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Massage Girl in Vizianagaram: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Vizianagaram who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Vizianagaram that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Vizianagaram massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Vizianagaram who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Vizianagaram massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Vizianagaram massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Vizianagaram who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Vizianagaram employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Vizianagaram helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Vizianagaram

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Vizianagaram at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

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प्यारे भाइयो मैं एक और कहानी शुरू करने जा रहा हूँ इस कहानी को मैं सिर्फ़ हिन्दी में पोस्ट कर कर रहा हूँ क्योंकि ये कहानी मैने नही लिखी है आप सब पाठक-पाठिकाएँ, लेखक-लेखिकाएँ अपनी गर्मागर्म हिंदी सेक्सी स्टोरी, चुदाई की कहानी भेज सकते हैं

मेरा नाम अयान है. एज 25, हॅंडसम ऑर गुड लुकिंग हूँ

ये स्टोरी तब की है जब मैं अम्मी के घर था.
मैं अपनी अम्मी की फॅमिली मे सब से पहला बच्चा हूँ. ऑर पहले बच्चे को बोहत प्यार दिया जाता है तो मुझे भी मामू खाला वग़ैरह सब बोहत प्यार करते थे.

मैं शुरू ही से अपनी नानी की घर रहता था. ऑर सब लोग मुझ से बहुत प्यार करते थे.

नानी के घर मे 2 खाला ऑर ऐक मामू थे.
बड़ी खाला का नाम शमा है ऑर छोटी खाला का नाम अंबर है. मैं घर मे अंबर खाला के साथ बहुत फ्री था ऑर वो भी मुझसे बहुत प्यार करती थी.

शमा खाला की शादी हो गई थी और मामू की भी शादी हो गई थी.
मैं जब भी नानी के घर जाता था तो अंबर खाला के रूम मे सोता था.

अंबर खाला 20 साल की थी. 20 साल की एज मे भी वो बहुत खूबसूरत नज़र आती थी. उनके ब्रेस्ट का साइज़ 36 था.

मैं जब घर जाता था तो अंबर खाला मेरे सामने दुपट्टा नही लेती थी.

मामू की शादी हो गई थी ऑर वो रात को अपने रूम मे मामी के साथ होते थे.
ऐक दिन रात के 10 बज रहे थे कि मैं अंबर खाला के साथ सोया था.
अंबर खाला को वॉशरूम जाना था.

वॉशरूम कमरे से बाहर था अंबर खाला चली गई ऑर तरीबन 10 मिंट लगा कर वापस आई.
जब वो बेड पे लेटी तो मेरी आँख खुल गई मगर मैं फिर भी सोने की आक्टिंग करता रहा.

खाला मेरे साथ आ कर लेट गई ऑर मेरा सिर उठा कर अपने बाज़ू पर रख दिया ऑर मुझे हग कर के लेट गई.

जब खाला ने मुझे हग किया तो मेरा फेस उनकी चेस्ट के क़रीब था.

मुझे उनके जिस्म की स्मेल बहुत अच्छी लग रही थी.

खाला मेरे साथ चिपक कर लेटी हुई थी. मुझे उनके जिस्म की स्मेल बोहत अच्छी लग रही थी.

कुछ देर बाद मैं ने अपना फेस खाला के मम्मो से उपेर नंगे सीने पर रख लिया. ऑर मेरे लिप्स उनके सीने को टच करने लगे..

मैं ने आहिस्ता से खाला के सीने पर किस कर लिया. जिस पर खाला हल्का सा हिली ऑर फिर मेरा सिर पीछे कर के मेरी आँखो मे देखा मगर मैं सोने का नाटक कर रहा था. तो खाला समझी कि शायद नींद मे ये सब हो गया होगा.

पहली बार मुझे अपनी खाला के लिए कुछ अजीब सी फीलिंग हुई थी. मेरे माइंड मे पहली बार अपनी ही सग़ी खाला के साथ सेक्स करने का ख़याल आया. मगर सोचने वाली बात तो ये थी कि मैं उसके साथ सेक्स केसे करूँ गा

मैं ने कुछ देर बाद खाला के नंगे सीने पर मम्मो से थोड़ा उपर ऐक ऑर किस किया. जिस पर खाला हल्की सी मूव हुई फिर मेरी तरफ देखा ऑर अब काए बार उन्हो ने मेरा फेस अपने सीने पर ज़ोर से दबा दिया ऑर मेरे बालों मे अपनी फिंगर्स मूव करने लगी..
Hindi Sex kahaniya -
मेरा लंड हार्ड हो गया था. मैं सोच रहा था कि अपने लंड को केसे खाला से टच ना होने दूं. मगर खाला तो मेरे साथ चिपक कर लेटी हुई थी. खाला को भी मेरा लंड हार्ड होता हुआ फील हुआ था.

खाला ने मुझे टाइट हग किया ऑर मेरी लेग्स के बीच मे अपनी लेग्स ऑर मेरी लेग को अपनी लेग के उपेर रख दिया. जिस से उनकी लेग मेरे लंड से टच हो रही थी क्यू कि मेरी लेग्स के बीच मे उनकी लेग आ गई थी.

खाला को पता लग चुका था कि मैं जाग रहा हूँ. मगर उन्हो ने मुझ पर कुछ ज़ाहिर नही होने दिया.

अब खाला अपनी लेग्स को स्लोली स्लोली मूव कर रही थी मेरी लेग्स के बीच मे. जिस से उनकी लेग मेरे लंड को बार बार टच हो रही थी.. मुझे पसीना आ रहा था. क्यू कि मैं खुद से कुछ नही कर सकता था. मुझ मे हिम्मत नही हो रही थी कुछ करने की क्यू कि अगर खाला ने माइंड किया ऑर सब को बता दिया तो मुझे बहुत मार पड़ेगी .

खाला ऐसे ही कुछ देर तक मेरे लंड से अपनी लेग लगाती रही. फिर ऐक दम से उनका जिस्म अकड़ गया. उन्हो ने मुझे टाइट हग कर लिया. ऑर मेरे लंड पर बार बार अपनी लेग मूव करती रही. खाला का जिस्म अकड़ चुका था. मैं डर गया.

मैं समझा कि पता नही खाला को क्या हो गया है अचानक से. खाला की साँसे तेज थी. ऑर उन्हो ने मुझे हग किया हुआ था.

कुछ देर बाद खाला अपनी जगह से उठी ऑर वॉशरूम चली गई. जेसे ही खाला रूम से निकली मैं ने जल्दी से अपने लंड को हाथ मे लिया ऑर मूठ मारने लगा..

अभी मैं अपने लंड पर मूठ मार रहा था कि अचानक खाला रूम मे एंटर हो गई. मैं ने जल्दी से लंड से हाथ हटा दिया. ऑर आइज़ क्लोज़ कर लीं. खाला ने मुझे देख लिया था मगर अंजान बनी रही ऑर कुछ नही बोली. वो बेड पर आ कर मेरे साथ लेट गई. ऑर अपना फेस दूसरी साइड पर कर लिया ओर मेरी तरफ बॅक कर लिया.

इसी तरह लेटे लेटे उन्हो ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने पेट पर रख दिया जिस की वजह से मैं उनके साथ बॅक से चिपक गया. अब मेरा लंड हार्ड था जो कि खाला के अचानक आने से अपना पानी भी नही निकाल सका.. अब मेरा हार्ड लंड मेरी खाला की गान्ड से टच होना शुरू हो गया.

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मेरा लंड खाला की गान्ड से टच होना स्टार्ट हो गया. खाला की नरम गान्ड से मेरा लंड टच हुआ तो मेरा लंड ऑर ज़्यादा अकड़ गया.

मुझे खाला की नरम गान्ड बहुत अच्छी लग रही थी. मैं ने अपने आप को थोड़ा सा मूव किया तो मेरा लंड खाला की गान्ड की लकीर पर आ गया.

लंड जेसे ही खाला के गान्ड की लकीर पर आया. खाला के जिस्म को ऐक झटका लगा ऑर उन्हो ने मेरा हाथ अपने पेट पर ऑर टाइट कर लिया ऑर थोड़ा सा पीछे हो गई.

जिसकी वजह से मेरा लंड उनकी गान्ड की लकीर के बीच मे फँस गया.

मुझे बोहत अच्छा लग रहा था. मैं ने अपने जिस्म को हल्का सा मूव किया तो मेरा लंड खाला की लकीर मे थोड़ा सा आगे हो गया.

खाला ने अपनी गान्ड को टाइट कर लिया. जिसकी वजह से मेरा लंड खाला की गान्ड के बीच मे फँस गया. मुझे बोहत अच्छा लग रहा था.

मैं ने आज तक कभी किसी लड़की के जिस्म को टच नही किया था. पहली लड़की मिली ऑर वो भी मेरी सग़ी खाला. मैं बोहत एग्ज़ाइटेड था.

एग्ज़ाइट्मेंट मे मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ. मैं अपने जिस्म को आगे पीछे मूव करने लगा. ऑर खाला को भी मज़ा आने लगा.

वो भी अपनी गान्ड को कभी टाइट कर लेती ऑर कभी खोल देती. इतनी देर से हम लोग ये सब कर रहे थे मगर आहिस्ता आहिस्ता.
ना खाला कुछ बोल रही थी ऑर ना मैं कोई आवाज़ निकाल रहा था.. मुझे तो मुफ़्त मे मज़े मिल रहे थे. मैं कुछ बोलना भी नही चाहता था कि कहीं ऐसा ना हो कि खाला को बुरा लग जाए ऑर वो किसी को बता दे.

