Our site can help you find a professional massage girl in Gondia who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Gondia that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Gondia massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Gondia who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Gondia massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Gondia massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Gondia who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Gondia employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Gondia helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Gondia
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Gondia at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
बात उन दिनों की है Sex Stories जब मैं बैंगलोर में एक अर्धशासकीय कम्पनी में काम करता था। मेरे पास कॉलेज के बहुत सारे छात्र प्रोजेक्ट करने के लिये आते थे और मैं बहुत सिंसियरली उनको प्रोजेक्ट कराता था। मैं सॉफ़्टवेयर डेवलपमेंट ग्रुप में था इसलिये मेरे पास ज्यादातर कम्प्यूटर ब्रान्च के छात्र आते थे, जिसमें ज्यादातर लड़कियाँ होती थीं।
यहाँ मैं आपको बता दूँ कि बैंगलोर की लड़कियाँ बहुत ही आज़ाद ख्यालों वाली होती हैं। उनके कपड़े काफ़ी भड़कीले होते हैं … टाइट जींस … जिसमें उनका सुडौल पिछवाड़ा बहुत ही आकर्षक दिखाई देता है। लो कट टी-शर्ट जिसमें से उनके वक्ष का आधा भाग और उनके बीच का दरार काफ़ी उत्तेजक लगता है। ऊपर से वो कुछ ऐसा पर्फ़्यूम छिड़क के आती थीं जो मदमस्त कर देने वाला होता था।
मैं एक अच्छा ओरेटर हूँ इसलिये मेरे बात करने का अन्दाज़ लड़कियों को बहुत भाता है इसलिये लगभग सारी लड़कियाँ किसी ना किसी तरह से मुझे लाइन मारने की कोशिश करती रहती थीं। मैं उनका लाइन मारना, उनके साथ पिक्चर जाना, अम्यूज़मेंट पार्क्स में घूमना, वाटर पार्क्स में उनके भीगे बदन के साथ घूमना, उन्हें देखना इत्यादि तो इन्जॉय करता था पर उससे आगे बढ़ने की ना तो मेरी हिम्मत थी ना ही इच्छा।
मगर किस्मत को तो कुछ और ही मंज़ूर था।
मैं अपने सहयोगियों के साथ कैन्टीन में लन्च कर रहा था, कि अचानक ज़मील ने कहा “अबे देख … कितने बड़े-बड़े हैं इसके …”
मैंने सर उठाकर देखा … एक बीस-इक्कीस साल की लड़की अपनी दो सहेलियों के साथ लंच लेने आई थी, और जिसके बारे में ज़मील ने कमेंट किया था उसके स्तन वाकई बहुत बड़े थे … आम लड़कियों से काफ़ी बड़े … उसकी दोनों सहिलियाँ भी ठीक ठाक थीं।
मैंने कहा,”देखते हैं किसकी झोली में गिरती हैं … !”
ज़मील ने कहा,”तू ही तो है प्रोजेक्ट गाइड सभी लड़कियों का … तेरे पास ही आयेंगी … और कहाँ जायेंगी..”
मैंने कहा,”काश …!”
दोपहर में जब मैं लंच के बाद आकर अपने केबिन में बैठा तो मेरे एक सीनियर का फ़ोन आया, वो रिक्वेस्ट कर रहे थे कि मैं उनकी रिश्तेदार और उसकी सहेलियों का प्रोजेक्ट गाइड बन जाऊँ। मैंने हाँ कर दिया था..परंतु तब तक भी मैंने यह नहीं सोचा था कि ये वही लड़कियाँ होंगी जिन्हें हमने कैन्टीन में देखा था।
बहरहाल वो तीनों मेरे पास आईं, हैण्ड-शेक किया, अपने लो कट टी-शर्ट्स में से अपना यौवन दिखा-दिखा कर अपना इन्ट्रोडक्शन दिया, कुछ प्रोजेक्ट की बातें की, कुछ मुझे पटाने के लिये अदायें फेकीं (ताकि उनका प्रोजेक्ट ज़ल्दी और आसानी से हो जाये) और “थैन्क् यू सर” बोल के … अपने सुगठित, उन्नत … गोल-गोल … लुभावने … पिछवाड़े मटकाते हुये चली गईं।
पहली बार … जी हाँ पहली बार मुझे किसी लड़की ने इतना हिला कर रख दिया था। वैसे तो मैं शाम को ऑफ़िस से आकर सारी बातें भूल जाता हूँ पर उस दिन ऐसा नहीं हुआ … उसके उन्नत उरोज … उनके बीच की मादक दरार … उसके भरे-भरे नितंब … उसके रसीले और तराशे हुये होंठ … उसकी कमनीय आँखे (जो तकरीबन सभी साउथ इंडियन लड़कियों की होती हैं) … मेरे जेहन में घूम रहे थे।
दूसरे दिन मेरा मन काम में नहीं लग रहा था ..
मैं रह-रह के अपनी घड़ी की तरफ़ देख रहा था। आखिरकार वो आईं और इस बार ज़्यादा सज सँवरकर आईं, और कमनीय बन के आईं, और हाई-हील के सैंडिल पहन के आईं ताकि उनके नितंब और उभरे हुए दिखें … शायद उन्हें यह एहसास हो गया था कि मैं उनके पुष्ट नितंबों को निहारता था.. क्योंकि उनका प्रोजेक्ट गाइड यानि मैं, एक जवान और अविवाहित लड़का था।
तीनों एक से बढ़कर एक लग रही थीं पर मेरी नज़र तो उस बड़े उरोजों वाली … ‘शशि’ पर थी, जो उन तीनों में सबसे खूबसूरत भी थी। बहरहाल मैं यह दिखा था कि मैं बहुत नॉर्मल हूँ और तीनों को बराबर ट्रीट कर रहा हूँ। मैं उनको कम्प्यूटर पर कोड लिखने को कहता और पीछे बैठकर उनके सुडौल अंगों को देखता। उफ़ क्या ग़ज़ब का सम्मोहन था … जो मुझे उन अंगो को छूकर देखने को उत्तेजित करता था।
जब वो मेरे बगल में बैठती थीं और मैं की-बोर्ड में टाइप करता था तो कोहनी से जानबूझकर उनके उभारों को छूकर ’सॉरी’ बोल देता था … वो भी ’इट्स ओके’ कह देती थीं और उन्हें लगता था कि सर कितने शरीफ़ हैं। और आपको बता दूँ कि अच्छी और कुँवारी लड़कियाँ शरीफ़ और लल्लू से दिखने वाले लड़के पसंद करती हैं जिन्हें वो आसानी से अपने काबू में कर सकें।
पर उनको पता नहीं था कि उनसे पहले मैं जाने कितनों का प्रोजेक्ट गाइड था। पर समस्या यह थी कि तीनों अच्छी दोस्त थीं और उनमें से किसी एक को अलग करके कुछ करना मुश्किल काम था।
उस रात मैंने काफ़ी सोचा … आखिर एक आइडिया मेरे खुरापाती दिमाग में आ ही गया। अगले दिन मैंने यह दिखाना शुरू किया कि मुझे स्मिता और नेहा में ज़्यादा रुचि है … उनसे हँस-हँस के बातें करता … कभी कंधे पे हाथ रख देता … कुछ पूछती तो काफ़ी देर तक समझाता … उनके बहुत करीब रहता और ऐसी हरकतें करता कि शशि को जलन हो गई।
दो दिन ये रूटीन दोहराता रहा … और शशि का रुपगौरव और आत्मसम्मान कुचला जाता रहा। आखिर मेरी स्कीम ने काम किया … उस शाम सेशन खत्म होने से पहले शशि ने मुझसे पूछा,”सर ! आप मुझे मेरे कज़िन के घर छोड़ देंगे क्या?”
मैंने कहा,”व्हाइ नॉट !”
मैंने उसको अपनी पल्सर में लिफ़्ट दिया। रास्ते भर वो अपने बड़े-बड़े उरोज़ मेरे पीठ से छुलाती रही। मेरे अंगों में सिहरन सी दौड़ जाती और मेरे शिश्न में इतनी ज़्यादा कठोरता आ जाती जिसको पैंट में सम्हालना मुश्किल हो जाता।
अब रोज़ का यही क्रम बन गया था … धीरे धीरे उसकी हरकतें बढ़ने लगीं … पहले बाइक में मेरे कमर को पकड़कर बैठती थी, फ़िर जांघों को … एक दिन स्पीड ब्रेकर में उसका हाथ जांघ से फ़िसलकर मेरे पूरी तरह खड़े लंड पे पहुंच गया जिसको उसने, धोखे से या जानबूझकर पता नहीं, पर जोर से पकड़ लिया। बाद में उसने सॉरी बोला और मैंने कहा- कोई बात नहीं !
बात आई गई हो गई।
एक दिन उसकी कज़िन घर पे नहीं थी … मोबाइल पे लगाया तो उसने कहा कि आधे घंटे में आयेगी …
फ़ोन बन्द करके शशि बुदबुदाई,”अब मैं कहाँ जाऊँ आधे घंटे के लिये ?”
मैंने कहा,”मेरे घर !”
वो बोली,”ठीक है … मैं आपको चाय बनाके पिलाऊँगी !”
हम दोनों घर पहुंचे, चाय पी। फ़िर उसने कहा मैं थक गई हूँ, थोड़ी देर लेट जाऊँ?
मैंने कहा,”नो प्रॉब्लम !”
उसने बिस्तर पर लेट कर आँखे बंद कर ली और वहीं बगल में बैठकर ऊपर से नीचे तक उसके सारे जिस्म को अपनी आँखों से तोलने लगा। फ़िर मेरी आँखे उसके उरोजों पर अटक गई …
उसने करवट लिया और एक हाथ मेरे जांघ पर रख दिया। फ़िर कुनमुनाते हुये (जैसे नींद में होते हैं) उसने हाथ मेरे तने हुये लंड पे रख दिया। अब मैं बेकाबू होता जा रहा था।
अचानक उसने मेरे लंड को भींच लिया और कहा,”सर कितना बड़ा है आपका ये …”
मैं भौंचक्का रह गया।
उसने कहा,”ऐसे क्यों देख रहे हैं … क्या आपको मेरा इस तरह पकड़ना पसन्द नहीं?”
मैंने थूक गटका,” …ऐसी कोई बात नहीं !”
तो कैसी बात है सर … आप क्यों मुझे इग्नोर करते रहते हैं … स्मिता और नेहा मुझसे ज़्यादा अच्छी हैं क्या?”
मेरा तीर निशाने पर लग चुका था। ये सब कहते हुये उसने मेरा लंड छोड़ा नहीं था … बल्कि और भी जोर से पकड़ लिया था … मेरा लंड लोहे के रॉड की तरह सख्त हो चुका था। अंदर से मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था पर बाहर से मुस्कुराते हुये बोला,”यह बात नहीं है शशि … मुझे तुम बहुत अच्छी लगती हो !”
