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यह बात सन 2008 की है, जब Hindi Sex Kahani मैं गाँधीनगर में नौकरी करता था। मैंने एक कमरा लिया था किराए पर क्योंकि मैं गाँधीनगर में नया था। वहाँ मैं एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में इंजिनीयर था। मैंने कमरा दूसरी मंज़िल पर लिया ताकि मुझे कोई डिस्टर्ब ना कर सके। रोज़ सवेरे मैं ऑफ़िस निकल जाता था और शाम को देर से आता था।
मेरे मकान मलिक की बीवी करीब 40 साल की थी और एक लड़की थी जो करीब बीस साल की थी, नाम था भावना।
दिखने में दोनों माँ और बेटी ग़ज़ब की थी। मकान मालकिन की फ़ीगर 38-30-40 के लगभग होगा। उसका भरा हुआ बदन देख कर मेरे लण्ड में आग सी लग जाती थी। बिल्कुल चिकनी औरत थी वो ! मकान मालिक सरकारी नौकरी में था और शाम को देर से आता था। देखने में वह अधेड़ उम्र का लगता था जैसे बिल्कुल झड़ गया हो।
क्योंकि मेरी नौकरी ऐसी थी कि मुझे सवेरे जाना पड़ता था और शाम को आता था इसलिए मैं उन लोगों से ज़्यादा बात नहीं करता था, कभी कभार ही हेलो होती थी। गुजराती थे इसलिए घर में शराब और सामिष खाना और लाना मना था। इसलिए मैं भी इन बातों पर बहुत ध्यान रखता था, कभी अगर बीयर पीने का मन होता था तो बाहर से ही पीकर आता था।
धीरे धीरे मकान मालकिन से कभी कभार मुलाकात हो जाती थी। उसकी बेटी क्योंकि कॉलेज में पढ़ती थी इसलिए शाम को घर पर वो अकेली हो होती थी।
एक शाम को मैं थोड़ा जल्दी आ गया घर पर और नीचे ही मकान मालकिन ने मुझे चाय पर निमंत्रण दिया। मैंने पहले तो ना कर दी लेकिन फिर उसके आग्रह करने पर मैं चाय के लिए हाँ कर दी। मैं अपने कमरे में गया और अपने कपड़े बदल कर आ गया। मैंने एक टी-शर्ट और बरमुडा पहन रखा था। मकान मालिकन ने मेरे घण्टी बजाने पर दरवाज़ा खोला तो मैं उसको देख कर दंग रह गया। उसने एक बहुत ही पतला सा गाऊन पहन रखा था जिसमें से उसकी चड्डी साफ साफ दिखाई दे रही थी।
मैंने उसे कहा- भाभी जी ! आज तो बहुत गर्मी है !
और पंखा चला दिया।
मकान मालकिन ने कहा- हाँ, आज गर्मी तो बहुत है इसलिए मैंने भी यह नया गाऊन पहन ही लिया !
मैंने कहा- यह गाऊन तो बहुत ही अच्छा है !
यह बात सुन कर वो खुश हो गई और बोली- अब मैं चाय बनाती हूँ आपके लिए !
और इतना बोलकर वो रसोई में चली गई। मैंने उसे रसोई में जाते देखा तो दंग रह गया। उसने गाउन के नीचे कोई ब्रा भी नहीं पहन रखी थी। मैंने सोचा शायद गर्मी ज़यादा है इसलिए पतला सा गाऊन पहना होगा।
पर अपने लण्ड का क्या करता? वो तो लोहे से भी ज़्यादा सख़्त हो गया था। मैंने सोचा कि आज कुछ बात आगे बढ़ा ली जाए।
खैर भाभी जी चाय लेकर आ गई और हम दोनों ने बातें शुरू कर दी।
भाभी जी ने पूछा- आपने अभी तक शादी क्यों नहीं की ?
मैंने कहा- भाभी जी, पहले मैं ज़िंदगी में कुछ बन जाऊं फिर शादी करूँगा। फिलहाल तो मैं अपने करियर पर ध्यान दे रहा हूँ।
भाभी जी बोली- यह पैसे कमाने के चक्कर में कहीं तुम्हारी उमर ना ढल जाय! फिर कोई लड़की भी नहीं मिलेगी।
मैंने बोला- भाभी जी, यह तो मेरी किस्मत है, अगर कोई लड़की नहीं मिलती तो कोई बात नहीं !
भाभी जी बोली- नहीं, अभी तुम्हारी उमर ज़्यादा नहीं है और फिर शरीर की ज़रूरत का भी तो तुम्हें ही ख्याल रखना है !
यह सुनकर मैं बहुत खुश हुआ और बोला- भाभी जी, शरीर की ज़रूरत का तो मैं खुद ही कोशिश करता हूँ पूरी करने के लिए !
भाभी जी बोली- देखो, यह जो तुम बात कर रहे हो, उससे तुम्हारा शरीर कमज़ोर हो जाएगा और फिर शादी के बाद कुछ नहीं कर सकोगे।
भाभी जी की बात सुनकर मैं चौंक गया और मैंने सोचा कि लोहा गरम है, लगता है कि आज काम बन ही जाएगा।
मैंने बोला- भाभी जी, फिर आप ही बताइए कि मैं क्या करूँ ? फिलहाल तो मैं अपने हाथ से ही काम चला लेता हूँ।
भाभी जी बोली- क्यों तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या? उससे कुछ करते हो?
मैंने बोला- भाभी जी, इतना समय नहीं है कि कोई गर्लफ्रेंड बनाई जाय और फिर मैं फिलहाल अपने करियर की तरफ़ ध्यान दे रहा हूँ।
भाभी जी बोली- चलो कोई बात नहीं, तुम कभी कभार अपने दिल की बात तो मुझसे कर लिया करो। इससे तुम्हारा मन भी हल्का हो जाएगा और तुम्हारा ध्यान भी बंट जाएगा।
फिर मैंने पूछा- भाभी जी और सुनाएं ! भैया तो बहुत ही काम करते हैं ! दिन रात सिर्फ़ पैसे कमाने की कोशिश करते रहते हैं, वो तो आपका बहुत ही ख्याल रखते हैं।
यह सुनकर भाभी जी बोली- अब क्या बताऊं तुमको ! जब से भावना हुई है, वो तो कुछ करते ही नहीं है। बस मैं भी तुम्हारी तरह ही हूँ, सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं है मेरे पास, बस अधूरी सी बनकर रह गई हूँ। इन पैसो का क्या करूँगी जब मेरा कोई ख्याल ही नहीं रखता।
मैंने हिम्मत कर के बोला- भाभी जी, हम लोग ऐसा क्यों नहीं करते कि एक दूसरे का ध्यान रखें, मेरा मतलब हम लोग दोस्त भी तो बन सकते हैं ना?
भाभी जी बोली- अच्छा, अब दोस्त भी बोलते हो और भाभी भी कहते हो? सबसे पहले तुम मुझे गौरी कह कर बुलाओ ! इतनी औपचारिकता में पड़ने की ज़रूरत नहीं है।मैंने कहा- अच्छा गौरी, चलो अब से हम दोस्त हो गये हैं।
यह कह कर मैंने गौरी का हाथ पकड़ लिया और उसे प्यार से दबा दिया। गौरी मेरी इस हरकत से गरम सी हो रही थी।
मैंने कहा- गौरी, तुम बहुत सुंदर हो और मैं तो तुम्हारी वजह से ही इस घर में रहता हूँ, नहीं तो मैं अपने ऑफ़िस के पास भी रह सकता था। इतने दिनों से बस अपने दिल की बात दिल में रख कर घूम रहा था। बहुत दिल करता था कि आपसे आ कर दोस्ती की बात करूँ लेकिन कभी हिम्मत ही नहीं होती थी। मेरी नज़र में गौरी तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत हो और मैं हमेशा तुम्हारे पति को बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ जिसे तुम्हारे जैसे औरत मिली है।
गौरी यह सब सुनकर बहुत खुश हुई और बोली- अच्छा अब उनके आने का समय हो गया है, तुम चाय ख़त्म करो और ऊपर अपने कमरे में जाओ। मैं तुमसे कल बात करूँगी।
अगली सुबह लगभग साढ़े पाँच बजे मेरे दरवाजे की घंटी बजी और मैंने दरवाज़ा खोला तो देखा कि गौरी बाहर खड़ी है। वो मुझे अर्धनगन अवस्था में देख कर मुस्कुरा कर गुड मॉर्निंग बोलकर छत पर चली गई। मुझे कुछ समझ नहीं आया और जब वो नीचे जा रही थी तो उसे मैंने अपने कमरे में खींच लिया।
वो बोली- मैं तो सुबह सुबह छत पर पानी देखने के बहाने से आई थी, सोचा कि तुमसे बात हो जाएगी, लेकिन तुम तो सोए हुए थे।
मैंने बोला- कोई बात नहीं गौरी, आज मैं दिन में जल्दी आ जाऊंगा।
इतना सुनकर वो बोली- मैं तुम्हें तुम्हारे ऑफ़िस में फ़ोन करूँगी, फिर तुम आ जाना।
मैं ऑफ़िस में एक ज़रूरी काम में व्यस्त था कि मेरे फोन की घण्टी बजी और उधर से आवाज़ आई- वो घर पर नहीं हैं, पास किसी शादी में जाएंगे तो तुम जल्दी से आ जाओ।मैंने जल्दी जल्दी अपना काम ख़त्म किया और घर पहुँच गया।
गौरी बोली- तुम पहले कमरे में जाओ, मैं नीचे ताला लगा कर आती हूँ।
मेरे घर में दो दरवाज़े होने की वजह से एक दरवाज़े पर ताला लगा कर दूसरे दरवाज़े से अंदर जा सकते थे इसलिए मैंने बड़ी ही चालाकी से ताला खोला और फिर दूसरे दरवाज़े से बाहर आकर मुख्य दरवाज़े पर ताला लगा दिया। कुछ देर बाद गौरी मेरे दूसरे दरवाज़े से अंदर आई और फिर हम दोनों मेरे बेडरूम में चले गये।
मैंने कुछ देर गौरी से बातें की और कहा- क्या मैं तुम्हारी पप्पी ले सकता हूँ?
