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Massage Girl in Anantapur: Premium Relaxation Services

Our site can help you find a professional massage girl in Anantapur who will help you relax in the best manner possible. We connect you with professional therapists who can offer you a massage that will make you feel better and more relaxed. The pros on our list are ready to provide you with a fantastic experience at your house or in one of their particular spots, whether you want to relax or get away from it all.

Introduction

Massage is currently one of the finest methods to relax your mind, body, and overall health. Our website makes it easy to locate the top massage services in Anantapur that meet your demands. This will be a one-of-a-kind and calming experience for you.

Tottaa wants to make it simple for clients to find the top masseuse. The Anantapur massage service providers on our list offer the greatest quality, comfort, and competence, whether you want a full-body massage or a massage for a particular location.

How Tottaa Helps Advertisers Reach More Customers

Tottaa is not only a list of masseuses, it’s also a secure location for them to show off what they can do. People in Anantapur who are seeking massage services may find them on our website. This makes them easier to find and gets them more appointments.

Advertisers may simply put up profiles, offer their services, and talk about pricing and discounts on our sites. This makes sure that the relevant people notice your Anantapur massage service, which makes it easier to obtain more customers.

Different Types of Massages We Offer

There are a lot of different types of massage services on our site, so you may choose one that works for you. You may choose the kind of treatment that works best for you, whether it’s profound rest or a particular type of therapy.

1. Swedish Massage

A calm and gentle way to ease muscular tension and improve blood flow. This Anantapur massage is perfect for you if you want to relax and forget about your concerns.

2. Deep Tissue Massage

This approach employs a lot of pressure to get to deeper muscle layers. It’s helpful for folks who have muscular discomfort or stiffness that won’t go away. There are specialists on our profiles of massage girls in Anantapur who are good at deep tissue treatments that function effectively.

3. Aromatherapy Massage

Calming massage strokes and essential oils are beneficial in making people feel improved both emotionally and physically. Most massage companies in Anantapur employ the use of custom oil preparations to make you feel good.

4. Thai Massage

A therapy that wakes you up by using a mix of regular massage, stretching, and compression. This traditional massage in Anantapur helps you relax, become more flexible, and get your mind and body back in harmony.

5. Hot Stone Massage

Heated stones are placed on various parts of the body to help with deep muscular tightness. People who want to feel good, relax, and help their muscles recover quickly can use this massage service in Anantapur

How to Book Our Massage Services

Tottaa makes it simple and fast to book. With our listings, you can see what kind of massage you want, read about the providers, see that they are free and then contact them directly. After you choose, you can book a massage in Anantapur at your convenient time and location. In order to get your desired massage services, apply the following simple steps:

Step 1: Browse Our Listings

Take a peek around our site to view a few massage professionals. Each listing gives you information about the many sorts of massages, how long they last, how much they cost, and where they are situated. This makes it easier to choose the finest ones.

Step 2: Compare and Shortlist

Examine the profiles carefully to compare how the services, talents, and reviews posted by customers differ. This phase makes sure you choose a business that has the style, pricing, and supply you desire.

Step 3: Connect with the Provider

When you have decided, use the information that you are offered so that you can contact them directly. One can communicate it to the massage giver thus making it understood what massage you want at what time and when.

Step 4: Confirm the Appointment

The date, time and place of the service, which could be your home, a hotel or the spa where the therapist may be found. You also need to agree on the payment method and any other accords prior to commencement of the course.

Step 5: Relax and Enjoy Your Massage

All you have to do on the day of the appointment is have your area ready for the house visit. The remainder will be handled by the expert. Take it easy and enjoy a massage that is made just for you.

Frequently Asked Questions

To locate a professional who can meet your needs, read our biography, reviews and advertising.

Yes, many of the therapists on our site will come to your house so you may feel safe and at ease.

You may pick based on talents since most adverts provide their qualifications in their profiles.

It would be advisable to make a reservation earlier to guarantee that you would be able to get a massage, particularly against the prevalent services of massage.

Not at all. Tottaa exclusively connects users with service providers. The doctor gets to choose how to handle payment.

Read Our Top Call Girl Story's

प्रेषक : रोहित  Sex Stories

दोस्तो, आपके बहुत सारे Sex Stories मेल मिले ! मुझे ख़ुशी हुई कि सबको मेरी कहानी पसंद आई … गुरूजी को धन्यवाद जिन्होंने मेरी कहानी आप लोगों तक पहुँचाई ….

आपका रोहित फिर से अपनी मस्त सी भाभी और उसकी बहन को एक साथ चोदने वाली कहानी अन्तर्वासना के माध्यम से लेकर आया है।

भाभी की डिलीवरी के कुछ दिन बाद उसकी बहन मीनाक्षी अपने घर चली गई।

फिर कुछ दिनों बाद मैं फिर से भाभी को चोदने लगा। मैंने भाभी को अब नए ढंग से चोदना शुरु किया, मैं रोज़ नई-नई ब्लू फिल्म लाता, जिसमें अलग-अलग स्टाइल से चुदाई होती। हम उन्हीं नए-नए स्टाइल से सेक्स किया करते …

मैंने भाभी को घोड़ी बना कर गांड मारी, उसे गोद में उठाकर फास्ट स्पीड में चुदाई की ….

एक बार मैं शहद लाया और उसे भाभी के वक्ष, गांड और चूत में लगा कर स्तनों को चूसा, चूत में जीभ डाल कर खूब मस्ती की ! इससे सेक्स का मजा दोगुना हो गया।

भाभी ने भी मेरे लंड पर बहुत सारा शहद लगा कर २० मिनट तक मुँह में लिया। क्या तो मजा आया दोस्तो ! आप भी ऐसे करके देखें ! बड़ा मजा आएगा।

जब मैं भाभी को चोदता, तब मीनाक्षी (भाभी की बहन) के बारे में सोचता क्योंकि वो बहुत मस्त थी और भाभी को चोदता-चोदता बोर हो गया था, जैसे शादीशुदा लोग अपनी बीवी से बोर हो जाते हैं …

मैं भाभी से पूछता- मीनाक्षी कब आएगी?

तो बोलती- मैं तो कभी नहीं बुलाऊँगी ! उसने मेरा रोहित मुझसे छीन लिया … तुम सिर्फ मुझे ही चोदेंगे…

मुझे बड़ा गुस्सा आया और मैं बोला- अब मैं तुझे तब ही चोदूँगा जब तू अपनी बहन को बुलाएगी…

कुछ दिन चूत में लंड नहीं डालने पर वो बहुत परेशान हो गई …

कुछ दिन बाद मेरे घर आ कर बोली- देख रोहित ! मैं मीनाक्षी को बुला दूंगी पर उसे यह कभी पता नहीं चलना चाहिए कि तुम मुझे भी चोदते हो …

मैं बोला- वादा करता हूँ ! मैं तो कभी नहीं बताऊँगा।

फिर चलो अभी मुझे चोदो ..

मैं बोला- अभी घर में मम्मी है ….

तो बोली- दस मिनट में मेरे घर आ जाना !

मैं बोला- ठीक है ! आ जाउगा…

फिर दस मिनट बाद मैं भाभी के घर पंहुचा और खूब चुदाई की …

काफी दिन बाद सेक्स कर रहा था ना इसलिए बहुत शक्ति के साथ चोदा … मुस्कान (भाभी) ने भी अच्छा साथ दिया … मजा आ गया दोस्तो …

भाभी ने फ़ोन करके अपनी बहन को बुला लिया …

मैं बहुत खुश हुआ…

मैंने आते ही उसे गले लगा लिया …. और चूमना शुरु कर दिया …

बड़ा मजा आया ..

फिर हमने बातें करना शुरू कर दिया ..

मैंने बाते करते हुए उसके हाथ में मोबाइल देखा और बोला- मोबाइल भी ले लिया और नंबर भी नहीं दिया…?

बोली- सॉरी यार …

अब तो दो नंबर…

बोली नोट करो- 98********

अब तो हम रोज़ मोबाइल पर भी बात किया करेंगे ….

दो दिन बाद हमारे घर पर कोई नहीं था, हमने चुदाई की योजना बनाई …

वो उस दिन कपड़ों के अन्दर बिना पैंटी-ब्रा के आई …

उसे देखते ही लंड खड़ा हो गया …

फिर हमने चूमा-चाटी करना शुरू किया…

मैंने चूमते-चूमते ही उसकी जींस खोल दी …

और पैंटी नहीं होने से चूत में ऊँगली डाल कर घुमाने लगा … चुम्बन के साथ चूत में ऊँगली होने से मीनाक्षी सीसकारने लगी- अऽऽ आहऽऽ रोहितऽऽ बड़ा मजा आ रहा है ! ऐसे ही करो…

फिर मैंने उसकी गांड पर हाथ लगा कर हाथों में उठा लिया, नंगी गांड को मसलने लगा, उसकी नंगी चूत मेरे जींस के अन्दर खड़े लंड से अड़ रही थी, बड़ा मजा आ रहा था …. जब उसकी चूत से छू जाता ….

अब मुझ से रहा नहीं जा रहा था… मैं बोला- यार, अब चुचियों को भी मुँह में लेने दो…

बोली- जानू ! मैंने कब मना किया ! मेरा पूरा शरीर अब तुम्हारा ही तो है ! जैसा चाहो, वैसा करो ! मैं नहीं रोकूँगी…

मैंने कहा- अच्छी बात है ..

फिर मैंने उसे पूरा नंगा किया और स्तनों को दबाने लगा, वो आहे भरने लगी- अह्ह्ह अह्ह्ह ! मजा आ गया रोहित ! यार, तुम्हारे हाथों में सच में कुछ जादू है… मैंने तीन लड़कों से चुदाई की लेकिन तुम ही सबसे मस्त लगे…

मैं बोला- जान, अभी देखना ! पिछली बार से भी ज्यादा मजा आएगा … बस तुम मेरा साथ दो !

फिर मैं रसोई में गया और शहद लेकर आया, जिस तरह मैंने भाभी के वक्ष, गांड और चूत पर लगा कर चाटा था, वैसे ही इसके साथ किया….

इसके साथ तो भाभी से भी ज्यादा मजा आया …

मैंने बारी-बारी से पहले स्तनों पर शहद लगा कर चूसा, फिर चूत में ढेर सारा शहद डाला और अपने मुँह से चाटने लगा। क्या मजा आया दोस्तो ! वाह … मीठी मीठी चूत का स्वाद ही अलग लगता है… तुम भी करके देखना…

फिर उसने मेरे लंड पर शहद लगाया और चाटने लगी। क्या तो मस्त लग रहा था…

मीनाक्षी बोली- यार तुम तो नए-नए तरीकों से सेक्स करते हो ! बड़ा मजा आ रहा है …

फिर मैंने उसकी चूत में अपना 7.5 इंच लम्बा लंड बड़ी तेजी से घुसाया …

उसने एक बार आह किया …. फिर सामान्य हो गई… फिर मैंने स्पीड से उसे चोदना शुरू कर दिया वो भी मेरा साथ दे रही थी…. अपनी गांड को हिला-हिला कर चुदाई को और मस्त कर रही थी …

मैं बीच बीच में उसके स्तनों को दबा देता, मुँह में ले लेता….साथ में चूमा-चाटी भी कर रहा था …

चोदते हुए चुम्बन में बड़ा मजा आया … सच में लग रहा थे जैसे जन्नत में पहुँच गया हूँ …

हमने उस दिन जी भर चुदाई की…

हर नये स्टाइल से चोदा उसे …

दो घंटे में तीन बार चुदाई करने के बाद हम कपड़े पहन कर लॉन्ग-ड्राइव पर निकल गए …

फिर हमने कई बार चुदाई की…

भाभी को भी चुदाने का मन करता … लेकिन मीनाक्षी हमेशा घर में रहती, जिस कारण वो नहीं चुदा पाती थी ….

