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Massage Girl in Tirupati: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Tirupati who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Tirupati that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Tirupati massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Tirupati who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Tirupati massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Tirupati massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Tirupati who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Tirupati employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Tirupati helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Tirupati

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Tirupati at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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हाँ तो दोस्तों, मेरा नाम है Hindi Porn Stories विकास, उम्र २२ वर्ष। मैं बंगलोर में रहता हूँ। यहाँ रहने वाले हजारों लोगो की तरह मैं भी एक सॉफ्टवेयर इंजिनियर हूँ। तो मेरा अनुभव पेश है जो कि मैं आपके साथ बाटना चाहता हूँ। इसे कृपया मेरी कल्पना ना समझें।

मैं एक ६ फीट का गठीले शरीर का मालिक हूँ, लेकिन थोड़ा शर्मीला हूँ और लड़कियों से ज्यादा करीब नहीं रहा हूँ। उत्तर प्रदेश बोर्ड से मेरी शिक्षा होने के कारण मैं हमेशा लड़कों के स्कूल में ही रहा। कॉलेज में एक लड़की से ऐसा प्यार हुआ कि किसी दूसरी की तरफ नज़र उठा कर नहीं देखा।

लेकिन हाय री किस्मत, उसने मुझमें ज्यादा रुचि नहीं ली। तो अब तक की कहानी का निचोड़ यह है कि मैं २२ साल तक कुंवारा था।

किन्तु एक दिन मेरी किस्मत ने मेरा ऐसा साथ दिया कि वो दिन ज़िन्दगी भर के लिए यादगार बन गया और वही अनुभव मैं आप लोगो के साथ बांटना चाहता हूँ।

यहाँ बंगलोर में एक अस्पताल है, संत जोन्स हॉस्पिटल।

कुछ महीने पहले ही मेरी आँखों में कुछ परेशानी हो रही थी, तो मैं वहां गया, मैंने रजिस्टर कराया और डॉक्टर के कमरे के सामने बैठ कर इंतज़ार करने लगा। ऐसे ही १५ मिनट गुज़र गए। मैं परेशान था क्योंकि कोई भी मरीज़ अन्दर नहीं जा रहा था और न ही किसी का नाम पुकारा जा रहा था।

तो मैंने ऐसे ही डॉक्टर के कमरे के अन्दर झाँक कर देखा। सही बता रहा हूँ दोस्तो ! अन्दर जो लड़की बैठी थी वो जैसे कि कोई अप्सरा थी और वो डॉक्टर के सफेद लैब-कोट में तो मैं बता नहीं सकता कि कितनी सुन्दर लग रही थी !

वैसे मैं बता दूं कि डॉक्टर के लिए मेरा ख़ास आकर्षण रहा है हमेशा से।

हाँ तो मैंने उससे पूछा- इतने लोग इंतज़ार कर रहे हैं?

वो बोली- वो वहां पर इन्टर्न है और डॉक्टर अभी आये नहीं हैं ! इसीलिए !

और एक बहुत प्यारी सी मुस्कान दी। मेरे शरीर का रोम रोम खिल उठा उसे देखकर। मैं भी मुस्कुरा दिया और कहा- ओके !

मैं बाहर आकर बैठ गया किन्तु इस बार मैं ऐसी जगह बैठा जहाँ से कमरे के अन्दर वो मुझे दिख रही थी। उसने मेरी तरफ देखा और एक मध्यम सी मुस्कराहट दी, मैंने भी वही किया। इस से पहले कि इशारे कुछ और आगे बढ़ पाते, इतने में डॉक्टर आ गया और वो उसके साथ मरीजों को देखने में व्यस्त हो गई।

मेरी बारी आई, डॉक्टर ने आँखें देखीं और बोला- सामान्य जांच करा लो ! कोई ख़ास परेशानी नहीं है तुम्हारी आँखों में !

अब शायद आप लोगों को मालूम हो कि सामान्य जांच में एक टेस्ट होता है जिसमें एक डार्क-रूम में ले जाकर एक मशीन के जरिये रेटिना(आंख का हिस्सा) चेक किया जाता है. उस टेस्ट के लिए मुझे इंतज़ार करने के लिए बोला गया। मैं बाहर बैठ कर इंतज़ार करता रहा और बीच बीच में हमारी नज़रें मिलती रहीं।

जब आधे घंटे बाद डॉक्टर चला गया, तो उसने मुझे टेस्ट के लिए बुलाया, वो अँधेरा कमरा था इसीलिए कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, बस उस मशीन से जो प्रकाश आ रहा था उसमें मुझे वो दिख रही थी। उसने कहा- अपनी आँख को इस लेंस के सामने लाओ, फिर उसने कहा- नीचे देखो, दायें देखो, बाएँ देखो, सामने देखो, मैंने सामने देखा तो उसका वो चाँद जैसा चेहरा था।

मैं उसे देखता ही रह गया, वो बोली- बस टेस्ट फिनिश !

लेकिन मैं उसे सुन नहीं पाया और बस उसे ही देखता रहा।

उसने भी मेरी तरफ देखा, और फिर दोस्तों मुझको नहीं मालूम कि किसने शुरू किया लेकिन अगले ही पल हम दोनों के होंठ आपस में जुड़े हुए थे।

मैं पागल हो रहा था और उसके नरम होठों को चूसे जा रहा था, उसका भी यही हाल था। किस करते करते ही ५ मिनट के अन्दर हम दोनों टोपलेस थे. मैं उसके स्तनों के साथ खेले जा रहा था और वो मेरे बालों में हाथ फिरा रही थी। तभी अचानक से वो रुकी और मेरी तरफ देखा, मुझे देखते देखते ही थोड़ी दूर गई और मैं पूरी तरह से असमंजस में था, लेकिन तभी उसने अपनी जींस उतार दी और वहीं खड़ी रही।

मैं भाग कर उससे लिपट गया और फिर से किस करने लगा। मेरी जींस कब उतर गई मुझे पता ही नहीं लगा। मैं बस उसे सर से पैर तक चूमता रहा और वो मुझे अपने हाथों से अपने शरीर से चिपकाती रही।

फिर मैंने उसे मेज़ पर लिटाया और फिर हम लोगो ने लगातार दो बार सेक्स किया।

उसके बाद, जब हम अलग हुए और मैंने कपड़े पहनने शुरू किये तो देखा कि मेज़ पर थोड़ा बहुत खून था और वो रो रही थी।

मैंने उसके माथे पर किस किया और पूछा- क्या हुआ?

तो वो बोली- आई फील लाइक ए सलट ! कितनी गिर गई थी मैं !

मैंने उससे कहा- ऐसी कोई बात नहीं है, यह तो भगवान् का दिया उपहार है, जिसका आनंद लेना सबका हक़ है।

लेकिन उसने कपड़े पहने और चली गई, अपना नाम तक नहीं बताया। मैं भी थोड़ा खुश, थोड़ा दुखी अपने घर आ गया।

उसके बाद मैं कई बार वहां गया उससे मिलने, लेकिन वो नहीं दिखी, उसने शायद अपना तबादला किसी दूसरे अस्पताल में करा लिया होगा।

तो प्रियतमा !

मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि मैंने कभी तुम्हारे बारे में कुछ गलत नहीं सोचा। वो तो एक समय था जिसमें पूरी कायनात हमें साथ लाना चाहती थी। मैं तुमसे पहली ही नज़र में प्यार कर बैठा था और आज भी करता हूँ ! Hindi Porn Stories

Hindi Sex Stories

चतुर्थ भाग में मैंने लिखा था कि Hindi Sex Stories किस प्रकार मैं सीमा दीदी की ससुराल गया और वहाँ रीना और टीना के साथ मस्ती की !

बाथरूम से आने के बाद मैं तो एक तरह से निढाल हो चुका था पर वो दोनों एक दम चुस्त लगती थी ! हो क्यों ना ? मेहनत तो मुझे ही करनी पड़ी थी !

वो कह रही थी- देख बहनचोद, अब क्या हालत होती है तेरी !

उनके मुँह से गाली सुनकर अजीब सा लगा पर अच्छा भी लग रहा था ! इतनी बिंदास थी दोनों कि गाली पर गालियाँ दिए जा रही थी। अब मेरे से भी नहीं रहा गया, मैंने भी कहा- साली रंडियों, देख तेरा भाई कैसे आराम से सो रहा है और तुम दोनों ने मुझको ही मुर्गा बना रखा है ! साली अपने भाई का भी कुछ ख्याल करो !

टीना ने कहा- उससे तो हम रोज ही चुदते हैं और भाभी आने के बाद भी चुदेंगी पर तू कहाँ फिर मिलेगा !

मैंने कहा- यह कोई समस्या नहीं है, जब भी तुम लोग याद करोगे, मैं हाज़िर हो जाऊंगा !

फिर दोनों ने मिलकर पाउडर लेकर मेरे सारे बदन पर ढेर सारा लगा दिया केवल लंड और मेरे निपल को छोड़ कर !

मैं कुछ समझ नहीं पाया कि वो क्या कर रही हैं ! इस तरह वो दोनों मुझसे लिपट कर लेट गई ! मैं फिर से उत्तेजित होने लगा क्योंकि टीना मेरे चुचूक को चूस रही थी और रीना मेरा लंड चूस रही थी! हम लोगों के बदन पावडर की वजह से इस तरह रगड़ रहे थे कि मालूम ही नहीं होता था कि बदन से बदन रगड़ रहे हैं ! मैं मन ही मन सोच रहा था कि हम लोगों ने इतने दिन बेकार ही किये ! जो मजा आज मिला मानो मुझे स्वर्ग ही मिल गया ! मैंने सोच लिया कि आगे हम लोग भी इसी तरह का लुफ्त उठाएंगे !

इसके बाद हम लोगों ने एक बार जमकर चुदाई की। तब तक तीन बज चुके थे और हम सो गए !

दूसरे दिन जीजू ऑफिस नहीं गए, हम लोग मस्ती कर ही रहे थे कि जीजू ने कहा कि वो अभी आते हैं, और चले गए !

जब वापस आये तो साथ में बीयर की बोतलें और एक बोतल व्हिस्की की थी। जीजू ने कहा कि चलो सब बीयर पीते हुए चुदाई का मजा लेते हैं, रात को व्हिस्की पीकर चुदाई करेंगे!

फिर क्या था- बीयर की बोतल खुल गई और हम सब बीयर पीते हुए आपस में छेड़खानी करते करते एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। सबसे ज्यादा पहल टीना कर रही थी !

जैसे ही कपड़े उतरे, टीना मेरी गोद में और रीना जीजू के गोद में बैठ गई ! दोनों लंड से खेल रही थी हम उनकी चूचियों से !

अचानक टीना को क्या हुआ मेरी गोद से उतर गई, मैंने पूछा- क्या हुआ ? कहने लगी- साले, चुप भी रहेगा कि नहीं ! देख मैं क्या करती हूँ !

कहकर मेरे लंड पर बीयर डालकर चूसने लगी। मैं भी कहाँ कम था, तुंरत उसकी चूचियों पर बीयर डाल कर मजा लेने लगा !

इधर जीजू और रीना क्या कर रहे थे, उसका हमें होश नहीं था !

और हमे करना भी क्या था ! बीयर पीते पीते एक राउंड चुदाई का हुआ ! फिर कुछ देर आराम करके फिर चुसाई-चुदाई में लग गए !

टीना और रीना कह रही थी- संजय, तेरा लौड़ा इतना मस्त है कि जी चाहता है हर समय चूत में घुसाकर ही रखूँ !

मैंने कहा- हम तो आपके गुलाम हैं ! आप जैसा चाहेंगी, वही होगा !

उन्होंने कहा- साले यहीं आकर रह जा और दिन रात हम लोगों की चूत की सेवा कर !

पर यह मुश्किल था, मैंने कहा- दीदी के आ जाने बाद तो आना जाना लगा ही रहेगा तुम लोगों की सेवा करने !

इसके बाद एक जबरदस्त चुदाई का राउंड हुआ और हम सब सो गए ! रात को जीजू ने अपने पापा मम्मी को कहा- आप लोग खाना खाकर सो जाओ, हम देर से खाना खायेंगे !

वो बेचारे क्या समझते, खाना खाकर सो गए ! फिर चालू हुआ हम लोगों का प्रोग्राम ! फिर व्हिस्की की बोतल खुली, एक एक पैग सबने आपस में चुहलबाजी करते हुए पिया। फिर तो थोड़ा सरुर आते ही एक दूजे से भिड़ गए !

फिर व्हिस्की पीते हुए लंड चुसाई और चुदाई चालू हो गई ! टीना ने कुछ जायदा ही पी ली थी इसलिए वह बहुत मस्ती से बढ़-बढ़ कर चुदवा रही थी, साथ ही साथ कह रही थी- ऐसा कोई मर्द नहीं जो टीना को ठंडी कर सके !

मुझे गुस्सा तो बहुत आ रहा था पर कोई उपाय नहीं था !

खैर रात भर चुदाई के बाद सुबह रवाना होने के पहले मैंने टीना को कहा- इस बार जब आऊंगा तो ऐसा चोदूंगा दोनों को कि दोनों जिन्दगी भर याद रखोगी !

उसने कहा- तेरे जैसे बहुत देखे हैं !

जाते जाते दोनों ने मुझे चुम्मियों से भर दिया और एक बार मेरा अमृतरस पीने की इच्छा प्रकट की। भला मैं उन्हें निराश कैसे कर सकता था !

दोनों ने चूस चूस कर मेरा रस मजे ले ले कर पिया और मैं उनकी चूचियाँ दबा कर चल पड़ा।

उन्होंने कहा- संजय, तुम्हारी बहुत याद आएगी !

