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मैं अपने माँ पापा की इकलौती संतान हूँ, मेरे पापा का गांव में खुद का बहुत बड़ा बिज़नस है और मेरे चाचा का भी शहर में बिज़नस था जिसे चाचा और चाची दोनों मिलकर संभालते हैं। मेरे चाचा चाची की कोई संतान नहीं है तो वो दोनों भी मुझे अपनी बेटी की तरह ही प्यार करते हैं। अकेली संतान होने से मेरी परवरिश बहुत ही लाड प्यार से हुई थी, किसी बात की पाबंदी नहीं थी। कॉलेज लाइफ में भी मैं एकदम बिंदास थी और मेरे 1-2 अफेयर्स भी हुए थे।
मेरी हाइट 5’4″ है, रंग गोरा है, आँखें नशीली हैं, गुलाबी उभरे हुए गाल है, मखमली होंठ है, मेरे बाल लंबे हैं, लंबी नुकीली नाक है, छाती 34 की कमर 28 और नितम्ब 35 के हैं।
मैं अपनी कमर में एक चांदी की चैन पहनती हूँ, पैरों में पायल और नाक में छोटी सी नथ पहनती हूँ।
हाल ही में मैंने अपने बारहवीं के एग्जाम दिए थे और आगे बहुत लंबी छुट्टी थी। अप्रैल महीना ख़त्म होने को था, और अपने चाचा के पास शहर में जाने के लिए तैयारी कर रही थी। हर बार की तरह इस बार भी मैं स्कूल की छुट्टियों में अपने चाचा के यहाँ जा रही थी।
मेरे चाचा का शहर से बाहर बहुत बड़ा घर था जिसमें जिम, स्विमिंग पूल सब सुविधा है, मुझे वहाँ रहना बहुत अच्छा लगता है।
मैं सुबह ट्रेन से निकली और रात को अपने चाचा के घर पहुँच गई। हर बार की तरह चाचा और चाची ने मेरा स्वागत किया, मुझे शहर घुमाया और बहुत सारी शॉपिंग भी कराई। मैं और चाची पार्लर में भी जाकर आये और वैक्सिंग, फेशीयल, पेडीक्योर करवाया.
चार पांच दिन के बाद मेरे चाचा और चाची को बिज़नस के सिलसिले में अचानक देश के बाहर जाना पड़ा। मैं घर में अकेली कैसे रहूंगी, उनको चिंता होने लगी थी। पर मैंने उनको विश्वास दिलाया कि बस 2 दिन की ही तो बात है। मैं अकेली रह लूंगी, तो वो जाने को तैयार हो गए।
वो बुधवार को सुबह के प्लेन से निकल गए। उनके जाने के बाद मैंने गार्डन में थोड़ी देर वक्त गुजारा, फिर थोड़ी देर किताब पढ़ी, टीवी देखा। फिर खाना खाने के बाद अपने चाची की साड़ी
पहन कर देखी, पर मेरा मन किसी में भी नहीं लग रहा था।
फिर मैंने सोचा क्यों न एक फिल्म देखी जाए तो मैं फट से रेडी होके थिएटर पहुंची। दोपहर के चार बजे का शो था। एक तो बुधवार ऊपर से फिल्म इंग्लिश में थी, इसलिए भीड़ बहुत कम थी।
मुश्किल से 10% सीट्स ही भरी थी। उनमें भी दो कपल्स थे जो आगे की कॉर्नर सीट पर चले गए। मैं अकेली एकदम लास्ट के लाइन में बैठ गई।
मैंने उस दिन घुटनों तक लॉन्ग स्कर्ट पहनी थी और ऊपर एक स्लीवलेस लूज़ टीशर्ट पहनी हुई थी। मैं फिल्म देखने लगी।
दोनों कपल्स अपने काम में व्यस्त थे।
आधे घंटे के बाद दो लोग मुझे मेरी ओर आते हुए दिखे। मैं थोड़ा डर गई पर चेहरे पर कुछ महसूस नहीं होने दिया।
फिर एक अजीब बात हुई, वो दोनों में से एक मेरी दाई साइड में तो दूसरा मेरी बाई साइड मैं बैठ गया। मैं तो अंदर से बहुत डरी हुई थी। मेरे मन में ख्याल आया कि झट से उठ कर बाहर चली
जाऊँ लेकिन सोचा पब्लिक प्लेस में वो कुछ गलत नहीं कर सकते।
तो मैं फिल्म देखने लग गई।
दोनों दिखने में अच्छे थे, बॉडी बिल्डर लगते थे। लगभग 35-40 के आसपास दोनों की उम्र होगी, दोनों ने जीन्स और टीशर्ट पहनी हुई थी।
मैं बिना डरे अपने दोनों हाथ कुर्सी पे रख कर बैठी।
थोड़ी देर के बाद दाईं तरफ मेरे हाथ पर किसी ने हाथ रखा। मेरी तो जैसे सांस ही रुक गई।
‘ओह सॉरी…’ उस अंकल ने कहा और अपना हाथ मेरे हाथ पर से हटा दिया।
‘इट्स ओके!’ मैंने कहा, मैं ना डरने का नाटक कर रही थी पर अंदर से बहुत डरी हुई थी।
थोड़ी देर बाद फिर से उसका हाथ मेरे हाथ से टच हुआ। पर इस बार उन्होंने अपना हाथ पीछे नहीं लिया और वैसे ही रहने दिया। मेरी साँस बहुत तेज चल रही थी। और हाथ को पसीना भी आ रहा
था, पर मैं न डरने का नाटक करती रही।
मेरी और से कुछ रिस्पांस न पाकर फिर उस अंकल ने अपना पूरा हाथ मेरे हाथ से सटा लिया और अपना हाथ मेरे हाथ पे हल्के से घिसने लगे।
थोड़ी देर बाद मुझे मेरे दूसरे हाथ पर भी किसी के हाथ का टच महसूस हुआ। शायद दोनों ने इशारों से एक दूसरे को बताया होगा।
मुझे बहुत अजीब लग रहा था, दोनों मेरे चाचा की उम्र के थे और मेरे साथ अजीब हरकत कर रहे थे।
फिर दाईं तरफ बैठे अंकल ने अपना बायाँ हाथ उठाया और मेरे कुर्सी के पीछे वाले हिस्से पे रख लिया, फिर धीरे से मेरे बायें कंधे को टच किया।
तेज डर की एक लहर मेरे दिमाग से मेरे पैरों तक दौड़ गई।
इतने में फिल्म का इंटरवल हुआ और वो दोनों अंकल उठ के बाहर चले गए, मुझसे सदमे से उठा भी नहीं जा रहा था।
ऐसा नहीं की किसी ने मुझे पहले टच नहीं किया था। पर दो अंजान लोगों के साथ किसी अनजान जगह पर मेरे साथ लाइफ में पहली बार हो रहा था।
मैंने थिएटर में नजर दौड़ाई तो सिर्फ दो कपल ही थे, वो भी किसिंग में बिजी थे। मैंने भी अपने बॉयफ्रेंड के साथ बहुत दिन हुए सेक्स नहीं किया था तो मेरे मन में भी हलचल पैदा होने लगी थी।
‘चल नीतू घर चल!’ मेरा दिल मुझे बोलता।
‘रुक जा नीतू, पब्लिक प्लेस है। वो दोनों थोड़े ही तुझे नुकसान पहुँचाएंगे। थोड़े मजे ले ले!’ तभी दूसरा मन कहता।
इतने में इंटरवल खत्म हो गया और लाइट बुझ गई।
थोड़ी देर बाद एक अंकल अंदर आये और मुझे चेक किया। मैं वहीं बैठी हूँ, जान कर फिर बाहर गये और दो मिनट बाद दोनों वापस आये और पहली वाली जगह पर बैठ गए।
मेरे रुकने से उनकी हिम्मत बढ़ गई थी और अपनी जगह बैठते ही दोनों ने अपने अपने हाथ मेरे हाथों पे रखे और सहलाने लगे।
मैं जरूर अपनी मर्जी से रुकी थी लेकिन मेरे होंठ अब सूखने लगे थे, मेरे मन में अजीब सी उथल पुथल हो रही थी, मुझे देखना था कि वो दोनों और कितने आगे बढ़ सकते हैं।
फिर एक बार दाईं साइड में बैठे हुए अंकल ने अपना हाथ कुर्सी के पीछे से मेरे बाये कंधे के पास रखा और फिर मेरे स्लीवलेस कंधे को टच करने लगे। थोड़ी देर बाद वो अपना पूरा हाथ मेरे कंधे पर रखा, उनका मर्दाना हाथ मेरे नाजुक कंधे को दबोच रहा था, सहला रहा था।
बाईं साइड के अंकल ने भी हिम्मत करके अपना दायाँ हाथ मेरे हाथ से उठाकर मेरे जांघ पर रखा और हल्का सा दबा दिया।
मुझे यों लगा कि मेरे पैरों से जान निकल गई हो.
