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मैं राज मध्यप्रदेश के एक Antarvasna Stories महानगर में रहता हूँ। मैं अन्तर्वासना की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ और हमेशा सोचा करता था कि अपने यौन-अनुभव भी कभी अन्तर्वासना में भेजूंगा।
यूँ तो मैं सेक्स कई बार कर चुका हूँ पर मैं अपने जीवन के कुछ सर्वोत्तम पल आपके साथ बांटना चाहूँगा।
यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था जब मैं गयारहवीं कक्षा में था। मैं एक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूँ मगर तब तक जीवन में कभी कोई लड़की नहीं पटाई थी। मेरा एक दोस्त था विवेक ! हालांकि हम एक स्कूल में नहीं पढ़ते थे मगर बचपन में साथ खेले और घर पास-पास होने की वजह से हमारी दोस्ती काफी अच्छी थी। हम अक्सर एक दूसरे के घर आते जाते रहते थे। विवेक की एक छोटी बहन थी जो गजब की खूबसूरत थी। मगर हाय री मेरी किस्मत- वो भी मेरे एक दोस्त नीरज से पटी हुई थी।
जब भी उसको देखता था, तो लगता था कि एक मौका तो मिले अभी पकड़ कर बस चोद डालूँ ! दिखने में जितनी सेक्सी थी उतने ही तीखे उसका तेवर थे, चलती थी तो कमर ऐसे मटकाती थी जैसे कोई फ़िल्मी हिरोइन रैंप पर मॉडलिंग करने उतरी हो ! गोरा रंग, लम्बाई ५ फ़ुट ४ इंच के लगभग थी, लम्बे बाल, भरा हुआ बदन, वक्ष-आकार 34 और एकदम चिकनी थी। हाथ रखो तो फिसल जाये ! नीरज एक रईस बाप की औलाद था और उस पर खूब पैसे लुटाता था। दिव्या और नीरज जब भी साथ में होते, या विवेक के गैरहाजिरी में जब कोई मेसेज पहुँचाना होता तो नीरज के लिए मैं ही पोस्टमैन का काम करता।
शुरू शरू में तो मज़ा आता था, बाद में मुझे गुस्सा आने लगा। यह बात दिव्या भी समझ रही थी कि मैं उसके प्रति आकर्षित हूँ, मगर कहती कुछ नहीं थी, शायद इसलिए कि मेरा उसके घर आना-जाना था, और वो हमेशा अपने प्यार को सच्चा प्यार दिखाती थी और कहती थी कि मैं शादी नीरज से करूंगी। सो मैं भी कुछ नहीं कहता, बस अपने काम से मतलब रखता था। कभी कभी मौका मिलता तो इधर उधर से ताक-झांक कर लेता था जैसे कभी मेज़ पर बैठी तो नीचे झुक के चड्डी का रंग देखना, या सामने बैठ के उसके वक्ष को घूरना, मौका मिले तो हाथ भी लगा देता था, मगर कभी उसने कुछ कहा नहीं, बस घूर के देखती थी। भाई का दोस्त होने की वजह से कुछ कहती नहीं थी। शायद डरती थी कि कहीं मैं उसके और नीरज के बारे में विवेक को बता न दूँ।
सब कुछ ऐसे ही चल रहा था, परीक्षा ख़त्म हो गई थी और अब करियर बनने का समय था। इत्तेफाक से मैंने और दिव्या ने एक ही कोचिंग में प्रवेश लिया और हम दोनों साथ में आते-जाते थे। इसी बीच मैंने एक बार उसको प्रोपोज़ किया मगर उसने मुझे नीरज से पिटवाने की धमकी दी और मैं चुप हो गया। मगर सोचा कि जब मौका मिलेगा तो देख लूँगा !
एक दिन मेरी किस्मत खुल गई।
स्कूल शुरु हो चुके थे और बारिश का मौसम था। मैंने अपने स्कूल के दोस्तों के साथ फिल्म देखने की योजना बनाई। फिल्म थी दिल !
जल्दी पहुंचने की वजह से हम लोगों को पीछे की सीट मिल गई। फिल्म का इंटरवल हुआ लाइट जली तो देखा दिव्या सामने की सीट में थी मगर नीरज के साथ नहीं, किसी और के साथ !
पहले तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया मगर बाद में समझ में आ गया कि यह तो बड़ी चालू है।
खैर मैं भी चुप रहा और ऐसे बैठ गया कि वो मुझे ना देख पाए लेकिन मैं उसे देख सकूँ।
फिल्म के मध्यांतर के बाद मैंने देखा कि वो लड़का उसको इधर-उधर हाथ लगा रहा था और वो हिल-डुल रही थी। समझते देर नहीं लगी कि उनकी चूमा-चाटी चल रही है।
फिल्म ख़त्म हुई तो मैंने अपने दोस्तों से बहाना बना लिया कि मुझे कुछ खरीदना है, तुम लोग घर निकल जाओ।
अब मैंने अपनी बाइक स्टैंड से निकाली और दिव्या और उसके दोस्त का गेट से निकलने का इंतज़ार करने लगा। वो निकले, मैं उनका पीछा करने लगा। थोड़ी दूर ही एक पार्क है, जहाँ दिन के समय कोई आता जाता नहीं है, वो लोग उसमें चले गए, मैंने भी साइड में गाड़ी लगा दी।
मैंने देखा कि वो दोनों कोने में बैठ गए। मैं भी एक पेड़ पर चढ़ कर तमाशा देखने लगा कि देखें क्या करते हैं।
थोड़ी देर बाद लड़का उसके स्तन दबाने लगा। वो भी गरम हो गई थी, लड़के ने उसकी शर्ट अस्त-व्यस्त कर दी थी और उसका एक स्तन बाहर निकाल के चूस रहा था।
मैंने मौका देखा और एकदम से उनके सामने आ गया और दिव्या को एक झापड़ रसीद किया। वो एकदम से सकते में आ गए। दिव्या का एक स्तन अभी भी बाहर था। मैंने उस लड़के को भी दो झापड़ मारे और सीधे दिव्या को डाँटने लगा, कहा- घर चल ! मम्मी पापा और सबको बताऊँगा !
उस लड़के ने सोचा कि मैं कोई उसके घर का हूँ, वो वहाँ से भाग गया। अब मैं और दिव्या वहाँ अकेले रह गए। उसने बहाना बनने की कोशिश की तो मैंने पिक्चर हाल से लेकर अब तक का पीछा करने की सारी बात बता दी और यह भी कहा कि नीरज को सारी बात बता दूँगा और तेरे घर में भी !
वो डर गई और मुझसे माफ़ी मागने लगी।
अब मेरी बारी थी, मैंने उसको धीरे से सहलाया और कहा- ठीक है, पर जो कहूँगा वो करना पड़ेगा !
उसने मुझे तिरछी निगाहों से देखा और कहा- ठीक ! फिर नीचे देखकर कहा- ठीक है, मगर वादा करो कि किसी को कुछ नहीं कहोगे !
मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसके वक्ष पर हाथ रख दिया और दबाते हुए कहा- अब बोलो क्या सब कुछ?
तो उसने कहा- हाँ !
अरे मेरी तो लॉटरी निकल पड़ी। उसको बाइक पर बिठाया और सीधे उसको लेकर उसके घर पहुँचा। मुझे पता था कि अंकल- आंटी जॉब पर गए होंगे और विवेक चार बजे स्कूल से आएगा… मतलब लगभग दो घंटे थे मेरे पास…
अब हम घर के अन्दर आये, तब तक वो सामान्य हो गई थी। मैंने उससे कहा- एक ग्लास पानी ला दो !
उसके जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर लिया और सीधे उसके पीछे रसोई में चला गया। उसके हाथ में ग्लास था, मैंने पानी पिया और उसको पकड़ लिया।
उसने कहा- राज नहीं, मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दो और यहाँ से जाओ…
मैंने कहा- अच्छा ठीक है, जाता हूँ, शाम को आऊँगा और सबको सब कुछ बता दूंगा !
यह कह कर मुड़ गया…..
उसने कहा- तुम ऐसा नहीं करोगे….
तो मैंने कहा- तू कुछ भी करे तो ठीक ! और मैं तुमको प्यार करना चाहता हूँ तो तुमको गलत लगता है…….
वो रोने लगी, मैंने आगे बढ़कर उसके आँसू पौंछे और कहा,”पगली… मैं भी तुमको बहुत चाहता हूँ…. मगर तुमने कभी समझा ही नहीं…….
तो उसने कहा कुछ नहीं मगर प्यार से मुझे पप्पी दे दी……
अब क्या था ! हो गई बल्ले बल्ले……..
मैंने उसको बेडरूम में चलने को कहा तो उसने बोला- कोई आ जायेगा तो क्या करेंगे?
मैं बोला- बोल देना कि ट्यूशन का होमवर्क कर रहे थे।
इसके पहले वो कुछ कह पाती, मैंने उसको अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले आया।
उसने कहा- राज ! कोई आ गया तो क्या होगा? मैंने कहा- मैंने दरवाजा बंद कर दिया है और अब तुम कुछ मत सोचो !
