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रेखा मेहता ने झांसी से मुझे मेल के Sex Stories द्वारा अपनी कहानी का एक स्वरूप बना कर भेजा था, उसे कहानी के रूप में ढाल कर आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ।
मेरे पति कपिल का दोस्त राहुल, जिसकी यह कहानी है, मेरे घर पर लगभग रोज ही आता था। जब राहुल पहली बार जब घर में आया था उसकी नजर मुझ पर पड़ी। वो मुझे देखता ही रह गया। मेरी नई नई शादी हुई थी, मेरी उमर भी बीस वर्ष की थी। भरपूर जवानी के दौर में थी। अभी तक मुझ पर से कॉलेज का नशा नहीं उतरा था। मैं कभी जीन्स, या काप्री और टॉप पहनती थी। कॉलेज के समय से ही अपने फ़िगर को दूसरों के सामने उभार कर दिखाना हम लड़कियों का सबसे फ़ेवरेट शौक था। राहुल के सामने भी मैं लगभग उसी अन्दाज़ में आती थी। राहुल की वासना भरी निगाहें मुझ पर पड़ चुकी थी। उसके ऐसे घूरने से मैं भी रोमांचित हो उठती थी। उसे उत्तेजित करने में मुझे मजा भी आता था। शायद मैं उससे चुदना भी चाहती थी। राहुल एक पच्चीस साल का जवान था। सुन्दर था और स्टाईल में रहता था। वो और मेरे पति कपिल रेलवे में काम करते थे। राहुल बुकिन्ग क्लर्क था और मेरे पति ट्रेन टिकट एक्जामिनर थे। राहुल का घर हमारे पास ही था। कपिल को कही मुझ पर शक ना हो इसलिये मैं राहुल को भैया कहती थी।
वो जब भी मुझे घूरता था तो मुझे भी लगता था कि मैं भी उसे देख कर मुस्कराऊँ और उसे आगे बढ़ने की हिम्मत बढ़ाऊँ। पर शरम के मारे मैं ऐसा नहीं कर सकती थी। पता नहीं वो मुझे ऐसे क्यूँ देखता था, शायद उसके दिल में भी मेरे लिये भावनाएँ थी। मेरे पति सुबह ही ड्युटी पर निकल गये थे। राहुल आज करीब नौ बजे मुझ पर लाईन मारने घर आया था। उसके पास बात करने को कुछ भी नहीं था। बस उसने कपिल के बारे में पूछा, जिसके बारे में वो पहले से जानता था कि वो इस समय घर पर नहीं होगा।
मैंने कहा – वो तो नहीं है, काम पर गये हैं।”
मैं दरवाजे पर खड़ी हुई उसे निहार रही थी। वो मुझे देख कर हमेशा की तरह मुस्कराया। मेरी नजरें झुक गई और मैं जमीन की ओर देखने लगी।
“आप अकेली हैं, क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ?” उसने मुस्करा कर पूछा।
“ओह, सॉरी, अन्दर आईये ना भैया, हां अभी मैं अकेली हूँ, आपको तो पता है, मैं इस समय अकेली रहती हूँ।” मैंने शर्माते हुये जवाब दिया। वो अन्दर आ गया।
“भाभी जी, आप अभी भी पढ़ाई करती हैं?” उसका बेतुका सा प्रश्न था जिसका उत्तर वो जानता था, पर मुझे पता चल गया था कि वो मुझ पर लाईन मारने आया था।
अब मैं सोच रही थी कि कैसे उसे रिझाऊं कि वो मुझे अकेली पा कर कुछ सेक्सी हरकत करे। सो बस मैंने एक मतलब भरी तिरछी नजर उस पर डाली और मुस्करा दी। ये तो उसके लिये जरूरत से ज्यादा ही हो गया।
“चाय लेंगे आप ? कोई खास काम से आये थे आप ?” मेरी तिरछी नजरें अब भी उसे न्योता दे रही थी। बस समझने वाला चाहिये था। शायद वो समझदार था।
“चाय तो पी लूंगा, पर हाँ आया तो खास काम से ही था।” मैं चाय बनाने चली गई, राहुल भी उठ कर वहीं आ गया और शायद नजरों इशारा पा कर उसने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया और बोला,”शालू, तुम बहुत सुन्दर लगती हो !”
उसके हाथ लगाते ही मेरे शरीर में चीटियां सी रेंगने लगी, मुझे तेज झुरझुरी आ गई। उसकी वासना भरी आवाज में लड़खड़ाहट थी। मुझे लगा कि उसने बहुत अधिक हिम्मत कर ली थी। मेरा मन अन्दर से खुशी से कांप उठा। पर मुझे तो अपने आप को पतिव्रता बताना था ना।
“भैया, आप वहा बैठे प्लीज !” मैंने चाय निकाली तो लगा मेरे हाथ कांप रहे थे। मैं ज्योंही पलटी, राहुल बिलकुल सामने था। मेरे हाथ से चाय गिरते गिरते बची।
“शालू, प्लीज बस एक बार मुझे किस दे दो !” उसकी सांसे तेज थी।
“क्…क्… क्या ?” मैं बुरी तरह से चौंक गई, और थर थर कांपने लगी। मुझे लगा मैं एक्टिन्ग ठीक ठाक कर लेती हूँ। पर सच में मुझे इस तरह बहुत शर्म आ रही थी। ऐसा कभी किया नहीं था ना। एकदम से मेरी हिम्मत नहीं हुई कुछ पहल करने की।
“राहुल जी, नहीं नहीं, ये क्या कह रहे हैं आप !” मेरी निगाहें नीचे झुक गई। चाय मैंने वहीं वापस रख दी। मैं चुप से पास में से निकल कर बैठक में आ गई और दीवार से लग कर खड़ी हो गई।
“प्लीज, शालू सिर्फ़ एक बार, मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा।” उसकी विनती जारी थी। उसकी सांसों के साथ उसकी धड़कन की आवाज तक मुझ तक आ रही थी। उसने शायद ये कहने में अपनी पूरी शक्ति लगा थी। मैं घबरा गई हालांकि वो मुझे अच्छा लगता था, पर एकदम से जैसे मुझ पर हमला हुआ हो, मैं कुछ तय नहीं कर पाई। मुझे लगा कि वो एक किस ले लेगा तो मेरा क्या जायेगा। मान जाऊं क्या ? पर कहीं और आगे बढ़ गया तो, क्या फिर मुझे ये चोदेगा। ये सोच कर मुझे वासना का तेज भी चढ़ने लगा और घबराहट सी भी होने लगी। पर ये सोच कर एक बार मेरी चूत में भी फ़ड़फ़ड़ाहट हो गई। इसी कशमकश के बीच राहुल मेरे करीब आ चुका था। मेरी नजरे जमीन में गड़ी जा रही थी। मेरे चेहरे पर शर्म की लालिमा आ गई थी। मैं बार बार नजरे उठा कर उसकी ओर देखने लगी।
“शालू प्लीज, मान जाओ ना !” उसके हाथ एकबारगी मेरी तरफ़ बढ़ चले थे।
“नही, भैया नहीं, ये पाप है, मुझे छूना नही, प्लीज !” दिल में इच्छा होते हुए भी मुझे जाने क्यों मर्यादा तोड़ना अच्छा नहीं लग रहा था।
“सिर्फ़ एक बार, आपका क्या जायेगा, मेरी दिल की इच्छा पूरी हो जायेगी।” लगभग वो हांफ़ उठा था।
“मैं मर जाऊंगी, राहुल, बस आप जाईये यहाँ से !” मैं पसीना पसीना हो उठी, मेरा दिल धड़क उठा, किसी अन्जाने सुख की तलाश में मेरा मन भटक चला।
राहुल ने मेरे चेहरे को उठाया और कहा,”सच में चला जाऊगा, ठीक है !! बस एक किस के बाद !” और उसने गजब ही हिम्मत दिखाते हुए अपने होंठ मेरे कांपते होंठ पर जबरदस्ती रख दिये। मेरे दोनों हाथ उसने कस कर पकड़ लिये। मैंने जाने किस नशे में अपनी आंखे बन्द कर ली। मेरा मन खिल उठा। मैं उसे कुछ नहीं कह पाई। शायद कहना भी नहीं चाहती थी। वो मेरे होंठ पीने लगा। अब उसने मेरे हाथ छोड़ दिये थे और अब उसके प्यार भरे हाथ मेरे बालों को संवार रहे थे। एक हाथ मेरे पीठ को सहला रहा था। मैं लम्बाई में छोटी थी, उसके पांवो पर चढ़ गई और अब अपने हाथ उसके गले में हार की तरह डाल दिये। मेरा सीना उसके सीने से दब गया, और जोर से अपने उरोज उसकी छाती से रगड़ने लगी। मेरे मन में आनन्द की लहरें उठने लगी। उसने जोश में मेरे चूतड़ों की गोलाईयाँ सहला डाली। वासना का आनन्द मुझ पर चढ़ने लगा। अचानक मेरे वक्षस्थलों पर उसका हाथ जम गया और उसे सहलाने लगा।
मेरे निपल कड़े होने लगे। मेरे स्तन उसके हाथों में मचल उठे। तन में मीठी सी आग जल उठी। मैं मदहोश होने लगी। हाय राम… मुझे ये क्या हो गया…इसे मैं भाई कहती हूँ… पर मुझे ये कैसा आनन्द आ रहा है… क्या ये आनन्द सही है या रिश्ता… पर रिश्ता तोड़ा तो राहुल ने ही है ना… कौन सा मेरा सगा भाई है … हाय मसल दे मुझे…। उसी समय राहुल ने मुझे धीरे से अपने पांवों पर से मुझे उतार दिया। जैसे नशा टूट गया…
