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मैं पहली बार अन्तर्वासना में अपनी Hindi Porn Stories कहानी भेज रहा हूँ। मैं एक ३३ साल का लड़का हूँ और सभी की तरह मेरे अन्दर भी सेक्स करने की बहुत इच्छा थी। मेरा नाम टॉम है (बदला हुआ नाम) मेरा शरीर गठीला और लण्ड ९ इंच लंबा और २.५ इंच मोटा है।
यह उस वक्त की बात है जब मैं २५ साल का था और मेरे ऑफिस में एक लड़की की नई नई आई। वो लड़की हमारे शहर की नहीं थी इसलिए एक कमरा लेकर दो और लड़कियों के साथ पेइंग गेस्ट की तरह रहती थी। मेरी शादी अभी नहीं हुई थी, इसलिए मुझे सेक्स करने की कुछ ज्यादा ही इच्छा होती थी पर कोई लड़की हो तो ही न सेक्स करे !
कुछ महीने बीत गए और उस लड़की और मुझ में दोस्ती हो गई। फिर हम कभी होटल में काफ़ी पीने तो कभी खाना खाने जाने लगे। इसी बीच मेरा प्रमोशन हो गया और इसी प्रमोशन की खुशी में मैं और पारो एक दिन आउटिंग के लिए गाँव चले गए।
हम गाँव जाने के लिए स्कूटर पर निकल पड़े। गाँव के नजदीक आते ही पारो को मस्ती सूझी उसने मुझे पीछे से कसकर पकड़ लिया और उसके छूने से मेरा लण्ड तुंरत ही खड़ा हो गया। उसने अपने मुम्मे मेरी पीठ पर इस तरह से चिपकाये थे कि मेरा लण्ड एकदम कड़क हो गया। अब मुझसे बिल्कुल रहा नहीं गया।
मैंने गाड़ी नहर के किनारे लगा दी और पारो को लेकर झाड़ी की आड़ में ले गया और उसे इस तरह लिटाया के कोई हमें देख न सके। फिर मैंने उसे चूमना शुरू किया और ऐसा करने की वजह से वो पूरी तरह से गरम हो गई और उसने मुझे अपने नीचे लेकर ख़ुद ऊपर की पोज़िशन ले ली।
मैं समझ गया कि आज अपनी निकल पड़ी है। पारो ने मेरी पैन्ट उतारी और मेरा लण्ड मुँह में लेकर खूब जोर जोर से चूसने लगी। मैंने तुंरत अपनी पोजिशन बदली, उसका कुरता ऊपर सरकाया और उसके मुम्मे मुँह में लेकर खूब जोर जोर से चूसने लगा। उसे भी बहुत मज़ा आने लगा था और वो सिसकारियाँ भरके मुझे जवाब दे रही थी। फिर हम दोनों ही एक दूसरे को चूसना चाहते थे इसलिए हमने 69 में हो कर एक दूसरे के गुप्तांग मुँह में लेकर चूसना शुरू किया और हमें मज़ा भी बहुत आ रहा था।
मगर असली मज़ा तो लण्ड और चूत के मिलन के बाद ही आने वाला था। थोड़ी देर में हम दोनों एक दूसरे के मुँह में झड़ गए।
पारो उठ कर खड़ी हो गई और उसने फिर एक बार मुझे किस करते हुए मेरे कानों में कहा- क्या बात हैं ! मैं तो जानती ही नहीं थी कि असली मज़ा तो मेरी चूत को चूसनेवाला ही मुझे दे सकता है !
वो मेरे चुसाई की दीवानी हो गई थी और इसका सबूत यह है कि उसने आव देखा न ताव ! वो सीधा मेरे मुँह पर आकर बैठ गई और अपनी चूत को फ़ैला फैला कर उसे चूसने के लिए मेरी मिन्नतें करने लगी। उधर मेरा लण्ड अभी तक सोया हुआ ही था इसलिए मैंने भी पारो की चूत के अन्दर अपना मुँह घुसेड़ दिया और पागलों की तरह उसकी चूत को चाटने और चूसने लगा। इसी दौरान उसकी टांगों में अकड़न आ गई और मैं समझ गया कि वो अब झड़ने वाली हैं।
वो मेरे मुँह में ही झड़ गई और शांत होने के बाद उसने मेरे मुँह में अपनी जुबान डालकर मुझसे खेलने लगी। उसने अपने हाथ को मेरे लण्ड के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया। अब मेरा लण्ड धीरे धीरे अपनी सीमाएं तोड़ रहा था। वो अपनी पूरी मस्ती में आ गया था। मुझसे भी अब रहा नहीं गया और मैंने पारो को जल्दी से अपने नीचे लिटाकर उसकी टाँगें ऊपर उठा ली। मैंने पारो को अपने हाथ से लण्ड को अपनी चूत पर लगाने को कहा और उसने बिना वक्त गंवाए ऐसा ही किया। उसने धीरे से अपनी कमर उठाकर मेरे लण्ड को अपनी चूत में समां लेना चाहा मगर मेरा विशाल लण्ड अन्दर लेने में उसे बहुत दिक्कत आ रही थी क्योंकि उसकी चूत बहुत ही नाजुक थी।
अब मैंने एक तरकीब लगाने की सोची, इससे पारो को दर्द तो होगा मगर उसे समझ नहीं आएगा कि कब मेरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर चला जाएगा।
मैंने पारो को पीठ के बल लेटने को कहा और अपनी टांगें मेरे कन्धों पर रखने को कहा, उसने ऐसा ही किया। फिर मैंने अपने लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह पे रखकर एक हल्का सा धक्का लगाया, उसके मुँह से जोर से आवाज़ आई- उई उइ माँ मर गयी मैं ! क्या करते हो बहुत मोटा लण्ड है तुम्हारा !
उसे बहुत जोर से दर्द हुआ। अब मैंने सोचा जब दर्द हो ही रहा है तो क्यों न दो चार और धक्को में अपना पूरा लण्ड अन्दर कर दूँ। मैंने अपनी पूरी ताकत से पारो को और दो धक्के दिए और मेरा पूरा लण्ड पारो की चूत को चीरता हुआ अपनी मंजिल तक पहुँच गया। अब पारो चिल्ला रही थी- प्लीज़ ! मेरी चूत को फाड़ दो ! और जोर जोर से नीचे से अपने चूतड़ उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी।
मुझे भी अब मज़ा आने लगा था और मैंने भी पारो की खूब अच्छी तरह से गहराइयाँ नापने की ठान ली। मैंने पारो को कभी कुतिया की तरह खड़ा करके तो कभी कामसूत्र वाली पोज़िशंस में, खूब अल्टा पलटा कर चोदा। पारो भी अब चुदने का मज़ा उठा रही थी। करीब आधे घंटे के बाद जब मैंने अपना पानी बाहर निकलने की इच्छा ज़ाहिर की तो पारो ने बिना वक्त गंवाए मेरे लुंड को अपने मुँह में भर लिया और कहने लगी आज मुझसे यह मज़ा मत छीनो !
फिर मैं उसके मुँह में ही झड़ गया और विश्वास कीजिये कि आज से पहले मुझे झड़ने में कभी इतना मज़ा नहीं आया।
मैं अब शांत हो चुका था मगर पारो अभी भी झड़ी नहीं थी उसने एक बार फिर मेरे मुँह पर बैठने की इच्छा जताई और मैंने हां कह दिया। फिर पारो मेरे मुँह पर बैठ गई और उसकी चूत की खुजली मिटाने में मैंने उसकी मदद की और कुछ ही पलों में वो भी झड़ गई।
इतने में हमें एक काला साँप वहाँ पर दिखाई पड़ा और हम दोनों अपने कपड़े ठीक कर के वहाँ से चल दिए।
बाद में हमने कभी ऑफिस में, तो कभी होटल के रूम में, तो कभी डैम के किनारे, पर तो कभी रास्ते में कई बार चुदाई की। पर वो कहानियाँ अलग है और वो मैं आपको अगली बार की कहानी में बताऊंगा। Hindi Porn Stories
हाय, मेरा नाम नीरू है. आज मैं आपको अपनी के एक सहेली की Sex story स्टोरी बता रही हूं. जिसका नाम पूजा है.
मेरी सहेली सामने नहीं आना चाह रही थी इसलिए उसने मुझे ये स्टोरी बताई. अब आप स्टोरी को उसी के शब्दों में सुनिये.
मेरा नाम पूजा है. मेरी उम्र 24 साल है. मेरा फिगर 37-26-36 है. मेरी शादी दो साल पहले एक सिविल इंजीनियर से हुई थी. मेरे पति मुझे बहुत खुश रखते हैं. मगर अभी वो डेढ़ साल से अमेरिका में हैं और मैं यहां मुम्बई में हूं.
नासिक में मेरा मायका है और मैं उधर ही पली-बढ़ी हुई हूं. मेरे साथ छोटी उम्र में ही कुछ घटनाएं हुई थीं जिनके बारे में मुझे उस वक्त पता नहीं था. उस वक्त मुझे लगता था कि यह सब केवल एक खेल का हिस्सा है.
फिर जैसे जैसे मैं बड़ी होती गयी तो मेरे जीवन में हर बार अलग अलग सेक्स पार्टनर आये. जब मैं 19 साल की थी तो मैं सेक्स के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी. यही वह साल था जब मेरी लाइफ में पहला आदमी आया था.
