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मेरी शादी हुए करीब Hindi Sex Stories दस साल हो गये थे। इन दस सालों में मैं अपने पति से ही तन का सुख प्राप्त करती थी। उन्हें अब डायबिटीज हो गई थी और काफ़ी बढ़ भी गई थी। इसी कारण से उन्हें एक बार हृदयघात भी हो चुका था। अब तो उनकी यह हालत हो गई थी कि उनके लण्ड की कसावट भी ढीली होने लगी थी। लण्ड का कड़कपन भी नहीं रहा था। उनका शिश्न में बहुत शिथिलता आ गई थी। वैसे भी जब वो मुझे चोदने की कोशिश करते थे तो उनकी सांस फ़ूल जाती थी, और धड़कन बढ़ जाती थी। अब धीरे धीरे रणवीर से मेरा शारीरिक सम्बन्ध भी समाप्त होने लगा था। पर अभी मैं तो अपनी भरपूर जवानी पर थी, 35 साल की हो रही थी।
जब से मुझे यह महसूस होने लगा कि मेरे पति मुझे चोदने के लायक नहीं रहे तो मुझ पर एक मनोवैज्ञानिक प्रभाव होने लगा। मेरी चुदाई की इच्छा बढ़ने लगी थी। रातों को मैं वासना से तड़पने लगी थी। रणवीर को यह पता था पर मजबूर था। मैं उनका लण्ड पकड़ कर खूब हिलाती थी और ढीले लण्ड पर मुठ भी मारती थी, पर उससे तो उनका वीर्य स्खलित हो जाया करता था पर मैं तो प्यासी रह जाती थी।
मैं मन ही मन में बहुत उदास हो जाती थी। मुझे तो एक मजबूत, कठोर लौड़ा चाहिये था ! जो मेरी चूत को जम के चोद सके। अब मेरा मन मेरे बस में नहीं था और मेरी निगाहें रणवीर के दोस्तों पर उठने लगी थी। एक दोस्त तो रणवीर का खास था, वो अक्सर शाम को आ जाया करता था।
मेरा पहला निशाना वही बना। उसके साथ अब मैं चुदाई की कल्पना करने लगी थी। मेरा दिल उससे चुदाने के लिये तड़प जाता था। मैं उसके सम्मुख वही सब घिसी-पिटी तरकीबें आजमाने लगी। मैं उसके सामने जाती तो अपने स्तनो को झुका कर उसे दर्शाती थी। उसे बार बार देख कर मतलबी निगाहों से उसे उकसाती थी। यही तरकीबें अब भी करगार साबित हो रही थी। मुझे मालूम हो चुका था था कि वो मेरी गिरफ़्त में आ चुका है, बस उसकी शरम तोड़ने की जरूरत थी। मेरी ये हरकतें रणवीर से नहीं छुप सकी। उसने भांप लिया था कि मुझे लण्ड की आवश्यकता है।
अपनी मजबूरी पर वो उदास सा हो जाता था। पर उसने मेरे बारे में सोच कर शायद कुछ निर्णय ले लिया था। वो सोच में पड़ गया …
“कोमल, तुम्हें भोपाल जाना था ना… कैसे जाओगी ?”
“अरे, वो है ना तुम्हारा दोस्त, राजा, उसके साथ चली जाऊंगी !”
“तुम्हें पसन्द है ना वो…” उसने मेरी ओर सूनी आंखो से देखा।
मेरी आंखे डर के मारे फ़टी रह गई। पर रणवीर के आंखो में प्यार था।
“नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है … बस मुझे उस पर विश्वास है।”
“मुझे माफ़ कर देना, कोमल… मैं तुम्हें सन्तुष्ट नहीं कर पाता हूं, बुरा ना मानो तो एक बात कहूं?”
“जी… ऐसी कोई बात नहीं है … यह तो मेरी किस्मत की बात है…”
“मैं जानता हूं, राजा तुम्हें अच्छा लगता है, उसकी आंखें भी मैंने पहचान ली है…”
“तो क्या ?…” मेरा दिल धड़क उठा ।
“तुम भोपाल में दो तीन दिन उसके साथ किसी होटल में रुक जाना … तुम्हें मैं और नहीं बांधना चाहता हूं, मैं अपनी कमजोरी जानता हूँ।”
“जानू … ये क्या कह रहे हो ? मैं जिन्दगी भर ऐसे ही रह लूंगी।” मैंने रणवीर को अपने गले लगा लिया, उसे बहुत चूमा… उसने मेरी हालत पहचान ली थी। उसका कहना था कि मेरी जानकारी में तुम सब कुछ करो ताकि समय आने पर वो मुझे किसी भी परेशानी से निकाल सके। राजा को भोपाल जाने के लिये मैंने राजी कर लिया।
पर रणवीर की हालत पर मेरा दिल रोने लगा था। शाम की डीलक्स बस में हम दोनों को रणवीर छोड़ने आया था। राजा को देखते ही मैं सब कुछ भूल गई थी। बस आने वाले पलों का इन्तज़ार कर रही थी। मैं बहुत खुश थी कि उसने मुझे चुदाने की छूट दे दी थी। बस अब राजा को रास्ते में पटाना था। पांच बजे बस रवाना हो गई। रणवीर सूनी आंखों से मुझे देखता रहा। एक बार तो मुझे फिर से रूलाई आ गई… उसका दिल कितना बड़ा था … उसे मेरा कितना ख्याल था… पर मैंने अपनी भावनाओं पर जल्दी ही काबू पा लिया था।
हमारा हंसी मजाक सफ़र में जल्दी ही शुरू हो गया था। रास्ते में मैंने कई बार उसका हाथ दबाया था, पर उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी। पर कब तक वो अपने आप को रोक पाता… आखिर उसने मेरा हाथ भी दबा ही दिया। मैं खुश हो गई…
रास्ता खुल रहा था। मैंने टाईट सलवार कुर्ता पहन रखा था। अन्दर पैंटी नहीं पहनी थी, ब्रा भी नहीं पहनी थी। यह मेरा पहले से ही सोचा हुआ कार्यक्रम था । वो मेरे हाथों को दबाने लगा। उसका लण्ड भी पैंट में उभर कर अपनी उपस्थिति दर्शा रहा था। उसके लण्ड के कड़कपन को देख कर मैं बहुत खुश हो रही थी कि अब इसे लण्ड से मस्ती से चुदाई करूंगी। मैं किसी भी हालत में राजा को नहीं छोड़ने वाली थी।
“कोमल … क्या मैं तुम्हें अच्छा लगता हूं…?”
