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Massage Girl in Senapati: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Senapati who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Senapati that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Senapati massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Senapati who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Senapati massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Senapati massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Senapati who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Senapati employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Senapati helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Senapati

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Senapati at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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Hindi Porn Stories

अन्तर्वासना पर मेरी यह कहानी ये उन कहानियों Hindi Porn Stories से अलग है जो कोमलता के साथ चुदाई करते हैं। मैं… रहस्य…रोमान्च… रूहों की दुनिया में आपको ले चलता हूं। यहां आपको इन सबके साथ सहवास… उत्तेजना … का भी भरपूर आनन्द मिलेगा।

मेरा नाम विलियम है। मैं २५ साल का इसाई युवक हूँ। मुझे घूमने फ़िरने का बहुत शौक है। इन गर्मी के दिनो में मुझे यह मौका मिल गया। हम सभी लोग जयपुर में एक जगह एकत्र हो गये थे। वहां से हमें बस में जाना था। हम सभी करीब १७ लोग थे। ज्यादातर जोड़े में थे। पर मैं अकेला ही था।

बस रात को लगभग १० बजे रवाना हुई। ऊपर वाले सभी स्लीपर थे और नीचे सीटें थी। मुझे सिंगल वाला स्लीपर मिल गया था। सुबह होते होते हम लोग उज्जैन पहुँच गये थे। यहां पर हम होटल में रुके थे। मुझे कमरा नम्बर २० मिला था।

मैं अपने कमरे में गया और नहा धो कर फ़्रेश हो गया। चाय पी कर सभी लोग घूमने निकल पड़े। मैंने उज्जैन देखा हुआ था इसलिये मैं पास में फ़्रीगन्ज मार्केट चला गया। पर जल्द ही वापस आ गया।

मैने होटेल के काऊन्टर पर देखा तो वहां पर एक खूबसूरत सी लड़की खड़ी थी। उसे देखते ही मैं पहचान गया। मैने अपने कमरे की चाबी मांगी। उसने मुझे १९ नम्बर की चाबी दी। मैने कहा,”अरे… सोनू तुम…!”

“हाय…जो…तुम हो…”

“ये तो १९ नम्बर की है…।”

“हा ये मेरा कमरा है… तुम चलो मैं आती हू।” सोनू मुस्करा कर बोली…

हम दोनो विद्यार्थी जीवन से साथ थे। मैं मन ही मन ही मन में सोनू को चाहता था, पर माईकल को यह पसन्द नहीं था।

“ओह्…हाँ…”

मैने चाबी ली और आराम से सीढियां चढ़ता हुआ कमरा नम्बर १९ पर आ गया। मैने चाभी लगा कर दरवाजा खोला। कमरे में एक अजीब सी ठन्डक थी। एकाएक मैने देखा कि सोनू कमरे में मेरे सामने खड़ी थी। एक झीना सा नाईट गाऊन पहने हुई थी। जिसमें उसका पूरा नंगा बदन नज़र आ रहा था। इतनी बेशर्मी से मै सकपका गया।

“तुम अन्दर कैसे आई…?”

“पीछे से …दरवाजा तो बन्द कर दो… देखो मैं तो …कोई देख लेगा “

“अंह्… हां … पर ये क्या… तुम ऐसे … ?” वास्तव में मै भौचक्का रह गया था।

“आओ ना…थोडी मस्ती करेंगे…भूल गये क्या सब…”

मै कैसे भूल सकता था भला… हम दोनो एक साथ घूमने जाया करते थे … मौका मिलने पर वो कभी मेरे लन्ड को मसल देती थी और कभी मेरी गान्ड पर थपथपाती थी। मुझे उसकी इस हरकत पर शरीर में सनसनी दौड जाती थी। मै भी मौका पाकर उसके उरोजो को दबा देता था। उसके नरम नरम चूतड़ों को दबा देता था। उसके नरम चूतड़ मुझे बहुत ही सेक्सी लगते थे। पर मुझे उसे चोदने का अवसर कभी नहीं मिला था।

आज ये अचानक सब कैसे हो गया। मेरी किस्मत अचानक ही कैसे खुल गयी। मै सीधे उसके पास आ गया और जोश में उसे जकड़ लिया। उसके ठन्डे बदन से मुझे एकबारगी झुरझुरी आ गयी। उसके ठन्डे होठ मेरे होन्ठो से चिपक गये। उसके मखमली बदन का अहसास मेरे जिस्म में होने लगा। मेरा लण्ड तन गया था। उसके नरम और ठन्डे बदन को मैं सहला रहा था। वो भी मेरे बदन से ऐसे लिपट रही थी कि कहीं मैं उसे छोड़ कर ना चला जाऊँ। मेरा लन्ड बहुत टाईट होता जा रहा था। मेरे बदन में सिरहन बढती जा रही थी। मेरा लन्ड रह रह कर चूत के दरवाजे पर दस्तक दे रहा था। सोनू बोली -“रुको…ऐसे नहीं… तुम लेट जाओ… और उतारो ये पेन्ट और कमीज…”

मै अपने कपड़े उतार कर उसके सामने नंगा हो गया। उसके मुँह से सीत्कार निकल गयी।

“जोऽऽऽ … हाय रे… तुम तो गजब के हो … तुम्हारा ये बोडी … कहां छुपा रखा था ये बदन…”

“मै तो शुरु से ही ऐसा हूं …क्यो ऐसा क्या है…” मुझे उसकी इस प्रतिक्रिया पर थोडी हैरानी हुई।

उसने कुछ नहीं सुना… बस मेरे नंगे बदन से लिपट गयी। मेरी तरफ़ उसने सेक्सी निगाहों से देखा और अपना झीना सा गाउन नीचे उतार फ़ेंका। मेरी नजरें उस से मिली। उसकी आखों में वासना के लाल डोरे खिन्चने लगे थे।

मेरे मुँह से भी निकल पड़ा -“हाय… ये चिकना चमचमाता शरीर… सोनू …जान लोगी क्या…” वो मुसकरा उठी।

सोनू ने अपने ठन्डे हाथों से मेरा लन्ड पकड लिया। अब वो मेरे लन्ड से खेल रही थी। मेरा लन्ड फ़ूल कर मोटा और कडक हो गया था। उसने मेरे सुपाडे की चमडी खींच कर उसे खोल दिया। अब वो उसे उपर नीचे कर रही थी। मुझे मीठी मीठी तेज गुदगुदी होने लगी। मैंने उसका हाथ पकड़ना चाहा तो उसने प्यार से मेरा हाथ हटा दिया और मेरे लन्ड को पकड़ कर मुठ मारने लगी। मेरे सारे शरीर में सनसनाहट होने लगी।

“सोनू… हाय… मजा आ रहा है … और मुठ मार … हाय…आज तो बस ऐसे ही मेरा रस निकाल दे सोनू…”

उसने मुठ मारते मारते अपने मुंह में सुपाडा ले लिया। उसके नाखून मेरे शरीर पर खरोन्चे मारने लगे। उत्तेजना में सब अच्छा लग रहा था। उसके हाथ और तेज चलने लगे… मुंह से लन्ड चूसने की मधुर आवाजें आ रही थी। उसके बाल लहरा रहे थे। मुठ मारती जा रही थी… सोनू का जिस्म भी कम्पकंपा रहा था। उसके पीछे उभरे हुये गोल गोल चूतड़ों को मैं मसल रहा था।

“राजा … मजा आ रहा है ना…” उसके नाखून मेरे शरीर पर खरोन्चे मार रहे थे। मै चरम सीमा पर पहुच रहा था। वो उतना ही तेज रगडने लगी थी। अब वो अपने दान्तो से मेरा सुपाडा भी चबा लेती थी। अन्तत: मैं मचल पडा…मेरा लन्ड से पिचकारी छूट पडी।

उसके चेहरे पर पर गाढ़ा गाढ़ा सा सफ़ेद वीर्य लिपट गया। उसने बेहिचक वीर्य को चाट चाट कर साफ़ कर दिया। सोनू उठी और बाथरुम में चली गयी। अपना मुँह साफ़ करके मेरे पास आ गयी।

“मजा आया जो… तुम्हारा लन्ड… लगता है बडे प्यार से पाला है…।”

मै हंसने लगा…

तभी किसी ने दरवाजा खटखटाया … मैं उठा और पेन्ट पहन ली ।

मैने दरवाजा खोला तो वहां कोई नहीं था। मैने पीछे मुड़ कर देखा तो सोनू भी वहां नहीं थी। इतने में एक बूढा वेटर सामने के कमरे से निकला। मुझे देखते ही वो चोंक गया।

“सर … आपका कमरा तो २० नम्बर है…”

“ना… नहीं… मैं तो यहां…।”

उसने मेरा रूम खोल दिया…। “आईये … उस कमरे में किसी भी हालत में मत जाना…”

” अच्छा …ठीक है ठीक है …” मै हंस दिया।

मैने अपने कपड़े उठाये और अपने कमरे में आ गया। बूढे वेटर ने १९ नम्बर में ताला लगा दिया। मुझे पता था कि सोनू पीछे से निकल गयी होगी।

मै बिस्तर पर जा कर लेट गया। पता ही नहीं चला कि कब नीन्द ने आ घेरा। अचानक मेरी नीन्द खुल गयी। देखा तो रुबी अपने हाथ से मेरे शरीर को सहला रही थी। मै उठ कर बैठ गया। उसके सहलाने से मेरे लन्ड में तरावट आने लगी थी।

“तुम … यहां कैसे आ गयी ? दरवाजा तो बन्द था…”

“हाय।… मेरे राजा… वैसे ही … जैसे वहां आयी थी…”

“अच्छा ये बताओ कि माईकल का क्या हुआ… उसने तुमसे शादी नहीं की…तुम्हे तो वो बहुत प्यार करता था…”

” पर मै उसे इतना सा भी नहीं चाह्ती थी… मै तो तुमसे प्यार करती थी… और तुम ऐसे निकले कि मुझे छोड कर चले गये”

“पर शादी की बात तो उस से चल रही थी ना…”

“मुझे नहीं करनी थी शादी …उन्होने मुझे बहुत मारा पीटा… पर मै नहीं मानी…माईकल ने तो…अब क्या कहूं… और फिर मजबूरन …”

“क्या मजबूरन… बोलो…”

“अरे… छोड़ो ना…इस मस्ती के समय में अच्छी बातें करो… मुझे तो तुम्हारा लन्ड बहुत प्यारा लगा…”

उसने मेरा पेन्ट खीच लिया… फिर से मुझे नन्गा कर दिया। उसने भी बिना समय बरबाद किये अपना गाउन उतार फ़ेन्का। एक बार फ़िर से हम दोनों नन्गे थे।

“मेरे राजा… जल्दी करो…ऐसा मौका बार बार नहीं आता है…” उसने अपना शरीर मेरे शरीर से रगडना चालू कर दिया। फिर से हम एक बार वासना की दुनिया में पहुंचने लगे। उसके तीखे नाखून फिर से मेरे अंगों पर चुभने लगे… पहले की नाखूनो की जलन अब भी थी। पर उत्तेजना के कारण अब मह्सूस नहीं हो रही थी । मेरा लन्ड एक बार फिर उफ़न पडा… मीठी सी जलन बढने लगी। उसके होन्ट मेरे होन्टो से चिपक गये। उसकी आंखे लाल हो उठी।

उसक शरीर जल उठा। उसके बदन में एक कडापन आ गया…। उसके उरोज कडे हो गये थे। मेरा लन्ड अब बहुत ही कडा हो गया था। मुझसे अब और नहीं सहा जा रहा था। मेरा लन्ड उसकी चूत में घुसने को बेताब होने लगा था। मैने थोडी सी हरकत करते हुये अपना लन्ड उसकी चूत में ठेल दिया।

