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रात को खाना खाने के बाद मैं घूमने के बहाने छत चला गया और पिंकी का इंतजार करने लगा, मगर काफी देर तक इन्तजार करने के बाद भी पिंकी छत पर नहीं आई। आखिरकार थक कर मैं वापस नीचे आकर सो गया।
अगले दिन दोपहर को भी पिंकी पढ़ने के लिये नहीं आई, इससे अब तो मेरे दिल में कुछ शंका व भय सा हो गया… मैं सोच रहा था कि कहीं कल जल्दबाजी में ज्यादा आगे बढ़कर मैंने कुछ गलती तो नहीं कर दी!?!
रात को भी खाना खाने के बाद मैं फिर से छत पर चला गया और ऐसे ही घूमने लगा…
कुछ देर तक ऐसे ही छत पर घूमने के बाद मैं वापस जाने ही लगा था कि तभी मुझे पिंकी के घर की तरफ से सीढ़ियों पर किसी के चढ़ने की आवाज सुनाई दी… आवाज सुनकर मैं वहीं पर रूक गया।
फिर कुछ ही देर बाद एक साया छत पर आया और तार पर से सूख रहे कपड़े उतारने लगा, वो साया बार बार मेरी तरफ ही देख रहा था।
छत पर अन्धेरा तो था मगर कद काठी और कपड़ों के पहनावे से मैं पहचान गया कि वो पिंकी ही है।
मैं हमारे घर व पिंकी के घर के बीच बनी दीवार पर से कूद कर तुरन्त पिंकी के घर की छत पर चला गया जिससे पिंकी घबरा सी गई और जल्दी जल्दी कपड़े उतारने लगी।
मैंने उससे पूछा कि वो आज पढ़ने के लिये क्यों नहीं आई तो उसने बताया कि उसे घर में ही कुछ काम थे।
तब तक पिंकी ने तार पर से कपड़े उतार लिये थे और वो वापस जाने के लिये मुड़ने ही वाली थी, तभी मैंने उसे पीछे से पकड़कर अपनी बाहों में भर लिया और उसकी गर्दन व गालों को चूमने लगा जिससे पिंकी कसमसाते हुए कहने लगी- इईई…श्शशश… क्या कर रहा है…? छोड़ मुझे…! कोई आ जायेगा…!
मगर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने कपड़ों के ऊपर से ही उसकी छोटी छोटी चुची को मुट्ठी में भर लिया और उसकी गर्दन व गालों को चूमते हुए धीरे धीरे उसके रसीले होंठों की तरफ बढ़ने लगा।
मेरे इस हमले से पिंकी एक तो बुरी तरह से घबरा गई थी और दूसरा उसने दोनों हाथों में कपड़े पकड़ रखे थे इसलिये वो मुझसे छुड़ाने का इतना अधिक प्रयास नहीं कर पा रही थी, बस कसमसाते हुए घबराई सी आवाज में धीरे धीर कह रही थी- कोई… देख लेगा…! क्या क…कर…रहा है…? छोड़ मुझे…! प्ली..ईज…!’
मगर तब तक मेरे होंठ उसके होंठों तक पहुँच गये और मैंने उसके रसीले होंठों को धीरे धीरे चूसना शुरु कर दिया.
अब तो पिंकी और भी जोर से कसमसाने लगी, उसने जो कपड़े हाथों में पकड़ रखे थे उन्हें नीचे गिरा दिया और मुझे हटाने के लिये हाथ पैर चलाने लगी। पिंकी के होंठों को अपने मुँह में भर कर मैंने उसका मुँह तो बन्द कर दिया था लेकिन अब भी वो मुझसे छुड़ाने का प्रयास कर रही थी, इसलिये मैंने पिंकी को घुमा कर दीवार के साथ लगा लिया, साथ ही अपना एक हाथ भी उसकी टीशर्ट में भी घुसा दिया और उसकी छोटी छोटी नंगी चुची को सहलाने लगा।
पिंकी अब मुझे हटाने के लिये बस मेरे हाथों को ही पकड़ने का प्रयास कर पा रही थी क्योंकि मैंने उसे दीवार से लगा कर अपने शरीर के पूरे भार से दबा लिया था।
मैंने भी अब मेरा हाथ जो पिंकी की चुची सहला रहा था, उसे धीरे से उसकी योनि की तरफ बढ़ा दिया जिससे पिंकी जोर से कसमसाते हुए ‘अअओ.. ओइईई… वहाँ नहीं… वहाँ नहीं… इईई… श्श्श्शशश… क..य..आ… कर… रहा.. है… अ..आआआ… ह्ह्हहह…’ कह कर चिल्लाई मगर पिंकी ने नीचे लोवर पहन रखा जिसमें इलास्टिक लगा हुआ था, जब तक वो मेरा हाथ पकड़ती, तब तक बहुत देर हो गई थी… और बिना तकलीफ के ही मेरा हाथ सीधा उसके लोवर व पेंटी में उतर गया.
पिंकी ने अपनी जाँघों को भी सिकोड़ने की कोशिश की मगर मेरा एक पैर उसकी दोनों जाँघों के बीच फंसा हुआ था इसलिये वो असफल हो गई. और अब मेरा हाथ पिंकी की छोटी सी नंगी योनि पर था जो हल्की सी गीली हो रही थी।
पिंकी की योनि बिल्कुल छोटी सी ही तो थी जो मुश्किल से मेरी दो उंगलियों के ही बराबर की होगी इसलिये मैंने उसे अपनी उंगलियों से ही दबा लिया। पिंकी ने दोनों हाथों से मेरे हाथ को पकड़ लिया था और अपने लोवर से बाहर निकालने की कोशिश करते हुए वो अब भी यही दोहरा रही थी- अअओ.. ओइईई… क्या क…कर… रहा है…? मरवायेगा…? छोड़ मुझे…! प्ली..ईज…! कोई… देख लेगा…!
