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आज मेरे लण्ड में Indian Sex Stories वही खुजली हो रही थी … न जाने आज उसके मुंह में पानी क्यूँ रिस रहा था।
मेरे घर में एक जवान लड़की काम करने आती है आज कल…
माँ बीमार है ! छोटे साहब डॉक्टर ने आराम करने को कहा है … कहकर वो काम में जुट गई।
घर में आज कल कोई नहीं रहता … पापा का टूरिंग चल रहा था और मम्मी मामाजी के घर में रहती थी।
मेरी परीक्षा नजदीक आ रही थी इसलिए पढ़ाई की चिन्ता थी।
उसका नाम रचना था .. पास ही झोंपड़ी में रहती थी।
बाबूजी ये कपड़े धोने के है? .. यह पूछ कर मेरी चड्डी उठा ली उसने !
रात में मैंने उसमें मुठ मारा था, उसका गीलापन और महक अभी भी थी।
मैंने कहा- अरी रहने दे ! मैं धो लूँगा उसे ! छोड़ दे ..
वो चले गई और बाकी के कपड़े धोने लगी… उसकी काली ब्रा पीछे से दिख रही थी .. उसकी मांसल जांघें और उसके उरोजों के बारे में सोचने लगा।
मेरा लण्ड खड़ा हो गया .. मैंने अपने चड्डी में मुठ मारा और फिर उसे धोने को कहा।
क्या बाबूजी ! कितना गन्दा हो गया … ख्याल नहीं रखते क्या ?? हँसकर वो चड्डी धोने लगी ..
उसके कमसीन उरोजो को मैं छुप कर देख रहा था …
वो हँसने लगी …
कभी देखा नहीं है क्या बाबूजी ? .. आपकी तो बहुत गर्लफ्रेंड होगी ना??
मुस्कुरा कर मेरे मुठ वाली चड्डी को रगड़ने लगी … ओह्ह हो यही मिली थी माल निकलने के लिए …
मैं डर गया मेरा लण्ड सिकुड़कर मूंगफली बन गया … इतनी तेज़ चीज़ ..इतनी तेज़ तो अंजू भी नहीं है ??
मैं जल्दी से अपने कमरे घुस गया … रात भर नींद नहीं आई … मैंने सोचा- अगर मुठ मार लिया तो कल चोदना पड़ गया फिर … ना ना नौकरानी को नहीं चोदूंगा .. पापा को पता चल गया, फिर ?
अगले दिन वो नहीं आई उसकी माँ आई थी।
मेरे खड़े लण्ड पर डंडा हो गया ! मैं सोचने लगा कल ही मौका था … फिर एक सेक्सी आवाज़ आई … माँ ! रहुआ फिर आ गयी .. जहियो ! मैं हूँ ना ! घर जहियो…
मेरा लण्ड खड़ा हो गया .. रचना मेरे कमरे की सफाई करने लगी। मैंने उसे बांहों में भर लिया और चुम्मियाँ लेने लगा …
अरे बाबूजी ! बस भी करो ! कहकर वोह बेड पैर गिर पड़ी.. ओह्ह इतना आरामदेह बेड ! इसमें चुदवाने का मज़ा ही कुछ और होगा !
उसने समय का सदुपयोग करके अपना आवरण त्याग दिया, उसकी सांवली देह पर फटे पुराने पैंटी और ब्रा थी।
मैं उसके और पास आया और पूछा- तुम पहले भी चुदवाई हो क्या ?
वो हंसी और पूछा- क्यों ? शादी करने का इरादा है क्या बाबूजी ?
मैं शरमा गया !
मैंने भी अब तक सिर्फ दो बार ही अंजू को चोदा था। पर कहाँ उसकी पतली सुखी हुई काया और कहाँ इसका चरमरा हुआ .. भरा हुआ मांसल बदन … मैंने अपने कपड़े खोल दिए और उसकी पैंटी खोलकर उसी को चाटने लगा।
उसने कहा- अरे बाबूजी ! आपकी जगह वहां नहीं है !
कहकर मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।
आह आह आराम से .. आज तक अंजू ने भी मुझे मुँह से मुठ नहीं मारी !
उसे यह गन्दा लगता है ..
मैंने उसकी टांगो को अलग किया और अपना भाला घोंप दिया ..
आह बाबूजी ! चोद दो इस रांड को .. और दम लगाओ आह आह और घस्से मारो ..
मैं पूरे जोर से अन्दर बाहर कर रहा था- आह अहह अंजू !
ओह्ह तो उसका नाम अंजू है साहब.. क्या वो मुझसे भी मस्त है क्या ?
नहीं जानेमन यू आर तो सेक्सी ?? आह सच में साहब आप भी बहुत सेक्सी हो …
उसने मेरी गांड कस ली और मैं स्खलित हो गया …. आह अ अआहा
ओह्ह साहब ! आज इस गरीब को आपने वीर्य से नहाकर शुद्ध कर दिया !
थैंक्यू साहब ! कहकर वो पीछे घूम गई …
मैंने उसकी गांड मारी ! क्यूंकि अंजू की सूखी गांड क्या मारता !
उस दिन मैंने उसको पॉँच बार पेला !
आह रचना ! आज तुमने मुझे खुश कर दिया !
मैंने अपने तिजोरी से गर्भ निरोधक गोली दी और और उसे खिला दिया।
जाते वक़्त मैंने उसकी पोटली में मम्मी के नए ब्रा और पैंटी डाल दी थी ..
बाय बाय ! छोटे साहब फिर मिलूंगी …. Indian Sex Stories
प्रीती के वापस आने के बाद हम लोग खाना Hindi Sex Stories खाकर बिस्तर पर लेटे थे, “और बताओ प्रीती शादी कैसी गयी?”
“सुनील! ये कोई भी वक्त है सवाल करने का, तुम्हें पता है तुम्हारे लंड के बिना मेरी चूत की क्या हालत हो रही है”, प्रीती अपनी चूत को खुजाते हुए बोली।
मैंने उसे अपनी बाँहों में भरते हुए कहा, “मैं जानता हूँ मेरी जान!” मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
“अच्छा अब चिढ़ाना बंद करो और मेरी कस कर चुदाई करो”, प्रीती अपने कपड़े उतारते हुए बोली।
मैंने जमकर उसकी चुदाई की और प्रीती इसी बीच चार बार झड़ी। सच कहता हूँ, प्रीती जैसी चूत किसी की भी नहीं थी। जब हम थक कर लेट गये तो मैंने दो सिगरेट जलाते हुआ पूछा, “अब बताओ सब कैसा रहा?” और एक सिगरेट प्रीती को दे दी।
“हाँ….. सब अच्छा रहा, मेरी दोनों भाभियाँ सिमरन और साक्षी बहुत ही सुंदर हैं। सिमरन, राम की बीवी, थोड़ी पतली है और उसकी चूचियाँ भी छोटी नारंगी जैसी हैं और वहीं साक्षी, श्याम कि बीवी, भरी-भरी है और चूचियाँ तो मानो दो खरबूजे लटक रहे हों”, प्रीती ने कहा।
“तुम ये सब मुझे बताकर उकसाने की कोशिश क्यों कर रही हो?” मैंने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“क्यों ना उकसाऊँ? कोई एक बार की चुदाई से तो तुम मुझे छोड़ने वाले नहीं हो”, प्रीती ने हँसते हुए कहा, “अच्छा अब तुम बताओ पीछे से कैसा रहा…? क्या रजनी बराबर आती रही है?”
“हाँ! रजनी बराबर आती थी और शबनम, समीना और नीता भी अक्सर आ जाया करती थीं।” फिर मैंने उसे अनिता और ज़ुबैदा के इंटरव्यू के बारे में बताया।
“लगता है तुम्हें अनिता के रूप में एक हीरा हाथ लग गया है?” प्रीती ने कहा।
“हाँ! मैं भी ऐसा ही सोच रहा हूँ”, मैंने कहा।
एक दिन प्रीती बोली, “सुनील! आज कुछ अच्छी खबरें हैं।”
“सबसे पहली बात, मेरे भाई अपनी बीवियों के साथ हमारे पास रहने आ रहे हैं”, प्रीती ने कहा।
“तो वो दोनों चुदकड़ हमसे मिलने आ रहे हैं….” मैंने हँसते हुए कहा।
“क्या तुम अब भी नाराज़ हो कि मेरे भाइयों ने तुम्हारी कुँवारी बहनों की चूत फाड़ी थी?”
“नहीं! बिल्कुल भी नहीं, उनकी जगह कोई भी होता तो वही करता, उन्हें कुँवारी चूत चोदने का मौका मिला और उन्होंने चोदा”, मैंने कहा, “अच्छा अब दूसरी बात बताओ?”
“बात ये है कि तुम्हारी बहनें अंजू और मंजू भी अपने पति, जय और विजय के साथ उसी समय हमारे पास आ रही हैं”, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
“क्या इन सब को साथ में इकट्ठा करना ठीक रहेगा? जबकि जो कुछ मेरी बहनों और तुम्हारे भाइयों के बीच हुआ?” मैंने कहा, “और क्या तुम टीना का जन्मदिन भूल गयी। इतनी भीड़ में कैसे उसे चोदूँगा?”
“नहीं! मैं नहीं भूली हूँ!” प्रीती ने मेरे लंड को चूमते हुए कहा, “विश्वास रखो मेरे सुनीला! टीना की कुँवारी, सील बंद चूत का उदघाटन तुम ही करोगे।”
प्रीती कुछ सोच में पड़ी हुई थी। उसके होंठों को चूमते हुए मैंने पूछा, “क्या सोच रही हो?”
“कुछ अच्छा और कुछ शरारती”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“मैं भी तो सुनूँ।”
“देखो सुनील! मैं एक हिसाब बराबर करने की सोच रही थी, जैसे मेरे भाइयों ने तुम्हारी बहनों को चोदा है उसी तरह तुम्हारी बहनों के पति जय और विजय को भी मेरे भाइयों की बीवी सिमरन और साक्षी को चोदने का मौका मिलना चाहिये”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन इससे मेरी बहनों का कुँवारापन तो वापस नहीं आ जायेगा”, मैंने कहा।
“हाँ…. उनका कुँवारापन तो मैं वापस नहीं ला सकती लेकिन कुछ भी नहीं से कुछ तो अच्छा है”, प्रीती ने जवाब दिया।
“लेकिन तुम ये सब करोगी कैसे?”
“ये सब मैं उनके आ जाने पर सोचुँगी”, प्रीती ने जवाब दिया, “और दूसरी बात….. तुम भी मेरी दोनों भाभी, सिमरन और साक्षी को चोद सकते हो।”
“और एक बात..” वो कुछ कहती उसके पहले मैंने कहा, “अब ये मत कहना कि तुम अपने भाइयों और मेरी बहनों के पतियों से चुदवाना चाहती हो?”
“नहीं मेरे भाइयों से तो नहीं…… हाँ! जय और विजय से जरूर चुदवाना चाहुँगी”, प्रीती ने हँसते हुए कहा।
“कब आ रहे हैं ये लोग?”
“सोमवार की सुबह मेरे भाई लोग और उसी दिन शाम को तुम्हारी बहनें”, प्रीती ने कहा।
“क्या तुम जय और विजय को राम और श्याम के बारे में बताओगी?” मैंने पूछा।
“अगर जरूरत पड़ी तो ही बताऊँगी, इसलिये मैंने मेरे भाइयों को और तुम्हारी बहनों को साफ लिख दिया है कि वो आपस में उसी तरह मिलें जैसे पहली बार मिल रहे हों”, प्रीती ने बताया।
“लगता है तुमने सब सोच रखा है”, मैंने कहा, “लेकिन टीना उनके आने के दो हफ़्ते बाद इक्कीस की हो जायेगी, उसे दिया वचन कैसे पूरा करोगी?”
“उसकी तुम चिंता मत करो, तुम्हें एम-डी के सामने ही टीना की कुँवारी चूत चोदने के मौका मिलेगा….. ये मेरा तुमसे वादा है”, प्रीती ने कहा।
सोमवार को राम और श्याम आ गये। उनकी पत्नियाँ सिमरन और साक्षी दोनों खुबसूरत थीं। मेरा लंड तो उन्हें देखते ही खड़ा हो गया। मुझसे उनका परिचय कराने के बाद प्रीती ने उन्हें उनका कमरा दिखाया और अपने भाइयों को खुद के बेडरूम में आने को कहा, कि उसे कुछ बातें करनी हैं।
थोड़ी देर बाद हम चारों हमारे बेडरूम में इकट्ठा हुए। प्रीती ने बात की शुरुआत की, “अच्छा राम और श्याम! मैं तुम लोगों से कुछ पूछना चाहती हूँ, और इसका जवाब मुझे सच-सच देना?”
“हाँ दीदी!” दोनों जवाब दिया।
“राम तुम बताओ, शादी के वक्त क्या सिमरन कुँवारी थी?”
मुस्कुराते हुए राम ने कहा, “हाँ दीदी! एक दम कुँवारी थी।” इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“तुम्हें कैसे मालूम कि वो कुँवारी थी? कई लड़कियाँ शादी से पहले चुदवा लेती हैं पर बाद में नाटक करती हैं, जैसे कुँवारी हों”, प्रीती ने पूछा।
“नहीं दीदी! ऐसा नहीं था! जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसा था तो उसे सही में दर्द हुआ था और खून भी बहुत गिरा था”, राम ने जवाब दिया।
“ठीक है, और तुम श्याम! साक्षी के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?” प्रीती ने पूछा।
“साक्षी भी कुँवारी थी दीदी! उसकी चूत की झिल्ली भी एकदम मंजू…” श्याम कहते हुए रुक गया और शर्म से गर्दन झुका ली।
“श्याम! शरमाओ मत और बताओ, सुनील को उसकी बहनों की चुदाई के बारे में सब मालूम है”, प्रीती ने कहा।
“साक्षी का इतना खून नहीं गिरा था, जितना सिमरन का गिरा था, जैसे राम ने बताया।”
“क्या उनकी चूत पर बाल हैं या उन्होंने अपनी चूत एक दम चिकनी बना रखी है?” प्रीती ने पूछा।
“बहुत बाल हैं दीदी, एक बार मैंने सिमरन से साफ करने को कहा था, तो उसने कहा कि अगर बाल साफ करने की चीज़ होती तो भगवान औरत की चूत पर बाल ना बनाता”, राम ने जवाब दिया। प्रीती ने श्याम की ओर देखा।
“दीदी! तुम्हें पता है…. जब मैंने साक्षी से एक दिन कहा, कि तुम्हारी चूत बिना बालों के और सुंदर और प्यारी लगेगी तो उसने कहा कि चूत चोदने के लिये है ना कि नुमाइश करने के लिये”, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
“क्या तुम दोनों ने एक दूसरे की बीवी को चोदा है?” प्रीती ने अपना प्रश्न जारी रखा।
“मैंने एक बार पूछा था…. लेकिन सिमरन ने साफ़ मना कर दिया था”, राम ने हँसते हुए कहा।
“क्या तुम एक दूसरे की बीवी को चोदना चाहोगे?”