फिर वो धीरे धीरे मेरे जांघ को मेरे स्कर्ट के ऊपर से सहलाने लगे। मेरे दूसरी साइड में बैठे हुए अंकल भी कहाँ पीछे रहने वाले थे, उन्होंने भी अपना हाथ मेरे कंधे से सरका कर मेरे दाईं चूची पर रख दिया और हल्के से दबा दिया।
मेरे मुंह से ‘आहह…’ निकल गई, जिंदगी में पहली बार मुझसे दुगने उम्र वाला आदमी मेरी चूची दबा रहा था। मेरे निप्पल अब खड़े होने लगे थे। वो अब मेरे निप्पल कपड़ों के ऊपर से फील कर सकते थे।
उसने मेरे निप्पल को अपने अंगूठे से छेड़ा। मैंने उत्तेजना में अपने दोनों हाथों से जोर से कुर्सी को पकड़ लिया और अपनी आँखें बंद कर ली।
उनका मेरे बदन को सहलाना बदस्तूर जारी था।
थोड़ी देर बाद उन्होंने अपना हाथ मेरे टीशर्ट के गले से अंदर घुसा कर ब्रा के अंदर डाल दिया और मेरी कड़क चूची को दबाने लगे। उधर दूसरे अंकल मेरी दोनों जांघों को सहला रहे थे, कभी कभी उनका हाथ मेरी चुत के बहुत नजदीक चला जाता।
मेरी साँस तेजी से चलने लगी थी और मेरी चुत अब गीली होने लगी थी।
फिर दायें वाले अंकल ने अपना दूसरा हाथ कपड़ों के ऊपर से ही मेरी चूची पर रख दिया, अब वो दोनों हाथ से मेरी दोनों चूची को दबा रहे थे।
तो दूसरे अंकल ने भी अपना हाथ नीचे से मेरी टीशर्ट के अंदर डाल दिया और मेरा पेट को सहलाने लगे।
मैं जैसे आसमान में उड़ने लगी थी, मैंने अपना सर पीछे चेयर पे टिका कर आँखें बंद करके मजा लेने लगी थी।
दाईं तरफ बैठे अंकल ने भी अपना हाथ नीचे से मेरी टीशर्ट में ब्रा के अंदर डाल दिया और वो मेरी दोनों चूचियों को एक साथ सहलाने लगे। वो कभी मेरी चूची को दबाते कभी मेरे निप्पल को उंगली से छेड़ते।
तभी दूसरे अंकल ने मेरा पैर पकड़ के सामने वाले कुर्सी पे रखा और धीरे धीरे मेरी पूरी टांग को सहला रहे थे।
मुझे इस स्पेशल ट्रीटमेंट पर बहुत मजा आ रहा था।
फिर अंकल अपना हाथ मेरे घुटनों तक ले गए और मेरे स्कर्ट को धीरे धीरे ऊपर सरकने लगे। उन्होंने स्कर्ट ऊपर सरका दी और मेरी नंगी जाँघों पर हाथ घुमाने लगे। फिर धीरे धीरे उन्होंने मेरा स्कर्ट जांघों में ऊपर चूत तक ऊपर सरका दिया तो मेरी जांघें फिल्म की हल्की रोशनी से चमकने लगी।
दाईं तरफ के अंकल ने भी अपना हाथ मेरी टीशर्ट से निकाल दिया और मेरी नंगी जांघ को सहलाने लगे।
अब आलम यह था कि वो दोनों अंकल लगभग खाली थिएटर में एक हाथ से मेरी नंगी जांघें सहला रहे थे और दूसरे हाथ से मेरी एक एक चूची पकड़ के सहला रहे थे।
मेरे दिमाग ने अब काम करना बंद कर दिया था, वासना अब मुझ पे हावी होने लगी थी, वो जो करना चाहते थे, मैं उन्हें करने दे रही थी।
तभी एक अंकल ने पीछे से हाथ डालकर मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और सामने से मेरी टीशर्ट और ब्रा को मेरे गले तक ऊपर सरका दिया तो मेरी दोनों चूचियाँ दोनों के सामने नंगी हो गई।
मैंने अनजाने में मेरा हाथ उनकी जांघ पर रख दिया। वो दोनों मेरी नंगी चूचियों को देखने में व्यस्त थे।
फिर एक अंकल नीचे झुके और मेरे एक निप्पल को अपने मुंह में लिया, मेरे मुंह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गई।
उधर दूसरे अंकल ने अपनी जीन्स की ज़िप नीचे करके अपना लंड पैंट से बाहर निकाल लिया और मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड पे रखा।
मैंने शॉक से अपनी आँखें खोली तो मुझे मेरा हाथ उनके लंड पे दिखा। मैंने झट से अपना हाथ पीछे खींच लिया और शर्मा कर फिर से अपनी आँखें बंद कर दी। उन्होंने फिर से मेरा हाथ पकड़ के उनके लंड पर रखा। इस बार मैंने अपना हाथ नहीं हटाया, बस लंड के ऊपर रहने दिया।
फिर दाईं तरफ के अंकल ने अपना मुंह मेरे निप्पल से हटा लिया, तो ए सी की ठंडी हवा मेरे गीले निप्पल को छूने लगी। उसकी वजह से मेरे निप्पल और कड़क हो गए।
