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Massage Girl in Ukhrul: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Ukhrul who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Ukhrul that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Ukhrul massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Ukhrul who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Ukhrul massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Ukhrul massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Ukhrul who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Ukhrul employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Ukhrul helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Ukhrul

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Ukhrul at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Antarvasna

हेल्लो दोस्तों ! मैं कोई कहानीकार Antarvasna नहीं हूँ, पर यहाँ कई कहानियाँ पढ़ने के बाद मैंने भी अपना एक अनुभव आपको बताने की कोशिश की है. उम्मीद है आपको पसंद आएगी.

बात उस समय की है जब हम एक महानगर के पास के एक छोटे से शहर में रहने गए. वो एक नई कालोनी थी और बाज़ार दूर था इस. उसी समय हमारे पड़ोस के मकान में एक परिवार रहने आया. पति पत्नी और उनका 6 महीने का बच्चा. उस औरत को जब भी देखता था तो मेरे लंड उससे सलामी देने लगता था. क्या ज़बरदस्त माल थी. उमर 21 साल. बच्चा होने के बाद भी अच्छा संवार कर रखा था उसने अपने आप को.

पतली कमर गोरा रंग और भरा हुआ शरीर. मुझे शुरू से ही भरे बदन की ज़बरदस्त आंटियाँपसंद हैं. आंटी को हिन्दी फिल्मों का बहुत शौक था. और मुझसे हर हफ्ते 1-2 फिल्मों की कैसेट मंगवा कर घर पर देखती थी. उसके पति का ट्रांसपोर्ट का बिज़नस था और उन दिनों उनके अहमदाबाद के कई चक्कर लगते थे.
वो महीने में मुश्किल से एक हफ्ता ही घर पे रह पाते थे. पर जब वो घर पर होते थे तो भी मुझसे ही फिल्में मंगवाया करते थे. विडियो लाइब्रेरी वाला उनका दोस्त था, वोह उससे फ़ोन कर देते थे और मैं कैसेट ले आता था. पर जब वो कैसेट मंगवाते थे तो मुझे फ़िल्म की स्पेल्लिंग असली स्पेल्लिंग से अलग लगती थी.

एक दिन अंकल घर आए, मुझसे एक फ़िल्म मंगवाई. अगले दिन मैं कॉलेज से वापस आया तो देखा कि घर पे ताला लगा है तो मैं आंटी के घर चला गया. आंटी ने बताया कि मम्मी को मार्केट जाना था तो वो अभी गई हैं, तुम यहीं इंतज़ार कर लो.

मैंने अंकल के बारे में पूछा तो पता चला कि उनका ट्रक ख़राब हो गया है तो वो सुबह ही चले गए हैं और 10 दिन के बाद आएंगे. आंटी का मूड बहुत ख़राब था. मुझे लगा कि वो अभी रो रही थी. मैंने पूछा तो वो बोली कि तबियत ठीक नहीं है. मुझसे कहा कि मैं नहा कर आती हूँ फिर चाय बना दूंगी.

मैं बैठ गया, अचानक मेरी नज़र उस कैसेट पर पड़ी और मैं सोच ही रहा था कि इस फ़िल्म कि स्पेल्लिंग भी कुछ अलग क्यों है. थोड़ी देर में आंटी नहा कर आ गई और चाय बना लायी. मैंने उनसे पूछा कि आंटी कुछ कैसेट की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों लिखी होती है, तो वोह मुस्कुरा दी और बात को घुमा दिया. फिर अंकल और उनके काम के बारे में बात होने लगी तो वो कहने लगी कि अंकल के पास मेरे लिए समय नहीं है और अचानक फिर से रोने लगी और अपना सर मेरे कन्धों पर रख दिया. मैंने उनके कन्धों पे हाथ रखा और चुप कराने की कोशिश करने लगा.

उन्होंनें स्लीवेलेस सूट पहना था और उनकी चिकनी बाहों का स्पर्श मुझे मजा देने लगा. मेरा लंड खड़ा हो गया और पैंट से बाहर आने के लिए मचलने लगा. मैं आंटी को तसल्ली देने लगा और बोला कि आप जैसी सुंदर बीवी को छोड़ कर वो कैसे चले जाते हैं. अगर मैं आपका पति होता तो…

फिर चुप हो गया तो वो बोली कि अगर होते तो… आगे बोलो… मैंने कहा कि तो मैं आपको दिन रात प्यार करता. वो बोली कि फिर तुम्हारे अंकल क्यों नहीं करते… क्या मैं अच्छी नहीं हूँ…?

मैंने कहा कि आप बहुत सुंदर हो…फिर धीरे से मैंने उसके होठों को चूम लिया और हम दोनों धीरे धीरे एक दूसरे को किस करने लगे. धीरे धीरे हमने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और ज़ोरदार किस चालू हो गई, होंठ होंठों को चूसने लगे। कभी मेरी जीभ उसके मुहँ में जाती और कभी उसकी जीभ मेरे मुहँ में।

अचानक वो बोली कि तुम पूछ रहे थे ना कि इस मूवी की स्पेल्लिंग ग़लत क्यों है? तो उस मूवी को ओन करो पता चल जाएगा। मैंने वीसीआर में मूवी लगा दी, वो बेड पे बैठ गई और आवाज़ कम कर दी. मैं भी उसके पास जाकर बैठ गया। वो एक नग्न मूवी थी।

ब्लू फ़िल्म देखते देखते हम उत्तेजित हो गए और मैंने किस करते करते उसका कुरता उतार दिया…मेरे हाथ उसकी पीठ पर फिरने लगे……क्या चिकना बदन था उसका…
फिर उसने मेरा शर्ट और बनियान निकाल दी… मैं एक बात बतानी भूल गया कि मैं जिम्नास्टिक का प्लेयर हूँ और इसी वजह से मेरी फिजिक ज़बरदस्त है… फिर धीरे से मैंने उसकी ब्रा खोल दी। उसके मस्त कबूतर फडफडा कर बाहर आ गए और मैं उन्हे धीरे धीरे दबाने लगा

उसने मुझे कस कर बाहों में भर लिया… उसका गर्म चिकना नाजुक शरीर .. मुझे ऐसा लगा जैसे इससे अच्छी फीलिंग कोई हो ही नहीं सकती… फिर मैंने धीरे धीरे उसके बूब्स बारी बारी से चूसना शुरू कर दिया… उसने मस्ती में अपने सर पीछे फ़ेंक दिया और मज़े में सिस्कारियाँलेने लगी… मैंने धीरे धीरे उसकी सलवार का नाडा खोल दिया।

अब मेरे हाथ उसके पूरे नंगे शरीर को सहलाने लगे पैरों से लेकर कंधे तक। और मैं चूसते और चूमते हुए नीचे जाने लगा। फिर मैंने उसकी नाभि पे जीभ फिरानी शुरू कर दी… फिर मैं उसके पैरों की तरफ़ चला गया और उसके पैर के अंगूठे और उँगलियों को एक एक करके चूसने लगा…
इससे वो और उत्तेजित होने लगी और मुझे प्यार से देखकर मीठी मीठी सिस्कारियाँ लेने लगी… फिर मैंने अपनी पैंट उतार दी और उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से हलके हलके सहलाने लगा…

उसने फिर मेरे अंडरवियर में हाथ डालकर मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया…… उसके हाथों के स्पर्श से मेरा लंड लकड़ी की तरह सख्त हो गया और मैंने उसकी पैंटी को अलग करके उसकी मस्त चूत को चाटना शुरू कर दिया और बीच बीच में जीभ को चूत के अंदर डालकर क्लिट्स को चाट लेता था।
थोड़ी देर सिस्कारियाँ लेने के बाद वो मेरा सर पकड़ कर जोर से चूत पे दबाने लगी और चूत को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी… मैं समझ गया कि वो झड़ने वाली है।

थोडी देर में उसकी चूत से पानी निकलने लगा पर मुझे अच्छा नहीं लगता सो मैंने मुँह हटा लिया। वो धीरे धीरे साँसे लेने लगी… पर मेरी बेचैनी बढती जा रही थी।
मैंने फिर से उसके बूब्स से खेलना शुरू कर दिया और वो फिर से मस्त होने लगी। मैं उसके बूब्स मसलते हुए किस करने लगा और सारे बदन को सहलाता रहा थोडी देर मैं वो फिर से उत्तेजित होने लगी।

फिर उसने पलंग से नीचे बैठकर मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया… सच कहूँ तो ऐसी चुसाई का मजा मुझे और किसी ने नहीं दिया…और मेरी झाटों से खेलने लगी… थोडी देर में मेरे लंड का पानी निकल गया और उसने एक एक बूँद चाटकर साफ़ कर दी… फिर हम दोनों ने एक दूसरे को बाहों में भर लिया और मेरा लंड फिर से खड़ा होने लगा… वो बोली कि यह बड़ा शैतान है… देखो फिर से उठ गया… मैंने कहा कि मैंने तुम्हें कहा ही था कि मैं तुम्हे सारी रात प्यार कर सकता हूँ…

