुझे थोड़ा मक्खन इस पर भी लगाने दो।
मैं खड़ा हो गया और उनसे मेरे खड़े लंड को देखा। उसने थोड़ा मक्खन लिया और मेरे लंड पर लगाया। मैं खुशी से काँप उठा जब वह अपने हाथों से उस पर मक्खन लगा रही थी। अब मेरा लंड मक्खन से वाकई में चिकना हो गया था। मैंने उससे पूछा- हॉट-डॉग खाएगी, मसका मार के?’
उसने मेरे लंड को चूसा और कहा- आज मैं तेरे हॉट-डॉग को गांड से खाऊँगी।
जिस तरीके से उसने ये बात कही वह काफी उत्तेजित करने वाली थी। आप ही कल्पना कीजिए कि कोई स्त्री आपसे बिल्कुल अकेले में ऐसी बात करे तो कैसा हो!
अब मैं उसके पीछे आ गया और अपना लंड उसकी गांड की ओर दबाया। उसकी छेद में लगाया फिर दबाया। मेरे लंड का सुपाड़ा थोड़ा अन्दर जाते ही वह थोड़ा सा सिसकी। जैसे ही मेरा लौड़ा थोड़ा और अन्दर गया, उसने तकिये को दबोच कर पकड़ लिया। उसकी गांड बहुत गरम और बहुत टाईट थी… क्या बताऊँ कितना मजा आया। वह आहें भर रही थी- धीरे से आआआहहहहह!
मैंने उसकी चूचियाँ दबाईं और फिर से एक धक्का मारा। रिया ने अपनी गांड पीछे करके मेरा लंड और भी अन्दर लेने की कोशिश की। यह मेरे लिए भी थोड़ा दर्द भरा था, पर अब हम मज़े कर रहे थे…
चिकनाई होने के कारण मेरा लंड कभी-कभी उसकी गांड से फिसल भी जाता था। मैं फिर से प्रयास करता और गांड में दुबारा धकेल देता। जब मैं फिर से लंड उसकी गांड में पेलता तो रिया आहें भरती और हँसती। इस तरह मेरा लौड़ा पूरा का पूरा उसकी गांड की छेद में समा चुका था।
हम धीरे-धीरे आराम से मज़े ले रहे थे। मैं भी धक्का मारता, तो वो भी मेरे लंड की जड़ तक पहुँचने के लिए पीछे की ओर धक्का मारती। मैंने धक्कों की रफ़्तार में तेज़ी लाई और वह हर धक्के के साथ चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी, रिया भाभी साथ में कराहती भी जा रही थी.. हम्म्म् आआआहह्ह्ह ह्हह ओह्ह्ह!
उसके चूतड़ भी मेरे लौड़े पर संवेदना भरे कसाव डाल रहे थे, तो ऐसा लगता था जैसे वह मेरे लंड का दूध निचोड़ लेना चाहते हैं। कमरे में हमारी मक्खन भरी गांड-चुदाई के कारण फच्च-फच्च की आवाजें गूँज रहीं थीं।
मैंने उसकी गांड करीब 20 मिनट तक मारनी जारी रखी, फिर मुझे महसूस हुआ कि मैं झड़ने के नज़दीक पहुँच चुका हूँ… मैंने उसे धीरे से कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
उसने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे अंडकोषों को दबाया। मैं चिल्लाया- ओह रियाल’ और फिर मेरी वीर्य की बौछार उसकी गांड में होने लगी जो करीब 20 सेकेण्ड तक चली जब तक कि मेरा सारा उबलता हुआ लावा मेरी पसन्दीदा गांड में जा गिरा।
मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी कल्पना एक दिन वास्तविकता में बदल जाएगी और मुझे रिया की गांड-चुदाई का अवसर प्राप्त होगा। आपको बता दूँ कि उसकी गांड वास्तव में कैसी दिखती है। यह चर्चित अभिनेत्री रानी मुखर्जी या माधुरी की गांड की तरह है बिल्कुल, मोटी, गोल-मटोल और सेक्सी।
फिर हम एक-दूसरे की बाँहों में समा गए और अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पाने का प्रयास करने लगे। हम पसीने से तर हो चुके थे… उसकी गांड और मेरा लंड मक्खन व वीर्य से लथपथ थे।
रिया ने मेरे लंड की ओर देखकर कहा- ला मैं इसे साफ कर देती हूँ।
उसने फिर चाट-चाटकर उसे साफ किया, अन्त में रूमाल से पोंछ दिया।
फिर हमारे बीच बातें होने लगीं।
मैं: कल बाज़ार से मक्खन नया लाना पड़ेगा। भैया कहेंगे कि कल वाला मक्खन जो लाया था वह कहाँ गया?
