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कहते हैं कि किसी औरत Hindi Sex Stories को गैर-मर्द के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिये क्योंकि मर्द उसे पकड़ कर चोदने की ही सोचेगा।
कैसे इसकी चूत में अपना लंड डाल दूँ – यही ख्याल उसके मन में कुलबुलायेगा।
दोस्तो, मेरे साथ ऐसा ही हुआ।
गर्मी के दिन थे और भरी दोपहर थी।
मैं अपने घर में अकेला था क्योंकि अभी मेरी शादी नहीं हुई थी।
मैंने घर में कुछ ज़रूरी काम करने के लिये ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी।
काम निबटा कर मैं बेडरूम में ठंडी बीयर का आनन्द ले रहा था।
करीब एक बजे दरवाजे पर हुआ टिंग-टोंग!
मैंने दरवाजा खोला तो सामने मानो एक अप्सरा खड़ी थी।
पैंतीस-छत्तीस साल की साँवली और गज़ब की सुंदर औरत साड़ी पहने हुए और हाथों में कागज़ और कलम लिये हुए कोयल का आवाज़ में बोली- माफ़ कीजियेगा! क्या कोई लेडी हैं घर में?
मैंने कहा- जी नहीं, मैं बेचलर हूँ और अकेला ही रहता हूँ। आप कौन हैं?
उसके माथे पर पसीने की कुछ बूंदें थी, वह बोली- ज़रा एक ग्लास पानी मिलेगा?
मैंने कहा- हाँ, क्यों नहीं?
वह ज़रा सा अंदर आयी।
मैंने पानी का ग्लास देते हुए पूछा- क्या बात है, आप हैं कौन?
पानी पी कर वह बोली- जी, मेरा नाम सना खान है और मुझे एक कनज़्यूमर कंपनी ने भेजा है सर्वे के लिये। क्या आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दे देंगे?
मैंने कहा- जी कोशिश कर सकता हूँ। आप प्लीज़ यहाँ बैठ जाइये।
वह सोफ़े पर बैठ गयी और हमारे घर का दरवाजा अभी खुला ही था।
मैंने दूसरे सोफ़े पर बैठ कर कहा- पूछिये जो पूछना है।
वो बोली- जी आपका नाम और आपकी उम्र क्या है?
“जी मैं प्रताप सिंह हूँ और उम्र छब्बीस साल!” मैंने जवाब दिया।
“आप अपने घर की ज़रूरत की चीजें कहाँ से खरीदते हैं?”
इस तरह वो सवाल पर सवाल पूछती रही और मैं जवाब देता गया।
कुछ देर बाद मैंने पूछा- इस तरह इतनी गर्मी के मौसम में भी आप क्या सब घरों में जाकर सर्वे करती हैं?
“जी, जॉब तो जॉब ही है ना!”
“तो आप शादी शुदा होकर (उसने बड़ी सी अंगूठी पहनी हुई थी) भी जॉब कर रही हैं?”
अब वो भी थोड़ी-सी खुल सी गयी, बोली- क्यों, शादी शुदा औरत जॉब नहीं कर सकती?
“जी यह बात नहीं, घर-घर जाना, जाने किस घर में कैसे लोग मिल जायें?”
उसने जवाब दिया- वैसे तो दिन के वक्त ज्यादातर हाऊसवाइफ ही मिलती हैं। कभी-कभी ही कोई मेल मेंबर होता है।
“तो आपको डर नहीं लगता।”
“जी अभी तक तो नहीं लगा। फिर आप जैसे शरीफ इंसान मिल जायें तो क्या डर?”
‘शरीफ इंसान’ – एक बार तो सुन कर अजीब लगा।
इसे क्या मालूम कि मैं इसे किस नज़र से देख रहा था।
साड़ी और ब्लाऊज़ के नीचे उसकी चूचियाँ तनी हुई थीं और मेरे लंड में खुजली सी होने लगी।
जी चाह रहा था कि काश सिर्फ़ एक बार चूम सकता और ब्लाऊज़ के नीचे उन चूचियों को दबा सकता।
हाथों की अँगुलियाँ लंबी-लंबी मुलायम सी!
वैसे ही मुलायम से सैक्सी पैर ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में कसे हुए।
देख-देख कर लंड महाराज खड़े हो ही गये।
मन में ज़ोरों से ख्याल आ रहा था कि क्या गज़ब की अप्सरा है।
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चली जायेगी तो हाथ से निकल ही जायेगी।
अरे प्रताप, हिम्मत करो, आगे बढ़ो, कुछ बोलो ताकि रुक जये।
इसकी चूत में अपना लंड नहीं डालना है क्या? चूत में लंड? इस ख्याल ने बड़ी हिम्मत दी।
“माफ़ कीजियेगा सना जी, आप जैसी खूबसूरत औरत को थोड़ा केयरफुल रहना चाहिये।” मैंने डरते हुए कहा।
“खूबसूरत?”
मैं थोड़ा सा घबराया, लेकिन फिर हिम्मत करके बोला- जी, खूबसूरत तो आप हैं ही। बुरा मत मानियेगा। आप प्लीज़ अब तो चाय पीकर ही जाइये।
“चाय, लेकिन बनायेगा कौन?”
“मैं जो हूँ, कम से कम चाय तो बना ही सकता हूँ।”
वह हंसते हुए बोली- ठीक है… लेकिन इतनी गर्मी में चाय की बजाय कुछ ठंडा ज्यादा मुनासिब होगा!
मैंने कहा- क्यों नहीं… क्या पीना पसंद करेंगी… नींबू शर्बत या पेप्सी… वैसे मैं भी आपके आने के पहले चिल्ड बीयर ही पी रहा था!
“तो फिर अगर आपको ऐतराज़ ना हो तो मैं भी बीयर ही ले लूँगी!”
मुझे उससे इस जवाब की उम्मीद नहीं थी लेकिन मुझे बहुत खुशी हुई।
मैंने उसे फिर बैठने को कहा और किचन में जाकर दो ग्लास और फ्रिज में से बीयर की दो ठंडी बोतलें निकाल कर ले आया।
हम दोनों बीयर पीने लगे और इधर मेरा लंड उबल रहा था।
पहली बार किसी औरत के साथ बैठ कर बीयर पी रहा था और वो भी इतनी सुंदर औरत – और मुझे पता नहीं था कि कैसे आगे बढ़ूँ।
तभी वो बोली- आप अकेले रहते हैं… शादी क्यों नहीं कर लेते?
मैंने जवाब दिया- जी, घर वाले तो काफी ज़ोर दे रहे हैं लेकिन कोई लड़की अभी तक पसंद ही नहीं आयी!
अब और हिम्मत करके मैंने कहा- सना जी, आप वाकयी में बहुत खूबसूरत हैं और बहुत अच्छी भी! आपके हसबैंड बहुत ही खुशनसीब इंसान हैं।
“आप प्लीज़ बार-बार ऐसे ना कहिये। और मुझे सना जी क्यों कह रहे हैं। मैं उम्र में आपसे बड़ी ज़रूर हूँ लेकिन इतनी ज़्यादा भी नहीं!” वो इतराते हुए अदा से मुस्कुरा कर बोली।
दोस्तो, यह हिंट काफ़ी था मेरे लिये!
मैं समझ गया कि ये अब चुदवाने को आसानी से तैयार हो जायेगी।
हमारी बीयर भी खत्म होने आयी थी।
“ठीक है, सना जी नहीं … सना … तुम भी मुझे आप-आप ना कहो! वैसे तुम कितनी खूबसूरत हो, मैं बताऊँ?”
“कहा तो है तुमने कई बार। अब भी बताना बाकी है?”
“बाकी तो है। अपनी बीयर खत्म करके बस एक बार अपनी आँखें बन्द करो … प्लीज़!”
दो-तीन घूँट में जल्दी से बीयर खतम करके उसने आँखें बंद की।
मैंने कहा- आँखें बंद ही रखना!
अब मैंने उसे कुहनी से पकड़ कर खड़ा किया और हल्के से मैंने उसके गुलाबी-गुलाबी नर्म-नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
एक बिजली सी दौड़ गयी मेरे शरीर में! लंड एकदम तन गया और पैंट से बाहर आने के लिये तड़पने लगा।
उसने तुरन्त आँखें खोलीं और अवाक सी मुझे देखती रही और फिर मुस्कुरा कर और शर्मा कर मेरी बाँहों में आ गयी।
मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।
कस कर मैंने उसे अपनी बाँहों में दबोच लिया।
ऐसा लग रहा था बस यूँ ही पकड़े रहूँ।
फिर मैंने सोचा कि अब समय नहीं बर्बाद करना चाहिये।
पका हुआ फल है, बस खा लो।
तुरंत अपनी बाँहों में मैंने उसे उठाया (बहुत ही हल्की थी) और बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया।
उसकी आँखों में प्यास नज़र आ रही थी।
साड़ी और सैंडल पहने हुए बिस्तर पर लेटी हुई वो प्यार भरी नज़रों से मुझे देख रही थी।
ब्लाऊज़ में से उसके बूब्स ऊपर नीचे होते हुए देख कर मैं पागल हो गया।
आहिस्ते से साड़ी को एक तरफ़ करके मैंने उसकी दाहिनी चूची को ऊपर से हल्के से दबाया।
एक सिरहन सी दौड़ गयी उसके शरीर में!
वो तड़प कर बोली- प्लीज़ प्रताप! जल्दी से! कोई आ ही ना जाये।
“घबराओ नहीं, सना डार्लिंग … बस मज़ा लेती रहो। आज मैं तुम्हे दिखला दूँगा कि प्यार किसे कहते हैं। खूब चोदूँगा मेरी रानी!” मैं एकदम फ़ोर्म में था।
यह कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को खूब दबाया और होंठों को कस-कस कर चूसने लगा।
फिर मैंने कहा- चुदवाओगी ना?
