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आज मैं आपको पहली बार hindi sex stories गाण्ड के अलावा कोई नया किस्सा सुना रहा हूँ।
बात 2006 की है मैं कानपुर में ही रहता और नौकरी करता था। मैंने गोविन्द नगर में एक फ्लैट किराये पर लिया था जिसमें आगे की तरफ माकन मालिक और पीछे के रास्ते से मेरा फ्लैट था जो कि दो कमरों का अच्छा सेट था। मैं कब आऊँ, कब जाऊँ किसी को कोई मतलब नहीं था। पीछे के दरवाज़े की एक चाभी भी मेरे पास रहती थी। कभी कभी मकान मालिक का बेटा ही उस तरफ आता था जो मुझसे काफी बड़ा था। या कभी मकान मालिक अपने पोतों के साथ आते थे।
इस मकान को लेने के बाद मुझे ऐसा लगा कि गलती कर दी क्यूंकि कोई भी माल नज़र नहीं आ रहा था। कुछ एक जो थे वो काफी दूर रहते थे और कोई जुगाड़ बन नहीं रहा था। करीब डेढ़ महीने बाद एक भाभी जी करीब 30 साल की होगी, सामने के मकान में आई। उनके परिवार में 3 बच्चे और उनके पतिदेव थे। बच्चे भी ठीक ठीक उम्र के थे एक लड़की करीब 10 साल की, एक लड़का 6 साल का और एक 3 साल का।
पहले कुछ दिन तो मैंने ध्यान नहीं दिया और अपने ऑफिस आता जाता रहा लेकिन एक दिन शाम को जब मैं चाय पी रहा था तो देखा कि भाभी जी छत पर खड़ी हैं और घूर घूर कर मुझे देख रही हैं।
मैं थोड़ा सा झेंप गया लेकिन सोचा कि शायद नए हैं इसीलिए देख रही होंगी कि कौन कौन आस पास रहता है। पर फिर ये ही मंज़र रोज रोज होने लगा वो छत पर आती और घूरती रहती थी।
वैसे मेरी और उनकी खिड़की भी लगभग आमने सामने ही थी और दरवाज़ा भी, लेकिन मेरा फ्लैट उनके फ्लैट से थोड़ा ऊंचाई पर बना था तो मैं तो आराम से देख सकता था कि उनके कमरे में क्या हो रहा है पर वो नहीं देख सकती थी। अगर मैं खिड़की पर खड़ा होता तभी नज़र आता।
उनके पति जो करीब 44-46 साल के थे दरअसल एक सरकारी विभाग में थे और सुबह जल्दी जाते थे और शराब के शौकीन थे इसलिए रात को देर से ही आते थे।
एक दिन मकान मालिक को कुछ काम था और उनका बेटा भी घर पर नहीं था, तो उन्होंने मुझसे कहा- बेटा तुम्हारे सामने जो नए लोग आए हैं उन्हें जरा ये सरकारी पेपर दिखा लाओ और पूछो कि इसमें क्या कर सकते है।
मैंने कहा- ठीक है !
और पेपर लेकर मैं उनके घर गया घंटी बजाई तो भाभी जी ने दरवाजा खोला और अन्दर बुलाया। मैंने भाई साहब यानि उनके पति के बारे में पूछा तो बोली कि वो तो देर से आएंगे, मैं उन्हें ही बता दूँ !
मैंने पेपर दिखा कर जानकारी ली, उन्हें जो कुछ मालूम था मुझे बताया और कहा कि मैं रात को उनके पति से मिलकर पूरी बात समझ लूँ।
मैं उठने लगा तो बोली- बैठिये न ! आप तो पड़ोसी हैं !
फिर वो चाय नाश्ता वगैरह लाई और बातें करने लगी।
वो बोली- मैं तो इतने दिनों से आपको आते जाते देखती हूँ, पर आप कभी इधर देखते ही नहीं।
मैं क्या कहता, मैंने कहा- बस अपने ही काम में व्यस्त रहता हूँ !
लेकिन अन्दर ही अन्दर मैं जानता था कि सच्चाई क्या है। दरअसल भाभी जी बड़ी सेक्सी थीं, वो हलकी सांवली इकहरे बदन की थी, साथ ही एक दम कसा हुआ ब्लाउज पहनती थी, जिससे उनके गोल गोल उभार नज़र आते थे और मेरे मकान मालिक के बेटे की नज़र भी उन पर थी। साथ ही साड़ी का पल्लू भी लटकता था जिससे सब कुछ साफ था, पर मैं चुप ही रहा।
बात बात में उन्होंने मेरा नाम पूछा और मैंने उनका !
तो उन्होंने बताया कि उनका नाम सुगंधा है और उन्होंने यह भी कहा कि मैं शाम को चाय उनके यहाँ ही पिया करूँ और उनके बच्चों को पढ़ा भी दिया करूँ !
तो मैंने कहा- पढ़ाना तो मुश्किल है क्यूंकि मेरे पास फिक्स टाइम नहीं है पर जब भी जरुरत हो बता देना, मैं आकर उन्हें मदद कर दूंगा।
धीरे धीरे वो रोज ही मिलने लगी। जब मैं शाम को ऑफिस से लौटता तो वो सड़क पर ही खड़े होकर बात करने लगती।
लोगों की नज़र में भी कुछ गलत नहीं था क्यूंकि मैं अक्सर उनके बच्चो को सड़क पर ही किताब से सवाल समझा देता या वो मेरे पास आकर पूछ लेते, और मेरे और भाभी के बीच करीब 8-9 साल का अंतर भी था।
एक दिन मैं उनके घर गया तो वहां कोई नहीं था। अन्दर तक देखने पर कोई नहीं दिखा तो मैंने आवाज़ दी- भाभी जी !
फिर भी कोई जवाब नहीं आया मुझे लगा कि शायद छत पर होंगी और मैं लौटने लगा और फिर आवाज़ दी तो बोली- इधर आ जाओ ! मैं यहाँ हूँ !
मैं उस तरफ गया तो कोई नहीं दिखा। अचानक से उनके बाथरूम का दरवाज़ा खुला और मैं सकपका गया। वो बिल्कुल गीले बदन नहाई हुई मेरे सामने खड़ी थी और बदन पर सिर्फ एक झीने से कपड़े की चुन्नी थी।
मैं घूमने लगा तो बोली- शरमा गए क्या शर्मा जी? लगता है तुमने आज तक कोई नंगी लड़की या औरत नहीं देखी !
बात भी सच थी कि मैंने गांड तो बहुत मारी थी और नंगी लड़कियाँ किताबों और इन्टरनेट पर देखी थी पर सामने कोई नहीं।
मैंने कहा- शर्माने की ही बात है, मुझे माफ़ कीजिये, मुझे पता नहीं था, मैं बाहर इन्तज़ार कर रहा हूँ !
वो बोली- इन्तज़ार में कहीं गाड़ी न छूट जाये ! और मेरा हाथ पकड़ लिया।
उन्हें देख कर मेरे लंड से पानी चूने लगा था। वो बोली- जब मैं लड़की होकर नहीं शरमा रही, तो तुम क्यों शरमा रहे हो !
और उन्होंने मुझे अपने करीब घसीट लिया। अब मेरे और उनके बीच में सिर्फ 6 इंच की दूरी थी। सर नीचे करता तो निगाहें उनकी चुचियों पर जाती और ऊपर करता तो उनकी आँखों की हवस मुझे खाए जा रही थी। मेरा लण्ड भी तन रहा था और धीरे धीरे उनकी नाभि से टकराने लगा।
उसे देख कर वो बोली- तुम शरमा रहे हो पर तुम्हारा ये नहीं शरमा रहा ! देखो कैसे मेरे बदन को सलामी दे रहा है !
और उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया। फिर तो ऐसा लगा कि अभी झड़ जायेगा। मैंने बड़ी मुश्किल से अपना लण्ड छुड़ाया और उनसे पूछा- आपको क्या चाहिए?
वो बोली- वही जो अभी पकड़ा था।
मैंने कहा- मेरे पास कंडोम नहीं है !
वो बोली- कोई बात नहीं, डरो मत ! मैं भी कोई ऐसी वैसी नहीं हूँ सिर्फ अपने पति से ही खुश हूँ, लेकिन तुम्हें देख कर मेरे मन में फिर से चुदाई के बादल उमड़ने घुमड़ने लगे हैं और मैं यह भी जानती हूँ कि तुम भी छुप छुप कर अपने खिड़की से मुझे देखते हो।
जब बात खुल ही गई थी तो मैंने भी कह दिया- हाँ, आप मुझे अच्छी लगती हो !
उन्होंने मुझे जोर से भींच लिया और मेरा सर झुकाकर अपनी चुचियों में दबा लिया। मैंने भी उनकी चूचियां चूसनी चालू कर दी।
तो वो बोली- यहीं करोगे या बिस्तर पर?
फिर मैं उनके बेडरूम में गया, जहाँ उन्होंने चुन्नी हटा दी और मुझे नंगा करने लगी। वैसे भी उन्हें ज्यादा दिक्कत नहीं हुई क्यूंकि मैंने एलास्टिक वाला निक्कर और टी-शर्ट पहनी थी। उसे उतार कर उन्होंने मेरे कच्छे पर भूखी शेरनी जैसी निगाह डाली और एक ही बार में उसे नीचे कर दिया। मेरा लंड तन चुका था। उन्होंने तुंरत उसे चूसना शुरू किया और 2 मिनट बाद मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, तभी मैंने उसे निकाल लिया।
वो बोली- क्या हुआ? फ़ुस्स हो गए क्या?
मैंने कहा- नहीं ! हो जाऊंगा !
वो बोली- कोई बात नहीं ! मुझे मालूम है कि तुम्हारा लण्ड अभी कुंवारा है इसीलिए मैं तुम्हें प्रैक्टिस करा रही हूँ जिससे तुम्हारी बीबी को दिक्कत न हो।
वो फिर चूसने लगी और मैंने उनके मुँह में ही सारा माल टपका दिया और वो बड़े प्यार से उसे निगल गई।
अब तो मेरा पौने सात इंच का लण्ड सिकुड़ कर सिर्फ ढाई इंच का ही रह गया था तो मैं शरमाने लगा। वो बोली- शरमाओगे ही या कुछ और भी करोगे?
मुझे लगा कि अब तो इसकी चूत का भोसड़ा बनाना ही पड़ेगा। अब यह वो वक़्त था जब मेरा गांड मारने का अनुभव काम आता।
मैंने उसकी चुचियों को चूसना शुरू किया और उनसे खेलने लगा। पहले दाईं वाली फिर बाईं वाली और कभी कभी दोनों ! चूसते दबाते करीब आधा घंटा हो गया था। उसकी दोनों चुचियाँ सांवले से लाल रंग की हो गई थी और चूचुक ऐसे लग रहे थे जैसे उनसे अभी खून टपक जायेगा। वो बोली- क्या हाल कर दिया है तुमने इनका !
मैंने कहा- सॉरी ! अभी नया नया हूँ न !
तो वो मुस्कुरा उठी और फिर मेरा लंड चूसने लगी। अब तो मेरा लंड अखाड़े में खड़े दारा सिंह जैसा हो गया था। सारी नसें खून से भरी थी और लग रहा था कि अभी शायद पौने सात से बढ़कर 10 इंच का हो जायेगा। आखिर पहली बार चूत का स्वाद जो मिल रहा था। वो मेरे लंड को मुँह में लेकर अन्दर बाहर कर रही थी। कभी कभी मैं उसका सर दबा देता तो वो उसके गले के अन्दर तक धंस जाता और वो खांसने लगती।
करीब 10 मिनट बाद मैंने कहा- अब मेरी बारी !
मैंने उसकी टांगे फैलाईं और किताबों में पढ़े हुए अनुभव आजमाने लगा। उसकी चूत पर हलके हलके जीभ फिराने लगा और फिर अन्दर बाहर करने लगा। उसकी भगनासा फूल कर मोटी हो गई थी। उसकी चूत को दस मिनट तक ऐसा चूसा कि वो सूज गई और अचानक से भाभी अपनी कमर उचकाने लगी, ऊपर-नीचे, ऊपर-नीचे !
मैंने कहा- क्या कर रही हो ! चूसने तो दो !
वो बोली- बहुत चूस चुके, अब जरा असली काम करो !
तो मैंने अपने लंड को सहलाया और सुपाड़े के ऊपर से खाल को पीछे सरका कर उनकी चूत के मुँह पे रख दिया। उनकी चूत एक दम कुंवारी लड़की जैसी टाइट थी, वो बोली- डाल दो !
क्यूंकि अब वो बहुत गरम थी, लेकिन मैं नहीं चाहता था कि वो इतनी जल्दी झड़े। मैं उनकी चूत के ऊपर अपना लंड घिसने लगा और 1 मिनट बाद सिर्फ सुपाड़ा ही अन्दर सरकाया तो वो कराह उठी। मैंने कहा- तुम्हें तो अनुभव है, फिर क्यों चिल्ला रही हो?
वो बोली- करीब तीन साल से एक भी बार सेक्स नहीं किया है, जबसे छोटा बेटा हुआ है, क्यूंकि कम उम्र में ही शादी हो गई थी और तब मैं 18 साल की थी और तुम्हारे भैया करीब 34 साल के ! गाँव की शादी थी, उन्होंने तब चोदा था जम के। फिर पहला बच्चा होने के बाद हमारे बीच में सम्बन्ध न के बराबर ही बने सिर्फ गिनती के। शराब के कारण मैं उन्हें मुँह नहीं लगाती और कभी कभी वो लंड खड़ा करने की गोली खाकर आते थे तब चुदाई होती थी। लेकिन अब जब वो करीब तीस की थी और भैया हो चुके थे। 44-45 के तो भैया के लंड में दम नहीं रह गया था और वो सही से खड़ा भी नहीं होता था।
मैंने कहा- सारी कहानी अभी बता दोगी या चुदवाओगी भी?
वो बोली- आराम आराम से करो !
फिर तो मैंने उस कुंवारी जैसी चूत को कुंवारा जैसा ही चोदा।
धीरे धीरे 5-7 मिनट हलके से ही सिर्फ सुपाड़ा ही अन्दर बाहर करके पहले रास्ता बनाया फिर एक हल्का झटका देकर करीब आधा लंड अन्दर किया तो उनके आँखों में संतुष्टि नज़र आई और फिर स्पीड बढ़ाई और करीब 2 मिनट बाद एक ही झटके में अपनी फतह का झंडा जैसे ही उनकी चूत की जमीन पे फहराया तो उनकी आँखों से आंसू निकालने लगे, वो बोली- बाहर करो !
मैंने कहा- भाभी अब तो ये बोफोर्स तोप झंडा फहरा कर ही वापस आयेगी !
भाभी की आँखों से आंसू बह रहे थे जो उनकी चूत के कुंवारे होने का सुबूत दे रहे थे। तभी भाभी की आँखों के आंसू थमने लगे और और वो जोर जोर से सिसकियाँ लेने लगी। अचानक से उन्होंने मुझे बड़ी जोर से पकड़ा और चूत उछालने लगी और मुझसे लिपट गई।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी?