उन्होंने अपना हाथ मेरे चेहरे पे रखा और मेरा सिर अपनी तरफ घुमाया। वो धीरे धीरे अपने होंठ मेरे होंठों के पास लाने लगे, मुझे मेरे होंठों पे उनकी गर्म साँस महसूस होने लगी।
उनके होंठ मेरे होंठों से छू गये तो मैंने शर्मा के अपना मुंह दूसरी तरफ फेर लिया।
वो मेरे गले को किस करने लगे, धीरे धीरे गाल पे और कान पे किस करने लगे। मैं मजे से मेरे सिर को इधर उधर घुमाने लगी।
उन्होंने फिर अपनी किस रोक दी और अपना लंड अपनी पैंट से बाहर निकाल कर मेरा दूसरा हाथ अपने लंड पर रख दिया।
तभी दूसरे अंकल ने नीचे झुक कर मेरा एक निप्पल को अपने मुंह में लिया और पहले अंकल ने मेरा दूसरा निप्पल अपने मुंह में डाला।
मैंने उत्तेजित होकर उन दोनों के लंड को अपने हाथों में भीच लिया। वो दोनों अपनी अपनी स्पीड से मेरी गोरी चूचियों का रस पी रहे थे। कभी कोई मेरी चूची को चूसता, तो कोई दांतों से हल्के से काटता, तो कोई अपनी जीभ से मेरे निप्पल को छेड़ता।
मैं जैसे वासना के समंदर में गोते खा रही थी, मेरे हाथों की पकड़ उनके लंड पर बढ़ने लगी थी।
तभी एक अंकल ने अपना हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर डालकर मेरी चुत को दबा दिया। मैंने अपना हाथ उनके लंड पर से निकालकर मेरी चुत की तरफ बढ़ रहे हाथ पर रख दिया लेकिन उन्होंने फिर से
मेरा हाथ अपने लंड पर रख दिया, और अपना हाथ मेरी पैंटी के अंदर में डालकर मेरी चुत के दाने को छेड़ने लगे।
तो दूसरे अंकल भी अपनी 2 उंगलियाँ मेरी चुत में डालकर अंदर बाहर करने लगे।
मेरे मुंह से दबी दबी चीत्कार निकलने लगी थी। वो दोनों मेरी एक एक चूची को चूस रहे थे और एक हाथ से मेरी चुत को छेड़ रहे थे। मैं भी जोश मैं अपनी गांड उठा के उनका साथ देने लगी थी।
उनकी हरकतों से मेरी चुत का बांध टूटा और मैं ‘आह… उम्म… हाह’ करके जोर से झड़ गई। मेरी झड़ने की तीव्रता इतनी थी कि जैसे मुझे चक्कर ही आ गया।
दो मिनट बाद मुझे होश आया तो देखा की वो अब भी मेरी चूची चूस रहे थे।
‘ये मैंने क्या कर दिया!’ मैंने अपने आप से कहा। झड़ने के बाद अब वासना की जगह अपराध भावना ने ले ली थी।
‘अब बस हो गया!’ मैंने अपने हाथों से उनके सर को अपनी चूची पे से उठाते हुए कहा।
‘तेरा तो हो गया, हमारा क्या होगा जानेमन!’ एक अंकल ने कहा।
‘थिएटर में इतना ही हो सकता है।’ मैंने अपनी ब्रा का हुक लगाते हुए कहा।
उन्होंने भी मेरी बात को मान लिया और अपने कपड़े ठीक करने लगे। मैंने भी अपने कपड़े ठीक किये।
थोड़ी देर बाद फिल्म खत्म हो गई और हम तीनों थिएटर के बाहर आ गए।
तभी मैंने पहली बार दोनों को रोशनी में ठीक से देखा। दोनों बहुत हैण्डसम लग रहे थे, हाइट लगभग 6 फीट, चौड़ी छाती, मजबूत कंधे… दोनों को देख कर मेरे मन में फिर से हलचल होने लगी थी।
‘तुम्हारा नाम क्या है बेटी?’ एक ने कहा।
‘न… नीतू, नीतू नाम है मेरा!’ मैंने जवाब दिया।
‘मेरा नाम सुनील है, और ये आसिफ है!’ उन्होंने दूसरे अंकल का परिचय कराया।
‘तो नीतू, चलें मेरे घर?’ सुनील अंकल ने कहा।
मैं तो मरी जा रही थी चुदाई को… पर डर भी लग रहा था।
एक तो अंजान लोग, दूसरे अंजान जगह पे जाना… कुछ गलत हो गया तो?
‘नहीं अंकल, मैं आपके साथ नहीं आ सकती!’ मैंने उनसे कहा।
तो वो मुझे समझाने लगे, पर मैं नहीं मानी तो वो नाराज होकर जाने लगे।
मेरा नाम अंकित है। आपने Hindi Porn Stories मेरी कहानी स्वतन्त्रता दिवस तो ज़रूर पढ़ी होगी। उस वक़्त टीना के साथ जो हुआ वो तो हुआ ही लेकिन जैसे-जैसे बंगलौर में दिन बीत रहे थे, मेरी जवानी के नए-नए नखरे भी देखने को मिल रहे थे। मुझे खुद पर ही भरोसा नहीं हो रहा था कि मैं क्या था और क्या हो गया।
खैर, वो तो अब भूली-बिसरी बातें हैं, गड़े मुर्दे उखाड़ने का क्या फायदा? है या नहीं??
तो बात करते हैं टीना के बाद मेरी ज़िन्दगी में आए उस तूफ़ान की जिसने मुझे बीच में ही लाकर खड़ा कर दिया- ना मैं इधर का रहा और ना उधर का !