जब मेरा लंड पानी छोड़ने वाला था तो मेरा दिल कर रहा था कि मैं अपना पूरा लंड खाला की गान्ड मे घुसा दूं मगर बीच मे शलवार थी जिस की वजह से मैं ऐसा नही कर सकता.

मैं ने ऐक हाथ से अपना ट्राउज़र नीचे किया ऑर अपना लंड बाहर निकाल कर अपना लंड खाला की गान्ड की लकीर मे घुसा दिया.

अब खाला की गान्ड ऑर मेरे लंड मे सिर्फ़ ऑर सिर्फ़ खाला की शलवार थी. मेरा बस नही चल रहा था कि मैं ऐक दम से खाला की शलवार उतार दूं.

झटके मारते मारते मैं ने ऐक 2 झटका ज़ोर से मारे ऑर खाला की गान्ड की लकीर मे उसकी शलवार के उपेर ही फारिघ् हो गया.

जेसे ही मैं ने अपना पानी निकाला मुझे कुछ सकून मिला. ऑर मैं ने अपना लंड वापस अपने ट्राउज़र मे डाल दिया.

खाला ने मेरा हाथ छोड़ कर अपना हाथ अपनी गान्ड पर शलवार के उपेर रखा जहाँ पर मेरे लंड का पानी लगा हुआ था. जो खाला की गान्ड को शलवार के अंदर से भी गीला कर रहा था. खाला ने मेरे पानी को हाथ लगाया. ऑर बेड से उठ कर वॉशरूम मे चली गई.

खाला जेसे ही रूम से बाहर निकली मैं ने आइज़ खोली. ऑर उठ कर खाला के पास गया. मैं ने देखा की वॉशरूम का डोर खुला हुआ है. ऑर खाला की बॅक साइड दरवाज़ी की तरफ है.

मैं छुप छुप कर खाला को देखने लगा.. खाला ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे ऑर अपनी चूत मे फिंगरिंग करने लगी.

मैं पहली बार किसी लड़की का नंगा जिस्म देख रहा था. अपनी खाला को नंगा देख कर मेरा लंड फिर से हार्ड होने लगा.

खाला की बॅक दरवाज़े की तरफ थी. ऑर वो फिंगरिंग कर रही थी. उसको देख कर मैं ने अपना लंड ट्राउज़र से बाहर निकाला ओर मूठ मारने लगा.

मूठ मारते मारते जोश मे मेरा हाथ वॉशरूम के दरवाज़े पर लग गया.

जिसकी वजह से वॉशरूम के दरवाज़े की हल्की सी आवाज़ हुई. खाला ने ऐक दम घबरा कर पीछे मूड़ कर देखा. मगर मैं जल्दी से साइड मे होगया.

मैं डर गया था. ऑर शायद खाला ने भी मेरी ऐक झलक देख ली थी.
मैं जल्दी से बेड पर आ कर लेट गया.

डर के मारे मेरी गान्ड फॅट गई थी. ऑर मेरा लंड जो कुछ देर पहले किसी रोड की तरह टाइट था. खाला के डर की वजह से ऐक मरे हुए साँप की तरह हो गया था.

खाला जल्दी से रूम मे आई ऑर लाइट ऑन कर के मेरी तरफ देखा. मैं ने अपनी आइज़ को बिल्कुल हल्का सा ओपन रखा हुआ था ऑर मुझे नज़र आ रहा था सब कुछ

खाला मेरे क़रीब आई ऑर मेरी आइज़ ने देखने लगी. पता नही उन्हो ने क्या अंदाज़ा लगाया. उसके फेस पर ऐक स्माइल आई.

ऑर उन्होने वापस जा कर लाइट ऑफ की.

लाइट ऑफ करने के बाद वो मेरे साथ बेड पर आ कर लेट गयी. ओर ऐक बार फिर से मुझे हग कर लिया.

मैं भी अपने लंड का पानी ऐक बार निकाल चुका था. मैं ने भी खाला को हग किया ऑर फिर हम दोनो सकून से सो गये थे.

नेक्स्ट डे जब हम दोनो सुबह उठे तो एक दूसरे से कोई ज़िक्र नही किया.

खाला ने मेरी तरफ देखा ऑर कहा कि “जाओ जा कर नहा लो". मैं तुम्हारे कपड़े निकाल देती हूँ.

मैं नहाने चला गया ऑर नहा कर खाला को आवाज़ दी ऑर कपड़े देने का बोला.

खाला कपड़े ले कर आई. और मैने अपना हाथ बाहर निकाला मगर खाला ने डोर को थोड़ा सा धक्का दिया और अपना फेस अंदर कर के मुझे देखा ओर कहा कि जल्दी से बाहर आ कर नाश्ता कर लो.

मैं बाहर आया तो खाला मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. मैने शरम के मारे सिर झुका लिया.

फिर खाला ने मुझे कहा: तुम बैठो मैं भी जल्दी से नहा कर आती हूँ. मैं जब आवाज़ दूं तो मुझे मेरे कपड़े दे देना वॉशरूम मे.

मैने कहा की ठीक है.

खाला वॉशरूम मे गई ऑर वॉशरूम का डोर ओपन छोड़ दिया. और नहाने लगी. मैं इस एंगल पे बैठा था कि खाला मुझे नज़र नही आ री थी. नहाने से फारिघ् हो कर खाला ने मुझे आवाज़ दी ऑर कहा: कपड़े दे दो.

मैं खाला के कपड़े ले कर डोर के पास गया तो खाला एक दम से थोड़ी सी बाहर की तरफ हुई जिस की वजह से मुझे उनका एक मम्मा (ब्रेस्ट) नज़र आया. जब खाला ने देखा कि मैं उनका मम्मा देख रहा हूँ तो खाला ने जल्दी से मुझे कहा कि सॉरी. और अंदर हो गई.

जब खाला नहा कर निकली तो उनके कपड़े उनके गीले जिस्म के साथ चिपके हुए थे. जिस की वजह से उनके जिस्म का एक एक हिस्सा क्लियर नज़र आ रहा था.

मैं खाला के जिस्म को देख रहा था तो खाला बोली कि : क्या देख रहे हो मेरी तरफ.

मैने कहा : कुछ नही.

इतने मे मामी भी अपने रूम से निकल आई. और मामी ने कहा कि तुम दोनो बैठो. मैं नाश्ता लगाती हूँ. फिर मुझे पति के साथ जाना है 2 दिन के लिए.

मामी ने नाश्ता ला गया ऑर मामू को आवाज़ दी. मामू भी नाश्ता करने आ गये ऑर हम ने नाश्ता किया.

मैं खाला के साथ वाली चेयर पे बैठा हुआ था. तो खाला अपनी टाँग मेरी टाँग के साथ लगाने लगी.

मैने जल्दी जल्दी नाश्ता ख़तम किया और खाला से कहा कि मैं बाहर जा रहा हूँ क्रिकेट खेलने.

मामू ने मुझे कहा कि तुम बाहर ना जाओ. खाला घर मे अकेली है. अब हम लोग जा रहे हैं दो दिन बाद आएँगे . जब तक तुम ने घर से बाहर नही जाना. और खाला का ख़याल रखना है. मैने खाला की तरफ देखा ऑर कहा कि मैं खाला का बहुत ख़याल रखूँगा .

हम लोग नाश्ते से फ्री हुए तो मामी उठ कर अपने रूम मे चली गई. और तय्यारी करने लगी.
और मैं उठ कर टीवी लाउंज मे आ गया ऑर केबल पर मूवी देखने लगा.

खाला ने बर्तन वग़ैरह समेटे ऑर टीवी लाउंज मे आ कर मेरे साथ सोफे पर बैठ गई ऑर मूवी देखने लगी.

मामू भी वहाँ ही आ गये ऑर खाला से बोले : तुम अकेली बोर हो जाओगी . ऐसा करो कि तुम अपनी फ्रेंड को बुला लो 2 दिन के लिए.

खाला ने कहा कि नही भाई मैं ऐसे ही ठीक हूँ ऑर अयान (मैं) है ना मेरे साथ. मुझे कुछ प्राब्लम नही है.

मामू बोले नही यार. कम आज़ घर मे ज़्यादा बंदे होंगे तो मुझे कोई टेन्षन तो नही होगी ना.

अब खाला भी कुछ नही कर सकती थी क्यू कि बड़ा भाई बोल रहा था ऐसा करने को. तो खाला ने अपनी फ्रेंड जिसका नाम सोबिया है. उसको कॉल कर दी तो सब बात बताई.

सोबिया ने अपनी अम्मी से पार्मिशन ली ऑर कहा की ठीक है मैं कुछ देर मे आ जाउन्गी. जिस पर मामू थोड़ा रिलॅक्स हो गये. और अपने रूम मे चले गये.

खाला उठ कर घर की सफाई करने लगी. सब चीज़ें समेट कर खाला घर मे झाड़ू लगाने लगी.

खाला जब रूम से बाहर झाड़ू लगा रही थी तो मैं उनको देख रहा था. उनकी गोल गोल गान्ड मुझे बहुत अच्छी लग रही थी ऑर मुझे रात वाली हरकत याद आ गई.

रात वाली हरकत को याद कर के मेरा लंड खड़ा होने लगा. ऑर मैं उसको शलवार के उपर से पकड़ कर सहलाने लगा.

खाला ने जब बाहर से झाड़ू लगा ली तो टीवी लाउंज मे आ गई झाड़ू लगाने के लिए.