उसने पूछा- आपको मुझमें क्या अच्छा लगता है?
मैंने कहा- तुम्हारे होंठ, तुम्हारे गाल … !
उसने कहा- और..?
वह कुछ और ही सुनना चाहती थी …
मैंने जारी रखा- तुम्हारे बड़े-बड़े बूब्स … तुम्हारे बट्स … मैं इन्हें महसूस करना चाहता हूँ … इनमें डूब जाना चाहता हूँ..!
उसने हस्की आवाज़ में कहा- आपको रोका किसने है सर … मैं तो कितने दिनों से यही चाह रही थी …
उसका इतना कहना था कि मैंने अपने होंठ उसके नर्म मुलायम होंठों पर रख दिये और दोनों हाथों से उसके स्तनों को टी-शर्ट के ऊपर से ही मसलने लगा …
इतने भरे-भरे कठोर और बड़े स्तन थे उसके कि लगता था अभी टी-शर्ट फाड़ के निकल पड़ेंगे। वह भी मेरे लंड को सहलाते हुये मेरा ज़िप खोलने की कोशिश कर रही थी। मेरा लंड इतना तन चुका था कि उसको बड़ी मुश्किल से बाहर निकाला और उसको देखते ही उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं, किस करना भूल गई थी वो। ८-८.५ इंच का लंड .. उसपे ३ इंच का घेरा …
बाप रे ! उसने कहा।
घुटने के बल आकर उसने मेरा सुपाड़े को लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू कर दिया और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी।
मैं सिसकारियाँ लेने लगा और खड़े-खड़े अपने हाथ नीचे करके जोर-जोर से उसके स्तन मसलने लगा … थोड़ी देर बाद मेरे लंड के टिप पे लसलसा सा प्रि-कम आ गया था जो उसने मजे से चाट लिया था।
अचानक वो खड़ी हुई … उसने मेरा एक हाथ अपने वक्ष से हटाया और अपने दोनों टाँगों के बीच वहाँ रख दिया जहाँ दहकता लावा था …
पहले तो मैं बाहर से ही सहलाता रहा … नापता रहा दोनों पंखुड़ियाँ … उनके बीच की दरार … जहाँ हल्की-हल्की रिसावट हो रही थी … मैंने और आगे उंगली घुसेड़ने की कोशिश की मगर फिर याद आया कि मैंने उसकी जींस तो उतारी ही नहीं थी। अब मैंने देर नहीं लगाई … फ़टाफ़ट उसकी जींस का बटन खोला … .फ़िर ज़िप … .फ़िर मैंने उसे अपने पैर से धीरे से नीचे सरका दिया …।
मैंने उसकी अंडरवियर के अंदर हाथ डाल के उसके झांटों को टटोलते हुये दरार पे उंगली फ़िराई …उसने सिसकारियाँ भरना शुरु कर दिया और अपने गुदाज नितंबों को आगे-पीछे करने लगी … मैंने अपनी एक उंगली धीरे से अंदर प्रविष्ट कर दी … वो चिहुँक उठी … .और अपना वस्ति-दोलन और तेज़ कर दिया …
उसने अपनी आँखें बन्द कर रखी थीं … ..मैंने उंगली को आगे पीछे करना शुरु कर दिया … उसने मेरे लंड को एक हाथ में लेकर उसके चमड़े को आगे-पीछे करने लगी … मेरा सुपाड़ा और मोटा होता जा रहा था … उसकी अंडरवियर गीली होती जा रही थी … वो और बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी … उसके मुँह से गूँ-गूँ की आवाज़ निकल रही थी।
अचानक मैंने उसकी अंडरवियर धीरे से नीचे सरका दी … और उसके दोनों टांगो के बीच फ़ँसी उस दरार को निहारने लगा जिसके पीछे ऋषि-मुनियों की तपस्या भंग हो गई थी फिर मैं तो क्षणभंगुर मानव था।
शायद उसको अपनी नग्नता का अहसास हुआ या जाने कैसे वो पीछे घूम गई … अब मेरा लंड उसके उन्न्त नितम्बों के बीच की खाई में झटके मार रहा था … ..मैंने उसके दोनों बूब्स पकड़े और पीछे सट गया … वो अपने चूतड़ मेरे मुन्ने पे रगड़ने लगी। आह … स्वर्गीय आनंद था … कामुकता … लस्ट … अपनी चरम सीमा पर थी। मैंने उसके गर्दन पे एक चुम्बन दिया … उसने कराहती सी वासना में लिप्त आवाज़ में कहा,”उँह …”
मैंने अपना एक हाथ उसके उरोज से हटाया और योनिद्वार पे फेरने लगा … एक छोटी सी … मटर के दाने जितनी घुंडी का अहसास हुआ … जाने क्यों मैं उस घुंडी को रगड़ने लगा और वो बेसाख़्ता सिसकारियाँ भरने लगी …
और मेरे लंड को अपने गोल-गोल नितम्बों को बीच फ़ँसाकर ऊपर-नीचे रगड़ने लगी … लग रहा था किसी लावा में रगड़ा जा रहा है … मैं अपने आपको संयत कर पाता कि अचानक वो अपने दोनों हाथ पलंग पे रखकर झुक गई और जन्नत का दरवाजा मेरे सामने था।
साँसें घुटती हुई सी लग रही थीं … धड़कनें थमी सी महसूस हो रही थीं … सीटी बजाने के आकार में सुकड़ा हुआ भूरा सा गुदाद्वार किसी खिले हुए जासबन फूल सा लग रहा था … उसके कुछ आधे इंच नीचे भूरे-भूरे रेशमी झाँटों के झुरमुट में जो दिखाई दे रहा था … वो ऐसा लग रहा था जैसे शशि के सेक्सी होंठों को किसी ने वर्टिकल कर दिया हो … थोड़ा गुलाबी … थोड़ा बादामी … ऐसा कुछ रंग था उन होंठों के बीच …
मेरे हाथ-पाँव भारी से होते जा रहे थे … मैं अपने घुटनों पर आ गया और जाने किस अनजान शक्ति ने मेरा मुँह उस खुशबूदार … तीन इंची दरार में टिका दिया … मेरी जीभ बाहर निकल आई और मैं कुत्ते की तरह उसकी कुँवारी बुर को चाटने लगा … कुछ नमकीन-कसैला सा स्वाद था …
अब वो कन्नड़ में कुछ अंड-बंड बकने लगी और अपने चूतड़ को आगे-पीछे करने लगी … मैंने अपने जीभ के आगे का हिस्सा नुकीला करके उस मुलायम से योनिद्वार में घुसा दिया … उसकी सिसकारियाँ रुकने का नाम नहीं ले रही थीं …
मैंने जीभ को मटर के दाने जितनी घुंडी पर गोल-गोल घुमाना शुरु कर दिया … उसके दरारों से और ज़्यादा नमकीन पानी रिसने लगा … लंड का तनाव काबू से बाहर होता जा रहा था …जो आम तौर पर ८-८.५ इंच का दिखता था … आज ९ इंच का दिख रहा था … सुपाड़ा अंगारा हो गया था … उतना ही गरम … उतना ही लाल … !
अपना दहकता अंगार मैंने शशि के सुलगते लावा में रख दिया … जिसे मैंने चाट-चाट के लाल कर दिया था … उफ़ क्या गरमी थी … क्या नरमी थी … । अपने गरम सुपाड़े को उसकी चूत के दोनों पँखुड़ियों के बीच रगड़ने लगा … … जहाँ लसलसे पदार्थ का झरना सा बह रहा था …
शशि अपना नियंत्रण खोती जा रही थी … उसके तन-मन में मादकता छा गई थी … उसने अपनी कमर को उछालना शुरू कर दिया …
मैंने धीरे से सुपाड़ा अंदर घुसेड़ने की कोशिश की …
कोशिश इसलिये कह रहा हूँ कि सुपाड़ा बार-बार फ़िसल जाता था … अंदर जा ही नहीं रहा था। इतनी चिकनाई होने के बावजूद उस नई चूत के छेद के लिये तीन इंच घेरे वाला लंड काफ़ी बड़ा साबित हो रहा था … ।
मैंने एक हाथ से उसके नितंब को थामा … दूसरे हाथ से अपने लंड को पकड़ा … उसे जन्नत के दरवाजे पर टिकाया और हाथ से पकड़े-पकड़े अपने चूतड़ों को एक जुम्बिश दी … सुपाड़ा अन्दर समा गया … अभी भी ८ इंच का फ़ड़कता हुआ रॉड बुर के बाहर था … बैंगलोर के उस सुहाने मौसम में भी मैं पसीने-पसीने हो रहा था …।
अब मैंने लंड को छोड़ा … अपने आपको सीधा किया … गहरी साँस ली … दोनों हाथों से उसके गोल-गोल सुडौल नितंबों को थामा …नज़रें जासबन फूल पे टिकाई और अपने चूतड़ों को जबरदस्त झटका दिया … अब तकरीबन ४-४.५ इंच अंदर था..। अंदर तो भट्टी दहक रही थी … सब कुछ गरम-गरम महसूस हो रहा था …
शशि कराह रही थी …
थोड़ी देर तक हम दोनो ऐसे ही निश्चल रहे …लंड आधा ही अंदर था … मेरा लंड अंदर के कसाव के बावजूद फड़क रहा था …शशि चुपचाप मेरे लंड का फड़कन महसूस कर रही थी। … मैं भी उसके योनि की मांसपेशियों का संकुचन और विस्तार (फैलना और सुकड़ना) को महसूस कर रहा था।
करीब एक मिनट तक ऐसे ही रहने के बाद उसने अपने आपको आगे पीछे हिलाना शुरू किया … अभी भी लंड का आधा हिस्सा बाहर ही था … मुझे याद नहीं आ रहा है जाने कब मैं कुत्ते वाली स्टाइल में उसके ऊपर झुक गया था … उसके दोनों स्तन मेरे हाथ में थे और मैं पीछे से उसका बुरमर्दन कर रहा था।
मैं रफ़्तार पकड़ चुका था … और शशि भी अपने कूल्हों को हिला-हिला कर पूरा साथ निभा रही थी। उसकी हस्की और सेक्सी आवाज़ मुझे और उत्तेजित कर रही थी …
वो बड़बड़ा रही थी,” पुश इट् हार्ड … पुश दैट मोर इनसाइड … ऊह … ओ गॉड … आह..ऊँहु … ” और जाने क्या-क्या … ।
अचानक उसका पूरा शरीर बुरी तरह काँपने लगा … ऐसा लग रहा था कि उसके हाथ पैर उसका बोझ नहीं सम्हाल पा रहे हैं … उसके नितंबों में अजीब सी थरथराहट हो रही थी … और मैं था कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था।
अचानक शशि भरभराकर कोहनियों के बल ज़मीन पर आ गई … उसका पेट और बूब्स ज़मीन पर टिके थे पर नितम्बों वाला हिस्सा ऊपर उठा हुआ था … मैंने अपना लंड एक इंच पीछे खींचा … उसकी कमर दोनों हाथों से पकड़ा और दोनों कूल्हों के बीच निहारा … उसके फ़ाँकों के बीच फ़ंसे अपने खुद के अंग को देखकर मैं इतना उत्तेजित हो गया कि पूरी ताकत के साथ लंड को वापिस पेल दिया …
शशि बोली,”ओ गॉड … यह तो यूटेरस (बच्चेदानी) में टकरा रहा है … “
इतना कहते ही उसके बुर से तेज धार सी निकली और मेरे झाँटों की भिगोती चली गई … मैं दुगनी रफ़्तार से भिड़ गया …
थोड़ी देर में मेरे लंड में अजीब सी ऐंठन हुई और पता नहीं कितना वीर्य उसके बच्चेदानी के छेद पे न्यौछावर हो गया …
बस इतना पता है कि उसने कहा..”ओह गॉड … .इतना सारा … “
मैं उसके खुशबूदार शरीर से चिपट गया … उसके स्तनों को मसलने लगा … मेरा लंड उसकी योनि में फैलने-सुकड़ने लगा … उसने पता नहीं क्या किया … ऐसा लगा जैसे मेरे लंड का पूरा रस अपने बुर को टाइट करके निचोड़ रही हो।
