Our site can help you find a professional massage girl in Thanjavur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Thanjavur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Thanjavur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Thanjavur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Thanjavur massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Thanjavur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Thanjavur who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Thanjavur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Thanjavur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Thanjavur
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Thanjavur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
यह घटना इसी होली Antarvasna की है। 6 साल के बाद मैं होली में अपने घर पर था। मेरी उम्र 19 साल की है। मैं अपने शहर से बहुत दूर एक कॉलेज में तकनीकी की पढ़ाई कर रहा हूँ। हड़ताल होने के कारण कॉलेज एक महीने के लिए बन्द हो गया था।
सारे त्योहारों में मुझे यह होली का उत्सव बिल्कुल पसन्द नहीं है। मैंने पहले कभी भी होली नहीं खेली। पिछले 6 साल मैंने होस्टल में ही बिताया। मेरे अलावा घर में मेरे बाबूजी और माँ है। मेरी छोटी बहन का विवाह पिछले साल हो गया था। कुछ कारण बस मेरी बहन रेनू होली में घर नहीं आ पाई। लेकिन उसके जगह पर हमांरे दादाजी होली से कुछ दिन पहले हमांरे पास हमसे मिलने आ गये थे। दादाजी की उम्र करीब 61-62 साल है, लेकिन इस उम्र में भी वे खूब हट्टे कट्टे दिखते हैं। उनके बाल सफेद होने लगे थे लेकिन सर पर पूरे घने बाल थे। दादाजी चश्मा भी नहीं पहनते थे। मेरे बाबूजी की उम्र करीब 40-41 साल की होगी और माँ की उम्र 34-35 साल की। माँ कहती है कि उसकी शादी 14 वे साल में ही हो गई थी और साल बीतते बीतते मैं पैदा हो गया था। मेरे जन्म के 2 साल बाद रेनू पैदा हुई।
अब जरा माँ के बारे में बताउँ। वो गाँव में पैदा हुई और पली बढ़ी। पांच भाई बहनों में वो सबसे छोटी थी। खूब गोरा दमकता हुआ रंग, 5’5″ लम्बी, चौडे कन्धे, खूब उभरी हुई छाती, उठे हुए स्तन और मस्त, गोल गोल भरे हुए नितम्ब। जब मैं 14 साल का हुआ और मर्द और औरत के रिश्ते के बारे में समझने लगा तो जिसके बारे में सोचते ही मेरा लौड़ा खड़ा हो जाता था, वो मेरी माँ मालती ही है। मैंने कई बार मालती के बारे में सोच सोच कर हत्तु मारा होगा लेकिन ना तो कभी मालती का चुची दबाने का मौका मिला, ना ही कभी उसको अपना लौड़ा ही दिखा पाया। इस डर से क़ि अगर घर में रहा तो जरुर एक दिन मुझसे पाप हो जायेगा, 8वीं क्लास के बाद मैं जिद कर होस्टल में चला गया।
माँ को पता नहीं चल पाया कि उसके इकलौते बेटे का लौड़ा माँ की बुर के लिए तड़पता है। छुट्टियों में आता था तो चोरी छिपे मालती की जवानी का मज़ा लेता था और करीब करीब रोज रात को हत्तु मारता था। मैं हमेशा यह ध्यान रखता था कि माँ को कभी भी मेरे ऊपर शक ना हो। और माँ को शक नहीं हुआ। वो कभी कभी प्यार से गालों पर थपकी लगाती थी तो बहुत अच्छा लगता था। मुझे याद नहीं कि पिछले 4-5 सालों में उसने कभी मुझे गले लगाया हो।
अब इस होली कि बात करें। माँ सुबह से नाश्ता, खाना बनाने में व्यस्त थी। करीब 9 बजे हम सब यानि मैं, बाबूजी और दादाजी ने नाश्ता किया और फिर माँ ने भी हम लोगों के साथ चाय पी। 10 – 10.30 बजे बाबूजी के दोस्तो का ग्रुप आया। मैं छत के ऊपर चला गया। मैंने देखा कि कुछ लोगों ने माँ को भी रंग लगाया। दो लोगों ने तो माँ की चूतड़ों को दबाया, कुछ देर तो माँ ने मजा लिया और फिर माँ छिटक कर वहाँ से हट गई। सब लोग बाबूजी को लेकर बाहर चले गये । दादाजी अपने कमरे में जाकर बैठ गये।
फिर आधे घंटे के बाद औरतों का हुजूम आया। करीब 30 औरतें थी, हर उम्र की। सभी एक दूसरे के साथ खूब जमकर होली खेलने लगे। मुझे बहुत अच्छा लगा। जब मैंने देखा कि औरतें एक दूसरे की चुची मसल मसल कर मजा ले रही हैं, कुछ औरतें तो साया उठा उठा कर रंग लगा रही थी। एक ने तो हद ही कर दी। उसने अपना हाथ दूसरी औरत के साया के अन्दर डाल कर बुर को मसला। कुछ औरतों ने मेरी माँ मालती को भी खूब मसला और उनकी चुची दबाई। फिर सब कुछ खा पीकर बाहर चली गई। उन औरतो ने माँ को भी अपने साथ बाहर ले जाना चाहा लेकिन माँ उनके साथ नहीं गई।
उनके जाने के बाद माँ ने दरवाजा बन्द किया। वो पूरी तरह से भीग गई थी। माँ ने बाहर खड़े खड़े ही अपना साड़ी उतार दी। गीला होने के कारण साया और ब्लाऊज दोनों माँ के बदन से चिपक गए थे। कसी कसी जांघें, खूब उभरी हुई छाती और गोरे रंग पर लाल और हरा रंग माँ को बहुत ही मस्त बना रहा था। ऐसी मस्तानी हालत में माँ को देख कर मेरा लौड़ा टाइट हो गया। मैंने सोचा, आज अच्छा मौका है। होली के बहाने आज माँ को बाहों में लेकर मसलने का। मैंने सोचा कि रंग लगाते लगाते आज चुची भी मसल दूंगा। यही सोचते सोचते मैं नीचे आने लगा। जब मैं आधी सीढी तक आया तो मुझे आवाज सुनाई पड़ी!
दादाजी माँ से पूछ रहे थे,” विनोद कहाँ गया?”
“मालूम नहीं, लगता है अपने बाबूजी के साथ बाहर चला गया है।” माँ ने जवाब दिया।
माँ को नहीं मालूम था कि मैं छत पर हूँ और अब उनकी बातें सुन भी रहा हूँ और देख भी रहा हूँ। मैंने देखा मालती अपने ससुर के सामने गरदन झुकाये खड़ी है। दादाजी माँ के बदन को घूर रहे थे।
तभी दादाजी ने माँ के गालो को सहलाते हुये कहा,”मेरे साथ होली नहीं खेलोगी?”
मैं तो ये सुन कर दंग रह गया। एक ससुर अपनी बहू से होली खेलने को बेताब था। मैंने सोचा, माँ ददाजी को धक्का देकर वहाँ से हट जायेगी लेकिन साली ने अपना चेहरा ऊपर उठाया और मुस्कुरा कर कहा,” मैंने कब मना किया है, और अभी तो घर में कोई है भी नहीं!”
कहकर माँ वहां से हट गई। दादाजी भी कमरे के अन्दर गये और फिर दोनों अपने अपने हाथों में रंग लेकर वापस वहीं पर आ गये। दादाजी ने पहले दोनों हाथों से माँ की दोनों गालों पर खूब मसल मसल कर रंग लगाया और उसी समय माँ भी उनके गालों और छाती पर रंग रगड़ने लगी। दादाजी ने दुबारा हाथ में रंग लिया और इस बार माँ की गोल गोल बड़ी बड़ी चुचियों पर रंग लगाते हुए चुचियों को दबाने लगे। माँ भी सिसकारती मारती हुई दादाजी के शरीर पर रंग लगा रही थी।
कुछ देर तक चुचियों को मसलने के बाद दादाजी ने माँ को अपनी बाहों में कस लिया और चूमने लगे। मुझे लगा कि माँ गुस्सा करेगी और दादाजी को डांटेगी। लेकिन मैंने देखा क़ि माँ भी दादाजी के पांव पर पांव चढ़ा कर चूमने में मदद कर रही है। चुम्मा लेते लेते दादाजी का हाथ माँ की पीठ को सहला रहा था और हाथ धीरे धीरे माँ के सुडौल नितम्बों की ओर बढ़ रहा था । वे दोनों एक दूसरे को जम कर चूम रहे थे जैसे पति-पत्नि हों।
अब दादाजी माँ के चूतड़ों को दोनों हाथों से खूब कस कस कर मसल रहे थे और यह देख कर मेर लौड़ा पैंट से बाहर आने को तड़प रहा था। क़हां तो मैं यह सोच कर नीचे आ रहा था कि मैं माँ के मस्त गुदाज बदन का मजा लूंगा और कहां मुझसे पहले इस हरामी दादाजी ने रंडी का मजा लेना शुरु कर दिया।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। मन तो कर रहा था कि मैं दोनों के सामने जाकर खड़ा हो जाऊँ। लेकिन तभी मुझे दादाजी कि आवाज सुनाई पड़ी,” रानी, पिचकारी से रंग डालूँ?”