वो बोली- बस, अब रुक जाओ !
मैंने कहा- वो तो ठीक है लेकिन अभी तोप में गोले बाकी हैं ! इन्हें कहाँ करूँ?वो बोली- मेरे मुँह में कर दो !
मैंने कहा- वो तो हो चुका, अब जरा कुछ और !
वो बोली- क्या?
तो मैंने उनकी गांड में ऊँगली डाल दी।
वो बोली- नहीं !
तो मैंने कहा- फिर मैं गुस्सा हो जाऊंगा और दोबारा फिर ये कभी नहीं होगा।
आखिर वो भी मजबूर थी और मान गई।
अब मैंने उनकी टांगे अपने कन्धों पे रक्खी और एक ही बार में पूरा लंड उनकी गांड में पेल दिया। उनकी तो गांड फट गई, वो चिल्लाने लगी जैसे मैं उनका गला दबा रहा था।
मैंने कहा- चिल्लाओ मत ! और उनका मुँह अपने हाथ से बंद किया और 2-3 मिनट तक अपने लंड वैसे ही उनकी गांड में पड़े रहने दिया। फिर जब वो थोडा संभली तब मैंने फिर से चोदना शुरू किया और 3-4 मिनट में ही भाभी अपनी गांड भी चूत की ही तरह उछालने लगी।
फिर मैं भी थक गया था, स्पीड बढा दी और कुछ ही देर में मैंने उनके अन्दर अपना वीर्य छोड़ दिया। भाभी अब काफी संतुष्ट थी। फिर मैं भी अपने लंड पर इतरा रहा था और भाभी भी उसकी मर्दानगी की प्रशंसा कर रही थी।
फिर मैं घर आ गया और इसी तरह कई बार जब वो अकेले में होती तो उन्हें जमकर चोदा, कभी कुत्ते वाली स्टाइल में तो कभी 69 पोजीशन में और जो भी उलटी सीधी पोजीशन किताबों में दिखी उसमें ! क्यूंकि वो तो मुझे प्रैक्टिस करवा रही थी और मैं उनका शिष्य था।
फिर एक बार भाभी को पार्क में भी चोदा और एक बार नाव में !
इसकी कहानी मैं आपको आगे सुनाऊंगा।
मेरी सभी कहानियाँ मेरी जिन्दगी में मेरे साथ हुई सत्य घटनाओ पर आधारित हैं। अगर आपको मेरी कहानी पसंद आई तो मुझे इ-मेल कीजिये। hindi sex stories
कमलिनी का Antarvasna महीना हुए चार दिन हो चुके थे और मैं उसको चोदने की योजना बना रहा था। शाम के समय मैं अपने कमरे में चाय पी रहा था तो मैंने देखा कि कमलिनी अपने छज्जे पर खड़ी होकर सड़क का नज़ारा देख रही है, मुझसे नज़र मिली तो हलके से मुस्कुरा दी। मुझसे चुदवाने के बाद आज पहली बार सामना हुआ था, मैंने अपनी जेब से मोबाइल निकाला और कमलिनी का नम्बर डायल कर दिया। घंटी बजने पर उसने अपना मोबाइल देखा, फ़िर मुझे देखा तो मुस्कुरा कर फ़ोन काट दिया और मेरे पास आकर खड़ी हो गई। मैंने हाल चाल पूछा तो बोली- ठीक है !
मैंने पूछा- आज रात को आओगी?
तो शरमाकर बोली- नहीं ! मैंने कहा- मैं तुम्हारा इंतज़ार करूंगा।
रात को लगभग १२ बजे मेरे मोबाइल पर मिस्ड-कॉल आई, देखा तो कमलिनी की थी। मैंने कॉलबैक किया तो बोली- क्या कर रहे हैं?
मैंने कहा- तुम्हारा इंतज़ार !
तो बोली- अभी आ रही हूँ ! ५ मिनट बाद कमलिनी मेरे कमरे में आई और आते ही मुझसे लिपट गई। मैंने उसके बदन पर हाथ फेरा तो पाया कि उसने सिर्फ़ गाउन पहना हुआ था। गाउन के अन्दर ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी। मैं समझ गया कि छोरी चुदवाने की पूरी तैयारी कर के आई है।
दीवान के पास आकर उसका एक पैर मैंने दीवान पर रख दिया और उसका गाउन कमर तक उठा दिया। अपना लोअर मैंने उतार दिया और लंड उसकी चूत पर रखना चाहा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, आज उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था। अपनी झांटें साफ़ करके उसने चूत की सुन्दरता को चार चाँद लगा दिए थे। मैंने चोदने का इरादा फिलहाल छोड़ा और उसकी चूत चाटने लगा। उसने भी पोजीशन बदली और मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसने लगी। १० मिनट तक मुख-मैथुन का मज़ा लेने के बाद मैंने अपने लंड पर कंडोम चढाया और उसकी चूत में डाल दिया।
जमकर चोदने के बाद जब मैंने उसकी चूत में डिस्चार्ज किया तो मैं ख़ुद को जन्नत में महसूस कर कर रहा था। अब हमारी चुदाई की गाड़ी पटरी पर हौले हौले चल रही थी, दूसरे तीसरे दिन वह मुझसे चुदवा लेती थी, इतना मेरे लिए भी काफ़ी था और उसके लिए भी।
अब हमारी कहानी में एक तीसरा पात्र आ गया। मेरी पत्नी की एक ममेरी बहन श्वेता इसी शहर में रहती थी। एक दिन लगभग ११ बजे मैं ऑफिस में था कि मेरी पत्नी का फ़ोन आया कि वह श्वेता के घर जाना चाहती है।
मैंने कहा- चली जाओ !
तो बोली- मैंने खाना बना दिया है और चाभी रागिनी भाभी को दे दी है, शाम को ४-५ बजे तक आ जाऊंगी।
मैंने कहा- ठीक है।
दोपहर को १ बजे मैं लंच करने घर आया, घंटी बजाई तो रागिनी भाभी बोलीं- चाभी लेकर आ रही हूँ।
उन्होंने मुझे चाभी दी, मैंने ताला खोला और वो भी अन्दर आ गई, उनके घर में भी कोई नहीं था, डॉक्टर साहब क्लीनिक और लड़कियां कॉलेज गई थीं। अन्दर आकर बोलीं- रेखा दाल सब्जी बनाकर गई है और मुझसे कह रही थी कि रोटी मैं सेंक दूँ।
रागिनी का गदराया हुआ बदन और एकांत मेरे लंड को खड़ा कर चुके थे और मैंने उनको चोदने की ठान ली थी।
मैंने कहा- भाभी आप कुछ देर बैठिये, मैं नहा लूँ, फ़िर खाना खाऊँगा।
भाभी वहीं कुर्सी पर बैठ गईं। मैंने उनको गरम करने के लिए जानबूझकर वहीं अपनी शर्ट उतारी और फ़िर बनियान भी उतार दी। भाभी शर्म के मारे इधर उधर ना देखें इसलिए उनसे कुछ ना कुछ बात करता रहा। मैंने कहा- दोपहर में नहा लेने से शरीर में ताजगी आ जाती है और मैंने अपनी पैंट भी उतार दी। अंडरवियर में से मेरा तन्नाया हुआ लंड साफ़ नज़र आ रहा था। मैंने अपना तौलिया कमर पर लपेटा और अंडरवियर उतारते उतारते बोला- भाभी जी अगर आप बुरा ना मानें तो एक बात कहूं?
बोलीं- कहिये !
