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टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स का मजा मुझे दिया मेरी पड़ोस के लड़के ने! मैंने अपनी चूत फड़वाने के लिए उसे पसंद किया पर उसकी नजर मेरी छोटी बहन पर थी. उसको मैंने कैसे सेट किया?
दोस्तो, मेरा नाम रीता शर्मा है. मैं 19 साल की हूँ.
मैं हर रोज अन्तर्वासना की सेक्स कहानी पढ़ती हूँ और इस पटल की एक नियमित पाठिका हूँ.
आज मैं आप सबको अपनी पहली चुदाई की कहानी बताने जा रही हूँ.
ये मेरे ब्वॉयफ्रेंड के साथ हुई चुदाई की कहानी है जिसमें टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स का मजा मैंने लिया.
वह मेरे घर के बगल में रहता था.
उन दिनों मैं हॉस्टल में रहती थी तो मैं विंटर वेकेशन में अपने घर गई थी.
उधर मेरी मुलाकात मेरे पड़ोसी लड़के से हुई.
वह काफी हैंडसम था और जिम भी जाता था.
उस दिन मैं नहा कर छत पर धूप सेंकने गई थी.
उधर वह सिर्फ एक गमछा लपेटे हुए छत पर खड़ा धूप ले रहा था.
मैंने उसे देखा तो वह काफी हॉट लग रहा था.
उसके सिक्स पैक साफ दिख रहे थे और सच में क्या मस्त लग रहा था.
पहली नजर में वह एकदम सलमान खान जैसा लगा था.
मैं उसे देखती रही, वह अपने मोबाइल में कुछ देख रहा था इसी लिए शायद उसने मुझे नहीं देखा था.
फिर जब उसकी नजरें मोबाईल से हटीं तो वह मेरी छोटी बहन को देख रहा था.
शायद उसे मेरी छोटी बहन पसंद थी.
यही सब देख कर मैं छत की दूसरी तरफ चली गई.
फिर दूसरे दिन कुछ ऐसा हुआ कि मेरे घर में लाइट नहीं आ रही थी.
मैं उस वक्त छत पर थी.
वह उधर ही था.
मैंने उससे हाय कहा और उसको अपना फ़ोन चार्ज करने के लिए दे दिया.
उसे मैंने उसे बताया कि किसी वजह से मेरे घर की बिजली नहीं आ रही है और मोबाईल पूरा डिस्चार्ज पड़ा है.
उसने मेरा फ़ोन ले लिया और चार्ज पर लगाने के लिए नीचे ले लगा.
उसी दौरान उसने मेरा नंबर चुरा लिया.
शायद उसी शाम को वह अपनी नानी के घर चला गया क्योंकि वह अपनी पढ़ाई नानी के घर रह कर ही करता था.
उधर से उसने मेरे फोन पर मैसेज किया.
मैं उसके मैसेज से मन ही मन खुश हुई और धीरे धीरे उससे मेरी बात होना शुरू हो गई.
मैंने पहले तो उससे कहा- तुम्हारे पास मेरा नंबर कहां से आया है?
उसने कहा- वो सब छोड़ो, तुम बस ये बताओ कि तुम्हें मुझसे बात करना कैसा लगा?
मैंने कहा- मुझे बात करने में भला कैसे बुरा लग सकता है. बस यह बात मुझे बुरी लग रही है कि तुमने मेरा नंबर कुछ गलत तरीके से हासिल किया है.
वह बोला- क्या मैंने कोई पाप किया है?
उसके इस सवाल पर मैं चुप थी.
मेरे मन में अब बस वह सवाल चल रहा था कि क्या वो मुझमें दिलचस्पी रखता है या मेरी छोटी बहन में.
फिर मैंने उससे ये बात साफ साफ पूछने की बात ठान ली और उससे कहा.
मैं- मैं तुमसे एक बात साफ साफ पूछना चाहती हूँ. बिना कोई छिपाव के तुम मुझे बताओगे, तो मुझे अच्छा लगेगा और तभी मैं तुमसे बात करना या ना करना तय करूंगी.
वह बोला- क्या जानना चाहती हो?
मैंने कहा- मैंने तुम्हें अपनी छोटी बहन को देखते हुए देखा है. क्या तुम मेरी छोटी बहन में दिलचस्पी रखते हो?
उसने एक पल के लिए मौन साधा और उसके बाद कहा- वो मुझे पसंद नहीं करती है. मगर मैं तुम दोनों को पसंद करता हूँ.
उसके इस साफ जवाब से मैं मन ही मन खुश हो गई थी कि मैं अपनी छोटी बहन का हक नहीं चुरा रही हूँ.
उसके बाद हम दोनों में बातें होने लगीं और कुछ ही समय बाद हम दोनों में प्यार का इजहार हुआ.
प्यार मुहब्बत की बातें चलती रहीं और बातों में सेक्स भी हिस्सा बनने लगा.
फिर एक रोज वह अपने घर आया और उसने मुझे रात में बाहर बुलाया.
मैं उस रात बेहद घबराई हुई थी कि आज पहली बार एक लड़का मुझे अकेले में बुला रहा है.
अपनी सांसों को नियंत्रित करती हुई मैं उससे मिलने चली गई.
हमारे घर के पास में ही एक टूटा मकान था. उसमें रात में कोई नहीं जाता था.
उसी खंडहर में हम दोनों गए.
उसने मुझे कसके पकड़ा और किस करने लगा.
मैं भी उसका साथ देने लगी.
वह मेरी चूचियों को दबाने लगा.
मैं मदभरी सिसकारियां भरने लगी ‘अंह अंह धीरे करो आह.’
वह मान ही नहीं रहा था.
मैंने कहा- धीरे धीरे दबाओ … मुझे दर्द हो रहा है.
उसने मेरी एक न सुनी और मेरी दोनों चूचियों को बस दबाए जा रहा था.
उसी दौरान वह अपना एक हाथ मेरी चूत पर ले गया और उसे जोर जोर से रगड़ने लगा.
कुछ ही देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.
चूत के पानी से मेरी जींस गीली हो गई.
वह अभी भी मेरी चूत को रगड़ता ही जा रहा था.
फिर उसने अपना हाथ मेरी जींस में डालना चाहा लेकिन मैंने उसे डालने नहीं दिया.
मैंने उससे कहा- आज नहीं, कभी फिर कर लेना.
फिर हम दोनों वहां से चले गए.
दूसरे दिन वह अपनी नानी के घर चला गया.
उसकी हरकतें मुझे बार बार उसकी याद दिलाने लगी थीं.
उस दिन के बाद से वह रोज मुझे वीडियो कॉल करने लगा और मुझे अपनी चूत और चूची दिखाने को बोलने लगा.
जब मैं उसे अपने दूध दिखाती तो वह मेरे सामने अपना लंड निकाल कर मुठ मारने लगता.
उसका लंड बड़ा ही मस्त था और काफी लंबा व मोटा था.
इसी तरह से वीडियो कॉल से हम दोनों के मन में चुदाई की इच्छा ने जोर पकड़ लिया और मैं भी मन ही मन उससे चुदने के लिए बेचैन होने लगी.
काफी समय बीतने के बाद हमें चुदाई करने का मौका मिला.
मुझे अच्छी तरह से याद है कि उस दिन बीस फरवरी की तारीख थी.
वह अपनी नानी के घर से मुझसे मिलने आया था.
उन दिनों कोई छुट्टी भी नहीं थी.
वैलेंटाइन डे भी निकल चुका था.
