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मेरा नाम विकास है, Antarvasna Sex Stories प्यार से लोग मुझे वीरू बुलाते है।
पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ, मैं हरियाणा में रहता हूँ, यहाँ मेरा पूरा परिवार रहता है। मेरी लम्बाई सवा पांच फ़ुट है, भरा हुआ शरीर है, लंड की लम्बाई साढ़े पाँच इंच है और मोटाई 2.5 इंच है।
मैंने इससे पहले कभी सेक्स नहीं किया था जो आज मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ वो मेरी पहले सेक्स की कहानी है। उसके बाद मैंने कईयों बार सेक्स किया। सेक्स में मजा ही ऐसा होता है, जितना करो उतना और ज्यादा करने का मन करता है।
तो अब अपनी कहानी सुनाता हूँ!
बात दो साल पहले की है जब मैं 18 साल का था, अब 20 साल का हूँ। हमारे घर के आगे एक छोटा सा गार्डन है।
तो एक बार मैं घर पर अकेला था, ब्लू फिल्म देख रहा था। मैंने उस समय निक्कर पहन रखी थी। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने निक्कर और अंडरवियर उतार दिया और मुट्ठ मारने लगा कि अचानक दरवाज़े पर घण्टी बज़ी।
मैं जल्दी-जल्दी में सिर्फ निक्कर ही पहन कर चला गया, दरवाजा खोला तो एक 20-21 साल की लड़की खड़ी थी, रंग एकदम गोरा, पतली कमर, लम्बे बाल, जींस और टी-शर्ट पहन रखी थी, एकदम मॉडल लग रही थी।
वो एक सेल्स-गर्ल थी, लेडीज सामान बेच रही थी, ब्रा और पैंटी की नई कोलेक्शन। मेरा लंड पहले से ही आधा खड़ा था, उसे देख और भी खड़ा हो गया। उसे शायद मालूम हो चुका था कि मेरा लंड खडा है क्योंकि साफ़ दिख रहा था।
वो पहले बोली- क्या यहाँ कोई लेडीज है?
मैंने कहा- है तो सही पर अभी बाहर गई है, अभी 5 मिनट में आ रही है।
तो वो प्रतीक्षा करने लगी। उसे क्या मालूम कि घर शाम के पाँच बजे तक खाली है।
थोड़ी देर बाद वो बोली- एक ग्लास पानी मिलेगा?
मैंने कहा- जरूर मिलेगा!
मैं उसके लिए पानी लेने गया और सोचने लगा कि इसको कैसे फंसाया जाये?
मुझे एक तरकीब सूझी।
मैं जैसे ही उसके पास पानी लेकर पंहुचा, जानबूझ कर उसके कपड़ों पर पानी गिरा दिया। वो पूरी गीली हो गई। क्या मस्त चूची लग रही थी उसकी गीले टी-शर्ट में!
वो कहने लगी- मैं तो गीली हो गई!
तो मैंने कहा- कोई बात नहीं! मैं आपको दूसरे कपड़े दे देता हूँ!
मैंने उसे हाफ शर्ट और मिनी स्कर्ट दे दी। वो बाथरूम से पहन कर आ गई। क्या गोरी-गोरी जांघें थी उसकी! शर्ट में चूची तो उसकी पूरी कस ही गई थी। तब मेरा लण्ड और सख्त हो गया पर मैं चाहता था कि पहल वो करे।
मैंने उसे कहा- आप इन्तज़ार करो, मैं आपके लिए चाय बना कर लाता हूँ! तब तक आप टीवी देख लो!
मैं चला गया, उसने टीवी ऑन किया, उस पर ब्लू फिल्म अभी चल ही रही थी। वो मजे से वो सब देख रही थी, एकदम लाल हो गई थी वो! उसने अपना हाथ अपनी पैंटी में डाल दिया और मसलने लगी।
मैं ये सब देख रहा था। मैं चाय की जगह बियर ले आया। वो मेरे आने की आहट सुन कर सीधी बैठ गई और टीवी ऑफ कर दिया।
मैंने उसके सामने बियर रख दी। वो कहने लगी आप तो चाय लेने गए थे पर ये क्या ले आये?
मैंने कहा- जैसा माहौल है वैसी चीज भी तो होनी चाहिए!
वो हैरान होकर पूछने लगी- मतलब?
मैंने टीवी ऑन करके कहा- मतलब ये!
तो शरमाई और कहने लगी- ये तो पहले से ही चल रहा था! आप ही देख रहे थे जिसके कारण आपका वो खड़ा था!
मैंने उससे पूछा- वो क्या?
वो कहने लगी- आप बहुत बदतमीज है!
मैंने कहा- आप कैसी हो? आपको यह सब अच्छा नहीं लगा तो टीवी ऑफ कर देना था! आप तो उल्टा ही देख कर पैंटी में अपनी चूत सहला रही थी।
ये सुनकर वो चुप हो गई। ये देख मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे अपने गोद में बैठा लिया। फिर उसे चूमने लगा।
पहले वो थोड़ा कसमसाई, थोड़ी देर बाद वो मेरा साथ देने लगी। मैंने उसकी शर्ट और स्कर्ट खोल दी। अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मैंने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और उसकी चूची चूसने लगा।
मैंने अपनी निक्कर और शर्ट भी उतार दी। उसने मेरा लंड देखा और कहा- यह तो बहुत बड़ा है!
शायद उसने पहले कभी किसी का लंड नहीं देखा था। मैंने उसे अपना लंड पकड़ा दिया।
वो मेरे लंड से खेलने लगी और चूसने लगी।
मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी। अब वो पूरी नंगी थी। मैंने अपने जीवन में पहली बार किसी लड़की को नंगी देखा था। मैं भी उसकी चूत चूसने लगा। अब हम एक दूसरे को चूस और चूम रहे थे। अब मैं और वो पूरी तरह से तैयार थे।
मैंने उसकी चूत पे अपना लंड रखा और एक धक्का दिया, मेरा 2 इंच लंड अंदर चला गया। वो थोड़ा कसमसाई,न उसकी सील अभी खुली नहीं थी, वो अक्षत-यौवना थी। मैंने एक और धक्का दिया और पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया।
15 मिनट तक मैं उसे चोदता रहा। हम दोनों एक साथ झड़ गए। फिर मैंने उसकी गांड भी मारी। उसकी गांड मैंने 25 मिनट तक मारी और उसकी गांड में ही पानी छोड़ दिया।
अब हम दोनों थक चुके थे। हम जाकर पहले नहाए, नहाने के बाद हमारी थकान दूर हो गई, हमने बियर पी और वो जाने लगी। मैंने उसका नंबर माँगा तो वो कहने लगी कि आज के बाद हम कभी नहीं मिलेंगे।
जाते जाते उसने मुझे चूमा और कहा- यू आर सो स्वीट एंड हार्ड!