“हूं … अच्छे लोग अच्छे ही लगते हैं…” मैंने जान कर अपना चहरा उसके चेहरे के पास कर लिया। राजा की तेज निगाहें दूसरे लोगों को परख रही थी, कि कोई उन्हें देख तो नहीं रहा है। उसने धीरे से मेरे गाल को चूम लिया। मैं मुस्करा उठी … मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघो पर रख दिया और हौले हौले से दबाने लगी। मुझे जल्दी शुरूआत करनी थी, ताकि उसे मैं भोपाल से पहले अपनी अदाओं से घायल कर सकूं।
यही हुआ भी …… सीटे ऊंची थी अतः वो भी मेरे गले में हाथ डाल कर अपना हाथ मेरी चूचियों तक पहुँचाने की कोशिश करने लगा। पर हाय राम ! बस एक बार उसने कठोर चूचियों को दबाया और जल्दी से हाथ हटा लिया। मैं तड़प कर रह गई। बदले में मैंने भी उसका उभरा लण्ड दबा दिया और सीधे हो कर बैठ गई। पर मेरा दिल खुशी से बल्लियों उछल रहा था। राजा मेरे कब्जे में आ चुका था। अंधेरा बढ़ चुका था… तभी बस एक मिड-वे पर रुकी।
राजा दोनों के लिये शीतल पेय ले आया। कुछ ही देर में बस चल पड़ी। दो घण्टे पश्चात ही भोपाल आने वाला था। मेरा दिल शीतल पेय में नहीं था बस राजा की ओर ही था। मैं एक हाथ से पेय पी रही थी, पर मेरा दूसरा हाथ … जी हां उसकी पैंट में कुछ तलाशने लगा था … गड़बड़ करने में मगशूल था। उसका भी एक हाथ मेरी चिकनी जांघों पर फ़िसल रहा था। मेरे शरीर में तरावट आने लगी थी। एक लम्बे समय के बाद किसी मर्द के साथ सम्पर्क होने जा रहा था। एक सोलिड तना हुआ लण्ड चूत में घुसने वाला था। यह सोच कर ही मैं तो नशे में खो गई थी।
तभी उसकी अंगुली का स्पर्श मेरे दाने पर हुआ। मैं सिह उठी। मैंने जल्दी से इधर उधर देखा और किसी को ना देखता पा कर मैंने चैन की सांस ली। मैंने अपनी चुन्नी उसके हाथ पर डाल दी। अंधेरे का फ़ायदा उठा कर उसने मेरी चूचियाँ भी सहला दी थी। मैं अब स्वतन्त्र हो कर उसके लण्ड को सहला कर उसकी मोटाई और लम्बाई का जायजा ले रही थी।
मैं बार बार अपना मुख उसके होंठों के समीप लाने का प्रयत्न कर रही थी। उसने भी मेरी तरफ़ देखा और मेरे पर झुक गया। उसके गीले होंठ मेरे होंठों के कब्जे में आ गये थे। मौका देख कर मैंने पैंट की ज़िप खोल ली और हाथ अन्दर घुसा दिया। उसका लण्ड अण्डरवियर के अन्दर था, पर ठीक से पकड़ में आ गया था।
वो थोड़ा सा विचलित हुआ पर जरा भी विरोध नहीं किया। मैंने उसकी अण्डरवियर को हटा कर नंगा लण्ड पकड़ लिया। मैंने जोश में उसके होंठों को जोर से चूस लिया और मेरे मुख से चूसने की जोर से आवाज आई। राजा एक दम से दूर हो गया। पर बस की आवाज में वो किसी को सुनाई नहीं दी। मैं वासना में निढाल हो चुकी थी। मन कर रहा था कि वो मेरे अंगों को मसल डाले। अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा डाले … पर बस में तो यह सब सम्भव नहीं था। मैं धीरे धीरे झुक कर उसकी जांघों पर अपना सर रख लिया। उसकी जिप खुली हुई थी, लण्ड में से एक भीनी भीनी से वीर्य जैसी सुगन्ध आ रही थी। मेरे मुख से लण्ड बहुत निकट था, मेरा मन उसे अपने मुख में लेने को मचल उठा। मैंने उसका लण्ड पैंट में से खींच कर बाहर निकाल लिया और अपने मुख से हवाले कर लिया। राजा ने मेरी चुन्नी मेरे ऊपर डाल दी। उसके लण्ड के बस दो चार सुटके ही लिये थे कि बस की लाईटें जल उठी थी। भोपाल आ चुका था। मैंने जैसे सोने से उठने का बहाना बनाया और अंगड़ाई लेने लगी। मुझे आश्चर्य हुआ कि सफ़र तो बस पल भर का ही था ! इतनी जल्दी कैसे आ गया भोपाल ? रात के नौ बज चुके थे।
रास्ते में बस स्टैण्ड आने के पहले ही हम दोनों उतर गये। राजा मुझे कह रहा था कि घर यहाँ से पास ही है, टैक्सी ले लेते हैं। मैं यह सुन कर तड़प गई- साला चुदाई की बात तो करता नहीं है, घर भेजने की बात करता है।
मैंने राजा को सुझाव दिया कि घर तो सवेरे चलेंगे, अभी तो किसी होटल में भोजन कर लेते हैं, और कहीं रुक जायेंगे। इस समय घर में सभी को तकलीफ़ होगी। उन्हें खाना बनाना पड़ेगा, ठहराने की कवायद शुरू हो जायेगी, वगैरह।
उसे बात समझ में आ गई। राजा को मैंने होटल का पता बताया और वहाँ चले आये।
“तुम्हारे घर वाले क्या सोचेंगे भला…”
“तुम्हें क्या … मैं कोई भी बहाना बना दूंगी।”
कमरे में आते ही रणवीर का फोन आ गया और पूछने लगा। मैंने उसे बता दिया कि रास्ते में तो मेरी हिम्मत ही नहीं हुई, और हम दोनों होटल में रुक गये हैं।
“किसका फोन था… रणवीर का …?”
“हां, मैंने बता दिया है कि हम एक होटल में अलग अलग कमरे में रुक गये हैं।”
“तो ठीक है …” राजा ने अपने कपड़े उतार कर तौलिया लपेट लिया था, मैंने भी अपने कपड़े उतारे और ऊपर तौलिया डाल लिया।
“मैं नहाने जा रही हूँ …”
“ठीक है मैं बाद में नहा लूंगा।”
मुझे बहुत गुस्सा आया … यूं तो हुआ नहीं कि मेरा तौलिया खींच कर मुझे नंगी कर दे और बाथ रूम में घुस कर मुझे खूब दबाये … छीः … ये तो लल्लू है। मैं मन मार कर बाथ रूम में घुस गई और तौलिया एक तरफ़ लटका दिया। अब मैं नंगी थी।
मैंने झरना खोल दिया और ठण्डी ठण्डी फ़ुहारों का आनन्द लेने लगी।
“कोमल जी, क्या मैं भी आ जाऊं नहाने…?”
मैं फिर से खीज उठी… कैसा है ये आदमी … साला एक नंगी स्त्री को देख कर भी हिचकिचा रहा है। मैंने उसे हंस कर तिरछी निगाहों से देखा। वो नंगा था …
उसका लण्ड तन्नाया हुआ था। मेरी हंसी फ़ूट पड़ी।
“तो क्या ऐसे ही खड़े रहोगे … वो भी ऐसी हालत में … देखो तो जरा…”
मैंने अपना हाथ बढ़ाकर उसका हाथ थाम लिया और अपनी ओर खींच लिया। उसने एक गहरी सांस ली और उसने मेरी पीठ पर अपना शरीर चिपका लिया। उसका खड़ा लण्ड मेरे चूतड़ों पर फ़िसलने लगा। मेरी सांसें तेज हो गई। मेरे गीले बदन पर उसके हाथ फ़िसलने लगे। मेरी भीगी हुई चूचियाँ उसने दबा डाली। मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा था। हम दोनों झरने की बौछार में भीगने लगे। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों की दरार को चीर कर छेद तक पहुंच गया था। मैं अपने आप झुक कर उसके लण्ड को रास्ता देने लगी। लण्ड का दबाव छेद पर बढ़ता गया और हाय रे ! एक फ़क की आवाज के साथ अन्दर प्रवेश कर गया। उसका लण्ड जैसे मेरी गाण्ड में नहीं बल्कि जैसे मेरे दिल में उतर गया था। मैं आनन्द के मारे तड़प उठी।
आखिर मेरी दिल की इच्छा पूरी हुई। एक आनन्द भरी चीख मुख से निकल गई।
उसने लण्ड को फिर से बाहर निकाला और जोर से फिर ठूंस दिया। मेरे भीगे हुये बदन में आग भर गई। उसके हाथों ने मेरे उभारों को जोर जोर से हिलाना और मसलना आरम्भ कर दिया था। उसका हाथ आगे से बढ़ कर चूत तक आ गया था और उसकी दो अंगुलियां मेरी चूत में उतर गई थी। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला ली थी।
उसके शॉट तेज होने लगे थे। अतिवासना से भरी मैं बेचारी जल्दी ही झड़ गई।
उसका वीर्य भी मेरी टाईट गाण्ड में घुसने के कारण जल्दी निकल गया था।
हम स्नान करके बाहर आ गये थे। पति पत्नी की तरह हमने एक दूसरे को प्यार किया और रात्रि भोजन हेतु नीचे प्रस्थान कर गये।
तभी रणवीर का फोन आया,” कैसी हो। बात बनी या नहीं…?”
