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मेरा नाम अनिल है मैं Hindi Porn Stories कानून का छात्र हूँ। मेरी उम्र 23 साल है। अन्तर्वासना पर मैं एक अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ। यह कहानी ऐसी है जो आज तक मैंने अपने दिल में दबा कर रखी है और जिसे पढ़ कर सभी चूत और लंड पानी छोड़ देंगे! जब बच्चे यह भी नहीं जानते कि मुठ मारना क्या होता है, मैं तब से और आज तक मुठ मारता आ रहा हूँ। जिससे मेरा लंड भी टेढ़ा हो गया है, तो तुम अंदाजा लगा सकते हो कि मैं कितना गुंडा हूँ!
बात उस समय की है जब मेरी जवानी पूरे जोश पर थी मेरा वीर्य निकलना शुरू ही हुआ था और कोमल-कोमल झांट आई थी और चूत मारने का इतंना मन करता था कि बस चूत हो! कैसे ही हो!
मेरे बड़े भाई की शादी हुई, बड़ी सुंदर भाभी आई, नाम है मनोरमा, जिसके गोल-गोल चूचे, उठी हुई गांड है!
शुरू से ही मैं अपनी भाभी से एक हद तक मजाक करता था पर मैंने कभी उसके बारे में गलत नहीं सोचा। पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था! भाई की रात की ड्यूटी लगी हुई थी, मम्मी और पापा भैंसों के प्लाट में सोते थे।
अब मम्मी बोलने लगी- अनिल बेटा, तेरे भाई की रात की ड्यूटी है, तू अपने कमरे में सोने की बजाय अपनी भाभी के साथ सो जाना, कभी वो अकेली डर जाये!
एक बार तो मैंने मना किया पर मम्मी के कहने पर तैयार हो गया। तब तक मेरा मन बिल्कुल शुद्ध था और सोच रहा था कि डबल बेड है, एक तरफ मैं सो जाऊँगा और एक तरफ भाभी!
बस एक अजीब सी खुशी थी कि भाभी के बेड पर सोऊँगा!
अब भाभी ने सारा घर का काम खत्म कर लिया और आ गई सोने के लिए अपने बेड पर। मैं पहले से ही बेड पर था, भाभी बोली- अनिल, सो जाओ!
हमने लाइट बुझाई और सो गए, डबल बेड पर एक तरफ मैं और एक तरफ भाभी थी।
रात को लगभग बारह बजे मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मेरा एक हाथ भाभी के चूतड़ पर था और मुँह भाभी के पैरों के तरफ था। बस वो पल मेरे लिए तूफान बनकर आया जिसने मेरी माँ समान भाभी मुझसे चुदवा दी।
अब मेरी नींद उड़ गई और मुझे अपनी भाभी एक लंड की प्यास बुझाने का जुगाड़ दिखने लगी। पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कहाँ से शुरुआत करूँ!
कम से कम एक घंटा मैं एक अवस्था में ही लेटा रहा, जब तक भाभी गहरी नींद में थी।
अब मेरा सबर का बांध टूट गया, मैंने भाभी की तरफ करवट ली और अपना ग्यारह इंच का लंड भाभी की गांड क़ी दरार में धीरे से भिड़ा दिया। उस समय मैं बहुत डरा हुआ था, फिर धीरे से पैरों पर एक चुम्बन लिया! उसके बाद मेरा कुछ होंसला बढ़ा कि भाभी कुछ नहीं बोल रही! मेरे हिसाब से भाभी जग गई थी और आराम से मजा ले रही थी।
फिर मैं भाभी क़ी गांड से हाथ हटाकर पेट पर हाथ ले गया, पर मेरी गांड फट रही थी!
मैंने धीरे से कमीज़ ऊपर कर दिया और धीरे-धीरे सलवार के अन्दर हाथ ले गया, फिर कच्छी क़ी इलास्टिक ऊपर क़ी और भाभी क़ी चूत पर हाथ रख दिया। लगता था कि भाभी ने सात-आठ दिन पहले ही झांट काटी होंगी क्योंकि छोटे-छोटे बाल आ रहे थे जो मेरे हाथ में चुभ रहे थे!
भाभी ने एक अंगड़ाई ली और सीधी हो गई। मेरी गांड फट कर हंडिया हो गई, लेकिन वो कुछ नहीं बोली और सोने का नाटक करने लगी। मेरा लंड तन कर पूरा लक्कड़ हो रहा था। अब मेरा डर दूर था, मैंने भाभी का नाड़ा खोलकर सलवार और कच्छी उतार दी।
भाभी जग गई और बोलने लगी- अनिल, यह क्या बद्तमीजी है?
मैं बोला- भाभी, एक बार मुझे अपनी चूत में अपना लण्ड घुसाने दे! यह बात किसी को नहीं पता चलेगी।
वो कहने लगी- अनिल, यह गलत है!
मैं भाभी क़ी अनसुनी करते हुए भाभी के होंठ चूसने लगा, अब भाभी भी गर्म हो गई थी और मेरा विरोध नहीं किया, इसलिए मैंने देर नहीं क़ी और भाभी क़ी चूत में उंगली डाल दी। चूत कुंवारी जैसी थी क्योंकि अभी मेरी भाभी एक बार भी गर्भवती नहीं हुई थी।
अब भाभी तड़प गई और कहने लगी- अनिल जल्दी कर!
मैंने अपना टेढ़ा लंड भाभी क़ी कोमल चूत पर रख कर जोर से धक्का मारा, एक ही धक्के में लंड तो अन्दर चला गया पर भाभी दर्द से तड़प गई और बोली- अनिल, तेरे टेढ़े लंड ने तो मेरी जान ले ली!
मैंने भाभी को जोर-जोर से धक्के मारे, भाभी तड़पती रही और अपनी गांड हिला कर मेरा साथ देती रही।
पंद्रह-बीस मिनट में पहले भाभी झड़ गई और फिर मैं!
उस रात मैंने भाभी को तीन बार चोदा!
भाभी सुबह जल्दी उठ गई और बोली- अनिल, यह बात मेरे और तुम्हारे बीच रहनी चाहिए!
मैंने कहा- ठीक है भाभी!
दोस्तो, अन्तर्वासना पर मेरी पहली और सच्ची कहानी कैसी लगी?
अगली कहानी में बताऊँगा कि किस तरह मेरी भाभी ने मुझे फंसवा दिया! Hindi Porn Stories
हेल्लो Antarvasna के पाठकगण, मैं आपकी फ़ेवरेट आरज़ू। माफ़ी चाहती हूँ कि कल मैं अपनी कहानी पूरी नहीं कर पाई क्योंकि एक अरजेन्ट कॉल आया था
सो आज मैं अपनी कहानी वहीं से दोबारा शुरू करती हूं जहां से अधूरी छोड़ी थी।
जैसा कि मैं बता चुकी हूं कि मैंने ब्ल्यू फ़िल्म देख कर अब्बू से ज़िद करी कि मुझे भी चार आदमियों से एक साथ चुदाना है. तब अब्बू ने कहा कि अभी तो तेरा भाई और मैं ही हूं, हां ! कल ज़रूर तूझे चार आदमियों से चुदवा दूंगा और उसके बाद अब्बू ने नये तरीके से मेरी बुर चूसी. जो आप पार्ट एक में पढ़ सकते हैं।
अब बात आगे बढ़ाती हूं।
तो अब मैं अब्बू के कन्धे पर अपने दोनों पैर लपेटे उनका लण्ड चूस रही थी और अब्बू मेरी चूत को चूस रहे थे और वही किनारे मेरा भाई अपने लण्ड को हाथ में लेकर खड़ा था. तब अब्बू ने मुझे नीचे लेटा दिया और भाई से कहा- आओ बेटे, आज इस साली की चूत की दोनों बाप बेटे मिलकर धज्जियाँ उड़ा देते हैं. साली ब्ल्यू फ़िल्म देख कर चार लोगों से एक साथ चुदाने की ज़िद कर रही है तो आज तो हम दोनों ही चार के बराबर चुदाई कर देते हैं बाकि कल इस चूत मरानी को चुदाता हूं चार मुस्टण्डों से!