मैंने उसे अपना नंबर दे दिया और दो महीने बाद उसका फ़ोन आया।
अब आगे की मैं अगली कहानी में सुनाऊँगा। तब तक इसे ही पढ़ कर मुट्ठ मारिये।
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ट्रेन अपनी गति पकड़ चुकी थी। मैं खिड़की Hindi Sex Stories के पास बैठा हुआ बाहर के सीन देख रहा था। इतने मे कम्पार्ट्मेन्ट मे एक सुन्दर सी लड़की अन्दर आयी। मैंने उसे देखा तो चौंक गया। सामने आ कर वो बैठ गयी। मैं उसे एकटक देखता रह गया। तभी मेरा दिमाग ठनका। और
वो मुझे जानी पहचानी सी लगी। मैंने उसे थोड़ा झिझकते हुए कहा,’ क्या आप रेखा डिकोस्टा हैं…’
‘ह… आ… हां… आप मुझे जानते हैं…?’
‘आप पन्जिम में मेरे साथ पढ़ती थी… पांच साल पहले…’
‘अरे… तुम जो हो क्या…’
‘थैंक्स गोड… पहचान लिया… वर्ना कह्ती… फिर कोई मजनूं मिल गया…’
‘जो…तुम वैसे कि वैसे ही हो…मजाक करने की आदत गई नहीं… कहां जा रहे हो…?’
‘मडगांव… फिर पन्जिम..मेरा घर वहीं तो है ना…’
‘अरे वाह्… मैं भी पण जी ही जा रही हूं…’
पण जी का पुराना नाम पंजिम है… रास्ते भर स्कूल की बातें करते रहे… कुछ ही देर में मडगांव आ गया। हम दोनो ही वहां उतर गये। वहां से मेरे चाचा के घर गये और कार ले कर पंजिम निकल गये। वहां पहुंच कर मैंने पूछा -‘कहां छोड़ दूं…?’
‘होटल वास्को में रुक जाउंगी… वहीं उतार देना…’
‘अरे कल तक ही रुकना है ना…तो मेरे घर रूक जाओ…’
‘पर जो…तुम्हारे घर वाले…’
अरे यार… घर में मम्मी के सिवा है ही कौन…’ वो कुछ नहीं बोली। हम सीधे घर आ गये।
मैंने अपना कमरा खोल दिया-‘रेखा तुम रेस्ट करो…चाहे तो नहा धो कर फ़्रेश हो लो… अन्दर सारी सहुलियत है…’ मैं मम्मी के पास चला गया। शाम ढल चुकी थी। खाने के पहले मैंने जिंजर वाईन निकाली और उसे दी… मैंने भी थोड़ी ले ली। बातों में रेखा ने बताया कि उसके पापा के मरने के बाद उसकी प्रोपर्टी पर बदमाशों ने कब्जा कर लिया था… फिर वहां उसके भाई को मार डाला था। उसे बस वो मकान एक बार देखना था।
‘मुझे अभी ले चलोगे क्या अभी… नौ बजे तक तो आ भी जाएँगे…’ कुछ जिद सी लगी…
‘क्या करोगी उसे देख कर… अब अपना तो रहा नही है…’
‘मन की शान्ति के लिये… सुना है आज वहां जोन मार्को आ रहा है…’
‘अच्छा चलो… भाड़ में गया तुम्हरा मार्को…’
मैंने उसका कहा मान कर वापिस कार निकाली और उसके साथ चल दिया। मात्र दस मिनट का रास्ता था। उस मकान में एक कमरे में लाईट जल रही थी। हम दोनो अन्दर गये…
‘वो देखो… वो जो बैठा है ना… दारू पी रहा है… उसने मेरे भाई को मारा है…’ मैंने खिड़की में से झांक कर देखा… पर मुझे उस से कोई वास्ता नहीं था…
‘मैं कार में बैठा हूं जल्दी आ जाना…’
मैं वापस कार में आकर उसका इन्तज़ार करने लगा। कुछ ही देर बाद रेखा आ गयी। बड़ा संतोष झलक रहा था उसके चेहरे पर। मैंने गाड़ी मोड़ी और और घर वापस आ गये… हां रास्ते से उसने भुना हुआ मुर्गा और ले लिया…
‘चलो जो… आज मुर्गा खायेंगे… मै आज बहुत खुश हूं…’
घर पहुंचते ही जैसे वो नाचने लगी। मेरा हाथ पकड़ कर मेरे साथ नाच कर एक दो चक्कर लगाये। मुझे उसकी खुशी की वजह समझ में नहीं आ रही थी। उसने भी मेरे साथ फ़ेनी ड्रिंक ली… और फिर मुर्गा एन्जोय किया। रात हो चुकी थी…
‘रेखा तुम यहां सो जाओ… मैं मम्मी के पास सोने जा रहा हूं… गुड्नाईट्…’
‘क्या अभी तक मम्मी के साथ सोते हो… आज तो मेरे साथ सो जाओ यार…’
‘अरे क्या कह्ती हो… चुप रहो… ज्यादा पी ली है क्या…’
‘चलो ना… आज मेरे साथ सो जाओ ना जो… देखो मैं कितनी खुश हूं आज… आओ खुशियां बांट ले अपन… दुख तो कोई नहीं बांटता है ना… मेरे साथ सेलेब्रेट करो आज…’
उसने मेरा हाथ थाम लिया… मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि रेखा क्या बोले जा रही है… रेखा ने पीछे मुड़ कर दरवाजा बन्द कर लिया। मेरे चेहरे पर मुस्कराहट आ गयी… मैंने मजाक में कहा-‘देखो रेखा… मैं तो रात को कपड़े उतार कर सोता हूं…’