“शालू, देखो किसी को मत कहना, आपका ये अहसान जिन्दगी भर मेरे दिल में रहेगा, मुझे असीम आनन्द आया, थंक्स शालू !” उसकी सांसे अब भी उखड़ी हुई थी। अचानक उसका मुझे यूँ छोड़ देना मुझे नहीं भाया, मेरी नजरें झुक गई और पैर के नाखून से जमीन कुरेदने लगी।
“राहुल जी, आप भी मत कहना, अब आप जाईये।” मैंने अपनी बड़ी बड़ी आंखे उठा कर राहुल की ओर देखा।
“क्या मैं कल भी आऊ?” उसकी शरारत भरी मुस्कान मेरे दिल को चीर गई।
“आपकी मरजी, आपका घर है !” घायल सी मैं बोली। राहुल खुश हो गया और जल्दी से दरवाजा खोल कर बाहर निकल गया।
उसके जाने के बाद मेरा दिल अब कही नहीं लग रहा था। मैं निढाल सी बिस्तर आ गिरी और राहुल के बारे में सोचने लगी। पहले तो मुझे अपने ऊपर शर्म आने लगी कि मैंने ये क्या कर डाला। फिर शनै: शनै: मुझे सब कुछ मोहक लगने लगा। अपनी छातियों पर दबाव, निपल को खींचना, नरम होंठो का किस, मेरे नरम नरम चूतड़ को सहलाना, मेरे बदन में आग भरने लगी। काश मैं उसका लण्ड पकड़ कर दबाती, उसका सुपाड़ा बाहर निकाल कर मलती। एक बार अपनी चूत में उसे ले कर तड़पती, तो मुझे शान्ति मिलती। शाम को कपिल थका हुआ सा घर आया और आते ही उसने राहुल को बुला लिया। राहुल ने मुझे जान कर देखा तक नही, बस आकर दोनों ने ड्रिंक ली और कपिल खाना कर सोने चला गया। राहुल कुछ देर तक बैठा रहा, शायद मुझसे कुछ कहना चाहता था।
“शालू, सुबह के लिये एक बार फिर थेंक्स !” उसने मेरी तरफ़ बड़ी आशा भरी निगाहों से देखा, मुझे समझ में आ गया कि वो चाहता है कि मैं उसे सुबह बुलाऊँ। वैसे सुबह ही बात हो चुकी थी, पर शायद वो उसे सुनिश्चित करना चाह रहा था। पर फिर से कैसे कहूँ ? मैं शरमा गई और धीरे से बोली,”भैया, बार बार कह कर शर्मिन्दा मत करो।”
“कल सुबह आप फ़्री है ना, यही पूछ रहा था?” मेरी नजरें फिर से झुक गई। मैंने नजरें नीची करके ही बस हां में सिर हिला दिया। वो उठा और जल्दी से बाहर चला गया।
रात भर मैं फिर से राहुल के ख्यालों में उलझ सी गई। मुझे वो सेक्सी लगने लगा। मुझे अब लगा कि सुबह वो क्या क्या करेगा, जरूर वो मुझे चोदेगा, मेरी इच्छा जरूर पूरी करेगा। मेरे बोबे भी मसलेगा और्… और्… लण्ड को मेरी चूत में… हाय राम, मैं तो मर जाऊंगी।
मेरी आंख खुली तो कपिल मुझे देख कर मुस्करा रहा था। मुझे जागते देख कर पूछा,”रात को तुम कोई सेक्सी सपना देख रही थी क्या” उसके कहते ही मैं उछल पड़ी।
“हाय राम, आपको क्या पता ?” फिर मैं ही शरमा गई। शायद मैं सोच सोच कर रात को झड़ गई थी।
“हाय कपिल, तुम तो बस सो जाते हो, मेरा तो कुछ सोचते ही नहीं !” मैंने पकड़ा जाने पर शिकायत कर दी।
“डार्लिन्ग, अभी नहीं, मुझे अभी जुकाम और हल्का बुखार है, ठीक होने दो।”
मुझे लगा कि कहीं ये आज की छुट्टी ना ले लें। पर नहीं, उसका छुट्टी लेने का जरा भी मन नहीं था। मैं तुरंत उठी और नित्य कर्म से निपट कर कपिल के लिये नाश्ता और टिफ़िन बनाने लगी। कुछ ही देर में वो ऑफ़िस के लिये निकल गया। मैंने अपना सफ़ेद टाईट पजामा पहना, पर पेन्टी नहीं पहनी। ढीला सा ऊंचा सा टॉप बिना ब्रा के पहन लिया। मुझे लगा कि सच में मुझे ब्रा की आवश्यकता ही नहीं थी। मेरे स्तन तो वैसे ही सीधे तने हुए खड़े थे। मुझे ये सब अपने मजे के लिये तो करना ही था। मेरा दुबले बदन की सारी गहराईयां अधिक लचीली नजर आने लगी। पजामा चूतड़ों की दरार में घुस कर उसकी गहराई नाप रहा था, शायद राहुल को ये सब सेक्सी लगेगा। यदि अब वो मेरे स्तनो पर हाथ डाले तो सीधे बोबे ही उसके हाथ में आये। लण्ड तैयार हो तो अन्दर जाने में कठिनाई ना हो। पर मुझसे यह सब कैसे होगा।
राहुल भी अपने समय से आ गया। उसे देखते ही मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। मुझे पता था आज वो फिर किस करेगा और फिर्…
“शालू, मुझे कल कितना मजा आया कि मैं बता नहीं सकता।” उसने कल की बात याद दिलाई। मैं शरमा गई और झुकी निगाह से कह उठी। बात सीधे ही बिन्दु पर लाने का ये सबसे अच्छा तरीका था।
“राहुल, पर ये सब ठीक नहीं है, अगर पता चल गया तो मैं तो मर ही जाऊंगी।” मैंने अपनी शंका व्यक्त की। राहुल उठा और मेरे पास आ गया।
“मेरे ऊपर भरोसा रखो, जवानी है तो मजे लूटो और जिस्म की प्यास खुद भी बुझाओ और मुझे भी बुझाने दो।”
“राहुल, हाय रे ऐसे ना कहो, मुझे कुछ होता है” मैंने अपनी तड़प उसे दर्शाई।
“शालू, तुम्हारा जिस्म लाजवाब है, तुम्हारा क्या मस्त फ़िगर है, इसका मजा उठा लो।”
“नहीं जी… वो… वो … कैसे… हाय रे मैं मर जाऊंगी।” मैं कांप उठी।
“सच में , ये बदन इतना सेक्सी है कि इसे एक मर्द मसलने को चाहिये” उसके हाथ मेरी कमर पर आ गये और मेरे स्तन की और बढ़ने लगे। मैं अपने कांपते हाथो से उसका हाथ रोकने की कोशिश करने लगी, पर नाकाम रही, ताकत के साथ मेरे हाथ को हटाते हुए वो मेरे चूंचियो के ऊपर आ गये। मेरी सिसकारी निकल पड़ी। मेरे चूंचियां दब गई… एक मीठी सी कसक उठी।
“ना कर्… हाय, लाज आती है।” मैं सिमट उठी। पर मन में लगा कि मेरी चूंचियाँ वो बेरहमी से मसल डाले। मेरी मन की कसक शांत कर दे। उसका हाथ मेरी चूंची को सहलाने लगे। तभी उसका दूसरा हाथ मेरे पेट को दबाते हुए टाईट पजामे में घुस कर चूत की ओर बढ़ गया।
“बस ना… ये नहीं करो…मैं मर जाऊंगी राम रे !” पर तब तक उसका हाथ मेरी नरम नरम झांटो को सहलाते हुए चूत तक पहुंच गया था और मेरी चूत को प्यार से सहला रहा था। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, उसका चिकनापन उसकी अंगुलियों में लग गया। मैं तड़प उठी। मुझे मीठी मीठी सी सेक्सी गुदगुदी का अहसास होने लगा था। मैंने उसे धन्यवाद की नजरों से निहारा। मेरा मन उसका लण्ड पकड़ने को तरस उठा। मेरी चूत लपलपा उठी। मैंने अब शरम छोड़ दी और मेरे मुख से एक हाय निकल पड़ी। मैंने शर्म के साथ अपना पांव और जिस्म फ़ैला कर उसके हवाले कर दिया। उसके हाथ मेरे जिस्म पर फ़िसलने लगे, मुझे नशीली तरंगों का अह्सास होने लगा। मेरी चूंचियों को वो मसलने लगा, चूत के अन्दर उसकी दो दो उंगलियां उसकी गहराईया नापने लगी। मेरा बदन उसकी बाहों में बल खाने लगा, तड़प उठा।
उसने मुझे उठाया और बिस्तर पर लेटा दिया। उसने अपनी कमीज और पैन्ट उतार दिया और अपना बलिष्ठ लण्ड मेरे सामने लहरा दिया। उसका लण्ड तन्ना कर सीधा खड़ा था। मैंने धीरे से उसका लण्ड थाम लिया और हाथों में कस लिया। उसके मुँह से हाय निकल पड़ी। मेरा पजामा उसने नीचे खींच लिया और मेरा टॉप भी उतार कर पास में रख दिया। मैंने उसके लण्ड को कस कर थाम कर मुठ मारना आरम्भ कर दिया। आह भरते हुए उसने मेरी तारीफ़ करने लगा।
“सुन्दर, शालू, तुम्हारा जिस्म कितना सुन्दर है !” वो कुछ करता उसके पहले ही मुझसे नहीं रहा गया और उसके लण्ड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। उसने तो मुँह में ही धक्के मारने आरम्भ कर दिये। मुझे बहुत ही आनन्द आने लगा।
