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मेरी नौकरी शहर में लगने Antarvasna Sex Stories के कारण मेरे भैया ने मुझे शहर में बुला लिया था। मैं एक प्राईवेट संस्था में था जबकि भैया एक फ़ेक्ट्री में ऊंचे पद पर थे। मैं गांव से शहर आ गया था। भाभी ने मुझे अपने घर में बहुत ही प्यार से रखा था। मेरी शादी की बात चल रही थी। लड़की गुजरात से थी, उसका नाम प्रेरणा था। उसकी फोटो तो बहुत ही आकर्षक थी। अक्सर भाभी मुझे लड़की के बारे में कुछ कह कर छेड़ती रहती थी। यूं तो देवर भाभी की मजाक तो चलती ही रहती थी पर उस लड़की का जिक्र आते ही जाने क्यूँ मेरे मन में कोमल भावनायें जाग जाती थी। कितनी बार तो यह सोच सोच कर ही लण्ड खड़ा हो जाता था कि जब मैं उसे अपने नीचे दबा कर चोदूंगा तो कैसा लगेगा, उसकी चूंचियाँ दबाऊंगा तो…. मेरे दिल में इस तरह के विचार आते रहते थे। कभी कभी तो ऐसा लगने लगता था कि काश एक बार भाभी मान जायें तो मैं भी चोदने का मजा भरपूर ले लूँ। बहुत पहले मेरी पास ही रहने वाली पड़ोसन ने मुझे पटा कर चुदवाया था तब मुझे बहुत मजा आया था। पर वो कुछ ही दिन बाद दूसरे शहर चले गये थे। पर वो पड़ोसन मुझे चोदने का एक चस्का लगा गई थी।
मुझे अब भाभी से सेक्स की बाते करने में बहुत मजा आता था। भाभी भी रस ले लेकर सेक्स की बातें करती थी। अक्सर मुझसे भाभी प्रेरणा के बारे में पूछती रहती थी। मुझे मुझे ऐसा मह्सूस भी होता था कि भाभी शायद मुझे पटाना चाहती हैं क्योंकि वो आजकल अपने नीचे गले के ब्लाऊज पहनने लग गई थी। जिसमें से उनकी चूंचियां छलकी पड़ती थी। उनके गोल गोल मस्त उभार मुझे बेचैन कर देते थे। पर वो हमेशा अपने को इससे अन्जान दर्शाया करती थी। मेरा लण्ड कई बार कड़क उठता था। अब तो भाभी का अंग अंग मुझे चुदने को बेताब लगता था। पर ये सब शायद मेरे मन का भ्रम था। वो सब इससे अनजान ही थी। बस मुझे छेड़ने के लिये मुझसे ऐसी बाते करती थी, जाने यह सच था या नहीं ?
मैंने अब कई बार भाभी से पूछा भी था कि भाभी सुहाग रात कैसी होती है, उसमें क्या करते हैं।
भाभी कहती थी कि समय आयेगा तब तुम खुद ही सीख जाओगे। मैं भाभी को खोलने में प्रयास रत था। यह भी पूछ लेता था कि मुझे कुछ तो बताओ ना…. रात को क्या क्या करते हैं।
भाभी मुझे यूँ ही टाल देती थी कि सब बाद में बताउंगी, थोड़ा सबर रखो।
उन दिनों भैया कुछ दिनों के लिये लखनऊ गये हुये थे। आज तो भाभी की उत्तेजक सेक्स की बातें मुझे रात को सोच सोच कर नींद नहीं आ रही थी। मन बहुत बेचैन हो रहा था। मेरा लण्ड रह रह कर कड़क उठता था और मेरा पजामा तम्बू बन जाता था। मुझे लगता कि यदि भाभी चुदने के राजी हो जायें तो मेरा पूरा रस ही उनकी चूत में उतार दूँ। मेरा मन डोल उठा, जाने मेरे मन में क्या आया कि मैं चुपके से भाभी के कमरे की ओर बढ़ गया।
दरवाजा हमेशा की तरह खुला हुआ था। धीमी लाईट जल रही थी। भाभी एक पेटीकोट में सो रही थी जो अभी काफ़ी ऊपर उठा हुआ था। ब्लाऊज की जगह एक ढीला सा टॉप पहना हुआ था। मेरा लण्ड बहुत ही अधीर हो उठा था, पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी। मैंने अपना साहस बटोरा और कमरे में कदम रखा। तभी भाभी ने करवट ली, मेरी सांसे जैसे अटक गई। लण्ड ठण्डा सा होने लगा। पर कुछ ही पलों में मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा।
मैं भाभी के पलंग के पास आ गया, भाभी की चिकनी मांसल और गोरी जांघें कुछ हद तक दिख रही थी, उनके स्तन भी दोनों बाहों के बीच में भिंच कर बाहर आने को बेताब थे। मेरे हाथ बरबस ही उनकी जांघों पर आ गये और उन्हें सहलाने लगे। भाभी थोड़ी सी कसमासाई और दूसरी तरफ़ करवट ले कर सो गई। पेटीकोट फिर थोड़ा सा और उठ गया, मैंने नीचे झुक कर पेटीकोट के अन्दर झांका तो पीछे से उनकी चूत के दर्शन हो गये। मैं तो आंखे फ़ाड़े चूत को देखता ही रह गया।
“राजू, अरे वहां तू क्या कर रहा है….?” भाभी नींद से जाग गई थी, मैं घबरा गया।
“नहीं …. कुछ नहीं भाभी …. वो चू…. चू…. मेरा मतलब कोई कीड़ा था, हटा दिया मैंने !” मेरी मुख सूखने लगा था। पसीना छलक आया था।
“आ जा बैठ जा…. कुछ काम था क्या….”
“नहीं वैसे ही आ गया था।”
” मुझे तो नींद आ रही है…. तू भी मेरे पास ही लेट जा…. और जो तुझे कहना कह डाल !” भाभी ने फिर से दूसरी ओर करवट ली और पांव पसार कर लेट गई। भैया की जगह मैं लेट गया।
“चल लाईट बन्द कर दे …. और बता …. नींद नहीं आ रही है क्या?”
