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यह घटना ५ साल पहले हुई थी जब Hindi Porn Stories मैं २० साल का था ! उस वक़्त मैं बी.एस.सी. कर रहा था ! मेरा पहला सेक्स अनुभव तो मेरी पड़ोस की लड़की फातिमा के साथ हुआ, जो बहुत ही सेक्सी थी ! जब भी मैं उसे देखता तो मेरा लंड खड़ा हो जाता था ! मैं उसके बारे में सोच कर न जाने कितनी बार मुट्ठ मार चुका हूँ !! उसका फिगर भी गज़ब का था ! वो १८ साल की होते हुए भी २२ साल की दिखती थी और उसकी हाईट ५.५” थी !
उसने अपनी पढ़ाई के दौरान कंप्यूटर क्लास ज्वाइन किया ! लेकिन उसके घर में कंप्यूटर नहीं था इसलिए वो हर शाम हमारे घर प्रैक्टिस करने के लिए आती थी ! हर बार की तरह वो प्रैक्टिस के लिए घर आई ! वो गुलाबी सलवार पहने हुए बहुत ही सेक्सी लग रही थी ! वो मुझे देख कर मुस्कुराती थी तभी मैं समझ गया कि लड़की हँसी तो फंसी !!!! यह सिलसिला ऐसे ही चलता रहा !
फिर एक दिन मेरे घर के लोग बाहर गए थे, सो मैं घर में अकेला था ! मैंने मन ही मन सोच लिया था कि आज चाहे कुछ भी हो जाये, मैं फातिमा के मम्मों को जरुर दबा दूंगा ! अगर वो इन्कार करेगी तो सॉरी बोल दूंगा, मगर मैं हिम्मत नहीं जुटा पाया ! जब वो कंप्यूटर पे काम कर रही थी तब मैं उसके पास जाकर बैठ गया और उसकी कॉलेज लाइफ के बारे में पूछने लगा ! अंत में मैंने उससे सेक्स के बारे पूछा तो वो शरमा गई !
मैंने पूछा,”कभी तूने सेक्स मूवी देखी है ?”
उसने कहा,”नहीं !!”
मैंने उसके हाथ से माउस लिया और कंप्यूटर पर ब्लू फिल्म चला दी ! मूवी में दो लड़कियों की एक लड़के द्वारा चुदाई का दृश्य चल रहा था ! उसने शर्म के मारे अपने चेहरे को हाथ से छुपा लिया ! मैंने उसके हाथ को हटाया और कहा,” देख लो, बाद में फिर मौका नहीं मिलेगा !!”
वो बोली,”तुम यह सब देखते हो क्या ?”
मैंने कहा,”हाँ ! और करना भी चाहता हूँ !!!”
अब वो बिंदास हो कर मूवी देख रही थी ! मैं समझ गया कि यही सही मौका है !! मैंने कुर्ते के ऊपर से ही उसके मम्मे दबाने शुरू किये !!! पहले तो वो मना करती रही पर बाद में मान गई !! मैंने उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डाल कर उसके मम्मों को दबाना शुरू किया तो वो ऊऊह्ह्ह्हह्ह आआ ह्ह्ह्हह्ह करने लगी !! मैंने एक हाथ उसकी सलवार के अन्दर डाला तो मैं हैरान हो गया क्यूंकि उसकी पैंटी पहले ही गीली हो चुकी थी ! मैं अपनी ऊँगली उसकी चूत के अन्दर डाल कर आगे-पीछे करने लगा ! वो अब नियंत्रण से बाहर हो गई थी !
वो आआह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊऊओह्ह्ह करते हुए चिल्लाने लगी,”घुसाना है तो अपना लंड घुसा ! इस ऊँगली से किसे सहला रहा है ??”
उसकी बात सुनकर मैं हैरान हो गया ! मैंने तुरंत अपनी पैंट उतार दी और अपना ७.५” इंच का लौड़ा बाहर निकाल लिया ! मेरे लंड को देखते ही वो बोली,” इतना लम्बा और मोटा ??? मुझसे नहीं होगा ……..! “
मैंने अपना लौड़ा उसके मुंह में डाल दिया और वो ५ मिनट तक मेरे लौड़े को चूमती रही ! फिर उसके मुंह से लौड़ा निकाल कर उसकी चूत पर रख कर घुसाना शुरू किया तो वो बोली, ” आआह्ह्ह्ह ! बाहर निकाल दो ! मुझसे और दर्द…………………………. आह्ह्ह ………… .बर्दाश्त नहीं होता ………….!!!!”
अब मैंने अपना लौड़ा पूरी ताकत से उसकी चूत में घुसा दिया और जोर-जोर के झटके लगाने शुरू कर दिए ! थोड़ी देर बाद वो शांत हो गई और मेरे लंड का पूरा मज़ा लेना शुरू कर दिया !! मैंने जम कर आधे घंटे तक उसकी चूत की धुलाई की ! इसी बीच वो २ बार झड़ चुकी थी ! जब मैं झड़ने को हुआ तो मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत से निकाल कर उसके मुंह में घुसा दिया और उसका सिर पकड़ के जोर-जोर से हिलाया ! तभी मैंने देखा की उसकी चूत के खून से मेरा लंड लाल हो गया था ! मैं एकदम से डर गया तो वो बोली,” डरो मत ! मैं ठीक हूँ !” तब जाकर कहीं मेरी जान में जान आई !!
मैंने अपना पूरा वीर्य उसके मुंह में ही झाड़ दिया ! वो जल्दी से बाथरूम में अपना मुंह धोकर आई और मुझसे पूछने लगी,” अगर झड़ना ही था तो मेरी कमर पर या मेरे मम्मों पर करते!! मुंह में क्यूँ किया ??”
मुझे उसके भोलेपन पर हंसी आने लगी ! मुझे बाद में पता चला कि मैं उसे जितनी भोली समझता था, वो उतनी भोली थी नहीं !!! मुझसे पहले वो अपने किसी आशिक से पूरे एक साल तक चुदवा चुकी थी !!
उसके बाद मैं फातिमा को कई बार चोद चुका हूँ किन्तु अब वो अपने पति के साथ न जाने कहाँ चली गई, मुझे पता नहीं !