वो बहुत भावुक हो गई और मुझे ज़ोर से गले लगा लिया और मेरे होंठ चूसने लगी… अब हम दोनों पूरे जोश में आ चुके थे। मैंने उसको लिटा दिया और पैरों के बीच मैं आ गया… फिर मैंने उसके चूतड़ों के नीचे 2 तकिये रख दिए और उसके दोनों पैर अपने कन्धों पे रख लिए।
फिर मैं लंड को उसकी चूत पे रगड़ने लगा… वो पागल हो रही थी और लंड अंदर पेलने की मिन्नत करने लगी…… थोड़ा तरसाने के बाद मैंने एक ज़ोरदार झटका लगाया और मेरा लंड आधा उसकी चूत में चला गया… उसकी चूत बहुत टाइट थी…

उसने अपना निचला होंठ दातों में दबा लिया और मुझे रोकने का इशारा किया…… फिर बोली कि दर्द हो रहा हैं आराम से करो… मैं थोडी देर और रुका और फिर दूसरा धक्का लगाया तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ पूरा अंदर समां गया और वो दर्द से करह उठी।

मैंने फिर थोड़ा इंतज़ार किया… उसका दर्द कम हो गया था और उसने धीरे धीरे अपनी गांड हिलानी शुरू कर दी… .. फिर मैंने भी अपने धक्के तेज़ कर दिए और लंड पिस्टन की तरह अंदर बाहर होने लगा…

उसे भी पूरा मज़ा आ रहा था और वो मेरा साथ देने लगी… थोडी देर बाद मैंने अपने पंजे बेड पर टिका दिए और घुटने सीधे करके ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे होने लगा… यह एक ज़बरदस्त पोसिशन होती है बिल्कुल ऐसे जैसे दंड बैठक करते हैं… इसमें बहुत मज़ा आता है… और वो झड़ के निहाल हो गई…

मैंने फिर से उसे किस करना शुरू किया… फिर वो बोली कि मैं ऊपर आ जाती हूँ… मैंने कहा ठीक है… तो वो मेरे ऊपर बैठ गई और पैर मोड़कर उछलने लगी… मेरा लंड पूरा अन्दर बाहर हो रहा था और उसे भी मज़ा आ रहा था… थोडी देर बाद वो फिर से झड़ गई।
फिर मैंने उसे नीचे लिटाया और एक पैर ऊपर कर कर ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा… थोडी देर इसी तरह चुदाई करने के बाद मैंने उसे डोग्गी स्टाइल मैं आने को कहा तो वो डर गई… बोली पीछे से नहीं… बहुत दर्द होगा…

तो मैं समझ गया कि अभी गांड नहीं मरवाएगी… मैंने कहा कि नहीं मैं पीछे से चूत में ही डालूँगा…

वो धीरे धीरे डोग्गी स्टाइल में आ गई और मैंने पीछे से लंड उसकी चूत में डालकर धक्के लगाने लगा… वो मजे से सिस्कारियाँ निकालती रही और गांड को आगे पीछे करती रही… मैं उसकी गांड के छेद को धीरे धीरे मसलता रहा… और थोडी देर में हम दोनों एक साथ फिर से झड़ गए… फिर मैं लेट गया और वो मेरे साथ लगकर लेट गई…

हम दोनों को ही बहुत मज़ा आया था… इसके बाद हम कई दिनों तक रोज़ चुदाई करते रहे… मैंने उसको गांड मारने के लिए तैयार किया और गांड मारी… पर वो कहानी फिर कभी…

मैं अगली कहानी कब लिखूंगा और लिखूंगा या नहीं ये सब आपकी मेल पर निर्भर करता है… तो मुझे ज़रूर बताइयेगा कि यह कहानी आपको कैसी लगी…Antarvasna

