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Massage Girl in Bundi: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Bundi who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Bundi that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Bundi massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Bundi who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Bundi massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Bundi massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Bundi who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Bundi employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Bundi helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Bundi

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Bundi at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Sex Stories

मेरा नाम Hindi Sex Stories रेशमा है। मैं इस्लामाबाद पाकिस्तान से हूँ। मैं विवाहित हूँ। मेरी उम्र 26 वर्ष है।

यह बात तब की है जब मैं कालेज में थी।
मुझे अपने क्लास के एक लड़के मोइन से प्यार हो गया।

हम दोनों अकसर कालेज से घूमने के लिये निकल जाते थे।
फिर दोनों पिक्चर देखने के लिये भी जाने लगे।

हम दोनों धीरे धीरे बहुत करीब आते गये।
मोइन मुझे हमेशा हाथों पर और फिर धीरे धीरे गालों पर चूम लेता था।

एक दिन उसने मुझे मेरे होठों पर चूम लिया। अब वह थोड़ा निडर हो गया था।

एक दिन उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मेरे होठों को चूम लिया, फिर उसने मेरे कन्धों पर, फिर मेरी गर्दन को चूम लिया।
उसने मेरे उरोजों को छू लिया।

पहली बार किसी ने मेरे वक्ष को छुआ था मुझे बहुत अच्छा लगा था।

धीमे धीमे वह और आगे बढ़ गया था। अब वह अपने हाथों से मेरी जांघों को, कभी कभी वह अपने हाथों से मुझे पीछे से कमर के नीचे के भाग को दबा देता था।
मुझे बहुत मजा आता था, मैंने कभी विरोध नहीं किया।

एक दिन हम दोनों पिक्चर देखने गये। हम सबसे पीछे की सीट पर बैठे थे।

हॉल में भीड़ बहुत कम थी और हमारे आस पास कोई नहीं बैठा था।

पिक्चर शुरू होने के 10 या 15 मिनट बाद मोइन ने अपना हाथ मेरे कन्धों पर रखा और अपनी तरफ खींचा।
थियेटर में काफी अन्धेरा था।

वह मेरे गालों पर चूमने लगा उसने मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिये उसकी सांसें बहुत गर्म थी।

हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत बेताबी से चूमना शुरू कर दिया।

तभी मैंने उसका हाथ अपने दुपट्टे के नीचे महसूस किया। उसका हाथ मेरे उरोजों को कमीज के ऊपर से दबाने लगा।
इस दौरान भी वह मुझे चूम रहा था।

मैंने अपनी आँखें बन्द कर ली मुझे बहुत मजा आ रहा था।

अचानक मुझे महसूस हुआ कि उसका हाथ मेरी कमीज के ऊपर के दो बटनों को खोल चुका था।
उसका हाथ मेरी ब्रा के कोनों के अन्दर मेरे स्तनों को सहला रहे थे।

धीरे धीरे उसका हाथ मेरे चुचूकों को अंगुलियों से छेड़ने लगा जिससे वे एकदम कठोर हो गये।

मैं कुछ सोच नहीं पा रही थी कि मैं क्या करूँ।
मेरे पूरे शरीर में अजीब सी तरंगें दौड़ रही थी जो कि मेरी जिन्दगी में पहली बार हुआ था।

उसने अपने हाथ को मेरी कमीज से निकाला और मेरे पेट पर रखा और इधर उधर घुमाता रहा।
फिर उसका हाथ नीचे की ओर बढ़ने लगा।

मेरे अन्दर अजीब सी फीलिंग हो रही थी।

उसने अपना हाथ मेरी जांघों पर रखा और धीरे धीरे ऊपर की ओर ले गया।

उसने मेरे प्राइवेट भाग को मेरी सलवार के ऊपर से ही छूआ।
मेरे मुँह से उॅहह हहह करके आवाज निकली, मेरे पैर फैल गये और उसकी हथेली ने उस जगह को भर लिया।

अपनी अंगुलियों से वह मेरे प्राइवेट अंग को रगड़ रहा था।
उसका ऐसा करना मुझे पागल बना रहा था।

मेरा बदन मेरे वश में नहीं था, मैं अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी थी।

अचानक उसने मुझसे अपनी कमीज के बटन बन्द करने और उसके साथ बाहर चलने को कहा।
मैंने वैसा ही किया।

हमने टैक्सी ली और कॉलेज की ओर चल पड़े।

शाम हो गई थी, कॉलेज बन्द हो चुका था केवल एक-दो बच्चे थे।

हम दोनों कॉलेज के पीछे की ओर से कॉलेज की छत की ओर गये।
कॉलेज बन्द हो चुका था किसी के उधर आने की उम्मीद नहीं थी।

हमने ऐसी जगह चुनी जहाँ से हमें कोई देख नहीं पाये।

हम दोनों दीवार के सहारे खड़े हो गये और बगैर वक्त बर्बाद किये एक दूसरे को बेसब्री से चूमना शुरू कर दिया।

उसने मेरे दुपट्टे को उतार दिया। मेरी कमीज के सारे बटन खोल डाले और अपना हाथ मेरी कमीज में डालकर मेरे उरोजों को हाथ में ले लिया।

उसने इतनी जल्दी में यह सब किया कि मुझे कुछ समझ ही नहीं आ पाया।

उसके इस तरह से छूने से मुझे करंट सा लगा।

उसने मेरी ब्रा को खोल दिया और बड़ी बेदर्दी से मेरे स्तनों को मसलने लगा।

मेरे स्तन एकदम सख्त हो गये।

वह अब मेरे उरोजों को चूमने लगा और मेरे एक चुचूक को मुँह में ले लिया और बड़ी सख्ती से उन्हें चूसने लगा।
उसका एक हाथ मेरे चूतड़ को मसल रहा था।

उसने मुझे पीछे से अपनी बांहों में जकड़ लिया और मेरे वक्ष को दबाने लगा।

उसका सख्त हो चुका अंग मेरे पीछे चूतड़ों में चुभने लगा। उसका हाथ मेरी कमीज के नीचे मेरे पेट पर टहल रहा था।

शलवार के ऊपर से ही वह मेरे प्राइवेट भाग को रगड़ रहा था। मेरी शलवार का वह हिस्सा गीला हो गया जहाँ उसने अपना हाथ रखा था और मेरी चूत को रगड़ रहा था।

मोइन ने मेरी शलवार खोल दी और मैंने उसे नीचे गिर जाने दिया।
उसकी अंगुलियाँ सीधे मेरी पैंटी के अन्दर पहुँच गई और अगले ही पल उसकी अंगुलियाँ मेरी चूत के अन्दर पहुँच गई, वह उन्हें वह अन्दर बाहर करने लगा।

मैंने महसूस किया कि उसका सख्त लण्ड मेरी कमर में चुभ रहा है और धक्के लगा रहा था।

उसने मेरी पैंटी को नीचे खींच दिया।

मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने पलट कर उसकी पैंट खोल डाली और उसके अन्डरवियर में हाथ डालकर मैंने उसके अंग को हाथों में ले लिया।

उसने अपना पैंट नीचे गिरा दिया और मेरी पैंटी को उतार दिया। उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया।

मैंने अपनी टांगों को उसकी कमर में लपेट लिया।
उसका कठोर अंग मेरी चूत के मुँह को ढूंढने लगा।

मैंने उसे अपने हाथ से पकड़ा और अपनी चूत का रास्ता दिखाया और एक झटके से उसका मोटा और कठोर लण्ड मेरे अन्दर प्रवेश कर चुका था।
मुझे लगा कि कोई जलती हुई चीज मेरे अन्दर घुस गई।
मैं दर्द से तड़प उठी।

उसने मेरे मुँह को एक हाथ से दबाया और मेरी कमर को एक हाथ से थाम लिया।

अगले ही पल मेरे चुचूक उसके मुँह में थे। वह उन्हें जोर से चूसने लगा।

उसका लण्ड अभी भी मेरे अन्दर ही था। उसने मेरी कमर को कस कर पकड़ रखा था जिससे मैं ऊपर ही नहीं उठ पा रही थी।

धीरे धीरे मुझे मजा आने लगा मेरा दर्द जाने कहाँ चला गया। मैं अपने आप को ऊपर नीचे करने लगी।
फ़िर उसने वहीं जमीन पर मुझे लिटाया और मेरे पैरों को फैलाया और उसका लण्ड अगले ही पल मेरी चूत में था।

उसका पूरा लण्ड मेरे अन्दर तक समा रहा था।
उसने मेरी कमर को हाथों से पकड़ा और जोरों से धक्के देने लगा।

इस बीच मेरी चूत से पानी निकल गया।

उसने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसके लण्ड का ऊपर का सिरा मेरे अन्दर तक पहुँच रहा था। उसका लण्ड मेरे अन्दर और कठोर और सख्त होता जा रहा था।

हम दोनों एक दूसरे को बहुत जबरदस्त धक्के दे रहे थे।

अचानक हम दोनों ने एक दूसरे को कसकर पकड़ लिया, उसने अपनी स्पीड चालू रखी और अगले ही पल उसका वीर्य मेरी चूत में भर गया, तभी मैं भी एक बार फिर झर गई।
वह मेरे ऊपर ही निढाल हो कर गिर गया।

हम दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे।

हम दोनों ने कपड़े पहने एक दूसरे को देख कर मुस्कुराये। हम दोनों एक दूसरे से पूरी तरह से सन्तुष्ट थे। Hindi Sex Stories

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तन के मिलन की Hindi Sex Stories चाह बडी नैसर्गिक है। सुन्दर स्त्री की देह से बढ़कर भ्रमित करने वाला और कुछ पदार्थ इस संसार में नहीं है। मेरे पिता ईसाई, माता हिन्दू ! मुझ पर हिन्दू संस्कारों की छाया अधिक पड़ी। मेरा विवाह मेरी मां की पसन्द के एक हिन्दू घराने में हुआ। पत्नी यौवन में नव दाम्पत्य के दिनों में सभी को बहुत भाती है और सर्वांग सुन्दरी लगती है। कालांतर में मुझे दूसरी स्त्रियां भी आकर्षित करने लगी। विवाह के बाद दूसरी स्त्रियों से बात कर लेने में कोई शक़ भी नहीं करता है।

सुजाता, मेरी साली जी, अपनी शादी के बाद भी मुझसे मज़ाक करने में चूकती नहीं। वह मुझे बहुत भाती है। उसकी बातों की शैली कसमसाहट देती है। मुझे बहुत सतर्क रहना पड़ता है कि कहीं मेरा अपना दाम्पत्य जीवन भंग न हो जाये।

पिछले रविवार उसे किसी सिलसिले में मेरे शहर आना था। मैने सोचा कि चलो हल्की फुल्की चुहल होगी ! रस रहेगा !

मैं अपने साढू भाई से तो बातें करूंगा ही ! लेकिन असली आकर्षण सुजाता होगी !

वह शनिवार सांझ को ही सिर्फ अपने बेटे के साथ चली आई। साढू जी को अनायास कोई काम आ गया था। मुझे हर्षमिश्रित आश्चर्य हुआ।

मैं अपने आफिस के काम काज़ निपटा कर जब घर पहुंचा तो मुझे निराशा हुई कि वह मेरी पत्नी के साथ बातों में तल्लीन थी। मुझे सादर प्रणाम करने के अलावा उसने कोई खुशी नहीं दी। मैंने भी उसके और अपने बेटे को गिटार सुनाया और अकेले अपने कमरे में सो गया। नज़दीक़ी दूसरे कमरे में वे दोनों बहनें खिलखिला कर चटखारे लेकर बातें कर रही थी। मुझे नींद नहीं आई। ज़ब वे सब सो गई, मैं सुजाता के ख्यालों में खो गया और निर्वस्त्र हो कर मूड्स कंडोम की चिकनाई के बीच तीव्र हस्तमैथुन करता रहा। मैने ख्यालों में उसको भरपूर भोगा। फिर एक दो घंटे की नींद के बाद जागने पर फिर से अनुभव दोहराया। रात में दो बार विसर्जन करके निढाल हो कर गहरी नींद में सो गया। सुजाता अब सिर्फ एक सपना थी।

सुबह हल्की निराशा थी। लेकिन दरस की चाह तो पूरी होनी ही थी। आज उसे दिन भर यहीं रहना है यह सोच कर मन को सांत्वना दी। लेकिन रात में जो दो बार रस गिरा दिया तो अब और कुछ तो होगा नहीं : मौका भी तो नहीं। मैंने भी दिन में अपने मित्र के पास कुछ परामर्श के लिये समय लिया था सो जाने की योजना बना डाली और पत्नी को बता भी दी।

तभी स्थिति बदली और मेरी बड़ी बहन अचानक 8 बजे ऑटो से उतरी। वह राखी के सिलसिले में आई थी। आते ही उसने मेरी पत्नी से बात की और कुछ गिफ्ट खरीदने की चाह से योजना बनाई कि वह एक घंटे बाद घर से 12 कि.मी. दूर वाले थोक मार्केट से खरीददारी करने चली जायेगी। मेरी धड़कने बढ़ गई। और सुजाता ? उत्तर मिला वह घर पर रहेगी और दोपहर का भोजन तैयार रखेगी। मुझे तो मित्र के घर जाना ही था।

साढ़े नौ बजे मेरी पत्नी, मेरा बेटा और मेरी बहन तीनों आटो रिक्शे में चल दिये, मैं भी उन्हें जाने को तैयार दिखा। तीनों के घर से निकलते ही मैं उतावला हो गया। अन्दर किचन में जाकर पूछा- सुजाता, मैं निकल रहा हूँ चाय मिलेगी ?

वह पलट कर मोहक मुस्कान से बोली- क्यों नहीं जीजू ! जो चाहोगे वही मिलेगा .. मैं तो एक्सपर्ट हूँ … लेकिन आप भी चले जाओगे तो मैं तो यहाँ अकेली रह जाउंगी।

मैने कहा- चलो कुछ देर रूक जाता हूँ ! शीनू (बेटा) उठा नहीं ?

बोली- सोने दो न उसे जीजाजी ..वह उठ जायेगा तो आपसे बात भी नहीं कर पाउंगी। अपनी बात अभी हुई ही कहाँ है ?

मैंने उसके कन्धे पर हाथ रख दिया- हाँ.. ठीक कह रही हो।

मैं उसके और नज़दीक़ आ गया और दोनों हाथ दोनों कन्धों पर रख दिये। वह चाय बनाना छोड़ कर थोड़ा पीछे खिसक आई और मुझसे लगभग चिपक सी गई। मेरा हाथ बढ़ कर उसकी हथेलियों तक पहुंच गया, वे परस्पर मिली और एक हो गई। मुझे उत्तेजना बढ़ने लगी। मैने अपना चेहरा उसके कधे पर रख दिया वह तुरंत पलट कर मुझसे चिपक गई। मैंने उसे चूम लिया।

“कितनी प्यारी लग रही हो.. लगता है बहुत ही हल्की हो तुम.. “

“उठा कर देखो कितनी हल्की हूँ मैं !”

