Our site can help you find a professional massage girl in Surendra Nagar who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.
Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Surendra Nagar that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.
Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Surendra Nagar massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.
Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Surendra Nagar who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.
Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Surendra Nagar massage service, which makes it easier to obtain more customers.
There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.
A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Surendra Nagar massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.
This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Surendra Nagar who are good at deep tissue treatments that function effectively.
Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Surendra Nagar employ the use of custom oil preparations to make you feel good.
A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Surendra Nagar helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.
Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Surendra Nagar
Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Surendra Nagar at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:
Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.
Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.
When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.
The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.
All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.
To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.
Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.
You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.
It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.
Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.
दोस्तों मैं अजनबी दहिया Antarvasna आपके सामने अपनी पहली कहानी रिया की चुदाई पेश करने जा रहा हूँ। सबसे पहले मैं गुरूजी का धन्यवाद करता हूँ जिन्होंने मेरी कहानी को समझा और आप लोगो तक पहुँचाया, और उन फड़कती हुई चूतों को भी मेरा सलाम, जो हमेशा किसी लण्ड की तलाश में रहती हैं। चूतें हमेशा चुदने के लिए ही होती हैं !
रिया मेरी एक रिश्तेदार है। वह मेरे बड़े भाई की साली है। रिया और मेरा चक्कर बहुत पहले से चल रहा था।
एक दिन मैं उसके शहर में गया, मैंने वहां होटल में कमरा लिया और दो दिन तक रुका। मैंने रिया को फ़ोन कर शाम को कमरे पे बुला लिया। वो मेरी पसंद की काली साड़ी में शाम को पाँच बजे वहां आ गई। उसके आते ही मैंने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लिया। वो बला की खूबसूरत लग रही थी।
मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया और चूमने लगा। वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी। मैंने उसे उठाया और बिस्तर पे लिटा दिया।
मैंने उसके होठों को जी भर के चूसा। फिर मैंने उसकी काली साड़ी को निकाल फेंका. फिर मैं उसके स्तनों को ब्लाऊज़ के ऊपर से ही मसलने लगा। वो भी मुझे कस के बाहों में लिए हुए थी और बहुत ही खुश थी। उसका पति उसे समय नहीं दे पाता था। वो मेरे द्वारा माँ बनना चाहती थी। मैंने उसके ब्लाऊज़ और पेटीकोट को उतार दिया। अब वो ब्रा और पेंटी में थी और बड़ी ही सेक्सी लग रही थी।
मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और उसे चूमने लगा और एक हाथ से उसके छोटे-२ स्तनों को सहला रहा था। फिर मैंने उसकी पेंटी में हाथ डाला तो वो गीली हो चुकी थी, उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया था। मैं उसकी चूत में ऊँगली घुमाने लगा।
अब मैंने उसकी ब्रा को भी निकाल फेंका। अब हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे। मैं उसके दोनों स्तन बारी-२ से सहला रहा था और उसके रस-भरे होठों को चूम रहा था। अब रिया ने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया और सहलाने लगी। अब हम दोनों ६९ पोजीशन में आ गए। वो मेरे लण्ड को लॉलीपोप की तरह बड़े ही मजे से चूस रही थी और में उसकी चूत को चाट रहा था। करीब पन्द्रह मिनट बाद हम अलग हुए, वो दो बार झड़ चुकी थी। अब उसे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हो रहा था। उसने मुझसे कहा- अब जल्दी से ऊपर आ जाओ !
मैंने अपने लण्ड को निशाने पे लगाया और उसकी बूर पे रखकर एक जोरदार झटका मारा, वो दर्द के मारे कराहने लगी। मैं उसके स्तन मसलने लगा।
जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मैंने एक और जोरदार शोट मारा और पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत की गहराई में समां गया। वो एक बार फिर दर्द से चिल्ला उठी और आ आआ आ आह्ह्ह्ह्ह् ईईइह्ह्ह्ह्ह ऊऊ ऊ ऊ ऊह्ह्ह्ह्ह् की आवाजें करने लगी। मैंने उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए। जब उसका दर्द कम हो गया तो वो कहने लगी- जोर से चोदो मेरे राजा ! आज इस चूत का भोंसड़ा बना दो ! और जोर से … और जोर से ! आज मुझे छोड़ना नहीं मेरे रज्जा !……. मुझे आज पेल दो आज …… !
मैं जोर-२ से ध्क्के लगाने लगा, रिया भी मेरा पूरा साथ दे रही थी और नीचे से गांड उठा-२ कर झटके मार रही थी। करीब पन्द्रह मिनट बाद मैंने कहा- अब मैं झड़ने वाला हूँ !
इससे पहले वो दो बार झड़ चुकी थी, तो उसने कहा- स्पीड बढ़ा दो !