मगर मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने अब उसकी नंगी योनि को धीरे धीरे उंगलियों से ही रगड़ना शुरू कर दिया जिससे पिंकी कसमसाने लगी और मेरे हाथ को अपने लोवर से बाहर निकालने के लिये छटपटाने सी लगी। अभी तक मेरी उंगलियाँ पिंकी की योनि को ऊपर से ही रगड़ रही थी मगर पिंकी के छटपटाने से मेरी उंगलियाँ योनि की दोनों फांकों के बीच चली गई.
मैंने भी अब उसकी योनि की छोटी छोटी फांकों को उंगलियों से हल्का सा फैला दिया और बीच की एक उंगली से योनि की फांकों के बीच, योनि की दरार में सहालाना शुरू कर दिया.
जिससे कुछ ही देर में उसकी सांसें तेज व गहरी हो गई और मेरी उंगलियाँ भी योनिरस से गीली होने लगी.
पिंकी का विरोध अब कुछ हल्का पड़ने लगा था क्योंकि उसे भी अब मजा आ रहा था। उसने दोनों हाथों से मेरे हाथ को पकड़ तो रखा था, मगर उसे अब वो बाहर निकालने की इतना अधिक कोशिश नहीं कर रही थी।
मैं भी ऐसे ही पिंकी की योनि को रगड़ता मसलता रहा जिससे कुछ ही देर में मेरा हाथ योनिरस से भीग कर तर हो गया और पिंकी का विरोध भी अब काफूर हो गया, पिंकी के मुँह से अब हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गई थी वो झूठ मूठ में दिखाने के लिये ही ‘छ..ओ…ड़..अ.. म्ममुऊ… झ..ऐ… क..य..आ… कर… रहा..है… अ..आआआ… छ..ओ…ड़..अ…’ कहते हुए मेरा विरोध कर रही थी मगर मेरे हाथ को अपने लोवर से बाहर निकालने की कोशिश नहीं कर रही थी।
मैं भी सही मौका देखकर धीरे से नीचे बैठ गया और साथ ही पिंकी की पेंटी व लोवर को भी एक झटके में मैंने नीचे खींच लिया जिससे पिंकी जोर से ‘अअओ..ओइईई… इईई… श्श्श्शशश… क..य..आ… कर… रहा..है… अ.. आआआ… ह्ह्हहह…’ करके चिहुँक पड़ी और दोनों हाथों से अपने लोवर पेंटी को पकड़ने की कोशिश करने लगी, मगर तब तक वो उसके घुटनों तक उतर चुके थे.
मेरा दिल तो बहुत कर रहा था कि एक बार पिंकी की इस छोटी सी कच्ची कुवाँरी योनि के दीदार हो जाये मगर अन्धेरे में कुछ साफ नहीं दिखाई दे रहा था बस उसकी गोरी नंगी जांघें ही चमक रही थी।
पिंकी ने दोबारा से अपने लोवर व पेंटी को पहने की कोशिश तो करनी चाही मगर तब तक मैंने अपना सिर उसकी दोनों जाँघों के बीच घुसा दिया और अपने प्यासे होंठों को उसकी नंगी, केले के तने सी चिकनी, नर्म मुलायम जाँघों पर लगा दिया.
मेरे प्यासे होंठों का अपनी नंगी जाँघों पर स्पर्श पाते ही पिंकी का पूरा बदन एक बार तो जोर से सिहर सा गया और उसने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया.
मैंने भी अब देर ना करते हुए धीरे धीरे उसकी नंगी जाँघों को चूमते हुए ऊपर उसकी योनि की तरफ बढ़ना शुरू कर दिया जिससे पिंकी के पूरे बदन में सिहरन व झुरझुरी की लहर सी दौड़ने लगी जिसे मैं भी साफ महसूस कर पा रहा था।
पिंकी जब कुछ नहीं कर सकी तो वो मुझे हटाने के लिये दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर मुझे धकेलने लगी मगर मैंने पीछे से दोनों हाथों में उसके नितम्बों को बांहों में भर लिया और धीरे धीरे उसकी जाँघों को चूमते हुए ऊपर उसकी योनि की तरफ बढ़ता रहा.
पिंकी की जाँघों को चूमते हुए मैं घुटनों से थोड़ा ऊपर बढ़ा ही था कि पिंकी के पैर कंपकपाने शुरू हो गये और वो मेरे होंठों की छुवन से अपने को बचाने के लिये पीछे होने की कोशिश करने लगी.
मगर उसके पीछे एक तो दीवार थी और दूसरा मैं उसके नितम्बों को पकड़े हुए था इसलिये वो पीछे नहीं हट सकी.