फिर मैंने उससे बेड पर बैठाया और उसके वक्ष पे हाथ फ़ेरते हुए उसके शर्ट के बटन खोल दिए। दिव्या शांत लेटी हुई थी, उसके बदन में कोई भी हरक़त नहीं हो रही थी। अच्छा तो नहीं लग रहा था, मगर मैं यह अवसर जाने नहीं देना चाहता था, सो शर्ट खोलने के बाद उसका स्कर्ट भी खोल दी और अब वो सिर्फ मेरे सामने ब्रा-पेंटी में थी। देर न करते हुए मैंने उसके दोनों अधोवस्त्र भी अलग कर दिए।
वाह, क्या सीन था ! वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थी, उसके दोनों स्तन लाजवाब थे, गोल-गोल और उन पर गुलाबी चुचूक देख कर मज़ा आ रहा था।
मैंने अपने कपड़े भी उतार फेंके और उसके पास लेट गया और उसके बालों को सहलाया और गाल पर चूम लिया। मैं यह जान गया था कि अब बाज़ी मेरी है।
मैंने उससे कहा- दिव्या ! अब मेरे तुम्हारे बीच कोई पर्दा नहीं रहा ! तुम मेरा साथ दो और जीवन के मज़े लूटो ! आखिर तुम भी तो यही करना चाहती थी !
ये कहते ही मैं उसके रसीले होंठों को चूमने लगा एक हाथ से उसके गोले मसल रहा था और दूसरे से उसकी जांघ ! और चूत से खेलने लगा।
धीरे धीरे उसके बदन में भी हरक़त होने लगी। तब मैंने उसे कहा- अपनी टाँगे फ़ैलाओ !
तो उसने साथ दिया, मैंने भी देर न करते हुए अपनी जीभ सीधे उसकी चूत में डाल दी और चाटने लगा। थोड़ी देर में वो कसमसाने लगी और उसका पानी चूने लगा।
मैं बोला- तुम भी मेरा पप्पू मुँह में लो !
और यह कहते ही उसके होंठों में मैंने अपना लण्ड रख दिया। मेरे लण्ड को देखते ही वो डर गई क्योंकि मेरे लण्ड का आकार सात इंच का है और काफी तगड़ा है।
वो वोली- इतना मोटा? क्या तुमको कोई बीमारी है?
मैंने कहा- नहीं पगली, यह तो सामान्य है !
तो उसने कहा- नीरज का तो छोटा सा है ! ( दिल में ख़ुशी हो रही थी कि अब वो मुझसे खुल रही है और बात भी कर रही है)
मैंने कहा- तो तुमने उसके साथ सेक्स कर लिया है?
तो वो बोली- नहीं, एक बार उसको सु-सु करते देखा था।
मैंने कहा- अच्छा !
फिर वो बोली- तुम कुछ करना नहीं ! नहीं तो मैं मर जाऊंगी ! तुम्हारा मेरे हिसाब से बहुत बड़ा है !
मैंने कहा- कोशिश करने में क्या जाता है, वैसे लड़कियों की योनि में यह आराम से फिट हो जाता है, प्रकति का नियम है।
तो बोली- नहीं राज ! मुझे डर लग रहा है।
मैंने कहा- अच्छा इसको चूसो तो सही !उसने मुँह खोला और धीरे धीरे करते हुए पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गया। मेरा एक हाथ अब भी उसके स्तन मसल रहा था और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।
लगभग पाँच मिनट के बाद मैंने बोला- अब लेटो !
तो वो मना करने लगी।
मैंने बोला- कुछ नहीं होगा !
थोड़ा मनाने के बाद वो मान गई और टाँगें फैला ली, मैंने ऊँगली से उसकी चूत को चौड़ा किया और अपना सुपारा उसमें टिका दिया और धीरे से अन्दर डाला। लगभग एक इंच तक वो वोली- नहीं ! दर्द हो रहा है !
मैंने बोला- पप्पू राजा अपनी जगह बना रहा है, अब मज़ा आएगा ! और बोलते ही तेज़ झटका दिया। लगभग आधा लण्ड अंदर था। वो चीख पड़ी- हाय मर गई ! मरी मैं तो !
मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसके ऊपर लेट कर धीरे धीरे हिलने लगा।
अब उसको भी अच्छा लग रहा था, मगर मुझे अन्दर कोई चीज़ अड़ सी रही थी। फिर मैंने उसके होटों पे अपने होंठ रख दिए और पूरा जोर का धक्का मारा। मेरा लण्ड एकदम अन्दर चला गया, वो चीख रही थी, उसकी आँखों से आंसू आ गए थे।
मैं शांत हो गया और उसके ऊपर हाथ फेरने लगा। दो-तीन मिनट तक वैसे ही पड़े रहने के बाद मैंने अपना मुँह उसके मुँह से अलग किया तो वो बोली- बहुत दर्द ही रहा है ! प्लीज़ निकाल लो !
मैंने कहा- हाँ ! पर अब तो जो होना है हो गया ! तुम मेरी हो गई हो !
उसने भी मुस्कुराते हुए अपनी मुंडी साइड में छिपाने की कोशिश की।
मैंने कह दिया- अब चलो, जिन्दगी के मज़े लूटते हैं !
वो कुछ नहीं बोली। मैं अब अपना शरीर आगे-पीछे करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और अजीब अजीब सी मुखाकृतियाँ बनाते हुए सिसकियाँ ले रही थी। मेरे शरीर के धक्कों के साथ उसके स्तन भी ऊपर-नीचे हो रहे थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
लगभग 15 मिनट के बाद मुझे कुछ होने लगा। इससे पहले कि कुछ समझ पाता, मेरे लण्ड से पिचकारी फ़ूट पड़ी। मेरा वीर्य उसकी चुद में ही गिर गया।
अब मैं निढाल हो गया, धीरे से अपना लण्ड बाहर निकाला तो देखा उसका बिस्तर खून से लाल था, मेरे लण्ड में भी काफी जलन हो रही थी, दोनों ने एक साथ जो अपना कुवांरापन खोया था और दुनिया के सबसे कीमती सुखों में से एक प्राप्त कर लिया था।
हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और अब उसने अपना सर मेरी छाती पर रख दिया और दोनों आराम से लगभग दस मिनट तक वैसे ही पड़े रहे। बातों ही बातों में मैंने उससे उस लड़के के बारे में जानकारी हासिल कर ली और उसको कहा- मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा और यदि तुम ठीक रही तो आगे चल के तुमसे शादी भी कर लूँगा।
उसने मुझे पहली बार अपने मन से एक पप्पी दी, मुझे बहुत अच्छा लगा।
तभी समय देखा तो साढ़े तीन हो रहे थे। मैं उठा और कहा- अब विवेक आने वाला है, अब मुझे जाना चाहिये !
वो भी उठी मगर लड़खड़ा गई, मैंने उसे सहारा दिया, वो सीधे बाथरूम गई, मैं भी साथ-साथ गया, देखा कि वो बैठ के मूत रही थी। फिर उसने सबसे पहले बेडशीट उठाई और पानी में डाल दी।
मैंने पूछा- क्या तुम नोर्मल हो?
उसने कहा- हाँ, थोड़ा दर्द है !
मैंने कहा- ठीक है ! मैं जाता हूँ ! और चला गया।
शाम को मैं विवेक और नीरज से मिला, उनको कहा- दिव्या को एक लड़का छेड़ता है, जो उसके साथ पास वाली ट्यूशन में है।
हम लोग मिल गए और फिर अगले दिन तीन चार और दोस्तों को लेकर उस लड़के की जम से धुनाई की। वो मुझे दिव्या का भाई समझ रहा था और माफ़ी मांग रहा था।
इस तरह रास्ते का एक कांटा साफ़ हो गया। अब नीरज की बारी थी… मुझे मालूम था कि बहुत जल्द उसके मम्मी पापा उसका पढ़ने के लिए दिल्ली भेजने वाले हैं और वो यदि चला गया तो दिव्या मेरी कही कोई बात नहीं टालेगी।
और फिर हुआ भी वही… अगले साल वो दिल्ली चला गया। फिर मैंने लगभग तीन साल तक दिव्या के साथ मज़े किये, मगर हम दोनों अलग अलग कॉलेज में ले लिए।
एक दिन मैंने फिर उसको किसी और के साथ देखा, उसी समय उसके पास गया और दो तमाचे जड़े और कहा- अब सब ख़त्म ! हालांकि उसके बाद भी हम जिंदगी मज़े लेते रहे !
फ़िर उसकी शादी हो गई, मेरी भी शादी हो चुकी है…
मगर साल में मुझे उससे एक बार सम्भोग करने का मौका मिल ही जाता है ! वो भी मज़े में और मैं भी !
बाय दोस्तो ! अगली कहानी के साथ मैं बहुत जल्द आऊँगा। Antarvasna Stories
मेरी मौसी (दूर की) की लड़की Hindi Sex Stories प्राची (सालगिरह की अनोखी भेंट) के साथ मेरे सेक्स की कहानी आप ने पढ़ी होगी … इस बार मैं आप को प्राची की बड़ी बहन किरण और मेरी सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूँ।
किरण दिखने में तो सेक्सी थी लेकिन थोड़ी गुस्से वाली और जब देखो तब सबके ऊपर हुक्म चलाती थी, इस लिए मेरी उससे ज्यादा पटती नहीं थी, कालेज में भी कोई उसका करीबी दोस्त नहीं थे।
छुट्टियों के दिन थे। एक दिन हम सब पिकनिक पर गए हुए थे। अचानक किरण ने कहा- चलो सब नदी में नहाते हैं।
लेकिन सब ने मना कर दिया क्योंकि मेरे अलावा किसी को तैरना नहीं आता था।
तो वो रूठ गई और कहने लगी- आप सब को आना है तो चलो, वरना मैं अकेली ही जाती हूँ।
थोड़ी देर बाद मौसी ने कहा- श्याम जा देख किरण ठीक तो है और हो सके तो उसको मनाकर साथ ले आ।
नदी सिर्फ़ 3-4 मिनट ही दूर थी। मैंने वहाँ जाकर देखा, तो वो घुटनों तक पानी में बैठ कर खेल रही थी। मुझे ताने कसने का मौका मिल गया, मैंने कहा- मुझे तो लगा तुम तैरती हुई दूर निकल गई होगी!
