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Massage Girl in West Kameng: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in West Kameng who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in West Kameng that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The West Kameng massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in West Kameng who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your West Kameng massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This West Kameng massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in West Kameng who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in West Kameng employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in West Kameng helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in West Kameng

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in West Kameng at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

Hindi Sex Stories

मैंने अभी अभी अन्तर्वासना Hindi Sex Stories की कहानियाँ पढ़ना शुरू किया है और उसी से ख्याल आया कि मैं आप सब को अपनी सच्ची आप-बीती बताऊँ।

जिस औरत की मैं बात कर रहा हूँ वो मेरी पड़ोसन शिल्पा है। दरअसल मेरी और मेरे सामने वाले घर में रहने वाले लड़के की शादी करीब करीब एक साथ ही हुई थी। मेरी बीवी और वो दोनों नई दुल्हन थी तो दोनों सहेलियाँ बन गई। वो लड़की गज़ब की चीज़ है। मेरी बीवी भी कम खूबसूरत नहीं है मगर उस लड़की की फिगर और आँखें बहुत नशीली हैं। वो काफी आधुनिक घर की है इसलिए हमेशा जींस और टॉप वगैरह पहनती है जिसमें उसकी फिगर शादी के बाद भी बड़ी मादक लगती है। उसको देखते ही मैं अपनी बीवी को भूल जाता हूँ और मन करता है उसको रगड़ दूं !

काफी समय से यह इच्छा थी, मगर मौका ही नहीं मिल रहा था।

एक बार मेरी बीवी अपने मायके गई थी और मेरे माँ-बाप भी शहर से बाहर गए थे। मैं रात की नौकरी करता हूँ इसलिए सुबह घर पर आता हूँ। जिस वक्त मैं घर आ रहा था उस वक्त शिल्पा अपने पति से बाय-बाय कर रही थी क्योंकि वो अपनी दुकान जा रहा था। मुझे देख के उसने प्यारी सी मुस्कराहट दी और मैंने भी वापस मुस्कुरा दिया और उसके पति से हाथ मिलाया। फिर वो अपनी गाड़ी में दुकान चला गया और मैं भी अपने फ्लैट की तरफ मुड़ा।

तभी पीछे से आवाज़ आई- भैया !

मैंने पीछे घूम के देखा तो शिल्पा मुझे पुकार रही थी। मैंने कहा- हाँ भाभी ?

उसने कहा- मेरे कंप्यूटर में कुछ खराबी आ गई है और मैंने एक जरूरी इमेल करनी है। क्या मैं आपका लैपटॉप प्रयोग कर सकती हूँ?

मैंने कहा- हाँ हाँ ! क्यों नहीं !

और वो मेरे पीछे पीछे मेरे घर चली आई।मेरा लैपटॉप मेरे बेडरूम में था तो हम सीधा बेडरूम में चले आये। मेरी पत्नी घर पर नहीं थी इसलिए कमरा थोड़ा फैला हुआ था। शराब को बोतल ऐसे ही पड़ी थी और मेरे लैपटॉप पर कुछ अश्लील वेब साइट्स खुली हुई थी।

मैंने कहा- भाभी, आप बैठिये, मैं लैपटॉप देता हूँ !

मैंने ऐसे ही लैपटॉप पकड़ा दिया। जैसे ही उन्होंने लैपटॉप देखा तो शिल्पा का चेहरा लाल हो गया, उसने झिझकते हुए कहा- भैया, आप ही वेब साईट खोल कर दीजिये।

मैंने लैपटॉप लिया तो देखा कि नंगी वेब साइट्स खुली हुई थी। मैं घबरा गया और बोला- सॉरी भाभी, यह लीजिये ! अब सब ठीक है !

शिल्पा बोली- भाभी नहीं है तो खूब ऐश हो रही है?

मैंने कहा- मन तो बहुत करता है मगर कुछ भी नहीं कर पाता, सिर्फ इन्टरनेट का ही सहारा है !

उसने कहा- क्या आप मुझे इन वेब साइट्स के लिंक लिख कर दे सकते हैं?

मैं हैरान रह गया ! मैंने कहा- क्या भाभी ?

वो बोली- हाँ ! वो असल में मनीष को दिखानी हैं, शायद ये देख कर वो थोड़ा रोमांटिक हो जायें !

मैंने पूछा- क्यों ? क्या वो अभी रोमांटिक नहीं है?

तो शिल्पा बोली- रोमांटिक का र भी नहीं आता उनको ! बाद रात को आएगा दुकान से, दो पेग पिएगा और मेरे हाथों में अपने छोटे से लंड को देकर कहेगा- हिला दो !

मैं उसे झरवा देती हूँ और फिर वो सो जाता है। मेरे अरमान और बदन की गर्मी वहीं की वहीं रह जाती है। मैंने कई बार कोशिश की, मगर वो समझता ही नहीं ! कहता है कि बहुत थक गया हूँ।

शादी से लेकर आज तक बस आठ या दस बार ही हमने सेक्स किया है जिसमें वो पूरा अन्दर तक भी नहीं जा सका।

वो बोली- भैया, ये मेरी बहुत व्यक्तिगत बातें हैं, किसी को नहीं बताना !

मैंने कहा- आप चिंता मत करो !

मैं समझ गया था कि लोहा गर्म है, हथौड़ा मारने की देर है।

फिर वो बोली- मेरा काम हो गया है, मैं चलती हूँ।

पता नहीं मुझे क्या हुआ, मैंने कहा- बस एक चीज दिखानी है आपको !

और कह के अपनी जींस नीचे कर दी। मेरा आठ इंच का लंड खड़ा हुआ फुफकार रहा था। वो पलटी और उसकी आँखें फटी की फटी रह गई, पसीना उसके गाल से बहने लगा और चेहरा लाल हो गया। वो मेरे पास आई, मेरी आँखों में गुस्से से देखा और मुझे जोरदार थप्पड़ मार दिया। मैं बहुत घबरा गया, शायद मैंने उसकी बातों से गलत समझ लिया था कि वो मेरे साथ अपनी प्यास बुझा लेगी। मुझे लगा कि अब मेरी बदनामी कर देगी ये !

मगर वो बोली- दो साल से मैं आपके घर आ रही हूँ, मगर आज पहली बार बेडरूम तक आई हूँ फिर भी तुमने इतनी देर लगा दी इस चीज़ को दिखाने में ??

मेरी सांस में सांस आई और जान में जान, गिरता हुआ लंड फिर से तन गया और शिल्पा को मैंने बिना कुछ और सोचे समझे अपनी बाहों में भर लिया। मेरे बदन की जैसे बरसों की प्यास बुझ रही थी। मैंने अपना लंड उसके हाथ में दिया, अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और जोर जोर से चूसने लगा। मेरा हाथ उसके टॉप में घुसे और उसकी ब्रा का हुक ढूंढने लगे। मैंने बिना देर किये हुक खोला और पपीते जैसे दो मम्मे मेरे हाथों में आ गए।

उसकी साँसें गरम हो गई, मैं बता नहीं सकता कि उसके जिस्म से आग निकल रही थी, वो पागलों की तरह मेरे लंड से खेल रही थी और मुझे चुम्मे दे रही थी। एकदम जवान नई दुल्हन की तरह तड़प रही थी। मैंने उसका टॉप और ब्रा उतार कर फेंक दी और अपनी टी-शर्ट और बनियान भी उतार दिया। मैंने उसको दीवार के साथ खड़ा किया और अपनी छाती से उसके मम्मे दबा दिए, उसके माथे से लेकर छाती तक हज़ारों चुम्मियाँ ली और कई जगह तो लाल निशान भी बना दिए।

वो भी भूखी शेरनी की तरह मेरे बदन से खेल रही थी और मेरे होंठों को, गालों को, और छाती को चाट रही थी। उसके मुँह से बस आऽऽह…ऽऽ आऽऽऽऽ ऊऽऽऽ … म्म्मऽऽऽ आऽऽऽ लव यू जान, मेरे असली मर्द….म्म्मम्म्म्मम्म……आआआअ…….यही आवाजें निकल रही थी।

मैंने पंद्रह मिनट तक उसके दोनों मम्मे चूसे और वो तब पागल सी हो है थी। मेरे लंड को रबड़ का खिलौना समझ कर खेल रही थी और अपनी चूत पर पायज़ामे के ऊपर से ही रगड़ रही थी। लेकिन मैं भी कम नहीं था, मैंने और भड़काया, उसके हाथों से लंड खींच लिया और उसका सर नीचे की ओर दबाकर इशारा किया कि मुँह में ले !

वो तो जैसे तैयार थी, पूरा लंड मुँह में लेकर लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी, जैसे रेगिस्तान की गर्मी में किसी को पानी मिल जाए !

बीस मिनट बाद मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर लिटाया। मैंने अपनी जीभ से उसकी नाभि चाटी और और उसकी पैंटी को दांतों में लेकर नीचे किया।

वो बोली- क्या बात है आपमें ! कमाल की कला है बिस्तर में औरत के साथ खेलने की ! मैं कबसे इस सपने के साथ जी रही थी, जो आज पूरा होने जा रहा है।

मैंने कहा- मैं भी इसी सपने को आज तक देख रहा था !

अब वो पूरी नंगी थी, चूत बिल्कुल साफ़ और पूरी गीली ! मैंने उसकी टांगें थोड़ा फैलाई और चूत का पानी चाट कर साफ़ किया। वो छटपटाई और मेरे बालों को जोर से खींचा। मैंने उसकी चूत को खोला तो वो पूरी लाल थी, मैंने अपनी जीभ से चाटना शुरू किया और उसका चिल्लाना और तड़पना !

मैं कैसे बताऊँ कि जितनी देर तक चाटा, वो पानी छोड़ती रही जैसे की महीनों से उसने पानी न झारा हो।

तवा पूरा गर्म था, मैंने फटाफट कंडोम निकाला और लंड पर चढ़ा कर उसकी गांड के नीचे तकिया रखा और दोनों हाथों से उसके हाथ पकड़ कर लण्ड चूत पर रख दिया उसकी ! मुझे पता था कि वो बहुत चिल्लाएगी इसलिए अपने होठों से उसके होंठ बंद कर दिए और एक झटके में थोड़ा सा घुस गया। उसकी चूत वाकई काफी कसी हुई थी, लगभग अनचुदी !

अभी लंड आधा ही गया था कि वो दर्द से कराह उठी, अन्दर ही अन्दर चिल्ला रही थी और पैरों को जोर जोर से पटकने लगी। मैंने एक मिनट बाद दोबारा धक्का मारा और पूरा लंड अन्दर घुसा दिया। उसने मेरा मुँह अपने मुँह से हटाया और जोर से चिल्लाई- यह क्या किया ? मैं मर गई, उई माँ ! मैं मर गई ! निकालो इसे………….

