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मेरे प्यारे दोस्तो!इस कहानी को पढ़ने वाली लड़कियों, भाभियों Hindi Porn Stories और आंटियों को मेरा प्यार!मेरे बचपन के दोस्त राहुल की शादी को तीन महीने ही हुए थे। उसकी पत्नी का नाम पूनम है। उसकी शादि चूंकि पूनम के परिवार वालों ने हमारे शहर में आकर की थी तो उनकी देखरेख का काम मैंने ही किया था। इसी कारण पूनम भी मुझे पहचानने लगी थी। जब मैंने उसे पहली बार देखा तो मैं मन ही मन सोचने लगा कि बेटा राहुल तेरी तो किस्मत ही खुल गई क्योंकि पूनम बहुत सुन्दर है, 5’4″, लम्बे बाल, गुलाबी होंट, आंखें बड़ी बड़ी और नशीली और आवाज कोयल की तरह है। पूनम और राहुलदोनों एम एस सी पढ़े हैं।
अब मैं राहुल के घर कम ही जाने लगा और राहुल इस बात की शिकायत भी करता कि मैं उसके घर नहीं आता। तो मैंने एक दिन कहा कि मैं आने लगूंगा तो भाभी मन ही मन कहेंगी कि अमन जब देखो यहीं पड़ा रहता है। यह बात सुन कर वो नाराज़ हो गया और कहने लगा कि अमन तू ऐसी बात करता है और पूनम कहती है कि अमन जी आते ही नहीं हैं, क्या अमन जी मुझसे नाराज़ हैं। यह बात सुनकर मुझे कुछ अजीब सा लगा पर मैंने राहुलसे कल आने का वायदा किया, वैसे तो हमारे घर पास पास ही हैं।
अगले दिन मैं उसके घर गया तो मुझे पूनम भाभी मिली, वो रसोई में नाश्ता बना रही थी। मैंने भाभी को हेलो बोला और राहुलके बारे में पूछा।
पूनम मुझे देख कर काफ़ी प्रसन्न हुई और बोली- अमन जी! आज आप कैसे सुबह सुबह आ गए! चलो आए हो तो अपने दोस्त से ही मिलने आए होंगे।
मैंने कहा- नहीं भाभी, ऐसी कोई बात नहीं, बस काफ़ी दिनों से कुछ ज्यादा काम आ गया था, इसलिए नहीं आया।
पूनम बोली- राहुलबाज़ार गए हैं, आज शाम को उन्हें ओफ़िस के काम से इन्दौर जाना है, इसलिए घर का सामान लेने गए हैं। आप बैठिए, मैं नाश्ता लाती हूँ।
मैंने कहा- नहीं भाभी, मैं नाश्ता नहीं करूंगा।
तो पूनम बोली- अमन जी! एक बार नाश्ता कर के देखें कि मैं कैसा नाश्ता बनाती हूँ।
तो मैं पूनम भाभी को मना नहीं कर पाया। फ़िर भाभी ने पूछा- आप चाय लेंगे या जूस?
तो मैंने कहा- भाभी, मैं तो सुबह चाय ही लेता हूँ।
भाभी दो कप चाय ले आई और हम साथ साथ ही नाश्ता करने लगे। मैंने पूनम की ओर देखा, वो काले रंग के गाऊन में थी। पूनम के दूध के समान गोरे रंग पर काला गाऊन काफ़ी जच रहा था। शायद पूनम ने ब्रा नहीं पहनी थी फ़िर भी उसकी छाती काफ़ी आगे को उभरी हुई थी। उसे देख कर मेरे मन में अजीब सी हरकत होने लगी लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं किया जो पूनम को बुरा लगे।
थोड़ी देर बाद राहुलभी आ गया और मुझे देख कर बहुत प्रसन्न हुआ, बोला- अच्छा हुआ अमन तुम मुझे यहाँ पर ही मिल गए।
मैंने पूछा- कुछ काम था क्या?
राहुलबोला कि मैं एक सप्ताह के लिए इंदौर जा रहा हूँ और तुम्हारी भाभी को बाज़ार से कुछ सामान की आवश्यकता थी इसलिए तुम और पूनम बाज़ार से सामान ले आना।
मैंने कहा- तुम चिन्ता मत करो।
फ़िर अगले दिन पूनम का फ़ोन आ गया कि अमन जी आज हम बाज़ार चलें अगर आप को कोई और काम ना हो तो।
मैंने पूनम को शाम पांच बजे का समय दिया और शाम को जब मैं भाभी के घर गया तो वो बाज़ार जाने के लिए तैयार थी। आज भाभी ने सफ़ेद कमीज़ और काले रंग की जींस पहन रखी थी और आज भी काफ़ी सुन्दर दिख रही थी। मैंने भाभी को बताया कि मैं कार ले कर आया हूँ तो भाभी ने कहा कि बाज़ार में कार बहुत तंग करती है इसलिए आओ अपनी बाईक ले लो। फ़िर मैं बाइक ले आया और वो बाईक पर लड़कों की तरह बैठी। ब्रेक लगने पर भाभी की चूची मेरी कमर से लग जाती। मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि कम से कम भाभी और मैं आपस में स्पर्श तो हुए।
खरीदारी के बाद मैंने भाभी से पूछा कि आप क्या खाएंगी तो वो बोली कि कुछ भी जो आप खाएं। हमने एक होटल में जाकर कुछ खाया पिया और घर की ओर चल दिए। शाम के साढ़े सात से ज्यादा बज गए थे तो भाभी को घर छोड़ कर मैं बोला- भाभी मैं चलता हूँ।
भाभी बोली-मैं चाय ला रही हूँ, काफ़ी थक चुके हैं! फ़िर मैंने और भाभी ने चाय पी और थोड़ी देर बाद मैं अपने घर आ गया।
आज भाभी के साथ रहने से हम दोनों काफ़ी खुल गए थे और मजाक भी कर लेते थे। अगले दिन रविवार होने के कारण मैं पूनम के घर गया तो भाभी एक किताब पढ़ रही थी। मुझे देख कर बोली- अच्छा हुआ अमन जी आप आ गए, मैं बहुत बोर हो रही हूं। अगर आप कहें तो कोई मूवी देखने चलें?
मैंने हाँ कर दी तो भाभी बोली- मैं तैयार हो कर आती हूँ।
जब भाभी आई तो मैं देखता ही रह गया क्योंकि भाभी लाल रंग की साड़ी और ब्लाऊज़ में थी। मैं भाभी को देखता ही रहा तो वो बोली- अमन जी क्या हुआ! कहाँ खो गए?
मैंने तुरन्त कहा- भाभी जी! आपको देख कर खो गया हूँ, आप बहुत सुन्दर लग रही हैं। तो भाभी हंसने लगी। फ़िर हम दोनों माल आ गए और मूवी देखने लगे। अच्छी मूवी थी। जैसे ही हम माल से बाहर निकले तो मेरे एक अच्छे मित्र ने मुझे देखा और पुकारा- अमन!
मैंने देखा तो वो रमण था। मैं रुका और रमण और उसकी पत्नी से मिला और पूनम से मिलवाते हुए कहा- यह पूनम है…
मेरी बात पूरी भी नहीं हुई थी कि रमण बोल पड़ा- भाभी जी नमस्ते! और मुझसे बोला- यार! शादी भी कर ली और बताया भी नहीं!
मैंने कहा- ऐसी कोई बात नहीं…!
लेकिन मेरी बात काट कर रमण बोला- भाभी चलो, हमारे घर चलते हैं, तो मैंने मना किया और कहा कि बाद में आऊँगा। पर रमण ने कहा कि नहीं आज ही!
तो हम रमण के घर चल दिए। घर आकर रमण ने कहा- यार! शादी में क्यों नहीं बुलाया? इससे पहले कि मैं कुछ कहता। पूनम बोल पड़ी- रमण जी! हमारी लव मैरिज़ है और अचानक ही हो गई, इसी कारण किसी को भी नहीं बुला पाए। रमन और उसकी बीवी ने हमें खाना खाने के बाद ही आने दिया। अब रात भी हो चुकी थी। हम घर के लिए निकले और मैंने कहा- भाभी जी! आपने ऐसा क्यों कहा?
तो भाभी बोली- आपको बुरा लगा क्या?
मैंने कहा- नहीं ऐसी कोई बात नहीं!
तो वो बोली- फ़िर क्या बात है?
मैंने कहा- भाभी! हमारी ऐसी किस्मत कहाँ कि आप हमारी पत्नी बनें!
भाभी बोली- पत्नी नहीं पर भाभी तो हूं!
मैंने कहा- हाँ! यह तो है!
फ़िर हम घर आ गए और मैंने कहा कि भाभी रात के ग्यारह बज गए, मैं चलता हूँ।
भाभी ने कहा- रुको! ज़रा मैं कपड़े बदल लूँ! और भाभी काले रंग का गाऊन पहन कर मेरे पास बैठ गई और बोली- अमन जी, शादी कब करोगे?
मैंने कहा- जब आप जैसी कोई मिल जाएगी तो कर लूंगा, आज मिले तो आज ही कर लूंगा।
पूनम ने कहा- अगर मैं ही मिल जाऊँ तो?
भाभी की इस बात को सुन कर मैं दंग रह गया और कुछ बोल नहीं पाया।
भाभी बोली- अमन जी! क्या हुआ, सांप सूंघ गया क्या?