“आऽऽऽह्… जो … घुस गया रे … सोलिड लन्ड है… दे …धक्का मार यार।…”

‘ मेरी सोनू … आऽऽऽऽऽ ह … बहुत चिकनी है रे …” लन्ड सरकता हुआ चूत में अन्दर तक बैठ गया।

“राजा…तुम्हरे लिये ही सम्हाल कर रखी थी…” उसकी लाल लाल आंखो मै वहशीपन साफ़ झलक रहा था। तभी उसने मेरा लन्ड बाहर निकाला और उसने तुरन्त मुझे उठाया और खुद घोड़ी बन गयी।

“राजा मेरी गान्ड मारो …। बडी बैचनी लग रही है… देखो ना…सिर्फ़ तुम्हारे लिये मैने इस गान्ड को कुंआरी रखी है।”

मुझे होश कहां था। मेरा लन्ड कडकता जा रहा था… मेर सुपाडा भी गीला हो रहा था। मैने उसके चूतडो की फ़ान्को को खोला और उसकी गान्ड के छेद पर लन्ड रख दिया। और…वो चिल्ला उठी…।

“धक्का दे जोऽऽऽऽ … घुसेड़ दे लन्ड को…”

‘उसने अपनी गान्ड का छेद को हाथ से फ़ैला दिया। उसका छेद पूरा खुल गया। मैने लन्ड जोर लगा कर अन्दर बैठा दिया। मुझे उसकी गान्ड के छेद नरम लगा। बडी आसानी से…, बिना किसी तकलीफ़ के अन्दर घुसता चला गया। इतना कि मेरा पूरा लन्ड ही अन्दर चला गया। तभी उसने अपनी गान्ड सिकोड़ ली। इतनी जोर से सिकोडने से मेरे लन्ड पर चोट लग गयी। पर उसका चिल्लाना जारी रहा।

“चोद दे राजा …आऽऽऽह्… मजा आ रहा है…” मै दर्द के मारे तडप उठा। उसकी गान्ड का कसाव तकलीफ़ दे रहा था।

“सोनू… ढीला करो… क्या कर रही हो…”

‘उसने पीछे मुड कर मुझे देखा…और अपनी गान्ड ढीली छोड दी… उसकि आंखो में एक वहशीपन था…। उसकी आंखों में जैसे खून उतर आया हो। वो एक कुटिल मुस्कान देती हुयी बोली…”राजा… बडी प्यासी है मेरी गान्ड…प्लीज्… लगाओ धक्के पर धक्का… आज प्यास बुझा दो मेरी…।”

मैने उसकी गान्ड चोदनी शुरु कर दी। वो भी अपने चूतड़ों को हिला हिला कर साथ दे रही थी। मै अपने होश खोता जा रहा था। मै उसकी गान्ड मराने कि स्टाइल पर फ़िदा हो गया… अब उसकी गान्ड मक्खन की तरह नरम लग रही थी। मुझे लगा कि मैं चरमसीमा पर पहुँचने वाला हूँ तभी सोनू ने गान्ड से लन्ड निकाल दिया।

शायद वो जान गई थी कि मैं थोडी देर में झड़ जाऊंगा। और लन्ड गान्ड से निकाल कर अपनी चूत में घुसा लिया…

” हाय मर गयी …” सोनू के मुह से सिस्कारी निकल पडी। चूत पूरी गीली थी… लन्ड सरकता हुआ अन्दर चला गया। मेरे लन्ड में तेज गुदगुदी उठी… ये उसकी कसी हुई चूत का कमाल था। लन्ड पूरा अन्दर घुस कर जैसे ही बाहर निकला … सोनू के मुँह से तेज सिस्कियां निकलने लगी। उसे देख कर मेरा लन्ड भी पिघलने लगा…लन्ड के अन्दर बाहर चलने की मेरी रफ़्तार बढ गयी। जोर लगा कर लन्ड पेलने लगा…। उसके चूतड़ जोर से उछल उछल कर मेरा साथ दे रहे थे।

“हाय…राजा…कस के चोद दे…दे रे जोर से धक्के दे… मेरी फाड़ दे… हाय रे…”

वो पागलो की तरह चुदा रही थी। जैसे कि आगे अब उसे चुदने को नहीं मिलेगा। मेरी अब सहनशीलता खतम होती जा रही थी… पर जैसे सोनू सब जानती थी। स्खलित होने के अन्दाज में वो चीख उठी…”राजा मै तो गयी… लगा दे पूरा जोर…। निकाल दे मेरा पानी… हाय रे… मै तो गयी…॥”

“रानीऽऽऽऽ मैं भी गया…। मेरा भी निकला … हाऽऽऽ निकला ओओओऽऽऽ…”

सोनू झड़ने लगी थी … मेरा लगभग उसके साथ ही वीर्य निकल पडा। वीर्य निकलने के साथ ही मेरा सारा जोश ठन्डा पडता जा रहा था। अचानक मेरी नजरे उसकी चूत पर पडी।

उसमें से वीर्य के साथ खून भी आ रहा था…। मै खुश हो गया कि सोनू अब तक मेरे लिये कुँआरी थी। सोनू ने अन्गडाई ली और तुरन्त उछल कर बिस्तर से नीचे आ गयी। उसने नीचे देखा और उसने अपनी चूत से खून भरा वीर्य टपकते देखा और हंसती हुयी बोली –

“जो… मजा आ गया राजा…फिर कभी मौका मिलेगा तो मै तुम्हारे पास प्यास बुझाने आउंगी…। देखो मना मत करना…। नहीं तो…।” उसने मुझे तिरछी नजरो से घूरा। मैं सहम सा गया। फिर वो बाथरूम में चली गयी। मै थोडी देर बैठा रहा। अचानक मेरे लन्ड में दर्द उठा। मैन देखा तो मेरे लन्ड से खून की बून्दे टपक रही थी। लग रहा था कि लन्ड की कोई नस फ़ट गयी है…। या कोई चोट लग गयी है। लन्ड की त्वचा जगह जगह से फ़ट गयी थी। तो वह खून उसकी चूत में से नहीं… मेरे लन्ड का था…।

मै बाथरूम में गया तो वहां कोई नहीं था… न कोई खिड़की …न कोई दरवाजा… न कोई रोशनदान…। ये क्या हुआ…। कहां गयी सोनू…। मैंने अपने लन्ड को पानी से धोया। मैने पेन्ट पहना और बाहर आया। वही बूढ़ा वेटर वहाँ से निकल रहा था। मैंने उसे बुलाया,”वेटर … सुनो… यहां पर काउन्टर पर जो लड़की बैठती है …वो सोनू नाम है…”

“ज़ीऽऽऽ क्या कहा आपने… हमारे होटल में कोई लडकी काम नहीं करती है…” वो बचता हुआ आगे जाने लगा।

“अरे वो … जिसका कमरा नम्बर १९ है…”

“देखिये साहब … कमरा नम्बर १९ हम किसी को नहीं देते हैं… वहां पर किसी ईसाई लडकी ने आत्महत्या कर ली थी… मैने नहीं कहा था, इस कमरे में मत जाना…।”

“नही… नहीं…कमरे की नहीं… मै सोनू की बात कर रहा हूँ…वैसे उस कमरे में ऐसा क्या है…” उसने मुड कर मुझे देखा …और उसका स्वर कमजोर हो गया…

“हां… मै जानता हूँ…तुम्हें भी… तुम विलियम हो ना…तुम सोनू ही की बात कर रहे हो…और कमरा… उसके कमीने प्रेमी ने उसका देह शोषण यहीं किया था…।”

मै सुन कर सन्न रह गया … तो क्या माईकल ने… उसे सोनू दी बाते याद हो आयी…

“तो क्या वो माईकल था…?”

” हा… तुम उसे जानते हो ना…उसकी कब्र चर्च के पीछे है…” मायूसी भरी आवाज में बोला

“क्या… वो भी मर गया …कैसे…”

“उसे तो मरना ही था… सोनू की रूह उसे छोडती क्या… अरे हाय रे!!!!! मैं उसी सोनू का बाप हूं”

“अन्कल …!!!” उस बूढे वेटर की आंखे गीली गो उठी।

मै लड़खडाता हुआ कमरे में आ गया और सर थाम कर बिस्तर पर बैठ गया। मैने अपने जिस्म पर पडे नाखून के खरोन्चो को स्पिरिट से साफ़ करने लगा। थोडी ही देर में लण्ड में सूजन आ गयी…

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लेखिका : नेहा Hindi Sex Stories

मेरी शादी हुये दो Hindi Sex Stories साल हो चुके थे। मेरे पति बी एच ई एल में कार्य करते थे। उन्हे कभी कभी उनके मुख्य कार्यालय में कार्य हेतु शहर भी बुला लिया जाता था। उन दिनो मुझे बहुत अकेलापन लगता था। मेरी पढ़ाई बीच में ही रुक गई थी। मेरी पढ़ाई की इच्छा के कारण मेरे पति ने मुझे कॉलेज में प्रवेश दिला दिया था। मैं कॉलेज में एडमिशन ले कर बहुत खुश थी। कॉलेज जाने से मेरी पढ़ाई भी हो जाती थी और समय भी अच्छा निकल जाता था।

कई बार मेरे मन में भी आता था कि अन्य लड़कियों की तरह मैं भी लड़कों के साथ मस्ती करूँ, पर मैं सोचती थी कि यह काम इतना आसान नहीं है। यह काम बहुत सावधानी से करना पड़ता है, जरा सी चूक होने पर बदनामी हो जाती है। फिर क्या लड़के यूं ही चक्कर में आ जाते है, छुप छुप के मिलना, और कहीं एकान्त मिल गया तो पता नहीं लडके क्या न कर गुजरें। उन्हें क्या … हम तो चुद ही जायेंगी ना। आह ! फिर भी जाने क्यूं कुछ ऐसा वैसा करने को मन मचल ही उठता है। लगता है जवानी में वो सब कुछ कर गुजरें जिसकी मन में तमन्ना हो। पराये मर्द से शरीर के गुप्त अंगों का मर्दन करवाना, पराये मर्द का लण्ड मसलना, मौका पा कर गाण्ड मरवाना, प्यासी चूत का अलग अलग लण्डों से चुदवाना …।

धत्त ! ये क्या सोचने लगी मैं ? भला ऐसा कहीं होता है ? मैंने अपना सर झटका और पढ़ाई में मन लगाने की कोशिश करने लगी। पर एक बार चूत को लण्ड का चस्का लग जाये तो चूत बिना लण्ड लिये नहीं मानती है, वो भी पराये मर्दों के लिये तरसने लगती है, जैसे मैं … अब आपको कैसे समझाऊं, दिल है कि मानता ही नहीं है।

मेरी क्लास में एक सुन्दर सा लड़का था, उसका नाम संजय था, जो हमेशा पढ़ाई में अव्वल आता था। मैंने मदद के लिये उससे दोस्ती कर ली थी। उससे मैं नोट्स भी लिया करती थी।

एक बार मैं संजय से नोट्स लेकर आई और मेज़ पर रख दिए। भोजन वगैरह तैयार करके मैं पढ़ने बैठी। कॉपी के कुछ ही पन्ने उलटने के बाद मुझे उसमें एक पत्र मिला। संजय ने वो पत्र मुझे लिखा था। उसमें उसने अपने प्यार का इज़हार किया था। बहुत सी दिलकश बातें भी लिखी थी। मेरी सुन्दरता और मेरी सेक्सी अदाओं के बारे में खुल कर लिखा था। उसे पढ़ते समय मैं तो उसके ख्यालों में डूब गई। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था कि कोई मुझसे प्यार करने लगेगा। फिर मुझे लगा कि मैं ये क्या सोचने लगी… मैं तो शादी शुदा हूँ, पराये मर्द के बारे में भला कैसे सोच सकती हूँ।

तभी अचानक घर की घण्टी बजी। बाहर देखा तो संजय था … मेरा दिल धक से रह गया। यह क्या … यह तो घर तक आ गया, पर उसके चेहरे पर हवाईयाँ उड़ रही थी।

“क्या हुआ संजय ?”

