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गुरुजी को सबसे पहले Sex Stories और फिर अंतर्वासना के पाठक-समूह को मेरी तरफ से यानि कि आंचल की तरफ से बहुत बहुत प्यार- दुलार !
इस वेबसाइट पर प्रकाशित होने वाले किस्से पढ़-पढ़ कर मुझे अपनी प्यास बुझाने का रास्ता मिला।
मेरी उम्र 28 साल की है, मैं पंजाब की रहने वाली हूँ। मेरे ब्रा का नाप है छत्तीस, कमर अठाईस और गांड छत्तीस !
मैं एक गरीब परिवार से लेकिन सपने आसमान छूने के थे। हम तीन बहने हैं। मैं चौदह साल की थी जब मेरे पापा ने आत्महत्या कर ली थी। तीन बच्चों की माँ होने के बाद भी मेरी माँ में इतनी आग थी, कसा हुआ जिस्म जिसको सम्भालने के लिए मर्द भी ज़बरदस्त चाहिए था। इससे आगे मैं क्या कहूँ आप समझदार हो !
पिता की मौत के बाद बड़ी बहन को नानी ले गई, उसकी शादी, पढ़ाई की जिम्मेदारी ली, अपने किसी अमीर यार से मिलकर उसके खर्चे पर दूसरी वाली को बोर्डिंग में डाल दिया।
रह गई मैं ! मुझे कमरे में सुला कर माँ दूसरे कमरे में रंगरलियाँ मनाती, ऐश करती !
मैं भी जवानी की दहलीज़ पर थी। आए दिन उसका नया आशिक पैदा हो जाता, मैं छुप कर देखती तो पहले पहले मुझे माँ पर बहुत गुस्सा आता, फिर सब देख मुझे अजीब जा एहसास होने लगा, मेरे छोटे-छोटे चूचक तन जाते, पैंटी गीली होने लगती। अब मेरा भी दाना कूदता था। मेरे कदम डोलते वक़्त नहीं लगा।
माँ जवान लड़कों, कॉलेज के लड़कों को भी अपने हुस्न-जाल में फंसाती। उनमे से एक लड़का बबलू जिसकी असल में आँख मुझ पर थी, माँ मुझ तक आने का जरिया थी।
एक दिन वो उस समय आया जब उसे मालूम था कि माँ घर में नहीं है। अन्दर आते ही कुण्डी लगा ली और मुझे दोनों कन्धों से पकड़ कर दोस्ती करने के लिए कहने लगा। मेरी बदन में कर्रेंट सा लगा। इससे पहले मैं कुछ बोलती, उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए, मना करने का मौका नहीं दे रहा था। उसने मुझे उठाया और सीधा माँ के कमरे में ले गया और बिस्तर पर डाल मुझे पर छा गया। उसने मेरा एक-एक कपड़ा उतार दिया और खुद के भी सारे कपड़े उतार दिए। फ़िर मेरे मुँह में लौड़ा डालने लगा तो मैं काफी छटपटाई, टांगे मारी लेकिन उसमें बहुत दम था। उसने मुझे इस कदर जकड़ लिया कि मैं हिल नहीं पाई, मुझे उसका चूसना पड़ा और मेरी चूत पर थूक लगाते हुए उसने मेरी सील बंद चूत पर मेरे ही थूक से गीला लौड़ा रख दिया। उसका एक हाथ मेरे मम्मे पर था। सेब जैसे छोटे मम्मे तन गए थे। जब उसने लौड़ा मेरी चूत पर रगड़ा तो मुझे मजा आने लगा।
अचानक एक ज़बरदस्त वार हुआ और फड़क की आवाज़ से चीरता हुआ उसका आधे से ज्यादा लौड़ा मेरी चूत में खून से लथपथ !
मेरा मुँह उसने अपने हाथ से दबा रखा था। कुछ पलों के लिए मुझे लगा कि आज मेरा इस दुनिया में आखिरी दिन है। मैं रोने लगी, उसके तरले, मिन्नतें करने लगी। तभी उसने एकदम लौड़ा मेरी चूत से निकाल लिया और पास पड़ी मेरी पैंटी से उसने खून साफ़ किया।
अपने लौड़े को भी थूक लगा फिर घुसा दिया उसने !
कुछ मिनट बाद मैं सामान्य होने लगी और अब वही लौड़ा मुझे मजे देने लगा, खुद चुदवाने लगी। दोनों एक साथ झड़ गए और हांफने लगे। उसने मुझे औरत बना डाला। उसने मुझे एक बार फिर से ठोका।
अब आये दिन मौका देख वो आता, मुझे बजाता, चला जाता !
फिर कुछ और लड़कों से मेरे संबंध बने, जिनकी चर्चा होने लगी !
मेरी जवानी एकदम से आग उगलने लगी, किसी का भी लौड़ा ले लेती थी मैं ! अपनी माँ पर गई थी मैं !
सर्दियों के दिन थे, घना कोहरा पड़ता था। मैं सुबह स्कूल से पहले ट्यूशन पढ़ने जाती थी। मेरे पीछे एक चमकती कार आने लगी और आखिर मेरा भी दिल करता कि मैं भी ऐसे घर जाऊं और एक रोज़ उसकी खिड़की ठीक मेरे पास आकर खुली और मुझे बिठा कर कार चल पड़ी। उसने मुझे अपने बारे में बताया, मेरे बारे में पूछा, मेरा नंबर लिया और फ़िर रोज़ आता।
एक दिन वो कार साइड पर लगा मेरे जिस्म से खेला। उसने मुझे कहा- मैं तुझसे शादी करना चाहता हूँ, उसके बाद ही कुछ करेंगे !
वो मुझसे उम्र में काफी बड़ा लगता था, उसके शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट थे। वो सरदार था और उसकी गाँव में बहुत ज़मीन थी, उसके बाल कटे हुए थे।
जल्दी किसी ने माँ को बता दिया की तेरी छोरी रोज़ किसी की कार में बैठती है।
माँ ने मुझे बिठाया और पूछा।
मैंने सब कुछ बताया।
माँ ने जब देखा कि कितने अमीर घर में उसकी बेटी जा सकती है तो उसके वारे-न्यारे थे।
एक रोज़ वो घर आया और माँ से मेरा हाथ माँगा।
माँ ने कहा- इतनी जल्दी शादी कैसे कर पाऊँगी?
उसने कहा- मुझे कुछ नहीं चाहिए, तीन कपड़ों में ले जाना है !
चुन्नी चढ़ाई हुई और चार फेरे लेकर मैं उसकी हो गई। शादी के चार दिन बाद उसने एक बहुत बड़ी रेसेप्शन पार्टी रखी जिसमें उसने अपने सारे रिश्तेदारों, दोस्तों को बुलाया। मुझ जैसी कातिल हसीना से शादी कर स्टेज पर बैठ कर बहुत खुश था !
अब वो मेरे साथ चिपका रहता लेकिन मेरी तसल्ली नहीं कर पा रहा था। मैं सिर्फ ऊपर से खुश थी लेकिन उसका लौड़ा वैसा नहीं था जिसकी मुझे आदत थी।
एक दिन मुझे पता चला कि वो पहले से शादीशुदा था, उसका तलाक हो चुका था। मैंने कुछ नहीं कहा। उसने मेरे लिए आलिशान घर बनवा दिया, कई चमकती कारें, नौकर-चाकर सोने से लदी-फ़दी रहती।
दिन बीत रहे थे लेकिन यौन-जीवन से मैं खुश नहीं थी। गाँव में काफी ज़मीन ज़ायदाद थी, जिसपर खूब फसल होती थी। हफ्ते में एक-दो बार गाँव जाते, वहां भी एक आलीशान फार्म-हाउस था और उसकी देखरेख दो नौकर करते थे। मुझे देख उनकी आंखें चमक उठती और वासना साफ़ दिखती थी उनकी आंखों में !
