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हाय ! मेरा नाम अजय है Sex Stories और मेरी उम्र 21 साल है, मैं मुम्बई में रहने वाला एक सुन्दर लड़का हूँ। मैं अन्तर्वासना के माध्यम से अपनी एक सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ।
मेरा मन कामुक कथाएं पढ़ने का बहुत करता है इसलिए मैं बहुत सारी सेक्स-कहानियों की किताबें अपने साथ रखता हूँ।
अब कहानी शुरू करता हूँ..
यह करीब एक साल पहले की बात है, मेरी कक्षा में एक सेक्सी लड़की ने प्रवेश लिया। वो एक सेक्सी शरीर की मालकिन थी।
सारे लड़के उसे देखते तो उनके मुंह से आह निकलती थी।
उसके स्तन तो ऐसे थे कि ब्रा में समाते ही नहीं थे और हमेशा उसके अन्दर चहकते रहते..और काजल की टाईट जींस के अन्दर उसकी तरबूज़ जैसी गाण्ड ऐसी लगती थी कि अभी इसकी चुदाई कर दूँ…
क्लास के सभी लड़के काजल के पीछे पड़े थे..मैं एक शर्मीला लड़का हूँ इसलिए मैं दूर रहता था। लेकिन क्लास में होने की वज़ह से हमारी दोस्ती हो गई। लेकिन मैं भी उसे चोदना चाहता था और मुझे मौका मिल ही गया।
वो मेरे घर की तरफ़ ही रहती थी, इस वज़ह से वो मेरे साथ ही आती जाती थी। मैं रिक्शे में हमेशा हमेशा चांस मारता था, कभी उसके बूब्स पे हाथ मार देता तो कभी मज़ाक में उसकी गाण्ड पे हाथ मार देता। वो भी कुछ नहीं बोलती थी।
बारिश का मौसम था। उस दिन बारिश की वज़ह से हम काफ़ी भीग चुके थे। गीले कपड़ों में उसके स्तन पूरे आकार में दिख रहे थे और मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।
मैंने उसे आज ही चोदने का मन बना लिया था।
वो मुझे अपने घर ले गई। हम दोनों को ठण्ड लग रही थी, वो अपने कपड़े बदल कर आई, तब तक मैं अपना शर्ट निकाल चुका था..
काजल जैसे ही बाहर आई तो मैं उसे पकड़ के किस करने लगा। वो कुछ समझी ही नहीं पाई या फ़िर ना समझने का नाटक कर रही थी।
मैं किस करते करते उसके बूब्स को दबाने लगा, वो कुछ नहीं बोली।
मेरी हिम्मत और बढ़ गई और मैंने उसकी ब्रा के अन्दर हाथ डाल दिया। अब तक वो भी पूरी आपे से बाहर हो चुकी थी, उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया, मैं समझ गया कि काजल को मेरा लण्ड चाहिए।
मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए। मैं अपना लण्ड उसके मुँह में देने लगा, पहले तो उसने मना किया लेकिन बाद में वो राज़ी हो गई। वो मेरे लण्ड को लोलीपोप की तरह चूसने लगी।
हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए। मैं उसकी गुलाबी चूत को जीभ से चाटने लगा। उसके मुंह से ..ऊह या पंकज़ याह ऊऊह प्लीज़ चोदो मुझे… मुझे तुम्हारा… बड़ा सा लण्ड चाहिए ओ येस की आवाज़ निकाल रही थी।
हम दोनों बेकाबू हो गए और एक दूसरे के मुँह में झड़ गए।
15 मिनट तक हम एक दूसरे के ऊपर लेटे रहे, उसके बाद वो फ़िर से चुदाई के लिए तैयार हो गई, लेकिन इस बार जीभ से नहीं मेरे लण्ड से चुदाने के लिए तैयार थी।
मैं उसे कुतिया स्टाईल में चोदने के लिए तैयार हो गया लेकिन वो पहली बार चुदाने जा रही थी इसलिए उसकी चूत काफ़ी टाईट थी।
मैंने उसे क्रीम लाने को बोला, और उस पे लगाया, फ़िर एक जोर का झटका दिया और वो चिल्लाने लगी- निकालो-निकालो !
फ़िर मैं रुक गया, थोड़ी देर बाद उसका दर्द कम हुआ और वो भी मचलने लगी।
फ़िर मैंने और एक झटका दिया और मेरा लण्ड पूरी तरह उसकी चूत के अन्दर हो गया और उसके मुँह से अजीब आवाज़ें निकलने लगी- ओह अजय ! प्लीज़ मेरी चूत को फ़ाड़ दो प्लीज़ ओ ओह यस… मैं ज़न्नत में हूँ… तुम पहले क्यों नहीं मिले..आई लव यू पंकज़ !
और मैं तो जैसे स्वर्ग में था, अब हम दोनों पूरे जोर से एक दूसरे को चोद रहे थे।
अब हम दोनों झड़ने वाले थे, वो बोली-अन्दर मत गिराना… मैं तुम्हारे पानी को पीना चाहती हूँ..
मैंने बाहर निकाल के उसके मुंह में गिरा दिया… वो सारा पानी पी गई… उसके बाद हम दोनों ने अलग अलग ढंग से दो बार और चुदाई की।
वो मेरे साथ एक साल रही, लेकिन अब वो कोलकाता चली गई है.. और मैं अकेला पड़ गया हूँ..
मेरी कहानी कैसी लगी, मुझे मेल करें! Sex Stories
क्या करूँ दोस्तो ! मेरे में सेक्स कूट कूट Sex Stories के भरा है, यह दो इंच की गहराई दो चिकनी जांघों के बीच भगवान ने दी है, यह औरत को पागल बना देती है। इसकी आग ऐसी है कि बुझती ही नहीं, बढ़ती जाती है।
शादी से पहले अपनी माँ और बहन को देख कम उम्र में लगी यह आग बुझवाने के लिए कई लड़को से संबंध बना लिए- कालू, जग्गा, सोनू, राजू के इलावा भी कुछ लड़को से मैंने खूब चुदवाया। शादी के कुछ घंटे पहले आखरी बार अपने आशिकों को खुश किया, फिर सुहाग सेज पे नंदोई जी के साथ गुलछर्रे उड़ाये।
शादी के ठीक ३ दिन बाद फेरा डालने में मायके गई, वहाँ अपने आशिकों से खुद को मिलने से फिर न रोक पाई मौका देख कालू, सोनू, जग्गा, राजू जैसे हटे कटे मर्दों से फिर चुदवा लिया।
उसके बाद जिन्दगी आगे बढ़ने लगी, पति मुझे ठंडी ना कर पाता, नंदोई जी वापिस अमरीका चले गए। घर में मेरे अलावा मेरी सासू माँ, ससुर जी और एक ननद। घर बहुत बड़ा था, इसलिए बिलकुल सामने वाला हिस्सा जिसका गेट भी अलग था, किराये पे दिया हुआ था। पति सुबह दूकान पर चले जाते, ससुर जी भी !
किराए वाले हिस्से में चार लड़के रहते थे, सभी के सभी एक से बढ़कर एक। मैं उनकी तरफ़ कभी न गई थी लेकिन वो कोई चीज़ लेने का बहाना कर सासू माँ के पास आते, मुझे देख मुस्करा देते। पति से शांत ना होने की वजह और मेरा चुदासापन सर चढ़ बोलने लगा। अब मैं भी उनको देखने का मौका ढूंढती !
रहती सर्दी के दिन थे, वो लड़के काफी समय से किराये पर रहते थे तो सासू माँ उनको अपने बच्चों सा ही समझती थी, सुबह की चाय अपने घर से भिजवाती थी। अब मैं चाय देने के लिए जाती।
उनमें से बबलू नाम के लड़के की नज़र मेरे ऊपर थी, चाय पकड़ते हुए वो मेरे हाथों को छूता। मैंने भी अब उससे चुदने की सोची। अब चाय हाथ में देने की बजाय मेज़ पर रखते हुए झुकती और उनको सुबह सुबह ही अपनी छातियों के दर्शन करवाती, बाल सुखाने छत पर जाती, उनको निहारती रहती, कसी हुई ब्रा पहनती, पीछे से और आगे से भी गहरे गले के कमीज़ पहनती, ताकि उनको अधिक से अधिक जिस्म दिखाऊं।
बबलू को मैंने बस में कर लिया, आग बराबर लगी थी लेकिन मौका नहीं मिल रहा था। तभी एक दिन फ़ोन आया कि मेरी मासी-सास गुज़र गईं हैं, सभी वहाँ के लिए निकलने की तैयारी में थे, में भी !
