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Massage Girl in Nanded: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Nanded who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Nanded that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Nanded massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Nanded who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Nanded massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Nanded massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Nanded who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Nanded employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Nanded helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Nanded

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Nanded at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

लेखक : जो हन्टर Hindi Sex Stories

मैं पुलिस स्टेशन से बाहर Hindi Sex Stories आया और अपनी मोटर साईकल उठा कर सीधे राहुल के घर आ गया। अभी सवेरे के साढ़े आठ ही बजे थे…हमेशा की तरह राहुल घर पर नहीं था। उसे शायद यह मालूम नहीं था कि आज उसका इस घर में अन्तिम दिन है। घर में सरोज नहीं थी…दिव्या ही मिली।

‘आज तो जल्दी आ गये… क्या हुआ रात को नींद नहीं आई क्या…?’ उसकी चुलबुली हरकत मेरे मन को बहुत अच्छी लगी।

‘दिव्या…बस रात को तो मैं तुम्हारे ही सपने देखता रहा… तुम्हारे जैसी कमसिन और जवान लड़की जिसे मिल जाये…उसकी तो किस्मत ही खुल जाये…’ मेरी बात सुन कर वो और इठलाने लगी।

‘अब अन्दर भी चलो… ‘ मुझे वो धक्का देते हुए बोली…’बोलो अब क्या इरादा है…!’
‘बस एक मीठा सा चुम्मा…’ मैंने शरारत से कहा।
‘है हिम्मत तो ले लो…!’ उसने हंस कर कहा।

‘ऐसे नहीं… पहले अपनी आँखें बंद करो…फिर देखो मेरा कमाल…’

उसने अपनी आँखें बन्द कर ली और अपना गोरा और चिकना चेहरा आगे कर दिया… मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिये… उसके कांपते होंठो का स्पर्श मुझे रोमांचित कर गया। एकदम नरम होंठ…गुलाब की पंखुड़ियों की तरह… हम दोनों एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे… दोनों ही मदहोश होने लगे। कुछ देर बाद अलग हुए तो दोनों के चेहरे की रंगत बदली हुई थी। मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था। उसकी आंखों में भी गुलाबी डोरे खिंच चुके थे।

दिव्या ने थोड़ा सा शर्माते हुए और फिर से आँखें बन्द करके कहा,’जो…मेरी छातियों को पकड़ लो…हाय… मसल डालो…’ उसने अपनी छाती आगे को उभार दी, उसके तने हुए उरोज बाहर को उभर आये। मैंने उसकी चूंचियो पर अपना हाथ रख दिया। और हौले हौले से दबाने लगा। उसके मुख से सिसकारी निकलने लगी। वो भी मेरे हाथों पर ज्यादा दबाने के लिये और दबाव डालने लगी।

मैंने उसकी कमर में हाथ डाल कर एक हाथ से उसके उभारों को मसलना शुरू कर दिया और अब मेरी कमर वाला हाथ चूतड़ों के ऊपर आ कर थम गया। मेरे हाथ उसके बोबे और चूतड़ दबा रहे थे और दिव्या अपने जिस्म को मेरे जिस्म से बल खा कर रगड़ रही थी। उसके मुँह से आह… हाय… मां री… जैसी सिसकारियाँ निकल रही थी। मैंने उसे दीवार से सटा कर उसकी चूत को पकड़ कर दबा दी। वो चिहुंक उठी…

‘हाय छोड़ दे जोऽऽऽ… मैं मर गई…’ वो मदहोश सी झूम गई। मैंने उसकी चूत नहीं छोड़ी… स्कर्ट के बाहर से ही उसकी चूत मसलता रहा… उसकी चूत पानी छोड़ रही थी… मेरे हाथ को गीलापन लगने लगा था।

वो मस्ती में झुकने लगी… पर उसने मेरा हाथ नहीं छुड़ाया… ‘क्या कर रहे हो जोऽऽऽ… मुझे मार डालोगे क्या???… अब बस अब…नहीं रहा जा रहा है…’ उसकी उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी… बेहाल हुई जा रही थी…

मैंने उसे अपनी बाहों में उठाया और प्यार से उसे बिस्तर पर लेटा दिया। उसकी आँखें बंद थी। मैंने उसका स्कर्ट ऊपर कर दिया… उसकी पानी छोड़ती हुई गीली चूत सामने थी। गुलाबी रंग… हल्की भूरी भूरी झांटे… चूत के दोनों लब फ़ड़फ़ड़ा रहे थे… मैंने अपनी पैन्ट उतार दी… और अपना मोटा और तन्नाया हुआ लण्ड उसकी पनीली चूत पर रख दिया। चिकनापन इतना था कि रखते ही सुपाड़ा अन्दर घुस पड़ा और छेद में उतर गया।

‘घुसा दे रे… हाय… जरा जोर लगा दे…जो…’ उसकी बैचेनी बढ़ रही थी… पूरा लण्ड लेने को उतावली हो रही थी… मैं उस पर झुक पड़ा… और जोर लगा कर लण्ड अन्दर सरकाने लगा। वो भी अपनी चूत का पूरा जोर लगा रही थी। जब दोनों और बेकरारी बराबर हो तब भला तेजी को कौन रोक सकता था। वो भरपूर जवान… खिलती हुई कली… पूरा जोश… नतीजा ये कि धक्का पर धक्का… गजब की तेजी… चूत का उछाल… लण्ड को सटासट चला रहा था। मैंने उसके बोबे भींच लिये…

‘और जोर से भींचो… मेरे राजा… चोद दो आज मुझे…!’ उसकी वासना बढ़ती जा रही थी… मेरा लण्ड पूरी गहराई तक पहुंच रहा था… उसकी चूत जवान थी…कोई भी लण्ड पूरा ले सकती थी। मेरा लण्ड भी मानो कम लम्बा लग रहा था।

अचानक मेरे चूतड़ पीछे से किसी ने दबा दिये… मैंने देखा तो सरोज थी…चुदाई के जोश में वो कब आई पता ही नहीं चला। उसने मुझे इशारा किया। मैंने समझ गया… मैंने तुरन्त ही दिव्या के बोबे जोर जोर से मसलने और खींचने लगा। उसने भी मेरे चूतड़ दबाना चालू रखा।

‘जो मत करो… मैं झड जाऊंगी… हाऽऽऽय ना करो…’ पर मैंने बेरहमी से दिव्या के बोबे मसलना जारी रखा… और धक्के चूत में गड़ा कर मारने लगा। उसे जबर्दस्त चुदाई चाहिये थी।

‘मैं मर गई… राम रे… चुद गई… मेरी फ़ाड़ डाल जो… हाय मैं गई…’ उसके जिस्म में उबाल आ गया था। उसे नहीं पता था कि उसकी मां उसके पास खड़ी है। मेरी उत्तेजना भी बहुत बढ़ गई थी… पर अब दिव्या का शरीर ऐंठने लग गया था। वो मुझे अपनी ओर जोर से खींचने लगी थी। अचानक उसने पूरी ताकत से मुझे चिपका लिया और उसकी चूत लहरा उठी।
वो झड़ने लगी थी।
सरोज ने दिव्या का जिस्म जोर जोर से सहलाना शुरु कर दिया था। उसकी चूत का कसना और ढीला होना…उसका पानी छोड़ना मुझे बहुत सुहाना लग रहा था। सरोज बराबर उसका जिस्म सहलाये जा रही थी।

‘झड़ जा बेटी… निकाल दे पूरा पानी…’ सरोज उसे प्यार से कह रही थी।

‘मांऽऽऽ… हाय मेरी मां ऽऽऽ… तेरी बेटी तो चुद गई… जो ने तो मेरा दम निकाल दिया…’ दिव्या हांफ़ते हुए बोली। मैंने अपना लण्ड दिव्या की चूत से बाहर निकाल दिया।

‘लेकिन मेरा लण्ड तो देखो ना…अभी तक ये फ़ुफ़कार रहा है… सरोज तुम ही शान्त कर दो…’ मैंने अपनी बात भी कही… दिव्या भी अब बिस्तर से उठ चुकी थी।

‘जो…मम्मी की गाण्ड मार दो… मां की गाण्ड बहुत नरम है…!’ अचानक दिव्या ने मुझे सुझाया।

सरोज ने शरम से अपना मुख छिपा लिया। मैंने सरोज को तुरन्त घोड़ी बना दिया। और साड़ी खींच दी। सरोज की गोरे गोरे चूतड़ों की दोनों फ़ांके सामने आ गई। सरोज ने अपनी दोनों टांगें फ़ैला कर अपने गाण्ड का छेद खोल दिया। फिर मुझसे शर्माते हुए बोली,’हाय… मत करो जो… मैं मर जाऊंगी…’ फिर दिव्या की तरफ़ देखा -‘ दिव्या तू जा ना यहाँ से…’

‘मां, मेरे सामने ही गाण्ड चुदवा लो ना…! मुझे भी तो एक इसका एक्स्पीरीएन्स चाहिये ना…!’

‘चल हट… बेशरम… तेरे सामने चुदूंगी तो शरम नहीं आयेगी?’

