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दोस्तो Antarvasna story, मेरा नाम मनदीप है, उमर २० और लम्बाई ५’९”। हमारा सारा परिवार एक ही घर में रहता है।
मैं आज आपको अपने जीवन की एक बड़ी ही सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहा हूं।
इस घटना से पहले मैं भी बड़ी सेक्सी फ़िल्में देखता था पर इसके बाद से तो मेरी लाइफ़ ही एक सेक्सी फ़िल्म जैसी हो गई है।
यह बात आज से करीब एक साल पहले की है जब हमारा सारा परिवार किसी की शादी में गया हुआ था और हमारे घर में कोई नहीं था। इसलिये मैं अपनी ताई जी के साथ शाम को घर वापिस आ गया। मेरी ताई की उमर ४७ साल और लम्बाई ५’८” है और उनकी फ़ीगर ४० -३५ -४० की है यानि कि वो थोड़ी मोटी है पर ऐसा होने पर भी वो बड़ी सेक्सी नज़र आती है।
जब पहले भी कभी मैं और ताई घर में अकेले होते थे तो ताई बिना चुनरी लिये काम किया करती थी मैंने कई बार उनकी झुक कर काम करते समय गोरी गोरी छाती देखी थी। उनके वो बड़े बड़े बूब्स हमेशा ही मेरी आंखों के सामने घूमते रहते थे।
उस शाम को जब ताई घर का काम कर रही थी तो उन्होंने सलवार कमीज पहना हुआ था। गरमी का मौसम होने के कारण उनके कपड़े पतले थे और उसमें से उनके अंदरूनी कपड़े ब्रा और चड्ढी साफ़ नज़र आ रहे थे। मैं उस वक्त टीवी देख रहा था लेकिन मेरा पूरा ध्यान ताई की गांड और बड़े बड़े बूब्स पर था।
रात को भोजन खा के हम दोनों अपने अपने कमरों में सोने के लिये चले गये। मुझ को देर रात तक टीवी देखने की आदत है है इसि लिये मैं करीब रात ११:३० तक टीवी देखता रहा।
सोने से पहले जब मैं पेशाब करने के लिये जाने लगा तो मैंने देखा कि ताई अभी तक जाग रही है। मैंने पेशाब करके वापिस आ कर ताई से पूछा कि क्या बात है उन्हें नींद क्यों नहीं आ रही तो ताई ने बताया के उसके पेट में बड़ा दर्द हो रहा है।
तो मैंने उनसे पूछा कि क्या मैं उनकी कोई मदद कर सकता हूं तो उन्होंने कहा के मुझे सरसों का तेल थोड़ा गरम कर के ला दो।
मैं तेल गरम कर लाया मैंने पूछा कि क्या मैं आप के पेट की मालिश कर दूं?
तो उन्होंने कहा ठीक है।
मैंने उनके पेट पर से कमीज ऊपर कर दिया मैंने उनके पेट की मालिश करनी शुरु कर दी। मैं करीब ३० मिनट तक उनकी मालिश करता रहा उसके बाद उनके पेट का दर्द ठीक हो गया पर अभी भी थोड़ा सा तेल बच गया था तो उन्होंने कहा कि इसे उनकी पीठ पर लगा दो।
ताई की पीठ से उनका कमीज ठीक से ऊपर नहीं हो रहा था ताई बोली कि चलो मैं कमीज ही उतार देती हूं। ताई कमीज उतार कर लेट गयी और मैं उनकी लातों पर बैठ कर उनकी पीठ की मालिश करने लग गया ऐसा करते समय मैंने कई बार अपना हाथ उनके बूब्स पे लगाया पर वो कुछ न बोली। फिर मालिश करने के बाद अपने कमरे में चला गया।
अभी मुझे लेटे हुए थोड़ा वक्त ही हुआ था कि ताई मेरे कमरे में आ गयी और मेरे ऊपर बैठ गयी। मुझे पता नहीं चल रहा था कि मैं क्या करूं मैंने ताई से पूछा कि आप यह क्या कर रही हो तो वो बोली कि आज तूने मेरे बूब्स को हाथ लगा कर कई सालों से मेरे अंदर की सोई हुई औरत को जगा दिया है और अब इसकी गरमी को ठंडा भी तुम्हें ही करना पड़ेगा।
वो ताई जिसके साथ नंगा सोने के मैं सिर्फ़ सपने ही देखता था वो आज मेरे ऊपर बिना कमीज के बैठी हुई थी। मेरा सपना सच होने जा रहा था इस लिये मैं बहुत खुश था।
फिर मैंने और ताई ने अपना काम शुरु कर दिया उसने अपने होंठ मेरे होंठों में डाल लिये और २-३ मिनट मुझे चूमती रही। पहले मैने अपनी जीभ ताई के मुंह में डाल दी और फिर उसने मेरे। फिर ताई ने अपनी सलवार उतार दी और अब उसने सिर्फ़ ब्रा और चड्ढी ही पहनी हुई थी।
वो बिस्तर पर लेट गयी और मैं उसके ऊपर फिर हम दोनों काफ़ी वक्त तक एक दूजे को चूमते रहे कभी मैं उसकी छाती को चूमता कभी उसके पेट को तो कभी लातों को। फिर ताई ने अपनी ब्रा उतार दी और मैंने उनके बड़े बड़े बूब्स चूसने शुरु कर दिया उसका दूध बड़ा मीठा था मैं अब भी कई बार उसका स्वाद चखता हूं।
फिर ताई ने अपनी चड्ढी भी उतार दी और मेरे साथ लेट गयी ताई की चूत बहुत बड़ी थी उसको चाटना शुरु कर दिया फिर ५-६ मिनट में ताई पहली बार झड़ गयी उसके बाद ताई ने मेरा बड़ा सा लंड अपने मुंह में डाल लिया और चूसने लग गयी. मैंने भी उनके मुंह में ही पिचकारी मार दी।
ताई ने कहा कि चलो अब असली काम करते हैं और ताई लातों को थोड़ा खोल कर सीधी लेट गयी.
मैंने ऊपर से अपना लंड ताई की चूत में डाल दिया वो बड़ा खुश थी क्योंकि आज बड़े वक्त बाद उसकी चूत में लंड घुसा था।
मैंने लंड को आगे पीछे करना शुरु कर दिया ताई ने भी आआअ ईए ऊऊह माआ हाआ हाअ की आवाज़ें निकालनी शुरु कर दी।
मैं करीब १ घंटे तक ताई की चूत चोदता रहा इसमें ताई दो बार झड़ गयी।
फिर मैंने ताई को कहा कि मैं अब उसकी गांड मारना चाहता हूं.
और ताई घोड़ी बन गयी. मैंने लंड को गांड में घुसेड़ दिया.
ताई की गांड बड़ी तंग थी, उसे दर्द हुआ और वो चिल्ला दी- आऐईईईईए माआआअ!