उसी ने वैलेंटाइन डे पर मिलने के लिए मना किया था क्योंकि उस दिन हमारे आस-पास के इलाके में कुछ लोग प्यार के दुश्मन बन जाते हैं और उनके कारण हमारी निजता पर फर्क पड़ सकता था.
बीस तारीख के दिन हम दोनों ने मिलने के लिए बात की.
मैंने उससे कहा कि मैं खंडहर में मिलना नहीं चाहती हूँ.
वह समझ गया कि आज चुदाई का मुहूर्त आ गया है.
उसने एक ओयो रूम बुक किया और मुझे बताया कि तुम मुझे गली के बाहर मिलो.
फिर हम दोनों उधर उस होटल में गए.
कमरे के अन्दर जाते ही उसने गेट लॉक कर दिया और मुझे कसके पकड़ लिया.
वह मुझे किस करने लगा.
मैं भी उसका साथ देने लगी.
वह मेरी चूचियों को कपड़ों के ऊपर से ही दबाने लगा.
मुझे दर्द होने लगा और मैं सिसकारियां भरने लगी- आह सीई … आह आराम से करो … मैं कहीं भागी थोड़ी न जा रही हूँ.
उसने कुछ देर बाद मेरा टॉप ऊपर उठाते हुए उतार दिया, फिर मेरी ब्रा को भी खोला और मेरी चूचियों को बारी बारी से चूसने लगा.
उसके दूध चूसने से मुझे काफी मज़ा आने लगा.
मैंने भी उसका सर अपने मम्मों में दबाते हुए सिसकारना शुरू कर दिया- आह चूसो मेरी जान … मेरी चूचियों को पूरा चूस लो आह बड़ा मज़ा आ रहा है.
कुछ देर बाद उसने अपनी टी-शर्ट को उतार कर अलग कर दी और मैं उसके सीने को सहलाने लगी.
थोड़ी देर बाद उसने मेरी जींस को उतार फेंका और मेरी पैंटी को भी निकाल दिया.
मैं पूरी नंगी हो गई थी.
उसने मुझे बेड पर चित लिटाया और मेरी चूत को चाटने लगा.
मुझे भी अपनी चूत चटवाने में मज़ा आने लगा.
मैं मजे से अपनी गांड उठाती हुई चूत चटवा रही थी और साथ में कामुक सिसकारियां भी भर रही थी- आह आह उन्ह चाटो मेरी चूत … आह आह!
कुछ ही देर में मेरी चूत ने उसके मुँह पर सारा पानी छोड़ दिया और वह मज़े से मेरी चूत का पानी पी गया.
अब उसने मुझसे कहा- बेबी, मेरा लंड चूसोगी?
मैंने उसे साफ़ मना कर दिया.
वह मेरी आंखों में वासना से देखता हुआ चूसने के लिए इशारा करने लगा.
मैंने साफ बोल दिया कि मैं लंड नहीं चूसूंगी.
उसने कहा- तो चलो हो गया. अब हम दोनों वापस चलते हैं.
मैंने कहा- क्यों मेरी लेना नहीं है?
वह कुछ नहीं बोला.
उसका मन था कि मैं उसके लौड़े को चूस कर उसे भी मजा दूँ.
उसकी इस बात को मैंने समझ लिया और उसके गले लग कर उसे मनाया, तब जाकर वह चुदाई के लिए राजी हुआ.
अब मैं उसका लंड चूसने के लिए मान गई थी.
मैंने अपना मुँह खोला और उसका सुपारा चाटने लगी.
मेरे मन की अजीब सी स्थिति को बदलने में देर न लगी और मुझे लंड चूसने में अच्छा लगने लगा.
मैंने उसके एक इंच लंड को अपने मुँह में ले लिया और जीभ से लिक लिक करके लौड़े को चूसने लगी.
उसने उसी समय मौका देखा और एक ही झटके में अपना पूरा का पूरा लंड मेरे मुँह में पेल दिया.
उसका लंड मेरे गले में जाकर फंसने लगा था.
फिर मैंने उसका लंड करीब 20 मिनट तक चूसा और उसने अपने लंड का सारा पानी मेरे गले में छोड़ दिया.
पानी छोड़ने के बाद भी वह अपने लंड को मेरे मुँह में दिए रहा, जिस वजह से मुझे उसका सारा पानी पी जाना पड़ा.
कुछ देर बाद उसने लंड बाहर निकाला और मुझसे पूछा- कैसा लगा स्वाद?
सच में मुझे अच्छा लगा था.
मैंने कहा- हां मुझे अच्छा लगा.
उसने कुछ देर बाद फिर से लंड चूस कर खड़ा करवाया और अब उसने मुझे लेटा दिया.
उसने मेरी जांघों को पूरा खोल दिया और मेरी चूत के मुख पर अपना लंड रगड़ने लगा.
वह मेरी चूत में लंड पेलने की कोशिश करने लगा.
लेकिन मेरी सीलपैक चूत काफी टाइट थी तो उसका लंड मेरी चूत नहीं जा रहा था.
फिर उसने बाथरूम से बॉडीलोशन लाकर अपने लंड पर लगाया और मेरी चूत की फांकों में भी थोड़ा बॉडीलोशन लगा दिया.
फिर उसने चूत के छेद पर लौड़े को रखा और एक ही झटके में लंड पेल दिया.
उसने अपना आधा लंड मेरी चूत में डाल दिया, जिससे मुझे काफी दर्द होने लगा, मेरी आंखों से आंसू आने लगे.
मैं दर्द से कराह उठी और बोली- लंड बाहर निकालो, मुझे दर्द हो रहा है.
लेकिन उसने मेरी चूत में अपना लंड पेले रखा.
वह मेरे ऊपर लेटा रहा और मुझे सहलाता रहा.
करीब 5 मिनट बाद मुझे थोड़ा ठीक लगा तो उसने एक और झटके में अपना पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अन्दर तक चला गया था.
कुछ दर्द के बाद अब मुझे टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स का मज़ा आने लगा.
मैं अपनी गांड उठा उठा कर उसके झटकों में उसका साथ देने लगी.
वह भी बेदर्दी से मेरी चूत को चोदता रहा.
मैं मज़े से अपनी चूत चुदवाती रही.
कुछ बीस मिनट की चुदाई के बाद उसने अपना सारा पानी मेरी चूत में छोड़ दिया और मेरे ऊपर ही लेटा रहा.
बाद में हम लोग साथ में नहाने बाथरूम में चले गए. नहाने के बाद उसने एक बार फिर से मेरी चूत को चोदा.
फिर हम लोग उधर से निकल आए.
मेरी टीनएजर गर्ल फर्स्ट सेक्स की कहानी आपको कैसी लगी?
आप अपनी राय मुझे मेल कर सकते हैं.
sauravjaikar2@gmail.com
लेखक की पिछली कहानी थी: गृह प्रवेश में भाभी की चूत में लंड प्रवेश
What did you think of this story??