‘मैं भी तो आपके सामने चुदी थी ना… जो लग जाओ ना अब…’ दिव्या ने पास पड़ी तेल की शीशी से तेल मां की गाण्ड में लगा दिया… ‘अब चोद दो मां की गाण्ड को…!’

मुझे लगा कि बस स्वर्ग है तो यहीं है… मां बेटी मुझसे इतने उत्साह से चुदवा रही थी…मैं तो सातवें आसमान पर पहुंच गया। मैंने अपना लण्ड सरोज की गाण्ड के छेद पर लगा दिया और जोर लगाया, छेद में तेल भरा हुआ था मेरा सुपाड़ा फ़क की आवाज करता हुआ छेद में फ़ंस गया।

‘उईऽऽ…मां… हाय रे…घुस गया…!’ सरोज सिसक उठी। दिव्या अपनी मां के बोबे पकड़ कर धीरे धीरे मलने लगी और प्यार करने लगी।

‘जो… मेरी प्यारी मां को तबियत से चोदो… मां को आनन्द से भर दो… देखो ना मां को कितना अच्छा लग रहा है…’ दिव्या मां की ओर प्यार से देख रही थी। सरोज ने अपनी आँखें बन्द कर ली थी।
मैं अब अपना लण्ड जोर लगा कर अन्दर सरकाने लगा। मेरे लण्ड को छोटे से छेद में घुसने के कारण तेज मीठा सा सा मजा आने लगा। पर सरोज ने अपने दांत भींच लिये। उसे हल्का सा दर्द हो रहा था।
दिव्या मां को मजा देने के लिये उसके बोबे मसल रही थी। मेरा लण्ड गाण्ड में पूरा घुस चुका था। सरोज ने मुझे मुड़ कर देखा और आंख मार दी…

‘लण्ड है या लोहा… मेरी तो फ़ाड़ के रख दी… अब मारो ना जोर से गाण्ड को…’

मैंने हरी झण्डी पाते ही स्पीड बढ़ा दी। वो सिसक उठी। मजे में उसकी फिर आँखें बन्द होने लगी।

‘चोद दे मेरी मां को… प्यार से भर दो मां को… मेरी प्यारी मां…’ अब दिव्या सरोज को चूमने लगी थी। बोबे पर तो दिव्या ने कब्जा जमा रखा था। मैंने कमर में हाथ डाल कर उसकी चूत में अपनी अंगुली डाल दी। और डबल चुदाई करने लगा। उसका दाना मसलने लगा। उसे तेज मजा आने लगा।

‘हाय रे छोड़ दे अब रे… लगा…जोर से लगा… मेरी मांऽऽऽ… मार दी रे मेरी…’ सरोज ना जाने क्या क्या कहती रही। उसकी गाण्ड अब मक्खन की तरह चिकनी हो गई थी। लण्ड सटासट चल रहा था। अति उत्तेजना से उसका दाना अचानक ही फ़ड़फ़ड़ा उठा और सरोज झड़ने लगी। ये देख कर कर दिव्या ने भी मां को कस लिया।

मैंने भी झड़ने के चक्कर में स्पीड बढ़ा दी। मेरा सुपाड़ा फ़ूल कर कुप्पा हो रहा था। सहनशीलता सीमाएं पार करती जा रही थी और आखिर अन्तिम पड़ाव आ ही गया। मैंने तुरन्त अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। दिव्या ने देखते ही देखते मेरे लण्ड को मुठ्ठी में भर लिया और कस कर दबा कर मुठ मार दिया। मेरे लण्ड ने पिचकारी लम्बी और दूर तक उछाल दी।

‘हाय मम्मी… देखो तो… माल तो फ़व्वारे की तरह निकल रहा है…’

सरोज ने बिना समय गवांये झट से मेरा लण्ड मुख में भर लिया… अब वीर्य सरोज के मुख में भर रहा था… और वो उसे एक ही घूंट में पी गई। अब वह बचे खुचे वीर्य को भी निचोड़ रही थी… दिव्या अपनी मां की इस हरकत को ध्यान से देख रही थी…

‘मम्मी… ये क्या गन्दापना कर रही हो… इसे भी कोई पीता है क्या?’

मैंने दिव्या को समझाया कि ये तो पौष्टिक होता है और आनन्ददायक होता है… दिव्या ने कपड़े से मां की गाण्ड का तेल पोंछ दिया फिर मेरा लण्ड भी साफ़ कर दिया। सरोज ने दिव्या को गले लगा लिया। और चूमने लगी…

‘देखा जो…माँ को तुमने मस्त कर दिया… मुझे बहुत अच्छा लगा…मेरी प्यारी मांऽऽ…’ कह कर सरोज से अलग हो गई।

मैंने सरोज से बात पलटते हुए कहा- ‘आज राहुल नहीं दिख रहा है…?’

‘वो चारों आज शाम को गांव जा रहे हैं न… देर से आयेगा…’ सुनते ही मैं चौकन्ना हो गया।

‘अब तो वो तुम दोनों को पीटता तो नहीं है ना…’

‘वो जंगली है… कल देखो मुझे कितना मारा… दिव्या के तो बोबे तक नोच डाले… साला मरता भी तो नहीं है…हमारी जिन्दगी नर्क बना रखी है’ कह कर सरोज ने मेरे सीने पर सर रख दिया। दिव्या भी मां की पीठ से चिपक कर रोने लगी। तो सच में वो इतना निर्दयी और क्रूर है।

मैंने उन्हें अलग करते हुए कहा…’मुझे अब चलना चाहिये…शाम को आऊंगा।’ मैं मुड़ कर बाहर आ गया। वो दोनों मुझे प्यार से निहारते रही।

मैं तुरन्त पुलिस स्टेशन गया और अंकल से मिला… उन्हें सब कुछ बताया… कि वो सभी गांव जाने की तैयारी में है।

‘शायद उन्हें भनक लग गई है… चलो…’ उन्होंने जीप तैयार की और सभी सिपाहियो को आज्ञा दी। मैंने अपनी बाईक उठाई और उनके आगे आगे चला। पान-वाले की दुकान पर पहला छापा मारा।
मैंने भाग कर टूसीटर पर बैठे मौन्टी और सुरजीत को जा दबोचा। मौन्टी ने मुझे पीछे धक्का दे दिया और मौके की नजाकत देख कर भागने लगा। मैंने उछल कर एक फ़्लाईंग किक मार कर उसे गिरा दिया।

इतने में दो पुलिस वालों ने उन्हें धर दबोचा। हैप्पी का पीछ करके अंकल ने उसे हथकड़ी पहना दी। पान की दुकान को सील कर दी। जीप वहां से कॉलेज पहुंची। मुझे राहुल पर नजर रखने को कहा और साथ में दो पुलिस वालों को भी हिदायत दी। अंकल प्रिन्सिपल से मिलने ओफ़िस में चले गये। कुछ ही समय में अंकल और प्रिन्सिपल राहुल की क्लास के सामने थे।

राहुल देखते ही समझ गया और खिड़की से कूद कर भागने लगा। पर खिड़की के बाहर मुझे देखते ही उसके होश उड गये। उसे हथकड़ी डाल दी गई। समय पर पूरा अभियान निपट गया। चारों दोस्तों को और पान वाले को हवालात में बंद कर दिया गया। अब चला तलाशी अभियान ।

पुलिस मेरे साथ सबसे पहले राहुल के यहाँ पहुंची। राहुल भी साथ था। दिव्या और सरोज ने मुझे और राहुल को पुलिस के साथ देखा तो घबरा गई।

‘साब इसने कुछ नहीं किया… जो तो अच्छा लड़का है…’ अंकल ने मेरी तरफ़ देखा।

‘क्या बात है जो… बड़ी तरफ़दारी हो रही है… ये लो… अब इसका ध्यान रखना वरना साले की थाने में इसकी टांगें तोड दूंगा…’ अंकल में मेरी तरफ़ गुस्से में देखा और मुझे सरोज की तरफ़ धक्का दे दिया।

‘जी… जी… मैं ध्यान रखूंगी…’ घबराई सी सरोज मेरा हाथ पकड़ कर खड़ी हो गई।

‘साली… हरामजादी… जो के साथ खड़ी है… आने तो दे मुझे… तुम दोनों मां बेटी के हाथ पांव ना तोड़े तो देखना !’

