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सभी साथियों को अभिवादन ! आप सभी Sex Stories को धन्यवाद ! ! आपकी प्रेरणा से मुझे लिखने का उत्साह मिलता है।
ज़रा सोच कर देखिये कि भगवान् ने सेक्स को इतना सुखदायक बनाया कि दुनिया इसकी दीवानी है। यदि यह सुखदायक नहीं होता तो………
दो इंच के खड्डे ने दुनिया को ख़ुद का दीवाना बना रखा है। सारी दुनिया की उत्पत्ति उससे हो गई।
क्या मनुष्य, क्या जानवर और क्या कीड़े मकोड़े….. सभी सेक्स के लिए उत्सुक होते हैं।
और सेक्स …….
इसको जितना तसल्ली से किया जाए उतना ही आनंद दायक हो जाता है।
और इसी सेक्स के कारण कई बार मनुष्य खेदजनक स्थिति में भी आ जाता है।
बहुत सी बार तो किसी में कोई दोष या परेशानी नहीं होती और वो सोचता है कि उसमे कोई दोष है।
यदि तसल्ली से, बिना किसी घबराहट के सेक्स करेंगे तो सेक्स का ख़ुद भी पूरा आनंद ले पाएंगे और साथी को भी सेक्स का पूरा आनंद दे पायेंगे।
जरूरत से ज्यादा उत्तेजित हो जाना, चिन्ता में होना, घबराहट होना और गुप्तांगों में कोई परेशानी होना (घाव या छीलन आदि) ही ज्यादातर परेशानियों का कारण हैं।
इनमे से एक परेशानी है स्त्री के बजाय पुरूष का जल्दी झड़ जाना।
और इस समस्या के निदान है, जो अच्छा लगे उनको अपना कर अनुभव करें —
-कंडोम का प्रयोग करें,
-स्त्री को अपने ऊपर ले लें,
-बैठ कर सम्भोग करें,
-सेक्स करते समय अपने दिमाग को शांत रखें, जरूरत से ज्यादा उत्तेजित न हों और जल्दबाजी न दिखाएँ,
-बहुत जल्दी जल्दी सम्भोग न करें अर्थात ५-७ दिन का अन्तर रखें,
सेक्स में किसी को कुछ ज्यादा अच्छा लगता है और किसी दूसरे को कुछ ओर !
इसलिए अपनी पसंद से दूसरों की तुलना करना बेकार है, यह मत सोचिये कि मुझको कोई बीमारी है।
मैं स्त्री को अपने ऊपर लेना ज्यादा पसंद करता हूँ।
इस आसन में स्त्री सेक्स करते समय जैसे जैसे अपनी गांड चलाती है तो उसकी चूत अदंर से फूलती पिचकती रहती है और लंड को अपार सुख देती है।
दूसरा आसन बैठ कर स्त्री को अपनी जांघों पर बिठा कर सम्भोग करना – इसमे दोनों के मुँह एकदम आमने सामने होते हैं, अतः चूमने में बहुत मजा आता है और पूरा शरीर होता हाथ की पहुँच में है, इस से हम एक दूसरे के पूरे शरीर के टांग से लेकर मुँह तक सहला सकते हैं।
आज मैं आपको जो बताने जा रहा हूँ उससे आप अपनी मन पसंद स्त्री को चोद सकते हैं।
हमारे एक परिचित का गोत्र मेरी मां के गोत्र का था। इसलिए हम लोग उनको मामा कहते थे। उनकी पत्नी का देहांत तीन बच्चों के पैदा होने के बाद, ४५ वर्ष की उम्र में हो गया। तब तक उनके दो लड़के और एक लड़की तीनों की शादी हो चुकी थी। अब मामाजी अकेले रह गए और उनमें सेक्स की प्रबलता देख कर कोई भी बेटा अपने साथ रखने को राजी नहीं था। मामा ५०-५२ के थे।
वो थे भी ज्यादा ही खुले हुए, उनके लिए उनकी बहु भी सेक्स संतुष्टि का एक साधन ही थी। अब अलग रहने से उनके खाने के साथ साथ सेक्स करने की भी समस्या हो गई। रुपयों की कोई कमी नहीं थी तो उन्होंने अपने लिए कोई औरत तलाशनी शुरू कर दी। आख़िर २-३ साल की तलाश के बाद हमारे ही समाज की एक तलाकशुदा ३० साल की औरत से उन्होंने मन्दिर में शादी कर ली।
ये मामी उम्र में मुझसे भी छोटी हैं। कोई सीधा सीधा रिश्ता तो है नहीं। लेकिन मान रखा था।
मामी दिखने में बहुत आकर्षक लगती हैं। जब कभी मेरे साथ स्कूटर पर बैठती तो कंधे पर हाथ रखकर बैठती और स्कूटर हलके से रोकने में भी अपने बोबे मुझसे टकरा देती। ३६+/३८ साइज़ के बोबे मेरी पीठ में गड़ते ही मेरा लंड फन्ना जाता। दिल उछल कर गले में आ जाता।
बात करते करते मेरे हाथो में ताली मार देती। यह जानते हुए भी कि यदि उनके साथ यदि मैं आगे बढूँ तो वो मान जाएँगी, मेरी गांड फटती थी उनसे ऐसी बात कहने में !
उनको चोदने की इच्छा बहुत थी इसलिए उनके बारे में बहुत सोचता था। सोते समय भी कई बार उनके बारे में सोचते सोचते सो जाता और गुसलखाने में नहाते समय कई बार उनकी सोच ले कर उनके नाम से मुठ मारी।
एक बार बरसात के सुहाने मौसम में, रात को खिड़की से छन कर आती मद्धिम रोशनी में उनको याद करते हुए आँख बंद कर के पत्नी के साथ लेटा हुआ था। उनको याद करते करते लंड में कठोरता आ गई। मैंने आँखें खोली तो पास में मामी को सोते हुए पाया। मैं उनके ख्यालों में इतना खोया हुआ था कि जाने पत्नी को कहीं भेजकर कब वो पास आकर सो गई पता ही नहीं चला।
मेरी तबियत बाग़ बाग़ हो गई। मैं करवट लेकर उन पर अधलेटा हो गया और उनके होटों पे अपने होंट रख कर चूसने लगा, लंड तन कर अकड़ गया। उन्होंने भी मेरे होंट चूसने शुरू कर दिए। मैंने उनके बोबे दबाने शुरू कर दिए और धीरे धीरे उनके ब्लाउज के बटन खोलता गया। उनकी तरफ़ से कोई प्रतिवाद नहीं हुआ तो लंड नई औरत के अहसास से एक दम टन्ना गया।
फ़िर उनकी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्लाउज और ब्रा उनके शरीर से अलग कर दी। होंट और जीभ एक दूसरे के मुँह से अलग ही नहीं हो रहे थे। बहुत जोर लगा कर मुँह को हटा कर उनके बोबों पर लाया और चूसने लगा। फ़िर एक हाथ से उनका दूसरा बोबा दबाता रहा। और दूसरा हाथ उनके पेटीकोट को ऊँचा करने में लग गया। पेटीकोट को सरका कर नाभि तक ले आया और उसी हाथ से उनकी चूत सहलाने लगा, उनके मुँह से सीत्कार निकलने लगी जो मुझको और भी कुछ करने के लिए उत्साहित करने लगी।
उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और धीरे धीरे दबाने लगी तो मैंने अपने पायजामे और अंडरविअर का नाड़ा खोलकर लंड उनके हाथ में पकड़ा दिया। लंड स्टील के माफिक हो गया।
मन सात समंदर की लहरों पर मचलने लगा। सीत्कार और आहों ने कमरे को एक नए तराने से भर दिया। उनकी चूत पनीली होने लगी। मैं अपनी जीभ से उनका बदन चाटने लगा। उनकी नाभि में जीभ घुसेड़ कर हिलाने लगा।
तो वो मेरा लंड छोड़ कर मुझको अपनी बाँहों में लेकर जकड़ गई। और इतनी जोर से चिपक गई कि यदि मैं उठ जाता तो वो भी मेरे शरीर से जुड़ी हुई उठ जाती। उन्होंने अपना मुँह मेरी गर्दन पर चिपका दिया और चूसने लगी, मुझको अपने आपको सम्हालना भारी पड़ गया, मुझे लगा कि जैसे मैं सूर्य के सामने खड़ा जल रहा हूँ।
हम दोनों के शरीर से जैसे धुंआ उठने लगा, हम पसीने में नहा गए।
मेरा लंड उनकी चूत के दरवाजे पर दस्तक देने लगा। तो उन्होंने लंड को अपनी चूत के मुँह पर अड़ा लिया। और अपने चूतड़ उठाने लगी। मैंने भी लंड पर दबाव डाल कर पूरा लंड उनकी चूत में देता चला गया।
नई औरत के अहसास और उनके मुँह से लम्बी मादक आह ने मेरे मन को सातवें आसमान पर उड़ा दिया। अब मैं अपने घुटनों को मोड़ कर उनकी जांघों के नीचे लाता गया फ़िर जब मेरे घुटने उनकी जांघों के नीचे आ गए तो अपने हाथ उनकी बगल में टिका कर उनको बोला कि अपने हाथों से मुझको मत छोड़ना फ़िर अपने हाथों को कोहनी से सीधा करते हुए उनको अपनी जांघों पर ले आया और बैठ गया। मैं तकिया दीवार के सहारे सीधा लगा कर उसका सहारा लेकर बैठ गया और वो मेरी जांघों पर मुझको अपने हाथो से कसे बैठी थी। मैंने उनके चेहरे को पकड़ कर अपने होंट उनके मुँह से मिला कर उनकी जीभ अपने मुँह में लेकर चूसने लगा और हाथ उनके बदन पर छुआते हुए सहलाने लगा। तो वो अपने बदन को उत्तेजना के मारे लहराने लगी। दोनों पहली बार एक दूसरे से चिपके थे इसलिए अलग होना मुश्किल हो रहा था। लंड अंदर चूत की गहराई में डूबा हुआ मस्त हो रहा था।
अब मामी पिघलने लगी, मेरे चेहरे और गले पर जगह जगह चूमने और चूसने लगी। फ़िर धीरे धीरे जांघों को टाइट करते छोड़ते हुए चूत को हरकत देने लगी। मैं भी अपने हिप्स को धीरे धीरे धक्के की स्थिति में हिलाने लगा। मैंने अपने हाथ उनके शरीर से हटा कर उनके बोबों पर लगा दिए। उनके दोनों बोबे मेरे दोनों हाथों से दबे जा रहे थे। होंट उनकी जीभ पर और उनके हाथों में मेरा शरीर कसा हुआ। कही भी हवा जाने भर की भी जगह नहीं थी।
उनकी चूत ज्यादा गीली होती गई और उस गीले चिकने गरम पानी में लंड डुबकियां लगा कर नहाने लगा। उनका गदराया शरीर मेरी रग रग में आग भरता गया और मेरा लंड उनकी चूत को गहरे तक खोद कर कुवें में से पानी निकालने लगा। उनका शरीर तनता चला गया। फ़िर थोड़ी देर बाद उनके होंट, उनके हाथ ढीले हो गए। और उनका शरीर मेरे बदन पर ढल गया।
थोड़ी देर तक मैंने उनको समंदर की लहरों और सातवें आसमान की उड़ान का मजा लेने दिया, उनके बोबे धीरे धीरे दबाता रहा।
फ़िर लगभग ३-४ मिनट बाद मैंने उनका चेहरा उठाया और अपने होंट उनके होटों से मिला दिए। उनके शरीर में फ़िर हरकत होने लगी। शरीर जो ढुलका पड़ा था फ़िर कसाव आने लगा। मैंने अपना एक हाथ हमारे बीच में उनकी चूत पर लाकर उँगलियों से चूत के चारों और सहलाने लगा, मामी में आग फ़िर भड़कने लगी।
अब मैंने अपने शरीर को थोड़ा पीछे झुका कर कोहनी बिस्तर पर लगा दी और थोड़ा आगे सरक कर लेटता गया और उनको ऊपर ले लिया।
मैंने उनके बोबे थोड़ा जोर दे कर दबाने शुरू किए। फ़िर थोड़ी देर बाद दोनों हाथ उनकी कूल्हों की गोलाइयों पर सहलाते हुए घुमाने लगा।
फ़िर उत्तेजना के मारे वो अपने हिप्स को हाथों से बचाने के लिए इधर उधर करने लगी। तो लंड को मजा आने लगा। मैं नीचे से धक्के लगाने लगा। उनके भी हिप्स तेज चलने लगे तो मैंने अपने हाथों में मामी को जकड़ लिया और अपनी जीभ उनके मुँह में देकर धीरे धीरे धक्कों की रफ़्तार बढ़ाता गया। मामी का शरीर फ़िर अकड़ने लगा और ढीला पड़ता गया, मैं नहीं रुका लेकिन धक्के पूरी ताकत से लगाने लगा और ८-१० धक्कों में मैं भी जाने किधर उड़ने लगा।
मेरा पूरा शरीर नए अहसास से सुहागरात की जैसे तरंगित था।
फ़िर जब नींद से आँखें खुली तो मेरी बगल में मेरी पत्नी सोई हुई थी।
लेकिन वो नया अहसास ३-४ दिन तक मुझको तरंगित किए रहा।
आप भी किसी की यादों में इतना खो कर उसकी चुदाई कर सकते हैं।
कर के देखिये फ़िर बताइए ………….
न सिर्फ़ मर्द बल्कि औरतें भी ऐसा कर सकती हैं और नए अहसास से ख़ुद को तरो ताजा कर सकती हैं………। Sex Stories
सबसे पहले तो मैं Sex Stories अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज साईट को धन्यवाद कहना चाहूँगा कि उन्होंने हमें अपने उदास और वीरान जीवन में अन्तर्वासना की रंगीनियाँ भरने का मौका दिया. मैं पिछले दो सालों से अन्तर्वासना को रोज़ ही देखता हूँ. कुछ कहानियाँ तो अच्छी होती हैं पर कुछ तो बिल्कुल ही बकवास होती हैं जिन्हें सिर्फ और सिर्फ समय की बर्बादी ही कहा जा सकता है. खैर जो भी हो, सब चलता है…
मैं अपना परिचय करवा दूँ! मेरा नाम कुमार है, उम्र अभी 26 साल है. वैसे तो मैं कोलकाता का रहने वाला हूँ पर जॉब की वजह से अभी दिल्ली में हूँ. मैं साधारण कद काठी का हूँ पर बचपन से ही जिम जाता हूं इसलिए अभी भी मेरी बॉडी अच्छे आकार में है . बाकी बॉडी के बारे में धीरे धीरे पता चल जायेगा.
मैं जो कहानी आपसे बाँटने जा रहा हूँ वो सच्ची है या झूठी, यह आप ही तय करना.