मैंने कहा- ऐसा लगता है जैसे भगवान् जोड़ियाँ बनाते समय गलती कर गया है, मैं आप जैसी पत्नी डिजर्व करता था और रेखा को डॉक्टर साहब की पत्नी होना चाहिए था। अगर ऐसी जोड़ियाँ होतीं तो मेरी ज़िन्दगी जन्नत से कम न होती।
भाभी उठीं और बोलीं- काश ऐसा होता तो मैं हर पल तुम्हारी बाहों में ही गुजारती।
इतना सुनते ही मैंने उनका हाथ पकड़ कर चूमा और अपनी आंखों से इस तरह लगाया कि मैं धन्य हो गया। मैं एक कदम उनकी ओर बढ़ा और अपनी बाहें फैलाकर उन्हें अपने करीब आने का इशारा किया, वो मेरे सीने लग गईं, मैंने अपना एक हाथ उनकी कमर पर और दूसरा टांगों के पास ले जाकर उनको अपनी गोद में उठा लिया, मेरे कसरती बदन को निहारते हुए बोलीं- उतार दो दीपक ! मैं बहुत भारी हूँ !
मैंने कहा- भाभी मेरे प्यार के सामने आपका भार कुछ भी नहीं !
मैं उनको रेखा के बेडरूम में ले आया और पलंग पर लिटाकर उनसे लिपट गया। वो मेरे से लिपटी हुई छुई मुई हुई जा रहीं थीं। एक एक करके उनके सारे कपड़े मैंने उतार दिए और उनके होठों पर अपने होंठ रखकर एक हाथ से उनके मम्मे और दूसरे से उनकी चूत सहलाने लगा। थोडी देर में जब उनकी चूत गीली हो गई तो मैं उठा और अलमारी से कंडोम निकालकर अपने लंड पर चढ़ाने लगा तो भाभी बोलीं- दीपक जी इसकी कोई जरूरत नहीं है, मैं २० साल पहले नसबंदी करा चुकी हूँ।
मैं वापस पलंग पर आया, उनकी टाँगे फैला कर अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत के मुंह पर रखा और पूरा लंड उनकी चूत के अन्दर कर दिया।
भाभी बोलीं- दीपक जी, एक बात पूछूं?
मैंने कहा- पूछिए !
तो बोलीं- तीन साल बाद आपका लंड किसी की चूत में जा रहा है तो कैसा लग रहा है?
मैंने कहा- आपको यह कैसे पता है?
तो बोलीं- रेखा ने मुझे बताया था कि मेरी इच्छा नहीं होती।
इस बातचीत के साथ साथ मेरा लंड अपना काम कर रहा था। उस दिन १ बजे से ४ बजे तक भाभी को दो बार चोदा।
मैंने पूछा- भाभी, सच बताना ! तुम्हारा देवर चोदने में कैसा है?
तो बोलीं- टचवुड। बहुत अच्छा !
मैंने कहा- अच्छा भाभी, एक बात और बताओ कभी गांड मराई है?
बोली- नहीं कभी नहीं ! शुरू शुरू में एक दो बार डॉक्टर साहब ने मारनी चाही थी लेकिन उनका लंड गांड में घुसा ही नहीं।
मैंने कहा- भाभी मैं तुम्हारी गांड मारूंगा, मराओगी ?
बोलीं- हाँ मेरे राजा जरूर मराउंगी।
फ़िर भाभी ने रोटियां सेंकी, हम दोनों ने खाना खाया और भाभी अपने घर चली गईं।
बाकी कहानी अगली बार लिखूंगा, इंतज़ार करिए… Antarvasna
यह मेरी पहली कहानी Hindi Porn Stories है जो वास्तविक है, बड़ी हिम्मत करके मैं यह कहानी लिख रहा हूं। मेरे दोस्त चन्दू ने इस कहानी को लिखने में मेरी मदद की है।
यह घटना छः माह पहले की है। मैंने अन्तर्वासना की कहानियाँ अभी जब मेरे पास कम्प्यूटर आया तब पढ़ना आरम्भ की थी। अब हमें पुस्तक से अच्छी और अधिक वासनायुक्त कहानियाँ पढ़ने को मिल जाती हैं और हमारे अब पुस्तकों के किराये के पैसे भी बच जाते हैं।
मेरा एडमिशन बेंगलोर में हो चुका था और मैंने होस्टल में दाखिला ले लिया था। मेरे साथ एक और लड़का था, उसका नाम चन्द्र प्रकाश था। सभी उसे चन्दू कहते थे। यूं तो हम दोनों ही दुबले पतले हैं, और लम्बाई भी साधारण सी ही है। मुझे उसके साथ रहते हुये लगभग दो माह हो चुके थे। उसे फ़ुर्सत में अश्लील पुस्तकें पढ़ने का शौक था। वो मार्केट से किताबें किराये पर ले आता था और बड़े चाव से पढ़ता था।
एक बार मैंने भी उसकी अनुपस्थिति में वो किताब उसके तकिये के नीचे से निकाल कर पढ़ी। उसको पढ़ते ही मेरा भी लन्ड खड़ा हो गया। मुझे उसकी खुली भाषा बहुत पसन्द आई और कहानी को अन्त तक पढ़ डाला। अब मेरे खड़े लन्ड को शान्त करना मुश्किल हो गया था। मैंने अन्त में अपना लण्ड बाहर निकाला और हाथ से मुठ मारने लगा। जब वीर्य लन्ड से बाहर निकल आया तो मुझे चैन मिला। पर मुझे उस पुस्तक को पढ़ने में बड़ा मजा आया। धीरे धीरे मुझे भी उन पुस्तकों को पढ़ने में मजा आने लगा। मेरा मन पढ़ाई से उचटने लगा। रात को जब तब मैं अब मुठ मारने लगा था।
चन्दू को भी अब मेरी हरकतें मालूम होने लग गई थी। उसे शायद मालूम पड़ गया था कि मैं उसकी अश्लील पुस्तकें छुप कर पढ़ लेता हूँ। उसने एक दिन उसने वो किताब छुपा ली। मुझे ढूंढने पर भी जब वो पुस्तक नहीं मिली तो मैंने हार कर चन्दू से कह ही दिया,”चन्दू, वो जो तू किराये पर पुस्तक लाता है, क्या अब नहीं ला रहा है?”
“देख प्रेम, पुस्तक तो मैं अपने पैसे दे कर लाता हूँ, तू अगर आधा पैसा दे तो तुझे भी दे दूंगा।”
मैंने उसे आधा पैसा भरने के लिये हां कर दी। अब तो मैं उसकी उपस्थिति में भी पुस्तक पढ़ सकता था।
इन सबके चलते एक दिन हम दोनों ही खुल गये और फिर चला एक दूसरे की गान्ड मारने का सिलसिला।
यह कैसे आरम्भ हुआ…
मैं दिन को लंच के बाद कॉलेज नहीं गया, आराम करने लगा। चन्दू का लंच के बाद एक पीरियड लगता था। मैं कमरे में अश्लील पुस्तक पढ़ रहा था। फिर हमेशा की तरह मैं खड़े हो कर मुठ मारने की तैयारी में था। मैंने अपना पजामा उतार लिया था और चड्डी भी उतार कर अपने कड़क लन्ड को हिला रहा था। तभी चन्दू आ गया… और मुझे लन्ड हिलाते हुये देखने लगा।
“ये क्या कर रहा है रे…” उसने मुझे झिड़का।
मैं बुरी तरह चौंक गया। और पास में पड़ा तौलिया उठा कर लपेट लिया।
“अरे यार वो ऐसे ही… ” मैं हड़बड़ा गया था।
“ऐसे क्या मजा आता होगा … रुक जा, मुझे भी किताब पढ़ने दे … साथ मजा करेंगे !” चन्दू ने बड़ी आशा से मुझे कहा।
मैं कुछ समझा नहीं था।
“साथ कैसे… क्या साथ मुठ मारेंगे…?”