ये कहानी मेरी और रिया की है। हम दोनो के नाम इसमें Antarvasna बदले हुए हैं। दरसल, रिया मेरी मौसी की लड़की है।
मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी मम्मी की मौसी की लड़की की लड़की। रिया मुझसे दो साल बड़ी है। रिया के परिवार से हमारे बहुत अच्छे रिश्तें है।
रिया को मैं बहन ही मानता था। परन्तु, मुझे रिया की बड़ी बहन रानी और उसके बड़े भाई ने ही बिगाड़ा था।
रिया की नानी मेरी नानी के घर के पास ही रहती थी क्योंकि वो बहुत छोटी उम्र में ही विधवा हो गई थी और उनके केवल दो लड़की ही थी। इसीलिए मेरे नाना उनको अपने पास ही लियाऐं थे। और उनको अपना एक घर भी दे दिया था।
रिया की नानी अकेली रहती थी इसीलिए रिया की मम्मी ने गाँव में नानी के पास अपनी बड़ी लड़की रानी को छोड़ दिया था।
हुआ यूँ कि एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ नानी के घर गया। शाम को मैं नानी के घर से रिया की नानी के घर चला गया। वहाँ पर मुझे रिया की बड़ी बहन रानी मिली।
रानी ने दरवाज़ा खोला और मुझको अंदर बुला लिया। मैं अंदर पहुँचा और एक खाट पर बैठ गया। वहीँ पर रानी भी मेरे पास बैठ गई। कुछ देर तो उसने मुझसे बात की। फिर थोड़ी देर बाद वो लेट गई और अपनी सलवार में हाथ डालकर हिलाने लगी।
कुछ देर तो मैं भी यूँ ही देखता रहा और फिर मैंने पूछा के ये क्या कर रही हो। उसने कहा के मेरी चूत में खुजली हो रही है। मैं इसको खुज़ा रही हूँ।
मैंने कहा- ये चूत क्या होती है तो वो बोली अभी तू बच्चा है बड़ा हो कर जब चूत मारेगा तो सब समझ जाएगा।
मैंने कहा- मारेगा?
तो वो बोली- हाँ तभी तो बच्चे पैदा होते हैं।
मैंने कहा- इसे कैसे मारते हैं?
वो बोली- किसी से तू कुछ कहेगा तो नहीं?
मैंने कहा- नहीं।
तो बोली- वादा कर !
मैंने कहा- वादा रहा।
फिर उसने झट से अपनी सलवार उतार दी और मुझसे बिल्कुल चिपक गयी। मुझे कुछ पता ही नही था मेरी समझ में नही आ रहा था कि हो क्या रहा है। फिर मैं बोला- ये क्या कर रही हो?
वो बोली- चूत मारना सीखना है या नहीं?
मैं चुप रहा।
फिर वो बोली- तू मुझको आज खुश कर दे फिर तुझको मैं रिया की चूत भी दिलवा दूँगी.
मैंने कहा- रिया की?
वो बोली- हाँ। रिया को कुछ दिन बाद एक लंड की जररूत होगी और तुझको एक चूत की। इसीलिए, तुम दोनो आपस में कर लेना।
मैंने कहा- अभी क्यों नही तो बोली अभी रिया छोटी है।
मैंने कहा- कितने दिन और लगेंगे उसको वो बोली जब वो बडी होगी जब मैं तेरे से ही उसकी सील तुडवाऊंगी। अब तू चुप हो जा मुझको मज़ा आने लगा है।
फिर मैं चुप हो गया और उसे बस करते हुए देखता रहा उसने धीरे से मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को निकालकर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी और बीच-बीच में बोल रही थी कि खड़ा कर मुझे पता नही था कि खड़ा कैसे होता है।
फिर उसने मेरे छोटे से लंड को अपनी चूत पर रखकर ज़ोर से झटका मारा पर मेरा लंड हल्का सा ही अंदर गया था वो बोली इसे अंदर डाल ना मैं भी कोशिश करने लगा तो मेरा लंड उसने हाथ से पकड़कर अंदर कर दिया और धीरे धीरे हिलने लगी अब उसका पानी निकलने लगा था।
वो बोली मुझको मज़ा आ रहा है थोड़ी देर और अंदर की तरफ ज़ोर लगा और ऊपर-नीचे हो।
मैंने ऐसे ही किया थोड़ी देर बाद फिर वो बोली अब हट जा मुझको तूने मज़ा दे दिया। और उसने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया। फिर वो मेरे लंड को पकड़ कर बोली ये अभी छोटा है इसे बड़ा करना पड़ेगा। क्योंकि लंड जितना बडा और मोटा होता है उतना ही लडकी और औरत को मज़ा आता है औरत और लडकी को बार-बार चुदने के लिए कहीं ओर नही जाना पडता और तुझको भी तो बहुत मज़ा आएगा। क्योंकि तेरा लंड भी तो टाईट और सही जायेंगा। जब लंड, चूत और गाँड में टाईट और सही जाता है तो फिर दोनो को खुब मज़ा आता है।
फिर उसने मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ङाल लिया और उसे चाटने लगी और उसे आइस्क्रीम की तरह चूस भी रही थी।
फिर दरवाज़े पर कोई आ गया। उसने मेरे लंड को मुंह से निकाला और पैंट के अंदर कर दिया और मुझ से बोली अपनी पैंट बंद कर ले।
फिर वो उठी और सलवार का नाडा बाँधते हुए दरवाज़ा खोलने चली गयी। वहाँ पर एक पड़ोस का आदमी था। उन दोनो में कुछ बात हुई और वो चला गया फिर रानी अंदर आई।
मैं बोला- अब रिया की सील कब तुड़वाओंगी फिर वो बोली अभी तेरा बहुत छोटा है इसे बड़ा कर।
मैंने पूछा- ये बड़ा कैसे होगा।
वो बोली- इसे चुसवाना !
मैंने कहा- तो तुम्ही बड़ा कर दो !
वो बोली- ठीक है। लेकिन जब तू मुझे मिलेगा तो मैं तेरा ये बड़ा करूंगी और तू मुझे खुश कर देना।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैं अपनी नानी के घर आया और रात को खाना खाकर सो गया। सुबह हम जल्दी उठे और अपने घर पर आ गये।
अब मेरा रानी से कोई कॉन्टेक्ट नही था। दो साल बाद मैं एक दिन रिया के घर गया वहाँ पर मुझे रिया का बड़ा भाई मिला। वो दिन राखी का दिन था।
रिया की गली की एक लड़की आई हुयी थी जो रिया की सहेली थी। उसका नाम अंजू था। अंजू का रंग एक दम गोरा बिलोरी आँखें चूची छोटी छोटी बाल लंबे उसने एक महरुन फ्राँक पहन रखा था। फिर कुछ देर बाद रिया के घर पर हम छुपा छुपी का गेम खेलने लगे।
रिया, मैं, रिया का बड़ा भाई, अंजू और गली के कुछ बच्चे। मैं, अंजू और रिया बड़ा भाई एक स्टोर रूम में छुप गये।
वहाँ पर मैंने देखा के रिया का बड़ा भाई अपना लंड निकल कर खड़ा था। उसका लंड बहुत बड़ा था। और वो अंजू को अपनी तरफ खींच रहा था। अंजू मना कर रही थी। और कह रही थी की गॅप सब को बता देगा। फिर रिया के बड़े भाई ने मुझसे पूछा के तू बताऐंगा तो नही।
मैंने कहा- एक शर्त पर, अगर मुझे भी सिख़ाओगे तो !