“वो नोट्स कहां है सोनल?”

“वो रखे हुये हैं …”

वो जल्दी से अन्दर आ गया और कॉपी देखने लगा। जैसे ही उसकी नजर मेज़ पर रखे पत्र पर पड़ी … वो कांप सा गया। उसने झट से उसे उठा लिया और अपनी जेब में रख लिया।

“सोनू, इसे देखा तो नहीं ना … “

“हां देखा है … क्यू, क्या हुआ … अच्छा लिखते हो !”

“सॉरी … सॉरी … सोनू, मेरा वो मतलब नहीं था, ये तो मैंने यूं ही लिख दिया था।”

“इसमे सॉरी की क्या बात है … तुम्हारे दिल में जो था… बस लिख दिया…।”

उसे कुछ समझ में नहीं आया वो सर झुका कर चला गया। मैं उसके भोलेपन पर मुस्करा उठी। उसके दिल में मेरे लिये क्या भावना है मुझे पता चल गया था।

रात भर बस मुझे संजय का ही ख्याल आता रहा :

कि जैसे संजय ने मेरे स्तन दबा लिये और मेरे चूतड़ों में अपना लण्ड घुसा दिया। मैं तड़प उठी। वो मुझसे चिपका जा रहा था, मुझे चुदने की बेताबी होने लगी। मैंने घूम कर उसे पकड़ लिया और बिस्तर पर गिरा दिया। उसका लण्ड मेरी चूत में घुस गया। मेरा शरीर ठण्ड से कांप उठा। मैंने उसके शरीर को और जोर से दबा लिया।

मेरी नींद अचानक खुल गई। जाने कब मेरी आंख लग गई थी … ठण्ड के मारे मैं रज़ाई खींच रही थी … और एक मोहक सपना टूट गया। मैंने अपने कपड़े बदले और रज़ाई में घुस कर सो गई। सवेरे मेरे पति नाईट ड्यूटी करके आ चुके थे और वो चाय बना रहे थे। मैंने जल्दी से उठ कर बाकी काम पूरा किया और चाय लेकर बैठ गये।

कॉलेज में संजय मुझसे दूर दूर भाग रहा था, पर केन्टीन में मैंने उसे पकड़ ही लिया। उसकी झिझक मैंने दूर कर दी। मेरे दिल में उसके लिये प्रेम भाव उत्पन्न हो चुका था। वो मुझे अपना सा लगने लगा था। मेरे मन में उसके लिये भावनायें पैदा होने लगी थी।

“मैंने आप से माफ़ी तो मांग ली थी ना !” उसने मायूसी से सर झुकाये हुये कहा।

“सुनो संजय, तुम तो बहुत प्यारा लिखते हो, लो मैंने भी लिखा है, देखो अकेले में पढ़ना !”

उसे मैंने एक कॉपी दी, और उठ कर चली आई। काऊन्टर पर पैसे दिये और घूम कर संजय को देखा। वो कॉपी में से मेरा पत्र निकाल कर अपनी जेब में रख रहा था।

हम दोनों की दूर से ही नजरें मिली और मैं शरमा गई। उसमें मर्दानगी जाग गई … और फिर एक मर्द की तरह वो उठा और काऊन्टर पर आ कर उसने मेरे पैसे वापस लौटाये औए स्वयं सारा पेमेन्ट किया। मैं सर झुकाये तेजी से क्लास में चली आई।

पूरा दिन मेरा दिल क्लास में नहीं लगा, बस एक मीठी सी गुदगुदी दिल में उठती रही। जाने वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा।

रात को मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई, मैं अनमनी सी हो उठी। उसे मैंने रात को क्यों बुला लिया? यह तो गलत है ना ! क्या मैं संजय पर मरने लगी हूँ ? क्या यही प्यार है ? हाय ! वो पत्र पढ़ कर क्या सोचेगा, क्या मुझे चरित्रहीन कहेगा ? या मुझे भला बुरा कहेगा।

जैसे जैसे उसके आने का समय नजदीक आता जा रहा था, मेरी दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि मैं पड़ोसी के यहां भाग जाऊं, दरवाजा बन्द देख कर वह स्वतः ही चला जायेगा। बस ! मुझे यही समझ में आया और मैंने ताला लिया और चल दी। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला तो दिल धक से रह गया। संजय सामने खड़ा था। मेरा दिल जैसे बैठने सा लगा।

“अरे मुझे बुला कर कहां जा रही हो ?”

“क्… क… कहां भला… कही नहीं … मैं तो … मैं तो …”

“ओ के, मैं फ़िर कभी आ जाऊंगा … चलता हूँ !”

“अरे नहीं… आओ ना… वो बात यह है कि अभी घर में कोई नहीं है…”

“ओह्ह … आपकी हालत कह रही है कि मुझे चला जाना चाहिये !”

मैंने उसे अन्दर लेकर जल्दी से दरवाजा बन्द कर दिया।

“देखो संजू, वो खत तो मैंने ऐसे ही लिख दिया था … बुरा मत मानना…”

उसका सर झुक गया। मैंने भी शरम से घूम कर उसकी ओर अपनी पीठ कर ली।

“पर आपके और मेरे दिल की बात तो एक ही है ना …” उसने झिझकते हुये कहा।

मुझे बहुत ही कोफ़्त हो रही थी कि मैंने ऐसा क्यूँ लिख दिया। अब एक पराया मर्द मेरे सामने खड़ा था। उसकी भी भला क्या गलती थी। तभी संजय के हाथों का मधुर सा स्पर्श मेरी बाहों पर हुआ।

“सोनू, आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो…” उसने प्रणय निवेदन कर डाला।

यह सुनते ही मेरे शरीर में बर्फ़ सी लहरा गई। मेरी आंखे बन्द सी हो गई।

“क्या कह रहे हो? ऐसा मत कहो …” मेरे नाजुक होंठ थरथरा उठे।

“मैं … मैं … आपसे प्यार करने लगा हूँ सोनू … आप मेरे दिल में समा गई हो !”

वो अपने प्यार का इजहार कर रहा था। उसकी हिम्मत की दाद देनी होगी।

“मैं शादीशुदा हू, सन्जू … यह पाप है … ” मैं उसकी ओर पलट कर बोली।

उसने मुझे प्यार भरी नजरों से देखा और मेरी बाहों को पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। मैं उसकी बलिष्ठ बाहों में कस गई।

“पत्र में आपने तो अपना दिल ही निकाल कर रख दिया था … है ना ! यह दिल की आवाज है, आपको मेरे बाल, मेरा चेहरा, सभी कुछ तो अच्छा लगता है ना !”

“आह्ह्ह … छोड़ो ना … मेरी कलाई !”

“सोनू, दिल को खुला छोड़ दो, वो सब हो जाने दो, जिसका हमें इन्तज़ार है।”

उसने अपने से मुझे चिपका लिया था। पर मेरा दिल अब कुछ ओर कहने लगा था। ये सुहानी सी अनुभूति मुझे बेहोश सी किये जा रही थी। सच में एक पराये मर्द का स्पर्श में कितना मधुर आनन्द आता है … यह अनैतिक कार्य मुझे अधिक रोमांचित कर रहा था … । उसके अधर मेरे गुलाबी गोरे गालों को चूमने लगे थे। मैं अपने आप को छुड़ाने की नाकामयाब कोशिश बस यूँ ही कर रही थी। वास्तव में मेरा अंग अंग कुचले और मसले जाने को बेताब हो रहा था। अब उसके पतले पतले होंठ मेरे होंठों से चिपक गये थे।

उसके मुख से एक मधुर सी सुगंध मेरी सांसों में घुल गई। धीरे धीरे मैं अपने आप को उसको समर्पण करने लगी। उसके अधर मेरे नीचे के अधर को चूसने लगे।

फिर उसकी लपलपाती जीभ मेरे मुख में प्रवेश कर गई और मेरी जीभ से टकरा गई। मैंने धीरे से उसकी जीभ मुख में दबा ली और चूसने लगी। उसके हाथ मेरे जिस्म पर लिपट गये और मेरी पीठ, कमर और चूतड़ों को सहलाने लगे। मेरे शरीर में बिजलियाँ तड़कने लगी। उसका लण्ड भी कड़क उठा और मेरे कूल्हों से टकराने लगा। मेरा धड़कता सीना उसके हाथों में दब गया। मेरे मुख से सिसकारी फ़ूट पड़ी। मैंने उसे धीरे से अपने से अलग कर दिया।

“यह क्या करने लगे थे हम … !” मैं अपनी उखड़ी सांसें समेटते हुई बोली।

“वही जो दिल की आवाज है … ” उसकी आवाज जैसे बहुत दूर से आ रही हो।

“मैं अपने पति का विश्वास तोड़ रही हूँ ! … है ना ?”

“नहीं, विश्वास अपनी जगह है … जिसे पाने से खुशी लगे उसमे कोई पाप नहीं है, खुशी पाना तो सबका अधिकार है … दो पल की खुशी पाना विश्वास तोड़ना नहीं है।”

“तुम्हारी बातें मानने को मन कर रहा है … तुम्हारे साथ मुझे बहुत आनन्द आ रहा है।” मैंने जैसे समर्पण भाव से कहा।

“तो शर्म काहे की …? दो पल का सुख उठा लो … किसी को पता भी नहीं चलेगा… ! आओ !”

मैं बहक उठी, उसने मुझे लिपटा लिया। मैंने भी हिम्मत करके उसकी पैन्ट की ज़िप में हाथ घुसा दिया। उसका लण्ड का आकार भांप कर मैं डर सी गई। वो मुझे बहुत मोटा लगा। उसे पकड़ने का लालच मैं नहीं छोड़ पाई। उसे मैंने अपनी मुट्ठी में दबा लिया। मैं उसे अब दबाने कुचलने लगी। लण्ड बहुत ही कड़ा हो गया था।

वो मेरी चूचियाँ सहलाने लगा … एक एक कर के उसने मेरे ब्लाऊज के बटन खोल दिये। मेरी स्तन कठोर हो गये थे। निपल भी कड़े हो कर फ़ूल गये थे। ब्रा के हुक भी उसने खोल दिये थे। ब्रा के खुलते ही मेरे उभार जैसे फ़ड़फ़ड़ा कर बाहर निकल कर तन गये। जवानी का तकाजा था … मस्त हो कर अंग अंग फ़ड़क उठा। मेरे कड़े निपल को संजू बार बार हल्के से घुमा कर दबा देता था। मेरे मन में एक मीठी सी टीस उठ जाती थी। भरी जवानी चुदने को तैयार थी। मेरी साड़ी उतर चुकी थी, पेटिकोट का नाड़ा खुल चुका था। मुझे भला कहाँ होश था … उसने भी अपने कपड़े उतार दिये थे। उसका लण्ड देख देख कर ही मुझे मस्ती चढ़ रही थी।

उसके लण्ड की चमड़ी खोल कर मैंने ऊपर खींच दी। उसका लाल फ़ूला हुआ मस्त सुपाड़ा बाहर आ गया, मैंने पहली बार किसी का इस तरह सुपाड़ा देखा था। मेरे पति तो बस रात को अंधेरे में मुझे चोद कर सो जाया करते थे, इन सब चीज़ों का आनन्द मेरी किस्मत में नहीं था। आज मौका मिला था जिसे मैं जी भर कर मन भर लेना चाहती थी।

इस मोटे लण्ड का भोग का आनन्द पहले मैं अपनी गाण्ड से आरम्भ करना चाहती थी, सो मैंने उसका लण्ड मसलते हुये अपनी गाण्ड उसकी ओर कर दी।

“संजय, यह तेरा 19 साल का मुन्ना, मेरे 21 साल के गोलों को मस्त करेगा क्या ?”

