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मेरे दोस्त की शादी थी। उसकी Hindi Porn Stories शादी की सारी तैयारियाँ उसका मामा देख रहा था जो करीब ४० साल का था। दोस्त होने के नाते मैं बी काम में उसका हाथ बँटाने लगा, उसके मामा से मेरी अच्छी पटने लगी।
दोपहर के दो बजे मैं मामा के साथ तैयारियों में लगा था तभी मैंने देखा कि ३२ या ३३ साल की एक औरत लाल साड़ी में मामा के पास आई जो बहुत ही गज़ब की लग रही थी, सेक्सी फ़िगर थी, साड़ी में भी उसकी गाँड उभरी हुई थी, और उसकी चूचियाँ तो जैसे दो पपीते लटक रहें हों। उस औरत को देखकर मेरा लण्ड ज़ोर मारने लगा, जैसे कह रहा हो इसको तो चोदना ही है। मेरे हाथ अपने आप लण्ड को सहलाने लगे।
तभी मामा ने मुझे आवाज़ दी, मैं उनके पास गया, उन्होंने कहा, इनसे मिलो ये तुम्हारी संगीता मामी है। एक सेकण्ड को हमारी नज़रें एक-दूसरे से टकराईं फिर मामी ने मुझे ऊपर से नीचे तकत बड़े ग़ौर से देखा। तभी मामा ने कहा, तुम्हारी मामी को अभी बाज़ार जाना है और मैं अभी शादी की तैयारियों में व्यस्त हूँ, क्या तुम अपनी मामी के साथ बाज़ार जा सकते हो। मैंने मन ही मन कहा, लगता है किस्मत साथ है।
मामा ने अपनी बाईक की चाभी मुझे दे दी और मैं मामी के साथ बाज़ार को निकल गया। हम बातें करते जा रहे थे, मैं बाईक धीरे-धीरे चला रहा था। तभी मामी ने पूछा, “तुम कितने साल के हो?”
२४ साल का – मैंने बताया।
मामी बोलीं,”फिर बाईक इतनी धीरे क्यों चला रहे हो?”
“वो आप बैठीं हैं ना, और आपने मुझे पकड़ा भी नहीं है, इसलिए धीरे चला रहा हूँ।” मैंने कहा।
“अच्छा तुम बाईक तेज़ चलाओ, मैं तुम्हें पकड़ लेती हूँ।”
मैंने बाईक की स्पीड बढ़ा दी।
मैंने मामी से पूछा,”आपको बाज़ार में क्या लेना है?”
“लेना कुछ नहीं, मुझे तो ब्यूटी-पार्लर जाना है। वहाँ जाने से पहले क्यों ना एक-एक कप कॉफी हो जाए।”
मैंने मामी से कहा, “ठीक है।”
“चलो’ – मामी ने भी कहा।
मैंने बाईक इंडिया कॉफी हाउस की ओर मोड़ दी, हमने कोने की टेबल पर कब्ज़ा कर लिया और दो कप कॉफी का ऑर्डर दिया। मैं और मामी बातें करने लगे, बातें करते-करते मेरी एक टाँग मामी की टाँग से टकरा गई, मैंने टाँग अलग की और सॉरी कहा।
“कोई बात नहीं।” मामी ने कहा और धीरे-धीरे मुस्कुराने लगीं।
कॉफी पीते-पीते मामी और मेरी नज़रें एक-दूसरे से कई बार टकराईं और हम दोनों ही एक-दूसरे की आँखों में देखते रहे।
कॉफी पीकर हम पार्लर की ओर चल पड़े।
मामी का हाथ मेरी कमर पर था, अचानक मैंने ब्रेक लगा दिया, मामी के दोनों स्तन एक साथ ज़ोर से मेरी पीठ से टकराए, और उसकी गुदगुदाहट का मुझे भी अहसास हुआ, और मामी के मुँह से आह निकल गई साथ ही उनका हाथ फिसल कर मेरे लण्ड पर आ गया। मामी ने भी मेरे लण्ड को दबा दिया, मेरे मुँह से भी आह निकल गई।
“अब आया मज़ा?” मामी बोलीं।
“अगर आप चाहो, तो ये मज़ा और भी बढ़ सकता है।”
“कैसे?” मामी ने पूछा।
मैंने बाईक किनारे रोक दी और मामी से कहा कि मामा को मोबाईल पर फोन करके कहो कि शादी के मौसम के कारण सभी ब्यूटी-पार्लरों पर भारी भीड़ है और मुझे दो से तीन घंटे लग जाएँगे।
मामी ने वैसा ही किया।
मामा ने कहा- ठीक है, वैसे भी नन्द तुम्हारे साथ है तो फ्री होते ही आ जाना।
“अब क्या करना है?” मामी ने पूछा।
“अभी तीन बज रहे हैं, क्यों ना कोई फिल्म देखने चलें?”
“नहीं वहाँ ठीक नहीं रहेगा, क्यों ना किसी होटल में चलें।”
“यही ठीक होगा।”
और हम एक होटल की ओर चल पड़े।
हमने ३०० रुपये में एक कमरा ले लिया। कमरे में जाते ही मैंने कमरे को अन्दर से बन्द किया। मैं जैसे ही पलटा, मामी मेरे ऊपर एक भूखे जानवर की तरह टूट पड़ी, इस पर मैं भी मामी पर टूट पड़ा।
मेरे होंठ मामी के होंठों को चूम रहे थे, कभी मामी अपनी जीभ मेरी मुँह में डाल देती, तो कभी मैं अपनी जीभ उनके मुँह में।
चूमते-चूमते मैं मामी के दूधों को ऊपर से ही कस-कस कर दबाने लगा। मामी दर्द से कराहने लगी।
कम से कम पाँच-दस मिनट हम एक-दूसरे को चूमते रहे और मैं मामी के बड़े-बड़े दूधों को दबाता रहा। फिर मैंने मामी की लाल साड़ी को मामी के शरीर से अलग कर दिया और मामी की पेटीकोट का नाड़ा भी खींच मामी की ब्लाउज़ के हुक खोल कर उसे भी मामी के शरीर से अलग कर गिया। अब मामी सिर्फ पैन्टी और ब्रा में मेरे सामने पड़ी थी।
मामी की मस्त फिग़र जैसे तराशा हुआ ताजमहल हो। मामी ३६ डी आकार के लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी जो दो बड़े बड़े पपीतों को बड़ी मुश्किल से सम्हाल पा रहे थे। २९ इंच की कमर, उसके नीचे अलग-अलग रंग के धब्बों वाली पैन्टी जिसके बगलों से मामी की झाँटों के बाल निकल रहे थे। मैंने मामी को अपनी ओर खींचा और ब्रा व पैन्टी को भी उनके शरीर से अलग कर दिया।
मैं जैसे ही मामी की चूत को चाटने के लिए झुका, मामी ने मुझे रोक दिया और कहा, अब मैं तुम्हारे कपड़े उतारूँगी। फिर उन्होंने मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरी शर्ट के बटन खोलकर मेरी छाती को चूमने लगी, फिर मेरी बेल्ट को जीन्स से निकाल फेंका और जीन्स का बटन खोलकर एक झटके से जीन्स निकाल कर दूर फेंक दिया।
मेरी अण्डरवियर का तंबू बना हुआ था और वह कहाँ मेरे शरीर पर रहने वाला था, मामी ने उसे भी निकाल फेंका। मेरे ६ इंच के लण्ड को देख मामी बहुत उत्तेजित हो गई और मुँह मे लेकर लॉ़लीपॉप की तरह चूसने लगी। जब वह मेरे अण्डकोष से मेरे सुपाड़े तक अपनी जीभ को फेरती तो जन्नत का मज़ा आ रहा था।
थोड़ी देर में मैंने अपना माल मामी के मुँह में ही छोड़ दिया, और उन्होंने सारा का सारा पी लिया, और मेरा लण्ड सिकुड़ने लगा। फिर मैंने मामी को बिस्तर पर लिटाया और उनकी चूत को चाटने लगा। चूत बहुत ही गीली हो चुकी थी और चाटने में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं मामी की चूत के गुलाबी दाने को हल्के-हल्के काटने लगा और मामी की सिसकियाँ निकलने लगीं। मामी आआआआहहहह आआआहहह करने लगी, उनकी ये सिसकियाँ पूरे कमरे में गूँज रहीं थीं। तभी मामी ने पूरे ज़ोर से मेरे मुँह पर अपना माल छोड़ दिया, मैंने भी सारा पानी पी लिया। तब तक मेरा मुरझाया हुआ लण्ड भी फौलाद की तरह सख्त हो चुका था।
“मामी अब मैं आपकी सवारी करने वाला हूँ…”
“नहीं मैं तुम्हारी सवारी करूँगी” मामी ने मेरी बात बीच मे ही काटकर कहा।
मैं बिस्तर पर लेट गया, मामी मेरे ऊपर आ गई और मेरे लण्ड को अपनी चूत की दरार पर रख कर आगे होने लगी, तभी मैंने नीचे से एक ज़ोर का झटका मारा, और हमारी झाँटे आपस में मिल गईं। मामी की चीख और आँसू निकल आए। वह बोली, “क्या मेरी चूत को फाड़ना है?”