रिया: मैं कह दूँगी कि मैंने गांड में डाल ली, और अनिल के लंड पर मल दिया (खिलखिलाती है, फिर मेरी ओर देखती हुई कहती है:) नहीं रे, मैं कह दूँगी कि तुम्हारे दोस्तों की पार्टी थी, तो सैंडविच में खत्म हो गया। तू टेन्शन मत ले।
मैं: आई लव यू रिया, क्या तू मेरी गुप्त-पत्नी बनेगी?
रिया: मैं तेरी सब कुछ बनूँगी… मैं तेरी रख़ैल हूँ, और तेरी सेक्स-टीचर… वैसे तू चेला काफी अच्छा है… तुमने मुझे संतुष्ट कर दिया… और एक औरत को क्या चाहिए?
हम अब इतने थके हुए थे कि और चुदाई नहीं कर सकते थे, अतः हमने साथ में नहाया और एक-दूसरे को भली-भाँति स्वच्छ किया। मैंने उसकी चूत के बालों पर सनसिल्क लगा कर सफाई की। तो मित्रों, इस तरह हमने सारा दिन सम्भोग व आनन्द में बिताया। अन्त में हम सो गए।
अगले दिन उसने मेरा लंड चूसते हुए मुझे जगाया, पर बात यहीं समाप्त न हुई। हमने उस दिन भी पूरा आनन्द उठाया।
जब भी भैया जाते तो हम सारा काम साथ-साथ करते थे जैसे खाना, नहाना, टीवी देखना यहाँ तक कि शौच भी। जब भैया होते, तो भी हम एक दूसरे के अंगों को दबा देते, मैं उसकी चूचियाँ और गांड दबाता और मज़े लेता। भैया जब दूसरी ओर देख रहे होते तो वह मेरे लंड को मसल देती… जब वह नहीं होते फिर तो पूरी तरह से मज़े ही मज़े होते। मैं कॉलेज भी न जाकर उसे चोदता रहता।
हर स्त्री उस आदमी से खुल जाती है और उसके सामने बेशर्म हो जाती है जो आदमी उसे संतुष्ट करता है… आपको पता है, मैं तो उसकी चूत में मक्खन, पनीर, क्रीम, दही, आईसक्रीम, दाल या साँभर कुछ भी डालकर उसे खाता या पीता हूँ। उसके चूत से निकलने वाली रस से स्वाद और भी अच्छा हो जाता है।
उसी प्रकार वह मेरे लंड पर लिपस्टिक लगाती, या टमाटर की चटनी, खीरा, या डबल सैंडविच में लंड डालकर उसे खाती। और मैं उसके इन व्यंजनों पर अपने सफ़ेद क्रीम इनाम के तौर पर डालता जिसे वह चटखारे लेकर खाती। उसे यह बहुत अच्छा लगता कि मैं उसकी इन छोटी-छोटी बातों पर भी ध्यान देता हूँ। Antarvasna
इस प्रकार दो दिन मस्ती Hindi Sex Stories से गुजार कर घर लौट आया ! घर आकर मैंने सीमा दीदी और विजय भैया को सारी बातें बताई और हम तीनों ने कई दिनों तक उसी तरीके से काफी मजे किये।
फिर मैं अपने एक केमिस्ट दोस्त के पास गया, उससे पूछा- क्या ऐसी कोई दवाई है जिससे कोई जल्दी से डिसचार्ज ना हो सके?
उसने कहा- है ना ! उसको वियाग्रा कहते हैं और मुश्किल से ही मिलती है ! अगर कोई खाकर किसी लड़की या औरत पर चढ़ जाये तो साला तीन चार घंटे तक उतरने का नाम ही नहीं लेगा ! लकिन बहुत प्रचलित नहीं है इसलिए बहुत मुश्किल से मिलती है !
