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Massage Girl in Dwarka: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Dwarka who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Dwarka that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Dwarka massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Dwarka who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Dwarka massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Dwarka massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Dwarka who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Dwarka employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Dwarka helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Dwarka

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Dwarka at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Sex Stories

सबसे पहले तो मैं Sex Stories अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट को धन्यवाद कहना चाहूँगा कि उन्होंने हमें अपने उदास और वीरान जीवन में अन्तर्वासना की रंगीनियाँ भरने का मौका दिया. मैं पिछले दो सालों से अन्तर्वासना को रोज़ ही देखता हूँ. कुछ कहानियाँ तो अच्छी होती हैं पर कुछ तो बिल्कुल ही बकवास होती हैं जिन्हें सिर्फ और सिर्फ समय की बर्बादी ही कहा जा सकता है. खैर जो भी हो, सब चलता है…

मैं अपना परिचय करवा दूँ! मेरा नाम कुमार है, उम्र अभी 26 साल है. वैसे तो मैं कोलकाता का रहने वाला हूँ पर जॉब की वजह से अभी दिल्ली में हूँ. मैं साधारण कद काठी का हूँ पर बचपन से ही जिम जाता हूं इसलिए अभी भी मेरी बॉडी अच्छे आकार में है . बाकी बॉडी के बारे में धीरे धीरे पता चल जायेगा.

मैं जो कहानी आपसे बाँटने जा रहा हूँ वो सच्ची है या झूठी, यह आप ही तय करना.

बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी स्नातिकी पूरी की थी. उस वक़्त मेरी उम्र 21 थी. मैं अपने मम्मी-पापा और अपनी बड़ी बहन के साथ कोलकाता में एक किराये के मकान में रहता था. मेरे पापा उस वक़्त सरकारी जॉब में थे. माँ घर पर ही रहती थीं और हम भाई-बहन अपनी अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे. मेरी और मेरी बहन की उम्र में बस एक साल का फर्क है. इसलिए हम दोस्त की तरह रहते थे. हम दोनों अपनी सारी बातें एक दूसरे से कर लेते थे, चाहे वो किसी भी विषय में हो.

मैं बचपन से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सी था और सेक्स की किताबों में मेरा मन कुछ ज्यादा लगता था. पर मैं अपनी पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहता था इसलिए मुझसे सारे लोग काफी खुश रहते थे.

हम जिस किराये के मकान में रहते थे उसमें दो हिस्से थे, एक में हम और दूसरे में एक अन्य परिवार रहता था, जिसमें एक पति-पत्नी और उनके दो बच्चे रहते थे. दोनों काफी अच्छे स्वभाव के थे और हमारे घर-परिवार में मिलजुल कर रहते थे. मेरी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थीं. मैं भी उन्हें अपनी बड़ी बहन की तरह ही मानता था और उनके पति को जीजा कहता था. उनके बच्चे मुझे मामा मामा कहते थे.

सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था. अचानक मेरे पापा की तबीयत कुछ ज्यादा ही ख़राब हो गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा. हम लोग तो काफी घबरा गए थे पर हमारे पड़ोसी यानि कि मेरे मुँहबोले जीजाजी ने सब कुछ सम्हाल लिया. हम सब लोग अस्पताल में थे और डॉक्टर से मिलने के लिए बेताब थे. डॉक्टर ने पापा को चेक किया और कहा की उनके रीढ़ की हड्डी में कुछ परेशानी है और उन्हें ऑपरेशन की जरूरत है. हम लोग फ़िर से घबरा गए और रोने लगे. जीजाजी ने हम लोगों को सम्हाला और कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है सब ठीक हो जायेगा. उन्होंने डॉक्टर से सारी बात कर ली और हम सब को घर जाने के लिए कहा. पहले तो हम कोई भी घर जाने को तैयार नहीं थे पर बहुत कहने पर मैं, मेरी बहन और अनीता दीदी मान गए, अनीता मेरी मुँहबोली बहन का नाम था.

हम तीनों लोग घर वापस आ गए. रात जैसे तैसे बीत गई और सुबह मैं अस्पताल पहुँच गया. वहाँ सब कुछ ठीक था. मैंने डॉक्टर से बात की और जीजा जी से भी मिला. उन लोगों ने बताया कि पापा की शूगर थोड़ी बढ़ी हुई है इसलिए हमें थोड़े दिन रुकना पड़ेगा, उसके बाद ही उनकी सर्जरी की जायेगी. बाकी कोई घबराने वाली बात नहीं थी. मैंने माँ को घर भेज दिया और उनसे कहा कि अस्पताल में रुकने के लिए जरूरी चीजें शाम को लेते आयें. माँ घर चली गईं और मैं अस्पताल में ही रुक गया. जीजा जी भी अपने ऑफिस चले गए.

जैसे-तैसे शाम हुई और माँ सारी चीजें लेकर वापस अस्पताल आ गईं. हमने पापा को एक निजी कमरे में रखा था जहाँ एक और बिस्तर था परिचारक के लिए. माँ ने मुझसे घर जाने को कहा. मैं अस्पताल से निकला और टैक्सी स्टैंड पहुँच गया. मैंने वहाँ एक सिगरेट ली और पीने लग. तभी मेरी नज़र वहीं पास में एक बुक-स्टाल पर चली गई. मैंने पहले ही बताया था कि मुझे सेक्सी किताबें, खासकर मस्त राम की किताबों का बहुत शौक है. मैं उस बुक-स्टाल पर चला गया और कुछ किताबें खरीदी और अपने घर के लिए टैक्सी लेकर निकल पड़ा.

घर पहुंचा तो मेरी बहन ने जल्दी से आकर मुझसे पापा के बारे में पूछा और तभी अनीता दीदी भी अपने घर से बाहर आ गईं और पापा की खबर पूछी. मैंने सब बताया और बाथरूम में चला गया. सारा दिन अस्पताल में रहने के बाद मुझे फ्रेश होने की बहुत जल्दी पड़ी थी. मैं सीधा बाथरूम में जाकर नहाने लगा. बाथरूम में जाने से पहले मैंने मस्तराम की किताबों को फ़्रिज पर यूँ ही रख दिया. हम दोनों भाई बहन ही तो थे केवल इस वक़्त घर पर, और उसे पता था मेरी इस आदत के बारे में. इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

जब मैं नहा कर बाहर आया तो मेरी बहन को देखा कि वो किताबें देख रही है. उसने मुझे देखा और थोड़ा सा मुस्कुराई. मैंने भी हल्की सी मुस्कान दी और मैं अपने कमरे में चला गया. मैं काफी थक गया था इसलिए बिस्तर पर लेटते ही मेरी आँख लग गई.

रात के करीब 11 बजे मुझे मेरी बहन ने उठाया और कहा- खाना खा लो!

मैं उठा और हाथ मुँह धोकर खाने के लिए मेज़ पर गया, वहाँ अनीता दीदी भी बैठी थी. असल में आज खाना अनीता दीदी ने ही बनाया था. मैंने खाना खाना शुरू किया और साथ ही साथ टीवी चला दिया. हम इधर उधर की बातें करने लगे और खाना खा कर टीवी देखने लगे.

हम तीनों एक ही सोफे पर बैठे थे, मैं बीच में और दोनों लड़कियाँ मेरे आजू-बाजू . काफी देर बात चीत और टीवी देखने के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लगे. मैं उठा और सीधे फ़्रिज की तरफ गया क्यूंकि मुझे अचानक अपने किताबों की याद आई. मुझे वहाँ पर बस एक ही किताब मिली जबकि मैं तीन किताबें लेकर आया था. सामने ही अनीता दीदी बैठी थी इसलिए कुछ पूछ भी नहीं सकता था अपनी बहन से. खैर मैंने सोचा कि जब अनीता दीदी अपने घर में चली जाएँगी तो मैं अपनी बहन से पूछूंगा.

थोड़ी देर तक तो मैं अपने कमरे में ही रहा, फिर उठ कर बाहर हॉल में आया तो देखा मेरी बहन अपने कमरे में सोने जा रही थी, मैंने उसे आवाज़ लगाई- नेहा, मैंने यहाँ तीन किताबें रखी थीं, एक तो मुझे मिल गई लेकिन बाकी दो और कहाँ हैं?”
“मेरे पास हैं, पढ़कर लौटा दूंगी मेरे भैया!” और उसने बड़ी ही सेक्सी सी मुस्कान दी.
मैंने कहा- लेकिन तुम्हें दो दो किताबों की क्या जरूरत है? एक रखो और दूसरी लौटा दो, मुझे पढ़नी है.

उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस कहा कि आज नहीं कल दोनों ले लेना.

मैं अपना मन मारकर अपने कमरे में गया और किताब पढ़ने लगा. पढ़ते-पढ़ते मैंने अपना लण्ड अपनी पैन्ट से बाहर निकला और मुठ मारने लगा. काफी देर तक मुठ मारने के बाद मैं झड़ गया और अपने लण्ड को साफ़ करके सो गया.

रात को अचानक मेरी आँख खुली तो मैं पानी लेने के लिए हॉल में फ़्रिज के पास पहुंचा. जैसे ही मैंने फ़्रिज खोला कि मुझे बगल के कमरे से किसी के हंसने की आवाज़ सुनाई दी. मैंने ध्यान दिया तो पता लगा कि मेरी बहन के कमरे से उसकी और किसी और लड़की की आवाज़ आ रही थी. नेहा का कमरा हॉल के पास ही है. मैं उसके कमरे के पास गया और अपने कान लगा दिए ताकि मैं यह जान सकूँ कि अन्दर कौन है और क्या बातें हो रही हैं.

जैसे ही मैंने अपने कान लगाये मुझे नेहा के साथ वो दूसरी आवाज़ भी सुनाई दी. गौर से सुना तो वो अनीता दीदी थी. वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे. मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की, और जो सुना तो मेरे कान ही खड़े हो गए.

अनीता दीदी नेहा से पूछ रही थी- हाय नेहा, ये कहाँ से मिली तुझे? ऐसी किताबें तो तेरे जीजा जी लाते थे पहले, जब हमारी नई-नई शादी हुई थी!
“अच्छा तो आप पहले भी इस तरह की किताबें पढ़ चुकी हैं?”

“हाँ, मुझे तो बहुत मजा आता है. लेकिन अब तेरे जीजू ने लाना बंद कर दिया है. और तुझे तो पता है कि मैं थोड़ी शर्मीली हूँ इसलिए उन्हें फिर से लाने को नहीं कह सकती, और वो हैं कि कुछ समझते ही नहीं.”

“कोई बात नहीं दीदी, जब भी आपको पढ़ने का मन करे तो मुझसे कहना, मैं आपको दे दूंगी.”
“लेकिन तेरे पास ये आई कहाँ से?”
“अब छोड़ो भी न दीदी, तुम बस आम खाओ, पेड़ मत गिनो.”
“पर मुझे बता तो सही!”
“लगता है तुम नहीं मानोगी!”
“मैं कितनी जिद्दी हूँ, तुझे पता है न. चल जल्दी से बता!”

“तुम पहले वादा करो कि तुम किसी को भी नहीं बताओगी!”
“अरे बाबा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं किसी को भी नहीं बताऊँगी.”
“ये किताबें सोनू लेकर आता है.”
“हे भगवान्…” अनीता दीदी के मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई- तू सच कह रही है? सोनू लेकर आता है?
नेहा उनकी शकल देख रही थी- तुम इतना चौंक क्यूँ रही हो दीदी?”

अनीता दीदी ने एक लम्बी साँस ली और कहा- यार, मैं तो सोनू को बिल्कुल सीधा-साधा और शरीफ समझती थी. मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वो ऐसी किताबें भी पढ़ता है.”
“इसमें कौन सी बुराइ है दीदी, आखिर वो भी मर्द है, उसका भी मन करता होगा!”
“हाँ यह तो सही बात है!” दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा- लेकिन एक बात बता, ये किताब पढ़कर तो सारे बदन में हलचल मच जाती है, फिर तुम लोग क्या करते हो? कहीं तुम दोनों आपस में ही तो…??”

अनीता दीदी की आवाज़ में एक अजीब सा उतावलापन था. उन्हें शायद ऐसा लग रहा था कि हम भाई-बहन आपस में ही चुदाई का खेल न खेलते हों.

इधर उन दोनों की बातें सुनकर मेरी आँखों की नींद ही गायब हो गई. मैंने अब हौले से अन्दर झांका और उन्हें देखने लगा. वो दोनों बिस्तर पर एक दूसरे के साथ लेटी हुई थी और दोनों पेट के बल लेट कर एक साथ किताब को देख रही थीं.

तभी दीदी ने फिर पूछा- बोल न नेहा, क्या करते हो तुम दोनों?” अनीता दीदी ने नेहा की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथो से मसल डाला.

“ऊँह, दीदी…क्या कर रही हो? दर्द होता है..” नेहा ने अपने उरोजों को अपने हाथों से सहलाया और अनीता दीदी की तरफ देख कर मुस्कारने लगी.

अनीता दीदी की आँखों में एक शरारत भरी चमक थी और एक सवाल था… नेहा ने उनकी तरफ देखा और कहा- आप जैसा सोच रही हैं वैसा नहीं है दीदी. हम भाई-बहन चाहे जितने भी खुले विचार के हों, पर हमने आज तक अपनी मर्यादा को नहीं लांघा है. हमारा रिश्ता आज भी वैसे ही पवित्र है जैसे एक भा बहन का होता है.”

यह सच भी है, हम भाई-बहन ने कभी भी अपनी सीमा को लांघने की कोशिश नहीं की थी. खैर, अनीता दीदी ने नेहा के गलों पर एक चुम्बन लिया और कहा- मैं जानती हूँ नेहा, तुम दोनों कभी भी ऐसी हरकत नहीं करोगे.”

“अच्छा नेहा एक बात बता, जब तू यह किताब पढ़ती है तो तुझे मन नहीं करता कि कोई तेरे साथ कुछ करे और तेरी चूत को चोद-चोद कर शांत करे, उसकी गर्मी निकाले?” अनीता दीदी के चेहरे पर अजीब से भाव आ रहे थे जो मैंने कभी भी नहीं देखा था. उनकी आँखे लाल हो गई थीं.

“हाय दीदी, क्या पूछ लिया तुमने, मैं तो पागल ही हो जाती हूँ. ऐसा लगता है जैसे कहीं से भी कोई लंड मिल जाये और मैं उसे अपनी चूत में डाल कर सारी रात चुदवाती रहूँ!”
“फिर क्या करती हो तुम?”

नेहा ने एक गहरी सांस ली और कहा- बस दीदी, कभी कभी उंगली या मोमबत्ती से काम चला लेती हूँ!”