“चूत फटेगी नहीं, इस पर तो अब गाज़ गिरने वाली है,” कहते हुए मैं एक झटके से पलट कर मामी के ऊपर आ गया, मामी को कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या हो गया। मामी बोली – “तुम तो एकदम एक्सपर्ट लगते हो, पर शुरु में आहिस्ता करना, ठीक है?”
मैंने मामी के होंठ चूमते हुए पहला झटका मारा, पच्च की आवाज़ के साथ मेरा लण्ड आधा मामी की चूत में समा गया। मामी हल्के से चीखी… आहहहह और दूसरे झटके से मेरा पूरा लण्ड जड़ तक मामी की चूत में समा गया और मैंने हल्के-हल्के झटके मारने चालू कर दिए और मामी की सिसकारियाँ उसी के साथ बढ़ने लगीं।
मामी की सिसकारियाँ पच्च-पच्च की आवाज़ के साथ जुगलबन्दी कर रही थीं। तभी मैंने अपना लण्ड चूत से निकाल लिया। “ऐसा मत करो, मुझे चोदते रहो अपनी लण्ड से, इसे फाड़ डालो, आज पहली बार मुझको चुदाई का असली आनन्द आ रहा है। मेरा पति मादरचोद अभी तक मुझे ऐसा मज़ा नहीं दे सका जो तुमने आधे घण्टे में दिया है।”
“ठीक है, पर अब मैं जैसा कहूँ, आपको वैसा ही करना होगा मामी।”
“अब तो मुझे मामी कहना बन्द करो।”
“तो क्या कहूँ?”
“कुछ भी कहो, पर मामी नहीं।”
“तो अब आप को मैं राण्ड कहूँगा और आप मुझे गाली देती रहना।”
मामी बिस्तर पर चढ़कर कुतिया बन गई और मैं उसकी गाँड के पीछे खड़ा हो गया, अपने लण्ड को चूत की दरार पर रख कर मामी के दोनों स्तनों को दबाते और गालों को चूमते हुए लण्ड को दबाने लगा। लण्ड फिसलता हुआ चूत में समा गया और मेरे झटके चालू हो गए और साथ ही मेरी राण्ड की सिसकियाँ भी।
वह चिल्लाने लगी… “आआआआहहहह आआआहह… बहनचोओओओददद… चोद दे मुझे… फाड़ दे मेरी चूत… निकाल दे इसका पानी, बहा दे इससे गंगा जमुना…”
“गंगा जमुना दोनों बहेगी और मेरा लण्ड उसमें डुबकी भी लगाएगा” और मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी।
पूरे कमरे में फच्च-फच्च और फक्क-फक्क का संगीत बजने लगा।
पाँच मिनट बाद मैंने एक ज़ोर का झटका मारा और मामी पलंग पर पसर गई। मैं भी चूत में लंड डाले मामी के ऊपर ही गिर पड़ा। गिरने के कारण मेरा लंड और अन्दर समा गया और मामी की चीख निकलने से पहले मेरे हाथों ने उसका मुँह बन्द कर लिया और हल्के-हल्के झटके मारता रहा। थोड़ी देर में मामी सामान्य हो गई। मैंने हाथ हटा लिया और अपनी रफ्तार बढ़ा दी। मामी का शरीर अकड़ने लगा। मैं समझ गया कि यह झड़ने वाली है। मैं और तेज़ी से धक्के मारने लगा… तभी मामी झड़ गई।
मैंने लण्ड बाहर निकाला, मामी को सीधा किया और लण्ड मामी की चूत में फिर से पेल दिया।
मेरे झटकों से मामी के दोनों स्तन हिलने लगे, हिलते हुए स्तन बहुत प्यारे लग रहे थे। मैं झुका और एक को चूसते हुए झटके चालू रखे। मैं और मामी एक-दूसरे का भरपूर साथ दे रहे थे। मामी अपनी गाँड उचका-उचका कर मेरा साथ दे रही थी और मैं मामी को पूरे दम से चोद रहा था। गाँड हिलाते-हिलाते मेरा बुरा हाल हो गया था पर मैं रुका नहीं, झटके चालू रखे। थोड़ी देर बाद मेरा और मामी का शरीर अकड़ने लगा, मैं बोला,”मेरी राण्ड, मैं झड़ने वाला हूँ, कहाँ झड़ूँ?”
“अपने वीर्य से मेरी चूत भर दो, इसकी आग को अपने पानी से शान्त कर दो, मैं भी झड़नेवाली हूँ” मामी बोली।
और मैंने अपना वीर्य मामी की चूत में ४-५ झटकों के साथ छोड़ दिया। दोनों एक ही साथ झड़े थे। मैं मामी के ऊपर ही पस्त होकर पड़ा रहा। मामी मेरे बालों पर अपना हाथ फिरा रही थी और बोली, “ऐसा परम आनन्द मुझे पहले कबी नहीं मिला, मेरी चूत को तो अब तुम्हारे लण्ड का चस्का लग गया है। अब शादी भर जब भी मौक़ा मिलेगा, तुम मेरी चुदाई करना और मुझे ऐसे ही आनन्द देते रहना।”
तभी मामी के मोबाईल पर मामा का फोन आ गया, मामा ने कहा “तुम लोग जल्दा घर आ जाओ, दो घण्टे बाद बारात निकलने वाली है।”
“अभी ब्यूटी-पार्लर में मेरा नम्बर आने वाला है, हम थोड़ी देर से आते हैं” और मामी ने फोन बन्द कर दिया।
हमने अपने कपड़े पहने और ब्यूटी-पार्लर की ओर चल पड़े।
शादी में भी मैंने मामी को दो बार चोदा। कैसे, यह अगली कहानी में बताऊँगा। Hindi Porn Stories
दोस्तों, मेरा नाम मनीष है, मैं Antarvasna दिल्ली मैं नौकरी करता हूँ। मेरी उम्र २४ वर्ष है, यानि कि जवान हूँ। मैं अपने बारे में कुछ बता देना चाहता हूँ। मैं सेक्सी दिखता हूँ, ग़लती से या सही से, भगवान ने मुझ ग़रीब को अच्छे व्यक्तित्व का मालिक बनाया है। मेरा क़द ५.७ फीट है, देखने में कोई बॉडी-बिल्डर तो नहीं पर एक अच्छे बद़न का मालिक ज़रूर हूँ। मैं अन्तर्वासना में प्रकाशित हुई लगभग सारी कहानियाँ पढ़ता रहता हूँ। यह साईट मुझे काफ़ी अच्छी लगती है। आज मैं भी आप लोगों को अपनी आपबीती में शामिल करता हूँ।
बात तब की है जब मैं अपने चाचा-चाची और भाई-भाभी के पास रहने और नौकरी तलाश करने के लिए दिल्ली आया था। उस समय मेरे चाचा के घर में किरायेदार के रूप में मेरे ही गाँव का एक परिवार रहता था। उस परिवार में एक लड़की बुलबुल, जिसकी उम्र १८ वर्ष है और दूसरी उसकी छोटी बहन जो १० साल की है और उनके एक छोटा भाई है जिसका नाम अमित है और वह ६ साल का है।
बात बुलबुल की है, जो मुझसे प्यार करती थी, और मुझे पता भी नहीं था, पर एक दिन क्या हुआ… यह आप ख़ुद ही जान जाएँगे।