लेकिन लाल चूड़ा अभी मेरी बाँहों में देख सासू माँ ने मुझे रुकने को कह दिया। मेरी ननद तैयार होकर कॉलेज चली गई।
मैंने झट से कमीज़ के नीचे पहनी हुई अंडर-शर्ट उतार दी, कमीज़ पारदर्शी था, नीचे मैंने सिर्फ ब्रा पहनी थी, वो भी ऐसी जो अब मुझे तंग हो गई थी। कसाव की वजह से काली ब्रा में से मेरे दूधिया रंग के स्तन निकल निकल पड़ रहे थे। पारदर्शी सलवार के नीचे एक ऐसी पैंटी थी जो मुश्किल से मेरी चूत को छुपा रही थी, पीछे से गांड के चीर में फंसी पड़ी थी, पूरा पटाका बन मैं चाय लेकर उनके कमरे में चली गई।
मुझे देख बबलू की आंखें फटी रह गई- भाभी आप ! आओ आओ ! आज अपनी चाय भी हमारे साथ पी लो !
मैं बैठ गई उनके सामने !
बबलू ने मुझे घूरते हुए कहा- आज क़यामत लग रही हो, एक कमसिन हसीना !
बबलू ! आप चाय में ध्यान दो, नहीं तो ऊपर गिर जायेगी !
तुम हो ना साफ़ करने के लिए ! इसी बहाने मेरे पास तो आओगी !
मैं वैसे ही आ जाती हूँ बबलू ! कह मैं उसकी रजाई में घुस गई उसके साथ सट कर बैठ गई, अपना हाथ उसकी जांघ पर रख दिया, सामने टी.वी देखते हुए मैंने हाथ आगे बढ़ा दिया, उसने अपना हाथ मेरी छाती पर रखते हुए मेरी चूंची दबा दी।
उईईईईई ईईईईई की आवाज मेरे मुँह से निकल गई। तभी पास में बैठे पिंटू को भी उसकी शरारत का पता चल गया। उसी वक्त बबलू ने मुझे दबोच लिया और तीन-चार चुम्बन मेरे गाल पर जड़ दिये। शर्म एक तरफ कर मैं पिंटू के सामने ही बबलू से लिपट गई। बबलू ने मेरी कमीज़ उतार दी और मेरे भारी मम्मों को दबा दबा के चूसने लगा।
पिंटू ने मौका देख मेरी सलवार का नाड़ा खोल कर सलवार खींच के उतारते हुए मेरी जाँघों पर हाथ फेरते हुए उनको चूमना सहलाना शुरू किया और बोला- भाभी बहुत तड़फ़े हैं आप के लिए !
हाय राजा ! जवानी तो मेरी तुम सबको देख अंगड़ाई लेती है !
देखते ही हम तीनो नंगे एक दूसरे के जिस्म से खेल रहे थे। मैंने दोनों के मोटे लंड हाथ में ले बारी बारी चूसने शुरू किए- हाय कितने मोटे लंड हैं !
खाओ भाभी जान !
तभी रवि और मुकुल बाज़ार से ब्रेड और अंडे ले कर आ गए। उनको देख मैं रजाई में घुस गई।
हाय भाभी ! क्या हुआ? इनसे ज्यादा मैं आपको चाहता हूँ ! मुकुल बोला- अपनी कसम ! मैं किसी दिन सबके सामने आपको पकड़ लेता !
जब मैंने रजाई से मुँह बाहर निकाला तो मुकुल नंगा खड़ा अपना लंड सहला रहा था। रवि कॉलेज चला गया। तभी बबलू ने मेरी टाँगे खोल, बीच में बैठ लंड अन्दर डाल दिया।
हाय पूरा डाल के चोद ! क्या लंड है !
ले साली ! बहुत तड़पाया है तूने !
मुकुल तो मेरे मम्मे चूसने में मस्त था।
हाय भाभी !
यह दूध के बड़े बड़े बर्तन खाली कर ले राजा !
पिंटू लंड मेरे मुंह के पास रख चुसवाने लगा। तभी बबलू तेज़ हो गया- हाय भाभी ! मैं छुटने वाला हूँ ! वो तेज़ तेज़ धक्के देने लगा, ओह भाभी ! क्या करू ! बहुत गर्मी है अन्दर !
डाल दे न अन्दर ही ! मुझे माँ बना दे ! मेरा पति निक्कमा है !
तभी मुकुल मम्मा मुँह से निकाल कर बोला- साली बच्चा मैं दूंगा तुझे !
तभी बबल ने लंड खींच लिया और सारा माल मेरे मुँह में निकाल दिया। मैंने चाट के एक एक कतरा साफ़ कर डाला। वो भी तैयार होने भाग गया।
अब पिंटू ने अपना लंड मेरे मुंह से निकाला, बीच में आते हुए बोला- भाभी मेरे लंड पर अपनी चूत रख इस पर बैठ जाओ !
उसको सीधा लिटा, मैंने अपनी गांड में खुद गीली ऊँगली डाल चिकनी कर उसके लंड को अपनी गाण्ड में टिकाते हुए नीचे बैठी, उसका लंड मेरी गांड में घुसता चला गया। सारा लंड मेरी गांड में समां गया।
वाह भाभी ! वाह ! धन्य हो गया आज !
मैं जोर जोर से उछलने लगी।
मुकुल सबमें से जानदार मर्द निकला, वो बोला- एक साथ दो डलवाओ रानी ! फ़िर देखना स्वाद !
उसने आगे से आते हुए अपना आठ इंच से भी ज्यादा लम्बा लण्ड एक साथ मेरी चूत में डाल दिया।
कुछ देर में पिंटू अपना पानी मेरी गांड में छोड़ हांफने लगा और लुढ़क गया।
वो भी गया !
मुकुल मुझे घोड़ी बना के चोदने लगा- हाय रानी ! सारा दिन चोदूंगा !
सच में ? हाय !
तेज़ तेज़ धक्के बजने लगे।
उईईइ अह्ह्ह फाड़ डाल इसको !
ले साली खा ! इसको ले ले !
उसने मुझे भरपूर सुख देना चालू किया।
एक सम्पूर्ण मर्द था वो ! वो हर ढंग जानता था औरत को भोगने का !
जब उसको लगता कि झड़ने वाला है तो वो रुक के चुम्मा चाटी वगैरा करता !
उसने मुझे खड़ा कर लिया और बोला- दीवार को थाम के गांड पीछे की ओर झुका के घोड़ी बन जाओ !
वो खड़ा होकर पीछे से मेरी चूत मारने लगा।
कुछ देर बाद उसने मुझे सीधा लिटा कर मेरी टाँगें अपने कंधों पर रख कर अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दिया- लो भाभी लो !
लंड डाल कर फाड़ डाल मुकुल इस राण्ड की चूत ! मुझे बच्चा दे दे ! सासू माँ के ताने ख़त्म कर दे ! उनको क्या पता उनके बेटे में ही दम नहीं !
लो भाभी लो ! आज सारा दिन ठोक-ठोक के आपकी बच्चेदानी का मुंह खोल दूंगा !
लो सम्भालो ! लो ! कह उसने फिर डाल दिया और ओह्ह्ह्ह भाभी तुम माल हो साली ! तेरी कच्छी चुरा चुरा महक ले ले मुठ मारता रहा !
तेज तेज धक्के लगा उसने अपना गाढ़ा माल मेरे अन्दर डाल मुझे कस लिया। मैंने भी सांस खीच उसके लंड को भींचते हुए सारा माल अपने अन्दर निचोड़ लिया। मुझे घर का ख्याल न रहा और सारा दिन मुकुल से जिस्म का खेल खेलती रही।
कब ननद कॉलेज से आई, रवि, बबलू सब आ गए। तब तक वो तीन बार मुझे चोद चुका था। बबलू भी आते फिर लग गया।
मुझे ढूंढते हुए ननद वहां आई, उन चालाक लड़कों ने जानबूझ के दरवाज़ा खुला रखा था। ननद अन्दर आई तो मुझे चुदते देख उसका मुंह खुला रह गया।
बोली- भाभी? यह? ओह नो ! तुम पीछे से यह गुल खिलाती हो? सोचा भी नहीं था। सब भाई से कह दूंगी !