अन्तर्वासना के सम्मानित पाठको, आपको यह कहानी कैसी लगी, अवश्य बताना !! Hindi Porn Stories
जीजाजी मेरे गांड़ पर अपना लंड रख Antarvasna लिया। अपने लंड में थोडा सरसों का तेल लगाया और मेरे बुर में भी थोड़ा डाला। वे गांड़ को एकदम लूज छोड़ देने को बोले। ऐसा लग रहा था कि वे बड़े चुदक्कड हैं। मैं तो आज सब कुछ सहने को तैयार थी। वे कहने लगे कि मैं धीरे से अंदर करूँगा, अधिक दुखे तो बोल देना। मैंने भी हाँ कह दी। दीदी फिर रूम में आ गई। वे मेरे गांड़ के उपर कुछ उनको देख कर कहने लगी, अरे तुम बहुत शैतान हो। उनको पहले गांड़ ही चाहिए। ये मेरे साथ भी ऐसा ही करते हैं। पहली बार तो थोडा दुखा था मगर उसके बाद तो मजा आने लगा है। आज तो तुम्हें सब कुछ सहना पड़ेगा। दीदी कह रही थी कि प्यार में तो सब कुछ चलता है। दीदी जीजाजी को कुछ इशारा करके रूम से फिर बाहर निकल गई। इस बार वह दरवाज़ा बाहर से बंद कर दी।
मैं तो थोडा डर गई। जीजाजी ने दीदी के जाते ही एकदम ज़ोर से धक्का लगा दिया। मैंने एक हाथ से उनका लंड पकड़ना चाहा मगर वे तो अपना पूरा लंड डाल चुके थे। मैं ज़ोर से चिल्लाई, दीदी बचा। जीजाजी ने मुझे मार दिया । मुझे अब नहीं चाहिए। मैं चिल्लाती रही मगर उन्होंने एक भी नही सुनी। वे और ज़ोर से ठेलते गाये। मेरी आँख से आँसू आते देख उन्होंने अपना लंड निकाल लिया तब जाकर मुझे राहत हुई। अब उन्होंने मुझे चित कर दिया। अपने लंड के सुपाड़ा उघार कर मेरे बुर पर रख दिया। मेरी दोनो चूचियां पकड़ कर चूसने लगे। अपने लंड के सुपाड़े से मेरे टिट को रगड़ रहे थे।
वे पक्के खिलाड़ी लग रहे थे मैंने उनकी कमर पकड़ ली। मुझे उनका पूरा लंड चाहिए था। मैं जीजाजी को अंदर ठेलने का ज़िद करने लगी मगर उन्हें अब कोई जल्दी नहीं लग रही थी। वे उठ कर फिर बाथरूम में चले गए, इस बार मुझे भी लेते गए। जीजाजी मेरी बुर में साबुन लगा कर अपने से धो दिए। तब मैंने भी उनका लंड धो दिया। अब हम दोनो फिर बेड पर आ गए। इस बार वे मेरे दोनो टांगो के बीच में बैठ गये। मेरे दोनो टाँगो को उठाकर अपने कंधो पर रखे। मुझे से अपना लड पकड़वाया ऑर अपने बुर के छेद पर रखने को बोले। मैंने भी वैसे ही किया। जीजाजी कह रहे थे कि अब मत रोना गांड़ इतना नहीं दुखेगा।
तब भी मुझे डर लग रहा था। उन्होंने पहले आधा ही अंदर किया और कुछ देर तक उतना डाल कर ही बाहर भीतर करते रहे। जीजाजी पुछने लगे बोलो मजा आ रहा है कि नहीं। मैं कुछ नहीं बोली और जीजाजी की कमर पकड़ कर अपने तरफ़ दबाने लगी। जीजाजी कहने लगे अच्छा तो अब लो मेरा पूरा लंड का मजा इतना कहकर जीजाजी ने कसकर धकका मारा और उनका पूरा लंड मेरे अंदर चला गया। ऐसा लगा कि उनका लंड छाती तक आ गया है। मैं ज़ोर से चिल्ला उठी। मैं जीजाजी को गाली देने लगी। कहने लगी तुम बहुत शैतान हो तुमने तो आज मुझे फाड़ ही डाला। मेरी गांड़ और बुर एक ही दिन में बरबाद करके रख दी। जीजा जी मुस्क़ुरा रहे थे।/
अब वे मेरे चूची को दबाने लगे और धक्के लगा कर चोदने लगे। अब मेरी टाँगो को नीचे रख दिया और एक चूची को मुख में डाल कर चूसने लगे। ज्यों ज्यों धक्का मार रहे थे मुझे अपना स्तन चुसवाने में और मजा आ रहा था। अब मेरे सब दर्द ग़ायब हो चुके थे। मैं बोल रही थी और ज़ोर से धक्के मारो मेरे अच्छे जीजाजी। आप सचमुच में मर्द हो। आज पहली बार ज़िंदगी का मजा आ रहा है फिर दीदी आ गई। उस समए हम दोनो मस्ती में थे। दीदी कहने लगी, अरे मुझे भूल गये क्या उसे अब थोड़ी जलन होने लगी थी। दीदी कहने लगी अब तो मुझे भी नहीं रहा जाता।
इतना सुनते ही जीजा जी मुझ पर से उतर गये और दीदी को मेरे साथ में ही पेट के बल लेटा दिए। जीजाजी दीदी को नंगे कर दिए। जीजाजी ने दीदी के गांड़ में थोड़ा थूक लगाया । दीदी ने अपने दोनो हाथों से अपनी गांड़ फैलाई। जीजाजी ने एक ही बार में अपना समूचा लंड दीदी के गांड़ में डाल दिया। दीदी को कोई दर्द होते नहीं दिखा। वह नीचे से कमर चला रही थी। जीजाजी कहने लगे देखो तुम्हारी दीदी कैसे चुदवा रही है मगर तुम चिंता मत करो, कुछ ही दिनों में तुम भी पक्की हो जाओगी। उसके बाद जीजाजी हम दोनो बहनो को बारी बारी से चोदने लगे। अंत में जीजाजी मेरे उपर चढ़ गये और कहने लगे कि आज अपना माल तुम्हारे ही अंदर डालुंगा। वे मेरे स्तन को फिर चूसने लगे और कच से पूरा लंड अंदर कर के ज़ोर से धक्का लगाने लगे।
मैं अब गिरने लगी थी। वे समझ गए और अपने दोनो हाथों से मेरी कमर कस कर पकड़ ली। मेरा चूची कस कर चूसने लगे। मैंने भी अपनी कमर चलानी शुरू कर दी। मैं कह रही थी अरे मेरे राजा और ज़ोर से धक्के मारो और अंदर धकेलो, मुझे और ज़ोर ज़ोर से चोदो। बीच बीच में दीदी जीजाजी को और धक्का मरने को उकसा रही थी। दीदी जीजाजी से कह रही थी आज मेरी बहन की प्यास बुझा दो। आज अपनी साली के जवानी को मसल दो। जीजाजी लास्ट बार धक्का मारे और मैं चिल्ला उठी। अरे बाप रे अब छोड़ दो। कुछ देर तक हम बिस्तर पर ही पड़े रहे। मैं दीदी और जीजाजी का शुक्रिया अदा कर रही थी। बेड पर देखा तो काफ़ी ख़ून के धब्बे थे। मेरे स्तन पर दाँतों के निशान बन गये थे।