बात उन दिनों की है जब मैंने अपनी स्नातिकी पूरी की थी. उस वक़्त मेरी उम्र 21 थी. मैं अपने मम्मी-पापा और अपनी बड़ी बहन के साथ कोलकाता में एक किराये के मकान में रहता था. मेरे पापा उस वक़्त सरकारी जॉब में थे. माँ घर पर ही रहती थीं और हम भाई-बहन अपनी अपनी पढ़ाई में लगे हुए थे. मेरी और मेरी बहन की उम्र में बस एक साल का फर्क है. इसलिए हम दोस्त की तरह रहते थे. हम दोनों अपनी सारी बातें एक दूसरे से कर लेते थे, चाहे वो किसी भी विषय में हो.
मैं बचपन से ही थोड़ा ज्यादा सेक्सी था और सेक्स की किताबों में मेरा मन कुछ ज्यादा लगता था. पर मैं अपनी पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहता था इसलिए मुझसे सारे लोग काफी खुश रहते थे.
हम जिस किराये के मकान में रहते थे उसमें दो हिस्से थे, एक में हम और दूसरे में एक अन्य परिवार रहता था, जिसमें एक पति-पत्नी और उनके दो बच्चे रहते थे. दोनों काफी अच्छे स्वभाव के थे और हमारे घर-परिवार में मिलजुल कर रहते थे. मेरी माँ उन्हें बहुत प्यार करती थीं. मैं भी उन्हें अपनी बड़ी बहन की तरह ही मानता था और उनके पति को जीजा कहता था. उनके बच्चे मुझे मामा मामा कहते थे.
सब कुछ ठीक ठाक ही चल रहा था. अचानक मेरे पापा की तबीयत कुछ ज्यादा ही ख़राब हो गई और उन्हें अस्पताल में दाखिल करवाना पड़ा. हम लोग तो काफी घबरा गए थे पर हमारे पड़ोसी यानि कि मेरे मुँहबोले जीजाजी ने सब कुछ सम्हाल लिया. हम सब लोग अस्पताल में थे और डॉक्टर से मिलने के लिए बेताब थे. डॉक्टर ने पापा को चेक किया और कहा की उनके रीढ़ की हड्डी में कुछ परेशानी है और उन्हें ऑपरेशन की जरूरत है. हम लोग फ़िर से घबरा गए और रोने लगे. जीजाजी ने हम लोगों को सम्हाला और कहा कि चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है सब ठीक हो जायेगा. उन्होंने डॉक्टर से सारी बात कर ली और हम सब को घर जाने के लिए कहा. पहले तो हम कोई भी घर जाने को तैयार नहीं थे पर बहुत कहने पर मैं, मेरी बहन और अनीता दीदी मान गए, अनीता मेरी मुँहबोली बहन का नाम था.
हम तीनों लोग घर वापस आ गए. रात जैसे तैसे बीत गई और सुबह मैं अस्पताल पहुँच गया. वहाँ सब कुछ ठीक था. मैंने डॉक्टर से बात की और जीजा जी से भी मिला. उन लोगों ने बताया कि पापा की शूगर थोड़ी बढ़ी हुई है इसलिए हमें थोड़े दिन रुकना पड़ेगा, उसके बाद ही उनकी सर्जरी की जायेगी. बाकी कोई घबराने वाली बात नहीं थी. मैंने माँ को घर भेज दिया और उनसे कहा कि अस्पताल में रुकने के लिए जरूरी चीजें शाम को लेते आयें. माँ घर चली गईं और मैं अस्पताल में ही रुक गया. जीजा जी भी अपने ऑफिस चले गए.
जैसे-तैसे शाम हुई और माँ सारी चीजें लेकर वापस अस्पताल आ गईं. हमने पापा को एक निजी कमरे में रखा था जहाँ एक और बिस्तर था परिचारक के लिए. माँ ने मुझसे घर जाने को कहा. मैं अस्पताल से निकला और टैक्सी स्टैंड पहुँच गया. मैंने वहाँ एक सिगरेट ली और पीने लग. तभी मेरी नज़र वहीं पास में एक बुक-स्टाल पर चली गई. मैंने पहले ही बताया था कि मुझे सेक्सी किताबें, खासकर मस्त राम की किताबों का बहुत शौक है. मैं उस बुक-स्टाल पर चला गया और कुछ किताबें खरीदी और अपने घर के लिए टैक्सी लेकर निकल पड़ा.
घर पहुंचा तो मेरी बहन ने जल्दी से आकर मुझसे पापा के बारे में पूछा और तभी अनीता दीदी भी अपने घर से बाहर आ गईं और पापा की खबर पूछी. मैंने सब बताया और बाथरूम में चला गया. सारा दिन अस्पताल में रहने के बाद मुझे फ्रेश होने की बहुत जल्दी पड़ी थी. मैं सीधा बाथरूम में जाकर नहाने लगा. बाथरूम में जाने से पहले मैंने मस्तराम की किताबों को फ़्रिज पर यूँ ही रख दिया. हम दोनों भाई बहन ही तो थे केवल इस वक़्त घर पर, और उसे पता था मेरी इस आदत के बारे में. इसलिए मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया.
जब मैं नहा कर बाहर आया तो मेरी बहन को देखा कि वो किताबें देख रही है. उसने मुझे देखा और थोड़ा सा मुस्कुराई. मैंने भी हल्की सी मुस्कान दी और मैं अपने कमरे में चला गया. मैं काफी थक गया था इसलिए बिस्तर पर लेटते ही मेरी आँख लग गई.
रात के करीब 11 बजे मुझे मेरी बहन ने उठाया और कहा- खाना खा लो!
मैं उठा और हाथ मुँह धोकर खाने के लिए मेज़ पर गया, वहाँ अनीता दीदी भी बैठी थी. असल में आज खाना अनीता दीदी ने ही बनाया था. मैंने खाना खाना शुरू किया और साथ ही साथ टीवी चला दिया. हम इधर उधर की बातें करने लगे और खाना खा कर टीवी देखने लगे.
हम तीनों एक ही सोफे पर बैठे थे, मैं बीच में और दोनों लड़कियाँ मेरे आजू-बाजू . काफी देर बात चीत और टीवी देखने के बाद हम लोग सोने की तैयारी करने लगे. मैं उठा और सीधे फ़्रिज की तरफ गया क्यूंकि मुझे अचानक अपने किताबों की याद आई. मुझे वहाँ पर बस एक ही किताब मिली जबकि मैं तीन किताबें लेकर आया था. सामने ही अनीता दीदी बैठी थी इसलिए कुछ पूछ भी नहीं सकता था अपनी बहन से. खैर मैंने सोचा कि जब अनीता दीदी अपने घर में चली जाएँगी तो मैं अपनी बहन से पूछूंगा.
थोड़ी देर तक तो मैं अपने कमरे में ही रहा, फिर उठ कर बाहर हॉल में आया तो देखा मेरी बहन अपने कमरे में सोने जा रही थी, मैंने उसे आवाज़ लगाई- नेहा, मैंने यहाँ तीन किताबें रखी थीं, एक तो मुझे मिल गई लेकिन बाकी दो और कहाँ हैं?”
“मेरे पास हैं, पढ़कर लौटा दूंगी मेरे भैया!” और उसने बड़ी ही सेक्सी सी मुस्कान दी.
मैंने कहा- लेकिन तुम्हें दो दो किताबों की क्या जरूरत है? एक रखो और दूसरी लौटा दो, मुझे पढ़नी है.
उसने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और बस कहा कि आज नहीं कल दोनों ले लेना.
मैं अपना मन मारकर अपने कमरे में गया और किताब पढ़ने लगा. पढ़ते-पढ़ते मैंने अपना लण्ड अपनी पैन्ट से बाहर निकला और मुठ मारने लगा. काफी देर तक मुठ मारने के बाद मैं झड़ गया और अपने लण्ड को साफ़ करके सो गया.