इससे पहले वो मुड़ती बबलू ने उसको खींच बाँहों में ले लिया- ललिता ! मेरी लाडो ! कह देना !
रवि ने उसको पीछे से बाँहों में कसते हुए उसकी गर्दन पर होंठ रख दिए तो वो पलट कर उसके साथ चिपकते हुए हंसने लगी, बोली- मुझे मालूम है भाभी ! भाई तुम्हें खुश नहीं कर पाते ! बबलू और मुझे चोदने में लगे रहे पिंटू और रवि ने ललिता को चोदा। शाम के ७ बजे तक हम सभी नंगे चुदाई का खेल खेलते रहे।
उस दिन के बाद मैं और ललिता मौका देख उनको बुला लेते या उनके पास चले जाते। अब चार लंड घर में थे, मायके जा कर कालू, यहाँ मुकुल, बबलू, रवि और पिंटू !
मेरी कोख भी हरी हो गई, मैं मुकुल के बच्चे की माँ बनने वाली हूँ क्यूंकि उसने किसी और को अपना पानी मेरे अन्दर डालने से मना किया था, या निरोध लगाते या बाहर निकाल लेते !
सासू माँ बहुत खुश है ! पति सोचता है कि शायद पाँच-सात मिनट की ठुकाई से उसने मुझे गर्भवती किया है।
पंगा तब पड़ा जब ललिता का गर्भ ठहर गया।
सबने मिलकर एक नर्स को पॉँच हज़ार रुपये दे उसका पेट साफ़ करवाया।
समय ज्यादा होने से इतने पैसे लगे इस तरह मैंने चार और लोगों के साथ संबंध बना लिए।
उसके बाद क्या क्या हुआ सब बताऊँगी अगली बार !
बाय बाय ! Sex Stories
प्रिय पाठको, मेरा नाम निहारिका है और मैं कोलकाता से रहने वाली हूँ.
मेरी उम्र 23 साल की है और मैं देखने में बेहद मस्त व ख़ूबसूरत हूँ. मैं एक प्राइमरी स्कूल में टीचर हूँ.
मैं अपनी सच्ची Xxx साली जीजा सेक्स कहानी शेयर करने जा रही हूँ. मेरी हिंदी की भूल को माफ़ कीजिएगा.
मेरी एक बड़ी दीदी हैं, जो मुझसे 4 साल बड़ी हैं और उनकी शादी हो चुकी है.
मेरी दीदी हमारे घर से एक घंटे की दूरी पर रहती हैं, इसलिए अक्सर हमारा आना जाना लगा रहता है.
मेरी दीदी की लाइफ अच्छी और सुखद है. जीजा जी एक बड़ी आईटी कंपनी में काम करते हैं. वे दिखने में अच्छे और काफी आकर्षक व तगड़े हैं.
ये बात मेरी दीदी की शादी के 3 साल के बाद की है. उस वक़्त मैं 20 साल की थी.
हमारे यहां एक फंक्शन में सब लोग आए हुए थे, तो दीदी और जीजा जी भी आए हुए थे.
मेरे जीजा जी अक्सर मुझसे मजाक करते थे और नॉटी बातें करते थे.
मैं अक्सर उनकी नॉटी बातों को नजरअंदाज कर टाल देती थी.
चूंकि हमारा रिश्ता भी जीजा साली का था तो उनका मजाक करना बनता था.
दीदी भी कुछ नहीं बोलती थीं.
मैं उस वक़्त जवान और अल्हड़ थी और सच बोलूँ, तो जीजा जी पर भी मेरा थोड़ा क्रश था. दूसरी ओर जीजा जी भी मुझ पर थोड़ा फ़िदा से थे.
वे मुझ पर फिदा होते भी क्यों न,
आखिर मैं इतनी मस्त माल जो हूँ.
मेरा फिगर 32-28-34 का था और मैं बेहद गोरी हूँ.
बहुत सारे लड़के मेरे पीछे पड़े थे, पर मुझे कोई जँचता ही नहीं था.
जीजा को देख कर लगता था कि इनके जैसा कोई मिले तो बात बने. बस इसी वजह से जीजा जी मुझे अन्दर ही अन्दर कुछ लव सा हो गया था.
खैर … इन सब बातों को छोड़ कर मैं सीधा अपनी जवानी की वो मदमस्त सेक्स कहानी आप सब पाठकों को सुनाती हूँ, जिसके आपके सामान भी गीले हो जाएं.
दरअसल ये बात 2019 की है. हमारे यहां जो समारोह था, उसकी तैयारी के लिए दीदी ने मुझे और जीजा जी को कुछ सामान लाने बाजार भेजा.
मैं उनके साथ अपनी स्कूटी से चली गई. स्कूटी को मैं चला रही थी और जीजा जी मेरे साथ पीछे बैठे थे.
उस दिन मैं पार्लर से आई थी और बहुत खूबसूरत लग रही थी.
मैंने एक पीली साड़ी पहनी थी.
जीजा जी अक्सर कहते थे कि मैं साड़ी में बहुत खूबसूरत दिखती हूँ.
फिर घर में जिस तरह का समारोह था, तो कुछ पारंपरिक ही पहनना था.
बस उसी वजह से मैंने ये साड़ी पहन ली.
जीजा जी भी मुझे देखे जा रहे थे.
मुझे भी अच्छा लग रहा था.
साड़ी को मैंने बहुत ही अच्छे से बांधी थी.
मेरा ब्लाउज भी बैक लैस था.
और शिफॉन साड़ी पहने होने से मेरा पेट थोड़ा सेक्सी सा नजर आ रहा था.
साड़ी को भी मैंने नाभि से नीचे बांधी थी, तो मेरी गहरी नाभि भी कामुक नजर आ रही थी.
मैं स्कूटी चला रही थी और जीजा जी पीछे बैठे थे.
रास्ते में एक गाय बीच में आ गई, मैंने अचानक से ब्रेक लगा कर स्कूटी रोकी तो जीजा जी मेरे ऊपर ही ढह गए और चिपक से गए.
उन्होंने मेरी कमर पकड़ ली.
उस वक़्त तो मुझे अहसास नहीं हुआ, क्योंकि रास्ते की भीड़ भाड़ में ध्यान नहीं गया, पर दस सेकंड बाद मुझे लगा कि मेरे जीजा जी मेरी नंगी कमर पकड़े हुए हैं.
मैं कुछ नहीं बोली और गाड़ी चलती रही.
मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था और कुछ पल के लिए घबराहट सी भी लगी, लेकिन फिर मुझे अच्छा लगने लगा.
आखिर पहली बार जीजा जी ने मुझे छुआ था.
रास्ता थोड़ा लम्बा था और मैं भी स्कूटी को धीरे धीरे चला रही थी.
जीजा जी अब भी मेरी कमर पकड़े हुए ही थे.
मैंने भी कुछ नहीं बोला.
गाड़ी चलाते चलाते मैंने महसूस किया कि उनका हाथ मेरी साड़ी के पल्लू के और अन्दर आ रहा है. अब उनका हाथ मेरी नाभि पर था.
मुझे मेरी नाभि पर छूने से बहुत अच्छा और कामुक सा लगता है; मैं मदमस्त हो जाती हूँ.
कुछ 30 मिनट बाद हम अपनी जगह पर पहुंचे और सामान लेकर वापस आने लगे.
जीजा जी ने रास्ते में मुझसे कहा- आज तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो.
मैंने उनसे थैंक्यू कहा.
उन्होंने आगे बोला- अगर मेरी तुम्हारी दीदी से शादी न हुई होती, तो मैं तुमसे ही शादी करता, तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.
उनकी इस बात पर मैं शर्मा गई.
मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था, दिल धक धक करते हुए जोर से धड़क रहा था.
मुझे लगा कि मैं अगर और देर तक गाड़ी चलाई तो कहीं ठोक न दूँ.
इसी को ध्यान में रख कर मैंने एक खाली सी जगह देख कर गाड़ी रोक दी.
जीजा जी ने पूछा- क्यों रोकी गाड़ी?
मैं कुछ बोल नहीं पा रही.
मैंने कहा- आप चलाइए.
उन्होंने मेरी हालत देख कर समझ लिया और मुझसे गाड़ी ले ली.
तभी मुझे न जाने क्या हुआ कि मैंने गाड़ी पर बैठने से पहले उन्हें होंठों पर किस कर लिया.
