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सेक्सी कॉलेज गर्ल्स चुदाई की कहानी तीन सगी बहनों की है. तीनों एक ही कॉलेज में पढ़ती हैं. तीनों सेक्स की प्यासी हैं मगर उनके चाचा के दबदबे के कारण कोई उनकी ओर नहीं देखता.
यह पूर्व प्रकाशित कहानी है जिसे पुनः सम्पादित करके प्रकाशित किया गया है.
हैलो फ्रेंड्स, ये सेक्सी कॉलेज गर्ल्स स्टोरी एक जागीरदार परिवार की तीन सुंदर सेक्सी लड़कियों की कुंवारी चुत चुदाई की कहानी है.
भानुप्रताप सिंह की हवेली में हर समय तीन खूबसूरत हसीन बहनों की हंसी मजाक की आवाजें सुनाई पड़ती थीं.
ये तीनों हसीन बहनें भानुप्रताप सिंह के स्वर्गीय भाई का निशानी थीं.
लेकिन इन तीन लड़कियों का बाप भानुप्रताप सिंह ही था.
इन तीन हसीन बहनों का नाम सोनम (24 साल), मीनाक्षी (22 साल) और डिंपल (20 साल) था.
तीन बहनों की फिगर बहुत ही सेक्सी थी. उनकी चूचियों और चूतड़ों का आकार बहुत फूला हुआ था.
किसी भी मर्द को उनको देख कर अपने आपको रोकना बहुत ही मुश्किल हो जाता था.
इन तीनों के असली बाप और चाचा भानुप्रताप सिंह का शहर में बहुत दबदबा था और इसलिए कोई लड़का इनकी तरह अपनी आंख उठा कर देखने की भी जुर्रत नहीं करता था.
ये तीनों बहनें अभी तक कुंवारी ही थीं और अपनी वासना खत्म करने का काम अपनी चुत में उंगली या बैगन खीरा मूली गाजर आदि डालकर चलाती थीं.
वे सब एक दिन कार में सवार होकर कॉलेज जा रही थीं. कार की ड्राइविंग सीट पर मीनाक्षी बैठी थी और वो मस्ती से कार चला रही थी.
अचानक एक जोरदार ब्रेक लगने के साथ कार एक झटके से रुक गयी.
पीछे बैठी सोनम और डिंपल ने उसी समय हलकान होते हुए मीनाक्षी की तरफ देखा.
सोनम ने पूछा- क्यों क्या हुआ … तुमने अचानक कार क्यों रोक दी?
मीनाक्षी बोली- चिल्ला क्यों रही हो … कार के सामने का नजारा तो देखो. कितना नशीला नजारा है.
अब सोनम और डिंपल ने सामने का सीन देखा कि कार के सामने बीच सड़क पर एक कुत्ता और कुतिया गांड से गांड मिला कर चिपके हुए थे. यानि कुत्ता और कुतिया चुदाई कर रहे थे और अपनी अपनी जीभ निकाल कर हांफ़ रहे थे.
सोनम और डिंपल चहक कर बोलीं- वाह … सच में क्या हसीन नजारा है.
मीनाक्षी बोली- हमसे तो ज्यादा किस्मत वाली ये कुतिया है. क्या मस्ती से अपनी चूत चुदवा रही है.
इस पर सोनम और डिंपल ने एक साथ कहा- हां, हमारे चाचा भानुप्रताप सिंह के डर के मारे कोई लड़का हमें घास भी नहीं डालता है. लगता है कि अपने नसीब में कुंवारी ही रहना लिखा है और हम तीनों को अपनी चूत की आग अपनी उंगलियों से ही बुझानी है.
ये ही सब बातें करते हुए उन तीनों के दिमाग में उसी समय चुदने के लिए एक आइडिया आया.
उन्होंने आपस में कुछ बात की और फैसला ले लिया.
तीनों के फैसला लेते ही मीनाक्षी ने कार को प्रोफेसर आलोक के घर की तरफ़ घुमा दी.
प्रोफेसर आलोक की उम्र उस समय लगभग 35 साल की थी और उसकी शादी अभी नहीं हुई थी. वो बहुत ही रंगीन मिजाज का था … मतलब वो एक बहुत चोदू किस्म का आदमी था. उसके लंड की लम्बाई 7 इंच और मोटाई 4 इंच की थी.
ये बात कॉलेज की लगभग सभी लड़कियां और मैडम लोग को मालूम थी.
प्रोफेसर आलोक को अपने नायाब लंड और अपनी चुदाई की कला पर बहुत गर्व था. पूरे कॉलेज की काफी सारी लड़कियां और मैडम उनसे अपनी चूत चुदवा चुकी थीं.
आलोक इन सब लड़कियों और मैडमों को बातों बातों में फंसा कर अपने घर ले जाया करता था और फिर उनको नंगी करके उनकी चूत चोदा करता था.
प्रोफेसर आलोक चोरी चोरी इन तीनों बहनों की जवानी को भी घूरा करता था … मगर वो भानुप्रताप सिंह के डर से इनसे दूर ही रहता था.
आलोक की नजरों में खुद के लिए वासना को देखना और ललचाने वाली बात इन तीनों बहनों को मालूम थी.
आज कुछ तय करके इन तीनों बहनों ने अपनी कार प्रोफेसर आलोक के घर के सामने जाकर रोक दी.
प्रोफेसर आलोक उस समय अपने घर पर ही था और एक लुंगी पहन कर अपना लंड सहलाते हुए एक ब्लू फिल्म देख रहा था.
प्रोफेसर आलोक ने इन तीन बहनों को कार से उतरते देखा तो जानबूझ कर टीवी ऑफ़ नहीं किया.
उसने ऐसा दिखाया कि उसे इन लोगों के आने की बात मालूम ही नहीं पड़ी.
टीवी पर उस समय एक गर्मागर्म चुदाई का सीन चल रहा था जिसमें एक आदमी दो लड़कियों को एक साथ मजा दे रहा था.
वो एक लड़की की चुत में अपने लंड को पेल रहा था और दूसरी लड़की की चुत को अपनी जीभ से चोद रहा था.
