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Massage Girl in Surguja: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Surguja who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Surguja that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Surguja massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Surguja who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Surguja massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Surguja massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Surguja who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Surguja employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Surguja helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Surguja

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Surguja at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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प्रेषक : रवि गुप्ता Sex Stories

मेरा नाम राहुल, मेरी Sex Stories उम्र 24 है। मैं एक सरकारी नौकरी करता हूँ। मेरी पत्नी का नाम सुनयना है। उसकी उम्र भी 23 साल है। वह एक निजी कम्पनी में काम करती है। उसने एम बी ए कर रखी है। वो बहुत सुन्दर है। उसकी फ़िगर 32-28-32 और उसका कद 5’4″ है। उसके चुची गोल गोल और गोरी गोरी है। हमारी लव मैरिज हुई थी। पर हम दोनों काम के कारण दूर-दूर रहते हैं। उसे मुझसे चुदना बहुत पसन्द है। जब भी हम मिलते हैं तो वो रात भर चुदती है। मैं कई बार झड़ ज़ाता हूँ पर वो एक बार भी नहीं झड़ती। वो काफी गरम है।

यह उस समय की बात है जब मैं उससे मिलने गया। उसके फ़्लैट की एक चाबी मेरे पास रहती है। मैं घर के अन्दर चला गया। सुनयना वहां नहीं थी। मैं उसे सरप्राइज़ देना चाहता था। पर मुझे क्या पता था मुझे सरप्राइज़ मिलेगा।

वहाँ पर मैंने जो देखा उसे देख कर मैं दंग रह गया। वहाँ पर शराब की बोतलें थी हर जगह। जब मैंने उसकी अलमारी खोली तो वहाँ ब्लू फ़िल्म की सीडी और काफ़ी कन्डोम थे। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि यह सब सामान यहाँ क्यों है।

मैं सुनयना पर बड़ा विश्वास करता था। पर मुझे गड़बड़ लगी। मैं सुनयना का इन्तज़ार करने लगा। तभी बाहर गाड़ी की आवाज सुनाई दी। मैंने सोचा कि सुनयना आ गई। जब मैंने शीशे से बाहर देखा तो मुझे अपनी आँखों पर विश्वास नहीं हुआ। उसके साथ काई आदमी था, 45 साल का होगा। मैं तुरंत परदे के पीछे छिप गया। तभी दोनों अन्दर आ गये।

सुनयना ने सफ़ेद रंग की कमीज़ और काले रंग की स्कर्ट पहनी थी। उसके बाल खुले थे। सुनयना और उसका बॉस दोनों बातें करने लगे। सुनयना 4 गिलास और शराब की बोतल ले आई। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करुँ। मैं सोचने लगा कि सुनयना ऐसा कैसे कर सकती है। सुनयना ने 4 ग्लास ड्रिन्क बना दिये। तभी बेल बजी, सुनयना ने दरवाज़ा खोला तो दो और आदमी अन्दर आ अये। सभी उसके बॉस लग रहे थे। एक ने अन्दर आते ही उसे चूम लिया और उसे उठा के ले आया। सभी ने ड्रिन्क उठा ली। उस समय मुझे इतना गुस्सा आ रहा था कि उसे मार दूँ। मेरे साथ इतना बड़ा धोखा किया मेरे प्यार ने।

तब उसके एक बॉस उसके पास जा के बैठ गया और उसके वक्ष पे हाथ फ़ेरने लगा। उसने सुनयना की शर्ट उतार दी, उसने काले रंग की ब्रा पहन रखी थी। तब सभी उसके पास आ गये और उसकी शरीर पे हाथ फ़ेरने लगे। वो अब गर्म होने लगी थी। एक बॉस ने उसकी स्कर्ट के अंदर हाथ डाल दिया और उसे उठा के बेड पे ले गए। उन्होंने उसकी स्कर्ट उतार दी, उसने काले रंग की पैन्टी पहनी थी। एक ने उसकी ब्रा उतार दी और पैन्टी भी।

वो अब बिल्कुल नंगी होकर एक रन्डी की तरह बेड पड़ी थी। एक बॉस उसके स्तन दबा रहा था और एक उसकी चूत में उन्गली डाल रहा था और एक उसको देख कर मुठ मार रहा था। वो इस सब का काफी मज़ा ले रही थी। मैंने देखा कि मेरा लन्ड भी खड़ा हो गया है। मैं भी उसे देख कर मुठ मारने लगा। तब एक ने सुनयना के मुँह में लण्ड डाल दिया। वह भी पूरा लण्ड मज़े से चूसने लगी। उसने कभी इस तरह मेरा लण्ड नहीं चूसा होगा। एक उसके स्तनों को जोर जोर से दबा रहा था, उसके मुँह से अहऽऽ अहऽ अहऽऽऽ की आवाज निकल रही थी। तभी एक ने उसकी चूत में पूरा लण्ड डाल दिया। वो पूरे मजे में चुद रही थी। तब एक ने उसकी गाण्ड में लण्ड डाल दिया। वो मेरे आँखों के सामने दो लण्ड ले रही थी और एक का लौड़ा अपने मुँह में ले रखा था। क्या दृश्य था ! मेरे सामने ब्लू फ़िल्म लगी थी जैसे।

फ़िर एक बॉस का पूरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया और अन्दर-बाहर करते हुए अपने मुँह की चुदाई कराने लगी।

सर, मुझे लण्ड चूसने में मज़ा आ रहा है !

“आह…ये…या. यस…वाह…मेरी…जान…चूस…चूस ले..ले… और अन्दर … और अंदर ले … भोसड़ी … की.. और जोर .. से.. ले..और ले.. ले… वाह…” अब उसने सुनयना के मुँह में धक्के मारना चालू कर दिया था।

लेकिन अचानक बॉस ने सुनयना के मुँह में धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और सर पकड़ कर पूरा लण्ड मुँह में अन्दर बाहर करते हुए ज़ोर से चिल्लाने लगा “आ…..ह…. .ह…. आ…ले… कॉम…ओं…न ….मेरी…जान…ले..पीले…पूरा.. पी..ले.. माँ..चोद. चूस.. चूस… पी…ले..पी..”

अचानक उसके मुँह में पिचकारी चल गई। एक बॉस सुनयना के मुँह में अपना पानी डाल चुका था और उसने उसका पूरा रस पी लिया। सुनयना ने उसका लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया, शायद उसके रस का स्वाद अच्छा था..

झड़ने के बाद उसने अपने लण्ड बाहर निकाल लिया और हंसने लगा।

उधर शायद दूसरा बॉस भी चूत चोद कर थक गया था इसलिए वो भी उठ कर खड़ा हो गया और सुनयना के मुँह के पास लण्ड ला कर बोला,”प्लीज़ जान मेरा भी तो चूसो..”

उसने हँसते हुए उससे कहा,”तुम तीनों अगर मेरे मुँह में ही उलटी करके चले जाओगे तो मैं क्या करूंगी..!”

“नहीं मेरी जान, मैं तो तुम्हारी चूत में ही पानी डालूँगा चिंता मत करो !” एक बॉस ने जवाब दिया।

सुनयना ने एक बॉस का लण्ड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। थोड़ी देर तक उसका लण्ड चूसने के बाद उसने अपना लण्ड मेरे मुँह में से निकाल लिया और उससे बोला,”चल.. मेरी रानी.. अब कुतिया बन जा… आज तेरी चूत का बाजा बजाऊंगा !” उसने फ़ौरन उसका आदेश माना और उलटी होकर चूत को उसकी तरफ़ कर दिया। उसने भी आसन लगा कर चूत की छेद पर लण्ड लगाया और एक करारा धक्का दिया।

“आ.इ.ई.गई….आ..आ गया…आ. गया..मेरे राजा..पूरा..अन्दर..आ..गया..” सुनयना चिल्लाने लगी।

फिर तीनों ने उसे बारी बारी चोदा। कोई उसकी चूत मारता तो कोई गाण्ड तो कोई उसके स्तन चूसता। मैं अब भी पर्दे के पिछे छिपा था। अपनी सुनयना की इस चुदाई को देख मुझे रोना आ रहा था कि मेरे प्यार ने मुझे कहीं का नहीं छोड़ा। वो सब अब थक चुके थे अब वे सुनयना के स्तन और चूत को ही चूसे जा रहे थे।

तभी मैंने सुनयना को मोबाइल से संदेश भेजा कि वह क्या कर रही है।

मैं उसका उत्तर देखना चाहता था।

उसने लिखा- जान मैं नंगी हो कर बेड पे लेटी हूँ और तुम्हें सपने में प्यार कर रही हूँ।

वो सव साथ में सो गए। सुनयना रन्डी की तरह उनके बीच लेटी थी। उसका एक बॉस अभी भी उसकी चूत चूस रहा था और स्तन दबा रहा था। बाकी सब सो चुके थे और वो अभी भी उसे चूस रहा था।

उसके सभी बॉस उससे लगभग दस साल बड़े होंगे। तब मुझे लगा कि मैं उसे कभी सेक्स का मज़ा नहीं दे पाया। तब मुझे लगा कि प्यार से ज्यादा सेक्स की भूख होती है जो मैंने अपनी सुनयना में देखी।

इस कहानी से मैं आपकी मदद चाहता हूँ कि मैं क्या करुँ।

मुझे आपके मेल का इंतज़ार रहेगा। Sex Stories

सबसे पहले मैं अपना परिचय दे दूं.
मैं 50 वर्षीया एक कामुक हाउस वाइफ हूं और पति के साथ अपने सेक्स जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हूं।
मेरा जिस्म गदराया हुआ है।
मेरा कामुक बदन आज भी मर्दों को आकर्षित करता है।

मैं हर तरह की ड्रेस पहनती हूं पर देखने वाले मन ही मन मेरे कपड़े उतार के मुझे नंगी देखते हैं, मुझे ऐसा लगता है।

जैसा कि मैंने बताया मैं अपने पति की चुदाई से पूरी तरह संतुष्ट हूं लेकिन जिस व्यक्ति को रसगुल्ला पसंद हो, वो भी रोज रसगुल्लों से पेट नहीं भर सकता तो फिर कामुक मन तो नए स्वाद के लिए भटकता ही है।
इसलिए मेरा भी मन भटका और शादी के पच्चीस साल बाद भटका.