दीदी जीजा जी के तरफ़ देख कर मुस्कुराने लगी। दीदी कह रही थी तुम्हारा सील भी आज तुम्हारे जीजाजी ने ही तोड़ी। मैं अपने जीजाजी का लंड पकड़ कर कहने लगी दीदी ये बहुत मजे का है। पहले दर्द देता है और फिर मजा। जीजाजी कह रहे थे साली तो आधी घर वाली होती है, इसलिए इसमें तुम्हारा अब बराबर का हक है। जब चाहो आ जाना, मेरा लंड तुम्हारी गांड और बुर के लिए हमेशा तैयार रहेगा। वे दीदी से कह रहे थे कि तुम्हारी बहन तो कमाल की चीज़ है। आज तो मुझे मजा आ गया। क्या मस्त जवानी है। सील तोड़ने में तो बहुत ज़ोर लगाना पड़ा। साली का माल तो बहुत ही टाईट है इसको लूज करने में बहुत दिन लगेगा। अभी मेरे दो बच्चे हैं। बच्चे पाकर मेरे पति भी काफ़ी ख़ुश रहते है। मैं अब उनको कोई शिकायत नहीं करती। मेरे पास काफ़ी संपत्ति है। मेरे दीदी के पास एक अच्छा मर्द। हम दोनो बहने एक दूसरे का ज़रूरत पूरा करते है और आनंद से रहते है। Antarvasna
हैलो रीडर्स, आई एम सुमित बैक वंस अगैन Hindi sex stories आई एम २४ इयर्स ओल्ड एंड विद ए गुड फिज़िक & गुड मशीन साइज़। बात तब की है जब मैं कॉलेज में था एमए फ़ाइनल कर रहा था और कॉलेज में फेस्ट चल रहा था। निधि मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी और मैं उसे दिल ही दिल में चाहता भी बहुत था लेकिन कभी कहने की हिम्मत नहीं होती थी। हम दोनों खूब साथ कॉलेज में रहते थे बात चीत करते थे लेकिन इससे ज़्यादा न कभी मैंने न कभी उसने ही कोई पहल करी। फेस्ट में हम दोनों एक्टर ऐक्ट्रेस का रोल कर रहे थे। नाटक शाम को ५ बजे होना था और हम १ बजे से ही रिहर्सल कर रहे थे। लगभग २ घंटा पहले मेक अप करके हम दोनों को थोड़ी देर डाइरेक्टर ने हमें एक ही कमरे में छोड़ दिया और डाइलोग बोल कर देखने को कहा। उसने एक आदिवासी की साड़ी पहनी थी और मैंने एक धोती और एक फटा हुआ बनियान पहना हुआ था क्योंकि मैं नाटक में एक मजदूर और वो मेरी बीवी का रोल कर रही थी।
नाटक की प्रक्टिस में हम दोनों को एक सीन में डांस करना था मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसने मेरी कमर में हाथ डाला और हमने डांस करना शुरू किया। उसके बाद एक बेंच से टकरा कर वो थोडी सी लड़खड़ायी और उसकी साड़ी का पल्लू नीचे गिर गया। अचानक मेरी नज़र उसके बूब्स पर चली गई जो ब्लाउज़ का गला गहरा होने की वजह से साफ साफ दिखाई पड़ रहे थे। उसका रंग इतना गोरा था कि मानो दूध से भी सफ़ेद। साइज़ तो बस एक दम परफेक्ट। इतना परफेक्ट कि कोई भी देखे तो बस देखता ही रह जाए। शायद ३६-२६-३४ होगा। मेरी निगाह उसकी छाती से ही अटकी रह गई। तभी मैंने देख कि निधि अपने साड़ी का पल्लू उठाने की बजाय मेरी तरफ़ ही देखे जा रही है। मुझे लगा कि शायद ग्रीन सिग्नल मिल रहा है मैंने चेहरा ऊपर उठा कर उसके लिप्स पर किस करना शुरू कर दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैं किस और ज़्यादा डीप करता गया और फ़िर अपनी जीभ उसके मुंह मी दे दी और फ़िर उसके जीभ मेरे मुंह में भी आ गई। वो भी बहुत एन्जॉय कर रही थी।
मैंने मौका देखते हुए उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया और ब्लाउस के ऊपर से ही पूरा मज़ा लेने के बाद मैंने ब्लाउज़ के अन्दर हाथ डालने की बजाय उसे पीछे से बांहों में भर कर उसकी गांड दबाने लगा। मैंने वो भी मुझे बिल्कुल मना करने की बजाय मेरा साथ दे रही थी मैंने अब देर न करते हुए उसकी साड़ी को उठाया और उसकी गोरी गोरी टांगो को देख कर मेरी आँख जैसे खुली की खुली ही रह गई। मैं उसकी टांगों को नीचे से चूमता हुआ ऊपर तक गया और उसकी काले रंग की पैंटी को किस किया और फ़िर देर न करते हुए उसकी पैंटी को उतार कर उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। वो और ज़्यादा गरम होती जा रही थी।
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थोड़ी देर के बाद वो पूरे मज़े के साथ चुसाई का काम करने लगी और उसे भी खूब मज़ा आ रहा था। अब मैंने उसको कहा कि जानू एक बार असली खेल भी खेल लेते हैं फ़िर बहुत मज़ा आएगा। वो फ़िर भी घबरा रही थी लेकिन अब की बार थोड़ा सा ही समझाने पर वो तुरंत मान गई और मैंने मुंह से ढेर सारा थूक निकाल कर अपने लंड और उसकी चूत पर लगाया और अपना काम धीरे धीरे शुरू किया। उसे बहुत दर्द हो रहा था। मगर अब वो कुछ बोल भी नहीं सकती थी क्योंकि अगर वो थोड़ी से भी आवाज़ बाहर निकालती तो बाहर से कोई भी आ सकता था। ऐसे में मैंने अपने होठ उसके होठों पे रख दिए और चुदाई कार्यक्रम शुरू कर दिया। थोड़ी देर में उसे भी मज़ा आने लगा और फ़िर लगभग १५ मिनट की मजेदार चुदाई के बाद हम दोनों ने अपना अपना पानी छोड़ दिया। उसके बाद तो मैंने लगभग हर हफ्ते उसे उसके घर पर जाकर चोदा।
वैसे वो आज भी मेरी बेस्ट फ्रेंड है पर अब उसकी शादी हो गई है। Hindi sex storie हालांकि शादी को २ महीने ही हुए हैं पर हो सकता है कि मेरा प्रोग्राम अभी भी चलता रहे।
इंडियन भाभी की गांड में लंड गया तो भाभी की गांड फट गयी, उसमें से खून निकलने लगा क्योंकि भाभी ने उतना मोटा लंड पहले कभी गांड में नहीं लिया था.
दोस्तो, मैं अंकिता राठौर एक बार फिर से आपकी सेवा में हाजिर हूं.
मेरी पिछली कहानी
विधवा सहेली की चूत चुदवा कर मजा दिलाया
को आप लोगों ने बहुत प्यार दिया है.
उसके लिए आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया!
आज मैं फिर एक नई कहानी लेकर आई हूं.
अगर आपने मेरी पिछली कहानी नहीं पढ़ी है तो उसे पहले पढ़ लें वरना ये आपको समझ नहीं आयेगी.
