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मेरा नाम रौनक Antarvasna शर्मा है! मैं 20 साल का गोरा-चिट्टा नौजवान हूँ और इंदौर में रहता हूँ.
घर पर मैं अपने मोम डैड के साथ रहता हूँ.
आज मैं आप सबको मेरी पहली कहानी बताता हूँ.
मई का महीना था. मेरी मम्मी पापा उस दिन भोपाल गए हुए थे.
तभी हमारी काम वाली आ गई!
वह बहुत ही सुन्दर है और उसका फिगर ३४ २८ ३४ का है.
मैंने दरवाजा खोला और वापस जाकर अपने बेड पर लेट गया.
इतनी देर में मैंने देखा कि वो अपना ब्लाउज़ खोल के हवा खा रही थी.
मुझे देख के वो एकदम सहम गई और मैं वहां से उठ के चला गया और न्यूज़ पेपर पढ़ने लगा.
तभी वह मेरे पास आई और बोली- आपने कुछ देखा तो नहीं?
मैंने उसे कहा- कुछ तो शर्म किया करो, ऐसे कहीं भी कपड़े खोल के खड़ी हो जाती हो.
तो वो बोली- बहुत गर्मी हो रही है भैय्या! क्या करूँ?
मैंने कहा- अब कभी ऐसा मत करना!
तो वह ‘ठीक है’ बोल के चली गई.
लेकिन मेरे दिमाग में तो वही मोटे मोटे गोल गोल बोबे दिख रहे थे.
मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे जाकर पूछा- तुम अपने घर पर क्या बिना कपड़ों के घूमती हो इतनी गर्मी में?
तो वो शरमाई और बोली- हाँ, मेरा मरद तो मुझे मना नहीं करता नंगी घूमने के लिए!
तो मैंने कहा- जब इतने मस्त बोबे देखने को मिलेंगे तो कौन मना करेगा.
इस पर वह शरमा के वहां से चली गई.
फिर मैं नहाने चला गया लेकिन मैंने दरवाजा खुला छोड़ दिया.
थोड़ी देर में कमला मेरे कमरे में आई तो उसने मुझे नहाते हुए देखा.
और मेरी चाल काम कर गई.
वो मेरा लम्बा लंड देख कर खुद को रोक नहीं पाई और बोली- इतना लम्बाऽ !!?
तो मैंने पूछा- तुझे चाहिए ये?
वह मेरे पास आई और मैंने उसके सारे कपड़े निकाल दिए.
अब हम दोनों नंगे थे.
हम दोनों साथ में नहाये.
फिर मैं उसे अपने बेडरूम में ले गया!
उसे बेड पर पटका कर अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया, वो भी मजे से चूसने लगी.
15 मिनट तक चुसवाने के बाद मैंने सारा माल उसके मुँह में ही डाल दिया और वो भी चाट चाट के पी गई.
5 मिनट तक और लंड चुसवाने के बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
फिर मैंने उसे घुटनों पर बिठा के पीछे से अपना लंड उसकी चूत पे रखा और 3 धक्कों में पूरा का पूरा लंड अन्दर डाल दिया.
और वो जोर से चिल्लाई- ऊऊईई ईईई … आह आह आह आह आह मर गई!
उसके बाद मैंने धक्का मारना शुरू किया … पहले धीरे धीरे धक्के मारे और फिर जोर जोर से!
पूरा कमरा पचक-पचक की आवाज़ से भर गया.
कमला भी लगातार चिल्ला रही थी- ऊऊऊ ऊउई ईईए ऊऊऊउईई उए उए आह आह आह आह अहह ह्ह्ह!
20 मिनट में वो 2-3 बार झड़ चुकी थी!
लेकिन मेरे लौड़े में बहुत जान बाकी थी और वो अन्दर बाहर लगा हुआ था!
फिर मैंने अपने लौड़ा निकाल के उसकी गांड पे रख दिया और वो बोलने लगी- साहब, गांड मत मारो! मैंने कभी नहीं मरवाई!
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और पूरा लंड उसकी गांड में पेल दिया.
वो अब बहुत जोर से चिल्लाई आहआह आह आआअ ह्ह्ह आआ आह्ह्ह!
फिर मैंने झटके देना शुरू किया और वो दर्द से चिल्लाई- आआह्ह ऊऊई ईए …
और 10 मिनट तक चोदने के बाद मैंने सारा माल उसके अन्दर डाल दिया!
