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मेरे पड़ोस में एक Sex Stories आंटी रहती थीं, जिनका नाम मंजू था. उनकी उमर 27-28 साल और फिगर 36-28-36 था. उनको देखकर हमेशा मेरा लंड खड़ा हो जाता था और उनकी चूत में जाने के लिए फड़कने लगता था.
एक दिन उनकी 6 साल की लड़की पार्क में खेलते खेलते गिर गयी. मैंने उसे उठाया और उनके घर ले गया. वो बहुत रो रही थी. आंटी ने उसे चुप कराया, दवा लगाई और थपकी देकर सुला दिया.
मैं चुप चाप खड़ा आंटी के मम्मे और गदराई गांड देख रहा था.
लड़की के सोते ही आंटी मेरी तरफ़ मुखातिब होकर बोली ”तुम इसे नहीं लाते तो बेचारी वहीँ रोती रहती।’
मैंने कहा,’आंटी, क्यूँ नहीं लाता?’
आंटी मुस्कुराई और बोली- बैठो, तुम्हे चाय पिलाती हूँ।’
पता नहीं मेरे अन्दर कहाँ से इतनी हिम्मत आ गई कि मैं बोला ‘पिलाना है तो दूध पिलाओ।’
आंटी तुंरत समझ गई और थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए बोलीं ‘शर्म नहीं आती ऐसे कहने में।’
मैं बोला ‘आंटी शर्म करूँगा तो आप दूध कैसे पिलाओगे।’
इतना कहकर मैंने आंटी के मम्मों पर हाथ रखा और सहलाने लगा. आंटी भी शायद मुझसे चुदवाने को तैयार थीं इसीलिए कुछ नहीं बोलीं मैंने उनका गाउन उतारा और फ़िर ब्रा और पैंटी भी उतार दी. आंटी को पूरा नंगा करके मैंने अपने कपड़े उतारे और बिना देर किए अपना लंड आंटी कि चूत में डाल दिया और उनके मम्मे चूसने लगा. थोडी देर में आंटी नीचे से अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं.
इसके बाद 12 साल तक मैं आंटी को चोदता रहा. इस बीच उनकी लड़की 18 साल की हो गयी.
एक दिन मैं आंटी को चोद रहा था कि वो आ गयी.
आंटी को लगा कि ये अंकल को बता देगी.
आंटी ने उसको अपने पास बुलाया, उसकी स्कर्ट को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसकी पैंटी उतार दी और बोली ‘इसकी चूत पर अपना लंड रगडो इसको भी मजा दो’. मेरी तो लाटरी लग गयी, मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रगड़ना शुरू किया तो वो मस्त होने लगी. आंटी पेशाब करने बाथरूम गयी तो मैंने अपना लंड लड़की की चूत में डाल दिया. लड़की चिल्लाने लगी तो मैंने उसके मुंह पर हाथ रख दिया, लड़की चुप हो गयी और और थोडी देर में मजा लेने लगी.
आंटी बाथरूम से आयीं और लड़की को चुदवाते देखकर बोलीं ‘पहले ही दिन पूरा ले लिया ! ये है मेरी बेटी की हिम्मत ! हिम्मतवाली माँ की हिम्मतवाली बेटी’. Sex Stories
अचानक हवा के Antarvasna जोरदार झोंके से सामने का दरवाजा खुल गया। कमरे में धूप का प्रकाश छा गया। दोनों का ध्यान अंतरात्मा से निकल कर यथार्थ पर जा पहुँचा। उनका मुँह दरवाजे की ओर था। उन्हें ग्लानि भावना ने डस लिया, कहीं कोई बाहर से देख न ले।
अक्षत कन्या संवेदना की देवी होती है, रति छटपटाई, छूटने का प्रयास किया, घबराकर बोली- दरवाजा खुला है! कोई देख लेगा!
रति की छटपटाहट ने रोहित की सम्भोग ज्वाला पर घी का काम किया। उसकी बाँहों में और कसक आ गई। पुरुष को साहसी उद्यमों से वासना का नशा सा हो जाता है। यह सोच कर कि उन्हें यूँ चिपकते कोई देख भी सकता है, रोहित के शरीर से रोमांच की धारा बहने लगी। जितना रति छूटने का प्रयास करती, उतना रोहित उसके शरीर का मर्दन करता।
मानो किसी बालिका को बहला रहा हो, वह बोला- कोई नहीं आयेगा!
रति घबराहट भरी आँखों से खुले दरवाजे के पर ताके जा रही थी। सामने गार्डन में पेड़ों का झुरमुट था। कोई प्रांगण में आये भी तो वह वृक्ष-शृंखला पारदर्शी पर्दे का कार्य करती थी। रोहित ने उसकी घबराहट जान कर उसे अपनी ओर घुमा लिया और कहा- इस तरफ मुँह कर ले, कोई आया तो मैं देख रहा हूँ।
रति ने शतुरमुर्ग की तरह अपना चेहरा रोहित के सीने में छुपा लिया। पुरुष वक्ष से लग कर उसे मदमोहक गंध का आभास हुआ। वह अभी भी घबरा रही थी लेकिन छटपटाहट मंद हो गई। बलिष्ठ पुरुष के सीने से लग कर उसे एक सहारे का बोध हो रहा था। खुले दरवाजे में एक तरह से वह ज्यादा सुरक्षित थी। सोच रही थी, जब तक दरवाजा खुला है, शायद मामाजी एक हद से आगे उसका मर्दन नहीं करेंगे।
रोहित ने पीठ पर हाथ फेरते हुए धीमे से पूछा- तूने ऊपर चोली तो नहीं पहनी, लेकिन नीचे मिनी-लहंगे के अंदर कुछ पहना भी है या नहीं?
यह प्रश्न सुन कर रति की लज्जा बढ़ गई।
कुछ देर चुप्पी के बाद वह बोली- जी मामाजी, पेंटी पहनी है।
अब तक रोहित का एक हाथ नीचे सरक कर रति की गांड तक पहुँच गया। उस हाथ से बचने के लिए रति ने नितंब सामने को लचकाए। रोहित का वज्र उसकी नाभि के नीचे वर्जित क्षेत्र में जा टकराया। रोहित का दूसरा हाथ उसकी संकरी कमर में कसा हुआ था। रति ऐसे चिपकी हुई थी, जैसे जंगली लता किसी बड़े वृक्ष पर लिपटी हो।
रोहित ने रति के माथे पर पुचकारते हुए, उसका स्कर्ट थोड़ा ऊपर को खिसका दिया। रोहित का हाथ अब उसकी पिछली जांघों पर था। किसी पुरुष का नग्न-जांघों में पहला-स्पर्श पा कर रति के रोमांच एवं भय का पारा एक साथ चरम बिंदु तक जा पहुंचा। वह आगे बढ़ने के लिए मना करना चाहती थी, लेकिन भावावेश में उसकी आवाज ही गुम हो गई। उसका जबड़ा खुला, लेकिन आवाज न निकल सकी। अब तक रोहित के पंजे और ऊपर को खिसक आये, वह और विवश हो गई।
रोहित आश्चर्य-चकित हुआ, उसे चड्डी की अपेक्षा थी, लेकिन उसके हाथों ने नग्न त्वचा का स्पर्श किया।
‘नीचे तो तूने कुछ नहीं पहना है, तेरी पेंटी कहाँ है?’ तनिक गुस्सैली आवाज में उसने पूछा।
रुआंसी आवाज में रति ने उत्तर दिया- जी मामाजी, मैंने जी-स्ट्रिंग पेंटी पहन रखी है।
रोहित को अपने सामान्य ज्ञान पर संदेह हुआ कि भला यह जी-स्ट्रिंग कहाँ की बला है। उसने अपना हाथ दोनों चूतड़ों पर फिरा कर जान लिया कि रति ने पेंटी पहनी जरूर है, लेकिन इसका पीछे वाला भाग केवल एक स्ट्रैप मात्र है जो उसकी गांड-दरार में जा घुसा था।
अब दूसरा हाथ भी नीचे सरका कर, रोहित ने दोनों नग्न ग्लोब दबोच लिए। उनका मर्दन करते हुए पूछा- ये सेक्सी चीज तुझे मिली कहाँ से?