तो जैसा आपने मेरी पिछली कहानी में पढ़ा था कि शोभा का बेटा आर्यन मुझको चोद चुका था और मैंने प्लान बना के शोभा को भी आर्यन से चुदवा दिया था।
अब आगे इंडियन भाभी की गांड में लंड:
ऐसे एक दिन मैं घर में फ्री आराम कर रही थी तो सोचा क्यों न आर्यन से बात करूं क्योंकि मेरी भी चूत में बहुत खुजली हो रही थी, काफी दिनों से लौड़ा अंदर नहीं लिया था मैंने भी!
मैंने आपको पिछली कहानी में बताया था कि आर्यन मेरी सबसे अच्छी सहेली शोभा का बेटा है जिसकी उम्र 24 साल है.
तो मैंने झट से फोन उठाया और आर्यन का नंबर डायल किया.
उसने फोन उठाया और बोला- कैसी हो मेरी जान?
मैंने कहा- अपनी जान को भूल गये या मन भर गया है क्या जो अब मिलने नहीं आते?
तो उसने बताया कि उसके एग्जाम थे तो वह व्यस्त था.
मैंने कहा- अच्छा ठीक है. फिर बताओ कब मिल रहे हो?
तो उसने बताया- मम्मी कल परसों में दिल्ली जाने वाली हैं ऑफिस के काम से! तो घर खाली रहेगा. तो फिर हमारे मजे ही मजे हैं मेरी रण्डी!
उसके मुंह से रण्डी सुन कर मेरी चूत में खुजली होने लगी.
मैंने कहा- यार बेटा, बहुत मन कर रहा है. जल्दी मिलो!
उसने बोला कि फोन करेगा वो!
उस दिन मैं चूत में उंगली कर के सो गई।
फिर एक दिन सुबह आर्यन का फोन आया- मम्मी अभी थोड़ी में निकल रही हैं. तो घर आ जाना!
मैंने कहा- ठीक है.
तब मैंने अपने पति को बोल दिया- मुझको मेकअप का ऑर्डर मिला है. एक लड़की का मेकओवर करना है. तो मैं बाहर जा रही हूं.
तो पति ने कहा- ठीक है … लेकिन आराम से जाना!
आप सबको तो पता ही है कि मैं एक ब्यूटी पार्लर चलाती हूं.
फिर आर्यन का फोन आया बोला- कहाँ हो जानेमन? आओ ना … घर में मैं बिल्कुल अकेला हूं!
मैं बोली- बस आ रही हूं यार!
करीब बारह बजे मैं आर्यन के घर पहुंच गई.
उसने दरवाजा खोला, मैं अंदर जाकर सोफे पे टांगें ऊपर कर फैका कर बैठ गई.
आर्यन ने मुझको देखा.
मैं बोली- क्या हुआ?
उसने बोला- कुछ नहीं … आज बहुत खूबसूरत लग रही हो!
मैंने उस दिन काली साड़ी और ब्लैकलेस ब्लाउज पहना था. अंदर ब्रा पहनी नहीं थी. हाँ पैंटी पहनी थी नीले रंग की!
आर्यन मेरे पास बैठ कर मेरी चिकनी टांगें सहलाने लगा.
थोड़ी देर में मैं गर्म हो गई थी.
काफी देर मेरी चूचियों और जांघें सहलाने के बाद आर्यन बोला- यार, एक बात बोलूं … मेरा एक फ्रेंड है. मैंने उसे बताया कि मैंने एक भाभी के साथ मजे लिए. तो वो भी बोलने लगा करने से लिए!
मैंने पूछा- कौन है वो?
तो आर्यन बोला- बबलू!
मैंने पूछा- कौन बबलू?
तो उसने बताया- अरे यार, वो जिसकी चौराहे पे पान शॉप है वही!
तब मुझे पता चला वो बबलू!
दरअसल बबलू की हमारे चौराहे पर शराब के ठेके के पास पान सिगरेट की दुकान है. वहाँ हमेशा भीड़ ही लगी रहती है.
मैंने आर्यन से पूछा- तुमने ऐसे लोगों से दोस्ती कर रखी है?
तो उसने बताया- यार, एक दिन मैं नशे में था बहुत ज्यादा … तो उसी की दुकान पे खड़ा होकर सिगरेट पी रहा था. तो मैंने ऐसे नशे में इसको हमारी बात बता दी.
मैंने उसे कहा- यार, यह क्या कर दिया तुमने? उसने हमारे बारे में सबको बता दिया तो?
आर्यन बोला- वह अब मुझसे बोल रहा था कि सिर्फ एक बार … बस एक बार दिला दो यार! अब तुम बताओ मैं क्या करूं?
उसने मुझसे पूछा तो मैं बोली- अब सबको बता देगा बबलू!
तो आर्यन बोला- ऐसा नहीं है. तुम एक बार बस उसके साथ कर लो ना … फिर ऐसा कुछ नहीं होगा, नहीं बताएगा वह किसी को!
मैं आर्यन से बोली- ऐसे कैसे यार कर लूं उसके साथ?
तो आर्यन बोला- यार और कोई दूसरा ऑप्शन नहीं है!
फिर मैंने काफी देर सोचने के बाद आर्यन से कहा- बोल तो तुम सही रहे हो! लेकिन तुम भी साथ में रहना!
आर्यन बोला- ठीक है. बताओ अभी बुला लूं बबलू भैया को?
मैंने कहा- अभी?
तो आर्यन बोला- हाँ, वह 5 मिनट में दुकान बंद कर के आ जाएगा.
मैंने कहा- ठीक है, बुला लो!
फिर आर्यन ने बबलू को फोन किया और बोला- भैया, मेरे घर आ जाओ. आपका काम हो गया है.
करीब आधे घंटे बाद घण्टी बजी.
आर्यन मुझसे बोला- तुम अंदर रहना. जब मैं बोलूं तब आना!
मैं अंदर कमरे में चली गई.
आर्यन दरवाजा खोलने चला गया.
मैंने दोनों की आवाज सुनी.
बबलू बोल रहा था- कहाँ हैं भाभी जी?
तो आर्यन बोला- बैठो, अभी बुलाता हूं.
आर्यन ने मुझ को आवाज दी.
मैं बाहर वाले कमरे में गई.
बबलू और आर्यन दोनों बैठे थे.
बबलू ऐसे नजरें फाड़ कर देख रहा था मुझे!
मैंने टेबल पर देखा तो एक बोतल शराब की रखी हुई थी और दो पैकेट सिगरेट थे.
आर्यन बोला- तुम दोनों बैठो, मैं ग्लास लेकर आता हू.
वह अंदर ग्लास लेने चला गया.
तो बबलू मेरे पास आकर बैठ गया और बोला- भाभी, आपको कोई दिक्कत तो नहीं है न? बता दो?
मैं बोली- अगर मैं मना करूंगी तो क्या तुम मान जाओगे?