उसे चोद के मैं जैसे ही पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि हमारे घर के सामने रहने वाली शीतल भाभी वहां खड़ी थी.
कमला ने बाहर का दरवाजा खुला छोड़ दिया था.
भाभी को देख कर कमला ने जल्दी से कपड़े पहने और चली गई और मैंने भी जल्दी से तौलिया उठा के लपेट लिया.
तभी भाभी बाहर गई और दरवाजा लगा दिया!
मैंने सोचा कि आज तो मैं गया!
तभी भाभी आई और बोली- तुम तो बहुत अच्छी चुदाई करते हो … मुझे चोदोगे?
यह सुन कर मैं तो हैरान ही रह गया!
वो बहुत ही सुंदर है! 34- 28- 36 की भरी पूरी माल!
मैंने भी बिना देर किये भाभी को पूरा नंगा कर दिया और भाभी ने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरा लंड चूसने लगी.
5 मिनट में मेरा लंड पूरा कड़क हो गया तो वो बोली- जल्दी चोद दो मुझे! मेरे पास ज्यादा टाइम नहीं है, तुम्हारे भईया आने वाले हैं!
तभी मैंने भाभी को बेड पे लिटाया और पूरा लंड चूत में पेल दिया.
वो चिल्लाई- आह आह ऊऊऊ ऊउईई ई ईए…
और फिर खुद भी गांड हिला-हिला कर मेरा साथ देने लगी.
पचक पचक की आवाजें आने लगी और मैंने धक्के तेज़ कर दिए.
20 मिनट तक चोदने के बाद मैंने सारा माल भाभी की चूत के अंदर डाल दिया.
तभी वो मुझसे यह वादा करके चली गई कि मैं मौका देख के फिर चुदाई करवाऊंगी.
इस तरह से उस दिन मैंने दो औरतों को चोदा.
कुछ दिन बाद पता चला कि भाभी माँ बनने वाली हैं.
उसके अगले दिन वो हमारे घर पर आई और मुझे बताया कि यह उस दिन की चुदाई का ही नतीजा है.
और वे बहुत खुश थी क्योंकि उनकी शादी के 5 साल बाद भी भैय्या उन्हें बच्चा नहीं दे पाए थे! Antarvasna
मैं एक लड़का हूं और मेरा नाम सुरेश कुमार है।अभी मैं देल्ही में रहता Sex Stories हूं। बात उन दिनों की है जब मैं इंजिनियरिंग कॉलेज में पढ़ता था।मैं ट्रेन से घर जा रहा था गर्मी की छुट्टियों में। डिब्बे में काफ़ी भीड़ थी। शाम का टाइम था मैं अपनी रिज़र्व्ड सीट पर जा कर लेट गया तो देखा कि सामने वाली सीट पर एक परिवार था जिसमें एक १९-२० साल की थोड़ी मोटी सी लड़की २४-२५ साल का पतला सा लड़का और उसकी माँ थी जिसकी उमर लगभग ४७ -४८ होगी।एकदम दुबली पतली।
वो लोग अपना समान सेट करने लगे। वो औरत मेरे पास आकर बैठ गई। मैं लेटा हुआ था। फिर पूछने लगी कि तुम कहाँ तक जाओगे मैंने कहा गुवाहाटी जाना है। तो उसने बताया कि वो लोग बिहार के किसी स्टेशन तक जाने वाले थे। फिर बोली कि तुम्हारी सीट खिड़की के पास है बड़ी अच्छी हवा आ रही है। मैं यहाँ थोड़ी देर बैठ लेती हूं। मैं उसे बात करने मैं इंटेरेस्ट नहीं ले रहा था|क्योंकि मुझे डर था कि कहीं किसी को मेरी सीट पर एड्जस्ट न कर दे। आंटी ने कहा बेटा दिल्ली से आ रहे हो। मैंने कहा हां तो वो बोली कि दिल्ली में तो बड़ी बेशरम लड़कियां रहती हैं, मैं जहाँ रहती हूं वहाँ पड़ोस मैं तीन चार लड़कियाँ रहती हैं जो ब्रा और चड्डी में ही बाहर निकल आती है ऐसे थोड़े होता है मैने कहा। वो कहने लगी कि हमारा और उनका बाल्कनी पास पास है। वो चड्डियों में ही कपड़े सुखाने चली आती हैं मैं ने कहा आंटी आप भी कैसी बात करती हो। पर पैंट में मेरा लंड फड़फड़ाने लगा था।