यह मेरी पहली सेक्स कहानी मेरी पड़ोसन मिस रेणु के साथ सेक्स की है एक दिन मेरे माता-पिता को दादी जी का फ़ोन आया कि दादा जी को दिल का दौरा पड़ा है और उन्होंने तुरंत गांव जाने का फ़ैसला किया। जबकि मेरी अंतिम परीक्षा थी, इसलिए उन्होंने मुझे हमारी पारिवारिक मित्र श्रीमती रेणु जी के पास भेजने का फ़ैसला किया।क्योंकि वह शहर के एक प्रतिष्ठित स्कूल में शिक्षिका हैं। उन्होंने भौतिकी में डॉक्टरेट की है और वह मेरी पढ़ाई में भी मेरी मदद कर सकती हैं। इसके अलावा वह मुझसे बहुत प्यार करती हैं क्योंकि उनका कोई बच्चा नहीं है। वह बहुत अच्छी सैलरी वाली हैं। माँ ने श्रीमती रेणु को फोन किया और सारी बात बताई और मेरे माता-पिता जल्दी में थे और हवाई अड्डे के लिए निकलते समय उन्होंने मुझे उनके घर पर छोड़ दिया। मैंने घंटी बजाई। श्रीमती रेणु ने दरवाजा खोला और उन्होंने मेरा स्वागत किया। हमने करीब 1 घंटे बात की और वो बहुत खुश लग रही थी। इस बीच मुझे पता चला कि अपने पति की मौत के बाद वो बहुत अकेला महसूस कर रही है। उस दिन वो अपने घर पर मेहमान को देखकर बहुत खुश थी और हमने खाना खाया और आंटी को गुड नाइट कहा क्योंकि मैं अगले दिन की परीक्षा के लिए पढ़ाई करना चाहता था। उन्होंने मुझे अपने बेडरूम के बगल में एक कमरा दिया। मैंने अपना बैग अलमारी में रखा और शॉवर लेकर अपना बॉक्सर पहन लिया। मैंने अपनी किताब करीब 2 घंटे पढ़ी और फिर सो गया। सुबह मैं जल्दी उठ गया और थोड़ा व्यायाम किया और अपनी परीक्षा के लिए तैयार हो गया। आंटी ने मेरे लिए नाश्ता बनाया। परीक्षा के बाद मैं अपने दोस्त के घर चला गया और शाम को घर वापस आया। आंटी मेरा इंतज़ार कर रही थी। जब मैं वापस आया तो उसने दरवाज़ा खोला। उसने लोअर और टी-शर्ट पहनी हुई थी। वह बहुत आकर्षक लग रही थी। मैंने नमस्ते कहा और लिविंग रूम में सोफे की ओर चल दिया। वह मेरा पीछा कर रही थी। “कैसे हो हर्ष। तुम्हारी परीक्षा कैसी रही” उसने पूछा “अच्छी रही आंटी” “परीक्षा के बाद तुम कहाँ थे” उसने पूछा। “मैं अपने दोस्त के घर गया था” मैंने कहा। उसने पूछा “तुमने दोपहर का खाना खाया, हर्ष ? “हाँ मैंने कहा ” यह बहुत बढ़िया है, तो क्या तुम एक कप कॉफी पीना चाहोगे, हर्ष। हाँ आंटी हमने साथ में कॉफी पी और अच्छी बातचीत की। फिर वह रसोई में चली गई और बर्तन धोने लगी। जब मैं पानी का गिलास लेने रसोई में गया तो वह खाना बना रही थी। वह पसीने से लथपथ थी और उसकी टी-शर्ट पसीने से भीगी हुई थी। उसके शरीर की गंध ने मुझे उत्तेजित कर दिया। उसके उभरे हुए स्तन बहुत अच्छी झलक दे रहे थे। लेकिन मैंने अनदेखा किया और एक गिलास लिया और उसमें पानी भरकर पी लिया। लेकिन मैं आंटी के बगल में खड़े होकर उसके शरीर की गंध को सूंघ सकता था जिससे मैं थोड़ा सख्त हो गया। मैं रसोई से बाहर आया और टीवी देखने लगा। फिर आंटी ने मुझे खाने के लिए डाइनिंग टेबल पर बुलाया। हमने खाना खाया और मैंने उनसे शिकायत की कि मेरे कमरे में ए.सी. ठीक से काम नहीं कर रहा है। उसने इसके लिए माफ़ी मांगी और कहा कि उसने कभी उस कमरे का इस्तेमाल नहीं किया क्योंकि वह अकेली रहती है और रात में उसके घर कोई नहीं आता। फिर उसने मुझे अपने बेडरूम में सोने के लिए कहा। लेकिन मैंने मना कर दिया “लेकिन मुझे लगता है कि मेरे कमरे में सोने में कोई बुराई नहीं है” उसने कहा मुझे पता है आंटी, लेकिन मुझे लगता है कि हम दोनों को थोड़ी गोपनीयता की ज़रूरत है। है न” “यह ठीक है हर्ष” उसने कहा। “लेकिन तुम्हें पता है कि जब मैं तुम्हारे घर पर रहती थी तो तुम मेरे साथ कई बार सोए थे। तुम उन दिनों को भूल गए” हाँ मुझे अभी भी आंटी याद है” मैंने जवाब दिया। शायद उन दिनों तुम अपने बॉक्सर में पेशाब करते थे और मुझे भी गीला कर देते थे" वह मुस्कुराई। मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ मैंने कहा "तुमने मुझे कुछ परियों की कहानियाँ भी सुनाईं और मुझे अपनी गोद में ऐसे उठाया जैसे कोई प्रेमिका अपने प्रेमी को उठाती है।" वह अपनी हंसी नहीं रोक पाई "तुम्हारा मतलब है कि मैं उन दिनों तुम्हारी प्रेमिका थी" मुझे लगा क्योंकि तुमने मुझे कसकर गले लगाया और प्यार से चूमा।" मैंने जवाब दिया। "ओह तुम छोटे आदमी, तुम बहुत प्यारे हो" उसने कहा ठीक है जवान आदमी अगर तुम मेरे कमरे में सोना चाहते हो तो तुम्हारा स्वागत है। और मेरे कमरे में एक टीवी है अगर तुम चाहो तो हम फिल्म देखेंगे और कुछ बातें करेंगे। चूंकि कल रविवार है इसलिए मैं देर से उठूंगी।" वह अपने बेडरूम की ओर चली गई। बिना सोचे मैं भी उसके पीछे उसके बेडरूम में चला गया। मैंने खुद को उसके बिस्तर पर उसके बगल में बैठा लिया। उसने टीवी चालू कर दिया और हम टीवी देख रहे थे और गपशप कर रहे थे। जैसा कि मैं उसके बगल में बैठा था, मैं उसके शरीर की गंध को सूंघ सकता था। जो मुझे उत्तेजित करता है और मैं थोड़ा उत्तेजित हो गया। कुछ समय बाद हमने एक-दूसरे को शुभ रात्रि कहा। मैं आंटी के बगल में लेटा हुआ था और परेशान था और लगातार स्थिति बदल रहा था। वह गहरी नींद में थी। उसने अपने माथे पर अपना हार्म लगाया और उसकी बगल के बाल मंद रोशनी में दिखाई दे रहे थे। बगल की पसीने की गंध अच्छी थी। मैं पहले से ही कामुक था और इससे उसके साथ सेक्स करने की मेरी इच्छा बढ़ गई। उसकी गहरी गर्दन वाली टी-शर्ट में उसका क्लीवेज भी दिखाई दे रहा था। मैंने अपना हाथ अपने बॉक्सर के अंदर डाला और हस्तमैथुन करने की कोशिश की। (इससे पहले मैंने पोर्न देखने के बाद अपने घर पर भी हस्तमैथुन करने की कोशिश की थी लेकिन यह मेरे लिए बहुत दर्दनाक था इसलिए मैंने उसके बाद कभी हस्तमैथुन नहीं किया लेकिन आज मैं खुद को नियंत्रित नहीं कर सका इसलिए मैं फिर से कोशिश कर रहा था)। लेकिन इस बार मैं फिर से असफल रहा क्योंकि जब मैं अपनी चमड़ी खींचता था तो दर्द होता था। मैं पूरी तरह से परेशान था। मुझे फीमोसिस नामक बीमारी थी, जिसमें लिंग की चमड़ी पीछे नहीं जाती पूरी रात मैं अपनी आंटी के बारे में सोचता रहा और परेशान था। आखिरकार नींद आ गई। अगले दिन जब मैं उठा तो वह रेणु आंटी नाश्ता तैयार कर रही थी। जब मैं लिविंग रूम में आया तो उसने मुझे एक कप कॉफ़ी थमा दी, मेरे लिंग में दर्द हो रहा था और मैं रसोई में बैठा था। क्या तुम ठीक हो हर्ष” आंटी ने पूछा हाँ मैं ठीक हूँ “मुझे लगता है कि तुम रात को अच्छी नींद नहीं ले पाए हो न?” उसने पूछा हम्म…” लेकिन सब ठीक है आंटी” हर्ष, मुझे लगता है कि तुम मुझसे कुछ छिपाने की कोशिश कर रहे हो।” आंटी ने कहा “नहीं आंटी, मैं ऐसा नहीं कर रहा हूँ” मैंने जवाब दिया। “मैंने देखा कि तुम्हारा हाथ लगातार वहाँ जा रहा था” उन्होंने मेरे लिंग की ओर इशारा किया। मैं बस उसे देख रहा था ” और सुबह मैंने देखा कि यह कठोर था और आपके बॉक्सर का तम्बू बना रहा था। उसने कहा। ठीक है आंटी” मैं मैनेज कर सकता हूँ। ठीक है हर्ष‘लेकिन अगर आपको कोई समस्या है तो आप मेरे साथ साझा कर सकते हैं। मैं चुप हो गई टॉम…देखो मैं तुमसे बड़ी हूँ, मैंने तुम्हें बचपन से ही कई बार नंगा देखा है। अगर तुम चाहो तो अपनी समस्या मुझसे साझा कर सकते हो। मैंने वादा किया था कि तुम मुझ पर भरोसा कर सकते हो। ठीक है आंटी, असल में मुझे वहां दर्द हो रहा है। "ओह मेरे छोटे लड़के क्या तुमने इसे चोट पहुंचाई? उसने पूछा। नहीं आंटी।” मैंने जवाब दिया। "वास्तव में ...वास्तव में.." मैं चुप खड़ा रहा। हम्म…हम्म तुम मेरे साथ बात कर सकते हो छोटे लड़के। शर्मिंदा मत हो” उसने जवाब दिया। “आंटी असल में जब मैं हस्तमैथुन करता हूँ तो दर्द होता है” मुझे शर्म आ रही थी और मैंने कहा। ओह..वह चिल्लाई। “तो क्या तुम हस्तमैथुन करने की कोशिश कर रहे हो?” “नहीं..मेरा मतलब है हाँ आंटी” मैंने जवाब दिया। “क्या तुमने कोई गंदी चीज़ देखी है,उसने सवाल किया। नहीं आंटी मैंने कहा तो फिर आप अपने लिंग को क्यों चोट पहुँचाना चाहते हैं” उसने सवाल किया। मैं अवाक रह गया।“ठीक है..किसी अच्छे डॉक्टर को दिखाओ।” उसने कहा। “मैंने दिखाया’ मैंने जवाब दिया “डॉक्टर ने बताया कि यह टाइट फोरस्किन की वजह से है। मुझे बस अपनी त्वचा को पीछे की ओर खींचने की कोशिश करनी है। और जितना मैं ऐसा करूँगा, मुझे राहत मिलेगी” “ठीक है, क्या इससे मदद मिलती है” उसने पूछा नहीं मैंने जवाब दिया. “जब मैं इसे पीछे की ओर खींचता हूँ तो दर्द होता है” वह मेरी तरफ देख रही थी और उसके मन में यह विचार आया कि गूगल पर इसके बारे में पता लगाया जाए.