जब मैं बच्चों की जिम्मेदारियों से फ्री हो गई, तब मेरी दबी हसरतें मेरे जिस्म को मेरे दिमाग को नए नए मर्दों को देख के ये कल्पना करने पर मजबूर करने लगी कि इसका लंड कितना लंबा होगा, कितना मोटा होगा?

मेरा अनुभव कहता है कि कई कहानियों में बहुत बढ़ा चढ़ा के लंड का आकार बताया जाता है।
मैंने जो पहला पराया लंड लिया न तो वो पति के लंड से लंबा था न मोटा, किंतु फिर भी चुदने में बहुत मजा आया क्यों कि आखिर मेरा पहला नया स्वाद था।
वास्तव में नए लंड की सनसनी का कोई जवाब नहीं।

एक बात और बताती चलूं, मेरे पति ने ही मेरी कामुकता को बढ़ावा दिया.
हमने आपस में खूब कहानियां पढ़ीं, हजारों पोर्न वीडियो देखे, बहुत एंजॉय किया।

इस प्रकार उन्होंने ही मेरी लालसाओं को जगाया, मेरी कामाग्नि को भड़काया, मैं उनके सामने या उनकी अनुपस्थिति में किसी भी पराए मर्द के साथ चुदाई करूं उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
उनका मानना है कि कुदरत ने तो इंसान को पृथ्वी पर आनन्द लेने भेजा है, उसने कोई नियम कायदे नहीं बनाए।
समाज में सारी बंदिशें इंसानों ने ही बनाई हैं।

दुनिया में जितने भी सुख हैं उनमें सबसे अनूठा है ‘कामसुख’ जो पूरी दुनिया में एक समान है।
पूरी दुनिया में खाने की, कपड़ों की विविधता है. पर चुदाई, उसकी प्रक्रिया, चरम सुख, स्खलन, जिस्म को दिमाग को राहत एक जैसी होती है।

मेरे पति का बस इतना कहना है कि जो भी हो, मेरी जानकारी में हो।
मैंने भी उनकी इस बात को ध्यान में रखते हुए उनके साथ भी और अकेले भी कई मर्दों के साथ शारीरिक सुख के मजे लिए।

हमने थ्रीसम, फोरसम, स्वैपिंग सारे खेल खेले हैं बस ग्रुप सेक्स का मजा लेना बाकी है।

मेरी इस कहानी में पेश है मेरी पहली गैर मर्द से चुदाई की दास्तान।

एक बार की बात है कि मेरे पति पंद्रह दिन के लिए बैंक द्वारा आयोजित एक ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए दिल्ली गए थे।
हम आज भी एक दिन छोड़ के चुदाई करते हैं।

उनके जाने के एक हफ्ते बाद मेरे जिस्म को चुदाई याद आने लगी।
मेरी कामुकता मुझे बेचैन करने लगी.

ऐसे में मेरा ध्यान गया हमारे 28 वर्षीय किरायेदार रवि की तरफ!
उसकी पत्नी भी मायके गई हुई थी और रात डेढ़ बजे की ट्रेन से ही लौटने वाली थी।

मैंने मन ही मन उसका लंड लेने की सोची क्योंकि कई बार मैंने उसे मेरे भरे भरे स्तनों को निहारते पकड़ा था।
मुझे लगा कि वह आसानी से मुझे चोदने के लिए तैयार हो जाएगा.
और पति को पता लगने का डर तो वैसे भी था नहीं!

यह सोचते सोचते मेरी रवि से चुदने की इच्छा ज़ोर पकड़ने लगी और रात में मैं रवि के यहां अपने पहले गैर मर्द के लंड से चुदवाने पहुंची।

मैंने एक झीना गाउन पहन रखा था. अंदर न ब्रा थी न पैंटी!

उसके कमरे में दरवाजे पर मैं थी और सामने ट्यूब लाइट जल रही थी.
उसकी रोशनी में न केवल मेरा पूरा बदन दिख रहा था बल्कि रवि ने ये अंदाजा भी लगा लिया कि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है क्योंकि उसकी शॉर्ट्स में उसकी मर्दानगी करवट लेती हुई दिख रही थी, वो चोरी चोरी अपने तन रहे लंड को सेट कर रहा था।

मैं कनखियों से उसकी इस हरकत को देख चुकी थी.

उसने पूछा- आओ आंटी, कैसे आना हुआ?
मैंने कहा- यार, अकेले में तो आंटी मत बोल! क्या मैं बूढ़ी दिखती हूं?

उसने लंड को दबाते हुए कहा- फिर क्या बोलूं?
मैंने कहा- माधुरी नाम बुरा है क्या? तू मधु या मधु जी भी बोल सकता है।

उसने कहा- ठीक है मधु … जी!

मैं तो चुदाने के मूड से ही गई थी पर अब उसका भी मूड पूरा तन मेरा मतलब बन गया था।

मैंने कहा- यार रवि, मेरा एक जरूरी काम है, कर देगा क्या?
उसने कहा- हां, बोलो न मधु जी!

मैंने कहा- तेरे अंकल को गए पूरा हफ्ता हो गया है!
वो हैरानी से मुझे देखने लगा कि मैं ऐसा क्यों बोल रही हूं.

उसने कहा- तो?
मैंने कहा- और सपना (उसकी पत्नी) को भी मायके गए 4 – 5 दिन हो गए हैं!
वो बोला- हां, वो आज रात को ही आ रही है।

मैंने कहा- अच्छा, तुम्हारी शादी को कितने साल हुए हैं?
वो बोला- पांचवां चल रहा है. आप कुछ काम का बोल रही थी?

मैं समझ गई कि अब वो नहीं, उसका लंड बोल रहा है।

मैंने कहा- यार, तुम घर की दाल रोटी से उकता जाते हो तो क्या करते हो?
वो बोला- बाजार में जाके कोई भी मसालेदार नई डिश खा लेता हूं।

मैंने कहा- एक मसालेदार नई डिश खुद चल के तुम्हारे पास आई है, इसको चखोगे नहीं?

इतना कहना था कि वो ‘ओह मधु’ कहते हुए मेरे होठों को चूसने लगा.
उसका हाथ मेरे स्तन पर और मेरा उसके लंड पर पहुंच चुका था।

मैंने गाउन उतारा और बिछ गई उसके सामने!
वो भी नंगा हुआ और लंड मेरे मुंह के सामने लेकर आया.

मैंने उसे एक गाली बकी- मादरचोद, पहले मेरी चूत में डाल के चोद अच्छे से!
उसने भी थूक लगाया और चूत में डालते हुए कहा- ले भेनचोद, अब वो भी जी लगाना भूल गया था।

मेरी चूत तो बहुत प्यासी थी ही … लेकिन वो जवान लौंडा, उसका लंड भी 4-5 दिन से सेक्स का भूखा था.
बीच बीच में रुक के वो उफान को नियंत्रित कर रहा था।

वह मेरे स्तनों को पागलों की तरह चूस रहा था.
मेरे शरीर में काम लहरा रहा था, मैंने कहा- यार रवि, एक बार कस के रगड़ दे, डिस्चार्ज होने लगे तब भी रुकना मत!

उस ने पेलना शुरू किया, दे दनादन, 10-15 धक्कों के बाद उसका वीर्य उछलने लगा.
मेरी चूत पूरी भर गई थी पर वो रुका नहीं … मेरी वीर्य भरी चूत को लगातार चोदता रहा.

मेरा भी क्लाइमैक्स नजदीक था, उसने 25-30 धक्के ही लगाए होंगे कि मैं भी झड़ गई.
मेरी चूत बहुत देर तक फड़कती रही।

मेरी सांसें भारी हो गई थी.
कई मिनट तक मैं इस मस्ती को आंखें बंद करके अनुभव करती रही।

अभी साढ़े ग्यारह बजे थे, उसकी बीवी के आने में दो घंटे बाकी थे.
हम दोनों अभी चुदाई के एक और दौर के लिए तैयार थे।

तो हम दोनों बाथरूम में अपने चूत और लंड को धोकर आए.
दोनों पूरे नंगे तो थे ही, मैं उसका धुला धुलाया, लटका हुआ, नर्म लंड मुंह में लेकर चूसने लगी.

मैं पति का भी ऐसा लंड तकरीबन रोज चूसती हूं, जब वो नहा कर आते हैं.

उसका लंड दो मिनट में ही फूलने लगा, उसके हाथ मेरे स्तन से खेल रहे थे.

इससे पहले कि उसका लंड पूरी तरह से तन्नाता, मैंने उसके कंधों को दबा के नीचे झुकाया और उसका मुंह अपनी चूत पे लगा दिया।

उसकी जुबान के स्ट्रोक मेरी चूत पर चलने लगे, उसके मुंह में मेरी चूत और उसके वीर्य का मिला जुला नशीला रस घुलने लगा।

मैंने चूत केवल बाहर से धोई थी।
यह सोच सोच कर मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी कि एक मर्द मेरी चूत से अपना ही वीर्य सुड़क रहा है।

मेरे पति कहते हैं कि तू किसी से चुद के आए और तेरी चूत में उसका वीर्य भरा हो तो मैं चाट सकता हूं. लेकिन लंड खड़ा हो तब … डिस्चार्ज होने के बाद वीर्य चाटने का बिल्कुल मन नहीं करता।
मैं देख रही थी कि कितना सच बोल रहे थे वो!

मेरी चूत चाटते चाटते उसका 6 इंच का लंड पूरी तरह अकड़ गया.

