Important Notice: Click on "Post Your AD" to post free ads !!!

Massage Girl in Bongaigaon: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bongaigaon who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bongaigaon that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bongaigaon massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bongaigaon who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bongaigaon massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bongaigaon massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bongaigaon who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bongaigaon employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bongaigaon helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bongaigaon

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bongaigaon at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Hindi Sex Stories

इस प्रकार दो दिन मस्ती Hindi Sex Stories से गुजार कर घर लौट आया ! घर आकर मैंने सीमा दीदी और विजय भैया को सारी बातें बताई और हम तीनों ने कई दिनों तक उसी तरीके से काफी मजे किये।

फिर मैं अपने एक केमिस्ट दोस्त के पास गया, उससे पूछा- क्या ऐसी कोई दवाई है जिससे कोई जल्दी से डिसचार्ज ना हो सके?

उसने कहा- है ना ! उसको वियाग्रा कहते हैं और मुश्किल से ही मिलती है ! अगर कोई खाकर किसी लड़की या औरत पर चढ़ जाये तो साला तीन चार घंटे तक उतरने का नाम ही नहीं लेगा ! लकिन बहुत प्रचलित नहीं है इसलिए बहुत मुश्किल से मिलती है !

मैंने उससे कहा- यार, जैसे भी हो कुछ गोलियाँ मंगवा दो ! लेकिन जल्दी करना, वर्ना तेरे दोस्त की नाक कट जायेगी !

उसने कहा- दो चार दिन तो लग ही जायेंगे !

मैंने कहा- ठीक है जल्दी मंगवाना !

तीन चार दिन बाद उसने मुझे चार गोलियाँ दी और पूछने लगा- क्या करोगे ?

मैंने उसे टाल दिया। फिर सीमा दीदी के ससुराल जाने का जुगाड़ बैठाने लगा ! मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे कुछ नहीं करना पड़ा।
घरवालों ने कहा- संजय, यह सामान सीमा की ससुराल पहुँचाना है ! अंधे को क्या चाहिए- दो आँखें !

मैं तुंरत तैयार हो गया और कहा- सुबह जल्दी निकल जाता हूँ जिससे उसी दिन लौट सकूँ !

मैं सुबह जल्दी निकाल पड़ा जिससे जीजू और उनके माता पिताजी के काम पर जाने के पहले ही पहुँच सकूँ ! पर रास्ते में बस के ख़राब हो जाने की वजह से परेशान था कि अगर समय पर नहीं पहुँचा तो शायद घर पर कोई नहीं मिलेगा और दिन भर परेशानी होगी।

जैसे ही मैं घर पंहुचा, मेरे आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा! घर पर टीना मौजूद थी। वह भी मुझे देखकर ताज्जुब में पड़ गई और खुशी से मुझसे लिपट गई और चुम्बनों से मेरा चेहरा लाल कर दिया। फिर उसने मुझे पानी पिलाया और कहा- थोड़ा इंतजार करो, खाना तो बना हुआ है, बस रीना आ जाती है तो तीनों मिलकर खायेंगे ! तब तक चलो एक राउंड हो जाये !

मैंने तब तक एक गोली खा ली थी !

मैंने उसे कहा- रीना को आ जाने दो और मैं भी फ्रेश हो जाता हूँ !

फिर मैं नहाने चला गया। आकर देखा तो रीना आ चुकी थी और मेरे बाहर आने का इंतजार दोनों कर रही थी। रीना तुंरत आकर मुझसे लिपट गई। मैंने भी दोनों की चूचियाँ दबाकर और उन दोनों ने मेरा लंड सहलाकर स्वागत किया। फिर जल्दी से खाना खाकर टीवी देखने लगे। इधर मुझे चैन कहाँ ? हाँ चैन तो उनको भी नहीं था ! वे दोनों मेरे दोनों बगल में बैठ गई और मेरा हाथ पकड़कर अपनी अपनी चूचियों पर रख दिया और मेरा लंड पैंट में से निकालने लगी।

मैंने कहा- क्यों तकलीफ करती हो ? जो होना है उसमें कपड़ों का क्या काम !

ऐसा कह कर हम सबने अपने अपने कपड़े उतार दिए। पहले तो हम वहीं सोफे पर ही बैठे थे बाद में कारपेट पर आ गए। वहाँ पर भी असुविधा होने पर बेडरूम में आ गए।

मैंने उनसे कहा- आज दोनों को ऐसा चोदूंगा कि जब भी किसी से चुदवाओगी तो एक बार मेरा नाम जरुर याद करोगी कि किसी ने चोदा था !

उन्होंने कहा- तेरे जैसे बहुत देखे हैं ! अभी तेरे को दस मिनट में चूसकर निचोड़ लेंगी। पिछले बार की चुसाई भूल गए क्या ? कैसे निढाल हो गए थे?

फिर उन्होंने मेरे लंड को बारी बारी से चूसना चालू किया पर मेरा लंड तो मेरे काबू में नहीं था! मैंने पहले रीना को पकड़ कर चोदना चालू किया तो साली तीस मिनट में ही टें बोल गई, कहा- संजय, अ़ब बर्दाश्त नहीं होता ! मैं तो तीन बार झड़ चुकी हूँ, पहले एक बार टीना को कुछ देर मजा लेने दे!

टीना ने कहा- आज मैं तेरे को चोदूंगी !

मैंने कहा- नेकी और पूछ-पूछ ! जल्दी से ऊपर आ जा !

मेरा लंड तो आसमान की तरफ मुँह किये खड़ा था, टीना अपनी दोनों टांगें मेरे दोनों ओर करके बैठ गई और अपनी चूत को मेरे लंड पर रखकर धम से मेरे लंड पर बैठ गई ! मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा अन्दर बैठ गया ! टीना एक बार तो चिल्ला उठी, फिर धक्के पर धक्के लगाने लगी। वह जल्दी ही थक गई ! भला यह काम लड़कियों का कहाँ ! उसने कहा- संजय, मैं तो थक चुकी हूँ ! अ़ब जल्दी ऊपर आ जा और मेरी चुदाई चालू कर !

मैंने ऊपर आकर उसकी जो चुदाई चालू की, उसने तोबा बोल दी ! इधर रीना मुझे उत्तेजित करने के लिए कभी मेरे मुँह से अपना मुँह मिलाकर मेरी जीभ चूसती और कभी मेरी छाती के चुचूक को चूसती। पर मैं कहाँ रुकने वाला था, एक घंटे तक दोनों को चोदता ही रहा ! दोनों चिल्ला चिल्ला कर कहने लगी- आज तो तुमने हमारी चूत को भोसड़ा बना दिया ! अ़ब जब भी चुदेंगी, तेरे को जरुर याद करेंगी ! हमने काफी चुदवाया है पर तुम जैसा कोई नहीं मिला ! जिससे तेरी शादी होगी वह बहुत खुशनसीब होगी। क्यों ना तुम मुझसे ही शादी कर लो !

मैंने कहा- हमारा समाज इसकी इजाजत नहीं देता और मेरे और तेरे घरवाले भी नहीं मानेंगे। इसलिए जैसा चल रहा है वैसा ही चलने दो, जब कहोगी तब आ जाया करूँगा !

इस प्रकार मैं वापस जाने के लिए तैयार होने लगा तो उन्होंने कहा- माँ-पिताजी के आने के पहले नहीं जाने देंगी !