एक दिन मीनाक्षी किसी काम से बाहर गई तो मैंने भाभी की बीस दिन की सेक्स की भूख शांत की…

बड़ा मजा आया बीस दिन बाद भाभी को चोदने में..

फिर कुछ दिन बाद भाभी को फिर चुदवाने की इच्छा होने लगी..

मैंने मना कर दिया- मीनाक्षी घर पर है….

शाम को जब मीनाक्षी रसोई में खाना बना रही थी, तब भाभी मुझे अपने बेडरूम में ले गई और बोली- रोहित, यार आज तो चोदो मुझे ..

.

मैं बोला- मीनाक्षी ?

बोली- वो तो रसोई में है ! 20-25 मिनट में आयेगी, तब तक हमारा काम हो जायेगा …

भाभी ने दरवाज़े की कुण्डी लगाई और मेरे ऊपर लिपट गई …

मैंने चूमना शुरू किया तो बोली- रंडवे, पहले मेरी चूत की प्यास बुझा ! बाकी काम बाद में करना…

मैंने सीधे भाभी की साड़ी को उतारा और पेटीकोट को ऊपर करके अपना लंड चूत में घुसाने लगा … मेरा लंड उसकी चूत में आसानी से जा घुसा … बहुत फास्ट स्पीड में चुदाई कर रहा था कि अचानक गेट पर मीनाक्षी की आवाज आई- दीदी क्या कर रही हो…? और रोहित कहाँ गया बिना बताये …? हम दोनों डर गए ..

मैं बोला- अब हमे इसे सब कुछ बता देना चाहिए …

भाभी कुछ देर सोच कर बोली- ठीक है ! इस तरह मैं कभी भी चुदा तो सकूँगी…

फिर हम दोनों चूत में लंड डाले ही गेट खोलने चल पड़े…

गेट खोलते ही मीनाक्षी चौंक पड़ी, बोली- रोहित ! दीदी ! तुम दोनों एक साथ चुदाई करते हो…?

मैं बोला- मैं तो तुम्हारी दीदी को शादी के बाद से ही चोद रहा हूँ क्योंकि तेरा जीजा को नामर्द है…

वो बोली- क्या जीजू ने आज तक तुम्हें नहीं चोदा ? और ये बच्चा भी रोहित, तुम्हारा है…?

भाभी बोली- हाँ, यह रोहित का ही बच्चा है…

मीनाक्षी बोली- तुम धोखेबाज़ हो…

भाभी बोली- नहीं रे ! ये तो मेरे कहने पर ही मुझे चोदता है … मेरी भी तो चुदाने की इच्छा होती है ना…

वो बोली- ठीक है ! लेकिन ये अब हम दोनों को एक साथ चोदेगा…

मैं बोला- तब तो बड़ा मजा आयेगा ! दो दो चूत के साथ ..

फिर मैं मीनाक्षी को चूमने लगा और भाभी मेरा लंड मुँह में लेने लगी … मैंने मीनाक्षी के पूरे कपड़े उतार दिए। अब हम तीनों नंगे थे, मैं मीनाक्षी की चूत चाट रहा था, मीनाक्षी भाभी की चूत चाट रही थी और भाभी के मुँह में मेरा लंड था …

बड़ा मजा आ रहा था इस तरह करने में !

फिर हमने जगह बदल ली ! मैं भाभी की चूत चाटने लगा ! भाभी मीनाक्षी की चूत और … मीनाक्षी ने मेरा लौड़ा मुँह में ले लिया..

दस मिनट बाद भाभी मेरे मुँह में झड़ गई ..मुझे भाभी की चूत का पानी बड़ा मस्त लगा….

फिर मैंने पहले मीनाक्षी को चोदना शुरू किया….

जब मैं चोद रहा था, तब भाभी मीनाक्षी को चुचूक चूस रही थी और मैं भाभी के चूसने लगा …

मीनाक्षी बोली- आज तो बड़ा मजा आ गया जान .. तुम स्पीड और तेज़ करो !

फिर मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी…

करीब बीस मिनट बाद मीनाक्षी झड़ गई…

लेकिन मैं नहीं झड़ा। फिर मैंने भाभी की चूत में अपना 7.5 इंच लम्बा लौड़ा डाल दिया … क्या मजा आया दोस्तो ! दोनों को एक साथ चोदने में…

जब मैं भाभी को चोद रहा था तो मीनाक्षी मुझे किस करने लगी..

15 मिनट बाद मैं झड़ गया तो दोनों लड़ने लगी कि मेरे मुँह में पानी डालो… मैंने पहले मीनाक्षी के मुँह में लंड डाल कर पानी डाला … भाभी अब भी उत्तेजित थी, बोली- रोहित यार चोदो ना …

मैं बोला- पाँच मिनट रुको ..

तब तक तुम दोनों आपस में मस्ती करो…

फिर दोनों बहनें आपस में एक दूसरे की चूत में हाथ डालने लगी…

मैं पाँच मिनट बाद फिर से चोदने आ गया … फिर भाभी को झड़वा कर मीनाक्षी को मस्त चुदाई की.. उस दिन चुदाई में जितना मजा आया उतना फिर कभी नहीं आया … हमने कई बार साथ चुदाई की …. कई बार अलग अलग …

मुझे मेल करके जरुर बताएँ कि आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी ! मैं इन्तज़ार करुँगा … Sex Stories

Antarvasna

दोस्तो, मेरा नाम राहुल है और मैं गुड़गाँव में रहता Antarvasna हूं। ये स्टोरी उस टाइम की है जब मैं 12वीं क्लास में पढ़ता था। हमारे घर में किराये पर नये किरायेदार आये।

हमारे किरायेदार की वाइफ़ बहुत ही सुन्दर थी वो हिमाचल की रहने वाली थी और जब हिमाचल की है तो सुन्दर तो होगी ही। उसका नाम सोना था उमर होगी करीब 26 -27 साल, रंग एकदम दूध की तरह सफ़ेद। एकदम गोल-2 बूब्स थे उसके।

उन दिनो मैं बहुत सी एडल्ट बुक्स पढ़ता था। एडल्ट बुक्स पढ़ने की वजह से मुझे छोटी सी उमर में की सेक्स की काफ़ी नोलेज़ हो गयी थी। बस हर टाइम चूत मारने का दिल करता रहता था। और जब सोना आंटी को देख लेता था तो मेरा लंड पैंट फाड़कर बाहर आने को हो जाता था। सोना को कहने में भी डर लगता था क्योंकि वो तो मुझे बच्चा समझती थी। इसलिये मुट्ठी मार कर ही काम चलाना पढ़ता था।

मैं तो सोना के बूब्स देखने के लिये बेचैन रहता था। जब वो अपने रूम में झुककर झाड़ू लगाती थी तो मुझे उसके सेक्सी बूब्स के दर्शन हो जाते थे। दोस्तो अभी तक तो मैं उसके बूब्स ही देखता था लेकिन एक दिन मेरी किस्मत खुली और मैंने सोना को बिल्कुल नंगा देखा।
हुआ क्या कि मैं अक्सर उसके रूम में जाता था ताकि मैं उसको देख सकुं, एक दिन मम्मी ने मुझे सोना को कुछ देने के लिये भेजा, मैं दरवाजे को बिना खटखटाये ही सोना के रूम में घुस गया, उस टाइम सोना अपने कपड़े बदल रही थी और वो बिल्कुल नंगी थी, मैंने जैसे ही उसको देखा तो मेरे सारे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया, वो शरमाकर बेड के पीछे छिप गयी और मैं भी रूम से बाहर आ गया।
मेरा दिल जोर-2 से धड़क रहा था क्योंकि ऐसा हसीन नजारा मैंने पहली बार जो देखा था।

मुझे थोड़ा बुरा भी लगा कि मैं बिना खटखटाये रूम में चला गया, लेकिन दिल में एक खुशी भी थी चलो इसी बहाने मैंने सोना को नंगा तो देखा। जिस दिन से मैंने सोना आंटी को नंगा देखा तब से तो उसको चोदने की तम्मना और ज्यादा बढ़ गयी। रात को बस वो ही सपनों में आती थी।

सोना के पति फ़ौजी थे। उनकी 1 वीक दिन की ड्युटी होती थी और 1 वीक रात की। जब उनकी रात की ड्युटी होती थी तो वो मुझे अपने रूम में सोने के लिये बुला लेती थी, उन्हें अकेले सोने में डर लगता था। वो तो मुझे बच्चा समझकर सोने के लिये बुलाती थी लेकिन उन्हें क्या पता कि मैं रोज़ उनको ही सपनों में देखकर मुट्ठी मारता हूं।
रात को जब वो गहरी नींद में होती थी तो मैं धीरे-2 उनके बूब्स और कूल्हों पे हाथ फेर लेता था। दिल तो करता था कि अभी के अभी चोद दूं लेकिन डरता था कि कहीं ये मेरे घर में न बता दे।

एक दिन मैं उनके साथ रूम में सो रहा था, सोना शाड़ी डाल कर सो रही थी, ब्लाउज़ में से उनके सेक्सी बूब्स बाहर आने को हो रहे थे, बूब्स को देखकर मेरे लंड का बुरा हाल हो रहा था, जब मेरे से कंट्रोल नहीं हुआ तो मैंने अपना लंद बाहर निकाला और मुट्ठी मारने लगा तो सोना आंटी नींद से जग गयी और बोली- क्या कर रहा है?

मैं डर गया और बोला- मैं तो कुछ नहीं कर रहा!
फिर मैं चुपचाप सो गया।
सुबह मेरे से आंटी से नजर नहीं मिलाई जा रही थी मुझे डर था कि कहीं ये किसी को बता न दे।

अगले दिन वो मेरे से बोली- रात को क्या कर रहा था?
मैं कुछ नहीं बोला.
सोना बोली कि मुट्ठी मार रहे थे न?
मैंने कहा- हां।
वो बोली कि किसके बारे में सोच रहे थे?
मैंने कहा कि आपके बारे में।
‘अच्छा चल ठीक है, तुझे मुट्ठी मारने की जरूरत नहीं है तू मेरे साथ कर ले जो करना है। आज रात को जब तू मेरे साथ सोयेगा तो हम एंजोय करेंगे।

मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था कि चलो चूत का जुगाड़ तो हुआ। इन्तजार के पल तो वैसे भी बहुत मुश्किल से कटते हैं वो सारा दिन मैं रात होने का वैट करता रहा।

रात को सोने के लिये उनके रूम पे गया तो वो भी तैयार बैठी थी। मेरे मन में थोड़ी हिचकिचाहट भी थी क्योंकि एक तो मैंने कभी सेक्स नहीं किया था और दूसरे वो मेरे से उमर में काफ़ी बड़ी थी।
वो बोली- इतना क्यों शरमा रहा है?
फिर मैं बिल्कुल सोना के पास बैठ गया उनको छूते ही मेरी नस-2 में आग सी लग गयी मेरा लंड एकदम तनकर पैंट फाड़ने को हो गया.
आंटी बोली कि तेरे लंड को बहुत जल्दी लगी हुई है चूत में घुसने की।
मैं बोला कि हां, बेचारे ने कभी चूत का मजा नहीं लिया है न।

अब मेरी शरम भी खत्म हो गयी थी, मैंने सोना के ब्लाउज़ में हाथ डाल दिया और उनके बूब्स को दबाने लगा, साथ ही उनके रसीले होंठों को अपने होंठों में ले कर चूसने लगा वो भी बहुत बुरी तरह से मेरे होंठों को चूस रही थी।

मुझे बहुत मजा आ रहा था। काफ़ी देर तक हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे, मैंने उनके ब्लाउज़ के हुक खोल कर उनके बूब्स को आज़ाद कर दिया, सोना के मोटे-2 बूब्स ऐसे लग रहे थे जैसे कश्मीर के सेब हों, उसके एक बूब को मैंने अपने मुँह में लिया और दूसरे को हाथ से दबाने लगा, वो सिसकियाँ ले रही थी, दिल तो कर रहा था कि इसके बूब्स को खा जाउं.