वो लड़का मेरा भाई था. उस वक्त मेरे भाई की उम्र 22 साल थी. उस वक्त मेरे फर्स्ट ईयर के एग्जाम खत्म हुए थे. मैं अपने घर आ गयी थी.
मेरी मां काम में लगी रहती थी. पापा भी अपने काम पर चले जाते थे. भैया घर में टीवी देख कर टाइम पास करते रहते थे.
घर आने के बाद मैंने मां से एक दिन कहा- मुझे बाहर घूमने के लिए जाना है.
वो बोली- क्यों, अभी 2 दिन पहले तो आई है तू.
मैं बोली- मैं पढ़ाई करके थक गयी हूं. अभी तो एग्जाम खत्म हुए हैं. मैं एक महीने से कहीं भी बाहर नहीं गयी हूं.
मां बोली- तो फिर तुम एक काम करो कि अपने भाई के साथ पास वाले तालाब तक चली जाओ.
उनकी बात सुनकर मैं खुश हो गयी. मैंने दौड़कर अपने नहाने के लिए कपड़े ले लिये और भैया के साथ साइकिल पर बैठ कर चल दी. तालाब हमारे घर से डेढ़ घंटे की दूरी पर था. मगर भैया ने शार्टकट ले लिया.
रास्ता काफी पथरीला था. एक बार तो रास्ते में हमारी साइकल एक बड़े से गड्ढे में घुस गयी. भैया ने मुझे झट से पकड़ लिया. उनके हाथ मेरे सीने पर थे. हम डर गये लेकिन भैया ने संभाल लिया और साइकिल निकाल ली. मगर उनके हाथ अभी तक मेरे सीने पर ही थे. वो धीरे धीरे मेरे बूब्स को दबा रहे थे.
उस वक्त मेरे बूब्स का साइज 31 का था. उस घटना के दौरान मुझे ऐसा लगा कि वो मेरे भैया नहीं बल्कि कोई और मर्द है. मैंने भैया को अपने बूब्स पर से अपना हाथ निकालने के लिए कहा. हम फिर आगे चल दिये.
इस तरह से हम शार्टकट के कारण हम आधे घंटे के अंदर ही तालाब पर पहुंच गये. वहां पर जाकर हमने खूब मस्ती की और भैया के साथ मैंने वहां के नजारे देखे. उसके बाद हमने तालाब में जाने का फैसला किया.
दोपहर का वक्त हो चला था. लगभग 1 बजने वाला था और हमने पहले कुछ खाने के बारे में सोचा. हल्का फुल्का खाने के बाद हम तालाब में गये. अन्दर जाने से पहले मुझे याद आया कि मैं अपना स्विमिंग सूट तो लेकर ही नहीं आई.
मेरा दिमाग खराब हो गया और मैं अपने आप पर गुस्सा होकर बैठ गयी. भैया अपनी शर्ट-पैंट उतार कर अपनी निक्कर पहने हुए तालाब में चला गया था. वो अंदर जाकर मुझे भी आने के लिए कहने लगा. मैंने उसको सारी बात बताई.
वो बोला- कोई बात नहीं. तुमने अंदर से ब्रा और निक्कर तो पहना ही होगा?
मैं बोली- हां भैया.
वो बोला- तो फिर तुम तौलिया से भी काम चला सकती हो. चलो जल्दी से अब अंदर आओ.
मैं बोली- लेकिन भैया, मुझे शर्म आ रही है.
वो बोला- शर्म कैसी, यहां पर हम दोनों ही तो हैं और मौसम भी कितना अच्छा हो रहा है.
मैंने सोचा- मैं किसी मर्द के सामने इस तरह से कैसे आधी नंगी हो सकती हूं!
फिर सोचने लगी कि यह तो मेरे ही भैया हैं. इनके सामने क्या शर्माना.
इसलिए फिर मैं अपनी ब्रा और निक्कर में नहाने के लिए तालाब में अंदर चली गयी. अंदर जाकर मैंने भैया के साथ पानी में खूब मस्ती की. नहाने के बाद जब मैं पानी के बाहर आने लगी तो मेरी ब्रा निकल गयी और बहकर पानी में अंदर चली गयी.
मैं अपनी चूचियों को छिपा कर वहीं पर पानी में ही बैठ गयी.
भैया बोले- चल खेलते हैं. मैं तुझे पकडूंगा.
जब वो मेरे पास आये तो मैं बैठी हुई थी.
वो बोले- क्या हुआ?
नीचे गर्दन किये हुए मैंने कहा- मेरी ब्रा पानी में चली गयी है.
वो बोले- तो क्या हुआ?
मैं बोली- मैं पूरी नंगी हूं भैया.
वो बोले- हां, तो क्या हो गया, कुछ नहीं होता. चल खेलते हैं.
भैया ने कहा- ऐसा करते हैं कि मैं भी अपनी निक्कर उतार देता हूं और तू भी अपनी निक्कर उतार ले. फिर तुम भी पूरी नंगी हो जाओगी और मैं भी. फिर तुमको शर्म नहीं आयेगी.
मैं भैया की बात मान गयी. पहले भैया ने अपनी निक्कर पानी के अंदर ही अंदर उतार दी और तैर कर किनारे पर डाल दी. फिर मैंने भी अपनी निक्कर उतार दी.
भैया बोले- अब मैं भागता हूं और तू मुझे पकड़.
इस तरह से हम पानी के अंदर खेलने लगे.
फिर भैया बाहर की ओर भागने लगे. मैं भी उनके पीछे दौड़ने लगी लेकिन ये भूल गयी कि मैं पूरी नंगी हूं.
बाहर निकल कर मुझे ध्यान आया कि मैं पूरी नंगी हूं. मैं वहीं पर अपनी चूचियों और चूत को छिपाने लगी. इतने में ही भाई ने मुझे देख लिया. वो मेरी ओर आने लगे.
भैया की टांगों के बीच में कुछ लम्बा सा लटका हुआ था. मैं ध्यान से उनके उस अंग को देख रही थी. फिर भाई मेरे पास आ गये और मैंने उनसे कहा- भैया ये क्या है लम्बा सा?
उस वक्त भैया मेरे पूरे शरीर को गौर से देख रहे थे. मैं पूरी नंगी थी और भैया मुझे घूर रहे थे. भैया की जांघों के बीच में वो लम्बा सा लटकता हुआ अंग अब आकार बढ़ा रहा था.
भैया बोले- ये जो लम्बा सा लटक रहा है इसको लंड या जादुई छड़ी कहते हैं.
मैंने कहा- क्या? जादुई छड़ी!
वो बोले- हां. अगर तुम्हें यकीन नहीं होता तो इसको अपने हाथ में लेकर एक बार मसल कर देखो.
उनके कहने पर मैंने उसको हाथ में ले लिया और वैसा ही हुआ. देखते ही देखते उनका वो लटकता हिस्सा मेरे हाथ से बाहर जाने लगा. वो अपना आकार बढ़ा रहा था. फिर वो कुछ ही पल में लोहे के जैसा सख्त हो गया.
मैंने पूछा- भैया, इससे क्या करते हैं?
वो मेरी चूत पर हाथ लगा कर बोले- इसको यहां पर अन्दर डालते हैं. मुंह में भी डालते हैं और पीछे वाले छेद में भी डालते हैं.
मैं शरमा कर जाने लगी तो भैया बोले- किधर जा रही हो?
मैंने कहा- कपड़े पहनने के लिए.
वो बोले- खाना ऐसे अधूरा नहीं छोड़ा जाता.
मैंने कहा- खाना कहां है?
वो बोले- ये जो तुमने अभी गर्म किया है, इसकी बात कर रहा हूं. एक बार ये गर्म हो जाता है तो फिर इसको ठंडा करना होता है.
तभी भैया मेरे पास आये और मुझे पकड़ कर मेरे होंठों को किस करने लगे. मेरे बूब्स को दबाने लगे. मुझे थोड़ा अच्छा लगने लगा. इससे पहले किसी ने मेरे बूब्स को ऐसे नहीं छेड़ा था.
फिर भैया ने कहा कि घूम कर झुक जाओ.
मैंने कहा- क्यों भैया?
वो बोले- तुम्हारे छेद में डालना है इसको, तभी ये शांत होगा.
मैं बोली- नहीं भैया. मुझे डर लग रहा है.
वो बोले- कुछ नहीं होगा. तुम चुपचाप सेक्स का मजा लो. मैं दो साल से इस दिन का इंतजार कर रहा था.
इतना बोल कर भैया ने मुझे पलटा दिया और मेरी पीठ को झुका कर मेरी गांड के बीच में लंड को रगड़ने लगे.
फिर वो मेरी चूत पर लंड को रगड़ने लगे. मेरी चूत के हिसाब से भैया का लंड काफी बड़ा था.
मैं बोली- नहीं जायेगा भैया.
वो बोले- चुप रह साली रंडी, अब तू मुझे समझायेगी कि क्या छोटा है और क्या बड़ा है?
ऐसा बोल कर उन्होंने आहिस्ता आहिस्ता से मेरे छेद में लंड को अंदर डालना शुरू किया. भैया ने जोर लगाया तो मेरी चूत में आधा लंड घुस गया. मैं छुड़ाने लगी लेकिन भैया ने मुझे पकड़ लिया और मेरी चूचियों को मसलने लगे.
