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मैं सीमा, 26, लखनऊ उत्तर प्रदेश, ज्योतिष और सेक्सी Sex Stories कहानियों का शौकीन. सभी भाभियों सालियों कुंवारी चुदी चुदाई चूतों, भोसड़ों को एक बार फ़िर आपका सीमा बार बार प्रणाम करते हुए ये विश्वास दिलाता है कि जिस तरह से आपकी बुर और भाईयों के लंड से मेरी पहली कहानी पढ़कर वीर्य के छीटें हिन्दुस्तान, पाकिस्तान, ब्रिटेन, अमेरिका तक पहुंचे. इस बार भी आप लोग पहले की तरह मेल करके बताइयेगा कि बुर भोसड़ा बन गयी या नहीं लंड के चोदने की रफ़्तार 4 गुना हुई या नहीं. बुर के फ़ौव्वारे से आदमियों के लंड भीगे या नहीं?
कहानी पे आ जाइये भाई भाभी लंड पे हाथ बुर में उंगली सावधान, आरती मेरी दूर के रिश्ते की मौसी लगती है जिनका घर बंगलौर में है एक काम के सिलसिले में मैं उनके घर गया हुआ था, आरती जी की उमर 21 साल रंग गोरा 5’6 इंच. मैं उनके घर गया तो उनकी मामी ने मुझसे इंट्रोड्यूस कराया कि ये आपकी छोटी मौसी लगती है मोडल बनना चाहती है प्लीज़ थोड़ा इसके बारे में देख कर बताओ कि क्या इसे सक्सेस मिलेगी?
मैंने हाथ देखा और बोला- कोशिश कीजिये थोड़ी सफ़लता जरूर मिलेगी आपका भाग्य अच्छा है लेकिन आप मोडल्स सेलेक्ट करेंगी न कि खुद मोडल बने, आपकी शादी लव मैरिज का योग साफ़ दिख रहा है.
वो बोली- आप क्यों मम्मी को भड़का रहे हैं.
और पैर पटक कर अपने ऊपर वाले कमरे में चली गयी, उसने खाना भी नहीं खाया तो मैंने उनकी मम्मी से कहा- आप खाना लगाइये मैं उसे बुला कर लाता हूं.
मैं ऊपर गया तो उसका दरवाजा खोल कर अन्दर गया और दरवाज़ा फ़िर हल्का से बंद हो गया, वो बेड पर पेट के बल लेटी थी रो रही थी मुँह छुपाकर उसकी छोटी सी स्कर्ट उसके लेटने की वजह से थोड़ी और ऊपर हो गयी थी उसकी पिंक पेंटी साफ़ नजर आ रही थी चिकनी जांघें संगमरमर सा शरीर कि नीयत खराब हो जाये.
मैंने उसकी पीठ पर हाथ रखकर कहा- आरती उठिये ये सब क्या है, प्लीज़ उठो चलो सब इन्तज़ार कर रहे हैं.
अचानक वो उठी और मेरे सीने से लिपटकर रोने लगी उसकी गोल चूचियाँ मेरे सीने से दब रही थी उसकी पीठ सहलाते सहलाते मेरा लंड तन गया मेरे शरीर में करेंट दौड़ गया 20 साल की गर्म लड़की मुझे बुरी तरह से अपने अंग से अंग को लगाकर दबाये जा रही थी.
उसने अपनी शर्ट के बटन को खोल दिया और बोली- सीमा प्लीज़ आप जो चाहो कर लो लेकिन मम्मी से जो कहा है एक बार मम्मी से कह दो कि वो झूठ है मैंने बहुत सपने सजायें हैं बोलीवुड के लिये आज तक मैंने किसी लड़के को कुछ भी नहीं दिया प्लीज़ मेरे सपनों को मत तोड़ो… मैं जानती हूं कि कोई भी मर्द किसी लड़की की इज़्ज़त को लूटने के लिये कुछ भी कर सकता है मेरी सभी सहेलियाँ अपने ब्योयफ़्रेंड्स से सेक्स का मजा लेती हैं लेकिन आज तक मैंने कभी किसी भी मर्द को अपने चूचियाँ तक छूने नहीं दिया .. बुर तो आज भी मेरी उतनी ही खुली है कि मैं सिर्फ़ मूत सकूं, सारी फ़्रेंड्स जिनके पास ब्योय फ़्रेंड्स नहीं हैं वो एक दूसरे की चूचियाँ मुंह में लेकर चूसती हैं बुर में पानी की प्लास्टिक पाइप भी डलवाती हैं बिस्तर पर एक दूसरे की चूत से चूत रगड़कर झड़ जाती है…
वो बताती हैं कि तुम बहुत सेक्सी हो किसी भी तरह अगर महेश भट्ट या फ़िर राम गोपाल वर्मा के पास पहुंच जाओ तो तुम्हारा काम… जरूर हो जायेगा पर लिंक तो ढूंढना पड़ेगा… सीमा आपके पास इतने बड़े बड़े कोन्टक्ट हैं प्लीज़ कोई भी जुगाड़ करो न..सीमा मैंने आज तक अपनी झांटें ओरीजिनल रखी हैं कभी नहीं बनाई देखो ये रही!
उसने अपनी स्कर्ट उतार कर फ़ेंकी और अपनी बुर के पास मेरा हाथ लेगाया और बोली देखो प्लीज़… मैं झूठ नहीं बोल रही आप इतने अच्छे हो कि क्या कहूँ मुझे पता है कि आपकी कही बात गलत नहीं होती मैंने आपके बारे में सुन रखा है पर… क्या आपकी एक बात मेरी जिंदगी की सारी मेहनत, कुंवारी चूत की तपस्या सब बर्बाद हो जायेगीईई नहीं आपको मेरा सब कुछ सही करना होगा…जो पैसा लगेगा मैं दूंगी, मेरी सबसे बड़ी दौलत मेरी कुंवारी चूची और चूत है… आप जो करना चाहे…
मैं उसकी बातों को सुनकर स्टेच्यु हो गया कि क्या औरत या कोई भी लड़की इतनी बेशरमी से बात भी कर सकती है… मैंने कहा अच्छा नीचे…आओ सब लोग इन्तज़ार कर रहे हैं मैं देखता हूं क्या कर सकता हूं.
मेरा लंड तनकर बम्बू हो गया, चुदाई तो कर सकता था लेकिन कुछ परेशान भी था कि क्या करूं…
तो वो बोली नहीं अभी बताइये… ओहह अब समझी… मुझे आपको एडवांस देना है इतना कहकर उसने दूर बंद कर लिया वो मेरी पैंट की ज़िप खोल दी और मुँह में लेकर चूसने लगी… बोली सीमा प्लीज़ बताओ अच्छा लग रहा है?