मैं जाँघों को अन्दर की तरफ से चूमता हुआ ऊपर बढ़ रहा था इसलिये थोड़ा सा ऊपर बढ़ते ही मेरे होंठ चिपचिपे व नमकीन से होने लगे. यह पिंकी का प्रेमरस था जो उसकी गीली पेंटी के कारण उसकी जाँघों पर लग गया था।
मैं जैसे जैसे ऊपर पिंकी की योनि की तरफ बढ़ रहा था वैसे वैसे मेरे होंठ ज्यादा गीले व चिपचिपे होते जा रहे थे, साथ ही पिंकी के पैरों की कंपकपाहट भी बढ़ती जा रही थी। पिंकी एक कुँवारी व अनछुई लड़की थी उसके साथ ये सब पहली बार हो रहा था जो उसकी बर्दाश्त के बाहर था इसलिये मुझे आगे बढ़ने से रोकने के लिये पिंकी ने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया मगर अब मैं उसकी कमसिन कुंवारी योनि का स्वाद चखे बिना कहाँ मानने वाला था, पिंकी के पकड़ने के बावजूद भी मैं ऐसे ही धीरे धीरे जाँघों को चूमते हुए उसकी नंगी योनि तक पहुँच गया जहाँ से उसके कौमर्य की भीनी भीनी मादक महक फूट रही थी।
पिंकी की उस कच्ची कुँवारी छोटी सी योनि की मादक महक पाकर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे एक बार जोर से चूम लिया जिससे पिंकी ‘अअओ.. ओइईई… इईई… श्शशश… अह.. आआ… ह्ह्हहहहह…’ कहकर चीख पड़ी और कंपकपा कर उसकी दोनों जांघें आपस में मिलकर बंद हो गई।
पिंकी का ये पहला और बड़ा ही अनोखा व अदभुत अनुभव था इसलिये उसका झिझकना वाजिब ही था।
मैंने भी पिंकी की जाँघों के साथ अब कोई जबरदस्ती नहीं की, बल्कि ऐसे ही उसकी बन्द जाँघों को व योनि का ऊपरी भाग, यानि की नाभि के निचले हिस्से पर चूमता चाटता रहा, साथ ही मेरे हाथ जो की पिंकी के नितम्बों को पकड़े हुए थे उनसे धीरे धीरे पिंकी के नितम्बों को भी सहलाना शुरु कर दिया जिससे कुछ ही देर में पिंकी की जाँघों की पकड़ कुछ हल्की हो गई और वो अब एक दूसरे से धीरे धीरे जुदा होने लगी।
पिंकी के पैर अब भी हल्के हल्के कंपकपां रहे थे और वो कंपकपांती सी आवाज में अब भी यही दोहरा रही थी ‘अअओ.. ओइईई… इईई… श्श्श्शशश… क..य..आ… कर…रहा..है… अ..आआआ.. .ह्ह्हहहहह… छ..ओ…ड़.. अ… म्ममुऊ.. झ..ऐ… क..य..आ…कर…रहा..है… अ..आआआ… छ..ओ…ड़..अ…’ मगर अब मुझे हटाने की कोशिश नहीं कर रही थी
मैंने भी कोई जल्दबाजी नहीं की बल्की ऐसे ही पिंकी जाँघों को चूमता चाटता रहा…
मगर हाँ, बीच बीच में मैं अपने हाथों को पिंकी के नितम्बों पर से सहलाते हुए पीछे से ही उसकी जाँघों पर जरूर ला रहा था.
और इस बार जब मेरे हाथ पिंकी की जाँघों पर आये तो मैंने उनके बीच अपना हाथ घुसाने के लिये हल्का सा, बहुत ही हल्का सा दबाव डाला ही था कि पिंकी की जांघें अपने आप ही खुलकर फिर से अलग हो गई और अब मेरा मुँह फिर से पिंकी की दोनों जाँघों के बीच था।
मैंने भी एक बार पिंकी की योनि को ऊपर से हल्का सा चूमा और फिर प्रेमरस सी भीगी योनि की छोटी छोटी कोमल फांकों को ऊपरी छोर से चूमता हुआ धीरे धीरे नीचे प्रेमद्वार की तरफ बढ़ गया.
पिंकी के मुँह से अब हल्की हल्की कराहें निकलना शुरू हो गई और अपने आप ही धीरे धीरे उसकी जांघें फैलने लगी, जैसे जैसे मेरे होंठ योनि की कोमल फांकों को चूमते हुए नीचे योनिद्वार की तरफ बढ़ रहे थे वैसे वैसे पिंकी की जांघें भी फैलती जा रही थी।
थोड़ा सा नीचे बढ़ते ही मेरे होंठ पूरी तरह योनिरस से भीगकर तर हो गये और मुँह का स्वाद बिल्कुल नमकीन हो गया क्योंकि मेरे होंठों अब योनि के अन्तिम छोर पर थे जहाँ से योनिरस का झरना फूट रहा था। मैंने भी उस यौवन झरने के उद्धगम स्थल को अपनी पूरी जीभ निकाल कर चाट लिया जिससे पिंकी ने जोरो से थरथराती आवाज में ‘अअओ.. ओह ईई… इईई… श्श्श्शश… अ..आआआ… ह्ह्हहह… क..य..आ… कर.. रहा..ह्ह्हह… है’ कह कर फिर से अपनी जाँघों को भींच लिया मगर इस बार वो अपनेआप खुल भी गई।
मैं पिंकी के उस यौवन झरने को अपनी जुबान से चाटकर साफ करने की कोशिश करने लगा, मगर जितना मैं अपनी जुबान से चाटकर उसे साफ कर रहा था वो उतना ही ज्यादा और ज्यादा प्रेमरस उगल रहा था।
अभी तक मैं पिंकी के उस कुवांरे खजाने की पहरेदार उन कोमल फांकों को ऊपर से ही चूम रहा था अभी तो खजाने तक पहुँचना बाकी था इसलिये धीरे से मैंने योनि की कोमल फांकों को कुरेद कर अपनी जीभ को योनि की दरार के बीच घुसाई और जीभ से योनि की दरार में धीरे धीरे अन्दर की तरफ से चाटना शुरू कर दिया जिससे पिंकी की मुँह से अब सिसकारियाँ निकलनी शुरु हो गई।
प्रेमरस से भीग कर पिंकी की योनि बिल्कुल चिकनी हो चुकी थी इसलिये अपने आप ही मेरी जीभ योनि में ऊपर से नीचे तक फिसल रही थी, मैं भी अपनी पूरी जीभ निकाल कर योनि की फांकों के बीच अन्दर की तरफ से पूरी योनि को चूम चाट रहा था.
तभी अचानक से पिंकी का पूरा बदन जोर से ऐसे थरथरा गया जैसे की उसे कोई करंट का झटका लगा हो, और उसने जोर से ‘अ.. उ्ऊऊ..इईईई… इईई…श्श्शश… अ..आआआ… ह्हहहह…’ कह कर मेरे सिर को दूर झटकने की कोशिश की.
अन्धेरे में कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था मगर फिर भी मुझे समझते देर नहीं लगी कि मेरी जीभ ने योनि के अनारदाने को छू लिया था जो किसी भी औरत या लड़की का बेहद ही संवेदनशील अंग होता है इसलिये पिंकी इतनी जोर से चीख पड़ी थी।
मगर मैं रुका नहीं और बस एक दो बार ही योनि के उस छोटे से चुचक के साथ खिलवाड़ करने के बाद मैं नीचे प्रेमद्वार की तरफ बढ़ गया.