मैं तेज-२ झटके लगाने लगा और १०-१५ झटकों के बाद मेरा लावा उसकी चूत में समां गया। वो आज बहुत ही खुश हुई।
फिर मैंने उसे अगले दिन कुतिया बना के भी चोदा। इस तरह आज वो माँ बनने वाली है और आज भी मुझसे बहुत प्यार करती है।
दोस्तों आशा करता हूँ मेरी यह कहानी आपको बहुत पसंद आएगी। इसी विश्वास के साथ यहीं ख़त्म कर रहा हूँ। पर मेल भेजना न भूलिएगा।
आपके मेल का इंतजार रहेगा। आप सभी को ढेर सारा प्यार। Antarvasna
हाय दोस्तों, Indian Sex Stories कैसे हैं आप सब, मैं आज अपनी पहली और सच्ची कहानी लिख रही हूं, शायद आप को पसंद आये। मैं एक शादी शुदा ४६ साल, ३६ ३२ ३६ लेडी हूं
मेरी शादी को २५ साल होने आ रहे हैं। मेरी शादी शुदा जिंदगी बड़े मजे से गुजर रही थी, मैने कभी भी नहीं सोचा था कि मेरी जिंदगी में ऐसा भी एक दिन आयेगा। एक महीने पहले की बात है मेरे पति एक दिन बाहर जा रहे थे उन्होंने मेरे पड़ोस में रहने वाले एक लड़के जिसकी उमर १९ साल है, को कहा कि तुम घर पर रुक जाना मैं २ दिन में वापस आ जाउंगा, आंटी को अकेले में डर लगता है। उसने कहा ठीक है, पहले भी वो कई बार मेरे यहाँ पर रुक चुका था, पर कभी भी मैने उसको गलत नजरिये से नहीं देखा था वो मुझे आंटी कहता था और मैं भी उसको बेटे के जैसा ही मानती थी।
कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, हम दोनो हमारे डबलबेड पर ही लेटे थे और अलग अलग कम्बल से अपने शरीर को ढके हुए थे। रात में मैं जब पेशाब करने के लिये उठी तो देखा कि वो लड़का एकदम सिकुड़ कर पड़ा है और जोर जोर से काँप रहा है, मैं जब बाथरूम से वापस आई तो मैने उससे कहा कि बेटा ज्यादा ठंड लग रही है तो एक कम्बल और निकाल देती हूं, उसने कहा नही आंटी ऐसे ही ठीक है। पर मेरी नींद उड़ गई थी मैं बार बार उसको देख रही थी वो ठंड से काँप रहा था, फ़िर मैने उससे कहा कि वो मेरे कम्बल में आ जाये दोनो कम्बल से कुछ ठंड कम हो जायेगी। उसने संकोच करते हुए मेरे कम्बल के नीचे अपना आधा शरीर कर लिया, फ़िर मैने उसको पकड़ कर पूरा शरीर अपने कम्बल में खींच लिया। एक कम्बल के अन्दर दो लोग दूर दूर नहीं सो सकते थे इसलिये उसकी बोडी मुझसे टच होने लगी, मैने देखा वो अब भी काँप रहा है, मैं उसको खींच कर अपने पास कर लिया। अब उसने एक हाथ से मुझको जोर से पकड़ लिया और मैने देखा कि उसका कँपन बढ़ता ही जा रहा है तो मैं उसको अपने सीने से चिपटा लिया। थोड़ी देर में उसने काँपना बंद कर दिया।
उसके शरीर से चिपकने के कारण मुझमें सेक्स भड़क गया। मैने धीरे से उसका मुंह अपनी चूची के सामने कर दिया उसके होंठों के पास और अपना एक हाथ नीचे करके उसके लंड के पास कर दिया। थोड़ी देर के बाद मैने देखा कि वो मेरी चूचियों पर मुंह से दबाव दे रहा है और नीचे अपने लंड को मेरे हाथ से टच करने की कोशिश कर रहा है। मुझे भी मजा आने लगा था। मैने अपने ब्लाउज़ के हुक खोलकर और ब्रा को ऊपर उठकर चूची बाहर निकाल कर उसके मुंह में दे दी, वो मेरी चूची को चुभलाने लगा, फ़िर मैने धीरे से उसके लंड को पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगी, अभी उसके लंड का साइज़ बहुत बड़ा नहीं था पर मेरे ऊपर तो नशा छाया हुआ था।
फ़िर मैने उससे पूछा अच्छा लग रहा है तो उसने सिर हिलाकर हां कहा, मैने अपने ब्लाउज़ और ब्रा को निकालकर अपने कबूतरों को आज़ाद कर दिया, अब वो मेरे एक चूची को मुंह से और दूसरी को अपने हाथ से सहलाने लगा। मैं उसके लंड को जोर से पकड़कर हिलाने लगी, फ़िर मैने उसको कहा कि अपने मुंह को मेरी चूत की तरफ़ करो मैं तुम्हारे लंड को मुंह में लेना चाहती हूं। वो तुरंत ही ६९ पोजिशन में आ गया मैने उसके लंड को मुंह में ले लिया और वो मेरी चूत को जीभ से चाटने लगा। मुझे बहुत मजा आ रहा था छोटा सा लंड मुंह में लेने में, वो तो जैसे पागल सा हो गया था, मैने उसका सिर पकड़ कर जोर से अपनी चूत पर दबाया, थोड़ी देर में वो कहने लगा आंटी मेरी पेशाब निकल रही है मैने कहा ठीक है कर दो मेरे मुंह में (मुझे पता था वो डिस्चार्ज हो रहा है) उसका शरीर एकदम से अकड़ सा गया और मेरे मुंह में झड़ गया। कुछ देर के बाद मैं भी उसके मुंह में अपना सारा पानी निकाल दी और उससे बोली चाट चाट कर साफ़ कर दो। उसे भी बड़ा मजा आ रहा था, फ़िर मैने कहा अब तुम अपने पूरे कपड़े निकाल दो और मैने भी अपने पूरे कपड़े निकाल दिये और दोनो नंगे ही चिपक कर एक दूसरे के अंगों सहलाते हुए सो गये।