‘अच्छा… तो आप क्या समझते है… मै कपड़ों के साथ सोती हूं…’ उसने अपनी एक आंख दबा दी। उसी समय लाईट चली गयी। उसने मौका देखा या मैंने मौका समझा…हम दोनो एक साथ, एक दूसरे से लिपट गये। उसके उन्नत उरोज मेरी छाती से टकरा गये। शायद खुशी से या उत्तेजना से उसकी चूंचियां कठोर हो चुकी थी। मेरे हाथ स्वत: ही उसके स्तनों पर आ गये… मैंने उसके स्तन दबाने शुरु कर दिये… उसके कांपते होंठ मेरे होठों से मिल गये… तभी फ़िल्मी स्टाईल में लाईट आ गयी… पर हम दोनो की आंखे बन्द थी… मेरा लन्ड खड़ा हो चुका था और उसके कूल्हों पर टकरा रहा था। उसे भी इसका अह्सास हो रहा था।
‘आओ जो… बिस्तर पर चलते है… वहां पर मेरी बोबे… चूत…सब मसल देना… अपना लन्ड मुझे चुसाना… आओ…’
मैंने उसके मुंह से खुली भाषा सुनी तो मेरी वासना भड़क उठी। मैंने भी सोचा कि मैं भी वैसा ही बोलूं -‘फिर तो तुम कही… चुद गयी तो…’
‘अरे हटो… तुम बोलते हो तो गाली जैसी लगती है…’ उसने मेरा मजाक उड़ाया फिर धीरे से बोली…’और बोलो ना जो…’
मैंने रेखा को गोदी में उठा लिया… मुझे आश्चर्य हुआ वो बहुत ही हल्की थी… फ़ूलों जैसी… उसे बिस्तर पर प्यार से लेटा दिया। उसका पजामा और कुर्ता उतार दिया। रेखा बेशर्मी से अपने पांव खोल कर लेट गयी… उसकी चूत पाव जैसी फ़ूली हुयी प्यारी सी सामने नजर आ रही थी। उसकी बड़ी बड़ी चूंचियां पर्वत की तरह अटल खड़ी थी… मैंने भी अपने कपड़े उतार डाले।
”बोलो… कहां से शुरु करें…’
‘अपना प्यारा सा लन्ड मेरे मुँह में आने दो…देखो मेरे ऊपर आ जाओ पर ऐसे कि मेरे कड़े निप्पल तुम्हारी गान्ड में घुस जाये’
मैं रोमन्चित हो उठा… रेखा ज्यादा ही बेशर्मी की हदें पार करने लगी। लेकिन मुझे इसमे अलग ही तेज मजा आने लगा था। मैं बिस्तर पर आ गया और उसके ऊपर आ गया… अपनी चूतड़ों को खोल कर उसके तने हुए उरोज पर कड़े निपल पर अपनी गान्ड का छेद रख दिया और अपने खड़े लन्ड को उसके मुँह में डाल दिया। उसके निप्पल की नोकों ने मेरी गान्ड के छेद पर रगड़ रगड़ कर गुदगुदी करनी चालू कर दी… और मेरे लन्ड को उसने मुँह में चूसना शुरू कर दिया। मुझे दोनों ओर से मजा आने लगा था। वो लन्ड चूसती भी जा रही थी और हाथ से मुठ भी मार रही थी। मेरा हाथ अब उसकी चूत ओर बढ़ चला। उसकी चूत गीली हो चुकी थी… मेरी उंगली उसकी चूत को आस पास से मलने लगी। उसे मस्ती चढ़ती जा रही थी… मैंनें अपनी उंगली अब उसकी चूत में डाल दी… वो चिहुंक उठी। उसने बड़े ही प्यार से मेरी तरफ़ देखा। मेरा लन्ड मस्ती मे तन्नाता जा रहा था… उसका चूसना और मुठ मारना तेज हो गया था। मैंनें आहें भरते हुए कहा- ‘रेखा अब बस करो… वर्ना मेरा तो निकल ही जायेगा…’
‘क्या यार जो… शरीर से तो दमदार लगते हो और पानी निकालने की बात कहते हो…’
‘हाय… तुम हो ही इतनी जालिम… लन्ड को ऐसे निचोड़ दोगी… छोड़ो ना…’
मैंने अपना लन्ड उसके मुंह से निकाल लिया… वो बल खा कर उल्टी लेट गयी…
‘जो मेरी प्यारी गान्ड को भी तो अपना लन्ड चखा दो…’
‘अजी आपका हुकम… सर आंखो पर…’
मैंने उसकी गान्ड की दोनो गोलाईयों के बीच पर अपना लन्ड फंसाते हुये उस पर लेट गया। और जोर लगा दिया। उसके मुंह से हल्की चीख निकल गयी… मुझे भी ताज्जुब हुआ लन्ड इतनी आसानी से गान्ड में घुस गया… दूसरे ही धक्के में पूरा लन्ड अन्दर आ गया।
मुझे लगा कि कहीं लन्ड चूत में तो नहीं चला गया। पर नहीं…उसकी गान्ड ही इतनी चिकनी और अभ्यस्त थी यानि वो गान्ड चुदाने की शौकीन थी। मुझे मजा आने लगा था। मैंने अब उसके बोबे भींच लिये और बोबे दबा दबा कर उसकी गान्ड चोदने लगा। वो भी नीचे से गान्ड हिला हिला कर सहायता कर रही थी।
‘जोऽऽऽऽ चोद यार मेरी गान्ड… क्या सोलिड लन्ड है… हाय मैं पहले क्यो नहीं चुदी तेरे से…’
‘मेरी रेखा… मस्त गान्ड है तेरी… मक्खन मलाई जैसी है… हाय।…ये ले… और चुदा…’
‘लगा… जोर से लगा… जो रे… मां चोद दे इसकी… हरामी है साली… ठोक दे इसे…’
पर मेरी तो उत्तेजना बहुत बढ़ चुकी थी मुझे लगा कि जल्दी ही झड़ जाउंगा… मैंने उसकी गान्ड मे से लन्ड निकाल लिया… रेखा को सीधा कर लिया… और उसके ऊपर लेट गया… रेखा की आंखे बन्द थी… उसने मेरे शरीर को अपनी बाहों में कस लिया।