“हाँ दीदी जरूर! दोनों ने साथ में जवाब दिया।”
“लेकिन दीदी! तुम ये सब सवाल क्यों कर रही हो?” श्याम ने पूछा।
“दो मिनट रुक जाओ! सब बता दूँगी, पहले एक आखिरी सवाल का जवाब और दे दो”, प्रीती ने कहा, “क्या तुमने उनकी गाँड मारी है?”
“गाँड!!! भगवान की तौबा!!! एक बार मैंने उससे कहा तो इतना नाराज़ हो गयी कि पाँच दिन तक मुझे हाथ भी लगाने नहीं दिया”, राम ने जवाब दिया।
“मैंने एक बार कोशिश की थी लेकिन उसके बाद उसने कहा कि अगर मैंने दोबारा गाँड मारने की कोशिश कि तो वो मुझे छोड़ के चली जायेगी”, श्याम ने कहा।
“अच्छा?? क्या तुमने उनकी चूत चाटी है और क्या वो तुम्हारा लौड़ा चूसती हैं?” प्रीती ने फिर पूछा।
“हाँ उसे चूत चटाने में मज़ा आता है और मेरा लौड़ा भी चूसती है…. लेकिन मुझे मुँह में झड़ने नहीं देती है”, राम ने कहा।
“हाँ! उसे बहुत मज़ा आता है और मेरा पानी भी पी जाती है”, श्याम ने जवाब दिया।
“अब आखिरी सवाल…… क्या उन्हें चुदाई में मज़ा आता है?” प्रीती ने पूछा।
“हाँ! बहुत मज़ा आता है और उसका बस चले तो हर वक्त चुदती रहे”, राम ने कहा।
“हाँ दीदी! साक्षी को तो कुछ ज्यादा ही मज़ा आता है…… ऐसे उछल-उछल कर चुदाती है कि क्या बताऊँ”, श्याम ने हँसते हुए जवाब दिया।
“तुम दोनों के लिये एक खुश खबर है…… अंजू और मंजू भी तुम लोगों से मिलने आ रही हैं। वो लोग शाम को पहुँचेंगे”, प्रीती ने मुस्कुराते हुए कहा।
“हाँ खबर तो अच्छी है लेकिन….!” राम ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
“उन्हें फिर चोदने का ख्वाबी पुलाओ मत पकाओ…… उनके पति भी साथ में आ रहे हैं”, मैंने कहा।
“क्या तुम उन्हें दोबारा चोदना चाहोगे?” प्रीती ने पूछा पर दोनों हरामी चुप रहे और मेरी तरफ देख रहे थे।
“सुनील से मत डरो और सच सच बोलो?” प्रीती ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“हाँ! सही में वो दोनों बहुत अच्छी थीं।”
“ठीक है! मैं अब बताती हूँ कि ये सब किस लिये था, जैसे तुम दोनों ने अंजू और मंजू की कुँवारी चूत को चोदा था वैसे ही उनके पति तुम्हारी बीवियों को चोदें और उनकी कुँवारी गाँड भी मारें”, प्रीती ने कहा।
कमरे में अचानक खामोशी छा गयी। कोई कुछ नहीं बोला।
“ज़रा सोचो! अगर ये हो जाये तो तुम लोग एक दूसरे की बीवी को भी चोद सकोगे। उनकी गाँड भी मार सकोगे…… वो तुम्हारे लंड का पानी भी खुशी-खुशी पी जायेंगी”, प्रीती ने कहा, “और दूसरी बात! तुम्हें अंजू और मंजू को भी दोबारा चोदने का मौका मिलेगा और साथ ही दूसरी लड़कियों को भी जिन्हें हम जानते हैं।”
“मुझे मंजूर है, मैं देखना चाहुँगा जब वो सिमरन की गाँड में अपना लंड घुसायेंगे”, राम ने हँसते हुए कहा।
“मुझे भी मंजूर है, पर ये होगा कैसे?” श्याम ने पूछा।
“ये सब मेरे पर छोड़ दो, तुम लोगो सिर्फ़ इतना करना कि जब अंजू और मंजू आयें तो ऐसे मिलना जैसे पहली बार मिल रहे हो… वो भी ऐसा ही करेंगी”, प्रीती ने कहा।
“ठीक है? तुम लोग तैयार रहना…. मैं बता दूँगी तुम्हें”, प्रीती ने कहा।
शाम को मेरी बहनें अपने पति, जय और विजय, के साथ पहुँच गयीं।
“सॉरी अंजू-मंजू! तुम लोगों को हॉल में ही सोना पड़ेगा….. कारण, हमारे यहाँ तीन ही बेडरूम हैं और वो पहले से ही बुक हैं”, प्रीती ने कहा।
“कोई प्रॉब्लम नहीं भाभी! हमें साथ में सोने की आदत है”, अंजू हँसते हुए बोली।
थोड़ी देर बाद प्रीती, अंजू और मंजू को अपने बेडरूम में ले आयी और उन्हें सब बताया तो, अंजू ने हँसते हुए कहा, “अच्छा ऑयडिया है भाभी! और जय-विजय को उन्हें चोदने में मज़ा आयेगा, मैं जानती हूँ।”
“क्या हम लोग उन्हें बता दें?” मंजू ने पूछा।
“नहीं! अभी कुछ मत बताना…… बस कल उन्हें थियेटर में पिक्चर दिखाने जरूर ले जाना”, प्रीती ने कहा।
प्रीती ने अपना प्लैन अपने भाइयों को बताया और कहा कि देखना कल दोपहर में सिमरन और साक्षी मेरे साथ घर में अकेली हों।
प्रीती ने अपना प्लैन कुछ इस तरह से बनाया था: मैं अपनी बहनों और उनके पति, और राम और श्याम को पिक्चर दिखाने ले जाऊँगा। प्रीती सिमरन और साक्षी को घर पर ही रोक लेगी, कारण, दोनों को खाना बनाने का बहुत शौक है।
सुबह जब हम लोग नश्ता कर रहे थे तो मैंने सबसे पूछा, “पिक्चर देखने कौन कौन चल रहा है, बड़ी ही अच्छी इंगलिश पिक्चर चल रही है।”
“भइया हम चारों चल रहे हैं”, अंजू ने जवाब दिया।
“ना बाबा! मैं तो नहीं जाऊँगी, मुझे वैसे भी इंगलिश पिक्चर पसंद नहीं है”, साक्षी ने कहा।
“और मैं तो वैसे भी नहीं जा पाऊँगी क्योंकि प्रीती दीदी ने मुझे प्याज के पकोड़े कैसे बनाये जाते हैं, वो सिखाने का वादा किया है”, सिमरन बोली।
“ठीक है! अगर तुम लोग नहीं जाना चाहती तो मत जाओ….. हम सुनील के साथ चले जाते है”, राम और श्याम साथ-साथ बोले। जब हम जाने को तैयार हुए तो प्रीती मेरे पास आयी और मुझे समझाया, “तुम अपना मोबाइल ऑन रखना और जब मैं तीन बार बज़ा कर बंद कर दूँ तो जय-विजय को पहले भेज देना और जब दोबारा फोन करूँ तब ही तुम आना।”
हम लोग पिक्चर देखने घर से निकल पड़े। “राम! मैं थियेटर फोन करके पता कर लेता हूँ कि टिकट अवेलेबल हैं कि नहीं।”
“हाँ! वो ठीक रहेगा”, राम ने कहा।
मैंने थियेटर फोन लगा कर बात की। टिकट अवेलेबल होते हुए भी उनसे झूठ बोल दिया कि हाऊज़ फ़ुल है।
“टिकट तो हैं नहीं! फिर क्या करना चाहिये, अंजू?”
“ऊममम अब क्या करें भैया? चलो कहीं चल कर आईसक्रीम खाते हैं”, मंजू ने कहा।
थोड़ी देर में मेरे फोन की घंटी तीन बार बज कर बंद हो गयी। मैं समझ गया कि घर में दोनों चिड़ियाँ चुदवाने को तैयार हो रही हैं। मैंने सबसे कहा, “चलो अब घर चल कर ही कुछ करते हैं?”
“इतनी जल्दी क्या है जीजाजी?” राम ने कहा।
“चलना है तो चलो या आईसक्रीम को साथ ले लो”, मैंने कहा।
“बेवकूफ़! भूल गये क्या?” अंजू उसके कान में फुसफुसायी और मंजू उसे जबरदस्ती उठाती हुई खड़ी हो गयी।
जब हम घर पहुँचे तो मैंने जय और विजय से कहा, “तुम दोनों फ्लैट पर जाओ…. वहाँ तुम्हें तुम्हारी भाभी प्रीती मिलेगी, अगर वो वहाँ ना हो तो घंटी मत बज़ाना। उसके आने के बाद ही फ्लैट में जाना।”
“लेकिन ये सब क्या है भैया?? मैं कुछ समझा नहीं”, विजय ने पूछा?
“अभी समझाने का वक्त नहीं है, प्रीती तुम्हें सब समझा देगी”, मैंने दोनों को ढकेलते हुए कहा।
आधे घंटे के बाद प्रीती का फोन आया कि हम लोग आ सकते हैं। प्रीती हमें दरवाजे पर मिली।
“क्या हो रहा है?” मैं धीरे से फुसफुसाया।
“चुदाई का पहला दौर खत्म हो चुका है और दूसरे की तैयारी हो रही है”, प्रीती धीरे से बोली।
“क्या सिमरन की गाँड फाड़ दी?” राम ने पूछा।
“अभी तो नहीं…. लेकिन शायद दूसरे राऊँड के बाद!”
“भाभी अपने ये सब कैसे किया?” अंजू ने पूछा।
“मैंने उन दोनों को कोक में एम-डी की स्पेशल दवाई मिला कर दी थी”, प्रीती ने जवाब दिया।
“ऐसे नहीं!!! हमें ज़रा डिटेल में बताइये”, मंजू बोली।
प्रीती ने शुरू से बताना शुरू किया।
तुम लोगों के जाने के बाद हम लोग साथ मिल कर किचन में खाना बनाने लगे, किचन गर्मी में एक दम तप रहा था।
“दीदी बहुत गर्मी हो रही है ना?” सिमरन बोली।
“फ़्रिज में कोक पड़ी है तुम लोग वो ले लो….” मैंने कहा। दोनों फ्रिज से कोक ले के पीने लगी। लेकिन पंद्रह मिनट के बाद भी मुझे उन पर कोई असर होते नहीं दिखा तो मुझे लगा कि आज मेरा प्लैन फ़ेल हो जायेगा….. मैं सोच पड़ गयी।
“लेकिन आप कोक के भरोसे क्यों थी, ऐसा क्या है कोक में?” श्याम ने पूछा।
“वो कोई साधारण कोक नहीं है”, अंजू बोली।
“उस कोक में मिली दवाई को पीने से औरत की चूत में खुजली होने लगती है”, मंजू बोली।
“ऐसी भी कोई दवाई होती है…… पहली बार सुना है”, राम हँसते हुए बोला।
“तुम दोनों क्या समझते हो कि तुम बहुत सुंदर और हैंडसम हो जो अंजू और मंजू ने अपनी कुँवारी चूत तुम्हें चोदने के लिये दे दी, नहीं! ये इसी दवाई का कमाल था जो तुम इनकी जवानी का मज़ा उठा पाये”, प्रीती थोड़ा झल्लते हुए बोली, “इस दवाई से इनकी चूत में इतनी खुजली मच चुकी थी कि अगर तुम्हारा लंड ना होता तो ये किसी गली के कुत्ते से भी चुदवा लेती।”
इतना सब सुनकर दोनों शाँत हो गये।
“भाभी फिर क्या हुआ?” अंजू ने पूछा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
दवाई का उन पर असर नहीं हो रहा था, मैं सोच में पड़ गयी…… फिर मुझे एक खयाल आया….. मैंने प्याज के पकोड़ों में वो दवा मिला दी और सिमरन के रूम में प्लेट में लगा ले गयी।
“सिमरन! ये पकोड़े टेस्ट करो और बताओ कैसे बने हैं?”
सिमरन ने एक पकोड़ा मुँह में रखा और बोली कि “दीदी ये तो बहुत ही टेस्टी हैं…. अपने लिया कि नहीं?”
मैंने भी एक पकोड़ा टेस्ट किया और उसे और लेने को कहा कि “और खा कर देखो।”
यही मैंने साक्षी के साथ किया। दोनों बड़े चाव से पकोड़े खा रही थीं। तुम्हें फोन किया क्यों कि मुझे विश्वास था कि उनकी चूत में खुजली जरूर मचेगी।
इतनी देर में जय और विजय आ गये, मैं उन्हें अपने बेडरूम में ले आयी, वो दोनों बौखला गये थे और बोले कि “भाभी ये सब क्या है?”
मैंने कहा कि “इसके पहले कि मैं तुम्हारे प्रश्न का जवाब दूँ…. तुम दोनों मेरे एक प्रश्न का जवाब दो, क्या तुम दोनों सिमरन और साक्षी को चोदना चाहोगे?”
