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अन्तर्वासना पढ़ने Antarvasna वालों को मेरी तरफ से बहुत बहुत सलाम! मैं इस अन्तर्वासना की दीवानी हुई पड़ी हूँ!
मेरा नाम है अंतरा है, मेरी उम्र अठाईस साल है, मैं एक बहुत रईस परिवार की बहू हूँ। अपने शौक पूरे करने के लिए पैसे के पीछे मैंने अपनी खूबसूरती का स्कूल से लेकर अब तक जम कर इस्तेमाल किया।
हम तीन बहनें ही हैं, पिता जी ने माँ की मौत के बाद अपने से कहीं कम उम्र की छोकरी से शादी करके हमें सौतेली माँ उपहार में दी।
शुरु में बहुत बुरा लगा लेकिन फिर उससे हम तीनों की पटने लगी। उसकी उम्र चौंतीस की है और उसके कई यार हैं। पिता की गैर-मौजूदगी में वो न जाने कितने मर्दों के नीचे लेट जाती थी।
उसके ही एक आशिक ने मेरी सबसे बड़ी बहन को फंसा लिया और उनकी यारी परवान चढ़ने लगी।
माँ की मौजूदगी में ही वो अपने आशिक को घर बुलवा के चुदवाती। उसके अलावा भी उसके कई आशिक थे। दूसरी बहन का भी ऐसा ही हाल हुआ।
और फिर मेरे सोलहवां पार करते ही मेरे छोटे-छोटे नीम्बू रसीले आम बन गए और मेरे कदम बहकने में देर ना लगी और मेरा टाँका भी एक लड़के से फिट हो गया। इसी बीच जब पापा को माँ के लक्षण मालूम हए तो यही सोच-सोच मेरे पापा डिप्रेस रहने लगे और फिर हर्ट-अटैक से उनकी मौत हो गई।
देखते ही देखते मैं एक रांड बन गई। स्कूल, कॉलेज में मेरी पहचान एक बेहद चालू माल की बन गई। कई लड़कों अथवा मर्दों ने मेरा रसपान किया।
तभी अशोक मेरी जिंदगी में आया। वो बहुत बड़ा बिज़नस-मैन था। उसने जिस दिन से मुझे कॉलेज जाते रास्ते में देखा वो मुझ पे लट्टू हो गया और मेरे को एक दिन उसने अपनी चमचमाती कार में बिठा ही लिया और मुझ से हाँ करवा कर दम लिया। वो बहुत पैसा मेरे ऊपर लुटाने लगा और मेरे भी शौक पूरे होने लगे।
वो मुझसे आठ साल बड़ा था, लेकिन मैं सिर्फ उसकी महंगी कारों उसके आलीशान बंगले और पैसा देख रही थी। आखिर में मैं उसकी दुल्हन बनकर उसके आलीशान बंगले की मालकिन बन गई।
नौकर चाकर, सब मिल गया लेकिन जैसे दिन बीतने लगे वो बहुत व्यस्त हो गया, बिज़नस इतना फैला लिया तो मुझे कम समय देने लगा।
वैसे भी अब उसके लौड़े में दम नहीं रहा जो मेरे जैसी रांड को ठंडी कर दे! मैंने भी अपने पर काफी काबू रखा लेकिन मेरी जवानी ही ऐसी है, मेरा जिस्म ही ऐसा है!
मैं हर रोज़ शाम को सैर करने निकलती थी, घर के नज़दीक ही एक हरा भरा बाग़ था।
एक रोज़ मैं बाग में सैर कर रही थी कि मुझे कुछ आवाजें सुनाई पड़ी।
मैं आवाज़ की ओर बड़ी छुप के देख एक हट्टा कट्टा बंदा एक लड़के से अपना लौड़ा चुसवा रहा था, वो लड़का शायद गांडू था और वो लड़की से बेहतर लौड़ा चूस रहा था।
लेकिन जिस लौड़े को वो चूस रहा था वो बहुत बहुत बड़ा था, वो बंदा कोई प्रवासी मजदूर था जिसका लौड़ा बहुत बड़ा था।
फिर उसने उसकी गांड मारने की लाख कोशिश की लेकिन दर्द की वजह से वो लड़का चुद नहीं पा रहा था। सच में मैंने पहली बार इतना बड़ा लौड़ा देखा था। मैंने इन्टरनेट पर कई लौड़े देखे लेकिन आज हकीकत सामने थी।
उस लड़के ने उसका चूस चूस कर पानी निकलवा दिया। मेरी चूत भी फड़कने लगी। आखिर कितने देर से प्यासी थी। मैं वहाँ से चली आई। वो लड़का अब हर रोज़ वहाँ आता और उल्टा उस बन्दे को पैसा देता था उसके लौड़े से खेलने के लिए!
अब मुझ से भी रहा नहीं जा रहा था, अगले दिन मैंने कुछ न कुछ करने की मन में धार ही ली लेकिन मुझे यह भी डर था उस बाग़ से पुलिस चौकी दो किलोमीटर की दूरी पर थी। अगले दिन मैं गहरे गले का थोड़ा पारदर्शी सूट और सेक्सी ब्रा-पेंटी पहन कर गई।
वो लड़का वहीं इंतज़ार कर रहा था। वो बंदा वहाँ पहुंचा और वो लड़का गांडू उससे चिपक गया मानो एक प्यासी औरत! मैं हैरान थी।
उसने पल में उसकी लुंगी एक तरफ़ कर उसका लौड़ा मुँह में ले लिया। बंदा आंखें बंद कर चुसवा रहा था।
मैंने एक छोटा पत्थर उठा कर वहीं पड़े सूखे पत्तों पर फेंका। दोनों एकदम सीधे हो गए।
मैंने एक पत्थर और फेंका तो वो लड़का भाग़ गया। लेकिन बंदा वहीं था उसको क्या फर्क पड़ता! उसकी कौन सी इज्जत लुटती! मजदूर था, वहीं बन रहे मकानों का चौकीदार होगा!
मैं उसकी और बढ़ी, वो वहीं खड़ा अपना हथियार हिला कर मुठ मार रहा था। मुझे देख वो चौंक गया और जल्दी से अपनी लुंगी सीधी कर ली। लेकिन मेरे चेहरे पर मुस्कराहट देख थोड़ा समझ गया। लेकिन डर रहा था, वो चलने लगा। मैंने उसके पास जाकर पीछे से उसकी लुंगी खींच दी।
वो हड़बड़ा कर मुड़ा!
‘कहाँ जा रहे हो? लड़के की लेने में ज्यादा स्वाद मिलता है क्या तुझे?’
‘जी! जी!’ घबरा सा गया!
‘इतना बड़ा लौड़ा है, क्यूँ लड़कों पर बर्बाद करते हो?’