मैंने कहा- नहीं भाभी पर मैं समझ नहीं पाया कि आपने क्या कहा।
तो पूनम ने कहा- मैं आप से प्यार करती हूँ।
मैंने कहा- सिद्धार्थ?
भाभी ने कहा- राहुलको कुछ पता नहीं चलेगा। इतना कह कर भाभी मेरे पास लेट गई और मुझे किस किया। मैंए भी उसे पसन्द करता था इसलिए मैं भी विरोध ना कर सका।
फ़िर भाभी बोली- अमन, अगर आपको मैं पसन्द नहीं तो रहने दो।
मैंने कहा- नहीं भाभी! ऐसी कोई बात नहीं, आप मुझे अच्छी लगती हो।
पूनम ने कहा- तो मुझे पूनम नाम से पुकारो!
मैंने कहा- पूनम! मैं तुमसे प्यार करता हूँ और मैंने पूनम को उसके लाल रंग के होटों पर किस किया और फ़िर तो मैं और पूनम एक दूसरे के मुँह में जीभ देने लगे। आधे घण्टे इस तरह एक दूसरे के साथ चिपके रहे। तब पूनम ने मेरे सारे कपड़े उतार दिए, मैंने भी पूनम के कपड़े उतारने शुरू कर दिए।
पूनम बोली- अमन, आज तुम्हारी मेरे साथ पहली सुहागरात है, अभी रुको, आज हम सुहागरात मनाएंगे, मैं तैयार होती हूँ।, तुम एक अच्छी सी नग्न फ़िल्म लगाओ।
मैंने एक ब्लू फ़िल्म लगा दी और देखता रहा। काफ़ी देर बाद पूनम आई तो उन्हीं कपड़ों में थी जो उसने अपनी शादी के दिन पहने थे और काफ़ी सुन्दर दिख रही थी। आते ही मैंने उसे अपनी तरफ़ खींच लिया और किस करने लगा। मैं कुछ जल्दी कर रहा था तो पूनम ने कहा- जल्दी ना करो, पूरी रात बाकी है।
मैं पूनम की चूची जोर जोर से दबाने लगा तो पूनम गर्म हो गई। मैंने एक एक कर के पूनम के सारे गहनें उतार दिए और फ़िर उसका ब्लाउज़ भी उतार दिया। फ़िर जब लहंगा भी उतार दिया तो पूनम के शरीर पर केवल ब्रा और पेंटी ही बची थी। उसकी आंखें बंद थी और वो गर्म सांसें छोड़ रही थी। मैं पूनम के शरीर के सब हिस्सों पर किस करने लगा और फ़िर मैंने उसकी ब्रा को भी फ़ाड़ के उसके शरीर से अलग कर दिया। जैसे ही मैंने उसकी पेंटी को हाथ लगाया तो वो गीली थी।
मैंने पूनम से कहा- पूनम! तुम तो झड़ चुकी हो।
उसने कहा- हाँ!
लेकिन मैं तो अब भी पागल हो रहा था, शायद मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह सच है। मैंने पूनम के शरीर से पेंटी अलग कर दी और उसकी पेंटी अपने लण्ड से रगड़ने लगा तो पूनम ने कहा- इसे छोड़ो, मैं हूँ ना!
उसके बाद पूनम ने मेरे लण्ड को पहला स्पर्श किया तो लण्ड पहले से भी ज्यादा गर्म और कड़क हो गया। वो मेरे लण्ड को आगे पीछे कर रही थी और मैं उसकी चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा। पूनम के मुँह से सी सी की आवाज़ें आने लगी और वो अपने चूतड़ ऊपर करने लगी।
फ़िर पूनम ने मेरे लण्ड को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू किया तो ऐसा लगा कि मैं उसके मुँह में झड़ जाऊँगा।
मैंने पूनम से पूछा- पूनम, तुमने राहुलसे पहले किसी के साथ यह काम किया है?
तो उसने कहा- पहले मुझे पता ही नहीं था कि इसमें इतना मजा आता है।
मैंने कहा- तुम्हें राहुलके साथ मजा नहीं आता क्या?
तो पूनम ने कहा- आता है! लेकिन मैं तुमसे प्यार करती हूँ और तुम्हारे ही बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ। अगर मैं तुमसे प्यार ना करती तो क्या मैं ऐसे सुहागरात मनाती।
यह सुन कर मुझे अच्छा लगा और मैंने पूनम के मुंह में अपनी जीभ दे दी। मैंने उससे पूछा कि तुम्हारे पास कन्डोम होगा? तो पूनम ने कहा- कंडोम की जरूरत नहीं है।
फ़िर मैंने पूनम की चूत पर अपना लण्ड रख कर अन्दर किया तो आधा उसकी चूत में चला गया। एक और झटके में मैंने पूरा का पूरा लण्ड पूनम की चूत में डाल दियाऔर जोर जोर से झटके मारने लगा तो पूनम को भी मजा आने लगा। दस बारह झटकों में मैं झड़ गया और पूनम भी झड़ गयी और उसकी चूत में अपना वीर्य डाल दिया।
पूनम ने मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया तो मेरा लण्ड पाँच मिनट में ही पहले की तरह खड़ा हो गया। फ़िर मैंने पूनम को घोड़ी बना कर चोदा। इस प्रकार हम सुबह के चार बजे तक चुदाई करते रहे और हमें कब नींद आ गई पता ही नहीं चला।
सुबह साढ़े पाँच बजे घर पर बैल बजी तो पूनम ने अपना गाऊन पहना और गेट पर जाकर आई तो मैंने पूछा कि कौन था?
उसने कहा- दूध वाला था। अमन! तुम चाय लोगे?
तो मैंने हाँ कर दी। पूनम चाय ले कर आई तो मैं नंगा ही लेटा था। मैंने पूनम को अपने पास खींच लिया तो उसने कहा कि अब भी कोई कमी रह गई है क्या!
मैंने कहा- हाँ! और उस कमी को पूरा करना है।
तो पूनम ने कहा- सुबह हो चुकी है, अमन अब रहने दो!
लेकिन मेरे लण्ड को तो गर्मी चढ़ी थी। पूनम मना करती रही और मैं पूनम को खींचता रहा। ऐसा करने से पूनम का गाऊन फ़ट गया और पूनम मुझ से लिपट गई। फ़िर हमने तीन बार काम किया और एक बार पूनम के मुँह में झाड़ा। पूनम काफ़ी खुश थी।
पूनम ने कहा- अब जब तक राहुलनहीं आ जाता, आप ही मेरे पति की तरह यहाँ पर रहोगे। इस प्रकार हम एक दूसरे को मजा दिलाते रहे।
और अब जब भी राहुलबाहर जाता है तो हम खूब चुदाई करते हैं। Hindi Porn Stories
मेरा नाम राम सिंह, उम्र Hindi Sex Stories चब्बीस साल, मुंबई में रहता हूँ। अमिं अन्तर्वासना पर नियमित रूप से कहानियाँ पढ़ता हूँ।
अब मैं आपको अपनी एक कहानी सुनाता हूँ।
बात उन दिनों की है जब मैं इन्ज़िनियरिंग कर रहा था। मेरे एक दोस्त ने मुझे काल-बॉय सेवा के बारे में बताया और कहा- इसमें आमदनी भी अच्छी है और मज़ा भी है। तो पैसे के लिए मैं भी यह काम करने को तैयार हो गया और मेरे दोस्त ने मेरा सम्पर्क ऐसे किसी आदमी से करा दिया जो इस तरह का काम करता था।
एक दिन उसने मुझे एक महिला से मिलवाया। उस औरत का नाम रुबी था, वो लगभग ३३ साल की होगी पर उसका फ़ीगर मस्त था। उसके कपड़े देख कर लग रहा था कि वो बहुत अमीर है।
उस औरत ने मुझे एक होटल में मिलने को कहा। जब मैं वहाँ पहुँचा तो वो मेरा इन्तज़ार कर रही थी। हम दोनों होटल के कमरे में गए। उसने मेरा नाम पूछा और साथ ही यह भी पूछा- तुमने कभी चुदाई की है?
मैंने कहा- किया है पर आपकी उम्र की स्त्री के साथ नहीं। तब उसने मुझे मेरा लण्ड दिखाने को कहा और देख कर कहा कि यह तो बहुत ही लम्बा है, मेरे पति का तो इतना नहीं है। यह सुन कर मेरा थोड़ा आत्मविश्वास जागा और मैंने उसको बोला- कुछ घण्टे के लिए मैं आपका गुलाम हूँ और आपकी खिदमत के लिए आया हूँ, अगर आप मेरी बात मानती हैं और मेरे तरीके से चुदाई करवाती हैं तो आपको बड़ा मज़ा आएगा।
वो मैडम मान गई और मैंने अपना काम शुरू कर दिया। सबसे पहले मैंने उसके होंठों को चूमा दस मिनट तक। उसको बड़ा मज़ा आया। फ़िर मैंने उसके स्तनों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाना शुरू किया तो वो आहऽ ह ऊहऽऽई करने लगी। फिर मैं धीरे धीरे उसके कट्स में किस करने लगा उसको बड़ा मजा आने लगा।
उसने कहा- तुम तो बड़े एक्सपर्ट हो !
तो मैंने उसको कहा- आपका सेवक हूँ !
फिर मैं अपने कम में लग गया और मैंने धीरे से उसके ब्लाउज़ के हुक खोल दिए। अब वो कसमसाने लगी, फिर मैंने उसकी ब्रा भी खोल दी। उसके बूब्स देख कर मैं हैरान रह गया। क्या मस्त बूब्स थे ! मजा आ गया !