मैंने जोर जोर से लंड आगे पीछे करने शुरु कर दिया और १५ मिनट तक ताई को चोदता रहा। मैंने ताई जैसे गरम औरत की कभी नहीं ली थी।
फिर मेरा छूट गया और मैं ताई को चूमने लग गया।
ताई ने बोला कि मैं एक बार फिर उनकी चूत मारूं. और इस बार वो मेरे ऊपर बैठ गयी और अपने आप हिल हिल कर धक्के देने लगी।
मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था।
फिर हम सारी रात ही नंगे सोये रहे सुबह उठ कर ताई ने फिर मुझे अपने बूब्स चुसवाये और चूमा भी। उसके बाद तो जब भी हम दोनो घर में अकेले होते हैं तो एक पति-पत्नी की तरह रहते हैं। Antarvasna
मैं लुधियाना से 33 साल की Sex Stories पायल, फ़ीगर, 36-32-40 एक बार फ़िर एक नई कथा आपके लिए ले कर अन्तर्वासना पर आई हूँ।
छेदी राम पंजाब में ईंटों के भट्टे पर काम करता था। दुबला पतला सा, बिहार के छपरा से आकर वो समाना शहर के पास एक भट्टे पर काम पे लग गया। जब वो कमाने लगा तो घर वालों ने बिहार में ही उसका रिश्ता तय कर दिया। जब छेदी राम गाँव गया तो उसकी शादी गुलाबी से कर दी गई।
शादी करके छेदी बहुत खुश था क्योंकि गुलाबी के रूप में उसे एक भरे बदन की गोरी चिट्टी बीवी मिल गई पर शादी से गुलाबी को कोई ख़ुशी ना मिली। 3 इंच की लुल्ली वाला छेदी उसकी प्यास नहीं बुझा पाता था, ना छेदी की लुल्ली में मोटाई थी, ना लम्बाई और ना कड़कपन। पर गुलाबी ने इसे ही अपना भाग्य मन लिया और चुप करके दिन काटने लगी।
शादी के कुछ दिन बाद छेदी काम के लिए वापिस पंजाब आ गया और अपने साथ अपनी पत्नी गुलाबी को भी ले आया। छेदी ने सोचा कि अगर दो हाथ कमाने वाले होंगे तो गुज़ारा अच्छा हो जायेगा इसलिए उसने भट्टे के ठेकेदार से बात करके गुलाबी को भी काम पे रखवा दिया।
एक दिन जब ठेकेदार भट्टे का मुआयना कर रहा था तो उसने गुलाबी को ईंटें उठा कर ले जाते देखा और अपने मुंशी से पूछा,’अरे बनवारी, ये औरत कौन है?’
बनवारी ठेकेदार की रग रग से वाकिफ था, बोला,’ सरकार ! अपने छेदी की जोरू है, कहो तो बुलाऊं?’
‘अरे नहीं, अभी नहीं, पर साली है जोरदार ! देखो कोई जुगाड़ बिठाओ, देखें तो साली मीठी है या नमकीन !’
इस पर दोनों हंस दिए और आगे बढ़ गए।
कुछ दिनों बाद छेदी के गाँव से कुछ पैसों की ज़रुरत आ गई तो छेदी ने अपनी बीवी से बात की। पर दोनों के पैसे जोड़ कर भी घर भेजने के लिए पैसे पूरे ना पड़े। छेदी ने अगले दिन पे बात टाल दी। अगले दिन जब सुबह छेदी सो कर उठा तो उसका बदन तो बुखार से तपा पड़ा था सो वो काम पे ना जा सका और गुलाबी को अकेले ही काम पे जाना पड़ा।
काम पे गुलाबी ने अपनी एक सहेली चंदा से बात की तो उसने कहा,’ तो क्या हुआ, ठेकेदार से उधर मांग ले और अपनी पगार से कटवाते रहना।’
यह सोच कर कि चलो आसानी से काम बन गया, भोली-भाली गुलाबी ठेकेदार के पास गई।
जब ठेकेदार ने गुलाबी को आते देखा तो मुंशी से बोला- बनवारी, ये इधर किधर आ रही है?
तो बनवारी बोला- सरकार ! लगता है आपकी तो निकल पड़ी, आएगी तो…
इस पे दोनों जोर से हंस दिए। जब गुलाबी ठेकेदार के सामने आ कर खड़ी हुई तो बातों बातों में ठेकेदार ने उसके जिस्म का पूरा जायज़ा ले लिया, गोरा रंग, भरा बदन, दो गोल गोल बड़ी सी छातियाँ, सपाट पेट, मोटा कुल्हा, भारी भारी चूतड़, सच में गुलाबी एक सेक्स बम्ब लगी और गुलाबी का जिस्म देखते देखते ही ठेकेदार का लण्ड खड़ा हो गया।
ठेकेदार अपनी धोती में से ही अपने लण्ड को हिला रहा था जिसे गुलाबी भी देख रही थी। ठेकेदार ने बिना ज्यादा बात किये गुलाबी को पैसे दे दिए। जब गुलाबी पैसे ले कर जाने लगी तो ठेकेदार ने उसे आँख मार दी, जिस पर गुलाबी सिर्फ मुस्कुरा कर चली गई। उसके मुड़ते ही ठेकेदार बोला,’ बनवारी लाल ये तो …..’
‘टाँगें उठा उठा कर देगी सरकार !’ मुंशी ने बात पूरी की।
उन्होंने जानबूझ कर इतनी ऊंची आवाज़ में कहा कि गुलाबी सुन ले, और गुलाबी भी सुन कर चुपचाप चली गई। ना जाने क्यों उसे ठेकेदार का आँख मारना अच्छा लगा।
2-3 दिन बाद जब सारा भट्टा भर गया तो उसे बस फूस डाल कर आग लगानी बाकी थी। तो पहले से बनाये कार्यक्रम के अनुसार मुंशी ने गुलाबी को कहा,’ ए गुलाबी ! जा अन्दर जाकर देख, अगर सारा फूस लग गया हो तो मैं ठेकेदार से पूछ कर आग लगवाऊं !’
जब गुलाबी भट्टे के अन्दर चली गई तो मुंशी गेट के बाहर अपना मेज़ लगा कर बैठ गया ताकि कोई अन्दर ना जा सके।
गुलाबी जब बिल्कुल अन्दर पहुंची तो देखा कि वहां ठेकेदार पहले से ही खड़ा था,’ अरे गुलाबी, तू कैसे आई?’ ठेकेदार बोला।
‘जी मैं तो ये देखने आई थी कि ..’
‘कि मैं अन्दर क्या कर रहा हूँ, जानेमन मैं तो तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था आ जाओ !’ कह कर ठेकेदार ने आगे बढ़ कर गुलाबी अपनी बाँहों में ले लिया।
गुलाबी एकदम डर गई- नहीं ठेकेदार साब, मुझे छोड़ दो !
तो ठेकेदार बोला- देख गुलाबी, सच कहता हूँ जब से तुम्हें देखा है, मेरे मन पे काबू नहीं रहा, अब तुम्हारे बिना रहा नहीं जाता, अब ना मत कहना, मैं तेरे लिए तड़प रहा हूँ !