मैंने कहा- मैं तुम दोनों को कैसे भूल सकता हूँ, जल्द ही आने की कोशिश करूँगा !

इस प्रकार दो दिन मस्ती से गुजार कर घर लौट आया ! घर आकर मैंने सीमा दीदी और विजय भैया को सारी बातें बताई और हम तीनों ने कई दिनों तक उसी तरीके से काफी मजे किये !

आपको कैसी लगी कृपया मुझे मेल करें ! Hindi Sex Stories

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मेरा नाम रौनक है, मैं दिल्ली Sex Stories का रहने वाला हूँ। मैं आपको तीन साल पुरानी अपनी सच्ची कहानी बताने जा रहा हूँ, कृपा कर इसे पढ़ें, मेरा दावा है कि इस कहानी को पढ़ते समय भाइयों के लंड और भाभियों की चूत गीली हो जायेगी और यदि भाइयों के पास चूत का जुगाड़ है तो वो चूत मारने पर विवश हो जायेंगे यदि नहीं है तो मुठ मारेंगे। लड़कियों और औरतों के पास लंड का जुगाड़ है तो वो चुदवाने पर विवश हो जाएँगी यदि नहीं है तो वो उंगली-मैथुन या अपनी चूत में बेंगन जैसी लम्बी चीज़ से मुठ मारेंगी।
मैं आपका ज्यादा समय बर्बाद न करके सीधा पॉइंट पर आता हूँ।

बात उन दिनों की है जब मैं ग्रेजुऐशन कर रहा था। मेरे दूसरे साल के पेपर चल रहे थे। हमारे घर में एक किरायेदार आया, जिसकी बीवी का नाम सुमन था। सुमन दिखने में कुछ ज्यादा सुंदर नहीं थी पर उसके स्तन बहुत बड़े थे जो हमेशा ब्लाउज से बाहर आने की कोशिश करते थे। ऐसा लगता था मानो अभी ब्लाउज से बाहर आ जायेंगे। जिनको देख कर मेरा मन मचल उठा और उसकी गांड के तो क्या कहने!

जब वो चलती थी तो उसका एक कूल्हा आगे और एक कूल्हा पीछे होता था, जिसे देख कर मेरा लंड खंभे का रूप धारण कर लेता था। उसे देख कर मेरा मन भटकने लगता और मेरा मन पढ़ाई में न लगता। जब मैं उसे देखता, उसके बड़े स्तन और उठी हुई गांड का दृश्य मेरे सामने आने लगता और मैं उसके बारे में सोच कर मुठ मारता। मुठ मारने के बाद मैं शांत हो जाता और पढ़ाई में मन लगाता लेकिन मन फिर भी नहीं लग पाता।

असली दिक्कत तो रात को होती थी जब सुमन का पति आता था और रात को उसको चोदता था। उसके चीखने की आवाज़ मेरे कमरे तक आती थी, क्योंकि मेरा कमरा उसके कमरे से चिपका था। जब उसका पति उसे चोदता था तो वो सिसकारियाँ लेती थी। उसकी आवाजें मेरे कानों में गूंजती थी और मैं आँखों में उसकी तस्वीर ले आता और उसका नाम लेकर मुठ मारता था।
एक दिन सुमन आंटी ने मुझसे कहा कि मैं उनके केबल कनेक्शन लगवा दूँ।

तो मैंने उनसे कहा- आंटी, नए डिश कनेक्शन के लिए आपको 200 रुपये एडवांस केबल वाले को देने पड़ेंगे और 150 रुपये महीना देना होगा।
आंटी बोली- यह तो बहुत मंहगा है!
मैंने कहा- आंटी, मैं अपने केबल कनेक्शन में से आपका केबल लगा देता हूँ।
वो बोली- आप कितने पैसे लोगे?
मैंने कहा- जो आपकी इच्छा हो, दे देना…
उसने कहा- लगा दो।

आंटी के टीवी में कनेक्शन करने के लिए मार्केट से केबल की तार खरीद कर लाया और मैं अपनी टीवी से कनेक्शन ले कर तार उनके टीवी तक ले जाने लगा, लेकिन तार छोटी पड़ गई।।
मैंने कहा- आंटी। तार छोटी पड़ गई।
तो आंटी ने कहा- कुछ जुगाड़ कर के लगा दो?
मैंने कहा- आंटी, आपका कमरा और मेरा कमरा चिपका हुआ है, अगर मैं दीवार में छेद कर दूँ तो बहुत कम तार लगेगी।
वो बोली- कर लो न…

मैं ड्रिल मशीन लाया और ऐसी जगह छेद किया जहाँ से सुमन आंटी की चुदाई के दर्शन साफ़ तरीके से हो सके और मैंने दीवार का छेद काफी बड़ा किया जिससे मुझे आंटी की चुदाई की रासलीला का भरपूर आनन्द प्राप्त हो सके और आंटी की केबल लगा दी और मैं रात का इंतज़ार करने लगा।

रात हुई। मैं खाना खा ही रहा था कि अंकल ने अचानक अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया। मैं समझ गया कि आंटी की चुदाई का कार्यक्रम शुरू होने वाला है। मैंने जल्दी से खाना खाया और अपने कमरे में चला आया और केबल के तार के लिए किये गए छेद पर आंखें लगाईं।
और अचानक आंटी के कमरे में देख कर मेरे कान खड़े हो गए।

मैंने देखा अंकल ने टीवी पर ब्लू फिल्म लगा रखी थी, अंकल आंटी के गुदगुदी कर रहे थे और आंटी हंस रही थी। उस समय आंटी पेटीकोट, ब्लाउज में थी। अचानक अंकल ने आंटी के पैरों से चूमना शुरू किया। पेटीकोट उठाते हुए ऊपर चूत की ओर चूमते हुए आने लगे और धीरे धीरे पेटीकोट चूत से उपर हो गया। अंकल आंटी की जांघों को चूमते हुए आंटी की चूत में जीभ देकर कुत्ते की तरह आंटी की चूत चाटने लगे। आंटी सिसकारियाँ ले रही थी।

पहली बार मैंने सुमन आंटी की नंगी चूत देखी जिसे देख कर मेरा लंड काबू में न रहा और नाग की तरह फुंकार मारने लगा। अचानक अंकल पूरे नंगे हो गए और आंटी को भी पूरी नंगी कर दिया और आंटी की चूत में अपना लंड डाल दिया। मैंने देखा कि अंकल का लंड 5 से 6 इंच का है। अंकल आंटी पर चढ़ कर जोरदार धक्के मारने लगे।
मैंने देखा कि आंटी को छोटे लंड के कारण चुदने में कम मजा आ रहा था। इस चुदाई के सीन को देख कर मैं आंटी का ध्यान लाकर मुठ मारने लगा।