दूसरे दिन न तो वो और न ही मैं एक दूसरे से आंख मिला पा रहे थे। वो दोपहर में स्कूल से बहाना बनाकर छुट्टी लेकर आ गया। मैं उसके घर पर ही उसकी माँ के साथ बैठी थी मैने पूछा आज जल्दी क्यों आ गये तो वो बोला मेरे सिर में बहुत दर्द हो रहा था इसलिये। फ़िर मैं वहाँ से उठकर अपने घर पर आ गई आते समय मैने उससे कहा बेटा जब तुम्हारी तबियत ठीक लगे तो आना थोड़ा सा बाज़ार का काम है। करीब आधे घंटे के बाद वो आया, मुझसे पूछा क्या काम है आंटी, मैने कहा कुछ नहीं मुझे ये जानना था कि तुमको क्या हो गया, तुमने किसी को ये सब बताया तो नहीं, वो बोला आप पागल है क्या ऐसी बात भी किसी को बताते हैं, फ़िर मैने पूछा कल रात में मजा आया कि नहीं, वो बहुत खुश दिख रहा था मैने उसको एक किस दी और हाथ से उसके पैंट के ऊपर से उसके लंड को हिलाते हुए पूछा जनाब के क्या हाल हैं वो शरमाते हुए बोला आंटी मेरे अंडो में बहुत मीठा मीठा दर्द हो रहा है मैने कहा रात में सब ठीक हो जायेगा। आज की रात जब वो आया तो मैने ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी और पतली झिन्नी सी गाउन पहनी हुई थी, वो भी बहुत उतावला दिख रहा था, आते ही मुझसे लिपट गया, मैने कहा जल्दी मत करो तुम चलो बेड पर मैं आती हूं, और फ़िर ……………………।। Indian Sex Stories
मेरा नाम राहुल शर्मा है मैं २५ साल का हूँ। मैं आज Sex Stories अपने सभी दोस्तों को अपने सेक्स और अपने कुँवारापन खोने के पहले अनुभव के बारे में बताना चाहता हूँ। तब हम लोग इलाहबाद में रहते थे और गर्मी की छुट्टियों में अपने दादा के घर लखनऊ जाते थे। वहां हमारे दादा दादी के साथ हमारे ताऊ और ताई भी रहते थे। उनका बेटा भी वहीं रहता था और कॉलेज में पढ़ता था। वो लगभग २२ साल का था। उसका नाम था गोरव और हम उन्हें राजू भैया कहते थे।
उस साल हम जब छुट्टियों में वहां गए तो मैंने एक नया और अत्यधिक रोमांचक अनुभव किया। एक दिन रात को मैं उनके ही साथ सो रहा था अचानक मेरी नीद खुली और कुछ अजीब सा लगा मैंने देखा भैया मेरे बगल में नंगे लेटे हैं और वो मेरी निक्कर में हाथ डालकर मेरी लुल्ली को सहला रहे हैं।
मुझे शर्म आ गई मैंने कहा- भैया ये क्या कर रहे हो?
आखिर वो मेरा बड़ा भाई था। वो बोला- कुछ नहीं ! अब तुम बड़े हो गए हो और मैं यह देख रहा था कि तुम कितने बड़े हुए हो?
मैंने कहा- ऐसे कैसे पता चलता है?
उन्होंने कहा- पहले अपनी चड्ढी उतारो फ़िर समझाता हूँ !
मैंने कहा- मुझे शर्म आती है।
वो बोला- अगर मुझसे शरमाओगे तो लड़की के साथ कैसे सेक्स करोगे?
सेक्स का तो नाम ऐसा है कि कोई भी अपने आप उसकी तरफ़ बह जाएगा मैं भी तैयार हो गया पर शरमा रहा था। उन्होंने अपने लण्ड को हिला कर खड़ा किया तो मेरी तो साँस ही अटक गई, वो मेरे हाथ की कलाई के बराबर मोटा था और करीब ७ इंच लंबा था। मुझे उनका लण्ड देखने में बड़ा मजा आया। वो बोले- तुम्हारा भी खड़ा होता है या ऐसे ही लटका रहता है?
उनके लण्ड को देख कर मेरा भी लण्ड टाइट होने लगा और धीरे धीरे खड़ा हो गया। उनके लण्ड के सामने मेरे छोटे से लण्ड की क्या औकात जो उनके पैर के अंगूठे से थोड़ा पतला और लम्बाई में ४.5 इंच का था।
भैया बोले- अब तुम भी बड़े होने लगे हो !
मैंने कहा- अच्छा ! कैसे?
बोले- कभी मुठ मारी है?
मैंने कहा- वो क्या होता है?
बोले- इसको यानि लण्ड को हिलाने से सफ़ेद सफ़ेद जो निकलता है उसे माल कहते हैं।
मुठ मारने में तो मुझे भी बहुत मज़ा आता था।
भैया वैसे भी इतने सुंदर थे कि कोई भी लड़की उनके आगे अपनी टांगे फैला देती ! और वो थे भी बहुत बड़े चुद्दकड़।
बोले- कभी किसी लड़की की चूत देखी है?
मैंने कहा- नहीं !
वो बोले- रुको ! मैं दिखाता हूँ !
उन्होंने अपनी अलमारी से किताबों की एक गड्डी निकाली जो सारी नंगी तस्वीरों, चुचियों, गाण्डों और चुदवाती हुई लड़कियों और गाण्ड मराते हुए लड़कों की तस्वीरों से भरी पड़ी थी। उन्हें देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया क्योंकि अपने घर में ये सब मुझे कहाँ से मिलता और मुँह से ज्यादा पानी मेरे लण्ड से निकलने लगा था।
वो बोले- क्या हुआ? झड़ गया?
मैंने कहा- नहीं ! गीला हुआ है। क्यूंकि माल नहीं टपका था।
भैया बोले- लड़की चोदने का मज़ा लोगे?
