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Massage Girl in South West Delhi: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in South West Delhi who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in South West Delhi that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The South West Delhi massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in South West Delhi who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your South West Delhi massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This South West Delhi massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in South West Delhi who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in South West Delhi employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in South West Delhi helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in South West Delhi

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in South West Delhi at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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प्रेषिका : सिमरन शर्मा Hindi Porn Stories

प्रेम का परिणाम Hindi Porn Stories संभोग है या कि प्रेम भी गहरे में कहीं कामेच्छा ही तो नहीं? फ्रायड की मानें तो प्रेम भी सेक्स का ही एक रूप है। फिर सच्चे प्रेम की बात करने वाले नाराज हो जाएँगे। वे कहते हैं कि प्रेम तो दो आत्माओं का मिलन है। तब फिर ‘मिलन’ का अर्थ क्या? शरीर का शरीर से मिलन या आत्मा का आत्मा से मिलन में क्या फर्क है? प्रेमशास्त्री कहते हैं कि देह की सुंदरता के जाल में फँसने वाले कभी सच्चा प्रेम नहीं कर सकते।

कामशास्त्र मानता है कि शरीर और मन दो अलग-अलग सत्ता नहीं हैं बल्कि एक ही सत्ता के दो रूप हैं। तब क्या संभोग और प्रेम भी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं? धर्मशास्त्र और मनोविज्ञान कहता है कि काम एक ऊर्जा है। इस ऊर्जा का प्रारंभिक रूप गहरे में कामेच्छा ही रहता है। इस ऊर्जा को आप जैसा रुख देना चाहें दे सकते हैं। यह आपके ज्ञान पर निर्भर करता है। परिपक्व लोग इस ऊर्जा को प्रेम या सृजन में बदल देते हैं।

शरीर भी कुछ कहता है :

किशोर अवस्था में प्रवेश करते ही लड़के और लड़कियों में एक-दूसरे के प्रति जो आकर्षण उपजता है उसका कारण उनका विपरीत लिंगी होना तो है ही, दूसरा यह कि इस काल में उनके सेक्स हार्मोंस जवानी के जोश की ओर दौड़ने लगते हैं। तभी तो उन्हें राजकुमार और राजकुमारियों की कहानियाँ अच्छी लगती हैं। फिल्मों के हीरो या हीरोइन उनके आदर्श बन जाते हैं।

आकर्षित करने के लिए जहाँ लड़कियाँ वेशभूषा, रूप-श्रृंगार, लचीली कमर एवं नितम्ब प्रदेशों को उभारने में लगी रहती हैं, वहीं लड़के अपने गठे हुए शरीर, चौड़े कंधे और रॉक स्टाइलिश वेशभूषा के अलावा बहादुरी प्रदर्शन के लिए सदा तत्पर रहते हैं। आखिर वह ऐसा क्यूँ करते हैं? क्या यह यौन इच्छा का संचार नहीं है?

आनंद की तलाश :

दर्शन कहता है कि कोई आत्मा इस संसार में इसलिए आई है कि उसे स्वयं को दिखाना है और कुछ देखना है। पाँचों इंद्रियाँ इसलिए हैं कि इससे आनंद की अनुभूति की जाए। प्रत्येक आत्मा को आनंद की तलाश है। आनंद चाहे प्रेम में मिले या संभोग में। आनंद के लिए ही सभी जी रहे हैं। सभी लोग सुख से बढ़कर कुछ ऐसा सुख चाहते हैं जो शाश्वत हो। क्षणिक आनंद में रमने वाले लोग भी अनजाने में शाश्वत की तलाश में ही तो जुटे हुए हैं।

ध्यान का जादू :

यदि आपकी ओर कोई ध्यान नहीं देगा तो आप मुरझाने लगेंगे। बच्चा ध्यान चाहता है तभी तो वह हर तरह की उधम करता है, ताकि कोई उसे देख ले और कहे कि हाँ तुम भी हो धरती पर। युवक-युवतियाँ सज-धज इसीलिए तो करते हैं कि कोई हमारी ओर आकर्षित हों।

प्रेमी-प्रेमिका जब तक एक दूसरे पर ध्यान देते हैं तभी तक प्रेम कायम रहता है। लेकिन क्या ध्यान देना ही प्रेम है? यदि ध्यान हटाने से प्रेम भी हट जाता है तो फिर प्रेम कैसा। प्रेमशास्त्री तो निस्वार्थ प्रेम की बात करते हैं। फिर भी ध्यान का जादू निराला है। ध्‍यान प्रेम संबंध को पोषित करता है। प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे पर जितना ध्यान रखेंगे उतना वे खिलने लगेंगे।

विद्वान लोग कहते हैं कि दो मित्रों का एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता हो जाना ही प्रेम है। एक-दूसरे को उसी रूप और स्वभाव में स्वीकारना जिस रूप में वह हैं।

ध्यान देने से ज्यादा व्यक्ति ध्यान पाने कि मनोवृत्ति से ग्रस्त रहता है। ध्यान देने और पाने की मनोवृत्ति को जो छोड़ देता है उसे ही ध्यानी कहते हैं। ध्यानी व्यक्ति स्वयं की मनोवृत्तियों पर ही ध्यान देता है।

आखिर प्रेम क्या है?

यही तो माथापच्ची का सवाल है। क्या यह मान लें कि प्रेम का मूल संभोग है या कि नहीं। सभी की इच्छा होती है कि कोई हमें प्रेम करे। यह कम ही इच्छा होती है कि हम किसी से प्रेम करें। वैज्ञानिक कहते हैं कि प्रेम आपके दिमाग की उपज है। अर्थात प्रेम या संभोग की भावनाएँ दिमाग में ही तो उपजती है। दिमाग को जैसा ढाला जाएगा वह वैसा ढल जाएगा।

आत्मीयता ही प्रेम है :

विद्वान लोग कहते हैं कि दो मित्रों का एक-दूसरे के प्रति आत्मीयता हो जाना ही प्रेम है। एक-दूसरे को उसी रूप और स्वभाव में स्वीकारना जिस रूप में वह हैं। दोनों यदि एक-दूसरे के प्रति सजग हैं और अपने साथी का ध्यान रखते हैं तो धीरे-धीरे प्रेम विकसित होने लगेगा।

अंतत: देह और दिमाग की सारी बाधाओं को पार कर जो व्यक्ति प्रेम में स्थित हो जाता है सच मानो वही सचमुच का प्रेम करता है। उसका प्रेम आपसे कुछ ले नहीं सकता आपको सब कुछ दे सकता है। तब ऐसे में प्रेम का परिणाम संभोग को नहीं करुणा को माना जाना चाहिए। Hindi Porn Stories

मैं आज पहली बार अपनी आपबीती बताने जा रहा हूँ, मैं सोचता हूँ शायद आप सभी को पसंद आएगी।
मेरा नाम अभिजीत है.. मैं वेस्ट बंगाल का रहने वाला हूँ.. और मैं एक गोरे बदन और स्मार्ट दिखने वाला लड़का हूँ।
मेरा उम्र 23 साल है.. मेरा लम्बाई 5 फुट 5 इंच है.. मेरा लण्ड लगभग 6.8 इंच है।

बात उस समय की है.. जब मैं 12वीं में पढ़ता था.. तब मैं अपने चाचा के घर में रहता था.. मतलब वहीं रह कर पढ़ाई करता था।
मेरे चाचा की नई नई शादी हुई थी और वो एक प्राइवेट जॉब करते थे.. तो चाचा को ज्यादातर बाहर जाना पड़ता था जिस वजह से आरती चाची अकेली रह जाती थीं।
तो चाचा ने मुझे अपने पास बुला लिया और मैं तब से वहीं से पढ़ाई करने लगा।

चलिए मैं अब पॉइंट पर आता हूँ। मेरी जो चाची हैं.. वो बहुत खूबसूरत हैं। उनकी उम्र अभी 23 साल थी.. क्या माल थीं.. उनका फिगर 34-28-30 का था.. एकदम गोरा बदन।

मैंने जब से उन्हें देखा था.. तब से ही उन्हें चोदने का मन बना लिया था। मेरी आरती चाची बीए कर चुकी थीं। वे मुझे पढ़ाने भी लगीं और मैं उनके पास पढ़ने लगा।
पढ़ते समय मैं आरती चाची को देखता जब वो लिखतीं.. तो मैं उनके मम्मों देखता रहता था।
आरती चाची घर में नाइटी में रहती थीं तो उनके बड़े-बड़े चूचे पहाड़ की तरह खड़े रहते थे। मैं उन्हें जब भी देखता.. तो चोदने का सोचता रहता।

एक दिन चाचा को कोई काम से दस दिनों के लिए बाहर जाना पड़ा.. तो चाचा ने मुझे कहा- कहीं जाना मत.. आरती चाची का ख्याल रखना।
मैंने कहा- ठीक है..
तो उस दिन मैं स्कूल भी नहीं गया और दिन भर आरती चाची के साथ घर में रहा।

अब चूंकि मैं आरती चाची के साथ थोड़ा हँसी-मज़ाक भी करने लगा था, आरती चाची भी मुझसे काफी खुल कर बात करने लगी थीं।
आरती चाची ने एक प्लान बनाया आर मुझसे कहा- चलो आज मार्किट चलते हैं।
तो मैंने कहा- ठीक है.. चलिए।

शाम को हम दोनों मार्किट चले गए.. आरती चाची ने ढेर सारी खरीददारी की और अंत में वो एक लेडीज शॉप में गईं। उन्होंने मुझे बाहर रहने को कहा.. तो मैं बाहर रुक गया।
कुछ देर बाद आरती चाची बाहर आईं और हम दोनों घर चले आए।

घर आने के बाद हम दोनों ने मिलकर खाना खाया और मैं आरती चाची के रूम में टीवी देखने लगा।
टीवी देखते-देखते मुझे कब नींद आ गई और मैं वहीं सो गया।

अचानक मुझे कैसा महसूस हुआ कि कोई मेरे लण्ड के साथ खेल रहा है.. तो मैं झट से उठा और देखा कि आरती चाची मेरे सामने एक पारदर्शी नाइटी में बैठी है और मेरे लण्ड के साथ खेल रही हैं।

तो मैंने आरती चाची से कहा- यह क्या कर रही हैं आप?
आरती चाची ने कहा- कुछ नहीं बस सोये हुई चिड़िया को जगा रही हूँ।

मैं हंसने लगा..
तो आरती चाची ने कहा- जब मैं तुम्हें पढ़ाती थी.. तब तुम मेरे चूचों को देखते थे.. मुझे सब पता है।
मैं उनको कातिल निगाहों से घूरने लगा।
आरती चाची ने फिर कहा- आज मेरी प्यास बुझा दो अयान..