सीने पर सिर झुकाये, पीछे से झटके सहते हुए वह बोली- जी, मेरी एक सहेली ने बर्थडे गिफ्ट दी है।
‘तूने कभी सोचा, बाहर इतनी हवा चल रही है, तेरी स्कर्ट उड़ेगी तो सब तेरे नंगे चूतड़ देखेंगे। तुझे अपना नंगा-नंगा दिखने में मजा आता है क्या?’ उनकी आवाज में थोड़ा गुस्सा था।
रोते हुए रति ने कहा- मैं कपड़े बदल लूंगी, मामाजी, प्लीज़ बस मम्मी को मत बताना।’
रति को अपने आप पर गुस्सा आ रहा था कि उसने पहले क्यों नहीं सोचा कि आज तेज हवा है।
रति को सताते में रोहित को मजा आ रहा था, तनिक प्यार से पूछा- कैसे रंग की है तेरी पेंटी?
‘जी लाल रंग की, मामाजी।’
‘तुझे मालूम है कि लाल रंग कितना भड़काऊ होता है? कोलेज में लड़के देखेंगे तो तेरे पीछे सांड की तरह पागल हो जायेंगे।’ रोहित की आवाज में समझाने वाला प्यार छुपा था।
रति की हिम्मत बढ़ी- जी मामाजी, लेकिन वो तो स्कर्ट से ढकी रहेगी न?
मामा ने चूतड़ पर एक प्यार भरी चपत लगाई, उसके लहजे की नक़ल करते हुए बोला- लेकिन इतनी हवा में तेरी मिनी-स्कर्ट बार-बार उड़ेगी न!
रति को अपनी गलती का अहसास हुआ, वह चुप रही।
रोहित ने अब एक हाथ सामने ला कर रति की ठोड़ी पकड़ी, मानो किसी बालिका को डांटना चाहता हो। रति ने निरीह आँखों से मामा की ओर देखा। उसके अबोध चेहरे को देख रोहित का रोमांच बढ़ गया। उसने अपने होंठ रति के रसीले गुलाबी अधरों पर धर दिए।
चकित आँखों से मामा कि काम-उत्तेजित आँखों में झांकते हुए रति फिर भय व आश्चर्य के मिले जुले भावों से भर गई। उसके अक्षत अधरों में कोई हलचल नहीं हुई। रोहित ने भी कोई हलचल नहीं करी, बस बहुत देर तक होंठ से होंठ मिलाये रखे।
कुछ क्षणों बाद रति की चेतना लौटी। उसने छटपटाकर मामा से अलग होने का प्रयास किया।
रोहित ने अधरपान रोक कर रति की आँखों में झाँखा। उसकी आँखों में अज्ञात भय था और प्रश्न भी। प्रश्न ऐसा, जैसे कोई छात्रा अपने गुरु जी से नए आयाम के बारे में कुछ जानना चाहती हो। फिर उसकी आंखें स्वतः लज्जा से झुक गई।
रति को सँभलते देख, रोहित ने अपने होंठ फिर उसके अधरों से लगा दिए। अब उसका सिर पीछे से दबोच लिया।
रति ने आंखे झुकाये-झुकाये छटपटाकर छुटना चाहा, लेकिन रोहित की मजबूत पकड़ के चलते वह विवश रही।
इस बार रोहित ने अपने होंठों में हल्का सा कंपन किया।
अपने अछूती पंखुड़ियों पर पहली बार पुरुष-अधर चुम्बन पा कर, रति के सारे शारीर में सम्भोगाग्नि छा गई। वह सुध-बुध खोकर अपने मामा के आलिंगन-चुम्बन में अमृत-तुल्य सुख का आस्वादन करने लगी।
रोहित फिर अलग हुआ। वह लगातार रति के भावो को पढ़ रहा था। रति की अर्ध-मुंदी आंखें खुली। उसने मामा को प्रश्न व कामोत्तेजना की चमक से निहारा। मानो पूछना चाह रही थी कि क्या उसकी जन्मों की प्यास यूँ ही अधूरी रह जायेगी।
कामाग्नि से दमकते चेहरे पर छाए भोलेपन को देख, रोहित की पुरुष-वासना फिर भड़की। उसके लंड में एक लचक आई, जिसे रति ने अपनी योनि पर महसूस किया। रति का चहरा सुर्ख लाल हो रहा था। रोहित ने अपने हाथ उसके गालों पर रखे तो वो ऐसे गर्म थे मानो बुखार छा गया हो। गालों पर खुदरेले पंजों का प्रथम-स्पर्श पाकर रति फिर से तड़फने लगी।
तेजी से अपना मुँह सामने लाकर रोहित ने अपने होंठों से रति के दोनों होंठ ऐसे मर्दन करने शुरू कर दिए जैसे कोई भूखा बालक रसीले संतरे की फांकें चूस रहा हो।
इस बार रति के शरीर से गुजरे करेंट का झटका उसके योनि-द्वार तक पहुँचा। ऐसा अनुभव रति को पहले कभी नहीं हुआ था। जब रोहित ने उसके चूतड़ों को अपने हाथ से दबाया, तो इस बार रति को लगा कि उसकी मुनिया, मामाजी के मुन्नेराम से टकराने के लिए लालायित हो रही है। एडियो के बल वह थोड़ा उचक गई। रोहित का खड़ा टट्टू सीधे रति की अछूती मुनिया पर जा टकराया।
अब दोनों को खूब मजा आ रहा था, मानो स्वर्ग का आनन्द भूलोक पर आ पहुंचा हो। इन क्षणों में उन्हें यह भी परवाह नहीं थी कि सामने का दरवाजा निर्लज्ज खुला हुआ है। बल्कि यह अहसास कि कोई उस लता-वृक्ष रूपी आलिंगन को छुप कर देख रहा होगा, उनकी वासना को और भड़का रहा था।
रोहित ने अपनी जीभ होंठों की लक्ष्मण-रेखा पार करके आगे बढ़ाई तो किसी अनुभव-हीन बालिका की तरह, रति ने अपने दांत भीच लिए। रोहित ने तनिक जोर लगाया कि वह उसकी दन्त-शृंखला पार कर सके, लेकिन उसने दांत भींचे रखे।
रोहित ने अचानक रति कि गुदगुदी गांड पर तीन-चार चपत मारे। इस अकस्मात प्रहार से घबराकर उसकी जंगली चीख निकली- उईई!
फुसफुसा कर रोहित ने कहा- अपने दांत खोल, दांत ढीले कर!