मैंने लाईट बन्द कर दी और भाभी की बगल में लेट गया। मैं भाभी को हल्के अंधेरे में देख रहा था। मेरा लण्ड फिर से तन उठा। कुछ देर तक तो मैं बेचैन सा रहा, फिर ना जाने मुझे क्या हुआ…. मैंने अपना सयंम खो दिया और पीछे से भाभी से लिपट पड़ा। भाभी इस अचानक हमले से घबरा गई। पर जल्दी ही सब समझ गई।
“राजू, क्या कर रहा है…. देख मैं तेरी भाभी हूँ ….!” भाभी ने कसमसाते हुये कहा।
“प्लीज भाभी, मुझसे रहा नहीं जाता है…. आप बहुत प्यारी लगती हैं…. !” मैं हांफ़ता हुआ बोला। मेरे दिल की धड़कन तेज हो उठी थी, भाभी की चूंचियाँ दोनों हाथों से दबा डाली। भाभी कराह उठी।
“अरे छोड़ मुझे …. चल हट जा….!” भाभी मुझे हटाती हुई कहने लगी। पर मुझे कहाँ होश था। भाभी जैसे ही मेरी तरफ़ पलटी, मैंने उनका पेटीकोट ऊंचा कर दिया और अपना लण्ड निकाल कर उनकी चूत पर दबा दिया। भाभी के चूतड़ बुरी तरह से दबा कर अपने लण्ड की ओर खींच लिया। मैं भाभी से लिपट पड़ा और अपना लोहे जैसा लण्ड चूत के आस पास मारने लगा। एक बार तो लण्ड चूत में घुस भी गया था पर भाभी ने एक झटके से उसे निकाल दिया। तभी मुझे एक तमाचा मार दिया। भाभी तमतमा उठी।
“साला जंगली ….! शरम भी नहीं आती …. इतनी चोट लगा दी !” तमाचा पड़ते ही मुझे जैसे होश आ गया और मैं भाभी के ऊपर से हट गया। मैंने शरम के मारे अपना मुख छुपा लिया।
मेरी आंखों में आंसू निकल आये। भाभी ने हाथ बढ़ा कर लाईट जला दी…. मुझे रोता देख कर उन्हें दया भी आई।
“तू यह क्या करने लगा था…. भला ऐसे भी कोई करता है?” भाभी ने प्यार से मुझे झिड़का। मैं उठ कर जाने लगा ।
“भाभी, माफ़ कर देना, मन में पाप आ गया था….” मैंने रोते हुये कहा। फिर मैं अपने आप ही ग्लानि में डूब गया और भाभी के कमरे से भाग कर अपने कमरे में आ गया। मेरे दिल में धुकधुकी लगी हुई थी कि अब जाने भाभी क्या करेंगी और मुझे मार पड़ेगी। मुझे अपनी नई नौकरी छोड़ कर वापस जाना पड़ेगा। मैं सबकी नजरों में गिर जाऊंगा …. मैं अनायास ही फ़फ़क कर रो पड़ा- हाय मैंने ये क्या कर दिया।
तभी भाभी कमरे में आ गई। मुझे रोता देख कर भाभी ने हाथ पकड़ कर मुझे पलंग पर ही बैठा लिया। “तू तो पागल है…. रो मत …. मर्द कभी रोते हैं …. ?” भाभी ने मेरे सर को अपनी छातियों में भींच लिया, जानकर के अपनी चूंचियों में मेरा चेहरा दबा दिया और बालो में हाथ फ़ेरते हुये बोली,”राजू, मैं तुझे इतनी अच्छी लगती हूँ….?” भाभी ने जैसे मुझे प्यार से बहलाया।
” हां भाभी, आप मुझे बहुत प्यार करती हैं ना…. बस दिल में पाप आ गया….!” उनकी छाती ने मेरा मन फिर से विचलित कर दिया। अपना चेहरा मैं धीरे धीरे उनके स्तनो से रगड़ने लगा। यह मन भी बहुत अजीब है …. अभी ग्लानि से भरा हुआ था अब फिर से वासना छाने लगी थी।
“आह…. तुम फिर से देखो कुछ कर रहे हो ना …. राजू तुम सुधरोगे नहीं !” भाभी ने एक तड़प भरी आह सी भरी। मैंने अपना चेहरा ऊपर उठाया तो भाभी ने आंखें बन्द कर रखी थी। उनका वासना से भरा चेहरा देख कर मेरा डोल उठा। अनायास ही मेरे होंठ भाभी के होंठों से चिपक गये। इस बार भाभी ने मेरे मुँह को अपने होंठों से भींच लिया और प्यार करने लगी। वो सिसक उठी,”अरे पागल…. भाभी तो तेरी ही हूँ ना…. सभी कुछ प्यार से नहीं कर सकता है क्या…. देख तूने मुझे चोट लगा दी…. फिर वहां से भाग के भी आ गया !” भाभी ने शिकायत की।
“भाभीऽऽऽऽ, आप तो गुस्सा हो रही थी ना….?” मेरा मन अब खुशी से भर उठा था।
“हां जंगलीपने से नाराज हो रही थी…. ऐसे ही प्यार से कर ना….तुझे भी मस्ती आयेगी और मुझे भी सुख मिलेगा !” मेरा मन हल्का हो गया। मन में खुशी भरने लगी। मेरा बदन अब वासना से भरने लगा था। लण्ड ने एक बार फिर से अंगड़ाई ली और सीधा खड़ा हो गया। जैसे कि ग्रीन सिग्नल का इन्तज़ार कर रहा हो।
“भाभी सच में आप बहुत ही अच्छी हैं…. आप जैसा कहेंगी वैसा ही करूंगा !” मैंने प्यार से भाभी की चूंचियां सहलाते हुये कहा। जीभ से बार बार भाभी के होंठो को चाट लेता था। भाभी की मस्त चूचियाँ कड़ी हो रही थी, चुचूक भी कठोर हो चुके थे।
“देवर जी, शरम आती है …. कहूँ क्या…. आप मेरी नीचे वाली को प्यार करेंगे?” भाभी वासना भरी आवाज में सकुचाते हुये बोली।
मुझे अब बदन में सनसनी सी होने लगी थी। मुझे भाभी की चूत देखने की तीव्र इच्छा होने लगी थी। भाभी के इस इशारे ने मेरा मन मोह लिया और मैंने भाभी का पेटीकोट ऊपर कर दिया और नीचे साफ़ और चिकनी चूत के पास अपने अधरों को धीरे से लाकर चूमने लगा। चूत में से एक महक आ रही थी, जैसे कि मुझे पास बुला रही हो, बुलावा स्वीकार कर के मैंने चूत को भी प्यार किया, दाना भी मुँह में लेकर चूसा। फिर जीभ चूत में घुसा कर नमकीन रस का आनन्द लेने लगा। भाभी ने अपना पेटीकोट ऊपर से खींच कर उतार दिया। मैंने भी अपना पजामा उतार दिया। वो अपनी चूत को धीरे धीरे आगे पीछे करके पूरा आनन्द ले रही थी। मेरी जीभ भी लपलपा कर सारी चूत को चाट रही थी।
फिर भाभी ने मुझे कहा,”देवर जी आपके केले में कितना रस भरा है…. जरा मुझे चखाओ ना….!” भाभी ने मेरे मोटे कड़क लण्ड की ओर इशारा किया। ये सब मैं पहली बार कर रहा था इसलिये एक नया मजा आ रहा था। मैंने अपना लण्ड देखा और पूछा,”भाभी…. साफ़ कहो ना …. क्या करना है….” मेरा लण्ड रह रह कर कड़क रहा था। भाभी ने अंगुली हिला कर मुँह में डाल दी। मैं शरमा गया। मैं धीरे से उठा और अपना लण्ड भाभी के मुख के पास ले गया। भाभी ने मेरे चूतड़ पकड़ कर अपनी ओर खींच कर लण्ड अपने मुँह में ले लिया। होंठो का नरम सा अहसास, जीभ की गुदगुदी मेरे सुपाड़े को आनन्द देने लगी। मेरा लण्ड और फ़ूल उठा।
भाभी ने मेरे लण्ड का डण्डा थाम कर पूरा सुपाड़ा मुँह में ले लिया और जोर से चूसने लगी। मेरे लण्ड में जैसे आग लग गई। मेरे चूतड़ आगे पीछे हो कर उनका मुँह चोदने लगे। मुझे बहुत ही मजा आने लगा,”भाभी…. आप सच में बहुत प्यारी हैं …. अब मुझे चोदने दो ना….!”