मैं उसकी सुराहीदार गर्दन को चूमता जा रहा था … हम दोनों तरबतर हो चुके थे … तन से भी … मन से भी …
आज बस इतना ही …
अगली बार मैं आपको बताऊँगा कि कैसे शशि ने रति-पश्चात-क्रीड़ा में चूस-चूसकर मेरे लंड को खड़ा किया … अपने मोबाइल में उसकी फोटो खींची … और कैसे दूसरे दिन लैब में स्मिता और नेहा को दिखाया …
फिर कैसे बारी-बारी दोनों ने मुझसे लिफ़्ट माँगा … और फिर … Sex Stories
मेरा आप सभी को Sex Stories लण्ड हाथ में लेकर प्यार भरा नमस्कार।
मैं अर्न्तवासना का नियमित पाठक हूँ तथा बहुत दिनों से आपसे अपने जीवन की सच्ची कहानी कहना चाह रहा था लेकिन इससे पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ। खासकर उन सभी लड़कियों को जो अपनी चूत का अच्छे से भोसड़ा बनवाना चाहती हैं क्योंकि मेरा निजी अनुभव है कि जो लड़कियाँ स्वभाव से शान्त होती है उनमें ही कामवासना ज्यादा होती है और चूत मरवाने की इच्छा प्रबल होती है।
हाँ तो मैं अपनी बात कर रहा था कि मैं 22 साल का एक सांवले रंग का लेकिन र्स्माट दिखने वाला लड़का हूँ। मैं मूल रूप से कानपुर का रहने वाला हूँ लेकिन फिलहाल नोएडा में अकेला रह रहा हूँ। लड़कियाँ कहती हैं कि मुझमें कुछ बात है जो उन्हें मेरी तरफ आकर्षित करती है। मेरे लण्ड की लम्बाई सात इंच तथा मोटाई तीन इंच है। मेरा शरीर गठीला है क्योंकि कॉलेज के शुरूआती दिनों से ही मुझे कसरत का शौक रहा है।
बात तब की है जब मैं पढ़ रहा था और मेरी बहन भी कॉलेज़ में थी। मेरी बहन मुझसे दो साल बड़ी है।
क्योंकि मैं स्वभाव से थोड़ा शर्मीला हूँ इसलिए उसकी कोई भी सहेली घर पर आती थी तो मैं किसी न किसी बहाने से बाहर चला जाता था। कई बार उसकी सहेलियों में से कई ने मुझसे बात करने की कोशिश भी की लेकिन मैं शर्म तथा बडी बहन की सहेली होने के कारण कुछ नहीं कह पाता था।
लेकिन कुछ दिनों बाद ही हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया। उनकी दो लड़कियाँ तथा एक लड़का था। चूंकि बड़ी लड़की मेरी दीदी की हम उम्र थी इसलिये उनकी अच्छी सहेली बन गई थी। बडी लड़की के साथ उसकी छोटी बहन भी घर पर आने लगी। उसका नाम सपना था और वो देखने में किसी सपने जैसी ही हसीन और सुन्दर थी।
वो और मैं दोनों ही उम्र के उस पड़ाव पर थे जब किसी के साथ की इच्छा होती है। लेकिन मैं जितना शर्मीला था वो उतनी ही बिन्दास स्वभाव की लड़की थी और मुझ पर अपना हक जमाने की कोशिश करती थी तथा किसी न किसी बहाने से मेरे आस-पास ही मंडराती रहती थी। उसकी इस तरह की हरकतें देखकर कर कई बार मेरी दीदी ने मना भी किया कि मेरे साथ इस तरह की हरकतें न किया करे लेकिन जानबूझ कर वह और भी ज्यादा हरकतें करने लगी और कभी भी मौका पाकर दीदी के सामने ही मजाक में मुझसे चिपट जाती हो और मेरे शरीर पर हाथ फेरने लगती।
मेरे मम्मी और पापा दोनी ही नौकरी करते हैं इसलिये मेरे घर पर दिन में चार घंटे कोई नहीं रहता था। मैं और मेरी दीदी एक ही स्कूल में पढ़ते थे लेकिन वो मोर्निंग शिफ्ट में स्कूल जाती थी और मैं बारह बजे दूसरी शिफ्ट में जाता था। जिस कारण सुबह नौ बजे से एक बजे तक कोई नहीं रहता था।
एक दिन की बात है मैं अपने घर में अकेला बिस्तर पर लेटा हुआ बोर हो रहा था कि तभी हमारे घर का दरवाजा खुला देखकर उनकी छोटी लड़की सपना घर पर आई और पूछने लगी- क्या कर रहे हो ?
मैंने कहा- कुछ नहीं ऐसे ही मन नहीं लग रहा है इसलिये बोर हो रहा हूँ।
उसने कहा- मेरा भी यही हाल है!
यह कहकर वो भी मेरे बगल में आकर लेट गई। इससे मुझे थोड़ा अजीब सा लगने लगा। लेकिन शायद वो अब तक मेरे शर्मीलेपन के बारे में समझ चुकी थी इसलिये अपनी ओर से पहल करना चाह रही थी।
यह बात उसने मुझे बाद में बताई कि जब से वो यहाँ रहने आई है तब से ही वो मुझसे चुदना चाह रही थी। लेकिन मैं शर्मीला होने के कारण उसकी बातों को उसकी नासमझी समझ कर ऐसे ही जाने दे रहा था।
धीरे-धीरे उसका जिस्म मुझसे छूने लगा जिससे मेरे जिस्म में सरसराहट होने लगी लेकिन शायद मैंने सोचा कि शायद पास लेटने की वजह से अनजाने में ऐसा हो गया है, यह सोचकर मैं थोड़ा पीछे खिसक गया। इसके बाद वो मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगी।
मैंने नासमझ की तरह उससे पूछा- यह क्या कर रही हो?
तो वह कहने लगी- अरे मुझे पता ही नहीं चला यह तुम्हारी जांघें हैं।
मैंने कहा- कोई बात नहीं!
और यह कहकर मैं भी उसके हाथों पर हाथ फिराने लगा।
उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने भी हाथ उसकी बगल तक ले जाकर फिराने शुरू कर दिये। लेकिन उसकी चूचियों को पकड़ने की इच्छा होने के बावजूद भी मैंने उसकी चूचियों को हाथ नहीं लगाया। लेकिन उसने थोड़ा सा तिरछा होकर अपने हाथ अपने सीने की तरफ कर लिये जिससे मेरे हाथ उसकी चूचियों को थोड़ा-थोड़ा सा छूने लगें। उसकी चूचियाँ अभी ही निकलनी शुरू हुई थी इसलिये एक दम कड़क थी और उसकी बटन वाली टीशर्ट उठी हुई होने के कारण दिखाई दे रही थी।
धीरे-धीरे मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और मैंने उसकी चूचियों पर थोड़ा सा दबाब बनाना शुरू कर दिया। वो शायद समझ गई कि मैं उसकी चूचियों को दबाना चाह रहा हूँ और वो तो कब से यही चाहती थी। लेकिन लड़की होने के कारण स्वयं नहीं कह पा रही थी।
लेकिन हाय री मेरी फूटी किस्मत! तभी उसकी मम्मी ने उसे आवाज लगाई और वह जल्दी से उठकर चली गई. लेकिन मैंने सोचा कि जब यहाँ तक बात पहुँच गई है तो कभी न कभी आगे भी बढ़ेगी।
लेकिन शायद मेरी किस्मत में महा-चुदक्कड़ बनना ही लिखा था इसलिये मेरी किस्मत ने मुझे जल्दी ही वह मौका दे दिया।
मेरे मम्मी और डैडी को ऑफिस के एक जरूरी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा और घर पर सिर्फ मेरी बहन और मैं ही रह गये। क्योंकि हम दोनों ही भाई-बहन कम उम्र के थे इसलिये मम्मी-डैडी कह गये कि अपनी किसी सहेली को रात को सोने के लिये बुला लें। इसलिये वो सपना की बड़ी बहन को सोने के लिये बुलाने के लिये गई लेकिन उसने अगले दिन अपनी परीक्षा होने के कारण “रात को पढ़ना है.” यह कहकर आने से मना कर दिया और सपना को दीदी के साथ भेज दिया।
जब सपना दीदी के साथ आई तो मैंने देखा कि वो मुझे अजीब सी नजरों से मुझे देख रही थी और उसकी आँखों में एक खास चमक थी जैसे कोई शेरनी बकरी के बच्चे को देख कर खुश हो जाती है। वैसे यह काफी हद तक सच भी था क्योंकि वो इस फील्ड की शेरनी ही थी और मैं एक बकरी के बच्चे की तरह सीधा-सादा सा लड़का था। लेकिन तब तक मैं इस बात को नहीं जानता था कि वो इन मामलों में इतनी एक्सपर्ट है कि किसी लड़के को कैसे पटाया जाए।
क्योंकि उस दिन घर पर मम्मी डैडी नहीं थे इसलिये मैं दिन भर बाहर खेलता रहा और थकान हो जाने के कारण खाना खाकर जल्दी सोना चाह रहा था। लेकिन जैसे सपना की आँखों में तो नींद ही नहीं थी। वो तो आज रात में मुझसे जरूर ही चुदना चाह रही थी। लेकिन मैं भोला-भाला बालक इस सब से अनजान सोने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे खिलाफ इतनी भयानक साजिश रची जा चुकी थी।
उधर थकान की वजह से मुझे नींद आ रही थी और सपना और दीदी बातें करने में लगी हुई थी जिस वजह से मुझे नींद नहीं आ रही थी। हम सभी तीनों लोग बैडरूम में एक साथ सो रहे थे। क्योंकि दीदी ने कहा कि घर में सिर्फ हम ही लोग हैं इसलिये एक साथ ही सो जाते हैं लेकिन साथ सोने का यह आइडिया भी सपना का ही था। सपना दीदी और मेरे बीच में लेट गई और दीदी के साथ बातें करती रही। लेकिन मुझे थकान की वजह से जल्दी ही गहरी नींद आ गई और मैं सो गया।
अचानक रात में मुझे अपने जिस्म पर किसी के हाथ का अहसास हुआ लेकिन शायद बिजली चली गई थी जिससे मुझे पता नहीं चल पा रहा था कि वो हाथ किसका है। तभी मेरे बगल वाला जिस्म मुझसे और सट गया मैं समझ गया कि यह सपना ही है जो मुझे गर्म करने की कोशिश कर रही है। धीरे-धीरे उसने अपना हाथ मेरे चेहरे के पास लाकर मेरे चेहरे को अपनी तरफ किया और मेरे गालों पर किस करने लगी।
कुछ देर बाद मुझे भी जोश आने लगा। लेकिन मैंने अभी जल्दीबाजी करना ठीक नहीं समझा। सच कहूँ तो मैं देखना चाहता था कि वह क्या करती है। मैंने अभी तक उसे यह अहसास नहीं होने दिया कि मैं नींद से जाग गया हूँ और बिजली जाने की वजह से यह काम और भी आसान हो गया था। वो भी नहीं चाहती थी कि मैं एक दम से जाग जाऊँ क्योंकि बगल में दीदी सो रही थी और हड़बड़ी में वो भी जाग सकती थी। इसलिये वह एक दम आराम से सबकुछ कर रही थी।
अचानक मुझे एक आइडिया आया और मैं करवट लेकर उसकी तरफ पलट गया और अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया। उसने सोचा शायद मैंने यह नींद में किया है इसलिये उसने मेरे हाथ को अपनी एक चूची पर कस कर दबा लिया। इससे ज्यादा मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने उसकी चूची कस कर पकड़ ली और धीर से कहा- यह तुम क्या कर रही हो सपना ?