तो उसने कहा- जानती हूँ, तुम बहुत स्मार्ट बनते हो … मुझे तैरना सिखाओ …
मैंने कहा- उसके लिए गहरे पानी में जाना पड़ेगा।
“तो ठीक है …”
मैंने कहा- मौसी ने मुझे यहाँ तैरना सिखाने नहीं, तुम्हें बुलाने भेजा है …
तो वो बोली- ठीक है मैं आती हूँ लेकिन मुझे एक बार उधर गहरे पानी में ले चलो …
मैंने पूछा- तुम डरोगी तो नहीं?
वो बोली नहीं …
मैंने उसका हाथ पकड़ा और गहरे पानी में ले गया। जब पानी गले तक आ गया तो मैंने कहा- चलो अब वापस चलते हैं …
किरण मना करने लगी और बोली- प्लीज़, मुझे तैरना सिखाओ …
मैंने कहा- आज नहीं, फ़िर कभी, लेकिन वो नहीं मानी।
मैंने कहा- ठीक है … मैं तुम्हें कमर से पकड़ता हूँ, तुम धीरे-धीरे अपने पैर और हाथ हिलाओ … लेकिन वो नहीं कर पा रही थी।
तो मैंने कहा- कमर भर पानी में चलते हैं, मैं तुम्हें मेरे दोनों हाथ पर उल्टा लेटाता हूँ ताकि तुम्हें हाथ-पैर हिलाने में आसानी हो सके …
अभी उसके कमर के नीचे का भाग मेरे दांए हाथ में था और छाती के नीचे का भाग बांए हाथ में था। वो हाथ-पैर हिलाने लगी … लेकिन मेरा हाल ख़राब होने लगा, क्योंकि मेरे हाथों में एक भीगी-सेक्सी लड़की थी, पानी में होते हुए भी मैं उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर रहा था, मुझे शरारत सूझी, मैंने उसे पानी में छोड़ दिया, वो डर गई और इधर उधर हाथ मारने लगी … पानी इतना गहरा नहीं था इस लिए मैंने उसे खड़ा कर दिया … लेकिन वो डरी हुई थी इसलिए मुझसे लिपट गई.
मुझे और क्या चाहिए था … मैं भी उसे चिपक गया। मैंने उसके निप्पलों को अपनी छाती पर महसूस किया। उसकी भारी-भारी साँसों ने मुझे मदहोश कर दिया … मेरे हाथों ने उसे और कस लिया, मेरा लंड भी खड़ा हो गया … मदहोशी में कब मेरा हाथ उसके गांड पे चला गया पता ही नहीं चला … उसे भी शायद मज़ा आ रहा था.
कुछ पल के बाद उसने उसका हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और मेरी तरफ़ मुँह उठाया और मुझे देखने लगी … मैं भी उसे देखता ही रहा और उसके ऊपर झुकने लगा … और … हल्के से उसके नरम गीले होठों को मेरे होठों ने छुआ … दोनों के शरीर में जैसे बिजली दौड़ गई … एक दूसरे से और ज़ोर से लिपट गए और किस करने लगे। उसके हाथ मेरे बालों में और मेरे हाथ उसकी पीठ और गाँड पर चल रहे थे।
अब मैं एक हाथ उसकी कमर से होते हुए उसकी जांघों को सहलाने लगा और धीरे से उसकी चूत को कपड़े के उपर से ही सहलाने लगा … उसे यह बहुत अच्छा लग रहा था इसलिए कोई विरोध नहीं किया … हम दोनों एक दूसरे को जम के किस कर रहे थे और सहला रहे थे.
लेकिन अचानक उसने मुझे पानी में धकेल दिया और बोली- जल्दी चलो देर हो गई है और कोई भी आ सकता है …
हालात को समझते हुए हम दोनों वहाँ से निकल लिए और रात को मेरे रूम में मिलने की योजना बनाई।
शाम को करीब 6 बजे घर पहुंचे। मौसी, प्राची, किरण ने मिलकर खाना बनाया। खाना खाने के बाद सब टीवी देखने बैठ गए। साढ़े दस के बाद सब सोने चले गए। मैं भी ऊपर अपने कमरे में आ गया। कपड़े निकाले और हर रोज़ की तरह नंगा ही सो गया।
तक़रीबन साढ़े बारह बजे मेरी रूम का दरवाजा खुला … किरण ही थी … मैं झट उठा दरवाजे को लॉक किया और एक दूसरे की बाँहों में समा गए … जम कर चुम्मा-चाटी हुई। दस मिनट बाद मैं धीरे-धीरे उसके बूब्स दबाने लगा … किरण मचल उठी … धीरे से मैंने उसका नाईट गाउन उतार दिया … उसने नीचे कुछ भी पहना हुआ नहीं था … अब हम दोनों नंगे थे। वो अपने आप को मेरे सामने नंगा देख थोड़ी शरमा गई। क्योंकि किरण पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी खड़ी थी … हमेशा उखड़ी-उखड़ी रहने वाली किरण आज कोमल सेक्सी और खुश दिख रही थी।
अब मैं उसने कान और गर्दन को चूमने लगा और उसके स्तनों को बारी-बारी से मसलने लगा … उसके चूचुक एकदम कड़क थे … उसके साथ खेलने का मज़ा आ रहा था … उसके मुँह से आह्ह्ह्ह … ऊऊउम्म्म जैसी सिसकारियाँ निकल रहीं थीं।
अब मैं उसके निप्पलों को चाटने लगा और एक हाथ उसकी जाँघ पर घुमाने लगा। किरण भी मेरे लण्ड को सहला रही थी … अब किरण एकदम गर्म हो गई थी और मेरे बालों को हल्के से खींच रही थी। मैं निप्पल और बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा और उसी समय मेरी बीच वाली उंगली से उसकी चूत को सहलाने लगा और आखिर में उंगली को घुसा ही दिया उसकी गर्म चूत में और धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा.
उसको मज़ा आ रहा था … उसकी सिसकारियाँ बढ़ने लगीं थीं … एकदम से उसका सारा शरीर कड़क हो गया … शायद वो झड़ने वाली थी … मैंने झट से अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया ताकि मैं उसका पहला पानी पी सकूँ, और जीभ से चाटने लगा … जैसे ही मैंने मेरी जीभ उसकी कुँवारी चूत में डाली, उसने अपना पानी छोड़ दिया …
अब मेरा लण्ड उसकी चूत के लिए बेक़रार था … मैंने पूछा- लण्ड को चूत में लेने के लिए तैयार हो?
उसने सिर हिलाकर हामी भर दी … मैं उसके पैरों के बीच खड़ा हो गया और लण्ड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा …
तो वह बोली- श्याम ज़ल्दी करो अब नहीं रहा जाता …
मैंने लण्ड को किरण की चूत के छेद पर सेट किया … साथ ही उसके होठों को चूमने लगा … और एक हल्का सा झटका मारा … पूरा सुपाड़ा उसकी बुर में घुस गया, उसके मुँह से ज़ोर की आह निकल पड़ी- दुखता है …
मैंने कहा- सिर्फ़ कुछ पल की बात है … और मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही बाहर निकाले बिना अन्दर हिलाने लगा …
किरण को भी अच्छा लग रहा था तो मैंने उसके मुँह पर अपना मुँह रख दिया और लौड़े को थोड़ा आगे-पीछे किया और ज़ोरदार झटका मारा … उसकी चीख मेरे मुँह में ही घुटकर रह गई … मैंने मौक़ा देखते ही दूसरा झटका मारा, इस बार सात इंच तक लण्ड अन्दर घुस गया … किरण छटपटाने लगी, आँखों से पानी बहने लगा … दर्द के मारे वो काँप रही थी, मैं ऐसे ही पड़ा रहा और एक हाथ से उसके बूब्स को सहलाने लगा।
2-3 मिनट बाद उसका शरीर थोड़ा ढीला पड़ गया … अब मैंने उसके मुँह से अपना मुँह हटा लिया ताकि वो आराम से साँस ले सके, मैंने उसके एक बूब पर अपनी जीभ फेरनी चालू कर दी और दूसरे को मसलने लगा … कुछ ही पलों में उसने भी साथ देना चालू कर दिया। उसकी गांड धीरे-धीरे हिलने लगी … अब मेरा रास्ता आसान था, मैंने भी मेरी गांड हिलानी चालू कर दी … मेरा लण्ड किरण की बुर में अन्दर-बाहर होने लगा … और मैंने उसकी बुर के अन्दर अपना पूरा लण्ड डाल दिया …
उसके मुँह से सिसकारियों का सिलसिला निकल रहा था … जो मुझे और भी अधिक कामुक बना रहा था। अब मैंने मेरे पिस्टन की गति बढ़ा दी। अब किरण भी मुझे गाँड़ उठा-उठा कर मेरा साथ दे रही थी … 4-5 मिनट बाद उसका शरीर अकड़ गया … उसने पानी छोड़ दिया.