“नहीं जानू, वो तो सो गया है, मैं भी खाना खाकर सोने जा रही हूँ !”
“तुम तो बुद्धू हो, पटे पटाये को नहीं पटा सकती हो…?”
“अरे वो तो मुझे भाभी ही कहता रहा … लिफ़्ट ही नहीं मार रहा है, आखिर तुम्हारा सच्चा दोस्त जो ठहरा !”
“धत्त, एक बार और कोशिश करना अभी … देखो चुद कर ही आना …।”
“अरे हां मेरे जानू, कोशिश तो कर रही हूँ ना … गुडनाईट”
मैं मर्दों की फ़ितरत पहचानती थी, सो मैंने चुदाई की बात को गुप्त रखना ही बेहतर समझा। राजा मेरी बातों को समझने की कोशिश कर रहा था। हम दोनों खाना खाकर सोने के लिये कमरे में आ गये थे। मेरी तो यह यात्रा हनीमून जैसी थी, महीनों बाद मैं चुदने वाली थी। गाण्ड तो चुदा ही चुकी थी। मैंने तुरंत हल्के कपड़े पहने और बिस्तर पर कूद गई और टांगें पसार कर लेट गई।
“आओ ना … लेट जाओ …” उसका हाथ खींच कर मैंने उसे भी अपने पास लेटा दिया।
“राजा, घर पर तुमने खूब तड़पाया है … बड़े शरीफ़ बन कर आते थे !”
“आपने तो भी बहुत शराफ़त दिखाई… भैया भैया कह कर मेरे लण्ड को ही झुका देती थी !”
“तो और क्या कहती, सैंया… सैंया कहती … बाहर तो भैया ही ठीक रहता है।”
मैं उसके ऊपर चढ़ गई और उसकी जांघों पर आ गई।
“यह देख, साला अब कैसा कड़क रहा है … निकालूँ मैं भी क्या अपनी फ़ुद्दी…” मैंने आंख मारी।
“ऐ हट बेशरम … ऐसा मत बोल…” राजा मेरी बातों से झेंप गया।
“अरे जा रे … मेरी प्यारी सी चूत देख कर तेरा लण्ड देख तो कैसा जोर मार रहा है।”
“तेरी भाषा सुन कर मेरा लण्ड तो और फ़ूल गया है…”
“तो ये ले डाल दे तेरा लण्ड मेरी गीली म्यानी में…।”
मैंने अपनी चूत खोल कर उसका लाल सुपाड़ा अपनी चूत में समा दिया। एक सिसकारी के साथ मैं उससे लिपट पड़ी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि किसी गैर मर्द का लण्ड मेरी प्यासी चूत में उतर रहा है। मैंने अपनी चूत का और जोर लगाया और उसे पूरा समा लिया। उसका फ़ूला हुआ बेहद कड़क लौड़ा मेरी चूत के अन्दर-बाहर होने लगा था। मैं आहें भर भर कर अपनी चूत को दबा दबा कर लण्ड ले रही थी। मुझमें अपार वासना चढ़ी जा रही थी। इतनी कि मैं बेसुध सी हो गई। जाने कितनी देर तक मैं उससे चुदती रही। जैसे ही मेरा रस निकला, मेरी तन्द्रा टूटी। मैं झड़ रही थी, राजा भी कुछ ही देर में झड़ गया।
मेरा मन हल्का हो गया था। मैं चुदने से बहुत ही प्रफ़ुल्लित थी। कुछ ही देर में मेरी पलकें भारी होने लगी और मैं गहरी निद्रा में सो गई। अचानक रात को जैसे ही मेरी गाण्ड में लण्ड उतरा, मेरी नींद खुल गई। राजा फिर से मेरी गाण्ड से चिपका हुआ था। मैं पांव फ़ैला कर उल्टी लेट गई। वो मेरी पीठ चढ़ कर मेरी गाण्ड मारने लगा। मैं लेटी लेटी सिसकारियाँ भरती रही। उसका वीर्य निकल कर मेरी गाण्ड में भर गया। हम फिर से लेट गये। गाण्ड चुदने से मेरी चूत में फिर से जाग हो गई थी। मैंने देखा तो राजा जाग रहा था। मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया और मैं एक बार फिर से राजा के नीचे दब गई। उसका लण्ड मेरी चूत को मारता रहा। मेरी चूत की प्यास बुझाता रहा। फिर हम दोनों स्खलित हो गये। एक बार फिर से नींद का साम्राज्य था। जैसे ही मेरी आंख खुली सुबह के नौ बज रहे थे।
“मैं चाय मंगाता हूँ, जितने तुम फ़्रेश हो लो !”
नाश्ता करने के बाद राजा बोला,”अब चलो तुम्हें घर पहुंचा दूँ…”
पर घर किसे जाना था… यह तो सब एक सोची समझी योजना थी।
“क्या चलो चलो कर रहे हो ?… एक दौर और हो जाये !”
राजा की आंखे चमक उठी … देरी किस बात की थी… वो लपक कर मेरे ऊपर चढ़ गया।
मेरे चूत के कपाट फिर से खुल गये थे। भचाभच चुदाई होने लगी थी। बीच में दो बार रणवीर का फोन भी आया था। चुदने के बाद मैंने रणवीर को फोन लगाया।
“क्या रहा जानू, चुदी या नहीं…?”
“अरे अभी तो वो उठा है … अब देखो फिर से कोशिश करूंगी…”
तीन दिनों तक मैं उससे जी भर कर चुदी, चूत की सारी प्यास बुझा ली। फिर जाने का समय भी आया। राजा को अभी तक समझ नहीं आया था कि यहाँ तीन तक हम दोनों मात्र चुदाई ही करते रहे… मैं अपने घर तो गई ही नहीं।
“पर रणवीर को पता चलेगा तो…?”
“मुझे रणवीर को समझाना आता है !”
घर आते ही रणवीर मुझ पर बहुत नाराज हुआ। तीन दिनों में तुम राजा को नहीं पटा सकी।
“क्या करूँ जानू, वो तो तुम्हारा सच्चा दोस्त है ना… हाथ तक नहीं लगाया !”
“अच्छा तो वो चिकना अंकित कैसा रहेगा…?”
“यार उसे तो मैं नहीं छोड़ने वाली, चिकना भी है… उसके ऊपर ही चढ़ जाऊंगी…”
रण्वीर ने मुझे फिर प्यार से देखा और मेरे सीने को सहला दिया।
“सीऽऽऽऽऽऽ स स सीईईईई …ऐसे मत करो ना … फिर चुदने की इच्छा हो जाती है।”
“ओह सॉरी… जानू … लो वो अंकित आ गया !”
