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मैं बारहवीं क्लास का Hindi Porn Stories लड़का हूँ मेरी उम्र बीस साल हैं मेरा लंड आठ इंच का है। मेरा शुरू से ही आकर्षण लड़कियों से ज्यादा लड़कों में रहा हैं क्योंकि मुझे उनकी टाइट गांड मारने में मुझे मज़ा आता है। मैं 3-4 बार अपने दोस्त अभिषेक (झारखण्ड) की भी मार चुका हूँ लेकिन उसके बारे में मेरी अगली कहानी बताऊंगा। अभी मैं अपनी और मेरे भाई अविचल के कांड की कहानी बताता हूँ।
हम फरीदाबाद के रहने वाले हैं। मैं छुट्टियों में कुछ दिनों के लिए अपने चाचा से मिलने जयपुर गया हुआ था।वहाँ मैं मेरे चाचा और उनका बेटा अविचल से मिला। अविचल 19 साल का हो गया था और काफी वासना भरा भी लग रहा था। वो आई आई टी की तयारी कर रहा था।पहली नजर में ही उसकी सेक्सी गांड देख कर मुझे उसकी गांड मारने की इच्छा हुई और मैंने मन ही मन ठान लिया था कि मैं उसकी गांड मार कर ही रहूँगा। मैं वहाँ पर दस दिनों के लिए गया था और उसी वक्त में मुझे कुछ करना था। हम पहले भी कभी मिलते थे तो एक दूसरे का मुठ मारते थे इसलिए मुझे मंजिल ज्यादा मुश्किल नहीं लग रही थी।
एक दिन मेरे चाचा काम से गए हुए थे, हम दोनों घर पर अकेले थे। मुझे वो वक्त बात बढ़ाने के लिए सही लगा। मैंने उसे पहले पुरानी बातों को याद दिलाने की कोशिश की।
मैं उससे बोलने लगा- और अविचल, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या ?
उसने थोड़ा शरमाते हुए कहा- नहीं, लेकिन मैं गर्लफ्रेंड बनाना चाहता हूँ !
तो मैंने उससे कहा- मैं तुम्हारे लिए गर्लफ्रेंड पटवा सकता हूँ लेकिन तुम्हें मेरा एक काम करना पड़ेगा।
उसने खुश होते हुए मुझसे कहा- आप जो बोलेंगे मैं वो करूँगा, अगर करने लायक हुआ तो !
मेरी बात बनने ही वाली थी कि इतने में किसी ने घंटी बजाई। अविचल ने जाकर देखा तो मेरे चाचा आ चुके थे। मुझे उस वक्त अपनी किस्मत पर बहुत गुस्सा आया। उस दिन तो मैं मन मार कर रह गया और मुठ से ही संभाला मैंने अपने आप को !
लेकिन अगले दिन जब मेरे चाचा गए तो अविचल मेरे पास आया और उसने मुझसे बोला- भैया, कल आप मुझसे कुछ कह रहे थे ?
मैंने जब उसे यह कहते हुए सुना तो मुझे लगा कि शायद यह भी वासना का शिकार है। मैंने उससे कहा- हाँ, मुझे तुमसे कुछ काम है, याद हैं जब अपन पहले मिलते थे तो एक दूसरे का मुठ मारते थे और एक बार मैंने तुम्हारे मुँह में देने की कोशिश की थी और तुम छटपटाने लग गए थे।
वो थोड़ा शरमा गया और मुझसे बोला- आप क्यों गड़े मुर्दे उखाड़ रहे हो?
फिर मैं धीरे धीरे उसकी उत्तेजना बढ़ाने के लिए उससे सेक्सी सेक्सी बातें करने लग गया। फिर हम दोनों मेरे मोबाइल पर साथ साथ ब्लू फिल्म देखने लग गए। मेरा लंड नब्बे डिग्री पर खड़ा हो गया लेकिन उसके लंड पर कोई असर ही नहीं था। लेकिन वो मचलने लग गया। तब मुझे पता चल गया कि साला अविचल तो नपुंसक है। उसके मचलने से मुझे लगा कि उसकी गांड मराने की प्रबल इच्छा हो रही है। तब शाम होने वाली थी, मैंने उससे पूछा- क्या तुम पहले की तरह मेरा मुँह में लेना चाहोगे?
उसने मुझे देखा और बोला- मैं तो कब से मौके की तलाश में था !
और उसने आगे से मेरे पैंट की चैन खोली और मेरे लंड को चड्डी के ऊपर ही मसलने लग गया। मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उसने मेरा अंडरवीयर खोल दिया और मेरा लंड तुंरत उसने मुँह में ले लिया और कुत्ते की तरह चाटने लग गया। मेरी उत्तेजना चरम सीमा पर थी और थोड़ी देर में मैंने अपना रस उसके मुँह पर छोड़ दिया और वो उसे गटक गया और गाल पर टपकी बूंदे हाथ में लेकर चाट गया।
अब शाम हो गई थी और चाचाजी भी आ गए थे। अगले दो दिनों तक चाचाजी छुट्टी पर थे तो हम दोनों को मौका नहीं मिला। मगर जब दो दिन बाद चाचा ऑफिस गए तो हम दोनों उसके कमरे में चले गए। अब हम दोनों ने टीवी पर ब्लू फिल्म देखना चालू कर दिया। थोड़ी देर बाद हम दोनों की उत्तेजना बढ़ गई, हम दोनों ने एक दूसरे के साथ मस्ती शुरू कर दी। फिर हम एक दूसरे को 15 मिनट फ्रेंच किस करने लग गए।
अब हम दोनों की उत्तेजना बहुत बढ़ गई थी। मैंने अपने कपड़े उतार दिए और वह मेरा मुँह में लेने लग गया। मुझे उसके मुँह में देने में अत्यंत आनंद मिल रहा था।
थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा- तुम भी अपने कपड़े खोल दो !
तो उसने थोड़ा शरमा कर कहा- मुझे शर्म आती है, मैं नपुंसक हूँ !
तो मैंने कहा- वो तो मुझे पहले ही पता चल गया था ! तुम्हें शर्माने की कोई जरुरत नहीं है, मैं तुम्हें दूसरा ही मजा दूंगा !
उसने थोड़ी नाटकबाजी के बाद कपड़े खोलने शुरू कर दिए। फिर वो पापी मेरा मुँह में लेने लग गया। थोड़ी देर बाद जब मेरी उत्तेजना बहुत ज्यादा बढ़ने लग गई तो मैंने कहा- अविचल, अब मुझसे नहीं रहा जाता ! अब मुझे तुम्हारी गांड मारनी है !
तो उसने कहा- अब मैं भी चरम सीमा पर हूँ, पर तुम्हारा इतना मोटा लंड है, मेरी तो गांड फट जायेगी !
तो मैंने उसे समझाया- शुरू में थोड़ा दर्द होगा लेकिन बाद में मज़ा बहुत आयेगा।
तब उसने बोला- अब तुम मेरी गांड में अपना यह औजार घुसा ही दो !
और वो घोड़ी बन गया। जब वो घोड़ी बना तो मैंने देखा कि उसकी गांड का छेद तो पहले से ही खुला हुआ था। मेरे पूछने पर उसने बताया कि एक बार उसके तीन करीबी दोस्त विकास, धरमवीर और रजत ने उसकी जबरदस्ती गांड मार दी थी लेकिन उसे मज़ा बहुत आया था।
फिर मैंने बात वहीं पर ख़त्म कर के उसकी गांड में एक झटका मारा, मेरा सिर्फ सुपारा ही घुसा था कि उसकी चीख निकल गई, वो चिल्लाने लग गया लेकिन मैंने बिना कोई दया दिखाए उसकी गांड में एक और झटका दिया और मेरा लंड पूरी तरह उसकी गांड में घुस गया।
उससे सहन नहीं हो रहा था, वो चिल्लाया- आआआआ उइउइ उउइउइउइउइउइ मादरचोद ! मेरी तो तूने गांड ही फाड़ डाली ! साले मैं तेरी माँ चोद दूंगा !
लेकिन उसने मेरे लंड को हटाने की कोशिश भी नहीं की। शायद उसे पता था कि बाद में उसे अत्यंत मज़ा आने वाला है।
मैंने अब उसकी गांड मारनी शुरू कर दी। शुरू में तो वह बहुत चिल्लाया लेकिन फिर वो मेरा साथ देने लग गया और उसकी उत्तेजना भी बढ़ने लग गई। अब वह बोल रहा था- मादरचोद, चोद मुझे ! आज फाड़ दे मेरी गांड ! आआआआ उईउइउइउइउ मादरचोद और जोर से मार मेरी गांड ! साले तेरी माँ को भी ऐसे ही चोदता है क्या? भेन के लौड़े, फाड़ दे आज मेरी ! ऐसे कि बेसबाल का डंडा भी आराम से घुस जाये !
उसकी ऐसी उत्तेजना भरी बातें मुझमें और जोश भर रही थी। थोड़ी देर तक डट कर गांड की चुदाई करने के बाद मैंने लंड बाहर निकाल के उसके मुँह में छोड़ दिया और वो उसे पी गया।
उस दिन मैंने उसकी तीन बार गांड मार दी और बाकी दिन तक उसकी हर दिन गांड मारी।
यह थी मेरी कहानी। Hindi Porn Stories
यह Antarvasna स्टोरी एक महीने old है। हाय फ़्रेंड्स आई एम प्रीत फ़्रोम भोपाल। आप लोगों ने मेरी कहानी चाची से प्यारा कौन पढ़ी। काफ़ी अच्छा रिस्पोंस आया अच्छा लगा।
अब मैं आप लोगों को एक नयी कहानी बताने जा रहा हूँ।
अब हम लोग भोपाल में ही शिफ़्ट हो गये थे। जैसा कि आप लोगों को मालूम है कि चाची को चोद कर मुझे चोदने का शौक लग गया था तो लंड चोदने के लिये तड़पता रहता है। हमारे घर में पार्ट-टाइम नौकरानियां काम करती हैं। लेकिन कोई भी सुंदर नहीं थी। मम्मी बड़ी होशियार थीं। सब काली कलूटी और भद्दी भद्दी छांट छाँट कर रखती थीं। जानती थी लड़का बहुत ही चालु है। आखिर में जब कोई नहीं मिली तो एक लड़की को रखना ही पड़ा जो बीसेक साल की मस्त जवान कुंवारी लड़की थी। साँवला रंग था और क्या जवान, सुंदर ऐसी कि देख कर ही लंड खड़ा हो जाए। मम्मे ऐसे गोल गोल और निकलते हुए कि ब्लाउज़ में समाए ही नहीं।
बस मैं मौके की तलाश में था क्योंकि चोदने के लिये एकदम मस्त चीज़ थी। सोच सोच कर मैंने कई बार मुठ मारा। बहुत ज़ोर से तमन्ना थी कब मौका मिले और कब मैं इसकी बुर में अपना लंड घुसा दूं।
वो भी पैनी निगाहों से मुझे देखती रहती थी। और मैं उसके बदन को चोरी चोरी से नापता रहता था। मन ही मन में कई बार उसे नंगी कर दिया। उसकी गुलाबी चूत को कई बार सोच सोच कर मेरा लंड गीला हो जाता था और खड़ा होकर फड़फड़ा रहा होता। हाथ मचलते रहते कब उसकी गोल गोल चूचियों को दबाऊं। एक बार चाय लेते समय जब मैंने उसे छुआ तो मानो करेंट सा लग गया और वो शरमाते हुए खिलखिला पड़ी और भाग गयी। मैंने कहा मौका आने दे, सीमा तुझे तो खूब चोदुंगा। लंड तेरी चिकनी बुर में डाल कर भूल जाऊंगा। चूची को चूस चूस कर प्यास बुझाउंगा और दबा दबा कर मज़े लूंगा। होठों को तो खा ही जाउंगा। सीमा उसका प्यारा सा नाम था।
कहते हैं उसके घर में देर है पर अंधेर नहीं। इतवार था उस दिन और मेरे लंड देव तो उछल गये। मैं मौका चूकने वालों में से नहीं था। लेकिन शुरु कैसे करूँ। अगर चिल्लाने लगी तो? गुस्सा हो गयी तो? दोस्तो, तुम यह जान लो कि लड़कियां कितना ही शरमाये लेकिन उनके दिल में लालसा होती है कि कोई उनको छेड़े और चोदे।
मैंने सीमा को बुलाया और उसे देखते हुए कहा- सीमा, तुम कपड़े इतने कम क्यों पहनती हो?
वह बोली- क्यूं साहब, क्या कम है?
मैंने जवाब दिया- देखो, ब्लाउज़ के नीचे कोई ब्रा नहीं है। सब दिखता है। लड़के छेड़ेंगे तुझे।
वो बोली- बाबुजी, इतने पैसे कहां कि ब्रा खरीद सकूं। आप दिलवाओगे?
मैंने कहा- दिलवा तो मैं दूँगा … लेकिन पहले बता कि क्या आज तक किसी लड़के ने तेरे बदन को छेड़ा है?
उसने जवाब दिया- नहीं साहबजी।
मैंने कहा- इसका मतलब कि तू एकदम कुंवारी है?
“जी साहबजी।”
“अगर मैं कहूं कि तू मुझे बहुत अच्छी लगती है, तो तू नाराज़ तो नहीं होगी?”