मैंने कहा आरती मैं पागल हो जाऊँगा प्लीज़…
“मैं क्या करूं?” वो बोली- चलो अच्छा मेरी चूत को भी चोद लो… लेकिन मेरी बुर में इतना मोटा लंड… कल मेरी सहेली के घर में चोद लेना नहीं तो मैं चिल्लाऊँगी तो कोई… आ… जायेगा.
इतना कहकर वो मुझे बेड पर ले गयी और ब्रा हुक खोल कर दोनों चूचियाँ जो गोल गोल लाल लाल भुंडियों के साथ थी आपस में सटा लिया और बोली आज़ इसमें ही चोद लो प्लीज़… बुर में कल…
मैं पागल हुआ जा रहा था उसकी चूचियों को मुँह से थूक लगा लगा कर चूस रहा था वो भी आहह क्सहह ऊऊहह ल्लल्ल ल्लल्ल ऊऊस्सस!
तभी मैंने एक उंगली बुर में डाली और उसकी बुर भी लसलसी हो चुकी थीईईइ लेकिन मुझे पता लग गया कि वो चूत कुंवारी है यहाँ चोदना रिस्की है.
मैंने उसके गुलाबी होंठों को जीभ से भर दिया, वो भी मस्ती में आआहह्ह प्लीज़्ज़ज़्ज़ व्वव्ववूऊऊओ कर रही थी.
तभी चूचियों के बीच में मेरा लंड ने फ़ौव्वारा छोड़ा और छींटें उसके बालों पर भी पड़े अब मैं झड़ गया लेकिन बुर की चुदाई से मुझे कई गुना मजा आया, वो बोली- सीमा… एडवांस दे दिया है… बुर कल चुदवाऊँगी प्लीज़… आज सही बताऊँ तो बड़ा मजा आया कल चलना मैं अपनी सहेली की बुर दिलवाऊँगी वो अभी उंगली डालती है… और अगर तुम्हें मेरी ही कुंवारी बुर को चोदना हो तो मेरी भीईईइ…
इतना कहकर वो बाथरूम चली गयी… मैं भी लंड धुलकर नीचे आयाआआअ… कल मैंने दोनों की बुर ली. Sex Stories
हेलो दोस्तो!यह मेरी पहली कहानी है. मेरा Sex Stories नाम शाहिल है और मैं बी ई का विद्यार्थी हूं, मेरी उमर 22 साल है।
बात उस समय की है जब मैं 19 साल का था और अपनी नानी के घर गया था। वहाँ मेरी मामा की लड़की सोनू जो कि मेरी बहन है, मेरे उमर की है पर थोडी शर्मीली है। वो मुझसे दोस्तों की तरह बात करती है।
एक दिन मैं अकेला था। गाँव में सिर्फ़ दो ही कमरे थे और सभी लोग बाहर सो रहे थे। मैं कभी बाहर नहीं सोता इसलिए मैं अन्दर लेटा था और अपनी गर्लफ्रेंड से बात कर रहा था। बात करते करते मैं उससे चुदाई की बातें करने लगा। गाँव में लाईट थी नही, अँधेरा था।
मेरी बहन सोनू भी वहीं थी लेकिन मुझे मालूम नहीं था। जब हमारी बात ख़तम हुई तो मैंने महसूस किया कोई है। मैंने अपने मोबाइल की लाईट से देखा तो सोनू थी। उसने मुझसे पूछा कि किससे बात कर रहे हो तो मैंने उसे सब बता दिया। इस पर सोनू पूछने लगी कि आप ये क्या बातें कर रहे थे?
तो मैंने कहा- ये बातें पति और पत्नी या गर्लफ्रेंड और बोयफ़्रेंड के बीच होती हैं।
‘ऐसी क्या बात है बताओ न’ वो जिद करने लगी तो मुझे भी जोश आ गया और मैंने कहा- मैं तुम्हें करके दिखाता हूं।
उसने कहा ठीक है। पर वो समझ नहीं पाई कि क्या होने वाला है।
फिर मैंने उसे अपने बिस्तर पर बुला लिया। बाहर सब लोग सो गये थे। मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया। अब मैं उसके पास जाकर उसके बाल खोलने लगा। वो कहने लगी कि क्या कर रहे हो?
मैं सिर्फ़ यही बोला- देखती जाओ आगे आगे क्या होता है।
शायद वो सब समझ गई। फिर मैं उसके गालों को चूमने लगा। उसके बाद उसके गुलाबी होठों को चूसने लगा। ऐसा लग रहा था मानो शहद चाट रहा हूं। उसके होटों का रस बहुत मीठा था। वो भी मदहोश हो गयी और ज्यादा जोर से किस करने लगी उसके बाद मैं उसके बूब्स दबाने लगा, जो कि आकार में 38 होंगे।
वो दर्द से कराहने लगी- आ आह आहऽऽअऽऽ हम्म्म आहऽऽ… ये क्या कर रहे हो शाहिल!
उसके बाद मैं उसकी टीशर्ट ऊपर करने लगा। वो मुझे रोकने लगी- ये ठीक नहीं है प्लीज़! कहने लगी।
पर मुझे तो चुदाई का भूत सवार था। मैं उसकी बिल्कुल नहीं सुन रहा था और उसके टीशर्ट हटा कर उसके ब्रा खोल दी उसके बूब्स ऐसे लग रहे थे मानो किसी जेल से निकले हो। मैंने उन्हें दबा दबा कर पूरा चूसा। वो दर्द से चिल्ला रही थी-आह्ह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह माआ आ आआ आआ तो मुझे लगा कोई सुन न ले इसलिए मैंने अपने होठों को उसके होठों से चिपका दिया।
उसके बाद मैं उसके पेट को चूमने लगा, उसका गोरा पेट अंधेरे में भी रेडियम की तरह चमक रहा था। मैं उसकी पजामी उतारने लगा तो उसने बहुत मना किया प्लीज़्ज़! नहीं! मान जाओ!मुझे कुछ नहीं जानना!
पर मैं नहीं माना मैंने ज़बरदस्ती उसकी पजामी उतार दी। वो काली पैंटी पहने थी जो कि पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को चूमा। वो बोखला गई और हटाने लगी।
मुझे लगा आज ये सबको बता देगी, लेकिन मैं तो पागल हो चुका था। मैंने उसकी पैंटी गुस्से में फाड़ दी और उसकी चूत को पागलों की तरह चाटने लगा।
अब वो चिल्ला रही थी- आह्ह्हह ऊह्ह्ह्हह्छ हाँ फाड़ दो मेरी चूत को और चाटो शाहिल और जोर से!