यह देख वे भी भौंचक्के से रह गए.
आखिर मैंने उनसे कह ही दिया कि आप मुझे बहुत पसंद हैं और मुझे ख़ुशी है कि आप मेरे जीजा जी हैं.
वे मुस्कुरा रहे थे.
उस दिन अगर हम रास्ते में न होते तो मेरी जवानी के मज़े तो मेरे जीजू उसी वक़्त ले लेते.
पर परिस्थितियां वैसी न थीं और हमें जल्दी घर आना था तो हम आ गए और घर पर अपने कामों में लग गए.
उस दिन के बाद से जीजू मुझे जब भी अकेला पाते, तो मेरे पास आकर मुझे धीरे से गले लगा लेते या चूम कर भाग जाते.
अब हम दोनों को एक दूसरे के जज्बात पता चल चुके थे तो हम दोनों भी अच्छे से एक दूसरे से मिलने की अपनी तैयारी में लग गए.
यह तैयारी जीजा जी कर रहे थे.
उस दिन के बाद से हम दोनों जब भी हम दोनों खाली होते, तो अक्सर मोबाइल पर, व्हाट्सऐप पर घंटों बातें करते.
वीडियो कॉल पर मैं नंगी होकर उन्हें अपना जिस्म दिखा कर और ज्यादा उकसाने लगी थी.
उस वक़्त मैं कॉलेज में मास्टर्स की डिग्री की तैयारी कर रही थी तो मुझे कोचिंग की आवश्यकता हुई.
जीजा जी ने मुझे एक कोचिंग के बारे में बताया.
यह कोचिंग उनके घर से आगे जाने वाले रास्ते में थी.
उन्होंने मुझसे वहां दाखिला लेने को कहा.
घर में भी सबने मान लिया.
मैं भी खुश थी.
कोचिंग में एडमिशन लेने के बाद मैं जीजा जी के साथ आना जाना करने लगी, उनकी बाइक पर ही मैं आती जाती.
एक दिन मैंने प्लान बनाया.
उस दिन मैं एक कोचिंग की एक्स्ट्रा क्लास का बहाना बना कर जीजा के साथ निकल पड़ी.
उन्होंने हमारे लिए एक दूर के होटल में कमरा बुक करा रखा था.
हम दोनों वहां कोचिंग जॉइन करने के समय तक पहुंच गए.
अब हमारे पास शाम तक का समय था.
हमने नाश्ता आर्डर किया जो रूम में ही आ गया.
उसके बाद हम दोनों एक दूसरे के आलिंगन में हमबिस्तर थे.
मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था.
मैंने बाथरूम में जाकर अपने कपड़े बदल लिए जो मैं अपने साथ लेकर आई थी.
बाथरूम से बाहर आते ही जीजा ने मुझे हग कर लिया.
मैं एक छोटा सा टॉप और हॉट पैन्ट्स में थी.
मेरा टॉप मेरी कमर के ऊपर तक आ रहा था जिससे मेरी नाभि दिख रही थी.
नीचे मेरी सेक्सी जांघें जीजा जी के लंड को अकड़ा रही थीं.
जीजू ने मुझे गोद में उठा लिया और किस करने लगे.
मैं आहें भरने लगी.
फिर मैंने उनका कुर्ता खोला और पजामे का नाड़ा ढीला कर दिया.
उन्होंने भी मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे टॉप को खोल दिया.
मैं अब एक ब्लैक ब्रा और पैन्ट्स में थी.
जीजू मेरी गर्दन को किस करने लगे.
मैं जोर जोर से आहें और सिसकारियां लेने लगी.
फिर उन्होंने ब्रा के ऊपर से ही मेरे दोनों स्तनों पर किस किया और ब्रा खोल दी.
अब वे पागलों के जैसे मेरी चूचियों को बड़ी बेरहमी से जोर जोर से मसल रहे थे.
मुझे दर्द हो रहा था पर मजा भी आ रहा था.
फिर उन्होंने मेरे एक दूध पर काट लिया तो मैं चीख पड़ी.
पर उन पर कोई असर नहीं पड़ा था वे जोर जोर से चूसते और काटते रहे.
उनके प्यार की निशानी मेरे स्तनों पर बन गई थी.
मेरी ब्रा खोलने के बाद जीजू ने मेरी पैन्ट्स खोल कर फेंक दी. मैं अब सिर्फ अपने ब्लैक पैंटी में थी.
वह मेरे सपाट पेट पर किस करने लगे और मैं पागल हो रही थी.
उनकी जीभ मेरी नाभि में आ लगी और बस मैं चहक उठी.
उन्होंने मेरी नाभि में जीभ को भीतर तक डाल कर किस किया.
मेरी नाभि बहुत गहरी है.
जब उन्होंने अपना मुँह लगाया तो मेरी सांस अन्दर चली गई और नाभि और गहरी लगने लगी.
वह नाभि पर चूमते हुए मेरी फुद्दी को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगे.
अब तो मुझसे रहा ही नहीं जा रहा था.
उन्होंने हल्के हल्के लव बाइट मेरे पेट पर नाभि के आस पास भी दिए, जैसे बूब्स पर दिए थे.
फिर मैंने खुद ही अपनी पैंटी को उतार कर फेंक दिया.
अब मैं अपने सेक्सी जीजू के सामने पूरी नंगी थी.
वे मुझे निहार रहे थे और अपना मोटा सा लंड सहला रहे थे.
उनका मोटा लंड देख कर मैं डर रही थी.
वे बोले- कुछ नहीं होगा.
मैंने कहा- इतना मोटा मेरे अन्दर कैसे जाएगा?
वे बोले- तुम बस लेटी रहो, मैं सब कर लूँगा.
मैं बोली- बहुत दर्द होगा!
वे बोले- अपने प्यारे जीजू के लिए इतना दर्द नहीं सह सकती क्या!
मैं हंस पड़ी.
अब जीजू बोले- पहले मुँह में लंड लेकर चूसो.
मुझे ये अजीब सा लगा पर मुझे पता था कि लड़कों की ये आदत होती है.
मैं मुँह में लंड लेने हुई पर लंड मेरे मुँह में पूरा नहीं आ रहा था.
जीजा जी ने कहा- इसे अच्छे से चूसो.
अब किसी तरह से उनका मोटा लंड मेरे मुँह में अन्दर बाहर होने लगा था.
जीजू मेरे सर को पकड़े थे. फिर अचानक से उन्होंने अपना पूरा लंड मेरे में मुँह में घुसाने की कोशिश की.
लंड मेरे गले तक आ गया.
मैं हांफने लगी.
मैंने जीजू से कहा- इतना लम्बा मैं पूरा कैसे लूं!
वे बोले- जितना ले सको, उतना अन्दर करो.
वे खुद भी जोर जोर से मेरे मुँह को चोदने लगे.
मैं बेबस सी उनके सामने थी और जो वे बोल रहे थे, वह कर रही थी.
उनका मोटा लंड मेरे थूक से चमक रहा था.
थोड़ी देर बाद जीजू बोले- अब रुको और तुम लेट जाओ, अब मैं तुम्हारी चूत में लंड घुसाऊंगा.
मैं सहमी सी लेट गई और उनके मोटे लंड को निहारने लगी.
तब मैं सोचने लगी कि मेरे जीजू, दीदी की क्या हालत करते होंगे.
मेरे सोचते सोचते तक ही वे मेरे ऊपर आ गए और लंड का मोटा सा सुपारा मेरी चूत पर घिसने लगे.
जीजा जी के लौड़े की गर्मी से मैं ऐसे मचलने लगी जैसे पानी के बाहर मछली.
उसके बाद अचानक उनका 6 इंच का मोटा लंड मेरे अन्दर घुसता चला गया.
मैं चीख पड़ी.
पर उन्हें मानो कोई फ़िक्र ही नहीं थी.
वे अपने मोटे लंड को मेरी बुर के अन्दर पेल कर आगे पीछे होने लगे और मैं जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी.
पहले हल्का दर्द हुआ, पर अब मज़ा आने लगा.
जीजा जी दस मिनट तक मेरी चूत में लंड पेल कर चोदते रहे.
फिर वे अपना लंड निकाल कर बोले- अब घोड़ी बन जाओ.
मैंने वैसा ही किया.
जीजू ने फिर से अपना मूसल सा लंड मेरी चूत में पेल दिया और कमर पकड़ कर जीजू आगे पीछे होने लगे.