‘क्या करें मेम साब, वो पैसे देता है और ऊपर से मज़े! हम मजदूरी करने वाले इंसान हैं एक एक पैसा कीमती है!’
‘अच्छा!’ मैं आगे बढ़ी और उसकी लुंगी उतार कर वहीं बिछा कर खुद घुटनों के बल बैठ उसका लौड़ा सहलाने लगी।
क्या लौड़ा था! बहुत ज्यादा बड़ा मोटा! अब तक का मेरा सबसे मोटा लौड़ा था!
‘ऐसी चीज़ों को जाया नहीं करते राजा! बन के रहो, मैं तुझे काम दूंगी! यह ले कार्ड, कल आ जाना!’
कह मैंने मुँह में लिया और चूसने लगी।
‘अह अह… वाह! क्या मैं सपना देख रहा हूँ मैडम?’
सच में प्यासी के पास कुँआ आया था। मैं दीवानी हो गई उसके लौड़े की! वो मस्त था, वो मुझे बाँहों में लेकर मेरे टॉप में छुपे मेरे मम्मों को दबाने लगा। उसके सख्त हाथ एक मर्द का एहसास साफ़-साफ़ करवा रहे थे। वो मेरी जांघें सहलाने लगा, साथ ही मेरे गोरे गोरे मक्खन जैसे पट्ट चूम रहा था।
‘हाय मेरे साईं! और चाट! और दबा! खा जा!’
बोला- मैडम, यहीं बग़ल में ही एक सरदार की कोठी बन रही है, वहीं दिन में काम करता हूँ, रात को चौकीदारी! वहीं चलो!
उसने एक कमरे में अपना बिस्तर नीचे बिछा रखा था। मैं अपने आप अपने कपड़े उतार उसके पास बैठ गई और उसको नंगा कर चिपक गई। अब बिना डर हम एक होने जा रहे थे।
वो मेरा दूध पीने लगा!
‘वाह मेरे शेर! चढ़ जा मेरे ऊपर! रौंद दे मुझे!’
उसने मेरी टाँगें फैला ली और बीच में बैठ गया। डालने से पहले फिर से थोड़ी देर मुँह में देकर गीला करवाया और फिर उतार दिया मेरी चूत के अन्दर!
लग रहा था कि आज मेरी सुहागरात है, चीरता हुआ लौड़ा देखते ही देखते पूरा मेरी चूत में था। दर्द तो हो रहा था लेकिन जल्दी ही मजा आने लगा और हम दोनों एक दूसरे में समां गए। मानो आज मुझे तृप्ति मिल गई हो!
कई तरह से मुझे पेला उसने मुझे! उसका था कि बहुत मुश्किल से झड़ा। उसने तो मेरी चूत फाड़ दी।
जब मैं कपड़े पहन रही थी तो वो लेटा हुआ अपनी मर्दानगी पर मूछें खड़ी कर मुझे घूर रहा था। तभी उसके दो साथी मजदूर भी अपने अपने काम से वापिस आ गए। तब तक मैंने सिर्फ टॉप पहना था, पेंटी डाली थी।
दोनों मेरे करीब आये और फिर अपने दोस्त को देखा। उसने न जाने क्या इशारा किया कि दोनों मेरे जिस्म के करीब आकर एक मेरी जांघ और दूसरा मेरे मम्मे सहलाने लगा। लेकिन मुझे जल्दी थी मैंने उन्हें अगले दिन आने का वादा किया।
आते आते मुझ से रुका नहीं गया और दोनों के पास गई और उनकी लुंगी उठा कर उनके लौड़े देखे- क्या लौड़े थे! हाय मोरी मईया! कल आऊँगी!
अगले दिन क्या हुआ यह जल्दी लिखूंगी। Antarvasna
बिग लंड पड़ोसी का देख कर एक मॉडर्न भाभी के दिल में उस लंड का मजा लेने की तमन्ना जाग गयी. वैसे भी वह रेगुलर सेक्स से बोर हो चुकी थी और कुछ नया करना चाहती थी.
कैसे हैं दोस्तो,
मेरी पिछली कहानी
दोस्त से बीवी को गर्भवती कराया
आपने पढ़ी और पसंद की.
धन्यवाद.
आज की कहानी सारिका और गौरव की है.
दोनों की लव मैरिज हुई है.
शादी को दो साल हो गये, अभी बच्चे की कोई प्लानिंग नहीं है.
गौरव और सारिका शादी से पहले ही सारिका की पहल पर हमबिस्तर होने लगे थे.
सारिका की मां को खबर लग गयी थी, उसने बखेड़ा खड़ा कर दिया.
तो गौरव के पेरेंट्स ने हथियार डाल दिए और दोनों की शादी करवा दी.
गौरव गुरुग्राम में किसी कंपनी में जॉब करता था.
कम्पनी के प्रोजेक्ट्स बाहर चलते थे तो गौरव की पोस्टिंग कहीं भी हो जाती एक दो साल के लिए.
अकेले रहने से वह सारिका के साथ में हर समय सेक्स की ही सोचता.
सारिका उसका भरपूर साथ देती.
सेक्सी सारिका ने कॉपर टी लगवा रखी है.
सारिका गजब की सुंदर, स्मार्ट और कामदेवी है.
उसने गौरव को सेक्स का और अपना इतना दीवाना बना दिया है कि शादी के दो साल बाद भी गौरव रोज चुदाई न करे तो सारिका उसे ऑफिस न जाने दे.
सारिका कभी सेक्स से थकती नहीं और हरदम कुछ नया ट्राई करना चाहती है.
उसे यह बर्दाश्त नहीं कि कोई उसके आगे किसी और औरत की तारीफ करे.
सारिका हर पार्टी की जान होती क्योंकि वह इतने खुले और आधुनिक कपड़े पहनती कि मर्द हर समय उसके आगे पीछे घूमते.
औरतों को भी उससे ऐतराज़ नहीं था क्योंकि वह फुलझड़ी की तरह सबके बीच हंसी मजाक के फूल बिखेरती और मुंहंफट होने से कोई मर्द उसकी मर्जी के बिना उसके ज्यादा नजदीक नहीं जा पता था.
सारिका फ़्लर्ट करने में पक्की थी.
पता नहीं कितने मर्द उसका ख्याल करके अपनी बीबियों को चोदते थे और कितने मुठ मारते थे.
गौरव और सारिका कहीं भी सरेआम बेशर्मी से लिपटा-लिपटी और चूमाचाटी करते थे.
उनका बस चलता तो वो सरेआम सेक्स भी कर लेते.
सारिका की अदाओं के मारे कितने ही मर्द उसे व्हाट्सएप्प मेसेज भेजते और वो उन सभी का बेबाकी से जवाब देती.
पर सभी मर्द आपस में और अपनी बीवियों से ये बात छिपा कर रखते.
सारिका को मजा आता जब पार्टी में वो उन मर्दों के पैन्ट के उभार को देखती.