कहते हुए ठेकेदार ने गुलाबी को चूमना चाटना शुरू कर दिया। चूमने चाटने से गुलाबी को भी मज़ा आया और ठेकेदार का लण्ड खडा हो गया। वो भी अपना लण्ड गुलाबी की चूत से टकराने लगा।
अब तो गुलाबी के भी बस से बात बाहर होने लगी और उसने ठेकेदार को कस कर बाँहों में भर लिया।
ठेकेदार ने बिना वक्त गंवाए अपने और गुलाबी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए और 1 मिनट बाद ही दोनों बिल्कुल नंगे थे। गुलाबी आज पहली बार इतना लम्बा, मोटा और तना हुआ लण्ड देख रही थी। ठेकेदार ने उसे अपना लण्ड पकड़ाया और गुलाबी की छातियाँ चूसने लगा और चूसते चूसते उसके पेट और जांघों को भी चूमता रहा। गुलाबी की चूत से पानी चू कर उसकी टांगों से बहने लगा।
ठेकेदार ने गुलाबी को बाँहों में उठाया और फूस के ढेर पे लिटा दिया और उसके ऊपर लेट गया। उसके लेटने के बाद गुलाबी ने खुद अपनी टाँगें चौड़ी की और ठेकेदार की टांगों से अपनी टाँगें लिपटा दी।
ठेकेदार ने गुलाबी के गाल चूसते हुए कहा- गुलाबी इसे पकड़ कर अपनी चूत पे रख !
जब गुलाबी ने ठेकेदार का लण्ड हाथ में पकड़ा तो वो उसके लण्ड का कड़कपन देख कर हैरान रह गई पर बोली कुछ नहीं। उसने चुपचाप लण्ड को अपनी चूत पे रखा तो ठेकेदार ने एक झटके में अपना आधा लण्ड गुलाबी की चूत में डाल दिया जिससे गुलाबी के मुंह से एक हल्की सी चीख निकल गई और इस हल्की सी चीख ने ठेकेदार का मज़ा 10 गुणा कर दिया।
वो जोर लगा कर लण्ड अन्दर ठेलता रहा और गुलाबी दर्द से ‘हाय-हाय’ करती रही पर उसने एक बार भी ठेकेदार को रुकने के लिए नहीं कहा क्योंकि इस दर्द के लिए वो कब से इंतज़ार कर रही थी।
खैर हौले हौले ठेकेदार का सारा लण्ड गुलाबी की चूत में घुस गया और ठेकेदार ने बड़े प्यार से चूस चूस कर गुलाबी की चुदाई शुरू की।
चुदाई के दौरान ठेकेदार ने गुलाबी को जी भर के मसला। गुलाबी की बड़ी बड़ी छातियाँ मसल मसल के उसने लाल कर दी, गाल चूस चूस कर गुलाबी कर दिए, घस्से मार मार के चूत को भी सुर्ख कर दिया पर गुलाबी को इस सब में दर्द कम और मज़ा ज्यादा आया।
यह वो आनंद था जो छेदी उसे कभी नहीं दे पाया था। ठेकेदार की एक चुदाई में गुलाबी दो बार पानी छोड़ गई। ठेकेदार ने भी अपने माल से गुलाबी की चूत को ऊपर तक भर दिया और थक कर गुलाबी के ऊपर ही लेट गया।
10-15 मिनट आराम करने के बाद ठेकेदार ने गुलाबी को दोबारा जम कर चोदा और इस बार गुलाबी ने भी सारी लाज-शर्म त्याग कर ठेकेदार का भरपूर साथ दिया और अपनी कमर उठा उठा कर ठेकेदार से चुदी।
जब चुदाई के बाद गुलाबी भट्टे से बाहर निकली तो वहां मुंशी ने उसे पकड़ लिया और उसके मम्मे दबाये तो ऊपर से ठेकेदार आ गया और बोला- मुंशी, नहीं इसको मैं निज़ी माल बना कर रखूंगा, इसको हाथ मत लगा, गुलाबी तू जा और सुन, मिलती रहा कर !
और गुलाबी अपने घर को चल दी। आज गुलाबी बहुत खुश थी क्योंकि उसकी बरसों की प्यास आज शांत हो गई थी। उसे लग रहा था कि आज उसकी सुहागरात या सुहागदिन था। आज वो एक लड़की से पूरी औरत बन गई थी।
यह एक काल्पनिक कथा है और सच्चाई से इसका कोई लेना देना नहीं है। आप सिर्फ इसे पढ़ो और मज़े लो।
दोस्तों, अगर आपको यह कहानी अच्छी लगी तो अपनी राय मुझे ज़रूर भेजना ! Sex Stories
मेरा आप सभी को Sex Stories लण्ड हाथ में लेकर प्यार भरा नमस्कार।
मैं अर्न्तवासना का नियमित पाठक हूँ तथा बहुत दिनों से आपसे अपने जीवन की सच्ची कहानी कहना चाह रहा था लेकिन इससे पहले मैं आपको अपने बारे में बता दूँ। खासकर उन सभी लड़कियों को जो अपनी चूत का अच्छे से भोसड़ा बनवाना चाहती हैं क्योंकि मेरा निजी अनुभव है कि जो लड़कियाँ स्वभाव से शान्त होती है उनमें ही कामवासना ज्यादा होती है और चूत मरवाने की इच्छा प्रबल होती है।
हाँ तो मैं अपनी बात कर रहा था कि मैं 22 साल का एक सांवले रंग का लेकिन र्स्माट दिखने वाला लड़का हूँ। मैं मूल रूप से कानपुर का रहने वाला हूँ लेकिन फिलहाल नोएडा में अकेला रह रहा हूँ। लड़कियाँ कहती हैं कि मुझमें कुछ बात है जो उन्हें मेरी तरफ आकर्षित करती है। मेरे लण्ड की लम्बाई सात इंच तथा मोटाई तीन इंच है। मेरा शरीर गठीला है क्योंकि कॉलेज के शुरूआती दिनों से ही मुझे कसरत का शौक रहा है।
बात तब की है जब मैं पढ़ रहा था और मेरी बहन भी कॉलेज़ में थी। मेरी बहन मुझसे दो साल बड़ी है।
क्योंकि मैं स्वभाव से थोड़ा शर्मीला हूँ इसलिए उसकी कोई भी सहेली घर पर आती थी तो मैं किसी न किसी बहाने से बाहर चला जाता था। कई बार उसकी सहेलियों में से कई ने मुझसे बात करने की कोशिश भी की लेकिन मैं शर्म तथा बडी बहन की सहेली होने के कारण कुछ नहीं कह पाता था।
लेकिन कुछ दिनों बाद ही हमारे पड़ोस में एक नया परिवार रहने आया। उनकी दो लड़कियाँ तथा एक लड़का था। चूंकि बड़ी लड़की मेरी दीदी की हम उम्र थी इसलिये उनकी अच्छी सहेली बन गई थी। बडी लड़की के साथ उसकी छोटी बहन भी घर पर आने लगी। उसका नाम सपना था और वो देखने में किसी सपने जैसी ही हसीन और सुन्दर थी।
वो और मैं दोनों ही उम्र के उस पड़ाव पर थे जब किसी के साथ की इच्छा होती है। लेकिन मैं जितना शर्मीला था वो उतनी ही बिन्दास स्वभाव की लड़की थी और मुझ पर अपना हक जमाने की कोशिश करती थी तथा किसी न किसी बहाने से मेरे आस-पास ही मंडराती रहती थी। उसकी इस तरह की हरकतें देखकर कर कई बार मेरी दीदी ने मना भी किया कि मेरे साथ इस तरह की हरकतें न किया करे लेकिन जानबूझ कर वह और भी ज्यादा हरकतें करने लगी और कभी भी मौका पाकर दीदी के सामने ही मजाक में मुझसे चिपट जाती हो और मेरे शरीर पर हाथ फेरने लगती।
मेरे मम्मी और पापा दोनी ही नौकरी करते हैं इसलिये मेरे घर पर दिन में चार घंटे कोई नहीं रहता था। मैं और मेरी दीदी एक ही स्कूल में पढ़ते थे लेकिन वो मोर्निंग शिफ्ट में स्कूल जाती थी और मैं बारह बजे दूसरी शिफ्ट में जाता था। जिस कारण सुबह नौ बजे से एक बजे तक कोई नहीं रहता था।
एक दिन की बात है मैं अपने घर में अकेला बिस्तर पर लेटा हुआ बोर हो रहा था कि तभी हमारे घर का दरवाजा खुला देखकर उनकी छोटी लड़की सपना घर पर आई और पूछने लगी- क्या कर रहे हो ?