मेरी हालत ख़राब हो रही थी.
पर वे तो किसी ज़ालिम के जैसे लगे हुए थे और रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे.
कुछ देर बाद जीजू को ज्यादा मस्ती चढ़ गई और अब वे मेरे लंबे बाल पकड़ कर घोड़ी बना कर पीछे से मुझे ताबड़तोड़ चोदने लगे.
इस तरह मुझे और 10 मिनट चोदने के बाद उन्होंने अपना मोटा लंड बाहर निकाल लिया.
मैं तो दो बार झड़ कर पूरी गीली हो चुकी थी. पर उनका लंड अभी तक खड़ा था.
अब मैं सोच रही थी और कितना करना पड़ेगा.
उन्होंने कहा- अब मेरे लंड को चूसो.
उफ्फ … क्या बताऊं पहली बार मैं अपनी ही चूत का पानी चख़ रही थी.
मैं मस्त होकर लंड चूसने लगी.
उनका मोटा लंड इस बार मुझे बड़ा मजा दे रहा था और जीजू भी पागल हो रहे थे.
वे मेरे मुँह में पूरा लौड़ा घुसाने की कोशिश कर रहे थे पर मैं पूरा नहीं ले पा रही थी.
मैं मुश्किल से आधा लंड ले पा रही थी.
मैंने बहुत देर तक लंड को चूसा.
फिर जीजू बोले- अब लेट जाओ.
मैं किसी सड़क छाप रांड की तरह चूत पसार कर लेट गई.
अब जीजा जी दोबारा से मेरे ऊपर चढ़ गए थे और उनके मोटे लंड का सुपारा मेरी चूत को छू रहा था.
मैं पागलों के जैसे गांड उठा कर लंड लेने को मचल रही थी.
उन्होंने धीरे से पूछा- और चाहिए?
मैंने जल्दी से हां में सर हिलाया.
इसके बाद तो उनका लंड मेरी चूत में दोबारा जा घुसा और इस बार तो वह जैसे किसी पागल सांड के मानिंद हो गए थे.
चूत को भोसड़ा बनाने की नीयत दिखने लगी थी.
मेरे दोनों पैर उनके कंधे पर थे.
उन्होंने मेरी कमर पकड़ ली और जोर जोर से झटके लगाने शुरू कर दिए.
मेरी चूत से फच फच की आवाज़ आ रही थी.
इन आवाजों को सुन कर वे और पागल हो गए.
अब जीजू मेरे स्तनों को पकड़ कर दबा रहे थे और लौड़े के झटके लगा रहे थे.
मैं ‘आह आह … उहह उह्ह्ह’ कर रही सिसकारियां ले रही थी.
हम दोनों का बदन पसीने से लथपथ हो गया था.
उनके जोर के झटकों से मेरे दोनों दूध बड़ी तेजी से हिल रहे थे.
सिर्फ स्तन ही नहीं बल्कि मेरा पेट भी लहरा रहा था.
उनका मोटा लंड ऐसा लग रहा था, जैसे मेरी चूत में अन्दर तक जा रहा था.
मुझे जीजू के लंड का अपने पेट में भीतर तक अहसास हो रहा था.
इस तरह और दस मिनट तक वे मुझे चोदते रहे.
मैं उनके नीचे बेसहारा और उनकी दया पर निर्भर पड़ी थी मानो मैं कोई बकरी हूँ और वह किसी शेर की तरह मुझे ज़कड़ कर रखे थे.
कुछ देर बाद उनके झटके और तेज हो गए.
मैं चीखने लगी और जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी.
तब मैं कराहती हुई उनसे बोलने लगी- आह जीजू छोड़ो, मैं अब और नहीं सहन कर पाऊंगी … इस्सस.
पर क्या बोलूं … उस ज़ालिम जीजा ने छोड़ने का नाम न ही लिया.
इस तरह करते करते अचानक से उनका शरीर अकड़ सा गया और लंड पूरा अन्दर तक जाकर अड़ गया.
अगले ही पल मुझे अपने पेट में कुछ गर्म गर्म सा अहसास हुआ.
उनके लंड का पानी मेरी चूत में ही निकल गया.
Xxx साली जीजा सेक्स से मैं पागल सी हो गयी थी.
मेरा भी शरीर अकड़ गया था और गांड ऊपर को उठ गयी थी. मेरा भी पानी जोर से निकल रहा था.
मेरी आंखें बंद हो गई थीं और जीजू की भी.
मैंने चादर को जोर से पकड़ लिया और लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.
जीजू पानी निकाल कर मेरे ऊपर बैठ गए और मुझे निहारने लगे.
अब मैं भी मुस्कुरा कर उन्हें देखने लगी.
अगर आपको यहां तक की सेक्स कहानी पसंद आई हो, तो कृपया मुझे बताएं.
हैलो फ्रेंड्स, आज मैं आपको जो चुदाई की कहानी सुनाने जा रहा हूँ वो मेरी एक पाठिका और मेरी चुदाई की कहानी है. पहले मैं आपको मेरा परिचय दे देता हूँ. मैं दिल्ली से हूँ मेरी हाईट 5 फुट 9 इंच है.
मेरी सेक्स स्टोरी पढ़ कर एक दिन मेरे पास एक ईमेल आया, जिसमें लिखा था मुझे आपकी कहानी बहुत अच्छी लगी. मैं आपसे सम्पर्क करना चाहती हूँ.
उसने मुझे अपना कांटेक्ट नम्बर दे दिया. मैंने उस कांटेक्ट नम्बर पे कांटेक्ट किया तो कुछ इस तरह से बात हुई.
विशाल- हैलो
पाठिका- हाय आप कौन बोल रहे हैं?
विशाल- मैं विशाल बोल रहा हूँ क्या आपने मुझे ईमेल किया था?
पाठिका- ओह यस आप विशाल बोल रहे हैं, मुझे आपकी स्टोरी बहुत अच्छी लगी. मैं आपसे मिलना चाहती हूँ. मैं 38 साल की हूँ और मेरा नाम वनिता है.
विशाल- अच्छा तो मुझे आपका एड्रेस और टाइम दे दो.
बाद में उसने मुझे अपना एड्रेस दिया वो भी दिल्ली से ही थी. उसने मुझे डेट और टाइम दे दिया.
मैं उसके बताई हुई डेट, टाइम और एड्रेस पर पहुँच गया. मैंने डोरबेल बजाई तो दरवाजा खुला और सामने 38 साल की खूबसूरत आंटी खड़ी थी. उसे मालूम था कि मैं आने वाला था इसलिए उसने नई साड़ी पहनी थी और मेकअप भी किया था. उसके बदन से खुशबू आ रही थी शायद उसने परफ्यूम लगाया था. उसके मम्मे बहुत बड़े और तने हुए थे. उसके होंठ बहुत गुलाबी थे. उसके मस्त रूप को मैं थोड़ी देर तक यूं ही एकटक देखता रह गया.
फिर उसने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैं उसके घर के अन्दर चला गया. अन्दर कोई नहीं था. वनिता ने मुझे पानी दिया, मैंने गिलास लेते वक्त उसकी उंगली को छू लिया. वो मुस्कुराई फ़िर मेरे पास सोफ़े पर बैठ गई. मेरा लंड तो पहले से ही टाईट हो गया था.
वनिता ने मुझसे कहा- मैं तो समझ रही थी कि आप बड़ी उम्र के होंगे लेकिन आप तो बहुत हैंडसम हैं.
मैंने पूछा- आपके घर में कौन कौन रहता है?
वनिता ने कहा- मैं और मेरे पति, लेकिन अभी वो बाहर गए हुए हैं. तुम तब तक मेरे साथ जो चाहे कर सकते हो.
मैं उसके थोड़ा करीब हो गया और उसके हाथों को पकड़ लिया.. वो चुपचाप थी.
धीरे धीरे मैंने उसके हाथों को मसलना शुरू किया. फिर धीरे धीरे मैं ऊपर को बढ़ रहा था, मेरा हाथ उसके पेट पर फिरने लगा और ब्लाउज के ऊपर से उसके मम्मों पर हाथ फ़िराया. उसने नशे से आँखें भर कर मेरी तरफ देखा तो मैं उसके मम्मों को दबाने लगा. उसकी साँसें जोर से चल रही थीं और आँखें मस्ती से बंद हो गई थीं.
मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोलना शुरू किए और ब्लाउज को निकाल दिया. अब मैं उसकी ब्रा के ऊपर से उसके तने हुए मम्मों को मसल रहा था.
फिर उसकी साड़ी निकाल दी और उसका पेटीकोट ऊपर उठाकर उसकी जांघ पर हाथ फिराया. इसके बाद उसकी पेंटी के ऊपर से उसकी चुत पर हाथ फ़िराने लगा. अब उसके मुँह से आवाज आने लगी थी.
‘अह्हह्हह उहहह्हह..’
मैंने उसका पेटीकोट निकाल दिया, अब वो सिर्फ पेंटी और ब्रा में ही थी.
कुछ पल बाद उसने मेरी शर्ट निकाल दी और मेरी चौड़ी छाती पर हाथ फ़िराने लगी.
उसने कहा- तुम्हारी बॉडी तो बहुत स्ट्रोंग है.
मैंने उसके होंठों को चूम लिया. फ़िर उसने मेरी पेंट भी उतार दी. मेरा लंड तो निक्कर फाड़ कर बाहर आने की कोशिश कर रहा था. निक्कर टेंट की तरह फूल गया था. उसने मेरा लंड निक्कर में से निकाला तो उसकी आँखें फ़ट गई. पूरा 8” इंच का खड़ा लंड था, शायद इतना बड़ा लंड उसने पहली बार देखा था. अब वो मेरे लंड को चूसने लगी.
इसी समय मैंने भी उसकी ब्रा निकाल दी और उसके बड़े बड़े मम्मों को चूसने लगा. उसके निप्पल बहुत कड़क थे.
कुछ ही देर में मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैंने उसकी पेंटी उतार दी. उसकी चुत एकदम चिकनी थी. मुझे बड़ी मस्त चुत लग रही थी.
मैंने अपना 8” इंच का लंड उसकी चुत की फांकों में लगा दिया. मैं लंड डालने की पोजीशन में आ गया था.
वो बोली- धीरे पेलना.. मेरी चुत फ़ट जाएगी. मैंने लंड को उसकी चुत में धीरे धीरे पेलना शुरू कर दिया. कुछ ही पलों में मैं पूरे जोश में आ गया था. मैं उसे जोर जोर से धक्के देने लगा.
वो भी कुछ देर की पीड़ा के बाद मेरा साथ देने लगी.
करीब आधे घंटे की चुदाई में वो दो बार झड़ चुकी थी. अब मेरी स्पीड बहुत तेज हो गई थी, थोड़ी देर बाद मेरे लंड से भी सफ़ेद दही निकल गया.
थोड़ी देर बाद जब हम दोनों शांत हो गए तो मैंने उससे कहा- हम जब तक साथ हैं. हम कपड़े नहीं पहनेंगे, पूरे नंगे ही रहेंगे.
वो बोली- जो तुम कहो मैं वैसा ही करूँगी. एक दिन के लिए मैं तुम्हारी बीवी हूँ.. तुम जो चाहे करो.
हम शाम तक एक दूसरे की बांहों में नंगे पड़े रहे और एक दूसरे के बदन से खेलते रहे.
करीब 8 बजे वो खड़ी हुई और खाना बनाने चली गई. इस वक्त मुझे उसकी गांड बहुत मस्त लग रही थी. उसकी गांड चलते वक्त ऊपर नीचे हो रही थी. वो बिल्कुल नंगी खाना बना रही थी.
इधर मैं नंगा पड़ा टीवी देख रहा था. मैं बार बार उसकी तरफ़ भी हसरत भरी निगाहों से देख रहा था. उसके गोरे कूल्हे बहुत खूबसूरत लग रहे थे. जैसे ही वो कुछ लेने आगे बढ़ती उसके कूल्हे और चूचे ऊपर नीचे डोलने लगते थे.
मेरा लंड फ़िर से एकदम टाईट हो गया. मैं खड़ा हुआ और उसके पीछे जाकर उसकी गांड में अपना लंड रगड़ने लगा. साथ ही उसे अपनी बांहों में भर लिया.
वो मुस्कुराने लगी. वो रोटी बना रही थी और मैं उसके मम्मों को पीछे से मसल रहा था.
क्या सॉफ्ट चूचे थे.
फ़िर मैंने उसके मम्मों पर तेल लगाया और उसकी चूचियों की मसाज करने लगा. उसके चूचे चमकने लगे थे.
फ़िर मैंने उसकी गांड पर तेल लगाया. कुछ देर तक मैं उसकी गांड के छेद में तेल लगाता रहा और उसे मसलता जा रहा था. फ़िर उसकी पीठ पर, उसकी जाँघों पर.. व उसके पूरे बदन पर तेल लगा दिया.
अब वो भी पूरी कामुक हो उठी थी. उसने गैस को बंद किया और पलटकर मुझे बांहों में लेकर मेरे होंठों को चूसने लगी. उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी. शायद हम दोनों 10 मिनट तक दूसरे के होंठों को चूसते रहे. फ़िर उसने मेरे लंड पर तेल लगाना शुरू किया. वो मेरे पूरे बदन पर तेल लगाने लगी और मसाज करने लगी. हम दोनों का बदन पूरा चिकना हो गया था.
अब मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया और उसको उठाकर बाथरूम में ले गया. मेरा लंड तो पहले से ही पूरा तना हुआ था.
वनिता लंड हिलाते हुए बोली- इसको अभी तो खाना खिलाया था, फ़िर से भूखा हो गया.
मैंने कहा- इसकी भूख तो एक दिन के बाद ही मिटेगी.
वो मेरी गोदी में बैठ गई. मैं उसके मम्मों पर पीछे से साबुन लगा रहा था और मेरा लंड उसकी गांड के छेद को छू रहा था
कुछ देर बाद वो खड़ी हो गई और उसने मेरे लंड को हाथ में ले लिया. मेरे लंड का का सुपारा बाहर निकाल कर उस पर साबुन लगाने लगी और उसको आगे पीछे करने लगी.
मैं उसके गोरे गोरे मम्मों पर साबुन लगा रहा था और उन्हें मसल रहा था.
फिर मैं उसके एक निप्पल को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. उसके मुँह से आवाज निकालने लगी- उह्हह्ह.. अह्हह्ह.. चूसो मेरे राजा पूरा चूस लो.
मैं उसके निप्पल पर अपनी जीभ रगड़ रहा था. अब उसने मेरे पूरे बदन पर साबुन लगाया. मैंने भी उसके पूरे बदन पर साबुन लगाया और फोम के गुच्छे से रगड़ा ताकि झाग ज्यादा हो जाए.
इसके बाद मैंने उसको बाथरूम में लेटा दिया. बाथरूम काफी बड़ा था.
मैंने अपना लंड उसके मम्मों पे रगड़ने लगा. वो मादक आवाज निकाल रही थी- उईईईमा.. अब मुझसे नहीं रहा जाता.. डाल दे पूरा लंड मेरी चुत में..
मैंने अपना खड़ा लंड उसकी चुत पर रख दिया. लंड में साबुन लगा हुआ था इसलिए फ़टाक से चुत के अन्दर चला गया.
साबुन लगाकर चुत चुदाई करने का मजा ही कुछ और होता है.
मैं उसको धकापेल धक्के दे रहा था और वनिता आँखें बंद करके लंड का पूरा मजा ले रही थी.
करीब एक घंटे तक चुदाई चलती रही.
फ़िर वो झड़ गई और बोली- बहुत मज़ा आया..
उसने मेरे गाल पर चुम्मी ले ली.
रात का डिनर भी हम दोनों ने नंगे ही किया. वो मेरी गोद में नंगी बैठी थी और मैं भी नंगा ही डाइनिंग टेबल पर बैठा था. हम दोनों एक दूसरे को खिला रहे थे.
मेरा लंड इस वक्त ढीला था.. लंड ने दो बार जो मजा ले लिया था.
खाना खाने के बाद उसने बरतन भी नंगे हो कर ही धोये. मैं ये सब देख रहा था. अब मेरा लंड धीरे धीरे फ़िर टाईट हो रहा था. वो बरतन धोकर मेरे पास बेड पर आई और लेट कर टीवी देखने लगी.
अचानक वो खड़ी हुई और अल्मारी में से सीडी निकाली और सीडी प्लेयर में लगा दी. वो नंगी पिक्चर की सीडी थी.
अब हम वैसा ही करने लगे जैसे उस ब्लू फिल्म में आ रहा था.