तो बबलू बोला- भाभी, आप मुझे बहुत मस्त लगती हो. मैं हमेशा आपके पार्लर की तरफ से निकलता हूँ आपको देखने के लिए! यहाँ तक कि कभी कभी राज से भी पूछ लेता था कि ‘मम्मी पापा कैसे हैं’ जब वो मेरी दुकान पे आता था.
आप सबको बता दूँ कि राज मेरे बेटे का नाम है.
मैंने पूछा- वह तुम्हारे वहाँ क्या करने आता है?
तो बबलू बोला- अरे भाभी, अब मेरी जिस चीज की दुकान है, वही सामान लेने आता है … सिगरेट!
अब मुझे पता चला कि मेरा बेटा भी सिगरेट पीता है.
तब तक आर्यन ग्लास लेकर आ चुका था और हमारी बातें सुन रहा था.
आर्यन बोला- चलो, मैं पीछे कमरे में हूँ. आप लोग एंजॉय करो.
तो बबलू बोला- अरे तू कहाँ जा रहा … रुक यहीं … दो पेग ले यार!
आर्यन बोला- अरे रहने दो, आपको डिस्टर्ब होगा.
तो बबलू बोला- नहीं होगा मेरे भाई!
तभी बबलू बोला- अंकिता भाभी, एक काम करो … आप बनाओगे हमारा पेग!
मैंने पहले कभी पेग नहीं बनाया था.
तो मैंने उसको बताया- मैंने पहले कभी बनाया है.
बबलू बोला- अरे बस बोतल से थोड़ी थोड़ी शराब ग्लास में डालनी है. इसमें क्या दिक्कत है?
उसने बोतल का ढक्कन खोल कर मुझे दी और मैंने दोनों ग्लास में थोड़ी थोड़ी शराब डाली.
लेकिन दोनों में ज्यादा हो गई.
तो आर्यन बोला- अरे, ये तो पटियाला पेग बना दिया यार!
बबलू बोला- अरे अब भाभी जी ने बना दिया है तो पी लेंगे!
वे दोनों आराम से पीने लगे.
फिर बबलू ने सिगरेट जलाई, आर्यन और बबलू दोनों सिगरेट पीने लगे और मुझे घूर घूर के देखने लगे.
तब बबलू उठा और मेरे पास आकर बैठ गया और मेरी जांघें सहलाने लगा आर्यन के सामने!
आर्यन बोला- चलो बबलू भैया, मैं अंदर जाता हूं.
बबलू बोला- नहीं बे … यहीं रुक … दोनों साथ में मजे लेंगे.
आज तो वैसे अंदर से आग मेरे भी लगी थी.
लेकिन दो लंड एक साथ कभी नहीं लिए मैंने!
फिर बबलू बोला- भाभी, एक पेग ऐसा ही और बनाओ.
मैं फिर पेग बनाने लगी झुक कर!
तो पीछे से बबलू ने मेरे चूतड़ों पर हाथ फेर दिया और दबाने लगा.
फिर आकर उसने पेग खतम किया और मेरी साड़ी उतारने लगा.
मैं अब सिर्फ पेटिकोट ब्लाउज में थी.
आर्यन सब कुछ बैठ कर देख रहा था और अपना लंड सहला रहा रहा था.
मैं देख रही थी कि उसका लंड बिल्कुल खड़ा हो गया था.
बबलू ने अब अपने कपड़े उतार दिए पूरे बस चड्डी में था।
फिर धीरे से बबलू ने मेरा ब्लाउज उतार दिया और मेरे स्तन के साथ खेलने लगा.
बार बार मेरी दोनों चूचियों को काटता तो कहीं दबाता.
मैं बहुत गर्म हो गई थी.
तब तक आर्यन ने मेरा पेटीकोट उतार दिया.
अब मैं सिर्फ पैंटी में थी … दो जवान मर्दों के बीच मैं अबला!
आर्यन मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत पर जीभ लगा के चाटने लगा.
मैं पैंटी में ही झड़ गई और मेरी चूत का पानी बह कर टांगों से होते हुए बहने लगा.
फिर बबलू उठा, मेरी पैंटी उतारी और बोला- अरे भाभी, अभी तो हमने कुछ किया भी नहीं और आप इतना गर्म गई!
मेरी पैंटी उतार कर वह सारा माल चाटने लगा जिससे मैं और झड़ने लगी और मैंने बबलू के मुंह पर ही मूत दिया.
मेरे मूत की धार सीधे बबलू के मुंह में जा रही थी जिसे बबलू बड़े मजे से पी रहा था.
फिर बबलू बोला- भाभी, अब आप बेड पे लेट जाओ.
मैं अब आराम से अपनी टांगें फैलाकर बेड पे लेट गई.
अब बबलू मेरी चूत को चाटने लगा और आर्यन मेरे मुंह में लंड देने लगा.
आर्यन का लंड भी बहुत मोटा और बड़ा है लेकिन बबलू का लंड लम्बा बहुत है आर्यन से ज्यादा … लेकिन मोटा नहीं है.
थोड़ी देर में बबलू मेरे ऊपर आकर मेरे मुंह में लंड देने लगा जिसे मैं बड़े मजे से चाटने लगी.
आर्यन अब मेरी चूत चाट रहा रहा था.
मैं दोबारा गर्म हो गई थी.
मैंने बबलू से बोला- अब जल्दी से डाल दो यार!
फिर बबलू ने अपने लंड को मेरे मुंह से बाहर निकाला और बोला- भाभी, पलट जाओ!
मैंने पूछा- क्यों?
तो बबलू बोला- मुझे आपकी गांड का छेद चाटना है.
उसके कहने से मैं पलट कर लेट गई.
मैब बेड पर लेटी थी और मेरा मुंह बेड से नीचे लटक रहा था.
अब बबलू मेरी गांड का छेद चाट रहा था और आर्यन मेरे मुंह में अपना लंड डालकर अंदर बाहर कर रहा था.
मैं भी बड़े मजे से उसका लंड चूस रही थी और अपनी गांड चटवा रही थी.
फिर बबलू बोला- भाभी, आप की गांड बहुत गोरी है यार!
बबलू ने दो तीन चांटे मेरी गांड पे लगा दिए जिससे मेरी गांड बिल्कुल लाल टमाटर हो गई थी.
आर्यन बोला- आंटी, अब मैं झड़ने वाला हूँ.
ऐसा बोलते ही वह मेरे मुंह में ही झड़ गया. उसका सारा माल मेरे मुंह से टपक टपक के बेड के नीचे बिछी हुई कार्पेट पर टपकने लगा.
बबलू बोला- भाभी, अब सीधी लेट जाओ मेरे जान!
मैं जैसे ही सीधी लेटी, बबलू ने मेरी चूत पर अपने लंड का टोपा रगड़ कर रखा और बड़े प्यार से हल्का हल्का अंदर डालने लगा.
मुझे और उसको इतना मजा रहा था कि मैं आपको शब्दों में जाहिर भी नहीं कर सकती.
मेरी दोनों टांगें बबलू की गांड पर थी और हाथ बबलू की बांहों में थे.
वह मेरे वक्ष से चिपका हुआ था और मुझे प्यार से चोद रहा था.