और फ़िर अब्बू मेरी चूत के मु्ंह पर अपने लण्ड को रगड़ने लगे और भाई मेरे सर के पास मेरे मुँह पर आया और अपने लण्ड को मेरे हाथ में देकर चूसने को बोला।
तब मैं भाई के तगड़े लण्ड को हाथ से सहलाने लगी. और अब्बू जी ने अचानक मेरी बुर पर चिकोटी काट ली और मेरी बुर के दाने के साथ छेड़खानी करने लगे. आज वाकई अब्बू के साथ अलग ही तरह का मज़ा मिल रहा था जो पहले कभी नहीं मिला था।
उधर भाई ने अपना लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और मैं मज़े से चूसने लगी. अब्बू जान भी अब मेरी जवान बुर पे अपनी जबान रख कर चाटने लगे. फ़िर मैं भी अपने चूतड़ नीचे से उचकाने लगी अब मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी- आआह्हह्ह आआअह्हह अब्बू जान, बहुत मज़ा आ रहा है चूस डालो मेरी बुर को … पी जाओ साली को! बहुत खाज मचती है इसमें! आआह्हह्ह आज अपनी बेटी की चूत की सारी खाज मिटा दो!
अब अब्बू ने अपनी जबान किसी लण्ड की तरह मेरी चूत के अन्दर धकेल दी और मथनी की तरह मथने लगे मेरी बुर को। अब मुझे दो तरफ़ा मज़ा मिल रहा था; एक तरफ़ भाईजान लण्ड अपनी बहन के मुँह में डाले था और अब्बू मेरी चूत को चूस रहे थे.
तब ही मैं ‘आआह्ह आआअह्ह …’ करते हुए झड़ गई और अब्बू मेरे सारे रस को बड़े मज़े से चाट गये. और फ़िर भाई भी जोरदार धक्के मेरे मुँह में लगाते हुए झड़ गया. उसके बाद थोड़ी देर तक हम लोग सुस्त से पड़े रहे।
करीब 20 मिनट बाद अब्बू ने कहा- अब बेटा, इस माँ की लोड़ी की चुदाई करनी है. वो भी इस तरह कि साली ब्ल्यू फ़िल्म की चुदाई भूल जाये!
और ये कहकर अब्बू ने मेरी चूची को कसकर दाब दिया और भाई मेरी पीठ के पीछे से चिपक गया. अब मैं अब्बू और भाई के बीच में पिसी जा रही थी।
आगे से अब्बू अपने सीने से कसकर मेरी दोनों चूची दाबे हुए मेरे लबों को चूस रहे थे और पीछे से मेरा भाई अपने दोनों हाथ से मेरी बुर की दरार को कुरेद रहा था और उसका 7″ का कड़ा लण्ड मैं अपनी गाण्ड पर साफ़ महसूस कर रही थी।
तब ही भाई ने गप्प से अपनी एक अंगुली मेरी चूत में डाल दी और अब्बू तो अब बकायदा मेरी एक चूची के निप्पल को मुँह में दाब कर अपने होंठ से मसल रहे थे और दूसरी चूची को हाथ से बहुत बेदर्दी से दबा रहे थे।
मैं सिसक रही थी- आआह्हह अब्बू … ज़रा धीरे धीरे दबाइये, बहुत दर्द हो रहा है, रहम कीजिए अपनी बेटी पर!

और फ़िर अब्बू ने कहा- बेटा, अब ज़रा आसन लगाने दे, आज एक साथ दो लण्ड तेरी बुर में डलवाऊँगा.
तब मैंने कहा- अब्बू जी, आपके पास तो एक ही है।
अब्बू ने कहा- अरी मेरी छिनाल बिटिया रानी! ज़रा सबर तो कर और पीछे देख! तेरे भाई का लण्ड भी तो है!
और ये कहकर वो बेड पर लेट गये उनका लण्ड किसी सांप की तरह फ़ुफ़कार रहा था।
इस उम्र में भी अब्बू का लण्ड बहुत मोटा और लम्बा था मेरा दिल अन्दर से डर रहा था कि आज मेरी नन्ही सी चूत का क्या होगा?
तब अब्बू ने कहा- मेरी प्यारी बेटी, तू अपनी चूत को मेरे लण्ड पे रख कर बैठ जा!
और मैं अपने दोनों पैर छितरा कर उनके लण्ड पर बैठ गई और फ़िर उनका लण्ड थोड़ा सा मेरी चूत में घुस गया।
तब अब्बू ने कहा- अब तू मेरी तरफ़ झुक जा!
और जैसे ही उनका पूरा लण्ड मेरी चूत में घुस गया और मैं जब झुकी तो अब्बू ने अपने दोनों हाथ से मुझे अपनी तरफ़ खींच लिया और मेरे होंठ को चूसने लगे.
अब अब्बू ने पीछे से भाई को इशारा किया कि तू भी अपना लण्ड इसकी चूत में घुसेड़ दे.
पर भाई इतना समझदार नहीं था, वो अपने लण्ड को मेरी गाण्ड के छेद में घुसेड़ने लगा।
तब मैंने कहा- अब्बू … भाई तो गाण्ड में मारने जा रहा है.
भाई ने कहा- साले बहनचोद … मैं कह रहा हूं कि बहन की चूत में डाल … और तू है कि बहन की गाण्ड के पीछे पड़ा है?
तब भाई ने कहा- इसमें तो आप डाले हुए हैं, मैं कहां से डालूं?
अब्बू ने कहा- साले आजकल के लड़के तो बस चूत मारना और गाण्ड मारना जानते हैं, साले बस लड़की की टांग उठाई और लगे चोदने! अरे साले हरामी, जिसमें मैं डाले हूं, उसी में तू भी अपना लण्ड डाल।
तब अब्बू ने मुझसे कहा- बेटी, तू ज़रा अपनी बुर और ऊपर कर दे ताकि इस बहनचोद को साफ़ साफ़ नज़र आये तेरी चूत!
और फ़िर मैंने अपनी चूत और ऊपर उठा दी।
अब भाई अपने लण्ड को मेरी चूत पे रख कर घिसने लगा. पर मेरी समझ में खुद भी नहीं आ रहा था कि जब अब्बू का लण्ड मेरी चूत में घुसा है, तब भाई का लण्ड कैसे जायेगा मेरी चूत में? हां अगर अंगुली पेलनी होती तो वो जा सकती थी.
पर मैं खमोश थी.
आखिर भाई ने बहुत ज़ोर देकर अपने लण्ड की टोपी मेरी चूत में डाल ही दी और तब मुझे बहुत दर्द हुआ- आआअह्हह ऊऊओह्हह अम्मीईई … अब्बू बहुत दर्द हो रहा है।
तब अब्बू ने कहा- क्या भाई का पूरा लण्ड चला गया अन्दर?
