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Massage Girl in Bijapur (Chhattisgarh): Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bijapur (Chhattisgarh) who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bijapur (Chhattisgarh) that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bijapur (Chhattisgarh) massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bijapur (Chhattisgarh) who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bijapur (Chhattisgarh) massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bijapur (Chhattisgarh) massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bijapur (Chhattisgarh) who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bijapur (Chhattisgarh) employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bijapur (Chhattisgarh) helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bijapur (Chhattisgarh)

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bijapur (Chhattisgarh) at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

सेक्स के दौरान ऑर्गैज्म का होना या नहीं होना व्यक्ति की व्यक्तिगत अनुभव, स्वास्थ्य, और परिस्थितियों पर निर्भर करता है, और यह नॉर्मल हो सकता है।

कुछ लोग सेक्स के दौरान ऑर्गैज्म अनुभव करने में सामान्य होते हैं, जबकि दूसरे यह अनुभव नहीं कर सकते हैं। यह निर्भर करता है कि किस प्रकार की स्टिमुलेशन और सेक्स के प्रारंभ में किस प्रकार की मनोबल की आवश्यकता होती है, जिससे एक व्यक्ति ऑर्गैज्म कर सकता है।

कुछ लोग सेक्स के दौरान ऑर्गैज्म के प्राप्ति में समय लगा सकते हैं, जबकि दूसरे लोग इसे तेजी से प्राप्त कर सकते हैं। यह भी निर्भर करता है कि कितनी सारी सेक्स के प्रारंभ में स्टिमुलेशन और आनंद की दर्जीकरण हो रही है।

ऑर्गैज्म की अभाव किसी भी व्यक्ति के लिए एक स्वास्थ्य समस्या का संकेत हो सकता है, खासकर अगर यह बार-बार हो रहा है और यह व्यक्ति के जीवन में बाधाएँ डाल रहा है। इस स्थिति में बेहतर होता है कि व्यक्ति एक सेक्स थेरपिस्ट या स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह लें, जो उनकी समस्या को समझने और समाधान करने में मदद कर सकते हैं।

सार्वजनिक रूप से यह जरूरी है कि सेक्स को सुरक्षित और सहमति आधारित तरीके से किया जाए, और जब भी सेक्स के बारे में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, तो सहायता और सलाह ली जानी चाहिए।

Bahut achha

लेखिका : नेहा Hindi Sex Stories

मेरी शादी हुये दो Hindi Sex Stories साल हो चुके थे। मेरे पति बी एच ई एल में कार्य करते थे। उन्हे कभी कभी उनके मुख्य कार्यालय में कार्य हेतु शहर भी बुला लिया जाता था। उन दिनो मुझे बहुत अकेलापन लगता था। मेरी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी। मेरी पढ़ाई की इच्छा के कारण मेरे पति ने मुझे कॉलेज में प्रवेश दिला दिया था। मैं कॉलेज में एडमिशन ले कर बहुत खुश थी। कॉलेज जाने से मेरी पढ़ाई भी हो जाती थी और समय भी अच्छा निकल जाता था।

कई बार मेरे मन में भी आता था कि अन्य लड़कियों की तरह मैं भी लड़कों के साथ मस्ती करूँ, पर मैं सोचती थी कि यह काम इतना आसान नहीं है। यह काम बहुत सावधानी से करना पड़ता है, जरा सी चूक होने पर बदनामी हो जाती है। फिर क्या लड़के यूं ही चक्कर में आ जाते है, छुप छुप के मिलना, और कहीं एकान्त मिल गया तो पता नहीं लडके क्या न कर गुजरें। उन्हें क्या … हम तो चुद ही जायेंगी ना। आह ! फिर भी जाने क्यूं कुछ ऐसा वैसा करने को मन मचल ही उठता है। लगता है जवानी में वो सब कुछ कर गुजरें जिसकी मन में तमन्ना हो। पराये मर्द से शरीर के गुप्त अंगों का मर्दन करवाना, पराये मर्द का लण्ड मसलना, मौका पा कर गाण्ड मरवाना, प्यासी चूत का अलग अलग लण्डों से चुदवाना …।

धत्त ! ये क्या सोचने लगी मैं ? भला ऐसा कहीं होता है ? मैंने अपना सर झटका और पढ़ाई में मन लगाने की कोशिश करने लगी। पर एक बार चूत को लण्ड का चस्का लग जाये तो चूत बिना लण्ड लिये नहीं मानती है, वो भी पराये मर्दों के लिये तरसने लगती है, जैसे मैं … अब आपको कैसे समझाऊं, दिल है कि मानता ही नहीं है।

मेरी क्लास में एक सुन्दर सा लड़का था, उसका नाम संजय था, जो हमेशा पढ़ाई में अव्वल आता था। मैंने मदद के लिये उससे दोस्ती कर ली थी। उससे मैं नोट्स भी लिया करती थी।

एक बार मैं संजय से नोट्स लेकर आई और मेज़ पर रख दिए। भोजन वगैरह तैयार करके मैं पढ़ने बैठी। कॉपी के कुछ ही पन्ने उलटने के बाद मुझे उसमें एक पत्र मिला। संजय ने वो पत्र मुझे लिखा था। उसमें उसने अपने प्यार का इज़हार किया था। बहुत सी दिलकश बातें भी लिखी थी। मेरी सुन्दरता और मेरी सेक्सी अदाओं के बारे में खुल कर लिखा था। उसे पढ़ते समय मैं तो उसके ख्यालों में डूब गई। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मुझसे प्यार करने लगेगा। फिर मुझे लगा कि मैं ये क्या सोचने लगी… मैं तो शादी शुदा हूँ, पराये मर्द के बारे में भला कैसे सोच सकती हूँ।

तभी अचानक घर की घण्टी बजी। बाहर देखा तो संजय था … मेरा दिल धक से रह गया। यह क्या … यह तो घर तक आ गया, पर उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ रही थी।

“क्या हुआ संजय ?”

“वो नोट्स कहां है सोनल?”

“वो रखे हुये हैं …”

वो जल्दी से अन्दर आ गया और कॉपी देखने लगा। जैसे ही उसकी नजर मेज़ पर रखे पत्र पर पड़ी … वो कांप सा गया। उसने झट से उसे उठा लिया और अपनी जेब में रख लिया।

“सोनू, इसे देखा तो नहीं ना … “

“हां देखा है … क्यू, क्या हुआ … अच्छा लिखते हो !”