काफी देर चोदने के बाद बबलू ने मुझे कुत्ती बनने को बोला.
मैं दोनों टांगें मोड कर कुतिया बन गई.
बबलू ने अब मेरी गांड के गुलाबी छेद पर अपने लंड का टोपा टिकाया और एक झटके में पूरा लंड अंदर कर दिया जिससे मुझे बहुत दर्द हुआ और मैं बेड पर नीचे गिर गई.
उसका लंड बहुत लंबा था.
मेरी गांड से लहू निकलने लगा और मैं रोने लगी और बब्लू काल्न्द निकलवाकर बैठ गयी.
आर्यन ने मुझे चुप कराया और बोला- आंटी मत रोओ! इसने थूक लगाए बिना डाल दिया!
तब आर्यन ने हमको कुछ देर अपने जिस्म से चिपका के रखा.
बबलू भी बोला- भाभी सॉरी! मैंने बिना बताए गांड में डाल दिया. माफ कर दो!
और वह बोला- बस थोड़ी देर बर्दाश्त कर लो, मेरा निकलने वाला है.
उसके बहुत कहने के बाद मैं फिर से बेड पर कुतिया बन गई.
इस बार बबलू ने अपने लंड पे थूक लगाया, मेरी गांड का सारा लहू साफ करने से बाद उस पर भी थूक लगाया और लंड डाल के अंदर बाहर करने लगा.
आर्यन सब कुछ बैठ कर देख रहा था और अपना लौड़ा हिला रहा था.
मैं भी अब बड़े मजे से अपनी गांड मरवा रही थी.
इस टाइम मुझे जन्नत वाली फील आ रही थी.
मेरी गांड अब पूरी खुल गई थी. इंडियन भाभी की गांड में लंड सही से जा आ रहा था.
थोड़ी देर गांड मारने के बाद बबलू ने मुझे बोला- अब मेरे लंड पे बैठ!
मैं उसके लंड पे बैठ गई और मौज से उछलने लगी.
बबलू बार बार मेरी गांड पर तमाचे लगाता जिससे मुझे और भी जोश चढ़ जाता.
मैं फिर से झड़ चुकी थी और मेरा माल निकलने की वजह से मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी और चिकनी भी … जिससे लंड बड़े आराम से अंदर बाहर हो रहा था.
बबलू बोला- भाभी, मेरा निकलने वाला है.
और इतना बोलते ही उसका माल मेरी चूत में ही अंदर निकल गया जिसे मैंने अपने अंदर गर्म गर्म महसूस किया.
फिर मैं आराम से लंड से उठी जिससे बबलू का लंड मेरी चूत से बाहर निकल गया और उसका सारा माल जो मेरी चूत के अंदर निकल गया था, वो बहने लगा.
जैसे मैं खड़ी हुई, मेरी चूत से उसका माल गिरने लगा जो कुछ बबलू के सीने पर और कुछ बूंदें उसके चेहरे, होठों पे गिर गया.
मेरी चूत से माल अभी भी निकल रहा था.
मैं नीचे बबलू के बगल में बैठ कर उसके ऊपर गिरा हुआ सारा माल अपनी जीभ से चाटने लगी और धीरे धीरे करके सारा माल चाट गई.
और फिर आर्यन ने मेरी चूत चाटकर सारा माल साफ किया.
फिर हम तीनों ने एक साथ किस किया और जो भी माल चाटा था, उसे बार बार एक दूसरे के मुंह में दिया, चाटा फिर दिया, फिर चाटा.
बहुत मजा आया.
तो इस तरह मेरी चुदाई एक नए लंड से हुई.
दोस्तो, आपको मेरी यह इंडियन भाभी की गांड में लंड कहानी कैसी लगी?
मेल करके बताना जरूर!
मम्मी और पापा आज सवेरे दिल्ली जाने वाले थे। मैं Hindi Sex Stories घर पर अकेली थी। पापा ने पड़ोस में रहने वाले शर्मा जी को कहा था की वो मेरी और घर की देखभाल करें। शर्मा जी की बेटी मेरी सहेली है। उसका भाई राहुल२० साल का है और कॉलेज में पढता था। वो मम्मी – पापा के जाने के बाद अपनी किताबें ले कर घर पर आ गया था। उसे बैठक का कमरा दे दिया था।
दो जवान जिस्म और एकांत…फिर पूरी आज़ादी। कुछ तो होना ही था। वो शुरू से ही मुझे पसंद करता था। वो मुझसे बात करने के लिए बार बार मेरे कमरे में आ जाता था। मैं मन ही मन उसकी बात समझती थी और मुस्कुराती थी। मुझे भी वो अच्छा लगता था।
जिस समय वो मेरे कमरे में आया उस समय मैं बाथरूम में नहाने घुसी ही थी। मैंने बाथरूम के दरवाजे के छेद में से झांक कर देखा तो वो बाथरूम की तरफ़ ही देख रहा था। मैं कपड़े उतरने लगी। तभी मुझे लगा कि राहुल दरवाजे के पास आ गया है। मुझे मौका मिल गया उसे पटाने का।
मैंने चुपके से देखा कि बाथरूम के दरवाजे के उसी छेद से… एक आँख झिलमिला रही थी। मैं समझ गयी कि वो मुझे अब देख रहा है। मैंने उसे अपनी और आकर्षित करने के लिए अनजान बनते हुए अपना टॉप उतारा… मेरी चुंचियाँ उछल कर बाहर आ गयी। मैंने चुन्चियो को धीरे से सहलाया और नोकों को मसल दिया।
फिर मैंने छेद की ओर अपनी पीठ करते हुए अपना पजामा उतर दिया। पेंटी भी उतर दी। मेरे चूतडों की गोलाईयां और गहराइयाँ उसकी नजरों के सामने थी। ऐसा करते समय मेरे बदन में सनसनी फ़ैल रही थी, क्योकि मुझे पता था कि राहुल मुझे नंगा देख रहा है। मैंने अपना बदन अब उसके सामने कर दिया जिस से उसे मेरी छूट साफ़ दिख जाए। उसकी नजरे अभी भी छेद में चमक रही थी।
मैंने झरना खोला और गरम गरम पानी मेरे शरीर पर पड़ने लगा। मैंने कभी अपनी चुंचियाँ मलती, तो कभी अपनी चूत साफ़ करती। मैं चाहती थी वो मुझे देखे और उत्तेजित हो जाए। मैं नहा चुकी तो मैंने दरवाजे के छेद के पास अपनी चूत सामने कर दी। मेरी चुंचियाँ कड़ी होने लगी थी।
मुझे लगा कि उसे अब मेरी चूत साफ़ नजर आ रही होगी। मैंने अपना बदन तोलिये से पोंछ कर कपड़े पहनने शुरू किए। अब उसकी आँख वहाँ नहीं थी।
मैं बाथरूम से बाहर आयी और अनजान बनते हुए बोली-‘अरे… राहुलकब आए..?’