मैंने बिना कुछ सुने धक्के मारने शुरू किये, धीरे धीरे उसे मज़ा आने लगा और वो मेरी कमर में नाखून मारने लगी। मैंने भी उसे खूब चाटा, करीब पंद्रह मिनट तक उसे चोदने के बाद मैंने अपनी पूरी पिचकारी अन्दर छोड़ दी। तब तक वो 1-2 बार झड़ चुकी थी। वो मेरे शरीर को कस के पकड़े हुए थी और चाट रही थी।

मैं थक कर उसके मम्मों पर गिर गया और वो मेरे बालों में प्यार से हाथ फेरने लगी। दो मिनट के बाद मैं उठा और अपना लंड उसकी चूत से निकाला, उसने बड़े प्यार से मेरा कंडोम उतारा और उसके अन्दर का सारा वीर्य अपने मम्मों पर उड़ेल कर मल लिया।

वो बोली- यह मेरा प्रसाद है जो मैं अपने जिस्म पे लगा रही हूँ !

मैंने प्यार से उसे खूब सारे और चुम्मे दिए। उसकी चूत से थोड़ा सा खून छलक आया था जो मैंने रुमाल से साफ़ कर दिया। वो बहुत खुश थी, इस चुदाई के बाद जैसे उसका मन और बदन का हर अंग खिल उठ था। वो इतनी खुश थी कि उसकी आँखों से आंसू छलकने लगे और वो मुझसे काफ़ी देर तक चिपकी रही जैसे मन ही मन वो चाह रही हो कि काश मैं उसका पति होता !

मेरी भी तमन्ना पूरी हो गई थी। वो मेरे बाथरूम में और कपडे पहन कर चली गई।

“ये पल मैं कभी नहीं भूल सकती”……बस यही बोली और मेरे लंड को चूम कर चली गई।

अग्ले दिन वो मुझे मार्केट में मिली और बोली- क्या मेरी याद नहीं आई?

मैंने कहा- क्या कह रही हो, याद तो हर पल आती है !

वो बोली- मैं कल अपने मायके जा रही हूँ !

और वहाँ का फ़ोन नंबर देकर बोली- शाम को फ़ोन करना !

दोबारा उसको पाने का मौका मिल रहा था। वो मुलाकात कैसी रही, अगली बार लिखूंगा। मेरी कहानी पर अपने विचार इमेल करना ! Hindi Sex Stories

Hindi Sex Stories

सभी पाठकों को मेरा प्रणाम !यह कहानी Hindi Sex Stories सच्ची है …मेरी शादी होने के बाद जब मैं ससुराल गया और मेरी साली भैरवी को देखा तो देखते ही रह गया !

क्या बदन था … क़यामत थी … बड़े लम्बे बाल … गोरा रंग .. काली आँखें… बड़े बड़े स्तन …बड़े उभरे हुए नितम्ब …. आऽऽहा … क़यामत थी ….

शुरु में तो वो भाव खा रही थी … मेरी बीवी को बच्चा होने वाला था….मैं भी वहाँ रहता था … रोज काफी मस्ती होती थी। मैं भी उसको छू लेता था तो वो कुछ नहीं बोलती थी …

बाद में उसकी शादी हुई … उसकी उसके पति से नहीं बनी और उसने तलाक ले लिया।

अब वो मेरी साथ काफी बातें करती थी और खूब घुल मिल गई थी … जब भी मौका मिलता, मैं उसके बदन को छू लेता.. वो कुछ नहीं कहती।

एक दिन रात को मैं उसके कमरे में गया …. उसके बालों में हाथ घुमाया … केले जैसी पिन्डलियों पर भी हाथ घुमाया !

उसने कोई विरोध नहीं किया … मेरी हिम्मत बढ़ गई, मैं अपने होठों से उसके होंठ चूमने लगा …

उसको मजा आया, कहने लगी- मुझे तुम पहले से पसन्द थे !

फिर तो देरी किस बात की…

मैंने उसके संतरे जैसे स्तनों को हाथ में पकड़ा और मसलने लगा..

उसको भी मजा आ रहा था, कई दिनों से उसने लंड नहीं लिया था …

मैं तो उसको चाटने लगा। ऊपर का गाउन को हटा दिया, अब मेरे सामने वो सिर्फ पेंटी में थी और मैं उसले सारे बदन को चाटने लगा…

यह मेरी बहुत सालों से इच्छा थी जो आज पूरी हो रही थी….

उसके दोनों बूब्स जो मेरी जान थे, वो आज मेरे हाथों में थे …

वो कराह रही थी … काफी गरम हो रही थी….. उसकी गोरी काया ….. मुझे उत्तेजित कर रही थी… पूरा बदन जैसे किसी ने फ़ुरसत में बनाया हो ऐसा था…

मैं नसीब वाला हूँ… मेरी जीभ नीचे की ओर गई … एक भी बाल नहीं था …. मेरी जीभ ने अपना काम चालू कर दिया ….

वो भी काफी उत्तेजित हो चुकी थी !

मेरा ७ इन्च का लंड उसके हाथ में था ….

वो उसको अन्दर लेने के लिए बेताब थी ….

मैंने धीरे से उसकी चूत के मुँह पर लंड को रखा और एक ही झटके में आधा अन्दर घुसेड़ दिया…

क्या टाइट चूत थी… जैसे नई ….

वो बोली …ओह …धीरे से ….

दूसरे झटके में पूरा घुसेड़ दिया…

उसकी आँखों में से पानी निकल गया …

फिर भी बोली …. मजा आया .. जल्दी करो…

मैं तो चालू हो गया

झटके पे झटके ….

उसने दोनों पैर ऊपर उठा के मेरे कंधो पे रख दिए ….

झटके लग ही रहे थे कि उसने मुझे बोला … कुछ और स्टाइल करते हैं …

मैंने बोला- कुतिया बन जाओ…

वो घूम गई और झुक गई…..

क्या गांड थी…

मैं तो पागलों की तरह चूमने लगा !

तो वो बोली … अरे ! दीदी जग जायेगी… !

मैं तो उसकी गांड का छेद देखते ही रह गया…..और उस में डालने की सोचने लगा।

लेकिन उसने मेरा पकड़ के अपनी चूत में घुसेड़ लिया…

मैंने फ़िर से झटके लगाना चालू कर दिया …

काफी समय के बाद उसका पानी निकल गया, मेरा निकलने वाला ही था कि उसने मेरे लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी …. पूरा पानी पी गई… बोली- अच्छी चुदाई करते हो ! दीदी लकी है ! …. पहले मालूम होता तो पहले ही कर लेती….

मैं भी पूरी रात उसके साथ ही नंगा सोया रहा … पूरी रात में तीन बार उसकी चुदाई की ….. पर उसकी गांड मरने की इच्छा पूरी नहीं हुई …..

यह मेरी सच्ची कहानी है ….. Hindi Sex Stories

मेरे घर पर मैं, पापा और मम्मी हैं.
पापा और मम्मी दोनों सरकारी नौकरी करते हैं.

दोस्तो, इस वेबसाइट की सेक्स कहानियां मैं 2011 से पढ़ती आ रही हूँ पर आज पहली बार अपनी सेक्स कहानी लिख रही हूँ.
मुझे अन्तर्वासना वेबसाइट के बारे में मेरी सहेली ने बताया था, तभी से मैं यहां पर कहानिया पढ़ती आई हूँ.

यह 2013 की बात है.
मैं स्कूल की पढ़ाई गांव से पूरी कर चुकी थी. मैं कॉलेज में पढ़ने के लिए शहर में आई थी.

शहर आते वक्त मेरे साथ स्कूल की दोस्त छवि ही थी जिसने मेरे कॉलेज में दाखिला लिया था.
बाकी सभी सहेलियां शहर में तो थीं पर अलग कॉलेज और कोर्स में थीं.

इधर कॉलेज के हॉस्टल में हम दोनों साथ में ही रहती थी.

कॉलेज में हमारे नए दोस्त बन गए थे.
क्लास में मेरी बहुत लड़कों से अच्छी दोस्ती हो गई थी.

मेरी क्लास में ही संजय भी था.
वह देखने में लंबा, तगड़ा और मिलनसार लड़का था.
मेरी दोस्ती संजय से थी.
हम बहुत कम समय में एक दूसरे से बहुत अच्छे दोस्त बन गए थे.

संजय और मैं फोन पर एक दूसरे को मैसेज भेज कर बातें करते थे.
हमारे बीच कभी कभी नॉनवेज बातें भी हो जाती थीं.

छवि भी इस बात को जानती थी.
उसने तो 3 महीनों में ही अपना एक ब्वॉयफ्रेंड भी बना लिया था.

इसी तरह से कॉलेज का एक सेमेस्टर निकल चुका था.
हर लड़की चाहती है कि उसे हर लड़का देखे.

मैं ज़्यादातर सलवार कमीज़ ही पहन कर कॉलेज जाया करती थी. मैं जानबूझ कर थोड़ा गहरे गले वाला कुर्ता पहनती थी ताकि जरा सा ही झुकने पर मेरा क्लीवेज दिख जाए.

संजय देखने में अच्छा लड़का था.
उसके पापा एक फैक्ट्री के मलिक थे.
उसकी एक छोटी बहन थी जो 12 वीं में थी.
उसकी मम्मी भी पापा के बिज़नेस में हाथ बंटाती थीं.

उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, यह बात हमें भी कुछ दिनों पहले ही पता चली थी जब हम सभी फ्रेंड्स संजय के बर्थडे पर उसके घर गए थे.

संजय के घर का वैभव देख कर साफ पता चलता था कि उसके पापा रईस आदमी हैं.
पर संजय ने कभी भी अपने धन का घमंड नहीं किया था.
वह दिल का साफ और अच्छा इंसान था.

संजय और मैं अक्सर क्लास बंक करके गार्डन में बातें करते रहते थे.
धीरे धीरे हमारे बीच नजदीकियां बढ़ती गईं.

वह मेरे करीब आने की कोशिश करता, मुझे छूने की कोशिश भी करता.
मैं भी उसे मना नहीं करती थी.

उसने वैलेंटाइन पर मुझे प्रपोज किया.
मैंने भी कुछ ज्यादा सोचा नहीं और हां कर दी.
ऐसे ही समय गुजरता रहा.

कभी कभी वो मुझे मौका पाकर छेड़ता, मेरी गांड को मसल दिया करता था.

उसका ये स्पर्श अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था.