जब मैं रहने के लिए वहाँ गया था, तो शुरू-शुरू में तो वह मुझसे बात भी नहीं करती थी, सोचती थी मैं पहल करूँ। पर मैं तो ठहरा गाँव का आदमी, भला कहाँ से पहल करूँ? वैसे तो मुझे गाँव में काफी अवसर मिले पर मैं एक बार भी कर नहीं पाया क्योंकि डर रहता था कि अगर मैं कुछ ग़लत करता हूँ तो बद़नामी मेरे घरवालों की होगी। आप को तो पता ही होगा कि गाँव में अगर कुछ ग़लत करो तो बद़नामी घरवालों के सिर आती है। वैसे तो गाँव में मेरे काफी दोस्त ये सब काम मेरे सामने भी करते थे पर मैं मना कर देता था, इसलिए गाँव में काफी कम ही दोस्त थे। जो थे मेरी ही तरह के थे जो खीर देख तो सकते थे, पर खा नहीं सकते।
अब कहानी पर आता हूँ। तो दोस्तों काफी समय तक ना तो वो मुझसे कुछ कहती, ना ही मैं उसमें दिलचस्पी लेता, क्योंकि उस समय वहाँ कुछ बनने के लिए आया था। ऐसे ही दिन-महीने गुज़रते रहे। बात तो हो ही जाती पर कभी प्यार वाली बात नहीं होती। एक दिन शाम को मैं ऑफिस से घर आया और हाथ-पैर धोकर छत पर चला गया। वहाँ पर वह, उसका भाई और मेरी २ साल की भतीजी वहाँ खेल रहे थे। इतने में वे तीनों आकर मुझे च्यूँटी काटने लगे, तो मैंने भी बुलबुल की चुटकी ली। मेरे चुटकी काटने से वह रोने लगी और छत से नीचे चली गई। मैंने सोचा कि कहीं उसने नीचे जाकर सब को बता दिया तो मेरा जीना हराम हो जाएगा, क्योंकि मेरा भाई बड़ा हरामी है, साले ने मेरा जीना मुश्किल कर रखा था।
थोड़ी देर बाद वह फिर से ऊपर आई और आकर मेरे साथ खड़ी हो गई, तो मेरी जान में जान आई, वरना मैं तो सोच रहा था कि बेटा मनीष, आज पिटने के लिए तैयार हो जा। कुछ ही देर बाद उस के मुँह से अपना नाम सुनकर मैं चौंक गया। उसकी वह आवाज़ आज भी मुझे याद आती है। आए भी क्यों नहीं, आख़िर पहली बार मैं किसी के मुँह से ‘आई लव यू’ सुन रहा था। मेरा तो माथा ही ठनक गया। और वह यह बोलकर चली गई, फिर मैं काफी देर तक सोचता रहा कि मैं क्या करूँ। अन्त में बिना किसी निर्णय पर आए हुए मैं भी नीचे आ गया।
रात को खाना खाकर सोने के लिए अपने बिस्तर पर चला गया। मैं जहाँ सोता था वहाँ पर बर्तन धोने जाने का रास्ता था। मैं सो रहा था या यों कहें कि मैं उसी के बारे में सोच रहा था कि तब तक वह हाथ में बर्तन लेकर धोने के लिए वहाँ आकर खड़ी हो गई और मुझे देखने लगी। मैं आँखें बन्द करके सोच रहा था, तो उसने आराम से बर्तन नीचे रखे और मेरे होठों को किस कर लिया, वह मेरा किसी लड़की द्वारा किया गया पहला किस था। तो मैं उठ पड़ा और सोचा कि अगर यह एक लड़की होकर इतना कर सकती है, तो मैं लड़का होकर क्यों शान्त सोया पड़ा हूँ। मैंने भी उसी स्टाईल में लगभग १५-२० मिनट तक उसे किस किया। फिर मैंने जाना कि किस क्या होता है। फिर वह वहाँ से चली गई। अब ना तो मैं ठीक से काम कर पाता था, ना ही ठीक से पढ़ पाता था, दिन-रात उसी के बारे में सोच-सोच कर मैं ५४ से ४८ किलो का हो गया था। मेरे चाचा-चाची कहते कि द़िल लगाकर पढ़ाई कर रहा है तो बीमार हो गया है, एक काम कर यो तो तू काम कर या पढ़ाई कर, थोड़ा बोझ हल्का हो जाएगा।
पर उनको तो पता नहीं था कि मेरा द़िल तो कहीं और ही लगा हुआ है, तो पढ़ाई में कहाँ से लगेगा। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था इसलिए मैं जहाँ भी उसे अकेले में देखता था या पाता तो तुरन्त ही जाकर उसके होठों को चूमने लगता। वह भी मना नहीं करती, क्या करूँ कुछ समझ में नहीं आ रहा था, तब तक होली भी नज़दीक आ रही थी। हमारे चाचा-चाची ने घर जाने का फैसला किया कि इस बार गाँव में ही होली मनाएँगे।
मैं तो जा नहीं सकता था। अगर मैं जाता तो मेरी कमाई, पढ़ाई, और चुदाई तीनों पर कोई और होली खेल जाता। तो वे लोग गाँव चले गए, घर में मैं रह गया, साथ में मैं मेरी भाई-भाभी और मेरी दो भतीजियाँ। और वह तो पहले से ही अपने पूरे परिवार के साथ वहाँ थी ही।
एक रात हम सब छत पर सो रहे थे कि तेज़ बारिश शुरू हो गई, सब नीचे भाग आए सोने कि लए। मौसम तो ऐसा था कि जिनकी शादी हो गई थी वो तो बीवी के साथ लगे होंगे, जिनकी नहीं हुई वह लण्ड पकड़कर सो रहे होंगे, मेरी तरह। उस रात मैं भगवान को कोस रहा था, आप को अगर पता न हो तो एक बात बता दूँ कि दिन में एक बार आप जो भी बोलते हैं, वह सच हो जाता है, शायद वही हुआ।
रात के लगभग २ बज रहे थे, मैं बरामदे में ही अकेला सो रहा था, भाई-भाभी अन्दर कमरे में कुण्डी लगाकर सो रहे थे। अचानक मुझे पायल की आवाज़ सुनाई पड़ी, मैंने आँखें खोली तो देखा कि बुलुबल आराम से नीचे उतर रही है। वह सीधा मेरे बिस्तर पर आई और मेरे साथ लेट गई। मैं तो अचानक हवा में उड़ने लगा, हे भगवान, आख़िर वह दिन आ ही गया ! मैंने उसकी तरफ मुँह किया और उसे किस करने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी। मैंने उसे सिर से लेकर पाँव तक किस किया, वह तो जाने कितने जन्मों की प्यासी लग रही थी पता नहीं।
जब मैं उसे किस कर रहा था तो इतने में उसने मेरा लण्ड पजामे में से बाहर निकाल लिया और हिलाने लगी। मैं तो हैरान रह गया, ये सब इसने कहाँ से सीखा? मैंने उसके होठों को जी-भर चूसा और लाल कर दिया। फिर उसकी शमीज खोलकर मस्त हो रहीं चूचियों को जी भरकर चूसा। उसकी ओओओओओओ… उउउउउउउ… आआआआआआ आआआआआआहहहह की आवाज़ मेरे जोश भर रही थी। मैं ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूचियों को दबा व चूस रहा था। फिर मैं धीरे से एक ऊँगली उस कभी खत्म न होने वाली गहराई यानि उसकी योनि के ऊपर घुमा रहा था, अचानक वह ज़ोर-ज़ोर से अपने चूतड़ों को ऊपर-नीचे करने लगी और कुछ देर बाद शान्त हो गई। फिर मैंने अपना लण्ड उस के मुँह में दे दिया और वह दनादन चूसने लगी और मैं उसकी चूत चाट रहा था कि कहानी में ट्विस्ट आ गया।