लेकिन मैंने अपना काम चालू ही रखा। धीरे-धीरे मेरे लण्ड की गति बढ़ती जा रही थी … मेरा लण्ड उसकी चूत में काफी द्रुत गति से अन्दर-बाहर हो रहा था। आखिर मेरे झड़ने का वक्त आ ही गया, मेरी साँसें तेज़ होने लगी … पूरा शरीर पसीने से तर था … किरण भी चौथी बार झड़ रही थी … और मैं भी झड़ गया। मैंने अपना सारा वीर्य किरण की चूत में डाल दिया … हम-दोनों एक-दूसरे से चिपक कर ऐसे ही दस मिनट तक लेटे रहे।
उस रात हम भाई बहन ने एक बार और जमकर चुदाई की और सो गए।
दोस्तो, उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी अच्छी लगी होगी … प्लीज़ आपकी टिप्पणी अवश्य भेजें। Hindi Sex Stories
वैसे तो मेरा नाम ही संजू है Antarvasna गुजरात की औरतों की चूत में हलचल पैदा करने के लिये वैसे आप सभी दोस्त मुझे जानते ही हो।
एक दिन एक मेल आया और मुझसे कहा- कोन्टक्ट मी।
तो मैंने जवाब दिया और ऑनलाइन टाइम दिया।
दोस्तो, आप यकीन नहीं करोगे, उसने मेरे रिप्लाई के लिये 6 घंटे ऑनलाइन वेट किया था, उसने बाद में बताया था।
और मैं उसे मेल करके अपना पीसी बंद ही कर रहा था कि उसका रिप्लाई मेल ओन थिस स्पॉट आया और उसी वक्त हम ओन-लाइन मिले, मैंने उससे पूछा तुम कोन हो?
उसने बताया- मैं 24 साल की विवाहित औरत हूँ और आपकी कहानी मुझे बहुत पसंद आई।
मैंने पूछा- मैंने तो बहुत कहानियाँ लिखी हैं, आपको कौन सी पसंद आई?
उसने कहा- वो सुहागरात वाली।
मैंने उसे कहा- बोलिये, मैं आप के लिये क्या कर सकता हूँ?
उसने कहा- आप जानते ही हो।
मैंने कहा- सॉरी, मुझे नहीं पता कि तुम क्या कहना चाहती हो?
उसने कहा- मुझे बताने में शर्म आती है।
मैंने कहा- आपके और मेरे बीच जो बात होगी वो किसी तीसरे को पता नहीं चलेगी।
उसने कहा- आई वांट टू मीट यू एंड एन्जॉय विद यू !
मैंने कहा- आपका मतलब क्या है?
उसने कहा- तुम बड़े फ़ास्ट हो… ओ के… मैं तुम्हारे साथ सेक्स एन्जोय करना चाहती हूँ।
मैंने कहा- ठीक है, बताओ कब, कहाँ मिलना है?
उसने कहा- मुझे नहीं पता, तुम ही बताओ।
मैंने कहा- बताओ तुम्हारा नाम क्या है और कहाँ रहती हो?
उसने कहा- मेरा नाम पायल है और मैं गुजरात में रहती हूँ।
आप समझ ही गये होंगे कि यह नाम बदला हुआ है।
मैंने कहा- आपके घर में कौन कौन है?
उसने कहा- मैं और मेरे पति।
मैंने कहा- तो क्या प्रोब्लम है? तुम्हारे घर पर ही मिलते हैं।
उसने कहा- नहीं, मुझे बहुत डर लगता है, किसी होटल में मिलें?
मैंने कहा- देखो, होटल से घर ज्यादा सेफ़ रहता है।
कुछ देर बाद उसने कहा- ओ के ! मेरे पति अगले मंगलवार को बिजनेस के काम से बाहर जाने वाले हैं। तुम मुझे अपना फ़ोन नम्बर दे दो, मैं तुम्हें काल करुंगी। मैंने कहा- ठीक है।
मंगलवार को उसने मुझे फोन किया उसकी आवाज़ बहुत ही सेक्सी थी उसके बात करने का अंदाज भी संजू सेक्सी था;
उसने कहा- मेरे हबी 12 बजे बाहर जाने वाले हैं, तुम एक बजे आ जाओ !
और अपना पता दिया।
मैं ठीक उसके दिये हुये टाइम पर उसके घर पर पहुंचा और डोरबेल बजाई तो उसने दरवाजा खोला।
मैं तो उसे देखता ही रह गया क्या लुक था उसका 5’6′ हाईट, गोरा रंग और सेक्स बम दिख रही थी।
मैं तो उसे देखता ही रह गया।
उसने पूछा- क्या है?
‘पायल?’
उसने हाँ में सर हिलाया, मैंने कहा- मैं सुनील हूँ।
तो उसने मुझे वेलकम किया और हम अंदर गये और उसने दरवाजा बंद कर दिया।
उसका फ़्लैट संजू शानदार था। उसने मुझे बैठने को कहा और वो पानी लेने किचन में चली गई।
उसने साड़ी नाभि के नीचे से बांध रखी थी और जब वो चल रही थी तो उसकी बैक साइड बैकलेस ब्लाउज़ होने की वजह से क्या कयामत ढा रही थी्।
वो पानी लेकर आई और पूछा- घर ढूंढने में कोई परेशानी तो नहीं हुई?
मैंने कहा- डियर, मैं इसी शहर में रहता हूँ, क्या परेशानी होती।
फिर उसने कहा- वेल, क्या पियोगे चाय, कोफ़ी या कुछ कोल्डड्रिंक्स?
मैंने कहा- डियर, आज मैं तुमको पीने के मूड में हूँ।
तो उसने एक मीठी सी मुस्कान के साथ अपनी आँखें बंद की और अपने होंठ आगे किये और कहा- लो डियर, पी लो, संजू गर्म हैं।
मैंने कहा- श्योर !
और हम फ़्रेंच किस करने लगे, मैं एक हाथ से उसके बालों, गर्दन और कमर को सहलाने लगा और दूसरे हाथ से उसकी जांघें सहलाने लगा।
और हमारे लब और जीभ एक दूसरे में समा गये।
15 मिनट किस करने के बाद उसने कहा- सुनील, यहाँ नहीं, बेडरूम में चलो।
मैंने कहा- चलो जान !
वो मुझे बेडरूम में ले गई, वो आगे चल रही थी और मैं उसके पीछे !
बेडरूम में जाकर मैंने उसे पीछे से पकड़ कर अपने से जकड़ लिया और उसके उरोज दबाने लगा और उसकी गर्दन और कंधे पर चुम्बन करने लगा।
धीरे से उसके कान पर लव बाइट किया तो तिलमिला उठी और घूम कर मेरे सीने से लिपट गई।
मैं उसकी पीठ और हिप्स को सहलाता रहा और वो मुझे कसके पकड़े खड़ी रही।
फिर मैंने उसका चेहरा जो मेरे सीने में उसने छुपा लिये थे वो ऊपर किया और हम किस करने लगे।
मैंने उसके बूब्स सहलाते सहलाते उसकी साड़ी उतार दी और ब्लाउज़ के ऊपर से उसके बूब्स दबाने लगा।
वो आआअह्हह्ह आआअह्ह करने लगी।
फिर मैंने एक हाथ उसके पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत पर रखा तो वो पहले से ही गीली हो गई थी, मैंने चूत को थोड़ा सहलाया फिर उसके ब्लाउज़ और पेटीकोट को उतार दिया और वो मेरे सामने केवल ब्रा और पैंटी में खड़ी थी। खुले रेशमी बाल ऐसा लगता था कि कोई मार्बल का स्टेच्यु हो वो किसी फिल्म में।
पायल को मैंने उसे सर से लेकर पांव तक उसके बदन के हर एक अंग को चूमा वो मेरे हर एक किस पर सिसकती जाती थी।फिर वो बोली- मुझे और मत तड़पाओ डियर… अब मुझसे सब्र नहीं होता।
उसने मेरे सारे कपड़े फ़टाफ़ट निकाल दिये और मेरी बदन को अपने हाथों से सहला के मेरे लौड़े को पकड़ कर सहलाने लगी और नीचे घुटनों के बल बैठ के मेरे लौड़े को मुंह में लेकर लोलीपोप की तरह चूसने लगी।
मुझे भी बड़ा मज़ा आ रहा था दोस्तो, पूरी बोतल का नशा छा रहा था, मैं मदहोश हुआ जा रहा था, क्या बताऊं क्या हालत हुई थी मेरी उसके लंड चूसने से।
फिर मैंने उसे उठाया और हम बेड पे गये।
मैंने उसकी ब्रा और पैंटी उतार दी और उसको लिटा कर उसे किस किया फिर उसके बूब्स क्या कयामत थे, उन्हें दबाया और उसकी निप्पल को चूसा।
जब मैं उसकी निप्पल पे अपनी जीभ घुमाता था तब वो आअह्हह स्सस्सहुसूऊऊओ और दबवूऊऊओ आआअ मज़ा आआअ रह्हह्हह आआअहे डियर !