हम दोनों मौका मिलते ही एक दूसरे को किस भी कर लिया करते थे.

वह मेरे मम्मे दबाने का मौका भी कभी नहीं छोड़ता था.

फिर धीरे धीरे अब बात किस से बढ़कर बूब्स दबाने और चूसने तक आ चुकी थी.
मुझे कोई ऐतराज नहीं था. असल में मैंने ही फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स का मजा ले लेना चाहती थी.

संजय चाहता था कि मैं लंड चूसूं … पर मैंने मना कर दिया, मैंने उसका लंड कभी नहीं चूसा था.

बस इसी तरह चल रहा था.

संजय सेक्स के लिए आतुर हुआ जा रहा था.
पर मैं एक अनजाने डर की वजह से उसे मना करके टाल दिया करती थी.

कुछ दिन बाद संजय ने कहा- आज रविवार है. पास में ही कहीं घूमने चलते हैं.

मैं भी फटाफट तैयार हो गयी.
वह मुझे लेने के लिए आया और हम दोनों बाइक पर घूमने के लिए निकल गए.

मैं छवि को बोल कर आई थी कि संजय के साथ में बाहर घूमने जा रही हूँ.

मैंने संजय से पूछा- कहां चलना है?
तो उसने बताया- शहर से पास में ही बहुत बड़ा तालाब है. वहां चारों ओर जंगल हैं, घने पेड़ हैं, प्रकृति का नज़ारा है. मजा आएगा, वहीं चलते हैं.
मैं राजी हो गई.

वहां जाकर देखा तो कुछ ही लोग थे.
उनमें भी ज़्यादातर कपल दिख रहे थे.

तालाब के दूसरी ओर पानी बह रहा था तो वहां कुछ लोग नहा भी रहे थे.
हम भी वहीं चले गए.

संजय ने कहा- क्या विचार है?
मैंने कहा- मैं नहीं आती.

वह मुझे ज़बरदस्ती खींच कर पानी में ले गया.
और हम दोनों पानी में मस्ती करने लगे.

वह मुझ पर पानी उड़ाता और गीला करने की कोशिश करता.

थोड़ी देर बाद हम दोनों थक कर वहीं पेड़ के नीचे बैठ गए और बातें करने लगे.

भीड़ कम होती गयी.

संजय ने कहा- अनुक्ति, चलो थोड़ा आगे आस-पास घूम कर आते हैं.
मैंने कहा- यहां क्या ही घूमेंगे?

पर वो नहीं माना और हम दोनों पैदल ही आगे बढ़ गए.
वहां कोई नहीं दिख रहा था.

थोड़ा और आगे गए तो एक बड़ी चट्टान के पीछे झाड़ियों में पेड़ के नीचे हमने एक कपल को देखा.
वो दोनों कपड़े पहन रहे थे.
उन्होंने हमें नहीं देखा.

फिर संजय ने कहा- चलो अनु, उनके निकलते ही वहीं चलते हैं.

मैं समझ गयी थी कि वहां पर जाने के बाद क्या होना है.
पर बिना कुछ कहे मैं भी चल दी.

वहां जाने के बाद संजय मेरे करीब आया और कहा- अनु यहां अच्छा मौका है.
मैंने कहा- यहां खुले में किसी ने देख लिया तो … नहीं बिल्कुल नहीं!
उसने कहा- ठीक है, पर किस तो कर ही सकते हैं.

इतने में उसने मेरे होंठों में अपने होंठों को डाल दिया.
उसके दोनों हाथ मेरे गर्दन को पकड़े थे और मेरे हाथ उसकी कमर को.

उसने अपनी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक डाल दी और मैंने भी.

मैं अपने बारे में बता दूँ कि मेरी उम्र उस समय 19 साल से थोड़ी ज़्यादा ही थी.
मेरी हाइट 5 फुट 7 इंच की थी और 32-27-34 का मेरा फिगर था.

मैं काले रंग का टॉप पहने थी. वह बटरफ्लाई आस्तीन वाला था और उसके साथ मैंने जींस पहनी थी.

संजय की हाइट 5 फुट 10 इंच की थी.
वह जिम करता था तो बॉडी भी अच्छी थी.

उसकी उम्र भी 20 के आस पास ही थी.
उसकी छाती पर हल्के बाल थे पर वह छाती को क्लीन नहीं करता था.

उसके लंड का साइज़ सच बोलूं तो 5.5 इंच का ही था.
बाकी सेक्स स्टोरी की तरह 8 या 10 इंच का नहीं था.

वह मुझे चूमने लगा.

करीब 5 मिनट के बाद उसने कहा- यहां जगह साफ़ है, आराम से बैठ जाओ.
मैंने कहा- नहीं, कपड़े खराब हो गए तो प्राब्लम हो जाएगी. हॉस्टल भी जाना है.
उसने कहा- ठीक है.

तब उसने मुझे किस किया और मेरे मम्मे दबाने लगा.
फिर उसने कहा- अनुक्ति आज तो लंड चूस लो प्लीज़.

उसके बहुत कहने पर मैंने कहा- ठीक है … पर तुम मुँह में नहीं झड़ोगे!
उसने कहा- ठीक है.

उसने अपनी जींस और अंडरवियर घुटनों तक उतार दी.
वह वहीं पेड़ के नीचे पत्थर पर टेक लेकर बैठ गया और उसने मुझे लंड चूसने के लिए इशारा किया.

मैंने अपने हाथ से उसके 5.5 इंच और 2.5 इंच मोटे लंड को पकड़ा.
तो संजय बोला- तुमने सेक्स क्लिप्स पॉर्न में देखा ही है.

मैंने हां में इशारा करते हुए मुँह में लंड को लिया और चूसने लगी. मुझे स्वाद कुछ अच्छा नहीं लगा.
फिर भी धीरे धीरे करके मैं मुँह से लंड चूसने लगी.

वह जैसे दूसरी दुनिया में चला गया हो, आंखें बंद करके सिसकारियां लेने लगा.

मैं भी उसके लंड को मुँह में पूरा ले लेती और बाहर करती तो जीभ से उसके टोपे को चाट लेती.
उसका रंग हल्का गुलाबी सा हो गया था.

फिर कुछ देर में उसने मेरे सर को धक्का देकर अलग किया और अपना सारा माल बाहर निकाल दिया.

उसने मुझसे कहा- टेस्ट करना चाहोगी?
मैंने कहा- नहीं.

उसने कहा- प्लीज एक बार देख लो, अच्छा लगे तो ठीक … नहीं तो कोई बात नहीं.

मैंने जीभ से थोड़ा चखा तो गर्म और नमकीन सा स्वाद आया.

अच्छा या बुरा कुछ समझ में नहीं आया.

संजय ने कहा- डार्लिंग लंड को थोड़ा सा चाट कर साफ कर दो प्लीज.

मैंने अपने मुँह से उसके लंड को चाट कर साफ कर दिया.
मुझे स्वाद ठीक लगा.

उसने अपने कपड़े पहन लिए.
तो मैंने कहा- अब चलते हैं.

उसने कहा- अनु अभी कहां, रुको तुमने आज तक अपनी चूत के दर्शन नहीं कराए हैं.
मैंने कहा- पर यहां खुले में नहीं बिल्कुल भी नहीं.

उसने मुझे खींच कर अपने करीब किया और मुझे किस करके कहा- अनुक्ति, प्लीज आज अपने मम्मे और चूत के दर्शन करा दो, यहां कोई नहीं है.
मैंने कहा- देखो कोई आ गया तो प्रॉब्लम हो जाएगी.
उसने कहा- कुछ नहीं होगा, मैं हूँ … सब संभाल लूंगा.

उसने मेरी जींस खोल दी और मेरे टॉप के ऊपर से ही बूब्स दबाने लगा.
वह उसमें ऊपर से हाथ डालने लगा.

मैंने कहा- ऐसे तो तुम टॉप फाड़ दोगे.
तब मैंने जींस को नीचे किया ही था कि उसने झटके से मेरी पैंटी को घुटनों तक नीचे खिसका दिया.

फिर उसने कहा- मम्मे चूसना है.
मैंने टॉप को ऊपर किया और साथ ही ब्रा को भी, जिससे बिना उतारे मेरे बूब्स वो चूस सके.

पहली बार उसने मेरे बूब्स को पूरी तरह ढंग से देखा था और चूत को भी.
चूत में हल्के हल्के बाल थे.

वह मेरे बूब्स को एक बच्चे की तरह पीने की कोशिश करने लगा.
मुझे भी मजा आने लगा.

मेरे दोनों बूब्स को चूसने के बाद उसने उन्ह हटाया ही था कि मैंने टॉप और ब्रा ठीक कर ली.

उसने कहा- अनु अब तुझे जींस उतारनी पड़ेगी.
मैं भी उतावली हो रही थी तो जींस उतार दी.

उसने कहा- अनु एक टांग पत्थर पर रखो.
वह मेरे नीचे आकर बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा.

उसकी खुरदुरी जीभ मेरे अन्दर आग लगा रही थी.
वह अपनी उंगली से मेरी चूत को अन्दर बाहर कर रहा था.

इसी तरह मेरी चूत ने पानी निकाल दिया और संजय ने उसे चाट कर चूत को साफ़ कर दिया.

फिर फटाफट कपड़े पहन कर हम दोनों वहां से निकल आए.

अब वासना की भूख दोनों को लग चुकी थी तो वापस हॉस्टल की ओर जाते समय संजय ने कहा- अनु, मुझे तुम्हारे साथ सेक्स करना है.
मैंने भी हामी भरी लेकिन फर्स्ट लव वर्जिन सेक्स के लिए कोई सेफ जगह चाहिए थी.
होटल के लिए मैंने मना कर दिया था.

संजय अपने दोस्त के फ्लैट के लिए जुगाड़ करने लग गया.
बस फिर जुगाड़ हो गया.

मैंने संजय से कहा- मैं बिना प्रोटेक्शन के नहीं करूंगी.
उसने कहा- ठीक है अनु.

उस दिन पहले रास्ते में रुक कर हम दोनों ने खाना खा लिया और उसने मेडिकल से प्रोटेक्शन के लिए कंडोम ले लिया.
फिर हम दोनों फ्लैट पर पहुंच गए.

दोस्त ने चाभी दी और कहा- फ्री हो जाओ तो कॉल कर देना.
वह किसी काम से बाहर चला गया.

संजय ने अन्दर से दरवाजा लॉक किया और मुझसे लिपट गया.
पहले उसने मेरे टॉप को निकाल दिया और मेरी नाभि को चूमा. ब्रा के ऊपर से ही बूब्स को दबाने लगा.