मेरी सीत्कार बढ़ गई थी। भाभी को भी चुदने की लगी थी, सो उन्होंने मुझे ऊपर से हटाया और अपनी दोनों टांगें ऊंची करके आंखें बंद करके चुदने का इन्तज़ार करने लगी।
जैसे ही मेरा लण्ड और भाभी की चूत मिली लगा आग से आग मिल कर और भड़क उठी…. लन्ड चूत को चीरता हुआ अन्दर जाने लगा और आग से जैसे पानी बरसने लगा…. दोनों मिलते ही जैसे एक दूसरे को निगलने लगे। मेरा लण्ड वासना भरी मिठास से भर उठा, और चूत मेरे लण्ड को जैसे लपेटने लगी। मुझे जैसे होश ही नहीं रहा। चूतड़ ऊपर उठ कर आगे पीछे चूत पर रगड़ खाने लगे। लण्ड जोर से अन्दर जाता और फिर बाहर आकर फिर से अन्दर जा कर अपना सर पटकता। भाभी सीत्कारें भरने लगी। मेरी भी सिसकारियाँ निकल पड़ी जैसे कि कमरे में कोई घमासान छिड़ा हुआ हो। भाभी ने मुझे कस कर लपेटा और मुझे नीचे धकेल कर खुद ऊपर आ गई और मेरे ऊपर चढ़ बैठी। ऊपर से भाभी ने बैठे बैठे ही एक जोरदार शॉट मारा और खुद ही चीख पड़ी। लण्ड को पूरा मजा आ गया था। भाभी की चूत में लण्ड गहरा बैठ गया था, शायद अन्दर तक चूत फ़ाड़ कर लण्ड का साईज़ ले लिया था। भाभी का ऐसा ही दूसरा धक्का आया और फिर से चीख उठी…. अरे ये तो आनन्द भरी चीख थी। मेरा लण्ड अन्दर तक ठूंस ठूंसकर ले रही थी, उसमें ही उनको मजा आ रहा था। उनके लगातार जोर से मचल मचक कर लण्ड लेने से मैं भी अति उत्तेजित हो गया था।
“देवर जी, अरे इतने दिन कहाँ रहे थे…. मेरी तो लगता है आज ही इच्छा पूरी हुई है !”
“भाभी…. और मारो ना झटके …. हाय मुझे तो देखो क्या हो रहा है…. और मारो चूत को!”
“साले, अब तो तुझे रोज ही चोदा मारुंगी…. हाय रे क्या लण्ड है…. खींच मेरी चूंची को खींच दे रे !” भाभी मस्ती में झूम रही थी। चुदने का पूरा मजा ले रही थी। मुझे भी ऐसा जोरदार मजा कभी नहीं आया था। अचानक भाभी मुझसे लिपट गई और चूत का पूरा जोर लण्ड पर लगाने लगी। जोर लगाते लगाते उनके मुँह से आह निकलने लगी और उनके होंठ मेरे होंठो से जोर से चिपक गये। इसका असर चूत पर हुआ और और उसमें लहरें चलने का अहसास होने लगा। वो बार बार चूत का जोर लण्ड पर लगाती और आह रे …. पानी छोड़ने लगी। भाभी झड़ रही थी।
मैं भी अपना लण्ड को चूत में पूरा घुसेड़ कर दबाने लगा और फिर अन्दर ही लण्ड ने अपना रस छोड़ दिया। अब हम दोनों आपस में जोर लगा कर अपना अपना वीर्य निकालने में लगे थे। भाभी मुझसे लिपटी हुई पड़ी थी और मैंने उन्हें अपनी बाहों में लपेट रखा था। दोनों ही अभी भी झड़ रहे थे, दोनों के चूतड़ एक दूसरे के चूत और लण्ड दबा रहे थे और अपना पूरा माल निकालने में लगे थे।
भाभी और मैं, दोनों ही नंग धड़ंग एक दूसरे से चिपके हुये बिस्तर पर पड़े हुये थे। कुछ ही देर में भाभी के खर्राटो से पता चल गया कि वो सो गई हैं। मुझे पूर्ण सन्तुष्टि हो चुकी थी, भाभी भी निहाल हो कर सो चुकी थी। मैंने भाभी के नंगे शरीर को देखा और मुस्करा उठा…. अब ये बदन मेरा था…. । मैं बिस्तर से उतरा और एक पतली साफ़ चादर भाभी के शरीर पर डाल दी और स्वयं कपड़े पहन कर सोफ़े पर जाकर सो गया। Antarvasna Sex Stories
मेरा नाम मोहित है। मैं गोरखपुर का रहने Sex Stories वाला हूं। मेरा एक संयुक्त परिवार है, मेरे घर में पापा, मम्मी, चाचा, चाची रहते हैं. मेरी उम्र २७ साल है मुझे शुरू से ही सेक्स का बहुत शौक रहा है. मुझे लड़कियों में उनकी चूची बहुत पसंद है. उनसे खेलना, चूसना मेरी पहली पसंद है. सेक्स करने से पहले मुझे पार्टनर के साथ खेलने और उसे बहुत ज्यादा उत्तेजित करने में बहुत मज़ा आता है. २ साल घर से दूर हॉस्टल में पढ़ा हूं। उस वक्त मेरे बेड पे मैं और मेरा एक रूम पार्टनर सोते थे.
एक दिन जब हम सो रहे थे तब रात को मुझे लगा कि कोई मेरे लंड के साथ खेल रहा है. मैंने धीरे से एक आंख खोली तो देखा कि मेरा रूम पार्टनर मेरे लंड के साथ खेल रहा है, उससे मस्ती कर रहा है। मुझे भी बहुत अच्छा लग रहा था। मैं सोने का बहाना कर के बेड पे पड़ा रहा. फिर वो मेरे लंड को चूसने लगा मुझे बहुत मज़ा आने लगा. तब मैंने उठने की सोची और उठते ही अपने रूम पार्टनर पे झूठ का गुस्सा किया। वो मुझे मनाने लगा। मैंने उससे कहा कि ठीक है लेकिन बस इतने में मज़ा नही आयेगा, उसने पूछा- क्या मतलब?