सोना बोली कि अकेले ही चूसते रहोगे कुछ मुझे भी चूस लेने दो, मैं उनका इशारा समझ गया कि वो मेरे लंड को चूसना चाहती है, मैंने अपनी पैंट खोल दी, पैंट खोलते ही मेरा लंड एक झटके से बाहर आकर ऐसे खड़ा हो जैसे कुतुब मिनार, उसने मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़कर बोली कि मैं तुझे बच्चा समझती थी पर तूने तो अपना लंड पूरा जवान कर रखा है।

वो मेरे लंड को मुँह मेँ लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे कि आइस-क्रीम चूस रही हो। मैं अपना लंड उसके मुँह में अंदर बाहर करने लगा, मुझे भी लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था।
मैंने कहा कि अब इस लंड को खा कर ही छोड़ोगी क्या?
उसने मेरा लंड छोड़ दिया मैंने उसे बेड पे लेटा लिया और उसके बूब्स को फिर से चूसने लगा, बूब्स चूसते-2 मैंने बूब्स पे जोर से काट लिया वो चिल्ला पड़ी बोली क्या खा ही जायेगा इन्हें, मैंने कहा कि तुम्हारे बूब्स हैं ही एकदम कश्मीरी सेब की तरह दिल तो यही कर रहा है कि इन्हें खा ही जाउं।

सोना को मैंने अब सीधा लेटा लिया और उसने अपनी टांगे फ़ैला ली, मैं अपना लंड उसकी चूत पे रगड़ने लगा, वो बोली कि अब क्यों तड़पा रहा है लंड को अब मेरी चूत में डाल भी दे!

मैंने अपना लंड उसकी चूत पे लगा कर एक झटका मारा, मेरा पूरा लंड अब सोना की चूत में घुस गया। मैं धीरे-2 झटके मारने लगा वो भी नीचे से गांड उठा-2 कर झटके मार रही थी, उसके मुँह से आह्हह्ह ऊह्हहह्ह की आवाजें आ रही थी, मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और जोर-2 से झटके मारने लगा, पूरे रूम में फ़च-2 की आवाज आ रही थी.

थोड़ी देर के बाद हम दोनो डिस्चार्ज हो गये और 15 मिनट तक ऐसे ही लेटे रहे। फिर हम दोनो अलग हो गये और दोनो ने अपने कपड़े डाल लिये।
वो बोली क्यों चूत का मजा आया या नहीं मैं बोला हां सच में बहुत मजा आया ऐसे लग रहा था जैसे कि मैं स्वर्ग में आ गया हूं। Antarvasna

कहानी का पिछला भाग: समधन की गांड मारी-1 Sex Stories

रामजीलाल को गिड़गिड़ाता हुआ देखकर अनुपमा Sex Stories बोली- आपका काम माफ़ करने के लायक नहीं है। ज़रा मैं भी तो देखूँ कि तुम्हारे लंड में कितना दम है।

रामजीलाल यह सुनकर बुरी तरह चौंककर बोले- आप यह क्या कह रही हैं?

अनुपमा- जो सुन रहे हो, वही कह रही हूँ। ज़ल्दी से अपनी अण्डरवियार खोलो और अपना लंड दिखाओ मुझे। मैं भी तो देखूँ कि इतना कितना लम्बा लंड है तुम्हारा कि अमर उसे देखकर डर गया।

रामजीलाल किसी तरह सँभले, पर वह यह समझ गए कि अनुपमा की चूत में खुज़ली मच गई है वरना वह ऐसा नहीं कहती। अच्छा मौक़ा है इसे चोदने का वर्ना आज नहीं तो फिर कभी यह मेरे हाथ नहीं आएगी।

रामजीलाल का लंड अनुपमा को चोदने के ख्याल से ही फिर खड़ा हो गया। अपनी अण्डरवियार खोली तो लंड फिर से उफान पर था। अनुपमा लंबे और मोटे लंड को देखकर खुश हो गई। उसे हाथों में लेकर बोली- वाह समधी जी। आपका लंड तो अच्छा-ख़ासा लम्बा और मोटा है। अब आपकी असली मेज़बानी का समय है।

रामजीलाल फिर से रंग में आ गए और बोले- कसर तो मैं भी कुछ नहीं रखूँगा। आपको वह मज़ा दूँगा कि आप अपने पति को भूल जाएँगीं।

रामजीलाल ने अनुपमा को अपनी बाँहों में भींच लिया। अनुपमा भी रामजीलाल से इस तरह चिपकी जैसे बरसों से उनके चिपकने का इन्तज़ार था। रामजीलाल ने अनुपमा के होंठों को अपने होंठों से लगा लिया और उस लॉलीपॉप की तरह चूसने लगे।

अनुपमा भी पूरी तरह उनका साथ दे रही थी। दोनों एक-दूसरे की जीभ से खेल रहे थे। बहुत देर तक दोनों एक-दूसरे को चूसते रहे। रामजीलाल ने अनुपमा का साड़ी खोल दी और उनके मोटे और बड़े उरोज़ों को मसलकर दबाने लगे।

अनुपमा की आह निकलने लगी। रामजीलाल ने फटाफट ब्लाउज़ खोला, उसके साथ ही लहंगे का नाड़ा भी खोल दिया। अनुपमा अब उनके सामने सिर्फ ब्रा और पैन्टी में खड़ी थी।

रामजीलाल- हाय मेरी जान! तुम्हारा बदन तो क़यामत ढा रहा है। कहाँ थी तुम इतने दिनों तक? तुम्हें पाकर तो मुझे नशा सा छा रहा है।

अनुपमा- अरे मेरे सनम। मुझे क्या मालूम था तुम मेरे लिए इतने बेचैन हो? वर्ना कब की अपनी चूत तुम्हें खिला देती। आज मुझे अपने लौड़े का स्वाद चखा दो जानेमन। तुम्हारे समधी का तो अब ठीक से खड़ा भी नहीं होता।

रामजीलाल- अरी छिनाल तो मुझे तो याद किया होता। तुम्हारी चूत को ऐसा खाऊँगा कि सातों जन्म तक मेरा ही लौड़ा याद आएगा।

अनुपमा नीचे झुकी और रामजीलाल का लौड़ा अपने मुँह में भरकर चूसने लगी। रामजीलाल पर मस्त नशा छाने लगा। कहाँ तो वो चोदने को तरस रहे थे और आज वो मौक़ा ख़ुद ही चलकर आ गया। अनुपमा तब तक लंड चूसती रही जबतक कि सारा वीर्य उनके मुँह में नहीं चला गया। पूरा वीर्य और झाँटों के बाल चाटने के बाद अनुपमा भी एकदम गरम हो गई थी।

अनुपमा- वाह रे मादरचोद! तेरा पानी तो अमृत जैसा है। मैं तो पीकर धन्य हो गई।

रामजीलाल- तेरे जैसी काम की देवी ने इसे अमृत बना दिया है रंडी। चल नीचे लेट जा, अब मैं तेरी चूत को चाट-चाटकर तेरा पानी निकाल दूँगा।

यह कहकर रामजीलाल ने अनुपमा को नीचे लिटाया और पैन्टी खोल दी। अनुपमा की मस्त चूत देखकर उनके मुँह में पानी आ गया। आज भी उसकी चूत गुलाबी थी और हल्के से बाल छाए हुए थे।
रामजीलाल ने देर नहीं की और झट अनुपमा की चूत में मुँह घुसेड़ दिया। अपनी जीभ से चूत के चारों ओर चाट-चाटकर गीला कर दिया फिर चूत के छेद में जीभ डाल-डालकर अनुपमा को ज़न्नत का अहसास देने लगे। अनुपमा भी चूत पर प्यारा सा स्पर्श पाकर सिहरने लगी। दो मिनट में ही रामजीलाल ने चूस-चूसकर चूत का पानी निकाल दिया और सारा पानी चाट गए।

अनुपमा – मेरे सैंया, अब देर न करो। जल्दी से अपना लौ़ड़ा मेरी चूत में डाल दो।

रामजीलाल – हाँ … हाँ क्यों नहीं मेरी रानी। चल जल्दी से मेरे लौड़े को चूस कर गीला कर दे। पर मैं तेरी गाँड की बहन चोदूंगा फिर उसके बाद तेरी चूत की माँ चोदूँगा।

अनुपमा- ओय होय हरामी। तुझे भी चूत की सौतन गाँड ज़्यादा पसन्द आई है। तुम सारे मर्द साले हरामी होते हैं। सौतन को पहले चोदते हैं, बाद में अपनी घरवाली को।

रामजीलाल- चल गंडमरी, अब देर मत कर। मेरा लौड़ा चूसकर गीला कर दे, वर्ना तेरी गाँड की ऐसी बहन चुदेगी कि तू खड़ी भी नहीं हो पाएगी।

अनुपमा ने फिर से रामजीलाल के लौड़े को मुँह में भर लिया और चूस-चूसकर अच्छा-ख़ासा गीला कर दिया। रामजीलाल ने अनुपमा को कुतिया बनाया और लंड का एक भरपूर धक्का गाँड की छेद पर दिया। अनुपमा चीख पड़ी।

अनुपमा- अरे हरामी मादरचोद। गाँड की माँ चोद दी तूने। भोसड़ी के धीरे-धीरे कर।

रामजीलाल धीरे-धीरे लंड को अन्दर-बाहर करने लगे। थोड़ी देर बाद उन्होंने अपनी गति तेज़ कर दी और धकाधक धक्के मारने लगे। अनुपमा को अब मज़ा आने लगा और वह और तेज़ चोदो, और तेज़ चोदो कहने लगी। पाँच मिनट तक रामजीलाल ने अनुपमा की गाँड मारी और फिर कुछ तेज़ धक्के मार-मारकर सारा वीर्य अनुपमा की गाँड में डाल दिया। अनुपमा की गाँड गरम वीर्य से भर गई। दोनों कुछ देर के लिए ज़मीन पर लेट गए।

रामजीलाल- क्यों मेरी जान। मज़ा आया कि नहीं चुदाई में?