दीदी ने नेहा को अपने पास खींच लिया और उसके होठों पर एक चुम्मा धर दिया. नेहा को भी अच्छा लगा. दोनों ने एक दूसरे को पकड़ लिया और सहलाना शुरू कर दिया.

यहाँ बाहर मेरी हालत ऐसी हो रही थी जैसे मैं तेज़ धूप में खडा हूँ, मैं पसीने पसीने हो गया था और मेरे लंड की तो बात ही मत करो एक दम खड़ा होकर सलामी दे रहा था. मैंने फिर उनकी बातें सुननी शुरू कर दी.

तभी अचानक मैंने देखा कि अनीता दीदी ने नेहा की टी-शर्ट के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी. नेहा को बहुत मजा आ रहा था. उसके मुँह से प्यार भरी सिस्कारियाँ निकल रही थी.

“ऊफ दीदी… मुझे कुछ हो रहा है… आपकी उँगलियों में तो जादू है.”
फिर अनीता दीदी ने पूछा- अच्छा नेहा एक बात बता, तूने कभी किसी लण्ड से अपनी चूत की चुदाई करवाई है क्या?”

“नहीं दीदी, आज तक तो मौका नहीं मिला है. आगे भगवान् जाने कौन सा लण्ड लिखा है मेरे चूत की किस्मत में.” नेहा अपनी आँखें बंद करके बाते किये जा रही थी- दीदी, तुमने तो खूब चुदाई करवाई होगी अपनी, बहुत मज़े लिए होंगे जीजाजी के साथ… बताओ न दीदी कैसा मजा आता है जब सचमुच का लण्ड अन्दर जाता है तो…?”

“यह तो तुझे खुद ही महसूस करना पड़ेगा मेरी बन्नो रानी… इस एहसास को शब्दों में बताना बहुत मुश्किल है…”

“हाय दीदी मुझे तो सच में जानना है कि कैसा मजा आता है इस चूत की चुदाई में… तुमने तो बहुत मज़े किये है जीजाजी के साथ, बोलो न कैसे करते हो आप लोग? क्या जीजा जी आपको रोज़ चोदते हैं?”

तभी अनीता दीदी थोड़ा सा उदास हो गई और नेहा की तरफ देख कर कहा- अब तुझे क्या बताऊँ, तेरे जीजा जी तो पहले बहुत रोमांटिक थे . मुझे एक मिनट भी अकेला नहीं छोड़ते थे. जब भी मन किया मुझे जहाँ मर्ज़ी वहा पटक कर मेरी चूत में अपना लंड डाल देते थे और मेरी जमकर धुनाई करते थे.”

“क्या अब नहीं करते?” नेहा ने पूछा.

“अब वो पहले वाली बात नहीं रही, अब तो तेरे जिज्जाजी को टाइम ही नहीं मिलता और मैं भी अपने बच्चों में खोई रहती हूँ. आज कल तेरे जिज्जाजी मुझे बस हफ़्ते एक या दो बार ही चोदते हैं वो भी जल्दी जल्दी से, मेरी नाइटी उठा कर अपना लंड मेरी चूत में डाल कर बस 10 मिनट में ही लंड का माल चूत में झाड़ देते हैं.”

यह बात सुनकर मेरा दिमाग ठनका. मैंने पहले कभी भी अनीता दीदी को सेक्स की नज़रों से नहीं देखा था. अब मेरे दिमाग में कुछ शैतानी घूमने लगी. मैं मन ही मन उनके बारे में सोचने लगा… ऐसा सोचने से ही मेरा लंड अब बिल्कुल स्टील की रॉड की तरह खड़ा हो गया.

अनीता दीदी को उदास देख कर नेहा ने उनके गालों पर एक चुम्मा लिया और कहा- उदास न हो दीदी, अगर मैं कुछ मदद कर सकूँ तो बोलो. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी, मेरा वादा है तुमसे.”

दीदी हल्के से मुस्कुराई और कहा- मेरी प्यारी बन्नो, जब जरूरत होगी तो तुझसे ही तो कहूँगी, फिलहाल अगर तू मेरी मदद करना चाहती है तो बोल!”
“हाँ हाँ दीदी, तुम बोलो मैं क्या कर सकती हूँ?”
“चल आज हम एक दूसरे को खुश करते हैं और एक दूसरे का मजा लेते हैं…” नेहा थोड़ा सा मुस्कुराई और अनीता दीदी को चूम लिया.

अनीता दीदी ने नेहा को बिस्तर से उठने के लिए कहा और खुद भी उठ गई. दोनों बिस्तर पर खड़े होकर एक दूसरे के कपड़े उतारने लगी. नेहा की पीठ मेरी तरफ थी और अनीता दीदी का चेहरा मेरी तरफ. नेहा ने अनीता दीदी की नाईटी उतार दी और दीदी ने उसकी टी-शर्ट.

हे भगवान्! मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने अनीता दीदी को इतना खूबसूरत नहीं समझा था. वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पेंटी में खड़ी थी. दूधिया बदन , सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो. उनकी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं. चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो. उनकी कमर 26 से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती. बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजो में समां जाये. कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया. उनकी गांड का साइज़ 36-37 के लगभग था. बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था. कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…

हे भगवान् मैंने आज से पहले उनके बारे में कभी भी नहीं सोचा था.

इधर नेहा के कपड़े भी उतार चुकी थी और वो भी ब्रा और पेंटी में आ चुकी थी. उसका बदन भी कम सेक्सी नहीं था. 32 / 26/ 34…वो भी ऐसी थी किसी भी मर्द के लंड को खड़े खड़े ही झाड़ दे.

“हाय नेहा, तू तो बड़ी खूबसूरत है रे, आज तक किसी ने भी तुझे चोदा कैसे नहीं. अगर मैं लड़का होती तो तुझे जबरदस्ती पटक कर तुझे चोद देती.”
“ओह दीदी, आप के सामने तो मैं कुछ भी नहीं, पता नहीं जिज्जाजी आपको क्यूँ नहीं चोदते ..”
“उनकी बातें छोडो, वो तो हैं ही बेवकूफ!” अनीता दीदी ने नेहा की ब्रा खोल दी और नेहा ने भी हाथ बढ़ा कर दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया.

मेरी तो सांस ही रुक गई, इतने सुन्दर और प्यारे उरोज मैंने आज तक नहीं देखे थे. अनीता दीदी के दो बच्चे थे पर कहीं से भी उन्हें देख कर ऐसा नहीं लगता था कि दो-दो बच्चों ने उनकी चूचियों से दूध पिया होगा…

खैर, अब नेहा की बारी थी तो दीदी ने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और साथ ही साथ उसकी पेंटी को भी उसके बदन से नीचे खिसकाने लगी. दीदी का उतावलापन देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कई जन्मों की प्यास हो.

नेहा ने भी वैसी ही फुर्ती दिखाई और अनीता दीदी के पेंटी को हाथों से निकालने के लिए खींच दिया. संगेमरमर जैसी चिकनी जांघों के बीच में फूले हुए पावरोटी के जैसे बिल्कुल चिकनी और गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड ने अपना माल छोड़ दिया.

मेरे होठों से एक सेक्सी सिसकारी निकली आर मैंने दरवाज़े पर ही अपना सारा माल गिरा दिया…मेरे मुँह से निकली सिसकारी थोड़ी तेज़ थी, शायद उन लोगों ने सुन ली थी, मैं जल्दी से आकर अपने कमरे में लेट गया और सोने का नाटक करने लगा. कमरे की लाइट बंद थी और दरवाज़ा थोड़ा सा खुला ही था. बाहर हॉल में हल्की सी लाइट जल रही थी जिसमें मैंने एक साया देखा. मैं पहचान गया. यह नेहा थी जो अपने बदन पर चादर डाल कर मेरे कमरे की तरफ ये देखने आई थी कि मैं क्या कर रहा हूँ और वो सिसकारी किसकी थी.

थोड़ी देर वहीं खड़े रहने के बाद नेहा अपने कमरे में चली गई और उसके कमरे का दरवाजा बंद हो गया, जिसकी आवाज़ मुझे अपने कमरे तक सुनाई दी. शायद जोर से बंद किया गया था. मुझे कुछ अजीब सा लगा, क्यूंकि आमतौर पर ऐसे काम करते वक़्त लोग सारे काम धीरे धीरे और शांति से करते हैं. लेकिन यह ऐसा था जैसे जानबूझ कर दरवाजे को जोर से बंद किया गया था. खैर जो भी हो, उस वक़्त मेरा दिमाग ज्यादा चल नहीं पा रहा था. मेरे दिमाग में तो बस अनीता दीदी की मस्त चिकनी चूत ही घूम रही थी.

थोड़ी देर के बाद मैं धीरे से उठा और वापस उनके दरवाज़े के पास गया, और जैसे ही मैंने अन्दर झाँका…

दोस्तो, अब मैं ये कहानी यहीं रोक रहा हूँ. मुझे पता है आपको बहुत गुस्सा आएगा, कुछ खड़े लण्ड खड़े ही रह जायेंगे और कुछ गीली चूत गीली ही रह जायेगी. पर यकीन मानिये अभी तो इस कहानी की बस शुरुआत हुई है. अगर मुझे आप लोगों ने मेरा उत्साह बढ़ाया तो मैं इस कहानी को आगे भी लिखुंगा और सबके सामने लेकर आऊँगा.
वैसे भी यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर, तो मुझे यह भी देखना है कि मेरी कहानी छपती भी है या नहीं और लोगो को कितनी पसंद आती है. मुझे इन्तज़ार रहेगा आपके जवाब का. अगर आपको लगे कि यह कहानी आगे बढ़े तो मुझे अपने विचार भेजें. Sex Stories

Antarvasna

ऑफिस का एक कमरा बतौर गेस्टAntarvasna -रूम इस्तेमाल होता था जिसमें बाहर से आने वाले कंपनी अधिकारी रहा करते थे। उधर रहने की सब सुविधाएँ उपलब्ध थीं। प्रगति, अमन का हाथ पकड़ कर, उसे गेस्ट-रूम की तरफ ले जानी लगी। कमरे में पहुँचते ही उसने अन्दर से दरवाज़ा बंद कर लिया और अमन के साथ लिपट गई।

उसकी जीभ अमन के मुँह को टटोलने लगी। प्रगति को जैसे कोई चंडी चढ़ गई थी। उसे तेज़ उन्माद चढ़ा हुआ था। उसने जल्दी से अपने कपड़े उतारने शुरू किए और थोड़ी ही देर में नंगी हो गई। नंगी होने के बाद उसने अमन के पांव छुए और खड़ी हो कर अमन के कपड़े उतारने लगी। अमन हक्का बक्का सा रह गया था। सब कुछ बहुत तेजी से हो रहा था और उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे।

वह मंत्र-मुग्ध सा खड़ा रहा। उसके भी सारे कपड़े उतर गए थे और वह पूरा नंगा हो गया था। प्रगति घुटनों के बल बैठ गई और अमन के लिंग को दोनों हाथों से प्रणाम किया। फिर बिना किसी चेतावनी के लिंग को अपने मुँह में ले लिया। हालाँकि अमन की शादी को 20 साल हो गए थे उसने कभी भी यह अनुभव नहीं किया था।

उसके बहुत आग्रह करने के बावजूद भी उसकी पत्नी ने उसे यह सुख नहीं दिया था। उसकी पत्नी को यह गन्दा लगता था। अर्थात, यह अमन के लिए पहला अनुभव था और वह एकदम उत्तेजित हो गया। उसका लिंग जल्दी ही विकाराल रूप धारण करने लगा।

प्रगति ने उसके लिंग को प्यार से चूसना शुरू किया और जीभ से उसके सिरे को सहलाने लगी। अभी 2 मिनट भी नहीं हुए होंगे कि अमन अपने पर काबू नहीं रख पाया और अपना लिंग प्रगति के मुँह से बाहर खींच कर ज़ोरदार ढंग से स्खलित हो गया। उसका सारा काम-मधु प्रगति के स्तनों और पेट पर बरस गया। अमन अपनी जल्दबाजी से शर्मिंदा था और प्रगति को सॉरी कहते हुए बाथरूम चला गया।

प्रगति एक समझदार लड़की थी और आदमी की ताक़त और कमजोरी दोनों समझती थी। वह अमन के पीछे बाथरूम में गई और उसको हाथ पकड़ कर बाहर ले आई। अमन शर्मीला सा खड़ा था। प्रगति ने उसे बिस्तर पर बिठा कर धीरे से लिटा दिया। उसकी टांगें बिस्तर के किनारे से लटक रहीं थीं और लिंग मुरझाया हुआ था। प्रगति उसकी टांगों के बीच ज़मीन पर बैठ गई और एक बार फिर से उसके लिंग को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी। मुरझाये लिंग को पूरी तरह मुँह में लेकर उसने जीभ से उसे मसलना शुरू किया।

अमन को बहुत मज़ा आ रहा था। प्रगति ने अपने मुँह से लिंग अन्दर बाहर करना शुरू किया और बीच बीच में रुक कर अपने थूक से उसे अच्छी तरह गीला करने लगी। अमन ख़ुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था। उसके हाथ प्रगति के बालों को सहला रहे थे। धीरे धीरे उसके लिंग में फिर से जान आने लगी और वह बड़ा होने लगा। अब तक प्रगति ने पूरा लिंग अपने मुँह में रखा हुआ था पर जब वह बड़ा होने लगा तो मुँह के बाहर आने लगा। वह उठकर बिस्तर पर बैठ गई और झुक कर लिंग को चूसने लगी। उसके खुले बाल अमन के पेट और जांघों पर गिर रहे थे और उसे गुदगुदी कर रहे थे।

अब अमन का लिंग बिल्कुल तन गया था और उसकी चौड़ाई के कारण प्रगति के दांत उसके लिंग के साथ रगड़ खा रहे थे। अब तो अमन की झेंप भी जाती रही और उसने प्रगति को एक मिनट रुकने को कहा और बिस्तर के पास खड़ा हो गया। उसने प्रगति को अपने सामने घुटने के बल बैठने को कहा और अपना लिंग उसके मुँह में डाल दिया। अब उसने प्रगति के साथ मुख-मैथुन करना शुरू किया। अपने लिंग को उसके मुँह के अन्दर बाहर करने लगा। शुरू में तो आधा लिंग ही अन्दर जा रहा था पर धीरे धीरे प्रगति अपने सिर का एंगल बदलते हुए उसका पूरा लिंग अन्दर लेने लगी। कभी कभी प्रगति को ऐसा लगता मानो लिंग उसके हलक से भी आगे जा रहा है।

