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उस समय तक मेरे लण्ड पर Sex Stories बाल उग आए थे। मैं अक्सर रात को अपने बिस्तर पर नंगा लेट कर अपने लण्ड के बालों को सहलाया करता था एवं अपने लण्ड को खड़ा कर उसे सहलाता रहता था।
एक रात मैं अपने लण्ड को सहला रहा था। उसमे मुझे बहुत आनन्द आ रहा था। अचानक मैंने जोर जोर से अपने लण्ड को अपने हाथ से रगड़ना शुरू किया। मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लग रहा था। अचानक मेरे लण्ड से मेरा माल निकलने लगा। उत्तेजना से मेरी आँखे बंद हो गई। 5-6 मिनट तक मुझे होश ही नहीं रहा। ये मेरा पहला मुठ था। इसके पहले मुझे इसका कोई अनुभव नहीं था। मैंने बाथरूम में जा कर अपने लण्ड को धोया और बिस्तर पे आया तो मुझे गहरी नींद आ गई।
अगली सुबह मैं अपने कमरे से बाहर निकला तो देखा कि भइया अपने ऑफिस के लिए तैयार हो रहे हैं। उनकी शादी हुए 2 साल हो गए थे। भाभी मेरे साथ बहुत ही घुली मिली थी। मैं अपनी हर प्रोब्लम उनको बताया करता था। मेरे माता-पिता भी हमारे साथ ही रहते थे। थोड़ी देर में भईया अपने ऑफिस चले गए। पिता जी को कचहरी में काम था इस लिए वो 10 बजे चले गए। मेरे पड़ोस में एक पूजा का कार्यक्रम था सो माँ भी वहाँ चली गई।
मैंने देखा कि घर में मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं है। मैं भाभी के कमरे में गया। भाभी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी। मैं उनके बगल में जा कर लेट गया। मेरे लिए ये कोई नई बात नहीं थी। भाभी को इसमें कोई गुस्सा नहीं होता था। भाभी ने करवट बदल कर मेरी कमर के ऊपर अपना पैर रख कर अपना बदन का भार मुझे पे डाल दिया और कहा- क्या बात है राजा जो आप कुछ परेशान लग रहे हैं?
भाभी अक्सर मेरे साथ ऐसा करती थी।
मैंने कहा- भाभी कल रात को कुछ गजब हो गया, आज तक मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ था।
भाभी ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कल रात को मेरे लण्ड से कुछ सफ़ेद सफ़ेद निकल गया, मुझे लगता है कि मुझे डाक्टर के पास जाना होगा।
भाभी ने मुस्कुरा के पूछा- अपने आप निकल गया?
मैंने कहा- नहीं! मैं अपने लण्ड को सहला रहा था तभी ऐसा हुआ।
भाभी ने कहा- राजा बाबू! अब आप जवान हो गए हो, ये सब तो होगा ही! लगता है कि मुझे देखना होगा।
भाभी ने अपना हाथ मेरे लण्ड के ऊपर रख दिया तथा धीरे धीरे इसे दबाने लगी। इससे मेरे लण्ड खड़ा होने लगा।
भाभी बोली- जरा दिखाइए तो सही!
मैं कुछ नहीं बोला। मैंने धीरे से अपने पैन्ट का बटन खोल दिया। भाभी ने मेरे पैन्ट को नीचे की ओर खींचा और उसे पूरी तरह उतार दिया। अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था।
भाभी अंडरवियर के ऊपर से ही मेरा लण्ड को सहला रही थी, बोली- क्या इसी से कल रात को सफ़ेद सफ़ेद निकला था?
मैंने कहा- हाँ!
भाभी ने कहा- अंडरवियर खोलिए!
मैंने कहा- क्या भाभी जी! आपके सामने मैं अपना अंडरवियर कैसे खोल सकता हूँ?
भाभी बोली- अरे जब आप मेरे को अपनी पूरी समस्या नहीं बतायेंगे तो मैं कैसी जानूंगी कि आपको क्या हुआ है? और मुझे क्या शरमाना? अपनों से कोई शरमाता है भला? जब आपके भइया को मेरे सामने अपने कपड़े खोलने में कोई शर्म नहीं है तो फिर आप क्यों शरमाते हैं?
मैं इस से पहले कि कुछ बोलता भाभी ने मेरा अंडरवियर पकड़ कर अचानक नीच खींच लिया। मेरा लण्ड तन के खड़ा हो गया।
भाभी ने मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ लिया और कहा- अरे राजा बाबू! आप तो बहुत जवान हो गए हैं।
भाभी मेरे लण्ड को पकड़ कर सहला रही थी। मेरे लण्ड से थोड़ा थोड़ा पानी निकलने लगा। अचानक भाभी मेरे को जकड़ कर नीचे की तरफ़ घूम गई। इस से मैं भाभी के शरीर पर चढ़ गया। भाभी का शरीर बहुत ही मखमली था। भाभी ने मुझसे कहा- मुझे चोदियेगा?
मैं कहा- मैं नहीं जानता।
भाभी ने मेरे शरीर को पकड़ लिया और कहा- मैं सीखा देती हूँ, मेरा ब्लाउज खोलिए।
मैंने भाभी का ब्लाउज खोल दिया। भाभी का चूची एकदम सफ़ेद सफ़ेद दिख रहा था। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि भाभी का चूची इतना सफ़ेद होगा। मैं भाभी के चूची को ब्रा के ऊपर से ही सहलाने लगा।
भाभी ने कहा- ब्रा तो खोलिए तब ना मजा आएगा।
मैंने भाभी का ब्रा भी खोल दिया। अब भाभी की समूची चूचियाँ मेरे सामने तनी हुई खड़ी थी। मैंने दोनों हाथो से भाभी की चूचियों को पकड़ लिया और कहा- क्या मस्त चूचियाँ है आपकी भाभी?
मैं भाभी के चुचियों को धीरे धीरे दबा रहा था, अचानक भाभी ने कहा- मेरी साड़ी खोलिए ना! तब और भी मजा आएगा।
मैंने एक हाथ से भाभी की साड़ी को खोल दिया। भाभी अब सिर्फ़ पेटीकोट में थी। फ़िर मैंने भाभी को कहा- क्या पेटीकोट भी खोल दूँ?
भाभी बोली- हाँ।
मैंने बैठ कर भाभी के पेटीकोट का नाड़ा खोला और झट से उतार फेंका। अब मेरे सामने जो नजारा था, मैं उसकी कल्पना सपने में भी नहीं कर सकता था। भाभी की बुर एकदम सफ़ेद सी थी। उस पर घने घने बाल भी थे। मैं भाभी की बुर को देख रहा था। कितनी बड़ी बुर थी। बुर के अन्दर लाल लाल छेद दिख रहा था।
मैंने भाभी को कहा- आपके भी बाल होते हैं?
भाभी सिर्फ़ मुस्कुराई, भाभी बोली- छू कर तो देखिये।
मैं भाभी की बुर को धीरे धीरे छूने लगा। भाभी की बुर के बाल एक तरफ़ कर के मैं उसे फैला के देखने की कोशिश करने लगा कि इसका छेद कितना बड़ा है। मुझे उसके अन्दर छेद तो नजर आ रहा था पर भाभी से ही मैंने पुछा- भाभी ये छेद कितना बड़ा है?
भाभी ने कहा- उंगली डाल के देखिये न?
मैंने बुर में उंगली डाल दी। मैं अपनी उंगली को भाभी के बुर में चारों तरफ़ घुमाने लगा। बहुत बड़ी थी भाभी की बुर। मैं बुर से उंगली निकाल के भाभी के शरीर पर लेट गया। भाभी ने अपने दोनों पैर को ऊपर उठा के मेरे ऊपर से घुमा के मुझे लपेट लिया। मैंने भाभी के शरीर को जोर से पकड़ लिया।
मेरी साँसे बहुत तेज़ हो गई थी। मेरी पूरी छाती भाभी की चूचियों से रगड़ खा रही थी। भाभी ने मेरे सर को पकड़ के अपने तरफ़ खींचा और अपने होंठों को मेरे होंठों से लगा दिया।
मैं भी समझ गया कि मुझे क्या करना है? मैं काफी देर तक भाभी के होठो को चूमता रहा। चूमते चूमते मेरे शरीर में उत्तेजना भरती गई। मैं भाभी के होंठ छोड़ कर कुछ नीचे आया और भाभी की चूची को मुँह में ले कर काफ़ी देर तक चूसता रहा।
भाभी सिर्फ़ गर्म साँसें फेंक रही थी। फिर भाभी अचानक बैठ गई और मुझे बिस्तर पर सीधा लिटा दिया। मैं लेट कर भाभी का तमाशा देख रहा था। भाभी ने मेरे लण्ड को पकड़ कर सहलाना शुरू किया। वो मेरे लण्ड के सुपाड़े को ऊपर नीचे कर रही थी। मैं पागल हुआ जा रहा था।
भाभी ने अचानक मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगी। मेरा पूरा लण्ड मुंह में घुसा लिया। मैं एकदम से उत्तेजित हो गया।
मैंने भाभी को कहा- भाभी प्लीज ऐसा मत कीजिये!