मैंने सोचा- इसे क्या हुआ! और मैं समझ गया कि इसे भी अब मज़ा आ रहा है और मैं और जोर से चाटने लगा।
अब मैंने अपनी पैंट खोली और मेरा 8 इंच लंबा लंड बाहर था। वो उसे देखकर डर गई।
मैंने कहा- इसे चूस! मज़ा आयेगा वो मना करने लगी। लेकिन मैंने अपनी कसम देकर अपना लौड़ा उसके मुंह में डाल दिया। वो उसे पागलों की तरह चूसने लगी। मैं सातवे आसमान पर था। मैंए अपना पूरा लोड उसके मुँह में निकल दिया।
वो कहने लगी- ये क्या निकला?
मैंने कहा- पी ले! ये मेरा प्यार है।
अब मैंने उसे कहा- अब मैं अपना लौड़ा तेरी चूत में डालूंगा।
तो वो कहने लगी- इससे तो मेरी चूत फट जायेगी!
मैंने कहा- देखते है!
और मैंने अपना लंड उसकी चूत रखा। वो डर रही थी!
जैसे ही मैंने पहला शोट मारा, वो चिल्ला पड़ी- अह्ह्हह् उह्ह्ह्ह्ईई ह्ह मार डाल्ल्ला आआईई!!!!
मैं डर गया। मैंने फिर उसके होठों को अपने होठों में कैद किया और दूसरा शोट मारा जो कि टाइट जा रहा था। धीरे धीरे मैंने उसे चोदना चालू किया। वो दर्द के मारे रोने लगी पर बाद में साथ देने लगी। मैंने देखा कि उसकी चूत से खून निकल रहा है पर फिर भी चोदता रहा।
मैंने उसे उस रात कई बार चोदा और उसके बाद मैं जब भी मामा के घर जाता उसे ज़रूर चोदता। मैंने उसे ब्लू फ़िल्म की सी.डी. भी दी अब तो उसे भी एक्सपेरिएंस हो गया है और हम नए नए शोट से खेलते है. Sex Stories
पब्लिक ट्रांसपोर्ट में घूमने के काफी Sex Stories मजे हैं। उनमें से एक बड़ा लाभ यह भी है कि लड़कियों से बात करने का काफी मौका रहता है। मैं तो अक्सर किसी भी गोरी, अफ्रीकन या लातिनो लड़कियों से जान बूझकर यह सवाल करता हूँ, पर वह 24-25 साल की लड़की वाकई भारतीय थी। यूँ थी वो गोरी चिट्टी और नीली जींस और गुलाबी टीशर्ट में किसी गोरी से कम नहीं लग रही थी पर भारतीय साफ पहचान में आ जाते हैं।
“येस ! बट व्हाय?” उसने मुझे परेशान नज़रों से देखा।
“काम ऑन मैडम, आई ऍम अल्सो फ्रॉम इंडिया !” फ़िर मैं जान बूझकर हिन्दी मैं उतर आया ताकि आस पड़ोस के लोगों को पता न चले हम क्या बातें कर रहे हैं। “हिन्दी बोलती हैं आप?”
“हाँ” वो बोली।
“नहीं, मैंने आपको शहर का नक्शा पकड़कर खोजते हुए देखा तो सोचा कि आप शहर में नई हैं। घर वगैरह का इंतजाम हो गया?”
वह मुस्कुराई,” मैं यहाँ घर बसाने नहीं आई। मेरी एक कांफ्रेंस है- तीन दिन की !”
“ओह, तो आप एल ऐ की मेहमान हैं, फ़िर तो मेरी भी मेहमान हुई। तो आपकी मदद करना मेरा फ़र्ज़ है, कहिये कहाँ जाना है?”
उसे सांता मोनिका के किसी होटल में जाना और मुझे वेस्ट वुड ! पर मैंने सोचा कि आज ऑफिस में भले देर हो जाए, इससे जितनी बातें हो जाए अच्छा है। बातों बातों में उसने अपना नाम बताया- मालती जोशी !
“यह तो एक बड़ी लेखिका का नाम है !” मैंने कहा।
वह खिलखिला कर हंस दी। वह भारत सरकार के पर्यटन विभाग में थी और सरकार ने उसे इस कांफ्रेंस के लिए भेजा था।
मैंने उसे टटोलने की कोशिश की,”फ़िर तो चुन्नू मुन्नू आपको मिस कर रहे होंगे?”
“कौन चुन्नु मुन्नू ?” उसने थोड़ा अनजान सा बनकर पूछा।
“आपके चुन्नू मुन्नू और उनके पापा !” मैंने कहा।
इस बार वह ऐसे हँसी कि उसके मोती जैसे दांत दिखने लगे। फ़िर उसने जवाब दिया,” हाँ हाँ ! चुन्नू मुन्नू तो नहीं, उनके चुन्नू मुन्नू जरुर दादी को मिस कर रहे होंगे। क्या …. अरे नाम भी नहीं बताया आपने !”
“ओहऽऽ हो विशाल ! तो क्या मैं यह मतलब निकालूं कि अभी तक आपके जीवन में कोई नहीं आया है?”
बातों बातों में पता चला कि वह मुझसे दो साल छोटी है। जब उसे यह पता चला कि मेरे जीवन में भी कोई नहीं है, तो उसके ओंठों पर मुस्कान आ गई।
मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे। वैसे तो उसका होटल एयरपोर्ट के पास था, पर किसी लातिनो टैक्सी वाले ने पता ठीक नहीं समझा और उसे वेनिस-बीच के आस पास उतार दिया। शायद मेरी किस्मत ने……
मैंने उसे फ़ोन नम्बर दिया और ले भी लिया। मैंने कहा कि कोई भी मुश्किल हो, मुझे फ़ोन कर ले।
शाम को आठ बजे के आसपास जब उसका कोई फ़ोन नहीं आया तो मैंने निश्चय किया कि मैं ही फ़ोन कर लूँ। भले वह कुछ भी समझे। तभी फ़ोन की घन्टी बजी। नम्बर कुछ अटपटा सा था, पर यह उसकी ही आवाज़ थी।
“अरे आप ! किस नम्बर से फ़ोन कर रही हैं?” मैंने पूछा।
“कमरे से !”