मेरा सवाल सुनकर दोनों चौंक गये और बोले कि “भाभी ये आप क्या कह रही हैं, वो दोनों आपकी भाभीयाँ हैं।” मैंने कहा कि “वो दोनों मेरी क्या हैं, ये मुझे सोचने दो, तुम जवाब दो कि क्या चोदना चाहोगे?”
“हाँ भाभी! ऐसा मौका फिर कब मिलेगा।” जय ने अपने लंड को पैंट के ऊपर से सहलाते हुए जवाब दिया।
अंजू शरारती मुस्कान के साथ बोली, “म…म…म मेरे जय का लंड नयी चूत का नाम सुनते ही खड़ा हो जाता है!”
फिर विजय ने पूछा कि “भाभी! क्या वो तैयार हो जायेंगी?” और जय ने कहा कि “भाभी लेकिन राम और श्याम को पता चलेगा तो वो क्या सोचेंगे।”
“राम और श्याम की चिंता मत करो…. वो सब मुझ पर छोड़ दो और रही सिमरन और साक्षी कि बात तो वो तुमसे भीख मांगेंगी कि आओ मेरी चूत में अपना लंड डाल दो। सिर्फ़ उतना करो जितना मैं कहती हूँ।”
मेरी बात सुनकर जय ने कहा कि “ठीक है…. आप क्या चाहती हैं हमसे?”
“कुछ नहीं! इंतज़ार करो जब तक वो खुद चल कर तुम्हारे पास चुदवाने के लिये नहीं आती हैं और हाँ! उन्हें तब तक मत चोदना जब तक वो गाँड मरवाने के लिये तैयार ना हो जायें….. ये दोनों बातें बहुत जरूरी हैं।”
जय ने अपना लंड जोर से दबाया और बोला कि, “यार! ये तो बहुत ही अच्छी बात है, चूत के साथ गाँड भी मारने को मिलेगी और वो भी दोनों की।”
मैं ये कहकर रूम के बाहर आ गयी कि “यहीं इंतज़ार करो और ज़न्नत के मज़े लेने के सपने देखो।”
थोड़ी देर में सिमरन कमरे में आयी, उसकी साड़ी का पल्लू जमीन पेर रेंग रहा था, ब्लाऊज़ के तीन बटन खुले हुए थे। उसके माथे पर पसीन चमक रहा था और चेहरे से साफ लग रहा था कि वो कितनी उत्तेजना में थी।
सिमरन अपने एक हाथ से अपनी चूचियाँ भींच रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को रगड़ रही थी। वो बोली कि, “दीदी! राम कहाँ है और कितनी देर में आयेगा?”
मैंने धीरे से जवाब दिया कि, “तुम्हें पता है ना कि वो लोग पिक्चर देखने गये हैं?”
उसने अपनी चूत और जोरों से खुजाते हुए पूछा कि “ऐसा मेरे ही साथ क्यों होता है, मुझे जब भी उसकी जरूरत होती है वो मेरे पास नहीं होता….. वापस कब आयेगा?”
मैंने जवाब दिया कि, “करीब तीन घंटे में।”
सिमरन झल्लाते हुए बोली कि, “अब मैं क्या करूँ! मेरी चूत में इतनी खुजली हो रही है कि मुझसे सहन नहीं हो रहा।”
इससे पहले कि मैं उसको जवाब दे पाती, साक्षी कमरे में आयी। उसकी हालत भी सिमरन के जैसे ही थी। साड़ी ज़मीन पर रेंग रही थी, और दोनों हाथ चूत को खुजला रहे थे। उसने भी पूछा कि, “दीदी! श्याम कब तक आयेगा?”
मैंने कहा कि “मैंने अभी सिमरन को बताया है कि तीन घंटे से पहले नहीं।” वो जोर-जोर से अपनी चूत को भींचते हुए बोली कि, “ओह! गॉड तब तक मैं क्या करूँ?”
मैं अपने दोनों हाथ पीछे से उसकी चूचियों पर रख कर बोली कि, “क्या तुम्हारी चूत में भी सिमरन की तरह खुजली हो रही है?”
उसने कहा कि “हाँ दीदी! बहुत जोरों से और मुझ से सहा नहीं जा रहा।”
मैंने उसके मम्मे और जोर से दबाते हुए कहा कि “फिर तो ऐसी परस्थिति में एक ही सलाह दे सकती हूँ कि तुम दोनों अपनी अँगुली से अपनी चूत चोद लो।”
“दीदी! मैं आपके कहने से पहले तीन बार कर चुकी हूँ लेकिन शांती नहीं पड़ रही?” सिमरन बोली।
“और दीदी मैं तो ब्रश के हैंडल और अपनी सैंडल की हील तक से कर चुकी हूँ लेकिन पता नहीं जितना करती हूँ उतनी ही खुजली और बढ़ रही है।” ये कहते हुए साक्षी की आँखों में आँसू आ गये।
फिर मैंने पूछा कि, “क्या इसके पहले भी तुम्हारी चूत खुजलाती थी?” तो साक्षी बोली कि, “दीदी! खुजलाती तो थी पर आज जैसी नहीं, पता नहीं आज क्यों इतनी खाज मच रही है।”
फिर मैंने कहा कि, “फिर तो इसका एक ही इलाज है कि किसी मोटे और तगड़े लंड का इंतज़ाम किया जाये।”
सिमरन ने कहा कि, “हाँ! हम जानते हैं कि ये खाज लंड से ही बुझेगी, पर इसके लिये हमें राम और श्याम का तीन घंटों तक इंतज़ार करना होगा और तब तक हमारी जान ही निकल जायेगी।”
“मैं उनके लंड की नहीं किसी और लंड की बात कर रही थी।”
सिमरन ने कहा कि, “आप ऐसा कैसे कह सकती हैं।”
“मैं श्याम के साथ बेवफ़ाई नहीं करूँगी”, साक्षी ने कहा।
“ये फैसला तुम दोनों को करना है!” ये कहकर मैं उन दोनों की चूत रगड़ने लगी।
थोड़ी देर दोनों शाँत रहीं, उनकी सिसकरियाँ बढ़ रही थी और उनसे सहा नहीं जा रहा था। साक्षी ने कंपकंपाते हुए पूछा कि, “भाभी! यहाँ पर कोई है क्या?”
“हाँ! जय और विजय हैं ना, मेरे ख्याल से तुम दोनों उन दोनों से चुदवा लो? दोनों दिखने में सुंदर हैं और मैं विश्वास से कहती हूँ कि उनका लंड भी लंबा और मोटा होगा।”
“अगर हमारे पतियों को पता चल गया तो क्या होगा?” सिमरन ने पूछा।
“पहले तो उनको पता नहीं चलेगा, और अगर पता चल भी गया तो कोई खून की नदियाँ नहीं बहेंगी, इसका वादा मैं करती हूँ। अब इसके पहले कि देर हो जाये… जा कर उन्हें पूछो, शायद वो तुम्हारी सहायता करने को तैयार हो जायें….” मैंने कहा।
“दीदी! आप पूछो ना! हमें शरम आती है….” सिमरन बोली।
“ठीक है आओ मेरे साथ!” और मैं उन दोनों का हाथ पकड़ कर मेरे बेडरूम में ले आयी जहाँ जय और विजय थे।
“अरे तुम दोनों कब आये?” मैंने पूछा। विजय बताने लगा पर उसकी बात पूरी हो पाती उसके पहले ही सिमरन जोर से बोली कि “तुम तीनों चुप हो जाओ, दीदी पूछना चाहती है कि क्या तुम दोनों हमें चोदोगे?”
“प्लीज़ हमें चोदो ना!” साक्षी ने गिड़गिड़ाते हुए कहा। मैंने उनका लंड खड़े होते हुए देखा।
जय ने कहा कि, “हाँ! चोदेंगे पर एक शर्त पर….” तो सिमरन ने पूछा कि, “शर्त? कैसी शर्त?”
“शर्त ये है कि तुम्हें हमसे गाँड भी मरवानी होगी!” विजय ने कहा।
साक्षी बोली कि, “नहीं! मैं अपनी गाँड नहीं मरवाऊँगी, मैंने श्याम को भी अपनी गाँड आज तक मारने नहीं दी है।“
प्रीती ने एक सिगरेट सुलगाते हुए आगे बताया: कमरे में सन्नाटा छा गया तो मैं बोली, “तुम दोनों इन्हें अपना लौड़ा दिखाओ….. शायद इनका विचार बदल जाये!” दोनों ने अपने कपड़े उतार दिये और अपना लंड पकड़ कर हिलाने लगे। उनका मोटा ताज़ा लंड देखकर सिमरन और साक्षीके मुँह में पानी आ गया और दोनों सोचने लगी कि गाँड मरवायें कि नहीं।
सिमरन जय की तरफ बढ़ते हुए बोली कि “तुम हमारी गाँड मार सकते हो लेकिन हमारी चुदाई करने के बाद।”
साक्षी भी पीछे कहाँ रहने वाली थी, अपने आपको विजय की बाँहों में धकेल कर बोली कि, “गाँड मारनी है तो मार लेना, लेकिन चूत चोदने में देर मत करो।”
“प्लीज़! इस कमरे में नहीं! मुझे दूसरे कमरे में ले चलो….. यहाँ साक्षी है….” सिमरन ने कहा।
जय ने सिमरन को बेड पर ढकेलते हुए कहा कि, “तो इसमें क्या है? ज्यादा मज़ा ही आयेगा जब हम दोनों भाई तुम दोनों को एक ही बिस्तर पर चोदेंगे।”
मैं रूम के बाहर आ चुकी थी। थोड़ी देर में मुझे सिसकरियों की आवज़ सुनाई दे रही थी। मैंने कमरे में झाँक कर देखा कि सिमरन और साक्षी अगल बगल लेटी थीं। दोनों की टाँगें हवा में थी और जय विजय उनकी कस कर चुदाई कर रहे थे। थोड़ी देर में उनके कुल्हे भी उछल उछल कर दोनों का साथ दे रहे थे। मैं कुर्सी पर बैठ कर सिगरेट पीते उनकी चुदाई का तमाशा देख रही थी। दोनों अब जम कर चुदवा रही थीं ।
“ओहहहहह और जोर से चोदो ना”, सिमरन सिसकी।
“आँआँआआआआआआ चोदो मुझे…. और जोर से चोदो!!!!!, आहहहहह क्या तुम्हारा लंड है…. और तेजी से आआआओऊऊ!!!” साक्षी भी कामुक्ता भरे शब्द बोल रही थी।
“हाँआँआआआआ इसी तरह से!!!!! तुम्हारे लंड का जवाब नहीं!!!!” सिमरन ताल से ताल मिलाते हुए बोल रही थी। प्रीती ने आँखें नचाते हुए हमें बताया।
प्रीती ने कहानी जारी रखते हुए कहा, “साक्षी सिसक रही थी कि “विजय क्या कर रहे हो? और जोर से चोदो ना, आज मेरी चूत का भोंसड़ा बना दो….. आआआआहहहहह ओहहहहह जोर से हाँआआआआआ!!!”
“ओहहहहह जय!!! जोर से…… हाँआआआआ चोदते जाओ!!!! मेरा छूटाआआआआ!!!!” कहकर सिमरन बेड पर पसर गयी और अपनी साँसें संभालने लगी।
“ऊऊऊऊईईईईईई माँआँआआआआ…. हाँआआआआआ जोर से!!!!! चोदो और जोर से!!!!! मैं गयीईईईई!!!!” और साक्षी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और जोर-जोर से धक्के लगाते हुए जय और विजय ने भी अपना पानी छोड़ दिया। चारों एक दूसरे को बुरी तरह से चूम-चाट रहे थे। प्रीती विस्तार से उनकी कहानी सुना रही थी।
प्रीती आगे बोली: सिमरन जय को बुरी तरह चूमती हुई बोली कि, “थैंक यू जय! मज़ा आ गया….. एक बार और चोदो ना!”
विजय बिस्तर से उठने लगा तो साक्षी उसका हाथ पकड़ कर बोली कि, “तुम कहाँ चले? क्या तुम दोबारा नहीं चोदोगे?”
विजय ने कहा कि, “चोदूँगा लेकिन इस बार तुम्हें नहीं…. सिमरन को! जय तुम साक्षी को चोदो मैं सिमरन को देखता हूँ।”
दोनों ने अपनी जगह बदल ली और अपने खड़े लंड को दोनों की चूत में डाल कर चोदने लगे।
प्रीती ने अपनी सिगरेट को ऐशट्रे में बुझते हुए बात पूरी की। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
हम सब दरवाजे से कान लगाये सुन रहे थे, जहाँ से सिसकरियों की और कामुक बातों की आवाज़ें आ रही थीं। चुदाई इतनी जोर से चल रही थी कि बिस्तर भी चरमरा उठ था। थोड़ी देर बाद एक दम खामोशी छा गयी। लगता था कि उनका दूसरा दौर भी समाप्त हो चुका है। सिर्फ़ उनकी उखड़ी साँसों की आवाज़ सुनाई दे रही थी।
“जय! अपना लंड खड़ा करो…. मुझे और चुदवाना है?” साक्षी बोली।
“एक काम करो! मेरे लंड को मुँह में लेकर जोर से चूसो….. जिससे ये जल्दी खड़ा हो जायेगा”, जय ने कहा।
“मैंने आज तक लंड नहीं चूसा है और ना ही चूसूँगी”, साक्षी ने झूठ कहा।
“लंड नहीं चूसोगी तो चुदाई भी नहीं होगी”, जय ने कहा, “देखो सिमरन कैसे लंड को चूस रही है और वो खड़ा भी हो गया है।”
“उसे चूसने दो! मैं लंड खड़ा होने का इंतज़ार कर लूँगी”, साक्षी ने कहा।
थोड़ी देर बाद साक्षी गिड़गिड़ाते हुए बोली, “जय प्लीज़! चोदो ना मुझसे नहीं रहा जाता।”
“चुदवाना है तो तुम्हें पता है क्या करना पड़ेगा?” जय ने कहा।
“तुम बड़े वो हो!” कहकर साक्षी, जय के लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
“संभल कर! कहीं मेरे लंड पर दाँत ना गड़ा देना।”
साक्षी अब जोर-जोर से लंड को चूस कर खड़ा करने की कोशिश कर रही थी। “ममम… देखो! खड़ा हो रहा है ना? और जोर से चूसो!” जय ने अपना लंड उसके मुँह में और अंदर तक घुसा दिया।
“मममम…. देखो ना! खड़ा हो गया है….. अब चोद दो ना!” साक्षी बोली।
“ठीक है! अब घोड़ी बन जाओ, अब मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा”, जय ने कहा।
“नहीं! पहले चूत की चुदाई करो…… फिर गाँड मारना”, साक्षी बोली। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
“गाँड नहीं तो चूत भी नहीं!” जय ने कहा।
“तुम बड़े मतलबी हो”, साक्षी घोड़ी बनते हुए बोली।
“विजय! क्या तुम सिमरन की गाँड मारने को तैयार हो?”
