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मेरा नाम राहुल है, उम्र ५१ साल, Antarvasna कद ५ फीट ९ इंच, रंग गोरा और बदन कसरती है। मेरी पत्नी का नाम कोमल है, उम्र ४८ साल, रंग गोरा और बदन दुबला पतला है। हमारे दो बेटे हैं, दोनों पुणे में इंजीनयरिंग पढ़ रहे हैं। मैं भी पेशे से इंजीनीयर हूँ।
बात लगभग दो साल पहले की है, जब मेरा ट्रान्सफर आगरा हुआ।
आगरा में जो मकान हमने किराये पर लिया, वह एक होमेओपथिक डॉक्टर का था। डॉक्टर साहब दक्षिण भारतीय हैं। उनका नाम के रामचंद्रन है, उम्र लगभग ५८ साल, कद ५ फीट ६ इंच, रंग सांवला और बदन दुबला पतला है। पहली नज़र में ही लगता है कि शरीफ आदमी हैं। उनके परिवार में उनकी पत्नी रागिनी है। उम्र लगभग ५२ साल, कद ५ फीट ४ इंच, रंग सांवला और बदन भरा पूरा है। नैन-नक्श तीखे होने के कारण इस उम्र में भी अच्छी खासी सेक्सी दिखती हैं। इन दोनों के अलावा इनके परिवार में इनकी तीन बेटियाँ हैं, जिनके नाम नंदिनी, कमलिनी और कुमुदिनी हैं। इनकी उम्र क्रमशः २४, २२ और २० साल है। तीनों का कद लगभग ५ फीट ४ इंच, रंग सांवला और नैन नक्श अपनी माँ की तरह तीखे हैं। सबसे बड़ी नंदिनी अपनी माँ की तरह भरे बदन की तथा कमलिनी और कुमुदिनी अपने पापा की तरह दुबली पतली हैं। तीनों एक ही कॉलेज में पढ़ती हैं।
मुझे इस मकान में रहते हुए तीन महीने हो चुके थे और डॉक्टर साहब व हमारे परिवार के सम्बन्ध घरेलू जैसे हो चुके थे। एक दिन रात को खाना खाने के बाद मैं कंप्यूटर पर अपना काम कर रहा था और मेरी पत्नी अपने कमरे में सोने जा चुकी थी, मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे मुख्य द्वार के पास कोई खड़ा है और किसी से बात कर रहा है। मैंने घड़ी पर नज़र डाली तो देखा साढ़े बारह बज रहे थे।
मैं चुपके से उठा, दरवाजे के पास जाकर ध्यान दिया तो पता चला कि डॉक्टर साहेब की मंझली लड़की कमलिनी मोबाइल पर किसी से धीरे धीरे बात कर रही थी। मैंने बातचीत पर ध्यान दिया तो अंदाजा हो गया कि अपने बॉयफ्रेंड विक्की से बात कर रही थी। उसकी बात सुनकर मेरे पैरों के नीचे से ज़मीन निकल गई। वह विक्की से कह रही थी कि तीन दिन ऊपर हो गए हैं और मुझे महीना नहीं हुआ है, बहुत डर लग रहा है।
उसकी बातें सुनकर बहुत अजीब सा लगा कि मैं जिसे सीधी-सादी समझता था, खूब छुपी रुस्तम निकली। एक बात और यह हुई कि उसकी बातें सुनकर मेरा लंड खड़ा हो गया। पिछले तीन साल से मैंने अपनी पत्नी को नहीं चोदा था, क्यूंकि वह ठंडी हो चुकी थी और चुदाई के समय साथ नहीं देती थी। उसको चोदने की अपेक्षा मैं कंप्यूटर पर ब्लू फ़िल्म देखते हुए मुठ मारना ज्यादा पसंद करता था।
खैर, कमलिनी और विक्की की मोबाइल पर बातचीत जारी थी और मेरा लंड भी जोर मारने लगा था।
मैंने कुछ सोचा और धीरे से दरवाजा खोला। मुझे देखते ही कमलिनी सकपका गई और फ़ोन काट दिया। मैंने अपने होठों पर ऊँगली रखकर उसे चुप रहने का इशारा किया और उसका हाथ पकड़ कर अन्दर कमरे में खींच लिया। वह रोने की हालत में थी। मैंने उसके सिर पर हाथ फेरा, उसे अपने सीने से लगाकर सांत्वना दी तो वो कुछ सामान्य हुई।
मेरे पूछने पर उसने बताया कि विक्की उसकी क्लास में पढ़ता है, दोनों अच्छे दोस्त हैं। १५ दिन पहले जब मैं विक्की के घर गई तो वह अकेला था और प्यार करते करते सब हो गया।
मैंने उसे कहा- कोई बात नहीं, गलती किससे नहीं होती ? और कौन सी ऐसी समस्या है जिसका समाधान नहीं है ? अगर मुझ पर विश्वास करो तो तुम्हारा महीना १२ घंटे में हो जाएगा। लगभग रोते रोते उसने पूछा- बताइए अंकल क्या करुँ ?
मैंने कहा- पहली बात ! मैं तुम्हारा दोस्त हूँ, मुझे अंकल नहीं, राहुल कहो। दूसरी बात, तुम्हें कुछ नहीं करना है, जो करना है, मैं करूंगा, तुम शान्ति से देखती जाओ।
मैं उसे दीवान पर लाया और उसका हाथ अपने लंड पर रखकर कहा- तुम्हारा इलाज ये ही करेगा।
उसे अपने सीने से लगाकर उसके होठों पर अपने होंठ रखकर मैंने उसका गाउन धीरे धीरे ऊपर उठाया और चिकनी टांगों पर हाथ फेरते फेरते उसकी पैंटी पर पहुँच गया। धीरे से उसकी पैंटी उतारी, अपना लोअर नीचे खिसकाया, उसे दीवान पर लिटा दिया और उसकी टांगों के बीच आ गया। उसकी चूत पर बाल थे, शायद उसने कभी अपनी झांटें साफ़ नहीं की थीं। झांटें हटाकर उसकी चूत फैलाई तो मेरे पूरे शरीर में करंट दौड़ गया। एक तो मैं तीन साल बाद चूत देख रहा था, दूसरे उसकी चूत क्या गज़ब की थी।
उसकी चूत के गुलाबी होठों पर मैंने जब अपनी जीभ फेरी तो उसे भी करंट लगा। अब मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और दो तीन बार में पूरा लंड उसकी चूत के अन्दर कर दिया और उसका गाउन ऊपर खिसका कर, ब्रा हटाकर उसके मम्मे अपने हाथ में लेकर चूसने लगा। लगभग आधा घंटा चोदने के बाद जब मेरा लंड पानी छोड़ने को हुआ तो मैंने
अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाला और ६९ की पोजीशन में आकर उसके मुंह में डाल दिया और उसकी चूत चाटने लगा। वह मेरा लंड चूस रही थी। जब लंड ने पानी छोड़ा तो
वह घबरा गई और लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया जिससे सारा वीर्य उसके गाउन पर गिर गया।
हम दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए। ढाई बज चुके थे, मैंने उसे अपने सीने से लगाकर किस किया और डोंट वरी ! कह कर विदा कर दिया और वहीं दीवान पर सो गया।
करीब ३ बजे मेरे मोबाइल पर घंटी बजी, देखा तो कमलिनी का नम्बर था। मैंने धीरे से बोला- हेल्लो !