“सॉरी … सॉरी … सोनू, मेरा वो मतलब नहीं था, ये तो मैंने यूं ही लिख दिया था।”

“इसमे सॉरी की क्या बात है … तुम्हारे दिल में जो था… बस लिख दिया…।”

उसे कुछ समझ में नहीं आया वो सर झुका कर चला गया। मैं उसके भोलेपन पर मुस्करा उठी। उसके दिल में मेरे लिये क्या भावना है मुझे पता चल गया था।

रात भर बस मुझे संजय का ही ख्याल आता रहा :

कि जैसे संजय ने मेरे स्तन दबा लिये और मेरे चूतड़ों में अपना लण्ड घुसा दिया। मैं तड़प उठी। वो मुझसे चिपका जा रहा था, मुझे चुदने की बेताबी होने लगी। मैंने घूम कर उसे पकड़ लिया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मेरा शरीर ठण्ड से कांप उठा। मैंने उसके शरीर को और जोर से दबा लिया।

मेरी नींद अचानक खुल गई। जाने कब मेरी आंख लग गई थी … ठण्ड के मारे मैं रज़ाई खींच रही थी … और एक मोहक सपना टूट गया। मैंने अपने कपड़े बदले और रज़ाई में घुस कर सो गई। सवेरे मेरे पति नाईट ड्यूटी करके आ चुके थे और वो चाय बना रहे थे। मैंने जल्दी से उठ कर बाकी काम पूरा किया और चाय लेकर बैठ गये।

कॉलेज में संजय मुझसे दूर दूर भाग रहा था, पर केन्टीन में मैंने उसे पकड़ ही लिया। उसकी झिझक मैंने दूर कर दी। मेरे दिल में उसके लिये प्रेम भाव उत्पन्न हो चुका था। वो मुझे अपना सा लगने लगा था। मेरे मन में उसके लिये भावनायें पैदा होने लगी थी।

“मैंने आप से माफ़ी तो मांग ली थी ना !” उसने मायूसी से सर झुकाये हुये कहा।

“सुनो संजय, तुम तो बहुत प्यारा लिखते हो, लो मैंने भी लिखा है, देखो अकेले में पढ़ना !”

उसे मैंने एक कॉपी दी, और उठ कर चली आई। काऊन्टर पर पैसे दिये और घूम कर संजय को देखा। वो कॉपी में से मेरा पत्र निकाल कर अपनी जेब में रख रहा था।

हम दोनों की दूर से ही नजरें मिली और मैं शरमा गई। उसमें मर्दानगी जाग गई … और फिर एक मर्द की तरह वो उठा और काऊन्टर पर आ कर उसने मेरे पैसे वापस लौटाये औए स्वयं सारा पेमेन्ट किया। मैं सर झुकाये तेजी से क्लास में चली आई।

पूरा दिन मेरा दिल क्लास में नहीं लगा, बस एक मीठी सी गुदगुदी दिल में उठती रही। जाने वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा।

रात को मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई, मैं अनमनी सी हो उठी। उसे मैंने रात को क्यों बुला लिया? यह तो गलत है ना ! क्या मैं संजय पर मरने लगी हूँ ? क्या यही प्यार है ? हाय ! वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा, क्या मुझे चरित्रहीन कहेगा ? या मुझे भला बुरा कहेगा।

जैसे जैसे उसके आने का समय नजदीक आता जा रहा था, मेरी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि मैं पड़ोसी के यहां भाग जाऊं, दरवाजा बन्द देख कर वह स्वतः ही चला जायेगा। बस ! मुझे यही समझ में आया और मैंने ताला लिया और चल दी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो दिल धक से रह गया। संजय सामने खड़ा था। मेरा दिल जैसे बैठने सा लगा।

“अरे मुझे बुला कर कहां जा रही हो ?”

“क्… क… कहां भला… कही नहीं … मैं तो … मैं तो …”

“ओ के, मैं फ़िर कभी आ जाऊंगा … चलता हूँ !”

“अरे नहीं… आओ ना… वो बात यह है कि अभी घर में कोई नहीं है…”

“ओह्ह … आपकी हालत कह रही है कि मुझे चला जाना चाहिये !”

मैंने उसे अन्दर लेकर जल्दी से दरवाजा बन्द कर दिया।

“देखो संजू, वो खत तो मैंने ऐसे ही लिख दिया था … बुरा मत मानना…”

उसका सर झुक गया। मैंने भी शरम से घूम कर उसकी ओर अपनी पीठ कर ली।

“पर आपके और मेरे दिल की बात तो एक ही है ना …” उसने झिझकते हुये कहा।

मुझे बहुत ही कोफ़्त हो रही थी कि मैंने ऐसा क्यूँ लिख दिया। अब एक पराया मर्द मेरे सामने खड़ा था। उसकी भी भला क्या गलती थी। तभी संजय के हाथों का मधुर सा स्पर्श मेरी बाहों पर हुआ।

“सोनू, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो…” उसने प्रणय निवेदन कर डाला।

यह सुनते ही मेरे शरीर में बर्फ़ सी लहरा गई। मेरी आंखे बन्द सी हो गई।

“क्या कह रहे हो? ऐसा मत कहो …” मेरे नाजुक होंठ थरथरा उठे।

“मैं … मैं … आपसे प्यार करने लगा हूँ सोनू … आप मेरे दिल में समा गई हो !”

वो अपने प्यार का इजहार कर रहा था। उसकी हिम्मत की दाद देनी होगी।

“मैं शादीशुदा हू, सन्जू … यह पाप है … ” मैं उसकी ओर पलट कर बोली।

उसने मुझे प्यार भरी नजरों से देखा और मेरी बाहों को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। मैं उसकी बलिष्ठ बाहों में कस गई।

“पत्र में आपने तो अपना दिल ही निकाल कर रख दिया था … है ना ! यह दिल की आवाज है, आपको मेरे बाल, मेरा चेहरा, सभी कुछ तो अच्छा लगता है ना !”

“आह्ह्ह … छोड़ो ना … मेरी कलाई !”

“सोनू, दिल को खुला छोड़ दो, वो सब हो जाने दो, जिसका हमें इन्तज़ार है।”

उसने अपने से मुझे चिपका लिया था। पर मेरा दिल अब कुछ ओर कहने लगा था। ये सुहानी सी अनुभूति मुझे बेहोश सी किये जा रही थी। सच में एक पराये मर्द का स्पर्श में कितना मधुर आनन्द आता है … यह अनैतिक कार्य मुझे अधिक रोमांचित कर रहा था … । उसके अधर मेरे गुलाबी गोरे गालों को चूमने लगे थे। मैं अपने आप को छुड़ाने की नाकामयाब कोशिश बस यूँ ही कर रही थी। वास्तव में मेरा अंग अंग कुचले और मसले जाने को बेताब हो रहा था। अब उसके पतले पतले होंठ मेरे होंठों से चिपक गये थे।

उसके मुख से एक मधुर सी सुगंध मेरी सांसों में घुल गई। धीरे धीरे मैं अपने आप को उसको समर्पण करने लगी। उसके अधर मेरे नीचे के अधर को चूसने लगे।

