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मैं मिसेज रागिनी हूँ दोस्तो.
मैं 30 साल की एक मद मस्त, जवान और पढ़ी लिखी औरत हूँ।
मेरी शादी दो साल पहले आनंद नाम के एक लड़के से हो गई थी।
आनद भी बड़ा स्मार्ट और हैंडसम लड़का है.
वैसे मैं कानपुर की रहने वाली हूँ।
मेरी ससुराल भी कानपुर में ही है मगर मैं आजकल अपने पति के साथ मुंबई के कोलाबा एरिया में रह रही हूँ।
मैं 5′ 5″ के कद वाली हूँ, गोरी चिट्टी हूँ और चंचल स्वभाव की हूँ।
देखने में सेक्सी, खूबसूरत और हॉट हूँ।
ऐसा मैं नहीं कह रही हूँ लोग कहते हैं।
मेरे मम्मे थोड़ा बड़े बड़े साइज के हैं.
मेरी कमर पतली है, मेरी बाहों की गोलाई बड़ी मनमोहक है इसलिए मैं अक्सर स्लीवलेस कपड़े ही पहनती हूँ।
मेरे कूल्हे थोड़ा बड़े बड़े है जिससे मुझे ठुमके लगाने में बड़ी आसानी होती है।
मेरी जांघें केले के तने जैसी हैं और मेरे चूतड़ भी बड़े आकर्षक हैं।
साथ ही मेरी गांड़ भी ससुरी बड़ी मस्त है.
और फिर गरम चूत के तो कहने ही क्या!
उसके बारे में मैं आपको आगे बताऊंगी।
शादी के पहले कॉलेज के दिनों में मैं दो बातों के लिए बहुत मशहूर थी।
एक तो पढ़ाई के लिए और दूसरे चुदाई के लिए!
मतलब यह कि मैं जितनी बातें पढ़ाई के बारे में करती थी उतनी ही बातें चुदाई के बारे में भी करती थी।
चुदाई में सबसे ज्यादा लण्ड की बातें होतीं थीं।
मैं ही नहीं, सभी लड़कियां खुल कर लण्ड की बातें करती थीं।
‘लण्ड का साइज और लण्ड की बनावट’ कभी ख़त्म न होने वाला टॉपिक था।
कोई ऐसा दिन न था जब लण्ड पर कोई बात न होती हो.
लड़कियां वैसे भी लड़कों से ज्यादा गन्दी गन्दी बातें करतीं हैं।
वैसे भी हर लड़की के मुंह से लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा जैसे शब्द निकलते ही रहते थे।
उसके साथ साथ गालियां भी जैसे बहन चोद, मादर चोद, माँ का लौड़ा, बहन का लौड़ा, भोसड़ी वाली, बुर चोदी, गांडू और भी बहुत कुछ सबके मुंह से सुनाई पड़ता था।
वो सच में बड़े अच्छे दिन थे यार!
मैं याद करती हूँ तो सिहर जाती हूँ।
बस कॉलेज के दिनों में ही मैंने लण्ड पकड़ना शुरू किया, लण्ड मुंह में लेना शुरू किया और फिर लण्ड का सड़का मारना भी शुरू किया।
तभी मुझे एक सहेली ने लण्ड का वीर्य पीने की सलाह दी और उसके फायदे बताये।
उसने मुझे लण्ड का वीर्य पीते हुए दिखाया।
बस मैं भी वही करने लगी.
तो एक साल में ही मेरी चूचियाँ दूनी हो गईं।
मुझे लण्ड पीने में मज़ा आने लगा.
फिर एक दिन लण्ड चूत में पेलवाना भी शुरू कर दिया।
जी हां दोस्तो, मैं शादी के पहले खूब चुदी हुई थी।
यह बात किसी को नहीं मालूम सिर्फ आपको बता रही हूँ।
किसी से मत कहना प्लीज!
मैं कॉलेज में पढ़ती थी तो हमारे पड़ोस में एक प्रशांत नाम के अंकल रहते थे।
वे बड़े मस्त, गोरे चिट्टे, स्मार्ट और हैंडसम थे।
हमारे घर आते जाते थे।
मैं कभी कभी उनके घर जाकर इंग्लिश पढ़ती थी।
अंकल बड़े प्यार से पढ़ाते भी थे।
मैं मन ही मन अंकल का बड़ा आदर और सम्मान करती थी।
मेरी जब शादी हो गयी तो हमारा संपर्क टूट गया।
वे कानपुर में ही थे और मैं यहाँ मुंबई आ गई।
मेरी शादी को दो साल हो गये हैं. इन दो सालों में मुझे अपने पति के लण्ड के अलावा कोई और लण्ड नहीं मिला।
मैं धीरे धीरे किसी पराये मरद के लण्ड के लिए तरसने लगी।
मेरी चूत मुझे बहुत परेशान करने लगी।
मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था।
मुझे कॉलेज के लण्ड बहुत याद आ रहे थे।
एक दिन शाम को मैं अपनी दोस्त अंजलि के साथ चौपाटी पर घूम रही थी।
अचानक किसी के मुंह से निकला- अरे रागिनी तुम यहाँ?
मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो बोली- आप प्रशांत अंकल है न?
वे बोले – हां रागिनी, मैं प्रशांत ही हूँ।
मैंने कहा- अरे अंकल, कहाँ खो गए थे आप? मैं आपको बहुत याद करती हूँ … आपसे मिलना चाहती थी। आपसे बातें करना चाहती थी। पर यह बताओ यहाँ मुंबई में कैसे?
वे बोले- यहाँ कोलाबा में मेरी बेटी है। मैं उसी के यहाँ ठहरा हुआ हूँ।
मैंने कहा- अरे वाह, मैं तो कोलाबा में ही रहती हूँ।
वे बोले- फिर तो हमारा मिलना होता रहेगा।
मैंने कहा- होता रहेगा ये तो आगे की बात है, मेरे साथ अभी चलो मेरे घर!
फिर मैंने उन्हें अंजलि से मिलवाया और कहा- यह मेरी दोस्त अंजलि है। यह भी साथ चलेगी।
फिर हम तीनों लोग गाड़ी में बैठ कर घर आ गए।
मेरा पति एक हफ्ते के लिए विदेश गया था।
मैंने दोनों को बड़े प्यार से बैठाया और झुक कर पानी दिया।
झुकने से मेरी साड़ी का पल्लू गिर पड़ा।
मेरी छोटी सी ब्रा के अंदर से मेरी बड़ी बड़ी चूचियाँ अंकल को दिख गईं।
वे अपने होंठ चाटने लगे।
मुझे बहुत अच्छा लगा, मैंने राहत की सांस ली। मुझे पराये मरद के लण्ड का रास्ता दिख गया।
मैंने ठान लिया कि आज नहीं तो कल मैं अंकल का ओल्ड लंड अपनी गरम चूत में ले ही लूंगी।
सुना है कि बड़े बड़े लोगों के लण्ड भी बड़े बड़े होते हैं।
इतने में नकल बोले- रागिनी, तुम पहले से ज्यादा खूबसूरत हो गई हो। ज्यादा सेक्सी दिखने लगी हो. शादी के बाद तुम्हारा चेहरा ज्यादा खिल गया है।
मैंने कहा- वो तो मैं नहीं जानती अंकल … लेकिन शादी के बाद मैं बहनचोद ज्यादा बोल्ड हो गई हूँ। अब मैं किसी भोसड़ी वाले से शर्माती नहीं हूँ और डरती भी नहीं हूँ। बेशरम हो गई हूँ मैं! मेरे पति के न रहने पर मुझे कोई भी मादरचोद हाथ नहीं लगा सकता!
वे बोले- क्या मैं भी नहीं लगा सकता रागिनी?
मैंने हंस कर कहा- तुम्हारी बात और है अंकल! तुम तो मेरे साथ जबरदस्ती भी कर सकते हो.
वे हंसने लगे।
इतने में अंकल का अचानक फोन आ गया तो वे चाय पीकर चले गये।
उनके जाने के बाद अंजलि बोली- यार रागिनी, मुझे लगता है कि तेरे अंकल लण्ड बड़ा सॉलिड होगा। उनकी नज़रें बता रहीं थीं कि वे तुम्हें अपना लण्ड पकड़ाना चाहते हैं. उन्हें तुमसे प्यार हो गया है।
मैंने कहा- अरे यार अंजलि, मैं खुद उनका लण्ड पकड़ना चाहती हूँ। मैं तो आज ही पकड़ लेती उनका लण्ड … लेकिन एक फोन ने सब काम बिगाड़ दिया बहनचोद!
अंजलि बोली- अच्छा पकड़ना तो फिर मुझे भी दिलवा देना उनका लण्ड! मैं भी लण्ड की प्यासी हूँ।
दूसरे दिन शाम को फिर घंटी बज उठी।
मैंने दरवाजा खोला तो बोली- अरे आप अंकल … अंदर आओ न प्लीज!
मैंने उन्हें बैठाया और फिर एक गिलास पानी का रखा।
आज मेरी चूचियाँ कुछ ज्यादा ही खुली हुईं थीं।
अंकल ने पानी पिया और बोले- थैंक यू रागिनी!
मैं उसके सामने बैठ गई।
इस समय मैं केवल ब्रालेट पहने थी नीचे एक छोटी सी टाइट नेकर।
मैं एकदम एक मॉडर्न गर्ल बनी हुई थी।
फिर मैंने पूछा- अंकल बोलो क्या पियोगे, ठण्डा या गर्म?
वे बोले- आज तो मैं व्हिस्की पियूँगा। तुम मेरा साथ दोगी तो!
मैंने कहा- हां जरूर दूँगी।
उन्होंने अपनी जेब से हाफ निकाला और मुझे दिया.