इतना सुनकर गौरी बोली- इस में पूछने की क्या बात है? अगर तुम कुछ नहीं करते तो मैं क्या वैसे ही तुम्हारे पास आई हूँ?
यह सुनकर मैंने गौरी को अपनी बाहों में भर लिया और उसके होठों पर अपने होंठ चिपका दिए। गौरी ने साड़ी और ब्लाउज़ पहन रखा था और वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए और वो सिसकियाँ भरने लगी। फिर मैंने उसके बालों में हाथ फेरना शुरु किया और उसके कान पर मैंने प्यार से अपनी जीभ फेर दी। गौरी अब काफ़ी गरम हो चुकी थी। उसने मेरी कमीज़ में हाथ दे दिया और मेरे शरीर को ज़ोर से अपने हाथों से पकड़ लिया. मैंने धीरे धीरे उसके ब्लाउज़ में हाथ डाला और अपना चेहरा ब्लाउज़ के ऊपर रख दिया।
गौरी बोली- ज़रा धीरज से काम लो ! यह सब तुम्हें ही मिलेगा !
मैंने उसका ब्लाउज़ और साड़ी उतार दी और अपनी कमीज़ भी निकाल दी। फिर मैंने गौरी को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी ब्रा भी निकाल दी और उसके मम्मे चूसने लगा। गौरी अब मेरा साथ भरपूर दे रही थी और उसने मेरे लण्ड को ज़ोर से दबा दिया और हिलाने लगी।
मैंने बोला- इतनी ज़ोर से हिलाओगी तो सब माल तो ऐसे ही निकल जाएगा !
मैंने गौरी की चूची चूसना शुरू किया और अपने हाथ से उसकी पैन्टी निकाल दी और हाथ उसकी चूत पर फेरना शुरू कर दिया। गौरी ने मेरी अंडरवीयर निकाल दी और मेरे लण्ड को प्यार से सहलाने लगी। मैंने गौरी की चूची से अपना मुँह हटाया और उसकी नाभि को चाटना शुरू किया। गौरी अब बहुत गरम हो चुकी थी। मैंने फिर धीरे धीरे अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया और उसे चाटने लगा। गौरी की सिसकी निकल गई और उसने अपनी टाँगें फैला दी जिससे मैं उसकी चूत को अच्छी तरह से चाट सकूँ। गौरी की योनि से नमकीन स्वाद आ रहा था और थोड़ी देर में उसने मेरे अण्डकोश पकड़ कर मेरा सर ज़ोर से दबा दिया और वो जैसे झड़ गई।
गौरी ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ ले रही थी और वो बोली- अब से यह तुम्हारी है, इसका जो भी और जैसे भी इस्तेमाल करना है तुम कर सकते हो। मेरी बरसों की आग को तुम ही बुझा सकते हो।
मैंने अब अपना लण्ड गौरी के मुँह की तरफ किया और उसने अपने मुँह में ले लिया और चाटने लगी। मैं एक बार फिर से गौरी की चूत चाटने लगा और अपने जीभ गौरी की चूत में जल्दी जल्दी चला रहा था।
गौरी की सिसकियाँ निकल रही थी, उसने मेरा लण्ड मुँह से बाहर निकाला और बोली” अब मुझसे नहीं रहा जाता, अब डाल दो इसे मेरे अंदर और मेरी प्यास बुझा दो। मुझे शांत कर दो मेरे हीरो !
मैंने अपने लण्ड का सुपारा गौरी की चूत पर रखा और एक धक्के में मेरा मोटा लंड गौरी की चूत में आधा चला गया। उसकी जैसे चीख सी निकल गई और बोली- ज़रा धीरे धीरे मेरे राजा ! इसका मज़ा लेना है तो धीरे धीरे इसे अंदर डालो और फिर जब पूरा चला जाए फिर ज़ोर ज़ोर से इसे अंदर बाहर करो !
मैंने अपने लण्ड धीरे धीरे उसकी चूत में डाला और फ़िर एक ज़ोर से धक्का पेल दिया और मेरा मोटा लंड उसकी चूत में सारा चला गया।
गौरी बोली- आ उउई ऊफफफ्फ़ हमम्म्मम आआ मेरे राजा डाल दो अंदर पूरा का पूरा ! यह चूत तुम्हारी है, फाड़ दो इसे ! आअहह ऊऊऊऊओ आआहह ज़ोर से और ज़ोर से !
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत पर वार कर रहा था। मैंने उसके मम्मे मुँह में लिए और अपनी स्पीड और भी बढ़ा दी। लगभग दस मिनट के बाद हम दोनों की आह निकली और हम दोनों झड़ गये। गौरी ने मुझे एक ज़ोर से पप्पी दी और हम लोग बाथरूम में साफ होने के लिए चले गये। थोड़ी देर में गौरी और मैंने फिर से किस करना शुरू किया और इस बार गौरी ने मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया। मैं पांच मिनट बाद में फिर से तैयार हो गया चुदाई करने के लिए। मैंने इस बार गौरी को उल्टा लिटा दिया और उसके मम्मे को पीछे से पकड़ कर मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। दोस्तो, इस पोज़िशन में लंड सीधा योनि में घुस जाता है और औरत को बहुत ही मज़ा आता है।
मेरी इस हरकत से गौरी की चीख निकल गई, वो बोली- आहह उउफफफफ्फ़ अफ ऊहह आआ ऊ हह आअहह बहुत दर्द हो रहा है, ऐसे लगता है कि तुमने अपना लंड सीधा मेरे पेट में ही घुसा दिया है। ज़रा धीरे धीरे करो ना ! आहह बहुत मज़ा आ रहा है. अब तुम अपनी स्पीड बढ़ा सकते हो।
मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसे पेलना शुरू किया और अपने घस्से ज़ोर ज़ोर से मारने लगा लेकिन मेरा झड़ने का कोई हिसाब नहीं बन रहा था। मैंने गौरी से कहा- लगता है कि मुझे समय लगेगा झड़ने के लिये !
गौरी बोली- कोई बात नहीं ! तुम लगे रहो, जब समय आएगा तब झड़ जाना !
मैंने गौरी की गाण्ड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके ऊपर चढ़ गया। गौरी की सिसकिया तेज़ हो रही थी, मैंने काफ़ी कोशिश की पर मेरा लण्ड झड़ने को तैयार नहीं था।फिर मैंने सोचा कि अगर मेरा लंड एक टाइट सी चीज़ में जाए तो शायद यह झड़ जाए। मैंने धीरे धीरे अपने लण्ड की रफ़्तार कम करी और गौरी की गांड पर उसे फेरना शुरू किया। गौरी शायद मेरा इशारा समझ रही थी, वो बोली- क्या इरादा है? मेरी कुँवारी गांड मारने का इरादा है क्या? यह तो तुम्हारी ही है लेकिन ज़रा प्यार से इस्तेमाल करना क्योंकि यह अभी बिल्कुल कुँवारी है।
मैंने झटक से उसके गांड पर सुपारा रखा और ज़ोर से पेल दिया। मेरा मोटा लंड गौरी की गांड में सिर्फ़ दो इन्च जाकर फँस गया और गोर की चीख निकल गई, बोली- उफ़फ्फ़ आहह ! निकाल दो इसे बाहर ! बहुत दर्द हो रहा है, मर गई …एयेए हह आ आ आ !
मैंने अपना लंड घबराकर बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे उसे अंदर डालना शुरू किया, साथ में मैं अपने हाथ से गौरी के मम्मे दबा रहा था जिससे उसकी गरमी और बढ़ती जा रही थी। मैंने लगभग चार इन्च लण्ड घुसा दिया था और फिर एक बार ज़ोर से झटका मारा और पूरा का पूरा लौड़ा उसकी गाण्ड में घुस गया। गौरी अब मेरा भरपूर साथ दे रही थी। मैंने गौरी को ज़ोर ज़ोर से पेलना शुरू किया और उसकी टाइट गांड में मेरा लण्ड बहुत मज़े से चुदाई कर रहा था। फिर मैं कुछ देर बाद उसकी गांड में ही झड़ गया।
उस दिन के बाद हम दोनों को जब भी मौका मिलता था हम चुदाई करते थे।
दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे ज़रूर लिखें। Hindi Sex Kahani
शाम को मैं और मेरी बहन महजबीं और अम्मी काम से घर जाने लगे.
रास्ते में हाफिज मामा की दुकान पर सामान लेने के लिए मैं और अम्मी रुक गए.
महजबीं घर चली गयी.
हाफिज मामा- आओ आपा बैठो!
अम्मी- आज तो थक गई भाई जान काम पे!
हाफिज मामा इशारों में बात करते हुए- क्यों आज डबल मजदूरी कर ली क्या?
मैं छोटा था तो कुछ समझ नहीं पा रहा था.
अम्मी- हां भाई जान, आज दो दो मिल के मार रहे थे.
हाफिज मामा- फिर तो आज मुझे नहीं मिलेगी क्या?
अम्मी- नहीं भाई जान! आज के लिए तो माफ कर दो, सूज के पाव रोटी हो गयी है!