“हाँ! पहले इसे लौड़ा तो चूस लेने दो”, विजय बोला।
“लौड़ा बाद में चूसाते रहना, अब हम साथ-साथ इनकी गाँड का उदघाटन करते हैं”, जय ने कहा।
“ठीक है सिमरन! अब तुम घोड़ी बन जाओ!” विजय ने कहा।
“तुम इसकी बातों पे ध्यान मत दो, मुझे लौड़े को चूसने दो”, सिमरन और जोर से लौड़े को चूसते हुए बोली।
“नहीं सिमरन पहले गाँड!” विजय बोला।
“ओहहहहह धीरे से करो ना!!!! मुझे दर्द रहा है!!!!! ऊऊऊऊऊ मर गयीईईईईई”, साक्षी दर्द से कराह उठी।
“थोड़ा दर्द सहन करो, मेरा लंड बस घुस ही रहा है, क्या तुम्हें महसूस हो रहा है?” जय ने अपना लंड घुसाते हुए कहा।
“ऊऊऊऊहहहहह हाँआआआआ…” साक्षी कराही।
“मेरा घुस गया, विजय तुम्हारा क्या हाल है?”
“मैं इसकी चूत में अपना लंड डाल कर उसे गीला कर रहा हूँ, कारण इसकी चूत के जैसी ही इसकी गाँड भी टाइट होगी ना!” विजय ने कहा।
“ज्यादा मत सोचो….. और जोर से अपना लंड उसकी गाँड में पेल दो”, जय बोला!
“तुम उसकी बातों पे ध्यान मत दो, ओहहहहह मर गयीईईईई…… निकाल लो दर्द हो रहा….आआ है!!!!!” सिमरन दर्द में जोर चिल्लायी।
“विजय! और जोर से डालो!” जय जोर से बोला।
“हाय भगवान!!!! मैं मरीईईई, विजय, प्लीईईज़!!!! धीरे करो…… दर्द हो रहा है…..” सिमरन दर्द से छटपटा रही थी। उसकी आँखों में आँसू आ गये थे।
“अब मेरा भी पूरा घुस चुका है, जय!” विजय बोला।
“ठीक है….. फिर मेरे धक्के से धक्का मिलाओ और साथ में इनकी गाँड मारो!” जय ने कहा। इस कहानी के लेखक सुनील अग्रवाल है!
दोनों ताल से ताल मिला कर उनकी गाँड मार रहे थे। कमरे से उनकी कराहने की आवाज़ आ रहा थी। माहोल एकदम गरम हो रहा था। हम सब को भी अपनी हालत पर काबू करना मुश्किल हो रहा था।
“आखिर में विजय ने सिमरन की गाँड मार ही दी!” राम बोला।
“हाँ और जय का लंड साक्षी की गाँड में घुसा हुआ है!!!” श्याम ने मंजू की चूचियों को भिंचते हुए कहा, “अब मैं तुम्हें चोदूँगा।”
“हाँ! अब हम उनकी बीवीयों को उनके सामने ही चोदेंगे”, राम ने अंजू को गोद में उठाते हुए कहा।
“आगो बढ़ो और मज़े करो”, प्रीती ने उन्हें बढ़ावा दिया। “और हाँ! तुम दोनों को एक दूसरे की बीवी को भी चोदना है”, प्रीती राम और श्याम से बोली।
“चलो हम लोग तमाशा देखते हैं”, मैं प्रीती से बोला।
“प्लीज़ सुनील! मेरे और अपने लिये एक-एक पैग बना दो ना!” प्रीती पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाते हुए बोली। Hindi Sex Stories
पहली बार सम्भोग Antarvasna यानि सेक्स करते वक़्त डर लगना स्वाभाविक है। आखिर उन खूबसूरत पलों को कौन यादगार नहीं बनाना चाहता।
लेकिन अगर ज़रा सी भी चूक हो जाए तो ये खूबसूरत लम्हे ज़िन्दगी के सबसे डरावने अनुभवों में से एक बन जाते हैं। लेकिन अगर कुछ बातों का ख्याल रखा जाए, तो फर्स्ट टाइम सेक्स को बेहद खुशगवार यादगार बना सकते हैं।
सबसे पहले सुरक्षा- ज़्यादातर लोग अपने पहले सम्भोग को लेकर काफी भावुक और अधीर होते हैं। अधीर होना जायज़ भी है। लेकिन दो पल की खुशी के लिए सुरक्षा से समझौता न करें।
यौन सम्बन्धी रोगों और अनचाहे गर्भ से बचने के लिए कॉन्डम का इस्तेमाल ज़रूर करें। अपने लिए एक भरोसेमंद साथी चुनें जो आपकी कद्र करता हो। मस्ती के लिए सेक्स करने से भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
ज़्यादा उम्मीदें न रखें- हर कोई सोचता है कि उनका पहली बार एक जादुई और यादगार अनुभव हो। लेकिन ऐसा होगा ही, यह ज़रूरी नहीं है। अच्छे से सेक्स करना एक कला है, जो वक़्त के साथ आती है। ज़्यादा उम्मीदें रखने से आपको ही निराशा होगी।
फोरप्ले यानि सेक्स पूर्व क्रीड़ा करना न भूलें- चाहे कितने ही उत्सुक और उत्तेजित क्यों न हों- सीधा वहाँ’ पहुँचने से बचें। समय लें और अपने साथी को भी मुख्य कार्य के लिए गर्म होने, तैयार होने का वक़्त दें। पहली बार में आप जितना ज़्यादा फोरप्ले करेंगे उतना ही अच्छा रहेगा।
सम्भोग से पहले पूरी तरह उत्तेजित हों- इंटरकोर्स तक पहुँचने से पहले सुनिश्चित कर लें कि आप पूरी तरह उत्तेजित हैं। वरना पहली बार सेक्स में आपको काफी दर्द होगा। लड़की की झिल्ली फ़टने पर और लड़के के लिंग के तन्तु कटने पर दर्द अवश्यभावी है।
यह न सोचें कि वो अनुभवी है- अधिकतर मामलों में, पुरुषों को यह दिखावा करने में बहुत मज़ा आता है कि वे सेक्स के एक्सपर्ट हैं। ऐसा शायद इसलिए कि वह अपनी साथी के सामने अपना भय और अनुभवहीनता व्यक्त करने से डरते हैं। इसलिए, कभी भी यह मान कर न चलें कि वो इसके एक्सपर्ट हैं। अपनी अन्तर्वासना यानि सेक्ष की इच्छा को भी अपने साथी के सामने रखें और कोशिश करें कि हमेशा वो ही लीडिंग न हों।
झूठ न बोलें- कई लोग सिर्फ इसलिए कह देते हैं कि वो संतुष्ट हैं ताकि उनके सहभागी को बुरा न लगे। ऐसा करने से आप असंतुष्ट ही रह जाएँगे और आपका रिश्ता खतरे में पड़ सकता है, इसलिए सच बोलें। और पहली बार सेक्स करने जा रहे लोग तो कतई झूठ का सहारा न लें।
चरमोत्कर्ष परम आनन्द चरमसीमा पर पहुँचने की आशा न रखें- हालांकि चरमोत्कर्ष से काफी सुख मिलता है, लेकिन बिना उसके भी आप सेक्स को इंजॉय कर सकते हैं। पहली बार इसकी आशा न रखें। अगर होता है तो बहुत अच्छा और नहीं होता तो कोई बात नहीं। बस अपने अनुभव का आनंद लें।
दर्द ज़्यादा देने का मतलब प्यार नहीं? जी नहीं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। पहली बार सेक्स करने में थोड़ा ज़्यादा दर्द ज़रूर होता है। लेकिन इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि आप अच्छे प्रेमी नहीं हैं। लेकिन अगर आपको दर्द हो तो उसे ज़रूर बताएँ। अगर आपका साथी संवेदनशील हैं तो वह इसे ज़रूर समझेगा और इस बात का ख़्याल रखेगा। Antarvasna
विधवा भाभी की चुदाई-1 मैं बाथरूम में चला गया। फ़्रेश होने के बाद मैं एक दम नंगा ही नहाने लगा।
थोड़ी देर बाद मैंने संध्या को पुकारा और कहा- तौलिया दे दो।
संध्या ने रीना से कहा- जा, जीजू को तौलिया दे आ।
वो तौलिया लेकर आई तो मैंने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया। मेरा लण्ड पहले से खड़ा था। रीना की निगाह जैसे ही मेरे लण्ड पर पड़ी तो उसने अपना सिर नीचे कर लिया। वो मुझे तौलिया देने लगी तो मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ। मैं अपने सिर को जरा साबुन से साफ़ कर लूं।
मैंने अपने सिर पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मैंने देखा की रीना तिरछी निगाहों से मेरे लण्ड को देख रही थी।
मैंने कुछ ज्यादा ही देर कर दी तो वो बोली- जीजू, तौलिया ले लो, मुझे और भी काम करना है।
मैंने कहा- थोड़ा रुक जाओ, मैं अपना सिर तो धो लूँ।
मैंने अपना सिर धोया और फिर अपने लण्ड पर साबुन लगाते हुये कहा- रात को तेरी दीदी ने इसे भी गन्दा कर दिया था, जरा इसे भी साफ़ कर लूँ। फिर मुझे तौलिया दे देना।
वो चुपचाप खड़ी रही। मैं अपने लण्ड पर साबुन लगाने लगा। वो अभी भी मेरे लण्ड को तिरछी निगाहों से देख रही थी। मैंने उससे मजाक करते हुये कहा- साली जी, तिरछी निगाहों से मुझे क्यों देख रही हो। अपना सिर ऊपर कर लो और ठीक से देख लो मुझे।
वो बोली- मुझे शरम आती है।
मैंने कहा- कैसी शरम? मैं तो तुम्हारा जीजू हूँ ना। बोलो, हूँ या नहीं।
वो बोली- हाँ, आप मेरे जीजू हैं।
मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने अपने लण्ड पर लगे हुये साबुन को धोया और उसके हाथ से तौलिया लेटे हुए कहा- अब जाओ।
वो मुस्कराते हुये चली गई।
मैंने अपना बदन साफ़ किया और लुंगी पहन कर बाहर आ गया। रीना ड्राईंग रूम में झाड़ू लगा रही थी। मैंने संध्या को पुकारा और कहा- जरा तेल तो लगा दो।
वो बोली- अभी आती हूँ।
संध्या मेरे पास आ गई तो मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- आज तेल नहीं लगाओगी क्या।
संध्या समझ गई और बोली- लगाऊँगी क्यों नहीं।
उसने मेरे लण्ड पर तेल लगा कर मालिश करना शुरु कर दिया।रीना मेरे लण्ड को देखती रही। इस बार वो ज्यादा नहीं शरमा रही थी। तेल लगाने के बाद संध्या जाने लगी तो मैंने कहा- तुम कुछ भूल रही हो।
संध्या ने मेरे लण्ड को चूम लिया। उसके बाद मैंने नाश्ता किया और अपने कमरे में आ गया।
10 बजे मैं दुकान जाने लगा तो संध्या ने कहा- रीना के लिये कुछ नये कपड़े और थोड़ा मेक-अप का सामान ले आना।
मैंने कहा- अच्छा, ले आऊँगा।
उसके बाद मैं दुकान चला गया। रात के 8 बजे मैं दुकान से वापस आया और मैंने रीना को पुकारा।
रीना आ गई और उसने मुस्कराते हुये कहा- क्या है, जीजू?
मैंने कहा- मैं तेरे लिये कपड़े ले आया हूँ और मेक-अप का सामान भी। देख जरा तुझे पसन्द है या नहीं।
उसने सारा सामान देखा तो खुश हो गई और बोली- बहुत ही अच्छा है।
मैंने पूछा- संध्या कहाँ है?
वो बोली- फ़्रेश होने गई है।
मैंने कहा- जा, मेरे लिये चाय ले आ।
वो चाय लाने चली गई। मैंने अपने कपड़े उतार दिये और लुंगी पहन ली। वो चाय ले कर आई तो मैंने चाय पी। तभी संध्या आ गई। उसने पूछा- रीना का सामान ले आये?
मैंने कहा- हाँ, ले आया और इसे दिखा भी दिया। इसे बहुत पसन्द भी आया।
मैं टीवी देखने लगा। संध्या रीना के साथ खाना बनने चली गई। रात के 10 बजे हम सब ने खाना खाया और सोने चले गये। आज रीना बहुत खुश दिख रही थी। उसने आज जरा सा भी शरम नहीं की और खुद ही अपने कपड़े उतार दिये और मैक्सी पहन ली। हम सब बिस्तर पर लेट गये।
संध्या ने मुझसे कहा- मुझे नींद आ रही है। तुम अपना काम कर लो और मुझे सोने दो।
मैं समझ गया। मैंने अपनी लुंगी उतार दी। संध्या ने भी अपनी मैक्सी खोल दी और पैंटी उतार दी। रीना देख रही थी। आज वो कुछ बोल नहीं रही थी, केवल चुपचाप लेटी हुई थी। मैंने संध्या को चोदना शुरु कर दिया। मैंने देखा कि रीना आज ध्यान से हम दोनों को देख रही थी।
15-20 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गया तो आज मैंने संध्या की चूत को चाटना शुरु कर दिया। रीना ने मुझे संध्या की चूत को चाटते हुये देखा उसने अपना हाथ अपनी चूत पर रख लिया। मैं समझ गया की अब वो धीरे धीरे रास्ते पर आ रही है। संध्या की चूत को चाटने के बाद मैंने अपना लण्ड संध्या के मुँह के पास कर दिया तो संध्या ने भी मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया। उसके बाद मैं लेट गया।
तभी रीना ने कहा- दीदी, आप दोनों को घिन नहीं आती एक दूसरे का चाटते हुये?