आंटी ने अब एक हाथ मेरी जांघ पर रख दिया था और सहला रही थी बात करने के साथ साथ मुझे अपने लंड पे काबू रखना मुश्किल हो रहा था। फिर धीरे धीरे अपना हाथ मेरे लंड के उपर रख दिया। साथ ही साथ वो कुछ बोलती भी जा रही थी जिससे आस पास वालों को शक न हो पर वो क्या कह रही थी मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आ रहा था क्योंकि एक तो ट्रेन की आवाज़ हो रही थी दूसरे मेरा पूरा ध्यान अपने लंड पर था कि वो झड़ न जाए।
तभी आंटी ने धीरे धीरे मेरे पैंट की जिप खोल दी और लंड को पकड़ लिया। लंड इतना सख़्त हो रहा था कि उसमें दर्द होने लगा। आंटी बड़बड़ा रही थी कि कितना प्यारा और सख़्त लंड है, लगता है और कितना सख़्त भी। कोई भी औरत इससे चुदने को तैयार हो जायेगी मैं सोचने लगा पहली बार तो इसे किसी ने सहलाया है।तभी उसकी उंगलियों ने मेरी गोलियों की मालिश शुरू कर दी। मेरा अपने लंड पर से काबू हट गया और सारा माल इतनी तेज़ी से निकलने लगा कि बता नहीं सकता। लंड झटके पर झटके ले रहा था। जब तक आंटी ने नहीं छोड़ा जब तक की पूरा रस नहीं निकल गय।फिर लंड को थपथपाते हुए पूछा- किसी की चूत मारी है कि नहीं। जब मैं ने न कहा तो वो बोली इससे जितनी लड़कियों की चूत में डालोगे उतने ही एक्सपर्ट हो जाओगे। मैं तो अपनी साँसे ठीक करने में व्यस्त था।
तभी मेरी नज़र उपर गयी तो देखा कि उसकी बेटी हमें बड़े ध्यान से देख रही है। पर जब उसने मुझे अपनी ओर देखते हुए पाया तो एकदम नॉर्मल दिखने की कोशिश करने लगी…। Sex Stories
शेष अगले भाग में………………।
हेल्लो दोस्तो, पहले Antarvasna तो अन्तर्वासना को मेरी कहानी अन्तर्वासना में प्रकशित करने के लिए धन्यवाद और आप सभी दोस्तों को प्यार जिन्होंने मुझे मेल किया.
आशा करता हूँ सभी चूतों और लौड़ों को मेरी यह कहानी भी पहले वाली कहानियों की तरह ही पसंद आएगी. मेरा इमेल कहानी के अंत में दिया हुआ है.
आपने कुछ दिन पहले मेरी और रक्षिता की कहानी जयपुर में पतंगबाजी पढ़ी होगी, आज मैं उसके आगे की कहानी लेकर हाजिर हूँ।
मैं अपनी कहानी वहाँ से शुरू करता हूँ जब हमने 14 जनवरी, 2010 को पहली बार चुदाई की थी।
उस दिन शाम को रक्षिता बोलती है- जान, आज तो तुमने सच में जन्नत की सैर करा दी!
मैंने उसे चूमते हुए कहा- जानू, अभी तो इस अप्सरा को पूरी जन्नत की सैर करनी बाकी है!
फिर मैं अपने घर चला गया।
अगले दिन जब उसकी भाभी पड़ोस में गई थी तब 12 बजे मैं चुपके से रक्षिता के कमरे में चला गया और वहाँ दरवाज़ा बंद करके मैंने उसे चूमना शुरू किया।
आज उसने गुलाबी रंग का सलवार सूट पहना था.
क्या तो मस्त बला लग रही थी वो!
मैंने चूमते हुए उसके स्तन भी दबा दिए।
फिर मैंने उसका कुर्ता उतारा!
पहले तो थोड़ी देर मस्त स्तनों को ब्रा में से ही दबाने लगा फिर ब्रा उतार कर उसके स्तनों को आजाद कर दिया।
उसके मोटे मोटे स्तन बड़े शानदार लग रहे थे। मैंने उसके स्तनों का दूध पीना शुरू कर दिया.
उसकी आहें निकलने लगी- आह ओह्ह आह!
फिर मैंने कहा- अब तुम मुझे इन कपड़ों से आजाद करो!