‘बस अभी ही आया हूँ…’ उसका झूठ पकड़ में आ रहा था। उसका लंड पैंट के ऊपर से उफनता हुआ दिख रहा था।
‘क्या बात है… तुम्हारा मुंह लाल क्यूँ हो रहा है…’ मैं बालों पर कंघी कर रही थी। उसे छेड़ने में मुझे मजा आ रहा था। मैं उसके सामने बैठ गयी और झुक कर पंखे की हवा में बाल सुखाने लगी। उसकी नजरों के सामने मेरी उभरी हुयी चुंचियाँ टॉप के भीतर से झाँकने लगी।
उसकी नजरें मेरे स्तनों पर गड़ गयी।
मैंने नीचे से ही तिरछी नजरों से उसे देखा… और उसके गर्माते शरीर पर सीधे चोट की…’विनोद… अन्दर क्या देख रहे हो …झांक कर ?’
‘हाँ… नही… क्या…?’ वो बुरी तरह झेंप गया।
‘अच्छा.. अब मैं बताऊँ…कि क्या देख रहे हो तुम…’ राहुलएकदम से शरमा गया।
‘नेहा… वो… नही… सो… सॉरी…’
‘क्या सॉरी… एक तो चोरी…फिर सॉरी…’
‘नेहा… अच्छी लग रही थी…सॉरी कहा न ‘
मैं उसके पैंट पर से लंड के उभर को देख रही थी। उसने ऊपर हाथ रख लिया।
‘नही देखो… इधर.. ‘ वो शरमा गया। मैं मुस्कुरा उठी।
‘तो कान पकडो…’
राहुलने अपने कान पकड़ लिए… ‘बस…ना…’
हाथ हटाने पर लंड का उभार फिर से दिखने लगा।
मैं हंस पड़ी।
वो देखो… जो है वो तो दिखेगा ही… ‘
अब राहुलको समझ में आ गया था कि खुला निमंत्रण है। उसका लंड का आकार तक दिखने लगा था। राहुलउठ कर मेरे पास आ गया। उसने मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा-‘नेहा…तुम्हारी भी तो उभार है… एक बार दिखा दो…’
‘अरे…मैं तो मजाक कर रही थी… तुम अन्दर देख रहे थे… इसलिए मजाक किया था…’
राहुलसे रहा नही गया उसने एकदम से मेरे गालों को चूम लिया। मैं शरमा गयी…
‘विनोद… ये क्या कर रहे हो…’
उसने तुंरत ही मेरे होंट पर अपने होंट रख दिए। मैंने सोचा अब इसे और आगे बढ़ने दो। मुझे मजा आने लगा था।
उसने मेरे भारी स्तनों को पकड़ लिया। उसने स्तनों को मसलना चालू कर दिया। मैं सिमटी जा रही थी। पर उसके हाथों ने मेरे उभारों को मसलना जारी रखा। मैं अपने को बचाती भी रही…पर उसे रोका भी नहीं।
जब उसने मेरे उभारों को अच्छी तरह से दबा लिया तब मैंने जान कर के उसे पीछे की ओर धक्का दे दिया-‘बहुत बेशरम हो गए हो…’ मेरे हाथ से कंघी नीचे गिर गयी। मैं जैसे ही उठ कर कंघी उठाने को झुकी, मेरे पजामे में से मेरी गांड की गोलाईयां उभर कर राहुलके सामने आ गयी। राहुलबोल उठा-‘नेहा बस ऐसे ही रहो…’ मैं जान कर के वैसे ही झुकी रही।
‘क्या हुआ…?’
उसने मेरे नरम नरम गोल चूतडों को हाथ से सहला दिया। गोलाईयां सहलाते हुए उसके हाथ दोनों फाकों की दरार में घुस पड़े ओर फिर अपनी उंगली घुसा कर मेरी गांड के छेद को सहलाने लगा। मुझे बहुत आनंद आ रहा था। मैं वैसे ही जान कर के झुकी रही। अब उसके हाथ मेरी चूत की तरफ़ बढ गए।
मैं सिहर उठी। जैसे ही उसने चूत दबी… चूत का गीलापन उसके हाथ में लग गया। अब उसने मेरी चूत को भींच दिया। मैंने जल्दी से उसका हाथ हटा दिया। और सीधी खड़ी हो गयी।
राहुलमुस्कुराया ‘नेहा… मज़ा आ गया… तुम्हें कैसा लगा…?’
‘अब तुम बेशरमी ज्यादा ही दिखा रहे हो… कालेज़ नहीं जाना क्या…?’ मैंने भी उसे मुस्कुरा कर कहा।
हम दोनों ने दोपहर का खाना खाया। फ़िर राहुलकालेज़ चला गया। मैंने अपने कपड़े बदले, पैन्टी और ब्रा उतार दी और सिर्फ़ स्कर्ट और हल्का सा टाप पहन लिया। मैंने सोचा कि अब जब राहुलआएगा तो मुझे चोदे बिना नहीं छोड़ेगा। मैंने हमेशा की तरह अपनी गाण्ड में क्रीम लगा कर चिकनी कर ली और बिस्तर पर लेट गई। राहुलके बारे में सोचते सोचते जाने कब मुझे नींद आ गई।
अचानक मेरी नींद खुल गई। मुझे अपनी पीठ पर एक जिस्म का भार महसूस हुआ। मैं सिहर उठी और समझ गई कि यह राहुलहै पर मैंने आंख नहीं खोली। राहुलमेरी पीठ पर सवार था और उसका नंगा लण्ड मेरी गाण्ड पर स्पर्श हो रहा था।
मैं नीचे दबी हुई थोड़ी इधर उधर हुई तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर टिक गया। मैंने अपनी टांगें थोड़ी और फ़ैला दी।
‘नेहा… तुम बहुत अच्छी हो…’
‘आऽऽऽह… विनोद…’ उसके लण्ड की सुपारी से चिकनाई निकलने लगी जो मेरी गाण्ड को भी चिकना कर रही थी। उसके लण्ड ने अपनी मर्दानगी दिखानी शुरू कर दी, उसके चूतड़ों ने लण्ड पर जोर लगाया और सुपारी छेद में आराम से घुस गई।
‘आऽऽऽऽह… अन्दर गया…ऽऽ विनोद…’ मेरे मुंह से सिसकारी फ़ूट पड़ी। उसने हल्का सा जोर लगाया तो लण्ड गाण्ड की गहराईयों में रगड़ खाता हुआ उतरने लगा। अब मैंने अपनी गाण्ड ढीली छोड़ दी और टांगें पूरी खोल दी। अब उसके लण्ड का जोर पूरा लग रहा था।
मैंने उसके हाथ पकड़ कर अपनी चुन्चियों पर रख दिए. मैं कोहनियों पर हो गयी और आगे से शरीर को थोड़ा ऊपर कर लिया. उसने अब मेरी चुंचियां पकड़ ली और मसलने लगा. मेरे ऊपर वो चिपका हुआ था. लंड उसका मेरी गांड में पूरा घुसा था पर वो अभी धक्के नहीं मार रहा था. वो मुझे चूमने चाटने में लगा था. उसके होंट मेरे होंट तक नहीं पहुँच पा रहे थे. मैं मस्ती में नीचे दबी पड़ी थी.