अनुपमा- इससे पहले इतना मज़ा कभी नहीं आया मेरे सनम। आज तो तुमने मेरी गाँड फाड़कर रख दी है।

रामजीलाल अनुपमा के ऊपर आ गए। दोनों के गरम बदन एक-दूसरे से टकराने लगे। रामजीलाल ने चुम्बनों की बौछार कर दी। पूरे चेहरे पर अपनी जीभ फिरा-फिराकर अनुपमा के मुँह को गीला कर दिया और अपनी जीभ अनुपमा के मुँह में डाल दी। अनुपमा मज़े ले-लेकर उसे चूसने लगी।

अनुपमा ने लंड को चूसकर फिर खड़ा कर दिया। रामजीलाल ने लंड के सुपाड़े को चूत पर रखा और चोदने लगे। अनुपमा ने दोनों हाथों से रामजीलाल को जकड़ लिया और टाँगों में फाँस लिया। दोनों इस समय एक जिस्म-एक जान नज़र आ रहे थे। आनंदीनाल ने बहुत देर तक अनुपमा को चोदा और सारा माल उसकी चूत में डाल दिया।

रामजीलाल- मेरी गंडमरी रानी। तुझे चोदकर तो वो मज़ा आया है जो मेरी पत्नी को चोदने के बाद भी नहीं आया था। मेरा बस चले तो तुझे यहीं मेरे साथ रख लूँ।

अनुपमा- तूने भी मज़े, बहुत मज़े से मुझे चोदा है। मैं तो बस तेरी होकर रह गई हूँ। जाने की इच्छा तो नहीं हो रही है, पर मुझे जाना होगा। अमर इन्तज़ार कर रहा होगा। पता नहीं वो सोया भी कि नहीं। और रात भी बहुत हो गई है।

रामजीलाल- ठीक है। कल मिलते हैं। पर अमर को समझा देना कि वह इस सम्बन्ध में किसी से कुछ कहे नहीं। बहुत भोला और सीधा लड़का है।

अनुपमा- तुम चिन्ता मत करो। मैं उसे समझा दूँगी। वह किसी से नहीं कहेगा।

अनुपमा ने अपने कपड़े पहने और अपने कमरे में चली गई। रामजीलाल आज ख़ुद को बहुत खुशकिस्मत समझ रहे थे क्योंकि आज वे अपने ख़्वाबों को हक़ीकत में बदल चुके थे। उन्हें बहुत अच्छी नींद लगी थी।

इधर अनुपमा जब अपने कमरे में पहुँची तो अमर जाग रहा था। अमर ने गुस्सा ज़ाहिर करते हुए कहा कि तुम इतनी देर से वहाँ क्या कर रही थी? मैं कब से इन्तज़ार कर रहा हूँ?

अनुपमा ने उसे समझाते हुए कहा कि बेटा उन्हें समझाना बहुत ज़रूरी था। अब वे समझ गए हैं और आइन्दा ऐसी हरक़त नहीं करेंगे। तुम भी यह बात किसी से कहना नहीं और उनसे ज़्यादा बात मत करना। चलो अब सो जाओ।

अनुपमा ख़ूब चुदा-चुदाकर थकी हुई थी इसलिए उसे भी बिस्तर पर पड़ते ही नींद आ गई, लेकिन अमर को कुछ-न-कुछ गड़बड़ लग रही थी। आख़िरकार वह भी सो गया।

अगले दिन अनुपमा और रामजीलाल डाईनिंग-टेबल पर खाना खाते-खाते बहुत हँसी-मज़ाक कर रहे थे। अमर यह देखकर हैरान था क्योंकि उसे लगा था कि आज मम्मी उनसे बात नहीं करेगी, लेकिन यहाँ तो उल्टा और हँसी-मज़ाक कर रही है।

अमर ने सारा दिन किसी तरह निकाला। रात को वह सोने का नाटक करने लगा। अनुपमा को लगा कि वह सो गया है तो वह उठी और आनंदीनाल के कमरे में पहुँच गई।

अमर भी अनुपमा के जाते ही पीछे-पीछे चलने लगा।

अनुपमा ने जाते ही रामजीलाल को बाँहों में भर लिया और जी भर कर उनके होंठों का रस पिया। अमर दरवाज़े के की-होल से यह देखकर बुरी तरह चौंक गया।

इधर अनुपमा इस बात से बेख़बर रामजीलाल से चिपकी हुई थी। अनुपमा ने पहले रामजीलाल को नंगा किया और फिर ख़ुद नंगी हो गई। आज पहली बार अमर अपनी मम्मी को नंगी देख रहा था। उसकी मम्मी उछल-उछल कर रामजीलाल से चुदवा रही थी।

उसे अपनी मम्मी से नफ़रत होने लगी। वह सोच भी नहीं सकता था कि सबको अपने गुस्से से डराकर रखने वाली इतना नीचे गिर सकती है।

रामजीलाल और अनुपमा की चुदाई का खेल देखकर उसके रोंगटे खड़े हो गए और उसके हाथ-पाँव काँपने लगे। वह कमरे के बाहर खड़ा हुआ काँप रहा था कि सामने से उसकी भाभी रीमा आ खड़ी हुई। रीमा उसे देखकर हैरान हुई कि वह यहाँ क्यों खड़ा है और इतना काँप क्यों रहा है?

अमर ने सारी बात बता दी। रीमा भी अनुपमा और रामजीलाल की चुदाई देखकर दंग रह गई। उन दोनों को चुदाई करते देख पहले तो रीमा को बहुत गुस्सा आया पर उसे भी चुदाई की प्यास सताने लगी।

रीमा की चूत की तड़प बढ़ गई। वह भी चुदवाना चाहती थी। उसे लगा कि अमर छोटा ही सही, पर उसे चोदकर अभी उसकी चूत की तड़प तो दूर कर ही सकता है। उसने कुछ सोचा और अमर को बताया। अमर पहले तो घबराया पर रीमा की वज़ह से हिम्मत आ गई।

रीमा और अमर दोनों दरवाज़ा खोलकर अन्दर आ गए, जहाँ अनुपमा और रामजीलाल चुदाई में मग्न हो रहे थे। रीमा और अमर को देखकर दोनों हक्के-बक्के रह गए। उनके मुँह से आवाज़ भी नहीं निकली।

अनुपमा रामजीलाल से अलग हो गई। अनुपमा अपने बेटे के सामने नंगी थी तो रामजीलाल आज अपनी बेटी के सामने नंगे खड़े थे। दोनों को अपनी इस स्थिति पर बड़ी ग्लानि हो रही थी।

रीमा ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा – तो रात में यह काम होता है। पर आप बिल्कुल डरिए मत। मैं और अमर इसमें कोई रुकावट नहीं बनेंगे।

रामजीलाल बोले- हमें माफ कर दो बेटी। इस उम्र में हमें यह नहीं करना चाहिए था लेकिन हम दोनों इतने अकेले थे कि अपने आपको रोक नहीं सके।

रीमा- कोई बात नहीं पापा। हमें आपसे कोई शिकायत नहीं और ना ही मेरी सास से है। आप दोनों को पूरा हक़ है अपने अरमानों को पूरा करने का।

अनुपमा- क्या तुम सच कह रही हो रीमा? तुम्हें हमसे कोई शिकायत नहीं है?

रीमा- नहीं मम्मी, हमें आपसे कोई शिकायत नहीं है। लेकिन हमारी एक शर्त है, उसके बाद ही हम आपको माफ़ करेंगे।
अनुपमा- हम तुम्हार हर शर्त मानने को तैयार हैं रीमा!

रीमा- आप दोनों फिर एक-दूसरे की चुदाई करो। मैं और अमर आपका साथ देंगे।

रामजीलाल- तुम कहना क्या चाहती हो रीमा? तुम दोनों भला हमारा कैसे साथ दोगी?

रीमा- पापा, आप दोनों चुदाई करोगे तो हम दोनों क्या खाली बैठेंगे। मैं भी अपने देवर अमर के साथ जी भरकर चुदवाऊँगी क्योंकि आप दोनों को देख कर मेरी चूत की तड़प जाग उठी है।

रामजीलाल और अनुपमा को रीमा की बात माननी पड़ी क्योंकि इसके अलावा उनके पास कोई चारा नहीं था।

अनुपमा और रामजीलाल तो पहले ही नंगे थे अब रीमा और अमर भी कपड़े उतारकर नंगे हो गए। चुदाई का खेल फिर चालू हो गया। रामजीलाल के लौड़े को चूसकर अनुपमा ने फिर खड़ा कर दिया।
रामजीलाल नीचे लेट गए और अनुपमा उनके ऊपर बैठकर उनके लौड़े को अपनी चूत पर सेट करके चुदवाने लगी।

इधर रीमा ने भी अमर के लौड़े को मुँह में भर लिया। अमर को बहुत मज़ा आने लगा। उसे लगा कि रामजीलाल ने ठीक ही कहा था। लौड़ा चूसने में भले ही आनंद न आता हो, लेकिन चुसवाने में बहुत मज़ा आता है।

अमर का लंड 5 इंच का था। अभी रीमा ने ठीक से लंड को अन्दर-बाहर करना शुरु ही किया था कि अमर का पानी निकल गया। रीमा ने सारा पानी चाट लिया।

रीमा ने अमर को समझाते हुए कहा कि कोई बात नहीं, पहली बार ऐसा होता है, लेकिन अब तुम मेरी चूत को चाट-चाटकर पानी निकालो और उसे पी जाओ। मेरी चूत में बहुत खुजली मची हुई है। अमर समझ गया और फिर उसने रीमा को लिटाया और चूत में जीभ डालकर चूसने लगा। रीमा तड़प उठी। बहुत दिनों के बाद वह नंगी होकर किसी से चूत चुसवा रही थी।

उधर अनुपमा जब ऊपर-नीचे होते हुए थक गई तो रामजीलाल ने अनुपमा को नीचे लिटाया और चूत में धकाधक लंड पेलने लगे। रीमा और अमर यह दृश्य देखकर और उत्तेजित हो गए। कुछ देर बाद रामजीलाल ने ज़ोर-ज़ोर के धक्के लगाते हुए सारा माल अनुपमा की चूत में डाल दिया।

अमर ने भी चूस-चूसकर रीमा का पानी निकाला और अच्छे बच्चे की तरह उसे चाट-चाटकर पी गया। अमर का लंड फिर से खड़ा होने लगा था। रीमा ने अमर के लंड को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी। अमर का लंड फिर तन गया। रीमा को लिटाकर अमर ने चूत में लंड डाला और धक्के देने लगा।

उसने पहली बार किसी चूत में लंड डाला था। उसे आज बहुत कुछ सीखने और करने को मिला। वह अपनी सुन्दर और सेक्सी भाभी को चोद रहा था जिसके लिए उसके मन में बहुत सम्मान और प्यार था। साथ ही उसकी मम्मी एक ओर चुदवाकर लेटी पड़ी हुई थी और उनका खेल देख रही थी।

कुछ देर में ही अमर ने सारा माल रीमा की चूत में डाल दिया। इस तरह रात-भर चुदाई चली। अमर ने रीमा की चूत के साथ ही रीमा की गांड में भी लंड पेला जिसमें उसे बहुत मज़ा आया। उसके सामने ही उसकी मम्मी रामजीलाल से चुदवा रही थी। अनुपमा और रामजीलाल ने जिस तरह चुदाई की, उसी अन्दाज़ में अमर ने रीमा की चुदाई की।

पूरी रात सभी ने चुदाई का भरपूर आनन्द लिया।

दोस्तो, आपको यह कहानी कैसी लगी। कृपया मेल करके ज़रूर बताएँ। Sex Stories

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ये मेरी अपनी आपबीती है, ये कोई कहानी नही है और Sex Stories इसमे कुछ ऐसा भी नही है जो मैंने कल्पना से लिखा हो.