और अब मेरी जीभ प्रेमद्वार की रक्षा करने वाली उन नाजुक कलियों को कुरेद कर प्रेमद्वार पर दस्तक दे रही थी.
और जैसे ही मेरी जीभ पिंकी के योनिद्वार पर लगी, पिंकी ने ‘अअओ.. ओइईई… इईई…श्श्श्शशश… अ..आआआ… हाहहह…’ की एक मीठी सीत्कार भर कर दोनों हाथों से मेरे सिर को जोर से अपनी योनि पर दबा लिया.
मैंने भी पिंकी को ज्यादा नहीं तड़पाया और धीरे से अपनी जीभ को नुकीला करके उसकी छोटी सी योनि के संकरे योनिद्वार में पेवस्त कर दिया जिससे एक बार फिर पिंकी ‘अह अओ.. इईई…
उम्म… इईई… अह ..आआआ… ह्हह…’ कह कर उचक गई. मगर इस बार उसने मुझे हटाने की कोशिश नहीं की बल्कि खुद ही मेरे सिर को अपनी योनि पर दबा लिया।
मैंने भी धीरे धीरे अपनी जुबान को योनिद्वार की संकरी सी गुफा में घिसना शुरु कर दिया.
पिंकी का अब बुरा हाल हो गया, ये सब उसकी छोटी सी योनि के साथ पहली बार हो रहा था जो उसकी बर्दाश्त के बाहर था, उसने मेरे सिर के बालों को कस कर पकड़ लिया था और जोर से
‘अअओ.. ओइईई… इईई…श्श्स्स… अ..आआ आह्हह… अब…ब…स्सस… इईई…श्श्श्शशश… अ..आआआ…ह्ह्हहहहह… अब…बस्सस…’ कहते हुए कभी मुझ पर झुक जा रही थी तो कभी सीधा दीवार के साथ तनकर खड़ी हो रही थी. मगर मुझे हटाने का प्रयास या फिर मेरा विरोध बिल्कुल भी नहीं कर रही थी।
धीरे धीरे मैंने भी अपनी जीभ की हरकत को थोड़ा तेज कर दिया… और अब मेरी जीभ पिंकी के संकरे प्रेमद्वार की दीवारों पर घिसने के साथ साथ कभी कभी थोड़ा सा नीचे उसकी गुदाद्वार तक भी जा रही थी जिससे पिंकी की सिसकारियाँ भी बढ़ गई और उसने भी मेरी जीभ के साथ साथ धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया.
पिंकी की योनिद्वार से इतना अधिक प्रेमरश का स्राव हो रहा था कि अपने आप की मेरे होंठ व जीभ उसमें फिसल रहे थे। यौवन रस से भीगी पिंकी की योनि में मेरी जीभ व होंठ अब अपनी पूरी चपलता से चल रहे थे।
धीरे धीरे अब पिंकी की सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थी और उसने खुद ही कमर हिला कर अपनी योनि को मेरे चेहरे पर घिसना शुरू कर दिया था।
मैं भी अपनी पूरी कुशलता व तेजी से पिंकी की योनि में जीभ चला रहा था.
मेरी जीभ अब पिंकी के प्रेमद्वार में तो कभी योनि की दोनों फांकों के भीच योनि के ऊपरी छोर से लेकर नीचे उसकी गुदाद्वार तक का सफर कर रही थी साथ ही बीच बीच में मेरी जीभ योनि के उस अनारदाने को भी कुरेद दे रही थी।
पिंकी अपनी कुँवारी योनि पर इस तीन तरफा मिश्रित हमले को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नहीं कर सकी… जल्द ही उसका बदन कमान तरह तनने लगा और उसकी पकड़ मेरे सिर पर कसती चली गई… उसने मेरे सिर को पूरी ताकत से अपनी योनि पर दबा लिया और जोर से ‘इईईई… श्श्शश अआआ…ह्हहह… इईईई… श्श्श्शश अहा आआ… ह्ह्हहह… इईईई…श्श्श्शश अआआ…ह्हहहह… इईईई…श्श्शश अआआ…ह्हहहह…’ कहते हुए अपनी योनि से रह रह कर मेरे चेहरे पर प्रेमरश की बौछार करना शुरू कर दिया।
चार पाँच किश्तों में अपना योनिरस मेरे चेहरे पर उगल कर पिंकी निढाल हो गई, वो तो शायद मुझ पर गिर ही जाती मगर मैंने हाथों से उसे सम्भाल लिया, पिंकी के सारे बदन का भार अब मेरे हाथों पर था, मैं भी अब पिंकी को अपनी बांहों में थामे हुए ही धीरे धीरे उठकर खड़ा हो गया और धीरे धीरे फिर से उसके मखमली गालों को चूमना शुरू कर दिया।
पिंकी भी अब इस मूर्छा से जागने लगी थी मगर उसका बदन अब भी कंपकपा रहा था। धीरे धीरे मैं पिंकी के गालों पर से चूमता हुआ उसके कोमल होंठों पर आ गया मगर जैसे ही मैंने उसके होंठों को मुँह में भरा पिंकी ने अपना चेहरा घुमा लिया और मुझसे छुड़वाकर जल्दी से अपने कपड़े सही करने लगी।
पिंकी ने अपने लोवर व पेंटी को पहना ही था कि मैंने फिर से उसको पीछे से पकड़ लिया और उसके गर्दन व गालों को चूमते हुए कहा- यार, तुम्हारा तो हो गया अब मेरा भी तो कुछ कर दो…!
इस पर पिंकी ने कहा- क्या?
मैंने उसके गालों पर एक जोरदार चुम्बन करते हुए बताया- यही जो मैंने किया है.