और मुझे रुकना पड़ा। जब जीजू, उनके माँ-पिताजी आये तो बहुत देर हो चुकी थी और उनके कहने पर मुझे रुकना पड़ा !

रात को रीना, टीना ने जीजू को दिन की घटना के बारे में बताया तो वो मुझसे पूछने लगे- कोई दवाई खाई थी क्या ? जैसा ये कह रही हैं, तुमने तो सीमा की चूत को भोंसड़ा ही बना दिया होगा, मेरे लिए कुछ छोड़ा है क्या ?

मैंने कहा- नहीं जीजू ! ऐसी कोई बात नहीं है, रात को देख लेना, दोनों फिर से चुदवाने को तैयार मिलेंगी।

रात को खाना खाने के बाद हम लोगों की महफ़िल जमी ! मैंने गोली नहीं ली ! जब हम कमरे में गए तो रीना और टीना ने कपड़े उतारते हुए अपनी अपनी चूत जीजू के सामने कर दी और कहा- देखो भैया, कैसे सुजा दी है !

जीजू और मैंने देखा कि रीना की चूत सामान्य ही थी पर टीना की चूत कुछ फूली हुई थी।

मैंने कहा- जब तू ऊपर चढ़ेगी तो यही तो होगा ना !

इस तरह हम दोनों ने रीना, टीना को दो दो बार चोदा और सो गए !

सुबह मैं वापस आ गया !

दस दिनों में ही सीमा दीदी और भैया की शादी फिक्स हो गई ! पहले दीदी की शादी थी और एक हफ्ते बाद भैया की ! शादी में करीब दो महीने बाकी थे ! दोनों शादियाँ बहुत धूमधाम से हुई ! एक तरफ दीदी गई दूसरी तरफ भाभी आ गई ! भैया को तो चुदाई का परमानेंट लाइसेंस मिल गया, मैं सोचने लगा कि अ़ब मेरा गुजारा कैसे होगा !

खैर जैसे तैसे दिन गुजरते गए ! मैं बैचैन रहने लगा !

भैया ने पूछा- क्या बात है संजय? आज कल बहुत बैचैन रहते हो?

मैंने कहा- भैया, आपकी तो मौज है ! मुझे तो रात सूखी ही काटनी पड़ती है !

भैया ने कहा- तेरी भाभी बहुत चुद्दकड़ है ! लगता है बहुत खेली खाई हुई है, बस एक बार उसे अपना लंड दिखा दे, साली, अपने आप ही चुदने आ जायेगी ! मैंने उससे शादी के पहले की चुदाई की बात की तो साली फूटी ही नहीं ! तो मैंने भी कुछ नहीं बताया ! अगर एक बार तुझसे चुद लेगी तो खुद ही अपना भांडा फोड़ देगी !

मैं तो घर पर ही रहता था, मेरे पास समय भी था।

मैं अगले दिन से ही भाभी पर लाइन मारने लगा, उनसे मजाक करने लगा और उनकी चूचियों को निहारने लगा !

उन्होंने कहा- क्यों देवरजी, क्या बात है ?

मैंने कहा- भाभी, अकेले मन नहीं लगता ! कभी तो मेरे कमरे आ जाया करो जिससे बातें ही करके समय गुजर सके ! आपका भी तो समय मुश्किल से ही कटता होगा ?

दूसरे दिन खाना खाकर भाभी को बोलकर कि कमरे में जा रहा हूँ, कोई काम हो तो बुला लेना !

भाभी को भी चैन नहीं था ! मैं कमरे में जाकर एक सेक्सी नॉवल निकाल कर पढ़ने लगा। मेरा लंड खड़ा था और मैं उसे मसल रहा था। जब नहीं रहा गया तो मैं लंड निकालकर मुठ मरने लगा। कमरे का दरवाजा मैंने जानबूझ कर थोड़ा खुला छोड़ दिया था कि अगर भाभी उधर आये तो देख सके !

मैंने महसूस किया कि भाभी दरवाजे की झिर्री से मुझे देख रही है ! जब तक मेरा नहीं हो गया तब तक वहाँ से हटी ही नहीं !

दो घंटे बाद जब मैं कमरे से निकला तो भाभी ने पूछा- क्यों देवरजी ! कमरे में क्या कर रहे थे?

मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी, सो रहा था !

उन्होंने कहा- तुम सो नहीं रहे थे !

मैंने पूछा- बताओ ना क्या कर रहा था?

उन्होंने कहा- शर्म आती है !

मैंने कहा- जब देख ही लिया तो शर्माना क्या !

मैं भाभी के पास सरक आया और कहने लगा- बताओ ना !

वो फिर भी कुछ नहीं बोली तो मैंने उनका हाथ पकड़कर अपने पास खींचते हुए कहा- जब देख ही लिया है तो शर्माना क्यों !

वो नजरें नीची करके बोली- नहीं देवरजी, मुझे शर्म आती है !

मैंने कहा- अ़ब बता भी दो !

तो उन्होंने कहा- तुम कोई किताब पड़ते हुए अपने उसको हिला रहे थे !

मैंने पूछा- किसको ?

तो भाभी चुप रह गई !

मैंने फिर से पूछा तो उन्होंने कह ही दिया कि अपने लौड़े को !

मैंने कहा- भाभी, अगर फिर से और अच्छी तरह देखने का मन हो तो बता दो ! किसी को पता भी नहीं चलेगा !

मैं खुश हो गया कि चिड़िया जाल में फंस चुकी है ! मैं धीरे धीरे अपना हाथ उनके बोबे पर ले जाने लगा। वो कुछ नहीं बोल रही थी। जब मैं उनके बोबों को दबाने लगा तो उन्होंने कहा- देवरजी, क्या कर रहे हो ? कोई देख लेगा तो गजब हो जायेगा !

मैंने कहा- किसी को भी पता नहीं चलेगा और अपना काम भी बन जायेगा !

उन्होंने कहा- डर लगता है !

मैंने कहा- सब कुछ मुझ पर छोड़ दो ! अ़ब तुम मुझे देवरजी ना कह कर नाम से पुकारा करो !

कहते हुए उनका हाथ मेरे लंड पर रख दिया ! वो मजे ले ले कर मेरे लंड से खेलने लगी !

मैंने कहा- चलो भाभी, कमरे में चलो !

उसने कहा- नहीं, यहीं ठीक है, कोई आया तो तुंरत गेट खोल सकेंगे !

मेरा लंड तो उनके हाथ में ही था, फिर कहने लगी- संजय, तेरा लंड तो तेरे भैया से भी अच्छा है ! मुझे इसका स्वाद लेना है,

भाभी, अ़ब तो यह तुम्हारा हो चुका है, जैसी तुम्हारी इच्छा !

मेरे और कुछ बोलने के पहले ही भाभी मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। इधर मैं भाभी के बोबे दबा रहा था। मैंने कहा- भाभी, कपड़ों के ऊपर से मजा नहीं आ रहा है।

उन्होंने कहा- मजा तो मुझे भी नहीं आ रहा है पर शादी को अभी दस दिन ही हुए हैं, कब कौन टपक पड़ेगा, कोई भरोसा नहीं !

भाभी ने कहा- संजू राजा, चलो एक बार चोद दो !

मैंने कहा- जब तक मुझे बोबे चूसने नहीं दोगी मैं कुछ नहीं करूँगा !

उन्होंने हथियार डाल दिए और अपने बोबे आजाद कर दिए।

वाह क्या बोबे थे ! मैंने उनको चूस चूस कर लाल कर दिया और वो भी बेकाबू होने लगी। फिर मैंने जो उनकी चुदाई की कि वो मेरा लोहा मान गई !