रात को अचानक मेरी आँख खुली तो मैं पानी लेने के लिए हॉल में फ़्रिज के पास पहुंचा. जैसे ही मैंने फ़्रिज खोला कि मुझे बगल के कमरे से किसी के हंसने की आवाज़ सुनाई दी. मैंने ध्यान दिया तो पता लगा कि मेरी बहन के कमरे से उसकी और किसी और लड़की की आवाज़ आ रही थी. नेहा का कमरा हॉल के पास ही है. मैं उसके कमरे के पास गया और अपने कान लगा दिए ताकि मैं यह जान सकूँ कि अन्दर कौन है और क्या बातें हो रही हैं.
जैसे ही मैंने अपने कान लगाये मुझे नेहा के साथ वो दूसरी आवाज़ भी सुनाई दी. गौर से सुना तो वो अनीता दीदी थी. वो दोनों कुछ बातें कर रहे थे. मैंने ध्यान से सुनने की कोशिश की, और जो सुना तो मेरे कान ही खड़े हो गए.
अनीता दीदी नेहा से पूछ रही थी- हाय नेहा, ये कहाँ से मिली तुझे? ऐसी किताबें तो तेरे जीजा जी लाते थे पहले, जब हमारी नई-नई शादी हुई थी!
“अच्छा तो आप पहले भी इस तरह की किताबें पढ़ चुकी हैं?”
“हाँ, मुझे तो बहुत मजा आता है. लेकिन अब तेरे जीजू ने लाना बंद कर दिया है. और तुझे तो पता है कि मैं थोड़ी शर्मीली हूँ इसलिए उन्हें फिर से लाने को नहीं कह सकती, और वो हैं कि कुछ समझते ही नहीं.”
“कोई बात नहीं दीदी, जब भी आपको पढ़ने का मन करे तो मुझसे कहना, मैं आपको दे दूंगी.”
“लेकिन तेरे पास ये आई कहाँ से?”
“अब छोड़ो भी न दीदी, तुम बस आम खाओ, पेड़ मत गिनो.”
“पर मुझे बता तो सही!”
“लगता है तुम नहीं मानोगी!”
“मैं कितनी जिद्दी हूँ, तुझे पता है न. चल जल्दी से बता!”
“तुम पहले वादा करो कि तुम किसी को भी नहीं बताओगी!”
“अरे बाबा, मुझ पर भरोसा रखो, मैं किसी को भी नहीं बताऊँगी.”
“ये किताबें सोनू लेकर आता है.”
“हे भगवान्…” अनीता दीदी के मुँह से एक हल्की सी चीख निकल गई- तू सच कह रही है? सोनू लेकर आता है?
नेहा उनकी शकल देख रही थी- तुम इतना चौंक क्यूँ रही हो दीदी?”
अनीता दीदी ने एक लम्बी साँस ली और कहा- यार, मैं तो सोनू को बिल्कुल सीधा-साधा और शरीफ समझती थी. मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि वो ऐसी किताबें भी पढ़ता है.”
“इसमें कौन सी बुराइ है दीदी, आखिर वो भी मर्द है, उसका भी मन करता होगा!”
“हाँ यह तो सही बात है!” दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा- लेकिन एक बात बता, ये किताब पढ़कर तो सारे बदन में हलचल मच जाती है, फिर तुम लोग क्या करते हो? कहीं तुम दोनों आपस में ही तो…??”
अनीता दीदी की आवाज़ में एक अजीब सा उतावलापन था. उन्हें शायद ऐसा लग रहा था कि हम भाई-बहन आपस में ही चुदाई का खेल न खेलते हों.
इधर उन दोनों की बातें सुनकर मेरी आँखों की नींद ही गायब हो गई. मैंने अब हौले से अन्दर झांका और उन्हें देखने लगा. वो दोनों बिस्तर पर एक दूसरे के साथ लेटी हुई थी और दोनों पेट के बल लेट कर एक साथ किताब को देख रही थीं.
तभी दीदी ने फिर पूछा- बोल न नेहा, क्या करते हो तुम दोनों?” अनीता दीदी ने नेहा की बड़ी बड़ी चूचियों को अपने हाथो से मसल डाला.
“ऊँह, दीदी…क्या कर रही हो? दर्द होता है..” नेहा ने अपने उरोजों को अपने हाथों से सहलाया और अनीता दीदी की तरफ देख कर मुस्कारने लगी.
अनीता दीदी की आँखों में एक शरारत भरी चमक थी और एक सवाल था… नेहा ने उनकी तरफ देखा और कहा- आप जैसा सोच रही हैं वैसा नहीं है दीदी. हम भाई-बहन चाहे जितने भी खुले विचार के हों, पर हमने आज तक अपनी मर्यादा को नहीं लांघा है. हमारा रिश्ता आज भी वैसे ही पवित्र है जैसे एक भा बहन का होता है.”
यह सच भी है, हम भाई-बहन ने कभी भी अपनी सीमा को लांघने की कोशिश नहीं की थी. खैर, अनीता दीदी ने नेहा के गलों पर एक चुम्बन लिया और कहा- मैं जानती हूँ नेहा, तुम दोनों कभी भी ऐसी हरकत नहीं करोगे.”
“अच्छा नेहा एक बात बता, जब तू यह किताब पढ़ती है तो तुझे मन नहीं करता कि कोई तेरे साथ कुछ करे और तेरी चूत को चोद-चोद कर शांत करे, उसकी गर्मी निकाले?” अनीता दीदी के चेहरे पर अजीब से भाव आ रहे थे जो मैंने कभी भी नहीं देखा था. उनकी आँखे लाल हो गई थीं.
“हाय दीदी, क्या पूछ लिया तुमने, मैं तो पागल ही हो जाती हूँ. ऐसा लगता है जैसे कहीं से भी कोई लंड मिल जाये और मैं उसे अपनी चूत में डाल कर सारी रात चुदवाती रहूँ!”
“फिर क्या करती हो तुम?”
नेहा ने एक गहरी सांस ली और कहा- बस दीदी, कभी कभी उंगली या मोमबत्ती से काम चला लेती हूँ!”
दीदी ने नेहा को अपने पास खींच लिया और उसके होठों पर एक चुम्मा धर दिया. नेहा को भी अच्छा लगा. दोनों ने एक दूसरे को पकड़ लिया और सहलाना शुरू कर दिया.
यहाँ बाहर मेरी हालत ऐसी हो रही थी जैसे मैं तेज़ धूप में खडा हूँ, मैं पसीने पसीने हो गया था और मेरे लंड की तो बात ही मत करो एक दम खड़ा होकर सलामी दे रहा था. मैंने फिर उनकी बातें सुननी शुरू कर दी.
तभी अचानक मैंने देखा कि अनीता दीदी ने नेहा की टी-शर्ट के अन्दर अपना हाथ डाल दिया और उसकी चूचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगी. नेहा को बहुत मजा आ रहा था. उसके मुँह से प्यार भरी सिस्कारियाँ निकल रही थी.
“ऊफ दीदी… मुझे कुछ हो रहा है… आपकी उँगलियों में तो जादू है.”
फिर अनीता दीदी ने पूछा- अच्छा नेहा एक बात बता, तूने कभी किसी लण्ड से अपनी चूत की चुदाई करवाई है क्या?”