फिर उसकी लपलपाती जीभ मेरे मुख में प्रवेश कर गई और मेरी जीभ से टकरा गई। मैंने धीरे से उसकी जीभ मुख में दबा ली और चूसने लगी। उसके हाथ मेरे जिस्म पर लिपट गये और मेरी पीठ, कमर और चूतड़ों को सहलाने लगे। मेरे शरीर में बिजलियाँ तड़कने लगी। उसका लण्ड भी कड़क उठा और मेरे कूल्हों से टकराने लगा। मेरा धड़कता सीना उसके हाथों में दब गया। मेरे मुख से सिसकारी फ़ूट पड़ी। मैंने उसे धीरे से अपने से अलग कर दिया।

“यह क्या करने लगे थे हम … !” मैं अपनी उखड़ी सांसें समेटते हुई बोली।

“वही जो दिल की आवाज है … ” उसकी आवाज जैसे बहुत दूर से आ रही हो।

“मैं अपने पति का विश्वास तोड़ रही हूँ ! … है ना ?”

“नहीं, विश्वास अपनी जगह है … जिसे पाने से खुशी लगे उसमे कोई पाप नहीं है, खुशी पाना तो सबका अधिकार है … दो पल की खुशी पाना विश्वास तोड़ना नहीं है।”

“तुम्हारी बातें मानने को मन कर रहा है … तुम्हारे साथ मुझे बहुत आनन्द आ रहा है।” मैंने जैसे समर्पण भाव से कहा।

“तो शर्म काहे की …? दो पल का सुख उठा लो … किसी को पता भी नहीं चलेगा… ! आओ !”

मैं बहक उठी, उसने मुझे लिपटा लिया। मैंने भी हिम्मत करके उसकी पैन्ट की ज़िप में हाथ घुसा दिया। उसका लण्ड का आकार भांप कर मैं डर सी गई। वो मुझे बहुत मोटा लगा। उसे पकड़ने का लालच मैं नहीं छोड़ पाई। उसे मैंने अपनी मुट्ठी में दबा लिया। मैं उसे अब दबाने कुचलने लगी। लण्ड बहुत ही कड़ा हो गया था।

वो मेरी चूचियाँ सहलाने लगा … एक एक कर के उसने मेरे ब्लाऊज के बटन खोल दिये। मेरी स्तन कठोर हो गये थे। निपल भी कड़े हो कर फ़ूल गये थे। ब्रा के हुक भी उसने खोल दिये थे। ब्रा के खुलते ही मेरे उभार जैसे फ़ड़फ़ड़ा कर बाहर निकल कर तन गये। जवानी का तकाजा था … मस्त हो कर अंग अंग फ़ड़क उठा। मेरे कड़े निपल को संजू बार बार हल्के से घुमा कर दबा देता था। मेरे मन में एक मीठी सी टीस उठ जाती थी। भरी जवानी चुदने को तैयार थी। मेरी साड़ी उतर चुकी थी, पेटिकोट का नाड़ा खुल चुका था। मुझे भला कहाँ होश था … उसने भी अपने कपड़े उतार दिये थे। उसका लण्ड देख देख कर ही मुझे मस्ती चढ़ रही थी।

उसके लण्ड की चमड़ी खोल कर मैंने ऊपर खींच दी। उसका लाल फ़ूला हुआ मस्त सुपाड़ा बाहर आ गया, मैंने पहली बार किसी का इस तरह सुपाड़ा देखा था। मेरे पति तो बस रात को अंधेरे में मुझे चोद कर सो जाया करते थे, इन सब चीज़ों का आनन्द मेरी किस्मत में नहीं था। आज मौका मिला था जिसे मैं जी भर कर मन भर लेना चाहती थी।

इस मोटे लण्ड का भोग का आनन्द पहले मैं अपनी गाण्ड से आरम्भ करना चाहती थी, सो मैंने उसका लण्ड मसलते हुये अपनी गाण्ड उसकी ओर कर दी।

“संजय, यह तेरा 19 साल का मुन्ना, मेरे 21 साल के गोलों को मस्त करेगा क्या ?”

“सोनू … इतने सुन्दर, आकर्षक गोलों के बीच छिपी हुई मस्ती भला कौन नहीं उठाना चाहेगा, ये चिकने, गोरे और मस्त गाण्ड के गोले मारने में बहुत मजा आयेगा।”

मैं अपने हाथ पलंग पर रख कर झुक गई। उसके लाल सुपाड़े का स्पर्श होते ही मेरे जिस्म में कंपकंपी सी फ़ैल गई। बिजलियाँ सी लहरा गई। उसका सुपाड़े का गद्दा मेरे कोमल चूतड़ों के फ़िसलता हुआ छेद पर आ कर टिक गया। उसके लण्ड पर शायद चिकनाई उभर आई थी, हल्के से जोर लगाने पर ही अन्दर उतर गया था।

मुझे बहुत ही कसक भरा सुन्दर सा आनन्द आया। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी … और अन्दर उतरने की आज्ञा दे दी। मेरे कूल्हों को थाम कर और थपथपा कर उसने मेरे चूतड़ो के पट को और भी खींच कर खोल दिया और लण्ड भीतर उतारने लगा।

“सोनू, आनन्द आया ना … ?” संजू मेरी मस्ती को भांप कर कहा।

“ऐसा आनन्द तो मुझे पहली बार आया है … तूने तो मेरी आंखें खोल दी हैं यार !”

मैंने अपने दिल की बात सीधे ही कह दी। वो बहुत खुश हो गया कि इन सभी कामों में मुझे आनन्द आ रहा है।

“ले अब और मस्त हो जा…!” उसका लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा उतर चुका था। मोटा लण्ड था पर उतना भी नहीं मोटा, हां पर मेरे पति से तो मोटा ही था। मंथर गति से वो मेरी गाण्ड चोदने लगा। मेरे शरीर में इस चुदाई से एक मीठी सी लहर उठने लगी … एक आनन्ददायक अनुभूति होने लगी। जवान गाण्ड चुदने का मजा आने लगा। दोनों चूतड़ों के पट खिले हुये, लण्ड उसमें घुसा हुआ, यह सोच ही मुझे पागल किये दे रही थी। वो रह रह कर मेरे कठोर स्तनों को दबाने का आनन्द ले रहा था … उससे मेरी चूत की खुजली भी बढ़ती जा रही थी।

चुदाई तेज हो चली थी पर मेरी गाण्ड की मस्ती भी और बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि कहीं संजय झड़ ना जाये, सो मैंने उसे चूत मारने को कहा,”संजू, हाय रे ! अब मुझे मुनिया भी तड़पाने लगी है … देख कैसी चू रही है…”

” सोनू, गाण्ड मारने से जी नहीं भर रहा है … पर तेरी मुनिया भी प्यारी लग रही है !”