आह! गज़ब की कातिलाना मुस्कुराहट के साथ बोली- प्रताप! तुम भी… बहुत बदमाश हो… तो क्या बीयर पी कर यहाँ तुम्हारे बिस्तर पे तीन पत्ती खेलने के लिये तुम्हारे आगोश में लेटी हूँ! अब इस भरी दोपहर में दर-दर भटकने की बजाय यही अच्छा है।
“सना रानी, बदमाश तो तुम भी कम नहीं हो!” और उसके नर्म-नर्म गालों को हाथ में ले कर होंठों का खूब रसपान किया।
मैं उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर था।
चूत मुझे महसूस हो रही थी और उसकी चूचियाँ … गज़ब की तनी हुई … मेरे सीने में चुभ-चुभ कर बहुत ही आनंद दे रही थी।
दाहिने हाथ से अब मैंने उसकी बाँयी चूची को खूब दबाया और एक्साईटमेंट में ब्लाऊज़ के नीचे हाथ घुसा कर उसे पकड़ना चाहा।
“प्रताप, ब्लाऊज़ खोल दो ना!”
उसका यह कहना था और मैंने तुरन्त ब्लाऊज़ के बटन खोले और उसे घुमा कर साथ ही साथ ब्रा का हुक खोला और पीछे से ही उसके बूब्स को पूरा समेट लिया।
आहा … क्या फ़ीलिंग थी, सख्त और नर्म दोनों, गर्म मानो आग हो।
निप्पल एकदम तने हुए।
जल्दी-जल्दी मैंने ब्लाऊज़ और ब्रा को हटाया; साड़ी को परे किया और पेटीकोट के नाड़े को खोल कर उसे हटाया।
पिंक पैंटी और सफेद हाई-हील के सैंडल पहने हुए सना को नंगी लेटी हुई देख कर तो मैं बर्दाश्त ही नहीं कर सका।
मैंने अब अपने कपड़े जल्दी-जल्दी उतारे।
लंड तन कर बाहर आ गया और ऊपर की तरफ़ हो कर तड़पने लगा।
उसका एक हाथ लेकर मैंने अपने फड़कते हुए लंड पर रख दिया।
“उफ हायल्ला कितना बड़ा और मोटा है!” वह बोली और आहिस्ता-आहिस्ता लंड को आगे पीछे हिलाने लगी।
शादीशुदा औरत को चोदने का यही मज़ा है; कुछ सिखाना नहीं पड़ता।
वो सब जानती है और आमतौर पर शादी शुदा औरतें फैमली प्लैनिंग के लिये पिल्स या कोई और इंतज़ाम करती हैं तो कंडोम की भी ज़रूरत नहीं।
मैंने आखिर पूछ ही लिया- सना डार्लिंग, कंडोम लगाऊँ?
वो मुँह हिलाते हुए मना करते हुए खिलखिलायी- सब ठीक है। मैं पिल्स लेती हूँ।
मैंने अब उसके बदन से उस पिंक पैंटी को हटाया और इत्मीनान से उसकी चूत को निहारा।
एकदम साफ चिकनी सुंदर सी चूत थी। कुछ फूली हुई थी।
मैंने उसके ऊपर हाथ रखा और हल्के से दबाया।
अँगुली ऐसे घुसी जैसे मक्खन में छूरी।
रस बह रहा था और चूत एकदम गीली थी।
मैं जैसे सब कुछ एक साथ कर रहा था। कभी उसके होंठों को चूसता, चूचियों को दबाता – कभी एक हाथ से कभी दोनों से!
एकदम टाइट गोल और तनी हुई चूचियाँ।
उसके सोने जैसे बदन पर कभी हाथ फिराता।
फिर मैंने उसकी चूचियों को खूब चूसा और अँगुलियों से उसकी बूर में खूब अंदर बाहर करके हिलाया।
“सना, अब मैं नहीं रह सकता, अब तो चोदना ही पड़ेगा। कस-कस कर चोदूँगा मेरी रानी।”
पहली बार उसके मुँह से अब सुना- चोद दो ना प्रताप, बस अब चोद दो।
मज़ा लेते हुए मैंने पूछा- क्या चोदूँ जानेमन? एक बार फिर से कहो ना! तुम्हारे मुँह से सुनने में कितना अच्छा लग रहा है।
“अब चोदो ना … इस … इस चूत को!”
“अब मैं तेरी गर्म-गर्म और गुलाबी-गुलाबी बूर में अपना ये लंड घुसाऊँगा और कस-कस कर चोदूँगा।”
मैंने अपना लंड उसकी बूर के मुँह पर रखा और हल्के से धक्का दिया।
उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और गाईड करते हुए अपनी चूत में डाल दिया।
दोस्तो, मानो मैं जन्नत में आ गया।
मैं बोल ही उठा- उफ़, क्या चूत है सना … मज़ा आ गया।
उसने भी उत्तेजित होकर कहा- चोद दो प्रताप … बस अब इस चूत को खूब चोदो।
दोस्तो … चूचियाँ दबाते हुए, होंठ चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोद-चोद कर ऐसा मज़ा मिल रहा था कि पता ही नहीं चला कि कब मैं झड़ गया।
झड़ते-झड़ते भी मैं उसे बस चोदता ही रहा और चोदता ही रहा।
“सना … बहुत मजेदार चुदाई थी यार! तुम तो गज़ब की चीज़ हो।”
“मुझे भी बेहद मज़ा आया, प्रताप।” वो कसकर मुझे पकड़ते हुए बोली।
उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लग कर एक अलग ही आनंद दे रही थी।
दोस्तो, फिर बीस मिनट बाद पहले तो मैंने उसकी बूर को चाटा और उसने मेरे लंड को चूसा, हल्के-हल्के!
फिर हमने कस-कस कर चुदाई की और इस बार झड़ने में काफी समय लगा।
मैंने शायद उसकी चूचियाँ और चूत और होंठ और गाल के किसी भी अंग को चूसे बगैर नहीं छोड़ा।
इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था।
बस गज़ब की चीज़ थी वो औरत!
कपड़े पहनने के बाद मैंने पूछा- सना, अब तो तुम्हें और कई बार चोदना पड़ेगा। अपनी इस प्यारी सी चूत और प्यारी-प्यारी चूचियों और प्यारे-प्यारे होंठों और प्यारी-प्यारी सना डार्लिंग के दर्शन करवाओगी ना?
मैंने उसका फोन नंबर ले लिया और कह दिया कि मैं बता दूँगा जिस दिन मैं दिन में घर पे होऊँगा!
अब वह मुझसे फ़्री हो गयी थी और बोली- प्रताप, डोंट वरी, जब भी मुनासिब मौका मिलेगा खूब चुदाई करेंगे!
उसकी यह बात सुनते ही मैंने उसे एक बार और बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों का एक तगड़ा चुंबन लिया।
फिर वो मेरे बंधन से आज़ाद होकर दरवाजे से बाहर निकल गयी।
कुछ दूर जाकर पीछे मुड़ी और एक मुस्कान बिखेर कर धीरे-धीरे मेरी आँखों से ओझल हो गयी। Hindi Sex Stories
रोज की तरह मैं और Antarvasna दिव्या अपने ऑफ़िस में बैठे हुये काम रहे थे। दिव्या हमेशा अपने कम कपड़ों में मुझे उत्तेजित करने का प्रयास करती रहती थी। उसे देख कर मैं भड़क भी जाता था और फिर वो चुद भी जाती थी पर अब असमय भी चुदाई करने में मजा नहीं आता था। पर आज मुझे ताऊजी फोन आया कि विक्की और सोफिया गोआ घूमने आ रहे हैं। दिव्या विक्की को नहीं जानती थी। उसके आने की सूचना पाकर मुझे बहुत ही खुशी हुई।
ठीक समय पर मैं अपनी कार लेकर दिव्या के साथ रेलवे स्टेशन पहुंच गया। ट्रेन आ चुकी थी। मैंने मोबाईल पर सोफिया को बता दिया था कि मैं और दिव्या बाहर खड़े इन्तज़ार कर रहे हैं। कुछ ही देर में एक बेहद खूबसूरत लड़की और एक सुन्दर सा हीरो जैसा लगने वाला लड़का दिखाई दिया। मेरा अनुमान सही था। वही दोनों सोफिया और विक्की थे। पहले तो वो दोनों बाहर खड़े हो कर यहाँ-वहाँ देखते रहे। दिव्या ने मुझे कहा,”शायद वो ही है … लड़का तो बड़ा मस्त है यार … “
“तुझे तो बस लण्ड ही देखता है … जा कर पता कर … ” दिव्या को तो मौका चाहिये था। कार से उतर कर सीधे उस लड़के पास गई। लड़का दिव्या को देखता ही रह गया। सोचने लगा कि ये अचानक एक जवान सी सुन्दरी उसके सामने कौन आ गई। मैं कार से उतर चुका था और उनकी तरफ़ देखा, वो आपस में कुछ बाते कर रहे थे और सोफिया का हाथ मेरी ओर लहरा उठा। आते ही सोफिया ने मुझे औपचारिक तौर पर किस किया, पर शरारत के साथ … अपनी चूचियाँ मेरी छाती से लगा कर मेरे बदन में सिरहन पैदा कर दी। मुझे तुरन्त मालूम हो गया कि ये खूबसूरत सी मेरी कजिन शरारती टाईप की है। विक्की और दिव्या साथ बैठ गये और सोफिया मेरे साथ आगे बैठ गई। मुझे लगने लगा कि कुछ समय तो बड़ा मजेदार निकलेगा।
घर पहुंचने पर शाम को हम घूमने का कार्यक्रम बनाने लगे। कुछ ही समय ने दिव्या ने विक्की से अच्छी दोस्ती कर ली। विक्की भी खुश था। इधर सोफिया भी मेरे साथ बहुत ही इनफ़ॉर्मल हो गई थी। कुछ ही समय में मुझसे खुल कर बातें करने लगी थी। दिव्या से मेरे सम्बंध के बारे में पूछने लगी थी। मैंने उसे खुलने पर स्पष्ट बता दिया था कि वो मेरी दोस्त है, आज कल वो मेरे साथ ही रह रही है, और इसमे कोई बुराई नहीं है। सोफिया भी मेरे खुलेपन से बहुत खुश थी … शायद वो अपनी इस यात्रा को मजेदार और मस्त बनाना चाहती थी। घर पहुंचने पर हमने लन्च लिया और वो दोनों आराम करने लगे। दिव्या मेरे साथ लेटी हुई सोफिया की बातें ही कर रही थी और मेरे मन की टोह ले रही थी।
शाम को हमने समुद्र के किनारे जाने का प्रोग्राम बना लिया और लगभग छः बजे हम चारों बीच की ओर रवाना हो गये। रास्ते में हमने दो-दो पेग काजू फ़ेनी के भी लिये और कुछ फ़्राई की हुई फ़िश और चिकन रख लिया था।
कुछ ही देर में हम बेनौलिम बीच पर पहुंच गये। लम्बा सा बीच था। कुछ और भी लोग वहाँ पर थे। हम लोग बीच के पास ही चादर बिछा कर बैठ गये। दिव्या तो अपने कपड़े उतार कर सिर्फ़ ब्रा और पेण्टी में ही समुद्र की ओर भाग ली, विक्की भी अपने कपड़े उतार कर सिर्फ़ अंडरवियर में दिव्या के पीछे हो लिया।
सोफिया ने मुझसे कहा,”आप नहीं चलोगे क्या ?”