बचपन में जब मैं पांच साल का था तब मेरी ताईजी का देहाँत होने के कारण उनकी लड़की जो मुझसे सात साल बड़ी हैं हमारे साथ रहती थी. उनका नाम गीता है. मेरे पिताजी सरकारी ऑफिस में अच्छी पोस्ट पर काम करते थे. हमें सरकारी मकान मिला हुआ था. मकान बहुत बड़ा था और उसके कमरे भी बहुत बड़े थे. चार बैडरूम, रसोई और बैठक थे उस मकान में. जबकि उस समय मैं अमन, मेरा छोटा भाई छोटा और छोटी बहिन मुन्नी, मां, बाबूजी और गीता जीजी कुल छः लोग ही उस मकान में रहते थे.

जैसे जैसे बड़ा हुआ एक्सरसाइज़ ठीक होने से लंड का साइज़ भी सात इंच का हो गया. पिताजी का तबादला राजस्थान के अलग अलग शहरों में होता हुआ जयपुर में कुछ समय रुका तो पिताजी ने यहाँ घर बनवा लिया. अब स्कूल में उसके बाद लड़को के कोलेज में पढ़ा लेकिन लड़कियों से बात करने में गांड फटती थी इसलिए हमारी गली में आठ लड़कियां होते हुए भी खूब इच्छा होने पर भी मैं उनमे से एक को भी पटा नही पाया. इच्छा बहुत होती थी चोदने कि लेकिन मुट्ठ मारकर ही काम चलाना पड़ता था. साइंस का छात्र था इसलिए पढ़ा सबकुछ लेकिन प्रैक्टिकल हो नही पाया. बाईस साल का होने पर मेरा कद छः फुट आ गया रंग साफ़ और चेहरा आकर्षक.

मैंने इलेक्ट्रॉनिक आइटम की रिपेरिंग की दुकान खोली. ठीक ठाक चलने लग गई. दुकान के बहार से कुछ लड़कियां मुझे देख कर चक्कर लगाती, लेकिन बात करने में अब भी मेरी गांड फटती थी. अब मुझे देखने लड़की वाले आने लग गए. एक लड़की, जो की आज मेरी पत्नी है, ठीक ठाक लगी तो जुलाइ में सगाई हो गई. सगाई छः महीने तक रही. हमने ढेरों फोन किए लेकिन लंड चूत की कोई बात करने की हिम्मत नही होती थी तो शादी होने तक उसको भी नही चोद पाया. मन में लड्डू फूटते थे कि अब मेरी कहने को भी कोई है. सगाई होने के बाद मैंने मुठ मरना बंद कर दिया.

खैर शादी हो गई और अब बहुत साल प्रतीक्षा के बाद आया सुहागरात का समय. शाम को ससुराल आनीजानी रस्म थी सो पत्नी को स्कूटर पर बिठा कर छोटे सगे व रिश्ते के भाई बहिनों को साथ लेकर ससुराल गया. रात को साडे दस बज गये रस्मो रिवाज निबटाते हुए. जैसे ही फ्री हुए मैंने सभी भाई बहिनों को ऑटो रिक्शा में घर भेज दिया और पत्नी को स्कूटर पर बिठा कर उसका हाथ अपनी कमर पर कस कर सटे चिपके से घर के लिए रवाना हुए.

लंड महाराज आज अपनी पूरी जवानी में तने खड़े थे लग रहा था कि सूट फाड़ कर अभी बाहर आ जायेंगे. इच्छा तो बहुत हो रही थी कि इस जनवरी की ठण्ड में घर से सात किलोमीटर दूर कहीं सुनसान में रोक कर चोद चाद दूँ. साला लंड फेरे में हाथ पकड़ते ही कंट्रोल से बाहर था. लेकिन अपने को ये सोचकर कंट्रोल किया की माल अपना है और जरा देर बाद घर पहुँचते ही मेरा ही होने वाला है. साडे ग्यारह बजे घर पहुंचे तो चाचाजी के बेटे, मेरे बड़े भाई की पत्नी मेरी भाभी ने रस्म निभाई की ये मेरी देवरानी आज तुम्हारे साथ सोएगी. दिल उछल कर गले में आ गया. कमरे में आकर एक दूसरे की ओर पीठ करके हमने कपड़े बदले. कंडोम का पैकेट मेरे दोस्त ने पहले ही इंतजाम कर दिया था.

पत्नी ने जेवर भी उतारे और मैंने सजे धजे पलंग पर पत्नी को बिठाया. कमरे में पन्द्रह वाट का बल्ब जल रहा था. कैमरे से चार छः फोटो लिए और उसकी बगल में बैठ गया. फोन पर ढेरो बात करने वाली मेरी पत्नी के जबान पर ताला लग गया और वो नीची नजर किए बैठी थी, उसके होंट सूख रहे थे. मैंने इधर उधर की दो चार बातें करने के बाद कहा कि किस करूँ तो उसने नजरें नीचे किए धीरे से गर्दन हिला दी. लंड बैठने का नाम नही ले रहा था. मैंने उसके गाल पर किस किया जो मेरी जिन्दगी का किसी जवान लड़की का पहला किस था. फ़िर मैंने उसको बोला किस करने को तो उसने भी मेरे गाल पर धीरे से किस किया अब मैंने उसके बूब्स पर हाथ रखा, वो सिहर गई लेकिन हाथ नही हटाया. अब धीरे धीरे मैंने बूब्स दबाना शुरू किया मुझे वैसे ही बहुत चढी हुई थी, जिन्दगी में पहली बार बूबू दबा रहा था, मजा बहुत आ रहा था, धीरे धीरे उसका ब्लाउज खोल दिया. ब्रा भी हटा दी. सेब के साइज़ से थोड़े बड़े उसके गोरे स्पंज की बोल की तरह सख्त नरम बूबू बाहर आ गए.

पत्नी निढाल सी मेरे सीने से चिपकी पड़ी थी धीरे धीरे किस चल रहा था. अब मैंने उसके पेटीकोट को ऊपर सरकाना शुरू किया. एक बात माननी पड़ेगी की उसने किसी भी बात के लिए रोका नही. बस निढाल सी चिपकी रही. आज एक जवान नंगी लड़की मेरे बिस्तर पर थी और उसके गोरे सवा पाँच फुट के बदन पर एक बाल भी नही था और उबटन लगने से पूरा बदन मक्खन जैसा चिकना हो गया था. झांटे थी इसका मुझे ज़रा भी बुरा नही लगा. क्यूंकि झांटों से मुझे जवानी का एहसास होता है न की नादानी का. उसका बदन देखकर कोई भी फख्र कर सकता था. हालाँकि कद में हमारे नौ इंच का फर्क था.

मैंने उसे धीरे से लिटाया अपने कपड़े उतारे, तन्नाया फन्नाया लंड इतना तन चुका था की टंकार तक नही मार रहा था. लंड पर कंडोम चढाया, उत्तेजना इतनी ज्यादा थी की कभी भी क्रीम बाहर आ सकती थी. पत्नी के ऊपर आया तो उसकी टाँगे मेरी टांगों पर आ गई, मेरा माथा ठनक गया कि इसका कोई चक्कर तो नही चल चुका. उसी वक्त मुझे एक परिचित की बात याद आ गई की कुंवारी लड़की के ऊपर लड़का आते ही लड़की की टाँगे अपने आप लड़के की टांगों पर आ जाती है. और कहीं किसी किताब मैं पढ़ा था कि अच्छा चोदक वो है जो अपना वजन अपने घुटनों और कोहनी पर रखता है. अब हालत ये थी कि यदि अपना वजन घुटनों और कोहनी पर रखता तो लंड अपनी जगह से हिल जाता और यदि लंड को गीले छेद पर सेट करता तो एक कोहनी से दम नही लग रहा था. इतने में उत्तेजना इतनी ज्यादा हुई कि लंड से छः महीने का स्टॉक क्रीम बह निकला. लंड अपनी अकड़ खो चुका था. मैंने बहुत कोशिश की कि लंड दोबारा खड़़ा हो जाए लेकिन वो सारी रात खड़़ा नही हुआ. कंडोम निकाल कर मैंने पलंग से नीचे डाल दिया.

पत्नी को हलकी सिहरन हो रही थी. मैं समझ रहा था, उत्तेजना से उसकी तबियत बिगड़ रही थी और मैं कुछ भी कर नही पा रहा था. उसको अपनी बाँहों में लेकर पडा रहा. उसने एक बार कहा कि करो लेकिन मेरा लंड सिकुड़ चुका था.

सुबह चार बजे माँ ने आवाज लगाई तो मेरी बीवी चली गई, कोई घंटे भर सोया हूँगा. नींद नही आई, सुबह साडे छः बजे बाहर निकलने कि हिम्मत नही हो रही थी. कोई सामने आएगा तो क्या होगा. जैसे तैसे हिम्मत करके कमरे से बहार आया. बुआ की लड़की सामने थी जो मुझसे दो साल छोटी थी और कुंवारी थी, हम दोनों में अच्छी पटती थी. वो गहरी नजरों से देख रही थी, मैंने पूछा क्या है. तो वो बोली “कुछ नही”. पिताजी सामने आए मैंने नजरें घुमा ली. अब मैं गुसलखाने में गया. अपने दिमाग को ठिकाने पर लाने की कोशिश करने लगा. लंड को हाथ में लिया. धीरे धीरे सहलाने लगा, दिमाग को केंद्रित किया. लगभग पाँच मिनट में लंड खड़़ा होने लगा, मैंने हाथो को तेज चलाना शुरू किया. मुठ मारने में जरुरत से ज्यादा समय लगा. लेकिन सब कुछ सही हो गया. मैंने छः महीने मुठ नही मारकर अपनी उत्तेजना ख़ुद बढ़ा ली थी.

अब मुझको रात का इंतजार था. खैर धीरे धीरे रात पास आती गई. रात के साडे दस ग्यारह के करीब मेरी जान कमरे में आई, मैंने कमरे की सांकल बंद की, जान को अपनी आगोश में लिया. किस किया. लंड अब अपनी दस्तक देने लग गया. दो मिनट बीते होंगे की पत्नी दूर हो गई. मैंने कहा कि क्या हुआ. वो बोली एमसी हो गई. उसने अपनी अभी तक कुंवारी चूत पे हाथ लगा कर देखा. बोली मम्मी को बोलती हूं. मैंने कहा “क्यूँ ” तो बोली कि नीचे सौउंगी. वो मेरी माँ को बोलके आई तो साथ में कम्बल और रजाई लेके आई.

उसने बिस्तर बेड से नीचे किए. कमरा बंद किया. अब तक मैं कुछ नही बोला था. मन लेकिन थोड़ा उदास हो गया था. आज मेरा लंड तैयार था तो उसकी चूत ने धोखा दे दिया. जैसे ही वो नीचे लेटने को हुई तो मैंने उसे अपने पलंग पे खींच लिया. पत्नी बोली कि मम्मी को पता चल गया तो? मैंने कहा कौन बताएगा ? तुम या मैं. वो समझ गई और मेरे साथ पलंग पर आ गई. उसने चूत पर कपड़ा लगा लिया था. आज दिनभर में वो घरवालो के साथ घुलमिल गई थी, शर्म भी बहुत कम हो गई थी.