मैंने आरती चाची को अपने पास खींच लिया और उनके होंठों को चूमने लगा।
उन्होंने लिपिस्टिक लगा रखी थी और मैं जोर से उनके होंठों को चूस रहा था.. वो भी मेरा साथ दे रही थीं।

उसके बाद मैं उनकी चूचियों को दबाने लगा।
हाय क्या मस्त लग रहा था.. पहली बार किसी की चूचियों को दबा रहा था।

मैंने उनकी नाइटी को खोलना शुरू किया.. तो वो अन्दर लाल रंग की ब्रा और पैन्टी पहने हुई थीं।
क्या मस्त बदन लग रहा था उनका.. एकदम गोरा बदन और उस पर कसी हुई लाल रंग की ब्रा।
फिर मैंने ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियों को सहलाया और दबाने लगा।
आरती चाची ने अपनी चूचियों को मेरी तरफ और तान दिया।

मैंने उनकी ब्रा को खोल दिया और उनके सफ़ेद कबूतर बाहर निकल आए।
फिर मैंने उनकी पैन्टी को खोला.. तो देखा कि आरती चाची ने चूत की झांटों को पूरा का पूरा साफ करके रखा हुआ है..
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उनकी चूत चाटने लगा..
अब आरती चाची मादक आवाजें निकालने लगीं- आह.. आह्ह.. आह्ह्ह.. आह्हह.. उन्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह.. उह्ह्ह्ह!

फिर उन्होंने मेरा पैंट भी खोल दिया और मेरा लण्ड अपनी मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मुझे लौड़ा चुसवाने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स कर रहा था।
हम 69 की तरह हो गए, दस मिनट तक हम दोनों इसी लण्ड-चूत की चुसाई में लगे रहे।

अचानक आरती चाची की चूत का पानी निकल गया.. मैंने जैसे ही उनके रस को चखा.. आह्ह.. दिल खुश हो गया.. क्या मस्त खुशबू थी.. पर मैंने अपना मुँह हटा लिया.. तो आरती चाची ने मेरे सर को पकड़ कर अपनी चूत के साथ लगा दिया।

फिर मैं भी झड़ गया और मेरा पूरा वीर्य उनके मुँह में घुस गया।
इस तरह हम दोनों झड़ कर शांत हो गए।

फिर हम लोग एक दूसरे से लिपट कर बात करने लगे। उसके बाद आरती चाची बोलीं- अब मुझे चोद दो..
मैं उठा और उनके नंगे बदन के ऊपर आकर लंड को चूत पर रखा, आरती चाची ने मेरा लंड पकड़ कर अपनी फुद्दी के छेड़ पे रखा और कहा- घुसा दे!
लेकिन उनकी चूत बहुत तंग थी.. मेरा मोटा लवड़ा अन्दर नहीं घुस रहा था।

मैंने किसी तरह सुपारा उनकी चूत में फंसा कर जोर लगाया.. तो आधा अन्दर चला गया और आरती चाची जोर से चिल्ला पड़ीं- आह्ह.. ह्ह्ह्ह.. माआ..
मैं डर गया कि पता नहीं क्या हुआ फिर भी मैं उन्हें चोदता रहा।
एक बार मैंने और जोर लगाया तो पूरा का पूरा लौड़ा चूत के अन्दर चला गया। आरती चाची कराह कर रह गईं.. फिर धीरे धीरे उनकी चूत ने मेरे लवड़े को आत्मसात कर लिया।

उसके बाद मैं उन्हें धकापेल चोदने लगा था।
तो वो अजीब-अजीब सी आवाज़ निकाल रही थीं- आह्ह्ह्ह.. अह्ह्हह्ह.. उह्ह्ह्ह.. माआआअ.. चोदो अयान.. और जोर से.. बहुत मज़ा आ रहा है।

लगभग हम दोनों में 15 मिनट तक जबर्दस्त चुदाई का खेल खेलते रहे, उसके बाद आरती चाची झड़ गई थीं।

अब बारी मेरी थी.. तो मैंने आरती चाची से पूछा- क्या करूँ.. अन्दर डाल दूँ या बाहर निकालूँ।
उन्होंने कहा- अन्दर ही डाल दो।

तो मैंने कुछ दमदार धक्के लगाए और अपना माल उनकी चूत के अन्दर ही डाल दिया। मैं बहुत थक गया था तो निढाल हो कर वहीं आरती चाची के शरीर के ऊपर गिर गया।

कुछ देर बाद हम दोनों उठ कर बाथरूम गए.. खुद को साफ किया।
मैं आरती चाची के चूचों को साफ करने लगा। कुछ देर बाथरूम में मस्ती करने के बाद हम दोनों बाहर आ गए।
उसके बाद चाय पी.. और सो गए।

बस अब तो रोज-रोज यही सिलसिला चलने लगा। फिर चाचा वापस आए तो ये सब बंद करना पड़ा।
फिर भी कभी-कभी मैं मौक़ा पाकर चलते फिरते उनके चूचे दबा देता था।
मैंने अपने जीवन का पहला सेक्स किया था और इसमें मुझे बहुत मज़ा आया था।

उसके बाद मेरे एग्जाम खत्म हो गए.. मैं अपने घर चला आया।
उसके बाद अभी तक किसी को नहीं चोदा है.. सोचता हूँ आरती चाची के घर से फिर से घूम आऊँ।

Sex Stories

सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों Sex Stories को सन्नी शर्मा का कोटि कोटि प्रणाम!

दोस्तो! अभी तक मैंने अन्तर्वासना में लड़के और लड़की के बीच हुई चुदाई के बारे ही पढ़ा है। मैं इस वक्त कंप्यूटर सॉफ्टवेयर का कोर्स कर रहा हूँ। मैं देखने में चिकना हूँ और सच पूछो तो मैं कहने के लिए लड़का हूँ मगर मेरे अन्दर एक औरत बचपन से घर कर चुकी है। मैं बचपन से ही लड़कियों के साथ गुड्डे-गुड़िया का खेल खेलता, चोरी चोरी मम्मी की ड्रेस पहनता और जब घर अकेला रहता तो लड़की की तरह सज-संवर कर तैयार होता था। इन हरक़तों से मुझे अलग सा आनंद मिलता!

मैं स्कूल में भी लड़कियों के साथ ही रहने की कोशिश करता। सभी लड़के स्कूल में मुझे लड़की कहते! बचपन से लड़कियों के साथ रहा था, उनके खाने-पीने में ध्यान देता, उनकी तरह गोलगप्पे-चाट वगेरह खाता। मेरे शरीर की बनावट लड़कियों जैसी है, मेरी छाती बहुत कोमल है, 16 साल की लड़की जितनी मेरी छाती है।

मैंने कई बार अपनी लड़की दोस्तों को उनके बॉय फ्रेंड के साथ अकेले में स्कूल के खाली कमरों में अश्लील हरक़तें करते देखा। लड़कियों में से पूजा से मेरे बहुत अच्छे से दोस्ती और बोलचाल है, वो अक्सर मेरे घर आती नोट्स के लिए। वो एक बहुत बड़े अमीर परिवार की छोरी है।

एक रोज़ मैं उसके घर चला गया, दोपहर का समय था, उस वक्त उसके घर कोई नहीं होता था। जब मैंने दरवाज़ा बंद देखा तो मैं दीवार से कूद कर अन्दर चला गया। हंसने के आवाजें सुन कर मैंने खिड़की के पास पहुँच कर देखा कि मेरे ही स्कूल का एक लड़का था, पूजा उसका लण्ड चूस रही थी, वो अपनी स्कर्ट में बार बार उसका हाथ डलवाती, कभी चुचियों में भी।

मैं वहाँ से चला आया। उस लड़के का लौड़ा देख मेरी गाण्ड में कुछ होने लगा, ना कि पूजा को नंगी देख कर।

उस दिन से मैंने भी किसी का लण्ड चूसने की सोची। स्कूल के लड़के से यह सब करके मेरी और बदनामी हो जाती, पहले ही सभी मुझे छेड़ते हैं।

मैं रोज़ शाम को ट्यूशन पढ़ने जाता था। रास्ते में एक नाशपाती का बाग़ है, वहाँ रोज़ एक मोची मुझे मिलता था, बिहार का था। वो मेरी गाण्ड को देख रोज़ अजीब इशारे करता। पहले मैं कुछ न कहता, लेकिन अब वो देखके लौड़ा खुजलाता। एक रोज़ वो नहीं मिला लेकिन जब मैं वापिस आ रहा था, तब अंधेरा हो चुका था। आज वो अपना सामान पहले ही पास में अपने कमरे में रख आया था। वो दिन में मोची का काम, रात को बाग के चौंकीदार का काम करता था। बीच बाग़ में उसका कमरा था। आज उसको देख मैंने कहा- क्या बात है भाई? तुम रोज़ मुझे क्यों देखते हो?