मैंने कहा- कुछ नहीं ऐसे ही मन नहीं लग रहा है इसलिये बोर हो रहा हूँ।
उसने कहा- मेरा भी यही हाल है!
यह कहकर वो भी मेरे बगल में आकर लेट गई। इससे मुझे थोड़ा अजीब सा लगने लगा। लेकिन शायद वो अब तक मेरे शर्मीलेपन के बारे में समझ चुकी थी इसलिये अपनी ओर से पहल करना चाह रही थी।
यह बात उसने मुझे बाद में बताई कि जब से वो यहाँ रहने आई है तब से ही वो मुझसे चुदना चाह रही थी। लेकिन मैं शर्मीला होने के कारण उसकी बातों को उसकी नासमझी समझ कर ऐसे ही जाने दे रहा था।
धीरे-धीरे उसका जिस्म मुझसे छूने लगा जिससे मेरे जिस्म में सरसराहट होने लगी लेकिन शायद मैंने सोचा कि शायद पास लेटने की वजह से अनजाने में ऐसा हो गया है, यह सोचकर मैं थोड़ा पीछे खिसक गया। इसके बाद वो मेरी जांघों पर हाथ फेरने लगी।
मैंने नासमझ की तरह उससे पूछा- यह क्या कर रही हो?
तो वह कहने लगी- अरे मुझे पता ही नहीं चला यह तुम्हारी जांघें हैं।
मैंने कहा- कोई बात नहीं!
और यह कहकर मैं भी उसके हाथों पर हाथ फिराने लगा।
उसने कोई विरोध नहीं किया तो मैंने भी हाथ उसकी बगल तक ले जाकर फिराने शुरू कर दिये। लेकिन उसकी चूचियों को पकड़ने की इच्छा होने के बावजूद भी मैंने उसकी चूचियों को हाथ नहीं लगाया। लेकिन उसने थोड़ा सा तिरछा होकर अपने हाथ अपने सीने की तरफ कर लिये जिससे मेरे हाथ उसकी चूचियों को थोड़ा-थोड़ा सा छूने लगें। उसकी चूचियाँ अभी ही निकलनी शुरू हुई थी इसलिये एक दम कड़क थी और उसकी बटन वाली टीशर्ट उठी हुई होने के कारण दिखाई दे रही थी।
धीरे-धीरे मेरी हिम्मत बढ़ने लगी और मैंने उसकी चूचियों पर थोड़ा सा दबाब बनाना शुरू कर दिया। वो शायद समझ गई कि मैं उसकी चूचियों को दबाना चाह रहा हूँ और वो तो कब से यही चाहती थी। लेकिन लड़की होने के कारण स्वयं नहीं कह पा रही थी।
लेकिन हाय री मेरी फूटी किस्मत! तभी उसकी मम्मी ने उसे आवाज लगाई और वह जल्दी से उठकर चली गई. लेकिन मैंने सोचा कि जब यहाँ तक बात पहुँच गई है तो कभी न कभी आगे भी बढ़ेगी।
लेकिन शायद मेरी किस्मत में महा-चुदक्कड़ बनना ही लिखा था इसलिये मेरी किस्मत ने मुझे जल्दी ही वह मौका दे दिया।
मेरे मम्मी और डैडी को ऑफिस के एक जरूरी काम से शहर से बाहर जाना पड़ा और घर पर सिर्फ मेरी बहन और मैं ही रह गये। क्योंकि हम दोनों ही भाई-बहन कम उम्र के थे इसलिये मम्मी-डैडी कह गये कि अपनी किसी सहेली को रात को सोने के लिये बुला लें। इसलिये वो सपना की बड़ी बहन को सोने के लिये बुलाने के लिये गई लेकिन उसने अगले दिन अपनी परीक्षा होने के कारण “रात को पढ़ना है.” यह कहकर आने से मना कर दिया और सपना को दीदी के साथ भेज दिया।
जब सपना दीदी के साथ आई तो मैंने देखा कि वो मुझे अजीब सी नजरों से मुझे देख रही थी और उसकी आँखों में एक खास चमक थी जैसे कोई शेरनी बकरी के बच्चे को देख कर खुश हो जाती है। वैसे यह काफी हद तक सच भी था क्योंकि वो इस फील्ड की शेरनी ही थी और मैं एक बकरी के बच्चे की तरह सीधा-सादा सा लड़का था। लेकिन तब तक मैं इस बात को नहीं जानता था कि वो इन मामलों में इतनी एक्सपर्ट है कि किसी लड़के को कैसे पटाया जाए।
क्योंकि उस दिन घर पर मम्मी डैडी नहीं थे इसलिये मैं दिन भर बाहर खेलता रहा और थकान हो जाने के कारण खाना खाकर जल्दी सोना चाह रहा था। लेकिन जैसे सपना की आँखों में तो नींद ही नहीं थी। वो तो आज रात में मुझसे जरूर ही चुदना चाह रही थी। लेकिन मैं भोला-भाला बालक इस सब से अनजान सोने की कोशिश कर रहा था। लेकिन मुझे क्या पता था कि मेरे खिलाफ इतनी भयानक साजिश रची जा चुकी थी।
उधर थकान की वजह से मुझे नींद आ रही थी और सपना और दीदी बातें करने में लगी हुई थी जिस वजह से मुझे नींद नहीं आ रही थी। हम सभी तीनों लोग बैडरूम में एक साथ सो रहे थे। क्योंकि दीदी ने कहा कि घर में सिर्फ हम ही लोग हैं इसलिये एक साथ ही सो जाते हैं लेकिन साथ सोने का यह आइडिया भी सपना का ही था। सपना दीदी और मेरे बीच में लेट गई और दीदी के साथ बातें करती रही। लेकिन मुझे थकान की वजह से जल्दी ही गहरी नींद आ गई और मैं सो गया।
अचानक रात में मुझे अपने जिस्म पर किसी के हाथ का अहसास हुआ लेकिन शायद बिजली चली गई थी जिससे मुझे पता नहीं चल पा रहा था कि वो हाथ किसका है। तभी मेरे बगल वाला जिस्म मुझसे और सट गया मैं समझ गया कि यह सपना ही है जो मुझे गर्म करने की कोशिश कर रही है। धीरे-धीरे उसने अपना हाथ मेरे चेहरे के पास लाकर मेरे चेहरे को अपनी तरफ किया और मेरे गालों पर किस करने लगी।
कुछ देर बाद मुझे भी जोश आने लगा। लेकिन मैंने अभी जल्दीबाजी करना ठीक नहीं समझा। सच कहूँ तो मैं देखना चाहता था कि वह क्या करती है। मैंने अभी तक उसे यह अहसास नहीं होने दिया कि मैं नींद से जाग गया हूँ और बिजली जाने की वजह से यह काम और भी आसान हो गया था। वो भी नहीं चाहती थी कि मैं एक दम से जाग जाऊँ क्योंकि बगल में दीदी सो रही थी और हड़बड़ी में वो भी जाग सकती थी। इसलिये वह एक दम आराम से सबकुछ कर रही थी।
अचानक मुझे एक आइडिया आया और मैं करवट लेकर उसकी तरफ पलट गया और अपना हाथ उसकी चूचियों पर रख दिया। उसने सोचा शायद मैंने यह नींद में किया है इसलिये उसने मेरे हाथ को अपनी एक चूची पर कस कर दबा लिया। इससे ज्यादा मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ और मैंने उसकी चूची कस कर पकड़ ली और धीर से कहा- यह तुम क्या कर रही हो सपना ?