टीना वाली घटना हुए दो महीने ही बीते थे कि एक दिन मेरे पास एक लड़की फ़ोन कॉल आया, वो लड़की मेरे ऑफिस के ही कैब से आती थी, लेकिन शरीफ बच्चा होने की वजह से उस पर कभी ध्यान नहीं दिया। उसे मेरा नंबर कहाँ से मिला यह तो पता नहीं लेकिन इतना ज़रूर बता सकता हूँ कि मेरे व्यवहार से लड़की बहुत खुश लगती थी।
खैर, मुझे कॉल आया- नाम पूछने पर पता चला कि उसका नाम निशा है और संयोग की बात यह है कि बिना पूछे ही बहुत कुछ पता चल गया। वो मेरे घर के पास में ही रहती थी। देखा तो उसे था ही मैंने लेकिन अब मुझे क्या मालूम कि कौन मेरे बारे में क्या सोच रहा है ! देखने में अच्छी थी और मेरे नज़दीक सिर्फ एक ही बार बैठी थी।
कहानी को थोड़ा पीछे ले जाता हूँ जहाँ मैंने उसको पहली बार देखा था। उसके बाद फोन कॉल की बात से शुरू करूँगा।
हमारे ऑफिस में शनिवार को कैजुअल वीयर पहनते हैं। उस दिन शनिवार होने की वजह से उसने बदन से चिपकी हुई टी-शर्ट पहनी थी। हम ऑफ़िस कैब में थे। उसके बड़े-बड़े स्तन अपना सर उठाये ताज़ी हवा का आनंद लेकर मस्ती में झूल रहे थे। मेरे बगल में बैठे होने के कारण मेरा भी मन जल बिन मछली की माफिक मचल रहा था। चूंकि मैं लड़कियों से ज्यादा बात नहीं करता, अपना सर दूसरी तरफ घुमाये गाने-वाने गा रहा था।
एक नए सहकर्मी को उसके घर से लेना था, उसका घर भी पता नहीं था तो उसके क्षेत्र में जाकर गाड़ी रुक गई। निशा मेरी तरफ मुड़कर पीछे देखने लगी जिससे उसके स्तन मेरे हाथ से सटने लगे। मैं फड़फ़ड़ाने लगा। कुछ देर के बाद जब उसका ऐसा करना कम नहीं हुआ तो मैं भी अपना हाथ धीरे-धीरे उससे सटाने लगा जिससे मुझे अच्छा लग रहा था। जैसे तैसे ऑफिस पहुँच गए। उस दिन उसको ऑफिस-ट्रिप पर ऊटी जाना था। वहां से लौटने के वक़्त ही उसने मुझे कॉल किया था।
तो चूँकि अब फ्लैशबैक ख़त्म हो गया, मैं वर्तमान की बात बताता हूँ।
उसने कॉल किया।
निशा- हेलो !
मैं- हेलो, कौन?
निशा- मेरा नाम निशा है।
मैं- कौन निशा?
निशा- कल ही तो मिले थे।
मैं- कल तो मिले थे लेकिन कहाँ और किससे?
निशा- अच्छा मज़ाक है !(हँसते हुए)
मैं- थैंक्स फॉर द कोम्प्लिमेंट
निशा- वो सब छोड़ो, पहचाना मुझे?
मैं- हाँ पहचान लिया।
निशा- तो बताओ मैं कौन हूँ?
मैं- तुम वही हो जिससे मैं कल मिला था।
निशा- फिर वही मज़ाक….
मैं- चलो जब मज़ाक पसंद नहीं तो तुम कुछ सीरियस हो जाओ और बता दो कि तुम कौन हो?
निशा- मैं तुम्हारे कैब से आती हूँ और तुम्हें मालूम नहीं?
मैं- तुम मेरे कैब से आती हो ये तो पता चल गया लेकिन तुम्हारा नाम क्या है?
निशा- मुझे निशा कहते हैं।
मैं- कौन कहता है? (छेड़ते हुए)
निशा- मेरा नाम निशा है बाबा…
मैं- काफी अच्छा नाम है।
निशा- तुम अच्छे दीखते हो।
मैं- मतलब?
निशा- मतलब बहुत डिसेंट !
मैं- थैंक्स लेकिन यह सब बोलने का मतलब क्या है?
निशा- मैं बहुत दिन से तुम्हें नोटिस कर रही हूँ।
मैं- क्यूँ? मुझमें ऐसी नोटिस करने वाली क्या बात दिखी तुम्हें?
निशा- बस ऐसे ही ! तुम अच्छे दीखते हो इसलिए !
मैं- मेरा नंबर कहाँ से मिला?
निशा- मेरे फ्रेंड से मिला।
मैं- बहुत चालू चीज़ लगती हो।
निशा- क्या हम मिल सकते हैं कभी?
मैं- क्यूँ?
निशा- मुझे कुछ बात करनी है तुमसे।
मैं- तो बताओ क्या बात है?
निशा- नहीं ! पहले मिलो तो बताउंगी !
मैं- ओके ! कब मिलना है?
निशा- कल मिल सकते हैं क्या?
मैं- कहाँ पर?
निशा- मैं तुम्हारे घर पे आ सकती हूँ क्या?
मेरा तो दिमाग ही घूम गया कि इसे मेरा घर भी पता है। बात को टालते हुए पूछा- कहाँ रहती हो तुम?
उसने अपना पता बताया तो मालूम चला कि मेरे घर से 5 मिनट की दूरी पर रहती है और सब बात साफ़ हो गई।
मैं- एक काम करते हैं ! मेरे घर पर तो अभी बहुत लोग हैं, अगर तुम कहो तो क्या हम मेरे दोस्त के यहाँ मिल सकते हैं?
निशा- ठीक है।
मैं- तो एक काम करो, मैंने तो तुम्हें देखा होगा लेकिन कभी ध्यान नहीं दिया। तुम्हें पहचानूँगा कैसे?
निशा- तुम मंदिर के पास आना, मैं कॉल करके बता दूंगी कि मैं कौन हूँ ! (मेरे घर के पास एक मंदिर है)
मैं- ठीक है।
समय निश्चित हुआ। यह बात मैंने अपने दोस्त को बता दी थी।
उसने कहा कि मेरे ऑफिस आकर घर की चाभी ले लेना। मैं दूसरे दिन वहाँ उसकी प्रतीक्षा करने लगा। वो बिलकुल समय पर आ गई और मुझे कॉल किया। मेरे पास ही खड़ी होकर मुझे कॉल कर रही थी। फिर मेरे तो होश ही उड़ गए, एक बला की खूबसूरत लड़की मुझे कॉल करके मुझसे मिलने के लिए मेरे दोस्त के घर चलने तक को तैयार है।
हम दोनों ऑटो में बैठे और दोस्त से चाभी लेकर उसके घर चल दिए। मैंने महसूस किया कि वो कभी कभी मुझे छूने की कोशिश कर रही है। मैं चुप-चाप बैठा हुआ था। कोई रिस्क नहीं लेना चाहता था न इसलिए !
उसने बात करनी शुरू की।
निशा- मैं तुम्हें देखकर समझ गई थी कि तुम एक अच्छे लड़के हो इसलिए मिलना चाह रही थी।
मैं- अगर मैं अच्छा लड़का हूँ तो इसमें मिलने की क्या बात है?