मैंने राहुल के कान में कहा…’तू फ़िकर मत कर यार… मैं तेरी मां और बहन को रोज़ चोदूंगा… मस्त चीज़ें है दोनों…’
‘भड़वे… तेरी तो मैं… ‘ उसी समय अंकल का एक हाथ उसके मुँह पर पड़ा… उसके होंठो से खून छलक पड़ा।

मैंने राहुल की तरफ़ मुस्करा कर देखा… ‘तू क्या समझा था… कामिनी के साथ तूने जो किया था… वो चुपचाप बैठती…’ अब उसकी नजरें ऊपर उठी… वो समझ चुका था… कि ये सब क्यों हुआ है… उसका सर एक बार फिर झुक गया।

‘आगे से अगर ये जो… राहुल के साथ दिखा तो साला जेल जायेगा…’ अंकल अपने डायलोग बोले जा रहे थे। सरोज और दिव्या को अब भी कुछ समझ में नहीं आया। उनकी नजर में बस राहुल एक अपराधी था।

कामिनी का बदला उन दोनों के समझ में नहीं आया था। इतने में पुलिस वाले सारे घर की तलाशी ले कर कुछ समान ले कर आ गये। उसे वहीं पर सील कर दिया और हम तीनों के उस पर हस्ताक्षर करवा लिये।

वो मुझे छोड़ कर आगे तलाशी अभियान में निकल गये। मैं अंकल की अदाओं पर मुसकरा उठा। सरोज और दिव्या मुझसे प्यार करके लिपट कर रोने लगे। मैंने उन्हें समझाया

‘मैं कोई चोर थोड़े ही हूँ… मुझे तो बस इन्होंने यहां से निकलते देखा तो पकड़ लिया… हां राहुल ड्रग्स बेचने के चक्कर में पकड़ा गया है जाने कितने सालों के लिये अन्दर जायेगा।

उन दोनों ने राहुल से पीछा छूटने पर चैन की सांस ली… उनकी नजर में मैं पुलिस से बच गया और मुझे प्यार से बिस्तर पर सुला दिया। दोनों एक एक करके मुझे प्यार करने लगी… अचानक मुझे कामिनी का ख्याल आया।

‘मैं शाम को आऊंगा… रात भर मजे करेंगे… बाय…’ मैं सीधा वहां से कामिनी के पास आया। उसे सारी बात बताई… कामिनी खुश थी… उसने मुझे प्यार से चूम लिया…

‘बात कहां तक पहुंची… कार्यक्रम चालू है…?’ कामिनी और नेहा ने मुस्करा कर पूछा्।

‘दोनों ही बहुत सेक्सी है… खूब मजा आता है और अब तो दोनों ही मेरी फ़ेन है… क्यों जल गई ना…’ मैंने शरारत की नजरो से देखा।

दोनों ने मुझे पकड़ लिया और मेरी पिटाई शुरू कर दी… Hindi Sex Stories

लेखक : विजय पंडित Indian Sex Stories

मेरी पिछली कहानी ‘ अंजलि की इच्छा ‘ को Indian Sex Stories काफी अच्छा समर्थन मिला पाठकों से, इसलिए अब मैं आपको आगे की कहानी सुनाता हूँ।

अंजलि के घर मैं, जब भी उसके पति बाहर गए होते, तभी चला जाता था। एक दिन जब मैं अंजलि के घर गया तो उसने मुझसे कहा- मेरी एक सहेली है, उसकी शादी को २ साल हो गए हैं पर उनका कोई बच्चा नहीं हुआ। अब उसके पति का कहीं और चक्कर चल रहा है इसलिए उसका पति उसकी बिलकुल भी परवाह नहीं करता। क्या तुम उसकी थोडी मदद कर सकते हो?

मैं समझ गया कि मुझे एक और चूत मिलने वाली है, मैं तो ख़ुशी ख़ुशी तैयार हो गया। मैंने अंजलि से उसका पता लिया और अगले दिन दोपहर को ११ बजे उनके घर पहुँच गया।

जब मैं उनके घर पहुंचा तो एक सुन्दर सी २५-२६ साल की लड़की ने दरवाज़ा खोला। अंजलि ने मुझे उसका नाम गीता बताया था, तो मैंने पूछा- क्या तुम गीता हो?

उसने कहा- हाँ !

मैंने कहा- मैं राहुल हूँ !

तो उसने कहा- आइये ना ! अन्दर आइये।

शायद अंजलि ने उसको पहले ही बता दिया था कि मैं कल आऊंगा, इसलिए घर में उसके अलावा कोई और नहीं था। फिर भी मैंने ऐसे ही पूछ लिया कि नौकर नहीं है घर पे?

तो उसने कहा- आज सबको छुट्टी दे रखी है।

मैंने कहा- शायद अंजलि ने आपको पहले ही सब कुछ बता दिया था?

गीता ने कहा- हाँ !

गीता ने लाल रंग का सूट डाला हुआ था जो कि एकदम पतला झीना था, जिसमें से उसकी ब्रा साफ़ नजर आ रही थी। उसके स्तन भी ३४ साइज़ के होंगे। मैं तो उनको देखता ही रह गया। अचानक गीता ने पूछा- क्या देख रहे हो?

मैंने कहा- जो चीज़ देखने की है, वही देख रहा हूँ !

तो वो कहने लगी- ऐसे ही देखनी है या फिर छू कर भी देखनी है?

मैंने कहा- यही नहीं सब कुछ छू कर देखना है !

तो उसने कहा- उसके लिए तो तुम्हें अन्दर बेडरूम तक आना पड़ेगा !

मैंने कहा- चलो फिर देर किस बात की है?

हम दोनों उठ कर अन्दर उसके बेडरूम में चले गए।

अन्दर जा कर मैंने उसे कस के पकड़ लिया और उसे चूमने लगा। गीता भी मुझे किस करने लगी। फिर मैंने धीरे धीरे उसके स्तन सहलाने शुरू कर दिए। वो इतनी गरम हो गई कि उसने अपने आप ही अपने कपड़े उतार दिए। शायद वो काफी दिनों से सेक्स के लिए प्यासी थी।

तभी अचानक मुझे कुछ सूझा और मैंने उसे कहा- पहले मैं तुम्हारी मालिश करता हूँ तेल से, फिर हम प्यार करेंगे !

फिर मैंने एक हाथ में तेल लिया और उसको पेट के बल लेटा दिया।

पहले मैंने उसकी पीठ पर मालिश करनी शुरू की। फिर धीरे धीरे मैं उसके चूतड़ों पर मालिश करने लगा और उसकी चूत पर भी हाथ फेरने लगा। फिर मैंने उसे सीधे होने को कहा।

अब उसके स्तन सीधे मेरे सामने थे। मैं धीरे धीरे उसके स्तनों पर गोल गोल हाथ फेरने लगा, वो सिसकियाँ भरने लगी। उसके बाद मैंने धीरे धीरे उसकी टाँगे चौड़ी करी और उसकी चूत पर मालिश करने लगा।

वो इतनी गरम हो चुकी थी कि उस से रहा नहीं गया और मेरा लण्ड पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया, कहने लगी- अब मुझसे और नहीं रहा जाता !

फिर उसने जल्दी जल्दी करके मेरी पैंट उतार दी और मेरा लण्ड लॉलीपोप की तरह चूसने लगी। मैंने अपनी शर्ट भी उतार दी और मैंने उस से 69 पोजिशन में आने के लिए कहा। फिर मैं उसकी चूत को चाटने लगा, वो मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह चूस रही थी।

अचानक उसकी चूत से काफी सारा पानी निकलने लगा, वो स्खलित हो गई। फिर मैंने उसे उठाया और नीचे बेड पर लेटा दिया पर आज मेरा मन उसकी गांड मारने का कर रहा था। मैंने उसे कहा- कि तुमने कभी गांड मरवाई है?

वो कहने लगी- नहीं !

मैंने कहा- आओ ! आज तुम्हें उसका मजा देता हूँ !

तो वो बोली- बहुत दर्द होगा !

मैंने कहा- पहले पहले होगा, फिर मजा आएगा !

तो वो मान गई फिर मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया और अपने लण्ड पर भी, और उसकी गांड के मुंह पर अपना लण्ड रख के धक्का मारा। मेरा लण्ड थोड़ा सा अन्दर चला गया पर वो चिल्लाने लगी, कहने लगी- इसमें तो बहुत दर्द होता है, इसे बाहर निकालो !

पर मैंने कहा- डरो मत ! बस एक बार ही दर्द होगा, फिर नहीं !

फिर मैंने एक जोर से झटका मारा और मेरा लण्ड उसकी गांड में चला गया। फिर मैंने उसको धक्के मारने शुरू किया, धीरे धीरे उसका दर्द कम हुआ तो उसको भी मजा आने लगा।

अब वो भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के मेरा साथ देने लगी। फिर मैंने अपना लण्ड उसकी गांड में से निकाल के उसकी चूत में डाल दिया और झटके मारने लगा।

१० मिनट बाद वो और मैं दोनों इक्कठे झड़ गए।

इसके बाद हम दोनों काफी देर तक ऐसे ही लेटे रहे, फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और मैं चलने लगा तो उसने मुझसे कहा- कल आओगे?

मैंने कहा- तुम बुलाओ और मैं न आऊं ! यह तो हो ही नहीं सकता !

फिर वो कहने लगी- यह बात गुप्त रहेगी न ?

मैंने कहा- भरोसा रखो, कोई भी बात गुप्त रखना तो मेरा पहला धर्म है !

उसने पूछा- तुम्हारी फीस कितनी है?

मैंने कहा- मैं फीस के लिए यह नहीं करता ! मुझे यह पसंद है !