मुझे लगा कि कोई अन्दर से कुण्डी खोल रहा है। हम शान्त हो गए। फिर धीरे-धीरे कुण्डी खुलने की आवाज़ हुई तो हमारी जान ही निकल आई, वह वहाँ से उठकर सीढ़ियों से ऊपर चली गई, और मैं शान्ति से सो गया। फिर पाया कि काफी देर तक कोई अन्दर कमरे से नहीं आया फिर भी कुण्डी जैसी कुछ आवाज़ रह-रहकर आतीं, तो मैंने ध्यान दिया तो पाया कि हवा के कारण गाँधी की तस्वीर दरवाज़े में रगड़ खाकर आवाज़ पैदा कर रही थी। मैंने मन ही मन सोचा क्या यार सही में तुम गाँधी हो, अच्छी खासी चुदाई में तुमने आन्दोलन कर दिया। मैं लण्ड पकड़कर सो गया। थोड़ी ही देर में वह आई और अपना दुपट्टा लेकर जाने लगी तो मैंने उसे ज़बरदस्ती लिटा लिया, वो मना करती रही फिर भी मैं नहीं माना और उसे फिर से नंगा कर दिया, फिर से उसको चूमा-चाटा फिर कुछ देर तक ना-ना करने के बाद वह मान गई और साथ देने लगी।
फिर मैंने उस को उसकी कच्छी उतारने के लिए कहा तो वो बोली- सब तो तुमने उतार ही दिया है, अब ये मैं क्यों उतारूँ, तुम ही उतार दो।
मैंने फिर वह भी उतार दी और अपनी छोटी ऊँगली को ओ बना के घुमाने लगा तो मुझे ऐसा लगा कि वह अभी मझे धक्का देकर गिरा देगी, लेकिन मैंने धीरे-धीरे ही घुमाना उचित समझा और उसकी चूचियों को एक-एक करके चूसता भी रहा। फिर मैंने ऊँगली निकाल कर अँगूठा डाला और फिर ओ की तरह घुमाने लगा तो वह उछलने लगी और सिसकारियाँ लेने लगी। अब ना तो मुझ से रहा जा रहा था ना ही उससे सहा जा रहा था।
मैंने उससे कहा- यार ! कब तक ये चूसते रहेंगे?
तो वह बोली- मैं तो कब से कहना चाह रही हूँ पर तुम हो कि चूस-चूस कर ही निकालते जा रहे हो।
तो मैंने कहा कि पहले बताना चाहिए था ना, मैं यह काम पहली बार कर रहा हूँ।
तो वह बोली- तो मैं कौन सी मास्टर हूँ, मेरा भी तो पहली बार ही है।
फिर मैं उसे चित लिटाकर उसके ऊपर आ गया और सारा काम अपने लण्ड के भरोसे छोड़ दिया। वह अन्दर जाने के लिए बेताब़ हो रहा था और रास्ता था कि लाख ढूंढने पर भी नज़र नहीं आ रहा था, फिर मैंने भी कोशिश की, पर बेकार। जब भी झटका मारता, लण्ड अन्दर जाने की बजाए पेट की तरफ निकल भागता।
फिर उसने कहा- कि किचन से थोड़ा तेल ले लो।
मैं किचन से तेल ले आया और उसकी चूत और अपने लण्ड पर खूब मालिश करवाई और की। फिर उसने लण्ड अपने हाथ में ले लिया और कहा- अबकी बार मैं कोशिश करती हूँ, पर धीरे-धीरे करना।
मैंने कहा- मुझे पता है जानम कि तुम और मैं दोनों ही नए हैं इस खेल में ! पर चिन्ता मत करो, मैं ख़्याल रखूँगा।
फिर उसने अपने हाथों से मेरा लण्ड अपने चूत की छेद के पास रखा और बोली- जानेमन थोड़ा रहम करना मेरे ऊपर और धीरे से धक्का लगाना !
तो मैंने पहला धक्का धीरे से लगाया, मुझे पूरा महसूस हो रहा था कि मेरे लण्ड का कितना हिस्सा बाहर है, और कितना अन्दर जा चुका है। मैंने अपने पहले ही झटके में अपना पूरा सुपाड़ा अन्दर पेल दिया तो वह तिलमिला उठी और अपने दाँतों को ज़ोर-जो़र से चबाने लगी फिर बोली- मुँह में कुछ दो नहीं तो मैं चिल्ला उठूँगी।
फिर मैंने अपनी जीभ उसे चूसने के लिए दी और वह चूसने लगी। इस बार मैंने एक और ज़ोरदार झटका मारा और मेरा आधा लण्ड अन्दर समा गया और वह इतनी ज़ोर से छटपटाई कि मैं घबरा गया, कि कहीं कुछ हो तो नहीं गया। उसने लाख़ छूटने का प्रयास किया पर मैंने छूटने नहीं दिया और फिर मैं वहीं रूक गया। उसकी जुबान को चूसने लगा, जब उसे थोड़ा आराम मिला तब उसने खुद ही कहा कि अब क्या चूस रहे हो, अब तो पूरा ही डाल दो, तो मैंने एक आख़िरी ज़ोरदार झटका मारा और वह उछल कर शान्त हो गई, फिर मैंने उसे हर कोण से चोदा और वह आ आआआआ आइ…. आआआआआ… आआआआआ उउउउउउ आआआहहह… उउउउभभभ… आआआआहहहह आआआआआ करती रही।
मैंने उसे अपने ऊपर आने के लिए कहा। यारों अगर आप चुदाई का असली मज़ा लेना चाहते हैं तो फिर आप ख़ुद लेट जाइए और उसे करने के लिए बोलें, फिर देखेंगे कि चुदाई क्या चीज़ होती है। और फिर वह मेरे ऊपर आकर पहले तो धीरे-धीरे फिर ज़ोर-ज़ोर से आटे की चक्की चलाने लगी। मेरा तो मत पूछिए, मैं तो जैसे हवाओं में था। तभी वह बोली- अब ज़रा ज़ोर-ज़ोर से कर दो, मैं आने वाली हूँ।
फिर मैंने उसे लिटा के जो झटके मारे, १०-१५ में ही उसने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया और मुझे भी एक ऐसी सुखदायक कँपकँपी लगी जैसे कोई मुझे स्वर्ग की सैर करवा रहा हो। फिर शुरू से लेकर अन्त तक कर मैंने उसके एक पल का भी मज़ा खराब न करके वो मुझमें और मैं उसमें समाने की कोशिश करते रहे और वह मेरा हौसला बढ़ाती रही। मैंने ज़ोरदार शाट्स मारे, फिर हम शान्त होकर वहीं पड़े रहे। १५ मिनट बाद हम उठे, बाथरूम में साथ-साथ गए, एक-दूसरे को साफ़ किया। उसने मुझे गुडनाईट किस दिया और चली गई।
१५ दिन बाद मेरी नौकरी फ़रीदाबाद में डेवेलपमेन्ट में एक कैड ऑपरेटर के रूप में लग गई और मैंने दिल्ली छोड़ दी।
उसके बाद आज तक कभी सेक्स करने का दुबारा मौका नहीं मिला, उसके बाद ना तो उसने कभी मुझे फोन किया, ना मैंने उसे ही। उसकी शादी हो चुकी है, और वह काफी खुश है। Antarvasna
आप सभी ने मेरी पूर्व में अंर्तवासना Hindi Porn Stories पर ‘माला की चुदाई‘ और ‘मजा और मलाई‘ पढ़ी, और मुझ को मेल कर मेरा होंसला अफजाई किया उसके लिये मेरा आप सभी को धन्यवाद। मजा और मलाई के पिछले भाग में आपने पढा कि मैंने किस तरह स्वीटी को चोदा, अब आगे…