फिर क्या … हम दोनों व्हिस्की पीने लगे, सिगरेट भी पीने लगे.
हमारा मूड बन गया।
मैंने कहा- आज मुझे अपने कॉलेज के दिन याद आ रहें हैं अंकल!
फिर क्या … थोड़ा नशा हुआ तो दिल की बातें बाहर निकलने लगीं।
मैंने कहा- अंकल कल आपका फोन आया था. कोई खास बात थी क्या?
उन्होंने कहा- नहीं, कोई खास बात नहीं थी। पर हां, कल मुझे तुम्हारी गालियां बड़ी अच्छी लग रहीं थी रागिनी। मन करता था कि बस सुनता जाऊं? तेरी दोस्त न होती तो मैं तुमसे खुल कर बातें करता.
मैंने कहा- तो फिर आज कर लो न खुल कर बातें बहनचोद? आज तो वह बुरचोदी अंजलि नहीं है।
उन्होंने सिगरेट का एक कश लिया और मेरे मम्मों पर धुंआ छोड़ दिया।
मैं कहाँ चूकने वाली थी, मैंने भी कश लिया और उनके लण्ड पर धुआं छोड़ दिया।
वे बोले- तुम बहुत समझदार लड़की हो रागिनी!
मैंने कहा- हां, तभी तो मैंने तुम्हारे सवाल का जबाब देकर अपनी इच्छा ज़ाहिर कर दी।
वे बोले- रागिनी, एक बात है कि हमारे तुम्हारे बीच में उम्र का बड़ा अंतर है।
मैंने कहा- उम्र की माँ का भोसड़ा अंकल! औरत उम्र नहीं देखती, औरत मर्द का हथियार देखती है अंकल। हथियार टना टन हो तो उम्र की माँ चूत!
वे बोले- रागिनी, तुम इतनी हॉट हो कि मैं कल रात भर सो नहीं पाया।
मैंने कहा- अरे यार, मुझे भी तुम्हारी बड़ी याद आती रही रात भर!
उन्होंने मेरे कंधे पर हाथ रख दिया तो मैं भी उसकी जांघ पर हाथ रगड़ने लगी।
तब उन्होंने मेरी चुम्मी ले ली और मेरी नंगी टांगों पर अपना हाथ फिराने लगे।
फिर मेरा भी हाथ अपने आप उसके लण्ड तक पहुँच गया।
मैं उनकी पैंट के ऊपर से ही लण्ड टटोलने लगी।
मेरे मुंह से निकला- तेरा हथियार तो मादर चोद बड़ा जबरदस्त लग रहा है अंकल?
मैं मन ही मन अंकल से पूरी तरह फंस चुकी थी।
मुझे बिना उनका लण्ड देखे एक मिनट का भी चैन न था।
मैं जल्दी से जल्दी उन्हें नंगा करना चाहती थी और इसी आवेश में मैंने उनकी शर्ट उतार दी।
उनके चौड़े कंधे बलिष्ठ भुजाएं, चौड़ी छाती और पूरा कसरती बदन देख कर मैं उन पर मोहित हो गयी।
तब तक उन्होंने मेरी ब्रा का हुक खोल डाला तो मेरी दोनों मम्मे उसके सामने छलक पड़े।
वे मम्मे देख कर मस्त हो गये, उन्हें पकड़ कर सहलाने लगे, मसलने और चूमने लगे।
अंकल मेरे निप्पल मुंह में भर कर चूसने लगे।
मैं भी उत्तेजित होने लगी, मज़ा लेने लगी।
फिर बड़ी बेशर्मी से मैंने उनकी पैंट उतार दी उनकी नेकर भी खोल डाला।
नेकर खुलते ही लौड़े मियां ताल ठोकते हुए बाहर आ गए।
मैंने उसे देखा तो सन्न रह गयी।
सांप की तरह फनफनाकर खड़ा हो गया था उनका मोटा तगड़ा लण्ड।
लण्ड का अंडाकार 3″ का चिकना टोपा एकदम झकास लग रहा था।
मैंने उसे पकड़ा चूमा और बोली- वाह क्या मरदाना लण्ड है अंकल? ऐसा लौड़ा बहुत कम लोगों का होता है। तुम बड़े लकी हो. तुम्हारा लण्ड लाखों में एक है. मैं तो तुम्हारे लण्ड पर मर मिटी। मेरा तो दिल आ गया इस मादरचोद लण्ड पर! क्या मस्ताना लण्ड है भोसड़ी का! मज़ा आ गया यार ऐसा लौड़ा देख कर!
तब तक उन्होंने मेरी छोटी सी नेकर उतार कर फेंक दी।
मैं माँ की लौड़ी उसके आगे एकदम नंगी हो गयी।
मेरा यह पहला मौका था जब मैं शादी के बाद किसी पराये मर्द के आगे नंगी खड़ी थी वह भी उसका नंगा लण्ड पकड़े हुए!
मैं किसी पराये मर्द को पहली बार नंगा देख भी रही थी।
मुझे किंचित मात्र भी न शर्म थी और न झिझक … मैं बिंदास अपनी जवानी का मज़ा लूटने लगी.
मैंने मन में कहा कि मैं झांट किसी की परवाह नहीं करूंगी। अब तो मैं एक नहीं, कई लण्ड का मज़ा लूंगी।
बस मैं अंकल का लण्ड बड़े प्यार से चाटने लगी और अंकल भी उसी प्यार से मेरी फुद्दी चाटने लगे।
मेरी चूत बहुत गर्मा चुकी थी।
अंकल उसमें बार बार अपनी उं गली घुसेड़ रहे थे।
मैंने धीरे से अपनी टाँगें फैलाई तो मेरी चूत पूरी तरह खुल गयी.
अंकल को यही चाहिए था।
उन्होंने फ़ौरन लण्ड पेल दिया अंदर और बिना रुके चोदने लगे मुझे!
मैं भी अपने कॉलेज के दिनों को याद कर कर के चुदवाने लगी … मैं एन्जॉय करने लगी।
मुझे लगा कि आज मैं सच में अपनी सुहागरात मना रही हूँ।
अपनी सुहागरात में भी मुझे इतना मज़ा नहीं आया था।
मैं बोली- अंकल, मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो। मैं ही तुम्हारी असली बीवी हूँ, मुझे चोदो। मेरी बुर चोदो, मेरी चूत चोदो, मेरी गांड चोदो। मैं तुम्हारी ही हूँ, जैसे चाहो वैसे चोदो। तुम्हारा लण्ड बड़ा मज़ा दे रहा है यार!
वे बोले- ले भोसड़ी की रागिनी, आज मैं फाड़ डालूँगा तेरी चूत … भोसड़ा बना दूंगा मैं तेरी चूत का! मैंने जब मुंबई में तुझे पहली बार देखा था तो मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. और आज देख वही लण्ड तेरी चूत में घुसा है। तेरी माँ की चूत … तू भोसड़ी वाली एकदम रंडी है और मैं रंडियां खूब चोदता हूँ। मैं मुंबई में रंडियां चोदने ही आता हूँ। मैं हर रोज़ 2/3 लड़कियों की चूत में लण्ड पेलता हूँ।
अंकल को जोश आ गया था, वे बोलते रहे- मैं खुद बहुत बड़ा हरामजादा हूँ। मैं रंडीबाज हूँ, लौडियाबाज़ हूँ। मैं अपने दोस्तों की बीवियां फंसा फंसा कर चोदता हूँ। बीवियां भी बुरचोदी मेरे लण्ड की दीवानी है और बार बार मुझसे चुदवाने आतीं हैं।
सच में अंकल बड़े मूड में थे और मस्ती से अपनी ही पोल खोल रहे थे।
चुदाई का नशा शराब के नशे से ज्यादा ताकतवर होता है।
दूसरे की बीवी चोदने के नशे में वह सब सच उगल देता है।
मुझे अंकल की बातें, उनका जोश, उनकी गालियां सब कुछ बड़ा अच्छा लग रहा था।
मैं अपनी गरम चूत में ओल्ड लंड एन्जॉय कर रही थी।
मेरा मन सातवें आसमान पर था।
इस तरह उन्होंने मुझे हर तरफ से चोदा और मैं भी खूब मन से चुदी।
मैंने उसे रात में रोक लिया और तब उन्होंने मुझे रात में 3 बार चोदा।
सुबह उठ कर वे चले गये।
उस दिन मुझे अहसास हुआ कि बड़े लोगों से चुदवाने में ज्यादा मज़ा आता है।
आजकल की बीवियां बड़ी पढ़ी लिखी, स्मार्ट, ओपन-माइंडेड और बोल्ड होती हैं।
वो अपना रास्ता खुद निकालतीं हैं और किसी के सहारे नहीं रहतीं।
बीवियां हर वो काम कर लेती हैं जो उनके मर्द करते हैं।
वैसे मर्दों का काम है चोदना और औरतों का काम है चुदवाना!
लेकिन आजकल बीवियां भी चोदने का काम करती हैं और मर्द चुदने का काम!
मर्द अगर बुर चोदता है तो औरत लण्ड चोदती है।
औरत अगर अपनी बुर चुदवाती है तो मर्द अपना लण्ड चुदवाता है.
पहले मियां अपनी बीवी को वाइफ स्वैपिंग के लिए मनाता था और बीवियां बड़े नखरे दिखा दिखा कर मानतीं थी पर आज ज़माना बिल्कुल बदल गया है।
अब तो अदल बदल कर चुदाई के खेल में बीवियां ही पहल करती हैं और एक दूसरे के पति से बिंदास चुदवाती हैं।
वे खुद अपने अपने मियाँ को तैयार करती हैं और हसबैंड स्वैपिंग करती हैं।
एक ऐसी ही सच्ची हस्बैंड स्वैपिंग सेक्स कहानी मैं मिसेज राधिका सिन्हा आपको सुनाने जा रही हूँ!