और अपना एक हाथ उसकी लोवर में डाल दिया जिससे पिंकी कसमसाने लगी और ‘अअओ.. ओइईई… इईई… श्श्श्शशश… अ..आआ…हहह… बस…छोड़…मुझे… अ..आआआ… ह्हह… क..य..आ… कर…रहा.. है… अ..आआआ… ह्ह्ह… अब…बस्स… बहुत.. देर… हो..गई… जाने..दे… मुझे… अ..आआआ… ह्हहह…’ कहते हुए मुझसे छुड़ाने की कोशिश करने लगी.
मगर मैं कहाँ रुकने वाला था, मेरा हाथ अब पिंकी की नंगी योनि पर था जो प्रेमरस से भीगी हुई थी और उसके योनिद्वार से अब भी हल्का सा प्रेमरस रिस ही रहा था।
पिंकी मेरा हाथ अपने लोवर से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी मगर मैंने पिंकी के होंठों को मुँह में भरकर उसका मुँह बन्द कर दिया और उसकी नंगी योनि को फिर से मसलना शुरु कर दिया जिससे पिंकी कसमसाने लगी और मुझसे छुटने के लिये हाथ पैर चलाने लगी।
मैंने पिंकी को फिर से दीवार से सटा लिया और धीरे धीरे उसकी योनि की फांकों को रगड़ता मसलता रहा जिससे कुछ ही देर में उसकी योनि में फिर से तरावट आ गई और पिंकी फिर से उत्तेजित होने लगी।
मैं कुछ आगे करता कि तभी हमारे घर की तरफ से मेरी भाभी की आवाज सुनाई दी, वो मुझे नीचे बुला रही थी।
भाभी की आवाज सुनते ही पिंकी तुरंत मुझसे छुड़वा कर अलग हो गई और जल्दी से नीचे छत पर गिरे हुए सूखे कपड़े उठाने लगी।
मैं भी हमारे घर की छत पर आ गया और ऊपर से ही भाभी को आवाज देकर बता दिया- थोड़ी देर में आ रहा हूँ।
इसके बाद मैं वापस पिंकी के घर की छत पर आ गया मगर तब तक पिंकी कपड़े उठाकर नीचे जा चुकी थी।
सच कह रहा हूँ, उस समय मुझे अपनी भाभी पर बहुत गुस्सा आ रहा था… पर कर भी क्या सकता था इसलिये मन मसोस कर नीचे आ गया।
नीचे भाभी ने जब मुझसे पूछा कि ‘क्या चल रहा है’ तो मैंने भी भाभी को सारी बात बता दी।
भाभी ने कहा- मुझे पता था तुम यही सब कर रहे होगे, इसलिये तो बुला लिया, ऊपर छत पर कोई देख लेगा तो क्या होगा, थोड़ा इन्तजार कर लो, जब मम्मी पापा शहर जायेंगे तब मौका मिल जायेगा।
मुझे उत्तेजना भी चढ़ी हुई थी और भाभी पर गुस्सा भी आ रहा था इसलिये उस रात मैंने सारा गुस्सा भाभी को बुरी तरह से चोद कर उतारा जिससे भाभी को मजा तो आया पर सुबह उसकी हालत खराब हो गई।
मैं अपनी कहानी आज मेरे Sex Stories पाठको के पास पहली बार प्रस्तुत कर रहा हूँ। यह मेरी एक सच्ची कहानी है। इसमें ग़लत और झूठ कुछ भी नहीं है!
मैं हिमाचल में अभी रह रहा हूँ पर मैं हरयाणा से हूँ! मेरे पास होटल भी है और मैं बहुत ही कूल पॉइंट पे हूँ! मेरी उमर 27 साल है मैं जितना ही कम उमर का हूँ उतना ही बड़ा लंबा और चौड़ा हूँ। मैं अभी अविवाहित हूँ मैंने आज तक बहुत फुद्दी, गांड मारी है! पर जितना मज़ा बड़ी उमर की फुद्दी में है किसी में नहीं है!
ऐसे ही एक मेरी चाची मेरे से 20 साल बड़ी मतलब कि वो 47 की पर मैं 27 का, उसकी फिगर 38 32 40 थी! मैं ऐसे ही उनके घर चला गया। चाचा मेरे ड्यूटी करते थे, उनके ड्यूटी जाने के बाद एक दिन मैं सुबह अपनी चाची के साथ रसोई में काम करवा रहा था। उसके बूब्स मेरे साथ टकरा गए और मेरा लण्ड पूरा गर्म हो गया।
इतने में मैं पूरा गरम हो गया। मेरी चाची ने देखा कि मेरे चेहरे का रंग पूरा लाल हो गया था मेरी चाची ने पूछा- क्या हुआ तुम्हें?
मैं एकदम चुप कर गया, मैंने बोला- मेरे को बाथरूम जाना है अभी।
मेरी चाची बोली- ठीक है।
जैसे ही मैं गया मैंने अपना लण्ड निकाला तो वो पूरा 8.5′ का हो गया था। मेरी चाची वो सब कुछ बाथरूम की खिड़की से देख रही थी मेरे को नही पता था। जैसे ही उसने मेरे लण्ड को देखा वैसे वो ओहह्ह आह्ह्हह्छ करने लगी। मैं कुछ समझा नहीं कि यह आवाज़ें कहाँ से आ रही हैं। मेरा जैसे ही काम हुआ और मैं बाहर निकलने लगा तो देखा कि मेरी चाची ने अपनी बुर में ऊँगली डाली हुई थी और पूरी मस्ती में थी।
मैं चुपचाप देखता रहा, जब उसका काम हो गया तो मैंने बोला- चाची यह तुम क्या कर रही थी!