ब्रा को खोलने से पहले उसे ऊपर की ओर खिसका कर बूब्स को चूमने लगा और फिर खड़े खड़े ही मुझे दीवार पर टिकाते हुए पलटा दिया.
मेरी ब्रा को पीछे से खोल कर वहीं फेंक दी.

उसने अपने पूरे कपड़े उतार दिए.
उसका लंड खड़ा होने लगा था.

वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया और पलंग पर आते ही मेरी जींस उतार दी.

फिर वह मेरे दूध अपने दोनों हाथों से मसलने लगा और उनका रसपान करते हुए निप्पल को काट देता, जिससे मुझे दर्द के साथ साथ उत्तेजना भी बढ़ जाती.

वह मेरे कान गले गर्दन गालों को भी चूमता जिससे मैं और उत्तेजित हो जाती.

मेरी नाभि को चूमते हुए उसने मेरी पैंटी को भी उतार दिया और मेरी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर करने लगा.
वह पूरी बॉडी पर किस करने लगा.

मेरे मुँह से हल्की हल्की आवाजें आ रही थीं.

उसने कहा- अनु अब 69 करते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.

वह मेरी चूत चाटता और अपनी उंगली रगड़ने लगता.
इससे मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, जैसे मेरे शरीर में करंट का झटका लग रहा हो.

मैं भी उसके लंड को चूस रही थी.
मेरी चूत गीली हो चुकी थी.

वह फिर उठा और जींस से कंडोम का पैकेट निकाल कर मुझे दे दिया.

मैंने पैकेट से कंडोम निकाल और संजय के लंड को पहना दिया.

बस उसने मुझे सीधा लेटाया और दोनों पैरों को अपने कंधे पर ले लिया, लंड को मेरी चूत के मुँह पर रगड़ने लगा.
जिससे मैं पागल सी हो गयी.

फिर उसने चूत को थोड़ा सा अपने हाथ से खोला और अपना लंड मेरी चूत पर सैट कर दिया.

मेरा दिल धक धक करने लग गया था क्योंकि वो कभी भी झटके से लंड अन्दर डालने वाला था.

उसने कहा- अनु रेडी!
मैंने इशारे में कहा- हम्म्म.

उसने झटके से लंड अन्दर किया.
वो अभी लगभग आधा ही गया था कि मेरी एकदम से जोरदार चीख निकली.

उसने लंड को झट से बाहर किया और अन्दर पूरी ताकत के साथ डाला.
इस बार शायद लगभग पूरा चला गया था.

उसने फिर से एक बार लंड निकाल कर अन्दर डाला और मुझे चूमा.
मेरी आंखों में आंसू आ गए थे.

उसने कहा- पहली बार में होता है अनु!

फिर वह लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.
अब दर्द धीरे धीरे कम हो रहा था और मजा आने लगा था.

वह स्पीड में मुझे चोदता जा रहा था.
मुझे भी मजा आ रहा था.

वह मेरे मम्मे दबाता हुआ लंड को स्पीड से अन्दर बाहर कर रहा.
कुछ देर मैं पहले झड़ गयी और वो मेरे बाद.

वह मेरे ऊपर ऐसे ही लंड अन्दर डाल कर पड़ा रहा और मुझे किस करता रहा.

कुछ देर में उसका लंड छोटा सा हो गया और वह उसे बाहर निकाल कर बाथरूम में चला गया.

मैं बैठी और उंगली चूत की तरफ़ बढ़ाई तो उंगली पर लाल लाल खून सा था.
मेरी चूत फट चुकी थी.

तभी संजय आया और मेरी उंगली में लाल खून देखकर बोला- अब तुम वर्जिन नहीं रही.

मैं बाथरूम में गयी.
जब मैं वापिस आई तो मैंने देखा संजय मेरी ब्रा पैंटी अपने हाथ में लिए देख रहा था.
मैंने कहा- लाओ दो इधर.

उसने कहा- नहीं, ये मैं ले जाऊंगा. पहली निशानी है. इसमें तुम्हारी चूत की खुशबू है और ब्रा में भी.
मैंने कहा- फिर मैं!
उसने कहा- मैं तुम्हें दूसरी गिफ्ट कर दूंगा.

मैंने अपने कपड़े पहन लिए.
संजय बोला- अनु मजा आया?

मैंने कहा- आया तो सही, पर दर्द अब भी महसूस हो रहा है.
उसने कहा- ठीक हो जाओगी.

मैंने पूछा- मैं वर्जिन थी, तुम?
संजय ने कहा- मेरा भी पहला सेक्स था … बस मुठ मार लिया करता था.

मैं कुछ नहीं बोली.

उसने कहा- मैं तुम्हें फैशनेबल ब्रा पैंटी दूँ?
तो मैंने कहा- क्यों?

उसने कहा- थोड़ा सेक्सी पहनो.
मैंने कहा- घर?

उसने कहा- घर जाओ तो घर के हिसाब से … और यहां रहो तो यहां के हिसाब से.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर उसने मुझे हॉस्टल छोड़ा और मेरी चाल देखकर छवि मुस्करा दी.

उसने कहा- अनु, आज तो चाल ही बदल गयी.

हम दोनों बेस्ट फ्रेंड थीं, एक दूसरे से कोई बात नहीं छुपाती थीं.
उसे मैंने बताया कि आज मेरी पहली चुदाई कैसे हुई.

वह खुश हुई और बोली- आगे अब तो चुदाई में मजे ही आने हैं.
क्योंकि वह चुद चुकी थी उसके ब्वॉयफ्रेंड से … तो उसे सब मालूम था.

Hindi Sex Stories

स्वीटी भाटिया ने पन्जाब Hindi Sex Stories से मुझे अपनी पहली चुदाई की वास्तविक कहानी भेजी है। उसे मैं अपने शब्दो में ढाल कर आपको पेश कर रही हूँ।

मैंने सीनियर सेकन्डरी परीक्षा 74 प्रतिशत अंकों से पास कर ली थी, अब कॉलेज में फ़र्स्ट ईयर साईन्स में प्रवेश ले लिया था। मेरा एडमिशन घर से बाहर जहां मैं चाहती थी, पन्जिम, गोआ में मिला था। मैंने वहां एक किराये का कमरा ले लिया। पापा ने एक काम वाली लगा दी और वापस भटिंडा चले गये।

मेरे मकान मालिक का लड़का माइकल था जो मुझ पर शुरु से ही लाईन मारता था। मुझे भी वो अच्छा लगता था, पर वो अधिकतर अपने धन्धे ही लगा रहता था। कभी कभी लाईन मारने के इरादे से वो दुकान पर जाने के पहले मुझे मिलने आता था। पर मेरा मन उससे बहुत जल्दी उचट गया था, क्योंकि वह ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं था, बारहवीं के बाद वो अपने घरेलू बिजनेस में लग गया था।

मैं यहाँ बहुत ही खुश थी, बचपन से मैंने गोआ की सुन्दरता का नाम सुना था और अब मैं अपने मनपसन्द की जगह पर आ चुकी थी। अब तक तो मैं गर्ल्स स्कूल में थी, पर यहाँ को-एजुकेशन है। कक्षा में हम 8 लड़कियाँ थी। पंजाबी होने से उनमें सबसे सुन्दर, लम्बी हूँ और अच्छा फ़िगर मेरा ही है।

कुछ ही दिनों में लड़के मुझ पर लाईन मारने लगे थे। मेरे सुन्दर होने से ये मेरी इच्छा थी कि मैं सबसे अच्छा ही चुनूं। एक लड़का जिसका नाम मैंने बदल कर सन्दीप रखा है, मुझे बहुत प्यारा लगता था। वो मेरे अनुसार ही लम्बा था, हंसमुख था, जिस्म से बलशाली लगता था, मैं उसे रितिक रोशन कहती थी।

मेरे बोबे छोटे थे, पर ब्रा पहनने पर गोल गोल और भले लगते थे। मेरा दुबला पतला और लम्बा बदन, चूतड़ों के उभार, उनकी गोलाइयाँ सामान्य थी। जब कभी सन्दीप मुझसे बात करता था तो मैं उसे बातों में उलझा लेती थी और देर तक बातें करती थी। सन्दीप अन्दर ही अन्दर दिल में मुझे चाहता था। फ़्री पीरियड में हम दोनों अक्सर केन्टीन में आ जाते थे। संदीप भी मेरी ही तरह 19 वर्ष का था।
एक बार…

“स्वीटी, तुम्हारा कोई दोस्त है लड़कों में?” सन्दीप ने पूछा।
“नहीं अब तक तो नहीं, मैं तो गर्ल्स स्कूल में थी, बस लड़कियाँ ही मेरी दोस्त रही हैं !”
“मुझसे दोस्ती करोगी?”
“तुम्हारी तो कई लड़कियाँ दोस्त हैं, कितनी से तो तुम बातें करते हो !”
“नहीं मुझे तो बस तुम अच्छी लगती हो।” कहते ही वो झेंप गया,”सॉरी स्वीटी… मेरा मतलब था कि…”

मेरी आंखें झुक गई। मैं शरमा गई, सन्दीप ने यह क्या कह दिया। दिल धड़क उठा।
“स्वीटी, मेरा मतलब यह नहीं था… मैं तो दोस्ती की बात कर रहा था !” सन्दीप हड़बड़ा गया। मैंने अपना चेहरा दोनो हाथों से छिपा लिया। मेरा चेहरा लाल हो उठा। किसी के दिल की बात सामने आ रही थी। मैंने साहस जुटाया और मन की बात कह डाली।

“सन्दीप, मैं तो तुम्हारी ही दोस्त हूँ, मुझे तुम भी बहुत अच्छे लगते हो !” लड़खड़ाती जुबान से मैंने कह ही डाला। मैंने चेहरे से हाथ हटाते हुए कहा, मेरी आंखें शर्म से लाल हो गई थी। उसे मैंने एकटक निहारते हुए कहा,”सच कहूँ सन्दीप, क्लास में तुम जैसा कोई नहीं !”

“नहीं स्वीटी, तुम सा कोई नहीं है, तुम मुझे परी जैसी सुन्दर लगती हो !”
“तुम मुझे, जानते हो, रितिक रोशन फ़िल्म स्टार जैसे लगते हो !”

जाने समय कैसे निकल गया। अगला पीरियड आ गया, हम दोनों उठे और क्लास की ओर जाने लगे,”सुनो स्वीटी, आज क्लास छोड़ो, चलो कहीं चलते हैं !”