वो बोला- तेरी गाण्ड मारनी है!
मैंने कहा- चल हट!
बोला- तू क्यों देखता है?

मेरे पास जवाब नहीं था। वो थोड़ा पास आकर अपने हाथ मेरी गोल गाण्ड पे हाथ फेरने लगा।
सीईईईइ!
फ़िर मेरा हाथ पकड़ उसने अपने लौड़े पे रख दिया और पास आकार धीरे से बोला- चल कमरे में!

दोस्तो, जैसे उसने मुझे पेंडुलम दिखा बस में कर लिया हो, मैं बिना बोले उसके पीछे उसके कमरे में चला गया, उसने कुण्डी लगा दी। उसने अपनी पैन्ट उतार कर किल्ली पे टांग दी, फ़िर शर्ट भी। वो सिर्फ़ कच्छे में था, उसका लौड़ा खड़ा था। मोटा ताज़ा लौड़ा देख पूजा याद आई। उसने मेरी कमीज़, पैन्ट सब उतार दी और मुझे लिपटने लगा। मेरे अन्दर की लड़की जागी, वो मेरे निप्प्ल मसलने लगा, मम्मे दबाने लगा!
सीईईईइ क्या मजा था यार!

मैं घुटनों के बल बैठ उसके लौड़े को सहलाने लगा और अपने आप ही उसका 6 इंच का लौड़ा चूसने लगा, चूमने लगा।

वो बोला- साले दबा दबा के चूस!

साथ में वो मेरी गाण्ड थपथपा रहा था। उसने थूक से ऊँगली गीली कर मेरी गांड में डाली और आगे पीछे करने लगा और फ़िर दो ऊँगली!

वो भी पहली बार किसी से लौड़ा चुसवा रहा था। उसने अपना सारा माल मुँह में भर दिया, कुछ मेरी कोमल छाती पे भी गिरा। मैं कपड़े पहनने लगा तो उसने रोक दिया और बोला- चुदेगा तेरा बाप? गांडू! चल खड़ा कर दे! उसने ज़ोर से थप्पड़ मारा।

मैं भी रुक गया और उसके लौड़े को फ़िर मुंह में भर लिया। उसका फ़िर खड़ा हो गया, उसने मुझे घोड़ा बना लिया और सरसों का तेल अपने लौड़े पे लगा कुछ ऊँगली से मेरी गांड में भी लगा दिया और अपने लौड़े का टोपा मेरी मोरी पे रख धक्का दिया।

हाय, मर गया! छोड़ मुझे! प्लीज़ छोड़ दे!

दूसरे झटके से आधा लौड़ा अन्दर घुस गया। मैं दर्द से तड़फ रहा था, वो बिना रहम किए पूरा डालने में लगा था। मैं चिल्लाने लगा, लेकिन वहाँ कोई नहीं था। वो ज़ोर जोर से मुझे चोदने लगा। कुछ पल बाद मुझे थोड़ा आराम मिला और अब उसकी रगड़ मुझे अच्छी लगने लगी। उसके बाद उसने सीधा लिटा के अपने कंधों पर मेरी टांगें रख कर फ़िर लौड़ा मेरी गाण्ड में डाल दिया।

मुझे बहुत मज़ा आने लगा। किसी मर्द के नीचे लेट कर वो भी नंगे, वो साथ साथ मेरे मम्मे चूसने लगा और 6-7 मिनट बाद वो झड़ गया और मेरी सारी खुजली उसके गरम माल से मिट गई। वो मेरे ऊपर ही लुढ़क गया। हम दोनों नंगे एक दूसरे की बाँहों में लेटे थे।

वो कमरे में एक और बन्दे के साथ रहता था, वो बन्दा राज मिस्तरी का काम करता था। वैसे मोची के मुताबिक वो रात लेट आता था। तभी वो दूसरा बन्दा आ गया। कुण्डी ठीक से लगी नहीं थी वो सीधा कमरे में घुस आया और मुझे देख कर बोला- पुरषोत्तम! यह गाँडू कहाँ से आया?

उसकी आँखों में वासना के डोरे देख मैं घबरा सा गया।

वो बोला- चल तू भी जा जाकर खाना खा आ! मैं हूँ यहीं पे!

मोची चला गया। मैं अभी कपड़े पहनने लगा था कि उसने रोक लिया और बोला- मुझे खुश कर दे साले!

मैंने मना करने की बजाये बोला- नहीं देर हो गई है, पहले ही घर वाले परेशान होंगे।

वो बोला- साले! खींच के दूंगा कान के नीचे! चल पास आकर ख़ुद ही लण्ड निकाल!

मैं डरता हुआ पास गया और बोला- आज जाने दो! कल सुबह आऊँगा!

वो बोला- चल चूस ही दे थोड़ा, हाथ से निकल दे पानी!

बाप रे बाप! उसका लौड़ा देख मैं डर गया। बहुत सॉलिड था, मैं उसको पकड़ मुठ मारने लगा और फ़िर चूसने लगा। अंदर से मैं बहुत खुश था कि जिस लौड़े की मैं तलाश में था वो आज एक नहीं दो मिले!

करीब पाँच मिनट में मैंने उसके लौड़े को चूस चूस उसका माल निकाल दिया। उसने सारा माल मेरी नंगी गांड पे डाल दिया, झड़ने से पहले उसने मुँह से निकाल लिया था और गांड पे फव्वारा छोड़ दिया।

दोस्तो, कैसी लगी मेरी पहली चुदाई की दास्ताँ!

अगले दिन मैं उसके बताये समय के मुताबिक जब मोची निकल गया तो मैं अंदर घुस गया और फ़िर??
अपना चुदाई का यह किस्सा मैं अगले भाग में डालूँगा।
आपके जवाबों का इंतजार रहेगा! Sex Stories

Antarvasna

दोस्तो, मुझे बहुत Antarvasna खुशी हुई कि आपको मेरी कहानी बहुत पसंद आई. बहुत सारे मेल मिले और आगे की कहानी लिखने के लिए कहा गया.
तो अब मैं आप को आगे की कहानी बताता हूँ.

बस से उतरने के बाद हम अपने अपने रास्ते निकल गए. लेकिन एक बात मेरे दिल में थी कि भले ही मैं आज कुछ नहीं कर पाया लेकिन जब भी पुनः मौका मिलेगा मैं मामी को जरूर हासिल करूँगा.

स्कूल चालू हो गया और मेरा इंतजार भी चालू हो गया कि कब दिवाली की छुटियाँ आएगी और मुझे मेरे घर जाने का मौका मिलेगा.

जैसे तैसे दिन बीत गए और मैं दिवाली की छुटियों के लिए अपने घर आ गया. आते ही मैं मामी के घर चला गया जो मेरे घर के बगल में ही था. घर पर कोई नहीं था, उनके बच्चे अपने मामा के गाँव गए थे और पति काम पर गए थे.

बहुत देर तक हम बातें करते रहे लेकिन कोई भी बात हमारे बस के कारनामे के पास भी नहीं भटक रही थी और मामी तो एकदम मासूम बनी थी जैसे कुछ भी नहीं हुआ था. और डर के मारे मैं भी कोई बात नहीं कर पा रहा था.

ऐसे ही बहुत दिन बीत गए, मैं रोज़ मामी के घर पर जाता था जब उनके पति काम पर चले जाते थे.

एक दिन मुझ से रहा नहीं गया और मैंने फैसला कर लिया कि आज कुछ भी हो, मामी से पता करवा के रहूँगा कि उसके दिल में क्या है और उसको पटा के रहूँगा. बहुत देर मैं चुप ही बैठा था और मामी अपनी धुन में कोई गाना गुनगुना रही थी.

आखिर मैंने चुप्पी तोड़ी और मामी से पूछा- मामी सच बात बताना! क्या उस रात हम जब बस से जा रहे थे, उस वक्त आप सच में सोई थी?
“क्यों ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
“नहीं, बस ऐसे ही पूछ रहा था! बताओ ना!”
“मैं तो सोई थी, लेकिन ऐसे क्यों पूछ रहे हो?”
मैं जान गया कि मामी जानबूझ कर अंज़ान बन रही थी.
“ऐसा हो ही नहीं सकता! क्या कोई औरत इतना कुछ होने तक कैसे सो सकती है? ”
“क्या हुआ था उस रात?”
“मामी जी, आपको सब पता है कि क्या हुआ था! आप सब जान कर अनजान बन रही हैं!”
“नयन तुम क्या कह रहे हो, मुझे कुछ भी पता नहीं चल रहा है!”
“मामी जी उस रात जो भी मैंने किया, आपको सब पता है और आप जानबूझ कर अंज़ान बन रही हैं!”

अब मामी जान चुकी थी कि मना करने से कुछ फायदा नहीं, सो वो बोली- नयन उस रात जो भी हुआ वो सब गलती से हुआ होगा, मेरा इरादा तो कुछ भी नहीं था. तो तुम जो भी हुआ, उसे भूल जाओ, तुम अभी बहुत छोटे हो!”