सच कहूँ दोस्तो वो इतनी गोरी थी कि जब मैंने उसके चूचे दबाये तो वो एकदम लाल हो गये।
फिर थोड़ा नीचे होकर मैंने उसकी नाभि में जीभ घुमाई तो वो मेरे बालों को पकड़ कर मुझे हटाने लगी।
फिर मैं थोड़ा और नीचे हुआ और उसके दोनो पैरों को खोल कर उसकी चूत पर मैंने अपने होंठ रखे और किस किया।
वो बोली- कितना तड़पा रहे हो सुनील, प्लीज़ जल्दी से खा जाओ इसे !
मैं उसकी क्लीन शेव चूत को बड़े मज़े लेकर चाटने लगा। मेरी जीभ से ही वो दो बार झड़ गई, उसकी आवाजें सुन कर तो मुझे ऐसा लगा कि वो जिंदगी मैं पहली बार चुदवा रही हो, ऐसा रियेक्ट कर रही थी।
उसने कहा- तुमने तो मुझे चाट कर ही ढीला कर दिया।
मैंने कहा- मेरी जान, तुमने एंजोय ही तो करना था न, बोलो हुआ कि नहीं एंजोय?
उसने कहा- हाँ बहुत…
फिर मैं साइड में लेट गया और वो मेरे लंड को थोड़ी देर चूसने के बाद मेरे लंड के उपर सवार हो गई।
क्या स्ट्रोक लगा रही थी वो।
दोस्तो जब वो मेरा लंड अपनी चूत में लिये आगे पीछे हो रही थी और आह्ह्हाअह कम ओन आह्ह्हाअह आआ अह आह कर रही थी, उसके बूब्स जो उछल रहे थे उसे देख कर मेरा सेक्स पावर और बढ़ गया वो मेरे सीने को सहलाते हुए स्ट्रोक कर रही थी और साथ साथ में किस भी कर रही थी और में उसके गोरे गोरे बूब्स भी दबा रहा था।
वो तो आह्ह्हाअह आह्ह्हाअह आआ अह आह कम ओन मी चोदो चोदो मुझे फ़क मी ! कर रही थी।
समझ में नहीं आ रहा था कि वो मुझे चोद रही है या मैं उसे चोद रहा हूँ।
वो ऐसे ही दो बार झड़ गई और बोली- बस अब और नहीं !
तो मैंने कहा- डियर, अभी तो तुम्हारा ही हुआ है, मेरा तो कुछ एंजोयमेंट करो !
तो वो साइड में लेट गई और मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी लाल लाल चूत में लंड डालकर उसे चोदने लगा।
थोड़ी देर में मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने कहा- आई एम कमिन्ग।
उसने कहा- डोंट वरी, अंदर ही डाल दो, मैं गोली ले चुकी हूँ।
और मैं उसे चोदते चोदते उसकी चूत में ही झड़ गया, मेरे माल से उसकी चूत चिकनी हो गई।
हम रिलेक्स होकर बेड पे लेट गये एक दूसरे को चिपक कर।
मैंने उससे पूछा- डियर, तुम क्या अपने पति से संतुष्ट नहीं हो क्या?
तो उसने कहा- मैं अपने पति से बहुत संतुष्ट हूँ।
तो मैंने पूछा- तो तुम मेरे साथ एंजोय करना क्यों चाहती थी?
उसने कहा- रोज एक ही तरीके के सेक्स से बोर हो गई थी, तो सोचा कुछ अलग करुं।
मैंने कहा- तो कैसा रहा?
बोली- आई एम वैरी हैपी!
तो मैंने कहा- जिसको जो चाहिये वो मिल ही जाता है।
तो बोली- लेकिन हम ये सब दोबारा नहीं करेंगे।
मैंने उसे कहा- डियर जो तुम्हारी मर्जी !
फिर हम बाथरूम में जाकर फ़्रेश हुए और फिर मैं कपड़े पहन अपनी फ़ीस लेकर वापस चला आया और फिर हम एक दूसरे को भूल गये, न ही कभी उसने मुझे सम्पर्क किया न ही मैंने कभी। Antarvasna
मैं कहने लगा- वन्दना, मुझे बहुत भूख लगी है ! (Antarvasna) वन्दना ने कहा- हाँ क्यो नहीं ! अभी दो मिनट में खाना लगाती हूँ।
और फिर हम दोनो ने बैठकर खाना खाया।
खाने खाने के बाद मैंने कहा- वन्दना जी आप इस घर में अकेली ही रहती हैं या फिर साथ में और भी कोई रहता है?
वन्दना ने कहा- जय आप मुझे वन्दना ही कहो। चलो बेडरूम में चलते हैं !
हम दोनों वन्दना के बेडरूम चले गये, बेड पर बैठकर बातें करने लगे।
वन्दना ने कहा- जय मैं जिन्दगी मैं बिल्कुल अकेली हो गई हूँ, जब से शादी हुई है पहले तो पति साथ रहता था, हम दोनों बहुत ही खुश थे, पर धीरे-2 सब कुछ इतना बदल गया कि मैं आपको क्या बताऊँ !
यह कहकर वन्दना रोने लगी। मैंने वन्दना से कहा- जो भी कुछ हुआ, उसमें आपका क्या कसूर है ! जो भी होना था, वो हो गया, आपके पति घर आते तो होगें?
तो कहने लगी- हाँ, 15-20 दिन में आता हैं और एक दो दिन रहकर चला जाता है। मेरे साथ जब तक रहता है, बहुत खुश रहता है और मुझे भी हर खुशी देता है। पर हमारे बच्चा ना होने की वजह से थोड़ा दुखी रहता है और कहता है कि शायद हमारे नसीब में भगवान ने सारी खुशी नहीं लिखी है।
मैंने कहा- वन्दना इसमें दुखी होने की क्या बात है, 5 साल आपकी शादी को हुए हैं, फिर इतनी जल्दी से आप लोग घबरा गये, मैं आज आपको अपनी तरफ से वादा करता हूँ कि आपके घर की खुशियों को दोबारा से वापस लाने में आपकी अपनी तरफ से पूरी-पूरी कोशिश करुँगा।
और इतना कहकर मैंने वन्दना को बाहों में भर लिया और मैं अपना हाथ वन्दना की पीठ पर चलाने लगा। वन्दना भी मेरा साथ देने लगी। मैंने अपने होंठ वन्दना के होठों पर रख दिये तो वन्दना ने सहयोग करते हुए मुझे भी बाहों मे भर लिया और हम दोनों एक दूसरे के शरीर से खेलने लगे। उसके बाद मैं वन्दना की चूचियों को ऊपर से ही दबाने लगा। वन्दना की गोल गोल चूचियों को मसलता रहा। फिर मैंने वन्दना की साड़ी उसके बदन से अलग की और वन्दना अब केवल काले पेटीकोट और ब्लाउज में मेरे सामने थी।
मैंने वन्दना की फीगर के बारे में तो बताया ही नहीं। वन्दना की फीगर 23-28-34 रंग साफ और लम्बाई 5 फीट 4 इंच और वजन 45-48 किलो होगा और उम्र 29 साल, दिखने में काफी अच्छी लगती थी, किसी का भी दिल वन्दना पर पहली ही नजर में आ जाये।
उसके बाद मैंने वन्दना का ब्लाउज भी उतार दिया और अब वन्दना केवल काली ब्रा और काले पेटीकोट में रह गई। मैंने उसके बाद वन्दना का पेटीकोट और ब्रा भी उतार दी। वन्दना अब केवल पैन्टी में मेरे सामने खड़ी थी।
वन्दना ने कहा- जय, आपने मेरे तो कपड़े एक एक करके उतार दिये, लाओ, मैं आपके कपड़े उतार देती हूँ।
और वन्दना ने मेरे शरीर से सारे कपड़े उतार कर अलग कर दिये। मैं अब वन्दना के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था। मैंने वन्दना को बिस्तर पर लिटाया और उसके होंठों को चूसने लगा। वन्दना ने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी और हम दोनों एक दूसरे को काफी देर तक चूमते रहे।
8-10 मिनट के बाद मैं वन्दना की चूचियों को दोनों हाथों से दबाने और मसलने लगा। वन्दना की चूचियाँ थोड़ी सख्त होने लगी। 3-4 मिनट तक दबाने के बाद मैं वन्दना के एक चुचूक को मुँह में लेकर चूसने लगा और एक हाथ से वन्दना की एक चूची को दबाने लगा। वन्दना के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं कभी एक चूची को मुँह से चूसता तो कभी दूसरी को !