मेरा नाम मिसेज राधिका है यह तो आप जान ही गए हैं मेरे प्यारे दोस्तो!
मेरी शादी के 2 साल हो चुके थे और मैं अपना वैवाहिक ज़िन्दगी अच्छी तरह जी रही थी.
लेकिन एक बात जरूर थी कि रोज़ रोज़ वही लण्ड पकड़ते पकड़ते, वही लण्ड चाटते चूसते, वही लण्ड चूत में पेलवाते पेलवाते बहुत बोर हो चुकी थी।
मुझे लगा कि अब कोई नया लण्ड मिले तो अच्छा हो।
मैं बस नए लण्ड की तलाश करने लगी।
एक दिन अचानक मेरी मौसी की बेटी ललिता का फोन आ गया।
वह बोली- दीदी, हम दोनों मुंबई आ रहे हैं।
मैंने बड़ी गर्म जोशी से कहा- हां हां बिल्कुल आ जाओ। कौन सी फ्लाइट से आ रही हो?
उसने डिटेल बताया तो मैंने नोट कर लिया।
शाम को मैंने इसका ज़िकर अपने पति राघव से किया तो वह बड़ा खुश हुआ।
अगले सवेरे हम दोनों उसे रिसीब करने एयरपोर्ट पहुँच गए।
जब वह आई तो मुझसे लिपट गयी।
मैं उसके पति हरीश से मिली। वह भी बड़ा स्मार्ट और हैंडसम था।
मेरा पति ललिता को देख कर ललचा गया ऐसा मुझे उसके हाव भाव से मालूम हो गया।
हम लोग घर आ गए.
नाश्ता तैयार था ही!
वो लोग भी फ्रेश होकर आ गए और हम सब नाश्ता करके बाहर निकल पड़े।
दिन में थोड़ा घूमे दोपहर में एक पिक्चर देखी और शाम को बगीचे में घूमने लगे।
तब तक हम दोनों कपल एक दूसरे के काफी करीब आ चुके थे।
मैं ललिता से बातें करने लगी और वो दोनों अलग!
अब तक हमारी बातें और तरह की थी पर अब मैं और तरह की बातें करनी शुरू कर दी।
मैंने कहा- अच्छा ललिता, ये बताओ कि तुम एक ही मरद के साथ सेक्स करते करते बोर नहीं हो जाती हो?
वह बोली- अरे दीदी, आपने कहाँ दुखती रग पर हाथ रख दिया। सच बताऊँ यार मैं तो बहुत बोर हो जाती हूँ पर करूं क्या? मन मार कर रह जाती हूँ।
“तो फिर कोई ज़रिया कभी तलाशने की कोशिश की?”
“ज़रिया हो भी क्या सकता है? एक पराये मरद के अलावा और क्या हो सकता है पर कोई भरोसे वाला मिलता भी तो नहीं है.”
“अच्छा अगर मिल जाए तो?”
“मिल जाए तो मैं उसे नंगा करके सबसे पहले उसका लण्ड देखूंगी।”
“ऐसा क्यों कि तुम सबसे पहले लण्ड देखोगी?”
“इसके दो कारण हैं दीदी … एक तो लण्ड सबके अलग अलग होते हैं तो एक नया लौड़ा देखने को मिलेगा। और दूसरा कि चुदवाने के लिए सिर्फ लण्ड की जरूरत है बाकी का मुझसे क्या लेना देना?”
“अच्छा अगर कोई तेरे मरद का लण्ड ले ले तो?”
“मैं अपने मरद का लण्ड उसी को दूँगी जो खुद अपने मरद का लण्ड मुझे देगी।”
“इसका मतलब है कि तू लण्ड की अदला बदली करने को तैयार है?”
“हां कर लूंगी। मैं बिंदास हूँ, बोल्ड हूँ, पढ़ी लिखी हूँ, यह तो Lund Swapping है, कर लूंगी।”
“तेरा हसबैंड क्या मान जाएगा इसके लिए? वह नाराज़ तो नहीं होगा? उसे बुरा नहीं लगेगा?”
“मेरा हसबैंड भोसड़ी का मेरी मुठ्ठी में रहता है दीदी। जैसे मैं उसके लण्ड को मुठ्ठी में रखती हूँ वैसे ही मैं उसको भी मुठ्ठी में रखती हूँ।”
“अगर मैं तेरे मरद के लण्ड को अपनी मुठ्ठी में ले लूँ तो?”
“तो फिर मैं तेरे मरद के लण्ड को मुठ्ठी में ले लूंगी दीदी।”
“यही तो मैं चाहती हूँ।”
वह बड़ी जोर से हंस पड़ी और बोली- वाह दीदी वाह … तुमने तो मेरे मुंह से सब कुछ उगलवा लिया। अब मैं हसबैंड स्वैपिंग के लिए तैयार हूँ और मैं आज ही जीजू का लण्ड पकड़ कर देखूंगी।
मैंने कहा- अब तुम अभी से अपने जीजू को रिझाने में जुट जाओ, उसके लण्ड में आग लगा दो। मैं तेरे पति को रिझाऊंगी और उसके लण्ड में आग लगा दूँगी।
“चलो अब हम एक दूसरे के पति से खूब मस्ती वाली बातें करें और उनके लण्ड में आग लगा दें।”
फिर मैं उसके पति से खुल कर बातें करने लगी और वह मेरे पति से!
जैसे ही हम लोग घर वापस आये वैसे ही एक दूसरे के पति के आस पास घूमने लगीं।
हम दोनों ने कपड़े बदले, भड़कीले और छोटे कपड़े पहन कर सोफा पर बैठ गयीं।
न मैंने ब्रा पहनी और न उसने!
हम दोनों अपनी अपनी बड़ी बड़ी मस्तानी चूचियों की झलक एक दूसरी के पति को दिखाने लगीं, अदायें भी दिखाने लगी और थोड़ा गन्दी गन्दी मजाक भी करने लगी।
मेरा पति उसका जीजू और उसका पति मेरा बहनोई तो मजाक का रिश्ता भी था हमारा।
फिर हम सब ड्रिंक्स पर बैठ गए।
पीती मैं भी हूँ और ललिता भी!
वो दोनों भी एक दूसरे की बीवी की तरफ आकर्षित होने लगे।
मैंने अपने पति से कहा- क्या बात है, ललिता की तरफ बहुत देख रहे हो तुम?
ललिता बोली- तो क्या हुआ दीदी … वह मेरा जीजू है मैं उसकी साली हूँ। अब अपनी साली को नहीं देखेगा तो किसको देखेगा? तुम्हारा मन हो तो तुम भी अपने बहनोई को देखो न दीदी, मना किसने किया है?
मैंने आँख मार कर बड़ी सेक्सी अदा से कहा- मैं तेरे पति को भी देखूंगी और तेरे पति का भी देखूंगी.
ललिता बोली- हाय दईया, तो फिर मैं भी तेरे पति का देखूंगी दीदी! मैं किसी से कम नहीं हूँ।
हमारी बातों का मतलब वो दोनों अच्छी तरह समझ रहे थे।
थोड़ा नशा और चढ़ा तो मस्ती भी और बढ़ गयी।
ललिता ने अपनी बांहें मेरे पति के गले में डाल दीं और उसके गाल चूम कर बोली- जीजू आज तुम मुझे बड़े अच्छे लग रहे हो।
मैं भी हरीश से चिपक कर बैठ गयी और उसकी जांघ पर हाथ रख कर सहलाने लगी।
उसका भी हाथ मेरे बदन पर आ गया और वह भी मेरी पीठ पर हाथ फेरने लगा, फिर धीरे धीरे मेरी चूचियों पर आ ही गया.
उसने मेरी चूचियाँ दबायीं तो मैंने भी उसका लण्ड ऊपर से ही दबा दिया।
न उसने मना किया और न मैंने!
हम दोनों एक दूसरे को समझ गए कि अब क्या करना है.
उधर ललिता तो मेरे पति का लण्ड ऊपर से ही बड़ी जोर जोर से दबा रही थी।
वह भी ललिता के बूब्स दबाने लगा।
हमारे इस हाव भाव से मामला बिल्कुल साफ़ हो गया था कि हम दोनों एक दूसरे के पति से चुदवाना चाहती हैं और वो दोनों एक दूसरे की बीवी चोदना चाहते हैं।
हम लोग कुछ भी नहीं बोल रहे थे लेकिन हाथ हम सबके चल रहे थे।
हमारे हाथ ही बोल रहे थे कि अब आगे क्या होने वाला है.
मेरे पति ने ललिता के बूब्स खींच कर बाहर निकाल लिया।
इधर उसका पति भी मेरी ब्रा खोल कर मेरे दोनों बूब्स निकाल कर चाटने लगा और बोला- वाह वाह दीदी, क्या मस्त चूचियाँ हैं आपकी! कितनी बड़ी बड़ी और मस्त सुडौल हैं बूब्स आपके! बड़ा मज़ा आ रहा है इन्हें चाटने में चूसने में!
उधर मेरा पति बोला- वाह साली साहिबा, क्या मस्त और खूबसूरत हैं तेरी चूचियाँ! साली की चूची और साली की चूत बहुत नसीब वालों को मिलती है। आज मैं वाकई बड़ा नसीब वाला हूँ।
ललिता बोली- हाय दईया जीजू, आपने अभी मेरी चूत तो देखी ही नहीं!
उसने हाथ ललिता के पेटीकोट में घुसेड़ दिया और कहा- मेरा हाथ तो देख रहा है न? अभी मेरी आँखें भी देखेंगीं तेरी मस्तानी चूत!