“आप साथ चलोगी … ?”
“मुझे शरम आती है दिव्या जैसे कपड़ों में … “
“मुझे तो नहीं आती है, ये देखो … ” मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिये … बस अंडरवियर में था। पर ये भूल गया था कि मेरा लण्ड उस छोटे से अंडरवियर में साफ़ उठा हुआ नजर आ रहा था। सोफिया ने मेरे लण्ड के उभार को अच्छी तरह से निहारा और कुछ उत्तेजित हो गई।
“फिर तुम उधर देखो … मैं कपड़े उतार लेती हूँ … ” उसने भी शर्माते हुये अपने कपड़े उतार दिये। उसका गोरा बदन दमक उठा। ब्रा में से चूचियां जैसे उछल कर बाहर आने को बेताब हो रही थी। मेरा मन विचलित हो उठा। लण्ड और कड़ा हो गया।
उसकी बहुत ही छोटी सी पेण्टी में से उसके तराशे हुये चूतड़ और उसकी गोलाईयाँ मेरी जान निकाल रही थी। पतली कमर, उभरे हुये कामुक कूल्हे, तराशी हुई जांघें मुझे मदमस्त कर रही थी। जाने कब मेरे दोनों बाहें उठ गई उसे अपनी आलिंगन में लेने के लिये। और सोफिया भी मंत्र मुग्ध सी मेरी बाहों में सिमट आई। हमारे नंगे बदन आपस में छूते ही ही जैसे आग बनने लगे। सोफिया के होंठ मेरे गर्दन और होंठ के पास रगड़ खाने लगे। अपने चूतड़ों को दबा कर जैसे मेरे लण्ड का स्पर्श अपनी चूत से करने लगी। हम दोनों अब वही दरी पर लेट गये और एक दूसरे से लिपट कर जैसे लोट लगाने लगे। हम लोट लगाते हुये रेत पर आ गये हमें पता ही नहीं चला। मेरे हाथों ने ब्रा के ऊपर से ही उसकी एक चूची दबा दी … सोफिया सिसक उठी। दूसरी लोट में सोफिया मेरे ऊपर सवार थी और मुझे बेतहाशा चूमने लगी थी। मुझे उसकी चूत के पास कुछ कड़ा सा लगा। शायद इसी हालत में काफ़ी देर तक आनन्द में प्यार करते रहे थे।
“बस करो भई … ये एक समुद्र का तट है … कोई कमरा नहीं ” दिव्या की खनकती हंसी सुनाई दी। हमें समय का ध्यान ही नहीं रहा … वो दोनों वापस आ चुके थे। सोफिया को तो पहले कुछ समझ में नहीं आया फिर जैसे एक दम होश में आई। इतनी देर में विक्की की उत्तेजना बढ़ गई। उसने हमारी हालत देख कर दिव्या को दबोच लिया और उसकी गीली पेण्टी उतार दी। उधर दिव्या ने भी बेशर्मी से विक्की का लण्ड पकड़ लिया। अब विक्की और दिव्या भी नीचे दरी पर एक दूसरे को दबाये हुये चोदने की कोशिश कर रहे थे। सोफिया मेरे उपर से हट चुकी थी और मैं भी उठ खड़ा हुआ था। दोनों को बड़ी मुश्किल से खींच कर अलग किया।
अरे ये सब यहां नहीं … यहां से चलो अभी … दिव्या … चलो कपड़े पहनो, गश्ती जीप आ रही है।
“घर चलो ना … तुम्हें तो बस करने की लगी है … और ये सार्वजनिक स्थल है … ” विक्की को सोफिया ने समझाया, दिव्या अपने बदन पर से रेत साफ़ कर रही थी। मैंने यहाँ-वहाँ देखा … अधिकतर लोग जा चुके थे और एक गश्ती जीप की रोशनी नजर आ रही थी, जो पास आती जा रही थी। कपड़े पहन कर हम कार में बैठे ही थे कि वो गश्ती जीप पास में आकर रुकी,”ओह जो साहब … गुड इवनिंग … कैसे हो … “
“क्या यार … गोआ में रहो तो पूरे समय … रिश्तेदारो को घुमाते ही रहो … “
“हां यार ये तो गोआ में रहने की सजा है … ” और हंसता हुआ आगे बढ़ गया।
हम लोग रेत से निकल कर बाहर आये और कार में बैठ कर वापस मडगांव रवाना हो गये।
घर पर आते ही पोर्ट वाईन का एक एक पेग बनाया और सभी सोफ़े पर बैठ कर सिप लेने लगे। दिव्या और विक्की की शरारतें बढती जा रही थी। वो सब चुपके से कर रहे थे, पर मेरी तेज निगाहें उसकी हर हरकत देख रही थी। सोफिया भी मुझे चोरी चोरी देख रही थी। मैंने सोफिया का हाथ जान कर के दबाया। पर अप्रत्याशित रूप से उसने अपना हाथ खींच लिया। मुझे झटका सा लगा।
“क्या हुआ … ?”