मेरी इस बात से वो एकदम चौंक गई। उसे अदांजा नहीं था कि मैं जाग रहा हूँ और ये सब मेरी ही मर्जी से हो रहा था।
उसने कहा- जब तुम सब कुछ समझ ही गये हो तो अनजान क्यों बने हुए हो। यह कहकर वो मेरे ऊपर लेट गय और अपने गर्म और नर्म होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मैंने भी धीरे-धीरे उसके होंठ चूसने शुरू कर दियें। क्योंकि यह मेरा होंठ चुसाई का पहला मौका था इसलिये मुझे शुरूआत में उसके होंठ चूसने में थोड़ी सी परेशानी हुई लेकिन फिर मैंने सब कुछ सम्भाल लिया। फिर मैंने उससे कहा कि यहाँ खतरा है क्योंकि थोड़ी सी हरकत से दीदी की नींद खुल सकती है। इसलिये दूसरे कमरे में चलते है।
मैंने उसे अपने ऊपर से उठाया और बगल वाले दीदी के कमरे में ले गया। क्योंकि चांदनी रात थी इसलिये उस कमरे में थोड़ी-थोड़ी रोशनी फैली हुई थी। मैंने उसे बैड पर लिटाया और उसके होंठ चूसने लगा। होंठ चूसने के साथ-साथ मैं उसके नाईट सूट के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा। उसकी चूचियाँ नींबू के समान छोटी-छोटी थी लेकिन बहुत ही ज्यादा कड़क थी। फिर मैंने उसे उठाया और उसका नाईट सूट उतार दिया। अब वो सिर्फ पेन्टी में ही रह गई क्योंकि वो उसकी चूचियाँ निकलने का शुरूआती दौर था और उस समय वो ब्रा नहीं पहनती थी।
मैंने उसे लिटाया और उसकी टाईट और छोटी-छोटी चूचियों को मसलने लगा। वो एकदम कराह कर बोली- प्लीज विनय, धीरे-धीरे दबाओ! बहुत दर्द होता है! अभी बहुत टाईट हैं।
हालांकि उसकी तकलीफ मुझसे भी देखी नहीं जा रही थी लेकिन मैं क्या करूं, मुझे उसकी टाईट चूचियों को जोर से दबाने में ही मजा आ रहा था।
धीरे-धीरे वो पूरी तरह गर्म हो गई और मुझसे कहने लगी कि विनय अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो। तुमने तो मेरे पूरे शरीर के दर्शन कर लिये अब मैं भी तुम्हारा हथियार देखना चाहती हूँ। मैंने तुरन्त अपना नाईट सूट उतार दिया और उस चांदनी की हल्की रोशनी में वो मेरे हथियार को हाथ में लेकर घूरते हुये सहलाने लगी।
मैंने कहा- इसे मुँह में ले लो।
पहले तो उसने आना-कानी की लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वो तैयार हो गई। उसने मेरे लण्ड को चूस-चूस कर गीला कर दिया।
फिर मैंने उससे कहा- अब मेरी बारी है! तुम सीधी होकर लेट जाओ और अपनी टांगों को फैला लो।
और उसके बाद मैंने उसकी छोटी सी चूत के मुँह पर अपने होंठ टिका दिये। उसकी चूत बहुत छोटी सी सीप के आकार की बड़ी प्यारी लग रही थी। उसकी चूत चाटने में मुझे एक अलग ही मजा आया। धीरे-धीरे उसकी चूत पानी छोड़ने लगी।
अचानक उसने मेरे बालो को पकड़ा और जोर से अपने ऊपर खींचा और कहा- क्या ऐसे ही जान ले लोगे? चलो अब असली काम करो।
मैं समझ गया कि वो मुझे अपने आपको चोदने के लिये कह रही है। मैंने देखा कि मेरा लण्ड अब अपनी पूरी मस्ती में था और किसी भी लड़की को चोदने के लिये एकदम तैयार था। मैंने उसकी टांगों को फैला कर लण्ड के टोपे को उसकी भीगी हुई चूत पर टिकाया लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी लण्ड का टोपा भी उसके अन्दर नहीं घुसा पाया। कारण कि हम दोनों ही इस काम के लिये नये थे। उसे तो कुछ जानकारी भी थी, मैं तो बिल्कुल ही नया माल था इसलिये अपने लण्ड को उसकी चूत में घुसा नहीं पा रहा था।
दोस्तो आपको बता दूँ यदि आप नौसिखिये है और पहली बार किसी बिना सील टूटी लड़की के साथ चुदाई करने की सोच रहे हैं तो पूरी तैयारी के साथ जाये वरना आप भी मेरी तरह ही परेशान होगें। तभी मुझे अपने दोस्त की सुहागरात की बात याद आई जब उसे भी यही परेशानी हुई। लेकिन उसे उसकी भाभी ने बता दिया था कि यदि लण्ड चूत में न घुसे तो उसे या तो घोड़ी बना कर उसकी चूत में घुसाये या फिर एक टांग उठाकर लण्ड अन्दर घुसाने की कोशिश करें, तो ही काम बन सकता है।
मैंने भी वही फार्मूला अपनाने का फैसला किया। लेकिन सबसे पहले एक जरूरी काम करना बाकी था। मैं फ़ौरन उठकर ड्रेसिंग टेबल से उठाकर कोल्ड क्रीम की डिब्बी ले आया और उसके हाथ में देते हुए बोला- अगर चुदवाना है तो इससे मेरे लण्ड पर अच्छी तरह लगाना होगा।
उसने एक चौथाई क्रीम डिब्बे में से निकाली और मेरे लण्ड पर लगानी शुरू कर दी। उसके बाद मैंने भी काफी सारी क्रीम लेकर उसकी चूत पर अन्दर और बाहर की ओर लगाने लगा। लेकिन उसकी चूत टाईट होने के कारण उंगली ज्यादा अन्दर नहीं जा रही था फिर भी जहाँ तक हो सका, मैं क्रीम लगाता रहा।
उसके बाद मैंने उसकी एक टांग उठाकर अपने कन्धे पर रखी तो उसने पूछा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं! तेरी माँ चोदने की तैयारी कर रहा हूँ! आधी रात निकाल दी और कुछ भी नहीं हुआ।
मेरी इस तरह की बात सुनकर पहले तो वो चौंक गई लेकिन फिर समझ गई कि अब लण्ड के साथ-साथ मुझमें भी गर्मी आ गई है। मैंने उसकी टांग को अपने कन्धे पर टिकाया और उंगली से उसके चूत के छेद को टटोलकर उस पर अपने लण्ट का टोपा सेट कर दिया ताकि एक ही झटके में अन्दर घुस जाए।
जैसे ही मैंने लण्ड को झटका दिया। लण्ड पर बहुत सारी क्रीम लगी होने के कारण वो एक दम से दो-इंच उसकी चूत में घुस गया। उसके मुँह से एक दम एक जोर की चीख निकली- आई मम्मी! मर गईऽऽऽ!
मैंने एकदम घबराकर उसका मुँह अपने एक हाथ से बन्द किया और दूसरा धक्का नहीं लगाया। उसके इस तरह चीखने से मैं डर गया था कि कहीं दीदी न जग गई हो और अगर इस हालत में मैं एक झटका और मार देता और अगर वो फिर से चिल्ला देती तो सारा गुड़-गोबर हो जाता।
मैंने मुँह दबाये हुये ही कहा- मरवाओगी क्या? जबसे तो चुदने के लिये तड़प रही थी और अब चिल्ला-चिल्ला कर पूरे मुहल्ले को इकट्ठा कर रही है।
उसने मुझे मुँह से हाथ हटाने का इशारा किया।
पूरी तरह आश्वस्त होने पर मैंने उसके मुँह पर से हाथ हटा दिया। मेरे हाथ हटाने के बाद उसने कहा- मुझे क्या पता था कि इतना दर्द होगा। मेरी सहेलियों ने तो कहा था कि थोड़ा सा ही दर्द होगा और बहुत मजा आयेगा। लेकिन अभी तो मेरी जान ही निकली जा रही है। और चूत में तो ऐसा लग रहा है कि जैस किसी धारदार चीज से चीर दी गई हो।
मैंने उसकी चूचियाँ एक हाथ से दबानी और और एक चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी। जिससे उसे थोड़ा सा आराम मिला और कुछ दर्द का एहसास कम हो गया।
द
र्द का एहसास कम हो जाने पर मैंने उससे पूछा- अब बाकी लण्ड भी अन्दर घुसा दूँ?