इस बार मैंने उसको चित लिटाया और उसके लंड पर सवार हो गई.
रवि का पूरा लंड मेरी लपलपाती चूत में समा गया।

उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसकी मकान मालकिन आंटी उसके लंड की सवारी कर रही है.

वो पूछ बैठा- मधु यार, आज मेरे लन्ड की लॉटरी कैसे लग गई? तुम्हारी आज चुदाने की इच्छा कैसे हो गई, ऐसे मौके तो पहले भी आए हैं!
तो मैंने कहा- यार, आज चुदना लिखा था तो आज ही ध्यान आया.

मैंने कमर हिलाना शुरू किया, बहुत देर तक मैं लंड को चोदती रही.
फिर जब लगा कि झड़ने का समय नजदीक है, तब मैं फ़िर चित लेट गई और रवि को बोली- फिर से रगड़ दे मादरचोद, मेरी इस प्यासी चूत की प्यास बुझा दे।

रवि ने भी कस के धक्के लगाने शुरू किए- ले भेनचोद, ले भोसड़ी वाली, देख मेरा लंड कैसे रगड़ रहा है तेरी गर्म चूत को!

इस बार भी रवि के लंड से वीर्य विस्फोट हो गया.
पर वो रुका नहीं, मेरी चूत जोर जोर से फड़कती रही और वो रगड़ता रहा।

इस बार करीब आधा घंटा तक सेक्सी लेडी Xxx चुदाई चली.
रवि निढाल होकर मुझ पर पड़ा था, उसका पूरा बदन पसीने में लथपथ था।

मैंने पूछा- अभी तुम्हारी बीवी भी आकर लंड मांगेगी तो क्या करोगे?
वो बोला- इतनी लजीज बिरयानी खाकर दाल चावल खाने की बिल्कुल इच्छा नहीं है। लंड में भी दम नहीं बचा है, सिरदर्द का बहाना बना दूंगा, पर कुछ भी हो जाए आज तो सपना को नहीं चोदूंगा।

प्रेषक – सेक्सी Hindi Sex Stories

कुछ दिनों पहले हमारी पुरानी Hindi Sex Stories कामवाली भगवान को प्यारी हो गई। तो मम्मी ने एक नई कामवाली रख ली, जिसका नाम रोहिणी है। पुरानी कामवाली तो एक बुढ़िया थी, लेकिन रोहिणी एक जवान नेपालिन थी। उसका पूरा बदन काफी छरहरा था। विशेषकर उसकी कमर बहुत ही पतली और लचीली थी। उसके चूतड़ देखकर ही उन्हें मसलने का दिल करता था। उसके होंठ काफी भरे हुए थे। उसका बदन बिना किसी हेयर-रिमूवर के ही बिना बालों के, चिकना था। हालाँकि उसकी चूचियाँ कुछ ख़ास नहीं थीं मेकिन फिर भी उनमें एक अजीब सा आकर्षण था। जब भी वह काम कर रही होती तो मैं उसकी पसीने से भींगी हुई पीठ देखा करता था।

धीरे-धीरे मुझे वह अच्छी लगने लगी (मेरा मतलब उसका जिस्म भाने लगा।)। लेकिन वह सामान्यतः बड़ा रूखा व्यवहार करती थी। वह मुझे उस नज़र से नहीं देखती थी जिस नज़र से मैं उसे देखा करता था। इसलिए मैं मन-ही-मन उसे अपने जाल में फँसाने की तरक़ीब सोचता रहा और अन्ततः एक दिन मुझे सही तरक़ीब मिल ही गई। शाम का समय था, मेरे सिवा घर के सभी लोग सो रहे थे। रोहिणी काम कर रही थी। मैंने सोचा अपनी चाल चलने का यह सही समय है। रोहिणी हमारे बाहर की गैलरी में झाड़ू लगा रही थी। मैं चुपके से गया और १०० रुपए का एक नोट फर्श पर गिराकर छिप गया। झाड़ू लगाते-लगते जब रोहिणी की नज़र १०० के नोट पर पड़ी, तो उसने आस-पास देखा और वह १०० का नोट उठाकर अपनी ब्लाऊज़ में डाल लिया।

इस पर मैं एकदम से बाहर आ गया और उससे कहा, “मैंने सब देख लिया है, तुमने मेरा १०० का नोट उठा लिया है, तुमने चोरी की है।”

इसपर वह घबरा गई, “जी? मम्म्म…मैंने… तो कुछ नहीं… उउउ?उउ?ठाया”

“झूठ मत बोलो, मैंने तुम्हें नोट उठाते हुए अपनी आँखों से देखा है, मैं अभी मम्मी को बुलाता हूँ।”

“ऐसा मत करो!… मेरी नौकरी चली जाएगी।”

“तुम्हारे साथ ऐसा ही होना चाहिए।”

“मुझे माफ़ कर दीजिए! आईंदा ऐसा फिर कभी नहीं होगा।”

“बिल्कुल नहीं, मैं मम्मी को बुलाता हूँ, तुम्हारी नौकरी जाएगी, बदनामी होगी तभी तुम्हें अक्ल आएगी।”

“देखिए, मेरी बद़नामी होगी तो मुझे कोई भी नौकरी नहीं देगा।”

“तो मैं क्या करूँ?”

“मुझे माफ़ कर दीजिए।”

“क्यों माफ़ कर दूँ?… इससे मुझे क्या मिलेगा?”

“तुम्हारा अहसान होगा! मैं ग़रीब आपको क्या दे सकती हूँ?”

“तुम्हारी नौकरी बच सकती है अगर तुम मेरे कुछ काम कर दो तो!” – मैंने पासा फेंक दिया था।

“यहाँ कोई हमारी बातें सुन लेगा, तुम काम करने के बाद छत पर आ जाओ।” – मैंने आगे कहा

“ठीक है।”

फिर रोहिणी कुछ ही देर में छत पर आ गई।

“हाँ! क्या कह रहे थे तुम?” – आते ही उसने पूछा।

“अगर तुम मेरे लिए कुछ काम कर दो तो तुम बद़नाम और बेरोज़गार होने से बच सकती हो।”

“कैसे काम?”

“मेरी ज़रूरत पूरी कर दो।”

“कैसी ज़रूरत?”

“मैं बहुत प्यासा हूँ! आज बुझा दो मेरी प्यास।”

“तुम्हारा मतलब है, मैं तुम्हारे साथ वो गन्दे काम करूँ? देखो, यह बात ठीक नहीं है।”

“हाँ, और जो तुमने १०० रुपयों की चोरी की, क्या वह बात ठीक है? देख लो… सोच लो… मुझे मम्मी को.. और मम्मी को पूरे मुहल्ले को इकट्ठा करने में समय नहीं लगेगा।”

यह कहकर मैं उसके बद़न के बहुत क़रीब आ गया, “देखो, मुझे तुम्हारी सबसे अच्छी चीज़ तुम्हारी कमर लगती है! वैसे तो तुम पूरी तरह चिकनी हो, पर तुम्हारी कमर कुछ ज्यादा ही चिकनी है।”

“एक काम करने वाली तुम्हें चिकनी लगती है?”

“हाँ… मुझे अपनी कमर चूमने दो, तो शायद मैं तुम्हारी चोरी की बात भूल जाऊँ।”

“क्या…? मेरी कमर चूमना चाहते हो?… ठीक है, लेकिन फिर १०० रुपये वाली बात किसी से नहीं कहोगे?”

“नहीं कहूँगा… तुम यहाँ लेट जाओ।”

“ठीक है… लेकिन ज़रा ज़ल्दी करना… कहीं तुम्हारे घर वालों में से कोई जाग ना जाए।”

वह फिर लेट गई और मैं उसकी कमर चूमने लगा। फिर मैंने उसकी नाभि चाटनी शुरू कर दी – “तुम ज़रा उल्टी हो जाओ, मुझे तुम्हारी पीठ बहुत अच्छी लगती है – ख़ास कर जब पसीने में भींगती हो तो…”

“हाय रब्बा…, तुम मुझे छुप कर देखते रहते हो क्या?”

“हाँ!” – मैं उसकी पीठ चाटने लगा। उसे पसीना आ रहा था और मैं उसका पसीना चाट रहा था।

“तुम्हारा पसीना बहुत स्वाद दे रहा है।”

“तुम कैसे हो? तुम्हें मेरा पसीना अच्छा लग रहा है?”

“हाँ.. अब तुम सीधी लेट जाओ।”

“लो… सीधी लेट गई! जल्दी करो>”

“अपनी साड़ी का पल्लू हटाओ।”

“नहीं। तुमने कहा था कि तुम कमर चूमोगे।”

“मम्मी को लगाऊँ आवाज़ और बताऊँ कि तुमने चोरी की है।”

“नहीं… नहीं… हटाती हूँ पल्लू।”

फिर उसने अपना पल्लू हटा दिया, मैंने उसका पूरा पेट चाटना शुरू कर दिया। मुझे लड़कियों की काँख बहुत आकर्षित करतीं हैं, बड़ी अच्छी लगतीं हैं। मैंने उसके पेट पर हाथ फेरा और कहा – “चलो, अब अपनी बाँहें ऊपर करो।”

“क्या? तुम तो बहुत अजीब हो… लो।”

मैं उसके ब्लाऊज़ के ऊपर से ही उसकी काँख चाटने लगा, उसकी ब्लाऊज़ काफ़ी गहरे गले की थी।

“तुम्हारी ब्लाऊज़ इतने गहरे गले वाली क्यों है?

“क्या है?”

“मतलब तुम्हारी ब्लाऊज़ मे इतनी गहराई क्यों है?”