“मामी जी मैं इतना भी छोटा नहीं हूँ! आप जानती हो इस बात को! आपने हाथ में पकड़कर देखा था!”
“और अगर आपका इरादा गलत नहीं था तो आपने मुझे तब ही रोकना था! तब मैं इतना कुछ कर रहा था, तब तो आप बड़े मजे ले रही थी?”
“और मुझे जब आप की जरूरत है तब मुझे याद दिला रही हो कि मैं अभी छोटा हूँ?”
“उस रात बस में जब आप मुझसे मम्मे दबवा रही थी, चूत चुसवा रही थी, उंगलियाँ डलवा रही थी और आखिर मेरा लंड हिला रही थी, और ये सब आप नींद का नाटक कर के करवा रही थी, तब मैं छोटा नहीं था?”

“देखो नयन ऐसी बात मत करो! मैं मानती हूँ कि मेरी गलती है! मुझे माफ़ करो!”
“मामी बस एक बार मेरी खातिर! वो गलती एक बार फिर करो ना!”
“मैं बहुत सपने लेकर आया हूँ! दिन-रात बस आपका ही ख्याल था! जाने कितनी रातों को सोया नहीं हूँ! मुझे बस एक बार वही सब करने दो जो उस रात हुआ! मैं आज के बाद कभी भी फिर कुछ नहीं मांगूगा!”
“नयन मैं जानती हूँ कि तुम्हारे मन की हालत कैसी होगी, लेकिन मैं शादीशुदा हूँ, मेरे बच्चे भी हैं! अगर किसी को पता चला तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी!”
“मामी अगर आप मुझे एक बार के लिए हाँ नहीं करोगी तो मेरी जिंदगी बर्बाद हो जायेगी! मैं पागल हो जाऊँगा!”
“नयन, मेरी बात को समझो! मैं तुम्हारे हाथ जोड़ती हूँ!”
“मामी, बस एक बार! किसी को कुछ नहीं पता चलेगा! मैं दोबारा आपसे कुछ नहीं मांगूंगा!”
“ठीक है नयन!”

मैंने मामी के पास कोई रास्ता ही नहीं छोड़ा, हाँ बोलने के सिवा! लेकिन वो मन से तैयार नहीं थी, यह बात मैं जान गया था, लेकिन मेरे लंड में जो आग लगी थी उसे मैं ही जानता था.
तो जैसे ही मामी ने- ठीक है कहा, मैंने उनको बाहों में ले लिया.
“रुको नयन, अभी नहीं! दोपहर में आ जाना! अभी कोई आ जायेगा तो मुसीबत होगी!”

मैं दोपहर में उनके घर पहुँच गया. घर पर कोई नहीं था, मेरे घर के अन्दर जाते ही मामी घर के बाहर आ गई, थोड़ी देर बाहर ही रुक कर ‘कोई देख तो नहीं रहा’ इसका जायजा लिया और अन्दर आकर दरवाजा बंद किया.

जैसे ही दरवाजा बंद किया मैंने लपक के उनको अपनी बाहों में लिया. वो कुछ कहने ही जा रही थी कि मैंने अपने होंट उनके होंटों पर रख दिए और उनका मुँह बंद कर दिया.
“मामी अब कुछ मत कहो! मैं जिस पल का इंतजार कर रहा था, वो अब आया है! इस पल को जीने दो मुझे!”

अब कमरे में मेरी गहरी सांसों के सिवा कोई आवाज नहीं थी. मैं पागलों की तरह मामी को चूम रहा था और वो बस मेरा जोश देख कर हैरान होकर मुझे देख रही थी. मामी की तरफ़ से कोई पहल नहीं हो रही थी, वो तो बस पुतला बनकर खड़ी थी. लेकिन मैं जानता था कि यह ज्यादा देर नहीं चलेगा, वो भी मेरे साथ मजे लेंगी क्योंकि उस रात बस में वो भी तो गर्म हो गई थी.
तो मैं उनको चूमता ही जा रहा था और अब मेरे हाथों ने अपना काम चालू कर दिया था. मैं धीरे धीरे उनके मम्मे दबा रहा था.
क्या मम्मे थे उनके! आज दिन के उजाले में मुझे उनके दर्शन होने वाले थे.
मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए.
अब वो बड़ी-बड़ी और गोरी-गोरी चूचियाँ मेरे सामने थी जिनके लिए मैं पागल हो गया था.

मैं एक हाथ से दबा रहा था और एक को अपने मुँह में लेकर चूसे जा रहा था. मैं पूरे जोश में था क्योंकि मेरी पहली बार जो थी! मेरे जोश ने मामी की वासना भी भड़कानी शुरु कर दी थी, उनकी सिसकारियाँ अब चालू हो गई थी और वो भी मुझे चूमने लगी थी.

मैं जोर जोर से उनकी चूची दबा रहा था और चूस रहा था. अब मेरा हाथ उनकी साड़ी खोलने लगा था और उनका हाथ मेरी ज़िप खोलने लगा था. अब मेरा लंड उनके हाथ में था और वो उसे जोर-जोर से हिलाने लगी थी.
“मामी धीरे कीजिये न! कहीं मेरा पानी न निकल जाये!”

इस दरमियान मैंने उनकी साड़ी खोल दी थी और पेंटी निकालकर उनको पूरा नंगी कर दिया था. अब ज्यादा देर खड़े रहकर कुछ नहीं किया जा सकता था सो हम उनके बेडरूम में आ गये.

मैंने उनको बिस्तर पर बिठाया और उनके पीछे बैठकर पीछे से उनकी चूचियों को दबाने लगा और गले को चूमने लगा. अब जो नशा उन पर चढ़ रहा था वो देखने लायक था.
वो मेरे बाल पकड़ कर नोच रही थी!

मैंने धीरे से एक हाथ उनकी चूत पर रखा और सहलाने लगा. वो पागल हो रही थी. धीरे से मैंने एक उंगली चूत के अंदर डाली और हिलाने लगा और एक हाथ से चूची दबाना चालू रखा.
धीरे से उनको लिटा कर मैं उनके ऊपर आ गया था और उनकी चूची को जोर से चूसने लगा था, वो पागल हो रही थी और मुझे जोरों से भींच रही थी.
“नयन, वो करो ना! जो उस रात को किया था!”
वो चूत चाटने के लिए कह रही थी, पर शरमा कर बोल नहीं पा रही थी.
“क्यों मामी मामा नहीं चाटते क्या?”
“अरे वो चाटते तो क्या कहना था! वो तो ठीक से मुझे दबाते भी नहीं! सिर्फ़ अपना लंड चुसवाते हैं और फिर खड़ा हो गया तो अन्दर घुसा के चोदना चालू कर देते हैं!”
“कोई बात नहीं मामी! मैं हूँ ना! आज आपकी ऐसी चुदाई करूँगा कि आप जिंदगी भर याद रखोगी!”

मैंने जैसे ही उनकी चूत चाटना चालू किया, वो तो मचलने लगी और सिसकने लगी. शायद उनको चूत चटवाने में बहुत ही मजा आ रहा था.
“मामी क्या आप मेरा लंड मुँह में नहीं लोगी?”
“क्यों नहीं नयन, जब उनका ले सकती हूँ तो तुम्हारा तो पूरा खा जाऊँगी! आखिर तुमने मुझे इतना सुख जो दिया है!”

मैं हैरान था, यह वही मामी है जो थोड़ी देर पहले मुझसे चुदवाना नहीं चाह रही थी.
और फिर मामी ने जो मेरा लंडा चूसना चालू किया! मैं आपको बता नहीं पाउँगा कि कितना मजा आ रहा था!
वो पूरी लगन से मुझे खुश करने में लगी थी.
अब 69 में आकर हम दोनों पूरा मजा उठा रहे थे.
“नयन अब सहन नहीं हो रहा हैं! जल्दी कुछ करो!”
“ठीक है मामी जी!”

मैं उनके दोनों पैरों के बीच बैठा गया और अपना लंड उनके हाथ में दिया. उन्होंने धीरे से मेरा लंड हिलाया और अपनी चूत पर रख दिया. मैं धक्का मारने ही वाला था कि उन्होंने अपनी कमर उठाई और मेरा पूरा लंड अन्दर ले लिया.

“मामी, बहुत जल्दी है क्या?”
“नयन, तुम्हें क्या बताऊँ! तुमने तो मुझे पागल कर दिया है! बहुत माहिर हो गए हो! मुझे तो लगा था कि तुम अभी बच्चे हो.”
“मामी इस बच्चे को आपने ही बड़ा बना दिया है, रोज़ रात को सपने में जो आपको चोदता था!”
और मैंने अपनी गाड़ी चालू कर दी. मामी भी नीचे से कमर उठा उठा कर मजा ले रही थी.
“नयन, जोर से करो ना! प्लीज!”
“हाँ मामी जी, आप तो बहुत जल्दी में हो! पर मैं पूरा मजा लेना चाहता हूँ आपको तड़पाना चाहता हूँ!”
“आपने जो मुझे इतना तड़पाया है!”
मैं धीरे धीरे शॉट लगा रहा था और मामी नीचे तड़प रही थी, मुझे कस के पकड़ रही थी और पागलों की तरह चूम रही थी.
“नयन, तुम नीचे आ जाओ!”

अब मैं नीचे था और मामी मेरे ऊपर थी. वो क्या जोरों से लंड को अन्दर बाहर कर रही थी और मैं उनकी चूचियों को जोर से दबा रहा था और चूस रहा था.
“खा जाओ नयन इनको! तुम्हारे मामा को इनकी जरूरत नहीं है शायद! वो तो शायद मुझसे उब गए हैं!”
“कोई बात नहीं मामी! मैं इनका ख्याल रखूँगा!”
“नयन…! मैं तो गई नयन! हऽऽस्सऽऽऽ!”