उनकी फॅमिली किटी के सदस्य लगभग एक ही उम्र के थे और सभी बाहर से आये नौकरीपेशा थे.
गौरव हॉस्टल में 5-6 साल रहा था तो पक्का खुराफाती बन चुका था.
उसका हॉस्टल का साथी रवि भी उसी की कॉलोनी में रहता था और उनकी फॅमिली किटी का मेम्बर भी था.
रवि किसी एमएनसी में सीनियर पोस्ट पर था और गौरव से ज्यादा अच्छा पैकेज ले रहा था.
पर दोनों की बीवियों को उनकी हॉस्टल लाइफ और वेतन की जानकारी नहीं थी.
यही हाल सारिका का भी रहा.
दिल्ली के नामी कॉलेज में वह हॉस्टल में रही.
सिगरेट, बियर और ब्लू फिल्म सबका लुत्फ़ उठाते उठाते वह लेस्बियन हो चली थी.
उसने बहुत सारी लड़कियों के साथ नंगी होकर समलिंगी सेक्स का मजा लिया; न जाने कितनी चूतें चाटी, कितनी चूचियां चूसी, ना जाने कितनी लड़कियों से उसने अपनी चूत और चूचियां चुसवाई.
हाँ सील उसने पैक रखी हुई थी अपने सपनों के राजकुमार के लिए!
और वह सपनों का राजकुमार एसा मिला कि बिना डोली उठे उसकी सील तोड़ बैठा.
गौरव के ऑफिस जाने के बाद सारिका घर के काम निबटा कर आराम ही करती और टीवी पर या मोबाइल में उलझी रहती.
उनका एक आलीशान दो बेडरूम का फ्लैट था तो सफाई का ज्यादा झंझट नहीं था.
सुबह दो-तीन घंटे को एक लड़की सुरभि आती, वह साफ़ सफाई से लेकर खाना बनाने का काम भी कर जाती.
हर दूसरे दिन सारिका उससे अपनी मालिश भी करवा लेती.
इस सबके बदले वो उस लड़की को बंधे वेतन के अलावा खाना और कपड़े और बचा हुआ मेकअप का सामान भरपूर देती.
सुरभि उससे खूब खुश रहती और उसके अलावा कहीं और काम पर नहीं जाती.
नयी उम्र की लड़की थी वो!
जब वो सारिका की मालिश करती तो सारिका बहुत कम कपड़ों में होती और सिगरेट के कश लगते हुए टी वी पर कोई हॉट फिल्म देख रही होती.
सुरभि भी सारिका के मखमली जिस्म और अंदरूनी अंगों की मालिश करते करते और हॉट फिल्म देखते देखते सारिका के रंग में रंग गयी थी और उसकी गुलाम सी हो गयी थी.
सारिका घर पर बहुत हल्के कपड़ों या सिर्फ फ्रॉक में ही रहती.
ये भी गौरव के आते ही उतर जाते.
दोनों काफी देर बाथटब में पड़े रहते.
गौरव उसे बाथटब में घोड़ी बनाकर चोदता.
ऊपर से पानी की फुहार पड़ती.
सारिका चुदते समय हल्ला बहुत मचाती.
उसे जोर जोर से आहें और सीत्कारें निकालने में बड़ा मजा आता.
और अब तो दोनों को आदत पड़ गयी थी इन आवाजों की!
वह जितना शोर करती, गौरव की चुदाई की स्पीड उतनी ही बढ़ जाती.
अब रुटीन सेक्स से दोनों बोर होने लगे थे और कुछ थ्रिल चाहते थे.
अभी दीपावली पर उनकी फॅमिली किटी पार्टी हुई तो उसमें कपल डांस भी था.
रोशनी बहुत धीमी करके सारे जोड़े चिपक कर डांस कर रहे थे.
गौरव और सारिका तो होंठ से होंठ भिड़ाये अपने में मस्त डांस करने में मशगूल थे.
बाकी जोड़े भी नजर बचा कर उन्हें ही देख रहे थे.
सारिका सबकी स्थिति को महसूस कर रही थी और मजे ले रही थी.
डांस के बाद वह पहले वाशरूम गयी और अपनी लिपस्टिक ठीक करके आई.
रात को घर पहुँचते ही गौरव उसे बेड पर खींचने लगा.
सारिका बोली- अरे कपड़े उतार कर मेकअप तो उतारने दो.
सारिका ने वाशरूम में अपना व्हाटसप्प चेक किया तो पार्टी में आये उसके दीवाने रवि का मेसेज था, उसकी सुन्दरता के कसीदे काढ़ रहा था.
तब सारिका ने जवाब दिया- अपनी बीवी को सुला कर आधा घंटे बाद फोन करना!
बाहर गौरव हल्ला मचा रहा था तो सारिका ने हबड़धबड़ में कपड़े उतारे और फेसवाश लेकर नंगी ही बेड में घुस गयी.
वहां चादर के नीचे गौरव नंगा अपना लंड सहला रहा था.
उसे देख के सारिका बोली- अगर ये भी तुम ही करोगे तो मैं क्या करुँगी? छोड़ो इसे!
सारिका ने गौरव का लंड मुंह में ले लिया और लगी लपर लपर चूसने!
पर चुदासी वह भी हो रही थी.
तो उसने अपनी टांगें गौरव की तरफ कर दीं.
अब गौरव ने भी उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी.
सारिका की चूत तो पहले से ही गीली थी.
गौरव ने जीभ के साथ एक उंगली भी सारिका की चूत में घुसा दी.
सारिका लगी मचलने!
गौरव ने ढेर सारा थूक उसकी चूत में डाला जो बह कर बाहर नीचे आ रहा था.
तब गौरव ने थूक से एक उंगली चिकनी की और सारिका की गांड में घुसा दी.
सारिका चिहुंकी और बोली- वहां नहीं, बाहर निकालो! तुम तो मेरी गुलाबो को चाटो बस!
गौरव ने उसकी टांगें और फैलायीं और पूरे दम खम के साथ उसकी चूत में जीभ और उंगली से चुभलाने लगा.
सारिका अब आवाजें निकाल रही थी.
उसे बहुत मजा आ रहा था.
गौरव उसके मम्मे भी मसल रहा था.
अब सारिका से बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने गौरव को नीचे लिटाया और चढ़ गयी उसके ऊपर और गौरव का लंड अपनी चूत में सेट करके लगी जोर जोर से उछलने!
वह जितना जोर से उछलती, उतनी ही जोर से आवाजें करतीं.
उसके मुख से लार बाहर निकल रही थी.
वह गौरव को निचोड़ देना चाहती दी.
पर गौरव दमदार था.
उसने सारिका को नीचे पलटा और चढ़ गया उसके ऊपर और पेल दिया अपना मूसल उसकी चूत में!