दादाजी ने माँ को अपने से चिपका लिया था। माँ का पिछवाड़ा दादाजी से सटा था और मुझे माँ का सामने का माल दिख रहा था। दादाजी का एक हाथ चुची को मसल रहा था और दूसरा हाथ माँ के पेड़ू को सहला रहा था।
“अब भी कुछ पूछने की जरूरत है क्या?”
माँ का इतना कहना था कि दादाजी ने एक झटके में साया के नाड़े को खोल डाला और हाथ से धकेल कर साया को नीचे जांघो से नीचे गिरा दिया। मैं अवाक था माँ की बुर को देखकर। माँ ने पैरों से ठेल कर साया को अलग कर दिया और दादाजी का हाथ लेकर अपनी बुर पर सहलाने लगी। बुर पर बाल थे जो बुर को ढक रखा था। दादाजी की अंगुली बुर को कुरेद रही थी और माँ अपनी हाथो से ब्लाउज का बटन खोल रही थी। दादाजी ने माँ के हाथ को अलग हटाया और फटा फट सारे बटन खोल दिए और ब्लाउज को निकाल दिया।
अब माँ पूरी तरह से नंगी थी। मैंने जैसा सोचा था, चूची उससे भी बड़ी बड़ी और सुडौल थी। दादाजी आराम से नंगी जवानी का मजा ले रहे थे। माँ ने 2-3 मिनट दादाजी को चुची और चूत मसलने दिया फिर वो अलग हुई और वहीं फर्श पर मेरी तरफ पाँव रखकर लेट गई। मेरा मन कर रहा था कि जाकर चूत में लौड़ा पेल दूँ। तभी दादाजी ने अपना धोती और कुर्ता उतारा और माँ के चेहरे के पास बैठ गये। माँ ने लन्ड को हाथ में लेकर मसला और कहा,”पिचकारी तो अच्छा दिखता है लेकिन देखें इसमें रंग कितना है! अब देर मत करो, वे आ जायेंगे तो फिर रंग नहीं डाल पाओगे।”
और फिर, दादाजी ने माँ पाँव के बीच बैठ कर लन्ड को चूत पर दबाया और तीसरे धक्के में पूरा लौड़ा बुर के अन्दर चला गया। क़रीब 10 मिनटों तक माँ को खूब जोर जोर से धक्का लगा कद चोदा। उस रन्डी को भी चुदाई का खूब मजा आ रहा था, तभी तो साली जोर जोर से सिसकारी मार मार कर और चूतड़ उछाल उछाल कर दादाजी के लंड के धक्के का बराबर जबाब दे रही थी। उन दोनों की चुदाई देखकर मुझे विश्वास हो गया था कि माँ और दादाजी पहले भी कई बार चुदाई कर चुके हैं.
“क्या राजा, इस बहू का बुर कैसा है? मजा आया या नहीं?” माँ ने कमर उछालते हुये पूछा।
“मेरी प्यारी बहू! बहुत प्यारी चूत है और चूची तो बस, इतनी मस्त चुची पहले कभी नहीं दबाई।”दादाजी ने चुची को मसलते हुये पेलना जारी रखा और कहा।
“रानी, तुम नहीं जानती, तुम जबसे घर में दुल्हन बन कर आई, मैं हजारों बार तुम्हारे चूत और चुची का सोच सोच कर लंड को हिला हिला कर तुम्हारा नाम ले ले कर पानी गिराता हूँ।”
दादाजी ने चोदना रोक कर माँ की चुची को मसला और रस से भरे ओंठों को कुछ देर तक चूसा। फिर चुदाई शुरू की और कहा,”मुझे नहीं मालूम था कि एक बार बोलने पर ही तुम अपनी चूत दे दोगी, नहीं तो मैं तुम्हें पहले ही सैकडों बार चोद चुका होता!”
मुझे विश्वास नहीं हुआ कि माँ दादाजी से पहली बार चुद रही है। दादाजी ने एक बार कहा और हरामजादी बिना कोई नखरा किये चुदाने के लिये नंगी हो गई और दादाजी कह रहे है कि आज पहली बार ही माँ को चोद रहे हैं।
लेकिन तब माँ ने जो कहा वो सुनकर मुझे विश्वास हो गया कि माँ पहली बार ही दादाजी से मरवा रही है।
माँ ने कहा,” राजा, मैं कोई रंडी नहीं हूँ। आज होली है, तुमने मुझे रंग लगाना चाहा, मैंने लगाने दिया, तुमने चुची और चूत मसला, मैंने मना नहीं किया, तुमने मुझे चूमा और मैंने भी तुमको चूमा और तुम चोदना चाह्ते थे, पिचकारी डालना चाहते थे तो मेरी चूत ने पिचकारी अन्दर ले ली। तुम्हारी जगह कोई और भी ये चाहता तो मैं उस से भी चुदवाती। चाहे वो राजा हो या नौकर! होली के दिन मेरा माल, मेरी चूत, मेरी जवानी सब के लिये खुली है…!”
माँ ने दादाजी को अपनी बांहों और जांघों में कस कर बांधा और फिर कहा,”आज जितना चोदना है, चोद लो, फिर अगली होली का इंतजार करना पड़ेगा मेरी नंगी जवानी का दर्शन करने के लिये!”
माँ की बात सुनकर मैं आश्चर्य-चकित था कि होली के दिन कोई भी उसे चोद सकता था.
लेकिन यह जान कर मैं भी खुश हो गया। कोई भी में तो मैं भी आता हूँ। आज जैसे भी हो, माँ को चोदूँगा ही। यह सोच कर मैं खुश था और उधर दादाजी ने माँ की चूत में पिचकारी मार दी। बुर से मलाई जैसा गाढ़ा दादाजी का रस बाहर निकल रहा था और दादाजी खूब प्यार से माँ को चूम रहे थे।
क़ुछ देर बाद दोनों उठ गये।
“कैसी रही होली?” माँ ने पूछा,” आप पहले होली पर हमारे साथ क्यों नहीं रहे। मैंने 12 साल पहले होली के दिन सबके लिये अपना खजाना खोल दिया था।”
माँ ने दादाजी के लौड़ा को सहलाया और कहा,” अभी भी लौड़े में बहुत दम है, किसी कुमारी छोकरी की भी चूत एक धक्के में फाड़ सकता है।”
माँ ने झुक कर लौड़े को चूमा और फिर कहा,”अब आप बाहर जाईये और एक घंटे के बाद आईयेगा। मैं नहीं चाहती कि विनोद या उसके बाप को पता चले कि मैंने आप से चुदाई है।”
माँ वहीं नंगी खड़ी रही और दादाजी को कपडे पहनते देखती रही। धोती और कुर्ता पहनने के बाद दादाजी ने फिर माँ को बांहो में कसकर दबाया और गालों और होंठों को चूमा। कुछ चुम्मा चाटी के बाद माँ ने दादाजी को अलग किया और कहा,”अभी बाहर जाओ, बाद में मौका मिलेगा तो फिर से चोद लेना लेकिन आज ही, कल से मैं आपकी वही पुरानी बहू रहूंगी।”
दादाजी ने चुची दबाते हुये माँ को दुबारा चूमा और बाहर चले गये।
मैं सोचने लगा कि क्या करूँ?