मैंने उससे कहा- यार, जैसे भी हो कुछ गोलियाँ मंगवा दो ! लेकिन जल्दी करना, वर्ना तेरे दोस्त की नाक कट जायेगी !
उसने कहा- दो चार दिन तो लग ही जायेंगे !
मैंने कहा- ठीक है जल्दी मंगवाना !
तीन चार दिन बाद उसने मुझे चार गोलियाँ दी और पूछने लगा- क्या करोगे ?
मैंने उसे टाल दिया। फिर सीमा दीदी के ससुराल जाने का जुगाड़ बैठाने लगा ! मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे कुछ नहीं करना पड़ा।
घरवालों ने कहा- संजय, यह सामान सीमा की ससुराल पहुँचाना है ! अंधे को क्या चाहिए- दो आँखें !
मैं तुंरत तैयार हो गया और कहा- सुबह जल्दी निकल जाता हूँ जिससे उसी दिन लौट सकूँ !
मैं सुबह जल्दी निकाल पड़ा जिससे जीजू और उनके माता पिताजी के काम पर जाने के पहले ही पहुँच सकूँ ! पर रास्ते में बस के ख़राब हो जाने की वजह से परेशान था कि अगर समय पर नहीं पहुँचा तो शायद घर पर कोई नहीं मिलेगा और दिन भर परेशानी होगी।
जैसे ही मैं घर पंहुचा, मेरे आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा! घर पर टीना मौजूद थी। वह भी मुझे देखकर ताज्जुब में पड़ गई और खुशी से मुझसे लिपट गई और चुम्बनों से मेरा चेहरा लाल कर दिया। फिर उसने मुझे पानी पिलाया और कहा- थोड़ा इंतजार करो, खाना तो बना हुआ है, बस रीना आ जाती है तो तीनों मिलकर खायेंगे ! तब तक चलो एक राउंड हो जाये !
मैंने तब तक एक गोली खा ली थी !
मैंने उसे कहा- रीना को आ जाने दो और मैं भी फ्रेश हो जाता हूँ !
फिर मैं नहाने चला गया। आकर देखा तो रीना आ चुकी थी और मेरे बाहर आने का इंतजार दोनों कर रही थी। रीना तुंरत आकर मुझसे लिपट गई। मैंने भी दोनों की चूचियाँ दबाकर और उन दोनों ने मेरा लंड सहलाकर स्वागत किया। फिर जल्दी से खाना खाकर टीवी देखने लगे। इधर मुझे चैन कहाँ ? हाँ चैन तो उनको भी नहीं था ! वे दोनों मेरे दोनों बगल में बैठ गई और मेरा हाथ पकड़कर अपनी अपनी चूचियों पर रख दिया और मेरा लंड पैंट में से निकालने लगी।
मैंने कहा- क्यों तकलीफ करती हो ? जो होना है उसमें कपड़ों का क्या काम !
ऐसा कह कर हम सबने अपने अपने कपड़े उतार दिए। पहले तो हम वहीं सोफे पर ही बैठे थे बाद में कारपेट पर आ गए। वहाँ पर भी असुविधा होने पर बेडरूम में आ गए।
मैंने उनसे कहा- आज दोनों को ऐसा चोदूंगा कि जब भी किसी से चुदवाओगी तो एक बार मेरा नाम जरुर याद करोगी कि किसी ने चोदा था !
उन्होंने कहा- तेरे जैसे बहुत देखे हैं ! अभी तेरे को दस मिनट में चूसकर निचोड़ लेंगी। पिछले बार की चुसाई भूल गए क्या ? कैसे निढाल हो गए थे?
फिर उन्होंने मेरे लंड को बारी बारी से चूसना चालू किया पर मेरा लंड तो मेरे काबू में नहीं था! मैंने पहले रीना को पकड़ कर चोदना चालू किया तो साली तीस मिनट में ही टें बोल गई, कहा- संजय, अ़ब बर्दाश्त नहीं होता ! मैं तो तीन बार झड़ चुकी हूँ, पहले एक बार टीना को कुछ देर मजा लेने दे!