लड़कियां अपनी चूत चुदाई के समय अपनी अपनी कमर उछाल कर लंड और जीभ अपनी अपनी चूत में ले रही थीं.
ये तीनों बहनें सीधे प्रोफेसर आलोक के कमरे में पहुंच गईं.
प्रोफेसर आलोक इन तीन बहनों को देख कर घबराने का नाटक करने लगा.
फिर उसे रिमोट नहीं मिला तो उसने उठ कर टीवी ऑफ़ कर दिया.
मगर तब तक टीवी पर चल रही चुदाई की फिल्म पर इन तीनों चुदासी बहनों की नजर जा चुकी थी.
आलोक बोला- अरे … तुम लोग अचानक से यहां कैसे?
तीनों बहनों ने एक साथ प्रोफेसर आलोक से पूछा- सर, आप टीवी पर क्या देख रहे थे?
प्रोफेसर आलोक ने उन तीनों बहनों के चेहरे देख कर उनके मन की बात पहचान ली और उनसे पूछा- मैं जो कुछ टीवी पर देख रहा था … क्या तुम लोग भी देखना चाहोगी?
तीनों बहनों ने एक साथ अपनी मुंडी हिला कर हामी भर दी.
प्रोफेसर आलोक ने फिर से टीवी ऑन कर दिया और सब लोग पलंग और सोफ़ा पर बैठ कर ब्लू फिल्म देखने लगे.
आलोक एक सोफ़ा पर बैठा था और उसके बगल वाले सोफ़ा पर मीनाक्षी और डिंपल बैठी थीं … जबकि पलंग पर सोनम बैठी थी.
उधर प्रोफेसर आलोक ने देखा कि ब्लू फिल्म की चुदाई के सीन देख कर तीनों बहनों का चेहरा लाल हो गया था और उन तीनों की सांसें भी जोर जोर से चल रही थीं.
उनकी सांसों के साथ साथ उनकी चुचियां भी उनके कपड़ों के अन्दर उठ बैठ रही थीं.
क्या हसीन नजारा था. एक साथ तीन जोड़ी चुचियां आलोक की आंखों के सामने उठ बैठ रही थीं और सांसें गर्म हो रही थीं.
कुछ देर के बाद सोनम, जो कि इन बहनों में सबसे बड़ी थी, अपना हाथ अपने बदन पर और चूचियों पर फेरने लगी.
आलोक उठ कर सोनम के पास पलंग पर बैठ गया. उसने पहले सोनम के सर पर हाथ रखा और एक हाथ से उसके कंधों को पकड़ लिया.
इससे सोनम का चेहरा प्रोफेसर आलोक के सामने हो गया.
आलोक ने धीरे से सोनम के कानों के पास अपना मुँह रख कर पूछा- क्या तुमको बहुत गर्मी लग रही है, पंखा चला दूं क्या?
सोनम बोली- नहीं सर, ऐसे ही ठीक है.
फिर सोनम आलोक सर के चेहरे को आंखें गड़ा कर देखने लगी.
आलोक पलंग से उठ कर पंखा फ़ुल स्पीड में चला दिया.
पंखा चलते ही सोनम की साड़ी का आंचल उड़ने लगा और उसकी दोनों चूचियां साफ़ साफ़ दिखने लगीं.
अब आलोक पलंग पर ही सोनम के बगल में बैठ गया. उसने सोनम का एक हाथ अपने हाथ में ले लिया और धीरे से पूछा- क्या मैं तुम्हारे हाथ को चूम सकता हूँ?
ये सुनते ही सोनम ने पहले तो अपनी बहनों की तरफ़ देखा, फिर अपनी हथेली आलोक के हाथों में देकर अपना हाथ ढीला छोड़ दिया.
आलोक ने भी फुर्ती से सोनम का हाथ खींच कर अपने मुँह के पास किया और उसकी हथेली पर एक चुम्मा रख दिया.
चुम्मा देकर वो बोला- बहुत मीठी है तुम्हारी हथेली … मुझे मालूम है कि तुम्हारे होंठों का चुम्मा इससे भी ज्यादा मीठा लगेगा.
यह कह कर आलोक सोनम की आंखों में देखने लगा.
पहले तो सोनम कुछ नहीं बोली, फिर उसने अपनी हथेली आलोक के हाथों से खींचते हुए अपने मुँह के पास रख लिया.
अब सोनम बोली- जब आपको मालूम है कि मेरे होंठों का चुम्मा और भी मीठा होगा … और आपको सुगर की बीमारी नहीं है, तो देर किस बात की है … जल्दी से और मीठा खा लीजिए.
उसकी बात सुनकर आलोक ने अपने होंठों को आगे बढ़ाया और सोनम के होंठों पर रख दिए.
सोनम ने भी अपने होंठों को ढीला छोड़ दिया और वो आलोक के होंठों से अपने होंठ मिला कर गर्म सांसों का अहसास करने लगी.
आलोक अपने होंठों से सोनम के होंठों को खोलते हुए उसका निचला होंठ चूसने लगा.
सोनम अपने होंठों की चुसाई से गर्म हो गई. उसने आलोक के कंधों पर अपना सिर रख दिया.
आलोक ने सोनम का ये हाल देख कर धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी एक चूची को पकड़ कर दबा दिया.
इससे सोनम के कंठ से मादक आवाज निकल गई और वो आलोक से और ज्यादा चिपक गई.
अब आलोक अपने एक हाथ से सोनम की एक चूची को सहला रहा था और अपने दूसरे हाथ को वो सोनम के चूतड़ों पर फेर रहा था.
सोनम उसकी इस हरकत पर पहले तो थोड़ा कसमसाई और अपनी बहनों के तरफ़ देखने लगी और अंततः उसने भी आलोक को जोर से अपने बांहों में भींच लिया.
आलोक ने अब सोनम के दोनों चूचों पर अपने दोनों हाथ जमा दिए और उन्हें पकड़ कर मसलने लगा.