मैं बोली- भैया दुख रहा है.
वो बोले- कुछ नहीं होगा. एक बार दर्द होता है फिर बहुत मजा आता है.
उसके बाद भैया ने रुक कर एक बार फिर से पूरा जोर लगा कर पूरा 9 इंच का लंड मेरी चूत में घुसा दिया.
दर्द से मैं चिल्लाने लगी. मुझसे दर्द सहन नहीं हो रहा था. धीरे धीरे भैया ने मेरी चूत में लंड को चलाना शुरू किया. पहले मुझे दर्द होता रहा लेकिन फिर धीरे धीरे मुझे मजा आने लगा.
अब मैं ही भैया से कहने लगी- मारो, और जोर से मारे भैया. आह्ह … आई … वाह … डालो भैया. आह्ह मजा मिल रहा है.
भैया भी जोर जोर से मेरी चूत में चुदाई करने लगे.
उसके बाद उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह में देकर चूसने को कहा.
मैं भैया का लंड मुंह में लेकर चूसने लगी. मुझे मजा आ रहा था. फिर भैया का पानी मेरे मुंह में निकल गया. मैंने भैया के लंड को पानी को पी लिया और मुझे बहुत अच्छा लगा.
उस दिन के बाद से भैया के साथ मेरा रिश्ता भाई-बहन का नहीं बल्कि पति-पत्नी का हो गया. हम घर चले गये. भैया ने पापा को तालाब वाली बात बता दी थी. मुझे इसके बारे में बाद में पता लगा.
तीन दिन के बाद मुझे चाचा के पास जाना था. पापा ने मुझे चाचा के घर छोड़ने का फैसला किया.
हम ट्रेन में जा रहे थे. हमारा सेकेंड क्लास का केबिन था. हमारा सफर 3 घंटे का था. जिस केबिन में हम बैठे थे उसमें हमारे अलावा 2 अमरीकी थे. उसमें एक लड़की और एक आदमी था.
हमने सोचा कि ये दोनों मियां बीवी होंगे क्योंकि वो दोनों इसी तरह से बर्ताव कर रहे थे. जब ट्रेन चली तो आधे घंटे के बाद उन दोनों ने आपस में एक दूसरे को किस करना शुरू कर दिया. 10 मिनट तक वो दोनों किस करते रहे. पापा उनको देख रहे थे लेकिन फिर नजर घुमा लेते थे.
उसके बाद उस लड़की ने उस आदमी की पैंट में हाथ डाल दिया और उसका लंड मसलने लगी. फिर वो कुछ देर के लिए रुक गये.
फिर पापा उनसे पूछने लगे- आप कहां जा रहे हो?
तभी उस लड़की ने उस आदमी को पापा कह कर पुकारा.
हम दोनों दंग रह गये.
पापा बोले- ये आपकी लड़की है?
वो बोले- हां.
पापा बोले- तो फिर ये आप क्या कर रहे थे?
वो आदमी बोला- हमारे यहां पर ये नहीं देखा जाता कि सामने भाई-बहन है या पिता-पुत्री है. सेक्स तो आखिर सेक्स ही होता है. उसको फील किया जाना चाहिए.
वो आदमी मेरी ओर देख कर पापा से बोला- आप भी मेरी तरह मजा ले सकते हैं. आपको आनंद मिलेगा इसमें. फिर उन्होंने हम दोनों को एक गोली दे दी.
पापा मेरी ओर देख कर मुस्कराने लगे और मैं भी उनको देख कर स्माइल करने लगी. उसके बाद पापा मेरे करीब आ गये. उन्होंने मुझे किस करना शुरू कर दिया. मैं भैया के साथ सेक्स का मजा ले चुकी थी इसलिए पापा के साथ भी दिक्कत नहीं हो रही थी. फिर उन्होंने मेरे कपड़े उतारना शुरू किया.
सीट छोटी थी इसलिए हम लोग खुल कर कुछ नहीं कर पा रहे थे. उसके बाद हम सीट के नीचे बैठ गये. पापा ने मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया मेरी चूत में लंड डाल कर चोदने लगे. मैं भी चुदने लगी. जल्दी ही पापा ने लंड बाहर निकाल लिया और पापा का पानी निकल गया और वो एक तरफ बैठ गये. मगर मैं अभी भी प्यासी थी. मैं अभी और सेक्स करना चाहती थी.
तभी वो ओल्ड मैन बोला- क्या हुआ, इतने में ही थक गये? मैं तो तीन बार करने के बाद ही रुकता हूं.
फिर वो लड़की उस आदमी के पास आ गयी और उसके लंड को पकड़ कर मसलने लगी.
उस आदमी का लंड खड़ा हो गया और वो लड़की उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. उस लड़की को लंड चूसते हुए देख कर मैं भी उसको सेक्स की भूख से देखने लगी.
तभी उस आदमी ने अपने कपड़े मेरे सामने निकालने शुरू कर दिये और मेरे पास आकर मेरे मुंह पर लंड को रगड़ने लगा. मैं उसके लंड को मस्ती में पकड़ कर चूसने लगी. फिर उसने मुझे नीचे लिटा लिया और मेरी टांगों को पकड़ कर लंड अंदर मेरी चूत में डाला और मुझे पकड़ कर चोदने लगा.
मेरे मुंह से आवाजें आने लगीं. आह्ह … आऊऊ … हूह् .. आह्ह करके मैं चुदने का मजा लेने लगी.
मुझे चोदने के बाद उसने लंड को निकाल लिया और फिर अपनी लड़की को चोदने लगा.
फिर वो पापा से बोले- मजा आया?
पापा बोले- हां.
आदमी बोला- तुमने अपने लंड का पानी नहीं डाला अंदर?
पापा बोले- तुम पागल हो क्या? वो मेरी बेटी है.
आदमी बोला- तो क्या हुआ, ये भी मेरी बेटी है. अब ये मेरे बच्चे की मां बनने वाली है. इससे जो बड़ी है उसकी तो शादी भी हो गयी है लेकिन वो अपने पति से नहीं बल्कि अपने पापा यानि कि मुझसे ही बच्चा चाहती थी. इसलिए मैंने उसको भी चोदा और आज वो मेरे बच्चे की मां है.
वो बोला- हमारे घर में मेरी एक बीवी और दो बेटी हैं. बेटी का पति संडे को मेरे साथ मिल कर सेक्स इंजॉय करता है. मेरी बीवी अब अस्पताल में है और मेरी बेटी के पति के बच्चे की मां बनने वाली है.
मेरी ये बेटी शादी नहीं करना चाहती है. ये बोलती है कि अगर सेक्स ही चाहिए तो घर में पापा हैं, जीजा हैं इसलिए ये बिना शादी के ही मां बनना चाहती है.
उनकी ये बात सुन कर मैं और पापा दंग रह गये. फिर हमारा स्टेशन आ गया और हम लोग नीचे उतर गये. फिर हम चाचा के घर पहुंच गये.
चाचा के पास दो लड़कियां थीं और उनकी बीवी यानि कि मेरी चाची गुजर चुकी थी.
चाचा की दो जवान बेटियाँ थी. मेरे पापा ने ट्रेन में हुई सारी घटना चाचा को बता दी और बोले कि अब मैं सेक्स के बारे में इस बात से पूरी तरह से सहमत हूं कि अपने ही घर वालों के साथ सेक्स हो सकता है.
ये सुन कर चाचा ने मेरी ओर देखा. पापा भी चाचा को देख रहे थे. फिर पापा बोले- आज रात को हम भी इसी तरह से सेक्स इंजॉय करेंगे.
फिर खाना खाने के बाद हम लोग गार्डन में बैठे हुए थे.
चाचा बोले- मेरी बड़ी बेटी को इस बारे में कैसे मनाया जायेगा.
मैं बोली- वो मैं देख लूंगी.
उसके बाद मैं चाची की लड़की के पास गयी. मैंने उसको सेक्स के बारे में बात करके गर्म किया और उसके साथ लेस्बियन सेक्स करने लगी. मैंने उसकी चूत में उंगली और जीभ देकर उसकी चूत को पूरी गर्म कर दिया.
इतने में ही पापा और चाचा भी वहां आ गये. उन दोनों ने मिल कर मेरी और चाचा की बेटी यानि कि मेरी बहन को मिल कर एक साथ चोदा. चाचा के लंड में जितना वीर्य इतने दिन से रुका हुआ था सब निकल आया और चाचा ने मेरी चूत को अपने पानी से भर दिया.
कुछ दिनों के बाद मुझे अजीब सा लगने लगा तो डॉक्टर को बुलाया. वो बोले- कान्गरैचुलेशन, आप मां बनने वाली हैं.
यह सुन कर मेरे होश ही उड़ गये. फिर मेरा अबॉर्शन करवाया गया.
इलाज होने के बाद कुछ महीनों तक मैं चाचा के पास रहने लगी. मैंने दो महीने से सेक्स नहीं किया था. इसलिए मेरे पूरे बदन में सेक्स चढ़ने लगा था.
एक दिन मैं दोपहर को सोकर उठी तो देखा कि चाचा और बाकी के सब लोग घर में नहीं थे. तभी मेरी नजर घर के नौकर पर गयी. उसकी उम्र 42 साल के पास थी.