मैंने कहा- नहीं, अभी तो सिर्फ टोपी ही गई है.
तब भाई ने एक धक्का और मारा और अब भाई का करीब चार इन्च लण्ड उसकी बहन की चूत के अन्दर घुस गया था।
मैं चीख रही थी- आआअह्हह अब्बूऊऊ जीईई पलज़्ज़ रहम कीजिये, मैं मर जाऊंगी ईई आआह्ह्ह!
तब अब्बू मेरी चूची को दबाते हुए बोले- बेटी, अभी तुझे बहुत मज़ा आयेगा, जब दो लोगों का लण्ड एक साथ बुर में जाता है तब बहुत मज़ा आता है क्यूंकि मैंने तेरी अम्मी को भी इस तरह से तेरे चचा के साथ चोद चुका हूं!
और तब ही मेरे भाई ने एक और धक्का मारा और मेरा बेलेन्स बिगड़ गया और मैं अब्बू के सीने पर गिर गई और मेरी आंख से आंसू निकलने लगे और मेरी सिसकियाँ बंध गई।
अब भाई और अब्बू का पूरा पूरा लण्ड मेरी चूत में था और एक दूसरे के लण्ड से रगड़ खा रहा था और मेरी चूत की दरार फ़ैलती जा रही थी. अब मुझे भी दर्द की जगह मज़ा आने लगा था और मैं धीरे धीरे उन दोनों का साथ देने लगी थी- आआह्हह आआअह्ह ह्हह … अब्बू … भाई … बहुत अच्छा लग रहा है. और अन्दर कीजिये … आअह्ह ह्हह ऊऊफ़्फ़ … कसम से बहुत मज़ा आ रहा है!
और अब दोनों बहुत ही जोरदार धक्के लगा रहे थे साथ साथ मेरी दोनों चूची को भी मसल रहे थे. तभी मेरे बाप या भाई में से एक का लण्ड मेरी चूत में झड़ा. पर मैं समझ नहीं पाई कि किसका पानी मेरी चूत में गिरा है!
फ़िर कुछ देर बाद मैंने अपनी चूत में एक बार फ़िर से पानी की फ़ुहार महसूस की और फ़िर दोनों के लण्ड ढीले हो गये.
पर मैं अभी झड़ी नहीं थी, तब मैंने अब्बू से कहा- साला बेटी चोद कर अपना पानी तो आप लोगों ने निकाल लिया पर मेरा तो अभी पानी भी नहीं निकला. साले अगर जल्दी ही मेरी प्यास नहीं बुझाई तो तुम दोनों का लण्ड काट लूंगी।
तब अब्बू ने मुझे झट से अपने लण्ड पर बैठा लिया और मेरी चूची को चूसते हुए बोले- मेरी बिटिया रानी, ऐसे बात ना करो, आज देखो मैंने तुमको कितना मज़ा दिया है और अभी तुम्हारा पानी भी निकाल देता हूं.
और फ़िर मुझसे कहा- तुम ऐसा करो कि भाई से एक बार गाण्ड मरवा लो, तुम्हारा पानी भी निकल जायेगा।
तब मैंने कहा- अबे जाहिल … कहीं गाण्ड मरवाने से भी पानी निकलता है बेटीचोद? मेरी बुर में खाज है और तू गाण्ड मरवाने की बात कर रहा है।
तब अब्बू ने कहा- बेटी, मैं तेरी मारुंगा, भाई गाण्ड मारेगा.
और उसके बाद भाई ने मेरी जम कर गाण्ड मारी और आगे से अब्बू मेरी चूत में अपना लण्ड पेले जा रहे थे, अब मुझे दो तरफ़ से मज़ा मिल रहा था।
एक साथ बुर और गाण्ड मरवाने का थोड़ी देर बाद ही मैं झड़ गई और मेरी चूत से फ़स फ़स की अवाज़ आने लगी।
तो दोस्तो, कैसे लगी मेरी Antarvasna कहानी?
अंतर्वासना पर मैं Sex Stories कई कहानियाँ भेज चुका हूँ और इसके लिए मैं गुरु जी का शुक्रिया करना चाहता हूँ जिनकी कृपा से मेरी चुदाई सबके सामने आई और बाकी मेरे पाठकों ने मुझे वेबकैम और याहू पर देख यह बात जान ली है कि मैं कोई कहानी मनघड़ंत नहीं लिखता। एक बार फिर से सभी पाठकों को प्रणाम करते हुए मैं अपनी नवीनतम चुदाई लेकर सबकी कचहरी में फिर से हाज़िर हूँ।
अन्तर्वासना के ज़रिये मुझे दो मस्त लौड़े भी मिले हैं जोकि मैं इस चुदाई के बाद लिखूंगा। उसके लिए आपको इंतज़ार करना पड़ेगा। उससे पहले यह मस्त चुदाई दो दिन पहले करवाई।
मेरे घर के रास्ते में एक अमरुद का बढ़िया सा बाग़ पड़ता है, इस बाग़ में मैं दो बन्दों के साथ मौज मस्ती भी कर चुका हूँ, कैसी मस्ती यह आप जानते ही हो, तब सीज़न नहीं था और बाग़ खाली रहता था, आजकल भारी फसल है, मैं घर आ रहा था कि पके अमरुद देखकर सोचा कि चलो तोड़कर लाता हूँ! दुपहर में कौन होगा, यह सोच मैंने बाग़ में प्रवेश किया, काफी आगे चला गया और एक बढ़िया सा अमरुद तोड़ा और खाने लगा। चार पांच पके अमरुद अपने लिफाफे में ड़ाल लिए।
तभी जोर से आवाज़ आई- अभी कौन है? क्या रहा है बाग़ में साले?
उसने जोर से सीटी बजाई, सोचा अब क्या करूँ? यह अकेला नहीं होगा!
लिफाफा वही छुपा दिया और अपनी पतलून खोल पौटी करने की तरह उसकी ओर पीठ करके बैठ गया। सब जानते हैं, अब तो वेबकैम पर मैं अपने हर चाहने वाले को दिखा भी चुका हूँ, गोरी गोल-मोल गद्दे जैसे गांड है मेरी!
वो पीछे आकर हल्की सी सोटी(डण्डा) मेरी गांड पे मारते हुए बोला- क्या कर रहा है यहाँ?
मैंने कहा- दिख नहीं रहा?
बोला- साले! नीचे कुछ नहीं है! पागल बना रहा है अपने बाप को? उठ साला!प्लीज़ सच कह रहा हूँ! जाने दो मुझे!
इतने में दूसरा भी वहीं अ गया, मैं वैसे ही बैठा था, उनकी नज़र मेरी गांड पर टिक गई।
दूसरा वाला तो लूंगी के ऊपर से अपना लौड़ा खुजालने लगा। मैं उठा, खुद ही पतलून हाथ से छोड़ दी, पतलून नीचे गिर गई, मैं उनकी ओर पीठ करके घोड़ी की तरहं नीचे झुका और पतलून उठाई।
दोनों बोले- क्या गांड है साले की! पकड़ इसको पुलिस में देते हैं बहनचोद को!