संध्या ने कहा- कैसी घिन, मुझे तो मज़ा आता है और तेरे जीजू को भी। उसके बाद हम सो गये।
सुबह मैं नहाने गया तो मैंने रीना को पुकारा और कहा- तौलिया ले आ।
वो बोली- अभी लाई, जीजू।
वो तौलिया लेकर आ गई। मैंने अपने लण्ड की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- थोड़ा रुक जा, मैं इसे साफ़ कर लूं।
मैंने अपने लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। आज रीना ने अपना सिर नीचे नहीं किया और मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। वो अब ज्यादा नहीं शरमा रही थी। मैंने अपने लण्ड को साफ़ किया और फिर उससे तौलिया ले लिया। वो चली गई। मैं बाथरूम से बाहर आया तो संध्या ने मेरे लण्ड पर तेल लगाया और फिर मेरे लण्ड को चूमा और किचन में चली गई। रीना इस दौरान मेरे लण्ड को ध्यान से देखती रही। मैंने नाश्ता किया और दुकान चला गया।
रात के 8 बजे मैं वापस आया तो मैं कुछ मिठाई ले आया था। मैंने रीना को पुकारा। रीना आ गई तो मैंने उसे मिठाई दे दी। उसने मिठाई ले ली और कहा- आपके लिये अभी ले आऊँ?
मैंने कहा- हाँ, थोड़ा सा ले आ। वो मिठाई ले कर आई तो मैं मिठाई खाने लगा। तभी संध्या आई। उसने मुझे मिठाई खाते हुये देखा तो बोली- आज कल साली की बहुत सेवा हो रही है।
मैंने कहा- क्या करूं। मेरी तो कोई साली ही नहीं थी। अब जब मुझे एक साली मिल गई है तो उसकी सेवा तो करूंगा ही। लेकिन मेरी साली मेरा ज्यादा ख्याल ही नहीं रखती।
रीना बोली- जीजू, मेरी कोई बहन नहीं है इसलिये मेरा कोई जीजू तो आने वाला नहीं है। आप ही मेरे जीजू हो, आप हुकुम तो करो।
मैंने कहा- क्या तुम मेरा कहा मानोगी?
वो बोली- क्यों नहीं मानूंगी।
मैंने कहा- ठीक है, जब मुझे जरूरत होगी तो तुम्हें बता दूंगा।
अगले 2 दिनों में मैंने रीना से मजाक करना शुरु कर दिया। धीरे धीरे वो भी मुझसे मजाक करने लगी। अब वो मुझसे शरमाती नहीं थी। अब रीना खुद ही तौलिया ले आती थी। उस दिन भी जब मैं नहा रहा था तो वो तौलिया ले कर आई और खड़ी हो गई और मेरे लण्ड को देखने लगी।
मैंने कहा- साली जी, आज तुम ही मेरे लण्ड पर साबुन लगा दो।
वो बोली- क्या जीजू, मुझसे अपने लण्ड पर साबुन लगवाओगे?
मैंने कहा- तो क्या हुआ?
वो बोली- दीदी क्या कहेंगी?
मैंने संध्या को पुकारा तो वो आ गई और बोली- क्या है?
मैंने कहा- मैं रीना से अपने लण्ड पर साबुन लगाने को कहा तो यह कह रही है कि दीदी क्या कहेंगी। अब तुम इसे बता दो कि तुम क्या कहोगी।
संध्या ने कहा- मैं तो कहूँगी कि रीना तुम्हारे लण्ड पर साबुन लगा दे। आखिर वो तुम्हारी साली है। मैं भला इसे कैसे मना कर सकती हूँ।
मैंने रीना से कहा- देखा, यह तुम्हें कुछ भी नहीं कहेगी।
रीना ने कहा- फिर मैं साबुन लगा देती हूँ।
संध्या चली गई। रीना ने थोड़ा सा शरमाते हुये मेरे लण्ड पर साबुन लगाना शुरु कर दिया। मुझे खूब मज़ा आने लगा। उसकी आंखे भी गुलाबी सी होने लगी। थोड़ी देर बाद वो बोली- अब बस करूं या और लगाना है।
मैंने कहा- थोड़ा और लगा दे, तेरे हाथ से साबुन लगवाना मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
वो साबुन लगाती रही। थोड़ी ही देर में जब मुझे लगा कि अब मेरा रस निकल जायेगा तो मैंने कहा- अब रहने दो।
उसने अपना हाथ साफ़ किया और चली गई।
मैं नहाने के बाद बाहर आया और ड्राईंग रूम में सोफ़े पर बैठ गया। मैंने संध्या को पुकारा, संध्या , जरा तेल तो लगा दो।
रीना मेरे पास आई और बोली- मैं ही लगा दूं क्या?
मैंने कहा- यह तो और अच्छी बात है। तुम ही लगा दो।
रीना मेरे लण्ड पर तेल लगा कर बड़े प्यार से मालिश करने लगी तो मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया। रीना ठीक मेरे लण्ड के सामाने जमीन पर बैठ थी। मेरे लण्ड से रस की धार निकल पड़ी और सीधे रीना के मुँह पर जाकर गिरने लगी।
रीना शरमा गई और बोली- क्या जीजू, तुमने मेरा मुँह गन्दा कर दिया।
मैंने कहा- तुम्हारे तेल लगाने से मैं कुछ ज्यादा ही जोश में आ गया और मेरे लण्ड का रस निकल गया। आओ मैं साफ़ कर देता हूँ।
वो बोली- रहने दो, मैं खुद ही साफ़ कर लूंगी।
रीना बाथरूम में चली गई। संध्या किचन से मुझे देख रही थी और मुस्कुरा रही थी। संध्या ने कहा- अब तुम्हारा काम बनने ही वाला है।
नाश्ता करने के बाद मैं दुकान चला गया। रात को मैं रीना के लिये एक झुमकी ले आया। मैंने उसे झुमकी दी तो वो खुशी के उछल पड़ी और संध्या को दिखाते हुये बोली- देखो दीदी, जीजू मेरे लिये क्या लाये हैं।
संध्या ने कहा- तू ही उनकी एकलौती साली है। वो तेरे लिये नहीं लायेंगे तो और किसके लिये लायेंगे।
रात को खाना खाने के बाद हम सोने के लिये कमरे में आ गये। मैंने रीना से मजाक किया, क्यों रीना , मेरा लण्ड तुझे कैसा लगा।
उसने शरमाते हुये कहा- जीजू, यह भी कोई पूछने की बात है।
मैंने कहा- तेरी दीदी को तो बहुत पसन्द है, तुझे कैसा लगा।
उसने शरमाते हुये कहा- मुझे भी बहुत अच्छा लगा।
मैंने पूछा- तुझे क्यों अच्छा लगा।
वो बोली- इस लिये कि आपका बहुत बड़ा है।
मैंने पूछा- जब मैं तुम्हारी दीदी के साथ करता हूँ तब कैसा लगता है?
वो बोली- तब तो और ज्यादा अच्छा लगता है। लेकिन जीजू, एक बात मेरी समझ में नहीं आती कि तुम्हारा इतना बड़ा है फिर भी दीदी के अन्दर पूरा का पूरा घुस जता है।
मैंने कहा- तेरी दीदी को इसकी आदत पड़ गई है।
वो बोली- लेकिन पहली बार जब आपने घुसाया होगा तो दीदी दर्द के मारे बहुत चिल्लाई होगी?
मैंने कहा- दर्द तो पहली पहली बार सब औरतों को होता है। इसे भी हुआ था और यय खूब चिल्लाई भी थी। लेकिन रीना बाद में मज़ा भी तो खूब आता है। तुम चाहो तो अपनी दीदी से पूछ लो।
रीना ने संध्या से पूछा- क्यों दीदी, क्या जीजू सही कह रहे हैं?
संध्या ने कहा- हाँ रीना , तभी तो मैं इनसे रोज रोज करवाती हूँ। बिना करवाये मुझे नींद ही नहीं आती। तुम भी एक बार इनका अन्दर ले लो। कसम से इतना मज़ा आयेगा कि तुम भी रोज रोज करने को कहोगी।
रीना बोली- ना बाबा ना, मुझे बहुत दर्द होगा क्योंकि मेरा तो अभी बहुत छोटा है।
संध्या ने कहा- छोटा तो सभी का होता है।
रीना बोली- मुझे दर्द भी तो बहुत होगा।
संध्या ने कहा- पगली, एक बार ही तो दर्द होगा उसके बाद इतना मज़ा आयेगा कि तू सारा दर्द भूल जायेगी। तूने देखा है ना कि कैसे इनका मेरी चूत में सटासट अन्दर बाहर होता है।
वो बोली- हाँ, देखा तो है।
संध्या बोली- फिर एक बार तू भी अन्दर ले कर देख ले। अगर तुझे मज़ा नहीं आयेगा तो फिर कभी मत करवाना।
वो बोली- बाद में करवा लूंगी।
संध्या ने कहा- आज क्यों नहीं।
वो बोली- मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ।
संध्या ने कहा- तो फिर आज तू इसे मुँह में ले कर चूस ले। जब तेरा मन कहेगा तभी इसे अन्दर लेना।
वो बोली- ठीक है, मैं मुँह में लेकर चूस लेती हूँ।
संध्या ने मुझसे कहा- तुम रीना के बगल में आ जाओ।
मैं रीना के बगल में आ गया। रीना ने मेरी लुंगी हटा दी और अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया। उसके हाथ लगाने से मेरा लण्ड फनफनता हुआ खड़ा हो गया। रीना उसे सहलाने लगी। मुझे मज़ा आने लगा, मैंने कहा- अब इसे मुँह में ले लो।
वो बोली- जरूर लूंगी, पहले थोड़ा सहलाने दो ना।
मैंने कहा- ठीक है।
थोड़ी देर तक सहलाने के बाद रीना उठ कर बैठ गई। उसने शरमाते हुये मेरे लण्ड का सुपाड़ा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
संध्या ने मुस्कराते हुये पूछा- क्यों रीना , कैसा लग रहा है?
वो बोली- दीदी, बहुत अच्छा लग रहा है।
संध्या ने कहा- मेरी बात मान जा और इसे अपनी चूत के अन्दर भी ले ले। फिर और ज्यादा अच्छा लगेगा।
वो बोली- बहुत दर्द होगा।
संध्या ने कहा- तू इतना डरती क्यों है। मैं हूँ ना तेरे पास।
उसने कहा- अच्छा, मुझे पहले थोड़ी देर चूस लेने दो, फिर मैं भी अन्दर लेने की कोशिश करुंगी।
रीना मेरा लण्ड चूसती रही। मैंने अपना हाथ बढ़ा कर उसकी चूत पर रख दिया लेकिन वो कुछ नहीं बोली। मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाना शुरु कर दिया तो वो सिसकारियां भरने लगी।
थोड़ी देर में ही उसकी चूत गीली हो गई तो मैंने पूछा- कैसा लगा?
वो बोली- बहुत अच्छा।
रीना अब तक पूरे जोश में आ चुकी थी। मैंने कहा- जब तू मेरा लण्ड अपनी चूत के अन्दर लेगी तो तुझे और ज्यादा अच्छा लगेगा।
वो बोली- ठीक है जीजू, घुसा दो, लेकिन बहुत धीरे धीरे घुसाना।
मैंने कहा- थोड़ा दर्द होगा, ज्यादा चिल्लाना मत।
वो बोली- मैं अपना मुँह बन्द रखने की कोशिश करुंगी।।
मैंने कहा- ठीक है, तू पहले अपने कपड़े उतार दे।
वो बोली- मैंने कपड़े ही कहाँ पहन रखे हैं।
मैंने उसकी ब्रा और पेण्टी की तरफ़ इशारा करते हुये कहा- फिर ये क्या है?
वो बोली- क्या इसे भी उतारना पड़ेगा।
मैंने कहा- हाँ, तभी तो मज़ा आयेगा।
उसने कहा- ठीक है, उतार देती हूँ।
इतना कह कर रीना खड़ी हो गई और उसने अपने सारे कपड़े उतार दिये। संध्या मुझे देख कर मुसकुराने लगी तो मैं भी मुसकुरा दिया। रीना बेड पर लेट गई तो मैं रीना के पैरों के बीच आ गया। मैंने उसके पैरों को एकदम दूर दूर फैला दिया। उसके बाद मैंने अपने लण्ड के सुपाड़े को उसकी चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया। वो जोश के मारे पागल सी होने लगी और जोर जोर की सिसकारियां भरते हुये बोली- जीजू, बहुत मज़ा आ रहा है, और जोर से रगड़ो।
मैंने और ज्यादा तेजी के साथ रगड़ना शुरु कर दिया तो 2-3 मिनट में ही रीना जोर जोर की सिसकारियां भरने लगी और झड़ गई।
रीना की चूत अब एकदम गीली हो चुकी थी इसलिये मैंने अब ज्यादा देर करना ठीक नहीं समझा। मैंने उसकी चूत के होंठ को फैला कर अपने लण्ड का सुपाड़ा बीच में रख दिया। उसके बाद जैसे ही मैंने थोड़ा सा जोर लगाया तो वो चीख उठी और बोली- जीजू, बहुत दर्द हो रहा है, बाहर निकाल लो।
मैंने कहा- बस थोड़ा सा बरदाश्त करो।
मेरे लण्ड का सुपाड़ा उसकी चूत में घुस चुका था। मैंने फिर से थोड़ा सा जोर लगाया तो इस बार वो जोर जोर से चीखने लगी। उसने रोना शुरु कर दिया तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- दर्द को बरदाश्त कर तभी तो तू मज़ा ले पायेगी।
वो बोली- बहुत तेज दर्द हो रहा है, दीदी।
संध्या उसका सिर सहलाने लगी तो थोड़ी ही देर में वो शान्त हो गई।
मेरा लण्ड इस उसकी चूत में 2″ तक घुस चुका था। जब रीना चुप हो गई तो मैंने फिर से जोर लगाया तो मेरा लण्ड थोड़ा सा और घुस गया और उसकी सील मेरे लण्ड के रास्ते में आ गई। वो फिर से चीखने लगी और बोली- जीजू, बाहर निकल लो, मैं मर जाऊंगी, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फट जायेगी।
मैंने उसकी चूचियों को मसलते हुये कहा- बस थोड़ा सा ही और है।
थोड़ी देर तक मैं उसकी चूचियों को मसलता रहा और उसे चूमता रहा तो वो शान्त हो गई। मुझे अब उसकी सील को फ़ाड़ना था।
मैंने रीना की कमर को जोर से पकड़ लिया पूरी ताकत के साथ बहुत ही जोर का धक्का मारा। उसकी चूत से खून निकलाने लगा। मेरा लण्ड उसकी सील को फ़ाड़ते हुये 4″ से थोड़ा ज्यादा अन्दर घुस गया। रीना इस बार कुछ ज्यादा ही जोर जोर से चिल्लाने लगी तो संध्या ने उसे चुप करते हुये कहा- बस हो गया, अब रो मत। अब दर्द नहीं होगा, केवल मज़ा आयेगा।
वो बोली- क्या पूरा अन्दर घुस गया?