उसने अपना हाथ पीछे करके मेरी चूत को सहलाते हुए मेरी योनि-कलिका को हल्के से मल दिया। दाना मलते ही एक तीखा मजा आया। फिर उसकी अंगुली मेरी चूत में उतरती चली गई। मैं मस्ती में चिहुंक गई। अब उसने मेरे मुख से लण्ड निकाल लिया और मेरे ऊपर लेट गया और मेरे मुख से मुख मिला दिया और मेरे होंठ और जीभ को चूसने सा लगा। उसका जिस्म का दबाव मेरे ऊपर बढ़ता ही चला गया और उसके भटकते राही ने अपनी राह ढूंढ ही ली। लण्ड अपना रास्ता खोज कर आगे बढ़ चला और गहराईयों का लुफ़्त लेने लगा। मेरे शरीर में लण्ड के अन्दर उतरते ही, एक तेज मिठास जिस्म में भर गई। योनिद्वार से मस्ती का पानी चू पड़ा। उसका मुख मेरे मुख को रगड़े जा रहा था और लण्ड की मस्ती भरी चाल मेरी योनि को असीम सुख दे रही थी। मेरी टांगें ऊपर की ओर उठ चुकी थी और कमर खुल कर चल रही थी। मेरी आंखे मस्ती में बंद थी। मेरी कस कर चुदाई चल रही थी। सच में राहुल एक अच्छी चोदने की कला जानता था। मेरा पूरा जिस्म वो इस तरह से मसल रहा था कि मेरा कोई भी अंग अछूता नहीं रहा।
अचानक मुझे लगा कि मैं अब नहीं सह पाउंगी और झड़ जाऊंगी। मेरे शरीर में अतिवासना भर उठी। पूरा जिस्म वासना की तीव्र मिठास से भर उठा और मैंने राहुल को जकड़ लिया। राहुल समझ चुका था, उसने और तेजी दिखाई और मैं छूट पड़ी। चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं झड़ने लगी। पर राहुल में दम था, उसका कड़क लण्ड बाहर आ गया। मेरी उठी हुई टांगों का फ़ायदा उठाते हुए उसने अपना लण्ड मेरे दूसरे छेद में सटा दिया। मैं एकदम से घबरा उठी, क्योंकी मेरे गाण्ड का द्वार अभी तक अछूता था और खुला हुआ भी नहीं था। मुझे पता था कि मेरी गाण्ड में यदि उसका लण्ड घुस पड़ा तो मेरी फ़ट भी सकती है।
“राहुल प्लीज ये नहीं करना…उईऽऽऽऽ… मत घुसाओ ना…हाऽऽऽय रेऽऽऽ…मार दी रे मेरी…” मैं विरोध करते हुए चीख सी उठी, पर जब तक लण्ड मेरी गाण्ड में घुस चुका था। मैं दर्द से तड़प गई। पर मेरी गाण्ड अभी नरम थी, स्किन भी नरम थी सो फ़टने से बच गई।
“बस हो गया शालू… इसे भी कब तक छुपा कर रखती…थोड़ा सा दर्द होगा, पर असली मजा तो यही है।”
उसका दूसरा धक्का लगा, मुझे लगा की जैसे गाण्ड में आग लग गई हो। मैंने अपना मुख कस कर बंद कर लिया। मेरी आंखो से आंसू निकल पड़े। मेरी गाण्ड में जलन होने लगी। उसने धीरे धीरे लण्ड अन्दर बाहर करना आरम्भ कर दिया। धीरे धीरे आग जैसी जलन कम होने लगी। वो मेरी गाण्ड के छेद में थूक लगाता जाता और लण्ड पेलता गया। उसकी आहें भी तेज हो उठी, और मेरी चीखें क्रमश: कम होती गई। पर गाण्ड का छेद टाईट होने से उसका वीर्य छूट पड़ा और मेरी गाण्ड के अन्दर ही भरने लगा। उसका चिकना चिकना वीर्य मेरे दर्द को भी राहत दे रहा था और मेरी गाण्ड की पूरी ग्रीसिन्ग भी होने लगी थी। उसका लण्ड सिकुड़ कर बाहर आ गया। उसने मेरा टॉप लेकर मेरी गाण्ड साफ़ कर दी।
“राहुल, देख खून तो नहीं निकला ना?”
“नहीं जरा सा भी नहीं, रोज ग़ाण्ड भी मराना तो फिर तुम्हें पूरा मजा आयेगा, और छेद भी खुल जायेगा !”
“नही, पीछे तो लगती है, आगे ही ठीक है !” मैंने अपनी बात कही।
“ईश्वर ने जितने छेद दिये हैं उसका पूरा फ़ायदा उठाओ, चुदाई कराओ तो पूरी कराओ, पूरा मजा लो, सारे छेद मुझसे खुलवा लेना फिर भरपूर मजा उठाना चुदाई का !” राहुल ने मुझे समझाया।
“धत्त, अब बस भी करो, चलो जल्दी से कपड़े पहन लो, कहीं कोई आ गया तो … मजा तो हमने ले ही लिया है ना !” मैं हंस पड़ी।
“बस अपन दोनों को मजा आ गया, चुदाई सफ़ल हो गई” राहुल ने भी कमेन्ट्स किये। हम दोनों ने जल्दी से कपड़े पहन लिये और दरवाजा शरीफ़ लोगों की तरह खोल दिया। मैं चाय बना कर ले आई और अब हम दोनों अच्छे पड़ोसी की तरह व्यवहार कर रहे थे। प्यार की बातें होने लगी थी। हम दोनों को अब लगने लगा था कि कही हमें प्यार तो नहीं हो गया है… Sex Stories
मेरी सगाई की तारीख पक्की हो Hindi Sex Stories गई थी। मैं जब राजू से पहली बार मिली तो मैं उसे देखती रह गई। वो बड़ा ही हंसमुख है। मज़ाक भी अच्छी कर लेता है। मैं ३ दिनों से इन्दौर में ही थी। वो मुझे मिलने रोज़ ही आता था। हम दोनो एक दिन सिनेमा देखने गए। अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए उन्होंने मेरे स्तनों का भी जायज़ा ले लिया। मुझे बहुत अच्छा लगा था।
पापा ने बताया कि उज्जैन में मन्दिर की बहुत मान्यता है, अगर तुम दोनों जाना चाहो तो जा सकते हो। इस पर हमने उज्जैन जाने का कार्यक्रम बना लिया और सुबह आठ बजे हम कार से उज्जैन के लिए निकल पड़े। लगभग दो घण्टे में ७०-७५ किलोमीटर का सफर तय करके हम होटल पहुँच गये.
कमरे में जाकर राजू ने कहा-“आरतीफ्रेश हो जाओ…नाश्ता करके निकलेंगे..”
मैं फ्रेश होने चली गयी. फिर आकर थोड़ा मेक अप किया. इतने में नाश्ता आ गया. नाश्ते के बीच बीच में वो मेरी तरफ़ देखता भी जा रहा था. उसकी नज़ारे मैं भांप गयी थी. वो सेक्सी लग रहा था.
मैंने कहा -“क्या देख रहे हो…”
“तुम्हे… इतनी खूबसूरत कभी नहीं लगी तुम..”
“हटो…” मैं शरमा गयी.
“सच… तुम्हे बाँहों में लेने का मन कर है”
“राजू !!! ”
“आओ मेरे गले लग जाओ..”
‘वो कुर्सी से खड़ा हो गया और अपनी बाहें फैला दी. मैं धीरे धीरे आंखे बंद करके राजू की तरफ़ बढ गयी. उसने मुझे अपने आलिंगन में कस लिया. उसके पेंट में नीचे से लंड का उभार मेरी टांगों के बीच में गड़ने लगा. मैं भी राजू से और चिपक गयी. उसने मेरे चेहरे को प्यार से ऊपर कर लिया और निहारने लगा. मेरी आंखे बंद थी. हौले से उसके होंट मेरे होंटों से चिपक गए. मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया. वो मुझे चूमने लगा. उसने मेरे होंट दबा लिए और मेरे नीचे के होंट को चूसने लगा. मैं आनंद से भर उठी. उसके नीचे का उभार मेरी टांगों के बीच अब ज्यादा चुभ रहा था. मैंने थोड़ा सेट करके उसे अपनी टांगों के बीच में कर लिया. अब वो सही जगह पर जोर मार रहा था. मैं भी उस पर नीचे से जोर लगा लगा कर चिपकी जा रही थी.
वो अलग होते हुए बोला -“नेहा…एक बात कहूं…”
“कहो राजू”
“मैं तुम्हे देखना चाहता हूँ…”
मैं उसका मतलब समझ गयी , पर उसको तड़पाते हुए मजा लेने लगी…”तो देखो न…सामने तो खड़ी हूँ…”
“नहीं…ऐसे नहीं…”
“मैंने इठला कर कहा -“तो फिर कैसे.. ”
“मतलब…कपडों में नहीं…”
“हटो राजू…चुप रहो…”
“न..नहीं..मैं तो यूँ ही कह रहा था… चलो…अच्छा..”
मैं उस से लिपट गयी..” मेरे राजू… क्या चाहते हो… सच बोलो..
“क कक्क कुछ नहीं… बस..”
“मुझे बिना कपडों के देखना चाहते हो न…”
उसने मुझे देखा… फिर बोला..” मेरी इच्छा हो रही थी.. तुम्हे देखने की…क्या करून अब तुम हो ही इतनी सुंदर…”
“मैं धीरे से उसे प्यार करते हुए बोली – ” सुनो मैं तो तुम्हारी हूँ… ख़ुद ही उतार लो..”
“सच…” उसने मेरे टॉप को ऊपर से धीरे से उतार दिया. मैं सिहर उठी.
“राजू… आह…”
ब्रा में कसे मेरे उरोज उभार कर सामने आ गए. राजू ने प्यार से मेरे उरोजों को हाथ से सहलाया. मुझे तेज बिजली का जैसे करंट लगा…फिर उसने मेरी ब्रा खोल दी. उसकी आँखे चुंधिया गयी. उसके मुंह से आह निकल पड़ी. मैंने अपनी आंखे बंद करली. वो नज़दीक आया उसने मेरे उभारों को सहला दिया. मुझे कंपकंपी आ गयी. उस से भी अब रहा नहीं गया…मेरे मस्त उभारों की नोकों को मुंह में भर लिया..और चूसने लगा..