“कमरे में पहुँच गई आप? इस बार टैक्सी ने परेशान तो नहीं किया?” मैंने पूछा,”कहिये, एक प्यारी सी मेहमान की क्या खिदमत करे यह बन्दा?” मैंने पूछा।
“इतवार को मेरी छुट्टी है, यहाँ से डिज्नीलैंड कितनी दूर है? मैं जाना चाहती हूँ, कैसे जा सकती हूँ? टैक्सी से मैं जाना नहीं चाहती, काफी महंगा पड़ेगा ना?”
“यह बन्दा किस लिए है? मेरी खटारा है ना?” मैंने कहा।
“नहीं, आपको तकलीफ होगी !”
“तकलीफ कैसी? सप्ताह मैं एक बार उसे वैसे ही हवाखोरी के लिए ले जाता हूँ !” मैंने कहा।
उसकी खनकती हुई हंसी फ़ोन मैं गूंजी, फ़िर उसने कहा,”नहीं, मैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट में ही जाऊँगी।”
यार बड़ी खच्चर लड़की है, बात ही नहीं समझती।
मैंने कहा,” ठीक है फ़िर.तुम परेशान हो जाओगी ! मैं तुम्हारे साथ चलूँगा !”
थोड़ी सी न-नुकर के बाद वह मान गई। इतवार को मैंने बैग पैक किया, पहले सोचा कार से चलते हैं, उसे मना लूँगा, फ़िर सोचा कहीं उसने मना कर दिया और पार्किंग नहीं मिली तो लेने के देने पड़ जायेंगे, वैसे भी बड़ी जिद्दी लड़की है। मैंने उससे कहा था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जाना है तो मुंह अंधेरे ही जाना पड़ेगा।
वह होटल के बाहर खड़ी मेरा इंतज़ार कर रही थी। आज उसने काली स्कर्ट और नीली कॉलर वाली हलकी पीली टी शर्ट पहनी थी।
ग्रीन लाइन के स्टेशन पर पहले ट्रेन का इंतज़ार करना था। ट्रेन आने में थोड़ी देर थी। हम इधर उधर की बातें करते रहे। मैंने उसे भरपूर नज़र से देखा। बला की खूबसूरत लड़की थी, कद होगा करीब ५’ २”,मुझसे चार इंच कम, लंबे बाल, फूले फूले गाल, उन्नत उरोज पतली कमर और चौड़े नितम्ब, बड़ी-बड़ी आँखें, पतले ओंठ। मुझे इस तरह देखते वह झेंप भी गई।
अचानक मैंने देखा उसने एक बड़ा बैग उठा रखा है,”क्या है इसमें?” मैंने पूछा,”माना कि लड़कियों का बैग नहीं देखते, पर यह क्या भर कर रखा है ?”
“खाने पीने का सामान !” उसने कहा,”पूरा दिन लग जाएगा, मैंने सोचा कि…”
मैंने सर पीट लिया,”डिज्नी लैंड में मेरे ताऊ बैठे हैं न जो इसे अन्दर ले जाने देंगे ! फेंको इसे !”
“क्या? फेंक दें? अन्न का अपमान?”
“तुम तो मेरी अम्मा जैसे बात कर रही हो ! फेंकना नहीं है तो खाओ !”
“अभी?”
“तो कब? ट्रेन में खाना मना है, फ़िर बस पकडेंगे, उसमें भी खाना मना है। चलो निकालो !”
वह घबरा गई,”यह तुम्हारे लिए भी है !”
हे भगवान ! प्लेटफोर्म में हम बैठे परांठे खा रहे थे जो उसने इंडियन शॉप से रात में आर्डर देकर मंगाया था। उसका छोटा सा पेट जल्दी भर गया और नखरे शुरू हो गए। मुझे इसी छीना-झपटी का इंतज़ार था, मैंने उसका हाथ पकड़ा और एक कौर जबरदस्ती मुंह में ठूंस दिया।
“विशाल, मेरा हाथ तो छोडो ! उई माँ !”
मैंने उसका हाथ छोड़ा नहीं, बल्कि मरोड़ के पीठ पर ले गया अब हम दोनों के जिस्म में छः इंच का फासला था और अगर मैं हाथ और थोड़ा मरोड़ता तो उसके उन्नत उरोज शायद मेरे सीने में दस्तक दे देते पर उसकी आंखों में आंसू आ गए।
“विशाल, सच्ची, उलटी हो जायेगी !”
तभी ट्रेन आ गई। मैंने पकड़ ढीली की पर उसका हाथ नहीं छोड़ा। डिब्बे में बैठकर भी नहीं छोड़ा। फ़िर जेब से एक टिशु निकाल कर उसका मुंह पोछा,”झूठे मुंह सफर नहीं करते !” उसे हँसी आ गई।
उसके बाद ट्रेन में और फ़िर बस में वह प्यारी बातें करती रही। उसकी बातों का पिटारा थमने का नाम ही नहीं लेता था। पर वह बोर नहीं कर रही थी। उसके चेहरे के हाव भाव, भाव भंगिमा, सब कुछ लुभा देने वाला था। हँसते हँसते मैंने उसकी पीठ पर एक दो बार धौल भी जमाया। कभी उसने मुझे छेड़ा तो मैंने बाल भी खींचे। अमेरिका में यह बात अच्छी है कि आस पास के लोग कोई परवाह नहीं करते।
कई बार मैं अपना चेहरा उसके गाल के काफी करीब ले गया पर चुम्बन की तीव्र इच्छा का किसी तरह दमन किया। कई बार उसके हथेली पर अंगूठा फेरा, उसकी कोहनी सहलाई, पाँव से उसके पाँव पर ठोकर मारी। एक बार हिम्मत कर के जांघ पर भी हाथ रख दिया। वह शरमाई जरुर, पर उसने हाथ हटाया नहीं !