वो थे तो नौकर लेकिन हट्टे कट्टे अच्छी मर्दानगी के मालिक थे। उनकी प्यासी और वासना भरी आँखें देख मेरा दाना कूदने लगता।
फार्म-हाउस में घर के सामने टयूबवेल लगा हुआ था जिसके आगे सीमेंट का बहुत बड़ा टब जैसा था। रात को मैं भी उसमें नहाने चली जाती।
एक बार मैं खिड़की में खड़ी बालों में कंघी कर रही थी और सामने टब में नहा रहे उस नौकर को देख रही थी- चौड़ी छाती, घंने बाल, मजबूत जांघें ! उसका अंडरवीयर गीला होकर चिपका हुआ था, उसका लौड़ा देखने में काफी सोलिड सा लग रहा था।
उसने मुझे खड़ी देख लिया। मैं अपने होंठ चबाने लगी। उसने इधर-उधर देखा और अपना अंडरवीयर नीचे कर दिया साबुन लगाने के बहाने ! उसका काले रंग का लौड़ा देख मेरी हालत खराब होने लगी। वो अनजान बन कर लौड़ा सहलाने लगा, देखते ही उसका तन कर पूरा खड़ा हो गया। मेरा हाथ अपनी कच्छी में चला गया और दूसरा हाथ मम्मे दबाने लगा।
मैंने उसको इशारे से कुछ कहा कि अन्दर आ जा !
वो जल्दी से टब से निकला, तौलिए से बदन पौंछा। तभी कार का होर्न बज गया, मेरे पति आ गए !
हम दोनों उदास हो गए। मुझे लेकर वो वापस शहर आ गए लेकिन मैं दिल वहीं छोड़ चुकी थी, बस मौका तलाश करने लगी !
और फिर आगे आगे क्या-क्या हुआ, जानने के लिए इसका दूसरा अंक पढ़ना अन्तर्वासना पर ! Sex Stories
मैं तीस साल का हूँ और पंजाब में Hindi Porn Stories रहता हूँ। जैसे कि पंजाबी होते हैं अच्छे स्मार्ट, वैसा ही हूँ मैं ! अच्छे खाते-पीते घर का हूँ और मेरा कद 5’7″ और मेरे लंड का आकार 7″ और मोटाई 2.5″ है। मैं शादीशुदा हूँ। जैसे कि अक्सर होता है, शादी के बाद जब बच्चे हो जाते है तो पत्नी की पति में रूचि कम हो जाती है और बच्चों में ज्यादा ! ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ तो मैं ऑफिस से चैट करने लगा।
मुझे एक लड़की मेरे ही शहर की मिली, वो भी शादीशुदा थी, उसका कद 5’2″ और उसका फिगर 36 डी/30/36 था, जो मुझे बाद में पता चला। उसका घरवाला विदेश गया हुआ था और साल में दस बारह दिन के लिए आता था। हम दोनों में बातें होने लगी, धीरे-धीरे सेक्स की बातें होने लगी तो मुझे पता चला कि वो भी बहुत प्यासी है। पर हम दोनों डरते थे कि किसी को कहीं पता न चल जाये क्योंकि हम दोनों बदनामी से बहुत डरते थे।
फिर एक दिन मुझे एक आईडिया आया। उस दिन वो घर में अकेली थी। मैंने उससे उसके घर का पता लिया और दोपहर को उसके घर चला गया। उस समय आसपास में सब सो रहे होते हैं। मैंने अपने साथ एक बैग ले लिया जिससे लगे कि मैं उसके घर कुछ काम से आया हूँ।
वो मुझे देखकर बहुत खुश थी पर कुछ डर रही थी कि कहीं कोई आ ना आ जाये, तो मैंने उसको अपने पास बिठाया और प्यार से समझाया कि अगर कोई आ जाये तो कह देना कंप्यूटर ठीक करने आया है।
उसने घर में पजामा और खुली सी टी-शर्ट पहनी थी जिसमें से उसके मम्मे बाहर निकलने को बेताब हो रहे थे। उसको ऐसे देख कर मेरा लंड सलामी देने लगा था। उसको बड़ी मुश्किल से पैंट में ठीक किया तो उसने देख लिया और वो चली गई। वो मेरे लिए पानी लेकर आई और मेरे पास ही बैठ गई। हम इधर उधर की बातें कर रहे थे, पर मेरा ध्यान तो उसके मम्मों की तरफ ही था।
उसने कहा- क्या देख रहे हो?
तो मैंने कहा- तुम्हारे मम्मे !
तो वो बोली- क्या टी-शर्ट में से दिख रहे हैं?
तो मैंने कहा- अन्दाज़ लगा रहा हूँ कि कैसे होंगे !
तो बोली- क्या सिर्फ अन्दाज़ा ही करोगे? सच में नहीं देखने?
तो मैंने झट से उसको अपनी बाहों में भींच लिया और उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया। अगले ही पल मेरी जीभ उसके मुँह के अंदर थी और हम एक दूसरे की लार को चख रहे थे। उसकी साँसें गरम हो रही थी और मैंने चूमते-चूमते उसकी टी-शर्ट में हाथ डालकर उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया। मैं पहली बार किसी पराई औरत को छू रहा था।
उसकी साँसे तेज हो रही थी और मेरा रोम-रोम खड़ा हो गया था। मैं पागलों की तरह उसको चूम रहा था और आगे से उसके मम्मों को हाथ से उसकी शर्ट के ऊपर से ही सहला रहा था। वो सिसकने लगी और बोलने लगी- आआह्ह्ह राह्ह्ह्हहुल्ल्ल इतने दिन क्यों लगा दिए आने में ? ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह !
वो खुद पर अपना कण्ट्रोल खो रही थी, लगता उसको काफी दिन हो गए थे सेक्स किये ! इसलिए वो पूर्व-क्रीड़ा और चूमने आदि में ही एक बार झड़ गई।
मैंने उसको गोद में उठाया और बिस्तर पर गिरा दिया, अपने कपड़े उतारने लगा। वो बड़ी गौर से मेरी चौड़ी छाती देख रही थी। अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था। जिसमें दूर से ही मेरा खड़ा लंड नज़र आ रहा था।
मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी और उसको चूमना शुरू किया। वो हर चुम्बन पर सिसकियाँ ले रही थी और फ़िर मैंने उसकी ब्रा को खोल दिया। उसकी चूचियां जो काफी बड़ी थी उनको चूसना शुरू दिया तो वो पागल सी होने लगी। उसकी चूचियों को कभी होठों से चूसता तो कभी काटता, तो वो सिसक पड़ती और अब वो पागलों की तरह मेरा सर अपने मम्मों में दबा रही थी और कह रही थी- हाँ ऐसे ही आह्ह्ह्ह ऊऊउफ़ ! ऊऊईईईईईईइ !
और ऐसे ही उसको चूमते-चाटते उसके पजामे तक आया और उसका पजामा उतार दिया। तो उसकी पैंटी एक दम गीली हो चुकी थी, मैं उसकी पैंटी को धीरे-धीरे उतार रहा था पर शायद उसको बहुत जल्दी थी तो उसने झट से अपनी पैन्टी टांगों के बीच में से निकाल दी। उसकी चूत पर उसके पानी की कुछ बूंदें थी जिसके कारण उसकी चूत चमक रही थी। मैंने आज तक ऐसी चिकनी चूत नहीं देखी थी। ऐसे लग रही थी मानो किसी सोलह साल की लड़की की हो ! एक दम छोटा सा चीरा और उस पर गुलाबी पंखुरी जैसा रंग ! दिल कर रहा था ख़ी खा जाऊं ! लगता था उसका घरवाला मेरे लिए छोड़ गया था !