यह पहली बार था कि जब किसी मर्द का हाथ सोनम के शरीर को मसल रहा था.
वो जल्दी ही बहुत ज्यादा गर्मा गयी और उसकी सांसें जोर जोर से चलने लगीं.
आलोक सोनम की चूचियों को मसलते हुए उसके होंठों को चूमने लगा.
आलोक इधर सोनम को चोदने की तैयारी कर ही रहा था कि तभी उसने देखा कि सोनम की दोनों बहनें मीनाक्षी और डिंपल भी अपने अपने मम्मों को सहला रही हैं.
वो दोनों बड़ी गौर से आलोक और सोनम के बीच चल रही जवानी का खेल देख रही हैं.
आलोक समझ गया कि वो अब इन तीनों बहनों के साथ कुछ भी कर सकता है. ये तीनों बहनें अब उसके काबू में हैं और वो जो भी चाहेगा वो इनके साथ कर सकता है.
आलोक ने फिर से अपना ध्यान सोनम की शरीर पर डाल दिया.
उसने सोनम की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से मसलते हुए उसे जोर से चूमा और अपना एक हाथ उसके ब्लाउज के अन्दर ले गया. अब आलोक जोर जोर से सोनम की दोनों चुचों को पकड़ कर दबाने लगा. कभी कभी वो अपने दो उंगलियों के बीच सोनम के निप्पल को लेकर मींज रहा था और सोनम आलोक के कनधो से लिपटी हुई चुपचाप आंखें बंद करके अपनी चूचियों को मसलवा रही थी.
आलोक ने धीरे धीरे सोनम का ब्लाउज और उसकी टाईट ब्रा को खोल दिया और सोनम की कसी हुई चूचियों को मादक निगाहों से देखने लगा.
सोनम ने अपनी आंखें आलोक के आंखों में डाल कर पूछा- सर, कैसी है मेरी चूचियां … आपको पसंद आई या नहीं?
आलोक तो सोनम की गोल गेंदों सी चूचियों को देख कर पहले ही पागल सा हो गया था.
वो उसकी एक चूची को सहलाते हुए बोला- सोनम, तुम मेरी पसंद ना पसंद पूछ रही हो … जबकि आज तक मैंने इतनी शानदार चूचियां कभी नहीं देखी हैं. तुम्हारी चूचियां बहुत ही ज्यादा सुंदर हैं सोनम रानी और यह मुझको पागल बना रही हैं. इनको देख कर मैं अपने आपको रोक ही नहीं पा रहा हूँ.
सोनम बोली- मेरी चूचियां देख कर आपको क्या कुछ हो रहा है?
आलोक ने बोला- हां मैं अब तुम्हारी इन रसभरी चूचियों को चूसना और काटना चाहता हूँ.
ये कह कर आलोक ने सोनम की एक चूची को अपने मुँह में भर लिया और मज़े ले लेकर चूसने लगा.
अपनी चूची की चुसाई शुरू होते ही सोनम पगला सी गयी और अपने हाथ को बढ़ा कर आलोक का लंड उसकी पैंट के ऊपर से ही पकड़ कर मरोड़ने लगी.
सोनम की गर्मी देख कर आलोक ने अपने हाथों से अपना पैंट उतार दिया और फिर से सोनम की एक चूची को मुँह में लेकर चूसने लगा.
वो दूसरी चूची को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा.
सोनम भी अब अपने आपको रोक नहीं पाई और उसने अपने हाथ से आलोक का अंडरवियर उतार दिया.
आलोक का अंडरवियर उतरते ही उसका 7 इंच का मोटा लंड बाहर आकर अपने आप ऐसे हिलने लगा मानो वो इन हसीन बहनों को अपना सलाम बज़ा रहा हो.
तीनों बहनें आलोक का लम्बा और मोटा लंड देख कर हैरान हो गईं.
आलोक ने सोनम को अपनी गोद में उठाया और नीचे उतर कर फिर से पलंग पर किनारे से लिटा दिया.
सोनम को लिटाने के बाद आलोक ने सोनम की साड़ी को उसकी कमर से खींच कर निकाल दिया और अब वो पलंग पर सिर्फ पेटीकोट पहने चित लेटी हुई थी.
आलोक सोनम की बुर को उसके पेटीकोट के ऊपर से पकड़ कर दबाने लगा. सोनम की बुर को अपने हाथों से मसलते हुए उसने पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया.
सोनम ने भी पेटीकोट का नाड़ा खुलते ही अपनी कमर ऊपर कर दी, जिससे आलोक को उसके पेटीकोट को उसके चूतड़ों से नीचे खींचने में आसानी हो और वो पेटीकोट को निकाल सके.
आलोक ने सोनम का पेटीकोट उसके फूले फूले चूतड़ों के नीचे कर दिया और उसको सोनम के पैर से अलग करके पलंग के नीचे फैंक दिया.
अब सोनम आलोक के सामने अपने गुलाबी रंग की पैंटी पहन कर लेटी हुई थी.
आलोक ने 69 में आकर अपना मुँह सोनम की बुर के पास को किया और उसकी पैंटी के ऊपर से बुर को चूमने लगा.
इधर आलोक सोनम को नंगी कर रहा था तो उधर सोनम भी चुप नहीं थी.
सोनम आलोक का लंड हाथ में लेकर ऊपर नीचे करने लगी और उसके लंड का सुपारा खोल कर उसको अपने मुँह में ले लिया और जीभ से चाटने लगी.
इससे आलोक का लंड अब और भी कड़क हो गया.
तब तक आलोक, सोनम की बुर को उसकी पैंटी के ऊपर से ही अपने नाक लगा कर सूंघ रहा था और चूम रहा था.