संकेत बहुत ही उत्तेजक था। मुझसे रहा नहीं गया, मैंने उसे सामने से थाम लिया और थोड़ा उठा लिया। उत्तेजना बढ़ी तो चुहल का स्तर बढ़ाने का अनैतिक ख्याल आया। मैने उसे उतार दिया और कहा “फिर से ठीक से उठाता हूँ तुम बहुत ही हल्की हो ।”

उसने कहा “ठीक है ।”

मैंने अबकी बार बहुत झुक कर उसकी साड़ी के नीचे से पिन्डली पर हाथ रख उस पर हाथ फिसलाते हुए उठाया। हाथ साड़ी के अन्दर ही अन्दर उसकी चिकनी जंघा से फिसलता हुआ उसके नितम्ब तक पहुंच गया।

सिहरन हुई क्योंकि वह पेंटी वगैरह कुछ नहीं पहने थी।

वह भी चिहुंकी,”क्या करते हो जीजू .. आप बड़े वो हो !”

मैंने क्या किया?

आपने मेरी साड़ी पीछे से बिल्कुल उठा दी थी !

मैंने कहा,”चलो बदला ले लो, तुम भी मुझे इसी तरह उठा लो .. “

वह बोली,”ऐसे तो नहीं उठा पाउंगी !”

मैंने पूछा,”फिर ?”

उसने कहा,”मेरी स्टाइल से !”

मैने कहा,” ठीक है ! जैसी तुम्हारी मर्ज़ी !”

उसने मेरी दोनों टांगों के बीच अपने दोनों हाथों की पालकी बनाई और उठाने की कोशिश जैसे करने लगी। मैं पतला पायज़ामा पहने था और उसके नाज़ुक हाथ मेरे इलेक्ट्रोड को सहला से रहे थे। देर तक ऐसे ही कोशिश सी करती रही फिर बोली- आप भारी हो ! मुझसे नहीं बनता, आप ही उठाओ।

मैंने कहा- मैं भी ऐसे ही उठाता हूँ ! और अपने दोनों हाथों की पालकी बना कर उसकी दोनों टांगों के बीच में डाल दिये। आगे रतिमुख तक मेरा हाथ छू गया। वहाँ बालों का अहसास हुआ।

तेज़ सांसों के बीच मैने पूछा- क्यों सुजी ये बाल इतने क्यों बढ़ा रखे हैं?

सुजाता का चेहरा शर्म से लाल हो गया और बोली,” जीजू ! मैं आपको जान से मार दूंगी !

तेरे बाल साफ कर दूँ ? हेयर रिमूवर से ? (मैं अब तू पर आ गया था )

बोली- आप बहुत बदमाश हो जिज्जू ! ठीक है ! कहाँ करोगे ?

मैने कहा- मेरे बेडरूम में !

बोली- ठीक है, लेकिन ज़ल्दी करना।

मैंने उसे थामा और लगभग गोद में उठाते हुए अपने कमरे में ले गया।

मैं बोला- ज़ल्दी क्या है .. अभी तेरी दीदी नहीं आने वाली.. देर लगाती है वह तो.. !

उसके कपड़े ऊपर उठाने में अब दोनों में से किसी को संकोच नहीं हुआ।

मैंने कहा- तू मेरे भी साफ कर देना यार !

वह बोली- क्यों ! दीदी नहीं करती है ? कितने बढ़ चुके हैं? दिखाओ तो ज़रा !

मैंने अब तक उसे पूरा उघाड़ दिया था।

मैंने कहा- तू खुद खोल कर देख ले..हेयर रिमूवर हाथ में लिये मैं सामने खड़ा था, उसने कहा- नहीं, आप ही दिखा दो..

मैं धीरे-धीरे निर्वस्त्र हो गया, उसने कहा- ठीक तो है… हेयर रिमूवर की ज़रूरत नहीं ! रख दो.. !

मैं उसकी सहस्त्रधारा को सहलाने लगा .. उसने झटके से उठ कर मुझे चूम लिया। और पीछे से हाथ डाल खींच लिया। मै उसके ऊपर लुढ़क गया उसके हाथ मेरे लिंग को सहला रहे थे जिसे मैं अपना राजकुमार कहता हूँ।

मैंने कहा- तेरी राजकुमारी तो बडी प्यारी है !

उसने कहा- तेरा राजकुमार भी तो ! … बांका.. ! गबरू !!

अब वह भी “तू” पर आ गई थी।

मैंने कहा- दोनों की दोस्ती करवा दें ?

वह बोली- ज़ल्दी करवाओ .. राजकुमारी बैचैन है..

मैंने कहा- रुको ! राजकुमार सेहरा बांध कर आयेगा !

और सिरहाने की ड्रावर में से मूड्स कंडोम निकाला और चढ़ा लिया। सेहरे में राजकुमार को देख राजकुमारी ने अपने किले के द्वार खोल दिये। और राजकुमार ने अन्दर जा हलचल मचा दी। कुछ ही पल में हमारे सारे वस्त्र कमरे में यहाँ-वहाँ बिखर गये।

इतनी आज़ादी दोनों को शायद ही कभी मिली हो।

दोनों गुत्थमगुत्था .. पुराने प्रेमी पहलवानों की तरह… पूरी शैया पर लोटते रहे.. रात ही हस्तमैथुन किया था बल्कि दो बार किया था तो अभी की मिलन-क्रिया का कोई छोर ही नहीं आ रहा था। राजकुमार ज़बर्दस्त तना हुआ था। मुझे संतोष हुआ कि रात के कर्म से हानि के बज़ाय सुख में बढ़ोत्तरी ही हुई है। लगभग 35 मिनट की लम्बी सुखदाई मस्ती के दौरान हम चूत, लंड, भोसड़ी, चुदाई जैसे वर्जित शब्द उच्चारते रहे और जितना एक दूसरे को काट खा सकते थे, काटा खाया। जितना अन्दर उथल पुथल मचा सकते थे, मचाई।

वह मेरे ऊपर बैठी भी और अपनी चूत की भीतरी मालिश/पालिश करती रही।

मैने उसे औरत, घोड़ी, कुतिया, नागिन सभी कुछ बना डाला। लगभग 35 मिनट बाद मेरा रस निकला .. देर तक निकलता रहा .. दोनों सराबोर हो गये.. कंडोम काफी भारी हो गया। उसने चिपके हुए ही मेरी पीठ ठोंकी .. मैं भी देर तक उसे चूमता रहा। फिर हम प्रेम से एक दूसरे की ओर देखते हुए नहाने के लिये उठे।

मैंने अपनी पत्नी को फोन करके पूछा- खाना बन गया क्या ?

वह बोली- आप घर पहुंच जाना ! मै सुजाता को फोन कर देती हूँ, वह आपको खाना खिला देगी। हमें अभी देर लगेगी क्योंकि अब हम सुरुचि नगर में चाची को देख कर ही आयेंगे।

तभी सुजाता के मोबाइल पर भी फोन आया कि जीजाजी आ जायें तो खाना खिला देना ! अभी शायद आने में दो घंटे लग सकते हैं।

सुजाता फिर भी बोली- अरे दीदी, मुझे तो किचन में छिपकली का डर लग रहा है, मैं तो टीवी ही देखती रही। अब जीजाजी के आने के बाद ही खाना बनाउंगी।

पत्नी ने सहमति दे दी। इस वार्तालाप से हम दोनों गद-गद हो गये। अब इत्मीनान से नहा धो खा सकते हैं और लाड-प्यार कर सकते हैं।

हम दोनों अलफ नंगे बाथ रूम में साथ नहाए ! खुद कोई नहीं नहाया। एक दूसरे को ही नहलाते रहे। राजकुमार और राज कुमारी को भी किस कराते हुए शावर दिया। एक दूसरे के अंगों पर भरपूर लाड़ किया, अन्दर तक सफाई की गुलाब, नीबूं वगैरह निचोड़ कर खुशबू से तर-बतर हो कर एक दूसरे को नहलाया, यूं ही निर्वस्त्र बाहर आये और चिपके चिपके बेडरूम मे कपड़े पहनने पहुंचे।

मैने कहा- तुम मुझे ठीक से पौंछ दो !

वह लगी मुझे पोंछने .. मैं भी दूसरे तौलिये से उसे पोंछ्ने लगा। हमारे गुप्तांग अब एक दूसरे की सम्पत्ति हो चुके थे। हमने अपनी अपनी सम्पत्ति को भली प्रकार पोंछा।

फिर मैंने कहा- इस पर तेल भी लगा दो.. फिर परस्पर तेल लगाने में फिर से उत्तेजित होने लगे..

वह बोली- जीजू .. अबकी बार बिना कंडोम के..

मैं उसकी बात टाल नहीं सका। अबकी बार सीढ़ी पर खड़े होकर देर तक लता और पेड़ की तरह एक हो गये। फिर से हमें 20 मिनट लगे। इस बीच हमने आइने के सामने अपने आपको मस्ताते हुए प्रकृति में समाते हुए देखा।

इस बार भी लिंग भरपूर चुस्त और कड़क था। सुजाता पहले से अधिक मुलायम और रेशम रेशम थी। अबकी बार मैंने उसे अपने ऊपर लिटा लिया और उसे क्रिया करने को उकसाया। उसे बहुत मज़ा आ रहा था।

अपनी उत्तेजना की चरम अवस्था में मुझसे बोली- जीजू याद रखना ! मैने तुझे चोद दिया है।

मैंने कहा- हाँ सुजी .. हमेशा याद रखूंगा कि तू जीती ..।

बोली- जीजू ! एक बार बोल कि मैं सुजी से चुदवा रहा हूँ।

मैंने सुर में सुर मिलाया .. हाँ सुजी .. मैं चुद गया .. तू मेरा रस ले जा..

वो बोली- तू भी मेरा ले..

और हम दोनों पल भर में उत्तेजना के चरम क्षण भोगकर फिर एक बार निढाल हो गये।

मैंने उतर कर कपड़े पहने शू, टाई व पसन्दीदा सेंट से सज्जित हो ड्राइंग रूम मे आगंतुक की तरह बैठ गया। और.. वह भी परी सी सज़ गई और गुनगुनाते हुए किचन में व्यस्त हो गई।

यह घटनाक्रम अनूठा था और अविस्मरणीय भी।

हैरानी मुझे अब यह हो रही थी कि उसका नन्हा बालक इतनी देर तक सोता रहा। Hindi Sex Stories

प्रेषक : रॉकी Hindi Sex Stories

गुरु जी को Hindi Sex Stories प्रणाम, सभी कुंवारी लड़कियों और शादी शुदा औरतों को मेरा प्यार और सेक्स भरा नमस्कार !

मैंने अन्तर्वासना की बहुत सी कहानियाँ पढ़ी है मेरी जीवन में भी बहुत सी सच्ची घटनायें हैं जिन्हें मैं अब बाँटना चाहता हूँ। इस बारे में मैंने आज तक किसी से बात नहीं की क्योंकि मैं बहुत अंतर्मुखी स्वाभाव का हूँ।

यह बिल्कुल सच्ची घटना है काल्पनिक न समझें, सिर्फ नाम काल्पनिक हैं।

मेरा नाम कमल है मेरी उम्र 22 साल है, लण्ड सात इंच, बदन गोरा, लम्बाई 5 फ़ुट 10 इंच, गठीला बदन है।

मेरी बुआ का नाम सरिता है, उम्र 31 साल, गोरा बदन, सेक्सी, आज भी हिरोइन सी लगती है, वो बहुत ही कामुक है।

बहुत दिन पहले मेरी बुआ मुझे ऊपर छत पर ले गई, मुझे बैठा कर मेरे सामने अपनी चड्डी उतार कर टट्टी करने लगी और एकदम अलग नजरों से देखने लगी। मुझे उसकी चूत दिखी, थोड़ी-थोड़ी सुनहरी झांटें थी और छोटी सी प्यारी सी गुलाबी सी चूत थी। पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्यों कर रही है। टट्टी करने के बाद वो मेरे पास आई, मेरी चड्डी खोलने लगी और मेरी लुल्ली से खेलने लगी। फिर मेरी लुल्ली खड़ी हो गई। और फिर वो अपनी चड्डी उतार कर मेरे ऊपर चढ़ गई मेरे लण्ड के ऊपर अपनी चूत रगड़ने लगी। धीरे धीरे उसने अपनी चूत में मेरा लण्ड घुसवाना चालू किया।

वो सेक्सी सेक्सी आवाजें निकाल रही थी पर धीरे धीरे ! ताकि कोई सुन न ले !

मुझे भी अच्छा लग रहा था पर उतना नहीं जितना कि मेरी बुआ को ! फिर अचानक वो एकदम से तेज़-तेज़ हिलना चालू हो गई और एकदम उसका दबाव मुझ पर बढ़ने लगा। मैं तो छोटा था, मुझे डर लग रहा था कि इस पर भूत-चुड़ैल तो नहीं घुस गया। मैं तो एकदम चुप हो गया था।

धीरे धीरे वो एकदम शांत हो कर मुझ पर ही लेट गई, शायद क्योंकि उसकी वासना की आग बुझ चुकी थी। मेरा वीर्य नहीं निकला पर मुझे बहुत अच्छा लगा था।

उस दिन के बाद मेरी नज़र हमेशा मेरी बुआ के ऊपर थी कि कब वो फ़िर से मुझे चोदेगी।

पर उस दिन के बाद बुआ मुझे ध्यान ही नहीं देती थी पता नहीं क्यों !