मेरी चाची ने बोला मेरे को कि इतना बड़ा लण्ड कभी नहीं मिला जो मैंने बाथरूम की खिड़की से तुम्हारा देखा।
मैंने बोला- चाची मैं 4 साल से तुम्हारी बुर के बारे में सोचता रहता था पर आज तुम मौके पर मिली हो, आज मैं तुम्हें नहीं बक्शूंगा! मैं उसे बिस्तर पर उठा के ले गया। उसकी ब्रा खुली तो कभी सोच नहीं सकता कि इतने बड़े मुम्मे होंगे।
जैसे ही मैंने पकड़े मेरी चाची के मुम्मे, मेरा लण्ड 5 मिनट मैं दुबारा खड़ा हो गया। ऐसा चूसा मैंने चाची को कि आज भी वो अपनी दूसरी सुहागरात याद करती है। जैसे ही मैंने अपना लण्ड चाची की फुद्दी के साथ लगाया मेरी चाची बड़ी गरम हो गयी बोली- एक बार अन्दर डालो, मैं बहुत सालों से प्यासी हूँ।
जैसे ही मैंने डाला तो वो रोने लगी मैंने बाहर निकाला तो मेरे को बोली- अन्दर डालो! मैं एक अच्छा खिलाड़ी हूँ। 25+ उमर की फुदी का, कोहिनूर का एक्स्ट्रा टाइम कंडोम था।
मैंने चाची को तीन बार झाड़ दिया पर आखिरी मैं हार गया मेरा भी काम हो गया। वो चाची के साथ दिन आज भी मेरे याद आते हैं।
ऐसे ही बहुत फुदी मारी मैंने। Sex Stories
आज मैं आप के लिये कोई कहानी नहीं लाया Antarvasna लेकिन मैं आपसे केवल २ बातें करने आया हूं।और ये दो बातें केवल लड़कियों के लिये हैं।
तो लेडीज़—गौर फ़रमायें।
आप या तो कुंवारी होंगी या फ़िर शादी शुदा
शादीशुदा हो तो ठीक है, कुंवारी होंगी तो २ बातें होंगी,
या तो आप शादी करेंगी या नहीं।
शादी नहीं कि तो ठीक लेकिन अगर की तो २ बातें होंगी,
या तो आपका पति ठरकी होगा या नहीं
ठरकी हुआ तो आपको चुदाई का मज़ा आयेगा लेकिन अगर ठरकी नहीं हुआ तो २ बातें होंगी
या तो आप एक ही बिस्तर पे सोयेंगे या अलग – अलग,
अलग से सोने का तो सवाल ही नहीं उठता और अगर एक ही बिस्तर पे होंगे तो २ बातें होंगी।
या तो आप बिना चुदे ही सो जायेंगी, फ़िर पति को गालियां देंगी।
बिना चुदे तो नींद आयेगी नहीं और अगर मन में पति को गालियां देंगी तो २ बातें होंगी।
या तो आप अपने पति को छोड़ने की सोचेंगी या फ़िर किसी और से अपनी चूत मरवाने की।
एक साल से पहले तो तालाक तो होगा नहीं और अगर किसी और से चुदवाना हो तो २ बातें होंगी।
या तो आप अपने किसी पुराने यार से चुदवायेंगी या किसी और से।
किसी और को तो ढूंढना पड़ेगा लेकिन अगर यार से चुदवाना होगा तो २ बातें होंगी।
या तो उसकी शादी हो गयी होगी या नहीं,
कुंवारा होगा तो ठीक लेकिन अगर शादी शुदा होगा तो २ बातें होंगी।
या तो वो आपको चोदेगा या नहीं।
चोद देगा तो आप खुश लेकिन अगर नहीं चोदेगा तो २ बातें होंगी।
आपको या तो अपनी जवानी ऐसे ही गुज़ारनी होगी या फ़िर किसी को ढूंढना होगा जो आपको चोद सके।
ऐसे जवानी बिताना मुश्किल है अगर किसी को ढूंढना हो तो २ बातें होंगी।
या तो वो आपको चोद के खुश कर पायेगा या नहीं।
खुश किया तो ठीक लेकिन अगर खुश नहीं किया तो २ बातें होंगी।
या तो आप को वो जैसा भी चोदे खुश रहना होगा या फ़िर किसी दूसरे के लंड को ट्राई करना होगा।
उससे चुदवा के ही खुश रहना है तो पति के लंड में क्या बुराई है,
लेकिन अगर दूसरा लंड ट्राई किया तो २ बातें होंगी।
या तो दूसरा लंड मस्त होगा या फ़िस,
मस्त हुआ इसकी क्या गारंटी लेकिन अगर फ़िस हुआ तो फ़िर एक और लंड ढूंढो।
अरे तो मेरी बात आपकी समझ में क्यों नही आती है——–
बार बार लंड ढूंढ रही हो और हर एक लंड फ़िसड्डी निकल रहे हैं। दुनिया से कितना चुदवाओगी। Antarvasna
मेरा नाम सुरेश है। एक दिन घर में मैं, मेरा भाई और भाभी Antarvasna थे। मेरा रूम भाभी के बगल में है। रात में भाभी के कमरे से अजीब आवाज आ रही थी। मैंने वेंटीलेटर से देखा भाई और भाभी दोनो नंगे थे। भाई उनकी चूत चाट रहे थे। भाभी आंख बंद किये मजा ले रही थी। और आह ऊऊओहह्ह की आवाज निकाल रही थी। भाभी की चूची एक दम साफ़ नजर आ रही थी। एक दम कड़े थे। भाई चूत चाटने में मस्त थे। ये देख कर मेरा लंड तनता जा रहा था भाभी ने इशारे से कहा कि अब बरदाश्त नहीं हो रहा है। अब चोद दो लंड मेरी चूत में डाल दो, भाभी भरपूर जोश में थी। भाई जब हटे तब भाभी के चूत देखाई दी, एक भी बाल नहीं था, लाल लाल चूत पानी निकल रहा था। मैं जोश में भर गया था तभी भाई ने अपना लंड उनकी रसीली चूत में डाल दिया थोड़ी देर बाद में ही वो रुक गये। भाभी बोली बस हो गया भाई उनके ऊपर से हट गये और दूसरी तरफ़ सो गये मगर भाभी ने गुस्से में थी। अपनी ही उंगली को अपनी चूत में डाल रही थी। मुझे लगा कि भाभी अभी झड़ी नहीं है। तभी मेरा पैर फोटो से टकराया। भाभी ने मुझे देख लिया। भाभी साल लपेट कर मेरे कमरे के तरफ़ आ रही थी।