संध्या ने कहा- अभी कहाँ, अभी तो आधा ही घुसा है।
वो बोली- जब जीजू बाकी का घुसायेंगे तो मुझे फिर से दर्द होगा।
संध्या ने कहा- नहीं, अब दर्द नहीं होगा, अब तुझे मज़ा आयेगा।
रीना जब शान्त हो गई तो मैंने धीरे धीरे उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे अभी भी दर्द हो रहा था और वो आहें भर रही थी। उसकी चूत बहुत ही ज्यादा कसी थी इसलिये मेरा लण्ड आसानी से उसकी चूत में अन्दर-बाहर नहीं हो पा रहा था। मैं उसे चोदता रहा तो वो कुछ देर बाद वो धीरे धीरे शान्त हो गई। अब उसे भी कुछ कुछ मज़ा आने लगा था। उसने सिसकारियां भरनी शुरु कर दी। संध्या ने पूछा- अब कैसा लग रहा है।
वो बोली- अब तो मज़ा आ रहा है।
संध्या ने कहा- पूरा अन्दर घुस जाने दे तब तुझे और मज़ा आयेगा, यह तो अभी शुरुआत है।
मैंने उसे चोदना जारी रखा तो थोड़ी ही देर बाद उसने अपना चूतड़ भी उठाना शुरु कर दिया।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद रीना झड़ गई। उसकी चूत और मेरा लण्ड अब एकदम गीला हो चुका था। मैंने अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ानी शुरू कर दी। रीना पूरे जोश में आ चुकी थी। वो जोर जोर से सिसकारियां भर रही थी। मैंने हर 4-6 धक्के के बाद एक धक्का थोड़ा जोर से लगाना शुरु कर दिया। इससे मेरा लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के उसकी चूत में और ज्यादा गहराई तक घुसने लगा। जब मैं तेज धक्का लगा देता था तो रीना केवल एक आह सी भरती थी। वो इतने जोश में आ चुकी थी कि उसे अब ज्यादा दर्द महसूस नहीं हो रहा था। मैं इसी तरह से उसे चोदता रहा।
थोड़ी देर की चुदाई के बाद ही रीना फिर से झड़ गई। अब तक मेरा लण्ड उसकी चूत में 7″ अन्दर घुस चुका था। मैंने अपनी स्पीड बढाते हुये उसकी चुदाई जारी रखी। थोड़ी ही देर में मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया। संध्या ने जब देखा कि मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में घुस चुका है तो उसने रीना से कहा- इनका पूरा का पूरा लण्ड तेरी चूत के अन्दर घुस गया है। अब तुझे केवल मज़ा आयेगा।
वो बोली- मुझे विश्वास नहीं हो रहा है।
संध्या ने कहा- अगर तुझे विशवास नहीं हो रहा है तो हाथ लगा कर देख ले।
रीना ने हाथ लगा कर देखा तो बोली- दीदी, यह पूरा अन्दर कैसे घुस गया? मुझे तो कुछ पता ही नहीं चला।
संध्या ने कहा- जब तू थोड़ी देर की चुदाई के बाद पूरे जोश में आ गई थी तब ये बीच बीच में जोर का धक्का लगा देते थे। इससे इनका लण्ड थोड़ा थोड़ा कर के तेरी चूत के अन्दर घुसा जाता था। तू जोश में थी इस लिये तुझे कुछ पता ही नहीं चला।
मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी क्योंकि अब मैं झड़ने वाला था। 2 मिनट के अन्दर ही मैं झड़ गया तो रीना भी मेरे साथ ही साथ फिर से झड़ गई। मैंने अपना लण्ड उसकी चूत से बाहर निकल कर रीना से पूछा- चाटोगी?
उसने मेरा लण्ड देखा तो उस पर रस के साथ थोड़ा खून भी लगा हुआ था। वो बोली- जीजू, इस पर तो खून भी लगा हुआ है। मैं अगली बार चाट लूंगी।
संध्या ने कहा- तेरी चूत का ही तो खून है और यह पहली पहली बार निकला है, चाट ले इसे।
वो बोली- तुम कहते हो तो मैं चाट लेटी हूँ।
उसने मेरा लण्ड चाट चाट कर साफ़ कर दिया।
संध्या ने पूछा- चुदवाने में मज़ा आया?
वो बोली- हाँ, मज़ा तो आया लेकिन ज्यादा नहीं।
संध्या ने पूछा- क्यों। वो बोली- जब मुझे ज्यादा मज़ा आना शुरु हुआ तो जीजू झड़ गये।
संध्या ने कहा- अगली बार ज्यादा मज़ा आयेगा। इस बार तो इनका सारा समय तेरी चूत में रास्ता बनने में ही लग गया।
मैं रीना के बगल में लेट गया। वो मेरी पीठ को सहलाते हुये मुझे चूमती रही। 10 मिनट में ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैंने रीना को डॉगी स्टाईल में कर दिया और उसकी चुदाई शुरु कर दी। उसे इस बार चुदवाने में ज्यादा मज़ा आया और मुझे भी। उसने इस बार पूरी मस्ती के साथ खूब जम कर चुदवाया। मैंने भी उसे पूरे जोश के साथ बहुत ही जोर जोर के धक्के लगाते हुये खूब जम कर चोदा। इस बार मैंने लगभग 35 मिनट तक उसकी चुदाई की। रीना इस दौरान 4 बार झड़ गई थी।
मैं रीना के बगल में लेट गया। हम सब आपस में बातें करते रहे। लगभग 1 घण्टे के बाद संध्या ने मुझसे कहा- क्यों जी, तुम मुझे आज नहीं चोदोगे क्या। साली की कुंवारी चूत का मज़ा पाकर मुझे भूल गये क्या?
मैंने कहा- भला मैं तुम्हे कैसे भूल सकता हूँ, तुम तो मेरी बीवी हो। मैं रोज रोज घर का ही तो खाना खाता हूँ। कभी कभी होटल के खाने का मज़ा भी ले लेना चाहिये। तुम तो मेरे लिये घर का खाना हो और रीना होटल का। आज मैंने कुंवारी चूत का मज़ा लिया है इस लिये मैं तुम्हारी चूत को आज हाथ भी नहीं लगाऊगा। आज तो मैं तुम्हारी गाण्ड मारूंगा।
संध्या बोली- फिर मारो ना।
रीना बोली- जीजू क्या कह रहे हो?
मैंने कहा- ठीक ही कह रहा हूँ। यह कभी कभी मुझसे गाण्ड भी मरवाती है। गाण्ड मरवाने में भी खूब मज़ा आता है। तुम भी मरवाओगी?
वो बोली- पहले आप दीदी की गाण्ड मार लो। जरा मैं भी तो देखूँ कि दीदी आपका इतना लमबा और मोटा लण्ड अपनी गाण्ड के अन्दर कैसे लेती है।
संध्या घोड़ी बन गई तो मैंने संध्या की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को संध्या की गाण्ड में अन्दर बाहर होते हुये देखती रही। मैं 2 बार रीना की चुदाई कर चुका था इस लिये मैं जल्दी झड़ नहीं पा रहा था। संध्या सिसकारियां भरते हुये मुझसे गाण्ड मरवा रही थी। रीना संध्या को गाण्ड मरवाते हुये देख रही थी। उसकी आंखो में भी जोश की झलक साफ़ दिख रही थी। मैंने रीना से पूछा- कैसा लग रहा है।
वो बोली- बहुत ही अच्छा लग रहा है, जीजू।
मैंने पूछा- गाण्ड मरवाओगी?
वो बोली- फिर से दर्द होगा।
मैंने कहा- गाण्ड मरवाने में तो बहुत ही ज्यादा दर्द होता है।
वो बोली- ना बाबा ना, मैं गाण्ड नहीं मरवाऊँगी।
संध्या ने कहा- रीना , पहले तू खूब जम कर इनसे चुदवाने का मज़ा ले ले। उसके बाद एक बार गाण्ड भी मरवाने का मज़ा भी ले लेना।
मैंने लगभग 45 मिनट तक संध्या की गाण्ड मारी और झड़ गया।
मैंने कई दिनों तक रीना को खूब जम कर चोदा। उसे अब चुदवाने में बहुत मज़ा आने लगा था। मुझे भी कुंवारी चूत को चोदने का मज़ा मिल चुका था और मैं अब उसकी एकदम टाईट चूत को चोद रहा था। मैं रीना की गाण्ड भी मारना चहता था लेकिन उसे मैं खूब तड़पा तड़पा कर उसकी गाण्ड मारना चहता था। मैंने कई बार रीना के सामने संध्या की गाण्ड मारी तो एक दिन वो अपने आप को रोक नहीं पाई। वो मुझसे कहने लगी- जीजू, एक बार मेरी भी गाण्ड मार लो, मैं भी गाण्ड मरवाने का मज़ा लेना चाहती हूँ।
मैंने कहा- तुझे बहुत ज्यादा तकलीफ़ होगी।
वो बोली- होने दो।
मैंने उससे कहा- तू नहीं जानती है कि मैंने संध्या की गाण्ड पहली पहली बार कैसे मारी थी।
वो बोली- बताओगे तभी तो जानूंगी।
मैंने कहा- तो सुन, तूने वो पिल्लर देखा है ना जो आंगन में है।
वो बोली- हाँ, देखा है।
मैंने कहा- मैंने संध्या को खड़ा करके उसी पिल्लर में कस कर बांध दिया था। उसके बाद मैंने इसके मुँह में कपड़ा ठूंस कर इसका मुँह भी बन्द कर दिया था जिससे यह ज्यादा चिल्ला ना सके। उसके बाद ही मैं संध्या की गाण्ड मार पाया था। गाण्ड में लण्ड आसानी से नहीं घुसता है, बहुत मेहनत करनी पड़ती है और दर्द भी बहुत होता है। गाण्ड से बहुत ज्यादा खून भी निकलता है।
वो बोली- चाहे जो भी हो आप मेरी गाण्ड मार दो, मैं कुछ नहीं जानती।
मैंने कहा- तू कई दिनों तक बिस्तर पर से उठ भी नहीं पायेगी।
वो बोली- जब दीदी ने आप से गाण्ड मरवा लिया तो मैं क्यों नहीं मरवा सकती।
मैंने कहा- सोच ले, बहुत दर्द होगा। तेरी गाण्ड भी फट सकती है।
वो ज़िद करने लगी, मैं कुछ नहीं जानती, तुम मेरी गाण्ड मार दो बस।
मैंने कहा- अच्छा, कल मैं तेरी गाण्ड मार दूंगा।
वो बोली- नहीं आज ही और अभी मेरी गाण्ड मार दो।
संध्या मेरी बात सुनकर मुस्कुरा रही थी। वो जानती थी कि मैं झूठ बोल रहा हूँ। वो यह भी समझ गई थी मैं उसकी गाण्ड को बहुत ही बुरी तरह से मारना चाहता हूँ।
संध्या ने रीना से कहा- चल आंगन में। मैं संध्या और रीना के साथ आंगन में आ गया। संध्या कुछ कपड़े और रस्सी ले आई। उसके बाद मैंने रीना से कहा- तू पिल्लर को जोर से पकड़ कर खड़ी हो जा।
वो पिल्लर को पकड़ कर खड़ी हो गई। उसके बाद मैंने रस्सी से उसकी कमर को पिल्लर से बांध दिया। उसके बाद मैंने दूसरी रस्सी ली और उसके पैर को भी फैला कर पिल्लर से बांध दिया। फिर मैंने रीना के दोनों हाथ भी पिल्लर से बांध दिये।
वो बोली- जीजू, आपने तो मुझे ऐसे बांध दिया है कि मैं जरा सा भी इधर उधर नहीं हो सकती।
मैंने कहा- गाण्ड मारने के लिये ऐसे ही बांधना पड़ता है।
उसके बाद मैंने रीना के मुँह में कपड़ा ठूंस दिया और उसके मुँह को बांध दिया।
मैंने संध्या से कहा- अब तुम मेरे लण्ड को थोड़ा सा चूस लो जिस से ये पूरी तरह से सख्त हो जाये।
संध्या ने मेरे लण्ड को चूसना शुरु कर दिया तो थोड़ी ही देर में मेरा लण्ड पूरी तरह से लक्कड़ जैसा हो गया। मैंने संध्या के मुँह से अपना लण्ड बाहर निकला और रीना के पीछे आ गया। मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर अपने लण्ड का सुपाड़ा रखा और पूरे ताकत के साथ जोर का धक्का मारा। रीना दर्द के मारे तड़पने लगी। वो अपना सिर इधर उधर पटकने लगी। उसका मुँह बंधा हुआ था इसलिये उसके मुँह से केवल गूओ गूओ की आवाज़ ही निकल रही थी। एक धक्के में ही मेरा लण्ड उसकी गाण्ड को चीरता हुआ 2″ तक घुस गया। उसकी गाण्ड से खून निकल आया।
मैंने दूसरा धक्का लगाया तो रीना के मुँह से बहुत जोर जोर से गूऊ गूऊ की आवज़ निकलने लगी। मेरा लण्ड 4″ अन्दर घुस गया। रीना की गाण्ड से और ज्यादा तेजी के साथ खून निकलने लगा। मैंने फिर से एक धक्का मरा तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने एक ही झटके से अपना लण्ड उसकी गाण्ड से बाहर खींच लिया। पुक की आवज़ के साथ मेरा लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर आ गया। रीना के मुँह से अभी भी जोर जोर से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी।
मैंने संध्या को अपना लण्ड दिखाते हुये कहा- इसकी गाण्ड तो बहुत ही तंग है। देखो कितना खून निकल आया है।
संध्या बोली- क्यों तड़पाते हो बेचारी को। घुसा दो ना अपना पूरा लण्ड इसकी गाण्ड में। मैंने कहा- ठीक है बाबा, घुसा देता हूँ।