शायद उसे अपनी गलती का अहसास हो गया था इसलिए वो मुझसे ज्यादा बात भी नहीं करती थी और दूर दूर रहती थी। लेकिन मैं तो अब उसे और ध्यान से देखने लगा था। क्या जवानी थी उसकी ! साफ सफाई करती थी झुक झुक कर तो मैं उसके बूब्बे देखा करता था हमेशा नजर बचा कर ! मैंने इस बारे में आज तक किसी से बात नहीं की है, डर लगता है।

वो जब समझ जाती थी कि मैं उसे देख रहा हूँ तो मुझे घूर कर देखती थी क्योंकि वो भी किसी को कुछ नहीं बता सकती थी।

ऐसे ही कुछ साल बीत गए मेरी बुआ और ज्यादा जवान हो गई और सेक्सी लगने लगी लेकिन मुझे सेक्स का ज्ञान ही नहीं था।

पर कुछ समय बाद मुझे अपने दोस्तों के साथ ब्लू फिल्म देखने को मिली जिससे मुझे थोड़ा बहुत ज्ञान मिला।

एक दिन जब हमारा पूरा परिवार एक साथ हॉल में सो रहा था तो मेरी बुआ मेरे पास ही सोई हुई थी। उसकी टांगें मेरी तरफ थी। बुआ ने लहंगा और गाउन पहना था। गर्मी का मौसम था इसलिए किसी ने भी चादर नहीं ओढ़ी थी।

रात के लगभग दो बज रहे थे, अँधेरा होने के बावजूद मेरी आँखों में तो नींद ही नहीं थी, मैं तो अपनी बुआ के जवान स्तन देखना, चूसना चाहता था, उसकी चूत चाटना और चोदना चाहता था।

पर मुझे यह भी डर लग रहा था कि घर वाले मुझे पकड़ न ले ! वे तो मुझे मार ही डालेंगे।

धीरे से आखिर हिम्मत करके उसके लहंगे की तरफ मेरा हाथ बढ़ा, मैंने उसकी टांगों को उठाने की कोशिश की। वो शायद गहरी नींद में थी, इसलिए उसे पता नहीं चला। धीरे से मैंने उसका गाउन उसके घुटनों तक ऊपर किया जिससे मुझे मधिम रोशनी में उसकी चड्डी हल्की सी दिखी।

अब मैं धीरे से उसकी जांघ पर अपना हाथ फिर रहा था, वो अब भी नींद में थी। धीरे धीरे मैं उसकी पैन्टी के ऊपर हाथ फिराने लगा। मुझे बहुत डर भी लग रहा था और बहुत अच्छा और सेक्सी भी लग रहा था।

अचानक हाथ फिराते हुए मुझे लगा कि उसके जिस्म में हरकत हो रही है इसलिए मैंने तुरंत बुआ की चूत से हाथ हटा दिया और आंखें झपका कर सोने का नाटक करने लगा।

मेरा शक सही था, बुआ झटके से उठी और शायद समझ गई। उसने पहले अपना लहंगा ठीक किया और मेरी तरफ एकदम घूर कर देखने लगी। अँधेरे के कारण उसे ठीक से नहीं दिखा कि मैं भी पलकें झपका कर उसे देख्र रहा हूँ।

मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा जैसे मुझे कुछ मालूम ही नहीं। उसे पता होने के बाद भी वो किसी को मेरे बारे में बता नहीं सकती थी क्योंकि यह सब शुरू ही उसने किया था। कुछ देर तक वो मुझे देखने के बाद आखिर वो सो गई। शायद मुझे फिर से हरकत करते हुए रंगे हाथ पकड़ने के लिए !

पर इस बार मेरी हिम्मत ही नहीं हुई।

इस दिन के बाद मुझे कभी उसके साथ सोने का मौका नहीं मिला।

इसके कुछ समय बाद मेरी बुआ की शादी हो गई और मेरा उसको चोदने का सपना आज तक अधूरा है क्योंकि मेरी बुआ ने तो मुझे चोद दिया पर मैं उसे नहीं चोद पाया हूँ।

खैर आज भी मेरी तम्मना है कि मैं उसे चोदूँ।

पर मेरी जिंदगी सेक्स के लिए नहीं रुकी, मेरी जिंदगी में बहुत सी लड़कियाँ आ गई, बड़े अच्छे पल थे वो भी !

कई कुंवारी चूतों का स्वाद चखा है मैंने !

जैसे मेरी कुछ नौकरानियाँ खासकर सरोज, उसकी माँ, मेरी चचेरी और ममेरी बहन, मेरी बड़ी बुआ की बहु, मेरी सगी बहन की सहेलियाँ, मेरी बहुत सारी गर्लफ़्रेन्ड्स, आंटियाँ !

अगली बार इनके बारे में भी बताऊंगा। मुझे मेल जरूर करें ! Hindi Sex Stories

राज और भाभी0- Hindi sex stories

मेरा नाम राज है। मैं भोपाल का रहने वाला हूँ। मैं आप को अपनी Hindi sex storiesबताने जा रहा हूँ।

हमारे घर मैं, मम्मी और भैया तीन लोग ही थे। भैया का नाम मोहन है, भैया बहुत ही गुस्से वाले हैं।

वो बात बात पर गुस्सा करते थे इसलिये मैं उनसे बहुत डरता था। भैया मुझसे 6 साल बड़े हैं। मम्मी मुझे बहुत प्यार करती थी।

ये उस समय की बात है जब भैया की शादी हो गयी थी। भाभी का नाम किरण था और वो अभी उम्र में छोटी ही थी।

भाभी मुझे बहुत प्यार करती थी और मेरी देखभाल भी करती थी। उनसे मुझे मम्मी और भाभी दोनो का प्यार मिलता था।

भाभी के आ जाने के कुछ दिन बाद मैंने देखा कि भैया भाभी से बहुत डरने लगे। वो उनकी हर बात, चाहे सही हो या गलत, तुरन्त ही मान लेते थे।

एक दिन भाभी ने मम्मी से कहा- अब आप रहने दो, आज से मैं ही राज को तेल लगाऊँगी और नहलाऊँगी भी!

मम्मी ने कहा- मैं तो इसकी छुन्नी पर भी तेल लगा कर खूब मालिश करती हूँ। तू कैसे करेगी।

भाभी ने कहा- तो क्या हुआ, मैं राज की देखभाल ठीक वैसे ही करूंगी जैसे कि आप करती हैं।

भाभी मेरी देखभाल मम्मी की तरह से करने लगी।

वो मेरे सारे कपड़े उतार देती और फिर मम्मी की तरह से मेरे सारे बदन पर तेल लगाती थी, उसके बाद मेरी छुन्नी पर भी तेल लगा कर मालिश करती थी।
फिर वो मुझे अपने साथ बाथरूम ले जाती और अपने सारे कपड़े भी उतार कर एकदम नंगी हो जाती, उसके बाद वो मुझे अपने साथ ही नहलाती थी।

भैया की शादी के 6 महीने के बाद ही मम्मी का स्वर्गवास हो गया तो मैं उदास रहने लगा।
मैं कई दिनों तक स्कूल नहीं गया।

भाभी ने मुझे प्यार से समझाया- राज, तुम घबराओ मत, मैं तुम्हारी देखभाल ठीक उसी तरह से करूंगी जैसे तुम्हारी मम्मी किया करती थी।

मैं धीरे धीरे भाभी से एकदम घुलमिल गया और मम्मी को भूल गया।
अब मुझे मम्मी कि याद नहीं सताती थी।

जब कभी मैं शरारत करता तो भैया मुझ पर गुस्सा हो जाते थे।

जैसे ही भैया मुझ पर गुस्सा होते तो भाभी उन्हें घूर कर देखती और वो तुरन्त ही चुप हो जाते।

धीरे धीरे 3 साल गुजर गये।

मेरी छुन्नी भी अब थोड़ी बड़ी हो चुकी थी। भाभी जब तेल लगने के लिये मुझे एकदम नंगा कर देती तो मुझे शरम आती थी।

फिर जब वो मेरे सारे बदन पर तेल लगने के बाद मेरी छुन्नी पर तेल लगा कर मालिश करती तो मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था, तब मैं और ज्यादा शरमा जाता था।

वो कभी कभी मेरी छुन्नी को चूम भी लेती थी।

भाभी मुझसे अकसर मजाक में कहा करती थी- तेरी छुन्नी तो जवान आदमियों की तरह हो गई है।
मुझे अब तेरी शादी करनी पड़ेगी। मुझे तेरी छुन्नी बहुत अच्छी लगती है।

उनकी बात सुनकर मैं शरमा जाता था।

मैंने भाभी से कहा- अब मैं बड़ा हो गया हूँ मैं खुद ही नहा लूंगा।
वो बोली- क्यों अब तुझे शरम आती है।

मैंने कहा- हाँ। वो बोली- बदमाश कही का, आज तक मैं तेरी छुन्नी पर तेल लगा कर मालिश करती रही और तुझे अपने साथ नहलाती रही। मुझे आज तक शरम नहीं आयी और तू अब शरमा रहा है। मैं तेरी शादी होने तक खुद ही तेरी छुन्नी कि तेल लगा कर मालिश करूंगी और नहलाऊँगी भी। अगर बदमाशी करेगा तो मैं तुझे मारूंगी भी और तेरे भैया से कह दूंगी, फिर तुझे बहुत डांट पड़ेगी।

मैं भैया से बहुत डरता था इस लिये मैं चुप हो जाता था। भाभी अभी भी मेरे लण्ड को छुन्नी ही कहती थी।

धीरे धीरे मेरी छुन्नी पूरी तरह से लण्ड बन गयी।

भाभी अभी भी मुझे भैया का डर दिखा कर मेरी छुन्नी पर तेल लगाती और मुझे नहलाती भी थी।

भाभी के हाथ लगाने पर मेरा लण्ड बहुत सख्त हो जाता था। भाभी को तेल लगाने पर और भी मस्ती आने लगी थी।

एक दिन मैंने भाभी से कहा- अब तो मैं जवान हो गया हूँ। मेरी छुन्नी भी अब लण्ड बन गयी है। जब तुम मेरे लण्ड पर तेल लगाती हो तो मुझे कुछ कुछ होने लगता है, सख्त भी हो जाता है। अब मैं खुद ही नहा लिया करुंगा।

वो मुसकुराते हुये बोली- ठीक है, अब मैं तुझे नहीं नहलाऊँगी और ना ही तेल लगाऊँगी। अब तो खुश है ना।

मैंने कहा- हाँ, अब मैं बहुत खुश हूँ।

उसके बाद मैं खुद ही अपने सारे बदन पर तेल लगने लगा और नहाने भी लगा।

धीरे धीरे 2 साल और गुजर गये। अब मेरा लण्ड पूरे शवाब पर आ चुका था और 8″ लम्बा और खूब मोटा हो गया था।

मैं अब भी एकदम नंगा ही नहाता था। मैं भाभी से ज्यादा शरमाता भी नहीं था इस लिये मैं बाथरूम का दरवज़ा खुला छोड़ कर ही नहाता था।

भाभी भी मुझसे जरा सा भी नहीं शरमाती थी। वो पहले कि तरह ही एकदम नंगी ही नहाती थी और नहाने के बाद बाथरूम से नंगी ही बाहर आ जाती थी।

एक दिन मैं नहा रहा था और भाभी बाथरूम के पास से गुजर रही थी तो उनकी निगाह मेरे लण्ड पर पड़ी।

उन्होंने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये मजाक किया और कहा- बाप रे, तेरी छुन्नी तो अब एकदम खतरनाक हो गयी है। इतनी बड़ी छुन्नी मैंने आज तक नहीं देखी है। तू जवान भी हो गया है। अब तो तेरी शादी करनी ही पड़ेगी।

मैं शरमा गया और मैं टावेल लपेटने लगा।

भाभी बोली- पहले तो खूब मज़े से अपनी छुन्नी पर तेल लगवाता था। अब शरम आ रही है।
मैंने शरमाते हुये कहा- भाभी, जाओ ना।

वो बोली- अब बाथरूम का दरवाज़ा बन्द कर के नहाया कर, नहीं तो तेरी छुन्नी को मेरी नज़र लग जायेगी।

मैंने मजाक किया और कहा- तुम हमेशा इसे छुन्नी ही कहती रहोगी। ये तो अब छुन्नी से इतना बड़ा और मोटा लण्ड बन गया है। अब इसे लण्ड ही कहा करो।

वो बोली- अच्छा बाबा, अब मैं इसे लण्ड ही कहूँगी। मैं जाती हूँ, तू नहा ले।

भाभी चली गयी।
मैं नहाने लगा।

एक दिन भाभी उदास बैठी थी, मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- कुछ नहीं।
मैंने ज़िद करते हुये कहा- बताओ ना?

वो बोली- 6 साल गुजर गये और आज तक मैं माँ नहीं बन पाई। सारा दोष तेरे भैया का ही है।
मैंने कहा- क्या किया भैया ने?
वो बोली- वो मुझे मां बनाने के लायक ही नहीं हैं।
मैंने पूछा- क्यों?
वो बोली- मुझे शरम आती है।

मैंने कहा- आज तक तो मुझसे नहीं शरमाती थी, कब से शरम आने लगी?

वो बोली- बात ही कुछ ऐसी है।

मैंने कहा- बताओ ना?

वो कहने लगी- तेरा लण्ड देख कर मैं सोचती हूँ कि काश तेरे भैया का भी ऐसा होता तो आज मेरी कोख सूनी ना रहती। मुझे उनसे मज़ा भी नहीं मिल पाता।

मैंने कहा- इसमें मैं क्या कर सकता हूँ।

वो बोली- अगर मैं तुझसे एक बात कहूँ तो तू बुरा तो नहीं मानेगा क्योंकि वो बात कुछ ठीक नहीं है और मुझे ऐसा करना भी नहीं चाहिये।

मैंने कहा- तुम मेरे लिये इतना सब कुछ करती हो, क्या मैं तुम्हारे कुछ भी नहीं कर सकता। तुम बताओ तो सही?

वो बोली- इतने साल मैंने केवल तुझे पल-पोस कर कर बड़ा करने में गुजार दिये और कभी मां बनने के बारे में सोचा ही नहीं।

मैंने कहा- तुम बताओ तो सही कि मुझे क्या करना है?
भाभी बोली- मुझे शरम आती है।

मैंने कहा- जब मैं शरमाता था तब तो तुम मुझ पर गुस्सा होती थी। अब तुम शरमा रही हो तो मुझे क्या करना चाहिये, बताओ।

मेरी बात सुनकर वो हंस पड़ी और बोली- मैं मां बनना चाहती हूँ और साथ ही साथ मैं चुदाई का मज़ा भी लेना चाहती हूँ। अगर तेरा कोई दोस्त हो और उसका लण्ड तेरे जैसा हो तो…
इतना कह कर वो चुप हो गई।

मैंने कहा- मैं समझ गया भाभी, लेकिन अगर भैया को पता चल गया तो?