तो उधर से काफ़ी खुश लहजे में बोली- थैंक्यू ! अभी अभी मेरा महीना हो गया।
मैंने उससे कहा- विक्की जैसे छोकरों से सावधान रहना ! अब सो जाओ। शुभ रात्रि !
बाकी कहानी अगली बार लिखूंगा, इंतज़ार करिए..। Antarvasna
दोस्तो, मैं आपका दोस्त राज.
मेरी सेक्स कहानी के इस भाग में आपका पुन: स्वागत है.
हालांकि इस सेक्स कहानी का शीर्षक अलग है पर यह उसी से जुड़ी हुई कहानी है.
पिछली कहानी
बचपन के प्यार से शादी और सेक्स
में आपने पढ़ा था कि मैंने अपनी बचपन की संगिनी सौम्या से शादी कर ली थी और उसके साथ सुहागरात की चुदाई का मस्त मजा लिया था.
अब आगे वाइफ सिस्टर Xxx कहानी:
शादी के 3 दिन बाद उसकी बहन मानसी चली गई.
फिर हम दोनों भी एक महीने के बाद पुणे आ गए.
मुझे दिल्ली से एक अच्छी जॉब का अवसर मिला तो मैं दिल्ली आ गया.
सौम्या पुणे में ही थी.
मैं दिल्ली आया तो सौम्या ने कहा- आप मानसी के घर में रुक जाना. उसका दिल्ली में अपना फ्लैट है.
यह मानसी मेरी पत्नी सौम्या की चचेरी बहन थी जिसने सुहागरात की चुदाई की चीख सुनी थी.
ये दोनों बचपन से पक्की सहेली रही थीं.
मानसी के मम्मी पापा बचपन में चल बसे थे तो सौम्या के पापा ने उसे अपने बेटी ही माना था और ये दोनों भी एक दूसरे को जान से ज्यादा चाहती थीं.
मानसी भी कमाल की दिखती है, वह बिलकुल दिव्या खोसला कुमार जैसी लगती है.
मैं उसके फ्लैट पर पहुंच गया, घंटी बजाई तो दरवाजा खुला.
वह शायद मानसी की घरेलू नौकरानी थी.
उसने कहा- आप राज जी हो ना!
मैंने कहा- हां.
तो उसने कहा- मुझे मैडम ने बता दिया था. आप बैठिए. मैडम 9 बजे तक आएंगी.
उसने मुझे पानी, कोल्ड ड्रिंक थोड़ा नाश्ता सर्व किया और चली गयी.
मैं फ्रेश होकर टीवी देखने लगा.
थकान के कारण मेरी आंख लग गई.
मेरी नींद तब खुली जब एक मीठी आवाज कानों में पड़ी- उठिए जीजा जी!
मैं उठा और आंख खोली तो सामने मानसी किसी अप्सरा के जैसी खड़ी थी.
सामने से पहली बार उसे गाउन में देखा था. वह बहुत ज्यादा खूबसूरत थी.
उसने एक घुटने तक आने वाला काले रंग का रेशमी गाउन पहना हुआ था जिसका गला काफी खुला हुआ था और उसकी चूचियों के उभार एक पतली सी ब्रा में कैद थे.
पतली सी ब्रा इसलिए लिखा क्योंकि मानसी के मम्मों के कड़क निप्पल उसके रेशमी गाउन के बाहर से ही नुमाया हो रहे थे.
शायद वह खुद ही अपने दूध दिखाने को उतावली लग रही थी इसलिए मेरे उठ जाने के बाद भी वह मेरे सामने झुकी हुई थी ताकि मैं उसके मम्मों का दीदार कर लूं.
मैं उसके मम्मों को ललचाई नजरों से देखते हुए उठा और फ्रेश हुआ.
फिर हॉल में बैठ गया.
वह प्लेट में मेरी फेवरेट पनीर चिली, वेज पुलाव और सलाद लेकर आई.
उसके हाथ में एक व्हिस्की की बोतल थी.
मैंने मादक भाव से उसे देखते हुए कहा- क्या बात है! शवाब के हाथ में शराब!
उसने हंस कर आंख दबाते हुए कहा- जब शवाब और शराब सामने है, तो आओ अब जश्न मनाते हैं.
मैं भी झट से मान गया.
मानसी ने दारू की बोतल खोली और दोनों का पहला पैग बनाया.
हम दोनों ने चियर्स किया और पहला पैग पी गए.
ऐसे ही हम दोनों ने धीरे धीरे 4-4 पैग पी लिए और अब मानसी को नशा चढ़ रहा था.
जब वह पांचवां पैग पी रही थी तो उसका ग्लास गिर गया और दारू उसके टॉप पर गिर गई.
वह तो इतने नशे में थी कि उसको कुछ पता ही नहीं चल रहा था.
लड़खड़ाती हुई आवाज में वह मुझसे बोली- प्लीज मुझे साफ कर दो.
मैंने उसकी तरफ देखा.
मैं भी नशे में आ चुका था.
गाउन में से उसकी छाती पर तनी हुई मोटी मोटी चूचियों की नोकें साफ नजर आ रही थीं.
उसकी फिगर 36-30-38 की थी.
पूरी कयामत लग रही थी.
जैसा कि मैंने आपको बताया कि वह दिव्या खोसला कुमार की तरह दिखती है.
मैं तो उसको देखता ही रह गया और जब वह उठ कर बाथरूम की तरफ अन्दर जाने लगी तो उसकी फूली हुई गांड को देख कर मेरा फौलादी लंड खड़ा हो गया.
मैंने उससे कहा- मैं नहीं कर सकता … क्योंकि उसके लिए मुझे तुम्हारा गाउन भी खोलना पड़ेगा.
वह बोली- प्लीज यार, तुम कुछ भी मत सोचो और तुम जैसे चाहो इसे बस साफ कर दो.
मैंने उसका गाउन उतारा और उसके गाउन को खोलते ही मुझे उसकी लाल रंग की ब्रा के अन्दर उसके बहुत बड़े बड़े मुलायम स्तन नजर आए.
उन्हें देखकर मेरा मन उन्हें पकड़ कर चूसने का हो रहा था.
वह हंसी और बोली- कैसे हैं?
मैंने कहा- बहुत मस्त हैं.
अब तक मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था.
मैंने तौलिये से उसके गोरे गोरे जिस्म को बहुत हल्के हाथों से साफ कर दिया.
मैं उसके मम्मों को देखता रहा.
तभी वह बोली- क्या अब घूरते ही रहोगे या कुछ करोगे भी? प्लीज मेरी ब्रा भी उतार दो न!
उसी समय मुझे सौम्या का भोला चेहरा याद आ गया.
मैंने उससे कहा- ये गलत है. मैं सौम्या को प्यार करता हूँ.
उसने कहा- जीजा जी, सौम्या को सब पता है. आपको प्यार करने वाली वह अकेली नहीं है. वह नाराज़ नहीं होगी.
मैं भी नशे में था, वासना मुझ पर हावी हो रही थी.
मैंने कहा- तुम मुझसे पाप करवा रही हो.
वह हंसी और बोली- मुझे चोदने से तुम पापी नहीं बनोगे, यह बात पक्की है.
जब उसने चुदाई की बात साफ साफ शब्दों में कही तो मेरा लंड भड़क गया.
मैंने धीरे धीरे एक एक करके उसके सभी कपड़े उतार दिए.
जब मैंने उसकी पैंटी को छुआ तो वह चूत रस में एकदम गीली थी.
मैं समझ गया कि इसको भी मेरे छूने से जोश आ रहा है.