“सोनू … इतने सुन्दर, आकर्षक गोलों के बीच छिपी हुई मस्ती भला कौन नहीं उठाना चाहेगा, ये चिकने, गोरे और मस्त गाण्ड के गोले मारने में बहुत मजा आयेगा।”

मैं अपने हाथ पलंग पर रख कर झुक गई। उसके लाल सुपाड़े का स्पर्श होते ही मेरे जिस्म में कंपकंपी सी फ़ैल गई। बिजलियाँ सी लहरा गई। उसका सुपाड़े का गद्दा मेरे कोमल चूतड़ों के फ़िसलता हुआ छेद पर आ कर टिक गया। उसके लण्ड पर शायद चिकनाई उभर आई थी, हल्के से जोर लगाने पर ही अन्दर उतर गया था।

मुझे बहुत ही कसक भरा सुन्दर सा आनन्द आया। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी … और अन्दर उतरने की आज्ञा दे दी। मेरे कूल्हों को थाम कर और थपथपा कर उसने मेरे चूतड़ो के पट को और भी खींच कर खोल दिया और लण्ड भीतर उतारने लगा।

“सोनू, आनन्द आया ना … ?” संजू मेरी मस्ती को भांप कर कहा।

“ऐसा आनन्द तो मुझे पहली बार आया है … तूने तो मेरी आंखें खोल दी हैं यार !”

मैंने अपने दिल की बात सीधे ही कह दी। वो बहुत खुश हो गया कि इन सभी कामों में मुझे आनन्द आ रहा है।

“ले अब और मस्त हो जा…!” उसका लण्ड मेरी गाण्ड में पूरा उतर चुका था। मोटा लण्ड था पर उतना भी नहीं मोटा, हां पर मेरे पति से तो मोटा ही था। मंथर गति से वो मेरी गाण्ड चोदने लगा। मेरे शरीर में इस चुदाई से एक मीठी सी लहर उठने लगी … एक आनन्ददायक अनुभूति होने लगी। जवान गाण्ड चुदने का मजा आने लगा। दोनों चूतड़ों के पट खिले हुये, लण्ड उसमें घुसा हुआ, यह सोच ही मुझे पागल किये दे रही थी। वो रह रह कर मेरे कठोर स्तनों को दबाने का आनन्द ले रहा था … उससे मेरी चूत की खुजली भी बढ़ती जा रही थी।

चुदाई तेज हो चली थी पर मेरी गाण्ड की मस्ती भी और बढ़ती जा रही थी। मुझे लगा कि कहीं संजय झड़ ना जाये, सो मैंने उसे चूत मारने को कहा,”संजू, हाय रे ! अब मुझे मुनिया भी तड़पाने लगी है … देख कैसी चू रही है…”

” सोनू, गाण्ड मारने से जी नहीं भर रहा है … पर तेरी मुनिया भी प्यारी लग रही है !”

उसने अपना हाथ मेरी चूत पर लगाया तो मेरा मटर का मोटा दाना उसके हाथ से टकरा गया,”ये तो बहुत मोटा सा है … ” और उसको हल्के से पकड़ कर हिला दिया।

“हाय्य्य , ना कर, मैं मर जाऊंगी … कैसी मीठी सी जलन होती है…”

उसका लण्ड मेरी गाण्ड से निकल चुका था। उसका हाथ चूत की चिकनाई से गीला हो गया था। उसने नीचे झुक कर मेरी चूत को देखा और अंगुलियों से उसकी पलकें अलग-अलग कर दी और खींच कर उसे खोल दिया।

“एक दम गुलाबी … रस भरी … मेरे मुन्ने से मिलने दे अब इसे !”

उसने मेरे गुलाबी खुली हुई चूत में अपना लाल सुपाड़ा रख दिया। हाय कैसा गद्देदार नर्म सा अह्सास … फिर चूत की गोद में उसे समर्पित कर दिया।

उसका लण्ड बड़े प्यार से दीवारों पर कसता हुआ अन्दर उतरता गया, और मैं सिसकारी भरती रही। चूंकि मैं घोड़ी बनी हुई थी अतः उसका लण्ड पूरा जड़ तक पहुंच गया। बीच बीच में उसका हाथ मेरे दाने को भी छेड़ देता था और मेरी चूत में मजा दुगना हो जाता था। वो मेरा दाना भी जोर जोर से हिलाता जा रहा था। लण्ड के जड़ में गड़ते ही मुझे तेज मजा आ गया और दो तीन झटकों में ही जाने क्या हुआ, मैं झड़ने लगी। मैं चुप ही रही, क्योंकि वो जल्दी झड़ने वाला नहीं लगा।

उसने धक्के तेज कर दिये … शनैः शनैः मैं फिर से वासना के नशे में खोने लगी।

मैंने मस्ती से अपनी टांगें फ़ैला ली और उसका लण्ड फ़्री स्टाईल में इन्जन के पिस्टन की तरह चलने लगा। मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि थोड़ी सी हिम्मत करने से मुझे इतना सारा सुख नसीब हो रहा है। मेरे दिल की तमन्ना पूरी हो रही है। मेरी आंखें खुल चुकी थी… चुदने का आसान सा रास्ता था … थोड़ी हिम्मत करो और मस्ती से नया लण्ड खाओ। मुझे बस यही विचार आनन्दित कर रहा था … कि भविष्य में नये नये लण्ड का स्वाद चखो और जवानी को भली भांति भोग लो।

“अरे धीरे ना … क्या फ़ाड़ ही दोगे मुनिया को…?

वो झड़ने के कग़ार पर था, मैं एक बार फिर झड़ चुकी थी। अब मुझे चूत में लगने लगी थी। तभी मुझे आराम मिल गया … उसका वीर्य निकल गया। उसने लण्ड बाहर निकाल लिया और सारा वीर्य जमीन पर गिराने लगा। वो अपना लण्ड मसल मसल कर पूरा वीर्य निकालने में लगा था। मैं उसे अब खड़े हो कर निहार रही थी।

“देखा, संजू तुमने मुझे बहका ही दिया और मेरा फ़ायदा उठा लिया !”

“काश तुम रोज ही बहका करो तो मजा आ जाये…” वो झड़ने के बाद जाने की तैयारी करने लगा। रात के ग्यारह बजने को थे। वो बाहर निकला और यहाँ-वहाँ देखा, फिर चुपके से निकल कर सूनी सड़क पर आगे निकल गया।

संजय के साथ मेरे काफ़ी दिनों तक सम्बन्ध रहे थे। उसके पापा की बदली होने से वो एक दिन मुझसे अलग हो गया। मुझे बहुत दुःख हुआ। बहुत दिनों तक उसकी याद आती रही।

मैंने अब राहुल से दोस्ती कर ली थी। वह एक सुन्दर, बलिष्ठ शरीर का मालिक था। उसे जिम जाने का शौक था। पढ़ने में वो कोई खास नहीं था, पर ऐसा लगता था कि वो मुझे भरपूर मजा देगा। उसकी वासनायुक्त नजरें मुझसे छुपी नहीं रही। मैं उसे अब अपने जाल में लपेटने लगी थी। वो उसे अपनी सफ़लता समझ रहा था। आज मेरे पास राहुल के नोट्स आ चुके थे … मैं इन्तज़ार कर रही थी कि कब उसका भी कोई प्रेम पत्र नोट्स के साथ आ जाये … जी हां … जल्द ही एक दिन पत्र आ गया …

प्रिय पाठको ! मैं नहीं जानती हूं कि आपने अपने विद्यार्थी-जीवन में कितने मज़े लूटे। पर हां अभी भी आप यह सुन्दर सुख भोगने की लालसा रखती हैं तो जरूर ये सुख भोगे। ध्यान रहे सुख भोगने से विश्वास का कोई सम्बन्ध नहीं है। सुख पर सबका अधिकार है, पर हां, इस चक्कर में अपने पति को मत भूल जाना, वो तो जिन्दगी भर के लिये है। Hindi Sex Stories

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मेरा नाम रोहित है, मेरी Hindi Porn Stories उम्र अभी 23 साल, मैं कोलकाता का रहने वाला हूँ। मैंने यहाँ पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी हैं तो मैंने सोचा कि मैं भी अपनी कहानी लिखूँ।

यह मेरी पहली कहानी है जिसे मैं आप के साथ बाँट रहा हूँ। मैं आप का वक़्त जाया नहीं करके अपनी कहानी बताता हूँ।

यह कहानी सन 2008 की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था। मैं विशाखापटनम के एक स्कूल में पढ़ता था तो मुझे हॉस्टल में रहना पड़ता था। हॉस्टल में लड़के और लड़कियाँ एक ही मंजिल में रहते थे पर उनके अलग कमरे थे।

मैंने अपने पहले दिन हॉस्टल में एक लड़की को देखा था, वह बहुत ही सुंदर थी। उसकी उम्र होगी कोई 18 साल … उसकी लम्बाई 4.8″ होगी और उसकी फिगर 32-28-32 होगी, देखने में बहुत गोरी थी। मैं सोचने लगा कि कैसे मैं उससे बात करूँ ??

जैसे ही मैं अपकी कक्षा में आया तो देखा कि वो लड़की मेरी ही क्लास में पढ़ती है। मन ही मन मैं खुश भी हो गया, चलो कोई तो बहाना मिला बात करने के लिए। वो लड़की पढाई में भी बहुत अच्छी थी तो मैडम ने उससे बोला मेरी मदद कर देने के लिए क्योंकि मैं नया था क्लास में!

तो मैं उसकी बगल में आकर बैठ गया। उसने मुझसे पूछा- तुम्हारा नाम क्या है? तुम कहा से हो? यहाँ के तो नहीं लगते!

मैंने कहा- मेरा नाम रोहित है और मैं कोलकाता से हूँ। मैं हॉस्टल में पहली बार रह रहा हूँ।

उसने कहा- मैं भी पहली बार हॉस्टल में रह रही हूँ और मैं मुंबई से हूँ।

ऐसे हमारी बातों का सिलसिला चल पड़ा और दिन बीतते-बीतते हम दोनों बहुत पास आ गये। हम हर दिन बात करते थे एक दूसरे के साथ बैठ कर … चाहे क्लास में हो या हॉस्टल हो।

जब भी छुट्टी मिलती हम दोनों बाहर घूमने निकल जाते और पूरा दिन मस्ती से घूमते, पार्क जाते, बीच जाते और शाम को वापस आ जाते।

इन दिनों में मैं उसे बहुत पसंद करने लगा, वो मुझे भी बहुत पसंद करने लगी।

हमारे एक्साम ख़त्म हो चुके थे, अब हमारी गर्मी की छुट्टी शुरू होने वाली थी। सब बच्चे अपने घर जा रहे थे हॉस्टल छोड़ के … पर हमने सोचा कि एक दिन और रुकेंगे और घूमने की तैयारी करने लगे।

हमारे सिवा कुछ और बच्चे थे तो हॉस्टल वाले ने हमें एक ही कमरे में सोने को कहा। हम सब एक ही कमरे में सोने लगे। हम दोनों को नींद नहीं आ रही थी और हम बात करने में मग्न थे।

बातों-बातों में मैंने मजाक में पूछा उसे- कभी तुमने प्यार किया है किसी से?