मैं छत पर चला गया और वहाँ से देखा- दादाजी घर से दूर जा रहे थे और आस पास मेरे पिताजी का कोई नामो निशान नहीं था। मैंने लौड़े को पैंट के अन्दर किया और धीरे धीरे नीचे आया। माँ बरामदे में नहीं थी। मैं बिना कोई आवाज किये अपने कमरे में चला गया और वहाँ से झांका। इधर उधर देखने के बाद मुझे लगा कि माँ किचन में हैं। मैंने हाथ में रंग लिया और चुपके से किचन में घुसा। माँ को देखकर दिल बाग बाग हो गया। वो अभी भी नंग धड़ंग खड़ी थी। वो मेरी तरफ पीठ करके पुआ बेल रही थी। माँ के सुडौल और भरे भरे मांसल चूतड़ों को देख कर मेरा लौड़ा पैंट फाड़ कर बाहर निकलना चाहता था।
कोई मौका दिये बिना मैंने दोनों हाथों को माँ की बांहो से नीचे आगे बढ़ा कर उनके गालों पर खूब जोर जोर से रंग लगाते हुये कहा,”माँ, होली है!”
और फिर दोनों हाथों को एक साथ नीचे लाकर माँ की गुदाज और बड़ी बड़ी चुचियों को मसलने लगा।
“ओह … तू कब आया? दरवाजा तो बन्द है! छोड़ ना बेटा … क्या कर रहा है? माँ के साथ ऐसे होली नहीं खेलते … ओह्ह्ह्ह … इतना जोर जोर से मत मसल … अह्ह्ह्ह्ह … छोड़ दे! … अब हो गया…!”
लेकिन मैं ऐसा मौका कहां छोड़ने वाला था। मैं माँ के चूतड़ों को अपने पेरु से खूब दबा कर और चूची को मसलता रहा। माँ बार बार मुझे हटने के लिये बोल रही थी और बीच बीच में सिसकारी भी भर रही थी.. खास कर जब मैं घुंडी को जोर से मसलता था। मेरा लंड बहुत टाइट हो गया था। मैं लंड को पैंट से बाहर निकालना चाहता था। मैं कस कर एक हाथ से चुची को दबाये रखा और दूसरा हाथ पीछे लाकर पैंट का बटन खोला और नीचे गिरा दिया। मेरा लौड़ा पूरा टन टना गया था। मैंने एक हाथ से लंड को माँ के चूतड़ों के बीच दबाया और दूसरा हाथ बढ़ा कर चूत को मसलने लगा।
“नहीं बेटा, बुर को मत छुओ … यह पाप है!”
लौड़े को चूतड़ों के बीच में दबाये रखा और आगे से बुर में बीच वाली अंगुली घुसेड़ दी। करीब 15-20 मिनट पहले दादाजी चोद कर गये थे और चूत गीली थी। मेरा मन झनझना गया था, माँ की नंगी जवानी को छू कर। मुझे लगा कि इसी तरह अगर मैं माँ को रगड़ता रहा तो बिना चोदे ही झड जाउंगा और फिर माँ मुझे कभी चोदने नहीं देगी। यही सोच कर मैंने चूत से अंगुली बाहर निकाली और पीछे से ही कमर से पकड़ कर माँ को उठा लिया।
“ओह … क्या मस्त माल है … चल रंडी, अब तुझे जम कर चोदूंगा … बहुत मजा आयेगा मेरी रानी तुझे चोदने में!”
ये कहते हुये मैंने माँ को दोनों हाथों से उठा कर बेड पर पटक दिया और उसकी दोनों पैरों को फैला कर मैंने लौड़ा बुर के छेद पर रखा और खूब जोर से धक्का मारा।
“आउच..जरा धीरे! ” माँ ने हौले से कहा।
मैंने जोर का धक्का लगाया और कहा,”ओह्ह्ह्ह … माँ, तू नहीं जानती, आज मैं कितना खुश हूँ!” मैं धक्का लगाता रहा और खूब प्यार से माँ के रस से भरे होंठों को चूमा।
“मां, जब से मेरा लौड़ा खड़ा होना शुरु हुआ, चार साल पहले, तो तबसे बस सिर्फ तुम्हें ही चोदने का मन करता है। हजारों बार तेरी चूत और चुची का ध्यान कर मैंने लौड़ा हिलाया है और पानी गिराया है.. हर रात सपने में तुम्हें चोदता हूँ। ले रानी आज पूरा मजा मारने दे!”
मैंने माँ की चुचियों को दोनों हाथों में कस कर दबा कर रखा और दना दन चुदाई करने लगा। माँ आंख़ बन्द कर चुदाई का मजा ले रही थी। वो कमर और चूतड़ हिला हिला कर लंड को चुदाई में मदद दे रही थी।
“साली, आंख खोल और देख, तेरा बेटा कैसा चुदाई कर रहा है … रंडी, खोलना आंख!”
माँ ने आंखें खोली। उसकी आंखो में कोई ‘भाव’ नहीं था। ऐसा भी नहीं लग रहा था कि वो मुझसे नाराज है…ना ही यह पता चल रहा था कि वो बेटे के लंड का मजा ले रही है.. लेकिन मैं पूरा मजा लेकर चोद रहा था…
“साली, तू नहीं जानती … तेरे बुर के चक्कर में मैं रन्डियों के पास जाने लगा और ऐसी ऐसी रंडी की तलाश करता था जो तुम्हारी जैसी लगती हो… लेकिन अब तक जितनी भी बुर चोदी सब की सब ढीली ढाली थी … लेकिन आज मस्त, कसी हुई बुर चोदने को मिली है … ले रंडी तू भी मजा ले!”
और उसके बाद बिना कोई बात किये मैं माँ को चोदता रहा और वो भी कमर उछाल उछाल कर चुदवाती रही। कुछ देर के बाद माँ ने सिसकारी मारनी शुरु की और मुझे उसकी सिसकारी सुनकर और भी मजा आने लगा। मैंने धक्के की स्पीड और दम बढ़ा दिया और खूब दम लगा कर चोदने लगा.
माँ जोर जोर से सिसकारी मारने लगी।
“रंडी, कुतिया जैसे क्यों चिल्ला रही है, कोई सुन लेगा तो?”
“तो सुनने दो…लोगों को पता तो चले कि एक कुतिया कैसे अपने बेटे से मरवाती है…मार दे , फाड़ दे इस बुर को…मादरचोद , माँ की बुर इतनी ही प्यारी है तो हरामी पहले क्यों नहीं पटक कर चोद डाला… अगर तू हर पिछली होली में यहाँ रहता और मुझे चोदने के लिये बोलता तो मैं ऐसे ही बुर चिरवा कर तेरा लौड़ा अन्दर ले लेती…चोद बेटा ..चोद ले…लेकिन देख तेरा बाप और दादाजी कभी भी आ सकते हैं..! जल्दी से बुर में पानी भर दे!”
“ले मां, तू भी क्या याद रखेगी कि किसी रन्डीबाज ने तुझे चोदा था… ले कुतिया, बन्द कर ले मेरा लौड़ा अपनी बुर में!” मैं अब चुची को मसल मसल कर, कभी माँ की मस्त जांघों को सहला सहला कर धक्के पर धक्का लगाये जा रहा था।
“आह्ह्ह्ह्ह … बेटा, ओह्ह्ह्ह्ह … बेटा… अह्ह्ह्ह्ह … मार राजा … चोद … चोद!”
और माँ ने दोनों पाँव उपर उठाए और मुझे जोर से अपनी ओर दबाया और माँ पस्त हो गई और हांफने लगी।
“बस बेटा, हो गया … निकाल ले … तूने खुश कर दिया!”
“माँ बोलती रही और मैं कुछ देर और धक्का लगाता रहा और फिर मैं भी झर गया। मैंने दोनों हाथों से चुची को मसलते हुये बहुत देर तक माँ के गालों और ओंठो को चूमता रहा। माँ भी मेरे बदन को सहलाती रही और मेरे चुम्बन का पूरा जबाब दिया। फिर उसने मुझे अपने बदन से उतारा और कहा,”बेटा, कपड़े पहन ले … सब आने बाले होंगे!”
“फिर कब चोदने दोगी?” मैंने चूत को मसलते हुये पूछा।
“अगले साल, अगर होली पर घर में मेरे साथ रहोगे!” माँ ने हंस कर जवाब दिया.
मैंने चूत को जोर से मसलते हुये कहा,”चुप रंडी, नखरे मत कर, मैं तो रोज तुझे चोदूँगा!”
“ये रंडी चालू माल नहीं है… तू कालेज जा कर उन चालू रंडियों को चोदना…” माँ कहते कहते नंगी ही किचन में चली गई।
मैंने पीछे से पकड़ कर चूतड़ों को मसला और कहा,”मां, तू बहुत मस्त माल है … तुझे लोग बहुत रुपया देंगे, चल तुझे भी कोठे पर बैठा कर धंधा करवाऊँगा।” मैंने माँ की गांड में अंगुली पेली और वो चिहुंक गई.