उसने अपना हाथ मेरी चूत पर लगाया तो मेरा मटर का मोटा दाना उसके हाथ से टकरा गया,”ये तो बहुत मोटा सा है … ” और उसको हल्के से पकड़ कर हिला दिया।

“हाय्य्य , ना कर, मैं मर जाऊंगी … कैसी मीठी सी जलन होती है…”

उसका लण्ड मेरी गाण्ड से निकल चुका था। उसका हाथ चूत की चिकनाई से गीला हो गया था। उसने नीचे झुक कर मेरी चूत को देखा और अंगुलियों से उसकी पलकें अलग-अलग कर दी और खींच कर उसे खोल दिया।

“एक दम गुलाबी … रस भरी … मेरे मुन्ने से मिलने दे अब इसे !”

उसने मेरे गुलाबी खुली हुई चूत में अपना लाल सुपाड़ा रख दिया। हाय कैसा गद्देदार नर्म सा अह्सास … फिर चूत की गोद में उसे समर्पित कर दिया।

उसका लण्ड बड़े प्यार से दीवारों पर कसता हुआ अन्दर उतरता गया, और मैं सिसकारी भरती रही। चूंकि मैं घोड़ी बनी हुई थी अतः उसका लण्ड पूरा जड़ तक पहुंच गया। बीच बीच में उसका हाथ मेरे दाने को भी छेड़ देता था और मेरी चूत में मजा दुगना हो जाता था। वो मेरा दाना भी जोर जोर से हिलाता जा रहा था। लण्ड के जड़ में गड़ते ही मुझे तेज मजा आ गया और दो तीन झटकों में ही जाने क्या हुआ, मैं झड़ने लगी। मैं चुप ही रही, क्योंकि वो जल्दी झड़ने वाला नहीं लगा।

उसने धक्के तेज कर दिये … शनैः शनैः मैं फिर से वासना के नशे में खोने लगी।

मैंने मस्ती से अपनी टांगें फ़ैला ली और उसका लण्ड फ़्री स्टाईल में इन्जन के पिस्टन की तरह चलने लगा। मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि थोड़ी सी हिम्मत करने से मुझे इतना सारा सुख नसीब हो रहा है। मेरे दिल की तमन्ना पूरी हो रही है। मेरी आंखें खुल चुकी थी… चुदने का आसान सा रास्ता था … थोड़ी हिम्मत करो और मस्ती से नया लण्ड खाओ। मुझे बस यही विचार आनन्दित कर रहा था … कि भविष्य में नये नये लण्ड का स्वाद चखो और जवानी को भली भांति भोग लो।

“अरे धीरे ना … क्या फ़ाड़ ही दोगे मुनिया को…?

वो झड़ने के कग़ार पर था, मैं एक बार फिर झड़ चुकी थी। अब मुझे चूत में लगने लगी थी। तभी मुझे आराम मिल गया … उसका वीर्य निकल गया। उसने लण्ड बाहर निकाल लिया और सारा वीर्य जमीन पर गिराने लगा। वो अपना लण्ड मसल मसल कर पूरा वीर्य निकालने में लगा था। मैं उसे अब खड़े हो कर निहार रही थी।

“देखा, संजू तुमने मुझे बहका ही दिया और मेरा फ़ायदा उठा लिया !”

“काश तुम रोज ही बहका करो तो मजा आ जाये…” वो झड़ने के बाद जाने की तैयारी करने लगा। रात के ग्यारह बजने को थे। वो बाहर निकला और यहाँ-वहाँ देखा, फिर चुपके से निकल कर सूनी सड़क पर आगे निकल गया।

संजय के साथ मेरे काफ़ी दिनों तक सम्बन्ध रहे थे। उसके पापा की बदली होने से वो एक दिन मुझसे अलग हो गया। मुझे बहुत दुःख हुआ। बहुत दिनों तक उसकी याद आती रही।

मैंने अब राहुल से दोस्ती कर ली थी। वह एक सुन्दर, बलिष्ठ शरीर का मालिक था। उसे जिम जाने का शौक था। पढ़ने में वो कोई खास नहीं था, पर ऐसा लगता था कि वो मुझे भरपूर मजा देगा। उसकी वासनायुक्त नजरें मुझसे छुपी नहीं रही। मैं उसे अब अपने जाल में लपेटने लगी थी। वो उसे अपनी सफ़लता समझ रहा था। आज मेरे पास राहुल के नोट्स आ चुके थे … मैं इन्तज़ार कर रही थी कि कब उसका भी कोई प्रेम पत्र नोट्स के साथ आ जाये … जी हां … जल्द ही एक दिन पत्र आ गया …

प्रिय पाठको ! मैं नहीं जानती हूं कि आपने अपने विद्यार्थी-जीवन में कितने मज़े लूटे। पर हां अभी भी आप यह सुन्दर सुख भोगने की लालसा रखती हैं तो जरूर ये सुख भोगे। ध्यान रहे सुख भोगने से विश्वास का कोई सम्बन्ध नहीं है। सुख पर सबका अधिकार है, पर हां, इस चक्कर में अपने पति को मत भूल जाना, वो तो जिन्दगी भर के लिये है। Hindi Sex Stories

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हैलो दोस्तो, कैसे हैं!

अब मैं अपनी Sex stories शुरु करता हूं। मेरा मन अपनी मां और चाची की चूत मार मार कर अब उकता चुका था, गांव वाली बहु की भी चूत का भोसड़ा बना चुका था मैं!

हां, मगर उनकी दोनों लड़कियों की प्यास अभी अधूरी ही थी।

मैं चाहता तो बड़े आराम से उन्हे चोद सकता था बल्कि बुआ खुद ही मेरा लंड पकड़ कर अपनी दोनो बेटी की चूत में घुसेड़ती।

पर मेरा उनकी बेटियों में कोई इंट्रेस्ट नहीं था पर अब कोइ और चूत भी मेरी नज़र में नहीं थी और लंड था कि उतावला हो रहा था उसे तो चाहिये ही चाहिये।

खैर उस दिन तो मैंने अपनी मम्मी को ही चोदा मगर फ़िर दूसरे दिन मैं बिना इरादा ही सड़क पर टहल रहा था कि अचानक कोई मुझसे टकराया मैंने नज़र उठा कर देखा तो करीब 45-46 साल की एजेड लेडी रही होंगी, मगर मैंटैन बहुत थी.