मैंने उसकी ओर देखा, पर वहाँ सिर्फ़ प्यार था, मैं मना नहीं कर सकी, मैं उसका साथ अधिक से अधिक देर तक चाहती थी। उसने अपनी मोटर साईकल उठाई और मीरा-मार बीच की तरफ़ चल दिये। दिन का समय था, बीच खाली था, इक्के दुक्के लोग यहाँ वहाँ दिखाई दे रहे थे। पेड़ों की छांव में पार्क के पास कई जोड़े वहाँ पहले से ही जमे थे। यह यहाँ का आम दृश्य था।

हमने भी एक कोना पकड़ लिया और सीमेंट की बेंच पर बैठ गये। हमारे पास वाला जोड़ा चुम्बन में मग्न था, शायद वो लड़की के स्तनों से भी खेल रहा था।
सन्दीप ने मुझे इशारे से बताया,”वो देखो, कितना प्यार करते हैं एक दूसरे को !” मैंने भी उसे प्यासी नजरो से देखा।

सन्दीप समझ चुका था, प्यार की कोई भाषा नहीं होती। हमारे चेहरे नजदीक आने लगे, आंखें स्वत: ही एक दूसरे में खो गई। दोनों की आंखों में भरपूर प्यार था। मेरी आंखें बंद होने लगी। सन्दीप के होंठ मेरे गालों को चूमने लगे। मेरा जिस्म कंपकपाने लगा। होंठ कांपने लगे।

मैं एक असहाय सी लता की तरह उसकी बाहों में झूल गई। मेरे कांपते होंठों को उसके होंठों ने दबा लिया। दिल धड़क उठा, उसकी जीभ मेरे मुख में प्रवेश कर गई। मेरे वक्षस्थल पर उसके हाथों का दबाव आ गया। मैं अपना होश खो बैठी। मेरे होंठ ने भी अब उसकी जीभ को दबा लिया। अचानक हमारी तन्द्रा भन्ग हुई। हमारे सामने दो अंग्रेज महिलायें खड़ी थी,”एक्स्क्यूज मी, में आइ हेव योअर स्नेप्स?”

“वाई नोट, थेन्क्स” मैंने उन्हें लिपटे हुए ही कहा।

“नाउ प्लीज, किस अगेन !” उन्होंने वही सेक्सी पोज बनाने को कहा। हम दोनों फिर से उसी तरह से लिपट पड़े और चूमने लगे और सन्दीप मेरे स्तन दबाने लगा। मैं फिर से खोने लगी।

“ओके प्लीज, बी नोर्मल नाउ…जस्ट सी इट” वो मेरे पास बैठ गई, और वीडियो चला कर दिखाया।

“हाय राम, अपन ऐसे कर रहे थे क्या, और तुम इतने बेशर्म हो, देखो ये क्या कर रहे हो…प्लीज मेम, ट्रान्स्फ़र इट टू माय मोबाईल ऑलसो !”

“ओके, नो प्रोबलम” उन्होने मेरे मोबाईल में उसे कॉपी करके डाल दिया।

“ओके, प्लीज कन्टीन्यू… सॉरी फ़ोर डिस्टरबेन्स, एन्जोय लव !” कह कर वो दोनों आगे चली गई। अब मुझे शरम आने लगी थी कि मैंने ये क्या कर दिया। सन्दीप ने एक बार फिर से मुझे पास में खींच लिया। सामने वाला जोड़ा पर सेक्स एन्जोय कर रहा था। लड़की पैन्ट के ऊपर से ही लड़के का लण्ड दबा रही थी, और लड़का उसकी शर्ट में हाथ डाल कर चूचियाँ मसल रहा था। सन्दीप ने भी लिपटाये हुए मेरी चूत दबा दी। मैं उछल पड़ी।

“सन्दीप, ये नहीं करो, मुझे अच्छा नहीं लगता है !”

“सॉरी, स्वीटी, मुझसे रहा नहीं गया था, ये देखो तो, इसका क्या हाल है !” उसने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा किया। मैंने मौका पा कर तुरन्त ही उसका लण्ड पकड़ लिया और मसलते हुए अन्दर दबा दिया।

“इसे कन्ट्रोल में रखो, समझे !” पर उसके लण्ड का साईज़ और मोटापन का स्पर्श पा कर मेरा जिस्म कांप गया। सन्दीप के मुख से आह निकल गई। मैं खड़ी हो गई। सामने वाले जोड़े की नजर जैसे हम पर पड़ी वो अलग हो गये। मैं मुस्करा उठी और उनके पास आ गई।

“हाय, मजा आ रहा है ना?” लड़की शरमा गई, मुझे भी बहुत मजा आया, कल भी आप आयेंगे ना…हम भी आयेंगे” लड़का और लड़की दोनों मुस्करा उठे।

“आपने तो खूब मजे किये ना, हमने सब देखा, आप का जोड़ा मस्त है, थक्स फ़्रेन्ड्स”

रात को कमरे में अकेले लेटे लेटे मुझे बार बार सन्दीप का चुम्बन, वक्ष मर्दन और चूत को दबाना याद आने लगा था। उसके लण्ड का स्पर्श मेरी जान ले रहा था। मैंने मोबाइल पर वीडियो निकाल कर देखा। मेरी चूत में पानी उतर आया। मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने मोबाईल पर उसे कॉल किया।

“सन्दीप, क्या कर रहे हो ?”
“पढ़ रहा हूँ और क्या?”
“मेरे पास आ जाओ, तुम्हारी बहुत याद आ रही है!”
“अभी आऊँ क्या, कोई क्या कहेगा कि रात को आठ बजे तुम्हारे पास लड़के आते हैं !”

“आ जाओ ना, अभी यहाँ कोई नहीं है, पास के घर में अंधेरा है।”
“अच्छा अभी आता हूँ” उसने फोन रख दिया। मैं उसका बेसब्री से इन्तज़ार करने लगी।

कुछ ही देर में सन्दीप आ पहुंचा। मैं उसका दरवाजे पर ही इन्तज़ार कर रही थी।

आते ही उसने पूछा,”क्या हुआ, सब ठीक तो है न?”
“नहीं कुछ भी ठीक नहीं है।”
“क्या हो गया, ऐसे क्यो बोल रही हो ?”
“अन्दर तो आ जाओ पहले, फिर बताती हूँ।”

अन्दर आते ही मैंने दरवाजा अन्दर से बन्द कर दिया और चैन की सांस ली। उसके आते ही मेरी बैचेनी दूर हो गई और मैं जो कहने वाली थी, सब भूल गई।

“कुछ तो कहो अब…”
“बस तुम आ गये, मैं सब भूल गई।” मैंने शरमा कर अपनी बात कबूल कर ली।
” स्वीटी तुम भी ना, बस” कह कर वो बिस्तर पर बैठ गया। “अच्छा अब मेरे पास तो आ जाओ ना”
“बोलो अब, लो आ गई।” मुझे पता था वो मुझे चूमेगा, छूएगा और मस्ती करेगा।

“तुमने मुझे यहाँ बुलाया, और अब चुप हो, कही तुम्हारा मन डोल तो नहीं रहा है ना?” सन्दीप ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ़ खींच लिया। मैं फ़िर शरमा गई।

उसने मुझे अपनी गोदी में बैठा लिया और धीरे से कमर में हाथ डाल दिया। मेरा चेहरा उसके चेहरे के बिलकुल पास आ गया। मेरे होंठ कांप उठे। मेरे होंठ खुल गये और नीचे का लब उसके दोनो होंठ के बीच में दब गया। मेर निचला होंठ वो चूसने लगा। उसका एक हाथ मेरे वक्षस्थल पर आ गया। मेरे छोटे छोटे उरोज उसके हाथों में दब गये। मेरे मुख से सिसकारी निकल पड़ी।

“स्वीटी, तुमने ब्रा नहीं पहनी” सन्दीप का हाथ मेरे नंगे उरोज पर फ़िसल रहा था। मैंने उसके लबों को दबा कर चुप कर दिया। उसके लण्ड में उफ़ान आ रहा था। मेरा हाथ धीरे से उस पर आ गया और उसके लण्ड के साइज़ का नाप तौल करने लगा।

“सॉरी, स्वीटी, तुम्हारा रूप मुझसे सहा नहीं जा रहा है, ये गरम हो गया है।” मैंने फिर से उसके होंठ पर अंगुली रख दी।

“सन्दीप, तुम बहुत बोलते हो, चुप रहो, जो होना है वो तो होगा ही।” मेर बदन अब वासना से भर चुका था। कुंवारी कली खिलने को बेताब थी। भंवरा भी डंक मारने को बेताब था। उसने अब धीरे से मेरी चूत की तरफ़ हाथ बढ़ाया तो मैंने अपनी टांगें चौड़ी कर ली। उसका हाथ अब मेरी चूत पर था।

“तुमने पेन्टी भी नहीं पहनी है।”

“अंह्ह्ह, सन्दीप, मत बोलो ना, समझते हो तो कहते क्यो हो ?” मैंने उसे नाराजगी जताई। मैं अब सन्दीप के हाथों में खिलोने कि तरह खेल रही थी। मेरे अंग अंग को वो फ़्री स्टाईल से दबा रहा था। मुझे बहुत मजा आ रहा था।

“सन्दीप, अपनी जीन्स तो ढीली करो ना, इसको कब तक छुपाओगे”
“चल हट, ये बिगड़ गया तो फिर तुम नाराज नहीं होना।” सन्दीप ने शरारत से कहा। अपनी जीन्स उसने जल्दी से उतार दी।

“और ये अंडरवियर भी उतार दूँ क्या ?” उसने मेरे जवाब का इन्तज़ार नहीं किया औए पूरा नंगा हो गया। मैं उसका जिस्म देखती रह गई। चिकना, सुन्दर, तराशा हुआ, गोरा, कोई बाल नहीं… हाय मेरे तो पसीना छूटने लगा। उसे देख कर मेरे बदन में वासना की आग भड़क उठी। मैंने भी अपने रहे सहे कपड़े उतार फ़ेंके और नंगी हो गई। मैं उससे जा कर लिपट गई, दोनों जिस्म आपस में रगड़ उठे। नंगे जिस्म आपस में चिपक गये, नंगेपन का अह्सास होने लगा। मैंने सन्दीप का लण्ड हाथ में पकड़ लिया…

“हाय रे सन्दीप, इतना मोटा लण्ड, इतना बडा लण्ड, इसे मेरे जिस्म में समा दो अब।” मैं नशे में बहक उठी। उसके हाथ मेरी चूतड़ो की गोलाईयां मसल रहे थे। मैं उसके लण्ड को अपनी चूत से रगड़रही थी। उसका सुपाड़ा अब भी चमड़ी से ढका था। मेरे चूत का रस उसके लण्ड को गीला कर के तर कर रहा था।

सन्दीप मुझे दबा कर बिस्तर पर लेट गया और मेर ऊपर चढ़ गया। मेरे शरीर में मीठी मीठी वासनायुक्त जलन भरने लगी थी। चूत फ़ड़फ़ड़ा उठी थी। उसने अपने लण्ड का पूरा जोर मेरी चूत पर लगा दिया। पर वो इधर उधर फ़िसल जाता था। मेरे से रहा नहीं गया तो मैंने लण्ड पकड़ कर चूत में घुसा डाला। लण्ड घुसते ही उसके मुँह से चीख निकल गई। लण्ड कच्चा था, पहली बार चूत का स्वाद चखा था। उसके सुपाड़े के रिन्ग की झिल्ली फ़ट गई थी।

“क्या हुआ सन्दीप, डर गये क्या मेरी चूत से” मैं उसकी चीख को समझ नहीं पाई थी।

“चुप हो जाओ, मुझे लगती है, ये क्या हो गया है ?