वो बोली- वो क्या कर लेंगे। तू तो जानता ही है कि मैं जब उन्हें घूर कर देखती हूँ तो वो चुप हो जाते हैं। वो मेरी हर सही या गलत बात को मान भी लेते हैं। वो ऐसा क्यों करते हैं मैं आज तुझे बताती हूँ। तेरे भैया का लण्ड बहुत छोटा है। उनका लण्ड ठीक उतना ही बड़ा है जितना 13 साल के उमर में तेरा था। उनका चुदाई का काम भी बड़ी मुश्किल से 2 मिनट में ही खत्म हो जाता है। इसीलिये वो मुझसे डरते हैं।

मैंने कहा- अब मैं समझा कि वो तुमसे इतना डरते क्यों हैं।
भाभी ने कहा- मुझे तेरे भैया से कोई डर नहीं है।
मैंने कहा- आस पास के लोग क्या कहेंगे।

वो बोली- मैं यहाँ थोड़े ही चुदवाऊँगी। तेरे दोस्त के पास ही चलूंगी और तू मेरे साथ चलेगा।
मैंने कहा- मेरा एक दोस्त है, संजय। वो अकेले ही रहता है। मैं उससे बात कर लूँ, फिर तुम्हें उसके पास ले चलूँगा।
भाभी ने कहा- मुझे तेरे जैसा लण्ड भी चाहिये।

अब मैं भाभी से ज्यादा शरमाता भी नहीं था। मैंने तुरन्त ही अपनी लुंगी उतार दी और कहा- फिर मेरे लण्ड से ही काम चला लो। इधर उधर जाने कि क्या जरूरत है।

भाभी ने मेरे लण्ड पर अपने हाथ से हल्की सी चपत लगाते हुये कहा- तू इसे अपने पास ही रख। यह मेरे लिये पुराना हो चुका है। मुझे नया लण्ड चाहिये।

मैंने कहा- मैंने एक बार संजय का लण्ड देखा था। उसका मुझसे ज्यादा लम्बा और मोटा है।

वो बोली- फिर ठीक है। तू उस से बात कर ले लेकिन वो किसी से कहेगा तो नहीं?

मैंने कहा- नहीं वो किसी से नहीं कहेगा। फिर एक महीने के बाद ही वो अपने घर भी जाने वाला है। उसके बाद वो यहाँ वापस नहीं आयेगा। उसका घर तो यहाँ से 200 किलोमीटर दूर है।

भाभी ने कहा- फिर ठीक है।

मैं संजय के पास चला गया। मैंने संजय से बात की तो वो बहुत खुश हो गया।

एक घण्टे में मैं घर वापस आ गया।

भाभी बड़ी बेसब्री से मेरा इन्तजार कर रही थी, जैसे ही मैं घर के अन्दर पहुँचा तो वो बोली- काम हो गया?

मैंने कहा- हाँ, वो तैयार है।
भाभी ने पूछा- कब चलना है?
मैंने कहा- जब तुम चाहो।

भाभी बहुत ज्यादा जोश में आ चुकी थी और बोली- अभी चलूं?
मैंने कहा- चलो।

दोपहर के 11 बज रहे थे। भाभी ने भैया को फोन कर के बता दिया कि वो अपनी एक सहेली के यहाँ जा रही हैं, शाम के 5 बजे तक वापस आयेगी।

मैं भाभी को लेकर संजय के पास आ गया।

संजय भाभी को देख कर मुसकुराने लगा तो भाभी भी मुसकुरा दी।

संजय ने कहा- यहीं या कमरे में?
भाभी ने कहा- नहीं कमरे में।

भाभी ने मुझसे कहा- तू यहीं बैठ कर टीवी देख।

मैंने कहा- जब मुझे लाईव शूटिंग देखने का मौका मिल रहा है तो फ़िल्म क्यों देखूँ। मैं तुम्हारे साथ ही चलता हूँ।

वो बोली- मारूंगी अभी।
मैंने कहा- अच्छा बाबा जाओ।

मैंने टीवी पर एक फ़िल्म लगा दी और फ़िल्म देखने लगा।

भाभी संजय के साथ कमरे में चली गयी।

5 मिनट बाद ही कमरे से भाभी की चीखने और चिल्लाने की आवाजें आने लगी।

मैं समझ गया कि अन्दर क्या हो रहा है। संजय का लण्ड 10′ लम्बा और बहुत ही मोटा था। बहुत देर तक भाभी की चीखने और चिल्लाने की आवाज़ आती रही फिर धीरे धीरे उनकी आवाज़ आनी कम हो गई।

थोड़ी देर बाद ही भाभी की आहें और सिसकारियाँ सुनाई देने लगी।
15 मिनट के बाद संजय लुंगी पहने हुये पसीने से लथपथ कमरे से बाहर आया और बोला- जा, तुझे तेरी भाभी बुला रही हैं।

मैं कमरे के अन्दर गया तो भाभी बेड पर एकदम नंगी पड़ी हुई थी, केवल एक छोटे से कपड़े से उनकी चूत ढकी हुई थी।
उनके बाल बिखरे हुये थे, वो पसीने से एकदम लथपथ थी और उनकी सांसें बहुत तेज चल रही थी।

उन्होंने अपने पैरों को मोड़ कर फैला रखा था।
मैंने पूछा- क्या है?
वो बोली- मेरे पास आ।

मैं उनके पास जा कर बैठ गया तो उन्होंने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- तूने तो मुझे फंसा ही दिया।

मैंने पूछा- आखिर हुआ क्या?

वो बोली- मैंने तुझसे कहा था कि मुझे तेरे लण्ड के जैसा लण्ड चाहिये लेकिन तेरे दोस्त का तो बहुत ही ज्यादा लम्बा और मोटा है। मैं तो समझती थी कि थोड़ा सा फरक होगा।

मैंने पूछा, काम हो गया?
वो बोली- अभी आधा ही हुआ है।

मैंने कहा- आधा का क्या मतलब है।

वो बोली- दर्द के मारे मेरी जान निकली जा रही थी। बड़ी मुशकिल से मैं उसका आधा लण्ड ही अन्दर ले पायी हूँ। मैंने मजाक करते हुये कहा- अगर मैं होता तो एक ही बार में पूरा का पूरा अन्दर घुसा देता। वो बोली- तब तो मैं मर ही जाती।

इतना कह कर भाभी ने मेरे गालों को चूम लिया और बोली- संजय का लण्ड बहुत ही अच्छा है।

मैंने पूछा- मज़ा आया।

वो बोली- बहुत थोड़ा सा। जब वो पूरा अन्दर घुसा कर चोदेगा तब मज़ा आयेगा।

मैंने कहा- अबकि बार पूरा अन्दर ले लेना।

वो बोली- दर्द बहुत हो रहा था नहीं तो मैं पूरा अन्दर ले लेती। आज तूने मुझसे पहली बार कुछ कहा है और मैं तेरी बात टालूंगी नहीं। मैं अबकि बार पूरा का पूरा अन्दर ले लूगी भले ही कितना भी दर्द हो।

मैंने कहा- मुझे अपनी चूत तो दिखा दो।

वो बोली- बदमाश कही का, तू मेरी चूत देखेगा।
मैंने कहा- तो क्या हुआ। तुम मेरे सामने एकदम नंगी नहाती हो। तुम्हारा कुछ मुझसे छुपा है क्या।

वो बोली- अच्छा बाबा, बाद में दिखा दूंगी। पहले मुझे पूरा अन्दर तो ले लेने दे।

भाभी मुझसे बाते करती रही। अब हम दोनो में ज्यादा शरम नहीं रह गयी थी।

तभी संजय कमरे में आ गया और बोला- मैं फिर से तैयार हूँ।

भाभी ने मुझसे कहा- अब तू जा बाहर। मैंने मजाक किया, नहीं, मैं यही रहूँगा।

भाभी बोली- मुझे तेरे सामने शरम आयेगी ना।

मैंने कहा- अब काहे की शरम?

वो बोली- शरम खत्म होने में थोड़ा समय तो लगेगा ही। अब जा ना।

मैं कमरे से बाहर चला आया।

2 मिनट में ही फिर से भाभी की चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ आने लगी। इस बार वो कुछ ज्यादा ही जोर जोर से चीख और चिल्ला रही थी।
लगभग 10 मिनट तक उनकी चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ आती रही, उसके बाद उनकी चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ धीरे धीरे शान्त हो गयी।

लगभग 20 मिनट के बाद संजय बाहर आ गया तो मैं भाभी के पास चला गया।

भाभी की हालत बहुत ज्यादा खराब दिख रही थी। उनका सारा बदन पसीने से एकदम लथपथ था और उन्होंने अपने पैरो को मोड़ कर पूरी तरह से फैला रखा था। उनके बाल बिखरे हुये थे। वो एकदम नंगी पड़ी हुयी थी केवल उनकी चूत एक छोटे से कपड़े ढकी हुयी थी।
मैंने पूछा- काम हो गया।

वो बोली- हाँ, लेकिन बहुत दर्द हुअ। तेरे कहने की वजह से मैंने इस बार पूरा अन्दर ले लिया नहीं तो मुझे अभी एक बार और करवाना पड़ता। उसका लम्बा होने के साथ साथ बहुत ज्यादा मोटा भी तो है।

मैंने मजाक किया- मज़ा तो आया ना?
वो बोली- बदमाश कहीं का।

मैंने कहा- बताओ ना?

उन्होंने शरमाते हुये कहा- थोड़ा सा।

मैंने कहा- वो क्यों?
वो बोली- इस बार दर्द बहुत हो रहा था ना।

मैंने कहा- फिर तो तुम्हारी चूत की हालत एकदम खराब हो गयी होगी?
वो बोली- बहुत ही ज्यादा खराब हो गयी है। मैं तो अब शायद 2-3 दिनो तक ठीक से चल भी नहीं पाऊँगी।

मैंने कहा- अब तो दिखा दो।
वो बोली- अभी नहीं।
मैंने कहा- फिर कब?

वो बोली- एक बार और करवा लेने दे तब मेरी चूत का मुँह एकदम खुल जयेगा। उसके बाद देख लेना।

मैंने कहा- ठीक है, मैं थोड़ी देर और सबर कर लेता हूँ।

लगभग 30 मिनट के बाद संजय फिर आ गया तो मैं बाहर चला आया।

इस बार भाभी की चीखने और चिल्लाने कि आवाज़ ज्यादा देर तक नहीं आयी।
थोड़ी ही देर में उनकी सिसकारियाँ सुनाई देने लगी।
लगभग 20 मिनट के बाद ही संजय फिर से बाहर आ गया तो मैं कमरे में चला गया।

भाभी का चेहरा इस बार कुछ खिला हुआ था।
मैंने कहा- लगता है इस बार मज़ा आ गया।

वो बोली- हाँ, लेकिन तेरा दोस्त तो 10-15 मिनट से ज्यादा कर ही नहीं पाता नहीं तो मुझे और मज़ा आता।

मैंने कहा- अब तो दिखा दो।
वो बोली- शरम आती है।
मैंने कहा- अभी तो तुमने कहा था कि अगली बार दिखा दूंगी।

भाभी ने शरमाते हुये कहा- अच्छा बाबा, देख ले लेकिन अगर कही तुझे जोश आ गया तो।

मैंने कहा- मैं भी चोद दूंगा।
वो बोली- ठीक है, चोद देना।

मैंने भाभी कि चूत पर से कपड़ा हटा दिया। उनकी चूत कि हालत एकदम खराब हो चुकी थी। उनकी चूत का मुँह बहुत ज्यादा चौड़ा हो चुका था और उनकी चूत डबल रोटी कि तरह सूज गयी थी। उनकी चूत से ज्यूस टपक रहा था जिसमें थोड़ा सा खून भी मिला हुआ था। बेड कि चादर भी उन दोनो के ज्यूस से एकदम खराब हो चुकी थी।

मैं देर तक भाभी कि चूत को देखता रहा तो वो बोली- अब रहने भी दे। कब तक देखेगा। मैंने कहा- मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। वो बोली- मेरी जान ही निकल गयी और तुझे अच्छा लग रहा है।

मैंने कहा- मज़ा भी तो आया।
वो बोली- हाँ, ये तो है।

मैंने कहा- फिर देखने दो ना।
वो बोली- ठीक है, जी भर कर देख ले।

मैंने कहा- मुझे भी जोश आ रहा है।
वो बोली- अगर तेरा दिल करता है तो तू भी अपनी प्यास बुझा ले।

मैंने कहा- तुम्हारी चूत मेरे लण्ड के लायक नहीं है।
वो बोली- क्यों, क्या खराबी है मेरी चूत में।

मैंने कहा- ये तो कुछ ज्यादा ही चौड़ी हो गयी है।

भाभी कुछ नहीं बोली।

लगभग 35 मिनट के बाद संजय फिर आ गया तो मैं बाहर चला आया। इस बार भी भाभी के चीखने कि आवाज़ ज्यादा देर तक नहीं आयी।

इस बार भी संजय 20 मिनट में ही कमरे से बहर आ गया तो मैं कमरे में चला गया।

इस बार भाभी एकदम नंगी पड़ी थी। उन्होंने अपनी चूत को भी नहीं ढका था।

मैंने पूछा, अब शरम नहीं आ रही है।
वो बोली- अब कहे कि शरम। अब तो तू मेरी चूत को देख ही चुका है।

मैंने कहा- वो तो मैं बरसो से देख रहा हूँ।

मैंने भी कि चूत को देखते हुये कहा- ये तो पहले से भी ज्यादा सूज गयी है।
भाभी ने कहा- आ, बैठ जा मेरे पास।

मैं उनके पास बैठ गया। उन्होंने मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया और कहने लगी, तूने मुझे आज वो मज़ा दिलया है कि मैं सारी जीन्दगी इसे नहीं भुला पाऊँगी। मुझे अब लग रहा है कि मैं भी मा बन जाउँगी।

मैंने कहा- अब घर चलोगी या और भी चुदवाना है।

वो बोली- अब आज और नहीं।

मैंने कहा- फिर घर चलो।
वो बोली- चल।

भाभी उठने की कोशिश करने लगी तो उनके मुँह चीख निकल गयी।

मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोली- बहुत दर्द हो रहा है, घर कैसे जाउँगी।

मैंने कहा- फिर क्या करोगी।

वो बोली- थोड़ा गर्म पानी ले आ, मैं अपनी चूत की सिकाई कर लेती हूँ। इस से दर्द कम हो जयेगा।
मैंने कहा- अभी लाता हूँ।

मैं थोड़ी ही देर मैं गर्म पानी ले कर भाभी के पास आ गया। मैंने कहा- पानी लाया हूँ, सिकाई कर लो। वो सिकाई करने के लिये उठना चाहती थी लेकिन उठ नहीं पा रही थी। मैंने उनकी इतनी बुरी हालत देखी तो मैंने कहा- कहो तो मैं ही सिकाई कर दूं।

वो बोली- तू मेरी चूत की सिकाई करेगा।
मैंने कहा- तो क्या हुआ।
भाभी ने शरमाते हुये कहा- ठीक है, तू ही सिकाई कर दे।