इधर उसका पति मुझे एकदम नंगी करने पर तुला था, जल्दी जल्दी मेरे कपड़े उतार कर फेंक रहा था।
वैसे कपड़े कोई ख़ास थे भी नहीं!
पहले मैं मादर चोद नंगी हो गयी और फिर मेरे सामने बुर चोदी ललिता भी बिल्कुल नंगी हो गयी।
संयोग तो देखिये कि छोटी छोटी झांटें उसकी चूत पर भी थीं और छोटी छोटी झांटें मेरी चूत पर भी थीं।
कुछ भी हो लेकिन दोनों की चूत बड़ी सेक्सी लग रही थी।
इतने में मैंने हरीश को एकदम नंगा कर दिया।
उसका लौड़ा खड़ा हुआ था।
लण्ड देख कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई। आज शादी के बाद मैं पहली बार किसी पराये मरद का लण्ड देख रही थी।
वैसे शादी के पहले मैं कई लण्ड पकड़ चुकी थी। मतलब यह कि मैं शादी के पहले खूब चुदी हुई थी। कई लड़कों से चुदी थी।
इसीलिए मुझे शादी के बाद पराये मरद के लण्ड की जरूरत बहुत महसूस हो रही थी।
बात करने पर ललिता ने बताया- दीदी, मैं भी शादी के पहले खूब चुद चुकी थी। एक अंकल ने मुझे कई बार चोदा था और कॉलेज के दो लड़कों से मैं खुद बड़े मजे से चुदवाती थी। शादी के बाद मुझे भी कोई लौड़ा नहीं मिला तो मैं भी तरस रही थी। आज मेरी तमन्ना पूरी होगी।
फिर हमने प्लान बनाया कि आज हम दोनों एक दूसरे के पति से चुदवायेंगी जरूर और अब वही होने जा रहा है।
मैं उसके पति का लण्ड हिलाने लगी और वह मेरे पति का लण्ड!
दोनों ही लण्ड बड़े मस्त और तगड़े तंदुरुस्त थे; दोनों लण्ड के टोपा चमक रहे थे।
दो सोफे आमने सामने पड़े थे।
एक में मैं नंगी और उसका पति नंगा दूसरे में वह नंगी और मेरा पति नंगा।
ललिता मेरे पति का लण्ड चूसने और मैं उसके पति का लण्ड।
मैं हरीश का लण्ड उसकी आँखों में आंखें डाल कर चूस रही भी मेरे मियां का लण्ड उसकी आँखों में आँखें डाल कर चूस रही थी।
इससे अब न मुझे कोई शरम थी और न उसे!
मैंने कहा- यार ललिता, तेरे पति का लण्ड बड़ा खूबसूरत और मोटा तगड़ा है। बहनचोद देखो न … मेरे हाथ में आकर कितनी मस्ती से उछल रहा है।
उसने कहा- ये लण्ड भोसड़ी का … परायी बीवी के हाथ में जाकर ज्यादा ही उछलने लगता है। अब देखो न तेरे पति का लण्ड मेरे हाथ में कैसे फुफकार रहा है?
मजे की बात यह थी कि झांटें दोनों लण्ड की बिल्कुल साफ़ थीं। पेल्हड़ भी दोनों के एकदम चिकने थे।
मुझे तो ऐसे ही लण्ड पसंद हैं। ऐसे लण्ड चाटने में बड़े अच्छे लगते हैं।
ललिता भी बड़ी मस्ती से मेरे पति का लण्ड चाटने में जुटी थी।
वह बोली- अरे दीदी, जीजू का लण्ड इतना जबरदस्त है … अगर तूने पहले पकड़ाया होता तो अब तक जाने कितनी बार इससे चुदवा चुकी होती!
इतने में सबको जोश आ गया और हरीश ने लण्ड मेरी चूत में पेल दिया।
मेरे मुंह से निकला- उफ़ … बड़ा मोटा लण्ड है तेरा यार! मेरी तो बुर फट जाएगी बहनचोद, इतना मोटा लण्ड पहले कभी नहीं घुसा मेरी चूत में! हाय रे … आज मेरी चूत में छक्के छूट जायेंगे।
तब तक मेरे पति ने भी लौड़ा ललिता की बुर में ठोक चुका था।
वह बोली- उई माँ … मर गयी मैं! इस भोसड़ी वाले जीजू ने फाड़ दी मेरी बुर! हाय अब मैं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही। जीजू बड़ा बेशरम है तेरा ये मादरचोद लण्ड? धीरे धीरे चोदो न जीजू? मैं कहीं भाग नहीं जाऊँगी। चुदवा कर ही जाऊँगी तुमसे!
कुछ देर बाद वह बोली- क्या यार जीजू … पूरा लौड़ा पेल पेल के चोदो न? धीरे धीरे नहीं … तेज तेज चोदो, मर्दों की तरह चोदो मेरी बुर! बड़ा मज़ा आ रहा है। वाह वाह क्या मस्त लौड़ा है तेरा? फाड़ डालो मेरी बुर … चीर डालो मेरी बुर!
वह मस्ती मे कुछ भी बोलती जा रही थी।
इधर मैं भी बोल रही थी- हाय मेरे हरीश राजा, मुझे खूब चोदो, अपनी बीवी की तरह चोदो मुझे, मैं तेरी ही हूँ मुझे गपागप चोदो! हाय रे बड़ा गज़ब का है तेरा लण्ड … मुझे ऐसा ही लण्ड पसंद आता है. मेरी चूत ऐसे ही लण्ड खाती है. हाय राम हो ही ओहो हो बड़ा मज़ा आ रहा है आओ हूँ ओ हा ऊँ हूँ ओ ह्हो … क्या मस्त चुदाई है यार!
हम दोनों इसी तरह सिसियाती जा रही थी और मजे से चुदवाती भी जा रही थी।
हरीश बोला- यार राघव, मुझे अपनी बीवी के सामने तेरी बीवी चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है।
मेरे पति राघव ने कहा- हां यार हरीश, मुझे भी अपनी बीवी के सामने तेरी बीवी चोदने में बहुत मज़ा आ रहा है. ऐसा मज़ा बहनचोद पहले कभी नहीं आया। एक बात और है मुझे अपनी बीवी चुदवाने में भी मज़ा आ रहा है।
मैं यह सुनकर बहुत खुश हो गयी। मैं चाहती थी कि मेरा पति अपनी बीवी चुदवाना शुरू कर दे तो सब काम बन जाए।
तब तक ललिता बोली- अरे जीजू, जो अपनी बीवी चुदवाता है वही दूसरे की बीवी चोद पाता है। मैं तो कहती हूँ कि तुम लोग रोज़ ही चुदवाओ अपनी बीवी और चोदो दूसरों की बीवियां! जाने कितनी बीवियां तुम्हारे जैस लोगों से चुदवाने के लिए तैयार हैं.
ललिता ने भी वही कहा जो मैं चाहती थी।
बस दोनों को और जोश आया तो वो हमें पीछे से चोदने लगे और फिर लण्ड पे बैठा बैठा के भी चोदने लगे।
आखिर में जब हम दोनों ने एक दूसरे के पति के झड़ते हुए लण्ड चाटे तो उसका आनंद कुछ और ही था जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता.
हमने महसूस किया कि चुदाई में रोज ऐसा ही मज़ा आये तो अच्छा हो!
फिर हम सबने नंगे नंगे ही खाना खाया, खूब गन्दी बातें की और थोड़ा इधर उधर घर में ही घूमे।
उसके बाद फिर इन लोगों ने हमें दो दो बार चोदा; तब हम लोग थोड़ा सोये।
ललिता जब तक रही, तब तक वह हर रोज़ रात को मेरे पति से चुदवाती रही और मैं उसके पति से चुदवाती रही।
उसके जान के करीब एक हफ्ते बाद उसका फोन आया।
उसने कहा- दीदी, अभी कल ही मेरी एक दोस्त कला अपने हसबैंड के साथ मुंबई गयी है। मैं उसके साथ चोदा चोदी कर चुकी हूँ। मैंने उसे तेरा फोन नंबर दे दिया है। उसके हसबैंड लौड़ा बड़ा मस्त है, ज्यादा बताऊंगी तो तेरा मज़ा किरकिरा हो जायेगा। अब तुम खुद पकड़ कर देख लेना उसका लण्ड! और जीजू से कहना कि कला की बुर खूब अच्छी तरह चोदे क्योंकि वह भोसड़ी वाली बड़ी मस्त है चुदवाने में। लण्ड का पूरा मज़ा लेती हैं और पराये मर्दों से जम कर चुदवाती है।
उसकी बातों ने मेरी चूत में आग लगा दी।
बस 2 मिनट में ही फोन फिर बजने लगा।
मैंने जैसे ही हेलो कहा वैसे ही वह बोली- दीदी, मैं कला बोल रही हूँ मुझे आपके बारे में ललिता ने बताया है।
तो मैंने कहा- मेरी बात ललिता से हो गयी है। तुम लोग आज शाम को 8 बजे मेरे घर पर डिनर के लिए आ जाओ।
तब तक मेरा पति भी आ गया।
मैंने उसको यह खबर सुनाई तो वह बड़ा खुश हुआ और बोला- यार राधिका, मेरा एक दोस्त देवा भी आज शाम को अपनी बीवी दिव्या के साथ आ रहा है। मैंने उन्हें डिनर पर बुला लिया। वह हमारे साथ वाइफ स्वैपिंग करने आ रहा है।
मैं तो यह सुन कर दुगुना खुश हो गयी कि अब आएगा असली मज़ा … तीन तीन कपल जब अदला बदली करेंगें तो मज़ा भी तिगुना हो जायेगा।
मैंने फिर फटाफट सारा इंतज़ाम कर लिया।
शाम को जब सब लोग इकट्ठे हो गए और एक दूसरे से परिचय हुआ तो सब बड़ी मस्ती में आ गए।
मेरे पति ने देवा को बता दिया कि कला और रोहित भी वाइफ स्वैपिंग के लिए ही आए हैं तो वो दोनों बहुत ही खुश हुए।
इधर कला को जब मालूम हुआ कि आज सेक्स पार्टी में 3 कपल होंगे तो वह ख़ुशी से उछल पड़ी।
मैंने हॉल में गद्दा वगैरह बिछा कर पूरी तैयारी कर ली थी और फिर हम सब बैठ कर मदिरापान करने लगे।
दिव्या बोली- अरे राधिका, बहुत अच्छा किया। ग्रुप सेक्स करने के पहले थोड़ा सरूर आना जरूरी होता है।
कला भी बोली- हां यार, चुदाई के पहले थोड़ा नशा ज्यादा मज़ा आता है।
मैं समझ गयी कि ये दोनों बीवियां शराब की उतनी ही शौकीन हैं जितनी की मैं!
