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ये मेरी पहली Hindi sex stories मेरे बड़ा भाई और मेरी कजिन सिस्टर की है मेरे भाई का नाम रवि है, और मेरी कजिन सिस्टर यानि मेरे दीदी रवीना है।
रवि की उमर 35 है और दीदी का भी 35 है। मेरे दीदी कि फिगर तो अल्टीमेट है 40-32-38 साली एकदम सेक्सी लगती है।
अठारह साल की उमर में उसकी शादी हो गई एक पुलिस कांस्टेबल के साथ, मेरे जीजा रिज़र्व पुलिस में थे तो उनको आउट स्टेशन जाना पड़ता था। और मेरे दीदी और जीजाजी के सम्बन्ध उतना क्लोज नहीं था क्योंकि उनकी उमर 25 थी जब वो दीदी को शादी किये थे। मेरे दीदी मेरे घर के बाजु में ही घर लिये थे। पता नहीं कब मेरे दीदी और मेरे भैया के साथ अफैर हो गया।
मुझे पहले पहले कुछ ऐसा लगता था कि मेरे भैया और दीदी के बीच में कुछ है। मैं उन दोनो के ऊपर शक करता था। एक बार दोपहर में मैंने कोलेज से आया तू मेरे दीदी और मेरे भैया रूम में बैठ के जोर जोर से बात कर रहे थे तो में रूम का दरवाज़ा खोलके अंदर चला गया देखा तो दीदी ने उसके बच्चे को दूध पिला रही है वो भी पूरा ब्लाउज़ खोलके और भैया आराम से बैठ के देख रहा है मैंने सोचा कि बच्चा को दूध पिला रही है तो उसमे शक करने कि बात नहीं है। फिर भी मेरे मन मे शांति नहीं था सिर्फ़ उन दोनो का है बात दिमाग में हर वक्त चलता था।
कुछ महीने के बाद रात मे मैं धीरे से घर आया रूम में दीदी, भैया और दीदी का बच्चा सब सो रहे थे तो मैंने डिनर करने के लिये किचन में गया और तभी पावर कट हो गया। तो मैंने खाना लगा के हाल में आया तो रूम के अंदर से कुछ आवाज़ आ रही थी (भैया का रूम तो हाल में अटैच था।
मेरे को शक हो गया कि रूम में शायद हो दोना कुछ कर रहे हैं और मैंने धीरे से रूम के दरवाज़ा पर कान रख के सुना तो पया कि मेरे भैया बड़ी जोर से सांस ले रहा था और दीदी भी कुछ अजीब से आवाज़ कर रही थी। कुछ देर बाद में एक अजीब स्मेल रूम से आने लगा और फच फच कर के बहुत जोर से सांस ले के दोनो आवाज़ मिलकर रूम से आ रहा था मेरे को वो स्मेल और आवाज सुनकर मेरे लौड़ा खड़ा हो गया मैंने बहुत जल्दी में खना खा लिया और बड़ी हिम्मत से रूम का दरवाज़ा खोल के अंदर गया तो खाट के उपर बच्चे को सुला के भैया और दीदी नीचे ज़मीन पर एक के बगल में सो रहे थे। उस रात से मैं उन दोनो का पीछा करना शुरु किया तो मुझे वो दोनो रंगे हाथ पकड़े गये
वो रात मेरे को पता कि आज भैया और दीदी मस्त चोदने वाले है क्योंकि मेरे घर में उस दिन कोई बी नहीं थे सिर्फ़ मैं, भैया, दीदी और उस का बच्चा को छोड़के। तो उस रात मैंने बड़ी जल्दी सोने का नाटक किया और रात 9 बजे तक बेड पर चला गया। और 10 बजे को उठा और रूम की खिड़की के पास जाके बैठ गया।
रूम की खिड़की को मैंने पहले ही थोड़ा सा खोल के रखा था और परदा को पूरा छोड़ दिया था। जैसे मैं खिड़की के पास तो वो दोनो ऐसे ही कुछ बातो में खोये हुए थे। अचानक भैया ने दीदी को समूच किया तो मेरा हार्ट बीट बहुत तेज़ वो गोया। मेरे दिल में थोड़ा सा डर हो रहा था। भैया समूच करने के बाद दीदी को गाली दिया कि वो दूध पिये थी। भैया को दूध से नफ़रत थी। वो दूध या दूध के स्मैल से नफ़रत करता था। दीदी ने तुरंत बाथरूम में जाके ब्रुश करके आयी।
फिर 5-10 मिनट बाथ किया और फिर से भैया दीदी को समूच किया और अपने हाथ को उस के बूब्स पर रख के जोर से दबाना शुरु किया। दीदी भी भैया का लिप्स और जीभ को अपने मुंह में लेके बड़ि मजेदार से किस कर रही थी। भैया ने दीदी की नाइटी को उपर उठाया और उसे निकाल के ज़मीन पर फेंक दी। दीदी अकसर घर में ब्रा नहीं पहनती थी। और वो नंगी हो गयी। भगवान की कसम दीदी की जांघें तो कमाल की चीज़े है।
साली के पैर एक दम बनाना के पेड़ के जैसा है। इतनी बड़ी बड़ी बूब्स थी इसकी कि भैया का पूरा फ़से उस में छुप जा रहा था कि वो बूब्स को चूस रहा था। भैया ने दीदी के दोनो बूब्स को ऐसे चूस रहा था कि कोई आदमी बहुत सालो तक प्यसा हो और उसे पानी मिल गया हो। थोड़ी देर बाद में भैया ने दीदी के दोनो पैरों को फैला दिया और दीदी की चूत दिखने लगी उसके पूरा प्युबिक हेयर से छुपा हुआ था। भैया ने दीदी के चूत को उंगली से फ़ैला दिया और अपने मुंह को चूत में डालकर चूसने लग गया। कुछ 5 मिनट तक वो दीदी के चूत को चूस रहा था तो दीदी ने पूरे मूड में आ चुकी थी और वो बोल ने लगी कि चूस रवि मेरे चूत को और चूस खा जा मेरे चूत को।
आज तो बहुत खुजली हो रही है मेरी चूत मैं चूसले, पूरा पानी मेरे चूत में से अह्ह अह्ह अह्ह आअ… अ… अ अहह कर रही थी।
5 मिनट के बाद भैया ने दीदी कि चूत में से निकाल कर दीदी को उसके होंथों पे किस्स करके दीदी का लिप्स को चूस ने लगा। दीदी ने भैया का टी शर्ट निकाला और भैया को गर्दन के पास किस करने लगी और गर्दन से लेकर ऐसे ही उसके छाती के पास उसके छाती को किस करके उसके शोर्ट्स को निकाल दिया और भैया का 8′ तगड़ा मोटा लौड़ा पूरे तरह से खड़ा हो गया था।
दीदी ने भैया का लौड़ा पकड़ लिया और हाथ से शेक किया और उसके उपर का स्किन को पीछे कर के भैया का लंड को मुंह में ले के चूसना शुरु कर दिया। भैया बोले चूसले जान मेरे लौड़े को चूसले आहाह अह्हह अह्हहह बड़ा मज़ा आ रहा आता है जब तु मेरे लौड़े चूसती है कर के बोलने लगा
5-10 मिनट के बाद भैया ने दीदी का सिर पकड़ के उसके माउथ में धक्का देना शुरु किया और दीदी को उपर उठके उस खाट के उपर में सुला के अपने लंड को हाथ में लेके सम्भालने लगा और दीदी के चूत के उपर रख के एक ही झटके में अपने पूरे लंड को अंदर डाल दिया।
दीदी ने एक जोर सी आवाज़ की और बोली- मादरचोद धीरे से कर!