स्वीटी के घर से जाने के बाद भी मेरी ख्वाहिशें और इच्छायें कम नहीं हो रही थी। उस रात मैं ठीक से नहीं सो पाया, जबकि होना यह चाहिए था कि इतनी चुदाई और मेहनत के बाद मुझे तबीयत की नींद आनी चाहिये थी, मगर नहीं आ रही थी, मुझे रह रहकर स्वीटी की चुद या गांड दिख रही थी, अंत में मुझे, कसम से, जिंदगी में पहली बार, मुठ मार कर सोना पड़ा।
ऐसे ही दो चार दिन निकल गये। इस बार मैंने सोच रखा था कि अब मैं स्वीटी की अनछुई कुंवारी गांड पर हाथ साफ करूंगा, यानि कि गांड मारूंगा।
ईश्वर सच में बडा ही दयालु हैं, उसने मेरी सुन ली। मुझे स्वीटी का करीब एक सप्ताह बाद बुलावा आया। मैं खुश था कि इस बार उसने मुझे रात में बुलाया है, जिससे मुझे स्वीटी को चोदने के लिये पूरी रात मिलेगी।
मैं शाम को करीब 8 बजे ही स्वीटी के घर पहुंच गया। वहां स्वीटी ने बताया कि उसके पति फेक्ट्री के काम से बाहर गये हैं, जो एक दो दिन में आयेंगे। बस फिर क्या था, मैं आजाद था, मैं बेडरूम में गया, तब तक स्वीटी फ्रीज से बीयर की बोतल निकाल लाई और मैंने आज उसे गिलास में न डलवा कर उसे वैसे ही बोतल में रहने दी क्योंकि मुझे आज कुछ अलग तरह से प्यार करना था।
मैं स्वीटी को बेडरूम की दीवार के सहारे चिपकाकर पहले एक लम्बी होंठ किस करते हुए उसके गाऊन के ऊपर से ही अपने एक हाथ को उसके प्यारे बॉब्स पर रखकर सहलाने लगा और दूसरे हाथ को उसकी चूत पर रखकर सहलाने लगा और 15-20 मिनट बाद धीरे धीरे स्वीटी के गाऊन को उतारा और अब स्वीटी कुल मिलाकर ब्रा पेंटी में थी।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को अपने दोनो हाथों से सहलाया और चूमा फिर स्वीटी को बेड पर लेटा कर पेंटी और ब्रा को भी आजाद कर दिया फिर स्वीटी ने भी मेरे सारे कपड़े खोल दिये। आज मुझे स्वीटी को अंगुरी बनाना था और जैसा सोच कर आया था वैसा ही करने का मूंड था।
मैं बेड पर लेटी स्वीटी के बुब्स को आराम सहलाते हुये चूसने लगा और फिर धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और चूत चटाई शुरू कर दी, मगर कोरी चूत चटाई नहीं की, दोस्तो ! मै बीयर की बोतल खोलकर उसकी धार पहले स्वीटी के बोबों पर डालता हुआ चाटने लगा। इस वक्त अगर कोई देख लेता तो सच में मुझे कुत्ता ही समझ लेता।
इधर स्वीटी की गर्मी बढ़ती जा रही थी। वह मुंह से- संजू ये क्या कर रहे हो? ऐसे तो मुझे गुदगुदी हो रही हैं ! मुझसे रहा नहीं जा रहा है और आ.आ.आ.. हहहहह की आवाजें करने लगी। मगर अभी तो मेरी बस आज की शुरूआत थी। बोब्स से उतर कर नीचे की ओर बह रही बीयर की धार जो बाद में नाभि के खास छिद्र पर जा रही थी। वहां जैसे ही मैंनें जीभ लगायी, कसम से स्वीटी एकदम से चिल्ला पड़ी कि ये क्या कर रहे हो संजू, ऐसे तो मैं बिना चुदे ही झड़ जाऊंगी।
मैंने कहा- स्वीटी डांर्लिग चिंता ना करो, पूरी रात बाकी हैं। शेष आधी बोतल मैं उसकी चूत पर धार बनाकर डालने लगा और चाटने लगा। कसम से अब मुझे बीयर के साथ-साथ मुझे स्वीटी की चूत से निकल रहा पानी, शायद स्वीटी इस दौरान एकाध बार झड़ चुकी थी, भी सोमरस से कम नशा नहीं दे रहा था। मैंनें चूत चाटने में आधा घंटा लगाया जिसमें चू्त के हर कोने को अपनी जीभ से नाप लिया था।
स्वीटी मुझसे कम नहीं थी, वो भी मेरी ओर देख मुझे चिड़ाते हुवे दूसरी बीयर की बोतल खोल कर मुझे बेड के सिरहाने लेटा खुद मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी और मेरी नाभि पर व मेरे लंड के ऊपर व नीचे बीयर डालकर चाटने लगी, चूसने लगी।
आज स्वीटी की चुसाई में एक अलग ही आनन्द था मेरे मुंह से आह…ऊ… आह… तक निकाल दी, मैं थोड़ी देर में झड़ गया, मगर स्वीटी ने मुझे छोड़ा नहीं उसने मेरा सारा जूस निकाल लिया और बिल्ली दूध पीकर कटोरे को जीभ से चाटती हैं, वैसे ही उसने मेरे लंड के पानी को गटक लिया और अंत तक चाटती रही और अपने हाथ और मुंह से मेरे लंड को फ़िर खड़ा करने लगी।
थोडी देर में हम दोनो तैयार हो गये, मैंने आज लेटे लेटे ही स्वीटी को अपने ऊपर चढ़ाया और उससे उठक-बैठक करने को कहा। स्वीटी तुरंत मेरे लंड पर आकर बैठ गई और मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी चूत का रास्ता बताने लगी, शायद उसने इसे सामान्य चुदाई समझ लिया था, वह बेफिक्र थी, मगर जैसे ही उसने मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी चूत का रास्ता बताया मैंने एक ही शॉट नीचे से अपने लंड का दिया तो लंड को सीधे उसकी बच्चेदानी तक पहुंचा दिया।
दोस्तो, वह इसके लिये तैयार नहीं थी। उसकी आंखों से आंसू आ गये और नीचे उतरने की जिद करने लगी, पर मैं फिर उसे प्यार से समझाकर धीरे धीरे शाट लगाने लगा और अपने दोनो हाथों से उसके बुब्स मसलने लगा। कभी कभी उसकी चूंचियों को जोर से दबा देता जिससे वह फिर उत्तेजित होने लगी। अब मैंने शॉट मारना बंद कर दिया अब वह खुद ही ऊपर नीचे होने लगी और हाय संजू मजा आ गया आ…ह…अ. अ…अ..ा… करने लगी।
शायद अब उसे मस्ती चढ़ने लगी, मैं भी कभी नीचे से शॉट लगाता तो लंड फिर बच्चेदानी तक चल जाता, मगर अब उसे इस दर्द में भी मजे की अनुभूति हो रही थी। स्वीटी की स्पीड धीरे-धीरे तेज होने लगी और कहने लगी आहा सं…जू… मेरा निकल रहा है और वह झड़ गयी। कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया। वह मेरे ऊपर ही लेट गयी।
थोडी देर बाद मेरा हाथ उसकी गांड की तरफ बढ़ा तो वह चौंक गयी और बोली संजू ये क्या कर रहे हो? तुम्हारे इरादे तो नेक हैं?
मैंने कहा- स्वीटी डार्लिंग ! आज मेरे इरादे क्या मेरा सब कुछ नेक है और मुझे आज तुम्हारी गांड मारनी हैं।
नहीं संजू मुझे दर्द होगा मैंनें आज तक गांड नहीं मराई !