“हां यार, उसमे मजा आयेगा…” मुझे भी लगा कि शायद ये ठीक कह रहा है। वो अपना मुठ मारेगा और मैं अपना मारूंगा। कुछ ही देर में उसने किताब पढ़ ली और उसने बड़ी बेशर्मी से अपनी कॉलेज की ड्रेस उतारी और नंगा हो गया। उसका लण्ड भी तन्ना रहा था।
उसने कहा,”प्रेम, इधर आ और इसे छू कर देख…!” मुझे ऐसा करते हुये हिचकिचाहट हो रही थी। पर मैंने उसके लण्ड को हल्के हाथों से पकड़ कर छू लिया।
“ऐसे नहीं रे … जरा कस कर पकड़… हां ऐसे… अब आगे पीछे कर !” उसने आनन्द से मुझे पकड़ लिया। मुझे दूसरे का लण्ड पकड़ते हुये कुछ अच्छा नहीं लग रहा था। कड़ा सा, नरम चमड़ी, चमकता हुआ लाल सुपाड़ा… फिर भी मैंने उसके लण्ड पर अपना हाथ आगे पीछे चलाना आरम्भ कर दिया। उसका हाथ मेरी कमर पर कस गया। उसके मुँह से आह निकलने लगी। उसने अब मेरी कमर से तौलिया खींच कर उतार दिया।
“अरे… ये क्या कर रहा है… ?” मैंने हड़बड़ाते हुये कहा।
“तेरा लण्ड की मैं मुठ मार देता हूँ… देख बेचारा कैसा हो रहा है…!” और उसने मेरा लण्ड थाम लिया। किसी दूसरे का हाथ लन्ड पर लगते ही मुझे एक सुहानी सी अनुभूति हुई। लण्ड हाथ का स्पर्श पाते ही बेचारा लन्ड कड़क उठा। उसका हाथ मेरे लन्ड पर कस गया और अब उसने हल्के से हाथ से लन्ड पर ऊपर नीचे करके मुठ मारा। मुझे बहुत ही आनन्द आने लगा।
“यार चन्दू, मैं मुठ तो रोज़ ही मारता हूँ… पर तेरे हाथ में बहुत मजा है… और कर यार… आह …” हम दोनों अब एक दूसरे का हल्के हाथों से मुठ मारने लगे। मेरे अन्दर एक तूफ़ान सा उठने लगा… सारी दुनिया रंगीन लगने लगी। चन्दू मुठ बड़ी खूबसूरती से मार रहा था। उसके हाथ में जैसे जादू था। उसकी अंगुलियां कहीं सुपाड़े को हौले से मसलती और कभी डन्डे को बेरहमी से मरोड़ती और कस कर मुठ्ठी में दबा कर दम मारती… कुछ ही देर में मेरा वीर्य छूट गया। मैं उससे लिपट गया और ना जाने कहां कहां चूमने लगा। मेरे झड़ते ही मुझे होश आया कि मैंने तो जाने कब चन्दू लण्ड छोड़ दिया था और अपने आनन्द में डूब गया था। अब मैं उसका लन्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा। वो अपने बिस्तर पर लेट गया और अपने शरीर को आनन्द से उछालने लगा। उसका लण्ड और सुपाड़े को मैं सन्तुलित तरीके से या कहिये चन्दू के तरीके से मुठ मार रहा था। उसकी हालत देख कर मुझे लग रहा था कि शायद मुझे भी ऐसा ही मजा आया होगा… अन्जाने में मैं भी ऐसा ही तड़पा हूंगा। कुछ ही देर में उसके लण्ड ने पिचकारी निकाल मारी। उसका वीर्य मेरे हाथो में लिपट गया। मैंने उसका लण्ड धीरे धीरे मल कर उसमे से सारा वीर्य निकाल दिया
एक दूसरे का मुठ मारना रोज़ का खेल हो गया।
एक दिन मुझे चन्दू ने नया खेल सिखाया। उसने नंगे होने के बाद मुझे बिस्तर पर सुला दिया और वो मेरे ऊपर उल्टी पोजीशन में लेट गया। उसने मेरा खड़ा लण्ड अपने मुंह में भर लिया। उसके लण्ड चूसने से मुझे बड़ा मजा आया… मैंने भी उसके लण्ड के अपने मुँह में भर लिया। मैंने भी उसे चूसना शुरू कर दिया। उसकी टांगे मेरी गर्दन के आस पास लिपट गई। मेरा लन्ड तो उसके चूसने से फ़ूलने लगा और मैं आनन्द से भर गया। मेरे चूतड़ नीचे से हिल हिल कर प्रति उत्तर देने लगे थे। उसने भी अपने चूतड़ों को हौले हौले से मेरे मुख में चोदने जैसा हिलाने लगा। मैंने भी उसका लन्ड जोर से होंठ को भींच कर चूसना आरम्भ कर दिया। ये मस्त तरीका मुझे बहुत ही पसन्द आया। मेरा लन्ड भी नीचे फूल कर उसके मुख का भरपूर मजा ले रहा था। वह अपना हाथ से मेरा लण्ड का मुठ भी मार रहा था और मेरे सुपाड़े के रिन्ग को कस कर चूस रहा था। कुछ पलों में मेरा लण्ड मस्ती में हिल हिल कर मस्त हो उठा और ढेर सारा वीर्य उसके मुँह में ही उगल दिया। उसने वीर्य को नीचे जमीन पर थूक दिया और फिर से चूस कर मेरा पूरा वीर्य निकाल कर साईड में नीचे थूक दिया।
अब उसने अपनी कोहनियों पर अपनी पोजीशन ले ली । अब उसका पूरा ध्यान स्वयं के लण्ड पर था जिसे वो मस्ती से हौले हौले मेरे मुख को चोद रहा था। तभी उसने अपने लण्ड का पूरा जोर लगा कर लण्ड मेरे हलक तक उतार दिया और अपना वीर्य छोड़ दिया। उसका सारा वीर्य मेरे गले से सीधे उतर गया और मैं खांस उठा। उसने अपना लन्ड थोड़ा ऊपर करके मुँह में ही रहने दिया और उसका सारा वीर्य मेरे मुँह में भरने लगा। स्वाद रहित चिकना सा वीर्य, पहली बार किसी के वीर्य का स्वाद लिया था। उसके पांवों के बीच मेरा मुख जकड़ा हुआ था, उसका रस गले से नीचे उतर गया और अब उसने मुझे ढीला छोड़ा और मेरे ऊपर से हट गया। इस प्रकार के मैथुन में मुझे आर भी आनन्द आया।
उन्हीं दिनों चन्दू का कम्प्यूटर भी आ गया। हमारा इस तरह का दौर लगभग रोज ही चलता था। हम दोनों सन्तुष्ट हो कर फिर से पढ़ाई में लग जाते थे।
एक बार रात को चन्दू बड़े गौर से एक गे की सीडी देख रहा था। एक लड़का दूसरे लड़के की गान्ड मार रहा था। मैंने भी उस सीन को बहुत बार लगा कर देखा और फिर हम एक दूसरे को प्रश्न वाचक नजरों से देखने लगे।
“ये तो मुश्किल काम है ना… गान्ड का छेद तो इतना सा होता है… कैसे घुस जाता है यार… कहानियों में भी गान्ड की मारा मारी बहुत होती है।” मैंने हैरानी से कहा।
“तू कहे तो एक बार कोशिश करें क्या … अपने पास सोलिड लन्ड तो है ही ना…इस फ़िल्म को देख जब इस सीन में लन्ड गान्ड में घुसा है, ये सच तो लगता है… ये कुछ चिकनाई भी तो लगाते हैं ना…!”