वो बोला ठीक है। रात को सब कुछ बता दुंगा।
फिर उसने अंजू की फ्राक ऊपर की और उसकी कच्छी उतार दी। वो संदूक पर बैठा और अंजू को अपने ऊपर बैठा लिया और अंजू को ऊपर-नीचे करने लगा। कुछ देर बाद मुझे रानी की लंड बड़ा करने की बात याद आ गई।
मैं भी अंजू के मुहूँ में लंड देना चाहता था पर दरवाज़े पर खट खट की आवाज़ हुई अंजू एक दम खड़ी हो गई और अपनी कच्छी ऊपर की और हम सब बाहर आ गये।
अब रिया के बड़े भाई की ढूंढने की बारी थी। अब की बार मैं और अंजू उस ही स्टोर में छुप गये। मैंने धीरे से अंजू का हाथ पकड़ लिया।
वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। मैंने उससे पूछा की तुम क्या कर रहे थे। वो बोली तेरा भाई मेरी चूत मार रहा था।
मैंने कहा अच्छा तो ये बात है। फिर वो बोली तू भी मेरी चूत मारेगा क्या। मैंने कहा नही मुझे तो अपने लंड को बड़ा कराना है।
वो बोली- अच्छा तो लंड चूसवाना चाहता है। चल ठीक है, वो बोली निकाल अपना लंड देखो कितना बड़ा है।
मैं बोला- खुद ही निकाल ले।
उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड निकाल लिया।
जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ तो मेरा लंड बड़ा हो गया और एक रोड के समान सखत हो गया।
फिर मुझे अच्छा भी लगने लगा तो बोली तेरा लंड तो बड़ा हो गया मैंने कहा इसे और बड़ा कर। तो वो बोली, किसी को मारेगा क्या फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। करीब पाँच मिनट बाद वो बोली क्या पहली बार कर रहा है। तो मैंने उससे रानी के बारे में बता दिया।
तो वो बोली- रानी ने अपने भाई के साथ ही कर लिया।
तो मैंने कहा- तू भी तो भाई को राखी बाँधती है। वो बोली हम सगे तो नही है। मैंने कहा हम भी सगे नही है। फिर वो बोली चल बाहर चल वरना सब को शक हो जाऐगा।
फिर हम बाहर आ गयें और अंजू अपने घर जाने लगी।
अंजू बोली- गॅप घर आ जाना !
मैंने कहा- ठीक है।
रात को मैं और रिया का बड़ा भाई अंजू के घर चले गये। अंजू के घर पर केवल वो और उसकी छोटी बहन ही थी। फिर मैंने भाई से कहा मुझे भी सीखना है।
वो बोला अभी रूक जा उसकी छोटी बहन को सो जाने दे। रात को करीब एक बजे अंजू हुमारे पास आ गई।
अब भाई मुझसे बोला तूने कभी चूत देखी मैंने कहा नही तो अंजू हँस पड़ी। मैं उसकी हँसी का मतलब समझ गया था। क्योंकि मैंने शाम को उसे रानी के बारे में बताया था। फिर भाई ने उसकी फ्राक ऊपर की और मैंने देखा कि अंजू ने फ्राक के नीचे कुछ भी नही पहन रखा था। फिर भाई ने उसे लिटाया और उसकी टांग ऊपर कर के चौडा दी। फिर वो बोला देख ये होती है चूत।
मैने देखा कि अंजू की चूत एक दम गुलाबी थी और उस पर घूघंराले बाल थे। फिर भाई बोला बहन की लोड़ी ! मैंने तुझसे कहा थे के बाल साफ कर लेना।
वो बोली- बहन के लंड ! तूने मुझको टाइम ही कहाँ दिया।
फिर भाई बोला- बहनचोद आज तेरी चूत ना फाडी तो मैं भी मर्द नही।
इतने में अंजू ने मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली तेरा लंड बड़ा करूं और उसने मेरी पैंट उतार दी। और अंडरवियर के बीच में हाथ डालकर लंड निकाल लिया।
फिर भाई से बोली ओऐं बहन के लौड़े ! जल्दी से चोद। मुझे वापिस अपनी बहन के पास जाना है।
वो बोला- ठीक है।
भाई ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे चूत मारने का तरीका बताने लगा। भाई ने अंजू की चूत की दोनो तरफ की खाल अलग कर दी।
अब उसकी चूत साफ दिख रही थी। भाई ने अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के लाल दाने पर रखा और एक ज़ोर से झटका दिया। अंजू को बहुत दर्द हुआ।
उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपना सर इधर उधर हिलाने लगी। और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था। फिर भाई थोड़ी देर रुका। अंजू भी मुझे देख रही थी और मुझे भी मज़ा देना चाहती थी पर दर्द के कारण कुछ कर नही पा रही थी।
फिर कुछ देर बाद उसका दर्द बंद हुआ। फिर वो बोली कर ना ! जल्दी मुझे जाना है। और वो मेरा लंड पीने लगी अब मुझे और भी अच्छा लग रहा था। फिर भाई उसे चोदने लगा।
कुछ देर बाद अंजू के मुँह से निकाला के ज़ोर से चोद मेरी चूत फाड़ और वो मेरे लंड को जोर से और पागल की तरह चूस रही थी। फिर वो भाई से बोली लंड निकाल मैं झडने वाली हूँ। भाई ने अपना लंड निकाला तो भाई के लंड से सफेद पानी निकला।
मैं बोला- ये क्या है?
तो भाई बोला- इसी से बच्चे बनते हैं। इसी तरह का पानी इसकी चूत छोड़ रही है।
फिर मैंने कहा- मुझे देखना है !
तो भाई ने अंजू की टांग ऊपर की और उसकी चूत फाड़कर दिखाने लगा। तो अंजू की चूत से खून और सफेद पानी निकल रहा था। वो बोला आज इसकी सील टूटी है। इसी लिए इसकी चूत से खून निकल रहा है।
फिर मैं अंजू के पास गया और अंजू अपने आप ही मेरे लंड पकड़ कर चूसने लगी कुछ देर बाद मुझे अंदर कुछ अच्छा महसूस हुआ और मेरा सारा पानी अंजू के मुँह में निकल गया।
वो बोली ये क्या किया गंदा ना हो तो। मैंने कहा मुझे पता ही नही चला। फिर वो उठी और अपने आप को साफ करके और अपने कपडे सही करके चली गई।
अब मुझे रिया के बारे में ख्याल आने लगा कि मैं भी उसकी सील तोड़ूंगा। क्योंकि मुझे रिया की बड़ी बहन ने वादा किया था।
फिर उस रात मैंने भाई से सारा गुप्त ज्ञान ले लिया। और उसके बाद उसकी बहन रिया को और रानी को, अपनी बुआ को, पडोस की तीनो बहुओं को, अपनी सग़ी चाची को, अपने मामा की लड़की को, अपनी दो मेडम को, अंजू को, अपने गुरु की तीसरे नंबर की लडकी को चोदा और इनके अलावा भी कईयों को चोदा है। Antarvasna
मेरे घर कुछ दिन Sex Stories पहले मेरी छोटी दादी (पिताजी की चाची) आई। उनके साथ कोई उनके मायके की भतीजी थी। उन्हें मेरे ही कमरे में ठहराया गया।
मेरी पारखी नज़रों ने मुझे बताया कि चांस मारा जा सकता है। फ़िर मुझे पता चला कि उनके पति स्वर्गवासी हैं, तो मैंने कुछ भी ऐसा-वैसा करने का इरादा छोड़ दिया।
पर उन्होंने मेरा हौसला खाने के वक्त बढ़ाया। मेज़ के नीचे बार-बार मेरा पैर अपने पैर से रगड़ती रहीं।
फ़िर मैंने ख्याल किया उनके नीचे गले वाले ब्लाउज से बाहर झांकते स्तनों का। कुछ नहीं तो 36 सी आकार रहा होगा।
मेरा तो कलुआ खुशी से उठ खड़ा हुआ जब पता चला कि उन्हें मेरे कमरे में ठहराया गया है।
वे मेरे बिस्तर पर चैन से सो रहे थे। दादी साइड में थी। सीमा – उनका नाम था- किनारे पर इस तरफ थी। और मैं अपने सिस्टम पर प्रोग्रामिंग का अभ्यास कर रहा था। पर दिमाग अलग ही प्रोग्रामिंग में लगा था।
जब मैंने देख लिया कि अब सब गहरी नींद में हैं तो उठा। अभी मुझे चेक करना था कि क्या सही में सीमाजी और कितनी हद तक एक्सेसिबल हैं।
मैंने कम्बल ओढ़ाने के बहाने उनके एक बेल को मसला। उनकी आंख झट से खुली। मैं डरा, पर उनकी मुस्कान ने मुझे ग्रीन सिग्नल दे दिया।
फिर दादी को कम्बल ओढ़ाने के बाद मैंने उनके कम्बल को पैर से सर तक सही किया, एक बार। वो भी एकदम अच्छे तरीके से। पर देखा दादी अभी करवट ले रही है, इसलिये फ़िर से मशीन पर बैठ गया।
बैठा था मैं जो करने, वहाँ ध्यान ही नहीं था। मैं उन लड़कियों और औरतों के बारे में सोच रहा था, जिनके साथ खेला हुआ था, या मैंने करना चाहा था।
मुझसे रहा नहीं गया। मैं उठ कर बाथरूम चला गया। वहीं हस्तमैथुन करने लगा, एकदम से भीतर जाकर।
तभी मुझे लगा कोई आया बाथरूम में। रात के एक बज रहे थे, सो मैंने बन्द नहीं किया था। पता नहीं कौन होगा, सोचकर मैंने खांसी की। पर देखा कि वो मेरे सामने आकर मुस्कुरा रहीं हैं, सीमाजी!!