रति ने ज्यों ही जबड़ा ढीला किया, रोहित के चपत बंद हो गए। रोहित की जीभ अब बिल में घुस कर अपना शिकार ढूंढ रही थी। रति बचने के लिए अपनी जिह्वा पीछे किये जा रही थी। लेकिन वह भला कहाँ तक बचती। अंततः मिलन हो ही गया।
अब रति के सामने समर्पण के सिवा और कोई रास्ता नहीं रह गया। मामा उसकी जिह्वा से खेलते रहे, वह एक मोम की गुड़िया की तरह पिघलती रही। उसके सारे काम-अंगों से अमृत-रस की धारा बह-बह कर एक बिंदु में केंद्रित होने लगी। उसे लगा जैसे उसकी योनि की गहराई में नए-नए स्रोत फूट रहे हों।
अक्षत कन्या के लिए यह बिल्कुल नया अनुभव था। सारा शरीर एक सुखद अनुभूति से भरे जा रहा था। उसके जेहन में तरह-तरह के भाव आ रहे थे, जिनसे वह विवश सी थी। अपने अनुभवी नायक के अधीन हो जाने के सिवा उसके पास और कोई विकल्प न रह गया। रति को अपने आगोश में ढला जान रोहित ने अधर-चुम्बन को तनिक विराम दिया। रति की आँखों में समर्पण के भाव स्पष्ट दिख रहे थे।
रोहित उसे और विचलित करना चाहता था, उसने कहा- देखें तो, तेरी पेंटी कितनी सेक्सी है?
यह सुन कालेज-गर्ल फिर शरमा गई, उसके चेहरे में फिर लालिमा उभरी, उसने मामा की आँखों में झाँखा, वहाँ शरारत चमक रही थी। रति ने बिना कुछ कहे आंखें झुका ली।
रोहित ने घुटनों के बल झुक कर उसका मिनी-लहंगा ऊपर उठाया। कोई पुरुष पहली उसके सामने घुटने टेक, उसका स्कर्ट उठा कर नीचे छुपा खजाना देख रहा है! यह जान रति का रोमांच और बढ़ गया।पुरुष पर उसे अपनी शक्ति का आभास भी हुआ। उसकी टांगों में कंपन होने लगा। सहारे के लिए उसने मामा के सिर पर हाथ रख दिया। मानो, पहली बार किसी अप्सरा-कन्या ने, किसी नायक-पुरुष को इस अवस्था में छुआ हो। यह अनुभव उसके रोमांच को हिम-शिखा तक पहुंचा रहा था।
रति की चिकनी जंघाएँ देख कर रोहित की प्यास बढ़ चली। स्कर्ट के नीचे वह लगभग नग्न ही थी। जी-स्ट्रिंग उसकी नन्ही पिंकी को ढकने का असफल प्रयास कर रही थी। शायद उसके रोम नहीं आये थे क्योंकि बिना शेविंग के भी वह मक्खन समान थी।
मिनी-लहंगे के नीचे अपना सिर घुसा कर रोहित ने रति की जंघाओं को हल्का सा चुम्बन दिया। चूत के इतने पास चुम्बन पा कर रति फिर भय, आश्चर्य एवं रोमांच के मिले-जुले भावो से भर गई।
नारी-लज्जा वश उसने पीछे हटने का प्रयास किया, लेकिन तनिक डाँटते हुए रोहित ने कहा- हिल मत, एक जगह खड़ी रह!
डर कर वह किसी अनुशासित छात्रा की तरह अविचल खड़ी रही।
रोहित ने अपने पंजे रति के नग्न चूतड़ों पर कस दिए और अपने अधर जी-स्ट्रिंग के पीछे छुपी पंखुड़ियों पर!
उस स्पर्श के अनुभव से रति की आंखें फट चली। वह मिनी-लहंगे के नीचे छुपे मामा के सिर को ताके जा रही थी। एक बार को तो उसने पीछे दुबक जाने की सोची, लेकिन फिर मामा के आदेश को याद कर वह अविचलित खड़ी रही।
थोड़ी देर बाद रोहित के होंठों में हलचल हुई। उसे लगा कि मामा उसकी पंखुड़ियाँ होंठों से हौले-हौले चबा रहे हैं। यह जान रति का चेहरा घोर लज्जा से भर उठा। उसका शरीर रक्त संचार से इतना गरम हो गया, मानो बुखार छा गया हो। योनि की गहराई में स्रोते फूटने लगे।
एक सेक्सी सीत्कार के साथ रति ने अपने हाथों का दबाव मामा के सिर पर बढ़ा दिया। न चाह कर भी वह अब उनके सिर को धीरे-धीरे गाईड करने के लिए विवश हो चली थी। जैसे जैसे रति रोहित का सिर हिलाती, वैसे वैसे ही रोहित उसके नितंबो को हिलाता। उसकी योनि से मदमोहक सुगंध आ रही थी, जो रोहित को पागल किये जा रही थी।
किसी अक्षत कन्या को वश में करने के लिए पहले दिन इतना ही सब काफी था। ज्यादा कुछ करने से वह बिदक भी सकती थी। रोहित उसे खोना नहीं चाहता था। उसे यह डर था कही दोबारा लौट कर नहीं आई तो उसके साथ प्रथम-संगम का सपना, केवल सपना बनकर रह जायेगा। लेकिन अक्षतयोनि कि नशीली सुगंध के सामने वह विवश था। वह खुशबू उसकी प्राथमिक आवश्यकता की पूर्ति कर रही थी। कुछ देर और वह यूँ ही मिनी-लहंगे के नीचे मुँह घुसाये लगा रहा।
अंततः वह खड़ा हुआ और रति की आँखों में झाँका। उसकी आँखों में मासूम समर्पण था, मानो वह श्रेष्ठ शिष्या की तरह अगले पाठ के लिए भी तैयार हो। एक झटके से उसे अपने सीने से लगा कर, रोहित ने प्यार से उसकी पीठ पर हाथ फेरा। फिर फुसफुसाकर बोला- तू बहुत अच्छी लड़की है। तेरी यह ड्रेस ठीक-ठाक है, तू इसमें कालेज जा सकती है। चल मैं तुझे छोड़ आऊँ!’
‘ठीक है मामा जी, चलिए मैं तैयार ही हूँ!’ वह बोली।
रोहित ने उसके दोनों गालों को अपने हाथो में लेकर कुछ देर तक निहारा। फिर प्रबल अधर-पान करने लगा। अब वह भी निपुण हो चली थी, उसके भी होंठ मचलने लगे। इस बार उसकी जीभ, होंठों की लक्ष्मण-रेखा पार कर रोहित की जिह्वा खोज रही थी। समय गुजरे जा रहा था। विवश होकर वे एक दूसरे से अलग हुए, और दरवाजा भेड़ कर मोटर-सायकिल की ओर बढ़ चले।
रोहित की बाइक पर वह पहले भी कई बार सवारी कर चुकी थी, लेकिन आज कुछ अलग-अलग लग रहा था। मामाजी की पीठ से चिपक कर आज लगा मानो पहली बार अपने नायक से यूँ चिपक कर बैठी हो। लज्जा भी आ रही थी और रोमांच भी हो रहा था।
कुछ देर में वे कॉलेज पहुँच गए। रोहित ने पूछा- आज कितनी देर का फंक्शन है, मैं लेने आ जाऊँगा!
‘जी मामाजी, दो घंटे में खत्म हो जायेगा, आप बारह बजे तक आ जाइयेगा, मैं यहीं मिलूंगी!’