लेकिन उसके पूरे कपड़े उतारते ही मेरा तो जैसे दारू का नशा ही उतर गया था.
मैंने धीरे से अपने भी सारे कपड़े उतार दिए.
फिर मैं अपने लंड को शराब से नहला कर उसके मुँह के पास ले गया और उससे बोला- लो लॉलीपॉप चूस लो.
वह भी नशे की हालत में मेरे एक बार कहने से ही मान गई और मेरे लंड को पूरा अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
मैं बोतल से बूंद बूंद करके शराब अपने लंड पर टपकाता गया और वह मेरे लौड़े को चूसती हुई शराब को भी पीती गई.
नीचे से मैं उसकी गीली एकदम व गर्म चूत में उंगली कर रहा था.
धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी तो उसको बहुत दर्द होने लगा और वह ज़ोर ज़ोर से सिसकारियां लेने लगी.
मैं समझ गया कि उसकी चूत अभी तक कुंवारी है और आज में पहली बार उसकी चूत का भेदन करूँगा.
उसके लंड चूसने से जब मैं झड़ने वाला था तो मैंने लंड उसके मुँह से बाहर निकाल लिया और सारा वीर्य एक ग्लास में निकाल दिया.
फिर उसी ग्लास में एक और पैग बनाकर मानसी को पिला दिया.
वह बड़े मज़े लेकर पी गई और मैं उसकी चूत चाटने लगा.
थोड़ी ही देर में पूरी गर्म हो गई और उसकी चूत से पानी भी निकल रहा था.
उसको जरा सा भी होश नहीं था कि उसके साथ क्या क्या हो रहा है.
मैंने थोड़ी देर बाद उसे एक पैग बनाकर और पिला दिया और उसे अपनी गोद में उठाकर बेडरूम में ले आया, उसे बेड पर लेटा दिया.
उसकी कमर के नीचे मैंने एक तकिया रख दिया.
इससे उसकी चूत का मुँह थोड़ा खुल गया और मुझे उसकी चूत का दाना साफ साफ दिखने लगा.
फिर मैंने अपना लंड उसकी गर्म चूत पर रखा और अन्दर डालने लगा.
लेकिन मेरा लंड उसकी टाईट चूत के अन्दर नहीं जा रहा था.
मैंने उसकी कमर को अच्छी तरह कसकर पकड़ा और लंड को चूत के मुँह पर रखकर एक ज़ोर का धक्का दे मारा.
मेरा पूरा लंड उसकी चूत में फिसलता हुआ अन्दर चला गया और मानसी के मुँह से एकदम ज़ोर से चिल्लाने की आवाज बाहर आ गई.
उसका भी दारू का सारा नशा उतर गया.
जब मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था.
मानसी की आंखों से आंसू निकल रहे थे, सांसें ज़ोर ज़ोर से चल रही थीं.
वह पूरी पसीने से गीली हो चुकी थी और अब उसके मुँह से गाली भी निकलने लगी थी.
मानसी बोली- मादरचोद धीरे पेल साले … लुगाई हूँ तेरी … कोई रंडी नहीं हूँ.
उसकी गाली से मुझे और जोश आ गया और मैंने उसकी एक चूची को जोर से भींच दिया.
‘साली है तू मेरी. अभी बीवी नहीं हुई है.’
मानसी- आज से मैं भी आपकी हुई. अब हम दोनों आपकी पत्नी हैं और आप भी हम दोनों को एक जैसे ही चाहेंगे.
मैंने भगवान से कहा- एक छोड़ कर गई तो आपने दो दो प्यार करने वाली दे दीं.
मन में यह बोलते हुए मैं धीरे धीरे लंड को धक्के देकर उसे चोदने लगा.
वह कुछ बोलना चाह रही थी लेकिन अपनी चुदाई के दर्द के कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी.
मानसी बोल रही थी- अह्ह्ह उह्ह्हह्ह बाहर मत निकालो इसे प्लीज … अह्ह्ह अब से मैं आपकी ही हूँ मेरे पतिदेव प्लीज मिसेज राज समझ कर ही मुझे चोदिए … अह्ह्ह्ह.
वह मादक सिसकारियां ले रही थी और मैं लगातार ताबड़तोड़ धक्के दिए जा रहा था.
मेरे लंड के चूत के अन्दर बाहर होने से पूरे कमरे में फच फच की आवाजें आ रही थीं.
कुछ मिनट के धक्कों के बाद उसको भी मज़ा आने लगा और वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी.
मैं- क्यों मिसेज राज, अब तो आपको मेरे लंड से चुदाई करने में मज़ा आ रहा है ना?
मानसी- हां पतिदेव अह्ह उह्ह और चोदो मुझे और चोदो … पूरी फाड़ दो आज मेरी चूत को … अह्ह हां और ज़ोर से … भोसड़ा बना दो मेरी चूत का.
मैं तो जैसे उसकी कामुक आवाजों को सुनकर पागल सा हुआ जा रहा था.
मैंने हचक कर चुदाई चालू कर दी.
‘आईईइ अह्ह्ह हां और तेज चोदो मुझे जानेमन चोदो … और तेज़ चोदो … मुझे आज चोदकर एक औरत बना दो.’
मैंने पास में रखी दारू की बोतल से एक लंबा घूंट नीट दारू का लिया और अपनी चुदाई की स्पीड तेज़ कर दी.
इसी बीच वह झड़ चुकी थी.
दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने पूछा- वीर्य कहां पर निकालूँ?
मानसी- मेरी प्यासी चूत में ही डाल दो और आज इसकी आग बुझा दो.
मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया और थककर बेड पर लेट गया.
हमने उस रात को खूब दारू पी और एक बार चुदाई की.
फिर थककर ऐसे ही नंगे सो गए.
दूसरे दिन सुबह जल्दी उठकर मैंने एक बार और उसकी चूत में लंड डाला और उसे चोदा.
अब वह बड़े आराम से पड़ी रही और मेरे लंड का मज़ा लेती रही क्योंकि रात भर चुदाई से उसकी चूत फट चुकी थी जिसकी वजह से मेरा लंड आसानी से अन्दर बाहर हो रहा था.
उस दिन हम दोनों कहीं भी नहीं गए और पूरे दिन नंगे ही पड़े रहे.
दोस्तो, अब मानसी और सौम्या हम तीनों पति पत्नी की तरह रहते हैं.
हेल्लो दोस्तो, पहले Antarvasna तो अन्तर्वासना को मेरी कहानी अन्तर्वासना में प्रकशित करने के लिए धन्यवाद और आप सभी दोस्तों को प्यार जिन्होंने मुझे मेल किया.
आशा करता हूँ सभी चूतों और लौड़ों को मेरी यह कहानी भी पहले वाली कहानियों की तरह ही पसंद आएगी. मेरा इमेल कहानी के अंत में दिया हुआ है.
आपने कुछ दिन पहले मेरी और रक्षिता की कहानी जयपुर में पतंगबाजी पढ़ी होगी, आज मैं उसके आगे की कहानी लेकर हाजिर हूँ।
मैं अपनी कहानी वहाँ से शुरू करता हूँ जब हमने 14 जनवरी, 2010 को पहली बार चुदाई की थी।
उस दिन शाम को रक्षिता बोलती है- जान, आज तो तुमने सच में जन्नत की सैर करा दी!
मैंने उसे चूमते हुए कहा- जानू, अभी तो इस अप्सरा को पूरी जन्नत की सैर करनी बाकी है!