मैंने कहा- हाँ ! पर लड़की कहाँ है?
वो बोले- मेरी गाण्ड मारो ! वही लड़की चोदने जैसा मज़ा और गर्माहट मिलती है।
बस फ़िर क्या था, वो पेट के बल बेड पर लेट गए और बोले- डालो अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसेड़ दो।
मेरे लिए अजीब सा था पर चोदने का मज़ा लेने के लिए मैंने लण्ड बढ़ा दिया। पहले तो हल्का सा गया और मुझे दर्द सा होने लगा तो बोले- तुम्हें क्यों दर्द हो रहा है? गाण्ड तो मैं मरवा रहा हूँ !फ़िर उन्होंने थोड़ा सा तेल अपनी गाण्ड में लगाया और फ़िर तो मेरा लण्ड ऐसा दौड़ा कि माइकल शूमाकर की फरारी भी हार जाती पर मैं तीन मिनट में ही झड़ गया।
भैया बोले- ऐसे करोगे तो मज़ा नही आयेगा। पहले थोड़ी देर हलके हलके करो जब मज़ा आने लगे तब स्पीड बढ़ाओ।
मुझे सबक मिल चुका था। फ़िर मैं करीब घंटे भर तक उनकी नंगी नंगी फोटो वाली किताबें और चुदाई वाली कहानियाँ पढ़ता रहा। अब मेरा लण्ड फ़िर से खड़ा हो गया था और मैंने फ़िर से भैया की गाण्ड मारी। इस बार मैंने १० मिनट तक अपने लण्ड को झड़ने नहीं दिया मैंने और भैया ने बराबर मज़ा लिया।
फ़िर मैंने उनसे कहा कि तुम भी मेरी गाण्ड मारो ! मैं भी गाण्ड मरवाने का मज़ा लेना चाहता हूँ।
उन्होंने बहुत मना किया, बोले- तेरी गाण्ड अभी बहुत छोटी है, फट जायेगी !
जब मैंने बहुत जिद की तो वो मान गए और जैसे ही अपने लंबा चौड़ा खली जैसा लण्ड मेरी गाण्ड में डालने की कोशिश की तो मेरी आँखों से आंसू निकल गए।
वो बोले- अब मैं नहीं मारूँगा !
मैंने कहा- भैया धीरे धीरे करना और पहले मेरी गाण्ड में तेल लगा दो।
उन्होंने ढेर सारा तेल मेरी गाण्ड में उड़ेल दिया फ़िर लण्ड को सहलाते सहलाते मेरी गाण्ड में डाला। कसम से बहुत दर्द हुआ। फ़िर हल्के हल्के अन्दर बाहर करते हुए उन्होंने पूरा मज़ा लिया और मुझे भी बहुत मज़ा आया।
फ़िर तो हम लोग हर रात यही लण्ड गाण्ड का खेल खेलते रहे। मैं अक्सर उनके साथ नहा भी लेता, हम लोग बाथरूम में देर तक नहाते, एक दूसरे के लण्ड से खेलते और फ़व्वारे के नीचे लेट कर गाण्ड गाण्ड खेलते थे। किसी को हम पे शक भी नहीं होता था कि हम इतनी देर तक बाथरूम में क्या करते हैं क्यूंकि घर वालों के लिए तो हम भाई थे पर आपस में हम बहुत अच्छे दोस्त हो गए थे।
मैंने पूरी छुट्टियाँ ऐसे ही मज़े लेकर बिताईं। जब भी घर वाले कहीं जाते तो हम दोनों घर पर ही रुकते और गाण्ड गाण्ड खेलते। मैंने तभी पहली बार अपने झांट के बाल भी उनके साथ शेव किए।
ये छुट्टियाँ ख़त्म होने के बाद हम इलाहबाद वापस आ गए। मुझे उनकी बहुत दिनों तक याद आई। फ़िर जब भी कोई छुट्टी होती तो मैं लखनऊ चला जाता और उनके साथ मजे लेता था इस गाण्ड गाण्ड के खेल के। मेरी कई गर्ल फ्रेंड भी बनी उन्हें भी बहुत चोदा, वो कहानियाँ फ़िर कभी सुनाऊंगा।
अब मेरी शादी हो चुकी है और उनकी भी पर आज भी जब कभी हमे मौका मिलता है हम गाण्ड गाण्ड खेलते हैं। आप लोग भी इस खेल का मज़ा लीजिये क्यूंकि इसमे न तो लड़कियों के नखरे उठाने पड़ते हैं न ही लड़की के गर्भ वाला खतरा होता है और लण्ड और चूत दोनों की प्यास बुझ जाती है। Sex Stories
हाय दोस्तो,
आपके लिये एक बार फ़िर मैं यानि राजू एक और गर्म Antarvasna सेक्स स्टोरी लेकर आया हूं। तो दोस्तो, बात हमारे एक दोस्त की है, नाम था मोहित।
मोहित एक बिजनेसमैन है, अभी कुछ ही दिन पहले मोहित की शादी हुई थी। मोहित की वाइफ़ यानि मेरी भाभी एक मस्त हुस्न की मलिका है. भाभी के हुस्न की तारीफ़ भी क्या करूँ… शब्द ही कम पड़ जाते हैं।
फ़िर भी कोशिश करता हूँ।
रंग- मलाई मार के मतलब एकदम गोरा
हाइट- 5’9″
मम्मे- 34″
कमर- 28″
चूतड़- 34″ के आसपास…
यह फ़ीगर था भाभी का।
अब ऐसी मस्त जवानी को देख कर भला कौन होगा जिसका मन उसको चोदने को न करे… मेरा मन भी बिगड़ गया।
मोहित का रंग सांवला था और उसकी हाइट भी 5’6″ थी। पता नहीं क्या सोच कर उस हुस्न परी ने उस चूतिये से शादी की थी। हम दोस्त मज़ाक में बात करते थे कि ‘अगर ये मोम्मे चूसता होगा तो चूत नहीं मार पाता होगा और अगर चूत मारता होगा तो मोम्मे छूट जाते होंगे।
एक दिन भाभी मेरे घर पर आई, मैं घर पे अकेला था।
भाभी ने मम्मी के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि वो 2-3 दिन के लिये दिल्ली गई है और डैड भी साथ गये हैं।
मैंने उनको बैठ कर चाय पीने को कहा।
वो थोड़ा झिझक रही थी, लेकिन सेक्सी भाभी पहली बार मेरे घर पे आई थी तो मैं उनके साथ कुछ पल बिताने का मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। मैंने उन्हें ज़बरदस्ती चाय पीने के बहाने से रोक लिया।
मैं चाय बनाकर भाभी के पास पहुँच गया और भाभी से बात करने लगा।
मैंने भाभी को छेड़ते हुए पूछा- और भाभी, कैसा चल रहा है, मोहित ज़्यादा तंग तो नहीं करता?