में दीदी के मुंह से वो बात सुनके हैरान हो गया और पता चला कि भैया और दीदी दोनो गंदी तरह से गाली दे के चोदते हैं। और भैया ने दीदीके चूत में अपने लंड को अंदर और बाहर कर रहा था और दीदी धीरे धीरे सिसकार कर रही थी अह्ह्ह अह्ह रा… ज… अह्ह्ह… अझहह्हह कर के सिसकार कर रही थी।
5-10 मिनट के बाद भैया ने अपने स्पीड ज्यादा करने लगा और बोलने लगा कि तेरी मां को चोदु तेरी बहन को चोदु तेरी चूत फ़ाड़ के रख दूंगा साली रंडी चल चोद जोर से चोद हरामज़ादी रंडी साली चोद मुझे चोद कर के गाली देने शुरु किया बहुत जोर जोर से चोदने लगा।
इतना जोर से चोद रहा था कि उन दोनो का चोदने के साउंड इतनी जोर से आ रहा था और दीदी कि चूत में से कुछ व्हाइट कलर में तरल आने लगा और पूरा रूम में फ़चाक फचाक फचाक करके आवाजें आने लगा।
और दीदी बोलने लगी कि मादर चोद और जोश से चोद मुझे मेरी चूत पर दे रविआआ मेरी चूत फाड़ दे बहुत अंदर तक चला गया है तेरा लौड़ा चोद रे साले मादर चोद मुझे और जोसे से चोद मेरी मां बहन को भी चोद ले रवि तेरी लौड़ा को सारी दुनिया की चूत कुर्बानी है रवि चोद आअहहा आआअह्ह्हह अह्हह स्सस्स स्सस्सहू ऊऊओदूऊऊ अह्हहह कर के चिल्लाने लगी और मेरे भैया ने भी गंदी गंदी गालियो से गाली दे के चोद रहा था
मां कसम भैया ने ठीक 45 मिनट तक लगातार दीदी के चूत को चोद के फाड़ दिया और उसने पूरा पानी दीदी के चूत में निकाल दिया और दीदी के चूत से अपने लंड को निकाल दिया और साइड में सो गया यहां दीदी ऐसी सो पड़ी थी जैसे किसी को अपना चुदा हुआ चूत दिखा रही है और दीदी के चूत को बड़ा हो गया था और उसमे से भैया का पानी नीचे गिर थे हुए दिख रहा था।
10 मिनट तक दोनो शांत पड़ गये थे। 10 मिनट के बाद दीदी बोली रवि फिर से करना दूसरे राउंड तो भैया बोला तेरी मां को चोदू साली तेरी प्यास भी जाती नहीं है जा के लकड़ी ले के आ के तेरी चूत में रख के सो जा साली रंडी हरामी कर के बोल के सो गया और
दीदी ने बोला ठीक है तो सुबह 5 बजे को उठी हूं और सुबह मुझे खूब चोद लेना अभी सो जा कर के बोली और सो गयी।
मैंने उसके बाद बाथरूम में गया और लगभग 45 मिनट तक जो देखा था वो पूरा जोश को सिर्फ़ 2 मिनट के हाथ मारने पे पूरे के पूरा पानी निकाल दिया।
ठीक महीने बाद मेरे भैया की शादी हो गयी और हमारे घर के उपर और 2 रूम बना दिया ताकि भैया को शादी के बाद परायिवेसी दिया जाये और कोई मेहमान आये तो भी दूसरे रूम का इस्तेमाल होगा कर के सोच के 2 रूम बना दिया।
भैया की शादी होने के महीने दो महीने के बाद एक रात ऐसा हुआ कि मेरे ज़िन्दगी का आसमान खुल गया।
हर समय के तरह दीदी जब जीजा नहीं वो तो हमारे घर में ही रहती थी।
वो हमारे घर में सोती थी।
उस रात वो रूम में सोने को आई। जैसे भैया उपर रूम में चला गया। में खाट के उपर सो रहा था और दीदी ज़मीन पर बेड लगा के सो गयी। मेरे को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मेरे को रोज़ हाथ मारने का प्रक्टिस है और एक बार अपना पानी गिराने के बाद ही मेरे को नींद आती थी। लेकिन उस रात दीदी थी तो मैन ऐसे ही सोने की कोशिशअ रहा था।
कुछ 12 बजे के आस पास तक मेरे को नींद नहीं आयी थी और मैंने दीदी को घूर घूर के देख रहा था जैसे वो अपना हाथ और पैर हिला रही थी तो उसका नाइटी उपर वो हट रहा था, तो मैं कोशिश कर रहा था कि उसका पैरों को उपर तक देखने की। ऐसे ही देख रहा था तो दीदी ने अचानक बेड शीट को अपने पैर पर लगा के अपनी चूत में उंगली करनी शुरु कर दिये और उनके प्युबिक हेयर में उनका उंगली जैसे मूव वो रहा था आवाज आने लगा।
10-15 मिनट तक दीदी उंगली कर रही थी तो मैन खाट के उपर बैठ गया और सीधे दीदी को घूरने लगा।
जैसे दीदी उंगली करके आंख खोली तो मेरे को देख के हैरान हो गयी और पूछी ऐसे क्यों बैठा है। और मैंने कहा दीदी मैंने देखा कि आप उंगली करते हुये।
दीदी बोली क्या बोलता है तुझे शरम नहीं आती है ऐसे बात करने में।
मैंने बोला दीदी मेरे को पता है कि तुझे भैया रोज़ चोदता था और अब उस का शादी हो गयी तो तुम उंगली करले रही हो।
दीदी बोली क्या उल्लु के जैसा बात करता है तेरे को क्या पता, कैसे पता मलूम है तू क्या कह रहा है। मैंने बोला मैंने सब कुछ देखा है। दीदी थोड़ा सा डरा हुई थी मैंने बोला दीदी डरो मत मैं किसी को नहीं बोलने वाला हूं।
बस मेरे को एक बार तेरे को चोदना है
दीदी बोली हरामज़ादे मेरे को चोदेगा?
मैं खाट से उतरा और सीधा उसके बूब्स पर हाथ रखके उसे किस करने लगा।
शुरु में वो थोड़ी न की और वो भी जोश में आ गयी। मेरे मन में खुशी ही खुशी हो रहा था।
मैं दीदी का मुंह में मेरा मुंह डाल के चूस ने लगा वो भी साथ दे रही थी उसने मेरे पूरे जीभ को अपने अंदर ले लिया। मैंने उसके दोनो बूब्स को दबाने शुरु किया इतने बड़े बड़े बूब्स थे कि मेरे दोनो हाथ में एक नहीं आ रहा था।
मैंने तो बड़े बड़े बूब्स के औरतों को देखा हूं वो सभी लूज़ लगते थे लेकिन दीदी के बूब्स तो एक दम टाइट था और क्या कलर था उसके निप्पल कम से कम 1′ तो था मैंने जी भर के उसका बूब्स को चूसा उसके निप्पल के साथ खेला करता उंगलियों के बीच में उसे जोर से दबाया दीदी धीरे से सिसकार कर रही थी। मैंने उसके नाइटी उतार दिया और उसको मेरे सीधे आंखों के सामने मेरे बाहों में नंगा देख कर मेरे को लगा कि ये तो सपना है।
ऐसे औरत को तो नंगा में मेरे साथ बिठा सकता हूं ये तो में सपनो भी नहीं देखा था। मैंने उसके चूत चाटने लगा पहली बार था न तो उसके लुब्रिकेंट मेरे मुंह में आने लग गया और मेरे पूरा मुंह उसके पानी से गीला हो गया मैंने उसके चूत को चोद के मेरा ट्रैक पैंट उतार के मेरा 8′ के लंड को उस के मुंह में रखने को दिया।
तो दीदी बोली- बहन चोद साले पूरे घर वालों का लौड़ा बड़ा है तेरे भैया का भी और तेरा भी। उधर तेरा भैया मेरे को चोद के उस रंडी साली तेरी भाभी को चोद रहा है। नया चूत मिला है न उसको इसलिये मुझे टच करने को भी नहीं आता है। आज से तू ही मेरे को चोदेगा इस रंडी को तू ही चोदना। अगर वो नया चूत चोद रहा है तो में भी नया लौड़ा से चुदवाउंगी। साला अपने भैया के रंडी को चोदने चाहता है चोद तेरे में कितना दम है उतना भी लगा के चोद इस चूत को। तेरा फर्स्ट नाईट है आज चोद मुझे बोलने लगी।
मैंने कहा साली कितना बोलती है रंडी हरामज़ादी कितने लोग चोदा है इस चूत को साली ऐसा लगता है कि कोई बवडी है चूत नहीं है कर थे मैंने दीदी कि चूत में मेरे लौड़ा घुसा के मार रहा था तो वो बोली तो जा के पूछना अपने मादरचोद भाई को उसने ही बनाया है मुझे रंडी और मेरे चूत को पर के भवडी बना दी है।
ऐसे ही हम दोनो मज़े लूट रहे थे तो 20–25 मिनट के बाद मैंने झाड़ दिया। दीदी बोली साले फर्स्ट टाइम इतना तिमे लेता है तो साले तू भी बड़ा चुदक्कढ़ बनेगा साले। कुछ 10 मिनट के बाद मैंने बोला दीदी में क्या अपका गांड मार सकता हूं।
तो बोली हा हा क्यों नहीं मादरचोद तुम सब भाई लोग एक ही हो सिर्फ़ चूत से थोड़ी तसल्ली होगा मारो गांड मारो मेरी लेकिन इस बार तू अपने पानी मेरे मुंह में गिरना है मेरे को तेरे पानी पीना है करके बोली। उसके बाद मैंने दीदी को खूब गांड मारा और उसके मुंह मैं झाड़ दिया। Hindi sex stories
मैं हिमाचल में अभी रह रहा हूँ पर मैं हरयाणा से हूँ! मेरे पास होटल भी है और मैं बहुत ही कूल पॉइंट पे हूँ! मेरी उमर 27 साल है मैं जितना ही कम उमर का हूँ उतना ही बड़ा लंबा और चौड़ा हूँ। मैं अभी अविवाहित हूँ मैंने आज तक बहुत फुद्दी, गांड मारी है! पर जितना मज़ा बड़ी उमर की फुद्दी में है किसी में नहीं है!