मैं सोचने लगा कि ऐसा कुछ किया जाये कि दिन में भी भाभी को खुलकर चोदा जाये ! फिर मेरे दिमाग में एक विचार आया !

दूसरे दिन सबके चले जाने के बाद मैं पिछला गेट से निकला और मैं गेट पर ताला लगाकर फिर पिछले गेट से अन्दर आ गया! भाभी को कुछ पता ही नहीं चला !

मैं घर में घुसते ही अपने सब कपड़े उतारकर केवल अंडी में ही आकर भाभी को छेड़ने लगा।

भाभी ने कहा- क्या करते हो ? कोई आ जायेगा !

मैंने कहा- कोई नहीं आ सकता ! अगर कोई आ भी गया तो गेट पर ताला देखकर अपने आप चला जायेगा !

भाभी ने कहा- राज्जा, बहुत उस्ताद हो गए हो !

मैं भाभी के बोबे दबाने लगा साथ ही साथ उनके कपड़े भी उतारने लगा ! वो भी मेरा साथ देने लगी और हम दोनों एकदम नंगे हो गए !

मैं भाभी को लेकर कमरे में आ गया और हम दोनों किसी को भी सब्र नहीं था। भाभी ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में ले लिया और आगे पीछे करने लगी ! मैं भी उनकी चूचियां दबाने लगा जो कि एकदम सख्त हो गई थी और चूसने लगा। उधर भाभी भी मेरा लंड चूसने लगी। इसमें कुछ दिक्कत हो रही थी इसलिए मैं भाभी को 69 के अवस्था करके लंड चूसाते हुए उनकी चूत को छेड़ने लगा तो भाभी ने कहा- रज्जा, मेरी चूत चूसो ना !

मैं भाभी की चूत चूसने लगा। दोनों को भरपूर मजा आ रहा था !

भाभी ने कहा- अ़ब अपना वीर्य मेरे मुँह में डाल कर मुझे निहाल कर दो !

मैं भी तेज तेज अपना लंड उनके मुँह में करने लगा ! फिर मैं भाभी के मुँह में झड़ गया उन्होंने मजे ले ले कर पूरा रस चूस लिया और साथ ही वो भी झड़ गई। मैंने भी उनका पूरा रस चूस लिया फिर दोनों ने एक दूसरे को चाट चाट कर साफ किया। फिर बैठ कर बातें करने लगे !

मैंने भाभी से पूछा- भाभी यह तो बताओ कि सबसे पहले तुमको किसने और कैसे चोदा?

भाभी ने कहा- मुझे शर्म आयेगी, तुम अपनी बताओ !

मैंने कहा- पहले तुम बताओ !

मैंने जिद करके भाभी को सब कुछ बोलने पर मजबूर कर दिया जो अगले अंश में लिखूंगा !

कृपया मुझे मेल करके अपने विचार बताएँ इस कहानी पर ! Hindi Sex Stories

हेलो दोस्तों ! Indian Sex Stories

सेक्स की दुनिया में आपका Indian Sex Stories स्वागत है। मैं आज आपको अपनी सेक्सी और सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।

तो मेरी ये कहानी पढ़ने वाले और वाली सभी लौड़ों और चूतों को मेरा बार बार सलाम !

मैं अलवर में रहता हूँ। जब मैं १८ साल का लड़का था तब मेरे घर पे टीवी नही था तो मैं शुक्र और शनिवार को मेरी पड़ोसन के घर पे टीवी देखने जाता था। मेरी पड़ोसन एक २३ साल की कुंवारी लड़की थी।

एक दिन की बात है जब मैं उसके घर सोफ़े पे बैठ के टीवी देख रहा था तब वो मेरी पड़ोसन आ कर मेरे पास में सोफे पे लेट गई।

हमने साथ बैठ के काफी सारी पिक्चर देखी होंगी, पर उस दिन वो नाइटगाऊन में काफी खूबसूरत लग रही थी. मैंने उसकी ओर देखा तो उसने मेरी ओर ताका। फिर उसके हाथ से अपने कपड़े को सही करके बैठ गई। मैं उसकी और ताकता ही रहा गया क्योंकि उसके कपड़े में से उसका आधा शरीर दिख रहा था और उसकी चूची काफी सुंदर से लग रही थी।

तभी मेरे दिमाग में ख्याल आया- काश ! इसकी चूची मुझे दबाने मिल जाए !

तभी मैंने देखा कि उसने मेरी ओर देख के मुझे एक सेक्सी स्माइल दी। तो मैं उसकी और देखता ही रह गया क्योकि उसने अपने हाथ से अपना कपड़ा थोड़ा हटाया ताकि मैं उसकी चूची देख सकूँ।फिर वापिस हम दोनों पिक्चर देखने लगे तभी पिक्चर में एक ऐसा सीन आया कि उसमें हिरोइन अपनी जांघ हीरो को दिखाती है।

बस उसी तरह वो मुझे अपनी जांघ दिखाने लगी. मैं भी उसकी जांघ को देखता रहा।

फिर पिक्चर में एक किस का सीन आया तो उसने मेरे सामने देख के वापिस सेक्सी स्माइल दी। फिर मैं अपने आप पे कंट्रोल नहीं कर पा रहा था क्योकि उसका मुंह मेरे लंड के काफी करीब था और वो बार बार मेरे लंड के साथ अपना सर टकरा रही थी. इतने में ही टीवी में फ़िर किस का सीन आया तो उसने मुझे देख के मुझे बोला- पिक्चर काफी अच्छी है।

तो मैंने बोला- क्यों ऐसे सीन बहुत अच्छे लगते हैं?

तो वो बोली- तुम तो कैसी गन्दी बाते कर रहे हो !

मैंने बोला- सॉरी ! बस अब ऐसी बात नही करूँगा।

फिर वो पिक्चर देख रही थी। अब उसकी चूची मुझे काफी साफ दिख रई थी और अब मैं उसको दबाने का ही सोच रहा था कि उसको ऐसा लगा कि उसकी ब्रा में कुछ घुस गया है।

उसने मुझे कहा- देखो तो ! तुम्हें कुछ दिख रहा है?

मैंने देखा कि उसके एकदम सफ़ेद से बुबले मुझे दिख रहे थे और उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी।

वो मैंने देखी और मैं बोला- हाँ दिख तो रहा है पर ख्याल नहीँ आता कि क्या है !

वो बोली- तो क्या करूँ?

फिर मैं बोला- तुम अपनी ड्रेस निकाल दो तो मैं देख पाऊँ !

वो बोली- कोई देख लेगा !

तो मैं बोला- कोई नहीं देख पायेगा क्योंकि हम लाइट बंद कर देंगे।

फिर वो बोली- तो दिखाई कैसे देगा?

मैं बोला- मेरे को देखना है कि तेरे को?

तो वो मुझे बोली- तेरे को !

तो मैंने कहा- वैसे करो ! मज़ा आयेगा !

फिर उसने पहले लाइट बंद कर दी और बाद में अपना ड्रेस निकाल कर बोली- कहाँ है? ज़रा ज़ल्दी देख लो !

मैं अपने दोनों हाथ उसकी ब्रा में डाल के उसके चुचे दबा रहा था। तो वो बोली- ज़ल्दी करो वरना कोई आ जायेगा !

मैं बोला- मिलने तो दो !