हाफिज मामा- वो सब मुझे नहीं पता, मुझे तो आज ही चाहिए!
अम्मी- अच्छा बाबा आप जीते में हारी!
फिर हाफिज मामा ने अम्मी को चुम्मा और सामान दे दिया.
मुझे भी आइसक्रीम दे दी.
हम घर आ गए.
घर पर आज अमीरा ने खाना पहले से तैयार रखा था.
अम्मी ने मुझे हाफिज मामा को बुलाने को कहा.
मैं- अम्मी, मैं अकेला नहीं जाऊंगा, अमीरा आपा को भेजो मेरे साथ!
अम्मी- ठीक है, जाओ जल्दी आ जाना!
हाफिज मामा दुकान बंद कर रहे थे.
अमीरा- हाफिज मामा, अम्मी ने खाने के लिए बुलाया है.
हाफिज मामा- तेरी अम्मी तो आज लेने नहीं देगी तो आज तुझे देनी पड़ेगी फिर से!
मैं बीच में बोला- अमीरा आपा को क्या देनी पड़ेगी? और अम्मी क्या नहीं लेने दे रही?
हाफिज मामा- बेटा, रजाई की बात कर रहा हूँ.
मैं- तो क्या हुआ, आज आप मेरी ले लेना!
इस पर अमीरा आपा और हाफिज मामा जोर जोर से हँसने लगे.
हाफिज मामा- नहीं बेटा, तेरी छोटी है, फट जाएगी.
अमीरा- अम्मी की कब से ले रहे हो?
हाफिज मामा- बहुत वक़्त से … यह आलम मेरा बेटा है.
मैं- हां मामू, मैं आपका ही बेटा हूँ.
अमीरा- ठीक है मामा, कोशिश करूँगी! पर अम्मी जाग गई तो क्या होगा?
हाफिज मामा- क्या होगा … दोनों की ले लूंगा साथ में! आज सोने नहीं दूंगा दोनों को!
अमीरा- ठीक है. अब चलें, खाना ठंडा हो रहा है।
हम घर आ गए तो अम्मी ने खाना लगा दिया.
सब लोग खाना खाकर सोने के लिए चले गए.
महजबीं और अमीरा दूसरे कमरे में सोने चली गई।
मैं अम्मी साथ में सोने चला गया।
हाफिज मामा बाहर सोने चले गए।
मैं- अम्मी, मुझे मामा के पास जाना है उनके पास सोना है.
अम्मी- नहीं बेटा, मुझे अकेले में डर लगेगा.
मैं- तो अम्मी मामा को यहां बुला लूं क्या?
अम्मी- ठीक है बाबा, बुला ले!
मैं मामा को बुलाकर लाया.
अम्मी- भाईजान, आप यहीं सो जाओ. आलम ने जिद पकड़ ली है.
हाफिज मामा- ठीक है आपा.
फिर सब सो गए.
रात को 12 बजे अमीरा मामा के पास आई और वहीं उनको पकड़ कर लेट गई।
हाफिज मामा ने उसको कस के पकड़ लिया और अमीरा के होठों को चूसने लगे।
अमीरा भी उनका पूरा साथ दे रही थी।
मैं ये सब रजाई के अंदर से देख रहा था.
अब मामा ने मेरी बहन की कुर्ती को निकाल अलग कर दिया और उसकी चूचियों से खेलने लगे।
अमीरा भी मामा के लंड को पजामे के अंदर से मसलने लगी।
अब मामा सलवार के अंदर से अमीरा की चूत पे हाथ फेरने लगे।
अमीरा सिसकारियां लेने लगी।
अमीरा फुसफुसाती हुई- अब जल्दी से कर ले! वरना तेरी रंडी उठ जाएगी.
मामा- तू भी तो मेरी रंडी है।
अमीरा- हां मेरे आका, मैं भी आपकी रंडी हूँ। अब जल्दी करो मेरी जान, आग लगी हुई है मेरी चूत में!
मामा- साली हरामखोर, दिन में तो अच्छे से बजा के गया हूँ।
अमीरा- क्या करूँ मेरे राजा, तेरा लंड ही इतना मस्त है कि बार बार लेने का मन करता है।
अब मेरी बहन मामा का पजामा खोलकर उसके लंड को चूसने लगी.
मामा मजे से लंड चुसवाने लगे- आह मेरी रांड, तू तो रंडी की तरह चूस रही है. आह मेरी जान, मजा आ गया।
अब मामा जोर जोर से मेरी बहन का मुंह चोदने लगे.
इतने में अम्मी जाग गई और बहन को मामा के साथ नंगी देखा तो बोली- भाई जान, ये क्या कर रहे हो? ये तो आपकी बेटी जैसी है. आपको शर्म नहीं आती? ये सब कब से चल रहा है?
अम्मी ने अमीरा को एक थप्पड़ मार दिया।
अमीरा रोते हुए अम्मी से- मुझे पता है आप और मामा रोज चुदाई करते हो. मैंने आप दोनों को कई बार चुदाई करते हुए देखा है। आप तो कई लंड खा चुकी हो मुझे सब पता है।
अम्मी रोते हुए- हां मैं तो रंडी हूँ, 100 लंड से ज्यादा खा लिए हैं। पर तू भी कोई पाकसार लड़की नहीं है। मैंने भी तुझे मोहल्ले के कई लड़कों से चुदाई करते हुए देखा है। कल ही तो बबला कारीगर का लंड खा के आई है ना? कम से कम हाफिज को तो छोड़ देती मेरे लिए! तेरे अब्बू के जाने के बाद से यही मेरा खसम है।
अमीरा गुस्से से- तो क्या हुआ? मेरी सील भी मामा ने तोड़ी है। ये मेरे भी खसम हैं।
इस पर अम्मी ने अमीरा को 2 थप्पड़ और लगा दिए।
अमीरा ने भी अम्मी को 1 थप्पड़ लगा दिया।
मामा दोनों को शांत करवाने लगे- आज से तुम दोनों मेरी बीवियां हो, अब मैं तुम दोनों के बिना नहीं रह सकता। अगर मेरी बात दोनों को मंजूर हो तो बोलो. वरना मैं दुकान मकान बेच के कहीं दूर चला जाऊंगा.
इस बात से दोनों घबरा गई और दोनों एक साथ मंजूर बोल पड़ी।
अम्मी- ठीक है, आज से आप हम दोनों के खसम हो. एक रात इसके साथ, एक रात मेरे साथ गुजार लेना।
अमीरा- अम्मी जब हम दोनों का एक ही खसम है तो बारी बारी से क्यों आज से हम दोनों मिल के अपने खसम को मजा देंगी।
अम्मी बहन को गले लगा के रोने लगी- मुझे माफ़ कर दे बेटी, मैंने तुझे मारा!
अमीरा ने भी रोते हुए कहा- अम्मी, मुझे भी माफ कर दे, मैंने भी आप पे हाथ उठाया.
फिर दोनों गले लगकर एक दूसरे को चूमने लगी।
अब दोनों गर्म होने लगी।
बहन तो पहले से नंगी थी, अब वह अम्मी को नंगी करने लगी।
अम्मी- बेटी, मुझे शर्म आ रही है।
अमीरा- ओहोओ आई बड़ी शर्माने वाली … आज से मैं तेरी बेटी नहीं सौतन हूँ।
अम्मी- रांड पहला हक़ तो मेरा है भाई जान पे!
अमीरा ने अब अम्मी का कुर्ता उतार दिया।
तो अम्मी के बड़े बड़े बूब्स आजाद होकर लहराने लगे।
अमीरा अम्मी के बूब्स चूसने लगी.
अम्मी- आह आह हाय बेटी आराम से … दिन को हरामी बबला ने पकड़ पकड़ के सुजा दिए हैं।
अब मामा नीचे से मेरी बहन की चूत चाटने लगा।
अमीरा- हाय्य आह मेरे राजा … और जोर से चाट … मजा आ रहा है। आज तो चूत में आग लगी हुई है।
उधर अम्मी ने भी नीचे आकर मामा का लंड पकड़ा और मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह मजे से चूसने लगी।
अब मामा अमीरा की चूत और अम्मी मामा का लंड चूस रही थी।
अमीरा से अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था- साले कुत्ते के बच्चे भड़वे, अब तड़फा मत और फाड़ मेरी चूत को साले … अब नहीं सह सकती … जल्दी से लंड को डाल!
मामा ने अब लंड अम्मी के मुंह से निकाला और अमीरा की चूत में एक झटके से डाल दिया।
अमीरा की चीख निकल गयी- हाय मेरी मआआ आआ … मार दिया कुत्ते ने! फाड़ दी मेरी चूत … आआई ईईया मेरी माँ!
अम्मी मामा को डांटती हुई बोली- भाई जान आराम से करो. फाड़ोगे क्या मेरी सौतन की चूत?
मामा- इसकी चूत तो कब की फाड़ दी थी। ये तो रंडी ऐसे ही नखरे कर रही है। अब तो इस घर में एक और चूत सील पैक है।
अम्मी- वो तो अपने भाई से सील खुलवायेगी।
मैं अपना नाम सुनकर खुश हो गया।
अब मामा धीरे धीरे अमीरा को चोद रहे थे।
अम्मी अब अपनी चूत अमीरा के मुँह पे रख के चटवाने लगी।
अमीरा चूत चाटती हुई- अब जोर जोर से चोद हरामी … दिखा अपना दम! आह और जोर से … एआईई ईई आईई ओआह आह आहह हहह … मैं तो गयी मेरी जाआन!
अम्मी सिईईई ईई आहहहह हहा करती हुई अमीरा के मुंह मे झड़ गई.