मेरी इस बात से वो एकदम चौंक गई। उसे अदांजा नहीं था कि मैं जाग रहा हूँ और ये सब मेरी ही मर्जी से हो रहा था।
उसने कहा- जब तुम सब कुछ समझ ही गये हो तो अनजान क्यों बने हुए हो। यह कहकर वो मेरे ऊपर लेट गय और अपने गर्म और नर्म होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मैंने भी धीरे-धीरे उसके होंठ चूसने शुरू कर दियें। क्योंकि यह मेरा होंठ चुसाई का पहला मौका था इसलिये मुझे शुरूआत में उसके होंठ चूसने में थोड़ी सी परेशानी हुई लेकिन फिर मैंने सब कुछ सम्भाल लिया। फिर मैंने उससे कहा कि यहाँ खतरा है क्योंकि थोड़ी सी हरकत से दीदी की नींद खुल सकती है। इसलिये दूसरे कमरे में चलते है।
मैंने उसे अपने ऊपर से उठाया और बगल वाले दीदी के कमरे में ले गया। क्योंकि चांदनी रात थी इसलिये उस कमरे में थोड़ी-थोड़ी रोशनी फैली हुई थी। मैंने उसे बैड पर लिटाया और उसके होंठ चूसने लगा। होंठ चूसने के साथ-साथ मैं उसके नाईट सूट के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा। उसकी चूचियाँ नींबू के समान छोटी-छोटी थी लेकिन बहुत ही ज्यादा कड़क थी। फिर मैंने उसे उठाया और उसका नाईट सूट उतार दिया। अब वो सिर्फ पेन्टी में ही रह गई क्योंकि वो उसकी चूचियाँ निकलने का शुरूआती दौर था और उस समय वो ब्रा नहीं पहनती थी।
मैंने उसे लिटाया और उसकी टाईट और छोटी-छोटी चूचियों को मसलने लगा। वो एकदम कराह कर बोली- प्लीज विनय, धीरे-धीरे दबाओ! बहुत दर्द होता है! अभी बहुत टाईट हैं।
हालांकि उसकी तकलीफ मुझसे भी देखी नहीं जा रही थी लेकिन मैं क्या करूं, मुझे उसकी टाईट चूचियों को जोर से दबाने में ही मजा आ रहा था।
धीरे-धीरे वो पूरी तरह गर्म हो गई और मुझसे कहने लगी कि विनय अब तुम भी अपने कपड़े उतार दो। तुमने तो मेरे पूरे शरीर के दर्शन कर लिये अब मैं भी तुम्हारा हथियार देखना चाहती हूँ। मैंने तुरन्त अपना नाईट सूट उतार दिया और उस चांदनी की हल्की रोशनी में वो मेरे हथियार को हाथ में लेकर घूरते हुये सहलाने लगी।
मैंने कहा- इसे मुँह में ले लो।
पहले तो उसने आना-कानी की लेकिन मेरे बार-बार कहने पर वो तैयार हो गई। उसने मेरे लण्ड को चूस-चूस कर गीला कर दिया।
फिर मैंने उससे कहा- अब मेरी बारी है! तुम सीधी होकर लेट जाओ और अपनी टांगों को फैला लो।
और उसके बाद मैंने उसकी छोटी सी चूत के मुँह पर अपने होंठ टिका दिये। उसकी चूत बहुत छोटी सी सीप के आकार की बड़ी प्यारी लग रही थी। उसकी चूत चाटने में मुझे एक अलग ही मजा आया। धीरे-धीरे उसकी चूत पानी छोड़ने लगी।
अचानक उसने मेरे बालो को पकड़ा और जोर से अपने ऊपर खींचा और कहा- क्या ऐसे ही जान ले लोगे? चलो अब असली काम करो।
मैं समझ गया कि वो मुझे अपने आपको चोदने के लिये कह रही है। मैंने देखा कि मेरा लण्ड अब अपनी पूरी मस्ती में था और किसी भी लड़की को चोदने के लिये एकदम तैयार था। मैंने उसकी टांगों को फैला कर लण्ड के टोपे को उसकी भीगी हुई चूत पर टिकाया लेकिन कई बार कोशिश करने के बाद भी लण्ड का टोपा भी उसके अन्दर नहीं घुसा पाया। कारण कि हम दोनों ही इस काम के लिये नये थे। उसे तो कुछ जानकारी भी थी, मैं तो बिल्कुल ही नया माल था इसलिये अपने लण्ड को उसकी चूत में घुसा नहीं पा रहा था।
दोस्तो आपको बता दूँ यदि आप नौसिखिये है और पहली बार किसी बिना सील टूटी लड़की के साथ चुदाई करने की सोच रहे हैं तो पूरी तैयारी के साथ जाये वरना आप भी मेरी तरह ही परेशान होगें। तभी मुझे अपने दोस्त की सुहागरात की बात याद आई जब उसे भी यही परेशानी हुई। लेकिन उसे उसकी भाभी ने बता दिया था कि यदि लण्ड चूत में न घुसे तो उसे या तो घोड़ी बना कर उसकी चूत में घुसाये या फिर एक टांग उठाकर लण्ड अन्दर घुसाने की कोशिश करें, तो ही काम बन सकता है।
मैंने भी वही फार्मूला अपनाने का फैसला किया। लेकिन सबसे पहले एक जरूरी काम करना बाकी था। मैं फ़ौरन उठकर ड्रेसिंग टेबल से उठाकर कोल्ड क्रीम की डिब्बी ले आया और उसके हाथ में देते हुए बोला- अगर चुदवाना है तो इससे मेरे लण्ड पर अच्छी तरह लगाना होगा।
उसने एक चौथाई क्रीम डिब्बे में से निकाली और मेरे लण्ड पर लगानी शुरू कर दी। उसके बाद मैंने भी काफी सारी क्रीम लेकर उसकी चूत पर अन्दर और बाहर की ओर लगाने लगा। लेकिन उसकी चूत टाईट होने के कारण उंगली ज्यादा अन्दर नहीं जा रही था फिर भी जहाँ तक हो सका, मैं क्रीम लगाता रहा।
उसके बाद मैंने उसकी एक टांग उठाकर अपने कन्धे पर रखी तो उसने पूछा- क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं! तेरी माँ चोदने की तैयारी कर रहा हूँ! आधी रात निकाल दी और कुछ भी नहीं हुआ।
मेरी इस तरह की बात सुनकर पहले तो वो चौंक गई लेकिन फिर समझ गई कि अब लण्ड के साथ-साथ मुझमें भी गर्मी आ गई है। मैंने उसकी टांग को अपने कन्धे पर टिकाया और उंगली से उसके चूत के छेद को टटोलकर उस पर अपने लण्ट का टोपा सेट कर दिया ताकि एक ही झटके में अन्दर घुस जाए।
जैसे ही मैंने लण्ड को झटका दिया। लण्ड पर बहुत सारी क्रीम लगी होने के कारण वो एक दम से दो-इंच उसकी चूत में घुस गया। उसके मुँह से एक दम एक जोर की चीख निकली- आई मम्मी! मर गईऽऽऽ!