मैंने कहा,”रंडी बाद में बनना, चल साली अभी तो कपड़े पहन ले.”
“कमरे से ला दे … जो तेरा मन करे!” वो बोली और पुआ तलने लगी।
मैंने तुरंत कमरे से एक साया और ब्लाउज लाकर माँ को पहनाया।
“साड़ी नहीं पहनाओगे?” माँ ने मेरे गालों को चूमते हुये कहा।
“नहीं रानी, आज से घर में तुम ऐसी ही रहोगी, बिना साड़ी के…”
“तेरे दादाजी के सामने भी?” उसने पूछा।
“ठीक है सिर्फ आज भर … कल से फिर साड़ी भी पहनूंगी।”
माँ खाना बनाती रही और मैं उसके साथ मस्ती करता रहा। Antarvasna
हाय ! मेरा नाम मुकेश है। मैं 22 साल 5’8 ” का लड़का हूं। मेरे Sex Stories उसका साईज़ 7″ है। आज मैं आपको अपनी एक ट्यूशन वाली स्टूडेन्ट की चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूं। मैं कंप्यूटर साइंस स्टुडेंट हूँ, मैं पार्ट टाइम के लिए टूशन पढाता हूँ। 2 साल पहले की बात है उस समय मेरी एक स्टुडेंट थी सिया, साली बहुत सेक्सी थी, कहने को 10वी में थी मगर बूब्स का साइज़ देख कर लगता था कि पूरी जवान है, चलती थी तो कयामत ढा देती थी, वैसे ये बात मेरे दोस्त बोलते थे मैंने उसे ऐसी नज़र से कभी नहीं देखा था
एक दिन उसे मैथ्स में प्रॉब्लम आ गया, बेचारी ने सारी रात सोल्व करने कि कोशिश कि मगर झांट सोल्व नहीं कर पाई, उसने दूसरे दिन मुझसे वोह प्रॉब्लम पूछा मैंने एक ही बार में सोल्व कर दिया वोह पूरी इम्प्रेस हो गई, उसको हाव भाव बदलने लगे, वैसे मैं अपने स्टूडेंट्स से क्लो्ज रहता हूँ पर वोह कुछ ज्यादा ही क्लोज हो रही थी.
एक दिन उसने मुझसे कहा- सर मुझे आपसे कुछ कहना है.
मैंने कहा- बोलो सिया क्या बात है?
उसने कहा- सर अकेले में बात करनी है.
मैंने कहा- ठीक है छुट्टी के बाद रुक जाना.
उसकी आँखे चमक गई, मेरे और भी स्टूडेंट्स थे पर उनमे सबसे बड़ी सिया ही थी. सबके जाने के बाद सिया ने मुझसे कहा सर अगर मैं आपसे कुछ कहूं तो आप बुरा तो नहीं मानेगे, मैंने कहा पहले कहो तो, उसने कहा पहले प्रोमिस करिए कि बुरा नहीं मानेंगे मैंने कहा अच्छा बाबा नहीं मानूगा अब बोलो उसने कहा सर आप… आप .मुझे…अच्छे लगते है.
मैं चौंक गया, फिर सोचा मस्त माल मिल रही है छोड़ा क्यों जाए मैंने कहा वैसे मैं भी तुम्हे पसंद करता हूँ उसके बाद हमारी लव स्टोरी शुरू हुई (ऐसा वो समझती थी ), पर मुझे तो बस अपनी चूत की प्यास बुझानी थी एक दिन मैंने मौका देख कर उसे अकेले में अपने घर बुलाया, घर के सभी लोग बाहर गए थे, और 2 -3 घंटे तक उनके आने की उम्मीद नहीं थी, हम काफी करीब आ गए थे और मैंने उसे सेक्स करने के लिए मना लिया था आज अच्छा मौका था.
डोर बेल बजा मैंने दरवाजा खोला तो वो खड़ी थी जींस और टॉप में क़यामत लग रही थी, मैंने उसे अन्दर बुलाया और बोला आई लव यू सिया और उसे बाँहों में भर लिया और लिप किस करने लगा वोह भी मेरा पूरा साथ देने लगी मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में डाल दी और चूसने लगा, ये मेरा पहला सेक्स था,
उसके बाद मैंने उसके एक बूब को पकड़ कर दबाया, इतना मजा आया की क्या बोलूं, उसके बाद मैं अपना हाथ जींस के ऊपर ही उसके चूत पर फेरने लगा अब वोह गरम होने लगी, मैंने सबसे पहले उसका टॉप उतारा अन्दर ब्रा थी, उसके बाद जींस उतारी, फिर उठा कर बिस्तर पर ले गया वहाँ अपनी जींस और शर्ट उतार दी उसके बाद मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसके मस्त गोरे गोरे टमाटर जैसे बूब्स को आजाद कर दिया.
उसके बाद मैं उसे दबाने लगा वोह सिसकियाँ ले रही थी अह ह्ह्ह्ह्ह्छ…ऊओअया अआः…
मुकेश बहुत मजा आ रहा है जान, फिर मैंने पैंटी उतारी और अपना अंडरवियर भी, वोह मेरा लंड देख कर खुश हो गई उसके बाद मैंने एक ऊँगली उसके बूर में डाल दी वोह बोली हाई…मैं मर गई उसके बाद मैं ऊँगली करने लगा, एक हाथ से ऊँगली कर रहा था और एक से उसकी बूब्स दबा रहा था.
अब वोह पूरी तरह गरम हो गई थी मैंने उसके बूर से ऊँगली निकली और खड़़ा हो गया वोह भी घुटनों के बल बैठ गई मैंने अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया फिर उसने थोडी देर तक मेरा लंड चूसा फिर मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसकी चूत चाटने लगा, दोनों ही वर्जिन थे इसलिए किसी का गिरा नहीं फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक धक्का मारा मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया.
वोह चिल्लाई आआअह ह्ह्ह्ह्ह्छ ह्ह्ह। ..मुकेश… धीरे .
उसके बाद मैंने धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया फिर धीरे धीरे धक्के मारने लगा अब हम दोनों को बहुत मजा आ रहा था उसके बाद मैं लेट गया और वोह अपनी चूत मेरे लंड पर सेट करके बैठ गई अब मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा जब मैं झड़ने वाला था तो रुक गया और उसे के बाद गोद में बिठा के फिर से मारने लगा करीब 1 घंटे तक हमने चोदा -चोदी का खेल खेला मेरी चूत की प्यास उस दिन ठंडी हो गई. उसके बाद हम दोनों झड़ गए।
उसके बाद जब कभी भी हमे मौका मिला तो हमने होनीमून मनाया, मेरे पढ़ाने के कारण उसे 10वी में 90% मार्क्स मिले और वोह अब एक मेडिकल कॉलेज में है जब भी छुट्टी में आती है तो हम पूरा एन्जॉय करते हैं। Sex Stories
आपको मेरी कहानी कैसी लगी?
मैं दमन में रहता हूँ। हमारे Sex Stories पड़ोस में मेरा दोस्त सुरेश रहता है। सुरेश अकेला रहता है उसके परेंट्स गांव में रहते हैं। एक बार उसकी मामीजान किसी अधिवेशन के सिलसिले से दमन आयी और उसके घर पर करीब दो महीने रही। सबसे पहले उसके मामी के विषय में आप लोगों बता दूं।
मेरे दोस्त की मामी का नाम सौम्या है वो करीब 40 साल की सांवली सुडौल शादीशुदा महिला है। वैसे तो वो हाउसवाइफ़ है लेकिन गांव में मशहूर समाज सेविका है। उसके चूतड़ और बूब्स काफ़ी बड़े बड़े और भारी हैं, शकल सूरत से वो खूब सेक्सी और 30 साल से कम लगती है।
अकसर में शनिवार या रविवार जो कि मेरे छुट्टी के दिन हैं, सुरेश के साथ गुजारता हूँ। जब से उसकी मामीजान आयी है तब से मैं मामी से दो तीन बार मिल चुका हूँ। वो जब भी मिलती तो मुझे अजीब निगाहों से देखती थी, मुझे देख कर उसकी नज़रों में एक अजीब नशा छा जाता था या यूं कहिये उसकी नज़र में सेक्स की चाहत झलक रही हो!