“नाराज़ क्यों होने लगी साहबजी? आप बहुत अच्छे हैं।”
बस यही उसका सिगनल था मेरे लिये। मैंने हिम्मत करके पूछ लिया- अगर मैं तुझे थोड़ा सा प्यार करूं तो तुझे बुरा तो नहीं लगेगा?
अपने पैर की उंगलियों को वो ज़मीन पर मसलती हुई बोली- आप तो बड़े वो हो साहब।
मैंने आगे बढ़ते हुए कहा- अच्छा अपनी आँखें बंद कर ले और अभी खोलना नहीं।
उसने आँखें बंद की और हल्के से मुँह ऊपर की तरफ़ कर दिया। मैंने कहा- बेटा लोहा गर्म है, मार दे हथौड़ा। आहिस्ता से पहले मैंने उसके गालों को अपने हाथों में लिया और फिर रख दिये अपने होंठ उसके होंठों पर। हाय क्या गज़ब की लड़की थी। क्या टेस्ट था। संसार की महंगी से महंगी शराब उसका मुकाबला नहीं कर सकती थी। ऐसा नशा छाया कि सब्र के सारे बांध टूट गये।
मेरे होंठों ने कस कर उसके होंठों को चूसा और चूसते ही रहे। मेरे दोनों हाथों ने ज़ोर से उसके बदन को दबोच लिया। मेरी जीभ उसकी जीभ का टेस्ट लेने लगी। इस दौरान उसने कुछ नहीं कहा। बस मज़ा लेती रही।
अचानक उसने आँखें खोली और बोली- साहबजी, बस, कोई देख लेगा।
मैंने कहा- सीमा, अब तो मत रोको मुझे। सिर्फ़ एक बार।
“एक बार, क्या साहब?”
मैंने उसके कान में फुसफुसा कर कहा- अपनी बुर चुदवाएगी मुझसे? एक बार अपनी बुर में मरा लंड घुसवायेगी? देख मना मत करना। बहुत खूबसूरत है तू … मेरा दिल आ गया है तुझ पर!
यह कह कर मैंने सीमा को कस के पकड़ लिया और दायें हाथ से उसकी बायीं चूची को दबाने लगा। मुँह से मैं उसके गालों पर, गले पर, होंठों पर और हर जगह पर चूमने लगा पागलों की तरह। क्या चूची थी, मानो सख्त संतरे। दबाओ तो चिटक चिटक जाये। उफ़, मलाई थी पूरी की पूरी।
सीमा ने जवाब दिया- साहब जी, मैंने यह सब कभी नहीं किया। मुझे शर्म आ रही है।
उखड़ी सांसों से मैंने कहा- हाय मेरी जान सीमा, बस इतना बता, अच्छा लगा या नहीं। मज़ा आ रहा है या नहीं? मेरा तो लंड बेताब है जाने मन। और मत तड़पा।
“साहबजी, जो करना है जल्दी करो, कोई आ जायेगा तो?”
बस मैंने उसके फूल जैसे बदन को उठाया और बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया। कस कर चूमते हुए मैंने उसके कपड़ों को उतारा। फिर अपने कपड़ों को जल्दी से निकाला। सात इंच लम्बा मेरा लंड फड़फड़ाते हुए बाहर निकला। देख कर उसकी आँखें बड़ी हो गयी, बोली- हाय यह क्या है? यह तो बहुत बड़ा है।
“पकड़ ले इसे मेरी जान।” कहते हुए मैंने उसके हाथ को अपने लंड पर रख दिया।
उसके बदन को पहली बार नंगा देख कर तो लंड ज़ोर से उछलने लगा। चूची ऐसी मस्त थी कि पूछो मत। चूत पर बाल इतने अच्छे लग रहे थे कि मेरे हाथ उसकी तरफ़ बढ़ ही गये। क्या गर्म चूत थी। उंगली आहिस्ता से अंदर घुसाई। रस बह रहा था और उसकी बुर गीली हो गयी थी। गुलाबी गुलाबी बुर को उंगलियों से अलग किया, और मैंने अपना लंड आहिस्ता से घुसाया। हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे। मुँह से उसके होंठों को मैं चूस रहा था।
“आह, साहब जी, धीरे … दुःख रहा है।”
“सीमा मज़ा आ रहा है ना?”
“साहबजी, जल्दी करिये न जो भी करना है।”
“हाय मेरी जान, बोल क्या करूं?”
“डालिये न। कुछ करिये न।”
“सीमा, बोल क्या करूं?” कहते हुए मैंने लंड को थोड़ा और घुसाया।
“अपना यह डाल दीजिये।”
“बोल न, कहाँ डालूं मेरी जान, क्या डालूं?”
“आप ही बोलिये न साहबजी, आप अच्छा बोलते हैं।”
“अच्छा, यह मेरा लंड तेरी चिकनी और प्यारी बुर में घुस गया और अब ये तुझे चोदेगा।”
“चोदिये न, साहबजी।”
उसके मुँह से सुन कर तो लंड और भी मस्त हो गया- हाय सीमा, क्या बुर है तेरी, क्या चूची है तेरी। कहां छुपा कर रखा था इतने दिन। पहले क्यों नहीं चुदवाया।
“साहबजी, आपका भी लंड बहुत मज़ेदार है। बस चोद दीजिये जल्दी से।” और उसने अपने चूतड़ ऊपर कर लिये।
अब मैंने उसकी दाहिनी चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा। एक हाथ से दूसरी चूची को दबाते हुए, मसलते हुए, मैं उछल उछल कर ज़ोर ज़ोर से चोदने लगा। जन्नत का मज़ा आ रहा था। ऐसा लग रहा था बस चोदता ही रहूँ, चोदता ही रहूँ इस प्यारी प्यारी चूत को। मेरा लंड ज़ोर ज़ोर से उसकी गुलाबी गीली गर्म गर्म बुर को चोद रहा था।
“हाय, सीमा चुदवाने में मज़ा आ रहा है न। बोल मेरी जान, बोल।”
“हां साहब, मज़ा आ रहा है। बहुत मज़ा आ रहा है। साहब आप बहुत अच्छा चोदते हैं। साहब, यह मेरी बुर आपके लंड के लिये ही बनी है। है न साहब। साहब, चूची ज़ोर से दबाइये न। साहब, ऊऊओह, मज़ा आ गया, ऊऊह्हह्ह।”
अचानक, हम दोनों साथ साथ ही झड़े। मैंने अपना सारा रस उसकी प्यारी प्यारी बुर में घोल दिया। हाय क्या बुर थी। क्या लड़की थी। गर्म गर्म हलवा। नहीं उससे भी ज्यादा टेस्टी।
मैंने पूछा- सीमा, तेरा महीना कब हुआ था री?
शरमाते हुए बोली- परसों ही खत्म हुआ। आप बड़े वो हैं। यह भी कोई पूछता है।
बांहों में भर कर होंठों को चूमते, चूचियों को दबाते हुए मैंने कहा- मेरी जान, चुदवाते चुदवाते सब सीख जायेगी।
एकदम सेफ़ था। प्रग्नेंट होने का कोई चांस नहीं था अभी। दोस्तो, कह नहीं सकता, दूसरी बार जब उसे चोदा, तो पहली बार से ज्यादा मज़ा आया। क्योंकि लंड भी देर से झड़ा। चूत उसकी गीली थी। चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थी साली। उसकी चूचियों को तो मसल मसल कर और चूस चूस कर निचोड़ ही दिया मैंने। जाने फिर कब मौका मिले। आज इसकी बुर चूस ही लो। बुर का स्वाद तो इतना मज़ेदार था कि कोई भी शराब में ऐसा नशा नहीं। चोदते समय तो मैंने उसके होंठों को खा ही लिया। “यह मज़ा ले मेरे लंड का मेरी जान। तेरी बुर में मेरा लंड – इसी को चुदाई कहते हैं सीमा। कहां छुपा रखी थी यह चूत जानी।” कहते हुए मैं बस चोद रहा था और मज़ा लूट रहा था।
“चोद दीजिये साहबजी, चोद दीजिये। मेरी बुर को चोद दीजिये।” कह कह कर चुदवा रही थी मेरी सीमा।
दोस्तो, चुदाई तो खत्म हुई लेकिन मन नहीं भरा, उसे दबोचते हुए मैंने कहा- सीमा, मौका निकाल कर चुदवाती रहना। तेरी बुर का दिवाना है यह लंड। मालामाल कर दूंगा जाने मन। Antarvasna
यह कह कर मैंने उसे दो सौ रुपये दिये और चूमते हुए मसलते हुए विदा किया।
उन दोनों ने अपने जीवन में सैक्स के हर खेल के भरपूर मजे लिए हैं।
दोनों ने एक दूसरे को पूरी छूट दे रखी है कि वे दोनों जब, जिस को, जहां मौका मिले, अलग अलग या साथ में, चुदाई का मजा ले सकते हैं।
हया का कहना है कि उसे ठीक से याद नहीं पर उसने कम से कम 30-40 लंड ले रखे हैं।
मैंने उससे पूछा- तेरे शौहर अखलाक ने कितनी औरतों को चोद रखा है?
वह बोली- 25-30 तो उसने भी चोदी होंगी।
इस पर मैंने पूछा- तूने इतने ज्यादा मर्दों से चुदवाया, तेरी तुलना में अखलाक ने कम औरतें चोदी, ऐसा क्यों?
तो वह बोली- क्योंकि किसी भी औरत के लिए मर्द को पटाना बहुत आसान होता है।
मैं तो यह कहूंगी कि अधिकांश मामलों में मर्द को यह गलतफहमी होती है कि उसने औरत को पटाया है। जबकि वास्तव में तो औरत ने अपने जिस्म की आग बुझाने के लिए मर्द का शिकार किया होता है।
क्योंकि यदि औरत ना चाहे तो किसी भी मर्द की हिम्मत नहीं है कि वह उस औरत को छू भी सके।
हया अपने पति की गैरमौजूदगी में भी कई मर्दों से चुद चुकी है.
और पति के सामने भी उस ने कई बार नए-नए लंड से चुदाई के मजे लिए हैं।
उन दोनों ने अपनी हर तरह की सैक्स फैंटेसी पूरी की है। उन ने कभी, किसी गैर मर्द के साथ 3सम किया है तो औरत के साथ भी, कभी 4सम में दो मर्द उनके साथ थे तो कभी दो औरतें।
उनके लिए कपल स्वैपिंग तो जैसे एक सामान्य कामक्रीड़ा थी।
दोनों ने एक दूसरे की हर फैंटेसी को पूरा करने में अपना पूरा सहयोग दिया था।
यहां तक कि उन्होंने कई बार ग्रुप सेक्स के मजे भी लिए थे।
इसके लिए वे ऐसे क्लबों में गए जहां कामुकता का नंगा खेल होता है।
कोई भी मर्द किसी भी औरत के साथ और कोई भी औरत किसी भी मर्द के साथ मनचाही मस्ती कर सकते थे।
जहां किसी को कुछ भी करने से रोकना, वहां की तहजीब के खिलाफ माना जाता है।
एक बार तो ऐसे क्लब में हया को 10 से अधिक मर्दों ने जी भर के नोचा, उसके वासना की आग में जलते हुए शरीर को अंदर बाहर से वीर्य में तरबतर कर के ठंडा कर दिया था।
हया का कहना था कि उसे याद नहीं कि उस दिन उसकी चूत में कितने लंड गए, कितने गांड में घुसे, कितने मुंह में और कितनों ने उसके बदन पर वीर्य रस का छिड़काव किया।
उसे बस इतना याद है कि उस दिन उसने मस्ती के सब से ऊंचे शिखर को छुआ था।
इतने कामुक और खुले, सैक्स से भरे जीवन के बावजूद हया की एक अजीब सी फैंटेसी बाकी थी, जिसे वह हर हाल में पूरा करना चाहती थी।
उसकी हसरत थी कि वह एक रात रंडी बन के किसी गैर मर्द से चुदवाये.
और इतना ही नहीं, उसको चोदने के लिए ग्राहक, उसका शौहर अखलाक ढूंढ के लाए।
उसने अपनी यह फैंटेसी कैसे पूरी की, उस के बारे में मुझे बताया और मुझ से आग्रह किया कि उसकी इस हसीन फेंटेसी को, बिना उसका नाम लिए, कहानी के रूप में प्रस्तुत करूं।
जिससे उसके जैसी उन्मुक्त जीवन जीने वाली, प्रकृति के इस वरदान का भरपूर दोहन करने वाली, अन्य औरतों को भी इस नए आनंद को प्राप्त करने की प्रेरणा मिल सके।
क्योंकि ऐसी अजीब सी लालसा बहुत सी कामुक औरतों की फैंटेसी हो सकती है।
इस कहानी को पढ़ कर उनके लहू में भी उबाल आ सकता है।
उनमें भी किसी मौके पर अपनी फैंटेसी को पूरा करने की हिम्मत आ सकती है।
यह भी हो सकता है कि अपनी बीवी को गैर मर्द से चुदवाने वाले किसी शौहर की भी, इस किस्म की फैंटेसी हो और कहानी पढ़ के उस शौहर में, इस फेंटेसी को पूरा करने का जोश आ जाए।
इसलिए मेरे कामुक, रसीले पाठकों के लंड को तन्नाने और अपनी हर अधूरी हसरतों को पूरा करने को बेकरार, गर्म चूत वाली पाठिकाओं के लिए प्रस्तुत है मेरी सहेली की यह अनोखी, मगर सच्ची कहानी उसी के शब्दों में:
मैं हया हूँ, मैं 40 वर्षीया, 38 36 38 की फिगर और मांसल बदन वाली एक भरपूर जवान औरत हूं।
मेरे शौहर और मैं सैक्स का, कामक्रीड़ा का भरपूर मज़ा लेते हैं, नए नए लोगों के साथ, नए नए कामुक खेलों ने हमारे जीवन को आनन्द से भर रखा है।
मुझे नहीं पता नहीं कि हर कामुक औरत की ऐसी इच्छा होती है या नहीं … लेकिन मेरी बहुत दिली इच्छा थी कि एक दिन मैं किसी गैर मर्द से रण्डी बनकर चुदवाऊं।
मैंने अपनी इस निराली हसरत का इज़हार अपने शौहर से किया।
मेरे शौहर तो वास्तव में बड़े अनोखे हैं, उन्हें मेरी हर हसरत पूरी करने में एक अजीब सा आनन्द मिलता है।
उनने मेरी इस हसरत को भी सच करने की ठान ली।
मैं अपने शौहर के बारे में बता दूं, उनका नाम अख़लाक़ है.