वो जल्दी से मेरे ऊपर से उठ गई और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी और मैं उठकर उनकी चूत को सहलाने लगा था.
नयन! स्स्स्स ऽऽऽ!! हय! मैं गई नयन आऽऽस्स!
और वो जोर जोर से मेरा लंड चूसने लगी थी.
“नयन आज तुमने मुझे फिर अपनी नई नई शादी की याद दिला दी है!”
“मामी आप तो खुश हो गई! लेकिन मेरा क्या? मैं तो अभी खाली नहीं हुआ हूँ!”

यह सुनते ही मामी ने मेरा लंड चूसना चालू किया और ऐसा कमाल दिखाया कि…
“मामी, मेरा निकलने वाला है! आप हट जाइये!”
“नहीं नयन! तुम आज मेरे मुँह में ही झड़ जाओ!”
“आऽऽअऽऽऽ! मामी! मैं तो गया मामी आऽऽस्स!”

मामी ने मुझे कस के पकड़ा और पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया. मामी मेरा पूरा वीर्य गटक गई थी और अभी भी मेरे लंड को चूसे जा रही थी…
“क्यों नयन? हो गए खाली?”
“हाँ मामी! आपने तो मेरा हर सपना सच कर दिया!”
“अरे यह क्या नयन? तुम्हारे लंड में तो अब भी कड़ापन है! यह तो सोने का नाम ही नहीं ले रहा है?”
“क्या मालूम मामी! लेकिन मैं एक राऊँड और पूरा कर सकता हूँ!”

यह कह कर मैंने मामी को नीचे खींचा और फिर से उनके मम्मे दबाने लगा.
आगे की कहानी अगले भाग में! Antarvasna

(Padhai Ke Sath Chut Chudai)अन्तर्वासना

हाय, अन्तर्वासना के सभी पाठकों और पाठिकाओ, आपकी सेवा में मैं विक्की मित्तल एक बार फिर से अपनी चुदाई के तजुर्बे के साथ हाजिर हूं, आप सभी को मेरा प्यार भरा नमस्कार।

लगता है मेरी कहानी ‘शीतल की चुदाई’ काफ़ी पाठको ने पढ़़ी है, क्योंकि मेरे पास बहुत से पाठक पाठिकाओ के जवाब आये है जिनमे लिखा है उन्हे मेरी कहानी बहुत पसन्द आई है और मैं अपनी दूसरी कहानी भी जल्द ही भेजूं। इसके लिये आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद। लगता है कि पढ़ने वालों में लड़कियों और औरतों की संख्या अधिक है, क्योंकि लिखने वालो में लड़किया अधिक है। कुछ लड़कियों ने तो यहां तक लिखा है कि अपनी नई कहानी में उनको लेकर यानि उन्हे नायिका बना कर कहानी लिखूं।

यहां पर मैं बताना चाहूंगा कि शीतल की चुदाई मेरी कोई कल्पना मात्र नहीं है बल्कि ये वास्तव में मेरा पहला तजुर्बा है, और आज भी है। बस अन्तर इतना है कि उसकी अब शादी हो चुकी है। वह ससुराल में अपने पति के साथ बहुत ही खुशहाली का जीवन व्यतीत कर रही है।

आगे भी मैं जो कहानी भेजूंगा वो भी कोई कल्पना नहीं होगी बल्कि वास्तविक घटना होगी जो कि मेरे साथ घट चुकी होगी। मैं अपनी पाठिकाओं का दिल तोड़ना नहीं चाहता हू, इसलिये मैं उनसे विनती करूंगा कि जो ये चाहती कि मैं उन पर कहानियाँ लिखू वो अपने शरीर का विवरण अवश्य ही भेजे जिससे मुझे कहानियाँ लिखने में सहूलियत होगी।

सम्पूर्ण विवरण से तात्पर्य है कि वे अपनी बॉडी की बनावट, कद काठी, कूल्हे भारी हैं या हल्के, चूचियो का साईज़, छोटी है या बड़ी, उनका रंग, चूत क्लीन शेव्ड है या झांटों से भरपूर है। आपकी खास आदते और पसन्द वगैरह। जब आप अपना शरीर का पूरा परिचय दे देंगी तो तो अवश्य ही आपके लिये एक बहुत ही सेक्सी और बहुत ही एक सुन्दर सी कहानी लिख पाऊंगा।

हां तो मैं आज अपनी जीवन का दूसरा तजुर्बा कहानी के रूप में लिख कर भेज रहा हूं। कुछ लड़के और लड़कियाँ या महिलाये ऐसी भी होंगी जिन्होने ने मेरी पहली कहानी नहीं पढ़़ी होगी या इस साईट में अभी सम्मिलित हुये हो तो मैं उन्हे अपना परिचय देना जरूरी समझता हूँ। मेरी उम्र लगभग 29 वर्ष, रंग एक दम गोरा है, मेरी हाईट पांच फ़ुट दस इन्च है। हालांकि मेरी बॉडी थोड़ी भारी है पर लम्बाई के कारण मैं मोटा नहीं लगता हूं। मेरी पर्सनाल्टी बहुत ही चार्मिंग है, मैं बहुत सुन्दर हू, लड़किया मेरी तरफ़ आसानी से आकर्षित हो जाती है।

बचपन से लेकर अब तक काफ़ी लड़कियाँ मेरी दोस्त बन चुकी है। मैंने आई आई टी रुड़की से इन्जीनियरिंग करने के बाद आई आई एम अहमदाबाद से एम बी ए किया है। और अब में दिल्ली में अपनी ही एक पारिवारिक ओर्गेनाईजेशन में काम करता हूं। हां तो दोस्तों, लगता हैकि अब आप काफ़ी बोर होने लगे है इसलिये मैं अपनी कहानी शुरू करता हूँ।

बात उन दिनो की है जब मैं ग्यारहवीं में पढ़़ता था। और उस समय मेरी उमर 18 वर्ष की थी पर मेरी कद काठी की वजह से मैं 18-20 वर्ष का लगता था। हमारी ही कोलोनी में एक लड़का और रहता था जो बचपन से ही मेरा पक्का दोस्त था। हम दोनो लगभग हर समय ही एक साथ रहते थे। उसके पिताजी एक सरकारी अफ़सर थे उस परिवार में उसकी माताजी के अलावा उसके अलावा एक बड़ी बहन और तीन छोटे भाई भी थे।

मेरे दोस्त का नाम मनोज है और उसकी बहन का नाम कोमल था। वो बी एस सी पार्ट फ़र्स्ट में पढ़़ रही थी।

कोमल बहुत ही खूबसूरत थी। उसका रंग एकदम गोरा चिट्टा था। उसकी हाईट लगभग 5 फ़ुट चार इन्च होगी। आँखें एकदम काली और बड़ी बड़ी, मानो हर समय उसकी आंखे कुछ कहना चाहती हो। जब वो आंखो में काजल लगा कर उसकी लाईन साईड में से बाहर निकालती थी तो वो गजब ही ढा देती थी।

शरीर 36-24-38 का रहा होगा और देखने में उसका बदन बहुत सेक्सी लगता था। उसकी चूंचियाँ काफ़ी बड़ी थी। उसका साईज तो लगभग 36/38 रहा होगा पर एकदम कठोर और कसी हुई थी। चूतड़ तो बस क्या कहने एकदम भरे भरे और सुडौल।
जब चलती थी तो उसकी चूतड़ों को देख कर लगता था कि मानो दो बड़ी बड़ी गेंद या फ़ुटबॉल आपस में रगड़ खा रहे हो।

वो आम तौर पर टाईट सलवार कमीज या चूड़ीदार पजामा और कुर्ती पहनती थी, जिसमे उसकी जवानी फ़ूटती सी लगती थी। खास तौर पर तो उसके चूतड़ों उभार तो मस्त नजर आता था। कभी कभी वो स्कर्ट और टॉप भी पहन लेती थी तो वो छोटी सी लगती थी, उसकी उमर का तो पता ही नहीं चलता था।

मैं तो शुरू से ही पढ़़ने में बहुत होशियार था खास कर गणित तो मेरा फ़ेवरेट विषय था। मनोज गणित में बहुत कमजोर था तो वो मेरे साथ ही पढ़़ाई करता था। साथ में कोमल भी आकर पढ़़ाई करती थी।

अधिकतर पढ़़ाई तो रात को हमारे घर पर ही होती थी, क्योंकि उसके परिवार में काफ़ी सदस्य थे। इसलिये मनोज और कोमल रात को मेरे घर ही आ जाया करते थे। हम सभी काफ़ी देर तक पढ़़ाई करते रहते थे। एक साथ पढ़़ाई करने की वजह से मैं और कोमल काफ़ी घुल मिल गये थे और एक दूसरे के साथ फ़्री हो कर बातें भी करते थे। वैसे भी पड़ोस में रहने के कारण एक दूसरे के परिवार में मेरा काफ़ी आना जाना रहता था।

क्योंकि मैं बहुत सुन्दर और स्मार्ट था, लड़कियाँमेरी तरफ़ सहजता से आकर्षित हो जाती थी और मेरे साथ दोस्ती करने की इच्छा रखती थी। कोमल भी मेरी तरफ़ बहुत ही आकर्षित थी और कई बार मम्मी से मजाक में कहा करती थी कि मेरा दूल्हा तो विक्की है ना। मैं तो विक्की से ही शादी करूंगी। मम्मी हंस देती थी। कोमल मुझसे भी कहती थी कि विक्की आज तो तू बड़ा स्मार्ट और सुन्दर लग रहा है, है ना बिल्कुल दूल्हे राजा जैसा। आजा मेरे साथ शादी करले और मैं जोर से हंस देता था।