उसने मेरी कलाई पकड़ी और बाग़ के अदंर वहाँ एक कमरा था, छोटी सी रसोई, एक पंखा लगा हुआ था, दो बिस्तर थे पास में ट्यूबवेल चल रहा था। उसने मुझे वहीं बिठा दिया और रस्सी लेने गया। मेरा दिमाग घूम सा गया, उसका एक साथी लूंगी उतार ट्यूबवेल के सामने बने चुबच्चे में कूद गया। उसके कपड़े उसके जिस्म से चिपक गए, उसका लौड़ा देख मेरी गांड में खुजली होने लगी, पानी पीने के लिए उठा।
बोला- बहनचोद भाग रहा है!
नहीं यार! भागना कहाँ? पानी पीने आ रहा हूँ मैं!
वो बार-बार कच्छे में हाथ डाल साबुन लगाता। मैं दूसरी ओर से गया, उसकी पीठ उस तरफ थी। मैंने पतलून उतार कर एक तरफ़ रख दी और शर्ट भी! मेरी चेस्ट नहीं ब्रेस्ट है! अब तो वेबकैम पर सब देख चुके हैं। यह सब अन्तर्वासना की बदौलत हुआ है। मैं उसके पीछे गया, उसकी कमर से हाथ डालते हुए उसके लौड़े को पकड़ लिया, बगल से हाथ डाल उसकी पीठ से अपना मम्मे रगड़ने लगा। वो मेरी ओर घूम गया, उसका खड़ा हो रहा था, मैंने उसको नीचे झुक मुँह में ले लिया। वो मेरे सर पे हाथ रख बालों में फेरने लगा।
उसकी आंखें बंद हो रही थी। दूसरा वाला सब देख रहा था। मैंने लौड़ा निकाल लिया और खुद भी उसके अंदर छलाँग लगा दी। पानी से मेरे मम्मे चमकने लगे।
साले क्या लड़की जैसा है तेरा बदन!
और किनारे पर बिठा लौड़े का रसपान करने लगा।
उसको भी मैंने आंख मार दी, जुबान उसके लौड़े को देख होंठों पर फिरा दी, उसका भी काम कण्ट्रोल से बाहर हो रहा था। वो उठकर आया और लूंगी खोल अंदर कूद गया। उसने कुछ भी नहीं पहना था। उसका लौड़ा बहुत भयंकर था, आधा लटक रहा था। दोनों को पास-पास ही चुबच्चे की दीवार पर बिठा खुद बीच में बैठकर चूसने लगा।
बोले- वाह यार! वाह! बहुत बढ़िया माल निकला! तेरी गांड देख कर समझ गया था कि तू अमरुद नहीं लंडरुद तोड़ने आया था, तेरे जैसे बहुत गांडू इस बाग़ में गांड मरवाने के लिए मर्द लाते हैं, लेकिन हमें पैसे देते थे। आज पहली बार कोई लौड़ा चूस रहा है। हम लोग गरीब हैं, चूत मिल जाये वही बहुत है, चुसवाना दूर की बात है!
कोई बात नहीं, मैं मिल गया हूँ ना! क्या बढ़िया से लौड़े हैं!
दोनों के पूरे तन चुके थे, पहली बार मुँह में डालने की वजह से दोनों मुँह में झड़ गए। कोई बात नहीं रे!
मैं किनारे पर लेट गया, दोनों के लौड़े हाथ में ले लिए और उनके सर को अपने मम्मों की ओर करते हुए एक-एक मम्मा दोनों ने पकड़ चूस लिया। इतने में उनके मैंने फिर खड़े कर लिए मुंह में लेकर पूरी तरह से खड़े कर लिए और काफी साबुन की झाग बना उनके लौड़ों पर लगा दी।
उनके कमरे में ले गया, मैंने गांड के नीचे तकिया रख टांगे खोल दी और एक को बीच में आने का इशारा कर दूसरे का मुँह में डाल लिया। अपने हाथ से लौड़ा छेद पर टिकाया दोनों ओर से ऊँगली डाल गांड खोल दी। लेकिन मैंने उसे वहीं रोक दिया। मटकता हुआ पतलून से कंडोम निकाले जो मैं रिज़र्व में अपने साथ रखता हूँ, छोटे-मोटे और साधारण नहीं, महंगे! जिन्हें डाल कर पता भी न चलता कि डाला है या नहीं!
उसका लौड़ा फ़िर से अपनी गाण्ड के छेद पर टिका लिया, उसने झटका दिया और उसका टोपा मेरी गांड में फंस गया।
मैंने कहा- निकालकर दुबारा डालो! इस कंडोम में बहुत चिकनाहट है!
इस बार उसने पूरा लौड़ा धीरे-धीरे कर घुसा दिया। उसके बाद उसने ऐसे झटके मारे जिससे मेरा ढांचा हिलने लगा, हड्डी से हड्डी बजाने लगा बेरहम बन कर! कुछ पल में मुझे आनन्द आने लगा। उधर एक का लौड़ा पहले से मुँह में घुसा हुआ था। उसका लौड़ा मैं लॉलीपॉप की तरह चूसने लगा। दूसरी तरफ मेरी गाण्ड बज़ रही थी और एक तरफ स्वादिष्ट लौड़ा मेरे मुँह में! मेरे होंठों में सोने पर सुहागा हो रहा था। वहाँ पर अह उह और मार बेन्चोद दे मेरी आज फाड़ डाल इस कमीनी को हाय मेरा रजा रोज़ तुझ मरवाने आऊँगा इतना कस कर छोड़ रहा है तूँ साले असली मर्द है! अहऽऽ ओहऽऽ मेरे आशिक!
जब मैं बोलता, उसका लौड़ा निकालना पड़ता!
उसने मेरे बालों को बुरी तरह से पकड़ लिया और जोर-जोर से मेरे मुँह में अन्दर-बाहर करने लगा। वो मुंह से बाहर नहीं आने दे रहा था, हलक में उतार देता, मैं खांसने लगता। उधर झटके पर झटका तेज़ होता गया और कुछ देर में उसने पिचकारी छोड़ दी। कंडोम उतार उसने गीला लौड़ा मुँह में डाल दिया और मैंने साफ़ कर दिया।
आजा मेरे राजा! तेरी बारी है अब! उस पर भी कंडोम लगा दिया और उसके सामने घोड़ी बन गया। उसने पीछे आकर डाल दिया- अह उह उह अह मार साले मार मेरी ऐसा जुगाड़ कभी नहीं मिलेगा और ना मिला होगा!
जुगाड़ हूँ मैं पक्का जुगाड़ हूँ! मैंने कहा- अपने नीचे डाल ले! मुझे अच्छा लगता है किसी मर्द के नीचे लेट कर उसके बदन से चिपक कर लौडे का स्वाद लेता हूँ!
उसने सीधा लिटा दिया और टाँगे चौड़ी करवा कर डाल दिया अन्दर! और मैं अपना मम्मा उसके मुँह के पास लाया तो वो मुँह में डाल निपल को जुबान से छेड़ता तो मेरी मस्ती का आलम न रहता। मैं चूतड उठा उठा मरवाने लगा- हाय, साले! मेरी माँ चोद दे! बहन चोद दे! मेरी फाड़ डाल! फाड़ डाल! हाँ फाड़! फाड़!
ऐसे बातें सुन उसका जोश बढ़ा और वो तेज़ तेज़ धक्के लगा, उसका काम भी तमाम हो गया, उसका भी निकाल साफ़ किया।
और कपड़े पहनते हुए कहा- आते-जाते गांड मरवाने आऊँगा!
दोस्तो, यह थी मेरी नवीनतम चुदाई!