मैंने गर्म पानी से भाभी कि चूत कि सिकाई शुरु कर दी। जोश के मारे मेरा लण्ड भी खड़ा हो गया।
भाभी ने मेरा लण्ड देखा तो बोली- तेरा क्यों खड़ा हो गया।
मैंने कहा- चूत पर हाथ लगने से मुझे भी थोड़ा जोश आ गया है।
वो मुसकुरते हुये बोली- गड़बड़ मत करना।
मैंने कहा- होटल का खाना खाने के बाद घर का खाना थोड़े ही अच्छा लगता है। आखिर में घर का खाना ही खाना पड़ेगा।
वो बोली- अगर मेरा मन हुआ तो मैं घर का खाना भी खा लूंगी।

लगभग 20-25 मिनट कि सिकई के बाद मैंने कहा- अब उठ कर देखो, उठ पाती हो या नहीं। भाभी उठने की कोशिश करने लगी तो उनके मुँह से हल्की सी आह निकल गयी लेकिन वो उठ गयी।
मैंने कहा- अब चलो घर।
वो बोली- थोड़ी सिकई और कर लेने दे। उन्होंने मेरे हाथ से गर्म पानी और कपड़ा ले लिया और अपनी चूत कि सिकई करने लगी। 10-15 मिनट बाद वो बोली- अब घर ले चल मुझे।

भाभी ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैं भाभी को सहारा दे कर घर ले आया। अगले 2 दिनो तक भाभी संजय के पास नहीं गयी।

तीसरे दिन भाभी मुझसे कहने लगी, आज रात तेरे भैया से बात हो रही थी। मैंने उनसे बता दिया कि मैंने तेरे एक दोस्त से चुदवाया है। पहले तो वो थोड़ा नाराज़ हुये और फिर कहने लगे कि अगर तुझे चुदवाना ही था तो क्या राज बुरा था। राज का लण्ड भी तो खूब लम्बा और मोटा है। मैंने उनसे कह दिया कि मुझे राज से चुदवने में शरम आयेगी तो वो बोले फिर ठीक है तुम्हारी मरजी जीस से भी मन कहे चुदवाओ।

फिर मैंने उनसे कहा कि मैं कल से 10 दिनो के लिये संजय के पास जाउँगी तो वो बोले, चली जाओ। अब तू मुझे संजय के पास पहुचा दे। 10 दिनो के बाद मुझे लेने आ जाना।

मैंने कहा- ठीक है, चलो पहुचा देता हूँ।

मैं भाभी को संजय के घर छोड़ कर आने लगा तो मैंने संजय से कहा- भाभी का ख्याल रखना।

वो बोला- तू चिंता मत कर।

मैंने भाभी से मजाक करते हुये कहा- कम से कम 50 रन जरूर बनाना।

उन्होंने मुसकुरते हुये कहा- मैं 51 रन बना दूंगी, तू चिंता मत कर। समय से मुझे लेने आ जाना।

मैंने कहा- मैं आ जाऊँगा।

10 दिन के बाद मैं भाभी को लेने संजय के घर गया। भाभी मुझे देखकर बहुत खुश हो गयी।
मैंने मुसकुराते हुये पूछा, कितने रन बने।

वो थोड़ा उदास हो कर बोली- तू मुझे घर ले चल, मैं तुझे बाद में बता दूंगी। मैं भाभी को लेकर घर चला आया।

घर पहुचने पर मैंने भाभी से पूछा, अब बताओ कि कितनी बार चुदवाया।
वो बोली- केवल 44 बार लेकिन मैं मा नहीं बन पाऊँगी।
मैंने पूछा- वो क्यों।

वो बोली- संजय कल घर जा रहा है, अब वो यहाँ नहीं आयेगा।

मैंने कहा- इतने दिन तुमने उस से चुदवाया है, अब तो उसका बच्चा भी तुम्हारे पेट में आ भी गया होगा।

वो बोली- मुझे आज सुबह ही महीना आ गया। अगर उसका बच्चा मेरे पेट में आ गया होता तो मुझे महीना थोड़े ही आता।

मैंने कहा- एक पंडित जी हैं, मैं तुम्हे उनके पास ले चलता हूँ।

वो बोली- फिर देर काहे कि, अभी चल।

मैं भाभी को लेकर पंडित के पास आ गया।
पंडित ने भाभी कि कुंडली देखी और कहा- कुंडली के हिसाब से तुम्हारी जीन्दगी में 4 मरद आयेंगे। पहले के 3 मरद तुम्हें बच्चा नहीं दे पायेंगे। चौथे मरद से ही तुम्हें बच्चा होगा। तुम्हारी कुंडली से ये भी पता चलता है कि तुम अपने देवर के बच्चे कि मां बनोगि और तुम्हें जुड़वा लड़के पैदा होंगे लेकिन सावधान रहना। जब तक तुम्हारी जीन्दगी में 3 मरद नहीं आ जाते तब तक तुम अपने देवर से बच्चा पैदा करने की कोशिश मत करना नहीं तो तुम कभी भी माँ नहीं बन पाओगी।

भाभी ने मेरी तरफ़ इशारा करते हुये कहा- लेकिन पंडित जी, मेरा तो एक ही देवर है और वो ये है। मैंने ही इसे पालपोस कर बड़ा किया है फिर मैं कैसे इससे मा बनने के बारे में सोच सकती हूँ।

पंडित जी ने कहा- बेटी जरा सोचो। अगर तुम्हारी शादी 24 साल की उमर में हुयी होति तब ये 20 साल का होता, तब तो तुम इसके बच्चे कि माँ बनने को कोशिश करती या नहीं।
भाभी ने कहा- तब तो मैं जरूर कोशिश करती।
पंडित जी ने कहा- बात तो आखिर वही हुयि, फरक केवल इतना ही है कि तुम्हारी शादी जल्दी हो गयी और उस समय ये छोटा था। अगर तुम मा बनना चाहती हो तो तुम्हें इसकी मदद ही लेनी पड़ेगी। तुम्हारी कुण्डली देखने से ये भी पता चलता है कि तुम दोनो में बहुत ही ज्यादा प्रेम होगा। अब तुम ही बताओ कि मैं सही कह रहा हूँ या गलत।

भाभी ने कहा- पंडित जी, आप एकदम सही कह रहे हैं। मैं अपने देवर को बहुत प्यार करती हूँ और वो भी मुझे बहुत प्यार करता है।

भाभी ने मेरी तरफ़ इशारा करते हुये कहा- पंडित जी, मैं इसकी कुण्डली भी लायी हूँ, देख लीजीये। पंडित जी ने बहुत देर तक मेरी कुण्डली देखी और बोले, बेटी, इसकी कुण्डली तो बहुत ही अच्छी है। इस से तो 4 जुड़वा बच्चे पैदा होंगे यानि कि कुल मिला कर 8 बच्चे।

भाभी हंसने लगी तो पंडित जी बोले- बेटी, हंसो मत, मेरी बात ध्यान से सुनो। एक जुड़वा बच्चा तो इसकी अपनी बीवी से होगा लेकिन एकदम आखिर में। बाकी के 3 जुड़वा बच्चे 3 सगी बहनो से पैदा होगे। एक जुड़वा बच्चा तो तुमसे पैदा होना है। बाकी बचे 2 जुड़वा बच्चे। क्या तुम्हारी कोई सगी बहन भी है।

भाभी ने कहा- मेरी 2 बहने और भी है। एक मुझसे 2 साल बड़ी और एक 2 साल छोति।
पंडित जी ने कहा- बेटी मेरी बात का बुरा मत मानना। तुम्हारी दोनो बहनो को भी इस से 2 जुड़वां बच्चे पैदा होगे। अगर तुम अपनी दोनो बहनो कि कुण्डली ले आओ तो मैं एकदम साफ़ साफ़ बता दूंगा।

भाभी ने कहा- मैं अभी मंगा देती हूँ।

भाभी ने मुझसे कहा- आलमारी में रीना और रोशनी कि कुण्डली रखी है, जा कर ले आ।
थोड़ी ही देर मैं घर से कुण्डली ले आया। पंडित जी ने दोनो कुण्डली देखी और बोले, अब मेरी समझ में सारी बात आ गयी।

भाभी ने कहा- बताये पंडित जी।
पंडित जी कहने लगे- तुम्हारी बड़ी बहन कि जिन्दगी में 2 मरद आयेंगे। पहला तो उसका पति होगा और दूसरा उसका देवर। उसको भी अपने देवर से ही बच्चा पैदा होगा वो भी जुड़वां। रीना की कुण्डली से ये भी पता चलता है कि उसका कोई सगा देवर नहीं होगा। क्या ये बात सही है।

भाभी ने कहा- एकदम सही है।
पंडित जी ने कहा- फिर तुम्हारे देवर से ही रीना को भी जुड़वां बच्चा पैदा होगा। अब रही रोशनी कि बात। उसकी कुण्डली से भी ठीक यही बात सामने आती है। उसे भी अपने देवर से ही जुड़वां बच्चे पैदा होगे और उसके भी कोई सगा देवर नहीं होगा। क्या मैं सही कह रहा हूँ।

भाभी ने कहा- एकदम सही कह रहे हैं आप।
पंडित जी ने कहा- फिर रोशनी को भी तुम्हारे देवर से ही जुड़वां बच्चा पैदा होगा। लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है।
भाभी ने कहा- वो क्या पंडित जी?
पंडित जी ने कहा- रोशनी कि जीन्दगी में कुल 21 मरद आयेगे। पहला मरद तो उसका पति होगा और आखिरी मरद तुम्हारा देवर। लेकिन उसकी जिन्दगी में बाकि के 19 मरद कहाँ से आयेगे ये मैं नहीं बता सकता। खैर छोड़ो जाने दो। भविष्य में क्या होने वाला है वो तो केवल ईश्वर ही जानता है।

मैं भाभी के साथ घर आ गया।
भाभी ने कहा- तेरे भैया ठीक ही कह रहे थे कि मुझे तुझ से ही चुदवा लेना चाहिये था। मैं तो अब तुझसे ही चुदवा कर बच्चा पैदा करूंगी।
मैंने कहा- वो तो ठीक है भाभी लेकिन अभी तो तुम्हारी जिन्दगी में केवल 2 मरद ही आये हैं, पहले तीसरा तो आ जाने दो।
वो बोली- देखा जायेगा लेकिन अब तो तू खुश हो जा।
मैंने कहा- वो किस लिये। भाभी ने कहा- तुझे मेरी और मेरी दोनो बहनो कि चुदयी करने का मौका जो मिलने वाला है।
मैंने कहा- आने दो सालियों को, उन्हें भी चोद दूंगा।

भाभी हसने लगी और बोली- तू मेरी बहनो को गाली दे रहा है।
मैंने कहा- मेरी ये जुर्रत कि मैं तुम्हारी बहनो को गाली दूंगा।
भाभी ने कहा- अभी तुमने कहा ना कि आने दो सालियों को उन्हें भी चोद दूंगा।
मैंने कहा- मैंने कोई गलत बात थोड़े ही कही है, आखिर वो दोनो मेरी सालियाँ ही तो हैं।
मेरी बात सुनकर भाभी जोर जोर से हसने लगी।

5 दिन बाद भाभी ने नहाया। उसके बाद वो एकदम नंगी ही बेड रूम में आयी और श्रृंगार करने लगी। उन्होंने बहुत प्यारी सी खुशबू भी लगायी।
मैंने कहा- तुम्हारा इरादा तो आज खतरनाक लग रहा है। आज किस का कतल करने का इरादा है।
वो बोली- तेरा।
मैंने कहा- अभी तो 2 ही हुये हैं, तीसरा तो आ जाने दो।
इतना सुनते ही वो मुझसे लिपट कर रोने लगी।
मैंने पूछा, क्या हुआ, रो क्यों रही हो।

वो बोली- मुझे तुझसे बच्चा चाहिये।
मैंने कहा- वो तो ठीक है लेकिन पंडित जी कि बात याद है ना।
वो रोते हुये कहने लगी- मेरी जीन्दगी में तीसरा मरद पहले ही आ चुका है। जब तू मुझे संजय के पास छोड़ कर घर चला आया तो दूसरे दिन उसका एक दोस्त महमूद आ गया था। मैं लाख मना करती रही लेकिन महमूद ने भी मुझे जबरदस्ती चोद दिया। मैं चिल्लती रही लेकिन उन दोनो ने मेरी एक ना सुनी। उसके बाद मैंने संजय से कहा कि मैं घर जा रही हूँ। संजय ने महमूद को घर भेज दिया। उसके बाद ही मैंने उस से इतने दिनो चुदवया।

भाभी की बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया। मैंने कहा- जब मैं तुम्हें लेने गया था तब ही बताना चाहिये था। मैं संजय कि अच्छी तरह से खबर लेता। भाभी ने कहा- मैं कोई बखेड़ा नहीं खड़ा करना चाहति थी। अब जो होना था वो तो हो ही चुका है। मुझे माफ़ कर दे। इतना कह कर वो मेरे कनधे पर सिर रख कर रोने लगी। मैंने उन्हें समझा बुझा कर चुप कराया। थोड़ी देर बाद वो नोरमल हो गयी।

मैंने पूछा- मुझे अपनी चूत नहीं दिखाओगी?
वो मुसकुरा कर बोली- सारा का सारा बदन तो तेरे सामने एकदम खुला पड़ा है। आज से मैं खुद को तेरे हवाले कर रही हूँ। अब तू मेरे बदन का जैसे भी चहे इस्तेमाल कर और मुझे मा बना दे।
मैंने कहा- मैं एक बात कहना चाहता हूँ।
वो बोली- अब क्या है।
मैंने कहा- जब तुम्हारे पेट में बच्चा आ जयेगा तब तुम नहीं चुदवाओगि। मैं चहता हूँ कि पहले हम दोनो खूब जी भर के जवानी का मज़ा उठा ले। उसके बाद बच्चा पैदा करेंगे।
वो बोली- ये तो बहुत ही अच्छा रहेगा। मैं आज से ही पिल्स लेना शुरु कर दूंगी।
मैंने कहा- फिर मैं कहाँ से शुरु करूं।
वो बोली- जहाँ से तेरा मन कहे। मैंने कहा- तुमने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर बहुत मालिश की है और इसे चूमा भी है। लेकिन आज तक तुमने कभी मेरा लण्ड नहीं चूसा, चूसोगी इसे।
वो बोली- क्यों नहीं चूसुन्गी।

भाभी ने तुरन्त ही मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है?
वो बोली- बहुत ज्यादा क्यों कि आज तक मैंने किसी का लण्ड नहीं चूसा है और आज पहली बार लण्ड चूस रही हूँ वो भी अपने प्यारे देवर का।
मैंने कहा- मैं तुम्हारी चूत को चाटना चहता हूँ।
वो बोली- तो फिर चाट जल्दी से। आज तक किसी ने मेरी चूत भी नहीं चाटी है।