ऐसे ही एक मेरी चाची मेरे से 20 साल बड़ी मतलब कि वो 47 की पर मैं 27 का, उसकी फिगर 38 32 40 थी! मैं ऐसे ही उनके घर चला गया। चाचा मेरे ड्यूटी करते थे, उनके ड्यूटी जाने के बाद एक दिन मैं सुबह अपनी चाची के साथ रसोई में काम करवा रहा था। उसके बूब्स मेरे साथ टकरा गए और मेरा लण्ड पूरा गर्म हो गया।
इतने में मैं पूरा गरम हो गया। मेरी चाची ने देखा कि मेरे चेहरे का रंग पूरा लाल हो गया था मेरी चाची ने पूछा- क्या हुआ तुम्हें?
मैं एकदम चुप कर गया, मैंने बोला- मेरे को बाथरूम जाना है अभी।
मेरी चाची बोली- ठीक है।
जैसे ही मैं गया मैंने अपना लण्ड निकाला तो वो पूरा 8.5′ का हो गया था। मेरी चाची वो सब कुछ बाथरूम की खिड़की से देख रही थी मेरे को नही पता था। जैसे ही उसने मेरे लण्ड को देखा वैसे वो ओहह्ह आह्ह्हह्छ करने लगी। मैं कुछ समझा नहीं कि यह आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं। मेरा जैसे ही काम हुआ और मैं बाहर निकलने लगा तो देखा कि मेरी चाची ने अपनी बुर में ऊँगली डाली हुई थी और पूरी मस्ती में थी।
मैं चुपचाप देखता रहा, जब उसका काम हो गया तो मैंने बोला- चाची यह तुम क्या कर रही थी!
मेरी चाची ने बोला मेरे को कि इतना बड़ा लण्ड कभी नहीं मिला जो मैंने बाथरूम की खिड़की से तुम्हारा देखा।
मैंने बोला- चाची मैं 4 साल से तुम्हारी बुर के बारे में सोचता रहता था पर आज तुम मौके पर मिली हो, आज मैं तुम्हें नहीं बक्शूंगा! मैं उसे बिस्तर पर उठा के ले गया। उसकी ब्रा खुली तो कभी सोच नहीं सकता कि इतने बड़े मुम्मे होंगे।
जैसे ही मैंने पकड़े मेरी चाची के मुम्मे, मेरा लण्ड 5 मिनट मैं दुबारा खड़ा हो गया। ऐसा चूसा मैंने चाची को कि आज भी वो अपनी दूसरी सुहागरात याद करती है। जैसे ही मैंने अपना लण्ड चाची की फुद्दी के साथ लगाया मेरी चाची बड़ी गरम हो गयी बोली- एक बार अन्दर डालो, मैं बहुत सालों से प्यासी हूँ।
जैसे ही मैंने डाला तो वो रोने लगी मैंने बाहर निकाला तो मेरे को बोली- अन्दर डालो! मैं एक अच्छा खिलाड़ी हूँ। 25+ उमर की फुदी का, कोहिनूर का एक्स्ट्रा टाइम कंडोम था।
मैंने चाची को तीन बार झाड़ दिया पर आखिरी मैं हार गया मेरा भी काम हो गया। वो चाची के साथ दिन आज भी मेरे याद आते हैं।
ऐसे ही बहुत फुदी मारी मैंने।
हैलो ! मेरा नाम सोनू है और Sex Stories मैं जालंधर का रहने वाला हूँ और मैं 30 साल का हूँ। आज मैं आपको अपनी सच्ची लव स्टोरी के बारे में बताने जा रहा हूँ।
बात 5 साल पहले की है जब मैं एक कंपनी से दूसरी कंपनी में काम करने के लिए आया। नए ऑफिस में दो लड़कियां पहले से ही काम कर रही थी। दोनों गजब की स्मार्ट और सेक्सी थी। एक की उमर 33 साल की थी, नाम शरण था और मुझे लाइन भी दे रही थी। वो मुझे बहुत सेक्सी और पटने वाली लगी। धीरे धीरे मैंने उस से दोस्ती कर ली।
तीन महीने के बाद मैंने उस से पूछा कि क्या उसको मुझसे प्यार है। वो घबरा गयी और कुछ नही बोली। उसके मुम्मे घबराहट से बड़े हो गए और होंठ सूख गए। दूसरे दिन वो ऑफिस में मेरे पास वाली सीट पे बैठी थी।
मैंने उस से किस मांगी। पर उसने इनकार कर दिया। फ़िर मैं धीरे से उसके पास गया और हाथ पकड़ के किस करने की कोशिश की। उसने मुझे नहीं रोका और मैंने पहली बार किसी लड़की के होंठ चूसे। उसके हाथ और चेहरा बहुत गर्म हो गया। फ़िर कुछ देर बाद उसने मुझे पीछे कर दिया। और इस तरह पहले चुम्बन से सिलसिला शुरू हो गया।
फ़िर मैंने उसे बाहर मिलने के लिए जोर डाला। पर शरण नहीं मानी। फ़िर कुछ दिन बाद मेरे ऑफिस के दूसरे लड़के की रात की शादी थी। उसने सब को शादी में बुलाया। मेरे मन में आया कि मैं शरण को इस शादी की रात चोदूंगा और ऐसा ही हुआ।
शादी में शरण भी आ गयी। वो बहुत सेक्सी लग रही थी और सलवार कमीज में थी कमीज का गला बड़ा था और उसके मुम्मों की बीच की लाइन साफ़ नज़र आ रही थी। मैंने उससे बोला कि शादी के बाद मैं उससे अपनी कार में घर छोड़ दूंगा और वो मान गयी। सो, शादी में कुछ देर एन्जॉय करने के बाद मैं शरण को कार में लेके निकल पड़ा। थोड़ा दूर जा के मैंने कार साइड में लगा दी और शरण से किस मांगी। उसने इंकार नहीं किया। मैंने उसे कार में ही किस करना शुरू किया।
पहले ऊपर का होंठ खूब चूसा, फ़िर नीचे वाला चूस के लाल कर दिया, फ़िर मैंने उसकी कमीज में हाथ डाल दिया और पेट को सहलाते हुए मुम्मे तक पहुँच गया, साथ में लिप किस भी हो रही थी। फ़िर मैंने उसकी कमीज ऊपर की और ब्रा के ऊपर से उसके मुम्मों को खूब रगड़ा। शरण पूरी गरम हो गयी थी। फ़िर मैंने पीछे से उसकी ब्रा की हूक खोली और उसके दोनों मुम्मों में अपना मुँह दे दिया। अब तो मेरा लंड खूब फर्राटे मार रहा था।
फ़िर मैंने धीरे से उसकी सलवार का नाला खोल दिया और झट से अपना हाथ बीच में डाल कर उसकी चूत पकड़ ली। उसने पैंटी नहीं पहनी थी। वो एकदम से घबरा गयी और जान गयी की आज वो ज़रूर चुद जायेगी। उसने मुझे रोकने की कोशिश की पर मैं नहीं रुका। उसकी चूत पे थोड़े से ही बाल थे। मैंने उसकी चूत में खूब ऊँगली दी। उसकी चूत पूरी लाल और गीली हो गयी थी। फ़िर मैंने उसकी सलवार उतार दी, उसकी चूत के बाहर के हिस्से को खूब रगड़ा। मेरा लंड उसकी चूत का स्वाद चखने को तैयार था। उसकी चूत में से पानी निकल के कार की सीट पे जा रहा था।
फ़िर मैंने अपनी पैंट उतारी और शरण के ऊपर चढ़ गया। मैंने अपना लंड उसकी चूत की मोरी पे रख दिया पर अंदर धक्का नहीं दिया। शरण तड़प उठी और बोली कि अब अपना लंड अंदर डाल दो। फ़िर मैंने एक ही झटके में अपना पूरा बड़ा लंड उसकी चूत में दे दिया और जोर से झटके मारने लगा।
उसको पहले दर्द हुआ फ़िर मज़ा आने लगा। उसने भी अपनी गांड ऊपर उठा के झटके देने शुरू कर दिए। मैंने उसकी गांड को पकड़ लिया और जोर से अपना लंड उसकी बच्चेदानी तक ले गया। वो फिस फिस करने लगी। फ़िर मैंने झटके के साथ साथ शरण के मुम्मों को दबोचा, किस किया, काटा, निप्पल को चूसा।
फ़िर मैंने अपना लंड उसकी चूत में से निकाल के उसे उल्टा करके पीछे से उसकी चूत को पकड़ के फ़िर चूत में डाल दिया। उसकी गांड पे झटके लग रहे थे। मैंने उसकी गांड पकड़ के पूरी चौड़ी कर दी और फ़िर गांड की मोरी में अपनी उंगली दे दी। इसी बीच वो डिस्चार्ज हो गयी और बाद में मेरा लंड भी उसकी चूत में डिस्चार्ज हो गया। और इस तरह से लगभग आधा घंटा मैंने उसके साथ सेक्स का मज़ा लिया। शरण ने भी खूब चुदने का मज़ा लिया।