डिज़नीलैंड देखकर वह हैरान रह गई और बच्चों की तरह उत्साह से भर गई। उसे काबू में करना मुश्किल हो गया। वह मेरा हाथ पकड़कर कभी इधर, कभी उधर ले जाने लगी। उसे मैंने प्यार से कई बार समझाया, कभी “माला” कभी “लती” कभी “लता” कभी “मति” कहकर पुकारा।
वह फ़िर इधर उधर जाने लगी। अब मैंने उसका हाथ पकड़कर खींचा, अब वह पास आई तो मैंने दोनों हाथ पकड़ लिए, मैंने समझाया,”मालती, तुम्हारा पहली बार डिजनी लैंड में आना हुआ है, सब चीज देखना मुश्किल है, फ़िर हमें कैलिफोर्निया एडवेंचर पार्क भी जाना है। लाइन तो तुम देख रही हो, ऐसा करते हैं, पहले जिसका फास्ट पास मिले वह ले लेते हैं, फ़िर मुख्य मुख्य जगह चलते हैं।
अब मैंने सोच लिया था कि यह ऐसे नहीं मानेगी, इसे थोड़ा पंचर किया जाए. उसे लेकर स्पेस माउन्टेन में ले गया. वह एक खतरनाक रोलर-कास्टर था। ऊपर से नीचे आते समय मैं जान बूझ कर उससे सट गया उसके हाथ हेंडल पर जमे थे, पर वो डरकर मुझसे चिपक गई।
उससे भी ज्यादा मज़ा तो थंडर माउन्टेन में आया, इस बार मै अपना एक हाथ उसकी पीठ के पीछे ले गया और खतरनाक मोड़ आने पर उसके एक उन्नत उरोज में हाथ का दबाव जमा कर उसे पास खींच लिया। ठोस टेनिस बाल की तरह के उरोज पर हाथ लगते ही मेरे लिंग में जबरदस्त तनाव आया।
वह सवारी खत्म होने के बाद मैंने देखा कि उसका चेहरा सुर्ख हो गया है.उसके सुडौल उरोज साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।
“ओह बाबा !” वह बोली,”कहाँ फंस गई मैं?”
मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और धीरे से उंगलियाँ बालों में फेरकर बोला,”मैं हूँ ना ! चलो खाना खाते हैं।”
उसे मेक्सिकान रेस्टारेंट में ले गया। खाना खाते खाते उसे देखकर मुस्कुराया, वह भी मुस्कुराई। मैंने कहा,”मालती, एक बात कहूँ ! तुम काफी हसीन लग रही हो !”
खाने के बाद ‘इन्डियाना जोन्स’ के फास्ट पास का समय हो गया था। तेज रफ्तार और अंधेरे में वह फ़िर घबराई। इस बार मैंने उसकी कमर में हाथ डालकर अपने पास खीँच लिया। डर के मारे उसने अपना सर मेरे सीने में छुपा लिया। मैं उसे और डराने लगा, “लती देखो, लटका हुआ आदमी.माला, देखो बिच्छुओं का झुंड !
जब उसने आँख नहीं खोली तो मैंने एक कुच को हलके से दबाया, वह चिहुंक गई।
बाहर निकल कर मैंने देखा, उसके स्तनाग्र सिपाही की तरह तन गए थे। मैंने उसका हाथ थामा और जुल्फें संवारी। मैं चाहता था कि मदहोशी का यह खेल थोड़ा आगे बढ़ाया जाए।
अब हम पैरेट्स ऑफ़ कैरिबियन की सवारी की ओर बढ़े। जैसे ही हमारी नाव अंधेरे में बढ़ी, मैंने मालती के जाँघों पर हाथ रखकर हल्के से दबाव बढाया। वह कुछ प्रतिक्रिया करती, उसके पहले ही एक झटका लगा और अंधेरे में नाव नीचे चले गई। मेरा हाथ फिसलकर उसकी जांघों के बीच आ गया। मैंने हाथ धीरे धीरे आगे बढ़ाया और स्कर्ट के उपर उसकी योनि पर हाथ रख दिया, उसकी साँसे तेज चलने लगी।
सवारी आगे बढ़ ही नहीं रही थी पर मेरे हाथ आगे बढ़ रहे थे। उधर अंधेरे में मालती की भी हिम्मत बढ़ गई थी। वह मेरा बिल्कुल विरोध नहीं कर रही थी।
तभी एक उदघोषणा हुई कि सवारी के सिस्टम में कोई खराबी हो गई है और इंजिनियर ठीक कर रहे हैं।
मुझे मानो मन-मांगी मुराद मिल गई। इस बार मैंने हाथ पीछे किए और उसके स्कर्ट के अन्दर हाथ डाल दिया। उफ़ ! कितनी स्निग्ध थी उसकी जांघें। उसके मुंह से एक फुरफुरी निकली और मेरे हाथ फिसल कर उसकी पेंटी से टकराए। कामोत्तेजना से उसकी पैन्टी आर्द्र हो गई थी। मैंने पैन्टी के उपर उसकी झिर्री टटोली। उसने दांतों से अपने ओंठों को जोर से दबा लिया, साँसे तेजी से चल रही थी।
फ़िर मैंने पैंटी के साइड से उंगलियाँ अन्दर डाली और अंगूठा बालों के जंगल से होता हुआ गीली और फिसलन भरी गुफा तक जा पहुँचा। योनि की दरार को टटोलता अंगूठा उपर बढ़ा और उसकी भगनासा से जा टकराया। अब मालती के मुंह से सिसकी निकल पड़ी। उसने अपने को काबू में करके मेरा हाथ थाम लिया।
“विशाल, न न नहीं..!” वह किसी तरह बोली।
तभी उदघोषणा हुई कि सवारी में खराबी की वजह से यह यहीं स्थगित की जाती है। सबको समय ख़राब होने की वजह से एक एक टिकट दिया गया, जिसे वो किसी अन्य सवारी में बिन लाइन में लगे उपयोग में ला सकते थे।
“माला, ऐसा करते हैं, कैलिफोर्निया एडवेंचर पार्क चलते हैं। इसका उपयोग बाद में करेगे।” मैंने उसे समझाया।
“तुम ही मेरे मार्ग निर्देशक हो, जैसा तुम कहो !”
“ये हुई ना समझदार लड़कियों वाली बात !” मैंने उसे कहा।
उसे लेकर में सीधा ग्रिज्ली रिवर की सवारी में ले गया जिसमें एक घूमता हुआ बेडा खतरनाक लहरों और झरनों, जल प्रपात के नीचे से होता हुआ जाता है। जब वह पहले खतरनाक जल प्रपात के नीचे से गुजरा वह मुझसे चिपट गई। उपर से गिरते पानी की तेज धार ने हम दोनों को सराबोर कर दिया। मालती की पतली टी शर्ट उसके बदन से चिपक गई और उसकी दूधिया ब्रा साफ़ दिखने लगी। अभी वह कुछ सम्हालती कि पानी की एक और बौछार उस पर पड़ी अब मानो कपडों का कोई अस्तित्व ही नहीं रहा।
“तुम बड़े शैतान हो !” बाहर निकल कर वह शिकायत के लहजे में बोली,”देखो, मेरे सारे कपड़े गीले हो गए।”
“अन्दर के भी?” मैंने शरारत से पूछा।
“क्या मतलब है तुम्हारा?”