फिर मैं अपने घर चला गया।
अगले दिन जब उसकी भाभी पड़ोस में गई थी तब 12 बजे मैं चुपके से रक्षिता के कमरे में चला गया और वहाँ दरवाज़ा बंद करके मैंने उसे चूमना शुरू किया।
आज उसने गुलाबी रंग का सलवार सूट पहना था.
क्या तो मस्त बला लग रही थी वो!
मैंने चूमते हुए उसके स्तन भी दबा दिए।
फिर मैंने उसका कुर्ता उतारा!
पहले तो थोड़ी देर मस्त स्तनों को ब्रा में से ही दबाने लगा फिर ब्रा उतार कर उसके स्तनों को आजाद कर दिया।
उसके मोटे मोटे स्तन बड़े शानदार लग रहे थे। मैंने उसके स्तनों का दूध पीना शुरू कर दिया.
उसकी आहें निकलने लगी- आह ओह्ह आह!
फिर मैंने कहा- अब तुम मुझे इन कपड़ों से आजाद करो!
तो वो बोली- अभी लो मेरी जान, तुझे अभी नंगा कर देती हूँ.
फिर उसने मेरा टी-शर्ट उतारा और बनियान उतार कर मेरे सीने पर चूमने लगी।
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।
फिर उसने मेरी जींस उतारी और और अंडरवीयर में ही लंड को मसलने लगी। फिर मेरा अंडरवीयर उतारा और लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
मुझे बहुत मजा आया, जब तक पानी नहीं निकल गया तब तक वो लंड चूसती रही और सारा पानी पी गई।
फिर उसके बाद मैंने उसका कुर्ता उतारा और उसे सिर्फ पैंटी में कर दिया।
वो पैंटी में बहुत मस्त लग रही थी।
मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चूत को मसलने लगा।
उसकी चूत गीली हो चुकी थी मैंने उसकी चूत के पानी को चाटने के लिए उसकी चूत में मुह लगाकर जीभ से चाटने लगा.
उसकी आहें फिर से सुनाई देने लगी.
फिर मैंने उसकी चूत में अपना लंड डाला और उसकी चुदाई शुरू कर दी।
आज चूत में लंड डालने पर उसे ज्यादा मजा आ रहा था क्योंकि आज उसे दर्द नहीं हो रहा था।
चूत की चुदाई करीब 15 मिनट चली, फिर उसकी गांड मारनी शुरू कर दी।
पहले तो उसे घोड़े के जैसे पलंग पर लेटाया फिर उसकी गांड में अपना मस्त, मोटा लौड़ा डाल दिया।
उसकी गांड कसी थी इसलिए मैंने उसकी गांड की आराम से चुदाई की लेकिन आज उसे कुछ ज्यादा ही मजे आ रहे थे और वो गांड उठा उठा कर चुदवा रही थी। उसकी गांड बिल्कुल लाल हो चुकी थी।
मैंने उसकी गांड के दोनों कूल्हों पर हाथ से मारा जिससे वो और लाल हो गए।
जब पानी आया तो इस बार सारा उसकी चूत में ही छोड़ दिया।
फिर मैंने कपड़े पहने और जब मैं उसके घर से जाने लगा तो भाभी बोली- रोहित, तुम कब आये? मैंने तो देखा ही नहीं!
मैं बोला- दस मिनट हुए हैं!
और चला गया.
भाभी को शायद शक हो गया था!
अगले दिन भाभी जब पड़ोस में गई तो मैं फिर आ गया।
जब मैं रक्षिता को चूम रहा था तो भाभी ने दरवाजा खटखटाया और बोली- रक्शु, एक बार दरवाज़ा खोल! मुझे कुछ काम है!
मैं जल्दी से पलंग के नीचे छुप गया।
भाभी अंदर आ गई और कमरे की तलाशी लेने लग गई।
तो रक्षिता बोली- क्या ढूंढ रही हो भाभी?
भाभी बोली- तू बैठ! मुझे जो ढूंढना है वो मैं ढूंढूँगी!
फिर भाभी ने बेड के नीचे देखा और बोली- बाहर आ जा रोहित!
मैं बोला- भाभी, किसी से मत बोलना!
फिर वो बोली- मेरी एक शर्त है!
हम दोनों बोले- वो क्या?
“तू रक्षिता के साथ मुझे भी चोद!”
मैं बोला- ठीक है!
भाभी का फिगर बहुत मस्त था, मैं सोचने लगा कि मस्त माल हाथ लग गया।
फिर मैंने भाभी की साड़ी उतारी और फिर ब्लाऊज़ उतार कर चूचियों को चूसने लगा।
रक्षिता मेरे कपड़े उतार कर मेरा लौड़ा चूसने लगी।
फिर मैंने भाभी का पेटीकोट उतारा और पैंटी में से ही चूत में खुजली करने लगा.
भाभी के मुँह से आवाजें आने लगी- आह! ओह्ह! मजा आ गया!
अब भाभी बोली- बहन के लौड़े! तूने मुझे पहले क्यों नहीं चोदा? और तेज़ चोद मेरे राजा! आज तो तूने सच में चुदाई की.
भाभी और मैं लगभग एक साथ झड़ गए।
फिर थोड़ी देर रुकने के बाद रक्षिता बोली- जान, अब मेरी चूत की प्यास भी बुझा दो!
मैं बोला- मैं अपनी जान को चोदे बिना थोड़े ही छोड़ूंगा!
फिर मैंने रक्षिता की चूत में अपना बड़ा सा लंड डाला और उसकी तेज़ स्पीड में चुदाई शुरू कर दी।
वो आह ओह्ह आह ओह्ह की आवाजें निकालने लगी.
मुझे उसकी आवाजें सुनकर बहुत मजा आने लगा, मैंने और स्पीड बढ़ा दी।
उसकी भाभी मुझे चूम रही थी और रक्षिता के स्तन दबा रही थी।
मैंने दूसरी बार दो लड़कियों की चुदाई की थी जिसमें मुझे काफी मजा आया।
इस चुदाई में मुझे पहले से ज्यादा मजा आया।
रक्षिता की चुदाई होने के बाद भाभी बोली- रोहित, तेरे भैया तो मेरी गांड मारते नहीं हैं! तू ही मार दे.
मैं बोला- ये लो भाभी! अभी मार देता हूँ.
फिर मैंने भाभी को घोड़ी की तरह बैठाया और उसकी गांड में लंड डालने लगा.
भाभी पहली बार गांड मरवा रही थी इसलिए मुझे थोड़ा ज्यादा जोर लगाना पड़ा।
लंड को घुसने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी लेकिन मैं हार मानने वाला कहाँ था … मैंने पूरा जोर लगा दिया.
भाभी चिल्लाने लगी- मर गई मैं तो … पर तू घुसा रोहित … तू मत रुक.
अब मैं और जोश के साथ गांड में घुसाने लगा।
आखिरकार मैं उसकी गांड में अपना लंड घुसाने में कामयाब रहा।
फिर मैंने धीरे धीरे स्पीड बढ़ा दी.
भाभी बोली- मजा आ गया पहली बार गांड मरवाने में! बहन का लौड़ा, मेरा पति तो मेरी गांड चोदता ही नहीं है.
फिर मैंने उसकी गांड में पानी छोड़ दिया।
तब तक दो बज चुके थे, भाभी बोली- रोहित, हम दोनों चूत और गांड धो कर आते हैं, तू तब तक कमरे में बैठ! हम एक साथ खाना खायेंगे।
फिर भाभी खाना लगाया और मुझे बोली- रोहित, तू कल आना! मैं अपनी सहेलियों को बुला कर लाऊँगी।
मैं बोला- ठीक है.