चुदाई की कहानी के अगले भाग में इन तीनों चुदासी बहनों की चुदाई के रस को आगे लिखूंगा. सोनम को अपनी कुंवारी बुर में आलोक के लंड से कैसा मजा आया … इसका पूरा वर्णन लिखूंगा. आप सेक्सी कॉलेज गर्ल्स स्टोरी पर कमेंट्स करना न भूलें
हेल्लो दोस्तों! मेरा नाम सोना है। मैं पंजाब में Antarvasna रहती हूँ। मैं काफी लंबे समय से अपनी बात, अपना अनुभव आपसे बाँटना चाहती थी। अब मैं शादीशुदा हूँ, पिछले महीने मेरी शादी हुई। लेकिन ये अनुभव जो आपके साथ बाँटना चाहती हूँ ये शादी से कुछ महीने पहले का है। दोस्तो, मुझे सेक्स के बारे में पता तो था पर यह नहीं पता था कि लड़कियां आपस में भी सेक्स को एन्जॉय कर सकती हैं।
मेरी एक खास सहेली जिसका नाम काजल है, मेरे साथ कॉलेज में पढ़ती थी। हम अक्सर इकट्ठे पढ़ाई किया करते। और अगर वो मेरे घर ज्यादा देर तक रूकती तो मैं उसे रात को वापिस नहीं जाने देती थी। मेरा कमरा अलग है। और हम दोनों साथ सो जाया करते।
दोस्तो, एक रात हम यूँ ही देर रात तक पढाई करते रहे। पापा ने मुझे खाना बनाने को कहा। पर मैं अपने नोट्स समय पर बना लेना चाहती थी तो मैंने पापा को मना कर दिया। पापा ने मुझे अपने पास बुलाया और खूब बुरा भला कहा। माँ ने भी पापा का पक्ष लिया। इस बात से मुझे बहुत गुस्सा आया और मैं रोते रोते अपने कमरे में आ गई। मुझे बहुत बुरा लगा था। काजल ने मुझे बहुत समझाया पर मैं रोते रोते सो गई। कुछ देर बाद काजल भी सो गई। बत्ती बंद थी सिर्फ़ डिम लाइट बल्ब जल रहा था।
करीब आधे घंटे के बाद अचानक मेरी आंख खुली। मैंने देखा काजल मेरे पास सो रही थी। पर इतनी पास?? उफ़!! उसका चेहरा मेरे चेहरे से मुश्किल से एक या दो इंच दूर होगा। पता नहीं क्यूँ पर एक अजीब सी सिहरन से मेरी सांसें भारी हो गई। उसके गुलाबी होंठ मेरे होंठों से सिर्फ़ एक या दो इंच दूर थे। शायद एक उतेजना मेरे शरीर में भर रही थी। पता नहीं क्यूँ मेरा सारा ध्यान उसके गुलाबी होंठों पर हो गया और में लगातार उन्हें देखे जा रही थी।
अचानक मेरे हाथ उसके होंठों को सहलाने लगे। अजीब सी उतेजना से मेरा जिस्म कांप रहा था। और मैं अपने आप को रोक नहीं पा रही थी। अचानक मेरा ध्यान काजल की आँखों की तरफ़ गया। उफ़!! वो मुझे देख रही थी। मैं उसके होंठों को सहलाने में इतनी व्यस्त थी कि वो कब जाग गई पता नहीं चला। हम दोनों एक दूसरे की आँखों में झाँक रही थी। शायद काजल भी उसी उत्तेजना को महसूस कर रही थी जो आग मेरे बदन को जला रही थी। मेरे जिस्म से एक अजीब से भीनी भीनी महक उठ रही थी। और उत्तेजना से मुझे अपने नीचे कुछ गीलापन लग रहा था। मेरे होंठ कांप रहे थे।
और अचानक जाने क्या हुआ। काजल ने मेरे होंठों को ऊपर से चूम लिया। और मैं अपने आप को रोक न पाई और काजल के सुंदर गोरे चेहरे को अपने हाथों से पकड़ कर उसके होंठों में अपने होंठ डाल दिए। हाय!! क्या अजीब स्वाद था उसके गुलाबी होंठों का।मैं जैसे पागल हो गई और उसके होंठों में अपने होंठ डाल कर नशे में खो गई। उसके होंठों को चूसते हुए मुझे महसूस हो रहा था जैसे एक आग मेरे जिस्म में भर रही हो।
अचानक उसने मेरे मुंह में अपनी जीभ डाल दी। मैं धीरे धीरे उसे चूसने लगी। करीब पॉँच मिनट तक चूसने के बाद मेरी हालत क्या हो गई थी मैं बता नहीं सकती पर उस समय सब कुछ अच्छा लग रहा था। हम दोनों को आँखों में एक नशा सा भर गया था।
अब काजल ने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए। मेरा सूट उतार देने के बाद वो मेरी अंगवस्त्र उतार रही थी, मुझे शर्म भी आ रही थी पर एक अजीब सा नशा हो चुका था। उसके बाद उसके अपने सारे कपड़े उतार दिए। मैं इतनी ज्यादा गीली थी शायद उससे बेड की चादर भी ख़राब हो रही थी।
और अब काजल ने फिर से मेरी होंठों को चुसना शुरू किया। मेरी ऊपर लेट कर मेरी नंगे जिस्म से अपना जिस्म रगड़ कर मुझे पागल कर रही थी। उसके नितंब मेरी नितम्बों से रगड़ कर मुझे पागल कर रहे थे। काजल ने अपनी जीभ पर थोड़ा थूक रख कर मेरी होंठों पर लगाया फिर मेरी होंठों को चूसा। फिर थोड़ा थूक अपनी जीभ पर रख कर मेरी मुंह में अपनी जीभ डाल दी। मुझे कुछ अजीब लगा पर उसके थूक का स्वाद मुझे अच्छा लगा और मैं सारा चूस गई।
उसके बाद उसके मेरी नितंब अपने गर्म होंठों में ले कर चूसना शुरू किया। और उसके हाथ नीचे की तरफ़ जाने लगे। मेरी जिस्म में एक चिंगारी सी भर रही थी। और अब वो मेरी गीली चूत तक पहुँच चुकी थी। उसके मेरी गुलाबी चूत को अपने हाथ से मसलना शुरू किया। मैं जैसे इस दुनिया में नहीं थी।