मैंने उसको मेरे लिये चाय लाने के लिए बोला और फिर मैं अपने रूम में आ गयी. मैंने रूम का दरवाजा खुला ही रखा हुआ था और अपने सारे कपड़े निकाल लिये थे. मैं अपनी बॉडी पर ऑयल लगाने लगी.
पांच मिनट के बाद नौकर मेरे रूम में चाय लेकर आया. उसने मुझे पूरी की पूरी नंगी देख लिया.
वो सॉरी बोल कर जाने लगा.
मैं बोली- कोई बात नहीं रामू.
ये बोल कर मैं उठ कर उसके पास गयी और उसकी धोती में हाथ डाल कर उसके 2 इंच चौड़े और 7 इंच लम्बे लंड को हाथ में लेकर सहलाने लगी.
उसका लंड तनाव में आने लगा. फिर मैं उसके घुटनों में बैठ गयी और उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. मुझे उसका लंड बहुत मस्त लगा. उसको भी मजा आ रहा था लेकिन वो घबरा भी रहा था.
नौकर का लंड मैंने चूस चूस कर एकदम से लोहे जैसा कर दिया और वो मुझे बेड पर पटक कर मेरे ऊपर चढ़ गया. उसने मेरी टांगों को खोला और मेरी चूत में लंड घुसा कर मुझे जोर से चोदने लगा.
मेरी सेक्स की प्यास बुझने लगी. मैं 10 मिनट में झड़ गयी और फिर रामू भी मेरी चूत में ही झड़ गया.
इस तरह से पहले मैंने भाई के साथ, फिर पापा के साथ और फिर अपने चाचा के साथ चुदाई का मजा लिया और घर के नौकर का लंड भी लिया.
उसके बाद मेरी शादी हो गयी. शादी के बाद भी मैंने पति और देवर का लंड लिया. उसके बारे में मैं आपको फिर कभी बताऊंगी.
आपको मेरी sex story स्टोरी कैसी लगी मुझे प्लीज अपने कमेंट्स करके बतायें.
हेलो दोस्तो, मेरा नाम Antarvasna अखिल है और मैं आज अपनी सच्ची कहानी ले कर आया हूँ जो मेरे कॉलेज के टाइम की है!
मेरा पड़ोस में गुप्ता जी का परिवार रहता है जिनकी दो लड़कियाँ हैं, बड़ी का नाम पायल और छोटी का नाम नेहा है!
पायल मेरी ही उमर की थी और हम दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे! पायल देखने में तो ज्यादा अच्छी नहीं थी, साधारण सा चेहरा, दबा दबा सा रंग… मगर उसका फ़ीगर कमाल का था बिल्कुल ऐश्वर्या राय जैसा! नम्बर तो मुझे पता नहीं लेकिन शायद 34-28-34 हो?
एक दिन उसका पूरा परिवार अपने रिश्तेदार के शादी में पूरे एक सप्ताह के लिए चला गया। घर पर सिर्फ़ उसके पापा और वो ही रह गई थी! क्योंकि उन दोनों को शादी वाले दिन ही जाना था और घर पर भी कोई चाहिए!
उस दिन उसके पापा ऑफिस गए हुए थे और वो घर मैं अकेली थी तो मैंने सोचा कि मौका अच्छा है और उसके घर पर भी कोई नहीं है इस कारण मैं उसके घर चला गया। पहले तो वो मुझे देख कर घबरा गई और फिर बाद में मुझे अपने कमरे में लेकर चली गई! मैंने झट से दरवाजा बंद कर दिया और उसे अपनी बाहों में ले लिया और सीने से लगा कर किस किया।
पायल तड़प रही थी मगर उसे भी मजा आ रहा था! उसके सारे बदन में आग लग रही थी। मैंने बना मौका गंवाए उसकी गुदाज चुचियों पर हाथ फ़ेर दिया जिस पर पायल ने विरोध नहीं किया! मैंने चुचियाँ दबाते हुए ही उसको उठा कर पलंग पर लेटा दिया! अब मैंने उसके कपड़े उतारने शुरु कर दिए और जल्द ही उसे पूरा नंगी कर दिया!
उस समय वो एक दम मस्त लग रही थी वो एक दम परी, जिसे आज मैं चोदने जा रहा था फिर मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए और मैं भी पूरी तरह से नंगा हो गया।
अब हम दोनों 69 की अवस्था में आ गए थे वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं उसकी चूत… इस बीच उसकी चूत एक बार पानी छोड़ चुकी थी और मैं भी अपना पानी उसके मुँह में छोड़ चुका था।
अब मैंने ज्यादा समय बर्दाद न करते हुए उसकी मस्त चूत में अपना 8 इन्च का लंड लगा दिया! एक हल्की सी हरकत की और लंड का अगला भाग अंदर चला गया!
पायल कराह उठी।
फिर मैंने एक और झटका दिया, इस बार आधे से अधिक अन्दर चला गया। अन्दर का रास्ता अधिक तंग था, चूत की दीवार लंड से चिपक सी गई थी। लण्ड अभी आधा ही अंदर घुसा था।
लेकिन इतने में ही अन्दर की गर्मी सहन नहीं हो रही थी, जैसे अन्दर कोई ज्वालामुखी हो।
इस बीच पायल तड़प रही थी, उसका पूरा बदन मचल गया, मैंने देखा कि उसके चेहरे पर दर्द था, वो चीखना चाहती थी मगर चीखी नही।
तभी मैंने आखरी झटका मारा और लंड पूरा अन्दर चला गया।
इस पर पायल जोरदार मचली। उसके गले से दर्द भरी दबी दबी आवाज निकल रही थी, वो दर्द से कराहती हुई बोली- यह तुमने क्या किया? बहुत दर्द हो रहा है! इसे अभी निकाल लो मेरी जान निकल जायेगी। लगता है तुमने मेरी फाड़ दी है परवेश ओह… हा…!
मुझे नहीं पता कि वो अभी तक किसी से चुदी थी या नहीं… लेकिन उसे दर्द तो बहुत हुआ था.
मैं उसकी बात सुन रहा था, लेकिन बोला नहीं। पूरा लंड अन्दर करके अब उस पर छा गया। उसकी मस्त चुचियों पर फिर से अपने हाथ रख दिए और उसकी हा हा! रोकने के लिए मैंने उसके होंटों पर अपने होंट रखे दिए और जोर से चूमने लग गया और धक्के लगाता रहा।
थोड़ी देर बाद वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी और दोनों नशे में चुदाई करने लगे, उसका दर्द अब जा चुका था और वो भी मजा ले रही थी।
मैंने काफी देर तक उसकी चुदाई की और बाद में अपने लंड का वीर्य साफ़ कर के अपने घर चला गया! उसके बाद जब भी हमें मौका मिलता, हम चुदाई करके अपना टाइम पास कर लेते हैं।
तो आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी। मुझे मेल करके बताएं! Antarvasna
मेरे जीजू और दीदी नासिक Antarvasna Stories में नई नौकरी लगने के कारण मेरे पास ही आ गये थे. मैंने यहाँ पर एक छोटा सा घर किराये पर ले रखा था. मेरी दीदी मुझसे कोई दो साल बड़ी थी. मेरे मामले में वो बड़ी लापरवाह थी. मेरे सामने वो कपड़े वगैरह या स्नान करने बाद यूँ आ जाती थी जैसे कि मैं कोई छोटा बच्चा या नासमझ हूँ.
शादी के बाद तो दीदी और सेक्सी लगने लगी थी. उसकी चूंचियाँ भारी हो गई थी, बदन और गुदाज सा हो गया था. चेहरे में लुनाई सी आ गई थी. उसके चूतड़ और भर कर मस्त लचीले और गोल गोल से हो गये थे जो कमर के नीचे उसके कूल्हे मटकी से लगते थे. जब वो चलती थी तो उसके यही गोल गोल चूतड़ अलग अलग ऊपर नीचे यूँ चलते थे कि मानो… हाय! लण्ड जोर मारने लगता था. जब वो झुकती थी तो बस उसकी मस्त गोलाईयाँ देख कर लण्ड टनटना जाता था. पर वो थी कि इस नामुराद भाई पर बिजलियाँ यूं गिराती रहती थी कि दिल फ़ड़फ़ड़ा कर रह जाता था.
बहन जो लगती थी ना, मन मसोस कर रह जाता था. मेरे लण्ड की तो कभी कभी यह हालत हो जाती थी कि मैं बाथरूम में जा कर उकड़ू बैठ कर लण्ड को घिस घिसकर मुठ मारता था और माल निकलने के बाद ही चैन आता था.
मैंने एक बार जाने अनजाने में दीदी से यूं ही मजाक में पूछ लिया. मैं बिस्तर पर बैठा हुआ था और वो मेरे पास ही कपड़े समेट रही थी. उसके झुकने से उसकी चूचियाँ उसके ढीले ढाले कुरते में से यूं हिल रही थी कि बस मेरा मुन्ना टन्न से खड़ा हो गया. वो तो जालिम तो थी ही, फिर से मेरे प्यासे दिल को झकझोर दिया.
‘कम्मो दीदी, मुझे मामा कब बनाओगी?’