मैं भी ख्याल में था और वो पता नहीं कैसे मुझसे टकरा गयी. मुझे अचानक होश आया तब मैं हड़बड़ा कर उनसे सोरी बोला.
उनके पोली बेग से कुछ सामान गिर गया था और वो बैठ कर उठा रही थी. उनका ब्लाउज़ काफ़ी टाइट था जिसके अंदर उनकि बड़ी-बड़ी चूचियाँ बाहर निकलने को बेताब थी।

हालांकि उन्होंने पल्लू डाल रखा था मगर पिंक कलर की झीनी सी साड़ी से सब साफ़ नज़र आ रहा था, मैं खड़े-खड़े उनके बूब्स का नज़ारा देख रहा था तब ही जैसे मैं नींद से जागा और मैं भी उनका सामान उठाने में मदद करने लगा।

तभी मैंने कहा- सोरी आंटी, मेरी वजह से आपका सामान बिखर गया.
वो बोली- कोई बात नहीं बेटा!

और सारा सामान रखने के बाद वो मुझसे बोली- बेटा तुम नयी जेनेरेशन की यही एक प्रोब्लम है, हर कोई कहीं ना कहीं खोया रहता है।
मैं शर्मिंदा होते हुए बोला- नहीं आंटी ऐसी बात नहीं है आप गलत सोच रही है।

फ़िर उन्होंने मुझसे पूछा- बेटा, क्या तुम कोफ़ी पीना पसंद करोगे?
मैंने तुरंत ही हां में जवाब दिया।

और फ़िर हम लोग वहीं पास के कोफ़ी शोप पर बैठ गये वहां ज्यादा तर स्कूली लड़के और लड़कियाँ ही थे।

वो उन सबको देख रही थी, फ़िर अचानक मेरी तरफ़ देख कर पूछा बेटा आप क्या करते हो?
मैंने कहा- आंटी, मैं ला कर रहा हूं।
वो बोली- बहुत खूब मगर तुम्हारा ध्यान किधर था? क्या तुम भी इन सब स्कूली लड़कों की तरह नयी तितलियों को ताक रहे थे?

उन्होंने जिस अंदाज़ में ये बात कही मुझे अज़ीब सा लगा मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- नहीं आंटी, ऐसी कोई बात नहीं है खैर आप बतायें आप कहां से आ रही थी?
तब वो हंसते हुए बोली- क्या बेवकूफ़ी भरा सवाल करा? अरे भाई शौपिंग कर के आ ही रही थी कि तुमने धक्का मार दिया… अच्छा ये बताओ घर में और कौन-कौन है आपके बेटा?

मैंने कहा- मम्मी, पापा और एक छोटी बहन है और आंटी आपके घर में?
‘मैं और मेरी बेटी!’ उनका छोटा सा जवाब मिला।
मैंने पूछा- और अंकल?
वो बोली- बेटा, वो ऐयरफ़ोर्स में हैं और मेरा बेटा भी वहीं ट्रेनिंग कर रहा है।
बहुत उदासी भरी थी उनकी बातों में!

तब ही अचानक मौसम खराब हो गया और बारिश होने लगी हम लोग बहुत देर तक इधर-उधर की बातें करते रहे करीब 2 घंटे बाद भी पानी नहीं रुका तो आंटी कुछ परेशान हो गयी.
मैंने पूछा- क्या बात है आंटी? आप कुछ परेशान सी हैं?
तब उन्होंने घड़ी देखते हुए कहा- बेटा 8 बज रहे हैं और पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा… और कोई साधन भी नहीं मिलेगा अब तो!

मैंने कहा- आंटी, मेरा घर करीब में ही है, आप चाहें तो चल सकती हैं!
तब वो बोली- बेटा, असल मे घर पर पिंकी अकेली होगी और आजकल का माहौल तो तुम जानते ही हो, जवान लड़की को अकेला नहीं छोड़ना चाहिये!
मैंने कहा- आंटी, आप यहीं रुकें, मैं अभी कार ले आता हूं.
तब वो बोली- बेटा, तुम भीग जाओगे!
मैंने कहा- आंटी, जवान लोगों पर बारिश का असर नहीं होता!

और मैं भाग कर घर गया और मम्मी को बताया कि एक दोस्त के घर जा रहा हूं कोई ज़रूरी काम है.
मम्मी रोकती रह गयी कि बेटा बारिश हो रही कल चले जाना!
मगर मैं रुका नहीं और कार लेकर कोफ़ी शोप पहुंच गया.

पानी अभी भी बहुत तेज़ था वो जैसे ही शोप से बाहर मेरी गाड़ी तक आयी, काफ़ी हद तक भीग चुकी थी और मैं तो पहले ही तर था क्योंकि घर तक जाने में काफ़ी भीग चुका था.

खैर थोड़ी ही देर बाद मैं एक बड़ी सी कोठी के सामने रुका कोठी देख कर मैं हैरान रह गया.
तभी वो कार से उतरते हुए बोली- बेटा, कार पार्किंग में पार्क करके घर में चले आओ, बहुत भीगे हो, चेंज कर लो, नहीं तो सर्दी लग जायेगी.
मैंने कहा- नहीं आंटी, ऐसे कोई बात नहीं, आपको घर तक छोड़ दिया, अब मेरा काम खत्म, मैं चलता हूं, इजाजत दीजिये!
तब आंटी ने थोड़ा डांट कर कहा- जितना कह रही हूं, उतना करो! आखिर मैं तुम्हारी मां कि तरह हूं जाओ गाड़ी पार्क करके आओ!

इतनी देर की बहस में आंटी बिल्कुल तर हो चुकी थी, मैं गाड़ी पार्क करने के बाद जब आया तो आंटी वहीं खड़ी थी. उनकी साड़ी बिल्कुल भीग कर उनके शरीर से चिपक चुकी थी, पिंक साड़ी के नीचे उनकी ब्लैक डिजाइनर ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी.

हालांकि मेरे मन में अभी तक उनके लिये कोई गलत विचार नहीं थे मगर आखिर कब तक अंदर का शैतान सोया रहता… उनको इस पोज़ में देख कर मेरे औज़ार में सनसनी होने लगी.
मैं कुछ देर तक उनको निहारता रहा, तब ही वो मेरी आंखों के आगे चुटकी बजाते हुए बोली- कहां खो गये बेटे? तुम किसी डाक्टर को दिखाओ तुम्हारे में कोई मरज़ लगता है ये!
और मेरा हाथ पकड़ कर अंदर ले जाने लगी.

अंदर दाखिल होते ही मुझे एक बहुत ही खूबसूरत लड़की नज़र आयी जिसकी उम्र करीब 18 साल की रही होगी. वो मिडी पहने हुए थी और सूरत से बहुत परेशान नज़र आ रही थी, आंटी को देखते ही उनसे लिपट गयी- मम्मी कहां चली गयी थी आप? मैं घबरा रही थी!
आंटी ने उसको अलग करते हुए कहा- मेरी रानी बेटी, बाहर पानी बरसने लगा था इस लिये देर हो गयी और मैं फोन लगा रही थी तो एंगेज जा रहा था. खैर कोई बात नहीं अब तो मैं आ गयी हूं. मेरी बहादुर बच्ची तुमने खाना खाया?
उसने कहा- जी मम्मी अभी थोड़ी ही देर पहले रामू काका खाना दे कर अपने घर चले गये हैं. अब मुझे भी बहुत नींद आ रही है मैं भी सोने जा रही हूं.