“मुझे ऐसे ही अच्छे लगते हैं।”

“और मुझे तुम्हारी ब्लाऊज़ की गेन्दें अच्छी लगतीं हैं। चलो अपनी ब्लाऊज़ उतारो और मुझे उनसे खेलने दो।”

“तुम बहुत आगे बढ़ रहे हो।”

“इसे तुम अपनी चोरी की सज़ा समझ सकती हो! आज मैं जो कहता हूँ, करो तो मैं किसी से भी कुछ नहीं कहूँगा।”

“ब्लाऊज़ के हुक सामने ही लगाए हैं, खोल लो।”

फिर मैंने उसकी ब्लाऊज़ के हुक खोल दिए। उसमें से मेरा १०० रुपयों का नोट निकला – “ये रहा मेरा १०० का नोट।”

“इसे मेरे पास ही रहने दो। आख़िर इसकी वज़ह से ही तो यह सब करवा रही हूँ।”

उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। मैं उसकी चूचियाँ अपने हाथों से मसलने लगा। अब उसको भी मज़ा आने लगा था – “मसलोगे भी, या चूसोगे भी? लेकिन जल्दी।”

मैंने उसकी घुण्डियों को मुँह में लिया और चूसने लगा – “आआआआहहह… चूसो। चूसो इन्हें.. दबाओ… मसल डालो। आहह्ह्ह्हहहह।”

कुछ देर तक तो मैं उसकी घुण्डियाँ चूसता रहा। फिर उसने ख़ुद ही मेरा सिर पकड़ कर अपनी साड़ी ऊपर कर के, मेरा सिर अपनी टाँगों के बीच रख दिया – “असली जगह तो यहाँ है। चूसो मेरी योनि को… चाटो इसे।”

“नहीं, पहले तुम अपनी साड़ी उतार दो। मैं तुम्हारे चूतड़ देखना चाहता हूँ।”

“साड़ी नहीं उतारूँगी।” मैं साड़ी पूरी ऊपर कर लेती हूँ। लेकिन तुम मेरी योनि चूसते रहो।”

“क्या सिर्फ मैं ही चूसूँगा? तुम मेरा कुछ भी नहीं चूसोगी?”

“ओफ्फ्फोह। पहले तुम मेरी योनि चूसो, फिर मैं तुम्हारा हथियार चूस दूँगी।”

“नहीं, हम दोनों एक साथ चूसेंगे।

“वो कैसे?”

फिर हम दोनों 69 की मुद्रा में आ गए।

“आहह… आहह्ह्ह। तुम मेरे राजा हो। मेरी योनि के राजा।”

“तेरी योनि और गाँड पर सौ-सौ के सौ नोट क़ुरबान।”

काफ़ी चूसने के बाद वो बोली – “बस राजा बस… अब डाल दो अपना हथियार मेरी चूत में, और मार लो मेरी।”

मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसकी चूत काफ़ी सँकरी थी।

उईईई माँआआआआ… मर गईईईई… ओओओहहहह… ओओह। इतना मोटा लण्ड मेरी नाज़ुक चूत में डाल दिया… थोड़ा धीरे-धीरे डालो।”

“मेरी रानी की चूत कितनी टाईट है।”

“आआहहह…. आआआ.. . मेरे राजा… मेरी गाँड इससे भी अधिक टाईट है।” – उसने मुझे आँख मार कर कहा।

फ़िर बाद में मैंने उसकी गाण्ड भी मारी ! Hindi Sex Stories

Antarvasna

हेल्लो दोस्तों ! मैं कोई कहानीकार Antarvasna नहीं हूँ, पर यहाँ कई कहानियाँ पढ़ने के बाद मैंने भी अपना एक अनुभव आपको बताने की कोशिश की है. उम्मीद है आपको पसंद आएगी.

बात उस समय की है जब हम एक महानगर के पास के एक छोटे से शहर में रहने गए. वो एक नई कालोनी थी और बाज़ार दूर था इस. उसी समय हमारे पड़ोस के मकान में एक परिवार रहने आया. पति पत्नी और उनका 6 महीने का बच्चा. उस औरत को जब भी देखता था तो मेरे लंड उससे सलामी देने लगता था. क्या ज़बरदस्त माल थी. उमर 21 साल. बच्चा होने के बाद भी अच्छा संवार कर रखा था उसने अपने आप को.

पतली कमर गोरा रंग और भरा हुआ शरीर. मुझे शुरू से ही भरे बदन की ज़बरदस्त आंटियाँपसंद हैं. आंटी को हिन्दी फिल्मों का बहुत शौक था. और मुझसे हर हफ्ते 1-2 फिल्मों की कैसेट मंगवा कर घर पर देखती थी. उसके पति का ट्रांसपोर्ट का बिज़नस था और उन दिनों उनके अहमदाबाद के कई चक्कर लगते थे.
वो महीने में मुश्किल से एक हफ्ता ही घर पे रह पाते थे. पर जब वो घर पर होते थे तो भी मुझसे ही फिल्में मंगवाया करते थे. विडियो लाइब्रेरी वाला उनका दोस्त था, वोह उससे फ़ोन कर देते थे और मैं कैसेट ले आता था. पर जब वो कैसेट मंगवाते थे तो मुझे फ़िल्म की स्पेल्लिंग असली स्पेल्लिंग से अलग लगती थी.

एक दिन अंकल घर आए, मुझसे एक फ़िल्म मंगवाई. अगले दिन मैं कॉलेज से वापस आया तो देखा कि घर पे ताला लगा है तो मैं आंटी के घर चला गया. आंटी ने बताया कि मम्मी को मार्केट जाना था तो वो अभी गई हैं, तुम यहीं इंतज़ार कर लो.

मैंने अंकल के बारे में पूछा तो पता चला कि उनका ट्रक ख़राब हो गया है तो वो सुबह ही चले गए हैं और 10 दिन के बाद आएंगे. आंटी का मूड बहुत ख़राब था. मुझे लगा कि वो अभी रो रही थी. मैंने पूछा तो वो बोली कि तबियत ठीक नहीं है. मुझसे कहा कि मैं नहा कर आती हूँ फिर चाय बना दूंगी.

मैं बैठ गया, अचानक मेरी नज़र उस कैसेट पर पड़ी और मैं सोच ही रहा था कि इस फ़िल्म कि स्पेल्लिंग भी कुछ अलग क्यों है. थोड़ी देर में आंटी नहा कर आ गई और चाय बना लायी. मैंने उनसे पूछा कि आंटी कुछ कैसेट की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों लिखी होती है, तो वोह मुस्कुरा दी और बात को घुमा दिया. फिर अंकल और उनके काम के बारे में बात होने लगी तो वो कहने लगी कि अंकल के पास मेरे लिए समय नहीं है और अचानक फिर से रोने लगी और अपना सर मेरे कन्धों पर रख दिया. मैंने उनके कन्धों पे हाथ रखा और चुप कराने की कोशिश करने लगा.

उन्होंनें स्लीवेलेस सूट पहना था और उनकी चिकनी बाहों का स्पर्श मुझे मजा देने लगा. मेरा लंड खड़ा हो गया और पैंट से बाहर आने के लिए मचलने लगा. मैं आंटी को तसल्ली देने लगा और बोला कि आप जैसी सुंदर बीवी को छोड़ कर वो कैसे चले जाते हैं. अगर मैं आपका पति होता तो…

फिर चुप हो गया तो वो बोली कि अगर होते तो… आगे बोलो… मैंने कहा कि तो मैं आपको दिन रात प्यार करता. वो बोली कि फिर तुम्हारे अंकल क्यों नहीं करते… क्या मैं अच्छी नहीं हूँ…?

मैंने कहा कि आप बहुत सुंदर हो…फिर धीरे से मैंने उसके होठों को चूम लिया और हम दोनों धीरे धीरे एक दूसरे को किस करने लगे. धीरे धीरे हमने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और ज़ोरदार किस चालू हो गई, होंठ होंठों को चूसने लगे। कभी मेरी जीभ उसके मुहँ में जाती और कभी उसकी जीभ मेरे मुहँ में।

अचानक वो बोली कि तुम पूछ रहे थे ना कि इस मूवी की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों है? तो उस मूवी को ओन करो पता चल जाएगा। मैंने वीसीआर में मूवी लगा दी, वो बेड पे बैठ गई और आवाज़ कम कर दी. मैं भी उसके पास जाकर बैठ गया। वो एक नग्न मूवी थी।

ब्लू फ़िल्म देखते देखते हम उत्तेजित हो गए और मैंने किस करते करते उसका कुरता उतार दिया…मेरे हाथ उसकी पीठ पर फिरने लगे……क्या चिकना बदन था उसका…
फिर उसने मेरा शर्ट और बनियान निकाल दी… मैं एक बात बतानी भूल गया कि मैं जिम्नास्टिक का प्लेयर हूँ और इसी वजह से मेरी फिजिक ज़बरदस्त है… फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा खोल दी। उसके मस्त कबूतर फडफडा कर बाहर आ गए और मैं उन्हे धीरे धीरे दबाने लगा

उसने मुझे कस कर बाहों में भर लिया… उसका गर्म चिकना नाजुक शरीर .. मुझे ऐसा लगा जैसे इससे अच्छी फीलिंग कोई हो ही नहीं सकती… फिर मैंने धीरे धीरे उसके बूब्स बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया… उसने मस्ती में अपने सर पीछे फ़ेंक दिया और मज़े में सिस्कारियाँलेने लगी… मैंने धीरे धीरे उसकी सलवार का नाडा खोल दिया।

अब मेरे हाथ उसके पूरे नंगे शरीर को सहलाने लगे पैरों से लेकर कंधे तक। और मैं चूसते और चूमते हुए नीचे जाने लगा। फिर मैंने उसकी नाभि पे जीभ फिरानी शुरू कर दी… फिर मैं उसके पैरों की तरफ़ चला गया और उसके पैर के अंगूठे और उँगलियों को एक एक करके चूसने लगा…
इससे वो और उत्तेजित होने लगी और मुझे प्यार से देखकर मीठी मीठी सिस्कारियाँ लेने लगी… फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से हलके हलके सहलाने लगा…