फिर हम दोनों एक सोफे पे लेट गए। वो बोली मुझे एक मर्द जैसे भी लड़की को खुश कर सकता हो, वैसा करो ! मैं तुम्हारे लिए तुम जो कहोंगे वो करुँगी पर एक शर्त पर कि तुम हर शुक्र और शनि को हमारे घर पे टीवी देखने ज़रूर आओगे।

मैंने बोला- अच्छा! फ़िर मैंने उसको किस किया, वो भी उसके लिप्स पे ! तो उसको थोड़ा सा मज़ा आया और मुझे भी अच्छा महसूस हो रहा था तभी मैंने उसको उसके मुँह पे और उसके पूरे बदन को मेरी किसो से नहला दिया। उससे उसको काफी मज़ा आया और वो बोली- तुम्हें कैसा लग रहा है? मैंने बोला- तुम सोच नही सकोगी कि मैं कैसा महसूस कर रहा हूँ !

और मैं उसको काफी सारी किस करने के बाद में उसके पायजामा का नाड़ा खोलने लगा तो वो शरमा कर मेरे सामने देखने की बजाए अपनी चूची पे देखने लगी क्योंकि उसकी चूची को मैं काफी देर से दबा रहा था और उसकी चुचियाँ काफी कड़क हो गई थी।

मैंने उसका पायजामा निकाल दिया था तब मैंने देखा तो उसने गुलाबी रंग की पैन्टी पहनी थी। फ़िर मैंने काफी देर तक उसकी चुचियाँ दबाई। फ़िर मैंने देखा तो उसकी पैन्टी थोड़ी सी भीगी लग रही थी तब मुझे पता चला कि वो झड़ गई थी।

फिर मैं उसको उठा के उसके बेडरूम में ले गया और वहाँ पे जा के उसको उसके बेड पे लेटा दिया और उसकी पैन्टी निकाल कर उसकी चूत चाटने लगा।

तब वो भी थोड़ी सी गरम हो रही थी और वो मेरा लण्ड मेरे पैंट के बाहर से ही पकड़ कर हिलाने लगी। मैंने भी तब गरम होकर अपना लण्ड उसके मुँह में दे दिया और हम दोनों ६९ की पोजीशन में आ गए और हमने करीब १५ मिनट तक एक दूसरे की चुसाई की। फ़िर मैंने अपने सारे कपड़े निकाल दिए और मैं केवल अंडरवियर में आ गया और उसने अपने हाथ से मुझे इशारा किया कि अब और मत तड़पाओ ! ज़ल्दी से मेरी चूत में अपना लण्ड डालो !

मैं समझ गया। तब मैंने अपने लंड की सुपारी उसकी चूत के ऊपरी हिस्से में रख दी और अहिस्ते से उसे रगड़ने लगा। फिर उसने मेरा लंड पकड़ के अपनी चूत का रास्ता बताते हुए कहा कि यहाँ डालो !

तब मैंने उसको एक जोरदार झटका दिया, वो चिल्ला उठी और बोली- अहिस्ते से करो !

पर मेरा लण्ड उसकी चुत में समाने के लिए काफी उतावला हो रहा था। मैंने उसके मुँह पे अपना मुँह रख कर उसको किस करता रहा और बढ़िया से झटके देता रहा्। तब मैंने देखा तो उसकी आँखों से आंसू निकाल गए थे।

फिर मैंने मेरी स्पीड थोड़ी सी कम कर दी। पर बाद में मैंने देखा कि वो भी मेरे झटके के साथ में अपने चूतड़ उठा कर साथ दे रही थी। फिर मैं भी उसकी जम कर चुदाई करने लगा। पर तब मैंने देखा तो उसकी चूत में से खून निकल रहा था। मैं समझ गया और मैंने उसको बोला कि पहली बार थी तो बोलना चाहिये ना ! मैं थोड़ा आराम से करता !

वो बोली- मुझे अहिस्ते से नहीं चाहिए, इसलिए नहीं बताया।

तो मैंने बोला- फ़िर आंख से आंसू क्यों निकल रहे थे?

वो बोली- तुम्हारा इतना बड़ा लंड लेकर मेरी बुर फट गई थी इस लिए ! और वो बोली- अब थोड़ा और ज़ोर से चोदो ! मैं बस अब झड़ने वाली हूँ !

फ़िर मैंने उसको झटका देना चालू किया उसको काफी सारा मज़ा आया और वो बोली- और ज़ोर से बस ऐसे ही चोदो ! आज मेरी चूत को फाड़ डालो और डाल दो अपना लंड मेरी चूत में !

फ़िर मैंने उसकी जम कर चुदाई की।

वो बोली- मैं झड़ने वाली हूँ !

मैं बोला- रुको !

फिर मैंने उसका पूरा चूत-रस अपने मुँह में भर लिया।

वो बोली- तुम कब झड़ने वाले हो?

मैं बोला- एक बढ़िया सा झटका मार लेने दो !

फ़िर मैंने उसको कुतिया की स्टाइल में दस मिनट तक चोदा, उसे काफी अच्छा महसूस हुआ।

बस अब मैं झड़ने वाला हूँ !

वो बोली- तुम आज तुम्हारे लावा से मेरा मुँह भर दो !

तब मैंने मेरे वीर्य से उसका मुँह भर दिया। उसके बाद हम दोनों करीबन आधा घंटा साथ में नंगे सोते रहे।

फ़िर वो बोली- एक बार और !

मैं बोला- हर शुक्र और शनि तो करेंगे !

तो वो बोली- मज़ा आयेगा !

और तबसे लेके हमने एक भी शुक्र और शनि नही छोड़ा।

आज उसकी शादी हो गई है पर आज भी मैं ज़ब भी सूरत जाता हूँ या वो अलवर आती है, तब हम दोनों मिलते है और मैं उसकी जमकर चुदाई करता हूँ !

तो दोस्तों कैसी लगी आपको मेरी ये कहानी ?

आप अपने मेल मुझे इस पर दो

एक बार फ़िर मिलेंगे यहाँ पर ही मेरी नई स्टोरी के साथ !

तब तक सभी लौड़ों और चूतो को मेरा सलाम ! Indian Sex Stories

Antarvasna

दोस्तो, यह जिस्म, यह Antarvasna जवानी, यह नाज़ुक-नाज़ुक अंग सदा नहीं रहेंगे। आज हो कल नहीं ! यह किसने जाना है ! अगर भगवान् ने औरत और मर्द बनाए हैं, हर औरत एक जैसी नहीं होती, हर मर्द एक जैसा नहीं होता। लेकिन लौड़े की चाहत, चूत की चाहत किसको नहीं होती?