तो वो बोली- अभी लो मेरी जान, तुझे अभी नंगा कर देती हूँ.
फिर उसने मेरा टी-शर्ट उतारा और बनियान उतार कर मेरे सीने पर चूमने लगी।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
फिर उसने मेरी जींस उतारी और और अंडरवीयर में ही लंड को मसलने लगी। फिर मेरा अंडरवीयर उतारा और लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मुझे बहुत मजा आया, जब तक पानी नहीं निकल गया तब तक वो लंड चूसती रही और सारा पानी पी गई।
फिर उसके बाद मैंने उसका कुर्ता उतारा और उसे सिर्फ पैंटी में कर दिया।
वो पैंटी में बहुत मस्त लग रही थी।
मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत को मसलने लगा।
उसकी चूत गीली हो चुकी थी मैंने उसकी चूत के पानी को चाटने के लिए उसकी चूत में मुह लगाकर जीभ से चाटने लगा.
उसकी आहें फिर से सुनाई देने लगी.
फिर मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाला और उसकी चुदाई शुरू कर दी।
आज चूत में लंड डालने पर उसे ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि आज उसे दर्द नहीं हो रहा था।
चूत की चुदाई करीब 15 मिनट चली, फिर उसकी गांड मारनी शुरू कर दी।
पहले तो उसे घोड़े के जैसे पलंग पर लेटाया फिर उसकी गांड में अपना मस्त, मोटा लौड़ा डाल दिया।
उसकी गांड कसी थी इसलिए मैंने उसकी गांड की आराम से चुदाई की लेकिन आज उसे कुछ ज्यादा ही मजे आ रहे थे और वो गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी। उसकी गांड बिल्कुल लाल हो चुकी थी।
मैंने उसकी गांड के दोनों कूल्हों पर हाथ से मारा जिससे वो और लाल हो गए।
जब पानी आया तो इस बार सारा उसकी चूत में ही छोड़ दिया।
फिर मैंने कपड़े पहने और जब मैं उसके घर से जाने लगा तो भाभी बोली- रोहित, तुम कब आये? मैंने तो देखा ही नहीं!
मैं बोला- दस मिनट हुए हैं!
और चला गया.
भाभी को शायद शक हो गया था!
अगले दिन भाभी जब पड़ोस में गई तो मैं फिर आ गया।
जब मैं रक्षिता को चूम रहा था तो भाभी ने दरवाजा खटखटाया और बोली- रक्शु, एक बार दरवाज़ा खोल! मुझे कुछ काम है!
मैं जल्दी से पलंग के नीचे छुप गया।
भाभी अंदर आ गई और कमरे की तलाशी लेने लग गई।
तो रक्षिता बोली- क्या ढूंढ रही हो भाभी?
भाभी बोली- तू बैठ! मुझे जो ढूंढना है वो मैं ढूंढूँगी!
फिर भाभी ने बेड के नीचे देखा और बोली- बाहर आ जा रोहित!
मैं बोला- भाभी, किसी से मत बोलना!
फिर वो बोली- मेरी एक शर्त है!
हम दोनों बोले- वो क्या?
“तू रक्षिता के साथ मुझे भी चोद!”
मैं बोला- ठीक है!
भाभी का फिगर बहुत मस्त था, मैं सोचने लगा कि मस्त माल हाथ लग गया।
फिर मैंने भाभी की साड़ी उतारी और फिर ब्लाऊज़ उतार कर चूचियों को चूसने लगा।
रक्षिता मेरे कपड़े उतार कर मेरा लौड़ा चूसने लगी।
फिर मैंने भाभी का पेटीकोट उतारा और पैंटी में से ही चूत में खुजली करने लगा.
भाभी के मुँह से आवाजें आने लगी- आह! ओह्ह! मजा आ गया!
अब भाभी बोली- बहन के लौड़े! तूने मुझे पहले क्यों नहीं चोदा? और तेज़ चोद मेरे राजा! आज तो तूने सच में चुदाई की.
भाभी और मैं लगभग एक साथ झड़ गए।
फिर थोड़ी देर रुकने के बाद रक्षिता बोली- जान, अब मेरी चूत की प्यास भी बुझा दो!
मैं बोला- मैं अपनी जान को चोदे बिना थोड़े ही छोड़ूंगा!