भाभी ने कोई जवाब नहीं दिया और मुझे लगा कि मैंने शायद कुछ गलत सवाल कर दिया है। मैंने भाभी से सॉरी कहा।
भाभी ने कहा- सॉरी की कोई बात नहीं है, मैं फ़िर कभी आऊँगी, अभी चलती हूँ।
भाभी की इस बात से मुझे दाल में कुछ काला होने जैसा लग रहा था, खैर मुझे क्या लेना था, मैं जल्दी से अपने बेडरूम में गया और मैंने भाभी के नाम की मुठ मार ली।
अगले दिन भाभी को फ़िर से अपने दरवाज़े पे देख कर मैं हैरान था, भाभी ने पूछा- मम्मी, डैड आ गये या नहीं?
मैंने कहा- आपको बताया तो था कि वो 2-3 दिन में आयेंगे.
भाभी ने पूछा- चाय नहीं पिलाओगे आज़?
मेरी तो लाइफ़ ही बन गई कि जिसे कल मैं ज़बरदस्ती चाय पिला रहा था आज़ वो खुद मेरे पास आई है कुछ वक्त बिताने के लिये।
मैंने जल्दी से चाय बनाई और फ़िर हम दोनों एक साथ बैठ कर चाय पीने लगे।
आज़ मैं चुप था, भाभी ने पूछ लिया- क्या बात है, चुप क्यों हो।
मैंने कहा- कल मैंने आपका दिल दुखाया था तो आज़ मैं कोई ऐसी बात नहीं करना चाहता जिससे आपका दिल दुखी हो।
भाभी के सब्र का बांध टूट गया, अपनी आँखों में आँसू भरती हुई वो बोल पड़ी- राजू, मोहित बहुत अच्छे हैं लेकिन सिर्फ़ अच्छा होना ही काफ़ी नहीं होता। कुछ और भी होना चाहिये एक औरत को खुश करने के लिये।
मैंने भाभी के आँसू साफ़ करते हुये पूछ लिया- भाभी मुझे ठीक से बताओ कि माज़रा क्या है, शायद मैं आपकी कुछ मदद कर सकूँ!
भाभी ने बताया कि मोहित के साथ रात बिताना मुश्किल हो जाता है, जब तक मैं गर्म होती हूँ, मोहित ठंडा हो जाता है। एक बार मोहित का पानी निकल जाये तो वो सो जाता है और मैं प्यासी तड़पती रहती हूँ। इस जवानी का क्या फ़ायदा अगर कोई इस जवानी को लूट ही न पाये।
मौका अच्छा था, मैंने भाभी से कहा- कोई बात नहीं भाभी, मैं हूँ न!
यह कहते हुये मैंने अपना एक हाथ भाभी के मोम्मों पे रख दिया।
भाभी ने कुछ नहीं कहा तो मैंने भाभी से कहा- भाभी जाने दो, साले मोहित को उस चूतिये को इतनी सेक्सी बीवी मिली है, अगर इस हुस्न को देख कर भी साले का लंड खड़ा नहीं होता तो साले के लंड को काट देना चाहिये।
मैंने इतना कहते हुये अपना हाथ भाभी के ब्लाउज़ में डाल दिया, भाभी सिहर उठी।
मैंने कहा- भाभी, अब आपको प्यासा रहने की ज़रूरत नहीं। जब तक मैं हूँ, आपको नहला दूंगा।
इतना कहते हुये मेरा दूसरा हाथ भाभी की साड़ी के अन्दर जा चुका था। मैं भाभी की चूत को ऊपर से सहलाने लगा और फ़िर मैंने भाभी की पैंटी को साइड में करते हुये अपनी एक उंगली भाभी की चूत में डाल दी, ऊऊह की सी आवाज़ में वो मेरा साथ दे रही थी।
अब मैंने भाभी की साड़ी को अलग कर दिया और उसके मोम्मों को आज़ाद कर दिया। भाभी के मोम्मे देखते ही मेरे मुँह मेँ पानी आ गया। मैंने जल्दी से भाभी के मोम्मे चूसना शुरु कर दिया।
वाह क्या रस था उन मोम्मों का… मैं चूस रहा था और भाभी कह रही थी- धीरे धीरे माई लव!