अब मैंने उसके होटों को अपने होटों से चिपका के किस करना शुरू किया. होंट थे कि अलग होने का नाम नहीं ले रहे थे. मैंने उसके बोबे दबाने शुरू किए. मेरी बीवी के हाथ मेरी गर्दन के लिपट चुके थे. मेरे हाथ उसके बोबों को मसल रहे थे. धीरे धीरे ब्लाउज और ब्रा अलग हो गई. फ़िर थोडी देर में पेटीकोट भी खींच कर अलग कर दी. जल्दी से मैंने भी अपने कपड़े उतार फैके, मैंने बीवी को अपने ऊपर ले लिया और घमासान चालू हो गया वो ऊपर से अपनी गांड को चला रही थी और मैं नीचे से लंड को उसकी कपड़ा लगी चूत पे दबा के घिस रहा था.

होंट एक दूसरे का साथ छोड़ने को तैयार नहीं थे, मेरा एक हाथ उसके बोबे दाब रहा था जो मेरे सीने से चिपके पड़े थे और दूसरा हाथ मेरी बीवी का मखमली शरीर को ऊपर से नीचे तक नाप रहा था, मेरी बीवी के हाथ मेरी गर्दन के नीचे कसे थे. हम दोनों अपनी मंजिलों कि तरफ़ बढ़ रहे थे कि मेरी बीवी अकडी और ढीली पड़ गई. उसके होंट खुल गए, हाथ ढीले हो गए, मैं रुक गया, उसकी आँखें मुंदी हुई थी. दो मिनट बाद मैंने उसके बोबे वापस दबाने शुरू किए, उसका मुह अपनी और किया उसके होंट चूसने लगा, मेरी बीवी में जान आने लगी, उसके होंट मेरे होटों से चिपक गए, हाथ मेरी गर्दन पर कसते गए. अब वो अपनी गांड धीरे धीरे हिलाने लगी, मैं भी नीचे से उसकी चूत को लंड से दबाते हुए रगड़ने लगा, एक बार फ़िर घमासान होने लगा और लगा जैसे पलंग पर भूचाल आ गया हो. हम दोनों अपनी अपनी मंजिल कि और बढ़ने लगे फ़िर मेरी बीवी को ओर्गास्म हो गया।

लेकिन अबके मैं रुका नही. ढीली पड़ी बीवी को अपनी बाँहों में कसे नीचे से उसकी चूत को अपने लंड से रगड जा रहा था. अब मुझे भी ओर्गास्म आने लगा. मैं फ़िर भी रगड़ता गया और मुझे खूब जोर का ओर्गास्म आया. मैं भी ढीला पड़ गया. दोनों पसीने में लथपथ थे उस जनवरी कि ठंडी रात में भी. मैं ने अपने पैरों से रजाई धीरे से मेरे ऊपर पड़ी बीवी के कूल्हों तक ऊपर कर ली ताकि पसीना सूखने के बाद कोई गड़बड़ न हो. हम दोनों की एमसी की चार रातें ऐसे ही एक रात में चार चार पांच पाँच राउंड लगाते निकली. हम रात को सिर्फ़ दो घंटे मुश्किल से सो पाते थे. सुबह वो साडे चार बजे कमरा छोड़ देती थी. चारों दिन वो बिस्तर नीचे लगाती रही और मेरे पास सोती रही.

अब पांचवी रात को उसको पलंग पर लेकर कपड़े उतारने के बाद किस शुरू किया, बोबे दबाने शुरू किए, धीरे धीरे वो गरमाने लगी, उसके हाथ मैंने अपने लंड पर रख दिए आज उसकी पैंटी भी उतार फेंकी. उसकी चूत पर धीरे धीरे हाथ फेरने लगा, गर्मी बढ़ने लगी, उसके हाथ मेरे लंड पर कसने लगे, आज उसको एमसी में ब्लड भी जरा सा आया था. उसकी चूत से पानी बाहर आने लगा. मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में सरकानी शुरू की, करीब डेढ़ इंच अन्दर जाने के बाद उंगली अड़ गई, छेद छोटा था, मैंने बड़ी लाइट जलाई, उसकी टांगो को चोडा करके उसकी चूत को फैला कर अन्दर देखा तो हाईमन साफ़ नजर आया, छेद बहुत छोटा था, वापस छोटी लाइट जलाई, दोनों वापस पहले वाली पोजीशन में आ गए. अब मेरे दिमाग में ये बात आई की यदि ऐसे ही मैंने अपना सात इंच का रोड अन्दर डालने की कोशिश की तो इसको बहुत दर्द होगा, ये सोचकर मैं अपनी अंगुली उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा.

शुरू में थोड़ा सा दर्द हुआ फ़िर उसको अच्छा लगने लगा. अब मैंने उसको सारी बात समझाते हुए कहा कि या तो तुम ज्यादा दर्द सहो या कम. वो बोली कि कम दर्द करो. फ़िर मैंने कहा कि अब मैं तुम्हारी चूत में दो उंगली करूंगा, सहयोग करो, ड्रेसिंग टेबल से वैसलीन की शीशी निकाल कर दोनों बड़ी उँगलियों पर अच्छी तरह वैसलीन लगाई, अब धीरे से उसकी चूत फैला कर दो उंगली उसकी चूत में डालना शुरू किया, हाईमन को चीरने पर उसको दर्द हुआ मैंने अपनी उंगली को रोका. मैं उसको दर्द नही करना चाहता था क्यूंकि फ़िर आनंद की चरम सीमा एकदम से कम हो जाती है, फ़िर एक बात और भी है, यदि अपने भी ऐसा ही दर्द हो तो क्या अपन भी मजा ले पाएंगे. धीरे धीरे करके मैंने उसके हाईमन को थोड़ा चोडा कर दिया, अब अंगूठा उसकी चूत में जाने पर दर्द नही हुआ.

मैंने सोच लिया के अब मेरी बीवी लंड ले सकती है, इतना दर्द तो वो सहन कर ही लेगी, मैं उसके ऊपर आ गया, लेकिन प्रैक्टिकल प्रॉब्लम वोही थी, की एक हाथ से लंड सही जगह पर लगाता तो लंड को घुसाने में जोर नही लगा पा रहा था, उस रात को फ़िर पिछली चार रातों जैसे ही रगड़ना पडा, समझ नही आ रहा था की अन्दर कैसे डालना है,

मेरे एक दोस्त की शादी एक महीने पहले हुई थी, उस से मिला, उसने बताया की पत्नी की गांड के नीचे तकिया रख ले, उसकी टांगो के बीच में बैठ कर लंड को उसकी चूत पर सेट कर ले, घुटने मोड़ दे, फ़िर बैठे बैठे ही उसकी दोनों जांघों को अपने हाथों से पकड़ कर धक्का लगा कर लंड चूत में पेल दे. सील टूटने दे. इसी को सील टूटना कहते हैं. मैंने उसको नही बताया कि उसकी सील मैं ढीली कर चुका हूँ.

अब टाइम निकलने लगा, रात आई, मेरी बीवी वोही ग्यारह बजे कमरे में आई, धीरे धीरे कपड़े उतारते गए, हम एक दूसरे से चिपकते गए, पसीना चुहचुहाने लगा, उसकी चूत गीली हो चुकी थी, अब वो समय आ गया, जिसके लिए मेरा लंड बाइस साल से तरस रहा था, मैंने वैसलीन कि शीशी का ढक्कन खोला, बीवी कि चूत पर खूब सारी वैसलीन अन्दर तक लगाई, गांड के नीचे तकिया लगाया, उसकी टांगो को फैला कर उनके बीच में बैठ गया, लंड को उसकी चूत पर सेट किया, टांगो को घुटने से मोड़ दिया, आज मेरे लंड उसकी चूत पर एकदम सही सेट हुआ, उसकी जाँघों पर अपना हाथ जकडा, धीर से दमदार धक्का लगाया, मेरा लंड उसके हाईमन को तोड़ता हुआ डेढ़ इंच अन्दर चला गया।

बीवी बोली कि जलन होने लग रही है, मैंने अपने आपको रोका और बीवी को पूछा कि इतना तो सहन कर सकती हो न, बोली हाँ इतना तो सहन कर लुंगी, अन्दर जाने के अहसास से मेरे लंड में एक नया कड़कपॅन महसूस हो रहा था, मैंने डेढ़ इंच में ही बीवी कि चूत को अपने लंड से सम्भोग किया, धीरे धीरे आसानी से. पहली बार मेरी क्रीम किसी चूत में छूटी थी. पास में से नेपकिन उठा कर उसकी चूत साफ़ की, सिर्फ़ दो बूँद खून और थोडी क्रीम.

अब वापस वो ऊपर और मैं नीचे, अब बिना घुसाए फ़िर घमासान चालू हुआ और जब रुका तो पन्द्रह बीस मिनट शांत पड़े रहे, धीरे धीरे फ़िर दोनों के शरीर में गर्मी आने लगी, अबके जो किस और दबाने का कार्यक्रम चला तो बेधड़क, बिना किसी दर्द के डर के, बिना नयेपन के एहसास के. मुझे पता था कि लंड को अन्दर कैसे जाना है, जीभें एक दूसरे को चाट रही थी, उसकी चूत से पानी टपकने लगा, मैं उसकी टांगो को चौडी करके बीच में बैठ गया, लंड को चूत के छेद पर सेट किया, हलके से धीरे धीरे धक्का लगाते हुए बीवी के मुंह को दर्द के लिए देखते हुए अपने लंड को अन्दर देता चला गया।

क्या अहसास था लंड के चूत में अन्दर तक जाने का. लंड स्टील की रोड के माफिक सख्त हो गया था, थोड़ा सा कसमसाने के बाद सब कुछ ठीक हो गया, अब मैं पहली बार, लंड बीवी की चूत में दिए उसके ऊपर आ गया, हमारी जीभें एक दूसरे पर फिरने लगी, फ़िर मैं उसके बोबे चूसने लगा, उसकी चूत गीली हो गई, हमारे होंट एक दूसरे के चिपक गए और हमने एक दूसरे को बाँहों में जकड कर जो चक्की चलाई की उसके मुकाबले में क्या कोई भूकंप होगा, सच में आज पूरा मजा आ रहा था, आज पता चल रहा था की क्यूँ अप्सराएं ऋषि मुनियों की तपस्या भंग कर देती थी. दोनों ने अपना अपना काम बखूबी निबटाया. फ़िर पस्त से एक दूजे पर यूँ ही पड़े रहे, इस तरह से सातवें दिन पूरा सम्भोग हुआ.