“मतलब यह कि इस सवारी को दोष मत दो ! अंदर के नीचे के कपड़े पहले पहले ही गीले हो हो गए थे, मैं जानता हूँ।”
पहले वह शरमाई, फ़िर उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया,”विशाल, तुम्हारी बेशरमी बढ़ती जा रही है !”
मैंने कान पकड़े और कहा,”एक बात कहूँ, तुम बारिश में भीगी फिल्मी हिरोइन की तरह दिख रही हो !”
“पर मुझे सर्दी हो जायेगी, आक छी.” उसे छींक आ गई।
मैंने कहा,”लती, एक बात बोलूं? अन्यथा मत लेना !”
“अब क्या बचा है?” वह झल्लाकर बोली।
मैं मन ही मन बोला,”सब कुछ !”
पर मुझे वाकई दया आ गई, मैंने कहा,”मालती, में एक एक्स्ट्रा टी शर्ट लाया हूँ, मुझे मालूम था, यहाँ ऐसा होगा, तुम पहन लो।”
वह गुस्से से बोली,”क्या?”
मैंने कहा,”कॉमन सेंस से काम लो. मेरी टी शर्ट है तो क्या? थोड़ी ओवर साइज़ ही होगी।” फ़िर मैं पास आकर बोला,”और मेरी एक ब्रीफ भी है.तुम्हें थोड़ी ढीली होगी पर पहन लो।”
थोड़ी न-नुकर के बाद वह मान गई और बाथ रूम में जाकर चेंज कर लिया।
जब वह बाहर आई तो मैंने देखा कि उसके हाथ में गीले कपडों का बण्डल है.उसने मेरे बैग की जिप खोली और कपड़े उसमें डाल दिए।
मैंने देखा, उसने ओवर साइज़ टी शर्ट का फायदा उठाकर गीली ब्रा भी उतार दी है और उसके स्तन हर कदम के साथ उपर नीचे हो रहे हैं।
उसने मुझे उरोजों को देखते हुए देख लिया,बोली,”क्या है?”
मैंने अपना मुंह उसके कान के पास लाकर कहा,” मालती, तुम्हारा वो चूसने को मन कर रहा है !”
वह झल्लाए स्वर में बोली,”अगर तुम मेरा वो चूसोगे तो मैं भी तुम्हारा वो चूसूंगी !”
मैं हैरान रह गया। मेरा लिंग मानो अंडरवियर फाड़ कर बाहर आना चाहता था।
मैंने कहा,”मुझे खुशी है, तुम थोड़ी बेशरम तो हुई !”
वह कुछ समझी नहीं, बोली,” बेशर्मी की क्या बात है? तुमने कहा तुम मेरा खून चूसोगे। अगर तुम मेरा खून चूसोगे तो मैं तुम्हारा खून चूसूंगी।”
“पर खून तो मच्छर चूसते हैं।”
और दोनों खिलखिला कर हंस पड़े।
कहानी का अगला भाग: लॉस एंजेलेस(अमेरिका) में प्रणय का अंकुर-2 Sex Stories
कुछ दिन बाद मेरा जन्मदिन था। Hindi sex stories Antarvasna कोमल ने पूछा- क्या उपहार चाहिए? मैंने कहा- मैं तुम्हें बिना कपड़ों के देखना चाहता हूँ।
वो उपहार को कैसे मना करती, उसने कहा- ठीक है, पर देखोगे कहाँ? मैंने कहा- तुम्हारी किसी सहेली के घर पर !
उसने बोला- मेरी एक सहेली अकेली रहती है कमरा लेकर, मैं उससे बात करुँगी। पर तुम सिर्फ देखोगे।
मैंने कहा- सेक्स नहीं करूँगा, यह वादा करता हूँ!
उसकी सहेली मान गई। फिर तो मैं उस दिन का इन्तजार करने लगा और वो दिन भी आ गया। उसने सफेद स्कर्ट और काले रंग का टॉप पहना था। वो उस दिन बहुत सेक्सी लग रही थी। फिर हमने केक ख़रीदा और चले गए उसके घर !
कोमल की सहेली का नाम दीप्ति था। दीप्ति बहुत खुश हुई हमें देख कर !
हमने मिल कर केक काटा, लंच किया, फिर कुछ दीप्ति ने कहा- मुझे कुछ काम है, तुम दोनों बैठो। मैं 1-2 घण्टे में वापिस आउंगी।
और वो चली गई। अब हम दोनों अकेले रह गए थे। मैंने अब कोमल को बाँहों में लिया ले लिया और जोर से कस लिया। वो भी मुझसे चिपक गई। पहली बार हमें यह मौका मिला था। हम एक दूसरे की सांसें महसूस कर सकते थे। मैंने उसके होंठ चूमने शुरू कर दिए। वो भी आँखें बंद करके मेरे होठों को चूसने लगी। हम कोई दस मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे। उसकी सांसें तेज चले लगी थी।
मैंने कहा- कोमल मेरा उपहार कहाँ है?
उसने कहा- क्या?
मैंने कहा- जो वादा किया था ! मुझे बिना कपड़ों के अपना बदन दिखाओ !
वो शरमा गई और अपना सर मेरी छाती छुपा लिया।
हम बिस्तर पर बैठे थे, मैंने कहा- प्लीज़ जान !
वो बोली- मैं नहीं कर सकती। मुझे शर्म आती है।
मैंने कहा- क्या मैं खुद उतार लूं !
वो कुछ नहीं बोली और मुस्कुरा दी।
मैं समझ गया, मैंने धीरे से उसका टॉप ऊपर किया और उतार दिया। अब वो ब्रा में थी। उसने गुलाबी रंग की ब्रा पहन रखी थी। उसके चूचे अब दिखने लगे थे। उनका आकार कोई 32 होगा। वो बिलकुल गोरी थी। मैं तो पागल हो गया। किसी लड़की को पहली बार इस तरह तरह देख रहा था। वो शरमा गई और अपने चुचों को अपने हाथों से छुपा लिया!
मैंने उसके हाथ हटाये और चूम लिया। उसके चूचे बहुत मुलायम थे, जैसे ही मैंने उसके स्तन पर अपने होंठ रखे, उसके मुँह से आह-आह्ह निकल गई !