फिर मैंने रक्षिता की चूत में अपना बड़ा सा लंड डाला और उसकी तेज़ स्पीड में चुदाई शुरू कर दी।
वो आह ओह्ह आह ओह्ह की आवाजें निकालने लगी.
मुझे उसकी आवाजें सुनकर बहुत मजा आने लगा, मैंने और स्पीड बढ़ा दी।
उसकी भाभी मुझे चूम रही थी और रक्षिता के स्तन दबा रही थी।
मैंने दूसरी बार दो लड़कियों की चुदाई की थी जिसमें मुझे काफी मजा आया।
इस चुदाई में मुझे पहले से ज्यादा मजा आया।
रक्षिता की चुदाई होने के बाद भाभी बोली- रोहित, तेरे भैया तो मेरी गांड मारते नहीं हैं! तू ही मार दे.
मैं बोला- ये लो भाभी! अभी मार देता हूँ.
फिर मैंने भाभी को घोड़ी की तरह बैठाया और उसकी गांड में लंड डालने लगा.
भाभी पहली बार गांड मरवा रही थी इसलिए मुझे थोड़ा ज्यादा जोर लगाना पड़ा।
लंड को घुसने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी लेकिन मैं हार मानने वाला कहाँ था … मैंने पूरा जोर लगा दिया.
भाभी चिल्लाने लगी- मर गई मैं तो … पर तू घुसा रोहित … तू मत रुक.
अब मैं और जोश के साथ गांड में घुसाने लगा।
आखिरकार मैं उसकी गांड में अपना लंड घुसाने में कामयाब रहा।
फिर मैंने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी.
भाभी बोली- मजा आ गया पहली बार गांड मरवाने में! बहन का लौड़ा, मेरा पति तो मेरी गांड चोदता ही नहीं है.
फिर मैंने उसकी गांड में पानी छोड़ दिया।
तब तक दो बज चुके थे, भाभी बोली- रोहित, हम दोनों चूत और गांड धो कर आते हैं, तू तब तक कमरे में बैठ! हम एक साथ खाना खायेंगे।
फिर भाभी खाना लगाया और मुझे बोली- रोहित, तू कल आना! मैं अपनी सहेलियों को बुला कर लाऊँगी।
मैं बोला- ठीक है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए अन्तर्वासना3 डॉट कॉम हर रोज देखते रहें!
मुझे सभी के मेल का इंतज़ार रहेगा! Antarvasna
मेरा नाम रोशन छेड़ा है. मेरे पड़ोस Antarvasna में एक जवान लड़की रूबी रहती थी। वो 12वीं में पढ़ रही थी। उसकी उमर 18 साल थी, रूबी बहुत सेक्सी थी। उसके बूब्स मुझे बहुत अच्छे लगते थे। वो एकदम हरी-भरी थी। मेरी उसके घर वालों के साथ और उसके साथ अच्छी अक्सर बातें होती रहती थी, क्योंकि उसकी और हमारी छत एक ही थी, बीच में सिर्फ़ 3 फीट ऊँची एक दीवार थी।
वो पढ़ाई में कमजोर थी। उसके एग्जाम आने वाले थे, उसकी मम्मी ने मुझसे कहा- परेश, रूबी के एग्जाम शुरू होने वाले हैं, वो पढ़ाई में कमजोर हैं, उसे थोड़ा समय निकाल कर पढ़ा दिया करो।
मैंने हाँ कर दी।
मैं रोज रात को 8 बजे उसके घर उसे पढ़ाने जाता। मेरा कमरा फ़र्स्ट फ़्लोर पर था, उसके घर में भी एक कमरा फ़र्स्ट फ़्लोर पर था, वो बन्द रहता था क्योंकि उसके मम्मी, पापा और उसका छोटा भाई जो 12 साल का था सब ग्राऊँड फ़्लोर पर ही रहते थे।
दो दिन के बाद मैंने उसकी मम्मी से कहा- भाभी नीचे हम डिस्टर्ब होते हैं, क्या हम आपके ऊपर वाले कमरे में पढ़ाई कर सकते हैं?