“राजू मैं मर जाऊंगी…बस…करो..” मेरे ना में हाँ अधिक थी.
उसने मेरी सफ़ेद पेंट की चैन खोल दी और नीचे बैठ कर उसे उतारने लगा. मैंने उसकी मदद की और ख़ुद ही उतार दी. अब वो घुटनों पर बैठे बैठे ही मेरे गहरे अंगों को निहार रहा था. धीरे से उसके दोनो हाथ मेरे नितम्बों पर चले गए और वो मुझे अपनी और खींचने लगा.। मेरे आगे के उभार उसके मुंह से सट गए. उसकी जीभ अब मेरी फूलों जैसे दोनों फाकों के बीच घुस गयी थी. मैंने थोड़ा और जोर लगा कर उसे अन्दर कर दी. फिर पीछे हट गयी.
“बस करो ना अब…” वो खड़ा हो गया. ऐसा लग रहा था की उसका लंड पेंट को फाड़ कर बाहर आ जाएगा
“राजू..अब मैं भी तुम्हे देखना चाहती हूँ… मुझे भी देखने दो.. ”
राजू ने अपने कपड़े भी उतार दिए. मैं उसका तराशा हुआ शरीर देख कर शर्मा गयी. अब हम दोनों ही नंगे थे. उसका खड़ा हुआ लंड देख कर और उसकी कसरती बॉडी देख कर मन आया कि… हाय…ये तो मस्त चीज़ है… मजा आ जाएगा… पर मुझे कुछ नहीं कहना पड़ा. वो ख़ुद ही मन ही मन में तड़प रहा था. वो मेरे पास आ गया. उसका इतना कड़क लंड देख कर मैं उसके पास आकर उस से चिपकने लगी. मुझे गांड कि चुदाई में आरंभ से ही मजा आता था. मुझे गांड मराने में मजा भी खूब आता है. उसका कड़क, मोटा और लंबा लंड देख कर मेरी गांड चुदवाने कि इच्छा बलवती होने लगी.
मेरी चूत भी बेहद गीली हो गयी थी. उसका लंड मेरी चूत से टकरा गया था. वो बहुत उत्तेजित हो रहा था. वो मुझे बे -तहाशा चूम रहा था. “नेहा…डार्लिंग… कुछ करें…”
“राजू… मत बोलो कुछ…” मैं ऑंखें बंद करके बोली ” मैं तुमसे प्यार करती हूँ…मैं तुम्हारी हूँ.. मेरे राजू..”
उसने मुझे अपनी बलिष्ठ बाँहों में खिलोने की तरह उठा लिया. मुझे बिस्तर पर सीधा लेटा दिया. मेरे चूतडों के नीचे तकिया लगा दिया. वो मेरी जांघों के बीच में आकर बैठ गया। धीरे से कहा -“आरतीमैं अगर दूसरे छेद को काम में लाऊं तो…” मैं समझ गयी कि ये तो ख़ुद ही गांड चोदने को कह रहा है. मैं बहुत खुश हो गयी.”चाहे जो करो मेरे राजा…पर अब रहा नहीं जाता है.”
” इस से सुरक्षा भी रहेगी..किसी चीज का खतरा नहीं है…”
“राजू…अब चुप भी रहो न… चालू करो न…” मैंने विनती करते हुए कहा.
मैंने अपनी दोनों टांगे ऊँची करली. उसने अपने लंड कि चमड़ी ऊपर खीच ली और लंड को गांड के छेद पर रख दिया. मैं तो गंद चुदवाने के लिए हमेशा उसमे चिकनाई लगाती थी. उसने अपना थूक लगाया और… और अपने कड़े लंड की सुपारी पर जोर लगाया. सुपारी आराम से अन्दर सरक गयी. मैं आह भर उठी.
“दर्द हो तो बता देना..नेहा..”
“राजू… चलो न…आगे बढो… अब..” मैं बेहाल हो उठी थी. पर उसे क्या पता था की मैं तो गांड चुदवाने और चुदाई कराने मैं अभ्यस्त हूँ. उसने धीरे धीरे धक्के मारना चालू किया.
“तकलीफ़ तो नहीं हुई…नेहा…”
“अरे चलो न…जोर से करो ना…क्या बैलगाडी की तरह चल रहे हो…” मुझसे रहा नहीं गया. मुझे तेजी चाहिए थी.
सुनते ही एक जोरदार धक्का मारा उसने… अब मेरी चीख निकल गयी. लंबा लंड था…बहुत अंदर तक चला गया. अपना लंड अब बाहर निकल कर फिर अन्दर पेल दिया उसने… अब धक्के बढने लगे थे. खूब तेजी से अन्दर तक गांड छोड़ रहा था.. मुझे बहुत मजा आने लगा था. “हाय..मेरे..राजा… मजा आ गया… और जोर से… जोर लगा…जोर से… हाय रे…”
उसके मुंह से भी सिस्कारियां फूट पड़ी. “नेहा… ओ ओह हह ह्ह्ह… मजा..आ रहा है… तुम कितनी अच्छी हो…”
“राजा…और करो… लगा दो…अन्दर तक…घुसेड दो… राम रे…तुम कितने अच्छे हो…आ आह हह…रे..”
मेरी गांड चिकनी थी…उसे चूत को चोदने जैसा आनंद आ रहा था… मेरी दोनों जांघों को उसने कस के पकड़ रखा था. मेरी चुन्चियों तक उसके हाथ नहीं पहुँच रहे थे. मैं ही अपने आप मसल रही थी. और सिस्कारियां भर रही थी. मैंने अब उसे ज्यादा मजा देने के लिए अपने चूतडों को थोड़ा सिकोड़ कर दबा लिया. पर हुआ उल्टा…
“आरतीये क्या किया… आह…मेरा निकला…मैं गया… ”
“मैंने तुंरत अपने चूतडों को ढीला छोड़ दिया… पर तब तक मेरी गांड के अन्दर लावा उगलने लगा था.
“आ अह हह नेहा…मैं तो गया… अ आह ह्ह्ह…” उसका वीर्य पूरा निकल चुका था. उसका लंड अपने आप सिकुड़ कर बाहर आ गया था. मैंने तोलिये से उसका वीर्य साफ़ किया
मैं अभी तक नहीं झड़ी थी.. मेरी इच्छा अधूरी रह गयी थी. फिर भी उसके साथ मैं भी उठ गयी.
हम दोनों एक बार फिर से तैयार हो कर होटल में भोजनालय में आ गए. दोपहर के १२ बज रहे थे. खाना खा कर हम उज्जैन की सैर को निकल पड़े.
करीब ४ बजे हम होटल वापस लौट कर आ गये. मैंने राजू से वो बातें भी पूछी जिसमे उसकी दिलचस्पी थी. सेक्स के बारे में उसने बताया कि उसे गांड चोदना अच्छा लगता है. चूत की चुदाई तो सबको ही अच्छी लगती है. हम दोनों के बीच में से परदा हट गया था. होटल में आते ही हम एक दूसरे से लिपट गए. मेरी चूत अभी तक शांत नहीं हुयी थी. मुझे राजू को फिर से तैयार करना था. आते ही मैं बाथरूम में चली गयी. अन्दर जाकर मैंने कपड़े उतार दिए और नंगी हो कर नहाने लगी. राजू बाथरूम में चुपके से आ गया. मैंने शोवेर खोल रखा था. मुझे अपनी कमर पर सुहाना सा स्पर्श महसूस हुआ. मुझे पता चल गया कि राजू बाथरूम में आ गया है. मैं भीगी हुयी थी. मैंने तुरन्त कहा -“राजू बाहर जाओ… अन्दर क्यूँ आ गए..”
राजू तो पहले ही नंगा हो कर आया था. उसके इरादे तो मैं समझ ही गयी थी. उसका नंगा शरीर मेरी पीठ से चिपक गया वो भी भीगने लगा. “मुझे भी तो नहाना है…” उसका लंड मेरे चूतड में घुसने लगा. मैं तुंरत घूम गयी. और शोवेर के नीचे ही उस से लिपट गयी. उसका लंड अब मेरी चूत से टकरा गया. मैं फिर से उत्तेजित होने लगी. मेरी चूत में भी लंड डालने की इच्छा तेज होने लगी. हम दोनों मस्ती में एक दूसरे को सहला और दबा रहे थे. अपने गाल एक दूसरे पर घिस रहे थे. उसका लंड कड़क हो कर मेरी चूत पर ठोकरें मार रहा था. उसने मुझे सामने स्टील की रोड पकड़ कर झुकने को कहा. शोवेर ऊपर खुला था. मेरे और राजू पर पानी की बौछार पड़ रही थी. मैंने स्टील रोड पकड़ कर मेरी गांड को इस तरह निकाल लिया कि मेरी चूत की फ़ांकें उसे दिखने लगी.
उसने अपना लण्ड पीछे से चूत की फ़ांकों पर रगड़ दिया। मेरा दाना भी रगड़ खा गया। मुझे मीठी सी गुदगुदी हुई। दूसरे ही पल में उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक घुस गया। मैं आनन्द के मारे सिसक उठी,”हाय रे… मार डाला…”
“हाँ नेहा… तुम्हें सुबह तो मजा नहीं आया होगा…अब लो मजा…”
उसे कौन समझाए कि वो तो और भी मजेदार था… पर हाँ…सुबह चुदाई तो नहीं हो पाई थी.
“हाँ… अब मत छोड़ना मुझे… पानी निकाल ही देना…” मैं सिसककते हुए बोली.
“तो ये लो…येस…येस… कितनी चिकनी है तुम्हारी..”उसके धक्के तेज हो गए थे. ऊपर से शोवेर से ठंडे पानी की बरसात हो रही थी…पर आग बदती जा रही थी. मुझे बहुत आनंद आने लगा था.