उसने एकदम अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में घुसा दी। शायद ज्यादा गीली होने की वजह से दोनों उँगलियाँ अपना रास्ता बनते हुए अन्दर चली गई। मैं जैसे आसमान में थी। मेरा नशा बढ़ रहा था। काजल ने अब अपनी उँगलियाँ अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी थी। मुझे मजा आ रहा था और मैं एक लय में उसका साथ देने लगी। सच उस वक्त काजल से चुदवाने में मजा आ रहा था। एक तरफ़ काजल मुझे अपनी उँगलियों से चोद रही थी तो दूसरी तरफ़ मैं उसकी जीभ को चूस रही थी। वो बार बार उँगलियों को निकालती और कभी मेरे और कभी अपने मुंह में दे देती। मुझे अपनी चूत का स्वाद अच्छा लग रहा था।
तभी उसने मुझे उल्टा कर दिया और वो गीली उँगलियाँ मेरे पीछे डाल दी। एकदम से डालने पर मुझे कुछ दर्द महसूस हुआ पर मैं हर मजा लेना चाहती थी। कुछ देर अन्दर बाहर करने के बाद अब अच्छा लगने लगा। अब मुझ से रहा नहीं जा रहा था। काजल मुझे पागल कर रही थी। कुछ देर के बाद काजल ने अपनी चूत मेरे मुंह की तरफ़ कर दी और अपना मुंह मेरी चूत की तरफ़, यानि ६९ की पोसीशन में आ गई। उसकी चूत से एक अजीब सी महक आ रही थी। उफ़!! वो भी गीली थी, बुरी तरह से।
अचानक मैंने काजल की गरम जीभ अपने अन्दर महसूस की। और पता नहीं कब मैं भी उसकी चूत को चाटने लगी। शायद मैं वो सारा रस चाट लेना चाहती थी जो उसके अन्दर से निकल रहा था। काजल कभी मेरी चूत चाट रही थी कभी मेरे पीछे अपनी जीभ डाल रही थी। मैंने भी पागलों की तरंह उसकी चूत में अपनी जीभ डाल अन्दर बाहर करने लगी। अचानक मुझे लगा कुछ निकलने वाला है। और आह … आह! मेरे अन्दर से पानी निकला आह आह काजल चूस ले चाट दे मेरी चूत चाट जोर जोर से चाट आह आह! पता नहीं क्या क्या बकने लगी मैं। और पानी की तेज धारा के बाद मेरा पूरा जिस्म कांपा और शांत हो गया। उसके बाद मैंने काजल की चूत को चाट कर उसे भी शांत किया।
हम कुछ देर ऐसे ही लेटी रही। उसके बाद हमने अपने कपड़े पहने और एक जोरदार किस करने के बाद सो गयी। मेरे मन में अजीब सी खुशी थी। दोस्तो, उसके बाद हमने बहुत बार एन्जॉय किया। मैं वो सब भी आपके साथ शेयर करुँगी। अब मैं शादीशुदा हूँ। मैंने अपने हसबंड को सब कुछ बता दिया है और वो भी चाहते हैं कि मैं उनके सामने किसी लड़की के साथ सेक्स करूँ।
मुझे बताना मत भूलना कैसा लगा मेरा अनुभव। Antarvasna
Antarvasna पाठकों को मेरी प्यारी सी चूत की तरफ से बहुत सारा प्यार ! काफी सारी कहानियाँ पढ़ने के बाद मैं चाहती हूँ कि अपनी आप-बीती भी मैं आपको सुनाऊँ।
मेरा नाम बेला है, मैं मुज़फ्फरनगर से हूँ। मेरी शादी एक सीधे साधे चूतिया टाइप के इंसान से हुई है। शादी के बाद हम अपनी मधु चन्द्रिका मनाने मनाली गए पाँच दिनों के लिए। उन पाँच दिनों में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे मुझे मज़ा आया हो ! आप शायद समझ गए ! प्रदीप (मेरे पति) ने मुझे ढंग से नहीं चोदा- मैं अनचुदी रह गई।
मैं वापस दिल्ली आ गई और ऑफिस के काम में लग गई।
एक रोज़ बॉस ने कहा- शनिवार को आना है !
मुझसे वैसे भी शनिवार काटे नहीं कटता था क्यूंकि प्रदीप का शनिवार को भी ऑफिस होता है। मैं तकरीबन ग्यारह बजे ऑफिस पहुँच गई। बॉस आ चुके थे। हम दोनों ने दो बजे तक डटकर काम किया। ऑफिस में सिर्फ मेरा बॉस, मैं और ऑफिस बॉय राजू था।
मैं अपने कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही थी कि बॉस पीछे से आकर देखने लगे और समझाने लगे कि कैसे क्या करना है। मैं उनका निर्देश लेकर काम करती रही। चूंकि बॉस बहुत पास आकर देख रहे थे, मेरा एक गाल उनके बहुत ही नज़दीक हो गया था। उनको पता नहीं क्या सूझी, उन्होंने मेरे गाल पर एक पप्पी दे दी। मैं चौंक गई।
बॉस ने कहा- बेला, तुम बहुत सुन्दर हो और मुझे तुम अच्छी लगती हो।
मैं बस उनको देखती रह गई। फिर उन्होंने मेरी बाहों पर हाथ फेरना शुरु किया। हाथ फेरते फेरते उनके हाथ मेरे गले तक पहुंचे और वे मुझे प्यार करने लगे। इतने में राजू अन्दर आया। मैंने बॉस से कहा- सर, राजू को बाहर भेजिए पहले।
बॉस खुश। इसमें मेरी हाँ जो थी।
वे बाहर गए यह कहते हुए कि तैयार रहना। मैं समझ गई कि बॉस मुझे आज चोदेगा और मैं खुश हो गई। मैंने अपनी चूत से कहा- देख निगोड़ी ! सब्र का फल मीठा होता है। आज उछल कर चुदना।