फिर भी उसने मुझे ४००० रुपए दिए और दुबारा अगले दिन आने के लिए कहा।

कहानी पर अपनी राय मुझे अवश्य भेजिएगा ! Indian Sex Stories

दोस्तो, मैं आपका दोस्त राज.
मेरी सेक्स कहानी के इस भाग में आपका पुन: स्वागत है.
हालांकि इस सेक्स कहानी का शीर्षक अलग है पर यह उसी से जुड़ी हुई कहानी है.

पिछली कहानी
बचपन के प्यार से शादी और सेक्स
में आपने पढ़ा था कि मैंने अपनी बचपन की संगिनी सौम्या से शादी कर ली थी और उसके साथ सुहागरात की चुदाई का मस्त मजा लिया था.

अब आगे वाइफ सिस्टर Xxx कहानी:

शादी के 3 दिन बाद उसकी बहन मानसी चली गई.
फिर हम दोनों भी एक महीने के बाद पुणे आ गए.

मुझे दिल्ली से एक अच्छी जॉब का अवसर मिला तो मैं दिल्ली आ गया.
सौम्या पुणे में ही थी.

मैं दिल्ली आया तो सौम्या ने कहा- आप मानसी के घर में रुक जाना. उसका दिल्ली में अपना फ्लैट है.
यह मानसी मेरी पत्नी सौम्या की चचेरी बहन थी जिसने सुहागरात की चुदाई की चीख सुनी थी.

ये दोनों बचपन से पक्की सहेली रही थीं.
मानसी के मम्मी पापा बचपन में चल बसे थे तो सौम्या के पापा ने उसे अपने बेटी ही माना था और ये दोनों भी एक दूसरे को जान से ज्यादा चाहती थीं.

मानसी भी कमाल की दिखती है, वह बिलकुल दिव्या खोसला कुमार जैसी लगती है.

मैं उसके फ्लैट पर पहुंच गया, घंटी बजाई तो दरवाजा खुला.

वह शायद मानसी की घरेलू नौकरानी थी.
उसने कहा- आप राज जी हो ना!
मैंने कहा- हां.

तो उसने कहा- मुझे मैडम ने बता दिया था. आप बैठिए. मैडम 9 बजे तक आएंगी.
उसने मुझे पानी, कोल्ड ड्रिंक थोड़ा नाश्ता सर्व किया और चली गयी.

मैं फ्रेश होकर टीवी देखने लगा.
थकान के कारण मेरी आंख लग गई.

मेरी नींद तब खुली जब एक मीठी आवाज कानों में पड़ी- उठिए जीजा जी!

मैं उठा और आंख खोली तो सामने मानसी किसी अप्सरा के जैसी खड़ी थी.

सामने से पहली बार उसे गाउन में देखा था. वह बहुत ज्यादा खूबसूरत थी.

उसने एक घुटने तक आने वाला काले रंग का रेशमी गाउन पहना हुआ था जिसका गला काफी खुला हुआ था और उसकी चूचियों के उभार एक पतली सी ब्रा में कैद थे.

पतली सी ब्रा इसलिए लिखा क्योंकि मानसी के मम्मों के कड़क निप्पल उसके रेशमी गाउन के बाहर से ही नुमाया हो रहे थे.

शायद वह खुद ही अपने दूध दिखाने को उतावली लग रही थी इसलिए मेरे उठ जाने के बाद भी वह मेरे सामने झुकी हुई थी ताकि मैं उसके मम्मों का दीदार कर लूं.

मैं उसके मम्मों को ललचाई नजरों से देखते हुए उठा और फ्रेश हुआ.
फिर हॉल में बैठ गया.

वह प्लेट में मेरी फेवरेट पनीर चिली, वेज पुलाव और सलाद लेकर आई.
उसके हाथ में एक व्हिस्की की बोतल थी.

मैंने मादक भाव से उसे देखते हुए कहा- क्या बात है! शवाब के हाथ में शराब!
उसने हंस कर आंख दबाते हुए कहा- जब शवाब और शराब सामने है, तो आओ अब जश्न मनाते हैं.

मैं भी झट से मान गया.

मानसी ने दारू की बोतल खोली और दोनों का पहला पैग बनाया.
हम दोनों ने चियर्स किया और पहला पैग पी गए.

ऐसे ही हम दोनों ने धीरे धीरे 4-4 पैग पी लिए और अब मानसी को नशा चढ़ रहा था.

जब वह पांचवां पैग पी रही थी तो उसका ग्लास गिर गया और दारू उसके टॉप पर गिर गई.

वह तो इतने नशे में थी कि उसको कुछ पता ही नहीं चल रहा था.
लड़खड़ाती हुई आवाज में वह मुझसे बोली- प्लीज मुझे साफ कर दो.

मैंने उसकी तरफ देखा.
मैं भी नशे में आ चुका था.

गाउन में से उसकी छाती पर तनी हुई मोटी मोटी चूचियों की नोकें साफ नजर आ रही थीं.

उसकी फिगर 36-30-38 की थी.
पूरी कयामत लग रही थी.

जैसा कि मैंने आपको बताया कि वह दिव्या खोसला कुमार की तरह दिखती है.
मैं तो उसको देखता ही रह गया और जब वह उठ कर बाथरूम की तरफ अन्दर जाने लगी तो उसकी फूली हुई गांड को देख कर मेरा फौलादी लंड खड़ा हो गया.

मैंने उससे कहा- मैं नहीं कर सकता … क्योंकि उसके लिए मुझे तुम्हारा गाउन भी खोलना पड़ेगा.

वह बोली- प्लीज यार, तुम कुछ भी मत सोचो और तुम जैसे चाहो इसे बस साफ कर दो.
मैंने उसका गाउन उतारा और उसके गाउन को खोलते ही मुझे उसकी लाल रंग की ब्रा के अन्दर उसके बहुत बड़े बड़े मुलायम स्तन नजर आए.

उन्हें देखकर मेरा मन उन्हें पकड़ कर चूसने का हो रहा था.

वह हंसी और बोली- कैसे हैं?
मैंने कहा- बहुत मस्त हैं.

अब तक मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था.

मैंने तौलिये से उसके गोरे गोरे जिस्म को बहुत हल्के हाथों से साफ कर दिया.
मैं उसके मम्मों को देखता रहा.

तभी वह बोली- क्या अब घूरते ही रहोगे या कुछ करोगे भी? प्लीज मेरी ब्रा भी उतार दो न!

उसी समय मुझे सौम्या का भोला चेहरा याद आ गया.
मैंने उससे कहा- ये गलत है. मैं सौम्या को प्यार करता हूँ.

उसने कहा- जीजा जी, सौम्या को सब पता है. आपको प्यार करने वाली वह अकेली नहीं है. वह नाराज़ नहीं होगी.
मैं भी नशे में था, वासना मुझ पर हावी हो रही थी.

मैंने कहा- तुम मुझसे पाप करवा रही हो.
वह हंसी और बोली- मुझे चोदने से तुम पापी नहीं बनोगे, यह बात पक्की है.

जब उसने चुदाई की बात साफ साफ शब्दों में कही तो मेरा लंड भड़क गया.
मैंने धीरे धीरे एक एक करके उसके सभी कपड़े उतार दिए.

जब मैंने उसकी पैंटी को छुआ तो वह चूत रस में एकदम गीली थी.
मैं समझ गया कि इसको भी मेरे छूने से जोश आ रहा है.

लेकिन उसके पूरे कपड़े उतारते ही मेरा तो जैसे दारू का नशा ही उतर गया था.
मैंने धीरे से अपने भी सारे कपड़े उतार दिए.

फिर मैं अपने लंड को शराब से नहला कर उसके मुँह के पास ले गया और उससे बोला- लो लॉलीपॉप चूस लो.

वह भी नशे की हालत में मेरे एक बार कहने से ही मान गई और मेरे लंड को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
मैं बोतल से बूंद बूंद करके शराब अपने लंड पर टपकाता गया और वह मेरे लौड़े को चूसती हुई शराब को भी पीती गई.

नीचे से मैं उसकी गीली एकदम व गर्म चूत में उंगली कर रहा था.
धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो उसको बहुत दर्द होने लगा और वह ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां लेने लगी.

मैं समझ गया कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी है और आज में पहली बार उसकी चूत का भेदन करूँगा.

उसके लंड चूसने से जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने लंड उसके मुँह से बाहर निकाल लिया और सारा वीर्य एक ग्लास में निकाल दिया.
फिर उसी ग्लास में एक और पैग बनाकर मानसी को पिला दिया.

वह बड़े मज़े लेकर पी गई और मैं उसकी चूत चाटने लगा.

थोड़ी ही देर में पूरी गर्म हो गई और उसकी चूत से पानी भी निकल रहा था.
उसको जरा सा भी होश नहीं था कि उसके साथ क्या क्या हो रहा है.

मैंने थोड़ी देर बाद उसे एक पैग बनाकर और पिला दिया और उसे अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले आया, उसे बेड पर लेटा दिया.

उसकी कमर के नीचे मैंने एक तकिया रख दिया.
इससे उसकी चूत का मुँह थोड़ा खुल गया और मुझे उसकी चूत का दाना साफ साफ दिखने लगा.