“राजू… तेज और… तेज… कस के लगाओ… हाय रे मजा आ रहा है…”
“हा…ये..लो…और…लो…ऊ ओऊ एई एई…”
मैंने अपनी टांगे और खोल दी. उसका लंड सटासट अन्दर बाहर जा रहा था. हाँ…अब लग रहा था कि शताब्दी एक्सप्रेस है. मेरे तन में मीठी मीठी सी जलन बढती जा रही थी .उसके धक्के रफ़्तार से चल रहे थे. फच फच की आवाजें तेज हो गयी. “हाय रे मार दो मुझे…और तेज धक्के लगाओ…हाय…आ आह ह्ह्ह…आ आ हह हह…”
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था. मैं झड़ने वाली थी. मैंने राजू की ओर देखा. उसकी आँखे बंद थी. उसकी कमर तेजी से चल रही थी. उसके चूतड मेरी चूत पर पूरे जोर से धक्का मार रहे थे. मेरी चूत भी नीचे से लंड की रफ्तार से चुदा रही थी. “राजू…अ आह…हाय…आ आया ऐ ई ई ई… मैं गयी… हाय रे…सी ई सी एई ई… निकल गया मेरा पानी… अब छोड़ दे मुझे… बस कर…”मैं जोर से झड़ गयी. मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. पर वो तो धक्के मारता ही गया. मैंने कहा..”अब बस करो…लग रही है… हाय..छोड़ दो ना…”
राजू को होश आया… उसने अपना लंड बाहर निकल लिया. उसका बेहद उफनता लंड अब बाहर आ गया था. मैंने तुंरत उसे अपने हाथ में कस के भर लिया. ओर तेजी से मुठ मारने लगी. कस कस के मुठ मारते ही उसका रस निकल पड़ा. “नेहा…आ आह हह…आ अहह ह्ह्ह… हो गया…बस… बस…ये आया…आया…”
इतने मैं उसका वीर्य बाहर छलक पड़ा. मैं राजू से लिपट गयी. उसका लंड रुक रुक कर पिचकारियाँ उगलता रहा. और मैं उसका लंड खींच खींच कर दूध की तरह रस निकालती रही. जब पूरा रस निकल गया तो मैंने उसका लंड पानी से अच्छी तरह धो दिया. कुछ देर हम वैसे ही लिपटे खड़े रहे. फिर एक दूसरे को प्यार करते रहे और शोवर के नीचे से हट गए. हम दोनों एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे. इसके बाद हम एक दूसरे के साथ दिल से जुड़ गए. हमारा प्यार अब बदने लगा था.
शाम के ६ बजे हम उज्जैन से रवाना हो गए… मन में उज्जैन की यादें समेटे हुए इंदौर की और कूच कर गए. Hindi Sex Stories
मैं राहुल, अन्तर्वासना के पाठक Hindi Sex Stories एवं पठिकाओं यानि लंड वालों और चूत वालियों को नमस्कार करता हूँ! मैं अन्तर्वासना की कहानियाँ अक्सर पढ़ता हूँ! कुछ तो सच्ची लगती हैं, कुछ केवल मनोरंजन के लिए ही हैं!
अब मैं आपको अपनी एक सच्ची घटना बताता हूँ! आशा है आप सब को बहुत पसंद आयेगी! कृपया पढ़ कर अपनी राय लिखें और मेरा उत्साह बढायें!
काफी पुरानी घटना है!
बात उस समय की है जब मेरी उम्र 18 साल की थी! मेरी बड़ी बहन की उम्र 20 साल की थी! मेरे ताऊ जी के लड़के एवं लड़की की उम्र 21 एवं 20 साल की थी! हम चारों एक ही कमरे में सोते थे!
एक बार रात में मेरी आँख खुल गई! मैं चुपचाप पड़ा थोड़ी सी आंखें खोल कर सब देख रहा था! मुझे ताज्जुब भी हो रहा था और मजा भी आ रहा था!
अब मैं पूरी बात बताता हूँ! मेरे भैया एवं दोनों बहनें एक दम नंगे थे! दोनों बहनों ने भैया का लंड पकड़ रखा था. कभी लंड को ऊपर नीचे करती, कभी मुँह में ले लेती थी और मजा लेकर चूस रही थी!
और भईया उनके बोबे बारी बारी से दबा रहे थे! यह देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो गया! लेकिन मैं उस समय कुछ नहीं कर सकता था!
फिर देखा कि भैया एक की चूत चूमने लगे और दूसरी उनका लंड चूसने में लगी हुई थी! तीनों आपस में बहुत मजा ले रहे थे! फिर भैया अपना लंड एक बहन की चूत में घुसा कर चोदने लगे और बहन भी मजे से चुदवा रही थी!
दूसरी ने कहा- मुझे भी चोदो ना जल्दी से!
तो भैया कभी एक की कभी दूसरी की चूत में लंड डाल देते थे! इस प्रकार काफी देर तक चुदाई चलती रही, जब तक एक दम निढाल नहीं हो गए! फिर सब नंगे ही सोने लगे एक दूसरे से चिपक कर!
जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैं भी अपने सब कपड़े उतार कर एक दम नंगा हो गया! मेरा लंड भी खड़ा हो गया था! मैं भी उनके बीच में चला गया! पहले तो भईया मुझे डांटने लगे तो मैंने कहा- मैं सब को बता दूंगा! तब जाकर शांत हो गए!
दोनों बहनें एक दम आश्चर्य चकित थी कि क्या करें!
जब मैंने कहा- मैं भी वही करना चाहता हूँ जो तुम लोग कर रहे थे!
तब तीनो कहा- ठीक है पर किसी को भी मत बताना!
मैंने कहा- ठीक है!
इस प्रकार हम लोग एक बार फिर चालू हो गए!
सबसे पहले मैंने कहा- मेरा लंड चूसो!
तो दोनों बहनों ने मिल कर मेरा लंड चूसना चालू कर दिया. पर चूँकि मैं पहले से ही उत्तेजित था इसलिए मेरे लंड ने जल्दी ही पानी छोड़ दिया मुझे बहुत ही मजा आया!
तब उन्होंने कहा- कोई बात नहीं! हम लोग तेरा लंड फिर से खड़ा कर देते हैं!
यह कह कर एक ने मेरा लंड चूसना चालू कर दिया और दूसरी ने अपने बोबे मेरे हाथ में पकड़ा दिए और कहा- इसे चूसो और दबाओ!
फिर मैं वैसे ही करने लगा जिससे मेरा लंड खड़ा हो गया! इधर भैया भी रुके हुए नहीं थे, कभी किसी के बोबे दबाते कभी किसी की चूत में उंगली कर रहे थे!
अब मैंने कहा- अब मैं तुम दोनों को चोदना चाहता हूँ!
तब वो बोली- एक साथ कैसे चोदेगो?
मैंने कहा- मैं दोनों को ही चोदूंगा!
तो उन्होंने कहा- पहले एक को चोद लो फिर दूसरी से कर लेना!
मैंने कहा- ठीक है!
तब एक को मैं चोदने लगा और दूसरी को भैया! मुझे बहुत मजा आ रहा था! इस प्रकार कुछ देर करने के बाद मैंने अपना पानी उनकी चूत में ही छोड़ दिया! मुझे कितना मजा आया मैं बोल नहीं सकता!
फिर मैंने देखा कि भैया ने भी अपना पानी छोड़ दिया! फिर हम सब साफ सफाई करके एक दूसरे को जकड़ कर सोने लगे! रात बहुत हो गई थी पर मुझे चैन कहाँ!
मैंने कहा- मैं फिर से चुदाई करना चाहता हूँ!
कह कर मैंने दूसरी बहन से कहा- मेरा लंड चूसो पहले!
तो उसने कहा- मैं थक गई हूँ! अब कल करेंगे!
मैंने कहा- नहीं एक बार अभी चोदने दो! कल की बात कल करेंगे! भैया ने भी तुम दोनों को चोदा है!
उसके पास और कोई रास्ता नहीं था, कहने लगी- धीरे धीरे करना!
मैंने कहा- ठीक है!
फिर उसने मेरा लंड मुँह में लिया और मजे से चूसने लगी! उधर भैया भी चुप नहीं रह सके! वो भी कभी किसी के साथ कभी किसी के साथ कुछ न कुछ करने लगे! इस प्रकार हम सब उत्तेजित हो गए और चुदाई का काम फिर से चालू हो गया! मैं क्या बताऊँ कितना मजा आ रहा था, मैं वर्णन नहीं कर सकता!
और इसी प्रकार हम लोग मिल कर रोज चुदाई करते रहे जब तक उनकी शादी नहीं हो गई!
अगर यह पढ़ कर अच्छा लगा तो कृपया मेरा होंसला बढ़ाये!
आगे की कई घटनायें हैं जो मैं आप को बाद में बताउँगा! Hindi Sex Stories
मेरा नाम क्षितिज है और यह मेरी Hindi Sex Stories पहली कहानी है। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। आज मैं आपको अपनी वास्तविक कहानी बताना चाहता हूँ।
सबसे पहले मैं बताना चाहूँगा कि मुझे इस कहानी वाली घटना से पहले सेक्स का कोई अनुभव नहीं था। मुझे दिल्ली आये हुए दो साल हो चुके हैं।
मुझे एक दिन मेरे दूर के मामा की लड़की पायल का फ़ोन आया कि वो दिल्ली जॉब करने आ रही है क्योंकि उसका डॉक्टर का कोर्स ख़त्म हो गया है और मूलचंद हॉस्पिटल में उसको जॉब मिल गया है जनरल फ़ीज़िशीयन की पोस्ट के लिए। हम पूरे 5 साल बाद मिल रहे थे।
मैंने उसे रेलवे स्टेशन पर देखा तो देखता ही रह गया। साधारण सी दिखने वाली लड़की अब बहुत सुंदर और सुडौल बदन की मालकिन हो गई थी। मैं उसे देखता ही रह गया और वो आकर गले लग गई और मुझे गाल पर चूम कर मेरा हाथ पकड़ कर बोली- अब घर चलोगे या यहीं रुके रहोगे?