मैं सहमत हो गया और हम कंप्यूटर के सामने बैठ गए और टाइप किया 'लिंग की टाइट चमड़ी' सैकड़ों परिणाम सामने आए, हम बारी-बारी से क्लिक कर रहे थे और अंत में हमने कुछ लोगों की टिप्पणियाँ पढ़ीं जो इससे पीड़ित हैं एक व्यक्ति ने लिखा कि वह पोर्न वीडियो देखता था जिससे उसे सबसे अधिक उत्तेजना मिलती थी और परिणामस्वरूप वह उत्तेजना में दर्द को भूल जाता था। फिर आंटी ने मुझे वही तरीका अपनाने को कहा। उसने मुझे उसके कंप्यूटर पर कुछ पोर्न देखने को कहा। और हस्तमैथुन करने को कहा। मैंने सहमति जताई। वह कमरे से बाहर चली गई और मैंने कुछ पोर्न देखना शुरू कर दिया। मेरा लिंग कठोर हो गया था और मुझे दर्द हो रहा था। कमरे का दरवाज़ा खुला था। जैसे ही मैंने हस्तमैथुन करने की कोशिश की, मुझे दर्द हुआ और मैं रोने लगा। आंटी तुरंत कमरे में आईं और मुझसे पूछा कि क्या हुआ। मेरा हाथ मेरे 6 इंच के सख्त लिंग पर था और आँखें बंद थीं क्योंकि मैं दर्द से रो रहा था। उसने अपना हाथ मेरे बाएँ कंधे पर रखा और पूछा कि क्या मैं ठीक हूँ। मेरी आँखों से आँसू निकल आए। मैंने उसकी तरफ़ देखा। उन्होंने भी मेरी तरफ देखा और सांत्वना देने की कोशिश की और मेरे खड़े लिंग को देखा। वह उसे घूर रही थी। मैं उसे छुपाने की कोशिश कर रहा था। उसने मेरे बालों में हाथ घुमाया और मुझसे पूछा कि क्या तुम्हें कोई आपत्ति नहीं है हर्ष , क्या मैं जांच करूँ? "अरे नहीं मुझे शर्म आ रही है" मैंने कहा तुम छोटे लड़के हो मैंने तुम्हें बचपन से कई बार नग्न देखा है। और हमारी उम्र में भी बहुत अंतर है। मैं तुमसे बड़ी हूँ। इसलिए शर्मीले मत बनो बेबी" उसने कहा। वह मेरे करीब आई और मुझे अपना लिंग दिखाने के लिए कहा। मैंने भी हिचकिचाते हुए वैसा ही किया। उसने मेरा लिंग देखा, यह मेरे हाथ से लगातार रगड़ने से लाल हो गया था। "तुम इसे बहुत रगड़ते हो हर्ष" उसने कहा। "मुझे लगता है कि पोर्न काम नहीं करता।" मैं चुप था। उसने मेरे लिंग को पकड़ा और त्वचा को पीछे खींचने की कोशिश की। उसने देखा कि यह कड़ा है, इसलिए उसने पास की अलमारी से कुछ मालिश ली और मेरे टोपे पर थोड़ी मात्रा में वैसलीन लगाई। उसने मुझे नरम हाथ से अच्छी मालिश की, लेकिन त्वचा टाइट थी। दूसरी ओर कंप्यूटर पर पोर्न वीडियो चल रहा था। मैंने उससे कहा कि यह मुझे दर्द दे रहा है। वह बस मेरे लिंग को देख रही थी। मैंने फिर से उससे कहा कि यह मुझे दर्द दे रहा है, कृपया इसे बंद करो। उसने मेरी तरफ देखा और मुझसे पूछा कि क्या यह पोर्न तुम्हें उत्तेजित करने में अब भी मदद करता है। मैंने कहा हाँ थोड़ा सा। मैंने उससे इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मेरी मदद करने का अनुरोध किया क्योंकि मैं आँसू में था। वह एक दयालु महिला थी। और मेरे लिंग को देखने के लिए भी कामुक थी क्योंकि उसने पिछले कुछ सालों से सेक्स नहीं किया था। थोड़ी देर की खामोशी के बाद उसने मुझसे फिर से पूछा ” ठीक है हर्ष मुझे बताओ कि तुम्हें सबसे ज्यादा क्या उत्तेजित करता है। ” मैं चुप था। उसने मुझसे फिर से पूछा। मैंने कहा महिला शरीर की गंध। वह आश्चर्यचकित थी और बोली कि इसीलिए तुम रात में बेचैन हो क्योंकि मैं तुम्हारे बगल में सो रही थी और तुम्हें उत्तेजित कर रही थी” वह मुस्कुरा रही थी। “क्या अब तुम उत्तेजित महसूस कर रहे हो क्योंकि अब तुम मेरे शरीर की गंध सूंघ सकते हो। मैंने कहा “हाँ” उसने कहा ठीक है वह इसे बेहतर तरीके से करेगी लेकिन इसके बारे में किसी को मत बताना। मैंने कहा ठीक है। लेकिन तुम क्या करने जा रही हो। उसने कहा। ” ठीक है अगर तुम्हें कुछ और अधिक उत्तेजित करने वाला दिखाया गया तो मुझे लगता है कि तुम अपना सारा दर्द भूल जाओगे। मैंने कहा ठीक है। कृपया जो तुम करना चाहती हो करो। वह पीछे की ओर गई और अपना टॉप उतार दिया और फिर अपनी ब्रा का हुक खोल दिया। उसके दूधिया 34 के उभरे हुए स्तन और बड़े गहरे भूरे रंग के एरोला बहुत सुंदर और कामुक थे। मैं सारा दर्द भूल गया और उसके नज़ारे में पूरी तरह खो गया। उसने उन्हें अपने दोनों हाथों से हिलाया। मैंने कभी किसी नग्न महिला को नहीं देखा था। मैं पूरी तरह से जादुई दुनिया में खो गया था। मैं स्वर्ग में था। मैं पूरी तरह से उत्तेजित हो गया था और सारा दर्द भूल गया था। वह मेरे करीब आई और मेरे लिंग को धीरे से पकड़ लिया। मुझे भी कुछ प्रोत्साहन मिला और मैंने अपना हाथ उसके बाएं स्तन पर रखा और धीरे से दबाया। यह मेरा पहला मौका था जब मैंने स्तनों को छुआ और मैं पूरी तरह से पागल हो गया। वह हंसी और अपने शरीर को थोड़ा मोड़ा, विनम्रता में। उसके स्तन मेरी अपेक्षा से अधिक दृढ़, भरे हुए और बहुत बड़े थे।मुझे बिलकुल भी पता नहीं था कि वो क्या करने जा रही थी। मैं बस उसके खूबसूरत स्तन को देख रहा था और फिर उसने अपने तैलीय हाथ से मेरे लिंग की मालिश की। वो मेरे चेहरे को देख रही थी। मेरी आँखें बंद थी क्योंकि मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा था। मेरे मुँह से एक हल्की सी कराह (आह..) निकली जैसे ही मैंने अपनी आँखें खोली मैंने देखा कि उसका चेहरा मेरे करीब आ गया है और उसने अपने होंठ मेरे ऊपर रख दिए हैं। ये सब चीजें मेरे लिए नई थीं। मैं उसके होठों की गर्माहट महसूस कर सकता था। उसने मेरे होठों को अलग किया और चूसने लगी मैंने भी जवाब दिया। कुछ ही सेकंड में हमारी जीभें आपस में जुड़ गईं। हम एक दूसरे को चूसते हैं। साथ-साथ वो मेरे लिंग को धीरे से रगड़ रही थी। जैसे ही हमारा लिप लॉक टूटा मैंने अपने लिंग को देखा। मेरी चमड़ी अब पीछे की ओर चली गई थी और मेरी ग्रंथि साफ दिखाई दे रही थी। मैं बहुत उत्साहित था। वो झुकी, मुझे गले लगाया और अपना निप्पल मेरे मुँह में रख दिया । मैंने अपना हाथ उसके पायजामे में डाला और उसके चूतड़ दबाये। उसका पायजामा थोड़ा नीचे चला गया। उसने अंदर पैंटी नहीं पहनी थी। वह मेरे दबाने का आनंद ले रही थी और उसकी कराह मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी। मैंने उसका पायजामा नीचे खींचा और वह मेरे सामने नंगी थी। उसके जघन बाल छोटे थे। यह मेरा पहला मौका था और मैंने कभी चूत नहीं देखी थी। मैं उसकी चूत देखने के लिए नीचे झुका। वह मेरी प्रतिक्रिया से हैरान थी। क्या हुआ हर्ष, आंटी ने कहा। "कुछ नहीं आंटी, मैंने कभी चूत नहीं देखी" मैंने जवाब दिया। वह मुस्कुराई "ओह मेरे छोटे बेटे, थोड़ी देर रुको मैं वह सब दिखाऊँगी जो एक महिला के पास होता है।" मैं मुस्कुराया उसने अपना पायजामा उतार दिया और अपनी बाईं टांग मेरी कुर्सी के दाहिने आर्मरेस्ट पर रख दी जिससे मुझे उसकी चूत साफ दिखाई दे रही थी। “ठीक है, बेबी चलो बिस्तर पर चलते हैं।” उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अपने बिस्तर पर ले गई। हम दोनों बिस्तर के एक तरफ एक दूसरे के बगल में बैठे थे। एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे। उसने मेरा हाथ छुआ और कहा “क्या तुम तैयार हो, बेबी” “हाँ आंटी” मैंने जवाब दिया। उसने मेरे लिंग को पकड़ा और कुछ सेकंड के लिए उसे ऊपर-नीचे हिलाया फिर वह मेरे सामने आई और अपने पैरों पर बैठ गई और मेरे लिंग को अपने मुँह में ले लिया। उसने मुझे एक अच्छा मुखमैथुन दिया। मैं कुछ ही मिनटों में उसके मुँह में स्खलित हो गया। वह मेरे वीर्य को अपने मुँह पर देखकर दंग रह गई। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा। मैं अब नरम हो गया था लेकिन मेरे बगल में एक नग्न सेक्सी शरीर को देखकर अभी भी उत्तेजित था। उसने एक कपड़े से उसे साफ किया और मुझे कठोर बनाने के लिए फिर से मुखमैथुन दिया। फिर उसने कहा कि अब सावधान रहना और जब तुम वीर्यपात के करीब होगे तो मुझे पहले ही बता देगी। मैं सहमत हो गया। लेकिन उसने मुझे फिर से चेतावनी दी कि अब मैं तुम्हारे लिए कुछ खास कर रही हूँ लेकिन अगर तुम मेरे अंदर वीर्यपात करोगे तो यह हमारे लिए हानिकारक होगा। इसलिए सावधान रहना। मैं उलझन में था कि वह क्या करने जा रही थी। मैं अपनी पीठ के बल लेटा था और उसने अपने दोनों पैर मेरे दोनों तरफ रखे और मेरे लिंग पर बैठ गई। उसने अपने दाहिने हाथ से मेरे लिंग को पकड़ लिया और उसे अपनी योनि की ओर निर्देशित किया। मैंने उसकी योनि की गर्मी महसूस की। मेरा लिंग उसकी योनि के रस की मदद से अंदर सरक गया। यह मेरे लिए एक सनसनीखेज एहसास था। वह लगातार अपनी गति बढ़ाते हुए खुद को ऊपर-नीचे कर रही थी। कमरा उसके नितंबों और मेरी जांघों की तालियों से घिरा हुआ था। वह आह्ह्ह आह्ह्ह कर रही थी। कुछ मिनटों के बाद मैं वीर्यपात के करीब था और मैंने उसे बताया लेकिन उसने परवाह नहीं की और मैं उसके अंदर वीर्यपात कर दिया। तो इस तरह मेरी फाइमोसिस की बीमारी को मिस रेणु ने दूर किया