अंकित को फ़ंसाना कोई कठिन काम नहीं था, पर रणवीर के सामने यह सब कैसे होगा…। उसे भी धीरे से डोरे डाल कर मैंने अपने जाल में फ़ंसा लिया। फिर दूसरा पैंतरा आजमाया। सुरक्षा के लिहाज से मैंने देखा कि अंकित का कमरा ही अच्छा था। उसके कमरे में जाकर चुद आई और रणवीर को पता भी ही नहीं चल पाया।
मुझे लगा कि जैसे मैं धीरे धीरे रण्डी बनती जा रही हूँ … मेरे पति देव अपने दोस्तों को लेकर आ जाते थे और एक के बाद एक नये लण्ड मिलते ही जा रहे थे … और मैं कोई ना कोई पैंतरा बदल कर चुद आती थी… है ना यह गलत बात !
पतिव्रता होना पत्नी का पहला कर्तव्य है। पर आप जानते है ना चोर तो वो ही होता है जो चोरी करता हुआ पकड़ा जाये … मैं अभी तक तो पतिव्रता ही हूँ … पर चुदने से पतिव्रता होने का क्या सम्बन्ध है ? यह विषय तो बिल्कुल अलग है। मैं अपने पति को सच्चे दिल से चाहती हूँ। उन्हें चाहना छोड़ दूंगी तो मेरे लिये मर्दों का प्रबन्ध कौन करेगा भला ?
मेरे जानू… मेरे दिलवर, तुम्हारे लाये हुये मर्द से ही तो मैं चुदती हूँ … Hindi Sex Stories
मेरा नाम नरेश, उमर Sex Stories बाईस साल, मैं अबोहर, पंजाब का रहने वाला हूँ।
मैं अपनी कहानी आप सभी को बताना चाहता हूँ। यह कहानी मेरी पहली सच्ची कहानी है।
आज चार साल पहले अपने पड़ोस में रहने वाले परिवार के घर आता जाता था उस परिवार में पति, पत्नी और उनके चार बच्चे रहते थे।
पति मजदूरी करता था, उसकी पत्नी का नाम नीरजा था।
नीरजा की उमर तीस साल थी। मेरी उमर अट्ठारह साल की थी।
धीरे धीरे मैं उनके घर ज्यादा आने जाने लगा मैं उनकी छोटी बच्ची खिलाता रहता था।
नीरजा मुझे पसन्द करने लगी थी। मैं भी उसे पसन्द करने लगा था।
नीरजा से बातें करते करते काफी खुल चुका था और उससे सेक्स के बारे में भी बातें करने लगा था।
एक दिन ऐसा हुआ, नीरजा ने कुछ सामान मंगवाने के लिए बुलाया, वह सन्दूक में से पैसे निकालने लगी और मैं पलंग पर बैठ गया।
अचानक नीरजा ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
मैं हक्का बक्का रह गया, नीरजा ने मुझसे कहा- मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
उस समय मैं कुछ नहीं बोला पर जब मैं सामान लेकर वापस आया तो उसने मुझे फिर से गले से लगा लिया।
इस बार मैंने उसकी चूचियों को सहलाना शुरु कर दिया। पर कोई देख न ले, इस डर से मैं उस समय वहाँ से चला गया।
हम सदा सेक्स करने के लिए मौका ढूंढते रहते थे।
एक दिन हमें मौका मिल ही गया।
हमारे घर मेरे दोस्त आए हुए थे इसलिए हम छत पर सोने के लिए गए।
नीरजा भी छत पर सोने के लिए आ गई।
उस समय नीरजा का पति शहर से बाहर गया हुआ था।
मैंने उससे इशारे कह दिया आज मैं आऊँगा।
वह समझ गई।
जब मेरे दोस्त सो गये, तब मैं तीन फुट की दीवार पार करके उसके पास गया।
वो मेरा इंतजार कर रही थी।
मैं धीरे से उसकी चारपाई पर लेट गया उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
नीरजा मुझे ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा।
नीरजा भी पूरी मस्ती में थी, उसने मेरा लंड सहलाना शुरु कर दिया।
मेरा लंड अब पूरा तन चुका था, नीरजा ने मेरा लंड पैन्ट में से बाहर निकाल लिया।
नीरजा ने मुझसे कहा- मैं तो तुमको बच्चा समझती थी, तुम्हारा लंड तो पूरा जवान हो चुका है।
मैंने उसके कुर्ते को उतार दिया और उसको बूब्स चूसने लगा, नीरजा के मुंह से अहहहा अहहहा की आवाज़ निकलने लगी।
नीरजा पूरी मस्ती में थी, उसने अपनी सलवार भी उतार दी।
मैंने उसकी ब्रा पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा। उसने चूत के बाल साफ किये हुए थे, उसका शरीर काफी सुन्दर और फिट था।
नीरजा मुझे चूम रही थी, वो बोली- मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा है, जल्दी अपना लंड मेरी चूत में डालो अब मेरे से रहा नहीं जा रहा!
मैं नीरजा के ऊपर हो गया और अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया, मैंने एक जोर से झटका मारा मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया।
नीरजा ने मेरी पीठ के ऊपर से हाथ डाल कर अपनी छाती से लगा लिया, बोली- और डालो!
मैंने एक झटका और मारा अब मेरा लंड पूरा उसकी चूत के अन्दर चला गया।
मैं अपनी कमर हिला हिला कर अपना लंड उसकी चूत में आगे पीछे करने लगा।
नीरजा मजे से अहहहा अहहह हहा हायय हाययय कर रही थी, मैं उसकी चूत का पूरा मजा ले रहा था।
जिन्दगी में पहली बार किसी को चोद रहा था।
15 मिनट बाद मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में डाल दिया।
नीरजा एक बार स्खलित हो चुकी थी लेकिन मैंने अपना लंड बाहर नहीं निकाला, धीरे धीरे चूत चोदता रहा, दो मिनट बाद मैं फिर से मस्ती में आ गया, दोबारा नीरजा को चोदने लगा।
नीरजा मुझसे बोली- जान बहुत मजा आ रहा है जितनी जोर से चोदते हो उतना ज्यादा मजा आता है!
कहकर वो अपनी कमर नीचे से जोर जोर हिलाने लगी।
नीरजा भी पहली बार चुदाई का इतना मज़ा ले रही थी क्योंकि उसका पति जल्दी ही स्खलित हो जाता था, नीरजा तरसती रहती थी।
मैं उसे धीरे धीरे चोदता रहा मैंने उसे तीन घण्टे में कई बार चोदा।
उसके बाद हम इकट्ठे लेटे रहे और उसके बाद वहां से उठ के धीरे अपनी छत पर चला गया।
यह कहानी सच्ची है मुझे विश्वास है कि आप मेरी इस कहानी को जरुर पसन्द करेंगे।
यह कहानी अन्तर्वासना पर पूर्व प्रकाशित पीडीऍफ़ कहानी है। इसे दोबारा प्रकाशित किया गया है। Sex Stories
सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों Antarvasna को और प्यारे गुरु जी को काजल का खुली जवानी की अंगडाई लेते हुए नमस्कार !
अब मैं अंतर वासना की पक्की पाठक बन चुकी हूँ ! जबसे इस वेबसाइट से नाता जोड़ा है, मेरी जवानी की प्यास और बढ़ने लगी है ! जब लोग अपनी बिस्तर की हरक़त हकीकत में अन्तर्वासना पे ले आते हैं तो सोचा, मैं भी अपनी एक ऐसी चुदाई सबके सामने लाऊँ जो मुझे कभी नहीं भूलेगी !