वे 42 वर्षीय, 5 फीट 10 इंच के बहुत ज्यादा रसिक व्यक्ति हैं।
उन्हें चुदाई के अलावा और कोई शौक नहीं है।
वे न सिर्फ बढ़िया चुदाई करते हैं बल्कि मेरी हर तरह की ख्वाहिश पूरी करते हैं।
उनका लंड करीब साढ़े छः इंच लम्बा और तीन इंच मोटा है।
अपने इस शानदार लंड से उन्होंने मुझे हजारों बार झड़ा के तृप्त कर रखा है यानि वो चोदन क्रिया में निपुण हैं।
सैक्स के किसी भी खेल के लिए पूछो तो … ना तो वे कभी कहते ही नहीं!
उनका एक ही जवाब होता है- जरूर ट्राई करेंगे।
एक बार जब वो पहली बार मेरी गांड मारने वाले थे, तब उन्होंने लंड का सुपारा घुसेड़ने की कोशिश की थी तो दर्द के मारे मैं बिदक गई.
मैंने कहा- इतना मोटा लंड तुम्हारी गांड में घुसे तो पता चले!
तो वे हँस के बोले- हया, मौका आयेगा तो नीग्रो के जैसे लंबे-मोटे लंड से अपनी गांड मरवा के भी दिखा दूंगा।
मेरी किसी भी तमन्ना के लिए उन्होंने कभी मना नहीं किया।
जीवन में मेरे पास हर तरह की सुख सुविधा मौजूद है, किसी चीज की कमी नहीं है।
जब उन्हें मेरी इस रण्डी बनाने की विचित्र तमन्ना के बारे में पता चला तो उन्होंने इसके लिए भी मना नहीं किया, बल्कि उनका लंड भी ये ख्वाहिश सुनकर तन्नाने लगा.
यह इस बात का सबूत था कि उनको भी मेरा आइडिया बहुत सैक्सी लगा था।
इसे पूरा करने के लिए उन्होंने हमारे शहर से 300 कि मी दूर जयपुर शहर को चुना।
हम शनिवार को दोपहर में वहां पहुंचे, खाना खाकर सो गए क्योंकि पूरी रात तो नए अनजाने, किसी गैर मर्द के लंड के मजे लूटने थे।
शाम 7 बजे करीब अख़लाक़ किसी बार से एक छह फुट के गठीले, कसरती बदन वाले 29-30 साल के लड़के राजेश को लेकर आए.
अख़लाक़ 6 बजे के करीब मेरे लिए ग्राहक ढूँढने निकल गए थे.
उन्होंने मुझे बाद में बताया था कि राजेश बार में अकेला बैठा ड्रिंक कर रहा था तो अख़लाक़ खुद भी एक पैग लेकर उसके पास जा के बैठ गए।
मेरे शौहर मार्केटिंग में हैं तो किसी भी व्यक्ति से परिचय करने में एक्सपर्ट हैं.
अख़लाक़ ने उससे इंट्रो किया तो पता चला कि वो राजेश है, एक मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब करता है.
उसकी शादी को चार साल हुए थे और उसकी बीवी डिलिवरी के लिए मायके गई हुई थी.
राजेश डेढ़ महीने से बिना चुदाई के तड़प रहा था.
अख़लाक़ को लगा यही राजेश, मेरी गैर मर्द के लंड की प्यासी चूत की फैंटेसी पूरी करने के लिए बिलकुल सही रहेगा।
तो अख़लाक़ ने उससे पूछा- यार एक बात तो बताओ, इतना समय हो गया तुम्हारी बीवी को गए … तो फिर रात में तुमको चैन कैसे पड़ता है?
वो बोला- सेल्फ सर्विस और क्या करूं?
अख़लाक़ ने पूछा- क्यों कोई स्टेपनी नहीं है?
वो बोला- नहीं सर, शादी के बाद अभी तक तो कंट्रोल किया हुआ है.
फिर अख़लाक़ ने पूछा- क्यों, यहां तो अच्छी प्रोफेशनल भी मिल जायेगी?
तो उसने कहा- सर, मैंने अब तक या तो गर्लफ्रेंड के साथ सैक्स किया है या फिर किसी भाभी, आंटी के साथ। किसी धंधे वाली औरत के पास अभी तक तो गया नहीं।
इस पर अख़लाक़ ने पूछा- यदि तुम्हें किसी अच्छे घर की ‘कामुक हाउस वाइफ’ मिले तो?
वो बोला- साफ साफ बोलो न सर, क्या कहना चाह रहे हो?
फिर अख़लाक़ ने कहा- देखो यार, मेरी बीवी का नाम हया है, हम ओपन माइंड कपल हैं, स्वैपिंग, थ्रीसम, फोरसम, हर तरह के सैक्स को खुल के एंजॉय करते हैं।
उसने पूछा- क्या तुम मुझे अपनी वाइफ हया को फक करने की पेशकश कर रहे हो?
अख़लाक़ ने कहा- हां, यूं ही समझो, बहुत आनन्द आएगा।
फिर राजेश ने पूछा- आप लोग कुछ चार्ज भी करेंगे या मुफ्त में आपकी बीवी चोदने को मिलेगी?
तो अख़लाक़ को मेरे रण्डी बन के चुदने में एक्स्ट्रा किक लगने का ध्यान आया तो उनने बोला- अरे यार, मेरी बीवी कोई धंधे वाली औरत नहीं है, न हमारे पास रुपए पैसे की कमी है। उसे बस एक बार एक अजनबी मर्द से रण्डी की तरह चुद के एंजॉय करना है, इसलिए वो चार्ज तो करेगी लेकिन बहुत कम!
इस पर उसने कहा- लेकिन यार, मैं बहुत भूखा हूं, मजा पूरा आना चाहिए!
अख़लाक़ ने कहा- हम दोनों मिलकर तुमको मस्त कर देंगे, यह हमारा वादा है।
फिर राजेश ने अख़लाक़ से पूछा- यार, तुम मेरे साथ मजाक तो नहीं कर रहे? क्या मैं तुम्हारी वाइफ से बात कर सकता हूं?
अख़लाक़ ने कहा- मैं हया से पूछ कर बताता हूं.
तब अख़लाक़ ने थोड़ा अलग होकर मुझसे पूछा- एक लड़का मिला है जो तुझसे बात करना चाहता है।
मेरा रण्डीपन मेरे दिमाग पे इतना हावी था कि मेरी चूत अपने ग्राहक से बात करने के नाम से रिसने लगी।
मैंने कहा- हां, बात करवाओ।
अख़लाक़ ने अपना फोन राजेश को दिया.
उसने अख़लाक़ को कहा- मैं थोड़ा अकेले में बात करना चाहता हूं.
तो अख़लाक़ थोड़ा दूर चले गए।
राजेश ने मुझ से पूछा- हया जी, आप एक अच्छे घर की होकर मेरे साथ रण्डी की तरह एंजॉय करोगी, तो मुझे छूट कितनी होगी?
मैंने कहा- 100%, तुम जो भी चाहो करना, जैसे चाहो वैसा करना, जितनी देर चाहो, उतनी देर करना!
उसने कहा- ओके … और तुम्हारी डिमांड क्या है?
मैंने कहा- मुझे ज्यादा नहीं केवल दस हजार दे देना, दस हजार में पूरी रात के लिए ये रण्डी तुम्हारी! तुम भरपूर मस्ती करना, जी भर के आनन्द लूटना, रौंद डालना मेरी जवानी को। मुझे मेरा रण्डी बन के चुदने का आनन्द चाहिए बस!
इस पर वो बोला- मुझे तुम से मिलना मंजूर है। लेकिन मैं जो चाहूं वो करूं? जैसे चाहूं वैसे करूं? और जितनी देर चाहूं उतनी देर करूं?
मैंने कहा- बिल्कुल सही, आज की रात तुम्हारी जिंदगी की यादगार रात होगी।
उसके बाद वो अख़लाक़ के साथ होटल के हमारे रूम में आया.
अख़लाक़ ने हम दोनों का परिचय करवाया।
हम तीनों ने दो दो पैग व्हिस्की के लिए!
पीने के बाद अख़लाक़ ने कहा- मैं कमरे में रुक सकता हूं या तुम अकेले एंजॉय करोगे?
वो बोला- रुको न यार, यह पहला मौका होगा जब मैं किसी मर्द की बीवी को, उसी के शौहर के सामने चोदूंगा। तुम्हारे सामने तुम्हारी लम्पट बीवी को एक रण्डी की तरह चोदने में अधिक मजे आयेंगे।
मैंने साड़ी पहन रखी थी.
राजेश ने चीरहरण से शुरू किया.
मैंने भी उसकी जैकेट, टी शर्ट उतारी।
फिर उसने मेरा ब्लाउज और ब्रा भी उतार फैंकी.
जब उसने मेरे कोमल, मुलायम स्तनों पर हाथ फेरा तो मेरे बदन में वासना की लहरें उठने लगी।
उसने मेरे नंगे बदन से अपना बदन चिपका लिया और मेरे होंठ चूमने लगा.
फिर वह अपने दोनों हाथों से मेरे कूल्हे दबाने लगा.
वासना के वशीभूत मेरा हाथ उसके लंड पर चला गया.
वो तन्नाने की प्रक्रिया में था.
तभी राजेश पलंग के किनारे बैठ गया.
मैंने उसे कहा- तुम दोनों मर्द मेरे दोनों बोबे एक साथ चूसो!
उसको भी यह आइडिया पसंद आया, उसने अख़लाक़ को बुलाया.
अख़लाक़ भी इस बीच आधे नंगे हो गए थे.
फिर दोनों ने एक साथ मेरे बोबे चूसे और मेरी चूत पानी छोड़ने लगी.
करीब पांच मिनट तक मेरे बोबे चूसने के बाद राजेश खड़ा हुआ, उसने अपनी जींस और अंडरवियर एक साथ उतारी और मेरा पेटीकोट पैंटी सहित खींच के उतार दिया।
मैं एक रात की रण्डी एक गैर मर्द के सामने पूरी नंगी खड़ी थी.
अख़लाक़ भी पूरे नंगे हो गए थे.
राजेश ने अख़लाक़ को पूरा नंगा देखा तो बोला- अख़लाक़, अब तुम सोफे पर बैठ कर लाइव ब्लू फिल्म देखो. तुम्हारी ये कामुक हाउसवाइफ अब से कुछ घंटों के लिए मेरी रण्डी है रण्डी!
अख़लाक़ हंसते हुए जाकर सोफे पर बैठकर अपने लंड को सहलाने लगे.
राजेश ने मेरे कंधों पर दबाव डालकर मुझे झुकाया और अपना लंड मेरे मुंह के सामने ले आया।
यार … यह पहला लंड था जो अख़लाक़ के लंड से करीब एक इंच अधिक यानि साढ़े सात इंच लंबा था और मोटा भी थोड़ा ज्यादा ही था।
मैंने राजेश के चिकने, सांवले, सलौने, सुहाने लंड को कुछ पल निहारा.
उसने शायद आज ही झांटें साफ करी थी, उसका लंड बहुत ही मनमोहक लग रहा था।
मैंने उसके चमकदार सुर्ख लाल सुपारे को चूमा, हाथों से सहलाया फिर मैंने चूसना शुरू किया.
वो बोला- हया जान, सबसे पहले तेरे मुंह में ही सारा वीर्य निकालूंगा।
मैंने 👍👍 इशारा कर के कहा- ओके, निकालो।
उसने मेरे मुंह को चोदना शुरू किया.
मैंने कई बार अपनी जुबान उसके लंड के चारों ओर घुमाई.
उसके मुंह से मस्ती की सिसकारियां निकल रही थीं।
उसने दो तीन मिनट रुक रुक के अपना लंड मेरे मुंह के अंदर बाहर किया.
उसके लंड में वीर्य हिलोरें मार रहा था.
फिर एक तूफान सा उठा और फिर उसके लंड ने पिचकारी छोड़ी, ढेर सारा वीर्य उछल उछल के मेरे हलक में जा रहा था.
मैं हर कतरे को निगलती रही.