तभी गौरव ने स्पीड बढ़ा दी थी.
वह भी बोलने में कम नहीं था, कह रहा था- बड़ा नैन-मटक्का कर रही थी मीटिंग में रवि के साथ? बुला लूं उसे भी … दोनों मिलकर तेरी चूत का भोसड़ा बना देते हैं अभी!
सारिका बोली- तुम भी तो कामिनी की गांड पर हाथ फेर रहे थे. ज्यादा मन कर रहा था तो चोद देते उसे वहीं! अब बकवास कम करो और मेरी चुदाई पर ध्यान दो. तुमसे नहीं चुदाई हो रही तो मैं ही रवि को बुला लेती हूँ.
सुन कर गौरव का जोश और बढ़ गया और वह और जोर लगा कर चोदने लगा सारिका को!
वह बोला- अब जब भी कामिनी मायके जायेगी, मैं रवि को बुला लूंगा. रवि से चुदवाऊंगा तुझे! सब मालूम पड़ जाएगा जब दो दो मोटे लंड तेरी चूत फाड़ेंगे.
सारिका यह सुन कर और गर्म हो गयी और उछल-उछल कर गौरव का साथ देने लगी.
दोनों गुत्थम गुत्था हो रहे थे.
गौरव ने झटके बढाते हुए कहा- मेरा तो होने वाला है, मैं आने वाला हूँ.
सारिका ने अपने लम्बे नाख़ून गौरव की पीठ में गड़ा दिए और कस के भींच लिया उसे!
उसकी चूत की आग अभी भड़की हुई थी.
गौरव ने एक झटके में सारा माल सारिका की चूत में निकाल दिया और वहीं निढाल होकर पड़ गया.
सारिका ने उसे एक भद्दी गाली देते हुए कहा- इतना जल्दी कर दिया, अब मैं इसमें किसका लंड घुसाऊं?
गौरव थक कर मुंह ढक के सो गया हँसते हँसते ये कहते- किसी का भी घुसा ले, मैं क्या रोकता हूँ?
सारिका वाशरूम में फ्रेश होने गयी और एक फ्रॉक डाल कर फ्रिज से अपने लिए एक कोल्ड कॉफ़ी का केन निकाल लायी और सिगरेट जला कर दूसरे रूम में सोफे पर बैठ गयी.
तभी रवि का मेसेज आया- हाय!
सारिका ने बेबाकी से पूछ लिया- निबटा लिया कामिनी को?
रवि ने भी जवाब दिया- वह तो पार्टी से आते ही सो गयी और मैं तुम्हारे ख्वाबों में सोने की तैयारी में हूँ.
सारिका ने जवाब दिया- ज्यादा उड़ो नहीं, फोन बंद करो और सो जाओ. ख्वाबों में जो आये उससे अपना काम करवा लेना, मैं तो नहीं आने वाली!
रवि ने तुरंत सॉरी बोला- अब तो तुमसे बात हो रही हैं तो नींद का सवाल ही नहीं!
तब रवि ने उसे पार्टी की सारिका की कुछ फ़ोटोज़ भेजीं जो उसने खींची थी.
सारिका बोली- मेरी फ़ोटोज़ डिलीट कर देना. वरना कामिनी ने देख लीं तो तुम्हारा टूल काट देगी!
रवि पीछे पड़ गया- वीडियो काल कर लो!
सारिका बोली- मैं तो रात को बिना कपड़ों के हूँ और तुम कपड़े पहने हो.
रवि बोला- मैं भी ऐसे ही हूँ, एक बार प्लीज़ काल करता हूँ, उठा लेना.
सारिका बोली- दिखाऊंगी कुछ नहीं.
रवि ने उसे वीडियो काल किया.
सारिका ने फोन का कैमरा अपनी चिकनी टांगों को दिखाते हुए उसे सीधे अपने चेहरे पर ले लिया.
रवि को एसा ही अहसास हुआ कि वह बिना कपड़ों के है.
तो रवि ने अपना मोबाइल अपने चेहरे पर करते हुए सीधे अपने औज़ार पर कर दिया.
“क्या मोटा लंड था उसका!”
बिग लंड देख सारिका के मुंह में पानी आ गया.
पर उसने झटके से फोन काट दिया और फोन स्विच ऑफ कर दिया.
उसे मालूम था कि अब रवि बार बार उसका फोन ट्राई करेगा और बाद में उसके नंगे जिस्म की कल्पना में मुठ मार कर सो जाएगा.
सारिका बेड में घुस गयी और गौरव से चिपट कर सो गयी.
परन्तु रवि का मोटा लंड उसके दिमाग से उतर नहीं रहा था.
मेरे प्यारे पाठको, पांच भागों में समाप्य यह कहानी आगे आगे आपको और मजा देगी.
अभी तक की बिग लंड कहानी कैसी लगी?