उसने कहा- हाँ!

मैंने सोचा कि लगता है अब मेरी दाल नहीं गलेगी क्योंकि वो किसी और से प्यार करती है तो मैंने अन्दर से दुखी हो कर पूछा- कौन है वो जिससे तुम प्यार करती हो?
उसने कहा- वो मेरा बहुत अच्छा दोस्त है, हर दिन मैं उससे बात करती हूँ।

तब मैंने सोच लिया था कि अब मैं गया काम से …

मैंने फिर पूछा- उसका नाम बताओ?
उसने कहा- उसका नाम रोहित है और वो तुम ही हो!
मैं यह जान के बहुत खुश हो गया और उसको अपने बाँहों में भर लिया और उसे होंठों पर चूम कर कहा- आई लव यू निशा!
उसने कहा- आई लव यू ठू!

मैंने पूछा- पहले क्यों नहीं बताया?
उसने कहा- हिम्मत नहीं हो रही थी, पर आज बता दिया..

और क्या था … मैंने उसे और अपने आपसे चिपका लिया … उसकी चूचियाँ मेरे सीने पर दब रही थी। वो उस वक़्त नाईट सूट में थी … मैं उसको चूमते हुए उसका सूट उतारने लगा। वो आहें भरने लगी … कुछ देर बाद मैंने उसकी पैंटी और ब्रा भी उतार डाले …
वह शरमा रही थी और उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी..

मैंने उसकी चूची सहलाना शुरू किया और बड़े प्यार से सहलाने लगा। अब वो उत्तेजित होने लगी थी … मैंने उसकी चूची को अब दबाना शुरू किया … उसकी चूची बहुत ही नरम थी, इसी वजह से उससे दर्द हो रहा था … कुछ देर बाद मैंने उससे बिस्तर में लेटाया और उसकी चूत पर अपने हाथ को फिराने लगा … और बीच-बीच में मैं उसकी चूत में अपनी उंगली डाल के अन्दर बाहर करने लगा … ऐसा करने से वो सिसकारने लगी और तड़प उठी, उसने कहा- और बर्दाश्त नहीं हो रहा हैं …

और वो मेरे लण्ड को मेरे पजामे के ऊपर से ही सहलाने लगी, लण्ड को अपने हाथ में भर के हिलाने लगी … उस वक़्त मैं जन्नत में चला गया था, ऐसा लगा …

फिर उसने मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया और पूरा साफ़ कर दिया …

उसके बाद मैंने उसकी चूत को चाटा और कुछ देर में उसका चिकना पानी मेरे मुँह में भर गया और मैं भी उसे पूरा चाट गया … और हम दोनों शांत हो गए …

कुछ देर बाद फिर मेरा लण्ड खड़ा हुआ और मैंने इस बार उसकी चूत पर रख कर एक जोर का धक्का दिया और उसके मुँह से आह की चीख निकल गई …

मैंने फिर जोर से एक और धक्का दिया तो लण्ड अन्दर जाने लगा और वो चिल्लाने लगी तो मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिए और चूमते हुए एक और धक्का दिया …
इस बार लण्ड पूरा अन्दर चला गया था …

मैं कुछ देर रुक गया.. जब उसका दर्द कम हुआ तो उसने मुझे इशारा किया कि अब मैं अपना काम शुरू कर सकता हूँ …

और मैंने धीरे धीरे से उसे पेलना शुरू किया … उसके बाद मैं थोड़ा और जोर से चोदने लगा …

उसने कहा- रोहित, और जोर से करो … मेरी चूत तुम्हारी लण्ड की प्यासी है … बहुत दिन से यह प्यास मेरी चूत में थी पर मेरी हिम्मत नहीं थी कि मैं तुम्हें बताऊँ … प्लीज़! आज मेरी प्यास बुझा दो न …!!

मैंने कहा- जान! मैं तुम्हारा दीवाना उसी दिन बन गया था जब मैंने तुम्हें पहली बार हॉस्टल में देखा था.

अपनी स्पीड मैंने बढ़ा दी थी … उससे बहुत मज़ा आ रहा था … बीस मिनट के बाद वो झड़ी और उसके बाद मैं भी झड़ गया.

मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में भर दिया और उसके साथ सो गया!
उस रात के बाद जब भी मौका मिलता, हम सेक्स कर लेते थे.

जब हमारे स्कूल ख़त्म हो गए तो हम दोनों अलग हो गए पर हम दोबारा कभी मिल नहीं पाए!

यह मेरी सच्ची कहानी है जो मैंने आप के साथ शेयर की है, उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आएगी!
अगर आप मुझे कुछ बताना चाहते हैं या कुछ सुझाव देना चाहते हैं तो मुझे मेल कीजियेगा!
मैं आपके मेल का इंतज़ार करूँगा! Hindi Porn Stories

Antarvasna

मेरे मित्र ने मुझे कुछ ही दिन Antarvasna पहले अन्तर्वासना के बारे में कहा था। पढ़कर बहुत मज़ा आया और अपना भी अनुभव आप लोगों तक पहुँचाने का मन किया।

मुझमें एक आदत है- कोई भी लड़की मेरी तरफ़ देखती है तो दूसरे ही पल मैं उसके वक्ष को देखता हूँ और तुरन्त ही नीचे चूत की तरफ़ देखता हूँ और दांतों से होंट काटते हुए उसकी आँखों में देखता हूँ। अगर वो फ़िर मुझे देखती है तो जान जाता हूँ कि काम की है और उसी पर थोड़ा लाइन मारता हूँ।

तो दोस्तो, बात एक साल पहले की है। हमारे पड़ोस में सामने वाले घर में अपने रिश्तेदार के यहाँ एक नई लड़की रहने आई। उसका नाम रोमा है, 19 साल की पजाबी लड़की थी। दिखने में किसी हिरोइन से कम नहीं थी। जो भी देखता था तो देखता रह जाता था। पर बहुत ही घमन्डी थी। और दोस्तो, मुझे घमन्डी लड़की को चोदने को बहुत मन करता है। जब से आई, उसे चोदने का मन बना लिया था।

नसीब से हम दोनों का बेडरूम फ़स्ट-फ़्लोर पर ही था और दोनों की गैलरी भी आमने-सामने ही थी। दो तीन दिन निकल गये वो जरा भी इधर-उधर नहीं देखती थी।

एक दिन शाम को मेरी तबियत ठीक न होने के कारण मैं जल्दी ही घर आ गया था और सोने के लिये बेडरूम में आ गया तो देखा तो रोमा अपनी गैलरी में खड़ी थी। मैंने सोचा- मौका अच्छा है।फ़िर तुरन्त ही अपना पैन्ट उतार के, वो मुझे देख सके, उस तरफ़ मुँह करके अपने लण्ड को तेल लगा-लगा कर मालिश करने लगा।

जैसे ही उसने मुझे नंगा देखा, तुरन्त अपने कमरे में भाग गई। दोस्तो, मेरा लण्ड अगर किसी भी औरत या लड़की ने देखा तो चखने का मन बन ही जाता है। फ़िर मैंने खिड़की के काँच से देखा तो पता चला कि वो दरवाजे के पास कुर्सी डाल कर चुपके से मेरे कमरे में झांक रही थी। मैंने सोचा- मेरा काम हो गया।

फ़िर मैं भी कुर्सी ले कर दरवाजे के पास जाकर बैठ गया और तेल लगाकर मुठ मारने लगा। वो छुप-छुप के देख रही थी और शरमा रही थी और देख भी रही थी। उसे जरा भी पता नहीं था कि मैं जानबूझ के उसे दिखा रहा हूँ। फ़िर उसे और भड़काने के लिये ही मैंने मेरी भाभी से पानी लाने को कहा।

वो तो दंग रह गई। एक तो मैं पूरा नंगा था और भाभी को बुला रहा था। भाभी जैसे ही पानी लेकर आई, मुझे देखकर बोली- शरम नहीं आती? जब देखो तब लेकर बैठ जाते हो !

मैं उठ कर भाभी के पास गया और उसे पीछे से पकड़ लिया और मस्ती करते करते ठीक दरवाजे के पास लाकर भाभी के पीछे से ब्लाउज के उपर से ही भाभी के स्तन दबा रहा था। भाभी मुझे डाँटते हुए मुझसे छुटने की कोशिश कर रही थी और बोल रही थी- रात को आऊँगी ! जी भर के चोद लेना ! और कहने लगी- छोड़ो, कोई देख लेगा।

मुझे तो दिखाना ही था ! भाभी को कहाँ मालूम मेरी योजना। यह सोच कर मन ही मन मैं मुस्कुराने लगा और उनके बाल पकड़ के पीछे से चूमने लगा। हमारा यह नज़ारा देख कर रोमा और पगल हो रही थी और घूर घूर कर देख रही थी। मैं धीरे धीरे भाभी के स्तनों को दोनों हाथों से जोर जोर दबा रहा था। अब भाभी को मजा आ रहा था और मेरा विरोध करना बन्द कर दिया।

फ़िर मैंने एक हाथ से उसकी साड़ी को ऊपर उठाया और उसकी पैन्टी में हाथ डाल कर भाभी की चूत में उंगलियाँ डाल कर मसल मसल कर मुठ मारने लगा। थोड़ी देर में भाभी की साड़ी खुल गई तो मैंने पैन्टी भी उतार दी।

एक हाथ दरवाज़े पर टिका दिया और पीछे से अपना लण्ड भाभी की चूत के पास लाकर आगे से चूत को लगा कर ऊपर नीचे करने लगा। भाभी बेड पर ले जाने को बोल रही थी। मैंने मना किया और एक झटका मार दिया तो आधा लण्ड अन्दर चला गया। एन्गल ऐसा था कि चूत में घुसा हुआ आधा लण्ड रोमा को साफ़ दिखाई दे रहा था।

और रोमा को देख कर मैं भी जोश में आने लगा और भाभी को गपागप चोदे जा रहा था। ऊपर से दोनों हाथों से दोनों चूचियों को बेरहमी से दबा रहा था और साथ में भाभी के होंठों को चूस-चूस के मजे ले रहा था। हम दोनों के चक्कर में भाभी को मजा आ रहा था और मुँह से तरह तरह की आवाजे निकाल रही थी- आऽऽ आआ अह, या आह्ह, उफ़्फ़, बस, छोड़ो मुझे, जाने दो, कोई देख लेगा !