“अपना हाथ दूर रखो … “
“पर वहां समुद्र के किनारे तो … “
“वो तो बस मुझे कुछ हो गया था … सॉरी … जो … ” सोफिया उठ कर चली गई। मैं निराशा से उसे देखता रह गया। दिव्या ने पलक झपकते ही सारा मामला समझ लिया। वो तुरन्त मेरे पास आ गई।
“जो … मैं तो हू ना … उससे अधिक सुन्दर … उससे अधिक मजा दूंगी … ” विक्की भी उठ कर मेरे पास आ गया।
“जो मैं दीदी को समझाता हूँ … ” विक्की को अपना कार्यक्रम भी बिगड़ता नजर आया।
“नहीं विक्की … ये दिल के सौदे है … तुम दोनों मस्ती करो … जाओ … ” मैंने उठते हुये कहा।
“चलो दिव्या … अन्दर चलते हैं … “विक्की ने दिव्या का हाथ पकड़ा … दिव्या ने उसे देखा और गुस्से में बोली,”मेरा जो दुखी है और तुम्हें … जाओ , अब सो जाओ … मैं जो के साथ रहूंगी।” दिव्या ने अपना फ़ैसला सुना दिया।
“दिव्या प्लीज … विक्की को ऐसा मत कहो … उसे खुशी दो … जाओ, दोनों मजे लो और दो !” मैंने कहा और अपने कमरे में चला आया।
मन में थोड़ी सी बैचेनी सी लगी। यूं तो मैंने कई लड़कियों को चोदा था सो आज सोफिया चुदने को नहीं मिली, तो इतना बुरा नहीं लगा। कुछ ही देर में सब कुछ भूल कर मैं गहरी नींद में सो गया। अचानक रात को मेरी नींद किसी की आहट से खुल गई। उसी समय कमरे की बत्ती भी जल गई। देखा तो सोफिया सामने खड़ी थी।
“जो … बुरा लग गया ना … मुझे माफ़ कर दो … ” नींद में अलसाया सा भी उसकी सूरत देख कर मुझे हंसी आ गई।
“अरे नहीं नहीं … ये सब कुछ नहीं … मुझे आपकी फ़ीलिंग्स का ध्यान रखना चहिये था … ” मैंने उस बात को हवा उड़ाते हुये कहा।
“नहीं … मैं सच में बीच पर आप पर मोहित हो उठी थी … और मेरे मन में भावनायें जाग उठी थी … “
“मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था … पर भूल जाईये उस बात को … “
“कैसे भूल जाऊँ … विक्की और दिव्या तो मौज कर रहे है … पर मैं अभागी … हाय रे मैं माहवारी से हूँ … क्या करती … मुझे माफ़ कर दो … ” वो मेरे बिस्तर के सिरहाने आ कर बैठ गई … और मेरे बालों से खेलने लगी।
“सोफी … ऐसे समय में ये होता है … और असमंजस की स्थिति होती है … ” मैंने उसे सामान्य करने की कोशिश की … । पर उसका चेहरा मेरे होंठो की तरफ़ बढ़ता ही गया और अब उसके नरम होंठ मेरे होंठों से प्यार कर रहे थे। एक व्हिस्की का भभका मेरे नाक के नथुनों से आ टकराया। पर वो अपने पूरे होश में थी। मैंने अपनी आंखें बंद कर ली और अधरपान का आनन्द लेने लगा। मैंने धीरे धीरे उसे कमर से पकड़ कर अपने शरीर से लिपटाना आरम्भ कर दिया। बिना कोई विरोध किये वो मेरे ऊपर आकर लेट गई और अब अब हम एक दूसरे की आगोश में थे। उसकी चूत ऊपर से ही मेरे लण्ड के ऊपर जोर मार रही थी … पर अब मुझे उसके लगाये गये नेपकिन का अहसास होने लगा था। मुझे कुछ भी करते हुये डर लग रहा था कि कहीं मेरी किसी भी हरकत से नाराज ना हो जाये।
सोफिया की बैचेनी बढ़ने लगी, उसने मेरे हाथ खींच कर अपने स्तनों पर रख दिये। साधारण साईज़ के स्तन थे … पर निपल कठोर और तने हुये थे … कुछ बड़े से लग रहे थे। मैंने उसकी चूंचियाँ धीरे धीरे सहलाना और गुदगुदाना आरम्भ कर दिया। उसके मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी …
अब वो मेरे बिस्तर पर मेरी बगल में लेट गई थी। वो मुझे बहुत ही प्यार से देख रही थी … उसकी चूंचियों के सहलाने और निपल को हल्के से मलने पर उसे बहुत आनन्द आ रहा था। उसने मुझे देखा और नजरें दबा कर इशारा किया … और उसका हाथ धीरे से मेरी चड्डी के ऊपर आ गया और हौले से मेरे लण्ड को दबा दिया। कुछ अजीब सी स्थिति थी … चूत पर लाल पट्टा चढ़ा था और उसका मन चुदने को कर रहा था … या कुछ ओर ही … । उसके पतले से सफ़ेद पाजामे पर हाथ घुमाते ही मालूम हो गया कि … पट्टा लगा हुआ था। वो मेरे लण्ड को अब दबाने और सहलाने लगी थी। मेरी छोटी सी चड्डी में से अब मेरा लण्ड नहीं समा रहा था। साईड से सोफिया ने मेरा लण्ड खींच कर निकाल लिया और अब उसके साथ खेलने लगी। कभी वो मुठ मारती और कभी वो लण्ड को अपने शरीर से रगड़ती। उसके निपल और सारे उभारों को मैं सहला कर दबा रहा था। उसकी सिसकारियाँ बढ़ रही थी। मेरा लण्ड भी उत्तेजना के मारे फ़ूल रहा था। सोफिया के आंखो में वासना के गुलाबी डोरे उसकी उत्तेजना को दर्शा रहे थे।
मैंने अपनी सहन शीलता खो दी और सोफिया की चूत दबा डाली। वो एकदम से सिमट गई और एक जोर से सिसकारी भरी और झड़ने लगी। मुझे अहसास हुआ कि शायद वो यही चाह रही थी। अपनी आंखें बंद किये वो झड़ने का आनन्द लेने लगी। मैंने भी उसका शरीर को सहलाना और दबाना जारी रखा। धीरे धीरे सोफिया सामान्य होने लगी। उसका हाथ मेरे लण्ड पर कस गया। मेरे लण्ड में उसके हाथों से मीठी सी सुरसुराहट जागने लगी। मैंने सोफिया को प्यार से अपने शरीर से लिपटा लिया और प्यार करने लगा।
मुठ मारते मारते मेरा लण्ड भी कड़कने लगा … मुझे लगने लगा कि अन्दर से माल अब निकला ही चाहता है। मेरे चूतड़ हिल हिल कर उसके मुठ मारने में सहायता करने लगे … और मेरे उफ़नते हुये लण्ड ने अपनी सीमा तोड़ते हुये अपना रस उसके हाथों में निकाल दिया। उसका हाथ मेरे वीर्य से भर गया। पर उसका हाथ चलता रहा और मेरे लण्ड से रस रह रह कर छलकता रहा। मेरा पूरा लण्ड वीर्य से भर गया … सोफिया का हाथ भी मेरे लसलसे वीर्य से भर गया था। उसने मेरे नाभि के आस पास वीर्य रस को फ़ैला दिया और अपना गीला हाथ मेरे गालो पर रख कर मुझे चूम लिया। उसने जल्दी से अपना पजामा उतारा और नेपकिन को उतार दिया। मैंने तुरन्त अपना मुख दूसरी ओर कर लिया। उसने मुझे देखा और मुस्करा उठी।
“जो … अपना लण्ड तो चड्डी में छिपा लो वर्ना नजर लग जायेगी … ।” दिव्या की हंसी सुनाई दी और नया नेपकिन सोफिया की ओर उछाल दिया।
“अरे रात के दो बज रहे है … तुम सोये नहीं … ?”
“आज की रात कौन सोता है … पर जो, आखिर आपने सोफिया को पटा ही लिया ना … ” दिव्या ने कटाक्ष किया।
“नहीं सोफिया ने मुझे पटा लिया … उसे देखो, उसकी मजबूरी … उसकी सादगी … उसका अन्दाज़” मैंने सोफिया की तारीफ़ की।
“नहीं, जो बहुत समझदार और प्यारा है … उसने मेरे साथ बहुत प्यार किया , मेरी रजामन्दी से !”
दिव्या और विक्की दोनों खुश हो गये। सारा मामला ठीक हो गया था। सोफिया ने मुझे प्यार से चूमा और मुझे अकेला छोड़ कर इठलाते हुये अपने कमरे में चली गई। दिव्या भी विक्की के साथ चली गई। मैं अब ये सोचता हुआ सो गया कि जब सोफिया की माहवारी समाप्त होगी तो मैं उसे किस किस तरह से चोदूंगा। ये सोचते सोचते कुछ समय में ही मैं निंद्रा के आगोश में खो गया। Antarvasna
मेरा नाम सुनील है और मैं Sex Storiesआगरा से हूँ। हमारे पड़ोस में एक आँटी रहती हैं जिनकी एक लड़की है जो कि बहुत ही ख़ूबसूरत होने के साथ-साथ बहुत ही सेक्सी भी है। उसकी फिगर ३६-२४-३४ है। जिसका नाम सोनिया था। उसकी नशीली आँखें हमेशा मुझसे कुछ कहतीं थीं। लेकिन मैं समझ नहीं पाया कि आख़िर वो क्या चाहतीं हैं। वाऊ, क्या फिगर है उसकी, जो देखे मुट्ठ मारे बिना नहीं रह सकता। उसकी चूचियाँ ऐसी हैं जैसे किसी दूध की नदी में उसने छलाँग लगाई हो। उसकी गाँड ऐसी है जैसे किसी झील में घुसे जा रहे हैं।
बात उन दिनों २००१ की है जब मैं हाई स्कूल के पेपर की तैयारी कर रहा था। हमारा इंग्लिश का पेपर था और मैं घर पर ख़ूब पढ़ रहा था। रात के ११ बजे बेल बजी तो मैं चौंक गया कि कहीं मेरा दोस्त तो नहीं आ गया, पेपर आउट करने के लिए।
जैसे ही मैंने दरवाज़ा खोला तो सामने आँटी और उनकी बेटी शब़नम खड़ी थीं। उन्होंने मुझसे कहा कि इसे भी पेपर के बारे में थोड़ा-बहुत समझा दो। उसके बाद आँटी चलीं गईं, तो मम्मी ने पूछा कि कौन है, तो मैंने तुरन्त उत्तर दिया कि सोनिया आई है पढ़ने के लिए। तो वो अपने कमरे में वापस चली गईं।
मेरे मन में कोई भी ग़लत विचार नहीं थे। आधे घण्टे के बाद शबनम कहने लगी कि उसे नींद आ रही है, और वह थोड़ी देर सोना चाहती है। मैंने कहा, ठीक है थोड़ी देर सो लो। उसने मिनी-स्कर्ट और टी-शर्ट पहन रखी थी, वह सो गई। उसके सोने के बाद मैंने देखा कि उसकी स्कर्ट ऊपर उठ गई थी, और उसकी चिकनी-चिकनी जाँघें और गाँड दिख रहीं थीं। मेरा ७ इंच का लण्ड एकदम खड़ा हो गया और मेरे मन में गन्दे विचार आने लगे।
मैंने धीरे-धीरे उसकी टाँगों को सहलाना शुरु कर दिया, फिर हाथ हाथ ऊपर की ओर ले जाकर उसकी पैन्ट में उँगली करने लगा। तभी वह जाग गई और पूछने लगी कि क्या कर रहे हो। मैंने पलट कर पूछा “तुम्हें मज़ा नहीं आ रहा था?”
“मज़ा तो आ रहा था, लेकिन अगर कुछ हो गया तो?”
“कुछ नहीं होगा।”
फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, उसके बाद वह गरम होने लगी। धीरे-दीरे मैंने अपना हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर डाल दिया और टी-शर्ट उतार दी। उसकी चूचियाँ ऐसे बाहर आईं जैसे दो पहाड़ो को आज़ादी मिल गई हो।
क्या दूध थे उसके, गज़ब के, एकदम टाईट और तरो-ताज़ा माल। फिर हम दोनों किस करते हुए बिस्तर पर आ गए। मैंने उसकी स्कर्ट उतार दी। अब वह केवल पैन्टी में थी। मैंने अपनी पैन्ट उतारी और जैसे ही अपना लंड निकाला तो वह एकदम डर गई। इतना बड़ा लंड….