अचानक मुझे देख कर वो थोड़ा सम्भलते हुए बोली- मम्मी, ये साहब कौन हैं?
उसकी मम्मी ने कहा- बेटा, आज मैं कार नहीं ले गयी थी और आज ही पानी को बरसना था तो इसने ही मुझे लिफ़्ट दी है, इनका नाम राजेश है!

और तब वो मुझे नमस्ते कर के अपने रूम में सोने चली गयी.

अब रूम में मैं और आंटी ही रह गये. आंटी ने मुझे एक लुंगी देते हुए कहा- लो ये पहन लो!
मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये और लुंगी बांध ली. मैंने गंजी और जोकी नहीं उतारी थी.
आंटी बोली- बेटा, सारे कपड़े उतार दो, अभी थोड़ी ही देर में सूख जायेंगे, तब पहन लेना! और बनियान भी उतार कर निचोड़ लो बहुत भीगी है.

तब मैंने झिझकते हुए बनियान उतार कर निचोड़ कर अलगनी पर टांग दी और वहीं वाशरूम में जाकर अपनी जोकी भी उतार कर सूखने को डाल दी. अब मैं सिर्फ़ लुंगी में था और अभी तक आंटी ने अपनी साड़ी नहीं उतारी थी.

अब मैं रूम में आया तब देखा कि वो अपना साड़ी का पल्लु निचोड़ रही थी और आंचल हटा होने की वजह से पिंक बलाउज़ के अंदर ब्लैक डिजाइनर ब्रा साफ़ नज़र आ रही थी जिसे मैं अपलक निहार रहा था.
मुझे एक टक इस तरह देखते हुए आंटी ने कहा- क्या देख रहे हो बेटे? तुमने अपने तो कपड़े उतार लिये, अब मैं भी चेंज कर लूं!

मेरा मन अब तक आंटी को चोदने के बारे में सोचने लगा था पर हिम्मत नहीं हो पा रही थी.

तभी थोड़ी देर बाद आंटी एक बहुत ही झीनी सी नाइटी पहन कर आयी और वहीं सोफ़े पर बैठ गयी और कोफ़ी बनाने लगी.
वो कोफ़ी बना रही थी और मैं ललचायी नज़रों से उनकी उभरी हुई चूची देख रहा था और दिल ही दिल में सोच रहा था कि काश ये आंटी मुझसे चुदवा ले तो कितना मज़ा आयेगा!
यही सब सोच सोच कर मेरा लंड अपनी औकात में आ चुका था और मुझे इस बात का एहसास ही नहीं हुआ कि कब वो मेरी लुंगी को 2 पाट करके बीच से उसकी टोपी बाहर झांक रही थी और आंटी चोर नज़रों से उधर ही देख रही थी.

मेरा पूरा ध्यान आंटी की चूची की तरफ़ था और आंटी का ध्यान मेरे औज़ार की तरफ़!
तभी मैंने आंटी की नज़रों की तरफ़ देखा तो उनकी नज़र अपने औज़ार पर टिकी देख कर अंदर ही अंदर खुश हो गया और धीरे से अपनी टांगें और खोल दी ताकि आंटी और अच्छी तरह से लंड का दीदार कर सकें!
उसके बाद हम दोनों ने कोफ़ी पी.

और उसके बाद मैं अपने कपड़े पहनने लगा और दिल ही दिल में सोच रहा था कि साली अगर आज रोक कर चुदवा ले तो क्या हो जायेगा. तड़प तो इसकी भी चूत रही है पर हाय रे इंडियन नारी लाज़ की मारी लंड खायेगी गज़ भर के… मगर चुदवाने से पहले शरमायेगी इतना कि पूछो ही मत।

और जब मुझे कपड़े पहनते हुए आंटी ने देखा, तब वो करीब आयी और बोली- बेटा, अभी कपड़े पूरी तरह से सूखे नहीं हैं, तुम ऐसा करो कि आज यहीं रुक जाओ, घर पर काल कर दो मम्मी को!
तब मैंने नाटक करते हुए कहा- नहीं आंटी, जाना है मुझे!
तब वो मेरे हाथ से कपड़े छीन कर बोली- बेटा, मैं तेरी मां जैसी हूं, जैसा कह रही हूं वैसा करो! कहीं बीमार पड़ गये तो तेरी मम्मी को कौन जवाब देगा।
फ़िर मैंने घर पर काल कर दी कि आज पानी बहुत बरस रहा है, मैं आज यहीं दोस्त के घर रुक जाऊँगा.

और फ़िर थोड़ा बहुत खाना खाने के बाद आंटी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम यहां बेड पर सो जाना, मैं सोफ़े पर लेट जाऊँगी. वरना अगर चाहो तो गेस्ट रूम में भी सो सकते हो!
तब मैंने कहा- आंटी, मैं वहां अकेला बोर हो जाऊँगा, आप ऐसा कीजिये, आप बेड पर सो जाइयेगा, मैं सोफ़े पर सो जाता हूं।
यह कह कर मैं वहीं सोफ़े पर लेट गया और आंटी बेड पर लेट गयी.

मेरे अरमान अब धीरे धीरे ठंडे हो रहे थे और मैं आंटी की उभरी हुई चूची और फ़ूले हुए चूतड़ आंखों में बसाये कब नींद की गोद में गया मुझे पता नहीं चला।

रात को अचानक मुझे अपनी जांघ पर कुछ सरकता हुआ महसूस हुआ तो मेरी नींद खुल गयी. फ़िर मुझे आभास हुआ कि ये किसी का हाथ है और घर में 2 ही जन थे आंटी या फ़िर उसकी जवान बेटी!

थोड़ी देर मैं उसी पोज़ में लेटा रहा, तब तक हाथ सरसराता हुआ मेरी लुंगी को सरकाता हुआ ऊपर मेरी जांघों की जड़ तक पहुंच चुका था. मैं भी अब उस हाथ की सहलाहट का आनंद लेना चाहता था चाहे कोई हो, भले ही उस वक्त उसकी युवा लड़की भी होती तब भी मैंने तय कर लिया था कि उसकी कुंवारी चूत चोद ही डालूंगा.