हम दोनो एक दूसरे से ऐसे लिपट गये जैसे कि एक हों… मेरा लन्ड अपना ठिकाना ढूंढ चुका था। उसकी चूत को चीरता हुआ गहराईयों में बैठता चला गया। रेखा के मुँह से सिस्कारियाँ फ़ूटने लगी… वो वासना की मस्ती में डूबने लगी…
मेरे लन्ड मे भी वासना की मिठास भरती जा रही थी… ऊपर से तो हम दोनो बुरी तरह से चिपटे हुए थे…पर नीचे से… दोनो के लन्ड और चूत बिल्कुल फ़्री थे… दोनो धका धक चल रहे थे नीचे से चूत उछल उछल कर लन्ड को जवाब दे रही थी… और लन्ड के धक्के… फ़चा फ़च की मधुर आवाजें कर रहे थे।
‘हाय जो… चुद गयी रे…लगा जोर से… फ़ाड़ दे मेरे भोसड़े को…’
‘ले मेरी जान… अभी बहन चोद देता हू तेरी चूत की… ले खा लन्ड… लेले…पूरा ले ले… मां की लौड़ी…’
रेखा के चूतड़ बहुत जोश में ऊपर नीचे हो रहे थे। चूत का पानी भी नीचे फ़ैलता जा रहा था… चिकनाई आस पास फ़ैल गयी थी। लगा कि रेखा अब झड़ने वाली है… उसके बोबे जोर से मसलने लगा। लन्ड भी इंजन के पिस्टन के भांति अन्दर बाहर चल रहा था।
‘जोऽऽऽ जाने वाली हूं… जोर से… और जोर्… हाय… निकला…’
‘मेरी जान… मै भी गया… निकला… हाय…’
‘जोऽऽऽ… मर गयी… मांऽऽरीऽऽऽ जोऽऽऽऽ… हाऽऽऽऽऽय…’
रेखा झड़ने लग गयी… मुझे कस के लपेट लिया… उसकी चूत की लहर मुझे महसूस होने लगी… मेरी चरमसीमा भी आ चुकी थी… मैंने भी नीचे लन्ड का जोर लगाया और पिचकारी छोड़ दी… दोनों ही झड़ने लगे थे। एक दूसरे को कस के दबाये हुये थे। कुछ देर में हम दोनो सुस्ताने लगे और मैं एक तरफ़ लुढ़क गया… रेखा जैसे एक दम फ़्रेश थी…बिस्तर से उतर कर अपने कपड़े पहनने लगी। मैंने भी अपनी नाईट ड्रेस पहन ली । इतने मे घर की बेल बज उठी…
मैं सुस्ताते हुए उठा और दरवाजा खोला… मैं कुछ समझता उसके पहले हथकड़ी मेरे हाथों मे लग चुकी थी… मैं हक्का बक्का रह गया। पुलिस की पूरी टीम थी। दो पुलिस वाले रेखा की और लपके… मैं लगभग चीख उठा…
‘क्या है ये सब… ये सब क्यों…’
इन्सपेक्टर का एक हाथ मेरे मुँह पर आ पड़ा… मेरा सर झन्ना गया। मुझे समझ में कुछ नहीं आया।
‘दोनो हरामजादों को पकड़ लेना… सालों को अभी मालूम पड़ जायेगा’ पुलिस जैसे जैसे रेखा के पास आ रही थी… रेखा की हंसी बढ़ती जा रही थी…
‘जान प्यारी हो तो वहीं रूक जाना… जो का कोई कसूर नहीं है… मार्को मेरा दुशमन था…’
‘अरे पकड़ लो हरामजादी को…’
‘रूक जाओ… उसे मैंने मारा है मार्को को… उसने मेरे भाई का खून किया था…मेरी इज्जत लूटी थी… फिर मुझे चाकुओं से गोद गोद कर मार था… उसे मैं कैसे छोड़ देती… मैंने उसे मारा है…’
‘क्याऽऽऽ… तुम्हे मारा… पर तुम तो…’
‘बहुत दिनों से तलाश थी मुझे उसकी… आज मिल ही गया… मैंने जशन भी मनाया… जो ने मुझे खुश कर दिया…’
रेखा का शरीर हवा मे विलीन होता जा रहा था…
‘जो ने कुछ नहीं किया… उसे तो कुछ भी मालूम नहीं है… अगर जो को किसी ने तकलीफ़ पहुंचायी तो… अन्जाम सोच लेना…’
उसकी भयानक हंसी कमरे में गूंज उठी… उसका चेहरा धीरे धीरे कुरूप होता जा रहा था… उसका आधा हिस्सा हवा मे लीन हो चुका था… कमरे मे अचानक ठन्डी हवा का झोंका आया… उसका बाकी शरीर भी धुआं बन कर झोंके साथ खिड़की में से निकल कर हवा में विलीन हो गया… सभी वहां पर स्तब्ध खड़े रह गये। इंस्पेक्टर के चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगी… वो कांप रहा था…
‘ये…ये क्या भूत था… आप के दोस्त क्या भूत होते है…’ उसने मेरे हाथ से हथकड़ी खोलते हुए कहा…
‘नहीं इन्स्पेक्टर साब मेरे दोस्त भूत नही… चुड़ैल होती है…’ मैं चिढ़ कर बोला।
सभी पुलिस वालों ने वहां खिसक जाने में ही अपनी भलाई समझी… मै अपना सर थाम कर बैठ गया… ये रास्ते से क्या बला उठा लाया था… मम्मी घबरायी हुयी सी कमरे में आयी…’जो बेटा… क्या हुआ… ये पुलिस क्यो आयी थी…’
‘कुछ नहीं मम्मी… पुलिस नही… मेरा दोस्त था… मेरे साथ पढ़ता था… अब पुलिस में है… यू ही यहां से पास हो रहा था सो मिलने आ गया…’ Hindi Sex Stories
कई बार चुदाई करने के बाद अब मैंने Hindi Sex Stories सोच लिया कि इसमें जो मज़ा है वो और किसी चीज़ में नहीं है!