एक महीने तक हम लोगों का कार्यक्रम रोज रात चार पाँच बार होता था, हम कई बार एक दूर पर ही सो जाते थे, लंड जब देखो खड़़ा ही मिलता था, आज इस बात को सत्ताईस साल हो गए हैं, मेरी बीवी को अब मैं जो कर लूँ वो अपनी तरफ़ से पहल नहीं करती है, मुझे आज भी चार पांच बार डेली मुठ मारनी पड़ती है, मेरे पहले साल एक बेटी और उसके दो साल बाद एक बेटा हुआ लेकिन आज मैं प्यासा हूँ, मुझे कोई साथी चाहिए, बिल्कुल अपनापन सा, प्यारा सा, एक दूसरे को साथ देने वाला,… Sex Stories

टीचर रोमांस की कहानी में पढ़ें कि मुझे अपनी टीचर से वासना भरा लगाव हो गया. मैंने उनसे नजदीकी बढ़ाई और उनके दिल का हाल जाना. वे अपने पति से दूर रहती थी तो मुझे काम आसान लगा.

फ्रेंड्स, मैं हार्दिक आपको अपनी कॉलेज की मैम के साथ हुई चुदाई की कहानी में पुन: स्वागत करता हूँ.
कहानी के पहले भाग
कॉलेज की टीचर पर दिल आ गया
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैम मेरे साथ बाइक पर जा रही थीं, तभी मैंने ब्रेक लगाया तो मैम मेरी पीठ से अपने दूध रगड़ बैठीं और मुझे तरन्नुम आ गई.

अब आगे टीचर रोमांस की कहानी:

वे बोलीं- क्या हुआ हार्दिक?
मैं पहले कुछ नहीं बोला फिर उनसे कहा- आप एक मिनट आइए.

तब मैं एक रेस्टोरेंट में उनको ले गया और उनको बैठने को बोला.

वे कुछ बोलतीं, इससे पहले मैं ऑर्डर देने चला गया.
और वे एक टेबल से लगी कुर्सी पर बैठ गईं.

मैं उनका पसंदीदा कप केक लेकर आया. ये मैंने उनसे व्हाट्सैप पर उनकी पसंद पूछी थी, तभी पता चला था.

वे कप केक देख कर खुश हो गईं.
मैंने उनसे कहा- यहां का कप केक काफ़ी अच्छा है.

हम दोनों वे कप केक खाने लगे, जिससे उनके चेहरे पर थोड़ी स्माइल आ गई.

फिर मैंने उनसे पूछा- मैम एक बात बोलूँ!
वे बोलीं- हां बोलो.

मैंने कहा- मैम, आपको देख कर लगता नहीं कि आपका कोई बेटा भी होगा. इनफॅक्ट ऐसा भी नहीं लगता है कि आपकी शादी भी हुई है.
वे बोलीं- अच्छा जी, ऐसा क्यों?

मैं बोला कि बस आपको देख कर लगता है कि आप 21-22 साल की ही लड़की हो.
वे बोलीं- ऊओह ये बात!

वे ये कह कर हंस पड़ीं और कुछ देर वापस हम दोनों बाइक पर बैठ कर चल दिए.

मैंने उनको उनके घर पर ड्रॉप कर दिया.
वे मुझे अन्दर आने के लिए बोलने लगीं पर मुझे कुछ काम था तो मैंने मना कर दिया.

उन्होंने मुझे थैंक्यू बोला.
मैं वहां से चला गया.

अब मैं उनसे और ज़्यादा बातें करने लगा.
वे भी मुझसे खुल सी गई थीं.

फिर एक दिन वे मुझसे मेरी फैमिली के बारे में पूछने लगीं.
मैंने उनको अपनी फैमिली के बारे में बताया साथ ही ये भी बताया कि मेरी फैमिली की कंडीशन इतनी अच्छी नहीं है.

उन्होंने कहा- सब ठीक हो जाएगा … और हां कभी कुछ भी ज़रूरत हो, मुझसे बोल देना.
मैंने उनसे कहा कि कोई नहीं मेम.
वे बोलीं- क्या कोई नहीं?
फिर मैं कुछ नहीं बोला और उनको बस थैंक्यू बोला.

अब हमारी ऐसे ही बातें होती रहीं.
मैम मुझे अब अपनी बातें और कुछ काम भी बता दिया करती थीं और कभी कभी मेरे साथ कॉलेज जातीं.

फिर उन्होंने अचानक से मुझसे कॉलेज में बोलना बंद कर दिया और मुझसे अब मज़ाक भी नहीं किया.

मैंने शुरू में तो कुछ ध्यान नहीं दिया पर 5-6 दिन बाद मुझे जब ये महसूस हुआ.
तो मैंने उनसे फोन पर पूछा.
वे बोलीं कि कुछ नहीं बस तुमको ऐसे ही लग रहा है.

अगले दिन में कॉलेज गया और मैम ने मुझे लेक्चर के बाद अपने केबिन में बुलाया.
मैं वहां गया तो उन्होंने मुझसे कहा- हार्दिक, तुमको पता है कि क्लास में हमारे बारे में क्या चल रहा है?
मैं चुप रहा.

मुझे तो पता था कि क्लास में मेरे और मैम के बारे में बातें होती थीं.

वे बोलीं- बताओ?
मैंने कहा- मुझे नहीं पता मेम?
वे बोलीं- ज़्यादा सीधे मत बनो. अच्छा चलो तुम जाओ … और हां अब थोड़ा ध्यान रखो. इन सब बातों ने मेरा दिमाग़ खराब कर दिया है.

मैं बोला- मैम, मैं कुछ बोलूँ, बुरा ज़रूर लगेगा आपको!
वे बोलीं- हां बोलो!

मैंने उनसे कहा- आप बिना मतलब इन बातों पर ध्यान दे रही हैं.
वे बोलीं- क्या मतलब?

मैंने कहा- आप इन बातों को पहले सोचना छोड़ो … और सोचो क्लास में तो सबको फालतू बकने का काम करते हैं और अगर आप मुझसे बोलोगी भी नहीं तो भी भी क्लास में सब ये ही सोचेंगे, जो वे सोच रही हैं. पर कुछ टाइम बाद सब भूल जाएंगे. आपको इस बात से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ना चाहिए कि कोई आपके बारे में अच्छा सोचे या बुरा. वे उनकी सोच है, जिसमें हम कुछ नहीं कर सकते. वे अब आपके बारे में सोच रहे हैं … कल को किसी ओर के बारे में सोचेंगे.

फिर वे बोलीं- अच्छा बाबा ठीक है, चलो तुम अब अपनी क्लास में जाओ.
मैं क्लास में आया और सोचने लगा कि कहीं मैम मुझसे बातें करना बंद ना कर दें.

पर फिर मैम मुझसे फिर से अच्छे से बातें करने लगीं.

कुछ दिन बाद मैम का बर्थडे आया.
मैं पहले उनको विश करने की सोच रहा था लेकिन फिर मैंने नहीं किया.
मैंने उनको सर्प्राइज़ देने का सोचा.

मैं कॉलेज गया और मैम से बात भी हुई.
पर मैंने ऐसे रिएक्ट किया जैसे मुझे याद ना हो कि उनका आज बर्थडे है.

वे थोड़ा दुखी हो गईं.
मैं समझ गया कि क्या बात है.

एक तो मैंने भी उनको बर्थडे विश नहीं किया और दूसरा वे अपने बर्थडे पर अकेली थीं.
वे लेक्चर में भी चुप-चुप सी रहीं.
मैंने प्लान बनाया कि उनको सर्प्राइज़ देता हूँ.

जैसे ही मेरा कॉलेज खत्म हुआ और मैंने मैम को कॉल किया.
तब 4 बजे थे.

‘मैम आप फ्री हो क्या?’
वे बोलीं- क्यों, क्या हुआ?

मैंने उनसे झूठ बोला कि आज मेरी भाभी का बर्थडे है, तो उनके लिए कुछ गिफ्ट लेना है, लेकिन समझ नहीं आ रहा कि क्या लूँ.
वे बोलीं- देख लो, कुछ भी ले लो.

मैंने कहा- मैम मुझे समझ आता, तो आपको कॉल थोड़े ही करता.

मैंने उनसे जोर देकर कहा- प्लीज मैम चलिए ना प्लीज.
वे मान गईं, वे बोलीं- अच्छा ठीक है.

मैंने उनसे कहा- मैं 30 मिनट में आपको पिक करने आता हूँ.
उन्होंने ओके बोला और फोन कट कर दिया.

मैं तैयार होकर मैम के पास चला गया और उनको पिक करके हम दोनों एक मॉल में आ गए.

वहां के लेडीज सेक्शन में आए और उधर मैम ने एक पर्फ्यूम सिलेक्ट किया जिसकी खुशबू मैम को काफी अच्छी लगी.
वाकयी में खुशबू अच्छी थी.

मैंने परफ्यूम पैक करवा ली और हम वहां से निकल पड़े.

रास्ते में आते हुए मैंने एक रेस्टोरेंट के बाहर बाइक रोकी और मैम से कहा- कुछ खाते है, बहुत भूख लग रही है.
मैम ने कहा- मेरा मन नहीं है.

वे अभी भी थोड़ा सा अपसैट थीं पर मेरे ज़िद करने पर वे मान गईं.

हम अन्दर गए और मैंने वहां पहले से ही एक सेक्शन मैम के बर्थडे के लिए बुक किया हुआ था जो उनके लिए सर्प्राइज़ था.
वहां थोड़ी डेकोरेशन भी करवाई थी.

मैं मैम के साथ वहां गया और उनको बिठा कर मैं काउंटर पर बोल कर आया कि वे केक भेज दें.

मैंने थोड़ा बर्थडे बॉम्ब वगैरह का इंतजाम भी किया था और गाने चलाने के लिए भी होटल वालों को बोल दिया था.

उन्होंने प्यारे से सॉंग्स चलाए और मैम मुझे देख कर कुछ पूछने वाली थीं कि तभी वेटर केक लेकर आ गया और टेबल पर रख दिया.

मैंने मैम को बर्थडे विश किया.
मैं मैम के बराबर में ही बैठा था.
मैंने उनको केक कट करने के लिए बोला.
उनको बहुत अच्छा लगा.

जब वे केक कट करने लगीं, तो वहां वे बर्थडे बॉम्ब वगैरह भी फोड़े, जिससे उनको और ज्यादा खुशी मिली.

मैंने उनको एक बार और विश किया.
उन्होंने मुझे थैंक्स बोला और मुझे केक खिलाया.

मैंने उनको वे परफ़्यूम दिया तो वे बोलने लगीं- ये तो तुम्हारी भाभी के लिए था ना!
मैंने कहा- मैंने आपसे झूठ बोला था, जिससे मेरा सर्प्राइज़ खराब ना हो. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या गिफ्ट दूँ तो ये बहाना बनाया था.

वे बोलने लगीं- इस सबकी क्या ज़रूरत थी. तुमने इतना सब क्यों किया?
मैंने कहा- ख़ास लोगों के लिए ख़ास चीजें ही की जाती हैं.

वे बोलीं- लेकिन फिर भी इतना सब … और तुम्हारी कंडीशन भी इतनी अच्छी नहीं है, फिर भी?
मैंने उनसे कहा कि मैंने आज के लिए अपनी पॉकेट मनी सेव की थी.

उनके कुछ बोलने से पहले मैं बोला कि अब आप केक भी कट कीजिए ना!
वे हंस दीं और उन्होंने केक कट करके मुझे खिलाया.

मैंने भी उनको खिलाया और बोला कि अब तो मूड ऑफ नहीं है आपका!
वे बोलीं कि मुझे इतना अच्छा सर्प्राइज़ कभी नहीं मिला.

उन्होंने मुझे फिर से थैंक्स बोला और मेरे गाल पर किस कर दिया.
वे अपना चेहरा नीचे करके बैठ गईं.