उसने मेरे लण्ड को सहलाना शुरु कर दिया। जैसे-जैसे वह सहलाती जा रही थी, मेरा लंड भी वैसे-वैसे ही बड़ा और कड़क भी होता जा रहा था। फिर हम दोनों 69 की स्थिति में आ गए। वह मेरा लण्ड चूसने लगी और मैं उसकी गाँड में ज़ुबान डालकर खूब मज़े ले रहा था।
१५ मिनट बाद वो मेरे मुँह में ही झड़ गई। मैंने उसे ऊपर उठाया और उसकी दोनों टाँगें फैला कर मैंने अपना लंड उसकी बुर में डालने की कोशिश की, लंड अन्दर जा ही नहीं पा रहा था। मैंने फिर से ज़ोर लगाकर किसी तरह अपना लंड उसकी बुर में घुसेड़ा तो वह दर्द के मारे चीख उठी और कराहने लगी। मैंने उसे समझाया कि शुरु में दर्द होता है लेकिन बाद में मज़ा आएगा। मैंने दुबारा झटकों के साथ जैसे ही ताक़त लगाई तो मेरा लंड पूरा-का-पूरा अन्दर चला गया।
मैंने उसे जी भरकर चोदा। लगभग आधे घण्टे के बाद मैंने अपना वीर्य उसकी बुर में छोड़ दिया और इस दौरान वह दो बार झड़ चुकी थी। उसकी बुर से खून बह रहा था। वह डर गई, तो मैंने समझाया कि यह पहली बार होता है। उसके बाद मैंने उसे कुतिया बनाया और उसकी गाँड में लंड डालने लगा तो मना करने लगी। पर मैं भी कहाँ मानने वाला था। मैंने क्रीम ली और उसकी गाँड और अपने लंड पर लगाई और पेल दिया लंड को… पर ये क्या लंड तो जा ही नहीं रहा था, बहुत टाईट गाँड की छेद थी साली की।
मैंने ज़ोर लगा कर जैसे ही दुबारा झटका मारा तो मेरा आधा लंड उससकी गाँड में घुस गया। वह चिल्लाने लगी। मैंने कहा “मम्मी आ जाएगी,” और उसका मुँह अपने हाथ से बन्द कर दिया। और फिर एक ज़ोर का झटका लगाते ही मेरा लंड पक्क से पूरा का पूरा उसकी गाँड की छेद में पेवस्त हो गया। कम से कम आधे घण्टे तक हमने गाँड-चुदाई का आनन्द लिया फिर निढाल होकर बिस्तर पर ढेर हो गए।
फिर वह अपने घर चली गई। उस दिन के बाद जब भी मुझे मौक़ा मिलता, मैं उसकी जमकर चुदाई करता।
मुझे मेल करें। Sex Stories
मेरी टीचर सरिता की सगाई होने Sex Stories वाली थी। सरिता दीदी पढ़ाई में मेरा पूरा ध्यान रखती थी। मैं उनसे पढ़ने के लिये उनके घर भी जाती थी। मुझे वो अपने साथ इन्दौर ले गई थी।
लड़के वाले सरिता को देखने आने वाले थे। वैसे उनके उन लोगों से पुराने सम्बन्ध भी थे, कारण कि उनके परिवारों का बिजनेस भी एक ही था। सभी लोग शाम का इन्तज़ार कर रहे थे। मैं उन इन्तज़ार करने वालों में एक थी। मुझे भी घरवालों के साथ दुल्हे और उसके घरवालों का स्वागत करना था।
घर के पोर्च में एक स्कोर्पिओ गाड़ी आ कर रुकी, उसमें से मात्र तीन लोग उतरे। हम सभी लपक कर वहां पहुंच गये। एक सजीला छ: फ़ुट का जवान, सुन्दर और हंसमुख, गोरा चिट्टा, काले सूट में बिल्कुल राजकुमार लग रहा था।
मैंने थाली से उसे तिलक लगाया, उसने मुझे देखा और मुस्कुरा दिया। मेरी आंखें उससे मिलते ही झुक गई, उसके चेहरे की सुन्दरता मेरे दिल में उतर गई। वो भी जैसे मुझे निहारता ही रह गया। मैं कहीं खो सी गई। सभी अन्दर आ चुके थे। मैं भाग कर सीधे सरिता के पास पहुंची।
“हाय दीदी! मैं तो मर गई! वो बिलकुल कहीं का राजकुमार है!”
“अरे … तू ठीक तो है ना, किसकी बात कर रही है?” सरिता ने कुछ आश्चर्य से मुझे देखा।
“दीदी … एक दम गोरा चिट्टा, लम्बा, सुन्दर सा! हाय दीदी …! क्या कहूं …! दूल्हा है या राजकुमार!”
“मैं जानती हूँ उसे, देखा है मैंने … हां सुन्दर तो है … पर तुझे वो राजकुमार लग रहा है?” मेरी बात को दीदी ने ज्यादा तूल नहीं दिया तो मेरा जोश भी ठण्डा पड़ गया। कुछ ही देर के बाद दीदी सज धज कर कमरे से निकल कर हॉल में आई। दीदी भी आंखे नीची किये धीरे धीरे चलती हुई सोफ़े के नजदीक आ गई। मैंने पहली बार दीदी को इतनी नज़ाकत के साथ चलते हुए देखा। पर दीदी हूर की परी सी लग रही थी। मन में सोचा- देखो तो क्या एक्टिंग करती है!
इसी समय दूल्हे ने मुस्करा कर मुझे देखा। मैं शरमा गई। बातचीत चलने लगी। बातचीत में पता चला कि दूल्हे का नाम राहुल है और वो एक भू वैज्ञानिक है। हम लोग खाने पीने का सामान सजाने लगे, पर किसी ने कुछ खाया पिया नहीं, बस औपचारिकता ही निभा दी। राहुल और दीदी को अकेले में बात करने की आज्ञा मिल गई। उन्हें दूसरे कमरे में ले जाया गया। मैं दरवाजे के पीछे छिप गई, पर राहुल ने मुझे देख लिया था।
“ सरिता … आप बहुत सुन्दर हैं, पर आपकी सहेली भी आपसे कम नहीं!”
मैं बाहर खड़ी कांप गई। मैंने छिप कर अन्दर देखा, राहुल दीदी को किस कर रहा था। दीदी अपना सुन्दर सा चाँद सा मुखड़ा ऊपर किये उनके चुम्बन का आनन्द ले रही थी।
“ राहुल मेरा सपना पूरा हो रहा है, आप मेरे मालिक हो गये हो, अब मैं आपकी दासी हूँ!” दीदी ने झुक कर राहुल के पांव छू लिये। राहुल ने दीदी को उठा कर गले लगा लिया। दीदी रटे रटाये डायलोग बोल रही थी और एक्टिन्ग कर रही थी, जैसा वो मुझे करके दिखाती थी, बिलकुल फ़िल्मी डायलोग लग रहे थे, पर प्यार के शब्द हमेशा नये ही होते हैं, उसमें हमेशा नई ताजगी ही रहती है। मेरे मन में भी तंरगे फ़ूटने लगी और मुख से हाय निकल पड़ी।
वो दोनों प्यार में खोने लगे … यानी वो पहले से एक दूसरे को जानते थे … और बात पक्की ही थी … इतने में राहुल की नजर मुझ पर पड़ ही गई। दीदी को बाहों में लिए-लिए उसने मुझे पीछे से हाथ हिला दिया …
मैं शरम से पानी पानी हो गई … पर हिम्मत करके मैंने बोल ही दिया,”पापा बुला रहे हैं … ” फिर धीरे से बोली … “बाकी सगाई के बाद …!”
दीदी झेंप गई और राहुल से अलग हो गई।
“कामिनी … प्लीज … किसी को मत कहना … ” दीदी के कातर नजरों मुझे देखा।
“दीदी … जब मियां-बीवी राजी तो क्या करेगा काजी …!” मैंने शरारत की … राहुल मेरी तरफ़ मीठी निगाहों से मुझे देखता रह गया।
दूसरे दिन शाम को राहुल घर आ गया और बाज़ार जाने का प्रोग्राम बना लिया। मुझे भी दीदी ने साथ ले लिया। थोड़ा आगे चलते ही राहुल ने एटीएम बूथ के सामने कार रोक दी। दीदी को बूथ से पैसे निकालने थे।
“जीजू, आप कहाँ रहते हैं?”
” यहीं पास में राजेंद्र नगर में … लो चॉकलेट लो!” उसने एक फ़ाइव स्टार चॉकलेट निकाली।
पर ये क्या … मेरे बढ़े हुए हाथ को पकड़ कर राहुल ने खींच लिया। मैं पिछली सीट से थोड़ा ऊंचा उठ गई। इतने में सब कुछ तेजी से घट गया। राहुल ने एकदम से मुड़ कर मुझे चूम लिया। और फिर ड्राईविंग सीट पर बैठ गया। मैं घबरा गई, मेरे चेहरे पर पसीना छलक आया। पर मुझे बहुत अच्छा लगा।
“जीजू … ये क्या … दीदी ने देख लिया तो मुझे घर ही नहीं आने देगी … ”
“कामिनी तुम हो ही इतनी प्यारी और मासूम … कि बस दिल ने कहा कि प्यार तो कर ही लो … ” सुनिल बड़ा दिलफ़ेंक निकला …
“धत्त … जीजू … आप तो बस!” मेरे दिल में एक मीठी सी हूक उठी।
“कल यहीं बूथ पर दिन को ठीक ११ बजे मिलना, नहीं तो मैं घर पर आ जाऊंगा!”