भाभी की आवाजों से रोमा भी उत्तेजित होने लगी। बीच बीच में लण्ड बाहर निकाल के अन्दर डाल रहा था। मलाई से लोट-पोट लण्ड देख कर रोमा से रहा नहीं जा रहा था। लण्ड अच्छा दिख रहा था। फ़िर झटके तेज करके लगा रहा था। दस मिनट तक एसे ही चोदता रहा, इतने में भाभी की चूत से पानी निकल गया तो वो मेरे हाथ से छुट गई और अपने कपड़े उठा के वहाँ से चली गई।

फ़िर मैंने रोमा के सामने आकर लण्ड हाथ में लेकर मुठ मार-मार कर पानी निकाल दिया। जैसे ही मेरे लण्ड से पानी निकला, तो पानी जैसे उसके मुँह में गिरा हो, उस तरह रोमा अपना थूक निगल रही थी। इतने में रोमा के दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी तो वो उठकर गई और मैं भी छुप गया।

दूसरे दिन भाभी ने मुझसे चायनीज़ खिलौनों की दुकान से फ़ाईबर का लण्ड मंगवाया। भाभी को शादी हुई दो साल हुए, मेरे भैया से उनको चूत का सुख नहीं मिलता था। उसे अब तक भैया ने कम, मैंने ज्यादा चोदा है।

तो रात को 9-30 बजे जब मै बडरुम में गया तो देखा कि रोमा अपने कमरे में बैठकर टी वी देख रही थी और थोड़ी-थोड़ी देर बाद मेरे कमरे की तरफ़ देख रही थी। मैं समझ गया कि उसे चूत का खेल फ़िर से देख्नना है। फ़िर मुझे भी भाभी को फ़ायबर के लण्ड का मज़ा देना था।

जैसे ही मैंने भाभी को आवाज़ दी, रोमा ने अपने कमरे की लाइट बन्द कर दी और अपने बेड पे जाकर खिड़की में नजर टिका कर बैठ गई। पर टीवी चालू होने के वजह से साफ़ पता चल रहा था कि वो मुझे देख रही है।

घर पर आज भी मेरे और भाभी के अलावा कोई नहीं था। इतने में भाभी दूध ले कर ऊपर आ गई। भाभी को भी घर पर कोई न होने का पूरा मजा लेना था। आते ही वो भी सीधा बेड पे आ गई। मैंने सारे कपड़े उतार दिए और उनके बाल खुले करके लेटा दिया। फ़िर भाभी टांगें ख़िड़की की तरफ़ करके उसकी चूत चाटने लगा। फ़िर उंगलियों से मसलने के बाद जब चूत पूरी तरह गीली हो गई तो मैंने फ़ायबर का लण्ड भाभी की चूत में धीरे से घुसेड़ दिया।

घुसते ही भाभी चिल्लाई। रोमा को भी कुछ नया दिख रहा था। जैसे ही पूरा लण्ड अन्दर गया, भाभी और चिल्लाने लगी, क्योंकि वो काफ़ी मोटा था और लम्बा भी था।

मैं थोड़ी-थोड़ी देर में रोमा को देख रहा था। अब वो पूरी तरह से पलट कर हमें देख रही थी। फ़ायबर के लण्ड से थोड़ी देर चोदने के बाद मैंने भाभी को उल्टा करके कुतिया बनाया और भाभी की गाण्ड में थूक लगा के गीला कर दिया फ़िर धीरे से अपना लण्ड अन्दर घुसेड़ दिया। भाभी दर्द के मारे आहें भर रही थी। धीरे-धीरे भाभी की गाण्ड खुल गई। फ़िर मैं उठ-उठ कर चोदने लगा। तो भाभी का हाल- न कहा जाये न सहा जाये ! ऐसा था।

थोड़ी देर गाण्ड चोदने के बाद भाभी को उठा के बाल पकड़ कर मुँह में लण्ड दिया। वो लण्ड चूसने में माहिर है। मुँह से ही कभी कभी लण्ड ढीला करके पानी निकाल देती थी। थोड़ी देर बाद भाभी को सीधा करके दस बारह झटके मारते ही भाभी झड़ गई और ऐसे ही पलंग पर सो गई।

तब मैंने लाइट बंद कर दी और चुपके से दरवाजे से होकर गैलरी से कूद कर रोमा की गैलरी में गया और दरवाजे से अंदर जा के सीधा लाइट चालू किया जोर से कहा- क्या देख रही हो कब से?

रोमा एकदम डर गई। वो पूरी नंगी थी। उसकी उंगलियाँ चूत में थी। मैं उससे पास गया फ़िर भी वो उठी नहीं। उसे लगा कि उसकी चोरी पकड़ी गई। मौके का फ़ायदा उठा के मैंने उसे पकड़ लिया और उसे चूमने लगा। वो कुछ भी नहीं बोल पा रही थी।

फ़िर ज्यादा देर न करके उसे लिटा कर उसकी चूत में उँगली डाली तो पता चला चूत पूरी गीली और एकदम कंवारी थी। मैं अपना लण्ड चूत के मुख पर रख कर ऊपर-नीचे घिसाता रहा और फ़िर जोर से एक झटका दिया तो आधा लण्ड अन्दर घुस गया।

रोमा जोर से चिल्लाई- ओ…मा…॥

फ़िर रोमा ने अपनी जांघें जकड़ ली दर्द के मारे ! मुझे हिलने नहीं दे रही थी। रोमा का ध्यान दर्द से हटाने के लिये मैं उसके स्तन मसल रहा था। एक साथ दोनों जगह का आनंद लेते लेते रोमा ने अपनी टांगें थोड़ी चौड़ी कर ली। मैंने भी मौका देखकर जोर से दो चार झटके दिए तो इस बार पूरा लण्ड रोमा की चूत को फ़ाड के अंदर चला गया।

रोमा के मुँह से उप्स्स्स्स्स की आवाज निकली। फ़िर उसके चाहने पर भी ना रुका ! गपागप रोमा की मस्त चूत को चोदता ही रहा। उसके मुँह से आवाज रुक नहीं रही थी- आहाह्ह्ह्ह उईईई माँ ! और 5 मिनट में रोमा स्खलित हो गई। दस बारह झटके लगा के मैंने भी पूरा का पूरा पानी अंदर ही छोड़ दिया और चुपचाप अपनी चड्डी पहनकर अपने कमरे में आ गया।

रात को चार बजे एक बार देखने गया तो रोमा अभी भी ऐसे ही सोई हुई थी। उसका नंगा बदन देख के मेरे मन को लगा कि फ़िर मौका मिले ना मिले, एक बार और चोद लेता हूँ।

और फ़िर चालू हो गया। दस मिनट चोद के फ़िर पूरा पानी अंदर ही छोड़ कर आ गया।

तीन दिन के बाद रोमा अपने शहर चली गई। लेकिन उसने मुझे फ़िर नहीं देखा। बीस दिन के बाद अचानक वो फ़िर से आई और रात को मुझे अपने कमरे में बुलाया। मैं खुशी से गया तो पता चला कि उसका मासिक जो 15 तारीख को आता था वो नहीं आया ! वो तो डर गई थी, यही बताने खास वो यहाँ आई थी। मैंने उसे दवाई दी तो उसका मासिक हो गया।

अब हमारी अच्छी दोस्ती हो गई, अपना मोबाइल नम्बर दे गई। महीने में एक बार उसे मिलने जाता हूँ तो चोद के ही आता हूँ।

मैं यह कहानी भी उसे पूछ कर ही लिख रहा हूँ।

मेरे दोस्तो, मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना। Antarvasna

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मेरी शादी हुये लगभग Antarvasna Sex Stories चार साल हो चुके थे। कुछ अभागी लड़कियों में से मैं भी एक हूँ। शादी के दिन मैं बहुत खुश थी। लगा था कि जवानी की सारी खुशियाँ मैं अपने पति पर लुटा दूंगी। मैं भी मस्ती से लण्ड खाऊंगी… कितना मजा आयेगा। पर हाय री मेरी किस्मत… सुहाग रात को ही जैसे मुझ पर वज्र प्रहार हुआ। मेरा पति रात को दोस्तों के साथ बहुत दारू पी गया था। आते ही जैसे वो मुझ पर चढ़ गया। मेरे कपड़े उतार फ़ेंके और खुद भी नशे में नंगा हो गया। लण्ड देखा तो मामूली सा… शायद पांच इन्च का दुबला सा… जैसे कोई नूनी हो… एक दम कडक… मैंने भी लण्ड खाने के लिये अपनी टांगे ऊपर उठा ली… तेज बीड़ी की सड़ांध उसके मुख से आ रही थी जो दारू की महक के साथ और भी तेज बदबू दे रही थी। मैंने अपना चेहरा एक तरफ़ कर लिया, राह देखने लगी कि कब उसका लण्ड चूत में जाये और मेरी जवानी की आग बुझाये।

वो दहाड़ता हुआ मेरे से लिपट गया और अपना लण्ड घुसेड़ने की कोशिश करता रहा। जैसे तैसे उसका लण्ड घुस ही गया, मैं आनन्द से भर गई तभी मेरी चूत में जैसे कीचड़ सा भर गया। वो झड़ चुका था। मैं तड़प कर रह गई। मैंने उसे धक्का दे कर एक तरफ़ किया और उठ कर बाथरूम में जाकर अंगुली चला कर अपना पानी निकाल लिया। अब वो नशे में बेसुध पड़ा खर्राटे भर रहा था।

“साली… रण्डी… चोद कर क्या मिल गया… साली चुदी चुदाई है!” सवेरे मेरा पति मुझ पर गुर्रा रहा था। उसकी मां ये सब सुन रही थी। पर शायद वो उनके बारे में जानती थी।
“चुप रहो… ऐसी गन्दी बातें करते हुये शरम नहीं आती… “मैंने धीरे से उलाहना दिया।
“तो बता तेरे भोसड़े में से खून क्यों नहीं निकला रात को…?”
“वो तो आपका करते ही निकल गया था।” मेरी बात सुन कर उसकी मां सर नीचे करके चली गई।

बस अब दिन-ब-दिन यूं ही झग़ड़ा होने लगा। मैंने अपने पति के पास सोना बन्द कर दिया।

एक दिन वो बिना दारू पिये… और बिना बीड़ी पिये मेरे पास आये तो मुझे लगा शायद ये सुधर गये हैं। पर लण्ड घुसाते ही वो झड़ गये… अब वो मुझ पर हर रोज़ कोशिश करते, पर नहीं बना तो नहीं बना…

मैं अब जान गई थी कि ये काम के नहीं है। मैं मन ही मन सुलगती रहती थी। लगा मेरी जवानी यूँ ही चली जायेगी… यह कसक मन में उठने लगी थी। परिस्थितिवश मेरी निगाहें अब घर के बाहर उठने लगी थी।

मेरी सहेली मुमताज मेरी सभी बातें जानती थी। मेरे दिल की आग की लपटें वो भी महसूस करती थी।
“गौरी, मेरा चचेरा भाई आज आ रहा है… तू कहे तो तुझे उससे मिलवा दूँ!”
“नहीं, मम्मो… मुझे शरम आवेगी… जाने दे!”
मैं उसकी बातों से सकपका गई थी। पर वो जानती थी कि दबी चिंगारी से मैं कैसे जल रही थी।

दूसरे दिन सवेरे ही मोबाईल पर मुमताज ने मुझे खबर भेजी कि भैया आ गया है… बस एक मिनट के लिये मिलने आजा।
मैं सोच में पड़ गई, कि कैसा होगा… कहीं यह भी मेरे पति जैसा ना हो। इसी उधेड़बुन में मैं उसके यहाँ पहुंच गई।

“अल्लाह रे अल्लाह… ये… तेरा भाई है…?!!” यूनानी मूर्ति की तरह एक हसीन लौण्डा सामने मुस्कुरा रहा था। मैं तो उसे देखते ही जैसे घायल सी हो गई। मैंने अपने लिये इतने हसीन नौजवान की कल्पना तक नहीं की थी।
“चुप हो जा गौरी… मस्त लण्ड है इसका… जैसे मुझे चोदता है ना… तुझे भी भचक-भचक करके चोद देगा… देख है ना छः फ़ुटा… गोरा चिट्टा… पहलवान…!”
“मेरे मौला… इसकी पोन्द कितनी मस्त है… तू भी उससे चुदाती है ?”
“ऐसी मस्त चीज़ को भला मैं हाथ जाने देती… ये मेरी किस्मत का है गौरी!”