“नहीं दीदी, आज तक तो मौका नहीं मिला है. आगे भगवान् जाने कौन सा लण्ड लिखा है मेरे चूत की किस्मत में.” नेहा अपनी आँखें बंद करके बाते किये जा रही थी- दीदी, तुमने तो खूब चुदाई करवाई होगी अपनी, बहुत मज़े लिए होंगे जीजाजी के साथ… बताओ न दीदी कैसा मजा आता है जब सचमुच का लण्ड अन्दर जाता है तो…?”
“यह तो तुझे खुद ही महसूस करना पड़ेगा मेरी बन्नो रानी… इस एहसास को शब्दों में बताना बहुत मुश्किल है…”
“हाय दीदी मुझे तो सच में जानना है कि कैसा मजा आता है इस चूत की चुदाई में… तुमने तो बहुत मज़े किये है जीजाजी के साथ, बोलो न कैसे करते हो आप लोग? क्या जीजा जी आपको रोज़ चोदते हैं?”
तभी अनीता दीदी थोड़ा सा उदास हो गई और नेहा की तरफ देख कर कहा- अब तुझे क्या बताऊँ, तेरे जीजा जी तो पहले बहुत रोमांटिक थे . मुझे एक मिनट भी अकेला नहीं छोड़ते थे. जब भी मन किया मुझे जहाँ मर्ज़ी वहा पटक कर मेरी चूत में अपना लंड डाल देते थे और मेरी जमकर धुनाई करते थे.”
“क्या अब नहीं करते?” नेहा ने पूछा.
“अब वो पहले वाली बात नहीं रही, अब तो तेरे जिज्जाजी को टाइम ही नहीं मिलता और मैं भी अपने बच्चों में खोई रहती हूँ. आज कल तेरे जिज्जाजी मुझे बस हफ़्ते एक या दो बार ही चोदते हैं वो भी जल्दी जल्दी से, मेरी नाइटी उठा कर अपना लंड मेरी चूत में डाल कर बस 10 मिनट में ही लंड का माल चूत में झाड़ देते हैं.”
यह बात सुनकर मेरा दिमाग ठनका. मैंने पहले कभी भी अनीता दीदी को सेक्स की नज़रों से नहीं देखा था. अब मेरे दिमाग में कुछ शैतानी घूमने लगी. मैं मन ही मन उनके बारे में सोचने लगा… ऐसा सोचने से ही मेरा लंड अब बिल्कुल स्टील की रॉड की तरह खड़ा हो गया.
अनीता दीदी को उदास देख कर नेहा ने उनके गालों पर एक चुम्मा लिया और कहा- उदास न हो दीदी, अगर मैं कुछ मदद कर सकूँ तो बोलो. मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करुँगी, मेरा वादा है तुमसे.”
दीदी हल्के से मुस्कुराई और कहा- मेरी प्यारी बन्नो, जब जरूरत होगी तो तुझसे ही तो कहूँगी, फिलहाल अगर तू मेरी मदद करना चाहती है तो बोल!”
“हाँ हाँ दीदी, तुम बोलो मैं क्या कर सकती हूँ?”
“चल आज हम एक दूसरे को खुश करते हैं और एक दूसरे का मजा लेते हैं…” नेहा थोड़ा सा मुस्कुराई और अनीता दीदी को चूम लिया.
अनीता दीदी ने नेहा को बिस्तर से उठने के लिए कहा और खुद भी उठ गई. दोनों बिस्तर पर खड़े होकर एक दूसरे के कपड़े उतारने लगी. नेहा की पीठ मेरी तरफ थी और अनीता दीदी का चेहरा मेरी तरफ. नेहा ने अनीता दीदी की नाईटी उतार दी और दीदी ने उसकी टी-शर्ट.
हे भगवान्! मेरे मुँह से तो सिसकारी ही निकल गई, आज से पहले मैंने अनीता दीदी को इतना खूबसूरत नहीं समझा था. वो बिस्तर पर सिर्फ अपनी ब्रा और पेंटी में खड़ी थी. दूधिया बदन , सुराहीदार गर्दन, बड़ी बड़ी आँखें, खुले हुए बाल और गोरे गोरे जिस्म पर काली ब्रा जिसमे उनके 36 साइज़ के दो बड़े बड़े उरोज ऐसे लग रहे थे जैसे किसी ने दो सफेद कबूतरों को जबरदस्त कैद कर दिया हो. उनकी चूचियाँ बाहर निकलने के लिए तड़प रही थीं. चूचियों से नीचे उनका सपाट पेट और उसके थोड़ा सा नीचे गहरी नाभि, ऐसा लग रहा था जैसे कोई गहरा कुँआ हो. उनकी कमर 26 से ज्यादा किसी भी कीमत पर नहीं हो सकती. बिल्कुल ऐसी जैसे दोनों पंजो में समां जाये. कमर के नीचे का भाग देखते ही मेरे तो होंठ और गला सूख गया. उनकी गांड का साइज़ 36-37 के लगभग था. बिल्कुल गोल और इतना ख़ूबसूरत कि उन्हें तुंरत जाकर पकड़ लेने का मन हो रहा था. कुल मिलाकर वो पूरी सेक्स की देवी लग रही थीं…
हे भगवान् मैंने आज से पहले उनके बारे में कभी भी नहीं सोचा था.
इधर नेहा के कपड़े भी उतार चुकी थी और वो भी ब्रा और पेंटी में आ चुकी थी. उसका बदन भी कम सेक्सी नहीं था. 32 / 26/ 34…वो भी ऐसी थी किसी भी मर्द के लंड को खड़े खड़े ही झाड़ दे.
“हाय नेहा, तू तो बड़ी खूबसूरत है रे, आज तक किसी ने भी तुझे चोदा कैसे नहीं. अगर मैं लड़का होती तो तुझे जबरदस्ती पटक कर तुझे चोद देती.”
“ओह दीदी, आप के सामने तो मैं कुछ भी नहीं, पता नहीं जिज्जाजी आपको क्यूँ नहीं चोदते ..”
“उनकी बातें छोडो, वो तो हैं ही बेवकूफ!” अनीता दीदी ने नेहा की ब्रा खोल दी और नेहा ने भी हाथ बढ़ा कर दीदी की ब्रा का हुक खोल दिया.
मेरी तो सांस ही रुक गई, इतने सुन्दर और प्यारे उरोज मैंने आज तक नहीं देखे थे. अनीता दीदी के दो बच्चे थे पर कहीं से भी उन्हें देख कर ऐसा नहीं लगता था कि दो-दो बच्चों ने उनकी चूचियों से दूध पिया होगा…
खैर, अब नेहा की बारी थी तो दीदी ने उसकी ब्रा का हुक भी खोल दिया और साथ ही साथ उसकी पेंटी को भी उसके बदन से नीचे खिसकाने लगी. दीदी का उतावलापन देख कर ऐसा लग रहा था जैसे उन्हें कई जन्मों की प्यास हो.
नेहा ने भी वैसी ही फुर्ती दिखाई और अनीता दीदी के पेंटी को हाथों से निकालने के लिए खींच दिया. संगेमरमर जैसी चिकनी जांघों के बीच में फूले हुए पावरोटी के जैसे बिल्कुल चिकनी और गोरी चूत को देखते ही मेरे लंड ने अपना माल छोड़ दिया.
मेरे होठों से एक सेक्सी सिसकारी निकली आर मैंने दरवाज़े पर ही अपना सारा माल गिरा दिया…मेरे मुँह से निकली सिसकारी थोड़ी तेज़ थी, शायद उन लोगों ने सुन ली थी, मैं जल्दी से आकर अपने कमरे में लेट गया और सोने का नाटक करने लगा. कमरे की लाइट बंद थी और दरवाज़ा थोड़ा सा खुला ही था. बाहर हॉल में हल्की सी लाइट जल रही थी जिसमें मैंने एक साया देखा. मैं पहचान गया. यह नेहा थी जो अपने बदन पर चादर डाल कर मेरे कमरे की तरफ ये देखने आई थी कि मैं क्या कर रहा हूँ और वो सिसकारी किसकी थी.