कौन कहता है कि कामवासना अपने हाथ में होती है ! जी नहीं ! मेरी थोड़ी कुछ अलग है। लगभग हर औरत की होगी।

मैं ऐसे माहौल में बड़ी हुई, बहुत उच्च वर्ग के परिवार से ताल्लुक रखती हूँ। मैं बी.सी.ए प्रथम वर्ष की छात्रा हूँ। मेरे माँ-बाप के पास मेरे लिए समय नहीं है। असल में किसी भी बच्चे के लिए समय नहीं था, पैसा अँधा था, होना भी चाहिए।

सोलहवें ही साल में मैंने सेक्स का सुख पा लिया था। अपनी मॉम, बहनों, पापा को अपने-अपने दोस्तों के प्रति चाहत थी। सातवीं कक्षा में थी जब मैंने अपने ही घर में अपनी मॉम को गैर-मर्द की बाँहों में झूलता देखा, वो भी पापा के बेस्ट फ्रेंड से ! उसके इलावा भी मैंने कई बार अपनी मॉम को अलग-अलग मर्दों की बाँहों में देखा था।

अपनी ही बहन को रात उसके बेडरूम, में आधी रात को चुदाई करते देखा।

पापा ज्यादातर घर से बाहर ही रहते थे, बिज़नस ही धर्म-करम सब कुछ था।

ऊपर से मेरी दोस्ती मध्यम वर्ग की कुछ लड़कियों से, जिनके एक नहीं, कई बॉय फ्रेंड थे। यह सब कुछ देख देख कर मेरा दाना भी फड़कने लगा, जवानी यार मांगने लगी, खुद को दबवाने के लिए, शांत करवाने के लिए ! लड़कों के गंदे-गंदे कटाक्ष अब अच्छे लगने लगे। उसके बाद शुरु हुआ मेरी जवानी का लुटाना ! पसंद के लड़कों से शुरु हुई जो अब बंद नहीं करना चाहती !

आखिर अपने इर्द-गिर्द मंडराने वाले भंवरों को अपना रस चखाने का फैंसला कर लिया और एक बहुत बड़े ट्रांस्पोर्टर के लड़के को मैंने हाँ कह दी। अपने लेवल, अपने स्टैण्डर्ड के ही लड़के को हाँ कही थी मैंने भी !

उसके साथ लॉन्ग-ड्राइव पर जाना, रात को डिस्को लेकर जाना ! आखिर एक दिन उसने मुझे अपना फार्म हाउस दिखाने लेकर गया। आलिशान सा फार्म हाउस मेरे लिए आम सा था। सीधा कार से उतर उसके बेडरूम में गए और उसने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया। मैं भी बेल की तरहं उससे लिपट गई, वो पीछे से मेरे भरे-भरे गोल-मोल चूतड़ों को दबाने लगा और मेरे होंठ चूसने लगा। मैं भी गरम होती गई और नीचे से हाथ डाल उसके लौड़े को मसलने लगी। उसका खड़ा हो चुका था और मेरे हाथ में था।

उसने झट से मेरी टॉप उतार फेंका और फिर जींस खींच कर उतार दी।मेरी गोरी-चिट्टी जांघें देखकर उसका लौड़ा सख्त हो गया। उसने मेरी ब्रा उतार मेरा मम्मा मुँह में ले लिया और फिर मेरे चुचूक को चूसने लगा। जिससे में भड़क उठी और जोर से उसके लौड़े को मसलने लगी और फिर उसकी पेंट उतार ऊपर से उसका लौड़ा मसलने लगी। उसने मुझे नीचे दबाते हुए अपना लौड़ा मेरे होंठों पर टिका दिया और मैंने उसको मुँह में डाल दिया, उसके लौड़े को चूसने लगी।

अब उसने मेरी चड्डी उतार मेरी कोरी चूत पर जैसे ही मरदाना हाथ फेरा, वो पल मेरी जिंदगी का हसीन पल बन गया। वाह वाह ! क्या नज़ारा आया !

उसको मालूम हो गया कि चूत कोरी है ! उसने 69 में लिटा कर अपने होंट उसपर रख दिए जिससे वासना और भड़क उठी। मैं जोर-जोर से उसका लौड़ा चूसने लगी, वो मेरे दाने से खेल रहा था।

मैं अब आपे से बाहर होने लगी। यह देख उसने मुझे लिटाते हुए मेरी टांगें चौड़ी करवा दी और बीच में बैठ अपना लौड़ा चूत पे टिका दिया।

प्लीज़ घुसा दो इसको मेरे अन्दर !

उसने मेरी दोनों बाहें पकड़ ली और मेरे होंठ अपने होंठों में ले लिए और ज़बरदस्त झटका दिया। लौड़ा चूत चीरता हुआ अन्दर घुसने लगा। मैं चिल्लाना चाहती थी लेकिन वो खिलाड़ी था इस खेल का ! उसने पूरी मर्दानगी सीख रखी थी, पूरा घुसा कर उसने पूरा निकाल दिया, फिर से डाला, फिर निकाला ! मेरे खून से उसका लौड़ा भीगा पड़ा था।

यह देख मैं रोने लगी पर उसने मेरे होंठ नहीं छोड़े। जैसे ही मैं नीचे से चूतड़ उठाने लगी, उसने मेरे होंठ छोड़ दिए। मैंने चैन की सांस ली और उसकी छाती पर मुक्के मारे- अब और करो ! जोर-जोर से करो ! फाड़ डाली मेरी चूत ! लूट ली मेरी सील बंद चूत !

बोला- अच्छा लग रहा है?

मैंने कहा- बहुत अच्छा ! और मारो मेरी !

वो पटक पटक कर मेरी चूत मार रहा था, मैं नीचे से उठ-उठ कर उसे उकसा रही थी- आह !

उसने मुझे कुतिया की तरह घुटनों के बल कर पीछे से मेरी चूत में लौड़ा डाल कुत्ते की तरह चोदने लगा।

वाह ! इतना मजा आता है इस खेल में !

हां ! मजा आ रहा है ना ?

बहुत अच्छा लग रहा है ! फक मी ! फक मी फास्ट, यू रास्कल ! फक माय पसी फास्ट ! यः टेक इट ! अह अह उह उह !

उसने फिर से मुझे नीचे डाल लिया और मेरे ऊपर सवार होता चला गया। पम्प की तरह मेरी चूत चुद रही थी- यह ले साली, कुतिया ! गश्ती ! तू आज से मेरी हुई ! तोड़ डाली सील तेरी फुद्दी की !

हाय, मार मार मेरी लाल कर दे ! चोद हरामी चोद ! हरामी माँ बना दे मुझे ! कुंवारी माँ !

ले ! ले ! करते करते उसने अपना माल मेरे अंदर छोड़ दिया। उसका गरम-गरम माल वो भी इतना निकला कि बाहर गिरने लगा। उसने लौड़ा निकाल मेरे मुँह में डाल दिया, मैंने साफ़ कर दिया। उस पूरे दिन उसने मुझे तीन बार चोदा और मुझे कच्ची कली नहीं रहने दिया। मुझे भी सेक्स का इतना स्वाद आया और अब मौका मिलते हम दोनों चुदाई का मजा लेने लगे।

फिर वो इंग्लैंड में पढ़ने चला गया और मेरी चूत प्यासी रहने लगी।

मेरा अफेयर एक और लड़के के साथ चल निकला और मैंने उसको अपने घर बुलाया, वो बोला- रात को अकेला नहीं आऊंगा ! अपने कज़िन को साथ लाना पड़ेगा, तभी घरवाले रात को बाहर आने देंगे।

मैं मान गई। उसके बाद दो दो लौड़े मिले, उसके बारे में लिखूंगी अगली बार ! Antarvasna

Sex Stories

मेरा नाम राहुल है, मैं Sex Stories द्वितीय वर्ष का छात्र हूँ। मैं आपको जो कहानी बताने जा रहा हूँ वह गत वर्ष ग्रीष्मकाल की है।

मैं गर्मी की छुट्टियों में मुम्बई गया था। मुम्बई में मेरी चाची रहती हैं। वह वहाँ पर चेम्बुर में रहती हैं। मैं जब मुम्बई गया था तब चाची के पास मेरी चचेरी बहन भी आई हुई थी। उसका नाम रीना है। उसकी शादी हो चुकी है। उसकी उम्र चौबीस वर्ष की है। वो दिखने में बहुत ही सेक्सी है। उसके कपड़े पहनने के ढंग और रहन-सहन भी बहुत सेक्सी हैं। उसे कोई भी देखे तो उसका लण्ड खड़ा होना ही होना है।