मगर अब तक मैं जान गया था कि ये हाथ आंटी का है और अब मैं पूरी तरह से उसकी सहलाहट का मज़ा लेना चाहता था. मैं सोफ़े पर सीधा होकर लेट गया और वो मुझे करवट लेते हुए देख कर कुछ हड़बड़ा गयी मगर फ़िर नोर्मल हो गयी और मुझे नींद में देख कर उसने मेरी लुंगी के अंदर हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लिया जो अभी तक शांत अवस्था में था, उसे प्यार से सहलाने लगी.

अब मेरे लंड में धीरे धीरे तनाव आने लगा और मैं भी उत्तेजित होने लगा था, मेरा मन कर रहा था कि अभी साली को बाहों में भर कर इतनी जोर से चांपू कि इसकी हड्डी तक पिस जाये. पर मैं ऐसा कर नहीं सकता था, मैं बस चुपचाप पड़ा रहा और आंटी की कार्यवाही देखता रहा।

और फ़िर आंटी का हाथ थोड़ा कड़ा हो गया था वो मुझे सोया जान कर पूरी तरह निश्चिंत हो गयी थी. मेरे लंड को जोर जोर से सहलाने के बाद जब वो पूरी तरह से खड़ा हो गया, तब अपने होंठ से मेरी जांघों को चूमने लगी.
मेरे मुंह से सिसकी निकलने को हुई मगर मैंने दांत भींच कर सिसकी नहीं निकलने दी मगर अब बरदाश्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था।

तभी मैंने अपने लंड पर कुछ लिबलिबा सा महसूस किया कयोंकि रूम में नाइट लैम्प जल रहा था तो कुछ साफ़ नज़र नहीं आ रहा था और मैं अपनी आंख भी बंद किये था पर इतना तो अंदाज़ा हो ही गया था कि ये साली इसकी जबान होगी जो मेरे लंड पर फ़िरा रही है.
और जबान फ़िराते फ़िराते उसने गप्प से मेरा लंड मुंह में ले लिया. अब तो मैं बरदाश्त नहीं कर पाया और झटके के साथ उठ कर बैठ गया और बोला- कौन है?

तभी आंटी ने मेरे मुंह पर हाथ रखा और धीरे से बोली- बेटा मैं हूं!
उन्होंने फ़ट से लाइट जला दी.

मैं देख कर हैरान रह गया, आंटी पूरी तरह से नंगी थी. मैंने उनको नंगी देख कर चौकने का ड्रामा करते हुए कहा- हाय आंटी, आप तो नंगी हैं.
तब उन्होंने मेरा लौड़ा पकड़ते हुए कहा- बेटा, तुम भी तो नंगे हो!
मैंने अपने दोनों हाथ झट से लंड पर रख लिये और छुपाने का नाटक करने लगा. मगर जानता था कि अब ये साली चुदवायेगी तो ज़रूर!
मगर फ़िर भी मैंने अपना नाटक चालू रखा, बोला- आंटी, आपको ऐसा नहीं करना चाहिये था, ये गंदी बात है.

तभी आंटी मेरे लौड़े को मसलते हुए बोली- और तुम जो शाम से मेरी चूचियाँ निहार रहे थे, मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से ही इस तरह देख रहे थे कि बस खा ही जाओगे. वो अच्छी बात थी? और जब मैं कोफ़ी बना रही थी तब तुम्हारी नज़रें कहां थी मुझे पता है. मुझे चोदना सिखा रहे हो? अभी कल के बच्चे हो तुम बेटा… मैं तुम्हारे जैसे ना जाने कितनों को अपनी चूत में समा कर बाहर कर चुकी हूं.

आंटी की ये सब बातें सुन कर तो मुझे बहुत ही जोश चढ़ गया. उसने यकीनन मुझे भड़काने के लिये ही ऐसे भाषा प्रयोग की थी मगर मुझे तो शुरु से ही चोदने में गाली गलौच पसंद थी और आंटी इतनी सभ्य नज़र आ रही थी कि उनके मुंह से इस तरह की बात सुनना मेरे लिये एक नया अनुभव था.
और उसके बाद हम लोगों में इस तरह से घमासान Sex stories चुदायी हुई इसका ज़िक्र अगले पार्ट में करूंगा.

मैं आपका दोस्त राजेश जयपुर से आज फिर एक नई कहानी लेकर आया हूँ ! Antarvasna

मैंने अब तक अन्तर्वासना Antarvasna पर कई कहानियाँ लिखी। जिन्हें गुरूजी ने प्रकाशित भी किया। इसके लिए मैं उन्हें धन्यवाद देता हूँ !
मैं अब तक कई लड़कियों को चोद चुका हूँ जिस कारण मैं लड़कियों को कैसे चुदवाने के लिए राजी करते हैं, यह बात जान चुका हूँ।

अब मैं आज की कहानी शुरू करता हूँ। यह बात जून 2009 की है जब मैं ऑडिट करने एक कंपनी में जाता था। कंपनी बहुत अच्छी थी, साथ ही वहाँ की एकाउंटेंट रीना !

बहुत सेक्सी, सुन्दर, सुडौल बदन वाली… जब वो चलती तो उसकी गांड ऐसे हिलती मानो अभी मेरा लौड़ा उसकी गांड में घुस जयेगा और वो तड़पने लगेगी…
मुझे वो बहुत पसंद थी ..
वो ऑडिट करते समय मेरी हमेशा सहयता करती…
हम लोग बहुत बातें करते ..
उसके वक्ष का आकार 34 था..
टॉप में उसके स्तन बहुत अच्छे लगते ! मानो अभी ब्रा टॉप से बाहर आ जायेंगे…

वो जींस भी बहुत टाइट पहनती थी…
मैं जब भी उसे देखता तो चोदने के बारे सोचता था…
मैं रोज़ उससे ढेर सारी बातें करता था…

हम मोबाइल पर भी बातें किया करते थे…

काम करते करते कभी कभी उसके स्तन से मेरे हाथ अड़ जाते ! शुरुआत में तो मैंने ध्यान दिया… पर जब मैं उसके वक्ष को अधिक समय के लिए छूने लगा… तो बहुत मजा आने लगा…
मैं बार बार उसके स्तनों को छूता और वो कुछ नहीं बोलती…
मुझे तो बहुत मजा आने लगा था…
जब वो खड़ी होती तो उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा…

यह करने पर भी वो कुछ नहीं बोली तो मेरी हिम्मत बढ़ गई, अब मैं उसकी गांड के छेद में ऊँगली डालने लगा…
एक दिन तो मैंने हद ही कर दी और गांड में ऊँगली डालते डालते चूत तक पहुँच गया…
उसकी चूत पर बाल थे यह छूने से पता चल रहा था ..