मैं सकपका गया। एकदम सावधान खड़ा हो गया। वो मुस्कुराते हुए चली गईं।
मैं अब आकर सोफ़े पर एक चादर लेकर सो गया। देखा वो करवटें ले रही थी। और उनकी चूचियाँ छलक-छलक के बाहर आ रही थी।
एकबार जब वो शान्त हुई, तो मैंने हिम्मत की। डर मुझे इतना ही था कि ये मेरे पापा की सम्बंधी लगती एक रिश्ते में, बस।
मैं उनके छाती पर धीरे-धीरे ऊँगलियों से हरकत कर रहा था। थोड़ी देर बाद पूरे हाथ से दबाना शुरू किया उनके बेल के आकार के स्तनों को।
उन्होंने अपने दोनों हाथ जांघों के भीतर दबा कर डाल लिये। जगी तो वो थी ही, अब आंखें भी खोल ली उन्होंने और मुझे इशारा किया ब्लाउज खोलने को।
पैकिंग और अनपैकिंग के काम मेरा हाथ तेज है। मैंने झट-पट ब्लाउज के साथ ब्रा भी खोल दिया।
अब उनको मस्ती आने लगी थी। पर मैंने होठों पर हाथ रख कर आवाज ना करने को कहा।
वो हाथ पैर फेंक कर दादी को डिस्टर्ब करे उससे पहले मैंने उनसे सोफे पर चलने को कहा।
सोफे पर जाते ही उन्होंने मेरा सर अपनी तनी हुई चूचियों वाली छाती पे लगा दिया। मैं भी लगा चूसने कस के।
सिसकारी निकलने लगी तो मैंने उनके मुँह पर हाथ रख दिया। वो बड़े-बड़े बोबे, दोनों हाथों से पकड़ो तो हाथ मे आयेंगे। मैं सब कुछ भूल कर दूध पी रहा था उसका।
वो भी जन्नत की हूर थी, कैसे आ गई मेरा रात रंगीन करने!!! जो गठीला बदन था, आजकल पैसा खर्चने पर भी वैसी आइटम नहीं मिलेगी।
जब मेरा मन भर गया ऊपर से तो मैंने नीचे की ओर देखा। उन्होंने सहमति में सर हिलाया।
मैंने धीरे से साड़ी के भीतर हाथ डाला। पूरे पैर को सहलाते हुए जांघों तक पहुँचा। इस बीच उनके हाथ मेरे लुंगी के भीतर मेरे लोहे जैसे गर्म और सख्त टूल को टटोलने लगे थे।
वो मेरे साइज से बेहद खुश थी। एक ही बार में भूखी शेरनी जैसे भेड़िये को खाती है, मेरे तीसरे पैर को डाल लिया अपने मुँह में।
मैं सिहर उठा। आज मैं सातवें आसमान में उड़ रहा था। मेरे हाथ अब उस चूत की ओर बढ रहे थे जिसे उन्होंने बताया कि 3-4 साल से जल रही थी।
सच में किसी ऑवन से कम गर्मी न थी। पर सारा लव-होल एरिया जंगल से भरा था। वो चाहती थी, मैं चाटूं। पर बालों ने मेरा उत्साह कम कर दिया।
पर उन्होंने मेरा मन खुश किया था, तो मैंने कहा कि आज मैं टेस्टर से चेक कर लूँ कि कितना कर्रेंट है, फिर कल मुँह डालूंगा, इतना गरम है कि क्या पता मुंह जल जाए।
वो मेरे बात से सहमत थी।
मैंने अपना रॉड गाड़ दिया उनके आग के कुंए में। कसम से आज मैं समझा कि जिसको हम चरित्रहीनता कहते हैं, वो उसके अन्तःमन की दबी हुई आग की चिन्गारी भर होती है, अन्तर्वासना होती है।
एक सम्पूर्ण संतुष्टि का भाव था उनके चेहरे पर उस वक्त।
सालों से ना चुदने की वजह से उनके लव-स्पॉट की दीवारें तंग हो गई थी। बड़ी दिक्कत हो रही थी मुझे। मैं उठ कर अपने रसोई से मक्खन ले आया। गर्मी तो इधर इतनी थी कि मक्खन पिघलते देर नहीं लगी।
खैर मैं उत्तेजना की वजह से दस मिनट से ज्यादा सम्हाल न सका। पर वो खुश थी।
उसके बाद 2-3 दिन और रुके वो लोग… Sex Stories
बारहवीं कक्षा पास करने के -Antarvasna बाद जब मैंने कॉलेज में दाखिला लिया तो वहाँ नई सहेलियाँ बनीं. दो चार दिन में ही उनकी बातें सुन सुनकर मुझे यह एहसास हो गया कि मैं कितने पिछड़े क़िस्म के स्कूल से पढ़ कर आई हूँ. उनकी बातें और अनुभव सुनकर मेरे अन्दर भी किसी से प्यार करने की इच्छा जागृत हो गई, सीधे शब्दों में कहूँ कि मैं चुदवाने के लिए बेताब होने लगी.
कॉलेज में ज्यादातर लड़कियाँ अपनी स्कूटर या कार से आती जाती थीं, मैं और तीन चार अन्य लड़कियाँ ही सिटी बस से कॉलेज आती जाती थीं.
एक दिन कॉलेज से निकलने के बाद मैं बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार कर रही थी कि एक हॉण्डा सिटी कार मेरे पास आकर रुकी, कार अमित अंकल चला रहे थे, अमित अंकल पापा के दोस्त थे और हमारे घर के सामने ही रहते थे.
उन्होंने मुझसे पूछा- घर चलना है?
मेरे हाँ कहते ही उन्होंने कार का दरवाजा खोला, मैं उनके बगल की सीट पर बैठी और थोड़ी ही देर में घर पहुँच गई.
घर पहुँचने के काफी देर बाद तक मेरे जहन से बस और कार के सफ़र का फर्क निकल नहीं पा रहा था, मैं सोच रही थी कि कितना सुखी रहता है कार में सफ़र करने वाला! ना धूल मिटटी, ना गर्मी, ठाठ से ए.सी. में बैठकर सफ़र कीजिए.
अब अक्सर यह संयोग होने लगा कि मेरे कॉलेज से निकलने के समय अमित अंकल उधर से गुजरते और मुझे साथ ले लेते. मेरे पापा भी खुश हो जाते कि आज भी वापसी का बस का किराया बच गया.