एक पल बाद उन्होंने मुझे सॉरी बोला.
अब मैं उनको क्या बोलता.

फिर हम दोनों ने वहां पर डिनर किया और मैंने उनको घर ड्रॉप कर दिया.

रात को मैं उनके बारे में सोचता रहा और वे किस याद करके अपना लौड़ा सहलाता रहा.

अगले दिन सब नॉर्मल था.
ऐसे ही कुछ दिन निकले. अब मेरी उनसे और ज़्यादा बातें होना शुरू हुईं.

एक दिन मैंने उनको प्रपोज़ करने का सोचा.
लेकिन हिम्मत नहीं हुई कि कहीं उनको बुरा लगा तो!

मैंने सोचा कि उनको व्हाट्सैप पर ही बोल देता हूँ.
उनसे व्हाट्सैप पर बात करते हुए मैंने कहा- मुझे आपको कुछ बोलना है!
वे बोलीं- हां बोलो.
मैंने मैसेज किया कि आई लव यू.

उन्होंने 2 मिनट तक कोई रिप्लाइ नहीं किया.
फिर कहा- अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो, तुमको अभी बहुत कुछ करना है. कल से तुम्हारे पेपर भी हैं.

मुझे थोड़ा बुरा लगा और मैं उनकी बात समझा भी नहीं.

फिर बस मैंने अगले 12 दिन उनसे बातें नहीं की और अपने एग्जाम पर ही ध्यान दिया.
ये इंटर्नल एग्जाम थे.

बस मुझसे सवाल पूछा था, तो उससे रिलेटेड बातें हुईं.
एग्जाम खत्म हुए और मैं उनसे कॉलेज में अकेले में मिला.

मैंने उनसे सॉरी बोला, तो वे बोलीं- क्यों?
मैंने कहा कि उस दिन के लिए.

वे कुछ नहीं बोलीं और कहा कि छोड़ो इस बात को.
फिर इधर उधर की बातें हुईं और मैं घर आ गया.

पहले तो मैं उनको केवल हवस की निगाहों से देखता था और उनको चोदना चाहता था, इसलिए टीचर रोमांस कर रहा था लेकिन अब कहीं ना कहीं मेरे दिल में उनके लिए थोड़ी सी फीलिंग्स आ गई थी.
शायद इसका एक कारण ये भी था कि हम दोनों की कंडीशन सेम थी.

उनके पास इतना कुछ होते हुए भी वे अकेली थीं … और मेरे पास कुछ नहीं था इसलिए परेशान और अकेला था.

मैं रात को सोचने लगा कि लगता है पल्लवी मैम के मन में भी मेरे लिए कुछ है.
क्योंकि जब मैंने उनको प्रपोज़ किया तो उन्होंने हां नहीं की और मना भी नहीं की.

उनको यदि बुरा लगता तो वे मुझसे नाराज़ होतीं.

यह सोचते ही मैंने आगे सोचा कि मेरे बर्थडे के 3 दिन बाद वे फ्री हो जाएंगी, उनकी कॉलेज की टेंशन, जो पेंडिंग वर्क है, वे भी खत्म हो जाएगा, तभी उनसे तसल्ली से बात करना ठीक रहेगा.

ऐसे ही 3-4 दिन निकल गए.
वे मुझसे, इतना व्यस्त होने के बाद भी काफ़ी बातें करतीं और मुझे छेड़ भी देतीं.

मैं भी उनसे अब ज़्यादा हंसी मज़ाक करने लगा था.

अगले दिन जब मैं कॉलेज गया तो मेरे कुछ क्लासमेट मेरे बर्थडे की पार्टी की बात करने लगे.
पहले तो नॉर्मल ही रहा.

फिर पल्लवी मैम लेक्चर लेने आईं तो मैम ने उनकी बात सुन ली कि वे मुझसे पार्टी के लिए बोल रहे हैं.

वे भी मुझे कहने लगीं- हार्दिक, बर्थडे की पार्टी कहां दे रहे हो?
मैंने उनसे भी यही बोला कि देखते हैं मेम.

मैम और मेरे दोस्त दोबारा कहने लगे तो मैंने कह दिया- रेस्टोरेंट में चलते हैं. पर बर्थडे से अगले दिन का रखेंगे.

अब मैं उन्हें क्या बताता कि मुझे पैसों का भी इंतजाम करना था.

मैम भी बोलीं- हां ठीक है. उस दिन तो मैं भी फ्री हूँ.
सभी ने मेरे बर्थडे से अगले दिन का प्लान फिक्स किया.

अब मुझे पैसों का देखना था.
मैंने सोचा कि अपने फ्रेंड से मांग लेता हूँ बाद में दे दूंगा.

मेरा बर्थडे आया, मुझे मैम ने 12 बजे विश किया और कुछ प्यारी से कपल वाली केक कट करते हुए एक पिक सेंड की.

मैंने उनको थैंक्स बोला.
उन्होंने पूछा- तुम कल कॉलेज तो आ रहे हो ना!
मैंने कहा- हां मेम, आ रहा हूँ ना … क्यों क्या हुआ?

वे बोलीं- कुछ नहीं, बस ऐसे ही पूछा. वो कल शायद तुम्हारा असाइनमेंट होगा ना!
मैंने उनको ओके बोला और मैं सुबह कॉलेज गया.

मेरा बर्थडे हर बार की तरह सिंपल सा था.
मुझे पता था कि बस घर जाकर शाम को केक कट करना और बस घरवाले कुछ गिफ्ट देंगे शायद और बस खत्म.
मुझमें कुछ उत्साह नहीं था.

अब मैम का लेक्चर आया, वे क्लास में आईं … तो मैं उनको देखता ही रह गया.
वे आज ब्लैक साड़ी पहन कर आई थीं. वे आज से पहले कभी ब्लैक साड़ी में नहीं आई थीं.

जब वे क्लास में आईं तो मेरी तरफ आंख मारती हुई और अपनी कमर मटकाती हुई आईं.

मेरे नजदीक आकर मुझसे थोड़ा मादक सी आवाज़ में बोलीं- हैप्पी बर्थडे टू यू हार्दिक!
मैंने उनको थैंक्यू मैम बोला.

उन्होंने मुझे फिर से आंख मारी, पर मैं कुछ समझा ही नहीं क्योंकि मेरा ध्यान तो उस काली साड़ी में उनके गोरे टाइट जिस्म पर था, जिसे देख कर मेरा बुरा हाल हुआ जा रहा था.
मैं खुद पर किसी तरह कंट्रोल कर रहा था.

उनका लेक्चर खत्म हुआ और वे बाहर चली गईं.
मैंने तुरंत बाथरूम में जाकर हाथ चलाया, तब जाकर मुझे कुछ राहत मिली.

कुछ समय बाद जब छुट्टी हुई, तो मैम की कॉल आई कि मैं उनके केबिन में जाऊँ.
मैं वहां गया तो वे मुझसे बोलीं कि उनकी स्कूटी फिर से खराब हो गई है और उनको कुछ बुक्स घर लेकर जाना है, तो मैं उनको घर पर ड्रॉप कर दूँ.

वे अब मुझे कुछ भी बात अपने हक़ से बोलने लगी थीं, पहले की तरह नहीं कि प्लीज प्लीज कह कर कहें.
मैंने उनको ओके बोला.

उन्होंने कुछ बुक मुझे भी पकड़ा दीं और मैं उनके साथ नीचे पार्किंग तक आया.
फिर मैंने उनको वे बुक्स दे दीं और वे मेरे पीछे बैठ गईं.

मैं बाइक लेकर निकला, मैंने बाइक पर रास्ते में 4-5 बार ब्रेक मारे, जिससे वे मेरे ऊपर गिर जातीं और उनके 34 इंच के बूब्स मेरी पीठ में दब जाते.
वे आउच बोलतीं.
मैं उस पल का सुख लेता हुआ अपने नसीब को सराहता.

हम दोनों उनके घर आ पहुंचे.
मैंने बाइक रोकी और वे उतर गईं.

उन्होंने बुक्स मेरी बाइक पर ही रखी हुई थीं.
वे मुझे अन्दर आने के लिए बोलने लगीं.

मेरा उनको देख कर ही बुरा हाल हो रहा था.
यदि उनके घर में जाता तो पक्की कुछ न कुछ गड़बड़ हो जाती.

मैंने मना किया तो वे थोड़ा फोर्स करने लगीं और बोलीं- इतनी सारी बुक्स हैं, ये तो अन्दर रखवा दो.
तब मैंने उनको ओके बोला और बाइक को साइड में खड़ा करके उनके पीछे बुक्स लेकर चल दिया.

वे मेरे सामने अपनी गांड मटका मटका कर चल रही थीं.
वे घर खोलने के बाद एक रूम में गईं और मुझे भी बुलाया.

वे उनका बेडरूम था.
उन्होंने वहां टेबल पर बुक रखने को कहा.

मैंने वहां बुक्स रख दीं.
उन्होंने मुझे बैठने को बोला, मैं मना करता … उससे पहले ही उन्होंने फिर से बोल दिया- बैठ जाओ, ज़्यादा नखरे ना दिखाओ.

मैं उनके बेड पर बैठ गया.
वे मेरे लिए पानी लेकर आईं.

मैंने पानी पिया और ग्लास टेबल पर रख दिया.
मैं अब उनको देख रहा था और उनके रूम को भी.

वे मुझसे बोलीं- अपना ये बैग साइड में रख दो, कौन सा भागना है तुमको!
मैं चुप था.
मैंने उनको देखते हुए बैग रख दिया.

वे मुझसे पूछने लगीं- क्या देख रहे हो ऐसे?
मैं बोला- कुछ नहीं … सक्षम नहीं दिखाई दे रहा!

वे बोलीं- मैंने तुमको बताया था ना कि मेरे हज़्बेंड मुंबई में रहते हैं. सक्षम की अभी 2 महीने की छुट्टी है, तो वे अभी 3 दिन पहले ही अपने पापा के पास गया है.
मैंने ओके कहा.

वे मुझसे बोलीं- क्या लोगे … चाय कॉफी या कोल्ड ड्रिंक?
मैं बोला कि कुछ नहीं मेम. बस आज्ञा दीजिए, मैं चलता हूँ.

क्योंकि मेरा लंड काबू से बाहर हो रहा था. मेरा मन तो ये कर रहा था कि उनको अभी पकड़ कर चोद दूँ पर फिर उनकी लाइफ के बारे में सोचता, तो मेरा ये ख्याल चला जाता कि मेरी किसी हरक़त की वजह से उनको बुरा लग गया, तो उनकी लाइफ में रहेगा ही कौन … क्योंकि वे मुझसे ही बातें करती हैं बस.

वे बोलीं- अच्छा 2 मिनट रूको, मैं आती हूँ.

मैं हां में सर हिला कर बैठा रहा और वे रूम से बाहर चली गईं.

दोस्तो, मैम कमरे से बाहर जरूर चली गई थीं.
लेकिन जब वे वापस आईं तो मैं भौचक्का रह गया था.
मैंने उनसे जो चाहा था वे मुझे खुद ब खुद मिल गया था.
जी हां … मैम ने अपने आपको मेरे हवाले कर दिया था और मैंने उनकी तबियत से चुदाई की.
वो सब मैं आपको सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूँगा.

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