निशा- नहीं, बात कुछ और है।
वो कुछ कसमसा रही थी, मैं उसकी हालत को भाँप रहा था, उसकी सांस तेज़ हो रही थी।
मैं- क्या बात है खुल के बताओ। अगर कुछ ऐसी बात है जो मुझसे कहने में दिक्कत हो रही है तो मैं चेहरा घुमा लेता हूँ। तुमको नहीं देखूंगा, तुम बोल देना।
निशा- ऐसी बात नहीं है अंकित, बताना तो बहुत कुछ चाहती हूँ लेकिन एकदम अकेले में।
मुझे कुछ अजीब सा लगा। एक तो कोई लड़की मुझे कॉल करती है, ऊपर से मिलने को बोलती है और यह कम पड़ गया तो कुछ बात भी करना चाहती है वो भी अकेले में। मैं भी तैयार था।
थोड़ी देर हम दोनों खामोश रहे और गाड़ी में इतनी तेज़ी थी कि सनसनाती हवाओं ने उसकी जुल्फें मेरे चेहरे पे बिखरा दी। उसकी महक ने जैसे मुझ पर जादू सा कर दिया। जिसका असर यह हुआ कि मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया जिसकी भनक न तो उसे हुई और न ही मुझे। यह तो बस खुद से हो गया। जब गाड़ी वाले ने ब्रेक लगाया तो मुझे एहसास हुआ कि वो मेरे कंधे पे सर रख कर आराम फरमा रही है। यह देखकर मुझे तो एक बार हंसी भी आई लेकिन किस्मत का दिया हुआ उपहार समझकर मैंने अपने मन में फूटते हुए लावा पे जैसे गंगाजल डाल दिया।
बस यही सिलसिला चलता रहा और हम दोनों मेरे दोस्त के यहाँ पहुँच गए।
मैंने उसे धीरे से कहा- हम पहुँच गए !
और यह जानकर उसके चेहरे पे एक नायाब सी ख़ुशी फ़ैल गई। मैंने कुछ सिगरेट और एक पेप्सी की बोतल ली। हम ऊपर तीसरी मंजिल पर चले गए जहाँ सिर्फ एक ही कमरा था। वहां कोई नहीं था और संयोग से उस पूरे घर में सिर्फ हम दोनों ही थे। मैंने उससे आराम से बैठने को कहा और टीवी चला दिया। कुछ देर सुस्ता के हम दोनों ने बात करनी शुरू की।
हाँ मैं बताना भूल गया कि उस घर में कोई बेड नहीं था इसलिए हम दोनों नीचे लगे गद्दे पे अगल-बगल बैठे हुए थे।
निशा- अंकित, मुझे बहुत दिन से तुम्हारे बारे में कुछ ख्याल आते हैं।
मैं- कैसे ख्याल?
निशा- बस यही कि अगर हम दोनों दोस्त बन जाएँ तो कैसा रहेगा?
मैंने सर पीट लिया कि यह लड़की सिर्फ इतना कहने के लिए इतने नखरे कर रही थी।
मैं- क्या तुमने इतना बोलने के लिए यह सब किया?
निशा- नहीं अंकित, मुझे गलत मत समझना प्लीज़, लेकिन तुम मुझे अच्छे लगते हो।
मैं- तो क्या इसका मतलब यह है कि तुम मुझसे प्यार करती हो?
निशा- शायद हाँ (हिचकिचाते हुए)
मैं- लेकिन कब से? और कैसे हुआ ये सब? मैंने तो तुमसे कभी बात तक नहीं की है।
निशा- मैं तुम्हें कैब में देखती हूँ, जिस तरह से तुम बिलकुल शांत बैठे रहते हो, गाने गाते रहते हो, मुझे अच्छा लगता है।
मैं- हाँ मैं ज्यादा बात नहीं करता किसी से।
निशा- पता है, मेरी दोस्त भी बोल रही थी।
मैंने उसको थोड़ा समय दिया ताकि वो नोर्मल हो जाए।
बातों ही बातों में कुछ आधा घंटा बीत गया। फिर धीरे से मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींचा। वो बिल्कुल मेरे पास आ गई जिससे उसके सांस की गर्मी मेरे चेहरे को सहलाने लगी। उसने अपना दूसरा हाथ मेरे बालों में डाल दिया। मैं उसकी आँखों में देखने की कोशिश करने लगा। मैं जानना चाहता था कि यह सही है या सिर्फ जिस्म की आग।
उसने अचानक से मासूमियत के साथ मुझे देखा जिससे मुझे अपने आप पर कुछ शर्म जैसी आने लगी। मैंने उसे छोड़ दिया। मैं उसे फिर देखा, वो चेहरा झुकाए दबी सी मुस्कान बिखेर रही थी। मैं खुश हुआ कि उसे कुछ बुरा नहीं लगा। मैं उसे देखता ही रहा। कुछ देर बाद उसने पहल की और मेरे बालों में हाथ फिराकर मुझे चूम लिया, बिल्कुल बच्चों जैसे !
मैं जैसे कुछ बोल ही नहीं पा रहा था, उस लड़की की भावनाओं को समझने की कोशिश में लगा हुआ था। सेक्स तो सबसे अंतिम चरण होता है, मैं उसके साथ कुछ बुरा नहीं करना चाहता था। फिर मैंने उसको एक लम्बा चुम्बन दिया जिससे उसका चेहरा लाल हो गया।
मैंने पूछा,”कैसा लगा?”
वो मेरे से लिपट गई।
निशा- थैंक्स अंकित !
मैं- इट्स ओ के !
निशा- मैं सिर्फ यही कहना चाहती थी कि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, तुम मेरे साथ कुछ भी कर सकते हो।
मैं- कुछ भी मतलब क्या?
निशा- मतलब कुछ भी।
मैं- अगर तुम मुझसे प्यार करती हो तो अपने इस कुछ भी को थोड़ा समय दो और मुझे भी। मैं तुम्हारा साथ देने को तैयार हूँ लेकिन यह सब एकदम अचानक से हो गया जो मैंने सोचा भी नहीं था।
निशा- मुझे माफ़ कर दो अंकित, लेकिन संभालना मुश्किल हो गया था।
मैं- कोई बात नहीं, ऐसा होता है।
फिर हमने कुछ बातें की और उसने मेरी गोद में अपना सर रख दिया। मैं भी इसका अभिवादन किया। उसने कहा, “मुझे आज बहुत अच्छा लग रहा है अंकित ! ऐसा लगता है वक़्त यहीं रुक जाये जिसमें सिर्फ हम दोनों हों !”
निशा- क्या मैं तुम्हें फिर से किस कर सकती हूँ?
मैं- बिलकुल नहीं। (थोड़ी देर बाद) क्यूंकि इस बार मैं तुम्हें किस करूँगा और बाद में तुम संभाल लेना।
उसके बाद तो जैसे मैंने न आव देखा न ताव, टूट पड़ा उस पर !