एक दिन मेरे कार में बैठते ही अमित अंकल ने पूछा- दस पन्द्रह मिनट देर हो जाए तो कोई परेशानी तो नहीं है ना?
मैंने कहा- नहीं अंकल, कोई परेशानी नहीं है!
अमित अंकल ने कार एक रेस्तरां के बाहर रोकते हुए कहा- इसका डोसा बहुत टेस्टी है!
पापा के साथ इस रेस्तरां में आने के बारे तो मैं सोच भी नहीं सकती थी, वो एक नंबर के कंजूस आदमी हैं. खैर, हमने डोसा खाया और घर आ गए.अब हर दूसरे चौथे दिन हमारा इसी तरह कहीं खाने पीने का प्रोग्राम होने लगा. एक दिन रेस्तरां में कॉफ़ी पीते पीते अमित अंकल बोले बहुत दिनों से पिक्चर देखने का मन हो रहा है, अगर कहो तो कल चलें, रानी मुखर्जी की नई फिल्म लगी है.
मैंने कहा- कल कब?
अंकल ने कहा- कॉलेज बंक करके, तुम्हारे घर किसी को पता भी नहीं चलेगा.
कुछ अंकल के अहसान, कुछ नई उमंग और कुछ अनजानी सी चाहत ने मेरे मुँह से हाँ निकलवा दी.
अगले दिन तय कार्यक्रम के हिसाब से हम मिले और पिक्चर देखने सिनेमा हॉल में पहुँच गए. इंटरवल तक आराम से पिक्चर देखी और बातचीत करते रहे. इंटरवल में अमित अंकल पॉप कॉर्न और कोका कोला ले आये. पिक्चर चलती रही और हम पॉप कॉर्न खाते रहे, पॉप कॉर्न लेने के दौरान कई बार एक दूसरे से हाथ छू हो गया तो अमित अंकल ने कहा- मनमीत जब तुम्हारा हाथ छूता है तो मेरे शरीर में कर्रेंट सा दौड़ जाता है, तुम्हें कुछ नहीं होता क्या?
मैं कुछ नहीं बोली तो अमित अंकल ने मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर पूछा- मेरे छूने से तुम्हे कुछ नहीं होता क्या?
मैंने धीरे से कहा- होता है!
तो उन्होंने मेरा हाथ चूम लिया, अपने दोनों हाथों में मेरा हाथ छुपा लिया और बोले- यह हाथ मैं कभी नहीं छोडूंगा!
इसके बाद लगभग रोज ही मैं उनके साथ आने जाने लगी और हम लोगों में छूने और चूमने का काम शुरू हो गया.
एक रात को एक बजे मेरे मोबाइल पर अमित अंकल का कॉल आया- क्या कर रही हो?
मैंने कहा- सो रही थी!
तो बोले- मनमीत, हमारी नींद उड़ाकर तुम सो रही हो?
इसके बाद रोज़ रात को हम लोगों की बातचीत शुरू हो गई. बातचीत का विषय चलते चलते यहाँ तक आ पहुँचा कि अमित ( अमित अंकल कहना मैं छोड़ चुकी थी ) बोले- जिस दिन तुम्हारी चूत के गुलाबी होठों को खोलकर अपना लंड उस पर रखूँगा, तुम जन्नत में पहुँच जाओगी.
वास्तविकता यह थी कि अमित मुझे चोदने के लिए जितना बेताब थे मैं चुदवाने के लिए उससे ज्यादा बेताब थी. अमित की कल्पना करके ना जाने कितनी बार उंगली से काम कर चुकी थी.
खैर, जहाँ चाह वहाँ राह!
वीना आंटी ( अमित की पत्नी ) कुछ दिनों के लिए अपने मायके गई. रात को अमित का फ़ोन आया- कल का क्या प्रोग्राम है?
मैंने कहा- कुछ नहीं! आप बताएँ!
तो बोले- कल कॉलेज बंक करो, मैं भी ऑफिस नहीं जाता! मेरे घर आ जाना, दोनों मिलकर अच्छा सा खाना पकायेंगे, खायेंगे.
मैंने कहा- ठीक है, आप अपने घर का पिछला दरवाज़ा खुला रखना, मैं पीछे से आऊँगी.
इतना सुनकर अमित ने फ़ोन काट दिया.
मैंने अपना दाहिना हाथ अपनी चूत पर फेरते हुए कहा- मुनिया रानी ( चूत का यह नाम कॉलेज की लड़कियों ने रखा था) कल तुझे लंड की प्राप्ति होने वाली है! तैयार हो जा!
मैं सुबह थोड़ा जल्दी उठी, अपनी चूत के आस पास के अनचाहे बालों (झांटों) को साफ़ किया, अच्छे से नहा धोकर तैयार हुई, सुन्दर सा सूट पहना और मम्मी से ‘कॉलेज जा रही हूँ’ कहकर घर से निकल पड़ी.
चुदवाने के ख्याल से दिल बल्लियों उछल रहा था, मन में हल्का सा डर भी था लेकिन डर पर चाहत भारी थी. अमित के घर पिछले दरवाज़े पर हाथ रखा तो खुल गया. अन्दर घुसकर दरवाजा बंद किया तो तौलिया लपेटे अमित मेरे सामने आ गए, शायद नहाने जा रहे थे.
पहली बार उन्हें इस रूप में देखकर मैं रोमांचित हो गई. अमित करीब पचास साल के 5 फुट 10 इंच लम्बे हृष्ट-पुष्ट व्यक्ति थे, बालों से भरा उनका सीना उनसे लिपट जाने की दावत दे रहा था.
एक कदम मैं आगे बढ़ी और दो कदम अमित. मैं उनके सीने से लग गई, उन्होंने मेरे माथे पर चूमा, मेरे चूतड़ों को हल्के-हल्के हाथों से दबाने लगे, मैं बेहाल होती जा रही थी.
अमित ने एक एक करके मेरे सारे कपड़े उतार दिए, संतरे के आकार के मेरे मम्मे देखकर उनकी आँखों में चमक आ गई और मेरी चूत के दर्शन करते ही वो पागल से हो गए और अपने होंठ मेरी चूत पर रखकर चूमने-चाटने लगे. उनके चाटने से मेरी चूत भयंकर रूप से गीली हो गई और चुदने के लिए बेताब हो गई. अमित चूत को चाटते ही जा रहे थे, मैंने उनका तौलिया खींच कर अलग कर दिया. तौलिया हटते ही उनका लंड मुझे दिख गया, अमित का लंड देखते ही मेरी तो गांड ही फट गई और चुदवाने का नशा हिरण होने लगा.
कारण यह कि अमित का लंड करीब 8 इंच लम्बा और काफी मोटा था, मुझे मालूम था कि यह मेरी चूत का भुरता बना देगा.
मैंने अपने जीवन में इससे पहले सिर्फ एक बार लंड देखा था, वो भी अपने पापा का. एक बार रात को मैं बाथरूम जाने के लिए उठी तो देखा मम्मी पापा के कमरे की लाईट जल जल रही थी, उत्सुकता से खिड़की की झिर्री से देखा कि मम्मी नंगी लेटी हुई हैं और पापा अपने लंड पर कंडोम चढ़ा रहे थे. पापा का लंड करीब 4-5 इंच लम्बा रहा होगा. आप ही सोचिये कोई बीस साल की कुंवारी लड़की जो 4-5 इंच का लंड अपनी बुर में लेने के लिए मानसिक रूप से तैयार हो, उसे आठ इंच लम्बा अच्छा खासा मोटा लंड दिख जाए तो वो घबरायेगी या नहीं?