मैंने उसे समझाया कि जैसे पहली बार चुदवाने में दर्द होता हैं, वैसा ही थोड़ा सा पहले पहले दर्द होगा फिर मजा चुदवाने से ज्यादा गांड मराने में आयेगा। वह मेरी बात मान गई और तब तक मेरा लंड अपने झटके दिखाने को तैयार हो चुका था। मैंने स्वीटी को घोड़ी बनाया और अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाया और दो उंगलियों पर तेल लेकर उसकी गांड में धीरे धीरे डालने लगा, जिससे कि उसकी गांड मेरा लंड लेने को तैयार हो जाए, मेरी उंगली जाते ही कहने लगी- संजू डार्लिंग मुझे दर्द हो रहा है !
तो मैंने कहा- जान, कुछ देर की बात हैं व फिर मैं एक हाथ उसके स्तनों की ओर ले गया और चूंचियों मसलने और सहलाने लगा और उसके गरदन, कान व गाल आदि को चूमने लगा, जिससे वह उत्तेजित होकर मेरा हाथ चूंचियों से हटा कर अपनी चूत के विराने की ओर ले गयी और मुझे उंगली करने का इशारा करने लगी। मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे धीरे धीरे उंगली से चोदने लगा।
और इधर अब मेरे लंड ने भी कसरत चालू कर दी और झटके मारने लगा। मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने धीरे से अपना सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रखा और धीरे धीरे डालने लगा मगर स्वीटी की गांड अनछुई होने के कारण बार बार लण्ड फ़िसल जाता और मेरा लंड महाराज दरवाजे पर ही अटक जाता।
खैर मुझे आज स्वीटी की गांड मारनी थी, सो एक हाथ जो चूत की तरफ था उससे चूत को अंदर से पकड़ कर अपने लंड को स्वीटी की गांड के छेद पर लगाकर एक जोरदार झटका दिया, जिससे स्वीटी आगे को जाने लगी मगर मेरे एक हाथ से चूत पकड़ी होने के कारण वह आगे तो नहीं जा सकी अपितु चिल्ला जोर से गई आहहह हहहह संजू क्या मार डालोगे, अपने इस लंड को बाहर निकालो नहीं तो मैं मर जाऊंगी।
मैंने उसे पकड़े रखा और स्वीटी छुटने के लिये तड़पने लगी, मगर कुछ देर बाद मेरे एक हाथ से चुंचियों को सहलाने व मसलने और उसके कान, गले और मुंह चुम्माचाटी करने पर वह फिर हिलने लगी। अब मुझे गांड मारने का समय सही लगा और धीरे धीरे स्वीटी की गांड में अपना लंड पेलने लगा। स्वीटी भी मस्ती में आकर चिल्लाने लगी, संजू फाड़ डाल मेरी गांड को आह… अ…ा…ह… ऊ…अ.. …ह करने लगी।
15-20 मिनट बाद मुझे लगा कि मैं झडने वाला हूँ, तो मैंने स्वीटी को कहा डार्लिंग मेरा निकलने वाला है, तो उसने सीधे मुंह में झड़ने को कहा और मैं अपने लंड को स्वीटी की गांड में से निकाल कर उसके मुंह में डालकर मुखचोदन करने लगा और 8-10 झटको के बाद मैं झड़ गया और इसी तरह स्वीटी को पूरी रात कभी एक टांग कंधे पर रख कर चोदा तो कभी कुत्तिया बनाकर चोदा।
सुबह 6 बजे तक चोदन कार्यक्रम चलता रहा, फिर नौकरानी के आने का समय बताकर मुझे जाने को कहा और मुझे फिर से रूपए देने लगी तो मैंने उसे मना किया, मगर वह नहीं मानी।
दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी, मुझे मेल करें। Hindi Porn Stories
मेरी सगाई की तारीख पक्की हो Hindi Sex Stories गई थी। मैं जब राजू से पहली बार मिली तो मैं उसे देखती रह गई। वो बड़ा ही हंसमुख है। मज़ाक भी अच्छी कर लेता है। मैं ३ दिनों से इन्दौर में ही थी। वो मुझे मिलने रोज़ ही आता था। हम दोनो एक दिन सिनेमा देखने गए। अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए उन्होंने मेरे स्तनों का भी जायज़ा ले लिया। मुझे बहुत अच्छा लगा था।
पापा ने बताया कि उज्जैन में मन्दिर की बहुत मान्यता है, अगर तुम दोनों जाना चाहो तो जा सकते हो। इस पर हमने उज्जैन जाने का कार्यक्रम बना लिया और सुबह आठ बजे हम कार से उज्जैन के लिए निकल पड़े। लगभग दो घण्टे में ७०-७५ किलोमीटर का सफर तय करके हम होटल पहुँच गये.
कमरे में जाकर राजू ने कहा-“आरतीफ्रेश हो जाओ…नाश्ता करके निकलेंगे..”
मैं फ्रेश होने चली गयी. फिर आकर थोड़ा मेक अप किया. इतने में नाश्ता आ गया. नाश्ते के बीच बीच में वो मेरी तरफ़ देखता भी जा रहा था. उसकी नज़ारे मैं भांप गयी थी. वो सेक्सी लग रहा था.
मैंने कहा -“क्या देख रहे हो…”
“तुम्हे… इतनी खूबसूरत कभी नहीं लगी तुम..”
“हटो…” मैं शरमा गयी.
“सच… तुम्हे बाँहों में लेने का मन कर है”
“राजू !!! ”
“आओ मेरे गले लग जाओ..”
‘वो कुर्सी से खड़ा हो गया और अपनी बाहें फैला दी. मैं धीरे धीरे आंखे बंद करके राजू की तरफ़ बढ गयी. उसने मुझे अपने आलिंगन में कस लिया. उसके पेंट में नीचे से लंड का उभार मेरी टांगों के बीच में गड़ने लगा. मैं भी राजू से और चिपक गयी. उसने मेरे चेहरे को प्यार से ऊपर कर लिया और निहारने लगा. मेरी आंखे बंद थी. हौले से उसके होंट मेरे होंटों से चिपक गए. मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया. वो मुझे चूमने लगा. उसने मेरे होंट दबा लिए और मेरे नीचे के होंट को चूसने लगा. मैं आनंद से भर उठी. उसके नीचे का उभार मेरी टांगों के बीच अब ज्यादा चुभ रहा था. मैंने थोड़ा सेट करके उसे अपनी टांगों के बीच में कर लिया. अब वो सही जगह पर जोर मार रहा था. मैं भी उस पर नीचे से जोर लगा लगा कर चिपकी जा रही थी.
वो अलग होते हुए बोला -“नेहा…एक बात कहूं…”
“कहो राजू”
“मैं तुम्हे देखना चाहता हूँ…”
मैं उसका मतलब समझ गयी , पर उसको तड़पाते हुए मजा लेने लगी…”तो देखो न…सामने तो खड़ी हूँ…”
“नहीं…ऐसे नहीं…”
“मैंने इठला कर कहा -“तो फिर कैसे.. ”
“मतलब…कपडों में नहीं…”
“हटो राजू…चुप रहो…”
“न..नहीं..मैं तो यूँ ही कह रहा था… चलो…अच्छा..”
मैं उस से लिपट गयी..” मेरे राजू… क्या चाहते हो… सच बोलो..
“क कक्क कुछ नहीं… बस..”
“मुझे बिना कपडों के देखना चाहते हो न…”
उसने मुझे देखा… फिर बोला..” मेरी इच्छा हो रही थी.. तुम्हे देखने की…क्या करून अब तुम हो ही इतनी सुंदर…”
“मैं धीरे से उसे प्यार करते हुए बोली – ” सुनो मैं तो तुम्हारी हूँ… ख़ुद ही उतार लो..”
“सच…” उसने मेरे टॉप को ऊपर से धीरे से उतार दिया. मैं सिहर उठी.
“राजू… आह…”
ब्रा में कसे मेरे उरोज उभार कर सामने आ गए. राजू ने प्यार से मेरे उरोजों को हाथ से सहलाया. मुझे तेज बिजली का जैसे करंट लगा…फिर उसने मेरी ब्रा खोल दी. उसकी आँखे चुंधिया गयी. उसके मुंह से आह निकल पड़ी. मैंने अपनी आंखे बंद करली. वो नज़दीक आया उसने मेरे उभारों को सहला दिया. मुझे कंपकंपी आ गयी. उस से भी अब रहा नहीं गया…मेरे मस्त उभारों की नोकों को मुंह में भर लिया..और चूसने लगा..