अमन को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। उसने अपने धक्के तेज़ कर दिए और मानो भूल गया कि वह प्रगति के मुँह से मैथुन कर रहा है। प्रगति को लिंग कि बड़ी साइज़ से थोड़ी तकलीफ तो हो रही थी पर उसने कुछ नहीं कहा और अपना मुँह जितना ज्यादा खोल सकती थी खोल कर अमन के आनंद में आनंद लेने लगी।
अमन अब दूसरी बार शिखर पर पहुँचने वाला हो रहा था, उसने प्रगति के सिर को पीछे से पकड़ लिया और जोर जोर से उसके मुँह को चोदने लगा। जब उसके लावे का उफान आने लगा उसने अपना लिंग बाहर निकालने की कोशिश की पर प्रगति ने उसे ऐसा नहीं करने दिया और दोनों हाथों से अमन के चूतड पकड़ कर उसका लिंग अपने मुँह में जितना अन्दर कर सकती थी, कर लिया।

अमन इसके लिए तैयार नहीं था। उसने सपने में भी नहीं सोचा था कि वह किसी लड़की के मुँह में अपने लावे का फव्वारा छोड़ पायेगा। इस ख़ुशी से मानो उसका लंड डेढ़ गुना और बड़ा हो गया और उसका क्लाइमेक्स एक भूकंप के बराबर आया। प्रगति का मुँह मक्खन से भर गया पर उसने बाहर नहीं आने दिया और पूरा पी गई।

अमन ने अपना लिंग प्रगति के मुँह से बाहर निकाला और झुक कर उसे ऊपर उठाया। प्रगति को कस कर आलिंगन में भर कर उसने उसका जोरदार चुम्बन लिया जिसमे कृतज्ञता भरी हुई थी। प्रगति के मुँह से उसके लावे की अजीब सी महक आ रही थी। दोनों ने देर तक एक दूसरे के मुँह में अपनी जीभ से गहराई से खोजबीन की और फिर थक कर लेट गए। अमन कई सालों से एक समय में दो बार स्खलित नहीं हुआ था। उसका लिंग दोबारा खड़ा ही नहीं होता था। उसे बहुत अच्छा लग रहा था।

दिन के डेढ़ बज रहे थे। दोनों को घर जाने की जल्दी नहीं थी क्योंकि ऑफिस शाम 5 बजे तक का था और वैसे भी उन्हें ऑफिस में देर हो ही जाती थी। आमतौर पर वे 6-7 बजे ही निकल पाते थे। दोनों एक दूसरे की बाहों में लेट गए और न जाने कब सो गए।

करीब एक घंटा सोने के बाद अमन की आँख खुली तो उसने देखा प्रगति दोनों के टिफिन खोल कर खाना टेबल पर लगा रही थी। उसने अपने को तौलिये से ढक रखा था। अमन ने अपने ऑफिस की अलमारी से रम की बोतल और फ्रीज से कोक की बोतलें निकालीं और दोनों के लिए रम-कोक का ग्लास बनाया। प्रगति ने कभी शराब नहीं पी थी पर अमन के आग्रह पर उसने ले ली। पहला घूँट उसे कड़वा लगा पर फिर आदत हो गई। दोनों ने रम पी और घर से लाया खाना खाया। खाने के बाद दोनों फिर लेट गए।

अमन को अचानक ध्यान आया कि अब तक उसने प्रगति को ठीक से छुआ तक नहीं है। सारी पहल प्रगति ने ही की थी। उसने करवट बदलकर प्रगति की तरफ रुख़ किया और उसके सिर को सहलाने लगा।

प्रगति ने तौलिया लपेटा हुआ था। अमन ने तौलिये को हटाने के लिए प्रगति को करवट दिला दी जिस से अब वह उल्टी लेटी हुई थी। अमन ने उसके हाथ दोनों ओर फैला दिए और उसकी टांगें थोड़ी खोल दीं। अब अमन उसकी पीठ के दोनों तरफ टांगें कर के घुटनों के बल बैठ गया और पहली बार उसने प्रगति के शरीर को छुआ। उसके लिए किसी पराई स्त्री को छूने का यह पहला अनुभव था।

कुछ पाप बड़ा आनंद देते हैं। उसके हाथ प्रगति के पूरे शरीर पर फिरने लगे। प्रगति का स्पर्श उसे अच्छा लग रहा था और उसकी पीठ और चूतड़ का दृश्य उसमें जोश पैदा कर रहा था।

प्रगति एक मलयाली लड़की थी जो नहाने के लिए साबुन का इस्तेमाल नहीं करती थी। उसे पारम्परिक मुल्तानी मिट्टी की आदत थी जिससे उसकी काया बहुत चिकनी और स्वस्थ थी। वह बालों में रोज़ नारियल तेल से मालिश करती थी जिस से उसके बाल काले और घने थे। इन मामलों में वह पुराने विचारों की थी।

उसके पुराने विचारों में अपने पति की आज्ञा मानना और उसकी इच्छा पूर्ति करना भी शामिल था। यही कारण था की इतने दिनों से वह अपने पति का अत्याचार सह रही थी। अमन प्रगति के शरीर को देख कर और छू कर बहुत खुश था। उसे उसके पति पर रश्क भी हो रहा था और गुस्सा भी आ रहा था कि ऐसी सुन्दर पत्नी को प्यार नहीं करता था।

अमन ने प्रगति के कन्धों और गर्दन को मलना और उनकी मालिश करना शुरू किया। कहीं कहीं गाठें थी तो उन्हें मसल कर निकालने लगा। जब हाथ सूखे लगने लगे तो बाथरूम से तेल ले आया और तेल से मालिश करने लगा। जब कंधे हो गए तो वह थोड़ा पीछे खिसक गया और पीठ पर मालिश करने लगा। जब वह मालिश के लिए ऊपर नीचे होता तो उसका लंड प्रगति की गांड से हलके से छू जाता।

प्रगति को यह स्पर्श गुदगुदाता और वह सिहर उठती और अमन को उत्तेजना होने लगती। थोड़ी देर बाद अमन और नीचे खिसक गया जिस से लंड और गांड का संपर्क तो टूट गया पर अब अमन के हाथ उसकी गांड की मालिश करने लगे। उसने दोनों चूतडों को अच्छे से तेल लगाकर मसला और मसाज करने लगा। उसे बहुत मज़ा आ रहा था। प्रगति भी आनंद ले रही थी।

उसे किसी ने पहले ऐसे नहीं किया था। अमन के मर्दाने हाथों का दबाव उसे अच्छा लग रहा था। अमन अब उसकी जाँघों तक पहुँच गया था। अमन की उंगलियाँ उसकी जाँघों के अंदरूनी हिस्से को टटोलने लगी। प्रगति ने अपनी टांगें थोड़ी और खोल दीं और ख़ुशी से मंद मंद करहाने लगी। अमन ने हल्के से एक दो बार उसकी योनि को छू भर दिया और फिर उसके घुटनों और पिंडलियों को मसाज करने लगा।

प्रगति चाहती थी कि अमन योनि से हाथ न हटाये पर कसमसा कर रह गई। अमन भी उसे जानबूझ कर छेड़ रहा था। वह उसे अच्छी तरह उत्तेजित करना चाहता था। थोड़ी देर बाद प्रगति के पांव अपने गोदी में रख कर सहलाने लगा तो प्रगति एकदम उठ गई और अपने पांव सिकोड़ लिए। वह नहीं चाहती थी कि अमन उसके पांव दबाये। पर अमन ने उसे फिर से लिटा दिया और दोनों पांव के तलवों की अच्छी तरह से मालिश कर दी। प्रगति को बहुत आराम मिल रहा था और न जाने कितने वर्षों की थकावट दूर हो रही थी। अब प्रगति कृतज्ञता महसूस कर रही थी।

अमन ने प्रगति को सीधा होने को कहा और वह एक आज्ञाकारी दासी की तरह उलट कर सीधी हो गई। अमन ने पहली बार ध्यान से प्रगति के नंगे शरीर को सामने से देखा। जो उसने देखा उसे बहुत अच्छा लगा। उसके स्तन छोटे पर बहुत गठीले और गोलनुमा थे जिस से वह एक 16 साल की कमसिन लगती थी। चूचियां हलके कत्थई रंग की थी और स्तन पर तन कर मानो राज कर रही थी। अमन का मन हुआ वह उनको एकदम अपने मुँह में ले ले और चूसता रहे पर उसने धीरज से काम लिया।

हाथों में तेल लगा कर उसने प्रगति की भुजाओं की मालिश की और फिर उसके स्तनों पर मसाज करने लगा। यह अंदाज़ लगाना मुश्किल था कि किसको मज़ा ज्यादा आ रहा था। थोड़ी देर मज़े लेने के बाद अमन ने प्रगति के पेट पर हाथ फेरना शुरू किया। उसके पतले पेट पर तेल का हाथ आसानी से फिसल रहा था। उसने नाभि में ऊँगली घुमा कर मसाज किया और फिर हौले हौले अमन के हाथ उसके मुख्य आकर्षण की तरफ बढ़ने लगे।

प्रगति ने पूर्वानुमान से अपनी टांगें और चौड़ी कर लीं। अमन ने हाथों में और तेल लगाकर प्रगति की योनि के इर्द गिर्द सहलाना शुरू किया। कुछ देर तक उसने जानबूझ कर योनि को नहीं छुआ। अब प्रगति को तड़पन होने लगी और वह कसमसाने लगी। अमन के हाथ नाभि से लेकर जांघों तक तो जाते पर योनि और उसके भग को नहीं छूते। थोड़ी देर तड़पाने के बाद जब अमन की उँगलियाँ पहली बार योनि की पलकों को लगीं तो प्रगति उन्माद से कूक गई और उसका पूरा शरीर एक बार लहर गया। मसाज से ही शायद उसका स्खलन हो गया था, क्योंकि उसकी योनि से एक दूधिया धार बह निकली थी।

अमन ने ज्यादा तडपाना ठीक ना समझते हुए उसकी योनि में ऊँगली से मसाज शुरू किया और दूसरे हाथ से उसकी भगनासा को सहलाने लगा। प्रगति की योनि मानो सम्भोग की भीख मांग रही थी और प्रगति की आँखें भी अमन से यही प्रार्थना कर रही थीं। उधर अमन का लिंग भी अंगडाई ले चुका था और धीरे धीरे अपने पूरे यौवन में आ रहा था।

अमन ने प्रगति को बताया कि वह सम्भोग नहीं कर सकता क्योंकि उसको पास कंडोम नहीं है और वह बिना कंडोम के प्रगति को जोखिम में नहीं डालना चाहता, इसलिए वह प्रगति को उँगलियों से ही संतुष्ट कर देगा। पर प्रगति ने अमन को बिना कंडोम के ही सम्भोग करने को कहा। उसने कहा- अगर कंडोम होता भी तो भी वह उसे इस्तेमाल नहीं करने देती। जबसे उसके बेटे की मौत हुई है उसे बच्चे की लालसा है और अगर बच्चा हो भी जाता है तो उसके घर में खुशियाँ आ जाएँगी। उसने भरोसा दिलाया कि वह कभी भी अमन को इस के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराएगी और ना ही कभी इसका हर्जाना मांगेगी।

उसने अमन को कहा कि अगर उसे प्रगति पर भरोसा है तो हमेशा बिना कंडोम के ही सम्भोग करेंगे। उसने यह भी कहा कि जितना सुख उसे आज मिला है उसे 14 साल की शादी में नहीं मिला और वह चाहती है कि यह सुख वह भविष्य में भी लेती रहे। उसने कहा कि शायद वह एक निम्न चरित्र की औरत जैसी लग रही होगी पर ऐसी है नहीं और उसके लिए किसी गैर-मर्द से साथ ऐसा करना पहली बार हुआ है।

अमन ने उसे समझाया कि कई बार जल्दबाजी में लिए हुए निर्णय बाद में पछतावे का कारण बन जाते हैं इस लिए अच्छे से सोच लो।

प्रगति ने कहा कि कोई भी औरत ऐसे निर्णय बिना सोचे समझे नहीं लेती। वह पूरे होशो-हवास में है और अपने निर्णय पर अडिग है और शर्मिंदा नहीं है।

अमन को प्रगति के इस निश्चय और आत्मविश्वास पर गर्व हुआ और उसने तेल से सनी हुई प्रगति को उठा कर सीने से लगा लिया। इस दौरान अमन का लिंग मुरझा गया था। प्रगति ने लिंग की तरफ देखते हुए अमन को आँखों ही आँखों में आश्वासन दिलाया कि वह उस लिंग में जान डाल देगी।
उसने अमन को लिटा दिया और उसके ऊपर हाथों और घुटनों के बल आ गई। पहले उसने अपने बालों की लटों से उसके मुरझाये लिंग पर लहरा कर गुदगुदी की और फिर अपने स्तनों से लंड को मसलने लगी। अपनी उभरी हुई चूचियों से उसने लंड को ऊपर से नीचे तक गुलगुली की। अमन का बेचारा लिंग इस तरह के लुभाने का आदि नहीं था और जल्दी ही मरे से अधमरा हो गया।

प्रगति ने अमन के लंड की नींव के चारों तरफ जीभ फिराना शुरू किया और उसकी छड़ चाटने लगी। एक एक करके उसने दोनों अण्डों को मुँह में लेकर चूस लिया। अपनी गीली जीभ को लंड के सुपारे पर घुमाने लगी और फिर उसके अधमरे लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसने लगी। इस बार चूसते वक़्त वह लंड को निगलने की कोशिश कर रही थी और हाथों से उसके अण्डों को गुदगुदा रही थी। अमन को इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था। उसका लंड एक बार फिर अपनी ज़िम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हो गया।

उसके पूरे तरह से तने हुए लंड को प्रगति ने एक बार और पुच्ची दी और अमन को बिना बताये उसके लंड पर अपनी योनि रखकर बैठ गई। अमन का मुश्तंड लंड उसकी गीली चूत में आसानी से घुस गया। प्रगति ने अपने कूल्हों को गोल गोल घुमा कर अमन के लंड की चक्की चलाई और फिर ऊपर नीचे हो कर मैथुन के मज़े लूटने लगी।

अमन भी अपनी गांड ऊपर उछाल उछाल कर प्रगति के धक्कों का जवाब देने लगा। प्रगति के स्तन मस्ती में उछल रहे थे और उसके चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी। थोड़ी देर इस तरह करने के बाद अमन ने प्रगति को अपनी तरफ खींच कर आलिंगनबद्ध कर लिया और उसे पकड़े हुए और बिना लंड बाहर निकाले हुए पलट गया।