खाला ने दुपट्टा नही लिया हुआ था. जब वो मेरे सामने आई तो मुझे महसूस हुआ कि शायद खाला ने ब्रा भी नही पहना है. ये सोचते ही मेरा लंड एक दम से डंडे की तरह खड़ा हो गया.

मैने जल्दी से अपने लंड पर हाथ रख दिया ऑर अपनी टाँग के उपर टाँग रख दी.

खाला की नज़रो मे मेरा खड़ा हुआ लंड आ गया था. मैं घबरा गया था कि कहीं खाला को बुरा ना लग जाए.

खाला मुस्कुरा दी ऑर कमरे मे झुक कर झाड़ू लगाने लगी. जिस की वजह से खाला के मम्मे लटक कर कमीज़ से जुड़ गये थे.

मैं अपने लंड को बिठाने की बहुत कोशिश कर रहा था मगर लंड था कि सोने का नाम ही नही ले रहा था. मेरे माथे पर पसीना आ गया था कि अगर खाला ने मेरा खड़ा हुआ लंड देख लिया तो क्या होगा .

खाला मेरी हालत को फील कर रही थी ऑर एंजाय कर रही थी

खाला ने मेरे माथे पर पसीना देखा तो बोली: अयान तुम्हारी तबीयत ठीक है ना?

मैं: हाँ, हाँ हाँ मैं ठीक हूँ. तो खाला मेरे पास आई ऑर कहा कि ये तुम्हे इतना पसीना क्यू आ रहा है.

मैं: पता नही गर्मी है बहुत शायद इस वजह से.

खाला: नही गर्मी तो नही है इतनी

फिर खाला ने मेरे माथे पे हाथ लगाया ऑर बोली.

तुम्हे तो बुखार भी नही है. फिर क्या हुआ.

और इसी तरह खाला मेरे सामने खड़ी हुई थी ऑर मैं खाला के मम्मो की तरफ देख रहा था.

एक दम से खाला ने अपनी कमीज़ का पल्लू उठाया ओर मेरे माथे पर से पसीना सॉफ करने लगी.

कमीज़ का पल्लू उठाने की वजह से उनका पेट मुझे नज़र आने लगा. मैं खाला का पेट देख रहा था ऑर खाला मेरे माथे पर से पसीना सॉफ कर रही थी.

खाला जब मेरे सामने से पसीना साफ कर रही थी तो मैं सोफे पर बैठा हुआ था. और खाला मेरी टाँगों के बीच मे खड़ी हुई आहिस्ता आहिस्ता मेरा पसीना सॉफ कर रही थी.

माथे पर पसीना सॉफ करने के बाद खाला मेरे सिर पर बालों मे अपनी कमीज़ से पसीना साफ करने लगी. जिसकी वजह से खाला की कमीज़ थोड़ा सा ऑर उपर हो गई.

खाला ने मेरा सिर नीचे किया तो मेरा फेस खाला के पेट से टच होने लगा.

जेसे ही मेरा फेस खाला के पेट से टच हुआ “““मेरा लंड रोड की तरह सीधा खड़ा हुआ ऑर खाला की शलवार के उपर से उसकी चूत को टच करने लगा""".

खाला के निचले जिस्म को एक हल्का सा झटका लगा. मगर खाला अपनी जगह से हिली नही.

अब मेरा लंड शलवार के उपर से खाला की चूत को टच क्र रहा था तो खाला ने मेरा फेस अपने पेट पर दबा दिया. और ज़ोर ज़ोर से मेरे बालों पर फिंगर्स मूव करने लगी. अब एक ओर चेंजिंग भी आ गई थी कि खाला मेरे सिर मे फिंगर्स मूव करने के साथ साथ “‘अपनी चूत को भी मेरे लंड पर हल्का हल्का मूव करने लगी““

ऐसे ही चल रहा था कि अचानक घर के मेन डोर पर दस्तक हुई.
और खाला जल्दी से मुझसे अलग हुई.

खाला की आँखे लाल हो रही थी ऑर उनका साँस तेज तेज चल रहा था.

खाला ने मुझसे पूछा: अयान जानू अब कैसा फील कर रहे हो.

मैं: अब ठीक हूँ.

खाला के अचानक हट जाने से मैं एक दम घबरा गया ऑर मुझे अहसास भी नही हुआ कि मेरा लंड अभी तक खड़ा है. और खाला मेरे लंड को ही देख रही थी जो उस टाइम तकरीबन 6 इंच का था.

इसी दौरान दरवाजे पर फिर दस्तक हुई तो खाला ने अपने कपड़े ठीक किए ऑर मुझे कहा:

अयान तुम ठीक से हो कर बैठो. मैं दरवाज़ा खोलती हूँ.

मैने जब देखा तो मेरा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा हुआ था.

मैं जल्दी से उठ कर वॉशरूम की तरफ भागा. ऑर खाला दरवाज़ा खोलने चली गई……

कहानी जारी रहेगी.............

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मेरा नाम राहुल है. मेरी उमर 24 साल है Hindi Porn Stories और मेरी शादी अभी नहीं हुई है. मैं आगरा में नौकरी करता हूँ. मैंने ऑफ़िस के पास ही एक कमरा किराये पर ले रखा है. मेरा कमरा ऊपर वाली मंजिल पर था. इस घर में नीचे बस एक परिवार रहता था. उसमें एक 18 साल की लड़की सोनम, उसकी मम्मी सोनू और पापा कमल रहते थे.

सोनम बहुत शरारती थी… कभी कभी वो सेक्स सम्बंधी सवाल भी कर देती थी.
आज भी सवेरे सोनम चाय ले कर आई और मुझसे पूछने लगी- ‘अंकल… मम्मी पापा हमेशा साथ सोते है पर रात को वो लड़ते भी है…’
‘अरे नहीं… लड़ेगे क्यूँ… क्या वो एक दूसरे को बुरा भला कहते है…?’
‘नहीं, पापा मम्मी के ऊपर चढ़ कर…उनकी छातियों पर हाथ से मारते हैं…मम्मी नीचे हाय-हाय करके रोती हैं!’

‘अरे…अरे… चुप… ऐसे नहीं कहते…वो तो खेलते हैं, तुमने और क्या देखा?’ मेरी उत्सुकता बढ़ गई.
‘और बताऊँ… पापा मम्मी का पेटीकोट उतार देते है और खुद भी पायजामा उतार देते है, फिर और भी लड़ते हैं…मम्मी बहुत रोती है और हाय-हाय करती है!’

मैं ये सुन कर उत्तेजित होने लगा. कि ये इतनी बड़ी लड़की हो कर भी अन्जान है या जान करके मुझे छेड़ रही है.

‘अरे तुम्हारी मम्मी रोती नहीं है सोनम… वो एक खेल है जिसमें मजा आता है… तुम नहीं समझोगी…!’
‘अच्छा अंकल इसमें मजा आता है? आपको आता है ये खेल…?’
‘हाँ…हाँ… आता है…!’ मैं सोनम की बातों से से हैरान हो गया… क्या ये सच में अनजान है?

‘अंकल चलो न फिर हम भी खेलें…?’
‘अरे… चुप… ये बड़े लोगों का खेल है… जैसे तुम्हारी मम्मी जितनी बड़ी… तुम भी खेलना मगर शादी के बाद!’ मैंने भी असमंजस में था पर उसे इशारा दे दिया.
‘अंकल मैं भी 18 साल की हो गई हूँ अभी पिछले महीने… खेलो ना मेरे साथ…’ मैंने सोचा अब ये मस्ती कर रही है… चलो थोड़ा सा मजा कर लेते हैं…!
‘अच्छा बताओ कि पापा सबसे पहले क्या करते है…?’

‘वो तो पता नहीं पर वो चुम्मा लेते हैं…’ उसके बताने पर मैं हंस पड़ा और रोमांचित भी हो गया.
‘तो फिर आओ… हम भी यही करते हैं…’

मैंने सोनम को पास बैठा कर उसके होठो को चूम लिया. वो शरमा गई… मैं समझ गया था उसका बहाना.
‘अंकल ऐसे तो अच्छा लगता है… और करो!’

मुझे मजा आने लगा था… सोनम की मन्शा मैं समझ गया था. मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसके नरम नरम होन्ठों पर अपने होंठ रख दिये… सोनम के होन्ठ कांप रहे थे… मैंने अपने हाथों को उसकी छोटे छोटे निम्बू जैसे उरोज पर रख दिये… और सहलाने लगा… सोनम मेरे से और लिपटने लगी… उसकी धड़कन बढ़ गई थी… सांसे तेज हो चली थी.
‘अंकल ये तो और ज्यादा मजा आ रहा है…’ वो कुछ कुछ लड़खड़ाती जबान से बोली… मेरी आंखो में वासना के डोरे उभरने लगे थे.

अब मेरे हाथ सोनम की नरम नरम जांघो पर फ़िसल रहे थे… नया ताजा माल मिल रहा था… सारा बदन अनछुआ लग रहा था. मैंने अपने हाथ उसकी चूत तक पहुंचा दिये…. मेरे हाथ सोनम की चूत पर आ चुके थे… मैंने चूत सहलाते हुये उसे दबा दिया…सोनम ने भी अपनी चूत और खोल दी.