मैंने वनिता की चुत में उंगली डाली और अन्दर बाहर करने लगा. इसके साथ साथ मैं उसकी चुत को चाट भी रहा था. वनिता को बहुत मजा आ रहा था.
फिर उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और टीवी में जैसा आ रहा था, वैसे ही उसने अपना थूक मेरे लंड पे लगाया और अन्दर बाहर करने लगी.
फ़िर मैं सीधा हो गया और वो मेरे ऊपर घुटनों के बल चढ़ गई और मेरा लंड अपनी चुत में डाल लिया. वो ऊपर नीचे होने लगी.. मुझे बहुत अच्छा लग रहा था. मैं उसके थिरकते हुए मम्मों को दबा रहा था.
करीब 15 मिनट तक ऐसे ही चलता रहा फ़िर वो कुतिया की तरह हो गई और मैं पीछे से उसकी चुदाई करने लगा. पहले मैंने उसकी चुत में लंड पेला और बाद में उसकी गांड में डाल दिया.
वो चिल्ला पड़ी- उईईमा मेरी गांड फट गई अह्हह्हह.. उह्हह्ह..
जैसे पिक्चर में आवाज़ आ रही थी, वो भी वैसे ही आवाज निकाल रही थी.
अब मैं जोर जोर से उसकी गांड की चुदाई करने लगा. वो भी मज़े में आ गई थी. करीब एक घंटे बाद चरम आ गया और मैं झड़ गया.
फ़िर हम दोनों नंगे ही एक दूसरे को बांहों में लेकर सो गए.
दूसरे दिन हम करीब 10 बजे उठे, दोनों ने एक साथ स्नान किया और वो नंगी ही नाश्ता लाने चली गई.
उसने कहा- आज करीब 3 बजे मेरा पति आ जाएगा, तुम 12 बजे चले जाना.
मैंने कहा- ठीक है..
नाश्ता में ब्रेड और बटर था. अब वो मेरी गोद में आकर बैठ गई. मैंने चाकू में मक्खन लिया और उसके मम्मों पर लगाने लगा, उसके निप्पल पर लगाया. अब वो घूम गई और मेरी गोद में मेरे सामने मुँह करके बैठ गई. मैंने उसके निप्पल से और मम्मों से मक्खन चूसना शुरू किया. वो पूरी मदहोश हो रही थी.
फ़िर उसने भी मेरी छाती पर मक्खन लगाया, मेरे निप्पल पे मक्खन लगाया और निप्पल चूसने लगी.
इसके बाद उसने मेरे लंड पे मक्खन लगाकर पूरा लंड अपने मुँह में डाल दिया और चूसने लगी.
मैं उसकी चुत को चाटने लगा. अब उसकी चुत पूरी मुलायम हो गई थी. उसने बैठे बैठे ही मेरा लंड अपनी चुत में डाल दिया. मक्खन लगा होने से उसकी चुत चिकनी हो गई थी. मेरा लंड झट से अन्दर घुस गया. वो धक्के देने लगी.. मैं उसके होंठों को चूसने लगा. फिर उसने मेरे लंड को बाहर निकाला और लंड का सुपारा मुँह में डाल लिया.
मैंने प्लेट से केला लिया और उसकी चुत पर रगड़ने लगा. फ़िर केले को उसके मुँह पर रखा तो वो केले को लंड जैसे चूसने लगी.. उसको मजा आ रहा था तो वो ऊपर से नीचे की तरफ़ पूरे केले को चूसने लगी.
केला काफी बड़ा था करीब 9 इंच का होगा. मैंने केले को कंडोम पहनाया और उसकी चुत में डाल दिया.
उसके मुँह से आवाज निकल गई- उईईईईईएमा…
उसकी आँखें फटने को हो गईं.
मैं केले को चुत में अन्दर बाहर करने लगा. उसने कहा- इसमें मजा नहीं आ रहा है.. मुझे तो तुम्हारा केला पसंद है.
मैंने अपना पूरा लंड उसकी चुत में डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगा. करीब एक घंटे बाद वो झड़ गई.
फ़िर मैंने लंड निकाल कर उसके मुँह में डाल दिया.. वो मेरे लंड को चूसने लगी. मैंने पूरा लंड मुँह में डाल दिया और अन्दर बाहर करने लगा.
थोड़ी देर बाद मेरे सफ़ेद दही निकल गया वो सारा दही पी गई.
कुछ देर बाद हम दोनों ने कपड़े पहन लिए. उसने मुझसे कहा- तुमने मुझे जन्नत के मजे करा दिए.. मुझे ऐसा मज़ा पहले कभी नहीं आया. अब हम कभी एक दूसरे को कांटेक्ट करने की भी कोशिश नहीं करेंगे. हम दोनों एक दूसरे को भूल जाएंगे.
मैंने कहा- ठीक है, मैं तुम्हें कभी कांटेक्ट नहीं करूँगा.
वो जोर से मेरे गले लग गई और हम दोनों ने लिप किस किया. एक दूसरे के होंठों को मुँह में भर लिया और जीभ को चाटने लगे.
फ़िर मैं वहाँ से चला आया. इसके बाद मैंने कभी उससे कांटेक्ट करने की कोशिश नहीं की. मैंने उसका मोबाइल नम्बर भी मेरे मोबाइल से डिलीट कर दिया.
प्रिय साथियो, आपको मेरी चुदाई की कहानी कैसी लगी
मैं अपनी एक Sex Stories वास्तविक कहानी लिख रहा हूँ, अगर आपको पसन्द आए तो मुझे उत्तर लिखें।
बात उस समय की है जब मैं कॉलेज में पढ़ता था…
मेरी अन्तिम परीक्षाएँ समाप्त हो चुकी थीं और मैं उदयपुर से अपने पैतृक नगर सूरत ट्रेन से जाने वाला था। शाम के चार बजे थे, मैं सही समय पर स्टेशन पहुँच गया था, मेरी सीट किनारे और नीचे वाली थी। मैं ट्रेन में बैठा हुआ सोच रहा था कि आगे क्या करना है। वैसे ट्रेन में कोई अधिक भीड़ नहीं थी। जैसे ही ट्रेन चलने लगी, मैंने देखा कि एक औरत जो लगभग तीस-बत्तीस साल की थी, आई। उसने मुझसे पूछा- आपकी सीट कौन सी है?
मैंने उसे बताया – “सीट नम्बर ग्यारह”
उसने अपनी टिकट देखी उसकी सीट की संख्या बारह थी, यानि ऊपर वाली सीट। उसके साथ उसका तीन साल का लड़का भी था। वह खिड़की पर आकर बैठ गया।
उस महिला ने मुझसे पूछा,”क्या सामान रखने में आप मेरी थोड़ी सी सहायता कर सकते हैं?”
मैंने उसकी सहायता की और सारा सामान सही-सही सीट के नीचे रख दिया। वह ऊपर जाकर बैठ गई। उसका लड़का नीचे ही बैठा था और मेरे साथ खेल रहा था।
ट्रेन चलती गई, एक घंटे के बाद पहला स्टेशन आया, तो वह नीचे उतर आई और चाय वाले को आवाज़ देकर चाय लेकर पीने लगी। मैंने भी चाय ली। जब वह पैसे देने लगी, तो मैंने कहा कि मैं दे देता हूँ, और मैंने दोनों की चाय के पैसे दे दिए। थोड़ी देर बाद हम बातें करने लगे। वह नीचे की सीट पर ही बैठी थी।
“मेरा बच्चा परेशान तो नहीं कर रहा है?”
“नहीं… बिल्कुल नहीं” मैंने उत्तर दिया।
“आप कहाँ जा रही हैं?” चाय पीते-पीते ही मैंने उससे पूछा।
“मुम्बई !” उसने बताया।
“आपके पति नहीं जा रहे हैं?”
उसने बताया कि उसका तलाक़ हो चुका है और वह अपने भाई के घर जा रही है। कुछ देर की चुप्पी के बाद हमारी बातें दुबारा शुरु हो गईं।
उसने मुझसे पूछा,”आप क्या करते हैं?”