‘ठीक है, फिर हम शॉपिंग को चलेंगे। मैं भी तो तुझे कुछ बर्थ-डे गिफ्ट दिलाऊँ!’ तनिक शरारती अंदाज में रोहित ने कहा।
मुस्कुराकर रति ने अपनी आंखें नीचे झुका ली। फिर पलट कर दौड़ते हुए अपनी सहेलियों के बीच चली गई। Antarvasna
मेरी सगाई की तारीख पक्की हो Hindi Sex Stories गई थी। मैं जब राजू से पहली बार मिली तो मैं उसे देखती रह गई। वो बड़ा ही हंसमुख है। मज़ाक भी अच्छी कर लेता है। मैं ३ दिनों से इन्दौर में ही थी। वो मुझे मिलने रोज़ ही आता था। हम दोनो एक दिन सिनेमा देखने गए। अंधेरे का फ़ायदा उठाते हुए उन्होंने मेरे स्तनों का भी जायज़ा ले लिया। मुझे बहुत अच्छा लगा था।
पापा ने बताया कि उज्जैन में मन्दिर की बहुत मान्यता है, अगर तुम दोनों जाना चाहो तो जा सकते हो। इस पर हमने उज्जैन जाने का कार्यक्रम बना लिया और सुबह आठ बजे हम कार से उज्जैन के लिए निकल पड़े। लगभग दो घण्टे में ७०-७५ किलोमीटर का सफर तय करके हम होटल पहुँच गये.
कमरे में जाकर राजू ने कहा-“आरतीफ्रेश हो जाओ…नाश्ता करके निकलेंगे..”
मैं फ्रेश होने चली गयी. फिर आकर थोड़ा मेक अप किया. इतने में नाश्ता आ गया. नाश्ते के बीच बीच में वो मेरी तरफ़ देखता भी जा रहा था. उसकी नज़ारे मैं भांप गयी थी. वो सेक्सी लग रहा था.
मैंने कहा -“क्या देख रहे हो…”
“तुम्हे… इतनी खूबसूरत कभी नहीं लगी तुम..”
“हटो…” मैं शरमा गयी.
“सच… तुम्हे बाँहों में लेने का मन कर है”
“राजू !!! ”
“आओ मेरे गले लग जाओ..”
‘वो कुर्सी से खड़ा हो गया और अपनी बाहें फैला दी. मैं धीरे धीरे आंखे बंद करके राजू की तरफ़ बढ गयी. उसने मुझे अपने आलिंगन में कस लिया. उसके पेंट में नीचे से लंड का उभार मेरी टांगों के बीच में गड़ने लगा. मैं भी राजू से और चिपक गयी. उसने मेरे चेहरे को प्यार से ऊपर कर लिया और निहारने लगा. मेरी आंखे बंद थी. हौले से उसके होंट मेरे होंटों से चिपक गए. मैंने अपने आपको उसके हवाले कर दिया. वो मुझे चूमने लगा. उसने मेरे होंट दबा लिए और मेरे नीचे के होंट को चूसने लगा. मैं आनंद से भर उठी. उसके नीचे का उभार मेरी टांगों के बीच अब ज्यादा चुभ रहा था. मैंने थोड़ा सेट करके उसे अपनी टांगों के बीच में कर लिया. अब वो सही जगह पर जोर मार रहा था. मैं भी उस पर नीचे से जोर लगा लगा कर चिपकी जा रही थी.
वो अलग होते हुए बोला -“नेहा…एक बात कहूं…”
“कहो राजू”
“मैं तुम्हे देखना चाहता हूँ…”
मैं उसका मतलब समझ गयी , पर उसको तड़पाते हुए मजा लेने लगी…”तो देखो न…सामने तो खड़ी हूँ…”
“नहीं…ऐसे नहीं…”
“मैंने इठला कर कहा -“तो फिर कैसे.. ”
“मतलब…कपडों में नहीं…”
“हटो राजू…चुप रहो…”
“न..नहीं..मैं तो यूँ ही कह रहा था… चलो…अच्छा..”
मैं उस से लिपट गयी..” मेरे राजू… क्या चाहते हो… सच बोलो..
“क कक्क कुछ नहीं… बस..”
“मुझे बिना कपडों के देखना चाहते हो न…”
उसने मुझे देखा… फिर बोला..” मेरी इच्छा हो रही थी.. तुम्हे देखने की…क्या करून अब तुम हो ही इतनी सुंदर…”
“मैं धीरे से उसे प्यार करते हुए बोली – ” सुनो मैं तो तुम्हारी हूँ… ख़ुद ही उतार लो..”
“सच…” उसने मेरे टॉप को ऊपर से धीरे से उतार दिया. मैं सिहर उठी.
“राजू… आह…”
ब्रा में कसे मेरे उरोज उभार कर सामने आ गए. राजू ने प्यार से मेरे उरोजों को हाथ से सहलाया. मुझे तेज बिजली का जैसे करंट लगा…फिर उसने मेरी ब्रा खोल दी. उसकी आँखे चुंधिया गयी. उसके मुंह से आह निकल पड़ी. मैंने अपनी आंखे बंद करली. वो नज़दीक आया उसने मेरे उभारों को सहला दिया. मुझे कंपकंपी आ गयी. उस से भी अब रहा नहीं गया…मेरे मस्त उभारों की नोकों को मुंह में भर लिया..और चूसने लगा..
“राजू मैं मर जाऊंगी…बस…करो..” मेरे ना में हाँ अधिक थी.
उसने मेरी सफ़ेद पेंट की चैन खोल दी और नीचे बैठ कर उसे उतारने लगा. मैंने उसकी मदद की और ख़ुद ही उतार दी. अब वो घुटनों पर बैठे बैठे ही मेरे गहरे अंगों को निहार रहा था. धीरे से उसके दोनो हाथ मेरे नितम्बों पर चले गए और वो मुझे अपनी और खींचने लगा.। मेरे आगे के उभार उसके मुंह से सट गए. उसकी जीभ अब मेरी फूलों जैसे दोनों फाकों के बीच घुस गयी थी. मैंने थोड़ा और जोर लगा कर उसे अन्दर कर दी. फिर पीछे हट गयी.
“बस करो ना अब…” वो खड़ा हो गया. ऐसा लग रहा था की उसका लंड पेंट को फाड़ कर बाहर आ जाएगा
“राजू..अब मैं भी तुम्हे देखना चाहती हूँ… मुझे भी देखने दो.. ”
राजू ने अपने कपड़े भी उतार दिए. मैं उसका तराशा हुआ शरीर देख कर शर्मा गयी. अब हम दोनों ही नंगे थे. उसका खड़ा हुआ लंड देख कर और उसकी कसरती बॉडी देख कर मन आया कि… हाय…ये तो मस्त चीज़ है… मजा आ जाएगा… पर मुझे कुछ नहीं कहना पड़ा. वो ख़ुद ही मन ही मन में तड़प रहा था. वो मेरे पास आ गया. उसका इतना कड़क लंड देख कर मैं उसके पास आकर उस से चिपकने लगी. मुझे गांड कि चुदाई में आरंभ से ही मजा आता था. मुझे गांड मराने में मजा भी खूब आता है. उसका कड़क, मोटा और लंबा लंड देख कर मेरी गांड चुदवाने कि इच्छा बलवती होने लगी.
मेरी चूत भी बेहद गीली हो गयी थी. उसका लंड मेरी चूत से टकरा गया था. वो बहुत उत्तेजित हो रहा था. वो मुझे बे -तहाशा चूम रहा था. “नेहा…डार्लिंग… कुछ करें…”
“राजू… मत बोलो कुछ…” मैं ऑंखें बंद करके बोली ” मैं तुमसे प्यार करती हूँ…मैं तुम्हारी हूँ.. मेरे राजू..”