8-10 मिनट तक मैं ऐसे ही चूसता तो कभी मसलता और वन्दना परम आन्न्द में गोते लगा रही थी। फिर मैं वन्दना की चूचियों को छोड़कर वन्दना के पेट पर हाथ फिराने लगा और धीरे धीरे अपना हाथ नीचे ले जाने लगा। फिर मैं वन्दना की पैन्टी उतराने लगा और वन्दना ने भी मेरा साथ देते हुए अपने चूतडों को ऊपर उठा दिया। मैंने पैन्टी को उतार कर एक तरफ फ़ेंक दिया और वन्दना की क्लीन शेव की हुई चूत पर हाथ फेरने लगा। वन्दना के शरीर में जैसे कोई करंट लगा हो और मेरे हाथ फेरने से वन्दना का शरीर अकड़ने लगा, आँखें भी बन्द होने लगी। वन्दना चूत में से सफेद सफेद पानी निकलने लगा और वन्दना झड़ गई।
मैंने वन्दना की चूत को अपनी अँगुलियों से खोला और अपनी जीभ वन्दना की चूत पर चलाने लगा तो वन्दना के शरीर में उत्तेजना होने लगी। मैं अपनी जीभ को वन्दना की चूत में अन्दर तक डाल कर चोदने लगा तो वन्दना की उत्तेजना बहुत ही ज्यादा बढ़ गई और वन्दना ने मेरा लन्ड अपने मुँह में डाल लिया और मुँह से मेरे लन्ड से खेलने लगी। मेरा लन्ड लोहे की छड़ की तरह से अकड़ गया। वन्दना भी मेरे लन्ड को अपने मुँह से चोदने लगी लेकिन कुछ ही देर के बाद वन्दना ने मेरे लन्ड को मुँह से निकालकर मुझे अपने से अलग किया, मेरे ऊपर सवार हो गई, मेरे लन्ड को अपनी चूत पर रखा और चूत तो वन्दना की गीली थी ही, वन्दना ने ऊपर से एक ऐसा धक्का मारा कि एक ही बार लन्ड पूरा अन्दर पहुँच गया। वन्दना को कुछ भी नहीं हुआ।
बस फिर क्या था वन्दना के धक्कों की रफ्तार बढ़ने लगी और मेरे मुँह से भी सिसकारियाँ निकलने लगी। मैं भी मजे में बड़बड़ाने लगा और वन्दना और जोर से जोर से आ आ आ ईईईईईईईइ आइऐइ आऐ ऐअ करने लगी!
मुझे पूरा मजा देना वन्दना के बस की बात नहीं थी, थोड़ी ही देर 5-7 मिनट में वो झड़ गई और बोली- अब आप मेरे ऊपर आ जाओ !
तो मैं कहाँ रुकने वाला था, मैंने वन्दना को नीचे डाला और अपना लन्ड वन्दना की चूत पर रखा और एक ही बार में पूरा का पूरा अन्दर तक डाल दिया। वन्दना ने उफ तक नहीं की और मैं भी वन्दना की चूत में जबरदस्त धक्के पे धक्के लगाने लगा।
वन्दना कहने लगी- जय, और जोर से ! जोर आ आ म्म्म्म म एम अम मेमेमे मेए आ अ अ !
पता नहीं क्या क्या कहने लगी। फिर मैंने कहा- वन्दना जी आप बिस्तर से नीचे आ जाओ।
वन्दना अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर झुक गई और मैंने अपना लन्ड वन्दना की चूत में पीछे से डाल दिया। पहले धक्के धीरे-धीरे से मारने शुरु किये तो वन्दना को भी मजा आने लगा, फिर मैंने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ानी शुरु कर दी। वन्दना अपने मजे से मदहोश होने लगी और पता ही नहीं क्या-क्या बड़बड़ाने लगी। मुझे मजा तो आ रहा था पर पता ही नहीं मैं चरम सीमा तक नहीं पहुँच पा रहा था।
वन्दना अपने मजे में पूरी मदहोश होती जा रही थी और एक ही झटके मे वन्दना की आवाज तेज हुई और वन्दना की चूत और मेरे लन्ड ने एक साथ पानी छोड़ दिया। उसके बाद हम दोनों ऐसे ही लेटे रहे।
3-4 मिनट के बाद वन्दना मेरे लन्ड पर फिर हाथ फेरने लगी और कुछ ही देर के बाद मुँह से चूसने लगी तो मेरा लन्ड फिर से खड़ा होने लगा।
मैंने कहा- वन्दना, अब क्या विचार है ?
तो वन्दना बोली- जय, आप चुदाई करने में तो माहिर हो ! मैं तो आज सन्तुष्ट हो गई ! काफी दिनों के बाद इतनी सन्तुष्टि मुझे मिली है।
मैंने कहा- वन्दना, अब मैं चलता हूँ !
वन्दना कहने लगी- नहीं जय ! एक बार और हो जाये, फिर चले जाना।
मैंने कहा- हाँ ठीक है पर अबकी बार मैं आपकी पिछ्ली लूँगा !
तो वन्दना ने कहा- जय, तुमको मेरी अगली में मजा नहीं आया क्या ?
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं वन्दना जी ! मुझे आपकी पिछ्ली बहुत ही अच्छी लग रही है ! वैसे आपकी मर्जी, आप जैसा कहेंगी, मुझे तो वही करना पड़ेगा। बोलो वन्दना जी!
मैंने जैसे दबी सी जुबान में कहा- बोलो वन्दना, मुझे क्या करना है?
तो वन्दना ने कहा- जय, ऐसे अपना दिल छोटा नहीं करते ! आपको जो भी आपको चाहिए, वो कर लो ! मुझे कोई एतराज नहीं !
तो मैंने कहा- वन्दना जी कोई क्रीम है?
वन्दना ने कहा- हाँ, मैं अभी लाकर देती हूँ !
वन्दना ने क्रीम लाकर मुझे दी, मैंने अच्छी तरह से अपने लन्ड और वन्दना की गान्ड पर क्रीम लगाई, उसके बाद मैंने वन्दना को कहा- वन्दना जी आप बिस्तर से नीचे आ जाओ !
वन्दना अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रख कर झुक गई और मैंने अपना लन्ड वन्दना की गाण्ड पर रख कर जोर से धक्का मरा। मेरा आधा से ज्यादा लन्ड वन्दना की गान्ड में पहुँच गया। वन्दना थोड़ी कसमसाई पर ज्यादा कुछ नहीं बोली।
फिर मैं अपने लन्ड को वहीं पर आगे पीछे करने लगा और थोड़ी सी देर के बाद में मैंने एक जोर से धक्का मारा और मेरा लन्ड पूरा का पूरा वन्दना की गान्ड में पहुँच गया जड़ तक। वन्दना को थोड़ा दर्द हुआ पर ज्यादा नहीं !
मैंने वन्दना से कहा- दर्द तो नहीं हो रहा?
वन्दना बोली- जय, आप अपना काम करते रहो ! मुझे कोई परेशानी नहीं हैं !
और मैंने पहले धीरे धीरे से धक्के लगाने शुरू किये और फिर रफ्तार तेज कर दी। वन्दना भी आ ईईईईइ आआईइआई एएइएइएऐइदिदिदल्ल् ग्ग्ग्गएएए करके मेरा पूरा साथ देती रही।
जैसे ही मेरा छुटने को हुआ तो मैंने कहा- वन्दना मेरा निकलने वाला है, कहाँ निकालूँ?
वन्दना ने कहा- जय ! आप मेरी ही चूत में छोड़ना !
मैंने कहा- ठीक है वन्दना जी आप बिस्तर पर चलो।
वन्दना बिस्तर पर लेट गई और मैंने वन्दना की दोनों टांगों को ऊपर उठा कर अपनी कमर के ऊपर रखा और जोर से धक्का मारा। पूरा लन्ड वन्दना की चूत में ऐसा गया कि पता ही नहीं चला। मैं भी जोर जोर से धक्के लगाने लगा और वन्दना भी मेरा पूरा उत्साह बढ़ाने लगी। उसने अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पर कस लिया और अपने मुँह से सिसकारियाँ निकालने लगी- जय ओ जय आ आ एए ए ए अ अएए ई इ ईईईईईई इआएएआअ एएएएए ! पता ही नहीं क्या-क्या बड़बड़ाने लगी।
3-4 मिनट में ही मैं भी वन्दना की चूत में झड़ गया और वन्दना के ही उपर लेट गया। 6-7 मिनट के बाद मैंने वन्दना से कहा- वन्दना जी, मैं अब चलता हूँ ! आप सन्तुष्ट हैं या नहीं?
वन्दना ने कहा- जय, आपने क्या बात कर दी ! आपने तो मुझे जन्नत की सैर करा दी ! और मुझे क्या चाहिए था।
वन्दना जी मेरी फीस दो और मैं निकलता हूँ !
वन्दना ने मेरी फीस दी और मैं अपने घर चला आया।
उसके दो दिन बाद फिर वन्दना का फोन आया, कहने लगी- जय, अब कब आ रहे हो ?
मैंने कहा- वन्दना जी, जब आप बुलाओ, मैं हाजिर हो जाऊँगा।
तो कहने लगी- आज शाम को ?
मैंने कहा- नहीं कल !
तो वन्दना कहने लगी- नहीं, आज ही !
तो मैंने कहा- ठीक हैं पर रात को 2 बजे !
तो वन्दना ने कहा- नहीं !
मैंने कहा- आज मेरी शिफ्ट बदल गई है, इससे पहले मैं नहीं आ सकता।
तो कहने लगी- मैं आपक इन्तज़ार करूँगी, आप जरूर आना !
मैंने कहा- हाँ मैं समय से पहुँच जाऊँगा !
और मैंने ठीक दो बजे वन्दना की बैल बजाई। वन्दना ने दरवाज़ा खोला और मेरे गले लग कर कहने लगी- जय, इतना इन्तज़ार मत करवाया करो !
मैंने कहा- क्यों वन्दना, मुझे भी तो काम होता है।
तो वन्दना ने कहा- जय, मेरे लिये भी टाईम नहीं?