लेकिन भाभी नहीं मानी। वो मेरे लण्ड को अपने मुंह में पूरा घुसा कर मज़े से चूस रही थी। अचानक मेरे लण्ड से माल निकलने लग गया। मेरी आँखें बंद हो गई। मैं छटपटा गया। मेरा सारा माल भाभी के मुंह में गिर रहा था लेकिन भाभी ने मेरे लण्ड को अपने मुंह से नहीं निकाला। और मेरा सारा माल भाभी पी गई।
2-3 मिनट के बाद मुझे होश आया। देखा भाभी मेरे शरीर पर लेटी हुआ है और मेरे होठों को चूम रही है। भाभी बोली- अरे वाह राजा जी! अभी तो खेल बांकी है। अब जरा मुझे चोदिये तो सही।
मैं बोला- क्या अभी भी कुछ बांकी है? अब क्या करना है मुझे?
भाभी बोली- आप क्या करना चाहते हैं?
मैं बोला- जिस तरह से आपने मेरे लण्ड को चूसा उसी तरह से मैं भी आपके बुर को चूसना चाहता हूँ।
भाभी ने बिस्तर पे लेट कर अपनी दोनों टांगें अगल-बगल फैला दी। अब मुझे भाभी की बुर की एक एक चीज साफ़ साफ़ दिख रही थी। मैंने नीचे झुक कर भाभी के बुर में अपना मुँह लगा दिया। पहले तो बुर के बालों को ही अपने मुंह से खींचता रहा। फ़िर एक बार बुर के छेद पर अपने होंठ रख कर उसका स्वाद लिया।
बड़ा ही मजा आया। मैं और जोर से भाभी के बुर को चूसने लगा। चूसते चूसते अपनी जीभ को भाभी के बुर के छेद के अन्दर भी घुसा दिया। भाभी को देखा तो वो अपनी आँख बंद कर के यूँ कर रही थी जैसे कि कोई दर्द हो रहा है।
तभी भाभी की बुर से हल्का हल्का पानी के तरह कुछ निकलने लगा। मैंने उसका स्वाद लिया तो मुझे कुछ नमकीन सा लगा।
थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड तन के खड़ा हो गया था। मैं भाभी के होठ को चूमने के लिए जब उनके ऊपर चढ़ा तो मेरा लण्ड उनकी बुर से सट गया। भाभी ने मेरे लण्ड को अपने हाथ से पकड़ लिया और कहा- राजा जी अब मुझे चोदिये न!
मैंने कहा- अभी भी कुछ बाकी रह गया है क्या?
भाभी धीमे से मुस्कुराई और कहा- अभी तो असली मजा बाकी है!
मैंने कहा- आप ही बताइए कि मैं क्या करुँ?
भाभी बोली- अब आप अपने लण्ड को मेरी बुर में डालिए।
मैंने कहा- इतना बड़ा लण्ड आपकी बुर के इतने छोटे से छेद में कैसे घुसेगा? भाभी बोली- आप डालिए तो सही!
भाभी ने अपने दोनों पैरों को और फैलाया। और मेरे लण्ड को पकड़ के अपने बुर के छेद के पास ले आई और बोली- घुसाइए!
मैंने संदेहपूर्वक अपने लण्ड को उनकी बुर के छेद में घुसाना शुरू किया।
ये क्याऽऽऽ?
मेरा सारा का सारा लण्ड उनकी बुर में घुस गया। मुझे बहुत ही मजा आया। भाभी को देखा तो उनके मुंह से सिसकारी निकल रही थी। मैंने झट से अपने लण्ड को उनकी बुर से बाहर निकाल लिया। भाभी ने कहा- यह क्या किया?
मैंने कहा- आपको दर्द हो रहा था ना?
वो बोली- धत! आपके भइया तो रोज़ मुझे ऐसा करते हैं, इसमें दर्द थोड़े ही होता है, इसमें तो मजा आता है! चलिए! डालिए फ़िर से अपना लण्ड मेरी बुर के छेद में।
मैं इस बार अपने लण्ड को अपने आप से ही पकड़ कर भाभी के बुर के छेद के पास ले गया और पूरा का पूरा लण्ड उनकी बुर में घुसा दिया। भाभी के मुंह से एक बार फ़िर सिसकारी निकली। मैं उनकी बुर में अपना लण्ड डाले हुए 1 मिनट तक पड़ा रहा। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करना है। मैं अपने दोनों हाथो से भाभी के चुचियों से खेलने लगा।
भाभी बोली- खेल शुरू कीजिये ना।
मैं बोला- अब क्या करना है?
भाभी बोली- चोदना शुरू कीजिये ना!
मैं बोला- अभी भी कुछ बाकी है? अब क्या करुँ?
भाभी बोली- मेरे बुद्धू राजा बाबू! अपने लण्ड को धीरे धीरे मेरी बुर में ही आगे पीछे कीजिये।
मैं बोला- मैं समझा नहीं।
भाभी बोली- अपनी कमर को आगे पीछे कर के अपने लण्ड को मेरी बुर में आगे पीछे कीजिये।
मैंने ऐसा ही किया। अपने कमर को आगे पीछे कर के लण्ड को भाभी के बुर में अन्दर बाहर करने लगा। भाभी का शरीर ऐंठने लगा।
मैं बोला- निकाल लूँ क्या भाभी?
भाभी बोली- नहीं! और जोर से चोदिये।
मैंने भाभी की कमर को अपने हाथ से पकड़ लिया और अपने लण्ड को उनकी बुर में आगे पीछे करने लगा। मुझे अब इसमें काफ़ी मजा आ रहा था। मेरा लण्ड उनकी बुर से रगड़ा रहा था। मैं पागल सा होने लगा।
5 मिनट तक करने के बाद देखा कि भाभी की बुर से पानी निकल रहा था। भाभी अब निढाल सी हो रही थी। मैंने भाभी के शरीर पर लेट कर उनकी चुदाई जारी रखी।
भाभी बोली- जल्दी जल्दी कीजिये राजा जी!
मैं बोला- कितनी देर तक और करुँ?
वो बोली- मेरा तो माल निकल गया है, आपका माल जब तक नहीं निकलता तब तक करते रहिये।
मैंने और जोर जोर से उनको चोदना जारी कर दिया। उनका सारा शरीर मेरे चुदाई के हिसाब से आगे पीछे हो रहा था। उनकी चूचियाँ भी जोर जोर से हिल हिल कर ऊपर नीचे हो रही थी। मुझे ये सब देखने में बहुत मजा आ रहा था। मैं सोच रहा था कि ये चुदाई का खेल कभी ख़तम ना हो।
तभी मुझे लगा कि मेरे लण्ड से माल निकलने वाला है। मैं भाभी को बोला- भाभी मेरा लण्ड से माल निकलने वाला है।
भाभी बोली- लण्ड को बुर से बाहर मत निकालिएगा। सब माल बुर में ही गिरने दीजियेगा।
मैंने उनको चोदना जारी रखा। 15-20 धक्के के बाद मेरे लण्ड से माल निकलना शुरू हो गया। मेरी आँख जोर से बंद हो गई। मैंने अपने लण्ड को पूरी ताकत के साथ भाभी की बुर में धकेलते हुए उनके शरीर को कस के पकड़ के उनको लिपट कर उनके ही शरीर पर गिर गया, बोला- भाभी, फ़िर माल निकल रहा है।
भाभी ने मुझे कस के पकड़ के मेरे कमर को पीछे से पकड़ कर अपने तरफ़ नीचे की ओर खींचने लगी। 2 मिनट तक मुझे कुछ होश नहीं रहा।
आँख खुली तो देखा मैं अभी भी भाभी के नंगे शरीर पे पड़ा हूँ। भाभी मेरे पीठ को सहला रही थी। मेरे लण्ड से सारा माल निकल के भाभी के बुर में समां चुका था। मेरा लण्ड अभी भी उनके बुर में ही था। मैं उनके चूची पर अपने सीने के दवाब को बढ़ते हुए कहा- क्या इसी को चुदाई कहते हैं?
भाभी बोली- हाँ, कैसा लगा?
मैंने कहा- बहुत मजा आता है! क्या भईया आपको ऐसे ही करते हैं?
वो बोली- हाँ, लगभग हर रात को!
मैं कहा- क्या अब मुझे आप चोदने नहीं दोगी?