ऐसा मुझे क्यों महसूस हुआ यह मैं बता नहीं सकता हूँ लेकिन मुझे हमेशा ही लगता था कि वो नज़रों ही नज़रों से मुझे सेक्स की दावत दे रही हो।
मैं जब भी उनसे मिलता तो कम ही बातचीत करता था मगर जब वो बातें करती तो उनकी बातों में दोहरा अर्थ होता था, जैसे ‘हार्दिक तुम खाली समय में कुछ करते क्यों नहीं?’
मैंने कहा- मामी जी, क्या करूँ, आप ही बतायें?
वो बोली- तुम्हें खाली समय का और मौके का फायदा उठाना चाहिये।
मैंने कहा- जरूर फायदा उठाऊँगा अगर मौका मिले तो!
वो बोली- मौका तो कब से मिल रहा है लेकिन तुम कुछ समझते नहीं, न ही कुछ करते हो?
मैं उनकी बातें सुन कर चकराया और बोला- मामीजान, आप की बातें मेरे दिमाग में नहीं घुस रही हैं।
वो बोली- देखो हार्दिक, आज और कल यानि शनिवार और रविवार तुम्हारी छुट्टी होती है तो तुम्हें कुछ कुछ पार्ट टाइम जोब करना चाहिये ताकि तुम्हारी आमदनी भी हो जायेगी और टाइम पास भी होगा।
इसी तरह की दोहरे शब्दों में मामी जी बातें करती थी और वो जब भी मुझसे बातें करती तब सुरेश या तो बाथरूम में होता या फिर किसी काम में व्यस्त होता।
एक दिन जब सुबह करीब 11 बजे सुरेश के घर पहुंचा तो घर पर उसकी मामी थी, सुरेश मुझे कहीं नज़र नहीं आया।
मैंने पूछा- मामी जी, सुरेश नज़र नहीं आ रहा है, कहां गया वो?
मामी- वो बाथरूम में कब से नहा रहा है। मैं उसी के बाहर निकलने का इन्तज़ार कर रही हूँ।
मैं- लेकिन वो तो ज्यादा समय बाथरूम में लगाता ही नहीं, तुरंत पांच मिनट में आ जाता है।
मामी हंसते हुए- अरे भाई, बाथरूम और बेडरूम ही तो ऐसी जगह है जहां से कोई भी जल्दी निकलना नहीं चाहता है।
मैं कोई जवाब नहीं दे सका, वो भी चुप रही।
थोड़ी देर बाद सुरेश बाथरूम से नहा धो कर बाहर आया। उसके बाथरूम से आते ही मामी जी बाथरूम में गयी और मेरी तरफ़ नशीली नज़रों से देखती हुयी बोली- घबराना मत, मैं ज्यादा समय नहीं लगाऊँगी। आप लोग नाश्ते के लिये मेरा इन्तज़ार करना!
कहते हुए वो बाथरूम में घुस गयी, करीब 20 मिनट बाद वो तैयार होकर हमारे साथ नाश्ता करने लगी।
नाश्ता करते वक्त सुरेश ने कहा- यार, आज मुझे ओफ़िस के काम के सिलसिले में सूरत जाना है। और मैं कल रात को या सोमवार दोपहर को वापस लौटूंगा। अगर सोमवार दोपहर को लौटूंगा तो तुम्हें कल फोन कर दूंगा। अगर तुम्हें ऐतराज़ न हो तो क्या तुम जब तक मैं नहीं आता हूँ मेरे घर रुक जाना ताकि मामी को बोरियत महसूस नहीं होगी न ही मुझे उनकी चिंता रहेगी क्योंकि वो दमन में पहली बार आयी हुई हैं।
मैंने कहा- ठीक है, नो प्रॉब्लम!
और वो साढ़े बारह बजे वाली ट्रेन से सूरत चला गया। मैं भी उसे ट्रेन में बिठाने के लिये बोरिवली गया जब वापस लौट रहा था तो एक रेस्तराँ में जाकर 3 पेग व्हिस्की पी और लौट कर सुरेश के घर गया।
घर पर मामी जी हाल में बैठ कर कोई किताब पढ़ रही थी। मामीजान ने मुझे नशीली निगाहों से देखा और बोली- सुरेश को बैठने की सीट मिल गयी थी क्या?
मैंने कहा- हां… क्योंकि ट्रेन बिल्कुल खाली थी।
वो बोली- मैंने खाना बना लिया है, भूख लगी हो तो बोल देना।
मैंने कहा- अभी भूख नहीं है, जब होगी तो बोल दूंगा।
मामी की निगाहों में अजीब नशा देख कर मैंने पूछा- मामी जी, आप करती क्या हैं?
थोड़ी देर तक मेरे नज़रों से नज़रें मिलाती रही, फिर बोली- समाज सेवा!
यह सुनते ही अचानक मेरे मुंह से निकल गया- कभी हमारी भी सेवा कर दीजिये ताकि हमारा भी भला हो जाये।
वो हल्के से मुसकुराई और बोली- तुम्हारी क्या प्रोब्लम है?
मैंने कहा- वैसे तो कुछ खास नहीं है लेकिन बता दूंगा जब उचित समय होगा।
वो मेरे आंखों में आंखें डालती हुए बोली- यहां तुम्हारे और मेरे अलावा कोई नहीं है, बेझिझक प्रोब्लम कह डालो शायद मैं तुम्हारी प्रोब्लम हल कर दूं?
मैंने कहा- आप किस प्रकार की समाज सेवा करती हो?
वो बोली- मैं जरूरतमंद लोगों की जरूरत पूरी करने की मदद करती हूँ, उनकी समस्या हल करती हूँ।
मैंने कहा- कि मेरी भी जरूरत पूरी कर दो न?
वो बोली- जब वक्त आयेगा तो कर दूंगी!
फिर वो चुप रही और मैगज़ीन पढ़ने लगी।
थोड़ी देर बाद मैंने पूछा- मामी जी आप क्या पढ़ रही हैं? कुछ खास सब्जेक्ट है क्या इस मैगज़ीन में?
वो मुस्कुराते हुए बोली- इस मैगज़ीन में बहुत अच्छा लेख है पत्नी और पति के सेक्स के विषय में!
फिर वो पढ़ने लगी।
थोड़ी देर बाद उसने पूछा- हार्दिक ये उत्तेजना का क्या मतलब होता है?
मैं सोचने लगा.
वो मेरी ओर कातिल निगाहों से देखती हुयी बोली- बताओ न?
मेरी समझ में नहीं आया कि हिंदी में उसे कैसे बताऊँ।
वो लगातार मेरी और देख रही थी, उसकी आंखों में नशा छाने लगा। मैं उसे गौर से देख रहा था, उसके होंठ खुश्क हो रहे थे, वो अपने होंठों पर जीभ फेर रही थी।
मैंने सोचा अच्छा मौका है मामी को पटाने का।
वो इठला कर बोली- बताओ न क्या मतलब होता है?
उसकी इस अदा को देखते हुए मैंने कहा- शायद चुदास!
वो बोली- क्या कहा? क्या मतलब होता है?
मैंने कहा- क्या तुम चुदास नहीं समझती हो?
वो बोली- कुछ कुछ… क्या यही मतलब होता है?
मैंने कहा- हां शायद यानि कि… कैसे समझाऊँ तुम्हें मामीजी!
मैंने उलझ कर कहा।
वो हंसते हुए बोली- चुदास का मतलब सेक्स करने की चाहत तो नहीं?
मैं उसे एकटक देखने लगा, उसके होंठों पर चंचल मुस्कुराहट थी।
मैंने कहा- ठीक समझी आप!
वो मेरी आंखों में आंखें डाल कर बोली- किस शब्द से बना है चुदास?
मैंने उसकी आवाज में कंपकपी महसूस की। मेरे दिल ने कहा ‘गधे, वो इतना चांस दे रही है, तू भी बन जा बेशरम… वरना पछतायेगा।
मैंने कहा- चुदास चोदना शब्द से बना है!
वो खिलखिला कर हंसने लगी और मैगज़ीन के पन्ने पलटने लगी।
मैं सोचने लगा कि अब क्या कयूँ?
अचानक उसने पूछा- ये वेजिना क्या होता है?
मेरे दिल ने कहा ‘साली जानबूझ कर ऐसे सवाल पूछ रही है।’ मैंने बिंदास होकर कहा- योनि को वेजिना कहते हैं।
वो फिर पूछने लगी- यह योनि क्या होता है।
मैंने कहा- क्या आप योनि नहीं जानती हो?
वो बोली- नहीं।
मैंने कहा- चूत समझती हो?