दोस्तों ! मैं एक बहुत ही चुदासी औरत हूँ ! स्कूल से लेकर कॉलेज टाइम में मैंने बहुत नाम कमाया! लड़कों के साथ मेरे किस्से जुड़ने आम बात थी! कॉलेज के अच्छे से अच्छे लड़के के साथ मेरा नाम जुड़ता ! कम उम्र के लड़कों का चस्का मुझ में हवस डाल गया!
तभी मेरे कॉलेज के किस्से जब घर तक आने लगे तो माँ ने लड़का ढूंढ़ लिया और मेरी शादी का फैसला ले लिया, जिसका मैंने बहुत विरोध किया और माँ को कई खरी खोटियाँ सुनाई ! आखिर उनके ही बनाये गए माहौल में जो देख देख कर बड़ी हुई थी !
खैर, छोड़ो इस बात को !
आखिर मुझे हां करनी ही पड़ी और मैंने एक लड़के के लिए हां कर दी और शादी करवा के ससुराल आ गई ! यहाँ मेरा ज्यादा वक़्त तो घरेलू काम काज में निकल जाता! अपनी सारी शौकीनी अब काम में लगने लगी! टाइट सूट डाल कर लड़कों को बहकाना और फिर उनसे चुदवाना सब कुछ अब पीछे रह गया !
अपनी ननद के साथ मेरी बहुत पटती थी और मैं उसको उसके आशिकों से मिलने में उसकी मदद करती रहती! मेरे पति का लौड़ा इतना बड़ा नहीं था, ऊपर से मेरी रांड ननद सुन्दर – सुन्दर लड़कों से मिलती ! उसका एक आशिक उसे आधी रात को मिलने आता था और कभी कभी उसको चोद भी लेता था ! सब मिलना मिलाना मेरे राह से निकल कर जाता था ! मैंने जल्दी ससुराल में पकड़ बना ली !
मैं किसी से डरती नहीं थी! अब कोई काम-काज किस से कैसे करवाना है, जान गई थी !
उसके आशिक ने जिस रात मिलने आना होता, वो मेरे मोबाइल पे ही कॉल करता और पूछ लेता की आज गीता कहाँ सोयेगी, उसको कहना चौकन्नी रहना !
एक दिन मेरे दिमाग ने पलटी खाई, सोचा अब जब उसका फ़ोन आयेगा तो तो तो ????
वैसा ही हुआ शाम को मुझे कॉल आई ! उस दिन मेरे पति घर पे नहीं थे! मैंने उसको कह दिया कि आज गीता मेरे कमरे में होगी क्यूंकि मैं आज सासू माँ के कमरे में सो जाउंगी ! तू आराम से मिलना, पिछली खिड़की खुली होगी !
वो बोला- ठीक है भाभी !
मैंने गीता को कुछ नहीं बताया और आराम से अपने कमरे में सो गई और कमरा बंद कर लिया !
करीब रात १२ बजे उसने दस्तक दी ! बत्ती बंद थी, उसने टॉर्च से बेड ढूंढा ! मैंने भी बारीक सी कुर्ती डाली थी ! वो मेरी चादर में घुस गया, मैं भी उसके साथ लिपट गई !
उसने अपने होंठ मेरे होंठों पे रख दिए और चूसने लगा- गीता मेरी जान !
मैं भी गरम हो उसका साथ देने लगी ! उसने मेरी कुर्ती में हाथ डाल मेरे मम्मे दबाने शुरु कर दिए !
वहां से उसको शक हुआ ! मेरे मम्मे गीता से कहीं ज्यादा सेक्सी और गोल थे ! उसने टॉर्च चेहरे पर की !
मैंने आंख मारते हुए कहा,”हाय राकेश ! और मसल न !”
भाभी………. आप ??
“हां मैं ! क्यों क्या हुआ ??
वो ख़ुशी से पागल हो गया- वाह भाभी ! जिसके बारे में सोचते हुए गीता को चोदता हूँ, मुठ मारता हूँ, वो आज मेरे नीचे लेटी है !!
मैंने अपनी कुर्ती उतार फेंकी और उसको नंगा करते हुए उसका मोटा लौड़ा निकाल लिया !
“हाय ! क्या शानदार लौड़ा था उसका ! कितना मोटा लंबा !”
वो मेरे मम्मे को चूसने लगा ! मैं, हाय ! हाय ! करने लगी ! मैंने भी उसको पीछे लिटा कर उसका लौड़ा मुहं में डाल कर चूसना शुरू किया !
“ओह मेरे राजा, चोद मुझे ! हाय बहुत दमदार है ! कब से तेरा मूसल अपनी चूत में डलवाना चाहती थी!”
अभी ले, मेरी कमीनी कुतिया ! भाभी, तेरा यह देवर है न तुझे रौंदने के लिए !
“हाय रानी, तू तो साली गीता से भी ज्यादा बढ़िया माल है !”
तजुर्बा है, लल्ला जी !
“हाय……. !!!!”
उसने ६९ में ला मेरी चूत पे जैसे तपते होंठ रखें, मैं सी सी सी करने लगी और उसने अपनी ज़ुबान के खेल से मुझे मोहित कर दिया !! बोला अब चोद दूँ ?? सब जाग जायेंगे !
“हट साले, मेरे कमरे में कौन आयेगा ?
यह कह कर मैंने टांगें खोल दी और उसको बीच में आने को कहा और उसने अपना मूसल लौड़ा चूत पे रख घस्सा मारा (पंजाबी में झटके को घस्सा कहते हैं) !
“हाय और घस्से मार ना कस कस के !
“हाय ! साईं, तेरी दीवानी रांड भाभी तुझसे चुदाना चाहती है !”
“कम ओन, फाड़ डाल !” हाय !!! और और और !!!!!!!!!
वो भी ज़बरदस्त प्रहार करने लगा और और मेरे बालों को नोंचते हुए कहा,”चल बहिन की लौड़ी, बन जा घोड़ी !
” यह ले, यह ले !!”
मैंने घोड़ी बन गांड उठा ली उसने तेज़ तेज़ धक्के मारे और मैं झड़ गई !! मैंने उसे कहा- मैं झड़ गई ! हाय !!
उसने बाहर निकाला और थूक लगा कर गांड में डालते हुए करीब ५ मिनट की चुदाई में सारा माल मेरी गांड में डालते हुए मुझ से लिपट गया ! मैं भी बेल की तरह उसके बदन से चिपक गई !!
पूरी रात में मैंने उस नौजवान पट्ठे को निचोड़ दिया !!
“वो ठहरा था गीता की कभी-कभी लेने वाला और मैं थी जनम जनम से प्यासी चुदाई की हसीना !!!!”
उसका बुरा हाल हो गया ! उसने सोचा नहीं होगा कि सारी रात दम लगाना पड़ेगा ??
खैर !! अपनी ननद के आशिक से चुद गई आपकी बन्नो !!!
मेरे प्यारे पाठको, अब आपके लौड़ों का इंतज़ार रहेगा ई-मेल्स के ज़रिये! Antarvasna
दूसरे दिन दोनों माँ बेटे होटल से घूमने Hindi Sex Stories निकले तो राहुल ने पूछा- माँ क्या आज भी बस का मजा लेना है?
कमला ने आज स्कर्ट-ब्लाउज पहना था, बिना पैंटी के, उसने कहा- क्यों नहीं ? कुछ घट थोड़े ही जाता है ! और यहाँ हम लोगों को कौन जानता है ? तब उसने राहुल को उस लड़के की बात बताई और कहा कि उसे पता नहीं कि आजकल के पढ़ने वाले भी चुदाई के बारे में सब कुछ जानते हैं।
राहुल ने माँ को चिढ़ाते हुए कहा कि आज वो लड़का मिल जाए तो आप चाहो तो उसे ले आते हैं यहाँ?