हाय दोस्तों, मेरा नाम रौनक Antaravsna Stories है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ। मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूँ। मैं भी आपको अपने जीवन की एक सच्ची घटना बताने जा रहा हूँ।
मैं एक इंग्लिश की ट्यूशन में पढ़ाता हूँ। मैं 26 साल का एक कुँवारा नौजवान हूँ। मैं दिखने में गोरा और लम्बा हूँ। मैं कुछ समय पहले अपने पड़ोस में रहने वाली दूर के रिश्ते में लगने वाली मौसी की छोटी लड़की, जिसका नाम रानी था, उसके भाई को पढ़ाने मैं हर शाम जाता था। वह अट्ठारह साल की थी और दिखने में ख़ूबसूरत थी, उसकी चूचियाँ अपेक्षाकृत काफी बड़ी थीं, जिन्हें देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था और उसे चोदने का भी मन करता था। मैं उसके भाई को पढ़ा कर अक्सर कमरे से बाहर आ जाता और रानी से बातें किया करता था।
मुझे पता ही नहीं चला कि हम दोनों में कब प्यार हो गया और अब हम एक-दूसरे से फोन पर ढेर सारी बातें किया करते थे। रानी से मैं बातें करते हुए कभी उसके हाथ पकड़ लेता तो कभी उसके गले में हाथ डालकर उसकी चूचियाँ छूता, तो कभी उन्हें दबा भी देता था। लेकिन रानी इन सब के लिए कुछ भी नहीं कहती थी और मुस्कुरा देती थी। अक्सर उसकी चूचियों की गोलाईयों को छू कर मेरा मन बेक़ाबू हो उठता था। कभी-कभी मैं उसकी चूचियों को उसके कपड़ों से बाहर निकाल कर देर तक चूसता रहता था, तो कभी उसके कुर्ते में अपना हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही तो कभी अन्दर हाथ डालकर उन्हें दबाता था। कभी तो उसकी चूत में अपनी ऊँगली डालकर रानी की सिसकियाँ निकाल देता था। सच दोस्तों, उन हसीन पलों को मैं कभी नहीं भूल सकता हूँ। रानी एक कच्ची कली थी जिसका मैं मज़ा ले रहा था।
एक दिन सुबह जब मैं अपने घर से बाहर किसी काम से बाहर गया था तो मेरे पास रानी का फोन आया और वह कहने लगी कि आज उनके घर पर कोई भी नहीं है और वह नहाने जा रही है। यह सुनकर मेरे मन में रानी के नहाने वाली बात को सुनकर उसकी नंगी तस्वीर नज़र आने लगी और मैं उसे चोदने का विचार बनाने लगा।
मैंने सोचा कि आज मौक़ा है, पता नहीं कब मिले। मैं तुरन्त ही अपने काम को खत्म करके रानी के घर रवाना हो गया। जब मैं रानी के घर पहुँचा तो घर में उसकी सहेली थी। मैंने उससे पूछा कि रानी कहाँ है तो उसने कहा कि वह तो बाथरूम में नहा रही है।
यह सुनकर मेरा लंड और भी तेज़ी से खड़ा हो गया और मन ही मन उसके चोदने के ख्याली पुलाव बनाने लगा। मैंने रानी की सहेली से कहा कि मैं तो घर जा रहा हूँ। यह कह मैं उसके घर से बाहर आ गया और क़रीब पाँच मिनट बाद मैं वापस गया तो रानी की सहेली कमरे में थी और मैं चुपचाप बाथरूम में चला गया। वहाँ मैंने देखा कि रानी बिल्कुल नंगी थी, उसने केवल पैन्टी ही पहनी थी और उसके चेहरे पर साबुन लगा था।
उसका नंगा बदन देखकर मैं दंग रह गया। उसकी चूचियाँ इस तरह मेरे सामने थीं कि मानो मुझे अपनी वासना बुझाने के लिए आमन्त्रित कर रहीं हों। मैं रानी के पास जाकर साबुन उठाकर उसके गोरे जिस्म पर मलने लगा। रानी घबरा गई और फटाफट अपना मुँह धोते हुए पूछने लगी कि कौन है? तो मैंने बताया कि मैं हूँ तेरा यार.. और आज तुझे असली मज़ा दूँगा।
रानी ने कहा, उसकी सहेली आ जाएगी, तो मैंने कहा कि अगर वह आ गई तो वह भी हमारे साथ इस ज़न्नत का मज़ा ले लेगी। यह कहते हुए मैंने उसकी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और होंठों को पागलों की भाँति चूमने लगा। फिर उसकी चूचियों को बारी-बारी से चूसने लगा। रानी की चूचियाँ दबाने-चूसने में बड़ा मज़ा आ रहा था। अब रानी धीरे-धीरे गरम हो रही थी। उसने अपने ही हाथों से अपनी पैन्टी हटा दी और मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत चटवाने लगी और कहने लगी- “चाटो… आआआहहहहह… आआआहहहह…. शशशस्स्ससस….”
मैं अपनी जीभ से उसकी चूत को चाट रहा था। कभी उसकी जाँघों को चाटता तो कभी उसकी चूत में ऊँगली अन्दर-बाहर करता। उसकी चूत पर छोटे-छोटे बाल थे। वह मेरे सिर को पकड़कर अपनी चूत इस तरह से चटवा रही थी कि मानों उसका बस चले तो मेरा सिर चूत के अन्दर ही डाल दे।
अब मेरा लण्ड भी बाहर आने को तड़प रहा था और अपने बिल में घुसने को बेक़रार था। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अपना लंड रानी के हाथ में दे दिया और चूसने के लिए कहा तो रानी शरमाने लगी।
मैंने उससे कहा- तुम इसे मस्त करोगी तभी ये तुम्हें पूरा-पूरा मज़ा देगा।
तब रानी ने मेरा लण्ड चूसना शुरु किया। थोड़ी ही देर बाद मैंने रानी को फर्श पर लिटाकर उसकी चूत में अपना लंड डाल दिया। वह दर्द के मारे चिल्ला पड़ी। उसे काफ़ी दर्द हो रहा था। वह लंड निकालने को कहने लगी। लेकिन मैं कहाँ मानने वाला था, मैं उसकी चूचियों को पकड़कर उसके होंठों को चूमने लगा और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। थोड़ी ही देर बाद मेरा लंड आधे से ज्यादा रानी की चूत के अन्दर चला गया। उसे भी पूरा मज़ा आने लगा।
मैं बीच-बीच में रानी की चूचियाँ भी चूस रहा था। बाद में मैंने रानी को दीवार के सहारे खड़ा करके पीछे से उसकी चूचियाँ पकड़कर उसकी चूत में पीछे से लण्ड डाल दिया। अब मैं उसकी ज़ोरों से चुदाई कर रहा था। इस मस्ती में हम भूल ही गए थे कि उसकी सहेली भी पास वाले कमरे में ही है।
रानी को चोदते हुए मेरे हाथ कभी उसकी चूचियों तो कभी उसकी चूत को सहला देते थे। इस बीच रानी झड़ चुकी थी। मैं भी क़रीब बीस मिनट बाद झड़ गया और अपना सारा माल रानी के मुँह में डाल दिया।
तभी रानी की सहेली की आवाज़ आई कि वह घर जा रही है। यह सुनकर हम दोनों खुशी से झूम उठे। हम दोनों काफी देर तक साथ रहे, नहाया और बाद में उसे अपनी बाँहों में उठाकर कमरे में बिस्तर पर लिटा दिया। वहाँ जाकर रानी मेरे लंड चूसने लगी, तभी मुझे एक ब्लू-फिल्म का एक दृश्य याद आया जिसमें पुरुष अपने लंड को लड़की की चूचियों के बीच की दरार में रखकर उसे आगे-पीछे करता है। मैंने भी ठीक उसकी तरह रानी की चूचियों के बीच में अपना लंड रखकर उसे आगे-पीछे किया और बहुत देर तक उसकी चूचियों से खेलता रहा। उस दिन मैंने रानी को पाँच बार चोदा।
तो दोस्तों, आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी, अपने विचार मुझे मेल करें। Antaravsna Stories
ये हिंदी में चुदाई की कहानी उस समय की है.. जब मैं कॉलेज में पढ़ता था। उस वक्त मेरी उम्र 20 साल की थी जबकि मेरी सौतेली माँ 35 साल की थीं।
मेरी मॉम एक बहुत ही सेक्सी महिला थीं.. उनके जिस्म का एक-एक हिस्सा बिल्कुल तराशा हुआ था और अंग-अंग से मादकता टपकती थी। मैं कई बार उन्हें बाथरूम में सम्पूर्ण नग्नावस्था में देख चुका था। एक बार तो पापा उन्हें पूरा नंगा करके चोद रहे थे, तब भी उनकी मचलती जवानी को देखा था। जिस दिन पापा मॉम को चोद रहे थे, उसी दिन मेरा मन मॉम को चोदने के लिए मचल उठा था।
एक रात पापा शहर से बाहर गए हुए थे, मैं अपने बेडरूम में था। लेकिन मन में उत्तेजना के कारण मुझे नींद नहीं आ रही थी, सो मैंने मॉम की चूचियों को याद करते हुए मुठ मारनी चालू कर दी। कुछ ही देर में मेरी उत्तेजना और अधिक बढ़ गई तो मैंने गोल तकिया को अपनी टांगों में फंसा लिया और उसे ही मॉम समझ कर चोदना शुरू कर दिया।
उसी समय मेरी मॉम ने मेरे बेडरूम का दरवाजा खोला और मेरे कमरे में आ गईं।
दरवाजा खुलने की आवाज़ से मैं घबराकर रुक गया लेकिन मैं तकिए के ऊपर था। फिर मैंने मॉम को देखा तो मैं तकिए के बगल में लेट गया।
मॉम ने पूछा- क्या हुआ.. क्या कर रहे थे?