सभी पाठकों की शिकायत थी कि अगली चुदाई क्यूँ नहीं लिख रहा! सो कैसी लगी बताना! Sex Stories
वैसे तो मेरे कई सारे सुखद अनुभव रहे हैं और आज मैं आपके सामने उनमें से ही एक सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ।
इस यूनिवर्सिटी प्रोफेसर सेक्स कहानी को मैं अपनी एक प्रशंसिका ऋतु नामक लड़की के आग्रह पर लिख रहा हूँ।
कहानी शुरू करने से पहले मै अपने बारे में आपको बता दूं, मेरा नाम अमित (बदला हुआ) है और मैं एक मार्केटिंग प्रोफेशनल हूं।
मैं 29 वर्ष का अविवाहित युवक हूँ और मेरे लंड का साइज़ भी इतना मस्त है कि ये किसी भी लड़की या भाबी को चुदाई का पूरा मज़ा देता है।
मैं वाराणसी, उत्तर प्रदेश मैं रहता हूं और मेरी यह हॉट टीचर फक़ स्टोरी भी यहीं की है।
मुझे लड़कियों से ज्यादा भाभियों और शादी-शुदा महिलाओं की चुदाई करनें में ज्यादा मजा आता है।
मेरा आपसे यह अनुरोध है कि कृपया कोई भी पाठक मुझसे किसी भाभी या लड़की का नंबर या आइडी ना मांगे।
किसी भी भाभी या लड़की के लिए उसकी प्राइवेसी और गोपनीयता बनाए रखना बहुत ज़रूरी होता है और मैं हमेशा ऐसा ही करता हूं।
इसलिए ये देखते हुए मैंने कहानी में नाम बदल दिए हैं।
पहले मैं आपको अपनी कहानी की नायिका यानि कि उस खूबसूरत प्रोफेसर के बारे में बता देता हूं.
वे इसी शहर की एक यूनिवर्सिटी में पढ़ाती हैं,
मेरी उनसे मुलाकात एक प्रोग्राम के दौरान हुई जिसमें मैं अतिथि बनकर गया हुआ था।
हालांकि उस दिन मेरा ध्यान उन पर ज्यादा नहीं गया लेकिन उनका ध्यान मुझ पर ही था.
और यह मुझे प्रोग्राम खत्म होने के बाद मिले उनके पर्सनल व्हाट्सएप से पता चला जिसमें उन्होंने मेरी स्पीच के साथ-साथ मेरी भी तारीफ की थी।
उसके बाद से जब भी मैं यूनिवर्सिटी में जाता तो उनसे जरूर मिलता था.
और वे भी मुझसे उतनी ही खुशी के साथ मिलती थी.
धीरे-धीरे हमारी बात व्हाट्सएप पर होने लगी.
और कई बार मैं बिना काम के भी उनसे बातें करने लगा.
वे भी मुझसे सहर्ष बातें करती थी.
जिससे मुझे यह समझ में आने लगा कि वे भी मुझ में रूचि ले रही हैं।
बातों ही बातों में उन्होंने मुझे बताया था कि यहां पर स्टाफ क्वार्टर में वे अकेली ही रहती हैं. उनके पति और बच्चे दूसरे शहर में रहते हैं।
तो बस मैंने एक योजना बनाई और फिर एक दिन बातों ही बातों में मैंने उनसे कहा- कभी अपने घर चाय पर बुलाइए!
पहले तो उन्होंने मना किया.
लेकिन फिर मैंने कहा- यूनिवर्सिटी में तो साथ में चाय नहीं पी सकते. तो अच्छा होगा कि आपके घर पर ही चाय पी जाए!
इस पर वे मान गईं … शायद उनका भी मन मुझसे मिलने का था।
लेकिन अब अगली समस्या यह थी कि उनके घर किस समय जाया जाए क्योंकि स्टाफ क्वार्टर की बिल्डिंग में और भी लोग रहते थे.
और वे नहीं चाहती थी कि मुझे उनके यहां आते हुए लोग देखें.
नहीं तो बातें बनना शुरू हो जाएंगी।
गर्मी का मौसम का और सभी लोग सुबह 9:00 बजे तक अपने ऑफिस चले जाते थे.
इसलिए उन्होंने मुझे अपने घर 9:15 बजे तक बुलाया क्योंकि वे 11:00 बजे तक अपने ऑफिस जाती थी.
बस फिर क्या था … मुझसे भी इंतजार नहीं हो रहा था और मैं सुबह 9:00 बजे ही उनकी कॉलोनी के बाहर पहुंच गया.
फिर उनका फोन आया तो उन्होंने बताया कि दरवाजा खुला रहेगा.
9:15 बजते ही तुरंत मैं उनकी बिल्डिंग में दाखिल हुआ और उनके घर में घुस कर दरवाजा अंदर से बंद कर लिया.
पहले तो उन्होंने मुझे पानी, फिर चाय ऑफर की.
फिर हम बैठकर बातें करने लगे.
अब क्योंकि हम इस तरह पहली बार मिल रहे थे तो दोनों ही थोड़ा शर्मा रहे थे.
लेकिन मेरी नजर उनके मस्त गोरे बदन और चूचों पर थी.
उनके मस्त फिगर की बात करूं तो गोरा कसा हुआ बदन, चूचे 32″, कमर 30″, और गांड 32″ रही होगी.
उन्होंने स्लीवलेस टॉप पहना हुआ था जिसमें से झांकती उनकी ब्रा मेरा तापमान बढ़ा रही थी.
उनको देखकर बातों ही बातों में मैं उन्हें चोद चुका था.
लेकिन अब असल में चुदाई होनी थी।
जब घड़ी में 10:00 बजे तो मैंने उनसे कहा- मुझे थोड़ा पानी चाहिए.
जिसके लिए वे रसोई में गई.
मैं यही चाहता था। मैं भी उनके पीछे किचन में गया और जाकर उनको पीछे से पकड़ लिया.
पहले तो वह थोड़ा शर्माई और मना करने लगी.
लेकिन मैंने उनकी बात नहीं सुनी और पीछे से ही उनकी गर्दन और गालों पर किस करने लगा और मेरे हाथ उतनी ही तेजी से उनके मम्मों और पेट पर चलने लगे।
मैंने उनके कानों पर किस किया और धीरे से अपनी गर्म सांस उनके कानों में छोड़ी जिससे वे और उत्तेजित हो गई और मेरी तरफ को घूम कर मुझे किस करने लगी.
किचन का तापमान अब हमारी गर्मी से बढ़ने लगा था.
वे मेरे होठों को चूसती और मैं उसके चूचों को दबाता.
इसी बीच मैंने अपना हाथ उनकी पैंटी में डाला तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा क्योंकि उन्होंने पहले से अपनी चूत के बाल साफ कर रखे थे.
मेरा हाथ एक नर्म मुलायम सी चूत पर चलने लगा.
फिर धीरे से मैंने अपनी एक उंगली उनकी चूत में डाली तो वे अचानक से सिहर उठी और मेरे होठों को और जोर जोर से चूसने लगी.
उन्होंने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और हाथ रखते ही बोली- हाय राम, कितना बड़ा है … तुम्हारा जल्दी से दिखाओ मुझे!
कहते ही कहते मेरी बेल्ट खोलकर मेरी पैंट भी खोल दी और फिर मेरा अंडरवियर निकालकर मेरा लंड अपने हाथ में लेकर खेलने लगी।
अब हम किचन से निकलकर ड्राइंग रूम में आ गए थे.