लेकिन मुझे आराम नहीं था, मैंने अब उसके पेटीकोट और पैंटी को भी भाभी के बदन से अलग कर दिया। अब भाभी मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी थी। उसकी चूत पे एक भी बाल नहीं था, टांगें एकदम चिकनी थी।
मैं हैरान था कि ऐसी जवानी को देख कर तो लंड बैठना ही नहीं चाहिये लेकिन साले मोहित का लंड खड़ा ही नहीं होता।
मैंने अब अपने कपड़े भी उतार दिये। मेरे लंड को देखते ही वो बोली- ये तो बहुत मज़बूत लग रहा है… लाओ इसे चख कर तो देखूँ!
और फ़िर भाभी ने मेरा लंड अपने मुँह में डाल लिया और चूसने लगी।
मैं भी 69 पोजिशन में भाभी की चूत को चाटने लगा।
10 मिनट बाद वो बोली- जान, अब नहीं रहा जा रहा है, इस लंड को मेरी चूत में डाल दो और चोद दो मुझे।
मैंने उसकी टांगों को ऊपर उठा दिया और अपना लंड एक ही झटके में उस की चूत में पूरा डाल दिया।
भाभी की चीख निकल गई, लेकिन वो जानती थी कि इस दर्द के बाद ही तो मज़ा है, वो मेरा साथ देने लगी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… चोदो चोदो… मज़ा आ रहा है, तुम्हारा लंड आज़ से मेरी चूत का मालिक है, इस चूत को आज़ इतना चोदो कि अगले कुछ दिन तक ये दोबारा लंड ना मांगे… चोदो चोदो मुझे चोदो!
उसके बोलने के साथ ही मेरी चोदने की स्पीड बढ़ रही थी।
‘आआह ऊऊह… फ़क मी… ऊऊउह… फ़क माई पुस्ससी… फ़क मी फ़क माई पुस्ससी…’ की आवाज़ से मुझे और भी जोश आ रहा था।
काफी देर तक मैं उसे चोदता रहा और फ़िर हम एक दूसरे से लिपट कर लेटे रहे।
15 मिनट में उसकी जवानी की गर्मी ने मेरे लंड को एक बार फ़िर से खड़ा कर दिया, मैंने एक बार फ़िर से अपना लंड भाभी की चूत में डाल दिया।
‘चोदो चोदो… और ज़ोर लगा के चोदो मेरी इस चूत को!’
मैंने भी आज़ उसे इतना चोदा कि वो बोल पड़ी- अब मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि मोहित मुझे चोदे या रात को सो जाये। मुझे मेरी चूत के लिये एक दमदार लंड मिल गया है।
इस के बाद उस ने साड़ी पहनी और अपने घर चली गई।
इस दिन के बाद अब जब भी हमारा मन होता है तो हम ये चुदाई का खेल खेलते हैं, लेकिन दोस्तो आज़ तक मैं भाभी की गांड नहीं मार सका। लेकिन एक दिन मैं उसकी गांड भी ज़रूर मारुंगा।
मैं उस दिन का इन्तज़ार कर रहा हूँ।
तो दोस्तो, चोदो चुदवाओ और अपनी लाइफ़ को खुशहाल बनाओ! Antarvasna
मेरा नाम श्याम कुमार, उम्र Hindi Sex Stories बीस वर्ष है। मेरे पापा दुबई में एक पांच सितारा होटल में काम करते हैं। पापा की अच्छी आमदनी है, काफ़ी पैसा घर पर भेजते हैं। घर पर मम्मी और मैं ही हैं। मम्मी एक स्कूल में टीचर हैं और मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ।
घर में काम काज के लिये एक नौकरानी अंजलि रखी हुई है। अंजलि बाईस साल की शादीशुदा लड़की है। उसका पति एक प्राईवेट स्कूल में चपरासी है। अंजलि एक दुबली पतली पर गोरी चिट्टी लड़की है। वो घर पर काम करने छ: बजे आ जाती और साढ़े सात बजे तक घर का काम पूरा करके चली जाती है। फिर मम्मी भी स्कूल चली जाती हैं।
अंजलि जब सवेरे काम करने आती है तब मैं सोता ही होता हूँ। वह मुझे बड़ी देर तक सोता हुआ देखती रहती थी। उस समय मैं सुस्ती में पड़ा अलसाया सा बस आंखे बन्द किये लेटा रहता था। मुझे सुबह पेशाब भी लगता था, पर फिर भी मैं नहीं उठता था। नतीजा ये होता था कि पेशाब की नली मूत्र से भरी होने के कारण लण्ड खड़ा हो जाता था तो मेरे पजामे को तम्बू बना देता था। अंजलि बस वहीं खड़े लण्ड को देखा करती थी। मुझे भी ये जान कर कि नौकरानी ये सब देख रही है, सनसनी होने लगती थी। मुझे सोया जान कर कभी कभी वो उसे छू भी लेती थी, तो मेरे शरीर को एक बिजली जैसा झटका भी लगता था।