कमला ने भी करारा जवाब दिया- मैंने कहा ना, कोई घटने वाली चीज़ तो है नहीं ! क्या फरक पड़ेगा ? कम से कम वो तुम्हारे जैसा मादरचोद तो नहीं कहाएगा !
राहुल को अपनी माँ का इस तरह खुल कर बात करना बड़ा अच्छा लगा। वो दोनों दिन भर बस से दिल्ली घूमे। बस में लोगों ने कमला का बड़ा आनंद लिया। एक हरामी ने तो जब हाथ लगा कर देखा कि कमला कि पैंटी नहीं है तो वो अपनी बीच वाली उंगली को थूक लगा कर कमला की गांड में घुसाने लगा। तब कमला वहाँ से हट कर बस के दूसरी ओर उस आदमी से दूर हो गई।
इस घटना के अलावा आज कमला को बस में अच्छा मजा आया और उसके पहले दिन का डर और उसकी झिझक दूर हो गई। उसे लोगों का उसकी नंगी चूत और चूतड़ को सहलाना अच्छा लगने लगा। आज भी उसकी चूत लोगों ने गीली कर दी थी।
फिर दोपहर के बाद राहुल उसे इन्टरनेट कैफे ले गया और अपनी गोदी में बैठा कर तरह तरह की चुदाई की विडियो दिखा कर माँ की शिक्षा शुरू की और कैफे में ही उसे ऊँगली से १ बार झाड़ा।
शाम को दोनों होटल लौटने के लिए बस पे चढ़े और कमला का भाग्य कि उस बस में वो ही लड़का किनारे की सीट पर बैठा था। राहुल ने कमला को आँख मारी और कल की तरह कमला फिर वहां खड़ी हो गई। कल की तरह ही आज भी लड़के का हाथ कमला की स्कर्ट के अन्दर उसकी मोटी चिकनी जाँघों को सहलाते हुए धीरे धीरे ऊपर की ओर सरकने लगा। कमला ने अपनी टांग अच्छी दूरी पर रखी थी ताकि लड़के को उसकी चूत तक पहुँचने में कोई मुश्किल न हो, और उस लड़के के चेहरे को बड़े प्यार से देख रही थी।
वो लड़का भी बड़ा तेज़ लग रहा था क्योंकि वो उसकी जांघों को इतनी अच्छी तरह सहला रहा था कि कमला की चूत गीली होने लगी। लेकिन जैसे उस लड़के ने अपनी हथेली कमला की चूत पर रखी, उसे ऐसा लगा कि उसे करंट लग गया हो। उसने उम्मीद नहीं की थी, कि कमला ने पैंटी नहीं पहन रखी है।
कमला उसे देख कर थोड़ा मुस्कुराई और फिर वो लड़का सामान्य हो गया और कमला की चूत के दाने को सहलाने लगा और बीच बीच में उसकी चूत की दरार में कभी १ ऊँगली तो कभी ३-३ उंगली डाल कर अन्दर बाहर करता था। कमला को लगा कि वो झड़ जायेगी, लेकिन तब तक उस लड़के का स्टाप आ गया और वो सीट से उठते हुए कमला से बोला- आंटी, मजा आया ?
कमला ने कहा – आया लेकिन पूरा नहीं। मैं होटल में ठहरी हूँ, चलोगे मेरे साथ ?
लड़के ने कहा कि उसकी मम्मी उसका इंतज़ार कर रही होगी, लेकिन वो कल सुबह होटल आ सकता है।
कमला ने उसे होटल का नाम पता दिया और बोली कि वो १० बजे उसका इंतज़ार करेगी।
जब वो लड़का बस से उतर गया तो राहुल अपनी माँ के पास आया और कमला ने उसे अगले दिन की योजना बताई।
राहुल ने कहा- यह बड़ा कीमती मौका है, और वो इसकी विडियो बनाएगा। एक ४० साल की औरत की एक लड़के से चुदाई की विडियो !
होटल पहुँचते ही राहुल ने माँ को बिस्तर पे पटक दिया और उसकी स्कर्ट उठा कर उसकी चूत चाटने लगा। कमला अपने बेटे से चूत चटवाते हुए सिसकियाँ ले रही थी और एक एक कर अपना ब्लाऊज़, ब्रा और स्कर्ट को ऊपर से खींच कर उतार दिया और बिल्कुल नंगी हो गई। राहुल ने भी एक हाथ से अपनी पैंट और अन्डरवीयर उतारा और शर्ट और बनियान निकाली। दोनों माँ बेटे अब पूरे नंगे हो गए थे और राहुल माँ की चूत चाट रहा था। तब कमला ने कहा- राहुल ! आओ जैसे कैफ़े के विडियो में दो औरत मर्द एक दूसरे की चाट रहे थे वैसा ही हम करें !
दोनों माँ बेटे ६९ में होकर एक दूसरे को मज़ा देने लगे और जब वो दोनों झड़े तो कमला राहुल का सारा रस पी गई और राहुल ने भी कमला के झड़ने के बाद अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल कर चूत के कोने कोने से उसके नमकीन लसलसे रस को चाट कर साफ़ कर दिया। फ़िर वो दोनों एक दूसरे को जकड़ कर बिस्तर पर लेट गए।
राहुल ने कहा- मैंने कहा था ना कि गाँव की हो तो क्या हुआ, कितनी जल्दी ये सब सीख गई हो।
कमला ने कैफे के विडियो के बारे में कहा कि बाप रे बाप ये अमेरिकन औरतें कैसे ३-३ काले लोगों का इतना बड़ा मोटा लण्ड एक साथ लेती हैं?
राहुल ने कहा- इस में मुश्किल क्या है ? तू भी बड़े मजे से ले सकेगी।
कमला ने कहा- कि बाप रे बाप, मेरी तो फट जायेगी !
राहुल ने कहा- कि कुछ नहीं फटेगा, एक बार शुरू हो जाओगी तो फिर और मजा आने लगेगा, बस शुरू करने की देर है।
कमला ने कहा- चूत और मुँह में लेने की बात तो वो समझती है कि कितना भी बड़ा मोटा लण्ड ले सकती है, लेकिन गांड में ?
राहुल ने कहा- चलो दिखाता हूँ मेरा ही लण्ड डाल कर ! लेकिन पहली बार तुम्हारी गांड मारने के लिए कुछ तैयारी करनी होगी।
राहुल बाथरूम से क्रीम ले कर आया और माँ को चौपाये कुतिया की तरह कर के उसकी गांड के छेद में क्रीम लगाई और अपने लण्ड पर भी।
कमला के चूतड इतने फूले और मांसल थे कि उसकी गांड का छेद काफ़ी अन्दर था। राहुल ने माँ की गांड के छेद पर लण्ड का सुपारा रख कर हलके से दबाया। सुपारा थोड़ा अन्दर गया लेकिन उसके लण्ड की जहाँ चमड़ी शुरू होती थी वहां के आगे नहीं गया।
राहुल ने माँ को कहा कि माँ पहली बार थोड़ा सा दर्द होगा, बस एक बार पूरा सुपारा अन्दर हो जाने की देर है !