तो मैंने सोचा कि क्यूँ ना कॉल बॉय बन कर अपना चुदाई का शौक पूरा किया जाये! इससे मुझे कुछ पैसे भी मिल जायेंगे और चुदाई भी करने को मिलेगी!
लेकिन सवाल था कि यह सब कैसे होगा?
यह जानने के लिए पढ़िये आगे की कहानी:
मैं मुंबई में रहता हूँ! मेरी उम्र 21 साल, कद 6 फीट और रंग मध्यम है! मेरी बॉडी एवरेज है और मेरे हथियार का साइज़ 6” है!
मुझे चोदने का बहुत शौक है!
एक दिन मैं ब्लू फिल्म देख रहा था।
तब मेरे मन मैं एक ख्याल आया कि क्यों न किसी लड़की को आज होटल में ले जाकर चोदूं!
मैं एक लड़की को पैसे देकर उसे होटल में ले गया और वहां से घर में फ़ोन करके बताया कि मैं आज दोस्त की बर्थडे पार्टी के लिए जा रहा हूँ, इसलिए मैं कल सुबह आऊंगा!
दोस्तो, मेरे दिन आर्थिक तौर पर बहुत ख़राब चल रहे थे!
मैंने उस रात उस लड़की को बहुत चोदा!
जब मैंने दूसरा राउंड लिया तो वो लड़की जोर से रोने लगी!
मैं हैरान हो गया कि जो लड़की धंधा करती है वो मेरे लंड के कारण रो रही थी!
चोदने के बाद उस लड़की को मैंने अपनी प्रॉब्लम बता दी.
वो लड़की बोली- तुम किसी जिगोलो जैसे काम क्यूँ नहीं करते? तुम में वो जोश है और तुम्हारा हथियार भी बहुत तगड़ा है!
मैं सोचने लगा!
जब मैंने उससे पूछा कि यह सब होगा कैसे?
तब उसने कहा- वो सब मेरे ऊपर छोड़ दो!
सुबह ही मैंने उसका नंबर और नाम लिया.
उसका नाम प्रिया था.
एक दिन के बाद मैंने प्रिया को कॉल किया.
मुझे उसने नटराज होटल में बुलाया और मेरे वहां पहुँचने पर बताया- तुम्हें एक डॉक्टर के यहाँ कल रात को जाना है.
उसने मुझे उस पहली कस्टमर के बारे में जानकारी और उसका पता बताया.
मुझे एक सिन्धी डॉक्टर की बीवी आरती को चोदना था, जिसकी उम्र 23 साल थी. वो एक घरेलू औरत थी जिसका पति दिल का विशेषज्ञ था, उसकी उम्र 31 साल की थी!
प्रिया ने कहा- आरती को मैंने जब तुम्हारे बारे में बताया तो आरती ने तुम्हारे साथ रात गुजरने की जिद पकड़ी है!
आरती का रंग गोरा है. उसकी हाईट 5’7” और उसने तुम्हारे लिए रुपये दिए हैं!
प्रिया ने वो पैसे मेरे हाथ में दिए!
पैसे और सारी जानकारी मैंने प्रिया से ली और मैंने प्रिया को मेरे दिल में आये हुए डर के बारे में बताया!
प्रिया ने कहा कि आरती के पति किसी कोर्स के लिए दो दिन के लिए सुबह दिल्ली जा रहे हैं.
तब मैं निश्चिंत हो गया.
उस रात मुझे नींद नहीं आई!
मैं शाम के 6 बजे घर से निकला और माँ को कहा- माँ, आज मैं नहीं आने वाला! मेरी राह मत देखना!
मैं शाम 7 बजे उस पते पर पहुंचा और दरवाजे की घंटी बजायी तो सामने एक औरत आई.
मैंने वो कोड बोला जो प्रिया ने मुझे बताया था.
तब मुझे उसने अन्दर बुला लिया.
मैं समझ गया कि वही आरती है!
आरती ने दरवाजा बंद कर दिया.
शायद वो भी मेरा इंतजार कर रही थी.
अन्दर जाने के बाद उसने कहा- तुम तो रात 10 बजे आने वाले थे?
मैंने कहा-पहली बार मुझे किसी ने रुपये दिए हैं, जिसके लिए मैंने कुछ नहीं किया! इसीलिए सोचा कि उसका सब पैसा चुकता होना चाहिए, सो मैं जल्दी आया!
आरती मुस्काई और मैं पागल हो गया क्यूंकि आरती (जितना प्रिया ने बताया) उससे बहुत ज्यादा खूबसूरत थी!
मैंने आरती को कहा- अब अपना काम शुरू करें?
तो आरती ने मुझे कहा- मैं दो मिनट में आती हूँ, तुम बेडरूम में जा के बैठो!
और मुझे बेडरूम की तरफ इशारा किया!
मैं बेडरूम में जा बैठा.
आरती 10 मिनट के बाद दुल्हन की साड़ी पहन के हाथ में गिलास ले आई.
वह मेरे पास आकर बैठी और दूध का गिलास मुझे दिया.
मैंने पूछा- यह क्या है?
उसने कहा- मैं अभी तक कुंवारी हूँ! मेरे पति ने आज तक सुहागरात का मज़ा मुझे नहीं दिया!
वो मेरी तरफ ऐसे देख रही थी जैसे कह रही हो “वो सब आज तुम्हें ही करना है!”
मैंने वो दूध आधा पिया.
उसके बाद उसने बाकी का पीया.
मैंने देखा कि बेड पूरा फूलों से सजाया था. मैंने उसे कस के अपनी बाँहों में लिया और उसे किस करने लगा.
जहाँ मेरे होंठ रुकते थे, वहां उसे किस करता था.
उसके बाद मैंने उसकी साड़ी और चूड़ियाँ उतार दी.
अब वो मेरे सामने ब्लाउज में थी!
मैंने उसके गर्दन को चूमा और उसके स्तन दबाने लगा.
आरती सिसकारने लगी.
मैंने ब्लाउज खोल दिया.
उसके वक्ष देख के मैं बहुत गरम हो गया.
मैंने उन्हें चूसना और मसलना शुरू किया.
तब आरती के मुंह से ‘आआह्ह उफ्फ … दबाओ और जोर से’ निकलने लगा.
मैं चूसते चूसते नीचे की तरफ गया.