आगे की कहानी पढ़ने के लिए अन्तर्वासना3 डॉट कॉम हर रोज देखते रहें!
मुझे सभी के मेल का इंतज़ार रहेगा! Antarvasna
मेरा नाम सुनील है, मेरी उम्र १८ साल Sex Stories है।मैं रामपुर का रहने वाला हूँ। मेरे पिताजी एक अध्यापक हैं जो कि दूसरे शहर में रहते हैं। मेरी माँ का नाम नेहा है और उसकी उम्र ३८ साल है परन्तु उसकी जवानी २२ साल की लड़की से कम नहीं है। चूँकि मेरे पिताजी महीने में एक बार आते हैं इसलिए मैं और मेरी माँ ही घर में रहते हैं।
एक रात जब मैं खाना खाकर सो रहा था परन्तु मुझे नींद नहीं आ रही थे, मैंने रात के एक बजे दरवाजे में हल्की सी दस्तक सुनी। मैंने माँ के कमरे की ओर देखा तो मेरी माँ चुपके से धीरे-२ दरवाजे पर गई और दरवाजा धीरे से खोला। रात के उन्धेरे में केवल जीरो पॉवर का बल्ब जल रहा था हाल में और गुलाबी रंग की मैक्सी में नेहा का आधा शरीर चमक रहा था।
दरवाजा खुलते ही नारायण ने अन्दर प्रवेश किया। नारायण की उम्र ३३ साल की होगी और वो हमारे मुहल्ले में बदमाश के नाम से जाना जाता था। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन मैं चुपचाप सब देखता रहा। अंदर आते ही नेहा ने दरवाजा बंद कर दिया था और इस बीच नारायण ने मेरे माँ की मस्त गाण्ड पर हाथ फेर दिया।
नारायण ने, जो कि नशे में था, अपनी जेब से दारू के एक बोतल निकाली और मेरी माँ ने हाल में ही रखे दो गिलास ले आई। दोनों दारू का रसपान करने लगे। बीच बीच में नारायण मेरी माँ के बड़े बड़े दूधों को दबा देता था और मेरी माँ को किस कर रहा था। नशे में तो वो बड़े प्यासी लग रही थी।
मैं चुपचाप सब देख रहा था।
पीने के बाद नारायण मेरी माँ को माँ के बेड-रूम में लेकर गया और मेरी माँ को बिस्तर में बैठा दिया और अपना पैंट की चेन खोलने लगा। इतने में नारायण का मोबाइल बजा और वो मेरे कमरे के पास आकर बात करने लगा। मेरी माँ बिस्तर पर नंगी बैठी अपनी बुर को सहला रही थी जैसे उसे लण्ड चाहिए।
नारायण फ़ोन पर कह रहा था- माल तैयार है, बस आ जाओ !
मेरी माँ ने नारायण से पूछा- किसका फ़ोन है?
उसने कहा- ऐसे ही दोस्त का ! और मेरे माँ के दूधों को दबाने लगा।
कुछ देर बाद दरवाजे में फिर दस्तक हुई। इस पर मेरी माँ ने नारायण की तरफ देखा, नारायण ने उससे बोला- मेरा दोस्त है शायद !
और दरवाजे की तरफ लपका। दरवाजा खुलते ही कल्लू भाई अन्दर आ गया, कालू भाई वहाँ का डॉन था, उसकी ऊंचाई ६’४” होगी और उसे अंदर आते हुए देख मेरी माँ ने कपड़े पहनना शुरू कर दिए। नारायण ने मेरी माँ को बोला- ये कालू भाई हैं ! ये सिर्फ़ आज ही के लिए आए हैं, तुम वही सब करो जो मेरे साथ करती हो।
मेरे माँ की तो जैसे दिल के मुराद पूरी हो गई हो- दो मर्द मिल गये थे उसे।
कालू भाई तो कहाँ रुकने वाले थे, वो झट से मेरे माँ को पकड़ कर उसका दूध दबाने लगा।
नारायण भी सब देख रहा था।
अब कल्लू भाई ने अपना लण्ड निकाल लिया और मेरी माँ के मुँह में डाल दिया। लण्ड देख कर मेरी माँ नेहा मुस्कुरा रही थी। उसका लण्ड ९ इंच का होगा काला और बहुत मोटा।
अब वो उसके लण्ड को चूसे जा रही थी और कालू भाई उसकी चूची मसल रहा था। नेहा बड़ी प्यासी लग रही थी, मैं चुपचाप सब देख रहा था।
पास में ही नारायण सिगरेट पी रहा था, मेरी माँ के मुँह से सिसकियाँ निकल रही थी- हूह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्छ. हाह !
मैं सब देख रह था।
अब वो बिलकुल गरम हो गई थी और बोल रही थी- अब बस नारायण इस चूत की आग बुझा दे आज तू !
और नारायण ने इशारा जान कर अपना ८ इंच का लण्ड मेरी माँ की चूत पर रख दिया। वो अपने हाथों से मेरे माँ का दूध दबा रहा था और मेरे माँ को किस कर रहा था।
दोनों माहिर खिलाड़ी लग रहे थे।
अब नारायण ने अपना लण्ड मेरे माँ की बुर में डाल दिया और वो सित्कारियाँ ले रही थी। अब नारायण ने अपनी स्पीड तेज कर दी और लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा। मेरी माँ उसका पूरा साथ दे रही थी। मेरी माँ भी अपना गाण्ड को उछाल रही थे, कुछ देर के बाद नारायण ने अपना पानी मेरे माँ की बुर में छोड़ दिया और उसके ऊपर निढाल होकर गिर गया।
वो मेरी माँ के बड़े बड़े दूधों के दबा रहा था उसका पानी मेरे माँ की बुर से टपक रहा था। कुछ देर के बाद नारायण अलग हो गया।
मेरी माँ ने कालू का लण्ड मुँह में डाल लिया वो उसे चूसे रही थी। अब कालू भाई का लण्ड खड़ा हो गया था, उसने मेरी माँ को लेटाया और उसकी बुर पे अपना लण्ड रख दिया, नेहा के मुँह से आवाज़ आ रही थी- ओह्ह.. कालू चोद दो आज…. !
कालू ने अपना लण्ड पूरा का पूरा उसकी बुर में डाल दिया और धाप मारने लगा। अब नारायण ने भी अपना लण्ड मेरी माँ के मुँह में डाल दिया। अब वो दो दो लण्ड खा रही थी।
कुछ देर बाद नारायण का लण्ड फिर से तैयार हो गया।
अब नारायण ने मेरी माँ को ऊपर आने को बोला। अब मेरी माँ कालू के ऊपर आ गई। उसने कालू का लण्ड अपनी बुर में रखा और ऊपर हिलने लगी, कालू उसके दूध को दाबने लगा।
नारायण अपना लण्ड मेरे माँ की गाण्ड में रगड़ने लगा। मेरी माँ की गाण्ड बड़ी टाईट थी इसलिए नारायण का लण्ड अन्दर नहीं जा रहा था। मेरी माँ ने नारायण को वहीं रखा बोरोप्लस लाने को कहा। नारायण बोरोप्लस मेरे माँ की गाण्ड पर लगाने लगा। वो अपनी मस्त गाण्ड को हिला हिला कर उसका साथ दे रही थी।
अब नारायण ने थोड़ा बोरोप्लस अपने लण्ड पर भी लगाया और फिर से डालने की कोशिश की। अब उसका आधा लण्ड मेरी माँ की गाण्ड के अंदर चला गया था।
मेरी माँ सिसकियाँ ले लेकर बोल रही थी- ह्म्म्म्म्म्म. हाआह्ह्ह्ह्छ !