Anatrvasna

दूसरे दिन मैं सवेरे नहा धो Anatrvasna कर निपटा ही था कि मुझे अपने कमरे के बाहर एक सुन्दर सी परी नजर आई। मेरी आंखें चकाचौंध हो गई। भरी जवानी लिये एक नवयौवना मेरे द्वार पर खड़ी थी।

‘कौन है आप, अन्दर आईये !’ उसने सर हिला कर मना कर दिया और अपनी बड़ी बड़ी आँखों से मुझे निहारने लगी। मेरे दिल पर जैसे सैकड़ों बिजलियां गिर पड़ी। मैं एकबारगी तो कांप गया। ऐसी बला की सुन्दरी मेरे घर पर !? यकीन नहीं हो रहा था। उसके भारी स्तन उसके कुर्ते में से झांक रहे थे। भरा मदमस्त बदन, गोल गोल उभरे हुए सुन्दर चूतड़, जवानी जैसे छलकी पड़ रही थी। इतने में मीना लहराती हुई अन्दर आई।

‘यह राधा दीदी हैं ! पसन्द आई?’ मीना ने परिचय कराया।

‘इतनी सुन्दर ! मीना, ये तो खुदा की कलाकृति है !’
‘है ना ! इसे आज आपके लिये सजाया है, इसे सब कुछ सिखाना है… दीदी ! ये सिखायेंगे !’

राधा शर्म से नीचे देखने लगी।
‘चल ना… वापस चल !’ राधा कुछ नर्वस नजर आ रही थी।

‘अरे दीदी, सुबह से तो अंकल जी का नाम जप रही थी, अब क्या हुआ?’ मीना ने उसकी पोल खोलते हुए कहा।
‘मीना, चल ना, मैं तो मर जाऊंगी !!’ राधा शर्म से लाल हो रही थी।

‘अंकल जी इसे अन्दर तो ले जाईये !’ मीना ने राधा को अन्दर मेरे सामने धकेल दिया।

मैंने जैसे ही उसका हाथ पकड़ा। मुझे और उसे जैसे बिजली के झटके से लगे। मेरे हाथ लगाते ही वो सिमट गई, जैसे छुईमुई हो। मैंने हिम्मत करके उसकी बांह थाम ली और उसे प्यार से दुल्हन की तरह अन्दर लाया। और बिस्तर पर बैठा दिया।

‘अंकल इसे प्यार से चोदना, देखो मजा आना चाहिये। मैं जितने घर का काम निपटाती हूँ !’

‘मीना मत जा, रुक जा।’ उसकी आंखो में विनती थी। वो नर्वस हो रही थी।
‘मेरे सामने चुदायएगी क्या?’ मीना ने फ़ूहड़ तरीके से कहा।

‘हाय मीना, मत बोल ऐसा !’ वो शरम से सिमटती जा रही थी। मैंने मीना को इशारा किया कि वो जाये।

‘मीना, देखो सुहागरात को तुम्हारा मर्द तुम्हें चोदेगा, तुम्हें सब आना चाहिये, मत चिन्ता करो, मैं हूँ ना, सब सिखा दूंगा !’ मैंने उसे तसल्ली दी।

‘अंकल, कुछ होगा तो नहीं ना? !!’ वो शरम से मुँह छिपाने लगी।

‘राधा, सुनो वो तुम्हारे वक्ष से शुरू करेगा, और उसे दबाते हुए तुम्हरा कुर्ता उतारेगा !’ मैंने उसके स्तनों पर हाथ डालते हुए कहा। उसके बोबे नरम और नाजुक से लगे। निपल कड़े हो चुके थे। मैं कुर्ता ऊपर खींचने लगा।

‘सुहागरात को कुर्ता नहीं, मैं ब्लाऊज पहनूंगी !’ उसने कुछ हिचकिचाते हुए कहा। मुझे हंसी आ गई।

‘अच्छा तो ये कुर्ता तो उतारो… ‘

‘ नहीं , पहले आप उतारो !’ उसने शरमाते हुए कहा। उसकी शर्म दूर करना जरूरी था। मैंने अपना पजामा उतार दिया। मेरा तन्नाया हुआ लण्ड बाहर उछल कर आ गया। वो लण्ड देखते ही शरमा गई।

‘उई मां, यह तो बहुत बड़ा है, और ऐसा लोहे जैसा?’ उसकी आह निकल गई।

‘अब तो उतार दो ना, देखो मैंने भी उतार दिया है !’

शरमाते हुए राधा ने भी अपने कपड़े उतार दिये। उसका तराशा हुआ चिकना बदन, लुनाई से भरा हुआ, चमकता हुआ, मेरी धड़कने बढ़ाने लिये काफ़ी था। मैं उसके समीप आ गया, मेरे बिना कुछ कहे उसने मेर लण्ड पकड़ लिया, सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और मुठ में भर लिया और दबा लिया।

‘आह, अंकल जी, जब यह अन्दर जायेगा तो मर ही जाऊंगी !’ और उसने मेरा लण्ड जबर्दस्त दबा दिया। मेरे मुख से आह निकल गई। राधा मेरे लण्ड को दबाती चली गई और आह भरती गई। मेरी उत्तेजना बहुत तेज हो उठी। एक परी जैसी नवयौवना मेरा लण्ड दबा रही थी।

‘कितना कठोर लण्ड है, मां रीऽऽऽ, मस्त है !’ उसका हाथ कसता गया। मेरे शरीर में जैसे रंगीन फ़ुलझड़ियाँ छूट पड़ी। सारा पानी जिस्म में सिमटता सा लगा। और… और हाय… मेरा वीर्य बाहर आने की तैयारी में था।

‘मीना मैं तो गया, मेरा निकला !’ मीना भाग कर आई और गिलास को मेरे लण्ड की टोपी पर रख दिया।

‘अरे अंकल जी, ये क्या… निकल गया माल?’ मीना हंस पड़ी। वीर्य पिचकारी बन कर फ़व्वारे की तरह लण्ड से बाहर आने लगा और गिलास में उसे मीना ने एकत्र करने लगी।

‘लो सभी इसे टेस्ट करो !’

राधा अपनी अंगुली तर करके वीर्य चाटने लगी। मीना ने भी वीर्य चाटा, राधा ने एक अंगुली में भर कर मेरे मुँह में भी डाल दिया। मुझे तो वीर्य का स्वाद कुछ खास नहीं लगा, पर वे दोनों पूरा चट कर गई।

‘ये सब राधा के रूप और यौवन का कमाल है, मैं इसकी जवानी सह नहीं पाया !’ मैंने राधा की जवानी की तारीफ़ की। वो भी शरमा गई। मुझे थोड़ी शर्मिन्दगी सी लगी पर अपनी कमजोरी लावा बन कर बाहर निकल चुकी थी।

‘अंकल जी, मुझे सिखाओगे नहीं क्या?’ राधा ने फिर से विनती की। मेरा अंग अंग फिर से फ़ड़क उठा। उसके गाण्ड की गोलाईयां को मैंने दबा कर अपनी ओर खींच लिया। उसका नरम नरम जिस्म मेरे शरीर में आग भरने लगा। मेरा लण्ड फिर से जाग उठा। उसकी चूत से मेरा लण्ड टकराने लगा। मीना भी उसकी चूचियाँ दबाने लगी। हम दोनों ने मिल कर राधा को बिस्तर पर लेटा दिया।

‘तू जा ना अब, तेरे सामने मुझे शरम आयेगी !’

‘आहाऽऽ ! बड़ी आई शरमाने वाली ! रेशमा से तो खूब खेलती है? अब मुझसे शरमायेगी !’

‘जा ना मीना, चुदते हुए मुझे शरम आयेगी !’ इतने में ऊपर आ चुका था और राधा के जिस्म को कब्जे में कर रहा था। मेरा लण्ड अब उसकी चूत पर दब रहा था।

‘मीना, अब जा नाऽऽऽ… आह… मीना घुस गया रे !’

‘चोद दो अंकल इसे ! जरा भी मत रहम करना !’ मीना ने राधा को छेड़ते हुए कहा।

मेरा लण्ड थोड़ा सा और अन्दर गया और राधा बोल पड़ी,’धीरे से, मेरी चूत अभी तक कुंवारी है, झिल्ली धीरे से तोड़ना !’ राधा ने मुझे लिपटाते हुए कहा।

मैंने हल्के से लण्ड अन्दर सरकाया। पर मीना ने शरारत कर दी। उसने मेरे दोनों चूतड़ों को सहलाते हुए जोर से धक्का दे दिया। लण्ड फ़च से अन्दर तक बैठ गया। राधा चीख उठी।

‘हाय रे अंकल ! कहा था ना धीरे से… !’ उसकी आंखों से दर्द के मारे आंसू निकल आये।

‘राधा ! यह धक्का मीना ने दिया है !’ मैंने प्यार से उसे चूम कर शान्त किया।

पर मीना ने फिर से मेरे चूतड़ को जोर से एक धक्का और दे दिया। लण्ड फिर से जड़ तक घुस गया। वो फिर से चीख उठी।
‘मजा आया ना दीदी, तेरी फ़ुद्दी में मोटा लौड़ा फंस गया है अब !’
‘साली, हरामजादी ! मुझे लग रही है और तुझे मजाक सूझ रहा है ! अंकल जी लौड़ा धीरे मारो ना !’