वो बोली- क्यों नहीं? रात को भइया की पारी और दिन में तुम्हारी पारी।
मैंने कहा- ठीक है।
भाभी बोली- जब तुम्हें मौका नहीं मिले अपने हाथ से ही लण्ड को सहला लेना और माल निकाल लेना।
मैंने कहा- ठीक है।
उसके बाद मैंने अपना लण्ड को उनकी बुर से निकाला। भाभी ने उसे अपने हाथ में लिया और कहा कि रोज़ इसमें तेल लगाया कीजिये। इस से ये और भी बड़ा और मोटा होगा।
भाभी के बुर को मैं फ़िर से सहलाते हुए पुछा- मुझे नहीं पता था कि इस के अन्दर इतना बड़ा छेद होता है।
भाभी बोली- सुनिए, कल आप अपने लण्ड के बाल को शेव कर लीजियेगा। मैं भी आज रात को शेव कर लूंगी। तब कल फिर आपको चोदने के और भी तरीके बताऊँगी। और हाँ! यह बात किसी को बताइयेगा नहीं।
इसके बाद भाभी ने मुझसे और भी कई तरीकों से अपनी चुदवाई कराई। आज तक किसी को इस बात का नहीं चला। Sex Stories
मैं अभी सेकेण्ड ईयर बी एस सी Hindi Porn Stories में हूँ। मेरे पापा ने एक छात्र अमन को तीसरी मंज़िल पर एक कमरा किराये पर दे रखा था। ऊपर बस दो ही कमरे थे। एक खाली था और एक में अमन रहता था। दोनो कमरों के बीच एक खुली छत थी। मैं खाना खा कर कभी-कभी छत पर टहलती थी।
ऐसी ही एक रात थी… मैं छत पर टहल रही थी। अमन अपने दोस्त के साथ था। मेरे बारे में उन्हें नहीं पता था कि मैं रात को अक्सर छत पर टहलती हूँ। मैंने यूँ ही एक बार खिड़की से उसके कमरे में झाँका। अमन और उसका दोस्त कमल नीचे बैठे दारू पी रहे थे। सामने टीवी चल रहा था। पाजामे में से अमन का लण्ड खड़ा साफ़ ही दिख रहा था। कमल उसे बार-बार देख रहा था। अचानक मैं चौंक गई। कमल का हाथ धीरे से अमन की जाँघ पर आया और धीरे से उसके लण्ड की तरफ़ आ गया। अमन ने तिरछी नज़रों से उसके हाथ को देखा, पर कहा कुछ नहीं। अब कमल का हाथ उसके लण्ड पर था। अमन के जिस्म में थोड़ी कसमसाहट हुई। कमल ने अब उसका लण्ड अपने हाथों से दबा दिया। अमन ने उसकी कलाईयाँ पकड़ लीं पर लण्ड नही छुड़ाया।
“ अमन कैसा लग रहा है…?”
“हाय… बस पूछ मत… दबा यार और दबा !” अमन ने भी अपना हाथ उसके लण्ड की तरफ़ बढ़ा दिया। अमन ने भी उसका लण्ड पकड़ लिया। अब दोनों एक दूसरे का लण्ड दबा रहे थे और धीरे-धीरे मुठ्ठ मार रहे थे। मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी… ये क्या कर रहे हैं… क्या होमो कर रहे हैं…।
तभी कमल ने पाजामे का नाड़ा खोल दिया और अमन का लण्ड बाहर निकाल लिया। हाय रे… इतना बड़ा लण्ड…! मेरा जी धक् से रह गया। मेरा मन वहाँ से हटने को नहीं कर रहा था।
कमल ने धीरे से अमन के सुपाड़े की चमड़ी ऊपर खींच दी। अमन भी उसके पाजामे के अन्दर हाथ डाल कर कुछ कर रहा था। कुछ ही देर में वो नंगे हो गये। दोनों शरीर से सुन्दर थे, बलिष्ठ थे, चिकना जिस्म था। मेरी भी इच्छा होने लगी कि अन्दर जा कर मैं भी मज़े करूँ। वो दोनों एक-दूसरे से लिपट गये और कुत्ते की तरह से कमर हिला हिला कर लण्ड से लण्ड टकराने लगे।
“कमल… चल लेट जायें… और लण्ड चूसें…” अमन ने अपने मन की बात बताई।
दोनों ही बिस्तर पर लेट गये और और करवट लेकर उल्टे-सुल्टे हो गये। अब दोनों का लण्ड एक-दूसरे के मुँह के सामने थे। दोनों ने एक दूसरे का लण्ड अपने-अपने मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया। मैंने तो पहले ऐसा ना सुना था ना ही देखा था। मैंने अपनी चूत दबा ली… और पैन्टी के ऊपर गीला और चिपचिपापन आ गया था। मन में मीठी सी चुभन होने लगी थी।
दोनों की कमर ऐसे चल रही थी जैसे एक दूसरे के मुँह चोद रहे हों। दोनों ने एक-दूसरे के गोल-गोल चूतड़ों को दबा रखा था। पर अमन ने अब कमल की गाँड में अपनी ऊँगली घुसा डाली। और थूक लगा कर बार-बार ऊँगली को गाँड में डाल रहा था। अचानक अमन उठा और कमल की गाँड पलट कर उस पर सवार हो गया। उसने कमल की चूतड़ों को चीर कर अलग किया और अपना लण्ड उसकी गाँड में घुसाने लगा। मुझे लगा कि उसका लण्ड अन्दर घुस गया था। कमल ने अपनी टाँगें फ़ैला दी थीं। अमन के बलिष्ठ शरीर के मसल्स उभर रहे थे। कमर ऊपर-नीचे चल रही थी। कमल की गाँड़ चुद रही थी।
अब अमन ने कमल को उठा कर घोड़ी बना दिया और उसका लम्बा और मोटा लण्ड अपने हाथ में भर लिया। अब उसे शायद धक्के मारने में और सहूलियत हो रही थी। उसका लण्ड अमन की मुठ्ठी में भिंचा हुआ था। वह उसकी गाँड़ मारने के साथ-साथ उसके लण्ड पर मुठ्ठ भी मार रहा था। दोनों सिसकियाँ भर रहे थे। इतने में अमन ने जोर लगाया और उसका वीर्य छूट पड़ा। अमन ने उसे जकड़ लिया और मुठ्ठ कस-कस के मारने लगा। इससे कमल का वीर्य भी जोर से पिचकारी बन कर निकल पड़ा। दोनों के मुख से सिसकारियाँ फूट रही थीं… पूरा वीर्य निकल जाने के बाद वो वहीं बैठ गये और सुस्ताने लगे।
शो समाप्त हो गया था सो मैं धीरे से वहाँ से हट गई। मैं छत से नीचे आ गई। दोनो के मांसल शरीर मेरे मन में बस गये थे। मेरी इच्छा अब उनसे चुदने की हो रही थी। चाहे अमन हो या कमल… दोनों ही मस्त चिकने थे…। मैंने फ़ैसला किया कि चूँकि अमन यहीं रहता है, इसलिये उसे पटाना ज्यादा सरल है, फिर कमल भी तो सेक्सी है। यही सोचती हुई मैं सो गई। दूसरे दिन अमन कहीं बाहर से घूम कर आया तो मैंने उसे अपने प्लान के हिसाब से रोक लिया।
“ अमन अभी क्या कर रहे हो…? मुझे तुमसे कुछ काम है…।”
“तुम ऊपर आ जाओ… खाना खाते हुए बात करेंगे…!” कह कर वो ऊपर चला गया
मैं भी ऊपर आ गई… उसका टिफ़िन आ गया था। मैंने उसका खाना थाली में लगा दिया और सामने बैठ गई।
“हां बोल… क्या बात है…?”
“यार मुझे फ़िज़िक्स पढ़ा दे… तेरी तो अच्छी है ना फ़िज़िक्स…”
“ठीक है, कॉलेज के बाद मैं तुझे बुला लूंगा…” ये कह कर वो वापिस चला गया।
मैं भी कॉलेज रवाना हो गई। कॉलेज से आने के बाद मैं अमन का इन्तज़ार करने लगी। उसके आते ही मैं बुक्स ले कर ऊपर उसके कमरे में आ गई।
उसने किताब खोली और कुर्सी पर बैठ गया, उसकी बगल में मैं भी कुर्सी लगा कर टेबल पर बैठ गई। मेरा इरादा पढ़ने का नहीं था… उसे पटाना था। मैं उसे बीच-बीच में कुछ चॉकलेट भी देती जा रही थी। मैंने धीरे से उसके पाँव पर पाँव रख दिया। फिर हटा दिया। वह थोड़ा सा चौंका… पर फिर सहज हो गया। कुछ देर बाद मैंने फिर पाँव मारा… उसने इस बार जान कर कुछ नहीं किया। मेरी हिम्मत बढ़ी… मैंने उसका पाँव दबाया।।
अमन ने मुझे देखा… मैं मुस्करा दी। उसकी बाँछें खिल उठी। हँसी तो फँसी मान कर उसने भी एक कदम आगे बढ़ाया। उसने अपना दूसरा पाँव मेरे पाँव पर रगड़ा। मैंने शान्त रह कर उसे और आगे का निमंत्रण दिया। उसने मुझे फिर से देखा… मैंने फिर मुस्करा दिया।
अचानक वो बोला,”दिव्या… तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो…”
“क्या… कह रहे हो… अच्छे तो तुम भी हो…” मैंने उसे काँपते होठों से कहा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और अपनी ओर खींचा। मैं जान करके उसके ऊपर गिर सी पड़ी। उसने तुरन्त मौके का फ़ायदा उठाया। और मेरी चूँचिया दबा दीं।
“हाय क्या करते हो…! कोई देख लेगा ना…!”