“मैंने अभी-अभी कॉलेज की पढ़ाई खत्म की है और मैं घर जा रहा हूँ।”
थोड़ी देर बाद मैंने अपने बैग में से मिक्सचर नमकीन निकाले और उसे ऑफर किया तो वो भी मेरे साथ खाने लगी। अब मैं उसके बिल्कुल पास बैठा था और मैंने मिक्सचर वाला हाथ उसकी गोद में रख दिया तो मेरा हाथ उसकी जाँघ को छूने लगा। ट्रेन के हिलने से मेरा हाथ उसकी जाँघ से रगड़ रहा था, शायद उसे भी अच्छा लग रहा था।
फिर हम दोनों के बीच काफी बातें हुईं। उसने मुझसे पूछा- क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेण्ड है?
तो मैंने कहा- नहीं !
उसने कहा- ऐसा हो ही नहीं सकता।
तो मैंने कहा- कोई पसन्द ही नहीं आई।
थोड़ी देर बाद शाम के सात बज गए और बाहर अन्धेरा हो गया। ट्रेन क़रीब-क़रीब खाली थी। हम लोगों को कोई भी देखता तो यही समझता था कि पति-पत्नी होंगे क्योंकि हम काफी आराम से बातें कर रहे थे।
कुछ देर के बाद मैं पैर फैलाने को हुआ तो वह सरक गई। मैंने भी उससे कहा- आप थक गईं होंगी, आप भी पैर फैला लीजिए।
वह भी अधलेटी सी हो गई। अब उसके पाँव मेरी ओर और मेरे पाँव उसकी ओर थे। उस समय थोड़ी-थोड़ी ठंड लग रही थी, तो मैंने शॉल ओढ़ ली। मेरा एक पाँव उसकी गाँड से और उसका एक पाँव मेरी गाँड से छू रहा था।
थोड़ी देर में मुझे अच्छा लगने लगा और वह भी उत्तेजित हो गई। मेरा लंड खड़ा हो गया। फिर मैंने थोड़ी और आज़ादी से अपने पैरों को उससे छुआया तो वह कुछ भी नहीं बोली। मैं भी समझ चुका था कि वह तैयार है। अब वह भी मुझे ठीक से छूने लगी थी। मैंने खुज़ली करने के बहाने उसके पैरों को छुआ तो उसने कहा- ठीक से पैर फैला लो।
मैंने कहा- ठीक है, फिर मैं थोड़ा और लेट गया। थोड़ी देर बाद हमने खाना खा लिया।
ट्रेन में सभी शायद यही समझ रहे होंगे कि हम पति-पत्नी हैं। कुछ देर के बाद उसका बच्चा सो गया। वह नीचे ही सो रहा था। हमने ऊपर में किनारे बैग रखकर उसे ऊपर की बर्थ पर सुला दिया। अब ट्रेन में बत्ती धीरे-धीरे बुझ चुकी थी। सिर्फ दो-तीन केबिन में ही नाईट-बल्बें जल रही थीं। इत्तेफाक़ से हमारी जगह पर बत्ती लगी ही नहीं थी।
हम फिर शॉल ओढ़ कर फिर से वैसे ही अधलेटे रहे। उसने फिर से गर्लफ्रेण्ड की बात छेड़ दी, तो मैंने कहा,”गर्लफ्रेण्ड तो नहीं है, पर…”
“पर क्या…?”
“कुछ नहीं…?”
उसके बार-बार पूछने पर मैंने कहा,”आप बुरा मान जाएँगी”
“नहीं मानूँगी।”
“…हाँ, पर मैंने मस्ती बहुत की है…”
“और वो…?”
अब वह भी उत्तेजित लग रही थी और पूरी लेट गई थी और मैं भी…, अब मेरे लंड उसकी गाँड के पास छू रहा था। मेरा ८ इंच का लण्ड खड़ा हो गया। मैंने लंड को सम्भालने के लिए हाथ बढ़ाया तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। अब मैं समझ गया कि वह पूरी तरह से तैयार है।
अब मैं उसका पेट नीचे से सहला रहा था फिर उसके पेटीकोट में नीचे से हाथ डालकर उसकी जाँघों तक भी सहलाना शुरु किया। वह पूरी तरह से गरम हो चुकी थी। मैंने उससे कहा कि मेरे किनारे में आ जाए तो वो आ गई। अब हम एक ही किनारे में लेटे हुए थे। हमने कम्बल ओढ़ ली थी, क्योंकि एक तो ठंड वैसे भी थी और ऊपर से एसी कोच होने के कारण ठंड का असर अधिक ही था। मैंने सामने का परदा डाल दिया और पाया कि ठंड की वजह से सारे लोग सो रहे थे। परदा डाल कर मैं वापस आया।
मैंने उसे चूमा और उसकी चूचियों को ब्लाऊज़ के ऊपर से ही दबाने लगा। उसने मेरा लंड पकड़ लिया था। मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था और वह पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को दबा रही थी। धीरे-धीरे मैं आगे बढ़ा और उसके ब्लाऊज़ में हाथ डालकर उसकी चूचियों को दबाने लगा।
मैंने उसकी ब्लाऊज़ के हुक खोल दिए, उसकी मलाई जैसी चूचियाँ मुझे दिख रही थीं। मैंने उसकी चूचियाँ अपने मुँह में ले लीं और कभी बाईं तो कभी दाईं चूची को चूसने लगा। मैं अब उसे चोदना ही चाहता था, मैंने उससे कहा- तुम टॉयलेट में आ जाओ। मैं पहले जाता हूँ, तुम दो मिनट के बाद आ जाना।
मैंने टॉयलेट में जाते समय अटेण्डर को दो सौ रुपये दिए और कहा कि बच्चे का ख्याल रखना, तो वह समझ गया।
मैं टॉयलेट में जाकर प्रतीक्षा करने लगा। दो मिनट को बाद वह उसने धीरे से दरवाज़ा खोला, मैंने उसे झट से अन्दर खींच लिया और दरवाज़ा लॉक कर लिया। मैंने उसकी ब्लाऊज़ खोल दी और साड़ी भी अलग कर उसकी चूचियों को चूसने लगा। वह फिर से उत्तेजित हो रही थी। मैंने उसकी पेटीकोट खोल कर उसे पूरी नंगी ही कर दिया। मैंने देखा, उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। उसकी क्लीन-शेव चूत को देखकर मैं उसकी चूत रगड़ने लगा।
अब उसने मेरी पैन्ट की ज़िप खोली और मेरे लंड को हिलाने लगी। थोड़ी देर बाद वह झुकी और लंड को गप्प से अपने मुँह में डाल लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। मैं तो सातवें आसमान पर था। मैंने मेरी पैन्ट और टी-शर्ट पूरी उतार दी। मैं उसकी चूत पर हाथ रख रगड़ रहा था, जिससे उसकी चूत ने रस छोड़ना शुरु कर दिया। मैं नीचे झुका और उसकी चूत चाटने लगा। वह और भी उत्तेजना से भर गई। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं। मैं भी मज़े ले-लेकर उसकी चूत को चाट रहा था और दाहिने हाथ से उसकी चूचियों को बारी-बारी से दबा भी रहा था।
इतना सब होने के बाद अब उससे रहा नहीं जा रहा था… उसने मुझसे कहा- अब मत तड़पाओ…
उसके ऐसा कहने पर मैंने उसका एक पाँव टॉयलेट के कमोड पर रखा तो उसकी चूत फैल गई, और मैंने अपना लंड एक ही बार में पूरा-का-पूरा उसकी चूत में डाल दिया। वह चिल्ला पड़ी, मैंने तुरन्त उसे फ्रेंच किस दिया और धीरे-धीरे अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।
वह सिसकियाँ ले रही थी। अब वह छूटने वाली थी और उत्तेजना के मारे बड़बड़ा रही थी- और ज़ोर से, और ज़ोर से…
मैं अब लम्बे-लम्बे झटके देने लगा और दो मिनट के बाद हम दोनों एक ही साथ झड़ गए।
हम बाहर आए और अपनी सीट पर बैठ गए और एक-दूसरे को चूमने लगे। वह धीरे-धीरे मेरे लंड को सहला रही थी और मैं उसकी चूचियाँ भी दबा रहा था। थोड़ी ही देर में मेरा लंड फिर से कड़क हो गया तो मैंने चुदाई का कार्यक्रम बर्थ पर भी शुरु कर दिया। हमारा यही कार्यक्रम पूरी रात चला। मैंने उसे रात भर में तीन बार और चोदा।
सुबह हमने एक-दूसरे को चूमा और अलविदा कह चल पड़े।
तो यह था मेरा रेलगाड़ी का अनुभव
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