जैसे ही मैंने उसकी चूत को छुआ तो एक दम से उछल पड़ी जैसे 440 वोल्ट का करंट लगा हो। मैंने उसकी चूत के पंखुरी जैसे नाज़ुक होठोँ को खोल कर अपने होठ वहां रख दिए। मानो जन्नत में आ गया हूँ ऐसे लग रहा था। मैंने उसकी चूत को खूब चाटा और इधर लंड जी महाराज अंडरवियर में खूब ठोकरेँ मार रहे थे। लगता था कि अगर बाहर नहीं निकाले तो अंडरवियर फाड़ के बाहर आ जायेंगे !
मैंने जैसे ही अंडरवीयर निकाला तो वो मेरा लंड देख कर हैरान रह गई, कहती- इतना बड़ा ? यह तो मेरी चूत को फाड़ देगा ! मेरे पति का तो इससे आधा ही है !
तो मैंने कहा- वो तो मैं तुम्हारी चूत की हालत देख कर ही समझ गया था कि अभी तक सिर्फ लुल्ली से चुदी है किसी मर्द का लौड़ा नहीं मिला इस को आज तक !
हम 69 पोज़िशन में आ गए, मैं उसकी चूत को चाट रहा था और वो मेरा लंड चूस रही थी। मेरा लंड उसके मुँह में पूरा नहीं आ रहा था और वो गों-गों कर रही थी। कोई 5-7 मिनट की चुसाई के बाद मुझे लगा कि अब इसकी चूत तैयार है चुदने के लिए !
तो मैंने अपना लंड उसकी चूत पर टिकाया और उसकी भग्नासा पर लंड का सुपाड़ा रगड़ना शुरू किया तो वह अपनी गांड को ऊपर उठाने लगी की लण्ड जल्दी से उसकी चूत में घुस जाये। पर मैं उसको तड़पाना चाहता था और उसके मुँह से सुनना चाहता था।
जब लंड को रगड़ा तो वह तड़प उठी और बोली- अब और मत तड़पाओ ! इसको मेरी चूत में डाल दो ! मेरी चूत को फाड़ दो ! पिछले आठ महीनों से नहीं चुदी है, आज इसकी चुदने की सारी ख्वाहिश पूरी कर दो !
तो मैंने अपने लंड को उसकी चूत के छेद से सटाया और सांस रोक कर जोर लगाने लगा। पर उसकी चूत बहुत कसी लग रही थी तो मैंने थोड़ा जोर से धक्का लगाया तो उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया ताकि पड़ोसी न सुन सकें!
लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। अब मैंने लंड को थोड़ा सा पीछे करके एक और जोर से धक्का दिया तो लण्ड चूत की दीवारों को चीरता हुआ आधा घुस गया था। अब वह सर को इधर उधर मार रही थी पर लंड अपना काम कर चुका था। मैंने अपनी सांस रोकी और लंड को वापिस थोड़ा सा पीछे करके जोर से धक्का दिया तो लंड पूरा उसकी चूत में घुस गया। उसकी आँखों से आंसू निकल गए और ऐसे लग रहा था कि जैसे वह बेहोश हो गई हो !
थोड़ी देर में उसका दर्द कुछ कम हुआ। अब वह धक्के पर आः ऊह्ह्ह श् औरऽऽर्र आआह्ह्ह्ह्ह कर रही थी, उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और वह अपने नाखून मेरी पीठ में गड़ा रही थी। उसने अपनी टांगों को मेरी टांगों से ऐसे लिपटा लिया था जैसे सांप पेड़ से लिपट जाता है। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। उसके ऐसा करने से लंड उसकी चूत की पूरी गहराई नाप रहा था और हर शॉट के साथ वोह पूरा आनंद ले रही थी। उसकी साँसे तेज हो गई थी और आःह्हछ उफ्फ्फ्फ्फफ्फ् श्ह्ह्ह्ह्ह्ह् की आवाजें करते करते वो फिर से झड़ गई। अब उसकी चूत और चिकनी हो गई थी और मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी- कभी तेज शॉट और छोटे शॉट तो कभी तेज शॉट और लॉन्ग शॉट लगाता। जब छोटे शॉट लगाता तो उसको लगता उसकी जान निकल रही है, जब लॉन्ग शॉट लगाता तो उसको दर्द होता और ऐसे ही दस मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया और ऐसे ही उसके ऊपर निढाल होकर लेट गया। उसके चेहरे पर संतुष्टि और आनंद झलक रहा था।
हम दोनों पूरी तरह थक चुके थे। उसमें इतनी हिम्मत नहीं थी कि वो अपने कपड़े पहन सके। मैंने उसको एक चादर औढ़ाई और अपने कपड़े पहन के वापिस आ गया क्योंकि डर था कहीं कोई आ ना जाये !
मुझे उसने बाद में बताया कि वो घण्टे घंटे तक ऐसे ही पड़ी रही और शाम को वो वापिस फ्रेश हुई, अब वह बहुत खुश है !
हमें जब भी मौका मिलता है तो हम एक दूसरे की जरुरत को पूरा करते हैं। मुझे नहीं लगता कि हम किसी को धोखा दे रहे हैं क्योंकि हम दोनों की एक ही जरुरत है सेक्स……….
मुझे अपने विचार भेजें क्योंकि यह कहानी नहीं मेरी हकीक़त है। Hindi Porn Stories
आप सभी ने मेरी पूर्व में अंर्तवासना Hindi Porn Stories पर ‘माला की चुदाई‘ और ‘मजा और मलाई‘ पढ़ी, और मुझ को मेल कर मेरा होंसला अफजाई किया उसके लिये मेरा आप सभी को धन्यवाद। मजा और मलाई के पिछले भाग में आपने पढा कि मैंने किस तरह स्वीटी को चोदा, अब आगे…
स्वीटी के घर से जाने के बाद भी मेरी ख्वाहिशें और इच्छायें कम नहीं हो रही थी। उस रात मैं ठीक से नहीं सो पाया, जबकि होना यह चाहिए था कि इतनी चुदाई और मेहनत के बाद मुझे तबीयत की नींद आनी चाहिये थी, मगर नहीं आ रही थी, मुझे रह रहकर स्वीटी की चुद या गांड दिख रही थी, अंत में मुझे, कसम से, जिंदगी में पहली बार, मुठ मार कर सोना पड़ा।
ऐसे ही दो चार दिन निकल गये। इस बार मैंने सोच रखा था कि अब मैं स्वीटी की अनछुई कुंवारी गांड पर हाथ साफ करूंगा, यानि कि गांड मारूंगा।
ईश्वर सच में बडा ही दयालु हैं, उसने मेरी सुन ली। मुझे स्वीटी का करीब एक सप्ताह बाद बुलावा आया। मैं खुश था कि इस बार उसने मुझे रात में बुलाया है, जिससे मुझे स्वीटी को चोदने के लिये पूरी रात मिलेगी।