मामीजान ने झट से मुंह पर हाथ रखा और मैगज़ीन के पन्ने पलटती हुयी बोली- हा…
मैंने हिम्मत कर के कहा- चुदास की बहुत चाहत हो रही है।
वो हल्के से मुस्कुराते हुए कहा- चुदास की प्यास?
मैंने कहा- वाकई चुदास की प्यास लगी है।
वो बोली- मैं भी दो साल से प्यासी हूँ क्योंकि दो साल पहले मेरा पति से तलाक हो गया था।
मैंने कहा- ओह… इसका मतलब कि दो साल से तुम्हारी चूत ने लंड का पानी नहीं पिया है।
वो सिर झुका कर बोली- आज तक तुम्हारे जैसा कोई मिला ही नहीं।
मैं बोला- अगर मिल जाता तो?
वो बोली- तो मैं अपनी चूत को उस लंड पर कुर्बान कर देती।
मैं बोला- आओ मेरा लंड तुम्हारी चूत पर न्यौछावर होने के लिये बेकरार है।
मैंने तुरंत उसे अपनी बांहों में ले लिया और उसके होंठ में होंठ डाल कर चुम्बन करने लगा, मैंने महसूस किया कि उसके हाथ मेरे लंड की तरफ़ बढ़ रहे थे और उसने पैंट की ज़िप खोल कर मेरे लंड को पकड़ लिया फिर धीरे धीरे सहलाने लगी।
मेरा लंड लोहे की तरह सख्त हो गया। मुझसे बरदाश्त नहीं हुआ और मैं पैंट और अंडरवीयर निकाल कर बिल्कुल नंगा हो गया।
अब मामी ने मेरे लंड को पकड़ कर अपने मुंह में ले लिया और लोली पोप की तरह चूसने लगी।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
कभी वो मेरे लंड के सुपारे को चूसती, कभी जबान से लंड को जड़ तक चाट रही थी.
ऐसा उसने करीब 15 मिनट तक किया।
आखिर में रहा न गया मैंने उसके मुंह में ढेर सारा वीर्य डाल दिया। फिर हम दोनो सोफ़े पर आकर बैठ गये। मेरा लंड फिर सामान्य हो गया।
वो अब भी साड़ी पहने हुयी थी, मैंने उसकी साड़ी में हाथ डाल कर जांघों को सहलाया फिर हाथ को उसकी चूत पर ले गया। उसकी पैंटी गीली हुयी थी, इतनी गीली थी जैसे पानी से भिगोयी हो। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही चूत को मसलना शुरु किया, वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी।
फिर मैंने उसकी पैंटी में हाथ डाला, उसकी चूत फूली हुयी और गरम भट्टी की तरह सुलग रही थी। मैंने उसकी चूत की दरार में उंगली डाल कर चूत के दाने को मसलने लगा जिस कारण वो बेकरार होने लगी।
अब मैंने उसे सोफ़े पर लिटा कर उसकी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर सरकाया। उसकी पैंटी चूत के अमृत से तर-बतर थी। मैंने पैंटी को पकड़ा और जांघों तक सरका दिया।
अब मामी ने खुद उठ कर अपनी पैंटी निकाल दी और फिर सोफ़े पर लेट गयी। उसके घुटने ऊपर थे और टांगें फैली हुयी थी। उसकी सांवली चूत अब बिल्कुल साफ़ साफ़ दिखायी दे रही थी।
मैंने अपने एक उंगली उसकी चूत में डाली तो मुझे लगा मैंने आग को छू लिया हो क्योंकि उसकी चूत काफ़ी गरम हो चुकी थी। मैं धीरे धीरे अपनी उंगली उसके चूत में अंदर बाहर करने लगा, उसके मुंह से आअह्ह ह्हाअ ऊफ़्फ़ की आवाज निकल रही थी।
अब मैंने दो उंगलियां उसकी कोमल चूत में घुसाई। चिकनी चूत होने से दोनो उंगलियां आराम से अंदर बाहर हो रही थी। लगभग पचास साठ बार मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत की घिसाई की।
इधर मेरा लंड भी फूल कर तन गया था। अब मैं उठ खड़ा हुआ और उसे लेकर बेडरूम में ले गया। वो आंखें बंद किये मेरे अगले कदम का इन्तज़ार करने लगी। मैंने शर्ट निकाल कर उसकी साड़ी और पेटिकोट दोनो उतार दिये और हम बिल्कुल नंगे हो गये।
वो करवट लेकर लेट गयी, अब उसके चूतड़ साफ़ झलक रहे थे, मैंने उसकी गांड पर हाथ से सहलाया। क्या गांड थी… गोल मटोल गांड थी उसकी।
मैं करीब 5 मिनट तक उसकी गांड को सहलाता रहा फिर उसकी कमर पकड़ कर चित लिटा दिया और जितना हो सका उतनी उसकी टांगें फैला दी, फिर उसकी चूत की दरार को फैला कर अपनी जीभ से चूत चाटने लगा।
उसके मुंह से हाअ ऊऊफ़्फ़फ़्फ़ की नशीली आवाजें निकल रही थी। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत के एक एक भाग चाट रहा था, बीच बीच में चूत को जीभ से चोद रहा था।
वो बिल्कुल पूरी तरह से गरम हो चुकी थी, वो बोली- अब हटो हार्दिक, मेरी चूत काफ़ी गरमा चुकी है। अपना लंड मेरी गरम गरम चूत में घुसेड़ दो राजा… उफ़्फ़… अपने लंड से मेरी चूत की गरमी और प्यास बुझा दो, मेरे हार्दिक, आज इतना कस कस कर चोदो कि मेरे पूरे अरमान निकल जाये।
जैसे ही मैंने उसकी चूत से अपना मुंह हटाया, उसने अपनी टांगें मोड़ ली, मैं उसकी उठी हुयी टांगों के बीच बैठ गया। मैंने उसकी टांगें अपने हाथ से उठा कर अपना लंड उसके चूत के मुंह में रखा जिस कारण उसके शरीर में झुरझुरी मच गयी।
लंड को चूत के मुंह में रखते ही चूत की चिकनाहट के कारण अपने आप अंदर जाने लगा। मैंने कस कर एक धक्का मारा तो लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में घुस गया। गरमा गरम चुत के अंदर लंड की अजीब हालत थी।
अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। उसकी चूत के घर्षण से मेरा लंड फूल कर और मोटा हो गया। मेरे हर धक्के पर वो ऊऊफ़्फ़ आआह्ह ऊऊह्ह ह्हह की आवाजें निकालने लगी।
करीब बीस मिनट तक मैं उसके चूत में अपना लंड अंदर बाहर करता रहा, फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और दनादन लंड को चूत में मूसल की तरह घुसाता रहा.
मामी ने मुझे कस कर बाहों में जकड़ लिया, मैं समझ गया कि वो झड़ रही है।
मामी कराह रही थी, बोल रही थी- हाय! हार्दिक दो साल बाद मेरी चूत की खुजली मिटी है। वाकयी तुम पक्के चुदक्कड़ हो। चोदो मुझे जोर जोर से चोद।
मेरा लंड फच फच की आवाज के साथ अंदर बाहर हो रहा था। पूरे कमरे में चुदाई की फ़चाफ़च फ़चाफ़च की आवाजें गूंज रही थी। मेरा लंड उसकी चूत को छेदता जा रहा था. कुछ देर बाद उसके झड़ने के कारण मेरा लंड बिल्कुल गीला हो चुका था और वो निढाल होकर लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी।
करीब 50-60 धक्कों के बाद मेरे लंड ने आखिर जोरदार फ़व्वारा निकाला और उसकी चूत में समा गया। जब तक लंड से एक एक बूंद उसकी चूत में समाती रही, मैं धक्कों पर धक्के लगाता रहा। आखिर में मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसके बाजु में लेट गया। हम दोनों की सांसें तेज चल रही थी, वो दाहिनी करवट से लेटी हुई थी।
करीब 15-20 मिनट तक हम ऐसे ही लेटे रहे।
फिर मेरी नज़र मामी की गांड पर पड़ी, गांड का ख्याल आते ही लंड फिर से हरकत करने लगा।
मैंने अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद पर रख कर घुसाने की कोशिश की। उसकी गांड का छेद बहुत टाइट था। मैंने ढेर सारा थूक उसकी गांड के छेद पर और अपनी उंगली पर लगाया और दुबारा उसकी गांड में उंगली घुसाने की कोशिश करने लगा। गीलेपन के कारण मेरी उंगली थोड़ी गांड में घुस गयी.