उस रात के बाद मैंने कई बार उसको सेक्स के लिए बुलाया पर वो नहीं आयी। अब भी हम दोनों एक ही ऑफिस में हैं। मैं कभी कभी उसको पकड़ के किस करता हूँ तो वो एकदम बहुत गरम हो जाती है। यारो अब पाँच साल के बाद फ़िर मेरा दिल शरण को चोदने को कर रहा है पर वो नहीं मान रही। वो बोलती है किस कर लो, मुम्मे चूस लो और जो मर्ज़ी कर लो पर चूत मारने को नहीं दूँगी। अब मैं उसको कैसे अपनी गिरफ्त में लूँ, अपने सुझाव मुझे लिख भेजो : Sex Stories
मैं कॉलेज में आ चुका था। मेरे Antarvasna एक पुराना दोस्त मेरे साथ में मेरे घर में रहता था। हम दोनो पक्के दोस्त थे और एक दूसरे को बहुत चाहते थे। सेक्स के मामले में मैं बहुत झिझकता था। इतनी तो मेरी बड़ी दीदी भी नही शर्माती थी। मैं जब सुबह जागता था तो मेरे लण्ड में पेशाब भरे होने के कारण वो खड़ा हो जाता था। दीदी बस यही देखने के लिये सुबह मेरे कमरे में आ जाती थी और मेरे खड़े लौड़े को देख कर आहें भरती थी। अपनी चूत भी दबा लेती थी।
मेरी नजर जब उस पर पड़ती तो मैं झेंप जाता था, पर दीदी बेशर्मों की तरह मुस्करा कर चली जाती थी। मुझे ये सब देख कर सनसनी आने लगती थी। दीदी के चूतड़ मस्त गोल गोल उभरे हुए थे, मेरे भी वैसे ही थे … पर लड़की होने के कारण उसके चूतड़ ज्यादा सेक्सी लगते थे। उसकी चूंचिया भी भरी भरी गोल गोल मस्त उठान और उभार वाली थी। सीधी तनी हुई, किसी को भी दबाने के लिये निमन्त्रण देती हुई।
मेरा दोस्त ज्यादातर मेरे बिस्तर पर ही सोता था। कितनी बार तो रात को वो मेरे चेहरे को चूम भी लेता था। मुझे लगता था वो मुझे बहुत प्यार करता है। कभी कभी मैं भी उसे चूम लेता था।
इन दिनों उसमें कुछ बदलाव आ रहा था। हम जब कॉलेज साथ साथ जाते तो वो कभी कभी मेरी गाण्ड सहला देता था। मुझे बड़ा अच्छा लगता था। एक बार तो छत पर उसने मेरे पीछे आ कर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में लगा दिया था। मुझे एक झुरझुरी सी आई थी। उसके लण्ड का कड़ापन मेरी गाण्ड को करण्ट मार रहा था। मैंने अपनी गाण्ड हटा ली। बात आई गई हो गई।
रात को सोते समय उसने धीरे से मेरा लण्ड पकड़ लिया, मुझे अच्छा लगा। पर शरम के मारे मैंने उसका हाथ हटा दिया।
एक बार रात को सोते समय अनजाने में मेरा हाथ जाने कैसे उसके लण्ड पर चला गया। रवि ने मेरा हाथ अपने लण्ड पर दबा दिया। शायद उसने ही अपने लण्ड पर मेरा हाथ रख दिया होगा। कुछ देर मैं सोने का बहाना करता रहा, उसका हाथ अब मेरे लण्ड पर आ गया … मुझे बहुत मजा आया। मैं शान्त ही रहा। उसने अपना हाथ मेरे पजामे में डाल कर मेरा नंगा लण्ड पकड़ लिया। वो मेरा लण्ड सहलाने लगा।
मैंने मन ही मन आह भरी और जब सहा नहीं गया तो दूसरी तरफ़ करवट ले ली। उसने लण्ड छोड़ दिया। अब मेरा लण्ड तड़प रहा था कुछ करने को … पर क्या करने को … शायद गाण्ड मारने को या मराने को … वो पीछे से मेरे से चिपक गया और अपना लण्ड मेरे चूतड़ो में घुसाने की कोशिश करने लगा। चूतड़ो की दरार के बीच उसका लण्ड फ़ंसा हुआ अपनी साईज़ का अहसास दिला रहा था।
मैंने अचानक जागने का नाटक किया,”अरे यार सो जा ना … “
“तुझे प्यार करने को मन कर रहा है … ” उसने अपनी झेंप मिटाने की कोशिश की।
“ओह हो … ये ले बस … ” मैंने करवट बदल कर उसे पकड़ कर चूम लिया पर उसने मुझे जबरदस्ती होंठ पर चिपका लिया और होंठ चूसने लगा।
मैंने अलग होते हुए कहा,”ऐसे तो लड़किया करती हैं … साले … बस हो गया अब सो जा … “
“अभी आया … ” कह कर वो बाथ रूम गया, शायद अन्दर वो मुठ मार रहा था। कुछ देर में वो आ गया और अब वो शांति से सो रहा था। मुझे भी मुठ मारने की तेज इच्छा होने लगी थी, पर कुछ ही देर मेरा वीर्य बिस्तर पर ही निकल गया। मैंने अपना रूमाल पजामे में घुसा लिया और वीर्य पोन्छ दिया।
हमने सिनेमा देखने का कार्यक्रम बनाया। हॉल लगभग खाली था। बालकनी में बस हम दोनों ही थे। पिक्चर शुरू होते ही रवि ने मेरा हाथ पकड़ लिया … और फिर धीरे से हाथ छोड़ कर उसने मेरी जांघ पर रख दिया। मुझे पता था कि मुझे ये सिनेमा लाया ही इसीलिये है।
आज मैंने सोचा कि ये अधिक परेशान करेगा तो मैं उठ कर चला जाऊंगा।
पर उसके हाथों में जादू था। मेरी जांघ वो सहलाता रहा। मुझमें करण्ट दौड़ने लगा। धीरे से उसने मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया। मुझे अजीब सा लगने लगा पर आनन्द भी आया। जैसे ही उसने लण्ड दबाया, मैंने उसका हाथ हटा दिया। उसने मुझे देखा फिर कुछ ही देर के बाद उसने हाथ फिर से मेरी जांघ पर रख दिया। कुछ ही देर के बाद उसने फिर कोशिश की और मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और हल्के से सहलाने लगा।
मेरे मन में एक हूक सी उठी … हाय … कितना मजा आ रहा है … । पर दिल नहीं माना … उसका हाथ मैंने फिर से हटा दिया। उसने भी हिम्मत नही हारी … और कुछ ही देर में उसने फिर मेरे लण्ड पर हाथ रख दिया और दबाने लगा। पर यहाँ मैंने हिम्मत हार दी और उसे करने दिया।
वो मेरा लण्ड दबाने लगा … और अपनी अंगुलियां से दोनो ओर से लण्ड को दबा कर सहलाने लगा। मुझे कोई विरोध ना करते देख कर वो खुश हो गया। और मेरी पेन्ट की ज़िप खोल दी … अब उसका हाथ मेरे अंडरवीयर को ऊंचा करके नंगे लण्ड तक पहुंच गया था। उसने अपने हाथ में उसे पूरा भर लिया। मुझे आनन्द की एक तरावट सी आ गई। मुझे लगने लगा कि काश मेरा मुठ मार दे और मेरा वीर्य निकाल दे।
“कैसा लगा … बता ना !” उसने मुझसे फ़ुसफ़ुसा कर पूछा।
“बस रवि … अब हाथ हटा ले यार … “
“अरे नहीं … देख बहुत मजा आता है … ” कह कर उसने लण्ड पेन्ट से बाहर निकाल लिया। मेरा मन खुशी से भर गया। मैंने अपना हाथ उसके लण्ड की तरफ़ बढा दिया और बाहर से उसे पकड़ लिया।
“तुझे भी मजा आया क्या … ” मैंने उससे पूछा और उसके पेन्ट के अन्दर हाथ डाल दिया उसने अन्दर चड्डी नही पहन रखी थी, सीधे लण्ड से हाथ टकरा गया। उसे मसलते हुए मैंने बाहर निकाल लिया। अब वह मेरे लण्ड को हौले हौले घिस रहा था, और मैं उसके लण्ड को घिस रहा था। तभी इन्टरवेल हो गया।