‘झिल्ली फ़ुड़वायेगी ना, तो दर्द का भी मजा ले, अंकल ने कल मेरी झिल्ली भी फ़ोड़ डाली थी… खूब मजा आया था… अंकल चोद मारो ना साली को !’ मीना शरारत करने में जरा भी पीछे नहीं हट रही थी।

मैंने धीरे धीरे लण्ड अन्दर बाहर करना चालू कर दिया। मीना ने अंगुली में थूक लगा कर राधा की गाण्ड में सरका दी। मीना मेरी गोलियों से भी खेल रही थी। राधा के बोबे मैंने मसलने चालू कर दिये थे, उसके निपल कड़े हो चुके थे, उसे रबड़ की तरह ऊपर खींच कर छोड़ रहा था। कुछ ही देर में राधा तैयार हो चुकी थी, गाण्ड में अंगुली का मजा भी ले रही थी।

‘हाय मीना, सच में तेरे अंकल जी ने तो मुझे चोद चोद कर मस्त कर दिया है, मस्त लौड़ा है रे, मीना गाण्ड में जल्दी जल्दी अंगुली कर ना !’

मेरे धक्के भी अब तेज हो चुके थे। राधा भी उछल उछल कर चुदवा रही थी। मेरा बिस्तर खून के धब्बों से लाल हो गया था। राधा अपनी गाण्ड और खोल कर अंगुलि अन्दर ले रही थी। अब राधा बल खाने लगी थी। सिसकारियाँ तेज हो उठी । उसकी बाज़ारू भाषा निकल पड़ी थी।

‘मीना, हाय रे, हरामी लण्ड ने मुझे पेल दिया, हाय रे चुद गई मैं तो… आहऽऽ मैं गई… राजाऽऽऽ चोद… चोद रे, मैया रीऽऽऽ !’

‘मेरी बहना आज मौका है, फ़ुड़वा ले अपनी चूत… अंकल गन्डमरी को लौड़ा मार मार कर चोद दे !’

‘अंकल जी, हाय चूत मार दी रे, मेरी फ़ुद्दी चुद गई, आह्ह मेरा माल निकला रे , हरामजादी… मेरी चूत फ़ोड़ डाली रे…’ और उसने अपनी चूत सिकोड़ ली। राधा झड़ने लगी, उसका पानी निकलने लग गया था।

‘अंकल जी इसकी गाण्ड मारो, जल्दी करो… !’ मीना ने मेरा कड़क लण्ड बाहर निकाला और अंगुली निकाल कर उसकी जगह लण्ड रख दिया। मैंने जरा सा जोर लगाया और लण्ड गाण्ड में घुसता चला गया। राधा फिर से चीख उठी।

‘हाय री, बस ना, दर्द हो रहा है, अब मेरी गाण्ड फ़ाड़ोगे क्या !’

‘अरे वाह, खुद तो झड़ गई, अंकल प्यासे रह जायेंगे क्या, अंकल जी चोद दो राधा गाण्ड को… साली की फ़ाड़ दो !’ मीना अपनी देसी भाषा में मेरी तरफ़दारी कर रही थी।

मेरा लण्ड फूल कर तन्ना रहा था। मैं राधा को कैसे छोड देता, मेरा जिस्म तरावट में मस्त हो रहा था। मेरा लण्ड उसकी गाण्ड को अन्दर तक चोद रहा था। मीना को यह देख कर मजा आ रहा था कि राधा आज पूरी तरह से चुद गई है। मीना ने अब मुझे झाड़ने के लिये मेरी गाण्ड में भी अंगुली डाल दी। मुझे अंगुली घुसते ही दुगना मजा आ गया।

‘मीना, अंगुली से मेरी गाण्ड और चोद दे, बड़ा मजा आ रहा है।’ मैंने मीना को और उकसाया। पर मेरी हालत झड़ने जैसी होने लगी। उसकी अंगुली मेरी गाण्ड में तेज मजा दे रही थी और मैं अब उस आनन्द को झेल नहीं पा रहा था। मुझे अचानक लगा कि बस अब पूरा हो गया।

‘राधा, बस मैं आ गया, हाय निकल रहा है… आह्ह्ह !’
‘अंकल, निकाल दो अपना माल, लगाओ जोर !’

‘हाय निकला रे… मीना !’ मैं राधा से लिपट पड़ा। मीना ने मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में से निकाल लिया और अपने हाथ से मुठ मारने लगी। मेरी पिचकारी छूट पड़ी और मीना ने लण्ड को अपने मुँह में ले लिया। मेरा वीर्य झटके खा खा कर निकल रहा था। मीना उसे पीती जा रही थी। अन्त में मेरा लण्ड पूरा निचोड़ कर साफ़ कर लिया और मेरे लण्ड को लटकता छोड़ दिया। राधा चुद कर मस्त हो गई थी। हमारी चुदाई पूरी हो चुकी थी।
राधा धीरे से उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। मैंने भी अपने कपड़े पहन लिये। मीना चाय बना लाई थी। आराम से हम सभी ने चाय नाश्ता किया। मैंने अपनी जेब से सौ रुपए राधा को दिये और पचास रुपए मीना को दिये। राधा खुश हो गई, मीना को बिना चुदे ही पैसे मिल गये थे।

‘अंकल राधा को सौ क्यों दिये?’
‘उसकी मस्त भरी जवानी के, मस्ती भरी चूत के, फिर गाण्ड भी तो मरवाई थी ना !’
‘और मुझे पचास क्यो दिये, आपने मुझे तो चोद ही नहीं है?’
‘तुमने आज मेरी गाण्ड में अंगुली डाल कर जो मस्त मजा दिया था, ये उसके हैं !’

राधा आज खुश थी, उसे चुदाना आ गया था साथ में पैसे भी मिल गये थे।
‘अंकल कल भी आऊँ मैं, मुझे सौ रुपए दोगे?’ राधा ने कुछ अविश्वास से मुझे पूछा।
‘जरूर, पर चुदाने के साथ साथ गाण्ड भी मरवानी होगी सौ रुपए में, आज की तरह !’
‘हाँ, हाँ ! आप कितने भले है अंकल जी !’

राधा ने मुझे चूम लिया। मैंने मीना और राधा के बोबे दबाये और उन्हें कल आने का न्योता दे दिया।
मीना और राधा दोनों खुश हो कर जा रही थी और मुझे मुड़ मुड़ कर हाथ हिला रही थी। Anatrvasna

Antarvasna

प्रेषक : राहुल शर्मा Antarvasna

हाय दोस्तो !