मम्मो मुस्करा उठी। उसकी कसी हुई जीन्स देख कर जैसे मैं तड़प उठी। यही है जिसकी बात मम्मो कर रही थी। ये तो मुझे पूरा लूट ही लेगा।
“ऐ मोडी… हां तू… इसे अन्दर रख दे…! ” साजिद ने पुकार कर कहा। मैंने अपनी तरफ़ अंगुली कर के कहा,”क्या मैं… ?” मैं झिझकते बोली।

“अरे… आप…! आप कौन है…! आं हां… नहीं मोहतरमा, मैं तो सुरैया को बुला रहा था।” उसने मुझे घूर कर देखा। मैं शर्मा सी गई। मैं तो दिल ही दिल में उस पर मर मिटी। वो धीरे धीरे चलता हुआ मेरे करीब आ गया… “आप तो बहुत खूबसूरत है… खुदा ने कैसा तराशा है…!” उसने मुझे नीचे से ऊपर तक देखा।
“हाय अल्लाह… तेरे अकेले पर ही जवानी फ़ूटी है क्या… “मैंने उसे गाली सी दी और हंस पड़ी।

“नहीं आप पर जवानी फ़ूट रही है… जरा कभी आईने में देखो… बला की खूबसूरती है आप में!” वो बेशर्मी से बोले जा रहा था।
“मर जा मरदूद… आग लगे तेरी जवानी को… ” मैं उसकी बेबाकी पर उसे गालियाँ देने लगी।
“अरे गौरी… साजिद का प्यार भरा पैगाम कबूल तो कर ले!” मम्मो ने मुझे बहलाया।

“हाय री मम्मो देख तो कैसी मुह-जोरी कर रहा है!” फिर मैंने एक तिरछी नजर की उस पर कटार चलाई। लगा कि तीर दिल पर चल गया है। मैंने मुस्करा कर उसे देखा। अब तो वही मेरा तारणहार था… उसे मेरा उदघाटन करना था… मेरा उद्धार करना था। मेरी मुस्कराहट को उसके मेरा जवाब समझ कर मुस्करा दिया।

तभी मुमताज उसके पास गई और उसके कान में कुछ कहा। उसने अपना सर हिलाया और वो मुमताज के पीछे पीछे चल दिया। मुमताज ने मुझे आंख मार कर इशारा कर दिया। मेरा दिल धड़क उठा। क्या मामला अभी… नहीं… नहीं… इतनी जल्दी कैसे होगा।

पर नजर का जादू चल जाये तो क्या जल्दी और क्या देर… मेरा घायल दिल और परेशां दिमाग… खुदा की मरजी… हाय मेरे दिलदार… मन की कश्ती मौजों से घिर गई। मेरे कदम मुमताज के कमरे की ओर बढ़ चले।

“दिल नर्म… जबां गरम… जिस्म शोला… जाने किस की जान लोगी!”
“हाय अल्लाह… ऐसे ना कहो…! ” मैं शर्म से जैसे लाल हो गई।

“जवानी बला की, खूबसूरती जहां की… तन तराशा हुआ… खुदा ने जवानी की यही तस्वीर बनाई है!” साजिद मेरे गुणगान में लगा था। मेरी उलझी हुई लटें मेरे चेहरे पर आ गई। जुल्फ़ों के बीच में से मैंने उसे देखा… वो जैसे तड़प उठा,” सुभान अल्लाह… ये हंसी चेहरा… जनाब का क्या इरादा है।”

साजिद को आशिकाना लहजे में देख कर मुमताज वहाँ से चली गई। साजिद मेरे करीब आ गया।
“आदाब… संजू जी!”
मैंने झुकी पलकों और चुन्नी में चेहरे को लपेटे शरमाते हुये कहा।

“आपने कहा आदाब… हमने कहा जनाब हमारी तकदीर… आ दाब दूँ!” उसकी शरारत मेरे दिल को चीर गई।

“धत्त… आपकी बातें बहुत मन को भाती है… “मैंने उसे बढ़ावा दिया।
नतीजा तुरन्त सामने आया। उसने मुझे अपने पास खींच लिया.

“गौरी… मम्मो ने मुझे आपके बारे में बताया है… आप फ़िक्र ना करें… आप मुझे लूट सकती हैं… ये मुजस्मां आपका ही है… जैसे चाहो… जहां चाहो… इसे अपने रंग में रंग लो!”

“हमें डर लगता है… कहीं उनको पता ना चल जाये…!” मेरे माथे पर पसीना छलक आया था।

“देखिये मोहतरमा… इश्क और मुश्क छिपाये नहीं छिपता है… ये तो तन की प्यास है कोई इश्क मुश्क नहीं… मम्मो को रोज चोदता हूँ… आप भी वहीं पर… ”

मैंने उसके अधरों पर अंगुली रख कर उसे चुप कर दिया। मैं उसकी बातों पर रीझ गई थी, शरम से लाल हो रही थी। वह तो बेहयाई से बोला जा रहा था।

“बस ऐसे ना कहो… शरम भी कुछ चीज़ है!”मैंने उसकी चौड़ी छाती पर अपना सर रख दिया।

“गौरी… ऊपर वाले कमरे में चले जाओ… मैं बाहर से ताला लगा देती हूँ… वहाँ बाथरूम भी है… संजू अभी जा रहे हो क्या ?” मुमताज ने हमें ऊपर का रास्ता बता दिया।

“आजा गौरी… ऊपर आ जा!” और हंसता हुआ वो छलांगें मारता हुआ ऊपर चला गया।

मैं मुमताज से शरम के मारे लिपट गई। मुमताज की आंखों में आंसू थे…

“जा मेरी गौरी… अपना सपना पूरा कर ले… मन भर ले… तेरी आज सुहागरात नहीं सुहाग दिन है ऐसा समझ ले… जा मेरी प्यारी सहेली… मैं तुझ पर सदके जाऊं!”

“मम्मो, मेरी जान… मेरी सच्ची सहेली, तुझ पर कुर्बान जाऊं… “मैंने प्यार से उसके होंठो को चूम लिया। मैंने अपने नजरें नीची की और चुन्नी चेहरे पर डाल ली और धीरे धीरे सीढ़ियाँ चढ़ने लगी… ।

मुमताज नीचे से ऊपर जाते हुये मुझे देखती रही। अन्तिम सीढ़ी चढ़ कर मैंने पलट कर मुमताज को देखा। मुमताज ने प्यार से हाथ हिला दिया। मैंने भी उसे हाथ से एक प्यार भरा बोसा दे दिया और शरमा गई।

मैंने दरवाजा खोला और कमरे के अन्दर समा गई। उसी समय बाहों के घेरे मेरी कमर से लिपट गये। मैं सिमट सी गई। मेरे गालों पर एक प्यार भरा चुम्बन भर दिया। मैंने पलट कर संजू को देखा। मैंने अपने आपको छुड़ाने की असफ़ल कोशिश की। उसकी आंखों में प्यार उमड़ रहा था। उसने मुझे गले से लगा लिया और मुख से मुख रगड़ खा गये। उसकी खुशबू भरी सांसें मेरे जिस्म में बसने लगी। उसके हाथ मेरे सर पर नरम बालों में अंगुलियों से मालिश से सहलाने लगे। उसकी शरीर की गर्मी मुझे पिघलाने लगी।

“मेरे मालिक… मेरे आका… मुझे अपनी दासी बना लो… अपने दिल में जगह दे दो” मैं उसके कदमो में झुक सी गई।

उसने मुझे सम्भालते हुये कहा,”हुस्न-ए-मलिका, तुझ पर बहार आई हुई है… तेरे ख्वाब अब मेरे हैं… इन्शा अल्लाह… आज से तू मेरी हुई… तुझ पर खुदा का फ़जल बना रहे… तू मेरी बने रहना… आज से तेरा दुख मेरा है और मेरी खुशी तेरी है… या मेरे अल्लाह…!”

मैं संजू के शरीर से लिपटती चली गई। एक मोहक सी वासना घर करने लगी। सुन्दर, मनमोहक, काम देवता सा कामुक रूप जैसे शरीर का मालिक था संजू।

मेरे नसीब में उसका सुख लिखा था। मेरी चूनरी मेरी छाती से ढलक गई थी। मेरे उन्नत उभार जैसे पहाड़ियों के तीखे शिखर उसके हाथों में मचल उठे। उसने मेरे ब्लाउज के बटन चट चट करके खोल डाले। मेरा गोरा तन उसकी आंखो में समा गया। मेरे उभार कठोर हो चुके थे। जिया धक धक करने लगा था। दिल जैसे उछल कर बाहर निकला जा रहा था। मेरी साड़ी उसने धीरे से उतार कर पास में रख दी। शायद मेरे पोन्द और चूत की कल्पना उसके दिल को बींध रही थी। ऐसे में उसने अपना जीन्स और चड्डी भी उतार दिया और अपना लण्ड मेरे सामने कर दिया।

“हुजूर की तमन्ना हो तो शौक फ़रमायें… आपकी सेवा में लण्ड हाजिर है!”

उसका मर्दाना लण्ड देख कर मैं एकबारगी सिहर गई। आह्ह्ह्… लण्ड इसे कहते हैं!!! मैं असली मर्द को देख कर शरमा गई। उसने बड़े सम्मान के साथ अपना लण्ड मेरे होंठों के आगे पेश कर दिया। मैं अपना बड़ा सा मुह फ़ाड़ कर उसे जैसे निगलने की कोशिश करने लगी। इतना बड़ा और मोटा था कि मुँह में भी ठीक से नहीं आ रहा था। थोड़ी देर तक लण्ड का रस पान किया, पर मैंने ऐसा कभी नहीं किया था।

“मेरे दिलवर, आपकी नजरे-इनायत चाहिये… बस मेरी गहराईयों में अब शहद भर दीजिये… मुझे जन्नत की सैर को जाना है… “मैंने शरमाते… और झिझकते हुये मन की बात कह दी।

“जनाबे आली, बिस्तर हाजिर है… इल्तिजा है आप अपने नरम और गरम चूतड़ों की तशरीफ़ यहां रखें!”

“धत्त्… आप तो मजाक करते हैं… ” उसके मजाक से मैं झेंप सी गई।

मैं बिस्तर पर लेटते हुये बोली,” नहीं, ये मजाक नहीं… सच है कि अब आपका दिल मैं खुश कर दूंगा!”

वो बिस्तर पर चढ़ आया। उसने मेरा पेटीकोट ऊपर उठा दिया और कमर तक नंगी कर दिया। मेरी नंगी चूत उसके सामने थी। उसके होंठ मेरी चूत से चिपक गये और झांट को अलग करके चूत खोल दी। मैंने अपनी आंखे बन्द कर ली। उसकी लपलपाती जीभ मेरी रसीली चूत का रसपान करने लगी।
मैंने अपना पेटीकोट शरम के मारे उसे ओढ़ा दिया। अब वो मेरे पेटीकोट के भीतर था। मेरी चूत का रस चूसने के बाद वो मेरी टांगो में बीच में सेट हो गया। उसने चमड़ी खींच कर सुपाड़ा बाहर निकाल लिया और उसे मेरी चिरी हुई धार के अन्दर घुसाने लगा। मुझे लगा कि यह अन्दर नहीं जा पायेगा। पर आश्चर्य हुआ कि थोड़ा जोर लगाते ही लाल सुपाड़ा अन्दर चूत की छेद में फ़ंस गया।

तभी बाहर से आवाज आई,”गौरी… ताला लगाना है… सुना क्या…?”