लेकिन आखिर में एक दो छोटे छोटे कतरे मैंने मुंह में रोक लिए।
मुझे ध्यान आया कि अख़लाक़ कहते थे कि मेरा लंड तन्नाया हुआ हो तो मैं तेरी चूत से किसी गैर मर्द का वीर्य भी चाट सकता हूं.
मैंने अख़लाक़ को आजमाने की सोची.
मैं, जब राजेश का लंड सिकुड़ के मुंह से निकल गया, तब अख़लाक़ की ओर बढ़ी और उनके होठों से होंठ लगाकर बचा खुचा वीर्य अख़लाक़ के मुंह में स्थानांतरित कर दिया।
राजेश ये देखकर हैरानी से ताली बजाने लगा- वाह यार, ये हुई न बात!
अख़लाक़ ने सारा वीर्य गटक लिया और राजेश से बोला- मैंने कहा था न हम हर तरह का सैक्स एंजॉय करते हैं।
उसके बाद राजेश बिस्तर पर पस्त होकर बैठ गया।
उसके चेहरे और बदन पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं।
थोड़ी देर वो इस मीठी थकान का आनन्द लेता रहा।
उसके बाद हमने थोड़ा नाश्ता किया।
मेरी चूत तो मेरे ग्राहक के लंड से चुदने के लिए कुलबुला रही थी.
इसके लिए मैं राजेश के नंगे बदन से चिपक कर लेट गई, उसके चौड़े सीने को चूमती रही, उसके निप्पलों को सहलाती रही, हल्के हल्के मसलती रही.
मैंने उसकी निप्पलों को चूसा, काटा.
राजेश का लंड अंगड़ाइयां लेने लगा.
मैंने झुक के उसका लंड मुंह में ले लिया और अख़लाक़ को इशारा किया.
वो भी उठकर आए और राजेश के आंड चाटने लगे.
राजेश के लंड में सनसनी होने लगी.
आखिर एक औरत और एक मर्द एक साथ उसका लंड चूस रहे थे।
उसका लंड फिर से तन्नाने लग गया।
मैंने राजेश को कहा- अब अपने इस माँसल लंड से मुझे कस के चोद दे मेरे राजा! मेरी चूत तेरे इस विशाल लंड को अपने भीतर लेने के लिए मचल रही है, तड़प रही है।
राजेश ने ये सुनते ही मेरे घुटने मोड़ के ऊपर किए और मेरी चूत पे अपने होंठ टिका दिए।
उसकी जुबान चूत के चारों ओर से चूत रस को सुड़क रही थी।
मेरी चूत को वो चाटता रहा और चूत पानी छोड़ती रही।
उसके बाद उसने मेरे संवेदनशील क्लिटोरिस को जुबान की नोक से टच किया और हौले हौले जुबान से सहलाने लगा.
फिर उसके स्ट्रोक में तेजी आने लगी मेरे बदन में चरम उठने लगा.
ऐसे में चूत के अंदर लंड के करारे रगड़े लग जाएं तो क्या बात है.
यह सोच कर मैंने उसे कहा- राजू यार … अब लंड डाल भी दे ना जल्दी से!
राजेश ने अपना लंड चूत पे टिका के दबाते हुए, धीरे धीरे अंदर डाला.
मुझे इतना अच्छा महसूस हो रहा था यार कि पूछ मत, सुंदर चेहरा, बलिष्ठ शरीर, खूबसूरत लंबा-मोटा, मेरा मन पसंद लंड!
उसका लंड मेरी चूत में जड़ तक चला गया।
दो मिनट तक वो दबाव डाल के आनन्द लेता रहा.
फिर मैं ही बोली- रगड़ न मादरचोद!
इतना सुनना था कि उसका जोश बढ़ा उसने गाली बकते हुए धक्के लगाने शुरू किए- ले मेरी रण्डी, ले भोसड़ी वाली, लंडखोर साली हया … ले!
बोलते हुए रुक रुक के दस पंद्रह मिनट तक चोदता रहा।
फिर जब मेरा चरम नजदीक लगने लगा तो मैंने उसे कहा- राजू, अब लगातार रगड़ दे कस के, मेरा बस होने वाला है!
उसने फिर दम लगा के खूब जोर जोर से रगड़े लगाए, उसका डिस्चार्ज होने लगा, चूत से फच फच की आवाज आने लगी.
लेकिन वो रुका नहीं, डिस्चार्ज होने के बाद करीब दस धक्के और लगाए होंगे कि मेरा पूरा शरीर अकड़ा और चूत जोर जोर से फड़कने लगी, मानो मेरा दिल सीने से हट के चूत में चला गया हो।
मुझे इस चुदाई ने परम आनन्द से मस्त कर दिया।
मैं बहुत देर तक आंखें बंद करके चरम सुख के इन लम्हों को भोगती रही।
उसके बाद वो एकदम पस्त हो गया, बोला- यार हया, इतना आनन्द आज तक नहीं आया. तुम दोनों वास्तव में गजब की कामुक जोड़ी हो. तुम दोनों से मिलकर जो आनन्द मुझे आज मिला है, मैं उसके बारे में सोच भी नहीं सकता था.
अख़लाक़ को मैंने अब तक डिस्चार्ज करने से रोका हुआ था क्योंकि अभी अख़लाक़ को एक गैर मर्द के वीर्य से भरी मेरी चूत चटवानी थी।
मैंने राजेश को बोला- आज का एक और स्पेशल सरप्राइज़ अभी बाकी है.
वो जिज्ञासा से बोला- क्या?
मैंने अख़लाक़ को इशारा किया.
वो आया और मेरी चूत से सारा वीर्य चाटने और सुड़कने लगा.
राजेश हैरत से सारा नज़ारा देख रहा था.
अख़लाक़ ने आज साबित कर दिया कि वह मेरी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता है।
उसके बाद अख़लाक़ ने मेरे होंठ चूसे मुझे राजेश के वीर्य और मेरी चूत रस का, मिला जुला खट्टा कसैला स्वाद आया।
राजेश हमारी हरकतें देख देख के मस्त हो रहा था।
थोड़ी देर सुस्ताने के बाद राजेश ने कहा- यार, अब खाना खाते हैं फिर एक बार तेरी गांड और मारूंगा.
अख़लाक़ ने कहा- यार, अब मेरे को भी तो एक बार डिस्चार्ज करने दे!
मैंने कहा- देखो यार, मेरी चूत तो अभी अभी तृप्त हुई है और गांड तो राजेश के इस मस्त लौड़े से ही मरवाऊंगी। तुम भी चाहो तो मेरे मुंह में वीर्य निकाल दो!
अख़लाक़ ने तुरंत मेरे मुंह में लंड डाल के चोदना शुरू किया.
लंड उफना हुआ तो था ही, एक मिनट भी नहीं लगा और पिचकारी छूट गई।
मैंने अख़लाक़ का सारा वीर्य भी गटक लिया।
उसके बाद हमने खाना ऑर्डर किया.
जब तक खाना आया, तब तक हम तीनों साथ में नहाए, एक दूसरे के नंगे और साबुन लगे चिकने बदन का आनन्द लिया.
और खाना खाने के बाद भी हमने काफी देर आराम किया।
रात के करीब बारह बज रहे थे, मैंने और अख़लाक़ ने एक साथ राजेश का लंड चूस के खड़ा किया.
और जब वो तन्ना गया, तब उसने मुझे घोड़ी बना के लंड को तेल से चिकना किया, थोड़ा तेल मेरी गदराई हुई, सुडौल गांड में भी लगाया.
फिर राजेश ने बहुत धीरे से मेरी गांड में लंड का सुपारा घुसेड़ा.
मेरी गांड थोड़ा सा चिरमिराई पर उसका लंड मेरे जिस्म के अंदर घुसता चला गया.
फिर वो धीरे धीरे लंड अंदर डालता और जल्दी से बाहर निकालता.
वो गांड मारने का भी एक्सपर्ट था, बहुत देर तक उसने पूरे मन से मेरी गांड मारी.
उस को और मेरे को, दोनों को खूब मजे आए।
अख़लाक़ उसके पीछे खड़े होकर उसकी निप्पलें मसल रहे थे, उसके लंड में आनन्द की लहरें उठ रही थीं।
करीब पंद्रह मिनट के आनन्ददायक घर्षण के बाद उसने अपना वीर्य का स्टॉक गांड में खाली कर दिया और जब तक लंड मुरझा नहीं गया, मेरी गांड में अपना लंड, अंदर बाहर करता रहा.
हम दोनों को इस रगड़ाई का आनन्द मिलता रहा।
उसके बाद हम तीनों पस्त होकर बिस्तर पर पड़े तो नींद आने लगी.
एक ने मेरे स्तनों में मुंह दे रखा था, दूसरे ने गांड में!
फिर हम सो गए।
सुबह हमारी नींद खुली तो मेरी चूत फिर से चुदना चाहती थी.
मैंने राजेश से कहा- अब तुम दोनों एक बार और मेरी चुदाई कर दो।
उसने पूछा- एक साथ?
मैंने कहा- नहीं, बारी बारी।
उसके बाद हम दोनों से प्रेरणा लेकर राजेश ने अख़लाक़ के साथ 69 की मुद्रा में एक दूसरे का लंड चूसा।
दोनों लंड रात के रेस्ट के बाद तरोताजा तो थे ही, जल्दी कड़क हो गए।
उसके बाद मैं पलंग के किनारे पर लेटी, कभी पैर जमीन पर टिकाती, कभी घुटनों से मोड़ के ऊपर उठाती।
शुरुआत राजेश ने की.
राजेश और अख़लाक़ ने धक्के लगाने शुरू किए.
जब राजेश के लंड में सरसराहट होने लगती तो वह हट जाता, उसकी जगह अख़लाक़ धक्के लगाने लगता.
ऐसा बहुत देर तक चला, मेरी चूत की जबरदस्त कुटाई हुई।
आखिर में मुझे झड़ाने का श्रेय मिला राजेश को!
मेरी चूत में जैसे अनार छूट रहा था और उसके साथ राजेश के लंड से वीर्य का फव्वारा!
उधर मेरे शौहर अख़लाक़ के लंड से वीर्य की पिचकारी मेरे चेहरे और मेरे स्तनों पर गिर रही थी।
मैं अंदर बाहर से वासना के इस आनन्द-सागर में डूब रही थी।
करीब आधा घंटे सुस्ताने के बाद राजेश उठा, तैयार हुआ.
उसने अपने पर्स से दस के बजाए ग्यारह हजार निकाल के मुझे हॉट रंडी सेक्स के लिए दिए।
हम दोनों को थैंक यू के साथ फिर से सेवा का मौका देने का बोला।
हम तीनों एक साथ गले मिले और बस … वो चला गया कामुक और मस्त यादें छोड़ कर!
मेरी रण्डी बन के चुदने की ख्वाहिश पूरी हुई।
एक लम्बे अंतराल के बाद Hindi Sex Stories आपसे फिर मुखातिब हूँ, एक अचरज-कथा प्रस्तुत कर रहा हूँ !
पता नहीं किसी से मेरे बारे में सुनकर मेरे पास एक महिला का फोन आया और उन्होंने मुझसे बोला कि वो किसी जरूरी कार्य से मुझसे मिलना चाहती हैं।
मेरे पूछने पर बोलीं कि फोन पर बताना तो संभव नहीं है, आप यदि मुझे समय दे सकें और अपना पता बता दें तो आपकी मेहरबानी होगी, मैं काफ़ी परेशान हूँ और इसलिये आपसे मिलकर बात करना चाहती हूँ।
फिर मेरे और पूछने पर बताया- मुझे मेरे ही किसी मिलने वाले ने आपसे मिलने को कहा है, जो आपको बहुत अच्छे से जानते हैं …
मैंने बहुत पूछा कि कौन हैं आपके मिलने वाले?
तो जवाब मिला कि गोपनीयता के कारण वो नाम नहीं बताना चाहती …
यह सारा घटना-क्रम दिसम्बर और जनवरी महीने का है।
एक स्त्री के मुँह से मेहरबानी और परेशानी में सहायता की बात से मुझे तकलीफ हुई और मैंने उनको अपने कार्यस्थल का पता देते हुए मिलने का समय बता दिया।
सटीक नियत समय पर एक आकर्षक महिला का मेरे ऑफिस में पदार्पण हुआ, उन्होंने मुझसे पूछा- मुन्ना जी !! ??
मैंने हाँ में गर्दन हिलाई और उनको मेरी मेज़ के विपरीत कुर्सी पर बैठने का संकेत किया।
वो कुर्सी पर विराजमान हुईं और मेरे ऑफिस का मुआयना करती हुई बोलीं कि समस्या मेरी व्यक्तिगत है और मेरे पति से सम्बंधित है।
मैंने मेरी काउंसलर को मेरी कुर्सी पर आने को कहा और चाय वाले को चाय बोलने को कहकर, उनको लेकर ऑफिस के अन्दर के हिस्से में चला गया।
महिला और मैं आमने सामने कुर्सी पर बैठ गए, वो कुछ देर तक मुझे हौले हौले ताकती रहीं जैसे कि तौल रही हों कि कुछ बताएं या नहीं।
फिर बोली- मेरा नाम रेखा है और मैं जयपुर के ही बाहरी इलाके जगतपुरा में रहती हूँ। मेरी शादी आज से दो साल पहले हुई थी। मेरी ननद की शादी हो चुकी है और अब मेरे परिवार में मेरे सास-ससुर हैं और हम हैं, अच्छा घर बार है, पति देखने में अच्छे हैं और परिवार के सभी सदस्य मिल जुल कर रह्ते हैं !