अब नारायण अपने लण्ड से उसकी गाण्ड मार रहा था, उसे भी मज़ा आ रहा था, मस्त गाण्ड जो मिली थी उसे !
अब दोनों जवानी का आनन्द ले रहे थे।
कुछ देर बाद नारायण का पानी छूटने लगा तो उसने अपना लण्ड निकाल कर मेरी माँ के मुँह में डाल दिया। वो उसके पानी को ऐसे पी रही थी जैसे शरबत।
कुछ ही देर में कालू ने अपना लण्ड बाहर निकाला और अपना पानी मेरे माँ के मुँह में डाल दिया।
थोड़ी देर के बाद कालू ने फिर अपना कार्यक्रम चालू किया। कालू ने अपना लण्ड मेरे माँ की गाण्ड पर रख दिया और उसकी चिकनी गाण्ड मारने लगा।
और वो हांऽऽहंऽऽ की आवाज निकाल रहे थे। अब कालू ने अपना पानी उसकी गाण्ड में छोड़ दिया था।
कुछ देर बाद कालू और नारायण ने कल फ़िर आने का वादा करके मेरी माँ की गाण्ड को सहलाया और उनके जाते ही मेरी माँ ने दरवाज़ा बंद करके अपनी बुर सहलाई। वो बड़ी खुश लग रही थी और हो भी क्यों नहीं- उसे दो लण्ड जो मिले थे आज ! Sex Stories
साली गांड फक स्टोरी में पढ़ें कि मैं अपनी साली की चुदाई कर रहा था। मेरी बीवी सब देख लेती है। लेकिन उन दोनों ने तब कुछ ऐसा किया किमेरे पैरों तले जमीन खिसक गई।
दोस्तो, कैसे हो आप लोग! मेरी सेक्स कहानी
आधी घरवाली ने बुर की सील खुलवा ली
को इतना प्यार देने के लिए धन्यवाद।
मैं अपनी पिछली कहानी को इस साली गांड फक स्टोरी में आगे बढ़ा रहा हूं।
मेरी साली नीलू और मेरे बीच हुए सेक्स के बारे में अब मेरी बीवी सिमरन को भी पता चल गया था।
जब मैं रूम में पहुंचा तो देखा कि सिमरन जागी हुई थी.
वह मुझे देख कर बोली- हो गया सेक्स?
उसके मुँह से यह सुनते ही मेरी हालत खराब हो गई.
तभी नीलू भी आ गई.
मैं एकदम ठंडा पड़ गया था.
सिमरन की बात सुनकर मेरी और नीलू की तो गांड फट गई।
तभी नीलू सिमरन के पास गई और दोनों हंसने लगीं।
नीलू बोली- दीदी, जीजू को अब बता दो कि उनके साथ आज क्या हुआ!
अब मैं सोच में पड़ गया कि ये दोनों क्या बातें कर रही हैं।
मैं दोनों को घूरने लगा और आंखों में ही सवाल करने लगा।
तभी सिमरन मेरे पास आई और बोली- बोलो, हो गई दोनों की चुदाई!
दोनों मुंह पर हाथ रखकर हंसने लगीं।
फिर नीलू बोली- जीजू इतना नर्वस मत होइए। दीदी ने ही ये सब कुछ प्लान किया था। मुझे पता है कि आप लोगों की सेक्स लाइफ अच्छी नहीं है, और मैं ये भी जानती हूं कि दीदी आपका साथ नहीं देती है सेक्स में!
ये सब सुनकर मैं तो हैरान हो गया था।
मैं बोला- बालकनी में आओ।
हम तीनों बाहर आ गए।
मैं- अब बताओ क्या है ये सब!
सिमरन- पता है मेरे इतना सेक्सी होने का राज क्या है?
मैं- नहीं, बताओ! (मैं अभी भी हैरान था और समझ नहीं पा रहा था कि वह क्या कहने वाली है)
सिमरन- नीलू है इसके पीछे!
मैं- कैसे?
सिमरन- मैं लेस्बियन हूं, मेरे बूब्स नीलू ने बड़े किए हैं।
मैं- क्या? पागल हो? क्या बोल रही हो, तुम … और लेस्बो?
नीलू- सच्ची जीजू, आपसे ज्यादा तो इसने मेरे साथ सेक्स किया है।
मैं समझ नहीं पा रहा था लेकिन फिर भी सच को अपनाने की कोशिश कर रहा था।
मैं- तुम लोग सही में अलग लेवल की हो, अब ये बताओ सिमरन ने नीलू के साथ ये प्लानिंग किसलिए की?
सिमरन- ये प्लान हमारी पहली एनिवर्सरी पर बना था। नीलू का कॉल आया था, बोल रही थी कि दी मेरी जान … हम लोगों को सेक्स किए एक साल हो गया है।
सिमरन- मैं बोली कि बीएफ बना लो, अब दीदी के साथ कब तक सेक्स करती रहोगी।
नीलू- क्यों, आप जीजू को खुश रख पा रही हो?
सिमरन- मैं कुछ नहीं बोली इस पर।!
नीलू ने फिर कहा- दीदी, मुझे पता है, आप तो सेक्स करने नहीं देती होंगी, पर जीजू अच्छे हैं इसलिए कुछ नहीं बोलते होंगे।
सिमरन- फिर मुझे लगा कि नीलू सही कह रही है।
नीलू फिर बोली- दी, क्यों ना दोनों कोई प्लान बनाते हैं, मैं जीजू के साथ सेक्स करूंगी, और आप मेरे साथ करना। जीजू तो वैसे भी मुझे भाव नहीं देते, मैं सांवली जो हूं।
सिमरन- बहुत सोचने के बाद मैंने हां कर दी।
इनकी बातें मैंने ध्यान से सुनी।
फिर मैं बोला- तुम दोनों पागल हो।
नीलू- जीजू, आपको सेक्स करके मजा नहीं आया क्या?
मैं- लेकिन ऐसा कब तक चलेगा, शादी के बाद?
सिमरन- मादरचोद हिम्मत है किसी की मुझे या तुमको छोड़कर कोई हाथ लगा दे इसे!
इस पर हम तीनों ने तय कर लिया कि रहेंगे तो तीनों साथ, नहीं तो फिर नीलू शादी ही नहीं करेगी।
सिमरन मेरे पास आई और मुझे किस करने लगी।
मैं समझ गया था कि दोनों की ही चूत मिलती रहेगी पूरी जिंदगी!
नीलू- अब सुबह हो रही है, सबके जागने का टाइम हो गया है, थोड़ी देर सो लेते हैं।
शादी का माहौल था, सब अब जागने वाले थे।
उसके बाद हम तीन दिन काम में पूरी तरह व्यस्त रहे।
मैं बाहर के कामों में लगा था जबकि सिमरन और नीलू घर के कामों में लगी थीं।
फिर बारात वाले दिन सब तैयार हो रहे थे।
रात हो चुकी थी।
मैं रूम में आया।
सिमरन- आ गए …
मैं- हम्म …
नीलू- जीजू, बताओ ना मैं कौन सी ब्रा-पैंटी पहनूं?