मैंने रीना की गाण्ड के छेद पर फिर से अपने लण्ड का सुपाड़ा रख दिया। उसकी गाण्ड खून से भीगी हुई थी। मैंने बहुत ही जोर का एक धक्का लगाया तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 5″ तक घुस गया। उसके बाद मैंने 2 धक्के और लगये तो मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में 7″ तक अन्दर घुस गया। रीना का सारा बदन पसीने से भीग गया था। वो अपना सिर पिल्लर पर पटक रही थी। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। मुझे खूब मज़ा आ रहा था। मैं रीना की गाण्ड इसी तरह से मारना चाहता था। मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।
संध्या आंखे फ़ाड़े मुझे देख रही थी, उसने कहा- रहम करो इस बेचारी पर। क्यों तड़पा रहे हो इसे।
मैंने 2 बहुत ही जोरदार धक्के और लगाये तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड रीना की गाण्ड में समा गया।
पूरा लण्ड घुसा देने के बाद भी मैं रुका नहीं, मैंने तेजी के साथ रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। रीना के मुँह से गूओ गूओ की आवाज़ निकल रही थी। उसकी गाण्ड बहुत ही ज्यादा टाईट थी इस लिये मेरा लण्ड उसकी गाण्ड में आसानी से पूरा अन्दर बाहर नहीं हो पा रहा था। मैंने पूरे ताकत के साथ धक्के लगा रहा था। 10 मिनट के बाद मेरा लण्ड थोड़ा आसानी से अन्दर बाहर होने लगा। रीना के मुँह से भी ज्यादा आवाज़ नहीं निकल रही थी। मैंने रीना से पूछा- मुह खोल दूं।
उसने अपना सिर हाँ में हिला दिया।
मैंने पूछा- चिल्लओगी तो नहीं। उसने अपना सिर ना में हिला दिया।
मैंने रीना का मुँह खोल दिया और उसके मुँह से कपड़ा बाहर निकल लिया। वो रोते हुये बोली- जीजू, आपने तो मुझे मार ही डाला। क्या इसी तरह से गाण्ड मारी जाती है।
मैंने कहा- हाँ, गाण्ड इसी तरह से मारी जाती है। अगर मैंने तुम्हारा मुँह बांधा नहीं होता तो तुम कितनी जोर जोर से चिल्लाती, यह तुम अब समझ गई होगी।
वो बोली- आप सही कह रहे हो, तब तो मैं बहुत चिल्लाती।
मैंने कहा- अगर मैंने तुम्हें पिल्लर से ना बांधा होता तो अब तक कई बार अपना चूतड़ इधर उधर करती और मैं तुम्हारी गाण्ड में अपना लण्ड नहीं घुसा पाता।
वो बोली- जीजू, आप एकदम सही कह रहे हो। मैंने तो आप को धकेल ही दिया होता।
मैंने कहा- अब तुम ही बताओ मैंने सही किया या नहीं?
वो बोली- आपने बिलकुल ठीक किया। ऐसे ही करना चाहिये था। अब तो मुझे पिल्लर से खोल दो।
मैंने कहा- पहले मैं तुम्हारी गाण्ड तो मार लूं फिर खोल दूंगा।
वो बोली- तो मारो ना।
मैंने पूछा- कुछ मज़ा आ रहा है।
वो बोली- अभी तो बहुत ही कम मज़ा आ रहा है।
मैंने रीना की गाण्ड मारनी शुरु कर दी। मैं पूरे ताकत के साथ जोर जोर के धक्के लगा रहा था। रीना को भी अब मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से सिसकारियां निकल रही थी। 10 मिनट तक उसकी गाण्ड मारने के बाद मैं झड़ गया। मैंने अपना लण्ड रीना की गाण्ड से बाहर निकाला और रीना को दिखाते हुये कहा- देखो कितना खून निकला है तुम्हारी गाण्ड से।
वो आंखे फ़ाड़े मेरे लण्ड को देखने लगी, वो बोली- जीजू, अब तो खोल दो मुझे।
मैंने कहा- एक बार तुम्हारी गाण्ड और चोद लूं फिर खोल दूंगा।
वो बोली- कमरे में मार लेना।
मैंने कहा- तुम फिर से चिल्लओगी।
वो बोली- मैं अपना मुँह बंद रखने की कोशिश करुंगी।
मैंने संध्या से कहा- खोल दो रीना को।
संध्या ने रीना के हाथ पैर खोल दिये। रीना बाथरूम जाना चाहती थी लेकिन वो बिल्कुल भी चल फिर नहीं पा रही थी। संध्या उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गई। रीना ने अपनी गाण्ड और चूत को साबुन से साफ़ किया। फिर संध्या उसे कमरे में ले आई। मैं कमरे में आया तो रीना बेड पर लेटी थी। मैं उसके बगल में लेट गया। 1 घन्टे के बाद मैंने फिर से रीना की गाण्ड मारनी शुरु की। वो थोड़ी देर तक चिल्लाई फिर शान्त हो गई। उसके बाद उसे खूब मज़ा आया और मुझे भी। उसने मुझसे खूब जम कर गाण्ड मरवाई।
धीरे धीरे 6 महीने गुजर गये। रीना मुझसे खूब जम कर चुदवाती रही और गाण्ड मरवाती रही। मुझे भी रीना की चुदाई करने में और उसकी गाण्ड मारने में खूब मज़ा आता था। एक दिन मैंने दुकान के नौकर रामू को कुछ फ़ाईल लाने के लिये घर भेजा। उसने घर पर रीना को देखा तो रीना उसे बहुत पसन्द आ गई। रामू की उमर भी 20 साल की थी और वो अभी कुंवारा ही था। उसने मुझसे रीना के बारे में पूछा तो मैंने उसे बता दिया कि वो संध्या के गावँ की रहने वाली है।
उसने मुझसे कहा कि वो रीना से शादी करना चहता है।
मैंने कहा- ठीक है, मैं रीना से पूछ लूं फिर बता दूंगा।
रात में जब मैं घर आया तो मैंने रीना से बात की तो वो तैयार हो गई। उसे भी रामू पसन्द आ गया था।
उसने मुझसे कहा- जीजू, एक दिक्कत है।
मैंने पूछा- वो क्या?
वो बोली- आप मुझे बहुत ही अच्छी तरह से चोदते हैं और मेरी गाण्ड भी मारते हैं। अगर मैं शादी कर लूंगी तब मैं आप से मज़ा कैसे ले पाऊंगी?
मैंने कहा- पगली, तू अपनी दीदी से मिलने के बहाने आ जाया करना। मैं तेरी चुदाई कर दूंगा और तेरी गाण्ड भी मार दूंगा। सारी ज़िंदगी तू कुंवारी तो नहीं रही सकती।
वो बोली- फिर ठीक है।
मैंने रीना के माता पिता से बात की तो वो भी तैयार हो गये। कुछ दिनों के बाद रीना की शादी रामू से हो गई। रविवार को दुकान की छुट्टी रहती है। रीना हर रविवार के दिन संध्या से मिलने आती है और मैं सारा दिन खूब जम कर उसकी चुदाई करता हूँ और उसकी गाण्ड भी मारता हूँ।
एक दिन जब मैं रात को दुकान से घर आया तो रीना घर पर आई हुई थी। उसके साथ एक औरत और थी। वो भी बहुत ही खूबसुरत थी लेकिन थी थोड़ी मोटी। उसकी उमर भी 20 साल के लगभग रही होगी।
मैंने रीना से कहा- आज तो रविवार नहीं है, फिर आज कैसे और यह तेरे साथ कौन है?
वो बोली- यह मीना है, मेरी भाभी। आपसे चुदवाने आई है।
मैंने कहा- तू क्या कह रही है?
वो बोली- जीजू, भोले मत बनो। आप इतनी अच्छी तरह से मेरी चुदाई करते हैं और मेरी गाण्ड मारते हैं, मैं क्या कभी भूल सकती हूँ। भाभी मेरे बारे में सब जानती हैं क्योंकि यह मेरी सहेली की तरह हैं और मैंने इन्हें सब कुछ बता दिया है। मैं इन से कुछ भी नहीं छुपाती हूँ। इनकी शादी हुये 3 साल गुजर गये हैं और यह अभी तक माँ नहीं बन पाई है। मैंने इनसे कह दिया था कि मैं तुझे अपने जीजू से चुदवा दूंगी। तुझे चुदाई का पूरा मज़ा भी मिल जायेगा और तू माँ भी बन जायेगी। यह तैयार हो गई। उसके बाद मैंने भैया से कहा कि भाभी को मेरे पास 1 महीने के लिये भेज दो। मैं इसका इलाज़ बहुत ही अच्छे दोस्तों से करा दूंगी। भैया ने इसे मेरे पास भेज दिया और मैं इसे आप के पास ले आई हूँ। अब आप इसका इलाज़ बहुत ही अच्छी तरही से कर दो। आप को फिर से एक कुंवारी चूत को चोदने का मौका मिल जयेगा।
मैंने कहा- यह कुंवारी थोड़े ही है।
रीना बोली- इसने मुझे बतया था कि भैया का लण्ड केवल 4″ का ही है और आपका लण्ड तो बहुत लम्बा और मोटा है। आपके लण्ड के लिये इसकी चूत कुवांरी जैसी ही है।
मैंने कहा- ठीक है मैं इसका इलाज़ कर दूंगा। लेकिन जैसे मैंने तेरी गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह मैं पहले इसकी गाण्ड मारुंगा।
उसके बाद ही मैं इसकी चूत को हाथ लगाऊँगा।
तभी मीना बोल पड़ी- जीजू, मुझे तो केवल माँ बनना है और आप से चुदवने का खूब मज़ा लेना है। आप जो भी चाहो मेरे साथ करो, बस मुझे माँ बना दो और मुझे चुदाई का पूरा मज़ा दे दो।मैंने रीना से कहा- जब मैं इसे चोद दूंगा तो इसकी चूत एकदम चौड़ी हो जायेगी। उसके बाद जब यह तेरे भैया से चुदवायेगी तो उनहेन इसकी चूत एकदम ढीली लगेगी तो वो क्या कहेंगे।
रीना बोली- वो कुछ भी नहीं कह पायेगे। मैं वही बहाना बना दूंगी जो मैंने रामू से से बनाया था।
मैंने पूछा- तूने रामू से क्या कहा था?
रीना बोली- जीजू, रामू को जब मेरी चूत चुदी हुई लगी थी तो मैंने रामू से कहा था की मेरी चूत में कुछ दिक्कत थी। डॉक्टर ने मेरी चूत में एक औजार डाला था जिस से मेरी चूत का मुँह एकदम चौड़ा हो गया।
मैंने कहा- तू तो बड़ी चालाक निकली।
रीना मुस्कुराने लगी।
मैंने रीना और संध्या से कहा- तुम दोनों इसे भी आंगन में ले जाओ और पिल्लर से बांध दो।
रीना और संध्या उसे लेकर आंगन में चले गये। थोड़ी देर बाद रीना मेरे पास आई और बोली- जीजू, आपका खाना तैयार है, चल कर खा लो।
मैं समझ गया कि रीना क्या कह रही है, मैंने कहा- चलो।
मैं रीना के साथ आंगन में आ गया। मैंने जैसे रीना की गाण्ड मारी थी ठीक उसी तरह उसकी भाभी की गाण्ड भी मारी। मुझे मीना की गाण्ड मरने में ज्यादा मज़ा आया क्योंकि मोटी होने की वजह से उसकी गाण्ड गद्देदार थी। उसे भी बहुत दर्द हुआ और उसकी गाण्ड से भी ढेर सारा खून निकला। उसके बाद रीना और संध्या उसे कमरे में ले आये। मैंने सारी रात कमरे में ही खूब जम कर उसकी गाण्ड मारी। 2 बार जब मैं उसकी गाण्ड मार चुका तो उसके बाद उसे भी गाण्ड मरवाने में खूब मज़ा आने लगा।
दूसरे दिन से मैंने उसकी चुदाई शुरु की। उसकी चूत भी गद्देदार थी। पहली पहली बार वो बहुत चीखी और चिल्लाई लेकिन बाद में उसे खूब मज़ा आने लगा। मुझे उसकी चूत की चुदाई करने में कुछ ज्यादा ही मज़ा आया। उसे भी मेरा लण्ड बहुत पसन्द आ गया। उसकी चूत मेरे लण्ड के लिये किसी कुंवारी चूत से कम नहीं थी। 1 महीने तक मैंने उसकी तरह तरह के स्टाईल में खूब जम कर चुदाई की और उसकी गाण्ड मारी। वो मुझसे अभी चुदवाना चाहती थी। उसने रीना से अपने मन की बात बता दी। रीना के भैया आये तो रीना ने उनसे कहा की अभी इलाज़ पूरा नहीं हुआ है। डॉक्टर ने 2 महीने और रुकने को कहा है। वो खुशी खुशी वापस गावँ चले गये।
15 दिनों के बाद जब मीना को महीना नहीं हुआ तो रीना और संध्या उसे डॉक्टर के पास ले गये। डॉक्टर ने बताया कि वो माँ बनने वाली है। मीना बहुत खुश हो गई। उसने मुझे और ज्यादा जम कर चुदवाना शुरु कर दिया। मुझे मीना की गद्देदार चूत ज्यादा पसन्द आ गई थी इसालिये मैंने ज्यादातर उसके चूत की ही चुदाई की। मैंने अगले 1 1/2 महीने तक मीना को खूब जम कर चोदा और उसकी गाण्ड भी मारता रहा। उसके बाद वो गावँ चली गई। अब मैं केवल संध्या और रीना को ही चोदता हूँ। संध्या भी अब मां बनने वाली है।
मेरा नाम रोहित है. मेरी उम्र अभी 38 साल की है. मैं स्कूल के दिनों से ही चूत चोदने का बड़ा शौकीन रहा हूं. लेकिन कभी मौका नहीं मिला तो मैं हाथों और किताबों से ही काम चला लेता था. बहुत बार लड़कियों को पटाने की कोशिश की, लेकिन सफ़ल नहीं हो पाया. सैंयां की जगह भैया बोल के दिल दुखा देती थीं सालीं.