इतना कहकर वो चुप हो गई … तो मैंने बात को आगे चलाने के मकसद से बातचीत शुरु की।
मैंने कहा कि यह सब तो बहुत अच्छी बात है फ़िर आपको दिक्कत कहाँ है ?
इस सबके बाद भी वो मुझे टुकुर टुकुर ताकती रही, उनके मुँह से आगे के बोल नहीं निकल रहे थे …
इस पर मैंने उनको समझाया कि यदि आप कुछ बोलेंगी नहीं तो आपके आने का मकसद भी पूरा नहीं होगा और मैं भी आपकी कोई मदद नहीं कर पाउंगा।
इस पर उनकी नजर नीचे हो गई और एक लम्बी सांस छोड़ते हुए बहुत हलके शब्दों में बोलीं – दिक्कत मुझे मेरी विवाहित जिन्दगी से है …
मेरे मुँह से सिर्फ़ इतना निकला- ओह …
कुछ समय हम दोनों ही चुपचाप बैठे रहे और गनीमत हुई कि उस वक्त चायवाला चाय दे गया तो उन्होंने मुझसे चाय लेने को कहा तो मैंने उनको बताया कि मैं चाय नहीं पीता हूँ, प्लीज आप चाय लीजिये …
चाय पीने के दौरान वो बहुत हद तक सामान्य हो गई थीं और हम दोनों में छोटी मोटी घर बार की इधर उधर की बातें होती रहीं …
चाय खत्म करने के दौरान हम दोनों में उनकी परेशानी वाले विषय पर और कोई बात नहीं हुई।
चाय खत्म करने के बाद एक बार फ़िर वो मेरा मुँह देखने लगी तो मैंने कहा कि आप अपने वैवाहिक जीवन में किसी समस्या के बारे में मुझसे कोई बात करने वाली हैं और यह मानिये रेखा जी कि यदि आप चुप बैठ जायेंगी तो मैं अन्तर्मन की बातें जानने वाला नहीं हूँ कि उसके बाद मैं आपसे सीधे ही आपकी समस्या पर आपसे बात करने लग जाउंगा या कोई समाधान बताने लग जाउंगा … इसलिये प्लीज आप बेहिचक अपनी बात शुरु कीजिये … वैसे तो कहीं ज्यादा अच्छा होता कि आप अपने पति के साथ आतीं तो बात करने में हिचक वाली कोई बात नहीं होती और जहाँ तक मैं समझ पा रहा हूँ आप जिस प्रकार से हिचक रही हैं उससे आपकी समस्या सेक्स से सम्बन्धित कोई परेशानी होनी चहिये, लेकिन असली बात तो आप ही मुझे बतायेंगी …
वो फ़िर नीचे जमीन की तरफ़ देखने लगी और बोलीं कि आप कहते तो सही हैं कि यह बात करनी तो मेरे पति को ही चाहिये थी लेकिन क्या करूं वो तो कहीं आने जाने को तैयार ही नहीं हैं … , शादी के बाद जो लड़की के अरमान होते हैं वो उनमें काफ़ी हद तक तो अच्छा घर बार और परिवार ही होते हैं लेकिन … … फ़िर वो लम्बी सांस छोड़ते हुए चुप हो गई।
इस पर मैंने कहा- आप सही कह रही हैं शादी तो शादी, बिना शादी के भी सेक्स बहुत हद तक सभी जीवों के जीवन में बेहद महत्व रखता है।
तो वो बोलीं कि एकदम ठीक बात कह रहें हैं आप, मेरे पति अच्छे बदन के मालिक हैं लेकिन सेक्स करते समय मुझसे पहले वो … बल्कि यों कहें कि जल्दी ही … …
मेरे मुँह से अनायास ही निकल गया – ओ ओ ओह ह ह्ह …
लेकिन यह बात तो नितान्त ही आपके पति से सम्बन्धित हैं तो मैं आपकी सहायता किस प्रकार से कर सकता हूँ ??
तो वो एक बार फ़िर से मेरे मुँह को ताकते हुए बोलीं- मैं इसी सम्बन्ध में तो आपसे सलाह और सहायता लेने आई हूँ, वैसे तो मैंने मेरे पति को सलाह दी कि वो क्यों नहीं किसी डाक्टर से सलाह लेते हैं तो वो बहुत हिचक के बाद तो माने और बड़े अस्पताल के जाने-माने डाक्टर के पास गये,
उनसे उनकी बहुत विस्तार से बात हुई और मेरे पति ने डाक्टर की सलाह के अनुसार भी दवा लीं और कन्ट्रोल करने की कोशिश की लेकिन इन सबके बाद भी वो एकदम से बेहद उत्तेजित हो जाते हैं और एकदम से खारिज हो जाते हैं, महीने पन्द्रह दिन में एकाध बार को छोड़ दें तो मैं यूं ही रह जाती हूँ … यानि ये मान लें कि दो साल में कोई चालीस पचास बार बस … जबकि मेरी दो सहेलियां हैं उनको तो अकसर होता है कभी कभी को छोड़ कर … , मैंने मेरे पति को निराश नहीं होने को कहा और मेरे कहने से उन्होंने और दो तीन डाक्टर को और दिखाया लेकिन उनकी निराशा बढ़ती ही गई और अब तो हालत और भी खराब हैं … अब तो वो खुद के सेक्स के लिये भी पहल नहीं करते और मैं करती हूँ तो मेरी तरफ़ देखकर कहते हैं कि रानी तुम भी कहाँ मुझ जैसे नामर्द के साथ फ़ंस गई हो … काश मैं तुमको सन्तुष्ट कर पाता … ! वो अब ज्यादा और ज्यादा डिप्रेशन में रहने लगे हैं … जब सहन नहीं होता तो डिप्रेशन की गोली ख़ा लेते हैं … वो मुझसे बहुत प्यार करते हैं …
मैं बोला- एक बार मैं उनसे मिलना चाहूँगा, हो सकता है कि कोई सही रास्ता निकल आये !
तो रेखा जी ने कहा- मेरे खयाल से वो आज के हालात को देखते हुये मुश्किल से ही तैयार हों, लेकिन मैं कोशिश ही कर सकती हूँ।
मैंने जवाब दिया कि बिना किसी प्रयास के हताश होने से कभी भी मन्जिल नहीं मिलती है, हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिये।
रेखा जी- तो मैं आपके पास अब कब आऊं?
मैं- कल आ जाइये !
रेखा जी- ठीक है, मैं कल घर से निकलते समय आपको काल कर दूंगी।
अगले दिन रेखा जी अपने पति के साथ नियत समय पर हाजिर हुईं । मैंने मन ही मन सोचा कि ये बन्दी हैं तो समय की एकदम से पक्की।
फ़िर मैंने अपनी काउंसलर को चाय वाले को आवाज देने को कह कर आफ़िस के अन्दर के हिस्से में रेखा जी और उनके पति को लेकर आ गया।
रेखा जी ने अपने पति से मेरा परिचय करवाया, हमने एक दूसरे का अभिवादन किया और बिना समय व्यर्थ किये चर्चा चालू की और जैसा कि रेखा जी ने अपने पति के लिये कहा था, मेरे हर सम्भव समझाने पर भी वो बन्दा कुछ भी मानने के लिये तैयार नहीं हुआ एक दम से हताश और इतना निराश व्यक्ति मैं पहली बार देख रहा था।
उस बन्दे ने साफ़ साफ़ कहा- रेखा चाहे मुझे सेक्स करने दे या नहीं … बस ये मेरे साथ रहे इतना ही बहुत है ! मैं इसके बिना जी नहीं सकता और ये अपनी यौन-संतुष्टि के लिये जिसे भी चुन ले मुझे कोई एतराज नहीं होगा, बस ये खुश रहे, मुझ में जो कुछ कमी है उसके लिये मैं हर सम्भव कोशिश कर चुका मुन्ना जी, अब तो जब कुछ प्रयास करने की सोचता हूँ तो जैसे मैं अपने पर अत्याचार कर रहा हूँ। हर सम्भव प्रयास के बाद भी असफ़लता से मैं … खुद और ज्यादा खराब हो जाता हूँ … मुझे जिस भी किसी ने आपके बारे में बताया था, आपके लिये कहा था कि आप से मैं बेखौफ़ बात कर सकता हूँ … । इसलिये आया आपके पास … मैं जानता हूँ कि मैं … मुझ में क्या कमी है … , और मैं ये भी जानता हूँ कि सेक्स का जीवन में क्या महत्व है। इसलिये मुझे कतई एतराज नहीं है यदि रेखा किसी को अपना सेक्स साथी चुन ले … , लेकिन मैं हर किसी के साथ तो बरदाश्त नहीं करूंगा … , मैं नहीं चाहता कि ये एक सेक्स की भूखी लड़की के रूप में कुख्यात हो जाये … , ये सोच समझ कर फ़ैसला करे …
अब मैं एक बेहद ही समझ्दार और खुले दिल वाले आदमी के सामने अपने आप को पा रहा था।
चाय पी कर रुख्सत होने के बाद मैंने अपना दिमाग घूमते हुए पाया … , मैं अपना सिर पकड़ कर बैठ गया और सोचने लगा कि रेखा जी किस परिस्थिति से निकल रही हैं और वो बेचारा उनका पति … उफ़्फ़् … हे भगवान् … …
करीब एक घन्टे बाद रेखा जी का फ़ोन आया और उन्होंने मुझसे माफ़ी मांगते हुए एक बार फ़िर से अकेले मिलना चाहा, अब मैं अवाक रह गया कि रेखा जी अब मुझसे क्यों मिलना चाह्ती हैं … अब बाकी क्या है … ?
लेकिन उत्सुकता के मारे अब मैंने उनको तुरन्त मिलने का समय दे दिया …
और फ़िर एक बार वही सही समय पर वो हाजिर थीं।
अब बातचीत में कोई लाग लपेट की गुंजाईश नहीं थी। सीधे बात चीत शुरू हुई और मैंने लगभग हथियार डाल दिये और कहा कि आपके पति मुझे बहुत समझदार तो लगे लेकिन वो बहुत डिप्रेशन में हैं और वो खुद जब किसी इलाज के लिये राजी नहीं हैं तो अब क्या किया जा सकता है …
रेखा जी बोलीं- किया तो अब भी बहुत कुछ जा सकता है मुन्ना जी …
मैं हैरान होकर उनके मुँह की तरफ़ ताकने लगा, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि रेखा जी की बात का क्या मतलब है?
रेखा जी बोलीं- प्लीज मुन्ना ज़ी आप मुझे एक तो रेखा जी कहने के स्थान पर रेखा ही बोल देंगे तो मुझे अच्छा लगेगा, … … फ़िर वो एकदम से चुप होकर नीचे देखने लगी
तो मैंने कहा – हाँ और दूसरी बात ?
फ़िर वो उसी तरह से बैठी रही तो मैंनें कहा कि रेखा जी … मेरा मतलब रेखा … यों अगर चुप रहोगी तो इस समस्या का कोई हल नहीं निकलने वाला … और आपको अब तक तो मुझसे हिचक निकल जानी चाहिये … आपको यदि अब तक भी मुझ पर विश्वास नहीं आया हो तो मेरी ही कमजोरी माननी होगी।
अब रेखा जी ने अपना सिर ऊपर उठाया तो उसमें उलाहने का भाव था और आंखों की कोर कुछ गीली …
मेरा मन कुछ गीला हो गया।
रेखा जी ने कहा कि यदि आप पर विश्वास नहीं होता तो मैं यहाँ यों आपके साथ इस विषय पर जो नितांत गोपनीय और व्यक्तिगत माना जाता है, आपसे बात कर रही होती क्या?
तो मैंने कहा- रेखा जी ओह रेखा प्लीज … सोरी यार … ओह सोरी सोरी … … आई मीन
तो रेखा जी के होटों पर एक जुम्बिश आई और बोली- सोरी की कोई बात नहीं … , आपने मुझे दोस्ती के काबिल समझा ये बहुत बड़ी बात है और आप यदि इसी तरह से मुझसे बात करेंगे तो मैं अपनी बात ठीक से कह पाऊंगी।
मैं बोला- ठीक है रेखा … तुम्हारे सारे खून माफ़ … मतलब अपनी इस समस्या के लिये मुझसे खुल कर बात करो … और यह मत सोचना कि मैं कुछ बुरा मानूंगा …
अब रेखा ने मुझे देखा और बोली- मुन्ना जी आपका धन्यवाद, अब आप मुझे मेरी इस अगली लाइन के लिये माफ़ करना … … आपका मेरे बारे में क्या खयाल है … फ़िर हाथ उठाकर मुझे बोलने से रोकते हुए कहा कि मेरा मतलब है कि क्या मैं आपको मेरे व्यव्हार से, मेरे चालढाल से, मेरी बातचीत करने के तरीके से कोई चालू या बाजारू टाइप की या टुच्ची लगती हूँ …?