तो मैंने कहा- आपके लिये ही तो आया हूँ ! फिर भी ऐसी बात करेंगी तो मैं आगे फिर कभी नहीं आऊँगा।
मेरे यह कहते ही वन्दना ने मुझे बाहों में भर लिया और हम दोनों ने आपस में चुम्बन लिया। फिर मैंने कहा- वन्दना जी, पहले कुछ खाने को !
तो वन्दना कहने लगी- जय, मुझे मालूम था कि आप आते ही खाने को कहोगे ! इसलिये मैंने पहले ही आपके बताये समय के हिसाब से ही लगा के रखा है।
हम दोनों ने खाना शुरू किया तो वन्दना कहने लगी- जय यार कुछ पीने को हो जाये?
मैंने कहा- जैसी आपकी मर्जी।
वन्दना ने कहा- फिर ठीक है ! सिर्फ दो दो पैग !
मैंने कहा- चलो जल्दी करो, मुझे बहुत ही तेज भूख लगी है !
वन्दना ने दो पैग विस्की के बनाये, हम दोनों ने आपस में चियर्स किया, अपने अपने पैग खत्म किये, एक दूसरे के गले लगे और फिर हम दोनों ने मिलकर खाना खाया।
उसके बाद वन्दना ने दो और पैग बनाये और हम दोनों ने अपने अपने पैग खत्म किये और फिर हम दोनों ने अपना चुदाई का कार्यक्रम शुरु किया।
उसके बाद हमारा यही सिलसिला हफ्ते में कभी दो दिन कभी 3-4 दिन चलता रहा जब तक कि वन्दना को बच्चा नहीं हो गया।
तो दोस्तो, मेरी यह Antarvasna कहानी आपको कैसे लगी, मुझे मेल करना।
हाय … मेरा नाम संजू है…और आप सबो Sex Stories की फड़कती चूतों और भटकते लंडों को मेरे लौडे का सलाम..
मैं एक सॉफ्टवेर इंजिनियर हूँ और बंगलोर में जॉब कर रहा हूँ.
मै बहुत गोरा हूँ और लोग कहते हैं कि मै बहुत ही स्मार्ट और डैशिंग हूँ, और शायद इसी वज़ह से मै कॉलेज में बहुत सारी लड़कियों का कृश भी था.. मेरी हाईट ज्यादा नही है बस ५’ ५” ही है पर मेरी कुछ फ्रेंड कहती है की अगर मेरी हाईट थोडी और होती तो मै अच्छे अच्छो की छुटी कर देता.. खैर ये सब छोड़ कर मै कहानी पर आता हूँ.
बात उस समय की है जब मै कॉलेज में फिनल इयर का था (आज से लगभग ६ महीने पहले ) और उस समय मेरे फाइनल इयर प्रोजेक्ट का काम चल रहा था। कम्प्यूटर साइंस का स्टुडेंट होने क वजह से प्रोजेक्ट क लिए मुझे इन्टरनेट पे काफी समय बिताना पड़ता था. चूंकि कंप्यूटर मेरे फ्लैट पर ही थी इसलिए बोर होने पर मै चैटिंग करता था. एक बार मुझे चैटिंग करते समय एक लड़की मिली। उसने अपना नाम कृति बताया. वो वस्तुतः गुजरात की रहने वाली थी पर फिलहाल मुंबई में पढ़ रही थी. धीरे धीरे हमारी अच्छी दोस्ती हो गई. बाद में उस से फ़ोन पर बातें भी होने लगी.. हम लोग आपस में हर तरह की बातें करने लगे थे पर मैंने कभी लिमिट क्रॉस करने की कोशिश नही की.
जब मेरे एग्जाम ख़त्म हुए तो मै कोल्हापुर से वापस घर जाने वाला था. मै झारखण्ड का बोकारो का रहने वाला हूँ और ट्रेन पकड़ने के लिए या तो मुझे पुणे या फ़िर बॉम्बे जाना पड़ता था. जब ये बात कृति को पता चली तो उसने मुझसे जिद की कि मै ट्रेन मुंबई से ही पकडू. हालांकि मेरी ट्रेन मुंबई से ही थी पर मैने उस से झूठ बोल दिया कि मेरी ट्रेन पुणे से है. इस बात से वो नाराज़ हो गई और फिर फ़ोन काट दिया. मैंने सोचा- भोंसडे में जाने दे उसको और वापस कॉल नही किया.
जब मै वापस लौट रहा था तब अचानक उसका कॉल आया. चूंकि मेरी ट्रेन उस समय महाराष्ट्र में एंटर कर चुकी थी इसलिए रोमिंग की प्रॉब्लम ना होने कि वजह से मैंने फ़ोन रिसीव किया. उसने मुझे अपने उस दिन के बिहेवियर के लिए सॉरी बोला. उसने मुझ से बोला कि वो मेरे से बहुत मिलना चाहती है. मैंने बताया कि मै थोडी देर में कल्याण स्टेशन पहुचने वाला हूँ. यह सुन कर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा.. उसने मेरा ट्रेन और बोगी नम्बर पूछा और बताया कि वो मेरे से मिलने आने वाली है. मैंने भी उसे मना नहीं किया, सोचा चलो मिल लेते है वरना फ़िर से इसकी खिट पिट सुननी पड़ेगी..
थोडी देर में ट्रेन मुंबई के कल्याण स्टेशन पर पहुच गई. मै प्लेटफ़ार्म पे उसका इंतज़ार करने लगा. मैंने देखा सामने एक धूप जैसी गोरी चिट्टी लड़की खड़ी है और किसी का इंतज़ार कर रही है. उसके सुनहरे बाल, बड़े बड़े मम्मे और स्लिम फिगर मुझ पे क़यामत ढहा रही थी खैर ये सोच कर कि ये चूत मेरे लंड के नसीब में नही मै वापस कृति का इन्तज़ार करने लगा. तभी उसका कॉल आया कि मै कहा पर हूँ मैंने जगह बताई और बताया कि मै सफ़ेद टी शर्ट और ब्लू जींस पहना हूं और हाथ में ब्लू कलर कि ट्रोली वाली बैग है. मैंने अभी फ़ोन काटा ही था कि देखा वो लड़की जो सामने खड़ी थी मेरे सामने मुस्कुरा रही है. मै हैरान था !! उसने नजाकत से मुझ से पूछा- आर यू संजू? मैंने बोला “या…क्या बात है !!!” उसने अपना हाथ बढाया और बोली “दिस इस कृति .. ” मै ये सुन कर थोडी देर क लिए ठंडा पड़ गया.. मुझे अब भी विश्वास नही हो रहा था कि मै इतना खुश नसीब हूं.
खैर उसने मुझे हग किया और मेरे हाथ में हाथ डाल कर स्टेशन के बाहर ले जाने लगी. मै अपनी ही दुनिया में था. वो बहुत कुछ बोल रही थी पर मुझे कुछ सुनाई नही दे रहा था। मै बस उसके स्पर्श को महसूस कर रहा था और उसकी पर्फ़्यूम की खुशबू मुझे दीवाना बना रही थी. जब मैं होश में आया तो मैंने पाया कि मै एक रेस्टोरेंट के सामने खड़ा हूं और वो मुझ से पूछ रही है कि मुझे क्या हुआ ? मैंने बोला नही बस थका हुआ हूं और कोई बात नही.. उसके बाद हम अन्दर गए और उसने एक कार्नर वाली टेबल पर बैठने को कहा. हम लोग बैठ गए और इधर उधर की बातें करने लगे.
तभी उसने मुझे कहा कि संजू ! एक बात बोलूं तुम्हे बुरा तो नही लगेगा .. मैंने बोला बोलो मुझे बुरा नही लगेगा.. उसने बोला कि तुम वाकई बहुत ही स्मार्ट और होट हो और अपने लिप्स पे हाथ रख कर खिलखिला कर हस पड़ी. मुझे लग रहा था कि वो मुझ पे काला जादू कर रही है और मै उसकी गिरफ्त में फ़ंसता जा रहा हूँ. उसकी खूबसूरती, उसकी हंसी .. उफ़ कमाल की थी.. मै भी हंस पड़ा उसकी इस बात पे .. मैंने फ़िर उस से कहा कि कृति मै थोड़ा फेस धो कर आता हूं.. और मै वाश रूम चला गया.. जब मै वापस आया तो देखा कि टेबल पर पहले से ही खाना रखा है. मै हैरान था कि उसे मेरे पसंद के बारे में कैसे मालूम था. तभी कृति ने बोला हैरान मत हो तुम ने मुझे फ़ोन पर बताया था कि तुम्हे ये सब काफी पसंद है.. और फ़िर उसकी फुलझड़ी वाली हंसी…उफ्फ्फ्फ्फ़
अब हम खाना खा रहे थे हंसी मजाक चल रहा था तभी मैंने उसे बताया कि मै रात की बस से कोल्हापुर जा रहा हूं. उसने मुझे बहुत इन्सिस्ट किया कि आज मै उसके एक फ्लैट पर रुक जाऊं और कल चला जाऊं. पर मैंने साफ़ मना कर दिया. वो फ़िर से उदास दिख रही थी..थोडी देर बाद उसने कहा कि ठीक है पर अगर मेरे फ्लैट पर आने में तुम्हे प्रॉब्लम है तो तुम्हे वादा करना पड़ेगा कि तुम दिन भर मेरे साथ रहोगे और हम फ़िर साथ में मूवी देखने चलेंगे.. मै राज़ी हो गया.. पर प्रॉब्लम ये थी कि मेरे पास लगेज थी और मै वो ले कर घूम नही सकता था और मै थका हुआ भी था इसलिए मैंने एक होटल में फ्रेश होने और लगेज रखने के लिए रूम बुक किया.. कृति मेरे साथ ही थी.. रूम बहुत ही साफ़ सुथरा था होता भी क्यों नही कृति को इम्प्रेस करने के लिए सबसे महंगे वाला ए सी रूम जो बुक किया था।
रूम में आते ही मै बेड पर लेट गया्। बिस्तर बहुत ही नर्म था. कृति भी मेरे बगल में बैठ गई और मुझे जिद करने लगी कि मै ज़ल्दी से फ्रेश हो जाऊं. मै उठा अपनी बैग खोला तौलिया निकाला और बाथरूम में नहाने चला गया..कृति वहीं टीवी देख रही थी। जब मै वापस निकला तब मै सिर्फ़ टी शर्ट और टोवेल पहना हुआ था, बाल गीले थे, और कृति मुझे देखे जा रही थी..