दो दो पैग शराब ख़त्म हुई, सब लोग खुल कर बोलने लगे, अपने आपमें मन की बात बोलने लगे।
वाइफ स्वैपिंग करना सभी चाहते हैं पर बोलना कोई नहीं चाहता।
पहल कोई नहीं करना चाहता।
देवा बोला- यार, मैं बहुत दिनों से वाइफ स्वैपिंग के बारे में सोच रहा था पर कर नहीं पाया कभी! उस दिन जब राघव ने ज़िकर किया तो मज़ा आ गया। मैंने जब अपनी बीवी दिव्या को बताया तो वह ख़ुशी के मारे उछल पड़ी और खाना पीना सब भूल गयी।
कला ने कहा- मुझे जब ललिता ने बताया तो मैं इस बात से खुश हुई कि चलो मुंबई में भी अपना कोई होगा जिसके साथ हसबैंड की अदला बदली का मौक़ा मिलेगा। मेरे पति का तो चेहरा ही खिल उठा।
दारू पीते हुए बहुत सी बातों का खुलासा हुआ जिससे हम सब एक दूसरे के काफी नजदीक आ गए।
हमारे बीच शर्म और झिझक की दीवार टूट गयी।
हम बुर चोदी तीनों बीवियां एकदम बिंदास हो गयीं और शराबी बीवी की तरह व्यवहार करने लगी.
मैंने रोहित के गले में बाहें डाल दीं और उसके गाल चूमते हुए बोली- वाह कितना मस्त मरद है तू बहनचोद रोहित!
रोहित की बीवी कला देवा की तरफ मुड़ी और उससे चिपक गयी। उसका लौड़ा ऊपर से ही सहलाते हुए बोली- वाओ … लौड़ा भोसड़ी का बड़ा मस्त लग रहा है तेरा!
देवा की बीवी दिव्या ने मेरे पति के पास जाकर उसे उठाया और उसके गले लग गयी फिर वह हाथ नीचे करके उसका लौड़ा टटोलने लगी।
मेरा पति भी दिव्या की चूचियाँ ऊपर से दबा दबा कर मज़ा लेने लगा, बोला- वॉवो क्या मस्त चूचियाँ है तेरी दिव्या भाभी!
वह बोली- तेरा मस्त लौड़ा भी है मेरी जान राघव!
बस कुछ ही देर में एक एक करके हम सब नंगे हो गए।
तीनों बीवियां नंगी और तीनों मरद नंगे।
मैं रोहित का लण्ड हिलाने लगी, दिव्या राघव का लण्ड और कला देवा का लण्ड हिलाने लगी।
मैंने कहा- अब मैं आप सबको डबल मज़ा देना चाहती हूँ। बीवियों को पराये मरद का लण्ड चाटने का मज़ा और पराये मरद से बुर चटवाने का भी मज़ा। वह लण्ड चाटेगी किसी और मरद का … साथ ही साथ बुर चटवायेगी किसी और मरद से! मर्दों को डबल मज़ा कि … बुर चाटो किसी और की बीवी की और लण्ड चटवाओ किसी और की बीवी से!
यह सुनकर सब लोग हैरान हो गए कि यह कैसे होगा?
मैंने कहा- मैं बताती हूँ कि कैसे होगा.
मैंने सबको गोल गोल बैठा दिया।
एक बड़ा सा घेरा बन गया।
सब लोग नंगे थे ही!
पहले मैं बैठी, मेरी दाहिनी तरफ रोहित, फिर दिव्या, फिर राघव फिर कला फिर देवा।
अब हर मरद के अगल बगल परायी बीवी हो गयी और हर बीवी के अगल बगल पराया मरद हो गया।
मैंने कहा- अब सब बीवियां दाहिनी तरफ वाले का लण्ड चाटेंगी और सब मर्द दाहिनी तरफ वाली की बीवी की बुर चाटेंगे।
इसका असर यह हुआ कि मैं रोहित का लण्ड चाटने लगी और रोहित दिव्या की बुर!
दिव्या राघव का लण्ड चाटने लगी और राघव कला की बुर,
कला देवा का लण्ड चाटने लगी और देवा मेरी बुर चाटने लगा.
इस तरह सबको डबल मज़ा आने लगा।
बीवियों को लण्ड चाटने का और बुर चटवाने का मज़ा मिलने लगा।
मर्दों को बुर चाटने का मज़ा और लण्ड चटवाने का मज़ा मिलने लगा।
इस खेल से सबकी बुर में आग लग गयी और सबके लण्ड में भी.
बहुत देर तक ऐसा मस्ताना खेल ज़ारी रखना किसी के बस का नहीं था।
तो मैं रोहित का लण्ड अपनी बुर में पेल कर बिंदास चुदवाने लगी।
दिव्या बुर चोदी मेरे पति से झमाझम चुदवाने लगी और कला भोसड़ी वाली भकाभक देवा से चुदवाने लगी।
दूसरे सिरे से देखें तो मेरा पति देवा की बीवी चोदने लगा, देवा रोहित की बीवी चोदने लगा कर और रोहित राघव की बीवी यानि मुझे चोदने लगा।
परायी बीवी की बुर चोदने में सबको खूब मज़ा आने लगा और बीवियों को भी पराये मर्दों से चुदवाने में ज़न्नत का मज़ा आने लगा।
मैं मन ही मन बड़ी खुश हो रही थी कि मेरा प्लान कितना कामयाब हो गया।
हमने फिर एक हसबैंड स्वैपिंग क्लब बना लिया।
इस क्लब में आजकल 10 कपल हैं। हम सब हर शनिवार और रविवार को एक दूसरे के पति से खूब मस्ती से बिंदास खुले आम चुदवाती हैं.
हमारे हसबैंड भी खूब मन लगा कर दनादन एक दूसरे की बीवियां चोदते हैं और खूब एन्जॉय करते हैं।
हालाँकि सारे कपल हर शनिवार को नहीं आ पाते लेकिन हां 6 – 7 कपल तो आ ही जातें हैं और फिर होता है परायी बीवियों को चोदने का और पराये मर्दों से चुदवाने का लगातार हंगामा।
दो दिन तक न कोई वाइफ कपड़े पहनती है और न कोई हसबैंड!
मैं अपने दोस्त की Antarvasna कहानी ले कर आया हूँ। मेरे दोस्त का नाम पिंकू है। पिंकू की गर्ल फ्रेंड सोनी की शादी बहुत पहले ही हो गई थी।
लीज़िए पढ़िए पिंकू के ही शब्दों में !
अभी कुछ दिन पहले सोनी से एक शादी में मुलाकात हो गई, कई सालों बाद मिली थी। सोनी ने मुझे बताया कि वो अभी मायके आई हुई है। उसने मुझे बताया उसकी दो बेटी और एक बेटा है बेटी मोनी और मानसी है जिनमें मोनी 18 साल की मानसी 15 साल की है और लड़का सबसे छोटा है मोनू जो 11 साल का है।
सोनी ने मुझे अगले दिन दस बजे घर आने को कहा। मेरा उसके घर में आना जाना लगा रहता था क्योंकि उसके परिवार से पुरानी जान पहचान है।
जब मैं उसके घर गया तो सोनी और उसकी साल की बेटी मोनी ही थी, बाकी लोग बाज़ार गए थे। सोनी ने मुझे बैठने को कहा और उसकी बेटी से मुझे मिलवा कर वो चाय बनाने को चली गई।
मैं सच बता रहा हूँ कि मैंने उसकी लड़की के बारे में कुछ भी गलत नहीं सोचा था अब तक ! पर यह चूत बहनचोद कुछ भी करवा दे !
मैंने मोनी से बोला- बेटा, मेरे पास आ !
तो वो मेरे गोद में आकर बैठ गई और अब मैं उसके साथ खेल रहा था उसे एक छोटी सी बच्ची समझ कर !
पर थोड़ी ही देर में मुझे मेरे लंड पर थोड़ा दबाब उसकी गांड का महसूस हुआ जिसे मैंने नज़र-अंदाज़ कर दिया।
तब तक सोनी चाय ले कर आ गई। हमने कोई भी पुरानी बात नहीं की, चूंकि उसकी बेटी मोनी वहीं थी। सोनी ने चाय खत्म कर किसी काम ले लिए बोल कर चली गई। मोनी अ़ब फ़िर मेरी गोद में आ गई थी और उसने मुझसे बोला- अंकल, आप मुझे मीठी नहीं दोगे?
मैंने कहा- जरूर दूंगा मेरी बच्ची !