हाफिज मामा भी अमीरा की चूत में झड़ गए।
अब सब हाँफ रहे थे।
थोड़ी देर में अम्मी तैयार हो गयी चुदाई के लिए- साली कुतिया तेरे को तो औजार का मजा आ गया. अब इसे दुबारा तैयार कर … मुझे भी औजार चाहिए … वरना शांति नहीं मिलेगी!
अमीरा ने मामा का लंड चूस कर फिर से तैयार कर दिया.
मामा अम्मी की चूत पे हाथ फेर रहे थे।
अम्मी की चूत का रस मामा के हाथ पे लगा तो मामा ने चाट लिया।
मामा- रहमत मेरी जान, घोड़ी बन जा. पहले तेरी गांड मरूँगा. वरना जल्दी से झाड़ेगा नहीं.
अम्मी घोड़ी बन गई।
मामा ने अपना लंड अम्मी की गांड में डाला और घपाघप चोदने लगा और अम्मी की गांड पे जोर जोर से थप्पड़ मारने लगा।
अम्मी आहें भरने लगी।
पूरा कमरा धप धप की आवाज से गूंजने लगा।
अम्मी- आह आहह हह हहआ आआई ईईया … अब आगे की गर्मी शांत कर दो भाई जान!
मामा ने अब अपना लंड निकाल के बहन को चूसने को कहा।
अमीरा- साले, इस पे तो अम्मी का गूं लगा हुआ है।
पर मामा जबरदस्ती अपना लंड बहन के मुंह में डाल दिया।
मामा के लंड को बहन मजबूरी में चाट के साफ कर दिया।
अब मामा अम्मी की टांगें अपने कंधे पर रखकर जोर जोर से चोदने लगे।
अम्मी ज्यादा टिक नहीं पाई और झड़ गई.
मामा ने अम्मी का रस पी लिया और फिर से चोदने के लिए चूत में लंड डालने लगे।
पर अब अम्मी ने मना कर दिया- अब मेरे राजा, मुझे माफ़ करो. मुझे कल काम पे जाना है।
मामा- मेरी जान, मेरा पानी तो निकाल दे।
अम्मी- लाओ हाथ से मुठ मार देती हूं।
मामा- दो दो रंडियाँ हों … फिर भी खसम को मुठ मारनी पड़े … यह तो शर्म की बात है।
अमीरा- अम्मी तुम सो जाओ, मामा के लंड को मैं सुला दूंगी।
अम्मी मामा के लंड को और अमीरा को चूम के नंगी ही मेरे पास सो गई।
उधार अमीरा मामा के लंड पे बैठकर मशीन की तरह ऊपर नीचे उछलने लगी।
मामा माँ बेटी सेक्स का मजा ले रहा था.
इधर मैं भी अम्मी को नंगी देख कर अपना छोटा लंड निकालकर अम्मी की गांड में डालने की कोशिश करने लगा.
पर अम्मी तो गहरी नींद में सो गयी थी।
मेरे लंड से पिचकारी निकल जाती है, वो अम्मी की गांड पे गिर गयी।
उधर मामा भी घपाघप अमीरा को पेल रहे थे.
कुछ देर में अमीरा अकड़ने लगी- आहहह आहहह … जोर से … और जोर से चोद मामा … मेरा होने वाला है।
मामा भी स्पीड बढ़ा दी.
अमीरा- आआई ईईया एआई ईईई आहहह में ईईई!
मामा- आह आह … मैं भी आया आय्य्यया आह!
तभी मामा का लावा अमीरा की चूत में निकल गया।
मेरी बहन भी मामा के साथ झड़ गई।
फिर बहन कपड़े पहन के महजबीं के साथ सो गयी।
मामा भी बाहर सो गए।
मैं भी अपनी पेन्ट में लंड डाल कर सो गया.
मेरा नाम मानसी Antarvasna है। मैंने अपनी कहानी “बहुत प्यार करती हूँ” अन्तर्वासना में भेजी थी, आप सबकी तरफ से बहुत अच्छे उत्तर मिले थे। आज मैं आपको अपनी दूसरी कहानी बताने जा रही हूँ, आशा है आप सबको पसंद आएगी। मेरी पहली कहानी जिन्होंने पढ़ी थी उन्हें उस इंसान के बारे में मालूम ही होगा जिससे मैं प्यार करने लगी थी। जब उसकी शादी हो गई तो मैं खुद को बहुत अकेला महसूस करने लगी थी। हालाँकि मैं जिससे प्यार करती थी, उससे मैंने कभी भी शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाये थे लेकिन फिर भी उसकी कमी मुझे अपनी ज़िन्दगी में महसूस होती थी। उसकी शादी होने के बाद तो मुझे यकीन हो ही गया था कि अब वो इंसान मुझे कभी नहीं मिलेगा। लेकिन मैं जैसे जैसे बड़ी हो रही थी मेरे अन्दर भी हर लड़की की तरह सेक्स की भावना बढ़ती जा रही थी। लेकिन कभी किसी से शारीरिक संबंध बनाने से मैं भी डरती थी लेकिन जब मन करता था तो अकेले ही मुठ मार कर अपना काम चला लेती थी।
मन तो करता था कि कोई हो जो मुझे प्यार करे, जिसके साथ मैं वक़्त बिता सकूँ। लेकिन न कभी किसी और से प्यार हुआ न मेरी ज़िन्दगी में उसके बाद कोई और आया। मैं हर वक़्त यही सोचती रहती थी कि कब मेरी भी शादी हो और मैं भी अपने पति से जी भर कर चुदवाऊँ। लेकिन मेरी शादी होने में अभी वक़्त था। धीरे धीरे मन में सेक्स की भावना इतनी बढ़ गई थी कि मैं यही सोचती कि कब मुझे मौका मिले और मैं जी भर कर ग्रुप सेक्स करूँ। कम से कम छः-सात लड़के मेरी एक साथ चुदाई करें। मैं जानती थी कि ऐसा हो नहीं सकता, लेकिन मन नहीं समझता उसे तो बस चूत की प्यास से मतलब था।
लेकिन मेरी यह इच्छा उस दिन पूरी हो ही गई जब एक दिन मेरे मम्मी-पापा कुछ दिनों के लिए किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हुए थे। घर में मैं और मेरा बड़ा भाई थे। मम्मी-पापा एक हफ्ते से पहले वापिस आने वाले नहीं थे। तभी भैया के पास उनके कुछ दोस्तों का फ़ोन आया, उन लोगों को मुंबई जाना था। लेकिन ख़राब मौसम होने की वजह से उनकी उड़ान रद्द हो गई। तो भैया ने उन्हें अपने घर आने के लिए कह दिया। सर्दी के दिन थे, भैया ने उन्हें कहा कि पूरी रात एअरपोर्ट पर कैसे रहोगे, घर आ जाओ। वो लोग मान गए।
वो दस लोग थे। भैया ने उन सबके खाने का इन्तज़ाम किया और उनका इंतज़ार करने लगे। तभी अचानक पापा का फ़ोन आया कि वो जिस रिश्तेदार के यहाँ गए थे उनकी मृत्यु हो गई है और भैया को वहाँ आना पड़ेगा। भैया ने पापा को बताया कि उनके कुछ दोस्त घर पर आ रहे हैं तो पापा ने कहा कि उन्हें मानसी खाना खिला देगी। लेकिन तुम्हारा यहाँ आना ज़रूरी है।
भैया ने अपने दोस्तों को फ़ोन कर दिया कि मुझे जाना पड़ेगा लेकिन मानसी घर पर है, तो तुम लोग आ जाओ और खाना खा कर यही आराम कर लेना। वो लोग राज़ी हो गए। जब वे सब घर पर आये तो मैं पहले तो थोड़ा घबरा गई कि मैं इनके साथ पूरे घर में अकेले कैसे करुँगी लेकिन भैया के दोस्त बहुत अच्छे थे और उन्होंने कहा कि तुम आराम से बैठी रहो और बस हमें यह बता दो कि सब चीज़ें कहाँ हैं हम खुद ले लेंगे। उनमें से दो लोग रसोई में आ गए और बाकी सब कमरे में बैठ कर टी.वी देखने लगे। मैंने उन्हें बता दिया लेकिन रसोई में उनके साथ ही खड़ी रही कि कहीं उन्हें किसी चीज़ की ज़रूरत न हो। उनमें से एक का नाम सागर था। मैंने महसूस किया कि वो जब से आया था तब से मुझे ही देखे जा रहा था और जब मैं उसे देखती थी तो वो अपनी नज़रें मुझ पर से हटा कर कहीं और देखने लगता था।
उसके बाद हम सबने साथ ही खाना खाया। फिर मैं अपने कमरे में सोने चली गई। उनमें से कुछ लोग मम्मी पापा के कमरे में लेट गए और कुछ भैया के कमरे में। मैं नीचे जाकर सो गई और अपने कमरे को अन्दर से बन्द कर लिया। थोड़ी देर के बाद सागर नीचे आया और बोला- मानसी हमें नींद नहीं आ रही है, तुम कुछ फिल्म की सीडी निकाल कर दे दो हम देख लेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं उन्हें सीडी देने गई और सोचा कि नींद तो मुझे भी नहीं आ रही है तो मैं भी इन लोगों के साथ बैठ जाती हूँ।
मैं वहीं सागर की बगल में बैठ गई और थोड़ी देर में ही हम सबके बीच हंसी मजाक शुरू हो गया। तभी अचानक सागर ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और मैं कुछ नहीं बोल पाई। सागर मेरी और ही देख रहा था कि तभी उसका एक दोस्त नितिन बोला- क्या बात है सागर ! जब से आये हो, मानसी को ही देख रहे हो ! अगर पसंद आ गई है तो शादी का प्रस्ताव रख दो। इसके भाई को हम मना ही लेंगे।
उसने कहा- ऐसा कुछ नहीं है।
वैसे उसका हाथ पकड़ना मुझे भी अच्छा लगा। सर्दी के दिन थे हम सब रजाई में बैठे थे इसलिए किसी को पता नहीं चला कि उसने मेरा हाथ पकड़ा है। लेकिन अचानक उसे पता नहीं क्या हुआ कि वो मेरे होठों पर चूमने लगा। उसके सब दोस्त हैरान रह गए और मैं भी।
मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि मैं क्या करूँ। पसंद तो वो भी मुझे पहली ही नज़र में आ गया था लेकिन मेरे दिल में यह डर बैठा था कि यह सब मेरे घर में पता चल गया तो क्या होगा। लेकिन उसे छोड़ने का मन मेरा भी नहीं कर रहा था। तभी नितिन ने भी पीछे से आकर मेरे स्तनों को दबाना शुरू कर दिया लेकिन मैंने झटके से उसे पीछे कर दिया और सागर को भी।
मैंने कहा- आप लोग यह सब क्या कर रहे हो।
तभी सागर ने कहा- मानसी हम सब आज की रात यहाँ हैं और हम चाहते हैं कि तुम पूरी रात हमारे साथ रहो। हम तुम्हारे साथ सेक्स करना चाहते हैं।
मैंने कहा- पागल हो गए हो क्या तुम सब लोग? मेरे घर में पता चल गया तो पता नहीं क्या होगा।
उन्होंने कहा- हम तुम्हारे भाई को कभी पता नहीं चलने देंगे। हमारा विश्वास करो, आखिर वो हमारा दोस्त है।
मैं उन्हें मना करना चाहती थी कि तभी मैंने सोचा कि मेरा जो ग्रुप सेक्स करने का सपना था वो आज सच हो सकता है। वैसे भी ये दस लोग हैं मैं मना करुँगी तो यह मेरे साथ जबरदस्ती भी कर सकते हैं। तब मैं क्या करुँगी। इस से अच्छा है कि खुद ही राज़ी हो जाऊं। शायद ऐसा मौका दुबारा न मिले और अगर इन्होने मेरे घर में बता भी दिया तो मैं यह कह सकती हूँ कि यह इतने सारे लोग थे इन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती की थी। मैं अकेली क्या करती।
तभी सागर ने मुझे पूछा- क्या सोच रही हो मानसी, तुम तैयार हो ना?