मैं सीधे बाथरूम गई, खूब मूता और अपनी चूत को खूब साफ़ किया। हल्का सा स्प्रे लगाकर मैं बाहर आ गई। इतने में बॉस अन्दर आये। और उन्होंने मुझे दीवार से टिकाकर मुझे खूब चूमा। चूमते चूमते उन्होंने मेरा ब्लाऊज उतार दिया। अब मैं ब्रा और स्कर्ट में थी। मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरे होटों को चूसने लगे। मैं भी कहाँ पीछे हटने वाली थी। मैं भी मस्त हो कर उनसे झूल गई। क्यों ना झूलती ! मेरी चूत में भी तो कुछ कुछ हो रहा था।
उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरी स्कर्ट उतार दी। मैं अब सिर्फ चड्डी और ब्रा में थी। बॉस मुझे निहार रहे थे, मैंने इनकी टी-शर्ट उतार दी और फिर उनकी जींस। बॉस का लंड तो बाहर आने के लिए कुलांचे भर रहा था। मैंने उनका लंड पकड़ लिया। बॉस ने एक आह भरी और मुझे मेरी ब्रा से अलग किया। दोनों मम्मों को दबाने लगे और फिर मुझे गोद में उठाकर मेरी चड्डी अलग कर दी। इस वक़्त मैं बॉस की बाहों में पूरी की पूरी नंगी थी। बॉस मुझे इसी अवस्था में बोर्ड रूम ले गए और मुझे मेज़ पर लिटा दिया। मेरे दोनों हाथ ऊपर और दोनों टाँगे अलग अलग करके वे मेरी झांटों से खेलने लगे। मेरे होंठों पर उनके होंठ, उनका एक हाथ मेरी एक बांहों को सहला रहा था और दूसरे हाथ से वे मेरी चूत से खेल रहे थे। ऐसा सुख मुझे प्रदीप ने कभी नहीं दिया था। बॉस मुझे चूमते हुए मेरी नाभि तक पहुंचे और फिर मेरी चूत पर। चूत को चौड़ा कर उन्होने अपनी जीभ मेरे रति-छिद्र में डाल दी जिससे में दो फ़ुट ऊपर उछल गई।
इतने में मेरा मोबाईल बजा, अब मैं कैसे उठाती। बजते बजते बंद हो गया। फिर बजा। और उसके बाद फिर। मैं समझ गई प्रदीप ही होंगे। इतने में ऑफिस का फ़ोन बजा और चूंकि एक फ़ोन उस मेज़ पर ही था, मैंने अनायास उठा लिया।
प्रदीप ही थे, पूछ रहे थे- क्या कर रही हो डार्लिंग?
अब मैं क्या कहती – अपनी चूत चुसवा रही हूँ?
मैंने कहा- काम कर रही हूँ।
इतने में राज के चूसने से मैं झड़ने वाली थी। मेरे मुँह से एक लम्बी आह निकली।
प्रदीप ने पूछा क्या हुआ?
सोचा- बोल दूं कि झड़ने वाली हूँ, लेकिन कहा- एक जगह बैठे बैठे पांव सुन्न हो गया। हिल नहीं पा रही हूँ।
इतने में राज ने मेरी चूत से पानी निकाल दिया। मैंने फ़ोन रख दिया और जोर से हूँ-हाँ करने लगी। बॉस ने अब ऊँगली करनी शुरू कर दी और मैं फिर से झड़ गई। बॉस मुझे खूब चूमा और कहा- उठो।
मैं मेज़ से उठ नहीं पा रही थी। बॉस समझ गए। मेरे बदन को निहारते रहे।
पांच मिनट के बाद में उठी और बॉस के सामने खड़ी हो गई। अब बॉस मेज़ पर लेट गए। मैंने उनकी चड्डी उतार दी। उनका लंड तो एक भयानक किस्म का जीव लग रहा था। आठ इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा। उनका सुपारा एकदम गुलाबी रंग का था और मैंने उस सुपारे को अपने नाख़ून से थोड़ा पिंच किया। मेरे बॉस के मुँह से एक दर्दनाक आह निकली। मैंने अपने दोनों हाथों से उनका लंड लिया। मेरे दोनों हाथों में नहीं समा पा रहा था वो। खैर मैंने एक हाथ से उसको हिलाना शुरू किया।
फिर बॉस ने अपनी टांगें चौड़ी की और कहा- टेबल पर आ जाओ !
मैं मेज़ पर चढ़ गई और उनका लंड चूसने लगी। मैंने खूब चूसा और खूब हिलाया। उनके टट्टे अपने मुँह में लेकर उनके लंड को ऊपर नीचे करने लगी। बॉस शायद झड़ने वाले थे। एक लम्बी आह भरी और बोले- बेला मेरा मट्ठा निकल रहा है ! चूस रानी चूस।
मैने भी उनके लंड को चूसकर सारा का सारा मट्ठा निकाला और पी गई। बॉस का लंड एक ओर लुढ़क गया। मैने उसे चूमा और बॉस के पास आकर लेट गई।
दस मिनट के बाद बॉस ने पूछा- तैयार हो?
मैं तो कब से तैयार थी, मैं बोली- हाँ ! और इनका लंड फिर से तैयार करने लगी।
बॉस मेरी चूत में ऊँगली करने लगे। मैं तो गीली हो गई थी। बॉस ने मुझे गोद में उठाया और सोफे की ओर ले गए। मुझे औंधा लिटा कर उन्होंने मेरे चूतड़ उठाये और फिर मेरी फुद्दी में अपनी एक ऊँगली डाल दी। मैं तैयार थी। इतने में बॉस ने अपना सुपारा मेरी चूत में डाला और एक जोर का झटका दिया। मैं चीख पड़ी। बॉस को कोई फर्क नहीं पड़ा। वे मेरी कमरिया को पकड़कर कभी मुझे अपनी ओर खींचते या फिर मुझे स्थिर रखकर अपने आप को धक्का देते। दोनों ही सूरत में मेरी फाड़ रहे थे। मैं तो बस चीखती रही। ये तो सहवाग की तरह बल्लेबाजी कर रहे थे। पता नहीं इनको क्या जल्दी थी। ऐसा उन्होने मेरे साथ तकरीबन पंद्रह मिनट तक किया और नीचे से मेरे मम्मों को भी दबा रहे थे।
मैं चिल्ला रही थी- बस करो बस करो, आह, ऊह, मर गई, मम्मीईई, मम्मीईईई !