‘अरे अभी कहाँ भैया, अभी तो मेरे खाने-खेलने के दिन हैं!’ उसने खाने शब्द पर जोर दे कर कहा और बड़े ठसके से खिलखिलाई.
‘अच्छा, भला क्या खाती हो?’ मेरा अन्दाज कुछ अलग सा था, दिल एक बार फिर आशा से भर गया. दीदी अब सेक्सी ठिठोली पर जो आ गई थी.
‘धत्त, दीदी से ऐसे कहते हैं…? अभी तो हम फ़ेमिली प्लानिंग कर रहे हैं!’ दीदी ने मुस्करा कर तिरछी नजर से देखा, फिर हम दोनों ही हंस पड़े. कैसी कन्टीली हंसी थी दीदी की.
‘फ़ेमिली प्लानिंग में क्या करते हैं?’ मैंने अनजान बनते हुये कहा. मेर दिल जैसे धड़क उठा. मैं धीरे धीरे आगे बढ़ने की कोशिश में लगा था.
‘इसमें घर की स्थिति को देखते हुये बच्चा पैदा करते हैं, इसमें कण्डोम, पिल्स वगैरह काम में लेते हैं, मैं तो पिल्स लेती हूँ… और फिर धमाधम चुद… , हाय राम!’ शब्द चुदाई अधूरा रह गया था पर दिल में मीठी सी गुदगुदी कर गया. लण्ड फ़ड़क उठा. लगता था कि वो ही मुझे लाईन पर ला रही थी.
‘हाँ… हाँ… कहो धमाधम क्या…?’ मैंने जानकर शरारत की. उसका चेहरा लाल हो उठा. दीदी ने मुझे फिर तिरछी नजर देखा और हंसने लगी.
‘बता दूँ… बुरा तो नहीं मानोगे…?’ दीदी भी शरमाती हुई शरारत पर उतर आई थी. मेरा दिल धड़क उठा. दीदी की अदायें मुझे भाने लगी थी. उसकी चूंचियाँ भी मुझे अब उत्तेजक लगने लगी थी. वो अब ग्रीन सिग्नल देने लगी थी. मैं उत्साह से भर गया.
‘दीदी बता दो ना…’ मैंने उतावलेपन से कहा. मेरे लण्ड में तरावट आने लगी थी. मेरे दिल में तीर घुसे जा रहे थे. मैं घायल की तरह जैसे कराहने लगा था.
‘तेरे जीजू मुझे फिर धमाधम चोदते हैं…’ कुछ सकुचाती हुई सी बोली. फिर एकदम शरमा गई. मेरे दिल के टांके जैसे चट चट करके टूटने लगे. घाव बहने लगा. बहना खुलने लगी थी, अब मुझे यकीन हो गया कि दीदी के भी मन में मेरे लिये भावना पैदा हो गई है.
‘कैसे चोदते हैं दीदी…?’ मेरी आवाज में कसक भर गई थी. मुझे दीदी की चूत मन में नजर आने लगी थी… लगा मेरी प्यारी बहन तो पहले से ही चालू है… बड़ी मर्द-मार… नहीं मर्द-मार नहीं… भैया मार बहना है. उसे भी अब मेरा उठा हुआ लण्ड नजर आने लगा था.
‘चल साले… अब ये भी बताना पड़ेगा?’ उसने मेरे लण्ड के उठान पर अपनी नजर डाली और वो खिलखिला कर हंस पड़ी. उसकी नजर लण्ड पर पड़ते ही मैंने उसकी बांह पकड़ पर एक झटके में मेरे ऊपर उसे गिरा लिया. उसकी सांसें जैसे ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे रह गई और फिर उसकी छाती धड़क उठी. वो मेरी छाती पर थी.
मेरा छः इन्च का लण्ड अब सात इन्च का हो गया था. भला कैसे छिपा रह सकता था.
‘दीदी बता दो ना…’ उसकी गर्म सांसे मेरे चेहरे से टकराने लगी. हमारी सांसें तेज हो गई.
‘भैया, मुझे जाने क्या हो रहा है…!’
‘बहना… पता नहीं… पर तेरा दिल बड़ी जोर से धड़क रहा है… तू चुदाई के बारे में बता रही थी ना… एक बार कर के बता दे… ये सब कैसे करते हैं…?’
‘कैसे बताऊँ… उसके लिये तो कपड़े उतारने होंगे… फिर… हाय भैया…’ और वो मुझसे लिपट गई. उसकी दिल की धड़कन चूंचियों के रास्ते मुझे महसूस होने लगी थी.
‘दीदी… फिर… उतारें कपड़े…? चुदाई में कैसा लगता है?’ मारे तनाव के मेरा लण्ड फ़ूल उठा था. हाय… कैसे काबू में रखूँ!
मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा. लण्ड उछाले मारने लगा. दीदी ने मेरे बाल पकड़ लिये और अपनी चूंचियाँ मेरी छाती पर दबा दी… उसकी सांसें तेज होने लगी.
मेरे माथे पर भी पसीने की बूंदें उभर आई थी. उसका चेहरा मेरे चेहरे के पास आ गया. उसकी सांसों की खुशबू मेरे नथुने में समाने लगी. मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर कस गये. उसका गाऊन ऊपर खींच लिया. मेरे होंठों से दीदी के होंठ चिपक गये. उसकी चूत मेरे तन्नाये हुये लण्ड पर जोर मारने लगी. उसकी चूत का दबाव मुझे बहुत ही सुकून दे रहा था.
आखिर दीदी ने मेरे मन की सुन ही ली. मैंने दीदी का गाऊन सामने से खोल दिया. उसकी बड़ी-बड़ी कठोर चूंचियाँ ब्रा में से बाहर उबल पड़ी. मेरा लण्ड कपड़ों में ही उसकी चूत पर दबाव डालने लगा. लगता था कि पैन्ट को फ़ाड़ डालेगा.
उसकी काली पेंटी में चूत का गीलापन उभर आया था. मेरी अँडरवियर और उसकी पेंटी के अन्दर ही अन्दर लण्ड और चूत टकरा उठे. एक मीठी सी लहर हम दोनों को तड़पा गई. मैंने उसकी पेंटी उतारने के लिये उसे नीचे खींचा. उसकी प्यारी सी चूत मेरे लण्ड से टकरा ही गई. उसकी चूत लप-लप कर रही थी. मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी गीली चूत में अन्दर सरक गया. उसके मुख से आह्ह्ह सी निकल गई. अचानक दीदी ने अपने होंठ अलग कर लिये और तड़प कर मेरे ऊपर से धीरे से हट गई.
‘नहीं भैया ये तो पाप है… हम ये क्या करने लगे थे!’ मैं भी उठ कर बैठ गया.
जल्दबाज़ी में और वासना के बहाव में हम दोनों भटक गये थे. उसने अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा लिया. मुझे भी शर्म आ गई. उसके मुख की लालिमा उसकी शर्म बता रही रही थी. उसने मुँह छुपाये हुये अपनी दो अंगुलियों के बीच से मुझे निहारा और मेरी प्रतिक्रिया देखने लगी. उसके मुस्कराते ही मेरा सर नीचे झुक गया.
‘सॉरी दीदी… मुझे जाने क्या हो गया था…’ मेरा सर अभी भी झुका हुआ था.
‘आं हाँ… नहीं भैया, सॉरी मुझे कहना चहिये था!’ हम दोनों की नजरे झुकी हुई थी. दीदी ने मेरी छाती पर सर रख दिया.
‘सॉरी बहना… सॉरी…’ मैंने उसके माथे पर एक हल्का सा चुम्मा लिया और कमरे से बाहर आ गया. मैं तुरंत तैयार हो कर कॉलेज चला गया. मन ग्लानि से भर गया था. जाने दीदी के मन में क्या था. वह अब जाने क्या सोच रही होगी. दिन भर पढ़ाई में मन नहीं लगा. शाम को जीजाजी फ़ेक्टरी से घर आये, खाना खा कर उन्हें किसी स्टाफ़ के छुट्टी पर होने से नाईट शिफ़्ट में भी काम करना था. वो रात के नौ बजे वापस चले गये.
रात गहराने लगी. शैतान के साये फिर से अपने पंजे फ़ैलाने लगे. लेटे हुये मेरे दिल में वासना ने फिर करवट ली. काजल का सेक्सी बदन कांटे बन कर मेरे दिल में चुभने लगा. मेरा दिल फिर से दीदी के तन को याद करके कसकने लगा.
मेरा लण्ड दिन की घटना को याद करके खड़ा होने लगा था. सुपाड़े का चूत से मोहक स्पर्श रह रह कर लण्ड में गर्मी भर रहा था. रात गहराने लगी थी. लण्ड तन्ना कर हवा में लहरा उठा था. मैं जैसे तड़प उठा. मैंने लण्ड को थाम लिया और दबा डाला. मेरे मुख से एक वासनायुक्त सिसकारी निकल पड़ी. अचानक ही काजल ने दरवाजा खोला. मुझे नंगा देख कर वापस जाने लगी. मेरा हाथ मेरे लण्ड पर था और लाल सुपाड़ा बाहर जैसे चुनौती दे रहा था. मेरे कड़क लण्ड ने शायद बहना का दिल बींध दिया था. उसने फिर से ललचाई नजर से लण्ड को निहारा और जैसे अपने मन में कैद कर लिया.