अब अमन ऊपर था प्रगति नीचे और चुदाई लगातार चल रही थी। प्रगति उसके प्रहारों का जमकर जवाब दे रही थी और अपनी तरफ से अमन के लंड को पूरी तरह अन्दर लेने में सहायता कर रही थी। दोनों बहुत मस्त थे। यकायक प्रगति के मुँह से आवाजें आने लगीं- .. ऊऊह आः हाँ हाँ .. और ज़ोर से… हाँ हाँ .. चलते रहो… और .. और… मुझे मार डालो… मेरे मम्मे नोंचो… ऊऔउई…’

अमन यह सुन कर और उत्तेजित हो कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। चार पांच छोटे धक्कों के बाद लंड पूरा बाहर निकाल कर पेलने लगा। जब वह ऐसा करता तो प्रगति ख़ुशी से चिल्लाती ‘ हाँ ऐसे… और करो…और करो .. ‘

अमन का स्खलन आम तौर पर 4-5 मिनटों में हो जाया करता था पर आज चूंकि यह उसका तीसरा वार था और उसे प्रगति जैसी लड़की का सुख प्राप्त हो रहा था, उसका लंड मानो चरमोत्कर्ष तक पहुंचना ही नहीं चाहता था। यह जान कर अमन को अपने मर्दानगी पर नया गर्व हो रहा था और वह दुगने जोश से चोद रहा था।

उसने प्रगति को अपने हाथों और घुटनों पर हो जाने को कहा और फिर पीछे से उसकी चूत में प्रवेश करके चोदने लगा। उसके हाथ प्रगति के मम्मों को गूंथ रहे थे। अब हर बार उसका लंड पूरा बाहर आता और फिर एक ही झटके में पूरा अन्दर चला जाता। अमन ने एक ऊँगली प्रगति की योनि-मटर के आस पास घुमानी शुरू की तो प्रगति एक गेंद की तरह ऊपर नीचे फुदकने लगी। उस से इतना सारा मज़ा नहीं सहा जा रहा था।

उसकी उन्माद में ऊपर नीचे होने की गति बढ़ने लगी तो अचानक लंड फिसल कर बाहर आ गया। इस से पहले कि अमन लंड को फिर से अन्दर डालता प्रगति ने करवट लेकर उसको अपने मुँह में ले लिया और अपने थूक से अच्छे से गीला कर दिया। और फिर अपनी चूत लंड की सीध में करके चुदने के लिए तैयार हो गई। अमन ने प्रगति को फिर से पीठ के बल लेटने को कहा और आसानी से गीले लंड को फिच से अन्दर डाल दिया।

प्रगति आराम से लेट गई और अमन भी उसके ऊपर पूरा लेट गया। लंड पूरा अन्दर था और अमन का वज़न थोड़ा प्रगति के बदन पर और थोड़ा अपनी कोहनियों पर था। अमन के सीने के नीचे प्रगति के सख्त बोबे पिचक रहे थे और तनी हुई चूचियां अमन को छेड़ रहीं थीं। रह रह कर अमन अपने कूल्हे ऊपर उठा कर अपने लंड को अन्दर बाहर करता रहता पर ज्यादातर बस प्रगति पर लेटा रहता। वह बस इतनी ही हरकत कर रहा था जिस से उसका लंड शिथिल ना हो। उसने प्रगति से पूछा कि वह ठीक है या उसे तकलीफ हो रही है? जवाब मैं प्रगति ने ऊपर हो कर उसके होटों पर पुच्ची दे दी।

अमन अब बहुत आराम से सम्भोग का मज़ा ले रहा था। उसने प्रगति की भुजाओं को पूरा फैला दिया था और उसकी टांगों को जोड़ दिया था जिस से उसके लंड को योनि ने और कस लिया। जब अमन मैथुन का धक्का मरता तो उसे तंग और कसी हुई योनि मिलती।
अमन को ऐसा लग रहा था मानो वह किसी कुंवारी बाला का पहला प्यार हो। उधर प्रगति को टांगें बंद करने से अमन का लंड और भी मोटा लगने लगा था। दोनों के मज़े बढ़ गए थे। कुछ देर इसी तरह मगरमच्छ की तरह मैथुन करने के बाद अमन ने प्रगति कि टांगें एक बार फिर खोल दीं और नीचे खिसक कर उसकी योनि मटर पर जीभ फेरने लगा।

प्रगति को मानो करंट लग गया.वह उछल गई। अमन ने उसके मटर को खूब चखा। प्रगति की चूत में पानी आने लगा और वह आपे से बाहर होने लगी। यह देखकर अमन फिर पूरे जोश के साथ चोदने लगा। पांच-छः छोटे धक्के और दो लम्बे धक्कों का सिलसिला शुरू किया।

एक ऊँगली उसने प्रगति की गांड में घुसा दी एक अंगूठा मटर पर जमा दिया। अमन को यह अच्छा लग रहा था कि उसे स्खलन का संकेत अभी भी नहीं मिला था। उसे एक नई जवानी का आभास होने लगा। इस अनुभूति के लिए वह प्रगति का आभार मान रहा था। उसी ने उसमें यह जादू भर दिया था। वह बेधड़क उसकी चुदाई कर रहा था।

प्रगति अब चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रही थी। उसका बदन अपने आप डोले ले रहा था उसकी आँखें लाल डोरे दिखा रही थी, साँसें तेज़ हो रहीं थीं। स्तन उफ़न रहे थे और चूचियां नई ऊँचाइयाँ छू रहीं थीं। उसकी किलकारियां और सिसकियाँ एक साथ निकल रहीं थीं। प्रगति ने अमन को कस के पकड़ लिया और उसके नाखून अमन कि पीठ में घुस रहे थे।

वह ज़ोर से चिल्लाई और एक ऊंचा धक्का दे कर अमन से लिपट गई और उसके लंड को चोदने से रोक दिया। उसका शरीर मरोड़ ले रहा था और उसकी आँखों में ख़ुशी के आँसू थे। थोड़ी देर में वह निढाल हो गई और बिस्तर पर गिर गई।

अमन ने अपना लंड बाहर निकालने की कोशिश की तो प्रगति ने उसे रोक दिया, बोली कि थोड़ी देर रुक जाओ। मैं तो स्वर्ग पा चुकी हूँ पर तुम्हें पूरा आनंद लिए बिना नहीं जाने दूँगी। तुमने मेरे लिए इतना किया तो मैं भी तुम्हें क्लाइमेक्स तक देखना चाहती हूँ। अमन ने थोड़ी देर इंतज़ार किया।

जब प्रगति की योनि थोड़ी शांत हो गई तो उसने फिर से चोदना शुरू किया। उसका लंड थोड़ा आराम करने से शिथिल हो गया था तो अमन ने ऊपर सरक कर अपना लंड प्रगति के मम्मों के बीच में रख कर रगड़ना शुरू किया। कुछ देर बाद प्रगति ने अमन को अपने तरफ खींच कर उसका लंड लेटे लेटे अपने मुँह में ले लिया और जीभ से उसे सहलाने लगी।

बस फिर क्या था। वह फिर से जोश में आने लगा और देखते ही देखते अपना विकराल रूप धारण कर लिया। अमन ने मुँह से निकाल कर नीचे खिसकते हुए अपना लंड एक बार फिर प्रगति की चूत में डाल दिया और धीरे धीरे चोदने लगा।
उसकी गति धीरे धीरे तेज़ होने लगी और वार भी पूरा लम्बा होने लगा। प्रगति भी साथ दे रही थी और बीच बीच में अपनी टांगें जोड़ कर चूत तंग कर लेती थी। अमन ने अपने शरीर को प्रगति के सिर की तरफ थोड़ा बढ़ा लिया जिससे उसका लंड घर्षण के दौरान प्रगति के मटर के साथ रगड़ रहा था। यह प्रगति के लिए एक नया और मजेदार अनुभव था।

उसने अपना सहयोग और बढ़ाया और गांड को ज़ोर से ऊपर नीचे करने लगी। अब अमन को उन्माद आने लगा और वह नियंत्रण खोने लगा। उसके मुँह से अचानक गालियाँ निकलनी लगीं,’ साली अब बोल कैसा लग रहा है?… आआअह्ह्ह्हाअ अब कभी किसी और से मराएगी तो तेरी गांड मार दूंगा… आह्हा कैसी अच्छी चूत है !!… मज़ा आ गया… साली गांड भी मराती है क्या?… मुझसे मरवाएगी तो तुझे पता चलेगा… ऊओह .’

कहते हैं जब इंसान चरमोत्कर्ष को पाता है तो जानवर हो जाता है। कुछ ऐसा ही हाल अमन का हो रहा था। वह एक भद्र अफसर से अनपढ़ जानवर हो गया था। थोड़ी ही देर में उसके वीर्य का गुब्बारा फट गया और वह ज़ोर से गुर्रा के प्रगति के बदन पर गिर गया और हांफने लगा। उसका वीर्य प्रगति की योनि में पिचकारी मार रहा था। अमन क्लाइमेक्स के सुख में कंपकंपा रहा था और उसका फव्वारा अभी भी योनि को सींच रहा था। कुछ देर में वह शांत हो गया और शव की भांति प्रगति के ऊपर पड़ गया।

अमन ने ऐसा मैथुनी भूकंप पहले नहीं देखा था। वह पूरी तरह निढाल और निहाल हो चुका था। उधर प्रगति भी पूरी तरह तृप्त थी। उसने भी इस तरह का भूचाल पहली बार अनुभव किया था। दोनों एक दूसरे को कृतज्ञ निगाहों से देख रहे थे। अमन ने प्रगति को प्यार भरा लम्बा चुम्बन दिया। अब तक उसका लिंग शिथिल हो चुका था अतः उसने बाहर निकाला और उठ कर बैठ गया। प्रगति भी पास में बैठ गई और उसने अमन के लिंग को झुक कर प्रणाम किया और उसके हर हिस्से को प्यार से चूमा।

अमन ने कहा- और मत चूमो नहीं तो तुम्हें ही मुश्किल होगी।

प्रगति बोली कि ऐसी मुश्किलें तो वह रोज झेलना चाहती है। यह कह कर उसने लंड को पूरा मुँह में लेकर चूसा मानो उसकी आखिरी बूँद निकाल रही हो। उसने लंड को चाट कर साफ़ कर दिया और फिर खड़ी हो गई।

घड़ी में शाम के छः बज रहे थे। उन्होंने करीब छः घंटे रति-रस का भोग किया था। दोनों थके भी थे और चुस्त भी थे। प्रगति अमन को बाथरूम में ले गई और उसको प्यार से नहलाया, पौंछा और तैयार किया। फिर खुद नहाई और तैयार हुई। अमन के लिंग को पुच्ची करते हुए उसने अमन को कहा कि अब यह मेरा है। इसका ध्यान रखना। इसे कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मैं चाहती हूँ कि यह सालों तक मेरी इसी तरह आग बुझाये।

अमन ने उसी अंदाज़ में प्रगति की चूत और गांड पर हाथ रख कर कहा कि यह अब मेरी धरोहर हैं। इन्हें कोई और हाथ ना लगाये। प्रगति ने विश्वास दिलाया कि ऐसा ही होगा पर पूछा की गांड से क्या लेना देना? अमन ने पूछा कि क्या अब तक उसके पति ने उसकी गांड नहीं ली?

प्रगति ने कहा- नहीं ! उनको तो यह भी नहीं पता कि यह कैसे करते हैं।

अमन ने कहा कि अगर तुम्हे आपत्ति न हो तो मैं तुम्हें सिखाऊंगा। प्रगति राजी राजी मान गई। अमन ने अगले शुक्रवार के लिए तैयार हो कर आने को कहा और फिर दोनों अपने अपने घर चले गए।

अगर आप जानना चाहते हैं कि अगले शुक्रवार को क्या हुआ तो मुझे ज़रूर लिखें।
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अन्तर्वासना कहानी

दोस्तो, अन्तर्वासना कहानी हिंदी में इंडियन सेक्स स्टोरीज में आपने अब तक पढ़ा था कि पण्डित जी रीना की जवानी को भोगने के चक्कर में उसको पूजा करवाने के लिए फंसा चुके थे. वे दोनों पूजा करने के लिए चौकड़ी मार कर बैठे थे.

अब आगे..

पण्डित- पुत्री.. ये नारियल अपनी झोली में रख लो.. इसे तुम परसाद समझो.. तुम दोनों हाथ सिर के ऊपर से जोड़ कर शिव का ध्यान करो.

रीना सिर के ऊपर से हाथ जोड़ के बैठी थी.. पण्डित उसकी झोली में फ़ल डालता रहा.

रीना की इस पोजीशन में उसके चूचे और नंगा पेट पण्डित के लंड को सख्त कर रहे थे. रीना की नाभि भी पण्डित को साफ़ दिख रही थी.

पण्डित- रीना पुत्री.. ये मौलि (धागा) तुम्हें अपने पेट पर बांधनी है.. वेदों के अनुसार इसे पण्डित को बांधना चाहिए.. लेकिन यदि तुम्हें इसमें लज्जा की वजह से कोई आपत्ति हो तो तुम खुद बांध लो.. परन्तु विधि तो यही है कि इसे पण्डित बांधे.. क्योंकि पण्डित के हाथ शुद्ध होते हैं.. आगे जैसे तुम्हारी इच्छा.
रीना- पण्डित जी.. वेदों का पालन करना मेरा धर्म है.. जैसा वेदों में लिखा है आप वैसा ही कीजिये.
पण्डित- मौलि बांधने से पहले गंगाजल से वो जगह साफ़ करनी होती है.

पण्डित ने रीना के पेट पे गंगाजल छिड़का.. और उसका नंगा पेट गंगाजल से धोने लगा. रीना के पेट की स्किन अन्य औरतों के बनिस्बत बहुत कोमल थी. पण्डित उसके पेट को रगड़ रहा था. फिर उसने तौलिए से रीना का पेट पोंछ कर सुखाया.

रीना के हाथ सिर के ऊपर थे.. पण्डित रीना के सामने बैठ कर उसके पेट पे मौलि बांधने लगा.. पहली बार पण्डित ने रीना के नंगे पेट को छुआ.

गाँठ बांधते समय पण्डित ने अपनी उंगली रीना की नाभि पर रखी.

अब पण्डित ने उंगली पे लाल रंग की रोली लेकर रीना के पेट टीका जैसा लगाया.

पण्डित- रीना.. शिव को पार्वती की देह (बॉडी) पर चित्रकारी करने में आनन्द आता है.

ये कह कर पण्डित रीना के पेट पर गोल टीका बढ़ा करते हुए लगाने लगा. फिर उसने रीना के पेट पर त्रिशूल बनाया.