मैंने उसे कुछ नहीं कहा और उसके होंठों पर चुम्बन करने लगी। वो समझ गए कि मैं तैयार हूँ। सागर के साथ किस करने में बहुत मज़ा आ रहा था। 15 मिनट तक मैं उसे चूमती रही और मुझे कुछ भी होश नहीं था। जब मैं उससे अलग हुई तो नितिन ने आकर मुझे चूमना शुरू कर दिया। उसके बाद उसके सभी दोस्तों ने मेरे साथ यही किया और ऐसे ही एक घण्टा बीत गया। उस वक़्त तक हम में से किसी ने भी अपने कपड़े नहीं उतारे थे।
तभी सागर ने कहा- मानसी, तुम हम सबके कपड़े उतारो !
तो मैंने कहा- ठण्ड है ! नहीं होगा।
हमने रूम-हीटर चालू किया और उसके बाद मैंने एक एक करके उन सबके कपड़े उतार दिए।
तभी नितिन बोला- अब हम एक खेल खेलेंगे। उसने कहा- मानसी दो दो मिनट के लिए सबके लण्ड चूसेगी और जिसका लंड ज्यादा जल्दी खड़ा होगा वही सबसे पहले चोदेगा।
लेकिन मैं सबसे पहले सागर से चुदवाना चाहती थी। पता नहीं क्यूँ ! शायद वो मुझे पसंद था इसलिए।
उसके बाद मैंने एक एक करके सबके लण्डों को चूसना शुरू किया। मेरे साथ वही सब हो रहा था जो मैं करना चाहती थी। और आज मैं जी भर कर अपनी इच्छा को पूरा करना चाहती थी। इतने सारे लंड एक साथ देख कर मैं पागल सी हो गई थी। मैंने जी भर कर सबके लौड़ों को चूसा और सागर के लंड को मैंने जब अपने मुँह में लिया तो उसे बाहर निकालने का मन ही नहीं कर रहा था। मैंने सागर का लंड 15 मिनट के लिए चूसा जिससे वो भी पूरी तरह गर्म हो गया और उसने मेरे सर को पकड़ कर ऊपर किया, मेरे होंठ जो उसके लंड के पानी से भीगे हुए थे उन्हें चूसने लगा और सबको कहा कि मानसी सबसे चुदवाएगी लेकिन अभी हमारे बीच कोई नहीं आएगा।
सबने वैसा ही किया और सब हमें देखते रहे। मुझे शर्म आने लगी थी लेकिन सागर था कि मुझे छोड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। 15 मिनट मेरे होंठ चूसने के बाद उसने कहा- अब तुम अपने कपड़े उतारो, हम सब तुम्हारी चूत को चाटेंगे।
मैंने सागर से कहा- मेरी चूत पर तो बाल हैं।
उसने कहा- तुम फ़िक्र मत करो।
उसने अपने एक दोस्त को इशारा किया और वो अपने बैग में से रेज़र लेकर आया। सागर ने मुझे अपनी गोद में उठाया और मुझे बाथरूम में ले जा कर बाथ टब में लिटा दिया। उसके बाद उसने मेरी टांगें फैला दी और मेरी चूत को गीला करके उस पर ढेर सारा साबुन लगा दिया। उसके बाद उसका एक दोस्त मेरी चूत के होठों को खोलता जा रहा था और सागर बड़े प्यार से मेरी चूत के बाल साफ़ कर रहा था। सागर का एक दोस्त मेरे होंठों को चूस रहा था, एक मेरे वक्ष मसल रहा था और बाकी सब वहीं खड़े होकर देख रहे थे। यह सब देख कर उनके लौड़े भी तनकर खड़े हो चुके थे। थोड़े बाल साफ़ करने के बाद सागर ने मेरी चूत को पानी से धोया और अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी। मैं काँप उठी जैसे कोई करंट लगा हो।
थोड़ी देर में जब उसने मेरी चूत पूरी तरह साफ कर दी तो उसके बाद नितिन मुझे उठा कर कमरे में ले आया और लाकर मुझे बेड पर लिटा दिया। कमरे में लाते ही सागर मेरी टांगों के बीच आकर बैठ गया और चूत के दोनों होंठों को खोल कर देखने लगा। मुझे शर्म आने लगी और मैंने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया।
तभी सागर बोला- क्या चिकनी बुर है। इसे तो मैं जी भर कर चूसूंगा उसके बाद चोदूंगा।
तब उसके सभी दोस्तों ने बारी बारी से मेरी चूत को चाटा। मैंने ऐसा पहले कभी महसूस नहीं किया था क्यूंकि सब के सब मेरे साथ कुछ ना कुछ कर रहे थे और मैं पागल सी होती जा रही थी।
अब सागर की बारी थी। सागर आकर मेरी टांगों के बीच बैठ गया था। इससे पहले मैं कम से कम तीन बार झड़ चुकी थी।
सागर ने मेरी टांगों को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और मेरी चूत के होंटों को खोल दिया। उसके बाद सागर ने अपनी एक ऊँगली मेरी गांड में डाल दी और नीचे झुक कर अपनी जीभ मेरी चूत के अन्दर। उसकी गरम जीभ अपनी चूत के अन्दर जाते ही मैं अन्दर तक सिहर गई। मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं किसी स्वर्ग में घूम रही हूँ। मेरी चूत को चाटते हुए सागर घूम गया और उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह की तरफ कर दिया और कहा कि मैं उसे अपने मुंह में लूँ।
मैंने जैसे ही उसका गर्म लंड अपने मुंह में लिया वैसे ही उसके बदन में भी एक करंट सा लगा। अब हम 69 अवस्था में थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। लगभग आधे घंटे उसी अवस्था में रहने के बाद सागर मेरे ऊपर से हट गया। इस बीच मैं दो बार झड़ चुकी थी और सागर था कि झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था।
सागर ने अपने दोस्तों से कहा- यार, बहुत अच्छा लौड़ा चूसती है, बहुत मस्त माल है।
तभी उसके दोस्त ने कहा- फिर तो इसकी जी भर कर चुदाई करेंगे।
नितिन ने कहा- यार इतना मस्त माल है तो चोदने में मज़ा आ ही जायेगा और वो भी अपने मर्ज़ी से चुदवा रही है।
तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया कि अगर मैं इनसे अपनी मर्ज़ी से चुदवाऊँ तो यह लोग बहुत आराम से चोदेंगे लेकिन मैं इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहती थी और जबरदस्त चुदाई करवाना चाहती थी। इसलिए मैंने एक चाल चली। जब सागर मेरे ऊपर से हट कर अलग हुआ तो मैं उठ कर खड़ी हो गई और कहा- बस अब यह सब यहीं ख़त्म करो और मुझे जाने दो।
तभी नितिन ने कहा- जाती कहाँ है साली रंडी ! अभी तो तेरी चुदाई बाकी है।
मैंने कहा- मुझे छोड़ दो !