उसने मुझे अपनी बलिष्ठ बाँहों में खिलोने की तरह उठा लिया. मुझे बिस्तर पर सीधा लेटा दिया. मेरे चूतडों के नीचे तकिया लगा दिया. वो मेरी जांघों के बीच में आकर बैठ गया। धीरे से कहा -“आरतीमैं अगर दूसरे छेद को काम में लाऊं तो…” मैं समझ गयी कि ये तो ख़ुद ही गांड चोदने को कह रहा है. मैं बहुत खुश हो गयी.”चाहे जो करो मेरे राजा…पर अब रहा नहीं जाता है.”
” इस से सुरक्षा भी रहेगी..किसी चीज का खतरा नहीं है…”
“राजू…अब चुप भी रहो न… चालू करो न…” मैंने विनती करते हुए कहा.
मैंने अपनी दोनों टांगे ऊँची करली. उसने अपने लंड कि चमड़ी ऊपर खीच ली और लंड को गांड के छेद पर रख दिया. मैं तो गंद चुदवाने के लिए हमेशा उसमे चिकनाई लगाती थी. उसने अपना थूक लगाया और… और अपने कड़े लंड की सुपारी पर जोर लगाया. सुपारी आराम से अन्दर सरक गयी. मैं आह भर उठी.
“दर्द हो तो बता देना..नेहा..”
“राजू… चलो न…आगे बढो… अब..” मैं बेहाल हो उठी थी. पर उसे क्या पता था की मैं तो गांड चुदवाने और चुदाई कराने मैं अभ्यस्त हूँ. उसने धीरे धीरे धक्के मारना चालू किया.
“तकलीफ़ तो नहीं हुई…नेहा…”
“अरे चलो न…जोर से करो ना…क्या बैलगाडी की तरह चल रहे हो…” मुझसे रहा नहीं गया. मुझे तेजी चाहिए थी.
सुनते ही एक जोरदार धक्का मारा उसने… अब मेरी चीख निकल गयी. लंबा लंड था…बहुत अंदर तक चला गया. अपना लंड अब बाहर निकल कर फिर अन्दर पेल दिया उसने… अब धक्के बढने लगे थे. खूब तेजी से अन्दर तक गांड छोड़ रहा था.. मुझे बहुत मजा आने लगा था. “हाय..मेरे..राजा… मजा आ गया… और जोर से… जोर लगा…जोर से… हाय रे…”
उसके मुंह से भी सिस्कारियां फूट पड़ी. “नेहा… ओ ओह हह ह्ह्ह… मजा..आ रहा है… तुम कितनी अच्छी हो…”
“राजा…और करो… लगा दो…अन्दर तक…घुसेड दो… राम रे…तुम कितने अच्छे हो…आ आह हह…रे..”
मेरी गांड चिकनी थी…उसे चूत को चोदने जैसा आनंद आ रहा था… मेरी दोनों जांघों को उसने कस के पकड़ रखा था. मेरी चुन्चियों तक उसके हाथ नहीं पहुँच रहे थे. मैं ही अपने आप मसल रही थी. और सिस्कारियां भर रही थी. मैंने अब उसे ज्यादा मजा देने के लिए अपने चूतडों को थोड़ा सिकोड़ कर दबा लिया. पर हुआ उल्टा…
“आरतीये क्या किया… आह…मेरा निकला…मैं गया… ”
“मैंने तुंरत अपने चूतडों को ढीला छोड़ दिया… पर तब तक मेरी गांड के अन्दर लावा उगलने लगा था.
“आ अह हह नेहा…मैं तो गया… अ आह ह्ह्ह…” उसका वीर्य पूरा निकल चुका था. उसका लंड अपने आप सिकुड़ कर बाहर आ गया था. मैंने तोलिये से उसका वीर्य साफ़ किया
मैं अभी तक नहीं झड़ी थी.. मेरी इच्छा अधूरी रह गयी थी. फिर भी उसके साथ मैं भी उठ गयी.
हम दोनों एक बार फिर से तैयार हो कर होटल में भोजनालय में आ गए. दोपहर के १२ बज रहे थे. खाना खा कर हम उज्जैन की सैर को निकल पड़े.
करीब ४ बजे हम होटल वापस लौट कर आ गये. मैंने राजू से वो बातें भी पूछी जिसमे उसकी दिलचस्पी थी. सेक्स के बारे में उसने बताया कि उसे गांड चोदना अच्छा लगता है. चूत की चुदाई तो सबको ही अच्छी लगती है. हम दोनों के बीच में से परदा हट गया था. होटल में आते ही हम एक दूसरे से लिपट गए. मेरी चूत अभी तक शांत नहीं हुयी थी. मुझे राजू को फिर से तैयार करना था. आते ही मैं बाथरूम में चली गयी. अन्दर जाकर मैंने कपड़े उतार दिए और नंगी हो कर नहाने लगी. राजू बाथरूम में चुपके से आ गया. मैंने शोवेर खोल रखा था. मुझे अपनी कमर पर सुहाना सा स्पर्श महसूस हुआ. मुझे पता चल गया कि राजू बाथरूम में आ गया है. मैं भीगी हुयी थी. मैंने तुरन्त कहा -“राजू बाहर जाओ… अन्दर क्यूँ आ गए..”
राजू तो पहले ही नंगा हो कर आया था. उसके इरादे तो मैं समझ ही गयी थी. उसका नंगा शरीर मेरी पीठ से चिपक गया वो भी भीगने लगा. “मुझे भी तो नहाना है…” उसका लंड मेरे चूतड में घुसने लगा. मैं तुंरत घूम गयी. और शोवेर के नीचे ही उस से लिपट गयी. उसका लंड अब मेरी चूत से टकरा गया. मैं फिर से उत्तेजित होने लगी. मेरी चूत में भी लंड डालने की इच्छा तेज होने लगी. हम दोनों मस्ती में एक दूसरे को सहला और दबा रहे थे. अपने गाल एक दूसरे पर घिस रहे थे. उसका लंड कड़क हो कर मेरी चूत पर ठोकरें मार रहा था. उसने मुझे सामने स्टील की रोड पकड़ कर झुकने को कहा. शोवेर ऊपर खुला था. मेरे और राजू पर पानी की बौछार पड़ रही थी. मैंने स्टील रोड पकड़ कर मेरी गांड को इस तरह निकाल लिया कि मेरी चूत की फ़ांकें उसे दिखने लगी.
उसने अपना लण्ड पीछे से चूत की फ़ांकों पर रगड़ दिया। मेरा दाना भी रगड़ खा गया। मुझे मीठी सी गुदगुदी हुई। दूसरे ही पल में उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक घुस गया। मैं आनन्द के मारे सिसक उठी,”हाय रे… मार डाला…”
“हाँ नेहा… तुम्हें सुबह तो मजा नहीं आया होगा…अब लो मजा…”
उसे कौन समझाए कि वो तो और भी मजेदार था… पर हाँ…सुबह चुदाई तो नहीं हो पाई थी.
“हाँ… अब मत छोड़ना मुझे… पानी निकाल ही देना…” मैं सिसककते हुए बोली.
“तो ये लो…येस…येस… कितनी चिकनी है तुम्हारी..”उसके धक्के तेज हो गए थे. ऊपर से शोवेर से ठंडे पानी की बरसात हो रही थी…पर आग बदती जा रही थी. मुझे बहुत आनंद आने लगा था.