मेरी गरदन ना में हिली … उसकी आंखों से दो बूंद छलक ही पड़ी जो शायद बहुत समय से बाहर आने को बेचैन थी …
आप भी क्या सोचते होंगे कि एक स्त्री इस प्रकार से सेक्स के बारे में आपसे अकेले में बात कर रही है …
तो मैंने कहा- रेखा, यदि एक चालू औरत आई होती तो यहाँ औफ़िस के अन्दर के हिस्से में आना तो दूर मैं बात तक करना गवारा नहीं करता यार …
रेखा बोली- थैंक्स मुन्ना जी …
मैं बोला- अब आगे भी बोलो क्या चाह्ती हो …
रेखा- मुझे गलत तो नहीं समझोगे ना … …
मैं- अब लिख के दूं क्या … और ये कहते हुए मैं ने अपनी जेब से पेन निकालने का उपक्रम किया …
रेखा- नहीं रहने दीजिये … !
मैं- तो बोलो अब …
रेखा- अब मुझे बताओ कि मुझे इस स्थिति में क्या करना चाहिये, या तो मुझे कोई दवा बताओ ताकि सेक्स मुझे परेशान ना करे और या फ़िर इसका कोई समाधान …
मैं- दवा की बात तो बेकार है, पैंतीस तक जाते जाते बूढ़ी हो जाओगी और चालीस तक भद्दी भी, हाँ इसके दूसरे इलाज यह हैं कि इसके लिये खिलौने मिल जाते हैं और या फ़िर आप अपने रिश्ते या दोस्ती में किसी को अपना साथी बना लो … , जैसा कि आपके पति ने कहा भी कि यदि साथी बार बार नहीं बदलोगी तो उनको कोई दिक्कत नहीं है …
रेखा- खिलौने तो बेकार हैं … मुझे नहीं पसन्द, अब रही किसी मेरे साथी की बात … तो बताओ कि मैं किसको अपना साथी बनाऊं … , मेरे कोई सगा देवर नहीं है … , और हो या नहीं … हो, ये क्या विश्वास करूं कि मेरा कोई साथी मुझसे गलत फ़ायदा नहीं उठायेगा, यदि वो मेरी बात को अपने दोस्तों में उछालता है या मुझे अपने किसी और मिलने वाले से जबरदस्ती सेक्स करने के लिये कहता है तो मैं तो मैं, मेरे पति और परिवार की इज्जत का क्या होगा, कैसे विश्वास करूं किसी पर …
मैं- कहती तो सही हो लेकिन इसका और कोई क्या इलाज बताऊं, फ़िर कुछ नहीं हो सकता …
रेखा- हो सकता है … बिलकुल हो सकता है … आप मेरे साथी बन जाओ …
जैसे अचानक कोई बम का धमाका मेरे कानों में हुआ हो …
मेरी आंखें फ़टी रह गई … और मैं अवाक रेखा को देखने लगा … … …
रेखा- सोरी मुन्ना जी …
अब मैं सम्हल चुका था, बोला- नहीं रेखा सोरी की कोई बात नहीं … , वैसे भी मैंने ही तुमको अपनी बात कहने को कहा है … तो तुम बिलकुल बेहिचक कह सकती हो … …
फ़िर कुछ पल ठहर कर मैं बोला- तुम मुझ पर कैसे विश्वास कर सकती हो? अभी दो दिन से ही तो जानती हो … , फ़िर ये तुम किस प्रकार से कह सकती हो कि मैं तुम्हारी सन्तुष्टि में कामयाब हो जाउंगा और तुमको एक और बार जिल्लत नहीं उठानी पड़ेगी वो भी अपने सतीत्व की बलि देकर … … फ़िर ये बताओ कि मैं … मेरे पास तो यदि कोई भी इस प्रकार की समस्या लेकर आये तो क्या मुझे सभी से सम्बन्ध स्थापित कर लेने चाहियें? और रेखा अब मेरी बात का बुरा मत मानना … मैं भी तो तुमको अभी दो ही दिनों से जानता हूँ, पहले देखा तक नहीं … मैं कैसे तुम पर विश्वास करूं … तुम बताओ कि तुम किस के रेफ़रेन्स से मेरे पास आई हो …
रेखा- हाय मर जावां, क्या पोइन्ट्स निकाले हैं … अब सुनो … मेरे विश्वास की बात ये है कि जिस भी किसी ने आपके बारे में बताया है मुझे उसकी बातों पर पूरी तरह से विश्वास है कि आप गलत आदमी नहीं हो … मैं उन पर अविश्वास कर ही नहीं सकती, और ये आपकी अभी अभी कही आपकी बातें ही साबित करती हैं वरना कोई और होता तो अब तक तो फ़ेवीकोल लगा कर मुझसे चिपक गया होता … और मुन्ना जी ये भी मेरा विश्वास ही है कि अब के सेक्स में सफ़लता ही होगी और मुन्ना जी प्लीज मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ मुझसे रेफ़रेन्स का नाम मत पूछिये … आप भी गोपनीयता का मतलब जानते हैं … हाँ जान पहचान नई है तो आप मेरे घर आईये हम फ़िर एक दूसरे से कुछ बार मिलते हैं … …
मैंने वातावरण को थोड़ा हलका करने की कोशिश की- इतना मिलने जुलने से तो मेरे चाय, ठन्डे वाले का खर्चा बहुत बढ़ जायेगा …
फ़िर टालने के लिहाज से बोला- रेखा देखते हैं … सोचेंगे … लेकिन अपने पति से उनकी इच्छा के अनुसार और अपनी तरफ़ से रुचि दिखा कर सेक्स करती रहो प्लीज…
और इस प्रकार से रेखा को उस समय तो टाला और उसके जाने के बाद मैं औफ़िस के अन्दर के हिस्से में ही अपना सिर दबा कर बहुत देर तक बैठा रहा।
लगभग एक महीना निकल गया … रेखा के फ़ोन हर पांच सात दिनों में आते रहे और एक बार उसने बहुत जिद करके मुझे अपने घर बुलाया।
मैं उसके घर गया … , क्या शानदार घर है … कार है … किसी भी लड़की का सपना …
रेखा और उसके पति ने गर्मजोशी से मेरा स्वागत किया अपने मां-पापा से मिलवाया मुझे अपना दोस्त बता कर … मैंने उनका अभिवादन किया … ।
फ़िर हम लोग उनके ड्राइन्ग रुम में आ गये …
पति बीच बीच में हम दोनों को अकेला छोड़ कर भी चले जाते थे … जाने क्या सोचकर … इस बीच रेखा ने मुझे खुद का अपने उसी ब्लड बैंक के द्वारा ब्लड डोनेशन का सर्टिफ़िकेट दिखाया जिसमे मैं भी डोनेट करता हूँ … छः बड़ी बीमारियों की मुफ़्त जांच के विवरण भी थे जिनमें एच आई वी और हेपेटाइटिस भी शामिल थे … सब के सब सामान्य … मैंने मन ही मन सोचा कि जो भी कोई इनके मिलने वाले हैं वो मुझे भी बहुत अच्छे से जानता है, इसमें कोई दो राय नहीं अन्यथा मैं भी ब्ल्ड डोनर हूँ, इसका पता किसी सामान्य को तो नहीं ही होगा … कौन हो सकता है वो?
इसी दौरान मेरे एक अच्छे व्यवसायिक दोस्त के घर किसी फ़न्क्शन का बुलावा आया, वो अजमेर का रहने वाला है और मेरे अच्छे मिलने वालों में से है। बन्दे ने बहुत प्यार से और मनुहार से पांच दिन बाद फ़ंक्शन में आने का न्योता दिया … टालने का सवाल ही पैदा नहीं होता था, मैंने बन्दे को कहा कि मैं फ़न्क्शन में जरूर आऊंगा लेकिन हो सकता है कि अजमेर तक पहुंचने में रात के नौ बज जायें तो बन्दे ने कहा कि यार एक दिन तो थोड़ा जल्दी ओफ़िस छोड़ भी दोगे तो क्या हो जायेगा … कोशिश करके आठ बजे तक आ जाओ … ।
तो मैंने कहा कि भाई कोशिश तो मेरी ये ही रहेगी लेकिन बाई चान्स थोड़ा समय इधर उधर हो जाये तो प्लीज … ।
मैं नियत दिन अजमेर पहुंचा,(अजमेर जयपुर से 130 कि मी है) गीत संगीत का कर्यक्रम चल रहा था, मुझे भी खींच कर स्टेज पर ले गया, थोड़ा डांस वगैरह हुआ फ़िर खाना आदि चला … खाना समाप्त करते करते रात के बारह बज गये। मैं इन्तजाम देखता रहा …
बन्दे ने मुझे कहा कि मुझे तो घर तक पहुंचने में और थोड़ा सा समय लगेगा, यदि आप चाहो तो घर तक पहुंचवा देता हूँ तो मैंने मना कर दिया और कहा कि साथ ही चलेंगे, हिसाब किताब कर के घर तक जाते जाते लगभग एक बज रहा था। बन्दे ने मुझे कहा कि देखो थोड़ा सा कंजेशन है यार, यदि एड्जस्ट कर सकते हो तो ठीक है नहीं तो किसी होटल में व्यवस्था कर देता हूँ।
तो मैंने कहा कि कैसी बात करते हो यार … चार पांच घन्टे की बात ही तो है, मैं एड्जस्ट कर लूंगा … प्लीज … ।
यह कह कर मैं कमरों में देखने लगा तो एक कमरे में सो रहे जन के बाद कमरे की दीवार के बिलकुल साथ एक के सोने लायक खाली जगह दिखी तो मैं रजाई लेकर वहीं घुस कर सो गया। सभी फ़र्श पर दरी, गद्दे लगाकर सोये हुये थे कोई रजाई में या कम्बल में … जरा सी देर में ही बत्तियां बंद हो गईं और बाहर बरामदे में एक नाइट लैम्प जलता रहा।
थके होने से जल्दी ही मैं निद्रा देवी की गोद में चला गया । अचानक से मुझे नींद की तन्द्रा में लगा कि मेरे दाहिनी तरफ़ किसी नरम हाथों ने मेरे हाथों को हौले से सहलाया तो मुझे रोमांच हो आया … क्या प्यारा सपना है … फ़िर मेरे हाथ को उन हाथों ने उठाकर अपने बोबों से छुआया … तो मेरे लंड में अन्गडाई होने लगी ।
यह सब मैं पहले भी झेल चुका था … सपने में किसी स्त्री का साथ और स्खलन … यानि कि सीधे सीधे कहें तो स्वप्न दोष और मुझे इस में कभी कोई परेशानी नहीं हुई थी … सेक्स के हर रूप का अपना मजा है, इसका भी है … इसलिये मैंने सपने की दुनिया से बाहर आने में कोई रुचि नहीं दिखाई, होने दो … एक शानदार रोमान्च होगा …
फ़िर वो महिला धीरे से मेरी रजाई में सरक आई और मुझसे चिपक गई और अपना सिर उठा कर अपने होंट मेरे होंटों पर रख दिये तब जाकर मेरी तन्द्रा भंग हुई और मैंने अपने बीच में फ़ंसे हाथ से उसको दूर धकेलने का प्रयास किया … तो उस ने मेरे कान में धीरे से फ़ुसफ़ुसाया कि प्लीज यदि आपने अभी कोई और हरकत की या जोर से आवाज निकाली तो मैं मुसीबत में फ़ंस जाऊंगी, कोई जाग गया तो मेरी इज्जत उतर जायेगी … प्लीज प्लीज शांत रहिये और मेरी सहायता कीजिये …
अजीब स्थिति थी … कुछ बोल नहीं सकता था, उसकी इज्जत का सवाल था … और साथ में मेरे दोस्त की भी …
मैंने उसकी तरफ़ करवट ली और उसके कान में फ़ुसफ़ुसाया कि और यह जो तुम कर रही हो उस से तुम्हारी इज्जत में बढ़ोतरी होगी क्या?