आरती और सिसकारने लगी.
मैंने उसकी पैंटी खोली और उसकी चूत चाटने लगा.
थोड़ी देर के बाद आरती ने अंदर डालने के लिए कहा.
मैंने अपने कपड़े निकाल दिए और अपना लंड हाथ में लेकर खड़ा रहा.
आरती आँखें फाड़-फाड़ के उसे देख रही थी.
थोड़ी देर के बाद वो प्यासी शेरनी की तरह झपट पड़ी, वो मेरे लंड को चूसने लगी!
थोड़ी देर के बाद मैंने लंड उसके मुंह से निकाल कर उस पर दो कंडोम चढ़ाये.
मैंने आरती की चूत को सहलाते हुए कहा- आरती, इसे अंदर लो!
मैं आरती की कमर को पकड़ कर लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा.
आरती आह्ह करने लगी और मैंने उसके बूब्स को पकड़ कर एक जोर का झटका दिया.
लंड चूत का बाहरी किनारा ले के फिसल गया.
आरती कुतिया की तरह चिल्लाई, उसने मुझे उसके बदन से दूर धकेल दिया!
मैं वापस उसको समझा कर उस पर चढ़ गया.
इस बार मैंने सही निशाना लगाया तो आधा लंड चूत में घुस गया.
आरती चिल्लाई- हाय भगवान्! प्लीज़, इसे निकाल लो!
मैंने दूसरा झटका दिया, लंड पूरा अंदर तक घुस गया.
तभी मैंने देखा कि आरती की आँखों से आंसू निकल आये.
उसके बाद मैंने चोदना शुरू किया.
मेरे हर एक झटके पर आरती चिल्लाती थी.
अब 10 मिनट के बाद आरती मेरा साथ देने लगी.
थोड़ी देर के बाद मेरी स्पीड बढ़ने लगी.
जैसे ही मैंने आखरी झटका दिया, मेरे अंडकोष जोर से पीछे हो गए और लंड बहुत अंदर तक चला गया.
मेरा पानी निकाल गया था
थोड़ी देर के लिए हम वैसे ही लेटे रहे!
आरती ने बेड की चादर की ओर इशारा कर के कहा- आज मेरा कुंवारापन टूट गया!
चादर खून से लाल हो गई थी!
फिर मैंने बाथरूम में जाकर कंडोम हटाया और फिर नीचे सो गया.
आरती ने मेरे ऊपर चढ़ कर दूसरे दौर के लिए तैयारियां की!
जब मेरा लंड खड़ा हो गया तब मुझे भी बहुत तकलीफ होने लगी और उस रात आरती ने मुझे अपना पति मानकर मेरे साथ 4 बार सम्भोग किया.
सुबह मुझे जाना था पर सिन्धी लड़की ने मेरी पूरी पॉवर चूस ली थी.
मैं दोपहर को नींद से उठा.
आरती भी उठ गई!
उसने मुझे लम्बा किस किया और कहा- नाश्ता करके जाना!
हम एक साथ नहाये और फिर आरती ने नाश्ता बना के मुझे दिया.
मैं दोपहर काम पर गया!
दोस्तो! आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी? मुझे आपके कमेंट्स का इंतजार रहेगा। Hindi Sex Stories
सबसे पहले गुरुजी को मेरी तरफ से बहुत Antarvasna बहुत धन्यवाद, जिन्होंने मेरी चुदाई सबके सामने रखी। उसके बाद सभी पाठकों को भी मेरी तरफ से प्रणाम !
मुझे बहुत प्यार मिला।
जैसे कि मैंने बताया था कि किस तरह से मैंने अपने संगीत के शिक्षक से म्यूज़िक हॉल में चुदाई का मज़ा लिया था और उसके बाद किस तरह हम दोनों को रंगरलियां मनाते हुए कॉलेज के ही पी.टी सर ने देख लिया।
मैं उनके सामने नंगी खड़ी थी और संगीत वाले सर वहाँ से चले गये मानो यह सब पहले से ही तय की हुई योजना थी।
मैंने जैसे ही अपने कपड़े उठाने की कोशिश की, सर बोले- रहने दो ना ! मुझे मज़ा नहीं लेने दोगी?
मैं बोली- सर, मुझे जाने दो !
वो बोले- चली जाना जान ! लेकिन मेरे खड़े लंड का क्या करूं? एक बार देखो ! इस लंड की तरफ देखो तो !
मैंने उनके लंड को देखा- करीब 9 इंच लंबा लंड देख मेरी चूत में कुछ होने लगा। मैं उसी पल घुटनों के बल बैठ गई और उनके लंड को सहलाने लगी।
हाय सर कितना मोटा है आपका !
देखा ना रानी ! बहुत मज़ा देगा तुझे यह लंड !
मैंने लंड को मुँह में भर लिया और लॉलिपोप की तरह उसको चूसने लगी।
सर उत्तेजना में बोलने लगे- वाह… मेरी रानी वाह ! तेरे बारे में लड़कों से जो सुना है वो सच में सही है ! चूस मेरी रानी चूस ! अपने सर का मोटा लंड चूस ‘
ओह सर ! बड़ा मस्त लंड है आपका ! स्वादिष्ट भी बहुत है ! मैंने जवाब में कहा।
हा हा… हँसते हुए सर बोले,’बिल्लो ! तेरे लिए ही बना है सही में बहुत बड़ी गश्ती है तू इस कॉलेज की, कितनों से मरवाई है तूने?’
अपने हर आशिक़ से मैंने चूत मरवाई है सर ! मैं बोली। हाय… सर 69 के पोज़ में आओ ना ! साथ साथ मेरा दाना चाटो प्लीज़ !
अभी ले रांड ! तुझ पर तो मेरी जान कुर्बान।
सर ने जैसे ही अपनी ज़ुबान मेरी चूत पर लगाई मैं मस्ती से चूर चूर हो गई और बड़बड़ाने लगी,’ चाटो मेरी और चोद दो मुझे सर… ठोक डालो मेरी प्यारी सी गुलाबी चूत को ! आओ सर अब डाल दो इसमें ! और रुका नहीं जाता सर, पेल दो मुझे, फाड़ डालो मेरी आज …। मुझे रांड की तरह इस्तेमाल करो।
सर कहने लगे- रंडी बहुत कमीनी है तू … बहुत मज़े देती है तू लड़कों को ।
हां सर ! बहुत मज़ा आता है चुदाई करवा कर !