“कौन यार… उसने मुझे खींच कर गोदी में बैठा लिया। उसका लण्ड खड़ा हो चुका था। वो मेरी गाँड में चुभने लगा था।
“उफ़्फ़्…नीचे कुछ चुभ रहा है…”
“मेरा लण्ड है…” कह कर उसने और चूतड़ में चुभाने लगा।
“क्या है?”
“मेरा लौड़ा…” मैं जान करके शरमा उठी। मेरे चूतड़ की गोलाइयों के बीच लण्ड घुसने लगा। मेरे शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी।
“मार डालोगे क्या… पूरा ही घुसा दोगे…” मेरी चुदने की स्कीम सफ़ल होती नजर आ रही थी। मुझे ये सोच के ही कंपकंपी आ गई।
“रुको… मेरी स्कर्ट तो ऊपर कर लो… ” मैंने अपने चूतड़ ऊपर उठा लिये और स्कर्ट ऊपर करके पैन्टी नीचे खींच दी। उसने भी अपनी पैन्ट नीचे खींच ली। उसका लण्ड फुँफकारता हुआ बाहर आ गया। उसने मुझे धीरे से चूतड़ ऊपर उठा कर लण्ड को मेरी चूत पर रख दिया और फिर मुझसे कहा कि धीरे से घुसा लो। उसका लण्ड मेरी चूत में फ़िसलता हुआ अन्दर बैठ गया। मैं आनन्द से भर गई।
तभी नीचे से पापा की आवाज आई। मैं चिढ़ गई। ये पापा भी ना… मैंने लण्ड धीरे से बाहर निकाला और कपड़े ठीक किये।
“ये दरवाजा खोल कर रखना रात को… मैं यहीं से आऊंगी… ! “
“पर ये तो बाहर से बन्द है ना…”
“अरे मैं खोल दूँगी… ये छत पर खुलता है…” कह कर मैं नीचे भाग आई। मेरा काम तो हो चुका था… बस चुदना बाकी था। मन ही मन मैं बहुत खुश थी, जैसे मैदान-ए-जंग जीत लिया हो। मैं रात होने का इन्तज़ार करने लगी।
मेरा कमरा दूसरी मंजिल पर था… मम्मी-पापा नीचे बेडरूम में सोते थे… मैं खाना खा कर अपने कमरे में आ गई। लगभग 9 बजे जब सब शान्त हो गया, मैं छत पर आ गई। मैंने तुरन्त अमन का दरवाजा खोला तो दिल धक् से रह गया… अमन और कमल दोनों ही वहाँ थे… बिल्कुल नंगे खड़े थे और गाँड मारने की तैयारी में थे।
मैं वापस जाने लगी तो अमन ने कहा…”जाओ मत दिव्या… सॉरी हम ऐसी हालत में हैं… मुझे ऐसा लगा कि तुम नही आओगी !”
मुझे लगा कि एक की जगह दो दो… मेरा मन मचल उठा…दो दो से चुदवाने को ! मैं रूक गई।
“पर दोनों नंगे हो कर ये क्या कर रहे हो…” मुझे पता था फिर भी अन्जान बनने का नाटक किया फिर अन्दर आ कर जल्दी से दरवाजा बन्द कर लिया।
“देखो किसी से कहना मत… हम रोज होमो करते हैं… कभी ये मेरी गाँड मारता है और कभी मैं इसकी गाँड चोदता हूं”
“मजा आता है ना…”
“हाँ… पर कुछ अलग सा…”
“क्या बात है यार… तुम भी ना…”
“थैंक्स दिव्या… देखो तुम यहाँ बैठो और बस देखो… हम तुम्हारे साथ कुछ नही करेंगे…” अमन और कमल दोनो ही एक तरह से विनती करने लगे।
“अरे तो मैं क्या तुम्हारी शकल देखूँगी… बस देखो!!! … मुझे भी तो मज़ा दो…” सुनते ही दोनों ही खुश हो गये। कमल को तो शायद पहली लड़की को चोदने का मौका मिल रहा था।
दोनो ने प्यार से मेरे कपड़े उतार दिये और अब हम तीनो नंगे थे। कमल तो मुझे ऐसे देख रहा था जैसे उसे कोई खज़ाना मिल गया हो… दोनों के लण्ड मुझे देख कर ९० का नहीं १२० डिगरी का ऐंगल बना रहे थे। मुझे ये जान कर सनसनी और मस्ती चढ़ रही थी कि मुझे दो-दो लण्ड खाने को मिलेंगे।
अमन मेरे आगे खड़ा हो गया और कमल मेरी गाँड से चिपक गया। अमन बोला,” दिव्या दोनो ओर से यानि चूत और गाँड में लण्ड झेल लोगी…?”
मैं सिहर उठी। मेरे मन में खुशियाँ हिलोरें मारने लगीं।
मैंने कुर्सी पर एक टाँग ऊपर रख दी और गाँड का छेद खोल दिया और इशारा किया- “लग जाओ मेरे हीरो… कमल तुम मेरी गाँड मारो, अमन ये चूत तुम्हारी हुई…!”
मैंने नशे में अपनी आँखे बन्द कर लीं। दोनों ही मेरे आगे-पीछे चिपक गये… मुझे दोनों का चिकना शरीर मदमस्त किये दे रहा था… मेरी एक टाँग कुर्सी पर ऊपर थी इसलिये गाँड और चूत दोनो ही खुली थी… पहल कमल ने की, मेरी गाँड पर तेल लगाया… और छेद में अपना लण्ड जोर लगा कर घुसा दिया।
अब अमन की बारी थी… उसने अपना लण्ड मेरी चिकनी और पनीली चूत में डाल दिया।
दोनों के मोटे और लम्बे लण्ड का भारीपन मुझे महसूस होने लगा। चूत लप लप कर लण्ड निगलने को तैयार हो गई थी। अब दोनों चिपक गये और हौले-हौले से कमर हिलाने लगे। दोनों ओर से लण्ड घुस रहे थे। मेरे आनन्द का कोई पार नहीं था। मेरे शरीर में तरंगें उठने लगीं। लण्ड मेरे दोनों छेदों में सरलता से आ जा रहे थे। पहली बार मैं आगे और पीछे से एक साथ चुद रही थी। दोनो के लण्ड फुफकार मार-मार कर डस रहे थे…
मैं वासना की गुड़िया बनी जम कर चुदवा रही थी। मस्तानी हो कर झूम रही थी। चुदाने का पहले का तज़ुर्बा काम में आ रहा था। दोनों ओर की चुदाई के कारण मैं कमर हिला नही पा रही थी… पर धक्के अब जोरदार लग रहे थे और मेरे चूत और गाँड में गजब की मिठास भर रहे थे। मेरी गाँड और चूत एक साथ चुदी जा रही थी।
कमल के दोनों हाथ मेरी चूचियों पर थे और मसलने में कोई कसर नही छोड़ रहे थे। उसे तो शायद पहली बार बोबे दाबने को मिले थे… सो जम कर दाब रहा था… लग रही थी, पर आनन्द असीम था… मेरी चूत और गाँड में तेज़ गुदगुदी और सनसनाहट हो रही थी… उन दोनों के लण्ड अन्दर आपस में टकराने का अह्सास भी करा रहे थे।
अचानक दोनों की ही बाँहों ने मुझे भींच लिया… दोनों के लन्डों का भरपूर दबाव चूत पे आने लगा। भींचने के कारण मेरी चूत में रगड़ लगने लगी और मैं अपनी सीमा तोड़ कर झड़ने लगी… “हाय रे… मैं तो गई…”
पर दोनों के बाँहों की कसावट बढ़ने लगी। अमन ने अपना लण्ड चूत में दबाया और अपना वीर्य छोड़ दिया… और ज़ोर लगा कर बाकी का वीर्य भी निकालने लगा। मेरी चूत से वीर्य निकल कर मेरे पाँवों पर बह चला।
इतने में कमल ने भी अपनी पिचकारी गाँड़ में उगल दी। दोनों ही कुत्ते की तरह कमर को झटका दे देकर वीर्य निकाल रहे थे। मेरी टाँग दोनो के वीर्य से चिकनी हो उठी। दोनों ने मुझे अब छोड़ दिया।
दोनों के मुरझाये हुए लण्ड लटकने लगे। अब मुझे अपने बिस्तर पर लिटा कर दोनों ही अपने मन की भड़ास निकालने लगे और बाकी की चूमा चाटी करने लगे। काफ़ी देर प्यार करने के बाद उन दोनों ने मुझे छोड़ा। मैंने उन दोनो को इस डबल मज़े के लिये धन्यवाद कहा और कल और चुदाने का वादा करके मैंने अपने कपड़े पहने और कमरे से निकल कर छत पर आ गई। धीरे से नीचे आकर अपने कमरे में आ गई।
आज मेरा मन सन्तुष्ट था। आज मेरी चूत और गाँड दोनों की प्यास बुझ गई थी। मैं अब सोने की तैयारी करने लगी…… Hindi Porn Stories