मैं- कोई भी पहन लो, ये तुम्हारी रंडी है न, इससे ही पूछ लो!
नीलू- आप शर्त भूल गए क्या?
मैं- कौन सी?
नीलू- सेक्स करने से पहले मैंने आपके सामने शर्त रखी थी कि आपके भाई की सुहागरात में आप मेरे साथ सेक्स करोगे!
मैं- पता है मुझे!
सिमरन ये सब सुनकर स्माइल कर रही थी।
फिर नीलू बोली- अब बता भी दो, और मेरी भी हेल्प कर दो।
मैंने लाल रंग की नीलू के लिए बताई और बैंगनी रंग की सिमरन के लिए।
वे दोनों मेरे सामने ही नंगी हो गईं।
वैसे सिमरन के बूब्स देखकर कोई बता नहीं सकता था कि वह लेस्बियन है, देखते ही लंड खड़ा हो जाता है।
हालांकि नीलू की चूचियां थोड़ी छोटी थीं।
फिर मुझसे रहा नहीं गया, मैंने नीलू को जोर से बालों से पकड़ कर दीवार से लगा दिया और किस करने लगा।
लेकिन ये सिमरन से बर्दाश्त नहीं हुआ।
उसने पीछे से मुझे बालों से पकड़ा और दीवार से लगा दिया।
बोली- बहनचोद, मेरे सामने ही मेरी बहन की चूत लेगा?
कहकर वह मुझे जोर से किस करने लगी।
इतने में नीलू घोड़ी बनकर सिमरन की गांड चाटने लगी।
सिमरन मेरे लिप्स को जोर जोर से चूसे जा रही थी और लंड को जोर से दबाये जा रही थी।
नीलू ने मेरे लंड की तरफ देखा तो मैं समझ गया कि ये चुदाई के लिए तैयार है।
अब नीलू ने सिमरन को बेड पर चलने के लिए कहा।
बेड पर ले जाकर नीलू सिमरन के बूब्स चूसने लगी।
उसने अपनी तीन उंगली सिमरन की चूत में दे दीं।
इससे सिमरन उचक गई- उऊईई ईई मम्मी … आह्ह।
फिर मेरी तरफ आंखें दिखाकर बोली- मादरचोद, तू क्या कर रहा है वहां!
उसने मुझे आंखों से सिमरन के बूब्स चूसने का इशारा किया।
मैंने सिमरन के बूब्स को चूसना शुरू कर दिया।
सिमरन की सिसकारियां तेज होने लगीं और उसके मुंह से ऊह्ह आह्ह जैसे कामुक शब्द बरसने लगे।
वह बार बार मस्ती में बोल रही थी- आह्ह साली नीलू … और तेज … और तेजी से चोद मेरी चूत को, आह्ह और तेज!
नीलू ने पूरी उंगली उसकी चूत में घुसा दी जिससे सिमरन की चीख निकल गई।
इतने में नीलू ने अपने होंठ सिमरन के होंठों पर रख दिए।
सिमरन की चूत अब झड़ने के करीब आ गई थी।
चूत में नीलू की उंगलियों की स्पीड अब और ज्यादा बढ़ गई।
नीलू ने सिमरन को अपने आगोश में ले लिया और सिमरन की चूत का पानी निकल गया।
सिमरन शांत हो गई।
उसने नीलू को हटाया और मेरे गले लग गई।
नीलू- साली रंडी … मजा ले मेरे से और झप्पी जीजू को!
सिमरन- नीलू मेरी जान … भूल मत, तू भी मेरी है और आनंद न रहता तो चुदाई भी तू न करवा पाती।
सिमरन- चल मैं नीचे जा रही हूं, हर कोई बारात के लिए तैयार हो रहा है। मैं भी हो जाती हूं। तुम लोग भी तैयार होकर आओ।
वह चली गई.
और उसके जाते ही नीलू मुझसे लिपट कर जोर जोर से किस करने लगी, मेरे लंड को मसलने लगी।
मैं समझ गया कि उसकी चूत चुदाई मांग रही है।
मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और किस करने लगा।
फिर उसकी गांड को भींचने लगा।
मैं- नीलू, तेरी गांड भी सिमरन से छोटी है।
नीलू- साली सिमरन को मजा लेना होता है तो गांड मुझसे चटवाती है। चूत में उंगली भी मुझसे करवाती है, लेकिन जब मेरी बारी आती है तो शांत हो जाती है।
मैं- कोई बात नहीं, मैं तेरी गांड और चूचियों को बड़ा कर दूंगा।
नीलू- ओके बातों में टाइम खराब नहीं करते हैं, चलो शुरू करो।
मैं नीलू की गांड में थूक लगाकर लंड के टोपे से मसलने लगा।
फिर उसकी गांड में लंड को सरकाने लगा।
लंड अंदर जाने लगा तो उसकी जोर से चीख निकल गई- आईई … मर गईईई!
मैं जानता था कि नीलू की गांड इतनी आसानी से लंड को झेल नहीं पाएगी।
तो मैं बोला- साली रंडी, चुदाई करवानी है तो सब सहन भी करना पड़ेगा।
मैंने उसे धीरे धीरे चोदना शुरू किया।
कुछ देर बाद धक्कों की स्पीड बढ़ा दी।
मैंने उसके बालों को पकड़ लिया और तेजी से गांड में लंड को घुसाने लगा।
वह चुदती हुई रोने लगी।
मैं- साली रंडी, जब रोना ही था तो चुदाई क्यों करवा रही है?
वह बोली- जीजू, दर्द ज्यादा हो रहा है।
अब मैंने उसके मुंह में एक कपड़ा फंसा दिया।
मैं बोला- शोर बाहर चला जाएगा, कोशिश करो, सब हो जाएगा।
उसने हां में सिर हिला दिया।
मैं दोबारा से चुदाई में लग गया।
कुछ देर बाद मेरा छूटने को हो गया।
मैंने नीलू से बताया लेकिन वह कुछ नहीं बोली।
फिर एकदम मेरी गांड फट गई।
मैंने देखा कि लंड पर खून लगा हुआ था।
तो मैंने लंड निकाला तो उसकी गांड फट गई थी।
वह बेहोश होने लगी थी।
फिर मैंने जल्दी से उसके मुंह पर पानी के छींटे मारे तो उसको होश आने लगा।
होश आते ही वह मुझसे लिपट कर रोने लगी।
फिर मुझे ध्यान आया कि मैंने ही इसे चुप रहने के लिए कहा था इसलिए यह चुपचाप चुदती रही।
फिर मैं उसे गोद में उठाकर वाशरूम में ले गया।
देखा तो उसकी गांड और चूत तक सब जगह खून फैला हुआ था।
वह बोली- मैं आपके लिए इससे भी ज्यादा कर सकती हूं जीजू!
मैंने उसकी चूत और गांड को साफ किया।
हमने साथ में शावर लिया।
उसके बाद हम बाहर आ गए।
बेड पर पूरा खून खराबा हो गया था।
वह बोली- आपका माल निकला था क्या?
मैं- नहीं।
नीलू को पता नहीं क्या हुआ, वह गुस्से में आ गई- मैं सिमरन की तरह चूत को ऐसे बर्बाद नहीं होने दूंगी। मैं चूत में भी लूंगी। आप मुझे चोद रहे हो या नहीं?