मैंने कहा- मुझे यह सब पसंद नही है और किसी लड़के ने मेरा लंड पहली बार पकड़ा है, तुम उसे चूस रहे थे, उसके अलावा क्या क्या करते हैं?
उसने बताया कि लंड को गांड में डाल का अन्दर बाहर करते हैं जैसे कि लड़कियों के चूत में डाल कर किया जाता है.
मैंने उससे कहा कि तुम मेरा लंड चूस सकते हो, ब़स मुझे गांड मरवाने का शौक नही है.
वो मान गया. उस दिन उसने मेरे लंड की खूब चुसाई की, फिर हम सो गये.
हम जिस स्कूल में पढ़ते थे वो लड़के लड़कियों का स्कूल थ। उस समय मैं कलास 12 में था. स्कूल में ही हमारा हॉस्टल था. लड़कियों से मेरी बहुत बनती थी क्योंकि मैं पढ़ने में बहुत तेज था। मेरी क्लास में एक लड़की थी जिसका नाम सुधा था. वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी थी. वो अपने जवानी की दहलीज़ पर पहला कदम रख रही थी. उसके बड़े होते उभार किसी को भी दीवाना बनाने के लिए काफी थे. मैं उससे बहुत पसंद करता था और रात को उसके साथ ।सेक्स के सपने देखता था.
मैं दिखने में बहुत स्मार्ट नही था लेकिन किसी से कम भी नही था. मैंने उससे अपने प्यार का इज़हार करने की सोची, लेकिन हिम्मत नहीं हुई. एक बार हम लोग पूरी क्लास के साथ आऊटिंग पे गए हुए थे, ब़स वही मुझे मौका मिल गया और मैंने उससे अपने प्यार का इज़हार कर दिया.
पहले तो वो कुछ नही बोली, फिर मेरे गाल पे एक किस देकर बोली कि मैं भी तुम्हे बहुत पसंद करती थी लेकिन बोलने की हिम्मत नही हो रही थी. फिर क्या, धीरे धीरे हम लोग एक दूसरे से बहुत खुल गये और सेक्स करने की प्लानिंग होने लगी. हॉस्टल से केवल रविवार को आऊटिंग की छूट थी तो हम लोगों ने रविवार के मिलने का प्रोग्राम उसकी सहेली के घर पे रखा. यह सब इंतज़ाम उसने किया और बताया कि कोई दिक्कत नहीं है उसकी सहेली तैयार है अपने घर पे बुलाने को. हम लोग रविवार को मिले और हमें एक कमरे में अकेला छोड़ कर उससके सहेली बाहर चली गई.
सुधा ने उस दिन लाल रंग का सूट पहना हुआ था उस पर सफ़ेद दुप्पटा जिसमें वो बहुत की सेक्सी लग रही थी. मैंने उससे तुरन्त अपने बाँहों में ले लिया और उसे किस करने लगा. किस करते करते मेरा एक हाथ उसकी चुचियों को मसल रहा था। अभी छोटी थी लेकिन बहुत हार्ड और मस्त थी. मैंने उससे कपड़े उतारने के लिए कहा तो वो शरमाने लगी.
फिर मैंने उसके ऊपर के कपड़े को उतार दिया और देखा उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई है। गज़ब की क़यामत लग रही थी वो.. फिर सलवार भी उतार दी, उसने नीचे कुछ नहीं पहना था और उसके चूत पे एक बाल भी नही था। फ़िर मैं उसकी चुचियों को ब्रा के ऊपर से ही चूसने लगा। वो आ आआ आह ह्ह्ह्ह्ह्अह्ह्ह करके सेक्सी आवाज़ निकलने लगी और मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरे लण्ड को पकड़ने लगी। मैंने अपनी पैन्ट और अंडरवीअर उतार कर लण्ड उसके हाथों में दे दिया. फिर वो मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी.
मैंने उसे मेरे लण्ड को मुंह में लेने के लिए कहा तो वो मना करने लगी और कहा कि मुझे उलटी हो जायेगी. कमरे में एक फ्रीज रखा था, जिसे खोला तो देखा कि उसमें जैम रखा था। मैंने सुधा से जैम लण्ड पे लगाने के लए कहा तो उससे उसने प्यार से लगा दिया। फिर मैंने उससे उसे चाटने के लिए कहा, फिर वो मज़े से उससे चाटने लगी और उससे बहुत मज़ा आने लगा। मेरा लण्ड खड़ा हो गया था. मैंने फिर उसको लिटा कर उसकी चूत चाटनी शुरू की तो वो फिर आवाज़ निकलने लगी. फिर उसने लंड को चूत में डालने के लिए कहा.
चोदने का यह मेरा पहला मौका था लकिन मैं बहुत कांफिडेंट था क्योंकि मैंने बहुत सी ब्लू फिल्म देखी थी और गरमा गरम कहानियों की किताब भी पढ़ी थी। मैंने उसकी चूत पे लण्ड को रखा लेकिन वो अन्दर जा ही नहीं रहा था, बहुत कड़ी चूत थी. मैंने उसपे तेल लगाया फिर रखा तो वो थोड़ा अन्दर गया वो दर्द के मारे चिल्लाने लगी और हटने के लिए कहने लगी।
मैंने उसे समझाया, तब वो फिर तैयार हुई। फिर मैंने उसकी चूत पे लण्ड रख कर धक्का मारा तो आधा अन्दर गया। क्या गज़ब टाइट चूत थी, वो चिल्लाने लगी पर मैं कहां मानने वाला था और एक बार मैंने धक्का मारा और लण्ड को पूरा अन्दर घुसा दिया। वो दर्द के मारे रोने लगी। मैंने उसे चुप कराया और उसकी चुचियों को चूसने लगा जिससे उससे मज़ा आने लगा. कुछ देर बाद वो अपनी गांड को उठाने लगी। तब मैंने जोर जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए और लगभग १५ मिनट बाद झड़ गया. लण्ड को बाहर निकाला तो देखा कि चादर पे खून पड़ा है। जिसे देख कर हम दोनों डर गये.