उस सीन को देख कर लन्ड तो दोनों का ही खड़ा था… दोनों ने कपड़े उतार लिये… मैंने ही पहल की।
“देख मैं झुक जाता हूँ… तू अपना लन्ड मेरी गाण्ड में घुसाने की कोशिश कर…”
चन्दू ने यह देखा और तेल की शीशी देख कर कहा, “तेल लगा लेते हैं…!”
उसने तेल की शीशी से तेल मेरी गान्ड में लगा दिया और अपना तना हुआ लण्ड मेरी गान्ड से चिपका दिया। मेरी गान्ड का छेद डर के मारे और कस गया।
“अरे… गान्ड को ढीली छोड़ ना…” मैंने हिम्मत करके छेद को ढीला छोड़ दिया। उसने थोड़ा जोर लगाया और अन्ततः उसका सुपाड़ा अन्दर चला ही गया। मुझे बड़ा अजीब सा लगने लगा… ये मेरी गाण्ड में मोटा सा ये क्या फ़ंस गया… उसका मोटा सा लन्ड मुझे उसकी मोटाई का अहसास दिला रहा था। उसने जोश में आकर लण्ड को जोर से अन्दर की ओर मारा… उसके मुख से आह निकल पड़ी और उसने तुरन्त अपना लन्ड बाहर निकाल लिया। मुझे भी एक बार गान्ड में दर्द हुआ पर उसके लन्ड निकालते ही आराम हो गया।
“मुझसे नहीं होता है यार …” चन्दू ने अपना लण्ड सम्भालते हुये कहा।
“क्या हो गया… साले तेरे में दम नहीं है गान्ड मारने का, चल तू घोड़ी बन, मैं चोदता हूँ तेरी मस्त गान्ड को… चल घोड़ी बन जा…” मैंने भी उसे घोड़ी बना दिया… और तेल उसकी गान्ड में भर दिया। लण्ड की चमड़ी ऊपर खींच कर मैंने सुपाड़ा बाहर निकाल लिया। उसकी गान्ड ने अंगुली कर के देखा, मुझे तो उसकी गान्ड मस्त लगी। मैंने अंगुली घुमाते हुये उसके छेद को खोला और सुपाड़ा उस पर रख दिया। दबाव डालते ही मेरा लन्ड छेद में घुस गया। चन्दू थोड़ा सा बैचेन हो उठा … मैंने जोर लगा कर लण्ड को धक्का दिया… मुझे अचानक ही तेज जलन हुई, जैसे आग लग गई हो… मैंने लण्ड जल्दी से बाहर निकाल लिया। देखा तो मेरे लण्ड की झिल्ली फ़ट गई थी और कुछ खून की बून्दें उस पर उभर आई थी। कमोबेश चन्दू का भी यही हाल था। हम समझ गये थे कि ये तो लण्ड के कुंवारेपन की निशानी थी, जो अब फ़ट कर जवानी की याद दिला रही थी। हमने अपने लण्ड को साफ़ किया और असमन्जस की स्थिति में सो गये।
अगले दिन भी हम दोनों के लण्ड में दर्द था, सो बस रात को हम कम्प्यूटर पर यूं ही सर्च कर रहे थे। अचानक एक जगह सेक्स कहानियों के बारे लिखा हुआ नजर आया, यह अन्तर्वासना साईट थी। साईट के खुलने पर हमें बहुत सी या कहिये कि अनगिनत कहानियाँ वहां पर मिली। उन कहानियों के पढ़ने पर हमें यह मालूम हुआ कि हमारी स्किन जो फ़टी थी वो तो एक दो दिन में ठीक हो जाती है। गान्ड मारने के बारे में भी पढ़ा और हम दोनों उत्साहित हो उठे। इन रस भरी कहानियों का भरपूर संग्रह मिल जाने से हमने मार्केट से अश्लील पुस्तकें लाना बन्द कर दिया।
अगले दिन हम दोनों ने सच में महसूस किया कि हमारे लण्ड अब ठीक हो चुके है तब हमने कहानियों के अनुसार ही किया। पहले मैंने ट्राई की, मैंने अंगुलिया घुमा कर गाण्ड का छेद चौड़ा किया। मैं तेल लगाता गया और अंगुली घुमाता गया, फिर अपना सुपाड़ा छेद पर रख कर अन्दर धकेला तो आराम से घुस गया। पर हां, गान्ड कसी हुई थी। मैंने डरते डरते लण्ड और अन्दर घुसेड़ा… लण्ड में तो दर्द नहीं हुआ पर चन्दू के मुख से कराह निकल गई। पर मुझे तो लण्ड में मीठी सी वासनायुक्त कसक भरने लगी। इस मीठी सी सुरसुरी का आनद लेने के लिये मैंने अपना लण्ड धक्का दे कर पूरा घुसेड़ दिया।
उसे शायद दर्द हुआ… पर मैं आनन्द के मारे झूम उठा था और उसकी गाण्ड में लन्ड अन्दर बाहर करना आरम्भ कर दिया। अब मुझे मालूम चल रहा था कि लड़कियों की चूत मारने में भी ऐसा ही मजा आता होगा। उसकी तंग़ गाण्ड मारने में मुझे एक अनोखा ही आनन्द आ रहा था। लन्ड खूब रगड़ रगड़ चल रहा था। मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो पूरा जोर लगा कर लन्ड को उसकी गान्ड में मारने लगा… फिर मेरे लण्ड से रस निकल पड़ा और उसकी गाण्ड में भरने लगा। मैंने लण्ड खींच कर बाहर निकाल लिया और बाकी का वीर्य बाहर निकाल दिया। उसकी गान्ड का छेद लण्ड निकालने पर खुला रह गया था और कुछ ही पलों में अब बन्द हो गया था। चन्दू के चेहरे पर पसीना था।
कुछ ही देर में उसने मुझे घोड़ी बना दिया और उसने भी मेरे साथ वही किया। वो मेरी गान्ड का छेद अंगुली डाल कर खींच खींच कर चौड़ा करने लगा। मुझे ऐसा करने से छेद में जलन तो हुई पर अधिक नहीं… बल्कि उसकी अंगुली गान्ड में मीठा सा मजा दे रही थी। कुछ ही देर में उसका सोलिड लन्ड मेरी गान्ड में घुस पड़ा। उसने मेरी गाण्ड में लण्ड धीरे से घुसाया और बड़े प्यार से मेरी गाण्ड मारने लगा। मुझे दर्द तो हो रहा था पर अधिक नहीं। उसका लन्ड मुझे गान्ड में चलता हुआ बहुत मजा दे रहा था। पर जोश में उसके तेज झटके दर्द दे जाते थे…। कुछ ही देर में वो भी झड़ गया। पर उसने अपना वीर्य पूरा ही गान्ड में भर दिया। उसका लन्ड गान्ड में ही सिकुड़ गया था और चिकने वीर्य के साथ सुरसुराता हुआ अपने आप बाहर आ गया।
हम दोनों ही बहुत खुश थे कि अब हमें लडकियों की कोई आवश्यकता नहीं थी… हमें अपना वीर्य निकालने के लिये एक छेद मिल गया था। एक दूसरे के चूतड़ों की नरम गद्दी का एक मधुर सा मजा लण्ड के आस पास गान्ड मारने पर आता था। हम दोनों धीरे धीरे गान्ड मारने और मराने के अभ्यस्त हो चुके थे … अब इस कार्य में बहुत ही मजा आने लगा था। हम अब सप्ताह में दो बार पूरी तैयारी के साथ गान्ड मारते थे। हम अब व्हिस्की लाते, साथ में चिकन और नमकीन लाते और ब्लू फ़िल्म लगा कर रात को कम्प्यूटर पर आराम से देखते और फिर उत्तेजित हो कर आपस में गाण्ड मारते और मराने लगे थे। Hindi Porn Stories
मैंने बताया था कि मैं जल्दी ही अपनी आगे की कहानी बताऊंगा, परन्तु अपने बिजनेस में व्यस्त होने के कारण यह कहानी लिखने में थोड़ी देरी हो गयी.