उंगली घुसते ही वो कसमसाहट करने लगी, वो तड़प कर आगे खिसकी जिस वजह से उंगली गांड के छेद से बाहर निकल गयी.
मामी मुड़ कर बोली- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मामी तुम्हारी गांड सचमुच खूबसूरत है।
वो बोली- उंगली क्यों घुसाते हो? लंड क्या सो गया है?
उसकी यह बातें सुनकर मैं खुश हुआ और उसे पेट के बल लिटा दिया और दोनो हाथों से उसकी चूतड़ को फ़ैला दिया जिस से उसकी गांड का छेद और खुल गया।
वो धीरे से बोली- हार्दिक, नारियल तेल, घी या कोई चिकनी चीज मेरे गांड और लंड पर लगा लो तो आसानी रहेगी।
मैंने कहा- मामीजान, इससे भी अच्छी चीज है मेरे पास… वेसलीन!
और मैं उठ कर ड्रायर से वेसलीन ले आया और ढेर सारी वेसलीन अपने लंड और उसकी गांड पर लगाई और उसकी गांड मारने को तैयार हो गया। अब मैंने अपना लंड उसकी गांड के सुराख पर लगाया और थोड़ा जोर लगा कर पुश किया, लंड का सुपाड़ा गांड में थोड़ा सा घुस गया। फ़िर थोड़ा जोर लगा कर और पुश किया तो सुपाड़ा उसकी गांड में समा गया।
सुपाड़ा गांड में घुसते ही वो बोली- हार्दिक, थोड़ा आहिस्ते आहिस्ते डालो, दर्द हो रहा है, दो साल हो गये गांड मरवाये।
अब मैं सिर्फ़ सुपाड़े को ही धीरे धीरे गांड के अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर बाद ही उसकी गांड का छेद पूरा लंड खाने के काबिल हो गया। मुझे लगा अब मेरा लंड पूरा उसकी गांड में घुस जायेगा और ऐसा ही हुआ।
उसकी गांड का छेद चिकनाहट की वजह से लंड थोड़ा थोड़ा और अंदर समाने लगा।
दो तीन मिनट की मेहनत से मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी गांड में घुस गया। मैं धीरे धीरे अपना लंड उसकी गांड से अंदर बाहर करने लगा। उसकी टाइट गांड होने से मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उसे भी गांड मरवाने का मजा आ रहा था और मुंह से ऊफ़्फ़ आह्हा की आवाजें निकाल रही थी।
40-50 धक्कों के बाद मेरे लंड ने घुटने टेक दिये और उसकी गांड में ढेर सारा वीर्य छोड़ दिया, वो भी अपनी गांड को सिकोड़ने लगी।
अब हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर लेट गये।
जब तक मेरा दोस्त नहीं आया, मैंने उसकी मामीजान की कई बार चूत और गांड मारी।
जब मैं वापस अपने घर लौटने लगा तो मामी बोली- कैसी रही मेरी समाज सेवा?
और मैंने हंस कर कहा- मामी जी, आप सच्चे तन मन से समाज सेवा करती हो!
फिर मैं घर लौट आया.
मेरी कहानी पर अपनी राय लिखें! Sex Stories
aयह आज से 8 साल पहले की बात है Antarvasna जब मैं बी. कॉम फाइनल इयर में पढता था। हमारे कॉलेज में बहुत लड़कियाँ पढ़ती थी और हमारी क्लास में भी काफ़ी लड़कियाँ थी। लेकिन उनमें दो 2 लड़कियाँ ऐसी थी कि जिन को देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और मैं सिर्फ़ उनकी तरफ़ देखता रहता था। एक का नाम रितु था और दूसरी श्रुति।
रितु मेरे साथ ज़्यादा खुली थी जबकि श्रुति इतनी नहीं थी। मैं हमेशा उनको चोदने का सोचा करता था लेकिन कभी भी मोका नहीं मिल सका था। एक दिन हमारी क्लास ख़त्म हुई तो हम सब विद्यार्थी नीचे आ गए। कुछ देर बाद मैंने देखा कि रितु और श्रुति ऊपर जा रही हैं। मैंने उनका पीछा किया। वो दोनों क्लास में चली गई और दरवाज़ा बंद कर लिया। मैं दरवाज़े के साथ लग कर खड़ा हो गया और सोचा कि जैसे ही वो निकलेंगी तो मैं क्लास में अंदर जाने के बहाने किसी एक के बूब्स को हाथ लगा लूँगा।
लेकिन काफ़ी देर गुज़र जाने के बाद जब वो बाहर नहीं आई तो मैंने दरवाज़े से कान लगा लिया। अंदर से कुछ सेक्सी आवाजें आ रही थी- आ आह ह्ह्ह्ह्छ हह ओह हह ह्ह्ह्ह्छ हम मम् म्मम्म।
मैं समझ गया कि कुछ तो हो रहा है। मैं इधर उधर देखने लगा कि कहीं से कोई ऐसी जगह नज़र आए जहाँ से मैं उनको देख सकूं। अचानक मुझे खिड़की में एक छेद नज़र आया और मैं वहां से उनको देखने लगा।
वो दोनों बिल्कुल नंगी थी, उनके कपड़े साइड वाली कुर्सी पर रखे हुए थे और वो लेस्बियन एन्जॉय कर रही थी। रितु श्रुति की योनि चाट रही थी और श्रुति दर्द और सेक्स के मारे आवाजें कर रही थी। जब मैंने उनको ऐसा करते देखा तो मेरा लंड भी खड़ा हो गया और ऐसा लग रहा था कि अभी अंडरवियर फाड़ कर बाहर आ जाएगा।
श्रुति चीख रही थी- हाँ हाँ ! कर रितु कर ! और तेज़ कर ! फ़टाफ़ट जोर जोर से कर !
कोई 10 मिनट बाद मैंने देखा कि श्रुति की टाइट चूत से एकदम सफ़ेद रस बाहर निकला जो सीधा रितु के चेहरे पर गिरा और रितु उसे मजे से चाटने लगी और श्रुति से कहा कि तुम भी चाटो। श्रुति बिल्कुल मदहोश हो गयी थी।
इसके बाद रितु कुर्सी पर बैठी और श्रुति से कहा कि अब तुम मेरी योनि को चाटो। श्रुति ने जब उसकी टांगों को खोला तो यह देख कर मैं बहुत हो गया कि रितु की चूत खुली थी बिल्कुल ब्लू फिल्मों की लड़कियों की चूत की तरह।
मुझे बहुत हैरत हुई। श्रुति ने रितु से कहा कि तुम्हारी चूत इतनी खुली क्यूँ है, तो रितु ने कहा कि श्रुति ज़ान ! तुम ने आज यह पहली बार किया है, जब तुम रोज़ करोगी और अपनी ऊँगली चूत में अन्दर बाहर करोगी तो तुम्हारी चूत भी ऐसी हो जाएगी और मैं तो रोज़ चुदाई भी करवाती हूँ। अगर तुम हमारे घर आओ तो मैं तुम्हें भी चुदवाऊंगी अपने पड़ोसी से, बहुत मज़ा आता है और मेरी एक इच्छा है कि मेरी चूत इतनी खुल जाए कि मैं अपना पूरा हाथ इस में अंदर ले सकूं।
कोई 8-10 मिनट बाद रितु भी चरमसीमा पर पहुँच गई और वो दोनों अपने कपड़े पहनने लगी कि अचानक मेरे मुंह से आवाज़ निकली और मैं भी झड़ हो गया।
उन्होंने वो आवाज़ सुन ली तो श्रुति ने कहा कि शायद कोई हमें देख रहा था, तो रितु बोली कोई बात नहीं मैं देखती हूँ रितु ने दरवाज़ा थोड़ा सा खोला क्योंकि वो अभी भी नंगी थी और बोली कौन है?
मैंने हिम्मत कर के कहा कि मैं राणा !
तो वो बोली कि क्यूँ आए हो?
मैंने कहा कि अपनी पेन भूल गया था वो लेने आया हूँ।
उस ने कहा ठीक है अंदर आ जाओ !