अब एक स्तन को मैंने मुंह में रखा और दूसरे को हाथ से दबा रहा था, उसे बहुत मजा आ रहा था, वो बोल रही थी- और दबाओ ! और चूसो !
मैंने और जोर से दबाना चालू कर दिया। अब मैंने धीरे से एक हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया। उसकी पैंटी उसके चूत के रस से भीगी थी। तब मैंने उसकी साड़ी भी खोल दी और उसकी पैंटी को भी निकाल दिया।
अब वो पूरी नंगी हो गई थी। मैं उसकी बूर में २ मिनट तक नीचे से ऊपर तक जीभ फिराता रहा। उसने बोला- ऐसे मत करो, नहीं तो मैं लीक हो जाऊँगी।
तो मैंने उसको कहा- यह तो पहली बार है, अभी तो मैं आपको कितनी बार लीक करूँगा। मैंने जीभ हिलाना चालू रखा और वो सचमुच लीक हो गई।
मैंने उसकी क्लिट को चूसना करना शुरू किया तो १० मिनट में ही फिर से वो सिसकियाँ लेने लगी और मुझे कहा- जल्दी से चुदाई करो ! मैं इंतजार नहीं कर सकती !
मैंने कहा- अभी तो शुरू ही किया है, और तुम बोलती हो कि चोदो !
मैंने फिर जीभ उसकी बूर में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा तो उसे मजा आने लगा। ऐसे मैंने ५ मिनट तक किया तो उसने कहा- मुझे कब तक तड़पाओगे? अब तो करो !
मैंने कहा- रुकिए मैडम ! अभी और मज़ा आएगा !
मैं उसके स्तन चूसने लगा और एक उंगली उसकी बुर में अन्दर बाहर करने लगा।
वाह डार्लिंग ! मज़ा आ रहा है।
थोड़ा ऐसे करने के बाद मैंने दो उंग्लियाँ उसकी बुर में डाल दी। उसे बड़ा मज़ा आया।
अब मेरा लण्ड भी काबू से बाहर होने लगा था तो मैंने अपने लण्ड को मैडम की बुर के सामने रखा और धीरे से घुसा दिया। उसने आह! किया और कहा- कितना बड़ा है तुम्हारा लण्ड ! प्लीज़ धीरे से करो !
तब मैंने धीरे से धक्का मारा तो पूरा अन्दर चला गया और फ़िर मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा। ८-१० धक्कों के बाद उसे भी मज़ा आने लगा और वो भी कमर उठा कर मदद करने लगी। मेरे करने के बीच वो दो बार लीक हो गई और जब मैं लीक होने वाला था तो उसने कहा- अन्दर लीक मत होना ! मेरे मुंह पर करना !
तब मैंने उसके मुंह पर लीक किया, उसे बड़ा मज़ा आया। फ़िर हम दोनों ने थोड़ी देर बेड पर आराम किया।
फ़िर मैंने कहा- यह तो पहली पारी थी, अब दूसरी पारी शुरु करते हैं।
वो मुझसे ही पूछने लगी- तुम ही बताओ कैसे शुरू करें?
तब मैंने कहा- तुम मेरा लण्ड चूसो और मैं आपकी चूसता हूँ।
हम दोनों ६९ होकर एक दूसरे को मुख-मैथुन सुख प्रदान करने लगे। फ़िर हमने एक बार और सम्भोग किया और फ़िर बाथरूम में फ़्रेश होकर कपड़े पहने। जब हम होटल से जा रहे थे तो उसने मुझे दस हज़ार रुपए दिए। मैंने मैडम को धन्यवाद दिया और हम अपने अपने रास्ते चले गए।
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टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स का मजा मुझे दिया मेरी पड़ोस के लड़के ने! मैंने अपनी चूत फड़वाने के लिए उसे पसंद किया पर उसकी नजर मेरी छोटी बहन पर थी. उसको मैंने कैसे सेट किया?
दोस्तो, मेरा नाम रीता शर्मा है. मैं 19 साल की हूँ.
मैं हर रोज अन्तर्वासना की सेक्स कहानी पढ़ती हूँ और इस पटल की एक नियमित पाठिका हूँ.
आज मैं आप सबको अपनी पहली चुदाई की कहानी बताने जा रही हूँ.
ये मेरे ब्वॉयफ्रेंड के साथ हुई चुदाई की कहानी है जिसमें टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स का मजा मैंने लिया.
वह मेरे घर के बगल में रहता था.
उन दिनों मैं हॉस्टल में रहती थी तो मैं विंटर वेकेशन में अपने घर गई थी.
उधर मेरी मुलाकात मेरे पड़ोसी लड़के से हुई.
वह काफी हैंडसम था और जिम भी जाता था.
उस दिन मैं नहा कर छत पर धूप सेंकने गई थी.
उधर वह सिर्फ एक गमछा लपेटे हुए छत पर खड़ा धूप ले रहा था.
मैंने उसे देखा तो वह काफी हॉट लग रहा था.
उसके सिक्स पैक साफ दिख रहे थे और सच में क्या मस्त लग रहा था.
पहली नजर में वह एकदम सलमान खान जैसा लगा था.
मैं उसे देखती रही, वह अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था इसी लिए शायद उसने मुझे नहीं देखा था.
फिर जब उसकी नजरें मोबाईल से हटीं तो वह मेरी छोटी बहन को देख रहा था.
शायद उसे मेरी छोटी बहन पसंद थी.
यही सब देख कर मैं छत की दूसरी तरफ चली गई.
फिर दूसरे दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरे घर में लाइट नहीं आ रही थी.
मैं उस वक्त छत पर थी.
वह उधर ही था.
मैंने उससे हाय कहा और उसको अपना फ़ोन चार्ज करने के लिए दे दिया.
उसे मैंने उसे बताया कि किसी वजह से मेरे घर की बिजली नहीं आ रही है और मोबाईल पूरा डिस्चार्ज पड़ा है.
उसने मेरा फ़ोन ले लिया और चार्ज पर लगाने के लिए नीचे ले लगा.
उसी दौरान उसने मेरा नंबर चुरा लिया.
शायद उसी शाम को वह अपनी नानी के घर चला गया क्योंकि वह अपनी पढ़ाई नानी के घर रह कर ही करता था.
उधर से उसने मेरे फोन पर मैसेज किया.
मैं उसके मैसेज से मन ही मन खुश हुई और धीरे धीरे उससे मेरी बात होना शुरू हो गई.
मैंने पहले तो उससे कहा- तुम्हारे पास मेरा नंबर कहां से आया है?
उसने कहा- वो सब छोड़ो, तुम बस ये बताओ कि तुम्हें मुझसे बात करना कैसा लगा?
मैंने कहा- मुझे बात करने में भला कैसे बुरा लग सकता है. बस यह बात मुझे बुरी लग रही है कि तुमने मेरा नंबर कुछ गलत तरीके से हासिल किया है.
वह बोला- क्या मैंने कोई पाप किया है?
उसके इस सवाल पर मैं चुप थी.
मेरे मन में अब बस वह सवाल चल रहा था कि क्या वो मुझमें दिलचस्पी रखता है या मेरी छोटी बहन में.
फिर मैंने उससे ये बात साफ साफ पूछने की बात ठान ली और उससे कहा.
मैं- मैं तुमसे एक बात साफ साफ पूछना चाहती हूँ. बिना कोई छिपाव के तुम मुझे बताओगे, तो मुझे अच्छा लगेगा और तभी मैं तुमसे बात करना या ना करना तय करूंगी.
वह बोला- क्या जानना चाहती हो?
मैंने कहा- मैंने तुम्हें अपनी छोटी बहन को देखते हुए देखा है. क्या तुम मेरी छोटी बहन में दिलचस्पी रखते हो?
उसने एक पल के लिए मौन साधा और उसके बाद कहा- वो मुझे पसंद नहीं करती है. मगर मैं तुम दोनों को पसंद करता हूँ.
उसके इस साफ जवाब से मैं मन ही मन खुश हो गई थी कि मैं अपनी छोटी बहन का हक नहीं चुरा रही हूँ.
उसके बाद हम दोनों में बातें होने लगीं और कुछ ही समय बाद हम दोनों में प्यार का इजहार हुआ.
प्यार मुहब्बत की बातें चलती रहीं और बातों में सेक्स भी हिस्सा बनने लगा.
फिर एक रोज वह अपने घर आया और उसने मुझे रात में बाहर बुलाया.
मैं उस रात बेहद घबराई हुई थी कि आज पहली बार एक लड़का मुझे अकेले में बुला रहा है.
अपनी सांसों को नियंत्रित करती हुई मैं उससे मिलने चली गई.
हमारे घर के पास में ही एक टूटा मकान था. उसमें रात में कोई नहीं जाता था.
उसी खंडहर में हम दोनों गए.
उसने मुझे कसके पकड़ा और किस करने लगा.
मैं भी उसका साथ देने लगी.
वह मेरी चूचियों को दबाने लगा.
मैं मदभरी सिसकारियां भरने लगी ‘अंह अंह धीरे करो आह.’
वह मान ही नहीं रहा था.
मैंने कहा- धीरे धीरे दबाओ … मुझे दर्द हो रहा है.
उसने मेरी एक न सुनी और मेरी दोनों चूचियों को बस दबाए जा रहा था.
उसी दौरान वह अपना एक हाथ मेरी चूत पर ले गया और उसे जोर जोर से रगड़ने लगा.