‘क्या हुआ दीदी…?’ मैंने चादर ओढ़ ली.
‘कुछ नहीं, बस मुझे अकेले डर लग रहा था… बाहर तेज बरसात हो रही है ना!’ उसने मजबूरी में कहा. उसका मन मेरे तन्नाये हुये खूबसूरत लण्ड में अटक गया था. मैंने मौके का फ़ायदा उठाया. चादर एक तरफ़ कर दी और खड़े लण्ड के साथ एक किनारे सरक गया.
‘आजा दीदी, मेरे साथ सो जा, यहीं पर…पर पलंग छोटा है!’ मैंने उसे बताया.
मेरे मन के शैतान ने काजल को चिपक कर सोने का लालच दिया. उसे शायद मेरा लण्ड अपने जिस्म में घुसता सा लगा होगा. उसकी निगाहें मेरे कठोर लण्ड पर टिकी हुई थी. उसका मन पिघल गया… उसका दिल लण्ड लेने को जैसे मचल उठा.
‘सच… आ जाऊँ तेरे पास… तू तौलिया ही लपेट ले!’ उसकी दिल जैसे धड़क उठा. दीदी ने पास पड़ा तौलिया मुझे दे दिया. मैंने उसे एक तरफ़ रख लिया. वो मेरे पास आकर लेट गई.
‘लाईट बन्द कर दे काजल…’ मेरा मन सुलगने लगा था.
‘नहीं मुझे डर लगता है भैया…’ शायद मेरे तन की आंच उस तक पहुंच रही थी.
मैंने दूसरी तरफ़ करवट ले ली. पर अब तो और मुश्किल हो गया. मेरे मन को कैसे कंट्रोल करूँ, और यह लण्ड तो कड़क हो कर लोहा हो गया था. मेरा हाथ पर फिर से लण्ड पर आ गया था और लण्ड को हाथ से दबा लिया. तभी दीदी का तन मेरे तन से चिपक गया. मुझे महसूस हुआ कि वो नंगी थी. उसकी नंगी चूंचियाँ मेरी पीठ को गुदगुदा रही थी. उसके चूचक का स्पर्श मुझे साफ़ महसूस हो रहा था. मुझे महसूस हुआ कि वो भी अब वासना की आग में झुलस रही थी… यानी सवेरे का भैया अब सैंया बनने जा रहा था. मैंने हौले से करवट बदली… और उसकी ओर घूम गया.
काजल अपनी बड़ी बड़ी आंखों से मुझे देख रही थी. उसकी आंखों में वासना भरी हुई थी, पर प्यार भी उमड़ रहा था. लगता था कि उसे अब मेरा मोटा लण्ड चाहिये था. वो मुझे से चिपकने की पुरजोर कोशिश कर रही थी. मेरा कड़ा लण्ड भी उस पर न्योछावर होने के लिये मरा जा रहा था.
‘दिन को बुरा मान गये थे ना…’ उसकी आवाज में बेचैनी थी.
‘नहीं मेरी बहना… ऐसे मत बोल… हम तो हैं ही एक दूजे के लिये!’ मैंने अपना लण्ड उसके दोनों पांवों के बीच घुसा दिया था. चूत तो बस निकट ही थी.
‘तू तो मेरा प्यारा भाई है… शरमा मत रे!’ उसने अपना हाथ मेरी गरदन पर लपेट लिया. मेरा लण्ड अपनी दोनों टांगों के बीच उसने दबा लिया था और उसकी मोटाई महसूस कर रही थी. उसने अपना गाऊन का फ़ीता खोल रखा था. आह्ह… मेरी बहना अन्दर से पूरी नंगी थी. मुझे अब तो लण्ड पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था. उसने अपनी चूत मेरे लण्ड से चिपका दी. जैसे लण्ड को अब शांति मिली. मेरा मन फिर से उसे चोदने के लिये मचल उठा. मैंने भी उसे कस लिया और कुत्ते की तरह से लण्ड को सही स्थान पर घुसाने की कोशिश करने लगा.
‘भैया ये क्या कर रहे हो… ये अब नीचे चुभ रहा है!’ उसकी आवाज में वासना का तेज था. उसकी आंखें नशीली हो उठी थी. चूत का गीलापन मेरे लण्ड को भी चिकना किये जा रहा था.
‘अरे यूं ही बस… मजा आ रहा है!’ मैंने सिसकी भरते हुये कहा. चूत की पलकों को छेड़ता हुआ, लण्ड चूत को गुदगुदाने लगा.
‘देखो चोदना मत…’ उसकी आवाज में कसक बढ़ती जा रही थी, जैसे कि लण्ड घुसा लेना चाहती हो. उसका इकरार में इन्कार मुझे पागल किये दे रहा था.
‘नहीं रे… साथ सोने का बस थोड़ा सा मजा आ रहा है!’ मैं अपना लण्ड का जोर उसकी चूत के आसपास लगा कर रगड़ रहा था. अचानक लण्ड को रास्ता मिल गया और सुपाड़ा उसकी रस भरी चूत के द्वार पर आ गया. हमारे नंगे बदन जैसे आग उगलने लगे.
‘हाय रे, देखो ये अन्दर ना घुस जाये…बड़ा जोर मार रहा है रे!’ चुदने की तड़प उसके चेहरे पर आ गई थी. अब लण्ड के बाहर रहने पर जैसे चूत को भी एतराज़ था.
‘दीदी… आह्ह्ह… नहीं जायेगा…’ पर लण्ड भी क्या करे… उसकी चूत भी तो उसे अपनी तरफ़ दबा रही थी, खींच रही थी. सुपाड़ा फ़क से अन्दर उतर गया.
‘हाय भैया, उफ़्फ़्फ़्फ़… मैं चुद जाऊँगी… रोको ना!’ उसका स्वर वासना में भीगा हुआ था. इन्कार बढ़ता जा रहा था, साथ में उसकी चूत ने अपना मुख फ़ाड़ कर सुपाड़े का स्वागत किया.
‘नहीं बहना नहीं… नहीं चुदेगी… आह्ह्ह… ‘
काजल ने अपने अधरों से अपने अधर मिला दिये और जीभ मेरे मुख में ठेल दी. साथ ही उसका दबाव चूत पर बढ़ गया. मेरे लण्ड में अब एक मीठी सी लहर उठने लगी. लण्ड और भीतर घुस गया.
‘भैया ना करो… यह तो घुसा ही जा रहा है… देखो ना… मैं तो चुद जाऊँगी!’
उसका भीगा सा इन्कार भरा स्वर जैसे मुझे धन्यवाद दे रहा था. उसकी बड़ी-बड़ी आंखें मेरी आंखों को एक टक निहार रही थी. मुझसे रहा नहीं गया, मैंने जोर लगा कर लण्ड़ पूरा ही उतार दिया. वो सिसक उठी.
‘दीदी, ये तो मान ही नहीं रहा है… हाय… कितना मजा आ रहा है…!’ मैंने दीदी को दबाते हुये कहा. मैंने अपने दांत भींच लिये थे.
‘अपनी बहन को चोदेगा भैया… बस अब ना कर… देख ना मेरी चूत की हालत कैसी हो गई है… तूने तो फ़ोड़ ही दिया इसे!’ मेरा पूरा लण्ड अपनी चूत में समेटती हुई बोली.
‘नहीं रे… ये तो तेरी प्यारी चूत ही अपना मुह फ़ाड़ कर लण्ड मांग रही है, हाय रे बहना तेरी रसीली चूत…कितना मजा आ रहा है… सुन ना… अब चुदा ले… फ़ुड़वा ले अपनी फ़ुद्दी…!’ मैंने उसे अपनी बाहों में ओर जोर से कस लिया.
‘आह ना बोल ऐसे… मेरे भैया रे… उफ़्फ़्फ़्फ़’ उसने साईड से ही चूत उछाल कर लण्ड अपनी चूत में पूरा घुसा लिया. मैं उसके ऊपर आ गया. ऊपर से उसे मैं भली प्रकार से चोद सकता था. हम दोनों एक होने की कोशिश करने लगे. दीदी अपनी टांगें फ़ैला कर खोलने लगी. चूत का मुख पूरा खुल गया था. मैं मदहोश हो चला.
मेरा लण्ड दे दनादन मस्ती से चूत को चोद रहा था. दीदी की सिसकारियाँ मुख से फ़ूट उठी. उसकी वासना भरी सिसकियाँ मुझे उत्तेजित कर रही थी. मेरा लण्ड दीदी की चूत का भरपूर आनन्द ले रहा था. मुझे मालूम था दीदी मेरे पास चुदवाने ही आई थी… डर तो एक बहाना था. बाहर बरसात और तेज होने लगी थी.
हवा में ठण्डक बढ़ गई थी. पर हमारे जिस्म तो शोलों में लिपटे हुये थे. दीदी मेरे शरीर के नीचे दबी हुई थी और सिसकियाँ भर रही थी. मेरा लण्ड उसकी चूत में भचाभच घुसे जा रहा था. उसकी चूत भी उछाले मार मार कर चुद रही थी.