मैंने उससे पूछा क्या हुआ , वो कुछ नही बोली बस मुस्कुरा दी… फ़िर वो मेरे पास आई और उसने मेरे लिप्स पे अपने लिप्स लाक कर दिए और मुझे समूच करने लगी.. मै बिल्कुल जम गया था … वो मुझे पागलो कि तरह समूच किए जा रही थी..फ़िर मै भी गरम हो चुका था… और मै उसको हर जगह किस करने लगा…चूंकि मैंने सिर्फ़ टोवेल पहना था इसलिए वो कब खुल गई मुझे पता ही नही चला…
उसने अचानक मुझे बिस्तर पर धक्का दिया और मेरे लंड को एक ही झटके में अपने मुंह में भर कर ब्लो जॉब करने लगी मुझे ऐसा लग रहा था जैसी वो मेरे लंड से मेरे शरीर की सारी शक्ति चूसे जा रही हो . चूंकि ये सब मै पहली बार महसूस कर रहा था इसलिए मुझे लग रहा था कि मै बादलों पर आसमान में तैर रहा हूँ .. अचानक मेरे शरीर में कम्पन हुई तब जा के मुझे आभास हुआ कि मै झड़ चुका हूं . मैंने कृति को देखा कि मेरे स्पर्म्स उसके पूरे चेहरे पर गिरे हैं और वो कातिल मुस्कान के साथ मुझे देख रही.. है..
अब मेरी बारी थी वही पड़े टोवेल से मैंने उसका चेहरा पौंछा..और वापस समूच करने लगा… धीरे धीरे मै उसकी बूब्स को ग्रीन टॉप के ऊपर से ही दबाने लगा.. फ़िर एक ही झटके में उसकी टॉप निकाल कर फेक दी. ब्लैक ब्रा के अंदर उसका चंडी जैसा शरीर मनो क़यामत ढाने को अमादा था .. मै दो मिनट उसके शरीर को देखता ही रहा.. ब्लैक ब्रा के अन्दर जब उसकी तेज धड़कने अपनी रफ़्तार पकड़ रही थी तो ऐसा लग रहा था मनो उसके मम्मे ब्रा से बाहर नही बल्कि कोई आइस क्रीम पिघल कर सोफ्टी कप से बाहर टपकने वाली है.. तब मुझे अहसास हुआ कि अब मैंने अगर कृति के शरीर को कपड़ो से आज़ाद नही किया तो प्रलय आ जाएगा..
मैंने बिजली कि तेजी से उसके ब्रा, जींस और ब्लैक कलर की पैंटी उसके शरीर से निकाल फेंकी .. यकींन मानिए वो बिना कपड़ो में जब वो अपने हाथो से अपनी चुच्ची और जान्घों में अपनी बुर छुपा रही थी तो ऐसा लगा रहा था मनो कोई संगमरमर कि बनी अप्सरा कि मादक मूर्ति मेरे सामने रखी हुई हो .. अब तक मै अपने भी सारे कपड़े उतार चुका था..मै सीधा उसके पास गया .. वो अपने हाथो से अपने चेहरे को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगी.. मैंने अपने दोनों हाथो से उस के गालो को उठाया और पहली बार उसके खूबसूरती की तारीफ की… मैंने बोला “कृति .. सचमुच तुम बला की ख़ूबसूरत हो और मुझे विश्वास नही हो रहा कि तुम्हारे जैसी लड़की मेरी बाँहों में है.. “.
कृति ने फ़िर से मेरे ललाट पे चूम कर बोला “..संजू तुम्हे शायद पता नही कि तुम क्या हो.. तुम्हे पाने के लिए कोई भी लड़की अपना शरीर तुम्हे सौप देगी.. और मै तो तुम्हे दिल से प्यार करती हूं.. भला नै तुम्हे कैसे रोक सकती हूं ??” और उसके आँखों में आंसू आ गए..!! मै अपने लिए उसके दिल में इतना प्यार देख कर हैरान था .. मैंने उसे गले से लगा लिया… अब मेरे हाथ उसके मम्मो पर सरक रहे थे और उसके निप्पल सखत हो गई थी.. मैंने देर करना बिल्कुल मुनासिब नही समझा अब मै उसकी निप्पलों को चूस रहा था और एक हाथ मेरा उसकी जांघों के बीच उसकी गहराई को नाप रहा था… उसका लव होल बहुत ही गीला हो चुका था… अब हम दोनों तड़प रहे थे … मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और धक्का दिया ..मेरा ६” का लंड उसके बूर के अन्दर आधा जा चुका था. मैंने महसूस किया कि दर्द के मारे उसके आँखों से आंसू निकल आए थे .. मैंने उसके गालो को चूम कर पूछा “ज्यादा दर्द हो रहा है..?”, उसने जवाब दिया “इस दर्द को पाने के लिए हर लड़की जवान होती है.. इस दर्द को पाए बिना हर यौवन अधूरा है “.
मै उसकी इस जवाब पे बस मुस्कुरा ही पाया क्योंकि मेरे पास बोलने को कुछ था ही नही.. वो मुझ में लिपटी हुई थी…और मै उसे चूम रहा था…वो मेरे नीचे थी और अपने पैरो को मेरे कमर के इर्द गिर्द लपेटे हुए थी मनो कोई सर्पिनी चंदन के पेड़ को अपने कुंडली से कसी हो..अब मैंने धीरे धीरे अपनी रफ़्तार तेज कर दी… पूरे रूम में मादक माहौल था… परदे के बीच से आती सूर्य कि रौशनी जब उसके चाँद से चेहरे पे पड़ रही थी तो मानो ऐसा लग रहा था कि मै चाँद को अपने बाँहों में समेट रखा हूँ… हमारी सिसकारियां कमरे में ऐसे गूंज रही थी मानो जलजला आने से पहले बदल गरज रहे हो… वो जलजला जल्द ही आया जब मै अपने कमर की हरकतों कि वजह से चरम सीमा पे पहुचने वाला था .. उधर कृति भी मुझे बोल रही थी…”.. संजू प्लीज और जोर से..और जोर से …मेरे शरीर में अजीब सी हलचल हो रही है “… मै समझ गया कि वो भी चरम सीमा पे है…इस पर मैंने अपनी रफ्तार काफी तेज कर दी देखते ही देखते हम उफान पर थे और सैलाब बस फूटने ही वाला था कि मैंने अपना लंड बाहर निकला और मानो मेरे लंड से कोई झरना फ़ूट पड़ा हो.. मै वापस उसके बाँहों में निढाल हो गया ..
बहुत देर बाद जब मै उठा और देखा कि कृति की जांघों पर खून गिरा है तब मै समझ गया कि वो अभी तक अन्छुई थी .. मुझे ये देख कर अपने किस्मत पर गर्व हो रहा था और साथ ही साथ कृति के लिए मेरे दिल में इज्ज़त काफी बढ़ गई थी ..क्योंकि वो ऐसी लड़की नही थी कि किसी को भी अपना शरीर सौप दे .. इतने दिनों से अकेले मुंबई में रहने के बाद भी वो आज तक अन्छुई थी…
मैंने पास में पड़े टिशु पेपर उठाया और उसके बूर के ऊपर लगे खून को साफ़ करने लगा..जब खून साफ़ हुआ तो मैंने एक बात गौर की और मुस्कुराने लगा .. कृति ने मुझ से पूछा कि”… तुम क्या सोच कर मुस्कुरा रहे हो ..” मैंने उसके बिल्कुल बिना बाल के गुलाब की पंखुड़ियों सी वेजिना लिप्स पर किस कर के बोला… ” जान सच बताऊँ तो .. मैंने तुम्हारी बूर अभी तक नही दे्खी थी.. और साफ़ करते वक्त अभी ही देखा…” और हम दोनों हस पड़े.. उस दिन मै वापस कोल्हापुर नही गया और साथ में ही रुके. आप समझ ही सकते है कि हमारे सैलाब में कितनी बार उफान आई होगी..
पर सब कुछ हमेशा सही नही होता.. और अब हम साथ नही है.. पर वो जहां भी होगी मुझे भरोसा है कि मुझे कभी नही भूल पायेगी… और कृति अगर तुम ये कहानी पढ़ रही हो तो..जान लो मै सचमुच तुम्हे आज भी उतना ही प्यार करता हूं.. तुम जहां भी रहो खुश रहो..मेरे दिल में तुम्हारी याद हमेशा रहेगी… Sex Stories
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