रीना की नाभि पर आ कर पण्डित रुक गया. अब पण्डित अपनी उंगली रीना की नाभि में घुमाने लगा. वो रीना की नाभि में टीका लगा रहा था. रीना के दोनों हाथ ऊपर थे. वह भोली थी.. और इन सब चीजों को धर्म समझ रही थी. लेकिन ये सब उसे भी कुछ कुछ अच्छा लग रहा था.

फिर पण्डित घूम कर रीना के पीछे आया.. उसने रीना की पीठ पर गंगाजल छिड़का और हाथ से उसकी पीठ पर गंगाजल लगाने लगा.

पण्डित- गंगाजल से तुम्हारी देह और शुद्ध हो जाएगी, क्योंकि गंगा शिव की जटाओं से निकल रही है इसलिए गंगाजल लगाने से शिव प्रसन्न होते हैं.

रीना के ब्लाउज के हुक्स नहीं थे.. पण्डित ने खुले हुए ब्लाउज को और साइड में कर दिया.. रीना की आलमोस्ट सारी पीठ नंगी हो गई. पण्डित उसकी नंगी पीठ पर गंगाजल डाल कर रगड़ रहा था. वो उसकी नंगी पीठ अपने हाथों से धो रहा था. रीना की नंगी पीठ को छूकर पण्डित का लंड एकदम टाईट हो गया था.

पण्डित- तुम्हारी राशी क्या है?
रीना- कुम्भ.
पण्डित- मैं टीके से तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशी लिख रहा हूँ.. गंगाजल से शुद्ध हुई तुम्हारी पीठ पर तुम्हारी राशी लिखने से तुम्हारे ग्रहों की दशा लाभदायक हो जाएगी.

पण्डित ने रीना की नंगी पीठ पर टीके से कुम्भ की जगह लंड लिखा..

फिर पण्डित रीना के पैरों के पास आया.

पण्डित- अब अपने चरण सामने करो.
रीना ने पैर सामने कर दिये.. पण्डित ने उसका पेटीकोट थोड़ा ऊपर चढ़ाया.. उसकी टांगों पर गंगाजल छिड़का.. और उसकी टांगें अपने हाथों से रगड़ने लगा.
पण्डित- हमारे चरण बहुत सी अपवित्र जगहों पर पड़ते हैं.. गंगाजल से धोने के पश्चात अपवित्र जगहों का हम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.. तुम शिव का ध्यान करती रहो.
रीना- जी पण्डित जी..
पण्डित- रीना.. यदि तुम्हें ये सब करने में लज्जा आ रही हो तो ये तुम खुद कर लो.. परन्तु वेदों के अनुसार ये कार्य पण्डित को ही करना चाहिये.
रीना- नहीं पण्डित जी.. यदि हम वेदों के अनुसार नहीं चले तो शिव कभी प्रसन्न नहीं होंगे.. और भगवान के कार्य में लज्जा कैसी.

रीना अंधविश्वासी थी.

पण्डित ने रीना का पेटीकोट घुटनों के ऊपर चढ़ा दिया.. अब रीना की टांगें जांघों तक नंगी थीं.

पण्डित ने उसकी जांघों पर गंगाजल लगाया और उसकी जांघें हाथों से धोने लगा. रीना ने शर्म से अपनी टांगें जोड़ रखी थीं तो पण्डित ने कहा.

पण्डित- रीना.. अपनी टांगें खोलो.

रीना ने धीरे धीरे अपनी टांगें खोल दीं. अब रीना पण्डित के सामने टांगें खोल कर बैठी थी. उसकी ब्लैक कच्छी पण्डित को साफ़ दिख रही थी. पण्डित ने रीना की जांघों को अन्दर तक छुआ.. और उन्हें गंगाजल से रगड़ने लगा.

इस वक्त पण्डित के हाथ रीना की चूत के नज़दीक थे.. कुछ देर रीना की पूरी जांघों को धोने के बाद अब वो उस जगह तौलिए से रगड़ कर सुखाने लगा.

फिर उसने उंगली में टीका लगाने के लिए रोली ली और रीना की जांघों के अन्दर तक चुत के नजदीक पे लगाने लगा.

रीना शरमाते हुए बोली- पण्डित जी.. यहाँ भी टीका लगाना होता है?

वो जरा असहज महसूस कर रही थी.

पण्डित- हाँ.. यहाँ देवलिंग बनाना होता है.

रीना टांगें खोल कर बैठी थी और पण्डित उसकी अंदरूनी जाँघों पर उंगलियों से देवलिंग बना रहा था.

पण्डित- रीना.. लज्जा ना करना..
रीना- नहीं पण्डित जी..

जैसे उंगली से माथे (फ़ोरेहेड) पर टीका लगाते हैं, पण्डित कच्छी के ऊपर से ही रीना की चूत पे भी टीका लगाने लगा. रीना शर्म से लाल हो रही थी.. लेकिन गरम भी हो रही थी. पण्डित टीका लगाने के बहाने 5-6 सेकंड्स तक कच्छी के ऊपर से रीना की चूत रगड़ता रहा.

चूत से हाथ हटाने के बाद पण्डित बोला.

पण्डित- विधि के अनुसार मुझे भी गंगाजल लगाना होगा.. अब तुम इस गंगाजल को मेरी छाती पर लगाओ.

पण्डित लेट गया.

रीना- जी पण्डित जी.

पण्डित ने छाती शेव कर रखी थी.. और पेट भी.. उसकी छाती और पेट बिल्कुल सफाचट चिकने और कोमल थे.

रीना गंगाजल से पण्डित की छाती और पेट रगड़ने लगी. रीना को अन्दर ही अन्दर पण्डित का बदन आकर्षित कर रहा था.. उसकी चुत पर पंडित की उंगली की रगड़न का अहसास अभी तक हो रहा था. उसके मन में आया कि पण्डित का बदन कितना कोमल और चिकना है.

ऐसे ख्याल रीना के मन में पहले कभी नहीं आये थे.

पण्डित- अब तुम मेरी छाती पर टीके से गणेश बना दो.. गणेश इस प्रकार बनना चाहिये कि मेरे ये दोनों निप्पलों गणेश के ऊपर के दोनों आँखों के बिंदु हों.

निप्पलों का नाम सुन कर रीना शरमा गई.

रीना ने गणेश बनाया.. लेकिन उसने टीके से सिर्फ गणेश के नीचे के दो खानों की बिन्दुएँ ही बनाईं.

पण्डित- रीना.. गणेश में चार बिंदु डालते हैं.
रीना- पण्डित जी.. लेकिन ऊपर की दो बिंदु तो पहले से ही बनी हुई हैं?
पण्डित- परन्तु टीका उन पर भी लगेगा.
रीना पण्डित के निप्पलों पर टीका लगाने लगी.
पण्डित- मानव की नाभि उसकी ऊर्जा का स्त्रोत होती है.. अतः यहाँ नाभि पर भी टीका लगाओ.
रीना- जो आज्ञा पण्डित जी.

रीना ने उंगली में टीका लगाया.. पण्डित की नाभि में उंगली डाली.. और टीका लगाने लगी. पण्डित ने रीना को आकर्षित करने के लिए अपना पेट और छाती शेव करने के साथ साथ अपनी नाभि में थोड़ी क्रीम भी लगाई थी.. इसलिए उसकी नाभि चिकनी हो गई थी.

रीना सोच रही थी कि इतनी चिकनी नाभि तो उसकी खुद की भी नहीं है. रीना पण्डित के बदन की तरफ़ खिंची चली जा रही थी. ऐसे विचार उसके मन में पहले कभी नहीं आये थे.

रीना ने पण्डित की नाभि में से अपनी उंगली निकाली.. पण्डित ने अपने थैले से एक लंड के आकार की लकड़ी निकाली लकड़ी बिल्कुल चिकनी थी.. करीब 5 इंच लम्बी और एक इंच मोटी थी.

लकड़ी के अंत में एक छेद था.. पण्डित ने उस छेद में डाल कर मौलि बाँधी.

पण्डित- ये लो.. ये देवलिंग है.

रीना ने देवलिंग को प्रणाम किया.

पण्डित- इस देवलिंग को अपनी कमर में बांध लो.. ये हमेशा तुम्हारे सामने तुम्हारे पेट के नीचे आना चाहिये.
रीना- पण्डित जी.. इससे क्या होगा..?
पण्डित- इससे शिव तुम्हारे साथ रहेगा.. यदि किसी और ने इसे देख लिया तो शिव कुपित हो जाएगा. अतः ये किसी को दिखाना या बताना नहीं है.. और तुम्हें हर समय ये बांधे रखना है.. सोते समय भी.
रीना- जैसा आप कहें पण्डित जी.
पण्डित- लाओ.. मैं बांध दूँ.
दोनों खड़े हो गए.. पण्डित ने वो देवलिंग रीना की कमर में डाला और उसके पीछे आकर मौलि की गाँठ बांधने लगा. इस वक्त उसके हाथ रीना की नंगी कमर को छू रहे थे.

गाँठ लगाने के बाद पण्डित बोला.

पण्डित- अब इस देवलिंग को अन्दर डाल लो.

रीना ने देवलिंग को अपने पेटीकोट के अन्दर कर लिया.. देवलिंग रीना की टांगों के बीच में आ रहा था.

पण्डित- बस.. अब तुम वस्त्र बदल कर घर जा सकती हो.. जो टीका मैंने लगाया है उसे ना हटाना.. चाहे तो घर जा कर साड़ी उतार कर सलवार कमीज़ पहन लेना.. जिससे की तुम्हारी देह पर लगा टीका किसी को दिखे ना..
रीना- परन्तु स्नान करते समय तो टीका हट जायेगा?
पण्डित- उसकी कोई बात नहीं.

रीना कपड़े बदल कर अपने घर आ गई.. उसने टांगों के बीच देवलिंग पहन रखा था.. पूरे दिन वह टांगों के बीच देवलिंग लेकर चलती फिरती रही. देवलिंग उसकी टांगों के बीच हिलता रहा. उसकी चुत के पास की स्किन को टच करता रहा.

रात को सोते वक्त रीना कच्छी नहीं पहनती थी. जब रात को रीना सोने के लिए लेटी हुई थी तो देवलिंग रीना की चूत के सीधे सम्पर्क में था. रीना देवलिंग को दोनों टांगें टाईटली जोड़ कर दबाने लगी.. ऐसा करने से उसे अच्छा लग रहा था. उसे इस वक्त अपने पति के लिंग (पेनिस) की भी याद आ रही थी. उसने सलवार का नाड़ा खोला.. देवलिंग को हाथ में लिया और देवलिंग को हल्के हल्के से अपनी चूत पर दबाने लगी. फिर देवलिंग को अपनी चूत पे रगड़ने लगी.. वह गरम हो रही थी.. तभी उसे ख्याल आया कि रीना, ये तू क्या कर रही है.. देवलिंग के साथ ऐसा करना बहुत पाप है. ये सोच कर रीना ने देवलिंग से हाथ हटा लिया.. सलवार का नाड़ा बाँधा और सोने की कोशिश करने लगी.

तकरीबन आधी रात को रीना की आँख खुली.. उसे अपनी हिप्स के बीच में कुछ चुभ रहा था.. उसने सलवार का नाड़ा खोला.. हाथ हिप्स के बीच में ले गई.. तो पाया कि देवलिंग उसकी हिप्स के बीच में फंसा हुआ था. देवलिंग का मुँह रीना की गांड के छेद से चिपका हुआ था. रीना को पीछे से ये चुभन अच्छी लग रही थी.. उसने देवलिंग को अपनी गांड पर और दबाया, उसे मज़ा आया. अब उसने और दबाया.. तो और मज़ा आया. उसकी गांड में आग सी लगी हुई थी. उसका दिल चाह रहा था कि पूरा देवलिंग गांड के छेद में दबा दे. तभी उसे फिर ख्याल आया कि देवलिंग के साथ ऐसा करना पाप है.. उसने ये भी सोचा कि क्या भगवान शिव मेरे साथ ऐसा करना चाहते हैं. डर के कारण उसने देवलिंग को टांगों के बीच में कर लिया.. नाड़ा बाँधा.. और सो गई.

अगले दिन रीना उसी पिछले रास्ते से पण्डित के पास सलवार कमीज़ पहन कर गई.

पण्डित- आओ रीना.. जाओ दूध से स्नान कर आओ.. और वस्त्र बदल लो..

रीना दूध से नहा कर कपड़े पहन रही थी तो उसने देखा कि आज जोगिया ब्लाउज और पेटीकोट के साथ जोगिया रंग की कच्छी भी पड़ी थी. उसने अपनी कच्छी उतार कर जोगिया कच्छी पहन ली.. और नहा कर बाहर आ गई.

पण्डित अग्नि जला कर बैठा मन्त्र पढ़ रहा था. रीना भी उसके पास आ कर बैठ गई.

पण्डित- रीना.. आज तो तुम्हारे सारे वस्त्र शुद्ध हैं ना..?
रीना थोड़ा शरमा गई..
रीना- जी पण्डित जी..
वह जानती थी कि पण्डित का मतलब कच्छी से है.

पण्डित- तुम चाहो तो वो देवलिंग फिलहाल निकाल सकती हो.

रीना खड़ी होकर देवलिंग की मौलि खोलने लगी.. लेकिन गाँठ काफी टाईट लगी थी.. पण्डित ने ये देखा.

पण्डित- लाओ मैं खोल दूँ.

पण्डित भी खड़ा हुआ.. रीना के पीछे आ कर वो मौलि खोलने लगा.

पण्डित- देवलिंग ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया.. खास कर रात में सोने में कोई दिक्कत तो नहीं हुई..?

रीना कैसे कहती कि रात को देवलिंग ने उसकी गांड के छेद के साथ क्या किया है.

रीना- नहीं पण्डित जी.. कोई परेशानी नहीं हुई.

पण्डित ने मौलि खोली.. रीना ने देवलिंग पेटीकोट से निकाला तो पाया कि मौलि उसके पेटीकोट के नाड़े में उलझ गई थी. रीना कुछ देर कोशिश करती रही लेकिन मौलि नाड़े से नहीं निकली.

पण्डित- रीना.. पूजा में विलम्ब हो रहा है.. लाओ मैं निकाल दूँ.

पण्डित रीना के सामने आया और उसके पेटीकोट के नाड़े से मौलि निकालने लगा.

पण्डित- ये ऐसे नहीं निकलेगा.. तुम ज़रा लेट जाओ.

रीना लेट गई.. पण्डित उसके नाड़े पे लगा हुआ था.