तो दोस्तो मामला है एक सेक्स भरी रात का

किस्सा है ये चुदाई की रात का

उस रात मेरे मन में ना जाने क्या झमेला था

क्योंकि मैं घर पर एकदम अकेला था

अकेलेपन में मैं तन्हाई के गीत गुनगुना रहा था

और बीच बीच में अपने लण्ड को भी हिला रहा था

क्योंकि किसी कन्या का ख्याल आते ही ये दिल बड़ा हो जाता है

ये मासूम लण्ड भी इसकी तमन्ना समझते हुए खुद ही खड़ा हो जाता है

अब है तो खड़ा होगा ही

छोटा है तो बड़ा होगा ही

अचानक मुझे लगा कि कोई बुदबुदा रहा है

दिमाग गंदा हो तो लगता है कि कोइ चुदवा रहा है

मैने दरवाजा खोला तो वहां एक गोरी थी

उसके मम्में और गाण्ड देख कर लग रहा थी कि आज तक कोरी थी

मैने उसे अपने घर में अन्दर बुला लिया

ठंड बहुत थी सो मैंने कुन्डा लगा दिया

मैंने माज़रा पूछा तो पता चला वो रास्ता भूल गई

मेरी हिम्मत भी उसकी हालत देख के खुल गई

मैंने उसे बाहों में भर लिया था

क्योंकि उसे चोदने का पक्का इरादा कर लिया था

वो मेरी बांहों में आकर शरमा रही थी

और मेरी सांसों की गरमी से वो भी गरम हुई जा रही थी

मैंने धीरे से एक हाथ उसके मम्मों पर धर दिया

इन हाथों ने ही उसका सारा काम कर दिया

मेरा दूसरा हाथ उसकी चूत पे था

और ध्यान उसके सूट पे था

आखिर उसकी जवानी को जो संवारना था

इसलिये उसका सूट भी उतारना था

मैंने उसकी कमीज़ उतार कर मम्म दबाने शुरू कर दिये

सलवार को अलग किया और शोट लगाने शुरू कर दिये

वो आहें भर कर मज़ा दे रही थी

या यूं कहें कि लड़की होने की सज़ा ले रही थी

मेरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर था

ये भी मज़े का एक मंजर था

वो कह रही थी कि चोदते रहो, चोदते रहो और चूत को फ़ाड़ डालो

आज अपने लण्ड से मेरी चूत में झण्डे गाड़ डालो

मैं भी पूरे दम से उसे चोदे जा रहा था

और चूत चुदाई के इस खेल में दोनों को मज़ा आ रहा था

मेरे लण्ड से पानी निकला तो वो संतुष्ट हो गई

नंगी ही वो मुझसे लिपट के सो गई

थोड़ी देर बाद उसने मेरे लण्ड को पकड़ लिया

मुझे कुछ समझ आता इससे पहले ही अपने होठों में जकड़ लिया

वो मेरे लण्ड को चूस रही थी इसलिये लण्ड खड़ा हो गया

एक बार फ़िर से ये लण्ड चुदाई के लिये खड़ा हो गया

अब उसे अपनी गाण्ड मुझसे मरवानी थी

उसकी चूत की तरह उसकी गाण्ड भी सुहानी थी

मैंने भी पूरी पावर से अपना लण्ड उसकी गाण्ड में डाला

और एक ही बार में उसकी गाण्ड को फ़ाड़ डाला

उसकी चीख ने मुझे झन्झोड़ दिया

साथ ही मेरे लण्ड ने एक बार फ़िर पानी छोड़ दिया

अब मुझे पता चला मैं कहां था

जिसमें मैं था वो एक दूसरा ही जहां था

मैंने गाण्ड और चूत दोनों ही मारी थी

लेकिन यारो सच जो ये है कि मैंने सपने में मुठ मारी थी

मेरा अन्डरवियर एकदम गीला हो गया था

मुठ इतनी जोर से मारी कि लण्ड भी नीला हो गया था

यारो सपना ही सही लेकिन मज़ा तो किया

अपने लण्ड को चूत के अन्दर तो किया

तो दोस्तो ! चोदो, चुदाओ और अपनी लाइफ़ को खुशहाल बनाओ Antarvasna

लॉकडाउन लगने पर मेरी बुआ की अविवाहित बेटी जो कॉलेज में पढ़ रही थी, मेरे किराए के फ्लैट में मेरे साथ रहने आ रही थी. मैं उसकी जवानी की ओर आकर्षित हुआ जा रहा था.

अब आगे सेक्सी कॉलेज गर्ल की कहानी:

मोनी ने सामान निकालते हुए, चहकते हुए कहा- अरे नीलू! तू इतना लम्बा है यार … बाप रे बाप! पाँच साल छोटा होकर भी मेरा बड़ा भाई लग रहा है!

“हे हे दीदी … आप न … बिल्कुल नहीं बदली!” मैंने झेंपते हुए कहा.
कहते हुए मैं सामान लेने मोनी के पास पंहुचा.

हम गले मिले, हमें गले लगते हुए टावर के गार्ड ने भी देखा.

“अरे वाह भाई … इतना हैंडसम हो गया है तू … और इतनी तगड़ी बॉडी शॉडी भी बना रखी है … सारी दिल्ली की लड़कियाँ पटाने का इरादा है क्या?” मोनी ने फिर मज़े से भरपूर लहजे में कहा.

“बस बस … बाकी की टांग ऊपर फ्लैट चलकर खींचना दीदी!” मैंने भी हँसते हुए जवाब दिया.
मोनी 3 बड़े सूटकेस में अपना सारा सामान पैक कर लायी थी.

हम दोनों ने मिलकर सामान खींचना शुरू किया और लिफ्ट की तरफ चल दिए.

मैंने कनखियों से देखा, टावर के गार्ड ने मोनी को नज़रें छुपकर ऊपर से नीचे तक पूरा चेक आउट किया.

खैर, हम सामान लेकर उन्नीसवीं मंजिल पर पहुंचे.
आलीशान कॉरिडोर से चलते हुए मोनी की आँखें बड़ी हो रही थी.

कुछ ही सेकंड में हम मेरे फ्लैट के सामने थे.

मैंने फ्लैट खोला और हमने अंदर कदम रखा.

मोनी के चेहरे पर जो मुस्कान थी, वो फ्लैट के अंदर घुसते हुए चौगुनी हो गयी.

ऐसा लग रहा था किसी बच्चे के हाथ उसका फेवरेट खिलौना लग गया हो. मोनी ने घूम घूम कर पूरे फ्लैट का जायज़ा लिया, खासकर बालकनी और वहां से मिल रहा व्यू देखकर तो वो मुग्ध हो गयी.

“वाह नीलू!! तू तो राजा की तरह रहता है, इतनी महंगी जगह पर … पहले कभी बुलाया क्यों नहीं मुझे? इतना सेक्सी फ्लैट हो तो मैं 3 घंटे भी सफर करके आती!”

मैंने ध्यान दिया, दीदी की भाषा में मॉडर्न शब्द बेपरवाह रूप से आये जा रहे थे.

“दीदी ये सब छोड़ो … ये बताओ क्या लोगी आप? चाय, कॉफ़ी, ठंडा?”
“बियर मिलेगी?”
“व्हाट!?”

मोनी ने एक ठहाका लगाया और बोली- तूने आज तक कुछ ट्राई नहीं किया? मुझे बेवकूफ मत समझ बेटा … तेरी बड़ी बहन हूँ मैं … इतने सालों से दिल्ली एन सी आर में रह रहा तू … संस्कारी किसी और के सामने बनना!

“हे हे दीदी … ट्राई तो बहुत कुछ किया है … बस आप मुँह मत खोल देना किसी के भी सामने इन सब बातों को लेकर … आप जानती ही हो कुछ चुगलखोर हैं हमारे खानदान में … काना-फूसी में सब बातें फैला देते हैं … फिर आपको पता ही है हमारी साइड की कम्युनिटी … काफी ऑर्थोडॉक्स और कन्सेर्वटिव है … तिल का ताड़ बन जाएगा.”

मोनी मुझे काटते हुए बोली- अरे पागल है क्या … मेरे मुँह से तो सपने में भी ये सब नहीं निकल सकता कानपुर में … भाई तू मत बोल देना गलती से भी कहीं भी … तू तो फिर भी लड़का है, बच जाएगा … मैं तो लड़की हूँ … तेरे बुआ फूफा कितने खतरनाक है तू भी जानता है … हिंट भी लगा तो मेरी लंका लग जाएगी … पी.एच.डी. वगैरह सब छोड़कर घर बिठा देंगे … क्या पता गुस्से में शादी ही करा दें!

मोनी एक सांस में बोलती चली गयी.

“अरे अरे … रिलैक्स रिलैक्स … कोई किसी को नहीं बोल रहा दीदी … मैं तो थोड़ा सतर्क था बस आपसे पहली बार बात हो रही इस बारे में इसलिए!”
मोनी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी- हाँ भाई, जानती हूँ. तुझ पर अंधा विश्वास कर सकती हूँ मैं. बचपन से सारे भाई बहनों में हम दोनों की खूब पटती थी … पता नहीं क्यों मिलना जुलना काम हो गया … मेरी पढ़ाई तेरी पढ़ाई और पता नहीं क्या क्या … चल कोई नहीं, अब तो अच्छे से टाइम मिला है … दोनों भाई बहन खूब गप्पें मारेंगे!”

मैं कुछ बोलता इसके पहले मोनी सोफे से उठी- तू बैठ नीलू, चाय मैं बनाकर लाती हूँ. कड़क अदरक वाली मसाला चाय, अपनी बहन के हाथ की चाय पीकर देख आज, मज़ा न आये तो बोलना!

यह कहकर मोनी सीधे किचन में चली गयी, पीछे पीछे मैं भी.
किचन व्यवस्थित था तो कोई भी सामग्री ढूंढने में दिक्कत नहीं हुई.

मैं किचन में प्लेटफार्म पर ही बैठ गया.
मोनी ने गैस पर चाय चढ़ाई और हम दोनों गपशप करने लगे.

काफी बातें करने के बाद चाय बनने को थी ही तभी मोनी बोली- देख नीलू, अब मैं आ गयी हूँ तो किचन का दारोमदार तू मुझ पर छोड़ दे. तू बस आर्डर कर, जो भी तुझे खाना है वो गर्मागर्म मिलेगा, वो भी ऐसे ज़ायके का कि अपनी उंगलियाँ चाटता रह जाएगा.

“ऑब्वियस्ली दीदी, आपके हाथ के लज़ीज़ खाने का तो मैं कानपुर से ही दीवाना हूँ!”

बातें करने के बीच में भी रह रह कर मेरी नज़रें छुप -छुप कर मोनी के बदन का मुआयना कर रही थीं.
आखिर मर्द तो मर्द ही ठहरा, गदराया जिस्म देखकर तो ईमान डगमगाता ही है.
चाहे वो जिस्म बहन का ही क्यों न हो.

चाय के कप लेकर हम दोनों वापस लिविंग एरिया में आये और सोफे पर बैठे.

अब तक हम इतना सहज हो चुके थे कि मानो कॉलेज के दो दोस्त हों.
एक अनकहा भरोसा हो गया था आपस में … कि आपस की बातें आपस में ही रहेंगी.

मोनी ने कहा- देख नीलू, अब जब हम दोनों को साथ ही रहना है तो छुपने छुपाने का कोई फायदा नहीं … देख, मैं खुद 8 महीने से दिल्ली रह रही, मैं समझती हूँ मेट्रो सिटी में रहते हुए अपनी ही एक मॉडर्न लाइफस्टाइल की आदत हो जाती है.