और वो मेरी तरफ घूम गई। अब हम दोनों का चेहरा एक दूसरे के सामने था तो मैंने उसके गाल को चूम लिया।
मैंने उससे पूछा- तेरी मॉम कब तक आएगी?
इस पर वो बोली- अभी तो एक घंटा लग जायेगा।
वो गोद से उतरने का नाम नहीं ले रही थी। मेरी पैरों में भी दर्द होने लगा था। पर क्या करता, तो मैंने सोचा- चलो थोड़ा और मन बहला कर उतार दूंगा।
मैंने टीवी ऑन कर दिया और कोई कार्टून सीरियल लगा दिया और मैं भी देखने लगा।
थोड़ी ही देर में मैंने मोनी के हाथ को मेरे लंड पर महसूस किया। अब मुझे कुछ होने लगा था। पहले उसकी गांड और अब उसका हाथ !
अब मैं उसे समझ चुका था तो अब मैं उसे दूसरी ही निगाहों से देख रहा था और सोच भी रहा था।
मैंने फ़िर से उसके गाल को चूम लिया तो इस पर वो बोली- यहाँ नहीं ! यहाँ ! और वो मेरे होठों को चूसने लगी।
तब मैंने उसकी फ़ीगर को देखा, कम उम्र में ही उसकी चूची 30 की हो गई थी, गांड मस्त गद्देदार लग रही थी। तो अब मैं अपना हाथ उसके चूची पर ले गया। इस पर उसने कुछ विरोध नहीं किया,
उसने टॉप पहना हुआ था, मैंने किस करते हुए उसके चूची को दबाना चालू कर दिया और वो भी साथ दे रही थी। अब मैंने उसे टॉपलेस कर उसकी चूची को चूसने लगा तो इस पर वो बोली- मैं भी कुछ चूसना चाहती हूँ।
तो उसे मैं मना क्यों करता ! मैंने पैंट और अंडरवियर उतार दिया और उसे भी नंगा कर दिया हम दोनों 69 वाले पोज़ में आकर चूसने लगे। चूंकि समय कम था, मैंने उसे उठा कर उसके मुँह में लंड डाल दिया।
अब वो बोली- मुझे जल्दी चोदो ! नहीं तो मॉम आ जायेगी !
तो मैंने बोला- ठीक है !
तो वो बोली- अंकल मुझे बिल्कुल रंडी समझ कर ही चोदना !
मैं बोला- बहनचोद ! इतनी छोटी उम्र में तेरे को इतनी बात कैसे पता है?
तो वो बोली- बेटीचोद ! पहले चोद लो उसके बाद मैं बता दूंगी साले हरामी ! बोल रही हूँ कि समय है, तब भी बोले जा रहा है ! यहाँ मेरी चूत की हालत ख़राब हो रही है और मादरचोद, तुझे बातों की ही लगी है। चल जल्दी चोद हरामी ! नहीं तो मैं अभी तेरी गाण्ड ले लूँगी।
मैंने भी कुछ नहीं सोचा और उसकी बूर मैं लंड पेल दिया बोला- ले हरामी ले !
एक ही बार मैं उसने मेरा सात इंच का लंड ले लिया और ऊफ तक नहीं की। मैं उसे धकाधक पेले जा रहा था और मोनी बहनचोद गाली दिए जा रही थी- चोद, बेटीचोद ! अपने बेटी जैसी को चोद ! मेरी मां की चूत और मार फाड़ दे …..
पता नहीं क्या क्या !!
अब मैं छुटने ही वाला था कि मोनी की माँ सोनी आ गई, तब भी मैंने उसे नहीं छोड़ा, चोदता ही रहा जब तक कि मैं छुट नहीं गया।
सोनी ने बोला- बेटीचोद, तुमने मेरी बेटी को भी चोद दिया ? और इस भोंसड़ी वाली मादरचोद ने भी चुदवा लिया ? पिंकू तूने बर्बाद कर दिया ! मुझे चोद लिया होता !
असल मैं मैंने सोनी को भी शादी तक खूब चोदा था ! पर मैं अब काफी शर्मिंदा महसूस कर रहा था।
आगे मैं मोनी की चुदाई की कहानी ले कर आऊंगा ……….. Antarvasna
मैं राज मध्यप्रदेश के एक Antarvasna Stories महानगर में रहता हूँ। मैं अन्तर्वासना की लगभग सारी कहानियाँ पढ़ चुका हूँ और हमेशा सोचा करता था कि अपने यौन-अनुभव भी कभी अन्तर्वासना में भेजूंगा।
यूँ तो मैं सेक्स कई बार कर चुका हूँ पर मैं अपने जीवन के कुछ सर्वोत्तम पल आपके साथ बांटना चाहूँगा।
यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था जब मैं गयारहवीं कक्षा में था। मैं एक आकर्षक व्यक्तित्व का मालिक हूँ मगर तब तक जीवन में कभी कोई लड़की नहीं पटाई थी। मेरा एक दोस्त था विवेक ! हालांकि हम एक स्कूल में नहीं पढ़ते थे मगर बचपन में साथ खेले और घर पास-पास होने की वजह से हमारी दोस्ती काफी अच्छी थी। हम अक्सर एक दूसरे के घर आते जाते रहते थे। विवेक की एक छोटी बहन थी जो गजब की खूबसूरत थी। मगर हाय री मेरी किस्मत- वो भी मेरे एक दोस्त नीरज से पटी हुई थी।
जब भी उसको देखता था, तो लगता था कि एक मौका तो मिले अभी पकड़ कर बस चोद डालूँ ! दिखने में जितनी सेक्सी थी उतने ही तीखे उसका तेवर थे, चलती थी तो कमर ऐसे मटकाती थी जैसे कोई फ़िल्मी हिरोइन रैंप पर मॉडलिंग करने उतरी हो ! गोरा रंग, लम्बाई ५ फ़ुट ४ इंच के लगभग थी, लम्बे बाल, भरा हुआ बदन, वक्ष-आकार 34 और एकदम चिकनी थी। हाथ रखो तो फिसल जाये ! नीरज एक रईस बाप की औलाद था और उस पर खूब पैसे लुटाता था। दिव्या और नीरज जब भी साथ में होते, या विवेक के गैरहाजिरी में जब कोई मेसेज पहुँचाना होता तो नीरज के लिए मैं ही पोस्टमैन का काम करता।
शुरू शरू में तो मज़ा आता था, बाद में मुझे गुस्सा आने लगा। यह बात दिव्या भी समझ रही थी कि मैं उसके प्रति आकर्षित हूँ, मगर कहती कुछ नहीं थी, शायद इसलिए कि मेरा उसके घर आना-जाना था, और वो हमेशा अपने प्यार को सच्चा प्यार दिखाती थी और कहती थी कि मैं शादी नीरज से करूंगी। सो मैं भी कुछ नहीं कहता, बस अपने काम से मतलब रखता था। कभी कभी मौका मिलता तो इधर उधर से ताक-झांक कर लेता था जैसे कभी मेज़ पर बैठी तो नीचे झुक के चड्डी का रंग देखना, या सामने बैठ के उसके वक्ष को घूरना, मौका मिले तो हाथ भी लगा देता था, मगर कभी उसने कुछ कहा नहीं, बस घूर के देखती थी। भाई का दोस्त होने की वजह से कुछ कहती नहीं थी। शायद डरती थी कि कहीं मैं उसके और नीरज के बारे में विवेक को बता न दूँ।
सब कुछ ऐसे ही चल रहा था, परीक्षा ख़त्म हो गई थी और अब करियर बनने का समय था। इत्तेफाक से मैंने और दिव्या ने एक ही कोचिंग में प्रवेश लिया और हम दोनों साथ में आते-जाते थे। इसी बीच मैंने एक बार उसको प्रोपोज़ किया मगर उसने मुझे नीरज से पिटवाने की धमकी दी और मैं चुप हो गया। मगर सोचा कि जब मौका मिलेगा तो देख लूँगा !
एक दिन मेरी किस्मत खुल गई।
स्कूल शुरु हो चुके थे और बारिश का मौसम था। मैंने अपने स्कूल के दोस्तों के साथ फिल्म देखने की योजना बनाई। फिल्म थी दिल !
जल्दी पहुंचने की वजह से हम लोगों को पीछे की सीट मिल गई। फिल्म का इंटरवल हुआ लाइट जली तो देखा दिव्या सामने की सीट में थी मगर नीरज के साथ नहीं, किसी और के साथ !
पहले तो मेरी समझ में कुछ नहीं आया मगर बाद में समझ में आ गया कि यह तो बड़ी चालू है।
खैर मैं भी चुप रहा और ऐसे बैठ गया कि वो मुझे ना देख पाए लेकिन मैं उसे देख सकूँ।
फिल्म के मध्यांतर के बाद मैंने देखा कि वो लड़का उसको इधर-उधर हाथ लगा रहा था और वो हिल-डुल रही थी। समझते देर नहीं लगी कि उनकी चूमा-चाटी चल रही है।
फिल्म ख़त्म हुई तो मैंने अपने दोस्तों से बहाना बना लिया कि मुझे कुछ खरीदना है, तुम लोग घर निकल जाओ।
अब मैंने अपनी बाइक स्टैंड से निकाली और दिव्या और उसके दोस्त का गेट से निकलने का इंतज़ार करने लगा। वो निकले, मैं उनका पीछा करने लगा। थोड़ी दूर ही एक पार्क है, जहाँ दिन के समय कोई आता जाता नहीं है, वो लोग उसमें चले गए, मैंने भी साइड में गाड़ी लगा दी।
मैंने देखा कि वो दोनों कोने में बैठ गए। मैं भी एक पेड़ पर चढ़ कर तमाशा देखने लगा कि देखें क्या करते हैं।
थोड़ी देर बाद लड़का उसके स्तन दबाने लगा। वो भी गरम हो गई थी, लड़के ने उसकी शर्ट अस्त-व्यस्त कर दी थी और उसका एक स्तन बाहर निकाल के चूस रहा था।
मैंने मौका देखा और एकदम से उनके सामने आ गया और दिव्या को एक झापड़ रसीद किया। वो एकदम से सकते में आ गए। दिव्या का एक स्तन अभी भी बाहर था। मैंने उस लड़के को भी दो झापड़ मारे और सीधे दिव्या को डाँटने लगा, कहा- घर चल ! मम्मी पापा और सबको बताऊँगा !