एक दिन चाची को गाँव जाना पड़ा। वह गाँव चली गई। घर पर मैं और रीना दीदी दोनों ही थे। उस दिन शाम को मैं बोर हो गया था, इसलिए मैंने दीदी से कहा- क्यों ना फिल्म देखने चलते हैं।’

वह भी राजी हो गई, और हम फिल्म देखने चले गए। उस दिन हमने मर्डर फिल्म देखी। फिल्म में काफी गरम दृश्य थे। फिल्म देखने के बाद हम घर आए। हमने रात का खाना खाया। रात काफ़ी हो चुकी थी।

आपको तो पता ही होगा, मुम्बई में घर बहुत छोटे होते हैं। उस पर मेरी चाची एक कमरे के घर में रहती हैं। वहाँ सिर्फ एक ही बिस्तर के बाद, थोड़ी और जगह बचती थी। अब हमें सोना था। सो मैंने अपनी लुँगी ली और दीदी के सामने ही अपने कपड़े बदलने लगा।

मैंने मेरी शर्ट खोली, बाद में पैन्ट भी। मेरे सामने अब भी मर्डर फिल्म के दृश्य घूम रहे थे, इसलिए मेरे लंड खड़ा था। वो अण्डरवियर में तम्बू बना रहा था।

मेरे पैन्ट निकालने के बाद मेरे लण्ड की तरफ़ दीदी की नज़र गई, वह यह देखकर मुस्कुराई। मैंने नीचे देखा तो मेरे अण्डरवियर में बहुत बड़ा टेन्ट बना हुआ था। मैं शरमाया और मैंने मेरा मुँह दूसरी ओर घुमा लिया, फिर लुँगी बाँध ली।

पर लुँगी के बावज़ूद मेरे लंड का आकार नज़र आ रहा था। उस हालत में मैं कुछ भी नहीं कर सकता था। फिर मैंने यह भी सोचा कि दीदी यह सब देखकर मुस्कुरा रही है, उसे शर्म नहीं आ रही है, तो फिर मैं क्यों शरमाऊँ?

मैं बिस्तर पर जाकर सो गया। फिर दीदी ने आलमारी से अपनी नाईटी निकाली और कमरे का दरवाज़ा बन्द कर लिया, उसने साड़ी उतारी। वाऊ… क्या बद़न था। वह देखकर तो मैं पागल ही हो गया और मेरा लंड उछाल मारने लगा। उसने अपनी ब्लाऊज़ निकाली और बाद में अपनी पेटीकोट भी निकाल दी। वह मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।

उसे उस हालत में देखकर तो मैं पागल ही हो रहा था। लेकिन वह मेरी दीदी थी, इसलिए नियंत्रण कर रहा था। मुझे डर भी लग रहा था कि मैं कुछ कर ना बैठूँ और दीदी को गुस्सा आ गया तो मेरी तो शामत आ जाएगी। उसने नाईटी पहन ली। उसकी नाईटी पारदर्शी थी, जिसमें से उसका सारा जिस्म नज़र आ रहा था।

वह मेरे पास आकर सो गई। हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोए थे। लेकिन उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी। मेरे सामने उसका नंगा जिस्म घूम रहा था। और उसके मेरे पास सोने के कारण मेरा तनाव और बढ़ा हुआ था। लेकिन कुछ करने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी।

आधे घंटे तक तो मैं वैसे ही तड़पता रहा। लेकिन बाद में मैंने सोचा कि ऐसा मौक़ा बार-बार नहीं आने वाला। अगर तूने कुछ नहीं किया तो हाथ से निकल जाएगा। मैंने सोच लिया थोड़ा रिस्क लेने में क्या हर्ज़ है। और मैं थोड़ा सा दीदी की ओर सरक गया।

दीदी मेरी विपरीत दिशा में मुँह करके सोई थी। मैंने मेरा हाथ उनके बदन पर डाला। मेरा हाथ दीदी के पेट पर था। मैंने धीरे-धीरे मेरा हाथ उनके पेट पर घुमाना चालू किया। थोड़ी देर बाद मैंने अपना हाथ उनकी चूचियों पर रखा। उसकी चूचियाँ काफ़ी बड़ी और नरम थीं।
मैंने उसकी चूचियाँ धीरे-धीरे दबानी चालू कीं। उसने कुछ भी नहीं कहा, ना ही कोई हरक़त की। मेरी हिम्मत काफ़ी बढ़ गई। मैंने अपने लंड को उसके चूतड़ पर दबाया और उसे अपनी ओर खींचा और फिर धीरे-धीरे मैं अपना लंड उसके दोनों चूतड़ों के बीच की दरार में दबाने लगा। वह मेरी ओर घूम गई। मेरी तो डर के मारे गाँड ही फट गई।

लेकिन वह भी मेरी ओर सरकी, तो मेरा लंड उसकी चूत पर दब रहा था और उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर। मैं समझ गया कि वह सो नहीं रही थी, बस सोने का नाटक कर रही थी और वह भी चुदवाना चाहती है। अब तो मेरे जोश की कोई सीमा ही नहीं थी। मैंने उसे मेरी ओर फिर से खींचा, तो वह मुझसे थोड़ा दूर सरक गई। मैं डर गया, और चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा।

थोड़ी ही देर बाद उसने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और मसलने लगी। मैं बहुत खुश हुआ।

उसने अपने हाथों से मेरी लुंगी निकाल दी और अण्डरवियर भी, और मेरे लंड को मसलने लगी, फिर उसने मेरे कान में कहा- वीजू, तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है। तुम्हारे जीजू का तो बहुत छोटा है।’

मैंने भी दीदी की नाईटी निकाल दी और उनको पूरा नंगा कर दिया। फिर मैं उनके ऊपर लेट कर उन्हें चूमने लगा। मैं उनके पूरे बदन को चूम रहा था। वह सिसकियाँ भर रही थी। मैं उसे चूमते-चूमते उसकी चूत तक चला गया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए। उसके मुँह से सीत्कार निकल गई। फिर मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डालनी शुरु की, वह अपने चूतड़ उठाकर मुझे प्रतिक्रिया दे रही थी।

मेरा लंड अब लोहे जैसा गरम हो गया था। मैं उठा और उसकी छाती पर बैठ गया और मैंने लंड उसके मुँह में डाल दिया। वह भी मेरा लंड बड़े मज़े से चूसने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

मैंने बाद में अपना लण्ड उसकी दोनों चूचियों के बीच में डाला और उसे आगे-पीछे करने लगा। वाऊ… क्या चूचियाँ थीं उसकी, मैं तो पागल हुआ जा रहा था।

थोड़ी देर बाद उसने कहा- वीजू, प्लीज़, अब रहा नहीं जाता, लंड मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोदो।

मैं उसके ऊपर फिर से लेट गया और मैंने मेरा लंड हाथ में पकड़ कर उसकी चूत के ऊपर रखा और एक ज़ोर का झटका दिया तो मेरा आधा लण्ड उसकी चूत में घुस गया।

मैंने दीदी से पूछा- दीदी, तुम तो कह रही थी कि जीजू का लण्ड मेरे लण्ड से काफी छोटा है, तो तुम्हारी चूत इतनी ढीली? एक ही झटके में आधा लण्ड अन्दर चला गया।’