और मैं कमरे से बाहर जाने लगी कि तभी उसने मुझे खींच कर बिस्तर पर पटक दिया। मैंने सागर की तरफ देखा तब मैंने महसूस किया कि उसे भी शायद यह सब अच्छा नहीं लग रहा और वो भी नहीं चाहता कि यह सब हो लेकिन अब हम कुछ नहीं कर सकते थे। अगर वो अपने दोस्तों को मना भी करता तो कोई उसकी बात नहीं सुनता और सब मेरे साथ जबरदस्ती करते। जबरदस्ती तो वो लोग अब भी कर ही रहे थे क्यूंकि मैं भी यही चाहती थी।
मैंने नितिन से कहा- प्लीज़, मुझे जाने दो !
लेकिन उसने मेरी एक नहीं सुनी और मेरे पास आकर बैठ गया। मैंने उठने की कोशिश की लेकिन तभी उनके दोस्तों ने मेरे हाथ और मेरे पांव पकड़ कर मुझे पूरी तरह जकड लिया और सागर आकर मेरे स्तनों को मसलने और दबाने लगा। नितिन गन्दी गन्दी गालियाँ देने लगा। साली रंडी दस-दस लोगों से चुदवाने को तैयार है और सीधी बनने की कोशिश करती है। आज देख तेरी ऐसी चुदाई होगी रंडी कि तू सारी ज़िन्दगी याद रखेगी। तेरी चूत का भोसड़ा बनायेंगे आज। ऐसा चोदेंगे कि दुबारा किसी से चुदने से पहले दस बार सोचेगी।
मैं समझ गई थी कि सब लोग गरम हो चुके हैं और मैं भी अपनी चूत में लंड लेने को बेकरार थी। सागर मेरे ऊपर लेट कर मेरे होंठों को चूसने लगा और मम्मों को दबाने लगा। मेरे हाथ और पैर तो उसके दोस्तों ने पकड़ रखे थे। इसलिए मैं हिल भी नहीं पा रही थी। तभी सागर सीधा होकर मेरी चूत के पास घुटनों के बल बैठ गया और मेरी टांगें फैला कर ऊपर की ओर कर दी। उसका एक दोस्त मेरे होंठों को चूसने लगा और नितिन मेरे मम्मों को मसलने लगा। मेरे मम्मों में भी दर्द हो रहा था।
तभी सागर ने अपना नौ इंच लम्बा लंड मेरी चूत पर रखा और एक ही झटके में पूरा का पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर जड़ तक चला गया। मुझे सबने इतने कस कर पकड़ रखा था कि मैं हिल भी नहीं पा रही थी। जैसे ही उसने अपना लंड मेरी चूत में डाला, मैं दर्द के मारे तड़प उठी और हिल ना पाने की वजह से अन्दर ही तड़प कर रह गई। होंठ भी एक लड़के ने अपने होंठों से बंद कर रखे थे तो आवाज़ भी नहीं निकल पा रही थी। दर्द की वजह से मेरी आँखों में आंसू आ गए जिसे देख कर सागर को दुःख हुआ और वो अपना लंड बाहर निकालने लगा।
मैंने इशारे से उसे मना कर दिया। वो थोड़ी देर के लिए रुक गया। और जब दर्द कुछ कम हुआ तो उसने धीरे धीरे धक्के मारने शुरू किये। अब मुझे भी मज़ा आने लगा था तो मैं भी सागर का पूरा साथ देने लगी। मैंने उन्हें अपने हाथ और पैर छोड़ने को कहा। और दो लड़कों के लौड़ों को अपने हाथों में लेकर उनकी मुठ मारने लगी। नितिन का लंड मेरे मुंह में था। दो लड़के मेरे मम्मों को पकड़ कर मसलने लग गए और बाकी सब अपनी अपनी जीभ मेरे पूरे बदन पर रगड़ रहे थे। मेरा पूरा बदन एक साथ चुद रहा था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। करीब आधे घंटे चुदाई करने के बाद सागर ने सबको कहा- अब सब झड़ने के लिए तैयार हो जाओ।
मैंने उन सबसे कहा- अपने लौड़ों का पानी मेरे ऊपर डाल दो और सागर से कहा कि तुम मेरी चूत के अन्दर ही झाड़ना।
सागर ने वैसे ही किया। करीब 5 मिनट के बाद चारों लड़के (सागर, नितिन) और जिनके लंड मेरे हाथ में थे, एक साथ झड़े और सबने अपना पानी मेरे ऊपर डाल दिया। सागर का गरम वीर्य मैं अपनी चूत में महसूस कर रही थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
उसके बाद बाकी सबने भी मुझे बारी बारी से चोदा। उस पूरी रात में मेरी बारह बार चुदाई हुई। बाकी सबने एक एक बार और सागर और नितिन ने मुझे दो-दो बार चोदा। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। उसके बाद सबने बाथरूम में जाकर अपने लौड़ों को साफ़ किया और सुबह के छः बजे जाकर कमरे में सो गए। लेकिन मैं इतनी जबरदस्त चुदाई के बाद उठने की भी हिम्मत नहीं कर पा रही थी। तब सागर ने कहा- मानसी, तुम यहीं रहो, मैं आता हूँ।
और उसके बाद वो बाथरूम में जाकर बाथटब में गरम पानी भर कर आया। और मुझे अपनी गोद में उठा कर बाथरूम में ले गया। उसने जाकर मुझे टब में लिटा दिया और मेरी चूत को हल्के हाथ से सहलाने लगा। इससे मेरी चूत को बहुत आराम मिल रहा था। मेरी पूरी चूत बुरी तरह से लाल थी और बहुत दर्द हो रहा था। उसके बाद सागर ने मुझे लाकर बिस्तर पर लिटाया। और मेरे बदन को पोंछा जिससे मुझे बहुत आराम मिल रहा था। तभी सागर आकर मेरे पास लेट गए और मुझे रजाई में लेकर अपने साथ चिपका लिया। मुझे उसकी बाहों में एक सुकून सा मिला। जिस इंसान की कमी मैं अपनी ज़िन्दगी में महसूस करती थी, लगा कि सागर उस कमी को पूरा कर सकता है। लेकिन यह बात मैं उसे कैसे कहती। उसके सामने ही उसके दोस्तों से चुदी हूँ।
तब सागर ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लिया और कहा- मानसी, मुझे माफ़ कर दो। आज तुम्हारे साथ जो भी हुआ उसका जिम्मेदार मैं ही हूँ। ना मैं शुरुआत करता और ना तुम्हारे साथ यह सब होता। लेकिन मैं सच में तुम्हें पसंद करने लगा हूँ। मैं जानता हूँ कि तुम यही सोच रही होगी कि तुम्हारे साथ ऐसा करने के बाद भी मैं यह सब कह रहा हूँ। लेकिन ये सच है मानसी। मैं तुम्हें पसंद करता हूँ और तुमसे शादी करना चाहता हूँ। तुम्हारे भाई के वापिस आते ही मैं उससे तुम्हारा हाथ मांगूंगा।
और मैं भी उसकी बात को स्वीकार करते हुए उसके कंधे पर सर रख कर लेट गई। नींद कब आई पता ही नहीं चला।
जब नींद खुली तो सुबह के 11 बज रहे थे। मैंने जल्दी से उठ कर कपड़े पहने। सब लोग नहा कर तैयार हो गए। पूरा बदन रात की चुदाई से दर्द कर रहा था। लेकिन इस दर्द में उस प्यार का एहसास भी था जो मुझे सागर से मिला था। उसके बाद मैंने सब के लिए चाय बनाईं। सब लोग चाय पीकर निकल गए और जाते जाते सागर ने मुझसे कहा कि मैं उसका इंतज़ार करूँ, वो मुझे लेने आएगा। उसकी बात पर यकीन भी था लेकिन मन में शक भी था। उसके बाद दो साल तक सागर की कोई खबर नहीं आई। ना ही भाई से पूछने की हिम्मत थी उसके बारे में।
तब तक मेरी पढ़ाई भी ख़त्म हो चुकी थी। घर में मेरी शादी की बातें होने लगी थी। लेकिन मुझे तो सागर का इंतज़ार था। कभी कभी लगता कि अगर उसे आना ही होता तो क्या वो इन दो सालों में मुझसे मिलने की बात करने की कोशिश नहीं करता। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ इसका मतलब उसने जो कहा शायद वो सब मुझे दिलासा देने के लिए कहा था। मैंने घर वालों को शादी के लिए हाँ कह दी और कहा कि वो जिसे भी मेरे लिए पसंद करेंगे मैं उसी से शादी कर लूंगी।
एक दिन मम्मी ने बताया कि मुझे देखने लड़के वाले आ रहे हैं। मन में एक अजीब सा डर समाया हुआ था और सागर की बातें भी दिमाग में घूम रही थी। जब लड़के वाले आ गए तो मुझमें हिम्मत ही नहीं थी कि एक नज़र उठा कर उस लड़के को देखूं। यह शादी तो वैसे भी मैं घर वालों की ख़ुशी के लिए कर रही थी। मैं जाकर कमरे में बैठ गई। थोड़ी देर इधर उधर कि बातें होती रही। लेकिन मैंने एक नज़र उठाकर उस लड़के की ओर एक बार देखा तक नहीं क्यूंकि मुझे सिर्फ सागर का इंतज़ार था। जब मैं उन लोगों के सामने गई तो लड़के की माँ बोली- हमें आपकी बेटी पसंद है।
मैंने सोचा- बिना कुछ पूछे बिना कुछ जाने एक ही नज़र में पसंद कर लिया।
तब लड़के की मम्मी ने कहा- दोनों को एक दूसरे से बात कर लेने दो।
मेरी तो सांस ही अटक गई। क्या बात करुँगी, कैसे करुंगी। तब मेरी बहन हमे ऊपर वाले कमरे में ले गई। मैंने अब तक एक बार भी नज़र उठा कर उस लड़के की ओर नहीं देखा था क्यूंकि यह शादी मेरी मर्ज़ी नहीं मजबूरी थी। कमरे में आने के बाद बहन बाहर चली गई। मैं और वो लड़का बैठ गए।
तब उसने मुझसे कहा- क्या बात है, आप मेरी तरफ देखेंगी नहीं?