उस लड़के ने सोचा कि मैं कोई उसके घर का हूँ, वो वहाँ से भाग गया। अब मैं और दिव्या वहाँ अकेले रह गए। उसने बहाना बनने की कोशिश की तो मैंने पिक्चर हाल से लेकर अब तक का पीछा करने की सारी बात बता दी और यह भी कहा कि नीरज को सारी बात बता दूँगा और तेरे घर में भी !
वो डर गई और मुझसे माफ़ी मागने लगी।
अब मेरी बारी थी, मैंने उसको धीरे से सहलाया और कहा- ठीक है, पर जो कहूँगा वो करना पड़ेगा !
उसने मुझे तिरछी निगाहों से देखा और कहा- ठीक ! फिर नीचे देखकर कहा- ठीक है, मगर वादा करो कि किसी को कुछ नहीं कहोगे !
मैंने बिना कुछ सोचे समझे उसके वक्ष पर हाथ रख दिया और दबाते हुए कहा- अब बोलो क्या सब कुछ?
तो उसने कहा- हाँ !
अरे मेरी तो लॉटरी निकल पड़ी। उसको बाइक पर बिठाया और सीधे उसको लेकर उसके घर पहुँचा। मुझे पता था कि अंकल- आंटी जॉब पर गए होंगे और विवेक चार बजे स्कूल से आएगा… मतलब लगभग दो घंटे थे मेरे पास…
अब हम घर के अन्दर आये, तब तक वो सामान्य हो गई थी। मैंने उससे कहा- एक ग्लास पानी ला दो !
उसके जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर लिया और सीधे उसके पीछे रसोई में चला गया। उसके हाथ में ग्लास था, मैंने पानी पिया और उसको पकड़ लिया।
उसने कहा- राज नहीं, मुझसे गलती हो गई, मुझे माफ़ कर दो और यहाँ से जाओ…
मैंने कहा- अच्छा ठीक है, जाता हूँ, शाम को आऊँगा और सबको सब कुछ बता दूंगा !
यह कह कर मुड़ गया…..
उसने कहा- तुम ऐसा नहीं करोगे….
तो मैंने कहा- तू कुछ भी करे तो ठीक ! और मैं तुमको प्यार करना चाहता हूँ तो तुमको गलत लगता है…….
वो रोने लगी, मैंने आगे बढ़कर उसके आँसू पौंछे और कहा,”पगली… मैं भी तुमको बहुत चाहता हूँ…. मगर तुमने कभी समझा ही नहीं…….
तो उसने कहा कुछ नहीं मगर प्यार से मुझे पप्पी दे दी……
अब क्या था ! हो गई बल्ले बल्ले……..
मैंने उसको बेडरूम में चलने को कहा तो उसने बोला- कोई आ जायेगा तो क्या करेंगे?
मैं बोला- बोल देना कि ट्यूशन का होमवर्क कर रहे थे।
इसके पहले वो कुछ कह पाती, मैंने उसको अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में ले आया।
उसने कहा- राज ! कोई आ गया तो क्या होगा? मैंने कहा- मैंने दरवाजा बंद कर दिया है और अब तुम कुछ मत सोचो !
फिर मैंने उससे बेड पर बैठाया और उसके वक्ष पे हाथ फ़ेरते हुए उसके शर्ट के बटन खोल दिए। दिव्या शांत लेटी हुई थी, उसके बदन में कोई भी हरक़त नहीं हो रही थी। अच्छा तो नहीं लग रहा था, मगर मैं यह अवसर जाने नहीं देना चाहता था, सो शर्ट खोलने के बाद उसका स्कर्ट भी खोल दी और अब वो सिर्फ मेरे सामने ब्रा-पेंटी में थी। देर न करते हुए मैंने उसके दोनों अधोवस्त्र भी अलग कर दिए।
वाह, क्या सीन था ! वो मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थी, उसके दोनों स्तन लाजवाब थे, गोल-गोल और उन पर गुलाबी चुचूक देख कर मज़ा आ रहा था।
मैंने अपने कपड़े भी उतार फेंके और उसके पास लेट गया और उसके बालों को सहलाया और गाल पर चूम लिया। मैं यह जान गया था कि अब बाज़ी मेरी है।
मैंने उससे कहा- दिव्या ! अब मेरे तुम्हारे बीच कोई पर्दा नहीं रहा ! तुम मेरा साथ दो और जीवन के मज़े लूटो ! आखिर तुम भी तो यही करना चाहती थी !
ये कहते ही मैं उसके रसीले होंठों को चूमने लगा एक हाथ से उसके गोले मसल रहा था और दूसरे से उसकी जांघ ! और चूत से खेलने लगा।
धीरे धीरे उसके बदन में भी हरक़त होने लगी। तब मैंने उसे कहा- अपनी टाँगे फ़ैलाओ !
तो उसने साथ दिया, मैंने भी देर न करते हुए अपनी जीभ सीधे उसकी चूत में डाल दी और चाटने लगा। थोड़ी देर में वो कसमसाने लगी और उसका पानी चूने लगा।
मैं बोला- तुम भी मेरा पप्पू मुँह में लो !
और यह कहते ही उसके होंठों में मैंने अपना लण्ड रख दिया। मेरे लण्ड को देखते ही वो डर गई क्योंकि मेरे लण्ड का आकार सात इंच का है और काफी तगड़ा है।
वो वोली- इतना मोटा? क्या तुमको कोई बीमारी है?
मैंने कहा- नहीं पगली, यह तो सामान्य है !
तो उसने कहा- नीरज का तो छोटा सा है ! ( दिल में ख़ुशी हो रही थी कि अब वो मुझसे खुल रही है और बात भी कर रही है)
मैंने कहा- तो तुमने उसके साथ सेक्स कर लिया है?
तो वो बोली- नहीं, एक बार उसको सु-सु करते देखा था।
मैंने कहा- अच्छा !
फिर वो बोली- तुम कुछ करना नहीं ! नहीं तो मैं मर जाऊंगी ! तुम्हारा मेरे हिसाब से बहुत बड़ा है !
मैंने कहा- कोशिश करने में क्या जाता है, वैसे लड़कियों की योनि में यह आराम से फिट हो जाता है, प्रकति का नियम है।
तो बोली- नहीं राज ! मुझे डर लग रहा है।
मैंने कहा- अच्छा इसको चूसो तो सही !उसने मुँह खोला और धीरे धीरे करते हुए पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया। मैं तो सातवें आसमान पर पहुँच गया। मेरा एक हाथ अब भी उसके स्तन मसल रहा था और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी।
लगभग पाँच मिनट के बाद मैंने बोला- अब लेटो !
तो वो मना करने लगी।
मैंने बोला- कुछ नहीं होगा !
थोड़ा मनाने के बाद वो मान गई और टाँगें फैला ली, मैंने ऊँगली से उसकी चूत को चौड़ा किया और अपना सुपारा उसमें टिका दिया और धीरे से अन्दर डाला। लगभग एक इंच तक वो वोली- नहीं ! दर्द हो रहा है !
मैंने बोला- पप्पू राजा अपनी जगह बना रहा है, अब मज़ा आएगा ! और बोलते ही तेज़ झटका दिया। लगभग आधा लण्ड अंदर था। वो चीख पड़ी- हाय मर गई ! मरी मैं तो !
मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया और उसके ऊपर लेट कर धीरे धीरे हिलने लगा।
अब उसको भी अच्छा लग रहा था, मगर मुझे अन्दर कोई चीज़ अड़ सी रही थी। फिर मैंने उसके होटों पे अपने होंठ रख दिए और पूरा जोर का धक्का मारा। मेरा लण्ड एकदम अन्दर चला गया, वो चीख रही थी, उसकी आँखों से आंसू आ गए थे।
मैं शांत हो गया और उसके ऊपर हाथ फेरने लगा। दो-तीन मिनट तक वैसे ही पड़े रहने के बाद मैंने अपना मुँह उसके मुँह से अलग किया तो वो बोली- बहुत दर्द ही रहा है ! प्लीज़ निकाल लो !
मैंने कहा- हाँ ! पर अब तो जो होना है हो गया ! तुम मेरी हो गई हो !
उसने भी मुस्कुराते हुए अपनी मुंडी साइड में छिपाने की कोशिश की।
मैंने कह दिया- अब चलो, जिन्दगी के मज़े लूटते हैं !