मैं शाम को करीब 8 बजे ही स्वीटी के घर पहुंच गया। वहां स्वीटी ने बताया कि उसके पति फेक्ट्री के काम से बाहर गये हैं, जो एक दो दिन में आयेंगे। बस फिर क्या था, मैं आजाद था, मैं बेडरूम में गया, तब तक स्वीटी फ्रीज से बीयर की बोतल निकाल लाई और मैंने आज उसे गिलास में न डलवा कर उसे वैसे ही बोतल में रहने दी क्योंकि मुझे आज कुछ अलग तरह से प्यार करना था।
मैं स्वीटी को बेडरूम की दीवार के सहारे चिपकाकर पहले एक लम्बी होंठ किस करते हुए उसके गाऊन के ऊपर से ही अपने एक हाथ को उसके प्यारे बॉब्स पर रखकर सहलाने लगा और दूसरे हाथ को उसकी चूत पर रखकर सहलाने लगा और 15-20 मिनट बाद धीरे धीरे स्वीटी के गाऊन को उतारा और अब स्वीटी कुल मिलाकर ब्रा पेंटी में थी।
मैंने ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तनों को अपने दोनो हाथों से सहलाया और चूमा फिर स्वीटी को बेड पर लेटा कर पेंटी और ब्रा को भी आजाद कर दिया फिर स्वीटी ने भी मेरे सारे कपड़े खोल दिये। आज मुझे स्वीटी को अंगुरी बनाना था और जैसा सोच कर आया था वैसा ही करने का मूंड था।
मैं बेड पर लेटी स्वीटी के बुब्स को आराम सहलाते हुये चूसने लगा और फिर धीरे धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और चूत चटाई शुरू कर दी, मगर कोरी चूत चटाई नहीं की, दोस्तो ! मै बीयर की बोतल खोलकर उसकी धार पहले स्वीटी के बोबों पर डालता हुआ चाटने लगा। इस वक्त अगर कोई देख लेता तो सच में मुझे कुत्ता ही समझ लेता।
इधर स्वीटी की गर्मी बढ़ती जा रही थी। वह मुंह से- संजू ये क्या कर रहे हो? ऐसे तो मुझे गुदगुदी हो रही हैं ! मुझसे रहा नहीं जा रहा है और आ.आ.आ.. हहहहह की आवाजें करने लगी। मगर अभी तो मेरी बस आज की शुरूआत थी। बोब्स से उतर कर नीचे की ओर बह रही बीयर की धार जो बाद में नाभि के खास छिद्र पर जा रही थी। वहां जैसे ही मैंनें जीभ लगायी, कसम से स्वीटी एकदम से चिल्ला पड़ी कि ये क्या कर रहे हो संजू, ऐसे तो मैं बिना चुदे ही झड़ जाऊंगी।
मैंने कहा- स्वीटी डांर्लिग चिंता ना करो, पूरी रात बाकी हैं। शेष आधी बोतल मैं उसकी चूत पर धार बनाकर डालने लगा और चाटने लगा। कसम से अब मुझे बीयर के साथ-साथ मुझे स्वीटी की चूत से निकल रहा पानी, शायद स्वीटी इस दौरान एकाध बार झड़ चुकी थी, भी सोमरस से कम नशा नहीं दे रहा था। मैंनें चूत चाटने में आधा घंटा लगाया जिसमें चू्त के हर कोने को अपनी जीभ से नाप लिया था।
स्वीटी मुझसे कम नहीं थी, वो भी मेरी ओर देख मुझे चिड़ाते हुवे दूसरी बीयर की बोतल खोल कर मुझे बेड के सिरहाने लेटा खुद मेरे लंड को अपने मुंह में लेने लगी और मेरी नाभि पर व मेरे लंड के ऊपर व नीचे बीयर डालकर चाटने लगी, चूसने लगी।
आज स्वीटी की चुसाई में एक अलग ही आनन्द था मेरे मुंह से आह…ऊ… आह… तक निकाल दी, मैं थोड़ी देर में झड़ गया, मगर स्वीटी ने मुझे छोड़ा नहीं उसने मेरा सारा जूस निकाल लिया और बिल्ली दूध पीकर कटोरे को जीभ से चाटती हैं, वैसे ही उसने मेरे लंड के पानी को गटक लिया और अंत तक चाटती रही और अपने हाथ और मुंह से मेरे लंड को फ़िर खड़ा करने लगी।
थोडी देर में हम दोनो तैयार हो गये, मैंने आज लेटे लेटे ही स्वीटी को अपने ऊपर चढ़ाया और उससे उठक-बैठक करने को कहा। स्वीटी तुरंत मेरे लंड पर आकर बैठ गई और मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी चूत का रास्ता बताने लगी, शायद उसने इसे सामान्य चुदाई समझ लिया था, वह बेफिक्र थी, मगर जैसे ही उसने मेरे लंड के सुपाड़े को अपनी चूत का रास्ता बताया मैंने एक ही शॉट नीचे से अपने लंड का दिया तो लंड को सीधे उसकी बच्चेदानी तक पहुंचा दिया।
दोस्तो, वह इसके लिये तैयार नहीं थी। उसकी आंखों से आंसू आ गये और नीचे उतरने की जिद करने लगी, पर मैं फिर उसे प्यार से समझाकर धीरे धीरे शाट लगाने लगा और अपने दोनो हाथों से उसके बुब्स मसलने लगा। कभी कभी उसकी चूंचियों को जोर से दबा देता जिससे वह फिर उत्तेजित होने लगी। अब मैंने शॉट मारना बंद कर दिया अब वह खुद ही ऊपर नीचे होने लगी और हाय संजू मजा आ गया आ…ह…अ. अ…अ..ा… करने लगी।
शायद अब उसे मस्ती चढ़ने लगी, मैं भी कभी नीचे से शॉट लगाता तो लंड फिर बच्चेदानी तक चल जाता, मगर अब उसे इस दर्द में भी मजे की अनुभूति हो रही थी। स्वीटी की स्पीड धीरे-धीरे तेज होने लगी और कहने लगी आहा सं…जू… मेरा निकल रहा है और वह झड़ गयी। कुछ देर बाद मैं भी झड़ गया। वह मेरे ऊपर ही लेट गयी।
थोडी देर बाद मेरा हाथ उसकी गांड की तरफ बढ़ा तो वह चौंक गयी और बोली संजू ये क्या कर रहे हो? तुम्हारे इरादे तो नेक हैं?
मैंने कहा- स्वीटी डार्लिंग ! आज मेरे इरादे क्या मेरा सब कुछ नेक है और मुझे आज तुम्हारी गांड मारनी हैं।
नहीं संजू मुझे दर्द होगा मैंनें आज तक गांड नहीं मराई !
मैंने उसे समझाया कि जैसे पहली बार चुदवाने में दर्द होता हैं, वैसा ही थोड़ा सा पहले पहले दर्द होगा फिर मजा चुदवाने से ज्यादा गांड मराने में आयेगा। वह मेरी बात मान गई और तब तक मेरा लंड अपने झटके दिखाने को तैयार हो चुका था। मैंने स्वीटी को घोड़ी बनाया और अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाया और दो उंगलियों पर तेल लेकर उसकी गांड में धीरे धीरे डालने लगा, जिससे कि उसकी गांड मेरा लंड लेने को तैयार हो जाए, मेरी उंगली जाते ही कहने लगी- संजू डार्लिंग मुझे दर्द हो रहा है !