तभी उसने अपना पोज बदलने के लिये कहा और वो पलट कर मेरे ऊपर आ गई. उसके गुदाज स्तन मेरे सामने झूल गये. मेरे हाथ स्वतः ही उसकी चूंचियाँ मसलने को बेताब हो उठे… उसने मेरे तने हुए लण्ड पर अपनी चूत को सेट किया और कहा- भैया, बहना की भोसड़ी तैयार है… शुरु करें?’ उसने शरारत भरी वासनायुक्त स्वर में हरी झण्डी दिखाई.
‘रुक जा दीदी… तेरी कठोर चूंचियाँ तो दाब लू, फिर…’ मैं अपनी बात पूरी करता, उसने बेताबी में मेरे खड़े लण्ड को अपनी चूत में समा लिया और उसकी चूंचियाँ मेरे हाथों में दब गई. फिर उसने अपनी चूत का पूरा जोर लगा दिया और लण्ड को जड़ तक बैठा दिया.
‘भैया रे… आह पूरा ही बैठ गया… मजा आ गया!’ नशे में जैसे झूमती हुई बोली.
‘तू तो ऐसे कह रही है कि पहले कभी चुदी ही नहीं…!’ मुझे हंसी आ गई.
‘वो तो बहुत सीधे हैं… चुदाई को तो कहते हैं ये तो गन्दी बात है… एक बार उन्हें उत्तेजित किया तो…’ अपने पति की शिकायत करती हुई बोल रही थी.
‘तो क्या…?’ मुझे आश्चर्य सा हुआ, जीजाजी की ये नादानी, भरी जवानी तो चुदेगी ही, उसे कौन रोक सकता है.
‘जोश ही जोश में मुझे चोद दिया… पर फिर मुझे हज़ार बार कसमें दिलाये कि किसी मत कहना कि हमने ऐसा किया है… बस फिर मैं नहीं चुदी इनसे…’
‘अच्छा… फिर… किसी और ने चोदा…’
‘और फिर क्या करती मैं… आज तक मुझे कसमें दिलाते रहते है और कहते हैं कि हमने इतना गन्दा काम कर दिया है… लोग क्या कहेंगे… फिर उनके दोस्त को मैंने पटा लिया… और अब भैया तुम तो पटे पटाये ही हो.’
मुझे हंसी आ गई. तभी मेरी बहना प्यासी की प्यासी रह गई और शरम के मारे कुछ ना कह सकी… ये पति पत्नी का रिश्ता ही ऐसा होता है. यदि मस्ती में चूत अधिक उछाल दी तो पति सोचेगा कि ये चुद्दक्कड़ रांड है, वगैरह.
‘सब भूल जाओ काजल… लगाओ धक्के… मेरे साथ खूब निकालो पानी…’
‘मेरे अच्छे भैया…मैंने तो तेरा खड़ा लण्ड पहले ही देख लिया था… मुझे लगा था कि तू मेरी जरूर बजायेगा एक दिन…!’ और मेरे से लिपट कर अपनी चूत बिजली की तेजी से चलाने लगी. मेरा लण्ड रगड़ खा कर मस्त हो उठा और कड़कने लगा. मेरे लण्ड में उत्तेजना फ़ूटने लगी. बहुत दिनों के बाद कोई चोदने को मिली थी, लग़ा कि मेरा निकल ही जायेगा. मेरा जिस्म कंपकपाने लगा… उसके बोबे मसलते हुये भींचने लगा. मेरा प्यासा लण्ड रसीला हो उठा. तभी मेरे लण्ड से वीर्य स्खलित होने लगा. दीदी रुक गई और मेरे वीर्य को चूत में भरती रही. जब मैं पूरा झड़ गया और लण्ड सिकुड़ कर अपने आप बाहर आ गया तो उसने बैठ कर अपनी चूत देखी, मेरा वीर्य उसकि चूत में से बह निकला था. मेरा तौलिया उसने अपनी चूत पर लगा लिया और एक तरफ़ बैठ गई. मैं उठा और कमरे से बाहर आ गया.
पानी से लण्ड साफ़ किया और मूत्र त्यागा. तभी मुझे ठण्ड से झुरझुरी आ गई. बरसाती ठण्डी हवा ने मौसम को और भी ठण्डा कर दिया था. मैं कमरे में वापस आ गया. देखा तो काजल भी ठण्ड से सिकुड़ी जा रही थी. मैंने तुरंत ही कम्बल निकाला और उसे औढ़ा दिया और खुद भी अन्दर घुस गया. मैं उसकी पीठ से चिपक गया. दो नंगे बदन आपस में चिपक गये और ठण्ड जैसे वापस दूर हो गई.
उसके मधुर, सुहाने गोल गोल चूतड़ मेरे शरीर में फिर से ऊर्जा भरने लगे. मेरा लण्ड एक बार फिर कड़कने लगा. और उसके चूतड़ों की दरार में घुस पड़ा. दीदी फिर से कुलबुलाने लगी. अपनी गान्ड को मेरे लण्ड से चिपकाने लगी.
‘दीदी… ये तो फिर से भड़क उठा है…’ मैंने जैसे मजबूरी में कहा.
‘हाँ भैया… ये लण्ड बहुत बेशर्म होता है… बस मौका मिला और घुसा…’ उसकी मधुर सी हंसी सुनाई दी.
‘क्या करूँ दीदी…’ मैंने कड़कते लण्ड को एक बार फिर खुला छोड़ दिया. अभी वो मेरी दीदी नहीं बल्कि एक सुन्दर सी नार थी… जो एक रसीली चूत और सुडौल चूतड़ों वाली एक कामुक कन्या थी… जिसे विधाता ने सिर्फ़ चुदने के लिये बनाई थी.
‘सो जा ना, उसे करने दे जो कर रहा है… कब तक खेलेगा… थक कर सो ही जायेगा ना!’ उसकी शरारत भरी हंसी बता रही कि वो अपनी गाण्ड अब चुदाने को तैयार है.
‘दीदी, तेरा माल तो बाकी है ना…?’ मैं जानता था कि वो झड़ी नहीं थी.
‘ओफ़ोह्ह्ह्ह… अच्छा चल माल निकालें… तू मस्त चुदाई करता है रे!’ हंसती हुई बोली.
मैं दीदी की गाण्ड में लण्ड को और दबाव दिये जा रहा था. वो मुझे मदद कर रही थी. उसने धीरे से अपनी गाण्ड ढीली की और अपने पैर चौड़ा दिये. मैंने उसकी चूंचियाँ एक बार से थाम ली और उसके चूंचक खींच कर दबाने लगा.
‘सुन रे थोड़ी सी क्रीम लगा कर चिकना कर दे, फिर मुझे लगेगी नहीं!’
मैंने हाथ बढ़ा कर मेज़ से क्रीम ले कर उसके छेद में और मेरे लण्ड पर लगा दी. लण्ड का सुपाड़ा चूतड़ों के बीच घुस कर छेद तक आ पहुंचा और छेद में फ़क से घुस गया. उसे थोड़ी सी गुदगुदी हुई और वो चिहुंक उठी. मैंने पीछे से ही उसके गाल को चूम लिया और जोर लगा कर अन्दर लण्ड को घुसेड़ता चला गया. वो आराम से करवट पर लेटी हुई थी. शरीर में गर्मी का संचार होने लगा था.
क्रीम की वजह से लण्ड सरकता हुआ जड़ तक बैठ गया. काजल ने मुझे देखा और मुस्करा दी.
‘तकिया दे तो मुझे…’ उसने तकिया ले कर अपनी चूत के नीचे लगा लिया.
‘अब बिना लण्ड निकाले मेरी पीठ पर चढ़ जा और मस्ती से चोद दे!’
मैं बड़ी सफ़ाई से लण्ड भीतर ही डाले उसकी गाण्ड पर सवार हो गया. वो अपने दोनों पांव खोल कर उल्टी लेटी हुई थी… मैंने अपने शरीर का बोझ अपने दोनों हाथों पर डाला और अपनी छाती उठा ली. फिर अपने लण्ड को उसकी चूतड़ों पर दबा दिया. अब धीरे धीरे मेरा लण्ड अन्दर बाहर आने जाने लगा. उसकी गाण्ड चुदने लगी. वो अपनी आंखें बन्द किये हुये इस मोहक पल का आनन्द ले रही थी. मेरा कड़क लण्ड अब तेजी से चलने लग गया था. अब मैं उसके ऊपर लेट गया था और उसके बोबे पकड़ कर मसल रहा था. उसके मुख से मस्ती की किलकारियाँ फ़ूट रही थी…
काफ़ी देर तक उसकी गाण्ड चोदता रहा फिर अचानक ही मुझे ध्यान आया कि उसकी चूत तो चुदना बाकी है.
मैंने पीछे से ही उसकी गाण्ड से लण्ड निकाल कर काजल को चूत चोदने के कहा.
वो तुरन्त सीधी लेट गई और मैंने उसके चूतड़ों के नीचे तकिया सेट कर दिया. उसकी मोहक चूत अब उभर कर चोदने का न्यौता दे रही थी. उसकी भीगी चिकनी चूत खुली जा रही थी. मेरा मोटा लण्ड उसकी गुलाबी भूरी सी धार में घुस पड़ा.
उसके मुख से उफ़्फ़्फ़ निकल गई. अब मैं उसकी चूत चोद रहा था. लण्ड गहराई में उसकी बच्चे दानी तक पहुंच गया. वो एक बार तो कराह उठी.