मुझे ख्यालों में खोया देखकर अमित बोले- क्या हुआ जान?
मैं कुछ नहीं कह सकी, मैंने कहा कुछ नहीं. अमित मेरे करीब आ गए और मेरा एक मम्मा अपने मुँह में ले लिया तथा दूसरे पर उँगलियाँ फिराने लगे. इस सबसे मुझमें उत्तेजना भर गई. अमित ने अपना एक हाथ मेरी चूत पर रखा और अपनी उंगली अन्दर-बाहर करने लगे.
मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैं चुदासी हो चुकी थी. मैंने कहा- अमित अब मेरे अन्दर समा जाओ!
अमित उठे, मेरी टांगों के बीच आकर अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के होठों पर रखा, हल्के से दबाया और सुपारा चूत के अन्दर!
एक झटके में आधा लंड और दूसरे झटके में हल्के दर्द के साथ पूरा लंड मेरी मेरी मुनिया रानी के अन्दर जा चुका था. मैं हैरान थी कि जिस लंड को मैं देखकर डर रही थी वो कितनी आसानी से मुझे चोद रहा था.
करीब आधे घंटे तक चोदने के बाद अमित उठे और अपने लंड पर कंडोम चढ़ाकर फिर जुट गए.
उस दिन अमित ने मुझे तीन बार चोदा और उसके बाद सैकड़ों बार!
आज मैं छब्बीस साल की हो चुकी हूँ, अमित से चुदते-चुदते छः साल हो चुके हैं और शायद बाकी ज़िन्दगी भी अमित से ही चुदवाना पड़े क्योंकि कंजूस प्रवृति के मेरे पापा शायद मेरी शादी कभी नहीं कर पायेंगे. बिना दहेज़ के शादी होगी नहीं और दहेज़ मेरे पापा देंगे नहीं!
मुझे क्या!
अमित अंकल जिंदाबाद!!
खाओ पियो चौड़े से, चूत चुदाओ लौड़े से! Antarvasna
मेरा नाम सुरेश है और मैं Sex Storiesअहमदाबाद, गुज़रात से हूं। मेरी उम्र 30 साल और कद 5’4′ है।
यह बात अभी की है जब मैं 3 साल के बाद विदेश से वापिस आया।
अहमदाबाद में जो मेरे पुराने साथी थे वे सभी अपने अपने काम में व्यस्त हो गए थे इस लिए अहमदाबाद मेरे लिए एक नया शहर हो गया था और मुझे एक साथी की तलाश थी।
मेरे जो एक दो पुराने दोस्त मिले, उनसे इस बारे में बात कि तो एक ने मुझे एक फ़ोन नम्बर दिया जो वास्तव में एक विधवा का था और उसकी एक सात साल की बच्ची है।
तो मैंने उसको फ़ोन लगाया और बताया कि मैं कौन बोल रहा हूं और किसने मुझे उसका नम्बर दिया है, तो वो मुझसे बात करने लगी।
पहले पहले हम बस सीधी सीधी बातें करने लगे और हमें रोज़ बात करने की आदत सी हो गई।
बातों बातों में मुझे यह भी पता नहीं चला कि वो मुझसे इतनी प्रभावित हो गई कि उसने एक दिन मुझे अपने घर मिलने के लिए बुलाया और मैं चला गया।
जैसे ही मैं उसके घर गया तो उसकी बेटी ने दरवाज़ा खोला जो बहुत प्यारी थी। लेकिन मैंने जैसे ही उसकी मम्मी को देखा तो मेरे होश उड़ गए।
क्यों?
अरे ! वो इतनी खूबसूरत नहीं थी जितना मैंने सोचा था।
हाँ ! वो गोरी जरूर थी लेकिन उसकी सूरत मुझे जरा भी पसन्द नहीं आई।
फ़िर हम इधर उधर की बातें करने लगे। असल में मेरे बात करने के अंदाज़ से और मेरे विदेश में रहने के कारण वो मुझसे बहुत प्रभावित थी।
थोड़ी बातें करने के बाद उसने मुझे कोल्ड-ड्रिंक दिया और अपनी बेटी को कहा- जाओ ! चिराग के घर में जाकर खेलो जो कि उनके ऊपर वाली मंजिल पे रहता था।
असल में मैं उसके घर पर यह सोच कर गया था कि कोई अच्छा साथी मिल जाए जिससे मैं अपने दिल की बातें कर सकूँ।
यहाँ पर मैं आपको बता दूँ कि मैं भी एक शादीशुदा आदमी हूँ, पर जैसा कि आप जानते हैं कि आदमी की कई ऐसी बातें होती हैं जो वो अपनी पत्नी के साथ भी नहीं बाँट सकता।
मेरे विचार में जीवन में ऐसी कितनी ही बातें होती हैं जो आप अपने निकटतम मित्रों से ही बाँट सकते हैं( ऐसे ही एक मित्र की मुझे तलाश थी)। लेकिन यहाँ तो बात कुछ और ही निकली। मेरी जरूरत थी एक खूबसूरत दोस्त जो मुझे दिल से समझ सके (सिर्फ़ सेक्स नहीं)
यहाँ इस भाभी को देखने के बाद मैंने निश्चय किया कि कम से कम इसके साथ तो मैं आगे कोई सम्बंध नहीं रखूँगा।
लेकिन उल्टा यह हो गया कि जैसे मैंने आपको बताया कि भाभी कुछ ज्यादा ही प्रभावित हो गई थी मुझसे।
अब घर में सिर्फ़ हम दोनों थे और मेरे पास कोई बात नहीं थी उससे करने को।
इतने में उसने बोला कि आओ हमारा घर देख लो।
मैं और वो अपने हाथों में गिलास लिए खड़े हुए और पहले उसकी रसोई में गए जो कि अच्छा खासा पैसा खर्च करके बनाई थी, असल में उसके पति अच्छे पैसे वाले थे और उसकी मृत्यु के बाद भाभी ने भी अच्छी नौकरी कर ली थी।
उसने मुझे रसोई के बारे में पूरी जानकारी दी पर पता नहीं मुझे क्यों ऐसा लगा कि वो जो भी बात कर रही थी वो दोहरे अर्थ में ही कर रही थी। मुझे एक और बात महसूस हुई कि जहां कहीं भी उसे मुझे छूने का मौका मिलता वो छोड़ती नहीं थी।
फ़िर वो मुझे बाहर लाई जहां हम पहले बैठे थे और हर बात बड़े विस्तार से बता रही थी। बात करते करते उसका हाथ मेरे हाथ से टकरा गया और मेरा कोल्ड ड्रिंक मेरे शर्ट पर गिर गया। उसने मुझ से माफ़ी मांगी और कहा कि आप जल्दी से शर्ट उतार दीजिए, मैं साफ़ कर देती हूं।
मैंने शर्ट उतार कर उसे दी तो उसकी नज़र मेरे सीने से हट नहीं रही थी क्योंकि मेरा सीना चौड़ा है, कोलेज़ के समय से ही मैं अखाड़े में जाया करता था।
मैंने उसे फ़िर कहा- भाभी जी ! शर्ट !