मैं जैसे ही अंदर गया तो देखा कि वो दोनों अभी तक नंगी थी। श्रुति ने ब्रा और अंडरवियर पहना था जब कि रितु बिल्कुल नंगी खड़ी थी। उसने मुझसे कहा कि मुझे पता था कि तुम ज़रूर आओगे क्यूँकि मैं तुम्हे रोज़ क्लास में देखती थी कि तुम सिर्फ़ हमारी गांड और स्तन को देखते हो लेकिन तुम कुछ कर नहीं सकते थे। मुझसे ज़्यादा तुम इस ब्लैक ब्यूटी श्रुति को पसन्द करते हो, जब वो चलती है तो तुम्हारी नज़र उसके शरीर को घूरती है।
मैं भी तुमको देखती थी लेकिन कुछ कह नहीं सकती थी। आज तुम आए हो तो तुम मेरी और मैं तुम्हारी प्यास बुझाऊंगी। यह कह कर उसने मुझे किस करना शुरू कर दिया और मैं भी उसे किस करने लगा श्रुति हम दोनों को देख रही थी वो बहुत डरी हुई लग रही थी।
मैंने उसको हाथ से पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया और रितु से कहा कि प्लीज़ तुम मेरा लंड अपने मुंह में ले लो। रितु ने मेरे लंड को चूसना शुरू किया और मैं श्रुति को किस करने लगा। मैंने उसका ब्रा खोल दिया और उसके अनछुए सांवले मुम्मे चूसने लगा वो बेकरार हो रही थी तो मैंने कहा कि तुम भी मेरा लंड चूस कर मज़ा लो।
तो उस ने कहा कि नहीं यह बहुत गन्दा है !
तो मैंने उसको कहा कि देखो रितु कैसे मज़ा ले रही है तुम भी ले लो !
लेकिन वो नहीं मानी तो रितु और मैंने ज़बरदस्ती उस के मुंह में अपना लंड डाल दिया तो उस ने धीरे धीरे चूसना शुरू किया उससे मज़ा आने लगा और वो चूसती रही। 15 मिनट के बाद मैंने उसका मुंह अपनी क्रीम से भर दिया तो रितु जो श्रुति की चूत को चाट रही थी अचानक ऊपर उठी और क्रीम उसके मुंह से अपने मुंह में लेने लगी।
अब मैं उन दोनों को चोदना चाहता था तो मैंने रितु से कहा कि मैं पहले श्रुति को चोदना चाहता हूँ !
तो उसने कहा कि वो अभी कुँवारी है बहुत मुश्किल है यहाँ !
लेकिन मैंने कहा कि प्लीज़ !
तो उस ने कहा ठीक है लेकिन श्रुति के मुंह पर कोई कपड़ा बांधो तो मैंने उसका ब्रा उसके मुंह पर बाँध दिया और अपना 7.5′ इंच का लंड उसकी चूत पर रख दिया और आहिस्ता आहिस्ता धक्के मारने लगा, उसे बहुत मज़ा आ रहा था। फिर आहिस्ता आहिस्ता मैंने ज़ोर लगाना शुरू कर दिया।
आहिस्ता आहिस्ता मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर जा रहा था और वो अपने हाथों से मेरा लंड हटाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मैंने उस के हाथ पकड़ कर एक ज़ोरदार धक्का लगाया और अब मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था। वो एक दम ऊपर उठी और नीचे गिर गयी। वो बेहोश हो गयी थी, उसकी चूत से खून बहने लगा था।
अब हम दोनों भी परेशान हो गए कि इसको होश में कैसे लाएं। वहाँ पर पानी भी नहीं था। मैंने रितु से कहा कि अब क्या किया जाए तो रितु ने कहा- तुम मेरे मुँह में पेशाब करो, मैं तुम्हारा पेशाब श्रुति पर छिड़कती हूँ।
मैंने अपना लण्ड श्रुति की चूत से निकाल कर रितु के मुँह में डाल दिया और पेशाब कर दिया। अभी रितु ने थोड़ा ही पेशाब छिड़का था कि श्रुति होश में आ गई। रितु ने बाकी पेशाब पी लिया और बोली- वाह ! क्या स्वादिष्ट पेशाब है तुम्हारा !
श्रुति ने और चुदाई से मना कर दिया और कहा कि आज़ बहुत दर्द हो रहा है। लेकिन रितु ने उसे समझाया कि पहले दर्द होगा फ़िर मज़ा आएगा।
बड़ी मुश्किल से वो मानी तो मैंने फ़िर अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया और धक्के मारने लगा। अब उसे मज़ा आ रहा था। कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि श्रुति की चूत से क्रीम बाहर निकल रही है तो मैंने ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने शुरू कर दिए और 25 मिनट बाद मेरी क्रीम श्रुति के मुँह में थी। मैं भी तीन बार झड़ चुकने के बाद काफ़ी कमजोरी महसूस कर रहा था इसलिए रितु से कहा कि तुम्हें कल करूंगा। तो वो बोली- नहीं एक बार तो आज ही करो !
मेरा लण्ड बिल्कुल ढीला हो गया था और उसने चूस कर उसको दोबारा तैयार किया तो मैंने रितु को भी चोदा और जब उसे चोद रहा था तो श्रुति बोली- प्लीज़ ! मुझे दोबारा करो !
तो मैंने उसको भी दूसरी कुर्सी पर बिठा कर उसकी टांगें ऊपर कर ली।
अब थोड़ी देर श्रुति और थोड़ी देर रितु को चोद रहा था और कोई 35 मिनट के बाद मैंने अपनी क्रीम रितु की चूत में ही निकाल दी।Antarvasna
आज मैं आप के लिये कोई कहानी नहीं लाया Antarvasna लेकिन मैं आपसे केवल २ बातें करने आया हूं।और ये दो बातें केवल लड़कियों के लिये हैं।
तो लेडीज़—गौर फ़रमायें।
आप या तो कुंवारी होंगी या फ़िर शादी शुदा
शादीशुदा हो तो ठीक है, कुंवारी होंगी तो २ बातें होंगी,
या तो आप शादी करेंगी या नहीं।
शादी नहीं कि तो ठीक लेकिन अगर की तो २ बातें होंगी,
या तो आपका पति ठरकी होगा या नहीं
ठरकी हुआ तो आपको चुदाई का मज़ा आयेगा लेकिन अगर ठरकी नहीं हुआ तो २ बातें होंगी
या तो आप एक ही बिस्तर पे सोयेंगे या अलग – अलग,
अलग से सोने का तो सवाल ही नहीं उठता और अगर एक ही बिस्तर पे होंगे तो २ बातें होंगी।
या तो आप बिना चुदे ही सो जायेंगी, फ़िर पति को गालियां देंगी।
बिना चुदे तो नींद आयेगी नहीं और अगर मन में पति को गालियां देंगी तो २ बातें होंगी।
या तो आप अपने पति को छोड़ने की सोचेंगी या फ़िर किसी और से अपनी चूत मरवाने की।
एक साल से पहले तो तालाक तो होगा नहीं और अगर किसी और से चुदवाना हो तो २ बातें होंगी।
या तो आप अपने किसी पुराने यार से चुदवायेंगी या किसी और से।
किसी और को तो ढूंढना पड़ेगा लेकिन अगर यार से चुदवाना होगा तो २ बातें होंगी।
या तो उसकी शादी हो गयी होगी या नहीं,
कुंवारा होगा तो ठीक लेकिन अगर शादी शुदा होगा तो २ बातें होंगी।
या तो वो आपको चोदेगा या नहीं।
चोद देगा तो आप खुश लेकिन अगर नहीं चोदेगा तो २ बातें होंगी।
आपको या तो अपनी जवानी ऐसे ही गुज़ारनी होगी या फ़िर किसी को ढूंढना होगा जो आपको चोद सके।
ऐसे जवानी बिताना मुश्किल है अगर किसी को ढूंढना हो तो २ बातें होंगी।
या तो वो आपको चोद के खुश कर पायेगा या नहीं।
खुश किया तो ठीक लेकिन अगर खुश नहीं किया तो २ बातें होंगी।
या तो आप को वो जैसा भी चोदे खुश रहना होगा या फ़िर किसी दूसरे के लंड को ट्राई करना होगा।
उससे चुदवा के ही खुश रहना है तो पति के लंड में क्या बुराई है,
लेकिन अगर दूसरा लंड ट्राई किया तो २ बातें होंगी।
या तो दूसरा लंड मस्त होगा या फ़िस,
मस्त हुआ इसकी क्या गारंटी लेकिन अगर फ़िस हुआ तो फ़िर एक और लंड ढूंढो।
अरे तो मेरी बात आपकी समझ में क्यों नही आती है——–
बार बार लंड ढूंढ रही हो और हर एक लंड फ़िसड्डी निकल रहे हैं। दुनिया से कितना चुदवाओगी। Antarvasna
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.