अब मैंने उसकी ब्रा के हुक खोल कर उसे उतार दिया। मेरी तो आँखें ही मानो फट गई- क्या चूचे थे उसके गोल गोल।
मैंने जैसे ही उनको छुआ तो उसकी तो आँखें ही बंद हो गई। मैं उसके वक्ष को चूमने लगा। वो अह्ह्ह अआः ह्ह्ह्ह ह्ह्ह्हम मम मम्ममम करने लगी। मैं चूचियों को हाथ में लेकर दबाने लगा और एक चुचूक मुँह में ले लिया और उस पर जीभ फिराने लगा। कोमल की तो हालत ही खराब हो गई। वो एकदम गर्म हो गई थी। मैंने जोर से चूसना शुरू कर दिया। उसने मेरे सर को अपने वक्ष पर दबा दिया। मैं और तेज चूसने लगा और उन्हें दबाने लगा।
मैंने कहा- अब अपनी छोटी जान को दिखाओ।
(मैं उसकी चूत को छोटी जान बोलता था)
वो कुछ कहने की हालत मे नहीं थी। मैंने उसकी स्कर्ट को नीचे किया और उतार दिया। वो लेट गई। अब उसकी बदन पर सिर्फ गुलाबी रंग की पैन्टी रह गई थी। मैं उसे चूमने लगा। मैं उसकी टांगों को चूमता हुआ ऊपर आने लगा। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी। मैंने उसकी पैन्टी नीचे खिसका दी, उसकी चूत दिखने लगी, बिल्कुल साफ चूत थी, बाल साफ किये थे। उसने अपनी टांगें एक के ऊपर एक चढ़ा कर चूत को छुपा लिया। मैंने उसकी टांगें खोल दी और हाथ उसकी चूत पर रख दिया। उसकी चूत एक दम गर्म थी और चूत का रंग हल्का गुलाबी था। मैं उसे मलने लगा।
कोमल तड़पने लगी, उसके मुँह से कई आवाजें निकल रही थी- मम्म मम …..अआः ह्ह्ह ऊऊऊ जांण ऊऊईईईइ ऊऊओ ऊऊ य्य्यय्य।
उसकी चूत गीली हो गई थी।
मैंने कहा- मैं छोटी जान को चूमना चाहता हूँ।
उसने कुछ नहीं कहा। वो तो जैसे नींद में थी ……वो तो सिर्फ यही बोल रही थी- म्मम्म आआ ह्ह्ह्ह ऊऊओ जाआअन्न्न म्मम्मम मम्म आअ आआआ ऊऊउ ऊउऊओ ऊऊऊ।
मैंने अपने होंठ उसकी चूत पर रख दिए और उसे चूमने लगा, जीभ फ़िराने लगा। उसकी हालत और खरब हो गई, आवाजें और तेज हो गई …म्मम्मम आआह्ह्ह्ह आआह्हू ऊऊईइ ईईइ मम्म मम्म ।
उसने मेरा सर अपनी चूत पर दबा लिया। मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा।
वो पैर पटकने लगी। उसकी चूत का रस मेरी जीभ पर आ रहा था। मैंने पीना शुरू कर दिया। उस वक़्त तो वो भी अमृत लग रहा था। मैंने सारा रस चाट लिया। मेरी ऊँगली पर खून लगा था। शायद उसकी सील टूट गई थी। वो सेक्स के लिए तयार थी। पर मेरे पास कंडोम नहीं था और मैं रिस्क नहीं लेना चाहता था । मैंने उसे चौपाये स्टाइल में खड़ा किया और उन्गली से ही उसकी प्यास बुझाने लगा। वो मम्म मम्म मु ऊऊऊऊ ऊउईई ईई जांण कर रही थी। वो एकदम पागल हो गई थी …..वो बोल रही थी- तेज करो न और तेज करो . ऊऊयाआआ म्मम्म म्मम्म !
फिर वो गिर गई मेरी बाँहों में। उसकी आग ठंडी हो गई थी। लेकिन मेरी हालत खराब थी। वैसे भी फ़ोन सेक्स पर हम सब कुछ कर चुके थे और उसे अब सेक्स की हर बात का पता था। मैंने कहा- क्या लंड देखोगी?
उसने कहा- हाँ, मुझे देखना है।
मैंने जिप खोल दी और अपना लिंग निकाला।
वो उसे देखते ही बोली- ओह गॉड ! यह तो बहुत बड़ा है। मैंने तो सोचा ही नहीं था।
मैंने कहा- तो क्या सोचा था?
बोली- मैंने तो बच्चों के देखे हैं, वो तो छोटे होते हैं।
मैंने कहा- बच्चे बड़े होते हैं तो यह भी तो बड़ा होगा। इसे छू कर देखो।
उसने लंड को हाथ में ले लिया और मालिश करने लगी। फिर उसने एकदम से उसे चूम लिया।
मैंने कहा- यह कैसे कर लिया?
तो उसने कहा- जब तुम मेरी चूत को चूम सकते हो तो मैं क्यों नहीं !
मैंने कहा- आई लव यू सो मच जान।
वो मुस्कुराई और मेरे लंड को चूमने लगी। फिर उसे मुँह में लेकर आगे पीछे करने लगी। उसे भी मजा आ रहा था। मेरी तो हालत खरब हो रही थी, मैंने उसका सर पकड लिया और मुँह में ही सेक्स करने लगा। वो मम मम्म म्मम्म मम मम्म कर ही थी। मेरा सारा रस उसके मुँह में ही निकल गया। मैंने उसका सर पकड़ रखा था तो सारा उसके अंदर चला गया। उसे पता नहीं था कि कुछ निकलता भी है लंड से।
उसने पूछा- वो क्या था जो मेरे पेट में गया?
मैंने कहा- वही तो असली चीज़ थी।
उसे वो रस पसंद आया था।
फिर हमने एक दूसरे को गले लगा लिया। तभी दीप्ति आ गई। आज कोमल खुश थी कि मैंने अपना वादा निभाया था और उससे सेक्स नहीं किया।
कुछ दिनों बाद हमारी शादी की तिथि निश्चित हो गई। उसके मम्मी-पापा कुछ दिन के लिए घर से बाहर गए थे। अब उसके घर पर उसकी बहन पूजा और कोमल ही थी। हमने योजना बनाई कि हम घर पर ही मिलेंगे। पूजा तो जॉब पर चली जाती थी दिन को।
कोमल ने कहा- मुझे सेक्स का पूरा एहसास करना है।
मैंने कहा- ओके ! इस बार हम सेक्स करेंगे।
उसे दिन पूजा का ऑफिस था। मैंने कंडोम ले लिए और शनिवार शाम को दिल्ली से निकल गया. रात को कोई 12 बजे चंडीगढ़ कोमल के घर पहुँच गया। वो दोनों जाग रही थी। हमने खाना खाया और बातें करने लगे।
थोड़ी देर बाद पूजा सोने चली गई उसका तो ऑफिस था अगले दिन। जाते हुए बोली- कुछ् गलत मत करना ! ओके?