थोड़ी देर वहीं खड़े रहने के बाद नेहा अपने कमरे में चली गई और उसके कमरे का दरवाजा बंद हो गया, जिसकी आवाज़ मुझे अपने कमरे तक सुनाई दी. शायद जोर से बंद किया गया था. मुझे कुछ अजीब सा लगा, क्यूंकि आमतौर पर ऐसे काम करते वक़्त लोग सारे काम धीरे धीरे और शांति से करते हैं. लेकिन यह ऐसा था जैसे जानबूझ कर दरवाजे को जोर से बंद किया गया था. खैर जो भी हो, उस वक़्त मेरा दिमाग ज्यादा चल नहीं पा रहा था. मेरे दिमाग में तो बस अनीता दीदी की मस्त चिकनी चूत ही घूम रही थी.
थोड़ी देर के बाद मैं धीरे से उठा और वापस उनके दरवाज़े के पास गया, और जैसे ही मैंने अन्दर झाँका…
दोस्तो, अब मैं ये कहानी यहीं रोक रहा हूँ. मुझे पता है आपको बहुत गुस्सा आएगा, कुछ खड़े लण्ड खड़े ही रह जायेंगे और कुछ गीली चूत गीली ही रह जायेगी. पर यकीन मानिये अभी तो इस कहानी की बस शुरुआत हुई है. अगर मुझे आप लोगों ने मेरा उत्साह बढ़ाया तो मैं इस कहानी को आगे भी लिखुंगा और सबके सामने लेकर आऊँगा.
वैसे भी यह मेरी पहली कहानी है अन्तर्वासना पर, तो मुझे यह भी देखना है कि मेरी कहानी छपती भी है या नहीं और लोगो को कितनी पसंद आती है. मुझे इन्तज़ार रहेगा आपके जवाब का. अगर आपको लगे कि यह कहानी आगे बढ़े तो मुझे अपने विचार भेजें. Sex Stories
अन्तर्वासना में अपनी कहानियाँ भेजनेAntarvasnaवालों को एक बार फिर से गीता का प्रणाम! खुली फुद्दी से मेरी कहानी पढ़ने वालों को प्रणाम! सो दोस्तो अब तक चुदाई का सफ़र में मैं अब शादीशुदा हूँ लेकिन चुदाई का सफ़र में मेरी ज़िंदगी में पड़ोसी के बाद दूसरा लौड़ा किसने डाला?
मैंने बताया था कि पड़ोसी ने मेरे साथ अवैध संबंध बनाए वैसे भी मुझे शादीशुदा मर्दों से चुद कर मजा आता है पड़ोसी के ऑस्ट्रेलिया जाने से अब मेरी फुद्दी प्यासी थी तड़फ़ रही थी। एक दिन घर में मेरी बड़ी बहन का नंदोई आया था, मम्मी घर नहीं थी और वो किसी काम से शहर आया था। रात हो जाने के कारण उसको रुकना पड़ा।
मैं डिनर तैयार करने लगी। पापा उसको बिठा कर खुद बाहर ठेके से दारू की बोतल लेने गये। मैं किचन में काम करते वक्त चुन्नी नहीं लेती थी और वैसे भी मैं डीप-नेक और पीछे ज़िप वाले सूट पहनती हूँ।
वो किचन में ग्लास, पानी, नमकीन लेने आया, बोला- नमकीन दे दो!
मैं डिब्बे से नमकीन निकालने लगी जो उपर वाली शेल्फ पे था। मैंने कहा- रुकना! मैं स्टूल ले कर आती हूँ।
वो बोला- उसकी क्या ज़रूरत? उसने पीछे से आकर उठा दिया और बोला- लो डिब्बा उतार लो उसकी इस हरक़त में उसने मेरे चूतड़ों को हल्के से दबा डाला। जाते जाते मेरे मम्मों को भी दबा गया।
फिर पापा और वो बैठ कर पीने लगे। उसकी क्षमता काफ़ी लगती थी पापा को चढ़ गई लेकिन दूसरी बोतल भी खुल गई। पापा थोड़ा नमकीन और पानी लाने के लिए उठने लगे। वो बोला- प्लीज़ अंकल जी! आप बैठो मैं लाता हूँ।
रसोई में आकर उसने मुझे पीछे से दबोच लिया और मेरी गर्दन पे अपने होंठ रख दिए। मुझे गरम करने के लिए उसने मेरे मम्मों को दबाया और बिना बोले वहाँ से चला गया। उसकी मजबूत बाहों से मेरी प्यासी फुद्दी गीली होने लगी।
थोड़ी ढेर में पापा को ज्यादा चढ़ गई। तभी भाई का फोन आया कि वो आज अपने ससुराल में ही रुकने वाले है। मैंने गेस्ट रूम में बिस्तर लगा दिया। उसके लिए खाना लगाने लगी।
तभी वो एक पेग हाथ में लेकर मेरी तरफ आया और मुझे पिलाने लगा। मैंने मना किया लेकिन उसने पेग पिला ही दिया। सरूर जल्दी ही चढ़ने लगा। दोनों खाना खाने डाइनिंग टेबल पे बैठ गये। वो उठा और दो पेग बना लाया, बोला- गीता जी! एक जाम और मेरे नाम का!
मैं वो पेग गटक गई। खाना खाने के बाद मैं उठी, बर्तन वगैरा रख के अपने कमरे में चली गई और नशे में सरूर सा आने लगा। तभी वो कमरे में आया और कुण्डी चढ़ा दी।
उसने आते ही मुझे दबोच लिया, ज़िप खोल मेरा कमीज़ उतार दिया, ब्रा उतार कर मेरे मम्मों को मसलने लगा, बोला- गीता! तुम बहुत मस्त माल हो ,कैसी गोल-मोल गाण्ड! उफ़फ्फ़! कायल कर दिया तूने!
कहते ही मैंने भी उसके गले में बाहें डाल दी और बोली- आप भी असली मर्द हो। आपकी यह चौड़ी छाती, घने बाल, मर्दानगी की कायल तो मैं हो गई आपकी!
वो मेरी दोनों टांगों के बीच बैठ कर अपनी ज़ुबान से मेरी फुद्दी चाटने लगा। जब वो मेरे दाने को चबाता, कसम से आग मच जाती! अहह उह!!!
मैंने उसको धकेलते हुए पीछे किया और जल्दी से उसका लंड पकड़ लिया और घुटनो के बल बैठ कर चूसने लगी।
वो बोला- हाय जान! रानी! राण्ड! माँ की लौड़ी! चूस!
वो अपने पैर से नीचे मेरी गाण्ड के छेद में अंगूठा डालने की कोशिश करने लगा। फिर दारू में टल्ली उसने मुझे सीधा लिटाते हुए अपना मोटा लंड मेरी फुद्दी में धकेल दिया।
अहह धीरे!
बोला- कमीनी! चुप साली रंडी!
मैं ज़ोर ज़ोर से चुदने लगी। जब जब उसका लंड मेरी बच्चेदानी से रग़ड़ ख़ाता, मानो स्वर्ग बिस्तर पे आ गया लगता था।
अब मैं खुद नीचे से बोली- हाए मेरे ख़सम! फाड़ डाल! छोड़ना मत!