“राजू मैं मर जाऊंगी…बस…करो..” मेरे ना में हाँ अधिक थी.
उसने मेरी सफ़ेद पेंट की चैन खोल दी और नीचे बैठ कर उसे उतारने लगा. मैंने उसकी मदद की और ख़ुद ही उतार दी. अब वो घुटनों पर बैठे बैठे ही मेरे गहरे अंगों को निहार रहा था. धीरे से उसके दोनो हाथ मेरे नितम्बों पर चले गए और वो मुझे अपनी और खींचने लगा.। मेरे आगे के उभार उसके मुंह से सट गए. उसकी जीभ अब मेरी फूलों जैसे दोनों फाकों के बीच घुस गयी थी. मैंने थोड़ा और जोर लगा कर उसे अन्दर कर दी. फिर पीछे हट गयी.
“बस करो ना अब…” वो खड़ा हो गया. ऐसा लग रहा था की उसका लंड पेंट को फाड़ कर बाहर आ जाएगा
“राजू..अब मैं भी तुम्हे देखना चाहती हूँ… मुझे भी देखने दो.. ”
राजू ने अपने कपड़े भी उतार दिए. मैं उसका तराशा हुआ शरीर देख कर शर्मा गयी. अब हम दोनों ही नंगे थे. उसका खड़ा हुआ लंड देख कर और उसकी कसरती बॉडी देख कर मन आया कि… हाय…ये तो मस्त चीज़ है… मजा आ जाएगा… पर मुझे कुछ नहीं कहना पड़ा. वो ख़ुद ही मन ही मन में तड़प रहा था. वो मेरे पास आ गया. उसका इतना कड़क लंड देख कर मैं उसके पास आकर उस से चिपकने लगी. मुझे गांड कि चुदाई में आरंभ से ही मजा आता था. मुझे गांड मराने में मजा भी खूब आता है. उसका कड़क, मोटा और लंबा लंड देख कर मेरी गांड चुदवाने कि इच्छा बलवती होने लगी.
मेरी चूत भी बेहद गीली हो गयी थी. उसका लंड मेरी चूत से टकरा गया था. वो बहुत उत्तेजित हो रहा था. वो मुझे बे -तहाशा चूम रहा था. “नेहा…डार्लिंग… कुछ करें…”
“राजू… मत बोलो कुछ…” मैं ऑंखें बंद करके बोली ” मैं तुमसे प्यार करती हूँ…मैं तुम्हारी हूँ.. मेरे राजू..”
उसने मुझे अपनी बलिष्ठ बाँहों में खिलोने की तरह उठा लिया. मुझे बिस्तर पर सीधा लेटा दिया. मेरे चूतडों के नीचे तकिया लगा दिया. वो मेरी जांघों के बीच में आकर बैठ गया। धीरे से कहा -“आरतीमैं अगर दूसरे छेद को काम में लाऊं तो…” मैं समझ गयी कि ये तो ख़ुद ही गांड चोदने को कह रहा है. मैं बहुत खुश हो गयी.”चाहे जो करो मेरे राजा…पर अब रहा नहीं जाता है.”
” इस से सुरक्षा भी रहेगी..किसी चीज का खतरा नहीं है…”
“राजू…अब चुप भी रहो न… चालू करो न…” मैंने विनती करते हुए कहा.
मैंने अपनी दोनों टांगे ऊँची करली. उसने अपने लंड कि चमड़ी ऊपर खीच ली और लंड को गांड के छेद पर रख दिया. मैं तो गंद चुदवाने के लिए हमेशा उसमे चिकनाई लगाती थी. उसने अपना थूक लगाया और… और अपने कड़े लंड की सुपारी पर जोर लगाया. सुपारी आराम से अन्दर सरक गयी. मैं आह भर उठी.
“दर्द हो तो बता देना..नेहा..”
“राजू… चलो न…आगे बढो… अब..” मैं बेहाल हो उठी थी. पर उसे क्या पता था की मैं तो गांड चुदवाने और चुदाई कराने मैं अभ्यस्त हूँ. उसने धीरे धीरे धक्के मारना चालू किया.
“तकलीफ़ तो नहीं हुई…नेहा…”
“अरे चलो न…जोर से करो ना…क्या बैलगाडी की तरह चल रहे हो…” मुझसे रहा नहीं गया. मुझे तेजी चाहिए थी.
सुनते ही एक जोरदार धक्का मारा उसने… अब मेरी चीख निकल गयी. लंबा लंड था…बहुत अंदर तक चला गया. अपना लंड अब बाहर निकल कर फिर अन्दर पेल दिया उसने… अब धक्के बढने लगे थे. खूब तेजी से अन्दर तक गांड छोड़ रहा था.. मुझे बहुत मजा आने लगा था. “हाय..मेरे..राजा… मजा आ गया… और जोर से… जोर लगा…जोर से… हाय रे…”
उसके मुंह से भी सिस्कारियां फूट पड़ी. “नेहा… ओ ओह हह ह्ह्ह… मजा..आ रहा है… तुम कितनी अच्छी हो…”
“राजा…और करो… लगा दो…अन्दर तक…घुसेड दो… राम रे…तुम कितने अच्छे हो…आ आह हह…रे..”
मेरी गांड चिकनी थी…उसे चूत को चोदने जैसा आनंद आ रहा था… मेरी दोनों जांघों को उसने कस के पकड़ रखा था. मेरी चुन्चियों तक उसके हाथ नहीं पहुँच रहे थे. मैं ही अपने आप मसल रही थी. और सिस्कारियां भर रही थी. मैंने अब उसे ज्यादा मजा देने के लिए अपने चूतडों को थोड़ा सिकोड़ कर दबा लिया. पर हुआ उल्टा…
“आरतीये क्या किया… आह…मेरा निकला…मैं गया… ”
“मैंने तुंरत अपने चूतडों को ढीला छोड़ दिया… पर तब तक मेरी गांड के अन्दर लावा उगलने लगा था.
“आ अह हह नेहा…मैं तो गया… अ आह ह्ह्ह…” उसका वीर्य पूरा निकल चुका था. उसका लंड अपने आप सिकुड़ कर बाहर आ गया था. मैंने तोलिये से उसका वीर्य साफ़ किया
मैं अभी तक नहीं झड़ी थी.. मेरी इच्छा अधूरी रह गयी थी. फिर भी उसके साथ मैं भी उठ गयी.
हम दोनों एक बार फिर से तैयार हो कर होटल में भोजनालय में आ गए. दोपहर के १२ बज रहे थे. खाना खा कर हम उज्जैन की सैर को निकल पड़े.
करीब ४ बजे हम होटल वापस लौट कर आ गये. मैंने राजू से वो बातें भी पूछी जिसमे उसकी दिलचस्पी थी. सेक्स के बारे में उसने बताया कि उसे गांड चोदना अच्छा लगता है. चूत की चुदाई तो सबको ही अच्छी लगती है. हम दोनों के बीच में से परदा हट गया था. होटल में आते ही हम एक दूसरे से लिपट गए. मेरी चूत अभी तक शांत नहीं हुयी थी. मुझे राजू को फिर से तैयार करना था. आते ही मैं बाथरूम में चली गयी. अन्दर जाकर मैंने कपड़े उतार दिए और नंगी हो कर नहाने लगी. राजू बाथरूम में चुपके से आ गया. मैंने शोवेर खोल रखा था. मुझे अपनी कमर पर सुहाना सा स्पर्श महसूस हुआ. मुझे पता चल गया कि राजू बाथरूम में आ गया है. मैं भीगी हुयी थी. मैंने तुरन्त कहा -“राजू बाहर जाओ… अन्दर क्यूँ आ गए..”