तभी देखा कि दरवाज़ा धड़ाक से खुल गया और उसकी सहेली कमरे के अन्दर आ गई. शेष आगे की कहानी में. मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताएं। Sex Stories
मैं नेपाली हूं और ग्रेजुऐशन के बाद एक सरकारी दफ़्तर में नौकरी करता हूं Sex stories. मेरा घर राजधानी काठमांडु में है और नौकरी के दौरान मुझे देश के अलग अलग हिस्सों में जाना पड़ता है।
ये एक दस साल पुरानी हकीकत है जो मैं आपके साथ बांट रहा हूं।
ऐसे ही मेरा नेपाल के पूरवी शहर बिराट नगर तबादला हुआ। मैं शहर के बीचों बीच एक घर में डेरा लेकर रहने लगा।
वो घर तीन मंजिला था और सबसे ऊपर घरवाला रहता था बीच में मैं और सबसे नीचे एक व्यापारी था।
घरवाला इंजीनियर था और वो अपनी बीवी और दो बच्चों के साथ रहता था।
मैं अकेला रहता था और मेरी शादी भी नहीं हुई थी।
इंजीनियर को मैं भाई और उसकी बीवी को भाभी कहकर बुलाता था। हम शाम के वक्त छत पर बैठ कर गप्पे मारते थे और इंजीनियर की बीवी कभी चाय तो कभी शरबत पिलाकर हम लोगों का सत्कार करती थी।
उसकी बीवी का नाम गौरी था और लगभग सत्ताइस साल की थी लेकिन इंजीनियर देखने में पचास साल का लगता था।
इंजीनियर से उसके बारे में मैंने कभी नहीं पूछा और जरूरत भी नहीं समझी।
वो घर से बहुत दूर नौकरी करता था और महीने दो महीने में एक बार दो चार दिन के लिये घर आता था।
उनके दो बेटे थे एक आठ साल का और दूसरा पांच साल का।
दोनों स्कूल जाते थे और मैं फ़ुरसत के समय में उन लोगों को होमवर्क करने में हेल्प कर देता।
मुझे उन लोगों के घर में या किसी कमरे में जाने में रोकटोक नहीं थी।
गौरी अपनी नाम के तरह गोरी थी और देखने में बहुत सुंदर थी। बड़ी बड़ी काजल लगी हुई आंखें और काले लम्बे बाल उसको और सेक्सी बना देते थे।
गर्मियों का महीना था और शाम का वक्त था मैं हवा खाने छत पर निकल गया।
गौरी ढेर सारे कपड़े लेकर धो रही थी और मैं एक कुर्सी खींचकर गप्पे मारने के लिये उसके सामने बैठ गया।
जैसे ही मेरी नजर उस पर पड़ी, मैं सन्न रह गया वो पतला सफ़ेद रंग का टाइट ब्लाउज़ पहने हुए थी और तीन चौथाई से ज्यादा चूचियों का हिस्सा बाहर उबलने को तैयार था।
उसने बरा नहीं पहनी हुई थी।
मेरे लंड ने हरकत करना शुरु किया और कुछ ही देर में तनकर खड़ा हो गया।
उसकी चमकीली चूचियां गोल गोल थी और उसके बारूद ने मुझे हिलाकर रख दिया।
मेरा दिल तो करता था अभी उठकर जाऊं और गन्ने की तरह सारा रस पी जाऊं या यूं कहूं उसकी घाटी के बीच खुद को समा लूं।
मेरा 6.5” लम्बा और 2.5” मोटा लंड सनसनाकर खड़ा हो गया था और मैं उसको ठंडा करने के बारे में सोच रहा था।
मैं अपने भाग्य को कोस रहा था कि क्यों मैंने पहले ऐसा नजारा नहीं देखा।
सफ़ेद रंग के ब्लाउज़ से निकलता स्तन बेचैनी कर रहा था। मैं अपने शरीर में गर्मी महसूस करने लगा।
मेरे दिमाग में एक आइडिया आया और मैं भाभीजी को बोला- भाभीजी, आप कपड़े धोइए मैं पानी डाल देता हूं।
उसने हाँ कहा और मैं पानी डालने लगा।
मैं पानी डालते समय दो चार छींटे उसके ब्लाउज़ पर जानबूझकर डाल देता था और वो मुस्कुरा देती।
मैं एक हाथ से अपना लंड पकड़ रहा था और दूसरे हाथ से पानी डाल रहा था।
कुछ देर बाद भाभी का सारा ब्लाउज़ भीग गया और मैं सकते में आ गया। उसके भीगे ब्लाउज़ से लाल लाल निप्पल साफ़ दिखाई देने लगे या यूं कहूं कि वो ऊपर से पूरी तरह नंगी हो गई।
मेरे सब्र का बांध टूट रहा था और मैं उसको बोला- भाभी, आप पूरी तरह से भीग गयीं हैं, कपड़े बदल लीजिये नहीं तो आपको सर्दी लग जायेगी.
वो बस मुस्कुरा कर बोली- आपने ही तो भिगाया है देवर जी, आप बहुत बड़े वो हो।
मैं अपना लंड पकड़कर थोड़ा हिला रहा था और इसी दौरान मेरा लंड झड़ गया।
उसे देख कर मैं उसकी कल्पना में खोया था कि उसके बच्चे आ गये और मेरा सपना टूट गया।
दूसरे दिन जब मैं ओफ़िस से घर लौटा तो शाम के चार बज रहे थे।
मैं कपड़े बदलकर सीधा ऊपर चला गया।
भाभी और बच्चों में जंग चल रही थी कि सबसे ताकतवर कौन है। वो एक आपस में एक दूसरे को उठा रहे थे।
मैंने गौर से भाभी को देखा तो उस दिन भी उसने ब्रा पहनी नहीं थी, हल्के गुलाबी रंग के ब्लाउज़ और शिफ़ोन की साड़ी के साथ हल्का मेकअप उसको और हसीन बना रहा था।
मेरे शरीर में हरकत शुरु हो गयी और मेरा लंड धीरे धीरे बढ़ने लगा।
मैं भाभी और अपने लंड के बारे में सोच ही रहा था कि एक लड़का बोला- अंकल, आप हमारी मम्मी को उठा सकते हैं?
तो मैं भाबी को चिढ़ाने के लिये बोला- आपकी मम्मी भारी तो हैं पर हम उठा सकते हैं।
इतने में भाभी बोली- हम भारी हैं या देवर में उठाने की ताकत नहीं है?