फिर मैंने अपना लंड उसकी गर्म चूत पर रखा और अन्दर डालने लगा.
लेकिन मेरा लंड उसकी टाईट चूत के अन्दर नहीं जा रहा था.

मैंने उसकी कमर को अच्छी तरह कसकर पकड़ा और लंड को चूत के मुँह पर रखकर एक ज़ोर का धक्का दे मारा.

मेरा पूरा लंड उसकी चूत में फिसलता हुआ अन्दर चला गया और मानसी के मुँह से एकदम ज़ोर से चिल्लाने की आवाज बाहर आ गई.
उसका भी दारू का सारा नशा उतर गया.

जब मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था.
मानसी की आंखों से आंसू निकल रहे थे, सांसें ज़ोर ज़ोर से चल रही थीं.

वह पूरी पसीने से गीली हो चुकी थी और अब उसके मुँह से गाली भी निकलने लगी थी.

मानसी बोली- मादरचोद धीरे पेल साले … लुगाई हूँ तेरी … कोई रंडी नहीं हूँ.

उसकी गाली से मुझे और जोश आ गया और मैंने उसकी एक चूची को जोर से भींच दिया.
‘साली है तू मेरी. अभी बीवी नहीं हुई है.’

मानसी- आज से मैं भी आपकी हुई. अब हम दोनों आपकी पत्नी हैं और आप भी हम दोनों को एक जैसे ही चाहेंगे.
मैंने भगवान से कहा- एक छोड़ कर गई तो आपने दो दो प्यार करने वाली दे दीं.

मन में यह बोलते हुए मैं धीरे धीरे लंड को धक्के देकर उसे चोदने लगा.

वह कुछ बोलना चाह रही थी लेकिन अपनी चुदाई के दर्द के कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी.

मानसी बोल रही थी- अह्ह्ह उह्ह्हह्ह बाहर मत निकालो इसे प्लीज … अह्ह्ह अब से मैं आपकी ही हूँ मेरे पतिदेव प्लीज मिसेज राज समझ कर ही मुझे चोदिए … अह्ह्ह्ह.
वह मादक सिसकारियां ले रही थी और मैं लगातार ताबड़तोड़ धक्के दिए जा रहा था.

मेरे लंड के चूत के अन्दर बाहर होने से पूरे कमरे में फच फच की आवाजें आ रही थीं.
कुछ मिनट के धक्कों के बाद उसको भी मज़ा आने लगा और वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी.

मैं- क्यों मिसेज राज, अब तो आपको मेरे लंड से चुदाई करने में मज़ा आ रहा है ना?
मानसी- हां पतिदेव अह्ह उह्ह और चोदो मुझे और चोदो … पूरी फाड़ दो आज मेरी चूत को … अह्ह हां और ज़ोर से … भोसड़ा बना दो मेरी चूत का.

मैं तो जैसे उसकी कामुक आवाजों को सुनकर पागल सा हुआ जा रहा था.
मैंने हचक कर चुदाई चालू कर दी.

‘आईईइ अह्ह्ह हां और तेज चोदो मुझे जानेमन चोदो … और तेज़ चोदो … मुझे आज चोदकर एक औरत बना दो.’

मैंने पास में रखी दारू की बोतल से एक लंबा घूंट नीट दारू का लिया और अपनी चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी.

इसी बीच वह झड़ चुकी थी.

दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने पूछा- वीर्य कहां पर निकालूँ?
मानसी- मेरी प्यासी चूत में ही डाल दो और आज इसकी आग बुझा दो.

मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया और थककर बेड पर लेट गया.
हमने उस रात को खूब दारू पी और एक बार चुदाई की.
फिर थककर ऐसे ही नंगे सो गए.

दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर मैंने एक बार और उसकी चूत में लंड डाला और उसे चोदा.

अब वह बड़े आराम से पड़ी रही और मेरे लंड का मज़ा लेती रही क्योंकि रात भर चुदाई से उसकी चूत फट चुकी थी जिसकी वजह से मेरा लंड आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था.

उस दिन हम दोनों कहीं भी नहीं गए और पूरे दिन नंगे ही पड़े रहे.

दोस्तो, अब मानसी और सौम्या हम तीनों पति पत्नी की तरह रहते हैं.

Antarvasna

बुआ जैसे ही Antarvasna नहाकर बाथरूम से आई तो उसने केवल लाल रंग ब्रा और काली स्कर्ट पहन रखी थी। बुआ लाल ब्रा में बहुत सुन्दर लग रही थी। उसका गोरा और गीला बदन बिजली की तरह चमक रहा था।

मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था। मैं खड़ा हो कर बुआ को देखने लगा। बुआ भी मुझको देख रही थी पर वो बोली कुछ नहीं। बुआ तैयार होने लगी, उसने अपने बाल खोले और उन्हें संवारने लगी। मैं बुआ को देखता रहा। मेरा लण्ड अब पूरे जोश में आ चुका था। बुआ ने अपनी एक लंबी वाली ज़ुराब उठाई और बेड पर पैर रखकर पहनने लगी। बुआ की एक ज़ुराब बेड के नीचे गिर गई। बुआ जैसे ही उसे उठाने की लिए बेड के नीचे घुसी तो उसकी स्कर्ट ऊपर हो गई। बुआ ने नीचे कुछ भी नहीं पहन रखा था। मेरा मन डोल गया। इससे पहले बुआ बेड से निकलती मैंने अपना लण्ड निकाला और बुआ को कमर से पकड़ कर उसकी ग़ांड के छेद पर रख दिया। बुआ को एक दम झटका लगा और बुआ बाहर निकलने के लिए कोशिश कर रही थी कि मैंने लण्ड पर दबाब बनाया तो बुआ बोली- यह क्या कर रहा है? तू तो मना कर रहा था !

मैंने कहा- बुआ, तू ही तो कह रही थी कि तू मेरे लण्ड की दीवानी हो गई है।

तो बुआ बोली- ठीक है, पर मेरी गांड क्यों मार रहा है इसमें तो बहुत दर्द होगा। यह तो आज तक मैंने तेरे फूफा से भी नहीं मरवाई ! वो भी ज़िद करता है पर मैं दर्द के कारण मना कर देती हूं।

मैं बोला- बुआ अब मैं आज तेरी गांड को खूब मारूँगा।

और मैंने एक हाथ से लण्ड को पकड़ के सही से बुआ की गांड के छेद पर रखा और ज़ोर लगाने लगा पर बुआ की गांड बहुत टाइट थी, बस थोड़ा सा ही लण्ड आगे का टोपा बुआ की गांड में गया। बुआ को दर्द हुआ और बोली- मान जा ! लण्ड बाहर निकाल ! मुझे दर्द हो रहा है !

मैं ऐसे ही धक्के मारता रहा और बुआ के बदन को चूमता रहा। फिर कुछ देर बाद मैंने बुआ को कमर से पकड़ा और एक ज़ोर से धक्का लगाया, अब की बार मेरा लण्ड बुआ की गांड को चीरता हुआ आधा अंदर चला गया। बुआ को बहुत दर्द हुआ और बुआ चिल्लाने लगी- मार दिया रे ! कम से कम इस पर तेल या क्रीम लगा ली होती या थूक ही लगा लिया होता।

मैंने कहा- बुआ, सूखी चूत मरवाने से तो बहुत मज़ा आता है ! अब देख तेरा लंडबाज़ तेरी सूखी गांड भी मार रहा है।

और फिर बुआ की कमर पकड़ कर मैने एक झटका और दिया, मेरा लण्ड पूरा अंदर चला गया बुआ और ज़ोर से चिल्लाने लगी, बुआ बोली- बहनचोद, निकाल इसे ! मुझे दर्द हो रहा है।

पर मैं नहीं माना।

बुआ बोली- मैं तेरे लण्ड को चूसूंगी और हाथ से कर दूंगी।

पर मै बुआ की ज़ोर से गांड मारता रहा। बुआ भी गांड मरवाने को मजबूर थी क्योंकि वो बेड के नीचे फंसी हुई थी। मैं अब अपना लण्ड पूरा बाहर निकाल कर बुआ की गांड में डाल रहा था। फिर मैं एक हाथ बुआ की चूची दबाने लगा और एक हाथ उसकी चूत पर ले गया। वहाँ पर मैंने बुआ की चूत में अपनी दो उंगलियाँ डाल दी। जिससे बुआ का दर्द कम हुआ अब बुआ तीन जगह से मज़ा ले रही थी। दस मिनट बाद बुआ झड़ गई। उसकी चूत का पानी नीचे ज़मीन पर गिर रहा था। फिर बुआ बोली- जल्दी कर ! मुझे क्लिनिक जाना है।

फिर मैं ज़ोर से धक्के मारने लगा, पाँच मिनट के बाद बुआ की गांड में ही झड़ गया और अपना लण्ड बाहर निकाल लिया। बुआ एकदम बाहर निकली और खड़ी हो गई पर उससे सही से खड़ा नहीं हुआ जा रहा था। बुआ ने मेरे लण्ड को पकड़ कर अपनी चूत पर लगा लिया और बोली- तू तो बड़ा ही ज़ालिम है रे ! पर तेरे इस दर्द में बहुत मज़ा आया। तेरे फूफा से तो मैं एक ही बार मना करती हूं तो वो मान जाता है पर मुझे भी इसी दर्द की तलाश थी।