टीना ने कहा- आज मैं तेरे को चोदूंगी !
मैंने कहा- नेकी और पूछ-पूछ ! जल्दी से ऊपर आ जा !
मेरा लंड तो आसमान की तरफ मुँह किये खड़ा था, टीना अपनी दोनों टांगें मेरे दोनों ओर करके बैठ गई और अपनी चूत को मेरे लंड पर रखकर धम से मेरे लंड पर बैठ गई ! मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा अन्दर बैठ गया ! टीना एक बार तो चिल्ला उठी, फिर धक्के पर धक्के लगाने लगी। वह जल्दी ही थक गई ! भला यह काम लड़कियों का कहाँ ! उसने कहा- संजय, मैं तो थक चुकी हूँ ! अ़ब जल्दी ऊपर आ जा और मेरी चुदाई चालू कर !
मैंने ऊपर आकर उसकी जो चुदाई चालू की, उसने तोबा बोल दी ! इधर रीना मुझे उत्तेजित करने के लिए कभी मेरे मुँह से अपना मुँह मिलाकर मेरी जीभ चूसती और कभी मेरी छाती के चुचूक को चूसती। पर मैं कहाँ रुकने वाला था, एक घंटे तक दोनों को चोदता ही रहा ! दोनों चिल्ला चिल्ला कर कहने लगी- आज तो तुमने हमारी चूत को भोसड़ा बना दिया ! अ़ब जब भी चुदेंगी, तेरे को जरुर याद करेंगी ! हमने काफी चुदवाया है पर तुम जैसा कोई नहीं मिला ! जिससे तेरी शादी होगी वह बहुत खुशनसीब होगी। क्यों ना तुम मुझसे ही शादी कर लो !
मैंने कहा- हमारा समाज इसकी इजाजत नहीं देता और मेरे और तेरे घरवाले भी नहीं मानेंगे। इसलिए जैसा चल रहा है वैसा ही चलने दो, जब कहोगी तब आ जाया करूँगा !
इस प्रकार मैं वापस जाने के लिए तैयार होने लगा तो उन्होंने कहा- माँ-पिताजी के आने के पहले नहीं जाने देंगी !
और मुझे रुकना पड़ा। जब जीजू, उनके माँ-पिताजी आये तो बहुत देर हो चुकी थी और उनके कहने पर मुझे रुकना पड़ा !
रात को रीना, टीना ने जीजू को दिन की घटना के बारे में बताया तो वो मुझसे पूछने लगे- कोई दवाई खाई थी क्या ? जैसा ये कह रही हैं, तुमने तो सीमा की चूत को भोंसड़ा ही बना दिया होगा, मेरे लिए कुछ छोड़ा है क्या ?
मैंने कहा- नहीं जीजू ! ऐसी कोई बात नहीं है, रात को देख लेना, दोनों फिर से चुदवाने को तैयार मिलेंगी।
रात को खाना खाने के बाद हम लोगों की महफ़िल जमी ! मैंने गोली नहीं ली ! जब हम कमरे में गए तो रीना और टीना ने कपड़े उतारते हुए अपनी अपनी चूत जीजू के सामने कर दी और कहा- देखो भैया, कैसे सुजा दी है !
जीजू और मैंने देखा कि रीना की चूत सामान्य ही थी पर टीना की चूत कुछ फूली हुई थी।
मैंने कहा- जब तू ऊपर चढ़ेगी तो यही तो होगा ना !
इस तरह हम दोनों ने रीना, टीना को दो दो बार चोदा और सो गए !
सुबह मैं वापस आ गया !
दस दिनों में ही सीमा दीदी और भैया की शादी फिक्स हो गई ! पहले दीदी की शादी थी और एक हफ्ते बाद भैया की ! शादी में करीब दो महीने बाकी थे ! दोनों शादियाँ बहुत धूमधाम से हुई ! एक तरफ दीदी गई दूसरी तरफ भाभी आ गई ! भैया को तो चुदाई का परमानेंट लाइसेंस मिल गया, मैं सोचने लगा कि अ़ब मेरा गुजारा कैसे होगा !
खैर जैसे तैसे दिन गुजरते गए ! मैं बैचैन रहने लगा !