मैं भी उसको पसन्द करता था और अनेकों बार रात में उसको ध्यान में रख कर जोर से हस्त मैथुन भी कर लेता था। मैं तो मन ही मन उसको चोदना चाहता था पर कहने से डरता था कि कहीं वो सुन कर बुरा ना मान जाये और मेरे साथ रात को पढ़़ना बन्द ना कर दे। बस वैसे ही दिन कट रहे थे। दशहरा आने वाला था, दशहरे की छुट्टियाँचल रही थी।

एक बार मनोज से मेरी कुछ कहा सुनी हो गई और बात यहां तक बढ गई कि उसकी और मेरी बोल चाल बन्द हो गई। लड़ाई के बाद मनोज रात को पढ़़ने भी नहीं आया, केवल कोमल ही आई। पर उसने कोमल को ये नहीं कहा कि मेरा उसका झगड़ा हो गया है, बल्कि कहा कि उसकी तबियत खराब है इसलिये वो रात को पढ़़ने नहीं जायेगा।

कोमल को उस रोज कुछ समझ नहीं आया लेकिन जब दूसरे दिन भी जाने मना कर दिया और कोमल को भी जाने से रोकने लगा तो उसका माथा ठनका और फिर कोमल ने कह दिया कि तू जाये या ना जाये वो तो विक्की के यहां ही पढ़़ाई करेगी। फिर वो मेरे घर आ गई। हम दोनो लगभग एक घन्टे पढ़़ते रहे, कोई एक दूसरे से कुछ नहीं बोला। हम दोनो ही आमने सामने बैठ कर पढ़़ रहे थे कि अचानक उसने आंखे उठा कर मेरी तरफ़ देखा।

‘क्या तेरे और मनोज की लड़ाई हुई है’

मैं चुप ही रहा और मेरी आंखो में पानी आ गया। इस पर वो उठ कर मेरे पास आ गई। मेरी दाईं तरफ़ बैठ कर अपने दोनो हाथों से मेरी कोहली भर ली और मेरा सर अपने सीने से लगा लिया, पहले तो मैं चौंक गया फिर मैं समझा कि मेरी आंखो में पानी आने के कारण वो मुझे दुलार रही है। मेरा सर उसकी बाईं चूंची के ऊपर रखा था। मैं उसकी नर्म चूंची का गुदगुदापन उसके कुरते के ऊपर से महसूस कर रहा था जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया।

पहले तो कुछ पल हम चुप बैठे रहे फिर वो बोली कि जब तुम एक दूसरे के बिना रह नहीं सकते तो लड़ते क्यूं हो, वो भी तुम्हारे बिना तुम्हारी ही तरह उदास है। चिन्ता ना करो कल को मैं तुम्हारी बोलचाल फिर से करवा दूंगी। यह कहकर उसने मुझे जोर से अपनी बाहों में भींच लिया। फिर बोली चलो अब मुस्करा दो। जैसे ही उसने मुझे कस कर भींचा उसकी बाईं चूंची पर मेरा गाल आ गया। वो उसे दबाने लगी जिससे मेरा लण्ड बहुत तेजी के साथ सख्त हो कर फ़नफ़नाने लगा।

उन दिनों हालांकि थोड़ी सी गर्मी थी सो मैंने निकर और बनियान ही पहना हुआ था। जब मेरा लण्ड ऊपर नीचे होकर फ़ड़फ़ड़ाने लगा और वो निकर के ऊपर से ही उसकी जांघ या हल्का सा ऊपर उसको लग गया तो वो बोली कि तेरी जेब में क्या है जो मुझे चुभ रहा है। मैंने हंसते हुये कहा कि कुछ नहीं। लेकिन वो बोली कि कुछ तो जरूर है जो जेब में हिल रहा है, ला मैं भी देखूं। यह कह कर उसने मेरे लण्ड को निकर के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी।

अब तो मैं भी सब कुछ समझ गया और मैंने भी जोश में आकर कोमल के होंठ के ऊपर अपने होंठ रख दिये और तेजी के साथ चूसने लगा। फिर मैंने अपनी जीभ कोमल के मुंह में डालने की कोशिश करने लगा जिस पर उसने अपना मुंह खोल कर अपने मुंह में आने दिया। वो भी मेरी जीभ बड़े जोश के साथ चूसने लगी। हमारी सांसे बहुत तेज चलने लगी थी और हम दोनों एक दूसरे में खोये हुये थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुये तो कोमल ने पूछा इधर अंकल या आण्टी तो नहीं आयेंगी।

मैंने कहा नहीं आयेंगी क्योंकि वो जानते है कि हम तीनों यहां पढ़़ाई कर रहे हैं और उन्हे मनोज के नहीं आने की बात मालूम नहीं है जो चिन्ता करे और दूसरे यह कि वो जल्दी सो जाते हैं। अब तक तो वो सो गये होंगे।

फिर भी कोमल बोली कि दरवाजे की कुण्डी लगा लो और मैंने कुण्डी लगा दी। अब वो एक दम से मुझसे लिपट गई और बोली कि विक्की मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं। मैंने भी कहा कि प्यार तो मैं भी करता हूं। पर तुम मेरे से 1-2 साल बड़ी हो इसलिये लगता है कि शादी नहीं हो पायेगी!

तो कोमल बोली कि हर प्यार की आखिरी मंजिल शादी नहीं होती है कई बार कुर्बानी भी देनी होती है। शादी नहीं होगी तो क्या हुआ हम एक दूसरे को प्यार तो कर सकते है ना। और ये कह कर उसने अपने होंठ मेरे होंठो पर रख दिये और उन्हे चूसने लगी। हम दोनो खड़े हुये थे और एक दूसरे को बाहों में जकड़े हुये थे। एक दूसरे का चुम्बन ले रहे थे। कभी कोमल की जीभ मेरे मुंह में होती तो कभी मेरी जीभ उसके मुंह में होती।

अब उसने एक हाथ नीचे करके निकर के ऊपर से ही मेरा सख्त लण्ड पकड़ लिया था। वो उसे सहलाने लगी और बोली कि बहुत उछल कूद मचा रहा है। अब देखती हू इसमें कितना दम है।

अब मैंने भी अपना हाथ उसके बदन पर फ़ेरना चालू कर दिया था। एक हाथ से मैं उसकी चूंची दबा रहा था तो दूसरे से मैं उसके गोल गोल नर्म चूतड़ो को दबा रहा था। सच में उसके चूतड़ बहुत ही गठीले थे। मेरे मेरे हाथ उसकी चूंचियों और चूतड़ों के गोलो को जोर से द्बा रहे थे और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकल रही थी वो ऊऊओह्हह ऊऊओह्हह आआह्ह अह्ह हह्हह आआअय ययययिईईए स्ससीईईइ स्स स्सस्ससी ईई कर रही थी और ये सुन सुन कर मेरा लण्ड फ़टा जा रहा था। लगता था कि कुछ देर अगर यूं ही हाल रहा तो लण्ड मेरी निकर फ़ाड़ कर बाहर आ जायेगा।

मैंने उसकी गाण्ड पर हाथ फ़ेरते हुये ऊपर से ही उसकी गाण्ड में अंगुली कर दी, कोमल एक दम चीख पड़ी और बोली- ऐसा मत करो मुझे दर्द होता है।

मैंने कहा कोई बात नहीं मैं सिर्फ़ हल्के हल्के से करूंगा दर्द नहीं होगा। मुझे ऐसा करना अच्छा लगता है। हम दोनो थोड़ी देर तक यूं ही एक दूसरे का शरीर टटोलते रहे और चुम्बन लेते रहे। जब बरदाश्त करना मुश्किल हो गया तो हमने एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू कर दिये। कोमल बोली कि ओफ़्फ़ोह पहले लाईट तो बुझा दो तो मैंने मना कर दिया और कहा कि मैं तुम्हारा शरीर रोशनी में देखना चाहता हूँ। वो बोली मुझे शरम आती है।

तो मैंने उसे कहा कि जिसने की शरम उसके फ़ूटे करम और जो भी कुछ हो मैं लाईट ऑफ़ नहीं करूंगा। रोशनी में हीं चोदूंगा। यह कह कर मैंने उसके कुर्ती के बटन खोलने शुरू कर दिये। बटन खोलने के बाद मैंने उसकी कुरती झटके से उतारनी शुरू कर दी। कोमल बोली कि कि क्या मेरे कपड़े उतारने का इरादा है, जरा आराम से उतारो ना। ये कह कर उसने अपने हाथ उठा कर उसे उतार दी।

अब उसने सिर्फ़ शमीज, उसके नीचे ब्रा, पजामा और पेन्टी पहनी हुई थी। मैं तो पहले ही बनियान और निकर में था। कोमल ने निकर में नीचे से हाथ डाल कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और बोली मैं जानती हू कि तुम्हारा लण्ड काफ़ी लम्बा और मोटा है, इसलिये शुरू में जरा आहिस्ता आहिस्ता करना। मैंने पूछा तुम्हे कैसे पता कि मेरा लण्ड लम्बा और मोटा है। तो बोली मैंने तुम्हे कई बार छिप कर तुम्हे लण्ड को पकड़ कर पेशाब करते हुये देखा है तो मैं हंस पड़ा।