वो कुछ नहीं बोली। मैं अब अपना शरीर आगे-पीछे करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी और अजीब अजीब सी मुखाकृतियाँ बनाते हुए सिसकियाँ ले रही थी। मेरे शरीर के धक्कों के साथ उसके स्तन भी ऊपर-नीचे हो रहे थे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
लगभग 15 मिनट के बाद मुझे कुछ होने लगा। इससे पहले कि कुछ समझ पाता, मेरे लण्ड से पिचकारी फ़ूट पड़ी। मेरा वीर्य उसकी चुद में ही गिर गया।
अब मैं निढाल हो गया, धीरे से अपना लण्ड बाहर निकाला तो देखा उसका बिस्तर खून से लाल था, मेरे लण्ड में भी काफी जलन हो रही थी, दोनों ने एक साथ जो अपना कुवांरापन खोया था और दुनिया के सबसे कीमती सुखों में से एक प्राप्त कर लिया था।
हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और अब उसने अपना सर मेरी छाती पर रख दिया और दोनों आराम से लगभग दस मिनट तक वैसे ही पड़े रहे। बातों ही बातों में मैंने उससे उस लड़के के बारे में जानकारी हासिल कर ली और उसको कहा- मैं किसी को कुछ नहीं बताऊंगा और यदि तुम ठीक रही तो आगे चल के तुमसे शादी भी कर लूँगा।
उसने मुझे पहली बार अपने मन से एक पप्पी दी, मुझे बहुत अच्छा लगा।
तभी समय देखा तो साढ़े तीन हो रहे थे। मैं उठा और कहा- अब विवेक आने वाला है, अब मुझे जाना चाहिये !
वो भी उठी मगर लड़खड़ा गई, मैंने उसे सहारा दिया, वो सीधे बाथरूम गई, मैं भी साथ-साथ गया, देखा कि वो बैठ के मूत रही थी। फिर उसने सबसे पहले बेडशीट उठाई और पानी में डाल दी।
मैंने पूछा- क्या तुम नोर्मल हो?
उसने कहा- हाँ, थोड़ा दर्द है !
मैंने कहा- ठीक है ! मैं जाता हूँ ! और चला गया।
शाम को मैं विवेक और नीरज से मिला, उनको कहा- दिव्या को एक लड़का छेड़ता है, जो उसके साथ पास वाली ट्यूशन में है।
हम लोग मिल गए और फिर अगले दिन तीन चार और दोस्तों को लेकर उस लड़के की जम से धुनाई की। वो मुझे दिव्या का भाई समझ रहा था और माफ़ी मांग रहा था।
इस तरह रास्ते का एक कांटा साफ़ हो गया। अब नीरज की बारी थी… मुझे मालूम था कि बहुत जल्द उसके मम्मी पापा उसका पढ़ने के लिए दिल्ली भेजने वाले हैं और वो यदि चला गया तो दिव्या मेरी कही कोई बात नहीं टालेगी।
और फिर हुआ भी वही… अगले साल वो दिल्ली चला गया। फिर मैंने लगभग तीन साल तक दिव्या के साथ मज़े किये, मगर हम दोनों अलग अलग कॉलेज में ले लिए।
एक दिन मैंने फिर उसको किसी और के साथ देखा, उसी समय उसके पास गया और दो तमाचे जड़े और कहा- अब सब ख़त्म ! हालांकि उसके बाद भी हम जिंदगी मज़े लेते रहे !
फ़िर उसकी शादी हो गई, मेरी भी शादी हो चुकी है…
मगर साल में मुझे उससे एक बार सम्भोग करने का मौका मिल ही जाता है ! वो भी मज़े में और मैं भी !
बाय दोस्तो ! अगली कहानी के साथ मैं बहुत जल्द आऊँगा। Antarvasna Stories
ये कहानी आज से 6 महीने पहले की Antarvasna है जब हम अपनी दूसरी साली की शादी में गये थे बड़ौदा, मेरी पहली साली की शादी को 6 महीने हुए थे।
वो भी अपनी बहन की शादी की तैयारी के लिये आई थी।
मेरी साली का नाम है सोनू, हम सब शादी से 1 हफ़्ते पहले गये थे।
उसका पति नहीं आया था।
वो करीबन होगी 24 की।
वो भी मेरी बीवी की तरह ही बहुत सेक्सी थी, वैसे साली का फ़ीगर होगा 36-29-38 उसके बूब तो बहुत ही सेक्सी थे जब वो चलती थी तो उसके बूब्स हिलते थे ये देख कर कोई भी आदमी मचल जाये।
उसके पति की अक्सर नाइट ड्युटी रहती थी।
मैं जब भी उसके घर पर जाता तो उसको देखता ही रहता और उसको चोदने के बारे में सोचा करता के काश इस को चोद सकूँ।
एक दिन जब रात को सोने गये तो एक रूम में पूरा सामान पड़ा था इस लिये हम सब एक साथ ही सो गये। पहले मेरे बगल मे मेरी वाइफ़ तब साली।
रात को जब मैं पानी पीने उठा तो वापस आकर देखा तो मरी जगह पर मेरी वाइफ़ थी।
इसलिये में साली और मेरी वाइफ़ के बीच में सो गया।
मुझे नींद नहीं आ रही थी।
थोड़ी देर के बाद मेरी साली ने अपने पैर मेरे पैरों पर रख दिया।
उसने नाइटी पहनी थी और वो उसके घुटने तक ऊपर हो गयी थी।
मेरा लंड खड़ा हो गया और पूरा टेंट बन गया।
फिर मैंने भी अपना हाथ उसके ऊपर रख दिया।
थोड़ी देर के बाद जब वो कुछ न बोली तब मैंने अपने हाथ को थोड़ा ऊपर लेके उसके एक बूब पर रख दिया और धीरे से दबाने लगा।
वो धीरे से मेरे पास आ गई तो मुझे लगा रेस्पोंस मिल रहा है।
ओर मैंने फिर दूसरे बूब को दबाने लगा।
फिर वो मेरी तरफ़ घूम गई तो मैंने अपने हाथ उसके नाइटी में ऊपर से डाल कर उसके टिट्स को दबाने लगा।
वो मचलने लगी और मुझे कान में कहा स्टोर रूम में चलते हैं।
फिर वो उठके दूसरे रूम मे चली गई और मैं भी उसके पीछे चला गया और स्टोर रूम का दरवाजा बंद कर दिया।
उसको मैंने पीछे से पकड़ कर उसके बूब्स दबाने लगा।
उसने कहा- आहिस्ता, आहिस्ता।
फिर मैंने उसकी नाइटी को ऊपर उठा कर पूरा निकाल दिया और उसको किस करने लगा।
मैंने उसकी ब्रा भी निकाल दी और उसके टिट्स को हाथ से दबाने लगा।
उसकी सांसे तेज हो रही थी।
उसने मुझे बूब्स चूसने को कहा और मैंने उसका दायाँ बूब्स चूसने लगा और पूरा चाटने लगा।
थोड़ी देर के बाद दूसरा बूब्स भी चूसा।
अब मैंने धीरे से उसका पेटीकोट को ऊपर कर के अपना हाथ उसकी पैंटी में डाल दिया और बूब्स भी चूसता रहा।
उसकी चूत पर बाल नहीं थे और पूरी गीली हो गई थी।
थोड़ी देर के बाद मैंने एक उंगली उसकी चूत में घुसा दी और वो मचल गई।
अब वो सिसकियाँ ले रही थी और मैंने उसका पेटीकोट और पैंटी निकाल दिया और उसकी चूत को चाटने लगा।
उसके पानी का स्वाद बहुत अच्छा था। उसने मेरे पैजामे का नाड़ा खोल दिया और पैजामा और अंडरवियर उतार दिये।
वो मेरा लंड को देखती ही रह गयी और बोली ये तो उसके पति से बहुत बड़ा है और उस पर हाथ फ़ेरने लगी।
मैंने फिर से उसकी चूत को चाटने लगा और हम 69 कि पोजिशन में आ गये।
वहां पे कोई बिस्तर नहीं था इसलिये टाइल्स पर ही लेट गये।
मैंने उसके स्लिट को दांतो से थोड़ा सा दबाया और वो जोर से मचल पड़ी और फिर मैंने अपनी जीभ को उसके अंदर डाल कर अंदर बाहर हिलाने लगा।
वो सिसकिया भरने लगी और बहुत गर्म हो गई।
फिर वो मेरी बाहों में आ कर लिपट गई और धीरे से कहा कि अब मत तड़पाओ, अब मेरे अंदर जल्दी से डालो, मैं मर रही हूं।
तो मैं एक कुरसी पर बैठ गया और उसको आगे की तरफ़ झुका कर अपने लंड पर बिठा दिया और जोर से एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया।
वो दर्द के मारे अपने होंठों को दबाये मुझे पीछे पकड़ लिया।
थोड़ी देर उसको ऐसे ही बिठाये मैं भी बैठा रहा।
फिर उसे मजा आने लगा और वो आगे पीछे होने लगी।
मैंने भी पीछे से धक्के देने शुरु कर दिये।
10 मिनट बाद उसकी रफ़्तार तेज हो गई और मेरा भी निकलने वाला था इसलिये मैंने भी जोर से धक्का लगाना शुरु कर दिया।
थोड़ी देर के बाद वो मुझे पर बैठ गई और मैंने भी उसके दोनो बूब्स को जोर सो दबाने लगा और हम दोनो ने एक साथ अपना पानी छोड़ दिया। थोड़ी देर ऐसे ही बैठे रहे।
फिर हम दोनो ने अपने कपड़े पहन कर एक लम्बी किस कर के वापस अपनी जगह पर आके सो गये।
हम दोनो पूरी रात नहीं सोये।
मैं भी उसके बगल में लेटे उसकी पैंटी में हाथ डाल कर चूत पर अपना हाथ फेरता रहा।
वो भी चादर में हाथ डाल कर मेरे लंड को पूरी रात पकड़ कर सोयी रही।
जब तक हम वहां पर साथ रहे रोज कुछ बहाना निकाल कर बाहर चले जाते और कोई फ़र्म और खाली जगह पर जाके अपनी मोटर साइकल पर बैठ कर ही मजे लूटते रहे।अब वो प्रेग्नेंट हो गई है और मेरे ही बच्चे की मां बनेगी। Antarvasna
दूसरी साली को भी कैसे चोदा वो अगली कहानी में
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