एकदम से रीना मेरे हाथ पर मारती हुई बोली- यार थोड़ा धीरे करो…

मुझे तो यह सुनने के बाद और मजा आ रहा था… अब तो मुझे खुली छूट मिल चुकी थी…
अब मैं उससे इस बारे में बात करने लगा…
मैंने रीना से पूछा- तुमने कभी सेक्स किया है?
बोली- नहीं…

मैं सोचने लगा- आज फिर एक कुंवारी चूत… बड़ा मजा आएगा..
फिर बोला- मुझसे चुदवाओगी?

पहले वो कुछ नहीं बोली, फ़िर मेरे खड़े लंड पर हाथ रख कर बोली- तेरे साथ तो बड़ा मजा आएगा राजेश…
फिर मैं रोज़ उसे व्यस्क मेसेज मोबाइल से भेजने लगा जो उसे बड़े पसंद आते…

शनिवार का दिन था, मैंने पूछा- कल तुम्हारी छुट्टी है…तो कल की क्या योजना है?
बोली- जहाँ तुम चलो, वहीं चलते हैं…
मैं बोला- ठीक है ! कल पहले मूवी, फिर रेस्टुरेंट में चलते हैं !
बोली- ठीक है…

अगले दिन के लिए मैंने एक नया परफ्यूम ख़रीदा जिसकी खुशबू बहुत अच्छी थी..
मैं बहुत खुश था कि अब जल्दी एक और नई चूत मेरे लंड को मिलने वाली है.

रविवार का दिन भी आ गया…
मैं जल्दी तैयार हुआ… और हम ठीक छः बजे पर हॉल में पहुँच गए। हॉल में बहुत काम लोग थे, मूवी देखनी किसे थी, हम कोने वाली सीट पर जा कर बैठ गये।
वो बहुत मस्त कपड़े पहन कर आई थी..

रीना धीरे से मेरे कान में बोली- यार आज तो मैं पैंटी और ब्रा पहन कर नहीं आई !
हैँ?… मैंने गाल पर किस देते हुए बोला- फिर तो बड़ा मजा आएगा…!

और फिर मैंने उसकी जींस का बटन खोला और जिप भी खोल दी..
वो बोली- यहाँ ये सब क्यों कर रहे हो…?

मैं बोला- जानेमन यहाँ हमें कोई नहीं देख रहा !
फिर उसने चारों ओर देखा, वहाँ सिर्फ 20-25 लोग ही थे जो हम से काफी दूर थे…
रीना बोली- चलो अब कर सकते हो…

फिर मैंने वापिस उसकी जींस की जिप खोली और बालों वाली चूत पर हाथ फेरने लगा। उसे बड़ा मजा आ रहा था… वो मुँह से आवाजें निकालने लगी- आह आह…
मैंने बोला- जरा धीरे आवाज निकालो…
बोली- ठीक है…
फिर मैंने उसका शर्ट का बटन खोला और स्तनों को मसलने लगा… बहुत मजा आया दोस्तों..

वो बोली- यार, दोनों एक साथ मत खोलो…
मैंने फिर उसकी जींस की जीप बंद कर दी.. और वक्ष को ही दबाने लगा…

थोड़ी देर बाद इंटरवल हो गया, उसने जल्दी से अपने बटन बंद किये और मुझे कुछ खाने के लिए लाने को बोलने लगी… मैं बाहर गया और कोल्ड ड्रिंक्स और समोसे लेकर आ गया। मूवी फ़िर शुरु हो गई।
रीना बोली- यार, अब मैं तुम्हारा देखना चाहती हूँ..
मैं बोला- जानेमन, हम तो हमेशा तुम्हारे लिए तैयार हैं…

फिर उसने मेरी जींस की जिप खोली और मेरा 7.5 इंच लम्बा लौड़ा बाहर निकाला और देख कर बोली- यार, तुम्हारा तो काफी बड़ा है… बहुत मजा आएगा..
फिर वो मेरे लंड को हाथ में लेकर मसलने लगी… मुझे काफी मजा आ रहा था। काफी देर ऐसे करने पर मुझे लगा कि मेरा पानी (वीर्य) आने वाला है, तो मैंने बोला- अब रुक जाओ.. नहीं तो पानी आ जायेगा…
वो रुक गई…
हम लोग वहाँ से मूवी ख़त्म होने से 25 मिनट पहले ही बाहर आ गये और सीधे पार्क में चले गए…
अँधेरा काफी हो चुका था इसलिए पार्क लगभग खाली ही था।

हमने ऐसी कुर्सी देखी जहाँ पेड़ हों और हमें कोई ना देख पाए…
फिर हम कुर्सी पर जाकर बैठ गए… रीना घबरा रही थी…
मैं बोला- जानेमन, घबराने की कोई जरुरत नहीं है…
फिर बोली- यार, किसी ने देखा तो?
मैं बोला- इस समय कोई नहीं आता है यहाँ…
फिर वो बोली- ठीक है…

फिर मैंने उसकी शर्ट के दो बटन खोले और उसके चुचूक को मुँह में चूसने लगा…
थोड़ी देर बाद मैंने उसकी जींस खोली और उसकी बालों वाली चूत पर हाथ फेरने लगा…
वो आह आह करने लगी…
फिर मैंने उसकी चूत में ऊँगली डाल कर खोलने की कोशिश की… उसकी चूत बड़ी कसी थी…

मैंने अपनी ऊँगली पर अपना थूक लिया और चूत को धीरे धीरे खोलने लगा तो रीना बोली- यार दर्द हो रहा है…
मैं बोला- तो फिर अपना लंड डालता हूँ, कम दर्द होगा…
बोली- ठीक है…
फिर मैंने उसे बैन्च पर लिटा दिया और उसके ऊपर लेट कर उसकी चूत में अपना बड़ा लंड धीरे धीरे घुसाने लगा…
वो बोली- थोड़ा दर्द हो रहा है लेकिन मैं सहन कर लूंगी ! तुम चालू रखो..

मैंने थोड़ी गति बढ़ाई और उसकी चूत को फाड़ने लगा.. तीन मिनट बाद उसकी चूत फट गई और वो चिल्लाई- हाय राम मर गई…
मैं डर के मारे रुक गया और पूछा- क्या हुआ जानेमन…
थोड़ी देर रुक कर बोली- तुमने तो मेरी जान ही निकाल दी… अब ठीक हूँ, चालू रखो !

मैं बोला- यार मुझे डर लग रहा है… कोई आ गया तो मर जायेंगे… परसों मेरे घर कोई नहीं होगा तुम भी बहाना बना कर छुट्टी ले लेना.. खूब मजे करेंगे !
वो बोली- ठीक है…
फिर हमने जल्दी अपने कपड़े ठीक किये और घर चले गए…
मंगलवार को हमने बहुत मस्त चुदाई की जिसे आप मेरी आगे वाली कहानी में पढ़ना मत भूलना… और हाँ मेल करते रहिये। Antarvasna

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