राहुल ने फिर से सुपारा कमला की गांड में दबाया तो कमला को ऐसा लगा जैसे कि जहाँ सुपारे का अंत होता है वहां कोई छल्ला है और वो छल्ला अंदर नहीं घुस पा रहा है। राहुल ने ३-४ बार कोशिश की और हर बार पिछली बार से थोड़ा ज्यादा जोर लगाया, लेकिन हर बार छल्ला अन्दर नहीं घुस पा रहा था।
राहुल ने कहा- माँ तुम्हारी गांड बड़ी टाइट है, मुझे काफी जोर लगाना पड़ेगा और हो सकता है कि तुम्हें एकाएक दर्द भी हो। तुम अपनी गांड कसो मत, गांड ढीली रखो। बस एक बार अंदर करने की जरूरत है।
राहुल ने कमला की गांड में अपने सुपारे को रखा और उसके चूतड़ों को दोनों हाथों से पकड़ कर ज़ोर देता गया। कमला से जितना हो सका अपनी गांड ढीली रखी, लेकिन फिर सुपारे का छल्ला अन्दर नहीं जा रहा था।
अब राहुल ने और जोर से लण्ड दबाया तो फुप्प की आवाज के साथ छल्ला अंदर चला गया लेकिन कमला को लगा जैसे उसकी गांड में आग लग गई हो। उसे लगा उसकी गांड फट गई हो और उसके मुँह से ‘अ आ अन्न्नंह ह्ह्ह, आ अन न्ह्ह्ह, मर गई, फट गई मेरी गांड !..ओ ऊ ऊओई ईईईइ, आ अन न्न्न्ह्छ ।..’ की चीख निकल गई।
राहुल का एक चौथाई लण्ड कमला की गांड में था और वो इसी स्थिति में रहा, जरा भी नहीं हिला और माँ को कहा- बस यही सबसे कठिन काम था, बस अपनी गांड ढीली रखो, अब १ -२ मिनट में तुम्हारा दर्द ख़त्म हो जाएगा तब फिर आगे करेंगे।
इस बीच राहुल बड़े स्नेह से माँ के गाल और गले को चूमता रहा और बताया कि जब औरत की चूत में एक लण्ड होता है और तब कोई दूसरा आदमी उसकी गांड मारता है तो औरत को दर्द का एहसास नहीं होता है और तभी पूरा मजा आता है।
राहुल अपना हाथ कमला की चूत पर ले गया और उसके दाने को छेड़ने लगा। अब कमला का दर्द भी ख़त्म हो गया और तब राहुल ने अपने लण्ड को और दबाया तो लण्ड धीरे धीरे अन्दर घुसने लगा और जड़ तक कमला की गांड में पूरा चला गया। कमला की चूत मसलते हुए राहुल ने धीरे धीरे आधा लण्ड बाहर निकाला और फिर धीरे धीरे पूरा अन्दर डाल दिया और माँ से पूछा कि अब दर्द कैसा है।
कमला को गांड मरवाना बड़ा अजीब लग रहा था लेकिन उसने कहा कि अब ठीक है।
राहुल धीरे धीरे अन्दर बाहर करने की गति बढ़ाने लगा और साथ साथ एक हाथ से कमला की चूत और दूसरे हाथ से कमला की चूचियां मसल कर उसे मजा दे रहा था। एक साथ इतने मजे मिलने से कमला जल्दी ही झड़ गई और २ मिनट के बाद राहुल ने भी माँ की कसी गांड में १०-१२ पिचकारी मार कर उसके तीसरे छेद को भी रस से भर दिया और आज दिल्ली में सिर्फ़ तीसरा दिन था। जितनी जल्दी ये सब हुआ उसे देख कर वो बहुत खुश था और आने वाले समय में माँ बेटे की चुदाई के किस्से को और नई उँचाइयों तक ले जाने का इंतज़ार कर रहा था।
अगले दिन १० बजने के कुछ पहले ही कमला होटल के बस स्टाप पर अनिल का इंतज़ार कर रही थी। जब एक बस रुकी तो उसने उससे अनिल को उतरते देखा। कमला आज साड़ी पहन कर आई थी क्योंकि उसमें उसके चूतड़ों की थिरकन बड़ी मस्त लगती थी। वो अनिल को कमरे में ले आई और सामने खड़े होकर पूछा कि अब बोलो कैसे पूरा मजा दोगे?
अनिल कमला से १ इंच छोटा था लेकिन उसने आगे बढ़ कर कमला को जकड़ लिया और अपने पंजे पर उचक कर कमला के होठ को चूम कर धीरे से बोला- आज तेरी चूत चाटूंगा और अपने चिकने लण्ड से चोदूंगा भी।
कमला ने कहा कि जो चाहे करना लेकिन मेरा एक यार है जो मेरी चुदाई की विडियो बनाना चाहता है और तुम मुझे मम्मी कहोगे और मैं तुम्हें बेटा। अगर मंजूर है तो ठीक है, नहीं तो मैं कुछ नहीं करूंगी तुम्हारे साथ।
लड़के ने एक पल के लिए सोचा और फिर कहा- ओके, ठीक है मम्मी !
योजना के मुताबिक, राहुल कमरे के बाहर दरवाजे पर खड़ा था। कमला ने दरवाजा खोल कर राहुल को अन्दर बुलाया। राहुल ने कैमरा निकाला और अनिल और कमला शुरू हो गए।
अनिल ने पहले कमला की चूत चाट कर उसे झाड़ा, फिर कमला ने उसका चिकना लण्ड चूस के उसका निकाला। राहुल ने अलग अलग कोणों से क्लोज़-अप लिए।
इसके बाद अनिल ने कमला को चोदने के लिए लिटाया तो राहुल ने कहा कि दोनों रुक जाओ, तुम दोनों कपड़े पहन लो और अनिल को बोला कि तुम ऐसा करो जैसे कि ये तुम्हारी मम्मी है और तुम जबरदस्ती इसे नंगी कर के इसका देह शोषण कर रहे हो। ये थोड़ा रोकेगी तुम्हें लेकिन अगर तुम्हें इसके कपड़े भी फाड़ने पड़े या धीरे से मारना पीटना भी पड़े तो कर लेना।
इसके बाद अनिल और कमला ने जो विडियो बनाया उसकी कोई मिसाल नहीं। लड़के ने कमला के दोनों हाथों को पीछे से पकड़ कर उसे नंगा करने की कोशिश की, जिसमे उसने कमला को २-३ थप्पड़ भी लगाये, और कमला का पेटीकोट फाड़ दिया। फिर उसने नंगी कमला को कमरे में दौड़ाया। कमला के नंगे दौड़ने का सीन ही सबसे मस्त था क्योंकि उसके मांसल बदन का एक एक अंग थिरकता हुआ दिखा। फिर उसने कमला को चित्त पटक कर थोडी देर चोदा। फिर कमला ने लड़के के ऊपर चढ़ कर उसे चोदा।
बड़ा मस्त विडियो बना। ३ घंटे की चुदाई के बाद राहुल, कमला, और अनिल रेस्तरां में खाना खाने गए और उस लड़के को १०० रूपये देकर धन्यवाद दिया।
इसके बाद के २ दिन राहुल और कमला ने चुदाई और वीसा के इन्तजाम में लगाये। कमला के बदन की जलन भी अब काफ़ी कम हो गई थी, और उसे समझ आया कि उसे इसी तरह की अच्छी चुदाई की जरूरत थी जिसकी कमी से ही जलन हुआ करती थी।
अब बस में लोगों से कमला को डर नहीं लगता था, बल्कि वो अब मजे लेने लगी थी। सातवे दिन कमला अपने बेटे के साथ एअरपोर्ट चली, एक नई दुनिया में कदम रखने के लिए – अमेरिका ! Hindi Sex Stories
सेक्स शब्द मात्र से ही तन मन में रोमांच पैदा हो जाता है तो सोचिये जिसने एक बार ये स्वाद चख लिया हो तो वो इसके बिना कैसे तड़पता होगा?