अब तक मैं भी काफी सहज हो चुका था, मैंने चुटकी लेते हुए कहा- दीदी, बियर फिलहाल तो नहीं है. लेकिन आपको पसंद है तो ठेका (वाइन शॉप) ज़्यादा दूर नहीं. शाम को चल के ला सकते हैं!

सेक्सी कॉलेज गर्ल मोनी के चेहरे पर एक विजयी मुस्कान आ गयी- वाह भाई वाह … एक शर्त पर … अगर तू साथ देगा मेरा … तभी पियूँगी!
मैंने कहा- नेकी और पूछ पूछ?
हम दोनों ने ठहाका लगाया.

मैंने कहा- चलो दीदी, आपने शुरुआत करी तो मैं भी बताता हूँ. मुझे चाय के साथ सिगरेट पीने की आदत है … आपको अजीब न लगे तो जला लूँ एक?
मोनी ने मेरी आँखों में देखते हुए एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ धीरे से अपने पर्स की तरफ हाथ बढ़ाया, उसमें से क्लासिक माइल्ड सिगरेट की एक डिब्बी निकली और मुस्कुराते हुए कहा- नीलू, तूने मेरे मुँह की बात छीन ली … तू तो पूरा मेरा ही भाई है रे … आदतें भी हम दोनों की एक सी हैं … लाइटर दे मुझे, मेरा वाला ब्रांड पियेगा?

मैंने पास के एक दराज़ से मार्लबोरो गोल्ड एडवांस सिगरेट की डिब्बी और साथ में एक चमचमाता हुआ स्टील का लाइटर निकाला।
एक सिगरेट निकाल कर मैंने जलाई और लाइटर मोनी को पास किया.

मोनी ने अपनी सिगरेट जलाई और चहकी- वाह भाई, एडवांस पीता है तू? कितनी हार्ड होती है ये. पूरी मर्दाना सिगरेट है. तेरी पर्सनालिटी को भी सूट करती है … मैं तो अल्ट्रा-माइल्ड या माइल्ड ही पीती हूँ!

सिगरेट की इतनी नॉलेज के साथ साथ अब तक मुझे भी समझ आ रहा था कि मोनी भी मेरे पूरे कसरती जिस्म को अपनी आँखों से तोल रही थी.
कुछ भी बात अजीब न लगे इसलिए हम हंसी-ठिठोली में सारी बातों को हल्का कर दे रहे थे.

चाय के साथ जिस तरह से मोनी सिगरेट के कश पर कश ले रही थी, उससे साफ़ दिख रहा था कि दिल्ली की मॉडर्न हवा सर उसके अंदर तक बस चुकी थी.

हम दोनों ने चाय ख़त्म की और मोनी दूसरे खाली पड़े कमरे में अपना सामान ज़माने में लग गयी.
मैं भी ऑफिस में व्यस्त हो गया.

ऑफिस का काम करते हुए मैं उस दिन एक अलग ही जोन में था.
मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि अपनी एक बड़ी बहन के साथ मैं सिगरेट पीकर आ रहा हूँ.

शाम को लगभग पांच बजे मैं अपने ऑफिस रूम से उठा और मोनी के कमरे में झाँका तो पाया कि वह सो रही है. दूर से आयी है थक गयी होगी समझकर मैं मोनी को नींद में छोड़कर मार्केट चला गया.

मैंने अंग्रेजी शराब के ठेके से एक पेटी स्ट्रांग बियर कैन की खरीदी, साथ में व्हिस्की, वोडका और रेड वाइन की भी बोतलें खरीदीं, कुछ और खरीददारी करी.
कुछ देर के लिए देवेश के फ्लैट गया, गप्पबाज़ी करी.

वापस आते आते साढ़े आठ बज गए.

आया तो देखा कि मोनी किचन में डिनर बनाने की तैयारी कर रही है.

मैंने शराब की बोतलें लिविंग रूम की एक अलमारी में रख दीं; बियर की पेटी लेकर किचन में गया और फ्रिज में सजा दीं.

रात्रि 10 बजे हमने भोजन किया.

भोजन के पश्चात बियर का एक-एक कैन पीते हुए हमने गप्पें मारी, साथ में सिगरेट के कश लगाए.

मोनी ने शॉर्ट्स और टॉप पहन रखा था.

अब तक हम दोनों के बीच पूर्ण रूप से सहजता आ चुकी थी.
हमारी भाषा में भी वह सहजता आ चुकी थी, दिल्ली की रेगुलर छोटी मोटी गालियां भी हमारी बातचीत का हिस्सा बन गयी थी.
हर बीतते पल के साथ हम और ज़्यादा दोस्ताना होते जा रहे थे.

और मित्रो, सच कहूं तो मोनी जैसी बड़ी बहन के साथ बियर पीने का मज़ा ही कुछ था.

बियर के सुरूर में हम गप्पें मार ही रहे थे, तब तक मैंने फ़ोन पर ख़बर देखी.

प्रधानमंत्री ने बाइस मार्च, रविवार को पूरे दिन के लिए ‘जनता कर्फ्यू’ की घोषणा कर दी थी.
साथ में ‘ताली बजाओ-थाली बजाओ’ के मीम भी आ रहे थे.

मैंने मोनी को भी वह खबर दिखाई और फिर हम दोनों ने कुछ प्लानिंग करी.

अगले दिन मैंने अखिल की कार निकाली और हम दोनों ने जाकर 3-4 महीने का राशन, किचन का सामान, आवश्यक दवाएं और फ्लैट के लिए अन्य आवश्यक सामान स्टॉक कर लिया.
शराब और बियर की पेटियां, और साथ में सिगरेट के 2-3 बड़े क्रैट का भी स्टॉक ले लिया.

यह आईडिया मेरा था, यह सोचकर कि सामान महंगा न हो और कालाबाज़ारी न होने लगे, इससे पहले स्टॉक कर लेते हैं.
लेकिन जो होने वाला था वह तो मैंने दूर दूर तक न सोचा था.

बाइस तारीख को ‘जनता कर्फ्यू’ लगा, और बहुत हद तक पूरा देश थम गया.

अगले दिन, तेइस मार्च, सोमवार को शाम पाँच बजे खबर आयी कि प्रधानमंत्री रात आठ बजे एक महत्वपूर्ण घोषणा करने वाले हैं.

और ठीक रात आठ बजे, प्रधानमंत्री ने पूरे भारत में इक्कीस दिन का सम्पूर्ण लॉकडाउन लगाने की घोषणा करी.
साथ में सभी प्रदेशों की सीमाएं भी सील होनी थी और आवागमन को कम से कम करना था ताकि कोरोना वायरस का फैलाव कम करने का प्रयास किया जा सके.

प्रचुर संख्या में पुलिस भी जगह जगह तैनात कर दी गयी.
लोगों को सख्ती से लॉकडाउन का पालन करने के निर्देश दिए.

लॉकडाउन में केवल आवश्यक सेवाएं ही चालू थीं, खान-पान की सामग्री, दवाइयाँ, दूध,फल, सब्ज़ी इत्यादि.

हम खबर देख रहे थे मेरे फ्लैट पर टीवी स्क्रीन के सामने!
मेरे और मोनी के साथ देवेश और सुमित भी मौजूद थे.

मोनी का मेरे दोनों मित्रों से परिचय उसी शाम को पहली बार हुआ.
उन दोनों ने भी मोनी को बड़ी बहन का सम्मान देते हुए दीदी कहकर ही सम्बोधित किया.

खबर देखने के पश्चात दोनों फटाफट भागे कि जल्दी से कुछ आवश्यकता की चीज़ें जाकर स्टॉक कर ली जायें.

मेरे दोस्तों के जाते ही मोनी ने फिर से टीवी पर चल रही न्यूज़ को देखा और उसके मुँह से निकला- फ़क बहनचोद!! क्या बाल बाल बची मैं!!
मैं बोला- दीदी, कितनों के तो लौड़े लग गए होंगे इस वक़्त!
“सच में यार नीलू … मेरी तो गांड फट गई ये न्यूज़ सुनकर!! थैंक गॉड मैं कानपुर नहीं गई यार!”

“आप सही टाइम पर आ गयी दीदी … इस टाइम अगर आप दिल्ली में होतीं तो यहाँ गुरुग्राम पहुंचना भी नामुमकिन होता. स्टेट बॉर्डर ही बंद हो रहा!!” मैंने सामने से कहा.

“नीलू, थैंक्स मेरे भाई, तूने एकदम सही टाइम पर प्लान बना कर सब सामान भी स्टॉक कर लिया. तू टेंशन मत ले अब किसी और चीज़ की. तू अपने ऑफिस पर फोकस कर, फ्लैट मेन्टेन करने, खाने पीने की पूरी ज़िम्मेदारी मेरी … वैसे भी कोई किराया तो दे नहीं रही मैं तुझे!”

“अरे यार मोनी दी, रिलैक्स ना … इतना फॉर्मेलिटी क्यों? भाई बहन के बीच सब चलता है!”
सुनकर मोनी ने मुझे एक स्माइल दी.

हमने डिनर किया, सुट्टा मारा और सो गए.

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