सुनकर मुझे भी जोश चढ़ गया।
मैंने उसे बेड पर गिरा दिया और उसकी काली-गुलाबी चूत में लंड को लगाकर धक्का देने लगा।
मेरा लंड एक धक्के में अंदर चला गया।
जल्द ही नीलू मेरे लंड के धक्के खाते हुए मजे में गोते लगाने लगी और बोलने लगी- आहह जीजू … और चोदो … मजा आ रहा है … आह्ह चोदो।
नीलू की चूत अंदर से पूरी गीली हो चुकी थी।
कुछ देर के बाद मेरा भी माल निकलने को हो गया।
मैंने नीलू को बता दिया कि मेरा होने वाला है।
मैं- मुंह में लोगी क्या?
नीलू गुस्से में- नहीं, चूत में चाहिए मुझे!
मैंने चूत में ही सारा माल डाल दिया।
नीलू- जीजू, दी को 1 घंटा हो गया है, अब चलो तैयार हो जाओ।
तभी सिमरन आवाज लगाती हुई आई, उसके पास रूम की चाबी थी तो सीधे खोलकर अंदर चली आई।
कमरे का हाल देखकर वह हैरान हो गई।
वह मेरे पास आकर मुझे मारने लगी, बोली- मादरचोद, नीलू का क्या हाल कर दिया तूने! इतना खून!
नीलू हम दोनों के बीच आकर बोली- दी, सब मेरी मर्जी से ही हुआ है।
सिमरन- इसको पता होना चाहिए ना कि तुम पहली बार कर रही हो, कोई रंडी थोड़ी हो!
नीलू ने सिमरन को गले लगाते हुए कहा- शांत हो जाओ मेरी जान, इसमें मेरी ही मर्जी थी।
सिमरन गुस्से में बोली- नीचे सब तुम दोनों के बारे में पूछ रहे हैं, बोल दूं कि चुदाई कर रहे हैं?
नीलू- दी आप जाओ, 15 मिनट तक संभालो, हम दोनों अभी आते हैं।
सिमरन चली गई।
उसके जाते ही हम दोनों रूम की सफाई में लग गए, फिर हम साथ में नहाए।
नीलू- जीजू, मेरी गांड में बहुत दर्द हो रहा है, लगता है कि चलना मुश्किल है।
मैंने थोडी़ रूई ली और उसकी गांड में घुसा दी।
मैं बोला- इससे थोड़ी राहत मिलेगी।
मैंने नीलू को ब्रा-पैंटी पहनाई और फिर तैयार होने चला गया।
मैं तैयार होकर उससे पहले निकल गया।
जब सिमरन और नीलू साथ में तैयार होकर आईं तो गजब की सेक्सी लग रही थीं।
सिमरन मेरे हाथ में हाथ डालकर साथ खड़ी हो गई।
बोली- क्यों जी, कैसी लग रही हूं? सेक्सी न?
मैं बोला- नाराज तो नहीं हो?
इतने में ही नीलू हमारे पास आ गई।
बोली- जान अब थोड़ा डांस हो जाए!
हम नाचने लगे।
मैं भी इस मौके का फायदा उठाते हुए बार बार नीलू की गांड पर टच कर रहा था।
सिमरन ये सब देख रही थी।
फिर सब लोग शादी में बिजी हो गए।
शादी 2-3 घंटे में संपन्न हो गई।
सब लोग अपने अपने रूम में आने लगे।
सिमरन रूम में आते ही सो गई।
मैं और नीलू अभी जाग रहे थे तो हम बातें करने लगे।
नीलू- जीजू, आपने तो मेरी जान ही ले ली थी।
मैं- हां, माफ करना उसके लिए।
नीलू- कोई बात नहीं जीजू, अगली बार तो मैं ही आप पर भारी पड़ूंगी।
मैं- अच्छा! चलो देखते हैं।
नीलू- जीजू, आपने मेरे और दी के अलावा किसी और के साथ भी सेक्स किया है क्या?
मैंने मुस्करा कर कहा- दो-दो रंडी है ना, और की क्या जरूरत!
नीलू ने मुस्कराते हुए मुझे किस कर लिया।
हम दोनों किस कर रहे थे कि अचानक से बुआ रूम में आ गई।
वह जोर से चिल्लाई- ये क्या है!
तभी सिमरन भी जाग गई।
उसने भी बुआ को देख लिया और हमारी हालत भी।
तभी उसने जल्दी से उठकर दरवाजा बंद कर दिया।
हम तीनों अब बुआ से बात करने लगे।
दरअसल बुआ अपने पति के साथ नहीं रहती थी। उनके कोई औलाद नहीं थी।
बुआ की उम्र 40 साल होगी, चूची 36 की और कमर भी लगभग इतनी ही।
लेकिन बुआ की गांड 42 के करीब थी।
हैरानी थी कि बुआ की गांड इतनी ज्यादा मोटी कैसे थी।
अब हम दोबारा से कहानी पर आते हैं!
तो बुआ ने सिमरन से कहा- देख, ये आनंद क्या कर रहा है!
नीलू- सिमरन को सब पता है!
बुआ- क्या मैं नीलू से अकेले में बात कर सकती हूँ?
मैं और सिमरन इस पर हैरान रह गए।
हम दोनों रूम के बाहर चले गए और बुआ ने दरवाजा बंद कर लिया।
बुआ- ये क्या है नीलू?
नीलू- जो तुम मेरे घर पर मेरे भाई के साथ करती हो, वही।
बुआ- मुझे पता है कि तुम्हें पता है मेरे और तेरे भाई के रिश्ते के बारे में। लेकिन तू सिमरन और आनंद के बीच क्यों आ रही है। तुम्हारे भाई से तो मैं मिली भी नहीं हूं कितने टाइम से।
नीलू- मुझे नहीं पता कि तुम मेरे भाई से मिलती हो या नहीं, लेकिन ये जो सब हो रहा है, इसमें ना ही पड़ो तो अच्छा है।
बुआ- क्यूं इनकी जिंदगी से खेल रही है?
नीलू गुस्से में बोली- साली सिमरन चुदक्कड़ को आनंद जैसा स्मार्ट लड़का मिला और मुझे कोई पसंद नहीं करता।
बुआ- नीलू, मुझे पता है सिमरन और आनंद की शादी के बाद घर पर तुमने हंगामा किया था।
नीलू- किया था और अभी इनकी जिंदगी में रानी बन कर दिखाऊंगी और सिमरन को उसकी औकात बताऊंगी कि घर की असली रानी मैं हूं।
बुआ- मैंने बारात में नोटिस किया था, मुझे शक हो गया था इसलिए मैं छिपकर पीछा कर रही थी।
नीलू- तुम्हारी भलाई खामोश रहने में ही है।
बुआ- लेकिन उन लोगों को तुम्हारी असलियत के बारे में पता चल गया तो?
नीलू गुस्से में बोली- सुन रंडी, तू जाती है या मेरे भाई और तेरी सेक्स वाली तस्वीरें शेयर करूं सबको?
बुआ- ठीक है।
तभी दरवाजा खुला और बुआ गुस्से में बाहर चली गई।
हम लोग अंदर आ गए।
मैंने नीलू को गले लगा लिया और पूछा- क्या हुआ अंदर?
नीलू- कुछ नहीं, बुआ को हम लोगों की मर्जी का पता चला और अब कुछ नहीं कहेगी वह किसी से!
तो दोस्तो, नीलू अपना बदला ले रही थी।
आपको ये स्टोरी कैसी लगी हमें जरूर बताना।
अगली कहानी में मैं बताऊंगा कि नीलू आगे क्या चाल चलती है।
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