खैर ऊपर वाले के घर देर है, लेकिन अंधेर नहीं है. मेरी जिंदगी में भी उजाले की किरण फूटी. जब मैं बारहवीं कक्षा में था. मैं विज्ञान का छात्र था. हमारी बायोलोजी की टीचर स्कूल में नई आई थी, उसका नाम सुहानी था. उस समय वो तेईस साल की थी … बहुत ही सुंदर थी. उसका फिगर 36-26-36 का था, ऊंचाई पांच फुट छह इंच थी. वो बहुत सेक्सी थी, सब टीचर उसके आगे पीछे घूमते थे, लेकिन वो किसी को भाव नहीं देती थी.
क्लास में वो हमेशा मेरे काम से खुश रहती थी और कई बार मेरी तारीफ भी करती थी. लेकिन मेरे दिमाग में एक ही बात आती थी कि कब मुझे ऐसी लड़की चोदने को मिलेगी और एक दिन मौका मिल ही गया.
अक्टूबर का महीना था, शाम को स्कूल के छूटने के बाद बायोलोजी की हमारी एक्स्ट्रा क्लास थी. क्लास खत्म होते होते सात बज गए … अँधेरा हो गया था, सब जाने लगे तो एकदम से तेज हवा आने लगी और बारिश भी चालू हो गई. टीचर सुहानी, मैं और चपरासी बारिश रुकने का इंतजार करने लगे.
थोड़ी देर बाद चपरासी ने मुझे कहा- तुम मैडम को घर छोड़ देना, मुझे देर हो रही है इसलिए मैं जा रहा हूं.
मैंने कहा- ठीक है.
बारिश रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी. इतने में जोर कड़ाके के साथ बिजली चमकी, तो सुहानी मैम डर गई और डर के मारे वो मुझसे लिपट गई. मैंने भी कुछ सोचा नहीं और सुहानी को मेरी बाँहों में भर लिया. वो डर से कांप रही थी. थोड़ी देर तो वो ऐसे ही मुझसे लिपटी रही. सुहानी की मस्त जवानी मेरी बाँहों में थी. मेरे सारे शरीर में बिजली सी दौड़ गई. मेरा मन और शरीर वासनामय होने लगा. लंड भी खड़ा हो गया था.
अचानक वो शरमा के पीछे हट गई और मुझसे माफ़ी मांगने लगी.
मैंने कहा- कोई बात नहीं.
फ़िर उसने कहा- प्लीज़ मुझे घर छोड़ दो, मुझे बिजली से बड़ा डर लगता है.
मैंने हामी भरी और हम दोनों बारिश में ही घर की ओर निकल लिए. बीस मिनट में हम घर पहुंच गए. फ़िर मैम ने मुझे अन्दर आने को कहा तो मैंने कहा- अब नहीं, फ़िर कभी आऊंगा …
अब मैं थोड़ा भाव खा रहा था, लेकिन मन में लड्डू फ़ूट रहे थे और ऐसा मौका हाथ से जाने देना नहीं चाहता था.
फ़िर उसने पूछा- तुम कहीं पास में ही रहते हो?
तो मैंने बताया कि मैं पास के गाँव में रहता हूं और जाने के लिए कोई व्यवस्था कर लूँगा क्योंकि आखरी बस तो सवा सात पर निकल जाती है.
यह सुनकर उसने कहा- पागल तो नहीं हो गए … क्या इतनी बारिश में कहाँ जाओगे, अन्दर आओ मैं तुम्हें तौलिया देती हूँ, अपना गीला बदना पौंछ कर फ्रेश हो जाओ और मैं तुम्हारे लिए चाय बनाती हूं.
मैंने अपने कपड़े सुखाने के लिए रख दिए और तौलिया लपेट के बैठ गया.

थोड़ी देर बाद सुहानी मैम वापस आई तो उसने पीच कलर की नाईट गाउन पहनी हुई थी और हाथ में चाय का कप था. चाय का कप लेते हुए मैंने जानबूझ कर उसके हाथ को छुआ. फ़िर हम दोनों ने चाय पीते-पीते इधर उधर की बातें की, लेकिन मेरा मन तो उसको चोदने में ही था. लंड तना हुआ था और बार-बार मेरी नजर उसके फुदकते मम्मों के ऊपर ही जा रही थी, जो उसके नजर से बाहर नहीं था.
बाहर जोरों की हवा के साथ बारिश अभी भी चालू थी. सुहानी ने कहा- मुझे ऐसे वातावरण में बहुत डर लगता है, क्या आज रात तुम यहीं नहीं रह सकते?
मैंने अपनी ख़ुशी छिपाते हुए कहा- ठीक है.
बाद में उसने खाना बनाया और साथ बैठ के खाया. जब वो किचन में बर्तन साफ कर रही थी तो मैं वहां मदद करने गया और जब-जब मौका मिला, उसको छू लेता था.
करीब ग्यारह बजे हम सोने गए. पन्द्रह बीस मिनट के बाद जोरदार कड़ाके से बादल गरजने लगे, तो वो दौड़ती हुई मेरे कमरे में आई और मुझसे चिपक गई.
मैंने भी मौके की नजाकत को दखते हुए उसको अपनी बाँहों में भर लिया. उसके कड़क बूब्स मेरे सीने के साथ चिपक गए थे. शायद उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी. अब मेरा मन और लंड दोनों बेकाबू हो रहे थे, लेकिन मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था. फ़िर भी मैंने हिम्मत करके उसकी पीठ पर अपना हाथ फेरने लगा, उसने कोई आपत्ति नहीं जताई तो मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैं हल्के से उसके बालों को भी सहलाने लगा. तभी मैंने महसूस किया कि उसकी उंगलियां मेरी पीठ पर हल्के से कस रही थी और सांसें तेज हो रही थीं.
मेरा तीर निशाने पर लगा था. अब मेरी हिम्मत और बढ़ी. मैंने अपने होंठों को उसके नाजुक होंठों के पास ले गया और थोड़ा सा टच किया, तो उसकी सांसें और तेज होने लगीं. वो भी धीरे धीरे गरम हो रही थी. अब मैं जान गया कि वो भी मुझसे चुदवाना चाहती है. मैंने अपने गरम होंठ उसके होंठों पे रख दिए और धीरे से किस किया. फ़िर धीरे धीरे उसके रसीले होंठ को चूमने लगा. इस बार उसने मुझे जोर से जकड़ लिया और चूमने लगी.
अब कोई रूकावट नहीं थी. हम दोनों जोर से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे. फ़िर मैंने अपनी जीभ सुहानी के मुँह में डाल दी. वो उसे बड़ी मस्ती से चूसने लगी. मैंने मेरा हाथ उसके बूब्स पर सरकाया और हल्के से दबाया, उसके बूब्स एकदम कड़क थे. फ़िर गाउन के ऊपर से निप्पल के साथ खेलने लगा तो वो और उत्तेजित हो गई और मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. अब मैंने उसका गाउन ऊपर सरका के उसके बूब्स को नंगा कर दिया. मैं उसके बूब्स को बारी बारी से चूमने और चाटने लगा. उसको बहुत मजा आ रहा था, एक हाथ से मैं बूब्स को दबाए जा रहा था … तभी दूसरा हाथ मैंने उसकी चूत की ओर बढ़ाया.
उसकी चड्डी भीग चुकी थी, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी उत्तेजित थी और मजे लूट रही थी. अब मैं उसकी चूत के दाने से खेलने लगा. कुछ ही देर में उसका पूर्ण समर्पण हो गया था. मैंने उसकी पैंटी को भी हटा दिया, अब वो एकदम नंगी थी.
उसने भी मेरा तौलिया हटा दिया और मेरे लंड को हाथ से मसलने लगी. मैंने अपना मुँह उसकी चूत पर रख दिया, उसकी चूत से एक अजीब सी सुगंध आ रही थी. चूत टेनिस बॉल की तरह फूली हुई चूत थी, जो क्लीन शेव्ड थी. मैं उसकी चूत को चाटने लगा और साथ में उसके बूब्स को भी मसलने लगा.
अब वो खुशी के मारे हल्के से बोल रही थी- रोहित … मुझे बहुत मजा आ रहा है, चूसो मेरी चूत को … आह … आ … आआया … आआअ … आआ … उह … ऊउऊ. ऊ.ईई.ऊई … ऊई आह आआह्ह्छ … रोहित … मुझसे और इंतजार नहीं हो सकता प्लीज़ मुझे चोदो … प्लीज़ फक मी …
मैं भी तैयार था, उसने दोनों पैर मेरे कंधों पर रख दिए. अब मैंने अपना आठ इंच लंबा और साढ़े तीन इंच गोलाई में मोटा लंड उसकी चूत पर रगड़ने लगा.
वो तो समझो कि मेरे रोहितने गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़ रोहित मुझे चोदो ना … मत तड़पाओ … जल्दी से पेल दो.
अब मैंने अपने लंड का सुपारा उसकी रसीली चूत के द्वार पे रख कर एक जोरदार धक्का लगाया.
“मर गई … निकालो … निकालो …”
मैं रुक गया और उसके बूब्स के साथ खेलने लगा, कुछ पल में वो अपनी गांड हिलाने लगी तो मैंने एक और जोरदार धक्का लगाया. उसकी चूत में लगभग छह इंच अन्दर तक मेरा लंड घुस गया. उसकी चूत से खून बहने लगा … सारी दीवारें टूट गईं.
कुछ देर के दर्द के बाद वो जोर जोर से चिल्लाने लगी. मैंने अपने होंठ उसके होंठ पर रख दिए और एक धक्का मारा. इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में घुस गया. हालांकि वो दर्द के मारे तड़पने लगी थी … लेकिन अब उसे भी मालूम था कि दर्द के बाद मजा आता है.
मैं थोड़ी देर उसके बूब्स को धीरे धीरे दबाता रहा और उसे चूमता रहा. दो मिनट बाद उसने थोड़ी राहत महसूस की तो अपने कूल्हे उठाने लगी. अब मैं धीरे धीरे अपना लंड उस मास्टरनी की चूत में अन्दर बाहर करने लगा. लंड की स्पीड बढ़ाती जा रही थी. करीब दस मिनट बाद उसका शरीर एकदम से अकड़ गया और अगले ही पल वो झड़ गई.
अब पूरा कमरा फचक फचक … फचक की आवाज से गूंज रहा था. इसी के साथ में सुहानी की सिसकारियां ‘आ … आया … या … अहय्य्य … ओह … या … ऊऊउईई आह्ह्ह …’ गूँज रही थीं.
इधर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी थी. मेरा लंड सुहानी मैम की चूत में इंजन के पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. अब मेरी बारी थी, मेरी सांसें एकदम तेज हो गई थीं, हम दोनों पसीने से तर हो रहे थे. हम अपनी मस्ती में सारी दुनिया भूल चुके थे. बस हम और हमारी सिसकारियां ही माहौल में थीं.
आखिरकार 20 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने अपना सारा पानी मैम की चूत में छोड़ दिया. इस दौरान सुहानी मैम तीन बार पानी छोड़ चुकी थी.
थोड़ी देर हम ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर ही पड़े रहे. उसके बाद उस रात हम दोनों ने दो बार और चुदाई की. फ़िर बाथरूम में जाकर दोनों ने साथ में शावर लिया. जब हम शावर में नहा रहे थे, तब मैंने उसकी गांड मारने की इच्छा जाहिर की … तो उसने कहा- आज नहीं फ़िर कभी!
मैंने जिद की तो वो हंसकर बोली- आज तो तूने मेरी भोस का भोसड़ा कर दिया.
फ़िर रूम में आकर हम दोनों एक दूसरे के आगोश में नंगे ही सो गए.
रात को अचानक मेरी नींद खुल गई. मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैंने देखा तो सुहानी मेरा लंड चूस रही थी.
मैंने पूछा- सोई नहीं थी क्या?
तो वो बोली- डार्लिंग सुबह के आठ बज चुके हैं … मैं अभी ही उठी तो देखा तो तुम्हारा लंड तना हुआ था … तो अपने आपको लंड चूसने से रोक नहीं पाई. रात को भी ठीक से चूसने को नहीं मिला था.
मैंने कहा- अब ये तुम्हारा ही है, जब चाहे चूस लो, जब चाहे चुदवा लो.
उस दिन के बाद जब भी मौका मिला हमने बिल्कुल भी नहीं गंवाया.
आज भी वो टीचर उतनी सुंदर और सेक्सी है. अभी भी मौका मिलते ही हम दोनों मिल जाते हैं और लंड चूत की कहानी बन जाती है.
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