हॉल की लाईटें जल उठी। दोनो के लण्ड बाहर मस्त हो कर लहरा रहे थे। मैंने शरमा कर लण्ड एक दम पेन्ट के अन्दर डाल लिया।
“चल यार … अब चलें … कही आराम से मजे करते हैं … “
“ओके … चल … ।” बाहर आकर मैंने स्टैण्ड से अपनी मोटर साईकल निकाली और नेहरू गार्डन चले आये। रात हो चुकी थी, भीड़ भी कम थी। हम दोनों एक एकान्त की ओर बढ़ गये। एक घने झाड़ के नीचे बैठ गये।
“आ जा अब मस्ती करते हैं !” मुझे तो वही मस्ती आ रही थी, मैंने तुरन्त अपना लण्ड निकाल दिया। उसने मेरा लण्ड पकड़ कर अब फ़्री स्टाईल में मुठ मारना चालू कर दिया। मैं झूम उठा …
“मजा आ रहा है ना … देख घर पर तबीयत से चुदाना … “
” चुदाना ? मैं क्या लड़की हूँ … साले … आह्ह्ह भोसड़ी के … मस्त मजा आ रहा है … तू भी अपना लौड़ा निकाल ना … ला मसल दूँ … ”
“निकाल तो रखा है यार … तू तो मस्ती में खोया है … ” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और मसलने लगा। उसने मुझे लिपटा लिया और मेरे होंठो को चूमने लगा। मैं भी प्रति-उत्तर में उसे चूमने लगा। हम दोनो मदहोशी में भूल गये कि हम गार्डन में है।
लण्ड मसलने से कुछ ही देर में मेरा वीर्य छुट गया, कुछ ही देर में वो भी झड़ गया। हमें झड़ने के बाद होश आया। देखा तो पूरा गार्डन सूना था … हम उठ खड़े हुये, लण्ड को पेण्ट के भीतर डाला और उठ खड़े हुए।
“थेन्क्स यार … बड़ा मजा आया … ” और हम चल दिये।
घर आ कर मुझे बड़ी घिन आने लगी कि हाय मैं ये क्या कर रहा था? मैंने अलमारी से दारू की बोतल निकाली और दो पेग बना कर पी गया। खाना खा कर हम सोने की तैयारी करने लगे। मुझे नशे में फिर से वासना की खुमारी चढ़ने लगी। इतने में दीदी आ गई।
“रवि, आज लगता है कोई खास बात है … ।”
“नहीं दीदी … ऐसा तो कुछ भी नहीं है … “
“अरे बता दे ना … आज कितनी मस्ती मारी है हमने … मजा आ गया !” मैंने नशे में कहा।
“भैया आप ही बता दो ना … !” दीदी ने मुझसे पूछा।
“अरे दीदी, क्या बताऊँ … इस साले ने मेरा लण्ड का मुठ मार कर माल ही निकाल दिया” मैंने हिचकी लेते हुये कहा।
‘दीदी ये तो बहक रहा है … “रवि ने शर्माते हुए कहा।
“अच्छा तो ये बात है … अकेले अकेले मजे कर रहे हो … ” दीदी मुस्कराई।
और मुड़ कर चली गई। मैंने अपने कपड़े उतारे और बिस्तर पर लेट गया … रवि ने भी मौका देखा और लाईट बंद कर दी और वो भी नंगा हो कर लेट गया। कुछ ही देर बाद हम दोनो एक दूसरे का लण्ड मसल रहे थे … मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था। मुझे लग रहा था कि कुछ करना चहिये … पर क्या ?
“गाण्ड मरवाओगे क्या … “
“क्या … क्या मरवाओगे … “
“मेरा मन, तेरी गाण्ड में लण्ड घुसेड़ने को कर रहा है … देख मजा आयेगा राजू … “
“पर यार छेद तो छोटा सा है … ” मुझे पता था कि लण्ड गाण्ड में घुसेड़ कर उसे चोदी जाती है … पर मैं मसूम ही बना रहा।
“लौड़ा घुस जायेगा … देख उल्टा लेट जा … ये तकिया भी नीचे लगा ले … “
मैं नीचे तकिया लगा कर लेट गया, मेरी गाण्ड और ऊंची हो गई। उसने मेरी गाण्ड ने थूक लगाया और वो मेरी पीठ पर चिपक गया और मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ने लगा। उसके लण्ड ने मेरी गाण्ड के छेद में ठोकर मारी। मुझे गुदगुदी सी हुई। मैंने अपनी गाण्ड खोल दी उसने जोर लगा कर लण्ड का सुपाड़ा गाण्ड में घुसेड़ दिया और आगे हाथ बढा कर मेरा लण्ड पकड़ लिया। उसने जोर मार कर लण्ड अन्दर घुसा मारा …
मेरी गाण्ड नरम थी, जवान थी … पूरा लण्ड निगल गई। अब उसने धक्के मारने शुरू कर दिये … मुझे थोड़ी सी जलन हुई, पर मजा अधिक आया। पहली बार लण्ड से गाण्ड मरा रहा था। वो मुझे चूमने चाटने लगा … मेरा लण्ड तकिये से दबा हुआ सिसक रहा था … और जोर मार रहा था।
रवि तो मस्ती में चूर था … पूरे जोश के साथ मेरी गाण्ड चोद रहा था और कुछ ही देर में वीर्य निकाल दिया। रवि निढाल सा एक तरफ़ लुढ़क गया।
“राजू, तेरी बहन को चोद डाले क्या?” रवि ने गहरी सांस भरते हुए कहा।
“साले मरवायेगा क्या … ?”
“नहीं यार … बड़ी सेक्सी है … चल यार कोशिश करते हैं … अपना लण्ड का माल उसी से निकाल लेना !”
“अच्छा, चल कोशिश करते हैं … देख बात बिगड़े तो सम्हाल लेना !”
रवि ने हामी भर दी। मेरी दीदी की नजर तो मुझ पर थी ही … मुझे लगता था कि काम हो ही जायेगा … । हम दोनों बिस्तर से उठे और तोलिया लपेट लिया और दबे पांव दीदी के कमरे में सामने चले आये। कमरे में बाहर की लाईट का खासा उजाला था … दीदी दोनों पांव चौड़े करके और स्कर्ट ऊंची करके लेटी हुई थी। मैं दीदी के बिस्तर पर उसके पास बैठ गया।
दीदी ने धीरे से आंखे खोली,”राजू … क्या हुआ … ये सिर्फ़ तोलिया लपेटे क्यूँ घूम रहे हो … ?”
मैं थोड़ा नर्वस हो गया। पर रवि बोल उठा,”दीदी … आप लेटी रहो … राजू … चल कर ना … “
मैंने दीदी की चूंचियों की तरफ़ हाथ बढ़ाया। दीदी सब समझ चुकी थी। मुस्करा उठी …
मेरे हाथ उसके बोबे तक आ चुके थे …
“राजू … घबरा मत … पकड़ ले और दबा दे … !”
मेरी हिम्मत खुल गई,” दीदी … थेन्क्स … ” और मैंने धीरे से दीदी के बोबे पकड़ कर दबा दिये।
“अरे, शरमा मत … मसल दे … मजा ले ले दीदी का … और मजा दे दे दीदी को … ” दीदी सिसक उठी, जाने कब से बेचारी चुदासी थी …
उसने मेरा तौलिया उतार दिया और रवि ने मुझे बिस्तर पर धक्का दे दिया …
“बस बस … चढ़े ही जा रहे हो … ” वो उठ कर बैठ गई … और भाग कर अपना दरवाजा अन्दर से बंद कर दिया। रवि ने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और उसका एक चूतड़ दबा लिया।
“दीदी, आपकी बाटिया यानी चूतड़ सोलिड हैं … बॉल भी बड़े कसे हुए हैं …! ”
“तू भी तो रवि सोलिड है … भैया की अभी गाण्ड मारी है ना … उसकी बाटिया मेरी जैसी ही तो है … !”
“दीदी … आपने सब देखा है क्या … ” मैं चौंक गया। दीदी मुस्कुरा उठी।
“राजू जवानी लगी है अभी … इसमें सब चलता है … देख मैं भी अभी चूत मरवाऊंगी और इसकी प्यास बुझाउंगी, रवि से गाण्ड मरवाउंगी … साला हरामी मस्त गाण्ड चोदता है !” और खिलखिला कर हंस पड़ी।
रवि से हट कर दीदी मेरे पास आई,”भैया … पहले आपका हक बनता है … देखो प्यार से चोदना … तेरी मस्त चूतड़ो की तो मैं भी दीवानी हूँ !”