हम हंसने लग पड़े। एक घंटे तक हम बातें करते रहे। फिर कोमल उठी और मेरी गोद में आकर बैठ गई। मैंने उसे बाहों में जकड़ लिया और उसके होंठ चूसने लगा। वो भी मेरे होंठ चूसने लगी। उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी। मैंने उसे चूसने लगा। वो भी मेरी जीभ चूसने लगी। हम दोनों ही गर्म हो गए थे। हम दोनों अन्दर चले गए जहाँ मेरा बिस्तर था। हम रजाई में थे। मैंने उसकी कमीज ऊपर कर दी और उसके चूचों को चूमने लगा। वो भी मेरे कंधों, मेरी छाती पर चूम रही थी और काट रही थी।
मैंने उसकी सलवार को नीचे किया और रजाई के अन्दर ही उसकी चूत को चाटने लगा।
वो धीरे-2 सिसकारियाँ भर रही थी- म्मम्मम आआ आआः ह्ह्हह ह्हहह ऊऊ ऊऊओईई ईईई ईऊऊऊम मम मम्म।
उसने कहा- मुझे चोद दो अब जान ! फाड़ दो मेरी चूत को !
मैंने कहा- कंडोम मेरी पैंट में है।
पैन्ट दूसरे कमरे में थी जहाँ पूजा सो रही थी।
कोमल ने कहा- रहने दो ! वो जाग जाएगी।
मैंने ऊँगली उसकी चूत में दाल दी और अंदर-बाहर करने लगा। उसने भी मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। ऊँगली से ही मैंने उसकी प्यास बुझाई और उसने मेरा रस पिया। फिर हम सो गए। फिर वो पता नहीं कब पूजा के पास चली गई सोने के लिए !
सुबह जब उठा तो पूजा ऑफिस के लिए तैयार हो रही थी। हमने नाश्ता किया और वो चली गई। अब हम दो ही थे घर पर। मैं तीन कंडोम लाया था। वो रसोई कुछ काम कर रही थी और मैंने उसे पीछे से पकड़ लिया। मैं उसे गर्दन पर चूमने लगा। वो मुड़ी और मुझसे लिपट गई। आज हम दोनों सेक्स के लिए तैयार थे।
मैंने उसे गोद में उठाया और लेजाकर बिस्तर पर लेटाया और ऊपर चढ़ कर हर जगह चूमने लगा। उसकी कमीज निकाल दी, उसके चूचों को चूमने लगा और हाथों से दबाने लगा। वो जोर जोर से सिसकियाँ भर रही थी …मम्म म्मम्म म्मम्म ऊऊ ऊऊम्म्म म्मम्म मम्मी ईईई ईईइऊईईई।
उसने मेरी शर्ट निकाल दी और मुझे हर जगह चूमने लगी। उसने मुझे अपने मम्मों पर कस लिया और कहा- इन्हें जोर से दबाओ……।
मैंने उसकी सलवार निकाल दी और पैंटी भी निकाल कर उसकी चूत को चूमना शुरु कर दिया। उसने टांगें पूरी फ़ैला दी थी। मैंने जीभ अन्दर डाल दी। वो जोर जोर से सिसकार रही थी- आआअ अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह्ह हूऊ ऊऊऊओ ओऊ स्स्स् म्म्मम्मम्म म्माआआअम मम्मम्म !
उसने मुझे नीचे गिराया और मेरे सारे कपड़े उतार कर मुझे बुरी तरह चूमने लगी। मेरा लंड ऐसे चूस रही थी जैसे खा जाएगी ………
मैं उसके चूचों को चूस रहा था।
फिर वो बोली- अब मुझे चोद डालो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! अपना लंड डालो और फाड़ दो इसे।
मैंने कंडोम लगाया, कोमल को नीचे लिटाया और ऊपर आ गया। फिर लंड को चूत पर रखा और धक्का लगाया। लंड का सर थोड़ा सा अन्दर गया। एक और धक्का दिया, लंड और अन्दर गया तो उसके मुँह से चीख निकल गई।
वो बोली- धीरे करो ! दर्द हो रहा है।
मैंने थोड़ा सा बाहर निकाल लिया फिर धक्का दिया। इस बार पूरा लंड अन्दर था, कोमल जोर से चिल्लाई, उसकी आँखों में पानी आ गया था, मैं रुक गया और उसके होंठ और स्तन चूमने लगा। जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। अब उसका दर्द कम हो गया था और उसे मजा भी आ रहा था। वो भी नीचे से गांड हिला कर मेरा साथ दे रही थी और बोल रही थी- य्य्य्याआ आआआआअ आया तेज और तेज करो बेबी. मुझे चोदते रहो ….आआआ आआऊऊऊऊ मम्म म्मनन्न न्न्न्न स्स्सस्स्सम्मम्म म्मम् म्मम्म !
मैंने भी तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए। फिर मैंने उसे घोड़ी बना कर चोदा। जो भी सेक्स मुद्राएँ मैं जानता था, सब की …दीवार के साथ खड़ा करके, उसे गोद मैं लेकर चोदा। फिर वो मेरे ऊपर आ गई। वो सेक्स को पूरा मजा ले रही थी, जैसे इंग्लिश मूवी में करते हैं! उसकी चूत से खून भी निकल रहा था, उसकी सील पूरी टूट गई थी। अब उसकी चूत से पच पच की आवाज आ रही थी। हम एक हो गए थे।
उसके बाद हम साथ साथ नहाये। हमारा मूड फिर बन गया। तो हमने एक ट्रिप बाथरूम में और फिर लंच में किचन में भी एक ट्रिप लगाया। उस दिन जो तीन कंडोम ले के गया था वो सारे लगा दिए !
उसके बाद कोमल बोली- मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं शादी से पहले सेक्स करुँगी। आपके प्यार में यह एक ऐसा उपहार है जो कभी नहीं भूलूंगी। आई लव यू सो मच। और हम दोनों एक दूसरे की बाहों में समां गए।
आज हमारी शादी को दो साल हो गए हैं। हम खूब सेक्स करते हैं पर आज भी हमें बरसात का पहला किस और पहला सेक्स नहीं भूला है। हम उस पल को हमेशा याद करते हैं। Hindi sex stories Antarvasna
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