मेरा नाम संजीव Hindi Sex Stories है। मेरी उम्र 24 साल है। यह कहानी मेरी जिन्दगी का असली और सत्य अनुभव है। उन दिनों मैं जयपुर में एक इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र था। मैं जुलाई 2008 जयपुर में आया था। मैंने जयपुर आने से पहले कभी चुदाई नहीं की थी। चुदाई करने की कसक मेरे दिल में हमेशा से ही थी लेकिन न जाने क्यों 24 की उम्र में आते आते मुझे अपने नाग की तरह फुनकते लंड को थामना बहुत ही मुश्किल पड़ रहा था। मुठ मारने से भी में अब बोर हो गया था। मुझे चूत की बहुत जरूरत थी और इस बार किस्मत ने भी मेरा भरपूर साथ दिया।
मेरी कक्षा में सिर्फ दो लड़कियाँ थी। उन दोनों में से एक थी गार्गी ! गार्गी क्या लड़की थी, उसके दो दो किलो के चूचे थे और गांड भी खूब भारी थी। उसी दिन मुझे लगा कि गार्गी की चूत ही मेरे लंड की गर्मी को ठंडा कर सकती है।
अगले दिन गार्गी ने मुझे बताया कि उसे मोबाइल फ़ोन खरीदना है। कॉलेज से मार्केट काफी दूर था और मेरे पास बाइक भी नहीं थी। मैंने अपने दोस्त से पल्सर मांग ली।
फिर क्या था, क्लास ख़त्म होने के बाद गार्गी और मैं बाइक पर चल दिए। मैंने बाइक की स्पीड १०० से भी ऊपर कर दी और उसने मुझे कसकर पकड़ लिया जैसे ही उसके नाजुक नाजुक हाथ मुझे छू रहे थे मेरी पूरी बॉडी में सनसनाहट दौड़ रही थी और मेरे लंड तो आज सारी हदें पार कर रहा था। उस वक़्त मुझे लगा कि अभी बाइक रोक कर उसे अपने लंड का स्वाद चखा दूँ। लेकिन मैंने अपनी भावनाओं को काबू में रखा। मुझे तो समुन्दर में तैरना था, नदी में नहाने में क्या रखा था।
उस दिन बाइक पर जो तीस मिनट का सफ़र था, उसको रात को सोच कर मैं मुठ ही लगा रहा था कि गार्गी का फ़ोन आ गया। अब मैंने गार्गी से फ़ोन पर बात करते करते ही लंड से ऐसी पिचकारी छोड़ी कि वीर्य दो मीटर दूर जाकर गिरा। लेकिन आज की मुठ में और दिनों से अलग मजा था।
अगले दिन क्लास में गार्गी मेरे आगे बैठी थी तो उसकी सलवार से उसकी पैन्टी दिख रही थी। उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी। अब तो मेरा लंड फ़ुफ़कारने लगा।
क्लास छुटने के बाद मैं गार्गी को कॉफ़ी के लिए कैंटीन ले गया। बात बात में उससे पता चला कि उसका अभी कोई बॉयफ़्रेंड नहीं है। अब तो मुझे गार्गी की चूत की सुरंग और मेरे लंड की तोप का मिलन साफ़ नजर आ रहा था। धीरे धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई।
एक दिन शाम के 4 बजे लैब में कोई नहीं था। मैंने गार्गी को अपने दिल की बात कह दी। उसने भी हामी भर दी, मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और इमरान हाश्मी स्टाइल में गार्गी के होंठों का सारा रस चूस लिया। अब मेरे हाथ धीरे धीरे उसके वक्ष पर पहुँच गए। मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरु कर दिया। उसके स्तन डनलप के गद्दे से कम नहीं लग रहे थेऔर मेरा लंड तो उस वक़्त हीरे से भी सख्त हो रहा था। उसने भी मेरा लंड अपने कोमल हाथो में ले लिया और सहलाने लगी। अपने हॉस्टल में मैंने खूब ब्लू फिल्म देखी थी और मैंने लैब के कंप्यूटर में गूगल से ढूंढ कर ब्लू फिल्म चला दी।
अब मैंने फिल्म की नक़ल करते हुए अपना लंड गार्गी के मुँह में दे दिया। पहले तो गार्गी ने मना किया फिर मान गई और वो लंड चूसने लगी। मेरा लंड पहली बार किसी लड़की के मुँह में गया था। एक मिनट के अंदर ही मैं झड़ने लगा और मैंने गार्गी के मुँह के ऊपर वीर्य बारिश कर दी और वो उसको ऐसे चूसने लगी जैसे अमृत की बारिश हो रही हो।
मैं झड़ चुका था लेकिन गार्गी की आग अभी बाकी थी। उसने अपनी चूत में ऊँगली करके अपनी आग बुझाई।
अगले दिन मुझे गार्गी को संतुष्ट करना था इसलिए मैं अगले दिन पॉवर कैप्सूल और कंडोम लेकर गया। लेकिन अगले दिन लैब में क्लास चल रही थी और मैंने लंच के बाद कैप्सूल खा लिया था। शाम के चार बज रहे थे और मेरा लण्ड नाग के फन की तरह जींस को फाड़ के बाहर आने को कर रहा था। आज किस्मत ने मेरा साथ दिया। एक टीचर को बाहर जाना था दो घंटे के लिए उसने मुझे अपने ऑफिस की चाबी दे दी क्योंकि टीचर का कुछ काम करना था। इधर मुझे अपने लंड की आग बुझानी थी।
मैं गार्गी को लेकर ऑफिस में आ गया। मेरे ऊपर अब तो कैप्सूल का पूरा असर हो चुका था। ऑफिस में घुसते ही मैंने गार्गी को बाहों में भर लिया और टूट पड़ा। मैंने उसकी ब्रा को उतार दिया और स्तनों को चूसने लगा और गार्गी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। आज मेरा लंड सात इंच से बढ़ कर आठ इंच का हो गया था। गार्गी की चूचियाँ दबाने में बहुत मजा आ रहा था, उसके स्तन काफी गुदगुदे थे।
मैंने अपना लंड उसके दोनों स्तनों के बीच में रख दिया और हिलाने लगा। अब मेरा हाथ अपने आप गार्गी की पैन्टी पर पहुँच गया और मैंने उसकी पैन्टी उतार दी। गार्गी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत एक दम गोरी गोरी थी। मैं चूत को सहलाने लगा।
अब उसकी चूत गीली होती जा रही थी, मुझे लगा कि गार्गी की सुरंग में तोप दागने का इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा और मैंने कंडोम चढ़ा के डाल दिया अपना लण्ड गार्गी की चूत में !
जैसे ही पहल झटका लगा, गार्गी कर गई- उहऽऽ ह्ह अह्ह्ह्हह्ह. और उसकी चूत से खून निकलने लगा। वो दर्द से कराहने लगी पर आज मेरा लण्ड कहाँ रुकने वाला था, मैंने उसकी एक टांग कुर्सी पर रखी और एक टांग को अपने हाथ में रख के झटके पे झटके देने लगा। उधर गार्गी दर्द से उफ्फ्फ अहह उफ़ आह्ह मर गई … और धीरे से डालो ..कहने लगी।
और जब तीन चार बार लंड चूत में घुस कर बाहर आ गया तो गार्गी को मजा आने लग गया।
अब गार्गी कहने लगी- और डालो … और डालो !पाँच मिनट तक मैंने गार्गी को खूब पेला। अब मेरा झड़ने वाला था कि तभी टीचर आ गया। लंड की आग में मुझे कुछ नहीं दिख रहा था। उसने हमें दरवाज़े के छेद में से देख लिया था। लेकिन जब तक मैंने अपने लंड से गार्गी की चूत को तृप्त नहीं कर दिया, मैं ठोकता रहा और अंत में मैं झड़ने लगा। फिर जल्दी जल्दी गार्गी और मैंने कपड़े पहने लेकिन टीचर हमें देख चुका था।
दरवाजा खोला तो टीचर ने गार्गी से कहा- मुझे भी अपनी चूत दे दे ! नहीं तो सबको बता दूंगा !