कुछ ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
चूत के पानी से मेरी जींस गीली हो गई.
वह अभी भी मेरी चूत को रगड़ता ही जा रहा था.
फिर उसने अपना हाथ मेरी जींस में डालना चाहा लेकिन मैंने उसे डालने नहीं दिया.
मैंने उससे कहा- आज नहीं, कभी फिर कर लेना.
फिर हम दोनों वहां से चले गए.
दूसरे दिन वह अपनी नानी के घर चला गया.
उसकी हरकतें मुझे बार बार उसकी याद दिलाने लगी थीं.
उस दिन के बाद से वह रोज मुझे वीडियो कॉल करने लगा और मुझे अपनी चूत और चूची दिखाने को बोलने लगा.
जब मैं उसे अपने दूध दिखाती तो वह मेरे सामने अपना लंड निकाल कर मुठ मारने लगता.
उसका लंड बड़ा ही मस्त था और काफी लंबा व मोटा था.
इसी तरह से वीडियो कॉल से हम दोनों के मन में चुदाई की इच्छा ने जोर पकड़ लिया और मैं भी मन ही मन उससे चुदने के लिए बेचैन होने लगी.
काफी समय बीतने के बाद हमें चुदाई करने का मौका मिला.
मुझे अच्छी तरह से याद है कि उस दिन बीस फरवरी की तारीख थी.
वह अपनी नानी के घर से मुझसे मिलने आया था.
उन दिनों कोई छुट्टी भी नहीं थी.
वैलेंटाइन डे भी निकल चुका था.
उसी ने वैलेंटाइन डे पर मिलने के लिए मना किया था क्योंकि उस दिन हमारे आस-पास के इलाके में कुछ लोग प्यार के दुश्मन बन जाते हैं और उनके कारण हमारी निजता पर फर्क पड़ सकता था.
बीस तारीख के दिन हम दोनों ने मिलने के लिए बात की.
मैंने उससे कहा कि मैं खंडहर में मिलना नहीं चाहती हूँ.
वह समझ गया कि आज चुदाई का मुहूर्त आ गया है.
उसने एक ओयो रूम बुक किया और मुझे बताया कि तुम मुझे गली के बाहर मिलो.
फिर हम दोनों उधर उस होटल में गए.
कमरे के अन्दर जाते ही उसने गेट लॉक कर दिया और मुझे कसके पकड़ लिया.
वह मुझे किस करने लगा.
मैं भी उसका साथ देने लगी.
वह मेरी चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा.
मुझे दर्द होने लगा और मैं सिसकारियां भरने लगी- आह सीई … आह आराम से करो … मैं कहीं भागी थोड़ी न जा रही हूँ.
उसने कुछ देर बाद मेरा टॉप ऊपर उठाते हुए उतार दिया, फिर मेरी ब्रा को भी खोला और मेरी चूचियों को बारी बारी से चूसने लगा.
उसके दूध चूसने से मुझे काफी मज़ा आने लगा.
मैंने भी उसका सर अपने मम्मों में दबाते हुए सिसकारना शुरू कर दिया- आह चूसो मेरी जान … मेरी चूचियों को पूरा चूस लो आह बड़ा मज़ा आ रहा है.
कुछ देर बाद उसने अपनी टी-शर्ट को उतार कर अलग कर दी और मैं उसके सीने को सहलाने लगी.
थोड़ी देर बाद उसने मेरी जींस को उतार फेंका और मेरी पैंटी को भी निकाल दिया.
मैं पूरी नंगी हो गई थी.
उसने मुझे बेड पर चित लिटाया और मेरी चूत को चाटने लगा.
मुझे भी अपनी चूत चटवाने में मज़ा आने लगा.
मैं मजे से अपनी गांड उठाती हुई चूत चटवा रही थी और साथ में कामुक सिसकारियां भी भर रही थी- आह आह उन्ह चाटो मेरी चूत … आह आह!
कुछ ही देर में मेरी चूत ने उसके मुँह पर सारा पानी छोड़ दिया और वह मज़े से मेरी चूत का पानी पी गया.
अब उसने मुझसे कहा- बेबी, मेरा लंड चूसोगी?
मैंने उसे साफ़ मना कर दिया.
वह मेरी आंखों में वासना से देखता हुआ चूसने के लिए इशारा करने लगा.
मैंने साफ बोल दिया कि मैं लंड नहीं चूसूंगी.
उसने कहा- तो चलो हो गया. अब हम दोनों वापस चलते हैं.
मैंने कहा- क्यों मेरी लेना नहीं है?
वह कुछ नहीं बोला.
उसका मन था कि मैं उसके लौड़े को चूस कर उसे भी मजा दूँ.
उसकी इस बात को मैंने समझ लिया और उसके गले लग कर उसे मनाया, तब जाकर वह चुदाई के लिए राजी हुआ.
अब मैं उसका लंड चूसने के लिए मान गई थी.
मैंने अपना मुँह खोला और उसका सुपारा चाटने लगी.
मेरे मन की अजीब सी स्थिति को बदलने में देर न लगी और मुझे लंड चूसने में अच्छा लगने लगा.
मैंने उसके एक इंच लंड को अपने मुँह में ले लिया और जीभ से लिक लिक करके लौड़े को चूसने लगी.
उसने उसी समय मौका देखा और एक ही झटके में अपना पूरा का पूरा लंड मेरे मुँह में पेल दिया.
उसका लंड मेरे गले में जाकर फंसने लगा था.
फिर मैंने उसका लंड करीब 20 मिनट तक चूसा और उसने अपने लंड का सारा पानी मेरे गले में छोड़ दिया.
पानी छोड़ने के बाद भी वह अपने लंड को मेरे मुँह में दिए रहा, जिस वजह से मुझे उसका सारा पानी पी जाना पड़ा.
कुछ देर बाद उसने लंड बाहर निकाला और मुझसे पूछा- कैसा लगा स्वाद?
सच में मुझे अच्छा लगा था.
मैंने कहा- हां मुझे अच्छा लगा.
उसने कुछ देर बाद फिर से लंड चूस कर खड़ा करवाया और अब उसने मुझे लेटा दिया.
उसने मेरी जांघों को पूरा खोल दिया और मेरी चूत के मुख पर अपना लंड रगड़ने लगा.
वह मेरी चूत में लंड पेलने की कोशिश करने लगा.
लेकिन मेरी सीलपैक चूत काफी टाइट थी तो उसका लंड मेरी चूत नहीं जा रहा था.
फिर उसने बाथरूम से बॉडीलोशन लाकर अपने लंड पर लगाया और मेरी चूत की फांकों में भी थोड़ा बॉडीलोशन लगा दिया.
फिर उसने चूत के छेद पर लौड़े को रखा और एक ही झटके में लंड पेल दिया.
उसने अपना आधा लंड मेरी चूत में डाल दिया, जिससे मुझे काफी दर्द होने लगा, मेरी आंखों से आंसू आने लगे.
मैं दर्द से कराह उठी और बोली- लंड बाहर निकालो, मुझे दर्द हो रहा है.
लेकिन उसने मेरी चूत में अपना लंड पेले रखा.
वह मेरे ऊपर लेटा रहा और मुझे सहलाता रहा.
करीब 5 मिनट बाद मुझे थोड़ा ठीक लगा तो उसने एक और झटके में अपना पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक चला गया था.
कुछ दर्द के बाद अब मुझे टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स का मज़ा आने लगा.
मैं अपनी गांड उठा उठा कर उसके झटकों में उसका साथ देने लगी.
वह भी बेदर्दी से मेरी चूत को चोदता रहा.
मैं मज़े से अपनी चूत चुदवाती रही.
कुछ बीस मिनट की चुदाई के बाद उसने अपना सारा पानी मेरी चूत में छोड़ दिया और मेरे ऊपर ही लेटा रहा.
बाद में हम लोग साथ में नहाने बाथरूम में चले गए. नहाने के बाद उसने एक बार फिर से मेरी चूत को चोदा.
फिर हम लोग उधर से निकल आए.
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आप अपनी राय मुझे मेल कर सकते हैं.
sauravjaikar2@gmail.com
लेखक की पिछली कहानी थी: गृह प्रवेश में भाभी की चूत में लंड प्रवेश
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सभी अन्तर्वासना पढ़ने वालों Antarvasna और अंतर्वासना के पूरे स्टाफ को जानकी का प्यार भरा नमस्कार आदाब, सत श्री अकाल !
दोस्तो, मेरा नाम जानकी है और मैं जयपुर, राजस्थान की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र इकीस साल है, एक बच्चे की माँ हूँ, शादी के ठीक ग्यारवें महीने मैंने लड़का जना है। आजकल घर में रहती हूँ, सासू माँ और मैं दोनों अकेली होती हैं। अन्तर्वासना की कहानियाँ तो मैं पहले से पढ़ती आई हूँ, शादी से पहले भी ! पूरा दिन बोर होती रहती हूँ, तो सोचा कि अन्तर्वासना का मज़ा लिया जाए।
एक साल पहले में बी.ए पहले साल में थी जब माँ-बापू ने लड़का ढूंढ कर मेरी शादी पक्की कर दी। हमारे समाज में छोटी उम्र में शादियाँ होती हैं। शादी से पहले मेरे ३ लड़कों के साथ चक्कर रहे थे और तीनों के साथ मेरे शारीरक संबंध बने और मुझे चुदाई का पूरा पूरा चस्का लगा।
पहली चुदाई प्रेम नाम के लड़के के साथ हुई जब मैं अठरा साल की थी।
उसके बाद दो और एफेअर चले।
मुझे लड़के की फोटो दिखाई गई थी। शादी से बीस दिन पहले मेरा घर से आना जाना बंद हो गया था और चुदाई भी !