मैंने कहा- नींद नहीं आ रही है, कुछ बेचैनी सी है।
फिर मैंने मॉम से पूछा- क्या आपको भी नींद नहीं आ रही है?
वो बोलीं- हाँ मुझे भी नींद नहीं आ रही है।
मैंने कहा- आप भी यहीं लेट जाओ न।
फिर वो मेरे पास बैठ गईं।
मैंने फिर कहा- यहीं सो जाओ ना, मेरे पास।
वो सीधी लेट गईं। कुछ देर बाद मैंने पूछा- नींद नहीं आ रही है.. तो कोई कहानी पढ़ लेते हैं।
उन्होंने सर हिला कर हामी भरी तो मैंने पापा की किताब की रेक से एक सेक्सी कहानी की बुक निकाली और कहा- इसको पढ़ते हैं।
मॉम बोलीं- ये कौन सी किताब है?
मैंने कहा- कहानी की किताब है, इसकी कहानी पढ़ने में बहुत मजा आएगा, इसको पढ़ने से बहुत गुदगुदी भी होती है।
फिर मैंने किताब को हम दोनों के बीच में रखकर पढ़ने लगा। ऐसे में मॉम को पढ़ने में जरा दिक्कत हो रही थी तो मैंने कहा- चलो मैं पढ़कर सुनाता हूँ..
मैं उनको सेक्सी कहानी पढ़कर सुनाने लगा। इसमें एक लड़की का दूसरे मर्द के साथ सेक्स का किस्सा था। ये सेक्स स्टोरी बहुत डिटेल में थी।
मॉम बोलीं- ये सब क्या है?
मैंने कहा- अल्मारी में रखी थी।
वो बोलीं- इसमें बड़ों की गन्दी बातें लिखी हैं। तुमको इसे नहीं पढ़ना चाहिए।
मैंने कहा- फिर आपकी और डैड की अल्मारी में क्यों रखी है? एक बार पढ़ते हैं, सुनो ना!
फिर मॉम को भी मज़ा आने लगा। वो भी गरम होने लगीं। मॉम बीच-बीच में अपनी बुर खुजला रही थीं।
मैंने कहा- कहो गुदगुदी हो रही है ना।
मॉम ने स्माइल दे दी।
मैंने अपने लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- मेरे भी इसमें और सारे बदन में बहुत गुदगुदी हो रही।
फिर मैंने कहा- अब आप पढ़िए।
अब वो पढ़ने लगीं.. वो बहुत गरम हो गई थीं। तभी मॉम ने किताब बंद करके रख दी और बिस्तर पर अपने पैर पसार कर चित्त लेट गईं।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो वो बोलीं- बहुत बेचैनी हो रही है, नीचे बदन में कुछ खुजली भी हो रही है।
मैंने पूछा- शायद पावडर बदन पर लगाने से आराम मिल जाएगा।
वो बोलीं- हाँ ठीक है.. तुम पावडर ही लगा दो।
मैं बगल वाले रूम से पावडर लेकर आया।
मैंने देखा कि मॉम पेट के बल लेट गई थीं।
मॉम बोलीं- कमर में लगा दो।
मैंने देखा उन्होंने अपने ब्लाउज के बटन खोले हुए थे और ब्रा भी खोल दी थी।
मैं पावडर कमर पर लगाते हुए ब्लाउज के अन्दर हाथ डालकर मलने लगा। उनका कोई विरोध नहीं हुआ तो फिर मैं आहिस्ता-आहिस्ता पूरी कमर पर पावडर मलते हुए सीधे ही उनके मम्मों को मसलने लगा। मॉम को मम्मे मिंजवाने में मजा आ रहा था। वे मजा लेने लगीं तो मैंने सीधे ही उनके मम्मों पर पावडर लगाया और मम्मों को मसलने लगा।
अब उनको मजा आ रहा था।
फिर मैंने कहा- मॉम जरा आपकी गर्दन के पास भी पाउडर लगा देता हूँ।
वो घूमीं तो ब्लाउज के बटन खुले हुए थे और बूबस- पूरे नंगे दिखने लगे थे।
मॉम के बड़े-बड़े चूचे बहुत सेक्सी लग रहे थे।
मैंने उनकी गर्दन पर पावडर लगाने लगा। अब तो मैं सामने से मॉम के मम्मों को मसल रहा था और वो कुछ नहीं बोल रही थीं।
फिर मैंने मम्मे मसलते हुए हाथ नीचे पेट पर फिराया और नाभि को मसला। मॉम की आह निकली तो मैंने धीरे से उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और अपना हाथ अन्दर डालकर जांघ पर फेरते हुए उनकी बुर पर भी पावडर लगाने लगा।
वो कामुक आवाज में बोलीं- उह.. ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- ठीक से लगा देता हूँ.. फिर नींद भी ठीक से आ जाएगी।
मॉम कुछ नहीं बोलीं तो मैं अपने हाथ को उनके गोल-गोल चूतड़ों पर फेरने लगा। सच में बड़ा मज़ा आ रहा था।
मैंने पूछा- मॉम क्या मज़ा आ रहा है.. आराम मिल रहा है?