मगर बॉस को कोई रहम नहीं आया। बॉस मुझे चोदते रहे और मैं चुदती रही। मेरी चूत का तो उन्होंने भोसड़ा बन दिया था। मन ही मन चाह रही थी कि प्रदीप देखें और सीखें कि किस तरह से एक चूत को चोदा जाता है। थोड़ी देर में बॉस झड़ने वाले थे। उन्होंने अपना लंड निकाला और मेरी गोरी पीठ पर रख दिया। एक गर्म एहसास हुआ पीठ पर और बॉस ने अपना सारा माल मेरी पीठ पर उड़ेल दिया और फिर मेरे बगल में बैठ गए। मैं बॉस की गोद में लुढ़क गई। मैं बहुत थक गई थी। मैंने शादी से पहले ऐसी चुदने की कल्पना भर की थी। प्रदीप ने यह सुख कभी ना दिया और ना ही कभी देगा। और बॉस ने तो मेरी ले ली।
उस रोज़ बॉस ने मुझे दो बार मेरी चूत को और चोदा और एक बार गांड भी मारी। शाम होते होते मैं बहुत पिद चुकी थी। इतनी चुदाई के बाद तो मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। बॉस ने मुझे उस रात घर तक छोड़ा। उसके बाद तो मैं बॉस से खूब खुलकर चुदने लगी। मैं हफ्ते में तीन चार बार तो बॉस से चुदती ही हूँ। अच्छा एक बात तो बताना ही भूल गई। मेरा प्रोमोशन हो गया है।
वैसे Antarvasna प्रदीप भी कभी कभी अपनी लुल्ली मेरे अन्दर डाल देता है। अब बर्फी खाकर गुड़ में मजा कहाँ रहता है?
मैं उन्नीस साल की लड़की हूँ। मैं अपने घर में मम्मी Indian Sex Stories के साथ रहती हूँ, मेरे पापा एक खाड़ी-देश में हैं। मेरी मम्मी एक निजी विद्यालय में पढ़ाती हैं। हम लोग दूसरी मंज़िल पर रहते हैं और नीचे लड़कियों के रहने के लिए किराए के आवास हैं।
कुछ दिनों पहले यहाँ एक लड़की कोमल रहने आई। वो भी मेरी कक्षा में पढ़ती थी इसलिए हम दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई।
परीक्षा के दिन थे, मम्मी दिन भर विद्यालय में रहती थी और हम दोनों घर में अकेले रह कर पढ़ते थे। एक दिन वो पढ़ते पढ़ते किसी काम से अपने कमरे में गई और देर तक वापिस नहीं आई। मेरा मन भी पढ़ने में नहीं लग रहा था इसलिए मैंने उसका मोबाईल, जो वो यहीं छोड़ गई थी, उठा लिया और गाने सुनने लगी। फ़िर मैं वीडियो फ़ाइल्स देखने लगी। तभी मुझे उसके मोबाइल में एक ब्लू-फिल्म वीडियो-क्लिप मिला। मैंने ये पहले कभी नहीं देखा था इसलिए मैं गौर से देखने लगी। जैसे जैसे मैं देख रही थी मुझे मज़ा भी आ रहा था और मेरी धड़कने भी बढ़ रही थीं।
तभी कोमल वापस आ गई। मैंने घबरा कर फ़ोन बंद कर दिया।
कोमल ने कहा- तुम इतनी घबराई क्यूँ हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं तो !
लेकिन कोमल को मुझ पर शक हो गया था और जैसे ही उसने मेरे हाथ में मोबाइल देखा वो समझ गई। उसने मुस्कुराते हुए कहा- मैं समझ गई तुमने क्या देखा है ! अरे इसमें शरमाने की क्या बात है? मैंने भी तो देखा है, सब देखते हैं ! क्या तुमने पहले कभी नहीं देखा है?
मैंने कहा- नहीं ! मैंने पहले कभी नहीं देखा है।
तो उसने कहा- चलो दोनों मिल कर देखते हैं।
यह कह कर उसने दरवाज़ा बंद कर दिया और हम दोनों लेट कर ब्लू फिल्म देखने लगे। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैंने हौले से कोमल के हिप पर चिकोटी काट ली। कोमल मुस्कुरा पड़ी और उसने भी अपना हाथ हौले से मेरी पीठ में डाल दिया। उसके हाथ धीरे धीरे मेरी ब्रा के हुक तक पहुँच चुके थे और उसे खोलने की कोशिश कर रहे थे।
मैंने कहा- क्या कर रही हो कोमल?
वो बोली- पगली ! देखने से ज्यादा करने में मज़ा आता है, तू देख तो सही !