उसके लिए आपसे माफी चाहता हूँ.
वैसे आप सभी मुझसे पहले ही परिचित हैं.
नए पाठक मुझसे वाकिफ़ नहीं होंगे, तो मैं उन्हें एक बार बता देता हूं कि मैं राज शर्मा इंदौर में एक बिजनेसमैन हूं. मेरी उम्र ज्यादा नहीं है लेकिन हां मेरा अच्छा खासा काम है.
मैंने पिछली सेक्स कहानी में नहीं बताया था परंतु मेरी उम्र अभी 24 वर्ष की है और मेरी बहन की उम्र 22 वर्ष की है.
हम दोनों के बीच में जब पहली घटना हुई, तब वह 19 वर्ष की थी और उसी कहानी को अब मैं आगे बताना चाहता हूं.
मुझे उम्मीद है कि आपको यह Xxx पुसी लिक स्टोरी पसंद आएगी और मेरी यह कहानी शत-प्रतिशत सही है. इसमें किसी प्रकार का कोई झूठ नहीं है.
लंड पसंद करने वाले लड़के लड़कियों की जानकारी के लिए बताना चाहता हूं कि मेरे लंड का साइज अभी 7 इंच लंबा है और यह ढाई इंच मोटा है.
मेरा लंड किसी को भी पूर्ण रूप से संतुष्ट कर सकता है. यह जानकारी इसलिए बताई है ताकि कहानी में थोड़ा सा स्वाद बढ़ाया जा सके.
उस दिन जब मेरी बहन ने मुझसे कहा- भैया, अभी यहां पर कुछ नहीं करना. घर चल कर कुछ करेंगे.
हम शाम को 7:30 बजे घर पहुंच गए.
मां ने खाना तैयार रखा था, हम लोगों ने खाना खाया.
लगभग 8:30 बजे पापा भी आ गए थे.
हम सभी ने मिलकर कुछ बातें की.
मैंने देखा कि रितिका जो मेरी छोटी बहन है, बार-बार मुझे देखकर एक कटीली मुस्कान दे रही थी.
कुछ समय बात करने के बाद हम दोनों भाई बहन अपने अपने रूम में ऊपर आ गए.
वैसे मम्मी पापा के रूम नीचे ही बने थे और मेरा और मेरी छोटी बहन का रूम ऊपर मेरे रूम से अटैच था.
मेरी बहन अपने कमरे में चली गई और मैं अपने कमरे में.
मैं बहुत थक गया था तो मेरी गहरी नींद लग गई.
लेकिन 11:30 बजे मेरे मोबाइल की रिंगटोन बजी और मेरी नींद खुल गई.
मैं सोच रहा था कि इस वक्त कौन?
यह कॉल मेरी छोटी बहन रितिका का था.
मैंने तुरंत कॉल रिसीव किया और पूछा- क्या हुआ?
वह गुस्सा होकर बोली- भैया, मेरे बिना आपको नींद कैसे आ गई?
मैंने उससे सॉरी कहा.
उसने कहा- ठीक है, कोई बात नहीं. आप अभी मेरे कमरे में आ सकते हैं … या मैं आऊं?
मैंने कहा- मैं आ रहा हूं.
मैंने अपना दरवाजा खोला और जैसे ही उसके दरवाजे पर हाथ लगाया, दरवाजा खुला था.
अन्दर पिंक कलर की लाइट और मोमबत्तियां जल रही थीं.
रितिका मुझे देख कर बोली- भैया जल्दी से दरवाजा बंद कर दो.
मैंने दरवाजा बंद किया.
और जैसे ही मेरी नजर मेरी बहन पर पड़ी … मैं वह नजारा देखता ही रह गया.
मेरी बहन दुल्हन के जोड़े में मेरे सामने बिस्तर पर बैठी थी.
मैं कुछ समय के लिए बस उसे देखता ही रह गया.
उसने कहा- भैया कहां खो गए!
तब मुझे होश आया और मैंने कहा- कहीं नहीं!
मैं उसके पास गया.
मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरी बहन मेरे लिए शादी के जोड़े में बैठी है.
परंतु मैं समझ गया था जब उसने ऑफिस में कहा था कि अभी यहां पर कुछ नहीं … घर चल कर कुछ करेंगे.
पर मुझे इतना नहीं पता था कि इतना कुछ करेंगे!
मैं उसे देख रहा था कि मैं मेरी बहन बोली- भैया दूर क्यों खड़े हो, पास आओ ना!
तो मैं पास गया और किस करने लगा.
हम दोनों के होंठ आपस में ऐसे जुड़ गए जैसे बरसों के बिछड़े हुए प्रेमी हों.
दोनों ने लगभग 20 मिनट तक एक दूसरे को इतना किस किया कि दोनों के होंठ पूरे लाल हो चुके थे.
कभी मैं उसके मुँह में मेरी जुबान दे देता तो कभी वह मेरे मुँह में अपनी जुबान दे देती.
हम दोनों ने काफी देर तक किस की.
उसके बाद मैं किस करते हुए उसकी गर्दन पर आ गया और उसको झटके से अपने आगे ले लिया.
उसके बालों को एक तरफ करके उसकी गर्दन पर … और पीछे से उसके कानों पर किस करने लगा. जिससे उसकी ‘आह … अहह …’ निकलने लगी.
धीरे धीरे मेरा हाथ उसके पेट से होते हुए उसके मम्मों पर आ गया.
उसने दुल्हन वाला लहंगा ब्लाउज पहना था, अन्दर उसने शायद गुलाबी रंग की ब्रा पहनी थी.
मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उसके बूब्स दबाने लगा और उसकी गर्दन और कान पर किस करता रहा.
मेरी बहन गर्म होती जा रही थी और पीछे से मेरा लंड भी उसकी गांड में घुसने के लिए बेताब हो रहा था.
मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोले और ब्लाउज को निकाल दिया.
फिर उसको मेरी तरफ घुमा कर मेरे सामने कर लिया.
इस बार उसने मुझ पर हमला बोल दिया और वह भूखी बिल्ली सी मुझ पर टूट पड़ी.
उसने मेरी टी-शर्ट निकलवाई और बनियान भी. वह मेरे पूरे सीने पर किस करने लगी और धीरे धीरे मेरी नाभि की तरफ बढ़ी.
नीचे आकर उसने पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ा और किस करने लगी.
मैंने उसका हाथ पकड़ा और उसको ऊपर की तरफ खींच कर एक झटके में उसको अपने नीचे ले गया.
अब मैं पूरे जोश के साथ उस पर टूट पड़ा.
मैंने रितिका को नीचे खींचा कर अपने एक हाथ से उसके एक दूध को दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसके दूसरे दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.
अब मेरी बहन छटपटा रही थी लेकिन मैं उसके मम्मों को चूसता ही रहा.
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.
लगभग 10 मिनट तक दूध पीने के बाद मैं उसकी नाभि पर आ गया और उसकी नाभि पर किस करने लगा.