उन्होंने तुरन्त हाँ कर दी।
मैं रोज़ रात को 8 बजे जाता और रात के 11-12 बजे तक वहाँ पर रुकता था। वो पढ़ाई में बहुत कमजोर थी। उसे अच्छे से कुछ भी याद नहीं होता था, मैंने उसकी मम्मी से कहा तो उन्होंने बोला कि अगर नहीं पढ़ती है तो पिटाई कर दिया करो, तो मैंने एक दिन उसे उसकी मम्मी के सामने ही हलका सा एक थप्पड़ मारा, उस दिन मैंने उसे पहली बार छुआ था, उसका गाल एकदम गरम था, थप्पड़ खा कर वो मुस्कराने लगी।
अगले दिन उसने जींस और शर्ट जिसके बटन सामने खुलते थे पहने हुए थी, मैं उसके सामने बैठा कर उसे मैथ्स समझा रहा था, उसके शर्ट का एक बटन टूटा हुआ था, उसका ध्यान पढ़ाई में था और मेरा ध्यान उसके टूटे हुए बटन के पीछे उसके बूब्स पर था, उसकी काली ब्रा और गोरे बूब्स मेरे सामने दिख रहे थे।
अचानक उसका ध्यान अपने टूटे हुए बटन पर गया तो वो शरमाई और नीचे जा कर शर्ट बदल कर आई।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने बोला- आप मुझे अच्छे से पढ़ा नहीं पा रहे थे।
अगले दिन उसने टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी जिसमें उसके बूब्स का उभार गजब ढा रहा था। कामुकता वश मेरा ध्यान वहीं पर था।
उसने पूछा- परेश, क्या हुआ? तुम्हारा ध्यान कहाँ है?’
मैंने कहा- मेरा ध्यान तुझमें है!’
वो शरमाई और बोली- धत!
मेरी हिम्मत बढ़ गई। मैंने हलके से उसके गाल पर चपत लगाया और प्यार से मुस्कराया।
जवाब में वो भी मुस्कराई।
मेरी हिम्मत और बढ़ी, मैंने उसके दोनों गालों को पकड़ कर उसके होठों को चूम लिया, उसने दूर हटाते हुए कहा- मम्मी आ जायेगी!
और हम वापस पढ़ाई में लग गये।
अगले दिन उसके मम्मी, पापा और उसका भाई किसी काम से बाहर गये थे, जाते समय उसकी मम्मी ने मुझसे कहा- रूबी घर पर अकेली है, तुम रात को हमारे घर पर ही सो जाना! मुझे तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई।
रात को 8 बजे मैं उसके घर गया। वो ग्राउन्ड फ़्लोर पर थी। आज उसने सुन्दर सी काले रंग की नाइटी पहन रखी थी। हम दो घण्टे तक पढ़ते रहे। बाद में वो अपने कमरे में जाकर सो गई, मैं बाहर हाल में सो गया। अचानक वहाँ लाइट चली गई। वो कमरे से बाहर आई और मेरे पास हाल में बेड पर बैठ गई और हम बातें करने लगे।
उसने मुझसे कहा- परेश, आई लव यू!’
मैंने कुछ नहीं बोला और उसे अपनी बाहों में ले लिया। वो चुप रही, उसने कुछ भी नहीं बोला। मैंने उसे चूमना शुरू कर दिया, वो हल्का सा विरोध करती रही, इतने में लाइट आ गई तो मैंने देख उसका चेहरा एकदम लाल हो रहा है और आँखे अपने आप बन्द हो रही हैं।
मैंने धीरे से उसके बूब्स पर हाथ फिराया तो वो एक दम से मुझसे चिपक गई। मैं उसके रसीले होठों को चूमता रहा और हाथों से धीरे धीरे उसके बूब्स को दबाता रहा, वो मदहोश हो गई।