इस पर वह मुस्कुराई और बोली- अरे वीजू, तुम्हारे जीजू का लण्ड छोटा तो है, पर मेरी चूत ने अब तक बहुत से लण्ड का पानी चखा है।’

फिर मैंने दूसरा झटका दिया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया। फिर मैंने उसकी चुदाई शुरु कर दी।

वह भी अपनी कमर उठाकर मेरा साथ दे रही थी. उसके मुँह से आवाज़ें निकल रही थीं, वह कह रही थी- वीजू… चोदोओओओ… और ज़ोर से चोदोओओओओ… अपनी दीदी की चूत आज फाआआआड़ डालो… ओह.. वीजू… डालो और ज़ोर से और अन्दर डालो… बहुत मज़ा आ रहा है।’

उसकी ये बातें सुनकर मेरा जोश और भी बढ़ जाता और मेरी रफ़्तार भी बढ़ती जा रही थी। फिर मैं झड़ गया और वैसे ही उसके बदन पर सो गया और उसकी चूचियों के साथ खेलने लगा। उस रात मैंने दीदी की ख़ूब चुदाई की। Sex Stories

Hindi Sex Stories

दोस्तो, यह मेरी प्रथम Hindi Sex Stories आपबीती और अनुभव है क्योंकि इससे पहले मुझे सेक्स का कोई न तो अनुभव था न कोई किताब या कहानी पढ़ी थी। बस दो या तीन कहानियाँ अपने दोस्त राम के साथ छुप कर ज़रूर पढ़ी थी, लेकिन ऐसा कुछ नहीं था कि कोई इच्छा हो या मन करता हो कुछ करने का, क्योंकि मैं कुछ जानता ही नहीं था।

एक बार टेस्ट के दिनों में जब मैं पढ़ाई कर रहा था तो जीव-विज्ञान के टेस्ट कठिन होने के कारण राम और मैंने साथ-साथ रात में पढ़ने का सोचा और मैंने राम से कहा कि वो मेरे घर पर रात को आठ बजे तक आ जाये, खाना खाकर फिर रात भर पढ़ाई करते रहेंगे और पाठ भी आसानी से एक दूसरे को समझा लेंगे।

मेरे घर पर मेरा कमरा घर से बाहर एक ओर था और वहाँ न तो घर वाले आते थे और न ही कोई आवाज़ आती थी। वह तैयार हो गया और रात आठ बजे मेरे कमरे पर आ गया। मैं पहले ही खाना खा कर बनियान-पजामा पहन कर पढ़ रहा था। मैंने देखा कि वो भी पजामा और कुर्ता पहने था। उसने आते ही अपना कुर्ता उतार कर खूँटी पर टांग दिया और बनियान-पजामे में मेरे सामने मेज़ की दूसरी ओर कुर्सी पर बैठ गया और हम दोनों एक साथ एक एक पाठ दोहराने लगे।

रात करीब एक बजे जब स्त्री पुरुष के जनन-अंगों वाला पाठ आया और उसमें जनन अंगों की फोटो वाला पेज आया तो कुछ रात की खुमारी और कुछ सेक्स अंगों की फोटो देख कर हम दोनों उत्तेजित होने लगे, हालांकि हम दोनों ही उस पाठ को पहले भी कई बार पढ़ चुके थे।

अचानक राम बोला कि उसे सू-सू आ रही है और वह उठने लगा तो मेरी नज़र अचानक उसके पजामे की तरफ गई तो देखा कि उसका लंड पूरा तना हुआ पजामे को तम्बू की तरह ताने हुए था। मुझे यह देख कर हंसी आ गई और वो शरमा कर बोला- धत, क्या देख रहा है? क्या तेरा भी ऐसे ही हो रहा है?

तो मैं भी उठा तो देखा कि मेरा भी वही हाल था और मैं भी शरमा गया। फिर वह पेशाब करने चला गया और उसके आने के बाद मैं भी पेशाब करने चला गया। फिर वापस आने पर दोनों उसी चैप्टर को याद करने लगे लेकिन अब हम दोनों का ही मन नहीं लग रहा था और दोनों ही का दिमाग कहीं और भटक रहा था।

दस मिनट के बाद राम बोला- अब पढ़ने में मन नहीं लग रहा है क्योंकि मेरा लंड फिर से कड़ा होने लगा है, लगता है यह पाठ पूरा नहीं कर पाऊँगा। यार तू बता मैं क्या करूँ?
मैंने कहा- यार मेरा भी यही हाल है!
और कुर्सी से उठ कर उसे दिखाया।

राम ने कुछ सोचा और उठ कर बोला- यार चल एक दूसरे को नंगा करके लंड मिलाते हैं किसका कैसा है!

यह कहते हुए उसने अपना कुरता और पजामा दोनों उतार कर कच्छा भी उतार दिया और ऊपर से नीचे तक पूरा नंगा हो गया। उसका लंड काले रंग का सीधा ऊपर को तना था और करीब 7 इंच लम्बा और थोड़ा मोटा आगे से नुकीला लेकिन खाल से ढका हुआ था।

यह देख कर मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरा लंड भी लगभग उसी के बराबर लेकिन गोरा था क्योंकि मेरे शरीर का रंग गोरा और उसका सावला था। मेरा लंड भी खड़ा था। यह देख कर हम दोनों पता नहीं कैसे अपने आप एक दूसरे से चिपक गए जिससे दोनों के लंड आपस में टकराने लगे और हम दोनों को जाने कैसी मजेदार अनुभूति होने लगी।

दो मिनट के बाद हम दोनों एक दूसरे का लंड हाथों में पकड़ कर सहलाने लगे जिससे लंड के आगे की चमड़ी अपने आप पीछे हो गई और लंड खुल गए। हम लोगों को बहुत मजा आ रहा था। दोनों ने दो-तीन कहानियाँ मस्तराम की पढ़ी थी, अतः ऐसा करते हुए हम दोनों बिस्तर पर पहले बैठ गए फिर अपने आप ही लेट गए अगल बगल और जोरों से एक दूसरे को चाटने लगे और लंड से लंड को धक्के देकर टकराने लगे।

बड़ा ही मजा आ रहा था। हम लोगों को न तो गांड मारना और न ही गांड मरवाना आता था लेकिन इसी प्रकार मजा लेते हुए राम बोला- यार मस्तराम की कहानी में जो पढ़ा है उसे करके देखते हैं।

मैं बोला- ठीक है!
और यह सुनकर राम ने पूछा- क्या तेल है?
क्योंकि कहानी में तेल चुपड़ कर ही लंड को गांड के छेद में घुसेड़ते हैं।

मेरे पास तेल नहीं था लेकिन चेहरे पर क्रीम लगाने का शौक होने के कारण क्रीम की शीशी थी। वो मैंने अलमारी में से निकाल कर उसको दे दी।
राम ने कहा- यार किसी से कहना नहीं! नहीं तो बहुत हँसी भी बनेगी और लोग चिड़ाएंगे भी!
तो मैंने कहा- हम दोनों में कोई नहीं बताएगा! बस अब देर मत करो और मस्तराम की कहानी का प्रैक्टिकल शुरू करते हैं। अब यह बता पहले तू कोशिश करेगा या मैं करूँ?
तो राम ने कहा- यार तू ही कर!