‘अंकल मुझे कुछ हो रहा है…ये नीचे कड़ा कड़ा क्या है ‘ सोनम ने पज़ामे के उपर से मेरा लण्ड कस के पकड़ लिया.
‘बेबी हाय… पकड़ लो इसे…! देखो जोर से दबा कर पकड़ना…!’ मेरे मुँह से सिसकारी निकल पड़ी. सोनम ने पज़ामे के ऊपर से मेरा तना हुआ कठोर लण्ड पकड़ कर मसल दिया.
‘पापा के भी ऐसा है,…मम्मी इसे चूसती भी है… मुझे भी इसे चूसने दो..’
‘जोर से मसल दे बेबी… फिर तुझे चूसने भी दूंगा…’

मैं तो मस्ती में बेहाल हो रहा था… खेल खेल में ये क्या हो गया हो गया. मैंने अपना लण्ड पाज़ामे में से बाहर निकाल लिया. लाल सुपाड़ा… चिकना फ़ूला हुआ…एक दम कड़क…
सोनम कहने लगी- अंकल ये तो बहुत बड़ा है… ये तो कैसे चूसूंगी…?

इतने में नीचे से सोनम की मम्मी ने आवाज लगाई.

‘बेबी थोड़ा सा चूस तो ले फिर चली जाना!’
सोनम जाते हुये और हंसते हुए बोली- अंकल बड़ा मजा आ रहा है, मैं अभी वापस आती हूं…

मैंने एक गहरी सांस भरी. मैंने सोचा ये तो अब गई. सोनम के जाने बाद मैं अपने रोज़ के कामों में लग गया और नहाने बाथ रूम में चला गया. नहाने के बाद मैं तौलिया लपेट कर जैसे ही बाहर आया तो सोनम की मम्मी सोनू कमरे में बैठी थी. मुझे वो गहरी नजरों देखने लगी.
‘आप खाना खा कर जाना… मैंने बना दिया है…’
‘जी… भाभी जी…’

‘हाँ सोनम को आपने कौन सा खेल सिखा दिया है…’ मैं एकदम से घबरा गया… मेरा मुँह सूख गया. मेरी हालत देख कर सोनू बोली- सोनम बहुत खुश नज़र आ रही थी?
‘न… न… नहीं… ऐसा कुछ नहीं ‘ मैंने बचने की कोशिश करने लगा.
‘मुझे भी सिखा दो ना…’
‘जी…जी… भाभी वो तो… खुद ही…’
‘बस बस… सोनम बता रही थी कि… आपने मुझे बुलाया है… ‘ वो और पास आ गई. उसकी मतलबी निगाहें मुझे कह रही थी.
‘नहीं भाभी… मैंने तो ये कहा था कि…ये खेल बड़ों का है… जैसे कि मम्मी…’

‘हाय… राहुल… मैं मम्मी ही तो हूं… सिखा दो ना…’ उसकी आवाज सेक्सी होती जा रही थी. मुझे लगा इन्हे सब पता है…वो सीधे ही लाईन मार रही थी और…मैंने भी ये जान कर अब वार किया
‘सोनू जी… आप तो रोज़ ही खेलती है… क्या आप…’
‘हाँ राहुल जी… अपनी कहो…खेलोगे…’

मेरे से रहा नहीं नहीं गया. मैंने सोनू को अपनी ओर धीरे से खींचा.
‘आपकी आज्ञा हो तो…श्री गणेश करूँ…?’ इतना सुनते ही वो मेरी छाती से ऐसे लिपट गई जैसे वो यही चाह रही हो…

अब उसकी आंखे मुझे चुदाई का निमन्त्रण दे रही थी. मैंने भी उसकी आंखों झांका…वासना के डोरे आंखों में थे. वो और मेरे पास आ गई और अपनी चूत को मेरे लण्ड से सटा दिया. मेरा तौलिया जाने कब नीचे फ़िसल गया, मुझे कुछ होश ही नहीं रहा…मैं नंगा खड़ा था… मुझे लगा किसी ने मेरा लण्ड पकड़ लिया है…
मैंने देखा सोनम थी.

‘मम्मी ये देखो… कितना मोटा है… पापा से भी लम्बा है..’
‘अरे सोनम ये क्या कह रही है… पापा का लण्ड…?’ मैं फिर से हैरान रह गया.

तभी सोनू बोल उठी…’हम जब चुदाई करते हैं…तो ये रोज़ सोने का बहाना करके हमें देखती है… इसे सब पता है…!’
‘पर ये तो कह रही थी कि…’
‘नहीं… बस करो ना…अब भी नहीं समझे, मैंने इसे सिखा कर आपके पास भेजा था.. कि लाईन साफ़ हो तो मैं फिर…’

मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया…’अच्छा जी… सब समझ में आ रहा है… आपकी इज़ाज़त हो तो आगे बढ़ें?’

सोनू के कपड़े भी एक एक करके कम होते जा रहे थे. सोनम को तो मेरा कड़क लण्ड मसलने में आनन्द आ रहा था. मुझे भी उसके नरम हाथों का आनन्द आ रहा था.
मैंने सोनम के उरोज दबाते हुये कहा- शैतान मुझे बेवकूफ़ बनाया तूने…!
‘अंकल…मुझे तो मम्मी ने कहा था… और मसलो ना अंकल!’
‘नहीं…बस अभी नहीं… पहले मम्मी… पहले वो चुदेंगी… ‘ मैंने मम्मी की तरफ़ इशारा किया.
‘राहुल… पहले इसे हाथ से कर दो… पर देखो इसे चोदना नहीं…’ सोनू ने सोनम की तड़प देख ली थी.

सोनम ने तुरन्त अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये… उसकी उभरती जवानी… वाह… मैं तो देखता रह गया…उभरी हुई चूत उसकी झीनी पेंटी से झांक रही थी…क्या चीज़ छुपा रखी थी उसने अपनी गुलाबी पेंटी में!

पेंटी के हटते ही पाव रोटी की तरह फ़ूली हुई चूत मेरे सामने थी बिल्कुल गोरी चिट्टी,
झाँटों के नाम पर हल्के हल्के से रौएँ ही थे,
चूत की फ़ांकें संतरे की फ़ांकों जैसी रस भरी,
अन्दर के होंठ हल्के गुलाबी और कॉफ़ी रंग के आपस में जुड़े हुए,
चूत कोई चार इन्च की गहरी पतली खाई जैसे,
चूत का दाना बड़ा सुर्ख लाल बिल्कुल अनार के दाने जैसा,
गोरी जांघें संगमरमर की तरह चिकनी, उरोज छोटे छोटे मगर सीधे तने हुए… अनछुए…

मेरा लण्ड बैचेन हो उठा मैंने उसे अपनी गोदी में बैठा लिया. दोनों नंगे बदन आपस में चिपक गये. धीरे धीरे उसके निम्बू जैसे स्तनों को सहलाने लगा…

‘देखो वो अभी जवान हुई है… उसे बहुत मजा आता है ऐसे करने में… वो सब जानती है… करते रहो…पर रगड़ कर!’ सोनू मुझे बताती जा रही थी और उत्तेजित भी हो रही थी… उसने अपनी चूत में अंगुली डाल ली थी.

मैंने सोनम की चूत को भी सहलाना चालू कर दिया था. सोनम तड़प उठी थी… वो मेरे लण्ड को खींचने लगी थी… मेरे लण्ड के मुँह पर चिकनाई आने लगी थी. उसकी चूत भीग उठी थी. सोनम ने मम्मी की तरफ़ देखा. वो चूत में अंगुली डाले अन्दर बाहर करने में व्यस्त थी. सोनम ने मेरा तना लण्ड अपनी चूत पर रख दिया और अपनी चूत को लण्ड पर दबाने लगी.

मेरे से रहा नहीं गया. मैंने भी धीरे से जोर लगा कर सुपाड़ा उसकी चूत में घुसा दिया. सोनम के मुख से सिसकारी निकल पड़ी. इसी सिसकारी ने सोनू की तन्मयता को तोड़ दिया.

वो चौंक गई ‘अरे… ये नहीं… हटो… हटो…’ सोनू ने जल्दी से उठ कर सोनम की चूत से मेरा लण्ड निकाल दिया…
‘मम्मी… करने दो ना…’ सोनम तड़प उठी…
सोनू ने सोनम को प्यार किया और बोली- अभी नहीं… सोनम… देख झिल्ली फ़ट जायेगी…! बस बहुत मजे ले लिये…! अब हट जा..!’

सोनम सब समझती थी… उसे सोनू ने बिस्तर पर लेटा दिया और मुझे इशारा किया… मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू कर दी और सोनू उसके चूचुक मसलने लगी… कुछ ही देर सोनम का पानी निकल गया… पर वो मुझे ही निहार रही थी…
‘राहुल… मैं हूँ ना… अब मेरी बारी है.. प्लीज़ मुझे चोदो ना!’ और मुझसे लिपट गई. मुझे बिस्तर पर धक्का मार कर लेटा दिया.

मेरा लण्ड तो पहले ही चूत के लिये तरस रहा था. जैसे ही वो मेरे ऊपर चढ़ी, मैंने उसे अपने ऊपर लेटा लिया. उसकी चूत पर मेरा लण्ड ठोकर मारने लगा था. कुछ ही देर में मेरे लण्ड को चूत का छेद मिल ही गया. मैंने धीरे से लण्ड अन्दर ठेल दिया.

सोनू के मुख से एक प्यारी सी सिसकारी निकल पड़ी. लण्ड अपना काम कर चुका था, और उसकी चूत की गहराईयों में उतरता जा रहा था. लगा कि अन्दर नरम सी चूत के अन्तिम छोर को छू गया था.