“और मैं भी दीदी … तेरी चूतड़ो की गहराई देख कर तो मेरा लण्ड कब से चोदने को बेताब हो रहा था।”
“हाय रे भैया, तो देरी किस बात की है … चोद दे ना … ” और वो मेरे से लिपट पड़ी।
मैंने उसे तुरन्त घोड़ी बनाया और और उसे अपने से चिपका लिया। रवि लपक कर आया और नीचे से मेरा कड़क लौड़ा उसकी चूत के द्वार पर रख दिया।
“मार राजू … चोद दे दीदी को … पर देख प्यार से … दीदी अपनी ही है … ” रवि के स्वर में प्यार झलक रहा था।
मैंने धीरे से लण्ड दीदी की चूत में ठेल दिया।
लण्ड का प्रवेश होते ही उसके मुख से प्यारी सी सिसकारी निकली और उसने प्यार भरी निगाहों से मुझे देखा,”भैया … रहम मत करना … साले लौड़े को जोर से ठोक दे … बहुत महीनों बाद लौड़ा खा रही हूं !”
“हाय दीदी … ये लो … मुझे भी मत रोकना … मेरा तो रोम रोम सुलग रहा है … पहली बार मुझे भी कोई चूत मिली है … !”
मैंने जोर लगा कर लण्ड चूत की जड़ तक बैठा दिया। रवि ने मेरी गाण्ड सहलानी चालू कर दी। उसका लण्ड भी बेकाबू हो रहा था। मैंने दीदी की चूंचिया दबा कर पकड़ ली और मसलते हुए पूरी ताकत से लौड़ा खींच कर दे मारा।
“आह राजू … ये हुई ना बात … अब ढेर सारे जोर की ठोकरे दे मार … साली चूत को मजा आ जाये … “
मैं जैसे ये सुनते ही पगला गया … जोर जोर से उसकी चूत में लण्ड घुसेड़ कर चोदने लगा … पर जवानी तो दीदी पर पूरी तरह से छाई हुई थी … उसकी चूत लपक लपक कर लौड़ा ले रही थी। तभी मुझे लगा रवि भी अपना संयम खो बैठा और उसने मेरी गाण्ड में अपना लण्ड घुसेड़ दिया।
“राजू प्लीज … तेरे गोल गोल चूतड़ मारने को कर रहा है … !” रवि ने कहा।
“अरे रुक जा साले … दीदी की गाण्ड और भी मस्त है … ठहर जरा … दीदी, आप दोनो छेद से मजा लो ना … “
दीदी तो वासना की आग में जली जा रही थी …
“हाय आगे से और पीछे से … दोनो तरफ़ से चोदोगे … माँ मेरी … चल पोजिशन ले … आज तो तुम दोनों मुझे मस्त करके ही छोड़ोगे !”
मैं बिस्तर पर चित्त लेट गया और दीदी ने ऊपर आ कर मेरा लण्ड चूत में डाल लिया और पूरा घुसेड़ कर जड़ तक बैठा लिया … और दोनों पांव से अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये। रवि तुरन्त लपक कर बिस्तर पर चढ़ गया और उसकी खुले हुये चूतड़ो के पट में लण्ड रख दिया। दीदी ने रवि को देखा और मुस्कुरा दी और लण्ड गाण्ड में सरक गया।
“हाय रवि … भारी है … पर हां, कस के गाण्ड मारना … ये जवान लड़की की गाण्ड है … खूब लेती है और भरपूर लेती है !”
रवि तो सुनते ही जोश में आ गया और पहले धीरे धीरे और फिर जो जोर पकड़ा तो दीदी को भी मजा आ गया। अपनी गाण्ड उभार कर चुदाने लगी।
“वाकई, राजू … दीदी की गाण्ड तो मस्त है … जबरदस्त चोदने लायक है …! ” मैं नीचे उसके बोबे मसल मसल कर लण्ड उछाल उछाल कर दीदी को चोद रहा था। दीदी दोनों तरफ़ से चुद कर मस्त हो चली थी।
अब मुझे लगा कि मेरी नसें खिंचने लगी हैं … सारा कुछ लण्ड के रास्ते निकलने वाला है … मैं सिसक उठा,”दीदी … प्यारी दीदी … मेरा तो निकला … हाय … “
दीदी मुझसे चिपक गई … “राजू … निकाल दे … मस्त हो जा … रवि है ना, वो चोद देगा … तू झड़ जा … आराम से … हां”
“दीदी … तेरी तो … हाय … भेन की चूत … मैं गया … अरे रे रे रे … ओह्ह्ह्ह्ह्ह हा हाऽऽऽऽऽ।” और मेरा वीर्य छुट पड़ा … दीदी ने मेरा लौड़ा बाहर निकाल दिया … सारा वीर्य उसकी चूत के आस पास निकलता रहा। इतने में रवि ने गाण्ड से लण्ड निकाल कर दीदी की चूत में घुसेड़ दिया।
“आह्ह्ह साला हरामी रवि … मेरी चूत मार रहा है … “
“दीदी, अब आपकी बारी है माल निकालने की … “
“तेरे को कैसे पता … मैया री … अह्ह्ह् … साला … रवि … चोद दे रे … जोर से … मार और मार… भैया “
और मेरे से से जोर से लिपट गई … और दीदी का पानी छुट गया … दीदी मेरे से लिपट कर बल खाती हुई झड़ने लगी।
“दीदी … मेरा लण्ड … गया रे … निकला मेरा भी … ओये रे … चल निकल … हाऽऽऽऽऽऽ … ” और रवि ने लण्ड चूत से बाहर निकाला और दीदी की गाण्ड पर फ़ुहारें छोड़ दी … दीदी मुझे दबाये लेटी रही … रवि उठ कर बैठ गया।
“अब हो गया … सबका माल निकल गया … चलो उठो” रवि ने हांक लगाई।
दीदी ने मेरे ऊपर से सर उठाया और मुझे आंखो से जी भर कर देखा, और मुस्कराने लगी।
मुझे चूमते हुये बोली,”आप बहुत प्यारे हैं भैया … दीदी की प्यास बुझा दी और एक रवि जैसा गाण्ड की प्यास बुझाने वाला दोस्त भी दे दिया … क्यो रवि … है ना !”
“दीदी … आप के तो हम दास है … बस आप तो आदेश दे दे ना … लण्ड हाजिर है … “
दीदी हंस पड़ी और मुझे फिर से चूम लिया। वो मेरे ऊपर से हट गई और रवि को लिपट कर प्यार करने लगी। मैंने बड़ी मुश्किल से दोनों को अलग किया।
“चल साले तौलिया लपेट और निकल यहाँ से … अब तो रोज का प्रोग्राम रहेगा … उतावाला मत हो !”
रवि बड़ी आसक्ति भरी नजरों से दीदी को देखता हुआ कमरे से बाहर आ गया।
हम बिस्तर पर जा कर जैसे लुढ़क पड़े, और नींद की आगोश में चले गये … अचानक मेरी नींद रात को खुल गई … देखा तो रवि पास में नहीं था … मैंने जल्दी से उसे तलाशा … तभी दीदी के कमरे से सिसकियाँ सुनाई दी … अन्दर देखा तो मस्त चुदाई चल रही थी … मैं उनके पास गया”शश्श्श्श्श्श्श … चुप … ।”
“भैया … प्लीज करने दो … रहा नहीं गया ना … “
“चुप … बाहर तक सिसकारी की आवाजें आ रही हैं … चुप से चोदा-चादी करो … शोर नहीं … वरना ऐसा पिटोगे कि सब भूल जाओगे … ” मैंने दरवाजा बाहर से बंद कर किया … अब वो दोनों बिना आहें भरे … चुदाई कर रहे थे … । Antarvasna
मेरा नाम लहरी बाई है, उम्र अभी 29 वर्ष, (Antarvasna) जिस्म मांसल और गदराया हुआ है। मेरा जिस्म थोड़ा भारी है पर मैं मोटी नहीं हूँ। पुरुषों में मैं एक आकर्षण का केन्द्र हमेशा से रही हूँ।
मैं एक पतिव्रता स्त्री हूँ, रोज सवेरे जब मेरे पति हरि प्रसाद पूजा करके उठते हैं तो मैं उनकी पूजा करती हूँ। मेरे पति राज्य सरकार में अधिशासी अभियन्ता है। घर से पूजा पाठ करके कार्यालय में रिश्वत लेना, कमीशन लेना, सभी कार्य वे कुशलतापूर्वक करते हैं। हमारे घर में लक्ष्मी पांव पसारे जमी हुई है। मेरे पड़ोसी जो मेरे देवर के ही समान हैं, गंगा प्रसाद एक जाने माने डॉक्टर हैं, उनकी भी ऊपरी कमाई बहुत है, बस मुझसे कोई तीन साल छोटे हैं। गुलाबी, मेरी नाईन है, मेरे गांव की ही है, मुझसे पांच सात साल बड़ी है, मेरी मालिश करती है और मेरी हमराज भी है।
मैं इन्हें देवर ही कहती हूँ। मेरे देवर गंगा की निगाहें मुझ पर जमी रहती थी, शायद मेरे सेक्सी रूप का वो दीवाना था। उसकी निगाहें मेरे वक्ष की तरफ़ अधिक रहती थी। यूँ तो मेरी गाण्ड भी खासी आकर्षक उसे लगती थी, पर बेचारा वो मजबूर था, कि कैसे कुछ करे।
गुलाबी मेरे जिस्म की मालिश करने अभी अभी आई थी,”लहरी, उतार थारा कपड़ा, अब तन्ने घिस दूं !”