तो वो फ़ुसफ़ुसाई कि यह बात तो हम फ़िर और बाद में कर लेंगे और आप जो भी कुछ कहोगे वो मैं पूरी तरह सुनूंगी … मैं आपके हाथ जोड़ती हूँ, आपके पैर पकड़ती हूँ … ये कह कर अपना धड़ मोड़ कर हाथ मेरे पैरों की तरफ़ ले जाने लगी तो मैंने उसको अपने हाथों से ऊपर की तरफ़ खींच कर उसको रोका और कहा कि इस सब की कोई जरूरत नहीं है लेकिन …
तब तक तो उसने खुद के होटों से मेरा मुँह बन्द कर दिया था … उसकी जीभ मेरे मुँह में घूमने लगी … सांसों में गरमी बढ़ने लगी …
लेकिन मेरा मजा बेमजा हो रहा था … जान पहचान और दोस्ती के बिना सेक्स ना करने का दम्भ भरने वाला मैं आज मेरे सेक्स साथी की शक्ल तक नहीं जानता था … और उस एकदम मद्धिम सी रोशनी में कुछ देख पाना वैसे भी सम्भव नहीं था … सिर्फ़ परछाई सी ही नजर आती थी …
मेरे किसी भी एक्शन में गरमी नहीं देखकर अपने होंट मेरे मुँह से हटा कर वो मेरे कान में फ़ुसफ़ुसाई – प्लीज राजा साथ दो ना … ऐसे क्या करते हो, यदि साथ नहीं दोगे तो भी सेक्स तो होगा लेकिन बेमजा सेक्स का क्या फ़ायदा … , मुझे पूरा मजा दो और खुद भी लो … और ये पक्का है कि ये सब मैं करके ही रहूँगी … …
मैंने सोचा कि कहती तो एकदम से ठीक है … लेकिन यों किसी से इस तरह से सेक्स करना और उसको इस तरह से सेक्स के लिये तैयार करना इसको क्या कहेंगे … ? लेकिन यहाँ प्रतिवाद का कोई फ़ायदा नहीं था, वो मेरे पैर पकड़ने तक को तैयार थी … मेरे मना करने पर फ़िर से …
फ़िर जरा सी गलती से इस की और मेरे दोस्त दोनों की इज्जत का फ़लूदा बन जाने वाला था, मैंने सब तरफ़ से सोच कर मानस बनाया कि इसको तो मैं सेक्स के बाद भी समझ लूंगा अभी तो पूरी तरह साथ देना चाहिये … यही ठीक रहेगा …
तो मैंने उसकी गुद्दी पर एक हाथ रखकर उसके मुँह को अपनी ओर खींचा और उसके होंटों से होंट चिपका दिये … हमारी जीभें एक दूसरे के मुँह के अन्दर का मुआयना करने लगीं … अब तो वो मेरे ऊपर पर आ गई … मेरा दूसरा हाथ उसके बदन पर फ़िरने लगा और जैसे ही उसकी कमर तक आया तो जाना कि उसने टू पीस नाइट गाउन पहन रखा है … तो मैंने उसकी चोली के अन्दर हाथ डालकर उसकी चोली को ऊपर की तरफ़ खींच दिया अब दूसरा हाथ उसकी गुद्दी से हटा लिया क्योंकि उसके चेहरे का दबाव मेरे मुँह पर इतना था कि उसका चेहरा मेरे मुँह से हटने वाला था ही नहीं … उसके बाल खुलकर नीचे की तरफ़ फ़ैल कर हम दोनों के चेहरों को ढक चुके थे … मेरा धड़ उसकी दोनों टांगों के बीच हो गया …
दूसरे हाथ को हम दोनों के बीच में डाल कर उसके बोबे छुये तो पता चला कि उसने ब्रा नहीं पहन रखी है … मैं एक हाथ से उसके बोबे दबाने लगा और दूसरे हाथ से उसका बदन सहलाने लगा, क्या शानदार बदन की मल्लिका है … एकदम से चिकना मुलायम मखमल जैसा … सांचे में ढला हुआ !
फ़िर हाथ को और ज्यादा नीचे करके उसके कूल्हे सहलाने लगा, उसका बदन मचलने लगा, मेरा लन्ड फ़नफ़नाने लग चुका था और उसकी चूत के नीचे दबा हुआ टन्कारें मार रहा था …
मैं उसके कूल्हों के ऊपर से उसके गाउन के नीचे वाले हिस्से को खींचने लगा और पूरे का पूरा गाउन उसकी कमर पर ले आया, पता चला कि उसने अन्डरवियर भी नहीं पहन रखी है … फ़िर मैंने हम दोनों के पेट के बीच में हाथ डाल कर उसके पेट को जरा सा ऊपर की तरफ़ किया तो उसने अपना पेट थोड़ा सा ऊपर कर लिया, इससे मेरे पायजामे का इलास्टिक मेरे हाथ में आ गया और मैंने भी अपने कूल्हे जरा से ऊपर किये और पायजामा अपने अन्डरवियर सहित कूल्हों से नीचे सरका दिया। अब मेरा लन्ड एकदम से खुला था, मैंने अपना हाथ बीच में से निकाल लिया तो एक बार फ़िर से उसकी चूत मेरे लन्ड पर आ गई लेकिन इस बार बिना कपडों के !
अब मैं पूरे जोश से एक हाथ से उसका बदन सहलाने लगा और दूसरे हाथ से उसके बोबे मसलने लगा, जीभ पूरे जोश से मुँह के अन्दर का मुआयना करने लगी। धीरे धीरे मेरा लन्ड उसकी चूत से निकले गुनगुने चिकने पानी से भीगने लगा और मैंने अपने मुँह को उसके मुँह से हटा कर उसकी गरदन से सटा दिया और चूसने लगा तो उसके मुँह से सिसकारी फ़ूट निकली तो मैंने अपने हाथ को जल्दी से उसके मुँह पर भींचा और उसके कान में फ़ुसफ़ुसाया कि ऐसा करोगी तो मरवा दोगी !
तो वो फ़ुसफ़ुसाई कि अब सब कुछ बर्दाश्त से बाहर है।
तो मैंने अपने हाथों को उसके कूल्हों के बीच से हाथ डालकर अपने लन्ड को उसकी चूत के छेद पर सेट किया और अपनी दोनों हाथों की तर्जनी से उसकी चूत के फ़लक खोल दिये तो वो अपने कूल्हों का दबाव डाल कर लन्ड अपनी चूत में लेने लगी तो मैंने अपने हाथ हटा कर फ़िर से बोबे और शरीर पर लगा दिये और अब उसकी गर्दन पर अपना मुँह जमा दिया और चूसने लगा।
वो तड़पने लगी और अपने कूल्हे चला कर चूत को रगड़ने लगी … … आह … ये मेरी सबसे पसन्दीदा पोजीशन है इससे चूत के अन्दर का हिस्सा लगातार कसता और नरम पड़ता है, इससे लन्ड को बेहद सुखद अनुभूति होती है …
इतने में उसने अपने हाथों पर अपने धड़ को ऊपर कर लिया तो मैंने गरदन चूसनी बंद कर दी और उसके बोबे चूसने लगा और दोनों हाथों से मसलने लगा … तो उसको बेहद उत्तेजना हुई और वो अपने कूल्हे जोर लगा कर अपनी चूत मेरे लन्ड पर मसलने लगी और एकाएक निढाल मेरे ऊपर पसर गई … ।
दो मिनट हम दोनों बिना हरकत किये पड़े रहे। फ़िर मैं अपने हाथ उसके बदन पर फ़िराने और बोबे दबाने लग गया और अपने मुँह को उसके मुँह से सटा दिया तो उसमें फ़िर से हरकत होने लगी और वो फ़िर से होटों को मेरे होटों से सटा कर चूसने लगी और फ़िर से एक बार कूल्हे चलाने लगी।
इस बार तो उसने बहुत तेज चक्की चलाई, मुझे भी मजा आने लगा था … उसकी चूत उसके कूल्हे की हर हरकत पर कसती और ढीली होती थी तो मुझे मेरे लन्ड पर बहुत तेज करेन्ट महसूस होता था … मैं अपने हाथ उसके कूल्हों पर बहुत हल्के से फ़िराने लगा तो वो फ़िर एक बार तड़पने लगी और अचानक ही उसने अपने होटों से मेरे होटों को जोर से काट लिया … मुझे लगा कि मेरा होंट सूज गया है … उसका बदन अकड़ गया और फ़िर एकदम से निढाल हो कर मेरे ऊपर पसर ग़ई … मैंने मेरे हाथ उसकी पीठ पर बान्ध लिये और हाथ के पन्जे से उसके बाल हौले हौले सहलाने लगा …
पांच मिनट बाद उसमें धीरे धीरे फ़िर से चेतना आने लगी और वो मेरे कान में फ़ुसफ़ुसाई- अब आप ऊपर आ जाओ और अपना काम भी कर लो …
और यह कह कर हौले से मेरे ऊपर से सरककर उतरती हुई मेरे पहलू में आ गई। अब मैं धीरे धीरे उसके ऊपर आ गया तो उसने अपने एक हाथ से मेरी गुद्दी पकड़ कर मेरा मुँह अपने मुँह से चिपका लिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में देकर मेरी जीभ टटोलने लगी …
मैंने अपना लन्ड उसकी चूत पर सेट करके अन्दर डाल दिया तो एकाएक उसके होंट मेरे होटों पर कस गये और मुझे पहले के काटे हुये हिस्से पर दर्द महसूस हुआ … लेकिन इस समय कौन ऐसे दर्दों की परवाह करता है … मैंने मेरी कोहनी और घुटनों पर अपना वजन रखते हुये मेरे हाथ उसके दोनों बोबों पर कस दिये और मैं उस पर धक्के लगाने लगा … लम्बे धक्के लगा नहीं सकता था क्योंकि इस से कमरे के किसी भी जन के जाग जाने का डर था … उसने भी नीचे से अपने कूल्हों को हरकत देना शुरू किया … मुझे बिना लम्बे धक्कों के मजा नहीं आ रहा था तो मैंने अपने हाथ उसकी गरदन के नीचे लेकर उसको जोर से अपने से भींच लिया, अब अचानक से उसने अपना मुँह मेरे मुँह से हटा कर मेरी गरदन पर लगा कर चूसने लगी … अब मुझे करेन्ट आने लगा … मैं फ़िर धक्के लगाने लगा … हम दोनों में रगड़म-रगड़ाई चल रही थी … अचानक उसके मुँह से आंऽऽ आं की आवाज निकलने लगी तो मुझे अपने होटों से उसका मुँह बंद करना पड़ा … कुछ देर में मुझे मेरी मंजिल नजदीक आती लगी … और आह … … मैं उस पर पसरता चला गया …
फ़िर कोशिश करके उसकी बगल में आकर उसको बाहों में लेकर पड़ा रहा … अब वो बहुत प्यारी महसूस हो रही थी … और इशारे भी कितनी आसानी से समझ लेती है … कोई पन्द्रह मिनट बीते होंगे कि अचानक से जैसे वो जागी हो और अपने होटों को मेरे होटों से छुआ कर एक चुम्बन लिया और कान में फ़ुसफ़ुसाई- दवा के इस शानदार डोज के लिये शुक्रिया … और उठ कर कमरे से बाहर हो गई …
उस हल्के झीने से प्रकाश में परछाई सी जाती लगी
इस अचानक हरकत पर मैं अचम्भित रह गया और जो कुछ मैं उसको कहने वाला था वो सब मेरे मन में रह गया … मैंने अपने कपड़े ठीक किये …
सोचने लगा … जाने कौन थी … उसका मेरे दोस्त से जाने क्या रिश्ता है … … मैंने कुछ गलत तो नहीं किया? … यदि किसी तरह से मेरे दोस्त को पता चला तो वो क्या सोचेगा … मैं कमरे में आंखे गड़ा कर घूरने लगा कि कोई जाग तो नहीं रहा ना …
अब सब कुछ सपने सा लग रहा था कि अचानक ही यह सब हुआ और फ़िर जैसे कोई था ही नहीं, इस प्रकार से उठ कर वो चली गई … …
मुझे नींद नहीं आ रही थी … ना जान ना पहचान … जाने कौन थी … मुझे बेचैनी हो रही थी … लेकिन कर क्या सकता था … उठ कर देख भी तो नहीं सकता था कि वो गई कहाँ … कोई मुझे यों कमरों में झांकते देखता तो मैं क्या जवाब देता … खैर … जैसे तैसे सुबह हुई।
छह बज चुके थे … लोगों में जाग होने लगी थी … मेरा दोस्त भी जाग गया था … मैं शौच जाकर उसके पास आया और जाने की इजाजत मांगने लगा।
तो उसने कहा- यार रुक जाते तो मजा आ जाता ! लेकिन काम काज का नुकसान नहीं होना चाहिये इसलिये …
फ़िर इतना कहकर मिठाई का एक डिब्बा लाकर मेरे हाथों में दिया … गर्मजोशी से हाथ मिलाया और गले लगा … मैं जयपुर आ गया … लेकिन उसे नहीं भूल पा रहा था … कौन थी वो …
एक महीना निकल चुका था … रेखा का फ़ोन नहीं आया तो मैंने चैन की सांस ली … चलो एक बला तो टली …
।
।
मैं अपने औफ़िस में शाम को छह बजे काम कर रहा था कि मेरे मोबाइल ने आवाज मारी … उठा कर देखा तो रेखा … हे भगवान, कल ही तो मैं शुक्र मना रहा था … और आज …
मैंने मोबाइल कान पर लगाया- हैलो …
रेखा- मुन्ना जी, मैं रेखा …
मैं- हाँ रेखा, जानता हूँ … तुम्ही हो …
रेखा- आपने तो फ़ोन ही नहीं किया …
मैं- हां, थोड़ा व्यस्त रहा इन दिनों …
रेखा- व्यस्त रहे या … टाल रहे थे …
मैं- नहीं ऐसा कुछ नहीं रेखा …
रेखा- तो फ़िर क्या सोचा, कब आ रहे हो …
मैं- नहीं … अभी तो नहीं रेखा, मैं थोड़ा व्यस्त हूँ … फ़िर देखते हैं …
रेखा- अच्छा … ? क्यों तड़पाते हो एक दुख़ियारी को … प्लीज…
फ़िर चार पांच सेकन्ड चुप्पी रही फ़िर एकाएक रेखा की आवाज आई- उस प्यारी दवा का दूसरा डोज और दे जाते तो बहुत मेहरबानी होती आपकी …
मेरे कान के पास जैसे बम फ़टा हो …
मेरे मुँह से लगभग चीखती सी आवाज निकली- साली … … रेखा … तो वो तुम थीं … मेरी तो जान ही निकली पडी है उस दिन की सोच सोच कर … देख लूंगा तुमको तो … समझ लूंगा … साली … तुम्हारा कचूमर नहीं निकाल दिया तो देखना …
रेखा की खनकती हंसी सुनाई दी- हाय मर जावां … क्या प्यारा रिश्ता बनाया है … कसम से … साली … यानी आधी घरवाली … मेरे जीजू … बिना पंगे का मन की पतंग डोर वाला रिश्ता …
वाह … आनन्द ही आनन्द भये …
फ़िर सन्जीदा आवाज सुनाई दी- मेरे मुन्ना … मेरे राजा … मेरे प्यारे जीजू … उस घटना के लिये सौरी … दिल की गहराइयों से सौरी … कान पकड़ कर सौरी … दण्ड्वत करके सौरी …
आओगे तो पैर पकड़ के और सौरी कहूँगी …
और फ़िर से खनकती हुई हंसी सुनाई दी और बोली- देखना हो, समझना हो तो आज ही आ जाओ जान … सब के सब शादी में गये हैं, रात को दस बजे बाद तक ही आयेंगे … खूब अच्छी तरह से मुझे देखना … समझना … और मेरा कचूमर भी निकाल देना … जल्दी आओ … … मैं इन्तजार कर रही हूँ … बाय … Hindi Sex Stories
यह तब की बात है Antarvasna जब एक दिन मेरा दोस्त राकेश अपनी पत्नी के साथ मेरे घर आया। राकेश और मैं साथ साथ काम करते हैं, राकेश की पत्नी प्रिया टीचर है।
उस दिन राकेश ने बताया कि उसका प्रिंटर और यू पी एस खराब हो गया है और प्रिया को स्कूल के कुछ पेपर सेट करके स्कूल में जमा करने हैं। इसलिये वो मेरी मदद चाहता था, मेरे पास प्रिंटर और पी सी दोनों हैं।
वह जब शाम को करीब 8:00 बजे आया तो मैं थोड़ा घबरा गया था कि अचानक दोनों कैसे आ गये।
राकेश को थोड़ा ड्रिंक लेने की आदत है और उस दिन शायद शनिवार था तो उस समय वह थोड़ा ड्रिंक किये हुये था।
उससे मैंने कहा- कोई बात नहीं, मैं टाइप कर देता हूँ, तुम बोलती रहो!