हम कुछ कहने वाले थे कि बच्चों को उनके दोस्तों ने नीचे से आवाज़ दी और बच्चे नीचे की तरफ़ भागने लगे और भाभी उन लोगों को आहिस्ता जाने की हिदायत दे रही थी।
उसकी पीठ मेरी तरफ़ थी और मैंने सोचा यही मौका है भाभी को दबोचने का और मैं आगे बढ़ा और उनकी कमर में हाथ डाल के झटके से ऊपर उठा लिया।
वो न नुकर कर रही थी लेकिन मैंने उसको दबोचे रखा।
मैंने अंदाज़ा लगाया वो लगभग 55 किलो की थी और 5’5” उंचाई वाली औरत थी।
उसने हल्का खुश्बुदार परफ़्यूम लगा रखा था जो मुझे और मदहोश कर रहा था।
मैंने अपना हाथ थोड़ा ढीला किया तो वो धीरे धीरे नीचे की तरफ़ सरकने लगी और जब वो ज़मीन पर टिक गयी तो उसकी दो बड़ी बड़ी चूचियां मेरे हाथ में थी।
मैंने अपने लंड का दबाव उसकी गांड पर महसूस किया और मैंने अपना हाथ का दबाव उसकी चूचियों पर थोड़ा और बढ़ाया।
उसका शरीर भी काँप रहा था और सांसें गर्म हो गयी थी।
इसी बीच मैंने एक लम्बा चुम्बन उसके होंठों पर रख दिया।
उसके निप्पल बहुत कड़क हो गये थे और मेरा लंड साड़ी के बाहर से ही उसकी चूत में जाने के लिये तड़प रहा था।
अपना हाथ मैंने उसके ब्लाउज़ के अंदर डाल दिया और उसकी दो पहाड़ जैसी रसीली चूचियां दबाने लगा।
मैंने महसूस किया कि मेरे लंड से पानी निकल रहा है।
जबमैंने उसके निप्पल को थोड़ी ज़ोर से दबाया तो वो दूसरी तरफ़ हटकर बोली- देवर जी, आप बहुत नटखट हैं, जो काम रात को करते हैं वो दिन में नहीं करते.
इतना कहकर वो किचन की तरफ़ चली गयी और मैं वहीं बैठकर अपने लंड हिला हिला कर पानी निकालने लगा।
मैं एक बार फिर नकामयाब होकर लौट गया।
अब मुझे रात का इन्तज़ार था और घड़ी की सुई थी कि हिलती ही नहीं थी।
मैं कभी कभी व्हिस्की पीता था इसलिये एक दो व्हिस्की की बोतल मेरे पास रहती थी।
मैंने एक पैग ले लिया लेकिन मेरी बेसब्री और बढ़ गयी।
मैंने दूसरा पैग भी ले लिया अब मेरी बेसब्री थोड़ी कम हुई। मैंने तीसरा पैग बनाया और खाना खाने लग गया।
खाना खाने के बाद मैंने ब्रश किया और थोड़ा परफ़्यूम अपने शरीर पर और थोड़ा अपने लंड पर लगा लिया।
इतने में रात के नौ बज गये और मैं तैयार होने लगा।
मैंने व्हिस्की का तीसरा पैग एक घूंठ में हलक से नीचे डाला और मैं सीढ़ियों की तरफ़ बढ़ा।
भाभी का मेन गेट खुला था और एक कमरे से हल्की रोशनी आ रही थी।
मैं उसी दरवाजे की तरफ़ बढ़ा, दरवाजा आधा खुला था और भाभी पलंग पर बैठकर कुछ पढ़ रही थी।
मैंने दरवाजा थोड़ा पुश किया तो भाभी दरवाजे की तरफ़ पलटी, उसकी और मेरी आंखें चार हुई तो वो अलग अंदाज़ में मुझे न्यौता दे रही थी।
अब मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर दिया।
सारे कमरे में हलकी खुशबू फ़ैली थी।
भाभी भी पलंग से उठकर आयी तो मैंने देखा, वो एक झीनी सी पारदर्शी नाइटी में थी और उसका सारा अंग मुझे दिखाई पड़ रहा था।
उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं था और वो अभी भी ब्रा पहने नहीं थी।
काले लम्बे बालों को आगे की तरफ़ झुकाये थी और आंखों में काजल उसको और सेक्सी बना रहा था।
मेरा लंड फिर हरकत में आ गया और देर करना मुझे मेरी मूर्खता लगी.
इसलिये मैं आगे बढ़ा और एक झटके में उसे बांहों में जकड़ लिया।
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये और उसकी जीभ को चूसने लगा।
उसने मेरी पैंट का हुक खोलकर मेरी पैंट नीचे गिरा दिया।
मेरे लंड का दबाव शायद वो अपनी चूत पर कर रही थी।
मैंने उसकी नाइटी को उतार दिया और अपने भी सारे कपड़े उतार दिए।
हल्की रोशनी में मुझे उसका जिस्म ताजमहल जैसा लग रहा था।
मैंने फिर एक बार उसके होंठों पर लम्बा किस जड़ दिया।
मेरे हाथ धीरे धीरे उसकी बड़ी बड़ी चूचियों पर बढ़ने लगे।
उसकी चूचियां सख्त थी और ऐसा नहीं लगता था कि उसके दो बच्चे भी हैं।
मैं अपना दबाव उसकी गोलाइयों पर बढ़ाता गया और वो मेरे शरीर के अंग अंग को किस कर रही थी।
जब मैं उसकी कड़क निप्पलों को चूसने लगा तो सिसकारी भरने लगी।
उसके शरीर की गरमाहट मुझे और मदहोश बनाने लगी थी।
मैं अपनी एक उंगली उसकी चूत पर रगड़ने लगा और मुँह से उसके निप्पल चूस रहा था।
उसके चूत से निकला पानी से मेरी उंगली भीग गई थी।
मैंने उसको उठकर बेड पर लिटा दिया। मैं उसके ऊपर विपरीत दिशा में बैठ गया तो उसकी टांग मेरे सर की तरफ़ थी और मेरी टांग उसके मुँह की तरफ़ थी।
मैं धीरे धीरे उसकी चूत सहलाने लगा तो वो छटपटाने लगी।
मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर फ़ेरना शुरु कर दी।
लाल चूत के बीच में जो छोटा मांस का टुकड़ा होता है, मैं उसको मुँह में लेकर अपनी जीभ से दबाने लगा।
वह भी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी।
उसकी चूत में अपनी जीभ अंदर बाहर करता था और कभी कभी मैं टुकड़े को हल्का सा काट देता था तो वो सिहर उठी थी और मेरे सर को जोर से चूत की तरफ़ खींचती थी।
वो अपनी चूत को ऊपर नीचे कर रही थी जिससे मेरी जीभ उसकी चूत के अंदर बाहर हो जाती थी।
थोड़ी देर हिलने के बाद उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला जो मैंने ज्यादा से ज्यादा मुँह से निगल गया।
मेरा भी लंड तुनक रहा था तो मैं अब उसके ऊपर आ गया।
मैंने अपना लंड उसकी चूत के सामने रखकर थोड़ा दबाव दिया तो लंड का सुपारा उसकी चूत के अंदर घुस गया।
उसने हल्की आह की आवाज़ मुँह से निकाली और मुझे अपनी बाहों में भींच लिया।
मैंने एक और जोरदार धक्का मारा, अब सारा लंड उसकी चूत के अंदर था।
मैं धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। मेरे दोनों हाथ उसकी चूचियों पर थे और मेरा मुँह कभी उसके निप्पल तो कभी उसके होंठ पर चल रहा था।
मेरे होंठ, हाथ और लंड की स्पीड धीरे धीरे बढ़ाने लगा।
वो मुझे पूरी तरह साथ दे रही थी और बीच बीच में सिसकारी भरकर मुझे भींच लेती थी।
मेरे लंड की स्पीड बढ़ती गयी और उसकी चूत से इतना पानी निकल रहा था कि पूरा कमरा फच फच की आवाज़ से गूंज रहा था।
मैं दनादन उसकी चूत में लंड डाल रहा था।
इतने में ही उसकी चूत से ढेर सारा पानी निकला और वो निढाल हो गयी।
मैं भी झड़ने वाला था तो अपना लंड चूत से निकालकर उसके मुँह में दे दिया।
वह मेरे लंड के सुपारे को अपने दांतों से दबाव देकर चूसने लगी और वो लंड को जड़ तक चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद मेरे लंड से ढेर सारा सफ़ेद वीर्य निकला जो वो चाव से चाटने लगी।
हम दोनों पलंग पर बैठ कर बातें करने लगे।
मैं बोला- भाभी, कैसी रही चुदाई?