अचानक अंकल झड़ गए लेकिन अभी तक आंटी नहीं झड़ पाई थी। अंकल निढाल होकर आंटी के उपर से हट गए और सोने लगे। आंटी अंकल को अपनी ओर खींच रही थी। अभी आंटी प्यासी थी लेकिन अंकल आंटी से हाथ छुड़ा कर सो गए। अंकल के सोने के बाद सुमन आंटी रोने लगी और अपनी चूत को मसलने और उसमें उंगली करने लगी। यह देख कर मैं खुश हो गया कि अब मेरी दाल गल सकती है और मैंने अपना लंड झाड़ दिया। आंटी भी उंगली मैथुन से झड़ गई और सो गई।

सुबह मैं नहा रहा था। आंटी मेरे सामने बैठ कर अपने घर के बर्तन धोने लगी। मैंने सोचा यह अच्छा मौका है आंटी को अपने 9 इंच के लंड के दर्शन कराने का।

आंटी सामने बर्तन धो रही थी। मैं साबुन लगा रहा था, मैंने अपने कच्छे में हाथ डालकर अपने लंड पर साबुन लगाना शुरू किया और लंड खडा हो गया।
ये सब आंटी देख रही थी, आंटी कच्छे में से मेरे लंड की लम्बाई भांप चुकी थी, आंटी के चेहरे पर ख़ुशी थी।
मैं समझ गया कि आंटी लंड देखना और अपनी भोसड़ी में लेना चाहती है।

मैंने नहाने के बाद तौलिया पहन अपना कच्छा नीचे उतारा। लंड खड़ा था इसलिए तौलिया भी उठा हुआ था और मैं बैठ कर अपना कच्छा धोने लगा। आंटी बिल्कुल मेरे सामने थी इसलिए उनकी नज़र मेरी टांगों पर थी। मुझे महसूस हुआ कि उनकी नज़र मेरे लंड को देखने के लिए बेताब है। तभी मैंने अपनी दोनों टांगें चौड़ी कर ली, मेरा लंड तौलिये से बाहर निकलने लगा।

यह देख कर आंटी ने अपनी आँखें नीचे कर ली और बोली- रौनक, तुम्हारा तौलिया छोटा है।
मैंने कहा- आंटी, ऐसा क्यों कहा?
उसने कहा- तुम्हारा बाहर निकल रहा है।
मैंने जानबूझ के पूछा- क्या??

आंटी ने लंड की ओर इशारा किया, मैंने देखा लंड तौलिये से बिल्कुल बाहर था।
मैंने कहा- आंटी जी, तौलिया छोटा नहीं, मेरा बड़ा है।
आंटी बोली- वही मैं सोच रही हूँ… तुम्हारा कितना बड़ा है।
मैंने कहा- आंटी, आपने पूरा देख लिया?
उसने कहा- नहीं, थोड़ा सा…

मैंने आंटी के सामने अपना तौलिया खोल दिया, मेरे 9 इंच के खड़े लंड देख आंटी की आंखें चौंधिया गई, मैंने कहा- लो आंटी, पूरा देख लो।
वो हैरान थी।
मैंने आंटी का हाथ पकड़ा और अपना लंड उनके हाथ में दे दिया, वो मेरा लंड हिलाने लगी।
मैंने कहा- आंटी, मेरी ही सारी बड़ी चीज़ देखोगी? या अपनी भी कुछ बड़ी चीज़ दिखाओगी?

यह कह कर मैंने उसे गोद में उठा लिया और उसके कमरे में बेड पर लिटा कर उसके स्तन दबाने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी और देखते ही देखते मैंने उसे नंगी कर दिया। आंटी की चूत बिल्कुल चिकनी थी।
मैंने उसकी चूत चाटना शुरू कर दिया जिससे वो तड़फ उठी और बोली- रौनक, अब सब्र नहीं हो रहा है। प्लीज़ मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोद दो।

मैंने उसकी दोनों टांगें चौड़ी की और उसकी चूत पर अपना लंड रख कर तेज धक्का दिया। मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और वो चीख उठी क्योंकि उसने इतना लंड पहली बार अपनी चूत में लिया था।
मैंने दूसरा धक्का मारा और लंड उसकी चूत में समा गया। उसकी चूत से खून आने लगा और लंड भी काफी टाइट घुस रहा था।

मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू कर दिया और उसे मजा आने लगा। उसने मुझे अपनी बाँहों में कसना शुरू कर दिया। मैं समझ गया कि उसे अत्यंत आनन्द आ रहा है, उसकी पकड़ और भी टाइट होती जा रही थी और मेरे धक्के भी।

अचानक आंटी बोलने लगी- रौनक, चोद डालो मुझे। मेरी भोसड़ी को भोसड़ा बना दो!
और गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।

आंटी की सिसकारियों से पता चल रहा था कि वो अब झड़ने वाली है, इसलिए मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। वो झड़ गई और उसके साथ मैं भी झड़ गया।

उसके बाद मैं सुमन आंटी को अपनी लुगाई की तरह जब चाहता चोद लेता।
वो हमेशा कहती- रौनक, तुमने मेरी भोसड़ी को भोसड़ा बना दिया।

यह सिलसिला 6 महीने तक चला। उसके बाद वो हमारा कमरा खाली करके चले गए।

दोस्तो, मुझे बर्दाश्त करने के लिए धन्यवाद। Sex Stories

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मेरा नाम सोनू है। मेरी उम्र छब्बीस Indian Sex Stories वर्ष है। मै यहां के अस्पताल में नर्स हूं। मेरी शादी हो चुकी है। मेरे पति भी सरकारी नौकरी में हैं। यू तो हमारी एक अच्छी निश्चिन्त जिन्दगी है। एक सुखी परिवार है। लेकिन मन का क्या करे वो तो चन्चल है, कभी न कभी भटक ही जाता है, कही भी फ़िसल जाता है।

अस्पताल में मेरे साथ एक कम्पाउन्डर रमेश काम करता है। देखने में सुन्दर है, हंसमुख है, कभी कभी तीखे सेक्सी मजाक भी करता है जिससे दिल में मीठी सी गुदगुदी भी होने लगती है और मै उसकी और बरबस ही खिन्च जाती हूं। रमेश दिल ही दिल में सब समझता था। मुझे अकेले में कभी कभी छेड़ता भी था। उसे मालूम था कि मैं कुछ नही कहूंगी। मैं मन से तो चाह्ती थी कि मुझे छेड़े… मेरा हाथ पकड़ ले। इस्के लिये मुझे ज्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा। क्योंकि जब दोनो तरफ़ आग बराबर हो तो दिल मिल ही जाते हैं।