मैं उसके ऊपर था और उसके शरीर को दबाये हुए उसे चूम रहा था, वो साथ अच्छा दे रही थी।
धीरे-धीरे उसने मुझे अपने ऊपर दबाना शुरू किया जिससे मुझे लगा कि यह सेक्स ही चाहती है।
मैंने भी उसके स्तन पकड़ लिए और दबाना शुरू किया। उसने मेरे जींस के अंदर हाथ डाला और शिकार उसके हाथ में आ गया। मैंने उसकी टॉप धीरे से उठाई और उसके पेट पर हाथ फिराने लगा जिससे उसके बदन से गर्मी और मुँह से आवाज़ निकलने लगी। फिर उसकी नाभि में उंगली घुमाते हुए उसकी ब्रा खोल दी। उसके नग्न स्तन मेरे हाथ में आ गए और मेरा लंड उसके हाथ में ! दोनों एक दूसरे को ऐसे मसल रहे थे जैसे एक शैतान मच्छर को उसका सताया हुआ इन्सान मसलता है।
धीरे-धीरे मैंने उसकी पीठ को सहलाया और उसके चुचूक चूसने लगा। थोड़ी देर बाद वक्ष से होते हुए उसकी नाभि, उसका पेट, उसकी कमर पर भी चूमा चाटी कर ली। फिर ऊपर गया और उसके गले और कान को निशाना बनाया।
इसी दौरान उसकी चूत ने अपना काम कर दिया और उसकी पैंटी गीली हो गई। मैंने उसकी पैंट की ज़िप खोल कर पैंटी के अंदर उंगली डाली और उसकी चूत छूने लगा। वहीं वो मेरे लंड को मसल मसल के उसका भरता बना रही थी। कुछ देर बाद मैंने उसकी पैंट खोली और अपने जींस भी। उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया। इससे पता चला कि उसे बहुत कुछ पता था सेक्स के बारे में। यह सिलसिला थोड़ी देर चला और उसने अपना पानी दूसरी बार छोड़ दिया।
अब मेरा मन उसे चोदने को कर रहा था। मैंने उसको बोला- अब मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ।
तो उसने मुझे चूम लिया और बोली- ठीक है ! और लेट गई।
दिल जीत लिया था उसने मेरा ! मैं भी उसे मायूस नहीं करना चाहता था।
लेकिन दोस्तो, जब साला एक कुत्ता किस्मत पे टांग उठाता है तो भेजे की माँ चुद जाती है।
मेरी भी यही हालत हुई। मैं उसे लगाने वाला ही था कि उसके सेल पे उसके घर से कॉल आ गया कि दस मिनट में घर पहुँच जाओ, कुछ मेहमान आने वाले हैं।
वो भी मना नहीं कर सकती थी और न ही मैं !
हम दोनों ने होश से काम लिया और सेक्स की अपनी चाहत को अगली बार के लिए संजो के रख लिया।
अब इसके बाद क्या हुआ वो मैं आपको अगली कहानी में बताऊंगा।
आपको यह कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताइयेगा। Hindi Porn Stories
ये Antarvasna कहानी उस समय की है जब १२ में आया था हमारे एक नौकरानी थी उसकी २ बेटी थी छोटी बेटी की मस्त थी फ़ीगर देख कर किसी के मुंह में पानी आ जाये.
एक बार वो झाडू बैठ कर लगा रही थी में उसके पीछे से गुजरा और मैने अपना पैर उसके चूतड़ पे छुआ कर निकला वो चौंक गयी लेकिन कुछ नहीं बोली। इस तरह मैं हमेशा करने लगा, मुझे इस बात का डर नहीं लग रहा कि वो मम्मी से कुछ कह देगी।
एक बार सब लोग बाहर थे मैं अंदर रूम में, वो झाडू लगाने आयी मैने उसे पकड़ कर किस करने लगा वो हैरान हो गयी और कहने लगी मैं बता दूंगी मैने उसके मुंह में अपनी थूक डाल दी और उसके लिप चूसने लगा फिर मैने एक हाथ से उसके बूब्स छुआ और कसके दबाने लगा तभि किसी के अंदर आने की आवाज आयी मैने उसे छोड़ दिया।
फिर एक बार फिर वैसा मौका मिला उस दिन मैं उसे पीछे से पकड़ कर क्लोथ सेक्स करने लगा वो थोड़ा मुस्कुरा रही थी फिर वो ज़मीन पर बैठ कर पोंछा लगाने लगी फिर मैने एक हाथ उसके कुरते के अंदर गर्दन की साइड से डाल कर उसका एक बूब बाहर निकालने लगा वो छटपटा गयी वो उस समय समीज पहनती थी उसके निप्पल दिखने लगे फिर कोई आ गया।
एक बार मैं स्टोरी वाली मैगज़ीन लाया उसमे ज़्यादातर कहानी वर्जिन की थी मेरा दिमाग खराब हो गया। मैं उसे घर में कहीं भी अकेला देखता तो उसको किस करने लगता।
एक बार मैने उससे पूछा चूत के बाल बनाती हो कि नहीं?
वो बोली- ये क्या होता है?
मैने उसकी चूत पर हाथ रख कर कहा इसको वो शरमा गयी और अंदर चली गयी।
हम लोग के यहां दो बाथरूम थे जिसमे एक बाथरूम कमरे और बाहर आंगन से जुड़ा था फिर जब वो बाथरूम में कुछ लेने जाती मैं कमरे से आकर उसको पकड़ कर किस करने लगता और अपना लंड बाहर निकाल कर उसको पकड़ने की कोशिश करता। जब मैने पूरी बुक पढ़ ली मैने सोचा अगर ये बुक इसको दे दूं तो ये बात आगे बढ़ सकती है। मैने बुक घर के दरवाजे के किनारे रखे गमले के पीछे रख दी और उसको बता दिया कि वहां बुक रखी है, ले जाना।
बाद में जब वो काम करके चली गयी तो मैने सोचा किताब ले गई कि नहीं मैने बाहर जाकर देखा तो किताब गायब थी। दो दिन बाद वो आयी तो उसकी आंखें चमक रही थी और अजीब सी नशीली थी।
मैने अकेले में उससे पूछा कैसी थी किताब उसने कहा बहुत गंदी थी.
मैने कहा- तो लाओ मेरी बुक वापस?
उसने कहा- मैने फेंक दी।
मुझे गुस्सा आया मैं उसको पकड़ कर किस करने लगा और एक हाथ सो उसकी चूत दबाने लगा इस बार उसने ज्यादा प्रतिरोध नहीं किया।
एक बार घर के सब लोग बाहर गये शाम से पहले कोई नहीं आना वाला था उस समय डोर बेल बजी मैने खोल के देखा दरवाजे पर सामने वो खड़ी थी, उसने कहा- मेम साहिब हैं?
मैने कहा- हां!
वो अंदर आ गयी।
मैने दरवाजा बंद कर दिया फिर मैं अंदर आ गया और जैसे वो रूम में आयी मैं उस पर टूट पड़ा और उसको किस करने लगा वो रिसपोंस कर रही ती फिर मैं उसके बूब्स दबाने लगा और मस्त हो गयी तभी वो चौंकी और बोली मेमसाहिब आ जायेंगी.