मैं थोड़ा आगे बढ़ा और मैंने उसकी नाइटी धीरे से उतार दी। अब वो मेरे सामने लेमन रंग की ब्रा और पेंटी में थी, उसकी फ़िगर देख कर मैं अपने होश खो बैठा। मैंने उसके पूरे बदन को चूमना शुरू कर दिया। वो भी मुझे चूमने लगी और मेरे कपड़े उतारने लगी। अब मैं भी सिर्फ़ अन्डरविअर में था। मैं उसे चूमता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ घुमाता रहा। उसके स्तन क्या पत्थर की तरह कड़क थे। मैंने अपने हाथ उसके पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया, एक झटके से ब्रा उसके हाथ में आ गई और उसके बूब्स आज़ाद हो गये, इससे पहले भी मैंने 3-4 बार सेक्स किया था लेकिन उसका हुस्न देख कर मैं अपने होश खो गया और धीरे से मैंने उसकी चड्डी भी उतार दी। बदले में उसने भी मेरी चड्डी उतार दी।
अब हम दोनों नंगे थे। हम दोनों एक दूसरे को चाटते रहे। मैंने अपना मुँह उसके निप्पल पर लगाया और उसको चूसने लगा उसने मेरे लण्ड को हाथ में ले लिया और उसको सहलाने लगी। मेरा लण्ड लोहे की तरह एक दम कड़क हो गया। मैंने धीरे से अपने लण्ड को उसके मुँह के पास किया तो वो उसे चूमने लगी। मैंने उसे मुँह में लेने को कहा तो वो उसे मुँह में लेकर चूसने लगी।
मेरा बड़ा बुरा हाल हो रहा था, मैंने अपनी उंगली धीरे से उसकी चूत में डाल दी। उसकी चूत गरम तवे की तरह तप रही थी। मेरी उँगलियाँ उसकी चूत की गरमी महसूस कर रही थी।
वो मेरे लण्ड को चूसती रही और मेरी उँगलियाँ उसकी चूत के साथ खेलती रही। अब वो चुदवाने के लिये एकदम तैयार थी। उसकी चूत मेरी उँगलियों की हरकत से पानी से भर गई और गीली हो गई। मैं अपना मुँह उसकी चूत पर ले गया और उसकी जाँघों और उसकी चूत को चूमने लगा। वो जोर जोर से पाँव हिलाने लगी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी और उसके पानी को पीने लगा। वो एक दम मदहोश हो गई और मेरे लण्ड को दाँत चुभाते हुये और जोर से चूसने लगी।
थोड़ी देर में उसकी चूत ने और पानी छोड़ दिया। मैं उसे पीता रहा। कुँवारी चूत का पानी पीने का मेरा यह पहला मौका था और उसके मुँह में मेरे लण्ड ने भी ढेर सारा पानी छोड़ दिया जो सीधे उसके गले में गया। उसने बड़े प्यार से मेरा पूरा पानी पी लिया और एक भी बून्द बाहर नहीं गिरने दी, और मेरे लण्ड को चूसना जारी रखा।
3-4 मिनट में मेरा लण्ड वापस तन गया। उसकी हरकतों से मुझे लगने लगा कि वो चुदाई के लिये बहुत आतुर है।
मैंने उसे बेड पर सीधा लिटाया और उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया जिससे उसकी चूत ऊपर आ गई। मैं अपने लण्ड को उसकी चूत पर फिराने लगा। उसकी चूत तन्दूर की तरह गरम थी
उसने कहा कि उसने कभी चुदवाया नहीं है। मेरा इतना मोटा लण्ड उसकी चूत में कैसे जायेगा।
मैंने कहा- थोड़ा सा दर्द होगा, लेकिन बाद में मजा आयेगा।
मैंने अपने लण्ड और उसकी चूत पर क्रीम लगाई और अपना लण्ड धीरे से उसकी चूत में घुसाने लगा। उसकी चूत बहुत टाइट थी।
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसके अन्दर जाते ही वो जोर से बोली- बहुत दर्द हो रहा है!
मैं वहीं पर रूक गया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा और उसके होठों को चूमने लगा।
थोड़ी देर में रूबी जोश में आ गई और अपने चूतड़ उठाने लगी। मैंने ऊपर से थोड़ा जोर लगाया, मेरा लण्ड उसकी चूत में 3 इन्च घुस गया। वो जोर से चिल्लाने लगी और पसीने में नहा गई, मुझसे कहने लगी- प्लीज! बाहर निकालो!