मैं घबरा उठी … ये क्या?
“नही … नहीं … ”
इतने में दीदी आती दिख गई- अच्छा … अच्छा ठीक है!
मेरा बदन पसीने से भीग गया।
“क्या हुआ … तेरी तबियत ठीक तो है ना?” दीदी ने मुझे देखते कहा।
“हां हां … चलो, ठीक है!” मैं अपने आपको कंट्रोल करने लगी। शीशे में राहुल अपनी मीठी मुस्कान बिखेर रहा था। मेरी तरफ़ देखकर मुस्कराना मुझे और नर्वस कर रहा था। मुझे लगा कि दीदी मुझ पर इतना विश्वास करती है, ये तो धोखा होगा। पर राहुल का मुझ पर लाईन मारना बन्द नहीं हुआ। सच तो ये था कि मुझे भी ये सब अच्छा लगने लगा था।
मैं ठीक ११ बजे दिन को एटीएम पर आ गई पर कोई कार आती दिखाई नहीं दी।
“हाय!” राहुल ने पीछे से मुझे पुकारा।
मैं उछल पड़ी- “आप …! पर कार?
वो मुस्कुरा उठा और इशारा किया।
“ओह … ” मेरा दिल धक धक कर रहा था।
राहुल ने कार का दरवाजा खोला और मुझे आदर सहित अन्दर बैठाया।
“आपके आने का शुक्रिया!” दूसरी ओर से ड्राइविंग सीट पर आ गया। आते ही कार के शीशे ऊपर दिये और मुझे खींच कर अपने पास चिपका लिया। उसने अपने होंठो से मेरे कांपते होंठ मिला दिये। मुझे किसी लड़के ने जिन्दगी में पहली बार किस किया था। मुझे जाने कैसा लगने लगा। मैं बिना किसी विरोध के उसे किस करने दिया। उसके हाथ मेरे उरोजो पर आकर जम गये और हौले हौले उसे दबाने लगे, मैं बैचेन हो उठी, कसमसा उठी, मेरा मन कर रहा था कि मेरी छातियों के गोले वो मसलता ही जाये।
“ राहुल क्या कर रहे हो … यहाँ मत हाथ लगाओ!” मुझे ये सब अजीब सा, लेकिन कशिश भरा लग रहा था … जाने कैसा एक मीठा मीठा सा वासनायुक्त आनन्द भी आ रहा था। तभी सामने से कोई गाड़ी आ गई।
“अरे भई …! ये सब घर जा कर करना!” साथ बैठी हुई औरत भी मुस्करा उठी। राहुल झेंप गया और जल्दी से उसने मुझे छोड़ दिया। मैंने उस कार वाली को हाथ हिला दिया, उसने भी मुस्कुरा कर हाथ हिला कर उत्तर दिया।
राहुल ने कार स्टार्ट की और चल दिया।
मेरे बाल उलझ गये थे, सारा कुछ अस्त व्यस्त हो गया था। मैंने बैग में से सामान निकल कर अपने आपको फिर से ठीक किया। मैं बार बार राहुल को देख रही थी। विश्वास नहीं हो रहा था कि ये सब मेरे साथ हो रहा है?
कुछ ही देर में हम एक फार्म-हाउस में थे। मैं डर रही थी कि ना जाने अब क्या होगा? ये राहुल क्या करेगा, पर यदि कुछ नहीं करेगा तो मैं उससे कभी बात नहीं करुंगी। अन्दर जाने पर उसने अपना फार्म-हाऊस दिखाया और कुछ ही देर में एक अन्धेरा कमरा पा कर मेरे से लिपट पड़ा। मैंने राहुल को पूरा मौका दिया कि वो इसका पूरा फ़ायदा उठा ले।
“नहीं राहुल! … प्लीज … नही …!” मैं उससे विनती करने लगी … पर उसने मुझे प्यार से पास पड़े बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे ऊपर धीरे से लेट गया, उसका कठोर लण्ड मेरी चूत पर आ लगा। मैं कसमसा कर उल्टी लेट गई। पर उसने मुझे कब्जे में कर लिया और लण्ड मेरी गाण्ड में गड़ा दिया। मेरे दोनो स्तन अब उसके हाथो में थे सभी कुछ वो बड़े प्यार से कर रहा था। मैंने घबरा कर रोने का नाटक करने लगी।
“अरे … रे … रो मत कामिनी, मुझे माफ़ कर दो … प्लीज!” और वो जल्दी से अलग हो गया। मैंने अपने आप को सयंत किया और लगा कि जैसे मस्ती छिन गई हो।
“ राहुल … तुम क्या दीदी के साथ भी इसी तरह जबर्दस्ती करोगे?” मैंने उसकी और देखा तो वो मुझे बहुत ही मायूस लगा, पर मैं उसे उदास नहीं करना चाह रही थी।
“सॉरी कहा ना …! तुम हो ही इतनी प्यारी कि तुम्हें देखते ही कोई भी होश खो बैठे!” उसने मेरे कपड़े ठीक किये और हम कमरे से बाहर निकल पड़े।
वहां खड़े हो कर वो बताता रहा कि कहा क्या क्या है। पर मेरी नजरें उसके चेहरे पर लगी रही, सुन्दर सा चेहरा, मासूम सा … ही-मैन जैसा, मेरा दिल पिघलने लगा। मुझे लगा कि वो मुझे प्यार करता है। मेरा क्या बिगड़ जाता अगर वो मेरे अंग मसल देता तो? उसे खुशी मिल जाती … और क्या। इस बार मैं उसे जो वो करेगा करने दूंगी, यह सोच कर मैं उसके पास खिसक आई और धीरे से उसकी कमर में हाथ डाल दिया।
वो बोलते बोलते अचानक रुक गया … “क्या कर रही हो कामिनी?”
“मुझे माफ़ कर दो राहुल … मैंने तुम्हारा दिल दुखाया!” मैंने उसकी चौड़ी छाती पर अपना सर रख दिया।
“नहीं कामिनी, मैं गलत था … मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था! पर दिल भी क्या चीज़ है … है ना?”
पर मैं अब कुछ नहीं सुन पा रही थी। मेरे हाथ उसके चूतड़ों पर कसने लगे थे। राहुल भी एक बार फिर बहक उठा … उसके हाथ मेरे शरीर पर फ़िसलने लगे थे।
मुझे अब सबकुछ भला लग रहा था। मेरे चूतड़ दबाते ही मेरे अंग अंग फ़ड़कने लगे, छाती मसलते ही नीचे गीलापन आने लगा। वो मेरे से लिपट पड़ा। मेरे हाथ उसके लण्ड की तरफ़ ना चाहते हुए भी बढ़ने लगे और पैन्ट के बाहर ही मेरे हाथों की गिरफ़्त में आ गया। हाय … इतना मोटा और लम्बा … लण्ड इतना बड़ा होता है क्या? लड़कियाँ क्या इतने मोटे लण्ड से चुदती हैं?
“कामिनी प्लीज इसे मत छेड़ो, नहीं तो फिर कुछ करना पड़ जायेगा … ” उसका लण्ड मस्त हो उठा। कड़क होकर फ़ुफ़कारने लगा।
“मेरे राहुल, हाय … ये इतना मोटा? क्या लण्ड है?” मैंने जवान लण्ड का पहली बार स्पर्श किया था।
“चुप!” मेरे होठों पर उसने गाली सुनते ही अंगुली रख दी, मेरा कुर्ता राहुल ने ऊंचा उठा दिया और पजामा नीचे फ़र्श पर गिरा दिया। मैं नीचे से नंगी हो गई। मेरे दिल में चुदाई का नशा चढ़ने लगा। मुझे अपने नंगेपन का अहसास रोमंचित करने लगा। उसने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरी चूत से सटा दिया। लण्ड का स्पर्श पाते ही मेरी चूत फ़ड़क उठी।
मेरा मन कर रहा था कि राहुल चूत में घुसा दे! हाय रे लण्ड …! उसने मेरे चूतड़ों पर हाथ रखा और जोर लगाने लगा। चूत गीली और चिकनी हो रही थी। लण्ड फ़च से जरा सा अन्दर घुस पड़ा। मेरे मुख से हाय निकल पड़ी।
“बाबू जी … खाना तैयार है …!” मुझे एक आवाज सुनाई दी। आवाज सुनते ही मेरा सारा नशा उड़ता नजर आने लगा। मैं छिटक कर दूर हो गई।
“ये क्या कर रहे थे, अभी तो मांऽऽऽ रीऽऽऽ अन्दर ही घुसा देते!” मुझे भी एकदम से शरम आ गई। मैंने तुरन्त कपड़े ठीक से पहने और राहुल भी सम्भल गया। अब वो अपनी रोज की मुस्कान के साथ नीचे चल पड़ा। मैं भी शर्म से सर झुका कर सीढ़यां उतरने लगी। मन में सोचने लगी कि हाय मैं कितनी बेशरम हो गई थी।
रात की बस से मैं भोपाल वापस आ गई।
इन्दौर से आने के बाद मैं अनमनी सी रहने लगी। ये सब मेरे साथ पहली बार हुआ था। किसी लड़के ने मुझे पहली बार छुआ था। मैं पहली बार बह गई थी। पहली बार जवानी का उबाल सर पर चढ़ कर बोला था।
धीरे धीरे दिन बीतने लगे। दिल भी धीरे धीरे शान्त हो गया। पर एक दिल में चुभन, एक कसक रह गई थी। मुझे कभी कभी ये लगता कि काश राहुल ने मुझे चोद दिया होता। उसका लण्ड एक बार तो मेरी चूत में घुस ही चुका था। बस मन करता था कि पूरा ही घुस जाये। रात को मैं उत्तेजित होकर कभी बैंगन तो कभी उंगली का सहारा लेकर अपनी सारी गर्मी बाहर निकाल देती थी।
सरिता की शादी का दिन भी आ गया। उसने भोपाल की नौकरी छोड़ दी थी।
मुझे एक बार फिर से इन्दौर जाना पड़ गया। दिसम्बर के पहले सप्ताह में शादी थी। मैं राहुल से मिलना तो चाहती थी पर इस बार मैं राहुल से बचती रही। पर सरिता के साथ रहने से मैं उसकी नजरों में आ ही जाती थी। मन कसक बढ़ती ही जा रही थी। शादी के कारण राहुल को भी समय नहीं मिल पाया। पर अन्दर ही अन्दर मैं उसे देखने और मिलने को तड़पती रही। पर मन को कठोर बना कर उनके बीच में नहीं आई। मन तो मिलने को तड़प गया था।
शादी के कार्यक्रम समाप्त होते ही मैं तुरन्त फिर से भोपाल आ गई। शायद राहुल की नजरें भी मुझे तलाशती रह गई होगी।
जनवरी में मुझे इन्दौर आना हुआ। मन में दुआ कर कर रही थी कि राहुल मुझे इन्दौर में मिल जाये और बस एक बार मैं जी भर कर प्यार कर लूं और हो सके तो चुदा लूं। सरिता ने मुझे अपने घर में ही ठहरा लिया। मुझे नहीं पता था कि राहुल उन दिनो इन्दौर आया हुआ था, बस राहुल के बारे में मैं ये जानकर मैं खुशी से पागल हो गई।
मैं सरिता के गेस्ट रूम में ठहरी थी। मुझे बेसबरी से राहुल का इन्तज़ार था। शाम को राहुल घर आ चुका था। मुझे देख कर गेस्ट रूम में आ गया। उसे देखते ही मैं पिघल गई। मेरा मन कर रहा था कि उसके गले लग जाऊं और वो मेरा शरीर भींच डाले। खुदा मेरी सुन ली और सब कुछ अपने आप ही होने लगा।
हाय … कामिनी! कैसी हो, कब आई?