तो मैंने कहा- जान, कुछ देर की बात हैं व फिर मैं एक हाथ उसके स्तनों की ओर ले गया और चूंचियों मसलने और सहलाने लगा और उसके गरदन, कान व गाल आदि को चूमने लगा, जिससे वह उत्तेजित होकर मेरा हाथ चूंचियों से हटा कर अपनी चूत के विराने की ओर ले गयी और मुझे उंगली करने का इशारा करने लगी। मैं उसकी चूत में उंगली डाल कर उसे धीरे धीरे उंगली से चोदने लगा।
और इधर अब मेरे लंड ने भी कसरत चालू कर दी और झटके मारने लगा। मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था, मैंने धीरे से अपना सुपाड़ा उसकी गांड के छेद पर रखा और धीरे धीरे डालने लगा मगर स्वीटी की गांड अनछुई होने के कारण बार बार लण्ड फ़िसल जाता और मेरा लंड महाराज दरवाजे पर ही अटक जाता।
खैर मुझे आज स्वीटी की गांड मारनी थी, सो एक हाथ जो चूत की तरफ था उससे चूत को अंदर से पकड़ कर अपने लंड को स्वीटी की गांड के छेद पर लगाकर एक जोरदार झटका दिया, जिससे स्वीटी आगे को जाने लगी मगर मेरे एक हाथ से चूत पकड़ी होने के कारण वह आगे तो नहीं जा सकी अपितु चिल्ला जोर से गई आहहह हहहह संजू क्या मार डालोगे, अपने इस लंड को बाहर निकालो नहीं तो मैं मर जाऊंगी।
मैंने उसे पकड़े रखा और स्वीटी छुटने के लिये तड़पने लगी, मगर कुछ देर बाद मेरे एक हाथ से चुंचियों को सहलाने व मसलने और उसके कान, गले और मुंह चुम्माचाटी करने पर वह फिर हिलने लगी। अब मुझे गांड मारने का समय सही लगा और धीरे धीरे स्वीटी की गांड में अपना लंड पेलने लगा। स्वीटी भी मस्ती में आकर चिल्लाने लगी, संजू फाड़ डाल मेरी गांड को आह… अ…ा…ह… ऊ…अ.. …ह करने लगी।
15-20 मिनट बाद मुझे लगा कि मैं झडने वाला हूँ, तो मैंने स्वीटी को कहा डार्लिंग मेरा निकलने वाला है, तो उसने सीधे मुंह में झड़ने को कहा और मैं अपने लंड को स्वीटी की गांड में से निकाल कर उसके मुंह में डालकर मुखचोदन करने लगा और 8-10 झटको के बाद मैं झड़ गया और इसी तरह स्वीटी को पूरी रात कभी एक टांग कंधे पर रख कर चोदा तो कभी कुत्तिया बनाकर चोदा।
सुबह 6 बजे तक चोदन कार्यक्रम चलता रहा, फिर नौकरानी के आने का समय बताकर मुझे जाने को कहा और मुझे फिर से रूपए देने लगी तो मैंने उसे मना किया, मगर वह नहीं मानी।
दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी, मुझे मेल करें। Hindi Porn Stories
मैं उन दिनों अपने चाचा के कामवासना यहाँ आई हुई थी। मैं एम ए की छात्रा थी। चाचा बिजनेस के सिलसिले में कुछ दिनों के लिये दिल्ली गये हुए थे।
चाची घर पर ट्यूशन पढ़ाती थी। चाची का नाम सपना था। उनकी उम्र 35 वर्ष की थी। उसके पास कोलेज दो के छात्र पढ़ने आते थे।
राजू और सोनू नाम था उनका। दोनों ही 20- 21 वर्ष के थे। मुझे पहले दिन से ही वो हाय हेल्लो करने लगे थे। उन दोनों से मेरी जल्दी ही दोस्ती हो गयी थी।
ऊपर का कमरा खाली था सो सपना उन्हे वहीं पढ़ाया करती थी।
एक बार जब सपना ट्यूशन पढ़ा रही थी तब मैं किसी काम से ऊपर कमरे में गयी। जैसे ही मैं कमरे के पास पहुचीं तो मुझे सिसकारी की आवाज सुनायी पडी। मैं सावधान हो गयी।
तभी मुझे फिर से हाऽऽय की आवाज सुनायी पडी। मैंने धीरे से खिडकी से झांक कर देखा। वो लडके सपना की चूचियाँ दबा रहे थे। सपना ने पेन्ट के ऊपर से ही एक का लण्ड पकड रखा था। सपना बार बार आनन्द से सिसकारियाँ भर रही थी। मैं दबे पांव पीछे हट गयी और नीचे उतर आई।
मेरे सारे शरीर में सनसनी फ़ैल गयी थी। मैं अपने कमरे में आकर बिस्तर पर लेट गयी। मेरी सांसे तेज चल रही थी। मेरे मन में उत्तेजना भरने लगी थी।
मुझसे रहा नहीं गया… मैं फिर से दबे पांव ऊपर गई… मैंने फिर से झांक कर देखा… मुझे पसीना छूटने लग गया। कमरे में सभी नंगे थे… राजू ने अपना लण्ड सपना की चूत में डाल रखा था… और तबियत से चोद रहा था… सोनू ने अपना लण्ड सपना के मुँह में दे रखा था…
मैं फिर नीचे आ गयी… मेरी चूत भी गीली हो चुकी थी… मैं अपनी चूत दबा कर बैठ गयी। मैं भी जवान थी… मेरे पास भी जवानी का पूरा खजाना था। मेरे मन में भी चुदवाने तेज इच्छा उठने लगी। मेरी चूंचियाँकड़ी होने लगी… जवानी का जोश हिलोरें मारने लगा।
मैं मन मार कर कमरे से बाहर निकल आई… पास की दुकान से अपना मोबाईल रीचार्ज करवाने लगी। जब मैं वापस आई तो उनका कार्यक्रम समाप्त हो चुका था। राजू और सोनू जाने की तैयारी में थे।
मुझे देख कर कर वो दोनों ही मुसकराये, मैंने भी उन्हे तिरछी निगाहों से मुसकरा कर देखा। वो दोनों चले गये और मैं सपना की किस्मत पर जल उठी… जो कि दो जवान लण्डों की मालकिन थी। मेरे मन में हलचल हो रही थी… मन अशान्त था… मुझसे सपना की चुदाई बरदाश्त नहीं हो पा रही थी।
रात के करीब 10 बज रहे थे… मैंने कमरे की लाईट बन्द कर दी और सोने के लिये लेट गयी। पर नींद कहाँ थी। रह रह कर सपना की चुदाई की याद आ रही थी। मैंने अपनी पेन्टी उतारी, रात को मैं ब्रा नहीं पहनती थी। मैंने सोचा कि चूत में ऊँगली करके झड़ जाती हूं…
पर मुझे उसी समय बाहर कुछ आवाज आई… मैंने दरवाजे से झांक कर देखा तो राजू और सोनू सपना के कमरे की तरफ़ जा रहे थे।
मैंने अपने कमरे के दरवाजे के छेद में आंखे गडा दी, यह दरवाजा चाचा के कमरे में खुलता था, और सुनने का प्रयास करने लगी।
मुझे ये सुन कर हैरानी हुई कि सपना उन दोनों के साथ मेरी चुदाई का प्रोग्राम बना रही थी… पर कैसे…?