फिर जब वो दूसरा काम करने लगती थी तो तो मैं उठ जाता था। वो अधिकतर सलवार कुर्ते में आती थी। कुर्ता कमर तक खुला हुआ था जैसा कि आजकल लड़कियाँ पहनती है। जब वो सफ़ाई करती थी तब या बर्तन करती थी तब, वो कुर्ता कमर तक ऊपर उठा कर बैठ कर काम करती थी तो उसकी चूतड़ की गोलाईयां मुझे बड़ी प्यारी लगती थी। उसके गोल गोल चूतड़ उसके बैठते ही खिल कर अलग अलग दिखने लगते थे। उसके खूबसूरत चूतड़ मेरी आंखों में नंगे नजर आने लगते थे। मुझे उसे चोदने की इच्छा तो होती थी पर हिम्मत नहीं होती थी। कभी कभी उसे आने में देर हो जाती थी तो मम्मी स्कूल के लिये निकल जाती थी। तब वो मुझ पर लाईन मारा करती थी। बार बार मेरे से बात करती थी। बिना बात ही मेरी बातों पर हंसती थी। मेरी हर बात को ध्यान से सुनती थी। इन सब से मुझे ऐसा जान पड़ता था कि वो मेरा ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाह रही है। तब मैंने उसे पटाने की एक तरकीब सोची।
मैं उस दिन का इन्तज़ार करने लगा वो कभी लेट आयेगी तो मम्मी की अनुपस्थिति का फ़ायदा उठा कर जाल डालूंगा। फ़िलहाल मैंने उसके सामने रुपये गिनना और उसे दिखा दिखा कर अपनी जेब में रखना चालू कर दिया था। एक दिन वो लेट हो ही गई। मम्मी स्कूल जा चुकी थी। मैंने कुछ रुपये अपनी मेज पर रख दिये। दाना डालते ही चिड़िया लालच में आ गई।
मुझसे बोली- श्याम, मुझे कुछ रुपये उधार दोगे, मैं तनख्वाह पर लौटा दूंगी।”
मैंने उसे पचास का एक नोट दे दिया। एक दो दिन बाद उसने फिर मौका देख कर रुपये और उधार ले लिये। मुझे अब यकीन हो गया कि अब वो मुझसे नहीं बच पायेगी। हमेशा की तरह उसने मुझसे फिर पैसे मांगे। मैंने सोचा अब एक कोशिश कर ही लेनी चाहिये। उसकी बेकरारी भी मुझे नजर आने लगी थी।
“आज उधार एक शर्त पर दूंगा।” वो मेरी तरफ़ आस लगा कर देखने लगी। जैसे ही उसकी नजर मेरे पजामे पर पड़ी, उसका उठान उसे नजर आ गया। उसने नीचे देख कर मुझे मुस्करा कर देखा, और कहा,” मैं समझ रही हूँ, फिर भी आप शर्त बतायें।”
“आज एक चुम्मा देना होगा” मैंने शरम की दीवार तोड़ ही दी। पर असर कुछ और ही हुआ।
“अरे ये भी कोई शर्त है, आओ ये लो !”
उसे मालूम था कि ऐसी ही कोई फ़रमाईश होगी। उसने मेरे गाल पर चूम लिया। मुझे अच्छा लगा। लण्ड और तन्ना गया। पर ये भी लगा कि चुम्मा तो इसके लिये मामूली बात है।
“एक इधर भी !” मैंने दूसरा गाल भी आगे कर दिया।
“समझ गई मैं !” उसने मेरा चेहरा थाम लिया और मेरे होंठों पर गहरा चुम्मा ले लिया।
“धन्यवाद, अंजलि !”
“धन्यवाद तो आपको दूंगी मैं … जानते हो कब से मैं इसका इन्तज़ार कर रही थी !”
मैं सिहर उठा। ये क्या कह रही रही है? पर उसने मेरी हिम्मत बढ़ा दी।
“अंजलि, नाराज तो नहीं होगी, अगर मैं भी चुम्मा लू तो”
“श्याम, देर ना करो, आ जाओ।” उसकी चुन्नी ढलक गई। उसके उरोज किसी पहाड़ी की भांति उभर कर मेरे सामने आ गये। वो मुझे आकर्षित करने लगे। मैंने उसका कुर्ता थोड़ा सा गले से खीच कर उसके उभार लिये हुए उरोजों को अन्दर से झांक कर देखा। उसकी धड़कन बढ़ गई। मेरा दिल भी जोर जोर से धड़कने लगा। उसके उरोज दूध जैसे गोरे और चिकने थे। मैंने अन्दर हाथ डाला तो उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
“श्याम सिर्फ़, चुम्मा की बात थी, ये मत करो… !” उसने सिसकते हुये मेरा हाथ अपनी छातियों से हटा दिया।
“अंजलि, मेरे मन की रख लो, मैं तुम्हें सौ रुपये दूंगा।”
रुपये का नाम सुनते ही वो बेबस हो गई। उसने अपनी आंखें बन्द कर ली। मैंने उसके कुरते के भीतर हाथ डाल दिया और उसके कोमल और नरम स्तन थाम लिये और उन्हें सहलाने लगा। उसके शरीर में उठती झुरझुरी मुझे महसूस होने लगी। वो अपने धीरे धीरे झुकने लगी। पर उससे उसके चूतड़ो में उभार आने लगा। वो सिसकते हुए जमीन पर बैठ गई। उसके बैठते ही उसके चूतड़ों की दोनों गोलाईयाँ फिर से खिल उठी। वही तो मेरा मन मोहती थी।
मैं उसके पास बैठ गया और उसके चूतड़ो की फ़ांको को हाथ से सहलाने लगा। उसकी दरारों में हाथ घुमाने लगा। मेरा लण्ड बुरी तरह से कड़कने लगा था। उसके चूतड़ों को सहलाने से मेरी वासना बढ़ने लगी। अंजलि भी और झुक कर घोड़ी सी बन गई। मैंने उसका कुर्ता गांड से ऊपर उठा दिया ताकी उसकी गोलाईयाँ और मधुर लगे। जोश में मैंने उसकी गाण्ड के छेद में अंगुली दबा दी।
अंजलि से भी अब रहा नहीं जा रहा था, उसने हाथ बढ़ा कर मेरा लण्ड पजामे के ऊपर से ही थाम लिया। मेरे मुख से आह निकल पड़ी।
मैंने उसे पकड़ कर खड़ा कर दिया और कहा,”अंजलि, तुम्हारी गाण्ड कितनी सुन्दर है, प्लीज मुझे दोगी ना !”