आज ही, आप तो आसाम गए हुए थे ना?
“हां छुट्टी पर आया हूँ.” और कहते हुए राहुल ने अपनी बाहें खोल दी, मैंने अपना सर झुका लिया। उसने आगे बढ़ कर मुझे बाहों में कस लिया … और एक गहरा चुम्मा ले लिया। मेरे मन में फिर से भावनाये तड़पने लगी और जागने लगी। इस बार मैंने भी शरम छोड़ कर प्रत्युत्तर में उसे गहराई से चूम लिया।
– लव यू डियर। राहुल ने अपने प्यार का इजहार किया।
– लव यू टू। मैंने भी इकरार कर लिया।
उसने मेरे उरोज दबा दिये और धीरे धीरे सहलाने लगा। मेरे चूचक कड़े होने लगे, शरीर में गुदगुदी सी भरने लगी। मैंने भी प्रति-उत्तर में अपनी छातियां उसके हाथों में दबा दी और सिसक उठी। मैंने उसके चूतड़ों को दबा कर सहलाना आरम्भ कर दिया था। उसका लण्ड कठोर होने लगा और मेरी चूत पर गड़ने लगा था।
मैंने उसका लण्ड हाथ में भर लिया। उसके मुख से सिसकारी निकल पड़ी। वो प्यार से मुझे देखने लगा।
-कामिनी आज की रात अपनी रिजर्व रही?
– कर ही क्या सकते हैं? सरिता है ना!
– चुपके से, ठीक है ना!
मैं मुस्कुरा उठी, मेरे मन में चुदने की चाह उठने लगी, सोच कर ही चूत पनीली होने लगी। पर मन नहीं माना। कैसे होगा? राहुल जैसे ही बाहर गया। इतने में मैंने कुछ सोच लिया था। मैंने सरिता को सबकुछ बताने की ठान ली थी और फिर रात की बस से भोपाल चले जाने का फ़ैसला कर लिया। मन से मैं सरिता को धोखा नहीं देना चाहती थी। उसका मुझपर गहरा विश्वास था। मैंने वासना को मन में पीछे धकेला।
मैं सरिता के पास गई- दीदी, मुझे कुछ कहना है!
-हां कहो, क्या बात है?
– आप नाराज हो जायेंगी!
– समझ गई, जरूर राहुल ने कुछ गड़बड़ किया होगा, है ना? मैंने सर हिला कर हां कह दिया।
– पर दीदी, वो मुझ से प्यार करने लगे है, मैं आपको ये बताना चाह रही थी कि … मेरी बात काटते हुए वो बोली- अच्छा तो बात यहां तक पहुंच गई? अच्छा अब क्या करोगी? सरिता ने मुझे तिरछी नजरों से देखा।
– उन्होंने मुझे रात के लिए कहा है! उन्हें मना करो ना। मैंने झिझकते हुये दिल कड़ा करके कह ही दिया।
– चल तो क्या हुआ? एक ही रात की तो बात है। उसने शरारत भरी हंसी सुनाई दी।
– जी? दीदी आप ये कह रही हैं? मैं विस्मित हो उठी, और उसका मजाक समझ में नहीं आया।
– मुझे सब पता है, तुम दोनों की आशिकी के बारे में, अब बनो मत। मुझे राहुल सब बता देता है – सरिता प्यार से मुझे देखने लगी।
– तो क्या राहुल रात को मेरे साथ …
– तुम्हारा मन सच्चा और साफ़ है, तुमने आगे हो कर मुझे बताया है, तुम मेरी प्यारी सहेली हो। सरिता मेरी बात से खुशी से भर गई।
-दीदी, पर वो तो तुम्हारे सब कुछ है ना … फिर?
– सब कुछ में से तुम भी कुछ ले लो … बस। उसी ने तुम्हें यहाँ रुकने के लिये कहा था, और मन की बात बताई थी, अब तुम तो गई काम से, ये रात कामिनी की चुदाई के नाम! – वो हंस पड़ी।
मैं शर्म से दीदी से लिपट गई। डिनर के बाद मैं अपने कमरे में आ गई और ड्रेस बदल ली और पजामा और टॉप पहन लिया। डिनर के बाद राहुल और सरिता मेरे कमरे में आ गये … “तो मेरी प्यारी सहेली, चुदने को तैयार हो? मेरी शुभकामनायें तुम दोनों के साथ हैं! आज की रात राहुल को कामिनी और कामिनी को राहुल दिया तोहफ़े में सरिता ने!”
-तुम्हारी दीदी ने तुम्हें चोदने की आज्ञा दे दी है, अब अपने चूत के द्वार खोल भी दो!” राहुल बेशर्मी से नेहा के सामने ही कहने लगा।
– धत्त, ये क्या कहते हो! और मैं उसे घूंसे मारने लगी … उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे बिस्तर पर गिरा दिया। मैं आज पूरी तैयारी में थी और चुदने का मूड बना लिया था। मेरा रोम रोम वासना में झुलस रहा था। उसका लण्ड पजामें में से उभर कर बाहर दिखने लगा था।
-कामिनी! इसे देख! लगता है पजामा फ़ाड़ देगा, पकड़ ले इसे!” सरिता ने राहुल के लण्ड पर हाथ रख कर कहा।
-दीदी, नहीं शरम आती है!” पर मैंने दीदी के सामने हिम्मत करके लण्ड पकड़ ही लिया। दीदी मुस्करा उठी।
– दीदी का दिल कितना बड़ा है! मेरे मुंह से निकल पड़ा।
– उसका तो दिल, बोबे, चूतड़ सब बड़े हैं। मेरा तो बस लण्ड ही बड़ा है। राहुल ने हंसते हुए माहौल हल्का कर दिया।
राहुल के हाथ मेरी कमर से होते हुए टॉप के अन्दर सरकते हुए मेरे बोबे की तरफ़ बढ़ने लगे। दीदी ने देखा कि मामला गरम हो रहा है तो गुडनाईट कह कर वहां से जाने लगी, मैं सरिता को देखती रह गई। दीदी मुड़ कर बाहर निकल गई और दरवाजा बन्द कर दिया।
मेरे बोबे राहुल के हाथों में खेल रहे थे। मैं पसीने में नहा गई।
उसने मेरा टॉप उतार डाला और मेरे स्तन नंगे हो गये। मैंने तुरन्त अपने दोनों हाथो से उन्हें छुपा लिया और पास में पड़ा कपड़ा छाती पर डाल लिया।
राहुल ने अपना पजामा उतार दिया। उसका फ़ड़कता हुआ लण्ड बाहर निकल कर झूमने लगा। उसने बाहर से ही मेरी चूत को सहला दिया।
उसका लण्ड देख कर मैं तो पगला गई। उसने मुझे बाहों में भर लिया और अपनी कमर मेरी चूत की तरफ़ दबा दी। उसका लौड़ा जोर मार रहा था और मेरी चूत पर रगड़ मार रहा था। मैं भी अपनी चूत को उभार कर उसके लण्ड से घिसने लगी … जिस्म पिघलने लगे … दिलो में प्यार उमड़ पड़ा।
मेरा पजामा भी जाने कब उतर गया। पूरा कमरा आहों से गूंज उठा। वासनायुक्त सिसकारियाँ हम दोनों के मुख से निकलने लगी। चूत के द्वार पर ठोकर मारते हुए उसका लण्ड मेरी चूत में उतरने लगा।
जिसका मुझे इन्तज़ार था वो पल आ गया था। उसका लण्ड मेरे चूत की प्यास बुझाने को आतुर था। मुझे तो जैसे जन्नत मिल गई थी। चूत की दीवारों पर राहुल के लौड़े की रगड़ से मेरे तन मन में उत्तेजना की मिठास भरने लगी। मैं राहुल को अपने में खींच कर समाने का प्रयत्न करने लगी।
लगता था कि लण्ड और गहराई तक चोद दे … राहुल मुझे प्यार से जड़ तक चोद रहा था। उसकी आंखें बन्द थी। मैं भी खुमारी में झूम रही थी। राहुल की कमर आगे पीछे चल रही थी। उसकी मर्दानगी मुझे पानी पानी किये दे रही थी। मुझ पर खुशियों की बरसात हो रही थी … मेरा तन रह रह कर वासनायुक्त मिठास से भर उठता था।
पलंग भी चरमरा उठा। मेरी टांगे ऊपर उठी हुई थी। उसका लण्ड मेरी दोनो टांगो के बीच चूत में फ़िट था। दो जिस्म एक होने की जी तोड़ कोशिश कर रहे थे। जबरदस्त धक्के दोनो तरफ़ से लग रहे थे। चूत लण्ड को पूरा निगलना चाह रही थी और लण्ड चूत को फ़ाड़ कर अपना हक जमाना चाहता था। और … और … लगा कि जैसे एक बिजली हम पर गिर पड़ी!