पण्डित- रीना.. नाड़े की गाँठ खोलनी पढ़ेगी.. पूजा में विलम्ब हो रहा है.
रीना- जी.

पण्डित ने पेटीकोट के नाड़े की गाँठ खोल दी.. गाँठ खोलने से पेटीकोट लूज हो गया और रीना की कच्छी से थोड़ा नीचे आ गया.

रीना शर्म से लाल हो रही थी.. पण्डित ने रीना का पेटीकोट थोड़ा नीचे सरका दिया. रीना पण्डित के सामने लेटी हुई थी.. उसका पेटीकोट उसकी कच्छी से नीचे था. मौलि निकालते वक्त पण्डित की कोहनी रीना की चूत के पास लग रही थी. कुछ देर बाद मौलि नाड़े से अलग हो गई.

पण्डित- ये लो.. निकल गई..

पण्डित ने मौलि निकाल कर रीना के पेटीकोट का नाड़ा बांधने लगा.. उसने नाड़े की गाँठ बहुत टाईट बाँधी.. जिससे रीना को दिक्कत हुई.

रीना- अह.. पण्डित जी.. बहुत टाईट है..

पण्डित ने फिर नाड़ा खोला.. और इस बार गाँठ लूज बाँधी.

फिर दोनों चौकड़ी मार के बैठ गए.

पण्डित- अब तुम ये मन्त्र 200 बार पढो.. और उसके बाद शिव की आरती करना है.

जब रीना की मन्त्र और आरती खत्म हो गई तो पण्डित ने कहा.

पण्डित- मैंने कल वेद फिर से पढ़े तो उसमें लिखा था कि स्त्री जितनी आकर्षक दिखे, शिव उतनी ही जल्दी प्रसन्न होते हैं. इसके लिए स्त्री जितना चाहे श्रृंगार कर सकती है.. लेकिन सच कहूँ..
रीना- हाँ कहिये पण्डित जी..
पण्डित- तुम पहले से ही इतनी आकर्षक दिखती हो कि शायद तुम्हें श्रृंगार की आवश्यकता ही ना पढ़े.

रीना अपनी तारीफ़ सुन कर शरमाने लगी.

पण्डित- मैं सोचता हूँ कि तुम बिना श्रृंगार के इतनी सुन्दर लगती हो.. तो श्रृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगी.
रीना- कैसी बातें करते हैं पण्डित जी.. मैं इतनी सुन्दर कहाँ हूँ.
पण्डित- तुम नहीं जानती तुम कितनी सुन्दर हो.. तुम्हारा व्यवहार भी बहुत चंचल है.. तुम्हारी चाल भी आकर्षित करती है.

रीना ये सब सुन कर शरमा रही थी.. मुस्कुरा रही थी.. उसे अच्छा लग रहा था.

आगे की अन्तर्वासना कहानी भाग 3 में पढें

साथियो हिंदी में इंडियन सेक्स स्टोरीज का मजा लेते रहें!

Antarvasna

यह एक सच्ची कहानी Antarvasna है। मैं पेंटिंग की क्लास अपने घर पर लेता था, मेरी क्लास में ज्यादातर लड़कियाँ ही सीखने आती थीं।

एक दिन एक नई लड़की प्रवेश लेने आई। वह इतनी सुन्दर थी कि मैं देखता रह गया। छरहरा बदन, औसत ऊँचाई, गोरी-चिट्टी, सेक्सी नाक नक्शा। पहली नजर में मेरे बदन में सनसनाहट पैदा हो गई। उसने अपना नाम रिंकी बताया, क्लास 12 की विद्यार्थी थी, उम्र 18-19 साल होगी।

वह रोज क्लास में आने लगी। कुछ दिन बाद वह अपनी ही क्लास की एक सहेली को ले कर आई। मैं जानबूझकर उसे अपने सामने बैठाता था और उसके रूप को निहारते रहता था। वह झुक कर जब पेंटिंग बनाती थी तब उसकी आधी चूची मैं देखकर पागल हो जाता था। मेरा लंड खड़ा हो जाता था। जब भी उससे नजर मिलती, मैं पैंट के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को अपने हाथ से उसे दिखाते हुए दबा देता था।

वह धीरे धीरे मेरी नियत समझ गई, अब वह भी बार बार मुझे देखने लगी, मैं समझ गया कि उसे भी मजा आने लग गया था।

कुछ दिन के बाद मैं उसे अपने बगल में बैठाने लगा। अब उसे ड्राइंग सिखाने के बहाने उसके बदन को छूने लगा। ऐसा करने से उसके बदन में उत्तेजना होने लगती थी और वो कसमसा जाती थी। मैं धीरे धीरे उसकी चुचियों को कपड़ों के ऊपर से ही छूने लगा। ऐसा करने से वह चिंहुक जाती थी।

अब वह जानबूझ कर मुझसे ज्यादा सट कर बैठने लगी। मैं समझ गया कि उसे भी वही चाहिए जो मुझे!

एक दिन मैंने उसके दुपट्टे के अन्दर हाथ डालकर उसकी चूची को जोर से दबा दिया तो वह काँप उठी। अब वह बिना ब्रा पहने आने लगी। जब झुकती थी तो उसकी चुचियों के निप्पल भी दिख जाते थे। अब सबकी नजर बचाकर उसके कुरते के गले में हाथ डालकर उसकी चुचियों को मसल देता था। वह मस्त हो जाती थी। अब वह क्लास में समय से पहले आने लगी और आकर मेरे बगल में चिपक कर बैठ कर मुझसे चुचियों को मसलवाने का मजा लेने लगी।

एक दिन अकेले में मैं उसे अपने हाथों से जकड़कर अपने बदन में समाकर उसके होंठों को अपने मुंह में भर कर चूसने लगा तो उसने भी कस कर मुझे अपने हाथों से बांध लिया। अब मैं उसके टॉप में हाथ डाल क़र उसकी चुचियों को मसलने लगा। मेरी पैंट से मेरा लंड खड़ा होकर उसके बदन से टकराने लगा। वह मेरे चूतड़ पकड़कर खींचने लगी जिससे मेरा लंड उसकी उसकी बुर से ऊपर से चिपकने लगा।

मैं उसकी चुचियों से हाथ हटाने लगा तो वह मेरा हाथ पकड़ कर बोली- सर, और मसलिये! खूब जोर जोर से मसलिये सर! कुछ कीजिये सर!

मैंने उससे कहा- अभी इतना ही! क्योंकि बाकी लड़कियाँ अब आने वाली हैं, कल स्कूल न जाकर चुपचाप मेरे पास आ जाना! मैं सुबह तुम्हारा इन्तजार करूँगा।

उसने कहा- कैसे आऊँगी सर! रूमा भी मेरे साथ स्कूल जाती है।

रूमा भी मेरे क्लास में ड्राइंग सीखने आती थी। मैंने उससे कहा- वह तो तुम्हारी पक्की दोस्त है। उसे तो कुछ कुछ पता ही होगा तुम्हारे और मेरे सम्बन्ध के बारे में!

रिंकी ने कहा- सर, वह सब जानती है और मुझसे पूछती है कि कैसा लगता है जब सर तुम्हारी चूची मसलते हैं। मैं उसे कहा कि मसलवाओगी तब पता चलेगा कि कितना मजा आता है।

तब मैं रिंकी से बोला- आज थोड़ा मजा उसे भी दे देंगे। उसे आज मेरे दूसरे बगल में बैठने को कहना। मैं उसे भी उत्तेजित कर दूंगा। कल उसे भी अपने साथ ले आना। वह आ भी जायेगी और किसी को बोलेगी भी नहीं!

जब सभी लड़कियाँ आईं तो रिंकी ने रूमा को मेरे दायें बगल में बैठा दिया और खुद बांये बगल बैठ गई। मैं मौका देख कर कपड़े के ऊपर से ही रूमा की चुचियों को दबा देता। वह कसमसा जाती और मुझसे और सटने लगी। रिंकी तिरछी नजरों से सब देख रही थी। जब क्लास ख़त्म हो गई तो मैंने रिंकी और रूमा को किनारे बुलाकर कहा- कल तुम दोनों स्कूल जाने के बहाने मेरे पास चली आना। बहुत अच्छा पेंटिंग सिखाऊँगा।

रिंकी तो पहले से तैयार थी, बोली- मैं आ जाऊँगी पर रूमा आएगी तब न!
मैंने रूमा से पूछा- क्या तुम मेरा कहना नहीं मानोगी?
रूमा ने कहा- ठीक है सर! आ जाऊँगी।
मैंने दोनों को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा- ठीक है! मैं इंतजार करूँगा।

दूसरे दिन सही समय पर दोनों आकर मुझे अभिवादन कर मेरे दोनों बगल बैठ गई। मैं दोनों की चुचियों को दबाने लगा दोनों बिना ब्रा पहने ही आई थी। रिंकी तो कहने लगी ‘सर अन्दर हाथ डालकर खूब जोर से दबाइए।

मैं दोनों के टॉप में हाथ डालकर मसलने लगा, उन्हें मजा आने लगा।
मेरा लंड एकदम टाइट होकर खड़ा हो गया। रिकी से नहीं रहा गया, वह अपनी हथेली को मेरे लंड के उभार पर रखकर दबाने लगी।

कुछ देर के बाद मैं रिंकी के टॉप के बटन खोल कर उसकी एक एक कर दोनों चुचियों को निकलकर अपने मुंह में भर कर चूसने लगा। रिंकी सी-सी करने लगी।

फिर मैं उसके टॉप को अलग कर के उसके निप्पल को मसलने लगा साथ साथ दूसरे हाथ से उसके बदन के सभी भाग को सहलाते हुए स्कर्ट के ऊपर से ही उसकी बुर को दबाने लगा, रिंकी चिहुंक कर मुझसे जोर से चिपक गई और एक हाथ बढ़ाकर मेरे लंड को ऊपर से ही दबाने लगी, बोलने लगी- सर प्लीज कुछ कीजिये, अब नहीं रहा जा रहा है। मैंने कहा- ठीक है! जरा रुको! रूमा को भी कुछ मजा दे दूं!

कह कर मैंने रूमा को आगोश में भर लिया उसके एक-एक अंग से खेलने लगा। फिर उसके कान में कहा- रिंकी बहुत गर्म हो गई है उसे अब चुदवाने का मन कर रहा है। तुम यहीं रुको। पहले उसे पहली चुदाई का मजा दे दूँ। जब मैं उसको चोदूंगा तो तुम दरवाजे पर आकर सब कुछ अपनी आँखों से देखना। देखना कैसे उसकी पहली सील टूटती है।

फिर मैंने रूमा को छोड़ रिंकी को बाँहों में भर कर उसके होठों को कस कर चूमा, फिर उससे कहा- देखो रानी, अब तुम चुदवाने के लिए तैयार हो, लेकिन एक बात बता देता हूँ कि पहली बार मेरे लम्बे और मोटे लंड को तुम्हारी छोटी सी अनचुदी बुर में घुसाने में शुरु में बहुत तकलीफ होगी। तुमको शुरू में तकलीफ बर्दाश्त करनी होगी। लेकिन धीरे धीरे तुमको जन्नत का मजा आने लगेगा।

उसने कहा- बाप रे! इतना लम्बा लंड मेरी बुर में कैसे घुसेगा? जाने दीजिये, फट जाने दीजिये मेरी बुर को। इसने मुझे बहुत तड़पाया है। चलिए मैं तैयार हूँ! जल्दी चोदिये मुझे!

कह कर वह मेरे पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को बाहर निकाल कर हाथ से रगड़ने लगी। फिर उचक कर स्कर्ट उठाकर अपनी बुर के ऊपर मेरे सख्त लंड को रगड़ने लगी।
मैंने रूमा को देखा कि वह अपने स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल कर अपनी बुर से खेल कर रही थी।

अब मैं रिंकी के पेंटी के अन्दर हथेली डाल कर उसकी बुर में उंगली घुसा दिया तो वह आह आह करने लगी, कहने लगी- और अन्दर घुसाइए सर, एक नहीं दो-तीन उंगली डालिए प्लीज! आह सर, बहुत अच्छा लग रहा है। और, और अन्दर डालिए आह सर, अब मुझे जल्दी चोदिये! मुझे असली मजा दीजिये सर! मेरे बुर में पेल दीजिये इस लंड को। हाय, अब नहीं रुक सकती!

कह कर मेरे लंड को मुंह में भरकर होठों और जीभ से चूसने लगी। मैं पलट कर रूमा को देखा तो अपने बुर में उंगली डाल रही थी। मुझे देख कर वह शर्म से अपना मुंह छिपाने लगी।

मैंने अब रिंकी को अपने गोद में उठा कर दूसरे कमरे में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके सारे कपड़े एक एक कर उतार दिए, अब वह सिफ पैंटी में थी। मैं उस पर चढ़ कर उसकी चुचियों को मसलते हुए उसके होंठों को चूसने लगा। फिर उसकी बुर में उंगली डालकर आगे पीछे करता रहा।

अब रिंकी मेरा लंड पकड़ कर रगड़ने लगी। मैंने उठकर 69 के पोजीशन में आकर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया और मैं अपने जीभ से रिंकी की बुर को चाटने लगा। वह उम्-उम् कर मजा लेने लगी।

कुछ देर बाद वह बोल उठी- सर, अब अपना लंड मेरी बुर में डालिए! सर जल्दी डालिए, आहा अब चोदो सर, चोदो न प्लीज!

अब मैं उठकर बैठ गया तो वह अपनी टांगों को फैला कर बोली- लीजिये डाल दीजिये इसमें अपना लंड!

मैंने अपने लंड की सुपारी उसकी बुर के मुँह पर रख दी तो वह शी-शी करने लगी, मेरा लंड पकड़ कर अपनी बुर के छेद पर ले आई और कहने लगी- जल्दी घुसाओ सर!

मैंने उसकी कमर पकड़ कर हल्का सा धक्का दिया तो मेरा लंड उसकी बुर में नहीं घुसा, उसका बुर इतना टाइट था कि लंड घुस नहीं पा रहा था। मैं उठ कर खड़ा हो गया तो वह मेरा हाथ पकड़कर खीचते हुए बोली- क्या हुआ? चोदो न सर!

मैं बोला- तुम्हारी बुर बहुत कसी हुई है। ऐसे नहीं घुसेगा! थोड़ा तेल लगाना पड़ेगा, मैं तेल लेकर आ रहा हूँ।

मैं कमरे से निकलने लगा तो देखा कि रुमा दरवाजे में खड़ी होकर सब देख रही थी। मैं रुमा की चूची पकड़ का खींचते हुए किचन में ले गया और उसकी बुर में उंगली डाल कर रगड़ने लगा। फिर उससे कहा- तुम रिंकी की पूरी चुदाई दरवाजे से देखती रहना!