राजू तो पहले ही नंगा हो कर आया था. उसके इरादे तो मैं समझ ही गयी थी. उसका नंगा शरीर मेरी पीठ से चिपक गया वो भी भीगने लगा. “मुझे भी तो नहाना है…” उसका लंड मेरे चूतड में घुसने लगा. मैं तुंरत घूम गयी. और शोवेर के नीचे ही उस से लिपट गयी. उसका लंड अब मेरी चूत से टकरा गया. मैं फिर से उत्तेजित होने लगी. मेरी चूत में भी लंड डालने की इच्छा तेज होने लगी. हम दोनों मस्ती में एक दूसरे को सहला और दबा रहे थे. अपने गाल एक दूसरे पर घिस रहे थे. उसका लंड कड़क हो कर मेरी चूत पर ठोकरें मार रहा था. उसने मुझे सामने स्टील की रोड पकड़ कर झुकने को कहा. शोवेर ऊपर खुला था. मेरे और राजू पर पानी की बौछार पड़ रही थी. मैंने स्टील रोड पकड़ कर मेरी गांड को इस तरह निकाल लिया कि मेरी चूत की फ़ांकें उसे दिखने लगी.
उसने अपना लण्ड पीछे से चूत की फ़ांकों पर रगड़ दिया। मेरा दाना भी रगड़ खा गया। मुझे मीठी सी गुदगुदी हुई। दूसरे ही पल में उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक घुस गया। मैं आनन्द के मारे सिसक उठी,”हाय रे… मार डाला…”
“हाँ नेहा… तुम्हें सुबह तो मजा नहीं आया होगा…अब लो मजा…”
उसे कौन समझाए कि वो तो और भी मजेदार था… पर हाँ…सुबह चुदाई तो नहीं हो पाई थी.
“हाँ… अब मत छोड़ना मुझे… पानी निकाल ही देना…” मैं सिसककते हुए बोली.
“तो ये लो…येस…येस… कितनी चिकनी है तुम्हारी..”उसके धक्के तेज हो गए थे. ऊपर से शोवेर से ठंडे पानी की बरसात हो रही थी…पर आग बदती जा रही थी. मुझे बहुत आनंद आने लगा था.
“राजू… तेज और… तेज… कस के लगाओ… हाय रे मजा आ रहा है…”
“हा…ये..लो…और…लो…ऊ ओऊ एई एई…”
मैंने अपनी टांगे और खोल दी. उसका लंड सटासट अन्दर बाहर जा रहा था. हाँ…अब लग रहा था कि शताब्दी एक्सप्रेस है. मेरे तन में मीठी मीठी सी जलन बढती जा रही थी .उसके धक्के रफ़्तार से चल रहे थे. फच फच की आवाजें तेज हो गयी. “हाय रे मार दो मुझे…और तेज धक्के लगाओ…हाय…आ आह ह्ह्ह…आ आ हह हह…”
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था. मैं झड़ने वाली थी. मैंने राजू की ओर देखा. उसकी आँखे बंद थी. उसकी कमर तेजी से चल रही थी. उसके चूतड मेरी चूत पर पूरे जोर से धक्का मार रहे थे. मेरी चूत भी नीचे से लंड की रफ्तार से चुदा रही थी. “राजू…अ आह…हाय…आ आया ऐ ई ई ई… मैं गयी… हाय रे…सी ई सी एई ई… निकल गया मेरा पानी… अब छोड़ दे मुझे… बस कर…”मैं जोर से झड़ गयी. मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. पर वो तो धक्के मारता ही गया. मैंने कहा..”अब बस करो…लग रही है… हाय..छोड़ दो ना…”
राजू को होश आया… उसने अपना लंड बाहर निकल लिया. उसका बेहद उफनता लंड अब बाहर आ गया था. मैंने तुंरत उसे अपने हाथ में कस के भर लिया. ओर तेजी से मुठ मारने लगी. कस कस के मुठ मारते ही उसका रस निकल पड़ा. “नेहा…आ आह हह…आ अहह ह्ह्ह… हो गया…बस… बस…ये आया…आया…”
इतने मैं उसका वीर्य बाहर छलक पड़ा. मैं राजू से लिपट गयी. उसका लंड रुक रुक कर पिचकारियाँ उगलता रहा. और मैं उसका लंड खींच खींच कर दूध की तरह रस निकालती रही. जब पूरा रस निकल गया तो मैंने उसका लंड पानी से अच्छी तरह धो दिया. कुछ देर हम वैसे ही लिपटे खड़े रहे. फिर एक दूसरे को प्यार करते रहे और शोवर के नीचे से हट गए. हम दोनों एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे. इसके बाद हम एक दूसरे के साथ दिल से जुड़ गए. हमारा प्यार अब बदने लगा था.
शाम के ६ बजे हम उज्जैन से रवाना हो गए… मन में उज्जैन की यादें समेटे हुए इंदौर की और कूच कर गए. Hindi Sex Stories
आज मैं आप के लिये कोई कहानी नहीं लाया Antarvasna लेकिन मैं आपसे केवल २ बातें करने आया हूं।और ये दो बातें केवल लड़कियों के लिये हैं।
तो लेडीज़—गौर फ़रमायें।
आप या तो कुंवारी होंगी या फ़िर शादी शुदा
शादीशुदा हो तो ठीक है, कुंवारी होंगी तो २ बातें होंगी,
या तो आप शादी करेंगी या नहीं।
शादी नहीं कि तो ठीक लेकिन अगर की तो २ बातें होंगी,
या तो आपका पति ठरकी होगा या नहीं
ठरकी हुआ तो आपको चुदाई का मज़ा आयेगा लेकिन अगर ठरकी नहीं हुआ तो २ बातें होंगी
या तो आप एक ही बिस्तर पे सोयेंगे या अलग – अलग,
अलग से सोने का तो सवाल ही नहीं उठता और अगर एक ही बिस्तर पे होंगे तो २ बातें होंगी।
या तो आप बिना चुदे ही सो जायेंगी, फ़िर पति को गालियां देंगी।
बिना चुदे तो नींद आयेगी नहीं और अगर मन में पति को गालियां देंगी तो २ बातें होंगी।
या तो आप अपने पति को छोड़ने की सोचेंगी या फ़िर किसी और से अपनी चूत मरवाने की।
एक साल से पहले तो तालाक तो होगा नहीं और अगर किसी और से चुदवाना हो तो २ बातें होंगी।
या तो आप अपने किसी पुराने यार से चुदवायेंगी या किसी और से।
किसी और को तो ढूंढना पड़ेगा लेकिन अगर यार से चुदवाना होगा तो २ बातें होंगी।
या तो उसकी शादी हो गयी होगी या नहीं,
कुंवारा होगा तो ठीक लेकिन अगर शादी शुदा होगा तो २ बातें होंगी।
या तो वो आपको चोदेगा या नहीं।
चोद देगा तो आप खुश लेकिन अगर नहीं चोदेगा तो २ बातें होंगी।
आपको या तो अपनी जवानी ऐसे ही गुज़ारनी होगी या फ़िर किसी को ढूंढना होगा जो आपको चोद सके।
ऐसे जवानी बिताना मुश्किल है अगर किसी को ढूंढना हो तो २ बातें होंगी।
या तो वो आपको चोद के खुश कर पायेगा या नहीं।
खुश किया तो ठीक लेकिन अगर खुश नहीं किया तो २ बातें होंगी।
या तो आप को वो जैसा भी चोदे खुश रहना होगा या फ़िर किसी दूसरे के लंड को ट्राई करना होगा।
उससे चुदवा के ही खुश रहना है तो पति के लंड में क्या बुराई है,
लेकिन अगर दूसरा लंड ट्राई किया तो २ बातें होंगी।
या तो दूसरा लंड मस्त होगा या फ़िस,
मस्त हुआ इसकी क्या गारंटी लेकिन अगर फ़िस हुआ तो फ़िर एक और लंड ढूंढो।
अरे तो मेरी बात आपकी समझ में क्यों नही आती है——–
बार बार लंड ढूंढ रही हो और हर एक लंड फ़िसड्डी निकल रहे हैं। दुनिया से कितना चुदवाओगी। Antarvasna
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