वो मेरे लण्ड पर अब बैठ गई थी. सोनू ने अपने चूतड़ ऊपर किए ओर अच्छी तरह से एक धक्का नीचे मार दिया. लण्ड पूरा जड़ तक गड़ गया. सोनू के दोनों बोबे सोनम ने दबा के मसलने चालू कर दिये. अब सोनू इत्मिनान से धीरे धीरे अपने चूतड़ हिला हिला कर चुदाई कर रही थी और आनन्द ले रही थी.

सोनम ने अपनी एक अंगुली सोनू की गाण्ड में डाल दी और घुमाने लगी. सोनू मस्ती में सिसकारियाँ भर रही थी और मस्ती में कुछ बोल भी रही थी. सोनू के कोमल धक्के बरकरार थे, वो ज्यादा देर तक मजा लेना चाहती थी पर मैं तो प्यासा था.. मुझसे रहा नहीं गया… मैंने सोनू को अपने से चिपका लिया और एक पलटी मार कर उसे अपने नीचे दबोच लिया.

वो फ़ड़फ़ड़ा उठी… मैंने अपना सीना ऊपर उठा कर, अपने दोनों हाथ बिस्तर पर जमा कर चूतड़ का जोर उसकी चूत पर डाल दिया. लन्ड उसकी चूत में अन्दर सरकता चला गया.

सोनू आनन्द से सिसक उठी और उसने अपनी चूत लण्ड से भिड़ा दी… उसका जिस्म मचल रहा था… उसके तन का तनाव… कसमसाना… शरीर की ऐंठन… उसकी उत्तेजना दर्शा रही थी….मुझे स्वर्ग जैसा आनन्द आने लगा. मेरे धक्के अब तेज होने लगे थे.

‘हाय रे मेरी रानी कितनी तंग चूत है…रगड़ के जा रहा है…कितना मजा आ रहा है..!’
‘हाय चोद दो मेरे राजा… मोटे लण्ड का स्वाद अच्छा लग रहा है हाय रे…!’
‘हाय… आहऽऽऽ… ओहऽऽऽ चुद ले मेरी रानी… हाय ले… और ले…’ मैं उत्तेजना में धक्के लगाये जा रहा था. चूत का पानी फ़च फ़च की आवाज कर रहा था.
‘मेरे राजा… ईऽऽऽह्ह… और जोर से… और भी…’

वो अपनी चूत उछाल रही थी और मेरे चूतड़ भी दनादन चल रहे थे…मीठी मीठी सी गुदगुदी तन में भरती जा रही थी. सोनू मुझे बार बार भींच रही थी.
‘मेरे बोबे दबा डालो राजा… मचका दो इसे… चूंचियाँ खींच डालो मेरे राजा…’

मैंने उसके उरोजो को बुरी तरह से भींचने चालू कर दिये, मुझे आनन्द की चरमसीमा नजर आने लगी थी… सोनू निहाल हो उठी थी- आऽऽऽह ओऽऽऽह मेरे राजा… चोद डालो… हाऽऽऽय… जोर से…!’

वो मुझे जकड़े जा रही थी… मुझे लगा कि अब सोनू झड़ने वाली है…मैंने उसकी चूंचियों से हाथ हटा दिया…
‘क्या कर रहे हो…! मसल डालो ना… जल्दी… आऽऽऽह… मैं गई… आह रे…! मेरा निकला…! मैं गई…राजा… मुझे कस लो…’
‘हाँ रानी… निकाल दो अपना पानी… आऽऽऽह…!’
‘मैं मर गई… राजा… हाय रे… ओऽऽऽह ऊऊऽऽऽह्ह्ह… गईऽऽऽ… झड़ गई रे… हाय… हाय…!’

वो अब झड़ने लगी थी… सिसकारियाँ भरती जा रही थी.. तेज सांस चल रही थी…आंखे बंद थी…

उसकी चूत की दीवारें लण्ड को जकड़ रही थी… उसका झड़ना मुझे महसूस होने लगा था…और फिर मेरा बान्ध भी टूटने लगा… मैंने तुरन्त लण्ड बाहर निकाल लिया… मैं लण्ड पकड़ कर मुठ मारने लगा… कुछ ही पलों में सोनू का चेहरा मेरे वीर्य की पिचकारियों से भर उठा. पिचकारी निकलती रही… उसने अपनी आंखे बन्द कर ली.

मैं शान्त हो चुका था…सोनू मेरे वीर्य को चेहरे पर क्रीम की तरह मल लिया. अब वो मुस्कुरा उठी और मेरा लण्ड अपने मुँह में भर लिया. सारा वीर्य चूस कर मेरे ढीले लण्ड को छोड़ दिया. सोनम ने कुर्सी पर बैठे बैठे ही मेरा गीला तौलिया हमारी तरफ़ उछाल दिया. सोनू ने अपना चेहरा साफ़ किया…और मेरा झूलता हुआ लण्ड भी रगड़ कर पोंछ डाला.

अब मैं और सोनू साथ साथ ही नंगे बिस्तर पर लेट गये थे सोनम भी नंगी ही मेरे साथ चिपक कर लेट गई… मुझे अपनी किस्मत पर नाज़ हो रहा था… भले ही वो मां बेटी हो…पर आज दो दो हसीनाएँ मेरी दोनों बगल में लेटी थी…

‘अंकल मेरी मम्मी अच्छी है ना…’
‘हाँ सोनम बहुत अच्छी… और तुम भी प्यारी प्यारी हो…’
‘अंकल अब दूसरा खेल सिखाओ ना…’
‘चुप शैतान…!!!’

हम तीनो ही हंस पड़े… पर सोनम उसका हाथ मेरे लण्ड पर बार बार जा रहा था… मैं सब समझ रहा था उसकी बेचैनी… वो तो मेरे लौड़े का आनन्द पाने को बेकरार हो रही थी… उसकी चूत की गर्मी मुझ तक आ रही थी… मैं भी एक हाथ से सोनू का नंगा बदन सहला रहा था.

वो आंखे बन्द किये सुस्ता रही थी और दूसरी और मेरे दूसरे हाथ की एक अंगुली सोनम की चूत में घुस चुकी थी और मैं उसका योनि-पटल अपनी उंगली से टकराता हुआ महसूस कर रहा था और मेरा मन सोनम की कुंवारी चूत का उदघाटन करने के लिए मचल रहा था.

सोनम का हाथ मेरे लण्ड पर चल रहा था, उसकी मनोदशा भी मुझ से छिपी नहीं थी.
सोनम और मेरी आंखों में इशारे हो चुके थे. यानि चुपके से शाम को…सोनम की एक नई शुरूआत… और मेरे लिए एक नई अनछुई सौगात…Hindi Porn Stories

sex Stories

यह उन दिनों की बात है sex Stories जब मैं स्थानान्तरण पर ग्वालियर आया था। घर पर हमने एक काम काज के लिये एक लड़की को रख लिया था। उसका नाम सोनिया था। वो दुबली पतली और लम्बी लड़की थी। काम में माहिर थी। धीरे धीरे वो मुझे अच्छी लगने लगी थी। घर को ठीक से सेट करने के बाद मेरी पत्नी वापस भोपाल चली गई थी।

दिसम्बर का महीना था और उसका स्कूल 15 मई तक था। सोनिया यूँ तो एक साधारण लड़की थी, सेक्सी भी नहीं लगती थी, पर उसकी छोटी छोटी चूंचियां और उसके चूतड़ मुझे बहुत भाते थे। वो नजरें चुरा कर मेरी इस हरकत को देखती थी पर कुछ नहीं कहती थी।

धीरे धीरे अब हम दोनों बातें भी करने लगे थे। वो मुझे अधिकतर अपनी बड़ी बहन राधा के बारे में बताती रहती थी। उसकी बड़ी बहन की शादी होने वाली थी। उसकी बड़ी बहन 21 वर्ष की थी, यानी सोनिया से 2 साल बड़ी थी। अपने जीजू को लेकर सोनिया बहुत बातें करती थी, उसे लड़कों के बारे में बाते करना अच्छा लगता था। मैं उसे अब अपने पास बैठा कर चाय और कुछ खाने को देता था जिसे वो बड़े शौक से खाती थी।

एक दिन मैंने उससे हिम्मत करके पूछ ही लिया,’सोनिया, तेरा कोई लड़का दोस्त है?’

पहले तो वो शरमा गई, फिर कुछ गुस्से में बोली- अंकल, राधा है ना, उसने मेरा सारा काम बिगाड़ दिया, उसने हम दोनों को एक साथ देख लिया था !

‘अच्छा, तुम दोनों क्या कर रहे थे।’ मैंने उत्सुकतावश पूछ लिया, वो गुस्से और जोश में बताती चली गई, यह भी भूल गई कि क्या बता रही है।

‘रमेश मुझे अकेला पा कर मुझे चूमने लगा और मेरे शरीर को भी छूने लगा, तो दीदी अचानक आ गई और हमें देख लिया।’

‘अरे प्यार में तो शरीर को छुआ जाता है, इधर उधर हाथ भी लगाते हैं, तो दीदी को तुमसे क्या लेना था?’

‘हां यही तो, वो मेरी छातियों को दबा रहा था, मुझे चूम रहा था, तो वो जल गई !’

‘कैसे, यहाँ छाती पर… ऐसे…?’ मैंने उसकी छोटी सी एक चूची को दबाते हुए कहा।

‘अंकल, अब आप भी… हटो मैं नहीं बताती।’ मेरी इस हरकत पर उसने नाराजगी जाहिर की।

‘क्यों, अच्छा नहीं लगा? रमेश ने किया था तो कैसा लगा था। फिर हाथ लगाने से कुछ होता थोड़े ही है’ मैंने स्थिति को सम्हालने की कोशिश की।

‘अंकल, गुदगुदी होती है ना, मन में भी कुछ होता है, आपका हाथ लगाने से अभी तो हुआ ना !’ उसने शरमाते हुए कहा।

‘तो और लगाऊँ क्या? गुदगुदी में तो मजा आता है ना !’