मैं स्टोर में मेडीसिन लेने गई तो वहां पर रमेश कुछ काम कर रहा था। मैंने उसे मेडीसिन की लिस्ट दे दी। उसने सारी दवाईयाँ निकाल दी और एक पेकेट बना कर मुझे दे दिया। मैं जैसे ही मुड़ी रमेश ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मुझे पता था कि रमेश अकेला पा कर कुछ तो करेगा ही। मैंने भी आज दिल मजबूत कर लिया। मैंने भी अपना हाथ नही छुड़ाया। मैंने पीछे मुड़ कर उसे देखा … वो एकटक मुझे निहार रहा था। मैंने शरम से अपना सर झुका लिया। हां… पर हाथ नहीं छुड़ाया। मैंने मुस्करा कर तिरछी निगाहों से उसे देखा।

रमेश ने तीर छोड़ा -‘मेडम… हंसी तो फंसी …’
‘मैं कहां फंसी … फ़से तो तुम हो…’ मैंने भी तीर छोड़ा।

‘मेडम … एक बात कहूं … मैं तो मर गया… खास कर आपकी मुसकराहट पर…’ उसने अपनी तरफ़ हाथ पकड़ कर खीन्चा । मै जान कर के रमेश से टकरा गयी।

‘हाय … दूर रहो…’ मैंने रमेश को प्यार से धकेल दिया और अपने को छुड़ा लिया।

मैं मुसकराती हुयी बाहर चली आयी। मुझे लगा आज काम फ़िट हो गया। मुझे उसके हाथों का स्पर्श अभी भी महसूस हो रह था। दिल में एक गुदगुदी सी उठ रही थी। मेरे जिस्म में वासना जागने लगी। मेरा दिल अब उस से अकेले में मिलने को आतुर हो उठा।
मेरे दिल में खलबली हो रही थी। दवाईयां मैंने वार्ड में आकर डाक्टर को दे दिया। वहां से मैं डाक्टर के रेस्ट रूम में चली आयी।

इतने में रमेश भी पीछे आ गया। मैं समझ गयी थी कि रमेश की तेज निगाहों ने मुझे यहां आते हुए देख लिया था। आते ही उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर अपनी ओर खींच लिया। मैं जान कर के उससे चिपक गयी। उसने धीरे से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। मुझे एक गहरा किस किया। मेरा पल्लू नीचे गिर गया, उसने मेरी चूचियां दबा डाली, मेरे ब्लाउज के बटन खोल दिये और एक हाथ मेरी ब्रा में डाल दिया और मेरे चूंचक को हाथ में लेकर मलने लगा।

‘आऽऽऽह रमेश …प्लीज़ अभी नहीं…’ वो समझ गया। मैंने अपनी साड़ी और ब्लाउज़ ठीक किया और उसकी तरफ़ मुस्करा कर देखा। उसे छेड़ते हुए बोली,’कर दी ना गड़बड़ …… ‘

‘सुनो सोनू … कल पिक्चर देखने चले …’

‘कब… सवेरे दस बजे के शो में…’

‘ हां… कल सवेरे नौ बजे मैं आपको पिक कर लूंगा…’ मैं उसका मतलब समझ रही थी। वो पिक्चर हाल में मुझे दबायेगा… मेरे अंगों से खेलेगा। मेरा मन भी भटकने लगा। मेरी आंखो दे सामने सारा नजार घूमने लगा। मेरा मन तड़प उठा।

सवेरे मैंने घर का काम निपटा लिया। अब मैं तैयार होने लगी… मैंने जान करके ब्रा और पेंटी नहीं पहनी। पर एक शाल ले लिया। मैं रमेश का इन्तज़ार करने लगी। वो ठीक नौ बजे अपनी मोटर बाईक लेकर आ गया। हम लोग पहले एक अच्छे रेस्टोरेन्ट में गये। वहां हमने चाय नाश्ता किया, फ़िर सोचा कि कौन सी पिक्चर देखी जाये। यह निश्चित करके हम दोनों एक हाल में चले गये। हाल लगभग खाली था।
दस बजे फ़िल्म शुरू हो गयी। फ़िल्म क्या शुरू हुई रमेश भी शुरू हो गया। चूंकि हमारे आसपास की सीटें खाली पड़ी थी इसलिये कोई देख लेने का खतरा भी नही था। उसने मेरे ब्लाउज़ के बटन खोल दिये। मैंने सुरक्षा को नजर में रखते हुए शाल अपने पर डाल लिया। रमेश ने मेरी चूंचियों को पकड़ लिया और धीरे धीरे सहलाने लगा। मैंने अपना एक हाथ उसके कन्धे पर रख दिया।

वो अब खुल कर मेरी चूंचियां मसल रहा था, कभी कभी वो मेरे चूंचक को खींच देता था। मैं मस्ती में धीमी आहें भर रही थी। अब रमेश ने नीचे से मेरा पेटीकोट उठा लिया। उसके हाथ मेरी जांघों से फ़िसलते हुये मेरी चूत से जा टकराये। मैंने थोड़ा नीचे सरक कर चूत आगे को निकाल दी।

अब मैंने भी अपना हाथ उसके लन्ड पर रख दिया और दबाने लगी। मैंने पेन्ट की ज़िप खोली ……उसने भी मेरी तरह अन्दर अन्डरवियर नहीं पहनी थी। मैंने उसका लन्ड खींच कर बाहर निकाल लिया। मैं भी अब उसका लन्ड सहलाने लगी। उसका सुपाड़ा निकाला और पूरा लन्ड हिलाने लगी। पर मेरी हालत उत्तेज़ना से खराब होने लगी थी।

उसने मेरी चूत में उन्गली घुसा दी थी। मेरे दाने को भी सहला रहा था। जोश में मैं भी उसके लन्ड का मुठ मारने लगी। वो अपना चेहरा मेरे गालों से रगड़ने लगा और उसके मुख से तेज सिसकारी निकल रही थी। उसके बदन में अचानक ऐंठन होने लगी। मैंने मुठ मारने की रफ़्तार और तेज कर दी। तभी रमेश ने अपना रूमाल निकाला और अपने लन्ड पर लगा लिया। वो चरमसीमा पर पहुंच चुका था। तभी उसका वीर्य निकल पड़ा। मैंने तुरन्त ही उसका लन्ड रूमाल से पोंछ दिया। रूमाल पूरा गीला हो गया था… मैंने उसका लन्ड अब छोड़ दिया था।

मैंने अपनी चूत को देखा…रमेश अभी भी तेजी से उन्गली अन्दर बाहर कर रहा था… साथ में दाना भी रगड़ खा रहा था। अब मैं भी नीचे से चूत उठा कर उसकी सहायता कर रही थी। और …और …हाय मैं भी कहां तक रोक पाती… अन्तत: मैं भी झड़ने लगी। मैं चुपचाप उत्तेजना सहती रही और झड़ती रही। फिर सीट पर ठीक से साड़ी करके बैठ गयी। अपने ब्लाउज के बटन ठीक से लगाये और हम सीट पर आराम से बैठ गये। हमारा काम हो गया था… इसलिये हम सिनेमा हाल से बाहर आ गए। हम दोनो एक दूसरे को देख कर मुस्करा रहे थे…जैसे कोई किला फ़तह कर लिया हो।