हालांकि एक चक्कर मेरा पड़ोसी के साथ था, वो मुझसे शादी करना चाहता था लेकिन हम मजबूर थे क्योंकि एक गाँव में शादी मुश्किल काम था।
शादी से तीन रात पहले उसने मुझे रात को कॉल कर छत पर बुलाया। उस वक्त रात के दो बजे थे। मिलते ही उसने मुझे दबोच लिया और मेरे होंठ चूसने लगा, साथ में उसने अपना हाथ मेरी सलवार में डाल मेरी चूत को मसलना चालू कर दिया। मैं पूरी गर्म हो गई और उसके लौड़े को मसलने लगी। उसने अपना लौड़ा बाहर निकाल दिया और मैंने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
वो बोला- जान, कुर्ती उठा लो, आज
आखिरी बार इतने गोल मोल मम्मे चूसने हैं !
मैंने कहा- ऐसा मत कहो ! मैं आती रहूंगी मायके ! मिलकर जाया करुँगी !
उसके बाद मैंने सलवार खोल दी और उसने वहीं फर्श पर मुझे ढेर कर लिया और अपना लौड़ा चूत में डाल रफ़्तार पकड़ी। एक साथ ही हम शांत हुए और उसने मुँह में ठूंस दिया।
अगले दिन शगुन की रसम होनी थी। हमारे इधर सुबह पहले लड़की वाले लड़के को शगुन लगाने जाते हैं और साथ में दहेज़ का जो भी सामान देना, भेजना हो वो सब कुछ ले जाते हैं!
सभी शगुन लगाने चले गए, पीछे मैं और दादी माँ थी।
उसके बाद शाम को लड़के की बहनें, भाभियाँ और उनके पति लड़की को शगुन की चुन्नी, गहने, सिंगार के सामान साथ मेंहदी लगाने आई। उनमे से मेरी नज़र बार बार एक मर्द पर टिकने लगी वो भी मुझे देख वासना की ठंडी आहें भर रहे थे।
शगुन डालते वक्त फोटो होने लगी तो मालूम चला वो मेरे एक नंदोई सा हैं। क्या मर्द था ! मैं मर मिटी थी ! वो भी जानते थे, उन्होंने इधर उधर देख मुझे आंख मारी, मैं होंठ से चबाते हुए मुस्कुरा दी।
मैं अपने कमरे में कपड़े
बदलने चली गई, लहंगा भारी था, कमरा बंद किया पर अपने कमरे से बाथरूम की कुण्डी लगाना भूल गई। मैंने जल्दी से कुर्ती उतारी और लहंगा खोला। दरवाज़े की तरफ मेरी पीठ थी। जैसे ही मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में रह गई तो एक आवाज़ आई- क्या हुसन पाया है ! क़यामत !
मुड़ कर देखा तो सामने नंदोई जी थे, बोले- बाथरूम मेरे कमरे के साथ जुड़ा है। उसका एक दरवाज़ा लॉबी में भी खुलता है।
मैंने कमरे में नंदोई सा को देख झट से तौलिये से खुद को छुपाया। वो मेरी ओर बढ़े, मैं पीछे हटी, आखिर में बेड पर गिर गई। वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे तपते होंठों से अपने होंठ मिला दिए। उन्होंने ड्रिंक की हुई थी।
प्लीज़ ! मुझे सबके बीच वापस लौटना है ! बाद में कभी !
बोले- पहले गर्म करती हो ! फ़िर मना करती हो?
वो दोनों हाथों से मेरे मम्मे दबाने लगे, मुझे कुछ होने लगा, मेरी चूत मचल उठी और मैंने उनके लौड़े को पकड़ लिया। जब वो मेरा दाना मसल देते तो मैं मचल उठती !
थोड़ी देर में खुद ही वो अलग हो गए बोले- भाभी कल सही !
अगले दिन मैं दुल्हन बनी। पार्लर से दुल्हन बनकर पहुंची पैलेस !
पापा ने शहर का सबसे महंगा पैलेस बुक किया था।
हमारे इधर शादी दिन में होती है। बारह बजे बारात आई, मिलनी की रसम के बाद नाश्ता हुआ। फिर स्टेज पर जयमाला हुई। काफी देर वहीँ बैठे। सबने शगुन वगैरा डाला, फोटो खिंचवाई।
ऊपर मंडप तैयार था। आज नंदोई सा बहुत ज्यादा हैण्डसम लग रहे थे। बहुत बढ़िया डी.जे कार्यक्रम का प्रबन्ध किया था पापा ने ! एक तरफ दारु भी
चलवा दी ताकि जिसको मूड बनाना हो बना ले ! वैसे भी मेरे ससुराल में सभी शादी-बियाह में पीते ही थे।
खैर मंडप पर मुझे दीदी, भाभी, सहेलियाँ लेकर गईं और फेरों के बाद मंगल सूत्र पहनाया गया। दूल्हे के बराबर नंदोई सा उसकी हर रसम में मदद कर रहे थे ताकि उसको कोई घबराहट न हो ! इधर मुझे भाभी सब बताये जा रहीं थी। नंदोई सा मेरी भाभी पर भी लाइन मार लेते।
शाम पाँच बजे तक सब ख़त्म हुआ, उसके बाद मेरी डोली उठी और मैं गुलाबों से सजी कार में बैठ ससुराल आ गई। मांजी ने पानी वारने की रसम पूरी की। मुझे भाभी और इधर वाली दीदी अलग कमरे में ले गईं। मुझे कहा कि
कपड़े बदल कर फ्रेश हो जाओ।
बाहर लॉन में सब नशे में धुत हो नाच-गा रहे थे। शगुन मांगने वालो की लाइन लगी पड़ी थी, ससुरजी और नंदोई सा तो उनको ही सम्भाल रहे थे।
रात हुई, दीदी बोली- एक सरप्राईज़ बाकी है !
कुछ पल के लिए पतिदेव पास आये, बोले- बहुत आग लग रही हो !
उन्होंने पी रखी थी, नशा काफी था, होंठ चूसने लगे। बोले- बदल लो कपड़े !
उन्होंने मेरा लाचा खोला, फिर कुर्ती की डोरी खींची और अलग कर दी, पीठ पर चूम लिया।
मैं सिकुड़ सी गई।
अब दोनों आओ भी ! गाने की रसम पूरी करनी है !
पति ने मेरे मम्मे दबाये और मैंने भी सूट पहन लिया और बाहर गए। वहाँ पंरात में कच्ची लस्सी में सिक्का गिरा कर ढूंढने की रसम हुई। उसके बाद दीदी बोली- तेरे नंदोई सा ने तुम दोनों के लिए फाइव स्टार में स्वीट बुक
किया है !
पतिदेव को काफी नशा हो चुका था, दीदी ने नंदोई सा को उन्हें और पिलाने से रोका। कार में बैठ कर भी उनको काफी नशा था। नंदोई सा हमें छोड़ने आये। पहले नीचे पूरा डाइनिंग हॉल हम तीनों के लिए बुक था। मेरे लिए तब तक कोल्ड ड्रिंक आर्डर की, उन दोनों ने लिए मोटे पटियाला पैग ! दो पैग के बाद पतिदेव लुढ़क गए। मैं कुछ-कुछ समझ गई।
बस करिए न आप ! कितनी पिओगे ?
भाभी जान ! आज ही तो पीने का दिन है !
खाना खाया, नंदोई सा ने मुझे कमरे की चाभी गिफ्ट की और रूम सर्विस वाला मुझे कमरे तक लेकर गया। कमरा खोलते वक्त देखा- हाथ में दो चाभियाँ थीं- ४०५ और ४०७ वो दोनों भी आ गए !
जाओ भाई अपनी दुल्हन के पास ! सुहागरात मनाओ !
इनको बहुत ज्यादा पिला दी गई थी। कमरे तक आते वक्त तक दारू हाथ में थी। उतनी ही नंदोई सा ने पी लेकिन वो हट्टे-कट्टे थे।
ये तो बिस्तर पर लेटते सो गए। मैं वाशरूम गई। पहली रात के लिए सबसे महंगी
नाइटी खरीदी थी, उसी रंग की ब्रा और पैंटी ! बदल कर वापस आई ! लाल गुलाबों वाले बिस्तर पर में इनके साथ लिपटने लगी, सोचा कि इस से नशा कम होगा। शर्ट उतार दी लेकिन इन्हें कोई होश न था।
तभी मुझे मोबाइल पर कॉल आई- कैसी हो जान ? मुझे मालूम है कि क्या हो रहा होगा ! ऐसा करो, हाउस-कीपर ने दो चाभी दी थी ना ! इसकी सुबह से पहले नहीं उतरेगी। बाहर से लॉक करो और इधर आ जाओ !
लेकिन मैं नाइटी में हूँ !
कोई बात नहीं ! रात के बारह बज चुके हैं, इन कमरों में कम लोग ही आते हैं !
मैं उठी,
इनको हिलाया, कमरा लॉक किया और नंदोई सा के कमरे में चली गई।
वाह भाभी ! क्या खूबसूरती है ! मदहोश कर देने वाली !
यह आपने क्या किया? इनको इतनी पिला दी?
वो उठे, मुझे बाँहों में लेते हुए बोले- क्या करता कल से तूने होंठ चबा और बाद में कमरे में जवानी दिखाई !