अब उसने अपने दोनों हाथ बिस्तर पर रखे और मेरे बदन को उसने मुक्त कर दिया. अब उसने धीरे धीरे धक्के मारने चालू कर दिए. मैं फिर से बिस्तर पर चिपक कर लेट गयी. और आराम से आंखे बंद कर ली. मैं पूरे मन से गांड चुदाई का आनंद ले रही थी. उसकी स्पीड अब तेज हो गयी थी. उसके लंड से चिकनाई भी निकल रही थी.
‘नेहा… आःह्ह… मजा आ रहा है…’
‘हाँ रे…सी सीई.. आः…’ मैं नीचे लेटे लेटे आँखें बंद करके सिस्कारियां भरती रही. मेरे अन्दर अब मीठी मीठी सी गुदगुदी बढने लगी. नीचे मेरी चूत भी बहुत पानी छोड़ रही थी. सारे बदन में वासना की रंगीन कसक सी बढ रही थी. मुझे ऐसा महसूस होने लगा था की राहुलमेरे अंग अंग को दबा दे , उसे मसल डाले… मेरा सारा कस बल निकाल दे.
‘विनोद… करते रहो…जोर से…करो… हाय…’ ऐसा लगा आवाज़ मेरी अंतरात्मा से निकाल रही हो. उसके धक्के मेरी गांड में ऐसे आराम से चल रहे थे जैसे कि चूत चुद रही हो. उसी सरलता से… उसी तेजी से…मजा भी उसी के समान आ रहा था…
‘हाय… आ अहह हह… नेहा… मैं गया… निकला मेरा…नेहा…’
उसके लंड ने मेरी गांड के अन्दर ही सारा वीर्य भर दिया. मेरी गांड में उसका लंड फूलता पिचकता का सा अहसास दे रहा था. उसका पूरा वीर्य निकल चुका था. राहुलमेरे ऊपर ही लेट गया. उसका लंड सिकुड़ कर अपने आप धीरे से गुदगुदी करता हुआ बाहर आ गया. वो एक तरफ़ लुढ़क गया. मेरी गांड में से वीर्य टपक टपक कर बिस्तर पर चूने लगा. मैं वैसे ही उलटी लेटी रही.
मैंने आँख खोली और गहरी साँस ली. मैं तुंरत बिस्तर पर से नीचे आ गयी. तौलिये से अपनी गांड साफ़ की, फिर राहुलका लंड भी साफ़ किया. अब मैं उसके ऊपर चढ़ कर लेट गयी. राहुलने अपनी आँख खोली… और मुस्कराया… मैंने उसे चूमना चालू कर दिया. एक हाथ नीचे ला कर उसका मुरझाया हुआ लंड पकड़ लिया. और उसे हिलाने लगी, मसलने लगी…
उसके लंड ने फिर से अंगडाई ली और जाग उठा. मैंने उसे अपने हाथों में भर लिया और धीरे धीरे मुठ मारने लगी. कुछ ही देर में उसका लंड चोदने के लिए तैयार था. मैं राहुलके ऊपर लेट गयी. अपनी दोनों टांगे फैला दी.
लंड का स्पर्श मेरी चूत के आस पास लग रहा था. मैंने उसके होंट अपने होटों में दबा लिए. हम दोनों अपने आप को हिला कर लंड और चूत को सही जगह पर लेने की कोशिश कर रहे थे. उसने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड लिया. मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी.
अचानक मेरे अन्दर आनंद की तीखी मीठी लहर दौड़ पड़ी. उसका लंड फिर एक बार और मर्दानगी दिखने के लिए उतावला हो गया. वो मेरी चूत में रास्ता बनाता हुआ अन्दर घुस गया. मेरे मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकाल पड़ी…’विनोद… अ आह हह हह हह… सी ई स स स ई एई…’
‘मजा आ रहा है न नेहा…’
‘विनोद… आआह्ह्छ… करते रहो…आ आह हह ह… लगाओ धक्का… आ अह ह्ह्ह्छ..’
मेरे मुख से आहें फूट पड़ी. गांड चुदाने से मेरी उत्तेजना पहले ही बढ़ी हुयी थी. अब उत्तेजना और भी बढाती जा रही थी. उसके लंड के मोटेपन का चूत में अहसास हो रहा था. लंड जड़ तक जा रहा था. मैं आनंद से सराबोर हो गयी थी. सिस्कारियां… आहे… फूट रही थी. मेरे चूतड ऊपर से तेजी से चल रहे थे. मैंने उसके हाथ अपनी चुन्चियों पर रख दिए. उसने मेरे स्तनों को मसलना…मरोड़ना… चालू कर दिया. उसने जैसे ही मेरी नोकों को मसलना और खींचना चालू किया. मेरी तो जान निकलने लगी.
‘जोर से खींच… मेरे राजा… मसल दे… आः ह्ह्छ… मेरे धक्के तेज होने लगे… मैं चरम सीमा पर पहुँचने लगी थी.
‘विनोद…हाय… मैं गयी… हाय… मैं गयी…सी सी ई… अरे..विनोद… रे…’
मैंने अचानक ही उसके हाथ मेरी चुन्चियो पर से हटा दिए…और चूत का पूरा जोर उसके लंड पर लगा दिया.
‘आ आह्ह ह्ह्ह… विनोद… निकला…निकला… हाय… रे…निकला… हाय… छूट गयी..रीई… आह्ह्ह्छ…’
मैं झड़ने लगी… मेरे चूत की लहरें उसके लंड पर लग रही थी. मैं पूरी झड़ चुकी थी. मैं तुंरत उठी और उसका लंड चूत में से निकाल गया. मैंने उसे अपने हाथों में लेकर कस के दबा लिया…और तेजी से दबा कर मुठ मारने लगी… जोश में उसके चूतड ऊपर उठे और उसके लंड ने फुहार छोड़ दी. उसका लंड रुक रुक कर पिचकारियाँ छोड़ रहा था. मैंने उसका सारा वीर्य उसके लंड पर लगा कर उसकी मालिश करने लगी. थोड़ा वीर्य उसके चूतडों पर और उसकी गांड के छेद पर भी मल दिया.
वो शान्ति से आँखे बंद करके लेट गया था. उसने थकान से अपनी आँखे बंद कर ली. मैं उठ कर बाथरूम में नहाने चली गयी. मैं जब बाहर आयी तो राहुलने बिस्तर की चादर बदल दी थी. अब वो कपड़े पहन रहा था.
‘नेहा तुम आराम करो… मैं चाय बना कर लता हूँ.’
मैंने घड़ी देखी…दिन के 4 बज रहे थे. मैं बिस्तर पर लेट गयी. वो चाय कब लाया मुझे पता नहीं चला। मैं गहरी नींद में सो गयी थी…
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