‘सोनू… मजा आया ना…’ मैं शरमा गयी।

‘चुप रहो…अब…’ मेरी नजरे अब भी झुकी जा रही थी।

हम सिनेमा हाल से सीधे अस्पताल आ गये… और अपनी ड्यूटी जोईन कर ली। हम दोनों ने रात की ड्यूटी ले ली। रमेश मुझे वापस घर छोड़ कर चला गया।

मुझे शाम का बेकरारी से इन्तेज़ार होने लगा। मेरे शरीर में रह रह कर वासना और उत्तेजना की लहर दौड़ जाती थी। मुझे उत्तेजना के कारण बार बार अंगड़ाई भी आ रही थी। एक एक पल घण्टों के समान लग रहा था।
समय होने पर मैंने घर के बाहर से टूसीटर लिया और अस्पताल आ गयी। अन्दर आते ही मेरी नज़रे रमेश को ढूंढने लगी। उसे देखते ही मेरी जान में जान आयी। मेरे शरीर में तरावट आने लगी। मेरी चूंचियां कसने लगी, चूत में खुजली होने लगी। मुझे लग रहा था कि आज में किसी तरह से चुदा लूं बस।

रमेश डाक्टर साहब से कुछ परामर्श कर रहा था। मैंने अपना समान रेस्ट रूम में रखा और अस्पताल की यूनिफ़ार्म पहन ली। पर हां मैंने फिर अपनी ब्रा और पेन्टी नही पहनी। मुझे नहीं मालूम था कि ऐसा करने से मेरे चूतड़ और बोबे की लचक अधिक नजर आयेगी। डाक्टर साहब रमेश को कुछ समझा कर बाहर निकल गये। रमेश मेरे चूतड़ों की लचक देख रहा था… मेरी चूंचियां भी बिना ब्रा के हिल रही थी। मैं जान कर रेस्ट रूम में आ गयी… रमेश भी वहीं आ गया। रमेश ने मुझे बताया कि डाक्टर साहब को किसी पार्टी में जाना है सो वो अब रात को नहीं आयेंगे ।

रात के ग्यारह बज रहे थे हमने सब ठीक से चेक कर लिया कि सारे मरीज आराम से हैं । तब मैं रेस्ट रूम में सुस्ताने आ गयी। रमेश ने भी अपना काम निपटा लिया और वहीं रेस्ट रूम में आ गया। उसे देखते ही मेरा शरीर कसमसाने लगा। रमेश ने मुझे आंख मारी …… मैं शरमा गयी।

उसने मुझे गले लगाते हुये और मेरे शरीर को अपने शरीर से चिपकाते हुए शरारत से कहा,’ सोनू जी…आंख मारी है अभी … और तो कुछ नहीं मारी ना…बस शरमा गयी…?’

‘और क्या मारोगे…?’ मैं शरमाते हुए बोली। उसके होंट मेरे कांपते होटों से मिल गये। मेरे सफ़ेद ब्लाउज़ के बटन एक एक कर खोलने लगा। मेरा बदन कांपने लगा… मुझे पता चल गया था कि अब थोड़ी देर में मेरी चुदाई हो जायेगी। मेरे नंगे उरोज पर उसके हाथ पहुंच गये थे। मेरे भारी और बड़ी चूंचियों को उसने अपने हाथों में भर ली।

मैं थोड़ा सा कसमसाई, पर उससे दूर नहीं हटी। उसने मुझे कस कर चिपका रखा था। मेरे शरीर में वासना उठने लगी, मेरे शरीर में सनसनाहट होने लगी। मैं रमेश से चिपकने लगी। उसका लन्ड धीरे धीरे खड़ा होने लगा और मेरी चूत के आसपास गड़ने लगा। मैं उसके लन्ड के टकराने के अहसास से ही आनन्द से भर उठी। मैंने भी अपनी चूत को उससे और चिपका दी। उसने मेरे दोनों बोबे को दोनों हाथों में भर लिया और मसलने लगा। मैं अपने होंठ उसके होंठों से रगड़े जा रही थी।

तभी रूम की बेल बजी। रमेश अलग हो गया। मैंने उसे देखा तो हंस पड़ी… उसका हाल बेहाल हो रहा था… उसका लन्ड फ़ूल कर पैन्ट में जोर मार रहा था। रमेश ने कहा,’मैं जरा देख कर आता हूं…’

मैंने दोनों हाथों को उठा कर एक भरपूर अंगड़ाई ली और बिस्तर पर लेट गयी। मैं अपनी चूंचियों से खेलने लगी। नोकों को उन्गलियों से गोल गोल मसलने लगी। फिर उल्टी लेट कर तकिये को दबाने लगी। तभी रेस्ट रूम का दरवाजा रमेश ने अन्दर से बन्द कर दिया। मैं आंखे बन्द करके उसका इन्तज़ार करने लगी। रमेश ने इत्मिनान से अपना पैन्ट खोला और फिर अन्डरवियर भी उतार दी, अन्त में फिर बनियान भी उतार दी। मेरे बिस्तर पर नज़दीक आ कर बोला,’सुनो जी…… तैयार हो…।’

मैंने शरमा कर तकिये में चेहरा छिपा लिया। उसने मेरी सफ़ेद साड़ी और पेटीकोट खोल कर अलग कर दिया। फिर खुले हुए ब्लाउज़ को प्यार से उतार दिया। मैंने अपना चेहरा अभी भी शरम से छिपा रखा था। अब मैं पूरी नंगी थी और रमेश भी पूरा नंगा था। वो धीरे से मेरी पीठ पर लेट गया। उसका भार मेरे ऊपर बढ गया। उसका कड़क लन्ड मेरी चूतड़ों पर रेन्गने लगा। शायद दरारों में छिपने की कोशिश कर रहा था। अन्तत: उसका लन्ड मेरी चूतड़ की दरार में घुस पड़ा।

‘हाय…क्या कर रहे हो…?’
‘उस समय आंख मारी थी… अब गान्ड मारूंगा… क्यों ठीक है ना…’
‘हाय… मेरे राजा… कुछ भी करो…बस मुझे रगड़ दो…।’ मैं वासना के नशे में बेशरम होती जा रही थी। मेरे पति भी मेरी गान्ड जम कर मारते थे… उन्हे तो पूरी संतुष्टी मिलती ही इससे थी। मेरी गान्ड इस काम के लिये पूरी अभ्यस्त थी। मेरी गान्ड का छेद भी खुला हुआ था। रमेश का कड़कड़ाता हुआ लन्ड मेरे गान्ड के छेद की खोज में था। आखिर में लन्ड छेद ढूढने में सफ़ल हो गया। रमेश की कमर थोड़ी सी उठी और उसने अपने लन्ड पर जोर लगा दिया। उसका मोटा और कड़ा लन्ड अपनी पूरी कड़ायी के साथ छेद में घुस पड़ा। मेरे मुंह से सीत्कार निकल पड़ी।