“राजू… तेज और… तेज… कस के लगाओ… हाय रे मजा आ रहा है…”
“हा…ये..लो…और…लो…ऊ ओऊ एई एई…”
मैंने अपनी टांगे और खोल दी. उसका लंड सटासट अन्दर बाहर जा रहा था. हाँ…अब लग रहा था कि शताब्दी एक्सप्रेस है. मेरे तन में मीठी मीठी सी जलन बढती जा रही थी .उसके धक्के रफ़्तार से चल रहे थे. फच फच की आवाजें तेज हो गयी. “हाय रे मार दो मुझे…और तेज धक्के लगाओ…हाय…आ आह ह्ह्ह…आ आ हह हह…”
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था. मैं झड़ने वाली थी. मैंने राजू की ओर देखा. उसकी आँखे बंद थी. उसकी कमर तेजी से चल रही थी. उसके चूतड मेरी चूत पर पूरे जोर से धक्का मार रहे थे. मेरी चूत भी नीचे से लंड की रफ्तार से चुदा रही थी. “राजू…अ आह…हाय…आ आया ऐ ई ई ई… मैं गयी… हाय रे…सी ई सी एई ई… निकल गया मेरा पानी… अब छोड़ दे मुझे… बस कर…”मैं जोर से झड़ गयी. मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया. पर वो तो धक्के मारता ही गया. मैंने कहा..”अब बस करो…लग रही है… हाय..छोड़ दो ना…”
राजू को होश आया… उसने अपना लंड बाहर निकल लिया. उसका बेहद उफनता लंड अब बाहर आ गया था. मैंने तुंरत उसे अपने हाथ में कस के भर लिया. ओर तेजी से मुठ मारने लगी. कस कस के मुठ मारते ही उसका रस निकल पड़ा. “नेहा…आ आह हह…आ अहह ह्ह्ह… हो गया…बस… बस…ये आया…आया…”
इतने मैं उसका वीर्य बाहर छलक पड़ा. मैं राजू से लिपट गयी. उसका लंड रुक रुक कर पिचकारियाँ उगलता रहा. और मैं उसका लंड खींच खींच कर दूध की तरह रस निकालती रही. जब पूरा रस निकल गया तो मैंने उसका लंड पानी से अच्छी तरह धो दिया. कुछ देर हम वैसे ही लिपटे खड़े रहे. फिर एक दूसरे को प्यार करते रहे और शोवर के नीचे से हट गए. हम दोनों एक दूसरे को प्यार से देख रहे थे. इसके बाद हम एक दूसरे के साथ दिल से जुड़ गए. हमारा प्यार अब बदने लगा था.
शाम के ६ बजे हम उज्जैन से रवाना हो गए… मन में उज्जैन की यादें समेटे हुए इंदौर की और कूच कर गए. Hindi Sex Stories
मैं आज अपनी सच्ची कहानी पहली बार Sex Stories आप सबको बताना चाहता हूँ। मैं ३६ साल का ५’११” लंबा ख़ूबसूरत मुंबई में रहता हूँ।
बात १ साल पहले की है. सुरुति नाम था उसका, टेली कालर थी वो, पहली बार जब उसका फ़ोन आया तो मैंने ज्यादा बात नहीं की उससे और ३५ मिनट में कॉल करने को कहा. ठीक ३५ मिनट के बाद उसका कॉल आया तो मैंने उसे कोम्प्लिमेंट दिया और इस तरह हमारी बातों का सिलसिला शुरू हुआ. वो रोज मुझे ऑफिस मैं ठीक उसी समय काल करने लगी और धीरे धीरे हम एक दूसरे को अच्छी तरह जानने लगे तो सोचा कि एक दिन हम कहीं मिलें
तो उसने कहा कि इस रविवार को वो अपनी एक सहेली की शादी में अलिबौग जा रही है चाहो तो तुम भी आ जाओ. हमने एक दूसरे को अभी तक देखा भी नही था इसलिए मिलने की तड़प काफी थी. दोनों तरफ़ आग लगी थी. हमने गेटवे से फेर्री मै जाने का प्लान बनाया और तय समय पे गेटवे पे मिलने का वादा किया.
रविवार के दिन सुबह जल्दी से उठ कर मैं तय जगह पर पहुँच कर उसका इंतज़ार करने लगा. तभी मैंने देखा एक बहुत ही ख़ूबसूरत लड़की ३५-३२-३६ साइज़ वाली मेरी तरफ़ आ कर बोली- विन्स !
मैं तो एक पल के लिए सब कुछ भूल गया और उसे देखने मैं सब कुछ भूल गया, उसने टोका और कहा- कहाँ खो गए !
तो मैंने कहा- इस खूबसूरती में खो गया तो वो शरमा गई और बोली खोने के लिए और भी बहुत कुछ है, अभी यहाँ से चलो.
पूरे सफर में हम एक दूसरे के अंग से अंग रगड़ रहे थे। उसने बताया कि उसकी सहेली की शादी तो एक बहाना था, उसे तो मुझसे मिलना था, मैंने भी अपने दिल की बात उसको बताई तो वो मुझसे लिपट के बोली हम इतने दिनों तक क्यों नही मिले?
मैंने कहा- कोई बात नही देर आए दुरुस्त आए तो उसने पूछा- क्या मतलब?
मैंने कहा थोडी देर मै पता चल जाएगा.
हम अलिबौग पहुँच के थोड़ी देर बीच पे घूमे और पानी में मस्ती करने लगे तो उसके कपड़े गीले हो गए, जिससे उसके छाती के उभार सफ़ेद रंग के कपड़ों में काफी साफ़ दिखाई दे रहे थे. उसने मुझे कहा क्या देख रहे हो?
तो मैंने कहा- कहाँ दिख रहे है तो वो बोली- झूठे ! मुझे पता है तुम क्या देख रहे हो और मुझसे जोर से चिपक गई. उसके बदन की गर्मी से मेरे सारे बदन में करंट सा दौड़ गया और मैंने भी जोर से उसे बाहों में भर लिया. हम १० मिनट तक ऐसे ही खड़े रहे. फिर हमें ध्यान आया कि हम बीच पे हैं। उसने कहा भूख लगी है और कपड़े भी गीले हो गए हैं.
मैं तो जैसे इसी पल का इंतज़ार कर रहा था.तुंरत नजदीक के एक होटल मैं जा के एक कमरा बुक कर लिया और हम दोनों रूम में आ गए. मैंने उससे कहा अपने कपड़े बदल ले नही तो ठण्ड लग जायेगी. तो वो बोली वो तो तुम्हे भी लग जायेगी.हम दोनों ही बदल लेते हैं, खुला ग्रीन सिग्नल मिलते ही मैं तुंरत उसे बाथरूम में ले गया और उसके होठों को चूसने लगा, वो भी साथ देने लगी और धीरे धीरे मैं उसके बब्बो को मसलने लगा तो वो सिस्कारियां भरने लगी और गरम हो गई. धीरे धीरे मैंने उसको पूरा नंगा कर दिया और ख़ुद भी नंगा हो गया. उसके भरे भरे बब्बे देख के मेरा लण्ड तन के खंभे के जैसे खड़ा हो गया तो सुरुति की आँखे एकटक उसे ही देख रही थी।
मैंने पूछा क्या कभी देखा नही क्या तो वो बोली नहीं आज पहली बार देख रही हूँ सिर्फ़ सुना था कि मोटा और लंबा होता है, आज देख के मजा आ गया और मेरे लण्ड को छूकर बोली- माय गोड ! कितना बड़ा है यह !