भैया ने पूछा- क्या बात है संजय? आज कल बहुत बैचैन रहते हो?
मैंने कहा- भैया, आपकी तो मौज है ! मुझे तो रात सूखी ही काटनी पड़ती है !
भैया ने कहा- तेरी भाभी बहुत चुद्दकड़ है ! लगता है बहुत खेली खाई हुई है, बस एक बार उसे अपना लंड दिखा दे, साली, अपने आप ही चुदने आ जायेगी ! मैंने उससे शादी के पहले की चुदाई की बात की तो साली फूटी ही नहीं ! तो मैंने भी कुछ नहीं बताया ! अगर एक बार तुझसे चुद लेगी तो खुद ही अपना भांडा फोड़ देगी !
मैं तो घर पर ही रहता था, मेरे पास समय भी था।
मैं अगले दिन से ही भाभी पर लाइन मारने लगा, उनसे मजाक करने लगा और उनकी चूचियों को निहारने लगा !
उन्होंने कहा- क्यों देवरजी, क्या बात है ?
मैंने कहा- भाभी, अकेले मन नहीं लगता ! कभी तो मेरे कमरे आ जाया करो जिससे बातें ही करके समय गुजर सके ! आपका भी तो समय मुश्किल से ही कटता होगा ?
दूसरे दिन खाना खाकर भाभी को बोलकर कि कमरे में जा रहा हूँ, कोई काम हो तो बुला लेना !
भाभी को भी चैन नहीं था ! मैं कमरे में जाकर एक सेक्सी नॉवल निकाल कर पढ़ने लगा। मेरा लंड खड़ा था और मैं उसे मसल रहा था। जब नहीं रहा गया तो मैं लंड निकालकर मुठ मरने लगा। कमरे का दरवाजा मैंने जानबूझ कर थोड़ा खुला छोड़ दिया था कि अगर भाभी उधर आये तो देख सके !
मैंने महसूस किया कि भाभी दरवाजे की झिर्री से मुझे देख रही है ! जब तक मेरा नहीं हो गया तब तक वहाँ से हटी ही नहीं !
दो घंटे बाद जब मैं कमरे से निकला तो भाभी ने पूछा- क्यों देवरजी ! कमरे में क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी, सो रहा था !
उन्होंने कहा- तुम सो नहीं रहे थे !
मैंने पूछा- बताओ ना क्या कर रहा था?
उन्होंने कहा- शर्म आती है !
मैंने कहा- जब देख ही लिया तो शर्माना क्या !
मैं भाभी के पास सरक आया और कहने लगा- बताओ ना !
वो फिर भी कुछ नहीं बोली तो मैंने उनका हाथ पकड़कर अपने पास खींचते हुए कहा- जब देख ही लिया है तो शर्माना क्यों !
वो नजरें नीची करके बोली- नहीं देवरजी, मुझे शर्म आती है !
मैंने कहा- अ़ब बता भी दो !
तो उन्होंने कहा- तुम कोई किताब पड़ते हुए अपने उसको हिला रहे थे !
मैंने पूछा- किसको ?
तो भाभी चुप रह गई !
मैंने फिर से पूछा तो उन्होंने कह ही दिया कि अपने लौड़े को !
मैंने कहा- भाभी, अगर फिर से और अच्छी तरह देखने का मन हो तो बता दो ! किसी को पता भी नहीं चलेगा !
मैं खुश हो गया कि चिड़िया जाल में फंस चुकी है ! मैं धीरे धीरे अपना हाथ उनके बोबे पर ले जाने लगा। वो कुछ नहीं बोल रही थी। जब मैं उनके बोबों को दबाने लगा तो उन्होंने कहा- देवरजी, क्या कर रहे हो ? कोई देख लेगा तो गजब हो जायेगा !
मैंने कहा- किसी को भी पता नहीं चलेगा और अपना काम भी बन जायेगा !
उन्होंने कहा- डर लगता है !
मैंने कहा- सब कुछ मुझ पर छोड़ दो ! अ़ब तुम मुझे देवरजी ना कह कर नाम से पुकारा करो !
कहते हुए उनका हाथ मेरे लंड पर रख दिया ! वो मजे ले ले कर मेरे लंड से खेलने लगी !