और मैं गाण्ड उठा उठा के चुदने लगी। उसने मुझे घोड़ी बना लिया और पेलने लगा। मैं झड़ गई लेकिन वो थमा नहीं। करीब 25 मिनट यूँ ऐसे ही गैर मर्द की बाहों में झूलती हुई जो चुदी।
उसने अपना गरम गरम पानी जब मेरी बच्चेदानी के पास में छोड़ा, मैं पागल हो गई। कितना लावा निकालता था उसका लंड!
सो दोस्तो था वो मेरी बहन का नंदोई लेकिन सारी रात उसके नीचे मैं सोई।
उसने मुझे 3 बार चोदा, 1 बार गाण्ड में!
यह था मेरी जिन्दगी का दूसरा लंड!उसके बाद वो मुझे मोबाइल से फ़ोन करता, जब हमारे शहर में आता तो मुझे कॉलेज से लेकर करके होटल में ले जाता और खूब चोदता।
2 महीने मेरा उसके साथ सम्बंध रहे। फिर मैंने उसे मुँह लगाना छोड़ दिया।
फ़िर भी अब कभी जब घर आता है तो मौका देख 1 बार चोद ही लेता है मुझे!
अगले गैर मर्द की बाहों की दास्तान! सफ़र चुदाई का लेकर जल्दी रुबरू हो जाऊँगी।
खाओ लंड, लो आनन्द, जाए चूत में लंड!
जय चूत लण्ड की! Antarvasna
हॉट मौसी सेक्सी कहानी में मैंने रात को अपनी मौसी को पापा के साथ जाती देखा तो मुझे लगा कि दोनों चुदाई करने जा रहे हैं. बाद में जब मौसी ने मुझसे भी सेक्स किया तो …
मेरा नाम प्रशांत है.
मेरे पापा का नाम रमेश है.
पापा की उम्र 45 साल है.
मेरे मौसा की उम्र 50 साल है क्योंकि मेरे मौसा जी ने दो शादी की हैं.
पहली मौसी शांति जो कि बड़ी है और दूसरी मौसी का नाम रीतिका है, मेरी छोटी मौसी की उम्र 33 साल है.
छोटी मौसी अभी बहुत जवान है इसलिए उनके अंदर गर्मी बहुत है.
यह हॉट मौसी सेक्सी कहानी तब की है जब मैं 22 साल का था और वाराणसी में रहकर पढ़ाई करता था.
एक बार 2 दिन की छुट्टी हुई तो मैं घर गया.
घर पर मौसी भी आई थी.
हम सबसे मिले उसके बाद खेत में काम करने चले गए.
जब शाम हुई तो सब लोगों ने खाना खा लिया.
उसके बाद मैं खेत में बने कमरे में सोने चला गया.
कुछ देर बाद पापा भी आए सोने के लिए, मेरे पास लेट गए.
उनको लगा होगा कि मैं सो रहा हूं तो वे मुझसे कुछ नहीं बोले.
उसके आधा घंटा बाद छोटी मौसी आई पानी लेकर!
तो पापा बोले- तुम क्या करने आ गई यहां पर?
मौसी बोली- पानी लेकर आई हूं आपके पास!
तो पापा बोले- पानी पिलाओगी या कुछ और भी पिलाओगी?
तब मौसी बोली- और क्या पिएंगे? साथ में बेटा लेटा हुआ है!
तो पापा बोले- यह तो सो गया.
तब पापा ने मुझे आवाज दी, मैं कुछ नहीं बोला.
तो उनको लगा कि मैं सो गया हूं.
उसके बाद मौसी पानी रख कर चल दी.
तो पापा भी उसके पीछे पीछे गए.
तो मैंने सोचा कि पता नहीं ये दोनों कहां जा रहे हैं.
थोड़ी दूर तक तो मैंने देखा, वे ज्यादा दूर निकल गये, अंधेरा होने कारण मैं कुछ देख नहीं पाया.
उसके बाद पापा कब आये पता नहीं … मैं सो चुका था.
बीच्ग रात मेरी नींद खुली तो पापा मेरे पास थे, मौसी नहीं थी, मेरे ख्याल से मौसी घर चली गई थी सोने उसके बाद!
सुबह हुई तो मेरे दिमाग में वही बात घूम रही थी.
मुझे लगा कि पापा ने मौसी को रात में जरूर चोदा होगा.
लेकिन मुझे पक्का तो पता था नहीं!
उसके बाद शाम तक मैं निकल आया वाराणसी फिर पढ़ाई करने के लिए!
तो मेरे मन में मौसी और पापा की चुदाई देखने का मन हुआ.
परंतु कैसे … यह तो संभव नहीं था क्योंकि क्योंकि मैं वाराणसी में था.
मैं सोच रहा था कि कैसे करूं … क्या करूं!
तो कुछ समझ में नहीं आया.
2 दिन बाद पापा का फोन आया.
पापा बोले- तुम्हारे मौसा घर बनवा रहे हैं तो उसमें उनको कुछ हेल्प चाहिए; उनका फोन आया था.
तो मैं बोला- अच्छा!
उन्होंने बोला- घर में काम है इसलिए हम लोग जा नहीं पाएंगे.
तो मैंने बोला- ठीक है, मैं कोशिश करता हूं.
दूसरे दिन मैं तैयार हुआ और मौसी के घर पहुंचा.
सब लोग घर पर थे.
मैं बड़ी मौसी से मिला, उनके पैर छुइ.
उसके बाद मौसा मिल गए, उनके पैर छुइ.
फिर छोटी मौसी रीतिका मिल गई.
उसके पैर छूने का मेरा मन नहीं कर रहा था क्योंकि उसके लिए मेरे दिमाग में बहुत गलत विचार बन गया था.
फिर खाना पीना हुआ शाम को!
खाने के बाद सोने की व्यवस्था कम थी तो मौसा जी वहां चले गए सोने जहां पर मकान बन रहा था.
और अब बड़ी मौसी अपनी बेटी को लेकर बाहर सो रही थी.
उसके बाद छोटी मौसी और उनका लड़का कमरे में चले गए सोने!
तभी छोटी मौसी ने बोला- कमरे में दो बैड हैं, वही तुम भी सो जाओ!
मैंने कहा- ठीक है!
तो मेरे मन में तो खुशी के लड्डू फूटे.
मैं गया.
गर्मी का मौसम था तो लेट गया.
कुछ देर बाद देखा तो मौसी की साड़ी ऊपर उठी हुई थी, उसकी जांघें दिख रही थी और दूध भी आधे आधे दिख रहे थे.
मेरा लन्ड खड़ा हो गया तुरंत!
पर मेरे मन में डर था.
कुछ देर बाद जब मौसी गहरी नींद में सो गई तो मैंने उनकी साड़ी उठाकर देखी.
पेंटी नहीं पहनी थी मौसी ने!
मुझे कुछ शक हुआ.
पर उसके बाद मैं सो गया.
सुबह हुई तो हम सब नाश्ता कर रहे थे.
मैंने देखा कि रीतिका मौसी नहा कर आ रही थी.
जब वह कपड़े रस्सी पर डालने गई तो उनमें पेंटी भी थी.
मैंने सोचा कि रात में तो पेंटी नहीं थी, अभी कैसे आ गई?
पर मैंने ज्यादा कुछ नहीं सोचा.
हम लोग काम पर लग गए.
फिर रात हुई तो फिर सोने गए.
तो जब मौसी सो गई तो मैंने उसकी साड़ी के अंदर अपना पैर डाल दिया और हॉट मौसी की सेक्सी चूत को हल्के से सहलाया.
मुझे लगा कि मौसी सो गई हैं.
तो फिर मैंने और जोर से सहलाया तो मौसी ने हल्के से आह आह की.