मैने कहा- घर पर कोई नहीं हैं।
वो डर गयी और बाहर जाने लगी मैने उसे पकड़ लिया वो रोने लगी- मुझे छोड़ दो।
मैने कहा इतने दिनो बाद मौका मिला है, कैसे जाने दूं।
फिर मैने अपने हाथ उसके कुरते के अंदर डाल कर उसके नंगे बूब्स कसके दबाने लगा. वो चिल्ला रही ती मगर मुझे मजा आ रहा था फिर मैने उसका कुरता उतारा वो विरोध कर रही थी मैने कहा चुपचाप करवा लो वरना जबर करना पड़ेगा और तुम्हारे कपड़े फट जायेंगे और सबको पता चल जायेगा और तुम किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगी अगर चुपचाप करवा लोगी तो किसी पता नहीं चलेगा।
उसका विरोध कम हो गया मैने उसकी सलवार उतार दी और पेंटी को चूमने लगा फिर मैं उसके बूब्स चूसने लगा जैसे मैं उसका बेटा हूं और उसका दूध पी रहा हूं वो बहुत गरम हो गयी स्सस्सशह्ह ह्हह्हह की आवाज़ आने लगी थी उसके मुंह से, फिर उसने कहा- मेरे निप्पल को और तेज चूसो.
मैं हैरान हो गया, मैने कहा- ये कहा सीखा वो बोली जो आपने किताब दी उसमे, उसने मुझे झूठ बोला था वो मेरे बोक्स में है मैने खुशी के मारे उसकी आंखों को चूम लिया।
फिर मैने उसकी पैंटी उतारी.
वो मुझसे कहा कि मुझे बाथरूम आ रहा है.
मैं उसे बाथरूम ले गया और मैने उसे अपने सामने मूतने के लिये विवश किया वो शरम से पानी-२ हो गयी। और मैने उसके पेशाब में अपने हाथ धोये मुझे लगा कि गरम पानी से हाथ धो रहा हूं फिर मैने उसे ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और ६९ पोसिशन में अपना लंड उसके मुंह में डाला और उसकी क्लीन शेव चूत चूसने लगा. थोड़ी देर बाद वो झड़ गयी मैने उसका टेस्टी कम पी लिया. फिर मैं भी झड़ गया वो मेरा कम मुंह में लेकर गटक गयी, पर उसको थोड़ा अजीब मगर अच्छा लगा।
फिर मैने अपना लंड उसे पकड़ कर बड़ा करने को कहा वो उससे खेलने लगी। जब मेरा ६” का कड़ा हुआ तो मैने अपना लंड उसकी चूत पर रख कर धक्का मारा टोपा अंदर घुसा था वो चिल्लाने लगी ईइ मार डालाअ बाहर निकालो मैने उसका मुंह बंद करके धक्के मारने लगा उसके आंसु निकलने लगे वो मेरी तरफ़ गुस्से से देख रही थी उसका मुंह बंद था। फिर मैं तेजी से उसे पेलने लगा वो चाहते हुए भी चीख नहीं पा रही थी मैने उसकी ह्य्मेन ब्रेक का सीन अपने मोबाइल पर शूट कर लिया उसकी चूत से खून बह रहा था थोड़ी देर के बाद वो नोर्मल हुई और मजे लेने लगी उसके मुंह से आवाज आने लगी फ़ाड़ दो मेरी।
यह तुम्हारी है मुझे पता नहीं था कि इसमे इतना मजा आता है, अब मैं तुमसे रोज चुदवाउंगी ओह्हह्ह यीईईईई और वो झड़ गयी मैं उसे पेलता रहा मेरा लंड भी झड़ने वाला था, मैने धक्के तेज कर दिये और उसकी चूत में झड़ गया उसकी चूत मेरे लावा और खून से सनी थी मैने उसको बैठने को कहा उसको दर्द हो रहा था बड़ी मुश्किल में बैठी तो उसकी चूत से मेरा वीर्य निकलने लगा मैने ये भी शूट किया।
दिन में उसे ३ बार पेला फिर मैने उसे पैन किलर दी और उसकी चूत की सिकाई की उसको देख कर मेरी फट रही थी कहीं उसने किसी को बता दिया या उसे देखकर किसी को पता चल गया तो। लेकिन सब ठीक रहा.
उसके बाद उसको मौका मिलने पर चोदता उसके बाद उसकी शादी हो गयी।
शादी वाले दिन से १ दिन पहले उसने खुशखबरी दी कि वो मेरे बच्चे की मां बनने वाली है। शादी के १ साल बाद आयी तो उसके साथ मेरा बच्चा भी था वो मेरे समने ही उसे दूध पिलाने बैठ जाती थी।
पिता जी का ट्रांसफ़र हो गया और मैं उससे अलग हो गया। मेरा मन कहीं लग नहीं रहा था फिर मैने अपनी स्वीट लिटिल सिस एस (चसमिश) के ऊपर नज़र आ गयी नेक्स्ट स्टोरी में बताउंगा उसको कैसे चोदा। Antarvasna
दोस्तो, मेरा नाम रणवीर है, मैं Antarvasna Stories अबोहर(पंजाब) शहर का निवासी हूँ। मैं आज पहली बार अपनी सच्ची कहानी आपके सामने पेश कर रहा हूँ। यह कहानी मेरी गर्लफ्रेंड दीपिका और मेरी है। आपका समय बर्बाद न करते हुए मैं कहानी शुरू करता हूँ।
मैं और मेरी गर्लफ्रेंड दीपिका एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। हमारी फ्रेंडशिप फ़ोन के जरिये हुई थी। एक महीने तक हमने एक दूसरे को देखे बिना केवल फ़ोन पर ही बात की। आखिर एक दिन हमारे मिलने का समय आ गया, मैंने उसे एक होटल में बुलाया।
वो देखने में इतनी सुन्दर नहीं थी। उसका रंग सांवला था लेकिन उसका फिगर “32-24-36” था। क्या मस्त लग रही थी वो ! उसके स्तन बड़े मस्त लग रहे थे। होटल में हम कुछ देर बैठे और मैंने उसे पहली बार चूम लिया, मैं 15 मिनट तक चूमता रहा और उसके वक्ष भी दबाता रहा। पहली बार मिलने पर तो सिर्फ उसने चूमने ही दिया लेकिन सेक्स के मामले में वो पूरी कठोर थी। कहती थी कि सेक्स तो हम शादी के बाद ही करेंगे !