तो उसने कहा- हाँ, पर ध्यान से और धीरे-धीरे। पिछली बार के झटके का दर्द अभी तक मेरे जेहन में है।
मैं समझ गया कि अब मामला जल्दी से निपटाना पड़ेगा वरना कोई भी गड़बड़ हो सकती है।
लेकिन अब तक एक तरीका मेरे दिमाग में आ गया जिससे मैं लण्ड भी उसकी चूत में अन्दर घुसा दूंगा और वो चिल्लायेगी भी नहीं। क्योंकि मेरी सारी चिन्ता उसके चिल्लाने से ही थी क्योंकि दीदी बगल के कमरे में ही सोई थी ओर कभी भी जाग सकती थी। मैंने उसकी चूची छोड़ कर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये। जैसे ही उसे मदहोशी छाने लगी और उसकी हथेलियो का कसाव मेरे सिर और पीठ पर पड़ा। मैंने एक जोर का झटका मारा और लण्ड आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुस गया। उसकी दर्द के मारे चीखने की कोशिश की, मगर उसके होंठ मेरे होंठों के कब्जे में थे इसलिये वो चिल्ला नहीं सकी और तड़प कर ही रह गई।
मैंने देर न करते हुए दो झटके और मारे और पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक उतार दिया। दर्द के मारे उसने अपनी कमर को कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ मरोड़ना शुरू कर दिया लेकिन मेरी पकड़ से ना तो उसके होंठ ही छूटे और न मेरे लण्ड ने उसकी चूत को छूटने दिया।
मैंने होंठ को चूसने के साथ ही उसकी चूचियाँ भी दबानी शुरू कर दी। लगभग पाँच मिनट के बाद उसे कुछ आराम मिला तो उसने अपनी आँखें खोली और मैंने भी उसके होंठो को छोड़ कर उसके चेहरे की तरफ देखा। आँसुओं की दो लम्बी रेखायें उसके गालों पर बनी हुई थी। दर्द से उसकी आंखें लाल हो चुकी थी। लेकिन मेरे लण्ड के उसकी चूत में घुस जाने की एक खुशी भी उसे थी। यह बात उसने मुझे बाद में बताई।
अब धीरे-धीरे मैंने उसकी चूत में बुरी तरह फंसे अपने लण्ड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। उसकी चूत बहुत टाईट थी लेकिन क्रीम लगी होने की वजह से लण्ड धीरे-धीरे आगे पीछे हो रहा था। थोड़ीदेर के बाद उसे मजा आने लगा और उसकी चूत गीली होने की वजह से लण्ड अब आराम से आगे पीछे होने लगा। मैंने अब जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये और वो भी गांड हिलाकर मेरा साथ देने लगी।
फिर पाँच-सात मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों शान्त हो गये। मैंने जब उसकी चूत से लण्ड निकाला तो पकक् की एक अजीब सी आवाज बाहर आई। जैसे ही हम दोनों खड़े हुए, एकदम लाईट आ गई। मैंने देखा उसके चूत के खून से मेरा लण्ड लाल हो गया था और बिस्तर पर बिछी चादर पर खून लगने की वजह से खराब हो गई।
मैंने कहा- यह क्या हो गया? अब दीदी को सब पता चल जायेगा और वो मुझ पर बहुत नाराज होगी। चादर जल्दी से धोनी पड़ेगी वरना बहुत गड़बड़ हो जायेगी।
लेकिन उसने कहा- घबराओ मत! मैं चादर को धो दूंगी।
मैंने कहा- ठीक है! लेकिन पहले एक बार और चुदाई का मजा लेंगे उसके बाद धुलाई कार्यक्रम होगा।
उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा लेकिन उसने गाण्ड नहीँ मरवाई और मैंने भी कोई जिद नहीं की। इस तरह हमने रात के 12.15 से लेकर सुबह के तीन बजे तक चुदाई की और चादर धोकर सोने चले गये।
सुबह दीदी ने हमे 8.00 बजे जगाया और कहा- तुम दोनों तो जल्दी उठ जाते हो तो फिर आज क्या हो गया।
मैंने बहाना बनाया- आपने और सपना ने ही तो बात कर-कर के सोने नहीं दिया।
तभी दीदी ने पूछा- मेरे कमरे के बिस्तर पर यह नई चादर कहाँ से आई?
तो मेरे पास उस सवाल का कोई जबाब नहीं था। तभी बीच में ही उसकी बात काट कर सपना बोली- कल शाम तुमने ही तो सफाई के बाद पुरानी चादर हटाकर नई चादर डाली थी।
मैं उसकी तरफ देखकर धीरे से मुस्करा दिया। क्योंकि हम दोनों ही जानते थे कि चादर कैसे बदली थी।
उसके बाद उसे जब भी मौका मिलता वो मुझसे जरूर चुदवाती। मैं आज भी उसे अपना चुदाई का गुरू मानता हूँ और चाहता हूँ कि फिर उसे चोदने का मौका मिले। क्योंकि उस घटना के तीन महीने बाद ही मेरे मम्मी और डैडी कानपुर से नोएडा चले आये। तब से मैं यहीं रहता हूँ।
लेकिन मैं अभी तक पूरी तरह चुदक्कड़ नहीं बना था। यह तो सिर्फ शुरूआत थी। असली ट्रेनिंग तो नोएडा आने के बाद शुरू हुई। जो मैं आपसे अगली कहानी में बताऊँगा।
अब मुझे अपनी चूचियाँ दबा कर विदा कीजिये।
आपका नादान विनय पाठक।
प्यारे दोस्तो, आपको यह कहानी कैसी लगी। मुझे जरूर बताना। Sex Stories
मेरा नाम सूर्यप्रभा है, मैं Sex Stories अट्ठारह साल की हूँ और मैं असम के तिनसुकिया जिले के एक छोटे गाँव से हूँ। मेरी बड़ी बहन मानसी और मैं पिछले ५ सालों से दिल्ली में रहती हैं। हमें पापा ने वहाँ के आतंकवाद से दूर पढ़ने भेज दिया था। मैं अभी स्कूल में हूँ और दीदी कॉलेज में आ चुकी हैं। दीदी बहुत खूबसूरत है। गोरी चिट्टी, स्वस्थ शरीर, तेज़ दिमाग वाली हैं मेरी दीदी। मैं पढ़ने में ज़रा कमज़ोर हूँ पर दीदी मेरी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देती हैं और किसी तरह मुझे हर बार पास करवा देती हैं। दीदी मुझे प्यार से छुटकी कहती हैं। मैं और दीदी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। हम घर ज्यादा नहीं जा पाते। मैं बहुत भावुक हूँ, बात-बात पे रो देती हूँ जबकि दीदी काफ़ी कड़े दिल की हैं। जब भी ऐसा होता है दीदी मुझे गले से लगा लेती हैं और मुझे प्यार से समझाती हैं। फिर जब मैं हँसती हूँ तो दीदी कहती हैं कि मैं दुनिया की सबसे प्यारी बच्ची हूँ। पर दीदी ने एक दिन मुझे बड़ा बनते हुए भी देखा।
दीदी का एक दोस्त था- राजीव, जो उनके साथ स्कूल में भी था और कॉलेज में भी एक साल तक साथ था। अच्छा लड़का था। पढ़ने में दीदी से भी तेज़, दिखने में स्मार्ट। वो उदयपुर का रहने वाला है और हमारी ही तरह दिल्ली में पढ़ने आया हुआ था। कॉलेज में आते ही उसने दीदी को प्रोपोज़ भी किया था और दीदी मान भी गई थी पर तब हमारे और उसके घर वालों के डर और दबाव के कारण दीदी ने वो रिश्ता आगे नहीं बढ़ाया। बाद में राजीव ने कॉलेज बीच में छोड़ कर अपने शहर में शादी कर ली। पर जिस दौरान राजीव हमारे साथ था, तब एक घटना ने हम तीनों की ज़िन्दगी बदल दी।
दीदी और राजीव का रोमांस शुरू हुए एक हफ्ता बीता था, अक्टूबर का महीना था। दीदी एक बार रात को उसके साथ मूवी देखने गई, मैं घर पर ही पढ़ाई कर रही थी। वो लोग दस बजे वापस आये। तब तक मुझे कच्ची सी नींद आ गई थी। मेरे कमरे तक उनके बातें करने की आवाज़ आ रही थी। हमेशा तो राजीव दीदी को छोड़ कर घर लौट जाता था पर उस दिन बहुत देर तक बातों की आवाज़ आती रही, फिर उनकी आवाज़ बंद सी हो गई और मेरी नींद गहराने लगी। कुछ देर बाद दीदी की सिसकियों की आवाज़ से मेरी नींद टूट गई।
मैं जल्दी से दीदी के कमरे में गई तो देखा की बिस्तर पर राजीव गर्दन झुकाए बैठा है और दीदी पास खड़ी रो रही है। मानसी दीदी का मासूम चेहरा आंसूओं से भरा हुआ था।
मैंने पूछा- दीदी, क्या हुआ?
तो उसने आंसू पौंछे और मुझे कहा- छुटकी, तू सो जा !
मैं कमरे से बाहर निकल गई लेकिन गई नहीं और कान लगा कर सुनने लगी। राजीव कह रहा था,”मनु, तुम ज़रा सी बात पर क्यूं रो रही हो?”
दीदी ने कहा,”तुमसे मैं बहुत प्यार करती हूँ, पर शादी से पहले मैं कुछ नहीं कर सकती !”
राजीव कहने लगा,”जान, ऐसा कुछ नहीं है, तुमको भी खुश रहने का पूरा हक है।”
मेरे कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन तभी दीदी ने कहा,”मुझसे गलती हो गई राजीव, मुझे तुमको चूमना नहीं चाहिए था।”
राजीव बोला,”नहीं मनु, गलती मेरी है !”
दीदी बोली,”तुम्हारी कोई गलती नहीं है, चुम्बन तो मैंने शुरू किया था।”
और इतना कह कर दीदी सुबक सुबक कर रोने लगी। तब मुझे कुछ समझ में आने लगा था, आखिर मैं इतनी भी छोटी नहीं थी। पर दीदी का रोना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था।
तब दीदी के रोने की आवाज़ ज़रा कम हो गई और राजीव धीरे धीरे बोलने लगा,”मनु, तुम मुझे बहुत प्यारी हो, मैं तुम्हें रोते हुए नहीं देख सकता।”
फिर ऐसी आवाज़ आई जैसे किसी को किसी ने चूमा हो। फिर अचानक दीदी के रोने आवाज़ फिर से आने लगी। उनके रोने को सुन कर मुझे भी रोना आ गया। अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं वापस उनके कमरे में चली गई और रोते रोते बोली,”दीदी, आप रोइए मत न प्लीज़ !”