“कुछ नहीं, लगाओ ना, घुसेड़ो ना लण्ड अन्दर तक, प्लीज !” उसने मेरी बेकरारी देखी और सम्भल कर उसने थोड़ा सा बाहर निकल कर हिम्मत करके पूरा जोर लगा कर लण्ड धक्का मार कर पूरा घुसेड़ दिया। इस बार उसके साथ मेरी भी चीख निकल गई। सन्दीप रुक गया।

“अब तुम्हें क्या हुआ?” चूत में से खून निकल पड़ा। पर उसकी नजर मेरे चेहरे पर थी, जहाँ से आंसू बह निकले थे।

“रो क्यों रही है, लगी तो मुझे है, तुम क्यों रो रही हो?”
“मेरी फ़ट गई है, हाय रे !” मैं रो पड़ी। मुझे पता था कि झिल्ली होती है, पर फ़टती कैसे है यह आज पता चला।
“पर मैंने गाण्ड थोड़ी मारी है, जो तुम्हारी फ़ट गई है?” सन्दीप ने हैरानी से कहा।

“अरे चूत की झिल्ली फ़ट गई है, गाण्ड नहीं फ़टी है, बस अब नहीं, उतरो मेरे ऊपर से !” उसे भी लण्ड में दर्द हो रहा था और मुझे भी चूत में दर्द हो रहा था।

उसने लण्ड चूत से बाहर निकाला तो खून भी निकल पड़ा। मैंने झट से पास में पड़ा कपड़ा उठाया और नीचे लगा दिया। खून देख कर सन्दीप घबरा गया। मैंने उसे अपनी जानकारी के अनुसार उसे बताया तो वो शान्त हुआ।

अब हमारे में चुदाई का जोश समाप्त हो गया था। हम दोनों ने बाथ रूम में जा कर सफ़ाई की। उसका लण्ड देखा तो सुपाड़े के रिन्ग से लगी स्किन अलग हो गई थी और थोड़ी सी लालिमा आ गई थी। मैंने भी सेनेटरी नेपकिन लगा लिया था।

“सन्दीप हमें कितना मजा आ रहा था, पर ये अब क्या है… मुझे तो डर लग गया है।”
“लगता है हमें सजा मिली है…” वो जाने के लिये तैयार था।

हम दोनों का कुंवारापन जाता रहा था, अब हम दोनों मर्द और औरत बन चुके थे। जो अब चुदाई के लिये तैयार थे। सन्दीप जा चुका था। मैं बिस्तर पर लेट गई। अपना दर्द किससे कहती। चूत में अब भी टीस उठ रही थी। रात देर तक जागती रही थी, फिर कब आंख लग गई पता ही नहीं चला। दूसरे दिन मेरे चूत का दर्द समाप्त हो चुका था। मुझमें फिर से वासना अंगड़ाईयां लेने लगी थी।

आज सवेरे सन्दीप का कोई फोन नहीं आया। मैंने किया तो फोन ओफ़ था। कॉलेज में भी वो नहीं दिखा। मैं परेशान हो उठी। शाम को माइकल घर आया और मुझे परेशान देख कर पूछा, तो मैंने उसे बताया कि सन्दीप मुझसे बात नहीं कर रहा है। उसने मुझे तसल्ली दी कि शायद वो यहाँ नहीं होगा, आ जायेगा, इन्तज़ार करो।

माइकल अब रोज मेरा दिल बहलाने लगा। मजाक करता, मुझे हंसाता, सेक्सी जोक्स करता। मैं धीरे धीरे माइकल की तरफ़ आकर्षित होने लगी। सन्दीप का ख्याल दिल में आता पर माइकल अपनी जिन्दादिली से उसे भुला देता था।

एक शाम को मैं अपना संयम तोड़ बैठी और माइकल से चुद गई। मैं कॉलेज से आने के बाद बिस्तर पर लेटी माइकल और सन्दीप के बारे में सोच रही थी। अचानक मुझे माइकल सेक्सी लगने लगा। उसके नंगे जिस्म की मैं कल्पना करने लगी। उससे चुदने का अनुभव मह्सूस करने लगी। मुझे माइकल की हर बात अब अच्छी लगने लगी। उसकी हंसी, उसकी बातें, उसका स्टाईल इत्यादि। मेरे मन में वासना करवटे लेने लगी। मुझे लगा कि अब माइकल से ही मैं सन्तुष्ट हो पाऊंगी।

माइकल हमेशा की तरह शाम को आया और एक आइस्क्रीम जो मुझे पसन्द थी, मुझे दी, ये उसका हमेशा का काम था। पर मेरी नजरें बदल चुकी थी। आते ही उसने एक सेक्सी मजाक किया जो मुझे अच्छा लगा। उसकी हर बात में मुझे सेक्स नजर आने लगा। आइस्क्रीम खाते खाते पिघल कर मेरी छाती पर गिर पड़ी।

“हाय माइकल, मेरा कुर्ता गंदा हो गया !” माइकल ने तुरन्त एक कपड़ा गीला किया और मेरी छाती पर लगा कर धीरे से घिस दिया। दाग तो मिट गया पर मेरी चूची जो दब गई थी, उसने मन में आग लगा दी। जोर की गुदगुदी उठी और मेरे मुख से आह निकल पड़ी।

“मजा आया ना?” उसने तुरन्त मजाक किया।
“तुझे तो मारना चाहिये, साला गड़बड़ी करता है।” मैंने यूँ ही नाराजगी जताई।
“देख मारना ही है तो पूरा मारना, पूरा दाग साफ़ कर दूँ क्या ?” उसने फिर से मजाक किया।
“माईकल, एक तो दबा दिया और अब मजाक कर रहा है !”

” ऐ स्वीटी, दबाने दे ना, तेरा क्या जायेगा, बस चमड़ी ही तो दबेगी, मुझे मजा आ जायेगा।”
“अब देख माइकल, पिटेगा तू !”
“अच्छा पिटना ही है तो दबा कर ही पिटूँ !” फिर उसने शरारत कर ही दी।

माइकल ने आगे बढ़ कर मेरे बोबे दबा दिये, मैं वासना की मारी, क्या कहती उसे, मेरी दिली इच्छा भी यही थी। मैंने उसका हाथ दूर करने की असफ़ल चेष्टा की, फिर मन किया कि मजा आ रहा है तो उसे करने दिया।

“छोटे हैं, पर कड़े हैं, स्वीटी हाय रे, देख तेरा कुछ नहीं बिगड़ा ना, मजा आया ना?” मेरी सांसें तेज हो गई।

“हाय, ना कर अब, वर्ना सब गड़बड़ हो जायेगा रे !” मेरी धड़कनें तेज हो गई। माइकल शायद यह जानता था कि वो शुरू कर देगा तो मैं मना नहीं करूंगी।

“फिर भी तेरा कुछ नहीं बिगड़ेगा, ये तो सिर्फ़ चमड़ी का खेल है, बस हमें रगड़ना ही तो है।”

“माइकल, तू बड़ा खराब है, जिस्म को चमड़ी कह रहा है, ला तेरी नीचे की चमड़ी को मसल दूँ” मैंने उसका वार उसी पर किया। उसका लण्ड जोर मार रहा था। मैंने उसके जवाब का इन्तज़ार नहीं किया और उसका लण्ड पैन्ट के ऊपर से ही भींच लिया। उसके मुँह से आह निकल गई। उसने मुझे लिपटा कर चूमना शुरू कर दिया। उसके हाथ मेरे स्कर्ट के अन्दर घुस गए। मेरा नंगा बदन उसके कब्जे में आ गया, मेरे निपल को हौले से मसलने लगा।

“हाय माइकल बस कर अब, वर्ना सब गड़बड़ हो जायेगा।” मेर जिस्म पिघलने लगा। मन में खुशी की तरन्गें उछाल मारने लगी।
“सच मान यार तेरी चमड़ी को कुछ नहीं होगा, देखना वैसी की वैसी रहेगी।” मुझे वासना के साथ ये हंसी का खेल बहुत भा रहा था।

“माइकल, मत बोल ना, देख चमड़ी को छूने से मस्ती आ रही है।” मुझे हंसी भी आ रही थी और मस्ती का रन्ग भी चढ़ रहा था। लग रहा था कि वो बस मेरे अंग दबाता ही जाये।

“साली, मस्ती बढ़ती जा रही है, चल अपन चमड़ी की रगड़मपट्टी करें।”

“देख मुझे और ना हंसा !” मेरी हंसी रोके नहीं रुक रही थी। उसने मेरा स्कर्ट पूरा उतार दिया, मेरा ऊपर का शरीर नंगा हो गया।
“गोरी चमड़ी, चिकनी चमड़ी, क्या शेप है, यार तुम तो क्या फ़िगर वाली हो?” मैं फिर से हंस पड़ी।
“लगता है तुम चमड़ी का पीछा नहीं छोड़ने वाले, अब अपनी चमड़ी तो दिखाओ, उतारो अपने कपड़े !”

उसको तो जैसे मौका चाहिये था। झट से पूरा नंगा हो गया और पहलवान का पोज बना कर खड़ा हो गया।

“ये देखो मेरी सोलिड बॉडी, हूँ न मच्छर पहलवान?”
“हाय रे, माइकल तुम भी ना !” मैं खिलखिला कर हंस पड़ी, “अब बस करो मेरा पेट दुखने लगा है।”
“क्यूँ, पसन्द नहीं आई ये बॉडी ?”