गार्गी मेरी तरफ देखने लगी, मेरे पास भी कोई और रास्ता नहीं था। टीचर ने भी गार्गी को ठोका और उसकी नई और गोरी गोरी चूत का मजा लूटा।
आज भी गार्गी और मेरा चुदाई कार्यक्रम चल रहा है और हफ्ते में एक दो बार टीचर गार्गी की ले लेता है।
लेकिन क्या करें ! हमे भी ऑफिस चुदाई करने को मिल जाता है।
दोस्तो, कहानी कैसी लगी, बताना जरूर ! Hindi Sex Stories
हेलो दोस्तों Hindi porn stories मेरा नाम शुभम है और मैं स्पेन में काम करता हूं, प्यार से मेरे दोस्त मुझे राजा बुलाते है। मैं अंतरवासना की कहानी बड़े दिनों से पढ़ रहा हूं
तो मैंने सोचा आज मैं अपनी रियल कहानी आपको सुनाऊँ…तो कहानी क़रीब १ साल पहले की है। मेरे घर में मैं माँ और पिताजी ही थे। मेरी उमर उस समय २५ साल की थी मेरा लंड ७.५ लंबा और २.५ इंच मोटा है लेकिन मुझे सेक्स का कोई अनुभव नहीं था। हाँ, मुठ मार लेता था। मैं इंजीनियरिंग कर चुका था और अभी नौकरी के लिए प्रयत्न कर रहा था।
एक दिन सुबह ७ :०० बजे मैं जब उठा और बाथरूम जा रहा था कि घर की दरवाजे की घंटी बजी। खोल के देखा तो मेरी मौसी का लड़का राजेश और उसकी बीवी आरती आए हैं। माँ ने तुरंत देखा और कहा आओ आओ दोनों ने अपना समान अन्दर रखा और माँ को प्रणाम किया थोड़ी देर कुछ बात करने के बाद भाभी तुरंत किचन में माँ के साथ काम करने लगी पिताजी बाथरूम से निकले और कपड़े पहन कर काम पर जाने के लिए तैयार हो गए, तब राजेश और भाभी ने पिताजी को भी प्रणाम किया सबने मिल कर नाश्ता किया। फ़िर राजेश ने कहा कि गाँव में उसका कोई काम नहीं चल रहा है और घर की हालत ख़राब होती जा रही है इसलिए मौसी ने कहा है कि शहर में जाकर कोई काम ढूंढो। जब तक रहने का इंतज़ाम नही होता तब तक यहाँ रुकेंगे। अगर माँ पिताजी चाहे तो। माँ पिताजी दोनों ने कहा कोई बात नही। हमारा घर बड़ा है। एक कमरा उन्हें दे दिया मेरे बाजू वाला और कहा पहले नौकरी देखो बाद में घर दूंढ लेना नाश्ता करने के बाद राजेश भी फ्रेश होकर नौकरी की तलाश में निकल गया।
राजेश के जाने के बाद भाभी माँ के साथ घर के काम में लग गई मैं स्नान करने बाथरूम में गया और तैयार होकर बाहर आया। भाभी मेरे साथ थोड़ी देर बैठ कर बातें करने लगी। थोड़ी देर में हमारी अच्छी दोस्ती हो गई। भाभी का रंग गोरा था और चूचियां एकदम कसी हुयी, पतली कमर गोल उभरी हुई गांड कुल मिलाकर भाभी एक चोदने की चीज़ थी। लेकिन अभी मेरे दिमाग में ऐसा कुछ नही आया। मुझसे बात करते हुए वो काम भी कर रही थी
शाम को राजेश वापस आया। उसे एक नौकरी मिल गई थी किसी लेथ मशीन पर वो लेथ मशीन का ओपेरटर था और उसकी तनख्वाह थी २०० रुपये रोज की। दो दिन ऐसे ही बीत गए। मैं उनके कमरे के बाजु वाले कमरे में ही सोता हूं। दोनो कमरों के बीच की दीवार ऊपर से खुली है। रात को दोनो के बीच झगड़ा होता था। भाभी की आवाज़ मैंने सुनी। तुम फ़िर से झड़ गए। मेरा तो कुछ हुआ ही नहीं। फ़िर से करो न, लेकिन राजेश कहता था तेरी चूत कोई घोड़ा भी चोदेगा तो ठंडी नही होगी। मुझे सोने दे। ऐसा दो रात हुआ। भाभी उठ कर बाथरूम जाती थी फ़िर बड़बढ़ाते हुए वापस आ कर सो जाती थी। भैय्या कहते थे “तू बहुत चुदासी है, तुझे संतुष्ट करना मुश्किल है, ख़ुद ही अपने हाथ से आग बुझा ले”।
तीसरे दिन, पापा और राजेश नाश्ता करके अपने काम पर चले गए मैं लेटा था। भाभी मेरे कमरे में आई और कहा कि नाश्ता करने चलो। माँ शायद बाथरूम में थी। मैंने किचन में जाकर नाश्ता करना शुरू किया। भाभी मेरे एकदम से क़रीब आई और बड़े प्यार से बोली संजय। एक बात पूंछू? मैंने कहा “पूछो” भाभी बोली “किसी से बताओगे तो नहीं?” मैंने पूछा ऐसी कौन सी बात है? और आप तो जानती हो मैं चुगली नही करता। भाभी फिर से बोली मैं जानती हूं लेकिन आप प्रोमिस दो आप किसी को नहीं बताएँगे मैंने कहा हाँ मैं प्रोमिस देता हूं। तब भाभी ने धीरे से कहा मेरे और तुम्हारे भैय्या के लिए कोक शास्त्र ला दो।, मैंने पूछा “क्यों?” भाभी ने कहा तुम्हारे भाई को औरत की कैसे चुदाई की जाती है वो सीखना पड़ेगा वो मुझे संतुष्ट नहीं कर पाता। मैंने कहा ठीक है मैं ला दूंगा
मैं सुबह मार्केट में गया और एक बुक स्टोर से अच्छा कोक शास्त्र और दो चुदाई की कहानी की पुस्तक ले आया। घर आकर मैंने चुदाई की पुस्तकें पढ़ी। मेरा लंड खड़ा हो गया। मैंने मुठ मारी और पहली बार मुझे भाभी को चोदने का ख़्याल आया। कोक शास्त्र में चुदाई की कई तस्वीरें थी। फ़िर मैंने भाभी को तीनो पुस्तकें दे दोपहर का खाना खाने के बाद भाभी वो पुस्तकें ले कर अपने कमरे में चली गई। पुस्तक पढ़ते हुये वो गरम हो गई। मैंने दरवाजे से देखा वो अपने चूत में हाथ डाल के मसल रही थी।
रात को डिनर के बाद १० :३० बजे सब अपने बेडरूम में सोने गए मैं ड्राइंग रूम में बैठ कर भाभी और राजेश भाई जो बात कर रहे थे वो सुन रहा था, राजेश ने भाभी की चुदाई की लेकिन उसे संतुष्ट नही कर सका और रोज की तरह जल्दी ही झड़ गया। भाभी उसे समझाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो सुनता ही नहीं था उसने कहा मुझसे फालतू बात मत कर तू कभी भी संतुष्ट नहीं होगी, आखिर में भाभी रूम से बाहर निकली और बाथरूम में गयी, बाथरूम से जब वापस आयी तब मैंने भाभी को रोका और भाभी का एक हाथ पकड़ के मेरे गरम लंड पर रख दिया, भाभी में मेरे लंड पर प्यार से हाथ फेरा और बोली ये तो बहुत बड़ा लंड है। मैंने कहा जब लंड बड़ा और मज़बूत होगा तभी ज्यादा मजा भी आयेगा।। भाभी बोली लगता है यही सच है लेकिन ये तो मेरी चूत फाड़ देगा
भाभी ने कहा आप मुठ मत मारना संजू भाई मैं राजेश के सोने के बाद तुमसे चुदाने आऊंगी, ये कह कर मेरे लंड को दबा के वो अपने रूम में चली गई, जाते ही राजेश बोला यह दूध में शक्कर डाला ही नहीं है जा के शक्कर मिला के लाओ। भाभी बिना कुछ कहे वो दूध ले के बाहर आयी और मुझे इशारे से किचन में बुलाया। मै उनके पीछे किचन में गया, भाभी धीरे से बोली कोई नींद की गोली है? मैंने कहा बहुत सी हैं , मम्मी पहले लेती थी, मैंने दो गोली निकाल के दी भाभी ने दोनो गोली पीस के दूध में डाली और शक्कर डाली फिर चम्मच से हिला के दूध तैयार किया, फिर वो बोली मुझे तुम्हारा लंड दिखाओ मैंने पाजामे से लंड बाहर निकला और भाभी के हाथ में दिया। भाभी उसे देख कर हैरान हो गई और बोली बाप रे इतना लंबा और इतना मोटा कितना सलोना और तगड़ा है आज मुझे इस लंड से चुदाना ही है। तुम आज मेरी चूत फाड़ दोगे। मेरा ७.५ इंच लंबा और २.५ इंच मोटा लंड उन्होंने हाथ में ले कर सहलाया
ये कह कर वो मेरे लंड को थपथपा के जाने लगी..मैंने उनकी चुन्ची को दबा दिया..वो उईई.कर उठी..और फुसफुसाके बोली..थोड़ा सब्र करो..सब दूंगी..राज्जा..पूरी नंगी होके चुदवाऊन्गी और वो अपने कमरे में चली गई.. जाते ही राजेश बोला यह दूध में शक्कर डाला ही नहीं है जाके शक्कर मिला के ले आओ . भाभी बिना कुछ कहे वो दूध लेके बाहर आयी और मुझे इशारा कर के किचेन में बुलाया..मैं उनके पीछे उनकी गांड से मेरा खड़ा लंड टिका के खड़ा हो गया..उन्होंने भी मेरे लंड पर अपनी गांड और चिपका दी..फ़िर बोली कोई नींद की गोली है?मैंने कहा बहुत है.. ममी पहले लेती थी मैंने दो गोली निकाल के दी भाभी ने दोनों गोली पीस के दूध में डाली और शक्कर डाल के फ़िर चम्मच से हिला के दूध तैयार किया फ़िर वो बोली मुझे तुम्हारा लंड दिखाओ , मैंने अपना पाजामा खोला और अपना मूसल बाहर निकला..उसक्? सुपाडे के छेद से अब पानी निकल रहा था. उसने अब उसे हाथ में लिया..बाप रे ये तो दुगुना लंबा और मोटा है..मेरा 7.5 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा लंड हाथ में लेने की कोशिश की..और कहा कितना सलोना है..और कितना तगड़ा है बहुत मोटा है ये..मेरी चूत फाड़ डालेगा..और झुक के मेरे लंड को चूमा और कहा मेरा इंतज़ार करो ऐसा बोल के दूध अपने साथ ले के वो बेडरूम में चली गयी.