‘अंकल, अच्छा एक बार सिर्फ़, फिर नहीं… ठीक है ना !’ उसने शरमाते हुए कहा। मेरा मन खिल उठा, यानि इसे मजा आया था और मैंने उसकी भावनाओं को जगा दिया था। मैंने धीरे से उसकी छोटी छोटी चूंचियों को सहलाना चालू कर दिया। कभी कभी उसके निपल भी उमेठ देता था। वो सिसकारी भरने लगी।

‘कैसा लग रहा है सोनिया, मजा आ रहा है ना?’

‘अंकल, हाय और करो, यहाँ दीदी थोड़े ही है, कौन मना करेगा, हाय अंकल!!!’ वो अब मस्ती में आ गई थी। मेरा लण्ड पजामें में से जोर मारने लगा था।

‘सोनिया, मुझे चुम्मा दोगी?’ मैंने उससे किस करने को कहा। पर इतना कहने पर तो मेरे से लिपट ही गई और मेरे होंठो को अपने होंठो से दबा लिया।
वह उत्तेजना में बह निकली थी। मेरे शरीर को कसती जा रही थी।
मैंने उसकी वासना को बढ़ने दिया और उसे लेटा दिया। उसे दबाता हुआ उसके ऊपर चढ़ गया।
वो मेरे शरीर के नीचे दब गई और आहें भरने लगी- अंकल आप कितने अच्छे हैं, आह, मेरी इच्छा पूरी कर दो अंकल, मुझे चोद दो…हाय !
उसके मुँह से उसकी इच्छा प्रकट हो गई।

‘सोनिया, तुम भी बहुत प्यारी हो, आह मेरा लण्ड पकड़ ले रे, मुठ मार दे !’

‘अंकल, मेरे बोबे दबा दो, हाय राम रे ! मैं तो आज मर जाऊंगी !’ सोनिया सिसकते हुए बोली। उसे मसलने और चूमने के बाद मैं उससे अलग हो गया।

‘सोनिया, अपना सलवार कुर्ता उतार दो, मैं भी उतार देता हू, मजा करेंगे।’ मैंने अपनी वासना को रोका नहीं, उसे चुदाने के लिये निमन्त्रण दे दिया।

‘हाँ अंकल, बहुत मजा आ रहा था, और करें, अरे ये तो देखो, तुम्हारा गंगाराम कैसा हो रहा है।’ हंसते हुए उसने मेरे लण्ड की तरफ़ इशारा किया।

‘गंगाराम? मतलब?’

‘अरे ये डण्डाराम, रमेश का भी ऐसा ही था।’

‘सोनिया, फिर चुदाया था तुमने…?’

‘अंकल, नहीं, दीदी ने काम बिगाड़ दिया था ना !’

‘पहले कभी चुदाया था क्या?’

‘अब छोड़ो ना, अब कर लेते हैं, अंकल आपने तो आण्टी को खूब चोदा होगा, कैसा लगता है?’ सोनिया का शरीर चुदासा हो रहा था। मेरा लण्ड भी चोदने को फ़डक रहा था,’खुद चुदवा के देख लो, तो पता चल जायेगा।’

मैंने अपना पजामा उतार दिया। मेरा तन्नाया हुआ लौड़ा देख कर वो शरमा गई। मैंने उसका सलवार और कुर्ता उतार दिया और उसके नंगे बदन को प्यार करने लगा। वो नंगी ही शरमाती और बदन को छुपाती रही। पर जब मैंने उसकी चूत को खोल कर अपने होंठ उस पर रखे तो वह चिहुंक उठी।

‘अंकल यहाँ नहीं करो… शर्म आती है !’ वो सिमटती हुई बोली।

पर किया उल्टा ही, उसने अपने दोनों पांव चौड़े कर के चूत को खोल दिया और झुकते हुए मेरे बाल पकड़ कर चूत का पूरा जोर मेरे मुख पर लगा दिया। मैंने भी उत्तर में अपनी जीभ उसकी योनि में घुसा दी।

‘अंकल, मर जाऊंगी, हाय रे !’ वो नीचे हाथ बढ़ा कर मेरे लण्ड को पकड़ने की कोशिश करने लगी। मैं अब बिस्तर में एक तरफ़ आ गया।
‘अंकल, मैं आपके लौड़े से खेल लूँ, मजा आयेगा !’ अपनी इच्छा जाहिर की।

मैं सीधा हो गया और उसने मेर खड़ा लण्ड पकड़ लिया और धीरे धीरे ऊपर नीचे करके मुठ सा मारने लगी।
‘आपका लौड़ा मस्त है, लाल टोपी कितनी सुन्दर है !’
‘लौड़ा नहीं, लण्ड बोलो, लण्ड शब्द अच्छा है !’

‘मैं तो लौड़ा ही कहूंगी, मेरी माँ को भी मैंने यही कहते सुना है !’ मैं हँस पड़ा। उसने मेरे लण्ड के सुपाड़े को चाटना शुरू कर दिया। उत्तेजना बहुत बढ़ चुकी थी। मैंने सोनिया के शरीर को दबा कर नीचे कर लिया और और उस पर चढ़ बैठा।

‘सोनिया, तैयार हो जाओ चुदने के लिये !’

‘हाय रे, तैयार हूँ, हाय घुसेड दो लौड़ा… मेरे राजा !’ वह उत्तेजना से मचल उठी। उसने अपनी दोनों टांगें ऊपर उठा ली। लण्ड गीली चूत को चूमता हुआ फ़क से अन्दर उतर आया। मैंने धीरे से लण्ड दबाया। चूत टाईट थी। पर मैंने धीरज रखा। धीरे धीरे अन्दर उतारने लगा।

‘अंकल थोड़ा सा दर्द हो रहा है और धीरे करो।’ मुझे पता चल गया कि फूल अभी खिला नहीं है, सील टूटी नहीं है। मैंने उसे प्यार से चूमा और कहा,’थोड़ा सा दर्द शुरू में होगा, फिर तो बाद में मजे ही मजे हैं !’

‘चलो ना, चोद दो ना अब !’ मैंने उसे आश्चर्य से देखा और उसकी चूत में जोर लगा कर पूरा जड़ तक घुसा डाला। वो चीख उठी।

‘अरे, हाय रे… मर गई मैं तो, निकालो वापस !’ उसकी आंखों से आंसू छलक पड़े। उसका चेहरा विकृत हो उठा, दांत भींच लिये। मैं चुप से उस पर लेट गया और उसे प्यार करने लगा।

‘बस बस सोनिया, शान्त हो जाओ, बस हो गया जो होना था, अब स्वर्ग में चलें?’ आंसू भरे चेहरे में भी वो हंस पड़ी।

‘इतना तेज दर्द होगा, यह मुझे नहीं मालूम था। अब और तो नहीं होगा ना?’

‘बस दो तीन धक्कों में होगा, फिर चूत की मिठास में सब दर्द घुल जायेगा।’ मैं हल्के से और प्यार करते हुये धक्के मारने लगे।

उसे दर्द होता रहा पर वो सहती रही। फिर उसकी रफ़्तार भी बढ़ने लगी, मुझे पता चल गया कि दर्द की जगह मिठास ने ले ली है।
मेरे लण्ड में भी भीनी भीनी मिठास का मजा आ रहा था। उसकी टाईट चूत का मजा अभूतपूर्व था।
शरीर उसका दुबला था पर बहुत ही लचीला था। वो भी अपनी चूत को घुमा घुमा कर लण्ड का मजा ले रही थी। उसकी कमर मशीन की तरह बल खाकर धक्के मार रही थी।
चूत में लाल खून उसकी चिकनाई को बढ़ा रहा था। फ़च फ़च की मधुर आवाजें आने लगी थी। मेर सुपाड़ा भी और लाल हो गया था।
चूत की रगड़ से लण्ड मस्त हुआ जा रहा था। मेरे शरीर में वासना की चिन्गारियाँ निकलने लगी थी। मेरा तन अगन से तड़प उठा था। लग रहा था कि अभी कुछ लण्ड के रास्ते सब कुछ बाहर आ जायेगा।

अचानक सोनिया की वासनायुक्त खुशी की चीख निकल पड़ी,’अंकल जीऽऽऽ, ये मुझे क्या हो रहा है, हाय रे… मेरा पेशाब निकला जा रहा है… !!’