ये कह कर उसने मेरी ब्रा के हुक खोल दिए और मुझे चित्त लिटा दिया। उसके बाद वो मेरे कपड़े ऊपर करने लगी, मैं बस उसे देख रही थी। अब मेरे स्तन बिलकुल नंगे थे। वो मेरे चूचुकों को हौले हौले मसल रही थी और मेरे मुंह से सिसकारी सी निकल पड़ी। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने लगे। हम करीब दस मिनट तक यूँही होंठ चूसते रहे।
फिर कोमल ने उठ कर मेरी पैंट के बटन खोल दिए और मेरे सारे कपडे निकाल दिए। उसने अपने भी सारे कपड़े उतार दिए। मैं अपनी याद में पहली बार किसी के सामने नंगी हुई थी। कोमल ने मुझे फिर पीठ के बल लिटा दिया और मेरी टांगों को फैला दिया। फिर उसने अपने होंटों को मेरी चूत पर रख दिया और ज़बान फिराने लगी। मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं बता नहीं सकती।
वो मेरी चूत को बुरी तरह चाट रही थी और कभी कभी उसकी उँगलियाँ भी मेरी चूत के अन्दर बाहर हो रही थी। मैंने अपना सारा रस उसके मुंह में छोड़ दिया। अब उसकी बारी थी, वोह टांग फैला कर लेट गई और मैंने उसके चूत को चाटना शुरू किया, ये सचमुच बहुत रोचक काम था। मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। थोड़ी ही देर में वो भी झड़ गई। हम दोनों ने कपड़े पहने और वो अपने कमरे में चली गई।
मैं सोच रही थी कि जब एक लड़की के साथ इतना मज़ा आया तो लण्ड पाकर कितना मज़ा आएगा!!!!! Indian Sex Stories
ये बहुत साल पुरानी sex stories बात है। मैं इंडियन आयल नगर, अंधेरी, बम्बई मैं रहता था। मैं १८ साल का था। वो मेरी पड़ोसी, उसका नाम राधिका था पर प्यार से उसे उसके परेंट्स सिया कहते थे।
मैं उसकी और पहले दिन से आकर्षित हुआ था। मुझे कैसे भी करके उसे हासिल करना था। सिया बहुत ही गोरी, स्लिम और सुंदर लड़की थी। और बहुत ही शर्मीली। जब भी हमारी नज़रें मिलती थी वो मुझे बहुत स्वीट स्माईल दे।
मुझे धीरे धीरे ये एहसास होने लगा कि वो भी मुझे चाहने लगी है। हमारे परिवारों में अच्छे रिश्ते थे। इसलिये वो हमारे घर रोज आया करती थी। वो यु पी के माथुर फ़ैमिली से थी और मैं महाराष्ट्रियन। लेकिन फिर भी हमारे परिवार में अच्छे रिश्ते थे।
गर्मी की छूट्टियाँ करने वो अपने बड़े भाई राकेश के साथ दिल्ली अपने मामा के घर जाने वाली थी। मेरी मम्मी मे सिया और उसके भाई को लंच के लिये बुलाया। लंच से पहले हमने चेस कैरम खेले। मेरी नज़र सिया पे ही थी। उसे भी इस बात का पता चला और वो और भी शर्माने लगी।
उसने ब्लू कलर की स्लीवेलेस और स्कर्ट पहनी थी और उसमे और भी फेयर और सुंदर लग रही थी। मैं ने शोर्ट्स और टी-शर्ट पहनी थी। मैं थोड़ा मोटा था। पर उसे फिर भी मैं बहुत पसंद था। वो मेरी और देख कर ही मुस्करा रही थी।
उसे देख कर शोर्ट के अंदर मेरा लंड टोवर जैसा खड़ा हुआ। मैं अपने आप पर कंट्रोल नहीं कर पा रहा था। लंच के बाद मैं ने उसे अपने कॉमिक्स, स्टोरी बुक्स रीडिंग के लिये दिये। उसका भाई राकेश को नींद आने लगी और वो अपने घर चला गया।
मेरी मम्मी बेडरूम मैं आराम करने गयी। मैं और सिया अकेले थे डिन्निन्ग हॉल में। मैं उसके करीब सोफ़ा सेट पे बैठा था। उसे मैं भूखी निगाहों से देख रहा था।
उसने अचानक मुझे कहानी के बारे में कुछ सवाल पूछा और मैं ने उस पल का लाभ लेकर उसके पास गया और उसके दायें गाल को किस किया। उसको किस करने पर मुझे लगा के मैं जन्नत में हूं। उसने अपनी आंखें बंद की और मैं ने उसे फिर से चूमा किया। अब की बार जोश और जोर से.
अब मेरे होश उड़ रहे थे। मैने उसे अपनी बाहों में लिया और उसे सोफ़े पे लिटाया। वो भी बहुत एक्साइटेड थी। हमारे दोनो के लिये पहली बार था।
उसने बहुत प्यार से मेरे बाल को अपने हाथों से संवारा और मेरे माथे को चूमा। बस उसके बाद हम दोनो पर ऐसा जुनून छा गया कि शब्द ही नहीं है बयान करने के लिये। मैं उसके ऊपर लेता और उसे चूमने चाटने लगा।
उसने मेरी शोर्ट्स के अंदर हाथ डाला और मेरा लंड को अपने नाजुक हाथों में लिया और उसके साथ खेलने लगी। मैने अपनी शोर्ट उतार दी और मेरा लंड उसके मुंह में डाल दिया। वो उसे सक करने लगी। मैने उसके मुंह में ही किया जिसे वो पी गयी। अब उसे और भी नशा चढ़ा।
मैने धीरे से उसका स्कर्ट निकाल दिया, उसकी ब्रा भी उतार दी और उसके बूब्स को चूसने लगा। वो बहुत ही एक्साइट हो रही थी और आवाज़ें कर कह रही थी “ओह अजय माय डार्लिंग!
मैं उसके बदन के हर हिस्से हो किस कर रहा था। अब मैं उसके चूत की और आया और उसे कस कर किस किया। मैं उसकी चूत को पागलों की तरह चाट रहा था। वो अब ओर्गास्म के करीब पहुंच हो रही थी। मैं ने अपनी उंगली से उसकी चूत में डाली और वो एकदम से झड़ गयी।
अब मैने अपना लंड उसकी चूत के अंदर डाला। उसका छेद बहुत ही छोटा था क्योंकि वो एकदम कुंवारी थी. वो बहुत तेज़ चिल्लाने लगी। उसे दर्द हो रहा था।
मैने उसे शांत किया और रिलेक्स होने दिया। धक्के देकर मैं धीरे धीरे अपने बड़े से लंड को उसकी चूत में अंदर डाला। वो आनंद से चिल्लायी और मुझे किस करती रही। मैं भी चिल्लाने लगा “मैं तुम्हारे लिये कुछ भी करूंगा”।
उसके बाद हम दोनो एक घंटे तक एक दूसरे की बाहों में सोये और फिर उसकी मम्मी ने जब उसे आवाज़ दी तो वो जल्दी से कपड़े पहन कर के निकल पड़ी। ये था मेरे पहला नशा पहला खुमार पहला जवां प्यार मेरी खूबसूरत पड़ोसन के साथ।sex stories
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