अब मैं मॉम के चूतड़ों पर हाथ फेरते-फेरते उनके ऊपर चढ़ गया और बोला- इससे आपका बदन भी दब जाएगा।
मॉम भी मेरे मजे लेने लगीं।
मैंने कमर के नीचे से मॉम के चूचे पकड़ कर जोर-जोर से दबाने लगा।
अब तो मॉम पूरी तरह से चुदास से तड़फ रही थीं।
मैंने कहा- किताब वाला सीन करते हैं।
मेरे बदन में जोर-जोर से गुदगुदी हो रही है।
फिर अचानक से मॉम को कुछ याद आया और वे बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- दरवाजा बंद है, किसी को पता नहीं चलेगा, मैं भी किसी से नहीं कहूँगा, तुम्हारी कसम मॉम आपको मज़ा भी आ जाएगा, प्लीज़ मना मत करो।
मॉम ने कुछ नहीं कहा।
मैंने फिर से उनसे कहा- कहानी की तरह मज़ा करते हैं मॉम।
मैंने अपना पजामा खोल दिया और उनकी जाँघों पर बैठ गया।
अब मॉम ने मेरा लंड पकड़ कर लंड पर हाथ फेरते हुए कहा- मुझसे वादा करो कि तुम किसी से कभी भी नहीं कहोगे।
मैंने कहा- वादा।
और फिर क्या था.. उन्होंने अपने सारे कपड़े बदन से अलग कर दिए।
मैंने कहा- आप जैसे बोलेंगी.. मैं वैसे ही करूँगा।
उन्होंने कहा- हाँ जैसा कहानी में पढ़ा था.. वैसे ही करते रहो। मैंने उनके एक चुचे को चूसना शुरू किया.. दूसरे चूचे को दबा भी रहा था।
फिर वो भी मेरे लंड पर हाथ फेरने लगीं। मैंने भी एक हाथ की उंगली से मॉम की बुर को दबाने लगा और उंगली चुत के अन्दर कर दी।
फिर वो मुँह से ‘शह्ह.. उह्हह..’ आवाज निकालने लगीं।
मैंने उनसे किताब के सीन की तरह उनसे डॉगी स्टाइल में बैठने को कहा। जैसे ही मेरी मॉम कुतिया के जैसे बनीं मैंने अपने लंड को पीछे से उनकी बुर के छेद के पास ले जाकर सुपारे को फेरने लगा। साथ ही मैं दोनों हाथों से मम्मों भी दबा रहा था। सच में बड़ा मज़ा आ रहा था।
अचानक ही लंड फिसला और झटके के साथ बुर में घुस गया, क्योंकि उनकी बुर का छेद चुदवाते चुदवाते कुछ तो बड़ा हो गया था।
उनके मुँह से भी और मेरे मुँह से भी जोर की ‘शह्हह.. आह..’ की आवाज निकलने लगी।
मैंने अब धक्का लगाना शुरू किया, धीरे-धीरे धक्के की स्पीड भी बढ़ा रहा था। सच में क्या मस्त मज़ा आ रहा था।
मॉम भी बोलीं- और जोर से चोद.. और जोर से पेल.. आह मजा आ रहा है।
मैंने मॉम के मम्मों को जोर से दबाकर निप्पलों को खींचा और धक्के लगाने लगा।
‘अह.. उह.. ओह.. सुपरब.. श्शश.. और और जोर से.. क्या बात है और झटका दूँ मॉम?’
‘हाँ पेलता रह..’
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और वो बेड पर सीधी लेट गईं।
मैंने धीरे-धीरे उनके कामुक बदन पर हाथ फेरा, फिर बुर में उंगली घुसेड़ कर भीतर के पॉइंट को सहलाने लगा।
ये उनका जी-स्पॉटस था, वो बहुत जोर से हिल गईं और उनकी जोर से ‘आअ.. आअ.. श्शश.. उह..’ की आवाज निकल गई।
मैंने अब लंड को उनके मम्मों पर फिराना शुरू किया और ऊपर से नीचे की तरफ़ लंड लाने लगा। फिर उन्होंने मेरा मुँह अपने मुँह के पास खींचकर जोर से किस किया। मैं भी जोर-जोर से किस करने लगा और अपनी जीभ भी उनके मुँह पर फेरने लगा। उनकी जीभ को चूसने में मज़ा आ रहा था। वो साथ-साथ मेरे लंड को एक हाथ से जोर-जोर से सहला रही थीं।
मैं भी बोला- बहुत मज़ा दे रही हो।
फिर उन्होंने मेरे को जोर से अपनी तरफ़ खींचकर बांहों में जकड़ लिया। मैंने भी उनको भींच लिया, उनके चूचे मेरी छाती से चिपक कर दब रहे थे।
आह क्या रगड़ सुख मिल रहा था।
फिर उन्होंने अपनी जांघें फैलाईं और कहा- अब जल्दी-जल्दी जोर से यहाँ लंड ले आओ।
मैंने लंड को उनकी बुर में घुसेड़कर धीरे-धीरे हिलने लगा।
फिर वो बोलीं- आअह ऐसे नहीं चलेगा.. जोर-जोर से झटके लगाओ।
मैंने जोर से चोदना शुरू कर दिया।
क्या मस्त चुदाई का आनन्द आ रहा था। मॉम भी चुदाई का मजा ले रही थीं- शह.. शह आ.. क्या बात है आह.. आ.. शह.. अह्हह.. ओह्हह.. और जोर जोर से धक्के लगाओ.. बहुत मज़ा आ रहा है।
मैं भी पूरी ताकत से लंड को भीतर तक ठोकने लगा। चुदाई पूरी स्पीड पर थी और अब मैं झड़ने लगा था। मेरा रस झड़ने लगा और मैं ढीला होकर उनके नंगे बदन से जोर से लिपट गया। मॉम के गुदगुदे बदन पर मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
फिर वो बोलीं- चलो हटो.. बहुत देर हो गई है.. अब सोते हैं।
वो अपने कपड़े पहनने लगीं। फिर बोलीं- ये राज ही रखना, किसी से कभी मत कहना।
मैंने हाँ कहते हुए उनके मम्मों को दबाकर किस कर लिया और बुर को दबाते हुए कहा- फिर कभी गुदगुदी होगी तो..?
वो हंसने लगीं.. मैं भी समझ गया।
मॉम बोलीं- बदमाश हो गए हो, चलो अब सो जाओ।
वो अपने कमरे में सोने चली गईं।
मैं अपनी मॉम के साथ चुदाई की इस कहानी को कभी नहीं लिखना चाहता था.. पर अब मुझे अच्छा लग रहा है।
इस चुदाई की कहानी पर आपके कमेंट्स का इन्तजार है।
मेरा नाम राहुल है। यह मेरी Hindi Porn Stories पहली कहानी है। मैं ईजिन्यीरिंग के तीसरे सेमिस्टर में हूँ। यह कहानी तब की है जब मैं दूसरे सेमिस्टर में था।
मुझे होस्टल में रहना पसंद नहीं था, इस वजह से मैं एक घर में पी जी बन कर रहता था। मेरा कमरा पहले माले पे था। मैं खाना उसी घर में खाता था। उस मकान मालिक की 18 साल की लड़की थी। उसका नाम कोमल था। वो आर्ट कोलेज में पढ़ती थी। मेरी उसपर पहले से ही बुरी नजर थी। मैं उससे बात करने का एक भी मौका छोड़ता नहीं था। वो मुझसे काफ़ी घुल-मिल गई थी। मैं कई बार उसके बदन को जानबूझ कर छूता था, फ़िर भी वो कोई प्रतिकार नहीं करती थी। शायद वो भी मुझसे चुदवाना चाहती थी।
एक बार मकान मालिक के दूर के रिश्तेदार की शादी थी। मुझे खाने की परेशानी न हो इस बहाने कोमल घर पर ही रुक गई।
मैं समझ चुका था कि कोमल मुझसे चुदवाने के लिए ही रुकी थी।
शाम 4:00 बजे मकान मालिक, उसकी बीवी और बेटा निकल गये। अब कोमल उसके कमरे मे अकेली थी। मैं उसके कमरे में गया तो उसने कहा कि मैं खाना बना देती हूं, आज हम जल्दी खाना खायेंगे।
मेरे मन में लड्डू फ़ूट रहे थे। फिर भी मैं अपने लंड पे काबू रखे था। शायद मैं ग्रीन सिगनल की राह देख रहा था।
5:00 बजे हम दोनों खाना खाने बैठे। जब वो मुझे खाना दे रही थी तब मैंने कहा- बस ! ज्यादा नहीं !