‘निकाल दे मेरी रानी, कर दे पेशाब यहीं पर, कर दे…रोक मत !’ मैं भी उसके पेशाब का मजा लेना चहता था, पर वो पेशाब नहीं था, उसकी चूत की लहरें बता रही थी कि वो झड़ रही थी। शायद झड़ने का उसका पहला अनुभव था या इस तरह से वो पहली बार झड़ी थी।

मेरा लण्ड भी फूल कर कुप्पा हो रहा था। उसकी चूत के ढीले पड़ते ही मैंने अपना लण्ड उसकी चूत की जड़ में दबा दिया और अपना पूरा जोर लगा दिया। अन्दर का लावा फूट पड़ा। मैंने अब लण्ड बाहर खींच लिया और फ़ुहार निकल पड़ी।
रुक रुक के वीर्य बाहर आ रहा था। उसका पूरा पेट भीग गया। ढेर सारा वीर्य बाहर जमा हो गया। मैंने हाथ से उसे उसके पेट पर मल दिया।

‘छी: ! ये क्या कर दिया। सारा गन्दा कर दिया अंकल आपने तो !’ वह मुझ पर झुंझला उठी। फिर उसने वहीं पेट पर से वीर्य हाथ में लेकर मेरे मुँह पर मल दिया और हंस पड़ी। मैंने पहली बार अपने ही वीर्य का स्वाद चखा, फ़ीका फ़ीका सा, लसलसा, चिकना।

मैं बिस्तर से उठ खडा हुआ और बटुए में से उसे पचास रुपए निकाल कर कहा- सोनिया यह तेरा इनाम है, तू जब भी चुदवायेगी मैं तुझे पचास रुपए दूंगा।

सोनिया खुश हो गई उसने झट से रुपये रख लिये। बाथ रूम में जा कर हमने अपने लण्ड और चूत साफ़ कर लिये। सोनिया पचास रुपए पा कर बहुत खुश थी,’अंकल, आप बहुत अच्छे हैं, अब मैं अपने लिये झुमके खरीदूँगी।’

‘कल भी चुदवायेगी क्या…?’
‘आप मुझे पचास रुपए दें तो मैं अभी और चुदवा लूँ !’ कह कर वो मेरी तरफ़ बढ़ गई।
‘तो फिर आ जाओ मेरी बाहों में !’

‘अंकल, एक बात पूछूँ?’
‘हां जरूर, मेरी जान !’
‘राधा को भी पचास रुपए दोगे?’ मैं सुनते ही चौंक गया।
‘वो भी क्या चुदवायेगी?’

‘उसकी शादी होने वाली है ना, उसे चुदाना ही नहीं आता है, वो सीख भी लेगी और उसके पास कुछ पैसे भी आ जायेंगे।’

‘उसने तुम्हारे साथ ऐसा किया फिर भी तुम उसके लिये ऐसा सोचती हो, तुम हो ही प्यारी !’
‘प्यारे अंकल जी, मान जाओ ना !’
‘उसे कल ले आना, मजा तो रहेगा ही और वो चुदना सीख भी जायेगी!’

मैं बिस्तर पर सीधा लेट गया और सोनिया मेरे ऊपर चढ़ गई। मेरा लण्ड उसकी चूत में सरसराता हुआ अन्दर जाने लगा और सिसकियों का बाज़ार गर्म हो गया।

सोनिया अगले ही दिन राधा को मेरे पास लेकर आई!
राधा के साथ क्या हुआ? यह अगले भाग में! sex Stories

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चाय पीकर जीजाजी Sex Stories नहाने चले गए। बाथरूम से ही उन्होंने मुझे आवाज़ दी- राकेश आओ, तुम भी नहा लो।

मैं समझ गया कि उनका इरादा क्या है। पूरे दिन बाहर रहने के कारण वह दिन में एक बार भी मेरी गाण्ड नहीं मार सके थे।

मैं बाथरूम में आ गया। उन्होंने ही मेरे सारे कपड़े उतारे और बिना देर किए मेरे पोण्ड पर साबुन मलने लगे। उनका लण्ड पहले ही तन्नाया हुआ था, उन्होंने मेरा मुँह पकड़ कर लण्ड के पास कर दिया तथा कहा- इसे चूसो !

मैं थोड़ा हिचका, पर उन्होंने अपने लण्ड का सुपाड़ा मेरे मुंह में घुसा ही दिया। उनका लण्ड बहुत लम्बा और मोटा था। मैं और कोई चारा ना देख उनके लण्ड को लोलीपोप सा चूसने लगा, वह मेरे पोण्ड के छेद में उंगली करते रहे।

थोड़ी देर बाद उन्होंने मुझे अपनी गोदी में बिठा कर अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया। इस बार उन्होंने साबुन भी नहीं लगाया था। मैं तड़प कर रह गया। उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे पोण्ड के नीचे लगा रखे थे और उनसे मुझे उठाकर ऊपर नीचे कर रहे थे। ऐसा करने से उनका पूरा लण्ड मेर गाण्ड में समा जाता था। १०-१५ मिनट तक लण्ड मेरी गाण्ड में अन्दर बाहर होने के बाद उन्होंने अपना रस मेरी गाण्ड में ही भर दिया। फिर नहा कर हम बाहर आ गए तो जीजाजी बोले- ‘सारा दिन बेकार हो गया योगी, रात में मैं पूरी कसर निकालूँगा, तैयार रहना !’

तैयार तो मैं था ही क्योंकि मुझे पता था की जीजाजी मुझे छोड़ने वाले नहीं हैं।

रात को खाने के आधे घंटे बाद ही जीजाजी ने मेरी पहली बार गाण्ड मारी। उन्होंने उस रात कुल चार बार तरह तरह से मेरी गाण्ड मारी। अपना लण्ड चूसाया, कभी उल्टा कर गाण्ड में लण्ड घुसाया तो कभी अपने ऊपर बैठा कर मेरी गाण्ड में लण्ड डाला तो कभी मुझे हाथों में ऊपर उठाकर नीचे से मेरी गाण्ड मारी। सुबह तक मैं सो ही नहीं पाया। उस दिन में मैं सात-आठ बार गाण्ड मरवा चुका था। मेरी गाण्ड काफी फूल गई तथा मुझे काफी दर्द भी महसूस होने लगा।

सुबह उठाने पर जीजाजी ने बताया- ‘ डी. एफ. ओ. साहब कल की घटना की जाँच के लिए आ रहे हैं। तुम उन्हें खुश कर दोगे तो मैं निलंबित होने से बच जाऊँगा तथा वह अपनी रिपोर्ट मेरे हक़ में दे देंगे !’

लगभग ११ बजे डी. एफ. ओ. साहब आ गए। जीजाजी ने उनसे मेरा परिचय कराया- ‘ ये मेरे छोटे भाई का साला है, काफी समझदार है, दिन में यह आपकी पूरी सेवा करेगा !’

दोपहर के खाने के बाद जीजाजी जंगल की ओर चले गए तथा मुझे डी. एफ. ओ. की सेवा करने को कह गए। डी. एफ. ओ. साहब लेट कर आराम कर रहे थे। जब मैं उनके कमरे में पहुँचा, मेरी आहट पाकर मुझसे बोले- दरवाजा बंद कर दो। सेवा का मतलब वह अच्छी तरह समझते थे।

डी. एफ. ओ. साब काले कलूटे लेकिन तंदरुस्त इन्सान थे। दरवाजा बंद कर जैसे ही मैं मुड़ा तो मैंने देखा वह पूरी तरह नंगे लेटे हुए हैं। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर अपना मोटा लण्ड मेरे हाथ में दे दिया तथा उसे चूसने का हुकुम दिया। उनका काला लण्ड बड़ा ही भयानक लग रहा था।

मैं थोड़ा झिझका तो वह चिल्लाये – जल्दी कर !

मैं उनका लण्ड अपनी ऑंखें बंद कर चूसने लगा। उन्होंने बिना देर किए मेरे सारे कपड़े उतार दिए। कुछ देर बाद मुझे अपने ऊपर ६९ की अवस्था में लिटा लिया। अब उनका लण्ड मेरे मुंह में था तथा मेरा लण्ड उनके मुंह के पास था। पर उन्होंने मेरे लण्ड को अपने मुंह में नहीं लिया बल्कि मेरी गाण्ड के छेद को चाटने लगे।

थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद उन्होंने मेरी गाण्ड के छेद को चिकना कर दिया और मुझे उल्टा लिटा दिया। इसके बाद उन्होंने मेरे दोनों पोंड फैला कर गाण्ड का छेद थोड़ा बड़ा कर लिया और एक जोर का धक्का लगा कर एक ही झटके में अपना पूरा लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया। मेरी तो जान ही निकल गई। मैं चिल्ला दिया – मर गया …!

पर वह तो मस्ती में धक्के पे धक्का पेले जा रहे थे। थोड़ी देर बाद मुझे अच्छा तो लगा पर उनके रूप रंग के कारण मुझे बड़ी ही घिन आ रही थी। उस दोपहर उन्होंने तीन बार मेरी गाण्ड मारी। मैं दर्द से बिलबिलाता रहा पर उन्होंने जरा भी परवाह नहीं की। मेरी गाण्ड का छेद कई जगह से कट गया।

शाम को वह चले गए तथा जीजाजी को उनके हक़ में रिपोर्ट भेजने का कह गए। जीजाजी बहुत खुश हुए।

रात में उन्होंने मुझे कुछ ज्यादा ही प्यार किया। मेरी गाण्ड की हालत देख कर अफ़सोस तो जताया पर इसके बाद भी उन्होंने मुझे नहीं छोड़ा। गाण्ड के छेद में तेल भर कर उन्होंने उस रात मेरी तीन बार गाण्ड मारी। जब मेरी गाण्ड से ज्यादा खून निकलने लगा तो उन्होंने शिव को कमरे में बुला लिया। मेरे ही सामने उन्होंने शिव की भी दो बार और गाण्ड मारी। शिव तो काफी अभयस्त था इसलिए वह काफी मस्ती में गाण्ड मरवाता रहा।

उन दोनों को देख कर मेरा भी लण्ड फाड़ फड़ने लगा पर जीजाजी के सामने मैं कुछ कह नहीं सकता था। चुपचाप लेटे लेटे अपना लण्ड मसलता रहा। जीजाजी ने यह सब देख लिया तो उन्होंने मथारू को बुला लिया तथा मुझसे मथारू की गाण्ड मारने को कहा। मथारू आदिवासी था तथा वह भी काफी सीखा हुआ था। उसने मेरे लण्ड को चाटा, चूसा, अपने पोंड के छेद में मुझसे ऊँगली घुसवाई तथा बाद में मुझसे गाण्ड में लण्ड पेलने को कहा।