आप बहुत खराब हो !
मेज़ पर शेम्पेन और बियर पड़ी थी, मुझे कह कुहा कर बियर पिला दी उसके बाद अपनी मर्ज़ी से मग भर पिया। वो मुझे सोफा पर बिठा बीच में बैठ मेरे स्तनपान करने लगे। सिसकियाँ फूटने लगी, मैंने पाँव से उनके लौड़े को मसल दिया।
इतने में दीदी की कॉल आई नंदोई सा को !
उस वक्त मैं उनकी गोदी में अधनंगी बैठी थी।
कहाँ रह गए आप? सब ठीक तो है?
हाँ, उन दोनों को भेज दिया जान कमरे में ! इसने ज्यादा पी ली है ! सहारा देकर छोड़ कर नीचे आया हूँ ! बेचारी जानकी घबरा गई है, इसलिए उन्हें कुछ बताये बिना मैं अपने दोस्त के साथ नीचे बार में हूँ, कहीं साला
साहिब कोई गलती ना कर दें !
दीदी बोली- कोई बात नहीं ! सही किया आपने ! खुद मत पीना !
और फ़ोन साइलेंट पर लगा दिया मेरी दोनों टांगें खोल मेरी चूत जो कि सुबह ही शेव करवाई थी, उसपे होंठ रख दिए। मैं भड़क उठी। सोफ़े पर कोहनियों के सहारे उठ कर चूत चुसवाने लगी। अह उह सी !
मेरी जान क्या चूत है तेरी ! क्या जवानी है ! बाग़ लगा है माली भी ज़रूर रखें होंगे !
मैं शरमा सी गई !
उठा मुझे बिस्तर पर लिटा दिया !
मेरे मम्मो पर बियर डाल डाल कर चाटने लगे।
वाह नंदोई सा ! और चाटो ! मसलो इनको !
भाभी, कसम से तेरे जैसी जवानी वाली लड़की नहीं चोदी !
दीदी भी सुन्दर हैं !
हैं, लेकिन मेरे इस चाँद के सामने उसका रंग भी फीका है !
बातें करते हुए मैंने उनको निर्वस्त्र कर दिया, उनको बेड पर धकेलते हुए उनके कच्छे को उतार उनके लौड़े पर एख दिए अपने कांपते होंठ !
इतना लम्बा लौड़ा नंदोई सा?
मैंने भी कसम से अभी तक इतना मोटा और लम्बा नहीं उतरवाया चूत में !
ओह मेरी रानी, दिलबर ! कस के चूस इसको !
मैं नशे में थी, कुछ भी बके जा रही थी,
मैंने ६९ में लेटते हुए उनके लौड़े को चूसा और अपनी चूत को खूब चुसवाया।
नंदोई सा ! अब रुका नहीं जा रहा ! आओ अपनी भाभी के पास और उतर जाओ गहराई में !
ओह बेबी !
मैंने टांगें खोल लीं, वो बीच में आये और मैंने अपने हाथ से पकड़ लौड़ा ठिकाने पर रख दिया। उन्होंने जोर लगाया और उसका सर अन्दर घुस गया। काफी मोटा था लेकिन बेडशीट को जोर से पकड़े मैंने उनका सारा अन्दर डलवा लिया।
ओह भाभी ! वाह, क्या चूत है तेरी साली ! कितनी चिकनी है ! तू देख तेरा नंदोई बहिन की लोड़ी आज रेल बनाता है तेरी !
आह ! रगड़ो ! और रगड़ो ! फाड़ दो मेरी ! हाय ! मेरे कुत्ते चोद अपनी कुतिया को !
मेरे मुँह से यह सुन उनमें जोश भर गया- बहनचोद ! देखती जा साली रांड कहीं की ! यह ले मादरचोद ! यह ले !
उई उई ई ई तू ही असली मर्द है कमीने ! तेरा
लौड़ा ही सबसे अच्छा है !
कुछ देर उसी आसन के बाद दोनों टाँगें कन्धों पर रखी, जिससे पूरा लौड़ा जाकर बच्चेदानी से रगड़ खाता तो मुझे स्वर्ग दिखता !
उसके बाद मुझे घोड़ी बना लिया और ज़बरदस्त झटके लगने लगे।
और तेज़ तेज़ !
साथ में खाली बियर की बोतल मेरी
गांड में घुसाने लगे।
हाय साले ! यह क्या करने लगा है !
चल साली कुतिया ! मेरे बाल खींच !
गांड पर थप्पड़ मारा और बोतल एक तरफ़ रख दी। एक पल में लौड़ा चूत से निकाला और गांड में डाल दिया !
ओह हा और और ! बहुत बढ़िया !
मेरी गांड मारने लगे, साथ में मेरे दाने को चुटकी से मसल रहे थे। एक साथ में मेरा मम्मा पकड़ रखा था।
फिर चूत में डाल लिया और तेज़ होने लगे।
मैं झड़ने वाली हूँ !
अह अह ऽऽ ले साली ! साली ले ! कहते कहते उन्होंने मेरी चूत में अपना पानी निकाल दिया, मेरी बच्चेदानी के पास गरम पानी छोड़ा, जिससे मुझे अता आनंद आया।
बाकी का मैंने मुँह में डाल साफ कर दिया।
साढ़े तीन के करीब दोनों बाथरूम गए, शॉवर लिया, मैंने कपड़े डाले और अपने कमरे में आई, पूरे बिस्तर पर सलवटें डाल दी और गुलाबों को बिखेर दिया। सारे कपड़े उतार दिए, सिर्फ पैंटी छोड़ कर ! पति को जाते वक्त ही मैंने अंडरवियर छोड़ निर्वस्त्र कर दिया था। उनके पास लेट गई, उनकी बाजू अपने ऊपर डाल दी, सो गई।
सुबह के सात बजे अपने ऊपर किसी को पाया- पतिदेव थे ! मैं सोने की एक्टिंग करने लगी, उन्होंने प्यार से मुझे उठाया, मैं चुपचाप बाथरूम गई रूठने की एक्टिंग करते हुए !
जान क्या हुआ?
इतनी पी ली थी? क्यूँ सोचा नहीं था कि मेरी बीवी के साथ पहली रात है ! नशे में रौंद दिया आपने मुझे ! अंग अंग हिला दिया !सॉरी ! आगे से ऐसा नहीं होगा ! आपने बिना प्रोटेक्शन के मेरे साथ सब कर दिया ! अभी हमने एन्जॉय करना है अगर अभी गर्भवती हो गई तो?
कल से हम बाहर निकाल लिया करेंगे, आज किस्मत पर छोड़ दो !
उसके बाद अगली रात पतिदेव ने चोदा। आज कम पी रखी थी, घर में थे, झड़ने के समय बाहर खींच मेरे मुँह में डाल दिया !
दोस्तो, यह थी मेरी मस्त चुदाई जो हर पल मेरी आँखों में रहती है !
उसके बाद मौका देखा एक बार और नंदोई सा ने चोदा ! शादी के अगले महीने ही मेरी माहवारी रुक गई, मुझे चक्कर आये, डॉक्टर ने खुशखबरी सुना दी।
रात को मैंने पति से ऊपर से खफा होते कहा- देख लिया उस रात का नतीजा ?
लेकिन चल छोड़ कोई बात ना ! किस चीज़ की कमी है हमें !
यह गर्भ नंदोई सा के कारण ठहरा था। पहली ही रात तीन बार अपना माल मेरी बच्चेएदानी के पास छोड़ा था ! था भी इतना लम्बा कि मानो अन्दर घुसकर बच्चा डाल आये !
उनको मैंने फ़ोन पर बताया कि इनका पानी मैंने कभी अन्दर नहीं डलवाया, हमेशा गांड में या मम्मों पर ! सिर्फ आपका पानी अन्दर डलवाया था।
नशे में वो बहुत खुश हुए।
अब जब मैंने लड़का जना है, सासु माँ बहुत खुश हैं, पति भी नंदोई सा ने बुआ की तरफ से मेरे बेटे को चार तोले सोने की चैन, कड़ा, डायमंड का लाकेट डाला !
सो कैसी लगी मेरी आप बीती ? लिखना ज़रूर !
फिर बताऊँगी आगे लाइफ में क्या हुआ ! Antarvasna
में बता रही थी जिसमें पड़ोस के बाप-बेटे पर मेरा दिल आ गया। मैंने अंकल को आंटी की चुदाई करते देख लिया और फिर उनसे बात करके खुद भी चुदने की सोचने लगी।
अंकल ने छत पर मुझे अपना लंड दिखाया और मैंने मुठ मारकर उनके लंड का पानी निकलवा दिया।
फिर मैं नीचे आ गई।
मेरी चूत में खुजली मची थी और लंड लेने का बहुत मन कर रहा था।
अब आगे हॉट भाभी Xxx स्टोरी:
लंड छूने के बाद चूत में आग लगी हुई थी।
लेकिन मेरे पति बाहर थे इसलिए मुझे चूत में उंगली देकर ही अपनी प्यास को शांत करना पड़ा।
कुछ दिन ऐसे ही निकल गए, मुझे और अंकल को दोबारा मौका नहीं मिल पा रहा था।
एक दिन की बात है कि मेरे सास-ससुर चेकअप के लिए डॉक्टर के पास चले गए।
घर में मैं अकेली थी।
मैं सोच रही था कि काश आज अंकल घर आ जाते और मुझे यहीं चोद जाते।
मानो मेरे मन की बात सच हो गई।
कुछ देर बाद ही घर की बेल बजी और गेट खोला तो अंकल सामने थे।
वो अंदर आ गए और मैंने दरवाजा बंद कर दिया।
अंकल बोले- तुम्हारे ससुर जी हैं क्या?