और मैं जैसे चीखते हुए निचुड़ सी गई, मेरा सारा रस निकलने लगा। तभी राहुल भी ऐंठ कर और लण्ड का जोर लगा कर अपना वीर्य उगलने लगा। हम दोनों तरावट में डूब गये और अपना रस चूत में मिलाने लगे। दोनों का मिला जुला रस चूत से बाहर निकलने लगा। अधखुली आंखों से हमने एक दूसरे को देखा और फिर से प्यार की दुनिया में खो गये …
हम बहुत खुश थे। हमारे जिस्म एक हो चुके थे। अब हम दोनों प्यार की कसमें खाने लगे … जान न्यौछावर करने की बातें होने लगी और … राहुल का लण्ड एक बार फिर से कठोर होने लगा … मेरी चूत में भी कुलबुलाहट होने लगी। बिना किसी इन्तज़ार के हमारा दूसरा दौर चालू हो गया …
पर इस बार निशाना गोल गोल चूतड़ थे … मेरी ग़ाण्ड में लण्ड जाना सुई में धागा पिरोने जैसा था। मेरी ग़ाण्ड भी पहली बार चुदने जा रही थी। टाईट छोटा सा छेद और लण्ड उसके सामने मोटा और भारी भरकम था … पर जानकार धागा पिरोना जानते थे … दर्द भरी चीख के साथ मैं चुदने लगी, चुदती रही और मेरी गाण्ड भी चुद गई।
सवेरे सरिता चाय लेकर रूम में आ गई। मैं बाथरूम में थी। राहुल शान्त पड़ा सो रहा था और अभी भी नंगा था।
मैं बाथरूम से बाहर आई तो सरिता को देख कर चौंक गई और एकदम से शरमा गई। मैंने अपना चेहरा हाथो में छुपा लिया। भाग कर डाइनिंग रूम में आ गई।
कुछ देर बाद सरिता वहाँ आई,”कामिनी, मजा रहा ना?” शरारत से उसने पूछा।
“दीदी!! कुछ मत कहो!! चुप हो जाओ!” मैं फिर से शरमा गई।
“रात भर चुदी हो ना, अच्छा बताओ! क्या क्या किया?”
“बता दूँ? – जीजाजी बहुत प्यारा चोदते हैं … लण्ड भी बहुत प्यारा और गोरा है।”
“हाँ हाँ, ये तो मुझे पता है। और क्या?”
“तीन बार चुद गई और एक बार … !!!”
“क्या एक बार? समझ गई! राहुल ने तेरी गाण्ड मार दी ना!” मैंने शरमा कर दीदी के सीने में सर छुपा लिया। सरिता ने मेरे बोबे मसल दिये और मेरे होठों पर एक गहरा चुम्मा ले लिया।
“दीदी” मैं सिसक उठी।
मेरे चूतड़ों को दबा कर सहला दिया … पर हाय! ये तो मर्दों वाले हाथ थे.
मैं समझ गई कि अब फिर मैं जन्नत की सैर पर जाने वाली हूँ. Sex Stories
मेरा नाम रमेश है। वैसे तो मैं उत्तर Antarvasna प्रदेश का रहने वाला हूँ पर जॉब कोइम्बटोर में करता हूँ। मेरा जॉब मार्केटिंग का है जिसमें घूमना ज्यादा होता है। अब मैं आपको असली बात बताता हूँ।
एक बार मैं काम के सिलसिले में कोइम्बटोर से चेन्नई जा रहा था। मैने एसी स्लीपर बस में टिकट बुक कराई थी। मुझे बस में डबल वाली सीट मिली थी। मैंने सोचा पता नहीं कौन आयेगा मेरे साथ ! मगर जब बस चलने लगी तो एक औरत जो कि कोई ३०-३५ साल की होगी, वो मेरे साथ सीट पर आ गई और पूछा दस नम्बर की बर्थ यही है क्या?
मैंने कहा- हाँ!
वो मेरे साथ बैठ गई और इधर-उधर की बात करने लगी। वैसे वो देखने में सुंदर और गोरी चिट्टी थी। थोड़ी देर के बाद मुझे नींद आने लगी और मैं बोला- मुझे सोना है !
और मैं अपना कम्बल ले कर सो गया। वो भी मेरे साथ लेट गई।
मैं सोच रहा था कि इतना अच्छा मौका हैं, एक तो एसी बस और एक सुंदर औरत जो मेरे साथ ही लेटी हुई है !
मैं बस अपने लण्ड को पकड़ के लेटा था, कुछ कर नहीं पा रहा था, क्योंकि मुझे डर था कि यह कुछ कह न दे ! और मैं ऐसे ही सोया रहा।
मगर कोई एक घंटे के बाद मुझे लगा कि मेरी गांड पर कुछ लग रहा है। मैंने ध्यान किया तो उसका घुटना मेरी गांड से लग रहा था और बस के झटकों की वजह से मेरी गांड में लग रहा था। मैं तो एकदम से पागल हो गया और सोचने लगा कि शायद यह जानबूझ कर कर रही है।
तो मैंने यह जानने के लिए उसकी तरफ मुँह कर लिया और अब उसका पैर मेरे लंड पर लगने लगा जो कि एकदम खड़ा हुआ था। मुझे मजा आने लगा। पर धीरे-धीरे मुझे लगा कि कुछ और भी मेरे लण्ड पर लग रहा है। मैंने हाथ लगाकर देखा तो उस औरत का हाथ था जो मेरा लण्ड सहला रही थी। जैसे ही मैंने उसका हाथ पकड़ा तो उसने मेरा लंड जोर से पकड़ लिया और दबाने लगी। मैं भी अब कुछ नहीं कह रहा था और अपना हाथ हटा लिया और उसकी साड़ी पर हाथ लगाने लगा और धीरे धीरे उसकी चूत की तरफ बढ़ने लगा, उसकी चूत पर ऊपर से ही हाथ फिराने लगा।
फिर वो मेरे और पास सरक आई और मुझे चूमने लगी। मैं तो पहली बार किसी को चूम रहा था, मुझे बहुत मजा आ रहा था। हम लोगों कोई २० मिनट किस करने के बाद बस के परदे इस ढंग से लगा दिए ताकि कोई देखे नहीं ! वैसे तो वोल्वो में सुविधा अच्छी होती है पर हम बेफिक्र होना चाहते थे। किस करने के बाद वो मेरा लंड पैन्ट में से निकाल कर चूसने लगी और उसने अपनी साड़ी और पेटीकोट भी उतार दी। अब वो सिर्फ चड़डी और ब्रा में थी। मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और अब मैं सिर्फ चड्डी में था। उसने एकदम से मेरी चड्डी उतार दी और मेरा लंड चूसने लगी।
फिर मुझे बोली- तुम भी मेरी चूत चाटो !
मैं भी बेताब था चूत चाटने के लिए और फिर मैंने उसकी ब्रा और चड्डी भी उतार दी। वो एक दम नंगी हो गई थी। मैंने तो पहली बार किसी को नंगा देखा था। मैं तो बस पागल हो रहा था और उसको चूमने लगा। फिर हम दोनों ६९ की पोसिशन में आ गये। कोई १५ -२० मिनट तक चाटने के बाद वो बोली- अब मुझे शांत कर दो !
मैंने पूछा- कैसे?
तो बोली- अपना लंड मेरी चूत में डाल दो !
मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मैं अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा तो लंड ढग से नहीं जा पा रहा था। उसने हाथ से लण्ड को पकड़ा और अपनी चूत पर रखकर बोली- अब करो !
मैंने जैसे ही झटका मारा तो थोड़ा सा ही लंड अंदर गया क्योंकि उसकी चूत बहुत टाइट थी। फिर मैं धीरे धीरे डालने लगा और जब लंड पूरा घुस गया तो मैं झटके मारने लगा। मेरे झटके और बस के झटकों से हम दोनों को अलग ही मजा आ रहा था। ४०-४५ झटकों के बाद वो झड़ने लगी तो उसने मुझे बहुत जोर से पकड़ लिया और अपने अंदर समेटने की कोशिश करने लगी।
पर मेरा अभी झड़ा नहीं था तो मैंने उसकी चूत से लंड नही निकाला और तेज-तेज करने लगा। फिर १०-१२ झटकों के बाद मैं भी झड़ गया और उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसको चूमता रहा।
इस तरह हमने पूरी रात ४ बार चुदाई की।
तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी कहानी?
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