“क्या खबर है गुलाबी… ?” मैंने अपनी बड़ी बड़ी कजरारी आंखें उठा कर उससे पूछा।
“गंगा तो थारे पे मरा जा रिया है !”
“हुंह, मुआ… तो जैसे मेरे बोबे दबा कर ही छोड़ेगा… कुछ कह रहा था क्या ?”
“ये पांच सौ का नोट दिया है … और एक पैगाम है थारे वास्ते… “
मेरा दिल जोर से धड़क उठा। उसकी हिम्मत तो देखो… । मैंने गुलाबी की ओर देखा…
वो मतलब से हंसी।
“अरे मसखरी करे है … फेर थारे कैइ फ़रक पड़ जाये है … गंगा से दबवा ले, साली तू भी मस्त हो जायेगी !”
“फिर वो तो चोदने को भी कहेगा ?” मैं हंस कर बोली।
“तो कांई फ़रक पड़े है, थारी भोसड़ी तो कंवारी ही तो है… यूँ तो जंग लग जावेगा … “
“तो मैं क्या करूँ, हरि प्रसाद को तो बस मेरी गाण्ड ही नजर आवे … साला गाण्ड के पीछे मरा जावे है।”
मैंने अपने कपड़े उतार दिये और नीचे दरी बिछा कर लेट गई। वो मेरी पीठ घिसने लगी। गुलाबी के हाथो में ताकत थी, बड़ी मस्त मसलती थी। मेरी चड्डी उतार कर उसने एक तरफ़ रख दी और मेरे चूतड़ों के गोले गोलाई में मसलने लगी। बस मेरे शरीर में तरंगें छूटने लगी। साली जादू कर देती थी। मेरे चूतड़ों को खोल कर उसने मेरी गाण्ड के छेद में तेल भर दिया।
“ये देख तो, साली को चोद चोद के पोली कर दी है… ये देख, तीन तीन अंगुली अन्दर बैठ जावै है।”
उसने अपनी तीनों अंगुलियाँ मेरी गाण्ड में घुसेड़ दी और अन्दर चलाने लगी, घुमाने लगी। मुझे गुदगुदी सी भरने लगी। काफ़ी देर तक वो मुझे मस्ती दिलाती रही। फिर उसने मुझे सीधा कर दिया और मेरा पेट और चूचियाँ घुमा घुमा कर तेल मलने लगी, मेरे चुचूकों को तेल लगा कर मसलने लगी। मेरी चूत में बार बार करण्ट लगने लगा था। फिर वो चूत की भी मालिश करने लगी।
“देख लहरी, तेरा भोसड़ा तो सड़ गया है, ऐसा तो किसी बच्चे का भी नहीं होवै है… अरे इसकी पिलाई करा दे रे … गंगा से चुदवा ले … तेरा भोसड़ा खुल जावेगा।”
“अरे नहीं रे गुलाबी, देवर लगता है, शरम आवे है … सच बताऊँ तो मेरी हिम्मत ही नहीं है।”
“पर वो लाईन तो मारे है ना, और देख, उसका लण्ड मस्त है रे … मोटा है… एक बार ले लेगी तो मस्त जावेगी।”
“मन तो बहुत करे है … पर हरि से बेवफ़ाई नहीं करूंगी… “
“तो हरि तो बस गाण्ड ही बजावे ना… थन्ने लागे नहीं भोसड़ो चुदवाने को?”
“लागे… लागे … बहुत जोर से लागे … पर क्या करूँ, पर वो तो बस गाण्ड चोद कर सो जावे ना !”
“देख मन्ने तो गंगा ने ये पांच सौ रुपिया दिया है, थारे तक पैगाम पहुंचाने के वास्ते, तू चाहे लहरी, तो लाईन क्लीयर करवा दूँ … सीधी बात करवा दूँ … तू चाहे तो ना… “
उसने अपनी थैली में से एक चिकना चमकदार स्टील का छः इन्च का एक पाईप सा निकाला। मेरे पांव फ़ैला कर वो उसने मेरी चूत में डाल दिया। मेरी तो जान ही निकल गई। उसे अन्दर घुमाना और अन्दर बाहर करने लगी।
“क्या बिल्कुल नहीं चोदा है ? बड़ा निष्ठुर है रे जीजू तो … “
“नही… नहीं चोदा तो है पर बस आठ दस बार … उसे चूत मारने में मजा ही नहीं आता है… “
“तो गंगा को कल बुलाती हूँ … सोच लेना… ” गुलाबी ने फिर से कहा।
मैंने अपनी आंखें शरम से बन्द कर ली, उसकी हाथों की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी।
गंगा का लण्ड दिमाग में छाने लगा था। लगा गंगा ही चोद रहा है … और मेरे मन में गंगा ही बस गया था।
मुझे शान्त करके गुलाबी चली गई।
दूसरे दिन दोपहर को गुलाबी आई और मुझे देख कर मुस्कराने लगी। मेरी आंखों में काजल गजब ढा रहे थे। मेरी काली जुल्फ़ें चेहरे पर लटक रही थी। मेरे मन में हलचल मची हुई थी। जाने गंगा क्या सोचेगा ? मन में मिठास सी भरी जा रही थी। पहली बार किसी गैर मर्द के पास जा रही थी और वह भी और कोई नहीं बल्कि मेरा देवर जैसा ही था !!!
“लहरी, गंगा बाहर खड़ा चोदन के वास्ते … बोलो तो… बुला लूँ?”
मेरी सांसें चढ़ गई … पसीना सा आने लगा … हाय अब मैं क्या करूँ ?
“देख, गुलाबी, तू यहीं रहना… कहीं मत जाना… “
“नहीं जाऊंगी… बस… बुला कर लाऊं ?”
गुलाबी ने मुझे मुस्करा कर तिरछी नजरों से देखा और दरवाजे की तरफ़ बढ़ गई।
मुझे फिर मुड़ कर देखा और दरवाजे से झांक कर उसने गंगा को आवाज लगाई।
शायद वो वहाँ नहीं था। मैं जल्दी से जा कर लहंगा उतार कर पेटीकोट और ब्लाऊज पहन आई। चड्डी मैंने जान कर नहीं पहनी। गंगा के आने की आवाज मुझे आ गई थी। मेरा दिल जैसे उछल कर हलक में अटक गया।
अगले ही क्षण गंगा मुस्कराता हुआ कमरे में आ गया।
“कैसी हो लहरी ?” वो जैसे विजेता स्वर में बोला।
“मेरी तबीयत ठीक नहीं थी, सो सोचा आप को बुला लूँ… ” जाने एकदम से मेरे मुख से बहाना निकल आया।
गुलाबी हंस पड़ी,”गंगा जी सब ठीक कर देंगे, शरीर का सारा जहर उतार देंगे … और सुई भी गड़ा देंगे।”
गंगा मेरे समीप आ गया। मेरे हाथों को अपने हाथ में ले कर नाड़ी देखने लगा।
“दिल तो जोरो से धड़क रहा है … कहो, कहाँ से आरम्भ करूँ… तुम्हीं कहो गुलाबी !”
“अब मुझसे नहीं लहरी से पूछो… !” गुलाबी ने बड़े रस भरे अन्दाज से कहा।
“हटो गंगा … मुझे शर्म आती है !” मेरी निगाहें शर्म से झुकी जा रही थी।
वो मेरे पास और आ गये और धीरे से मेरे सीने पर हाथ रख दिया। मेरे दिल की धड़कन जैसे थम गई हो।
“मैं जाती हूँ… गंगा जी, जरा जम कर इलाज करियो !”
“गुलाबी, मत जा … सुन तो… !” पर गुलाबी हंसती हुई बाहर चली गई।
“अब कहो, भाभी क्या तकलीफ़ है, ये गुलाबो तो बस… ।” गंगा मुझे सामान्य करता हुआ बोला।
“मुझे ज्वर चढ़ा है, जरा देख लो… “मैंने तिरछी नजरों से उसे देखा।
गंगा ने सर पर हाथ लगा कर देखा, फिर मेरे हाथ पकड़ कर चेक किया। अपना स्टेथोस्कोप लिया और सीधे मेरी छाती पर रख दिया। मेरा दिल जोर जोर से धड़कने लगा। वह अपना हाथ धीरे धीरे मेरे स्तनों पर ले आया।
मैं सिमट सी गई,”देवर जी, यहाँ तो गुदगुदी लगती है… !”
वह अपने स्टेथोस्कोप को और मेरे स्तनों को हिला हिला कर देखने लगा, मेरे भारी स्तन जैसे कठोर हो उठे, फिर धीरे से बोला,” मस्त है, मसल दू साले को?”