तब उसने कहा- खा लो ! पूरी रात गुजारनी है।
यह सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया। उसने मेरे लंड की ओर देखा फ़िर वो मुस्कुराई और खाना खाने लगी। खाना खाने के बाद वो सीधा किचन में जाकर बर्तन धोने लगी।
मैं फ्रेश होने के बहाने बाथरुम में गया और जानबूझ कर अपना तौलिया भूलने का नाटक किया। थोड़ी देर बाद मैंने कोमल को आवाज लगाकर तौलिया दे जाने को कहा। जैसे ही उसने तौलिया देने के लिये हाथ बढ़ाया, मैंने फिल्मी हीरो की तरह उसका हाथ पकड़ कर उसे बाथरुम में खींच लिया और खुद दरवाजे के सामने खड़ा रह गया ताकि वो भाग न सके।
वो मुझे सिर्फ अंडरवीयर में देखकर शरमा गई। शावर चालू होने की वजह से वो पूरी भीग गई थी। उसका ड्रेस उसके बदन से चिपक गया था। उसकी काली ब्रा साफ दिखाई दे रही थी। मैंने अपने हाथ उसके चूतड़िं पर रख कर उसे अपनी और खींचा। वो मुझसे आकर कस कर लिपट गई। उसकी धड़कनें तेज हो चुकी थी। मैंने उसका कुर्ता निकाल दिया। मैं आगे बढ़ा और उसके दोनों हाथों को पकड़ के उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमने लगा। एक हाथ से मैं उसकी चूत पायजामे के ऊपर से सहलाने लगा, दूसरे हाथ से ब्रा के हुक खोल दिये। उसके गोरे स्तनों के चुचूक मुँह में लेकर चूसने लगा। कई बार मैं चुचूकों को काट देता था और उसके मुँह से ऊऊउ….ह की आवाज आती थी। उसने अपना पायजामा और पेन्टी भी निकाल दी।
हम दोनों बाथ-टब में बैठे। मैंने अपने लंड को उसके चूतड़ों के बीच सेट कर दिया और दोनों हाथों से उसके स्तनों को दबाने लगा। वो भी अपने चूतड़ों को मेरे लंड पे रगड़ने लगी।
जैसे ही कोमल मेरे पेट पर बैठ गई, तभी मेरा लँड उसकी जांघों के बीच खड़ा हो गया। वो मेरे लंड को सहलाने लगी। हम दोनों एंजोय कर रहे थे।
मैं उसे उठा कर बेडरुम में ले गया। हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे। मैं उसकी टांगों के बीच बैठ के चूत में उँगली डालने लगा। उसके मुँह से आआआ….ह,ऊ उ…ह की आवाजें आ रही थी। चूत में मुझे चिकनाई सी महसूस हुई। वो पूरी गरम हो चुकी थी। मैं उसके उपर लेट गया और उसे एक लम्बा चुम्बन किया।
मैंने उसको बेड के किनारे लेटाया और उसकी टाँगों को अपने कंधो पर रख लिया। अभी उसका शील भंग नहीं हुआ था। उसकी चूत फ़ूल चुकी थी। चूत में से पानी निकल कर बेड पर टपक रहा था। मैं चूत पे अपना लंड रख के धीरे से अंदर धकेलने लगा, मगर थोड़ा ही अंदर जा पाया। मैंने उसके चूतड़ों को पकड़ के जोर से धक्का लगाया, मेरा पूरा लँड अंदर चला गया। वो जोर से चिल्लाई। मैंने उसके सर को पकड़ के उसके होंठों पर लम्बा चुम्बन किया ताकि वो फ़िर से चिल्ला न सके। मुझे लँड पर कुछ गरम महसूस हुआ, चूत में से खून निकल रहा था।
थोड़ी देर बाद मैं लंड को अंदर-बाहर करने लगा। अब उसे भी मजा आ रहा था, वो अपनी कमर हिला कर मेरा साथ दे रही थी। दस मिनट बाद मैं झड गया, अब तक वो 3 बार झड़ चुकी थी।
वो उठ कर बाथरूम गई और अपनी चूत धो कर आई, मैं बैड पर नंगा लेटा हुआ था। वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी। उसके छूते ही मेरा लंड फ़िर से खड़ा हो गया। वो डोगी स्टाईल में बैठ गई। उसकी गाण्ड का छेद साफ दिखाई दे रहा था। मैंने उसके चूतड़ों को सहलाते हुए लँड को उसकी गाण्ड में डाला। बहुत मुश्किल से अंदर गया, वो चिल्ला उठी। मैंने लंड को धीरे से बाहर निकाला। मेज़ पर हेयर-ऑयल की बोतल थी, मैंने लंड पर तेल लगा लिया। अबकी बार लंड आसानी से अंदर चला गया।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
उसके मुँह से आअऊउ…ह, ओओ….ह की आवाजें निकल रही थी। मैंने अपना सारा माल उसी में छोड़ दिया।
वो सीधा लेट गई। मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल के उसे बाहों में ले लिया। हम दोनों काफ़ी थक चुके थे। हम वैसे ही नंगे एक दूसरे से लिपट कर सो गये।
सुबह 6:00 बजे मेरी आंख खुली, तब वो सो रही थी। मैंने उसे जगाया और उसे एक लम्बा चुम्बन किया। हम दोनों साथ में बाथरूम में नहाने गये। वहाँ मैंने उसकी दो बार गाण्ड मारी।
नाश्ते के बाद मैंने उसकी 10:00 बजे से ले कर 12:00 बजे तक दो घंटे जमकर चुदाई की।
शाम 4:00 मकान मालिक और उसका परिवार वापस आ गये।
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