तब मेरी तन्द्रा टूटी और मैं उसे लेकर घर आ गया।
मैं बता दूं कि वो एक सीधी-साधी सी लड़की है बस बड़ा डॉक्टर बनाना उसका मकसद है। हम लोग पहले तो बस से ऑफिस साथ-2 जाने लगे पर इसमें समय के तालमेल की समस्या होने लगी तो मैंने पैशन बाईक खरीद ली।
क्योंकि मैं बहुत दिन बाद बाईक चला रहा था तो थोड़ा धीरे चलता था और वो हमेशा एक तरफ़ टाँगें करके बैठती थी जिससे बाईक को बैलेंस करने में परेशानी आती थी इस कारण हम रोज लेट हो जाते थे हॉस्पिटल पहुचने में।
एक दिन सुबह हम पहले ही आधा घण्टा लेट हो गए तो वो बोली- आज बाईक तेज चलाना जिससे समय पर पहुँचे !
तो मैंने उससे कहा- तुम अपनी टांगें दोनों तरफ़ करके बैठो, तभी तेज चला सकता हूँ ! बाईक बैलेंस सही होगी !
तो वो मान गई। उस दिन ठण्ड बहुत थी और जब बाईक 80 की स्पीड से चली तो और भी ठण्ड लगने लगी तो वो मुझसे थोड़ा सट कर बैठ गई और दोनों हाथो से उसने मुझे जकड़ लिया। तब पहली बार मुझे किसी लड़की के स्पर्श के जादू का अहसास हुआ।
उस दिन तो हम समय पर पहुँच गए और लगभग समय पर ही रोज पहुँचने लगे। अब वो रोज टांगें दोनों तरफ़ करके ही बैठती थी। अभी तक मेरे दिल में उसके लिए कुछ नेहं था मंगर एक महीने के अन्दर वो बहुत मुझसे खुल कर बातें करने लगी, अपने कॉलेज और हॉस्पिटल के लड़के-लड़कियों के बारे में और मैं भी उसे अपने ऑफिस में कर्मचारियों के बीच चल रहे चक्करों के बारे में बताने लगा। एक दिन की बात है, सुबह-2 वो नहा कर आई तब सुबह के 6 बज रहे थे और मैं अभी सो रहा था। तो उसने सोचा कि मैं सो रहा हूँ तो वो वहीं खड़ी हो कर आईने में अपने बदन का जायजा लेने लगी। उसके शरीर पर शमीज और नीचे बड़ा तौलिया था। लेकिन मुझे सोया समझ कर उसने तौलिया निकाल दिया और अपने बदन को देखने लगी।
तभी मेरी नींद टूटी और मैंने रजाई में से देखा तो दंग रह गया। वो उस समय एक ताज़े गुलाब की तरह लग रही थी, दूध जैसा गोरा तराशा बदन, दो तनी चूचियाँ और मस्त फिगर ! मैं तो ऊपर से नीचे तक हिल गया और लण्ड महाराज सलामी देने लगे।
अचानक उसे लगा कि मैं जाग गया हूँ तो झट से उसने तौलिया लपेट लिया और रोज की तरह हम ऑफिस चले गए। मगर शाम को उसके अंदाज बदले-2 से लग रहे थे। आते ही वो अपने कपड़े मेरे सामने बदलने लगी तो मैं कमरे से बाहर जाने लगा। तो वो बोली- आप बाहर क्यों जा रहे हो, ठण्ड बहुत है, आप यहीं बैठो और मुँह दूसरी तरफ कर लो ! मैं कपडे बदल लेती हूँ !
शायद वो भी मुझे अपना तराशा बदन दिखाना चाहती थी और मैं भी चोरी-2 उसे निहार लेता था। अब वो मेरे सामने ही कपड़े बदलने से शरमाती नहीं थी। कई बार मैंने उसकी काली पैंटी और सफ़ेद ब्रा के नज़ारे देखे।
बात है 31 दिसम्बर 2009 की ! उस दिन काफी ठण्ड थी और साल का आखिरी दिन भी। वो मुझसे बोली- नेट नहीं चल रहा है, जरा आप ओपेरटर से पता करके तो आओ।
मैं करीब 9 बजे ओपेरटर के घर गया और नेट ठीक करा के 9.30 पर घर पंहुचा तो वो एक दम चौंक गई और लैपटॉप बंद कर दिया बिना शट-डाउन किये !
मैंने इसे बहुल हल्के से लिया और आकर मैगज़ीन पढ़ने लगा। थोड़ी देर बाद जब मैंने लैपटॉप अंतर्वासना की कहानी पढ़ने के लिए खोला तो लैपटॉप स्लीप मोड से बाहर आया तो एक वेबसाइट जो अभी भी खुली थी उसे देख कर मैं दंग रह गया। वो एक पोर्न साईट देख रही थी। मैंने वो वेबसाइट बंद करके उसकी तरफ देखा तो वो सो चुकी थी। मैं भी सोने चला गया।
रात के एक बजे मुझे लगा कि कोई मेरी रजाई में आकर मुझसे चिपकने की कोशिश कर रहा है। जैसे ही मैंने मोबाइल की रोशनी की तो वो पायल थी जो सिर्फ पैंटी और शमीज में थी। उसने मुझे जोर से गले लगा लिया और पागलों की तरह चूमने लगी। मुझे भी कुछ-2 होने लगा और यह सब मुझे अच्छा लग रहा था। उसने उठ कर नाइट-बल्ब जला दिया जिसकी नीली रोशनी में सारा कमरा चमकने लगा।
अब उसने मुझसे पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है ?
मैंने कहा- नहीं !
तो वो हँस पड़ी और बोली- कोई गर्लफ़्रेंड है?
मैंने कहा- नहीं !
तो वो बोली- चलो, आज के दिन तुम मेरे बॉयफ़्रेंड और मैं तुम्हारी गर्लफ़्रेंड ! चलो आज मैं तुम्हें स्वर्ग के दर्शन कराती हूँ।
उसने अपने पर्स में से कुछ निकाला और मेरे लण्ड पर लगा कर लोलीपोप की तरह चाटने लगी और अपनी पैंटी उतार कर अपनी योनि मेरे मुँह की तरफ करके बोली- तुम इसे सहलाओ और चाटो !
मैं भी ऐसा ही करता रहा। करीब पंद्रह मिनट के बाद उसने कहा- मेरे बदन को छू कर देखो !
तो मैंने वैसे ही किया। पहले उसके वक्ष दबा कर देखे जो कि तने हुए और हल्के से मुलायम थे। फ़िर उसकी योनि छू कर देखी तो वो कराह उठी। मैंने उसे जगह-2 चूमना शुरु कर दिया ब्लू फिल्मों की तरह और वो तड़पने लगी और कहने लगी- करते रहो जानू ! मैं इस के लिए मर रही हूँ !
आधे घण्टे की पूर्व-क्रीड़ा के बाद वो और तड़पने लगी और मुझे कहने लगी- अब तो मेरी प्यास बुझा दो ! अपना लण्ड डाल दो मेरी योनि में !
उसकी योनि बिल्कुल कुँवारी थी लेकिन डॉक्टर होने के कारण उसे सेक्स के बारे में सब पता था। मैंने उसे सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर आने लगा तो मुझे धक्का देकर मेरे ऊपर आ गई और मेरे लण्ड को अपने योनि पर घिसने लगी।
मैं तड़पने लगा जिससे उसे बहुत मज़ा आ रहा था, वो मुझसे बोली- अब जन्नंत में जाने के लिए तैयार हो जाओ !
और लण्ड को चूत के मुहाने पर रख कर नीचे की ओर धक्का लगाने लगी और मैं ऊपर की ओर !
मगर उसकी योनि बहुत तंग थी तो उसे दर्द ज्यादा होने लगा तो वो रुक गई। इसी मौके का फायदा उठा कर मैंने उसे नीचे गिरा दिया और एक ही झटके में पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया जिससे वो चीख उठी।
थोड़ी देर हम ऐसे ही पड़े रहे, फिर उसने धीरे-2 कमर हिलाना शुरु किया तो मैंने भी उसके साथ लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरु कर दिया।
अब वो जोर-2 से बोल रही थी- जोर से चोद ! कुतिया की तरह चोद ! और ! और ! आहऽऽ !
सारा कमरा फच-2 की आवाजों से गूँज रहा था। उस ठंडी में हम दोनों पसीने-2 हो गए।
उस रात चार बार चुदाई का दौर चला और अंत में मैं उसकी चूत में लण्ड डाल कर सो गया।
दूसरे दिन हम 12 बजे दोपहर में उठे और उसने मुझे एक बार फिर चोदा और चूम कर नहाने चली गई।
दोस्तो, मुझे मेल करके बतायें कि मेरी कहानी कैसी लगी !
अगले भाग में मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने उसके डॉक्टर सहेली को पटाया और चोदा। Hindi Sex Stories
मेरा नाम राहुल है. मेरी उमर 24 साल है Hindi Porn Stories और मेरी शादी अभी नहीं हुई है. मैं आगरा में नौकरी करता हूँ. मैंने ऑफ़िस के पास ही एक कमरा किराये पर ले रखा है. मेरा कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था. इस घर में नीचे बस एक परिवार रहता था. उसमें एक 18 साल की लड़की सोनम, उसकी मम्मी सोनू और पापा कमल रहते थे.
सोनम बहुत शरारती थी… कभी कभी वो सेक्स सम्बंधी सवाल भी कर देती थी.