रूम में चल रहा AC मानो कह रहा था कि कमरे का तापमान थोड़ा बढ़ाया जाए और हमने भी वैसा ही किया.
अब मैंने उनकी ब्रा उतार कर उनके चूचों को अपने हाथों में ले लिया और आहिस्ता आहिस्ता सहलाने लगा.
उनके चूचुक सहलाने से वे और उत्तेजित हो उठी.
उसकी उत्तेजना मेरे होठों पर साफ पता चलती।
देर ना करते हुए मैंने तुरंत उनके चूचों को चूसना शुरू कर दिया; कभी बायां तो कभी दायां!
एक अलग ही मजा था उनके चूचों को चूसने में!
और फिर बेड पर बैठ कर मैंने उनके सर को अपने लंड के ऊपर रखा और उसे इशारे से उसे चूसने को कहा.
पहले तो वे थोड़ा डरी कि कैसे मैं इतना बड़ा लंड चूस पाऊंगी.
लेकिन फिर अपने अनुभव का प्रयोग करते हुए उन्होंने चूसना शुरू किया.
और सच बताऊं दोस्तो, ऐसा लंड चूसा उम्होंने कि मुझे लगा जैसे मैं जन्नत में हूं.
10 मिनट के बाद वे बेड पर लेट गई और अपने पैर फैला कर कहने लगी- डाल दो अंदर, अब रहा नहीं जाता, जल्दी से डालो जान!
मैंने भी लंड पर थोड़ा सा थूक लगा कर उसे गीला किया क्योंकि वह कॉन्डम इस्तेमाल नहीं करना चाहती थी.
फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा.
पर वे उतनी ही तेज मचल रही थी- जल्दी से डालो मेरी चूत में!
फिर मैंने झटका दिया तो लंड थोड़ा साइड में हो गया.
उसने अपने हाथ से पकड़ कर लंड सेट किया और धक्का लगाने को कहा.
मैंने भी उसकी हां मिलते ही पहले अपने होंठ उसके होंठों पर रखे क्योंकि मुझे पता था कि वे चिल्लायेंगी.
फिर पूरी ताकत से मैंने उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया.
वे बहुत जोर से चिल्लाई.
लेकिन उसके होंठ मेरे होंठो से दबे हुए थे जिससे उनकी आवाज बाहर नहीं आई।
वे मुझे नाखून गड़ाने लगी और गालियां देने लगी.
मैं भी और तेज उसे चोदता गया और कोई 5 मिनट बाद वो थोड़ा नॉर्मल हुई और कहने लगी- तुमने तो फाड़ दी पूरी चूत मेरी! बहुत बड़ा है तुम्हारा!
वे यही सब बोले जा रही थी और मैं मस्त चुदाई में व्यस्त था।
अब थोड़ी देर बाद हमने पोजिशन बदली और अब वे मेरे ऊपर आ कर बैठ गई.
उन्हें लंड पर बैठ कर चुदना बहुत पसंद था तो मैंने उन्हें इस तरह भी खूब चोदा।
और फिर थोड़ी देर बाद मैंने उन्हें लेटा कर जोर जोर से चोदना शुरू किया.
चुदाई के दौरान वे गंदी गालियां भी देती जा रही थी.
बातों ही बातों में उन्होंने बोला- और किसे चोदना चाहते हो?
तो मैंने उनकी पड़ोसन रश्मि ( बदला हुआ नाम) का नाम बताया.
वे बोली- उसकी तो चूत ही फट जायेगी तुम्हारे लंड से!
रश्मि की बातें करते करते मैं उन्हें चोदता रहा और इस बीच वो दो बार अपने चूत का पानी निकल चुकी थी और उसका तीसरी बार निकलने वाला था.
अब मेरा माल भी निकलने वाला था तो मैंने पूछा उनसे- कहां निकालूं?
तो बोली- अंदर नहीं!
मैं मान गया.
फिर उन्होंने कहा- पहले मेरा पानी निकल जाए तो फिर तुम निकालना!
मैंने कहा- ठीक है.
और फिर वे दोबारा से मेरे ऊपर आकर मुझे पेलने लगी.
यह उनकी फेवरेट पोजिशन थी।
फिर मैंने अपने दिमाग को थोड़ा इधर उधर किया ताकि मेरा माल तुरंत न निकल जाए.
दोस्तो, यह ट्रिक होती है जल्दी झड़ने से रोकने की।
फिर अचानक से उन्होंने बहुत जोर से मुझे पकड़ा और चिल्लाते हुए 5-6 जोरदार झटके मारते हुए मेरे ऊपर ही लेट गई.
तो मैं समझ गया कि इन्होंने अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिया है.
अब बारी मेरी थी।
मैंने तुरंत उनकी गांड को हाथ लगा कर हल्के से उठाया और उनकी पोजिशन में जोर जोर से पेलने लगा.
वे बोली- बस करो!
लेकिन मैं कहां रुकने वाला था, मैंने पेलना जारी रखा और कुछ मिनटों में मेरा माल बाहर आ गया जो मैंने उसके बिस्तर पर गिरा दिया.
और फिर उसे अपने ऊपर ही लिटाए हुए धीरे धीरे चूमता रहा।
ऐसा लग रहा था मानो मेरे शरीर से पूरा मैं खुद बाहर आ गया हूं.
हॉट टीचर फक़ के बाद मैं एकदम निढाल हो चुका था.
हमारी यह चुदाई का खेल लगभग 40 मिनट चला था जिसके बाद हम दोनों ही एकदम से ढीले हो चुके थे.
लेकिन फिर भी उसकी चूचियों को देख कर मेरा मन नहीं माना, मैं उन्हें पीने लगा.
वे मेरा सर सहलाने लगी.
फिर उन्होंने मुझसे वादा किया- अगली बार मैं रश्मि की चुदाई का भी जुगाड़ करने की कोशिश करूंगी जिससे हम तीनों ही चुदाई का मजा ले पाएं।
दोस्तो, यह तो थी मेरी और यूनिवर्सिटी प्रोफेसर की चुदाई की कहानी.
उम्मीद करता हूं कि मेरा पहला लेख आपको पसंद आया होगा और मैं आग्रह करता हूं कि कॉमेंट में आप अपने विचार बताएं इस हॉट टीचर फक़ स्टोरी पर.