वे तीनों मेरे कमरे की ओर आने लगे। मैं भाग कर अपने बिस्तर पर आकर लेट गयी। मुझे लगा कि वो तीनों मेरे कमरे के बाहर आ गये है…
तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला… मैंने देखा सपना पहले अन्दर आयी… फिर दोनों उनके पीछे पीछे आये… मैंने सोने का बहाना किया। सोनू ने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया।
पर तीनों मेरे साथ क्या करेंगे… क्या देह शोषण… यानि मेरी चुदाई… मेरा मन खुशी के मारे उछलने लगा… बिना कुछ किये मन की मुराद पूरी हो जाये तो… फिर ऊपर वाले का धन्यवाद करो…
मेरा सोचना बिल्कुल सही निकला। राजू ने लाईट जला दी… मुझे देख कर उन दोनों के मुंह में पानी आ गया। मैंने पेन्टी और ब्रा वैसे भी नहीं पहन रखी थी। स्कर्ट भी जांघों से उपर आ चुका था। अन्दर से मेरी चूत झांक रही थी।
राजू ने बिस्तर पर पास बैठ कर मेरी छोटी सी कमीज़ को ऊपर कर दिया। मेरे नंगी चूचियाँ उसके सामने तनी हुयी खडी थी।
मेरे शरीर में रोमांच भर आया… मुझे लग रहा था कि मेरी चूंचियाँ पकड कर मसल दे… लेकिन उसने बडे प्यार से मेरे स्तन सहलाये… मेरी नोकों को हौले हौले से पकड कर मसलते हुये घुमाया।
इतने में सोनू ने मेरे स्कर्ट को ऊँचा करके मेरी चूत नंगी कर दी। अचानक मुझे मेरी चूत पर गीलापन लगा… सोनू की जीभ से थूक मेरी चूत पर टपका कर उसे चाट लिया था… मैं तड़प उठी… पर मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पडा।
सपना ने मेरे दोनों हाथ ऊपर कस कर पकड़ लिये। सोनू ने मेरी टांगे चीर कर फ़ैला दी। और मेरी टांगों के बीच में आ गया। अब मुझे लग गया कि मैं चुदने वाली हूं… तो मैंने नाटक शुरु कर दिया… मैंने जाग जाने का नाटक किया…
‘अरे ये क्या… छोडो मुझे… चाची…’
‘चुप हो जा… कुतिया… मजे ले अब…’
‘चाची… नहीं प्लीज़…’
इतने में सोनू का लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मन में मस्ती छा गयी। चूत को लण्ड मिल गया था… तेज गुदगुदी सी उठी।
‘सोनू… ये क्या कर दिया तूने… मुझे छोड दे… मत कर ना… मादरचोद… ‘
‘रीता रानी… ऐसी मस्त जवान लड़की को तो चुदना ही पड़ता है… देख क्य टाइट चूत है… अब हम तेरी बहन चोद देंगे।’ सोनू मस्त हो कर बोला।
राजू मेरे चूंचकों को चूस रहा था… सपना ने खुद के कपड़े उतार फ़ेंके… वो पूरी नंगी हो गयी। हम सभी को पता था कि कार्यक्रम सफ़ल हो चुका है। सपना ने राजू की पेन्ट और कमीज़ उतार कर उसे नन्गा कर दिया। सोनू पहले ही नंगा हो चुका था। चाची मुझे समझा रही थी
‘देख रीता… लण्ड तो तेरी चूत में फ़िट हो ही गया है… अब मजा ले ले… ना’
‘चाची… प्लीज़… मत करो ना… देखो मैं मर जाऊगीं… ‘ मैंने फिर नाटक किया। चाची ने मेरे होंठ चूमते हुये कहा
‘अच्छा… दो मिनट के बाद छोड देंगे… मजा नहीं आये… तो नहीं सही… बस’
चाची समझ चुकी थी… कि मैं यूं ही ऊपर से कह रही हूं और वास्तव में मुझे मजा आ रहा है।
‘सोनू… मत करो… इसे अच्छा नहीं लग रहा है… चलो मेरी मां चोद दो… ‘
अरे ये क्या हो गया… मैंने तुरन्त पासा पलटा…
‘चाची… तुम बडी खराब हो… एकदम हरामी… मां की लौड़ी’
मैंने नीचे से सोनू को नीचे से चूतड़ उछाल कर एक तेज धक्का दिया… और राजू का लण्ड पकड कर अपने मुख में डाल दिया। मेरी फ़ुर्ती देख कर दोनों को मस्ती आ गयी। दोनों सिसकारियाँ भरने लगे। चाची ने राजू और सोनू को रोक दिया।
‘अब देखो कोई जबरदस्ती नहीं करना है… ये मादरचोद तो… रीता राज़ी है… ‘
सभी बिस्तर पर बैठ गये… मेरे बचे हुये शरीर के कपडे भी उतार दिये। फिर सपना सभी को बताने लगी कि उन्हे क्या करना है… मैंने अपनी बात रख दी,’पहले सोनू को मेरे पर चढने दो… उसका लण्ड मेरी चूत में रहने दो… फिर बात करो… ‘
‘चलो सोनू तुम रीता को चोद डालो… राजू तुम मुझे चोदो… फिर बदल लेंगे… ‘
सोनू मुझसे लिपट गया… मुझे बुरी तरह से चूमने चाटने लगा… उस ने मुझे तुरन्त मुझे घोड़ी बनाया… और अपना कड़क लण्ड मेरी गान्ड पर मारने लगा।
तो सोनू अब मेरी गान्ड चोदेगा।
मेरी गान्ड में उसने ढेर सारा थूक लगाया और लण्ड को छेद पर रख कर अन्दर दबा कर घुसा दिया… उसका लाल सुपाडा फ़क से अन्दर घुस गया। मैं आनन्द से निहाल हो उठी…
दूसरे धक्के में आधा लण्ड अन्दर था… तीसरा धक्का लण्ड को पूरा जड़ तक ले गया… गान्ड मैंने कई बार चुदाई थी… इसलिये मुझे इसमें बहुत मजा आता है… उसका गान्ड में फ़ंसा हुआ मोटा सा लण्ड मुझे बहुत ही आनन्द दे रहा था।
सोनू अब धीरे धीरे धक्के तेज़ करने लगा… उधर राजू और सपना मेरे साथ ही आ गये… शायद राजू को मैं अधिक पसन्द आ रही थी… राजू ने मेरी चूंचियाँ पकड कर मचकानी चालू कर दी… सपना ने भी अपनी कला दिखाने लगी… उसने अपनी दो ऊँगलियों को मेरी चूत में घुसा दी।
मेरे मुख से आनन्द की हंसी और सिस्कारियाँनिकलने लगी। सोनू की धक्के मारने की गति तेज हो गयी थी… उसके मुख से आनन्द की सीत्कारें तेज हो उठी थी। मेरे चूतड अपने आप उछले जा रहे थे। मुझे ऐसे गान्ड मरवाने में बडा मजा आता था।
सोनू के धक्के बढने लगे… उसका शरीर अकडने लगा।
अचानक सपना ने मेरी चूत से दोनों ऊँगलियाँ निकाल दी और सोनू के दोनों चूतडों को कस कस के दबाने लगी। तभी सोनू के लण्ड ने मेरी गान्ड के अन्दर ही अपना वीर्य तेजी से छोड दिया।
सपना उसके चूतडों को दबाती ही रही जब तक कि उसका पूरा वीर्य नहीं छूट गया। तब राजू ने उसकी जगह ले ली। राजू बिस्तर पर लेट गया उसका खडा लण्ड मेरी चूत को आमन्त्रण दे रहा था… मैं राजू पर चढ गयी और उसके लण्ड को सीधे चूत पर टिका दिया… और फिर हौले से लण्ड पर दबा दिया…
‘आऽऽऽह… चुद गयी रे… चाची…’
‘चुद जा… रीता… तेरी किस्मत अच्छी है कि पहली बार में ही तुझे दो दो लण्ड बिना कुछ किये ही मिल गये… चुद जा छिनाल अब… ‘
‘चाची… आई लव यू… आप दिल की बात जानती हैं… आप बडी हरामी हैं… ‘ मेरी बात सुन कर सपना मुस्करा उठी…
‘अब चुदने में मन लगा… रन्डी… मजा आयेगा…’
‘हाय चाची… चुद तो रही हू ना… देखो ना कैसे मोटे तगडे जवान लण्ड हैं… मेरी तो मां चोद देंगे ये… ‘