“तुम्हारा लण्ड भी कितना मस्त है, दोगे ना !”
“अंजलिऽऽऽऽ !”
अंजलि ने नाड़ा खोल कर अपनी सलवार उतार दी और कुर्ता ऊंचा कर लिया। उसके चूतड़ों की गोरी गोरी गोलाईयाँ मेरे सामने चमक उठी। मैं तो उसकी गाण्ड का पहले से ही दीवाना था। उसे देखते ही मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। मैंने हाथ में थूक लगा कर उसकी गाण्ड के छेद में लगा दिया और पजामा नीचे करके लण्ड छेद पर रख दिया। मेरे दिल की इच्छा पूरी होने के विचार से ही मेरे लण्ड के मुख पर गीलापन आ गया था। मेरी आंखे बन्द होने लगी। मेरा लण्ड उसके भूरे रंग के छेद पर बार बार जोर लगा रहा था। गुदगुदी के मारे वो भी सिसक उठती थी।
छेद टाईट था पर मर्द कभी हार नहीं मानता। किले को भेद कर अन्दर घुस ही पड़ा। अंजलि दर्द से कराह उठी। मुझे भी इस रगड़ से चोट सी लगी। पर मजा अधिक था, जोर लगा कर अन्दर घुसाता ही चला गया। मेरे दिल की मुराद पूरी होने लगी। कमर के साथ मेरे चूतड़ भी आगे पीछे होने लगे। अंजलि की गाण्ड चुदने लगी। उसके मुँह से कभी दर्द भरी आह निकलती और कभी आनन्द की सिस्कारियाँ। इतनी सुन्दर और मनमोहक गाण्ड चोद कर मेरी सारी इच्छायें सन्तुष्टि की ओर बढ़ने लगी।
उसके टाईट छेद ने मेरी लण्ड को रगड़ कर रख दिया था। मैं जल्दी ही उत्तेजना की ऊंचाईयों को छूने लगा और झड़ने लगा…मैंने तुरन्त ही अपना लण्ड बाहर खींच लिया और वीर्य की बौछार से गाण्ड गीली होने लगी। मैंने तुरन्त कपड़े से उसे साफ़ कर दिया। हम दोनो ही अब एक दूसरे को चूमने लगे।
वो अब भी प्यासी थी…उसकी चूत मेरे लण्ड से फिर चिपकने लगी थी। मेरा लण्ड एक बार फिर खड़ा हो गया था। मैंने अंजलि को बिस्तर पर लिटा दिया और उस पर छाने लगा। वो मेरे नीचे दब गई। लण्ड ने अपनी राह ढूंढ ली थी। नीचे के नरम नरम फूलों की पंखुड़ियों के पट को खोलते हुए मेरा सुपाड़ा खाई में उतरता चला गया। तले पर पहुंच कर गहराई का पता चला और वहीं पर तड़पता रहा।
खाई की दीवारों ने उसे लपेट लिया और लण्ड को सहलाने लगी। मुझे असीम आनन्द का अनुभव होने लगा। लण्ड में मिठास भरने लगी। मेरे धक्के तेज हो चले थे, अंजलि भी अपने चूतड़ों को झटका दे दे कर साथ दे रही थी। उसके मटके जैसी कमर और कूल्हे सरकस जैसी कला दिखा रहे थे। मैं चरमसीमा पर एक बार फिर से पहुंचने लग गया था। पर मेरे से पहले अंजलि ने अधिक उत्तेजना के कारण अपना पानी छोड़ दिया। मैं भी जोर लगा कर अपना वीर्य निकालने लगा। उसकी चूत वीर्य से भर गई। मेरा पूरा भार एक बार फिर अंजलि के शरीर पर आ गया। हम दोनो झड़ चुके थे। अंजलि जल्दी से उठी और अपने आप को साफ़ करने लगी।
“श्याम, सच में मजा आ गया… कल भी मौका निकालना ना !”
चाची की भोसड़ी का भोसड़ा बनाया-Antarvasnaअब उसकी नजरें मेरे पर्स पर थी। मैं समझ गया, उसे एक पचास का नोट और दे दिया। अब वो अपनी ऊपरी कमाई से खुश थी। उसने नोट सम्भाल कर रख लिये। और मुस्कुरा कर चल पड़ी…शायद अपनी सफ़लता पर खुश थी कि मुझे पटा कर अच्छी कमाई कर ली थी। और उसे आगे भी कमाई की आशा हो गई थी। लण्ड में ताकत होनी जरूरी थी पर साथ में शायद पैसे की ताकत भी मायने रखती थी… जो कुछ भी हो मैंने तो मैदान मार ही लिया था। Hindi Sex Stories
The user agrees to follow our Terms and Conditions and gives us feedback about our website and our services. These ads in TOTTAA were put there by the advertiser on his own and are solely their responsibility. Publishing these kinds of ads doesn’t have to be checked out by ourselves first.
We are not responsible for the ethics, morality, protection of intellectual property rights, or possible violations of public or moral values in the profiles created by the advertisers. TOTTAA lets you publish free online ads and find your way around the websites. It’s not up to us to act as a dealer between the customer and the advertiser.