“जी क्या कहा… ?”
“पेट तो नहीं दुःख रहा है ना… ?”
“दुःखता है … बहुत दुःखता है… !” मैंने जल्दी से कहा।
मुझे उसके हाथों से खेलने पर बहुत भला लग रहा था। उसका हाथ मेरे पेट पर आ गया था, उसे सहलाते हुये कहा,”कुछ हुआ क्या ?” गंगा ने मसखरी की।
मैं क्या कहती भला ? वो चाहे जहाँ भी हाथ लगाये, असर तो मेरी चूत पर हो रहा था। वासना के मारे मेरी आंखें बंद होती जा रही थी। उसका हाथ मेरे पेटीकोट में से होता हुआ मेरी चूत की ओर बढ़ गया। मेरा बदन सिहर उठा। यह पहली बार था जब किसी पराए मर्द का हाथ मेरी चूत के इतनी पास लगा था।
उसका हाथ चूत पर आते ही मैंने उसे जोर से पकड़ लिया,”नहीं देवर जी … नहीं !”
पर तब तक वो मेरी चूत दबा चुका था। मेरे मुख से आह निकल गई और मैं सिमट कर बैठ गई।
“लहरी, शर्माओ मत, चलो इलाज शुरू करें … ” उसने मेरे उन्नत स्तनों को छूते हुये कहा।
“गंगा, यह तो आपके और मेरे बीच का मामला था… गुलाबी को बीच में क्यों… “
“ऐसे कैसे मामला पटता … देवर भाभी का रिश्ता जो ठहरा… “
“अब उसे पता चल गया है ना … कहीं बदनाम ना कर दे… “
“नहीं… वो ऐसा नहीं करेगी… पर आह… मेरी किस्मत, तुम्हारा यह गदराया हुआ मांसल बदन मेरे पास है, तुम्हारी ये जवानी, ये गोल गोल मांसल चूतड़ … ये भारी भारी चूचियाँ… ये कजरारी, मस्ती भरी बड़ी बड़ी आंखें … मुझे तो जन्नत मिल जायेगी तुम्हें चोद कर लहरी … हाय रे मेरी जान !”
“ना रे गंगा, तू मुझे मिल गया, मुझे सब कुछ मिल गया… !”
“लहरी, मेरा यह कड़क लण्ड दबा दे … मसल डाल इसको… ” गंगा ने अपना लण्ड खींच कर बाहर निकाल लिया।
“राजा, मेरी छाती दबा दे… बहुत मचल रही है … जोर से दाबना… मजा आ जाये मेरे राजा !” मेरा दिल मचल उठा।
मेरे स्तन उसके हाथों में कस गये थे। मेरे मुख से आह निकल गई। उसने मुझे अपनी बाहों में कस लिया और मेरे रसीले होंठ कस कर अपने होंठों से चिपका दिये। मैंने उसका कड़कता लण्ड अपने नर्म हाथों में थाम लिया और कस कर उसे ऊपर नीचे करने लगी। वो सिसक उठा। मुझे सब कुछ अजीब सा लग रहा था। पराये मर्द के हाथों में मेरा शरीर कसा हुआ था। मेरे बोबे जैसे कड़क उठे थे- आह्ह्ह्ह … अरे गंगा ! जोर से मसक दे… … मेरे चूचे बाहर निकाल कर खींच खींच कर नोच ले।
गंगा का एक हाथ मेरे चूतड़ों पर आ कर उससे खेलने लगा था। कभी मेरी गाण्ड के छेद को रगड़ मारता तो कभी गाण्ड को नोच डालता। तभी उसका बम्बू जैसा लण्ड मेरे कूल्हे पर थाप मारने लगा। मेरे दांत किटकिटाने लगे… लगा कि गंगा का मांस नोच कर खा जाऊं। काम-पीड़ा बढ़ने लगी थी। मुझे लग रहा था कि काश आज यह मेरी कंवारी चूत को कस कर चोद डाले। ऐसा चोद्दा मारे कि मेरी जान निकल जाये। मेरा पेटीकोट नीचे उतर गया था। मैंने चड्डी नहीं पहन रखी थी… चुदना जो था।
गंगा भी वासना में बह चला था। उसने झटपट अपने कपड़े उतार दिये और नंगा हो गया। आह … बिल्कुल हरि प्रसाद जैसा गोरा चिट्टा लण्ड, वैसा ही मोटा, भारी सा … मेरी चूत का उद्धार जो होने वाला था। मेरी चूत फ़ड़फ़ड़ा उठी। उसने मेरा ब्लाऊज जो आधा तो खुला ही था, पूरा उतार दिया और मुझे धक्का दे कर बिस्तर पर गिरा दिया।
हाय रे मेरी आदत… मैं बिस्तर पर गिरते ही घोड़ी बन गई और गंगा पीछे मेरी गाण्ड पर चढ़ गया। उसका तन्नाया हुआ लण्ड मेरी गाण्ड में सदा की तरह घुसता चला गया।
“धत्त साला ! जैसा वो, वैसा उसका भाई …! इसको भी साले को गाण्ड ही फ़ाड़नी थी !”
“क्या कहा लहरी बाई … जो मस्त होता है पहली तो वो ही चुदेगी… पर तू बुरा ना मान !” उसने दो तीन मस्त धक्के गाण्ड में मारे और फिर मेरी बात मान कर वो बिस्तर पर धम्म से लेट गया। मैं उसके ऊपर आ गई और उससे लिपट गई। उसका लण्ड मेरी चूत पर ठोकरें मार रहा था। उसका टनटनाता हुआ लण्ड 120 डिग्री पर लहरा रहा था और फिर मेरी आंखें जैसे खुली की खुली रह गई। मेरी चूत में जैसे कोई मीठी सी छुरी उतर रही थी- “गंगा … हाय रे… “
“मेरी लहरी … उफ़्फ़्फ़्फ़ !”
“पूरो ही घुसेड़ मारो … दैया री … ईईईईई सीऽऽऽऽऽऽऽ”
गंगा कुछ नहीं बोला, बस अन्त में एक झटका दिया और बच्चेदानी पर ठोकर मार दी।
“गंगा… तुझे मेरी कसम … आज मेरी फ़ाड़ डाल … बिल्कुल शुद्ध फ़ुद्दी है मेरी !”
गंगा को जैसे कुछ सुनाई नहीं पड़ रहा था। उसकी रफ़्तार तेजी पकड़ रही थी, मेरी चूत अपने आप ही उसका साथ देने लगी। दोनों ही कस कस कर साथ दे रहे थे, लण्ड पूरा अन्दर तक जा रहा था।
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उसने अचानक रुख पलटा और मुझे नीचे दबा लिया, खुद मेरे ऊपर चढ़ गया और जोर जोर से मेरी चूत को पीटने लगा।
मेरे शरीर के जैसे सारे तार बजने लगे थे … शरीर मीठे रस में घुला जा रहा था। लग रहा था कि वो जिन्दगी भर बस यूँ ही चोदता रहे … मैं चुदती रहूँ… चुदती रहूँ… चुदती रहूँ… आह्ह्ह्ह्ह्ह्… … हाय रे … मेरी मां… उईईईईईई… पर कहां !!!
मेरी चूत छलक उठी थी… कामरस छोड़ दिया था … मेरे जबड़े कस गये थे … गालों की हड्डियां तक उभर आई थी… मैं झड़ रही थी। कुछ ही पलों में गंगा ने अपना फ़ूला हुआ लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और लण्ड की तेज धार को हवा में लहरा दिया। वो मुठ में भर भर कर धार पर धार छोड़ रहा था। जाने कितना माल निकाला होगा उसने।
वो तुरन्त खड़ा हो गया।
तभी गुलाबी, अन्दर आ गई… हमारी हालत देख कर वो समझ गई थी कि मामला फ़िट हो चुका था और मैं चोदी जा चुकी हूँ।
“चलो गंगा जी अब बाहर … लहरी को मैं ठीक कर दूंगी।” गुलाबी मुस्कराती हुई बोली।
मैंने शरम के मारे अपना चेहरा छुपा लिया,”गुलाबी, तेरा गंगा तो मस्त चोदा मारे है … साले का मोटा भी है… !” मैंने गुलाबी को झिझकते हुये कहा।
“मैंने कहा था ना कि सर्विसिंग करा ले … वर्ना जंग लग जावेगा।” वो शरारत से बोली और मेरे गुप्तांगों पर पड़ा वीर्य साफ़ करने लगी,”अच्छी ऑयलिंग हो गई है आज तो !”
“चल हट, शरीर कही की… !” मुझे गुलाबी के सामने बहुत ही शरम आ रही थी।
काफ़ी दिन तक गुलाबी पांच सौ रुपये कमाती रही फिर एक दिन अचानक गुलाबी बोल उठी, “लहरी, गंगा से जी नहीं भरा अब तक ?” Antarvasna
दो भागों में समाप्य !
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