तो वो बोली- आपका लंड तो बहुत बड़ा है, मेरे मियां का लंड तो इससे आधा भी नहीं है और जब वो चोदने आते हैं तो मैं अभी तैयार भी नहीं होती हूं और उसका लंड झड़ जाता है। देवर जी, तुम में बहुत दम है और अब जब चाहो मुझे चोद सकते हो।
मैंने पूछा- भाभी, आपके दो बच्चे हैं लेकिन आपकी चूचियां तो बहुत सख्त हैं.
तो वो बोली- मैं रोज योगा करती हूं इसलिये मेरा शरीर दुरुस्त है।
मैं उसकी चूचियां दबा रहा था और वो मेरी छाती पर हाथ फेर रही थी।
धीरे धीरे उसका हाथ मैंने अपने लंड पर पाया और वो उसे उठाने की कोशिश कर रही थी।
मैं भी उसकी चूचियां दबाता रहा था तो कभी उसके निप्पल को मुँह में ले के चूसता था।
मैंने उसके मुँह में अपनी जीभ से खेलना शुरु किया जिसमें उसने मेरा पूरा साथ दिया।
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मैं उसकी जीभ चाट रहा था और वो मेरी। उसका मुँह मेरे मुँह से सटा हुआ था और उसके दोनों हाथ लंड को सहला रहे थे।
अगले दिन दोपहर को मौसा Antarvasna Sex Stories जी घर आ चुके थे। उनके साथ उसके एक पुराने मित्र राजेश भी थे। उनके आते ही रीना और रूपा में कुछ बदलाव सा लगा, दोनों ही कुछ ज्यादा ही खुश नजर आ रही थी। रीना भी पहले से अधिक सेक्सी लगने लगी थी। उसने थोड़ा मेकअप भी किया हुआ था और मौसा जी से वो हंस-हंस के बात कर रही थी। रूपा ने राजेश की खूब आवभगत की और उससे खूब बातें की।
मौसा जी बार-बार रीना की तरफ़ देखते, कभी उसका फ़िगर देखते, कभी उसके सुडौल चूतड़ों को निहारते। आज जाने क्यों रीना बड़ी आकर्षक लग रही थी। मौसा को क्या पता था कि आज रीना ने भरपूर चुदाई करवा कर अपना मन शांत कर लिया था।
पर हां इससे रीना के मन में एक नया जोश और मर्दों के प्रति एक आकर्षण पैदा हो गया था। जैसे अधिकतर मर्द नारी को एक भोग्य वस्तु मानते हैं, वैसे ही उसे पुरुष भी भोगने की वस्तु लगने लगे थे। उसे लगने लगा था कि मर्द तो बस चूत के दीवाने रहते हैं, इन्हें तो जब चाहो तब पटा लो और चुदा लो। बस थोड़ी सी चूची दिखा दो और मर्दों का तम्बू तन जाता है। चुनांचे मौसा जी भी रीना के लिये उसी श्रेणी में आ चुके थे।
रीना दो दिनों में ही मौसा जी के बहुत निकट आ चुकी थी। रीना उन्हें हर तरफ़ से उसे पटाने में लगी थी। उसे आशा थी कि उसे एक नया लण्ड जल्दी ही मिल जायेगा। अभी तो सभी कुछ पर्दे के पीछे था। उधर रूपा भी राजेश से खूब घुल मिल गई थी। शाम को सब मौसा जी के साथ राजेश को घुमाने ले जाते थे। रूपा ने रीना को और रीना ने रूपा को यह बता दिया था कि वो इन मर्दों को पटा रही हैं। दोनों ने अपने पत्ते खोल रखे थे। रीना यदि मौसा के अधिक करीब आ जाती थी तो रूपा जानबूझ कर दूसरी ओर चली जाती थी और मौसा यह समझते थे कि मौका मिल गया। इस दौरान वो हाथ दबा देते थे और कभी कभी चूतड़ पर हाथ भी मार देते थे। बदले में रीना शर्माने का अभिमय कर देती थी।
उधर रूपा ने भी राजेश को पटा लिया था। रूपा जरा तेज थी, सो वो तो चुम्बन तक पहुंच गई थी।
“रीना ! अब तो मुझे चुदने की लग रही है … अपने मौसा जी को कही बाहर ले जा ना !”
“शाम को मौसा जी को मैं घुमाने ले जाती हूँ और आप तबियत का बहाना बना लेना !”
दोनों ने अपनी ओर से सरल सा बहाना बना लिया। योजना के मुताबिक राजेश बाहर निकल गया और रूपा ने पेट दर्द का बहाना किया। मौसा जी तो चाहते ही थे कि उसे सिर्फ़ रीना का साथ मिले। रीना के थोड़े से ही कहने पर मौसा जी मान गये।
रूपा ने भी मंजूरी दे दी। दोनों कार में निकल पड़े और रूपा ने जल्दी से मोबाईल पर फ़ोन करके राजेश को वापस बुला लिया। राजेश तुरंत घर आ गया। राजेश सीधा रूपा के कमरे की तरफ़ बढ़ गया। रूपा उसे देखते ही शरमाती सी खिल गई।
“अब हम तुम इस कमरे में बंद हो तो…”
“धत्त, आप तो मजाक करने लगे…” रूपा ने राजेश को रिझाने का नाटक किया।
“अब तो मत शर्माओ … अब तो एक मैं और एक तू … दोनों मिले किस तरह… बताओ !”
“हाय रे … आप दूर रहें … मुझे कुछ होता है…!” राजेश ने रूपा का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया, रूपा जानबूझ कर उसके ऊपर गिरती हुई बोली,”हाय राम … बैंया तो छोड़ो, मोच आ जायेगी ना…” रूपा फ़िल्मी अदाएँ दिखाते हुये राजेश से लिपट गई। दूसरे ही क्षण रूपा के मद भरे अमृत कलश उसकी हथेलियों में दबे हुये थे।
“मां री ! … मत करो ना … गुदगुदी होती है …! ” रूपा ने आह भरते हुये कहा,”दूर रहो जी… नीचे कुछ गड़ रहा है…”
मेरी मतवाली रूपा यही है वो मस्त चीज़ जो हमे अभी मस्ती देगी … अब बनो मत …”
“ना जी … मत सताओ … इसे दूर ही रखो … मेरा मन डोल रहा है… हाय रे ! क्या कर रहे हो… घुसाये चले जा रहे हो… आह्ह्ह मेरे राजेश…!!”