मेरे लण्ड में जैसे पानी उतरने लगा था. उसकी तकिये के कारण उभरी हुई चूत गहराई तक चुद रही थी. उसे दर्द हो रहा था पर मजा अधिक आ रहा था. मेरा लण्ड अब उसकी चूत को जैसे ठोक रहा था. जोर की शॉट लग रहे थे. उसकी चूत जैसे पिघलने लगी थी. वो आनन्द में आंखे बंद करके मस्ती की सीत्कार भरने लगी थी. मुख से आह्ह्ह उफ़्फ़्फ़्फ़ और शायद गालियाँ भी निकल रही थी. चुदाई जोरों पर थी… अब चूत और लण्ड के टकराने से फ़च फ़च की आवाजें भी आ रही थी.
अचानक दीदी की चूत में जैसे पानी उतर आया. वो चीख सी उठी और उसका रतिरस छलक पड़ा. उसकी चूत में लहर सी चलने लगी. तभी मेरा वीर्य भी छूट गया… उसका रतिरस और मेरा वीर्य आपस में मिल गये और चिकनाई बढ़ गई. हम दोनों के शरीर अपना अपना माल निकालते रहे और एक दूसरे से चिपट से गये. अन्त में मेरा लण्ड सिकुड़ कर धीरे से बाहर निकलने लगा और उसकी चूत से रस की धार बाहर निकल कर चूतड़ की ओर बह चली. मैं एक तरफ़ लुढ़क गया और हाँफ़ने लगा. दीदी भी लम्बी लम्बी सांसें भर रही थी… हम लेटे लेटे थकान से जाने कब सो गये. हमें चुदाई का भरपूर आनन्द मिल चुका था.
अचानक मेरी नींद खुल गई. दीदी मेरे ऊपर चढ़ी हुई थी और मेरे लण्ड को अपनी चूत में घुसाने की कोशिश कर रही थी.
‘भैया, बस एक बार और… ‘ बहना की विनती थी, भला कैसे मना करता. फिर मुझे भी तो फिर से अपना यौवन रस निकालना था. फिर जाने दीदी की नजरें इनायत कब तक इस भाई पर रहें.
मैंने अपनी अंगुली उसके होंठों पर रख दी और तन्मयता से सुख भोगने लगा. मेरे लण्ड ने उसकी चूत को गुडमोर्निंग कहा और फिर लण्ड और चूत दोनों आपस में फ़ंस गये… दीदी फिर से मन लगा कर चुदने लगी… हमारे शरीर फिर एक हो गये… कमरा फ़च फ़च की आवाज से गूंजने लगा… और स्वर्ग जैसे आनन्द में विचरण करने लगे…
बारिश बन्द हो चुकी थी… सवेरे की मन्द मन्द बयार चल रही थी… पर यहाँ हम दोनों एक बन्द कमरे में गदराई हुई जवानी का आनन्द भोग रहे थे. लग रहा था कि समय रुक जाये… तन एक ही रहे… वीर्य कभी भी स्खलित ना हो… मीठी मीठी सी शरीर में लहर चलती ही रहे…
पाठको, जैसा कि आपको मालूम है कि यह एक काल्पनिक कहानी है, वास्तविकता से इसका कोई लेना देना नहीं है… और यह मात्र आपके मनोरंजन की दृष्टि से लिखी गई है. यदि आपको लगता है कि यह कहानी मनोरंजन करती है तो प्लीज, एक बार लण्ड को कस कर पकड़ कर मुठ जरूर मार लें.
धन्यवाद! Antarvasna Stories
दोस्तो, आज जो कहानी मैं आप लोगो को सुनाने जा Sex Stories रहा हूं उससे उम्मीद है की चुदक्कर लड़कियों के चूत की प्यास और ज्यादा बढ़ जाएगी।
मैं आज से तीन साल पहले कोलकाता में पढ़ाई कर रहा था. मेरे घर के सामने ही एक लड़की रहती थी जिसका नाम था जानवी। उसकी बड़ी बड़ी चुचियों को देखकर अक्सर मेरा लण्ड पैन्ट में अकड़ने लगते था और मैं सोचता था कि कब चोदूंगा इसकी चूत?
भगवान ने मौका दे ही दिया उसकी चुदाई का !
मैं कॉलेज से आ रहा था। अँधेरा हो गया था। अचानक पीछे से किसी के बुलाने की आवाज़ आई तो मैंने मुड़ के देखा, मेरे पीछे जानवी डार्लिंग खड़ी थी।
वो मेरे पास आई और बोली कि राहुल मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूँ।
मैंने कहा- हाँ बोलो !
तो उसने कहा- आइ लव यू !
मैं तो पागल हो गया। मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसे जोर से अपने सीने से लगा कर उसके होठों को चूस लिया, उसकी चुचियाँ मेरे सीने में घुसी जा रही थी। मगर मुझे डर लग रहा था कि कोई हमें इस तरह देख न ले। तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर झाड़ी की तरफ़ ख़ींचा और झाड़ी में जाते ही मैंने उसके होठों को फ़िर से अपने होठो में दबा कर चूसना शुरू कर दिया।
अब वो भी गरम हो रही थी, जानवी मेरे बदन से जोर से लिपट गई और मेरे लंड उसकी चूत को ऊपर से ही चोदने के लिए फड़फ़ड़ाने लगा।
मैंने अपना एक हाथ जानवी की कुर्ती में डाला और उसके चुचियों को पकड़ना चाहा, मगर मैं पकड़ नही सका, क्योंकि उनका आकार बहुत बड़ा था। फ़िर भी मैंने उसे थोड़ा पीछे किया और दोनों हाथों से चुचियों को पकड़ लिया और जोर जोर से मसलने लगा।
जानवी आह… ऊऊह करने लगी तो मैं समझ गया कि अब यह बुर की चुदाई के लिए तैयार हो चुकी हैं। मैंने उसे वहीं झाड़ियों पर लिटा दिया और उसकी सलवार का नाड़ा खोल कर नीचे उतार दी।
हे भगवान ! उसने पैंटी नही पहनी थी और उसकी चूत से माल निकल रहा था। फ़िर मैंने उसे पूरी तरह से नंगा कर दिया, अपने भी कपड़े खोल दिए। मेरा 8” का लंबा लंड जब बाहर आया तो काफी फूल गया था और वो पहले से ज्यादा लंबा लग और मोटा लग रहा था। जानवी अब डर के कारण कहने लगी- मुझे लेट हो रहा है, प्लीज़, मुझे जाने दो।
मगर मैं कहाँ छोड़ने वाला था। मैंने उसके हाथ में लंड पकड़ा दिया और वो उसे ऊपर नीचे करने लगी। उसके सहलाने से मेरे सुपाडा और लाल हो गया। फ़िर मैंने उसे थोड़ा उठाया और अपना लंड उसके मुहँ में डाल दिया, वो बड़े प्यार से उसे चूसने लगी। ऐसा लग रहा था कि वो कोई लोलीपोप चूस रही थी।
लगभग १५ मिनट तक वो मेरे लंड को चूसती रही। फ़िर मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उसे धक्का दे कर नीचे पटक दिया और फ़िर मैं उसकी चुचियां मसलने लगा।
उसके बाद मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी। साली बहुत सेक्सी लड़की थी, अपनी जांघो को ख़ुद ही सहला रही थी। मैंने उसकी चूत को फैला दिया और थोड़ा सा थूक निकाल कर अपने लंड और उसकी चूत पर मसल दिया जिससे उसकी चूत गीली हो गई। मैंने अपना लंड जानवी के हाथ में पकड़ा दिया और उसने लंड को चूत के मुंह पर टिका दिया।
मैंने पूछा- तैयार हो क्या जन्नत की सैर करने के लिए?
तो वो बोली- हाँ मेरे राजा आज इस चूत की खुजली मिटा दो, साली रात भर सोने नही देती हैं।
इतना सुनते ही मैंने उसकी कमर जोर से पकड़ ली और अपनी कमर पीछे ख़ींच के एक जोरदार धक्का मार दिया जानवी के चूत पर, मेरा लंड सुपाडा सहित ३’ अन्दर घुस गया।
जानवी चिल्ला पड़ी- ऊह मा …मर गई… आह्ह्ह्ह्छ… वोह…!
मैंने लंड संभाल के एक बार फ़िर धक्का मार दिया। अबकी लंड चूत फाड़ के गहरे में घुस गया और ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड है ही नहीं क्योंकि वो चूत में पूरा समां गया था।
जानवी तो चिल्लाये जा रही थी- आह… आह… आह… ओह… ओउच…
थोडी देर बाद जब वो सामान्य हो गई तो मैंने धक्के लगाने शुरू किए। तक़रीबन १२० धक्के लगाने के बाद मैंने अपना लंड ख़ींच लिया और उसे पीछे कुत्ते की तरह घुमा कर झुका दिया और लंड उसकी गांड पर रख पर पेल दिया। मैंने काफी देर तक उसकी गांड मारी, वो तो बस आह… ऊह…आः… कर रही थी।
फ़िर मैंने उसे आगे पटक दिया और फिर से उसकी चूत की चुदाई करने लगा।
तक़रीबन आधे घंटे के बाद हम दोनों का माल निकल गया तो हम कपड़े पहन कर वापस घर की तरफ़ जाने लगे. Sex Stories
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