आवाज़ जानी-पहचानी सी लगी। चेहरा उठा कर ऊपर देखा तो वो सागर ही था। मैं एक दम से खड़ी हो गई और उसे देखती ही रही। मुँह से एक भी शब्द नहीं निकला और उसने सिर्फ इतना ही कहा- मानसी, मैंने जो वादा किया था उसे पूरा करने आया हूँ।
उसे देख कर मेरे दिल में जो ख़ुशी थी वो मेरी आँखों में साफ़ दिखाई दे रही थी। लेकिन उसके साथ ही आंसू भी थे। मैंने कहा- अब तुम्हें याद आई मेरी ? दो साल मैंने कैसे बिताए, जानते हो?
उसने बस इतना कहा- दो साल बाद मिल रही हो, गले भी नहीं लगोगी क्या?
मैं उसके गले लग गई और रो पड़ी। उसने कहा- क्या हुआ? रो क्यूँ रही हो?
मैंने कहा- इतने दिनों के बाद आये हो, यह भी नहीं सोचा कि मेरा क्या हाल होगा। तुमने तो कहा था कि भाई के आते ही उससे बात करोगे।
तो उसने कहा- मानसी, जब मैं तुमसे मिला था, उस वक़्त मेरी नौकरी बिल्कुल नई थी, जीवन में स्थापित होने के बाद ही तो तुम्हारे भाई से तुम्हारा हाथ मांगता। पहले मांग लेता तो वो मना कर देता। आज उसे पता है कि मैं अपनी जिन्दगी में सुस्थपित हूँ और तुम्हें खुश रख सकता हूँ इसलिए वो भी मेरे एक ही बार कहने पर मान गया। और इसलिए आज मैं अपने मम्मी पापा को तुम्हारे घर लेकर आया हूँ तुम्हारा हाथ मांगने। और तुम्हारे घर वालों ने इसलिए कुछ नहीं बताया था क्यूंकि मैं तुम्हें आश्चर्य-चकित कर देना चाहता था। अगर तुम्हें पहले पता होता तो मैं तुम्हारे चेहरे के वो भाव ना देख पाता जो मेरी आवाज़ सुनकर तुम्हारे चेहरे पर थे।
मैं उसे कुछ नहीं कह पाई और उसके गले लग गई। आज मैं बहुत खुश हूँ।
दोस्तो, आपको मेरी कहानी कैसी लगी मुझे ज़रूर बताइए। Antarvasna
तो दोस्तों बात उस दिन Antarvasna की है जब बारिश हो रही थी और मैं भीगता हुआ अपने घर की तरफ़ अपनी बाइक पे जा रहा था। शाम के करीब 5:30 का समय था। अचानक मैंने देखा कि मेरी तरफ़ कोई लिफ़्ट के लिये कोई हाथ हिला रहा था, गौर से देखा तो वो 25-30 साल की एक युवती थी। मैंने बाइक रोकी। वो मेरे पास आके पूछने लगी कि आप कहां जा रहे हो?
मैंने कहा-आपको कहां जाना है?
वो रेलवे स्टेशन जाना चाहती थी। मैंने कहा कि मैं भी वहीं जा रहा हूं (जबकि मैं अपने घर जा रहा था)। वो मेरे पीछे बैठ गई। मैं बाइक को रफ़्तार से दौड़ाने लगा। उसके मोम्मे मेरी पीठ से सटे हुये थे। मैं गरम हो रहा था। बातों बातों में पता चला कि वो जयपुर में जोब करती है, उस का पति दिल्ली में कोई प्राइवेट जोब करता था और वो अपनी बेटी को लेने के लिये जा रही थी जो आज़ ट्रेन से आने वाली थी।
हम रेलवे स्टेशन पहुँच गये थे, ट्रेन आने में अभी थोड़ा टाइम था, हम कैंटीन में चाय पीने चले गये। कैंटीन में उस ने जैसे ही उस ने अपना रेन कोट उतारा तो मुझे उस की जवानी के दर्शन हुये। गज़ब की खूबसूरती थी उस की। सफ़ेद रंग के टोप में उस की ब्रा भी चमक रही थी सो उसके मोम्मों के साइज़ का अंदाज़ा लगाना कोई मुश्किल नहीं था। एक दम गोरी चिट्टी थी वो।
चाय पीते हुये मैंने उसके हुस्न का नज़ारा लिया और खूब बातें भी की। सर्दी के मौसम में उस की गरम जवानी ने मेरे रोम रोम में गरमी भर दी थी और मेरा लण्ड अपने आपे से बाहर हो रहा था।
तभी ट्रेन भी आ गयी। हमने उस की 5 साल की बेटी को साथ लिया और फ़िर मैंने उसे कहा- मैं आपके घर तक छोड़ देता हूं।
उस ने मना किया लेकिन मैं जानना चाहता था कि वो कहां रहती है क्योंकि वो मुझे बता चुकी थी कि वो अकेली ही रहती है। मैंने दोनो को बाइक पे बैठाया और उस के घर की तरफ़ चल दिया।
उस का घर आते ही बारिश भी तेज़ हो गयी। उस ने मुझे बारिश रुकने तक रुकने के लिये कहा और मैं भी तो यहि चाहता था। मैं पूरी तरह भीग चुका था। उसने कॉफी बनायी और चेंज कर के जब वो मेरे सामने आयी तो ब्लैक सिल्की नाइटी में वो कॉफी से भी ज़्यादा गरम लग रही थी। दिल कर रहा था कि अभी चोद डालूँ साली को।
सफ़र की वजह से उसकी बेटी आते ही सो गयी थी, बारिश रुकने का नाम नही ले रही थी। तभी लाइट भी चली गयी। वो केंडिल लेने के लिये उठी, मैं भी उसकी मदद करने लगा लेकिन केंडिल नहीं मिली। अंधेरे में वो मुझ पर गिर गयी। वाह क्या गरमी थी। उसने उठने की कोशिश की लेकिन मैंने उसको अपनी बाहों में भर लिया और छोड़ा ही नहीं, पहले उसने विरोध किया लेकिन वो भी शायद कई दिनो की प्यासी थी तो उसने भी ज़्यादा कोशिश नहीं की।
मैंने उसके मोम्मे दबाने शुरु कर दिये, वो गरम हो रही थी। मैंने धीरे धीरे अपना एक हाथ उसकी नाइटी उठाते हुये उसकी पैंटी में डाल दिया। वो सिहर उठी। मैंने अपना मुँह उस की चूत के पास लाके उस की पैंटी को अलग कर दिया।
उसकी बालों वाली चूत एकदम सेक्सी थी। मैंने उसमें अँगुली करनी शुरु कर दी। वो आआआअह कर रही थी। मस्ती उफ़ान पे थी। मेरे दोनो हाथ उसके मोम्मों पे थे। वो आंखें बंद करके मेरा साथ दे रही थी।
जब उस से रहा नहीं गया तो उसने कहा- प्लीज़ अब चोद भी दो, मैं बहुत दिन से प्यासी हूं।
मैंने अपनी पैंट उतार दी। मेरा लण्ड देखते ही वो खुश हो गयी। मैंने उसकी दोनो टांगों को खोला और फ़िर अपना अंडरवियर।
अपना लण्ड एक ही झटके में उस की चूत में डाल दिया। वो ऊऊउह की आवाज़ में मज़ा ले रही थी। अब कमरे में उस की आहें और फ़चाक फ़चाक की आवाज़ें गूंज रही थी।
वो बोली- और ज़ोर से चोदो मुझे, फ़ाड़ डालो मेरी चूत को। यो साली बड़े दिन से लण्ड की भूखी है। आज इस की भूख और मेरी प्यास बुझा दो। चोदो चोदो और ज़ोर से चोदो मुझे।
उसके बोलने के साथ ही मेरी स्पीड भी बढ़ रही थी। ये सिलसिला करीब 25 मिनट चला फ़िर हम दोनो शांत होकर एक दूसरे से लिपट के लेटे रहे।
10 मिनट बाद वो उठी और मेरे लण्ड को अपने हाथ में ले लिया। उसने बड़े प्यार से मेरे लण्ड को कहा- यू आर सो स्वीट और अपने मुँह में डाल लिया। वो लण्ड को ऐसे चूस रही थी कि मानो लोलीपोप चूस रही हो।
मेरा लण्ड दोबारा से चुदाई के लिये तैयार हो गया था। 15 मिनट के बाद मैंने उसे घोड़ी बनाया और फ़िर पीछे से उसकी गांड में अपना लण्ड डाल दिया। वो चुद रही थी, मैं चोद रहा था। ये चुदाई सारी रात में 6 बार हुई।
बारिश भी तभी रुकी जब सुबह हुई और उसकी प्यास मैंने बुझा दी।
उसके बाद जब भी वो या मैं चाहते तो मिलकर ये चुदाई का खेल खेलते हैं।
आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी जरूर बताएँ… Antarvasna
मेरा नाम क्षितिज है और यह मेरी Hindi Sex Stories पहली कहानी है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। आज मैं आपको अपनी वास्तविक कहानी बताना चाहता हूँ।
सबसे पहले मैं बताना चाहूँगा कि मुझे इस कहानी वाली घटना से पहले सेक्स का कोई अनुभव नहीं था। मुझे दिल्ली आये हुए दो साल हो चुके हैं।
मुझे एक दिन मेरे दूर के मामा की लड़की पायल का फ़ोन आया कि वो दिल्ली जॉब करने आ रही है क्योंकि उसका डॉक्टर का कोर्स ख़त्म हो गया है और मूलचंद हॉस्पिटल में उसको जॉब मिल गया है जनरल फ़ीज़िशीयन की पोस्ट के लिए। हम पूरे 5 साल बाद मिल रहे थे।
मैंने उसे रेलवे स्टेशन पर देखा तो देखता ही रह गया। साधारण सी दिखने वाली लड़की अब बहुत सुंदर और सुडौल बदन की मालकिन हो गई थी। मैं उसे देखता ही रह गया और वो आकर गले लग गई और मुझे गाल पर चूम कर मेरा हाथ पकड़ कर बोली- अब घर चलोगे या यहीं रुके रहोगे?