फिर बुआ मेरे लण्ड को ज़ोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी और दो तीन मिनट बाद उसने मेरे लण्ड को छोड़ दिया। और अपनी ज़ुराब और गाऊन पहनकर क्लिनिक चल दी। पर बुआ पर चला नहीं जा रहा था, उसे दर्द हो रहा था। बुआ के क्लिनिक जाने के बाद मैंने वही ब्लू फिल्म देखी जो बुआ ने देखी थी। उस में अलग अलग स्टाइल से चूत और गांड मारी गई थी। मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया मैं बुआ का इंतज़ार करता रहा। मैंने घड़ी पर देखा तो दस बजे थे और बुआ एक बजे आती है। तो मैं कभी अपने लण्ड को हाथ में लेता तो कभी बुआ को याद करके उसकी ब्रा और पैंटी पर मल देता।खैर बुआ एक बजे आई तो मैं बुआ के अंदर आते ही बुआ से चिपट गया और ब्लू फिल्म को चला दिया।

बुआ बोली- रुक तो ! तूने सुबह ही तो मेरी गांड मारी है। अब फिर से करेगा?

मैंने कहा- बोल मत बुआ ! आज अपनी जवानी का सारा मज़ा लूटने दे मुझे।

बुआ भी गरम हो रही थी, मैंने बुआ का वो नर्स वाला गाऊन कस के पकड़ लिया और गाऊन के ऊपर से ही बुआ की चूची चूसने लगा। बुआ और मैं ब्लू फिल्म देख रहे थे। अब बुआ भी मुझे अपनी तरफ खींच रही थी।

फिर क्या था, मैंने नीचे हाथ डालकर बुआ चूत को सहलाना शुरू कर दिया। अब बुआ की चूत गीली हो चुकी थी। बुआ ने एकदम मेरे अंडरवीयर से लण्ड निकाला और चूत पर मलने लगी। फिर मैंने बुआ के गाऊन के बटन खोल दिए और बुआ की ब्रा हटा कर चूची चूसने लगा। बीच बीच में बुआ की चूची के दाने को काट भी लेता था। फिर बुआ का गाऊन ऊपर किया । और मैं एक कुर्सी पर बैठ गया। बुआ भी मेरे लण्ड पर अपनी चूत का छेद रखकर मेरी गोदी में बैठ गई। मैंने बुआ को नीचे किया और अपने को ऊपर झटका दिया। मेरा लण्ड बिना किसी के रोके बुआ की चूत को चीरता हुआ बुआ की चूत में समा गया। बुआ ज़ोर से झटके देने लगी। बुआ मेरा पूरा लण्ड बाहर निकाल कर अपनी चूत में पेल रही थी।बुआ ने एकदम मुझे कसकर पकड़ लिया। मैं समझ गया कि बुआ का काम हो गया है। बुआ खड़ी हो गई। मैंने बुआ को पकड़ा और बेड पर धक्का दे दिया। फिर मैं बुआ का दूध पीने लगा। बुआ की चूची एक दम कड़क हो रही थी।

फिर बुआ बोली- चल, अब मेरी गांड मार !

मैंने बुआ को कुतिया बना दिया और अपना लण्ड बुआ की गांड के छेद पर रख दिया। बुआ ने भी पीछे धक्का लगाया और मैंने आगे धक्का लगाया। मेरा लण्ड आसानी से अंदर चला गया। अबकी बार बुआ को दर्द कम हुआ क्योंकि उसके मुँह से बस सी-सी की आवाज़ ही आई थी। फिर मैं और बुआ ज़ोर से धक्के लगाते रहे। करीब दस मिनट बाद मैंने अपना सारा पानी बुआ की गांड में ही छोड़ दिया। फिर मैंने बुआ की गांड से लण्ड निकाला तो बुआ बैठ कर मेरे लण्ड को चूसती रही। फिर उठी और रसोई में गई और दूध से मलाई लाई और कुछ मेरे लण्ड डाली और कुछ अपनी चूची पर और बोली ले चाट इसे !

मैंने बुआ को बेड पर बैठाया और उसकी एक करके चूची चूसने लगा बुआ को बहुत मज़ा आ रहा था। फिर बुआ ने मुझे पीछे किया और मेरे लण्ड की मलाई चूसने लगी। बुआ अब मेरे लण्ड को जड़ तक चूस रही थी। मेरा लण्ड फिर खड़ा हो गया, बुआ देखकर बोली- ले यह तो फिर चूत और गांड माँग रहा है।

अबकी बार मैं ब्लू फिल्म देखकर करना चाहता था। बुआ को मैंने करवट से लिटाया और खुद उसके पीछे लेट गया। बुआ की मैंने एक हाथ से टांग को ऊपर उठाया और अपने लण्ड को बुआ के गांड के छेद पर रख दिया और एक धक्का दिया । बुआ की गांड में मेरा लण्ड चला गया पर बुआ को इस स्टाइल में दर्द हो रहा था। क्योंकि उसकी टांग धक्कों से ऊपर उठती जा रही थी।

बुआ बोली- इस स्टाइल में दर्द हो रहा है, मैं सहन नहीं कर पा रही हूं।

पर मैं पूरे जोश में धक्के लगाता रहा। फिर ब्लू फिल्म में स्टाइल बदला, करीब पाँच मिनट बाद मैंने भी वही स्टाइल करा। अब मैंने बुआ को खड़ा किया और बुआ का एक पैर बेड पर रखा और दूसरा ज़मीन रखा। फिर अपने लण्ड पर बुआ के पर्स से क्रीम निकाल कर लगाई और कुछ बुआ की गांड पर। फिर मैंने लण्ड बुआ की गांड पर रखा और आगे पीछे करने लगा, लण्ड अभी बाहर ही था। फिर मैंने एक दम ज़ोर का धक्का लगाया और मेरा लण्ड बुआ की गांड में। क्योंकि अबकी बार गांड भी चिकनी और लण्ड भी चिकना था। इससे बुआ को दर्द भी नहीं हुआ। मैंने बुआ की चूची भी दबाई और बुआ की चूत में उंगली भी कर रहा था।

बुआ बोल रही थी- मार अपनी बुआ की गांड मार ! फाड़ दे बेटा आज इसे। मेरे बेटा आज अपनी बुआ की सारी प्यास बुझा दे ! देख तेरी बुआ कितनी जवान लग रही है आज तुझ से गांड मरवाकर ! फिर मैं बुआ की गांड में ही झड़ गया। मै और बुआ बिस्तर पर लेट गये। मैंने घड़ी देखी तो तीन बज गये थे। फिर मैं खड़ा हुआ और ऊपर के बाथरूम मे नहाने चला गया। जब मैं नहाकर आया तो बुआ भी नहा चुकी थी और चाय बना रही थी। मैंने चाय पी और मैं बाहर वाले कमरे में लेट गया। बुआ भी अब आराम करना चाहती थी। मैं सो गया। मेरी आँख करीब सात बजे खुली और मैं बाथरूम में जाकर हाथ- मुँह धोकर आया। मैंने अपने कपड़े पहने और घर आने लगा।

मैं बुआ को कहने के लिए गया, बुआ ने लाल साडी और कट स्लीव का ब्लाऊज़ पहन रखा था। वो अब एक दम नई-नवेली लग रही थी। ब्लाऊज से झांकती हुई उसकी चूची जैसे वो मुझको बुला रही हों। मैंने बुआ का हाथ पकड़ा और बुआ को उल्टा यानी पेट के बल नीचे ज़मीन पर लिटा दिया। बुआ कुछ नहीं बोली क्योंकि उसे पता था कि मैं जा रहा हूं। मैंने बुआ का पेटीकोट साड़ी सहित ऊपर कर दिया और उसकी गांड देखने लगा।

बुआ ऊपर हुई और हाथ टेक कर घोड़ी सी बन गई और बोली- जल्दी जल्दी कर वरना तेरा फूफा आ जायेगा।

इतना सुनते ही अपनी पैंट की ज़िप खोली और लण्ड निकाला और बुआ की गांड में पेल दिया और पूरे ज़ोर से धक्के लगाने लगा। बुआ भी मेरा पूरा साथ दे रही थी ताकि दोनों को जल्दी मज़ा आ जाये। करीब बीस मिनट के बाद मैं बुआ से बोला- मुझे मज़ा आ रहा है।

बुआ बोली- ज़ोर से मार ! मुझे भी अब मज़ा आने वाला है।

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और झड़ गया। बुआ भी झड़ गई। फिर मैंने बुआ की गांड से अपना लण्ड निकाला और पैंट के अंदर कर लिया। बुआ भी खड़ी हो गई और साड़ी ठीक करके बोली- गेप, वादा करती हूँ कि तुझसे ही गांड मरवाऊँगी, किसी और से नहीं।

और मैं अपने घर आ गया।

इसके बाद मैंने अपनी चाची को चोदा। यह अगले भाग में !