मैं झट से बेड पर आ कर लेट गया भाभी कमरे में मेरे पास आ कर खड़ी हो गयी। बरमूडा में मेरा लंड खड़ा था। उन्होंने मुझे चूमना शुरु किया वो इतने जोश में थी। मेरे सारे कपड़े निकाल दिये। मेरे लंड को चाटने लगी। भूखी शेरनी की तरह वो मुझपर टूट पड़ी। भाभी का साल हट गया था। सो उनकी चिकनी गांड साफ़ साफ़ देखाई दे रही थी। उनकी चूची अभी बहुत टाइट थी। मैंने कहा भाभी दरवाजा खुला है, कहीं भाई आ गये तो भाभी बोली आने दो मेरी प्यास अब तक नहीं बुझा पाये, मैं बहुत प्यासी हूं मेरी प्यास बुझा दो जो कहो मैं करूंगी। भाभी मेरा लंड चूस रही थी जैसे लोलीपोप। मैंने भाभी की चूत पर अपनी झीभ रख दी, वो मदहोश होती जा रही थी। भाभी की आंखों में अजीब सा नशा था। भाभी बोली अपने लंड से आज मेरी इतनी चुदाई करो इतनी चुदाई कि मेरी सालों की प्यास बुझ जाये। मैंने भाभी को लिटा कर कहा भाभी अब आप सिर्फ़ आंख बंद कर के मजे लो। भाभी की चूत एक दम लाल थी। मैंने अपना मोटा लंड भाभी की चूत पर रख दिया और अन्दर डालने लगा। भाभी ने अपने होठों को दातों से दबा रखे थे। उनको बहुत मजा आ रहा था। भाभी की चूत इतनी गरम थी कि मेरा लंड अन्दर गर्मी पा कर और भी मोटा हो गया था। अब मैंने पूरा लंड भाभी की चूत में डाल दिया और धक्का मारने लगा भाभी अपनी कमर ऊपर उठा रही थी, मेरा साथ दे रही थी, लगभग ४० मिनट तक भाभी को चोदता रहा भाभी ने मुझे कस के पकड़ लिया और बोली मेरा माल बाहर आने वाला है, मैं धक्का मार ही रहा था मैंने सोचा कि भाभी झड़नेवाली है। मैं भी साथ में झड़ जाऔं मगर वो बोली बस करो वो हाफ़ रही थी। मैंने कहा मैं अभी नहीं झड़ा हूं तो जल्दी करो मैंने स्पीड बढ़ा दी और थोड़ी देर बाद मेरे लंड का रस भी भाभी के चूत में गिर रहा था मुझे बहुत मजा आया। थोड़ी देर तक हम दोनो ऐसे ही पड़े रहे फिर दोनो अलग अलग हुये। जैसे भाभी की चूत से मैंने अपना लंड निकाला ढेर सारा वीर्य भाभी की चूत से निकलने लगा, चूत से सफ़ेद सफ़ेद रस बाहर निकलते पहली बार देख रहा था। मैं और भाभी थक गये थे। वो उठी और मुझे चूम लिया फिर मेरे लंड को चूम कर बोली थैंक्स प्लीज़ अमित, ऐसे ही मुझे चोदते रहना, तुम जो बोलोगे मैं वो करूंगी। मैने कहा ठीक है फिर भाभी को मैंने नये तरीके से चोदा। वो बाद में बताऊंगा Antarvasna
Sex stories- मेरा नाम सुमित है. मैं मुंबई में रहता हूँ. मैं आज से एक साल पहले मुंबई आया था. मैने जहा पर रूम किराये पर लिया था वहा एक आंटी भी रहती थी. मेरी आंटी से दोस्ती हूँ गई. आंटी की दो लडकियां थी. एक का नाम सुनीता और एक का नाम सिम्मी था. दोनों बहुत सेक्सी थी. एक थोडी मोटी थी जिसका नाम सुनीता था. बड़ी वाली एकदम सेक्सी और स्लिम थी. दोनों चोदने वाली चीजे थी. दोनों दूध की तरह गोरी थी. मैं रात दिन उनकू चोदने के बारे मैं सोचता रहता. कई बार मैं उनकू याद करके नगन करके ख्यालू मैं चोदता रहता था. उनकू याद करके मैं दिन मैं एक बार मुठ जरूर मरता था
एक दिन मेरी किस्मत खुल गई. मैने सिम्मी को उसके बॉय फ्रेंड के साथ गार्डन मैं फ्रेंच किस करते देख लिया. मैं वही पर उनका पीछा करते रहा. मैने मोबाइल से उनके फोटो भी ले लिए. शाम को जब वो घर वापिस आ रही थी तू मैने उसको रास्ते मैं रूक लिया. मैने उसे कहा पैदल जा रही हो आओ बाईक पे घर छोड़ दू पहले तो वो मन करती रही पर जोर डालने पर वो मान गई. मैने उसे बिठा लिया. रास्ते मैं मैने पूछा गार्डन मैं क्या कर रही थी. वो घबरा गई और कहने लगी कुछ नही. मैने कहा ज्यादा बनो मत मेरे पास तुम्हारे फोटो हैं. वो डर गई और मान गई. वो मेरी मिन्नतें करने लगी की घर पर मत बताना. मैने कहा एक शर्त पर नही बताऊंगा अगर तुम मेरे से चुदवाओगी. उसने कहा यह नही हो सकता. मैने कहा तो मैं बता दूंगा. वो मान गई और मुझे अपना मोबाइल नम्बर दिया और कहने लगी कल जहा कहोगे आ जाऊगी.