‘पहली बार गान्ड मरा रही हो ना… तकलीफ़ तो होगी मेरी जान…’ रमेश ने अपनी पन्डिताई झाड़ी।

‘ मांऽऽ…रीऽऽऽ… रमेश… घुसेड़ दो पूरा…’ मैं तड़प उठी।

उसने जोर लगा कर अपना पूरा लन्ड ही अन्दर घुसेड़ दिया। पूरा घुसते ही मुझे चैन आया…… मुझे पता चल गया कि शरीफ़ सा दिखने वाला रमेश कितना चालू है। इतने सलीके से तो कोई एक्स्पर्ट ही गान्ड मार सकता है। उसने हौले हौले धक्के मारने शुरु कर दिये। फिर वो तेज करता गया। मात्र हल्की सी तकलीफ़ हुई। मैंने अपनी पांव और चूतड़ और फ़ैला दिये। उसे और गान्ड मारने की सहूलियत दे दी। अब वह अपनी कोहनी और घुटनों के बल पर आ गया था।

उसका शरीर मेरे शरीर से फ़्री हो चुका था। अब उसका लन्ड फ़्री स्टाईल में मेरी गान्ड चोद रहा था। मैं भी अब अपनी गान्ड को उछाल उछाल कर उसका साथ दे रही थी। उसके मुंह से तेज सिस्कारियां निकल रही थी। मैं इतमिनान से तकिये पर अपना सर रखे आंखे बन्द करके गान्ड चुदाई का आनन्द ले रही थी। रमेश ने मेरे सर के नीचे से तकिया हटाया और मेरी चूत के नीचे रख कर मेरी गान्ड और ऊपर उठा दी। मेरी चूत अब उसे दिखने लग गयी थी…

उसने अपना लन्ड मेरी गान्ड से निकाला और मेरी पनीली चूत पर रख दिया। थोड़ा सा उसने लन्ड को चूत पर घिसा और चूत के अन्दर घुसा दिया। मेरे मुँह से आनन्द की सिसकारी निकल पड़ी। उसने मेरी गान्ड थपथपाई और घोड़ी बनने का इशारा किया। मैंने धीरे से गान्ड ऊंची की और घोड़ी बन गयी, पर लन्ड को बाहर नहीं निकलने दिया। अब उसका लन्ड मेरी चूत में पूरा घुस गया।

मेरे मुख से हाय निकल पड़ी। उसका मोटा लन्ड अब तेजी पकड़ रहा था। उसकी चमड़ी का घर्षण मेरी चूत की दीवारों पर बहुत उत्तेजना दे रहा था। मीठी मीठी सी गुदगदी तेज लग रही थी। मैं मदहोश होती जा रही थी। रह रह कर मेरा शरीर कांप उठता था। मुझे सुख की अनुभूति स्वर्ग का अनुभव करा रही थी।

अचानक रमेश के धक्के तेज होने लगे… उसकी सिस्कारियां बढने लगी। मैं समझ रही थी कि उसका वीर्य स्खलित होने वाला है। मुझे उससे पहले झड़ना था। मैंने अपने पांव अन्दर दबाते हुये अपनी चूत को टाईट कर ली, जिससे लन्ड का घर्षण तेज हो गया और मेरा पानी छूटने लगा। मैं आहिस्ता आहिस्ता झड़ने लगी।

पर इसका असर ये भी हुआ कि उसके लन्ड ने भी अपना लावा उगल दिया। उसका लन्ड टाईट चूत नही झेल पाया। उसकी पिचकारी निकल पड़ी…और उसका वीर्य मेरी चूत में भरने लगा। मैं भी पूरी झड़ चुकी थी। मैं निढाल हो कर बिस्तर पर ही लेट गयी। पर रमेश उठा और तौलिया लेकर मेरी चूत के नीचे रख दिया। वीर्य रिस रिस कर तोलिये पर गिरता रहा… मैं भी उठ कर बैठ गयी। मैंने रमेश को पास आने का ईशारा किया… उसे मैंने अपनी तरफ़ खींच कर गले से लगा लिया…

‘थैन्क यू… रमेश… आज तुमने मुझे अच्छी तरह से संतुष्ठ कर दिया…’
‘अभी कहां… अभी तो शुरूआत है… अभी मेरा कमाल तुमने देखा कहां है…’
‘ ये तो साधारण सी चुदाई थी… अभी तो तुम्हे खड़े खड़े चोदना है… फिर नहाते हुए चोदना है… और…’
‘अरे… अरे… बस बस… चुदेगी तो मेरी चूत ही ना…।’

हम दोनो हंस पड़े… और हम कपड़े पहनने लगे…
मैंने रमेश से धीरे से पूछा,’ रमेश… कल का क्या…’
रमेश उत्साहित होत हुआ बोला,’ आज … क्या बस इतना ही… अभी तो पूरी रात बाकी है…’
‘धत्त… हटो … इतना क्या कम है …’
मैं एक बार फिर रमेश से लिपट पड़ी… Indian Sex Stories

Antarvasna

दोस्तो, मेरा नाम राहुल है और मैं गुड़गाँव में रहता Antarvasna हूं। ये स्टोरी उस टाइम की है जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था। हमारे घर में किराये पर नये किरायेदार आये।

हमारे किरायेदार की वाइफ़ बहुत ही सुन्दर थी वो हिमाचल की रहने वाली थी और जब हिमाचल की है तो सुन्दर तो होगी ही। उसका नाम सोना था उमर होगी करीब 26 -27 साल, रंग एकदम दूध की तरह सफ़ेद। एकदम गोल-2 बूब्स थे उसके।

उन दिनो मैं बहुत सी एडल्ट बुक्स पढ़ता था। एडल्ट बुक्स पढ़ने की वजह से मुझे छोटी सी उमर में की सेक्स की काफ़ी नोलेज़ हो गयी थी। बस हर टाइम चूत मारने का दिल करता रहता था। और जब सोना आंटी को देख लेता था तो मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को हो जाता था। सोना को कहने में भी डर लगता था क्योंकि वो तो मुझे बच्चा समझती थी। इसलिये मुट्ठी मार कर ही काम चलाना पढ़ता था।

मैं तो सोना के बूब्स देखने के लिये बेचैन रहता था। जब वो अपने रूम में झुककर झाड़ू लगाती थी तो मुझे उसके सेक्सी बूब्स के दर्शन हो जाते थे। दोस्तो अभी तक तो मैं उसके बूब्स ही देखता था लेकिन एक दिन मेरी किस्मत खुली और मैंने सोना को बिल्कुल नंगा देखा।
हुआ क्या कि मैं अक्सर उसके रूम में जाता था ताकि मैं उसको देख सकुं, एक दिन मम्मी ने मुझे सोना को कुछ देने के लिये भेजा, मैं दरवाजे को बिना खटखटाये ही सोना के रूम में घुस गया, उस टाइम सोना अपने कपड़े बदल रही थी और वो बिल्कुल नंगी थी, मैंने जैसे ही उसको देखा तो मेरे सारे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया, वो शरमाकर बेड के पीछे छिप गयी और मैं भी रूम से बाहर आ गया।
मेरा दिल जोर-2 से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा हसीन नजारा मैंने पहली बार जो देखा था।