अगर आपको कहानी अच्छी लगी हो तो आगे लिखूंगा। Antarvasna

प्रेषिका : रीना शर्मा Antarvasna Sex Stories

मेरी एक प्रिय पाठिका ने Antarvasna Sex Stories अपना नाम गुप्त रखने की शर्त पर अपनी यह आपबीती मय डायलोग के मुझे भेजी है। हां पाठकों के मनोरंजन के लिए इसमें कुछ मसाला भी डाला गया है। उसका नाम तो चलो गुप्त ही रखेंगे, पर कुछ नाम तो रखना ही है ना, तो चलो मैं हीरोईन को अपना नाम रीना दे देती हूँ।

हां, प्रतीक नाम वास्तविक है। उसका कहना है कि ये तो बस बातों बातों में हो गया, हम दोनों में से किसी का ऐसा इरादा नहीं था।

प्रतीक एक सीधा साधा जवान लड़का था। मैं उस समय पूना में नौकरी करती थी। प्रतीक के पापा और मेरे पापा दोस्त थे। जब प्रतीक का फोन मेरे पास आया तो मुझे उसके आने की बहुत खुशी हुई। वो मेनेजमेन्ट कर रहा था और उसके पास नौकरी का ऑफ़र आ गया था। वो एक प्रथम श्रेणी का विद्यार्थी था।

उसे सवेरे ही बस से पूना आना था। मैं उसे लेने के लिये बस स्टेण्ड आ गई। बीस बरस का जवान लड़का दूर से ही पहचान में आ गया। वो मुझे देखते ही लिपट गया।

“रीना दीदी, तू आई है मुझे लेने…”

“अरे कैसे नहीं आती … तू जो आ रहा था !”

एक जवान लड़के का लिपटना मुझे बहुत भाया… मैंने जोश में उसे चूम लिया, उसने भी प्रति उत्तर में मुझे चूमा। मैं उसे घर ले आई।

“रीना दीदी , इतने बड़े घर में तुझे डर नहीं लगता…”

“नहीं, बिल्कुल नहीं, मेरे जैसी काली लड़की पर कौन ध्यान करेगा?”

“नहीं, वो कोई गुण्डा, बदमाश …?”

“वो तो सुन्दर लड़कियों को खतरा होता है … मैं तो उसे और पकड़ लूँ !”

वो यह सुन कर हंस दिया। हम दोनों नाश्ता करके बतिया रहे थे। दोनो ही एक डबल बेड पर आराम कर रहे थे।

“दीदी, शादी क्यूँ नहीं कर लेती … 26 साल की हो रही हो !”

“तू कर ले यार मुझसे शादी … मैं तेरा पूरा ख्याल रखूंगी ! बस ?”

वो फिर से हंस पड़ा,”यार, मजाक मत कर … तेरी जैसी प्यारी दीदी से शादी कौन नहीं करेगा… कोई बॉय फ़्रेन्ड नहीं है क्या?”

“तू है ना … मेरा दोस्त बन जा और दीदी कहना छोड़ दे !”

“अरे तू तो दोस्त तो है ही, बड़ी है ना इसलिये दीदी कहता हूँ।”

“अरे मेरे भोले पंछी … तुझे कब समझ में आयेगा कि दीदी के साथ कुछ नहीं कर सकते, जबकि दोस्त के साथ सब कुछ कर सकते हैं !”

“हां, पर हम तो दोस्त है ना, अच्छा अब मुझे अब सोने दे !”

“सो लेना यार, आज तो रविवार है … अच्छा तूने कोई लड़की पटाई या नहीं?”

“दीदी, तू है ना पटी पटाई … और किसे पटाना है, वो तृप्ति तो मतलबी है, बस उसी का सारा काम करो !”

“कुछ किया उसके साथ… या यूं ही फ़ोकट में काम करता रहा ?”

“नहीं नहीं… मैं इतना बेवकूफ़ थोड़े ही हूँ, उससे आईसक्रीम तो खा ही लेता हूँ !”

“और दूसरी आईसक्रीम …?”

मेरे स्वर में अब वासना का पुट आने लगा था। वो समझ गया मेरा इशारा…।

“दीदी, यूँ कोई हाथ थोड़े ना लगाने देता है… वो रेशमा तो बस मुझे आंख मार कर ही काम चला लेती है।”

मेरे दिल में बेईमानी आने लगी थी। मैं उसके पास खिसक आई।

“तूने कभी कहीं किसी लड़की को हाथ लगाया है …?”

“कहां पर दीदी …?”

मेरी सांसे तेज सी होने लगी। मैने हिम्मत करके उसे अपने सीने की ओर हाथ करके बताया।

” यहाँ पर … !”

“अरे मारेगी नहीं वो मुझे …?” वो हंसता हुआ बोला।

“पता है ! एक बार इसे छू ले तो वो मस्त हो जायेगी !”

मेरे सीने के उभारों को देख कर वो बोला,”तेरे तो बहुत बड़े है, इन्हें छू लूँ क्या… मारोगी तो नहीं तुम?”

“चल छू ले … देख तुझे कैसा लगता है !”

उसने डरते डरते मेरे उभरी हुई चूचियों को हाथ लगाया। मैंने जानबूझ कर एक मस्ती की सिसकारी ली।

“आह, कितना मजा आया, थोड़ा और छू ले…” उसकी आंखो में चमक आ गई। उसकी सांस तेज होने लगी। उसने मेरे उरोजों की गोलाईयो को हाथ फ़ेर कर सहलाया। एक अनजाने से नशे में मैं खो सी गई। उसका लण्ड धीरे धीरे खड़ा हो गया।

“दीदी, आपको अच्छा लग रहा है क्या … देखो मुझे भी जाने कैसा कैसा हो रहा है !”

“बुद्धू, अन्दर हाथ डाल कर छू ना…” मेरी चूत गीली होने लगी थी।

“तेरा टॉप तो इतना टाईट है कि बस ! दीदी इसे उतार दे तो छू सकता हूँ…”

मुझे लगा कि प्रतीक अब बहकने लगा है … उसकी शरम दूर करने का बस यही मौका था।

“तू उतार दे ना …”

उसने मेरी बनियान नुमा टॉप ऊपर खींच कर उतार दी। मेरे दोनों कबूतर बाहर आकर खिल उठे।

“पता है, मेरी मम्मी के भी ऐसे ही हैं … !”

“ओफ़्फ़ोह, मम्मी की दुम, अब सहला ना !”

उसने ध्यान से मेरे स्तन देखा और मेरे चुचूक छू कर हिलाने लगा। मेरी आंखों में खुमारी आने लगी।

“दीदी, अरे बाप रे, कितने कड़े है ये दुद्धू…”

“ये मस्त गोले भी तो है ना …” मैं और उससे चिपकने लगी।

“अरे दूर रह ना, मुझे दूध थोड़े ही पीना है”

“प्लीज पी ले … इसे चूस ले…”

उसने मुझे देखा और मेरे बोबे को उसने अपने मुख में भर लिया। उसे चूसने लगा। मैं अपने आपे से बाहर हो गई और उसके ऊपर झूल सी गई और अपने उरोज उसके मुख में जोर से दबा दिये ।

“दीदी, ये क्या कर रही हो, मेरी सांस रुक रही है …”

उसका कड़ा लण्ड मेरी चूत से टकरा गया। जींस के ऊपर से ही मैने रगड़ मार दी।

प्रतीक के मुख से आह निकल गई। मैंने भी अब प्यार से उसे अपने दूध को खूब चुसवाया।

“दीदी, इसमें तो बहुत मजा आता है … तेरी जींस कितनी चुभ रही है, पजामा क्यों नहीं पहनती है?”

“हां यार ! चल इसे उतार देते हैं…”

“हट रे … तू तो इतनी बड़ी लड़की है, नंगी हो जायेगी तो शरम नहीं आयेगी?” प्रतीक कुछ असमंजस में बोला।

“अरे तो कौन देख रहा है ? अपन दोनों ही तो हैं ना … चल उतार देते हैं…”

मैंने पहल की और अपनी जीन्स उतार दी, मैं तो पूरी नंगी हो गई। नंगापन महसूस होने से मुझे एक बार तो लाज सी आई और मुझ में रोमान्च सा भर आया, मेरे रोंगटे जैसे खड़े हो गये।

“रीना, तू चादर लगा ले ना, इतनी बड़ी लड़की नंगी देख कर मुझे तो अजीब लग रहा है !”

“छोड़ ना, अपनी जींस तो उतार…!” मैने उसे उलाहना दिया।

उसने झिझकते हुये अपनी पैण्ट उतार दी और अपना हाथ लण्ड के आगे रख कर छुपा लिया। उसका सर झुका हुआ था,”दीदी, मुझे तो शरीर में जैसे सनसनी सी आ रही है, आप ये क्या करवा रही हैं…?”