मैंने उससे बोला- पहली बार में थोड़ा दर्द होता है! और उसे चूमने लगा।
कुछ देर बाद वो शान्त हो गई।
मैंने उससे बोला- अपना मुँह बन्द रखना। मैं अभी अपना पूरा लण्ड तेरी चूत में डालूंगा।
उसने जोश में आकर कहा- अगर मैं चीखूं भी तो भी तुम नहीं रुकना।
मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत में 3 इन्च में अन्दर बाहर करने लगा। उसे भी मजा आने लगा और वो मुझसे ज्यादा चिपकने लगी। अचानक मैंने एक जोर का झटका दिया और अपना पूरा 7 इन्च का लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया। वो बहुत जोर से चीखी और जोर से तड़पने लगी।
मैं वहीं पर रूक गया। उसकी चूत में से खून निकलने लगा था। वो जोर जोर से रोने लगी, मैंने उसे प्यार से समझाया कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चल गया है। अभी थोड़ा सा दर्द होगा लेकिन बाद में जो मजा आयेगा वो पूरा दर्द भुला देगा।
मैंने उसके लाख कहने पर भी अपना लण्ड उसकी चूत से नहीं निकाला।
पाँच मिनट तक मैं सिर्फ़ उसके बूब्स को चूसता रहा और उसके पूरे शरीर पर हाथ फ़िराता रहा। धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ और उसे जोश आने लगा। वो मुझसे चिपक गई और अपने चूतड़ उठाने लगी। उसकी चूत मेरे लण्ड को कभी जकड़ती और कभी ढीला छोड़ती। मैं इशारा समझ गया और मैंने धीरे धीरे अपने लण्ड को उसकी चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया। थोड़ी देर मैं उसे भी मजा आने लगा और वो भी हिल हिल कर चुदाई का मजा लेने लगी।
10 मिनट तक मैं उसे चोदता रहा। इतनी देर में उसकी चूत गीली हो गई और उसका दर्द कम हो गया, और वो बहुत मज़े लेकर चुदवाने लगी।
करीब 15 मिनट के बाद मैंने उसे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ।
मैंने उसे कस के पकड़ा, जिससे उसके मुंह से आवाज न निकले उसके होंठ अपने होठों में मजबूती से दबा लिये और सरपट घोड़ा दौड़ा दिया। मैं पूरे जोश में आ चुका था और मैं अपना लण्ड पूरा बाहर निकाल कर एक धक्के से पूरा घुसा देता, पूरी फूर्ती से।
अब वो बुरी तरह छूटने के लिये दम लगा रही थी और मैं उसे उतना ही मजबूती से पकड़ रहा था। झटके पर झटके! धक्के पर धक्के।
एक दो मिनट में उसकी चूत बुरी तरह से मेरे लण्ड को रोकने की कोशिश कर रही थी। और मुझे साफ़ पता चला जैसे कि उसकी चूत ने एक जोर से पिचकारी मेरे लण्ड पर छोड़ दी। अब मैंने रफ़्तार और धक्के की ताकत बढ़ा दी और बड़े दम लगाने पर मैं भी चरम आनन्द पर पहुँच गया। ऐसा लगा जैसे मेरे लण्ड से कोई टँकी खुल गई हो और मैंने बहुत सारा पानी उसकी चूत में भर दिया। करीब 10 मिनट तक उसके ऊपर लेटा रहा। हम दोनों की सांस की आवाज से पूरा कमरा गूँज रहा था।
उसके बाद हम दोनों उठे और बाथरूम में जाकर उसकी चूत और अपने लण्ड को धो कर साफ़ किया और वापस आकर बेड पर बैठ गये।
मेरा लण्ड इतनी देर में वापस तन कर खड़ा हो गया। उसे तना देखकर वो बोली- अब नहीं परेश, अभी दो घण्टे सो लेते हैं, उसके बाद करेंगे।
मैंने कहा- ठीक है।
हमने अपने कपड़े पहन लिये और सोने लगे। लेकिन आंखों में नींद कहाँ!
करीब एक घण्टे बाद मैंने उसके और अपने कपड़े फिर उतार दिये। उसने कहा कि प्यार से करना क्योंकि अभी थोड़ा थोड़ा दर्द हो रहा है। मैंने उसके बदन को दबाना शुरू कर दिया, बच्चों की तरह उसका दूध पीने लगा तो वह कसमसा उठी। और उसने भी मुझे चूमना शूरू कर दिया और खुद-ब-खुद 69 की पोजीशन में आ गये। वो मेरे लण्ड को चूस रही थी और मैं उसकी चूत को। फिर मैं काम शास्त्र में बताये एक एक आसन से उसे चोदने लगा और एक ही रात में कली को खिला कर फ़ूल बना दिया।
फिर तो हम दोनों को जब भी मौका मिलता वो मुझसे चुदवाती थी। करीब एक साल तक मैं उसे चोदता रहा, उसके बाद उसके पापा की बदली हो गई। उसके बाद से आज तक उससे मेरी मुलाकात नहीं हुई है।
वो मेरे जीवन सबसे हसीन कली थी जिसे फूल बनाने का जिम्मा खुदा ने मुझे इनाम में दिया था। Antarvasna
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