उसने फिर मेरे अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया…… उसके हाथों के स्पर्श से मेरा लंड लकड़ी की तरह सख्त हो गया और मैंने उसकी पैंटी को अलग करके उसकी मस्त चूत को चाटना शुरू कर दिया और बीच बीच में जीभ को चूत के अंदर डालकर क्लिट्स को चाट लेता था।
थोड़ी देर सिस्कारियाँ लेने के बाद वो मेरा सर पकड़ कर जोर से चूत पे दबाने लगी और चूत को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी… मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है।

थोडी देर में उसकी चूत से पानी निकलने लगा पर मुझे अच्छा नहीं लगता सो मैंने मुँह हटा लिया। वो धीरे धीरे साँसे लेने लगी… पर मेरी बेचैनी बढती जा रही थी।
मैंने फिर से उसके बूब्स से खेलना शुरू कर दिया और वो फिर से मस्त होने लगी। मैं उसके बूब्स मसलते हुए किस करने लगा और सारे बदन को सहलाता रहा थोडी देर मैं वो फिर से उत्तेजित होने लगी।

फिर उसने पलंग से नीचे बैठकर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया… सच कहूँ तो ऐसी चुसाई का मजा मुझे और किसी ने नहीं दिया…और मेरी झाटों से खेलने लगी… थोडी देर में मेरे लंड का पानी निकल गया और उसने एक एक बूँद चाटकर साफ़ कर दी… फिर हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा… वो बोली कि यह बड़ा शैतान है… देखो फिर से उठ गया… मैंने कहा कि मैंने तुम्हें कहा ही था कि मैं तुम्हे सारी रात प्यार कर सकता हूँ…

वो बहुत भावुक हो गई और मुझे ज़ोर से गले लगा लिया और मेरे होंठ चूसने लगी… अब हम दोनों पूरे जोश में आ चुके थे। मैंने उसको लिटा दिया और पैरों के बीच मैं आ गया… फिर मैंने उसके चूतड़ों के नीचे 2 तकिये रख दिए और उसके दोनों पैर अपने कन्धों पे रख लिए।
फिर मैं लंड को उसकी चूत पे रगड़ने लगा… वो पागल हो रही थी और लंड अंदर पेलने की मिन्नत करने लगी…… थोड़ा तरसाने के बाद मैंने एक ज़ोरदार झटका लगाया और मेरा लंड आधा उसकी चूत में चला गया… उसकी चूत बहुत टाइट थी…

उसने अपना निचला होंठ दातों में दबा लिया और मुझे रोकने का इशारा किया…… फिर बोली कि दर्द हो रहा हैं आराम से करो… मैं थोडी देर और रुका और फिर दूसरा धक्का लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समां गया और वो दर्द से करह उठी।

मैंने फिर थोड़ा इंतज़ार किया… उसका दर्द कम हो गया था और उसने धीरे धीरे अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी… .. फिर मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए और लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर होने लगा…

उसे भी पूरा मज़ा आ रहा था और वो मेरा साथ देने लगी… थोडी देर बाद मैंने अपने पंजे बेड पर टिका दिए और घुटने सीधे करके ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगा… यह एक ज़बरदस्त पोसिशन होती है बिल्कुल ऐसे जैसे दंड बैठक करते हैं… इसमें बहुत मज़ा आता है… और वो झड़ के निहाल हो गई…

मैंने फिर से उसे किस करना शुरू किया… फिर वो बोली कि मैं ऊपर आ जाती हूँ… मैंने कहा ठीक है… तो वो मेरे ऊपर बैठ गई और पैर मोड़कर उछलने लगी… मेरा लंड पूरा अन्दर बाहर हो रहा था और उसे भी मज़ा आ रहा था… थोडी देर बाद वो फिर से झड़ गई।
फिर मैंने उसे नीचे लिटाया और एक पैर ऊपर कर कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा… थोडी देर इसी तरह चुदाई करने के बाद मैंने उसे डोग्गी स्टाइल मैं आने को कहा तो वो डर गई… बोली पीछे से नहीं… बहुत दर्द होगा…

तो मैं समझ गया कि अभी गांड नहीं मरवाएगी… मैंने कहा कि नहीं मैं पीछे से चूत में ही डालूँगा…

वो धीरे धीरे डोग्गी स्टाइल में आ गई और मैंने पीछे से लंड उसकी चूत में डालकर धक्के लगाने लगा… वो मजे से सिस्कारियाँ निकालती रही और गांड को आगे पीछे करती रही… मैं उसकी गांड के छेद को धीरे धीरे मसलता रहा… और थोडी देर में हम दोनों एक साथ फिर से झड़ गए… फिर मैं लेट गया और वो मेरे साथ लगकर लेट गई…

हम दोनों को ही बहुत मज़ा आया था… इसके बाद हम कई दिनों तक रोज़ चुदाई करते रहे… मैंने उसको गांड मारने के लिए तैयार किया और गांड मारी… पर वो कहानी फिर कभी…

मैं अगली कहानी कब लिखूंगा और लिखूंगा या नहीं ये सब आपकी मेल पर निर्भर करता है… तो मुझे ज़रूर बताइयेगा कि यह कहानी आपको कैसी लगी…Antarvasna

Hindi Sex Stories

आर्यन और सायरा एक दूसरे को Hindi Sex Stories चूमे जा रहे थे कि रूही कमरे में दाखिल हुई। “ये, यहाँ पर सब क्या हो रहा है?” रूही थोड़ा गुस्से में बोली।

“म… मैडम… मै… म…” सलमा घबराने का नाटक करते हुए बोली।
“हाय अल्लाह!!! ये तो मैडम हैं… आर्यन बाबा! उठो मुझ पर से”, सायरा चिल्लाती हुई उसे अपने ऊपर से हटाने लगी।

“नहीं! मैं तुम्हें एक बार और चोदना चाहता हूँ!” आर्यन उसे जोर से अपनी बाँहों में भरते हुए बोला।
“पहले मुझ पर से उतरो… फिर बताती हूँ!” कहकर सायरा उसे उठाने में अपना पूरा जोर लगने लगी।

“क्या कोई मुझे बतायेगा कि ये सब क्या हो रहा है?” रूही फिर से बोली। सलमा की समझ में नहीं आ रहा था कि रूही के दिमाग में क्या है, इसलिये वो चुप रही।

सायरा उठ कर पलंग पर बैठ गयी और रोने लगी।

“सायरा! मैंने तुम्हें यहाँ कपड़े धोने के लिये रखा है ना कि मेरे बेटे के साथ चुदाई करने के लिये!” रूही थोड़ा गुस्सा करते हुए बोली।

सुबकते और रोते हुए सायरा धीरे से इतना ही कह पायी, “म… म… मुझे पता नहीं क्या हो गया था मैडम।”

“प्लीज़ मम्मी! मैं इसे एक बार और चोदना चाहता हूँ।” आर्यन बीच में बोला।

“अपना मुँह बंद रखो और चुपचाप बैठे रहो”, रूही ने उसे डाँटते हुए कहा।

आर्यन अपना मुँह खोल कर कुछ कहने जा रहा था कि सलमा ने खींच कर अपने पास किया और कान में फुसफुसायी, “आर्यन बाबा! प्लीज़ आप चुप रहिये।”

“तुम्हारे अम्मी-अब्बा क्या कहेंगे जब मैं उन्हें बताऊँगी कि कैसे तुमने मेरे बेटे की वासना को भड़का कर उससे चुदवाया है”, रूही उसे डराते हुए बोली। सायरा और जोर-जोर से रोने और सुबकने लगी।

तभी सलमा बीच में बोली, “सायरा! मैडम के पैरों पे पड़ कर अपनी गलतियों की माफी माँग लो, ये तुम्हें माफ़ कर देंगी।”

“मैडम! आप मुझे जो चाहे सज़ा दे दीजिये पर मेरे घर वालों को कुछ मत बताइयेगा”, सायरा रूही के पैरों को पकड़ते हुए बोली, “इसके लिये आप जो कहेंगी मैं करने को तैयार हूँ।”

“पहले उठकर खड़ी हो जाओ!” रूही ने धीमे से कहा, “और मुझे ये बताओ कि तुमने ऐसा किया क्यों?” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“मैडम, मुझे सही पता नहीं कि मैंने ऐसा क्यों किया, सलमा तुम क्यों नहीं मैडम को बताती हो। आबिदा तुम तो बताओ… ओहह मैं अपने आपको संभाल नहीं पायी। पता नहीं क्यों मेरी चूत में जोरों की खुजली हो रही थी”, सायरा अपनी चूत को रगड़ते हुए बोली।

“सलमा! इसे मेरे कमरे में लेकर आओ”, रूही ने हुक्म दिया, “फिर देखते हैं कि इसकी खुजलाती हुई चूत के साथ क्या कर सकते हैं।”

“चलो अपने कपड़े पहन लो”, सलमा ने सायरा से कहा।

“नहीं! इसे इसी हालत में लेकर आओ। और तुम दोनों भी जिस तरह हो… उसी तरह इसके साथ आओ,” रूही ने कहा। रूही अपने कमरे में दाखिल हुई और उसके पीछे तीनों लड़कियाँ और आर्यन।

“सायरा अब इन तगड़े और शानदार लंडों को देखो। इनमें से किस लंड से पहले तुम अपनी कसी चूत चुदवाना चाहोगी जिससे तुम्हारी चूत की खुजली मिट सके?” रूही ने पूछा।

“प…प… पर मैडम???” सायरा इतने सारे लंडों को निहारते हुए हकलायी।

“मैं कुछ भी नहीं सुनुँगी, तुमने वादा किया है कि जो मैं कहुँगी… तुम करोगी। अब लंड अपनी चूत में लेने को तैयार हो जाओ… विजय तुम पहले इसे चोदोगे”, रूही ने जैसे हुक्म दिया।

फिर जिस तरह हम सब ने टीना के जन्मदिन पर किया था वैसा ही किया। सब मिलकर सामुहिक चुदाई कर रहे थे। कोई चूत में लंड डाले हुए था तो कोई किसी की गाँड में। कोई चूत चाट रहा था तो कोई लंड चूस रही थी। इसी तरह शाम हो गयी।