हैलो दोस्तो, यहाँ कहानी Antarvasna मेरी एक पड़ोसन की है, उसने मुझे बताई थी, आपके सामने पेशा है उसी के शब्दों में:
मैं राधा हूँ, 33 साल की, फ़िगर 38-34-42 (अरे मैं मोटी हो रही हूँ!)। मैं लुधियाना की हूँ, और मैं फिर से हाज़िर हूँ एक नई कहानी लेकर। यह एक काल्पनिक-कथा है जिसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है। आप पढ़े और आनन्द लें।
बाद जनवरी, 2009 की है, अरे अभी का नया नया किस्सा है। मैं अपने पति के साथ उनके बिज़नेस के सिलसिले में ग्वालियर, मध्य-प्रदेश गई थी।
पहले तो सोचा कि ट्रेन से चलते हैं पर बाद में इन्होंने कहा कि नहीं, घूमते-घूमते चलेंगे, रास्ते में आगरा, मथुरा भी देखते हुए जाएँगे। अतः हम दोनों अपनी गाड़ी से लुधियाना से पहले दिल्ली गए और फिर वहाँ से ग्वालियर की ओर चल दिए।
सारे रास्ते हम बहुत ही मज़े करते हुए गए। जब हम आगरा में थे तो मेरे पति को फोन आ गया कि ग्वालियर वाली मीटिंग किसी वज़ह से रद्द हो गई है और अब वह मीटिंग 2 दिनों के बाद यानि 14 जनवरी को मोरेना में होगी क्योंकि अधिकतर सदस्य मोरेना में थे, तो हमने सोचा चलो पहले मोरेना में ही रूकते हैं बाद में ग्वालियर सिर्फ घूमने के लिए चले जाएँगे।
अतः हम मोरेना जाकर एक होटल राधिका पैलेस में रूक गए। अच्छा सा, ख़ूबसूरत होटल था। मीटिंग वाले दिन मेरे श्रीमान जी मुझे आठ बजे ही होटल में छोड़कर, शाम में आने का कहकर चले गए।
उस वक्त मैं अपने बिस्तर में लेटी हुई थी और मेरे बदन पर सिर्फ एक रेशमी नाईटी थी जिसमें मेरा बदन छुप कम और दिख ज़्यादा रहा था। खैर मेरे पति के चले जाने के बाद मैं बिस्तर पर बैठ टीवी देखती रही, फिर मैंने फोन पर चाय का ऑर्डर दिया।
10 मिनटों के बाद चाय आई और जो लड़का चाय लेकर आया, मैंने देखा वो मुझे घूर रहा था। जब मैंने अपनी ओर ध्यान दिया तो पाया कि नाईटी के नीचे खिसक जाने से मैं तो ऊपर से लगभग नंगी ही लग रही थी। मेरी गोल-मटोल, गोरी-गोरी चूचियों के सिर्फ निप्पल ही ढके थे बाकी ऊपर का सारा बाहर झाँक रहा था।
मैं भी मज़े लेने की मारी, जान-बूझकर लेटी रही और वेटर को घूरते देखती रही। जब वेटर ने 2-3 बार पूछा- मैडम, और कुछ लेंगी’ तब मैंने भी पलट कर जवाब दिया- और क्या है तुम्हारे पास देने को, अगर कोई दमदार चीज़ है तो बात कर।’ पर वह झेंप गया और थैंक यू मैम कह कर चला गया।
चाय पीने के बाद मैं नहाने चली गई, नहा कर तरो-ताज़ा होकर मैं बाज़ार को निकल गई और बाज़ार में इधर-उधर फालतू की शॉपिंग करती रही। करीब 12 बजे मैं वापिस होटल में आ गई।
थोड़ी देर बिस्तर पर लेट कर फिर टीवी देखा, पर मुझे तो टीवी भी बोर कर रहा था, तो मैंने अपना लैपटॉप उठाया और अपनी फैन मेल चेक करने लगी और मेल चेक करते-करते मुझे अपने एक फैन ‘स्माईल दोस्त’ की मेल मिली।
वह मोरेना में ही रहता था, मैंने सोचा ये मज़ा करने का अच्छा मौक़ा है अगर अच्छा नौजवान हुआ तो ठीक है नहीं तो वैसे ही मिलकर चाय पिला कर वापिस भेज दूँगी। अतः मैंने मेल में से उसका मोबाईल नम्बर लेकर उसे कॉल किया।
वह भी खाली था तो बोला- अरे राधा जी आप कहें और हम ना आएँ, ये कैसे हो सकता है, बताईए कहाँ आना है?’ जब मैंने होटल का नाम बताया तो वह बोला- अरे मैं तो आपके बिल्कुल नज़दीक हूँ, बस 5 मिनट में ही पहुँच जाता हूँ।’
ठीक 5 मिनट बाद मेरे रूम का दरवाज़े पर दस्तक हुई, जब मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने एक संजीदा, आकर्षक, 30-32 साल का नौजवान, 5’8′ का क़द, सुन्दर चेहरा, हाथों में फूलों का गुच्छा लिए मेरे सामने खड़ा था, हाथ मिलाया तो उसने दोनों हाथों से मेरा हाथ दबाया और हम अन्दर आ कर सोफ़े पर बैठ गए।
कुछ देर हम इधर-उधर की एक दूसरे के बारे में बातें करते रहे।
फिर मैंने पूछा- क्या पीओगे?’
तो उसने मेरी चूचियों को देखते हुए कहा- जो आप प्यार से पिला दें!
मैं भी उसका इशारा समझ गई थी। ख़ैर मैंने वेटर को चिकेन लॉलीपॉप और दो ठंडी बीयर लाने का ऑर्डर दिया।
फिर मैंने उससे पूछा ‘अरे तुम अपना नाम तो बताओ।’
वो बोला- जो आप रख दें, वहीं मेरा नाम !’
मैंने कहा- क्रिश चलेगा?’
वो बोला- बिल्कुल !’
बातचीत के दौरान मैं महसूस कर रही थी कि क्रिश की इच्छा हो रही थी कि बस दो मिनट में वो मेरी साड़ी फाड़ कर मुझे चोद के रख दे। पर मैंने देखा कि उसकी बातचीत बड़ी संतुलित थी, उसने एक बार भी घटिया भाषा का या गन्दे इशारे का इस्तेमाल नहीं किया, पर उसकी आँखें मेरी ब्लाऊज़ से झाँक रहीं मेरी चूचियों पर ही टिकी थीं।
मैंने भी उसकी इच्छा पूरी करने के लिए अपना पल्लू नहीं सँभाला और उसको नेत्र-भोजन करवा रही थी।
तभी डोर-बेल बजी, वेटर ऑर्डर लेकर आ गया। हम दोनों ने साथ बैठकर बीयर पी और चिकेन भी खाया। जैसे बीयर का सुरूर चढ़ता गया हम दोनो ज़्यादा खुलते गए, जो दूर-दूर बैठे थे बिल्कुल क़रीब होकर बैठ गए, फिर बातों-बातों में क्रिश ने मेरा हाथ पकड़ कर चूम लिया।
मैंने कहा- यह तो वो बात हो गई कि जो सारी गाड़ी चुरा सकता था, सिर्फ एक टायर चुराकर ही खुश हो गया लगता है !’