वो मेरे हाथ से शर्ट लेकर बेडरूम की ओर जाने लगी तो मेरी नज़र उसके पृष्ठ उभारों पर पड़ी जो कि मुझे पांच पांच किलो के नज़र आ रहे थे और ऊपर नीचे हो रहे थे। बेडरूम में जाकर उसने मुझे आवाज़ दी-सुरेश ! यहाँ आओ ! देखो यह मेरा बेडरूम है और बाथरूम भी यहीं पर है। फ़िर उसने कहा- तुम यहीं बेड पर बैठो, मैं आपका शर्ट मशीन में डाल देती हूँ। और वो बाथरूम में चली गई।
वहाँ बैठे बैठे मैं बोर हो रहा था और पता नहीं मुझे ज़रा नींद सी आ गई। मैं सोया नहीं था पर ज़रा आंख बंद हो रही थी। थोड़ी देर में मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मेरे लण्ड पर किसी का हाथ घूम रहा है, पर मेरे मन में ऐसा कोई विचार था ही नहीं इसलिए मेरा लण्ड सामान्य ही था।
मैंने आंखें खोल कर देखा तो वो मेरे पूरे बदन को चूमने लगी तो मैं एकदम उसे रोकने लगा और कहने लगा कि आप यह क्या कर रही हैं। तो उसने कहा कि मैं तुमसे यौन सम्बंध बनाना चाहती हूँ और फ़िर मुझे जोर जोर से चूमने लगी।
दोस्तो ! विश्वास करना कि इतना सब कुछ होने के बाद भी मेरे लण्ड पर कोई असर नहीं हुआ क्योंकि मैं उसे चोदना ही नहीं चाहता था।
मेरी कोई प्रतिक्रिया ना मिलने पर उसने मुझसे पूछा कि क्या तुम मुझसे कुछ भी करना नहीं चाहते?
मैंने साफ़ मना कर दिया कि नहीं मुझे तुम में कोई रुचि नहीं है, आप अच्छी हैं, आप का स्वभाव भी अच्छा है पर मैं आपके साथ सेक्स नहीं करना चाहता।
तो उसने कहा- तो फ़िर तुम मेरे घर क्यों आए और अब तक मुझसे बातें क्यों करते रहे?
मैंने उसे साफ़ बता दिया कि मैं उसके बुलाने पर ही उसके घर आया हूं और बातें इसलिए करता रहा कि आप अपनी किसी अच्छी सी खूबसूरत सहेली से मेरी दोस्ती करा दोगी, जैसा कि आपने वादा भी किया था।
यह सुन कर वो एकदम निराश हो गई और उसकी आंखों में आँसू आ गए। तभी उसने मुझे उसकी सारी बातें बताई और मुझे एकदम भावुक कर दिया और जोर जोर से रो रो कर मुझसे चिपक गई।
उसकी इतनी सालों की वासना की भूख सुन कर मुझे उस पर तरस आ गया और मैं उसके सिर पर हाथ फ़िराने लगा।
फ़िर उसने कहा-सुरेश ! मैं तुम्हें अपनी दो तीन अच्छी सहेलियों से मिलाऊँगी और दोस्ती भी करा दूंगी, पर तुम मुझे एक बार अच्छी तरह से संतुष्ट कर दो। जब से मैंने तुम्हारा यह गोरा और चौड़ा सीना देखा है मुझसे रहा नहीं जाता।
यह बात करते करते उसने फ़िर से मेरा लण्ड सहलाना शुरू कर दिया। मैंने सोचा कि यह औरत इतने सालों से भूखी है तो क्यों ना मैं इसकी आग ठण्डी कर दूँ!
मैंने अपनी ज़िप खोल कर अपना 4 इन्च का लण्ड उसके हवाले कर दिया जो कि अभी तक उठा नहीं था।
वो मेरे लन्ड से खिलवाड़ करने लगी जैसे किसी छोटे बच्चे को खिलौना मिल गया हो।
फ़िर उसने मेरे लण्ड को अपने मुंह में ले लिया और ऐसे चूसने लगी जैसे आम चूस रही हो। अब यह तो स्वाभाविक ही है कि इतना लण्ड चुसवाने के बाद तो सत्तर साल के बुढ्ढे का भी खड़ा हो जाए, मैं तो सिर्फ़ तीस का था।
वो मेरा 7′ का खड़ा लण्ड देख कर पागल सी हो गई और जोर जोर से चूसने लगी। चूसते चूसते उसने मेरी पैन्ट और अन्डरवीयर निकाल दी थी। लगातार बीस मिनट लण्ड चूसने के बाद उसने मुझे बेड पर लेटने को कहा और उसने खुद अपने सारे कपड़े उतार दिए।
और उसने मुझे बताया कि मुझे पता है कि मेरी सूरत तुमको पसंद नहीं है, पर आज के किए तुम मुझे खुश करो।
तो ना चाहते हुए भी मैंने उसके बड़े बड़े स्तन जो कि एकदम गोरे अड़तीस इन्च के थे, दबाए फ़िर उसने अपने स्तन चुसवाए। मैं करता रहा क्योंकि मैं उसको प्यासी नहीं रखना चाहता था।
थोड़ी देर बाद वो खुद मेरे ऊपर चढ़ गई और अपने आप ही मेरा लण्ड अपनी चूत पर लगा कर अन्दर डलवाने की कोशिश करने लगी, लेकिन अन्दर नहीं जा रहा था क्योंकि उसकी चूत बहुत समय से प्रयोग ही नहीं हुई थी।
तो उसने कहा- आप अपने लण्ड को ज़रा पकड़ो, मैंने पकड़ा, फ़िर उसने अच्छी तरह से मेरे लण्ड की टोपी अपनी गीली चूत के मुँह पर जमाई और ज़रा सा जोर लगाया तो सिर्फ़ मेरा टोपा ही अन्दर घुस सका और वो चिल्ला उठी। पर वो हटी नहीं और दर्द होने के बावज़ूद दो तीन झटके लगा कर मेरा पूरा लण्ड अन्दर ले ही लिया और बिना हिले पाँच मिनट तक चुपचाप मेरे ऊपर बैठी रही (शायद दर्द के कारण!)
फ़िर धीरे धीरे हिलना शुरू होकर जो शताब्दी एक्स्प्रेस वाली गति पकड़ी कि रुकने का नाम ही नहीं लिया।
दोस्तो ! वैसे मैं चोदने में माहिर हूं और किसी भी महिला को दुनिया का स्वर्ग दिखा सकता हूं, मैं तीस चालीस मिनट तक चोदने की ताकत रखता हूँ। पर यहाँ मेरी इच्छा के विरुद्ध काम चल रहा था। मुझे उत्तेज़ना नहीं थी, मैं तो सिर्फ़ एक भूखी औरत को संतुष्ट करना चाह रहा था।
वो करीब बीस मिनट लगातार झटके लगाने के बाद आह ऊह की जोरों की आवज़ों के बाद मुझ से चिपक कर ढेर हो गई पर मुझे और मेरे लण्ड को आज़ाद करने से मना कर रही थी।
फ़िर उसने मुझे बोला कि मैं उसे अलग अलग तरीके से चोदूँ, तो मैंने उसे पाँच छः तरीकों से खुश किया और पता नहीं वो कितनी बार झड़ चुकी होगी।
तब उसने कहा कि आज के बाद अगर मैं सात जन्म तक नहीं चुदवाऊंगी तो भी अफ़सोस नहीं होगा। और रही तुम्हारी बात तो मैं तुम्हें अपनी ऐसी ऐसी दोस्तों से मिलवाऊँगी कि मुझे चोदने के बाद तो तुम्हारा नहीं छुटा पर मेरी सहेलियों को देख कर ही तुम्हारा लण्ड पानी छोड़ देगा।
दोस्तो ! विश्वास करो कि मैंने अपना खड़ा लण्ड ऐसे ही वापिस अपनी पैन्ट में समेट लिया और वहाँ से निकल लिया।
करीब दो दिन के बाद मेरे मोबाईल पर उसका फ़ोन आया और…
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