मैंने तेल की शीशी उठाकर रुमा की बुर पर हाथ रखते हुए उसे दरवाजा पर खड़ा कर दिया और कमरे में घुसा तो देखा कि रिंकी आँख बंद कर अपनी बुर में उंगली कर रही थी। मैं फिर उसकी टांगें फैलाकर बीच में बैठ गया और तेल निकाल कर उसकी बुर के छेद में डाला और उंगली से तेल उसकी बुर के अन्दर करने लगा, दो उंगली ड़ाल कर उसकी बुर को तेल से चुपड़ दिया।

रिंकी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कर छटपटाने लगी। फिर मैंने थोड़ा तेल अपने लंड पर लगाकर मालिश कर दिया। मैंने रुमा की ओर देखा तो वह अपनी बुर में उंगली कर रही थी और सबकुछ गौर से देख रही थी। रिंकी को कुछ पता नहीं था कि रुमा देख रही है।

अब मैं अपने लंड को रिंकी की बुर के छेद पर रख कर कमर से एक धक्का दिया तो मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी बुर में फंस चुका था।

रिंकी चिल्लाई- नहीं सर, मत डालिए! बहुत दर्द हो रहा है! छोड़ दीजिये प्लीज! अभी नहीं बाद में! हाय मैं मर गई! निकालिए!’

मैंने उसी हालत में रहते हुए उसे समझाया- थोड़ा दर्द बर्दाश्त करो! बस थोड़ा दर्द सह लो, आखिर कभी भी तो चुदवाओगी ही! और तब भी दर्द करेगा! तो आज ही बर्दाश्त कर लो!’

कह कर उसे खूब प्यार से पुचकारने लगा तो वह मान गई और बोली- ठीक कीजिये जो करना है, पर जरा धीरे-धीरे! नहीं तो मैं मर जाऊँगी, फिर आप किसको चोदेंगे!’

मैंने साहस कर इस बार उसके मुंह पर हाथ कर एक करारा झटका दिया तो मेरा आधा लंड घुस चुका था, रिंकी छटपटाने लगी उसकी आँखों से आंसू निकल पड़े, पर मैं उसे दबोचे रहा और धीरे आधे लंड को आगे-पीछे करने लगा।

धीरे-धीरे उसका छटपटाना बंद हुआ, अब मौका देख कर मैंने एक और जोर का धक्का लगा दिया और पूरा लंड उसकी बुर में घुस चुका था।
रिंकी मुझे धक्का देकर अलग करना चाहती थी पर मैं उसे उसी पोज़ीशन में जकड़े रहा और कहा- बस रानी! अब दर्द नहीं करेगा! अब तुम जन्नत का मजा लोगी! बस मेरा साथ देती रहो’

और मैंने धीरे से थोड़ा सा अपने लंड को पीछे खिंचा और फिर उसी तरह जड़ तक घुसा दिया। तीन चार बार ऐसा किया तो वह आह आह करने लगी। मैं समझ गया कि अब उसे मजा आने लगा है। अब मैं स्पीड बढ़ाने लगा। कुछ देर बाद मैं महसूस किया कि रिंकी भी नीचे से धक्का देने लगी है।

फिर क्या था मैं सटासट, जोर से आगे-पीछे धक्का देने लगा।

अब वह बोलने लगी- हाँ सर, इसी तरह, हाय मेरे राजा कितना अच्छा, हाय घुसाओ जोर जोर से चोदो सर, खूब चोदो सर, फाड़ दो राजा, भरता बना दो मेरी बुर का! हाँ, ऐसे ही चोदो, चोदो, खूब चोदो, आह चोदते रहो सर, मैं आपकी हो गई सर, खूब मजा दे रहे हो, हाय आह-आह आह! मेरे सोना सर कितना अच्छा है.. सर अब मैं तुम्हारे लंड की दीवानी हो गई। मेरी बुर का चिथड़ा निकाल दो, हाय जोर से, और जोर से, करो, करो हाय, चोदो जोर से चोदो, मारो धक्का, लो मैं भी धक्का देती हूँ चोदो, और जोर से और..जो र से च ओ दो चो दो हाय मैं गई! मैं गई राजा! हाय गई!

और वह झड़ गई।

मैं फिर भी उसे जोर जोर से धक्का लगाकर चोदता रहा। और मैं बोलने लगा- रिंकी रानी कैसा लगा, हाय मजा आया न, मैं बोला था न, जन्नत का सैर करा दूंगा। लो अब मैं भी गया, रानी हाय आ..अ..आ.’

और मेरा सारा वीर्य रिंकी की बुर में झड़ गया। मैं पांच मिनट तक रिंकी की बुर में लंड डाले रहा और उस पर लेटे रहा। फिर उठ कर लंड बाहर कर लिया। मैंने देखा कि रिंकी आँखे बंद कर सुध-बुध खोकर एक नशे में डूबी हुई है।

मैं उसे उसी अवस्था में छोड़कर रूमा, जो दरवाजे पर खड़ी थी, के पास जाकर उसे कस कर चूम लिया और कहा- कैसा लगा चुदाई का खेल?
तो वह शर्म से लाल हो गई।
मैं उसकी चूची पकड़कर क्लास वाले कमरे में ले गया और उसकी बुर में उंगली डाल कर तैयार करने लगा। वह भी मेरे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी, मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा।

मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया और वह उसे लॉलीपॉप जैसा चूसने लगी। इतने में रिंकी उस कमरे में आ गई। रूमा के साथ यह सब करते देख वह गुस्से में लाल हो गई और रूमा को एक चपत लगा कर धकेल दिया और बोली- रूमा तुमको सर के साथ इतना करने की इजाजत मैं नहीं दूंगी। सर सिर्फ मुझे चोदेंगे। सिर्फ मुझे। बस मैं तुम्हें सर से सिर्फ ऊपर तक की ही इजाजत दे सकती हूँ। खबरदार, जो इससे आगे बढ़ी। सर सिर्फ मेरे हैं!’

फिर दोनों ने ठीक से अपना अपना स्कूल ड्रेस पहना और आइने की मदद से बाल वगैरह ठीक किए। रिंकी ने मुझसे जोर से चिपक कर मुझे जबरदस्त चुम्बन दिया और बोली- सर, मैं तो डर गई थी, पर अब पता चला कि आपके लंड को लेकर मैं जन्नत पहुँच गई। मैं अभी भी उसी में खोई हुई हूँ। सर अब जब चाहें मुझे चोद सकते हैं। मैं तो दिन रात आप से चुदवाते रहती! पर मजबूरी है। जाना तो पड़ेगा ही, फिर मिलेगे, फिर चुदाई का खेल खेलेंगे। मुझे तो लग रहा है कि मैं आपके लंड को अपनी बुर में रख कर के ले जा रही हूँ, हाय सर, है आपका लंड!

कह कर जाते मेरे लंड पर किस कर ली और ‘बाई सर, बाई आपका लंड!’ कहते हुए मेरे लंड को मसल कर मुझे फिर किस देकर चली गई। Antarvasna

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हम पति पत्नि दोनों ही गांव छोड़ Hindi Sex Stories कर नौकरी के सिलसिले में दिल्ली आ गये थे। मेरा देवर भी पढ़ाई के लिये हमारे साथ यहां आ गया था। मेरा देवर राहुल कॉलेज में था उसे सुबह जाना होता था और 12 बजे तक वापस आ जाता था। मैं दोनों का नाश्ता और खाना सुबह ही तैयार देती थी। राहुल सवेरे उठ कर मुझे जगा देता था, कई बार मैं कम कपड़ो में सोती थी, तब राहुल मुझे बहुत गौर से देखता रहता था। शायद वो मेरे बोबे निहारता था। अगर कभी कभी रात को पति से चुदाने के बाद मैं ऐसे ही सो जाती थी। मुझे अस्तव्यस्त कपड़ों में राहुल का मुझे ऐसे निहारना रोमांचित कर देता था। पर वो तो दिन भर अपने आप को इन चीज़ो से अनजान ही बताता था। वो भी जब कभी पेशाब करता था तो मौका देख कर लण्ड को ऐसे निकाल कर करता था कि उसका लण्ड मुझे दिख जाये। मैं भी उसके लण्ड की छवि मन में उतार लेती थी और वो मेरे मन में बस जाता था। अपने ख्यालो में मैं उस लण्ड से चुदती भी थी।

जब वो करीब 12 बजे दिन को लौटता था तो उसे खाना परोसते समय मैं झुक कर अपने स्तन के दर्शन जरूर कराती थी, वो भी तिरछी नजरों से मेरे सुडौल स्तनों का रसपान करता था। पजामे में से उसका लण्ड जोर मारता स्पष्ट दिखाई देता था।

जब दोनों तरफ़ आग लगी थी तो देरी किस बात की थी। जी हां … हमारे रिश्तों की दीवार थी, मेरी उम्र की दीवार थी … उसे तोड़नी थी … पर कैसे ??? देखने दिखाने का खेल तो हमने बहुत खेल लिया था … अब मन करता था कि आगे बढ़ा जाये, कुछ किया जाये … … शायद ऊपर वाले को भी हम पर दया आ गई थी … … यह दीवार अपने आप ही अचानक टूट गई।

दिन में खाना खा कर राहुल अपने बिस्तर पर लेटा था। मैं भी अपने कमरे में जा कर लेट गई थी। मन तो भटक रहा था। मेरे हाथ धीरे धीरे चूत पर घिस रहे थे। मीठी मीठी सी आग लग रही थी। मेरा पेटीकोट भी ऊपर उठा हुआ था। हाथ दाने को सहला रहा था। अचानक मुझे लगा को कोई है? मैंने तुरन्त नजरें घुमाई तो राहुल दरवाजे पर नजर आ गया। मैंने जल्दी से पेटीकोट नीचे कर लिया और बैठ गई। राहुल डर गया और जाने लगा … शायद वो कुछ देर से मुझे देख रहा था …

“ए राहुल … इधर आ … ” मैंने उसे बुलाया ” देख भैया को मत कहना जो तूने देखा है।”

“नहीं भाभी, नहीं कहूंगा … आपकी कसम !”

“ले ये 50 रु रख ले बस … !” मैंने उसे रिश्वत दी। राहुल की आंखे चमक उठी, उसने झट से पैसे रख लिये।

“आप बहुत अच्छी है भाभी … !” उसका लण्ड अभी भी उठान पर था, मुझे ये सब करता देख कर वो उत्तेजित हो चुका था।

“तुझे अच्छा लगा ना … ” मैंने शरम तोड़ना ही बेहतर समझा।

“हां … भाभी, पर आप भी मत कहना भैया से कि मैंने आपको ये सब करते हुये देख लिया है।”

मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई … तो सब इसने देख लिया है … मैं समझी थी कि बस थोड़ा सा ही देखा होगा। मुझे लगा कि अब राहुल मुझसे चुदाई के बारे में फ़रमाईश करेगा। पर हुआ उल्टा ही … राहुल की सांसे तेज हो गई थी … उसके चेहरे पर पसीना आ रहा था … राहुल मेरे कमरे से बाहर निकल कर अपने कमरे में आ गया। मुझे लगा कि आज मौका है, लोहा गर्म है, माहौल भी है … कोशिश कर लेनी चाहिये।

इसी कशमकश में 15 मिनट निकल गये। हिम्मत करके मै उठी और धीरे से उसके कमरे में झांका। वो किन्हीं ख्यालो में खोया हुआ था या उसे वासना की खुमारी सी आ रही थी। पजामे में उसका लण्ड खड़ा था और उसके हाथ उस पर कसे हुये थे। आंखे बन्द थी और वो शायद हौले हौले मुठ मार रहा था। शायद मेरे नाम की ही मुठ मार रहा था। आनन्द में मस्त था वो। मैं दबे पांव उसके बिस्तर के पास आई और उसके बालों पर हाथ फ़ेरा। उसने अपनी आंख नहीं खोली, शायद वो इसे सपना समझ रहा था। मैंने अपना होंठ उसके होंठो से मिला दिये और उसे चूमने लगी। वो तन्द्रा से जागा। उसके होंठ कांप उठे और अपने आप खुल गये।

” भाभी … आप … !” उसके हाथ मेरी कमर में आ गये, उसकी वासना से भरी आंखे गुलाबी हो रही थी।

“राहुल मत बोल कुछ भी … तू मुझे प्यार करता है ना … !” मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और दबाने लग गई, ताकि उसके इन्कार की गुन्जाइश नहीं रहे।

“भाभी … हाय मेरा लण्ड … मैं मर गया … मत करो ना … !” उसकी झिझक अभी बाकी थी। पर उसका लण्ड बहुत जोर मार रहा था।

“तू कितनी बार मुठ मारेगा … आजा आज अपनी कसर निकाल ले, कितना मोटा लण्ड है तेरा … !” उसके लण्ड को मैंने जबरदस्ती कस कर पकड़ लिया और उसे दबाने लगी। आखिर उस पर वासना सवार हो ही गई। उसने विरोध करना छोड़ दिया और लण्ड को मेरे हवाले कर दिया। मैं धीरे से उसके ऊपर चढ़ गई और उसे अपने जिस्म के नीचे दबा लिया। अपना पेटीकोट भी ऊपर करके नंगी चूत उसके पजामे में खड़े कड़क लण्ड के ऊपर रख दी और हौले हौले घिसने लगी। राहुल उत्तेजना से तड़प उठा। उसने मेरे कठोर स्तन थाम लिये और सहलाने लग गया। मेरे स्तन कड़े होते जा रहे थे। चूचक भी कड़क हो कर फूल गये थे। चूत से पानी रिसने लगा था। मेरे शरीर का बोझ उस पर बढ़ने लगा।

“राहुल पजामा उतार दे ना … हाय रे देख तेरे लण्ड की क्या हालत हो रही है।” मुझे चुदाने की जोर से इच्छा होने लगी थी। चूत में जोर की मिठास भरने लगी थी।

“भाभी, आप भी पेटीकोट उतार दो ना … मुझे आपका सब देखना है … ” उसकी बेताबी देखते बनती थी, लगता था कि राहुल की भी प्रबल इच्छा हो रही थी कि अपनी भाभी की मस्त चूत और गाण्ड की प्यारी प्यारी गोलाइयाँ देखे।

“सच राहुल … मेरी चूत देखेगा, … मेरी चूंचिया देखेगा … सुन, अपना लण्ड मुझे दिखायेगा ना !” मेरी बेताबी बढ़ने लगी। चूत का पानी साफ़ करते करते पेटीकोट भी गीला हो गया था।