फिर हम दोनों एक दूसरे से चिपक कर खूब रगड़ रगड़ के नहाये और बाहर बेड पे आ गए. सुरुति बोली आज तुम मुझे चाहे जैसे प्यार करो जो चाहे वो करो. मैंने कहा- हम ६९ पोसिशन में आ के एक दूसरे का चाटते हैं तो वो शरमा के बोली- पहले आप करो मैं साथ देती हूँ।
मैंने उसे बिस्तर पे लेटा के उसकी कुंवारी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया तो वो सिसकियाँ लेने लगी और पूरा कमरा आह ऊह से भर गया. वो अपनी गांड उठा उठा के अपनी चूत चटवा रही थी. थोडी देर बाद बोली- मुझे भी चॉकलेट खानी है तो मैंने अपने लंड को उसके मुंह की ओर किया और कहा- खा लो.
उसने तुंरत कहा- एक मिनट रुको और अपने बैग से कैडबरी डेरी मिल्क का एक बड़ा पैक ले आई और बोली अब लाओ और उसने डेरी मिल्क का एक टुकड़ा मुंह में लिया और थोड़ा खा के फिर लंड के नजदीक जा के बड़े ही प्यार से सुपाडे पे चॉकलेट का सिंगार किया और चाटने लगी। लंड मिक्स विद चॉकलेट गज़ब का स्वाद बोलते हुए वो लंड को एक सीखी हुई चुद्दकड़ के जैसे चूस रही थी। मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था मैंने भी थोडी चॉकलेट मुंह में ली और ६९ पोसिशन में चूत चॉकलेट का मजा लेने लगा. हम दोनों में जैसे होड़ लगी थी कौन कितना अच्छा चूस रहा है. इस बीच अचानक वो बोली- अन्दर कुछ तो हो रहा है जैसे कुछ बाहर आ जाएगा !
तो मैंने कहा- आने दो ! मैं तैयार हूँ पीने के लिए.
वो पूरी तरह से गांड हिला हिला के चुसवा रही थी और चूस रही थी. उसकी चूत से रस की फुहार निकली और मैंने पूरी पी ली। वो निढाल हो के बोली राजा ये क्या था? जो भी था बहुत मजा आया.
“असली मजा तो अब आएगा” मैं बोला तुम लंड चूसती रहो, मेरा भी रस निकलने वाला है।
तो उसने लपालप लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया और पूरा का पूरा मुंह में ले लिया, मेरे रस की फुहार पूरी चूस ली उसने.
सुरुति बोली- राजा मजा आ गया ! मुझे नही पता था लंड तो लंड उसका रस विद चॉकलेट कितना मजेदार होता है. पूरी जवानी के इतने दिन इस सुख से मैं कैसे वंचित रह गई.”
रानी क्यों घबराती हो, आज ऐसे चोदूंगा कि जितना खोया है उससे ज्यादा आज मिल जाएगा.
“सच” बोल के सुरुति चिपक गई फिर से लंड से, और सहलाते हुए बोली- हाय कहाँ था तू मेरे शेर ! कब से चूत तुम्हारे इंतज़ार में थी.
उसने लंड को चाटकर तुंरत ही फिर से घोड़े जैसे किया और बोली- राजा आ जा और चोद मुझे, फाड़ दे मेरी चूत को, बहुत तड़पा रही है मुझे, चूस मेरे इन बब्बो को दबा दबा के और पूरा दूध पी लो इनका !
आज मेरे लंड राजा को सुरुति की चूत मुबारक हो !
मैंने भी तुंरत लंड को चूत पे रखा और धीरे से धक्का दिया, पर सुरुति की कसी हुई कुंवारी चूत में मेरा घोड़े वाला लंड थोड़े ही आसानी से जाता !
वो तो चुदवाने के लिए मरी जा रही थी- हरामखोर ! खुली हुई चूत है, फिर भी तड़पा रहा है, डाल जल्दी से मुझसे नहीं रहा जाता है अब तो !भोसड़ा बना मेरी कुंवारी चूत को !
दो धक्के में लंड चूत में समां गया, सुरुति दर्द से कराह उठी लेकिन बोली- राजा छोड़ो मत ! चोदों मुझे !
८-१० धक्कों में ही वो मस्त हो गई और गांड उठा उठा के मजे लेने लगी। मैं भी मस्त हो के उसे चोद रहा था। अलग अलग आसन लगा के साली को चोदा।
वो भी मदमस्त घोड़ी के जैसे लंड से चुदवा रही थी,”मजा आ गया ! साले लन ऐसा होता है? पता होता तो हम फ़ोन पे फालतू ही गांड मरवा रहे थे। जानू पहले क्यों नही बताया कि चुदाई ऐसी होती है। बहनचोद ! क्या चीज़ है ये लंड और चूत ! मजा आ गया ! आज जिन्दगी का असली सुख मिला है ! जी भर के चोदों मुझे ! बब्बे चूसो मेरे ! चूत का भोसड़ा बना दो ! जैसे चाहो वैसे लो मेरी चूत को ! आज से ये तुम्हारी गुलाम है साली ! लंड राजा आजा !”
३० मिनट तक चोदने के बाद मेरे लंड से गरम गरम रस निकलने को तैयार हुआ तो धक्के और बढ़ गए- सुरुति रानी मैं अब आने वाला हूँ, संभालना ! मेरा घोड़ा तैयार है रस मलाई निकलने को !”
“मेरी चूत भी तैयार है खाने को.”वो बोली.
कुत्ते कुतिया की पोसिशन में उसको ले के जोर जोर से १५-२० कस के शोट लगाये- साली ले ! मैं आ रहा हूँ ! कहते हुए पूरा रस चूत मैंने उड़ेल दिया उसकी चूत के अन्दर तक.
सुरुति के चेहरे से खुशी झलक रही थी. उस दिन शाम तक हमने ५ बार चोदा और फिर शाम को खाना खा के फिर से अगली चुदाई का कार्यक्रम तय कर के मुंबई के लिए निकल पड़े…
अगली बार क्या हुआ? और कहाँ? किसके साथ हुआ? मैं आपके विचार जानकर लिखूंगा. Sex Stories
मेरा ईमेल पता है
एक बार मैं फिर हाजिर हूँ Antarvasna Stories अपनी एक नई कहानी लेकर। दरअसल मैं जिस कंपनी के लिए काम करता हूँ वो एक प्रोफेशनल जिगोलो और एस्कोर्ट सुविधा देने वाली कंपनी है।
एक बार मेरे ऑफिस से फोन आया कि ग्रेटर कैलाश की एक महिला को चुदाई की सर्विस देनी है जिसके लिए मुझे शाम के छः बजे जाना था। हालाँकि मैं एक दिन पहले ही गोवा से बंगलोर ट्रेन सर्विस देकर आया था लेकिन यह असाइनमेंट मैं नहीं छोड़ना नहीं चाहता था क्योंकि यह ग्रेटर-कैलाश का था और हाई-प्रोफाइल को सर्विस देने का मजा ही कुछ और है। यही सोच कर मैंने हामी भर दी।
ठीक समय पर पहुँच कर घंटी बजाई तो सामने एक 38-40 साल की महिला ने मेरा स्वागत किया। देखने में ठीक-ठाक ही थी, चूचियाँ भी तनी थी लेकिन उम्र का तकाजा था, जिसे वो वह चाहकर भी छुपा नहीं सकती थी।
खैर मैं अंदर दाखिल हुआ, घर देख कर ही पता चल गया कि महिला ने भले ही चुदवाने के लिए मुझे बुलाया है लेकिन ठाट-बाट सब अमीरों वाले हैं। थोड़ी देर इधर उधर के बातों में उसने अपना नाम चंदा बताया। वो एक विधवा है और उसके पति को गुजरे हुए तक़रीबन दस साल हो गए हैं तब से आज तक वो प्यासी है, जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो आज उसने हमारी सर्विस का याद किया। हमारी सर्विस का पता अक्सर किटी पार्टियो में एक से दूसरे तक पहुँच जाता है।
थोड़ी देर बात करने के बाद उसने पूछा- क्या पियोगे?