“मस्ती आ रही है ना… आओ अब अधरों का रसपान करें” राजेश भी भावना में बह कर बोला।
दोनों के होंठो की पत्तियां टकरा गई और एक दूसरे की जीभ से वो भीग गये।
होंठो का कसाव दोनों ने बढ़ा दिया और अधरपान में लीन हो गये। राजेश के मुँह से सीत्कार निकल पड़ी… रूपा ने उसका लण्ड कस कर दबा दिया था।
“अरे रूपा, तुम मुझे मार डालोगी… जरा धीरे से… कहीं निकल गया तो मजा नहीं आयेगा…”
“तो फिर जी, क्या करें … मेरा तो मन डोल रहा है जी…!”
“चलो, पहले प्यास बुझा ले… कपड़े उतारो…”
“प्यास लग रही है तो कपड़े क्यूँ उतारें भला…?” रूपा ने शरमाते हुये कहा।
राजेश ने धीरे से रूपा की साड़ी उतार दी … फिर ब्लाऊज को जबरदस्ती उतार दिया। रूपा की तरफ़ से ब्लाऊज़ उतारने का विरोध तो मात्र एक नाटक था, ब्लाऊज उतरते ही उसने अपनी उभरी हुई जवानी को हाथों से छिपाने का नाकाम प्रयास किया। राजेश ने भी जल्दी से अपने कपड़े उतार फ़ेंके। अब रूपा के पेटीकोट की बारी थी, बस नाड़ा खींचने की देर थी। पेटीकोट झम से नीचे पांवों पर आ गिरा।
“मैं मर गई राम जी… और कभी अपनी चूत छिपाती तो कभी अपने उभरे हुये स्तनों को ढकने की कोशिश करती। राजेश ने अपने नंगे बदन से रूपा को लिपटा लिया और दोनों फिर बिस्तर पर एक दूसरे को धकेल कर लेट गये। दोनों ही एक दूसरे के शरीर को दबाते हुये लोट लगाने लगे। तभी रूपा सिसक उठी। उसकी चूत में राजेश का कड़क लण्ड बिना किसी पूर्व सूचना के उतर चुका था। रूपा के बदन में तरावट आने लगी। कब से नये लण्ड का इन्तज़ार कर रही थी और नये लण्ड ने उसकी चूत को स्वीकार करते हुये खेल-खेल में प्रवेश कर लिया था।
राजेश रूपा के नीचे दबा हुआ था और रूपा उसके ऊपर लण्ड पर बैठ गई थी। रूपा उसके लण्ड पर अपनी चूत भींचे जा रही थी और राजेश के चूतड़ ऊपर की ओर जोर लगा कर पूरा लण्ड अन्दर तक बैठाने की कोशिश में थे।
रूपा राजेश पर पिघले जा रही थी। उसकी चूत फ़डफ़डा रही थी। राजेश ने रूपा के सुडौल स्तन हिलते हुये देखे और उसके हाथ उन्हें थाम कर ऊपर नीचे करके उसे मसलने लगा। रूपा उस पर झुक गई और चूत को आगे पीछे करके राजेश को चोदने लगी। राजेश का शरीर वासना में जलने लगा। वो अपने चूतड़ ऊपर उछाल कर रूपा को चोदने में सहायता करने लगा।
अब रूपा राजेश के शरीर के ऊपर लेट सी गई और आहें भरते हुये चूत को आगे-पीछे करके लण्ड का आनन्द लेने लगी। राजेश ने अतिउत्तेजना में रूपा को कमर से जकड़ लिया और धीरे से उसे अपने नीचे दबोच लिया।
राजेश अब ऊपर था और लण्ड जो कि इस उल्टा पल्टी में बाहर आ गया था, फिर से चूत में सरक गया। अब रूपा की भरपूर चुदने की बारी थी। राजेश के धक्के और झटके चूत पर चालू हो गये थे। और नीचे दबी रूपा आह्… उह्ह… हाय रे… जैसी सीत्कारें निकाल रही थी।
राजेश अपने लण्ड को अपनी तसल्ली के लिये दबा के धक्के मार रहा था। नीचे दबी चुदैल रूपा को ये धक्के बडे प्यारे लग रहे थे। उसके हर जोरदार धक्के पर रूपा के मुँह से आह निकल जाती थी। तभी रूपा को लगा कि उसकी चूत जवाब देने वाली है, उसने अपनी प्यारी चूत को पूरी तरह से झड़ने के लिये तैयार कर ली और आंखें बंद करके अपनी चूत को ढीली छोड़ दी ताकि अच्छी प्रकार से पानी निकल जाये। उसकी चूत अब रस छोड़ने वाली थी और बार बार अन्दर लहरें उठ रही थी। तभी रूपा ने अपनी चूत ऊपर की ओर दबाई और अपना रस छोड़ने लगी।
उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल पड़ी। उसने राजेश को अपनी बाहों में दबा लिया और लण्ड को चूत में कस लिया। तभी राजेश का वीर्य भी छलक पड़ा। उसकी पिचकारी चूत में समाने लगी और फिर चूत के बाहर रिसने लगा। दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में समाये हुये यूं ही अपना रस निकालने में लगे रहे। उनकी आंखें आनन्द के मारे बंद थी। काफ़ी देर दोनों यों ही दुनिया से बेखबर पड़े रहे।
फ़िर रूपा कुछ अलसाई सी पता नहीं क्या बोली और अपना मोबाईल पर रीना को मिस कॉल कर दिया। राजेश भी उठा और जल्दी से कपड़े पहन कर रूपा को चूमा और घर से बाहर निकल गया। कुछ ही देर में रीना मौसा जी के साथ घर आ गई।
“अरे, वो राजेश नहीँ आया…?” मौसा ने पूछा।
रूपा मुस्करा उठी,”आप जानें … आपका दोस्त है!”
रूपा रीना के कमरे में आ गई थी। दोनों सहेलियाँ कुछ गुपचुप बाते कर रही थी।
“मै सोने जा रहा हूँ… हम दोनों ने खाना बाहर खा लिया है… रूपा तुम भी खा लेना !”
मौसा जी अपने कमरे में जाकर बत्ती बंद करके लेट गये। रूपा भी मौसा जी के पीछे चली गई। रीना ने भी अपने रात को सोने वाले कपड़े पहन लिये या यूँ कहे कि बस एक सामने से खुला हुआ गाऊन डाल लिया और बिस्तर पर लेट गई।
कहानी का अगला भाग: कलयुग की लैला-3 Antarvasna Sex Stories
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