मेरी बात सुनकर क्रिश ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया। अब मेरा सिर उसकी गोद में था और उसने बड़े प्यार से मेरे बालों को सहलाते हुए मेरे गालों पर किस करना शुरू किया।
किस्सिंग में क्रिश मुझे थोड़ा बदमाश लगा क्योंकि वो तो मेरे होठों को खा ही जाता था। किस्सिंग करते-करते उसने अपना एक हाथ मेरी चूचियों पर रखा और दबाने लगा। मुझे भी मज़ा आने लगा और मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे उसने बड़े प्यार से अन्दर खींच लिया और चूसने लगा।
फिर उसने मुझसे कहा- सन्जू, अब सब्र नहीं होता, मैं तुम्हें पूरी नंगी देखना चाहता हूँ।’
मैंने कहा- तुम्हारी गोद मैं लेटी हूँ, सारी की सारी तुम्हारी हूँ, जो चाहे कर लो, मैं मना थोड़े ही करूँगी।’
मेरी मंज़ूरी मिलने के बाद उसने एक-एक करके मेरे ब्लाऊज़ के बटन खोले और मेरा ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को चूमा, दबाया और फिर मेरे ब्रा की हुक खोल कर मेरी दोनों चूचियों को आज़ाद किया। मेरी दोनों छातियों को बारी-बारी से अपने हाथों में लेकर दबाया और चूचुकों को मुँह में लेकर चूसा, जिससे मेरे चूचुक कड़े हो गए।
आनन्द के मारे मेरे मुँह से ‘ओहहह, आआहह, उफ्फ्फ, स्स्स्स्सीसीसी’ जैसी आवाज़ें निकल रहीं थीं। मेरी चूचियाँ चूसते-चूसते क्रिश ने मेरी पेटीकोट और साड़ी टाँगों से उठा कर मेरी टाँगों, जाँघों और मेरी चूत पर हाथ फिराना शुरू किया। मेरी चूत पानी छोड़-छोड़ कर गीली हुई पड़ी थी।
मैंने कहा- मेरा तो सारा सामान देख लिया, अब अपना भी कुछ दिखाओ,’
यह सुनकर क्रिश बोला- जानेमन, सब तुम्हारा ही तो है।’
यह कह कर उसने अपनी शर्ट और बनियान उतारी, फिर पैंट, बूट्स और ज़ुराबें भी उतार दीं, पर अन्डरवियर नहीं उतारा और कहा- इसका उदघाटन तुम करो।’
मुझे उसके अन्डरवियर में छुपा उसका मूसल जैसा लण्ड दिख रहा था। जब मैंने उसकी अन्डरवियर उतारी तो अन्दर से एक 8 इंच लम्बा मोटा, लोहे जैसा सख्त लण्ड बाहर निकला।
उसने अपने बाल साफ कर रखे थे जिस कारण उसका लण्ड और भी भयानक लग रहा था। मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसका लण्ड हाथ में पकड़ कर अपनी ओर खींचा और मुँह में लेकर चूसने लगी। क्रिश मेरे बालों में हाथ फिरता रहा और धीरे-धीरे आगे-पीछे होकर मेरा मुँह चोदता रहा।
लण्ड चुसवाते-चुसवाते वह एक ओर झुका और मेरी साड़ी और पेटीकोट खोल कर उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे थे। मैंने उसका लण्ड पकड़ा और उसे खींच कर अपने बिस्तर पर ले गई। वहाँ हमने 69 की स्थिति ले ली, मैंने उसके लण्ड को चूसा तो उसने भी अपनी पूरी जीभ मेरी चूत में डाल-डाल कर चाटी और 9-10 मिनटर के मुख-मैथुन में हम दोनों झड़ गए।
कुछ देर यूँ ही लेटे रहे फिर दोनों उठकर बाथरूम में गए, बाथ-टब में एक साथ नहाए। नहा कर तौलिये से एक-दूसरे के बदन को पोंछा और क्रिश मुझे गोद में उठाकर बिस्तर पर ले आया।
जब उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया तो मैंने देखा कि उसका लण्ड फिर से अकड़ गया था। मैंने कहा- ये क्या कह रहा है?’
वो बोला- नाराज़ होकर अकड़ गया है कि मुझे मेरी सहेली से तो मिलाया ही नहीं, ख़ुद ही सारे मज़े ले लिए, मुझे तो मज़ा दिलाया ही नहीं !’
तो मैंने कहा- अरे भाई किसी को नाराज़ नहीं करना चाहिए, इसकी सहेली भी इससे मिलने को बेताब है, आओ दोनों को मिला दें।’
इतना सुनते ही क्रिश छलाँग लगा कर मेरे ऊपर आ गया और फिर से मेरे होठों, गालों और चूचियों को चूसना शुरू कर दिया। 2-4 मिनट की पूर्व-क्रिया के बाद मेरी चूत फिर से गीली हो गई। मैंने क्रिश का कड़क लण्ड हाथ में पकड़ा, अपनी टाँगें चौड़ी कीं और उसका लण्ड अपनी चूत के मुँह पर रखा।
‘देखो, सहेली अपने यार का मुँह चूम रही है।’ मैंने कहा।
तो क्रिश बोला- यार कहता है कि मैं तो सहेली के मुँह में ही घुस जाऊँगा,’ इतना कहकर क्रिश ने धक्का लगाया और उसके लण्ड का सुपाड़ा मेरी चूत में घप्प से घुस गया और 2-4 शॉट्स में उसने पूरा लण्ड अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
मैंने देखा कि क्रिश के चोदने में भी स्टाईल थी। सारा समय उसनी चुदाई एक ही गति से और लगातार की। थोड़ी देर के बाद उसने स्थित बदलने को कहा, अब उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा और पीछे से अपने लण्ड को मेरी चूत में डाल कर मुझे चोदा।
कुछ देर इस तरह से चोदने के बाद वह नीचे लेट गया और मुझे ऊपर आने को कहा, पर चोदा फिर भी उसी ने, मैंने ऊपर हवा में अपनी कमर रोक कर रखी और वह नीचे से झटके लगाता रहा। इसी दौरान मेरा जिस्म अकड़ गया और मैं झड़ गई पर वो लगा रहा। कभी दाईं ओर से, कभी बाईं ओर से, कभी मैं ऊपर, कभी वह ऊपर, चूस-चूस कर उसने मेरे होंठ सूजा दिए, पी-पीकर उसने मेरे निप्पल भी दुखा दिए पर वह झड़ने का नाम नहीं ले रहा था।
जब दो बार झड़ने के बाद मेरी चूत दुखने लगी तो मैंने कहा- अब झड़ भी जाओ यार, मेरी तो दुखने भी लगी है !’
वह बोला- बस काम होने ही वाला है बताओ कहा छुडाऊँ, चूत में, चूचियों पर, या मुँह में?’
मैंने कहा ‘जहाँ तुम चाहो !’
तो उसने कहा- तो ठीक है तेरी चूत में झड़ूँगा।
यह कहकर उसने अपनी गति बढ़ा दी और धाड़-धाड़ ज़ोरों से धक्के मार कर मुझे चोदने लगा।
मुझे दर्द तो हुआ पर मैं उसके मज़े को खराब नहीं कर सकती थी इसलिए दर्द सहती रही और 2 मिनट बाद ही उसने मेरे सिर के बाल ज़ोर से पकड़ लिए और मेरे निचले होंठ को ज़ोर से अपने होठों में भींच लिया और ताबड़तोड़ झटके लगता हुआ मेरी चूत में झड़ गया।
मैंने भी उसे कस के अपनी बाहों में जकड़ लिया, उसका बदन पसीने से भींगा हुआ था, साँस धौंकनी की तरह चल रही थी, दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।
छूटने के बाद वो कितनी देर मेरे ऊपर ही लेटा रहा। मैं महसूस कर रही थी कि उसका कड़क लण्ड झड़ने के बाद मेरी चूस में ही धीरे-धीरे सिकुड़ रहा था। आखिर क्रिश मेरे ऊपर से नीचे उतरा और मेरी बगल में लेट गया।
‘संजू, ज़िन्दगी में पहली बार इतना मज़ा आया, शायद नेट पर चैटिंग करते-करते तुम्हें चोदने की जो हसरत दिल में पैदा हो गई थी उसे पूरा होने की खुशी थी, पता नहीं क्या, पर बेहद मज़ा आया।’
मैं भी खुश थी, मैंने उसके होठों को किस किया और उठकर बाथरूम को जाते हुए बोली,’ एक बार और नहाया जाए?’
‘हाँ, पर नहाने के बाद एक दौर और चलाएँगे?’ उसने कहा।
तो मैंने आँखों से ‘हाँ’ का इशारा करके बाथरूम की ओर भागी तो वो भी उठा और मुझे पकड़ने के लिए मेरे पीछे भागा। Antarvasna
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