मैंने एकदम घबराकर उसका मुँह अपने एक हाथ से बन्द किया और दूसरा धक्का नहीं लगाया। उसके इस तरह चीखने से मैं डर गया था कि कहीं दीदी न जग गई हो और अगर इस हालत में मैं एक झटका और मार देता और अगर वो फिर से चिल्ला देती तो सारा गुड़-गोबर हो जाता।
मैंने मुँह दबाये हुये ही कहा- मरवाओगी क्या? जबसे तो चुदने के लिये तड़प रही थी और अब चिल्ला-चिल्ला कर पूरे मुहल्ले को इकट्ठा कर रही है।
उसने मुझे मुँह से हाथ हटाने का इशारा किया।
पूरी तरह आश्वस्त होने पर मैंने उसके मुँह पर से हाथ हटा दिया। मेरे हाथ हटाने के बाद उसने कहा- मुझे क्या पता था कि इतना दर्द होगा। मेरी सहेलियों ने तो कहा था कि थोड़ा सा ही दर्द होगा और बहुत मजा आयेगा। लेकिन अभी तो मेरी जान ही निकली जा रही है। और चूत में तो ऐसा लग रहा है कि जैस किसी धारदार चीज से चीर दी गई हो।
मैंने उसकी चूचियाँ एक हाथ से दबानी और और एक चूची मुँह में लेकर चूसनी शुरू कर दी। जिससे उसे थोड़ा सा आराम मिला और कुछ दर्द का एहसास कम हो गया।
द
र्द का एहसास कम हो जाने पर मैंने उससे पूछा- अब बाकी लण्ड भी अन्दर घुसा दूँ?
तो उसने कहा- हाँ, पर ध्यान से और धीरे-धीरे। पिछली बार के झटके का दर्द अभी तक मेरे जेहन में है।
मैं समझ गया कि अब मामला जल्दी से निपटाना पड़ेगा वरना कोई भी गड़बड़ हो सकती है।
लेकिन अब तक एक तरीका मेरे दिमाग में आ गया जिससे मैं लण्ड भी उसकी चूत में अन्दर घुसा दूंगा और वो चिल्लायेगी भी नहीं। क्योंकि मेरी सारी चिन्ता उसके चिल्लाने से ही थी क्योंकि दीदी बगल के कमरे में ही सोई थी ओर कभी भी जाग सकती थी। मैंने उसकी चूची छोड़ कर उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये। जैसे ही उसे मदहोशी छाने लगी और उसकी हथेलियो का कसाव मेरे सिर और पीठ पर पड़ा। मैंने एक जोर का झटका मारा और लण्ड आधे से ज्यादा उसकी चूत में घुस गया। उसकी दर्द के मारे चीखने की कोशिश की, मगर उसके होंठ मेरे होंठों के कब्जे में थे इसलिये वो चिल्ला नहीं सकी और तड़प कर ही रह गई।
मैंने देर न करते हुए दो झटके और मारे और पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में जड़ तक उतार दिया। दर्द के मारे उसने अपनी कमर को कभी इस तरफ तो कभी उस तरफ मरोड़ना शुरू कर दिया लेकिन मेरी पकड़ से ना तो उसके होंठ ही छूटे और न मेरे लण्ड ने उसकी चूत को छूटने दिया।
मैंने होंठ को चूसने के साथ ही उसकी चूचियाँ भी दबानी शुरू कर दी। लगभग पाँच मिनट के बाद उसे कुछ आराम मिला तो उसने अपनी आँखें खोली और मैंने भी उसके होंठो को छोड़ कर उसके चेहरे की तरफ देखा। आँसुओं की दो लम्बी रेखायें उसके गालों पर बनी हुई थी। दर्द से उसकी आंखें लाल हो चुकी थी। लेकिन मेरे लण्ड के उसकी चूत में घुस जाने की एक खुशी भी उसे थी। यह बात उसने मुझे बाद में बताई।
अब धीरे-धीरे मैंने उसकी चूत में बुरी तरह फंसे अपने लण्ड को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया। उसकी चूत बहुत टाईट थी लेकिन क्रीम लगी होने की वजह से लण्ड धीरे-धीरे आगे पीछे हो रहा था। थोड़ीदेर के बाद उसे मजा आने लगा और उसकी चूत गीली होने की वजह से लण्ड अब आराम से आगे पीछे होने लगा। मैंने अब जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिये और वो भी गांड हिलाकर मेरा साथ देने लगी।
फिर पाँच-सात मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों शान्त हो गये। मैंने जब उसकी चूत से लण्ड निकाला तो पकक् की एक अजीब सी आवाज बाहर आई। जैसे ही हम दोनों खड़े हुए, एकदम लाईट आ गई। मैंने देखा उसके चूत के खून से मेरा लण्ड लाल हो गया था और बिस्तर पर बिछी चादर पर खून लगने की वजह से खराब हो गई।
मैंने कहा- यह क्या हो गया? अब दीदी को सब पता चल जायेगा और वो मुझ पर बहुत नाराज होगी। चादर जल्दी से धोनी पड़ेगी वरना बहुत गड़बड़ हो जायेगी।
लेकिन उसने कहा- घबराओ मत! मैं चादर को धो दूंगी।
मैंने कहा- ठीक है! लेकिन पहले एक बार और चुदाई का मजा लेंगे उसके बाद धुलाई कार्यक्रम होगा।
उस रात मैंने उसे तीन बार चोदा लेकिन उसने गाण्ड नहीँ मरवाई और मैंने भी कोई जिद नहीं की। इस तरह हमने रात के 12.15 से लेकर सुबह के तीन बजे तक चुदाई की और चादर धोकर सोने चले गये।
सुबह दीदी ने हमे 8.00 बजे जगाया और कहा- तुम दोनों तो जल्दी उठ जाते हो तो फिर आज क्या हो गया।
मैंने बहाना बनाया- आपने और सपना ने ही तो बात कर-कर के सोने नहीं दिया।
तभी दीदी ने पूछा- मेरे कमरे के बिस्तर पर यह नई चादर कहाँ से आई?