मैंने कहा- नहीं अंकल, वो दोनों तो बाहर गए हैं। मैं ही हूं घर पर, बिल्कुल अकेली!
ये सुनते ही अंकल की आंखों में चमक और चेहरे पर मुस्कान आ गई।
इससे पहले कि मुझे कुछ करने की जरूरत पड़ती, अंकल ने मेरा हाथ पकड़ा और जल्दी से मुझे अंदर खींच ले गए।
वो बोले- मैंने उन दोनों को बाहर जाते देख लिया था, मैं तो बस अपनी तसल्ली के लिए पूछ रहा था। यही मौका तो ढूंढ रहा था मैं कई दिन से!
मैं भी मन ही मन खुश हो रही थी और कह रही थी कि आज तो जमकर चुदूंगी इनसे! अच्छा हुआ ये खुद ही घर चले आये।
फिर भी मैंने थोड़ा नाटक किया और कहा- नहीं अंकल, ये गलत है, किसी ने देख लिया तो मुसीबत हो जाएगी।
वो बोले- कोई नहीं आने वाला रोमा डार्लिंग, अब मुझसे दूर मत रहो, जल्दी आ जाओ मेरी बांहों में!
मैंने कहा- लेकिन पहले तो आप बेटा कहकर बुलाते थे, अब एकदम से डार्लिंग बुला रहे हो, मुझे बहुत डर लग रहा है अंकल!
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और बांहों में जकड़ते हुए बोले- तुम बातें बहुत करती हो रोमा, मौके का फायदा उठाओ, आज मुझसे सब्र नहीं हो रहा है!
यह कहकर अंकल मुझ पर टूट पड़े और और जोर-जोर से किस करने लगे।
मेरे दोनों होंठ उनके होंठों के अन्दर थे। मेरे अन्दर भी सेक्स की आग लग चुकी थी तो जल्द ही मैं भी उनका साथ देने लगी।
अंकल ने मेरी साड़ी उतार दी, फिर धीरे से मेरा ब्लाउज भी उतार दिया।
फिर मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा तो पेटीकोट नीचे गिर गया।
अब मैं उनके सामने सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी।
अंकल कहने लगे- रोमा, तुम तो बहुत सेक्सी हो! क्या जवानी है तुम्हारी!
फिर उन्होंने मेरी ब्रा-पैंटी भी उतार दी और मुझे नंगी करके मुझे धक्का देते हुए मुझे वहीं सोफे पर लेटाकर वो मेरे पूरे शरीर को किस करने लगे।
वो मेरे मम्मों को जोर-जोर से मसलने लगे। उन्हें भी बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी।
अंकल ने कहा- रोमा, तेरे बूब्स तो काफी बड़े हैं … तूने ऐसा क्या किया कि तेरे बूब्स इतने बड़े-बड़े हो गए?
मैंने कहा- करना क्या था … आह्ह … रोज अपने पति से इनको खूब दबवाती हूँ… तब जाकर ये इतने बड़े हुए हैं!
अंकल ने कहा- आज से मैं भी इनको दबाऊंगा और इससे भी और ज्यादा बड़े कर दूँगा।
मैंने कहा- ठीक है दबा लेना, मगर अभी तो आप मुझे जल्दी से चोद दो।
अंकल मुझे और जोर-जोर से किस करने लगे, मैं भी पागल हो गई बिल्कुल!
फिर अंकल ने मेरी टांगें चौड़ी कीं और मेरी चूत को चूसने लगे।
मुझे बहुत मजा आ रहा था।
फिर अंकल ने अपने कपड़े उतारे और अपना लंड निकाल कर मेरे मुँह में दे दिया और कहा- रोमा इसे चूसो!
मैं भी लंड लेने के लिए तरस रही थी।
इसलिए मैंने भी बिना देर किए अंकल के लंड को मुँह में लिए हुए चूसना शुरू कर दिया।
अंकल का लंड मेरे पति के लंड से थोड़ा ज्यादा लंबा और मोटा था। अंकल ने मेरे सिर को पकड़ा और जोर-जोर से अपने लंड से मेरे मुँह की चुदाई करने लगे।
कभी-कभी वो अपना लंड मेरे गले तक उतार देते, जिससे मुझे ठसका लग जाता मगर वो अपने काम में लगे रहते।
थोड़ी देर बाद अंकल ने कहा- रोमा, मेरे लंड का रस निकलने वाला है!
इतना बोलते ही उनके लंड का रस मेरे मुँह में ही निकल गया और मैं उनके लंड का सारा रस पी गई।
बहुत दिन बाद मुझे किसी नए लंड का रस मिला था और मुझे माल पीना बहुत अच्छा लग रहा था।
मैंने फिर अंकल से कहा- चलो रूम में चलते हैं।
मैं उन्हें अपने रूम में ले गई।
रूम में जा कर हम दोनों फिर से एक दूसरे से लिपट गए और चुम्मा-चाटी करने लगे।
कुछ देर किस करने के बाद मैंने फिर से अंकल के लंड को चूसना शुरू कर दिया.
कुछ ही देर में अंकल का लंड फिर से तन कर खड़ा हो गया।
अंकल ने कहा- रोमा, मुझे तेरी चूत की चुदाई करनी है।
मैंने कहा- हाँ अंकल, मैं भी अपनी चूत की चुदाई चाहती हूँ। चोद दो मेरी चूत को!
इतना सुनते ही अंकल ने मुझे बिस्तर पर पटका और मेरे ऊपर चढ़ गए और बोले- आज तो रोमा तेरी चूत की ऐसी चुदाई करूँगा कि तू जिंदगी भर याद करेगी!
अंकल ने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ना चालू कर दिया, मैं पागल सी होने लगी।
तभी अंकल ने एक झटके में मेरी चूत में अपने लंड को उतार दिया और मेरे मुँह से आह्ह … निकल गई।
अंकल मेरे होंठों को किस करने लगे।
वो साथ ही मेरे मम्मों को भी मसलने लगे।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था कि मेरी चूत में किसी पराये मर्द का लंड घुसा हुआ था।
अंकल मेरी चूत की जोर-जोर से चुदाई करने लगे और मैं मदहोश होने लगी।
मैंने अंकल से कहा- अंकल और तेज़ … और तेज़ चोदो मुझे … मेरी चूत का रस निकलने वाला है … अह्ह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … ओह्ह्ह।
अंकल ने कहा- हाँ मेरी जान … ये ले मेरे लंड का पूरा मजा!
ये कह कर वो और जोर-जोर से मेरी चूत में धक्के लगाने लगे।
थोड़ी देर में ही मेरी चूत का रस निकलने लगा और मैं जोर से चीखी।
तभी अंकल ने मेरा मुँह दबा दिया।
वो फिर मुंह दबाये हुए अपने धक्के लगाते रहे और दस मिनट बाद उनका भी निकलने को हो गया।
तभी एकदम से उन्होंने लंड को चूत से बाहर निकाल दिया और मेरे मुंह में लंड को पेल दिया।
एक दो धक्का ही लगाया था कि उनके मुंह से आह्ह … आह्ह … करके सिसकारियां निकलने लगीं और मेरे मुंह में उनका वीर्य गिरने लगा।
अंकल ने सारा रस मेरे मुंह में ही छोड़ दिया, जिसे मैं पी गई।
फिर हम थक कर लेट गए।
थोड़ी ही देर बाद दोनों फिर से लिपटने लगे और गर्म हो गए।
अंकल ने मुझे एक बार फिर से चोदकर मुझे माल पिला दिया।
एक घंटे में हमने दो बार चुदाई कर ली थी।
उसके आधे घंटे बाद तीसरा राउंड भी अंकल ने खेल दिया।
मेरी चूत अब चुद चुदकर सूज गई थी।
मैं थक गई और अब सास-ससुर के आ जाने का डर भी सताने लगा।
इसलिए मैंने अंकल को जाने के लिए कहा।
वो पहले तो मना करने लगे लेकिन फिर बड़ी मुश्किल से मैंने दोबारा चूत मरवाने का आश्वासन देकर उनको घर भेजा।
उसके बाद कई बार जरा सा भी मौका मिलते ही अंकल मेरी चूत में लंड उतार देते थे और हम जल्दी से चुदाई का मजा ले लेते थे।
अंकल अब तक 4-5 बार मुझे चोद चुके थे।
उसके बाद कई महीने तक हमें मौका नहीं मिल पाया।
मेरे पति भी वापस आ चुके थे. अब पति भी मेरी चुदाई कर रहे थे।
फिर एक बार की बात है कि आंटी की तबियत खराब हो गई।
उनको अस्पताल लेकर गए।
मुझे भी उनके बारे में पता लगा तो मैं भी आंटी से मिलने के लिए गई।
जाकर मैंने उनसे बात की।
अंकल ने उनको दवाई दे दी।
कुछ देर मैं आंटी के पास बैठी रही और हम लोग बातें करते रहे।
फिर मैं उठकर जाने लगी।
जब मैं बाहर निकलने को थी तो अंकल ने मुझे पीछे से आकर पकड़ लिया, मेरी चूचियों को भींचते हुए उन्होंने मेरी गांड पर लंड लगा दिया।
मैं एकदम से घबरा गई और छुड़ाते हुए बोली- क्या कर रहे हो अंकल! कोई देख लेगा!