आज भी सवेरे सोनम चाय ले कर आई और मुझसे पूछने लगी- ‘अंकल… मम्मी पापा हमेशा साथ सोते है पर रात को वो लड़ते भी है…’
‘अरे नहीं… लड़ेगे क्यूँ… क्या वो एक दूसरे को बुरा भला कहते है…?’
‘नहीं, पापा मम्मी के ऊपर चढ़ कर…उनकी छातियों पर हाथ से मारते हैं…मम्मी नीचे हाय-हाय करके रोती हैं!’
‘अरे…अरे… चुप… ऐसे नहीं कहते…वो तो खेलते हैं, तुमने और क्या देखा?’ मेरी उत्सुकता बढ़ गई.
‘और बताऊँ… पापा मम्मी का पेटीकोट उतार देते है और खुद भी पायजामा उतार देते है, फिर और भी लड़ते हैं…मम्मी बहुत रोती है और हाय-हाय करती है!’
मैं ये सुन कर उत्तेजित होने लगा. कि ये इतनी बड़ी लड़की हो कर भी अन्जान है या जान करके मुझे छेड़ रही है.
‘अरे तुम्हारी मम्मी रोती नहीं है सोनम… वो एक खेल है जिसमें मजा आता है… तुम नहीं समझोगी…!’
‘अच्छा अंकल इसमें मजा आता है? आपको आता है ये खेल…?’
‘हाँ…हाँ… आता है…!’ मैं सोनम की बातों से से हैरान हो गया… क्या ये सच में अनजान है?
‘अंकल चलो न फिर हम भी खेलें…?’
‘अरे… चुप… ये बड़े लोगों का खेल है… जैसे तुम्हारी मम्मी जितनी बड़ी… तुम भी खेलना मगर शादी के बाद!’ मैंने भी असमंजस में था पर उसे इशारा दे दिया.
‘अंकल मैं भी 18 साल की हो गई हूँ अभी पिछले महीने… खेलो ना मेरे साथ…’ मैंने सोचा अब ये मस्ती कर रही है… चलो थोड़ा सा मजा कर लेते हैं…!
‘अच्छा बताओ कि पापा सबसे पहले क्या करते है…?’
‘वो तो पता नहीं पर वो चुम्मा लेते हैं…’ उसके बताने पर मैं हंस पड़ा और रोमांचित भी हो गया.
‘तो फिर आओ… हम भी यही करते हैं…’
मैंने सोनम को पास बैठा कर उसके होठो को चूम लिया. वो शरमा गई… मैं समझ गया था उसका बहाना.
‘अंकल ऐसे तो अच्छा लगता है… और करो!’
मुझे मजा आने लगा था… सोनम की मन्शा मैं समझ गया था. मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसके नरम नरम होन्ठों पर अपने होंठ रख दिये… सोनम के होन्ठ कांप रहे थे… मैंने अपने हाथों को उसकी छोटे छोटे निम्बू जैसे उरोज पर रख दिये… और सहलाने लगा… सोनम मेरे से और लिपटने लगी… उसकी धड़कन बढ़ गई थी… सांसे तेज हो चली थी.
‘अंकल ये तो और ज्यादा मजा आ रहा है…’ वो कुछ कुछ लड़खड़ाती जबान से बोली… मेरी आंखो में वासना के डोरे उभरने लगे थे.
अब मेरे हाथ सोनम की नरम नरम जांघो पर फ़िसल रहे थे… नया ताजा माल मिल रहा था… सारा बदन अनछुआ लग रहा था. मैंने अपने हाथ उसकी चूत तक पहुंचा दिये…. मेरे हाथ सोनम की चूत पर आ चुके थे… मैंने चूत सहलाते हुये उसे दबा दिया…सोनम ने भी अपनी चूत और खोल दी.
‘अंकल मुझे कुछ हो रहा है…ये नीचे कड़ा कड़ा क्या है ‘ सोनम ने पज़ामे के उपर से मेरा लण्ड कस के पकड़ लिया.
‘बेबी हाय… पकड़ लो इसे…! देखो जोर से दबा कर पकड़ना…!’ मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. सोनम ने पज़ामे के ऊपर से मेरा तना हुआ कठोर लण्ड पकड़ कर मसल दिया.
‘पापा के भी ऐसा है,…मम्मी इसे चूसती भी है… मुझे भी इसे चूसने दो..’
‘जोर से मसल दे बेबी… फिर तुझे चूसने भी दूंगा…’
मैं तो मस्ती में बेहाल हो रहा था… खेल खेल में ये क्या हो गया हो गया. मैंने अपना लण्ड पाज़ामे में से बाहर निकाल लिया. लाल सुपाड़ा… चिकना फ़ूला हुआ…एक दम कड़क…
सोनम कहने लगी- अंकल ये तो बहुत बड़ा है… ये तो कैसे चूसूंगी…?
इतने में नीचे से सोनम की मम्मी ने आवाज लगाई.
‘बेबी थोड़ा सा चूस तो ले फिर चली जाना!’
सोनम जाते हुये और हंसते हुए बोली- अंकल बड़ा मजा आ रहा है, मैं अभी वापस आती हूं…
मैंने एक गहरी सांस भरी. मैंने सोचा ये तो अब गई. सोनम के जाने बाद मैं अपने रोज़ के कामों में लग गया और नहाने बाथ रूम में चला गया. नहाने के बाद मैं तौलिया लपेट कर जैसे ही बाहर आया तो सोनम की मम्मी सोनू कमरे में बैठी थी. मुझे वो गहरी नजरों देखने लगी.
‘आप खाना खा कर जाना… मैंने बना दिया है…’
‘जी… भाभी जी…’
‘हाँ सोनम को आपने कौन सा खेल सिखा दिया है…’ मैं एकदम से घबरा गया… मेरा मुँह सूख गया. मेरी हालत देख कर सोनू बोली- सोनम बहुत खुश नज़र आ रही थी?
‘न… न… नहीं… ऐसा कुछ नहीं ‘ मैंने बचने की कोशिश करने लगा.
‘मुझे भी सिखा दो ना…’
‘जी…जी… भाभी वो तो… खुद ही…’
‘बस बस… सोनम बता रही थी कि… आपने मुझे बुलाया है… ‘ वो और पास आ गई. उसकी मतलबी निगाहें मुझे कह रही थी.
‘नहीं भाभी… मैंने तो ये कहा था कि…ये खेल बड़ों का है… जैसे कि मम्मी…’
‘हाय… राहुल… मैं मम्मी ही तो हूं… सिखा दो ना…’ उसकी आवाज सेक्सी होती जा रही थी. मुझे लगा इन्हे सब पता है…वो सीधे ही लाईन मार रही थी और…मैंने भी ये जान कर अब वार किया
‘सोनू जी… आप तो रोज़ ही खेलती है… क्या आप…’
‘हाँ राहुल जी… अपनी कहो…खेलोगे…’
मेरे से रहा नहीं नहीं गया. मैंने सोनू को अपनी ओर धीरे से खींचा.
‘आपकी आज्ञा हो तो…श्री गणेश करूँ…?’ इतना सुनते ही वो मेरी छाती से ऐसे लिपट गई जैसे वो यही चाह रही हो…
अब उसकी आंखे मुझे चुदाई का निमन्त्रण दे रही थी. मैंने भी उसकी आंखों झांका…वासना के डोरे आंखों में थे. वो और मेरे पास आ गई और अपनी चूत को मेरे लण्ड से सटा दिया. मेरा तौलिया जाने कब नीचे फ़िसल गया, मुझे कुछ होश ही नहीं रहा…मैं नंगा खड़ा था… मुझे लगा किसी ने मेरा लण्ड पकड़ लिया है…
मैंने देखा सोनम थी.
‘मम्मी ये देखो… कितना मोटा है… पापा से भी लम्बा है..’
‘अरे सोनम ये क्या कह रही है… पापा का लण्ड…?’ मैं फिर से हैरान रह गया.
तभी सोनू बोल उठी…’हम जब चुदाई करते हैं…तो ये रोज़ सोने का बहाना करके हमें देखती है… इसे सब पता है…!’
‘पर ये तो कह रही थी कि…’
‘नहीं… बस करो ना…अब भी नहीं समझे, मैंने इसे सिखा कर आपके पास भेजा था.. कि लाईन साफ़ हो तो मैं फिर…’
मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया…’अच्छा जी… सब समझ में आ रहा है… आपकी इज़ाज़त हो तो आगे बढ़ें?’
सोनू के कपड़े भी एक एक करके कम होते जा रहे थे. सोनम को तो मेरा कड़क लण्ड मसलने में आनन्द आ रहा था. मुझे भी उसके नरम हाथों का आनन्द आ रहा था.
मैंने सोनम के उरोज दबाते हुये कहा- शैतान मुझे बेवकूफ़ बनाया तूने…!
‘अंकल…मुझे तो मम्मी ने कहा था… और मसलो ना अंकल!’
‘नहीं…बस अभी नहीं… पहले मम्मी… पहले वो चुदेंगी… ‘ मैंने मम्मी की तरफ़ इशारा किया.
‘राहुल… पहले इसे हाथ से कर दो… पर देखो इसे चोदना नहीं…’ सोनू ने सोनम की तड़प देख ली थी.
सोनम ने तुरन्त अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये… उसकी उभरती जवानी… वाह… मैं तो देखता रह गया…उभरी हुई चूत उसकी झीनी पेंटी से झांक रही थी…क्या चीज़ छुपा रखी थी उसने अपनी गुलाबी पेंटी में!