तो मेरे पास उस सवाल का कोई जबाब नहीं था। तभी बीच में ही उसकी बात काट कर सपना बोली- कल शाम तुमने ही तो सफाई के बाद पुरानी चादर हटाकर नई चादर डाली थी।
मैं उसकी तरफ देखकर धीरे से मुस्करा दिया। क्योंकि हम दोनों ही जानते थे कि चादर कैसे बदली थी।
उसके बाद उसे जब भी मौका मिलता वो मुझसे जरूर चुदवाती। मैं आज भी उसे अपना चुदाई का गुरू मानता हूँ और चाहता हूँ कि फिर उसे चोदने का मौका मिले। क्योंकि उस घटना के तीन महीने बाद ही मेरे मम्मी और डैडी कानपुर से नोएडा चले आये। तब से मैं यहीं रहता हूँ।
लेकिन मैं अभी तक पूरी तरह चुदक्कड़ नहीं बना था। यह तो सिर्फ शुरूआत थी। असली ट्रेनिंग तो नोएडा आने के बाद शुरू हुई। जो मैं आपसे अगली कहानी में बताऊँगा।
अब मुझे अपनी चूचियाँ दबा कर विदा कीजिये।
आपका नादान विनय पाठक।
प्यारे दोस्तो, आपको यह कहानी कैसी लगी। मुझे जरूर बताना। Sex Stories
ये राहुल और उसके दोस्त की बीवी की चुदाई की सच्ची कहानी Hindi porn stories है। राहुल जब बैंक में काम करता था।
उसका वह एक दोस्त बन गया मिस्टर आर (वास्तविक नाम नहीं) और वो भी पक्का। अब वो एक साथ खाते और एक साथ पीते थे।
कुछ दिनों के बाद राहुल अपने दोस्त के घर पर गया, मिस्टर आर ने उसकी मुलाकात अपनी बीवी से करवाई।
फ़िर उसका हर सन्डे को उनके यह आना जाना हो गया। राहुल ने उसकी बीवी को बहुत बार गुमसुम देखा जैसे वो अपने पति से खुश नहीं है।
उसने एक दिन जान बूझ कर ओफ़िस से छुट्टी ले ली। और मिस्टर आर के घर पर दिन में अकेले गया। उसकी बीवी उनको अकेला देख चौंक गयी।
राहुल ने कहा अंदर तो बुलाओ भाभी जी। वो अंदर गया और चाय पानी पिया। फ़िर कुछ देर बाद राहुल ने बात शुरू की और कहा भाभी आप के चहरे पर वो मुस्कान नहीं दिखाई देती।
उसने कहा- कुछ नहीं बस ऐसे ही।
उसने कहा- देखो मैं आपके दोस्त की तरह हूँ आप मुझे बताओ क्या मैं आपकी कुछ हेल्प कर सकता हूँ। उसने कहा ऐसी कोई बात नहीँ। फ़िर दुबारा उसने पूछा तब उसने कहा कि वो मुझे डांटते रहते हैं और ठीक से प्यार भी नहीं करते। मेरे दोस्त ने कहा मैं जानता था कि यही बात होगी।
उसने कहा- भाभी अब आप साफ साफ बताओ कि क्या वो आपको वो ख़ुशी पूरी तरह नहीं दे पाते।
फ़िर वो रोने लगी और कहा कि क्या बताऊँ वो ठीक तरह से नहीं कर पाते।
राहुल ने कहा कि आज कल ऐसी बहुत सी औरतें है जिनके साथ यह प्रॉब्लम है पर वो तो ऐसे नहीं रोती।
‘तो तुम ही बताओ कि मैं क्या करूं?’
राहुल ने कहा- मैं आपको वो प्यार दे सकता हूँ।
वो चौंक गई, राहुल ने कहा- इसमें कोई बुराई नहीं है सभी ऐसे ही करती हैं। आप का कोई दोष नहीं।
फ़िर उसने कहा आप बेफ़िक्र हो जाइये किसी को कानो कान खबर नहीं होगी।
उसने कहा- ऐसा पोसिबल है?
राहुल ने कहा- क्यों नहीं। दूसरे सप्ताह मैं आपके घर पर आऊँगा और आपको वो सब प्यार दूंगा बस आप तैयार रहना।
अगले सप्ताह ठीक उसी दिन वो घर पर ओफीस से छुट्टी ले कर आया। उसने हमें बताया कि मैंने नहाया और केवल पाजामा और टी शर्ट पहन कर उसके घर गया। अंदर अंडरवियर भी नहीं पहना था।
उसकी बीवी ने गेट खोला और उसे अंदर बुला लिया। फ़िर धीरे धीरे दोनों में प्यार की बातें होने लगी। फ़िर राहुल ने उसकी चुम्मी ली। वो सहम गयी पर फ़िर उसने उसकी होंठो की दुबारा चुम्मी ली, उसने अपनी आँखे बंद कर ली। दोनों चुम्मा चाटी में मस्त हो गए। एक दो मिनट तक वो दोनों चुम्मा चाटी करते रहे।
राहुल ने उसके चूचों को मसला और वो आहें भरने लगी। फ़िर कुछ देर बाद राहुल ने उसकी ब्रा उतारी और उसके चूचों को चूसने लग गया, दबाने लग गया। अब वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी।
अब उनसे उसका पेटीकोट और फ़िर चड्ढी उतार दी वो पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। राहुल ने भी अपने सारे कपडे उतार दिये। फ़िर दोनों में कुछ देर तक चुम्मा चाट, चूचे दबाना और उन्गल बाजी करना होता रहा।
अब दोनों का जोश उफान पर था और वो चूत की चुदाई के लिये तड़प रही थी। वो उसको पलंग पर ले गया और कोहीनूर डोट्ड नीरोध लगा कर उसकी छूत मे अपना लंड घुसेडा। वो आह ऊह करती रही, फ़िर क्या था दोनों में चूत की चुदाई का काम जोरों से चलने लगा।
राहुल ने उसकी पत्नी को पूरी तरह से चूत के चुदाई के मजे दिला दिये।
पर बाद में वो रोने लगी।
फ़िर राहुल ने उसे समझाया कि कुछ नहीं होगा और वह से चला गया। Hindi porn stories
फ़िर तो महीने में उसके दो चक्कर होने लगे उसके घर के और वो खूब चूत की चुदाई के और भाभी की चूत के चुदाई के मजे लेने लग गया। ये काफी दिनों तक चला और फ़िर एक दिन वो उसका दोस्त अपनी बीवी के साथ दूसरी जगह चला गया।
नमस्ते दोस्तो! मेरा नाम Sex Stories नयन है, अब मेरी उम्र 31 साल है पर बात तब की है जब मैं अट्ठारह साल का था. मैं बारहवी में पढ़ रहा था.