मैं खुश हो गया. रात भर कल का इंतज़ार करता रहा. सुबह होणे पर मैने अपनी दोस्त से रूम की चाबी ली. मेरा दोस्त सुबह जॉब पर जाता था और रात को घर आता था. मैने सिम्मी को फ़ोन करके वहीं बुला लिया. दोपहर को १२ बजे का मैने टाइम रखा. वो कॉलेज जाने की बजाये सीधे मेरे पास आ गई.. मैने उसे रूम मैं बैठाया. सबसे पहले उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाया. उसने नीले रंग की जींस और टॉप पहन रखा था. जिसमें वो सेक्स सिम्बोल लग रही थी. मैं उसे उठा कर बेड पर ले गया उसे वहा लिटा दिया और साथ ख़ुद भी लेट गया. मैने उसको कस कर बाहों मैं ले लिया और पूरे बदन पर किस करने लगा. फिर मैने उसके मखमल जैसे ममे हाथो में लिए और धीरे २ दबाने लगा. वो सिसकिया भरने लगी आआया…. आया…. ह्ह्छ.. .मेरी मस्ती और बढ गई. बाद में मैं उसे समूच करने लगा. मैने उसे गोद मैं बिठाया और स्मोच और गहरा कर दिया. मैं कभी उसके मुँह मैं जीब डालकर उसे कसता कभी वो मेरे मुँह मैं अपनी जीभ डालती और उसे चूसता. १५ मिनट हम यही करते रहे.
वो पूरी तरह गरम हो चुकी थी. मैने कहा चल साली अब तेरे को नग्न करू और तेरे ममे पियू और तेरे को चोदूं. मैने उसे नग्न कर दिया. अब उसके बदन पर काले रंग की ब्रा और पेंटी थी. मैं उसके रूप को देख कर पागल हो गया और पूरे बदन को उसके चूमने लगा. मैं उसके पेट पर चुम्बन चोदता रहा और उसे सिस्क्किया देता रहा. मैने उसके पूरे बदन पर हाथ और मुह फेरता रहा.वोह स्स्स्स.. आःछ…….आआस्स्स्स….करती रही. उसके गोरे बदन पर गले मैं चैन और काली ब्रा और पेंटी उसे गजब रूप दे रही थी. फिर मैने उसकी पेंटी और ब्रा उतारी. अब वो पूरी तरहे नंगी थी. मैने उसके मम्मों को हाथ मैं भर लिया वो कड़क हो चुके थे. मैने उसके एक ममे को हाथ मैं लिया और दोसरे हाथ से उसके निपल को प्यार से दबाने लगा. वो पागल हो गई और सिसकिया भाते हुए मेरे साथ चिपट गई.
मैने कहा आज तेरे को चोद कर तेरे जुड़वा बच्चे पैदा करूगा. बोल कितनी बच्चे पैदा करेगी. वो कहने लगी प्लीज़ ऐसा मत करना मोहल्ले में मेरी बेइस्ती हो जायेगी. मैं हस पड़ा और कहने लगा फिकर मत कर तुझे प्रेग्नैन्सी पिल खिला दूगा. बाद मैं मैने कहा तेरे बॉय फ्रेंड ने कितनी बार तेरे को चोदा है. उसने कहा कभी नही. मैने कहा क्या २ किया उसने तेरे साथ. उसने उत्तर दिया सिर्फ़ पहला फ्रेंच किस जब तुमने देख लिया. मैं खुश हो गया की कुवारी फ़ुद्दी मिलेगी आज तो. मैं उसके ममे हाथ मैं लेकर निप्पल चूसने लगा. उसके गोरे म्मो पर काले निप्पल मस्त थे. मैं १५ मिनट मम्मे चूसता रहा और वो सिसकिया भरती रही. वो मेरे अंडरवियर से मेरा लंड टटोल रही थी. मैने अंडरवियर उतार दिया. मेरा लंड बाहर आ गया. वो मेरे लंड से खेलने लगी.
मैने उसे मुँह मैं लेने को कहा. वो मना करती रही. मैने उसके बालो से पकडा और मुँह में लंड घुसा दिया. बाद में वो उसे चूसने लगी अब उसे ७ इंच लंबा और मोटा लंड अच्छा लगा और वो उसे लोलीपोप की तरहे चूसने ली. मैने उसके सर को पकड़ा और मूह में ही वीर्य निकाल दिया. अब वो गुस्सा हो गई पर बाद में मैने कहा ऐसा नही करुंगा तो वो मान गई.फिर में उसके बदन से खेलता रहा और लंड के खडे होने का इंतज़ार करने लगा. लंड १० मिनट बाद दोबारा खड़ा हुआ. अब में उसकी फुदी को चाटने लगा. उसकी फुदी फूल गई तो मैने अपनी लंड को उसके मुँह में दे कर गीला किया, फिर फुदी पर रखा और जोर से झटका मारा और लंड फिसल गया. उसकी फुदी छोटी थी.
मैने दुबारा उसकी फुदी को खोला और लंड रखा और जोर से झटका मारा. आधा लंड अन्दर घुस गया.वो दर्द से तड़फ़ने लगी. कहने लगी मुझे माफ़ कर दो प्लीज़. मैं हंस पड़ा और एक और झटका देकर पूरा लंड अन्दर धकेल दिया. वो रोने लगी और कहने लगी मेरी गलतियां माफ़ कर दो मुझे छोड़ दो. मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे समूच करने लगा और ममे चूसने लगा. अब दर्द कम होने लगा था . मैने दोबारा चोदना सुरु किया अब उसे मजा आने लगा. सिम्मी भी अब मेरा साथ देने लगी. कुछ देर बाद वो झड़ गई.में नही झडा. मैं लगातार लगा रहा वो छुटने का यतन कर रही पर में उसे पेलता रहा. में आधे घंटे बाद उसके झड़ने के बाद झड़ा. मैने उस दिन तीन बार अलग २ ऐन्गल से उसको चोदा. सिम्मी को मेरे दोस्त और मैने मिल कर कैसे चोदा और सुनीता की चुदाई की कहानी में अगली बार लिखूंगा.
तो दोस्तों कैसी लगी मेरी Sex stories मुझे लिखे
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