पेंटी के हटते ही पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई चूत मेरे सामने थी बिल्कुल गोरी चिट्टी,
झाँटों के नाम पर हल्के हल्के से रौएँ ही थे,
चूत की फ़ांकें संतरे की फ़ांकों जैसी रस भरी,
अन्दर के होंठ हल्के गुलाबी और कॉफ़ी रंग के आपस में जुड़े हुए,
चूत कोई चार इन्च की गहरी पतली खाई जैसे,
चूत का दाना बड़ा सुर्ख लाल बिल्कुल अनार के दाने जैसा,
गोरी जांघें संगमरमर की तरह चिकनी, उरोज छोटे छोटे मगर सीधे तने हुए… अनछुए…
मेरा लण्ड बैचेन हो उठा मैंने उसे अपनी गोदी में बैठा लिया. दोनों नंगे बदन आपस में चिपक गये. धीरे धीरे उसके निम्बू जैसे स्तनों को सहलाने लगा…
‘देखो वो अभी जवान हुई है… उसे बहुत मजा आता है ऐसे करने में… वो सब जानती है… करते रहो…पर रगड़ कर!’ सोनू मुझे बताती जा रही थी और उत्तेजित भी हो रही थी… उसने अपनी चूत में अंगुली डाल ली थी.
मैंने सोनम की चूत को भी सहलाना चालू कर दिया था. सोनम तड़प उठी थी… वो मेरे लण्ड को खींचने लगी थी… मेरे लण्ड के मुँह पर चिकनाई आने लगी थी. उसकी चूत भीग उठी थी. सोनम ने मम्मी की तरफ़ देखा. वो चूत में अंगुली डाले अन्दर बाहर करने में व्यस्त थी. सोनम ने मेरा तना लण्ड अपनी चूत पर रख दिया और अपनी चूत को लण्ड पर दबाने लगी.
मेरे से रहा नहीं गया. मैंने भी धीरे से जोर लगा कर सुपाड़ा उसकी चूत में घुसा दिया. सोनम के मुख से सिसकारी निकल पड़ी. इसी सिसकारी ने सोनू की तन्मयता को तोड़ दिया.
वो चौंक गई ‘अरे… ये नहीं… हटो… हटो…’ सोनू ने जल्दी से उठ कर सोनम की चूत से मेरा लण्ड निकाल दिया…
‘मम्मी… करने दो ना…’ सोनम तड़प उठी…
सोनू ने सोनम को प्यार किया और बोली- अभी नहीं… सोनम… देख झिल्ली फ़ट जायेगी…! बस बहुत मजे ले लिये…! अब हट जा..!’
सोनम सब समझती थी… उसे सोनू ने बिस्तर पर लेटा दिया और मुझे इशारा किया… मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी और सोनू उसके चूचुक मसलने लगी… कुछ ही देर सोनम का पानी निकल गया… पर वो मुझे ही निहार रही थी…
‘राहुल… मैं हूँ ना… अब मेरी बारी है.. प्लीज़ मुझे चोदो ना!’ और मुझसे लिपट गई. मुझे बिस्तर पर धक्का मार कर लेटा दिया.
मेरा लण्ड तो पहले ही चूत के लिये तरस रहा था. जैसे ही वो मेरे ऊपर चढ़ी, मैंने उसे अपने ऊपर लेटा लिया. उसकी चूत पर मेरा लण्ड ठोकर मारने लगा था. कुछ ही देर में मेरे लण्ड को चूत का छेद मिल ही गया. मैंने धीरे से लण्ड अन्दर ठेल दिया.
सोनू के मुख से एक प्यारी सी सिसकारी निकल पड़ी. लण्ड अपना काम कर चुका था, और उसकी चूत की गहराईयों में उतरता जा रहा था. लगा कि अन्दर नरम सी चूत के अन्तिम छोर को छू गया था.
वो मेरे लण्ड पर अब बैठ गई थी. सोनू ने अपने चूतड़ ऊपर किए ओर अच्छी तरह से एक धक्का नीचे मार दिया. लण्ड पूरा जड़ तक गड़ गया. सोनू के दोनों बोबे सोनम ने दबा के मसलने चालू कर दिये. अब सोनू इत्मिनान से धीरे धीरे अपने चूतड़ हिला हिला कर चुदाई कर रही थी और आनन्द ले रही थी.
सोनम ने अपनी एक अंगुली सोनू की गाण्ड में डाल दी और घुमाने लगी. सोनू मस्ती में सिसकारियाँ भर रही थी और मस्ती में कुछ बोल भी रही थी. सोनू के कोमल धक्के बरकरार थे, वो ज्यादा देर तक मजा लेना चाहती थी पर मैं तो प्यासा था.. मुझसे रहा नहीं गया… मैंने सोनू को अपने से चिपका लिया और एक पलटी मार कर उसे अपने नीचे दबोच लिया.
वो फ़ड़फ़ड़ा उठी… मैंने अपना सीना ऊपर उठा कर, अपने दोनों हाथ बिस्तर पर जमा कर चूतड़ का जोर उसकी चूत पर डाल दिया. लन्ड उसकी चूत में अन्दर सरकता चला गया.
सोनू आनन्द से सिसक उठी और उसने अपनी चूत लण्ड से भिड़ा दी… उसका जिस्म मचल रहा था… उसके तन का तनाव… कसमसाना… शरीर की ऐंठन… उसकी उत्तेजना दर्शा रही थी….मुझे स्वर्ग जैसा आनन्द आने लगा. मेरे धक्के अब तेज होने लगे थे.
‘हाय रे मेरी रानी कितनी तंग चूत है…रगड़ के जा रहा है…कितना मजा आ रहा है..!’
‘हाय चोद दो मेरे राजा… मोटे लण्ड का स्वाद अच्छा लग रहा है हाय रे…!’
‘हाय… आहऽऽऽ… ओहऽऽऽ चुद ले मेरी रानी… हाय ले… और ले…’ मैं उत्तेजना में धक्के लगाये जा रहा था. चूत का पानी फ़च फ़च की आवाज कर रहा था.
‘मेरे राजा… ईऽऽऽह्ह… और जोर से… और भी…’
वो अपनी चूत उछाल रही थी और मेरे चूतड़ भी दनादन चल रहे थे…मीठी मीठी सी गुदगुदी तन में भरती जा रही थी. सोनू मुझे बार बार भींच रही थी.
‘मेरे बोबे दबा डालो राजा… मचका दो इसे… चूंचियाँ खींच डालो मेरे राजा…’
मैंने उसके उरोजो को बुरी तरह से भींचने चालू कर दिये, मुझे आनन्द की चरमसीमा नजर आने लगी थी… सोनू निहाल हो उठी थी- आऽऽऽह ओऽऽऽह मेरे राजा… चोद डालो… हाऽऽऽय… जोर से…!’
वो मुझे जकड़े जा रही थी… मुझे लगा कि अब सोनू झड़ने वाली है…मैंने उसकी चूंचियों से हाथ हटा दिया…
‘क्या कर रहे हो…! मसल डालो ना… जल्दी… आऽऽऽह… मैं गई… आह रे…! मेरा निकला…! मैं गई…राजा… मुझे कस लो…’
‘हाँ रानी… निकाल दो अपना पानी… आऽऽऽह…!’
‘मैं मर गई… राजा… हाय रे… ओऽऽऽह ऊऊऽऽऽह्ह्ह… गईऽऽऽ… झड़ गई रे… हाय… हाय…!’
वो अब झड़ने लगी थी… सिसकारियाँ भरती जा रही थी.. तेज सांस चल रही थी…आंखे बंद थी…
उसकी चूत की दीवारें लण्ड को जकड़ रही थी… उसका झड़ना मुझे महसूस होने लगा था…और फिर मेरा बान्ध भी टूटने लगा… मैंने तुरन्त लण्ड बाहर निकाल लिया… मैं लण्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा… कुछ ही पलों में सोनू का चेहरा मेरे वीर्य की पिचकारियों से भर उठा. पिचकारी निकलती रही… उसने अपनी आंखे बन्द कर ली.
मैं शान्त हो चुका था…सोनू मेरे वीर्य को चेहरे पर क्रीम की तरह मल लिया. अब वो मुस्कुरा उठी और मेरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया. सारा वीर्य चूस कर मेरे ढीले लण्ड को छोड़ दिया. सोनम ने कुर्सी पर बैठे बैठे ही मेरा गीला तौलिया हमारी तरफ़ उछाल दिया. सोनू ने अपना चेहरा साफ़ किया…और मेरा झूलता हुआ लण्ड भी रगड़ कर पोंछ डाला.
अब मैं और सोनू साथ साथ ही नंगे बिस्तर पर लेट गये थे सोनम भी नंगी ही मेरे साथ चिपक कर लेट गई… मुझे अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था… भले ही वो मां बेटी हो…पर आज दो दो हसीनाएँ मेरी दोनों बगल में लेटी थी…
‘अंकल मेरी मम्मी अच्छी है ना…’
‘हाँ सोनम बहुत अच्छी… और तुम भी प्यारी प्यारी हो…’
‘अंकल अब दूसरा खेल सिखाओ ना…’
‘चुप शैतान…!!!’
हम तीनो ही हंस पड़े… पर सोनम उसका हाथ मेरे लण्ड पर बार बार जा रहा था… मैं सब समझ रहा था उसकी बेचैनी… वो तो मेरे लौड़े का आनन्द पाने को बेकरार हो रही थी… उसकी चूत की गर्मी मुझ तक आ रही थी… मैं भी एक हाथ से सोनू का नंगा बदन सहला रहा था.
वो आंखे बन्द किये सुस्ता रही थी और दूसरी और मेरे दूसरे हाथ की एक अंगुली सोनम की चूत में घुस चुकी थी और मैं उसका योनि-पटल अपनी उंगली से टकराता हुआ महसूस कर रहा था और मेरा मन सोनम की कुंवारी चूत का उदघाटन करने के लिए मचल रहा था.
सोनम का हाथ मेरे लण्ड पर चल रहा था, उसकी मनोदशा भी मुझ से छिपी नहीं थी.
सोनम और मेरी आंखों में इशारे हो चुके थे. यानि चुपके से शाम को…सोनम की एक नई शुरूआत… और मेरे लिए एक नई अनछुई सौगात…Hindi Porn Stories
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