सर ने बीच में आते हुए लंड को मेरी चूत पर रख दिया और मैंने अपने हाथ से उसको चूत पर लगाते हुए सर को झटका मारने को बोल दिया। उनके पहले झटके में ही आधा लंड मेरी चूत में घुस गया, थोड़ी तक़लीफ़ हुई लेकिन बाद में ठीक हो गई।
फिर 2-3 झटकों से सर ने पूरा अंदर घुसा दिया और अब वो तेज़-तेज़ झटके मरने लगे और मैं नीचे से चूतड़ उठा उठा कर चुदाई करवाने लगी। सर का जोश बढ़ाने के लिए मैं गालियां देते हुए बोलने लगी,’चोद कमीने ! मादर चोद मेरी फाड़ दे ! आज अपने इस मोटे लंड से मेरी प्यास बुझा दो मेरे राजा…।’
अचानक उसने निकाल दिया और बोले- चल घोड़ी बन जा जल्दी से !
मैं झट से घोड़ी बन गई और सर ने पीछे से अपना लंड पेल दिया और तेज़ झटके देने चालू कर दिए। नीचे से मेरे चुचक को चुटकी में लेकर मसलने लगे।
मैं सीत्कार कर उठी… और तेज़ सर ! और तेज़ ! मैं गई सर ! मैं गई ! और तेज़ झटके दो राजा ! मुझे खुश कर दो।
थोड़ी देर बाद उसने मुझे जल्दी से फिर सीधा लिटाया, चढ़ गया मेरे पे और डाल दिया अपना लंड ! और तेज़ झटके मारता हुआ मेरे साथ ही अपना पानी छोड़ने लगा । उसके गर्मा-गर्म पानी से मैं संतुष्ट हो गई और बहुत मज़ा भी आया उसके बाद कुछ देर हम नंगे ही एक दूसरे से चिपके रहे, चूमा चाटी करते रहे।
सर मेरे होंठों को चूसते हुए बोले- अब किस दिन मरवाने आएगी?
जब आप कहो सर !
ठीक है !
और दो दिन बाद ही सर ने मुझे संगीत शिक्षक के घर बुला लिया और बोले- आज तुझे दोनों तरफ से ठंडी करेंगे एक नया पोज़ से…
दोस्तो, उसके बारे में ज़रूर लिखूँगी लेकिन अगली कड़ी में
जिसे लेकर जल्द हाज़िर हूँगी
तब तक के लिए बाय… Antarvasna
मैं पेशे से एक Antarvasna Sex Stories फ़ोटोग्राफ़र हूँ, मुम्बई में रहता हूँ। मेरा अकसर शूटिंग के लिये बाहर जाना होता रहता है। ऐसे ही एक शूटिंग के लिये मैं एक बार गोवा गया था। मेरे लिये यह एक बहुत ही मजेदार अनुभव था। अपनी शूटिंग के बाद कुछ दिन के लिये मैं अकेला गोवा में रूक गया था। मैंने रेलगाड़ी से आने का फ़ैसला किया। मैंने ए सी कम्पार्टमेंट में अपने लिये एक सीट रिजर्व कराया। यह गोवा का ऑफ़ सीजन था इसलिए रेलगाड़ी में बिलकुल भी भीड़ नहीं थी। मुझे बहुत आसानी से रेलगाड़ी का टिकट मिल गया। शाम को 6 बजे मेरी रेलगाड़ी मडगाँव स्टेशन से छूटी। मेरे कम्पार्टमेंट में मुझे सिर्फ़ दो लोग दिखे लेकिन उनकी भी सीट डिब्बे के दूसरे कोने में थी। रेलगाड़ी वहाँ से चली और कुछ देर में ही कोई स्टेशन आया। जहाँ पर एक लड़की जो कि बहुत ही मॉर्डन कपड़ो में थी मेरे कम्पार्टमेंट में आई और मेरे भाग्य से उसकी सीट मेरे सीट की बगल में थी। उसने मेरे केबिन में प्रवेश किया। वह मुस्कराई और उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
हाय ! मैं आलीन !
मैं भी मुस्कराया मन ही मन मुझे खुशी हो रही थी चलो अब मेरा रास्ता कम बोरिंग होगा। हम दोनों का वार्तालाप शुरू हुआ। वह काफ़ी बोल्ड किस्म की लड़की थी। उसका सेक्सी फ़िगर मुझे उसकी तरफ़ लगातार आकर्षित कर रहा था। बातों बातों में हम एक दूसरे के बारे में काफ़ी कुछ जान गये थे। वह मॉडलिंग के लिये मुम्बई आ रही थी। इसके पहले उसने एक दो विज्ञापन में काम किया था। मेरे बारे में जानने के बाद उसने मेरे में ज्यादा रुचि लेनी शुरु कर दी। मेरे केबिन की हलकी नीली लाइट जल रही थी। उसने केबिन का पर्दा खींच लिया जिससे हमें बाहर से कोई अवरोध न मिले। वह मेरे सीट पर बैठी थी हम दोनों कॉफ़ी पी रहे थे। हम दोनों की बातें और आगे बढ़ी और फिर फ़िल्म इण्डस्ट्री और उसके आकर्षक लाइफ़ के बारे में होने लगी।
रात काफ़ी हो चुकी थी। हमारे डिब्बे में जो भी दो चार लोग थे अपने केबिन में सो चुके थे। क्योंकि कहीं से कोई आवाज नहीं आ रही थी। हम दोनों अभी भी अपनी बातों में मशगूल थे। वह मेरे से काफ़ी सटकर बैठी थी जिससे हम रेलगाड़ी के झटकों से कभी कभी हलके से छू जाते थे। अचानक मैंने उसके हाथ को अपने हाथ पर पाया। मैंने उसकी तरफ़ देखा वह मुस्कराई, बस मुझे हरी झण्डी मिल गई।