तब मेरी तन्द्रा टूटी और मैं उसे लेकर घर आ गया।
मैं बता दूं कि वो एक सीधी-साधी सी लड़की है बस बड़ा डॉक्टर बनाना उसका मकसद है। हम लोग पहले तो बस से ऑफिस साथ-2 जाने लगे पर इसमें समय के तालमेल की समस्या होने लगी तो मैंने पैशन बाईक खरीद ली।
क्योंकि मैं बहुत दिन बाद बाईक चला रहा था तो थोड़ा धीरे चलता था और वो हमेशा एक तरफ़ टाँगें करके बैठती थी जिससे बाईक को बैलेंस करने में परेशानी आती थी इस कारण हम रोज लेट हो जाते थे हॉस्पिटल पहुचने में।
एक दिन सुबह हम पहले ही आधा घण्टा लेट हो गए तो वो बोली- आज बाईक तेज चलाना जिससे समय पर पहुँचे !
तो मैंने उससे कहा- तुम अपनी टांगें दोनों तरफ़ करके बैठो, तभी तेज चला सकता हूँ ! बाईक बैलेंस सही होगी !
तो वो मान गई। उस दिन ठण्ड बहुत थी और जब बाईक 80 की स्पीड से चली तो और भी ठण्ड लगने लगी तो वो मुझसे थोड़ा सट कर बैठ गई और दोनों हाथो से उसने मुझे जकड़ लिया। तब पहली बार मुझे किसी लड़की के स्पर्श के जादू का अहसास हुआ।
उस दिन तो हम समय पर पहुँच गए और लगभग समय पर ही रोज पहुँचने लगे। अब वो रोज टांगें दोनों तरफ़ करके ही बैठती थी। अभी तक मेरे दिल में उसके लिए कुछ नेहं था मंगर एक महीने के अन्दर वो बहुत मुझसे खुल कर बातें करने लगी, अपने कॉलेज और हॉस्पिटल के लड़के-लड़कियों के बारे में और मैं भी उसे अपने ऑफिस में कर्मचारियों के बीच चल रहे चक्करों के बारे में बताने लगा। एक दिन की बात है, सुबह-2 वो नहा कर आई तब सुबह के 6 बज रहे थे और मैं अभी सो रहा था। तो उसने सोचा कि मैं सो रहा हूँ तो वो वहीं खड़ी हो कर आईने में अपने बदन का जायजा लेने लगी। उसके शरीर पर शमीज और नीचे बड़ा तौलिया था। लेकिन मुझे सोया समझ कर उसने तौलिया निकाल दिया और अपने बदन को देखने लगी।
तभी मेरी नींद टूटी और मैंने रजाई में से देखा तो दंग रह गया। वो उस समय एक ताज़े गुलाब की तरह लग रही थी, दूध जैसा गोरा तराशा बदन, दो तनी चूचियाँ और मस्त फिगर ! मैं तो ऊपर से नीचे तक हिल गया और लण्ड महाराज सलामी देने लगे।
अचानक उसे लगा कि मैं जाग गया हूँ तो झट से उसने तौलिया लपेट लिया और रोज की तरह हम ऑफिस चले गए। मगर शाम को उसके अंदाज बदले-2 से लग रहे थे। आते ही वो अपने कपड़े मेरे सामने बदलने लगी तो मैं कमरे से बाहर जाने लगा। तो वो बोली- आप बाहर क्यों जा रहे हो, ठण्ड बहुत है, आप यहीं बैठो और मुँह दूसरी तरफ कर लो ! मैं कपडे बदल लेती हूँ !
शायद वो भी मुझे अपना तराशा बदन दिखाना चाहती थी और मैं भी चोरी-2 उसे निहार लेता था। अब वो मेरे सामने ही कपड़े बदलने से शरमाती नहीं थी। कई बार मैंने उसकी काली पैंटी और सफ़ेद ब्रा के नज़ारे देखे।
बात है 31 दिसम्बर 2009 की ! उस दिन काफी ठण्ड थी और साल का आखिरी दिन भी। वो मुझसे बोली- नेट नहीं चल रहा है, जरा आप ओपेरटर से पता करके तो आओ।
मैं करीब 9 बजे ओपेरटर के घर गया और नेट ठीक करा के 9.30 पर घर पंहुचा तो वो एक दम चौंक गई और लैपटॉप बंद कर दिया बिना शट-डाउन किये !
मैंने इसे बहुल हल्के से लिया और आकर मैगज़ीन पढ़ने लगा। थोड़ी देर बाद जब मैंने लैपटॉप अंतर्वासना की कहानी पढ़ने के लिए खोला तो लैपटॉप स्लीप मोड से बाहर आया तो एक वेबसाइट जो अभी भी खुली थी उसे देख कर मैं दंग रह गया। वो एक पोर्न साईट देख रही थी। मैंने वो वेबसाइट बंद करके उसकी तरफ देखा तो वो सो चुकी थी। मैं भी सोने चला गया।
रात के एक बजे मुझे लगा कि कोई मेरी रजाई में आकर मुझसे चिपकने की कोशिश कर रहा है। जैसे ही मैंने मोबाइल की रोशनी की तो वो पायल थी जो सिर्फ पैंटी और शमीज में थी। उसने मुझे जोर से गले लगा लिया और पागलों की तरह चूमने लगी। मुझे भी कुछ-2 होने लगा और यह सब मुझे अच्छा लग रहा था। उसने उठ कर नाइट-बल्ब जला दिया जिसकी नीली रोशनी में सारा कमरा चमकने लगा।
अब उसने मुझसे पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है ?
मैंने कहा- नहीं !
तो वो हँस पड़ी और बोली- कोई गर्लफ़्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं !
तो वो बोली- चलो, आज के दिन तुम मेरे बॉयफ़्रेंड और मैं तुम्हारी गर्लफ़्रेंड ! चलो आज मैं तुम्हें स्वर्ग के दर्शन कराती हूँ।
उसने अपने पर्स में से कुछ निकाला और मेरे लण्ड पर लगा कर लोलीपोप की तरह चाटने लगी और अपनी पैंटी उतार कर अपनी योनि मेरे मुँह की तरफ करके बोली- तुम इसे सहलाओ और चाटो !
मैं भी ऐसा ही करता रहा। करीब पंद्रह मिनट के बाद उसने कहा- मेरे बदन को छू कर देखो !
तो मैंने वैसे ही किया। पहले उसके वक्ष दबा कर देखे जो कि तने हुए और हल्के से मुलायम थे। फ़िर उसकी योनि छू कर देखी तो वो कराह उठी। मैंने उसे जगह-2 चूमना शुरु कर दिया ब्लू फिल्मों की तरह और वो तड़पने लगी और कहने लगी- करते रहो जानू ! मैं इस के लिए मर रही हूँ !
आधे घण्टे की पूर्व-क्रीड़ा के बाद वो और तड़पने लगी और मुझे कहने लगी- अब तो मेरी प्यास बुझा दो ! अपना लण्ड डाल दो मेरी योनि में !
उसकी योनि बिल्कुल कुँवारी थी लेकिन डॉक्टर होने के कारण उसे सेक्स के बारे में सब पता था। मैंने उसे सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर आने लगा तो मुझे धक्का देकर मेरे ऊपर आ गई और मेरे लण्ड को अपने योनि पर घिसने लगी।
मैं तड़पने लगा जिससे उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो मुझसे बोली- अब जन्नंत में जाने के लिए तैयार हो जाओ !
और लण्ड को चूत के मुहाने पर रख कर नीचे की ओर धक्का लगाने लगी और मैं ऊपर की ओर !
मगर उसकी योनि बहुत तंग थी तो उसे दर्द ज्यादा होने लगा तो वो रुक गई। इसी मौके का फायदा उठा कर मैंने उसे नीचे गिरा दिया और एक ही झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया जिससे वो चीख उठी।
थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे, फिर उसने धीरे-2 कमर हिलाना शुरु किया तो मैंने भी उसके साथ लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया।
अब वो जोर-2 से बोल रही थी- जोर से चोद ! कुतिया की तरह चोद ! और ! और ! आहऽऽ !
सारा कमरा फच-2 की आवाजों से गूँज रहा था। उस ठंडी में हम दोनों पसीने-2 हो गए।
उस रात चार बार चुदाई का दौर चला और अंत में मैं उसकी चूत में लण्ड डाल कर सो गया।
दूसरे दिन हम 12 बजे दोपहर में उठे और उसने मुझे एक बार फिर चोदा और चूम कर नहाने चली गई।
दोस्तो, मुझे मेल करके बतायें कि मेरी कहानी कैसी लगी !
अगले भाग में मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने उसके डॉक्टर सहेली को पटाया और चोदा। Hindi Sex Stories
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