वो फिर से मुझे जकड़ते हुए बोले- रोमा, दो महीने से तुम्हारे लिए तड़प रहा हूं। बहुत मन कर रहा है। रुक जाओ थोड़ी देर, आज तो मौका मिला है, इतने दिनों के बाद!
कहते हुए उन्होंने मेरा हाथ पक़ड़ कर लंड पर टिका दिया।
उनका लंड एकदम से तना हुआ था।
वो बोले- देखो, कैसे तड़प रहा है तुम्हारी चूत के लिए।
मैं बोली- लेकिन ऐसे कोई आ जाएगा!
वो बोले- कोई नहीं है घर में। बेटा ऑफिस गया है। तुम्हारी आंटी अब 2 घंटे से पहले नहीं उठने वाली है। मैंने उसको दवाई देकर सुलाया है।
ये बोलकर अंकल ने मुझे बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया।
वो मेरी गर्दन को चूमने लगे।
मेरी चूचियों में मुंह देते हुए उन्होंन मुझे सोफे पर गिरा दिया।
फिर उन्होंने मेरे ब्लाउज और ब्रा को ऊपर उठा कर मेरे बूब्स को बाहर निकाल कर चूसना शुरू कर दिया।
मेरे ऊपर भी अंकल के चुम्बनों और चूचियों की चुसाई की मदहोशी छाने लगी।
मेरा हाथ उनके लंड को टटोलने लगा और मैंने उनका लंड बाहर निकाल कर उसके हाथ से हिलाना शुरू कर दिया।
कुछ देर बाद वो उठकर खड़े हो गए।
मैं सोफे पर बैठी थी और उनका लंड ठीक मेरे मुंह के सामने था।
मैंने उनकी पैंट का हुक खोला और चड्डी समेत से नीचे खींचते हुए एकदम से लंड को मुंह में भर लिया।
मैं बहुत मस्ती में अंकल के लंड चूसने लगी जैसे कि मुझे बहुत दिनों के बाद आइसक्रीम नसीब हुई हो।
अंकल के मुंह से आहें निकलने लगीं।
दो-तीन मिनट तक अंकल ने लंड चुसवाया और फिर मेरे मुंह से बाहर खींच लिया।
उन्होंने मेरी साड़ी ऊपर की और पैंटी को नीचे खींच दिया।
मेरी टांगें चौड़ी कर उन्होंने चूत में मुंह लगा दिया और मेरी चूत को चूसने लगे।
मैं पगला गई।
मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं जिनको रोक पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल हो रहा था।
फिर भी मैंने किसी तरह अपनी चुदास भरी आवाजों को कंट्रोल में किया।
बस मैं धीमी आवाज में सिसकार रही थी- आह्ह … उम्म .. ओह्ह … ऊईई … अह्ह्ह्ह … उम्म्ह … अहह … हय … याह … ओह्ह्ह … अंकल!
अंकल अपनी जीभ को पूरी की पूरी चूत में घुसा कर जोर जोर से चूत चाट रहे थे।
मेरी चूत से पानी निकलने लगा था।
इतने में ही डोरबेल बजी तो में घबरा गई।
मैंने जल्दी से अपनी साड़ी नीचे की, ब्रा और ब्लाउज को भी ठीक किया और अपने आप को नॉर्मल किया।
अंकल ने भी अपनी चड्डी और पैंट पहन ली।
नॉर्मल होकर उन्होंने दरवाजा खोला तो उनका बेटा दरवाजे पर था।
उसने दरवाजे पर ही अंकल से पूछा- मम्मी की तबियत कैसी है?
फिर उसकी नजर मेरे ऊपर गई।
उसने मुझे भी हैलो कहा।
अंकल बोले- तबियत ठीक है अब, उनको दवाई दे दी है और वो सो रही है।
मैं भी उठकर दरवाजे के पास आ गई और बोली- ठीक है अंकल, मैं आंटी से मिलने से फिर से आऊंगी।
फिर मैं अपने घर आ गई।
घर आकर मुझे पता चला कि मैंने अपनी पैंटी नहीं पहनी है।
मुझे याद आया कि घबराहट में मैनें अपनी पैंटी नहीं पहनी और वहीं भूल आई हूँ।
तो मैंने जल्दी से अंकल को फोन लगाया।
मैंने उनको सारी बात बताई।
वो बोले- ठीक है, मैं देखता हूं।
कुछ देर बाद उनका फिर से कॉल आया।
वो बोले- पैंटी नहीं मिली मुझे तुम्हारी!
मैं बोली- ऐसा कैसे हो सकता है, अच्छे से देखिये।
वो बोले- मैं सब जगह देख चुका हूं। मुझे कहीं नजर नहीं आई। जरा याद करो, शायद तुम पहनकर ही न आई हो?
यह सुनकर मैं भी सोच में पड़ गई, मैंने सोचा कि शायद अंकल ठीक कह रहे हों, मैंने पैंटी पहनी ही न हो, क्योंकि मैं साड़ी के नीचे पैंटी नहीं पहना करती थी।
फिर उसके अगले दिन मैं अंकल के घर गई।
वो दोपहर का टाइम था और गर्मियों के दिन थे।
मैंने डोरबेल बजाई तो अंकल ने ही दरवाजा खोला।
मुझे देख कर वो खुश हो गये थे।
उन्होंने मुझे अंदर आने के लिए कहा और बताया कि आंटी तो अभी दवाई खा कर सोई हैं।
ये बता कर उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में ले लिया और मुझे चूमने लगे।
मैंने कहा- एक बार देख तो लीजिये, आंटी सोई भी है या नहीं?
वो बोले- खुद ही चलकर देख लो।
मैं आंटी के रूम में गई तो वो सचमुच सो रही थी।
फिर हम दोनों बाहर आए तो अंकल ने मुझे दबोच लिया और चूमने लगे।
फिर वो मुझे गोद में उठाकर दूसरे रूम में ले गए।
ये कमरा उनके बेटे का था।
वो मुझे बेट पर लिटाकर मुझ पर टूट पड़े।
मैं भी जोश में आकर उनका साथ देने लगी।
अंकल ने जल्दी से मेरा ब्लाउज उतार दिया और ब्रा उतार कर मेरे बूब्स को चूसने लगे।
कुछ देर बूब्स चूस कर अंकल ने मेरी साड़ी, पेटीकोट और पैंटी एक साथ उतार दिए।
फिर अंकल कुछ देर के लिए रुके और मेरी चूत को देखते हुए बोले– क्या माल है तू, मेरे हाथ तो हीरा लग गया है!
उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए।
अपने कपड़े उतार कर अंकल ने मेरी टाँगें उठा लीं और लंड को सीधा मेरी चूत पर टिका दिया।
मेरी कोमल सी चूत अंकल के लंड का स्पर्श पाकर गीली हो गई।
मेरी चूत अंकल के 3 इंच मोटे लंड को लेने के लिए रेडी थी।
अंकल ने लंड को कुछ देर मेरी चूत पर रगड़ा तो मैं मदहोश होने लगी।
फिर उन्होने लंड को मेरी चूत के छेद पर रोक दिया।
मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और फिर अंकल का लंड मेरी चूत को फाड़ता हुआ अंदर घुसने लग गया।
मेरी तो चीख निकल गई और मैं अंकल की पकड़ से छूटने की कोशिश करने लगी।
उन्होंने अपने हाथ को मेरे मुंह पर रख कर दबा दिया।
मैं पूरा ज़ोर लगा कर भी सांड जैसे अंकल को हिला नहीं पाई।
उन्होंने लंड को और अंदर घुसा दिया और फिर रुक गए।
फिर वो मुझे चोदने लगे।
मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन अंकल मुझे बुरी तरह से चोदे जा रहे थे।
उनके लगातार चोदने से मेरा दर्द कम होने लग गया, और फिर धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा।
अब अंकल का लंड भी आराम से चूत मे अंदर बाहर होने लगा।
चुदाई के मजे में मेरे मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … अह्ह … हये … उफ्फ … उम्म्म … अंकल … आह्ह … अंकल … आह्ह।
मेरी ऐसी आवाजें सुनकर अंकल और ज्यादा जोश में आ गए।
अब वो बेदर्दी से मेरी चूत को खोदने लगे।
मेरी चूत में दर्द होने लगा।
उनका मोटा लंड अब चूत को अंदर तक चोट पहुंचा रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे मेरे पेट में कोई रॉड घुसा रहा हो।
वो मुझे जैसे चोद चोदकर बेहोश कर देने पर उतारू थे।
फिर एकदम से उन्होंने लंड को बाहर खींचा और मेरे ऊपर गिर कर होंठों चूसने लगे।
मुझे अपने पेट पर वीर्य की गर्म-गर्म पिचकारियां महसूस होने लगीं।
अंकल ने सारा माल मेरे पेट पर गिरा दिया।
कुछ देर हम पड़े रहे।
फिर सांसें नॉर्मल हुई तो अंकल उठ गए।
वो बोले- चलो, चलकर नहा लेते हैं। बहुत गर्मी हो गई है।
हम बाथरूम में गए।
मैंने शावर चालू कर लिया और उसके नीचे खड़ी हो गई।
एकाएक मेरी नजर सिंक पर पड़ी पैंटी पर गई। ये वही पैंटी थी जो मैंने कल पहनी हुई थी।
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
तो दोस्तो, इस तरह से अंकल से मैं उनके बेटे के रूम में चुदी।
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