मैं उससे जाकर लिपट गई। और अपना चेहरा उसके चेहरे के समीप कर दिया। उसकी महकती खुशबू मेरे नथुनों में समाने लगी। उसने भी मेरा ये पोज देख कर मेरे अधरों से अपने अधर मिला दिये। नीचे उसका लण्ड मेरे योनि द्वार पर दस्तक देने लगा था। पर वो इस मामले में नया था सो वो कुछ नहीं कर पा रहा था।

“प्रतीक, अपनी कमीज भी उतार दो ना, मेरी तरह नंगे हो जाओ… शरम ना करो ! प्लीज !”

उसने अपनी कमीज भी उतार दी।

“तुमने मेरे दूध पिया था ना, अब मुझे भी कुछ पीने दो…!”

“मेरे पास दुद्धू नहीं है, तो क्या पीयोगी…?”

“बस चुप …”

मैं धीरे धीरे नीचे बैठने लगी और उसके लण्ड के पास पहुंच गई, वीर्य जैसी महक से मैं मदहोश सी हो गई। उसके लण्ड को पकड़ कर मैंने उसकी चमड़ी ऊपर कर दी।

“दीदी, मुझे शरम आ रही है … यह क्या कर रही हो…?”

मैंने वासनायुक्त निगाहों से उसे मुस्करा कर देखा और उसका लाल सुपाड़ा अपने मुख में रख लिया। लण्ड नया था उसकी स्किन सुपाड़े से लगी हुई थी। उस

स्किन को चीर कर उसे मर्द बनाना था। मैने उसके डण्डे को कस कर पकड़ लिया और झटके दे देकर मुठ मारने लगी। मेरा मकसद उसकी त्वचा चीरना था। कुछ झटकों से उसकी स्किन चिर गई और खून निकल पड़ा। वो दर्द से कराहा भी … पर अब स्किन फ़टने के बाद मैं धीरे धीरे मुठ मारने लगी,। मुख में सारा खून चूस लिया, उसे खून का पता भी नहीं चला कि उसकी स्किन फ़ट चुकी है। उसके लण्ड की चमड़ी पूरी पलट गई और लण्ड पूरा खुल गया।

मैं उसका लण्ड बड़े चाव से चूसने लगी। उसे दर्द के बीच एक अनोखा सा मजा आने लगा था। मेरी आंखों में वासना के लाल डोरे खिंच चुके थे। काफ़ी दिनों से मेरी चुदाई नहीं हुई थी, इसलिये मेरी चूत बहुत ही लपालपा रही थी। बस लण्ड चूत में घुसा लूं यही लग रहा था।

“बड़ा जोरदार है रे तेरा लण्ड…”

“छीः दीदी गाली होती है ये तो …”

“इसे लण्ड ही कहते हैं और मेरी इसको चूत कहते है… याद रखना …”

“दीदी, आज तो तू सारी गन्दी बातें कर रही है !”

“गन्दी !!!, अच्छा तुझे मजा नहीं आ रहा है क्या…?”

“हां वो तो आ रहा है… पर ये नीचे चूसना … इससे तो सू सू करते हैं ना और तू है कि इसे चूसे जा रही है … रोक मत ना और जोर से चूस …”

“देखा मजा आ रहा है ना … अब तू भी मेरी चखेगा …”

“वो कैसे … क्या तेरा लण्ड भी चूसूँ…?”

“अरे चल हट … मेरी चूत की बात कर रही हूँ।”

मैंने उसका लण्ड छोड़ दिया और बिस्तर पर लेट गई। अपनी चूत खिसका कर एक तरफ़ कर दी। प्रतीक बिस्तर के नीचे बैठ गया और मेरी दोनों टांगों के बीच आ गया।

“ये देख … इसे भी चूसना …” मैंने नीचे हाथ अपने दाने पर लगाया और उसे बता दिया। उसके होंठ मेरी चूत से लगते ही मुझे झुरझुरी सा आ गई। उसकी जीभ लपलपा उठी और उसने मेरी पूरी चूत को चाट लिया। मैंने गुदगुदी के मारे टांगें और उठा ली। तभी उसकी जीभ मेरे गाण्ड के छेद पर आ गई। आनन्द के मारे मैंने अपनी आंखें बंद कर ली। वो भोला, भला क्या जाने कि क्या चाटना है। पर मुझे तो उसने मस्ती ला दी। तभी उसकी जीभ ने मेरे दाने को बुरी तरह से हिला डाला। जैसे तेज और तीखी चुभन सी हुई। हाय रे ! ये सब कितना अच्छा लग रहा था। मेरा अंग अंग तड़प उठा था। वो कभी मेरी गाण्ड का छेद चाट रहा था, तो कभी चूत में उसकी जीभ घुस पड़ती थी तो कभी मेरे दाने को दबा कर हिला कर मुझे घायल सा कर देता था।

“प्रतीक, अब मेरे पास आजा, मुझे प्यार कर…!”

“हां दीदी, मुझे भी देख कितनी मस्ती आ रही है … ये लण्ड तो देख ना … कैसा हो रहा है !”

मैने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और हम दोनों एक दूसरे से लिपट पड़े। वो मेरे नीचे दबा हुआ जैसे छटपटा रहा था। मैं उसके ऊपर बैठ गई और उसका खड़ा डण्डे जैसा लण्ड थाम लिया। उसका लाल सुपाड़ा खून की एक बारीक धार से और लाल हो गया था। उसे मैंने अपनी चूत खोल कर अन्दर रख लिया।

“दीदी, ये क्या कर रही हो, सू सू को सू सू से मिला दिया?”

“आह्ह्ह, लण्ड चूत में घुसेड़ रही हूँ … अब मत बोल, बस मजे ले ले !”

मैंने धीरे से उसे भीतर ले लिया और अन्दर घुसाने लगी। उसे जलन सी महसूस हुई, पर वो बोला कुछ नहीं, बस थोड़ा सा चेहरा बिगाड़ लिया। उसका लण्ड पूरा लेकर मैं उसके ऊपर झुक गई। मेरे दोनों स्तन उसके चेहरे के नजदीक झूल गये।

“पकड़ ले इसे, मसल डाल…”

“कैसी बोलती हो दीदी, आह तू क्या कर रही है, बहुत मजा आ रहा है !”

मैं और झुक गई। उसने मेरे स्तन मलने शुरू कर दिये। मैंने अपने अधर उसके अधरों से मिला दिये। मैंने अनाड़ी दोस्त को दबोच कर चुदाई करनी चालू दी। हम दोनों एक दूसरे में खो चले, हमारी कमर ऊपर नीचे हो कर सम्भोग में लिप्त हो गई। मेरे साथ प्रतीक भी अपने जीवन काल का प्रथम सम्भोग कर रहा था, मस्ती में खो चुका था। हम खो से गये … मुझे उसने जाने कब अपने नीचे दबोच लिया और चोदने लगा था। मेरे बाल मेरे चेहरे पर बिखर कर उलझ गये थे। दोनों तपते नंगे बदन तृप्ति की ओर बढ़ रहे थे, रफ़्तार तीव्र हो चली थी। मेरा तन जैसे रस से भर गया। जिस्म में मीठी सी गुदगुदी भर गई। मैंने अपने जिस्म को लहरा दिया और मेरा कामरस चू पड़ा… मैं झड़ने लगी… आनन्द से भरी पूरी … आह्ह्ह

मैं झड़ती चली गई। जैसे मेरे ऊपर अब कोई पहाड़ सा बोझ आ पड़ा हो, जान पड़ रहा था। मैंने अपने आप को ढीला छोड़ दिया जाने वो कब तक मुझे चोदता रहा …

मेरी तन्द्रा तब टूटी, जब प्रतीक एक तरफ़ झड़ कर लस्त सा पड़ गया था। मैंने अपनी एक टांग उठा कर उसकी कमर में डाल दी। उसका वीर्य मेरी चूत से निकल कर एक तरफ़ बहने लगा। मैंने अपनी बाहें भी उसके गले में डाल दी और उस पर अपना भार डाल कर सो गई।

“दीदी, उठो तो खाना तो खा लें अब, देखो दोपहर के दो बज रहे हैं।”

मैंने देखा तो प्रतीक तैयार हो कर खड़ा था। मैंने अपनी ओर देखा तो शरमा गई, अब तक नंगी पड़ी हुई थी। वो मेरे यौवन को देख कर फिर से ललचाने लगा था। उसे चूत का चस्का लग चुका था। मेरी चिकनी जांघें, काले काले से चमकीले चूतड़, काली झांटे सभी कुछ उसे बहुत उकसाने का काम कर रहे थे। मेरे गोल-गोल बड़े स्तन देख कर वो कसमसा रहा था।

“तू बड़ा लार टपका रहा है रे … शाम है, रात है और फिर तनहाई भी है … और करेंगे शाम को, दिल छोटा मत कर … तेरी सू सू को नीचे कर ले…” फिर मैं खिलखिला उठी।

पाठको, यह बात तो गुप्त है, किसी को बताना नहीं। कोई जान जायेगा तो सभी मुझे चोद-चोद कर मेरा बेड़ा गर्क कर देंगे। ऐसा रिश्ता तो टॉप सीक्रेट होता है …

आपकी

रीना शर्मा Antarvasna Sex Stories

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