अब सोनू ने सपना के उरोज पकड लिये… और लण्ड सपना की गान्ड में घुसाने लगा… वह फिर से तैयार हो चुका था। सपना हंस कर बोली-‘देखा सोनू को… गान्ड मारने में माहिर है… इसे सिर्फ़ गान्ड मारना ही अच्छा लगता है… ‘
मैं अब राजू पर लेट गयी थी… राजू नीचे से चुदाई का मजा ले रहा था। मैं उपर से उसे जबर्दस्त झटकों से चोद रही थी। मेरी गान्ड से सोनू का वीर्य निकल कर उसके लण्ड को तर कर रहा था।
‘मेरे राजा… हाय… क्या लण्ड है… मेरी चूत फ़ाड दे… राजा… ‘ कहते हुये उसके खुले हुये मुख में मैंने अपना मुख चिपका दिया… मेरे थूक से उसका चेहरा गीला हो गया था… पर मैं उसे चाटे जा रही थी। मुझे कुछ भी होश नहीं था। मेरा पूरा जोर उसके लण्ड पर था।
फ़च फ़च की मधुर आवाजे माहोल को और सेक्सी बना रही थी। चूत के धक्कों से फ़च फ़च कि आवाज के साथ वीर्य के छीटें भी उछल रहे थे। उधर सोनू सपना की गान्ड चोदने में लगा था।
अचानक राजू ने अन्गडाई ली… उसका लण्ड कडकने लगा… बेहद टाइट हो गया… उसका चेहरा लाल हो गया… दान्त भिंच गये…
‘मैं गया… रानी… निकला… हाऽऽऽऽय्… गया…’
मैंने धक्कों की रफ़्तार बढा दी… अपनी चूत टाइट कर ली… और मेरा भी निकलने को तैयार हो गया। मैंने चूत टाइट कर के दो धक्के खींच के मारे… तो उसकी और मेरी उत्तेजना चरम सीमा को पार कर गयी-‘राजा… मैं तो पूरी चुद गयी… गयी मैं तो… निकला मेरा… हाऽऽऽऽय…’
उधर राजू को झटके लगने चालू हो गये थे… उसका वीर्य झटके मार मार कर पिचकारी छोड रहा था। मैं भी झडने लगी थी… हम दोनों ने एक दूसरे को कस कर पकड लिया। हमारा माल निकलता रहा… अब हम पूरे झड चुके थे। हम ऐसे ही पडे सुस्ताते रहे… फिर में बिस्तर पर से उतर गयी।
सोनू भी झडने वाला था। उसका लण्ड सपना की चूत चोद रहा था। मैं और राजू ने तुरन्त उनकी मदद की… सपना के चूचकों को मैंने खींचना और मरोडना चालु कर दिया। राजू ने सोनू के चूतडों को जोर जोर से दबाने लगा… सपना अचानक धीरे से चीख उठी… ‘रीतू… छोड मेरी चूंची को… मैं गयी… हाय… बस कर सोनू… ‘
पर सोनू तो चरम सीमा पर पहुन्च गया था… चूतडों के दबाते ही उसका लण्ड बरस पडा… सारा वीर्य सपना की चूत में भरने लगा। मैंने सोनू के चूतडों को थपथपाया… और प्यार कर लिया…
राजू, मैं, सपना वहीं बिस्तर पर लेट गये… और बातें करने लगे। मैं बोली-‘चाची… आज तो कस कर चुद गयी… थेन्क यू… चाची॥’
‘मैंने तुझे देख लिया था… फिर जब दूसरी बार आयी तो मैं समझ गयी… कि तू चुदना चाहती है… ‘
‘चाऽऽऽची… जब मालूम था तो वहीं पकड कर क्यों नहीं चोद दिया… ‘
‘नहीं रीतू रानी… बिना तडप के… चुदाई की कोई कीमत नहीं होती है…’
‘नहीं चाची… आप मुझे पकड के चुदवा देती… तो भी मुझे चुदना तो था ही ना॥’
‘और अब चुदने में ज्यादा मजा आया ना…’
‘आय… हाय चाची… मन शान्त हो गया… चूत की खुजली मिट गयी…’
सोनू और राजू बिस्तर के एक कोने में नन्गे पडे ही खर्राटे भर रहे थे… हम दोनों भी न जाने कब बातें करते करते सो गये थे… कामवासना
नमस्कार दोस्तो, मेरी Hindi Porn Stories कहानी को पढ़ कर बहुत लोगों ने मुझे मेल किया और मुझसे निशु के साथ के सेक्स मजे के बारे में और लिखने को कहा। अपने उन सभी पाठकों के लिए मैं उससे आगे की घटना ले कर आया हूँ।
जब सुमित को पता चला कि अनवर ने भी निशु की कमसिन जवानी का मजा लूट लिया है तब उसने भी निशु के साथ सेक्स करने की इच्छा जताई।
सुमित और अनवर निशु के लिए नये नहीं थे और जब से उसने वो ताश का खेल हम लोगों के साथ खेला था तब से ही उसको पता था कि उसको मेरे दोनों दोस्त आज न कल चोदेंगे ही।
साथ ही मैं भी कहता कि तुम परेशान न हो, वो अगर सेक्स करेंगे भी तो हमेशा नहीं एक दो बार ही करेंगे, क्योंकि उनको पता है कि तुम मेरी बहन कम गर्लफ़्रेन्ड ज्यादा हो।
मानसिक रूप से निशु भी अनवर से चुदाने के बाद सुमित से सेक्स करने के लिए तैयार थी।
जब सुमित ने मुझे अपनी इच्छा बताई तो मैंने उसको सीधे निशु से बात करने को कहा।
अगले रविवार को हम तीनों दोस्त जमा थे और निशु चिकेन पका रही थी कि फ़िर सुमित ने यह बात की। तय हुआ कि आज खाने की मेज पर सुमित निशु से बात कर ले।
जैसा तय था, खाने की मेज पर सुमित ने निशु से पूछ लिया कि क्या वो उसके साथ एक बार सेक्स करेगी।
निशु भी मुस्कुरा कर बोली कि वो तो बहुत पहले से ही ये सोच रही है कि इतने दिनों तक आखिर सुमित भैया यह बात कह क्यों नहीं रहे हैं और फ़िर उसने तीन चार दिन बाद की बात कही क्योंकि तब उसके पीरियड्स के दिन शुरु हो गये थे।
अनवर ने ठहाका लगा कर जोर से कहा- ‘के एल पी डी’
और हम सब हंसने लगे। सुमित का चेहरा देखने लायक था। फ़िर वो निशु से बोल पड़ा- ठीक है पर रोकने का मुझे हर्जाना देना होगा।
निशु भी हंसते हुए पूछन लगी- क्या?
और सुमित ने कहा-तुम्हें मुझसे अपनी गाण्ड भी मरवानी होगी!
मुझे पता था कि सुमित साला एक नम्बर का हरामी है और चुदाई के मामले में वो लड़की से पूरा मजा लूटता है।
अब मुझे निशु के जवाब का इंतजार था, उसका जवाब तुरंत आया- नहीं रे बाप, जब आगे घुसवाने में इतना दर्द होता है तब वहाँ करवाने में तो मैं मर जाउँगी!
पर सुमित भी मिन्न्तें करने लगा। जहाँ निशु कहती कि नहीं और सुमित कहता- सिर्फ़ एक बार! इसके बाद वो कभी निशु से सेक्स की मांग नहीं करेगा।
थोड़ी देर बाद जब निशु का सुर बदलने लगा तो मुझे भी लगने लगा कि अब निशु को सेक्स में पूरा पी0एच0डी0 मिल जायेगा।
निशु ने तब कहा था- अभी तक सिर्फ़ मैंने सुना है गाण्ड चोदन के बारे में!
तब अनवर ने भी निशु को चढ़ाया कि वो एक बार यह अनुभव भी ले।
निशु ने तब मुझसे पूछा कि क्या मैंने कभी ऐसा किया है, और मैंने सच कह दिया कि नहीं, पर साथ ही कहा कि सुमित ही ऐसा करता रहता है लड़कियों के साथ, वो इस मामले में अनुभवी है।
अनवर ने अपनी बात कही कि उसने दो-चार बार गांड मारी है और उसको खूब मजा आया, पर सब लड़कियाँ राजी नहीं होती हैं इसलिए बहुत मौका नहीं मिला।
सुमित ने उसको तब आश्वस्त किया कि वह निशु को खूब प्यार से पहले गांड मरवाना सिखाएगा और तब उसकी गाण्ड मारेगा।
निशु भी तब बोली- ठीक है, पर अगर मुझे दर्द हुआ तो आप भी रुक जाएँगे!