और इतना कह कर मेरा रोना और तेज़ हो गया, और मैं छोटे बच्चे की तरह रोने लगी। दीदी मेरे पास आई, दीदी ने मेरे आंसू पौंछे और मुझे गले लगा कर मेरे गालों पर चूमने लगी। मैं चुप हो गई और दीदी ने कहा,”मेरी छुटकी बेटा, अब दीदी नहीं रोएगी !”
“देखो न राजीव हमारी छुटकी कितनी प्यारी है और अब मैं समझ गई हूँ कि खुश रहना सबसे ज्यादा ज़रूरी है।”
इतना कह कर दीदी ने राजीव को देखा और दोनों के होटों पर मीठी सी मुस्कान तैर गई। तब दीदी ने मुझे सो जाने को कहा। मैंने उनको फिर पूछा कि वो अब रोएगी तो नहीं?
दीदी ने कहा- मेरी जान, मैं अब नहीं रोऊंगी।
दीदी ने मुझे चूमा और मैं अपने कमरे में जा कर सो गई। सुबह देखा कि दीदी ने राजीव का शर्ट पहना हुआ है, और राजीव जो शायद नंगा था, बिस्तर में सो रहा था।
मैंने दीदी से पूछा- राजीव रात को घर नहीं गया?
दीदी ने कहा- नहीं !
और रसोई में जा कर काफ़ी बनाने लगी। मुझे पता चल गया कि रात को क्या हुआ होगा पर अब जो हुआ उसके लिए मैं तैयार नहीं थी।
राजीव उठ चुका था और मुझे देख रहा था। उसने मुझे बुला लिया और कुछ इधर उधर की बात करने लगा। बातों बातों में उसने मेरे पैर पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे से सहलाने लगा। मुझे ज्यादा अजीब नहीं लगा, लेकिन मन में कुछ अजीब सा लगा। दीदी तब तक कमरे में आ चुकी थी और राजीव को घूर के देख रही थी। राजीव ने हाथ हटा लिया।
मैंने कहा- मैं स्कूल के लिए तैयार होती हूँ !
और बाथरूम में चली गई। वहां मुझे उनकी धीमी धीमी आवाज़ आ रही थी। लग रहा था जैसे राजीव दीदी को कुछ सलाह दे रहा है और दीदी पहले गुस्सा कर रही हैं, और बाद में मान गई हों।
मैं स्कूल ड्रेस का स्कर्ट-टॉप पहन कर बाहर की तरफ जा रही थी, तभी दीदी ने आवाज़ दी। मैं गई तो मुझे कहा- आज स्कूल मत जा, यहीं बैठ कर हमसे बातें कर !
मैंने कहा- ओके !
राजीव ने पूछा,” छुटकी ! तू अपनी दीदी से कितना प्यार करती है?”
मैंने कहा,”ढेर सारा”
उसने कहा कि वो भी उनसे बहुत प्यार करता है और उनसे शादी भी करेगा।
फिर दीदी ने पूछा,”तुझे पता है कि हम लोग रात में क्या कर रहे थे?”
मैं समझ नहीं पाई कि क्या बोलूं, बस गर्दन झुकाए बैठी रही।
दीदी बोली- शरमा मत !
तो मैंने हाँ में सर हिला दिया। तब दीदी बोली- देखा राजीव, मेरी छुटकी थोड़ी सयानी भी है !
राजीव बोला,”हाँ, और बहुत सुन्दर भी !”
मैं शर्म के मारे लाल होने लगी थी। तब दीदी ने पूछा कि क्या मैं भी कुछ मज़ा करना चाहती हूँ? तो मैंने हाँ में सर हिला दिया।
यह सुन कर राजीव मेरे पास आया और मेरे गालों को चूमने लगा। तब दीदी ने उसको रोका और कहा- राजीव ध्यान से ! मेरी बहन अभी इतनी बड़ी नहीं है !
राजीव ने कहा कि वो जानता है कि मैं दीदी से भी ज्यादा नाज़ुक हूँ । फिर उसने बिस्तर पर चादर के अन्दर बैठे बैठे ही मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे गाल, होटों और गले पर चुम्बनों की बौछार कर दी। मेरी आँखें बंद हो गई और मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया। उसने मेरा शर्ट उतार दिया और मेरे वक्ष को ब्रा के ऊपर से चाटने लगा। मेरे मुँह से ऊम्म्म्ह्छ आःह्ह् की आवाजें निकलने लगी।
दीदी मेरे पास आ गई और मेरी ब्रा खोल दी। मेरे दो छोटे से संतरे नंगे हो गए। मुझे बहुत शर्म आई। राजीव ने मुझे शर्माते देख फिर से मुझे गालों और होटों पे चूम लिया, साथ में मेरे स्तन भी दबाने लगा। मुझे अब बहुत मज़ा आने लगा था। ऐसा मेरे साथ पहले कभी नहीं हुआ था। तब तक दीदी मेरी पीठ और कमर को चूम रही थी। फिर दीदी ने मेरा स्कर्ट उतार दिया, मेरी पैंटी पे कुछ गीलापन आ गया था।
अब राजीव ने मेरी पैंटी पर हाथ से सहलाया और फिर हाथ अन्दर डाल दिया। मुझे तो जैसे झटका लग गया। मेरा मुँह खुल गया और आह निकल गई। अब दीदी ने मुझे होटों पर चूमा तो मैंने जोश जोश में उनके बाल पकड़ लिए। तब तक राजीव मेरे पेट पर चूम रहा था। मेरी हालत ख़राब हो गई थी। मैं अब बिस्तर पर चित्त लेटी थी और वो दोनों मुझसे खेल रहे थे।
तभी मेरी पैंटी राजीव ने अलग कर दी, वो मेरी चूत पे उगे छोटे बालों में गुदगुदी करने लगा। मेरा पूरा शरीर कांप रहा था। उसने मेरे दाने पर हाथ रखा तो लगा जैसे मैं जन्नत में हूँ। फिर वो उसको रगड़ने लगा और मेरी ऊओह् आःह् की आवाजें शुरू हो गई। मेरे छोटे गुलाबी चुचूक पहले ही कड़क हो गए थे। दीदी उनको काट और चूम रही थी।
अब दीदी ने अपना शर्ट उतार दिया और एकदम नंगी हो गई। दीदी के बूब्स भी मेरी तरह थे, बस ज़रा से बड़े थे। तब तक मैं चीख चीख कर बिस्तर पर कूदने लगी थी, चादर को पकड़ कर पूरा शरीर मोड़-तोड़ रही थी। तभी मेरे अन्दर तूफ़ान सा आया और मैं पहली बार झड़ गई।
मैं ओह दीदी कह कर उनसे लिपट गई और दीदी ने मुझे प्यार से ढेर सारे चुम्मे दिए।
तब राजीव ने अपना ९ इंच का लिंग मुझे दिखाया और छूने को कहा। मैंने छुआ तो राजीव ने हलकी सी आह भरी। राजीव ने दीदी को देखा तो दीदी ने हाँ में सर हिलाया और मुझे फिर से चूम के कहा,”छुटकी, थोड़ा दर्द होगा, लेकिन फिर मज़ा आएगा !”
तब तक राजीव ने लंड को मेरी छोटी सी नाज़ुक चूत पे सहलाना शुरू कर दिया। मुझे सिरहन सी होने लगी और मैंने दीदी को पकड़ लिया।
राजीव ने लंड को थोड़ा चूत के अन्दर डाला तो इतना दर्द हुआ कि मेरा मुँह खुला रह गया, चीख भी नहीं निकली, बस गले से हलकी सी तीखी आवाज़ और आँखों से आंसू निकल आये। दीदी मेरे सर पे हाथ फेरने लगी। राजीव ने एक झटके से और भी अन्दर डाल दिया, तो मैं बिलखने लगी।
मुझे रोता देख दीदी के भी आंसू आ गए थे। दीदी मुझे चूमती जा रही थी और कह रही थी,”बस बेटा थोड़ा और !”
अब राजीव ने एक आखिरी झटके के साथ पूरा लण्ड अन्दर डाल दिया। मेरा रोना जारी रहा और मैंने जब नीचे देखा तो चादर पर खून था, जिसे देख कर मेरी और हालत ख़राब हो गई। दीदी ने कहा- कोई बात नहीं ! ऐसा होता है पहली बार में !
अब राजीव झटके मार रहा था और लण्ड अन्दर बाहर कर रहा था। वो बीच बीच में मेरे स्तन भी चूस रहा था। मेरी थोड़ी देर तक दर्द से हालत ख़राब रही। तब मेरे मुँह से रोने और दीदी- दीदी के अलावा और कुछ नहीं निकल रहा था।
फिर दर्द ज़रा कम होने लगा और मैं मज़ा लेने लगी। अब मैं ऊऊउम्म्म्म्म, ऊऊह्ह्, आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जैसी आवाजें निकाल रही थी। दीदी भी बहुत गर्म हो चुकी थी। राजीव की तरफ उन्होंने कामुक नज़रों से देखा और राजीव ने मुझे चोदते हुए ही उनको चूम लिया।
फिर राजीव बोला- चलो, अब अपनी छुटकी को ओरल सिखा दो !
तो दीदी ने अपनी चूत मेरे मुँह पर रखी और कहा- चाट न छुटकी !
उनकी चूत पर बाल नहीं थे, मैंने चाटना शुरू कर दिया और दीदी अपने दाने को ऊँगली से रगड़ रही थी। ये काम मैंने दीदी से ले लिया और जीभ अन्दर बाहर करने के साथ उनका दाना भी रगड़ने लगी। दीदी ने कहा,”ऊह छुटकी, आई लव यू मेरी बच्ची !”
फिर वो आह ऊऊऊउम्म्म्म्ह जैसी आवाजें जोर जोर से निकालने लगी। उधर राजीव के ज़ोरदार झटकों की वजह से मैं दो बार झड़ चुकी थी।
अब राजीव का शरीर अकड़ने लगा और उसने लंड मेरी चूत से निकाल लिया और मेरे स्तनों के बीच रख कर रगड़ने लगा। थोड़ी देर में वो झड़ गया और उसका वीर्य मेरी गर्दन और मुंह पे फैल गया। दीदी को भी काफी वीर्य लगा क्यूंकि वो मेरे मुँह पर थी। दीदी राजीव को चूमने लगी। उसके बाद उनकी आह चीखों में बदल गई और ऊऊम्म्म्म्म्ह्ह्ह की मीठी आवाज़ के साथ वो मेरे मुँह पर झड़ गई।
फिर वो नीचे उतर कर मुझ पर लगे वीर्य को चाटने लगी और मुझे साफ़ कर दिया। दीदी और राजीव ने मुझे कई बार चूमा, फिर उन्होंने आपस में चूमा चाटी की और एक दूसरे से लिपट गए। राजीव नीचे लेटा और दीदी ने उसका लंड अपनी चूत में डाल लिया। फिर वो ऊपर नीचे होने लगी। राजीव कभी दीदी के स्तन दबाता था और कभी उनकी कमर सहलाता था।
मेरा शरीर टूट रहा था पर मैं फिर से गर्म हो गई उनको देख कर !