मेरे बाजू वाले घर में वीणा रहती थी. हमारा उनके यहाँ आना जाना तो था, थोड़ी मस्ती भी करता था पर गलत इरादे न उसके थे न मेरे थे.
मुझे मेरे मामा के घर जाना था. गाँव का नाम बताना यहाँ ठीक नहीं होगा लेकिन रात भर का सफ़र था, वीणा को भी गाँव जाना था, उनके बच्चे छुट्टियों में गाँव गए थे उनको वापस मुंबई लाना था. उनका गाँव मेर मामा से गांव से नजदीक था तो वो भी मेरे साथ आने को निकल पड़ी. अब उनको भी अकेले जाने से अच्छा था कि मेरे साथ जाये!
बस में भरी भीड़ थी छुट्टियाँ जो थी. हमें मुश्किल से पीछे वाली दो सीट मिली, सामान रखने की भी जगह नहीं थी. तो वीणा ने अपनी सूटकेस अपने पाँव के नीचे रख लिया. मैं खिड़की के साथ में बैठा था. बस निकल पड़ी अपने मुकाम की तरफ.
रात के 10 बजे होंगे जब हम निकले. टिकट कटवाने के बाद बस की लाइट बंद हो गई और कब नींद आई पता ही नहीं चला.
नींद में ही मेरे हाथ साथ में बैठी वीणा को लगा और मेरी नींद खुल गई. वीणा की साड़ी कमर तक ऊपर आ गई थी. मैंने ध्यान से देखा तो पता चला कि सूटकेस रखने की जगह नहीं होने के कारण उन्होंने जो सूटकेस अपने पैरों के नीचे रखा था उस वजह से उनके पैर ऊपर हो गए थे और साड़ी फिसल के कमर तक आ गई थी. अब मेरी हालत देखने लायक थी. क्या करूँ समझ में नहीं आ रहा था.
तो मैंने भी नींद में होने का नाटक किया और धीरे धीरे मैं उनको हाथ लगाने की कोशिश करने लगा. डर तो बहुत लग रहा था कि कहीं उनकी नींद न खुल जाए. लेकिन जो आग मेरे अन्दर भड़कने लगी थी वो मुझे शांत कहाँ बैठने दे रही थी, तो मैंने भी नींद का नाटक कर के अपना हाथ चलाना चालू रखा. अब मेरा हाथ धीरे धीरे उनकी पेंटी को छूने लगा था. मेरी नजर हमेशा यही देख रही थी कि कहीं वो नींद से न जग जाय.
बस में काफी अँधेरा था और मैं एक नई रोशनी ढूंढ रहा था. मेरा हाथ अब उनकी जांघों पे फिसल रहा था. इतने में उन्होंने अपना सर मेरे कंधे पे रख दिया. मेरी तो डर के मारे जान ही निकल गई. मुझे लगा कि वो जग गई लेकिन वो तो गहरी नींद में थी. अब मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा.
लेकिन इस चक्कर में हम दोनों में जो दूरी थी वो और कम हो गई और इसको मैंने ऊपर वाले की मेहरबानी समझा. अब मेरी हिम्मत बढ़ने लगी थी और मेरा हाथ अब थोड़ी और सफाई से चलने लगा था लेकिन फिर भी सम्भाल के जांघों पे हाथ फेरने के बाद अब मैंने धीरे से उनकी पेंटी में हाथ घुसाया. बाल तो एकदम साफ किये हुए थे. अब मैं उनकी चूत को धीरे धीरे सहलाने लगा लेकिन एकदम संभल के.
थोड़ी ही देर में उनके बदन से अजीब सी खुशबू आने लगी थी और मेरी उंगली गीली हो गई थी, उनकी चूत अब पानी छोड़ने लगी थी. अब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि वो सच में सोई है या उनकी नींद खुल गई है. लेकिन एक बात तो ध्यान में आ गई थी कि कोई भी औरत इतना सब करने के बाद भी सो नहीं सकती. अब मेरी हिम्मत तो बढ़ गई थी लेकिन मन में डर अब भी था. कही ओ सच में सोई हुई तो नहीं. लेकिन अब रुकना मेरे बस में नहीं था सो मिने भी सोचा जब उठ जायेगी तब देख लेंगे. वासना पे किसी का जोर नहीं चलता.
मैंने हिम्मत की और एक हाथ से उनकी चुत में उंगली करना चालू रखा और दूसरा हाथ उनकी चूची की तरफ बढ़ाया और धीरे से उन्हें मसलना चालू किया. मेरी जिंदगी का यह पहला अनुभव था और इतनी आसानी से मौका मिलेगा ये मैंने सोचा भी नहीं था. उनकी हलचल तो बढ़ गई थी लेकिन वो आँखें खोलने को तैयार नहीं थी. शायद अब उनका पानी निकलने को था. तो मैंने भी मेरी उंगली की रफ्तार बढाई और उन्होंने मेरी उंगली को अपनी चुत की फांकों से दबा कर रखा. शायद वो शांत हो गई थी. लेकिन मेरा तो लंड एकदम तना हुआ था. क्या करू समझ में नहीं आ रहा था. मैंने उनका हाथ उठाया और मेरी चैन खोल के लंड को बाहर निकला और उनके हाथ में दे दिया. लेकिन वो कुछ भी करने को तैयार नहीं थी.
तो मैंने फिर से उनकी चूची को दबाना चालू किया, चुत में उंगली भी डालना चालू रखा पर कुछ फायदा नहीं हुआ.
पूरी रात निकल गई जाने कितने बार ओ झड़ गई थी पर मेरे लंड से पानी नहीं निकला था. अब मेरे लंड में दर्द शुरू हो गया था. तो मैंने अपने हाथ से ही धीरे धीरे लंड हिलाना चालू किया 3-4 बार ही हिलाया था के मेरा भी पानी निकल गया. फिर नींद कब लग गई पता ही नहीं चला.
सुबह 8 बजे गाड़ी हमारे गांव में पहुँच गई. वीणा ने मुझे उठाया और हम बस से उतर गए.
यहाँ से हमारे रस्ते अलग होने थे. मुझे बड़ा दुःख हो रहा था कि जिंदगी का पहला सेक्स अनुभव और वो भी अधूरा ही रह गया. मैं देख रहा था कि उनके चहरे पे कोई भाव नहीं था. मैंने रात को उन के साथ कुछ किया हो ऐसा कुछ भी नहीं जता रही थी. जैसे कुछ हुआ ही नहीं… मैं उदास था कि अब मुझे अपने मामा के यहाँ जाना था और वो अपने बच्चो को ले कर वापस मुंबई जायेगी.
लेकिन एक बात तय थी कि वो सोई नहीं थी, सोने का नाटक कर रही थी. और मुझे इस बात की ख़ुशी थी कि आज भले ही मैं कुछ नहीं कर सका लेकिन मैं जब वापस मुंबई जाऊँगा तो शायद मेरा काम बन जाये… और मैं जिंदगी का पहला सेक्स वीणा के साथ ही करूँगा.
आगे की कहानी किसी दूसरे दिन बताऊँगा. अगर आप को मेरी आगे की कहानी जाननी है तो मुझे लिखे कि आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी. Sex Stories
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