फिर वो मेरे साथ ही पढ़ने लगी। हम इकट्ठे पढ़ाई के लिए जाने लगे। धीरे-धीरे मेरा उसके घर आना-जाना हो गया। उसके घर में केवल उसकी माँ रहती थी, उसके बाप का देहांत हो चुका था। उसके घर पर मैंने उसे बहुत बार चूमा, थोड़े दिनों के बाद मैं उसके स्तनों पर भी रोज़ किस करने लगा। मैं ही उसे पढ़ाई के लिए उसके घर से लेकर जाता और छोड़ने भी मैं आता। इसलिए मुझे मौका मिल जाता उसे किस करने का।
फिर एक दिन दोपहर का वक़्त था उसने मुझे फ़ोन किया कि रणवीर, मेरे घर पर कोई नहीं है, तुम पढ़ाई करने के बहाने मेरे घर आ जाओ।
मैं कुछ किताबें लेकर उसके घर पहुँच गया ताकि उसके आस-पड़ोस वालों को शक न हो। वो अपने कमरे मैं बैठी थी और उसने लोअर और टीशर्ट पहन रखी थी। बड़ी कयामत दिख रही थी वो ! फिर मैं उसके करीब गया और उसे चूमने लगा और तक़रीबन बीस मिनट तक मैंने उसे किस किया और उसकी चूचियाँ दबाता रहा। वो पूरी तरह गर्म हो गई थी और मुझसे पूरी तरह चिपक गई।
फिर मैंने मौका देखकर उसका लोअर नीचे कर दिया। उसने अन्दर कुछ नहीं पहन रखा था। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। मैंने उसकी चूत में उंगली डाल दी। फिर अचानक उसने मुझे अपने से दूर कर दिया और थोड़ा सा नाराज़ हो गई और कहने लगी- शादी से पहले यह ठीक नहीं !
और मैं चला आया वहाँ से।
मैं हर वक़्त उसे चोदने के सपने देखने लगा लेकिन वो तो साली मान ही नहीं रही थी। हमारे परीक्षाएं शुरू होने वाली थी, हमारी दोस्ती को छः महीने से ऊपर हो चुके थे लेकिन मैं अभी तक पूरी तरह चूत भी नहीं देख पाया था। लेकिन वो कहते है ना कि सब्र का फल मीठा होता है।
एक रात के 11 बज रहे थे और हम फ़ोन पर बात कर रहे थे तो मैंने उसे बातों बातों में कहा- दीपिका, मैं तुम्हें चोदना चाहता हूँ !
और वो भी झट से मान गई और कहने लगी- कोई जगह है क्या ?
तो मैंने कहा- हाँ ! मेरे एक दोस्त का कमरा है, वहाँ चलेंगे !
तो उसने कहा- ठीक है ! कल मैं सुबह 11 बजे पढ़ाई के बहाने घर से निकलूंगी और मुझे बता देना कि कहाँ आना है ! लेकिन कंडोम जरुर लेते आना !
मैंने सोचा कि कहीं वो मजाक कर रही है और नहीं आएगी !
लेकिन अगले दिन 11 बजे उसका फ़ोन आया और वो बोली- रणवीर, मैं घर से चल रही हूँ ! बोलो, कहाँ आना है ?
तो उस वक़्त मेरी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं क्योंकि इससे पहले मैंने कभी किसी को नहीं चोदा था।
वो सही 11-30 बजे मेरे बताये हुए दोस्त के घर पर पहुंच गई। मैं और दीपिका कमरे में चले गए।
सबसे पहले तो मैंने उसे किस किया, वो भी मेरा साथ देने लगी। फिर धीरे-धीरे मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए। अब वो मेरे सामने केवल ब्रा और पैंटी में खड़ी थी और थोड़ा शरमा भी रही थी। फिर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और केवल अण्डरवीयर में खड़ा था। फिर मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और उसके स्तन चूसने शुरू किये। वो धीरे-धीरे गरम हो रही थी। उसके बाद मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला और उसकी चूत को सहलाने लगा। वो सिसकारियाँ भरने लगी। उसके बाद मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, अब वो मेरे सामने पूरी नंगी थी। उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था, कितनी मस्त चूत थी उसकी गुलाबी रंग की ! हाय !
फिर मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ लगाई तो उसने बड़ी जोर से सिसकारी भरी। मैं उसकी चूत को अपनी जीभ से रगड़ता रहा। उसकी चूत ने जल्द ही पानी छोड़ दिया।फिर मैंने अपना फनफनाता हुआ लंड बाहर निकाला तो वो देखकर डर गई और बोली- इतना मोटा मेरी छोटी सी चूत में कैसे जायेगा ? यह तो मेरी चूत फाड़ देगा ! मुझे तो बहुत डर लग रहा है !
तो मैंने उसे कहा- जान, तुम फिकर क्यों करती हो ! मैं हूँ ना ! मैं बड़े आराम से डालूँगा !
फिर मैंने कंडोम लगाया और उसकी चूत पर प्यार से अपने लंड को रगड़ने लगा। उसने अपनी आँखें बंद कर ली, सिसकारियाँ भरने लगी और कहने लगी- अब नहीं रहा जाता ! चोद दो जल्दी से मुझे। मैंने धीरे धीरे उसकी चूत में अपना लंड डालना शुरू किया। उसकी चूत की सील अभी टूटी नहीं थी इसलिये लंड अंदर घुस नहीं रहा था। फिर मैंने थोड़ा जोर लगाया और सुपारे को अन्दर करते ही उसने जोर से चीख मारी और कहने लगी- रणवीर, अपना लंड बाहर निकालो !बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किये और थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई। उसके बाद मैंने दुबारा जोर लगाया तो आधा लंड उसकी चूत में चला गया इस बार तो वो मुझे धकेलने लगी लेकिन मेरे होंठ उसके होंठों पर थे इसलिए वो चिल्ला नहीं पाई लेकिन वो मुझे धकेलने की नाकाम कोशिश करती रही।
उसके बाद उसके दोबारा शांत होने पर मैंने फिर जोर लगाया और इस बार पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। इस बार तो जैसे उसकी जान ही निकल गई हो और वो रोने लगी लेकिन मैंने उसे दिलासा देते हुए कहा- जान रोओ मत ! बस अब दर्द नहीं होगा।
मैं उसे किस करता रहा, थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई और मैं भी अपने लंड को उसकी चूत के अन्दर-बाहर करने लगा। अब उसे भी अच्छा लगने लगा था लेकिन थोड़ा दर्द तो उसे अब भी हो रहा था। फिर मैंने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी और करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद वो झड़ गई और उसने कस के मुझे पकड़ लिया। मैं भी उसके झड़ने के 5 मिनट बाद झड़ गया और तक़रीबन 15 मिनट हम एक दूसरे के ऊपर ऐसे ही लेटे रहे।
फिर उस दिन मैंने उसे तीन बार चोदा और फिर अंत में हमने एक दूसरे को चूमा और अपने घर आ गए।
उसके बाद मैंने उसे चार बार चोदा। फिर किसी कारण हमारी दोस्ती टूट गई। लेकिन आज भी जब वो मुझे कहीं देखती है तो मुझसे नज़रें नहीं मिला पाती। इसलिए दोस्तो मैं आपको एक हिदायत देता हूँ कि कभी किसी लड़की पर विश्वास मत करो। अगर हम उसे नहीं चोदेंगे तो वो हमें हमेशा धोखा ही देगी। इसलिए जब भी अपनी गर्लफ्रेंड को चोदने का मौका मिले तो उसे गंवाना मत।
और पंजाबी में एक कहावत भी है “सप्प ते फुदी जिथे मिले, मार देओ !”
दोस्तो अन्तर्वासना में मेरी इस कहानी को पढ़ने के बाद मुझे मेल अवश्य करें। Antarvasna Stories
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