मैंने ऊँगली अपनी चूत में डाल ली। यह देख राजीव ने मुझे पास बुलाया और मुझे कहा कि मैं उसके मुँह पर आ जाऊं जैसे दीदी मेरे मुँह पर आई थी। मैंने ऐसा ही किया तो राजीव ने अपनी जीभ से मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं थोड़ी देर में जोश में आकर राजीव के मुँह पर कूदने लगी। दीदी और मैंने अपने हाथ मिला लिए और मिल कर कूद रहे थे। थोड़ी देर में दीदी झड़ गई, फिर राजीव झड़ गया। फिर उन दोनों ने मुझे चूमते हुए, चाटते हुए बहुत मज़े से चरम सीमा पर पहुँचाया।मैंने इतना मज़ा ज़िन्दगी में कभी नहीं किया था। मैंने राजीव को चूमा और बोली,”मज़ा आ गया जीजू !”
फिर मैं दीदी से लिपट गई, दीदी ने मुझे ढेर सारा प्यार किया और मैं उनकी बाहों में ही सो गई।
राजीव बाद में दीदी की और मेरी ज़िन्दगी से दूर चला गया, पर वो हसीं लम्हें, अक्टूबर की वो एक रात जब दीदी का और दिन जब मेरा कौमार्य भंग हुआ, मुझे कभी नहीं भूलता। मैं नहीं भूल सकती कि कैसे उस प्यारे ने हम कलियों को तोड़ दिया।
राजीव को गए ज्यादा समय नहीं हुआ है पर मेरी दीदी सम्भल गई हैं, बस एक अंतर आया है हमारे जीवन में, हम दोनों अब अन्य ज़रूरतों के साथ साथ एक दूसरे के शरीर की भूख भी शांत करती हैं। Sex Stories
हाय ! गर्ल्स ! भाभी ! आंटी ! यंग लडिस ! कॉलेज गर्ल्स !! दोस्तों आज मैं आपको अपनी सच्ची Hindi sex stories बताने जा रहा हूँ. मैं यशवन्त अक्सर इन्टरनेट पर चाटिंग करता रहता हूँ. मैंने कई फ्रिएंड्स बनाये पर एक बार मेरे एक फ्रेंड बना जो की मेरे हे शहर का था. वो फ्रेंड एक २३ साल की शादीशुदा लेडी थी वो मुझसे बातें करने में इन्टरेस्टिड थी. हम काफ़ी टाइम तक एक दूसरे के फ्रेंड बने रहे.
फिर एक दिन उसने मुझे मिलने के लिए कहा. मैं मिलने के लिए तैयार हो गया. उस दिन बहुत तेज़ बारिश हो रही थी.
मैं उनके घर पहुँचा और बेल बजाई तो मैंने देखा के सामने एक सेक्सी फीगर की लड़की खड़ी उसने ब्लैक कलर की शोर्ट नाईटी पहन रखी थी जिसमे से उसकी व्हाइट कलर की ब्रा साफ़ दिख रही थी उसके बूब्स तो ऐसे लग रहे थे जैसे अभी ब्रा फाड़ के बाहर निकल जायेंगे.
मैंने अपना नाम बताया और अन्दर आ गया. मैं तेज़ बारिश के कारण बिल्कुल भीग चुका था. मेरे अंडरवियर मैं भी पानी चला गया था. मैं पहली बार किसी अजनबी लेडी के घर गया था इसलिए थोड़ा घबरा रहा था.
फ़िर उन्होंने मुझे चेंज करने के लिए कहा. मैं उनके पति के कपड़े पहन लिए. फिर हम दोनों ने काफ़ी बातें की. उसने बताया के उनके पति एक मल्टी नेशनल कम्पनी में काम करते हैं. जिस की वजह से काफ़ी दिनों तक बाहर ही रहते हैं. पर मेरा ध्यान तो उनकी जाँघों के बीच था जिसमे से उनकी ब्लैक कलर की पैंटी दिख रही थी उन्होंने मुझे देख कर कहा ये क्या देख रहे हो तुम में एक दम से डर गया.
मैंने कहा- कुछ नही.
उसने मुझे बड़े प्यार से कहा- नौटी बॉय.
ऐसा सुनते ही मेरी हिम्मत बढ गयी. मैंने उसे कह दिया मैडम आपका फिगर बहुत सेक्सी है. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और कहा तो इसकी प्यास बुझा दो न मेरे पति पर तो टाइम नहीं है.
मैंने इतना सुनते ही उसके बूब्स पर हाथ रख दिया. हाथ रखते ही मेरा ८ इंच का लंड खड़ा हो गया. उसने मेरे होठों पर अपने होंठ रख दिए और चूसने लगी. में एक हाथ से उसके बूब्स दबा रहा था और दूसरा हाथ मैंने उसकी पैंटी में डाल दिया. उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी. मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिए और ख़ुद भी नंगा हो गया.
मैंने पागलों की तरह उसके बूब्स को चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूत गीली हो गयी थी. मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया. क्या रसीली चूत थी वो. मुझे ऐसा लगा जैसे जन्नत में आ गया हूँ.
फिर में खड़ा हो गया और उसके मुंह में अपना लंड डाल दिया. वो मेरे लंड को जोर जोर से चूसने लग गयी. मैं अब पूरे जोश मैं आ गया. मैंने उसे बेड पर लिटा लिया और उसकी चूत मैं लंड डालने की कोशिश करने लगा उसकी चूत अभी भी बहुत टाईट थी पहली बार ज़ोर लगाने पर उसकी चीख निकल पड़ी- आआअ आआअ आऐइ ईईईइ ऐईईइऊ ऊऊऊईइ ईईईई माआ आआआ.
मैंने दूसरी बार फिर ज़ोर लगाया जैसे ही मेरा आधा लंड उसकी चूत मैं गया वो जोर से चीख पड़ी फिर धीरे धीरे मेरा साथ देने लगी और उसे भी मजा आने लगा.
मैं उसे ४० मिनट तक अलग अलग पोसिशन में चोदता रहा जब मेरे डिस्चार्ज होने वाला था तो मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और सारा माल उसके मुंह पर निकाल दिया. वो मेरे लंड को चूस चूस कर सारा माल पी गयी.
Hindi sex stories पर सॉरी दोस्तों में आपको उसका नाम नहीं बता सकता क्योंकि उसने मुझे इस बात को छुपाने के लिए कहा था!
ये कहानी मेरी और रिया की है। हम दोनो के नाम इसमें Antarvasna बदले हुए हैं। दरसल, रिया मेरी मौसी की लड़की है।
मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी मम्मी की मौसी की लड़की की लड़की। रिया मुझसे दो साल बड़ी है। रिया के परिवार से हमारे बहुत अच्छे रिश्तें है।
रिया को मैं बहन ही मानता था। परन्तु, मुझे रिया की बड़ी बहन रानी और उसके बड़े भाई ने ही बिगाड़ा था।
रिया की नानी मेरी नानी के घर के पास ही रहती थी क्योंकि वो बहुत छोटी उम्र में ही विधवा हो गई थी और उनके केवल दो लड़की ही थी। इसीलिए मेरे नाना उनको अपने पास ही लियाऐं थे। और उनको अपना एक घर भी दे दिया था।
रिया की नानी अकेली रहती थी इसीलिए रिया की मम्मी ने गाँव में नानी के पास अपनी बड़ी लड़की रानी को छोड़ दिया था।
हुआ यूँ कि एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ नानी के घर गया। शाम को मैं नानी के घर से रिया की नानी के घर चला गया। वहाँ पर मुझे रिया की बड़ी बहन रानी मिली।
रानी ने दरवाज़ा खोला और मुझको अंदर बुला लिया। मैं अंदर पहुँचा और एक खाट पर बैठ गया। वहीँ पर रानी भी मेरे पास बैठ गई। कुछ देर तो उसने मुझसे बात की। फिर थोड़ी देर बाद वो लेट गई और अपनी सलवार में हाथ डालकर हिलाने लगी।
कुछ देर तो मैं भी यूँ ही देखता रहा और फिर मैंने पूछा के ये क्या कर रही हो। उसने कहा के मेरी चूत में खुजली हो रही है। मैं इसको खुज़ा रही हूँ।
मैंने कहा- ये चूत क्या होती है तो वो बोली अभी तू बच्चा है बड़ा हो कर जब चूत मारेगा तो सब समझ जाएगा।
मैंने कहा- मारेगा?
तो वो बोली- हाँ तभी तो बच्चे पैदा होते हैं।
मैंने कहा- इसे कैसे मारते हैं?
वो बोली- किसी से तू कुछ कहेगा तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं।
तो बोली- वादा कर !
मैंने कहा- वादा रहा।
फिर उसने झट से अपनी सलवार उतार दी और मुझसे बिल्कुल चिपक गयी। मुझे कुछ पता ही नही था मेरी समझ में नही आ रहा था कि हो क्या रहा है। फिर मैं बोला- ये क्या कर रही हो?
वो बोली- चूत मारना सीखना है या नहीं?
मैं चुप रहा।
फिर वो बोली- तू मुझको आज खुश कर दे फिर तुझको मैं रिया की चूत भी दिलवा दूँगी.
मैंने कहा- रिया की?