मुझे थोड़ा बुरा भी लगा कि मैं बिना खटखटाये रूम में चला गया, लेकिन दिल में एक खुशी भी थी चलो इसी बहाने मैंने सोना को नंगा तो देखा। जिस दिन से मैंने सोना आंटी को नंगा देखा तब से तो उसको चोदने की तम्मना और ज्यादा बढ़ गयी। रात को बस वो ही सपनों में आती थी।

सोना के पति फ़ौजी थे। उनकी 1 वीक दिन की ड्युटी होती थी और 1 वीक रात की। जब उनकी रात की ड्युटी होती थी तो वो मुझे अपने रूम में सोने के लिये बुला लेती थी, उन्हें अकेले सोने में डर लगता था। वो तो मुझे बच्चा समझकर सोने के लिये बुलाती थी लेकिन उन्हें क्या पता कि मैं रोज़ उनको ही सपनों में देखकर मुट्ठी मारता हूं।
रात को जब वो गहरी नींद में होती थी तो मैं धीरे-2 उनके बूब्स और कूल्हों पे हाथ फेर लेता था। दिल तो करता था कि अभी के अभी चोद दूं लेकिन डरता था कि कहीं ये मेरे घर में न बता दे।

एक दिन मैं उनके साथ रूम में सो रहा था, सोना शाड़ी डाल कर सो रही थी, ब्लाउज़ में से उनके सेक्सी बूब्स बाहर आने को हो रहे थे, बूब्स को देखकर मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था, जब मेरे से कंट्रोल नहीं हुआ तो मैंने अपना लंद बाहर निकाला और मुट्ठी मारने लगा तो सोना आंटी नींद से जग गयी और बोली- क्या कर रहा है?

मैं डर गया और बोला- मैं तो कुछ नहीं कर रहा!
फिर मैं चुपचाप सो गया।
सुबह मेरे से आंटी से नजर नहीं मिलाई जा रही थी मुझे डर था कि कहीं ये किसी को बता न दे।

अगले दिन वो मेरे से बोली- रात को क्या कर रहा था?
मैं कुछ नहीं बोला.
सोना बोली कि मुट्ठी मार रहे थे न?
मैंने कहा- हां।
वो बोली कि किसके बारे में सोच रहे थे?
मैंने कहा कि आपके बारे में।
‘अच्छा चल ठीक है, तुझे मुट्ठी मारने की जरूरत नहीं है तू मेरे साथ कर ले जो करना है। आज रात को जब तू मेरे साथ सोयेगा तो हम एंजोय करेंगे।

मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि चलो चूत का जुगाड़ तो हुआ। इन्तजार के पल तो वैसे भी बहुत मुश्किल से कटते हैं वो सारा दिन मैं रात होने का वैट करता रहा।

रात को सोने के लिये उनके रूम पे गया तो वो भी तैयार बैठी थी। मेरे मन में थोड़ी हिचकिचाहट भी थी क्योंकि एक तो मैंने कभी सेक्स नहीं किया था और दूसरे वो मेरे से उमर में काफ़ी बड़ी थी।
वो बोली- इतना क्यों शरमा रहा है?
फिर मैं बिल्कुल सोना के पास बैठ गया उनको छूते ही मेरी नस-2 में आग सी लग गयी मेरा लंड एकदम तनकर पैंट फाड़ने को हो गया.
आंटी बोली कि तेरे लंड को बहुत जल्दी लगी हुई है चूत में घुसने की।
मैं बोला कि हां, बेचारे ने कभी चूत का मजा नहीं लिया है न।

अब मेरी शरम भी खत्म हो गयी थी, मैंने सोना के ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया और उनके बूब्स को दबाने लगा, साथ ही उनके रसीले होंठों को अपने होंठों में ले कर चूसने लगा वो भी बहुत बुरी तरह से मेरे होंठों को चूस रही थी।

मुझे बहुत मजा आ रहा था। काफ़ी देर तक हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे, मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल कर उनके बूब्स को आज़ाद कर दिया, सोना के मोटे-2 बूब्स ऐसे लग रहे थे जैसे कश्मीर के सेब हों, उसके एक बूब को मैंने अपने मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा, वो सिसकियाँ ले रही थी, दिल तो कर रहा था कि इसके बूब्स को खा जाउं.

सोना बोली कि अकेले ही चूसते रहोगे कुछ मुझे भी चूस लेने दो, मैं उनका इशारा समझ गया कि वो मेरे लंड को चूसना चाहती है, मैंने अपनी पैंट खोल दी, पैंट खोलते ही मेरा लंड एक झटके से बाहर आकर ऐसे खड़ा हो जैसे कुतुब मिनार, उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़कर बोली कि मैं तुझे बच्चा समझती थी पर तूने तो अपना लंड पूरा जवान कर रखा है।

वो मेरे लंड को मुँह मेँ लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे कि आइस-क्रीम चूस रही हो। मैं अपना लंड उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा, मुझे भी लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था।
मैंने कहा कि अब इस लंड को खा कर ही छोड़ोगी क्या?
उसने मेरा लंड छोड़ दिया मैंने उसे बेड पे लेटा लिया और उसके बूब्स को फिर से चूसने लगा, बूब्स चूसते-2 मैंने बूब्स पे जोर से काट लिया वो चिल्ला पड़ी बोली क्या खा ही जायेगा इन्हें, मैंने कहा कि तुम्हारे बूब्स हैं ही एकदम कश्मीरी सेब की तरह दिल तो यही कर रहा है कि इन्हें खा ही जाउं।

सोना को मैंने अब सीधा लेटा लिया और उसने अपनी टांगे फ़ैला ली, मैं अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा, वो बोली कि अब क्यों तड़पा रहा है लंड को अब मेरी चूत में डाल भी दे!

मैंने अपना लंड उसकी चूत पे लगा कर एक झटका मारा, मेरा पूरा लंड अब सोना की चूत में घुस गया। मैं धीरे-2 झटके मारने लगा वो भी नीचे से गांड उठा-2 कर झटके मार रही थी, उसके मुँह से आह्हह्ह ऊह्हहह्ह की आवाजें आ रही थी, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-2 से झटके मारने लगा, पूरे रूम में फ़च-2 की आवाज आ रही थी.

थोड़ी देर के बाद हम दोनो डिस्चार्ज हो गये और 15 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे। फिर हम दोनो अलग हो गये और दोनो ने अपने कपड़े डाल लिये।
वो बोली क्यों चूत का मजा आया या नहीं मैं बोला हां सच में बहुत मजा आया ऐसे लग रहा था जैसे कि मैं स्वर्ग में आ गया हूं। Antarvasna

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