“हां, मेरी भाभी … जो चाहोगी आप कर लेना।” राहुल नंगा होने को बेताब लग रहा था। उसकी कमर चोदने की स्टाईल में कुछ कुछ ऊपर नीचे हो रही थी।

मैंने धीरे से उसका पजामा उतार दिया। उसका मस्त तन्नाया हुआ लण्ड बाहर निकल कर झूमने लगा। थोडी सी गोल सी चमड़ी में से उसका सुपाड़ा झांक रहा था। मैंने उसका लण्ड पकड़ लिया और सहलाने लगी। उसकी सुपाड़े की चमड़ी खींच कर लाल सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी स्किन लगी हुई थी , मतलब उसने किसी को नहीं चोदा था, फ़्रेश माल था। मेरा प्यार उस पर उमड पड़ा।

“राहुल, प्लीज अपनी आंखे बन्द कर लो, मुझे अब कुछ करना है … !” मैंने राहुल से वासनामय स्वर में कहा। राहुल ने चुपचाप अपनी आंखे बन्द कर ली। मैंने थूक का बड़ा सा लौन्दा उसके सुपाड़े पर रख दिया और उसे मलने लगी। उसके मुख से सिसकारियाँ फ़ूट पड़ी। मैंने अब झुक कर उसका मस्त लण्ड मुख में ले लिया और मुख में लण्ड अन्दर बाहर करके अपना मुख चोदने लगी। वो मस्ती में सिमट गया और … आहें भरने लगा।

“अपनी टांगे उठाओ राहुल … थोड़ी और मस्ती करनी है … !” मुझे उसकी गाण्ड को अंगुली से चोदने की इच्छा होने लगी।

“लो उठा ली टांगें … ” उसने अपनी टांगें ऊपर उठा ली। उसकी गाण्ड खुल गई।

मैंने उसकी गाण्ड को सहलाने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के फ़ूल को छूने लगी और दबाने लगी। उसकी गाण्ड के छेद में थूक लगा कर एक अन्गुली धीरे से अन्दर सरका दी। राहुल चिहुंक उठा। धीरे धीरे अंगुली अन्दर बाहर करने लगी … राहुल झूम उठा।

“भाभी … आप तो सब कुछ जानती है … कितनी अच्छी है … कितना मजा आ रहा है … मेरा लण्ड रगड़ दो ना !” उसकी सिसकारियां बढ़ने लगी, आहें फ़ूट पड़ी।

“मजा आ रहा है ना … !” मैंने दूसरे हाथ से उसका लण्ड पकड कर मुठ मारना चालू कर दिया। पर ये क्या … वो टांगे समेट कर एठने लगा और उसका वीर्य छूट पड़ा। ढेर सारा वीर्य निकलता गया … मैंने फ़ुर्ती से लण्ड को अपने मुख में ले लिया और गटागट पीने लगी। उसकी गाण्ड में से अन्गुली निकाल ली। उसकी सांसे उखड़ रही थी। वो अब धीरे धीरे अपनी सांसें समेट रहा था, अपने आप को कन्ट्रोल कर रहा था।

अब कपड़े उतारने की मेरी बारी थी। मैं भी बेकाबू हो रही थी। मैं चाह रही थी कि वो भी मेरे जिस्म से खेले। मेरी चूंचियो को दबाये,, खींचे, घुमाये, मेरी चूत से खेले मेरी गाण्ड की गोलाईयाँ दबाये औए गाण्ड में मेरी ही तरह अंगुली करे। मैंने राहुल से कहा,” राहुल … अब आप भी अपनी इच्छा पूरी कर लो … कहो कहां से शुरू करोगे … ?” मेरे मुख से बोल नहीं वासना उमड़ रही थी।

“भाभी … मुझे तो आपके बोबे यानी चूंचियाँ बहुत जोरदार लगती हैं … जाने सपनो में कितनी बार दबा चुका हूँ।” राहुल ने शान्त स्वर में इकरार किया। और कुछ ही पल में उसने मेरे बचे खुचे कपड़े भी उतार दिये। उसने प्यार से मेरे मद मस्त बदन को निहारा और मेरे चूचियों को सहलाने लगा। मेरे कड़े चूचक उबल पडे। मेरे निपल को उसने घुमाना चालू कर दिया। मेरे मुँह से सीत्कार निकल पडी।

“राहुल … हाय … मसल दे रे मेरी चूंची … ” मैं झनझनाहट से तड़प उठी। मैंने प्यार से उसके चेहरे को चूम लिया। तभी उसका कुंवारा लण्ड धीरे धीरे खडा होता हुआ दिखने लगा। मैं तनमयता से लण्ड को एक्शन में आते देखने लगी। उसे देख कर मेरी चूत तड़प उठी। खड़ा होते होते उसका लण्ड फ़ुफ़कारें मारने लगा। मुझे लगने लगा कि बस अब राहुल मेरी चूत मार ही दे और मेरी चूत फ़ाड दे। लेकिन अभी उसके होंठो के बीच मेरे चूचक दबे हुये थे जिसे वो खींच खींच कर चूस रहा था या कहिये कि पी रहा था। उसमें से थोड़ा थोड़ा सा दूध आ रहा था।

अब उसके एक हाथ ने नीचे से मेरी चूत दबा दी। मैं हाय कर उठी … चूत के पानी से उसका हाथ गीला हो गया। अब धीरे धीरे बदन चूमता हुआ चूत की ओर बढ़ने लगा। मेरी चूत लपलपा उठी। कुछ ही क्षणों में मेरी फूली हुई चूत पर उसके होंठ जम गये थे। राहुल की जीभ बाहर निकल कर चूत के द्वार खोल कर कर अन्दर का रसपान करने लगी। मेरी कलिका फ़ुदक उठी, कठोर हो कर तन गई। जीभ का स्पर्श मुझे तेज मिठास दे रहा था। उब उसकी जीभ ने मेरी कलिका को होंठो के बीच दबा लिया था और उसको चूस रहा था। अचानक राहुल की एक अंगुली मेरी कोमल गाण्ड में घुस गई। और अन्दर बाहर होने लगी। ये सब कुछ मेरे सहनशक्ति के बाहर था । मेरे मुख से एक सीत्कार निकल पड़ी और उसके बालों को पकड़ कर मैंने उसके सर को अपनी चूत पर दबा दिया और अपना पानी उगलने लगी। मैं झड़ चुकी थी।

“हाय राहुल … मेरा तो दम निकल गया रे … मैं तो गई … आह्ह्ह्ह्ह् … मेरी मां री … …!! ” राहुल ने अपनी नशीली आंखों से मुझे देखा और मेरे ऊपर आ गया। मुझे चूमने लग गया।

“हाय मेरी भाभी, आप तो बडी मस्त हैं … काश आप मुझे पहले मिली होती … आपके नाम के कितनी बार मुठ मारी मैंने !”

” हां राहुल, मैंने भी तो कई बार तीन तीन अंगुलिया चूत में घुसेड़ कर कर पानी निकाला है तेरे नाम का … !”

” बस भाभी, अब देर ना करो … अपना भोसड़ा फ़ैला दो … मुझे अब अपनी मनमर्जी करने दो !” उसकी उत्तेजना बढ़ती देख मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी। अब मुझे जी भर के चुदना था। मैंने अपनी दोनों टांगें फ़ैला दी और अपना भोसड़ा चौड़ा दिया। पर उसकी मंशा कुछ और ही थी। उसने मुझे एक झटके में उल्टा कर दिया।

“भाभी, मेरा लण्ड तो आपकी गोल गोल लचकदार गाण्ड देख कर फ़ूलता है … पहले इसका नम्बर लगाऊंगा !” मुझे पता था कि उसका लण्ड अभी कुंवारा है, चोदने का अनुभव भी नहीं है अभी तो … फिर गाण्ड क्या मारेगा।

“देख अभी नहीं, बाद में गाण्ड मार लेना … अभी तो अपने लौड़े से मेरी चूत मार दे …! “

” नहीं भाभी … पहले गाण्ड का मजा, मेरा तो गाण्ड को देख कर ही माल निकल जाता है … प्लीज!”

मेरे गाण्ड का फ़ूल अब दबने लगा। उसने अपना लण्ड पकड़ा और उसने अपना सुपाडा खोला और थूक लगा कर हाथ से लण्ड को छेद पर फिर से दबाने लगा। मेरी गाण्ड नरम थी और गाण्ड मराने की मैं अभ्यस्त थी, सो छेद खुला हुआ था और बड़ा भी था। उसका सुपाड़ा मेरे छेद में अन्दर आकर फ़ंस गया। राहुल ने मर्दानगी के स्वर में कहा,”भाभी, तैयार हो ना … लो ये मेरा मोटा लण्ड … ।” और उसने पूर जोर लगा कर लण्ड अन्दर पेल दिया।

मुझे मस्ती आ गई … और राहुल के मुख से चीख निकल गई। उसका पूरा लण्ड अन्दर तक बैठ गया था। मैंने तुरन्त ही गाण्ड सिकोड़ ली ली और उसके लण्ड को कैद कर लिया। मुझे पता था अब वो तड़पेगा, दर्द से कराहेगा। मुझे वही मजा लेना था।

“बस … बस … हो गया … अब ऐसे ही रहना … तू तो सच्चा मर्द है रे … ! देख एक ही झटके में मेरी गाण्ड मार दी।” उसे शायद मेरा मर्द कहना अच्छा लगा। उसने अपनी चीख अब बन्द कर दी। मेरी पीठ पर अब वो लेट गया। मैंने अपनी गाण्ड के छेद को फिर से ढीला कर दिया।

“राहुल एक और मर्द वाला शॉट लगा दे बस … ” मैंने उसकी मर्दानगी जगाई। भला वो पीछे रहने वाला था। उसने एक जोरदार झटका मारा, फिर एक चीख निकल गई। पर उसने सहन कर ली। मैंने अपने पांव और खोल कर उसे राहत दी। वो भी अपनी मर्दानगी दिखाते हुए अब कमर चलाने लगा। मेरी गाण्ड चुदने लगी। मैंने मस्ती में आंखे बन्द कर ली। मुझे उसकी तकलीफ़ से कोई मतलब नहीं था। बस सटासट चुद रही थी। मेरी गाण्ड में लौड़ा लेने की पुरानी आदत थी सो गाण्ड हिला हिला कर उसका लण्ड गाण्ड में भरने लगी। शायद अब उसे भी मजा आने लगा था। उसका जलता हुआ गरम लौड़ा गाण्ड में मिठास भर रहा था। पर शायद उसे अब चोदने की लग रही थी। मेरे चिकनी चूत का मजा लेना चहता था। सो उसने अब अपना लण्ड गाण्ड से निकाल कर मेरे भोसड़े में घुसा दिया। उसे भी आराम मिला चिकनी चूत में। मुझे भी एक गहरा सा आनन्द दायक मीठा तेज मजा आया। ये चुदाई का मजा था। चूत में लण्ड जब घुसता है तो जन्नत नज़र आ जाती है। मैंने अपनी ग़ाण्ड थोड़ी ऊपर कर ली और चूत में गहराई तक लण्ड लेने लगी।

“राहुल, मेरे मर्द, लगा और जोर से, जड़ तक फ़ाड़ दे मेरे भोसड़े को … साली बहुत प्यासी है …! “

“मुझे मर्द कहा, मेरी भाभी … तुझे आज मर्द का पूरा मजा दूंगा भाभी … ले मेरा लण्ड और ले … “

“हाय रे … मैं मर गई राहुल … पेल और पेल … दे और दे … मैं मर जाउंगी मेरे राजा … “

उसका लण्ड अपने पूरे शबाब पर था, गहराई तक चोद रहा था। मेरी चूत का पानी निकल कर लण्ड को पूरा गीला कर चुका था, और फ़च फ़च की मधुर आवाजें कमरे में गूंजने लगी।

“जोर मार मेरे राजा … आह्ह्ह … मजा आ रहा है … लगा और जोर से … हाय रे … मर गई रे … ”

“हां, भाभी … मस्त मजा आ रहा है … आपकी चूत ने तो आज मेरे लण्ड को स्वर्ग दिखा दिया … हाय रे … ले और ले मेरा लौडा … “ उसकी गति भी बढ़ती जा रही थी और मुझे सारे बदन में वासना की मीठी मीठी तड़प बढ़ती जा रही थी। सारी दुनिया मेरी चूत में सिमटी जा रही थी। मेरे पूरे जिस्म में तूफ़ान आ आने वाला था। मैं होश खोती जा रही थी। राहुल का शरीर मुझ पर कसता जा रहा था। अचानक उसकी रफ़्तार बढ़ गई। मेरी सिसकारी निकल पडी। और मैं कसमसा उठी। मेरे जिस्म ने मेरा साथ छोड़ दिया और मेरा पानी चूत से छूटने लगा। उसके हाथ मेरे बोबे पर कस गये और उसके तन्नाये हुये कड़क लण्ड ने भी मेरे चूत के अन्दर अपना लावा उगलना आरम्भ कर दिया। मेरी चूत ने और उसके लौड़े ने एक साथ जोर लगाया। उसका लण्ड मेरी चूत की गहराई में जाकर अपना रस छोड़ रहा था, झटके खा कर वीर्य मेरी चूत में भरता जा रहा था। मैं भी चूत का जोर लण्ड पर लगा रही थी और अपना पानी निकालने में लगी थी। दोनों ही झड़ते जा रहे थे और आनन्द में मगन हो रहे थे। अब राहुल ने अपना बोझ मुझ पर डाल दिया और उसका लण्ड सिकुड़ने लगा। अपने आप ही वो चूत से बाहर निकल गया।

हम दोनों ही चुदाई से तृप्त हो कर एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे और चूमते जा रहे थे। अचानक मेरी नजर उसके लण्ड पर पडी, उसमें सूजन आ चुकी थी, ऊपर की चमड़ी कहीं कहीं से फ़ट चुकी थी। मुझे उसकी मर्दानगी पर गर्व था।

“राहुल, तू तो सच्चा मर्द निकला रे … अब आ तेरे लौड़े की ड्रेसिन्ग कर दूं !” मुझे उस पर दया भी आई। पर मुझे उससे आगे भी चुदना था सो उसे मर्द कह कह कर उसे जोश भी दिलाना था, कुछ ही देर में मैंने उसके लण्ड को साफ़ करके उस पर एंटीसेप्टिक क्रीम लगा दी। राहुल मर्द के नाम पर एक बार तो फिर चोदने के लिये तैयार हो गया, पर मैंने उसे प्यार से समझा दिया और अपनी गोदी में उसका सर रख कर उसे प्यार करने लगी। Hindi Sex Stories

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