फिर मैंने उसकी शमीज उतार दी। जोश के कारण उसकी शमीज फ़टते फ़टते बची। कोमल बोली कि कपड़े जरा आराम से उतारो ना, इस तरह बेसबर हो कर कपड़े ना फ़ाड़ो। मैंने हंसते हुये कहा कपड़े तो नहीं पर चूत जरूर फ़ाड़ने का इरादा है। वो भी चेलेन्ज देती हुई बोली कि देखते है कौन किसकी फ़ाड़ता है। यह कह कर उसने मेरी निकर उतार दी और मेरे तन्नाते हुये लण्ड को हल्के से दबा दबा कर सहलाने लगी। इधर मैंने भी उसका पजामा उतार दिया था और अब वो भी काली पेण्टी और ब्रा में खड़ी थी।

उसका दूधिया बदन ट्यूब लाईट में चांदी की तरह चमक रहा था। और अब मुझे अपने ऊपर संयम रखना मुश्किल होने लगा॥ मैंने उसका सारा बदन चाटना आरम्भ कर दिया और अपने हाथों से उसकी चूंचियाँऔर चूतड़ दबाता रहा। और कोमल आअह्ह्ह ऊऊओह्ह ऊऊह्ह्ह ह्हहा आआयईईए सस्सीईईइ करते हुये सिसकारी भरती रही।

अब मैंने उसको कहा कि मेरा लण्ड अपने मुंह में डाल कर चूसो परन्तु उसने बिल्कुल मना कर दिया और कहा कि उसे लण्ड चूसने में बहुत घिन आती है मैंने उसे अपना लण्ड दिखाया और कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है मेरा लण्ड ये देखो बिल्कुल साफ़ सुथरा है। मैं रोज नहाते समय और तुम्हारे आने के पहले इसे अच्छी तरह से सफ़ाई करता हूं फिर मैं भी तो तुम्हारी चूत मस्ती से चूसूंगा। इसमें बड़ा मजा आता है।

विक्की तुम तो बड़े एक्सपर्ट लगते हो लगता है कि पहले भी तुम कई लड़कियाँचोद चुके हो। मैंने सर हिलाते हुये मना किया और बताया कि ये मैंने पोन्दी [मस्त राम की सेक्स पुस्तक] में पढ़़ा है और ब्ल्यू फ़िल्मों में भी ऐसा दिखाया जाता है। फिर वो तैयार हो गई और बोली कि एक शर्त है तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में मत झाड़ना वर्ना मुझे उल्टी हो जायेगी और जैसे ही लण्ड झड़ने को आये तुम अपना लण्ड मेरे मुंह में से फ़ौरन निकाल लेना। ये कह कर वो मेरा लण्ड चूसने लगी।

अभी तक मैंने उसकी चूंचिया। और चूतड़ ही दबा रहा था। वो बोली कि तुम भी मेरी चूत को चूसो।
अब मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी भी उतार दी। वाकई में उसकी चूंचियाँ बहुत बड़ी थी, मगर थी एक दम सुडौल, बिल्कुल दो छोटे से पहाड़ की तरह से तनी हुई, जिसके निपल एकदम सीधे कड़े और तने हुये थे, एक दम दूधिया रंग के थे। उसके निप्पले गुलाबी थी बिल्कुल वो अनार के दाने के बराबर मोटे थे। हम दोनो वहीं पर लेट गये और 69 की पोजीशन में आ गये। मैंने कोमल की चूत देखी तो मैंने कहा कि कोमल ये क्या है तुमने चूत के बाल क्यों बढा रखे है इन्हे शेव क्यों नहीं करती हो।

तो वह बोली कि मैं झाण्ट शेव तो करती हू लेकिन काफ़ी दिनो में, बात ये है कि मुझे रेजर से शेव करते हुये डर लगता है और फिर काफ़ी समय जो लगता है ना। इसलिये काफ़ी दिनों के बाद मैं शेव करती हूं। चलो आगे से मैं तुम्हारी झांटे शेव कर दिया करूंगा तो कोमल इस बात के लिये सहमत हो गई।

मैंने जैसे ही उसकी चूत पर हाथ फ़िराया तो वो गीली गीली सी लगी और हल्का सा पानी उसकी झांटो पर भी लगा हुआ था॥ पहले तो मैंने अपनी अंगुली उसकी चूत में अन्दर डाल कर अन्दर बाहर करनी चालू की तो वो तेजी के साथ आआअह्ह ऊओह्हह ऊऊहह आययईई आअयईई स्सस्ससीईई करने लगी और बोली कि बस अब चूसना शूरु करो ना।

मैंने भी उसकी चूत के होंठ खोल कर अपना मुंह उसकी गुलाबी चूत से लगा दिया और तेजी के साथ चाटने लगा। जैसे ही मैं उसकी चूत चाटने लगा वो अपनी गाण्ड उठा उठा कर अपनी चूत को मेरे मुंह से सटाने लगी और कहने लगी कि ह्हह्हा अन्नन ह्हहाआ आन्नन्न ह्हाआआ स्सस्सश ह्हआ आबआअस शह्हह ऐसेय ही ह्हहाआ आअन्नन्न आईस्ससीई ययई ह्ह्हहीईई और अपनी कमर तेजी के साथ हिलाने लगी और गाण्ड को ऊपर उछालने लगी।
अभी उसकी चूत को चाटते हुये पांच मिनट ही हुये होंगे कि वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि ह्हआन्नन्न ब्बाहहूउत आस्सछहआ लल्लाआह्ह आग्गग रर्रहाआ हहाआऐईइ मम्मीईर्रर्रा न्नीइकलने व्वाआल्लाअ है ऊययईईए म्ममी ईरर्रराआ न्ननीकआल्ल रर्रराआआ अहाआआ ह्हाआआ आआऐईई ल्लूऊऊओ मम्माऐईईन्न ज्ज्झ हह्हा रर्रआह्हीई ह्हूऊन और यह कहते हुये उसकी चूत ने गर्म गर्म पानी छोड़ दिया और मैंने अपना मुंह एक दम हटा लिया।

इधर कोमल भी काफ़ी जोर शोर से मेरा लण्ड चूस रही थी। मुझे लगा कि मैं भी झड़ने वाला हू तो मैंने उसको बता दिया तो उसने भी फ़ौरन अपने मुंह से मेरा लण्ड बाहर निकाल दिया। फिर अपने हाथ से ही चार पांच झटके मारे कि मेरा भी वीर्य भी निकल गया और इतने जोरो से निकला कि काफ़ी वीर्य उसकी टांगो और चूत के आस पास गिरने से उसे गीला कर दिया।

फिर हम दोनो साथ साथ उठ कर बाथरूम में गये और मैं वहां पेशाब करने लगा तो कोमल ने मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया और सुपाड़े पर से चमड़ी हटा कर बोली कि अब पेशाब करो।
वो हाथ में पकड़े रही तो मेरा कुछ पेशाब उसके शरीर पर भी पड़ा। इसके बाद वो मेरे सामने उकड़ू बैठ गई और पेशाब करने लगी, तो मैंने भी अपनी अंगुलियों से उसकी चूत के होंठ फ़ैला दिये और कहा कि वो अब पेशाब करे। उसने भी बहुत मोटी धार के साथ पेशाब करना शुरू कर दिया, उसकी धार भी काफ़ी दूर तक जा रही थी।

फिर हम दोनों ने एक दूसरे के शरीर को टॉवेल से साफ़ किया और बाहर आ गये। इस छेड़खानी की वजह से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा और कोमल भी गर्माने लगी थी। हम फिर से एक दूसरे को चूमने चाटने लग गये और कोमल मेरा लण्ड सहलाने लग गई। बीच बीच में वो मेरा सुपाड़ा निकाल कर मुठ भी मार देती थी। फिर जल्दी ही एक बार और 69 की पोजीशन में आ गये और अब कोमल मेरा लण्ड चूस रही थी और मैं कोमल की चूत को चाट रहा था।

थोड़ी देर बाद कोमल बोली कि विक्की अब आ जाओ, मुझ पर चढ जाओ और मुझे चोद दो। अब बर्दाश्त नहीं होता है।
ये सुन कर मैं उसकी दोनो टांगो के बीच में आ गया और उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया रख दिया जिससे कि उसकी चूत थोड़ी सी और ऊपर को उठ गई। अब मैंने अपने लण्ड पर थोड़ा सा थूक लगा कर छेद पर रख कर थोड़ी सी ताकत के साथ दबाया तो उसके मुंह से एक चीख निकल गई। आअयईई म्म्माआआरर ग्गयईए ववीइक्कयई म्मीएर्रर्रीईइ सह्हूऊओत प्पप्फहात ग्ग्गयई।

मैंने अपने होठो को कोमल के होंठो पर कस कर रख दिया ताकि वो फिर से ना चीख सके और बोला कोमल इस तरह से मत चीखो नहीं तो कोई उठ ज़ायेगा और हम पकड़े जायेंगे। वो बोली कि बहुत जोर से दर्द हो रहा है मैंने कहा कि पहली बार ऐसा ही होता है और बाद में बड़ा मज़ा आता है मैं यह कह कर उसकी चूचियाँ दबाने लगा और होंठ चूसने लगा।

इस तरह से उसको कुछ आराम सा मिला और बोली कि हां अब दर्द कुछ कम हो रहा है। मैं 4-5 मिनट यूं ही पड़ा रहा और उसकी चूचियाँचूसता रहा और दबाता रहा जिस से उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरु कर दिया था और चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी। अब मैंने उसके होंठो को अपने होंठो में दबा कर एक बहुत ही जबरदस्त धक्का मारा और मेरा लण्ड लगभग 6-7 इन्च उसकी चूत में घुस गया और उसकी चीख घुट कर रह गई। मैं फिर रुक गया और उसकी चूची चूसने और दबाने लगा।