“अब बताओ तुम्हारा दिन कैसा गया?” रूही ने सायरा से पूछा।

“मैडम! पहले तो मैं बहुत डरी हुई थी पर बाद में बहुत मज़ा आया”, सायरा ने मुसकराते हुए जवाब दिया।

“आज तुमने मुझे खुश कर दिया। ये लो तुम्हारा इनाम”, इतना कहकर रूही ने उसे एक हीरे का पेंडेंट दे दिया और साथ में पाँच हज़ार रुपये।

“मैडम ये क्या मेरा कुँवारापन खोने की कीमत है? मैं कोई वेश्या नहीं हूँ!” सायरा उदास होते हुए बोली।

“तुम वेश्या नहीं हो… मैं जानती हूँ”, रूही ने नम्रता से कहा, “ये पेंडेंट मैं तुम्हें इसलिये दे रही हूँ कि आज मेरे बेटे ने पहली कुँवारी चूत की चुदाई की है। तुमने उसे लड़के से मर्द बना दिया… और ये रुपये इसलिये हैं ताकि तुम कुछ अच्छे कपड़े, सैंडल और मेक-अप वगैरह का सामान खरीद सको… आबिदा और सलमा इसमें तुम्हारी मदद कर देंगी… अब से इस घर में आओ तो तुम भी इन दोनों की तरह ही टिप-टॉप बन कर आओ।”

“शुक्रिया मैडम! पर ये पेंडेंट तो बहुत कीमती लगता है”, सायरा पेंडेंट को ऊपर से नीचे देखते हुए बोली, “अगर मेरे घर वाले इसे देखेंगे तो समझेंगे कि मैं इसे चुरा के लायी हूँ।”

“तुम इसकी चिंता मत करो! ऐसा नहीं होगा”, रूही हँसते हुए बोली, “आबिदा तुम्हें घर तक छोड़ आयेगी और तुम्हारे घर वालों को बता देगी कि ये रुपये और पेंडेंट मैंने तुम्हें दिया है।”

“चलो सायरा! अब घर चलते हैं”, आबिदा दरवाजे की ओर बढ़ते हुए बोली।

जैसे ही सायरा जाने के लिये मुड़ी, आर्यन ने पूछा, “सायरा! अब हम फिर चुदाई कब करेंगे?”

“शुक्रवार को!” उसने शरमाते हुए कहा और आबिदा के पीछे भाग गयी!

जब आबिदा वापस लौटी तो रूही ने उससे पूछा, “उसके अम्मी-अब्बा से तुमने क्या कहा?”

“यही कि ये आपने उसे आर्यन बाबा के जन्मदिन पर इनाम दिया है”, आबिदा ने जवाब दिया।

“क्या उन्होंने तुम्हारी बात पर विश्वास कर लिया?” रूही ने पूछा।

“हाँ कर लिया… और मुझसे ये भी पूछा कि क्या मुझे भी कोई तोहफ़ा मिला है”, आबिदा हँसी।

“तो तुमने क्या जवाब दिया?” रूही बोली।

“मैंने कहा कि मुझे तो मेरा तोहफ़ा दो दिन पहले ही मिल गया था, है ना आर्यन बाबा?” आबिदा आर्यन की ओर देखते हुए बोली।

दूसरे दिन आयेशा ने प्रीती से वही स्पेशल दवाई माँगी। “तुम्हें क्यों चाहिये?” प्रीती ने पूछा।

“मैं इसे पीकर इसका असर देखना चाहती हूँ”, आयेशा ने जवाब दिया।

“नहीं इसे मत देना! इसकी चूत पहले से ही इतनी भूखी है और अगर इसने ये दवाई पी ली तो ये तो हमारे लंड से चुदवा चुदवाकर हमें मार डालेगी!” सब लड़के चिल्लाये।

“आयेशा! मुझे लगता है कि ये लड़के सही कह रहे हैं। ये दवाई तो लड़की की चूत को गरमाने के लिये है। अल्लाह ने तो तुम्हारी चूत को पहले से ही इतना गरमा रखा है कि तुम्हें इस दवाई की जरूरत नहीं है”, प्रीती ने उसे समझाया।

“तुम लोगों में कोई नहीं चाहता कि मैं भी थोड़ा मज़ा लूँ!” आयेशा ने हँसते हुए शिकायत की।

हमारे अगले दो दिन खूब मौज मस्ती में गुजरे, बल्कि ये कहो कि चुदाई में गुजरे। जब हम सब रूही से विदाई ले रहे थे तो मैंने रूही को हमारे यहाँ आने की दावत दी। “शुक्रिया, मुझे जैसे ही टाईम मिलेगा मैं जरूर आऊँगी”, रूही ने जवाब दिया।

“रूही इस शनिवार को क्यों नहीं आ जाती हो? हम भी सोमवार को अपने घर वापस जाने वाले हैं। अगर आ जाओगी तो आखिरी बार हमारा मिलना हो जायेगा”, जय ने कहा।

“हाँ ये अच्छा रहेगा। फातिमा और आर्यन को भी अपने साथ ले आना”, मैंने कहा।

रूही कुछ देर तक सोचती रही। “ठीक है! रवि भी दो दिन बाद चला जायेगा फिर मैं फ़्री हूँ”, रूही बोली, “ठीक है हम शनिवार कि शाम तक पहुँच जायेंगे।”

जब हमारा सामान गाड़ी की डिक्की में रखा जा रहा था तो मैंने देखा कि आयेशा हम सब के बीच नहीं थी। “ज़ुबैदा! तुम्हें पता है कि आयेशा कहाँ है?” मैंने पूछा।

“वो मुझसे बोली थी कि वो रवि और आर्यन को गुड-बॉय बोल कर आ रही है”, ज़ुबैदा ने जवाब दिया।

“गुड-बॉय करके तो मुझे आधा घंटा हो गया”, रवि ने कहा। इतने मैं आयेशा और आर्यन हँसते हुए आ गये। “हरामी साले, लगता है कि तेरा चुदाई से जी नहीं भरा अभी तक?” रूही ने आर्यन को धीरे से एक थप्पड़ लगाते हुए कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“ओह मम्मी! मैं आयेशा को कुछ दे रहा था जिससे वो मुझे याद रखे”, आर्यन ने शर्माते हुए कहा।

“कहीं देने के चक्कर में इसे प्रेगनेंट तो नहीं कर दिया… जिससे ये तुम्हें ज़िंदगी भर याद रखे?” रूही हँसते हुए बोली।

“आर्यन डरो मत! मैं प्रेगनेंट नहीं होऊँगी पर हाँ मैं तुम्हें हर वक्त हर पल याद रखुँगी”, आयेशा ने उसे कहा।

जब हम घर पहुँचे तो मैंने जय से पूछा, “अच्छा बताओ जब रूही यहाँ आयेगी तो तुम किस तरह की पार्टी करना चाहोगे।”

जय कुछ कहता उससे पहले विजय बोल उठा, “मुझे तो कुँवारी चूत चोदने में मज़ा आता है।”

“विजय तुम चुप बैठो। पिछली बार हम तुम्हारी बात मान चुके हैं। अब जय की बारी है।” मैंने जवाब दिया।

“और हमारा क्या, तुम हमसे नहीं जानना चाहोगे कि हमें क्या पसंद है?” राम और श्याम साथ-साथ बोले।

“नहीं! मैं जरूरी नहीं समझता!” मैंने थोड़ा गुस्से में कहा।
“दीदी! तुम ही जीजाजी को समझाओ ना।”

प्रीती हँसते हुए बोली, “तुम लोग सुनील का बुरा मत मानो। ये मज़ाक कर रहा है। आखिर जय और विजय इस घर के दामाद हैं, इसलिये उनका स्थान पहले है।”

“तो क्या हुआ? हम भी तो इनके साले हैं।” वो कहावत भूल गयी क्या, “सारी खुदाई एक तरफ जोरू का भाई एक तरफ?” राम ने कहा।

“हाँ तुम दोनों ठीक कह रहे हो। मैं तो मज़ाक कर रहा था। ऐसा है पहले जय की पसंद देख लेते हैं, फिर तुम दोनों की”, मैंने कहा।

“मेरा तो सपना है कि एक माँ की चुदाई उसकी बेटी के साथ करूँ!” जय ने कहा।

“अच्छा सपना है… मैं भी यही ख्वाहिश रखता हूँ”, राम ने कहा।

“और मैं तो विजय की तरह किसी कुँवारी चूत को चोदना चाहुँगा।”

थोड़ी देर सोचने के बाद मैं बोला, “ठीक है! मैं सब इंतज़ाम कर लूँगा। मैं एक जोड़ी माँ बेटी की भी ले आऊँगा जिसे तुम लोगों ने नहीं चोदा होगा।”

आगले दो दिन मैं अपने बचे हुए काम पूरा करने में लगा हुआ था। तीसरे दिन आयेशा ने मुझसे कहा, “सर मैंने सुना ही कि शनिवार की रात को आपके यहाँ एक पार्टी है?”

“हाँ है!” मैंने जवाब दिया, “किसने बताया तुम्हें।” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“विजय ने!” आयेशा ने कहा, “क्या मुझे नहीं बुलायेंगे?”