मैं अपने बेड पर आ के पाजामा खोल के सो गया..लंड को मैं सहला रहा करीब 20 मिनिट के बाद भाभी बेडरूम का दरवाजा खोल के मेरे रूम में आई उसने आते ही मुझसे कहा संजय आज मेरी पूरी प्यास बुझा दो मेरी चूत को तुम्हारे मोटे लंड से तृप्त कर दो..मैंने भाभी को अपने बिस्तर पर मेरे ऊपर खीच लिया मैं तो नंगा ही था, भाभी ने मेरे लंड को महसूस किया मैं उन्हें चूमने लगा. उन्होंने फूस फुसते हुए कहा..इतना मोटा लंड मेरी चूत में धीरे धीरे डालना संजू. मैं उन्हें चूमते हुए उनका ब्लाउज खोलने लगा.अंडा ब्रा ऍ?ही पहना था शायद राजेश से चुदवाते हुए वो पहले ही खोल चुकी थी..मैंने उनकी साड़ी भी खोल के नीचे फेंक दिया..अब सिर्फ़ पेटीकोट में थी वो..कितनी गोरी थी..मैं उन्हें चूमे जा रहा था और चुन्चिया मेरे हाथो में थे..मस्त नर्म मख्खन जैसी चुन्चिया थी..मैंने उनके पेट को सहलाते हुए नीचे चूत पर हाथ लगाया उफ़ लगा जैसे आग लगी है मैंने उनके चूची को आटा गूंथने जैसे मसला वो आह..ओह्ह.. कर रही थी लेकिन बहुत धीरे…फ़िर मैंने उनका पेटीकोट का नाडा खोल दिया और उसे नीचे खीच दिया..चड्डी भी नहीं थी..मैंने भाभी को मेरे बेड परलिटा दिया उफ़ क्या छोट थी पुस्तक में कुंवारी लड़की की जैसी चूत थी ठीक वैसी ही चूत की दरार थी..मैं तो पागल होने लगा..झुक कर चूत को चूमा..चूत गीली थी..मैंने दाने को ढूंढा उसे मसल दिया भाभी ऑफ़ कर उठी..फ़िर एक उंगली गीली चूत में दाल दी..बहुत टाईट थी चूत..मेरी उंगली भी मुश्किल से जा रही थी..भाभी ने कहा अब मुझे पहले तुम्हारे लंड से च ोद दो.. .मैंने उन्हें और तडपाने के लिए अब मेरी जीभ चूत पर लगा दी और चूसने लगा अब भाभी बेचैन हो गई..अहह संजय..क्या कर रहे हो..आह्ह..इश..ओ माँ और जीभ चूत पर लगाने से उनकी चूत से और पानी निकलने लगा ..उन्होंने कहा पहले एक बार इस लंड को अन्दर दाल के चोद डालो..फ़िर बाद में जो चाहे करना..मैंने कहा ठीक है..और मैं उनके पैरों के बीच बैठ गया.मैंने देखा उनकी चूत का सूराख बहूत छोटा है..पास ही टेबल पर फेयर न लवली करें का नया ट्यूब था उसे मेरे लंड पर अच्छे से लगाया..और उंगली से भाभी के सूराख पर भी.., भाभी ने अपने पैर अच्छे से फैला दिए मैंने अपना लंड चूत पर रखा..भाभी ने तुरंत लंड हाथ में पकड़ लिया और अपनी चूत पे रगड़ने लगी , थोड़ी देर के बाद मेरे लंड का सुपाडाअपने चूत के गुलाबी छेद पर रखा और फूसफुसाके बोली संजू ये इतना मोटा है तुम मेरी चूत का ख़्याल रखना..एकदम आहिस्ता आहिस्ता अन्दर डालो..मेरी चूत फाड़ मत देना…ये सुनकर मैं और जोश म्? आ गया..फ़िर भी मैंने लंड के सुपाड़े को अन्दर धकेला..और भाभी..उईई..माँ…कर के उछल पड़ी मैंने अब लंड को धीरे धीरे अन्दर घुसाने लगा लेकिन चूत बहुत टाईट थी..मैंने थोड़ा जोर लगाया और चुन्ची दबा के धक्का दिया आधा लंड अन्दर घुस गया और भाभी उछल पड़ी..मैंने देखा चूत से थोड़ा खून निकल आया..मैं डर गया..मैंने पूंछा भाभी ज्यादा दर्द हो रहा है क्या.
भाभी ने कहा तुम फिकर मत करो अन्दर डालो पूरा..आह्ह मजा आ रहा है..लेकिन भाभी के चेहरे पर दर्द दिख रहा था..मैंने आधे घुसे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया.थोड़ी देर में भाभी ने कहा और तेज ..और तेज.आह..और मैं जोश में आ गया.मैंने लंड को बाहर खीचा और पुरी ताकत से अन्दर दाल दिया और इस बार भाभी जोर से चीखने जा रही थी लेकिन अपने ही हाथो को मुँह में डाला और काट लिया उनकी कलाई से खून निकल आया लेकिन वो अब कमर उछालने लगी थीं मुझे चिपक रही थीं..आह..ऊह्ह…संजू..मैं आने वाली हूँ..और जोर से..और…और फ़िर उन्होंने दो टिन झटके मारे और मुझसे चिपक गई..उनका पूरा बदन कांप रहा था पसीना निकल आया था और मेरे लंड पर भी बहुत गर्म गर्म लगा..उनका पानी..उन्होंने मेरा चुम्मा लिया और कहा…आज मेरी चूत पहली बार झड़ी है जिंदगी में..अब तुम जैसे चाहो चोदो मुझे..मैंने कहा तुम्हारी चूत से खून भी निकला है..उन्होंने कहा ..सच्च…मैंने अपना लंड निकल कर दिखाया..जो की लाल हो रहा था..वो मुझसे और जोर से लिपटी और कहा आज ही मैं सही मायने में औरत बनी हूँ.. भाभी ने जिस तरह से चूत को झटके दिए उससे मैं तो घबरा गया था..मैं उनसे कुछ पूछने जा रहा था उन्होंने मेरा मुँह हाथ से बंद किया और मेरा लंड वापस चूत में डालने का इशारा किया इस बार मैंने लंड को एक झटके में अन्दर डाला..भाही ने फ़िर से कमर उछालना शुरू किया..शायद अभी पूरी झड़ी नहीं थी..मेरे लंड को चूत में कस लिया मैं उनकी चूची चूसते हुए जोर से झटके मारने लगा’ भाभी ने कहा संजय..बहुत मजा आया रहा है..तुम सच में अच्छा चोदते हो..और तुम्हारा ये मजबूत लंड आः..अब मुझे भी मेरे लंड में से कुछ निकलेगा ऐसा महसूस हो रहा था..लंड और कड़क हो के फुल रहा था..मैंने अब धक्को की स्पीड बड़ा दी मेरे धक्को से भाभी की चुचिया उछल रही थी..और 7-8 धक्को के बाद मैंने लंड को चूत की गहराई में पेल दिया और मेरे लंड से पिचकारियाँ निकलने लगी..एक निकली..दुसरी निकली..तीसरी..चौथी…और ऐसे क़रीब 7-8 मोटी धार की पिचकारी से भाभी की चूत पूरी भर गयी..मैं उनके ऊपर ल???ट गया..वो मेरे बालों में हाथ फेरने लगी..फ़िर हमने एक दुसरे के होठों को बहुत जोर से चूमा.. ,क़रीब 5 मिनिट के बाद भाभी ने कहा अब लंड को बाहर निकाल लो..मैं उठा और लुंड जो अभी भी आधा खड़ा था..उसे बाहर निकाला..पक्क की एक आवाज़ हुयी..और भाभी की चूत से मेरा लावा और खून दोनों बह कर चादर पर गिरने लगे , मैंने देखा पहले जो चूत सिर्फ़ एक पतली दरार दिख रही थी अब वो अंग्रेज़ी के ‘ओ’ जैसी दिखने लगी थी, मैंने सोचा भाभी को अब राजेश का लंड बहुत ही छोटा लगेगा.