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और चूम लिया। उसके कंधों पर अपना हाथ रखकर उसे अपनी ओर खींच लिया। वह आसानी से मेरे ऊपर आ गिरी। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। उसके होंठ बहुत ही मुलायम और गुदाज थे। उसकी सांसे काफ़ी गर्म थी। मैं उसके निचले होंठों को अपने दोनों होंठों के बीच रखकर उन्हें चूसने लगा। उसके हाथो की उंगलियाँ मेरे बालों में उलझी हुई थी। उसने मेरी जीभ को अपने मुँह में लिया और बहुत ही मजेदार ढंग से चूसने लगी। मेरा प्राइवेट अंग पैंट के भीतर उफ़ान मार रहा था।
मेरा हाथ उसकी पीठ पर घूमते हुये उसकी कमर के नीचे तक पहुँच गया। मैंने अपना हाथ उसकी टाइट टी-शर्ट में डाल दिया। धीमे धीमे मेरा हाथ उसकी दोनों गोलाइयों के नजदीक तक पहुँच गया। मेरे हाथ उसकी ब्रा को महसूस करने लगे। मैं उसकी दोनों गोलाइयों को अपने हाथों में लेने की कोशिश कर रहा था लेकिन वे इतनी बड़ी थी कि मेरे हाथो में नहीं आ रही थी। इस बीच हम दोनों ने एक दूसरे को चूमना जारी रखा। उसकी हरकतें मुझे बहुत ही ज्यादा उत्साहित कर रही थी।
अचानक मैंने महसूस किया कि उसका हाथ मेरी पैंट पर पड़ा था। मेरा प्राइवेट अंग मेरे पैंट को फ़ाड़कर बाहर आने को तैयार था। वह मेरे सख्त हो चुके अंग को मेरे पैंट के ऊपर से रगड़ रही थी। उसने मेरी पैंट की जिप खोल दी और अपना हाथ मेरे पैंट के अन्दर डाल दिया और मेरे लण्ड को अण्डरवीअर के ऊपर से पकड़ लिया। मेरी हालत बहुत बुरी हो रही थी। उसने मेरी पैंट खोल दी और अण्डरवीअर को नीचे की तरफ़ सरकाकर मेरे जनानाँग को पकड़ लिया। मैं अपनी सीट पर ही बैठा था। वह अपनी जगह से उठी और मेरे लण्ड को उसने अपने मुँह में ले लिया। वह बहुत हॉट थी उसका यह सब करना मुझे और उत्तेजित कर रहा था। मुझे लगा कि अगर मैंने उसे अपने लण्ड से और खेलने दिया तो मेरा वीर्य बाहर आ जायेगा।
मैंने उसे उठाया और अपनी सीट पर वापस बैठाया। मैंने उसके टी-शर्ट को ऊपर करके उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। उसकी दोनों बड़ी बड़ी खूबसूरत गोलाइयाँ मेरे समाने बिलकुल आज़ाद होकर झूलने लगी। उसकी गोलाइयाँ एकदम टाइट थी। मैं उन्हें अपने हाथ में लेकर दबाने लगा। उसके चेहरे पर मैं बैचेनी का आलम देख रहा था। मैंने उसके एक निप्पल को अपनी उंगलियों में लेकर उसे धीमे से मसाला। उसके मुँह से एक आआआह्ह्ह्ह्ह की ध्वनि निकाल गई। मैं झुककर उसके दूसरे निप्पल को अपने मुँह में ले लिया और उसे अपनी जीभ से सहलाने लगा। मुझे ऐसा लग रहा था कि उसके स्तन अब और बड़े हो गये थे।
अब मेरे हाथ उसकी जांघों से होते हुए उसके गुप्ताँग पर पहुँच गये। उसने शर्ट-पैंट पहन रखा था। मैंने कैसे भी उन्हें खोला और उसके पैंटी को नीचे किया। उसके गुप्ताँग पर एक भी बाल नहीं थे। मेरी उंगलियां उसके गुप्ताँग में समा गई। मैं अपनी उंगली को उसके गुप्ताँग में अन्दर बाहर करने लगा। मैं उठकर नीचे बैठ गया और उसके गुप्ताँग पर अपनी जीभ रख दी। उसकी मादकता बढ़ती जा रही थी। उसने मेरे बालों को पकड़कर मेरे सर को अपनी जांघों में फ़ंसा लिया। जैसे जैसे मेरी जीभ अपना काम कर रही थी, वह और भी उत्तेजित होती जा रही थी। मैंने अपने आपको उसकी मजबूत पकड़ से मुक्त किया और उसके कपड़ो को निकाल कर उसके पैरो को फ़ैलाया। उसकी सेक्सी चूत मेरे समाने थी जो कि मुझे आमंत्रित कर रही थी। मैंने एक पल की भी देरी किये बिना अपने लण्ड को उसके चूत पर रखा और उसके अन्दर प्रवेश कर गया।
और फिर एक दूसरे को धक्के देने का सिलसिला चालू हो गया। हम दोनों की स्पीड बढ़ती जा रही थी। उसके पैर हवा में खुले हुई थे जिससे मुझे उसके अन्दर तक समाने में आसानी हो रही थी। मेरा लण्ड तेजी से उसके अन्दर बाहर हो रहा था। मेरा लण्ड उसकी चूत की दीवारों पर एक जबरदस्त घर्षण उत्पन्न कर रहा था। हम दोनों आनन्द की एक दूसरी दुनिया में तैर रहे थे। उसकी चूत से गर्म पानी निकलने लगा जो कि लुब्रीकैंट का काम करने लगा। हम दोनों अपनी चरम सीमा के नजदीक पहुँच रहे थे। हमारे जननांगों से फच्च फच्च की आवाज आने लगी थी। आलीन ने मुझे कसकर पकड़ रखा था। हमारे अन्दर एक जबरदस्त तूफ़ान उबाल मार रहा था। मेरी स्पीड बढ़ती जा रही थी और थोड़ी देर में ही हम दोनों अपने चरम सीमा पर पहुँच गये। हम दोनों के अन्दर एक लावा था जो कि फूट पड़ा।
हम दोनों के शरीर शांत हो गये। हम थोड़ी देर तक एक दूसरे की बाहों में पड़े रहे। यह मस्ती का दौर रात में फिर चला। यह मेरी सबसे यादगार रेल यात्रा थी। Antarvasna Sex Stories
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