मैं निशा मल्होत्रा हरियाणा के कुरुक्षेत्र शहर से 34 28 36 फिगर की 28 वर्षीय नटखट अल्हड़ जवान शादीशुदा उच्च शिक्षित महिला आप सभी सेक्स दीवानों का अभिवादन करती हूँ.
मेरी शादी आज से तीन वर्ष पहले एक काफी अमीर परिवार में हुई थी. मेरे पतिदेव का अपना बिज़नस है और उनका कारोबार भारत के कई प्रदेशों में फैला हुआ है. इसलिए वो अक्सर अपने बिज़नस टूर की वजह से काफी काफी दिनों तक बाहर भी रहते हैं. शादी के बाद सुहागरात पर पहली बार सेक्स का आनन्द लेने का मौका मिला था मुझे जीवन में! सुहागरात की चुदाई मेरी पहली चुदाई थी.
मेरे पतिदेव बहुत सेक्सी भी हैं और पावरफुल भी इसलिए उन्होंने मुझे सेक्स का अपार सुख दिया. मुझ में ऐसी काम वासना जागृत कर दी थी उन्होंने कि अक्सर जब वो घर नहीं होते थे तो मैं पीछे से सेक्स के लिए तड़पती हुई कभी डिल्डो से तो कभी अपनी प्यारी उंगलियों से अपनी चूत का रस निकलकर उसे शांत करती थी.
पर शादी के तीन साल बाद अब ये प्यास कुछ ज्यादा ही बढ़ने लगी थी मुझमें और दूसरी तरफ मेरे पति अपने कारोबार की तरक्की के लिए कुछ ज्यादा ही व्यस्त रहने लगे थे.
फिर एक दिन वो हुआ दोस्तो… जिससे मुझे मेरी काम इच्छाओं को पूरी करने वाला एक नया साथी मिल गया.
उस दिन मैं हमेशा की तरह बाथरूम में नहा रही थी, मैं कभी भी कपड़े अपने साथ अन्दर लेकर नहीं जाती. नहाते वक़्त मैं अपने खूबसूरत जिस्म को निहारते हुए अपनी ही कामवासना में खोई हुई अपनी चूत को सहलाये जा रही थी.
मेरी ब्रा पैंटी और टॉवल सब बाहर मेरे बेड पर ही पड़े थे.
मेरे मामाजी का लड़का जिसके साथ बचपन से ही मैं काफी खुली हुई थी, हम दोनों भाई बहन हर तरह की बातें कर लेते थे, वो घर आया और मेरी सास ने उसे ऊपर मेरे रूम में भेज दिया मिलने!
वो मेरे बेडरूम में आकर बेड पर बैठा और मेरे अंदरूनी कपड़ों को देखकर उसका मन भी डोलने लगा शायद… वो मेरी ब्रा हो हाथ में लेकर चूमते हुए मेरे 34 साइज़ के भरे हुए बूब्स को फील करके उन्हें चूसने का अनुभव करने लगा.
इधर मैंने अपनी चूत को सहलाकर उसका रस निकाला और अच्छे से नहाकर अपने जिस्म की खूबसूरती को निहारकर मटकती हुई अपने बाथरूम का दरवाजा खोलते हुए बेडरूम में आई तो देखती हूँ कि मेरे बेड पर तरुण (मेरे मामा का लड़का) बैठा हुआ है और उसका तक़रीबन 8 इंच का एकदम कसा हुआ लंड जो काली घुंघराली झांटों से भरा हुआ था, उस पर मेरी पैंटी को रगड़ रहा था.
मैं उसे इस हालत में देखकर कुछ पल के लिए मानो मन्त्र मुग्ध सी हो गई थी. मैं ये भी भूल गई कि मैं खुद एकदम नग्न अवस्था में उसके सामने हूँ. वो भी मेरी जैसी अप्सरा को अपने सामने इस नग्न कामुक अवस्था में देख खो सा गया था.
इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाती, वो एकदम से मेरे करीब आ गया. हम दोनों अब एक दूसरे के बिल्कुल समीप थे, दोनों एक दूजे की आँखों में खोये हुए थे कि इतने में कब उसने मेरे होंठों को अपने लबों में ले लिया, पता ही नहीं चला यारो!
मेरे अन्दर भी सेक्स की अधूरी कामनायें पूरी तरह से जाग चुकी थी और वो भी आज मुझे पूरी तरह से भोगने के लिए तैयार था. उसने फटाफट अपने सारे कपड़े निकाले और मुझे चूमते हुए बेड पर लिटा दिया, फिर मेरे कोमल पर सख्त, मुलायम पर कसे हुए बूब्स को जोरों से चूसने लगा, मेरे पेट को चूमते हुए मेरी चूत तक पहुँच गया और फिर एकदम से टूट पड़ा मेरी भीगी हुई चूत पर…
उफ अशश्स आह्ह्ह आह्ह ह्ह की आहें बरबस ही मेरे मुख से निकलने लगी.
उसने चूस चूस कर ही मेरी प्यासी चूत का कामरस निकाल दिया और फिर अपने तनतनाते हुए लंड को मेरे मुख के करीब ले आया. मैं समझ गई थी उसका इशारा और मैं खुद उसके कसे हुए लंड को चूसना चाहती थी इसलिए मैंने अपना मुंह पूरा खोलते हुए उसके लंड को गप्प से निगलना शुरू किया.
अभी कुछ ही पल हुए थे उसका लंड चूसते हुए मुझे कि इतने में उसने मेरे मुँह से अपना लंड निकाला और बेड पर लेट गया. मैं उसका इशारा समझते हुए उसके ऊपर चढ़ गई और अपनी भीगी प्यासी चूत में उसका लंड सेट करने लगी.
वो मेरे 34 साइज़ के रसभरे बूब्स को दबाने लगा जोर से और मैं उसके लंड पर कूदने लगी. उस वक़्त हम दोनों सेक्स के नशे में चूर हो चुके थे.
जल्दी ही मैं झड़ गई और थक कर नीचे उतर गई फिर वो मेरे ऊपर आ गया. उसने मेरी चूत को चूमा और फिर अपना लंड मेरी चूत में डालते हुए दस मिनट तक मेरी ज़बरदस्त चुदाई की.
हम दोनों थक कर कुछ देर यूँ ही साथ नंगे ही लेटे रहे.
वैसे पहले हमारे बीच बातें तो सभी हो जाती थी मज़ाक मजाक में… पर दोनों के बीच सेक्स का यह पहला अवसर था.
उस दिन से मुझे मेरी तनहाई को मिटाकर प्यार और सेक्स का आनन्द देने वाला साथी मिल गया.
मित्रो, यह थी मेरे पहले पर पुरुष के साथ सेक्स भाई बहन की चुदाई की कहानी.
मैं आशिक राहुल का दिल से और अपनी भीगी चूत से धन्यवाद करती हूँ कि उन्होंने मेरी कहानी को हिंदी में लिखा और अन्तर्वासना पर प्रकाशित करने में मेरी मदद की और साथ ही आशिक राहुल से गुजारिश भी करती हूँ कि वो जल्दी ही उनके और मेरे बीच हुए सेक्स संगम की रोचक कहानी भी आप सबके सामने पेश करें!
और साथ ही अन्तर्वासना प्लेटफ़ॉर्म को धन्यवाद करना चाहूंगी जिसकी वजह से ऐसे प्यारे दोस्त से मुलाकात हुई और अपनी सेक्स कामनाओं के पूर्ति के लिए एक विश्वसनीय दोस्त मिला.
दोस्तो! यह भाई बहन की चुदाई की कहानी थी निशा मल्होत्रा की उन्ही की जुबानी. जैसाकि निशा ने कहा है कि मैं उनके और मे
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