कोमल को अभी काफ़ी दर्द हो रहा था और वोह कह रही थी कि विक्की अपना लण्ड अब निकाल ले मेरी तो चूत फटी जा रही है। मैंने कहा कि बस थोड़ी देर बरदाश्त करो फिर तुम्हे मज़ा ही मज़ा मिलेगा और यह कह कर उसकी चूचियाँचूसने लगा और एक हाथ से मैं उसकी चूत का दाना भी मसलने लगा जिस से उसको कुछ मज़ा आया और वो बोली कि अब फिर से दर्द कुछ कम होने लगा है। यह सुन कर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शूरु कर दिये। अब उसको मज़ा सा आने लगा था और अब कोमल ने अपनी गाण्ड को उछालना शुरु कर दिया था कि अचानक वो सारी की सारी तेजी के साथ हिलने लगी और झड़ गई।

अब कोमल की चूत काफ़ी चिकनी हो गई थी और लण्ड भी आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था। बस मैंने कस कर एक धक्का और मारा और सारा का सारा लण्ड कोमल की चूत में घुस गया और फिर से उसके मुंह से एक चीख निकल गई। इस बार मैं उसके होंठो को अपने होंठो से दबाना भूल गया था सो मैंने फ़ौरन हाथ उसके होंठ पर रख दिया और चीख घुट कर रह गई। मैं 5-7 मिनट यूं ही उसके उपर पड़ा रहा और कभी उसकी चूचियाँ चूसता तो कभी होंठ चूसता या फिर हाथों को उसकी जांघो पर फेरता जिस से कि कोमल को कुछ आराम मिल सके। थोड़ी देर में उसका दर्द गायब हो गया और वो नीचे से उपर को गाण्ड उछालने लगी तो मैं समझ गया कि अब उसको मज़ा आ रहा है इस लिये मैंने भी उसको आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारने शुरु कर दिये।

जब मैं कुछ देर यू ही आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारता रहा तो कोमल एकदम से उत्तेजित हो कर बोली कि अब उसे मज़ा आ रहा है और अब जोर जोर से धक्के लगाओ। यह सुन कर मैंने अपने धक्को कि रफ़्तार बढानी शुरु कर दी और कुछ ही समय में मैं कोमल को तेजी के साथ चोदने लगा।

अब कोमल पूरा मज़ा ले रही थी और मुंह से बड़बड़ा रही थी हाय बड़ा मजा आ रहा है विक्की जोर से चोदो। फ़ाड़ दो मेरी चूत को पेल दो अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में हहाय …स्ससीईइ सस्सीईई ऊऊफ़्फ ऊफ़्फ़फ़्फ़ हहाआऐईई मैईइ आस्ससम्म आन्न मेन्नन ऊऊद्दद्ददीई ज्जाआ र्ररह्हहि ह्हूओन म्म्माआररी और यह कहते हुये कोमल ने अपनी कमर और गाण्ड को तेजी से हिलानी शुरू कर दी और स्सस्सीईई स्सस्ससीईई करते हुये झड़ गई।

मैं अभी तक जोर शोर के साथ धक्के मार रहा था। कमरे में फचा फच की आवाज आ रही थी और मैं धमाधम धक्के मारे जा रहा था। थोड़ी देर बाद कोमल फिर से स्सस्सीईइ स्सस्सीईइ स्ससीईईइ करते हुये झड़ गई और मैं अभी तक डटा हुआ था और फ़ुल स्पीड से धक्के मार रहा था। मैं पूरा का पूरा पसीने पसीने हो गया लेकिन धक्के लगाता ही रहा। लग भग 20 -25 मिनट तक फ़ुल स्पीड से धक्के लगने के बाद मुझे लगा कि अब मैं भी झड़ने वाला हूं और मेरे मुंह से भी अनाप शनाप निकलने लगा कि हाय म्ममेर्ररि र्राअन्ननि म्ममीर्रराअ न्नीइकल्लने ययई व्वाआआलआ हैईई तो कोमल एक दम बोली कि अपना लण्ड बाहर निकाल लो इसे चूत के अन्दर नहीं झाड़ना है वरना गड़बड़ हो सकती है सो मैंने फ़ौरन ही लण्ड को चूत से बाहर निकाल लिया और कोमल से कहा कि हाथ से तेजी के साथ लण्ड को आगे पीछे करो तो उसने ऐसा ही करना शुरु कर दिया और मैं उसके होंठ बहुत ही ज़ोर जोर से चूसने लगा और एक हाथ से उसकी चूचियाँ दबाता रहा तो दूसरा हाथ उसके चूतड़ों और गाण्ड पर फेरने लगा। कभी-2 जोश के कारण मैं अपनी अंगुली उसकी गाण्ड में भी अन्दर करने लगा। कोमल तेजी के साथ झटके देने लगी और मैं ऊऊफ़्फ़ ऊऊफ़्फ़ ह्हाआऐई ह्हाआआऐई करता हुअ झड़ गया।

मैंने झड़ते-2 जोश में अपना मुंह उसकी चूचियों में जोर से दबा दिया और उसकी गाण्ड में अपनी पूरी अंगुली अन्दर कर दी तो वो चिल्ला पड़ी और बोली कि क्या मेरी चूचियों को ही काट खाओगे और यह कह कर मेरा सिर अपनी चूचियों में जोर से दबा लिया। हम कुछ देर यूं ही पड़े रहे और फिर उठे तो देखा कि कोमल की चूत से खून निकल आया था जो उसकी चूत और झाण्टों पर लगा था। खून को देख कर कोमल डर गई और बोली कि विक्की लगता है कि मेरी चूत फट गई है और अब क्या होगा।

तो मैंने समझाया कि डरने की कोई बात नहीं है सभी को पहली बार ऐसा ही होता है और यह कह कर मैंने एक रूमाल से उसकी चूत और झांटो से खून साफ़ कर दिया और उसके बाद हम दोनो उठ कर बाथरूम में गये जहां पर पहले तो कोमल ने मेरा लण्ड पकड़ कर मुझ को पेशाब कराया और फिर मैंने कोमल को अपने सामने उकड़ू बैठा कर अपनी अंगुलियों से उसकी चूत को चौड़ाया और पेशाब करने को कहा। जब वो पेशाब करने लगी तो पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी अंगुली करनी शूरु कर दी और वो पेशाब करती रही। फिर हम लोगो ने अपने-2 कपड़े पहने और कोमल को उसके घर छोड़ आया।

कोमल को छोड़ने से पहले यह वायदा लिया कि अगली बार हम दोनो इकट्ठे ही बगल के बाल और झांटे साथ साथ बनायेंगे जिससे उसने कबूल कर लिया। दोस्तों, यह एक घटना है और वो रूमाल जिस से मैंने कोमल कि चूत का खून सफ़ किया था आज भी मैंने सम्भाल कर रखा हुआ है। तो यह था मेरा चुदाई का दूसरा तज़ुरबा। अब आप पढ़़ कर फ़ैसला करे कि ये आपको कैसी लगी। आप अपने कमेण्ट्स मुझे ई मैल अवश्य करे।

अखिर में मैं एक बात और कहूंगा कि मैंने बहुत सी लड़कियों की चूत चोदी है और उन्होंने भी बड़े मजे ले कर चुदवाई भी करवाई है परन्तु आज तक किसी लड़की ने अपनी गाण्ड नहीं मरवाई है। मेरी बहुत ही इच्छा है कि मैं किसी लड़की की गाण्ड मारूं पर कोई भी तैयार नहीं होती है और कहती है कि बहुत दर्द होता है। हमें गाण्ड नहीं मरवानी है। एक बार तो मैंने ही एक कॉल गर्ल बुलवाई और उससे कहा कि मैं उसकी गाण्ड मारना चाहता हूं और 5000 रुपये तय रात से अधिक दूंगा सिर्फ़ गाण्ड मारने के लिये। तो वो राजी नहीं हुई। पर जब मैंने उसे 5000 का लालच और दिया तो वो तैयार हो गई और गाण्ड मरवाने के लिये झुक गई।

जैसे ही मैंने गान्ड पर थूक लगाया और लण्ड को उसकी गाण्ड पर रख कर धक्का लगाया तो लण्ड उसकी गाण्ड में घुसते ही वो जोर जोर से चिल्लाने लगी कि हाय मैं मर गई। मेरी तो गाण्ड ही फ़ट गई। मुझे नहीं मरवानी अपनी गाण्ड मुझे नहीं चाहिये तुम्हारे 5000 रुपये अगर चूत चोदनी है तो चोद लो मगर मैं गाण्ड नहीं मरवाऊंगी।

लेकिन जब मैं अन्तर्वासना पर गाण्ड मराने की कहनियाँ पढ़़ता हूं तो देखता हू कि लड़कियाँ और औरते बड़ी खुशी से गाण्ड मरवाना पसन्द करती हैं और गाण्ड मरवा कर पूरा मज़ा लेती है। ऐसे ही आज तक किसी भी लड़की या औरत ने मेरा लण्ड तो जरूर चूसा है पर उसका वीर्य किसी ने भी नहीं पिया और तो और मुंह में भी नहीं झड़वाया और झड़ने से पहले ही लण्ड को अपने मुंह से बाहर कर दिया।, जब कि कहानियों में लड़कियाँ और औरते लण्ड चूसती हुई झड़ने पर बड़े स्वाद के साथ वीर्य को पी जाती हैं और उन्हे कतई घिन नहीं आती है।

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