“बस ऐसे ही खड़े रहो, तुम्हारा ये सब बहुत सुन्दर है।” उसका खड़ा हुआ तन्नाया लण्ड मुझे सुन्दर लगने लगा था। मैंने आगे बढ़ कर उसका लण्ड थाम लिया।
“नरम चमड़ी का कड़क लन्ड… माइकल देखो ना कितना मस्त है।”

“नरम चमड़ी का कड़क लण्ड… क्या बात है, अब तुम्हारी नरम चमड़ी की प्यारी चूत की बारी है।” माइकल ने मुझे हंसते हंसाते बिस्तर पर लेटा दिया। और उसका लण्ड मेरी चूत पर दब गया। मन किया, साला मुझे चोद दे, लण्ड घुसेड़ दे, क्यूँ देर कर रहा है।

“बोलो स्वीटी, जय हो ऊपर वाले की, बोलो ना !”

“अब बस करो ना, कितना हंसाओगे, अच्छा जय ऊपर वाले की…बस” और उसी समय उसका लण्ड मेरी चूत में उतरता चला गया। मेरी चूत भी ऊपर जोर लगा कर लण्ड को निगलने लगी। तेज मीठी सी मस्ती वाली गुदगुदी उठी।

मुझे हैरानी हुई कि मुझे बिलकुल दर्द नहीं हुआ, बल्कि मजा आया। मेरे दिल में ख्याल आया कि दर्द और मजा तो सब अपने अन्दर ही निहित है। कल दर्द था यहीं पर, आज स्वर्ग सी मिठास है, मुझे सन्दीप या माइकल की क्या जरूरत है, मजा तो अन्दर ही है। बस चुदने के सॉलिड लण्ड चाहिये और एक भरोसे का मर्द। अपनी मस्ती खुद ही लूटो और मन करे उससे चुदाओ, क्यूँ किसी की लौंडी बन कर रहो। उसके धक्के बढ़ते गये, मैं मस्त होने लगी।

“तो फूल तो खिल चुका है, किसी ने चोदा है या खेल खेल में खिल गई?” मैं उसका इशारा समझ रही थी, पर मुझे ये समझ में आ गया था कि मजा तो लण्ड में है माईकल में नहीं।

“मजा तो खिले फूल में है ना, भरपूर मजा मिलेगा ना।” उसका लण्ड चूत में पूरा समेटते हुये बोली।

“मजा आ रहा है ना चमड़ी रगड़ने में, ये सारा खेल ही इसका है डार्लिन्ग” उसने लण्ड पेलते हुए कहा। मेरी चूत पानी पानी हुई जा रही थी। मिठास चरम सीमा पर आ चुकी थी। मेरा बदन अब ऐंठने लगा था। मुझे लगा कि चूत पानी छोड़ने वाली है, चूत लपलपा उठी, सारी नसें खिंचने लगी। मैं होश खोने लगी। और अन्जाने में मेरी चूत कसने लगी और पानी छोड़ दिया।

“आह्ह माईकल, मेरी तो निकल गई, हाय, पानी निकल रहा है।” मेरा शरीर कसने लगा और झड़ने लगा। धीरे धीरे स्वर्ग सा आनन्द लेते हुए मैं झड़ने के सुख का अह्सास अनुभव करने लगी। मेरा पानी निकल रहा था। पर माईकल के धक्के बन्द नहीं हुए। मेरा पूरा पानी निकलते ही उसने मुझे उल्टा लेटा दिया और और मेरे चूतड़ों की गोलाईयाँ हाथ से फ़ैला दी। और उसका लण्ड मेरी गाण्ड के छेद से टकरा गया। मुझे गुदगुदी सी लगी। पर अगले ही पल मैं चीख उठी। उसका लण्ड गाण्ड में घुस चुका था।

“माइकल बस, निकाल लो, मर जाऊंगी !”

“यार चमड़ी है, कुछ नहीं होगा, कुछ देर में फ़ैल जायेगी, शान्त रहो।”
उसका दूसरा धक्का मुझे फिर से हिला गया। मेरी गाण्ड में जलन होने लगी। पर वो रुका नहीं। मैंने कस कर अपना मुँह बन्द कर लिया, वो जोर लगा कर गाण्ड चोद रहा था। वैसे तो मेरी गाण्ड का छेद बहुत नरम था पर उसमे कोई लण्ड पहली बार घुसा था।

कुछ देर धक्के मारने के बाद उसके लण्ड ने माल छोड़ दिया और मेरी गाण्ड में ही पूरा वीर्य भर दिया। जलन में वीर्य ने मरहम का काम किया। थोड़ा चिकनापन गाण्ड में लगा। उसका लण्ड बाहर आ गया। वह तुरंत उठा और कराह उठा। उसका लण्ड गाण्ड मारने से जगह जगह से छिल गया था, चमड़ी फ़ट गई थी। मेरी गाण्ड में भी जलन हो रही थी।

हम दोनों ने बाथ रूम में पानी से सब साफ़ कर लिया। मुझे ज्यादा नहीं लगी थी, बस हल्की सी सूजन आ गई थी। माइकल ने मुझसे बोरोप्लस ले कर मेरी गान्ड में लगा दी और अपने लण्ड में लगाने लगा।

“स्वीटी रुकना मैं अभी आया।” मैं बिस्तर पर लेट गई और आज की चुदाई के बारे में सोचने लगी। फिर मुझे हंसी भी आने लगी।

“क्यों हंसी तुम?” माईकल रात का खाना ले आया और मेज़ पर लगाने लगा।

“हंसी क्यों ना आये, यार तुम्हारे इस चमड़ी के खेल में अपनी तो सारी चमड़ी फ़ट गई।” मैं खिलखिला कर हंसी।
“हा यार, मेरे तो लण्ड की माँ चुद गई।” मैंने उसके होंठों पर अंगुली रख दी।

“गाली नहीं, समझे…” हम फिर से हंस पड़े । वो मेरे टोकने से शरमा गया और सॉरी कहा।

“सन्दीप के बारे में मैं कल पता करूंगा।” माईकल ने मुझे दिलासा दिया। पर अब सन्दीप किसे चाहिये था।

“रहने दो ना, अब तो तुम ही मुझे प्यारे लगने लगे हो।”

“नहीं, मुझे पता है, तुम्हें एक लण्ड और चाहिये… और शायद और भी ज्यादा…” माइकल कह कर हंस पड़ा। क्या इसे मेरे मन की बात मालूम हो गई है या ये ऐसे ही कह रहा है।

“अच्छा तुम्हें और चूत नहीं चाहिये क्या ? किसी को पटाऊँ क्या ?”

दोनों ने एक दूसरे को पहले तो गहरी नजरों से देखा, फिर ठहाको से कमरा गून्ज उठा। शायद हम जवानी का तकाजा समझ गये थे। Hindi Sex Stories

डर्टी Xxx फॅमिली स्टोरी मेरी मम्मी की है. मैं दीदी की चुदाई करता था पर मम्मी को शक हुआ तो उसने दीदी की शादी करवा दी। मैंने अपनी वासना का हल कैसे किया?

नमस्कार दोस्तो, मैं एक बार फिर से आपके सामने अपनी नई सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूं।
मेरी पिछली कहानी
बड़ी सगी दीदी की फुद्दी और गांड का मजा
में मैंने आपको बताया था कि कैसे मैंने अपनी दीदी की चूत चुदाई की और उसकी गांड मारी थी।

आज मैं आपको अपनी मम्मी की डर्टी Xxx फॅमिली स्टोरी बताने जा रहा हूं।

आपको बता दूं कि मेरी मम्मी विधवा है और उसे हम भाई-बहन की चुदाई के बारे में शक हो गया था।
जल्दी ही मम्मी ने दीदी की शादी करवा दी।

अब मुझे चूत और गांड चुदाई के लिए तरसना पड़ रहा था।
जब कभी साल-छह महीने में दीदी घर आती थी तो तभी चूत मिल पाती थी।
उसमें भी मम्मी हम दोनों पर नजर रखती थी इसलिए मजा तो जैसे खत्म ही हो गया था।

ऐसे ही दिन गुजर रहे थे और मेरे अंदर सेक्स की जो आग दबी थी उसमें रोज इंतजार का पेट्रोल गिरता जा रहा था जिससे वो रोज ज्यादा भड़कती जा रही थी।

जब मुझसे रहा न गया तो मैंने सोचा कि मम्मी पर ही ट्राई किया जाए। मेरा डर्टी Xxx विचार था पर मैं वासना से अँधा हो गया था.

मैं अपनी मम्मी के फिगर के बारे में बताऊं तो उसका साइज 36-32-38 का है।
आप सोच सकते हैं कि मेरी मम्मी देखने में कैसी सेक्स माल लगती होगी।

वो अक्सर घर में सूट सलवार और कुर्ता-पजामी या पजामा पहनती है। जिसमें उसकी बाहर को निकली हुई गांड मुझमें बहुत हवस जगाती थी।

एक दिन ऐसा हुआ कि मम्मी किचन में खाना बना रही थी।

मैं बाहर मार्केट से जब वापस आया तो पानी पीने के लिए किचन में गया और जानबूझ कर मम्मी के पीछे खड़ा होकर पूछने लगा- मम्मी क्या बना रही हो तुम?
उस समय वो कुर्ता पजामा पहने खड़ी थी।

मैं थोड़ा आगे को खिसका तो मेरा लंड मम्मी की गान्ड से टच हो गया।

इससे एकदम से लन्ड तनाव में आ गया और मम्मी को भी महसूस हुआ।
वो एकदम से वह वहां से दूर होकर चली गई लेकिन उन्होंने मुझे कुछ नहीं बोला।

उस दिन के बाद से मेरा भी हौंसला बढ़ने लगा और मैं अक्सर उनकी बॉडी को टच करने का मौका देखता रहता।

ऐसे करते करते दो महीने निकल गए और मेरी हवस बढ़ती जा रही थी।

एक दिन मम्मी को बाहर थोड़ा काम था तो मैं मम्मी को बाइक पर ले गया।
आते समय बहुत तेजी से बारिश शुरू हो गई और मैं और मम्मी बारिश से भीग गए।

जब हम घर पहुंचे तो दोनों भीग चुके थे।
मम्मी ने उस समय लाल रंग का प्लाजो और ब्लू कुर्ता पहना हुआ था और गीला होने से उनके कपड़े एकदम उनके शरीर से चिपक गए थे।
इससे उनकी व्हाइट ब्रा पूरी साफ दिखाई दे रही थी।

मम्मी की गांड की शेप देखकर मेरा कंट्रोल छूट गया और मैंने मम्मी को पीछे से जाकर पकड़ लिया और उनकी गान्ड पर अपना लन्ड का दबाव बनाते हुए धक्के लगाने लगा जैसे मैं मम्मी की गांड चोद रहा हूं।