उसके बाद मेरी गांड फटी तो मैंने अपना पैर अपने बेड पर कर लिया.
लेकिन मौसी अब गर्म हो चुकी थी क्योंकि मेरे मौसा चोदते नहीं है क्योंकि वो अब बुड्ढे हो चुके हैं लेकिन मौसी तो अभी जवान है.
थोड़ी देर बाद जब मौसी को लगा कि मैं डर गया हूँ और अब कोई हरकत नहीं करूंगा तो मौसी ने खुद कहा- बेटा, तू मेरे पास आ जा, मुझे तुमसे बातें करनी हैं.
मैं मौसी के पास गया तो मौसी और मैं इधर उधर यहाँ वहाँ की बात करने लगे.
मौसी का हाथ मेरे लंड के एकदम पास था. मैं कुछ नहीं कर रहा था.
तभी मौसी का हाथ मेरे लंड से टकरा गया और वे हल्के हलके मेरे लंड को सहलाने लगी.
इतने से ही मेरा लंड में खड़ा होना शुरू हो गया था.
मैं अभी भी दारा हुआ था तो मैं पीछे हटने लगा.
पर तभी सेक्सी मौसी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और बोली- प्रशांत बेटा, मेरी एक बात मानेगा क्या तू?
इस पर मैंने कहा- मौसी, आप बोलिए, मैं जरूर मानूँगा!
‘तो बेटा, तू मेरी प्यास बुझा दे बेटा … अपनी मौसी को इस्ल्न्द से चोद दे … तेरा लंड बहुत लम्बा है. तेरा लंड बहुत मजा देगा मुझे!
तभी मौसी ने मेरे लंड को हाथ से जोर से दबाया.
मैंने हटना चाहा तो मौसी मुझ से लिपटकर मेरे लबों को चूमने लगी.
मौसी के स्तन मेरी छाती पर रगड़ रहे थे.
मुझे इसमें बहुत अच्छा लग रहा था.
तब मैं अपना हाथ मौसी की गांड पर ले गया और मौसी के चूतड़ दबाने लगा.
उसके मुख से कामुक सीत्कारें निकलने लगी.
तब मैंने मौसी से पूछा- मौसी, ज़रा बताओ कि मेरा लंड आपने कब देखा? जो बोल रही हो तुम्हारा लंड बहुत बढ़िया है?
मौसी- जब तुम्हारे घर गई थी और तुम खेत में सोये थे, तब!
मैं हैरान हो गया कि उस समय मुझको तो पता ही नहीं चला.
मौसी बोली- पहले प्यास बुझाओ, बाद में सब बताऊंगी.
मैं बोला- ओके!
फिर मैंने मौसी के चूचे दबाना शुरू किया, वे काफी बड़े थे.
मैंने मौसी की साड़ी निकाली और उसके ऊपर लेट गया.
तो मौसी ने कहा- बेटा, मेरे चूचों को चूस ले. बहुत समय से किसी ने इनको नहीं चूसा है बस एक मर्द को छोड़कर! वे भी जब मौका मिलता है तो सिर्फ चोद लेते हैं. क्योंकि उनके पास इतना टाइम नहीं होता!
मैं- किस मर्द को छोड़कर?
मौसी- तेरा बाप!
मैं चकित नहीं हुआ क्योंकि शक तो मुझे पहले ही था.
तो मैं बोला- बताओ कैसे तुम चुदी पापा से?
मौसी- बाद में बताऊंगी.
मैं मौसी के चूचे ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा.
मौसी के चूचे और फूलने लगे थे.
फिर मैंने मौसी का साया उतार कर उसकी चूत को ज़ोर से मसल दिया.
तब मौसी ने चड्डी नहीं पहनी हुई थी.
मौसी बोलेन लगी- आआह ऊह ऊओ … और ज़ोर से मसल … फाड़ दे इसको!
तब मैंने अपनी मध्यमा उंगली उसकी चूत में घुसा दी.
तो उसके मुंह से गर्म सीत्कारें निकलने लगी.
मौसी ने कहा- बेटा जल्दी कर … चोद दे मुझे!
तो मैं बोला- अरे मौसी जल्दी क्यों करती हो, पूरी रात है हमारे पास!
मौसी ने हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया.
मैंने कहा- यार मौसी, इसे अपने मुंह में लेकर चूस ना!
मौसी मेरा लंड चाटने लगी.
इससे मैं बहुत गरम हो गया तो मैंने अपना लंड सीधे मौसी की चूत में घुसा दिया.
तब मौसी के मुख से चीख की आवाज़ निकली- आआ ईई ईई उम्म्हां … अह … हांह… ओ!
मैं मौसी के उरोज मसलने लगा और थोड़ी देर बाद मौसी सामान्य हो गई.
मैं अविरत छोटी मौसी की चुदाई में लगा था.
और मैं झाड़ें लगा तो मुझसे रुका नहीं गया, मैंने अपना सारा रस मौसी की गर्म फुद्दी में डाल दिया.
मौसी बोली- यार प्रशांत, तू तो बड़ा चोदू निकला रे … मेरी जवानी की आग एक बार में ही ठण्डी कर दी.
लेकिन मौसी नहीं जानती थी कि यह मेरा प्रथम यौन सम्बन्ध अनुभव है.
उसके बाद मैंने कहा- पहले बताओ तुम पापा कब और कैसे चुदी? और मेरा लन्ड कब देखा? उसके बाद मैं तुम्हारी गान्ड मारूंगा.
मौसी- जब मैं तुम्हारे घर गई थी, तब तुम खेत में सो रहे थे. मैंने तुम्हारी चड्डी उतार कर तुम्हारा लंड देखा था.
मैं बोला- जब मैं और पापा सो रहे थे तब?
मौसी- हाँ!
मैं बोला- मैं जान नहीं पाया था.
मौसी- मैं पानी लेकर आई थी. तब मैं तुम्हारे पापा के साथ वहां से दूर दूसरे खेत में चुदवाने गयी थी.
मैं- अच्छा मतलब तुम उसी दिन पापा से चुदाई करवाने गई थी.
मौसी- तुम जानते हो क्या?
मैं- मैं जग रहा था जब तुम आई थी.
मौसी- अच्छा!
मैं- मुझे पता चला होता तो उसी दिन मैं आपको चोद लेता!
मौसी- तेरे पापा से चुदवा कर भी मेरी प्यास नहीं बुझी थी क्योंकि तुम्हारे पापा भी बुड्ढे हो रहे हैं. उस वक्त मैंने तुम्हारे पापा के सामने तुम्हारा लंड देखा था. फिर तुम्हारे पापा बोले थे कि इसे भी लेने का इरादा है क्या?
मैं- अच्छा?
मौसी ने कहा- तो मैंने तुम्हारे पापा को तुम्हारे लंड से चुदाई की इच्छा बताई थी.
इस तरह से मौसी ने ये सब कहानी मुझे बताई.
फिर मैं बोला- मुझे पापा और आपकी चुदाई देखनी है.
मौसी- चलो, अब जब तुम्हारे घर आऊंगी तो तुम्हें फोन कर दूंगी. तुम भी घर आ जाना. फिर हम साथ में चुदाई करेंगे.
मैं बोला- साथ में कैसे?
मौसी- वो मैं सब जुगाड़ कर लूंगी.
उसके बाद मैं 3 दिन मौसी के यहां रुका और उसकी खूब चुदाई की.
अगले दिन तो मैंने मौसी की गांड भी मारी.
लेकिन वो बोल रही थी- मैंने आज तक गान्ड नहीं मराई थी.
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