मैंने कहा- क्या कह रही हो।
वो बोली- एकदम सही कह रही हूँ। आज तक तेरे भैया कभी मेरी चूत ही नहीं चाटी।
मैंने पूछा- और संजय ने?
वो बोली- उसने भी कभी मेरी चूत नहीं चाटी। वो तो लण्ड खड़ा होने के बाद सीधे जुट जाता था और झड़ने के फौरन बाद हट जाता था। उसे केवल मेरी चुदायी करने से मतलब था और वो ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट ही चुदायी कर पाता था।

मैं भाभी के उपर 69 कि पोजीशन में हो गया। वो मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उनकी चूत चाटने लगा। मैंने पूछा, ठीक से चाट रहा हूँ ना?
वो बोली- तू तो बहुत ही अच्छी तरह से चाट रहा है। और तेजी से चाट, बहुत मज़ा आ रहा है।
मैंने भाभी कि चूत को और ज्यादा तेजी से चाटना शुरु कर दिया। 2 मिनट में ही भाभी कि चूत से ज्यूस निकल आया तो मैंने कहा- लगता है बहुत जोश में हो।
वो बोली- आज अपने देवर का लण्ड जो अन्दर लेने वाली हूँ।
मैंने कहा- तुम्हारी चूत का ज्यूस चाट लूं। वो बोली- जैसी तेरी मरजी। मैं भाभी कि चूत का ज्यूस चाटने लगा तो वो सिसकारी लेने लगी।

थोड़ी देर बाद मेरे लण्ड का ज्यूस भी उनके मुँह में निकलने लगा। उन्होंने सारा ज्यूस निगल लिया और बोली- जिन्दगी में आज मुझे पहली बार लण्ड के अमृत का स्वाद चखने को मिला है।
मैंने पूछा- अच्छा लगा?
वो बोली- बहुत ही अच्छा था।
मैंने फिर से भाभी कि चूत को चाटना शुरु कर दिया और वो मेरा लण्ड चूसने लगी। 5 मिनट के बाद ही भाभी फिर से झड़ गयी तो मैंने उनकी चूत का सारा ज्यूस चाट लिया।
वो बोली- आज तक मुझे ऐसा मज़ा कभी नहीं मिला, तू तो एकदम पक्का खिलाड़ी लग रहा है।
मैंने कहा- तुमने ही तो बनाया है।

तभी मुझे बदमाशी सूझी। मैंने अपनी एक अंगुली भाभी की गाण्ड के छेद पर रख दी और कहा- मैं इसका मज़ा भी लेना चाहता हूँ। वो बोली- फिर तू यहीं से शुरु कर दे। मुझे भी आज तक इसका मज़ा नहीं मिला है। मैंने कहा- इसका मज़ा भी लूंगा लेकिन बाद में। वो बोली- अभी क्यों नहीं। मैंने कहा- पहले तुम्हारी चूत का मज़ा तो ले लूं।

हम दोनो ऐसे ही बातें करते रहे। थोड़ी देर बाद मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया तो भाभी ने कहा- अब बरदाश्त नहीं हो रहा है, शुरु हो जा।
मैंने कहा- मैं नहीं चोदूंगा।
वो बोली- क्यों। मैंने कहा- तुम ही चोदो।
वो बोली- मैं ही चोद देती हूँ लेकिन चिल्लाना मत।
मैंने कहा- मैं कोई औरत थोड़े ही हूँ कि मुझे दर्द होगा और मैं चिल्लाऊँगा।
वो बोली- मैं अपने देवर को चोदूंगी तो पूरि मस्ती से चोदूंगी। ऐसा धक्का लगाऊँगी कि तुझे तेरी नानी याद आ जायेगी।
मैंने कहा- कसम से, तब तो बहुत मज़ा आयेगा।

इतना कह कर मैं बेड पर लेत गया। भाभी मेरे ऊपर आ गयी। मैं पूछा, किसी को चोदा है कभी?
वो बोली- कभी नहीं लेकिन आज तुझे पहली बार चोदने जा रही हूँ।
मैंने कहा- चोदने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
वो बोली- अभी पता चल जायेगा।
भाभी ने मेरा लण्ड अपनी चूत में डाल लिया और जोर जोर के धक्के लगने लगी। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था क्यों कि आज पहली बार मेरे लण्ड ने चूत को टच किया था और कोई औरत मुझे चोद रही थी।

थोड़ी देर बाद भाभी ने कहा- कैसा चोद रही हूँ?
मैंने कहा- बहुत ही अच्छी तरह से।
वो बोली- तू जानता नहीं है कि मैं कितनी सेक्सी हूँ।
मैंने कहा- तुम कब से सेक्सी बन गयी।
वो बोली- जब से मैं तेरे लण्ड की मालिश कर रही हूँ।
मैंने कहा- तो फिर पहले क्यों नहीं चुदवाया।
वो बोली- शरम आती थी।
वो जोर के धक्के लगाती रही और थोड़ी देर बाद ही झड़ गयी।

उसके बाद वो मेरे ऊपर लेट गयी और मेरे होठों को चूमते हुये बोली- देखा मैं तेरी नानी याद करा दी।
मैंने कहा- मुझे तो कुछ भी नहीं हुआ।
वो बोली- मैंने तेरे लण्ड को अपनी चूत के अन्दर डाल के और धक्का लगा लगा के अपनी चूत का पानी निकल दिया।
मैंने कहा- मेरा पानी निकलो तब पता चलेगा।
वो बोली- वो मेरा काम नहीं है। मुझे मज़ा लेना था मैंने ले लिया। तुझे मज़ा लेना है तो मेहनत तो तुझे ही करनी पड़ेगी।
मैंने कहा- वो तो है। अब देखो मैं तुम्हें कैसे तुम्हारी नानी याद दिलाता हूँ।

मैं भाभी के ऊपर आ गया। मैंने उनके पैरो को मोड़ कर उनके कन्धे के पास सटा दिया और दबा कर जोर से पकड़ लिया। वो एकदम दोहरी हो गयी और उनकी चूत एकदम उपर उठ गयी। उसके बाद मैंने उनकी चुदायी शुरु कर दी। मैंने बहुत जोर जोर के धक्के लगने शुरु किये तो भाभी बोली- मेरी सारी हड्डियाँ तोड़ दलेगा क्या।
मैंने कहा- अभी तो ये शुरुआत है। आगे आगे देखो मैं क्या करता हूँ।

मैंने पूरे ताकत से साथ बहुत जोर जोर के धक्के लगते हुये भाभी को चोदना शुरु किया तो वो बोली- उयीईई… मां… तू तो बहुत ही बुरी तरह से चोद रहा है।
मैंने कहा- अभी तो तुमने मा को ही याद किया है, थोड़ी ही देर में नानी को भी याद करोगी।
वो हंसने लगी।
मैंने पूछा, मज़ा आ रहा है?
वो बोली- बहुत मज़ा आ रहा है। तेरे दोस्त का लण्ड भले ही तुझसे ज्यादा लम्बा और मोटा था लेकिन उसने कभी भी उसने मुझे इतनी अच्छी तरह से नहीं चोदा।
मैंने कहा- मुझसे चुदवाने के बाद तुम उसे भूल जओगी।
वो बोली- मैं तो इतनी देर की चुदायी में ही उसे भूल गयी।

मैं भाभी को पहली पहली बार में ही इतनी अच्छी तरह से चोद देना चाहता था कि वो उन दोनो को एकदम भूल जाये। तभी भाभी के मुँह से जोर जोर कि सिसकरी निकलने लगी, रज्जज्ज… मैं… तो… गयीईईह्ह्ह्ह…… इसके साथ ही भाभी कि चूत से ज्यूस निकलने लगा। उनकी चूत से इस बार बहुत ढेर सारा ज्यूस निकला।
मैं रुका नहीं, मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी। भाभी का सारा बदन पसीने से लथपथ हो गया। मेरा सारा बदन भी पसीने से नहा गया। मेरे चेहरे का पसीना भाभी के चेहरे पर टपा टप गिरने लगा।
मैं जोर जोर के धक्के लगता हुअ भाभी को चोदता रहा। 5 मिन्ट भी नहीं बीते थे कि वो फिर से झड़ गयी और बोली- उस दिन तू कह रहा था ना कि अगर मैं होता तो एक ही बार में पूरा अन्दर घुसा देता।
मैंने कहा- हाँ, कहा तो था। भाभी ने कहा- आज मैं समझ गयी कि तू एकदम सही कह रहा था।

मुझे भाभी कि चुदायी करते हुये लगभग 10 मिनट और बीते थे कि वो फिर से झड़ गयी। जब उनकी चूत का सारा ज्यूस निकल गया तो मैंने कहा- मैं उस दिन एकदम सही कह रहा था, कहो तो कर के दिखा दूं।
भाभी ने कहा- वो कैसे, तेरा तो पूरा अन्दर घुस ही चुका है।

मैंने कहा- कभी गाण्ड मरवायी है।
वो बोली- कभी नहीं।
मैंने कहा- गाण्ड मरवाने के लिये तैयार हो।
वो बोली- एकदम तैयार हूँ।
मैंने कहा- कहो तो एक ही बार में पूरा का पूरा लण्ड तुम्हारी गाण्ड में घुसा कर दिखा दूं।
वो बोली- दिखा दे।
मैंने कहा- बहुत चिल्लाओगी।
वो बोली- चिल्लाने दे ना।
मैंने कहा- बहुत दर्द होगा।
वो बोली- होने दे ना।

मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बाहर निकाला। मेरा लण्ड भाभी कि चूत के ज्यूस एकदम भीगा हुअ था। मैंने भाभी कि चूत पर से थोड़ा सा ज्यूस उनकी गाण्ड के छेद पर लगा दिया। उसके बाद मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड के छेद पर रख दिया और कहा- तैयार हो जाओ।
वो बोली- मैं तैयार हूँ।
मैंने एक धक्का मारा तो वो जोर से चीखी। मेरे लण्ड का सुपाड़ा उनकी गाण्ड में घुस गया था। मैंने दूसरा धक्का मारा तो मेरा लण्ड उनकी गाण्ड को चीरता हुआ 3′ तक अन्दर घुस गया। वो जोर जोर से चिल्लाने लगी। मैंने तीसरा धक्का मारा तो उनकी गाण्ड से खून निकल आया और मेरा लण्ड उनकी गाण्ड में 5′ अन्दर घुस गया।
मैं रुका नहीं। मैंने बहुत जोरदर 2 धक्के और लगा दिये तो पूरा का पूरा लण्ड उनकी गाण्ड में समा गया। वो जोर जोर से चिल्ला रही थी और उनकी आंखो से आंसू निकल आये। दर्द के मारे उनका बुरा हाल हो रहा था। मैंने उनकी गाण्ड मारनी शुरु कर दी।

थोड़ी देर तक वो चिल्लाती रही फिर धीरे धीरे शान्त हो गयी। 5 मिनट में ही भाभी को मज़ा भी आने लगा। मैंने पूछा, अब क्या ख्याल है।
वो बोली- तू तो बहुत ही खराब आदमी है।
मैंने कहा- क्यों, मज़ा नहीं आया?
वो बोली- मज़ा तो आया लेकिन दर्द भी तो हुआ।
मैंने कहा- वो तो होना ही था लेकिन जितना होना चाहीये था उतना तो नहीं हुआ होगा।
वो बोली- और जोर जोर से धक्के लगा। मैंने कहा- वो तो लगाऊँगा ही।

मैंने और ज्यादा जोर जोर के धक्के लगने शुरु कर दिये। थोड़ी ही देर में भाभी एकदम मस्त हो गयी। 10 मिनट तक उनकी गाण्ड मारने के बाद मैंने अपना लण्ड उनकी गाण्ड से निकल कर उनकी चूत में डाल दिया और उनकी चुदायी शुरु कर दी।

5 मिनट में ही भाभी फिर से झड़ गयी और बोली- कितनी बार मेरी चूत का पानी निकलेगा।
मैंने कहा- तुम देखती जाओ।
मैंने उनकी चूत से अपना लण्ड निकल कर उनकी गाण्ड में डाल दिया। 5 मिनट गानद मरने के बाद मैंने फिर से उनकी चुदायी शुरु कर दी। 10 मिनट कि चुदायी में ही वो फिर से झड़ गयी तो मैंने उनकी गाण्ड मारनी शुरु कर दी।

भाभी बोली- लगता है कि तू आज मेरी चूत का भुरता बना देगा। मैंने कहा- इसी को तो असली चुदायी कहते हैं। वो बोली- वो तो मैं आज समझ ही गयी क्यों कि तेरा दोस्त ने तो मुझे ज्यादा से ज्यादा 15 मिनट तक ही चोदा था। मैंने कहा- देखती जाओ, अभी तो मैं बहुत देर तक चोदने वाला हूँ।

5 मिनट तक उनकी गाण्ड मारने के बाद मैंने फिर से उनकी चुदायी शुरु कर दी। 10 मिनट में ही भाभी फिर से झद गयी और बोली- अब रहने दे, मैं एकदम थक गयी हूँ।
मैंने पूछा, नानी याद आयी या नहीं।
वो बोली- नानी की बात कर रहा है तू, मुझे तो नानी कि मम्मी भी याद आ गयी, अब रहने दे।
मैंने कहा- अभी मेरे लण्ड का पानी कहाँ निकला है।
वो बोली- फिर जल्दी से निकाल।
मैंने कहा- वो मेरे बस में नहीं है।
वो बोली- फिर किस के बस में है।
मैंने कहा- तुम्हारे।
वो बोली- मैं क्या कर सकती हूँ।
मैंने कहा- तुम भी नीचे से धक्का लगओ।
वो बोली- तूने तो मेरा पैर जोर से पकड़ रखा है। मेरा पैर छोड़ेगा तब ही तो धक्के लगाऊँगी।

मैंने भाभी के पैर छोड़ दिये तो उन्होंने भी अपना चूतड़ उठा उठा कर चुदवाना शुरु कर दिया। मैंने और ज्यादा जोर जोर के धक्के लगने शुरु कर दिये।