भाभी ने उठाते हुए आह्ह की आवाज़ की..मैंने अहिस्ता पूंछा क्या हुआ..उन्होंने कहा चूत चरपरा रही है.. मैंने उनका हाथ पकड़ कर खड़ा किया .. उसके बाद हम दोनों बाथरूम में गए..भाभी और मैं दोनों नंगे ही थे.. बाथरूम में भाभी चूत साफ करने बैठी तो मैंने देखा और भी बहुत सा माल उनकी चूत से निकला..उन्होंने कहा..कितना माल निकाला है..राजेश का तो एक चम्मच ही गिरता है…ये तो क़रीब 10 चम्मच है..फ़िर उन् होंने मेरे लंड को साबुन लगा के धोया..लंड फ़िर खड़ा होने लगा..मैंने कहा भाभी और एक बार…भाभी ने कहा..देखते है..फ़िर हम दोनों बेद पर आ कर लेट गए नंगे..और सो गए..थोड़ी देर मैंने उनकी चूची मसली चुम्बन किया..उनकी चूत सह्लायी..भाभी भी मेरे लंड को सहला रही थी.. एक घंटे के बाद फिरसे मेरा लंड खड़ा हुआ अब मैंने भाभी को जगाने लगा.. वो जाग गई थोड़ी देर चुम्बन के बाद मैंने भाभी से कहा..मेरा लंड चुसो न..उसने पहले मना किया फ़िर किस किया..मैंने भाभी को कहा चाटो..उन्होंने चाटना शुरू किया मैंने कहा सुपाडे को मुँह में लो..,उसने कोशिश की..लेकिन पूरा नहीं ले पा रही थी…मैंने भाभी से कहा तुम अपनी चूत मेरे मुँह के ऊपर रखो..वो दोनों पैर फैला के मेरे मुँह पर बैठ गई..मैंने उन्हें कहा मेरे लंड को झुक के मुँह में लो..उसने किया..और इस तरह चूत चटवाते हुए क़रीब 12-13 मिनिट में वो उह.. आह्ह..और जोर से चाटो..जीभ मेरे अन्दर तक डाल दो..आह्ह..उनकी चूत से पानी निकल के मेरे गले और चहरे पर बहने लगा था..मैं उनकी कुंवारी गांड के छेद को उंगली से टटोल रहा था..और भाभी..आह्ह..मेरा होने वाला है..संजय..पूरी जीभ अन्दर डालो.
भाभी ने चूत मेरे मुँह पर दबा दी और झटके मारने लगी..इस बार उन्होंने अपने चूत के पानी से म???रा पूरा मुँह भिगो दिया…और बदन ऐँठ कर शांत हो गई..थोड़ा चूसने के बाद मैंने भाभी को चार पाया बनाया और पीछे से चूत में लंड डाला…इस बार क़रीब 30 मिनिट से ज्यादा मैंने भाभी को चोदा..वो बिस्तर पर पेट के बल लेट गई..लेकिन मैं चोदता रहा.. इस दौरान भाभी और 3 बार झड़ी..फ़िर मैं पीछे से ही भाभी की चूत में झड़ गया.. और उनके पीठ के ऊपर लेट गया और सामने हाथ डाल कर चूची दबाता रहा.
इस तरह आधा घंटा सोने के बाद हम लोग फ़िर नंगे ही बाथरूम में गए ..तब सुबह के चार बज रहे थे..बाथरूम में साफ होने के बाद वापस आके मैंने भाभी को नंगी ही पकड़ के .बहुत…चूमा .. मम्मे दबाये..फ़िर वो अपने कपड़े पहन कर बेड रूम में राजेश के पास चली गई.
अब तो मैं भाभी को बहुत चोदता हू हपते में तीन चार रात तो भाभी मेरे ही बिस्तर पर रात गुजारती है, और चुदाई का पूरा मजा लेती है.. शायद इस बार भाभी गर्भवती है कह रही थी मासिक नहीं हुआ अभी तक…ये बच्चा मेरा ही है.. ये कहानी पढ़़ने वाली सभी भाभियों और उनकी शादी शुदा सहेलियों से मैं उम्मीद करता हू की वो भी मेरे इस अनुभव का लाभ उठाएँगी. Hindi porn stories
नमस्कार मेरे पाठक दोस्तो,मैं पंजाब से आकाश हूँ। मैंने यह antarvasna कहानी लिखी है क्योंकि मैं आप सभी को अपनी एक सत्य घटना बताना चाहता हूँ।
मैं अपनी थ्री ईयर आर्ट्स की पढ़ाई पूरी कर चुका हूँ और मै अभी आगे भी पढने की सोच रहा हूँ। लेकिन हमारा कॉलेज घर से बहुत दूर था। तो मैं अपने चाचा के घर रहने लगा था। उनका घर कॉलेज के नजदीक था। मेरे अंकल का लड़का विदेश गया हुआ था। मैं तो प्रातः कॉलेज जाता और संध्या को पांच बजे तक कॉलेज से वापस आ जाता था।
मेरे अंकल के पड़ोस में एक परिवार किराये पर रहता था। उनकी तीन लड़कियाँ थी रूही, कोमल और पिंकी। सबसे बड़ी लड़की रूही को देख कर मेरा मन उस पर लट्टू होने लगा था। वो थी ही इतनी सुन्दर।
उसकी छोटी बहन पिंकी कभी कभी अंकल के घर आया करती थी। मैंने उसके जरिये रूही से बात करने का इरादा बनाया। लेकिन डर रहता था कि वो मेरी मदद नहीं करे या किसी को बता दिया तो क्या होगा। मैंने हिम्मत करके एक पत्र लिख कर उसकी बहन को दे दिया कि वो पत्र रूही को दे देना।
मैं उसे जितना बच्चा या नासमझ सोचता था वो उतनी नहीं थी। वो समझ गई और बोली- आप खुद ही क्यों नहीं दे देते?
पर मैंने जैसे तैसे उसे मना लिया। अगले दिन मैं उसके जवाब का इन्तज़ार करने लगा। वो सात बजे हमारे घर आई और आंटी से बात करने लगी। मैं छत पर चला गया तो वो भी बहाना बना कर छत पर चली आई। मैंने उससे धीरे से पत्र के बारे में पूछा तो उसने पत्र का जवाब दिखा कर अपनी ब्रा में रख लिया और बोली खुद ही ले लो।
मैं उसकी बात सुन कर हैरान रह गया। अरे यह तो बहुत ही चालू लड़की है। मैंने उसकी कमीज में हाथ डाल दिया और पत्र निकालने के बहाने उसकी चूचियाँ दबाने लगा। तो वह बोली- क्या बात है रात रंगीन करने का इरादा है?
मैं उसकी बात सुन कर फिर से सुन्न सा रह गया कि अभी इसकी उम्र तो छोटी सी है और यह तो चुदने को भी राजी है।
मैंने हाँ कर दी तो बोली- चलते हैं किसी होटल में। मैंने अपनी बाईक ले ली और होटल की तरफ़ चल दिया।
वहाँ हम सारी रात एक दूसरे के साथ सेक्स करते रहे। उसने बताया कि उसने मेरे साथ पहली बार ही सेक्स किया है।
वो बहुत खुश थी, कहती थी कि बहुत मजा आया।
बाद में जब मैंने पत्र मांगा तो उसने मुझे दे दिया, लेकिन एक शर्त थी कि मैं उसे ऐसा मजा फिर से दूँ। मैंने उसे वहीं लिटा लिया।
उसने अभी अन्डरवियर नहीं पहना था। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत में गाड़ दिया और बहुत अन्दर गहराई तक पेल दिया। वो सिसक रही थी ऊऊओह्हह् हह्हह हीईईईई और अंदर ह्हह हह्हह्ह ह्हह फ़ाड़ डालो। अहहह हह्हह।
लगभग आधे घण्टे बाद हम एक दूसरे से अलग हुए। उसने अपने कपड़े पहने और मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये। उसके बाद मैंने वह पत्र पढ़ा तो मुझे हैरानी हुई कि उसकी बहन भी मुझ पर मरती है।
फिर उसने मुझे रात को अपने घर पर बुलाया।
पिंकी ने बताया कि आज रात को उसके घर में कोई नहीं होगा, तुम रात को आ जाओ। मैं उस दिन कॉलेज नहीं गया। रात को मैं उसके घर गया और कॉल बेल बजाई। पिंकी ने मुस्करा कर दरवाजा खोला।
फिर हम उसकी बहन के कमरे में चले आये और कहा कि मेरा इन्तज़ार करो। उसकी बहन पिंकी ने हम सभी के लिये खाना बनाया। भोजन के उपरान्त हम सभी ने ग्रुप सेक्स किया। मैं उस रात को बहुत खुश था फिर मैं वापस चला आया। अब तो जब भी हमें मौका मिलता है, हम सेक्स करते हैं।
मैं आगे की Antarvasna कहानी अगली बार लिखूंगा।
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