वो बोली- हाँ। रिया को कुछ दिन बाद एक लंड की जररूत होगी और तुझको एक चूत की। इसीलिए, तुम दोनो आपस में कर लेना।
मैंने कहा- अभी क्यों नही तो बोली अभी रिया छोटी है।
मैंने कहा- कितने दिन और लगेंगे उसको वो बोली जब वो बडी होगी जब मैं तेरे से ही उसकी सील तुडवाऊंगी। अब तू चुप हो जा मुझको मज़ा आने लगा है।
फिर मैं चुप हो गया और उसे बस करते हुए देखता रहा उसने धीरे से मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को निकालकर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी और बीच-बीच में बोल रही थी कि खड़ा कर मुझे पता नही था कि खड़ा कैसे होता है।
फिर उसने मेरे छोटे से लंड को अपनी चूत पर रखकर ज़ोर से झटका मारा पर मेरा लंड हल्का सा ही अंदर गया था वो बोली इसे अंदर डाल ना मैं भी कोशिश करने लगा तो मेरा लंड उसने हाथ से पकड़कर अंदर कर दिया और धीरे धीरे हिलने लगी अब उसका पानी निकलने लगा था।
वो बोली मुझको मज़ा आ रहा है थोड़ी देर और अंदर की तरफ ज़ोर लगा और ऊपर-नीचे हो।
मैंने ऐसे ही किया थोड़ी देर बाद फिर वो बोली अब हट जा मुझको तूने मज़ा दे दिया। और उसने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया। फिर वो मेरे लंड को पकड़ कर बोली ये अभी छोटा है इसे बड़ा करना पड़ेगा। क्योंकि लंड जितना बडा और मोटा होता है उतना ही लडकी और औरत को मज़ा आता है औरत और लडकी को बार-बार चुदने के लिए कहीं ओर नही जाना पडता और तुझको भी तो बहुत मज़ा आएगा। क्योंकि तेरा लंड भी तो टाईट और सही जायेंगा। जब लंड, चूत और गाँड में टाईट और सही जाता है तो फिर दोनो को खुब मज़ा आता है।
फिर उसने मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ङाल लिया और उसे चाटने लगी और उसे आइस्क्रीम की तरह चूस भी रही थी।
फिर दरवाज़े पर कोई आ गया। उसने मेरे लंड को मुंह से निकाला और पैंट के अंदर कर दिया और मुझ से बोली अपनी पैंट बंद कर ले।
फिर वो उठी और सलवार का नाडा बाँधते हुए दरवाज़ा खोलने चली गयी। वहाँ पर एक पड़ोस का आदमी था। उन दोनो में कुछ बात हुई और वो चला गया फिर रानी अंदर आई।
मैं बोला- अब रिया की सील कब तुड़वाओंगी फिर वो बोली अभी तेरा बहुत छोटा है इसे बड़ा कर।
मैंने पूछा- ये बड़ा कैसे होगा।
वो बोली- इसे चुसवाना !
मैंने कहा- तो तुम्ही बड़ा कर दो !
वो बोली- ठीक है। लेकिन जब तू मुझे मिलेगा तो मैं तेरा ये बड़ा करूंगी और तू मुझे खुश कर देना।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैं अपनी नानी के घर आया और रात को खाना खाकर सो गया। सुबह हम जल्दी उठे और अपने घर पर आ गये।
अब मेरा रानी से कोई कॉन्टेक्ट नही था। दो साल बाद मैं एक दिन रिया के घर गया वहाँ पर मुझे रिया का बड़ा भाई मिला। वो दिन राखी का दिन था।
रिया की गली की एक लड़की आई हुयी थी जो रिया की सहेली थी। उसका नाम अंजू था। अंजू का रंग एक दम गोरा बिलोरी आँखें चूची छोटी छोटी बाल लंबे उसने एक महरुन फ्राँक पहन रखा था। फिर कुछ देर बाद रिया के घर पर हम छुपा छुपी का गेम खेलने लगे।
रिया, मैं, रिया का बड़ा भाई, अंजू और गली के कुछ बच्चे। मैं, अंजू और रिया बड़ा भाई एक स्टोर रूम में छुप गये।
वहाँ पर मैंने देखा के रिया का बड़ा भाई अपना लंड निकल कर खड़ा था। उसका लंड बहुत बड़ा था। और वो अंजू को अपनी तरफ खींच रहा था। अंजू मना कर रही थी। और कह रही थी की गॅप सब को बता देगा। फिर रिया के बड़े भाई ने मुझसे पूछा के तू बताऐंगा तो नही।
मैंने कहा- एक शर्त पर, अगर मुझे भी सिख़ाओगे तो !
वो बोला ठीक है। रात को सब कुछ बता दुंगा।
फिर उसने अंजू की फ्राक ऊपर की और उसकी कच्छी उतार दी। वो संदूक पर बैठा और अंजू को अपने ऊपर बैठा लिया और अंजू को ऊपर-नीचे करने लगा। कुछ देर बाद मुझे रानी की लंड बड़ा करने की बात याद आ गई।
मैं भी अंजू के मुहूँ में लंड देना चाहता था पर दरवाज़े पर खट खट की आवाज़ हुई अंजू एक दम खड़ी हो गई और अपनी कच्छी ऊपर की और हम सब बाहर आ गये।
अब रिया के बड़े भाई की ढूंढने की बारी थी। अब की बार मैं और अंजू उस ही स्टोर में छुप गये। मैंने धीरे से अंजू का हाथ पकड़ लिया।
वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। मैंने उससे पूछा की तुम क्या कर रहे थे। वो बोली तेरा भाई मेरी चूत मार रहा था।
मैंने कहा अच्छा तो ये बात है। फिर वो बोली तू भी मेरी चूत मारेगा क्या। मैंने कहा नही मुझे तो अपने लंड को बड़ा कराना है।
वो बोली- अच्छा तो लंड चूसवाना चाहता है। चल ठीक है, वो बोली निकाल अपना लंड देखो कितना बड़ा है।
मैं बोला- खुद ही निकाल ले।
उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड निकाल लिया।
जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ तो मेरा लंड बड़ा हो गया और एक रोड के समान सखत हो गया।
फिर मुझे अच्छा भी लगने लगा तो बोली तेरा लंड तो बड़ा हो गया मैंने कहा इसे और बड़ा कर। तो वो बोली, किसी को मारेगा क्या फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। करीब पाँच मिनट बाद वो बोली क्या पहली बार कर रहा है। तो मैंने उससे रानी के बारे में बता दिया।
तो वो बोली- रानी ने अपने भाई के साथ ही कर लिया।
तो मैंने कहा- तू भी तो भाई को राखी बाँधती है। वो बोली हम सगे तो नही है। मैंने कहा हम भी सगे नही है। फिर वो बोली चल बाहर चल वरना सब को शक हो जाऐगा।
फिर हम बाहर आ गयें और अंजू अपने घर जाने लगी।
अंजू बोली- गॅप घर आ जाना !
मैंने कहा- ठीक है।
रात को मैं और रिया का बड़ा भाई अंजू के घर चले गये। अंजू के घर पर केवल वो और उसकी छोटी बहन ही थी। फिर मैंने भाई से कहा मुझे भी सीखना है।
वो बोला अभी रूक जा उसकी छोटी बहन को सो जाने दे। रात को करीब एक बजे अंजू हुमारे पास आ गई।
अब भाई मुझसे बोला तूने कभी चूत देखी मैंने कहा नही तो अंजू हँस पड़ी। मैं उसकी हँसी का मतलब समझ गया था। क्योंकि मैंने शाम को उसे रानी के बारे में बताया था। फिर भाई ने उसकी फ्राक ऊपर की और मैंने देखा कि अंजू ने फ्राक के नीचे कुछ भी नही पहन रखा था। फिर भाई ने उसे लिटाया और उसकी टांग ऊपर कर के चौडा दी। फिर वो बोला देख ये होती है चूत।
मैने देखा कि अंजू की चूत एक दम गुलाबी थी और उस पर घूघंराले बाल थे। फिर भाई बोला बहन की लोड़ी ! मैंने तुझसे कहा थे के बाल साफ कर लेना।
वो बोली- बहन के लंड ! तूने मुझको टाइम ही कहाँ दिया।
फिर भाई बोला- बहनचोद आज तेरी चूत ना फाडी तो मैं भी मर्द नही।
इतने में अंजू ने मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली तेरा लंड बड़ा करूं और उसने मेरी पैंट उतार दी। और अंडरवियर के बीच में हाथ डालकर लंड निकाल लिया।
फिर भाई से बोली ओऐं बहन के लौड़े ! जल्दी से चोद। मुझे वापिस अपनी बहन के पास जाना है।
वो बोला- ठीक है।
भाई ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे चूत मारने का तरीका बताने लगा। भाई ने अंजू की चूत की दोनो तरफ की खाल अलग कर दी।
अब उसकी चूत साफ दिख रही थी। भाई ने अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के लाल दाने पर रखा और एक ज़ोर से झटका दिया। अंजू को बहुत दर्द हुआ।
उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपना सर इधर उधर हिलाने लगी। और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था। फिर भाई थोड़ी देर रुका। अंजू भी मुझे देख रही थी और मुझे भी मज़ा देना चाहती थी पर दर्द के कारण कुछ कर नही पा रही थी।
फिर कुछ देर बाद उसका दर्द बंद हुआ। फिर वो बोली कर ना ! जल्दी मुझे जाना है। और वो मेरा लंड पीने लगी अब मुझे और भी अच्छा लग रहा था। फिर भाई उसे चोदने लगा।
कुछ देर बाद अंजू के मुँह से निकाला के ज़ोर से चोद मेरी चूत फाड़ और वो मेरे लंड को जोर से और पागल की तरह चूस रही थी। फिर वो भाई से बोली लंड निकाल मैं झडने वाली हूँ। भाई ने अपना लंड निकाला तो भाई के लंड से सफेद पानी निकला।
मैं बोला- ये क्या है?
तो भाई बोला- इसी से बच्चे बनते हैं। इसी तरह का पानी इसकी चूत छोड़ रही है।
फिर मैंने कहा- मुझे देखना है !
तो भाई ने अंजू की टांग ऊपर की और उसकी चूत फाड़कर दिखाने लगा। तो अंजू की चूत से खून और सफेद पानी निकल रहा था। वो बोला आज इसकी सील टूटी है। इसी लिए इसकी चूत से खून निकल रहा है।
फिर मैं अंजू के पास गया और अंजू अपने आप ही मेरे लंड पकड़ कर चूसने लगी कुछ देर बाद मुझे अंदर कुछ अच्छा महसूस हुआ और मेरा सारा पानी अंजू के मुँह में निकल गया।
वो बोली ये क्या किया गंदा ना हो तो। मैंने कहा मुझे पता ही नही चला। फिर वो उठी और अपने आप को साफ करके और अपने कपडे सही करके चली गई।
अब मुझे रिया के बारे में ख्याल आने लगा कि मैं भी उसकी सील तोड़ूंगा। क्योंकि मुझे रिया की बड़ी बहन ने वादा किया था।
फिर उस रात मैंने भाई से सारा गुप्त ज्ञान ले लिया। और उसके बाद उसकी बहन रिया को और रानी को, अपनी बुआ को, पडोस की तीनो बहुओं को, अपनी सग़ी चाची को, अपने मामा की लड़की को, अपनी दो मेडम को, अंजू को, अपने गुरु की तीसरे नंबर की लडकी को चोदा और इनके अलावा भी कईयों को चोदा है। Antarvasna
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.