और मुझे और अनवर को इसकी गारंटी लेने को कहा। मुझे तो कोइ आपत्ति होनी नहीं थी। मैं खुश था कि चलो अब निशु के साथ मुझे और ज्यादा मजा का मौका मिलेगा। आखिर सुमित से गाण्ड मराने के बाद उसको मुझसे तो मरवाना ही था।
तय हुआ कि सुमित रोज़ शाम को एक घण्टा निशु के साथ बितायेगा और धीरे धीरे उसके डर को एक सप्ताह में खत्म करेगा।
गुरुवार को सुमित का फ़ोन आया कि आज वो शाम आठ बजे आयेगा। उस दिन वो एक डी वी डी लाया जिसमें करीब बीस क्लिप थी, सब में 20-22 साल की लड़कियों को चोदा गया था और गाण्ड भी मारी गई थी। दो क्लिप भारत की भी थी।
चाय पीने के बाद सुमित ने उस फ़िल्म को चला दिया और फ़िर निशु को अपने सोफ़े के सामने टीवी की तरफ़ मुँह करके झुकने को कहा।
निशु सेन्टर टेबल के सहारे झुक गई और फ़िल्म देखने लगी। सुमित ने उसका लम्बा स्कर्ट कमर से ऊपर कर दिया और फ़िर पैन्टी खोल दी।
निशु अब तक बिल्कुल बेशर्म हो गई थी, बोली- आप तो बोले थे कि मुझे पहले सिखाएँगे कि कैसे किया जाता है, फ़िर अभी क्यों?
सुमित हँसा- हाँ मुझे याद है! आज तुमको सिखाउँगा ही, कुछ दिन में जब तुमको अपनी गाण्ड की मांसपेशियाँ खुद ढीला करना आ जायेगा तब पेलूंगा भीतर!
और फ़िर उसने निशु की बुर पर हाथ फ़ेरना शुरु किया। फ़िल्म देखते हुए और बुर को ऐसे मसलवाते हुए निशु भी धीरे धीरे कसमसाने लगी। जब उसकी बूर पनीया गई।
तब सुमित ने उसकी बुर के पानी को ही उसकी गाण्ड के छेद पर लगाया और फ़िर थूक लगा लगा कर निशु की गाण्ड से खेलने लगा। उसका एक हाथ बूर के साथ खेल रहा था और एक हाथ गाण्ड के साथ।
15 मिनट बाद सुमित ने अपनी उँगली निशु की गाण्ड में ठेली। उसकी उँगली के दबाब को महसूस कर निशु पीछे पलटी, पर फ़िर उसको पता था कि क्या होना है सो वापस अपना ध्यान टीवी पे ले गई।
इसी तरह से रोज़ गाण्ड में उँगली करते करते चार दिन बाद रविवार को जब अनवर भी था तब सुमित ने हमें दिखाया कि निशु अब बड़े प्यार से अपना गाण्ड ढीली करके दो ऊँगलियाँ भीतर ले रही थी।
इस चार दिनों में जिस तरह से निशु को तैयार किया जा रहा था, उसमें निशु को खुद मजा आने लगा था। उसे लगता था कि वो एक स्पेशल लड़की है।
मैंने भी जब उसको चोदा या घर में जब मौका मिला उसकी गाण्ड में उँगली जरूर की। उसको अब समझ में आने लगा था कि इस काम का एक अलग मजा है।
मंगल को एक छुट्टी थी, तय हुआ कि उसी दिन दोपहर में निशु की गाण्ड का उदघाटन हो। सुमित ने निशु को पेट साफ़ करने के लिए दवा दी और कहा कि सोमवार की रात वो उसे खा ले और फ़िर मंगल को जब तक उसकी गाण्ड नहीं मारी जाती वो खाली पेट रहे।
मैं और अनवर ऐसे बेचैन हो रहे थे कि जैसे एक बहुत बड़ा कारनामा देखने वाले हो। सच में हमने कभी किसी लड़की को गाण्ड मरवाते नहीं देखा था और वो भी जब वो पहली बार ऐसा करवा रही हो।
हम यह जानते थे कि सुमित अक्सर लड़कियों की गाण्ड मारता है पर हम सबने जब भी साथ-साथ सेक्स किया, सुमित ने लड़की को चोदा ही था।
मुझे अब मंगल का बेसब्री से इंतजार था, क्योंकि मेरे लिए पहला मौका होता जब मैं किसी लड़की को गाण्ड मराते देखता, हालाँकि ब्ल्यू फ़िल्मों में मैंने कई बार देखा था फ़िर भी एकदम सामने किसी लड़की को पहली बार गाण्ड मराते देखना कम किस्मत बात नहीं थी।
मंगल को करीब 11 बजे सुमित आया। अनवर उसके पहले ही आ गया था। हम सबने चाय पी जो निशु ही बनाई।
चाय पीने के बाद सुमित बोला- निशु अब जाओ और अपनी बुर और गाण्ड अच्छे से धो लो, फ़िर मैं भी अपना लण्ड धो कर तुमको एकदम नया मजा देता हूँ!
अब तक निशु भी अपनी गाण्ड में लण्ड का मजा लेने के लिए उत्सुक हो गई थी, बोली- भीतर चलिए न सुमित भैया कमरे में! वही कपड़े खोल कर बाथरुम में धोकर बिस्तर पर आ जाऊँगी!
हम सब अब बेडरुम में आ गए। सुमित ने अपने कपड़े खोले और फ़िर अपने लण्ड को हाथ से सहलाते हुए बाथरुम की तरफ़ बढ़ गया। निशु ने भी अपना टॉप-स्कर्ट खोल दी और सिर्फ़ पैन्टी में बाथरुम की तरफ़ चल दी।
सुमित अब वापस आ रहा था। उसका लण्ड अब आधा कड़ा हो गया था। उसने जब निशु को पैन्टी पहने देखा तब बोला- अब निशु, पैन्टी भी खोलो ना, अब हम तीनों से क्या शर्म है तुमको!
निशु मुस्कुराई और वहीं खड़े हो कर पैन्टी नीचे करके पैर से फ़ुटबाल को किक करने के स्टाईल में उसको अनवर और मेरी तरफ़ उछाल दिया। अनवर ने उस पैन्टी को कैच किया और उसकी खुशबू लेने लगा।
वो उसको ऐसे करते देख जोर से हँस दी, बोली- आप तीनों को मैं भैया बोलती हूँ, फ़िर भी आप लोग कितने बेशर्म की तरह मेरे लिए करते हैं।
अनवर साला अब कहाँ चुप रहता, बोला- अरे तुमको भी तो हम लोग छोटी बहन समझ कर ही प्यार करते हैं। अगर हम लोग इस जवानी में तुम्हारा ख्याल नहीं करेंगे तब तुम भी जैसे हम कभी कभी रंडी-बाजी करते हैं, किसी ऐरे-गैरे से चुदाने लगी तब बदनामी होगी की नहीं। यही सोच कर हम लोग तुम्हें इतना खुश रखते हैं। अब देखो आज तुम्हारी गांड के लिए हम सब कितने दिन से बेचैन हैं।
सुमित भी हँसते हुए जोड़ दिया- वैसे भी हम लोगों को बहनचोद कहलाने में कोइ परेशानी नहीं है!
और मेरी तरफ़ देख कर आँख मार दी।
‘सही में तुम लोग बहनचोद हो’, कहते हुए निशु बाथरुम में घुस गई।
शेष कहानी अगले भाग में! Hindi Porn Stories
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