मुझे यह सब करके बड़ा आनंद मिला। मैं अपनी गाण्ड का दर्द भूल गया। मथारू की गाण्ड मारने के बाद जीजाजी ने मुझसे शिव की भी गाण्ड मारने को कहा। जब मैं शिव की गाण्ड मार रहा था तभी मथारू ने अपना लण्ड पीछे से मेरी गाण्ड में भी घुसा दिया। जीजाजी मथारू की गाण्ड में अपना लण्ड पेल रहे थे। यानि की एक बार में ही तीन लोगों की गाण्ड मारी जा रही थी।

हम लगभग एक सप्ताह जंगल में रहे। जीजाजी ने इस बीच इतनी बार मेरी गाण्ड मारी कि मैं गिनती करना ही भूल गया। मेरी गाण्ड का छेद अब तक काफी खुल गया था तथा जीजाजी का मोटा लण्ड भी अब आसानी से मेरी गाण्ड में चला जाता था।

जंगल से लौटने के एक सप्ताह तक जीजाजी को फिर मेरी गाण्ड मारने का अवसर नहीं मिला।

जब उन्हें अवसर मिला तो क्या हुआ पढ़िये अगली कहानी में ….. Sex Stories

प्रेषक : रॉकी Hindi Sex Stories

गुरु जी को Hindi Sex Stories प्रणाम, सभी कुंवारी लड़कियों और शादी शुदा औरतों को मेरा प्यार और सेक्स भरा नमस्कार !

मैंने अन्तर्वासना की बहुत सी कहानियाँ पढ़ी है मेरी जीवन में भी बहुत सी सच्ची घटनायें हैं जिन्हें मैं अब बाँटना चाहता हूँ। इस बारे में मैंने आज तक किसी से बात नहीं की क्योंकि मैं बहुत अंतर्मुखी स्वाभाव का हूँ।

यह बिल्कुल सच्ची घटना है काल्पनिक न समझें, सिर्फ नाम काल्पनिक हैं।

मेरा नाम कमल है मेरी उम्र 22 साल है, लण्ड सात इंच, बदन गोरा, लम्बाई 5 फ़ुट 10 इंच, गठीला बदन है।

मेरी बुआ का नाम सरिता है, उम्र 31 साल, गोरा बदन, सेक्सी, आज भी हिरोइन सी लगती है, वो बहुत ही कामुक है।

बहुत दिन पहले मेरी बुआ मुझे ऊपर छत पर ले गई, मुझे बैठा कर मेरे सामने अपनी चड्डी उतार कर टट्टी करने लगी और एकदम अलग नजरों से देखने लगी। मुझे उसकी चूत दिखी, थोड़ी-थोड़ी सुनहरी झांटें थी और छोटी सी प्यारी सी गुलाबी सी चूत थी। पर मुझे समझ नहीं आ रहा था कि वो ऐसा क्यों कर रही है। टट्टी करने के बाद वो मेरे पास आई, मेरी चड्डी खोलने लगी और मेरी लुल्ली से खेलने लगी। फिर मेरी लुल्ली खड़ी हो गई। और फिर वो अपनी चड्डी उतार कर मेरे ऊपर चढ़ गई मेरे लण्ड के ऊपर अपनी चूत रगड़ने लगी। धीरे धीरे उसने अपनी चूत में मेरा लण्ड घुसवाना चालू किया।

वो सेक्सी सेक्सी आवाजें निकाल रही थी पर धीरे धीरे ! ताकि कोई सुन न ले !

मुझे भी अच्छा लग रहा था पर उतना नहीं जितना कि मेरी बुआ को ! फिर अचानक वो एकदम से तेज़-तेज़ हिलना चालू हो गई और एकदम उसका दबाव मुझ पर बढ़ने लगा। मैं तो छोटा था, मुझे डर लग रहा था कि इस पर भूत-चुड़ैल तो नहीं घुस गया। मैं तो एकदम चुप हो गया था।

धीरे धीरे वो एकदम शांत हो कर मुझ पर ही लेट गई, शायद क्योंकि उसकी वासना की आग बुझ चुकी थी। मेरा वीर्य नहीं निकला पर मुझे बहुत अच्छा लगा था।

उस दिन के बाद मेरी नज़र हमेशा मेरी बुआ के ऊपर थी कि कब वो फ़िर से मुझे चोदेगी।

पर उस दिन के बाद बुआ मुझे ध्यान ही नहीं देती थी पता नहीं क्यों !

शायद उसे अपनी गलती का अहसास हो गया था इसलिए वो मुझसे ज्यादा बात भी नहीं करती थी और दूर दूर रहती थी। लेकिन मैं तो अब उसे और ध्यान से देखने लगा था। क्या जवानी थी उसकी ! साफ सफाई करती थी झुक झुक कर तो मैं उसके बूब्बे देखा करता था हमेशा नजर बचा कर ! मैंने इस बारे में आज तक किसी से बात नहीं की है, डर लगता है।

वो जब समझ जाती थी कि मैं उसे देख रहा हूँ तो मुझे घूर कर देखती थी क्योंकि वो भी किसी को कुछ नहीं बता सकती थी।

ऐसे ही कुछ साल बीत गए मेरी बुआ और ज्यादा जवान हो गई और सेक्सी लगने लगी लेकिन मुझे सेक्स का ज्ञान ही नहीं था।

पर कुछ समय बाद मुझे अपने दोस्तों के साथ ब्लू फिल्म देखने को मिली जिससे मुझे थोड़ा बहुत ज्ञान मिला।

एक दिन जब हमारा पूरा परिवार एक साथ हॉल में सो रहा था तो मेरी बुआ मेरे पास ही सोई हुई थी। उसकी टांगें मेरी तरफ थी। बुआ ने लहंगा और गाउन पहना था। गर्मी का मौसम था इसलिए किसी ने भी चादर नहीं ओढ़ी थी।

रात के लगभग दो बज रहे थे, अँधेरा होने के बावजूद मेरी आँखों में तो नींद ही नहीं थी, मैं तो अपनी बुआ के जवान स्तन देखना, चूसना चाहता था, उसकी चूत चाटना और चोदना चाहता था।

पर मुझे यह भी डर लग रहा था कि घर वाले मुझे पकड़ न ले ! वे तो मुझे मार ही डालेंगे।

धीरे से आखिर हिम्मत करके उसके लहंगे की तरफ मेरा हाथ बढ़ा, मैंने उसकी टांगों को उठाने की कोशिश की। वो शायद गहरी नींद में थी, इसलिए उसे पता नहीं चला। धीरे से मैंने उसका गाउन उसके घुटनों तक ऊपर किया जिससे मुझे मधिम रोशनी में उसकी चड्डी हल्की सी दिखी।

अब मैं धीरे से उसकी जांघ पर अपना हाथ फिर रहा था, वो अब भी नींद में थी। धीरे धीरे मैं उसकी पैन्टी के ऊपर हाथ फिराने लगा। मुझे बहुत डर भी लग रहा था और बहुत अच्छा और सेक्सी भी लग रहा था।

अचानक हाथ फिराते हुए मुझे लगा कि उसके जिस्म में हरकत हो रही है इसलिए मैंने तुरंत बुआ की चूत से हाथ हटा दिया और आंखें झपका कर सोने का नाटक करने लगा।

मेरा शक सही था, बुआ झटके से उठी और शायद समझ गई। उसने पहले अपना लहंगा ठीक किया और मेरी तरफ एकदम घूर कर देखने लगी। अँधेरे के कारण उसे ठीक से नहीं दिखा कि मैं भी पलकें झपका कर उसे देख्र रहा हूँ।

मैं थोड़ी देर ऐसे ही पड़ा रहा जैसे मुझे कुछ मालूम ही नहीं। उसे पता होने के बाद भी वो किसी को मेरे बारे में बता नहीं सकती थी क्योंकि यह सब शुरू ही उसने किया था। कुछ देर तक वो मुझे देखने के बाद आखिर वो सो गई। शायद मुझे फिर से हरकत करते हुए रंगे हाथ पकड़ने के लिए !

पर इस बार मेरी हिम्मत ही नहीं हुई।

इस दिन के बाद मुझे कभी उसके साथ सोने का मौका नहीं मिला।

इसके कुछ समय बाद मेरी बुआ की शादी हो गई और मेरा उसको चोदने का सपना आज तक अधूरा है क्योंकि मेरी बुआ ने तो मुझे चोद दिया पर मैं उसे नहीं चोद पाया हूँ।

खैर आज भी मेरी तम्मना है कि मैं उसे चोदूँ।

पर मेरी जिंदगी सेक्स के लिए नहीं रुकी, मेरी जिंदगी में बहुत सी लड़कियाँ आ गई, बड़े अच्छे पल थे वो भी !

कई कुंवारी चूतों का स्वाद चखा है मैंने !

जैसे मेरी कुछ नौकरानियाँ खासकर सरोज, उसकी माँ, मेरी चचेरी और ममेरी बहन, मेरी बड़ी बुआ की बहु, मेरी सगी बहन की सहेलियाँ, मेरी बहुत सारी गर्लफ़्रेन्ड्स, आंटियाँ !

अगली बार इनके बारे में भी बताऊंगा। मुझे मेल जरूर करें ! Hindi Sex Stories

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