10 मिनट की चुदायी के बाद मैं झड़ गया। वो भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गयी। मैंने अपना लण्ड उनकी चूत से बहर निकला और हट गया। वो बोली- तेरा लण्ड तो बहुत ही खतरनाक है।
मैंने कहा- तुमने ही तो इसे तेल लगा लगा कर इतना खतरनाक बनया है। मैं तुम्हारी दोनो बहनो को भी ऐसे ही चोदुंगा।
वो बोली- जरूर चोदना लेकिन मुझे आज चुदवाने में जो मज़ा आया है ऐसा मज़ा कभी नहीं आया था। मैं तो आज दोबारा चुदवाने के लायक ही नहीं रही।
मैंने कहा- मैं तो आज कम से कम 2 बार और चोदुंगा।
वो बोली- अच्छा बाबा, चोद लेना। लेकिन तू ये तो बता कि तुझे झड़ने में इतनी देर क्यों लगती है।
मैंने कहा- किसी से कहोगी तो नहीं।
वो बोली- बिल्कुल नहीं।
मैंने कहा- तुम मेरे लण्ड पर तेल लगा कर कितनी देर मालिश करती थी।
वो बोली- 15-20 मिनट।
मैंने कहा- जब मैं तुम्हें चोद रहा था तो 15-20 मिन तक तो मुझे यही लग रहा था कि मेरे लण्ड कि मालिश हो रही है। उसके बाद मुझे धीरे धीरे जोश आना शुरु हुआ। लगभग 15 मिन के बाद मैं पूरे जोश में आ गया। जोश में आने के बाद मैंने 20-25 मिनट तक ही तो तुम्हारी चुदायी की।
वो बोली- अब मैं समझी कि तू इतनी देर तक कैसे चोद पाता है।

मैंने उस दिन भाभी को 2 बार और चोदा। अगले 3 महीने तक मैं भाभी की चुदायी करता रहा और उनकी गाण्ड भी मारता रहा।
एक दिन भाभी बोली- बच्चा नहीं पैदा करना है।
मैंने कहा- करना क्यों नहीं है।
वो बोली- अगर तुझे पूरा मज़ा मिल गया हो तो मैं पिल्स लेना बन्द कर दून।
मैंने कहा- ठीक है, बन्द कर दो।
भाभी ने पिल्स लेनी बन्द कर दी। लगभग 40 दिन गुजर गये लेकिन उनको महीना नहीं आया। दोस्तों के पास जाने पर पता चला कि वो मां बनने वाली है। भाभी बहुत खुश हो गयी।
उन्होंने घर आ कर ये बात भैया को बतायी तो भैया बहुत ही खुश हो गये और बोले, मैं कहता था ना कि राज से काम चला लो, बाहर जाने की कोई जरूरत नहीं है।
भाभी ने कहा- सोरी, मुझे माफ़ कर दो। मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी। भैया ने कहा- जब बच्चा पैदा हो जायेगा तब ही मैं तुम्हें माफ़ करुंगा

भाभी ने घर का काम करने के लिये एक नौकरानी रख ली। उसका नाम मधु था और उसकी उमर लगभग 35 साल की थी। मैंने भाभी से कहा- तुमने ये क्या किया। जवान नौकरानी रखती तो मेरा काम भी हो जाता।
भाभी बोली- अब कुछ दिन आराम कर लो वरना सेहत खराब हो जायेगी। समय पूरा हो जाने के बाद भाभी को जुड़वां बच्चे पैदा हुये। उन दोनो कि शकल मेरे जैसी ही थी। भैया बहुत खुश हो गये।
भाभी ने भैया के पैर पकड़ लिये और कहा- अब तो मुझे माफ़ कर दो। भैया ने भाभी के माथे को चूम लिया और कहा- मैंने आज तुम्हारी सारी गलती माफ़ कर दी। अब तो खुश हो जाओ।
भाभी ने कहा- अब तो मैं बहुत खुश हूँ।
भैया ने कहा- एक बात और है।
भाभी ने कहा- कहिये।
भैया ने कहा- जब घर में ही अच्छा खाना मिल रहा हो तो होटल जाने की क्या जरूरत है। समझ रही हो ना मेरी बात।
भाभी ने मेरी तरफ़ देखा और मुसकुराने लगी। मैं शरमा गया। भैया जब कमरे से बाहर जाने लगे तो बड़े प्यार से मेरे गाल पर हलकी सी चपत लगा गये। आज जिन्दगी में पहली बार भैया मेरे साथ प्यार से पेश आये थे।

1 महीने के बाद बच्चे की खुशी में घर पर दावत थी। भाभी की दोनो बहने रीना और रोशनी भी आयी थी। उस दिन तो मेहमानो कि धूम रही। दूसरे दिन रीना और तीना को छोड़ कर सारे मेहमान चले गये। दोपहर में हम सब आपस में हंसी मजाक कर रहे थे। तभी भैया बोले, मैं मारकेट जा रहा हूँ, कुछ काम है। शाम तक आ जाऊँगा।

भैया मारकेट चले गये। उनके जाने के बाद मैं भाभी के बगल में बैठ गया। रीना और रोशनी मुझसे हंसी मजाक करने लगी। तभी भाभी उन दोनो को पंडित जी कि कही हुयी बात बताने लगी। मैं तुरन्त उठ कर खड़ा हो गया और भाभी से कहा- तुम लोग बातें करो मैं बाहर जा रहा हूँ। भाभी ने शरारत भरे अन्दाज़ मैं कहा- मेरे प्यारे प्यारे बच्चो के पापा जी, चुपचाप बैठ जाओ, वरना…… मैंने कहा- वरना क्या।
वो बोली- वरना बहुत मारूंगी।
मैंने कहा- एक तरफ़ तो अपने बच्चो का पापा कहती हो और दूसरी तरफ़ मारने की धमकी भी देती हो। ये बहुत गलत बात है।
भाभी ने कहा- मेरी दोनो बात सही है। तू मेरे बच्चो का पापा भी है और मेरा देवर भी। मैं तुझे भाभी के हक से मारूंगी भी। चुपचाप बैठ जा। मैं भाभी के पास बैठ गया।

भाभी ने पंडित जी कि सारी बात रीना और रोशनी को बता दी। उन्होंने संजय और महमूद के बारे में भी उन दोनो को बता दिया। भाभी बोली- लेकिन पंडित जी कि ये बात मेरी समझ में नहीं आयी कि रोशनी की जिन्दगी में 19 मरद और कहाँ से आयेंगे। मुझे तो पंडित जी कि ये बात सही नहीं लगती। तभी रोशनी भाभी से लिपट कर रोने लगी। भाभी ने पूछा, तुझे क्या हुआ। वो रोते हुये कहने लगी कि पंडित जी कि बात एकदम सही है।

6 महीने पहले कि बात है। एक दिन मैं शहर से जा रही थी। रास्ते में अचानक मेरी तबियत खराब हो गयी। अन्धेरा होने लगा तो मैं एकदम परेशान हो गयी। तभी मुझे एक बस आती दिखायी दी। मैंने बस वाले को रुकने का इशारा किया तो बस रुक गयी। मैं बस में चढ गयी। उस बस में फ़ुटबॉल के 16 खिलाड़ी थे। उन खिलाड़ियों के साथ उनका कोच भी था। बुस में एक क्लीनर भी था। वो कुल मिलकर 19 लोग थे। लगभग 30 मिनट के बाद एकदम अन्धेरा हो गया तो उन्होंने एक सुनसान जगह पर बस रोक दी। उसके बाद उन सब ने मेरे साथ एक एक कर के…… इतना कह कर रोशनी जोर जोर से रोने लगी।

रीना और भाभी ने तीना को समझा बुझा कर चुप कराया।

उसके बाद हम इधर उधर कि बातें करने लगे। एक घन्टे में रोशनी एकदम नोरमल हो गयी। वो फिर से हंसी मजाक करने लगी। रोशनी और रीना मुझसे पहले से ही एकदम खुल कर बात करती थी और मुझसे छेड़छाड़ करती रहती थी। थोड़ी देर बाद रोशनी मेरी तरफ़ इशारा करते हुये बोली- मेरी जिन्दगी में 20 मरद तो आ गये, आज इसका नम्बर है। मेरी शादी को भी इतने साल गुजर गये लेकिन मैं मां नहीं बन पायी। दीदी, तुम इस से कह दो कि ये मुझे भी मां बना दे।
भाभी ने कहा- तू तो कल घर चली जायेगी। एक दिन में ही ये तुझे कैसे मा बनायेगा।
रोशनी बोली- फिर मैं एक महीने तक यहीं रुक जाती हूँ। क्यों कि जब मैं यहाँ आयी थी उसके 3 दिन पहले ही मैंने नहाया था और तब से मैं उनके साथ सोयी नहीं।
मैंने मजाक करते हुये कहा- तुम तो बहुत ही गन्दी औरत हो। इतने दिन हो गये और तुमने नहाया ही नहीं। रोशनी ने मेरे गाल जोर से काट लिये और बोली- बुद्धू, मैं रोज रोज नहाने वाली बात थोड़े ही कर रही हूँ। भाभी और रीना हसने लगे।

भाभी ने रीना से पूछा, मां बनने के बारे में तेरा क्या ख्याल है।

रीना बोली- तेरे पति कि तरह से ही मेरे पति का लण्ड भी एकदम छोटा है और वो भी 2 मिनट में ही झड़ जाते हैं। तूने अभी बताया था कि इसका लण्ड बहुत ही लम्बा और मोटा है। अगर मैंने इस से कराया तो मेरे पति को पता चल जायेगा, फिर मैं उन्हें क्या जवाब दूंगी। मुझे तू ऐसे ही रहने दे।
भाभी ने कहा- पंडित जी बात गलत नहीं हो सकती। आज ना सही देर सबेर तू भी इसके बच्चे कि ही मा बनेगी। रीना बोली- देखा जायेगा। रोशनी बोली- दीदी, तुमने बताया था कि ये बहुत ही अच्छी तरह से चोदता है। मैं तो पूरे जोश में आ गयी हूँ और मेरी चूत भी गीली हो चुकी है। इसके पहले कि जीजू बाजार से वापस आ जायेन मैं इसे दूसरे कमरे में ले जाती हूँ और कम से कम एक बार तो मज़ा ले ही लेती हूँ।

मैंने मजाक किया, क्यों, अपनी दीदी के सामने शरम आती है। वो बोली- भला मुझे क्यों शरम आने लगी। अगर तेरे में हिम्मत है तो मुझे चोद कर दिखा दीदी के सामने।
भाभी ने कहा- रोशनी, इसे चैलेन्ज मत कर, ये बहुत ही खराब आदमी है। ये तुझे हमारे सामने भी चोद सकता है।
रोशनी बोली- मैं इसे बरसों से जानती हूँ। इसमें इतनी हिम्मत नहीं है। दीदी, तुम्हें याद है ना जब तुम्हारे कहने पर मैंने एक बार इसके लण्ड पर तेल लगाया था ये कितना शरमा रहा था। ये मुझे तुम सब के सामने नहीं चोद सकता। मैंने भाभी से कहा- इसे समझा दो, नहीं तो मैं इसे यहीन पर चोद दूनगा।
तीना ने मुझे चिधते हुये कहा- रहने दे, रहने दे। मैंने भाभी से कहा- समझाओ इसे, नहीं तो गड़बड़ हो जायेगी। रोशनी बोली- क्या गड़बड़ करेगा तू। मैंने कहा- मैं अभी बताता हूँ इसे।

मैं पहले से ही जोश में आ चुका था और मेरा लण्ड भी खड़ा हो चुका था। मैंने अपनी लुन्गी उतार कर फेक दी और भाभी और रीना के सामने ही रोशनी को पटक दिया। उसके बाद मैंने रीना का पेटीकोट उठा कर एक ही धक्के में अपना पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में घुसेड़ दिया। रीना शरमा गयी और उसने अपना मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया लेकिन भाभी मुझे देखती रही। उन्होंने मुझे इशारा कर दिया कि मैं अपना काम जारी रखूं।

मैंने रोशनी की चुदायी शुरु कर दी। 2 मिनट में ही रोशनी पूरी मस्ती में आ गयी। उसने मुझसे चूतड़ उठा उठा कर चुदवाना शुरु कर दिया। मैंने भी उसे पूरे जोश और ताकत के साथ खूब जोर जोर के धक्के लगाते हुये चोदना शुरु कर दिया।

20-25 मिनट कि चुदायी के बाद रोशनी बोली- ओह राज, तुमने तो मुझे इतनी देर में ही एकदम पागल कर दिया है। मैं 2 बार झड़ भी चुकी हूँ, अब रहने भी दो। मैंने कहा- रोशनी रानी, ये तो शुरुआत है, अभी तो बहुत देर लगेगी।

भाभी बोली- मैं कह रही थी ना कि इसे चैलेन्ज मत कर लेकिन तू नहीं मानी, अब भुगतो।

प्रेषक : शिमत Antarvasna

सबसे पहले तो मैं गुरूजी Antarvasna को धन्यवाद कहना चाहूँगा कि उन्होंने हमें अपने उदास और वीरान जीवन में अन्तर्वासना की रंगीनियाँ भरने का मौका दिया। मैं पिछले दो सालों से अन्तर्वासना को रोज़ ही देखता हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ, मैंने कई कहानियाँ पढ़ी हैं और आज मैं उनसे प्रेरणा लेकर अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।

मेरी यह कहानी सच्ची है और मेरे साथ बीते हुए पलों को मैं आप के साथ बाँटना चाहता हूँ।

पहले मैं अपना परिचय दे रहा हूँ : मेरा नाम शिमत है, दिल्ली का रहने वाला, 21 साल का, और मैं 5 फीट 7 इंच का हूँ। मेरा रंग गोरा है, मेरा लण्ड 8 इंच का है, मैं देखने में ठीक लगता हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं मेरे मामा के घर गया हुआ था। वैसे तो मैं मामा के घर जाकर सिर्फ़ मजे ही करता था मतलब सिर्फ खाना-पीना अपने में ही मस्त रहता था।

मैंने कभी भी किसी लड़की की आज तक चूत नहीं देखी थी और मैं चूत देखने को बहुत लालयित था। मैं सोचता था कि कभी मुझे चूत के दर्शन करने को मिलेंगे क्या ! और मैं मुठ मार लिया करता था।

मैं एक दिन मेरे मामा के लड़के के कमरे में बैठा टीवी देख रहा था और वहाँ पर मामा की बेटी भी बैठी थी कि अचानक एक पप्पी का दृश्य आ गया। मैं थोड़ा सा शरमा गया और दीदी उठ कर चली गई, मैं वहीं पर बैठा रह गया। थोड़ी देर बाद मैंने टीवी बंद कर दिया और मैं किचन में जाकर कुछ खाने को देख रहा था, दीदी भी वहीं थी।

दीदी हंस के बोली- क्या चाहिए?

मैंने कहा- दीदी, मुझे कुछ खाने को चाहिए !

दीदी बोली- मैं अभी कुछ बना देती हूँ !

तो मैंने कहा- आप क्या बनाएँगी ?

तो दीदी बोली- जो तू कहे !

तो मैं बोला- गाजर का जूस बना दो !

दीदी गाजर लेने के लिए नीचे झुकी तो मेरा ध्यान उनके स्तनों पर चला गया और मैं देखता ही रह गया। फिर मैं नजर चुरा के चला गया और बाहर निकल आया।

थोड़ी देर बाद दीदी जूस लेकर आई और बोली- तेरा जूस तैयार है !