और मैंने भी हमेशा की तरह बोल दिया- आप जो लेंगी, वही मैं भी ले लूँगा।
आंटी दो ग्लास में विस्की लेकर आई जिसे हम धीरे धीरे पीने लगे और इसी बीच उन्होंने बताया कि उनकी एक 18 साल की बेटी है जो होस्टल मैं रह कर बी ए कर रही है और अक्सर छुट्टी में ही घर आती है। उनका कोई भी रिश्तेदार दिल्ली में नहीं है। कभी साल में एक आध बार कोई आ गया तो ठीक, वरना वो अकेली ही रहती हैं।
फिर मैंने ही शुरु किया क्योंकि मैं तो एक असाइनमेंट पूरा करने आया था।
विस्की पीते हुए मैंने चंदा को अपनी तरफ खींचा तो वो बिना किसी विरोध के मेरे करीब आ गई। फिर मैं अपनी ड्रिंक का ग्लास वहीं मेज़ पर रख कर चंदा के गुलाबी होंठ पीने लगा। मेरे हाथ अपना करतब दिखाते हुए उसकी चूचियों को मसल रहे थे। कभी चंदा मेरा होंठ पीती तो कभी मैं उसके होंठ पीता। इस तरह लगभग एक घंटा तक हम एक दूसरे से चिपक कर चूमा-चाटी करते रहे।
फिर मैं अपने कपड़े उतार कर केवल चड्डी में आ गया। मेरा ७ इंच का लंड काले नाग की तरह उछल रहा था। फिर मैंने चंदा के टॉप को उससे अलग किया तो मैं देखता रह गया क्योंकि काली ब्रा में उसकी गोरी गोरी चूचियों का कुछ अलग ही सौंदर्य था जिसे मैं देखता ही रह गया।
यह देख कर चंदा बोली- क्या देख रहे हो राजा! अब तो ये तुम्हारे हैं!
और वो हंस दी।
मैं साथ ही बोल पड़ा- रानी तुम्हारी चूचियों को देख कर तो साली किसी की भी नियत डोल जायेगी।
फिर उसे झुका कर अपने लंड को चुसाने लगा। वो एक तजुरबेकार की तरह जीभ से चाट चाट कर अलग ही मजा देने लगी। फिर 69 के पोज में आने के लिए मैंने उसे बोला तो उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। उसने तुरंत अपनी जींस को अलग कर डाला। अब वो भी चड्डी में थी और मैं भी। पहले तो फिर हम एक दूसरे की बाजुओं में काफी देर तक चूमते रहे, फिर मैंने उसे 69 पोजिशन में लाते हुए चड्डी से मुक्त कर दिया, उसने भी मुझे चड्डी-मुक्त कर दिया।
अब 69 पोजिशन में वो मेरा लंड चूस रही थी और मैं जीभ उसके चूत की शिश्निका को छेड़ रहा था। वो थोड़ी ही देर में झड़ गई तो मुझे थोड़ी बुरा सा जरुर लगा। फिर भी वो बोली- एक पग विस्की के बाद फिर उसमें वही जोश होगा और सच मुच ऐसा ही हुआ। वो फिर तैयार थी, बल्कि पहले से ज्यादा जोश उसमें आ गया था, मुझे भी संतुष्टि हुई कि अब ये साली ज्यादा मजा और माल देगी। थोड़ी देर तक चूमा-चाटी के बाद मैंने सीधे उसकी चूत को अपने लंड से खोलने का मन बना लिया, साथ ही उसकी चूत पर अपने लंड को रगड़ते हुए एकदम जोर से उसकी बुर में पेल दिया। चंदा शायद मेरे हमले को तैयार नहीं थी और उसके मुंह से निकल गई- अह्ह ………….अह्ह! प्लीज धीरे धीरे चोदो! दर्द हो रहा है!
लेकिन मेरे ऊपर इसका कोई प्रभाव न देखकर बोली- साले चूतिये! आराम से पेल! नहीं तो मेरी चूत फट जायेगी!
तो मैं थोड़ा धीमा हुआ लेकिन चोदना चालू रखा। वो भी अब सामान्य हो गई थी और अपनी कमर को उछाल-उछाल कर चुदा रही थी। यह मस्ती दो घंटे तक चली। उसके बाद उसका बदन अकड़ने लगा तो मैं समझ गया कि अब यह झड़ने वाली है। फिर मैंने अपनी गति बढ़ा दी। हम दोनों एक साथ झड़ गए, उसकी चूत की कटोरी मेरे वीर्य से लबालब हो गई।
दस मिनट तक हम एक दूसरे से चिपके रहे, उसके बाद अलग हुए तो चंदा बोली- बाथ लेने जा रही हूँ!
तो मैं बोला- मैं भी बाथ लूँगा!
इतना सुन के वो खुश हो गई और बोली- तब तो और मजा आयेगा।
हम दोनों नंगे ही बाथरूम में घुस गए और शॉवर के नीचे एक दूसरे से चिपक गए। वो मेरे शरीर में साबुन लगा रही थी और मैं उसके शरीर में!
थोड़ी देर में ही मेरा लंड फिर अपने विकराल रूप में आ गया। जिसे देख कर वो और खुश हो गई और होंठ लगा पर चूसने लगी- बिल्कुल जैसे छोटा बच्चा लॉलीपोप चूसता है।
उसने फिर चुदाई की मांग कर दी तो मैं बोला- इस बार तुम्हारी गांड में पेलना है!
वो थोड़ा डरने लगी।
फिर मैंने उसे समझाया- थोड़ा सा मुंडी घुसने के वक्त दर्द होगा फिर उसके बाद मजा ही मजा है!
थोड़ी ना-नुकुर के बाद वो तैयार हो गई। मैंने अपने लंड पर साबुन का झाग लगाया जिससे चंदा को दर्द काम हो।
बाथरूम में उसे कुतिया की तरह झुका कर उसकी गांड में पेलना चालू किया।
जैसे ही थोड़ा सा घुसा, वो दर्द से चिल्लाने लगी और गालियां देने लगी, साथ ही आगे बढ़ना चाहा, लेकिन मैंने उसकी कमर को पकड़ कर जोर का झटका मारा जिससे पूरा का पूरा लंड चंदा की गांड में था। बदले में था- वोह… वोह वो माँ …साले ने मेरी गांड फा दी… अबे साले बाहर निकाल… वोह वोह… चूतिये बाहर निकल! नहीं तो मेरी गांड फट जायेगी।
लेकिन सब सुन कर भी मैंने झटके धीरे धीरे चालू रखे।
थोड़ी देर चोदने के बाद वो सामान्य हो गई और मजे लेने लगी।
एक घंटे तक हमारा यह चुदाई का प्रोग्राम फिर चला, तब जाकर मैं भी झड़ गया।
चलने के वक्त एक दूसरे को चूम कर चल दिया इस वादे के साथ कि चंदा जब चुदने को बुलाएगी मैं हाजिर हो जाऊंगा।
यह थी चंदा की चुदाई!
लेकिन अभी तो उसकी मस्त माल बेटी जिसका नाम छवि है को चोदना बाकी है, शायद मेरी आने वाली कहानी में चुद जायेगी।
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