तभी मेरे मुख से एक आह निकल पड़ी। मुमताज ने सिसकी सुन ली और समझ गई कि चुदाई चल रही है… इसलिये उसने ताला बाहर से लगाया और चली गई।

साजिद भी अब बेकाबू होता जा रहा था। उसका लण्ड धीरे धीरे मेरी चूत में घुसता चला जा रहा था। दर्द बढ़ता ही जा रहा था। उसने एक जोर से धक्का देकर अपना मोटा लण्ड पूरा भीतर घुसेड़ दिया। मेरे मुख से एक जोर की चीख निकल गई। लगा कि चूत फ़ट गई। मैंने संजू को हटाने की कोशिश की, पर उसने मुझे जकड़ रखा था। तभी दूसरा भरपूर शॉट लगा। फिर एक चीख निकल पड़ी।

“उह्ह्ह… अम्मी जाऽऽऽऽन, अरे बस करो… लगता है फ़ट गई है…” मैं दर्द से तड़प उठी थी।
“गौरी, तुम तो शादी शुदा हो, फिर ये चीख, ये खून… पहली बार चुद रही हो?”
मेरी आंखों से आंसू निकल पड़े। मैंने हां में सर हिलाया।

“फिर मेरी जान, ये तो कभी तो होना ही था… आपका पर्दा हटा है… अब कोई परेशानी नहीं आयेगी!” वो मुझे फिर प्यार करने लगा। मुझे चूमने चाटने लगा। मेरे उरोज दबाने लगा। कुछ ही देर मुझे फिर से उत्तेजित कर दिया। पर इस बार वो मुझे बहुत धीरे धीरे और प्यार से चोद रहा था। मेरे शरीर में एक बार फिर से उन्माद भरने लगा। वासना भरने लगी। मेरी आंखों में नशा चढ़ने लगा।
“क्यो गौरी… चूत में मिठास भरी या नहीं…? ”

उसकी भाषा मेरे दिल पर कसकती हुई सी मिठास भर गई। मैं शरमा उठी। एक तो मेरा पति जब गालियाँ देता था तो मुझे ग्लानि होने लगती थी… पर यहाँ तो वही गाली मेरी उत्तेजना बढ़ा रही थी। उसकी चुदाई की रफ़्तार बढ़ने लगी थी। मैं मदहोश होती जा रही थी। प्यार भरी चुदाई ऐसी होती है, यह मुझे पहली बार अनुभव हुआ। मैंने अब मस्त हो कर चुदाना शुरू किया। नीचे से उसकी ताल में ताल मिलाने लगी… अपनी दोनों टांगें चौड़ा कर हाथ फ़ैला कर मस्तानी हो कर लेटी थी। आंखें बन्द करके रूमानी दुनिया की सैर करने लगी। कभी मेरी चूंचियाँ मसली जा रही थी, तो कभी उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की पिटाई कर रहा था।

उसका लण्ड अब पूरी ताकत से चूत में अन्दर बाहर हो कर अपनी गुदगुदी शान्त करना चाह रहा था। जन्मों से प्यासी चूत लण्ड को गपागप निगले जा रही थी। चुचूक तो मरे रबड़ की तरह खिंचे जा रहे थे।
“या अल्लाह, चुद गई आज तो… इसे कहते हैं चुदाई… ” मेरी सिसकियाँ तेज हो उठी थी।
“मेरी जान, तेरी नई चूत का स्वाद मिला है आज तो, क्या तेरा आदमी तुझे हाथ भी नहीं लगाता था…?”

“संजू, वो तो हिजड़े की तरह है… उसका लण्ड तो छोटा सा है… और घुसते ही अपना माल निकाल देता है… चोदेगा कैसे भला… संजू… मुझे तो तेरा यह सदा बहार मुन्ना मिलेगा ना?”
“हट रे… ये इतना सोलिड तुझे मुन्ना लगता है… ये तो मदमस्त लौड़ा है… खायेगी तो मेरी गौरी इसे मांगेगी मोर… एण्ड वन्स मोर… ”
“अब जोर लगा के बजा दे राजा… ” मैं वासना से भरी उससे लण्ड मांगने लगी।
“गौरी, आज तो तेरी बजाने में ही मजा आ रहा है… मस्त झांटों भरी ओरिजनल चूत है!”

साला, कितना रसीला बोलता है… दिल और चुदाने को भड़क उठता है। मैं उसे अपनी ओर खींचने लगी और चिपटने लगी। मेरी चूत लपलपा उठी। मिठास से भर उठी।
तभी जैसे मेरी नसें चूत की ओर खिंचने लगी। मेरे तन में एक लहर सी उठने लगी। जैसे मैं तड़प गई… मेरा पानी उतरने लगा… मैं खाली सी होने लगी… झड़ने लगी… “सन्जू, मेरे मालिक… मुझे ये क्या हो गया है… मेरी मुनिया तो आह्ह्ह्ह… गई मैं तो… मेरे राजा… निकल गया पानी…!”
“अरे अभी नहीं, अभी तो शुरू ही किया है गौरी…!” संजू ने चुदाई ओर तेज कर दी।

“हाय मैं तो मर गई… सारा निकला ही जा रहा है…!” मेरी चूत पानी से फ़च फ़च करने लगी। मैं झड़ रही थी। उसने तभी अपना फ़ूला हुआ लौड़ा निकाला और मुझे पलटने को कहा। पहले तो मुझे समझ में नहीं आया कि इसका क्या मतलब है। मैं पलट कर उल्टी हो गई। संजू ने मेरे पोन्द को अपने हाथों से चीर दिया।

मेरा खूबसूरत गुलाब खिल उठा। उसने थूक का एक बड़ा लौंदा मेरे गुलाब पर टपकाया और फ़ूला हुआ सुपाड़ा छेद पर दबा डाला। मुझे मालूम हो गया कि ये गाण्ड मारने का शौकीन भी है।

“अरे सन्जू… नहीं रे… मैं मर जाऊंगी… ” उसका मोटा सुपाड़ा मेरी गाण्ड में अन्दर घुस कर फ़ंस सा गया।
“गाण्ड ढीली छोड़ ना… मुझे लग जायेगी… ” संजू का लण्ड दब सा गया।
मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी। लण्ड का डण्डा गाण्ड में उतरने लगा। मैं दर्द से तड़प उठी।
“बस कर मेरे मालिक… ये फ़ट जायेगी… “मैं रुआंसी हो गई, आज तो मेरा अंग अंग जैसे खूब पिट गया हो।

“एक दिन तो फ़टना ही है ना… ये पोन्द को तो मैं मारूंगा ही… साली ने मुझे बहुत तड़पाया है… तू मस्त रह… इसे कुछ नहीं होगा… बस चुद जायेगी… ”
“हाय अम्मी जान… बचा ले मुझे… मर गई मैं तो… ”

तभी उसने अपना लण्ड बाहर खींचा, मुझे राहत सी हुई… पर दूसरे ही पल भचाक से लण्ड गाण्ड में पूरा अन्दर तक बैठ गया। उसका हाथ मेरे मुख पर आ गया और मेरी चीख दब गई। उसने मेरा मुख दबा कर दो तीन शॉट्स और खींच मारे… हर बार मेरी चीख वो दबा देता…

“सहना सीखो मेरी जान… अब तो ये रोज का मामला है… मम्मो को देख, क्या चुदती है साली… मेरा तो पूरा माल जैसे निचोड़ कर पी जाती है… ”
उसने मेरे मुख से अब हाथ हटा दिया था और धीरे धीरे धक्के मार रहा था।

दर्द कम हो गया था। पर मैं निढाल सी हो गई थी… तभी उसका लण्ड छूट गया… ढेर सारा वीर्य मेरी पीठ पर फ़ुहारों के रूप में फ़ैल गया। मैं उल्टी लेटी निश्चल सी पड़ी हुई थी। मेरी लम्बी लम्बी सांसें अभी तक कन्ट्रोल में नहीं आई थी। साजिद ने बडे प्यार से मेरी चूत, गाण्ड और पीठ को साफ़ कर दिया।

“अब उठ जाओ… मजा आया?” साजिद ने मुस्कराते हुये पूछा।

मैंने धीरे से अपना सर हां में हिला दिया। वास्तविक चुदाई तो मेरी आज ही हुई थी। सारा जिस्म तोड़ कर रख दिया था। मेरी कमर, चूत, गाण्ड और चूचियाँ दर्द से जैसे कसमसा रही थी। हमने अपने कपड़े ठीक से पहन लिए और साजिद ने मोबाईल करके मुमताज को बता दिया कि सारा कार्यक्रम सफ़लता पूर्वक निपट गया है। तभी मुझे साजिद ने अपनी गोदी में बैठा लिया और प्यार करने लगा। उसके प्यार से मेरा दिल खिल उठा। काश…… मेरे नसीब में ऐसा प्यार होता… ”

तभी ताला खोल कर मुमताज़ अन्दर आ गई। मैंने उसकी गोदी से उठने की कोशिश की, पर साजिद ने मुझे नहीं छोड़ा।
“संजू! छोड़ो ना… देखो मम्मो देख रही है!” मैं उसकी गोदी में कसमसा गई।

“गौरी, तुम्हें प्यार की बहुत जरूरत है… प्यार कर लो… मुझसे क्या शरमाना… देखो रात को ये तुम्हारे सामने ही ये मुझे चोदेगा… अब मुझसे शरम छोड़ दो… मुझे तो अपनी बहन समझ ले!”

पर स्त्री-सुलभ-लज्जा कहाँ छूट पाती है, वह भी जब कोई तीसरा हो सामने तो… । मैं जोर लगा कर सिमट कर एक तरफ़ चेहरा छुपा कर खड़ी हो गई। मुमताज़ ने मेरी बांह पकड़ी और कमरे से बाहर ले आई। शरम मारे तो उससे आँख भी नहीं मिला पा रही थी।

“बस ना… बहुत शरमा ली अब… चल अब बेशरम हो जा… रोज रोज चुदना है तो ये सब नहीं चलेगा!” उसकी बात मेरे दिल पर किसी मीठे तीर की तरह लगी।

“हाय मम्मो… बडी बद्तमीज़ हो गई है!” उससे बांह छुड़ा कर कर मैं तेजी से भागी और सीढ़ियाँ उतरने लगी। वो हंस पड़ी। नीचे आकर मैंने ऊपर खड़ी मुमताज को देखा और खुशी में चुन्नी अपने मुख पर लपेट कर भाग ली। मुमताज की आंखों में मेरी खुशी देख कर आंसू के दो मोती उभर आये थे।

शाम तक मेरा शरीर किसी फ़ोडे के समान टीस रहा था। मेरे चुचूक सूज गये थे। चूचियों के गोले भीतर से दर्द से कसक रहे थे। ग़ाण्ड के फ़ूल पर भी सूजन थी… और चूत पर तो जैसे अभी तक कोई लोहा घुसा हुआ सा जान पड़ रहा था।

मेरे मौला, चुदाई क्या ऐसी होती है… तौबा मेरी… अब नहीं चुदना मुझे। पर मन में ये कैसी शान्ति सी थी। रात को मुझे बहुत ही प्यारी नींद आई थी। ऐसी संतुष्टि पहली बार महसूस की थी।

तीन चार दिन में जा कर मेरा दर्द ठीक हो पाया… तब मुझे साजिद फिर से याद आने लगा था… उसकी चुदाई मन को रोशन कर रही थी, मन में बस गई थी… रोज मैं मम्मो से पूछती… कि अब वो कब आयेगा… कब आयेगा… कब आयेगा. Antarvasna Sex Stories

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