“नहीं मैं तुम्हें नहीं बुला सकता क्योंकि ये सिर्फ़ माँ-बेटी की पार्टी है”, मैंने जवाब दिया।

मेरी बात सुनकर वो उदास हो गयी। मैंने उसे अपने पास खींचा और कहा, “आयेशा समझने की कोशिश करो… वैसे भी तुम्हारी चुदाई तो होती रहती है।”

“कहाँ होती है… देखिये ना”, कहकर उसने मेरा हाथ अपनी चूत पे रख दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।

“आयेशा, मेरी जान! पार्टी के अलावा जो तुम कहो मैं करने को तैयार हूँ”, मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा।

“आप सच कह रहे हैं? मुकर तो नहीं जायेंगे?” उसने मेरे होंठों को अपने होंठों के बीच लेते हुए कहा।

“ना नहीं कहुँगा, तुम कह कर तो देखो।”

“तो आज पूरा दिन मुझे इस सोफ़े पर चोदते रहिये!” आयेशा ने कहा।

“मेरा बहुत काम पेंडिंग पड़ा है… इसलिये पूरा दिन तो नहीं, हाँ! दो बार तुम्हारी चुदाई करूँगा और फिर तुम छुट्टी लेकर विजय और दूसरों से चुदवाने जा सकती हो”, मैंने कहा।

“ठीक है, जब आपकी यही मरज़ी है तो…” उसने थोड़ा निराश होते हुए कहा।

जब मैं दूसरी बार उसकी चूत में अपना लंड डाल रहा था उसी वक्त फोन कि घंटी बजी। मैं फोन उठाना चाहता था पर आयेशा ने मुझे रोक दिया।

“डार्लिंग! जरूरी फोन भी हो सकता है”, मैंने कहा।

“इस समय मेरी चूत से जरूरी कोई काम नहीं है! बस मुझे इसी तरह चोदते जाइये”, आयेशा ने अपने कुल्हे उछालते हुए कहा, “हाँ सर! इसी तरह जोर से अपना लंड घुसाते रहिये।” फोन दो चार बार बज कर बंद हो गया।

ऑफिस के दरवाजे पर हल्की सी दस्तक हुई और नसरीन ऑफिस में आ गयी। “सर! आपको डिस्टर्ब करने के लिये माफी चाहती हूँ पर एम-डी आपको अर्जेंटली बुला रहे हैं।”

“कह दो कि ये नहीं आ सकते”, आयेशा ने झल्लाते हुए कहा, “तुम देख नहीं सकती कि ये बीज़ी हैं।”

“नहीं नसरीन! तुम ये मत कहना। कहना कि जैसे ही मुझे काम से फ़ुर्सत मिलेगी मैं आ जाऊँगा”, मैंने कहा। फिर मैंने आयेशा से कहा, “क्या तुम चाहती हो कि मैं अपनी नौकरी से हाथ धो बैठूँ?” बदले में वो शरारत से मुस्कुरा पड़ी।

थोड़ी देर में एम-डी मेरे केबिन में आया। “मुझे पहले ही समझ जाना चाहिये था कि तुम चुदाई में व्यस्त हो, इसलिये समय नहीं मिल रहा”, एम-डी हँसा, “सुनील! मुझे मिस्टर खोसला के साथ हुई तुम्हारी मीटिंग की डिटेल्स चाहिये।”

“क्या आपने वो रिपोर्ट देखी नहीं?” मैं चौंक पड़ा था। फिर आयेशा की ओर देखते हुए मैंने पूछा, “मैंने तुम्हें मिस्टर खोसला की रिपोर्ट डिकटेट करायी थी, वो कहाँ है?”

“अगर आपने डिकटेट करायी होती तो मैं उसे टाईप ना कर देती। मैं अपने काम में पूरी तरह पाबंद हूँ”, आयेशा अपनी बात पे जोर देती हुई बोली।

करीब दस मिनट के बाद एम-डी ने कहा, “नसरीन इसकी डेस्क पूरी तरह देख चुकी है… वो वहाँ नहीं है।”

“आयेशा! ये तुमने क्या किया, जरा अपने दिमाग पे जोर दो”, मैंने फिर कहा।

“मैं कैसे सोचूँ… जब एक लंड मेरी चूत को इतनी जोर से चोदे जा रहा है”, आयेशा ने शिकायत की।

“आयेशा या तो अपने दिमाग पे जोर दो नहीं तो मैं तुम्हारी चूत को चोदना बंद कर दूँगा”, मैंने उसे धमकाते हुए कहा।

“नहीं सर! ऐसा मत करना, मुझे याद आ रहा है… मैंने वो रिपोर्ट मीना मैडम को दी थी”, आयेशा ने कहा।

“सर आपको तकलीफ हुई… उसके लिये माफी चाहता हूँ”, मैंने एम-डी से कहा।

“मिस्टर खोसला दो बजे ऑफिस आने वाले हैं, कांट्रैक्ट साइन करने कि लिये, मैं चाहता हूँ कि उस समय तुम भी वहाँ मौजूद रहो”, एम-डी ने कहा और केबिन के बाहर चले गये।

शनिवार कि सुबह ही रूही, फातिमा और आर्यन के साथ मेरे घर पहुँच गयी। एक दूसरे को नमस्ते करने के बाद आर्यन ने लड़कियों को अपनी बाँहों में ले लिया, “आओ मैं तुम्हें बताता हूँ कि तुम लोग पूरे हफ़्ते क्या मिस करती रही हो।” हँसते और खिलखिलाते हुए वो लड़कियाँ आर्यन को बेडरूम में घसीट के ले गयीं।

लड़के भी पीछे नहीं थे। “फ़ातिमा खाने से पहले क्या तुम एक स्पेशल कॉकटेल पीना पसंद करोगी जिसमें हमारे लंड का पानी मिला हो?” उन्होंने दूसरे बेडरूम की ओर इशारा करते हुए कहा। “हाँ फिर तो मज़ा आ जायेगा”, फातिमा चहकते हुए बोली।

“आर्यन को तो अब एक ही शौक रह गया है, चोदना, चोदना और सिर्फ़ चोदना। जबसे तुम लोग गये हो, आबिदा और सलमा, दोनों रात में उसके साथ सोती हैं। वो रात को तो उनको चोदता ही है पर दिन में जब भी मौका मिलता है अपना लंड उनकी चूत में पेल देता है”, रूही ने आर्यन की ओर देखते हुए कहा।

“मज़े करने दो उसे! क्या शुक्रवार को सायरा आयी थी?” प्रीती ने पूछा।

“हाँ आयी थी। आर्यन उसका इंतज़ार कर रहा था और जैसे ही वो आयी उसे अपने कमरे में ले गया। वो शाम को घर जाने के समय ही बाहर आयी”, रूही ने हँसते हुए जवाब दिया।

“फिर उसके काम का क्या हुआ?” प्रीती ने पूछा।

“मैं ये बर्दाश्त नहीं करती कि काम बाकी पड़ा रहे। उसका काम आबिदा और सलमा को करना पड़ा”, रूही ने जवाब दिया।

“क्या उन्हें बुरा नहीं लगा?” प्रीती ने पूछा।

“नहीं… वो दोनों आर्यन से बहुत मोहब्बत करती हैं। आबिदा से तो मुझे ये भी पता चला कि सायरा की तीन छोटी बहनें हैं। और जब वो बड़ी हो जायेंगी तो सायरा पहली बार आर्यन से ही उनकी चुदाई करवायेगी”, रूही ने जवाब दिया।

“क्यों ना खाने के पहले ड्रिंक्स और थोड़ी चुदाई कर ली जाये?” मैंने रूही से पूछा।

“मुझे तो लग रहा था कि तुम पूछोगे ही नहीं”, रूही हँसते हुए बोली।

जब हम रूही की चुदाई कर चुके थे तो रूही ने पूछा, “क्या तुम्हारे एम-डी आ रहे हैं?”

“हाँ! वो आ रहे हैं। मैंने उन्हें तुम्हारे बारे में बताया था। वो तुम्हें चोदने की फ़िराक में है”, मैंने जवाब दिया।

“अगर वो तुम्हें चोदे तो तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा?” प्रीती ने पूछा।

“नहीं! बुरा क्यों लगेगा? मैं तुम्हारे एम-डी को बरसों से जानती हूँ। वो कई सालों से मेरे पीछे पड़ा हुआ है। जब भी मैं अपने शौहर के साथ क्लब में उससे मिलती तो वो मुझे छेड़ने से बाज़ नहीं आता था। पर अब जब कि मैं बेवा हो चुकी हूँ तो मैं भी उससे चुदवाना चाहुँगी”, रूही ने जवाब दिया।

“उससे चुदवाकर तुम्हें पछतावा नहीं होगा। एम-डी जानता है कि औरतों को खुश कैसे किया जाता है”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।

“उम्मीद है ऐसा ही होगा! उसे चुदाई की काफी प्रैक्टिस है”, रूही बोली।

पार्टी रात को सात बजे शुरू होने वाली थी। साढ़े छः बजे दरवाजे की घंटी बजी। “इस समय कौन हो सकता है?” प्रीती ने पूछा।

“आयेशा ही होगी!” मैंने जवाब दिया।

“मैंने तो सोचा था कि तुम उसे नहीं बुलाने वाले हो!” प्रीती ने कहा।

“पहले मैं उसे नहीं बुलाना चाहता था। पर जो खेल आज की रात के लिये मेरे दिमाग में है, उसके लिये एक लड़की कम पड़ रही थी… सो मैंने उसे बुला लिया”, मैंने प्रीती को समझाया।

“कैसा खेल?” रूही ने उत्सुक्त में पूछा।

“उसके लिये तुम्हें थोड़ा इंतज़ार करना होगा”, मैंने आयेशा को अंदर लेते हुए कहा।

हमेशा की तरह आयेशा बहुत ही सुंदर लग रही थी। उसने बहुत ही अच्छा मेक-अप किया हुआ था और आसमानी नीले रंग का बहुत ही सैक्सी सलवार-कमीज़ और उससे मैचिंग सफ़ेद रंग के हाई-हील के सैंडल पहन रखे थे। “आओ आयेशा! तुम्हारा स्वागत है”, प्रीती ने कहा। “मेरे करीब तो आओ जरा ताकि मैं तुम्हें अच्छी तरह निहार सकूँ।”

एक प्यारी मुस्कान के साथ आयेशा प्रीती के सामने एक मॉडल की तरह खड़ी हो गयी। “बहुत सुंदर लग रही हो… एक दम किसी अप्सरा की तरह”, प्रीती ने उसे गले लगाते हुए कहा, “लेकिन तुम्हारी आँखें सुर्ख क्यों हैं, क्या तुम रोती रही हो?”