वो बोली- क्या कर रहे हो ये?
मुझ पर हवस सवार थी और मैं कुछ भी नहीं सोच पा रहा था।
मैं सीधे बोला- उस दिन जो किचन में जो अधूरा काम रह गया था, वो पूरा करना है। मैं बहुत प्यासा हूं। मैं रोक नहीं सकता अपने आपको।

ये कहते हुए मैंने मैंने सीधे एक हाथ उनके बूब्स पर रख दिया और आराम आराम से कुर्ते के ऊपर से दबाने लगा।
मम्मी पहले तो थोड़ी छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन बाद में वो गर्म होने लगी।

इसी मौके का फायदा उठाते हुए मैंने उनका कुर्ता ऊपर किया और प्लाजो के ऊपर से फुदी को मसलने लगा।
अब वो आह … अह … करके थोड़ी थोड़ी सिसकारियां लेने लगी।

यह देखकर मेरा जोश और ज्यादा बढ़ने लगा।
मैंने उनके प्लाजो का नाड़ा खोल दिया। प्लाजो मैंने नीचे किया और निकलवा दिया।

अब वो ऊपर से कुर्ते में रह गई थी और नीचे से केवल पैंटी में।
फिर मैंने कुर्ता हटाकर पैंटी भी नीचे कर दी।

मम्मी की मोटी गांड देखकर मेरा लंड तो फटने को हो गया।
जल्दी से मैंने भी अपने कपड़े उतार फेंके और मम्मी की नंगी गांड पर लंड को रगड़ने लगा।

अब मम्मी ने मेरे हाथों को अपने कुर्ते के ऊपर से अपने बूब्स पर रखवाया और अपने हाथों से दबवाने लगी।

नीचे मेरा लंड कभी मम्मी की चूत तो कभी गांड पर रगड़ खा रहा था।
मजे में मम्मी की आंखें बंद हो चुकी थीं; वो मेरे लंड की पूरी फीलिंग ले रही थी।

उसके मुंह से उम्म … आह्ह … करके सिसकारियां निकल रही थीं।

फिर धीरे धीरे मम्मी का मूड पूरा चुदाई के लिए बन गया और उसने पीछे हाथ लाकर मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया।
अभी भी मेरा लंड उनकी गांड से टकरा रहा था।

मैंने पूछा- कैसा लग रहा है मम्मी?
वो बोली- बहुत अच्छा लग रहा है, बरसों की प्यास है, आज बुझवाने का मन कर रहा है; मेरी प्यास मिटा दो।
ये सुनते ही मैं भी मम्मी की चुदाई करने के लिए तैयार हो गया।

मुझे भी बहुत दिनों से चूत नहीं मिली थी इसलिए चुदाई के अलावा मन में कोई दूसरा ख्याल नहीं आ रहा था।
मैंने उनकी गांड पर हाथ टिका दिए और जोर जोर से दबाने लगा।
उस वक्त इतना मजा आ रहा था कि बस बता नहीं सकता।

मम्मी की 36 साइज की चूचियों को दबाते हुए मैं जोर जोर से उनकी चूत के होंठों पर लंड को रगड़ रहा था।
इससे मम्मी की चूत से पानी निकलने लगा था और वो चिकनी हो गई थी।
मम्मी की चूत का गीलापन मैं अपने लौड़े पर लगता हुआ महसूस कर सकता था।

अब मैंने मम्मी को अपनी साइड घुमाया और स्मूच करने लगा।
साथ में नीचे से मैं हाथ से उनकी चूत को भी रगड़ रहा था।
मम्मी की चूत की आग अब हर पल बढ़ती जा रही थी।

मॉम ने मेरे लंड को हाथ में पकड़ लिया और उसकी मुठ मारने लगी।

कभी उसको अपनी चूत पर लगाकर मेरे कूल्हे पर टांग चढ़ा लेती थी ताकि मैं उनकी चूत में लंड घुसेड़ने पर मजबूर हो जाऊं।
मगर मैंने लंड की बजाय उनकी चूत में उंगली दे दी।

मैं एक उंगली देकर तेजी से अंदर बाहर करने लगा जिससे मॉम और ज्यादा तड़पने लगी।
मम्मी की पूरी बॉडी कांप रही थी।
मैंने और तेजी से उंगली करना शुरू कर दिया।

कुछ देर के बाद मॉम की चूत ने पानी का फव्वारा छोड़ते हुए मेरे हाथ को भिगो दिया।
उनकी चूत पूरी पानी में गीली हो गई।

मैंने उनको बेड के किनारे पर बैठाया और उनकी चूत में मुंह लगाकर चाटने लगा।
उनको गुदगुदी हो रही थी लेकिन मजा भी आ रहा था।

मैं अंदर तक जीभ घुसाकर उनकी चूत को चाट रहा था।
उनकी चूत के नमकीन पानी का स्वाद मेरे मुंह में आ रहा था।

मॉम दोबारा से गर्म होने लगी और मेरे मुंह को चूत में दबाने लगी।

मैंने उनको बेड के किनारे पर ही घोड़ी बना दिया और लंड को चूत पर सेट कर दिया। मैंने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और चूत के मुख पर लंड को ऊपर नीचे करते हुए रगड़ने लगा।

इससे मम्मी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं।
मॉम की चूत में मैंने पीछे से लौड़ा पेल दिया।
उनकी चीख निकल गई और आईई … उईई … आह्ह … मर गई … करके वो चिल्लाने लगी।
शायद बहुत समय से मम्मी ने चूत में कुछ नहीं लिया था।

मैंने पूरा लंड अंदर पेलकर उनकी चूत को चोदना शुरू कर दिया।
कुछ देर तक तो मॉम ऐसे ही दर्द में छटपटाती रही।
वो बार बार छूटने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने उनको साइड से पकड़ा हुआ था।

मेरे दोनों हाथ मॉम की गांड पर दोनों तरफ कसे हुए थे।
मैंने फिर गांड को ऐसे ही पकड़े हुए मॉम की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिए।
मेरा लंड मॉम की चूत में अब स्पीड से अंदर बाहर होने लगा।

पांच मिनट के बाद मॉम को चुदाई में मजा आने लगा।
वो आराम से आह्ह … आह्ह … करते हुए चुदने लगी।

फिर मॉम ने मुझे रुकने का इशारा किया।
मैंने लंड के धक्के लगाने बंद किए और मॉम ने आगे सरक कर लंड को अपनी खुल चुकी चूत से पक् … से बाहर निकलवा लिया।
मैं समझ नहीं पाया मॉम ने ऐसा क्यों किया।

वो पलट गई और फिर मेरे सामने टांगें खोलकर लेट गई।
मुझे समझ आया कि मॉम आगे से चुदवाना चाहती है।

फिर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मैंने फिर से उनकी टांगें फैलाते हुए लंड को चूत में पेल दिया।
अब मैं मम्मी के जिस्म के ऊपर लेट गया और चोदने लगा।

उनकी टांगों ने मेरी गांड को जकड़ लिया और मुझे नीचे खींचकर मेरे होंठों को चूसने लगी।
नीचे से मेरा लंड पूरी तेजी से मॉम की चूत में अंदर बाहर हो रहा था।
अब मॉम की चूत पूरी तरह से खुल चुकी थी।

काफी देर तक मैं इसी पोज में उनकी चुदाई करता रहा।
फिर उन्होंने मुझे नीचे लिटाया और खुद मेरे ऊपर बैठकर मेरे लंड की सवारी करने लगी।
वो बहुत चुदासी लग रही थी, उनकी चूचियों के निप्पल एकदम से तनकर खड़े हो चुके थे।

नीचे से धक्के लगाते हुए मैंने उनकी चूचियों को भी भींच रहा था।
अगले पांच मिनट तक मॉम मेरे लंड पर उछलती रही।
फिर मेरा माल निकलने को हो गया।

मैंने कहा- मॉम, मेरा होने वाला है।
वो बोली- तुम देख लो, कहां निकालना चाहते हो!

मैंने उनको उठने के लिए कहा और बेड पर घुटनों के बल कर लिया।

कुतिया वाली पोजीशन में मैंने मम्मी के मुंह में अपना लंड दे दिया और चुसवाने लगा।
वो भी भूखी रंडी की तरह मेरे लंड को चूसने लगी।

मॉम मेरी बहन से भी ज्यादा अच्छी तरह से लंड चूस रही थी।
मुझे लंड चुसवाने में बहुत मजा रहा था लेकिन ये मजा देर तक टिक नहीं पाया।
2-3 मिनट की चुसाई के बाद मेरे लंड ने माल मॉम के मुंह में गिराना शुरू कर दिया।
मैंने सारा माल उनके मुंह में उड़ेल दिया जिसे मॉम पूरा अंदर निगल गई।

कुछ देर तक हम दोनों वहीं बेड पर पड़े रहे।
हमें सामान्य होने में 10 मिनट का समय लग गया।
उसके बाद मॉम उठकर वॉशरूम में गई और मैं भी मॉम के पीछे वॉशरूम में चला गया।

अंदर जाकर मैंने मॉम को फिर से बांहों में भर लिया।
मैं उनकी चूचियों को चूसने लगा और चूत को रगड़ने लगा।

हम दोनों फिर से गर्म हो गए।
उसके बाद मैंने मॉम को वहीं सीट पर बिठा लिया और उनकी चूत को चूसने लगा।
मम्मी की चूत फिर से गर्म हो गई और उनकी चूत से नमकीन रस का स्वाद आने लगा।
अब मैंने उनको खड़ी किया और दीवार के साथ सटा दिया।

उनका मुंह दीवार की तरफ था और गांड मेरी तरफ।
मैंने पीछे से टांगों को फैलाते हुए उनकी चूत में लंड को पेल दिया और दीवार की तरफ धक्के लगाते हुए चूत को चोदने लगा।
मैं जोर जोर से झटके देने लगा।

वो भी मेरा पूरा साथ देते हुए गांड को लंड की तरफ उछाल रही थी।
लगभग 5 मिनट तक मैंने मॉम की चुदाई दीवार से सटाकर ही की।
फिर मैंने उनको नीचे फर्श पर लिटा लिया और खुद ऊपर आकर चोदने लगा।

अब मॉम को चुदते हुए मजा भी आ रहा था और दर्द भी हो रहा था।
वो मेरी पीठ को नोंचते हुए चुद रही थी।
उनकी आंखों में संतुष्टि आती साफ दिख रही थी।

इस तरह मैंने वॉशरूम में मम्मी को बहुत देर तक अलग अलग आसनों में बहुत चोदा और पूरा माल उनके बूब्स पर डाल दिया।
मम्मी भी उस चुदाई में 2 बार झड़ गई।
फिर हम दोनों नहाकर बाहर आ गए और उस दिन के बाद हमारे बीच चुदाई का रिश्ता भी बन गया।

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