मैंने उसे बिस्तर पर पेट के बल लिटाया और उसकी जांघों के बीच उसके पैर फैला कर इस तरह बैठ गया कि मेरे लंड के सुपाड़े और उसकी गांड के छेद दोनों लगभग एक सीध में आ गये। फिर मैंने शीशी में से क्रीम निकाल कर उंगली से अपने लंड के सुपाड़े और पीछे भी लगाई और थोड़ी क्रीम उंगली से उसकी गांड के छेद के ऊपर लगा दी। फिर थोड़ा आगे बढ़ कर अपना सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रख कर जोर लगाया कि लंड अंदर घुसे। लेकिन वो तो जरा भी अंदर नहीं गया तो राम बोला- चूतिया! खूब जोर से धक्का पेल! तभी तो अंदर जायेगा! मैं अपने हाथों से दोनों चूतड़ पकड़ कर फैला रहा हूँ, तू जोर से ताकत लगा कर घुसेड़ दे!

मैंने आव देखा न ताव! और पूरी ताकत से धक्का मारा तो एक चीख तो राम के मुँह से निकली- हाई दय्या रे मर गया! निकाल जल्दी से निकाल! साले मैं मर जाऊँगा!

और वह मेरा लंड अपनी गांड में से बाहर निकलने को छटपटाने लगा। मेरा आधे से ज्यादा लंड उसकी गांड में घुस चुका था। दूसरी चीख हलकी सी मेरे मुँह से निकली क्योंकि पहली बार मेरे लंड से खाल पूरी तरह हट कर बिल्कुल पीछे हो गई थी और लंड राम की गांड की दोनों फांकों के बीच बहुत टाइट फंसा था।राम के छटपटाने से मेरा संतुलन भी बिगड़ गया था जिससे मैं उसकी पीठ पर गिर गया था और राम मेरे वजन के कारण हिल भी नहीं पा रहा था। मैं थोड़ी देर उसी प्रकार लेटा रहा और सोच रहा था कि क्या करूँ, अपना लंड बाहर निकालूँ या दूसरा धक्का मारकर पूरा अंदर कर दूँ!

इस प्रकार चार-पाँच मिनट बीत गए तो राम का छटपटाना बंद हो गया और वो शांति से लेटा था। फिर राम खुद बोला- यार जब प्रैक्टिकल करना है तो पूरा ही कर लेते हैं! जो होगा देखा जायेगा! तू लंड पूरा घुसेड़ दे लेकिन अबकी बार एक धक्के में पूरा घुस जाये क्योंकि तीसरा धक्का खाने की ताकत नहीं है मेरे में!

मैंने शरीर की पूरी ताकत अपने कूल्हों में इकठ्ठा करके जो धक्का मारा तो एक ओर तो मेरा पूरा लंड उसकी गांड में जड़ तक बैठ गया और दूसरी ओर राम तो चीख कर रोने लगा- यार, मैं तो मर गया! मेरी गांड भी फट गई होगी। अब मैं कल कैसे स्कूल जाऊँगा?

उधर मेरे लंड में भी बहुत दर्द हो रहा था लेकिन अब तो जो होना था वो हो चुका था और मैं उसके ऊपर लेटा था चुपचाप!

थोड़ी देर बाद जब दोनों को शांति हुई तो मैं कहानी में पढ़े अनुसार धीरे धीरे धक्के लगाने लगा तो हम दोनों को तीन चार मिनट के बाद मजा आने लगा। मेरे धक्कों की स्पीड धीरे धीरे अपने आप बढ़ती चली गई और राम भी नीचे से अपने चूतडों को ऊपर उठा उठा कर मेरे धक्कों को बढ़ाने लगा और उसके मुँह से अपने आप निकलने लगा- यार मेरी जान चोद दे, फाड़ दे मेरी गांड! बड़ा मजा आ रहा है! आज तक इतना मजा कभी नहीं आया!

और मैं भी पूरी स्पीड से धक्के लगाता हुआ बोल रहा था- ले मेरी जान, पूरा लंड पी लिया अब और लम्बा कैसे करूँ?

इस प्रकार बातें करते स्पीड बढ़ती गई और अचानक मेरे लंड से गरम गरम लावा सा निकलने लगा और मुझे लगा कि मैं किसी तरह राम की गांड में खुद घुस जाऊँ।

फिर मैं पस्त हो कर राम की पीठ पर लेट गया और राम भी पस्त हो गया था। मेरा लंड भी अपने आप सिकुड़ कर छोटा होकर राम की गांड से फिसल कर बाहर आ गया और उसकी गांड के बाहर गीला गीला सा मेरे लंड से टपकने लगा था।

थोड़ी देर बाद मैं उसके ऊपर से उठा तो देखा कि उसकी गांड में से सफ़ेद और लाल तरल निकल रहा था। मैंने कहानी के हिसाब से समझ लिया कि लाल तो गांड के फटने से निकला खून और सफ़ेद मेरे लंड से निकला वीर्य है जिससे राम की गांड लबालब भरी हुई थी, क्योंकि मैं जीवन में पहली बार झड़ा था इसलिए वीर्य बहुत ज्यादा मात्रा में निकला था। लेकिन आनन्द जो आज पहली बार गांड मारने में आया उसे मैं कभी भूल नहीं सकता था और सोच लिया कि अब रोज़ राम की या जो मिल जाये उसकी मारूंगा ज़रूर!

मैंने झाड़-पौंछ करने वाला कपड़ा लिया और राम की गांड को धीरे धीरे साफ किया। अब राम धीरे से उठा तो उसे दर्द हो रहा था, लेकिन वो बहुत खुश था कि गांड मरवाने में इतना मजा आता है तो अब अलग अलग आकार के लंड खोज खोज कर गांड मरवाऊँगा।

दोस्तो, उसके बाद थोड़ी देर हम लोग सेक्स की ही बात करते रहे और मैं राम का लंड सहलाता रहा जिससे वो पूरी तरह से खड़ा हो गया तो मैंने खुद राम से कहा- यार, गांड मारने में बहुत मजा आया और मैं अब रोज़ नई नई गांड मारूँगा! अब तुम मेरी गांड मारो जिससे मुझे उसका भी स्वाद मिल जाये।

यह कह कर मैं पेट के बल बिस्तर पर लेट गया और… दोस्तो बार बार वैसी ही कहानी दोहराने से क्या फायदा!

जिस तरह मैंने उसकी गांड मारी और फाड़ी और जितना दर्द मुझे अपने लंड में अनुभव हुआ उतना ही राम को भी हुआ और मेरी भी गांड फट गई और बहुत दर्द हुआ।

लेकिन दोस्तो, बहुत मजा आया और सोच लिया कि गांड मारना और मरवाना दोनों में बहुत मजा आता है और यदि लंड और गांड बदलती रहे तो कहना ही क्या!

पहले तो हम लोग आपस में ही यह खेल खेलते रहे लेकिन फिर हम लोगों ने अपना दायरा बढ़ाया और बहुत से लोगों को शामिल करके तब तक मजा लेते रहे जब तक पढ़ाई पूरी करके अपने अपने व्यापार में लग गए और शादी न हो गई।

बल्कि शादी के बाद भी जब मौका मिलता अपने दायरे के लोग आपस में मारने-मराने का गेम खेलते रहते थे जो आज भी जारी है।

दोस्तो, बहुत से किस्से हैं! आगे भी लिखता रहूँगा। Hindi Sex Stories

TOTTAA’s Disclaimer & User Responsibility Statement

The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first. 

We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.

 

👆 सेक्सी कहानियां 👆