मैंने कहा- चलो भाभी, कमरे में चलो !
उसने कहा- नहीं, यहीं ठीक है, कोई आया तो तुंरत गेट खोल सकेंगे !
मेरा लंड तो उनके हाथ में ही था, फिर कहने लगी- संजय, तेरा लंड तो तेरे भैया से भी अच्छा है ! मुझे इसका स्वाद लेना है,
भाभी, अ़ब तो यह तुम्हारा हो चुका है, जैसी तुम्हारी इच्छा !
मेरे और कुछ बोलने के पहले ही भाभी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। इधर मैं भाभी के बोबे दबा रहा था। मैंने कहा- भाभी, कपड़ों के ऊपर से मजा नहीं आ रहा है।
उन्होंने कहा- मजा तो मुझे भी नहीं आ रहा है पर शादी को अभी दस दिन ही हुए हैं, कब कौन टपक पड़ेगा, कोई भरोसा नहीं !
भाभी ने कहा- संजू राजा, चलो एक बार चोद दो !
मैंने कहा- जब तक मुझे बोबे चूसने नहीं दोगी मैं कुछ नहीं करूँगा !
उन्होंने हथियार डाल दिए और अपने बोबे आजाद कर दिए।
वाह क्या बोबे थे ! मैंने उनको चूस चूस कर लाल कर दिया और वो भी बेकाबू होने लगी। फिर मैंने जो उनकी चुदाई की कि वो मेरा लोहा मान गई !
मैं सोचने लगा कि ऐसा कुछ किया जाये कि दिन में भी भाभी को खुलकर चोदा जाये ! फिर मेरे दिमाग में एक विचार आया !
दूसरे दिन सबके चले जाने के बाद मैं पिछला गेट से निकला और मैं गेट पर ताला लगाकर फिर पिछले गेट से अन्दर आ गया! भाभी को कुछ पता ही नहीं चला !
मैं घर में घुसते ही अपने सब कपड़े उतारकर केवल अंडी में ही आकर भाभी को छेड़ने लगा।
भाभी ने कहा- क्या करते हो ? कोई आ जायेगा !
मैंने कहा- कोई नहीं आ सकता ! अगर कोई आ भी गया तो गेट पर ताला देखकर अपने आप चला जायेगा !
भाभी ने कहा- राज्जा, बहुत उस्ताद हो गए हो !
मैं भाभी के बोबे दबाने लगा साथ ही साथ उनके कपड़े भी उतारने लगा ! वो भी मेरा साथ देने लगी और हम दोनों एकदम नंगे हो गए !
मैं भाभी को लेकर कमरे में आ गया और हम दोनों किसी को भी सब्र नहीं था। भाभी ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया और आगे पीछे करने लगी ! मैं भी उनकी चूचियां दबाने लगा जो कि एकदम सख्त हो गई थी और चूसने लगा। उधर भाभी भी मेरा लंड चूसने लगी। इसमें कुछ दिक्कत हो रही थी इसलिए मैं भाभी को 69 के अवस्था करके लंड चूसाते हुए उनकी चूत को छेड़ने लगा तो भाभी ने कहा- रज्जा, मेरी चूत चूसो ना !
मैं भाभी की चूत चूसने लगा। दोनों को भरपूर मजा आ रहा था !
भाभी ने कहा- अ़ब अपना वीर्य मेरे मुँह में डाल कर मुझे निहाल कर दो !
मैं भी तेज तेज अपना लंड उनके मुँह में करने लगा ! फिर मैं भाभी के मुँह में झड़ गया उन्होंने मजे ले ले कर पूरा रस चूस लिया और साथ ही वो भी झड़ गई। मैंने भी उनका पूरा रस चूस लिया फिर दोनों ने एक दूसरे को चाट चाट कर साफ किया। फिर बैठ कर बातें करने लगे !
मैंने भाभी से पूछा- भाभी यह तो बताओ कि सबसे पहले तुमको किसने और कैसे चोदा?
भाभी ने कहा- मुझे शर्म आयेगी, तुम अपनी बताओ !
मैंने कहा- पहले तुम बताओ !
मैंने जिद करके भाभी को सब कुछ बोलने पर मजबूर कर दिया जो अगले अंश में लिखूंगा !
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