तो प्रिया ने कहा- कोई बात नहीं, मैं बोल देती हूं, यह मैंने ही बनाया है तो गल्तियाँनहीं होंगी!
उसने बताया कि उसको अच्छी टाइपिंग नहीं आती तो वह टाइप नहीं कर पायेगी।
प्रिया मेरे बगल में कुरसी लगाकर बैठ गई, वह इतना नज़दीक थी कि मैं उसकी सांसें महसूस कर सकता था।
कई बार उसके बोडी से मेरी बोडी छू रही थी और उसके लिप्स बिल्कुल मेरे करीब थे उसके गोरा रंग और स्लिम फिगर मुझे डिस्टर्ब कर रहा था।
राकेश भी पीछे बैठा था और मैं अपने पर किसी तरह कंट्रोल किये हुये था। पर प्रिया एकदम नोर्मल थी, उसे शायद ही मेरे बुरे इरादों का अहसास हो रहा हो।
मैं थोड़ा नर्वस सा भी हो रहा था। मन तो कर रहा था कि उसकी एक पप्पी ले लूं और उसकी थाईस पर हाथ फ़ेरूं। उसके मीडियम साइज़ के टाइट बूब्स पर अपने लिप्स से चूमूं।
पर ये सब उस समय सम्भव नहीं था, इस चक्कर में, मैं एक दो बार टाइपिंग करना ही भूल गया। कभी कभी मैं उसके पूरे बदन को ही देखते रह जाता।
थोड़ी देर में राकेश को फ़िर ड्रिंक की जरूरत महसूस हुई, तो वह बोला- प्रिया मैं 10 मिनट में आया।
हम दोनों समझ गये थे कि वह कहाँ जा रहा है। दोनों ही उसकी आदत जानते थे। राकेश के जाने के बाद प्रिया और मैं अपना काम करते रहे और मैं बीच बीच में प्रिया के पूरे बदन पर नज़र मार लेता तो प्रिया भी मुझे देखकर मुस्करा देती।
फ़िर जब पेपर पूरा हो गया तो मैंने एक प्रिंट आउट चेकिंग के लिये प्रिया को दे दिया। प्रिया ने कुछ कोर्रेक्शन के बाद मुझे प्रिंट आउट दिया तो मैं कोररेक्शन करके दुबारा फ़ेयर प्रिंट आउट निकालकर प्रिया को दे दिया।
इस तरह हमारा टाइपिंग का काम पूरा हो गया तो मैंने प्रिया को बोला कि काम तो पूरा हो गया पर राकेश नहीं आया। मैं ऐसा करता हूं थोड़ी चाय बनाता हूं तब तक शायद राकेश आ जाये फ़िर तीनो चाय पीयेंगे।
प्रिया बोली- नहीं चाय में बनाऊँगी, मुझे कल भी तुमको तकलीफ़ देनी है। यह तो एक ही पेपर हुआ है अभी तीन पेपर और हैं, प्रिंटर और यु पी एस शायद दो-तीन दिन में ठीक होंगे और मुझे पेपर परसों तक जमा करना है।
मैं कुछ कहता इससे पहले ही प्रिया किचन में चली गई मैं मना नहीं कर पाया। उसे किचन में कोई परेशानी नहीं हुई और उसने चाय बनाने को भी रख दी। पाँच मिनट के बाद प्रिया दो कप में चाय लेकर आ गई तो मैंने कहा कि राकेश को भी आने दो।
तो वह बोली- राज तुम क्या बात कर रहे हो, इस टाइम वह चाय पीने की हालत में होंगे कहाँ। उनके लिये चाय मैंने नहीं बनाई है उनको जो चाहिये वो उसके लिये ही गये हैं।
मैं तो राकेश के ड्रिंक के बारे में जानता था पर किसी की बुराई और वह भी उसकी बीवी से करना बड़ी बेवकूफ़ी होती है आखिर पति परमेश्वर जो होता है।
फ़िर अचानक वह मुझसे बोली राज तुम भी अब शादी कर ही लो, ऐसे कब तक चलेगा तो मैंने कहा हाँ राकेश को देखकर मेरा भी मन करता है और उसके मज़े देखकर कभी जलन भी होती है।
प्रिया बोली- क्यों जलन किस बात की, अरे वह तो तुम्हारी बचोलर लाइफ को अच्छा बताते हैं और कहते है कि वह गलत फ़ंस गये।
मैंने कहा- मैं सच कहूं तो एक बात की जलन बड़ी होती है कि उसकी (राकेश) की बीवी बड़ी खूबसूरत है।
मेरा ऐसा कहने पर प्रिया पहले तो शरमा सा गई फ़िर बोली- अच्छा जी तो तुम मुंह में जबान भी रखते हो। मैं तो तुमको बड़ा सीधा साधा समझती थी, पर तुम भी कम नहीं हो बातें बनाने में। दूसरे की हरी हरी दिखती है, मेरी भी कुछ परेशानियाँहैं।
मैंने कहा- क्यों आपका एक अच्छा परिवार है बच्चा है। ऐसी कोई प्रोब्लम तो नहीं लगती आप दोनों ठीक ठाक कमाते हो।
प्रिया बोली हाँ वह सब तो है पर। बहुत कुछ मिस करती हूं, फ़िर भी ठीक ही है। राकेश अभी तक भी नहीं आया तो मैंने कहा पता नहीं क्या बात है?
तो प्रिया बोली- यही तो बात है अगर ड्रिंक कर लिया तो इन्हे किसी बात का कोई ध्यान नहीं रहता। अब घर जाकर न ढंग से खायेंगे न कुछ करेंगे और सो जायेंगे, कभी कभी तो रोज़ ही ऐसा होता है। मुझे ऐसे पियक्कड़ से नफ़रत होती है और फ़िर हम दोनों कई दिनो तक एक कमरे में भी अलग अलग रहते हैं। बच्चा तो बस इस बात का सबूत है कि हम पति पत्नि हैं पर शायद एक पति पत्नि की तरह प्यार किये हमें सालों गुजर गये।
प्रिया एकदम इमोशनल हो गई थी, मैंने उसके हाथ पर हाथ रखकर कहा- सब ठीक हो जायेगा तुम उसे प्यार से समझाओ वह समझेगा। वह तुमसे डरता तो है पर शायद अपनी आदत भी नहीं छोड़ पाता और इसका कारण भी शायद उसकी कम आमदनी है, तुम उस से ज्यादा मांगें ना किया करो।
प्रिया ने अपना कंधा मेरी गोद में रख दिया और बोली- राजू, तुम्हारी भी तो प्रोब्लम्स होंगी तो क्या ड्रिंक में ही सब प्रोब्लम का हल है?
वह मेरी गोद में आ गई थी, मैं उसकी बाहों पर हाथ फ़ेरने लगा, वैसे मैं ये कन्सोल करने के लिये कर रहा था पर मेरा सेक्सी मन पूरा मज़ा ले रहा था।
प्रिया को भी मेरा टच पसंद आया था और वह कुछ नहीं बोली तो मैंने उसे और ऊपर खींच कर अपनी बाहों में ले लिया। प्रिया ने कुछ नहीं कहा और अपना सर मेरे कंधों पर रख दिया।
मैं उसे कमर से पकड़ कर सोफ़े की तरफ़ ले गया तो वह मेरे साथ चल दी।
प्रिया दिखने में एकदम पटाखा है, गोरा रंग और चमकदार चिकनी त्वचा, पतली कमर, कद 5’3″ उसका फ़िगर 34-26-36 होगा। प्रिया शायद चाहती थी कि मैं उससे खूब बातें करूं और उसकी तारीफ़ करूं पर में ऐसा नहीं कर पाया।
मैं अब तक प्रिया के बदन को देखकर मस्त हो चुका था और मैंने सोचा बेटा इससे बढ़िया मौका किसी औरत के बदन से खेलने का मिलना मुश्किल है इसलिये मैं भी मौके का फ़ायदा उठाना चाहता था।
प्रिया को क्या फ़र्क पड़ता अगर मैं वहाँ नहीं होता तो राकेश तो उसके साथ रोज़ ही ऐसा करता। मैं उमर में बड़ा और उसको अपनी बाहों में लेकर बोला सब ठीक हो जायेगा तुम चिंता मत करो बस मस्त रहो, अभी तो मैं तुमको निराश नहीं करुंगा, राकेश से ज्यादा मज़ा दूंगा!
और इतना कह कर मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रखकर उसके लिप्स को बंद कर दिया। प्रिया सकपका गई और कुछ बोल नहीं पाई, मैंने उसके लिप्स जो बंद कर दिये थे। जैसे ही मैं अपने लिप्स हटाये वह बोली राज आप बहुत गंदे हो, आप ने ऐसी गंदी बात कैसे सोची।
मैंने कहा जो राकेश नहीं करता वह मैं करता हूं तो तुम क्यों परेशान हो, मैं कौन हूं भूल जाओ थोड़ी देर के लिये। मैं भी तुम्हारा नज़दीक का हूं और सोचो मैं वह सब तुमको दे रहा हूं जो तुम राकेश से इस समय चाहती हो, फ़िर मैं ड्रिंक भी नहीं करता।
मेरी इस बात का प्रिया पर असर हुआ, वह बोली- पर मुझे डर लग रहा है, मैं उनके साथ कोई गलत तो नहीं कर रही।
मैंने कहा- सोच लो यह तुम्हारे ऊपर है और मैं उसे चूमता और उसके जांघों और बैक पर मसाज भी करता रहा।
प्रिया बोली- प्लीज़ जैसा तुम चाहो पर प्लीज़ मेरे कपड़े मत उतारना आप बाहर से जो चाहे कर लो मुझे बड़ी शरम आ रही है।
मेरा तीर सही निशाने पर लग गया था और मैंने प्रिया को अपनी बाहों में ले लिया। फ़िर मैंने बिना समय गवाये किये हुए प्रिया के बूब्स पर उसकी कमीज़ के बाहर से ही हल्का हाथ फ़ेरना शुरु कर दिया।
दोस्तो ये सब कैसे हो रहा था मुझे नहीं मालूम, मैं इतना हिम्मत वाला नहीं हूं। प्रिया मेरे छूने से मस्त हो रही थी, इसी बीच मैंने मौका देखकर प्रिया की सलवार का नाड़ा चुपके से खोल दिया और उसे पता नहीं चला।
मैं उसकी चिकनी जांघों पर हाथ फ़ेरना चाहता था पर जैसे मेरा हाथ उसकी पैंटी पर टच हुआ वह एकदम से नाराज़ होते हुए बोली- राज, नो चीटिंग!
और उसने अपनी सलवार एक हाथ से पकड़ ली, पर ऊपर से वह मस्त हो चुकी थी पर अभी भी मुझसे चुदवाने में वह संकोच कर रही थी पर मेरे टच से उसे मज़ा आ रहा था। उसकी सलवार अभी तक खुली हुई थी, जिसको उसने एक हाथ से पकड़ रखा था।
जैसे ही मैंने उसे अपनी बाहों में लिया तो उसके हाथों से उसकी सलवार नीचे सरक गई और मैंने ऊपर से उसकी कमीज़ की ज़िप पीछे से खोल दी और उसने अंदर से काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी। मैं तो उसके गोरे बदन पर काली ब्रा देखकर मस्त हो गया।
आगे की कहानी अगले भाग में…Antarvasna
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