मैंने जूस पी लिया, अपने कमरे में जा कर बैठ गया और कम्प्यूटर चला कर मैं इंटरनेट पर गेम खेलने लगा। पर मेरा ध्यान तो वहीं वक्ष पर था। मैंने गेम खेलना बंद कर दिया और मैंने मामा के लड़के के नाम वाला फोल्डर खोल लिया और देखने लगा तो पता चला कि वो तो ब्लू फिल्म्स देखता है, तो मैं भी देखने लगा और अपने लण्ड को दबाने लगा। धीरे धीरे मुझे मज़ा आने लगा और मैं देखता रहा मैंने ध्यान ही नहीं दिया।

जब मैंने मॉनीटर में ध्यान से देखा तो ऐसा लगा कि मेरे पीछे कोई खड़ा है और मैंने डर कर कम्प्यूटर बंद कर दिया। जैसे ही मैं पीछे मुड़ा तो मैंने देखा कि दीदी एकदम वहाँ से भाग कर बाथरूम में घुस गई। मैं शरमा कर बाहर आ गया। अब मुझे अजीब सा लग रहा था कि दीदी मेरे बारे में क्या सोचेंगी और मैं डर कर रात को खाना खाने के बाद अपने कमरे में जाकर लेट गया। पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं बाथरूम में पेशाब करने गया तो मैंने वहाँ पर दीदी की ब्रा और पैंटी देखी। मैं तो वहीं पर पागल हो गया और मैं और सब चीजों को सूंघने लगा। मुझे मज़ा आने लगा और मैं यह भूल गया कि मैंने बाथरूम के दरवाज़े की कुण्डी नहीं लगाई है। मैं उन दोनों कपड़ों को सूंघता रहा।

फिर पीछे से आवाज आई- शिमत, क्या कर रहे हो ?

मैं डर गया और पीछे मुड़ कर देखा तो दीदी वहाँ पर खड़ी थी। मैंने वो ब्रा और पैंटी दोनों झट से नीचे फेंक दी और छत पर जाकर बैठ गया। वहीं पर बैठा रहा तो आधा घंटे बाद अचानक दीदी वहाँ पर आई और बोली- तुम यहाँ छत पर क्या कर रहे हो ?

तो मैं बोला- दीदी, कुछ नहीं ! मैं तो बस ऐसे ही यहाँ चला आया था।

दीदी बोली- नीचे अपने कमरे में चलो !

मैं बोला- दीदी, मुझे नींद नहीं आ रही ! मैं यहाँ पर बैठ जाता हूँ, जब नींद आएगी तो मैं चला जाऊंगा।

दीदी बोली- ठण्ड लग जायगी ! चलो नीचे !

मुझे डर लग रहा था, मैं डरता हुआ नीचे चला गया और अपने कमरे में जाने लगा तो दीदी बोली- कहाँ जा रहे हो?

मैं बोला- दीदी मैं अपने कमरे में जा रहा हूँ !

दीदी बोली- वहाँ पर मम्मी चली गई हैं, तुम मेरे कमरे में आ जाओ !

मैं डरता हुआ दीदी के कमरे में चला गया। वहाँ पर दो चारपाई थी तो मैं एक पर सो गया और लाइट बंद कर दी।

अचानक मुझे लगा कि मेरी चारपाई पर कोई आ गया है। मैंने देखा कि दीदी मेरी चारपाई पर बैठी है और दीदी का हाथ मेरे लण्ड पर रखा हुआ था।

मैं बोला- दीदी, आप क्या कर रहे हो ?

दीदी बोली- साले, इतना शरीफ मत बन ! तुझे सब पता है कि मैं क्या कर रही हूँ।

दीदी बोली- जब तू मेरे स्तन देख रहा था, तब तू क्या कर रहा था?

मैं बोला- दीदी, वो तो गलती से दिख गए थे !

तो दीदी बोली- साले तू मेरी पैंटी क्यों सूंघ रहा था?

मैं बोला- चलो छोड़ो, अब तो मज़े ले लो !

दीदी बोली- अब आया न लाइन पर !

तो मैंने झट से दीदी के स्तन पकड़ लिए और दबाने लगा। दीदी बोली- साले, हाथों में जान नहीं है क्या ? जोर से दबा !

तो मैं जोर से दबाने लगा फिर दीदी मैंने दीदी के होठों पर पप्पी ली और दीदी के होठों को जोर से चूमने लगा। दीदी को मज़ा आने लगा, वो भी मेरे होठों को जोर से चूमने लगी और मैं इतना मदहोश हो गया कि मैंने होठों को चाटना शुरू कर दिया। दीदी भी पागल हो गई और मेरे होठों को वो भी चाटने लगी।

मैंने दीदी के हाथों को अपने लण्ड पर रख दिया और कहा- मेरी मुठ मारो !

तो दीदी भी जोर से मुठ मारने लगी। फिर मैंने दीदी के पेट पर हाथ फेरा और दीदी के पेट को चूमने लगा। मैंने दीदी के पेट को चूम चूम कर गीला कर दिया और फिर दीदी की कमर को चूमने लगा। दीदी के बदन पर एक भी बाल नहीं है वो एक दम चिकनी हैं।

दीदी तड़फ़ने लगी और बोली- जल्दी से कुछ कर, नहीं तो मैं मर जाउँगी।

मैंने दीदी की गांड पर जीभ लगा दी। दीदी तो बिलकुल पागल हो गई और बोली- मैं तो मर गई, क्या गरम जीभ है तेरी ! और लगा !

मैंने दीदी की गांड को भी चाटना शुरू कर दिया। फिर क्या था, दीदी को तो होश नहीं था, वो तो पागल हो रही थी।

गुलाबी चूत से रिस रिस कर नमकीन पानी निकल रहा था, उसे चाटने में मुझे भी मजा आ रहा था और दीदी अपनी गांड उठा उठा कर मुखचोदन करा रही थी।

मैंने जैसे ही उसकी चूत पर जीभ लगाई तो वो तो पागल ही हो गई और बोली- जोर से चाट ! जल्दी से मेरी मार ! नहीं तो मैं मर जाउंगी !

तो मैंने अपना लण्ड निकाल कर उनके मुँह में डाल दिया और वो लण्ड देखते ही चिल्ला उठी- यह क्याऽऽऽ ?

मैंने कहा- लण्ड !

बोली- इतना बड़ा ऽऽ? मैं मर जाऊंगी !

मैंने कहा- एक बार मुँह में लेकर तो देख !

दीदी बोली- मजा आ रहा है !

वो मेरे लण्ड को कुत्ते की तरह चाट रही थी। फिर मैंने अपना लण्ड उनके मुँह में से निकाल कर उनकी चूत में डाल दिया और जोर जोर से झटके मारने लगा।

वो बोल रही थी- और जोर से मार !

और सिसकियाँ भरने लगी- आआआआ ऊऊऊऊऊऊओ जोर से मार साले !

तो मैंने उनकी गांड में डाल दिया तो वो बोली- मार दिया कुत्ते ! आराम से मार !

मैंने और जोर से शुरू कर दिया।

दीदी बोली- साले, बाहर निकाल ! दर्द हो रहा है !

तो मैं बोला- दीदी, बस थोड़ा और !

दीदी बोली- साले, मेरी गांड फट जायगी !

फिर मैंने बाहर निकाला और चूत में डाल दिया। फिर दीदी बोली- जोर से मार !

तो मैंने जोर से झटके मारने शुरू कर दिया। दीदी के मुँह से निकल रहा था- आआआआअ ऊऊऊऊओ आआआ ऊऊऊऊऊ !

मैंने फिर से दीदी के मुँह में डाल दिया और बोला- चूस !

दीदी मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चाट रही थी। दीदी अपना आपा खो बैठी थी और मेरे लण्ड को बुरी तरह चूस रही थी।

दीदी लण्ड चूसने के बाद बोली- शिमत, मुझे पागल बना दे ! मुझे बस चोदता जा ! मैं आज जी भर के चुदना चाहती हूँ।

मैंने फिर से लण्ड दीदी की चूत में डाल दिया और दीदी को कहा- अब मुझ में इतना दम नहीं है कि झटके मार सकूँ। आप ही कूद लो मेरे लण्ड पर !

दीदी मेरे लण्ड पर कूदने लगी, मैंने कहा- चूत में मज़ा नहीं आएगा ! आप अपनी गांड में फिर घुसवा लो !

दीदी बोली- मेरी गांड फट जाएगी !

तो मैंने कहा- कुछ नहीं होता !

तो दीदी ने गांड में घुसवा लिया और मैंने जोर से झटका मार कर दीदी की गांड में घुसा दिया। दीदी धीरे-धीरे से झटके मारने लगी और मज़ा आने लगा। मुझ में फिर से जोश आ गया और मैंने दीदी की गांड में जोर-जोर से झटके मारने शुरू कर दिया।

मैंने लंड को बाहर निकाला और वापस ज़ोऱ से अंदर डाला और धीरे धीरे से चोदने लगा, साथ में चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा।

मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?

तो बोली- प्लीज़ मुझे मत पूछो !

मैंने उससे कहा- दीदी, तुमको आज मैंने एक बहन से पत्नी बना दिया है, तुम्हारी आज प्रौन्नति हुई है, तुझे चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है, ऐसा मज़ा तो मुझे कभी नहीं आया !

उसने भी मेरे होंठों को अपने मुँह में भर लिया। वाह क्या मुलायम होंठ थे, जैसे संतरे की नर्म नाज़ुक फांकें हों। कितनी ही देर हम आपस में जकड़े रहे, एक दूसरे को चूमते रहे। अब मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर फिराना चालू कर दिया। उसने भी मेरे लंड को कस कर हाथ में पकड़ लिया और सहलाने लगी। मैंने जब उसके स्तन दबाये तो उसके मुँह से सीत्कार निकालने लगी- ओह…।

अब उसने अपने पैर ऊपर उठा कर मेरी कमर के गिर्द लपेट लिए थे। मैंने भी उसका सिर अपने हाथों में पकड़ कर अपने सीने से लगा लिया और धीरे धीरे धक्के लगाने लगा। जैसे ही मैं ऊपर उठता तो वो भी मेरे साथ ही थोड़ी सी ऊपर हो जाती और जब हम दोनों नीचे आते तो पहले उसके नितम्ब गद्दे पर टिकते और फिर गच्च से मेरा लंड उसकी चूत की गहराई में समां जाता। वो तो मस्त हुई आह उईई माँ ही करती जा रही थी।

अब मैं उसके मुँह को पकड़ कर चूमने लगा और उसका मुँह खोलकर जीभ अंदर डाल कर घुमाने लगा। एक हाथ उसकी चूत पर ही फिरा रहा था। अब चूत से भी पानी आने लगा था और मेरे हाथ गीले हो गए। मैंने गीला हाथ उसे दिखाते हुए कहा- दीदी, देखा अब तेरी चूत भी साथ दे रही रही है !

अब मैंने उसकी चूत को पूरा मुँह में ले लिया और जोर की चुसकी लगाई। अभी तो मुझे दो मिनट भी नहीं हुए होंगे कि उसका शरीर अकड़ने लगा और उसने अपने पैर ऊपर करके मेरी गर्दन के गिर्द लपेट लिए और मेरे बालों को कस कर पकड़ लिया। इतने में ही उसकी चूत से काम रस की कोई 4-5 बूँदें निकल कर मेरे मुँह में समां गई। आह, क्या रसीला स्वाद था। मैंने तो इस रस को पहली बार चखा था। मैं उसे पूरा का पूरा पी गया।

फिर मेरा छुटने को हो गया तो मैंने कहा- दीदी, मेरा छुट रहा है !

तो वो बोली- मेरे मुँह में छोड़ दे।

तो मैंने उनके मुँह पर छोड़ दिया और शान्त हो गया।

थोड़ी देर बाद अचानक अपने लंड पर किसी के स्पर्श से मैंने आंखे खोली तो देखा कि दीदी उससे खेल रही है और उसे खड़ा करने की कोशिश कर रही है। मेरे आँख खोलते ही मुझे अर्थपूर्ण दृष्टि से देखा। मैं समझ गया कि अब भी दीदी की चाहत पूरी नहीं हुई तो मेरा फिर से खड़ा हो गया और मैंने फिर से दीदी की चूत में घुसा दिया। इस बार मैंने लण्ड चूत पर रखा और धीरे-धीरे नीचे होने लगा और लण्ड चूत की गहराइयों में समाने लगा। चूत बिल्कुल गीली थी, एक ही बार में लण्ड जड़ तक चूत में समा गया और हमारी झाँटे आपस में मिल गईं। अब मेरे झटके शुरु हो गए और दीदी की सिसकियाँ भी…

दीदी आआआहहहह अअआआआहहह करने लगी। कमरा उनकी सिसकियों से गूँज रहा था। जब मेरा लण्ड उनकी चूत में जाता तो फच्च-फच्च और फक्क-फक्क की आवाज़ होती। मेरा लण्ड पूरा निकलता और एक ही झटके में चूत में पूरा समा जाता। दीदी भी गाँड हिला-हिला कर मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने झटकों की रफ्तार बढ़ा दी, अब तो खाट भी चरमराने लगी थी। पर मेरी गति बढ़ती जा रही थी। हम दोनों पसीने से नहा रहे थे जबकि सर्दी का मौसम था।

और फिर दीदी बोली- धीरे मार ! तूने तो मेरी चूत ही फ़ाड़ दी।

मैंने कहा- अभी तो कुछ नहीं हुआ है, अभी तो काम बाकी है !

मैंने तुरंत दीदी की गांड में घुसा दिया। फिर क्या था, दीदी चिल्लाने लगी और बोली- साले, तूने तो आज मेरी गांड भी फ़ड़ दी और मेरी चूत भी !

मैंने कहा- अभी तो चूचियाँ भी बाकी हैं !

मैंने झट से चूचियों पर कब्ज़ा कर लिया और उन्हें दबाने और चूसने लगा और मुंह में लण्ड की पिचकारी मार दी।

अब जब भी मैं मामा के घर जाता हूँ और जब हमें मौका मिलता है तो हम सेक्स कर लेते हैं और म़जा ले लेते हैं।

कभी घोड़ी-कुतिया तो कभी किचन में एक टांग पर। कुल मिलाकर दीदी के साथ बिताये वो हर पल आज भी मेरी आंखों के सामने आते हैं तो बस उसे चोदने की इच्छा जागृत हो जाती है।

उम्मीद है कि मेरी पहली कहानी आप सभी को पसंद आई होगी।

मुझे अपनी राय बताएँ इस कहानी पर ! मैं इंतजार करूँगा। Antarvasna

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