मेरी बहन रितिका की सांसें बहुत तेज चल रही थीं और वह अपनी मस्ती में बोले जा रही थी- हां भैया और जोर से आहह … आहह … करते रहो उम्म … और मस्ती से … आह और करो … आज मैं आपकी बहन नहीं हूं … मैं आपकी बीवी हूं … आपको आज की रात जो भी करना है, करो … और मेरे साथ पूरी सुहागरात मनाओ उम्मम!
वह ऐसी बातें कहती हुई अपने मुँह से मादक सीत्कारें भी निकाल रही थी ‘आह …… उम्म …’
मैं उसे चुप रह कर बस चूसता जा रहा था.
वह कहने लगी- भैया, मैं तो हमेशा आपके पास ही रहने वाली हूं. पर आज जल्दी से मेरी चुदाई करो.
यह सुनते ही मैंने उसको उल्टा किया और पीछे से उसकी ब्रा के हुक खोल दिया.
उसके बूब्स आजाद हो गए.
मैंने दोनों हाथों में एक एक दूध को पकड़ा और जोर जोर से मसलने लगा.
वह दर्द से तिलमिला गई और बोली- भैया, धीरे आपकी छोटी बहन हूँ, कोई रंडी नहीं … प्लीज धीरे करो ना … ऐसे क्यों दबा रहे हो! अब तो हर रोज आपको ये आम चूसने को मिलेंगे.
उसकी इस बात पर मुझे उस पर और भी प्यार आ गया.
मेरी छोटी बहन सोनाली बेंद्रे जैसे दिखने वाली इतनी हॉट सिस आज मेरे बिस्तर पर मेरी दुल्हन बनकर मेरा लंड लेने के लिए बेताब हो रही है.
अब मैंने उसको सीधा लिटा दिया, उसके लहंगे को उठाया, उसकी जांघों पर किस किया और आगे बढ़ता गया.
मैं धीरे धीरे उसकी पैंटी पर आ गया.
उसने पिंक कलर की नेट वाली पैंटी पहनी थी.
मैं उसके ऊपर से उसको किस करने लगा.
फिर मैंने उसको एक बार खड़ा किया और उसके लहंगे का नाड़ा खोल दिया जिससे उसका लहंगा नीचे गिर गया और वह मेरे सामने पैंटी में आ गई.
फिर वह नीचे बैठी और उसने मेरे लोवर को पूरा निकाल दिया.
हम दोनों भाई बहन अब एक जैसी दशा में थे … हम दोनों अपने-अपने पैंटी व निक्कर में थे.
वह घुटने के नीचे बैठ गई और मेरा निक्कर नीचे करते हुए निकाल दिया.
उसने मेरे लंड पर हमला बोल दिया और मेरा लंड चूसने लगी.
मैं उस समय स्वर्ग की अनुभूति कर रहा था.
जरा सोचिए दोस्तो, आपकी बहन सोनाली बेंद्रे जैसी हॉट हो और आपके साथ बिस्तर में हो … और आपका लंड चूस रही हो, तो आप कैसा फील करेंगे!
या फिर सोचिए बहनो … कि आपका भाई, जिसे आप बहुत चाहती हों, वह आपकी चूत के साथ ऐसा करे तो आपको कैसा लगेगा.
अभी बहुत सारी बहनें सोच रही होंगी कि काश हमारी किस्मत भी रितिका जैसी होती कि हम भी अपने भाई के लंड को चूस सकते.
तो मेरी चुदक्कड़ बहनों मैं आपको बता देना चाहता हूं कि दुनिया में किसी के साथ भी इतना सेक्स करने का मजा नहीं है, जितना भाई-बहन के बीच में है.
अगर आपको बुरा लगा हो तो उसके लिए माफी चाहूंगा, परंतु मैंने यही अनुभव किया है.
रितिका मेरे पूरे लंड के ऊपर से नीचे तक जीभ घुमा रही थी. वह लंड को मुँह में लेती और जितना अन्दर तक ले पा रही थी, वह ले रही थी. लंड को चूस रही थी.
फिर उसने मेरे लंड की चमड़ी को नीचे कर दिया, जिससे ऊपर का हिस्सा खुल गया.
सुपारे पर वह प्यार से अपने गुलाबी होंठों से किस कर रही थी और जीभ घुमा रही थी.
जिसने भी अपने सुपारे पर जीभ फिरवाने का यह रंगीन अनुभव किया है, वही इस आनन्द को समझ सकता है.
मेरी बहन मेरा लंड चूस रही थी और मैं थोड़ा झुक कर उसके बूब्स को दबा रहा था.
मैं जितनी जोर से उसके बूब्स मसलता, वह मेरा लंड उतना ही मुँह के अन्दर ले रही थी.
करीब दस मिनट तक उसने मेरा लंड उसी पोजिशन में चूसा.
फिर मैंने उसे 69 में आने को कहा, तो वह लेट गयी.
मैंने भी उसके ऊपर उसके मुँह में लंड देकर उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर किस किया.
इससे वह सिहर गयी.
फिर मैंने उसकी पैंटी को उसकी चूत के मुहाने से अलग किया और एक उंगली डाल दी.
उसको इस अचानक हमले की आशा नहीं थी. वह उचक गयी और उसने मेरा पूरा लंड मुँह में ले लिया.
वह कुछ कहना चाह रही थी, पर उसकी आवाज नहीं निकली.
फिर मैंने उंगली को बाहर किया और उसके ऊपर से उठ गया. मेरा लंड भी उसके मुँह से निकल गया.
मैं खड़ा हो गया. वह सवालिया नजरों से देखने लगी.
वह कुछ कहती, उसके पहले ही मैंने उसे खड़ा होने को कहा.
वह जैसे ही खड़ी हुई, मैंने उसकी पैंटी खींच कर निकाल दी और उसकी चूत में अपनी जीभ डाल दी.
उसकी चूत बहुत गीली हो चुकी थी, जिसका स्वाद मैं आपको शब्दों में नहीं बता सकता.
फिर मैंने खड़े खड़े ही उसके एक पैर को उठाया, जिससे उसकी चूत खुल गई.
मैंने अपनी पूरी जीभ उसकी चूत की फांकों के बीच घुसा दी और Xxx पुसी लिक का मजा लेने लगा.
वह मेरा सर पकड़ कर चूत पर दबाव बनाने लगी- उम्म म्म भैया … और अन्दर तक डालो … आप इतने रोमांटिक हो, मैंने सोचा भी नहीं था … आह बहुत मज़ा आ रहा है भैया … ओहह … उम्म … यस भैया मेरी जान अपनी छोटी की चूत और जोर से पियो … चूस लो इसे पूरी!
तभी मैंने अपना मुँह अचानक से हटा लिया.
वह तड़फ कर कहने लगी- आह भैया, प्लीज ऐसा मत करो … चूसो ना … मुझे यह मजा ओर लेना है … बदले में जो करना चाहो, कर लेना … पर प्लीज मेरी चूत चूसो न प्लीज.
मुझे भी जाने क्या खुराफत सूझी, मैंने बोल दिया- छोटी, मैं तेरी गांड में भी लंड डालना चाहता हूँ.
उसने कुछ सोचा और बोली- ठीक है, पर आप पहले मेरी चूत में अपनी जीभ डालो … और जब तक मेरी ये मुनिया बह ना जाए, जीभ को निकालना मत.
मैंने उसको बेड के किनारे पर लिटाया ओर उसके दोनों पैरों को खोल दिया.
खुद नीचे बैठ कर और अपनी जीभ को नुकीली करके उसकी चूत में डाल दी.
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