उसकी आँखों में तुरंत ही आँसू आ गये और उसने गर्दन हिला दी, “हाँ!”

“क्या हुआ…? बताओ मुझे”, प्रीती ने पूछा।

“उन्हें सब मालूम पड़ गया है! ऑफिस में क्या होता है और आपके घर पर क्या-क्या होता है”, उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे।

“ओह गॉड! फिर तो तुम्हारे अब्बा ने जमकर डाँट लगायी होगी तुम्हें?” मैंने कहा।

“हाँ! उन्होंने जरूर मेरी ठुकाई की होती अगर अम्मी ने उन्हें रोक ना दिया होता”, आयेशा ने नज़रें झुकाते हुए कहा।

“तुम्हारी अम्मी ने उन्हें रोका???” मैं आगे कहना चाहता था कि आयेशा हँस पड़ी, “सर! ये मगरमछी आँसू थे। पर ये सच है कि उन्हें सब पता चल गया है।”

“आयेशा थोड़ा सीरियस होकर सब सच-सच बताओ”, मैं थोड़ा जोर से बोला।

“सर! जब मैंने अब्बा से आज की रात को आने के लिये उनकी इजाज़त चाही तो वो मुझ पर बरस पड़े। कहने लगे कि वो सब जानते हैं कि वहाँ ऑफिस में और आपके घर पर क्या होता है।”

“वो इतना गुस्से में थे कि फिर अम्मी को बीच में आना पड़ा और उन्होंने सब उन्हें शुरू से बता दिया।”

“पर तुम्हारी अम्मी को कैसे पता चला?” प्रीती ने पूछा।

“जब एक महीने मुझे महावारी नहीं हुई थी तो उन्हें शक हो गया था। तब मैंने अम्मी से कहा था कि वो सच कह रही हैं, और मैंने उन्हें बताया कि कैसे प्रीती जी ने मेरा खयाल रखा था। तब अम्मी ने मुझसे कहा कि जो हो चुका है वो वापस नहीं आ सकता… बस मैं एक बात का खयाल रखूँ कि घर की बदनामी ना हो।”

“बस फ़िर क्या था… मैं तुरंत तैयार हुई और यहाँ चली आयी। सॉरी मैं थोड़ा जल्दी ही आ गयी।” आयेशा ने अपनी कहानी पूरी करते हुए कहा।

हम लोग बातों को और आगे बढ़ाते कि दरवाजे की घंटी बजी। “रुको मैं देखता हूँ”, कहकर मैं दरवाजे की ओर बढ़ा।

जैसे ही मैंने दरवाजा खोला मैंने रूही को प्रीती से कहते सुना, “मैं अभी दो मिनट में आती हूँ।”

मैं एम-डी और उनके परिवार को अंदर लेकर आ गया। साथ ही अनिता और मीना भी आ गये। इस तरह सभी मेहमान आ चुके थे। आपस में परिचय और स्वागत के बाद एम-डी ने मुझसे पूछा, “सुनील! रूही कहाँ है?”

“हाय सुनीलू! मैं तुम्हारे पीछे खड़ी हूँ”, रूही ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!

“हाय रूही मेरी जान!” एम-डी ने उसे गले लगाते हुए कह।, “तुम पहले से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत और जवान लग रही हो।”

“तुम पहले से जरूर थोड़े उम्र में बड़े लग रहे हो पर आज भी कोई भी औरत तुम्हारी ख्वाहिश कर सकती है”, रूही ने जवाब दिया।

“दोस्तों! इससे पहले कि हम बातचीत का दौर आगे बढ़ायें, क्यों ना हम सब अपने कपड़े उतार कर एक दूसरे से घुल मिल जायें”, मैंने घोषणा करते हुए कहा।

सब लोग अपने कपड़े उतार कर नंगे हो गये और ड्रिंक्स पीते हुए आपस में बातें करने लगे। औरतों ने सिर्फ अपने ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे।

रूही के नंगे बदन को अपनी गिरफ़्त में लेकर एम-डी ने उसके मम्मों को मसल दिया। “रूही! आज मैं तुम्हें दिल भर के चोदूँगा। याद है मैंने तुमसे कहा था कि एक दिन मैं तुम्हें जरूर चोदूँगा।”

“उन दिनों का तो मुझे पता नहीं कि तुम मुझे चोद पाते कि नहीं… हाँ! आज जब मैं बेवा हो गयी हूँ तो जिससे मेरा मन करे उससे चुदवा सकती हूँ”, कहकर रूही ने जोर से एम-डी के खड़े लंड को भींच दिया, “आज मैं तुम्हारे लंड से एक-एक बूँद निचोड़ लूँगी।”

“सुनील कह रहा था कि तुम्हारी चूत काफी कसी हुई और गरम है!” एम-डी ने उसके मम्मों को मसलते हुए कहा।

“चोद कर खुद देख लो!” रूही हँसते हुए उसके लंड को और रगड़ने लगी।

“रूही! क्या तुम उस लड़की को जानती हो जो आयेशा से बात कर रही है?” एम-डी ने पूछा।

“वो मेरी बेटी फातिमा है”, रूही ने जवाब दिया।

“क्या उसकी भी चूत तुम्हारी चूत की तरह गरम है?” एम-डी ने पूछा।

“उसकी भी चूत को चोद के देख लो…” रूही ने हँसते हुए जवाब दिया।

“हाँ! मैं चोद के जरूर देखूँगा। लेकिन पहले तुम्हारी चूत को और फिर तुम्हारी बेटी की चूत को”, एम-डी जोर-जोर से उसकी चूचियों को मसलते हुए कहा।

“फातिमा! जरा यहाँ तो आना”, रूही ने आवाज़ लगायी। फातिमा अब तक काफी शराब पी चुकी थी और ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में लड़खड़ाती उनके पास आयी। रूही ने उसका परिचय कराया, “इनसे मिलो! ये हमारे परिवार के पुराने जान पहचान वालों में से हैं और तुम्हारी सहेली रजनी के अंकल भी… मिस्टर सुनीलू।”

“सलाम सर!” फातिमा ने थोड़ा सा सर झुका कर उसे सलाम किया।

“मेरे पास आओ!” एम-डी ने कहा, “जरा तुम्हारे बदन की गरमाहट को महसूस करने दो।” फिर एम-डी ने फातिमा की चूचियों को जोर से मसलते हुए कहा, “तुम्हारी चूचियाँ कितनी भरी भरी हैं। लगता है कि तुम्हें चोद कर मुझे काफी आनंद आयेगा।”

“उम्मीद करती हूँ कि आपके लंड में इतना पानी हो कि वो हम दोनों की चूत कि प्यास बुझा सके”, कहकर फातिमा ने एम-डी के लंड को जोर से मसल दिया।

“प्लीज़ सब लोग मेरी बात पर ध्यान दें…” मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा, “आज की पार्टी का थीम है माँ-बेटी। पहले मैं आप सबसे उन चूतों का परिचय करा दूँ जो आज की रात माँ-बेटी की जोड़ी बन कर आयी हैं। पहली जोड़ी है मिली और टीना की!” कमरे में जोर की ताली बजने लगी।

“दूसरी जोड़ी है योगिता और रजनी की, तीसरी है अनिता और मीना की, और आखिरी है रूही और फातिमा की। उसके बाद हमारे बीच हैं, दो सगी बहनें, अंजू और मंजू और उनका साथ दे रही हैं मेरे सालों की बीवियाँ सिमरन और साक्षी। और आखिर में है मेरी बीवी प्रीती और और सुंदर आयेशा। प्लीज़ सब इनका जोर से ताली बजा कर स्वागत करें।”

कमरे में जोर की तालियों की गड़गड़ाहट गूँज पड़ी। शराब पानी की तरह पी जा रही थी और सब नशे और मस्ती में चूर थे। “आज की रात हम एक खेल खेलेंगे। हर मर्द अपने पसंद की जोड़ी चुनेगा। वो जोड़ी को अदल-बदल नहीं कर सकता”, मैंने कहा।

“मैं रूही और फातिमा को चुनता हूँ!” एम-डी थोड़े उतावले स्वर में बोला।

“सर! आप थोड़ा सब्र कीजिये। आपकी बारी बाद में आयेगी। पहली बारी जय की है। माँ -बेटी की जोड़ी को इस पार्टी में बुलाया जाये, ये सुझाव उसका था और इसलिये पहला हक उसका बनता है। जय के चुनने के बाद उम्र को महत्व दिया जायेगा। जय तुम किसे चुनना चाहोगे?” मैंने कहा।

“एम-डी को अपनी पसंद लेने दो! मैं अनिता और मीना को चुनता हूँ”, जय ने उन दोनों को अपनी बाँहों में भरते हुए कहा।

एम-डी के बाद मैं ही उम्र में बड़ा था। सो मैंने मिली और टीना को अपनी बाँहों में भर लिया। उसके बाद पसंद चलती रही और परिणाम ये था कि राम ने योगिता और रजनी को चुना। श्याम ने अंजू और मंजू दोनों बहनों को। विजय ने अपने आपको सिमरन और साक्षी के साथ कर लिया। आर्यन अपनी पुरानी दो प्रेमिकाओं, प्रीती और आयेशा को पाकर खुश था।

“सुनील तुमने ये नहीं बताया कि खेल क्या है?” अनिता ने जय के लंड को अपने ग्लास में डालकर शराब में नहलाते हुए पूछा।

मेरे लिविंग रूम के कोने में बने बार की तरफ इशारा कर मैंने कहा, “जो भी चाहे बार से ड्रिंक ले सकता है। जी भर कर पीजिये और मैं खेल और उसके नियम आप सबको १५ मिनट बाद बताऊँगा। सो प्लीज़ आप सब इंजॉय करें और १५ मिनट का इंतज़ार।” Hindi Sex Stories

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